UP Board Solutions for Class 6 History Chapter 2 पाषाण काल

UP Board Solutions for Class 6 History Chapter 2 पाषाण काल (आखेटक, संग्राहक एवं उत्पादक मानव)

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अभ्यास

प्रश्न 1.
रिक्त स्थान भरिए (रिक्त स्थान भरकर) –

(क) आग की खोज पुरापाषाण युग में हुई।
(ख) पुरापाषाण कालीन पत्थर के औजार बेडौल एवं भौड़ी आकृति वाले थे।
(ग) पहिए का आविष्कार नव पाषाण काल में हुआ।

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प्रश्न 2.
उत्तर लिखिए –

(क) पाषाण युग को किसकी विशेषताओं के आधार पर बाँटा गया है ?
उत्तर :
पाषाण अर्थात पत्थर, काल अर्थात समय। मानव ने अपनी रक्षा और भूख मिटाने के लिए सर्वप्रथम पत्थर के औजारों का ही सबसे अधिक उपयोग किया, इसलिए इस युग को पाषाण काल कहते हैं। पत्थर से बने औजारों में समय-समय पर परिवर्तन हुए हैं, इसी आधार पर पाषाण युग को तीन (UPBoardSolutions.com) भागों में बाँटा गया है- पुरापाषाण काल, मध्यपाषाण काल और नवपाषाण काल।

(ख) मानव ने आग जलाना कैसे सीखा?
उत्तर :
प्राचीन मानव औजार बनाने के लिए एक पत्थर पर दूसरे पत्थर से चोट मारते थे। इस प्रक्रिया में पत्थरों के आपस में टकराने पर चिनगारी निकली होगी और इस प्रकार मानव ने आग जलाना सीख लिया होगा।

(ग) पुरातत्वविद् नवपाषाण काल का प्रारम्भ कब से मानते हैं?
उत्तर :
पुरातत्वविद् नवपाषाण काल का आरंभ तब से मानते हैं, जब से मानव ने भली-भाँति खेती करना प्रारंभ कर दिया।

(घ) पाषाण युगीन मानव अपने औजार किन-किन वस्तुओं से बनाते थे?
उत्तर :
पाषाणयुगीन मानव अपने औजार प्रारम्भ में पत्थरों से बनाते थे। बाद में वे ताँबे, जस्ते, काँसे आदि धातुओं के प्रयोग से अपने औजार बनाने लगे।

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(ड.) प्रारम्भिक मानव अपना भोजन किस प्रकार प्राप्त करते थे?
उत्तर :
प्रारंभिक मानव पत्थर से बने औजारों से पशुओं का शिकार कर अपना भोजन प्राप्त करते थे।

(च) मध्यपाषाण काल में हुए प्राकृतिक परिवर्तन का मानव जीवन पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर :
मध्यपाषाण काल में प्रकृति में अनेक परिवर्तन हुए। जिसका प्रभाव मानव जीवन पर पड़ा। नई परिस्थिति से तालमेल बैठाने के लिए उसने छोटे उपकरण बनाना प्रारंभ कर किया जलवायु पुहले की अपेक्षा गर्म हुई तो पृथ्वी की उर्वरा शक्ति बढ़ी और घास- व वनस्पतियों के मैदान विकसित हुए। (UPBoardSolutions.com) घास को खानेवाले छोटे जानवर जैसे हिरण, खरगोश, भेड़ बकरी पैदा हुए। मानव इन घासों को एकत्र करने लगी। इन घासों में कई आज के अनाजों की पूर्वज थीं। इनका प्रयोग मानव ने भोजन में किया। इस प्रकार मध्यपाषाण युग में मानव संग्राहक बन गया और उसने कुत्ता पालना शुरू कर दिया।

प्रश्न 3.
सही कथन के आगे सही (✓) का और गलत कथन के आगे गलत (✗) का निशान लगाएँ (निशान लगाकर)

