UP Board Solutions for Class 12 Home Science Chapter 19 शिशु मृत्यु की समस्या

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Board UP Board
Class Class 12
Subject Home Science
Chapter Chapter 19
Chapter Name  शिशु मृत्यु की समस्या
Number of Questions Solved 16
Category UP Board Solutions

UP Board Solutions for Class 12 Home Science Chapter 19 शिशु मृत्यु की समस्या

बहुविकल्पीय प्रश्न (1 अंक)

प्रश्न 1.
शिशु मृत्यु का आशय है। (2014)
(a) जन्म लेते ही मृत्यु हो जाना
(b) स्कूल जाने से पूर्व मृत्यु हो जाना।
(c) जन्म से शैशवावस्था तक की अवधि में होने वाली मृत्यु
(d) उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर:
(c) जन्म से शैशवावस्था तक की अवधि में होने वाली मृत्यु

प्रश्न 2.
शिशु मृत्यु-दर की गणना की जाती है।
(a) जन्म लेने वाले प्रति 100 शिशुओं के आधार पर
(b) जन्म लेने वाले प्रति हजार शिशुओं के आधार पर
(c) विभिन्न रोगों के संक्रमण के आधार पर
(d) जन्म एवं मृत्यु संख्या के अन्तर के आधार पर
उत्तर:
(b) जन्म लेने वाले प्रति हजार शिशुओं के आधार पर

प्रश्न 3.
शिशु मृत्यु-दर सबसे अधिक है।
(a) भारत में
(b) जापान में
(c) इंग्लैण्ड में
(b) अमेरिका में
उत्तर:
(a) भारत में

प्रश्न 4.
बाल मृत्यु को कारण है। (2006,17)
(a) स्वास्थ्य सम्बन्धी जानकारी एवं सुविधाओं का अभाव
(b) यौन शिक्षा का अभाव
(c) बाल विवाह
(d) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(d) उपरोक्त सभी

प्रश्न 5.
बाल मृत्यु को कम किया जा सकता है। (2010)
(a) शिक्षा एवं ज्ञान के प्रसार के द्वारा
(b) उपयुक्त प्रसव एवं स्वास्थ्य केन्द्रों की स्थापना करके
(c) संक्रामक रोगों की रोकथाम करके
(d) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(d) उपरोक्त सभी

प्रश्न 6.
उचित समय पर टीकाकरण (2009)
(a) बालक में रोग क्षमता को कम करता है।
(b) बाल मृत्यु की दर कम होती है।
(c) बच्चे की जान को खतरा रहता है।
(b) उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर:
(b) बाल मृत्यु की दर कम होती है।

प्रश्न 7.
परिवार नियोजन द्वारा किस समस्या का समाधान हो सकता है? (2017)
(a) जनसंख्या नियन्त्रण
(b) देश के विकास की वृद्धि
(c) माँ तथा शिशु की मृत्यु में कमी
(b) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(d) उपरोक्त सभी

प्रश्न 8.
गर्भावस्था में महिला को मिलना चाहिए। (2007, 16)
(a) केवल फल
(b) केवल दूध
(C) सन्तुलित आहार
(b) जो भी उपलब्ध हो
उत्तर:
(c) सन्तुलित आहार

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न (1 अंक, 25 शब्द)

प्रश्न 1.
शिशु मृत्यु से क्या आशय है?
उत्तर:
जन्म लेते ही अथवा जन्म लेने से एक वर्ष की आयु तक होने वाली मृत्यु को ‘शिशु मृत्यु’ कहते हैं।

प्रश्न 2.
बाल मृत्यु के प्रमुख कारण क्या हैं? (2006, 13)
उत्तर:
शिक्षा का अभाव, निर्धनता, गर्भावस्था में असावधानी, अव्यवस्थित प्रसूतिका गृह, बाल विवाह, चिकित्सा सुविधाओं की कमी आदि शिशु मृत्यु के प्रमुख कारण हैं।

प्रश्न 3.
शिशु मृत्यु-दर को रोकने के दो उपाय बताएँ। (2005, 10, 11)
उत्तर:
शिक्षा का प्रसार एवं लोगों में जागरूकता फैलाकर तथा प्रसव एवं स्वास्थ्य केन्द्रों की स्थापना करके बाल मृत्यु-दर को रोका जा सकता है।

लघु उत्तरीय प्रश्न (2 अंक, 50 शब्द)

प्रश्न 1.
शिशु मृत्यु-दर को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
किसी देश में एक वर्ष में जन्म लेने वाले प्रति हजार बच्चों में से जितने बच्चे जन्म लेने के समय या अपने जन्म के एक वर्ष के अन्दर मर जाते हैं, उसे शिशु मृत्यु दर’ कहते हैं। उदाहरण माना कि किसी देश में एक वर्ष के अन्दर एक लाख बच्चों ने जन्म लिया और 500 बच्चे जन्म लेने के तुरन्त बाद या 1 वर्ष की आयु पूर्ण होने से पूर्व ही मर गए, तो उस देश की शिशु मृत्यु-दर की गणना इस प्रकार करेंगे
[latex]\frac { 500 } { 100000 } \times 1000 = 5[/latex]
अर्थात् शिशु मृत्यु दर = 5/हजार है

प्रश्न 2.
बाल मृत्यु-दर पर निर्धनता को प्रभाव स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
बाल मृत्यु-दर पर निर्धनता का प्रभाव तीन स्तरों पर देख सकते हैं।
प्रसव से पूर्व (गर्भावस्था के दौरान) गर्भावस्था में निर्धनता के कारण गर्भवती महिलाएँ सन्तुलित एवं पौष्टिक आहार नहीं ले पाती हैं, जिससे शिशु की मृत्यु होने की सम्भावना बढ़ जाती है।

प्रसव के दौरान धन की कमी के कारण अनेक महिलाएँ प्रसव कराने के लिए। चिकित्सक के पास न जाकर घर पर ही दाइयों की सहायता से बच्चे को जन्म दे देती हैं, अत: प्रसव की समुचित व्यवस्था उपलब्ध न होने के कारण शिशु की मृत्यु की सम्भावना अधिक होती है।

प्रसव के बाद धन की कमी के कारण नवजात शिशु को सन्तुलित व पौष्टिक आहार नहीं मिल पाता है। अतः वे विभिन्न प्रकार की बीमारियों से ग्रसित हो जाते हैं। निर्धनता के कारण इन बच्चों का समुचित उपचार भी नहीं हो पाता है, जो शिशु मृत्यु का एक प्रमुख कारण है।

प्रश्न 3.
शिशु के जीवन में माता-पिता के स्वास्थ्य का महत्त्व स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
एक स्वस्थ शिशु को, एक स्वस्थ माता ही जन्म दे सकती है। आनुवंशिकी के कारण माता-पिता में व्याप्त रोगों का शिशु में भी हस्तान्तरण हो जाता है। गर्भावस्था में शिशु माता के रक्त से ही पोषक तत्त्वों को प्राप्त करता है। यदि माता पहले से ही कमजोर एवं अस्वस्थ है, तो वह कदापि एक स्वस्थ बच्चे को जन्म नहीं दे सकती है। जन्म के बाद भी माँ को संक्रमित दूध पीकर शिशु अस्वस्थ हो जाता है। अत: यह स्पष्ट है कि रोग-प्रतिरोधक क्षमता के अभाव के कारण रोगी माता-पिता की सन्तान भी रोगग्रस्त होगी। इस तरह से शिशु के माता-पिता के स्वास्थ्य का शिशु के जीवन पर बहुत अधिक प्रभाव पड़ता है।

विस्तृत उत्तरीय प्रश्न (5 अंक, 100 शब्द)

प्रश्न 1.
बाल मृत्यु की समस्या का वर्णन करें एवं इसके मुख्य कारणों को स्पष्ट (2004, 06)
उत्तर:
किसी देश में एक वर्ष के भीतर जन्म लेने वाले प्रति हजार शिशुओं में मृत शिशुओं की गणना ‘शिशु मृत्यु-दर’ कहलाती है। शिशु मृत्यु-दर की गणना में 0 से 1 वर्ष की आयु तक के बच्चों को सम्मिलित किया जाता है। बाल मृत्यु दर की गणना पाँच वर्ष से कम आयु के बच्चों की मौत के मामलों के आधार पर की जाती है। अर्थात् बाल मृत्यु-दर नवजात शिशुओं के साथ-साथ पाँच वर्ष तक की आयु के बच्चों की मौत को इंगित करती है। आज का बोलके कल को नागरिक होता है और यदि नागरिक न रहे, तो राष्ट्र कैसा, इसलिए बाल मृत्यु को किसी भी देश की प्रगति का शुभ संकेत नहीं माना जाता है। आज भारत में बाल मृत्यु दर बहुत अधिक है।

भारत में बाल मृत्यु की ऊँची दर के कारण
भारत में उच्च बाल मृत्यु दर के कुछ प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं।

  • शिक्षा का अभाव
  • निर्धनता
  • गर्भावस्था में असावधानी
  • बाल-विवाह
  • अनुचित प्रसूति-गृह
  • रोगी माता-पिता
  • परिवार नियोजन का पालन न करना
  • मातृ-शिशु कल्याणकारी संस्थाओं की कमी
  • चिकित्सा एवं नि:संक्रमण सम्बन्धी सुविधा की कमी

1. शिक्षा का अभाव बाल मृत्यु-दर के अधिक होने के कारणों में अशिक्षा एक महत्त्वपूर्ण कारक है। शिक्षा के अभाव में महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान बरती जाने वाली सावधानियों की जानकारी नहीं होती है। शिक्षा के अभाव में महिलाओं को शिशु सुरक्षा, प्रसव पूर्व एवं प्रसव के बाद की जाने वाली परिचर्या की जानकारी नहीं हो पाती है, जो बाल मृत्यु-दर को बढ़ावा देती है। शिक्षा के अभाव में महिलाएँ सरकार द्वारा उपलब्ध कराई जा रही सुविधाओं का भी लाभ नहीं उठा पा रही हैं।

2. निर्धनता बाल मत्य-दर पर निर्धनता का प्रभाव तीनों स्तर पर देखा जा सकता है, जन्म के पूर्व, जन्म के दौरान एवं जन्म के बाद।

निर्धनता के कारण गर्भावस्था के दौरान,महिलाएँ स्वयं को सन्तुलित एवं पौष्टिक आहार नहीं दे पाती हैं, जिससे माता और शिशु दोनों के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है। वहीं चिकित्सा सम्बन्धी विभिन्न सुविधाएँ होते हुए भी निर्धन जनता उसका लाभ नहीं उठा पाती है। ऐसी स्थिति में गरीब लोग घर पर ही दाइयों से प्रसव करा लेते हैं। इस मजबूरी के कारण अनेक बार जन्म के समय ही शिशु की मृत्यु हो जाती है। जन्म के बाद भी शिशु को निर्धनता के कारण पौष्टिक और सन्तुलित आहार नहीं मिल पाता है। इस स्थिति में इन नवजात शिशुओं को स्वास्थ्य खराब हो जाता है, लेकिन धन के अभाव के कारण बच्चों का समुचित उपचार नहीं हो पाता है।

3. गर्भावस्था में असावधानी गर्भावस्था के दौरान यदि माता अपने स्वास्थ्य, पोषण एवं अन्य आवश्यक देखभाल का ध्यान रखती है, तो जन्म लेने वाला बच्चा भी स्वस्थ होता है। इसके विपरीत यदि माता अपने स्वास्थ्य एवं पोषण का ध्यान नहीं रखती है, तो नवजात शिशु भी दुर्बल तथा अस्वस्थ हो जाता है। प्रायः इन दशाओं में जन्म लेने वाले बच्चे रोगों से संक्रमित हो जाते हैं, जो शिशु-मृत्यु का कारण बनते हैं।

4. बाल-विवाह आज भी अशिक्षा और अज्ञानता के कारण भारत में बहुत सारी लड़कियों की शादी 14-15 वर्ष की आयु में कर दी जाती है। इस आयु में लड़कियों का शारीरिक विकास पूर्णरूप से नहीं होता है तथा रज-वीर्य अपरिपक्व अवस्था में होता है। ऐसी स्थिति में इन लड़कियों से जन्म लेने वाला बच्चा दुर्बल एवं अपरिपक्व होता है, जो शिशु मृत्यु का कारण होता है।.

