UP Board Solutions for Class 6 Hindi प्रार्थना पत्र (पत्र – लेखन)

UP Board Solutions for Class 6 Hindi प्रार्थना पत्र (पत्र – लेखन)

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पत्रों के भेद – पत्र मुख्यतः तीन प्रकार के होते हैं –

  1. व्यक्तिगत पत्र (सामाजिक पत्र)।
  2. व्यापारिक पत्र।
  3. सरकारी पत्र।

कुछ मुख्य प्रशस्ति – सूचक तथा अभिवादन एवं अन्त में लिखे जानेवाले शब्द –
UP Board Solutions for Class 6 Hindi प्रार्थना पत्र (पत्र - लेखन) 1

पुत्र का पिता के नाम पत्र

राजकीय इन्टर कॉलेज,
लखन
दिनांक 1 अप्रैल, 20xx
पूजनीय पिता जी,
सादर चरण स्पर्श।
मैं यहाँ कुशल हैं और आपकी कुशलता की ईश्वर से कामना करता हूँ। मैं मन लगाकर पढ़ रहा हैं। अब शीघ्र ही मेरी वार्षिक परीक्षाएँ शुरू होने वाली हैं। (UPBoardSolutions.com)
संमयाभाव के कारण इस बार मैं घर आने में असमर्थ रहूँगा। पूज्य माता जी को सादर प्रणाम। छोटे भाई-बहनों को शुभ आशीर्वाद।
आपका प्रिय पुत्र
सुनील कुमार

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निमन्त्रण पत्र

बुलन्दशहर
दिनांक 10 जून, 20xx
प्रिय शर्मा जी,
सादर नमस्ते।
ईश्वर की अनुकंपा से मेरे पुत्र सुनील का जन्मदिन दिनांक 15 जून, 20xx को है। आपसे प्रार्थना है कि आप इस मंगल बेला में सपरिवार पधारकर उत्सव की शोभा बढ़ाएँ।
आपका दर्शनाभिलाषी
अजय सिन्हा

मित्र को पत्र

इलाहाबाद
दिनांक 1 जून, 20xx
अभिन्न हृदयं मयंक,
सस्नेह नमस्कार।
मैं कुशलता से हूँ और तुम्हारी कुशलता की कामना ईश्वर से करता हूँ। तुम्हारा और तुम्हारे पत्र का इंतजार हर समय रहता हैं लेकिन आशा-निराशा में बदल जाती है न तुम आते हो, न तुम्हारा पत्र। मैं इससे अनभिज्ञ हूँ कि इस उपेक्षा और निष्ठुरता का क्या कारण है। अतीत की स्मृतियाँ दिन-रात तुमसे मिलने के लिए बेचैन करती रहती हैं। अगर मेरे (UPBoardSolutions.com) इस पत्र का उत्तर नहीं दोगे तो आगे से मेरा भी तुम्हें कोई पत्र नहीं मिलेगा। पत्र का उत्तर शीघ्र देना। भाभी जी को प्रणाम के बच्चों को प्यार।
तुम्हारा मित्र
राजेश

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बधाई पत्र

इलाहाबाद
दिनांक 25 जुलाई, 20xx
स्नेहमयी ज्योति,
यह ज्ञात होने पर मुझे अत्यधिक प्रसन्नता हुई कि तुमने मेरठ विश्वविद्यालय में सबसे अधिक अंक प्राप्त किए। इस सफलता के लिए मैं तुम्हें हार्दिक बधाई देती हैं और आशा करती हूँ कि तुम्हें एम०ए० में भी ऐसा गौरव प्राप्त हो। आशा है विश्वविद्यालय की तरफ से तुम्हें स्वर्ण-पदक भी प्राप्त होगा। ईश्वर सदैव तुम्हारा पथ प्रशस्त करता रहे।
मैं सपरिवार तुम्हें तुम्हारी सफलता के लिए बधाई देती हूँ। घर में सबको नमस्कार कहना।
तुम्हारी मित्र
सीमा।

