UP Board Solutions for Class 11 Samanya Hindi खण्डकाव्य Chapter 2 सत्य की जीत

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Board UP Board
Textbook NCERT
Class Class 11
Subject Samanya Hindi
Chapter Chapter 2
Chapter Name सत्य की जीत (द्वारिकाप्रसाद माहेश्वरी)
Number of Questions 8
Category UP Board Solutions

UP Board Solutions for Class 11 Samanya Hindi खण्डकाव्य Chapter 2 सत्य की जीत (द्वारिकाप्रसाद माहेश्वरी)

उत्तर प्रदेश के बिजनौर, रामपुर, पीलीभीत, लखनऊ, झाँसी, इटावा, बदायूं, बलिया, प्रतापगढ़ जनपदों के लिए। नवसृजित जनपदों के विद्यार्थी अपने जनपद में निर्धारित खण्डकाव्य के सम्बन्ध में अपने विषय-अध्यापक से जानकारी प्राप्त कर ले।

प्रश्न 1.
‘सत्य की जीत’ खण्डकाव्य की कथानक (कथावस्तु) संक्षेप में लिखिए।
या
‘सत्य की जीत’ खण्डकाव्य में वर्णित अत्यधिक मार्मिक प्रसंग का निरूपण कीजिए।UP Board Solutions for Class 11 Samanya Hindi खण्डकाव्य Chapter 2 सत्य की जीत img-1

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दुःशासन कहता है कि शास्त्र-बल से बड़ा शस्त्र-बल होता है। कर्ण, शकुनि और दुर्योधन, दुःशासन के इस कथन का पूर्ण समर्थन करते हैं। नीतिवान् विकर्ण दु:शासन की शस्त्र-बल की नीति का विरोध करता है। वह कहता है कि यदि शास्त्र-बल से शस्त्र-बल ऊँचा और महत्त्वपूर्ण हो जाएगा तो मानवता का विकास अवरुद्ध हो जाएगा; क्योंकि शस्त्र-बल मानवता को पशुता में बदल देता है। वह इस बात पर बल देता है कि द्रौपदी द्वारा प्रस्तुत तर्क पर धर्मपूर्वक और न्यायसंगत निर्णय होना चाहिए। वह कहता है कि द्रौपदी किसी प्रकार भी कौरवों द्वारा जीती हुई नहीं है।

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प्रश्न 2.
‘सत्य की जीत के प्रमुख पात्रों का संक्षेप में परिचय दीजिए।
या
“‘सत्य की जीत के पात्र पूर्णतः जीवन्त हैं।” इस कथन से आप कहाँ तक सहमत हैं?
उत्तर
‘सत्य की जीत’ के प्रमुख पात्र हैं—द्रौपदी, दु:शासन और धृतराष्ट्र। इनके अतिरिक्त दुर्योधन, बिकर्ण, कर्ण और युधिष्ठिर भी उल्लेखनीय पात्र हैं। इनका संक्षिप्त परिचय इस प्रकार है|

(1) द्रौपदी—यह प्रस्तुते खण्डकाव्य की नायिका है। यह द्रुपद राजपुत्री और पाण्डव-कुल की वधू है, जो युधिष्ठिर, भीम, अर्जुन, नकुल और सहदेव की पत्नी है। यह सशक्त, ओजस्वी, आत्म-सम्मान से युक्त वीरांगना नारी है। इसके चरित्र पर आधुनिक नारी-जागरण का प्रभाव है। इसका व्यक्तित्व अंत्यन्त तेजस्वी एवं प्रखर है। इसी के माध्यम से कवि ने अधर्म, अन्याय, असत्य और अत्याचार पर सत्य एवं न्याय की विजय प्रदर्शित की है।

(2) दुःशासन-दु:शासन इस खण्डकाव्य का प्रमुख पुरुष पात्र है। यह अभिमानी, विवेकहीन, अनैतिक, अहंकारी, भौतिक मद में चूर, अशिष्ट, दुराचारी तथा नारी के प्रति अनुदार व्यक्ति है। इसके चरित्र को भौतिकता के मद में चूर साम्राज्यवादी शासकों के चरित्र जैसा दर्शाया गया है।

(3) धृतराष्ट्र-धृतराष्ट्र कौरव नरेश हैं। प्रस्तुत काव्य के अन्तिम भाग में इनका उल्लेख हुआ है। इन्होंने पक्षपात-रहित होकर सत्य को सत्य और असत्य को असत्य बताकर अपने नीर-क्षीर विवेक को दर्शाया है। कौरवों तथा पाण्डवों के समक्ष वे अपनी उदार और विवेकपूर्ण नीति की घोषणा करते हैं

नीति समझो मेरी यह स्पष्ट, जियें हम और जियें सब लोग।

धृतराष्ट्र के चरित्र के माध्यम से कवि ने आज के शासनाध्यक्षों को इसी नीति के अनुसरण का सन्देश दिया है। इसमें आपाधापी के इस युग के लिए बड़े कल्याण का भाव छिपा है।