5. अनुचित प्रसूति-गृह प्रसूति-गृह ही वह स्थान होता है, जहाँ गर्भ से बाहर आने के बाद बच्चा पहली बार साँस लेता है। अतः किसी भी जन्म लेने वाले बच्चे के लिए प्रसूति-गृह का विशेष महत्त्व है। भारत में आज भी अधिकांश क्षेत्रों में व्यवस्थित एवं उचित प्रसूति-गृह का अभाव है। ग्रामीण क्षेत्रों में प्राय: घर पर ही प्रसव कराए जाते हैं।

6. रोगी माता-पिता आज भारत में असंख्य माता-पिता रोगग्रस्त हैं। ऐसे में जब इन माता-पिता से बच्चे का जन्म होता है, तो बच्चे में भी रोग का , संक्रमण हो जाता है, इसलिए संक्रमित सन्तान का प्रायः जीवित रह पाना कठिन हो पाता है। इस स्थिति में कुछ शिशुओं की मृत्यु प्रसव के दौरान हो जाती है तथा कुछ की अल्पायु में मृत्यु हो जाती है।

7. परिवार नियोजन का पालन न करना परिवार नियोजन का पालन न करने | से अनेक परिवारों में बच्चों की संख्या अधिक हो जाती है। ऐसे परिवार में जन्म लेने वाले बच्चों का समुचित ध्यान रख पाना कठिन होता है तथा बच्चों की मृत्यु की सम्भावना अधिक रहती है।

8. मातृ-शिशु कल्याणकारी संस्थाओं की कमी हमारे देश में जनसंख्या के अनुपात में मातृ-शिशु कल्याणकारी संस्थाओं की काफी कमी है। इस कारण से गर्भवती महिलाओं एवं नवजात शिशुओं को अनेक आवश्यक ‘सुविधाएँ उपलब्ध नहीं हो पाती हैं। इन सुविधाओं के अभाव में अनेक माताओं एवं नवजात शिशुओं की मृत्यु हो जाती है।

9. चिकित्सा एवं निःसंक्रमण सम्बन्धी सुविधा की कमी आज भी हमारे देश में जनसंख्या के अनुपात में चिकित्सा सुविधाओं की पर्याप्त व्यवस्था उपलब्ध नहीं है। अप्रशिक्षित नीम-हकीमों के पास अशिक्षित जनता जाने के लिए मजबूर हो जाती है। अनेक लोग तन्त्र-मन्त्र एवं झाड़-फूक के द्वारा उपचार में विश्वास करते हैं। इस तरह अव्यवस्थित चिकित्सा एवं योग्य प्रशिक्षित चिकित्सकों की कमी से हजारों बच्चे रोगग्रस्त होने पर स्वस्थ नहीं हो पाते और उनकी मृत्यु हो जाती है।

प्रश्न 2.
बाल मृत्यु-दर कम करने के मुख्य उपायों पर चर्चा करें। (2005)
अथवा
शिशु मृत्यु-दर कम करने हेतु अपने सुझाव दीजिए। (2016)
उत्तर:
बाल मृत्यु दर का अधिक होना देश की प्रगति में बाधक होता है। आज हमारे देश में जनसंख्या काफी अधिक है, जिसे नियन्त्रित करना अतिआवश्यक है। इस समस्या के समाधान के लिए जन्म दर को कम किया जाना चाहिए न कि मृत्यु-दर को बढ़ाया जाए।

बाल मृत्यु-दर कम करने के उपाय

देश के विकास के लिए बाल मृत्यु-दर को नियन्त्रित करने के लिए निम्न उपाय किए जा सकते हैं

  • शिक्षा का प्रसार
  • यौन शिक्षा
  • जीवन-स्तर में उन्नयन
  • स्वास्थ्य केन्द्र एवं प्रसूति-गृह की स्थापना
  • बाल कल्याण योजनाएँ
  • बाल चिकित्सालय
  • बाल-विवाह पर रोक
  • परिवार नियोजन
  • माता एवं शिशु का पोषण

1. शिक्षा का प्रसार देश के नागरिकों में रूढ़िवादिता और अज्ञानता को कम करने के लिए शिक्षा का प्रसार जरूरी है। शिक्षा का प्रसार होने से नागरिकों में नए-नए विचार आएँगे और जाग्रति उत्पन्न होगी। अतः बाल मृत्यु को रोकने के लिए स्त्रियों का शिक्षित होना अतिआवश्यक है।

2. यौन शिक्षा भारत में यौन शिक्षा का अभाव है। प्रत्येक बच्चे को यौनसम्बन्धी प्रत्येक बात की लाभ-हानि की शिक्षा दी जानी चाहिए, ताकि वे पति-पत्नी के रूप में विवकेपूर्ण जीवन व्यतीत कर सकें। ऐसे माँ-बाप अपने बच्चों के पालन-पोषण के प्रति जागरूक होते हैं, इससे बाल मृत्यु दर में गिरावट आती है। भारत सरकार ने इस दिशा में एक कदम आगे बढ़ाते हुए स्कूल के पाठ्यक्रमों में यौन शिक्षा को भी जोड़ दिया है।

3. जीवन-स्तर में उन्नयन जीवन-स्तर के सुधार में निर्धनता बड़ी बाधक है। सभी के पास रोजगार होगा, तो निर्धनता दूर होगी। फलस्वरूप गर्भवती महिलाओं को पौष्टिक एवं सन्तुलित आहार के साथ-साथ उपयुक्त वातावरण भी प्राप्त होगा, इससे बाल मृत्यु दर में कमी आएगी।

4. स्वास्थ्य केन्द्र एवं प्रसूति-गृह की स्थापना देश के शहरों में जहाँ अस्पतालों की अधिकता है, वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में स्तरीय स्वास्थ्य केन्द्रों का काफी अभाव है। इस समस्या के समाधान के लिए सरकार नए स्वास्थ्य केन्द्र एवं प्रसूति-गृह की व्यवस्था कर रही है, साथ ही योग्य डॉक्टर, नर्से आदि की नियुक्ति भी कर रही है। इन सभी सुविधाओं के साथ-साथ सरकार गरीबों को नि:शुल्क दवाइयाँ तथा उचित समय पर नि:शुल्क टीकाकरण की भी सुविधाएँ प्रदान कर रही है।

5. बाल कल्याण योजनाएँ शिशु देश का भविष्य होते हैं, इसलिए सरकार द्वारा विभिन्न प्रकार की बाल-कल्याण योजनाएँ चलाई जा रही हैं, लेकिन हमारे देश की ग्रामीण जनता इन सरकारी कार्यक्रमों से अनभिज्ञ रहती है। अत: कुछ नि:स्वार्थ नागरिकों को आगे आकर इन योजनाओं के बारे में लोगों को बताना चाहिए, ताकि इसका अधिक-से-अधिक लाभ लेकर शिशु मृत्यु-दर को कम किया जा सके।

6. बाल चिकित्सालय देश के प्रत्येक क्षेत्र में एक बाल चिकित्सालय की व्यवस्था होनी चाहिए, जिसमें जन्म के बाद बच्चों की स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याओं का समाधान अतिशीघ्र किया जा सके, जिससे बाल मृत्यु-दर में कमी आ सके।

7. बाल विवाह पर रोक बाल विवाह में 14.15 वर्ष की उम्र में बच्चों का विवाह कर दिया जाता है, ऐसी स्थिति में स्वस्थ बच्चा पैदा होने की सम्भावना न के बराबर होती है। अत: सरकार ने शादी की उम्र लड़कों के लिए 21 वर्ष तथा लड़कियों के लिए 18 वर्ष निश्चित कर दी है, इससे शिशु मृत्यु-दर में काफी कमी आई है।

8. परिवार नियोजन परिवार नियोजन ने शिशु मृत्यु-दर में कमी लाने में काफी सहायता की है। ‘छोटा परिवार सुखी परिवार’ एवं ‘बच्चे दो या तीन ही अच्छे का नारा भी लोगों की मानसिकता बदलने में कारगर सिद्ध हुआ। अतः परिवार नियोजन के बारे में लोगों को और जागरूक होने की तथा समाज में व्याप्त कुप्रथाओं को समाप्त करने की आवश्यकता है।

9. माता एवं शिशु का पोषण बाल मृत्यु-दर को कम करने के लिए गर्भावस्था एवं प्रसव के बाद भी शिशु एवं माता को पौष्टिक एवं सन्तुलित भोजन मिलना आवश्यक है। इसके लिए सरकार विभिन्न योजनाएँ चलाती है; जैसे-‘जननी सुरक्षा योजना’ इत्यादि।

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UP Board Solutions for Class 12 Computer Chapter 7 HTML एडवांस्डक

UP Board Solutions for Class 12 Computer Chapter 7 HTML एडवांस्ड are part of UP Board Solutions for Class 12 Computer. Here we have given UP Board Solutions for Class 12 Computer Chapter 7 HTML एडवांस्ड.

Board UP Board
Textbook NCERT
Class Class 12
Subject Computer
Chapter Chapter 7
Chapter Name HTML एडवांस्ड
Number of Questions Solved 21
Category UP Board Solutions

UP Board Solutions for Class 12 Computer Chapter 7 HTML एडवांस्ड

बहुविकल्पीय प्रश्न (1 अंक)

प्रश्न 1
लिस्ट के आइटम को किस टैग के अन्तर्गत लिखा जाता है?
(a) <L>
(b) <u>
(C) <LI>
(d) <UL>
उत्तर:
(c) <LI>

प्रश्न 2
start एट्रिब्यूट है।
(a) ऑर्डर्ड लिस्ट का
(b) अनऑर्डर्ड लिस्ट का
(c) डेफिनेशन लिस्ट का
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(a) ऑर्डर्ड लिस्ट का

प्रश्न 3
डेफिनेशन का टाइटल देने के लिए निम्न में से कौन-सा टैग प्रयोग किया जाता है?
(a) <DD>
(b) <DT>
(c) <DL>
(d) <DC>
उत्तर:
(b) <DT>

प्रश्न 4
इमेज की चौड़ाई सेट करने के लिए एट्रिब्यूट है।
(a) height
(b) width
(c) border
(d) src
उत्तर:
(b) width

प्रश्न 5
इण्टर्नल लिंकिंग में सेक्शन के नाम को किस एट्रिब्यूट के द्वारा निर्दिष्ट किया जाता है?
(a) alt
(b) href
(c) name
(d) link
उत्तर:
(c) name

प्रश्न 6
टेबल में हैडिंग देने के लिए प्रयुक्त टैग निम्न में से कौन-सा है?
(a) <TR>
(b) <TH>
(c) <TD>
(d) <TABLE>
उत्तर:
(b) <TH>

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न (1 अंक)

प्रश्न 1
ऑर्डर्ड लिस्ट में आइटम कैसे दर्शाए जाते हैं?
उत्तर:
ऑर्डर्ड लिस्ट में आइटम क्रमानुसार दर्शाए जाते हैं। यद्यपि वे लेटर्स, नम्बर्स अथवा रोमन नम्बर्स हो सकते हैं।

प्रश्न 2
किसी लिस्ट को 5वें नम्बर से प्रारम्भ करने के लिए कोड लिखिए।
उत्तर:
<OL type = “1” start = “5”>

