UP Board Solutions for Class 7 Hindi Chapter 5 श्रीकृष्ण (महान व्यक्तित्व)

UP Board Solutions for Class 7 Hindi Chapter 5 श्रीकृष्ण (महान व्यक्तित्व)

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पाठ का सारांश

श्री कृष्ण का जन्म मथुरा में हुआ। श्री कृष्ण बाल्यावस्था से ही इतने पराक्रमी और साहसी थे कि इनके द्वारा किए गए कार्यों को देखकर लोग आश्चर्यचकित हो जाते थे। कंस अपनी सुरक्षा के लिए श्री कृष्ण का अन्त करना चाहता था। इस कार्य के लिए उसने अनेक राक्षसों को भेजा। (UPBoardSolutions.com) उन सबका श्री कृष्ण ने बाल्यावस्था में ही वध कर दिया। श्री कृष्ण कभी अपनी बाँसुरी के मधुर स्वर से सभी को आत्मिक सुख प्रदान करते दिखाई पड़ते थे तो कभी कंस के अत्याचारों से गोकुलवासियों की रक्षा? लोकहित में प्रवृत्त दृष्टिगोचर होते। श्री कृष्ण को अध्ययन करने हेतु सदीपन मुनि के गुरुकुल भेजा गया। गुरुकुल में कृष्ण ने अपने गुरु की सेवा करते हुए विद्या प्राप्त की।
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गोकुल में श्री कृष्ण के नेतृत्व में कंस के अत्याचारी शासन का विरोध आरम्भ हो गया। कंस इस स्थिति को जानता था। उसने श्री कृष्ण के वध का षड्यन्त्र रचा और अक्रूर द्वारा श्री कृष्ण को बुलवाया। श्री कृष्ण अपने बड़े भाई बलराम के साथ मथुरा जा पहुँचे। योजनानुसार मथुरा में मल्ल युद्ध आरम्भ हुआ। श्री कृष्ण ने मल्ल युद्ध में कंस के चुने हुए पहलवानों को पराजित किया और अन्त में कंस को भी मार डाला। उस समय हस्तिनापुर में धृतराष्ट्र का राज था। (UPBoardSolutions.com) वहाँ के राजपरिवार में कौरवों और पांडवों के बीच कलह चल रहा था। वह कलह रोकने के लिए श्री कृष्ण ने बहुत प्रयास किया परन्तु श्री कृष्ण का शान्ति प्रयास असफल हो गया। परिणामस्वरूप दोनों में भयंकर युद्ध हुआ, जिसे महाभारत के नाम से जाना जाता है।
महाभारत के युद्ध में श्री कृष्ण अर्जुन के रथ के सारथी बने। अर्जुन राज्य और सुख के लिए अपने ही कुल के लोगों तथा गुरु आदि को मारने को तैयार नहीं हुआ। उस समय श्रीकृष्ण ने अर्जुन को अपने कर्तव्य की ओर प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि आत्मा अजर और अमर है। जिस प्रकार, मनुष्य पुराने वस्त्रों को छोड़कर नए वस्त्र ग्रहण करता है, उसी प्रकार, यह आत्मा जीर्ण शरीर को छोड़कर दूसरे नए शरीर में प्रवेश करती है। इस आत्मा को न शस्त्र काट सकते हैं, न आग जला सकती है, न पानी गला सकता है। और न वायु सुखा सकती है। अतः प्रत्येक मनुष्य को फल की चिन्ता किए बिना अपने कर्तव्य का पालन करना चाहिए, यही कर्मयोग है। श्री कृष्ण के ये ही उपदेश गीता के अमृत वचन हैं। श्री कृष्ण के उपदेश सुनकर अर्जुन को अपने कर्तव्य का ज्ञान हुआ और उन्होंने वीरतापूर्वक युद्ध किया। श्री कृष्ण के कुशल संचालन के कारण महाभारत के युद्ध में पांडव विजयी हुए।
श्री कृष्ण का सम्पूर्ण जीवन अत्याचार और अहंकार से संघर्ष करते व्यतीत हुआ। कंस, जरासंध, शिशुपाल आदि अनेक निरंकुश शासकों का संहार, श्रीकृष्ण के ही द्वारा हुआ। श्री कृष्ण गुरु और सखा भी थे इसीलिए तो लोग इन्हें ईश्वर का अवतार मानते हैं।