(4) दुर्योधन-दु:शासन के समान ही दुर्योधन को भी असत्य, अन्याय और अनैतिकता का समर्थक कहा गया है। वह ईष्र्यालु है। उसे छल-कपट में विश्वास है। उसने कपट-चाल से पाण्डवों को जीता और उनके राज्य को हड़प लिया। इस प्रकार उसके चरित्र में वर्तमान साम्राज्यवादी शासकों की लोलुपता की झलक दिखाई गयी है। |

(5) विकर्ण और विदुर–विकर्ण और विदुर अन्धी शस्त्र-शक्ति के विरोधी हैं। केवल शस्त्रे-बल पर स्थापित शान्ति को वे अनुचित मानते हैं। दोनों पात्र न्यायप्रिय हैं तथा कौरव-कुल के होते हुए भी वे द्रौपदी के सत्य-पक्ष के समर्थक, स्पष्टवादी और निर्भीक हैं।

(6) युधिष्ठिर-युधिष्ठिर के दृढ़ एवं निश्छल चरित्र में कवि ने आदर्श राष्ट्रनायक की झलक प्रस्तुत की है। वे आरम्भ से अन्त तक मौन रहे हैं। कवि ने उनके मौन चरित्र में ही गम्भीरता, शालीनता, सत्यनिष्ठी, न्यायप्रियता, विवेकशीलता और धर्मपरायणता जैसी अमूल्य विशेषताएँ प्रकट की हैं।

(7) कर्ण–कर्ण दुर्योधन का मित्र तथा अंगदेश का राजा है। उपर्युक्त विवेचन के आधार पर कहा जा सकता है कि कवि ने सूक्ष्म मनोवैज्ञानिक संस्पर्शों के सहारे पात्रों को पूर्णतः जीवन्त और युगानुकूल चित्रित किया है।

प्रश्न 3
‘सत्य की जीत’ खण्डकाव्य के आधार पर नायिका द्रौपदी का चरित्र-चित्रण कीजिए।
या
‘सत्य की जीत’ खण्डकाव्य की नायिका का चरित्र-चित्रण कीजिए।
या
‘सत्य की जीत के किसी मुख्य नारी-पात्र की चरित्रगत विशेषताएँ लिखिए।
या
‘सत्य की जीत के आधार पर द्रौपदी के चरित्र-चित्रण की विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
या
‘सत्य की जीत में कवि ने द्रौपदी के चरित्र में जो नवीनताएँ प्रस्तुत की हैं, उनका उदघाटन करते हुए उसके चरित्र-वैशिष्ट्य पर प्रकाश डालिए।
या
सिद्ध कीजिए कि “द्रौपदी सत्य की अपराजेय आत्मिक शक्ति से ओतप्रोत नारी है।”

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प्रश्न 4.
‘सत्य की जीत’ के आधार पर दुःशासन का चरित्र-चित्रण कीजिए।
या
“दुःशासन में पौरुष का अहम् और भौतिक शक्ति का दम्भ है।” ‘सत्य की जीत के आधार पर इस कथन को प्रमाणित कीजिए।
या
‘सत्य की जीत के एक प्रमुख पुरुष-पात्र (दुःशासन) के चरित्र की विशेषताएँ बताइए।
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प्रश्न 5.
‘सत्य की जीत के आधार पर युधिष्ठिर का चरित्र-चित्रण कीजिए।
या
‘सत्य की जीत’ खण्डकाव्य में युधिष्ठिर का चरित्र महान गुणों से परिपूर्ण है। स्पष्ट 
कीजिए।
या
‘सत्य की जीत के नायक का चरित्र-चित्रण कीजिए।

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प्रश्न 6.
‘सत्य की जीत’ खण्डकाव्य के आधार पर दुर्योधन का चरित्र-चित्रण कीजिए।
उत्तर
सत्य की जीत’ खण्डकाव्य में दुर्योधन का चरित्र एक तुच्छ शासक का चरित्र है। वह असत्य, अन्याय तथा अनैतिकता का आचरण करता है। वह छल विद्या में निपुण अपने मामा शकुनि की सहायता से पाण्डवों को द्यूतक्रीड़ा के लिए आमन्त्रित करता है और उनका सारा राज्य जीत लेता है। दुर्योधन चाहता है कि पाण्डव द्रौपदी सहित उसके दास-दासी बनकर रहे। वह द्रौपदी को सभा के बीच में वस्त्रहीन करके अपमानित करना चाहता है। उसके चरित्र की निम्नलिखित विशेषताएँ हैं

