UP Board Solutions for Class 11 Samanya Hindi संस्कृत दिग्दर्शिका Chapter 2 प्रयाग:

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Board UP Board
Textbook NCERT
Class Class 11
Subject Samanya Hindi
Chapter Chapter 2
Chapter Name प्रयाग:
Category UP Board Solutions

UP Board Solutions for Class 11 Samanya Hindi संस्कृत दिग्दर्शिका Chapter 2 प्रयाग:

अवतरणों का संसद अनुवाद

(1) भारतवर्षस्य …………… प्रत्यगच्छत् ।
अत्र ब्रह्मणा ……………………….. प्रत्यगच्छत् ।
गङ्गा-यमुनयः …………………….. आत्मानं पावयन्ति ।
भारतवर्षस्य ……………………… आत्मानं पावयन्ति ।
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(4) गङ्गायाः पूर्वं …………………. अक्षुण्णैव ।
इतिहासप्रसिद्धः …………………. अतिमहत्त्वपूर्णमस्ति ।
इतिहासप्रसिद्धः ………………………. स्थितोऽस्ति ।
इतिहासप्रसिद्धः …………………… “इत्यकरोत् ।

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(5) भारतस्य ………………. कर्मभूमिश्च ।
भारतस्य : ……………….. सञ्चालनम् अकुर्वन् ।

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UP Board Solutions for Class 11 Samanya Hindi संस्कृत दिग्दर्शिका Chapter 1 वन्दना

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Textbook NCERT
Class Class 11
Subject Samanya Hindi
Chapter Chapter 1
Chapter Name वन्दना
Category UP Board Solutions

UP Board Solutions for Class 11 Samanya Hindi संस्कृत दिग्दर्शिका Chapter 1 वन्दना

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UP Board Solutions for Class 11 Samanya Hindi खण्डकाव्य Chapter 6 श्रवणकुमार

UP Board Solutions for Class 11 Samanya Hindi खण्डकाव्य Chapter 6 श्रवणकुमार (डॉ० शिवबालक शुक्ल) are part of UP Board Solutions for Class 11 Samanya Hindi. Here we have given UP Board Solutions for Class 11 Samanya Hindi खण्डकाव्य Chapter 6 श्रवणकुमार (डॉ० शिवबालक शुक्ल).

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Textbook NCERT
Class Class 11
Subject Samanya Hindi
Chapter Chapter 6
Chapter Name श्रवणकुमार (डॉ० शिवबालक शुक्ल)
Number of Questions 6
Category UP Board Solutions

UP Board Solutions for Class 11 Samanya Hindi खण्डकाव्य Chapter 6 श्रवणकुमार (डॉ० शिवबालक शुक्ल)

उत्तर प्रदेश के मेरठ, आजमगढ़, बस्ती, रायबरेली, बाँदा, हरदोई, बहराइच, हमीरपुर, गाजियाबाद, मऊ, सिद्धार्थनगर जनपदों के लिए। नवसृजित जनपदों के विद्यार्थी अपने जनपद में निर्धारित खण्डकाव्य के सम्बन्ध में अपने विषय्-अध्यापक से जानकारी प्राप्त कर लें।

