UP Board Solutions for Class 7 Hindi Chapter 27 गरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर (महान व्यक्तित्व)

UP Board Solutions for Class 7 Hindi Chapter 27 गरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर (महान व्यक्तित्व)

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पाठ का सारांश

रवीन्द्रनाथ का जन्म 7 मई, 1861 ई० को कोलकाता में हुआ। इनके पिता देवेन्द्रनाथ टैगोर और माता शारदा देवी थीं। बचपन से ही इन्हें प्रकृति से बहुत प्रेम था। सन् 1868 ई० में इन्हें स्कूल भेजा गया। इनका स्कूल में मन नहीं लगता था। कुश्ती, चित्रकारी, व्यायाम, संगीत और विज्ञान में इनकी विशेष रुचि थी। सत्रह वर्ष की अवस्था में उच्च शिक्षा के लिए ये इंग्लैंड गए। ये लेखन
और चित्रकारिता में निपुण होकर भारत लौटे। सन् 1883 ई० में इनका विवाह मृणालिनी से हुआ। पिता ने इन्हें जमींदारी सँभालने के लिए कहा। रवीन्द्र ने गरीब और अन्धविश्वास से पूर्ण किसानों के लिए स्कूल खोलने का निश्चय किया। पूछे (UPBoardSolutions.com) जाने पर मृणालिनी ने सहमति व्यक्त की। शान्ति निकेतन विद्यालय खुल गया, जहाँ कक्षाएँ खुले वातावरण में पेड़ों के नीचे लगती थीं। शान्ति निकेतन आगे चलकर विश्वभारती विश्वविद्यालय बन गया, जो बाद में देश को समर्पित हुआ। टैगोर ने गाँवों की उन्नति के लिए खेतीबाड़ी
और पशुपालन के उन्नत तरीके अपनाए।
टैगोर की प्रतिभा बहुमुखी थी। इनकी कहानियों, कविताओं, उपन्यासों, नाटकों, गीतों व चित्रों में, इनके चिन्तन और विचारों की अभिव्यक्ति होती है। हमारा राष्ट्रगान ‘जन-गण-मन अधिनायक जय हे’ इन्हीं का लिखा हुआ है। (UPBoardSolutions.com) गांधी जी ने रवीन्द्र को ‘गुरुदेव’ की उपाधि दी। ‘गीतांजलि’ के लिए सन् 1913 ई० में इन्हें साहित्य का नोबेल पुरस्कार मिला। सन् 1914 ई० में इन्हें ‘सर’ की उपाधि मिली, जो इन्होंने जलियाँवाला बाग हत्याकांड के विरोध में वापस लौटा दी। 7 अगस्त, सन् 1941 ई० को इनके समृद्ध और उत्कृष्ट जीवन का अन्त हो गया।

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अभ्यास-प्रश्न

प्रश्न 1:
रवीन्द्र नाथ टैगोर के बचपन की रुचि के विषय में लिखिए।
उत्तर:
बचपन में टैगोर की रुचि कुश्ती, व्यायाम, चित्रकारी, संगीत, विज्ञान, कविता, रचना और प्रकृति प्रेम आदि में थी।

प्रश्न 2:
रवीन्द्र को मन विद्यालय में क्यों (UPBoardSolutions.com) नहीं लगता था?
उत्तर:
रवीन्द्र का मुन स्कूल की चारदीवारी में घुटता था। उन्हें स्वच्छन्द वातावरण पसन्द था।

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प्रश्न 3:
रवीन्द्र ने गरीबों की सहायता हेतु क्या निश्चय किया?
उत्तर:
रवीन्द्र ने गरीबों की सहायता हेतु निश्चय (UPBoardSolutions.com) किया कि ग्रामीणों की समस्याएँ समझी जाएँ और विकास के कार्य किए जाएँ। उन्होंने गरीब और अन्धविश्वासी गरीब लोगों के लिए स्कूल खोलने को निश्चय किया।

