UP Board Solutions for Class 7 Science Chapter 12 लाभदायक एवं हानिकारक पौधे तथा जन्तु

UP Board Solutions for Class 7 Science Chapter 12 लाभदायक एवं हानिकारक पौधे तथा जन्तु

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अभ्यास-प्रश्न

प्रश्न 1.
निम्नलिखित प्रश्नों में सही विकल्प छाँटकर लिखिए-
(क) साइट्रस (नींबू जाति) फलों (UPBoardSolutions.com) में प्रचुर मात्रा में पाया जाता है-
(i) विटामिन A
(ii) विटामिन B
(iii) विटामिन C (✓)
(iv) विटामिन D

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(ख) मलेरिया की दवा किस पौधे से प्राप्त होती है ?
(i) नीम
(ii) सिनकोना (✓)
(iii) कपास
(iv) सर्पगंधा

(ग) रेशा प्रदान करने वाला पौधा नहीं है-
(i) नीम (✓)
(ii) कपास
(iii) जूट
(iv) नारियल

(घ) सबसे अधिक प्रोटीन (UPBoardSolutions.com) पाया जाता है-
(i) अनाजों में
(ii) दालों में (✓)
(iii) फलों में ।
(iv) सब्जियों में

प्रश्न 2.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए-
(क) हरी सब्जियों से विटामिन तथा खनिज लवण प्राप्त होते हैं।
(ख) मच्छरों से डेंगू, चिकनगुनिया (UPBoardSolutions.com) तथा मलेरिया रोग फैलते हैं।
(ग) शार्क मछली के यकृत से तेल निकाला जाता है।
(घ) मधुमक्खियों से शहद तथा मोम मिलता है।

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प्रश्न 3.
निम्नलिखित कथनों में सही के सामने सही (✓) का तथा गलत के सामने गलत (✗) का चिह्न लगाइये-
(क) मादक-पदार्थ स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होते हैं। (✗)
(ख) रेशम के कीड़े शहतूत के पेड़ पर पाले जाते हैं। (✓)
(ग) लाख, पौधे से प्राप्त होती है। (UPBoardSolutions.com) (✗)
(घ) कुत्ता घर की चौकीदारी करता है। (✓)
(ङ) सभी जन्तु तथा पौधे लाभदायक होते हैं। (✗)

प्रश्न 4.
हल्दी का प्रयोग खाने में करते हैं। इसका उपयोग और कहाँ किया जाता है ?
उत्तर-
हल्दी का प्रयोग खाने के अलावा औषधियों और सौंदर्य प्रसाधनों के निर्माण में किया जाता है।

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प्रश्न 5.
किन्हीं दो हानिकारक पौधों तथा जन्तुओं के नाम लिखिए। वे हमें किस प्रकार हानि पहुँचाते हैं?
उत्तर-
हानिकारक पौधे – भांग, कवक भाग में मादक पदार्थ पाए जाते हैं जिसके सेवन से स्वास्थ्य हो हानि पहुँचती है और हृदय रोग, लीवर सिरोसिस, मानसिक उत्तेजना तथा स्मरण शक्ति में कमी आदि रोग उत्पन्न हो सकते हैं। (UPBoardSolutions.com) कवक से मनुष्यों में दाद, खाज वे गंजापन की बीमारी हो सकती है।
हानिकारक जन्तु – साँप, टिड्डी कुछ साँप विषैले होते हैं जिनके काटने से प्राणियों की मृत्यु हो सकती है। टिड्डियाँ करोड़ों की संख्या में दल बनाकर फसलों पर हमला करती हैं और सारी की सारी फसल चट कर जाती हैं। कभी-कभी टिड्डियों का हमला भी अकाल का कारण बन सकता है।

