UP Board Solutions for Class 11 Home Science Chapter 6 विभिन्न दशाओं में शरीर की भोजन सम्बन्धी आवश्यकताएँ (Food Requirements of the Body Under Various Conditions)
UP Board Solutions for Class 11 Home Science Chapter 6 विभिन्न दशाओं में शरीर की भोजन सम्बन्धी आवश्यकताएँ
UP Board Class 11 Home Science Chapter 6 विस्तृत उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
शिशु तथा स्कूल जाने वाले बालक/बालिकाओं के उपयुक्त आहार का विवरण .. प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर:
शिशु का आहार
शिशु का आहार शिशुओं का स्वास्थ्य माता-पिता द्वारा किए गए पालन-पोषण पर निर्भर करता है। शिशु का स्वस्थ विकास एवं पालन-पोषण उसके भविष्य का आधार होता है। इसलिए शिशु अवस्था में ही उसके शारीरिक विकास पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता होती है। शिशु का पालन-पोषण उसकी युवा और प्रौढ़ अवस्था का आधार होता है। इसलिए यह आवश्यक है कि शिशु को सभी पोषक तत्त्व उचित मात्रा में उपलब्ध हों।
शिशु के लिए माता का दूध पूर्ण एवं सर्वोत्तम आहार माना जाता है। माता के दूध में प्रोटीन्स, ‘कार्बोहाइड्रेट्स, वसा, रोग प्रतिरोधक पदार्थ, विटामिन्स आदि उचित मात्रा में पाए जाते हैं। माता के दूध में उपस्थित ये सभी पदार्थ शिशु द्वारा सुगमता से पचा लिए जाते हैं। ये पदार्थ लगभग पचित अवस्था में ही होते हैं। किसी कारणवश यदि शिशु को माता का दूध उपलब्ध नहीं हो पाता तो गाय का दूध सर्वोत्तम विकल्प होता है। गाय और माता के दूध में बहुत कुछ समानता पायी जाती है। गाय के दूध में प्रोटीन तथा वसा की मात्रा कुछ अधिक होती है। लेकिन शर्करा की मात्रा कुछ कम होती है। इसलिए गाय के दूध में पानी मिलाकर शिशुओं को दिया जा सकता है। लेकिन इससे दूध में खनिज तत्त्व तथा विटामिन की कमी हो जाती है। विटामिन C की पूर्ति के लिए सन्तरे का रस और विटामिन ‘D’ की पूर्ति के लिए मछली के तेल की 2-4 बूंद प्रतिदिन आहार में दी जानी चाहिए। 4-5 माह पश्चात् बिना मसाले की उबली हुई सब्जियाँ, फलों का गूदा, पतली दाल आदि देनी चाहिए। दाँत निकलने के पश्चात् ठोस आहार देना चाहिए। एक वर्ष तक के शिशु का मुख्य आहार दूध ही होना चाहिए।
स्कूल जाने वाले बालक/बालिकाओं का आहार:
स्कूल जाने वाले बच्चों (बालक/बालिका) की उम्र तथा उनके बढ़ते हुए शरीर की आवश्यकताओं को देखते हुए उनके आहार में पोषक तत्त्व पर्याप्त एवं सन्तुलित मात्रा में होने चाहिए। बच्चों में विकास बहुत तेजी से होता है। अत्यधिक क्रियाशीलता के कारण उसके शरीर के ऊतकों की क्षति अधिक होती है। अतः इनकी क्षतिपूर्ति और मरम्मत आदि के लिए प्रोटीन्स की आवश्यकता भी अधिक होती है। बच्चे खेलने-कूदने व अन्य कार्यों में अत्यधिक ऊर्जा व्यय करते हैं। ऊर्जा आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए पर्याप्त मात्रा में कार्बोहाइड्रेट तथा वसाओं का प्रयोग किया जाना चाहिए। खनिज पोषक तत्त्वों और विटामिन्स आदि की पूर्ति के लिए हरी सब्जियों, फल आदि को आहार में उचित स्थान मिलना चाहिए।
खनिज लवणों का उचित मात्रा में उपलब्ध होना अस्थियों, मांसपेशियों और रक्त आदि के निर्माण के लिए आवश्यक होता है। विटामिन रोगों से बचाव में सहायता करने के अतिरिक्त विभिन्न उपापचय क्रियाओं का नियन्त्रण एवं नियमन करते हैं।
बालक और बालिकाओं की भोजन सम्बन्धी आवश्यकताएँ भिन्न होती हैं। बालकों को अधिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है। इस कारण इन्हें अधिक मात्रा में भोजन मिलना चाहिए।
13 से 15 वर्ष की आयु के बालकों को 2450 कैलोरी और बालिकाओं को 2060 कैलोरी ऊर्जा की प्रतिदिन आवश्यकता होती है। 16 से 18 वर्ष के किशोर को 2640 तथा किशोरी को 2060 कैलोरी ऊर्जा की आवश्यकता होती है। 19 से 20 वर्ष के किशोरों की ऊर्जा आवश्यकताएँ बढ़कर 3100 कैलोरी प्रतिदिन तक हो जाती हैं लेकिन किशोरियों की ऊर्जा आवश्यकताएँ लगभग समान बनी रहती हैं। इसका मुख्य कारण यह है कि खेलकूद में किशोरों की अधिक ऊर्जा व्यय होती है।
तालिका-बालकों के लिए दैनिक आवश्यक आहार:
प्रश्न 2.