(क) मानव ने अपनी जरूरतों के लिए पत्थर के औजारों का निर्माण नहीं किया। (✗)
(ख) पाषाण युग को तीन भागों में बाँटा गया है। (✓)
(ग) मध्य पाषाण कालीन पत्थर के औजार आकार में बड़े थे। (✗)
(घ) कुत्ता मानव का प्रथम पालतू पशु है। (✓)
(छ) हत्थेदार कुल्हाड़ी एवं हँसिया नवपाषाण काल के महत्त्वपूर्ण औजार नहीं थे। (✗)
(च) मानव ने ताँबे व जस्ते को मिलाकर मिश्रित धातु काँसा बनाना सीख लिया। (✓)

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प्रश्न 4.
मानव ने इधर-उधर घूमने के बजाय एक ही स्थान पर रहना प्रारम्भ कर दिया क्योंकि –

(क) उन्हें एक ही स्थान पर जरूरत भर का पानी उपलब्ध था।
(ख) उनके पशुओं के लिये चारा पर्याप्त था।
(ग) उन्होंने खेती करना शुरू कर दिया था।
(घ) जंगली जानवर पर्याप्त मात्रा में मिलने लगे।

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उपर्युक्त में जो सही हो उससे सम्बन्धित गोले को काला करिए।

प्रोजेक्ट कार्य –
नोट – विद्यार्थी स्वयं करें।

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UP Board Solutions for Class 6 History Chapter 1 कैसे पता करें कब क्या हुआ था?

UP Board Solutions for Class 6 History Chapter 1 कैसे पता करें कब क्या हुआ था? (इतिहास जानने के स्रोत)

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प्रश्न 1.
इस सिक्के को देखकर आप और क्या पता कर सकते हैं? बताइए।
उत्तर :
इस सिक्के पर गुप्तशासक कुमारगुप्त प्रथम को इस मुद्रा पर घुड़सवारी करते हुए दिखाया गया है। जिससे हम कह सकते हैं कि वे एक अच्छे घुड़सवार थे। इस प्रकार मुद्राएँ भी इतिहास लेखन में महत्वपूर्ण योगदान देती हैं।

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अभ्यास

प्रश्न 1.
उत्तर लिखिए –

(क) प्राचीन काल के मानव किस-किस पर अपने अभिलेख लिखते थे और क्यों?
उत्तर :
प्राचीन काल के मानव अपने अभिलेख ताड़पत्रों, भोजपत्रों और ताम्रपत्रों पर लिखते थे। कभी-कभी वे बड़ी शिलाओं, स्तम्भों, पत्थर की दीवारों, मिट्टी या पत्थर के छोटे-छोटे (UPBoardSolutions.com) फलकों पर भी अपने लेख लिखा करते थे। क्योंकि उस समय कागज का आविष्कार नहीं हुआ था।

(ख) पाठ में आपने सम्राट अशोक के किस अभिलेख के बारे में जाना ?
उत्तर :
पाठ में सम्राट अशोक के लुम्बिनी अभिलेख का उल्लेख है, जो सम्मिनदेई अभिलेख का अंश है। इस अभिलेख में अशोक ने यह घोषणा की है कि लुंबिनी में उपज का आठवाँ भाग कर के रूप में लिया जाएगा।

(ग) इतिहास लेखन में सिक्के एवं अभिलेख किस प्रकार सहायक होते हैं ? लिखिए।
उत्तर :
इतिहास लेखन में सिक्कों एवं अभिलेखों का काफी महत्त्व है। सिक्कों से तत्कालीन शासक का नाम, उसका समय, सिक्के की बनावट से उस समय की कला तथा धातु से (UPBoardSolutions.com) आर्थिक स्थिति की जानकारी प्राप्त होती है। अभिलेखों से उस समय के राजा का नाम, उसकी नीति-कानून, शासन-काल, लिपि, भाषा, साम्राज्य विस्तार, सभ्यता-संस्कृति आदि के विषय में पता चलता है।