प्रश्न 1.
‘श्रवणकुमार’ खण्डकाव्य की कथावस्तु पर प्रकाश डालिए।
या
‘श्रवणकुमार’ खण्डकाव्य की प्रमुख घटनाओं का क्रमबद्ध वर्णन कीजिए।
या
‘श्रवणकुमार’ खण्डकाव्य के ‘अयोध्या’ सर्ग की कथा अपने शब्दों में लिखिए।
या
‘श्रवणकुमार’ खण्डकाव्य के ‘दशरथ’ खण्ड की कथा का सार लिखिए।
या
‘श्रवणकुमार’ खण्डकाव्य के छठे सर्ग ‘सन्देश’ की कथा अपने शब्दों में लिखिए।
या
‘श्रवणकुमार’ के ‘आश्रम’ शीर्षक सर्ग की, कथा संक्षेप में अपने शब्दों में लिखिए।
या
‘श्रवणकुंमार’ खण्डकाव्य के कथानक का विवरण देते हुए उसके महत्त्व को स्पष्ट कीजिए।
या
‘श्रवणकुमार’ खण्डकाव्य के पंचम सर्ग में चित्रित दशरथ के अन्तर्द्वन्द्व का सोदाहरण वर्णन कीजिए।
या
‘श्रवणकुमार’ काव्य के ‘श्रवण’ शीर्षक सर्ग का सारांश लिखिए। ‘श्रवणकुमार खण्डकाव्य के सातवें सर्ग ‘अभिशाप’ का सारांश लिखिए।
या
‘श्रवणकुमार’ के सर्गों का नामोल्लेख करते हुए ‘निर्वाण’ (अष्टम) सर्ग का सारांश लिखिए। ‘श्रवणकुमार’ के आखेट सर्ग की कथा संक्षेप में अपने शब्दों में लिखिए।
या
‘श्रवणकुमार’ खण्डकाव्य के सर्यों का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
या
‘श्रवणकुमार’ खण्डकाव्य के किसी मार्मिक अंश (श्रवण सर्ग) की कथा का उल्लेख कीजिए।
या
‘श्रवणकुमार’ खण्डकाव्य के जो कारुणिक प्रसंग जनमानस को बहुत प्रभावित करते हैं, उन पर प्रकाश डालिए।
या
‘श्रवणकुमार’ खण्डकाव्य के कारुणिक प्रसंग का वर्णन कीजिए।
या
‘श्रवणकुमार’ खण्डकाव्य के कथानक में महाराज दशरथ की भूमिका पर प्रकाश डालिए।

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श्रवण-पिता ने कहा, आज प्रिय क्योंकर तुमने किया विलम्ब ?
करती रही विविध आशंका अब तक वत्स तुम्हारी अम्ब।”

ऋषि-दम्पति, पर्याप्त समय तक अपने पुत्र के गुणों का वर्णन करते रहते हैं। तत्पश्चात् दशरथ उन्हें जल-ग्रहण करने के लिए कहते हैं तो वे शंकित होकर उनका परिचय पूछते हैं। अन्त में दशरथ उन्हें वह हृदयविदारक दुर्घटना का समाचार सुना देते हैं, जिसे सुनते ही वे करुण विलाप कर उठते हैं और हाहाकार करते अपने मृतक पुत्र के स्पर्श के लिए दशरथ के साथ चल देते हैं।

सप्तम सर्ग : अभिशाप

‘श्रवणकुमार’ खण्डकाव्य के सप्तमं सर्ग में ऋषि-दम्पति का करुण विलाप चित्रित हुआ है। सरयू-तट पर अपने मृतक पुत्र के शरीर को स्पर्शकर उनके धैर्य का बाँध टूट जाता है। वे विलाप करते-करते। अचेत हो जाते हैं। कुछ देर बाद वे सचेत होते हैं तो पुन: विलाप कर उठते हैं

कौन हमारे लिए विपिन से कन्द मूल फल लायेगा।
कौन अतिथि-सा हमें खिलाने में सच्चा सुख पायेगा ।

इस प्रकार श्रवणकुमार के माता-पिता उसके गुणों और सुकर्मों का स्मरण कर-करके हृदयविदारक विलाप करते हैं। अन्त में श्रवणकुमार के पिता दशरथ से कहते हैं कि यद्यपि आपने यह पाप अनजाने में किया है, परन्तु पाप तो पाप ही है। इसलिए–

पुत्र-शोक से कलप रहा हूँ जिस प्रकार मैं, अजनन्दन ।
सुत-वियोग में प्राण तजोगे इसी भाँति करके क्रन्दन ॥

अष्टम सर्ग : निर्वाण

इस सर्ग में शाप के कारण दशरथ बहुत अधिक दु:खी हैं। पर्याप्त विलाप करने के बाद श्रवणकुमार के पिता को यह आत्मबोध होता है कि मेरे उदार एवं शान्त हृदय में क्रोध कैसे आ गया ? मैंने तो व्यर्थ ही दशरथ को शाप दे दिया। मेरे पुत्र का वध तो नियति के विधान के अनुसार दशरथ के हाथों ही होना था। फिर इसमें किसी का क्या दोष ?

