UP Board Solutions for Class 4 Hindi Kalrav Chapter 2 पंचतन्त्र की कथा

UP Board Solutions for Class 4 Hindi Kalrav Chapter 2 पंचतन्त्र की कथा

पंचतन्त्र की कथा शब्दार्थ

प्रतापी = वीर और यशस्वी
अंग-प्रत्यंग = शरीर के प्रत्येक अंग
पुनर्जीवित फिर से जीवित
अस्थि-पंजर = हड्डियों का ढाँचा
निरीह = निर्दोष, असहाय
तत्पर = तुरंत तैयार होना
परामर्श = सलाह
अशिष्ट = असभ्य, उदंड
राजनीति = राज करने की नीति।

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पंचतन्त्र की कथा पाठ का सारांश

महिलारोप्य नगर के प्रतापी राजा अमरशक्ति ने अपने तीन निकम्मे पुत्रों को गुरु विष्णु शर्मा के यहाँ ज्ञान प्राप्त करने के लिए भेजा। गुरु ने लोकहित में छह महीने में ही राजपुत्रों को राजनीति सिखाने का वचन दिया। एक दिन विष्णु शर्मा ने राजकुमारों को एक कहानी सुनाई

चार मित्र जिसमें तीन विद्वान और एक बुद्धिमान था, यात्रा पर निकले। रास्ते में एक मृत शेर को तीनों विद्वानों ने अपनी विद्या से जीवित कर दिया। शेर ने तीनों को खा लिया जबकि बुद्धिमान युवक ने पेड़ पर चढ़कर अपनी जान बचा ली।

राष्ट्रीय बाल भारती कक्षा-4 (उत्तर प्रदेश) ऐसी अनेक कहानियाँ विष्णु शर्मा ने राजकुमारों को सुनाईं, जिनसे उनका ज्ञान और योग्यता बढ़ी। इन कहानियों के संकलन को ‘पंचतन्त्र’ कहते हैं।

पंचतन्त्र की कथा अभ्यास प्रश्न

शब्दों का खेल

प्रश्न १.
(क) नीचे दिए गए शब्दों का शुद्ध उच्चारण करो तथा अपनी अभ्यास-पुस्तिका में लिखो- अमरशक्ति, बहुशक्ति, उग्रशक्ति, अनन्तशक्ति, अशिष्ट, अंग-प्रत्यंग, अस्थि-पंजर, उद्दण्ड, परामर्श, मृत, पुनर्जीवित, क्रम, तत्पर।
नोट – विद्यार्थी शब्दों का शुद्ध उच्चारण करें और अपनी उत्तर-पुस्तिका में स्वयं लिखें।

(ख) ऐसे कम से कम तीन शब्द लिखो, जिनके अंत में ‘शक्ति’ शब्द जुड़ा हो।
उत्तर:
महाशक्ति, अश्वशक्ति, यथाशक्ति।

(ग) ‘सु’ तथा ‘कु’ उपसर्ग जोड़कर तीन-तीन शब्द बनाओ
जैसे- सु + पुत्र = सुपुत्र।
कु + पुत्र = कुपुत्र।
उत्तर:
सु – सुकुमार, सुसंगति, सुलोचन
कु – कुरूप, कुख्यात, कुसंगति।

(घ) ‘अच्छे-बुरे’ इन दोनों शब्दों के बीच की ‘और’ विभक्ति को हटाकर दोनों के बीच में योजक चिह्न (-) लगा दिया गया है। इस पाठ में इस प्रकार के बहुत से शब्द आए हैं। ढूँढ़कर लिखो
उत्तर:
बात – बात
पढ़ा – लिखा
सोच – विचार
अंग – प्रत्यंग
मांस – पेशियाँ।

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बोध प्रश्न

प्रश्न १.
उत्तर दो
(क) राजा क्यों चिन्तित रहता था?
उत्तर:
राजा के पुत्र मूर्ख, उद्दण्ड और निकम्मे थे; इसलिए राजा चिन्तित रहता था।

(ख) राजा अमरशक्ति के पुत्र कैसी मूर्खता करते रहते थे?
उत्तर:
राजा के पुत्र आम के पेड़ पर चढ़ते, आम का रस फेंककर गुठली खाते, निरीह पशुओं का शिकार करते, बात-बात पर झगड़ा करते और बड़ों की बातें नहीं मानते थे।

(ग) विष्णु शर्मा ने राजा से क्या कहा?
उत्तर:
विष्णु शर्मा ने राजा को छह महीनों में राजपुत्रों को ज्ञान और राजनीति सिखाने का वचन दिया।

(घ) विष्णु शर्मा ने राजा के बेटों को किस प्रकार शिक्षित किया?
उत्तर:
विष्णु शर्मा ने राजा के बेटों को पंचतंत्र की उपदेशात्मक कहानियाँ सुनाकर शिक्षित किया।

(ङ) मित्र युवकों ने क्या किया?
उत्तर:
मित्र युवकों ने बिना सोचे-विचारे मृत शेर को जीवित कर दिया, जो उन्हें मारकर खा गया।

(च) विद्या का प्रयोग किस प्रकार करना चाहिए?
उत्तर:
विद्या का प्रयोग सोच-समझकर और अच्छे-बुरे का ध्यान करके करना चाहिए, नहीं तो इसके दुरुपयोग से अपनी ही हानि होती है।

प्रश्न २.
सोचो और बताओ
(क) अगर मृत शेर की जगह गाय होती तो क्या होता?
उत्तर:
अगर मृत शेर की जगह गाय होती, तो दूध पीने को मिलता और इससे लाभ होता।

(ख) पढ़ा-लिखा होना और बुद्धिमान होना दोनों अलग बातें हैं। स्पष्ट करो।
उत्तर:
पढ़ा-लिखा व्यक्ति पुस्तकों के विषय में तो पूरी जानकारी रख सकता है, परंतु वह बुद्धिमान भी हो यह आवश्यक नहीं है, जबकि बुद्धिमान व्यक्ति अपनी बुद्धि और कौशल के बल पर समाज में उच्च स्थान प्राप्त कर सकता है।

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(ग) मूर्ख पुत्र राजा बन जाते तो क्या होता?
उत्तर:
मूर्ख पुत्र राजा बन जाते तो वह अपने राज्य को नष्ट कर देते।

