UP Board Solutions for Class 5 Sanskrit Piyusham Chapter 4 अस्मद, युष्मद

UP Board Solutions for Class 5 Sanskrit Piyusham Chapter 4 अस्मद, युष्मद (मैं, तुम)

अस्मद, युष्मद शब्दार्थाः

त्वं पठसि = तुम पढ़ते हो
युवां पठथः = तुम दोनों पढ़ते हो
यूयं पठथ = तुम सब या तुम लोग पढ़ते हो
अहं गच्छामि = मैं जाता हूँ
आवां गच्छावः = हम दोनों जाते हैं
वयं गच्छामः = हम सब या हम लोग जाते हैं।

UP Board Solutions for Class 5 Sanskrit Piyusham Chapter 4 अस्मद, युष्मद

अस्मद, युष्मद अभ्यासः

प्रश्न १.
रिक्त स्थानों की पूर्ति द्वारा वाक्य बनाइए – (वाक्य बनाकर) –
उत्तर:
(क) त्वम् पठसि
(ख) अहम् गच्छामि
(ग) युवां खादथः।
(घ) वयं गृहं गच्छामः।

प्रश्न २.
संस्कृत में अनुवाद कीजिए
(क) हम हँसते हैं।
अनुवाद:
वयं हसामः।

(ख) तुम खेलते हो।
अनुवाद:
त्वम क्रीडसि।

(ग) हम दोनों खेलते हैं।
अनुवाद:
युवां क्रीडथः।

(घ) मैं घर जाता हूँ।
अनुवाद:
अहं गृहं गच्छामि।

UP Board Solutions for Class 5 Sanskrit Piyusham Chapter 4 अस्मद, युष्मद

प्रश्न ३.
‘अस्मद्’ एवं ‘युष्मद्’ शब्दों के रूप प्रथमा तथा द्वितीया विभक्तियों में लिखकर दोहराइए।

अस्मद्-मैं
एकवचन द्विवचन बहुवचन
प्रथमा अहम् आवाम् वयम्
द्वितीया माम् आवाम् अस्मान्
युष्मद्-तुम
एकवचन द्विवचन बहुवचन
प्रथमा त्वम् युवाम् युवाम्
द्वितीया त्वाम् युवाम् युष्मान्

 

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UP Board Solutions for Class 5 Sanskrit Piyusham Chapter 3 सर्वनमनापुंसकलिंगशब्दाः

UP Board Solutions for Class 5 Sanskrit Piyusham Chapter 3 सर्वनमनापुंसकलिंगशब्दाः (सर्वनाम नपुंसकलिंग शब्द)

सर्वनमनापुंसकलिंगशब्दाः शब्दार्थाः 

विकसति = खिलता है
पत्रम् = पत्ता
पतति = गिरता है

UP Board Solutions for Class 5 Sanskrit Piyusham Chapter 3 सर्वनमनापुंसकलिंगशब्दाः

सर्वनमनापुंसकलिंगशब्दाः अभ्यासः

प्रश्न १.
खाली जगहों को उपयुक्त सर्वनाम से (द्वारा) भरिए – (भरकर) –
उत्तर:
(क) कमलानि विकसन्ति।
तानि विकसन्ति।

(ख) पत्रम् पतति।
तत् पतति।

(ग) कमले विकसतः।
ते विकसतः।

(घ) पत्राणि पतन्ति।
तानि पतन्ति।

प्रश्न २.
‘फल’ एवं ‘जल’ शब्द के रूप प्रथमा एवं द्वितीया विभक्तियों में लिखिए।

जल
एकवचन द्विवचन बहुवचन
प्रथमा फलम् फले फलानि
द्वितीया फलम् फले फलानि

 

‘फल’
एकवचन द्विवचन बहुवचन
प्रथमा जलम् जले जलानि
द्वितीया जलम् जले जलानि

 प्रश्न ३.
‘तत्’ शब्द के रूप पुल्लिंग, स्त्रीलिंग एवं नपुंसकलिंग में लिखकर दोहराइए।

