UP Board Solutions for Class 6 Hindi Chapter 12 चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य (महान व्यक्तिव)

UP Board Solutions for Class 6 Hindi Chapter 12 चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य (महान व्यक्तिव)

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पाठ का सारांश

चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य रामगुप्त का छोटा भाई था। अपनी कायरता के कारण रामगुप्त शक राजा से पराजित हुआ। अपने प्राणों की रक्षा के लिए उसने अपनी रानी ध्रुवस्वामिनी को शक राजा के पास भेजना स्वीकार कर लिया। जब पालकी शक राजा के शिविर में पहुँची, तब पालकी से उतरकर युवती वेशधारी एक युवक ने एक हीं वार में शक राजा की हत्या कर दी, वह वेशधारी चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य था। चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य बचपन से ही स्वाभिमानी थे। महान विजेता होने के साथ ये सफल कूटनीतिज्ञ भी थे। इन्होंने दक्षिण के राजाओं से वैवाहिक सम्बन्ध स्थापित किए, जिससे इनके राज्य पर दक्षिण से होने वाले आक्रमण का भय समाप्त हो गया।

चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य को कला व संस्कृति से विशेष अनुराग था। इन्होंने विद्वानों को पूर्ण संरक्षण दिया, ये स्वयं विद्वान थे। कालिदास इनके दरबार में नवरत्नों में गिने जाते थे। चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य के मंत्री वीरसेन स्वयं व्याकरण, न्याय और राजनीति के ज्ञाता थे। चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य ने मालवा, गुजरात एवं काठियावाड़ पर विजय प्राप्त की। उज्जयिनी (UPBoardSolutions.com) के शत्रुओं का इन्होंने विनाश कर उनका राज्य गुप्त साम्राज्य में मिला लिया। मालवी की विजय चन्द्रगुप्त के लिए अत्यन्त महत्वपूर्ण सिद्ध हुई। विक्रमादित्य ने पूर्वी राज्यों तथा विद्रोही राजाओं को भी परास्त किया।

चन्द्रगुप्त द्वितीय के लिए ‘विक्रमादित्य’, ‘श्री विक्रम’, सिंह-विक्रम’, ‘परमभागवत’ और ‘गणारि’ उपाधियों का प्रयोग किया जाता है। ये पराक्रमी योद्धा और सफल विजेता थे। दिल्ली के महरौली नामक स्थान पर स्थित लोहे की लाट आज भी चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य की महान उपलब्धियों की याद दिलाती है।

चीनी यात्री फाहयान ने चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य के शासनकालीन राजनीतिक, सामाजिक और धार्मिक दशा का बहुत सुन्दर वर्णन किया है। देश का शासन अत्यन्त सुव्यवस्थित था। लोग शांतिपूर्ण और समृद्धशाली जीवन बिताते थे। चन्द्रगुप्त ने धार्मिक औषधालयों तथा निःशुल्क विश्रामशालाओं का निर्माण कराया। ये न्यायप्रिय शासक (UPBoardSolutions.com) थे। इन्होंने अपने पराक्रम, धार्मिक सहिष्णुता, विद्यानुराग तथा कला प्रेम से एक महान युग की संस्कृति और समृद्धि में स्मरणीय योगदान दिया।

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अभ्यास

निम्नलिखित प्रश्नों के संक्षिप्त उत्तर दीजिए –

प्रश्न 1.
भारत के इतिहास में विक्रमादित्य का नाम स्वर्णाक्षरों में क्यों अंकित है?
उत्तर :
चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य ने अपने पराक्रम, सुव्यवस्थित शासन, धार्मिक सहिष्णुता, कला-प्रेम आदि से एक महान युग की संस्कृति के विकास में सहयोग किया, इसलिए इनका नाम भारतीय इतिहास में स्वर्णाक्षरों में अंकित है।

प्रश्न 2.
चन्द्रगुप्त द्वितीय ने विक्रमादित्य की उपाधि कब धारण की?
उत्तर :
अपनी महान और अद्भुत विजय श्रृंखला के पश्चात् चन्द्रगुप्त द्वितीय ने विक्रमादित्य की उपाधि धारण की।