(घ) मेगस्थनीज की पुस्तक का नाम क्या था?
उत्तर :
मेगस्थनीज की पुस्तक का नाम इण्डिका था।

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(ङ) इतिहास जानने के पुरातात्विक व साहित्यिक साधनों (स्रोतों) का वर्णन कीजिए।
उत्तर :
पुरातात्विक और साहित्यिक दोनों स्रोतों से हमें इतिहास की जानकारी प्राप्त होती है। इन स्रोतों की सहायता से इतिहासकार और पुरातत्वविद् अतीत का निर्माण करते हैं। इतिहासकार इन्ही स्रोतों से अतीत की कृषि, पशु-पालन, कामगार, शिल्प, काम-धंधे, व्यापार, नाप-तौल, लेन-देन, कर आदि के आधार पर आर्थिक स्थिति का वर्णन करते हैं। घर-परिवार, स्त्रियों की स्थिति, शिक्षा, रहन-सहन, खान-पान, (UPBoardSolutions.com) वेश-भूषा, मनोरंजन त्योहार, मेले आदि के आधार पर सामाजिक तथा शासक, प्रजा, प्रशासन, सुरक्षा व सैन्य व्यवस्था के आधार पर राजनीतिक स्थिति की जानकारी प्रदान करते हैं। इसी प्रकार कला, आचार, ज्ञान-विज्ञान की मान्यताएँ, धार्मिक विश्वास, देवी-देवता, पूजा-पाठ एवं परंपराओं के आधार पर धार्मिक एवं सांस्कृतिक स्थिति का वर्णन करते हैं।

प्रश्न 2.
अन्तर स्पष्ट कीजिए –

(क) प्राक् ऐतिहासिक काल – वह समय जिसके लिए कोई भी लिखित सामग्री उपलब्ध नहीं है, प्राक ऐतिहासिक काल कहलाता है।
(ख) आद्य ऐतिहासिक काल – वह समय जिससे संबंधित लिखित साक्ष्य उपलब्ध तो हैं किंतु उन्हें पढ़ा नहीं जा सकता है, उसे आद्य ऐतिहासिक काल कहते हैं।
(ग) ऐतिहासिक काल – जिंस काल के विषय में लिखित सामग्री से जानकारी मिलती है एवं उसे पढ़ा भी जा सकता है। उस काल को ऐतिहासिक काल कहते हैं।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित से आप क्या समझते हैं?
(अ) पुरातत्ववेत्ता
(ब) इतिहासकार
उत्तर :
(अ) पुरातत्ववेत्ता – पुरातत्ववेत्ता सावधानी से जमीन की देख-रेख और समझ के आधार पर खुदाई कराते हैं। खुदाई से प्राप्त छोटी वस्तुओं से वे लिखित दस्तावेज तैयार करते हैं। इन्हीं वस्तुओं के आधार पर हमें अतीत की जानकारी प्राप्त होती है।
(ब) इतिहासकार – इतिहासकार अतीत से प्राप्त तथ्यों और साक्ष्यों के आधार पर बीते समय की जानकारी। देते हैं। वे कृषि, पशुपालन, व्यापार, नाप-तोल, लेन-देन आदि के आधार पर आर्थिक स्थिति का चित्रण करते हैं। जाति-पाति, घर-परिवार, स्त्रियों की दशा, शिक्षा, खान-पान, वेशभूषा, (UPBoardSolutions.com) मनोरंजन, त्योहार व मेले आदि से सामाजिक स्थिति का चित्रण करते हैं इसी प्रकार राजनैतिक, धार्मिक व सांस्कृतिक स्थिति का भी चित्रण करते हैं।

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प्रश्न 4.
सही कथन पर सही (✓) का निशान एवं गलत कथन पर गलत (✗) का निशान लगाइए
उत्तर :

