UP Board Solutions for Class 6 Hindi Chapter 20 चाँदबीबी (महान व्यक्तिव)

UP Board Solutions for Class 6 Hindi Chapter 20 चाँदबीबी (महान व्यक्तिव)

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पाठ का सारांश

चाँदबीबी अहमदनगर के शासक हुसैन निजामशाह की पुत्री थी। बाल्यकाल में ही इसके पिता की मृत्यु हो गई, अत: शासन का काम इसकी माँ देखती थी। माँ ने चाँदबीबी की शिक्षा दीक्षा का विशेष ध्यान रखा। कुछ ही दिनों में चाँदबीबी रणनीति में कुशल हो गई। चाँदबीबी का विवाह बीजापुर के अली आदिलशाह से हुआ। विवाह के कुछ दिनों बाद ही अली आदिलशाह की हत्या कर दी गई। दुखी चाँदबीबी अपने भाई के साथ अहमदनगर चली गई, किन्तु शांतिपूर्वक जीवन इसके भाग्य में नहीं था। कुछ दिनों बाद इसके भाई इब्राहिम की भी हत्या कर दी गई। अहमदनगर की शक्ति कमजोर पड़ गई। इधर, उत्तरी भारत में अकबर की शक्ति बढ़ रही थी। वह दक्षिणी भारत को अपने राज्य में मिलाना चाहता था; इसलिए उसने सूचना भेजी कि मुगल सम्राट की अधीनता स्वीकार कर ली जाए।

अधीनता स्वीकार न करने पर अकबर ने अपने पुत्र मुराद को दक्षिण विजय के लिए भेजा। दक्षिणी राज्यों की स्थिति अच्छी नहीं थी। मुगल सेना ने अहमदनगर पर घेरा डाल दिया। चाँदबीबी ने अमीरों तथा सरदारों को समझाया। सरदारों ने अपसी मतभेद भुलाकर इसके नेतृत्व में अहमदनगर की रक्षा करने का वचन दिया। चाँदबीबी ने इब्राहिम के पुत्र को (UPBoardSolutions.com) गद्दी पर बैठाकर शासन का कार्य संभाल लिया। फिर बीजापुर से संधि कर ली। चाँदबीबी के उत्साह को देखकर सैनिकों का उत्साह बढ़ गया। विशाल मुगल सेना अहमदनगर के छोटे से राज्य को दबा न सकी।

एक दिन मुगल सेना ने सुरंग लगाकर किले की एक दीवार को उड़ा दिया। चाँदबीबी तुरन्त किले की टूटी दीवार पर आकर खड़ी हो गई। वह कारीगरों का उत्साह बढ़ाती रही। रातों रात किले की झवार की मरम्मत कर दी गई। मुगल सेना यह देखकर आश्चर्य में पड़ गई। किसी प्रकार दोनों पक्षों में संधि हुई। धैर्य, साहस और शौर्य के कारण चाँदबीबी का नाम आज भी लिया जाता है।

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अभ्यास

प्रश्न 1.
चाँदबीबी कौन थी?
उत्तर :
चाँदबीबी अहमदनगर के शासक हुसैन निजामशाह की पुत्री थी।

प्रश्न 2.
चाँदबीबी का मुगलों से युद्ध क्यों हुआ?
उत्तर :
चाँदबीबी का मुगलों के साथ युद्ध इसलिए हुआ; क्योंकि मुगल अहमदनगर पर विजय प्राप्त करके दक्षिण भारत को अपने साम्राज्य में मिलाना चाहते थे।

प्रश्न 3.
मुगल सेना क्या देखकर आश्चर्यचकित हो गई?
उत्तर :
विशाल मुगल सेना और चाँद बीबी के सैनिकों के बीच कई दिनों तक युद्ध चला। मुगल सेना चाँद बीबी की सेना को हरा न सकी। एक दिन मुगल सेना ने सुरंग लगाकर अहमदनगर किले की एक दीवार को उड़ा दिया। अहमदनगर के सैनिक घबरा गए। क्योंकि मुगल सेना को ” रास्ता मिल गया था। मुगल सेना भी खुश थी कि अब विजय (UPBoardSolutions.com) निश्चित है कितु चाँद बीबी रातभर दीवार पर खड़े रहकर सैनिकों और कारीगरों का उत्साह बढ़ाती रही। रातों-रात किले की दीवार की मरम्मत कर दी गई। मुगल सेना यह देखकर आश्चर्यचकित रह गई।

