UP Board Solutions for Class 6 Sanskrit Chapter 13 काकः

UP Board Solutions for Class 6 Sanskrit Chapter 13 काकः

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शब्दार्थाः –

काकः = कौआ,
तृषापीडितः = प्यास से व्याकुल,
न अलभत् = नहीं पाया,
वृक्षात् = वृक्ष से (पेड़ से),
वराकः = बेचारा,
सहसा = अचानक (एकाएक),
खण्डम् = टुकड़ा,
पाषाणानाम् = पत्थरों के,
क्षिप्तवान् = डाला,
दृष्टवान् = देखा,
का = कौन (स्त्री),
कः = कौन (पुरुष),

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एकः काकः……………………..नगरे।।1।।
हिन्दी अनुवाद – प्यास से पीड़ित एक कौए को दूर-दूर तक जेल नहीं मिला। वह बेचारा एक पेड़ से दूसरे पर, ग्राम-ग्राम और नगर-नगर भटकता रहा।

एकः सहसा…………जलमध्ये।।2।।
हिन्दी अनुवाद– उसने अचानक एक घड़ा देखा। घड़े में जल बहुत नीचे देखा। कौए ने जल में पत्थरों के टुकड़े डाले।

घटकण्ठं सम्प्रातं………..का कः? ।।3।।
हिन्दी अनुवाद – घड़े के मुँह तक आए जल को पीकर निश्चित ही कौआ सन्तुष्ट हुआ। बुद्धिपूर्वक यत्न करने से बताओ कौन स्त्री या पुरुष सफलता प्राप्त नहीं करता, अर्थात् सभी सफलता प्राप्त करते हैं।

अभ्यासः ।

प्रश्न 1. उच्चारणं कुरुत पुस्तिकायां च लिखत
नोट – विद्यार्थी स्वयं करें।

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प्रश्न 2. एकपदेन उत्तरत
(क) तृषापीडितः कः आसीत?
उत्तर – काकः ।
(ख) सः दूरे-दूरे किं न अलभत?
उत्तर – जलम् ।
(ग) वृक्षातू वृक्षं कः गतवान्?
उत्तर – काकः ।
(घ) घटे बहुदूरे किं दृष्टम्?
उत्तर – जलम् ।।
(ङ) काकः पाषाणखण्डानु कुत्र अक्षिप?
उत्तर – घटे।

प्रश्न 3. मजूषातः पदानि चित्वा वाक्यानि पूरयत (पूरे करके) –
एकः नालमत् दृष्टम् अक्षिपत् घटम् जलम् ।
(क) एकः काकः तृषापीडितः ।।
(ख) जलं दूरे-दूरे नालभत् ।
(ग) एकं सहसा घटं दृष्ट्वान् ।
(घ) घटे जलं बहुदूरे दृष्टम्
(ङ) सः काकः जलमध्ये पाषाणखण्डम् अक्षिपत्।।
(च) काकः जलं पीत्वा सन्तुष्टः जातः ।।

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प्रश्न 4. संस्कृते अनुवादं कुरुत
(क) एक कौआ प्यास से व्याकुल था।
उत्तर – एकः काकः तृषापीडितः आसीत् ।
(ख) वह जल के लिए वृक्ष से वृक्ष पर गया।
उत्तर – सः जलं प्राप्तुं वृक्षातू वृक्षं गतः ।।
(ग) सहसा उसे एक घड़ा दिखायी पड़ा।
उत्तर – सहसा सः एकं घटं दृष्टवान् ।
(घ) घड़े में पानी बहुत दूर था।
उत्तर – घटे जलं बहुदूरे आसीत् ।
(ङ) उसने घड़े में पत्थर के टुकड़े डाले।
उत्तर – सः घटे पाषाणखण्डानि अक्षिपत् ।

प्रश्न 5. चित्राणि दृष्ट्वा वाक्यानि रचयत (वाक्य बनाकर)
UP Board Solutions for Class 6 Sanskrit Chapter 13 काकः 1

प्रश्न 6. उचितम् उत्तरपदं रेखांकितं कुरुत (करके) –
यथा – तृषापीडितः कः आसीत? (काकः, वानरः गजः)
(क) दूर-दूरे किं नालभत? (अन्नम्, दुग्धम्, जलम्)
(ख) वृक्षाद् वृक्षं कः गतः? (मयूरः, उलूकः, काकः)
(ग) काकः सहसा किं दृष्टवानू? (शरावम्, घटम्, कटाहम्)
(घ) काकः घटे किं क्षिप्तवान् । (पाषाणखण्डम्, अन्नम्, जलम्)