प्रश्न 6.
नीम अत्यधिक लाभदायक वृक्ष है। उसके विभिन्न भागों के क्या उपयोग हैं ? लिखिए।
उत्तर-
नीम में एंटीसेप्टिक और एंटीऑक्सीडेंट गुण पाए जाते हैं। नीम के पेड़ के विभिन्न भागों को आयुर्वेदिक औषधि के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। नीम के पेड़ के सभी भाग जैसे पत्ते, फूल, बीज, फल, जड़ और छाल सूजन, संक्रमण, बुखार, त्वचा रोग और दंत चिकित्सा विकारों के इलाज के लिए पारंपरिक रूप से इस्तेमाल किए जाते हैं। नीम की पत्ती और हल्दी का लेप सभी प्रकार के चर्म रोग जैसे दाद, एक्जिमा और खुजली का इलाज करने में मदद करता है। इसका प्रयोग प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ावा देने के लिए, रक्त को शुद्ध करने के लिए और पाचनतंत्र को मजबूत बनाने के लिए किया जाता है। (UPBoardSolutions.com) नीम का तेल व बीज कुष्ठ रोग और पेट के कीड़े के उपचार के लिए किया जाता है। नीम के बीज और पत्ते मलेरिया के उपचार में भी सहायक होते हैं। नीम के फल-फूल का प्रयोग पित्त को कम करने, कफ, बवासीर, मूत्र विकार, नाक से खून बहना, नेत्र रोग, घाव, कुष्ठ रोग और पेट के कीड़े के इलाज के लिए किया जाता है। नीम की छाल का प्रयोग पेट और आँतों में अल्सर, त्वचा रोग, दर्द और बुखार में किया जाता है।

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प्रश्न 7.
रेशम के कीड़े से रेशम कैसे प्राप्त किया जाता है?
उत्तर-
रेशम के कीटों में एक विशेष ग्रन्थि होती है जिसे रेशम-ग्रन्थि कहते हैं। इस ग्रन्थि से अत्यन्त महीन लसदार पदार्थ निकलता है जिसको रेशम कीट का लारवा (इल्ली) अपने शरीर के चारों ओर लपेटकर गेंद जैसी संरचना बना लेता है और अब तक लारवा, प्यूपा (Pupa) (UPBoardSolutions.com) में बदल चुका होता है। इस प्यूपा के चारों ओर लिपटी गेंद जैसी संरचना कोया या कोकून कहलाती है। हवा के सम्पर्क में यही लसदार पदार्थ सूखकर रेशम बन जाता है।

प्रश्न 8.
किन्ही पाँच लाभदायक पौधों तथा जंतुओं के नाम लिखिए तथा बताइए कि वे हमारे लिए किस प्रकार उपयोगी हैं।
उत्तर-
पाँच लाभदायक पौधा- आम, कपास, नीम, तुलसी, सागौन इन पौधों से हम क्रमशः फल, ईंधन, रेशे, औषधियाँ और इमारती लकडियाँ प्राप्त होती हैं। | पाँच लाभदायक जन्तु- गाय, भैंस, बकरी, मधुमक्खी, रेशम इन जन्तुओं से हमें क्रमश: दूध, मांस, शहद, दवाइयाँ और वस्तु प्राप्त होते हैं।

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प्रश्न 9.
जन्तु हमारे लिए लाभदायक हैं। इस कथन की पुष्टि कीजिए।
उत्तर-
जंतु हमारे लिए बहुत लाभदायक हैं। इनसे हमें अनेक उपयोगी वस्तुएँ प्राप्त होती हैं। भोजन, वस्त्र, कृषि-कार्य, घर की सुरक्षा आदि के लिए जंतुओं को पाला जाता है। जैसे-गाय, भैंस, बकरी से हमें दूध मिलता है। भेड़-बकरी तथा मुर्गे से माँस मिलता है। मुर्गे और बतख से अण्डे भी मिलते हैं। मधुमक्खी के छत्तों से हमें शहद व मोम मिलता है। इसी प्रकार जलीय जीवों में मछलियों से भी हमें खाद्य-पदार्थ मिलता हैं, रेशम से हमें वस्त्र बनाने के लिए रेशा प्राप्त होता है, हमें लाख कीट से मिलने वाले लाख से चूड़ियाँ, बटन खिलौने आदि अनेक वस्तुएँ बनाई जाती हैं। कुत्ता हमारे घर और देश की सुरक्षा करता है। बैल, घोड़ा, गधा, खच्चर, हाथी, ऊँट का उपयोग समान की ढुलाई और सवारी के लिए किया जाता है (UPBoardSolutions.com) इस प्रकार स्पष्ट है कि जन्तु हमारे जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में किसी-न-किसी तरह की आवश्यकता की पूर्ति करते हैं। वे हमारी अनेक प्रकार से सहायता करते हैं। अत: वे हमारे लिए लाभदायक हैं।