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अभ्यास-प्रश्न

प्रश्न 1:
श्री कृष्ण के समय भारत की क्या स्थिति थी?
उत्तर:
श्री कृष्ण के समय भारत भूमि की समृद्धि और सम्पन्नता अपनी (UPBoardSolutions.com) चरम सीमा पर थी। देश में वैभव सम्पन्न तथा शक्तिशाली अनेक राज्य थे।

प्रश्न 2:
श्री कृष्ण के बाल जीवन का वर्णन करिये।
उत्तर:
श्री कृष्ण बाल्यावस्था से ही इतने पराक्रमी और साहसी थे कि उनके द्वारा किए गए कार्यों को देखकर लोग आश्चर्यचकित हो जाते थे। कंस अपनी सुरक्षा के लिए कृष्ण का अन्त करना चाहता था। इस कार्य के लिए उसने जिन लोगों को भेजा, (UPBoardSolutions.com) उन सबका श्री कृष्ण ने बाल्यावस्था में ही वध कर दिया।

प्रश्न 3:
कंस के जीवन का अंत किस प्रकार हुआ ?
उत्तर:
श्री कृष्ण ने मल्लयुद्ध में कंस के चुने हुए पहलवानों को पराजित किया और अन्त में उन्होंने कंस को भी मार डाला।

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प्रश्न 4:
कौरवों तथा पांडवों के बीच सन्धि के लिए कृष्ण ने क्या किया?
उत्तर:
कौरवों और पांडवों के बीच सन्धि के लिए श्री कृष्ण पांडवों (UPBoardSolutions.com) की ओर से सन्धि का प्रस्ताव लेकर कौरवों के पास गए।

प्रश्न 5:
युद्ध क्षेत्र में श्रीकृष्ण द्वारा अर्जुन को दिए गए उपदेश का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
उत्तर:
श्री कृष्ण ने अर्जुन को अपने कर्तव्य की ओर प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि आत्मा अजर और अमर है। जिस प्रकार, मनुष्य पुराने वस्त्रों को छोड़कर नए वस्त्र ग्रहण करता है, उसी प्रकार, यह आत्मा जीर्ण शरीर छोड़कर नए शरीर में प्रवेश करती है। इस आत्मा को न शस्त्र काट सकते हैं, न आग जला सकती है, न पानी गला सकता है और न वायु सुखा सकती है। अत: प्रत्येक मनुष्य को फल की चिन्ता किए बिना अपने कर्तव्य (UPBoardSolutions.com) का पालन करना चाहिए, यही कर्मयोग है।

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प्रश्न 6:
महाभारत के युद्ध का क्या परिणाम हुआ?
उत्तर:
महाभारत के युद्ध में पांडव (UPBoardSolutions.com) विजयी हुए।

प्रश्न 7:
कृष्ण को ईश्वर का अवतार क्यों माना जाता है?
उत्तर:
श्री कृष्ण दार्शनिक, कर्मयोगी, राजनीतिज्ञ, समाज सुधारक, (UPBoardSolutions.com) योद्धा, शान्ति के अग्रदूत, गुरु तथा सखा आदि गुणों से परिपूर्ण थे, जो उन्हें एक साधारण मानव से अलग करते हैं। इसलिए उन्हें ईश्वर का अवतार माना जाता है।

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प्रश्न 8:
सही कथन के सामने सही (✓) तथा गलत कथन के सामने गलत (✘) का निशान लगाएँ
(क) श्रीकृष्ण के गुरू का नाम संदीपन था। (✓)
(ख) श्रीकृष्ण के उपदेश रामायण के (UPBoardSolutions.com) अमृत वचन हैं। (✘)
(ग) आत्मा अजर-अमर है। (✓)
(घ) उस समय हस्तिनापुर में कंस का राज्य था। (✘)

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UP Board Solutions for Class 7 Hindi Chapter 37 प्रमुख खिलाड़ी (महान व्यक्तित्व)

UP Board Solutions for Class 7 Hindi Chapter 37 प्रमुख खिलाड़ी (महान व्यक्तित्व)