प्रश्न 3
डेफिनेशन लिस्ट का प्रारूप लिखिए। 
उत्तर:
<DL>
<DT> Title name</DT>
<DD> Definition</DD>
</DL>

प्रश्न 4
<IMG> टैग के किन्हीं दो एट्रिब्यूट्स के नाम लिखिए।
उत्तर:
(i) align
(ii) sre

प्रश्न 5
लिंकिंग कितने प्रकार की होती हैं?
उत्तर:
लिंकिंग दो प्रकार की होती हैं।

  • इण्टर्नल लिंकिंग
  • एक्सटर्नल लिंकिंग
प्रश्न 6
HTML में, लिंकिंग कैसे होती है?
उत्तर:
HTML में, लिंकिंग <A> टैग के साथ href एट्रिब्यूट के साथ होती। है;
जैसे
<A href="URL"> click </A>

प्रश्न 7
<TD> व <TH> टैग्स में भेद कीजिए। [2012]
उत्तर:
<TD> टैग प्रत्येक पंक्ति को डाटा सेल्स में विभाजित करता है, जबकि TH> टैग टेबल की हैडर रॉ को परिभाषित करता है।

प्रश्न 8
किसी टेबल का ब्राउजर में दायाँ एलाइनमेण्ट करने के लिए कोड लिखिए।
उत्तर:
<TABLE align=”right”>

लघु उत्तरीय प्रश्न (2 अंक)

प्रश्न 1
लिंकिंग क्या होती है? एक्सटर्नल लिंकिंग को समझाइए।
अथवा
हाइपरटेक्स्ट लिंक को समझाइए। इसे किसी डॉक्यूमेण्ट में कैसे सम्मिलित किया जाता है? उदाहरण सहित समझाइए। [2017]
उत्तर:
लिंक से तात्पर्य हाइपरलिंक से है। यह दो भागों से मिलकर बना होता है। इसका पहला भाग वेब पेज पर दिखाई देता है, जिसे एंकर कहा जाता है। तथा दूसरा भाग ब्राउजर पर लिंक के रूप में प्रदर्शित होता है, जिसे URL कहा जाता है।
जब लिंक किसी अन्य वेबसाइट को लिंक करता है, तो उसे एक्सटर्नल लिकिंग कहा जाता है। इसके लिए <A> टैग के साथ href एट्रिब्यूट का प्रयोग किया जाता है।

प्रारूप <A href = “URL”></A>
उदाहरण <A href = “www.abc.com”>Click Here </A>

प्रश्न 2
<TABLE> टैग के निम्न एट्रिब्यूट्स को परिभाषित कीजिए।
(i) cellpadding
(ii) bordercolor
उत्तर:
(i) cellpadding एट्रिब्यूट का प्रयोग सेल के किनारे व टेक्स्ट के बीच स्पेस निर्दिष्ट करने के लिए किया जाता है।
प्रारूप <TABLE cellpadding=”pixel”>

(ii) bordercolor एट्रिब्यूट का प्रयोग टेबल में बॉर्डर कलर देने के लिए किया जाता है।
प्रारूप <TABLE bordercolor=”color_name/hex_num/rgb_num”>

लघु उत्तरीय प्रश्न (3 अंक)

प्रश्न 1
अनऑर्डर्ड लिस्ट का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
अनऑर्डर्ड लिस्ट आइटम के क्रम को बुलेट के रूप में प्रदर्शित करती है। इस लिस्ट को बनाने के लिए <UL> टैग का प्रयोग किया जाता है। अनऑर्डर्ड लिस्ट का एट्रिब्यूट इस प्रकार है।

type यह अनऑर्डर्ड लिस्ट में बुलेट के टाइप को निर्धारित करता है। किसी बुलेट का टाइप disc, circle अथवा square में से एक हो सकता है।
जैसे <UI, type=”disc”>

उदाहरण:
<HTML> 
<HEAD>
<TITLE>Unordered list </TITLE>
</HEAD>
<BODY> 
<UL type="square">
<LI>Name</LI> 
<LI>Class</LI>
<LI>Sub</LI>
</UL> 
</BODY> 
</HTML>

आउटपुट
UP Board Solutions for Class 12 Computer Chapter 7 HTML एडवांस्डक img-1

प्रश्न 2
ऑर्डर्ड लिस्ट को उदाहरण सहित संक्षिप्त में समझाइए। 
उत्तर:
ऑर्डर्ड लिस्ट आइटम को क्रमानुसार किसी नम्बर्स, लेटर्स अथवा रोमन आदि के रूप में दर्शाता है। इस लिस्ट को बनाने के लिए <OL> टैग का प्रयोग किया जाता है। इस लिस्ट के एट्रिब्यूट्स इस प्रकार हैं। 
(i) start यह ऑर्डर्ड लिस्ट कहाँ से प्रारम्भ हो यह दर्शाता है, जैसे किसी लिस्ट का प्रारम्भ 3 से हो इसके लिए start एट्रिब्यूट में वैल्यू दी जाती है। 
(ii) type यह ऑर्डर्ड लिस्ट की टाइप वैल्यू को दर्शाता है। यह वैल्यू A, a, I,i, 1 आदि स्टाइल में से हो सकती है। 
उदाहरण:
<HTML> 
<HEAD>
<TITLE>Ordered list </TITLE>
</HEAD> 
<BODY> 
<OL type="A" start="13">
<LI>Name</LI> 
<LI>Class</LI>
<LI>Sub</LI>
<0L>
</BODY>
</HTML>

आउटपुट
UP Board Solutions for Class 12 Computer Chapter 7 HTML एडवांस्डक img-2

प्रश्न 3
डेफिनेशन लिस्ट को समझाइए।
उत्तर:
डेफिनेशन लिस्ट आइटम की लिस्ट और उसके विवरण की लिस्ट होती है, जिसमें लिस्ट का आइटम बाईं तरफ होता है। इस आइटम के विवरण के लिए अगली पंक्ति (Next line) में दाईं ओर एक फॉर्मेट होता है। इसवे लिए <DL> टैग का प्रयोग किया जाता है।डेफिनेशन का टाइटल देने के लिए <DT> टैग तथा डेफिनेशन के डिस्क्रिप्शन के लिए <DD> टैग का प्रयो’ किया जाता है।

उदाहरण:
<HTML> 
<HEAD>
<TITLE>Definition list </TITLE>
</HEAD> 
<BODY>
<DL> 
<DT><B>Food</B></DT>
<DD>Italian</DD> 
<DT><B>Drink</B></DT>
<DD>Juice</DD> 
</BODY> 
</HTML>

आउटपुट
UP Board Solutions for Class 12 Computer Chapter 7 HTML एडवांस्डक img-3

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (5 अंक)

प्रश्न 1
निम्नलिखित को किसी वेब पेज में कैसे सम्मिलित किया जाता है? समझाइए। [2008, 06]
(i) इमेजेस 
(ii) बुलेट्स एवं नम्बर्स। 
अथवा 
एक वेब पेज में आप चित्रों, बुलेट्स तथा अंकों का समावेश कैसे करेंगे? उदाहरण सहित समझाइए। [2018]
उत्तर:
(i) बुलेट्स किसी वेब पेज में बुलेट्स लगाने के लिए अनऑर्डर्ड लिस्ट का प्रयोग किया जाता है। यह तीन प्रकार की बुलेट टाइप प्रदान
 करती है, जोकि disc, circle तथा square के रूप में हो सकती है। 
उदाहरण:
<HTML>
<HEAD>
<TITLE>Bullets</TITLE>
</HEAD> 
<BODY> <UL type="circle">
<LI>Game</LI>
<LI>Books</LI>
<LI>Cars</LI> 
</UL> 
</BODY> 
</HTML>

आउटपुट
UP Board Solutions for Class 12 Computer Chapter 7 HTML एडवांस्डक img-4

(ii) नम्बर्स किसी वेब पेज में नम्बर्स को दर्शाने के लिए ऑर्डर्ड लिस्ट का प्रयोग किया जाता है। इसके लिए ऑर्डर्ड लिस्ट दो एट्रिब्यूट्स 
start तथा type प्रदान करती है। start एट्रिब्यूट किसी लिस्ट का प्रारम्भ नम्बर दर्शाता है तथा type एट्रिब्यूट लिस्ट के टाइप को 
दर्शाता है।
उदाहरण:
<HTML>
<HEAD>
<TITLE>Numbers</TITLE> 
</HEAD> 
<BODY> <OL type="1" start="4">
<LI>Game</LI> 
<LI>Books</LI>
<LI>Cars</LI> 
</0L>
</BODY> 
</HTML>

आउटपुट
UP Board Solutions for Class 12 Computer Chapter 7 HTML एडवांस्डक img-5

प्रश्न 2
एक वेब पेज में ग्राफिक्स (चित्र) का समावेश कैसे किया जाता है? [2007]
उत्तर:
किसी वेबसाइट को आकर्षक बनाने के लिए वेब पेज पर टेक्स्ट के अतिरिक्त इमेज आदि का भी महत्त्व है। इसके लिए HTML में <IMG> टैग उपलब्ध है। यह gif, jpg, jpeg आदि फॉर्मेट की इमेज को सपोर्ट करता है। <IMG> टैग एक एम्प्टी एलिमेण्ट हैं। अत: इसका क्लोजिंग टैग नहीं होता। इस टैग के निम्नलिखित एट्रिब्यूट्स हैं।

(i) src यह इमेज की लोकेशन अर्थात् URL को दर्शाता है।
जैसे <IMG src=”abc.jpg”>

(ii) alt इसे इमेज के अल्टरनेटिव टेक्स्ट के रूप में प्रयोग किया जाता है। alt एट्रिब्यूट की वैल्यू 1024 कैरेक्टर्स की एक स्टिंग तक हो सकती है।
जैसे <IMG alt=”New image”>

(iii) align इमेज को वेब पेज पर सेट करने के लिए एलाइनमेण्ट की आवश्यकता होती है, align एट्रिब्यूट द्वारा इमेज को Top, Bottom, Left, Right, Middle में सेट किया जा सकता है।
जैसे <IMG align = “left/right/top/bottom/middle”>

(iv) hspace तथा vspace इन एट्रिब्यूट्स द्वारा इमेज के चारों ओर स्पेस दिया जाता है। hspace द्वारा क्षैतिज तथा vspace द्वारा ऊध्र्वाधर स्थान दिया जाता है।
जैसे <IMG border = “2”>

(v) border यह एट्रिब्यूट इमेज का बॉर्डर सेट करने के लिए प्रयोग होता है।
जैसे <IMG border = “2”>

(vi) height तथा width किसी इमेज की हाइट तथा विड्थ को सेट करने के लिए इस फीचर का प्रयोग होता है।
जैसे <IMG height="10" width="5"> 

उदाहरण:
<HTML>
<HEAD>
<TITLE> IMAGE PAGE</TITLE></HEAD> 
<BODY> 
<IMG src="flower.jpg" alt="flower wallpaper" align="top" vspace="12" border="10" width="130" > 
</BODY> 
</HTML>

आउटपुट
UP Board Solutions for Class 12 Computer Chapter 7 HTML एडवांस्डक img-6

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UP Board Solutions for Class 12 Computer Chapter 16 इनहेरिटेन्स

UP Board Solutions for Class 12 Computer Chapter 16 इनहेरिटेन्स are part of UP Board Solutions for Class 12 Computer. Here we have given UP Board Solutions for Class 12 Computer Chapter 16 इनहेरिटेन्स.