प्रश्न 4:
शान्ति निकेतन की स्थापना का मुख्य उद्देश्य क्या था?
उत्तर:
शान्ति निकेतन की स्थापना का मुख्य उद्देश्य शिक्षा को जीवन का अभिन्न अंग बनाना था।

प्रश्न 5:
मातृभाषा के विषय में रवीन्द्रनाथ के क्या विचार थे?
उत्तर:
रवीन्द्र मातृभाषा के प्रबल पक्षधर थे। जिस प्रकार (UPBoardSolutions.com) माँ के दूध से बच्चा स्वस्थ रहता है, वैसे ही मातृभाषा पढ़ने से मन और मस्तिष्क सशक्त बनता है।

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प्रश्न 6:
रवीन्द्रनाथ को नोबेल पुरस्कार किस कृति के लिए मिला?
उत्तर:
रवीन्द्रनाथ को ‘गीतांजलि’ के लिए (UPBoardSolutions.com) नोबेल पुरस्कार मिला।

प्रश्न 7:
महात्मा गांधी ने रवीन्द्रनाथ को किस उपाधि से सम्मानित किया?
उत्तर:
महात्मा गांधी ने रवीन्द्रनाथ को ‘गुरुदेव’ की उपाधि से सम्मानित किया।

प्रश्न 8:
सही विकल्प चुनिए (विकल्प चुनकर )

मृणालिनी ने शान्ति निकेतन की स्थापना का
(क) विरोध किया
(ख) स्वागत किया
(ग) कोई विचार व्यक्त नहीं किया

रवीन्द्र नाथ ने ‘सर’ की उपाधि त्याग दी
(क) क्योंकि यह उनके योग्य न थी।
(ख) जलियाँवाला बाग हत्याकाण्ड के विरोध में।
(ग) पिता की मृत्यु से दुखी होकर। (UPBoardSolutions.com)

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प्रश्न 9:
घटनाओं से सम्बन्धित सही तिथि पर (✓) का चिह्न लगाइए (सही चिह्न लगाकर)

(क) रवीन्द्रनाथ टैगोर का जन्म हुआ
(1) 1860
(2) 1841
(3) 1861
(4) 1864

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(ख) रवीन्द्रनाथ टैगोर को नोबेल पुरस्कार मिला
(1) 1913
(2) 1914 (UPBoardSolutions.com)
(3) 1916
(4) 1929 4

योग्यता विस्तार:
नोट– विद्यार्थी अपने शिक्षक/शिक्षिका की सहायता से स्वयं करें।

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UP Board Solutions for Class 7 Hindi Chapter 22 तात्या टोपे (महान व्यक्तित्व)

UP Board Solutions for Class 7 Hindi Chapter 22 तात्या टोपे (महान व्यक्तित्व)

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पाठ का सारांश

तात्या टोपे का जन्म महाराष्ट्र में नासिक के निकट पटौदा जिले के येवाले नामक गाँव में सन 1814 में हुआ था। इनका वास्तविक नाम रामचन्द्र पाण्डुरंग येवालकर था। इनके पिता बाजीराव पेशवा के गृह प्रबंध विभाग के प्रधान थे। बाजीराव 1818 में अंग्रेजों से युद्ध हार गए। उन्हें पूरा छोड़ना पड़ा। तात्या के पिता भी पेशवा के साथ पूना से कानपुर के पास बिठूर आ गए। यहीं पर बचपन में तात्यी पेशवा के पुत्र नाना साहब, लक्ष्मीबाई (मनु) (UPBoardSolutions.com) आदि के साथ युद्ध के खेल खेला करते थे। तात्या आजीवन अविवाहित रहे। 1851 में पेशवा की मृत्यु के बाद नाना साहब बिठूर के राजा बने। 1857 के पहले स्वतंत्रता संग्राम में कानपुर छावनी में तात्या ने अंग्रेजी सेना पर हमला कर दिया। इस युद्ध में तात्या की विजय हुई और अंग्रेजी सैन्य अधिकारी व्हीलर को आत्म-समर्पण करना पड़ा। तात्या अपने कुशलता और बहादुरी के बल पर स्वाधीनता संघर्ष में सबसे लंबी अवधि 17 जुलाई, 1857 से अपने पकड़े जाने तक अर्थात 7 अप्रैल, 1859 तक अंग्रेजी फौजों से गोरिल्ला (छापामार) युद्ध करते रहे। इस कारण उन्हें विश्व के सर्वश्रेष्ठ गुरिल्ला युद्ध के सेनानायक के रूप में प्रसिधि मिली। तात्या नाना साहब के सेनाध्यक्ष थे। उन्होंने लगातार 8 महीनों तक पीछा करने वाली अंग्रेजी फौजों को छकाए रखा। स्वतंत्रता संघर्ष के वीरों में से एकमात्र बचे अंतिम और सर्वश्रेष्ठ वीर तात्या को अंग्रेजों ने धोखे से गिरफ्तार कर लिया। 14 अप्रैल 1859 को उन्हें फाँसी दे दी गई। उनका नाम सदैव एक राष्ट्रीय वीर पुरुष के रूप में सम्मान पूर्वक लिया जाता रहेगा।