प्रश्न 3.
चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य के शासनकाल में कौन-सा चीनी यात्री भारत आया?
उत्तर :
चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य के शासनकाल में फाह्यान नामक चीनी यात्री भारत आया।

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प्रश्न 4.
चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य के शासनकाल में देश की राजनीतिक, सामाजिक तथा आर्थिक स्थिति कैसी थी?
उत्तर :
चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य के शासनकाल में देश की (UPBoardSolutions.com) `राजनीतिक, सामाजिक तथा आर्थिक स्थिति उत्तम थी। शासन अत्यन्त सुव्यवस्थित था तथा लोग शांतिपूर्ण और समृद्धशाली जीवन बिता रहे थे।

प्रश्न 5.
महरौली के लोहे की लाट से किस बात का पता चलता है?
उत्तर :
दिल्ली में महरौली के लोहे की लाट से चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य की महान उपलब्धियों का पता चलता है।

प्रश्न 6.
गुप्तवंश का शासन काल भारतीय इतिहास में किस युग के नाम से प्रसिद्ध है?
उत्तर :
गुप्तवंश का शासनकाल भारतीय इतिहास में स्वर्णयुग के नाम से प्रसिद्ध है।

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UP Board Solutions for Class 6 Hindi Chapter 11 अशोक महान (महान व्यक्तिव)

UP Board Solutions for Class 6 Hindi Chapter 11 अशोक महान (महान व्यक्तिव)

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पाठ का सारांश

अशोक महान का नाम भारत के इतिहास में दयालुता और करुणा के लिए विशेष प्रसिद्ध है। अशोक ने कलिंग पर विजय प्राप्त कर उसे अपने अधीन कर लिया। इस युद्ध में लगभग एक लाख लोग मारे गए। अशोक ने मारे गए सिपाहियों, रोती-बिलखती स्त्रियों तथा बच्चों को देखा। इन सबको देखकर उसका हृदय द्रवित हो उठा; तब उसने निर्णय किया कि अब मैं कभी तलवार नहीं उठाऊँगा।

अशोक प्रजा को अपनी सन्तान के समान समझता था। वह दीन-दुखियों,.वृद्धों और अपाहिजों को ध्यान रखता था। सभी से प्रेमपूर्ण व्यवहार करता था। उसने राज्य के अधिकारियों को आदेश दे रखा था कि (UPBoardSolutions.com) प्रजा की सुरक्षा का सदैव ध्यान रखें।

अशोक बौद्ध धर्म का अनुयायी था, किंतु सभी धर्मों का आदर करता था। वह दयालुता का व्यवहार करता था। उसने बौद्ध धर्म का प्रचार किया। धर्म प्रचार के लिए उसने साम्राज्य के सुदूर भागों में धर्म प्रचारकों को भेजा। उसने बौद्ध धर्म का प्रचार विदेशों में भी किया। उसने अपने पुत्र महेंद्र और पुत्री संघमित्रा को भी धर्म के प्रचार के लिए भेजा। अशोक ने बौद्ध धर्म के सिद्धांतों तथा उपदेशों को शिलाओं, स्तम्भों और गुफाओं में अंकित कराया। उसने गौतम बुद्ध के जन्म स्थान लुंबिनी वने में भी एक लाट लगवाई। हमारे राष्ट्रध्वज के मध्य का चक्र सारनाथ के अशोक स्तम्भ से ही लिया गया है। भारतीय शासकों में अशोक का स्थान बहुत ऊँचा है।

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अभ्यास

प्रश्न 1.
सम्राट अशोक ने कलिंग युद्ध के बाद युद्ध न करने का निश्चय क्यों किया?
उत्तर :
कलिंग के युद्ध में अशोक ने मारे गए सिपाहियों, रोती-बिलखती स्त्रियों और बच्चों को देखा। इससे उसका हृदय द्रवित हो उठा और उसने भविष्य में युद्ध न करने का निश्चय किया।