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पाठ का सारांश

मेजर ध्यानचन्द-हॉकी में भारत को पहचान दिलाने में मेजर ध्यानचन्द का विशेष योगदान है। इनकी बचपन से ही खेलों में रुचि थी। सन् 1922 ई० में ये सेना में भर्ती हुए। चार वर्ष बाद भारतीय हॉकी टीम के साथ न्यूजीलैंड जाकर इन्होंने अपने खेल से सबको प्रभावित किया। सन् 1928 ई० ये ओलम्पिक खेलों में भाग लेने एम्सटर्डम पहुँचे। वहाँ सब टीमों को हराकर भारत ने पहला स्वर्ण पदक जीता। यह एक गौरव का विषय था। । सन् 1936 ई० में बलिन ओलम्पिक में मेजर ध्यानचन्द के नेतृत्व में भारतीय टीम ने और भी ज्यादा शानदार प्रदर्शन किया। इस खेल को हिटलर ने भी देखा था। मेजर ध्यानचन्द (UPBoardSolutions.com) भारतवर्ष, भारतीय फौज और हॉकी की सेवा में आजीवन समर्पित रहे।
मेजर ध्यानचन्द के जन्मदिन को राष्ट्रीय खेल दिवस के रूप में मनाया जाता है। संन् 1956 ई० में इन्हें ‘पद्मभूषण’ उपाधि से सम्मानित किया गया। 3 दिसम्बर, सन् 1979 को इनका निधन हो गया। इनको नाम खेल जगत् में सदैव अमर रहेगा। इनकी स्मृति में झाँसी स्थित एक स्टेडियम का नाम ‘मेजर ध्यानचन्द स्टेडियम’ रखा गया। । सुनील गावस्कर- सुनील मनोहर गावस्कर का जन्म सन् 1949 ई० में मुम्बई में हुआ। इनकी शिक्षा सेंट जेवियर्स हाईस्कूल एवं मुम्बई विश्वविद्यालय में हुई। इनके टेस्ट जीवन की शुरुआत
सन् 1971 में वेस्टइंडीज दौरे से हुई।

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सुनील गावस्कर:
ने एक कैलेंडर वर्ष में 1000 रन चार बार बनाए। सुनील गावस्कर ने सन् 1983 ई० में वेस्टइंडीज के विरुद्ध बिना आउट हुए 239 रन बनाए, यह उनके टेस्ट जीवन का सबसे बड़ी पारी थी।
इन्होंने टेस्ट मैचों में 125 टेस्ट मैच, 214 पारियों में खेले और 10122 रन बनाए। इनमें 34 शतक और 45 अर्द्धशतक हैं। इनका रन औसत 51.12 रन था। इन्होंने 108 कैच भी लिये।।
सुनील गावस्कर ने अपने खेल जीवन में भारतीय टीम का (UPBoardSolutions.com) नेतृत्व कप्तान के रूप में किया। ये एक खिलाड़ी ही नहीं वरन् एक कुशल लेखक भी हैं। इनकी प्रसिद्ध पुस्तक ‘सनिडेज़’ है। एक महान बल्लेबाज के रूप में ये जीते जी किंवदन्ती बन चुके हैं। इन्हें ‘लिटिल-मास्टर’ के नाम से भी जाना जाता है।

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अभ्यास-प्रश्न

प्रश्न 1:
ओलम्पिक खेलों में भारत को प्रथम स्वर्णपदक किस खेल में मला? इस पदक को प्राप्त करने वाले प्रमुख खिलाड़ी के विषय में लिखिए।
उत्तर:
ओलम्पिक खेलों में भारत को प्रथम स्वर्णपदक हाकी में मिला। इस पदक को प्राप्त करने वाला प्रमुख खिलाड़ी ‘मेजर ध्यानचन्द’ है। बचपन से ही खेलों में इनकी विशेष रुचि थी। सन् 1922 में ये सेना में भर्ती हो गए जिनके चार वर्ष (UPBoardSolutions.com) बाद ये हॉकी टीम के साथ न्यूजीलैंड गए। सन् 1928 ई० में एम्सटर्डम में होने वाले ओलम्पिक खेलों में भारत के लिए पहला स्वर्ण पदक जीता।

प्रश्न 2:
सुनील गावस्कर को 10,000 रन पूरे करने में किस प्रकार सफलता मिली?
उत्तर:
सुनील गावस्कर ने अपने 10,000 रन संयम, दृढ़ता, गम्भीरता, एकाग्रता और साहस से पूरे किए।

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प्रश्न 3:
कौन से खेल में आपकी सर्वाधिक रुचि है और क्यों?
नोट- विद्यार्थी स्वयं लिखें। (UPBoardSolutions.com)

प्रश्न 4:
सही मिलान कीजिए
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प्रश्न 5:
सही विकल्प चुनकर (✓) का चिह्न लगइए (चिह्न लगाकर)
दैनिक जीवन में खेलकूद का बहुत महत्व है, क्योंकि