प्रश्न ३.
निम्नलिखित पंक्तियों का अर्थ स्पष्ट करो
(क) राजन्! मेरे पास ऐसी संपत्ति है, जो बाँटने और अभ्यास करने से बढ़ती जाती है। यदि यह मेरे पास ही रहे तो यह घटने लगती है।
उत्तर:
इन पंक्तियों का अर्थ यह है कि शिक्षा देने से शिक्षक का ज्ञान और बढ़ जाता है। शिक्षा न देने से ज्ञान धीरे-धीरे कम होकर क्षीण हो जाता है।

(ख) मुझे आपकी संपत्ति की चाह नहीं है। मुझे आपके पुत्रों की भी चिंता नहीं है। मुझे तो चिंता यह है कि आज राजपुत्र ऐसे हैं, तो कल का राजा कैसा होगा?
उत्तर:
राजपुत्र गुणशील होते हैं; लेकिन ये राजपुत्र जब अभी इतने उद्दण्ड, अयोग्य और अत्याचारी हैं; तब राजा बनने के बाद क्या करेंगे!

(ग) शास्त्रों और विद्याओं में कुशल होना ही पर्याप्त नहीं है। लोक-व्यवहार को समझने तथा अच्छे-बुरे का ज्ञान होना भी जरूरी है।
उत्तर:
अच्छा जीवन जीने के लिए विद्वान होने के साथ-साथ लोक-व्यवहारकुशल और अच्छे-बुरे के ज्ञान वाला होना भी जरूरी होता है।

(घ) विद्या की शक्ति तो बहुत है, परंतु उस शक्ति का बुद्धिमत्तापूर्वक प्रयोग करना आवश्यक है, अन्यथा वह शक्ति अपना ही विनाश कर सकती है।
उत्तर:
विद्या एक शक्ति है, जिसका सदुपयोग लाभकारी और दुरुपयोग विनाशकारी होता है।

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तुम्हारी कलम से

प्रश्न ४.
ऊँचे पदों पर सही व्यक्ति का चुनाव क्यों आवश्यक है? सही व्यक्ति के क्या गुण होने चाहिए?
उत्तर:
सही व्यक्ति अपने पद का सदुपयोग करता है। सही व्यक्ति नि:स्वार्थ, अनासक्त होकर लोकहित में कार्य करता है। वह उच्च-विचार वाला व्यवहारकुशल, परोपकारी, मिलनसार और धैर्यवान होता है।

अब करने की बारी

(क) विष्णु शर्मा द्वारा सुनाई गई कहानी का अपनी कक्षा में अभिनय करो।
(ख) पंचतन्त्र तथा जातक कथाओं को अपने पुस्तकालय से किताब लेकर पढ़ो और कक्षा में सुनाओ।
(ग) इस पाठ में कितने अनुच्छेद हैं? प्रत्येक अनुच्छेद की एक खास बात को लिखो।
नोट – विद्यार्थी इन प्रश्नों के उत्तर स्वयं लिखें।

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UP Board Solutions for Class 4 Hindi Kalrav Chapter 1 पथ मेरा आलोकित कर दो

UP Board Solutions for Class 4 Hindi Kalrav Chapter 1 पथ मेरा आलोकित कर दो

पथ मेरा आलोकित कर दो शब्दार्थ

पथ = रास्ता
पर = पंख
आलोकित = प्रकाशित
प्रकाश से युक्त
निर्दिष्ट = निश्चित
तम = अंधकार, अँधेरा
मनोकामना = मन की इच्छा
नवल = नया, नवीन
वर = वरदान
रश्मि = किरण
विहग = पक्षी
पथिक = राही, राहगीर
उर = हृदय, लक्ष्य उद्देश्य।

UP Board Solutions for Class 4 Hindi Kalrav Chapter 1 पथ मेरा आलोकित कर दो

पथ मेरा …………………………………….. तम हर दो॥

संदर्भ – यह पद्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक ‘कलरव’ के ‘पथ मेरा आलोकित कर दो’ नामक पाठ से लिया गया है। इसके रचयिता ‘द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी’ हैं।

भावार्थ – कवि कहते हैं कि हमें ईश्वर से प्रार्थना करनी चाहिए कि- हे ईश्वर! नई सुबह की नई किरणों से मेरा रास्ता प्रकाशित कर दो, अर्थात् मुझे सन्मार्ग दिखा दो। हे ईश्वर! तुम मेरे हृदय का अंधकार दूर कर दो अर्थात् मुझे ज्ञान रूपी प्रकाश दिखाओ।

मैं नन्हा -सा …………………………………..….. पर दो॥

संदर्भ – हे भगवान! मैं छोटा-सा राहगीर संसार के रास्तों पर चलना सीख रहा हूँ। मैं छोटा-सा पक्षी संसार रूपी आकाश में उड़ना सीख रहा हूँ। मैं अपने निर्दिष्ट स्थान पर पहुँचना चाहता हूँ, अर्थात् अपने लक्ष्य को प्राप्त करना चाहता हूँ। इसकी प्राप्ति के लिए मुझे ऐसे पैर या पंख अर्थात् साधन दो कि मैं अपनी जीवन-यात्रा में सफल हो सकूँ।

पाया जग………………………………….……….. वर दो॥

संदर्भ – हे प्रभु! मुझे अब तक जो कुछ विरासत में मिला है और जितना कुछ मैं जीवन में प्राप्त करूँ, मेरी यह इच्छा है कि इन सबसे ज्यादा ही संसार के लिए छोड़कर जाऊँ। हे भगवान! मुझे ऐसा कल्याणकारी वरदान दो कि मैं अपने सत्कार्यों से इस संसार को स्वर्ग बना सकूँ।

पथ मेरा आलोकित कर दो अभ्यास प्रश्न

भाव बोध

प्रश्न १.
उत्तर दो
(क) कवि किसको आलोकित करने की प्रार्थना कर रहा है?
उत्तर:
कवि हृदय के अंधकार अर्थात् अज्ञान को आलोकित करने की प्रार्थना कर रहा है।

(ख) नन्हा पथिक क्या सीख रहा है?
उत्तर:
नन्हा पथिक संसार के पथ पर चलना सीख रहा है।