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प्रश्न 7. सप्तमीविभक्तिक पदानि लिखत (लिखकर)
यथा – ग्रामे, नगरे, जलमध्ये, घटे, बहुदूरे

  • नोट – ‘शिक्षण-सङ्केतः’ विद्यार्थी शिक्षक की सहायता से करें।

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UP Board Solutions for Class 6 Hindi Chapter 7 एकलव्य (महान व्यक्तिव)

UP Board Solutions for Class 6 Hindi Chapter 7 एकलव्य (महान व्यक्तिव)

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पाठ का सारांश

एकलव्य हस्तिनापुर के निकट वन के पास बस्ती के सरदार हिरण्यधेनु का पुत्र था। तीर चलाने में हस्तिनापुर के आसपास एकलव्य की बराबरी करने वाला कोई नहीं था। एकलव्य और अधिक निपुणता प्राप्त करने के लिए गुरु द्रोणाचार्य के पास गया। द्रोणाचार्य बाण-विद्या के अद्वितीय आचार्य थे। उन्होंने तीर चलाकर किसी राजकुमार की अँगूठी को कुएँ से बाहर निकाल दिया था। हस्तिनापुर आकर रंगभूमि में दोपहर के समय एकलव्य ने राजकुमारों को अभ्यास करते और बाण चलाते देखा। अर्जुन (UPBoardSolutions.com) की धनुर्विद्या देखकर एकलव्य के मुख से वाह-वाह शब्द निकला। सब राजकुमारों का एकलव्य की तरफ ध्यान आकृष्ट हुआ। आचार्य ने उसे संकेत से बुलाया। एकलव्य ने चरण छूकर प्रणाम किया। आचार्य के आदेश से उसने तीर चलाकर और सही निशाना लगाकर सबको चकित कर दिया। आचार्य के पूछने पर उसने अपना परिचय देकर धनुर्विद्या सीखने की अभिलाषा व्यक्त की। द्रोणाचार्य की विवशता से निराश होकर एकलव्य ने कहा, “मैं तो आपको गुरु मान चुका हूँ।” द्रोण के चरण छूकर वह चले पड़ा।

जंगल में द्रोणाचार्य की मिट्टी की मूर्ति के सामने वह दिनभर बाण चलाने के अभ्यास से बाण विद्या में निपुण हो गया।

एक दिन घोड़े पर सवार होकर राजकुमार हिरण का पीछा कर रहे थे। एकलव्य ने अपने बाणों की वर्षा से घोड़े को रोक दिया। राजकुमारों ने एक जटाधारी संन्यासी को एक मूर्ति के सम्मुख बैठे देखा। पूछने पर जटाधारी एकलव्य ने द्रोणाचार्य (मूर्ति) को धनुर्विद्या सिखाने वाला अपना गुरु बताया।

लौटकर राजकुमारों ने सारी कथा आचार्य को सुनाई। अर्जुन बहुत खिन्न थे, क्योंकि वे समझते थे कि मेरे समान कोई बाण चलाने वाला नहीं है। द्रोणाचार्य राजकुमारों सहित संन्यासी से मिलने गए। संन्यासी ने द्रोणाचार्य को देखकर श्रद्धा से उनके चरण स्पर्श किए और कहा कि मैं एकलव्य हूँ। मैंने आप ही की कृपा से बाण चलाने में सफलता प्राप्त की है।

द्रोणाचार्य उसकी कला और गुरुभक्ति देखकर बहुत प्रसन्न हुए। (UPBoardSolutions.com) उन्होंने गुरु-दक्षिणा में एकलव्य से उसके दाहिने हाथ का अँगूठा माँगा। एकलव्य ने अपने दाहिने हाथ का अँगूठा काटकर उनके चरणों पर रख दिया।

सच है – श्रद्धा से ज्ञान की प्राप्ति होती है।

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अभ्यास

प्रश्न 1.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए

(क) एकलव्य कौन था?
उत्तर :
एकलव्य हस्तिनापुर के निकट के वन में बसे एक बस्ती के सरदार हिरण्यधेनु का पुत्र था।

