UP Board Solutions for Class 6 History Chapter 5 छठी शताब्दी ई०पूँ० का भारत धार्मिक आन्दोलन

UP Board Solutions for Class 6 History Chapter 5 छठी शताब्दी ई०पूँ० का भारत धार्मिक आन्दोलन

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प्रश्न 1.
निम्नलिखित के विषय में लिखिए –
उत्तर :
UP Board Solutions for Class 6 History Chapter 5 छठी शताब्दी ई०पूँ० का भारत धार्मिक आन्दोलन 1

प्रश्न 2.
त्रिरत्न और अष्टांगिक मार्ग क्या हैं ? यह किनसे सम्बन्धित हैं ? लिखिए।
उत्तर :
महावीर स्वामी के अनुसार त्रिरत्न निम्न हैं –

  1. सही बातों में विश्वास
  2. सही बातों को ठीक से समझना
  3. उचित कर्म। ये जैन धर्म से सम्बन्धित हैं।

अष्टांगिक मार्ग सरल मानवतापूर्ण व्यवहार के नियम हैं। गौतमबुद्ध के अनुसार अष्टांगिक मार्ग निम्न हैं –

  1. जीवन को सुचारु रूप से चलाने के लिए सही सोच होना
  2. सही बात और कार्य
  3. सत्य बोलना
  4. अच्छा कार्य करना
  5. अच्छे कार्य द्वारा जीविका अर्जित करना
  6. मानसिक और नैतिक उन्नति के लिए प्रयास करना
  7. अपने कार्य-व्यवहार पर हमेशा नजर रखना
  8. ज्ञान प्राप्ति के लिए ध्यान केंद्रित करना। ये बौद्ध धर्म से सम्बन्धित हैं।

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प्रश्न 3.
जैन और बौद्ध धर्म के सिद्धान्तों को लोगों ने क्यों अपनाया ?
उत्तर :
निम्नलिखित कारणों से जैन और बौद्ध धर्म के सिद्धांतों को लोगों ने अपनाया।

  1. इन धर्मों के आने से शाकाहारी संस्कृति को बल मिला
  2. भारत की अहिंसावादी छवि इन्हीं के कारण हुई
  3. ये धर्म लोकतांत्रिक और उदार थे। संगठित धर्म पर जोर बढ़ने से इनका दूर-दूर तक प्रचार बढ़ा। चीन व दक्षिण-पूर्वी एशिया में भी इन्हें अपनाया गया (UPBoardSolutions.com)
  4. इनके संघों में महिलाओं को प्रवेश के साथ-साथ ऊँचा स्थान दिया गया
  5. जातक और हितोपदेश में कहानियों के माध्यम से उपदेशों को सरल भाव से लोगों तक पहुँचाया गया।

प्रश्न 4.
महावीर स्वामी द्वारा बताए गए पाँच महाव्रतों के बारे में लिखिए।
उत्तर :

  1. जीवों को न मारना।
  2. सच बोलना।
  3. चोरी न करना।
  4. अनुचित धन न जुटाना।
  5. इन्द्रियों को वश में रखना।

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प्रोजेक्ट वर्क –
नोट – विद्यार्थी स्वयं करें।

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UP Board Solutions for Class 6 Hindi Chapter 14 राजेन्द्र चोल (महान व्यक्तिव)

UP Board Solutions for Class 6 Hindi Chapter 14 राजेन्द्र चोल (महान व्यक्तिव)