शोक पत्र

कानपुर
दिनांक 12 फरवरी, 20xx
प्रिय श्रीमती शशि देवी जी,
आपके आदरणीय पति के असामयिक देहावसान का समाचार सुनकर हृदय को अत्यधिक दुख हुआ। निःसन्देश यह आपके और आपके परिवार के ऊपर एक भयंकर वज्रपात हुआ है लेकिन मृत्यु के ऊपर किसी का वश नहीं। भयंकर परिस्थितियों का सामना करना ही मानव का परम कर्तव्य है। इस कर्तव्य का पालन करके ही वह अपने जीवन में सफल हो सकता है।
मैं इस दुःखद घड़ी में आपकी हर प्रकार से सहायता करने के लिए तैयार हैं। आप धीरज रखें। भगवान उनकी आत्मा को शांति दे।
आपकी बहन
रेनू

व्यावसायिक पत्र
(पुस्तक विक्रेता से पुस्तकें मँगाने के सम्बन्ध में)

राजकीय इन्टर कॅलेज,
लखनऊ
दिनांक 1 अप्रैल, 20xx
अशोक प्रकाशन,
डिप्टी गंज, बुलन्दशहर।
मान्यवर महोदय,
कृपया निम्नलिखित पुस्तकों को उचित कमीशन काटकर वी०पी०पी० पार्सल द्वारा शीघ्र भेजने की कृपा करें।

  1. राष्ट्र बाल भारती कक्षा 6 – 25 प्रतियाँ
  2. राष्ट्र बाल भारती कक्षा 7 – 25 प्रतियाँ
  3. राष्ट्र बाल भारती कक्षा 8 – 25 प्रतियाँ

भवदीय
कमलकिशोर (अध्यापक)

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प्रधानाचार्य को अवकाश के लिए प्रार्थना-पत्र

श्रीयुत प्रधानाचार्य महोदय,
राजकीय इन्टर कॉलेज आगरा
श्रीमान जी,
निवेदन यह है कि मुझे रात्रि से बुखार आ रहा है। मैं कॉलेज आने में असमर्थ हैं। अतः आपसे प्रार्थना है कि मुझे दो दिन का अवकाश देने की कृपा करें। आपकी अति कृपा होगी।
आपका आज्ञाकारी शिष्य
नीरज कुमार, कक्षा 6 (अ)
दिनांक 12 जुलाई, 20xx

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UP Board Solutions for Class 6 Hindi Chapter 5 नीतिश्लोकाः (अनिवार्य संस्कृत)

UP Board Solutions for Class 6 Hindi Chapter 5 नीतिश्लोकाः (अनिवार्य संस्कृत)

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1. सर्वे भवन्तु ………………………………………. दुःखभाग्भवेत्।।

हिन्दी अनुवाद – सब सुखी हों, सब नीरोग हों, सब सज्जन हों, कोई दुखी न हो।

2. अलसस्य ……………………………………….. कुतः सुखम् ।।

हिन्दी अनुवाद – आलसी व्यक्ति को विद्या कहाँ? विद्या के बिना धन कहाँ? धन के बिना मित्र कहाँ और मित्र के बिना सुख कहाँ?

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3. विद्या ददाति …………………………………….. ततः सुखम् ।।

हिन्दी अनुवाद – विद्या विनय देती है, विनय से योग्यता आती है, योग्यता से धन आता है, धन – से धर्म और धर्म से सुख मिलता है।

4. पुस्तकस्था ……………………………………….. तद् धनम् ।।

हिन्दी अनुवाद – पुस्तक में छिपी विद्या और दूसरे के हाथों में गया धने समय पर काम नहीं आता; अर्थातू अपना ज्ञान तथा अपने पास का धन ही मौके पर साथ देता है।

5. परोपकाराय …………………………………………… शरीरम् ।।

हिन्दी अनुवाद – परोपकार के लिए वृक्ष फल देते हैं; परोपकार के लिए नदियाँ बहती (जल देती) हैं। परोपकार के लिए गायें दूध देती हैं; परोपकार के लिए ही यह मानव शरीर है; अर्थातू मानवों का जन्म ही परोपकार करने के लिए हुआ है।

अभ्यास

प्रश्न 1.
उच्चारण करें –
नोट – विद्यार्थी शिक्षक की सहायता से स्वयं करें।

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प्रश्न 2.
एक पद में उत्तर दें –

(क) सर्वे किं पश्यन्तु?
(ख) कस्य मित्रं न भवति?
(ग) विद्या किं ददाति?
(घ) कीदृशं धनं धनं न भवति?