Board UP Board
Textbook NCERT
Class Class 12
Subject Computer
Chapter Chapter 16
Chapter Name इनहेरिटेन्स
Number of Questions 18
Category UP Board Solutions

UP Board Solutions for Class 12 Computer Chapter 16 इनहेरिटेन्स


बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
इनहेरिटेन्स का प्रयोग कर नवनिर्मित क्लास को क्या कहते हैं?
(a) पेरेण्ट क्लास
(b) बेस क्लास
(c) डिराइब्ड क्लास
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर
(c) डिराइब्ड क्लास

प्रश्न 2.
विजिबिलिटी मोड कितने प्रकार के होते हैं?
(a) दो
(b) तीन
(c) चार
(d) पाँच
उत्तर
(b) तीन प्रकार के–पब्लिक, प्रोटेक्टेड तथा प्राइवेट

प्रश्न 3.
किसी कोड की विजिबिलिटी को किसके द्वारा प्राप्त किया जा सकता है?
(a) पॉलीमॉरफिज्म द्वारा
(b) एनकैप्सूलेशन द्वारा
(c) इनहेरिटेन्स द्वारा
(d) ‘a’ और ‘c’ दोनों
उत्तर
(c) इनहेरिटेन्स द्वारा

प्रश्न 4.
दो वेस क्लास से एक डिराइड क्लास बनाई जाए, तो यह किसका प्रकार है?
(a) हाइब्रिड इनहेरिटेन्स
(b) सिंगल इनहेरिटेन्स
(c) मल्टीपल इनहेरिटेन्स
(d) हाइरारकिकल इनहेरिटेन्स
उत्तर
(c) मल्टीपल इनहेरिटेन्स

प्रश्न 5.
निम्नलिखित में से कौन-सा इनहेरिटेन्स का प्रकार नहीं है?
(a) सिंगल
(b) पैरेण्ट
(c) मल्टीपल
(d) मल्टीलेवल
उत्तर
(b) पेरेण्ट

प्रश्न 6.
एक बेस क्लास से एक से अधिक चाइल्ड क्लास बनाने की प्रक्रिया किस इनहेरिटेन्स का उदाहरण है?
(a) हाइरारकिकल
(b) मल्टीपल
(c) मल्टीलेवल
(d) हाइब्रिड
उत्तर
(a) हाइरारकिकल

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
डिराइड क्लास क्या होती है?
उत्तर
इनहेरिटेन्स में हम एक क्लास से दूसरी क्लास को इनहेरिट कर सकते हैं। इस प्रकार इनहेरिट क्लास में पहली क्लास के गुण उपस्थित होते हैं। इसके अतिरिक्त कुछ अन्य गुण भी होते हैं। इनहेरिट हुई क्लास को ही डिराइब्ड क्लास कहते हैं।

प्रश्न 2.
विजिबिलिटी मोड के नाम लिखिए।
उत्तर
विजिबिलिटी मोड के नाम इस प्रकार हैं।

  • public एक्सेस स्पेसीफायर
  • protected एक्सेस स्पेसीफायर
  • private एक्सेस स्पेसीफायर

प्रश्न 3.
पब्लिक एक्सेस स्पेसीफायर क्या है?
उत्तर
पब्लिक स्पेसीफायर में बेस क्लास के सभी पब्लिक डाटा डिराइव्ड क्लास में पब्लिक ही रहते हैं। इसी प्रकार प्राइवेट और प्रोटेक्टेड डाटा भी डिराइब्ड क्लास में सामान्यत: प्राइवेट और प्रोटेक्टेड ही रहते हैं।

प्रश्न 4.
मल्टीपल इनहेरिटेन्स क्या है?
उत्तर
मल्टीपल इनहेरिटेन्स में एक से अधिक बेस क्लास की सहायता से एक डिराइब्ड क्लासे बनाई जाती है।

लघु उत्तरीय प्रश्न ।

प्रश्न 1.
इनहेरिटेन्स पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए। (2011)
उत्तर
पहले से बनी क्लास के गुणों को सम्मिलित कर एक नई क्लास का निर्माण करना इनहेरिटेन्स (Inheritance) कहलाता है। इसमें पुरानी क्लास को बेस क्लास (Base class) या पैरेण्ट क्लास (Parent class) कहते हैं। तथा नवनिर्मित क्लास को डिराइव्ड क्लास (Derived class) या चाइल्ड क्लास (Child class) कहते हैं।
UP Board Solutions for Class 12 Computer Chapter 16 इनहेरिटेन्स img-1

प्रश्न 2.
इनहेरिटेन्स का प्रयोग करने से क्या-क्या लाभ होते हैं?
उत्तर
इनहेरिटेन्स द्वारा निम्नलिखित लाभ होते हैं।

  1. इनहेरिटेन्स का प्रयोग करने से कोड ज्यादा लम्बा नहीं होता।
  2. इससे एक ही कोड को दोबारा प्रयोग किया जा सकता हैं।
  3. इनहेरिटेन्स के द्वारा कोड को आसानी से मैनेज किया जा सकता है।
  4. यह मेमोरी में स्पेस को बचाता है।

प्रश्न 3.
इनहेरिटेन्स के किन्हीं दो प्रकारों पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए। (2012)
उत्तर
इनहेरिटेन्स मुख्य रूप से पाँच प्रकार सिंगल, मल्टीपल, मल्टीलेवल, हाइरारकिकल व हाइब्रिड के होते हैं। किन्हीं दो इनहेरिटेन्स पर संक्षिप्त टिप्पणी नीचे दी गई है।
मल्टीलेवल इनहेरिटेन्स जिस प्रकार सिंगल इनहेरिटेन्स में एक बेस क्लास से एक डिराइब्ड क्लास बनाई जाती है। कभी-कभी डिराइब्ड क्लास से भी एक अन्य क्लास बनाई जा सकती है अर्थात् डिराइब्ड क्लास पुनः एक बेस क्लास की तरह कार्य करे, तो इस प्रकार के इनहेरिटेन्स को मल्टीलेवल इनहेरिटेन्स कहते हैं।
हाइरारकिकल इनहेरिटेन्स यह सिंगल इनहेरिटेन्स का विकसित रूप है। हाइरारकिकल इनहेरिटेन्स में हम एक बेस क्लास से एक से अधिक डिराइड क्लास बना सकते हैं।

प्रश्न 4.
मल्टीपल इनहेरिटेन्स तथा मल्टीलेवल इनहेरिटेन्स में भेद कीजिए। (2015,14,08)
उत्तर
मल्टीपल इनहेरिटेन्स तथा मल्टीलेवल इनहेरिटेन्स में अन्तर इस प्रकार है
UP Board Solutions for Class 12 Computer Chapter 16 इनहेरिटेन्स img-2

प्रश्न 5.
हाइरैरकिकता इनहेरिटेन्स की व्याख्या, संक्षेप में कीजिए। उदाहरण देकर समझाइए। (2017)
उत्तर
यह सिंगल इनहेरिटेन्स का विकसित रूप है। सिंगल इनहेरिटेन्स में जहाँ हम एक बेस क्लास से एक डिराइव्ड क्लास बनाते हैं। वहीं हाइरारकिकल इनहेरिटेन्स में हम एक बेस क्लास से एक से अधिक डिराइब्ड क्लास बना सकते हैं।

उदाहरण
class A
{
protected:
int x, Y;
public:
void get()
{
cout<<"\n Enter two values \n"; cin>>x>>y;
}
};
class B:public A
private:
int m;
};
class C:public A
{
private:
int n;
};

लघु उत्तरीय प्रश्न ।।

प्रश्न 1.
बेस क्लास तथा डिराइड क्लास को समझाने हेतु एक प्रोग्राम लिखिए।
उत्तर
#include<iostream.h>
class Rectangle //Base class
{
protected:
float length, breadth;
public:
void Input()
{
cout<<"Enter length: "; cin>>length;
cout<<"Enter breadth: "; cin>>breadth;
}
};
class Area : public Rectangle//Derived class
{
public:
float calc()
{
return length*breadth;
};
void main()
{
cout<<"Enter data for find area\n";
Area a;
a. Input();
cout<<"Area = "<<a.calc()<<" square metre\n\n";
}

आउटपुट
Enter data for find area
Enter length: 5
Enter breadth: 2
Area = 10 square metre

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
उदाहरण सहित मल्टीलेवल इनहेरिटेन्स मल्टीपल इनहेरिटेन्स की व्याख्या कीजिए। (2016)
उत्तर
मल्टीलेवल इनहेरिटेन्स जिस प्रकार सिंगल इनहेरिटेन्स में एक बेस क्लास से एक डिराइव्ड क्लास बनाई जाती है। कभी-कभी डिराइब्ड क्लास से भी एक अन्य क्लास बनाई जा सकती है अर्थात् डिराइब्ड क्लास पुनः एक बेस क्लास की तरह कार्य करे, तो इस प्रकार के इनहेरिटेन्स को मल्टीलेवल इनहेरिटेन्स कहते हैं।

उदाहरण
#include<iostream.h>
class Person
{
protected:
char name;
public:
void get1()
{
cout<<"Enter your Name\n"; cin>>name;
}
};
class Emp: public Person
{
protected:
int basic;
public:
void get2()
{
cout<<"Enter your Basic\n"; cin>>basic;
}
};
class Manager: public Emp
{
protected:
int deptcode;
public:
void display()
{
cout<<"Name is "<<name;
cout<<"\nBasic "<<basic;
}
};
void main()
{
Manager obj;
obj.get1();
obj.get2();
obj.display();
getch();
}

आउटपुट
Enter your Name
H
Enter your Basic
25000
Name is H
Basic 25000

मल्टीपल इनहेरिटेन्स इस प्रकार के इनहेरिटेन्स में एक से अधिक बेस क्लासेज की सहायता से एक डिराइव्ड क्लास बनाई जाती है।

#include<iostream.h>
class Expdet
{
protected:
char name;
public:
void expr()
{
cout<<"Enter your Name"<<end1; cin>>name;
}
};
class Saldet
{
protected:
int salary;
public:
void sal()
{
cout<<"Enter your Salary"<<end1; cin>>salary;
}
};
class Promotion : public Expdet, public Saldet
{
public:
void promote()
{
if (salary> = 20000)
cout<<"PROMOTED FOR HIGHER GRADE";
else
cout<<"CANNOT BE PROMOTED";
}
};
void main()
{
Promotion obj;
obj . expr();
obj . sal();
obj . promote();
}

आउटपुट
Enter your Name
J
Enter your Salary
23000
PROMOTED FOR HIGHER GRADE

प्रश्न 2.
इनहेरिटेन्स क्या है? इसके कितने प्रकार होते हैं? संक्षेप में समझाइए। (2007)
अथवा
इनहेरिटेन्स से आप क्या समझते हैं? इसके विभिन्न रूपों का वर्णन कीजिए। (2007)
अथवा
इनहेरिटेन्से से क्या आशय है? इसके विभिन्न प्रकारों को समझाइए। (2011)
उत्तर
पहले से बनी क्लास के गुणों को सम्मिलित कर एक नई क्लास का निर्माण करना इनहेरिटेन्स कहलाता है। इसमें पुरानी क्लास को बेस क्लास (Base class) या पेरेण्ट क्लास (Parent class) कहते हैं तथा नवनिर्मित क्लास को डिराइव्ड क्लास (Derived class) या चाइल्ड क्लास (Child class) कहते हैं।
UP Board Solutions for Class 12 Computer Chapter 16 इनहेरिटेन्स img-3

इनहेरिटेन्स के प्रकार ये पाँच प्रकार के होते हैं, जो निम्न हैं। (i) सिंगल इनहेरिटेन्स इनहेरिटेन्स के इस प्रकार में एक बेस क्लास से केवल एक डिराइब्ड क्लास बनाई जाती है। डिराइव्ड क्लास, बेस क्लास के समस्त या कुछ गुणों का प्रयोग कर सकती हैं।

प्रारूप
class derived_class : acces_mode
base_class
{
// body of derived class
};