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अभ्यास-प्रश्न

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए

प्रश्न 1:
तात्या टोपे का जन्म कब और कहाँ हुआ था ?
उत्तर:
तात्या टोपे का जन्म महाराष्ट्र में नासिक के (UPBoardSolutions.com) निकट पटौदी जिले के येवाले नामक गाँव में सन् 1814 में हुआ था।

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प्रश्न 2:
‘तात्या टोपे एक योग्य सेनानायक थे। संक्षेप में लिखिए।
उत्तर:
तात्या को पहली बार सेनानायक के रूप में अपनी योग्यता के प्रदर्शन का मौका वर्ष 1857 में मिला जब उन्होंने कानपुर छावनी में अंग्रेजी फौज पर हमला बोला और अंग्रेजी सैन्य अधिकारी व्हीलर को आत्मसमर्पण करना पड़ा। वह अपनी कुशलता और बहादुरी के बल पर पहले स्वतंत्रता संग्राम में सबसे लंबी अवधि अर्थात 17 जुलाई, 1857 से 8 अप्रैल, 1859 तक डटे रहे। उन्हें विश्व के सर्वश्रेष्ठ गोरिल्ला युद्ध के सेनानायक (UPBoardSolutions.com) के रूप में प्रसिधि मिली।

प्रश्न 3:
नाना साहब ने तात्या को अपना सेनाध्यक्ष क्यों बनाया?
उत्तर:
जुलाई, 1857 में अंग्रेजी सेना ने कानपुर में धावा बोल दिया। माना की सेना और अंग्रेजी सेना में भीषण युद्ध हुआ, लेकिन अंततः विजय श्री अंग्रेजों को मिली। इस पराजय के बाद नाना साहब ने अपने पूर्व सेनाध्यक्ष को (UPBoardSolutions.com) हटाकर तात्या को अपना सेनाध्यक्ष बना दिया।

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प्रश्न 4:
झाँसी की रानी की सहायता के लिए उनके करीब पहुँचकर भी तात्या को वहाँ से क्यों हटना पड़ा?
उत्तर:
तात्या 20000 सैनिकों की विशाल फौज के साथ लक्ष्मीबाई की सहायता के लिए झाँसी के निकट पहुँच गए थे लेकिन तभी सूचना पाकर यरोज विशाल अंग्रेजी सेना के साथ वहाँ आ धमका। इस युद्ध में अंग्रेजों के अच्छे तोपखाने के कारण तात्या की सेना को पीछे हटना पड़ा।

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प्रश्न 5:
“तात्या टोपे गोरिल्ला युदधा में विश्व स्तर के सेनानायक थे। (UPBoardSolutions.com) इसके पक्ष में अपने विचार लिखिए।
उत्तर:
भारत के पहले स्वतंत्रता संग्राम में तात्या अपनी कुशलता और बहादुरी के बल पर सबसे लंबी अवधि अर्थात 17 जुलाई, 1857 से अपनी गिरफ्तारी होने तक अर्थात 8 अप्रैल, 1859 तक अंग्रेजों के नाक में दम करते रहे। इस कारण उन्हें विश्व के सर्वश्रेष्ठ गोरिल्ला युद्ध के सेनानायक के रूप में प्रसिद्धि मिली।