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पाठ का सारांश

दक्षिण भारत के राजाओं में चोलवंशीय राजा अति प्रसिद्ध हुए। इनमें राजराजे प्रथम चोलवंश का प्रसिद्ध शासक था। राजेन्द्र चोल इसी का पुत्र था। राजेन्द्र चोल का शासनकाल 1044 ई० तक माना जाता है। चोल राज्य दक्षिण भारत के प्रायद्वीप में स्थित था। आक्रमण से सुरक्षा हेतु राजेन्द्र चोल ने शक्तिशाली सेना का संगठन किया। इसने शक्तिशाली जल सेना का भी संगठन किया एवं लंका तथा मालद्वीप पर आक्रमण कर वहाँ अपना अधिकार किया। इसकी सेना ने उड़ीसा पार गंगा जी तक पहुँचकर (UPBoardSolutions.com) बंगाल के शासक पर विजय प्राप्त की। इस पर इसने ‘गंगईकोंड’ उपाधि धारण की। इसने समुद्र पार के देशों पर भी अपना प्रभाव बढ़ाया। इसके प्रभाव से भारत का पश्चिमी एशिया और पूर्वी एशिया के देशों से व्यापार बहुत बढ़ गया। यह व्यापार दक्षिणी चीन तक फैल गया।

दक्षिण भारत में चोल राज्य का विस्तार करने के साथ ही राजेन्द्र चोल ने उड़ीसा तथा महाकौशल से बंगाल तक अपना अधिकार जमा लिया। इसके अतिरिक्त इसने श्रीलंका, निकोबार द्वीप, ब्रहमी, मलाया, सुमात्रा आदि को भी अपने अधीन कर लिया। राजेन्द्र चोल महान साम्राज्य निर्माता होने के साथ ही कुशल शासक भी था। इसने राज्य की शासन व्यवस्था पर विशेष ध्यान दिया। इसका साम्राज्य कई प्रांतों में विभक्त था। ये प्रांत ‘मण्डलम’ कहलाते थे। प्रत्येक मण्डलम, कई वालानाडुओं में बँटा हुआ था। प्रत्येक वालानाडु में निश्चित संख्या में गाँव होते थे। ग्रामीण विकास के लिए ग्राम सभाएँ तथा स्वायत्तशासी संस्थाएँ थीं।

राजेन्द्र चोल ने कृषि की उन्नति की ओर बहुत ध्यान दिया। उसके शासनकाल में तालाबों से सिंचाई की सुविधा बढ़ गई। इसकी सुन्दर शासनव्यवस्था के कारण समाज में शांति थी सामाजिक जीवन सुखी (UPBoardSolutions.com) और सुविधापूर्ण था। राज्य की रक्षा और शासन की सुन्दर व्यवस्था आश्चर्यजनक थी।

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अभ्यास

प्रश्न 1.
राजेंद्र चोल ने कृषि की उन्नति के लिए क्या किया?
उत्तर :
राजेंद्र चोल ने कृषि की उन्नति की ओर विशेष ध्यान दिया। भूमि का सर्वेक्षण करा उसे दो भागों में बाँटा। ऊर्वरता तथा पैदा की जाने वाली फसलों के आधार पर कर निर्धारण किया गया था। तालाबों से सिचाई की सुविधाएँ बढ़ाई गई। इससे कृषि का उत्पादन बड़ा और किसानों की दशा में सुधार हुआ।

प्रश्न 2.
राजेंद्र चोल एक कुशल शासक थे, स्पष्ट कीजिए ?
उत्तर :
सन् 1014 में पिता की मृत्यु के बाद राजेंद्र चोल ने राज्य का शासन संभाला और सन् 1044 ई. तक शासन किया। शासन की बागडोर सँभालने के बाद राजेंद्र चोल ने अपने पिता की विजय नीति जारी रखी। दक्षिण भारत में राज्य का विस्तार करने के साथ ही राजेंद्र चोल ने उड़िसा तथा बंगाल तक अपना साम्राज्य स्थापित किया। इसके अतिरिक्त उसने (UPBoardSolutions.com) श्रीलंका, निकोबार द्वीप, ब्रहमा, मलाया प्रायद्वीप, सुमात्रा आदि को अपने अधीन किया। राजेंद्र चोल महान साम्राज्य निर्माता तो था ही इसके साथ ही वह कुशल शासक भी था।