(ख) पेड़ से फल गिराने के लिए एकलव्य ने बालकों को कैसे प्रोत्साहित किया?
उत्तर :
पेड़ से फल गिराने के लिए एकलव्य ने तीर चलाने की बात कहकर बालकों को प्रोत्साहित किया।

(ग) द्रोण ने एकलव्य को अपना शिष्य बनाने से इंकार क्यों कर दिया ?
उत्तर :
द्रोण ने एकलव्य को अपना शिष्य बनाने से इंकार इसलिए कर दिया क्योंकि वे राजकुमारों के अतिरिक्त किसी को बाण विद्या नहीं सिखाते थे।

(घ) एकलव्य ने बाण-विद्या सीखने का क्या उपाय किया?
उत्तर :
एकलव्य ने बाण-विद्या सीखने के लिए द्रोणाचार्य (UPBoardSolutions.com) को गुरु मानकर, मिट्टी की उनकी मूर्ति के सामने दिन भर अभ्यास करने का उपाय किया।

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प्रश्न 2.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए (पूर्ति करके) –
उत्तर :

(क) द्रोणाचार्य के समान बाण-विद्या में कोई दूसरा नहीं था।
(ख) द्रोणाचार्य हस्तिनापुर के राजकुमारों को बाण-विद्या सिखाते थे।
(ग) एकलव्य ने धनुर्विद्या सीखने की अभिलाषा व्यक्त की।
(घ) एकलव्य ने गुरुदक्षिणा में दाहिने हाथ का अँगूठा काटकर गुरु के चरणों पर रख दिया।

प्रश्न 3.
सही कथन के सामने (✓) का और गलत कथन के सामने (✗) का निशान लगाइए (निशान लगाकर) –
उत्तर :

(क) द्रोणाचार्य बालक के कौशल से अप्रसन्न हुए। (✗)
(ख) एकलव्य ने कहा, “मैं आपको गुरु मान चुका हूँ।” (✓)
(ग) द्रोणाचार्य को एकलव्य की गुरुभक्ति से प्रसन्नता हुई। (✓)

योग्यता विस्तार –

“गुरु द्रोणाचार्य ने एकलव्य को धनुर्विद्या की शिक्षा नहीं दी और उलटे गुरु दक्षिणा में दाहिने हाथ को अँगूठा माँग लिया।” इस घटना के संबंध में अपने विचार लिखिए।
उत्तर :
गुरु द्रोणाचार्य ने एकलव्य को धनुर्विद्या की शिक्षा नहीं दी और उल्टे गुरुदक्षिणा में उससे उसके दाहिने हाथ का अँगूठा माँग लिया। गुरु द्रोणाचार्य ने ऐसा इसलिए किया क्योंकि वे एकलव्य की (UPBoardSolutions.com) प्रतिभा को देखकर समझ गए थे कि वह अर्जुन से बड़ा धनुर्धर था और वे नहीं चाहते थे कि अर्जुन से भी बड़ा धनुर्धर कोई संसार में हो। मेरे विचार से गुरु द्रोणाचार्य ने एकलव्य के साथ बहुत अन्याय किया। उन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए था।

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UP Board Solutions for Class 6 Hindi Chapter 30 महात्मा गांधी (महान व्यक्तिव)

UP Board Solutions for Class 6 Hindi Chapter 30 महात्मा गांधी (महान व्यक्तिव)

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पाठ का सारांश

भारतीय स्वाधीनता संग्राम में योगदान के कारण महात्मा गांधी राष्ट्रपिता’ कहे जाते हैं। इन्हें प्यार से ‘बापू’ भी कहा जाता है। इनका जीवन भारतीय जनमानस का प्रेरणास्रोत है। ये जो व्यवहार दूसरों से चाहते थे, उसे पहले स्वयं करते थे। इनके सिद्धांतों को गांधीवाद और राजनैतिक काल को ‘गांधी-युग’ के नाम से जाना जाता है।

