UP Board Solutions for Class 6 Agricultural Science Chapter 5 फसलों की सुरक्षा

UP Board Solutions for Class 6 Agricultural Science Chapter 5 फसलों की सुरक्षा

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अभ्यास

प्रश्न 1.
सही उत्तर पर सही (✓) का चिह्न लगाइए –

(i) पक्की बाड़ बनाई जाती है –

(क) ईंटों एवं पत्थरों को चुनकर ✓
(ख) कँटीली झाड़ी लगाकर
(ग) तार लगाकर
(घ) खाई बनाकर

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(ii) पौधों की बाड़ लगाने में प्रयोग किए जाते हैं –

(क) सरपत, करौंदा आदिः ✓
(ख) गेहूँ
(ग) बाजरा
(घ) खखड़ी

(iii) कैंटीली झाड़ी विधि में प्रयोग किया जाता है –

(क) बबूल, जंगल, जलेबी ✓
(ख) ज्वार
(ग) बाजरा
(घ) अरहर

(iv) जालीदार तार की बाड़ लगायी जाती है –

(क) छोटे भूखण्ड के किनारे ✓
(ख) मध्यम भूखण्ड के किनारे
(ग) नदी किनारे
(घ) बड़े भूखण्ड के किनारे

(v) खखड़ी की बाड़ में प्रयोग किया जाता है –

(क) ईंट
(ख) पत्थर ✓ 
(ग) लकड़ी
(घ) तार

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प्रश्न 2.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए –

(क) पौधों की बाड़ में सरपत तथा मेहंदी के पौधों का प्रयोग होता है।
(ख) पशुओं से फसल सुरक्षा बाड लगाकर की जाती है।
(ग) खखड़ी को प्रयोग पहाड़ी क्षेत्रों में होता है।
(घ) कँटीली झाड़ी की बाड़ में बबूल तथा जंगली जलेबी पौधों का प्रयोग होता है।
(ङ) कॅटीले तार की बाड़ में खम्भों का प्रयोग होता है।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित में सही के सामने सही (✓) तथा गलत के सामने गलत (✗) का निशान लगाइए –

(क) खखड़ी विधि में ईंट का प्रयोग होता है। (✗)
(ख) पत्थरों का प्रयोग खखड़ी विधि में किया जाता है। (✓)
(ग) जालीदार तार की बाड़ बड़े भूखण्डों के किनारे होती है। (✗)
(घ) कॅटीले तार की बाड़ का प्रयोग छोटे भूखण्डों के किनारे होता है। (✗)
(ङ) कँटीली झाड़ी की बाड़ लगाने में करौंदा का प्रयोग होता है। (✓)

प्रश्न 4.
निम्नलिखित में स्तम्भ ‘क’ का स्तम्भ ‘ख’ से सुमेल कीजिए – (सुमेल करके)
उत्तर :
UP Board Solutions for Class 6 Agricultural Science Chapter 5 फसलों की सुरक्षा 1

प्रश्न 5.
पौधों की बाड़ लगाने से क्या लाभ होता है?
उत्तर :
इस विधि में जानवरों से फसलों की सुरक्षा मेड़ों के किनारे झाड़दार पौधे लगाकर की जाती है। बाड़ लगाने हेतु सरपत, मेंहदी आदि पौधों का चुनाव किया जाता है।

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प्रश्न 6.
फसलों में बाड़ का क्या महत्त्व है?
उत्तर :
फसलों में बाड़ का बहुत महत्त्व है। बाड़ लगाने से जंगली एवं पालतू जानवरों से फसल की सुरक्षा होती है।

प्रश्न 7.
खखड़ी द्वारा बाड़ कैसे बनायी जाती है?
उत्तर :
इस विधि में पहाड़ी क्षेत्रों में पत्थर के छोटे-छोटे टुकड़ों को दीवार (UPBoardSolutions.com) की तरह खेत के चारों तरफ रखकर बाड़ बनाते हैं। इसमें सीमेन्ट या मिट्टी का प्रयोग दीवार बनाने हेतु नहीं किया जाता है।

प्रश्न 8.
कैंटीले तार द्वारा बाड़ में क्या-क्या प्रयोग किया जाता है?
उत्तर :
कॅटीले तार की बाड़ में बड़े क्षेत्रों में खम्भों के सहारे कॅटीले तार लगाए जाते हैं।

प्रश्न 9.
बाड़ लगाते समय किन-किन बातों को ध्यान में रखना चाहिए?
उत्तर :
बाड़ लगाते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए।

