UP Board Solutions for Class 6 Hindi Chapter 3 मूर्खसेवकः (लङ्लकारः) (अनिवार्य संस्कृत)

UP Board Solutions for Class 6 Hindi Chapter 3 मूर्खसेवकः (लङ्लकारः) (अनिवार्य संस्कृत)

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एकस्मिन नगरे ……………………………. दूरतः एव त्याज्याः

हिन्दी अनुवाद – किसी नगर में एक राजा था। उसके राजमहल में कई जानवर और पशु थे। वे सब राजा की सेवा किया करते थे। उन पशुओं में एक बन्दर भी था; जो राजा का प्रिय था। एक बार की बात है, राजा सोया था। वह बन्दर उसे पंखा झल रहा था; हठात् एक मक्खी आकर राजा की नाक पर बैठ गई। बन्दर बार-बार उसे पंखे से उड़ा देता; (UPBoardSolutions.com) तथापि वह वहीं आकर बैठ जाती। इससे बन्दर को बहुत गुस्सा आया। उसने मक्खी को मारने के लिए तलवार चला दी। मक्खी तो उड़ गई; लेकिन राजा की नाक कट गई; फलतः मूर्ख सेवकों को अपने से दूर ही रखना अर्थात् त्याग देना चाहिए।

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अभ्यास

प्रश्न 1.
उच्चारण करें –
नोट – विद्यार्थी शिक्षक की सहायता से स्वयं करें।

प्रश्न 2.
एक पद में उत्तर दें –

(क) कस्य भवने पशवः आसन्?
(ख) कः पशुः राज्ञः प्रियः आसीतू?
(ग) नृपस्य नासिकायाः उपरि का उपाविशत्?
(घ) वानरः कां हन्तुं खड्गेन प्रहारम् अकरोत?
(ङ) कस्य नासिका छिन्ना अभवतू?

उत्तर :

(क) नृपस्य।
(ख) वानरः।
(ग) मक्षिका।
(घ) मक्षिकां।
(ङ) नृपस्य।

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प्रश्न 3.
पाठ के उचित शब्दों से रिक्त स्थानों की पूर्ति करें (पूर्ति करके) –

(क) एकस्मिन् नगरे एकः नृपः आसीत् ।
(ख) एकदा नृपः सुप्तः आसीत् ।
(ग) मक्षिका पुनः-पुनः आगत्य तत्रैव अतिष्ठत् ।
(घ) मूर्खसेवकाः दूरतः एव त्याज्याः ।
(ङ) वानरः व्यजनेन नृपमू अवीजयतू ।

प्रश्न 4.
UP Board Solutions for Class 6 Hindi Chapter 3 मूर्खसेवकः (अनिवार्य संस्कृत) 1

प्रश्न 5.
इस पाठ में प्रयुक्त ‘लङ्लकार’ के रूपों को ढूंढ़कर लिखें।
उत्तर :
पाठ में प्रयुक्त ललकार के रूप- आसीत्, आसन्, अकुर्वन्, अभवत्, अवीजयत्, उपाविशत्, न्यवारयत्, अतिष्ठत्, अकरोत्, अगच्छत् ।

शिक्षण-संकेत –
नोट – विद्यार्थी पुस्तक में दिए गए परिशिष्ट और शिक्षक की सहायता से स्वयं करें।

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UP Board Solutions for Class 6 Hindi Chapter 19 शेरशाह सूरी (महान व्यक्तिव)

