UP Board Solutions for Class 11 Home Science Chapter 7 आहार में दूध का पौष्टिक मूल्य (Nutritional Value of Milk in Diet)
UP Board Solutions for Class 11 Home Science Chapter 7 आहार में दूध का पौष्टिक मूल्य
UP Board Class 11 Home Science Chapter 7 विस्तृत उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
एक आहार के रूप में दूध का सामान्य परिचय दीजिए तथा दूध के महत्त्व को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
समस्त स्तनधारी जीवों के नवजात शिशुओं का प्रकृति प्रदत्त आहार माँ का दूध ही होता है। प्रकृति ने दूध में उन समस्त पोषक तत्त्वों को उस अनुपात में रखा है, जिस अनुपात में शिशु को उसकी आवश्यकता होती है। इस प्रकार शिशुओं के लिए दूध ही सर्वोत्तम आहार है। शिशुओं के अतिरिक्त अन्य सभी आयु वर्गों के व्यक्तियों के लिए भी दूध एक उत्तम एवं सम्पूर्ण आहार माना जाता है। दूध में आहार के प्राय: सभी पोषक तत्त्व विद्यमान होते हैं। आहार के अनिवार्य पोषक तत्त्वों के उत्तम स्रोत होने के साथ-साथ दूध एक सुपाच्य एवं स्वादिष्ट भोज्य-पदार्थ भी है। दूध से विभिन्न भोज्य पदार्थ तैयार किए जाते हैं जिनका हमारे आहार में विशेष योगदान है। दूध के बहुपक्षीय महत्त्व को ध्यान में रखते हुए ही इसे सम्पूर्ण एवं आदर्श आहार माना जाता है।
दूध का महत्त्व:
- दूध एक पूर्ण एवं सुपाच्य आहार है अर्थात् यह सरलता और शीघ्रता से पच जाता है। इसी कारण शिशु, बालक, किशोर, वयस्क और वृद्ध सभी के लिए दूध उपयोगी होता है। शिशु और वृद्धों के लिए यह सबसे उपयुक्त सुपाच्य आहार माना जाता है।
- शिशुओं के लिए माँ का दूध सर्वोत्तम तथा गाय का दूध सबसे उपयुक्त होता है। इसके सेवन से शरीर स्वस्थ रहता है और बुद्धि का तीव्र विकास होता है। गाय का दूध गरिष्ठ नहीं होता क्योंकि इसमें वसा की मात्रा अपेक्षाकृत कम होती है। यह भैंस के दूध की तुलना में सुपाच्य होता है।
- दूध के सेवन से मानसिक विकास तीव्र गति से होता है।
- दूध में विटामिन ‘A’ तथा ‘B’ प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। इसमें विटामिन ‘C’ तथा ‘D’ की मात्रा कम होती है। दूध का पाउडर बनाने और इसे बार-बार गर्म करने से विटामिन ‘B’ तथा ‘C’ की कुछ मात्रा नष्ट हो जाती है। विटामिन शरीर की रोगों से रक्षा करते हैं।
- दूध में लैक्टोज शर्करा पायी जाती है जिसके कारण दूध प्राकृतिक रूप से मीठा होता है। दूध शरीर को आवश्यक ऊर्जा प्रदान करता है।
- दूध में उत्तम कोटि की केसीन प्रोटीन पायी जाती है जो शरीर की वृद्धि में सहायक होती है।
- दूध में कैल्सियम, पोटैशियम, फॉस्फोरस के लवण पाए जाते हैं। ये अस्थियों और दाँतों के विकास में सहायक होते हैं।
- रात्रि में सोने से पूर्व दूध का सेवन पाचन क्रिया को सुगम एवं सुचारु बनाता है।
- दूध शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि करके उसे रोगों से बचाता है।
- रोगावस्था में दूध सर्वोत्तम, सुपाच्य आहार होता है।
- वनस्पति प्रोटीन के साथ मिलकर दूध उसके जैविक मूल्य को बढ़ा देता है। यह शाकाहारी . व्यक्तियों के लिए एकमात्र पशु-जन्य पोषक आहार होता है।
- दूध से विभिन्न प्रकार के खाद्य पदार्थों का निर्माण होता है जैसे दही, पनीर, मट्ठा, क्रीम, खोया, मक्खन, घी आदि। इनसे मिष्टान्न बनाए जाते हैं। ये मिष्टान्न स्वादिष्ट होने के साथ-साथ पौष्टिक भी होते हैं।उपर्युक्त तथ्यों से स्पष्ट है कि दूध एक उत्तम आहार है जो शरीर की वृद्धि के साथ-साथ अस्थियों को दृढ़ता प्रदान करता है एवं रोगों से लड़ने की क्षमता प्रदान करता है।
प्रश्न 2.