  1. जहाँ जैसी, बाड़ की जरूरत हो, वैसी बाड़ लगानी चाहिए।
  2. बाड़ वस्तुओं की उपलब्धता के अनुसार लगानी चाहिए।
  3. क्षेत्रों के कोनों पर दो अतिरिक्त खम्भों को लगाकर उन्हें गिरने से बचाना चाहिए।

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प्रश्न 10.
पत्थर के टुकड़ों की बिना मिट्टी या सीमेन्ट द्वारा चुनाई कर बाड़ लगाने की विधि को क्या कहते हैं?
उत्तर :
खखड़ी बाड़ बनाना।

प्रश्न 11.
बाड़ लगाना किसे कहते हैं? बाड़ लगाने की सभी विधियों का वर्णन कीजिए।
उत्तर :
फसलों की जानवरों से सुरक्षा हेतु जो भी उपाय किए जाते हैं, उन्हें बाड़ लगाना कहते है। फसलों की सुरक्षा निम्न प्रकार से की जाती है –

  1. पौधों की बाड़ लगाना
  2. कँटीली झाड़ी की बाड़ लगाना
  3. खाई बनाकर सुरक्षा
  4. कॅटीले तार की बाड़ बनाना।
  5. जालीदार तार की बाड़
  6. खखड़ी बाड़ बनाना।
  7. पक्की बाड़ बनाना।

प्रश्न 12.
बाड़ कितने प्रकार की होती है? पहाड़ी क्षेत्र के लिए बाड़ लगाने की कौन-सी विधि उपयुक्त है?
उत्तर :
बाड़ के प्रकार के लिए प्रश्न 11 का उत्तर देखिए। पहाड़ी क्षेत्र में खखड़ी बाड़ बनाना उपयुक्त होता है। यह पत्थर से दीवार की तरह लगाकर बनाई जाती है।

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प्रश्न 13.
कँटीली झाड़ी द्वारा बाड़ लगाने में किन-किन पौधों का प्रयोग किया जाता है?
उत्तर :
कँटीली झाड़ी द्वारा बाड़ लगाने हेतु झरबेरी, करौंदा, बबूल, (UPBoardSolutions.com) जंगली जलेबी इत्यादि पौधों का प्रयोग किया जाता है।

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UP Board Solutions for Class 6 Home Craft Chapter 1 स्वास्थ्य

UP Board Solutions for Class 6 Home Craft Chapter 1 स्वास्थ्य

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स्वास्थ्य

अभ्यास

प्रश्न 1.
बहुविकल्पीय प्रश्नसही विकल्प के सामने दिए गए गोल घेरे को काला करिए–
(1) अच्छे स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है 
(क) अत्यधिक भोजन करना ◯
(ख) देर तक सोना ◯
(ग) दवा का सेवन करना ◯
(घ) नियमित व संतुलित दिनचर्या का पालन करना ●

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(2) सुबह उठकर सबसे पहले
(क) शौच जाना ●
(ख) भोजन करना ◯
(ग) नहाना ◯
(घ) मोबाइल चलाना ◯

प्रश्न 2.
अतिलघु उत्तरीय प्रश्न-
(क) हमें उत्तम स्वास्थ्य के लिए कितने घंटे सोना चाहिए ?
उत्तर
हमें उत्तम स्वास्थ्य के लिए कम-से-कम छह-सात घंटे तक सोना चाहिए।

(ख) सूर्योदय से पूर्व उठेना क्यों आवश्यक है ?
उत्तर
अच्छे स्वास्थ्य के लिए सूर्योदय से पूर्व उठना आवश्यक है।

प्रश्न 3.
लघु उत्तरीय प्रश्न-
(क) सुखी परिवार किसे कहते है ?
उत्तर
उस परिवार को सुखी परिवार कहा जाता है, जिसके सदस्यों में पूर्ण तालमेल हो, सबका स्वास्थ्य उत्तम हो, परिवार की जरूरतों के अनुसार आय हो, शिक्षा का (UPBoardSolutions.com) वातावरण हो और बुरी आदतों से सब दूर हों।

(ख) प्रताप का स्वास्थ्य क्यों खराब हुआ ?
उत्तर
प्रताप का स्वास्थ्य उचित खान-पान के अभाव में और अनियमित दिनचर्या के कारण खराब हुआ।

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प्रश्न 4.
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
(क) स्वास्थ्य किसे कहते हैं ? अच्छे स्वास्थ्य के क्या लक्षण हैं ?
उत्तर
पूर्णतः विकार रहित अच्छी शारीरिक स्थिति स्वास्थ्य कहलाती है। अच्छे स्वास्थ्य के निम्नलिखित लक्षण हैं