कृषि के साथ-साथ व्यापार के विकास की ओर भी राजेंद्र चोल ने बहुत ध्यान दिया। उसके समय में व्यापारी बहुत संपन्न हो गए थे। राजेंद्र चोल की सुंदर शासन व्यवस्था के कारण समाज में शांति स्थापित रही। राजेंद्र चोल के कार्यों से पता चलता है कि वह बहुत दूरदर्शी तथा कुशल शासक था।

प्रश्न 3.
सुरक्षा के क्षेत्र में राजेन्द्र चोल के किस कार्य से उनकी दूरदर्शिता का पता चलता है?
उत्तर :
राजेन्द्र चोल बहुत ही दूरदर्शी शासक था और जल सेना के महत्त्व को समझता था, इसलिए उसने विशाल जल सेना भेजकर बंगाल पर अधिकार कर लिया। इसी प्रकार विदेशी व्यापार से चोल साम्राज्य की आय में बहुत वृद्धि हुई थी। इससे उसकी दूरदर्शिता का पता चलता है।

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प्रश्न 4.
राजेन्द्र चोल के समय में गाँवों की व्यवस्था कैसी थी?
उत्तर :
चोल शासन प्रणाली की प्रमुख विशेषता यह थी कि उसने गाँवों का संगठन स्थानीय स्वशासन की इकाई के रूप में किया था। ग्राम सभाएँ स्वायत्तशासी संस्थाएँ थीं, जो गाँव के शासन के विभिन्न अंगों के (UPBoardSolutions.com) कार्यों की देख-रेख करती थीं। उसने ग्राम पंचायतों की भी स्थापना की, जो अपनी कार्य कुशलता के लिए प्रसिद्ध थीं।

प्रश्न 5.
नीचे दिए गए कथनों में सही कथन पर सही (✓) का चिह्न लगाइए (चिह्न लगाकर) –
उत्तर :

(क) राजेन्द्र चोल राजराज चोल का पुत्र था। (✓)
(ख) बंगाल के शासक ने राजेन्द्र चोल की सेना को युद्ध में पराजित किया। (✗)
(ग) गंगा तक के क्षेत्र को जीतने के बाद राजेन्द्र चोल ने ‘गंगईकोंड’ की उपाधि धारण की। (✓)
(घ) राजेन्द्र चोल के समय में भारत का विदेशों के साथ व्यापार घट गया। (✗)

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योग्यता विस्तार –

1. एशिया के मानचित्र में ब्रह्मा, महाकौशल, मलाया, श्रीलंका, सुमात्रा की स्थिति देखिए।
नोट – विद्यार्थी स्वयं करें।

2. चोल कला के मंदिरों के चित्रों का एलबम तैयार कीजिए।
नोट – विद्यार्थी स्वयं करें।

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UP Board Solutions for Class 6 Hindi Chapter 7 एकलव्य (महान व्यक्तिव)

UP Board Solutions for Class 6 Hindi Chapter 7 एकलव्य (महान व्यक्तिव)

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पाठ का सारांश

एकलव्य हस्तिनापुर के निकट वन के पास बस्ती के सरदार हिरण्यधेनु का पुत्र था। तीर चलाने में हस्तिनापुर के आसपास एकलव्य की बराबरी करने वाला कोई नहीं था। एकलव्य और अधिक निपुणता प्राप्त करने के लिए गुरु द्रोणाचार्य के पास गया। द्रोणाचार्य बाण-विद्या के अद्वितीय आचार्य थे। उन्होंने तीर चलाकर किसी राजकुमार की अँगूठी को कुएँ से बाहर निकाल दिया था। हस्तिनापुर आकर रंगभूमि में दोपहर के समय एकलव्य ने राजकुमारों को अभ्यास करते और बाण चलाते देखा। अर्जुन (UPBoardSolutions.com) की धनुर्विद्या देखकर एकलव्य के मुख से वाह-वाह शब्द निकला। सब राजकुमारों का एकलव्य की तरफ ध्यान आकृष्ट हुआ। आचार्य ने उसे संकेत से बुलाया। एकलव्य ने चरण छूकर प्रणाम किया। आचार्य के आदेश से उसने तीर चलाकर और सही निशाना लगाकर सबको चकित कर दिया। आचार्य के पूछने पर उसने अपना परिचय देकर धनुर्विद्या सीखने की अभिलाषा व्यक्त की। द्रोणाचार्य की विवशता से निराश होकर एकलव्य ने कहा, “मैं तो आपको गुरु मान चुका हूँ।” द्रोण के चरण छूकर वह चले पड़ा।