(क) प्राक् (पूर्व) इतिहास जानने के लिए हमारे पास लिखित सामग्री है। (✗)
(ख) प्राचीन काल के मानव कागज पर लिखते थे। (✗)
(ग) सिक्कों एवं अभिलेखों से भी ऐतिहासिक जानकारी मिलती है। (✓)
(घ) राजतरंगिणी कौटिल्य (चाणक्य) की रचना है। (✗)
(ङ) वेद धार्मिक साहित्य है। (✓)
(च) फाह्यान मौर्य काल में भारत आया था। (✗)

प्रश्न 5.
आप सारनाथ स्तूप देखने जा रहे हैं। स्तूप के बारे में आप क्या-क्या जानना चाहेंगे? अपनी जानकारी के लिए कुछ प्रश्न बनाइए।
उत्तर :
इस प्रश्न का उत्तर बच्चे स्वयं लिखें। निम्नलिखित उत्तर उदाहरण के तौर पर दिया जा रहा है –
सारनाथ स्तूप देखते हुए हम उसके विषय में निम्नलिखित बातें जानना चाहेंगे –

(क) इसका निर्माण कब हुआ?
(ख) इसका निर्माण किसने करवाया?
(ग) इसके निर्माण के पीछे उद्देश्य क्या था?
(घ) इसका डिजाइन बनानेवाला वास्तुकार कौन था?
(ङ) इसके निर्माण में कितना धन व्यय हुआ? आदि।

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प्रोजेक्ट वर्क –
वर्तमान में प्रचलित सिक्कों के चित्र बनाइए, और उनकी विशेषताएँ भी लिखिए।
उत्तर :
वर्तमान के सिक्कों का चित्र विद्यार्थी स्वयं बनाएँ।
विशेषताएँ – वर्तमान में अधिकतर सिक्के आधार धातु से बनाए जाते हैं और उनके मूल्य आधिकारिक पैसे की स्थिति के रूप में आते हैं। इसका अर्थ यह है कि सिक्के के मूल्य को आदेश सरकारी आधिकारिक (कानून) देता है और इस प्रकार अंतरराष्ट्रीय व्यापार में यह राष्ट्रीय मुद्राओं के रूप (UPBoardSolutions.com) में मुक्त बाजार द्वारा निर्धारित किया जाता है। सिक्कों को इस तरह मुद्रित किया जाता है कि इसका आधिकारिक मूल्ये उसके घटकं धातु के मूल्य से कम हो। वर्तमान काल के सिक्के ठोस धातु के बने होते हैं और आकार में गोल होते हैं। इनका रूप नहीं होता है।

अपने शहर/क्षेत्र/गाँव के विषय में अपने बड़ों/स्थानीय संग्रहालयों एवं कार्यालय से निम्नलिखित जानकारी प्राप्त कीजिए –
नोट – विद्यार्थी स्वयं करें।

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UP Board Solutions for Class 6 Hindi प्रमुख अन्तर्कथाऍ

UP Board Solutions for Class 6 Hindi प्रमुख अन्तर्कथाऍ

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साहित्य का अध्ययन करते समय बीच-बीच में कुछ ऐसे प्रसंग आ जाते हैं, जिन्हें जाने बिना। अर्थ स्पष्ट महीं हो सकता है। उदाहरण- छुअत शिला भइ नारि सुहाई।”

इस पंक्ति का अर्थ उस समय तक स्पष्ट नहीं होता जब तक विद्यार्थियों को ‘अहिल्या’ के बारे में न बताया जाय, इसे ही अन्तर्कथा कहते हैं। इसका शाब्दिक अर्थ है- (अन्तः + कथा) अर्थात् कविता के अन्दर की कथा। नीचे कुछ ऐसी ही प्रमुख अन्तर्कथाएँ दी जा रही हैं, छात्र इन्हें ध्यान से पढ़ें –