वे श्रवणकुमार को जलांजलि देने के लिए उठते हैं, तभी दिव्य रूपधारी श्रवणकुमार कहता है

मैं प्रतिकृत हो गया आपकी सेवा परिचर्या कर तात।।
मुझे श्रेष्ठ पद मिला आज है पा आशीष तुम्हारा मात ॥

पुत्र-शोक में व्याकुल ऋषि-दम्पति रुदन करते-करते प्राण-त्याग देते हैं और सारथी द्वारा तैयार की गयी चिता में श्रवणकुमार एवं उसके पिता-माता तीनों के नश्वर शरीर भस्म हो जाते हैं।

नवम सर्ग : उपसंहार

नवम सर्ग में दशरथ दु:खी हृदय से अयोध्या लौट आते हैं। अपयश फैलेने के भय से वे वन की दुर्घटना किसी को भी नहीं बताते, किन्तु राम के वन-गमन के समय वे भावविह्वल होकर कौशल्या से यह सम्पूर्ण वृत्तान्त सुनाते हैं तथा पुत्र-वियोग में तड़पते हुए प्राण त्याग देते हैं।

प्रश्न 2.
श्रवणकुमार’ खण्डकाव्य के नायक (प्रमुख पात्र) श्रवणकुमार का चरित्र-चित्रण कीजिए।
या
‘श्रवणकुमार’ खण्डकाव्य के आधार पर श्रवणकुमार की चारित्रिक विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
या
‘श्रवणकुमार’ में वर्णित मातृ एवं पितृभक्ति का संक्षेप में उल्लेख कीजिए।
या
‘श्रवणकुमार’ के किसी एक पात्र की विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
या
“‘श्रवणकुमार’ खण्डकाव्य का नायक वह आदर्श पात्र है जो युगों-युगों तक अनुकरणीय रहेगा।” इस कथन के आधार पर श्रवणकुमार का चरित्रांकन कीजिए।
या
वर्तमान सामाजिक एवं सांस्कृतिक संकट की बेला में श्रवणकुमार का चरित्र भावी युवा पीढ़ी का संवाहक बन सकता है। सतर्क उत्तर दीजिए।
या
“कुमार के चारु-चरित पर, संस्कार का प्रचुर प्रभाव।” कथन के आलोक में श्रवणकुमार के चरित्र पर प्रकाश डालिए।

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प्रश्न 3.
‘श्रवणकुमार’ खण्डकाव्य के चरित्रों में देवोपम गुणों के साथ-साथ मानव-सुलभ दुर्बलताएँ
 भी दिखाई देती हैं। इस कथन के सम्बन्ध में अपने विचार लिखिए।

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प्रश्न 4.
‘श्रवणकुमार’ खण्डकाव्य के आधार पर दशरथ का चरित्र-चित्रण कीजिए।
या
‘श्रवणकुमार’ खण्डकाव्य के आधार पर अयोध्या नरेश दशरथ की चारित्रिक विशेषताओं का सोदाहरण विवेचन कीजिए।

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अपने इस कुकृत्य पर उन्हें अपने नहीं, अपने कुल के अपयश का दु:ख सता रहा है

हाय चलेगी युग युगान्त तक अब मेरी यह पाप कथा।।
ज़ो मुझको ही नहीं वंशजों को भी देगी मर्म व्यथा ॥

अपने द्वारा किये गये कर्म पर दु:खी होकर वे अन्ततः धरती माता से ही कह उठते हैं|

फटो धरणि, मैं समा सकें तुम करो ग्रहण, मम भाग्य जगे।
पर वसुन्धरे! मुझे शरण दे-तुम्हें न कहीं कलंक लगे ॥

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निष्कर्ष रूप में कहा जा सकता है कि दशरथ का चरित्र महान् गुणों से विभूषित है जो कि प्रायश्चित्त और आत्म-ग्लानि की अग्नि में तपकर और भी शुद्ध हो गया है। कवि दशरथ का चरित्र-चित्रण करने में पूर्ण सफल रहा है।

प्रश्न 5.
पंचम एवं सप्तम सर्ग के आधार पर दशरथ के अन्तर्द्वन्द्व पर प्रकाश डालिए।
या
“‘श्रवणकुमार’ खण्डकाव्य के पंचम सर्ग में दशरथ के अन्तर्द्वन्द्वका व्यापक चित्रण है।” इस कथन को सोदाहरण प्रमाणित कीजिए।
या
‘श्रवणकुमार’ में चित्रित महाराज दशरथ का मानसिक अन्तर्द्वन्द्व स्पष्ट कीजिए।
या
‘श्रवणकुमार’ खण्डकाव्य में प्रस्तुत महाराज दशरथ के मानसिक असमंजस का वर्णन कीजिए।
या
“दशरथ का अन्तर्द्वन्द्व ‘श्रवणकुमार’ खण्डकाव्य की अनुपम निधि है।” इस उक्ति के आलोक में दशरथ का चरित्र-चित्रण कीजिए।