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प्रश्न 4.
चाँदबीबी बहुत साहसी तथा वीर महिला थी- इस कथन पर प्रकाश डालिए।
उत्तर :
चाँदबीबी ने अहमदनगर का मोर्चा मुगलों के विरोध में दृढ़ किया। वह मोर्चे पर जाकर सैनिक का उत्साह बढ़ाती थी, वह कहती थी कि राज्य के मान-अपमान का प्रश्न है। आओ, मेरे साथ आओ और बहादुरी से युद्ध करो। चाँदबीबी का शौर्य और साहस देखकर सैनिकों का उत्साह बढ़ गया और उन्होंने मुगलों को पस्त कर दिया।

प्रश्न 5.
चाँदबीबी के जीवन की उन घटनाओं का वर्णन करिए, जिनसे पता चलता हो कि वह बहुत धैर्य वाली महिला थी?
उत्तर :
चाँदबीबी बहुत ही धैर्य वाली महिला थी। एक बार मुगल सेना ने सुरंग लगाकर किले की एक दीवार को उड़ा दिया। सारे सैनिक घबरा गए। चाँदबीबी तुरन्त ही किले की टूटी दीवार पर खड़ी हो गई और (UPBoardSolutions.com) रात भर खड़े रहकर सैनिकों और कारीगरों का उत्साह बढ़ाती रही। रातों-रात दीवार की मरम्मत कर दी गई। इससे उसके धैर्य और साहस की सभी प्रशंसा करने लगे।

एक बार मुगलों से युद्ध करते हुए अहमदनगर की सेना के पास तोपों के गोले समाप्त हो गए। उस समय चाँदबीबी ने धैर्य और सूझ-बूझ से काम लिया। उसने तुरंत सोने-चाँदी के गोले ढलवाए, जिनका प्रयोग तोपों में किया गया।

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UP Board Solutions for Class 6 Hindi Chapter 3 मूर्खसेवकः (लङ्लकारः) (अनिवार्य संस्कृत)

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एकस्मिन नगरे ……………………………. दूरतः एव त्याज्याः

हिन्दी अनुवाद – किसी नगर में एक राजा था। उसके राजमहल में कई जानवर और पशु थे। वे सब राजा की सेवा किया करते थे। उन पशुओं में एक बन्दर भी था; जो राजा का प्रिय था। एक बार की बात है, राजा सोया था। वह बन्दर उसे पंखा झल रहा था; हठात् एक मक्खी आकर राजा की नाक पर बैठ गई। बन्दर बार-बार उसे पंखे से उड़ा देता; (UPBoardSolutions.com) तथापि वह वहीं आकर बैठ जाती। इससे बन्दर को बहुत गुस्सा आया। उसने मक्खी को मारने के लिए तलवार चला दी। मक्खी तो उड़ गई; लेकिन राजा की नाक कट गई; फलतः मूर्ख सेवकों को अपने से दूर ही रखना अर्थात् त्याग देना चाहिए।

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अभ्यास

प्रश्न 1.
उच्चारण करें –
नोट – विद्यार्थी शिक्षक की सहायता से स्वयं करें।

प्रश्न 2.
एक पद में उत्तर दें –

(क) कस्य भवने पशवः आसन्?
(ख) कः पशुः राज्ञः प्रियः आसीतू?
(ग) नृपस्य नासिकायाः उपरि का उपाविशत्?
(घ) वानरः कां हन्तुं खड्गेन प्रहारम् अकरोत?
(ङ) कस्य नासिका छिन्ना अभवतू?