उत्तर :

(क) भद्राणि।
(ख) अधनस्य।
(ग) विनयं।
(घ) परहस्तगतं।

प्रश्न 3.
रिक्त स्थानों की पूर्ति करें (पूर्ति करके) –

(क) सर्वे भद्राणि पश्यन्तु।
(ख) अमित्रस्य कुतः सुखम्?
(ग) परोपकाराय दुहन्ति गावः।
(घ) धनात् धर्मः ततः सुखम् ।

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प्रश्न 4.
बड़े वृत्त में दिए गए पदों के साथ छोटे वृत्त में दिए गए उचित क्रियापदों को जोड़ते हुए वाक्य रचना करें। (वाक्य रचना करके) –

(क) सर्वे सन्तु निरामयाः ।
(ख) विनयात् याति पात्रताम् ।
(ग) परोपकाराय वहन्ति नद्यः।
(च) परोपकाराय फलन्ति वृक्षाः ।
(छ) सर्वे भवन्तु सुखिनः ।
(ज) विद्या ददाति विनयं ।

प्रश्न 5.

UP Board Solutions for Class 6 Hindi Chapter 5 नीतिशलोकाः (अनिवार्य संस्कृत) 1

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UP Board Solutions for Class 6 History Chapter 7 मौर्य साम्राज्य

UP Board Solutions for Class 6 History Chapter 7 मौर्य साम्राज्य

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बूझो तो जानें – मेगस्थनीज ने अपनी भारत यात्रा विवरण में उन चीजों के बारे में जिक्र किया है। जो उसे आश्चर्यजनक लगी थीं। क्या तुम बता सकते हो कि उसने किनके बारे में लिखा होगा?

  1. इसकी जड़ें तनों से उगती हैं। इसकी छाया में 400 लोग एक साथ रह सकते हैं। बरगद
  2. बिना मधुमक्खी के शहद निकलता है। गन्ना
  3. ऊन पेड़ों से उगती है। कपास
  4. पक्षी जो मनुष्य जैसे बोलते हैं। – तोता

अभ्यास

प्रश्न 1.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए –

(क) चन्द्रगुप्त मौर्य कौन था?
उत्तर :
चन्द्रगुप्त मौर्य मगध का सम्राट और मौर्य साम्राज्य का संस्थापक था।

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(ख) चाणक्य और मेगस्थनीज की पुस्तकों के नाम लिखिए।
उत्तर :
चाणक्य की पुस्तक ‘अर्थशास्त्र’ और मेगस्थनीज की पुस्तक ‘इंडिका’ है।

(ग) कलिंग युद्ध किनके बीच लड़ा गया? युद्ध का क्या परिणाम हुआ?
उत्तर :
कलिंग युद्ध अशोक और कलिंग के राजा के बीच लड़ा गया। इस युद्ध में लाखों लोग मारे गए। इस युद्ध के बाद अशोक ने कभी युद्ध न करने का निश्चय किया।

(घ) अशोक ने बौद्ध धर्म क्यों अपनाया? इस धर्म के प्रसार के लिए उसने क्या किया?
उत्तर :
कलिंग युद्ध में हजारों सैनिक मारे गए तथा बहुत बड़ी संख्या में घायल हुए। इससे अशोक बहुत दुखी हुआ तथा उसने निश्चय कर लिया कि वह भविष्य में कभी युद्ध नहीं करेगी (UPBoardSolutions.com) और उसने बौद्ध धर्म अपना लिया तथा अहिंसा का पालन करने लगा।

