UP Board Solutions for Class 5 Science Parakh Chapter 5 करुपोषन और इसके प्रभाव

UP Board Solutions for Class 5 Science Parakh Chapter 5 करुपोषन और इसके प्रभाव

कुपोषण और इसके प्रभाव अभ्यास प्रश्न

प्रश्न १.
निम्नांकित कथनों को पूर्ण करें (पूर्ण करके) –
(क) आवश्यकता से कम भोजन करने पर शरीर कमजोर हो जाता है।
(ख) आवश्यकता से अधिक भोजन करने पर मोटापा की शिकायत हो जाती है।
(ग) प्रोटीन की कमी से शरीर कमजोर हो जाता है और शरीर की वृद्धि रुक जाती है।
(घ) विटामिन ‘ए’ की कमी से रतौंधी रोग हो जाता है।
(ङ) विटामिन ‘डी’ की कमी से रिकेट्स रोग हो जाता है।
(च) विटामिन ‘बी’ की कमी से बेरी-बेरी रोग हो जाता है।
(छ) विटामिन ‘सी’ की कमी से स्कर्वी रोग हो जाता है।

प्रश्न २.
कारण बताइए-
(क) सब्जियों को काटने से पहले धो लेना चाहिए।
उत्तर:
क्योंकि सब्जी को काटकर धोने से सब्जी के विटामिन नष्ट हो जाते हैं।

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(ख) सब्जियों को पकाते समय अधिक तलना नहीं चाहिए।
उत्तर:
क्योंकि सब्जियों को अधिक तलने से विटामिन नष्ट हो जाते हैं।

(ग) हमें संतुलित भोजन करना चाहिए।
उत्तर:
संतुलित भोजन से हमारा शरीर स्वस्थ रहता है।

(घ) हमें आवश्यकता से अधिक अथवा कम भोजन नहीं करना चाहिए।
उत्तर:
आवश्यकता से अधिक भोजन करने से हम मोटे व कम भोजन करने से कमजोर हो जाएँगे।

प्रश्न ३.
निम्नांकित खाद्य पदार्थों के चित्रों को ध्यान से देखें तथा उनके नीचे पोषक तत्वों के अंक लिखकर उनका वर्गीकरण करें।
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प्रश्न ४.
निम्नांकित पोषक तत्व जिन खाद्य पदार्थों में पाए जाते हैं, उन्हें लिखिए।
उत्तर:
१. कार्बोहाइड्रेटस – आलू, अरवी, शकरकंद, चावल।
२. वसा – तेल, घी, मक्खन
३. प्रोटीन – मांस, अंडा, दूध, दही, पनीर, दाल।
४. विटामिन – गाजर, मूली, नाशपाती, अंगूर।
५. खनिज लवण – पत्ता गोभी, गाजर, पालक।

प्रश्न ५.
सूची ‘क’ को सूची ‘ख’ से मिलान करें (मिलान करके) –
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प्रश्न ६.
नीचे कुछ कथन दिए गए हैं, उनके सम्मुख सत्य (✓) तथा असत्य (✗) का चिह्न लगाइए (चिह्न लगाकर) –

  • पपीता विटामिन ‘सी’ का उत्तम स्रोत है। (✗)
  • हमारे शरीर में पोषक तत्वों की कमी से रोग होते हैं। (✓)
  • सूर्य का प्रकाश स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है। (✗)
  • विटामिन शरीर की सुरक्षा के लिए आवश्यक है। (✓)
  • भोजन को अधिक पकाने से पौष्टिक तत्व नष्ट हो जाते हैं। (✓)
  • आँवले में विटामिन ‘सी’ अधिक मात्रा में पाया जाता है। (✓)

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प्रश्न ७.
यदि किसी के मसूड़े फूले हों, उनसे खून आता हो और दाँत हिलते हों तो उसे –
१. पपीता और पीला कदू खाना चाहिए।
२. नीब, नारंगी, आँवला खाना चाहिए। (✓)
३. शकरकंद, अरवी खाना चाहिए।
४. मांस और रोटी खाना चाहिए।

प्रश्न ८.
रतौंधी के रोग से बचा जा सकता है। यदि प्रतिदिन –
१. चावल और दाल खाएँ।
२. दूध और रोटी खाएँ।
३. गाजर पालक, पपीता खाएँ। (✓)
४. अंडे और मांस खाएँ।

प्रश्न ६.
किसी बच्चे के होंठ के कोने फटे, जीभ लाल, त्वचा खुरदरी, हाथ-पांव में दर्द झुनझुनाहट हो तो वह पीड़ित है –
१. विटामिन ‘डी’ की कमी से।
२. विटामिन ‘ए’ की कमी से।
३. विटामिन ‘सी’ की कमी से।
४. विटामिन ‘बी’ की कमी से। (✓)

प्रश्न १०.
कुपोषण से बचने के तीन उपाय लिखिए।
उत्तर:
कुपोषण से बचने के लिए संतुलित भोजन करना चाहिए, विटामिन तथा खनिज लवण भरपूर मात्रा में लेने चाहिए व हरी सब्जियों का अधिक सेवन करना चाहिए।

प्रश्न ११.
अपने आप करो –
आज दिन में क्या खाकर आए। सूची बनाएँ और पोषक तत्वों को लिखें।
नोट – विद्यार्थी स्वयं लिखें।

प्रश्न १२.
क्या होगा यदि?