  1. निरोगी शरीर, स्वस्थ दाँत।
  2. विकसित मांसपेशियाँ, चिकने, चमकीले और मजबूत केश।
  3. शरीर का पुष्ट होना, रोग प्रतिरोधक क्षमता होना।
  4. कार्यों को लगन एवं मेहनत से करना ।
  5. अच्छी भूख लगना, भैरपूर नींद लेना।
  6. सकारात्मक सोच।।
  7. शरीर तन्त्रों की सही क्रिया।
  8. आयु के अनुसार भार व लम्बाई होना।

(ख) उत्तम स्वास्थ्य के लिए आप किन-किन बातों का ध्यान रखेंगे ?
उत्तर
उत्तम स्वास्थ्य के लिए निम्न बातों का ध्यान रखना आवश्यक है

प्रातःकाल सूर्योदय से पूर्व जागना, शौच, स्नानादि से निवृत्त होकर हलका-फुलका व्यायाम करना, जैसेटहलना, दौड़ना, रस्सी कूदना आदि। नाश्ते में पौष्टिक चीजें जैसे- अंकुरित अन्न, फल, दूध, दलिया आदि लेना। दिनचर्या ऐसी-बनाना कि उसमें दिनभर के कार्यों के अलावा खेलकूद व मनोरंजन भी (UPBoardSolutions.com) अनिवार्य रूप से शामिल हो। भरपूर मेहनत करना और छ:-सात घंटे की गहरी नींद लेना, भोजन में हरी-पत्तीदार सब्जियाँ, दाल, सलाद, रोटी, चावल, दही, जैसे पदार्थों को शामिल करना जरूरी है।

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प्रोजेक्ट कार्य :                                 नोट- विद्यार्थी स्वयं करें।

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UP Board Solutions for Class 6 Agricultural Science Chapter 3 खाद तथा उर्वरक

UP Board Solutions for Class 6 Agricultural Science Chapter 3 खाद तथा उर्वरक

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अभ्यास

प्रश्न 1.
सही उत्तर पर सही का (✓) निशान लगाइए –

(i) जैविक खाद है –

(क) नाइट्रोजनी उर्वरक
(ख) फास्फेटी उर्वरक
(ग) पोटाश उर्वरक
(घ) गोबर की खाद ✓

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(ii) उर्वरक तैयार किया जाता है –

(क) गड्ढे में
(ख) जमीन में
(ग) कारखाने में ✓
(घ) गाँव में s

(iii) मुख्य पोषक तत्त्व है –

(क) आयरन
(ख) मैग्नीज
(ग) कॉपर
(घ) नाइट्रोजन ✓

(iv) सूक्ष्म पोषक तत्त्व है –

(क) नाइट्रोजन
(ख) फॉस्फोरस
(ग) पोटाश।
(घ) जिंक ✓

(v) उर्वरक है –

(क) गोबर की खाद
(ख) कम्पोस्ट ।
(ग) हरी खाद
(घ) रासायनिक खाद ✓

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प्रश्न 2.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कोष्ठक में दिए गए शब्दों से कीजिए।

(क) कार्बनिक पदार्थ की मात्रा खाद में अधिक पाई जाती है। (खाद, उर्वरक)
(ख) जैविक खाद को गड्ढे में तैयार किया जाता है। (गड्ढे, कारखाने)
(ग) जैविक खाद का प्रयोग बुआई से पूर्व किया जाता है। (से पूर्व, बाद में)
(घ) पशुओं के नीचे बिछायी जाने वाली वनस्पतिक सामग्री को बिछाली कहते हैं। (कूड़ा कचरा, बिछाली)
(ङ) तिलहनी फसलों के बीजों से तेल निकालने के बाद शेष भाग को खली कहते हैं। (छिलका, खली)

प्रश्न 3.
निम्नलिखित कथनों में सही कथन पर सही (✓) तथा गलत कथन पर गलत (✗) का चिह्न लगाएँ –

(क) उर्वरक प्रायः गड्ढे में तैयार किए जाते हैं। (✗)
(ख) जैविक खाद में पोषक तत्वों की मात्रा निश्चित होती है। (✗)
(ग) ऐसे तत्त्वं जिनकी पौधों को बहुत कम मात्रा में आवश्यकता होती है, सूक्ष्म पोषक तत्त्व कहलाते हैं। (✓)
(घ) हरी खाद, पौधों को मिट्टी में दबाकर तैयार की जाती है। (✓)
(ङ) कैल्सियम को पोषक तत्वों का राजा कहा जाता है। (✗)

प्रश्न 4.
निम्नलिखित में स्तम्भ ‘क’ को स्तम्भ ‘ख’ से सुमेल कीजिए। (सुमेल करके)
उत्तर :
UP Board Solutions for Class 6 Agricultural Science Chapter 3 खाद तथा उर्वरक 1

प्रश्न 5.