(ङ) हमारा राष्ट्रीय चिहून क्या है?
उत्तर :
हमारा राष्ट्रीय चिह्न 4 सिंहों वाली आकृति है। जिसमें 3.सिं ही दिखाई देते हैं। एक सिंह पीछे की ओर होने के कारण दिखाई नहीं देता।

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(च) मौयों के प्रशासन का वर्णन करिए।
उत्तर :
मौर्य प्रशासन – मेगस्थनीज की ‘इंडिका’ और कौटिल्य के अर्थशास्त्र’ से मौर्य प्रशासन तन्त्र की जानकारी मिलती है। चन्द्रगुप्त मौर्य के हाथ में शासन के सारे अधिकार थे। उसकी सहायता के लिए एक परिषद थी, जिसमें बुद्धिमान सदस्य राजा को सलाह देते थे।

प्रशासन के लिए साम्राज्य तीन स्तरों में बँटा था – केन्द्र, प्रांत, जनपद (शहर और गाँव)। इस । समय नौकरशाही व्यवस्था थी। वेतन नकद राज्यकोष से दिया जाता था। राजा दौरा करके प्रांतों से लेकर गाँवों तक की खबर रखता था। गुप्तचर पूरे साम्राज्य की सूचना राजा को देते थे। बाहरी आक्रमण और आन्तरिक विद्रोह को दबाने के लिए पैदल, हाथी और घोड़ों से निर्मित थल सेना थी। कृषि कर, सिंचाई कर, व्यापार कर (UPBoardSolutions.com) आय के मुख्य स्रोत थे। राज्य के जंगलों और खानों पर राज्य का स्वामित्व था। राज्य, सेना के लिए हथियारों का निर्माण करते थे। लगभग 2500 वर्ष पूर्व का यह मौर्यकालीन प्रशासनिक ढाँचा आज भी हमारे देश के ढाँचे से मिलता है।

प्रश्न 2.
सही और गलत बताइए (बताकर) –

(क) अशोक ने अपने साम्राज्य विस्तार के लिए कई युद्ध किए। (सही)
(ख) चन्द्रगुप्त मौर्य ने सेल्युकस को हराया। (सही)
(ग) अशोक का उत्तराधिकारी उसको पुत्र बिन्दुसार था। (गलत)
(घ) चन्द्रगुप्त मौर्य ने चाणक्य को अपना मुख्यमंत्री नियुक्त किया। (सही)

प्रश्न 3.
सही जोड़े बनाइए (बनाकर) –
UP Board Solutions for Class 6 History Chapter 7 मौर्य साम्राज्य 1

पता कीजिए और लिखिए –

प्रश्न 1.
अशोक की लाट पर बने चार सिंहों का प्रयोग कहाँ-कहाँ किया गया है?
उत्तर :
अशोक की लाट पर बने चार सिंहों को भारत ने राष्ट्रीय प्रतीक के रूप में अपनाया है और इसका प्रयोग भारतीय मुद्राओं एवं केंद्र सरकार के प्रशासनिक अधिकारियों एवं (UPBoardSolutions.com) सैनिकों की वर्दी पर किया जाता है।

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प्रश्न 2.
नीचे दिए गए क्रियाकलापों में से किसे आप सही एवं किसे गलत मानते हैं। अपना उत्तर (✓) एवं (✗) का निशान लगाकर स्पष्ट करें –
UP Board Solutions for Class 6 History Chapter 7 मौर्य साम्राज्य 2

प्रश्न 3.
अपने दोस्तों से अपने उत्तर का मिलान करें। कौन सा क्रियाकलाप क्यों सही है एवं क्यों गलत है। इसके कारणों पर चर्चा करें।

प्रोजेक्ट वर्क –
नोट – विद्यार्थी स्वयं करें।

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UP Board Solutions for Class 6 Hindi Chapter 3 दुष्यन्त पुत्र भरत (महान व्यक्तिव)

UP Board Solutions for Class 6 Hindi Chapter 3 दुष्यन्त पुत्र भरत (महान व्यक्तिव)