(1) शस्त्रबल का पुजारी-दुर्योधन सत्य, धर्म और न्याय में विश्वास नहीं रखता। वह शारीरिक तथा तलवार के बल में आस्था रखता है आध्यात्मिक एवं आत्मिक बल की उपेक्षा करता है। दु:शासन के मुख से शस्त्रबल की प्रशंसा और शास्त्रबल की निन्दा सुनकर वह प्रसन्नता से खिल उठता है।

(2) अनैतिकता का अनुयायी-दुर्योधन न्याय और नीति को छोड़कर अनीति का अनुसरण करता है। भले-बुरे का विवेक वह बिलकुल नहीं करता। अपने अनुयायियों को भी अनीति के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करना ही उसकी नीति है। जब दु:शासन द्रौपदी का चीरहरण करने में असमर्थ हो जाता है तो दु:शासन की इंस असमर्थता को वह सहन नहीं कर पाता है और अभिमान में गरज कर कहता है–

कर रहा क्या, यह व्यर्थ प्रलाप, भय वशं था दुःशासन वीर।
कहा दुर्योधन ने उठ गरज, खींच क्या नहीं खिचेगी चीर ॥

(3) मातृद्वेधी-दुर्योधन बाह्य रूप में पाण्डवों को अपना भाई बताता है किन्तु आन्तरिक रूप से उनकी जड़े काटता है। वह पाण्डवों का सर्वस्व हरण करके उन्हें अपमानित और दर-दर का भिखारी बनाना चाहता है। द्रौपदी के शब्दों में-

किन्तु भीतर-भीतर चुपचाप, छिपाये तुमने अनगिन पाश।
‘फँसाने को पाण्डव निष्कपट, चाहते थे तुम उनका नाश।

(4) असहिष्णुता-दुर्योधन स्वभाव से बड़ा ईर्ष्यालु है। पाण्डवों का बढ़ता हुआ यश तथा सुखशान्तिपूर्ण जीवन उसकी ईष्र्या का कारण बन जाता है। वह रात-दिन पाण्डवों के विनाश की ही योजना बनाता रहता है। उसके ईष्र्यालु स्वभाव का चित्रण देखिए-

ईष्र्या तुम को हुई अवश्य, देख जग में उनका सम्मान।
विश्व को दिखलाना चाहते, रहे तुम अपनी शक्ति महान् ॥

संक्षेप में. हम कह सकते हैं कि दुर्योधन का चरित्र एक साम्राज्यवादी शासक का चरित्र है।

प्रश्न 7.
‘सत्य की जीत’ खण्डकाव्य के आधार पर विकर्ण का चरित्र-चित्रण कीजिए।
या
‘सत्य की जीत’ खण्डकाव्य के नायक के चरित्र पर प्रकाश डालिए।
उत्तर
‘सत्य की जीत’ खण्डकाव्य में विकर्ण को एक विवेकशील व्यक्ति के रूप में चित्रित किया गया है। कौरवों की विशाल सभा के मध्य जब दुःशासन शस्त्रबल की महत्ता और शास्त्रबल को निर्बलों को शस्त्र कहकर शास्त्रों के प्रति अपनी अश्रद्धा तथा अनास्था प्रकट करता है तो विकर्ण इस अनीति को सहन नहीं कर पाता है। बड़े-बड़े शूरवीरों और धर्मज्ञों की उपस्थिति में द्रौपदी पर किये गये अत्याचार को देखकर विकर्ण क्षुब्ध हो उठता है और कहता है-

बढ़े क्या अरे, यहीं तक आज, सभ्यता के संस्कृति के चरण? 
कर रहा रे, मानव ललकार, शास्त्र को छोड़ शस्त्र का वरण ॥

आदि युग की पाशविकता से मुक्त होकर तथा अपने मस्तिष्क और हृदय की शक्ति का आश्रय लेकर मानव आज श्रेष्ठ मानव कहलाता है। किन्तु यदि आज वह पुनः शस्त्रबल को सर्वाधिक महत्ता प्रदान करेगा तो आज तक विकास के पथ पर अग्रसर होने के उसके सभी प्रयत्नों और संघर्षों को व्यर्थ कहा जा सकता है। विकर्ण इस सम्बन्ध में स्पष्ट घोषणा करता है-

शस्त्र सर्वस्व, शास्त्र सब व्यर्थ, धारणा यह विनाश की मूल।
शास्त्र सर्वस्व शस्त्र सब व्यर्थ, अभी कहना यह भी है भूल॥ 

विकर्ण अन्धी शस्त्र-शक्ति का विरोधी है। उसका यह विश्वास है कि संसार की बड़ी-से-बड़ी समस्या का समाधान भी प्रेम, शान्ति और सहयोग की भावना से किया जा सकता है। वह कहता है ।

शस्त्र बल पर आधारित शान्ति, क्षणिक होती स्थायित्व विहीन ।

शस्त्रों के कारण ही मनुष्य में छिपी दानवता जाग्रत होती है और वह संसार की प्रगति एवं सभ्यता के विनाश का कारण बनती है। विकर्ण कहता है