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पाठ का सारांश

शेरशाह सूरी के बचपन का नाम फरीद था। इसके पिता हसन खाँ सहसराम के जागीरदार थे। फरीद अपनी सौतेली माँ के व्यवहार से दुखी रहता था। ये सहसराम छोड़कर जौनपूर रहने लगा। वहाँ इसने अरबी, फारसी, इतिहास और दर्शन का अध्ययन किया। बाद में हसन खाँ फरीद को सहसराम ले गए और उसे जागीर की व्यवस्था सौंप दी। फरीद ने बहुत कुशलता से जागीर को प्रबन्ध किया। जागीर की देख-भाल करते समय फरीद को प्रशासन का अत्यधिक अनुभव प्राप्त हुआ। आगे चलकर यह सफल शासक बना। सौतेली माँ ने फिर पिता-पुत्र में संघर्ष करा दिया। फरीद ने भरे मन से फिर सहसराम छोड़ दिया। शिकार के समय फरीद ने एक शेर से बिहार के, सुल्तान की रक्षा की। इससे प्रसन्न होकर सुल्तान ने उसे शेरखाँ की उपाधि दी।

शेरखाँ का कहना था कि मैं मुगलों को निकाल दूंगा। बाबर शेरखाँ की प्रतिभा से सतर्क हो गया। आगे चलकर शेरखाँ शेरशाह सूरी के नाम से प्रसिद्ध हुआ। इसने एक विशाल साम्राज्य स्थापित किया। शेरशाह चरित्रवान (UPBoardSolutions.com) था। वह अच्छा सेनापति था। साम्राज्य की सुरक्षा के लिए इसने ऐसी सेना तैयार की, जिसमें उत्तम चरित्र के आधार पर सीधी भर्ती होती थी।

शेरशाह नीति कुशल शासक था। वह न्यायप्रिय भी था। यात्रियों की सुरक्षा के लिए इसने कड़े आदेश दिए थे। चोरी होने पर गाँव का मुखिया या जमींदार उत्तरदायी होता था। सजा के डर से अपराध नहीं होते थे तथा प्रजा पूर्णतः सुरक्षित थी। शेरशाह ने व्यापार की उन्नति के लिए सड़कें बनवाईं तथा सड़कों के किनारे छायादार वृक्ष लगवाए। सरायों में सुरक्षा का विशेष प्रबन्ध था। ग्रैंड ट्रंक रोड शेरशाह सूरी ने ही बनवाई थी। यह अपनी सड़कों को साम्राज्य की धमनियाँ कहता था। इससे व्यापार में सहायता मिलती थी।

रुपये के सिक्के सर्वप्रथम शेरशाह ने ही ढलवाए। खोटे और मिली-जुली (UPBoardSolutions.com) धातु के सिक्कों का चलन बन्द कर दिया गया। शेरशाह ने पाँच वर्ष तक शासन किया। कालिंजर की विजय के समय तोप के गोले से घायल हो जाने से सन 1545 ई० में इसकी मृत्यु हो गई।

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अभ्यास

प्रश्न 1.
फरीद एक साधारण व्यक्ति से सम्राट किस प्रकार बना?
उत्तर :
फरीद को जब उसके पिता ने सहसराम की जागीर का प्रबन्ध सौंपा, तब उसने योग्यता दिखाई। इस प्रकार उसे शासन का पर्याप्त अनुभव हो गया। इसके पश्चात् उसने बिहार के सुल्तान के यहाँ नौकरी कर ली। शिकार के समय उसने एक शेर से सुल्तान की रक्षा की। सुल्तान ने प्रसन्न होकर उसे शेरखाँ की उपाधि दी। उसने मुगल बादशाह बाबर के यहाँ नौकरी कर ली। (UPBoardSolutions.com) वह मुगलों से घृणा करता था। उसने मुगलों को भारत से निकालने की प्रतिज्ञा की। अपनी तीव्र बुधि के कारण शेरखाँ ने शेरशाह सूरी के नाम से एक विशाल साम्राज्य स्थापित किया और वह दिल्ली का सम्राट बना।

प्रश्न 2.
शेरशाह ने कौन-कौन से कार्य किए?
उत्तर :
शेरशाह ने अपने 5 साल के शासन काल में निम्नलिखित कार्य किए