(क) सूक्ष्म पोषक तत्त्व क्या हैं? उनके नाम लिखिए।
(ख) पौधों में नाइट्रोजन के महत्त्व को लिखिए।
(ग) हरी खाद को परिभाषित कीजिए।
(घ) कार्बनिक पदार्थ का मृदा पर क्या प्रभाव पड़ता है?
(ङ) खाद के रूप में प्रयोग की जाने वाली तीन खलियों के नाम लिखिए।

उत्तर :

(क) जिन तत्त्वों की पौधों को बहुत कम जरूरत होती है, उन्हें सूक्ष्म पोषक तत्त्व कहते हैं। सूक्ष्म पोषक तत्वों में आयरन, मैग्नीज, कॉपर, जिंक, बोरॉन आदि हैं। (UPBoardSolutions.com)
(ख) नाइट्रोजन को पोषक तत्त्वों का राजा कहते हैं। यह एक संरचनात्मक तत्त्वं है। नाइट्रोजन पौधों में हरा रंग क्लारोफिल उत्पन्न करता है। यह पौधों की तीव्र वृद्धि में सहायक होता है।
(ग) सनई, ढेचा, लोबिया आदि के हरे पौधों को मृदा उर्वरता बढ़ाने के लिए भूमि में दबाने से जो खाद प्राप्त होती है, उसे हरी खाद कहते हैं।
(घ) कार्बनिक पदार्थ का मृदा पर बहुत प्रभाव पड़ता है। इससे मृदा का उपजाऊपन बढ़ जाता है।
(ङ) खाद के रूप में प्रयुक्त होने वाली तीन खलियों के नाम हैं – नीम, महुआ और अलसी।

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प्रश्न 6.
आवश्यक पोषक तत्वों का वर्गीकरण कीजिए।
उत्तर :
पोषक तत्वों को आवश्यकता के आधार पर तीन वर्गों में बाँटा गया है –

  1. मुख्य पोषक तत्त्व जैसे- कार्बन, हाइड्रोजन, ऑक्सीजन, नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटैशियम।
  2. गौण पोषक तत्त्व जैसे- कैल्सियम, मैग्नीशियम, सल्फर।
  3. सूक्ष्म पोषक तत्त्व जैसे- आयरन, मैग्नीज, कॉपर, जिंक।

प्रश्न 7.
खाद किसे कहते हैं? समझाकर लिखिए।
उत्तर :
जीव-जन्तुओं एवं पेड़-पौधों के अवशेषों के विघटित अंश को ‘खाद’ कहते हैं। गोबर और घर का कचरा सड़ने के बाद खाद बन जाता है।

प्रश्न 8.
मुख्य पोषक तत्वों को पौधों की वृद्धि में क्या महत्त्व है?
उत्तर :
मुख्य पोषक तत्वों का पौधों की वृद्धि में महत्त्वपूर्ण स्थान हैं क्योंकि कार्बन, हाइड्रोजन और ऑक्सीजन पौधों के लगभग 95% भाग का निर्माण करते हैं। पौधों के शुष्क भाग का लगभग 44% कार्बन, 40% ऑक्सीजन एवं 8% हाइड्रोजन होता है। प्रकाश संश्लेषण क्रिया द्वारा कार्बन डाइऑक्साइड व (UPBoardSolutions.com) जल के संयोग से पौधों में शर्करा और स्टार्च का निर्माण होता है। हरे पौधों में यही जीवन का आधार है।

प्रश्न 9.
खाद को वर्गीकृत करते हुए हरी खाद बनाने की विधि का वर्णन कीजिए।
उत्तर :
खाद के प्रकार – यह मुख्यतः दो प्रकार की होती है –
UP Board Solutions for Class 6 Agricultural Science Chapter 3 खाद तथा उर्वरक 2

हरी खाद बनाने की विधि – इस विधि से जिस खेत में खाद देनी होती है, उसी में हरी खाद की फसल को लगभग एक माह पश्चातू खेत में ही पाटा लगाकर गिरा देते हैं। इसके बाद मिट्टी पलटने वाले हल से जुताई कर देते हैं। जिससे सभी हरे पौधे मिट्टी में दब जाते हैं। कुछ दिन में पौधे सड़-गलकर खाद बन जाते हैं।

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प्रश्न 10.
गोबर गैस संयंत्र से होने वाले लाभों का वर्णन कीजिए।
उत्तर :
गोबर गैस संयंत्र से लाभ –