प्रश्न 2.
अशोक को जीत क्यों महँगी पड़ी?
उत्तर :
अशोक कलिंग की जनता पर अपनी प्रशासन क्षमता का प्रभाव छोड़ना चाहता था, लेकिन विजय के पश्चात् उसे केवल शवों के ढेर और पीड़ित अबलाओं, मासूमों, घायलों आदि का आर्तनाद मिला। इस आधार पर उसे जीत महँगी पड़ी।

प्रश्न 3.
अशोक के संदेशों को संक्षेप में लिखिए।
उत्तर :

  1. अशोक ने मनुष्यों को सदाचार की शिक्षा दी। उसने प्रजा को प्रेम, मृदुलता एवं दयालुता के उपदेश दिए।
  2. पशुओं पर दया करो। पशु की हत्या कभी मत करो।
  3. अशोक ने अहिंसा एवं सत्य पर बल दिया। (UPBoardSolutions.com)
  4. मनुष्यों को बड़ों का आदर तथा छोटों पर दया करनी चाहिए और सभी धर्मों का सम्मान करना चाहिए।

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प्रश्न 4.
अशोक ने बौद्ध धर्म के सिद्धान्तों और उपदेशों को जनमानस तक कैसे पहुँचाया?
उत्तर :
अशोक ने शिलालेखों, स्तम्भलेखों, स्तूपों, लाटों, प्रचारकों, प्रतिनिधियों आदि के द्वारा बौद्ध धर्म के सिद्धांत और उपदेश जनमानस तक पहुँचाए।

प्रश्न 5.
अशोक को युग पुरुष कहना क्यों उचित है?
उत्तर :
प्राचीन भारत के शासकों में अशोक का स्थान बहुत ऊँचा है। अशोक के कार्य अपनी पीढ़ी और युग से आगे थे। इसलिए अशोक को युग पुरुष कहना उचित है।

प्रश्न 6.
सही तथ्यों के सामने सही (✓) तथा गलत के सामने गलत (✗) को निशाने लगाएँ (निशान लगाकर) –

(क) अशोक ने कलिंग युद्ध के बाद कभी युद्ध न करने का निर्णय लिया। (✓)
(ख) अशोक बौद्ध थे, वे सभी धर्मों का आदर नहीं करते थे। (✗)
(ग) अशोक ने सिंहल द्वीप, चीन, जापान आदि देशों में प्रचारक भेजे थे। (✓)
(घ) हमारे राष्ट्र ध्वज के मध्य का चक्र सारनाथ के अशोक स्तंभ से लिया गया है। (✓)

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UP Board Solutions for Class 6 Hindi Chapter 34 डॉ० विश्वेश्वरैया (महान व्यक्तिव)

UP Board Solutions for Class 6 Hindi Chapter 34 डॉ० विश्वेश्वरैया (महान व्यक्तिव)

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पाठ का सारांश

डॉ० विश्वेश्वरैया का जन्म मैसूर प्रदेश के मुद्देनल्ली गाँव में 15 सितम्बर, सन् 1861 में हुआ था। इनका पूरा नाम मोक्षगुडम् विश्वेश्वरैया था। ये कुशल इंजीनियर, विख्यात स्थापत्यविद् नए नए उद्योगों और धन्धों के जन्मदाता, शिक्षाशास्त्री, राजनीतिज्ञ एवं देशभक्त थे।

1893 में तत्कालीन ब्रिटिश सरकार ने विश्वेश्वरैया की परीक्षा ली। मुंबई सरकार की सक्कर जल योजना जिसे वह यथाशीघ्र पूरा करना चाहती थी, परन्तु उस काम की देखरेख कर रहे अँग्रेज इंजीनियर की मृत्यु हो गई। तब विश्वेश्वरैया ने बड़ी योग्यता एवं कर्मठता से इस कार्य को समय पर पूरा कर दिया। इन्होंने मूसा नदी पर बाँध बाँधकर जलाशयों का निर्माण कराया, जिससे जन-धन का विनाश करने वाली मूसा नदी हैदराबाद के लिए वरदान सिद्ध हुई। इन्होंने तत्कालीन मैसूर राज्य में बैंक, (UPBoardSolutions.com) मैसूर चैम्बर ऑफ कामर्स, चन्दन तेल कारखाना, सरकारी साबुन कारखाना आदि उद्योगों की स्थापना की। भद्रावती के प्रसिद्ध लोहा और इस्पात कारखाने की योजना डॉ० विश्वेश्वरैया ने ही तैयार की थी। ये जीवन भर शिक्षा के प्रचार-प्रसार के प्रति प्रयत्नशील रहे। इन्होंने ही मैसूर विश्वविद्यालय की नींव डाली। ये बाह्य आडम्बरों का विरोध करते थे। भारतीय संस्कृति और आचार-विचार में इनकी महान आस्था थी।