  1. शेरशाह ने व्यापार को उन्नत-किया। आवागमन के साधनों को सुधारा। सड़कें बनवाई। उसके दोनों ओर छायादार वृक्ष लगवाए और थोड़ी-थोड़ी दूरी पर सरायें बनवाई तथा कुँए खुदवाए। उसने ग्रैंड ट्रंक रोड बनवाया। अब इस सड़क का नाम शेरशाह सूरी मार्ग हो गया है।
  2. उसने भूमि की नाप कराई और राजस्व का निर्धारण किया।
  3. रुपये के सिक्के सर्वप्रथम शेरशाह ने ही ढलवाए। उसने मिली-जुली धातु के सिक्कों का चलन बंद करा दिया तथा सोने, चाँदी और ताँबे के सिक्के ढलवाए गए।
  4. शेरशाह के शासन काल में बाट और माप प्रणाली में सुधार हुआ।
  5. उसने दिल्ली के निकट यमुना के तट पर एक नया नगर बसाया।

प्रश्न 3.
शेरशाह ने व्यापार को किस प्रकार उन्नत किया?
उत्तर :
शेरशाह ने आवागमन के साधनों को सुधारा। सड़के बनवाई। शेरशाह सूरी अपनी सड़कों को साम्राज्य की धमनियाँ कहते थे। इनसे व्यापार में सहायता मिलती थी। शेरशाह ने सोने, चाँदी तथा ताँबे के सिक्के (UPBoardSolutions.com) ढलवाए। उनके समय में बाट और माप प्रणाली में सुधार हुआ। इस प्रकार शेरशाह ने व्यापार को उन्नत किया।

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प्रश्न 4.
शेरशाह एक नीति-कुशल शासक थे, स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
शेरशाह ने सदैव प्रजा के हित को ध्यान में रखा। उन्होंने सरकारी कर्मचारियों एवं जमींदारों पर कड़ा अनुशासन रखा। घूस लेने वाले अधिकारियों को हटाया। न्याय को शासन का आधार बनाया। जनता से अच्छा व्यवहार किया। आदेशों की अवहेलना के लिए कड़ी सजा की व्यवस्था थी। प्रजा उनकी प्रशंसा करती थी और उनसे प्रेम करती थी।

शेरशाह न्यायप्रिय थे और सभी धर्मों का ध्यान रखते थे। राहगीरों की सुरक्षा का पूरा प्रबंध रहता था। चोरी होने पर गाँव का मुखिया या जमींदार उत्तरदायी होता था। चोरों का पता न लगा पाने की दशा में (UPBoardSolutions.com) उसे स्वंय सजा भुगतनी पड़ती थी। रास्ते में किसी की हत्या हो जाने पर मुखिया या जमींदार ही उत्तरदायी ठहराया जाता था। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि शेरशाह एक नीति-कुशल शासक थे।

प्रश्न 5.
शेरशाह में कौन-कौन-से गुण थे?
उत्तर :
शेरशाह में निम्नलिखित गुण थे –

  1. वह उच्चकोटि का चरित्रवान एवं कुशल सेनापति था।
  2. वह नीति कुशल शासक था।
  3. वह न्यायप्रिय शासक था तथा सभी धर्मों का ध्यान रखता था।
  4. राज्य के अधिकारियों को यात्रियों से अच्छा व्यवहार करने के लिए उसने कड़े आदेश दे रखे थे। इस प्रकार वह राहगीरों की सुरक्षा का पूरा ध्यान रखता था।
  5. उसने आवागमन के साधनों में सुधार करवाया, सड़कें बनवाईं, उनके दोनों ओर छायादार वृक्ष लगवाए।
  6. शेरशाह में अद्भुत क्षमता थी। वह अपने लक्ष्य को सदैव ध्यान में रखता था।
  7. वह समय का सदुपयोग तथा कठोर परिश्रम करता था। प्रजा की दशा जानने के लिए वह देश-भ्रमण भी करता था।