(क) इससे समाज में प्रतिष्ठा बढ़ती है।
(ख) इससे धान मिलता है ।
(ग) यात्रा का सुख मिलता है।
(घ) इससे जीवन में अनुशासन (UPBoardSolutions.com) आता है और शारीरिक विकास होता है।

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प्रश्न 6:
एक महान खिलाड़ी बनने के लिए किन-किन विशेषताओं का होना आवश्यक है? अपने विचार लिखिए।
उत्तर:
एक महान खिलाड़ी बनने के लिए खिलाड़ी में संयम, दृढ़ता, गम्भीरता, एकाग्रता, सहयोग और साहस आदि विशेषताएँ होनी चाहिए।

योग्यता विस्तार:
नोट- विद्यार्थी अपने शिक्षक/शिक्षिका की (UPBoardSolutions.com) सहायता से स्वयं करें।

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UP Board Solutions for Class 7 Hindi Chapter 4 महर्षि वाल्मीकि (महान व्यक्तित्व)

UP Board Solutions for Class 7 Hindi Chapter 4 महर्षि वाल्मीकि (महान व्यक्तित्व)

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पाठ का सारांश

रामायण के रचयिता महर्षि वाल्मीकि का जन्म हजारों वर्ष पहले हुआ। इनके बचपन का नाम रत्नाकर था। ईश्वरीय प्रेरणा से ये संसार छोड़कर भक्ति में लग गए। तपस्या करते समय दीमक ने इनके शरीर पर बाँबी (वल्मीक) बना (UPBoardSolutions.com) ली जिससे इनका नाम वाल्मीकि पड़ा।
तमसा नदी के तट पर स्थित आश्रम में उन्होंने संस्कृत में अपने प्रसिद्ध ग्रन्थ रामायण की रचना की। इसमें सात खण्ड हैं। वाल्मीकि को संस्कृत साहित्य का आदिकवि कहा जाता है। रामायण में राम के चरित्र, उस समय के समाज की स्थिति, सभ्यता, व्यवस्था और लोगों के रहन-सहन का वर्णन है। यह त्रेता युग
का ऐतिहासिक ग्रन्थ है।
महर्षि वाल्मीकि के आश्रम में ही लव-कुश का जन्म हुआ था। वाल्मीकि ने उन्हें छोटी अवस्था में ही ज्ञानी और युद्ध कला में पारंगत बना दिया था। लव-कुश ने महर्षि के आश्रम में पहुँचे हुए राम के अश्वमेध यज्ञ वाले घोड़े को पकड़ लिया (UPBoardSolutions.com) था एवं राम की सेना को पराजित कर अपने युद्ध कौशल और पराक्रम का परिचय दिया था।
महर्षि वाल्मीकि कवि, शिक्षक और ज्ञानी थे। इनका ग्रन्थ रामायण भारत का ही नहीं, वरन् सारे संसार की अनमोल कृति है। इस श्रेष्ठ महाकाव्य रामायण की रचना नीति, शिक्षा और दूरदर्शिता के कारण वाल्मीकि को आज भी आदर और सम्मान से याद किया जाता है।

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अभ्यास-प्रश्न

प्रश्न 1:
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए

(क) किस घटना को देखकर वाल्मीकि के मुख से कविता फूट पड़ी?
उत्तर:
व्याध द्वारा क्रौंच पक्षी के मारे जाने के करुण (UPBoardSolutions.com) दृश्य को देखकर वाल्मीकि के मुख से कविता फूट पड़ी।

(ख) वाल्मीकि ने अपने ग्रन्थ रामायण में किस कथा का वर्णन किया है?
उत्तर:
वाल्मीकि ने रामायण में राम के चरित्र, उस समय के समाज की स्थिति, सभ्यता, शासन, व्यवस्था और लोगों के रहन-सहन का वर्णन किया है।

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(ग) वाल्मीकि रामायण में कितने कांड (खण्ड) हैं?
उत्तर:
वाल्मीकि रामायण में सात कांड (खण्ड) हैं। (UPBoardSolutions.com)

(घ) वाल्मीकि को क्यों याद किया जाता है?
उत्तर:
रामायण ग्रन्थ, नीति, शिक्षा व दूरदर्शिता के लिए वाल्मीकि को याद किया जाता है।