(ग) यह पथिक ‘पग’ और ‘पर’ दोनों क्यों माँग रहा है?
उत्तर:
मानव एक पथिक एवं एक विहग के रूप में अपने निर्दिष्ट लक्ष्य की प्राप्ति के लिए ‘पग’ और ‘पर’ दोनों माँग रहा है।

UP Board Solutions for Class 4 Hindi Kalrav Chapter 1 पथ मेरा आलोकित कर दो

(घ) कवि की क्या मनोकामना है?
उत्तर:
कवि की मनोकामना है कि मैं अपने कार्यों से संसार को समृद्ध बनाकर जाऊँ। संसार ने जितना मुझे दिया है, उससे अधिक मैं इसे देकर जाऊँ अर्थात् बहुत अच्छे-अच्छे कार्य करके जाऊँ।

(ङ) कवि ने स्वयं को ‘नन्हा पथिक’ और ‘नन्हा विहग’ क्यों कहा है?
उत्तर:
कवि ने ईश्वर की महत्ता एवं ब्रह्मांड की विशालता प्रकट करने के लिए स्वयं को ‘नन्हा पथिक’ और ‘नन्हा विहग’ कहा है।

प्रश्न २.
नीचे लिखे स्तंभ ‘क’ के कथनों के अर्थ स्तंभ ‘ख’ से ढूँढ़कर लिखो
उत्तर:
स्तंभ ‘क’ – स्तंभ ‘ख’ 
उर का – हृदय का
निर्दिष्ट लक्ष्य तक – निश्चित उद्देश्य तक

स्तंभ ‘क’ – स्तंभ ‘क’
नवल रश्मि से – नई किरणों से
तम हर दो – अंधकार दूर कर दो

प्रश्न ३.
‘कर दो’ और ‘हर दो’ के अंत में समान ध्वनि है। ऐसे शब्द ‘तुकांत’ कहलाते हैं। उदाहरण के अनुसार नीचे लिखे शब्दों के तुकांत शब्द लिखो (तुकांत शब्द लिखकर)
उत्तर:
पर दो – वर दो
नवल – धवल
हिलराया – दुलराया
खिलाया – पिलाया
चलना – पलना
पाऊँ – जाऊँ

UP Board Solutions for Class 4 Hindi Kalrav Chapter 1 पथ मेरा आलोकित कर दो

प्रश्न ४.
‘मेरे उर का तम हर दो, इस पंक्ति का सही भाव है
उत्तर:
(क) मेरे घर में उजाला कर दो।
(ख) मेरे हृदय का अन्धकार दूर कर दो। 
(✓)
(ग) मेरे रास्ते में बिजली की रोशनी कर दो।

प्रश्न ५.
नीचे लिखी पंक्तियों के भाव स्पष्ट करो
(क) “पहुँच सकूँ निर्दिष्ट लक्ष्य तक, मुझको ऐसे पग दो, पर दो’
(ख) ‘धरती को ही स्वर्ग बनाने का, मुझको मंगलमय वर दो’ ।
नोट -विद्यार्थी पंक्तियों का भाव स्पष्ट करने हेतु दिए गए ‘भावार्थ’ का भाग पढ़ें।

प्रश्न ६.
वाक्यांशों के लिए एक शब्द लिखो
(क) दूसरों का उपकार करने वाला – परोपकारी
(ख) रास्ते पर चलने वाला – राहगीर, राही, पथिक, बटोही
(ग) दोपहर का समय 
मध्याह्न
(घ) मन की कामना 
मनोकामना

तुम्हारी कलम से
कवि ने इस कविता में अपने मन की भावनाएँ प्रकट की हैं। तुम्हारे मन में भी इस प्रकार के भाव आते होंगे। तुम भी उन भावों से कविता बना सकते हो। बनाकर लिखो।
नोट -विद्यार्थी स्वयं लिखें।

अब करने की बारी
नोट
-विद्यार्थी कविता कंठस्थ कर कक्षा में प्रभावपूर्ण ढंग से सुनाओ।

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UP Board Solutions for Class 4 Hindi Kalrav Chapter 10 मलेथा की गूल

UP Board Solutions for Class 4 Hindi Kalrav Chapter 10 मलेथा की गूल

मलेथा की गूल शब्दार्थ 

शृंखला = कई कड़ियों का एक के बाद एक जुड़ना, कतार
तीव्र = तेज
साकार = पूर्ण रूप देना
प्रयास= कोशिश
दुष्कर = बहुत कठिन
गूल = पानी की नली।

मलेथा की गूल  पाठ का सारांश

गढ़वाल में मलेथा नाम का एक गाँव है। इस गाँव के दोनों ओर अलकनंदा और चंद्रभागा नदियाँ हैं। लेकिन बीच में पहाड़ होने से गाँव के खेतों को सिंचाई के लिए पानी नहीं मिल पाता था। खेत बंजर पड़े थे।

मलेथा के एक उत्साही किसान माधो सिंह के मन में पहाड़ काटकर एक गूल बनाने का विचार जोर पकड़ रहा था। पहाड़ काटकर सुरंग बनाने से गाँव में नदी का पानी आ सकता था। उसकी पत्नी को यह कार्य असंभव लगा; लेकिन माधो सिंह ने प्रतिज्ञा की कि जब तक उसके शरीर में रक्त की एक बूंद भी होगी; तब तक वह गूल निकालकर पानी लाने का प्रयास करेगा। पत्नी ने इस महान कार्य में सहयोग देने का वचन दिया।

UP Board Solutions for Class 4 Hindi Kalrav Chapter 10 मलेथा की गूल

माधो सिंह गैंती, हथौड़े से चट्टान तोड़ने लगा। उसने आठ-दस दिनों में गहरी सुरंग खोद दी। गाँव वाले भी मदद को आ गए। दिन-रात एक करके माधो सिंह गूल निर्माण करने में सफल हो गया। मलेथा ‘की बंजर धरती पर हरियाली दिखाई देने लगी।

आज भी मलेथा के हरियाली भरे खेत माधो सिंह के असीम धैर्य और कठोर परिश्रम के साक्षी हैं।