प्रोजेक्ट कार्य – नोट – विद्यार्थी स्वयं करें।

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UP Board Solutions for Class 7 Hindi Chapter 33 डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी (महान व्यक्तित्व)

UP Board Solutions for Class 7 Hindi Chapter 33 डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी (महान व्यक्तित्व)

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पाठ का सारांश

डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी का जन्म 6 जुलाई, 1901 को कोलकता (बंगाल) में हुआ था। इनके पिता का नाम आशुतोष मुखर्जी तथा माता का नाम श्रीमती योगमाया देवी था। इन्होंने 1917 में मैट्रिक, 1921 में बी.ए. तथा 1923 में लॉ की उपाधि प्राप्त की। ये उच्च शिक्षा के लिए इंग्लैंड गए और सन् 1927 में बैरिस्टर बनकर स्वदेश लौटे। डॉ. मुखर्जी 33 वर्ष की आयु में कोलकता विश्वविद्यालय के कुलपति बने। बाद में राष्ट्रप्रेम से प्रेरित होकर राष्ट्र की सेवा हेतु राजनीति में प्रवेश किया। 1943 में बंगाल में भीषण अकाल में इनके प्रयासों से लाखों लोगों की प्राणों की रक्षा हो सकी। महात्मा गांधी और सरदार पटेल के आग्रह पर वे भारत के पहले मंत्रिमंडल में शामिल हुए और उद्योग मंत्री बने। लेकिन वैचारिक मतभेदों के कारण इन्होंने कुछ दिनों बाद मंत्रिमंडल से त्याग पत्र दे दिया। (UPBoardSolutions.com) इसके बाद डॉ. मुखर्जी ने संसद में प्रतिपक्ष की भूमिका निभाने का निश्चय किया और वर्ष 1951 में इन्होंने भारतीय जनसंघ का गठन किया। इन्होंने जम्मू-कश्मीर के अलग झंडे, अलग संविधान और वहाँ के मुख्यमंत्री को प्रधानमंत्री कहे जाने का प्रबल विरोध किया। संसद में 20 जून, 1952 को अपने ऐतिहासिक भाषण में डॉ. मुखर्जी ने जम्मू-कश्मीर में धारा 370 को समाप्त करने की जोरदार वकालत की थी। इन्हेंने जम्मू-कश्मीर की सरकार को चुनौती देने का निश्चय किया। जम्मू-कश्मीर जाने के बाद इन्हें वहाँ गिरफ्तार कर नजरबंद कर दिया गया। इस महान राष्ट्रचिंतक को जेल में ही 23 जून, 1953 को निधन हो गया। डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी का व्यक्तित्व, उनके कार्य, उनके विचार अनंतकाल तक भारतीय जनमानस को प्रेरणा प्रदान करता रहेगा।

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अभ्यास-प्रश्न

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए

प्रश्न 1:
डॉ० श्यामा प्रसाद मुखर्जी का (UPBoardSolutions.com) जन्म कब और कहाँ हुआ ?
उत्तर:
डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी का जन्म 6 जुलाई, 1901 को कोलकता (बंगाल) में हुआ था।

प्रश्न 2:
उप कुलपति रहते हुए डॉ० मुखर्जी ने शिक्षाक्रम में क्या बदलाव किया?
उत्तर:
कुलपति रहते हुए डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने शिक्षा क्रम में बदलाव करते हुए बांग्ला भाषा को माध्यम बनाया और बांग्ला, हिंदी एवं उर्दू में ऑनर्स की परीक्षाएँ निर्धारित की।

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प्रश्न 3:
मंत्रिमण्डल से त्यागपत्र देने के बाद डॉ० (UPBoardSolutions.com) मुखर्जी ने क्या किया?
उत्तर:
मंत्रिमंडल से त्यागपत्र देने के बाद डॉ. मुखर्जी ने नेता प्रतिपक्ष की भूमिका निभाई और अपने नए राजनीतिक मंच भारतीय जनसंघ का गठन किया।