तत्-वह (पुल्लिग)
एकवचन द्विवचन बहुवचन
प्रथमा सः तौ ते
द्वितीया तम्र तौ तान्र
तृतीया तेन ताभ्याम् तैः
चतुर्थी तस्मै ताभ्याम् तेभ्यः
पञ्चमी तस्मात् ताभ्याम् तेभ्यः
षष्ठी तस्य तयोः तेषाम्
सप्तमी तस्मिन् तयोः तेषु
तत्वह (स्त्रीलिंग)
एकवचन द्विवचन बहुवचन
प्रथमा सा ते ताः
द्वितीया ताम् ते ताः
तृतीया तथा ताभ्याम् तैः
चतुर्थी तस्यै ताभ्याम् ताभ्यः
पञ्चमी तस्याः ताभ्याम् ताभ्यः
षष्ठी तस्याः तयोः तासाम्
सप्तमी तस्याम् तयोः तासु

UP Board Solutions for Class 5 Sanskrit Piyusham Chapter 3 सर्वनमनापुंसकलिंगशब्दाः

तत्-वह (नपुंसकलिंग)
एकवचन द्विवचन बहुवचन
प्रथमा तत् तौ तानि
द्वितीया तत् तौ तानि
तृतीया तेन ताभ्याम् तैः
चतुर्थी तस्मै ताभ्याम् तेभ्यः
पञ्चमी तस्मात् ताभ्याम् तेभ्यः
षष्ठी तस्य तयोः तेषाम्
सप्तमी तस्मिन तयोः तेषु

 

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UP Board Solutions for Class 5 Sanskrit Piyusham Chapter 2 सर्वनामस्त्रिलिंगशब्दाः

UP Board Solutions for Class 5 Sanskrit Piyusham  Chapter 2 सर्वनामस्त्रिलिंगशब्दाः (सर्वनाम स्रीलिंग शब्द)

सर्वनामस्त्रिलिंगशब्दाः शब्दार्थाः

क्रीडति = खेलती है
अजा = बकरी

UP Board Solutions for Class 5 Sanskrit Piyusham Chapter 2 सर्वनामस्त्रिलिंगशब्दाः

सर्वनामस्त्रिलिंगशब्दाः अभ्यासः

प्रश्न १.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए – (पूर्ति करके) –
उत्तर:
(क) बालिका क्रीडति।
(ख) सा क्रीडति।
(ग) छात्रे लिखतः।
(घ) अजा चरति।

प्रश्न २.
सा, ते, ताः- में से सही पद का प्रयोग करते हुए खाली स्थान भरिए – (खाली स्थान भरकर) –
उत्तर:
(क) रमा पचति।
सा पचति।

(ख) बालिकाः क्रीडन्ति।
ताः क्रीडन्ति।

(ग) अजे चरतः।
ते चरतः।

(घ) मूषिकाः खादन्ति।
ताः खादन्ति।

प्रश्न ३.
अनुवाद कीजिए
(क) बालिका खेलती है।
अनुवाद:
बालिका क्रीडति।

(ख) बकरी चरती है।
अनुवाद:
अजा चरति।

UP Board Solutions for Class 5 Sanskrit Piyusham Chapter 2 सर्वनामस्त्रिलिंगशब्दाः

(ग) छात्राएँ लिखती हैं।
अनुवाद:
छात्राः लिखन्ति।

(घ) दो बालिकाएँ खेलती हैं।
अनुवाद:
बालिके क्रीडतः।

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UP Board Solutions for Class 5 Hindi Kalrav Chapter 14 भक्ति – नीति माधुरी

UP Board Solutions for Class 5 Hindi Kalrav Chapter 14 भक्ति – नीति माधुरी

भक्ति-नीति माधुरी शब्दार्थ

कछोटी = लँगोटी
बिलोकत = देखते हैं
कोटी = करोड़ों
लकुटी = लाठी
कामरिया = कंबल
बिसारौं = भुला देना
तड़ाग = तालाब
निहारौं = देखना
कोटिक = करोड़ों
कलधौत = सोना
करील = कीकर
कुंजन = कुंजों या झुरमुटों पर
मानस = रामचरित मानस
घनेरे = अधिक, घने
कृषि = खेती
कादर = कायर
निधाना = खजाना
काम = इच्छा
दैव = भाग्य
नसाहीं = नष्ट होता है
अछत = अखण्ड
निदाना = अन्त में
सरिस = समान
परहित = दूसरे की भलाई
आतप = धूप
अधमाई = नीचता
सुमति = अच्छे विचार