(ii) मल्टीपल इनहेरिटेन्स इस प्रकार के इनहेरिटेन्स में एक से अधिक बेस क्लास की सहायता से एक डिराइब्ड क्लास बनाई जाती है।

प्रारूप
class derived_class: access_mode
base_class1, access_mode base_class2
{
// body of the derived class
};

(iii) मल्टीलेवल इनहेरिटेन्स जिस प्रकार सिंगल इनहेरिटेन्स में एक बेस क्लास से एक डिराइब्ड क्लास बनाई जाती है। कभी-कभी डिराइब्ड क्लास में भी एक अन्य क्लास बनाई जा सकती हैं अर्थात् ड्रािइड क्लास पुनः एक बेस क्लास की तरह कार्य करें, तो इस प्रकार के इनहेरिटेन्स को मल्टीलेवल इनहेरिटेन्स कहते हैं।

प्रारूप
class derived1:access_mode base_class
{
//body of the derived1 class
};
class derived2:access_mode derived1
{
//body of the derived2 class
};
M
M
class derivedN:access_mode derivedN-1
{
//body of the derived class
};

(iv) हाइरारकिकल इनहेरिटेन्स यह सिंगल इनहेरिटेन्स का विकसित रूप है। सिंगल इनहेरिटेन्स में जहाँ हम एक बेस क्लास से एक डिराइब्ड क्लास बनाते हैं, वहीं हाइरारकिकल इनहेरिटेन्स में हम एक बेस क्लास से एक से अधिक डिराइब्ड क्लास बना सकते हैं।

प्रारूप
class derivedi: access_mode base_class
{
//body of the derived1 class
};
class derived2:access_mode base_class
{
//body of the derived2 class
};
:
:
class derivedN:access_mode base_class
{
//body of the derived class
};

(v) हाइब्रिड इनहेरिटेन्स हाइब्रिड का अर्थ होता है-मिला-जुला। उपयुक्त इनहेरिटेन्स के प्रकारों में से किन्हीं दो अथवा दो से अधिक प्रकारों को मिलाकर हाइब्रिड इनहेरिटेन्स का निर्माण किया गया है।

प्रारूप
class derivedl:access_mode base_class
{
//body of the derivedi class
};
M
class derivedN:access_mode base_class
{
//body of the derived class
};
class derivedN+1:access_mode
derived1,...., access mode derivedN
{
//body of the derivedN+1 class
};

प्रश्न 3.
विजिबिलिटी मोड (लेबल्स) का वर्णन कीजिए तथा इनहेरिटेन्स में उनके उपयोग बताइट। (2010)
अथवा
private, protected तथा public सदस्यों में भेद कीजिए। (2008)
उत्तर
विजिबिलिटी मोड इनहेरिटेन्स के प्रकार को समझने से पहले विजिबिलिटी मोड को समझना होगा। विजिबिलिटी मोड यह बताता है कि बेस क्लास के कौन-कौन से मैम्बर्स डिराइव्ड में एक्सेस (Access) होंगे।
UP Board Solutions for Class 12 Computer Chapter 16 इनहेरिटेन्स img-4
public एक्सेस स्पेसीफायर इस एक्सेस स्पेसीफायर के प्रयोग करने से बेस क्लास के सभी मैम्बर्स डिराइव्ड क्लास में उसी प्रकार प्रयोग में लाए जाते हैं, जिस प्रकार वे बेस क्लास में डिक्लेयर हैं।
प्राइवेट मैम्बर को डिराइब्ड क्लास में सीधे एक्सेस नहीं किया जा सकता।

protected एक्सेस स्पेसीफायर प्रोटेक्टेड एक्सेस स्पेसीफायर में, बेस क्लास के सभी प्राइवेट मैम्बर्स डिराइब्ड क्लास में प्राइवेट ही रहते हैं और प्रोटेक्टेड मैम्बर्स भी प्रोटेक्टेड ही रहते हैं, लेकिन बेस क्लास के सभी पब्लिक मैम्बर डिराईव्ड क्लास में प्रोटेक्टेड होते हैं।

private एक्सेस स्पेसीफायर प्राइवेट एक्सेस स्पेसीफायर में, बेस क्लास के सभी प्राइवेट मैम्बर्स डिराइब्ड क्लास में प्राइवेट ही रहते हैं और बेस क्लास के सभी प्रोटेक्टेड और पब्लिक मैम्बर डिराइब्ड क्लास में प्राइवेट बन जाते हैं।

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UP Board Solutions for Class 12 Computer Chapter 6 HTML बेसिक

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Board UP Board
Textbook NCERT
Class Class 12
Subject Computer
Chapter Chapter 6
Chapter Name HTML बेसिक
Number of Questions Solved 26
Category UP Board Solutions

UP Board Solutions for Class 12 Computer Chapter 6 HTML बेसिक

बहुविकल्पीय प्रश्न (1 अंक)

प्रश्न 1
वेब पेज निर्माण के लिए किस प्रोग्रामिंग भाषा का उपयोग किया जाता है? [2017]
(a) HTML
(b) HLL
(c) C++
(d) WORDSTAR
उत्तर:
(a) HTML

प्रश्न 2
HTML को किसने विकसित किया था?
(a) डेनिस रिची
(b) कार्ल सन
(c) विंट कर्फ
(d) टिम बर्नर्स ली
उत्तर:
(d) टिम बर्नर्स ली

प्रश्न 3
किसी वेबसाइट का पहला पेज़ क्या कहलाता है?
(a) टॉपिक पेज
(b) होम पेज
(c) अन्य पेज
(d) अन्तिम पेज
उत्तर:
(b) होम पेज

प्रश्न 4
किसी वेबसाइट में कितने होम पेज होते हैं? [2015]
(a) 1
(b) 2
(C) 3
(d) 4
उत्तर:
(a) 1

प्रश्न 5
किसी वेब पेज के बैकग्राउण्ड को कलर देने के लिए किस टैग का प्रयोग होता है?
(a) <BODY>
(b) <HTML>
(c) <HEAD>
(d) <CENTER>
उत्तर:
(d) <BODY>

प्रश्न 6
निम्न में से कौन-सा टैग कमेण्ट को दर्शाता है?
(a) <Comment>
(b) /Comment/
(C) <!–…–>
(d) <! Comment>
उत्तर:
(c) <!–…–>

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न (1 अंक)

प्रश्न 1
HTML डॉक्यूमेण्ट को सेव करने के लिए किस एक्सटेन्शन का प्रयोग होता है?
उत्तर:
HTML डॉक्यूमेण्ट को सेव करने के लिए .htm या .html एक्सटेन्शन का प्रयोग किया जाता है।

प्रश्न 2
टैग का कार्य बताइए। [2017]
उत्तर:
टैग का प्रयोग HTML वेब पेज बनाने में किया जाता है।

प्रश्न 3
<TITLE> टैग को समझाइए। 
उत्तर:
किसी डॉक्यूमेण्ट को टाइटल देने के लिए <TITLE> टैग का प्रयोग किया जाता है। इसे <HEAD> तथा </HEAD> टैग्स के अन्तर्गत लिखा जाता है।उदाहरण:
<HEAD> <TITLE> WELCOME PAGE </TITLE> <HEAD>

प्रश्न 4
<BR> टैग का प्रयोग किसलिए किया जाता है?
उत्तर:
किसी पैराग्राफ या लाइन को ब्रेक करने के लिए <BR> टैग का प्रयोग किया जाता है। यह टेक्स्ट को अगली लाइन पर दर्शाता है।

प्रश्न 5
<BASEFONT> टैग में size एट्रिब्यूट का क्या उपयोग होता है? [2012]
उत्तर:
डॉक्यूमेण्ट में किसी टेक्स्ट का साइज बदलने के लिए <BASEFONT> टैग में size को एक नम्बर देकर दर्शाया जाता है। 
उदाहरण <BASEFONT size=2>

लघु उत्तरीय प्रश्न I (2 अंक)

प्रश्न 1
HTML क्या है? किसी वेब पेज के निर्माण में यह कैसे सहायक है? [2008]
अथवा
HTML पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए। [2016, 14, 09]
अथवा
एच टी एम एल को समझाइए। [2017]
उत्तर:
HTML का पूर्ण रूप हाइपरटेक्स्ट मार्कअप लैंग्वेज है। इसे टिम बर्नर्स ली ने सन् 1990 के दशक के प्रारम्भ में स्विट्जरलैण्ड में वेब पेज को बनाने के लिए विकसित किया था।
यह एक इण्डीपेण्डेण्ट लैंग्वेज हैं। इसमें टैग के प्रयोग द्वारा कोडिंग की जाती है। HTML डॉक्यूमेण्ट को सेव करने के लिए .htm या .html एक्सटेंशन का प्रयोग किया जाता है।

प्रश्न 2
वेब पेज का अर्थ समझाइए। [2007]
अथवा
वेब पेज का वर्णन कीजिए। [2010]
उत्तर:
ऐसा पेज जिस पर वेब सिस्टम की समस्त जानकारी उपलब्ध हो, उसे वेब पेज कहते हैं। एक वेब पेज पर किसी सर्वर का डाटा स्पष्ट रूप से प्रस्तुत किया जाता है। एक वेब पेज पर टेक्स्ट, चित्र, वीडियो, ग्राफिक्स अथवा हाइपरलिंक होते हैं।
वेब पेजों को निम्न श्रेणियों में विभक्त किया जाता है

  • होम पेज
  • मेन टॉपिक पेज
  • अन्य पेज

प्रश्न 3
वेबसाइट पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए। [2008]
अथवा
वेबसाइट को समझाइए। [2018]
उत्तर:
एक वेबसाइट विभिन्न वेब पेजों के संयोजन से बनती है। किसी भी वेबसाइट का पहला पेज होम पेज कहलाता है, जो अन्य पेजों को भी लिंक करता है। वेबसाइट मुख्यतः निम्न प्रकार की होती है।

  1. पर्सनल वेबसाइट
  2. कमर्शियल वेबसाइट
  3. ऑर्गेनाइजेशन वेबसाइट

कुछ प्रमुख वेबसाइट के नाम इस प्रकार हैं।

  • www.amazon.com
  • www.microsoft.com

प्रश्न 4
वेब पेज निर्माण के विभिन्न तरीके लिखिए। [2011]
अथवा
वेब पेज बनाने के पदों को समझाइए। [2012]
उत्तर:
ऐसा डॉक्यूमेण्ट जिस पर वेब सिस्टम की सम्पूर्ण जानकारी उपलब्ध हो, उसे वेब पेज कहते हैं। वेब पेज को दो तरीकों से बनाया जा सकता है।

  • स्टैटिक पेज (Static page) किसी पेज के कण्टेण्ट को स्टैटिक रूप से दर्शाने के लिए स्टैटिक पेज का प्रयोग किया जाता है।
  • डायनैमिक पेज (Dynamic page) किसी पेज की वैल्यू या कण्टेण्ट को परिवर्तित करने के लिए डायनेमिक पेज का प्रयोग किया जाता है।

प्रश्न 5
होम पेज का अर्थ बताइए। [2008]
अथवा
होम पेज को समझाइए। [2018]
उत्तर:
किसी वेबसाइट का पहला पेज होम पेज कहलाता है। यह विभिन्न लिंक को सम्मिलित करता है तथा अन्य पेजों तक जाने की अनुमति देता है। होम पेज यह दर्शाता है कि वेबसाइट किस प्रकार की है, किसी वेबसाइट की जानकारी उसके होम पेज से ही मिलती है। इसमें टेक्स्ट, इमेज, वीडियो, लिंक आदि सम्मिलित होते हैं।

