UP Board Solutions for Class 9 Home Science प्रयोगात्मक एवं प्रोजेक्ट कार्य

UP Board Solutions for Class 9 Home Science प्रयोगात्मक एवं प्रोजेक्ट कार्य

These Solutions are part of UP Board Solutions for Class 9 Home Science . Here we have given UP Board Solutions for Class 10 Home Science प्रयोगात्मक एवं प्रोजेक्ट कार्य.

प्रयोगात्मक कार्य एवं प्रोजेक्ट कार्य

प्रयोग 1:

विषय:
पाँच विभिन्न कपड़ों के नमूनों का संग्रह करना।

उद्देश्य:

पाँच भिन्न-भिन्न प्रकार के कपड़ों के नमूनों का संग्रह करना। आवश्यक सामग्री
कैंची, विभिन्न प्रकार के कपड़ों की कतरनें, सूई एवं धागा तथा प्रयोगात्मक पुस्तिका।

विधि:

प्रत्येक प्रकार के कपड़े की एक-एक कतरन लेकर उसमें से एक निश्चित आकार (गोलाकार अथवा वर्गाकार) का कपड़ा काट लें। यदि चाहें तो कपड़ों के टुकड़ों की तुरपाई भी कर (UPBoardSolutions.com) लें। इसके उपरान्त इन टुकड़ों को अपनी प्रयोगात्मक पुस्तिका में किसी भी आकर्षक क्रम में टाँक लें। प्रत्येक प्रकार के कपड़े का नाम यथास्थान अंकित कर दें।
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निरीक्षण:
छात्राओं को उपलब्ध कपड़ों के विषय में समुचित जानकारी अवश्य होनी चाहिए। कपड़ों के विषय में उपलब्ध जानकारी को अपनी प्रयोगात्मक पुस्तिका में निम्नलिखित क्रम में अवश्य लिखें

  1. सम्बन्धित कपड़े किस प्रकार के तन्तुओं से निर्मित हैं?
  2.  सामान्य रूप से वे किस ऋतु में धारण किये जाते हैं?
  3. कपड़ों के मुख्य गुण-दोष क्या हैं?
  4.  प्रत्येक प्रकार के कपड़े को धोने की विधि।
  5.  सम्बन्धित कपड़ों के रख-रखाव की विधि।

परिणाम:
प्रयोगात्मक पुस्तिका में भिन्न-भिन्न प्रकार के कपड़ों के नमूनों को एकत्रित करने का मुख्य उद्देश्य कपड़ों की वास्तविक पहचान करना है। इसके अतिरिक्त कपड़ों के गुणों की समुचित जानकारी प्राप्त करना भी अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है।

सावधानियाँ:

  1. कपड़ों के नमूनों के संग्रह को नमी एवं सीलन से बचाकर रखना चाहिए।
  2. इस बात की भी सावधानी रखनी चाहिए कि कपड़ों को कीड़ों या फफूदी से हानि न पहुँचे।

प्रयोग सम्बन्धी मौखिक प्रश्न

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प्रश्न 1:
केपड़ा बनाने के लिए किन स्रोतों से तन्तु प्राप्त किये जाते हैं?
उत्तर:
कपड़ा बनाने के लिए मुख्य रूप से प्राकृतिक स्रोतों से तन्तु प्राप्त किये जाते हैं। जैसेप्राणी-जगत् से ऊन एवं रेशम तथा वनस्पति-जगत् से कपास, लिनन, (UPBoardSolutions.com) जूट आदि। इसके अतिरिक्त कपड़ा बनाने के लिए कृत्रिमं तन्तु भी प्रयोग किए जाते हैं; जैसे–रेयॉन, नायलॉन, डेकरॉम, एक्रीलॉन आदि।

प्रश्न 2:
सूती वस्त्र के तन्तु किस स्रोत से प्राप्त किये जाते हैं?
उत्तर:
सूती वस्त्र के तन्तु वनस्पति-जगत् में पाये जाने वाले कपास नामक पौधे से प्राप्त किये जाते हैं।

प्रश्न 3:
लिनन नामक वस्त्र के तन्तु किस स्रोत से प्राप्त किये जाते हैं?
उत्तर:
लिनन के तन्तु फ्लाक्स यो सन नामक पौधे के तने से प्राप्त किये जाते हैं।

प्रश्न 4:
ऊनी तन्तु किस वर्ग के तन्तु हैं?
उत्तर:
ऊनी तन्तु प्राणी-जगत् से प्राप्त होने वाले प्राकृतिक तन्तु हैं। इन्हें प्रोटीन तन्तु भी कहा जाता है।