UP Board Solutions for Class 5 Hindi Kalrav Chapter 14 भक्ति - नीति माधुरी

 भक्ति – नीति माधुरी रसखान

धूरि भरे …………………………….……….. माखन-रोटी॥

सन्दर्भ – यह पद्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक कलरव के भक्ति-नीति माधुरी नामक पाठ से लिया गया है। इसके रचयिता रसखान जी हैं।

भावार्थ – रसखान जी कहते हैं कि बालकृष्ण धूल में सने हुए अत्यंत सुन्दर लग रहे हैं और इनके सिर पर सुन्दर चोटी भी वैसी ही शोभायमान है। ये आँगन में खेलते फिर रहे हैं। इनकी लँगोटी पीले रंग की है। पैरों में पैजनिया बज रही है। रसखान अपने करोड़ों कार्य छोड़कर कृष्ण की छवि निहारते हैं। रसखान कहते हैं कि वह कौआ बहुत भाग्यशाली है, जो भगवान बालकृष्ण के हाथ से रोटी का टुकड़ा छीनकर ले उड़ा।

या लकुटी …………………………………….…… ऊपर वारौं॥

भावार्थ – रसखान जी कहते हैं कि बालकृष्ण के लाठी और कंबल वाले रूप के सामने तीनों लोकों के राज्य और राजसुख निछावर हैं। इनका कहना है कि बाबा नंद की गाय चराने से जो सुख मिलेगा उसके सामने आठों सिद्धियों और नौ निधियों से प्राप्त सुख भी कुछ नहीं। ब्रज के वनों, बागों और तालाबों को ही निहारते रहना चाहते हैं। करील के बागों बगीचों की शोभा के ऊपर ये सोने के करोड़ों महलों को निछावर करने को तैयार हैं।

 भक्ति – नीति माधुरी तुलसीदास

का बरषा ………………………………………. पछिताने ॥१॥

सन्दर्भ – यह पद्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक ‘कलरब’ के ‘भक्ति-नीति माधुरी’ नामक पाठ से लिया गया है। इसके रचयिता ‘तुलसीदास जी’ हैं।

भावार्थ – जब खेती सूख जाए तो वर्षा से कोई लाभ नहीं होता है। इसी प्रकार समय निकल जाने पर, किसी कार्य के न कर सकने पर पछताने से कोई लाभ नहीं होता।

‘पर उपदेश ………………………………………. घनेरे ॥२॥

भावार्थ – दूसरों को उपदेश देने में तो बहुत लोग कुशल होते हैं। ऐसे व्यक्ति बहुत कम हैं जो स्वयं के द्वारा दिए जाने वाले उपदेश से पहले उस पर आचरण करते हैं अर्थात् जो उपदेश देने से पहले उसमें निहित बातों को स्वयं पर लागू करते हैं।

कादर ……………………………………………. पुकारा ॥३॥

भावार्थ – कायर, कमजोर या निकम्मा व्यक्ति केवल ‘भाग्य-भाग्य’ रटता रहता है! वह भाग्य को ही जीवन का आधार मानता है।

हित अनहित ……………………………….…. ग्यान-विधना ॥४॥

भावार्थ – अपनी भलाई और बुराई पशु-पक्षी भी जानते हैं; फिर मानव शरीर धारण करनेवाले प्राणी तो गुण और ज्ञान के खजाने हैं। उन्हें भगवान की आराधना करनी चाहिए।

बिनु सन्तोस …………………….………………. नाहीं ॥५॥

भावार्थ – बिना संतोष के ‘इच्छा’ का अंत नहीं होता। इच्छा अनंत होती है। इसे नियंत्रित किए बिना सपने में भी सुख नहीं मिल सकता।