दूध का संघटन स्पष्ट करने के लिए दूध में पाए जाने वाले तत्त्वों का विवरण प्रस्तुत कीजिए।
अथवा “दूध एक ऐसा आहार है जिसमें आहार के सभी आवश्यक तत्त्व समुचित मात्रा में पाए जाते हैं।” स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
दूध में सामान्यतया जल के अतिरिक्त सभी पोषक पदार्थ; जैसे कार्बोहाइड्रेट्स, प्रोटीन, वसा, लवण, विटामिन आदि पाए जाते हैं। अलग-अलग प्राणियों के दूध में पोषक पदार्थों की मात्रा भिन्न-भिन्न होती है। निम्नांकित तालिका में स्त्री (माता), गाय, बकरी तथा भैंस के दूध में पाए जाने वाले पोषक पदार्थों की प्रतिशत मात्रा को प्रदर्शित किया गया है।
तालिका-विभिन्न प्रकार के दूध तथा उनका संघटन:
मनुष्य अपने भोजन में गाय, भैंस, बकरी के दूध का ही प्रायः प्रयोग करते हैं। बकरी का दूध औषधीय गुणों से परिपूर्ण माना जाता है। विभिन्न पशुओं के दूध में पाए जाने वाले पोषक तत्त्वों की मात्रा उनके आहार पर निर्भर करती है। गाय की तुलना में भैंस का दूध अधिक पौष्टिक एवं गरिष्ठ होता है। यह अधिक शारीरिक परिश्रम करने वाले व्यक्तियों के लिए उपयोगी माना जाता है। शिशु के लिए माँ का दूध ही सर्वोत्तम माना जाता है। प्रसव के पश्चात् स्रावित होने वाले दूध में ऐसे पोषक तत्त्व भी होते हैं जो शिशु को विभिन्न रोगों से बचाते हैं। दूध में पाए जाने वाले तत्त्व निम्नलिखित हैं-
1. जल: दूध में लगभग 88% से 90% तक जल होता है। जल में पोषक तत्त्व घुलनशील अवस्था में तथा वसा कोलॉइडल अवस्था में पायी जाती है।
2. दुग्ध प्रोटीन: दूध का सर्वश्रेष्ठ पौष्टिक तत्त्व केसीन तथा लैक्टोऐल्बुमिन प्रोटीन होती है। दूध की प्रोटीन दाल और अनाज की प्रोटीन से अधिक श्रेष्ठ होती है। केसीन तथा लैक्टोऐल्बुमिन प्रोटीन सुपाच्य होती है। यह अन्य प्रोटीन्स की अपेक्षा सुगमता से पच जाती है। यह शारीरिक और मानसिक विकास के लिए अत्यन्त लाभदायक होती है। दूध की प्रोटीन को शिशु, वृद्ध और रोगी सुगमता से पचा लेते हैं। दूध की प्रोटीन में शरीर के लिए सभी आवश्यक अमीनो अम्ल पाए जाते हैं। दूध की प्रोटीन अनाज की प्रोटीन्स के साथ मिलकर प्रोटीन के जैविकीय मूल्यों में वृद्धि करती है। 100 ग्राम दूध में 2.5 से 3.5 ग्राम प्रोटीन पायी जाती है। दूध की केसीन प्रोटीन के कारण पनीर प्राप्त होता है।
3. दुग्ध कार्बोहाइड्रेट: दूध में घुलनशील कार्बोहाइड्रेट लैक्टोज (lactose) शर्करा के रूप में पाया जाता है। लैक्टोज की प्रतिशत मात्रा विभिन्न प्राणियों के दूध में भिन्न-भिन्न होती है। यह मात्रा लगभग 4.5% से 6.5% तक होती है। लैक्टोज शर्करा के कारण दूध प्राकृतिक रूप से मीठा होता है। लैक्टोज शर्करा सुगमता से लैक्टिक अम्ल में बदल जाती है जिससे दूध सुगमता से दही में बदल जाता है। दही में बदल जाने से दूध में उपस्थित पोषक तत्त्वों का पाचन भली प्रकार हो जाता है। दूध के लैक्टोज के कारण आँत में ई० कोलाई (E. coli) जीवाणुओं की संख्या में वृद्धि सुगमता से होती है। ई. कोलाई जीवाणु हमारे शरीर में विटामिन B12 का संश्लेषण करते हैं। विटामिन B12 लाल रुधिराणुओं तथा न्यूक्लिक अम्ल निर्माण में सहायक होता है। इसकी कमी से अरक्तता (एनीमिया) हो जाता है। लैक्टोज भोज्य पदार्थों से कैल्सियम तथा फॉस्फोरस के अवशोषण में सहायक होता है।
4. दुग्ध वसा-दूध में वसा पायस या इमल्शन (emulsion) के रूप में पायी जाती है। वसा छोटी-छोटी बूंदों के रूप में घुलित अवस्था में पायी जाती है। वसा की प्रतिशत मात्रा विभिन्न प्राणियों के दूध में भिन्न-भिन्न होती है। यह मात्रा 3 से 8% तक होती है। भैंस के दूध में वसा की मात्रा सर्वाधिक होती है। दूध को उबालकर ठण्डा करने पर वसा मलाई के रूप में एकत्र हो जाती है। दुग्ध वसा में विटामिन ‘A’ तथा ‘D’ पाया जाता है। दूध की वसा से मक्खन तथा घी प्राप्त होता है। मांसपेशियों के विकास में दुग्ध वसा महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