किशोरावस्था में उपयुक्त एवं सन्तुलित आहार का विवरण प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर:
किशोरावस्था जीवन की एक विशिष्ट अवस्था होती है। 12-13 वर्ष की आयु से 18-19 वर्ष की आयु के काल को ही ‘किशोरावस्था’ कहा जाता है। किशोरावस्था तीव्र तथा बहुपक्षीय परिवर्तनों का काल होता है। इस काल में न केवल शारीरिक वृद्धि एवं विकास की दर अधिक होती है, बल्कि कुछ मूलभूत गुणात्मक परिवर्तन भी होते हैं। यह भी कहा जा सकता है कि किशोरावस्था में शरीर में विभिन्न बाहरी तथा आन्तरिक परिवर्तन होते हैं। किशोरावस्था में शरीर के सभी तन्त्र अधिक मजबूत तथा अधिक सक्रिय हो जाते हैं। चयापचय की दर में भी परिवर्तन आ जाता है।
किशोरावस्था के लिए उपयुक्त एवं सन्तुलित आहार के निर्धारण हेतु लिंग-भेद को भी ध्यान में रखना आवश्यक हो जाता है। किशोर तथा किशोरियों के पोषक-तत्त्वों तथा आहार की मात्रा में भी अन्तर हो जाता है। सामान्य रूप से लड़कों की तुलना में लड़कियों को कम मात्रा में आहार की आवश्यकता होती है। क्योंकि लड़कियों का शारीरिक वजन तथा लम्बाई कम होती है। किशोरियों के आहार में कुछ विशिष्टता भी होती है। किशोरावस्था में लड़कियों का नियमित मासिक धर्म प्रारम्भ हो जाता है। इससे प्रतिमाह रक्त की कुछ मात्रा का स्राव हो जाता है। इसीलिए किशोरियों के आहार में लौह खनिज की कुछ अधिक मात्रा का समावेश होना चाहिए। किशोरावस्था में लड़कियों के आहार में विभिन्न विटामिनों का भी समुचित मात्रा में समावेश होना चाहिए। भारतीय समाज में विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में कुछ लड़कियों का किशोरावस्था में ही विवाह हो जाता है तथा इनमें से कुछ किशोरियाँ गर्भ भी धारण कर लेती हैं। गर्भावस्था तथा स्तनपान की अवस्था में आहार का निर्धारण कुछ भिन्न मापदण्डों के आधार पर किया जाता है।
ICMR ने निम्नांकित तालिकाओं के माध्यम से किशोरावस्था में आवश्यक पोषक तत्वों तथा आहार की मात्रा आदि का व्यवस्थित विवरण प्रस्तुत किया है-
तालिका–किशोरावस्था में आवश्यक पोषक-तत्त्व:
तालिका–किशोरावस्था में सन्तुलित आहार (ग्राम में):
प्रश्न 3.