प्रश्न.
घर में माँ पढ़ी-लिखी न हो।
उत्तर:
बच्चों को संतुलित भोजन नहीं मिलेगा।

प्रश्न.
बच्चों को भरपेट भोजन न मिल पाता हो।
उत्तर:
कुपोषण का शिकार हो जाएँगे।

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प्रश्न.
माँ हमेशा बीमार रहती हो।
उत्तर:
बच्चों की देखभाल नहीं हो पाएगी।

प्रश्न.
घर में सिर्फ एक या दो बच्चे हों।
उत्तर:
सुखी परिवार होगा।

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UP Board Solutions for Class 5 Science Parakh Chapter 4 मानव कंकाल, पेसियां और गतियाँ

UP Board Solutions for Class 5 Science Parakh Chapter 4 मानव कंकाल, पेसियां और गतियाँ

मानव कंकाल, पेशियाँ और गतियाँ अभ्यास प्रश्न

प्रश्न १.
सही विकल्प के सामने (✓) का चिह्न लगाएँ (चिह्न लगाकर) –
(क) हृदय और फेफड़े की सुरक्षा करते हैं –
१. खोपड़ी
२. पसलियाँ   (✓)
३. रीढ़ की हड्डी
४. कंधे की हड्डी

(ख) शरीर के अंगों की गति में सहायक हैं –
१. तंत्रिकाएँ
२. मस्तिष्क
३. पेशियाँ
४. हड्डी और पेशियाँ  (✓)

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प्रश्न २.
हड्डियों की संख्या लिखें (लिखकर) –

क्रमांक

अंग हड्डियों की संख्या क्रमांक  अंग

हडियों की संख्या

१. खोपड़ी २६ ३. रीढ़ की हड्डी ३३
२. वक्ष १२ जोड़ी ४. संपूर्ण शरीर २०६

प्रश्न ३.
सत्य कथन के आगे ‘सत्य’ तथा असत्य कथन के आगे ‘असत्य’ लिखिए (लिखकर) –
(क) कपाल की हडियाँ मस्तिष्क की सरक्षा करती हैं। (सत्य)
(ख) अस्थियों तथा मांसपेशियों की गति से शरीर में गति होती है। (सत्य)
(ग) रीढ़ की हड्डी हृदय की सुरक्षा करती है। (असत्य)
(घ) ज्ञानेन्द्रियों की सुरक्षा चेहरे की हड्डियाँ करती हैं। (सत्य)
(ङ) वक्ष की हडियाँ हृदय और फेफडों की सरक्षा करती हैं। (सत्य)

प्रश्न ४.
निम्नलिखित के सही जोड़े बनाएँ (सही जोड़े बनाकर) –
उत्तर:
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प्रश्न ५.
कंकाल तंत्र के कोई दो उपयोग लिखिए।
उत्तर:
(१) कंकाल शरीर को आकृति एवं आकार प्रदान करता है।
(२) कंकाल शरीर को सुदृढ़ बनाता है।

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प्रश्न ६.
मनुष्य की खोपड़ी का चित्र बनाएँ।
उत्तर:
नोट – विद्यार्थी खोपड़ी का चित्र स्वयं बनाएँ।

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UP Board Solutions for Class 5 Science Parakh Chapter 3 बीज और नन्हा पौधा

UP Board Solutions for Class 5 Science Parakh Chapter 3 बीज और नन्हा पौधा

प्रश्न १.
प्रश्नों के चार विकल्प नीचे दिए हैं। सही विकल्प छाँटकर लिखें (लिखकर)

(क) अंकुरण के लिए आवश्यक हैं

  • सूर्य का प्रकाश, वायु और उचित ताप।
  • वायु, जल और खाद।
  • वायु, जल और उचित ताप।
  • वायु, जल और अधिक ताप।

प्रश्न २.
खाली स्थानों की पूर्ति करें (पूर्ति करके) –
(क) बीजों के बाहरी आवरण को बीजचोल कहते हैं।
(ख) मूलांकुर से जड़ तथा प्रांकुर से तना बनता है।
(ग) पौधों के अंकुरण के लिए वायु, जल और उचित ताप की आवश्यकता होती है।