उत्तर :

(क) नृपस्य।
(ख) वानरः।
(ग) मक्षिका।
(घ) मक्षिकां।
(ङ) नृपस्य।

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प्रश्न 3.
पाठ के उचित शब्दों से रिक्त स्थानों की पूर्ति करें (पूर्ति करके) –

(क) एकस्मिन् नगरे एकः नृपः आसीत् ।
(ख) एकदा नृपः सुप्तः आसीत् ।
(ग) मक्षिका पुनः-पुनः आगत्य तत्रैव अतिष्ठत् ।
(घ) मूर्खसेवकाः दूरतः एव त्याज्याः ।
(ङ) वानरः व्यजनेन नृपमू अवीजयतू ।

प्रश्न 4.
UP Board Solutions for Class 6 Hindi Chapter 3 मूर्खसेवकः (अनिवार्य संस्कृत) 1

प्रश्न 5.
इस पाठ में प्रयुक्त ‘लङ्लकार’ के रूपों को ढूंढ़कर लिखें।
उत्तर :
पाठ में प्रयुक्त ललकार के रूप- आसीत्, आसन्, अकुर्वन्, अभवत्, अवीजयत्, उपाविशत्, न्यवारयत्, अतिष्ठत्, अकरोत्, अगच्छत् ।

शिक्षण-संकेत –
नोट – विद्यार्थी पुस्तक में दिए गए परिशिष्ट और शिक्षक की सहायता से स्वयं करें।

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UP Board Solutions for Class 6 Hindi Chapter 19 शेरशाह सूरी (महान व्यक्तिव)

UP Board Solutions for Class 6 Hindi Chapter 19 शेरशाह सूरी (महान व्यक्तिव)

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पाठ का सारांश

शेरशाह सूरी के बचपन का नाम फरीद था। इसके पिता हसन खाँ सहसराम के जागीरदार थे। फरीद अपनी सौतेली माँ के व्यवहार से दुखी रहता था। ये सहसराम छोड़कर जौनपूर रहने लगा। वहाँ इसने अरबी, फारसी, इतिहास और दर्शन का अध्ययन किया। बाद में हसन खाँ फरीद को सहसराम ले गए और उसे जागीर की व्यवस्था सौंप दी। फरीद ने बहुत कुशलता से जागीर को प्रबन्ध किया। जागीर की देख-भाल करते समय फरीद को प्रशासन का अत्यधिक अनुभव प्राप्त हुआ। आगे चलकर यह सफल शासक बना। सौतेली माँ ने फिर पिता-पुत्र में संघर्ष करा दिया। फरीद ने भरे मन से फिर सहसराम छोड़ दिया। शिकार के समय फरीद ने एक शेर से बिहार के, सुल्तान की रक्षा की। इससे प्रसन्न होकर सुल्तान ने उसे शेरखाँ की उपाधि दी।

शेरखाँ का कहना था कि मैं मुगलों को निकाल दूंगा। बाबर शेरखाँ की प्रतिभा से सतर्क हो गया। आगे चलकर शेरखाँ शेरशाह सूरी के नाम से प्रसिद्ध हुआ। इसने एक विशाल साम्राज्य स्थापित किया। शेरशाह चरित्रवान (UPBoardSolutions.com) था। वह अच्छा सेनापति था। साम्राज्य की सुरक्षा के लिए इसने ऐसी सेना तैयार की, जिसमें उत्तम चरित्र के आधार पर सीधी भर्ती होती थी।

शेरशाह नीति कुशल शासक था। वह न्यायप्रिय भी था। यात्रियों की सुरक्षा के लिए इसने कड़े आदेश दिए थे। चोरी होने पर गाँव का मुखिया या जमींदार उत्तरदायी होता था। सजा के डर से अपराध नहीं होते थे तथा प्रजा पूर्णतः सुरक्षित थी। शेरशाह ने व्यापार की उन्नति के लिए सड़कें बनवाईं तथा सड़कों के किनारे छायादार वृक्ष लगवाए। सरायों में सुरक्षा का विशेष प्रबन्ध था। ग्रैंड ट्रंक रोड शेरशाह सूरी ने ही बनवाई थी। यह अपनी सड़कों को साम्राज्य की धमनियाँ कहता था। इससे व्यापार में सहायता मिलती थी।

रुपये के सिक्के सर्वप्रथम शेरशाह ने ही ढलवाए। खोटे और मिली-जुली (UPBoardSolutions.com) धातु के सिक्कों का चलन बन्द कर दिया गया। शेरशाह ने पाँच वर्ष तक शासन किया। कालिंजर की विजय के समय तोप के गोले से घायल हो जाने से सन 1545 ई० में इसकी मृत्यु हो गई।