  1. भोजन पकाने के लिए ईंधन के रूप में गैस प्राप्त होती है।
  2. गैस का उपयोग’ गैस लैंप में प्रकाश के लिए भी किया जाता है।
  3. संयंत्र से गोबर की खाद (गाद) प्राप्त होती है।
  4. इस खाद (गाद) में सामान्य गोबर की खाद से कई गुना अधिक पोषक तत्त्व पाए जाते हैं।

प्रश्न 11.
पौधों में नत्रजन की कमी के लक्षण लिखिए।
उत्तर :
पौधों में नत्रजन की कमी के लक्षण निम्नलिखित हैं

  1. लक्षण सर्वप्रथम पुरानी पत्तियों पर प्रकट होते हैं।
  2. पूरी पत्ती नसों सहित पीली पड़ जाती हैं।
  3. पत्ती पर सी भी रंग के धब्बे नहीं पड़ते।
  4. पत्तियाँ भंगुर हो जाती हैं और मोड़ने पर चटक कर टूटती हैं।
  5. पौधा बौना रह जाता है।

प्रश्न 12.
निम्नलिखित में संकेतों के अनुसार शब्द पूराँ करें –
UP Board Solutions for Class 6 Agricultural Science Chapter 3 खाद तथा उर्वरक 3

उत्तर :

  1. कारखाना
  2. हाइड्रोजन
  3. विष्टाचूर्ण
  4. फर्टिलाइजर
  5. नाइट्रोजन
  6. सल्फर
  7. बिछाली

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प्रोजेक्ट कार्य
नोट – छात्र स्वयं करें।

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UP Board Solutions for Class 6 Agricultural Science Chapter 4 सिंचाई एवं सिंचाई के यन्त्र

UP Board Solutions for Class 6 Agricultural Science Chapter 4 सिंचाई एवं सिंचाई के यन्त्र

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अभ्यास

प्रश्न 1.
सही उत्तर पर सही का (✓) निशान लगाइए-

(i) सिंचाई कब करनी चाहिए?

(क) जब पौधे हरे भरे दिखाई पड़े।
(ख) जब फसल को कीड़ों से बचानी हो।
(ग) जब पौधों की पत्तियाँ तेज धूप में मुरझाने लगे। ✓ 
(घ) जब पानी बरसने की सम्भावना हो।

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(ii) फसलों को सिंचाई की आवश्यकता क्यों पड़ती है?

(क) पौधों की बढ़वार के लिए ✓
(ख) पौधे की पत्तियों की बढ़वार रोकने के लिए
(ग) मृदा में वायु के संचार को बढ़ाने के लिए।
(घ) मृदा की जल धारण क्षमता की वृद्धि के लिए

(iii) किसी फसल में सिंचाई की आवश्यकता को कम करने में निम्नांकित में से कौन-सा कारक महत्त्वपूर्ण है?

(क) मृदा में उपलब्ध जैव पदार्थ की प्रचुर मात्रा ✓ 
(ख) बलुई मृदा
(ग) फसल में खरपतवार की अधिकता।
(घ) रासायनिक उर्वरकों का अधिक प्रयोग

प्रश्न 2.
निम्नलिखित में सही कथन के सामने सही (✓) तथा गलत के सामने गलत (✗) का निशान लगाएँ –

(क) पौधों की जड़े जलीय घोल के रूप में अपना भोजन लेती हैं। (✓)
(ख) पौधों का भोजन पत्तियों द्वारा अँधेरे में बनाया जाता है। (✗)
(ग) धान की फसल में गेहूं की अपेक्षा कम सिंचाई की आवश्यकता पड़ती है। (✗)
(घ) जैव पदार्थ मृदा की जल धारण क्षमता को प्रभावित करता है। (✓)
(ङ) पाताल तोड़ कुएँ से जल उठाने में बिजली द्वारा संचालित पम्प की आवश्यकता पड़ती है। (✗)
(च) चेन पम्प 10 मीटर की गहराई तक सुगमतापूर्वक पानी उठाता है। (✗)

प्रश्न 3.
निम्नलिखित में स्तम्भ ‘क’ को स्तम्भ ‘ख’ से सुमेल कीजिए –
उत्तर :
UP Board Solutions for Class 6 Agricultural Science Chapter 4 सिंचाई एवं सिंचाई के यन्त्र 1

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प्रश्न 4.
निम्नलिखित के कारण बताइए –

(क) बलुई व बलुई दोमट मृदा में पानी शीघ्रता से रिसता है।
(ख) गर्मी में मृदा जल का वाष्पीकरण अधिक होता है।
(ग) ऊसर भूमि को सिंचाई द्वारा फसल उगाने योग्य बनाया जा सकता है।