UP Board Solutions for Class 5 Science Parakh Chapter 3 बीज और नन्हा पौधा

प्रश्न ३.
नीचे कुछ फलों एवं सब्जियों के नाम दिए गए हैं। इनमें से एक बीज उत्पन्न करने वाले तथा अधिक बीज उत्पन्न करके फलों एवं सब्जियों को अलग-अलग लिखिए (लिखकर)
उत्तर:
एक बीज उत्पन्न करने वाले फल – आम, लीची, बेर, आडू।
अधिक बीज उत्पन्न करने वाले फल एवं सब्जियाँ – इमली, संतरा, अनार, मटर, सरसों, भिंडी, लौकी।

प्रश्न ४.
खण्ड ‘क’ के अधूरे वाक्यों को खण्ड ‘ख’ की सहायता से पूरा कीजिए (पूरा करके)
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प्रश्न ५.
घर पर करें –
उत्तर:
नोट – विद्यार्थी स्वयं करके देखें।

कितना सीखा – १

प्रश्न १.
रिक्त स्थानों की पूर्ति करें (पूर्ति करके) –
(क) पर्णहरित (क्लोरोफिल) के कारण पत्तियाँ हरे रंग की होती हैं।
(ख) अपने समान नए जीव उत्पन्न करना प्रजनन कहलाता है।
(ग) स्थलीय जन्तुओं में फेफड़े श्वसन अंग होते हैं।
(घ) शुष्क स्थानों के पौधों की पत्तियाँ काँटों में बदल जाती हैं।
(ङ) पानी में तैरने के लिए मछलियों में गलफड़े (गिल्स) पाए जाते हैं।

प्रश्न २.
निम्नांकित कथनों के सामने सत्य अथवा असत्य लिखिए (लिखकर) –
(क) भ्रूण को भोजन बीजपत्रों से मिलता है। (सत्य)
(ख) नागफनी एक जलीय पौधा है। (असत्य)
(ग) पक्षियों के मुँह में अनेक दाँत होते हैं। (असत्य)
(घ) बीजों के अंकुरण के लिए हवा, पानी तथा उचित ताप आवश्यक है। (सत्य)
(ङ) बत्तख में तैरने के लिए पाद-जाल पाए जाते हैं। (सत्य)
(च) मेढक एक उभयचर प्राणी है। (सत्य)

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प्रश्न ३.
निम्नांकित जन्तुओं को अंडे देने वाले और बच्चे देने वाले दो वर्गों में बाँटे।
तितली, मुर्गी, मछली, गाय, बकरी, मेढक, बत्तख, घोड़ा, भैंस, चूहा, मनुष्य
उत्तर:

अंडे देने वाले जन्त बच्चे देने वाले जन्तु
 तितली, मुर्गी, मछली, मेढक, बत्तख गाय, बकरी, घोड़ा, भैंस, चूहा, मनुष्य

प्रश्न ४.
दोनों सूचियों का मिलान करें (मिलान करके) –
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प्रश्न ५.
उपयुक्त विकल्प छाँटकर (✓) का निशान लगाएँ (निशान लगाकर) –

(क) बीज के अंकुरण के लिए आवश्यक है।
१. प्रकाश, वायु तथा उचित ताप
२. वायु, जल और उचित ताप  (✓)
३. वायु, जल और खाद
४. वायु, जल और मिट्टी

(ख) बीजों के द्वारा अंकुरण नहीं होता है।
१. मटर
२. गुलाब  (✓)
३. गेहूँ .
४. धान

(ग) मेढक का शरीर जल और स्थल दोनों में रहने के लिए अनुकूलित होता हैं। क्योंकि –
१. पैरों मे पाद जाल होता है।
२. साँस लेने के लिए फेफड़े होते हैं।
३. त्वचा नम होती है।
४. उपर्युक्त सभी  (✓)

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प्रश्न ६.
पहचान करें और उनके नाम लिखें (लिखकर) –
१. वे जीव जिनमें श्वसन के लिए गलफड़े पाए जाते हैं – मछली
२. वे पौधे जिनकी कलम लगाई जाती है – गुलाब
३. वे पौधे जिनकी पत्तियाँ काँटों में बदल जाती हैं – मरुस्थलीय पौधे – नागफनी आदि
वे पौधे जिनके तने मुलायम और हल्के होते हैं – जलीय पौधे – जलकुंभी आदि
५. वे जन्तु, जो अंडे देते हैं – मुर्गी, मगरमच्छ, साँप आदि
६. वे जन्तु, जो बच्चे पैदा करते हैं – हाथी, गाय, शेर आदि