मौन है आज सभी क्यों? देख रहा हूँ मैं कैसा यह दृश्य।
सत्य को छिपा रहे हम जान, करेगा हमें क्षमा न भविष्य ॥

सत्य, धर्म एवं न्याय के प्रति भविष्य में मानव की आस्था एवं विश्वास उठ न जाए, उसके लिए वह सभी धर्मज्ञ सभासदों से आग्रह करते हुए कहता है

अगर हमसे हो गया अधर्म, अगर हमसे हो गयी अनीति।
“धर्म में न्याय-सत्य में रह जायेगी किसकी यहाँ प्रतीति।

इस स्पष्टोक्ति से स्पष्ट होता है कि विकर्ण के चरित्र में स्पष्टवादिता, निर्भीकता, न्यायप्रियता, धर्मभीरुता आदि सभी मानवोचित श्रेष्ठ गुणों का समावेश है।

प्रश्न 8.
‘सत्य की जीत’ खण्डकाव्य के आधार पर धृतराष्ट्र का चरित्र-चित्रण कीजिए।
या
‘सत्य की जीत’ खण्डकाव्य के जिस पुरुष पात्र ने आपको सर्वाधिक प्रभावित किया हो, उसकी चारित्रिक विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
उत्तर
प्रस्तुतं खण्डकाव्य में कवि ने धृतराष्ट्र के चरित्र को काव्य के अन्तिम सर्ग में उपस्थित किया है। वे कौरवों के राज-दरबार में भीष्म, द्रोण, विदुर, विकर्ण जैसे धर्मज्ञों एवं शास्त्रज्ञों के साथ विराजमान हैं। तथा मौन होकर द्रौपदी स्था दुःशासन के तर्को एवं उनके पक्ष-विपक्ष में बोलने वाले सभासदों के विचारों को गम्भीरतापूर्वक सुनते हैं। से पंच के गौरवपूर्ण पद पर विराजमान होकर सत्य को सत्य और असत्य को असत्य कहकर अपने नीर-क्षीर विवेक का परिचय देते हैं। वह लोकमत का आदर करते हुए सभासदों को शान्त करते हुए कहते हैं

हुई है दुर्योधन से भूल, किया है उसने यह दुष्कर्म ।
पाण्डवों पर छल से आघात, कहा जा सकता न्याय न धर्म ॥

वे धरती पर सुलभ सभी पदार्थों का उपयोग युद्ध के लिए नहीं, अपितु शान्ति-स्थापना के लिए करना चाहते हैं। प्रेम, करुणा, सहानुभूति, क्षमा एवं दया आदि सद्गुणों को ही वे विकास एवं कल्याण का मूल मानते हैं। वे यह भी स्वीकार करते हैं कि विश्व के सन्तुलित विकास के लिए हृदय और बुद्धि का समन्वित विकास आवश्यक है। वह दुर्योधन को आदेश देते हैं कि पाण्डवों को मुक्त कर दो एवं उन्हें उनका राज्य लौटा दो। वे अपनी नीति की घोषणा करते हुए कहते हैं

नीति समझो मेरी यह स्पष्ट, जियें हम और जियें सब लोग।
बाँट कर आपस में मिल सभी, धरा का करें बराबर भोग॥

वे द्रौपदी के पक्ष का समर्थन करते हैं तथा उसे सती, साध्वी और धर्मनिष्ठ बताते हैं। द्रौपदी की प्रशंसा करते हुए धृतराष्ट्र कहते हैं—

द्रौपदी धर्मनिष्ठ है सती, साध्वी न्याय-सत्य साकार।
इसी से आज सभी से प्राप्त, उसे बल सहानुभूति अपार ॥

सत्य, धर्म एवं न्याय के मार्ग का अनुसरण करने वाला जीवन में सदा विजयी होता है, इसी बात की घोषणा वे निम्नलिखित शब्दों में करते हैं

जहाँ है सत्य, जहाँ है धर्म, जहाँ है न्याय, वहाँ है जीत ।
तुम्हारे यश-गौरव के दिग्, दिगन्त में गूंजेंगे स्वर गीत ॥

निष्कर्ष रूप में कहा जा सकता है कि धृतराष्ट्र नीति पर चलने वाले, अनीति के विरोधी, नारी का सम्मान करने वाले हैं। उनमें एक श्रेष्ठ राजा के समस्त गुण विद्यमान हैं।

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UP Board Solutions for Class 11 Samanya Hindi नाटक Chapter 5 राजमुकुट

UP Board Solutions for Class 11 Samanya Hindi नाटक Chapter 5 राजमुकुट (व्यथित हृदय) are part of UP Board Solutions for Class 11 Samanya Hindi. Here we have given UP Board Solutions for Class 11 Samanya Hindi नाटक Chapter 5 राजमुकुट (व्यथित हृदय).