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प्रश्न 6.
‘श्रवणकुमार’ खण्डकाव्य के मार्मिक स्थलों का सोदाहरण निदर्शन कीजिए।
या
“‘श्रवणकुमार’ काव्य के अभिशाप सर्ग में करुण रस का सांगोपांग वर्णन है।” इस कथन की समीक्षा कीजिए।
या
‘श्रवणकुमार’ के कथानक के मार्मिक स्थल की समीक्षा कीजिए।

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यह सर्ग जहाँ काव्यगत विशेषताओं की दृष्टि से विशिष्ट है, वहीं यह अपने उदात्त विचारों एवं विश्लेषण के कारण भी विशिष्ट है। श्रवणकुमार के पिता पुत्रे-वध के कारण दशरथ के प्रति रोष में हैं, किन्तु उनके द्वारा अपराध की स्वीकृति कर लेने के कारण वे उनके प्रति सहानुभूति भी रखते हैं।
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UP Board Solutions for Class 11 Samanya Hindi खण्डकाव्य Chapter 5 त्यागपथी

UP Board Solutions for Class 11 Samanya Hindi खण्डकाव्य Chapter 5 त्यागपथी (रामेश्वर शुक्ल अञ्चल) are part of UP Board Solutions for Class 11 Samanya Hindi. Here we have given UP Board Solutions for Class 11 Samanya Hindi खण्डकाव्य Chapter 5 त्यागपथी (रामेश्वर शुक्ल अञ्चल).

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Class Class 11
Subject Samanya Hindi
Chapter Chapter 5
Chapter Name त्यागपथी (रामेश्वर शुक्ल अञ्चल)
Number of Questions 4
Category UP Board Solutions

UP Board Solutions for Class 11 Samanya Hindi खण्डकाव्य Chapter 5 त्यागपथी (रामेश्वर शुक्ल अञ्चल)

उत्तर प्रदेश के आगरा, गोरखपुर, गाजीपुर, बरेली, सुल्तानपुर, जालौन, लखीमपुर, गोंडा, शाहजहाँपुर, फिरोजाबाद, महाराजगंज, बाराबंकी जनपदों के लिए। नवसृजित जनपदों के विद्यार्थी अपने जनपद में निर्धारित खण्डकाव्य के सम्बन्ध में अपने विषय-अध्यापक से जानकारी प्राप्त कर लें।

प्रश्न 1.
‘त्यागपथी’ खण्डकाव्य की कथावस्तु (कथानक) को संक्षेप में अपने शब्दों में लिखिए।
या
‘त्यागपथी’ खण्डकाव्य के प्रथम एवं द्वितीय सर्ग की कथा अपने शब्दों में लिखिए।
या
‘त्यागपथी’ खण्डकाव्य का कथानक संक्षेप में लिखिए।
या
‘त्यागपथी’ काव्यग्रन्थ की प्रमुख घटनाओं का क्रमबद्ध उल्लेख कीजिए।
या
‘त्यागपथी’ खण्डकाव्य के तृतीय सर्ग का सारांश लिखिए।
या
‘त्यागपथी’ खण्डकाव्य के चौथे सर्ग के आधार पर राज्यश्री, हर्षवर्द्धन और दिवाकर मित्र के वार्तालाप का सारांश लिखिए।
या
‘त्यागपथी’ के प्रथम तीन सर्यों के आधार पर सम्राट हर्षवर्द्धन के जीवन की कहानी लिखिए।
या
‘त्यागपथी’ के पंचम (अन्तिम) सर्ग की कथा अपनी भाषा में लिखिए। ‘त्यागपथी’ खण्डकाव्य में पंचग सर्ग में वर्णित घटनाओं को अपने शब्दों में लिखिए।
या
आपको ‘त्यागपथी’ का कौन-सा सर्ग रुचिकर प्रतीत होता है और क्यों ? उस सर्ग का कथानक अपनी भाषा में लिखिए।
या
‘त्योगपथी’ खण्डकाव्य के द्वितीय सर्ग का सारांश लिखिए।
या
‘त्यागेपथी’ खण्डकाव्य के पंचम संर्ग’ की कथावस्तु का उल्लेख कीजिए।
या
‘त्यागपथी’ खण्डकाव्य के द्वितीय संर्ग’ की कथा अपने शब्दों में लिखिए।
या
‘त्यागपथी’ में वर्णित भारत की राजनीतिक उथल-पुथल का वर्णन कीजिए।
[ संकेत : प्रथम, द्वितीय व तृतीय सर्ग का सारांश संक्षेप में लिखें। ]