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पाठ का सारांश

हस्तिनापुर के राजा दुष्यन्त शिकार खेलते समय कण्व ऋषि के आश्रम पहुँचे। वहाँ उन्होंने शकुंतला से गंधर्व विवाह किया और निशानी में एक अँगूठी दी। दुष्यन्त की याद में खोई शकुंतला को दुर्वासा ऋषि ने शाप दे दिया। राजा दुष्यन्त शकुंतला को भूल गए। उसे कण्व ऋषि ने पति के पास भेजा। शकुंतला के पास अपनी पहचान के लिए अँगूठी नहीं थी। इस कारण उसे निराश लौटकर कश्यप ऋषि के आश्रम में रहना पड़ा। वहीं पर भरत का जन्म हुआ, जिसे आश्रमवासी सर्वदमन कहते थे। (UPBoardSolutions.com) यह बचपन से ही वीर और साहसी था। दैवयोग से अँगूठी मिल जाने पर दुष्यन्त को शकुंतला की याद आ गई। वे अपने पुत्र व पत्नी को ढूंढकर जंगल से हस्तिनापुर ले आए। भरत की शिक्षा-दीक्षा हस्तिनापुर में ही हुई। आगे चलकर यही भरत चक्रवर्ती सम्राट हुआ। इसके नाम पर ही हमारे देश का नाम भारत पड़ा। भरत ने अश्वमेध यज्ञ किया। इसकी कीर्ति सारे विश्व में फैल गई।

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अभ्यास

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए।

प्रश्न 1.
भरत किसके पुत्र थे?
उत्तर :
भरत शकुंतला और दुष्यन्त के पुत्र थे।

प्रश्न 2.
हमारे देश का नाम भारत किसके नाम पर पड़ा?
उत्तर :
हमारे देश का नाम भारत ‘भरत’ के नाम पर पड़ा।

प्रश्न 3.
शकुंतला को दुष्यन्त क्यों नहीं पहचान सके?
उत्तर :
शकुंतला के पास दुष्यन्त द्वारा दी गई अँगूठी नहीं थी, इसलिए शाप के कारण वे उसे नहीं पहचान सके।

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प्रश्न 4.
ऋषि दुर्वासा शकुंतला से क्यों क्रोधित हो गए और शकुंतला को क्या शाप दिया?
उत्तर :
एक दिन शकुंतला अपनी सहेलियों के साथ बैठी दुष्यंत के बारे में सोच रही थी, उसी समय दुर्वासा ऋषि आश्रम में आए। शकुंतला दुष्यंत की याद में इतनी अधिक खोई हुई थी कि उसे दुर्वासा ऋषि के आने (UPBoardSolutions.com) का पता ही नहीं चला। अतः शकुंतला ने उनका आदर सत्कार नहीं किया, जिससे क्रोधित होकर दुर्वासा ऋषि ने शकुंतला को शाप दिया कि जिसकी याद में खोए रहने के कारण तूने मेरा सम्मान नहीं किया, वह तुझको भूल जाएगा।

योग्यता विस्तार –
नोट – विद्यार्थी अपने शिक्षक/शिक्षिका की सहायता से स्वयं करें।

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UP Board Solutions for Class 6 Hindi Chapter 2 महर्षि दधीचि (महान व्यक्तिव)

UP Board Solutions for Class 6 Hindi Chapter 2 महर्षि दधीचि (महान व्यक्तिव)

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पाठ का सारांश

देवासुर संग्राम चल रहा था। असुर देवातओं से लड़ रहे थे; क्योंकि वे अपना प्रभुत्व चाहते थे। वे अत्याचारी थे। देवताओं ने देवराज इन्द्र को जीत का उपाय पूछने ब्रह्मा जी के पास भेजा। ब्रह्मा जी बोले, “हे देवराज! त्याग की शक्ति के बल पर असम्भव कार्य भी सम्भव हो जाते हैं। नैमिषारण्य वन में महर्षि दधीचि ने तपस्या और साधना से अपार शक्ति जुटा ली है। उनकी अस्थियों से बने वज्रास्त्र से असुरों की हार निश्चित है।”