जब भारत स्वतंत्र हुआ, तो देश ने इस महान रत्न का हार्दिक सम्मान किया। अँग्रेजों ने इन्हें ‘सर’ की उपाधि दी थी। भारत सरकार ने इन्हें सर्वोच्च ‘भारत रत्न’ की उपाधि से अलंकृत किया। (UPBoardSolutions.com)

सन् 1962 में डॉ० विश्वेश्वरैया का स्वर्गवास हो गया। आज भी इनके महान कार्यों के कारण भारतवासी इन्हें याद करते हैं।

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अभ्यास

प्रश्न 1.
डॉ० विश्वेश्वरैया को आधुनिक भारत का भगीरथ क्यों कहा जाता है?
उत्तर :
डॉ० विश्वेश्वरैया को आधुनिक भारत का भगीरथ इसलिए कहा जाता है क्योंकि महाराज भगीरथ की भाँति ही डॉ० विश्वेश्वरैया ने अपनी योग्यता और कर्मठता से जन-धन का विनाश करनेवाली मूसा (UPBoardSolutions.com) नदी को हैदराबाद के लिए वरदान बना दिया। उन्होंने करोड़ों एकड़ बंजर धरती को उर्वर बनाया और तेज बहनेवाली अनेक नदियों पर बाँध बँधवाए।

प्रश्न 2.
कृष्णराज सागर कहाँ बना हुआ है?
उत्तर :
मैसूर राज्य में कावेरी नदी पर ‘कृष्णराज’ सागर बना हुआ है।

प्रश्न 3.
हैदराबाद के लिए मूसा नदी को डॉ० विश्वेश्वरैया ने किस प्रकार वरदान बना दिया?
उत्तर :
विश्वेश्वरैया ने मूसा नदी पर बाँध बाँधकर जलाशयों का निर्माण कराया और जन-धन का विनाश करनेवाली मूसा नदी को हैदराबाद के लिए वरदान बना दिया।

प्रश्न 4.
डॉ० विश्वेश्वरैया के जीवन से हमें क्या शिक्षा मिलती है?
उत्तर :
डॉ० विश्वेश्वरैया के जीवन से हमें यह शिक्षा मिलती है कि सदैव परिश्रम एवं लगन से अपने कर्तव्य का पालन करते रहना चाहिए। बाधाओं से नहीं घबराना चाहिए। परिश्रम, कर्तव्य-निष्ठा, धैर्य, बल एवं (UPBoardSolutions.com) शिक्षा ही मानव को उन्नति के मार्ग की ओर ले जाने में समर्थ होती है।

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प्रश्न 5.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए –

(क) डॉ० विश्वेश्वरैया का जीवन साहस, संघर्ष और सफलता की अनुपम कहानी है।
(ख) डॉ० विश्वेश्वरैया की मान्यता थी कि उचित शिक्षा ही देश की आर्थिक दुर्गति दूर करती है।

प्रश्न 6.
नीचे लिखे कथनों का सही मिलान कीजिए (मिलान करके) –
UP Board Solutions for Class 6 Hindi Chapter 34 डॉ० विश्वेश्वरैया (महान व्यक्तिव) 1

उत्तर :

(क) भारत कैसे उन्नति कर सकता है; जबकि इसकी अस्सी प्रतिशत जनता अनपढ़ है!
(ख) डॉ० विश्वेश्वरैया देशभक्त और स्वाभिमानी व्यक्ति थे।
(ग) डॉ० विश्वेश्वरैया का जन्म मैसूर प्रदेश के मुद्देनल्ली गाँव में 15 सितम्बर, 1861 में हुआ था।
(घ) डॉ० विश्वेश्वरैया का जीवन साहस, संघर्ष और सफलता की अनुपम कहानी है।