5. खनिज लवण-दूध का महत्त्व इसमें पाए जाने वाले खनिज लवणों के कारण होता है। एक लीटर दूध में कैल्सियम की मात्रा लगभग 1-162 ग्राम, फॉस्फोरस की मात्रा 0.907 ग्राम, लौह की मात्रा 0.002 ग्राम, मैग्नीशियम 0.08 ग्राम और सोडियम की मात्रा 0• 497 ग्राम होती है। इसके अतिरिक्त दूध में अति सूक्ष्म मात्रा में आयोडीन, ताँबा तथा अन्य महत्त्वपूर्ण खनिज लवण पाए जाते हैं। दूध में खनिज लवणों की मात्रा 0.3% से 0.8% तक होती है। दूध में पाए जाने वाले कैल्सियम तथा फॉस्फोरस लवण अस्थियों और दाँतों के निर्माण के लिए महत्त्वपूर्ण होते हैं। इसके अतिरिक्त कैल्सियम तथा फॉस्फोरस मांसपेशियों और रक्त के निर्माण में सहायता करते हैं। इसके फलस्वरूप शरीर स्वस्थ और सुगठित रहता है। इसी कारण दूध शिशुओं और बालकों के लिए उपयुक्त आहार माना जाता है। गर्भवती और स्तनपान कराने वाली स्त्रियों के लिए दूध अत्यन्त आवश्यक होता है। इससे माता के साथ-साथ शिशु को प्रचुर मात्रा में कैल्सियम, फॉस्फोरस, पोटैशियम, मैग्नीशियम आदि लवण उपलब्ध हो जाते हैं। दूध में फ्लैविन (flavin) रंगा कण पाए जाते हैं।
दूध के माध्यम से हमें लौह, ताँबा, आयोडीन आदि तत्त्वं भी उपलब्ध हो जाते हैं। प्राकृतिक रूप से उपलब्ध इन खनिजों का पाचन सुगमता से हो जाता है। लौह रक्त निर्माण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। खनिज लवणों की सर्वाधिक मात्रा हमें हरी सब्जियों और फलों से प्राप्त होती है। इसलिए दूध के साथ-साथ हरी सब्जियों और फलों का आहार में समावेश करना अति आवश्यक होता है।
6. विटामिन्स–दूध को सर्वोत्तम स्वास्थ्य रक्षक कहा जाता है। इससे स्वास्थ्य की रक्षा हेतु आवश्यक प्रोटीन, खनिज लवण तथा आवश्यक विटामिन प्रचुर मात्रा में प्राप्त होते हैं। दूध में विटामिन ‘A’ तथा ‘B’ प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। लेकिन दूध में विटामिन ‘C’ तथा ‘D’ अपेक्षाकृत बहुत कम मात्रा में पाए जाते हैं। विटामिन स्वास्थ्य की सुरक्षा हेतु अत्यन्त आवश्यक होते हैं। विटामिन ‘A’ हमारे रक्षा तन्त्र के लिए आवश्यक होता है। यह नेत्रों की ज्योति के लिए आवश्यक है। विटामिन ‘A’ की कमी के कारण रतौंधी रोग हो जाता है। विटामिन ‘B’ शरीर वृद्धि तथा अमीनो अम्ल उपापचय के लिए आवश्यक होता है। इसकी कमी से बेरी-बेरी रोग, होठों का फटना (कीलोसिस), पेलाग्रा (जीभ व त्वचा पर पपड़ी का बनना), अरक्तता (एनीमिया) आदि रोग होते हैं। विटामिन ‘C’ दाँतों की डेण्टीन तथा अस्थियों का मैट्रिक्स बनाता है। इसकी कमी से स्कर्वी रोग हो जाता है। दूध को उबालने से विटामिन ‘C’ नष्ट हो जाता है। विटामिन ‘D’ आहार नाल में कैल्सियम तथा फॉस्फोरस के अवशोषण में सहायता करता है। यह अस्थियों और दाँतों के स्वास्थ्य और वृद्धि के लिए आवश्यक होता है। इसकी कमी से रिकेट्स (सूखा रोग) हो जाता है। दूध के विटामिन्स की पूर्ति के लिए मछली का तेल, सन्तरे का रस अवश्य लेना चाहिए। इससे हमें आवश्यक विटामिन ‘D’ तथा ‘C’ प्राप्त हो जाता है। उपर्युक्त विवरण से स्पष्ट है कि दूध एक सर्वोत्तम आहार है। इसमें शरीर की वृद्धि, मरम्मत तथा ऊर्जा प्रदान करने वाले सभी आवश्यक पोषक तत्त्व पाए जाते हैं। इसलिए शिशु, बच्चों और वृद्धों को आवश्यकतानुसार दूध का सेवन अवश्य करना चाहिए।
प्रश्न 3.