Board UP Board
Textbook NCERT
Class Class 11
Subject Samanya Hindi
Chapter Chapter 5
Chapter Name राजमुकुट (व्यथित हृदय)
Number of Questions 7
Category UP Board Solutions

UP Board Solutions for Class 11 Samanya Hindi नाटक Chapter 5 राजमुकुट (व्यथित हृदय)

उत्तर प्रदेश के बुलन्दशहर, म सिद्धार्थनगर, सोनभद्र आदि जनपदों के लिए। नवसृजित जनपदों के विद्यार्थी अपने जनपद में निर्धारित नाटक के सम्बन्ध में अपने विषय-अध्यापक से जानकारी प्राप्त कर लें।

प्रश्न 1.
श्री व्यथित हृदय द्वारा लिखित ‘राजमुकुट’ नाटक का सारांश लिखिए।
या
‘राजमुकुट’ नाटक की कथावस्तु (कथानक) संक्षेप में लिखिए।
या
‘राजमुकुट’ नाटक के द्वितीय अंक का कथा-सार लिखिए।
या
‘राजमुकुट’ नाटक के तृतीय अंक का कथा-सार संक्षेप में लिखिए।
या
‘राजमुकुट’ नाटक के प्रथम अंक की कथा अपने शब्दों में लिखिए।
या
‘राजमुकुट’ नाटक का सारांश अपने शब्दों में लिखिए।

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प्रश्न 2.
‘राजमुकुट’ नाटक के आधार पर उसके प्रमुख पात्र (नायक) महाराणा प्रताप का चरित्र-चित्रण कीजिए।
या
‘राजमुकुट नाटक में जिस पात्र ने आपको सबसे अधिक प्रभावित किया हो, उसके व्यक्तित्व का परिचय दीजिए।
या
‘राजमुकुट’ नाटक के मूल प्रेरणा-स्रोत को निरूपित कीजिए।
या
‘राजमुकुट’ नाटक के नायक की चारित्रिक विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
या
‘राजमुकुट’ नाटक के आधार पर प्रतापसिंह का चरित्रांकन कीजिए।

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प्रश्न 3.
शक्तिसिंह का चरित्र-चित्रण कीजिए।
या
‘राजमुकुट के आधार पर शक्तिसिंह की चारित्रिक विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।

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प्रश्न 4.
‘राजमुकुट’ नाटक के आधार पर मुगल सम्राट अकबर का चरित्र-चित्रण कीजिए।

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प्रश्न 5.
राजमुकुट के आधार पर प्रमिला का चरित्र-चित्रण कीजिए।
या
‘राजमुकुट’ नाटक के आधार पर सिद्ध कीजिए कि इसमें नारी-पात्रों की भूमिका बहुत संक्षिप्त है किन्तु ये अपना-अपना प्रभाव छोड़ने में पूर्णरूपेण सक्षम हैं।
या
‘राजमुकुट’ नाटक के प्रमुख स्त्री पात्र का चरित्र-चित्रण कीजिए।

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प्रश्न 6.
‘राजमुकुट’ नाटक के आधार पर मानसिंह का चरित्र-चित्रण कीजिए।

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प्रश्न 7.
“राष्ट्रनायक ‘चन्दावत’ राजमुकुट नाटक का एक प्रभावशाली चरित्र है।” इस कथन के 
आलोक में ‘चन्दावत’ का चरित्र-चित्रण कीजिए।

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UP Board Solutions for Class 11 Samanya Hindi कथा भारती Chapter 4 समय

UP Board Solutions for Class 11 Samanya Hindi कथा भारती Chapter 4 समय (यशपाल) are part of UP Board Solutions for Class 11 Samanya Hindi. Here we have given UP Board Solutions for Class 11 Samanya Hindi कथा भारती Chapter 4 समय (यशपाल).

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Class Class 11
Subject Samanya Hindi
Chapter Chapter 4
Chapter Name समय (यशपाल)
Number of Questions 3
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UP Board Solutions for Class 11 Samanya Hindi कथा भारती Chapter 4 समय (यशपाल)

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प्रश्न 2.
कथावस्तु की दृष्टि से ‘समय’ कहानी की विशेषताएँ बताइए।
या
‘समय’ का कथानक लिखिए तथा उसके उद्देश्य को स्पष्ट कीजिए।
या
शीर्षक ‘समय’ कहानी के शीर्षक की सार्थकता पर प्रकाश डालिए।
या
‘समय’ कहानी के उद्देश्य पर प्रकाश डालिए।