प्रश्न 6
URL का वर्णन कीजिए। [2018]
उत्तर:
URL का यूनिफॉर्म रिसोर्स लोकेटर है। इण्टरनेट पर वेब एड्रेस किसी विशिष्ट वेब पेज की लोकेशन को पहचानता है। वेब एड्रेस को URL कहते हैं। URL इण्टरनेट से जुड़े होस्ट कम्प्यूटर पर फाइलों के इण्टरनेट एड्रेस को दर्शाते हैं;
जैसे – http://www.google.com/services/index.htm
जहाँ,
http                    –           प्रोटोकॉल आइडेण्टिफायर
WWW                –            वर्ल्ड वाइड वेब
google.com       –            डोमेन नेम
/services/          –            डायरेक्टरी
index.htm         –             वेब पेज

प्रश्न 7.
सर्च इंजन का उदाहरण सहित वर्णन कीजिए। [2018]
उत्तर:
सर्च इंजन इण्टरनेट पर किसी भी विषय के बारे में सम्बन्धित । जानकारियों को देने के लिए प्रयोग होता है। यह एक प्रकार की ऐसी वेबसाइट होती है, जिसके सर्च बार में किसी भी टॉपिक को लिखते हैं, इसके बाद उससे सम्बन्धित सभी जानकारियाँ प्रदर्शित हो जाती हैं।

उदाहरण

  • Google – http://www.google.com
  • Yahoo – http://www.yahoo.com
  • Hotbot – http://www. hotbot.com
  • AltaVista – http://www. altavista.com

प्रश्न 8
वेब ब्राउजर का वर्णन कीजिए। [2017]
उत्तर:
वेब ब्राउजर एक सॉफ्टवेयर एप्लीकेशन है, जिसका प्रयोग वल्र्ड वाइड वेब के कण्टेण्ट को ढूंढने, निकालने व प्रदर्शित करने में होता है। ये प्रायः दो प्रकार के होते हैं।

  • टेक्स्ट वेब ब्राउजर इसमें टेक्स्ट आधारित सूचना को प्रदर्शित किया जाता है; जैसे – Lynx
  • ग्राफिकल वेब ब्राउजर यह टेक्स्ट तथा ग्राफिक सूचना दोनों का सपोर्ट करता है; जैसे – Mozilla firefox, Google chrome आदि।

लघु उत्तरीय प्रश्न II (3 अंक)

प्रश्न 1
HTML के वेब पेज या वेबसाइट की संरचना उदाहरण सहित बताइए।
उत्तर:
<HTML>
<HEAD> 
<TITLE> <!...This section is used for the title...> </TITLE>
</HEAD> 
<BODY> <!...This section is used for all that you want to show on the page...) </BODY> 
</HTML>
उदाहरण
<HTML>
<HEAD>
<TITLE> Webpage </TITLE> 
</HEAD> 
<BODY> This is my home page. </BODY> </HTML>

प्रश्न 2
HTML में वेब पेज बनाने हेतु प्रयोग किए जाने वाले विभिन्न टैग्स का वर्णन कीजिए। [2009]
अथवा
HTML टैग की संक्षेप में व्याख्या कीजिए। [2016]
उत्तर:
HTML मे वेब पेज बनाने के लिए विभिन्न टैग्स का प्रयोग किया जाता है, इनमें से कुछ इस प्रकार हैं।

  1. <P> टैग पैराग्राफ बनाने के लिए प्रयोग किया जाता है।
  2. <FONT> टैग फॉण्ट में स्टाइल, साइज देने के लिए प्रयोग किया जाता है।
  3. <CENTER> टैग का प्रयोग किसी टेक्स्ट को सेण्टर में दर्शाने के लिए। किया जाता है।
  4. <B><U> तथा <I> टैग्स फॉण्ट को बोल्ड, अण्डरलाइन तथा इटैलिक करने के लिए प्रयोग किए जाते हैं।
  5. <H1>…….<H6> टैग्स हैडिंग बनाने के लिए प्रयोग किए जाते हैं।
  6. <HR> टैग का प्रयोग डॉक्यूमेण्ट में हॉरिजॉण्टल लाइन क्रिएट करने के लिए किया जाता है।
  7. <BR> टैग का प्रयोग पैराग्राफ या लाइन को ब्रेक करने के लिए किया जाता है।
प्रश्न 3
निम्न वेब पेज का कोड लिखिए।
UP Board Solutions for Class 12 Computer Chapter 6 HTML बेसिक img-1
उत्तर:
<HTML>
<HEAD>
<TITLE>Web Page</TITLE>
</HEAD> 
<BODY> <FONT size="4" face="Calibri"> <H2 align="center">!! WELCOME!!</H2> </FONT><BR> 
<HR>
<CENTER> 
A web page or webpage is a document commonly written <BR> in HyperText Markup Language (HTML) <BR> that is accessible through the <BR> Internet or other network using an Internet browser. 
</CENTER> 
</BODY> 
</HTML>

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (5 अंक)

प्रश्न 1
HTML क्या है? विभिन्न HTML टैग्स के बारे में संक्षेप में बताइए। (2007)
उत्तर:
HTML का पूर्ण रूप हाइपरटेक्स्ट मार्कअप लैंग्वेज है। HTML को टिम बर्नर्स ली द्वारा सन् 1990 के दशक के प्रारम्भ में स्विट्जरलैण्ड में वेब पेज को बनाने के लिए विकसित किया गया था। यह एक प्लेटफॉर्म इण्डीपेण्डेण्ट लैंग्वेज है, जिसका प्रयोग किसी भी प्लेटफॉर्म में किया जा सकता है; जैसे-Windows, Linux, Macintosh इत्यादि।

HTML डॉक्यूमेण्ट को सेव करने के लिए .htm या .html एक्सटेंशन का प्रयोग किया जाता है।
HTML विभिन्न प्रकार के टैग्स को दर्शाता है।

  1. <HTML> यह किसी भी HTML प्रोग्राम का पहला टैग होता है। कोडिंग के प्रारम्भ में <HTML> तथा अन्त में </HTML> का प्रयोग किया जाता है।
  2. <HEAD> यह किसी वेब पेज के हैडर को दर्शाता है, जिसके लिए | इसका प्रारूप <HEAD>…. </HEAD> है।
  3. TITLE> यह वेब पेज के टाइटिल को सेट करता है और <HEAD> तथा </HEAD> के बीच लिखा जाता है।
  4. <BODY> किसी वेब पेज के टेक्स्ट अथवा ग्राफिक्स को <BODY> तथा </BODY> भाग के अन्तर्गत दर्शाता है।
    इस टैग के अन्तर्गत निम्न टैग्स सम्मिलित होते हैं।

    • <P>…./P> पैराग्राफ बनाने के लिए।
    • <B>…./b> टेक्स्ट बोल्ड करने के लिए।
    • <U>….</U> टेक्स्ट को अण्डरलाइन करने के लिए।
    • <i>…..</> टेक्स्ट को इटैलिक करने के लिए।
    • <BR> अगली लाइन में टेक्स्ट प्रिण्ट करने के लिए।
    • <Hn>… </Hn> हैडिंग बनाने के लिए, जहाँ n = 1 to 6

प्रश्न 2
एक वेब पेज का निर्माण आप कितने प्रकार से कर सकते है? किसी एक विधि को विस्तार से समझाइए। [2018]
उत्तर:
किसी भी डॉक्यूमेण्ट जिसमें वेब इन्फॉर्मेशन स्टोर होती है, उसे वेब पेज कहते हैं। वेब पेज को दो प्रकार से बनाया जा सकता है।

  • स्टैटिक पेज
  • डायनमिक पेज

स्टैटिक पेज
स्टैटिक वेब पेज प्रत्येक बार एक्सेस करने पर एक ही वैल्यू/कण्टेण्ट को दर्शाता है। स्टैटिक वेब पेज को फ्लैट पेज या स्टेश्नरी पेज भी कहा जाता है, जो यूज़र को उसी रूप में प्राप्त होता है, जिस प्रकार से यूजर ने स्टोर किया था। यह वेब पेज सभी यूजर्स को एकसमान सूचनाएँ उपलब्ध कराता है। इसके लाभ निम्नलिखित है।

  1. एक स्टेटिक वेब पेज के निर्माण में किसी भी प्रकार की प्रोग्रामिंग कौशल (Programming Skill) की आवश्यकता नहीं होती।
  2. इसके लिए किसी विशिष्ट होस्ट की आवश्यकता नहीं होती।
  3. इसे किसी वेब सर्वर या एप्लीकेशन सर्वर के बिना, केवल एक वेब ब्राउजर के द्वारा सीधे देखा जा सकता है।
उदाहरण
<HTML> 
<HEAD>
<TITLE>Static Page</TITLE>
</HEAD> 
<BODY> 
<H2><CENTER>Web Page</CENTER></H2> This is my Static Web Page... 
</BODY> 
</HTML>

आउटपुट
UP Board Solutions for Class 12 Computer Chapter 6 HTML बेसिक img-2

प्रश्न 3
वेब पेज एवं वेबसाइट से क्या तात्पर्य है? वेबसाइट की संरचना को समझाइए। [2006]
अथवा
वेबसाइट पर एक निबन्ध लिखिए। [2011]
उत्तर:
वेब पेज
वह पेज अथवा डॉक्यूमेण्ट जिस पर ‘वेब’ सिस्टम की सम्पूर्ण जानकारी उपलब्ध हो, उसे वेब पेज कहते हैं। एक वेब पेज पर किसी सर्वर का डाटा स्पष्ट रूप से प्रस्तुत किया जाता है। डाटा सामान्य टेक्स्ट, ग्राफिक्स, ऑडियो आदि के रूप में हो सकता है। एक वेब पेज, डाटा आदि के साथ लिंक भी सम्मिलित करता है। इन लिंक को हाइपरलिंक कहा जाता है। यही हाइपरलिंक यूजर को एक पेज से दूसरे पेज तथा किसी निर्धारित डॉक्यूमेण्ट पर जाने की सुविधा प्रदान करते हैं।

वेब पेज दो प्रकार के होते हैं-स्टैटिक तथा डायनैमिका स्टैटिक वेब पेज प्रत्येक बार एक्सेस करने पर एक ही वैल्यू/मैटर को दर्शाता है, जबकि डायनैमिक वेब पेज की वैल्यू/मैटर प्रत्येक बार बदल सकते हैं।
वेब पेजों को तीन श्रेणियों में बाँटा जा सकता है।

  • होम पेज
  • मेन टॉपिक पेज
  • अन्य पेज

वेबसाइट
एक वेबसाइट वेब पेजों का संग्रह होती है, जिसमें सभी वेब पेज हाइपरलिंक द्वारा एक-दूसरे से जुड़े होते हैं। वेबसाइट को उनके एड्रेस द्वारा एक्सेस किया जाता है। एक वेबसाइट पर दी गई जानकारी सामान्यतः आपस में सम्बन्धित होती है। वेबसाइट मुख्यत: निम्न प्रकार की होती है।

  1. पर्सनल वेबसाइट्स
  2. कमर्शियल वेबसाइट्स
  3. ऑर्गेनाइजेशन वेबसाइट्स।

वेब साइट की संरचना इसके लिए लघु उत्तरीय प्रश्न II का प्रश्न संख्या 1 का उत्तर देखें।

प्रश्न 4
वेब पेज में विषय-वस्तु को फॉर्मेट व हाईलाइट करने की प्रक्रिया का उदाहरण सहित वर्णन कीजिए। [2007]
अथवा
वेब पेज में टेक्स्ट फॉर्मेटिंग तथा हाईलाइटिंग का वर्णन कीजिए। [2015, 18, 10]
अथवा
किसी वेब पेज में टेक्स्ट को कैसे हाईलाइट करते हैं?
अथवा
वेब पेज में टेक्स्ट फॉर्मेटिंग पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए। [2012, 09]
अथवा
वेब पेज में टेक्स्ट को कैसे फॉर्मेट करते हैं? [2012]
उत्तर:
वेब पेज में विषय-वस्तु अर्थात् टेक्स्ट, इमेज आदि को फॉर्मेट व हाईलाइट करने के विभिन्न तरीके हैं। इनका विवरण इस प्रकार हैं।