प्रश्न ७.
निम्नांकित संकेतों के आधार पर शब्द लिखो (लिखकर) –
बाएँ से दाएँ –
१. अंडे देने वाला जन्तु
२. वे जन्तु जो केवल वनस्पतियों को खाते हैं।
३. वे जन्तु जो अन्य जन्तुओं को खाते हैं।
ऊपर से नीचे
४. बच्चे देने वाला जन्तु
५. एक मृतोपजीवी पौधा
६. हरी पत्तियों में पाया जाने वाला पदार्थ
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UP Board Class 5 Computer Education कम्प्यूटर शिक्षा

UP Board Class 5 Computer Education कम्प्यूटर शिक्षा

कम्प्यूटर परिचय बच्चो, इस चित्र को देखो, इस मशीन को कम्प्यूटर कहते हैं-
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  • कम्प्यूटर कार्य को बहुत ही तेजी से पूरा करने में हमारी सहायता करते हैं।
  • कम्प्यूटर कभी भी कोई गलती नहीं करता है। इसलिए हम इस मशीन पर निर्भर हो सकते हैं।
  • जो कार्य करने में हमें कई दिन लग सकते हैं कम्प्यूटर उसे सेकंडों में ही पूरा कर देता है।
  • जिस कम्प्यूटर को हम अपने स्कूल में देखते हैं उसे पी०सी० या फिर पर्सनल कम्प्यूटर कहा जाता है।
  • कम्प्यूटर एक इलेक्ट्रॉनिक मशीन है, जो बिजली की शक्ति से चलती है।

हम कम्प्यूटर से क्या-क्या कर सकते हैं?
हम कम्प्यूटर का इस्तेमाल कई कार्यों में कर सकते हैं। इनमें से कुछ निम्न हैं-
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  • हम कम्प्यूटर पर ड्रॉइंग बनाकर उसमें रंग भर सकते हैं।
  • हम कम्प्यूटर पर पत्र लिख सकते हैं।
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  • हम कम्प्यूटर पर गणना कर सकते हैं।
  • हम कम्प्यूटर पर गाने सुन सकते हैं और फिल्म भी देख सकते हैं।
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  • हम कम्प्यू टर पर गेम भी खेल सकते हैं।
  • हम कम्प्यूटर से ई-मेल भेज सकते हैं।
  • हम कम्प्यूटर से बहुत दूर बैठे व्यक्ति से इस तरह से बात कर सकते हैं जैसे वह हमारे सामने ही हो।

कक्षा में आपस में पछे

  • क्या कम्प्यूटर एक मशीन है?
  • क्या कम्प्यूटर को आदमी ने बनाया है?
  • क्या हम कम्प्यूटर पर गाने सुन सकते हैं?
  • क्या पी०सी० का पूरा नाम पब्लिक कम्प्यूटर है?
  • क्या कम्प्यूटर पर फिल्म देख सकते हैं?
  • क्या कम्प्यूटर जोड़ने और घटाने जैसे कार्य कर सकते हैं?

कम्प्यूटर के प्रयोग क्षेत्र

‘बच्चो, अभी तक आप यह तो जान ही गये होंगे कि कम्प्यूटर एक इलेक्ट्रॉनिक मशीन है और यह बिजली से चलती है। इसके अलावा यह बहुत तेजी से पूरी शुद्धता के साथ बिना गलती किये हुए कार्य को पूरा करता है। इसकी इन्हीं खूबियों की वजह से कम्प्यूटर का प्रयोग आज हमारे जीवन के कई क्षेत्रों में सफलतापूर्वक हो रहा है। इसे रोजमर्रा की जिंदगी में इसकी खूबियों की वजह से अलग-अलग कार्यों के लिए इस्तेमाल किया जाता है। आइए अब उन क्षेत्रों के बारे में जानें जहाँ पर कम्प्यूटर का इस्तेमाल होता है।
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स्कूलों में (शिक्षा के लिये):
बच्चो, आपने अपने स्कूल में कम्प्यूटर देखे होंगे। अध्यापक आपको कम्प्यूटर पर चित्र बनाना सिखाते हैं। इसके अलावा आपको यह भी सिखाते हैं कि आप अंकों को कम्प्यूटर पर आपस में कैसे जोड और घटा सकते हैं और डॉइंग इत्यादि कैसे बना सकते हैं।
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स्कूलों में:
कम्प्यूटर का प्रयोग कई विषयों को पढ़ाने के लिए भी होता है। जैसे-गणित, अंग्रेजी और विज्ञान। इनके द्वारा पढ़ाई बहुत ही आसान और रोचक बन जाती है।

घरों में:
घरों में कम्प्यूटर का प्रयोग कई अलग- अलग कार्यों के लिए किया जाता है आप इन पर गेम खेल सकते हैं। कम्प्यूटर पर ड्राइंग बनाने का अभ्यास कर सकते हैं। खाली समय में गाने सुन सकते हैं और फिल्म देख सकते हैं। आपके बड़े भाई या मम्मी-पापा कम्प्यूटर से ई-मेल भी करते होंगे।