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प्रश्न 2:
वाक्य पूरा कीजिए ( वाक्य पूरा करके)
(क) अयोध्या के समीप तमसा नदी के किनारे वाल्मीकि तपस्या करते थे।
(ख) ईश्वरीय प्रेरणा से वे सांसारिक (UPBoardSolutions.com) जीवन (मोह) को त्यागकर परमात्मा के ध्यान में लग गए।

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प्रश्न 3:
सही या गलत वाक्यों पर (✓) अथवा (✘)चिह्न लगाएँ (चिह्न लगाकर )
(क) वाल्मीकि के बचपन का नाम रत्नाकर था। (✓)
(ख) उनके शरीर पर दीमक ने बाँबी (वल्मीक) (UPBoardSolutions.com) बना लिया, इसी कारण उनका नाम वाल्मीकि पड़ा। (✓)
(ग) उन्होंने रामचरितमानस की रचना की। (✘)
(घ) वाल्मीकि ने श्री राम के अश्वमेध यज्ञ का घोड़ा बाँध लिया था। (✘)

शिक्षकों के लिए:
नोट- शिक्षक कक्षा में अन्य ऋषि-मुनियों की चर्चा/कहानी बच्चों को सुनाएँ।

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UP Board Solutions for Class 7 Hindi Chapter 18 रानी चेन्नम्मा (महान व्यक्तित्व)

UP Board Solutions for Class 7 Hindi Chapter 18 रानी चेन्नम्मा (महान व्यक्तित्व)

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पाठ का सारांश

एक बार कित्तूर के राजा मल्लसर्ज काकति आए, जहाँ नरभक्षी बाघ का आतंक था। वे बाघ का शिकार करनेवाली सैनिक वेश में सजी सुंदर कन्या की वीरता और सौन्दर्य पर मुग्ध हो गए। यह कन्या काकति के मुखिया की पुत्री थी, जिससे मल्लसर्ज ने शादी कर (UPBoardSolutions.com) ली और यह कित्तूर की रानी चेन्नम्मा बन गई। राजा मल्लसर्ज ने 1782 से 1816 ई० तक चौंतीस वर्षों तक कित्तूर पर राज किया। वे शासन प्रबन्ध में चेन्नम्मा का परामर्श लेते थे।
राजा मल्लसर्ज की मृत्यु के बाद उनका पुत्र शिवलिंग रुद्रसर्ज गद्दी पर बैठा। शीघ्र ही उसकी मृत्यु से कित्तूर के उत्तराधिकारी का प्रश्न आया। अँग्रेज कित्तूर पर अधिकार करना चाहते थे। रानी चेन्नम्मा ने प्रण किया कि मैं जीते जी कित्तूर को अँग्रेजों के हवाले नहीं करूंगी। अँग्रेजों को कित्तूर की स्वाधीनता खटक रही थी। 23 दिसम्बर 1824 को कलक्टर थैकरे ने कित्तूर पर घेरा डाल दिया। हार हो जाने पर चालीस अँग्रेजों को बन्दी बनाया गया। रानी चेन्नम्मा अँग्रेज स्त्रियों और बच्चों को अतिथिगृह में ले गईं और सूचना दे दी कि शत्रुपक्ष अपने बच्चों और स्त्रियों को ले जाए। रानी की इस उदारता का शत्रुओं पर अच्छा प्रभाव पड़ा। (UPBoardSolutions.com) ‘पराजय के बाद कलक्टर थैकरे ने अनेक प्रयास किए; किन्तु वह सफल नहीं हुआ। अन्त में रानी के वीर सैनिक बालप्पा के सटीक निशाने से थैकरे परलोक सिधार गया। यह निर्णायक युद्ध था, जिसमें रानी चेन्नम्मा ने विजय प्राप्त की। कित्तूर के मुठ्ठी भर वीरों से अँग्रेजी सेना को मुँह की खानी पड़ी। अन्तत: दिसम्बर 1824 ई० में अंग्रेजों ने पुनः कित्तूर पर हमला किया। पाँच दिन तक युद्ध चलने के बाद 5 दिसम्बर, 1824 ई० को अँग्रेजों का झण्डा कित्तूर पर लहराने लगा। रानी चेन्नम्मा को बन्दी बनाया गया। 2 फरवरी, सन् 1829 ई० को बेलहोंगल के किले में उसकी मृत्यु हो गई। रानी की वीरता, साहस, पराक्रम तथा देशभक्ति कित्तूर वासियों के लिए प्रेरणा स्रोत सिद्ध हुई। । बेलहोंगल में बना रानी चेन्नम्मा स्मारक और धारवाड़ का कित्तूर चेन्नम्मा पार्क रानी की वीरता, त्याग और उत्सर्ग की याद दिलाते हैं।