दूध के उपलब्ध विभिन्न रूपों का सामान्य परिचए दीजिए।
उत्तर:
दूध स्वास्थ्य के लिए सर्वाधिक उपयोगी आहार है। दूध का सुरक्षित उपयोग करने के लिए सामान्य रूप से प्रयोग किए जाने वाले दूध को विभिन्न रूपों में बदलकर प्रयोग करते हैं। दूध के विभिन्न रूप निम्नलिखित हैं-
1.शुद्ध दूध (Pure Milk): यह दूध का प्राकृतिक स्वरूप होता है। इसमें पोषक तत्त्वों की मात्रा सर्वाधिक होती है। इसमें पानी या किसी अन्य प्रकार की मिलावट नहीं की जाती है। यह दूध प्राकृतिक रूप से मीठा, स्वास्थ्यवर्धक एवं पौष्टिक होता है।
2. दूध पाउडर (Milk Powder): दूध को वैज्ञानिक विधियों से सुखाया जाता है। दूध का जल वाष्पित होकर निकल जाता है और हल्के पीले रंग के पाउडर के रूप में दूध के अन्य पोषक तत्त्व शेष रह जाते हैं। दूध को सुखाते समय इसमें उपस्थित विटामिन ‘B’ तथा ‘C’ नष्ट हो जाते हैं, लेकिन विटामिन ‘A’ तथा ‘D’ नष्ट नहीं होते। नष्ट हुए विटामिन्स की पूर्ति अन्य पोषक पदार्थों को मिलाकर कर दी जाती है। दूध पाउडर को सुरक्षित रखने के लिए अधिक प्रयत्न नहीं करने पड़ते। जल के अभाव में जीवाणु दूध पाउडर को खराब नहीं कर पाते। दूध पाउडर बनाते समय अगर शुद्ध दूध या सम्पूर्ण दूध का प्रयोग करते हैं तो वसायुक्त दूध पाउडर प्राप्त होता है। अगर दूध को सुखाने से पूर्व इससे वसा को पृथक् कर लिया जाता है तो वसारहित दूध पाउडर प्राप्त होता है। दूध पाउडर को उबलते पानी में मिलाकर प्राकृतिक दूध प्राप्त हो जाता है। दूध पाउडर को सुविधापूर्वक एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाया जा सकता है। यह हर समय सुगमता से उपलब्ध रहता है। दूध पाउडर ऐसे शिशुओं के लिए उपयुक्त आहार है जिन्हें माँ का दूध किसी कारण से उपलब्ध नहीं हो पाता।
3. गाढ़ा दूध (Condensed Milk): वैज्ञानिक विधि से दूध से जल को वाष्पित करने पर यह शहद के समान गाढ़ा हो जाता है। इसे गाढ़ा करते समय इसमें अतिरिक्त शर्करा मिलाई जाती है जिससे यह अधिक समय तक संरक्षित रह सके। इसे निर्जीकृत डिब्बों में उच्च ताप एवं दाब पर पैक कर दिया जाता है। डिब्बे को खोलने के पश्चात् दूध का उपयोग एक सप्ताह में कर लेना चाहिए। अन्यथा इसमें जीवाणुओं के पनपने की सम्भावना हो जाती है। यह बच्चों के लिए उपयुक्त आहार नहीं है। गाढ़ा होने के कारण यह गरिष्ठ हो जाता है और देर से पचता है। लेकिन किशोर एवं वयस्कों के भोजन में इसका उपयोग किया जा सकता है। सामान्यतया इसका उपयोग चाय, कॉफी बनाने में अथवा दूध वाली मिठाइयाँ बनाने के लिए किया जाता है।
4. वसारहित दूध (Skimmed Milk): प्राकृतिक दूध या शुद्ध दूध से वसा निकाल लेने के पश्चात् जो दूध शेष रहता है इसे वसारहित दूध या सप्रैटा या मखनियाँ दूध भी कहते हैं। इसमें वसा नहीं होती। वसा के अतिरिक्त इसमें सभी पोषक तत्त्व जैसे प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट्स, लवण, विटामिन आदि पाए जाते हैं। यह हृदय रोगियों तथा ऐसे रोगी बच्चों और किशोरों के लिए लाभदायक होता है, जिनको वसा का परहेज बताया जाता है। घर पर भी वसारहित दूध तैयार किया जा सकता है। दूध को उबालकर ठण्डा करके फ्रिज में रख देने से वसा मलाई के रूप में दूध के ऊपर आ जाती है। मलाई को पृथक् कर लेने के पश्चात् वसारहित दूध प्राप्त हो जाता है। अन्यथा दुकानों पर क्रीम निकालने वाली मशीन में दूध को घुमाने पर क्रीम के रूप में वसा दूध से अलग हो जाती है। वसारहित दूध मोटे व्यक्तियों के लिए लाभदायक होता है।
5. खमीरीकृत दूध (Fermented Milk): दूध का खमीरीकरण जीवाणुओं द्वारा किया जाता है। इससे दही बन जाती है। दही को मथकर मट्ठा प्राप्त होता है, इसे ही खमीरीकृत दूध कहते हैं। यह सुपाच्य होता है। यह प्राकृतिक दूध की अपेक्षा जल्दी पच जाता है। यह दूध के ही समान पौष्टिक होता है। ग्रीष्म ऋतु में मट्ठा दूध की अपेक्षा अधिक लाभदायक होता है। दही को मथकर इसमें से मक्खन निकालकर भी उपयोग में लाया जा सकता है।
प्रश्न 4.