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प्रश्न 2.
‘त्यागपथी’ के प्रमुख पात्रों का परिचय देते हुए बताइए कि आपकी कौन-सा पात्र सर्वाधिक प्रभावित करता है और क्यों ?
उत्तर
‘त्यागपथी’ खण्डकाव्य में प्रभाकरवर्द्धन तथा उनकी पत्नी यशोमती, उनके दो पुत्र (राज्यवर्द्धन और हर्षवर्द्धन), एक पुत्री (राज्यश्री), कन्नौज, मालव, गौड़ प्रदेश के राजाओं के अतिरिक्त आचार्य दिवाकर, सेनापति भण्ड आदि अनेक पात्र हैं। खण्डकाव्य का नायक हर्षवर्द्धन है तथा काव्य की नायिका होने का गौरव उसकी बहन राज्यश्री को प्राप्त हुआ है। इन सभी पात्रों में मुझे हर्षवर्द्धन का चरित्र सबसे अधिक प्रभावित करता है; क्योंकि वह एक आदर्श भाई एवं पुत्र; देश-प्रेमी, अजेय-योद्धा, श्रेष्ठ शासक, महान् त्यागी, धर्मपरायण और महादानी है।

प्रश्न 3.
‘त्यागपथी’ के नायक अथवा प्रमुख पात्र (हर्षवर्द्धन) का चरित्र-चित्रण कीजिए।
या
‘त्यागपथी’ काव्य के आधार पर हर्षवर्द्धन की चारित्रिक विशेषताएँ बताइट। ”
या
‘त्यागपथी के हर्षवर्द्धन का चरित्र देशप्रेम. का प्रखरतम (आदर्श) उदाहरण है।”
या
उपयुक्त उदाहरण देते हुए इस कथन को प्रमाणित कीजिए।
या
“‘त्यागपथी’ खण्डकाव्य में सम्राट् हर्षवर्द्धन का चरित्र ही केन्द्र है और उसी के चारों ओर कथानक का चक्र घूमता है।” इस कथन की समीक्षा कीजिए।
या
‘त्यागपथी’ खण्डकाव्य के नाम को ध्यान में रखकर हर्षवर्द्धन का चरित्रांकन कीजिए। हर्षवर्द्धन का चरित्र, आचरण का संवाहक है। सिद्ध कीजिए।
या
“‘त्यागपथी’ खण्डकाव्य में हर्ष एक इतिहास पुरुष के रूप में चित्रित है।” इस उक्ति के आलोक में हर्ष का चरित्र-चित्रण कीजिए।
या
‘त्यागेपथी के हर्षवर्द्धन का चरित्र आज के युवकों पर कितना प्रभावकारी है ?
या
“हर्ष ऐक सच्चा त्यागपथी था।” उक्ति के आधार पर हर्ष का चरित्र-चित्रण कीजिए।
या
“शौर्य था साकार नृप में अवतरित था ज्ञाना” कथन के आधार पर ‘त्यागपथी’ के हर्षवर्द्धन के व्यक्तित्व पर प्रकाश डालिए।

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बड़े भाई राज्यवर्द्धन के प्रति भी उनका अपार प्रेम है-

बाहर चले जब राज्यवर्द्धन हर्ष पीछे चल पड़े।
ज्यों वन-गमन में राम के पीछे चले लक्ष्मण अड़े ॥

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शान्ति शुभता का व्रती था हर्ष का शासन ।
था लिया जिसने प्रजा-हित राजसिंहासन ॥
थी सकल साम्राज्य में सुख श्री उमड़ आयी।
थी चतुर्दिक न्याय समता की विभा छायी ॥

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दिये सम्राट् ने निज वस्त्रे आभूषण वहाँ पर ।
बहिन से भीख में माँग वसन पहिना वहाँ पर ॥

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मैं स्वयं जाऊँगा बहिन को ढूंढने वन प्रान्त में,
पाए बिना उसको न क्षण भर हो सकेंगा शान्त मैं।

भाई की छल से की गयी हत्या का समाचार सुनकर उन्होंने जो प्रतिज्ञा की थी, उससे उनके दृढ़निश्चय का पता चलता है-