मलेथा की गूल अभ्यास प्रश्न

शब्दों का खेल

प्रश्न १.
पाठ में एक वाक्य आया है ‘मैं तब तक चैन की नींद नहीं सोऊँगा, जब तक मलेथा के एक-एक खेत तक पानी नहीं आ जाता।’ ऐसे तीन वाक्यों की रचना करो जिनमें ‘तब तक’ और ‘जब तक’ शब्दों का प्रयोग हुआ हो।
उत्तर:
(१) मैं तब तक लिखता ही रहूँगा; जब तक पाठ पूरा नहीं हो जाता।
(२) मोहन तब तक दौड़ता ही रहेगा; जब तक वह दौड़ जीत नहीं लेता।
(३) मैं तब तक चुनाव लड़ता ही रहूँगा; जब तक मेरी जीत नहीं हो जाती।

प्रश्न २.
नीचे लिखे शब्दों को उदाहरण के अनुसार बदलो (उदाहरण के अनुसार बदलकर)
उत्साह – उत्साही
पराक्रम – पराक्रमी
बलिदान – बलिदानी
साहस – साहसी
परिश्रम – परिश्रमी
उद्यम – उद्यमी

प्रश्न ३.
नीचे लिखे शब्दों में से संज्ञा शब्द छाँटो
तीव्र, साकार, फावड़ा, माधो सिंह, प्रयास, मलेथा, खेत, गढ़वाल, गैंती, सुंदर
उत्तर:
फावड़ा, माधो सिंह, मलेथा, खेत, गढ़वाल, गैंती

UP Board Solutions for Class 4 Hindi Kalrav Chapter 10 मलेथा की गूल

प्रश्न ४.
‘सुषमा’ शब्द का अर्थ सौंदर्य एवं शोभा भी होता है। ऐसे शब्दों को पर्यायवाची शब्द कहते हैं। नीचे लिखे शब्दों के दो-दो पर्यायवाची शब्द लिखो (लिखकर )
उत्तर:
पवन = हवा, वायु
कमल = सरोज, पंकज
पृथ्वी = धरा, वसुधा
जल = पानी, नीर
घर = गृह, सदन

प्रश्न ५.
अपने वाक्यों में प्रयोग करो (वाक्यों में प्रयोग करके)
पहाड़ – माधो सिंह ने पहाड़ काटकर सुरंग बना दी।
साहस – सब लोगों ने उसके साहस की प्रशंसा की।
विचलित – कठिन कार्य को देखकर माधो सिंह विचलित नहीं हुआ।
तीव्र – नाली में पानी तीव्र वेग में आया।
बंजर – बिना पानी (सिंचाई) के खेत बंजर पड़े थे।
सुरंग – पहाड़ में सुरंग बनने से गाँव को नदी का पानी मिलने लगा।
उत्साह – आलसी व्यक्तियों में उत्साह की कमी होती है।
श्रम – श्रम सब उपलब्धियों का मूल है।
निश्चय – दृढ़ निश्चय से कठिन कार्य भी सरल हो जाता है।
पानी – पानी ही जीवन है। बिना पानी कृषि उत्पादन संभव नहीं।

प्रश्न ६.
उचित स्थान पर विराम चिह्नों का प्रयोग करो (विराम चिह्नों का प्रयोग करके)
माधव प्रात: काल उठकर सैर करने जाता है; जल-पान के बाद विद्यालय जाता है। वहाँ खूब मेहनत से पढ़ता है। सभी उसकी प्रशंसा करते हैं।

बोध प्रश्न

प्रश्न १.
उत्तर दो
(क) मलेथा के खेत बंजर क्यों पड़े रहते थे?
उत्तर:
पानी नहीं मिल पाने के कारण मलेथा के खेत बंजर पड़े रहते थे।

(ख) नदी का पानी गाँव में क्यों नहीं आता था?
उत्तर:
नदी और गाँव के बीच में पहाड़ खड़ा था; इसलिए गाँव में पानी नहीं आता था।

(ग) माधो सिंह के मन में क्या सपना उभरता था?
उत्तर:
माधो सिंह के मन में पहाड़ काटकर सुरंग बनाने का सपना उभरता था।

(घ) माधो सिंह ने अपनी प्रतिज्ञा कैसे पूरी की?
उत्तर:
माधो सिंह ने दृढ़ निश्चय, कठोर परिश्रम और असीम धैर्य से अपनी प्रतिज्ञा पूरी की।

(ङ) इस पाठ से हमें क्या सीख मिलती है? ।
उत्तर:
इस पाठ से यह सीख मिलती है कि कठिन परिश्रम और असीम धैर्य से सब कार्य पूर्ण हो जाते हैं।

(च) इस पाठ का कौन-सा भाग तुम्हें सबसे अच्छा लगा और क्यों?
उत्तर:
पाठ का अंतिम भाग अच्छा लगा, क्योंकि माधो सिंह ने अपने साहस और परिश्रम से कठिन कार्य को संभव बना दिया।

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तुम्हारी कलम से

तुम्हारे पास-पड़ोस में भी ऐसी घटनाएँ घटी होंगी जब किसी ने कठिन समझे जाने वाले कार्य को कर दिखाया होगा। वह घटना कैसे घटी, अपने शब्दों में लिखो।
नोट – विद्यार्थी स्वयं लिखें।

अब करने की बारी

(क) प्रस्तुत कथा को अपने शब्दों में सुनाओ।
(ख) प्रथम दो अनुच्छेद सुलेख में लिखो।
(ग) नोट – विद्यार्थी स्वयं करें।
(घ) पढ़ो और करो।
नोट– विद्यार्थी स्वयं करें।

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UP Board Solutions for Class 4 Hindi Kalrav Chapter 9 सरकस

UP Board Solutions for Class 4 Hindi Kalrav Chapter 9 सरकस

सरकस शब्दार्थ

कौतूहल – जिज्ञासा
स्वच्छंद = स्वतंत्र
नाहर = सिंह
मनुज = मनुष्य
भय-विस्मय = डर और आश्चर्य
सिंही का जना हुआ है = शेरनी ने जन्म दिया है।

होकर ………………………………………….. अनोखे।

संदर्भ – यह पद्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक ‘कलरव’ के ‘सरकस’ नामक पाठ से लिया गया है। इसके रचयिता ‘राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त’ हैं। इसमें कवि ने सरकस के दृश्यों का वर्णन किया है।