उत्तर :

(क) बलुई व बलुई दोमट में जल धारण क्षमता नहीं के बराबर या कम होने के कारण पानी शीघ्रता से रिसता है।
(ख) गर्मी में पानी भाप बनकर (UPBoardSolutions.com) उड़ता है।
(ग) ऊसर में पानी खड़ा करने (सिंचाई) से उसकी ऊपरी पर्त का खारापन नीचे चला जाता है और धान, वरषम बरसी बोते रहने से जैविक खाद के प्रयोग से वह धीरे-धीरे उपजाऊ होने लगती है।

प्रश्न 5.
फसलों में सिंचाई की जरूरत क्यों पड़ती है? वर्णन कीजिए।
उत्तर :
उपयुक्त समय पर वर्षा न होने से पौधों के उपयुक्त विकास और वृद्धि के लिए कृत्रिम रूप से जल देने की प्रक्रिया की जरूरत होती है, जिसे सिंचाई कहते हैं।

प्रश्न 6.
फसलों के लिए जल की आवश्यकता को प्रभावित करने वाले कौन-कौन से कारक हैं? वर्णन कीजिए।
उत्तर :
जल की आवश्यकता को प्रभावित करने वाले कारक निम्नलिखित हैं –

  1. गर्मी में मृदा-जल का वाष्पीकरण अधिक होने से फसलों को अधिक जल चाहिए।
  2. बलुई व बलुई दोमट में जल रिसता है, इसलिए फसलों को अधिक जल चाहिए।
  3. धान, गन्ना जैसी फसलों को अधिक जल की जरूरत होती है।
  4. वर्षा की मात्रा व वितरण सिंचाई (UPBoardSolutions.com) को प्रभावित करते हैं।
  5. अधिक जैविक खाद से जल धारण क्षमता बढ़ने से सिंचाई की जरूरत घटती है।
  6. रासायनिक उर्वरकों के अधिक प्रयोग से सिंचाई की अधिक जरूरत होती है।

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प्रश्न 7.
बैड़ी तथा रहट का सचित्र वर्णन कीजिए।
उत्तर :
बेड़ी – यह एक मीटर की गहराई से पानी उठाने का साधन है। इसमें बाँस की दोहरी तथा धनी बुनाई वाली टोकरी का प्रयोग किया जाता है। टोकरी का 7 व्यास 75 सेमी होता है। टोकरी का मध्य 10 सेमी गहरा तथा किनारे पर छिछली हो जाती है। टोकरी के किनारे पर दो मीटर लम्बी चार रस्सियाँ बाँध दी जाती हैं। पानी उठाने के लिए इसमें दो व्यक्तियों की जरूरत होती है।
UP Board Solutions for Class 6 Agricultural Science Chapter 4 सिंचाई एवं सिंचाई के यन्त्र 2

रहट यह यंत्र भी कुओं से पानी निकालने के काम आता है। इसमें बहुत-सी लोहे की बाल्टियाँ माला के रूप में एक-दूसरे से जुड़ी होती हैं, जो लोहे के पहिए पर घूमती हैं। बाल्टियों (UPBoardSolutions.com) की संख्या कुएँ की गहराई पर निर्भर करती है। रहट चलाने के लिए एक ऊँट या दो बैलों की जरूरत होती है।
UP Board Solutions for Class 6 Agricultural Science Chapter 4 सिंचाई एवं सिंचाई के यन्त्र 3

प्रश्न 8.
सिंचाई की दोन और पेच (इजिप्शियन स्कू) साधनों का तुलनात्मक वर्णन कीजिए।
उत्तर :
दोन – 1 मीटर से कम गहराई से पानी निकालते हैं। दोन 3 मी0 लम्बे टिन से निर्मित नाव जैसी । होती है। एक सिरा चौड़ा तथा मुँह बन्द होता है जबकि दूसरा सिरा सकरा और मुँह खुला होता है। इससे पानी उठाने का काम एक आदमी करता है। पानी स्रोत के समीप दो बल्लियों के बीच लगी घूरी के सहारे 4 मीटर लम्बी बल्ली के एक किनारे पर दोन को बाँधा जाता है दूसरे किनारे पर पत्थर या बोरे में मिट्टी बाँध दी जाती है।

पेच (इजिप्शियन स्क्रू) – यह लकड़ी के ढोल के समान होता है। लम्बाई लगभग 1.5 मीटर तथा व्यास लगभग 40 सेमी० होता है। यह यंत्र 40° से 45° का कोण बनाते हुए लगाया (UPBoardSolutions.com) जाता है। एक सिरा पानी में लकड़ी के कुंदे पर रखा जाता है। यंत्र को घुमाने पर पानी पेच के सहारे ऊपरी सिरे से बाहर आता है। इसे चलाने के लिए दो व्यक्तियों की आवश्यकता होती है।