प्रश्न 5:
रेशम के कीड़े द्वारा निर्मित खोल को क्या कहा जाता है?
उत्तर:
रेशम के कीड़े द्वारा निर्मित खोल को ककून कहते हैं।

प्रश्न 6:
वस्त्रों का राजा किस वस्त्र को कहा जाता है?
उत्तर:
रेशम के वस्त्रों को वस्त्रों का राजा कहा जाता है।

प्रश्न 7:
रेशम का कीड़ा कहाँ पाला जाता है?
उत्तर:
रेशम का कीड़ा मुख्य रूप से शहतूत की पत्तियों पर पाला जाता है।

प्रश्न 8:
सूती कपड़े धारण करना किस प्रकार की जलवायु में उत्तम समझा जाता है?
उत्तर:
गर्म जलवायु में सूती कपड़े धारण करना उत्तम समझा जाता है।

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प्रश्न 9:
रूमाल, तौलिए तथा नेपकिन आदि मुख्य रूप से किस वस्त्र के बनाये जाते हैं?
उत्तर:
लिनन के बनाये जाते हैं।

प्रश्न 10:
रेयॉन के तन्तु किस प्रकार के होते हैं? इन्हें कैसे बनाया जाता है?
उत्तर:
रेयॉन के तन्तु कृत्रिम तन्तु हैं, इन्हें यान्त्रिक विधि द्वारा तैयार किया जाता है।

प्रश्न 11:
नॉयलॉन के तन्तु किस प्रकार के होते हैं? इन्हें कैसे बनाया जाता है?
उत्तर:
नायलॉन के तन्तु कृत्रिम तन्तु हैं, इन्हें रासायनिक विधि से तैयार किया जाता है।

प्रश्न 12:
कौन-से वस्त्रों को धोना सर्वाधिक सरल होता है?
उत्तर:
नायलॉन तथा अन्य कृत्रिम तन्तु वाले वस्त्रों को धोना सर्वाधिक सरल होता है।

प्रयोग-2

विषय:
कार्बोहाइड्रेट प्राप्ति के स्रोतों को चित्र द्वारा दर्शाना।

परिचय:
कार्बोहाइड्रेट को वनस्पति-जगत् से ही प्राप्त किया जा सकता है।
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प्रयोग सम्बन्धी मौखिक प्रश्न

प्रश्न 1:
कार्बोहाइड्रेट के अधिकांश स्रोत कहाँ हैं?
उत्तर:
कार्बोहाइड्रेट के अधिकांश स्रोत वनस्पति-जगत् में हैं।

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प्रश्न 2:
क्या मांस-मछली तथा अण्डे में कार्बोहाइड्रेट पाया जाता है?
उत्तर:
नहीं, मांस-मछली तथा अण्डे में कार्बोहाइड्रेट नहीं पाया जाता।

प्रयोग 3:

विषय:
खाद्य तत्त्वों का संकलन चार्ट द्वारा ( आहार के अनिवार्य तत्त्व विटामिन ‘सी’ का चार्ट द्वारा प्रदर्शन)।

उद्देश्य:
विटामिन ‘सी’ प्राप्ति के स्रोतों को दर्शाना।

आवश्यक सामग्री:
चार्ट पेपर, पेन्सिल, रबड़, काले रंग की स्याही तथा विभिन्न रंग।

विटामिन ‘सी’ प्राप्ति के स्रोत:
विटामिन ‘सी’ की प्राप्ति के मुख्य स्रोत खट्टे फल तथा हरी सब्जियाँ हैं। आँवला विटामिन‘सी’ का अति उत्तम स्रोत है।
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प्रयोग सम्बन्धी मौखिक प्रश्न

प्रश्न 1:
विटामिन ‘सी’ की प्राप्ति के मुख्य स्रोत बताइए।
उत्तर:
‘विटामिन ‘सी’ की प्राप्ति के मुख्य स्रोत हैं—खट्टे फल। इनमें नींबू, नारंगी, सन्तरा, अमरूद, अनन्नास, तरबूज आदि मुख्य हैं। आँवला विटामिन ‘सी’ का एक अति उत्तम स्रोत है। इसके अतिरिक्त टमाटर, गोभी, सलाद आदि हरी सब्जियाँ भी विटामिन ‘सी’ के उत्तम स्रोत हैं।