UP Board Solutions for Class 5 Hindi Kalrav Chapter 14 भक्ति - नीति माधुरी

जहाँ ………………………………………………………… निदाना ॥६॥

भावार्थ – जहाँ सुमति, सुबुद्धि हो, वहाँ श्री, समृद्धि ऐश्वर्य, सुख का भंडार होता है; परन्तु जहाँ कुमति, कुबुधि हो, वहाँ विपत्ति और संकट का खजाना होता है।

परहित ………………………………………………….. अधमाई ॥७॥

भावार्थ – तुलसीदास जी कहते हैं कि परोपकार के समान कोई दूसरा धर्म नहीं। इसके विपरीत, दूसरों को कष्ट देने के समान नीचता भी कुछ और नहीं।

जो अति ……………………………………………….….. सोई ॥६॥

भावार्थ – जो अत्यंत गर्मी से परेशान होकर व्याकुल हो जाता है, वही पेड़ की छाया का सुख अच्छी प्रकार जानता है। अर्थात् कष्ट झेलने वाला ही सुख का महत्व समझता है।

 भक्ति – नीति माधुरी अभ्यास प्रश्न

भाव-बोध 

प्रश्न १.
नीचे लिखी काव्य पंक्तियों के भाव स्पष्ट करो
(क) ‘धूरि भरे अति सोभित स्याम जू’।
भाव:
धूल से सने बालकृष्ण अत्यंत सुन्दर लगते हैं।

(ख) ‘खेलत खात फिरै अँगना, पग पैजनी बाजति पीरी कछोटी’।
भाव:
बालकृष्ण आँगन में खेलते, खाते फिरते हैं। उनकी लँगोटी पीली है। उनके पैरों में पैजनियाँ बजती हैं।

(ग) “काग के भाग बड़े सजनी, हरि-हाथ सों लै गयौ माखन-रोटी’।
भाव:
रसखान कहते हैं कि कौए के भाग्य बहुत अच्छे हैं, जो भगवान के हाथ से माखन और रोटी छीनकर ले गया।

(घ) ‘या लकुटी अरु कामरिया पर, राज तिहूँ पुर तजि डारौ’।
भाव:
रसखान बालकृष्ण के लाठी और काली कमलीवाले रूप पर तीनों लोकों के राज्य निछावर करते हैं।

UP Board Solutions for Class 5 Hindi Kalrav Chapter 14 भक्ति - नीति माधुरी

(ङ) ‘कोटिक ये कलधौत के धाम, करील की कुजन ऊपर वारौ।
भाव:
रसखान कहते हैं कि करील के उन बगीचों (जहाँ बालकृष्ण विचरण करते थे) पर सोने के करोड़ों महल निछावर हैं।

(च) समय चूकि पुनि का पछिताने।
भाव:
समय निकल जाने पर, पछताने से कुछ नहीं होता है।

(छ) जे आचरहिं ते नर न घनेरे।
भाव:
दूसरों को उपदेश देने से पहले स्वयं उसका पालन करनेवाले अधिक नहीं है।

(ज) कादर मन कहुँ एक अधारा।
भाव:
कायरों का एक ही सहारा होता है।

(झ) जहाँ कुमति तहँ विपति निधाना।
भाव:
जहाँ कुबुद्धि हो, वहाँ विपत्तियों का अंबार होता है।

(ञ) तरुछाया सुख जानइ सोई।
भाव:
गर्मी से व्याकुल हुए व्यक्ति ही पेड़ की छाया का सुख जानते हैं।

प्रश्न २.
नीचे दिए गए भाव से संबंधित पद की क्रम संख्या लिखो
UP Board Solutions for Class 5 Hindi Kalrav Chapter 14 भक्ति - नीति माधुरी 1

प्रश्न ३.
उत्तर दो
(क) कवि रसखान ने कृष्ण की कैसी छवि का वर्णन किया है?
उत्तर:
कवि रसखान ने आँगन में खेलते, धूल भरे हुए बालकृष्ण की छवि का वर्णन किया है।

(ख) रसखान ने कौए को भाग्यशाली क्यों कहा है?
उत्तर:
रसखान ने कौवे को भाग्यशाली कहा है; क्योंकि कौआ भगवान के हाथ से माखन रोटी छीनकर ले गया है।