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(3) उद्देश्य-यशपाल प्रगतिशील साहित्यकार हैं। प्रस्तुत कहानी में यशपाल जी ने यह दर्शाया है कि प्रत्येक व्यक्ति को समय का महत्त्व समझना चाहिए और समय के परिवर्तन के साथ-साथ अपने में भी परिवर्तन ले आना चाहिए। यह सत्य है कि अधिक उम्र का व्यक्ति युवा के साथ रहकर स्वयं को भी युवावत अनुभव करता है। लेकिन उसे यह नहीं भूलना चाहिए कि युवा स्वयं को उम्रदराज के साथ कैसा अनुभव करता होगा। अत: सभी को समय के साथ स्वयं में परिवर्तन ले आना चाहिए। लेखक ने इस बात को कहानी के अन्त में स्पष्ट भी कर दिया है-

“हाँ, यह तो बहुत अच्छी बात है।”पापा ने छड़ी की मूठ पर हाथ फेरकर कहा और छड़ी टेकते हुए किसी की ओर देखे बिना घूमने के लिए चले गये; मानो हाथ की छड़ी को टेककर उन्होंने समय को स्वीकार कर लिया।

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UP Board Solutions for Class 11 Samanya Hindi नाटक Chapter 4 सूत-पुत्र

UP Board Solutions for Class 11 Samanya Hindi नाटक Chapter 4 सूत-पुत्र (डॉ० गंगासहाय प्रेमी) are part of UP Board Solutions for Class 11 Samanya Hindi. Here we have given UP Board Solutions for Class 11 Samanya Hindi नाटक Chapter 4 सूत-पुत्र (डॉ० गंगासहाय प्रेमी).

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Class Class 11
Subject Samanya Hindi
Chapter Chapter 4
Chapter Name सूत-पुत्र (डॉ० गंगासहाय प्रेमी)
Number of Questions 12
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UP Board Solutions for Class 11 Samanya Hindi नाटक Chapter 4 सूत-पुत्र (डॉ० गंगासहाय प्रेमी)

उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद, सहारनपुर, अलीगढ़, मुजफ्फरनगर, गाजीपुर, मैनपुरी, जालौन, हरदोई, बाराबंकी, आदि जनपदों के लिए। नवसृजित जनपदों के विद्यार्थी अपने जनपद में निर्धारित नाटक के सम्बन्ध में अपने विषय-अध्यापक से जानकारी प्राप्त कर ले।

प्रश्न 1.
सूत-पुत्र’ नाटक की कथा संक्षेप में लिखिए।
या
‘सूत-पुत्र’ नाटक का कथा-सार संक्षेप में अपने शब्दों में लिखिए।
या
‘सूत-पुत्र’ में कर्ण के जीवन से सम्बन्धित मार्मिक प्रसंगों का उल्लेख कीजिए।

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प्रश्न 2.
‘सूत-पुत्र’ नाटक के प्रथम अंक की कथा को संक्षेप में लिखिए।
या
‘सूत-पुत्र’ नाटक के किसी एक अंक की कथा पर प्रकाश डालिए।

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प्रश्न 3.
सूत-पुत्र’ नाटक के द्वितीय अंक की कथा का सार संक्षेप में लिखिए।
या
द्रौपदी स्वयंवर की कथा ‘सूर -पुत्र’ नाटक के आधार पर लिखिए।
या
द्रौपदी स्वयंवर का कथानक अपने शब्दों में लिखिए।

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प्रश्न 4.
‘सूत-पुत्र’ नाटक के तृतीय अंक की कथा का सार अपने शब्दों में लिखिए।
या
‘सूत-पुत्र’ नाटक के तृतीय अंक में कर्ण-इन्द्र अथवा कर्ण-कुन्ती संवाद का सारांश 
लिखिए।
उत्तर:

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प्रश्न 5.
‘सूत-पुत्र के चतुर्थ अंक के कर्ण और अर्जुन के संवाद के आधार पर सिद्ध कीजिए कि कर्ण 
युद्धवीर होने के साथ-साथ दानवीर भी था।
या
‘सूतपुत्र’ के सर्वाधिक रोचक और प्रेरणास्पद कथांश को लिखिए।
या
‘सूत-पुत्र’ नाटक के चतुर्थ अंक की कथावस्तु अपने शब्दों में लिखिए।

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प्रश्न 6.
सूत-पुत्र नाटक के आधार पर कर्ण की चारित्रिक विशेषताएँ लिखिए।
या
‘सूत-पुत्र के प्रमुख पात्र (नायक) कर्ण का चरित्र-चित्रण कीजिए।
या
‘सूत-पुत्र’ नाटक के आधार पर प्रमाणित कीजिए कि “‘कर्ण का जीवन फूलों की शय्या नहीं, काँटों का बिछौना ही रहा है।”
या
‘सूत-पुत्र’ के प्रमुख पात्र कर्ण के जीवन से आपको क्या प्रेरणा मिलती है ? नाटक के आधार पर अपने विचार व्यक्त कीजिए
या
“कर्ण वीर एवं दानी दोनों भा।” सिद्ध कीजिए।
या
‘सूत-पुत्र’ नाटक के चतुर्थ अंक में वर्णित श्रीकृष्ण और कर्ण के संवाद के माध्यम से दानवीर कर्ण के चरित्र पर प्रकाश डालिए।