वयस्क व्यक्तियों के आवश्यक आहार का विवरण प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर:
वयस्क व्यक्तियों का आहार
वयस्क पुरुष और स्त्री की पोषक आहार की आवश्यकताएँ उनकी शारीरिक वृद्धि तथा परिस्थितियों पर निर्भर करती हैं। पुरुषों की ऊर्जा आवश्यकताएँ उनके व्यवसाय तथा वातावरण से प्रभावित होती हैं। आसीन व्यक्ति को लगभग 2400 कैलोरी, साधारण कार्य करने वाले व्यक्ति को 2700-2875 कैलोरी और कठिन परिश्रम करने वाले व्यक्ति को 3800-3900 कैलोरी ऊर्जा की आवश्यकता होती है। वयस्क स्त्री को पुरुष की अपेक्षा कम ऊर्जा की आवश्यकता होती है। आसीन या सामान्य कार्य करने वाली स्त्री को 1800 कैलोरी, मध्यम कार्य करने वाली स्त्री को 2200 कैलोरी तथा कठिन परिश्रम करने वाली स्त्री को 2600-2900 कैलोरी ऊर्जा की आवश्यकता होती है। यह मात्रा कठिनाई के स्तर से प्रभावित होती है। वयस्क पुरुष और स्त्री की औसत आवश्यकता को निम्नांकित तालिका से प्रदर्शित कर सकते हैं-
तालिका-वयस्क पुरुष एवं स्त्री की आहार तालिका:
प्रश्न 4.
गर्भवती महिला तथा स्तनपान कराने वाली महिला के आहार का विवरण प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर:
गर्भवती महिला का आहार
गर्भवती महिला स्वयं के पोषण के साथ-साथ शरीर में विकसित हो रहे भ्रूण का पोषण भी करती है। भ्रूण के पोषण के लिए इसे अतिरिक्त प्रोटीन, कैल्सियम, फॉस्फोरस, विटामिन ‘D’ आदि की आवश्यकता होती है। प्रतिदिन 15 से 25 ग्राम प्रोटीन, 30 ग्राम वसा, 1000 मिग्रा कैल्सियम तथा 40 मिग्रा लौह की अतिरिक्त आवश्यकता होती है। अत: गर्भवती महिला के आहार में इन तत्त्वों से युक्त आहार को सम्मिलित करना आवश्यक होता है। उचित मात्रा में आहार के उपलब्ध न होने पर स्वयं तथा भ्रूण का स्वास्थ्य प्रभावित होता है। पर्याप्त एवं सन्तुलित आहार के अभाव में शिशु अनेक जन्मजात रोगों से ग्रस्त हो सकता है और जन्म के समय शिशु का वजन कम होता है। राष्ट्रीय पोषण अनुसन्धान के अनुसार गर्भवती महिला को प्रतिदिन अग्रलिखित मात्रा में आहार. उपलब्ध होना चाहिए-
तालिका:
II. स्तनपान कराने वाली महिला का आहार:
गर्भकाल की भाँति स्तनपान कराने वाली महिला को शिशु पोषण हेतु अतिरिक्त भोजन की आवश्यकता होती है। स्तनपान कराने वाली महिला की ऊर्जा की आवश्यकता कठिन कार्य करने वाली महिला की तुलना में लगभग 400-500 कैलोरी प्रतिदिन बढ़ जाती है। इसके लिए स्तनपान कराने वाली महिला को पर्याप्त, सन्तुलित तथा प्रतिरोधक पदार्थों (खनिजों, विटामिन) से युक्त आहार की आवश्यकता होती है। इसके लिए इनकी प्रोटीन आवश्यकता लगभग 18 से 25 ग्राम प्रतिदिन बढ़ जाती है। इन्हें वसा 45 ग्राम, कैल्सियम 1.5 ग्राम से 2 ग्राम प्रतिदिन की अतिरिक्त आवश्यकता होती है। गर्भकाल की अपेक्षा स्तनपान कराने वाली महिला को शिशु का पोषण करने के अतिरिक्त शारीरिक कार्य भी करना होता है। स्तनपान कराने वाली महिला को सुपाच्य आहार दिया जाना चाहिए।
UP Board Class 11 Home Science Chapter 6 लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
टिप्पणी लिखिए-भिन्न-भिन्न व्यक्तियों के आहार में अन्तर।
उत्तर:
भोजन मानव शरीर को स्वस्थ बनाए रखने के लिए अति आवश्यक है। भोजन से शरीर की ऊर्जा सम्बन्धी आवश्यकताओं की पूर्ति होती है। शरीर की मरम्मत और निर्माण होता है और भोजन में पाए जाने वाले विभिन्न पोषक तत्त्व शरीर को सुरक्षा प्रदान करते हैं। प्रत्येक व्यक्ति की भोजन सम्बन्धी आवश्यकताएँ भिन्न-भिन्न होती हैं। ये आयु, लिंग, कार्य, मौसम आदि से प्रभावित होती हैं। शारीरिक और मानसिक कार्य करने वाले व्यक्तियों की भोजन सम्बन्धी आवश्यकताएँ भिन्न-भिन्न होती हैं; जैसे शारीरिक श्रम करने वाले किसान या मजदूर को अधिक ऊर्जा प्रदान करने वाले खाद्य पदार्थों की आवश्यकता होती है। अत: इनके भोजन में कार्बोहाइड्रेट्स तथा वसा की मात्रा अधिक होनी चाहिए। इसके विपरीत मानसिक कार्य करने वाले.अध्यापक, डॉक्टर, इन्जीनियर को प्रोटीनयुक्त भोज्य पदार्थों की आवश्यकता अधिक होती है।
जलवायु भी भोजन सम्बन्धी आवश्यकताओं को प्रभावित करती है। शीत ऋतु में ऊर्जा की आवश्यकता बढ़ जाती है क्योंकि भोजन की ऊर्जा का अधिकांश भाग शरीर ताप को नियमित रखने में व्यय हो जाता है। अतः शीत ऋतु में अधिक वसायुक्त गरिष्ठ भोजन की आवश्यकता होती है। शीत ऋतु में ऐसे मेवा (किशमिश, काजू, बादाम, अखरोट, मूंगफली आदि) अधिक खाए जाते हैं जिनसे अधिक ऊर्जा प्राप्त हो सके। इसके विपरीत ग्रीष्म ऋतु में वसीय पदार्थों का सीमित मात्रा में ही प्रयोग किया जाता है। ग्रीष्म ऋतु में जल तथा खनिज लवणों की आवश्यकता में वृद्धि हो जाती है। स्त्री तथा पुरुषों की ऊर्जा आवश्यकताएँ भी भिन्न होती हैं। पुरुषों को स्त्रियों की अपेक्षा अधिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है। युवा की अपेक्षा प्रौढ़ और प्रौढ़ की अपेक्षा वृद्ध व्यक्तियों को कम भोजन की आवश्यकता होती है। वृद्धों का भोजन हल्का तथा सुपाच्य होना चाहिए।
प्रश्न 2.
टिप्पणी लिखिए-व्यक्ति की ऊर्जा सम्बन्धी आवश्यकता।
उत्तर:
कार्य के लिए ऊर्जा की आवश्यकता होती है तथा ऊर्जा भोजन से प्राप्त होती है। ऊर्जा के मापन की इकाई कैलोरी है। ऊर्जा अथवा भोजन के अभाव में मनुष्य की शारीरिक क्रियाएँ प्रभावित होती हैं। ऊर्जा एवं भोजन के अभाव में व्यक्ति दुर्बल तथा अशक्त हो जाता है। वह अपनी क्षमता के अनुसार कार्य नहीं कर पाता।
मानव शरीर की ऊर्जा सम्बन्धी आवश्यकताएँ:
70 किलोग्राम भार के मनुष्य को सामान्य स्वस्थ जीवनयापन के लिए लगभग 70 कैलोरी ऊर्जा प्रति घण्टा की आवश्यकता होती है। इस प्रकार उसे प्रतिदिन लगभग 1700 कैलोरी ऊर्जा की आवश्यकता होती है। स्त्रियों को अपेक्षाकृत कम ऊर्जा की आवश्यकता होती है। स्त्रियों को सामान्यतया 1400-1500 कैलोरी ऊर्जा की प्रतिदिन आवश्यकता होती है। लिंग तथा व्यवसाय के अनुसार ऊर्जा की आवश्यकता प्रभावित होती है-
तालिका:
विभिन्न आयु वर्ग के बालक/बालिकाओं द्वारा प्रयुक्त ऊर्जा की मात्रा भिन्न-भिन्न होती है। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसन्धान परिषद् (ICMR) द्वारा प्रस्तुत ऊर्जा सम्बन्धी आवश्यकताएँ निम्नवत् हैं-
0-6 माह – 108 कैलोरी प्रति किलोग्राम भार
6-12 माहू – 98 कैलोरी प्रति किलोग्राम भार
1-3 वर्ष – 1240 कैलोरी प्रतिदिन
4-6 वर्ष – 1690 कैलोरी प्रतिदिन
7-9 वर्ष – 1950 कैलोरी प्रतिदिन
10-12 वर्ष – 2190/1970 कैलोरी प्रतिदिन बालक/बालिका
13–15 वर्ष – 2450/2060 कैलोरी प्रतिदिन बालक/बालिका
16–18 वर्ष – 2640/2060 कैलोरी प्रतिदिन बालक/बालिका
उपर्युक्त तालिका से स्पष्ट होता है कि विभिन्न आयु वर्ग एवं लिंग की ऊर्जा आवश्यकताएँ भिन्न-भिन्न होती हैं।
प्रश्न 3.