जंगल में द्रोणाचार्य की मिट्टी की मूर्ति के सामने वह दिनभर बाण चलाने के अभ्यास से बाण विद्या में निपुण हो गया।

एक दिन घोड़े पर सवार होकर राजकुमार हिरण का पीछा कर रहे थे। एकलव्य ने अपने बाणों की वर्षा से घोड़े को रोक दिया। राजकुमारों ने एक जटाधारी संन्यासी को एक मूर्ति के सम्मुख बैठे देखा। पूछने पर जटाधारी एकलव्य ने द्रोणाचार्य (मूर्ति) को धनुर्विद्या सिखाने वाला अपना गुरु बताया।

लौटकर राजकुमारों ने सारी कथा आचार्य को सुनाई। अर्जुन बहुत खिन्न थे, क्योंकि वे समझते थे कि मेरे समान कोई बाण चलाने वाला नहीं है। द्रोणाचार्य राजकुमारों सहित संन्यासी से मिलने गए। संन्यासी ने द्रोणाचार्य को देखकर श्रद्धा से उनके चरण स्पर्श किए और कहा कि मैं एकलव्य हूँ। मैंने आप ही की कृपा से बाण चलाने में सफलता प्राप्त की है।

द्रोणाचार्य उसकी कला और गुरुभक्ति देखकर बहुत प्रसन्न हुए। (UPBoardSolutions.com) उन्होंने गुरु-दक्षिणा में एकलव्य से उसके दाहिने हाथ का अँगूठा माँगा। एकलव्य ने अपने दाहिने हाथ का अँगूठा काटकर उनके चरणों पर रख दिया।

सच है – श्रद्धा से ज्ञान की प्राप्ति होती है।

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अभ्यास

प्रश्न 1.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए

(क) एकलव्य कौन था?
उत्तर :
एकलव्य हस्तिनापुर के निकट के वन में बसे एक बस्ती के सरदार हिरण्यधेनु का पुत्र था।

(ख) पेड़ से फल गिराने के लिए एकलव्य ने बालकों को कैसे प्रोत्साहित किया?
उत्तर :
पेड़ से फल गिराने के लिए एकलव्य ने तीर चलाने की बात कहकर बालकों को प्रोत्साहित किया।

(ग) द्रोण ने एकलव्य को अपना शिष्य बनाने से इंकार क्यों कर दिया ?
उत्तर :
द्रोण ने एकलव्य को अपना शिष्य बनाने से इंकार इसलिए कर दिया क्योंकि वे राजकुमारों के अतिरिक्त किसी को बाण विद्या नहीं सिखाते थे।

(घ) एकलव्य ने बाण-विद्या सीखने का क्या उपाय किया?
उत्तर :
एकलव्य ने बाण-विद्या सीखने के लिए द्रोणाचार्य (UPBoardSolutions.com) को गुरु मानकर, मिट्टी की उनकी मूर्ति के सामने दिन भर अभ्यास करने का उपाय किया।

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प्रश्न 2.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए (पूर्ति करके) –
उत्तर :

(क) द्रोणाचार्य के समान बाण-विद्या में कोई दूसरा नहीं था।
(ख) द्रोणाचार्य हस्तिनापुर के राजकुमारों को बाण-विद्या सिखाते थे।
(ग) एकलव्य ने धनुर्विद्या सीखने की अभिलाषा व्यक्त की।
(घ) एकलव्य ने गुरुदक्षिणा में दाहिने हाथ का अँगूठा काटकर गुरु के चरणों पर रख दिया।