बैंकों में:
बैंकों में कम्प्यूटर खाते सँभालने के काम में प्रयोग किए जाते हैं। अगर आप अपने मम्मी-पापा के साथ कभी बैंक गए हैं तो आपने अवश्य ही बैंक अधिकारी को कम्प्यूटर पर काम करते देखा होगा। कम्प्यूटर की वजह से बैंकों में अब काम तेजी से पूरा होने लगा है।
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कायर्यालयों में:
कार्यालयों में कम्प्यूटर का प्रयोग पत्र लिखने, खाते सँभालने, बजट बनाने, ई-मेल करने जैसे कार्यों के लिए किया जाता है। हमारे देश में भी अब कार्यालयों में कम्प्यूटर का इस्तेमाल दिनोंदिन लगातार बढ़ रहा है। इससे कार्य क्षमता में वृद्धि हुई है।

दुकानों में:
दुकानों में कम्प्यूटर का इस्तेमाल बिल बनाने से लेकर हिसाब-किताब रखने के लिए किया जाता है। कम्प्यूटर की वजह से दुकानदार कुछ सेकंडों में ही यह पता लगा लेता है कि उसकी कितनी बिक्री हुई है और दुकान में कौन-सा सामान कितना रह गया है।

रेलवे स्टेशन/एयरपोर्ट

रेलवे स्टेशनों पर कम्प्यूटर के द्वारा टिकट बुक कराने का काम होता है। इसके अलावा यदि आप एयरपोर्ट गए हैं तो आपने जरूर ही देखा होगा कि उड़ानों की सूचना कम्प्यूटर पर ही दर्शायी जाती है। रिजर्वेशन जैसे कार्य कम्प्यूटर की वजह से बहुत ही तेजी से संपन्न होने लगे हैं।
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अस्पतालों में;
अस्पतालों में कम्प्यूटर का इस्तेमाल मरीजों का रिकार्ड रखने से लेकर बीमारियों की खोज तक में किया जाता है। जिन मशीनों के द्वारा ECG और अल्ट्रासाउंड जैसे काम होते हैं वह भी कम्प्यूटर से ही संचालित होते हैं।
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कम्प्यूटर के मुख्य भाग

जिस तरह से हमारे शरीर में सोचने का काम दिमाग करता है, देखने का काम आँखें करती हैं और बोलने का काम मँह करता है ठीक इसी तरह से कम्प्यूटर के भी कई अलग-अलग भाग होते हैं जोकि अलग-अलग कार्यों को पूरा करते हैं।

इस चित्र को ध्यान से देखिए, इसमें कम्प्यूटर के मुख्य भागों को दर्शाया गया है-
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कम्प्यूटर के मुख्य भाग ये हैं-

  • मॉनीटर
  • की-बोर्ड
  • सी०पी०यू०
  • माउस

मॉनीटर (विजुअल डिस्प्ले यूनिट)

यह एक मॉनीटर है। मॉनीटर देखने में टेलीविजन की तरह से दिखाई देता है। मॉनीटर के जिस भाग पर हमें चित्र या अक्षर दिखाई देते हैं, उसे स्क्रीन कहते हैं। की-बोर्ड के द्वारा जो भी टाइप किया जाता है, वह मॉनीटर पर ही दिखाई देता है। काम पूरा होने पर हमें परिणाम भी मॉनीटर पर ही दिखाई देते हैं। इसीलिए इसे आउटपुट डिवाइस कहा जाता है।
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की-बोर्ड:
यह कम्प्यूटर का दूसरा मुख्य भाग है। चित्र में आप इसे देख सकते हैंकी-बोर्ड देखने में टाइपराइटर जैसा होता है।
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की-बोर्ड के द्वारा आप कम्प्यूटर में कुछ भी लिख सकते हैं। इसके लिए इसमें बहुत से बटन होते हैं। जिन्हें कीज़ कहा जाता है। प्रत्येक अक्षर और अंक के लिए अलग-अलग कीज़ होती हैं, की-बोर्ड में कुछ विशेष कीज़ होती हैं जिन्हें दबाने पर टाइप की हुई सूचना कम्प्यूटर में जाती है। इसीलिए इसे इनपुट डिवाइस या इनपुट यूनिट कहा जाता है।

अपने कम्प्यूटर के की-बोर्ड की कीज़ की गिनती करके निम्न में से सही (√) पर निशान लगाएँ
हमारे की-बोर्ड में 101 कीज़ हैं।
हमारे की-बोर्ड में 104 कीज़ हैं। (√)
हमारे की-बोर्ड में 112 कीज़ हैं।
इनमें से कोई नहीं।