गांधी जी का जन्म 2 अक्टूबर, 1869 ई० को पोरबन्दर (गुजरात प्रांत) में हुआ। इनका पूरा नाम मोहनदास करमचन्द गांधी था। इनके पिता करमचन्द और माता पुतलीबाई धार्मिक तथा सरल स्वभाव,के थे। (UPBoardSolutions.com) उनकी धार्मिक आस्था व सादगी का गांधी पर बहुत प्रभाव पड़ा। बचपन में गांधी जी ने सत्य हरिश्चन्द्र और श्रवणकुमार नाटक देखे। सत्यनिष्ठा, अहिंसा, त्याग व मानवसेवा की झलक इनके जीवन के अनेक प्रसंगों में मिलती है।

गांधी जी ने दक्षिण अफ्रीका में अँग्रेजों की रंगभेदनीति और भारत में फैली छुआछूत कुरीति का जमकर विरोध किया। साबरमती में आश्रम के नियम बनाए-सत्य बोलन अहिंसा के भाव, ब्रह्मचर्य व्रत, भोजन संयम, चोरी न करना, स्वदेशी का प्रयोग, चरखा कातना आदि।

गांधी जी के आचार-विचार से अँग्रेज अधिकारी भी प्रभावित होते थे। 30 जनवरी, 1948 ई० को गांधी जी की हत्या कर दी गई। दिल्ली के रजघाट में इनकी समाधि है, जहाँ लोग श्रद्धापुष्प चढ़ाते हैं। (UPBoardSolutions.com) गांधी जी के कार्य व्यवहार और विचार हमें चिरकाल तक नैतिक बल प्रदान करते रहेंगे।

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अभ्यास

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए –

प्रश्न 1.
महात्मा गांधी का जन्म कब और कहाँ हुआ?
उत्तर :
महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर, 1869 ई० को पोरबन्दर (गुजरात) में हुआ।

प्रश्न 2.
विद्यालय निरीक्षक द्वारा शब्दों की शुद्ध वर्तनी (हिज्जे) लिखने के लिए देने पर क्या घटना हुई ?
उत्तर :
एक बार गांधी जी के विद्यालय में निरीक्षण के लिए विद्यालय निरीक्षक आए हुए थे। निरीक्षक ने पाँच शब्द बताकर उनके (हिज्जे) बर्तनी लिखने को कहा। बच्चे हिज्जे लिख ही रहे थे तभी शिक्षक ने देखा कि गांधी एक शब्द के हिज्जे गलत लिखे हैं। उन्होंने गांधी को संकेत कर बगल वाले छात्र से नकल कर हिज्जे ठीक कर लिखने को कहा, परंतु गांधी ने (UPBoardSolutions.com) ऐसा नहीं किया। उन्हें नकल करना अपराध लगा। निरीक्षक के जाने के बाद उन्हें शिक्षक की डाँट खानी पड़ी।

प्रश्न 3.
दक्षिण अफ्रीका की किस घटना ने गांधी जी को रंग-भेद नीति के विरुद्ध लड़ने के लिए प्रेरित किया?
उत्तर :
विलायत से वकालत करने के बाद गांधी जी को दक्षिण अफ्रीका जाना पड़ा। वहाँ पर रेल को प्रथम श्रेणी का टिकट होने के बावजूद उन्हें पहले दर्जे के कंपार्टमेंट से धक्के मारकर निकाल दिया गया। इन दिनों दक्षिण अफ्रीका में रंग-भेद नीति का बोलवाला था। गोरे लोग काले अफ्रीकियों और एशियाई मूल के नागरिकों से बुरा बर्ताव करते थे। इस घटना ने गांधी जी को रंग-भेद नीति के विरुद्ध लड़ने के लिए प्रेरित किया।

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प्रश्न 4.
महात्मा गांधी ने कैसे महसूस किया कि प्यार, हिंसा से ज्यादा असरदार दंड दे सकता है?
उत्तर :
एक बार गांधी जी के बड़े भाई कर्ज में फंस गए। उनका कर्ज चुकाने के लिए गांधी जी ने अपना सोने का कड़ा बेच दिया। मार खाने के डर से गांधी जी ने अपने माता-पिता से झूठ बोला कि कड़ी कहीं गिर गया। झूठ बोलने के कारण उनका मन स्थिर नहीं हो पा रहा था। रात-भर उन्हें नींद नहीं आई। गांधी ने अपना अपराध स्वीकार (UPBoardSolutions.com) करते हुए कागज में लिखकर अपने पिता को दिया। उन्हें लगा कि झूठ के लिए पिता उन्हें पीटेंगे, लेकिन पिता ने ऐसा कुछ नहीं किया। लेकिन उन्होंने पिता की आँखों में आँसू देखा। गांधी जी को इससे बहुत दुख हुआ। गांधी जी ने महसूस किया कि प्यार, हिंसा से ज्यादा असरदार दंड दे सकता है।