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प्रश्न 4.
‘त्यागपथी’ खण्डकाव्य के आधार पर राज्यश्री का,चरित्र-चित्रण कीजिए।
या
‘त्यागपथी’ के प्रमुख नारी-पात्र राज्यश्री की चारित्रिक विशेषताएँ स्पष्ट कीजिए।
या
‘त्यागपथी’ में निरूपित राज्यश्री की चारित्रिक छवि पर सोदाहरण प्रकाश डालिए।
या
“‘त्यागपथी’ खण्डकाव्य में राज्यश्री एक श्रेष्ठ नारी पात्र है।” स्पष्ट कीजिए।

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काँगी साथ उनके मैं हमेशा राष्ट्र-साधन ।
अहिंसा नीति का होगा सभी विधिपूर्ण पालन ॥
X                          X                                 X

प्रजा के हित समर्पित है व्रती जीवन तुम्हारा ।
सभी का हित सभी का सुख, तुम्हें दिन-रात प्यारा ॥

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लुटाती थी बेहन भी पास का सबै तीर्थस्थल में,
पहिन दो वस्त्र केवल दीपती थी छवि विमल में ।।

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UP Board Solutions for Class 11 Samanya Hindi खण्डकाव्य Chapter 4 आलोकवृत्त

UP Board Solutions for Class 11 Samanya Hindi खण्डकाव्य Chapter 4 आलोकवृत्त (गुलाब खण्डेलवाल) are part of UP Board Solutions for Class 11 Samanya Hindi. Here we have given UP Board Solutions for Class 11 Samanya Hindi खण्डकाव्य Chapter 4 आलोकवृत्त (गुलाब खण्डेलवाल).

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Class Class 11
Subject Samanya Hindi
Chapter Chapter 4
Chapter Name आलोकवृत्त (गुलाब खण्डेलवाल)
Number of Questions 3
Category UP Board Solutions

UP Board Solutions for Class 11 Samanya Hindi खण्डकाव्य Chapter 4 आलोकवृत्त (गुलाब खण्डेलवाल)

उत्तर प्रदेश के सहारनपर अलगढ़ इलाहाबाद, फरूखाबाद, मैनपुरी, सातापुर, जनपदों के लिए। नवसृजित जनपदों के विद्यार्थी अपने जनपद में निर्धारित खण्डकाव्य के सम्बन्ध में अपने विषय-अध्यापक से जानकारी प्राप्त कर लें।

प्रश्न 1.
‘आलोकवृत्त’ की कथावस्तु (कथानक अथवा सारांश) पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
या
‘आलोकवृत्त’ के आधार पर द्वितीय सर्ग की कथावस्तु का निरूपण कीजिए।
या
‘आलोकवृत्त’ के आधार पर सन् 1942 ई० की जनक्रान्ति पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
या
‘आलोकवृत्त’ काव्य में वर्णित स्वतन्त्रता-प्राप्ति की प्रमुख घटनाओं का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
या
‘आलोकवृत्त’ खण्डकाव्य के आधार पर चतुर्थ सर्ग का सारांश लिखिए।
या
‘आलोकवृत्त’ के आधार पर गाँधी जी के अफ्रीका-प्रवास के जीवन पर प्रकाश डालिए।
या
” ‘आलोकवृत्त’ काव्य भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम का संक्षिप्त इतिहास है।” विवेचन कीजिए।
या
‘आलोकवृत्त’ खण्डकाव्य के सप्तम सर्ग में कथित ‘भारत छोड़ो आन्दोलन पर प्रकाश डालिए।
या
‘आलोकवृत्त’ खण्डकाव्य के सप्तम सर्ग’ के कथानक पर प्रकाश डालिए।
या
‘आलोकवृत्त’ के दूसरे एवं तीसरे सर्ग की कथा अपने शब्दों में लिखिए।
या
‘आलोकवृत्त’ खण्डकाव्य के पंचम सर्ग के आधार पर ‘असहयोग आन्दोलन’ की भूमिका पर सोदाहरण प्रकाश डालिए।
या
‘आलोकवृत्त’ खण्डकाव्य के अन्तर्गत प्रथम तथा द्वितीय सर्ग में वर्णित घटनाओं का उल्लेख कीजिए।
या
‘आलोकवृत्त’ खण्डकाव्य के षष्ठ सर्ग में वर्णित नमक सत्याग्रह के सन्दर्भ में गाँधी जी की दांडी यात्रा का वर्णन कीजिए। ।
या
‘आलोकवृत्त’ खण्डकाव्य के सप्तम सर्ग में निरूपित सन् 1942 ई0 की जनक्रान्ति का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।
या
‘आलोकवृत्त’ के अष्टम सर्ग की कथावस्तु प्रस्तुत कीजिए।
या
‘आलोकवृत्त’ के अन्तिम सर्ग की कथा अपने शब्दों में लिखिए।