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UP Board Solutions for Class 6 Hindi Chapter 2 पत्र – नौका (अनिवार्य संस्कृत)

UP Board Solutions for Class 6 Hindi Chapter 2 पत्र – नौका (अनिवार्य संस्कृत)

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पत्रनिर्मिता पत्रनिर्मिता ………………………………… चलितो।।

हिन्दी अनुवाद – कागज से बनी तुम्हारी नाव; कागजे से बनी मेरी नाव; तुम्हारी नाव पानी में गली; मेरी नाव आगे चली।

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नहि-नहि ……………………………………… रचिता।।

हिन्दी अनुवाद – दुख नहीं करना चाहिए; नया कागज ले आओ; वह गली; तो क्या गल गया! नई-नई दूसरी बनी।

वायुः यदा …………………………….. चलिते।।

हिन्दी अनुवाद – जब हवा धीरे-धीरे बहे, तब तालाब जाना चाहिए और उसमें दोनों नई नौकाएँ छोड़ देनी चाहिए। वे आसानी से पार उतर जाएँगी।

अभ्यास

प्रश्न 1.
एक पद में उत्तर दें –

(क) नौका केन निर्मिता?
(ख) किम् आनेयम्
(ग) नवा-नवा किं रचिता?
(घ) किं न करणीयम्

उत्तर :

(क) पत्रेण।
(ख) नूतनपत्रम्।
(ग) नौका।
(घ) दुःखं न करणीयम्।

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प्रश्न 2.
अधोलिखित श्लोकांशों का सही क्रम में मिलान करें –
UP Board Solutions for Class 6 Hindi Chapter 2 पत्र-नौका (अनिवार्य संस्कृत) 1

प्रश्न 3.
मञ्जूषा से क्रियापदों को लेकर श्लोकांश की पूर्ति करें (पूर्ति करके)

(क) पत्र निर्मिता तव नौका।
(ख) मम नौका अग्रे चलिता।
(ग) तव नौका सलिले गलिता।
(घ) नवा-नवा नौका रचिता।

प्रश्न 4.

UP Board Solutions for Class 6 Hindi Chapter 2 पत्र-नौका (अनिवार्य संस्कृत) 2

शिक्षण – संकेत –
नोट – विद्यार्थी कविता का अभ्यास तथा वाचन करें और कंठस्थ की गई कोई चार पंक्तियाँ स्वयं लिखें।

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UP Board Solutions for Class 6 Hindi Chapter 26 कुंवर सिंह (महान व्यक्तिव)

UP Board Solutions for Class 6 Hindi Chapter 26 कुंवर सिंह (महान व्यक्तिव)

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पाठ का सारांश

1857 के स्वाधीनता संग्राम में कुंवर सिंह ने अँग्रेजों के विरुद्ध बिहार के क्रांतिकारियों का नेतृत्व किया। दानापुर के क्रांतिकारियों ने 25 जुलाई, 1857 ई० को अँग्रेजों को हराकर आरा पर (UPBoardSolutions.com) अधिकार प्राप्त कर लिया।

कुँवर सिंह बिहार स्थित जगदीशपुर के जमींदार थे। ये मालवा के शासक भोज के वंशज थे। स्वाधीनता संग्राम के समय वे अस्सी वर्ष के थे। ईस्ट इंडिया कम्पनी ने गलत नीति से इनकी जागीर । छीन ली थी। सीमित साधन होते हुए भी इन्होंने क्रान्तिकारियों को संगठित किया। छापामार युद्धनीति अपनाकर इन्होंने अंग्रेजों को बार-बार हराया। ये युद्ध अभियान में बाँदा, रीवाँ और कानपुर भी गए। कुछ देशी राजाओं ने अँग्रेजों का साथ दिया। एक निश्चित तिथि को युद्ध न होने से अँग्रेजों को दमन करने का मौका मिल गया। विषम स्थिति को देखते हुए भी कुँवर सिंह ने अदम्य शौर्य प्रदर्शित कर अँग्रेजों से लोहा लिया। कुँवर सिंह की समय-समय पर भिन्न-भिन्न रणनीति का अँग्रेज अनुमान नहीं लगा पा रहे थे।