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प्रश्न 9.
सिंचाई के साधनों का वर्णन कीजिए।
उत्तर :
किसान जल स्रोतों से अपने खेतों तक जल पहुँचाने हेतु अनेक साधनों का प्रयोग करता है जैसे बेड़ी, ढेकली, दोन, चरसा, रहट, चेन पम्प आदि। इसकी विस्तृत जानकारी निम्नवत है –

1. बेड़ी (दौरी या दोगला) – यह एक मीटर की गहराई से पानी उठाने के लिए प्रचलित साधन है। इसमें बाँस की दोहरी तथा घनी बुनाई द्वारा तैयारी टोकरी प्रयोग में लाई जाती है।

2. ढेकली – इसे 3 से 4 मीटर गहराई से पानी उठाने के लिए प्रयोग में लाया जाता है। ढेकली को चलाने के लिए एक व्यक्ति की आवश्यता होती है। इसमें लकड़ी की थूनी पर धुरी के सहारे 5-6 मीटर लम्बी बल्ली इस तरह लगाते हैं कि पानी के स्रोत की तरफ बल्ली का दो तिहाई से कुछ ज्यादा भाग रहे। बल्ली के दूसरे किनारे पर लोहे या पत्थर का 20-25 किग्रा का वजन बांध दिया जाता है।

3. दोन – इससे लगभग 60 से 90 सेमी की गइराई से पानी निकाला जाती है। यह लगभग 3 मीटर लम्बा टिन द्वारा निर्मित्त नाव के आकार का होता है। इसका एक सिरा थोड़ा चौड़ा तथा मुँह बन्द होता है। दूसरा सिरा सकरा तथा मुँह खुला होता है।

4. चरसा – आपने अपने गाँव या आस-पास देखा होगा कि कुँए से सिंचाई करने के लिए चरसा का प्रयोग होता है। कुँए के ऊपरी भाग पर बल्लियों के सहारे लकड़ी की बड़ी गड़ारी रखी जाती है। इस गड़ारी पर मोटी रस्सी के सहारे चमड़े का बड़ा थैला (मोट) बाँधते हैं जो कुँए से पानी भर कर ऊपर (UPBoardSolutions.com) लाता है। एक जोड़ी बैल ऊँचाई से नीचे की ओर ढालू जमीन पर पानी भरा थैला खींचते हैं। ज्यों ही पानी भरा थैला कुँए पर आता है, एक व्यक्ति जो वहाँ खड़ा रहता है, इसे अपनी ओर खींच कर पानी गिराने के बाद चरसे को वापस कुँए में डाल देता है।

5. चेन पम्प – इसके द्वारा 1.5 मीटर से 3 मीटर की गहराई से पानी उठाया जाता है। इस यन्त्र में लोहे की एक जंजीर में छोटे छोटे गट्टों की माला लोहे के बड़े पहिए पर चढ़ी रहती है। गट्टेदार माला को घुमाने पर लोहे के पाइप के सहारे पानी ऊपर आता है।

6. बल्देव बाल्टी – यह यन्त्र एक मीटर तक की गहराई से पानी निकालने के लिए सर्वोत्तम पाया गया है। इसमें दोन की भाँति दो बल्टॅिया होती है जो गड़ारी पर पड़ी हुई रस्सियों के सहारे बारी-बारी से पानी में जाती है। और पानी भर कर ऊपर आती हैं। इसे चलाने के लिए एक जोडी बैल की आवश्यकता पड़ती है।

7. पेंच (इजिप्शियन स्कू) – इस यन्त्र को पेंच भी कहा जाता है। यह लकड़ी के ढोल के समान होता है। और भीतर से स्क्रू (पेंच) के समान बनावट होती है। इसका एक सिरा पानी के अनदर लकड़ी के कुन्दे पर रखा होता है। यन्त्र को घुमाने पर पानी पेंच के सहारे ऊपरी सिरे से बाहर आता है।

8. यन्त्र चालिक पम्प – अधिक गहराई से भूमिगत जल को (UPBoardSolutions.com) उठाने के लिए इस प्रकार के पम्पों का प्रयोग किया जाता है जिन्हें बिजली की मोटर या डीजल इंजन द्वारा चलाते हैं।

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प्रोजेक्ट कार्य
नोट – विद्यार्थी स्वयं करें।

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UP Board Solutions for Class 6 Agricultural Science Chapter 6 बीज