दूध को अधिक उपयोगी, रुचिकर तथा पौष्टिक बनाए जाने के लिए तैयार किए जाने वाले भोज्य पदार्थों का विवरण दीजिए। अथवा दूध से निर्मित मुख्य भोज्य पदार्थों का सामान्य परिचय तथा उपयोग बताइए।
उत्तर:
मानव के भोजन में दूध का.बहुत महत्त्व है। दूध का शुद्ध रूप में प्रयोग सभी के लिए लाभप्रद होता है, क्योंकि दूध के पोषक तत्त्व सुपाच्य होते हैं। इन्हें शिशु, वृद्ध और रोगी सुगमता से पचा लेते हैं। दूध से निर्मित भोज्य पदार्थ हमारे भोजन को अधिक रुचिकर एवं पौष्टिक बनाने में महत्त्वपूर्ण स्थान रखते हैं। दूध से दही, मट्ठा, मक्खन, घी, पनीर, खोया, क्रीम आदि तैयार किए जाते हैं। इनका उपयोग विभिन्न प्रकार के स्वादिष्ट भोज्य पदार्थ तैयार करने के लिए किया जाता है।
1. दही (Curd): दूध से दही बनाने के लिए दूध को गर्म करके वातावरण के अनुसार ठण्डी या गर्म अवस्था में थोड़ा-सा दही मिला देते हैं। इसे जामन लगाना कहते हैं। इससे दही में उपस्थित जीवाणु संख्या वृद्धि करके दूध की लैक्टोज शर्करा को लैक्टिक अम्ल में बदल देते हैं। इससे दूध दही में बदल , जाता है। ग्रीष्म ऋतु में जीवाणुओं की संख्या वृद्धि बहुत तेजी से होती है और लगभग 2-2घण्टे में दही जम जाती है। शीत ऋतु में जीवाणुओं की संख्या वृद्धि धीमी गति से होने के कारण दही जमने में लगभग 8-10 घण्टे लगते हैं। शीत ऋतु में दूध में जामन लगाते समय हल्का-सा गर्म कर लेते हैं।दही दूध की तुलना में अधिक सुपाच्य होता है। दही में उपस्थित कैल्सियम तथा फॉस्फोरस का आहार नाल में अवशोषण सुगमता से हो जाता है। दूध की तरल केसीन प्रोटीन जम जाने के कारण और अधिक सुगमता से पच जाती है। जिन व्यक्तियों को दूध नहीं पंचता, उन्हें भोजन में दही का उपयोग करना चाहिए, यह उनके हित में है।
2. मट्ठा (Butter Milk): दही के मथने से मट्ठा प्राप्त होता है। दही को मथने से वसा अलग हो जाती है। वसा मक्खन के रूप में पृथक् कर लेने के पश्चात् शेष तरल को मट्ठा या छाछ कहते हैं। मट्ठा दूध की तुलना में अधिक पोषक माना जाता है, इसमें केवल वसा का अभाव होता है। मट्ठा सुपाच्य एवं पौष्टिक होता है। इसका उपयोग प्रौढ़ावस्था और वृद्धावस्था में अधिक लाभदायक होता है। वसा का परहेज करने वाले व्यक्तियों के लिए मट्ठा उपयुक्त आहार है।
3. मक्खन (Butter): मक्खन प्राप्त करने के लिए दूध को पहले जमाकर दही बना लेते हैं। दही को मथने पर मक्खन मटे से पृथक् हो जाता है। मक्खन जल से हल्का होने के कारण मटे के ऊपर आ जाता है। मक्खन को पृथक् कर लेते हैं। मक्खन में वसा की मात्रा लगभग 80-85%, जल की मात्रा लगभग 15-17%, खनिज लवण की मात्रा 2% तथा अन्य पदार्थ लगभग 1% होते हैं। मक्खन जल और वसा का पायस या इमल्सन (emulsion) होता है। मक्खन को अधिक समय तक सुरक्षित रखने के लिए इसमें थोड़ा-सा नमक मिलाकर फ्रिज या रेफ्रिजरेटर में रखते हैं।
4.घी (Ghee): दूध से पृथक् की गई मलाई या दही से पृथक् किए गए मक्खन को गर्म करने से जल पृथक् होकर वाष्पित हो जाता है और तरल घी और कुछ ठोस पदार्थ शेष रह जाता है। घी को कपड़े या छलनी से छानकर पृथक् कर लिया जाता है। घी को अधिक समय तक सुरक्षित रखा जा सकता है। गर्म जलवाय वाले देशों में मक्खन की अपेक्षा घी का उपयोग अधिक किया जाता है। घी बनाते समय विटामिन ‘A’ नष्ट हो जाता है। घी में लगभग 99% वसा होती है। बहुत अधिक समय तक घी को रखने से इसकी सुगन्ध और पौष्टिकता में अन्तर आ जाता है। घी का उपयोग प्रतिदिन के भोजन में तथा स्वादिष्ट पकवान बनाने में किया जाता है। घी मांसपेशियों को पुष्ट करता है।
5. छेना एवं पनीर (Cheese): उबलते दूध में टाटरी या नींबू का रस डालकर दूध को फाड़ते हैं। टाटरी या नींबू के रस के कारण दूध की केसीन प्रोटीन दूध से छोटे-छोटे थक्के के रूप में अलग हो जाती है। दूध का पानी अलग हो जाता है। इसे बारीक कपड़े में छान लेते हैं। केसीन प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट आदि छेने के रूप में रह जाता है। छेना में खनिज लवण नहीं होते। छेना में कुछ मात्रा में जल शेष रहता है। जल की उपस्थिति के कारण छेना को अधिक समय तक संरक्षित नहीं रख सकते। छेना को साँचों में रखकर दबाकर जल को निकाल देने से पनीर बनता है। पनीर में जल की मात्रा छेना की तुलना में बहुत कम होती है। पनीर को अधिक समय तक संरक्षित रख सकते हैं। पनीर छेना की तुलना में अधिक कड़ा होता है। पनीर का उपयोग मिष्ठान बनाने में, सब्जियाँ और पुलाव आदि में किया जाता है। पनीर में दूध की वसा का लगभग 90% तथा प्रोटीन का 80% भाग पाया जाता है, शेष वसा और प्रोटीन पानी के साथ निकल जाती है।