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UP Board Solutions for Class 6 Hindi Chapter 10 महात्मा बुद्ध (महान व्यक्तिव)

UP Board Solutions for Class 6 Hindi Chapter 10 महात्मा बुद्ध (महान व्यक्तिव)

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पाठ का सारांश

महात्मा बुद्ध के बचपन का नाम सिद्धार्थ था। ये कपिलवस्तु के राजा शुद्धोदन के पुत्र थे। सिद्धार्थ तीक्ष्ण बुद्धि के थे, ये जिज्ञासु स्वभाव के थे। इनके विषय में विद्वानों ने घोषणा की थी कि ये एक दिन घर-बार त्यागकर संन्यासी हो जाएँगे। पिता नहीं चाहते थे कि उनका पुत्र संन्यासी हो, अतः उन्होंने इनका विवाह यशोधरा के साथ कर दिया। यशोधरा को एक पुत्र हुआ। पुत्र का नाम राहुल रखा गया। सिद्धार्थ का मन परिवार और राजकार्य में नहीं लगता था।

एक दिन सिद्धार्थ नगर भ्रमण के लिए जा रहे थे। इन्होंने एक वृद्ध को देखा, जो बहुत मुश्किल से चल पा रहा था। इस सम्बन्ध में सारथा से पूछने पर ज्ञात हुआ कि एक दिन सभी की यही दशा होती है। एक दिन इन्होंने देखा कि चार व्यक्ति एक मृतक को लिए जा रहे हैं। सारथी से पूछने पर ज्ञात हुआ कि एक दिन सभी को मरना पड़ेगा। तभी सिद्धार्थ ने इस संसार (UPBoardSolutions.com) के माया-मोह। को छोड़ने का निश्चय कर लिया और एक दिन वे अपनी सुन्दर पत्नी और पुत्र को छोड़ रात्रि में ही घर से निकल गए। संन्यासी की भाँति सिद्धार्थ ज्ञान की खोज में घूमते रहे। कुछ दिनों बाद ये गया पहुँचे और ज्ञान प्राप्ति का संकल्प लेकर एक वट वृक्ष के नीचे बैठ गए। छह वर्ष की कठिन । तपस्या के बाद इन्हें ज्ञान प्राप्त हो गया, तब ये गौतम बुद्ध के नाम से प्रसिद्ध हुए।

गौतम बुद्ध ने लोगों को उपदेश दिया कि जीवन में किसी बात की अति न करो, सन्तुलित जीवन जीयो, अहिंसा का पालन करो, कभी किसी को मत सताओ। किसी प्राणी की हत्या मत करो। सभी के साथ भाई-चारे का जीवन बिताओ। सत्य का पालन करो।

गौतम बुद्ध कहते थे कि दूसरों की भलाई करो। परोपकार से मित्रता करो। इन्होंने लोगों को बताया कि सागर की तरह गम्भीर बनो। मन में अच्छे विचार रखो। इनका कहना था कि स्वास्थ्य से बढ़कर (UPBoardSolutions.com) कोई लाभ नहीं। जाति-पाँति का भेद-भाव ठीक नहीं। बुद्ध का धर्म बौद्ध धर्म के नाम से प्रसिद्ध हुआ। गौतम बुद्ध ने अपने प्रेम बंधन में सभी को बाँध लिया।

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अभ्यास

प्रश्न 1.
सिद्धार्थ हिरण पर तीर क्यों नहीं चला सके?
उत्तर :
सिद्धार्थ हिरण पर तीर इसलिए नहीं चला सके, क्योंकि हिर, की माँ अपनी बड़ी-बड़ी आँखों से दया-याचना के भावों से सिद्धार्थ की ओर देख रही थी। उसे देखकर सिद्धार्थ का हृदय द्रवित हो गया और वे लौट गए।