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अभ्यास

प्रश्न 1.
फरीद एक साधारण व्यक्ति से सम्राट किस प्रकार बना?
उत्तर :
फरीद को जब उसके पिता ने सहसराम की जागीर का प्रबन्ध सौंपा, तब उसने योग्यता दिखाई। इस प्रकार उसे शासन का पर्याप्त अनुभव हो गया। इसके पश्चात् उसने बिहार के सुल्तान के यहाँ नौकरी कर ली। शिकार के समय उसने एक शेर से सुल्तान की रक्षा की। सुल्तान ने प्रसन्न होकर उसे शेरखाँ की उपाधि दी। उसने मुगल बादशाह बाबर के यहाँ नौकरी कर ली। (UPBoardSolutions.com) वह मुगलों से घृणा करता था। उसने मुगलों को भारत से निकालने की प्रतिज्ञा की। अपनी तीव्र बुधि के कारण शेरखाँ ने शेरशाह सूरी के नाम से एक विशाल साम्राज्य स्थापित किया और वह दिल्ली का सम्राट बना।

प्रश्न 2.
शेरशाह ने कौन-कौन से कार्य किए?
उत्तर :
शेरशाह ने अपने 5 साल के शासन काल में निम्नलिखित कार्य किए

  1. शेरशाह ने व्यापार को उन्नत-किया। आवागमन के साधनों को सुधारा। सड़कें बनवाई। उसके दोनों ओर छायादार वृक्ष लगवाए और थोड़ी-थोड़ी दूरी पर सरायें बनवाई तथा कुँए खुदवाए। उसने ग्रैंड ट्रंक रोड बनवाया। अब इस सड़क का नाम शेरशाह सूरी मार्ग हो गया है।
  2. उसने भूमि की नाप कराई और राजस्व का निर्धारण किया।
  3. रुपये के सिक्के सर्वप्रथम शेरशाह ने ही ढलवाए। उसने मिली-जुली धातु के सिक्कों का चलन बंद करा दिया तथा सोने, चाँदी और ताँबे के सिक्के ढलवाए गए।
  4. शेरशाह के शासन काल में बाट और माप प्रणाली में सुधार हुआ।
  5. उसने दिल्ली के निकट यमुना के तट पर एक नया नगर बसाया।

प्रश्न 3.
शेरशाह ने व्यापार को किस प्रकार उन्नत किया?
उत्तर :
शेरशाह ने आवागमन के साधनों को सुधारा। सड़के बनवाई। शेरशाह सूरी अपनी सड़कों को साम्राज्य की धमनियाँ कहते थे। इनसे व्यापार में सहायता मिलती थी। शेरशाह ने सोने, चाँदी तथा ताँबे के सिक्के (UPBoardSolutions.com) ढलवाए। उनके समय में बाट और माप प्रणाली में सुधार हुआ। इस प्रकार शेरशाह ने व्यापार को उन्नत किया।

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प्रश्न 4.
शेरशाह एक नीति-कुशल शासक थे, स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
शेरशाह ने सदैव प्रजा के हित को ध्यान में रखा। उन्होंने सरकारी कर्मचारियों एवं जमींदारों पर कड़ा अनुशासन रखा। घूस लेने वाले अधिकारियों को हटाया। न्याय को शासन का आधार बनाया। जनता से अच्छा व्यवहार किया। आदेशों की अवहेलना के लिए कड़ी सजा की व्यवस्था थी। प्रजा उनकी प्रशंसा करती थी और उनसे प्रेम करती थी।

शेरशाह न्यायप्रिय थे और सभी धर्मों का ध्यान रखते थे। राहगीरों की सुरक्षा का पूरा प्रबंध रहता था। चोरी होने पर गाँव का मुखिया या जमींदार उत्तरदायी होता था। चोरों का पता न लगा पाने की दशा में (UPBoardSolutions.com) उसे स्वंय सजा भुगतनी पड़ती थी। रास्ते में किसी की हत्या हो जाने पर मुखिया या जमींदार ही उत्तरदायी ठहराया जाता था। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि शेरशाह एक नीति-कुशल शासक थे।