आजमगढ़ से पच्चीस मील दूर अतरौलिया के मैदान से पीछे हटकर सोची-समझी रणनीति के अनुसार अँग्रेजों की सेना को जीत का आभास दिलाया। फिर बगीचे में आराम और भोजन करती अँग्रेजी सेना पर अचानक जोरदार हमला किया। बड़ी संख्या में अँग्रेज सैनिक मरे और उनके शस्त्र भी छिने। पराजय होने के बाद अँग्रेजी सेना ने कुंवर सिंह को (UPBoardSolutions.com) समाप्त करने का निश्चय करके आक्रमण किया। कुंवर सिंह के सैनिक अनेक दलों में बँटकर भिन्न दिशाओं में भागे। अँग्रेजी सैनिक संशय में पड़ गए। कुछ जंगलों में फँसे, भटके और बड़ी संख्या में मारे गए। इस प्रकार सोची-समझी रणनीति से कुँवर सिंह ने कई बार अँग्रेज सैनिकों को छकाया।

एक बार बलिया के पास रात में किश्तियों से गंगा नदी पार करते समय कुँवर सिंह की बाँह में अँग्रेजी की गोली से घाव हो गया और अधिक खून बहने से स्वास्थ्य बिगड़ गया। कुछ दिनों के बाद इस वीर और महान देशभक्त का निधन हो गया।

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अभ्यास

प्रश्न 1.
कुंवर सिंह कौन थे? प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के समय इनकी उम्र कितनी थी?
उत्तर :
कुंवर सिंह बिहार के आरा (तत्कालीन आरा तथा वर्तमान में भोजपुर) जिले में स्थित जगदीशपुर के जमींदार थे। प्रथम स्वाधीनता संग्राम के समय इनकी उम्र अस्सी वर्ष थी।

प्रश्न 2.
अँग्रेजी सेना के भारतीय जवान अँग्रेज सरकार से क्यों नाराज थे?
उत्तर :
अँग्रेजी सेना के भारतीय जवान अँग्रेजों की (UPBoardSolutions.com) भेदभाव की नीति से नाराज थे।

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प्रश्न 3.
कुंवर सिंह ने अपनी रणनीति में क्या-क्या परिवर्तन किए?
उत्तर :
सीमित साधन होने के कारण कुंवर सिंह ने छापामार युद्ध की नीति अपनाई और भिन्न-भिन्न व्यूह रचकर अँग्रेजों को बार-बार हराया।

प्रश्न 4.
कुंवर सिंह अंग्रेजी सेना से युद्ध के समय कौन-कौन सी रणनीति अपनाते थे?
उत्तर :
कुँवर सिंह की सेना अंग्रेजी सेना की तुलना में बहुत छोटी थी अतः कुँवर सिंह अपनी युद्ध नीति बार-बार बदलते रहते थे। उन्होंने मुख्य रूप से छापामार युद्ध की नीति अपनाई थी। कभी व्यूह रचकर हमला करते थे, कभी अपनी सेना को कई टुकड़ियों में बाँटकर अंग्रेजी सेना पर हमला करते तो कभी युद्ध के दौरान मैदान में पीछे हटकर ये (UPBoardSolutions.com) संदेश देते की हम हार गए और कुछ देर बाद ही पुनः हमला कर देते। इस प्रकार भिन्न-भिन्न युद्ध नीति अपनाकर छोटी सेना होने के बावजूद उन्होंने अंग्रेजों को कई बार हराया।

योग्यता विस्तार –
इस पाठ का मूलभाव क्या है? अपनी शिक्षक/शिक्षिका से चर्चा कीजिए और उत्तर पुस्तिका में लिखिए।