भावार्थ – अपनी जिज्ञासा को शांत करने के उद्देश्य से मैं एक दिन सरकस देखने चला गया। सरकस में अनेक करतब और व्यायाम क्रीड़ाएँ देखीं।

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एक बड़ा-सा ……………………………………… बोली।

भावार्थ – थोड़ी देर में एक बड़ा-सा बंदर घेरे में आया। उसने फुर्ती से लैंप जलाया। फिर उसने कुर्सी पर बैठकर किताब खोली और पढ़ने लाग। इतनी देर में मैना ने आकर निम्न प्रकार कहा।

हाजिर है ………………………………………….. उसको फेरा।

भावार्थ – मैना आकर बंदर से बोली कि हुजूर आपका घोड़ा आ गया। बंदर ने चौंककर एक कोड़ा उठा लिया। इतनी देर में एक छोटा घोड़ा आया। बंदर ने उस पर चढ़कर उसे दूसरी तरफ को मोड़ दिया।

एक मनुष्य …………………………………………. बड़ाई।

भावार्थ – अंत में सरकस के घेरे में एक आदमी आया, जो एक शेर को पकड़े हुए था। मैंने मनुष्य और शेर की लड़ाई देखी और मनुष्य की निम्न प्रकार से प्रशंसा की।

कहीं साहसी ……………………………………. भोला।

भावार्थ – मनुष्य और शेर की लड़ाई के विषय में कवि प्रशंसा करते हुए कहता है, “साहसी मनुष्य भी कहीं किसी से डरता है भला! वह तो शेर को भी अपने वश में कर लेता है। तब मेरा एक मित्र बोला कि तुम नादान हो। फिर उसने असली तथ्य की तरफ ध्यान दिलाया।”

यह सिंही ………………………………………….. रहा है।

भावार्थ – इस शेर को जन्म तो शेरनी ने दिया है, परंतु बाह्य वातावरण में इसका लालन-पालन पिंजरे में हुआ है। इस कारण वह अभी गीदड़ बना हुआ है। वह शेर की तरह स्वतंत्र जीवन जीकर बड़ा नहीं हुआ।

छोटे से …………………………………………. दया है।

भावार्थ – मनुष्य ने शेर को जंगल में एक छोटे बच्चे के रूप में पकड़ा। उसे मार-पीटकर प्रशिक्षण दिया और अनेक कार्य/करतब सिखाए। गुलामी का जीवन जीते-जीते वह अपने अस्तित्व को भूल गया है और मनुष्य से डरने लगा हैं। शेर के इस दयनीय रूप को देखकर मुझे इस पर दया आती है।

सरकस अभ्यास प्रश्न

भाव बोध

प्रश्न १.
उत्तर दो
(क) कवि सरकस में क्यों गया?
उत्तर:
कवि सरकस में अपनी जिज्ञासा को शांत करने गया।

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(ख) कवि ने सरकस में क्या-क्या देखा?
उत्तर:
कवि ने सरकस में कलाबाजों के अनेक करतब, व्यायाम आदि क्रियाएँ देखीं। उसने बंदर, मैना, घोड़ा (बछेड़ा) और शेर आदि के करतब देखे।

(ग) सरकस के शेर को देखकर कवि के मन में क्या भाव उत्पन्न हुआ?
उत्तर:
सरकस के शेर को देखकर कवि के हृदय में यह विचार पैदा हुआ कि गुलामी में लालन-पालन से शेर गीदड़ बन गया और उसमें शेर जैसे गुण विकसित नहीं हो पाए।

(घ) पिंजड़े में बंद जानवरों-पक्षियों के मन में क्या-क्या विचार उठते होंगे?
उत्तर:
पिंजड़ों में बंद जानवरों/पक्षियों के मन में स्वतंत्र जीवन जीने के विचार उठते होंगे।

प्रश्न २.
नीचे लिखी पंक्तियों का भाव स्पष्ट करो
(क) ‘होकर कौतूहल के बस में, गया एक दिन मैं सरकस में।’
(ख) ‘कहीं साहसी जन डरता है, नर नाहर को वश करता है।’
(ग) ‘यह सिंही का जना हुआ है, किंतु स्यार यह बना हुआ है।’
नोट – विद्यार्थी इन पंक्तियों के भाव स्पष्ट हेतु इसी पाठ का भावार्थ पढ़ें।

प्रश्न ३.
इनके समानार्थी शब्द लिखो (समानार्थी शब्द लिखकर )
बन्दर – वानर
शेर – सिंह
तोता – शुक
स्वच्छन्द – स्वतन्त्र
मित्र – दोस्त
लड़ाई – युद्ध
स्यार – गीदड़
जन – लोग।

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प्रश्न ४.
विलोम शब्द लिखो (विलोम शब्द लिखकर)- .
साहसी – कायर
स्वतन्त्र – परतन्त्र
प्रसन्नता – अप्रसन्नता
दयालु – निर्दय

प्रश्न ५.
कविता की पंक्तियाँ पूरी करो (पंक्तियाँ पूरी करके)
यह पिंजड़े में बंद रहा है, कभी नहीं स्वच्छन्द रहा है।
छोटे से यह पकड़ा आया, मार-मारकर गया सिखाया।

प्रश्न ६.
कविता की दो पंक्तियों का अर्थ दिया जा रहा है। कविता की उन पंक्तियों को ढूँढकर लिखो
गुलामी की रोटियाँ खा-खाकर यह अपनी वीरता तथा पराक्रम की बात भूल गया है। इसे नहीं पता कि मैं शेर हूँ। इसकी दशा पर मुझे दया आ रही है।
उत्तर:
अपने को भी भूल गया है, आती इस पर मुझे दया है।

प्रश्न ७.
दिए गए उदाहरण को पढ़ो और ऐसे तीन वाक्य तुम भी बनाओ जिनमें ‘सा’ का प्रयोग हो।

  • अभिमन्यु-सा वीर बालक बनो।
  • लड़का बन्दर-सा चंचल है।

उत्तर:
(१) कालिदास-सा महान कवि बनो।
(२) बीरबल-सा बुद्धिमान बनो।
(३) श्री कृष्ण-सा नीतिपरक बनो।

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प्रश्न ८.
इस कविता में आए तुकांत शब्दों की गिनती करो।
उत्तर:
बस में-सरकस में, आया-जलाया, घोड़ा-कोड़ा, बछेरा-फेरा, आया-लाया-सिखाया, लड़ाई-बड़ाई. डरता है-करता है, बोला-भोला, गया है-दया है।