6. खोया या मावा (Mava): कढ़ाई में दूध को गर्म करते रहते हैं, साथ ही इसे चलाते रहते हैं। इसके फलस्वरूप दूध सूखकर ठोस पदार्थ में बदल जाता है, इसे खोया कहते हैं। इसमें जल बहुत कम मात्रा में रह जाता है। इसमें वसायुक्त प्रोटीन सर्वाधिक होती है। लैक्टोज शर्करा के कारण खोया प्राकृतिक रूप से मीठा लगता है। यह दूध की तुलना में अधिक पौष्टिक लेकिन गरिष्ठ होता है। इसमें विटामिन ‘C’ नष्ट हो जाता है। यह सुपाच्य नहीं होता। इसका उपयोग मिष्टान्न बनाने में किया जाता है।
7. क्रीम (Cream): इसे कच्चे दूध से मशीन की सहायता से पृथक् किया जाता है। इसमें वसा की मात्रा सर्वाधिक होती है। जल तथा अन्य घटकों (प्रोटीन, शर्करा, खनिज आदि) की मात्रा न्यूनतम होती है। व्यापारिक स्तर पर क्रीम निम्नलिखित तीन प्रकार की होती है-
- हल्की क्रीम: इसमें वसा की मात्रा 15-20% होती है। इसका उपयोग चाय, कॉफी, लस्सी, फ्रूट क्रीम आदि बनाने में किया जाता है। ..
- मध्यम क्रीम: इसमें वसा की मात्रा 25-35% होती है। इसका उपयोग केक, पेस्ट्री, आइसक्रीम तथा मिष्टान्न आदि बनाने में किया जाता है।
- गाढ़ी क्रीम: इसमें लगभग 40% वसा होती है। इसका उपयोग मक्खन, घी आदि बनाने में किया जाता है।
प्रश्न 5.
स्पष्ट कीजिए कि दूध एक सन्तुलित एवं सम्पूर्ण आहार है।
उत्तर:
सन्तुलित आहार से आशय है-वह आहार जिसमें सभी पोषक तत्त्व; जैसे प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट्स, वसा, खनिज लवण, विटामिन्स, जल आदि हों, जो प्रत्येक दृष्टि से व्यक्ति को पूर्ण स्वस्थ रहने और उसका उचित विकास करने में सहायक हो और जिनसे वह अपने दैनिक कार्यों को पूरा करने के लिए उचित मात्रा में आवश्यक ऊर्जा प्राप्त कर सके।
दूध को सन्तुलित आहार माना जाता है। इसमें शरीर के लिए आवश्यक सभी पोषक पदार्थ उपस्थित होते हैं। दूध में आवश्यक मात्रा में प्रोटीन, वसा, कार्बोहाइड्रेट, खनिज लवण, विटामिन आदि उचित मात्रा में होते हैं। दूध में उपस्थित सभी पोषक तत्त्व सुपाच्य होते हैं। इनका पाचन तथा पचे पदार्थों का अवशोषण सुगमता से हो जाता है।
तालिका-दूध का संघटन:
दूध को सन्तुलित एवं सम्पूर्ण आहार मानने के मुख्य कारण निम्नलिखित हैं-
(1) दूध में शरीर की मरम्मत तथा वृद्धि के लिए आवश्यक मात्रा में प्रोटीन्स तथा खनिज लवण (कैल्सियम, फॉस्फोरस, लौह आदि) पाए जाते हैं।
(2) दूध में ऊर्जा उत्पादन हेतु पर्याप्त मात्रा में कार्बोहाइड्रेट्स तथा वसा पायी जाती है।
(3) दूध में रोगों से सुरक्षा हेतु आवश्यक विटामिन्स पाए जाते हैं। उपर्युक्त कारणों से स्पष्ट है कि दूध एक सन्तुलित एवं सम्पूर्ण आहार है। शिशु को दूध से ही सभी आवश्यक पोषक तत्त्व प्राप्त हो जाते हैं।
UP Board Class 11 Home Science Chapter 7 लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
स्पष्ट कीजिए कि दूध एक ऊर्जा उत्पादक आहार है।
उत्तर:
दूध ऊर्जा उत्पादक होता है। गाय के एक लीटर दूध से हमें 600 कैलोरी ऊर्जा प्राप्त होती है। एक अण्डे से जितनी ऊर्जा हमें प्राप्त होती है एक प्याले दूध से हमें उतनी ही ऊर्जा प्राप्त हो जाती है। एक प्याले दूध से हमें लगभग 100 कैलोरी ऊर्जा प्राप्त होती है। इसका तात्पर्य यह है कि एक प्याला दूध में इतने ऊर्जा उत्पादक पोषक तत्त्व होते हैं कि उनसे हमें 100 कैलोरी ऊर्जा प्राप्त होती है। विभिन्न आयु वर्ग के बालक या वयस्क को एक लीटर दूध से प्राप्त ऊर्जा उसकी दैनिक कैलोरी आवश्यकताओं की कितनी पूर्ति करती है, उसका प्रदर्शन निम्नांकित तालिका द्वारा किया जा सकता है-
तालिका:
प्रश्न 2.