प्रश्न 3.
सही कथन के सामने (✓) का और गलत कथन के सामने (✗) का निशान लगाइए (निशान लगाकर) –
उत्तर :

(क) द्रोणाचार्य बालक के कौशल से अप्रसन्न हुए। (✗)
(ख) एकलव्य ने कहा, “मैं आपको गुरु मान चुका हूँ।” (✓)
(ग) द्रोणाचार्य को एकलव्य की गुरुभक्ति से प्रसन्नता हुई। (✓)

योग्यता विस्तार –

“गुरु द्रोणाचार्य ने एकलव्य को धनुर्विद्या की शिक्षा नहीं दी और उलटे गुरु दक्षिणा में दाहिने हाथ को अँगूठा माँग लिया।” इस घटना के संबंध में अपने विचार लिखिए।
उत्तर :
गुरु द्रोणाचार्य ने एकलव्य को धनुर्विद्या की शिक्षा नहीं दी और उल्टे गुरुदक्षिणा में उससे उसके दाहिने हाथ का अँगूठा माँग लिया। गुरु द्रोणाचार्य ने ऐसा इसलिए किया क्योंकि वे एकलव्य की (UPBoardSolutions.com) प्रतिभा को देखकर समझ गए थे कि वह अर्जुन से बड़ा धनुर्धर था और वे नहीं चाहते थे कि अर्जुन से भी बड़ा धनुर्धर कोई संसार में हो। मेरे विचार से गुरु द्रोणाचार्य ने एकलव्य के साथ बहुत अन्याय किया। उन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए था।

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UP Board Solutions for Class 6 Hindi Chapter 30 महात्मा गांधी (महान व्यक्तिव)

UP Board Solutions for Class 6 Hindi Chapter 30 महात्मा गांधी (महान व्यक्तिव)

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पाठ का सारांश

भारतीय स्वाधीनता संग्राम में योगदान के कारण महात्मा गांधी राष्ट्रपिता’ कहे जाते हैं। इन्हें प्यार से ‘बापू’ भी कहा जाता है। इनका जीवन भारतीय जनमानस का प्रेरणास्रोत है। ये जो व्यवहार दूसरों से चाहते थे, उसे पहले स्वयं करते थे। इनके सिद्धांतों को गांधीवाद और राजनैतिक काल को ‘गांधी-युग’ के नाम से जाना जाता है।

गांधी जी का जन्म 2 अक्टूबर, 1869 ई० को पोरबन्दर (गुजरात प्रांत) में हुआ। इनका पूरा नाम मोहनदास करमचन्द गांधी था। इनके पिता करमचन्द और माता पुतलीबाई धार्मिक तथा सरल स्वभाव,के थे। (UPBoardSolutions.com) उनकी धार्मिक आस्था व सादगी का गांधी पर बहुत प्रभाव पड़ा। बचपन में गांधी जी ने सत्य हरिश्चन्द्र और श्रवणकुमार नाटक देखे। सत्यनिष्ठा, अहिंसा, त्याग व मानवसेवा की झलक इनके जीवन के अनेक प्रसंगों में मिलती है।

गांधी जी ने दक्षिण अफ्रीका में अँग्रेजों की रंगभेदनीति और भारत में फैली छुआछूत कुरीति का जमकर विरोध किया। साबरमती में आश्रम के नियम बनाए-सत्य बोलन अहिंसा के भाव, ब्रह्मचर्य व्रत, भोजन संयम, चोरी न करना, स्वदेशी का प्रयोग, चरखा कातना आदि।