1. अहल्या – अहल्या गौतम मुनि की पत्नी थी। एक दिन जब मुनि स्नान को गए थे, तो इन्द्र चन्द्रमा की सहायता से गौतम मुनि का रूप धारण करके अहल्या के पास गए और उसके साथ दुराचार किया। इस बीच में (UPBoardSolutions.com) गौतम मुनि लौट आए और उन्होंने अपने योग बल से सब कुछ जान लिया। उन्होंने इन्द्र को श्राप दिया और अहल्या को भी श्राप देकर शिला बना दिया भगवान श्रीराम के चरणों की धूल से उसका उद्धार हुआ और उसने फिर से स्त्री रूप पाया।

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2. अजामिल – यह पापी ब्राह्मण था। इसकी पत्नी साधुओं की खूब सेवा करती थी। साधुओं के आशीर्वाद से इन्हें पुत्र हुआ, जिसका नाम नारायण रखा। मृत्यु के समय जब यमदूत अजामिल को ले जा रहे थे, तो उसने डरकर अपने प्रिय पुत्र ‘नारायण’ को पुकारा। ‘नारायण’ नाम सुनकर । यमदूत भाग गए और उसे मोक्ष की प्राप्ति हुई।

3. अम्बरीष – राजा अंबरीष वैष्णव भक्त थे। एक बार उन्होंने दुर्वासा ऋषि को भोजन पर बुलाया। दुर्वासा ऋषि जब देर तक नहीं आए, तो अंबरीष ने उनसे पहले ही प्रसाद ग्रहण कर लिया। ऋषि दुर्वासा को (UPBoardSolutions.com) जब यह पता लगा, तो वे बहुत क्रोधित हुए तथा एक राक्षसी द्वारा राजा का वध करने के लिए उतारू हो गए। विष्णु भगवान ने अपने भक्त की स्वयं रक्षा कर राक्षसी का वध किया। और उन्हें दुर्वासा के श्राप से बचाया।

4. गज-ग्राह – ऋषि के शाप द्वारा एक राजा हाथी तथा एक गंधर्व ग्राह (मगर) बन गया था। ग्राह नदी में रहता था। एक दिन हाथी उसी नदी में स्नान कर रहा था, ग्राह ने उसका पैर पकड़ लिया और गहरे जल में खींचने लगा। जब हाथी की जौ भर सँड़ पानी से बाहर रही, तो उसने विष्णु भगवान को पुकारा। हाथी की पुकार सुनकर विष्णु भगवान ने नंगे पैर आकर सुदर्शन चक्र से ग्राह को मारकर हाथी को मुक्ति दिलाई।

5. गणिका – यह काशी की एक प्रसिद्ध वेश्या थी। एक दिन यह श्रृंगार करके अपने किसी प्रेमी की प्रतीक्षा कर रही थी लेकिन वह न आया। उसने सोचा कि यदि मैं इतनी देर भगवान का भजन करती तो मेरा कल्याण हो जाता। इस विचार के आते ही उसने वेश्यावृत्ति को त्याग दिया और एक तोता पाल लिया। वह तोते को राम-नाम सिखाने लगी। राम-नाम (UPBoardSolutions.com) के प्रभाव से दुराचारी स्त्री भी मोक्ष को प्राप्त हुई।

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6. सहस्त्रबाहुं – ये महाबलशाली राजा थे। एक बार वे जमदग्नि ऋषि के आश्चम में पहुँचे। ऋषि के, पास नंदिनी नाम की कामधेनु थी। उसके प्रभाव से उन्होंने राजा का बड़ा सत्कार किया। राजा ने ऋषि से नंदिनी को माँगा किंतु ऋषि ने नहीं दिया। इस पर राजा ने ऋषि को मार डाला किंतु कामधेनु उसे नहीं मिली। बाद में जमदग्नि के पुत्र परशुराम ने राजा का सेना सहित संहार कर डाला।