प्रश्न 2.
वे कौन-सी घटनाएँ थीं, जिन्हें देखकर सिद्धार्थ को दुनिया से विरक्ति हो गई?
उत्तर :
एक दिन सिद्धार्थ नगर भ्रमण के लिए घर से निकले। रास्ते में उन्हें एक वृद्ध (बूढ़ा मनुष्य) मिला, वह लाठी के सहारे चल रहा था। सारथी से पूछने पर उसने बताया कि वृद्ध होने पर सबकी यही दशा होती है। यह सुनकर ये बहुत दुखी हुए।

इसी प्रकार, एक दिन इन्होंने शिकार पर जाते समय एक मृतक को देखकर सारथी से पूछा। सारथी ने कहा- “सबको एक दिन अवश्य मरना है।” इन दोनों घटनाओं को देखकरे सिद्धार्थ को दुनिया से विरक्ति हो गई।

प्रश्न 3.
सिद्धार्थ बुद्ध कैसे बने?
उत्तर :
सिद्धार्थ गृह त्यागने के बाद संन्यासी की भांति जगह-जगह घूमते रहे। कुछ दिनों बाद वे गया पहुँचे और ज्ञान प्राप्त करने का संकल्प लेकर एक पीपल के वृक्ष के नीचे बैठ गए। छह वर्ष की कठिन साधना के (UPBoardSolutions.com) बाद उन्हें अनुभव हुआ कि ज्ञान प्राप्त हो गया है और जीवन की समस्याओं को हल मिल गया है। तभी से सिद्धार्थ बुद्ध कहलाने लगे।

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प्रश्न 4.
गौतम बुद्ध ने संसार को कौन-कौन सी शिक्षाएँ दीं?
उत्तर :
गौतम बुद्ध ने संसार को बताया कि संसार में दुख ही दुख है। दुख का कारण सांसारिक वस्तुओं के लिए इच्छा और कामना है। दुख से छुटकारा पाने के लिए मनुष्य को अष्टमार्ग पर चलना चाहिए। सब भाई-चारे एवं प्रेम से रहें, पवित्रता से जीवन बिताएँ, सत्य का पालन करें। घृणा को घृणा से नहीं, बल्कि प्रेम से जीतना चाहिए। सदैव दूसरों की भलाई करनी चाहिए। दया, स्नेह एवं करुणा को अपनाना चाहिए। मनुष्य को धैर्यवान बनना चाहिए। उसे किसी का अपमान नहीं करना चाहिए। मनुष्य (UPBoardSolutions.com) को सन्तोष से काम लेना चाहिए तथा स्वास्थ्य को बनाए रखना चाहिए। जाति-पाँति का भेदभाव दूर करना चाहिए।

प्रश्न 5.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए (पूर्ति करके) –

(क) सिद्धार्थ की पत्नी का नाम यशोधरा था।
(ख) सिद्धार्थ ने सेवक से कहवा दिया कि अब मैं सत्य की खोज करके ही लौगा।
(ग) उन्हें छह वर्ष की कठिन साधना के बाद ज्ञान प्राप्त हुआ।

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UP Board Solutions for Class 6 Hindi Chapter 33 श्रीनिवास रामानुजन (महान व्यक्तिव)

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पाठ का सारांश

श्रीनिवास रामानुजन का जन्म तमिलनाडु के इरोड गाँव में 22 दिसम्बर, 1887 ई० को हुआ था। वे साधारण परिवार के थे। बचपन से ही गणित में इनंकी विशेष रुचि थी। ये आगे की कक्षाओं की गणित की किताबें माँगकर पढ़ते और स्लेट पर प्रश्न हल करते थे। सोलह वर्ष की उम्र में इन्होंने प्रथम श्रेणी में मैट्रिक परीक्षा पास की। इन्हें छात्रवृति मिलने (UPBoardSolutions.com) लगी, जो अगले वर्ष एफ०ए० (इण्टर प्रथम वर्ष) में फेल होने से बन्द हो गई। रामानुजन ने प्राइवेट परीक्षा दी, परन्तु ये सफल न हुए। इन्होंने घर पर ही गणित पर मौलिक शोध करना शुरू कर दिया शादी हो जाने के कारण इन्हें मद्रास ट्रस्ट पोर्ट में क्लर्क की नौकरी करनी पड़ी।