टिप्पणी लिखिए-‘हमारे लिए दूध की दैनिक आवश्यक मात्रा।’
उत्तर:
सामान्यतया यह माना जाता है कि शाकाहारी व्यक्तियों के लिए दूध एकमात्र प्राणिजन्य आहार है जिसका उपयोग किया जा सकता है। दूध व्यक्ति को स्वस्थ एवं सुडौल बनाए रखने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। मांसाहारी व्यक्तियों को आवश्यक प्रोटीन अण्डा, मांस, मछली से प्राप्त हो जाती है। शाकाहारी व्यक्तियों को आवश्यक प्रोटीन दूध के अतिरिक्त दालों, सोयाबीन, मूंगफली आदि से प्राप्त होती है। विभिन्न आयु वर्ग में एक अवस्था के व्यक्तियों के लिए आवश्यक दूध की दैनिक मात्रा निम्नवत् होती है-
तालिका:
प्रश्न 3.
टिप्पणी लिखिए-दूध का पाश्चुरीकरण (Pasteurization of Milk)।
उत्तर:
पाश्चुरीकरण द्वारा दूध को खराब होने से तथा दूध के पौष्टिक तत्त्वों को नष्ट होने से बचाया जाता है। कच्चा दूध शीघ्र खराब हो जाता है। इसमें लैक्टोबैसीलस लैक्टस (Lactobacillus lactus) जीवाणु उत्पन्न होकर इसकी लैक्टोज शर्करा को लैक्टिक अम्ल में बदल देते हैं। इससे दूध खट्टा हो जाता है। पाश्चुरीकरण तकनीक द्वारा दूध में पहले से उपस्थित जीवाणुओं को नष्ट कर दिया जाता है। पाश्चुरीकरण में दूध को 62.8°C पर लगभग 30 मिनट तक गर्म किया जाता है अथवा 71°C ताप पर . लगभग 15 मिनट तक गर्म किया जाता है। इसके पश्चात् दूध को शीघ्रता से ठण्डा कर देते हैं। इस क्रिया से जीवाणु तो नष्ट हो जाते हैं लेकिन उसके पोषक तत्त्व नष्ट नहीं होते। यद्यपि कुछ विटामिन्स की मात्रा अवश्य कम हो जाती है। पाश्चुरीकृत दूध स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होता है। पाश्चुरीकरण द्वारा जीवाणुओं के अन्त:बीजाणु (endospores) नष्ट नहीं होते। इस कारण पाश्चुरीकृत दूध को कम ताप पर ही अधिक समय तक संरक्षित रख सकते हैं अन्यथा अन्त:बीजाणुओं से मुक्त जीवाणु दूध की लैक्टोज का किण्वन करके इसे खराब कर देते हैं।
प्रश्न 4.
टिप्पणी लिखिए-दूध का निर्जीकण या रोगाणुनाशन (Sterilization of Milk)
उत्तर:
दूध को जीवाणुओं से सुरक्षित रखने के लिए इस तकनीक का प्रयोग किया जाता है। इसमें उच्च ताप जैसे 120° से 126°C ताप तथा उच्च दाब जैसे 15 पौण्ड प्रति वर्ग इंच में रखकर दूध को निर्जीकृत किया जाता है। इस दूध को निर्जीकृत डिब्बों में बन्द कर दिया जाता है। इस दूध को तीन से छह माह तक सुरक्षित रखा जा सकता है। वर्तमान में टिन के डिब्बों के स्थान पर टेट्रापैक का उपयोग भी किया जा रहा है।
प्रश्न 5.
आहार के रूप में दूध के प्रयोग में आवश्यक सावधानियों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
दूध का उपयोग करने और उसे खराब होने से बचाने के लिए निम्नलिखित सावधानियाँ रखनी चाहिए
- किसी रोगी पशु का दूध प्रयोग नहीं करना चाहिए।
- दूध निकालने के लिए इन्जेक्शन का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
- कच्चे दूध का सीधे प्रयोग नहीं करना चाहिए।
- दूध को सदैव उबालकर रखना चाहिए। गर्मियों में दूध स्वतः जम जाता है या फट जाता है। इससे बचने के लिए दूध को उबालकर रखने से उसमें पनपने वाले जीवाणु नष्ट हो जाते हैं और दूध खराब होने से बच जाता है।
- दूध को स्वच्छ बर्तन में रखना चाहिए।
- बच्चों को दूध में पानी मिलाकर उबालकर ठण्डा करके ही देना चाहिए।
- रात्रि को भोजन के लगभग एक घण्टे बाद दूध पीना चाहिए।
- दूध को हमेशा ढक कर रखना चाहिए।
UP Board Class 11 Home Science Chapter 7 अति लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
दूध में कौन-कौन से पोषक तत्त्व पाए जाते हैं?