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UP Board Solutions for Class 7 Hindi Chapter 26 बाबा गंभीरनाथ (महान व्यक्तित्व)

UP Board Solutions for Class 7 Hindi Chapter 26 बाबा गंभीरनाथ (महान व्यक्तित्व)

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पाठ का सारांश

बाबा गंभीरनाथ का जन्म जम्मू एवं कश्मीर राज्य के एक समृद्ध परिवार में हुआ था। ये बहुत ही सरल स्वभाव के थे। युवावस्था में ही इन्हें सांसारिक जीवन से वैराग्य उत्पन्न हो गया। नाथ संप्रदाय के एक संन्यासी ने इन्हें उत्तर प्रदेश राज्य के गोरखपुर में स्थित गोरखनाथ मंदिर के महंत से दीक्षा लेने की सलाह दी। गंभीरनाथ उस नाथ संन्यासी की सलाह को मानकर गोरखपुर के गोरक्षपीठ के महंत बाबा गोपाल नाथ जी से मिले और उनसे दीक्षा प्राप्त की। (UPBoardSolutions.com) इन्होंने गोरक्षपीठ में रहकर अनेक हिंदू धर्मग्रंथों का गहनता से अध्ययन किया। इन्होंने अनेक तीर्थ स्थलों की यात्रा की। इन्होंने अपने सिधियों का उपयोग केवल मानव कल्याण के लिए किया। बाबा गंभीरनाथ बहुत अच्छा सितार बजाते थे तथा सितार की धुन पर भजनों का सुंदर गायन करते थे। उनका मानना था कि सदा सत्य बोलना चाहिए। छल-प्रपंच से दूर रहना चाहिए। समस्त धर्मों और संतों का आदर करना चाहिए। मानवता का कल्याण करते हुए अंत में बाबा गंभीरनाथ ने 21 मार्च, 1917 को अपना नश्वर शरीर त्याग दिया। गोरखपुर (उत्तर प्रदेश) के गोरक्षनाथ मंदिर के दिव्य, शांतिमय और पवित्र प्रांजण में ही उनकी समाधि स्थापित है, जो शाश्वत, सत्य और शांति का प्रतीक है।

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अभ्यास-प्रश्न

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए

प्रश्न 1:
संपूर्ण भारत के ‘नाथ सम्प्रदाय’ के मठों एवं (UPBoardSolutions.com) मंदिरों की देखरेख कहाँ से की जाती है?
उत्तर:
संपूर्ण भारत के नाथ सम्प्रदाय के मठों एवं मंदिरों की देखरेख गोरखपुर में स्थित गोरखनाथ मंदिर से की जाती है।

प्रश्न 2:
गुरु गंभीरनाथ ने किससे दीक्षा प्राप्त की?
उत्तर:
बाबा गंभीरनाथ ने गोरखपुर के गोरक्षपीठ के महंत बाबा गोपालनाथ जी से दीक्षा प्राप्त की।

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प्रश्न 3:
गुरु गंभीरनाथ ने नाथ सम्प्रदाय के किस सिद्धांत (UPBoardSolutions.com) को पुनर्जीवित किया?
उत्तर:
बाबा गंभीरनाथ ने नाथ संप्रदाय के योग सिद्धांत को पुनर्जीवित किया।

प्रश्न 4:
बाबा गंभीरनाथ कौन सा वाद्ययंत्र बजाकर भजनों का गायन करते थे?
उत्तर:
बाबा गंभीरनाथ सितार बलाकरं भजनों का गायन करते थे।

प्रश्न 5:
बाबा गंभीरनाथ ने अपने अनुयायियों से किन कर्तव्यों का पालन करने के लिए कहा?
उत्तर:
बाबा गंभीरनाथ ने अपने अनुयायियों से कहा कि साधु संतों का आदर-सम्मान सेवा करना आप सभी का कर्तव्य होना चाहिए।