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अभ्यास-प्रश्न

प्रश्न 1:
अँग्रेज क्यों नहीं चाहते थे कि रानी किसी उत्तराधिकारी को गोद लें?
उत्तर:
अँग्रेज कित्तूर को अँग्रेजी राज्य में मिलाना चाहते थे। (UPBoardSolutions.com) इस कारण वे रानी को उत्तराधिकारी गोद नहीं लेने देना चाहते थे।

प्रश्न 2:
रानी चेन्नम्मा के व्यक्तित्व की किन विशेषताओं ने आपको सबसे ज्यादा प्रभावित किया और क्यों?
उत्तर:
रानी की वीरता, साहस, स्वदेशप्रेम, उदारता और उत्सर्ग’ ऐसी विशेषताएँ हैं, जिनसे हम बहुत ज्यादा प्रभावित हैं। इसका कारण यह है कि सीमित साधन होते हुए भी स्वाधीनता के लिए इतना साहस दिखाकर रानी चेन्नम्मा ने अद्वितीय उदाहरण प्रस्तुत किया।

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प्रश्न 3:
इस पाठ में रानी के व्यक्तित्व की किन-किन (UPBoardSolutions.com) विशेषताओं पर प्रकाश डाला गया है?
उत्तर:
विद्यार्थी इसे प्रश्न के उत्तर के लिए प्रश्न 2 का उत्तर देखें।

प्रश्न 4:
पता कीजिए

(क) कुछ और वीर महिलाओं के बारे में जानकारी प्राप्त कीजिए, जिन्होंने देश के लिए अपने प्राण न्योछावर कर दिए।
उत्तर:
कुछ वीर महिलाएँ जिन्होंने अपने देश के लिए (UPBoardSolutions.com) प्राण-न्योछावर कर दिए हैं, उनके नाम- रानी दुर्गावती, चाँद बीबी और लक्ष्मी बाई हैं।

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(ख) नोट:
विद्यार्थी अपने शिक्षक/शिक्षिका की सहायता से स्वयं करें।

प्रश्न 5:
नोट- विद्यार्थी अपने शिक्षक/शिक्षिका की सहायता से स्वयं करें।

प्रश्न 6:
वर्तनी शुद्ध कीजिए ( वर्तनी शुद्ध करके)
उत्तर:
व्यक्ती- व्यक्ति, आकृमण- आक्रमण, आहूति- आहुति, सौभाज्ञ- सौभाग्य।

प्रश्न 7:
पाठ में आए मुहावरे छाँटकर अपने वाक्यों (UPBoardSolutions.com) में प्रयोग कीजिए (प्रयोग करके)
उत्तर:
देखते रह जाना- प्रभावित होना-चेन्नम्मा की वीरता और सौन्दर्य पर मुग्ध होकर मल्लसर्ज देखते ही रह गए।

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अन्तिम साँस गिनना:
मरने के करीब होना- पुत्र वीरनारायण के अन्तिम साँस लेने के समय भी रानी दुर्गावती युद्ध करती रही। | प्राणों की आहुति देना- बलिदान हो जाना— चेन्नम्मा के वीर सैनिकों ने कित्तूर की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी।

टूट पड़ना:
हमला कर देना-क्रान्तिकारी, आराम करती अँग्रेजी (UPBoardSolutions.com) सेना पर टूट पड़े।

मुँह की खाना:
हार जाना तराइन की पहली लड़ाई में पृथ्वीराज के सम्मुख गोरी को मुँह की खानी पड़ी।

दाल ने गलना:
सफल न होना-कित्तूर पर अधिकार जमाने में अँग्रेजों की दाल नहीं गली, तो उन्होंने हमला कर दिया।

प्रश्न 8:
संही विकल्प को चुनिए ( सही विकल्प चुनकर)
रानी चेन्नमा ने अंग्रेजों के सभी प्रलोभन ठुकरा दिए, क्योंकि

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  • वह बहुत संम्पन्न थीं।
  •  वह कित्तूर की स्वाधीनता बेचने को तैयार न थीं।
  •  उन्हें अंग्रेजों पर विश्वास न था। (UPBoardSolutions.com)

प्रश्न 9:
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए (पूर्ति करके)