UP Board Solutions for Class 5 Hindi Kalrav Chapter 14 भक्ति - नीति माधुरी

(ग) कवि तीनों लोकों का राज्य किस बात पर न्योछावर करने को कह रहा है?
उत्तर:
बालकृष्ण के लाठी और काली कमलीवाले रूप पर कवि तीनों लोकों का राज्य निछावर करने को तैयार है।

(घ) तुलसीदास ने सबसे बड़ा धर्म और सबसे बड़ा अधर्म किसे बताया है?
उत्तर:
तुलसीदास ने दूसरों की भलाई (परोपकार)करना सबसे महान धर्म और दूसरों को कष्ट देना सबसे बड़ा अधर्म (घोर नीचता का कार्य) बताया है।

प्रश्न ४.
“पसु’ तद्भव शब्द है, जिसका तत्सम रूप ‘पशु’ है। इसी प्रकार नीचे लिखे तद्भव शब्दों को उनके तत्सम रूपों से जोड़ो – (तत्सम रूप से जोड़कर)
तद्भव – तत्सम
सोभित – शोभित
कादर – कायर
स्याम – श्याम
राज – राज्य

प्रश्न ५.
नीचे लिखी पंक्तियों में रिक्त स्थानों की पूर्ति करो- (पर्ति करके)
(क) का बरषा जब कृषि सुखाने। समय चूकि फिर का पछिताने।
(ख) बिन सन्तोष न काम नसाहीं। काम अछत सुख सपनेहुँ नाहीं।
(ग) परहित सरिस धरम नहीं भाई। पर पीड़ा सम नहीं अधमाई।

प्रश्न ६.
नीचे लिखे शब्दों को उनके शुद्ध रूप के साथ मिलाकर लिखो
कृसि – कृषि
पसु – पशु
संपति – संपत्ति
कादर – कायर
मानुष – मनुष्य 

अब करने की बारी
उत्तर 
– विद्यार्थी स्वयं करें।

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UP Board Solutions for Class 5 Sanskrit Piyusham Chapter 1 सर्वनामपुलिंगशब्दाः

UP Board Solutions for Class 5 Sanskrit Piyusham Chapter 1 सर्वनामपुलिंगशब्दाः (सर्वनाम पुल्लिंग शब्द)

सर्वनामपुल्लिगशब्दाः शब्दार्थाः –

तौ = वे दोनों,
ते = वे सब,
वानरौ = दो बन्दर,
अश्वाः = कई घोड़े /बहुत से घोड़े,
थावतः = दौड़ते हैं (दो प्राणियों के लिए)

UP Board Solutions for Class 5 Sanskrit Piyusham Chapter 1 सर्वनामपुलिंगशब्दाः

सर्वनामपुल्लिगशब्दाः अभ्यासः।

प्रश्न १.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए – (पूर्ति करके) –
उत्तर:
(क) बालकः पठति।
(ख) वानरौ खादतः।
(ग) ते खादन्ति।
(घ) अश्वाः धावन्ति।

प्रश्न २.
तीर का निशान लगाते हुए सही जोड़े बनाइए – (जोड़े बनाकर) –
उत्तर:
(क) वानराः → खादन्ति।
(ख) अश्वौ → धावतः।
(ग) बालकाः → पठन्ति।
(घ) वानरः → खादति।
(ङ) तौ → पठतः।

प्रश्न ३.
संस्कृत में अनुवाद कीजिए

(क) राम पढ़ता है।
अनुवाद:
रामः पठति।

(ख) वे खाते हैं।
अनुवाद:
ते खादन्ति।

(ग) बन्दर खाते हैं।
अनुवाद:
वानराः खादन्ति।

(घ) दो घोड़े दौड़ते हैं।
अनुवाद:
अश्वौ धावतः ।

UP Board Solutions for Class 5 Sanskrit Piyusham Chapter 1 सर्वनामपुलिंगशब्दाः

सर्वनामपुल्लिगशब्दाः प्रोजेक्ट कार्य-

पाँच पुल्लिंग शब्दों की सूची बनाइए।
उत्तर:
बालकः
वानरः
अश्वः
मयूरः
शुकः

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