  1. हैडिंग किसी वेब पेज पर महत्त्वपूर्ण शब्द को हाईलाइट करने के लिए हैडिंग का प्रयोग किया जाता है। HTML में, <H1> से लेकर <H6> तक हैडिंग दी गई है। यह किसी पेज की हैडिंग को व्यवस्थित करने का कार्य करती है।
  2. पैराग्राफ किसी पैराग्राफ द्वारा डॉक्यूमेण्ट को स्पष्ट रूप से दर्शाया जाता है। इसके लिए HTML, <P> टैग तथा <DIV> टैग का प्रयोग करता है तथा अगली लाइन से टेक्स्ट लिखने के लिए <BR> टैग का
    प्रयोग किया जाता है।
  3. फॉण्ट साइज HTML, फॉण्ट के चयन की सुविधा के साथ-साथ उसके साइज की अनुमति भी देता है। इसके लिए <FONT> टैग दिया जाता है। एक अन्य <BASEFONT> टैग फॉण्ट के बेसिक साइज को निर्धारित करता है। इसके लिए यह साइज से पहले + तथा – चिह्न का प्रयोग करता है।
  4. बैकग्राउण्ड कलर वेब पेज के बैकग्राउण्ड को कलर करके भी हाईलाइट किया जाता है। इसके लिए इस प्रारूप का प्रयोग करते हैं
    <BODY bgcolor =”color_name”>…….</BODY>
  5. टेक्स्ट को हाईलाइट करना यदि किसी पेज में किसी महत्त्वपूर्ण भाग व पंक्ति को सामान्य से अलग हाईलाइट करना हो, तो उसे तीन प्रकार से हाईलाइट किया जाता है।
    • बॉल्ड द्वारा किसी टेक्स्ट को गाढ़ा अर्थात् bold करके टेक्स्ट को हाईलाइट किया जा सकता है। इसके लिए <B> टैग का प्रयोग किया जाता है।
    • अण्डरलाइन द्वारा किसी टेक्स्ट को <U> टैग द्वारा अण्डरलाइन किया जा सकता है।
    • इटैलिक द्वारा किसी टैक्स्ट को<I> टैग द्वारा इटैलिक किया जा सकता है।
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UP Board Solutions for Class 12 Home Science Chapter 12 व्यक्ति के व्यक्तित्व पर बाल्यावस्था का प्रभाव

UP Board Solutions for Class 12  Home Science Chapter 12  पोषण एवं सन्तुलित आहार are part of UP Board Solutions for Class 12  Home Science. Here we have given UP Board Solutions for Class 12  Home Science Chapter 12  पोषण एवं सन्तुलित आहार.

Board UP Board
Class Class 12
Subject Home Science
Chapter Chapter 12
Chapter Name व्यक्ति के व्यक्तित्व पर बाल्यावस्था का प्रभाव
Number of Questions Solved 14
Category UP Board Solutions

UP Board Solutions for Class 12 Home Science Chapter 12 व्यक्ति के व्यक्तित्व पर बाल्यावस्था का प्रभाव

बहुविकल्पीय प्रश्न (1 अंक)

प्रश्न 1.
व्यक्तित्व की अवधारणा में निहित है।
या
व्यक्ति के व्यक्तित्व की पहचान कैसे करेंगे?
(a) यति याविक गुण
(b) व्यक्ति के बाम गुण
(c) की के आन्तरिक र बाह्न गुण
(d) उपरीका में से कोई नहीं
उतर:
(c) गत अक और बाहा गुम।

प्रश्न 2.
वंशानुक्म किस रूप में व्यक्तित्व को प्रभावित करता है?
(a) लिंग निर्धारण
(b) शारीरिक विशेषताएँ
(c) शैक्षिक प्रतिभा
(d) ये सभी
उतर:
(d) ये सभी

प्रश्न 3.
बाल्यावस्था मानी जाती हैं
(a) 1 से 6 वर्ष
(b) 6 से 12 वर्ष
(c) 13 से 18 वर्ष
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(b) 6 से 12 वर्ष

प्रश्न 4.
व्यक्ति के व्यक्तित्व को प्रभावित करने वाले कारक है।
(a) परिवार का प्रभाव
(b) स्कूल का प्रभाव
(c) माता-पिता का प्रभाव
(d) ये सभी
उत्तर
(d) ये सभी

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न (1 अंक)

प्रश्न 1.
व्यक्तित्व का अर्थ बताते हुए परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
व्यसा की आतरिक एवं बाह्य विशेषताओं का समन्वित एवं संगठित रूप ही व्यक्तित्व है। आँपोर्ट के अनुसार, “कात के अन्दा न मनोदैहिक गुणों का
त्यात्मक संगठन है, जो परिवेश के प्रति होने वाली अपुर्व अभियोजना का निर्णय

प्रश्न 2.
श्रेष्ठ व्यक्तित्व की चार मुख्य विशेषताओं को बताएँ। (2013)
अथव 
सन्तुलित व्यक्तित्व की विशेषताएँ लिखिए। 
(2007)
उत्तर:
सन्तुलित एवं श्रेष्ठ व्यक्तित्व की मुख्य विशेषताएँ निम्न हैं।

  • उत्तम मानसिक स्वास्थ्य
  • उत्म शारीरिक स्वास्थ्य
  • संवेगात्मक सन्तुलन
  • सामाजिकता
  • उतम चरित्र
  • महत्ता के साथ-साथ सन्तोष हो

प्रश्न 3.
बालक के व्यक्तित्व को प्रभावित करने वाले दो मुख्य कारक कौन-कौन से हैं? 
(2012)
उत्तर:
बालक के व्यक्तित्व को प्रभावित करने वाले दो मुख्य कारक निम्न हैं।

  • वंशानुक्रम
  • पयावरण

प्रश्न 4.
व्यक्तित्व के विकास की विभिन्न अवस्था लिखिए। (2014)
उत्तर:
व्यक्तित्व के विकास को मात्र चार अवस्थाएँ हैं ।

  • शैशवावस्था
  • बाल्यावस्था
  • किशोरावस्था
  • प्रौढ़ावस्था

प्रश्न 5.
परिवार में बालक के व्यक्तित्व पर सर्वाधिक प्रभाव किसका पड़ता है। (2004)
उत्तर:
परिवार में बालक के व्यक्तित्व पर सर्वाधिक प्रभाव माता-पिता का पड़ता है। इसके अतिरिका यासक के अक्तित्व के विकास पर तावरण का भी प्रभव पड़ता है।

लघु उत्तरीय प्रश्न (2 अंक)

प्रश्न 1. अच्छे व्यक्तित्व की क्या-क्या विशेषताएँ हैं? (2013)
उतर:
श्रेष्ठ व्यक्तित्व की प्रमुख विशेषताएँ प्रेत तितत्व की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं।

  1. सुदुङ मानसिक स्वास्थ्य समस्छ मन, एक अच्छे व्यक्तित्व की अभिन्न विशेषता है। स्वस्थ मन से आशय व्यक्ति की बुद्धि सामान्य होने, सदैव प्रसन्नचित रहने एवं समुचित मानसिक शक्तियों से सम्पन्न रहने से है।
  2. उत्तम शारीरिक स्वास्थ्य एक अच्छे व्यक्तित्व के लिए अवश्यक है कि शारीरिक गठन आयु एवं लिंग आदि के समानुपाती हो तथा शरीर स्वस्थ एवं रोगमुक्त हो।
  3. सामाजिकता व्यक्ति समाज के साथ जितना अच्छा समायोजन करने की | रियत में होता है, उन्ह ही उसका अक्व श्रेष्ठ माना जाता है।
  4. संवेगात्मक सन्तुलन संवेगात्मक रूप से सन्तुलित होने का अभिप्राय है। कि व्यक्ति न तो अति संवेगी हो और न ही सग शून्य हो। श्रेष्ठ किवि के लिए संवेगों का विकास सन्तुलित रूप से होना आवश्यक हैं।
  5. अच्छे लक्ष्य श्रेष्ठ व्यमित्व के लिए साक्ष्य सदैव अच्छ, स्वस्थ एवं व्यावहारिक होने चाहिए।
  6. चरित्रवान व्यक्तित्व चारित्रिक गुणों; जैसे-झूठ न बोलना, धोखा । देना, कोरी न करना, बेईमानी न करना आदि से सम्पन्न व्यक्ति का व्यक्तित्व उत्तम माना जाता है।
  7. सन्तोषी एवं महत्वाकांक्षी श्रेष्ठ व्यक्तित्व के लिए सन्तोष एवं महत्वाकांक्षा के बीच सन्तुलन स्थपित होना आवश्यक है। व्यक्ति को निरन्तर प्रगति को और प्रयत्नशील रहना चाहिए, किन्तु अपने प्रयत्नों में असफल होने पर भी उसे दुःख, चिन्ता या भग्नाशी का शिकार नहीं होना चाहिए।

प्रश्न 2. आनुवंशिकता से आप क्या समझते हैं? (2008, 10)
उतर:
आनुवंशिकता से आशय आनुवंशिक बालकों के किच के निर्माण एवं विकास को प्रभावित करती है। आनुवंशिकता का अग्रेजी शब्द हेरेरैडिटी (Heredity) होता है। तैटिन भाषण से निर्मित इस शब्द का आशय उस पूँजी से है, जो बच्चों को माता-पिता से उत्तराधिकार के रूप में प्राप्त होती है अर्थात् आनुवंशिकता का अर्थ व्यक्तियों में पढ़ी-दर-पीढ़ी संधारित होने वाले शारीरिक, बौद्धिक तथा अन्य व्यक्तित्व सम्बन्धी गुणों से है। इस मान्यता के अनुसार बरु मा सन्तान के विभिन्न गुण एवं लक्षण अपने माता-पिता के समान होते हैं।

उदाहरणस्वरूप गोरे माता-पिता की सतान अधिकांशतः गोरी ही होती है। इस प्रकार हम कह सो हैं कि प्रजनन की प्रक्रिया के माध्यम से संचारित होने ने जैविकोय एवं अन्य गुणों से आनुशक माना जाता है। आनुवंशिकता के यह जीन्स होते है। आनुबंशिक के ही परिणामस्वरूप विभिन्न पीढ़ियों में समानता होती हैं।

प्रश्न 3.
टिप्पणी लिखिए बयों के विकास में खेल का महत्व। 
(2006, 13)
उत्तर:
खेल का बच्चों के सर्वांगीण विकास में बहुत योगदान है, क्योंकि खेलने से बच्चों के शरीर के सभी अगों का सही प्रकार से विकास होता है। इसके अतिरिक्त खेलते समय बच्चे में स्वस्थ प्रतिस्पर्ला कसा, टीम भावना, सहयोग, त्याग, हार के समय भी मुस्कुराना, अनुशासन आदि गुणों का विकास होता है। परिणामत: बच्चे का उत्तम प्रकार का समाजौकाण होता है। जहाँ तक संवेगात्मक गुणों के विकास का प्रश्न हैं, खेलने से अच्चे का तनाव दूर होता है। एवं उसमें संवेगात्मक स्थिरता आती हैं। इस प्रकार कह सकते हैं कि बच्चों के विकास में खेल का अत्यन्त महत्व है।

विस्तृत उत्तरीय प्रश्न (5 अंक)