वृद्ध व्यक्ति के लिए उपयोगी आहार का विवरण दें।
उत्तर:
सामान्य वयस्क की तुलना में वृद्ध व्यक्ति का भोजन भिन्न होता है। वृद्धावस्था में पाचन क्षमता क्षीण हो जाती है। उसकी कार्य क्षमता घट जाती है। पेशियाँ शिथिल हो जाती हैं। ज्ञानेन्द्रियाँ शिथिल हो जाने से सामान्य कार्य नहीं कर पातीं। वृद्ध व्यक्ति की शारीरिक तथा मानसिक दुर्बलता के कारण वृद्धावस्था कष्टदायक हो जाती है। ऐसे में वृद्ध व्यक्तियों को ऐसा आहार मिलना चाहिए जो ताजा, गर्म, … हल्का और सुपाच्य हो, जिससे वह सुगमता से भोजन ग्रहण कर सके और उसे पचा सके। भोजन सन्तुलित, पौष्टिक एवं पर्याप्त मात्रा में होना चाहिए। भोजन को भली प्रकार चबाया न जाए तो उसका पाचन प्रभावित होता है, इसलिए वृद्ध व्यक्तियों का भोजन पौष्टिक होने के साथ-साथ सरलता से चबाने योग्य और सुपाच्य भी होना चाहिए जिससे शरीर में पोषक तत्त्वों का अधिकतम अवशोषण हो सके।
भोजन की मात्रा कम या अधिक नहीं होनी चाहिए। दोनों ही स्थितियों में व्यक्ति का स्वास्थ्य प्रभावित होता है। ऊर्जा उत्पादन हेतु आहार में पर्याप्त मात्रा में कार्बोहाइड्रेट्स तथा वसा का होना आवश्यक है, लेकिन इनकी अधिकता शरीर के भार में वृद्धि करती है जो उनके हित में नहीं होती। वृद्धावस्था में ऊतक क्षीण होने लगते हैं और उनकी मरम्मत के लिए उचित मात्रा में प्रोटीन्स तथा विटामिन्स का होना आवश्यक है जिससे उनकी जीवन शक्ति बनी रहे। इसके लिए वृद्धावस्था में दूध, हरी सब्जियाँ, ताजे फल प्रचुर मात्रा में आहार में सम्मिलित होने चाहिए।
UP Board Class 11 Home Science Chapter 6 आतं लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
नवजात शिशु का सर्वोत्तम आहार क्या है?
उत्तर:
नवजात शिशु का सर्वोत्तम आहार माँ का दूध ही है।
प्रश्न 2.
शिशु को दूध के अतिरिक्त क्या-क्या दिया जाता है?
उत्तर:
शिशु को दूध के अतिरिक्त विटामिन ‘C’ तथा विटामिन ‘D’ की पूर्ति के लिए सन्तरे का रस तथा मछली के तेल की दो-चार बूंदें दी जाती हैं। चार-पाँच माह के शिशु को उबली हुई सब्जियाँ, फलों का गूदा तथा दाल का पानी दिया जा सकता है।
प्रश्न 3.
स्कूल जाने वाले बालक/बालिकाओं का आहार कैसा होना चाहिए?
उत्तर:
स्कूल जाने वाले बालक/बालिकाओं की आयु तथा उनके बढ़ते हुए शरीर की आवश्यकताओं को देखते हुए उनके आहार में पोषक तत्त्व पर्याप्त एवं सन्तुलित मात्रा में होने चाहिए।
प्रश्न 4.
‘किशोरावस्था का आशय किस आयु-काल से है?