प्रश्न 5.
शेरशाह में कौन-कौन-से गुण थे?
उत्तर :
शेरशाह में निम्नलिखित गुण थे –

  1. वह उच्चकोटि का चरित्रवान एवं कुशल सेनापति था।
  2. वह नीति कुशल शासक था।
  3. वह न्यायप्रिय शासक था तथा सभी धर्मों का ध्यान रखता था।
  4. राज्य के अधिकारियों को यात्रियों से अच्छा व्यवहार करने के लिए उसने कड़े आदेश दे रखे थे। इस प्रकार वह राहगीरों की सुरक्षा का पूरा ध्यान रखता था।
  5. उसने आवागमन के साधनों में सुधार करवाया, सड़कें बनवाईं, उनके दोनों ओर छायादार वृक्ष लगवाए।
  6. शेरशाह में अद्भुत क्षमता थी। वह अपने लक्ष्य को सदैव ध्यान में रखता था।
  7. वह समय का सदुपयोग तथा कठोर परिश्रम करता था। प्रजा की दशा जानने के लिए वह देश-भ्रमण भी करता था।

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UP Board Solutions for Class 6 Hindi Chapter 2 पत्र – नौका (अनिवार्य संस्कृत)

UP Board Solutions for Class 6 Hindi Chapter 2 पत्र – नौका (अनिवार्य संस्कृत)

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पत्रनिर्मिता पत्रनिर्मिता ………………………………… चलितो।।

हिन्दी अनुवाद – कागज से बनी तुम्हारी नाव; कागजे से बनी मेरी नाव; तुम्हारी नाव पानी में गली; मेरी नाव आगे चली।

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नहि-नहि ……………………………………… रचिता।।

हिन्दी अनुवाद – दुख नहीं करना चाहिए; नया कागज ले आओ; वह गली; तो क्या गल गया! नई-नई दूसरी बनी।

वायुः यदा …………………………….. चलिते।।

हिन्दी अनुवाद – जब हवा धीरे-धीरे बहे, तब तालाब जाना चाहिए और उसमें दोनों नई नौकाएँ छोड़ देनी चाहिए। वे आसानी से पार उतर जाएँगी।

अभ्यास

प्रश्न 1.
एक पद में उत्तर दें –

(क) नौका केन निर्मिता?
(ख) किम् आनेयम्
(ग) नवा-नवा किं रचिता?
(घ) किं न करणीयम्

उत्तर :

(क) पत्रेण।
(ख) नूतनपत्रम्।
(ग) नौका।
(घ) दुःखं न करणीयम्।

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प्रश्न 2.
अधोलिखित श्लोकांशों का सही क्रम में मिलान करें –
UP Board Solutions for Class 6 Hindi Chapter 2 पत्र-नौका (अनिवार्य संस्कृत) 1

प्रश्न 3.
मञ्जूषा से क्रियापदों को लेकर श्लोकांश की पूर्ति करें (पूर्ति करके)

(क) पत्र निर्मिता तव नौका।
(ख) मम नौका अग्रे चलिता।
(ग) तव नौका सलिले गलिता।
(घ) नवा-नवा नौका रचिता।

प्रश्न 4.

UP Board Solutions for Class 6 Hindi Chapter 2 पत्र-नौका (अनिवार्य संस्कृत) 2

शिक्षण – संकेत –
नोट – विद्यार्थी कविता का अभ्यास तथा वाचन करें और कंठस्थ की गई कोई चार पंक्तियाँ स्वयं लिखें।

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UP Board Solutions for Class 6 Hindi Chapter 18 सन्त रविदास (महान व्यक्तिव)

UP Board Solutions for Class 6 Hindi Chapter 18 सन्त रविदास (महान व्यक्तिव)