गांधी जी के आचार-विचार से अँग्रेज अधिकारी भी प्रभावित होते थे। 30 जनवरी, 1948 ई० को गांधी जी की हत्या कर दी गई। दिल्ली के रजघाट में इनकी समाधि है, जहाँ लोग श्रद्धापुष्प चढ़ाते हैं। (UPBoardSolutions.com) गांधी जी के कार्य व्यवहार और विचार हमें चिरकाल तक नैतिक बल प्रदान करते रहेंगे।

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अभ्यास

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए –

प्रश्न 1.
महात्मा गांधी का जन्म कब और कहाँ हुआ?
उत्तर :
महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर, 1869 ई० को पोरबन्दर (गुजरात) में हुआ।

प्रश्न 2.
विद्यालय निरीक्षक द्वारा शब्दों की शुद्ध वर्तनी (हिज्जे) लिखने के लिए देने पर क्या घटना हुई ?
उत्तर :
एक बार गांधी जी के विद्यालय में निरीक्षण के लिए विद्यालय निरीक्षक आए हुए थे। निरीक्षक ने पाँच शब्द बताकर उनके (हिज्जे) बर्तनी लिखने को कहा। बच्चे हिज्जे लिख ही रहे थे तभी शिक्षक ने देखा कि गांधी एक शब्द के हिज्जे गलत लिखे हैं। उन्होंने गांधी को संकेत कर बगल वाले छात्र से नकल कर हिज्जे ठीक कर लिखने को कहा, परंतु गांधी ने (UPBoardSolutions.com) ऐसा नहीं किया। उन्हें नकल करना अपराध लगा। निरीक्षक के जाने के बाद उन्हें शिक्षक की डाँट खानी पड़ी।

प्रश्न 3.
दक्षिण अफ्रीका की किस घटना ने गांधी जी को रंग-भेद नीति के विरुद्ध लड़ने के लिए प्रेरित किया?
उत्तर :
विलायत से वकालत करने के बाद गांधी जी को दक्षिण अफ्रीका जाना पड़ा। वहाँ पर रेल को प्रथम श्रेणी का टिकट होने के बावजूद उन्हें पहले दर्जे के कंपार्टमेंट से धक्के मारकर निकाल दिया गया। इन दिनों दक्षिण अफ्रीका में रंग-भेद नीति का बोलवाला था। गोरे लोग काले अफ्रीकियों और एशियाई मूल के नागरिकों से बुरा बर्ताव करते थे। इस घटना ने गांधी जी को रंग-भेद नीति के विरुद्ध लड़ने के लिए प्रेरित किया।

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प्रश्न 4.
महात्मा गांधी ने कैसे महसूस किया कि प्यार, हिंसा से ज्यादा असरदार दंड दे सकता है?
उत्तर :
एक बार गांधी जी के बड़े भाई कर्ज में फंस गए। उनका कर्ज चुकाने के लिए गांधी जी ने अपना सोने का कड़ा बेच दिया। मार खाने के डर से गांधी जी ने अपने माता-पिता से झूठ बोला कि कड़ी कहीं गिर गया। झूठ बोलने के कारण उनका मन स्थिर नहीं हो पा रहा था। रात-भर उन्हें नींद नहीं आई। गांधी ने अपना अपराध स्वीकार (UPBoardSolutions.com) करते हुए कागज में लिखकर अपने पिता को दिया। उन्हें लगा कि झूठ के लिए पिता उन्हें पीटेंगे, लेकिन पिता ने ऐसा कुछ नहीं किया। लेकिन उन्होंने पिता की आँखों में आँसू देखा। गांधी जी को इससे बहुत दुख हुआ। गांधी जी ने महसूस किया कि प्यार, हिंसा से ज्यादा असरदार दंड दे सकता है।

प्रश्न 5.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए –

  1. महात्मा गांधी को लोग प्यार से बापू कहते हैं।
  2. इस पतले दुबले से आदमी में इस्पात की सी मजबूती है और चट्टान जैसी दृढ़ता है।
  3. दक्षिण अफ्रीका में रंग-भेद की नीति का बोलबाला था।
  4. गांधी जी की हत्या नाथूराम गोड्से ने की थी।