प्रश्न 4:
डॉ० श्यामा प्रसाद मुखर्जी द्वारा समर्थित प्रजा परिषद के सत्याग्रह का क्या उद्देश्य था?
उत्तर:
डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी द्वारा समर्थित प्रजा परिषद के सत्याग्रह का उद्देश्य जम्मू-कश्मीर को भारत का पूर्ण और अभिन्न अंग बनाना था।

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प्रश्न 5:
डॉ० श्यामा प्रसाद मुखर्जी के बलिदान के परिणामस्वरूप जम्मू-कश्मीर राज्य के संबंध में क्या बदलाव आए?
उत्तर:
डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के बलिदान के परिणामस्वरूप जम्मू-कश्मीर (UPBoardSolutions.com) की तत्कालीन सरकार को अपदस्थ किया गया और अलग संविधान, अलग प्रधान एवं अलग झंडे का प्रावधान निरस्त हो गया।

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UP Board Solutions for Class 7 Hindi Chapter 32 विनायक दामोदर सावरकर (महान व्यक्तित्व)

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पाठ का सारांश

वीर सावरकर देशप्रेम, त्याग, साहस और शौर्य के प्रतीक थे। इन्होंने मातृभूमि को स्वाधीन कराने के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया। इनका जन्म 28 मई, सन् 1883 को महाराष्ट्र के भागुर गाँव में हुआ था। ये छात्र-जीवन से ही देश की (UPBoardSolutions.com) स्वाधीनता के लिए कार्य करते थे। सन् 1905 में पूना शहर में विदेशी वस्त्रों की होली जलाने के कारण इन्हें कॉलेज से निकाल दिया गया था। भारत के युवकों में स्वाधीनता की चेतना भरने तथा अँग्रेजी शासन के प्रति विद्रोह करने के उद्देश्य से इन्होंने मित्र मेला’ तथा ‘अभिनव भारत’ नामक संस्थाएँ बनाई। इंग्लैंड में बैरिस्ट्री की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद भी अँग्रेजों ने वीर सावरकर को प्रमाण-पत्र नहीं दिया और इन्हें गिरफ्तार कर भारत लाया गया। तब ये जहाज की खिड़की से समुद्र में कूदकर फ्रांस की धरती पर पहुँच गए थे, परन्तु इन्हें बन्दी बनाकर कालेपानी की. पचपन वर्ष की सजा सुनाई गई। फिर वह 1937 से 1947 तक हिन्दू महासभा के अध्यक्ष रहे। 26 जनवरी, 1966 को इस महान देशभक्त की मृत्यु हो गई।

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अभ्यास-प्रश्न

प्रश्न 1:
सावरकर का जन्म कब (UPBoardSolutions.com) और कहाँ हुआ?
उत्तर:
सावरकर का जन्म 28 मई, 1883 ई० को महाराष्ट्र के भागुर गाँव में हुआ था।

प्रश्न 2:
उन्हें कॉलेज से क्यों निकाला गया?
उत्तर:
सावरकर ने सन् 1905 में विदेशी वस्तुओं के बहिष्कार का आह्वान किया तथा अपने साथियों के साथ मिलकर पूना शहर में विदेशी वस्त्रों की होली जलाई। इस साहसपूर्ण घटना की न केवल पूना अपितु पूरे देश में जोरदार चर्चा हुई। (UPBoardSolutions.com) इससे अँग्रेज अत्यन्त चिन्तित हो उठे; फलतः कॉलेज के अधिकारियों पर सावरकर को कॉलेज से निष्काषित करने के लिए दबाव डाला गया तथा उन्हें तत्काल निकाल दिया गया।

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प्रश्न 3:
सावरकर द्वारा स्थापित मित्र मेला नामक संस्था के क्या उद्देश्य थे?
उत्तर:
सावरकर द्वारा स्थापित मित्र मेला नामक संस्था (UPBoardSolutions.com) का एकमात्र उद्देश्य भारत के नवयुवकों में स्वाधीनता के प्रति चेतना उत्पन्न करना तथा उनके मन में अँग्रेजी शासन के विरोध प्रकट करने की शक्ति उत्पन्न करना था।