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पाठ का सारांश

सन्त रविदास का जन्म काशी में हुआ। इनके पिता का नाम रग्घू और माता का नाम घुरबिनिया था। रविदास पिता की तरह जूते बनाने का कार्य लगन से करते थे। समय-पालन की इनकी आदत और मधुर व्यवहार से लोग खुश रहते थे। रविदास साधुओं को बिना मूल्य जूते दे देते थे। ये अपना खाली समय अपने गुरु रामानन्द के साथ बिताते थे। सन्त रविदास को एक व्यक्ति को जूते बनाकर देने थे। इस कारण ये गंगा स्नान को नहीं जा सके। इन्होंने कहा, “मन चंगा तो : कठौती में गंगा”। ये वचन के पक्के होने और अन्त:करण की शुद्धि पर जोर देते थे।

रविदास के जन्म के समय समाज में अन्धविश्वास, धार्मिक आडम्बर और छुआछूत जैसी बुराइयाँ । व्याप्त थीं, जिन्हें दूर करने का इन्होंने प्रयास किया। इन्होंने बाह्य आडम्बर और भक्ति में अन्तर बताया और (UPBoardSolutions.com)स्वरचित भजन गाए। ईश्वर से मिलने के लिए इन्होंने आचरण की पवित्रता और भक्तिभाव जाग्रत करने को कहा। रविदास कर्म को ही ईश्वर भक्ति मानते थे। खाली समय वे साधु संगति और ईश्वर भजने में बिताते थे।

रविदास के विचार में राम, कृष्ण, करीम, अल्लाह सब एक ईश्वर के नाम हैं। सभी धर्म ईश्वर आराधना पर बल देते हैं। इस कारण ईश्वर नाम पर विवाद व्यर्थ है। सभी मनुष्य ईश्वर की सन्तान हैं और एक समान हैं। मनुष्य को अभिमान छोड़कर परोपकार करना चाहिए। सन्त रविदास के अनुसार मनुष्य जन्म और व्यवसाय से नहीं, वरन् अपने विचारों की श्रेष्ठता, समाज हित के कार्यों और सद्व्यवहार जैसे गुणों से ही महान बनता है।

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अभ्यास

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए –

प्रश्न 1.
सन्त रविदास का पैतृक व्यवसाय क्या था?
उत्तर :
सन्त रविदास का पैतृक व्यवसाय जूते बनाना था।

प्रश्न 2.
सन्त रविदास के समय समाज में कौन-कौन-सी बुराइयाँ फैली थीं?
उत्तर :
सन्त रविदास के समय समाज में अनेक बुराइयाँ फैली थीं, जैसे- अन्धविश्वास, धार्मिक आडम्बर, छुआछूत आदि।

प्रश्न 3.
रविदास ईश्वर से मिलने के लिए कौन-सा तरीका बताते हैं?
उत्तर :
रविदास के अनुसार ईश्वर से मिलने का तरीका (UPBoardSolutions.com)आचरण को पवित्र करना और भक्ति-भाव रखना है।

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प्रश्न 4.
मनुष्य को महान बनाने में कौन-से गुण सहायक हैं?
उत्तर :
विचारों की श्रेष्ठता, समाज हित के कार्य और सद्व्यवहार जैसे गुण मनुष्य को महान बनाने में सहायक होते हैं।

प्रश्न 5.
संत रविदास के मुख्य विचार क्या थे?
उत्तर :
रविदास के विचार –

  • राम, कृष्ण, करीम, राघव, हरि, अल्लाह, एक ही ईश्वर के विविध नाम हैं।
  • सभी धर्मों में ईश्वर की सच्ची अराधना पर बल दिया गया है।
  • वेद, पुराण, कुरान आदि धर्मग्रंथ एक ही परमेश्वर का गुणगान करते हैं।
  • ईश्वर के नाम पर किए जाने वाले विवाद निरर्थक एवं सारहीन हैं।
  • सभी मनुष्य ईश्वर की ही संतान हैं, अतः ऊँच-नीच का भेद-भाव मिटाना चाहिए।
  • अभिमान नहीं अपितु परोपकार की भावना अपनानी चाहिए।
  • अपना कार्य जैसा भी हो वह ईश्वर की पूजा के समान है।

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योग्यतां विस्तार
आपके घर पर क्या कार्य (व्यवसाय.) होता है? आपको यह कार्य कैसा लगता है? और क्यों?
नोट – विद्यार्थी स्वयं करे।

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