प्रोजेक्ट वर्क –
गांधी जी की विभिन्न मुद्राओं के चित्रों को एकत्र कर एलबम बनाइए।

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नोट – विद्यार्थी स्वयं करें।

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UP Board Solutions for Class 6 Hindi Chapter 6 गुरु गोरखनाथ (महान व्यक्तिव)

UP Board Solutions for Class 6 Hindi Chapter 6 गुरु गोरखनाथ (महान व्यक्तिव)

These Solutions are part of UP Board Solutions for Class 6 Hindi. Here we have given UP Board Solutions for Class 6 Hindi Chapter 6 गुरु गोरखनाथ (महान व्यक्तिव)

पाठ का सारांश

गुरु गोरखनाथ का भारत के धार्मिक इतिहास में बहुत महत्त्व है। विभिन्न विद्वानों ने गोरखनाथ का समय ईसी की नवीं शताब्दी से लेकर तेरहवीं शताब्दी तक माना है। गुरु गोरखनाथ मत्स्येंद्र नाथ के शिष्य एवं नाथ संप्रदाय के संस्थापक थे। उन्होंने अपने विचारों एवं आदर्शों को जन-जन तक पहुँचाने के लिए लगभग चालीस ग्रंथों की रचना की। संतोष, अहिंसा एवं जीवों पर दया गोरखनाथ का मूल मंत्र था। गुरु गोरखनाथ जी का एक भव्य विशाल मंदिर उत्तर प्रदेश के गोरखपुर नगर में स्थापित है। कहा (UPBoardSolutions.com) जाता है कि इन्हीं के नाम पर जिले का नाम गोरखपुर पड़ा। गुरु गोरखनाथ ने जीवन की शुद्धता बनाए रखने पर बल दिया। जीवन की शुद्धता के लिए धन संचय से दूर रहने का संदेश इन्होंने दिया। गुरु गोरखनाथ त्याग, साहस तथा शौर्य के साक्षात प्रतीक थे। इसे महान गुरु के महान संदेश अनंत काल तक मानव को आदर्श जीवनयापन की प्रेरणा देते रहेंगे।

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अभ्यास

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए –

प्रश्न 1.
गोरखनाथ किसके शिष्य थे?
उत्तर :
गोरखनाथ मत्स्येंद्रनाथ के शिष्य थे।

प्रश्न 2.
गोरखनाथ की रचनाओं में जीवन की किन अनुभूतियों का वर्णन किया गया है?
उत्तर :
गोरखनाथ की रचनाओं में गुरु महिमा, इंद्रिय-निग्रह, प्राण साधना, वैराग्य, कुंडलिनी जागरण, शून्य समाधि आदि जीवन की अनुभूतियों का वर्णन किया गया है।

प्रश्न 3.
गुरु गोरखनाथ ने धर्म को सर्वसुलभ किस प्रकार बनाया? . .
उत्तर :
गुरु गोरखनाथ ने बौद्ध, शैव, शाक्त आदि पूर्ववर्ती संप्रदायों को स्वीकृत करके उनकी जटिलताओं को दूर कर सरल एवं सादगीपूर्ण व्यवस्था का निर्माण कर धर्म को सर्वसुलभ बनाया।

प्रश्न 4.
गोरखनाथ का मूल मंत्र क्या था?
उत्तर :
संतोष, अहिंसा एवं जीवों पर दया गोरखनाथ का मूल मंत्र था।

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प्रश्न 5.
गोरखनाथ का प्रसिद्ध मंदिर कहाँ स्थित है?
उत्तर :
गोरखनाथ का प्रसिद्ध मंदिर उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में स्थित है।

प्रश्न 6.
जीवन की शुद्धता के लिए किससे दूर रहने की प्रेरणा गोरखनाथ ने दी है?
उत्तर :
जीवन की शुद्धता के लिए गोरखनाथ ने धन संचय से दूर रहने की प्रेरणा दी है।

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