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प्रश्न 7.
‘सूत-पुत्र के आधार पर श्रीकृष्ण के चरित्र पर प्रकाश डालिए।
या
‘सूत-पुत्र’ नाटक के आधार पर श्रीकृष्ण की चारित्रिक विशेषताएँ लिखिए।
या
‘सूत-पुत्र नाटक के किसी एक पात्र का चरित्र-चित्रण कीजिए।
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प्रश्न 8.
‘सूत-पुत्र’ नाटक के आधार पर दुर्योधन की चारित्रिक विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
डॉ० गंगासहाय प्रेमी कृत ‘सूत-पुत्र’ नाटक का कथानक संस्कृत के महाकाव्य ‘महाभारत’ पर आधारित है। यद्यपि इस नाटक का कथानक पूर्ण रूप से कर्ण को केन्द्रबिन्दु मानकर ही अग्रसर होता है। परन्तु नाटक में दुर्योधन भी एक प्रभावशाली पात्र के रूप में उपस्थित हुए हैं, जो राजनीति के गुणोंसाम, दाम, दण्ड, भेद का खुलकर प्रयोग करते हुए अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए अन्त तक प्रयासरत रहते हैं। उनके चरित्र की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं

(1) सच्य़ा मित्र-दुर्योधन एक सच्चा मित्र है। वह कर्ण को अपना मित्र बनाता है। आजीवन मित्रता का निर्वाह करता है। मित्र होने के कारण कर्ण की हर सम्भव मदद करने को तत्पर रहता है।

 (2) गुणों का पारखी-दुर्योधन गुणों का भी पारखी है। द्रौपदी के स्वयंवर में जब सूत-पुत्र होने के कारण कर्ण को स्वयंवर में भाग लेने के अयोग्य घोषित करते हुए अपमानित किया गया तो दुर्योधन ने कर्ण में वीरता, धीरता, आज आदि गुणों को देखते हुए तुरन्त उसको अंगदेश का राजा बनाकर अपना मित्र बनी लिया। इस प्रकार हमें कह सकते हैं कि दुर्योधन गुणों का पारखी ही नहीं बल्कि दूरदर्शी भी था।

(3) उचित-अनुचित का विचार न करने वाला–जब ब्राह्मण वेषधारी अर्जुन द्रौपदी को स्वयंवर से जीतकर ले जा रहा था तो दुर्योधन ने कर्ण को अर्जुन से द्रौपदी को छीनने के लिए उकसाया, किन्तु कर्ण ने उसकी यह अनुचित बात नहीं मानी। इस प्रकार दुर्योधन उचित-अनुचित का विचार न करने वाला, घोर स्वार्थी एवं दुष्ट स्वभाव का व्यक्ति था।

(4) ईष्र्यालु व्यक्ति-दुर्योधने वीर है लेकिन उसके अन्दर ईष्र्या का अवगुण भी है। वह भीम से प्रबल ईष्र्या करता है।

(5) अनीतिज्ञ-दुर्योधन अनीतिज्ञ व्यक्ति है। यह नहीं है कि वह नीति को जानता नहीं है, लेकिन स्वार्थवश वह अनीति का कार्य करने के लिए भी उद्यत रहता है। नीति सम्बन्धी तथ्यों को वह नहीं मानता है और द्रौपदी का अपहरण कर लेना चाहता है।

(6) वीर और महत्त्वाकांक्षी-दुर्योधन वीर और महत्त्वाकांक्षी तो है, परन्तु विचारवान नहीं है। कर्ण के रथ का सारथी शल्य को बनाते समय वह उसकी प्रकृति के सम्बन्ध में नहीं सोचती है।

उपर्युक्त विवेचन के आधार पर हम कह सकते हैं कि नाटककार ने दुर्योधन के रूप में ऐसे व्यक्तियों की ओर इंगित किया है जो समाज और राष्ट्र से ऊपर अपने हित को ही सर्वोपरि मानते हैं। ऐसे व्यक्ति नेता हों अथवा अधिकारी सर्वथा समाज द्वारा त्याज्य हैं, जो किंचित भी राष्ट्र का कदापि हित नहीं कर सकते।

प्रश्न 9.
‘सूत-पुत्र’ नाटक के आधार पर कुन्ती का चरित्र-चित्रण कीजिए।

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प्रश्न 10.
परशुराम का चरित्र-चित्रण कीजिए।
या
‘सूत-पुत्र’ नाटक के आधार पर ‘परशुराम’ का चरित्रांकन कीजिए।
या
‘सूत-पुत्र के आधार पर परशुराम की चारित्रिक विशेषताओं का संक्षेप में उल्लेख 
कीजिए।

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प्रश्न 11.
सूत-पुत्र’ नाटक के नायक कर्ण के अन्तर्द्वन्द्व पर प्रकाश डालिए।