महर्षि दधीचि को देवासुर संग्राम की जानकारी थी। वे देवताओं की विजय चाहते थे। इन्द्र ने उनके पास पहुँचकर उनकी अस्थियों से बने वज्रास्त्र की आवश्यकता बताई, जिससे वृत्रासुर का वध किया जा (UPBoardSolutions.com) सके। महर्षि ने इस कार्य को पूरा करने के लिए स्वयं को धन्य समझा और योगमाया से अपना शरीर त्याग दिया। महर्षि दधीचि की अस्थियों से बने वज्र से वृत्रासुर मारा गया। देवताओं की जीत हुई।

महान है, महर्षि दधीचि का त्याग। नैमिषारण्य में प्रतिवर्ष फाल्गुन मास में उनकी स्मृति में मेले का आयोजन होता है।

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अभ्यास

प्रश्न 1.
दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए –

(क) असुर देवताओं से क्यों लड़ रहे थे?
उत्तर :
असुर अपना प्रभुत्व स्थापित करने के लिए देवताओं से लड़ रहे थे।

(ख) देवताओं को महर्षि दधीचि की अस्थियों की आवश्यकता क्यों पड़ी?
उत्तर :
महर्षि दधीचि की अस्थियों से बने वज्रास्त्र से वृत्रासुर का वध निश्चित था। इस कारण देवताओं को महर्षि दधीचि की अस्थियों की आवश्यकता पड़ी।

(ग) अस्थियाँ माँगे जाने पर दधीचि ने क्या सोचा?
उत्तर :
अस्थियाँ माँगे जाने पर दधीचि ने स्वयं को धन्य समझा।

(घ) नैमिषारण्य में प्रतिवर्ष फाल्गुन माह में मेला क्यों लगता है? |
उत्तर :
नैमिषारण्य में प्रतिवर्ष फाल्गुन माह में मेला महर्षि दधीचि की स्मृति में लगता है।

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प्रश्न 2.
पाठ की घटनाओं को सही क्रम दीजिए।

(क) देवताओं और असुरों में युद्ध छिड़ना।
(ख) इंद्र का महर्षि दधीचि के पास जाना।
(ग) इंद्र का ब्रह्मा जी से असुरों पर विजय के बारे में उपाय पूछना।
(घ) इंद्र का ब्रह्मा जी के पास जाना।
(ङ) दधीचि की अस्थियों से वज्र बनाया जाना।
(च) वृत्रसुर का संहार।
(छ) महर्षि दधीचि की प्राण त्यागना।

उत्तर :

(क) देवताओं और असुरों में युद्ध छिड़ना।
(घ) इन्द्र का ब्रह्मा जी के पास जाना।
(ग) इन्द्र का ब्रह्मा जी से असुरों पर विजय के बारे में उपाय पूछना।
(ख) इन्द्र का महर्षि दधीचि के पास जाना।
(छ) महर्षि दधीचि को प्राण त्यागना।
(ङ) दधीचि.की अस्थियों से वज्र, बनाया जाना।
(च) वृत्रासुर का संहार।।

प्रश्न 3.
जनमानस की भलाई के लिए महर्षि दधीचि ने अपने प्राण त्याग दिए। त्याग का यह एक अनूठा उदाहरण है। आप के समक्ष भी कभी-कभी ऐसी स्थितियाँ आती हैं, तब आप क्या करेंगे? यदि –

(क) आपके किसी साथी के पास किताब खरीदने के लिए पैसे न हों।
(ख) आपको स्कूल जाने के लिए देर हो रही हो, और घर में खाना तैयार न हो।
(ग) दो लोग आपस में झगड़ा कर रहे हों।
(घ) कोई व्यक्ति सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुँचा रहा हो।

नोट – विद्यार्थी स्वयं करें।

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प्रश्न 4.
“त्याग मानव का सर्वोपरि गुण है” इस पर शिक्षक/शिक्षिका से चर्चा कर दस वाक्य लिखिए।
नोट – विद्यार्थी स्वयं करें।

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