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प्रश्न 4:
पानी के जहाज से वे कैसे भागे?
उत्तर:
सावरकर पानी के जहाज से भारत आते समय फ्रांस के मार्सलीज बन्दरगाह के पास शौचालय के रोशनदान से समुद्र के अथाह जल में कूदकर भागे।

प्रश्न 5:
सावरकर को जेल में क्या-क्या यातनाएँ भोगनी पड़ीं ?
उत्तर:
सावरकर ने अण्डमान के यातना कारागार में 11 वर्षों (UPBoardSolutions.com) तक कठोर सजा भोगी। इन्हें कारागार में कोल्हू में बैल की जगह जोता जाता था और चक्की पीसनी पड़ती थी।

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UP Board Solutions for Class 7 Hindi Chapter 38 एवरेस्ट विजेता (महान व्यक्तित्व)

UP Board Solutions for Class 7 Hindi Chapter 38 एवरेस्ट विजेता (महान व्यक्तित्व)

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पाठ का सारांश

तेनजिंग: तेनजिंग बचपन में हिमालय की ऊँची-ऊँची चोटियों पर घूमने का स्वप्न देखा करते थे। ये पढ़े-लिखे नहीं थे; लेकिन कई भाषाएँ बोल लेते थे। इनको बचपन याकों के विशल झुंडों की रखवाली में बीता। ये याकों को अठ्ठारह हजार फुट की ऊँचाई तक ले जाते थे। हिमालय की सबसे ऊँची चोटी, शोभो–लुम्मा (एवरेस्ट) पर चढ़ना- यह स्वप्न इनके जीवन का लक्ष्य था।
तेनजिंग को पर्वतारोहण का पहला मौका 1935 ई० में मिला। ये इक्कीस वर्ष के थे। इन्हें अँग्रेज पर्वतारोही शिष्टन के दल के साथ चढ़ाई के लिए चुना गया। इस दल के साथ इन्होंने नवीन उपकरणों का प्रयोग, रस्सी व कुल्हाड़ियों का उपयोग (UPBoardSolutions.com) और मार्गों को चुनना आदि अनेक बातें सीखीं।

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शेरपा तेनजिंग को स्विटजरलैंड के प्रसिद्ध पर्वतारोही लेबर्ट के साथ 28250 फुट की ऊँचाई तक चढने का रोमांचक अनुभव हुआ। यह अब तक की चढ़ाई में सबसे अधिक ऊँची थी, जिसकी भूरि-भूरि प्रशंसा हुई। । सन् 1953 ई० में तेनजिंग का सपना सच हुआ। ये कर्नल हंट के नेतृत्व में ब्रिटिश पर्वतारोही दल, जिसमें एडमंड हिलेरी भी थे, चढ़ाई के लिए चुने गए। तेनजिंग ने पर्याप्त तैयारी की और धूम्रपान व मदिरापान छोड़ दिया। आखिरी दिन ये प्रात:काल साढ़े तीन बजे जागे। आत्मविश्वास के साथ उन्होंने तैयारी करके 26 मई, 1953 ई० को प्रात: साढ़े छह बजे चढ़ना शुरू किया। जब तीन फुट शेष रह गए; तब खड़ी चट्टान सामने
आ गई। पहले हिलेरी ढालू दरार से चोटी पर पहुँचे, फिर तेनजिंग। (UPBoardSolutions.com) लक्ष्य समीप था। कुछ विश्राम के बाद, धैर्य के साथ, आगे बढ़ते हुए प्रात: साढ़े ग्यारह बजे ये संसार के सर्वोच्च शिखर एवरेस्ट पर पहुँच गए।
मार्कोपोलो, कोलम्बस, वास्कोडिगामा, यूरी गागरिन और पियरी जैसे साहसिक अंभियानकर्ताओं की । भाँति तेनजिंग का नाम भी सदैव इतिहास में अमर रहेगा।