(ख) ऐसे दस तुकांत शब्द लिखो, जो तुम्हें अच्छे लगते हों।
नोट – विद्यार्थी अपनी इच्छानुसार तुकांत शब्द लिखें।

तुम्हारी कलम से

तमने भी कभी सरकस देखा होगा। सरकस देखने का अपना अनुभव लिखो।
नोट – विद्यार्थी स्वयं लिखें।

अब करने की बारी

प्रत्येक खाने में दिए गए अक्षरों से प्रारंभ होने वाले तुम कितने शब्द सोच सकते हो? उनकी सूची बनाओ। यदि प्रत्येक खाने में दस शब्द लिखते हो तो ‘अच्छा’ यदि बीस शब्द तो ‘बहुत अच्छा’ यदि बीस से ज्यादा तो ‘उत्कृष्ट’। उदाहरण देखो (उत्तर लिखकर)
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कितना सीखा – २

प्रश्न १.
निम्नलिखित प्रश्नों का मौखिक उत्तर दो(क) वनदेवी ने अंत में राजा से क्या अनुरोध किया और क्यों?
उत्तर:
वनदेवी ने राजा से कहा कि मेरे शरीर को तीन हिस्सों में काटना। ऐसा इसलिए; ताकि उसकी छाया में उगे देवदार के नन्हे पौधे बचे रहें।

(ख) अभिमन्यु ने चक्रव्यूह तोड़ने की कला सीखने के विषय में युधिष्ठिर को क्या बताया?
उत्तर:
अभिमन्यु ने युधिष्ठिर को बताया कि चक्रव्यूह तोड़ने की कला उसने माँ के पेट में ही सीख ली थी; केवल आखिरी द्वार तोड़ना उसे नहीं आता।

(ग) किस आधार पर कह सकते हो कि अभिमन्यु सच्चा वीरपुत्र और साहसी था?
उत्तर:
अभिमन्यु के युद्धकौशल के आधार पर कहा जा सकता है कि वह सच्चा वीरपुत्र और साहसी था।

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(घ) तेनालीराम एक बुद्धिमान व्यक्ति था, यह किस घटना से पता चलता है?
उत्तर:
तेनालीराम ने मुरझाए फूल तोड़ डाले। बाग में कम फूल होने पर राजा ने पूछताछ की। तेनालीराम ने कहा कि मैं आपके आदेश का पालन कर रहा हूँ। इस घटना से पता चलता है कि वह बुद्धिमान व्यक्ति था।

(ङ) ‘हाँ में हाँ’ लोक-कथा से क्या संदेश मिलता है?
उत्तर:
हाँ में हाँ’ लोक-कथा से संदेश मिलता है कि चापलूस नहीं होना चाहिए। हम सबको इस प्रवृत्ति से बचना चाहिए।

(च) सरकस के शेर को देखकर कवि और उसके दोस्त के बीच क्या बातचीत हुई?
उत्तर:
सरकस के शेर को देखकर कवि ने शेर को भी वश में करने वाले मानव की प्रशंसा की, तो उसके मित्र ने शेर के पिंजरे में पलने और प्रताड़ित किए जाने के कारण दब्बू और कायर बन जाने की बात कही।

प्रश्न २.
अधूरी पंक्तियाँ पूरी करो (पंक्तियाँ पूरी करके)
एक बड़ा-सा बंदर आया, उसने झटपट लैंप जलाया।
डट कुर्सी पर पुस्तक खोली, आ तब तक मैना यों बोली।

प्रश्न ३.
नीचे दी गई पंक्तियों का भाव स्पष्ट करो
(क) कहीं साहसी जन डरता है, नर नाहर को वश करता है।
(ख) यह सिंही का जना हुआ है, किंतु स्यार यह बना हुआ है।
नोट – विद्यार्थी पंक्तियों के भाव स्पष्ट हेतु पाठ ६ का भावार्थ पढ़ें।

प्रश्न ४.
नीचे दिए गए शब्दों का अपने वाक्यों में प्रयोग करो (प्रयोग करके)
मेजबान – कोलंबो में आयोजित खेलों में मेजबान श्रीलंका विजयी बना।
पर्यावरण – पर्यावरण प्रदूषण आज की विकट समस्या है।
वीरपुत्र – वीरपुत्र युद्ध से नहीं भागते।
प्रतीक्षा – किसी की प्रतीक्षा करना बहुत अखरता है।

प्रश्न ५.
कोष्ठक में दिए गए सर्वनामों में से चुनकर वाक्य पूरा करो (पूरा करके)(वह, उसका, तुम, तुम्हारे)
(क) उसका घर मेरे घर के पास है।
(ख) वह प्रतिदिन व्यायाम करता है।
(ग) तुम्हारे पिता जी का क्या नाम है?
(घ) मुझे विश्वास है कि तुम जरूर आओगे।

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प्रश्न ६.
(क) दिए गए शब्दों का विशेषण/क्रिया विशेषण के रूप में प्रयोग करते हुए एक-एक वाक्य बनाओ (वाक्य बनाकर )
वीर – वीर पुरुष युद्ध में पीठ नहीं दिखाते।
धीरे – धीरे – धीरे-धीरे बाढ़ का पानी घटने लगा।
सुंदर – विद्यार्थी के लिए सुंदर लेख जरूरी है।
फूट – फूटकर – श्रवण के माता-पिता फूट-फूटकर रोने लगे।

(ख) एक-एक वाक्य की रचना करो जिसमें, अल्प विराम, पूर्ण विराम तथा प्रश्नवाचक चिह्न का प्रयोग हुआ हो।
उत्तर:
चोर आया, छत पर चढ़ा और फिर भाग गया।
मुझे शोरगुल सुनना पसंद नहीं है। क्या वह अच्छा लड़का नहीं है?