प्रश्न 1.
व्यक्तित्व को परिवार तथा वातावरण वैसे प्रभावित करता है? विवेचना कीजिए। 
(2015)
अथवा
मनुष्य के व्यक्तित्व पर वातावरण किस प्रकार प्रभाव डालता है? (2008)
अथवा
ऊध बालक के व्यक्तित्व के विकास में आनुवंशिकता तथा पर्यावरण का क्या महत्त्व है? 
(2018)
अथवा
बालक के यक्तित्व को प्रभावित करने वाले तत्व वौन-कौन 
(2003, 06)
अथवा 
व्यक्तित्व निर्माण में किन कारकों का योगदान होता है? 
(2006, 08, 09, 14)
उत्तर:
बालक के व्यक्तित्व निर्माण में आनुवंशिकता एवं पर्यावरण को प्रमुख योगदान होता है। आनुवंशिकता के अन्तर्गत वे समस्त कारक निहित होते हैं, जो बालक को अपने माता-पिता तथा पूर्वजों से प्राप्त होते हैं। बालक के शारीरिक गुण तथा अन्य विभिन्न जन्मजात गुण आनुशिकता से ही निघांरित होते हैं।

इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए हम कह सकते हैं कि बालक के व्यक्तित्व के विकास में आनुवंशिकता का विशेष महत्व होता है। पर्यावरण में आशय उन् समस्त बाहरी कारकों से है, जो जम के उपरान्त बालक के जीवन को प्रभावित करते हैं। ये कारण भी अनेक है तथा इनका बालक के ग्यक्तित्व के त्रिकास में अत्यधिक योगदान होता है। उत्तम पर्यावरण बालक के विकास में सहायक तथा प्रतिकूल पर्यावरण आधिक होता है।

व्यक्तित्व को प्रभावित करने वाले कारक

ऐसे अनेक कारक है, जो जातक के व्यक्तित्व निर्माण में प्रभाव डालते हैं। बालक के व्यक्तित्व पर प्रभाव टालने वाले तत्व निम्नलिखित हैं।
1. शारीरिक बनावट का प्रभाव व्यक्ति के व्यक्तित्व पर उसके। आ
कार का प्रभाव जाने कारक पड़ता है। यह देखा जाता है कि गोल मटोल आदमो हास्यप्रिय, आरामपसन्द एवं सामाजिक होते हैं, जबकि दुबले-पतले। माता-पिता का प्रमा आदमी संयमी होते हैं। व्यक्ति। अपर आ सकतात ज भाव के शारीरिक स्वास्थ्य को ध्यान। आर्थिक स्तेि का प्रमा में रखते हुए। अन्य व्यक्ति। भी उसके प्रति अपने व्यवहार प्रतिमान का निर्धारण करते हैं। भव्य एवं आकर्षक शारीरिक गठन वाले व्यक्ति के प्रति सम्मान क व्यवहार किया जाता है।

2. अन्त:स्रावी ग्रन्थियाँ ये प्रन्थियों अपना रस रक्त में छोड़ देती हैं एवं रक्त इसे सम्पूर्ण शरीर में ले जाता है। यदि ये प्रन्थियाँ पर्याप्त मात्रा में रक्त को अपना रस देना बन्द कर दें, तो शरीर, बुद्धि एवं भाव में परिवर्तन हो आता है। यदि पीयूष ग्रन्थि आदि अपना काम मन्द गति से करती है, तो व्यक्ति की। लम्बाई नहीं बढ़ती तथा वह बौना हो जाता है, यदि ये अन्य तीव्र गति से कार्य करती हैं, तो व्यक्ति या लम्या हो जाता है।

3. स्नायविक संगठन निरीक्षण द्वारा यह देखा गया है कि यदि जल्यावस्था में क्ति के मस्तिष्क को किसी प्रकार का आघात लगता है, तो उसके व्यक्तित्व में विभिन्न प्रकार के परिवर्तन आ जाते है। इसके साथ-साथ विशिष्ट प्रकार के स्नायविक संगठन का भी व्यक्तित्व पर उल्लेखनीय प्रभाव

4. माता-पिता का प्रभाव माता-पिता का भय बच्चों पर बहुत अधिक पड़ता है, जो माता-पिता कठोर स्वभाव के होते हैं एवं अपने बच्चों को अधिक प्यार नहीं करते, ऐसे बच्चों में अन्तर्मुखी प्रवृत्ति बढ़ जाती हैं। वे एकान्त में रहने लगते हैं तथा हमेशा कल्पनाशील रहते हैं, जो माता-पिता अपने बच्चों को अधिक प्यार करते हैं, उन बच्चों में आत्मनिर्भरता के गुणों का अभाव पाया जाता है, वे बच्चे परावलम्बी हो जाते हैं। इस प्रकार उपरोक्त दोनों प्रकार के बच्चों का व्यक्तित्व स्वाभाविक तथा सामान्य नहीं होता है। अत: माता-पिता को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि बच्चों के प्रति किए गए आचरण में प्यार एवं नियन्त्रण का सन्तुलन बना रहे।

5. बालक के जन्म-क्रम का प्रभाव परिवार में बच्चा जब तक इकलौता रहता है, तो उसके अधिकार को छीनने वाला कोई नहीं होता और न कोई उसकी सुख-सुविधाओं में हिस्सा में आता है, इसलिए यह निर्दी हो जाता है। इससे भिन्न परिवार में सबसे छोटा बच्चा, बों परिवार में सभी का स्नेह प्राप्त करता है एवं उत्तरदायित्वों से मुक्त होता है, हमेशा सहायता के लिए दूसरे की और ही देखता है।

6. क्रीड़ा-समूह का व्यक्तित्व पर प्रभाव जब बच्चा चलने-फिरने योग्य हो आता है, तो वह अन्य बच्चों के साथ मिलता-जुलता है। खेलकूद के लिए बच्चों का एक क्लौड़ा समूह बन जाता है। में अपना अपना कार्य बाँट लेते हैं। कार्यों के आधार पर ही व्यक्तित्व का विकास होता हैं।

7. आर्थिक स्थिति का प्रमाण परिवार की आर्थिक स्क्यिति व्यक्तित्व विकास को प्रभवित करने में महत्वपूर्ण योगदान देती है। सामान्य रूप से यह देखा गया है। कि जे बालक आर्थिक अभाओं में पलते हैं, वे प्रायः अपराधी प्रवृत्ति के बन् आते हैं, जयके सम्पन्न परिवारों के बालकों का विकास सुचारु रूप से होता है।

प्रश्न 2.
“बाल्यावस्था अछी आदतों के निर्माण की उत्तम अवस्था है।” इस कधन की पुष्टि कीजिए। 
(2015, 18)
उत्तर:
बाल्यावस्था सामान्यतः 2 से 12 वर्ष तक मानी जाती है। इस अवस्था को अच्छी आदतों के निर्माण की उत्तम अवस्था माना जाता है, क्योकि इस अवस्था में बालक के व्यक्तित्व के सभी घरों का विकास स्पष्ट रूप से दृष्टिगोचर होने लगता हैं। इस कथन की विवेचना निम्नलिखित बिन्दुओं के अन्तर्गत की जा सकती है
1. शारीरिक विकास बाल्यावस्था के दौरान बालकों को शारीरिक क्षमता बढ़ 
जाती है। वे कार्यों को स्वतन्त्र रूप से कर सकते हैं, लक्ष्यों का निर्धारण कर सकते है तथा यह को अपेक्षाओं को पूरा कर सकते हैं। इस अवस्था में बालक शौच एवं नींद जैसी प्राथमिक क्रियाओं पर नियंत्रण करना सीखता है। नियमित रूप से मल त्याग को आदत एवं समय पर सोना व जागना ऐसौ आदतें हैं, जो बाल्यावस्था में निरन्तर अभ्यास करने से जीवनभर के लिए स्थायी हो जाती हैं। इस अवस्था में बालक पेशीय कौशलों में भी प्रमुख उपलब्धियाँ प्राप्त करता है। इस अवस्था में हाथ, भुजा एवं शरीर में सभी, आँख को गति के साथ समन्वित होते हैं। यालक तेज दौड़ने, उतने, कूदने आदि में सक्षम रहता है। अत: इस अवस्था में बालक में अपने शरीर को चुस्त दुरत रखने एवं नियमित मायाम करने की आदत हाली जा सकती है।

2. मानसिक विकास सामान्यतः 7 से 11 वर्ष की आयु में बच्चे में किसी वस्तु की विभिन्न विशेषताओं का ध्यान देने की क्षमता किसित होती है। यह क्षमता बच्चे की इस बात को समझने में सहायक होती है कि चीजों को देखने या समझने के भिन्न-भिन्न तरीके होते हैं, इसके परिणामस्वरूप बच्चे दूसरों के दृष्टिकोण को समझने का प्रयास करते हैं। चिन्तन अधिक सचीला हो गता है और समस्या समाधान करते समय बच्चे विकल्पों के बारे में सोच सकते हैं। स्पतः इस अवस्था में माता-पिता एवं शिक्षक बच्चों में अच्छी आदतों का विकास करने में अपिक सफल होते हैं, क्योंकि वे बच्चों के समक्ष तार्किक उदाहरण प्रस्तुत कर उन्हें अच्छी आदतों के लाभ का ज्ञान करा सकते हैं, जिससे बच्चा स्वयं उन आदतों का अनुकरण करने की ओर उन्मुख होता है।

3. सामाजिक-सांवेगिक विकास बच्चे में विकसित हो रहे स्वतन्त्रता के बोध के कारण वह कार्यों को अपने तरीके से करता है। बच्चे की इन स्वरित क्रियाओं के प्रति माता-पिता जिस प्रकार में प्रक्रिया करते हैं वह पहलाक्ति बोध या अपराध बोध को विकसित करता है। उदाहरणत: यदि उन्हें यह अनुभव कराया जाता है कि उनके प्रश्न अनुपयोगी हैं तथा उनके द्वारा खेले गए खेल मूर्खतापूर्ण हैं, तो सम्भव है कि बच्चों में स्वय के प्रति दोष भावना विकसित हो। अतः बच्चों में कुछ नया रचनात्मक करने की एवं पहल करने की आदत का विकास, उनके कार्यों के प्रति सकारात्मक प्रतिक्रिया से हो मारा है।

बाल्यावस्था में सांवेगिक विकास का दूसरा पक्ष बच्चो के आत्मबोध से जुड़ा है। इस अवस्था में बच्चे स्वयं को सामाजिक समूहों के सन्दर्भ में देखना शुरू करते हैं; जैसे विद्यालय के संगत क्लब, पर्यावरण काय आदि का सदस्य होना। इसके अतिरिक्त बाल्यावस्था में बच्चे अपनी लिंग भूमिका के प्रति जागरुक होते है। अतः इस अवस्था में बालक में दूसरे समूह अथवा दूसरे लिंग के व्यक्ति के अस्तित्व को स्वीकार की मनोवृत्ति पैदा की जा सकती है। बम्नतः बाल्यावस्था में सामाजिक रूप से सने का संसार विस्तृत हो जाता है एवं इसमें माता-पिता के अतिरिक्त परिवार तथा पास-पड़ोस एवं विशालय के प्रौढ़ व्यक्ति भी सम्मिलित हो जाते हैं। सामाजिक-सांवेगिक विकास का यह चरण बालक में अनुकरण, सहानुभूति, धेिश महशीलता आदि के विकास को प्रसाहित करता है।

4. नैतिक विकास इस अवस्था में बालक माता-पिता अथवा समाज के नियमों के आधार पर अपने नैतिक र्को को विकसित करता है। बच्चे इन नियमों को स्वयं के नियमों के रूप में स्वीकृत करते हैं। दूसरों की स्वीकृति प्राप्त करने के लिए इन नियमों को आत्मसात् कर लिया जाता है। बच्चे इन नियमों को ऐसे सुनिश्चित दिशा-निर्देश के रूप में देखते हैं, जिनका अनुसरण किया जाना चाहिए।

उपरोका विवेचन के आधार पर कहा जा सकता है कि बाल्यावस्था अच्छी आदतों के विकास की उत्तम अवस्था है।

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