7. शबरी – यह मतंग ऋषि की सेविका थी और भगवान राम की भक्त थी। सीता की खोज करते हुए जब रामचन्द्र जी शबरी के आश्रम में पहुँचे, तब उसने उनका बड़ा सत्कार किया भगवान ने इसके जूठे बेर (UPBoardSolutions.com) खाए और शबरी, को राम भक्ति का उपदेश दिया और शबरी ने श्रीराम को बताया कि वे पंपापुर में जाकर सुग्रीव से मित्रता करें। भगवान की कृपा से शबरी को सद्गति प्राप्त हुई।

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UP Board Solutions for Class 6 History Chapter 11 राजपूत काल

UP Board Solutions for Class 6 History Chapter 11 राजपूत काल (सातवीं से ग्यारहवीं शताब्दी)

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अभ्यास

प्रश्न 1.
खजुराहो के मन्दिर किस वंश के शासकों ने बनवाए थे ?
उत्तर :
खजुराहो के मन्दिर चन्देल वंश के शासकों ने बनवाए थे।

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प्रश्न 2.
नरसिम्हा प्रथम ने कौन सा मन्दिर बनवाया था ?
उत्तर :
नरसिम्हा प्रथम ने कोणार्क का सूर्य मन्दिर बनवाया था।

प्रश्न 3.
चंद्रावार का युद्ध किनके बीच लड़ा गया ?
उत्तर :
चंद्रावर का युद्ध मुहम्मद गोरी और कन्नौज के राजा जयचंद के बीच लड़ा गया।

प्रश्न 4.
राजपूत काल में शिक्षा के मुख्य केन्द्र कौन-कौन से थे ?
उत्तर ;
राजपूत शासकों के समय में आश्रमों, पाठशालाओं एवं विश्वविद्यालयों में शिक्षा दी जाती थी। इस समय नालन्दा, विक्रमशिला, उज्जयिनी, कन्नौज, काशी, धारानगरी प्रमुख शिक्षा केन्द्र थे।

प्रश्न 5.
उत्तर भारत में राजपूतों के राजनैतिक महत्व का उल्लेख कीजिए।
उत्तर :
उत्तरी भारत में राजपूत (या राजपुत्र) नामक क्षत्रिय वर्ग उदित हुआ। परमार, चौहान, चंदेल, प्रतिहार और गहरवार आदि अग्निकुण्ड से निकले क्षत्रिय माने गए। इनमें परस्पर झूठी शान, प्रतिष्ठा और प्रभुत्व के लिए युद्ध होते रहते थे। उनमें पारस्परिक एकता नहीं थी ! ये एक-दूसरे को झुकाने के (UPBoardSolutions.com) लिए युद्ध करते थे। बड़े केन्द्रीय शासन का अभाव था। स्थानीय मुद्दे, स्थानीय सोच, स्थानीय भाषा अधिक प्रबल हो गई। लोगों की सोच संकुचित हो चली।

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प्रश्न 6.
राजपूत कालीन सामाजिक व्यवस्था का वर्णन करें।
उत्तर :
ब्राहृमणों का समाज में उच्च स्थान था। राजपूत साहसी, स्वाभिमानी और आतिथ्य भाव वाले वीर योद्धा थे। धनी लोग कीमती वस्त्र-आभूषण पहनते थे। बालविवाह और सतीप्रथा का चलन हो गया था। विधवा-विवाह वर्जित था। स्त्रियों की स्थिति निम्न थी। वर्णव्यवस्था कठोर हो गई थी। लोगों का मानसिक दृष्टिकोण संकुचित हो चुका था।