जब भी की-बोर्ड की कोई की दबायी जाती है तो इसका परिणाम तुरंत ही मॉनीटर पर दिखाई देता है। कीज से जुड़ा अक्षर स्क्रीन पर आ जाता है। अभ्यास के लिये आप की-बोर्ड की अलग-अलग कीज़ को दबाकर देख सकते हैं कि किससे कौन-सा अक्षर बन रहा है।

जब भी आप कम्प्यूटर में किसी की को दबाएँ, तो ज्यादा ताकत न लगाएँ। कीज़ को आराम से दबाएँ अन्यथा की-बोर्ड खराब हो सकता है।

सी पी व्यू (CPU)

CPU का पूरा नाम होता है सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट। वास्तव में सी॰पी॰य. एक आयताकार बॉक्स के अंदर होता है जिसे कैबिनेट कहते हैं। देखने में यह कैबिनेट इस तरह से दिखाई देती है-

CPU सभी तरह की सूचनाओं (डेटा) और निर्देशों को याद रखता है। इसका अर्थ यह हुआ कि कम्प्यूटर का दिमाग (मेमोरी) CPU (सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट) में ही होता है।

सभी तरह की गणनाओं को CPU (सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट) के द्वारा ही पूरा किया जाता है। इसीलिए इसे कम्प्यूटर का दिमाग कहते हैं।
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जब हम की-बोर्ड की किसी भी की को दबाते हैं, तो सबसे पहले वह अक्षर सी०पी०यू० में जाता है, इसके बाद मॉनीटर पर दिखाई देता है। मॉनीटर और की-बोर्ड दोनों ही सीपीयू से जुड़े होते हैं।

माउस (Mouse)

इस चित्र में आप माउस को देख सकते हैं- माउस भी कम्प्यूटर की इनपुट डिवाइस है। इसके ऊपर दो या तीन बटन होते हैं और यह एक तार के द्वारा CPU से जुड़ा रहता है। (आजकल बिना तार के माउस भी आ गए हैं।)
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माउस को एक पैड पर रखा जाता है। इसे माउस पैड कहते हैं। जब आप माउस पैड पर माउस को घुमाएँगे तो एक तीर के निशान की तरह का संकेतक (प्वाइंटर) मॉनीटर पर हिलता हुआ दिखाई देगा।

इसे आम बोलचाल की भाषा में माउस प्वाइंटर कहा जाता है। माउस के द्वारा आप गोला, आयत और तरह-तरह की आकृतियाँ भी बना सकते हैं। इसके अलावा कम्प्यूटर को निर्देश देने का काम भी इससे किया जाता है। इसीलिए यह भी एक इनपुट डिवाइस है।

कम्प्यूटर के सहायक उपकरण

बच्चो, अभी आपने कम्प्यूटर के उन भागों के बारे में जाना जोकि अनिवार्य होते हैं। कम्प्यूटर में कई और भी उपकरण प्रयोग किए जाते हैं। जिन्हें हम सहायक उपकरण कह सकते हैं। आइए, ऐसे ही कुछ सहायक उपकरणों के बारे में जाने

फ्लॉपी (Floppy):
फ्लॉपी का प्रयोग अक्षरों और नंबरों इत्यादि को स्थायी रूप से स्टोर करने के लिए किया जाता है। आप की-बोर्ड से जो भी टाइप करते हैं, उसे फ्लॉपी में भी स्टोर कर सकते हैं।
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सी डी. (CD)

CD का चलन वर्तमान समय में सर्वाधिक है। इसे भी आपने कम्प्यूटर की क्लास में जरूर देखा होगा। चित्र में देखकर आप इसे पहचान सकते हैं-
सी०डी० (CD) का पूरा नाम कॉम्पैक्ट डिस्क होता है। यह गोल होती है। इसमें आप बहुत-सी सूचनाओं (डेटा) को स्टोर कर सकते हैं। इसमें अक्षर और अंकों के अलावा पिक्चर भी स्टोर होती है। . बच्चो, क्या आप जानते हैं कि एक सी०डी० में 4000 फ्लॉपियों से ज्यादा जगह होती है।
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इन बातों का ध्यान रखें-
कभी भी फ्लॉपी या सी०डी० को मोड़ें नहीं।

  • फ्लॉपी और सी०डी० पर कुछ भी न लिखें।
  • फ्लॉपी और सी०डी० को सूरज की रोशनी से दूर रखें।
  • फ्लॉपी और सी डी० को चुंबक से भी दूर रखें।
  • फ्लॉपी और सी०डी० को हमेशा कवर में रखें।

प्रिंटर (Printer)