दफ्तर के अधिकारी ने इनके गणित के सूत्रों से भरे कागजों को इग्लैंड के महान गणितज्ञ जी०एच० हार्डी के पास भेजा। हार्डी ने अनुभव किया कि रामानुजन जैसी प्रतिभा को अँधेरे से निकालना चाहिए। रामानुजन को इग्लैंड बुलाया गया और इनके शोध पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए, जिसे पढ़कर पाश्चात्य विद्वान आश्चर्यचकित रह गए। रामानुजन ने इग्लैंड में रहते हुए अपना खान-पान आचार-विचार और व्यवहार पूर्णतया भारतीय रखा। गणित के क्षेत्र में इनके शोध कार्य से इनकी प्रतिष्ठा बढ़ती गई। इंग्लैंड की रॉयल सोसाइटी ने 1918 ई० में इन्हें अपनी फेलो (सम्मानित सदस्य) बनाकर सम्मानित किया। सम्पूर्ण एशिया में यह सम्मान पानेवाले (UPBoardSolutions.com) रामानुजन पहले भारतीय थे। ये बीमारी के कारण स्वदेश लौट आए। 26 अप्रैल, 1920 ई० को तैंतीस वर्ष की अल्प आयु में इनका निधन हो गया। रामानुजन जैसे महान गणितज्ञ पर सभी भारतीयों को गर्व है।

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अभ्यास

प्रश्न 1.
रामानुजन को विद्यालय की पढ़ाई क्यों छोड़नी पड़ी?
उत्तर :
रामानुजन एफ०ए० (इण्टर प्रथम वर्ष) की परीक्षा में फेल हो गए और छात्रवृत्ति बन्द हो गई। घर की आर्थिक दशा अच्छी नहीं थी; इसलिए इन्हें पढ़ाई छोड़नी पड़ी।

प्रश्न 2.
कार्यालय के अधिकारी ने स्वयं को क्यों धिक्कारा?
उत्तर :
क्या यह प्रतिभाशाली युवक क्लर्क की कुर्सी पर बैठने लायक है?” यह कहकर अधिकारी ने स्वयं को धिक्कारा।

प्रश्न 3.
रामानुजन के बारे में प्रो० हार्डी ने क्या टिप्पणी की थी?
उत्तर :
प्रो० हार्डी ने टिप्पणी की थी कि रामानुजन जैसी प्रतिभा को अँधेरे से बाहर निकालना ही चाहिए।

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प्रश्न 4.
सही विकल्प चुनिए –

रामानुजन के लिये गणित

(क) एक कठिन विषय था।
(ख) हास्यास्पद विषय था।
(ग) रोचक विषय था, जिसे खेल-खेल में सीखा जा सकता है।
(घ) बच्चों का विषय नहीं था।

उत्तर :

(ग) रोचक विषय था, जिसे खेल-खेल में सीखा जा सकता था।

रामानुजन ने सवाल तुरन्त हल कर दिया; क्योंकि –

(क) सवाल अत्यंत सरल था।
(ख) वह उससे संबंधित सूत्र बड़ी कक्षा की किताब पढ़कर जान चुके थे।
(ग) उन्होंने उत्तर किसी से पूछ लिया था।
(घ) यह सवाल गुरु जी पहले ही हल करा चुके थे।

उत्तर :

(ख) वह उससे सम्बन्धित सूत्र बड़ी कक्षा की किताब पढ़कर जान चुके थे।

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प्रश्न 5.
सही अथवा गलत का चिह्न लगाइए (चिह्न लगाकर) –
उत्तर :

(क) रामानुजन मैट्रिक की परीक्षा में अनुत्तीर्ण हो गए; क्योंकि उन्होंने गणित के अलावा अन्य विषयों की बहुत कम तैयारी की थी। (✗)
(ख) रामानुजन खान-पान और व्यवहार में पूर्णतः भारतीय थे। (✓)
(ग) दफ्तर के मध्यावकाश के समय में रामानुजन जलपान करते थे। (✗)

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