उत्तर:
दूध में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, वसा, खनिज तथा विटामिन पाए जाते हैं। दूध में विटामिन ‘C’ की कमी होती है।
प्रश्न 2.
नवजात शिशु के लिए माँ का दूध किस प्रकार का आहार है?
उत्तर:
नवजात शिशु के लिए माँ का दूध प्रकृति प्रदत्त सम्पूर्ण आहार है।
प्रश्न 3.
दूध प्राकृतिक रूप से मीठा होता है, क्यों?
उत्तर:
दूध में लैक्टोज शर्करा पायी जाती है जिसके कारण दूध प्राकृतिक रूप से मीठा होता है।
प्रश्न 4.
पनीर क्या है?
उत्तर:
पनीर दूध से निर्मित एक भोज्य पदार्थ है इसमें केसीन नामक प्रोटीन की अधिकता होती है। पनीर में जल की अल्प मात्रा ही होती है।
प्रश्न 5.
एक वयस्क शाकाहारी और मांसाहारी व्यक्ति को कितने दूध की प्रतिदिन आवश्यकता होती है?
उत्तर:
एक वयस्क शाकाहारी पुरुष को प्रतिदिन 400 मिली तथा मांसाहारी वयस्क. पुरुष को. 150 मिली दूध की आवश्यकता होती है।
प्रश्न 6.
शिशु के लिए सर्वोत्तम आहार क्या है?
उत्तर:
शिशु के लिए माँ का दूध सर्वोत्तम आहार है।
प्रश्न 7.
दूध में कौन-से रंगा कण पाए जाते हैं?
उत्तर:
दूध में फ्लैविन (Flavin) रंगा कण पाए जाते हैं।
प्रश्न 8.
दूध के ‘C’ तथा ‘D’ विटामिन्स की क्षतिपूर्ति किस प्रकार की जाती है?
उत्तर:
दूध के ‘C’ तथा ‘D’ विटामिन्स की कमी की पूर्ति के लिए बच्चों को मछली के तेल की अल्प मात्रा तथा सन्तरे का रस दिया जाना चाहिए। .
UP Board Class 11 Home Science Chapter 7 बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर
निर्देश : निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर में दिए गए विकल्पों में से सही विकल्प का चयन कीजिए
प्रश्न 1.
दूध में पाया जाने वाला निम्नलिखित में से कौन-सा पदार्थ कार्बोहाइड्रेट होता है
(क) ग्लूकोस
(ख) फ्रक्टोज
(ग) लैक्टोज
(घ) सुक्रोज।
उत्तर:
(ग) लैक्टोज।
प्रश्न 2.
शर्करा की मात्रा सबसे अधिक किसके दूध में होती है
(क) माँ के दूध में
(ख) गाय के दूध में ।
(ग) भैंस के दूध में
(घ) बकरी के दूध में।
उत्तर:
(क) माँ के दूध में।
प्रश्न 3.
दूध में पायी जाने वाली प्रोटीन को क्या कहते हैं
(क) केसीन
(ख) ऐल्बुमिन
(ग) ग्लूटेलिन्स
(घ) मायोसीन।
उत्तर:
(क) केसीन।
प्रश्न 4.
दूध किस जीवाणु के कारण खराब होता है
(क) लैक्टोबैसीलस लैक्टस
(ख) नाइट्रोबैक्टर
(ग) बैसिलस मेगाथीरियम
(घ) क्लॉस्ट्रीडियम।
उत्तर:
(क) लैक्टोबैसीलस लैक्टस।
प्रश्न 5.
उबले हुए दूध में प्रायः निम्नलिखित में से किस विटामिन का अभाव होता है
(क) विटामिन ‘A’
(ख) विटामिन ‘B’
(ग) विटामिन ‘C’
(घ) विटामिन ‘D’
उत्तर:
(ग) विटामिन ‘C’
प्रश्न 6.
दूध क्या है
(क) स्वादिष्ट पेय
(ख) स्फूर्तिदायक पेय
(ग) पौष्टिक आहार
(घ) सन्तुलित आहार।
उत्तर:
(घ) सन्तुलित आहार।
प्रश्न 7.
गर्भवती शाकाहारी स्त्री को प्रतिदिन दूध की कितनी आवश्यकता होती है
(क) 400 मिली
(ख) 500 मिली
(ग) 750 मिली
(घ) 1000 मिली। .
उत्तर:
(ग) 750 मिली।
प्रश्न 8.
वसा की सबसे अधिक मात्रा किस दूध में पायी जाती है
(क) माँ के दूध में
(ख) गाय के दूध में
(ग) बकरी के दूध में
(घ) भैंस के दूध में।
उत्तर:
(घ) भैंस के दूध में।
प्रश्न 9.
कितने दूध से 100 कैलोरी ऊर्जा प्राप्त होती है
(क) एक कटोरी दूध से
(ख) एक प्याले दूध से
(ग) एक गिलास दूध से
(घ) एक लीटर दूध से।
उत्तर:
(ख) एक प्याले दूध से।