प्रश्न 5.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए –

  1. महात्मा गांधी को लोग प्यार से बापू कहते हैं।
  2. इस पतले दुबले से आदमी में इस्पात की सी मजबूती है और चट्टान जैसी दृढ़ता है।
  3. दक्षिण अफ्रीका में रंग-भेद की नीति का बोलबाला था।
  4. गांधी जी की हत्या नाथूराम गोड्से ने की थी।

प्रोजेक्ट वर्क –
गांधी जी की विभिन्न मुद्राओं के चित्रों को एकत्र कर एलबम बनाइए।

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नोट – विद्यार्थी स्वयं करें।

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UP Board Solutions for Class 6 Hindi Chapter 6 गुरु गोरखनाथ (महान व्यक्तिव)

UP Board Solutions for Class 6 Hindi Chapter 6 गुरु गोरखनाथ (महान व्यक्तिव)

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पाठ का सारांश

गुरु गोरखनाथ का भारत के धार्मिक इतिहास में बहुत महत्त्व है। विभिन्न विद्वानों ने गोरखनाथ का समय ईसी की नवीं शताब्दी से लेकर तेरहवीं शताब्दी तक माना है। गुरु गोरखनाथ मत्स्येंद्र नाथ के शिष्य एवं नाथ संप्रदाय के संस्थापक थे। उन्होंने अपने विचारों एवं आदर्शों को जन-जन तक पहुँचाने के लिए लगभग चालीस ग्रंथों की रचना की। संतोष, अहिंसा एवं जीवों पर दया गोरखनाथ का मूल मंत्र था। गुरु गोरखनाथ जी का एक भव्य विशाल मंदिर उत्तर प्रदेश के गोरखपुर नगर में स्थापित है। कहा (UPBoardSolutions.com) जाता है कि इन्हीं के नाम पर जिले का नाम गोरखपुर पड़ा। गुरु गोरखनाथ ने जीवन की शुद्धता बनाए रखने पर बल दिया। जीवन की शुद्धता के लिए धन संचय से दूर रहने का संदेश इन्होंने दिया। गुरु गोरखनाथ त्याग, साहस तथा शौर्य के साक्षात प्रतीक थे। इसे महान गुरु के महान संदेश अनंत काल तक मानव को आदर्श जीवनयापन की प्रेरणा देते रहेंगे।

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अभ्यास

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए –

प्रश्न 1.
गोरखनाथ किसके शिष्य थे?
उत्तर :
गोरखनाथ मत्स्येंद्रनाथ के शिष्य थे।

प्रश्न 2.
गोरखनाथ की रचनाओं में जीवन की किन अनुभूतियों का वर्णन किया गया है?
उत्तर :
गोरखनाथ की रचनाओं में गुरु महिमा, इंद्रिय-निग्रह, प्राण साधना, वैराग्य, कुंडलिनी जागरण, शून्य समाधि आदि जीवन की अनुभूतियों का वर्णन किया गया है।

प्रश्न 3.
गुरु गोरखनाथ ने धर्म को सर्वसुलभ किस प्रकार बनाया? . .
उत्तर :
गुरु गोरखनाथ ने बौद्ध, शैव, शाक्त आदि पूर्ववर्ती संप्रदायों को स्वीकृत करके उनकी जटिलताओं को दूर कर सरल एवं सादगीपूर्ण व्यवस्था का निर्माण कर धर्म को सर्वसुलभ बनाया।

प्रश्न 4.
गोरखनाथ का मूल मंत्र क्या था?
उत्तर :
संतोष, अहिंसा एवं जीवों पर दया गोरखनाथ का मूल मंत्र था।

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प्रश्न 5.
गोरखनाथ का प्रसिद्ध मंदिर कहाँ स्थित है?
उत्तर :
गोरखनाथ का प्रसिद्ध मंदिर उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में स्थित है।