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प्रश्न 6:
बाबा गंभीरनाथ का पवित्र समाधि स्थल (UPBoardSolutions.com) कहाँ स्थित है?
उत्तर:
बाबा गंभीरनाथ का पवित्र समाधि स्थल गोरखपुर (उत्तर प्रदेश) के गोरक्षनाथ मंदिर के पवित्र प्रांगण में स्थित है।

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प्रश्न 7:
‘योगिवर गंभीरनाथ’ पुस्तक की रचना किसने की है?
उत्तर:
उनके परम शिष्य श्री अक्षय कुमार बेद्दोपाध्याय ने (UPBoardSolutions.com) ‘योगिवर गंभीरनाथ’ नामक पुस्तक की रचना की

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UP Board Solutions for Class 7 Hindi Chapter 15 तानसेन (महान व्यक्तित्व)

UP Board Solutions for Class 7 Hindi Chapter 15 तानसेन (महान व्यक्तित्व)

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पाठ का सारांश

तानसेन स्वामी हरिदास के शिष्य थे। इन्होंने दस वर्ष तक बालक तानसेन को संगीत की शिक्षा दी। बचपन में तानसेन का नाम तन्ना मिश्र था। इनके पिता का नाम मकरन्द मिश्र था। रागों-रागिनियों में निपुण होने के बाद तन्ना मिश्र ‘तानसेन’ नाम से प्रसिद्ध हुए। (UPBoardSolutions.com) संगीत के पूर्ण ज्ञान के लिए स्वामी हरिदास ने तन्ना को स्वामी हजरत मुहम्मद गौस के पास भेजा। पर्याप्त संगीत शिक्षण के बाद तानसेन स्वामी हरिदास के पास मथुरा लौट आए। तानसेन ने स्वामी जी से ‘नाद’ विद्या सीखी। रीवाँ नरेश के दरबार में अकबर ने इनका संगीत सुना और उन्होंने तानसेन को अपने नवरत्नों में स्थान दिया।तानसेन के विषय में अनेक किंवदन्तियाँ प्रचलित हैं। अकबर के कहने से तानसेन ने दीपक राग गाया। दरबार के सब दीपक जलने लगे ओर अग्नि की लपटों से दरबार में हाहाकार मच गया। तानसेन की पुत्री सरस्वती ने मल्हार राग गाकर अग्नि शान्त की।
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एक बार अकबर ने आगरा के पास संगीत प्रतियोगिता का आयोजन किया। एक साधुवेशधारी गायक ने तानसेन का मुकाबला किया। तानसेन की स्वरलहरी से हिरण दौड़े आए। तानसेन ने एक मृग के गले में माला डाल दी। गाना बन्द होने पर हिरण भाग गए। (UPBoardSolutions.com) साधुवेशधारी गायक ने ‘मृगरंजनी’ राग गाकर माल पड़े हिरण को बुला दिया। साधुवेशधारी गायक ने फिर राग आलापना शुरू किया, जिससे पत्थर पिघलने लगा। यह अनहोनी देखकर तानसेन नतमस्तक हो गए और अपने गुरुभाई बैजनाथ (बैजू बावरा) को. पहचानकर गले लगाया।
तानसेन संगीत दुनिया के सम्राट माने जाते हैं। इन्होंने दरबारी, तोड़ी, मियाँ की मल्हार, मियाँ की सारंग आदि राग-रागिनियों की रचना की। सन् 1589 ई० में इस महान गायक का निधन हो गया। ग्वालियर में इनकी समाधि बनी है।

अभ्यास-प्रश्न

प्रश्न 1:
तानसेन का वास्तविक नाम क्या था?
उत्तर:
तानसेन का वास्तविक (UPBoardSolutions.com) नाम तन्ना मिश्र था।

प्रश्न 2:
तानसेन ने संगीत किन-किन लोगों से सीखा?
उत्तर:
तानसेन ने संगीत स्वामी हरिदास और स्वामी हजरत मुहम्मद गौस से सीखा।