UP Board Solutions for Class 6 Agricultural Science Chapter 6 बीज

These Solutions are part of UP Board Solutions for 6 Agricultural Science. Here we have given UP Board Solutions for Class 6 Agricultural Science Chapter 6 बीज

अभ्यास

प्रश्न 1.
सही उत्तर पर सही (✓) का चिह्न लगाइए –

(i) साधारण बीज को कहते हैं –

(क) जनक बीज
(ख) आधार बीज
(ग) कृषक बीज ✓
(घ) प्रमाणित बीज

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(ii) आधार बीज है –

(क) जनक बीज की सन्तति ✓  
(ख) प्रमाणित बीज की सन्तति
(ग) साधारण बीज की सन्तति
(घ) संकर बीज की सन्तति

(iii) जनक बीज का उत्पादन किया जाता है –

(क) विशेषज्ञों द्वारा ✓
(ख) किसानों द्वारा
(ग) कारखानों द्वारा
(घ) शिक्षकों द्वारा

(iv) संकर बीज का प्रयोग किया जाता है –

(क) केवल एक बार ✓
(ख) दो बार
(ग) तीन बार
(घ) बार-बार

प्रश्न 2.
निम्नलिखित में स्तम्भ ‘क’ का स्तम्भ ‘ख’ से सुमेल कीजिए – (सुमेल करके)
उत्तर :
UP Board Solutions for Class 6 Agricultural Science Chapter 6 बीज 1

प्रश्न 3.

  1. साधारण बीज की परिभाषा लिखिए।
  2. उन्नतिशील बीज को स्पष्ट कीजिए।
  3. गेहूँ की तीन उन्नतशील किस्में लिखिए।
  4. बीज और दाने में क्या अन्तर है?
  5. उन्नतशील बीज कहाँ से प्राप्त किए जा सकते हैं?

उत्तर :

  1. जो बीज किसान स्वयं बनाता है, उसे साधारण बीज कहते हैं।
  2. उन्नतिशील बीज वैज्ञानिकों, विशेषज्ञों द्वारा बनाए जाते हैं।
  3. गेहूँ की तीन उन्नतिशील किस्में एच डी- 2285, पी0बी0डबलू- 343, मालवीय- 234।
  4. बीज बोने के काम आता है, जबकि दाना अनाज के रूप में खाने के काम आता है।
  5. उन्नतिशील बीज सरकारी गोदामों या लाइसेंसशुदा बीज की दुकानों से प्राप्त किए जाते हैं।

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प्रश्न 4.

  1. अनाज से क्या समझते हैं?
  2. बीज को कहाँ से प्राप्त करना चाहिए?
  3. अच्छे बीजों की क्या पहचान हैं?

उत्तर :

  1. जो कृषि उत्पाद खाने के काम आते हैं, उन्हें अनाज कहा जाता है; जैसे – गेहूँ, जौ, चना, मक्का। इनका खाने के लिए भंडारण किया जाता है और आटा बनाकर (UPBoardSolutions.com) (पिसाकर) खाया जाता है।
  2. बीज को सरकारी गोदाम या लाइसेंसशुदा बीज की दुकान से लेना चाहिए।
  3. अच्छे बीज पूर्ण पके व चमकीले होते हैं। ये परिस्थितियों के अनुकूल होते हैं। इनमें खरपतवार के बीज नहीं होते।

प्रश्न 5.
उन्नतिशील बीज कैसे बनाया जाता है? संक्षेप में वर्णन कीजिए।
उत्तर :
इस तरह के बीज वैज्ञानिक विधि से बनाए जाते हैं। इनको बनाने में चार पाँच साल का समय लगता है।

प्रश्न 6.
बीज कितने प्रकार के होते हैं? साधारण बीज व उन्नतशील बीज की तुलना कीजिए।
उत्तर :
बीज दो प्रकार के होते है – साधारण बीज व उन्नतशील बीज।

साधारण बीज –

  1. रंग व आकार में सामान्य होते हैं।
  2. अंकुरण कम होता है।
  3. बीमारी लगने की संभावना होती है।
  4. पैदावार कम होती है।
  5. खरपतवार बहुत होते हैं।
  6. साधारण बीज सस्ते मिलते हैं।

उन्नतिशील बीज –

  1. चमकदार व आकार में कुछ बड़े।
  2. अंकुरण शत-प्रतिशत होता है।
  3. बीमारी लगने की संभावना नहीं होती है।
  4. पैदावार अधिक होती है।
  5. नहीं होते।
  6. महँगे मिलते हैं।

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प्रोजेक्ट कार्य
नोट – विद्यार्थी स्वयं करें।

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