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नोट – विद्यार्थी स्वयं करें।

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UP Board Solutions for Class 6 Hindi Chapter 37 पंडित दीनदयाल उपाध्याय (महान व्यक्तिव)

UP Board Solutions for Class 6 Hindi Chapter 37 पंडित दीनदयाल उपाध्याय (महान व्यक्तिव)

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पाठ का सारांश

पंडित दीनदयाल उपाध्याय का जन्म 25 सितंबर, सन् 1916 को राजस्थान में जयपुर के धनकिया में हुआ था। जब ये ढाई वर्ष के थे तभी इनके पिता भगवती प्रसाद का देहांत हो गया। जब ये सात वर्ष के थे तो इनकी माता रामप्यारी देवी का देहांत हो गया। उन्होंने अपने ननिहाल में रहकर प्राथमिक और माध्यमिक स्तर की पढ़ाई पूरी की। कानपुर में सनातन धर्म कॉलेज से बी.ए. किया। आगरा के सेंट जॉन कालेज से अंग्रेजी साहित्य में एम.ए. करने के दौरान वे नाना जी देशमुख के सम्पर्क में आए। बीमार ममेरी बहन की सेवा करने के कारण पंडित दीनदयाल एम.ए. वितीय वर्ष की पढ़ाई पूरी नहीं कर सके। पंडित दीनदयाल समाज के लिए कुछ अलग करना चाहते थे अतः नौकरी का विचार त्याग कर समाज सेवा का स्वप्न लिए भाऊराव देवरस के पास गए और स्वयं को आजीवन समाज सेवा के प्रति समर्पित कर दिया।

एक निर्भीक पत्रकार, प्रखर लेखक, गहन अध्येता के रूप में पंडित दीनदयाल उपाध्याय के योगदान को सदैव याद किया जाएगा। सन् 1947 ई० श्री भाऊराव देवरस की प्रेरणा से उन्होंने ‘राष्ट्रधर्म’ पत्रिका का प्रकाशन (UPBoardSolutions.com) शुरू किया। फिर ‘पांचजन्य’ और दैनिक ‘स्वदेश’ का प्रकाशन सुरू किया। फिर उन्होंने प्रसिद्ध उपन्यास ‘सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य’ और ‘जगत गुरु शंकराचार्य’ लिखा। ‘अखण्ड भारत क्यों’ उनकी प्रमुख कृति है।

उनका मानना था कि समाज में छुआछूत और भेदभाव राष्ट्र की एकता के लिए घातक है। वे स्वदेशी के पक्षधर थे। एक बार उन्होंने कहा था- “विश्व का ज्ञान और आज तक की संपूर्ण परंपरा के आधार पर हम ऐसे भारत का निर्माण करेंगे, जो हमारे पूर्वजों के भारत से भी अधिक गौरवशाली होगा।” हम (UPBoardSolutions.com) सभी को पंडित दीनदयाल उपाध्याय जैसे तेजस्वी, तपस्वी एवं यशस्वी महापुरुष के सपनों के भारत का निर्माण करने का संकल्प लेना चाहिए।

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अभ्यास

प्रश्न 1.
पंडित दीनदयाल उपाध्याय को बचपन में किन कठिनाइयों का सामना करना पड़ा?
उत्तर :
पंडित दीनदयाल उपाध्याय जब ढाई वर्ष के थे तो उनके पिता का देहांत हो गया। उनके पिता रेल कर्मचारी थे। पिता की मृत्यु के बाद उनकी माँ उन्हें लेकर उनके पिता के पैतृक गाँव चली गई। जब वे सात वर्ष के थे तब उनके माता का भी देहांत हो गया अतः उनका बचपन उनके ननिहाल में बीता। इस प्रकार उनको बचपन में अनेक (UPBoardSolutions.com) कठिनाइयों का सामना करना पड़ा।