  • रानी चेन्नम्मा ने प्रण किया कि वे जीते जी कित्तूर को अंग्रेजों के हवाले नहीं करेंगी।
  • बेलहोंगल में बना रानी चेन्नम्मा स्मारक तथा धारवाड़ में बना कित्तूर चेन्नम्मा पार्क रानी की वीरता, त्याग व उत्सर्ग की याद दिलाते हैं।\

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योग्यता विस्तार:
नोट- विद्यार्थी अपने शिक्षक/शिक्षिका की (UPBoardSolutions.com) सहायता से स्वयं करें।

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UP Board Solutions for Class 7 Science Chapter 11 पौधों में जनन

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अभ्यास-प्रश्न

प्रश्न 1.
सही विकल्प पर (✓) निशान लगाइए।
(क) नर और मादा युग्मक के युग्मन का प्रक्रम कहलाता है।
(1) निषेचन (✓)
(2) परागण
(3) जनन
(4) बीज निर्माण

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(ख) परिपक्व होने (UPBoardSolutions.com) पर अण्डाशय विकसित हो जाता है-
(1) बीज में
(2) पुंकेसर में
(3) स्त्रीकेसर में
(4) फल में (✓)

(ग) अजुबा अपने जिस भाग द्वारा जनन करता है, वह है-
(1) तना
(2) पत्ती (✓)
(3) जड़
(4) पुष्प

(घ) पौधे के जनन अंग है-
(1) जड़
(2) तना
(4) फूल (✓)

(ङ) परागकण का वर्तिकाग्र पर स्थानान्तरण कहलाता है-
(1) निषेचन
(2) परागण (✓)
(3) जनन
(4) फल का बनना

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प्रश्न 2.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए-
(क) जनक पौधों के कायिक भागों से नए पौधों (UPBoardSolutions.com) का उत्पन्न होना कायिक/वर्धी जनन कहलाता है।
(ख) जिन फूलों में केवल नर या केवल मादा जनन अंग होते हैं वे एकीलंगी पुष्प कहे जाते हैं।
(ग) परागकोष से परागकणों का वर्तिकाग्र पर स्थानान्तरण की क्रिया परागण कहलाती है।
(घ) नर और मादा युग्मकों का युग्मन निषेचन कहलाता है।
(ङ) बीज का प्रकीर्णन वायु, जल और जन्तुओं के द्वारा होता है।

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प्रश्न 3.
निम्नलिखित में सही कथनों पर सही (✓) तथा गलत कथनों पर गलत (✗) का चिह्न लगाइये।
(अ) स्पाइरोगाइरा तथा यूलोथ्रिक्स खण्डन विधि से प्रजनन करते हैं। (✓)
(ब) कलम लगाना कृत्रिमवर्षी (UPBoardSolutions.com) प्रजनन है। (✓)
(स) यीस्ट में जनन खण्डन विधि द्वारा होता है। (✗)
(द) स्त्रीकेसर पुष्प का नर भाग है। (✗)
(य) पुष्प के सभी भाग पुष्पासन पर टिके होते हैं। (✓)

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प्रश्न 4.
स्तम्भ क में दिए गए शब्दों का स्तम्भ ख से मिलान कीजिए-
UP Board Solutions for Class 7 Science Chapter 11 पौधों में जनन 4

प्रश्न 5.
निषेचन किसे कहते हैं ?
उत्तर-
नर तथा मादा युग्मक के युग्मन (UPBoardSolutions.com) की क्रिया को निषेचन कहते हैं।

प्रश्न 6.
पौधों में अलैंगिक जनन की विभिन्न विधियों का वर्णन कीजिए। प्रत्येक का उदाहरण दीजिए।
उत्तर-
पौधों में अलैंगिक जनन मुख्यतः चार प्रकार से होता है।-

  • मुकुलन द्वारा
  • खण्डन द्वारा
  • बीजाणु द्वारा
  • वर्धा या कायिक प्रजनन द्वारा।