प्रश्न ७.
क्या होता यदि
(क) पिता की अनुपस्थिति में अभिमन्यु युद्धभूमि में न जाता?
उत्तर:
यदि अभिमन्यु युद्धभूमि में न जाता, तो पांडव युद्ध में हारे हुए माने जाते।

(ख) राजा अपने महल के चारों ओर पेड़-पौधे न लगवाता?
उत्तर:
राजा अपने महल के चारों ओर पेड़-पौधे न लगवाता, तो वायु-प्रदूषण हो जाता।

प्रश्न ८.
अपने क्षेत्र में प्रचलित कोई लोककथा सुनाओ।
नोट – विद्यार्थी स्वयं सुनाएँ।

प्रश्न ९.
शब्दों में लगे उपसर्ग को उनके सामने लिखो
शब्द – उपसर्ग
प्रहार –  प्र
विहार – वि
आहार – आ
अनुपस्थित – अन्
निरुत्साहित – निः

प्रश्न १०.
पेड़-पौधे हमारे लिए उपयोगी हैं, विषय पर एक अनुच्छेद में अपने विचार लिखो।
उत्तर:
पेड़-पौधे जीवधारियों के जीवनरक्षक हैं। ये फल-फूल, चारा, लकड़ी/ईंधन देते हैं। वृक्ष वर्षा कराने में सहायक होते हैं। वे पर्यावरण-संतुलित रखने में भी सहायक होते हैं। वृक्ष भूमि-कटाव रोकते हैं। वृक्षों से प्राकृतिक सौंदर्य में वृद्धि होती है। इस प्रकार, हम देखते हैं कि पेड़-पौधे हमारे लिए बहुत उपयोगी हैं।

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अपने आप – २

सत्यवादी हरिश्चन्द्र 

सत्यवादी हरिश्चन्द्र पाठ का सारांश

प्राचीनकाल में सत्यवादी, दानी और परोपकारी राजा हरिश्चन्द्र हुए। मुनि विश्वामित्र ने उनकी दानशीलता की परीक्षा लेनी चाही। उन्होंने सपने में उनका सारा राज-पाट माँग लिया। अगले दिन उन्होंने दक्षिणा में एक हजार स्वर्ण-मुद्राएँ माँगीं। हरिश्चन्द्र ने दक्षिणा चुकाने के लिए स्वयं को बेचने का निर्णय लिया।

एक ब्राह्मण ने पाँच सौ मुद्राओं में तारामती और रोहित को खरीद लिया। कालू ने पाँच सौ मुद्राओं में हरिश्चन्द्र को खरीद लिया। तारामती घरेलू काम करती थी। रोहित फूल-पत्तियाँ और लकड़ी लाता था। हरिश्चन्द्र श्मशान में शव दाह के लिए कर वसूलते थे। एक दिन सर्प के डसने से रोहित की मृत्यु हो गई। तारामती अंत्येष्टि के लिए उसे श्मशान ले गई। हरिश्चन्द्र ने सत्य और धैर्य न छोड़ते हुए शवदाह हेतु तारामती से कर माँगा। रानी के पास कुछ भी नहीं था। विवश होकर उसने आधी साड़ी फाड़कर कर देने की तत्परता दिखाई। तभी विश्वामित्र और देवतागण प्रकट हो गए। उन्होंने हरिश्चन्द्र और तारामती के धैर्य, दानशीलता और न्याय की प्रशंसा करते हुए उन पर पुष्पवर्षा की। रोहित जी उठा और हरिश्चन्द्र का राज्य वापस मिल गया। सत्यवादी हरिश्चन्द्र दानी राजा के रूप में सदा अमर हो गए।

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UP Board Solutions for Class 4 Hindi Kalrav Chapter 8 हाँ में हाँ

UP Board Solutions for Class 4 Hindi Kalrav Chapter 8 हाँ में हाँ

हाँ में हाँ शब्दार्थ

मुहूर्त = कार्य प्रारम्भ करने का समय
काठी = घोड़े की पीठ पर कसी जाने वाली जीन
दुलकी चाल = घोड़े की एक विशेष चाल
काठ = सूखी लकड़ी
पचड़ा= झमेला
सुस्त = ढीला
बलबलाना = ऊँट का बोलना।

हाँ में हाँ पाठ का सारांश (मुरझाए फूल)

बसंत आया। राजा कृष्णदेव राय का बगीचा फूलों से भर गया। राजा ने मंत्री से कहा, “ऐसा प्रबंध करो कि बगीचा हमेशा फूलों से भरा रहे। मंत्री ने यह काम सेनापति से करवाना चाहा। उसने यह काम तेनालीराम पर छोड़ दिया। तेनालीराम ने राजा से पूछा “महाराज, पहले से मुरझाए फूलों का क्या करूँ?” राजा ने कहा, “उन्हें तोड़कर फेंक दो।” “तेनालीराम मुरझाए फूल तोड़ने में लग गया। राजा ने फूल कम देखे। उन्होंने पूछताछ की। तेनालीराम बोला, “महाराज! अभी तो मैं आपके आदेशानुसार मुरझाए फूल ही तोड़ रहा हूँ। देखभाल कैसे करूँ?” यह सुनते ही राजा हँस पड़े।

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हाँ में हाँ (सवारी का प्रबंध)

राजा ने मंत्री से गंगा-स्नान पर जाने की बात कही। मंत्री ने यह शुभ विचार बताया। राजा ने शुभ मुहूर्त निकलवाने को कहा। मंत्री ने राजा की इच्छा को ही शुभ मुहूर्त बताया। राजा ने सवारी के प्रबंध की बात मंत्री से कही। मंत्री ने कहा कि गंगा जी दूर हैं, परंतु राजा के पास अनेक सवारियाँ हैं। मंत्री ने उस सवारी को ठीक बताया जिसमें राजा को सुविधा हो। मंत्री ने हाथी को उत्तम राजसी सवारी बताया। राजा ने हाथी को धीमी सवारी कहा। मंत्री को भी हाथी ज्यादा सुस्त जानवर लग रहा था। फिर ऊँट की बात चली। राजा बोले, “ऊँट पर बैठने से कमर टूट जाएगी।” मंत्री ने भी कमर दुखने की बात सही मानी अब राजा की समझ में घोड़े की सवारी ठीक थी। मंत्री ने घोड़े को वीरों की सवारी बताया; लेकिन घोड़े पर कई घंटे बैठना राजा को कठिन लगा। मंत्री के अनुसार घोड़ा मनमौजी जानवर है, जो कभी भी सवारी को पटक सकता है। राजा ने मंत्री से पालकी के विषय में राय पूछी।