प्रश्न 7.
भवन निर्माण की उत्तर भारतीय तथा दक्षिण भारतीय शैली के बारे में लिखिए।
उत्तर :
मोटे तौर पर भवन निर्माण की दो शैलियाँ थीं- उत्तर भारतीय और दक्षिण भारतीय। इनमें भेद मुख्यतः मन्दिर के शिखर के आकार में देखा जाता है। उत्तर भारतीय शिखरों का (UPBoardSolutions.com) आकार टेढ़ी रेखाओं से घिरी हुई ठोस मीनार की भाँति रहता था। मध्य में खुला हुआ तथा ऊपर एक बिन्दु पर आकर समाप्त हो जाता था। उदाहरणतः लिंगराज मन्दिर, भुवनेश्वर।

दक्षिण भारतीय शिखर पिरामिड की तरह दिखते थे, जिसमें कई खण्ड होते थे। प्रत्येक खण्ड क्रमशः ऊपर की ओर अपने नीचे वाले खण्ड से छोटा होता जाता था, और सबसे ऊपर जाकर छोटे तथा गोलाकार टुकड़े में हो जाता था। दक्षिण भारत के मन्दिरों में स्तम्भों का मुख्य स्थान है जबकि उत्तर भारत के मन्दिरों में इनका सर्वथा अभाव दिखाई देता है।

प्रश्न 8.
निम्नलिखित रचनाओं के लेखकों के नाम लिखिए।
UP Board Solutions for Class 6 History Chapter 11 राजपूत काल 1
UP Board Solutions for Class 6 History Chapter 11 राजपूत काल 2

गतिविधि – मानचित्र को देखकर निम्नलिखित को पूरा करिए –
निम्न वंश वर्तमान में किस राज्य में स्थित हैं –
UP Board Solutions for Class 6 History Chapter 11 राजपूत काल 3

प्रोजेक्ट कार्य –
नोट – विद्यार्थी स्वयं करें।

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UP Board Solutions for Class 6 Hindi Chapter 36 डॉ० राम मनोहर लोहिया (महान व्यक्तिव)

UP Board Solutions for Class 6 Hindi Chapter 36 डॉ० राम मनोहर लोहिया (महान व्यक्तिव)

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पाठ का सारांश

डॉ० राम मनोहर लोहिया का जन्म 23 मार्च, सन् 1910 को उत्तर प्रदेश के फैजाबाद जिले के अन्तर्गत अकबरपुर तहसील (वर्तमान में अम्बेडकर नगर) में हुआ था। इनके पिता श्री हीरा लाल लोहिया तथा (UPBoardSolutions.com) माता श्रीमती चन्द्री देवी थीं। जब ये लगभग ढाई वर्ष के थे, तभी इनकी । माताजी का स्वर्गवास हो गया। माताजी के न रहने पर इनका पालन-पोषण इनकी दादीजी ने किया।

इनकी प्रारम्भिक शिक्षा अकबरपुर के प्राइमरी स्कूल में हुई। अकबरपुर की पढ़ाई समाप्त करने के बाद ये अपने पिता के साथ मुम्बई चले गये। इन्होंने मुम्बई से मैट्रिक, बनारस से इण्टरमीडिएट और कोलकाता के विद्यासागर कॉलेज से स्नातक की परीक्षा उत्तीर्ण की। तत्पश्चात् डॉ० लोहिया ने बर्लिन (जर्मनी) से सन् 1932 में डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की।

डॉ० धि प्राप्त की। डॉ. हि सन् 1933 के प्रारम्भ में स्वदेश लौटे। स्वदेश लौटने के बाद ये समाज के उत्थान हेतु देश में संचालित समाजवादी आन्दोलन के साथ जुड़ गए। सन् 1942 के भारत छोड़ो आन्दोलन में भी इन्होंने सक्रिय रूप से भाग लिया। ये कई माह तक भूमिगत रहे और इसी समय इन्होंने गुप्त रेडियो स्टेशन की स्थापना की। (UPBoardSolutions.com) रेडियो के अनेक प्रसारणों के माध्यम से लोगों में नवीन चेतना जाग्रत की और आन्दोलन को जारी रखा। ब्रिटिश काल में ये कई बार जेल भी गए।