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बछेन्द्रीपाल: शेरपा तेनजिंग द्वारा विजय के इक्कीस सालों बाद भारतीय महिला बछेन्द्रीपाल ने एवरेस्ट चोटी पर कदम रखा। उत्तरकाशी के नाकुरी गाँव में जन्मी, एम०ए० की इस छात्रा के मन में एवरेस्ट पर विजय की इच्छा जागी। इसके लिए इन्होंने नेहरू पर्वतारोहण संस्थान द्वारा आयोजित प्री-एवरेस्ट ट्रेनिंग कैंप में भाग लिया। 23 मार्च, सन् 1984 ई० को वह शुभ दिन आ गया, जिसके लिए बछंद्रीपाल ने कड़े परिश्रम से प्रशिक्षण लिया था।
एवरेस्ट विजय करने में बछेन्द्रीपाल को अनेक कठिनाइयों से जूझना पड़ा। अन्तिम चढ़ाई के दौरान उन्हें लगातार साढ़े छह घण्टे चढाई करनी पड़ी। एक साथी के पैर में चोट लगने से इनकी गति मन्द पड़ गलया था। गई। (UPBoardSolutions.com) अन्तत: 23 मई, 1984 ई० को दोपहर एक बजकर सात मिनट पर ये एवरेस्ट के शिखर पर थीं। इन्होंने विश्व की उच्चतम चोटी पर पहुँचकर सर्वप्रथम भारतीय महिला पर्वतारोही बनने का गौरव प्राप्त किया।

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अभ्यास-प्रश्न

प्रश्न 1:
शेरपा तेनजिंग को पर्वतों की किस बात ने सबसे ज्यादा प्रभावित किया होगा?
उत्तर:
शेरपा तेनजिंग को पर्वतों की ऊँचाई ने  (UPBoardSolutions.com) और उनके अजेय होने की स्थिति ने सबसे ज्यादा प्रभावित किया होगा। उनके मन में उन उन्नत शिखरों पर चढ़ने की अभिलाषा थी।

प्रश्न 2:
बछेन्द्रीपाल ने पर्वतारोहण का प्रशिक्षण कहाँ से प्राप्त किया?
उत्तर:
बछेन्द्रीपाल ने पर्वतारोहण का प्रशिक्षण नेहरू पर्वतारोहण संस्थान से प्राप्त किया।

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प्रश्न 3:
भारत की दो महिला पर्वतारोहियों के नाम बताइए।
उत्तर:
भारत की दो महिला पर्वतारोही- कु० (UPBoardSolutions.com) चन्द्रप्रभा अटवाल और सुश्री हर्षवती बिष्ट हैं।

योग्यता विस्तार: नोट- विद्यार्थी अपने शिक्षक/शिक्षिका की सहायता से स्वयं करें।

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UP Board Solutions for Class 7 Hindi Chapter 31 सुब्रह्मण्यम् भारती (महान व्यक्तित्व)

UP Board Solutions for Class 7 Hindi Chapter 31 सुब्रह्मण्यम् भारती (महान व्यक्तित्व)

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पाठ कां सारांश

सुबह्मण्यम् को जन्म तमिलनाडु के शिवयेरी ग्राम में सन् 1882 ई० को हुआ। इनके पिता चिन्नास्वामी तमिल भाषा के प्रकांड पंडित थे; जिनका एटटपुरम दरबार में मान था। सुब्रह्मण्यम्। बचपन से ही कविता करने लगे थे। ग्यारह वर्ष की अवस्था में इनकी काव्य प्रतिभा देखकर विद्वानों ने इन्हें ‘भारती’ की उपाधि दी। पाँच वर्ष की अवस्था में ही माँ के मरने पर दूसरी माँ ने इन्हें और इनकी बहन भागीरथी को माँ जैसा प्यार दिया। (UPBoardSolutions.com) पिता के मरने पर चौदह वर्ष के बालक भारती के लिए परिवार चलाना दुरूह हो गया। निर्धनता की मार्मिक अनुभूति इनकी कविता ‘ धन की महिमा’ में व्यक्त हुई। | भारती ने वाराणसी जाकर हिन्दी, संस्कृत का अध्ययन किया। अँग्रेजी की शिक्षा पिता के समय में ही तिरुवेलवेली के अँगेजी स्कूल में प्राप्त की। हिन्दी को ये देश की एकता के लिए सक्षम समझते थे। वाराणसी में इन्होंने काशी क्षेत्र तथा वहाँ की संस्कृति का अध्ययन किया। एक वर्ष के बाद ये फिर अपर्ने गाँव में आकर साहित्य साधनारत हो गए। इन्हें स्वच्छन्दतावादी कविताएँ पसन्द थीं। शैली के नाम पर इन्होंने अपना उपनाम ‘शैल्लिदासन’ रख.लिया था। इन्होंने अँग्रेजी कविताओं का तमिल में अनुवाद किया।
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भारती में मानवतावादी दृष्टिकोण प्रबल था। समाज की उन्नति के लिए ये आपसी मेल-जोल जरूरी समझते थे। इनकी कविताओं में राष्ट्रीयता का स्वर मुखरित हुआ। इन्होंने तमिलवासियों को जाग्रत कर राष्ट्रीय आन्दोलन के लिए प्रेरित (UPBoardSolutions.com) किया। भारती शान्ति एवं अहिंसा के पुजारी थे। अहिंसा से स्वराज्य प्राप्त करना इनका अभीष्ट थी। भारती स्वभाव से दानी थे। इनकी दानशीलता की अनेक कथाएँ आज भी तमिलनाडु में प्रचलित हैं। भारती बच्चों से बहुत स्नेह करते थे और कभी-कभी बच्चों जैसा आचरण भी करने लगते थे। पागल हाथी को गन्ना और नारियल खिलाते समय उसके धक्के से ये बेहोश हो गए। अस्पताल में बीमार रहकर 12 दिसम्बर, 1922 ई० को इनका निधन हो गया।
भारती देश की एकता और अखण्डता के पोषक थे। ये ऐसी स्वतन्त्रता के पोषक थे, जो एकता और समानता पर टिकी हो। इनकी कृतियों को तमिलनाडु सरकार ने ‘भारती-ग्रन्थावली’ के अन्तर्गत तीन खण्डों में प्रकाशित किया है।