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प्रश्न 2.
‘आलोकवृत्त’ खण्डकाव्य के आधार पर गाँधी जी की चारित्रिक विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
या
‘आलोकवृत्त’ खण्डकाव्य के नायक (प्रमुख पात्र) गाँधी जी का चरित्र-चित्रण कीजिए।
या
‘आलोकवृत्त’ खण्डकाव्य के नायक की विशेषताएँ लिखिए। ‘आलोकवृत्त’ खण्डकाव्य के आधार पर महात्मा गाँधी के जीवन व राष्ट्रीय आदर्शों पर प्रकाश डालिए। ”
या
‘आलोकवृत्त’ में गाँधी जी का कृतित्व ही नहीं उनका जीवन-दर्शन और चिन्तन भी अभिव्यक्त हुआ है।” इस कथन की सार्थकता प्रमाणित कीजिए।
या
‘आलोकवृत्त’ खण्डकाव्य के आधार पर गाँधी जी के व्यक्तित्व की विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।

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प्रश्न 3.
‘आलोकवृत्त’ खण्डकाव्य की रचना के उद्देश्य (शिक्षा-संदेश) पर प्रकाश डालिए।
या
‘आलोकवृत्त’ खण्डकाव्य के नामकरण की सार्थकता को स्पष्ट करते हुए इसके उद्देश्य पर प्रकाश डालिए।
या
‘आलोकवृत्त’ खण्डकाव्य की रचना के उद्देश्य (सन्देश प्रतिपाद्य) पर प्रकाश डालिए।
या
‘आलोकवृत्त’ में निसूचित जीवन के प्रमुख मूल्यों को अपने शब्दों में व्यक्त कीजिए।
उत्तर
‘आलोकवृत्त’ खण्डकाव्य नामकरण (शीर्षक) की सार्थकता—कवि गुलाब खण्डेलवाल ने ‘आलोकवृत्ते में महात्मा गाँधी के सदाचार एवं मानवता के गुणों से प्रकाशित व्यक्तित्व को चित्रित किया है। इस खण्डकाव्य का विषय उद्देश्य एवं मूलभाव यही है। महात्मा गाँधी के जीवन को हम प्रकाश स्वरूप कह सकते हैं, क्योंकि उन्होंने भारतीय संस्कृति की चेतना को अपने सद्गुणों एवं सविचारों से प्रकाशित किया है। उन्होंने विश्व में सत्य, प्रेम, अहिंसा आदि मानवीय भावनाओं को प्रकाश फैलाया। अत: हम इस जीवन वृत्त को आलोकवृत्त कह सकते हैं। इस दृष्टिकोण से यह शीर्षक उपयुक्त है। यह महात्मा गाँधी के जीवन, उनके चरित्र, उनके गुणों, सिद्धान्तों एवं दर्शन को पूर्णरूपेण परिभाषित करता हुआ एक साहित्यिक एवं दार्शनिक शीर्षक है।

आलोकवृत्त का उद्देश्य—कवि गुलाब खण्डेलवाल ने महात्मा गाँधी के जीवन व कार्यों के द्वारा हमें देश-प्रेम, भावात्मक एकता, राष्ट्रीय एकता, लोककल्याण की भावना, मानव मूल्यों की स्थापना, साधनों की पवित्रता, सत्य, अहिंसा और प्रेम की भावना आदि का सन्देश दिया है। प्रस्तुत खण्डकाव्य मनुष्य के जीवन में आशा और आलोक विकीर्ण करता हुआ, उसे मानवता के उच्चतम शिखरों की ओर उन्मुख करता हुआ, उसे मानवता और संस्कृति की चेतना के परिष्कृत रूप में प्रस्तुत करता है। अपने इस उद्देश्य को उन्होंने काव्य के नायक महात्मा गाँधी के मुख से कहलवाया है

यदि मिलकर इस राष्ट्रयज्ञ में सब कर्तव्य निभायें अपना,
एक वर्ष में ही पूरा हो मेरा रामराज्य का सपना ।

 

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