सन् 1963 में ये फर्रुखाबाद संसदीय क्षेत्र से उपचुनाव में लोकसभा के सदस्य चुने गए। समाजवाद के प्रेरक स्तम्भ डॉ. लोहिया का 12 अक्टूबर, सन् 1967 को देहावसान हो गया।

डॉ० राम मनोहर लोहिया एक प्रबुद्ध विचारक और लेखक भी थे। इनकी प्रमुख रचनाएँ हैं- इतिहास चक्र, अंग्रेजी हटाओ, धर्म पर एक दृष्टि, मार्क्सवाद और समाजवाद, समाजवादी चिन्तन, संसदीय आचरण आदि। ‘जंगजू आगे बढो’ और ‘मैं आज़ाद हैं। इनकी प्रमुख पुस्तिकाएँ हैं। भूमि सेना और एक घण्टा देश को दो उनके मौलिक चिन्तन के प्रमुख उदाहरण हैं।

अहिंसा के प्रति डॉ० लोहिया की आस्था, सत्याग्रह के व्यापक प्रयोग में उनका विश्वास, रचनात्मक कार्यक्रमों में उनकी निष्ठा, विकेन्द्रीकरण के आधार पर देश की राजनीति और अर्थनीति में गुणात्मक सुधार (UPBoardSolutions.com) लाने का उनका संकल्प गांधीजी की वैचारिक विरासत का प्रमाण है।

वास्तव में उनकी दृष्टि सार्वभौमिक व सम्पूर्ण थी। उनकी प्रासंगिकता इसलिए भी है कि उनकी समाजवादी विचारधारा समस्याओं का केवल विश्लेषण ही नहीं करतीं अपितु उनका समाधान भी प्रस्तुत करती है।

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अभ्यास

प्रश्न 1.
डॉ० राम मनोहर लोहिया ने डॉक्टरेट की उपाधि कहाँ से प्राप्त की?
उत्तर :
डॉ० राम मनोहर लोहिया ने डॉक्टरेट की उपाधि बर्लिन (जर्मनी) से प्राप्त की।

प्रश्न 2.
डॉ० लोहिया की तीन प्रमुख रचनाओं के नाम लिखिए।
उत्तर :
डॉ. लोहिया की तीन प्रमुख रचनाएँ हैं- इतिहास चक्र, अँग्रेजी हटाओ तथा धर्म पर एक दृष्टि।

प्रश्न 3.
डॉ० राम मनोहर लोहिया के व्यक्तित्व की प्रमुख विशेषताएँ बताइए।
उत्तर :
डॉ० राम मनोहर लोहिया एक निर्भीक व्यक्ति थे। उनके व्यक्तित्व में किसी भी स्तर पर कथनी और करनी में विरोधाभास नहीं था। उन्होंने अपने कर्म व चिंतन के द्वारा मनुष्य के व्यक्तित्व के विकास को सदैव प्राथमिकता दी

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प्रश्न 4.
निम्नलिखित कथनों में सही कथन पर (✓) तथा गलत कथन पर (✗) का चिह्न लगाइए।
उत्तर :

(क) डॉ० लोहिया का जन्म अकबरपुर तहसील में हुआ था। (✓)
(ख) इन्होंने मैट्रिक की परीक्षा बनारस से उत्तीर्ण की। (✗)
(ग) डॉ० लोहिया ने ‘नमक सत्याग्रह’ पर अपना शोध प्रबन्ध पूरा किया। (✓)
(घ) डॉ० लोहिया सन् 1963 में फूलपुर से लोकसभा सदस्य चुने गए। (✗)

प्रश्न 5.
सही जोड़े बनाइए।
उत्तर :
UP Board Solutions for Class 6 Hindi Chapter 36 डॉ० राम मनोहर लोहिया (महान व्यक्तिव) 1

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