बच्चो, प्रिंटर का इस्तेमाल करके आप स्क्रीन पर दिखाई दे रही सचनाओं को कागज पर छाप सकते हैं। देखने में प्रिंटर लगभग इस तरह का होता है यदि आपने किसी ड्राइंग को बनाया है तो उसे भी प्रिंटर के द्वारा कागज पर प्रिंट कर सकते हैं। इसीलिए इसे आउटपुट डिवाइस कहा जाता है। प्रिंटर को एक तार के द्वारा CPU से जोड़ा जाता है।
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UP Board Class 5 नैतिक शिक्षा एवं स्वास्थ्य शिक्षा

UP Board Class 5 नैतिक शिक्षा एवं स्वास्थ्य शिक्षा

नैतिक शिक्षा का उद्देश्य

१. छात्रों में सदैव सत्य बोलने की भावना जाग्रत् करना।
२. छात्रों में परोपकार एवं दया की भावना जाग्रत करना।
३. छात्रों में देश-प्रेम की भावना जाग्रत करना।
४. छात्रों में अपने माता-पिता, गुरुजनों का सम्मान करने की भावना जाग्रत् करना।

योग-शिक्षा

प्रश्न १.
योग किसे कहते हैं?
उत्तर:
आत्मा को परमात्मा से जोड़ने की प्रक्रिया ही योग है।

प्रश्न २.
आसन करते समय किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
उत्तर:
आसन करते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए
१. आसन खाली पेट करना चाहिए।
२. आसन करते समय ढीले वस्त्र पहनने चाहिए।
३. आसन करने का कमरा खुला एवं हवादार होना चाहिए।
४. जमीन पर मोटा कपड़ा या कम्बल बिछाकर आसन करना चाहिए।
५. प्रत्येक आसन करने के बाद शरीर को ढीला छोड़ देना चाहिए, जिससे शरीर के प्रत्येक अंग को आराम मिले।

प्रश्न ३.
आसनों से प्राप्त होनेवाले लाभ का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
आसनों से निम्नलिखित बिन्दुओं में लाभ होता है
१. आसन करने से शरीर स्वस्थ, सुडौल, सुन्दर एवं नीरोग रहता है।
२. आसन शरीर के अंगों को मजबूत बनाता है।
३. आसन करने से शरीर चुस्त रहता है।
४. आसन करने से शरीर में लचीलापन बना रहता है।
५. आसन करने से शरीर का आलस्य दूर रहता है।
६. आसन करने से मन को एकाग्र करने तथा आत्म-चिंतन में सहायता मिलती है।

सुखासन

विधि – जिन छात्रों को पद्मासन कठिन प्रतीत होता है, उनके लिए सुखासन सुविधाजनक है। इस आसन में पालथी मारकर सीधा बैठना चाहिए; किन्तु कमर झुकी न हो, यह ध्यान रहे। बाएँ हाथ की हथेली बाएँ घुटने पर और दाएँ हाथ की हथेली दाएँ घुटने पर आराम से रखनी चाहिए। हाथों की अंगुलियों एवं नेत्रों को सहज रखें।
UP Board Class 5 नैतिक शिक्षा एवं स्वास्थ्य शिक्षा 1

लाभ: इस आसन से हाथों और टाँगों की मांसपेशियाँ मजबूत होती हैं और पाचनशक्ति बढ़ती है। घुटनों में जमा हुआ रक्तविकार दूर हो जाता है।

वज्रासन
इस आसन में बैठनेवाला व्यक्ति दृढ़ और मजबूत स्थिति प्राप्त करता है। इस स्थिति में सरलता से हिला-डुला नहीं जा सकता, इसीलिए इसे वज्रासन कहा जाता है।

विधि – पैरों के दोनों तलवों को गुदा के दोनों ओर इस प्रकार रखिए कि दोनों जाँघे पैरों पर और कूल्हे तलवों पर आए। टखनों से घुटनों तक का भाग भूमि को छूना चाहिए। पूरे शरीर का वजन घुटनों और टखनों पर रखिए। इस आसन के अभ्यास के दौरान श्वासोच्छवास जारी रखिए। प्रारंभ में संभवतः घुटनों और टखनों में दर्द होगा; किन्तु बाद में अपने आप दूर हो जाएगा। दोनों हाथ सीधे करके घुटनों पर रखिए।
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दोनों घुटनों को एकदम नजदीक रखिए। शरीर, गर्दन और सिर एक सीध में रखकर बिलकुल तनकर बैठिए। यह एक अत्यंत सामान्य आसन है। इस आसन में काफी लंबे समय तक आराम से बैठा जा सकता है।