प्रश्न 2.
बालक दीनदयाल ने किस प्रसंग पर यह कहा था कि मुझे आपका आशीर्वाद चाहिए?
उत्तर :
पिलानी के बिरला कॉलेज से इंटरमीडिएट की परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण करने के बाद जब वे समाजसेवी व उद्योगपति घनश्याम दास बिरला से मिलने गए तो बिरला जी ने उन्हें पुरस्कार में स्वर्ण पदक और दो सौ पचास रुपये देते हुए उनसे पूछा कि- “तुम्हें क्या चाहिए बेटा?” इसी प्रसंग पर उन्होंने कहा था कि- “मुझे आपका आशिर्वाद चाहिए।

प्रश्न 3.
पंडित दीनदयाल उपाध्याय ने कौन-कौन सी पुस्तकों की रचना की?
उत्तर :
पंडित दीनदयाल उपाध्याय ने ‘सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य’, ‘जगत गुरु शंकराचार्य’ और ‘अखंड भारत क्यों आदि पुस्तकों की रचना की।

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प्रश्न 4.
राष्ट्रधर्म प्रकाशन से प्रकाशित होने वाली पत्र-पत्रिकाओं का नाम बताइए।
उत्तर :
राष्ट्रधर्म प्रकाशन से ‘राष्ट्रधर्म’ एवं पांचजन्य पत्रिका, दैनिक स्वदेश तथा सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य’, जगत गुरु शंकराचार्य उपन्यास तथा ‘अखंड भारत क्यों’ आदि पुस्तकें प्रकाशित होती थीं।

प्रश्न 5.
पंडित दीनदयाल उपाध्याय के चरित्र की किसी एक विशेषता के बारे में लिखिए?
उत्तर :
पंडित दीनदयाल उपाध्याय एक बार वाराणसी से बलिया जा रहे थे। तृतीय श्रेणी के डिब्बे में तिल रखने की भी जगह नहीं थी। कार्यकर्ताओं ने उनका बिस्तर वितीय श्रेणी में लगा दिया बलिया पहुँचने पर (UPBoardSolutions.com) उन्होंने दोनों श्रेणियों के किराये का अंतर स्टेशन मास्टर के पास जमा करा दिया।

प्रश्न 6.
‘एकात्म मानववाद से राष्ट्र की उन्नति कैसे होगी? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
पंडित दीनदयाल उपाध्याय ‘एकात्म मानववाद’ के प्रवर्तक थे। एकात्म मानववाद का अर्थ है, सबके लिए एक धर्म अर्थात् मानव धर्म। जहाँ मनुष्यों में कोई भेदभाव न हो। अगर समाज के प्रत्येक व्यक्ति को समान साधन, समान अवसर एवं समान स्वतंत्रता प्राप्त होगी तो भारत निसंदेह और तेजी से उन्नति करेगा।

प्रश्न 7.
राष्ट्रधर्म पत्रिका का प्रकाशन किसकी प्रेरणा से दीनदयाल जी ने किया था?
उत्तर :
राष्ट्रधर्म पत्रिका का प्रकाशन दीनदयाल जी ने भाऊराव देवरस की प्रेरणा से सुरू किया था।

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प्रश्न 8.
पंडित दीनदयाल के अनुसार राष्ट्रीयता का आधार क्या है?
उत्तर :
पंडित दीनदयाल राष्ट्रीयता का आधार भारत माता को मानते थे।

प्रश्न 9.
पंडित दीनदयाल जी के अनुसार ‘एकात्म मानववाद’ क्या है?
उत्तर :
पंडित दीनदयाल के अनुसार एकात्म (UPBoardSolutions.com) मानववाद का अर्थ है जहाँ विविध संस्कृतियाँ विकसित हों और एक ऐसे मानव धर्म का सृजन हो, जिसमें समाज के प्रत्येक व्यक्ति को समान समय, अवसर, और स्वतंत्रता प्राप्त हो।

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