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अभ्यास-प्रश्न

प्रश्न 1:
सुब्रह्मण्यम् भारती ने देश के विकास के लिए किन बातों को आवश्यक माना है?
उत्तर:
भारती देश के विकास के लिए आपसी मेल-जोल की भावना, मानवतावादी दृष्टिकोण, साम्प्रदायिकता और भेदभाव का त्याग, एकता और समानता पर टिकी देश की स्वाधीनता, संगठन और सहयोग, राष्ट्रीय भाषा हिन्दी को बढ़ावा देना (UPBoardSolutions.com) आदि आवश्यक मानते थे।

प्रश्न 2:
सुब्रह्मण्यम् भारती किस प्रकार राष्ट्रीय एकता स्थापित करना चाहते थे?
उत्तर:
सुब्रह्मण्यम् समानता और सद्भावना पर टिकी राष्ट्रीय एकता स्थापित करना चाहते थे। उनका दृष्टिकोण मानवतावादी था।

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प्रश्न 3:
नीचे लिखे वाक्यों के सम्मुख अंकित शब्दों में से सही शब्द छाँटकर वाक्य पूरा कीजिए ( पूरा करके)
(क) सुब्रह्मण्यम् को ‘भारती’ की उपाधि से बचपन में विभूषित किया गया। (वृद्धावस्था, बचपन, युवावस्था, मरणोपरांत)
(ख) ‘भारती’ ने हिन्दी, संस्कृत की शिक्षा वाराणसी में प्राप्त की थी। (UPBoardSolutions.com) (मद्रास में, तिरुवेलवेली में, वाराणसी में)
(ग) “भारती’ की बहन का नाम भागीरथी था। (भागीरथी, सावित्री, चेल्लम्मा)

प्रश्न 4:
‘भारती’ को किस बात का विशेष शौक था?
उत्तर:
‘भारती’ प्राचीन साहित्य के बड़े पारखी थे। उनको विभिन्न भाषाओं के प्राचीन साहित्य को संकलित करने का शौक था।

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प्रश्न 5:
‘भारती’ के जीवन की किन्हीं 5 विशेषताओं का (UPBoardSolutions.com) उल्लेख कीजिए।
उत्तर:

  1. भारती का दृष्टिकोण मानवतावादी था। वे समाज की उन्नति के लिए आपसी मेलजोल जरूरी समझते थे।
  2.  भारती राष्ट्रीयता के पोषक थे।
  3. वे शान्ति और अहिंसा के पुजारी थे।
  4. भारती स्वभाव से दानी थे।
  5.  वे बच्चों से विशेष प्यार करते थे।

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