मुकुलन – एककोशिकीय जीवों; जैसे-यीस्ट में मुकुलन द्वारा जनन होता है। यीस्ट कोशिका से एक छोटा सा उभार निकलने लगता है जिसे मुकुल या कली कहते हैं। मुकुल धीरे-धीरे वृद्धि करके अपनी मातृकोशिका से अलग हो जाता है (UPBoardSolutions.com) और नई यीस्ट कोशिका बन जाती है। मुकुल की क्रिया इतनी तेज होती है कि कई नवीन मुकुल अपनी जनक कोशिका से अलग हुए बिना ही एक श्रृंखला में पाए जाते हैं।
खण्डन – जब तंतुओं के टूटने पर उनके टुकड़े से नए-नए पौधे का निर्माण होता है तो उसे खण्डन विधि कहते हैं। स्पाइरोगाइरा, यूलोथ्रिक्स आदि शैवाल इस विधि से प्रजनन करते हैं।
बीजाणु – फफूद में छोटी-छोटी धागे जैसी रचना होती है, जिन्हें कवक तंतु कहते हैं। इन तंतुओं के ऊपरी सिरे फूल जाते हैं जिसमें अत्यंत छोटी-छोटी रचनाएँ बनती हैं, जिसे बीजाणु कहते हैं। से बीजाणु प्रतिकूल परिस्थितियों में भी जीवित रहते हैं बीजाणु हवा द्वारा विभिन्न स्थानों पर गिरते हैं और अंकुरित होकर नए कवक को जन्म देते हैं। शैवाल, मॉस और फर्न आदि में भी बीजाणुओं द्वारा जनन होता है।
वर्षी या कायिक प्रजनन – जब पौधों के वर्धा भाग जैसे जड़, तना और पत्ती से नए पौधे जन्म लेते हैं तो उसे वर्दी प्रजनन कहते हैं। ऐसे पौधे बिना बीज के भी उगाए जाते हैं। शकरकंद, डहेलिया, सतावर में जड़ों द्वारा और आलू, अदरक गन्ना आदि में तने द्वारा वर्षी प्रजनन होता है।

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प्रश्न 7.
स्व-परागण तथा पर-परागण में अन्तर लिखिए।।
उत्तर-
जब परागकण अपने ही पुष्प के वर्तिकाग्र पर अथवा उसी पौधे के दूसरे पुष्प के (UPBoardSolutions.com) स्ववर्तिकाग्र पर पहुँचते हैं तो यह क्रिया परागण कहलाती है। यदि किसी पुष्प के परागकण निकलकर उसी जाति के अन्य पौधे के पुष्पों के वर्तिकाग्र पर पहुँचते हैं तो ये क्रिया पर-परागण कहलाती है।

प्रश्न 8.
किसी पुष्प का चित्र खींचकर उनके जनन अंगों को नामांकित कीजिए।
उत्तर-
नोट- विद्यार्थी स्वयं करें।

प्रश्न 9.
अलैगिंक तथा लैंगिक जनन में अन्तर लिखिए।
उत्तर-
अलैंगिक जनन में पौधे के किसी भी भाग-जड़, तनी, पत्तियों से नए पौधे उत्पन्न होते हैं। (UPBoardSolutions.com) इस प्रक्रिया में बीजों का उपयोग संतति बढ़ने में नहीं होता है। इसके विपरीत लैंगिक जनन में नर तथा मादा जनकों की भागीदारी होती है। इस क्रिया में नए पौधे बीजों के द्वारा ही उगते हैं।

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प्रश्न 10.
बीजों के प्रकीर्णन की विभिन्न विधियों का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
प्रकृति में फलों एवं बीजों का प्रकीर्णन वायु, जल तथा जन्तुओं द्वारा होता है। चिलबिल तथा द्विफल (मेपिल) जैसे पौधों के पंखयुक्त बीज, घासों के हल्के बीच अथवा महार के रोगयुक्त बीज और सूरजमुखी के रोगयुक्त फल हवा द्वारा उड़-उड़कर दूर तक चले जाते हैं। नारियल आदि फलों के आवरण तंतुमय (रेशेदार) होते हैं ताकि वे जल में तैरते हुए एक स्थान से दूसरे स्थान तक जा सकें। पीपल, बरगद जैसे वृक्षों के बीच पक्षियों द्वारा दूर-दूर तक पहुँचाए जाते हैं। (UPBoardSolutions.com) दरअसल पक्षी इनके फलों को खाते हैं मगर बीज पचा नहीं पाते और बीट के द्वारा बाहर आ जाते हैं। यही बीज उगकरं नए पौधे बन जाते हैं।
कुछ काँटेदार पौधों के बीज हुकनुमा होते हैं जिससे जन्तुओं के शरीर से चिपक जाते हैं और दूर-दूर तक पहुँच जाते हैं। कुछ पौधों जैसे-मटर, अरण्ड आदि के फल झटके से फट जाते हैं जिससे बीज प्रकीर्णित हो अपने पादप से दूर जाकर गिरते हैं।

प्रोजेक्ट कार्य – नोट – विद्यार्थी स्वयं करें।

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