प्रश्न 6.
जीवन की शुद्धता के लिए किससे दूर रहने की प्रेरणा गोरखनाथ ने दी है?
उत्तर :
जीवन की शुद्धता के लिए गोरखनाथ ने धन संचय से दूर रहने की प्रेरणा दी है।

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UP Board Solutions for Class 6 Hindi Chapter 29 ईश्वर चन्द्र विद्यासागर (महान व्यक्तिव)

UP Board Solutions for Class 6 Hindi Chapter 29 ईश्वर चन्द्र विद्यासागर (महान व्यक्तिव)

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पाठ का सारांश

ईश्वर चन्द्र विद्यासागर का जन्म 16 सितम्बर, 1820 ई० को बंगाल के वीर सिंह नामक ग्राम में हुआ। इनकी माता का नाम भगवती देवी तथा पिता का नाम ठाकुरदास बंद्योपाध्याय था। सभी का सम्मान करना, अपना कार्य स्वयं करना, यह शिक्षा इन्हें अपनी माँ से मिली। गाँव में प्रारम्भिक शिक्षा के बाद ये उच्च शिक्षा के लिए कोलकाता संस्कृत (UPBoardSolutions.com) विद्यालय गए। 1839 ई० में लॉ कमेटी की परीक्षा उत्तीर्ण करने पर इन्हें विद्यासागर की उपाधि मिली। गुरुदेव टैगोर : इन्हें बंगाल काव्य का जनक मानते थे।

जब विद्यासागर स्कूलों के सहायक निरीक्षक नियुक्त हुए; तब इन्होंने शिक्षा में अनेक सुधार कार्य किए। इन्होंने बंगाल में विशुद्ध भारतीय शिक्षा के लिए बीस आदर्श स्कूल खोले। इन्होंने पैंतीस ऐसे स्कूल खोले, जिनमें बालिकाओं की शिक्षा का प्रबन्ध था। ये मेधावी छात्राओं को पुरस्कार भी दिया करते थे। स्त्री शिक्षा के साथ-साथ इन्होंने विधवा विवाह और विधवाओं की स्थिति सुधारने का भी यत्न किया। बाद में विधवा विवाह को कानूनी स्वीकृति मिली। एक बार एक नवयुवक (UPBoardSolutions.com) विद्यासागर के दर्शन करने गया। स्टेशन पर कुली न होने से ईश्वर चन्द्र ने कुली बनकर उसका सामान अपने घर पहुँचाया। युवक के क्षमा माँगने पर ईश्वर चन्द्र ने उसे समझाया, “अपना कार्य स्वयं करो।” ईश्वर चन्द्र विद्यासागर 19 वीं सदी की महान विभूति थे।

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अभ्यास

प्रश्न 1.
ईश्वर चन्द्र विद्यासागर ने बालिकाओं की शिक्षा को जरूरी क्यों बताया?
उत्तर :
ईश्वर चन्द्र विद्यासागर ने देश को समृद्ध एवं योग्य नागरिक प्रदान करने के लिए बालिकाओं की शिक्षा को जरूरी बताया।

प्रश्न 2.
ईश्वर चन्द्र विद्यासागर ने अपने समय में कौन-कौन-से सुधार किए?
उत्तर :
ईश्वर चन्द्र विद्यासागर ने अपने समय में निम्न सुधार कार्य किए- शैक्षिक सुधार, सामाजिक सुधार, महिलाओं की स्थिति में सुधार, विधवा विवाह को प्रोत्साहन व कानूनी स्वीकृति, अशिक्षा, रूढ़िवादिता और अन्धविश्वास दूर करना, पुरुषार्थ और स्वयं अपना कार्य करना।

प्रश्न 3.
व्यक्ति के बड़प्पन के विषय में ईश्वर चंद्र के क्या विचार थे?
उत्तर :
व्यक्ति के बड़प्पन के संबंध में ईश्वर चंद्र विद्यासागर (UPBoardSolutions.com) का कहना था कि कोई भी व्यक्ति अच्छे कपड़े पहनने, अच्छे मकान में रहने तथा अच्छा खाना खाने से बड़ा नहीं होता, बल्कि अच्छे काम करने से बड़ा होता है।

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प्रश्न 4.
यदि आप किसी व्यक्ति या महिला के कार्यों से खुश हुए तो उनके बारे में लिखें और कक्षा में सुनाएँ।
उत्तर :
विद्यार्थी स्वयं करें।

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