लाभ:
१. इस आसन से पाचक रस अधिक मात्रा में उत्पन्न होते हैं। जठर अच्छा कार्य करता है और गैस का रोग मिटता है।
२. यह आसन निरंतर करने से घुटनों, पैरों, पंजों और जाँघों में होनेवाला दर्द दूर होता है।
३. इस आसन का लंबे समय तक अभ्यास करने से रसग्रंथियों अथवा प्लीहा, गले के कॉकल, अस्थिमज्जा आदि स्थानों पर उत्पन्न होनेवाले श्वेतकणों की संख्या में वृद्धि होने से स्वास्थ्य अधिक अच्छा बनता है।
४. नियमित रूप से यह आसन करनेवाला व्यक्ति ज्वर, कब्ज, मन्दाग्नि या अजीर्ण आदि छोटे-बड़े किसी भी रोग से पीड़ित नहीं होता।

उत्कट आसन

विधि – अपने पंजों पर एड़ियों को जितना उठा सकें उठाकर खड़े हो जाइए। इसके पश्चात धीरे-धीरे अपने शरीर को साधते हुए पंजों के सहारे जमीन पर बैठने का प्रयास कीजिए। आपके शरीर का सारा भार पंजों पर ही होना चाहिए। कुल्हे और एड़ियाँ एक-दूसरे से मिले रहने चाहिए। दोनों इस अवस्था में रहें कि जमीन से सामान्तर रेखाएँ बनाएँ। आपके शरीर का शेष अंग सीधे और समकोण रहने चाहिए। दोनों हाथ घुटनों पर और आँखें खुली रखकर गहरी साँस लेनी चाहिए।
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उत्कट आसन के निम्न लाभ होते हैं
१. इसमें मांसपेशियों का गठन अच्छा होता है।
२. पैरों के अँगूठे तथा घुटने स्वस्थ रहते हैं।
३. आसन शरीर शुद्धि में सहायक होते हैं।
४. रीढ़ की हड्डी ठीक बनी रहती है।

कोणासन

इस आसन में दोनों हाथ और दोनों पैरों से शरीर का आधार कोण जैसा बनता है। इसलिए इसे ‘कोणासन’ कहा जाता है। इस आसन में दोनों हाथों के पंजों और पैरों की एड़ियों पर पूरे शरीर का संतुलन बनाए रखना पड़ता है।
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विधि – दोनों पैर साथ में जोड़े रखिए। दोनों हाथों के बीच कंधों के बराबर अंतर रखकर हाथ और पैर लंबे करें। इसके बाद साँस खींचिए और हथेलियों तथा एडियों की सहायता से शरीर को ऊपर की ओर ले जाइए। गरदन को पीछे की ओर मोड़िए। दोनों हाथ सीधे और सीना आसमान की तरफ रखिए। इस स्थिति में आठ-दस सेकंड तक रहिए; फिर धीरे-धीरे मूल स्थिति में आइए। यह आसन चार से छह बार कर सकते हैं।

लाभ:
१. इस आसन से कंधे मजबूत बनते हैं और पेट की तकलीफें दूर होती है।
२. इस आसन से पैरों और रीढ़ को पर्याप्त मात्रा में व्यायाम मिलता है।
३. यह आसन पश्चिमोत्तानासन का उप-आसन माना जाता है। इसलिए इसे पश्चिमोत्तानासन के बाद करने से बहुत लाभ होता है।

आसन करते समय सावधानी

आसन करते समय निम्नलिखित सावधानियाँ रखनी चाहिए
१. आसन नियमपूर्वक करना चाहिए तथा कभी भी शीघ्रता नहीं करनी चाहिए।
२. आसन करने के पश्चात् कभी भी तुरंत स्नान नहीं करना चाहिए।
३. आसन करते समय आपस में बातचीत नहीं करनी चाहिए।
४. आसन प्रतिदिन निश्चित समय पर करना चाहिए।

दिशाओं का ज्ञान
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निर्देश –

  • बच्चों से पूछे कि सूर्योदय के समय सूर्य की ओर मुंह करके खड़े होने पर उनके
    • मुँह की ओर कौन-सी दिशा होगी?
    • पीठ की ओर कौन-सी दिशा होगी?
    • बाएँ हाथ की ओर कौन-सी दिशा होगी?
    • दाएँ हाथ की ओर कौन-सी दिशा होगी?
  • कक्षा के अंदर भी यह गतिविधि करवाएँ।
  • नक्शे के आधार पर भी दिशाओं की पहचान करवाएँ।

महीनों और त्योहारों के नाम
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निर्देश

  • प्रत्येक माह में प्रकृति में होनेवाले परिवर्तन के बारे में चर्चा करें।
  • भारतीय कैलेंडर के अनुसार आनेवाले तीज-त्योहारों के बारे में बातचीत करें।
  • अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार आनेवाले प्रमुख त्योहारों के विषय में बातचीत करें।
  • ऋतुओं के बारे में चर्चा करें कि कौन-सी ऋतु किस अंग्रेजी अथवा भारतीय महीने में आती है।

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