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प्रश्न 3:
अकबर का तानसेन से परिचय कैसे हुआ?
उत्तर:
अकबर ने रीवाँ नरेश के दरबार में तानसेन (UPBoardSolutions.com) का गाना सुना, वहीं दोनों परिचय हुआ।

प्रश्न 4:
तानसेन की सफलता का मूल आधार क्या है?
उत्तर:
तानसेन की सफलता का मूल आधार उनकी कार्य के प्रति निष्ठा तथा निरन्तर कठिन अभ्यास ।’ की आदत थी।

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प्रश्न 5:
सही विकल्प छाँटकर लिखिए (सही विल्कप छाँटकर)
(क) तानसेन को सर्वप्रथम संगीत की शिक्षा (UPBoardSolutions.com)

  • स्वामी नरहरिदास ने दी थी।
  •  स्वामी हरिदास ने दी थी।
  •  हजरत मुहम्मद गौस ने दी थी।
  • रीवाँ नरेश ने दी थी।

(ख) संगीत से प्रभावित होकर अकबर ने तानसेन को

  •  पुरस्कार दिया ।
  •  संगीत शिक्षक बना दिया।
  •  मंत्री बना दिया।
  •  नवरत्नों में स्थान दिया।

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प्रश्न 6:
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए (पूर्ति करके)
• संगीत की विभिन्न (UPBoardSolutions.com) रागों-रागिनियों में पारंगत होने के बाद तन्ना मिश्र तानसेन नाम से विख्यात हुए।
• तानसेन की सफलता का मूल आधार उनकी कार्य के प्रति निष्ठा तथा निरन्तर कठिन अभ्यास की आदत थी।
• कठोर परिश्रम एवं लगन से व्यक्ति निश्चय ही उन्नति के शिखरों पर चढ़ सकता है।

योग्यता विस्तार:
नोट: छात्र अपने शिक्षक/शिक्षिका की सहायता से स्वयं करें।

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UP Board Solutions for Class 7 Hindi Chapter 8 महावीर स्वामी (महान व्यक्तित्व)

UP Board Solutions for Class 7 Hindi Chapter 8 महावीर स्वामी (महान व्यक्तित्व)

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पाठ का सारांश

महावीर स्वामी के बचपन का नाम वर्द्धमान था। इनका जन्म 599 ईसा पूर्व में वैशाली (उत्तरी बिहार) के अन्तर्गत कुन्डग्राम में एक क्षत्रिय परिवार में हुआ था। इनके पिता का नाम सिद्धार्थ तथा माता का नाम त्रिशला देवी था। (UPBoardSolutions.com) वर्द्धमान बाल्यकाल से ही बुद्धिमान, सदाचारी और विचारशील थे। नाना प्रकार के सांसारिक सुख-साधून होते हुए भी इनकी आत्मा में बेचैनी थी। इसी बीच वर्द्धमान के पिता का देहान्त हो गया। इससे वर्द्धमान को अत्यन्त दुख हुआ। सांसारिक मोह, माया को त्याग कर वर्द्धमान ने अपने बड़े भाई नन्दिवर्द्धन की आज्ञा लेकर संन्यास ले लिया। ये सत्य और शान्ति की खोज में निकल पड़े। इसके लिए इन्होंने तपस्या का मार्ग अपनाया। इनका विचार था कि कठोर तपस्या से ही मन में छिपे काम, क्रोध, लोभ, मद तथा मोह को समाप्त किया जा सकता है। बारह वर्षों की कठिन तपस्या के पश्चात् इन्हें ज्ञान प्राप्त हुआ। कठोर तपस्या के कष्टों को सफलतापूर्वक झेलने तथा इन्द्रियों को वश में कर लेने के कारण वे ‘महावीर’ कहलाने लगे।
जैनियों की मान्यता के अनुसार जैन धर्म में महावीर से पूर्व तेईस अन्य तीर्थंकर हुए हैं। महावीर इस । धर्म के अन्तिम तीर्थंकर थे। ज्ञान प्राप्ति के पश्चात् महावीर स्वामी तीस वर्ष तक अपने धर्म का प्रचार बहुत उत्साह से करते रहे।
महावीर स्वामी के उपदेशों का जन साधारण पर गहरा प्रभाव पड़ा। (UPBoardSolutions.com) इन्होंने एक ऐसा मार्ग दिखाया जिस पर चलकर लोग मोक्ष की प्राप्ति कर सकते हैं। महावीर के अनुसार तीन अत्यन्त महत्त्वपूर्ण बातें मनुष्य को मोक्ष-मार्ग पर ले जाती हैं। इसी को जैन धर्म में ‘त्रिरत्न’ कहा गया है। ये हैं- सम्यक् दर्शन (सही बात पर विश्वास), सम्यक् ज्ञान (सही बात का ज्ञान) तथा सम्यक् चरित्र (उचित कर्म)। महावीर स्वामी कर्मकाण्ड, यज्ञ और अनुष्ठान पर विश्वास नहीं करते थे। शुद्ध आचरण के लिए इन्होंने ‘पंच महाव्रतों सत्य, अहिंसा, अस्तेय, ब्रह्मचर्य और अपरिग्रह का विधान समाज के सम्मुख प्रस्तुत किया।
बहत्तर वर्ष की अवस्था में महावीर स्वामी पाटलिपुत्र (पटना) के निकट पावापुरी नामक स्थान पर बीमार पड़े और यहीं इन्हें निर्वाण प्राप्त हुआ।