उत्तर:
सामान्य वर्गीकरण के अनुसार 12-13 वर्ष की आयु से 18-19 वर्ष के आयु-काल को किशोरावस्था के रूप में जाना जाता है।
प्रश्न 5.
किशोरावस्था में लड़के-लड़कियों के आहार एवं पोषक तत्त्वों की आवश्यकता में अन्तर क्यों आ जाता है?
उत्तर:
किशोरावस्था में लड़के तथा लड़कियों के शारीरिक संगठन एवं रचना में कुछ अन्तर आ जाते हैं तथा शारीरिक गतिविधियाँ भी कुछ भिन्न हो जाती हैं। इन कारणों से दोनों के आहार तथा पोषक तत्त्वों की मात्रा एवं अनुपात में कुछ अन्तर आ जाता है।
प्रश्न 6.
किशोरावस्था में लड़कियों को किस खनिज की अतिरिक्त मात्रा की आवश्यकता होती है तथा क्यों?
उत्तर:
किशोरावस्था में लड़कियों को लौह खनिज की अतिरिक्त मात्रा की आवश्यकता होती है। इसका मुख्य कारण किशोरियों में मासिक धर्म का प्रारम्भ होना होता है।
प्रश्न 7.
वयस्क व्यक्ति की आहार की आवश्यकता किस कारक पर निर्भर होती है?
उत्तर:
वयस्क व्यक्ति की आहार की आवश्यकता उसकी शारीरिक वृद्धि तथा परिस्थितियों पर निर्भर करती है।
प्रश्न 8.
गर्भावस्था में महिला को आहार एवं पोषक तत्त्वों की अतिरिक्त मात्रा की क्यों आवश्यकता होती है?
उत्तर:
गर्भावस्था में महिला को आहार एवं पोषक तत्त्वों की अतिरिक्त मात्रा की आवश्यकता का मुख्य कारण यह है कि माँ के शरीर के माध्यम से गर्भस्थ शिशु भी पोषण प्राप्त करता है। .
प्रश्न 9.
वृद्धावस्था में व्यक्ति का आहार कैसा होना चाहिए?
उत्तर:
वृद्धावस्था में व्यक्ति का आहार पौष्टिक एवं सुपाच्य होना चाहिए।
UP Board Class 11 Home Science Chapter 6 बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर
निर्देश : निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर में दिए गए विकल्पों में से सही विकल्प का चयन कीजिए
प्रश्न 1.
शिशु के लिए माँ के दूध को सर्वोत्तम आहार माना जाता है
(क) क्योंकि माँ का दूध शिशु के लिए प्रकृति प्रदत्त आहार है
(ख) क्योंकि इसमें आहार के सभी अनिवार्य पोषक तत्त्व पाए जाते हैं
(ग) क्योंकि यह सुविधाजनक तथा संक्रमण की आशंका से मुक्त होता है
(घ) उपर्युक्त सभी कारणों से।
उत्तर:
(घ) उपर्युक्त सभी कारणों से।
प्रश्न 2.
स्कूल जाने वाले बालक/बालिका का आहार निर्धारित करते समय ध्यान रखा जाता है
(क) बालक की शैक्षिक स्थिति का
(ख) शारीरिक वृद्धि तथा क्रियाशीलता का
(ग) पारिवारिक परिस्थितियों का
(घ) उपर्युक्त में से कोई नहीं।
उत्तर:
(ख) शारीरिक वृद्धि तथा क्रियाशीलता का।
प्रश्न 3.
किशोरावस्था में लड़के-लड़कियों का आहार (मात्रा एवं अनुपात) होता है
(क) पूर्ण रूप से एक जैसा
(ख) लड़कों की अपेक्षा लड़कियों को अधिक मात्रा में
(ग) भिन्न मात्रा एवं अनुपात वाला
(घ) असन्तुलित एवं स्वादिष्ट।
उत्तर:
(ग) भिन्न मात्रा एवं अनुपात वाला।
प्रश्न 4.
वयस्क व्यक्ति के आहार का निर्धारण करते समय ध्यान में रखा जाता है
(क) महिला की आयु एवं वजन
(ख) महिला का व्यवसाय
(ग) महिला की रुचियाँ
(घ) गर्भस्थ शिशु की पोषण सम्बन्धी आवश्यकता।
उत्तर:
(घ) गर्भस्थ शिशु की पोषण सम्बन्धी आवश्यकता।