प्रश्न 2:
हमारे लिए विटामिन ‘सी’ की क्या उपयोगिता है?
उत्तर:
विटामिन ‘सी’ हड्डियों, पेशियों, तन्तुओं तथा अन्य ऊतकों को मजबूती व दृढ़ता प्रदान करता है। यह विटामिन संक्रामक रोगों से बचाव में सहायक होता है तथा लौह खनिज के उपापचय में सहायक होता है।

प्रश्न 3:
आहार में विटामिन ‘सी’ की कमी के प्रभावों को बताइए।
उत्तर:
आहार में विटामिन ‘सी’ की कमी से व्यक्ति की शारीरिक वृद्धि पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। व्यक्ति आलस्य एवं कमजोरी महसूस करता है। रोग-प्रतिरोधक-क्षमता घट जाती है दाँतों एवं मसूड़ों पर बुरा प्रभाव पड़ता है।

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प्रश्न 4:
विटामिन ‘सी’ की अत्यधिक कमी से कौन-सा रोग हो जाता है?
उत्तर:
विटामिन ‘सी’ की अत्यधिक कमी से स्कर्वी नामक रोग हो जाता है।

प्रयोग 4:

विषय:
बिस्तर पर लेटे रोगी के बिस्तर की चादर बदलना।

उद्देश्य:
रोगी को संक्रमण से बचाने के लिए एवं स्वच्छता का ध्यान रखते हुए रोगी के बिस्तर की चादर बदलना।

आवश्यक सामग्री:
दो साफ धुली चादरें तथा छोटी चादर।

विधि:
साधारणतया हम बिस्तर की चादर गन्दी होने पर तुरन्त बदल देते हैं। परन्तु समस्या तब उत्पन्न होती है जब रोगी आसानी से उठ-बैठ नहीं पाता और न ही हिल-डुल पाता है। ऐसी दशा में किस प्रकार रोगी की चादर बदली जाए? चादर बदलने की निम्नलिखित विधियाँ हैं

करवट विधि

  1. सर्वप्रथम पहले से एक और चादर उसी लम्बाई को लेकर, उसकी आधी चौड़ाई से अधिक तक मोड़कर लपेट लेते हैं। यदि छोटी चादर या मोमजामा भी बदलना हो तो उसे भी मोड़कर तैयार रखते हैं।
  2. तत्पश्चात् रोगी को एक करवट लिटाकर बिस्तर पर बिछी हुई छोटी चादर, मोमजामा व बड़ी चादर को घुमाकर लपेटते हुए रोगी की पीठ के पास तक ले जाते हैं तथा नीचे के बिस्तर की सिलवटें दूर कर देते हैं।
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  3.  इसके पश्चात् गन्दी चादर को हटाकर शेष बिस्तर पर साफ चादर पहले उस ओर से बिछाते हैं जिधर खाली स्थान है और इसके बाद आधी बिछी हुई चादर पर रोगी की करवट पलट देते हैं।
  4. इसके बाद जब रोगी आधी करवट ले लेता है तब उस खाली आधे स्थान पर तुरन्त चादर बिछा देते हैं।

लपेट विधि

नई चादर को बिछाने के लिए रोगी को करवट दिलानी अति आवश्यक है। उसकी पीठ की ओर खड़े होकर उस ओर से पलंग की पुरानी चादर को पहले थोड़ी दूर तक लपेट लेना चाहिए तथा जितनी दूर तक यह चादर हट जाती है उतनी दूर तक नई चादर को बिछा देना चाहिए। इसी तरह पुरानी चादर लपेटते जाते हैं तथा नई चादर बिछाते जाते हैं। जब दोनों चादरों की लपेटन रोगी के समीप पहुँच जाती है तो उसे सहारा देकर धीरे से नई चादर की ओर करवट दिला दी जाती है।

प्रयोग सम्बन्धी मौखिक प्रश्न

प्रश्न 1:
रोगी के बिस्तर पर सूती चादर क्यों बिछाते हैं?
उत्तर:
रोगी के बिस्तर पर सूती चादर बिछायी जाती है क्योंकि वह रोगी के शरीर से निकलने वाले पसीने को सोख लेती है। इसके अतिरिक्त चादर को निसंक्रमित करने के लिए इसे खौलते पानी में आसानी से धोया जा सकता है।

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प्रश्न 2:
ठीक से उठ-बैठनसकने वाले रोगी के बिस्तर की चादर बदलने में कितने व्यक्तियों की आवश्यकता होती है?
उत्तर:
इस प्रकार के रोगियों के बिस्तर की चादर बदलते समय दो व्यक्तियों का होना सुविधाजनक रहता है।

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