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प्रश्न 12.
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UP Board Solutions for Class 11 Samanya Hindi नाटक Chapter 3 गरुड़ध्वज

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Board UP Board
Textbook NCERT
Class Class 11
Subject Samanya Hindi
Chapter Chapter 3
Chapter Name गरुड़ध्वज (लक्ष्मीनारायण मिश्र)
Number of Questions 6
Category UP Board Solutions

UP Board Solutions for Class 11 Samanya Hindi नाटक Chapter 3 गरुड़ध्वज (लक्ष्मीनारायण मिश्र)

उत्तर प्रदेश के आगरा, गोरखपुर, जौनपुर, फैजाबाद, बिजनौर, फतेहपुर, गोण्डा, सीतापुर , प्रतापगढ़, बहराइच, ललितपुर, फिरोजाबाद, महाराजगंज आदि जनपदों के लिए। नवसृजित जनपदों के विद्यार्थी अपने जनपद में निर्धारित नाटक के सम्बन्ध में अपने विषय-अध्यापक से जानकारी प्राप्त कर लें।

प्रश्न 1.
‘गरुड़ध्वज’ नाटक की कथावस्तु (कथानक) को संक्षेप में लिखिए।
या
‘गरुड़ध्वज’ नाटक की कथा का सार अपनी भाषा में प्रस्तुत कीजिए।
या
‘गरुड़ध्वज’ नाटक के प्रथम अंक का कथासार अपने शब्दों में लिखिए।
या
‘गरुड़ध्वज’ नाटक के द्वितीय अंक की कथा संक्षेप में लिखिए।
या
‘गरुड़ध्वज’ नाटक के अन्तिम (तृतीय) अंक की घटनाओं का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
या
‘गरुड़ध्वज’ नाटक के किसी एक अंक के कथानक पर प्रकाश डालिए।
या
‘गरुडध्वज’ नाटक की कथावस्तु संक्षेप में इस प्रकार लिखिए कि उसमें निहित राष्ट्रीय एकता का भाव स्पष्ट हो।
या
‘गरुड़ध्वज’ नाटक के अन्तिम अंक का कथानक अपने शब्दों में लिखिए।
या
‘गरुड़ध्वज’ नाटक के तृतीय अंक की कथावस्तु लिखिए।
या
‘गरुड़ध्वज’ नाटक के तृतीय अंक की कथावस्तु लिखिए।

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प्रश्न 2.
‘गरुड़ध्वज’ नाटक का नायक कौन है ? उसकी चारित्रिक विशेषताओं का उल्लेख 
कीजिए।
या
‘गरुड़ध्वज’ नाटक के नायक की चारित्रिक विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
या
‘गरुड़ध्वज’ नाटक के प्रमुख पुरुष पात्र का चरित्र-चित्रण कीजिए।
या
विक्रममित्र की चारित्रिक विशेषताओं का उद्घाटन कीजिए।
या
‘गरुड़ध्वज’ नाटक के आधार पर विक्रममित्र के चरित्र पर प्रकाश डालिए।
या
‘गरुड़ध्वज’ नाटक के किसी एक पुरुष पात्र की चारित्रिक विशेषताएँ लिखिए।
या
‘गरुड़ध्वज’ नाटक के आधार पर विक्रममित्र के शौर्य एवं त्याग का वर्णन कीजिए।
या
‘गरुड़ध्वज’ नाटक के आधार पर ‘विक्रममित्र’ की चारित्रिक विशेषताएँ उद्घाटित कीजिए।
उत्तर

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प्रश्न 3.
‘गरुड़ध्वज’ नाटक के आधार पर (नायिका) वासन्ती का चरित्र-चित्रण कीजिए।
या
‘गरुड़ध्वज’ के प्रमुख नारी-पात्र (नायिका) के विषय में अपने विचार प्रकट कीजिए।
या
‘गरुड़ध्वज’ नाटक के किसी एक नारी पात्र की चरित्रगत विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
या
‘गरुड़ध्वज’ नाटक के प्रमुख स्त्री पात्र का चरित्र-चित्रण कीजिए।

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प्रश्न 4.
‘गरुड़ध्वज’ नाटक के आधार पर मलयवती का चरित्र-चित्रण कीजिए।
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प्रश्न 5.
‘गरुडध्वेज’ के आधार पर कालिदास का चरित्र-चित्रण कीजिए।
या
‘गरुड़ध्वज़’ के अन्य पुरुष-पात्रों की तुलना में कालिदास की चारित्रिक विशेषताओं को 
प्रकाशित कीजिए।

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प्रश्न 6.
‘गरुड़ध्वज’ के आधार पर विषमशील का चरित्र-चित्रण कीजिए।
या
‘गरुड़ध्वज’ नाटक के आधार पर विषमशील के शौर्य एवं त्याग का वर्णन कीजिए।

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