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अभ्यास-प्रश्न

प्रश्न 1:
महावीर स्वामी का जन्म कब हुआ? इनके माता-पिता कौन थे?
उत्तर:
महावीर स्वामी का जन्म 599 ईसा पूर्व वैशाली (UPBoardSolutions.com) (उत्तरी बिहार) के अन्तर्गत कुन्डग्राम में एक क्षत्रिय परिवार में हुआ था। इनके पिता का नाम सिद्धार्थ तथा माता का नाम त्रिशला देवी था।

प्रश्न 2:
महावीर स्वामी के बाल जीवन के क्या अनुभव थे?
उत्तर:
कठोर तपस्या से ही मन में छिपे काम, क्रोध, लोभ, मद तथा मोह को समाप्त किया जा सकता है। यही महावीर स्वामी के बाल जीवन का अनुभव था।

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प्रश्न 3:
इन्हें महावीर क्यों कहा जाने लगा?
उत्तर:
कठोर तपस्या के कष्टों को सफलतापूर्वक झेलने तथा (UPBoardSolutions.com) इन्द्रियों को अपने वश में कर लेने के कारण इन्हें ‘महावीर’ कहा जाने लगी।

प्रश्न 4:
वर्धमान की वेदना के कौन-कौन से मुख्य कारण थे?
उत्तर:
समाज में प्रचलित आडम्बर, ऊँच-नीचे की भावना, चरित्र-पतन तथा जीव हत्या वर्धमान क्री वेदना के मुख्य कारण थे। ”

प्रश्न 5:
जैन धर्म की मुख्य बातों का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
उत्तर:
जैन धर्म की मुख्य बातें मनुष्य को मोक्ष-मार्ग पर ले जाती हैं। (UPBoardSolutions.com) इन्हें ही जैन धर्म में ‘त्रिरत्न’ कहा गया है। ये हैं- सम्यक् दर्शन (सही बात पर विश्वास), सम्यक् ज्ञान (सही बात का ज्ञान) तथा सम्यक् चरित्र (उचित कर्म)।।

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प्रश्न 6:
सही कथन के सामने सही (✓) तथा गलत कथन के सामने गलत (✘) का निशान लगाएँ
(क) महावीर स्वामी जैन धर्म के प्रचारक थे। (✓)
(ख) दुख जीतने का मार्ग दिखाने वाले को तीर्थंकर कहते हैं। (✓)
(ग) सम्यक खेती, सम्यक ज्ञान, (UPBoardSolutions.com) सम्यक चरित्र जैन धर्म के त्रिरत्न हैं। (✓)
(घ) महावीर स्वामी के बचपन का नाम सिद्धार्थ था। (✘)

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