मंत्री ने पालकी को ही राजाओं की सवारी बताया। राजा ने पूछा कि लोग हँसेंगे तो नहीं। मंत्री ने कहा कि यह तो मुर्दो की तरह लदकर जाने जैसा है। इस कारण लोग जरूर हँसेंगे। राजा ने गंगा-स्नान न करने की बात कही। मंत्री ने इसे उत्तम विचार कहा। घर पर ही सब कुछ आनंद है। “मन चंगा तो कठौती में गंगा”। राजा ने गंगा स्नान का विचार त्याग दिया। इसे ही झूठ-मूठ ‘हाँ में हाँ’ मिलाना कहते हैं। बच्चों को इस आदत से बचना चाहिए।

हाँ में हाँ अभ्यास प्रश्न

शब्दों का खेल

अब तुम भी नीचे दिए गए अनुच्छेद को संवाद शैली में बदलो
अकबर ने बीरबल से देर से आने का कारण पूछा। बीरबल ने बताया, “हजूर कोई खास बात नहीं थी। मेरा बच्चा जिद्दी है, उसे मनाने में देर हुई।”
उत्तर:
अकबर – बीरबल! इस समय आ रहे हो? क्या घर में कोई खास बात थी?
बीरबल – कोई खास बात नहीं, महाराज! अपने छोटे बच्चे को मनाने में लगा रहा, आखिर वह जिद्दी भी तो बहुत है।

बोध प्रश्न

प्रश्न १.
उत्तर दो
(क) राजा कृष्णदेव राय ने मंत्री को क्या आदेश दिया?
उत्तर:
राजा कृष्णदेव राय ने मंत्री को बगीचे को फूलों से सदा भरा रखने की आज्ञा दी।

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(ख) तेनालीराम फूलों की देख-रेख की जिम्मेदारी में कैसे फँसा?
उत्तर:
सेनापति ने राजा को तेनालीराम द्वारा फूलों की देख-रेख का कार्य सौंपने की सलाह दी।

(ग) तेनालीराम ने राजा के आदेश का पालन कैसे किया?
उत्तर:
तेनालीराम राजा के आदेशानुसार मुरझाए फूल तोड़ने लगा। राजा ने देखा कि फूल कम हो गए। पूछने पर तेनालीराम ने कहा कि अभी तो मैं आपके आदेशानुसार मुरझाए फूल ही तोड़ रहा हूँ।

(घ) बुंदेलखण्ड की लोक-कथा में किस तरह के लोगों के प्रति व्यंग्य किया गया है?
उत्तर:
बुंदेलखण्ड की लोक-कथा में प्रशासकीय जनों और उनके पिछलग्गुओं पर व्यंग्य किया गया है।

(ङ) इस लोककथा में यातायात के किन-किन साधनों का नाम आया है?
उत्तर:
इस लोककथा में यातायात के साधन – हाथी, ऊँट, घोड़े, पालकी के नाम आए हैं।

(च) ‘हाँ में हाँ’ लोककथा से क्या सीख मिलती है? संक्षेप में लिखो।
उत्तर:
‘हाँ में हाँ’ लोककथा से यह सीख मिलती है कि चापलूसी से दूर रहना चाहिए और ‘हाँ में हाँ’ न मिलाकर सही बात करनी चाहिए।

प्रश्न २.
सोचो और बताओ
(क) तेनालीराम की जगह तुम होते तो क्या करते?
उत्तर:
यदि तेनालीराम की जगह हम होते, तो राजा को यह सच्चाई बता देते कि बगीचा सदा फूलों से हरा-भरा नहीं रह सकता।

(ख) यदि राजा के मन्त्री तुम होते तो क्या सलाह देते?
उत्तर:
यदि राजा के मन्त्री हम होते तो राजा के पूछने पर शुभ मुहूर्त निकलवाकर गंगा स्नान करा लाते।

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तुम्हारी कलम से 

किसी स्थान की यात्रा की योजना बनाओ।

  • किन-किन साधनों से जाओगे?
  • वहाँ क्या-क्या करोगे?
  • कौन-कौन साथ होंगे? ।
  • खर्च का भी अनुमान करके लिखो।

नोट – विद्यार्थी स्वयं करे।

अब करने की बारी

इसी प्रकार की अन्य लोक-कथाओं, हास्य कविताओं, चुटकुलों का संग्रह करो तथा मित्रों को सुनाओ और उनसे भी सुनो।
नोट – विद्यार्थी स्वयं करें।

बुंदेलखण्ड की लोक-कथा में यातायात के कुछ साधनों का नाम आया है। यातायात के उन साधनों के नाम लिखो जो इस कथा में नहीं हैं।
उत्तर:
रेलगाड़ी, बस, हवाई जहाज, कार, मोटरसाइकिल आदि।

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इस पाठ में आए मुहावरे ढूँढ़ो और उनका वाक्यों में प्रयोग करो।
उत्तर:
सिट्टी-पिट्टी गुम हो जाना = बहुत डर जाना- अध्यापक की डाँट से छात्र की सिट्टी-पिट्टी गुम हो जाना स्वाभाविक है।
कमर कसना = खूब तैयारी करना – समस्या से जूझने के लिए कमर कसना अनिवार्य होता है।
चींटी की चाल चलना = बहुत धीरे चलना – चींटी की चाल चलने वाला जीवन में पिछड़ जाता है।
खटराग होना = झंझट होना – कई लोग खटराग होने के भय से कठिन कार्य करते ही नहीं।
पेट हिल जाना = पेट खराब हो जाना – ऊँट की सवारी से पेट हिल जाने का खतरा रहता है।
दुलकी चाल चलना = विशेष प्रकार की चाल – दुलकी चाल चलना कोई घोड़े से सीखे।
काठी और काठ एक समझना = दो कठोर वस्तुओं को एक जैसा समझना – काठी और काठ एक समझकर ही घोड़े पर बैठना चाहिए।मुरदों की तरह जाना = लादकर ले जाया जाना – स्वस्थ्य व्यक्ति मुरदों की तरह जाना नहीं चाहता।
मन चंगा, तो कठौती में गंगा = शुद्ध मन के लिए हर स्थान पर ईश्वर है – मन चंगा, तो कठौती में गंगा से सभी परिचित हैं।

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