UP Board Solutions for Class 7 Hindi Chapter 17 हैदर अली (महान व्यक्तित्व)

UP Board Solutions for Class 7 Hindi Chapter 17 हैदर अली (महान व्यक्तित्व)

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पाठ का सारांश

हैदर अली अपने परिश्रम, दूरदर्शिता, कुशाग्र बुद्धि, असाधारण प्रतिभा तथा योग्यता के बल पर एक सिपाही के पद से मैसूर राज्य के शासक बने। इनका जन्म सन् 1721 में मैसूर राज्य के सामान्य परिवार में हुआ था। बचपन में ही इनके पिता (UPBoardSolutions.com) जी मृत्यु हो गई थी। इन्होंने मैसूर की सेना में नौकरी कर ली और फिर अपनी कुशाग्र बुद्धि से मैसूर के शासक बन बैठे। मराठे, निजाम तथा अँग्रेज सभी इनकी वीरता का लोहा मानते थे। इन्होंने अँगेजी सेना तक को सन्धि के लिए मजबूर कर दिया था। हैदरअली एक धर्म-निरपेक्ष शासक थे और हिन्दुओं के त्योहारों में स्वयं उपस्थित होते। इनके सिक्कों पर भी एक ओर त्रिशूल लिए शिव और पार्वती की आकृतियाँ बनी हुई थीं।

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अभ्यास-प्रश्न

प्रश्न 1:
हैदर अली मैसूर के शासक किस प्रकार बने?
उत्तर:
मैसूर के राजा के स्वर्गवासी हो जाने पर (UPBoardSolutions.com) वह स्वयं मैसूर के शासक बन गए।

प्रश्न 2:
अँग्रेजों के विरुद्ध युद्ध करने में हैदर अली को सफलता क्यों नहीं मिली?
उत्तर:
अँग्रेजों के विरुद्ध युद्ध करने में हैदर अली को सफलता नहीं मिली; क्योंकि वह अकेला ही अँग्रेजों से जूझते रहे।

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प्रश्न 3:
किस आधार पर हम कह सकते हैं कि हैदर अली धर्म निरपेक्ष शासक थे ?
उत्तर:
हैदर अली हिंदुओं और मुसलमानों में किसी (UPBoardSolutions.com) प्रकार का भेद-भाव नहीं करते थे। उनके सिक्के पर एक ओर त्रिशूल लिए शिव और पर्वती की आकृतियाँ बनी थीं। महानवमी का त्योहार वे विशेष उत्साह वे मनाते थे। दशहरे के दिन हाथी, ऊँट तथा घोड़ों के साथ शानदार जुलूस निकलता था। हैदर अली हाथी पर बैठकर जुलूस के साथ चलते थे। भगवान राम की सवारी के पास पहुँचकर वे उनका दर्शन करते और आशीर्वाद लेते थे। इस आधार पर हम कह सकते है कि हैदर अली धर्म निरपेक्ष शासक थे।

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प्रश्न 4:
हैदरअली को किन विशेषताओं के कारण जाना जाता है ?
उत्तर:
हैदर अली एक कुशल प्रशासक थे। अपनी प्रजा को समान दृष्टि से देखते थे। वे न्याय प्रिये एवं अनुशासन प्रिय थे। वे स्वयं भी अनुशासन में रहते थे। वे किसानों के हितों का ध्यान रखते थे। दीन-दुखियों की सहायता के लिए सदैव तैयार (UPBoardSolutions.com) रहते थे। हैदर अली के शासनकाल में मैसूर की प्रजा सुखी और संपन्न थी। इन्हीं विशेषताओं के कारण हैदर अली को जाना जाता है।

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UP Board Solutions for Class 7 Hindi Chapter 11 मीराबाई (महान व्यक्तित्व)

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पाठ का सारांश

मीराबाई मेवाड़ के रतनसिंह राठौर की एकमात्र कन्या थी। इसका जन्म . सन् 1498 ई० में राजस्थान में हुआ। बचपन में ही इनकी माता की मृत्यु हो जाने से इनका लालन-पालन दादा रावदूदा ने किया। रावदूदा वैष्णव भक्त थे। मीरा.पर दादा के विचारों और क्रियाओं का प्रभाव होने के कारण ये बचपन से ही श्री कृष्ण की अनन्य भक्त बन गईं। मीरा का विवाह राणा के ज्येष्ठ पुत्र महाराज कुँवर भोजराज से हुआ। सुखी जीवन बिताते हुए ये पति सेवा और उपासना में लगी रहती थीं। दस वर्ष बाद पति की मृत्यु हो जाने पर मीरा श्री कृष्ण की आराधना में लीन हो गईं। इनकी भक्ति की चर्चा सुनकर (UPBoardSolutions.com) सन्त लोग दर्शन करने आने लगे। भाव-विभोर होकर मीरा संतों के साथ नाचने लगतीं। मीरा की सास, ननद-ऊदा और राणा विक्रम सिंह को मीरा का रहन-सहन बुरा लगता था। उन सबने मीरा को बहुत कष्ट दिया। इससे मीरा का कृष्ण के प्रति लगाव और बढ़ता गया। राणा ने मीरा को मारने के लिए जहर दिया; परन्तु उस पर कुछ प्रभाव नहीं पड़ा।

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मीराबाई निर्भीक महिला थीं। इन्होंने रूढ़िवादी परम्पराओं को तोड़ा। ये पहले वृन्दावन और बाद में द्वारका चली गईं और शेष जीवन भक्तों की तरह बिताने लगीं। द्वारका में ये प्रतिदिन श्री । द्वारकाधीश मन्दिर जाती थीं। द्वारका में रहते हुए ही इनका निधन हुआ। मीराबाई में अपूर्व काव्य क्षमता थी। इन्होंने ब्रजभाषा, राजस्थानी, गुजराती भाषा में अपने भावों को सरल शब्दों में व्यक्त किया है। मीरा के पदों ने जन-जन को प्रभावित किया। (UPBoardSolutions.com) इनका सम्बन्ध किसी सम्प्रदाय विशेष से नहीं था। इन्होंने निजी साधना को मान्यता दी। इनकी उपासना माधुर्य भाव की थी और ये श्री कृष्ण को पति रूप में पूजती थीं। मीराबाई ने उच्चकोटि की भक्ति साधना से अपना, समाज, साहित्य और ३ क कल्याण किया। ये भारतीय नारी समाज का गौरव थीं। इनके पद हिन्दी साहित्य की अमूल्य निधि हैं।

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अभ्यास-प्रश्न

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए

प्रश्न 1:
बचपन में मीराबाई पर उनके दादा जी का क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर:
बचपन में मीराबाई पर उनके दादा रावदूदा जी की भक्ति (UPBoardSolutions.com) भावना का बहुत प्रभाव पड़ा। मीरा श्रीकृष्ण की अनन्य भक्त बन गईं।

प्रश्न 2:
मीराबाई की ससुराल वाले मीरा से क्यों अप्रसन्न थे?
उत्तर:
मीराबाई के ससुराल वाले रूढ़िवादी थे। उन्हें मीरा की भक्ति भावना और उनका रहन-सहन पसन्द नहीं था।

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प्रश्न 3:
मीराबाई के पदों ने जन सामान्य को अधिक प्रभावित क्यों किया?
उत्तर:
भोराबाई ने अपनी भक्ति भावना को (UPBoardSolutions.com) सीधे-सरल शब्दों में व्यक्त किया। उनके हृदय की बात उनके पदों में फूट पड़ी, जिसका जन-जन पर प्रभाव पड़ा।

प्रश्न 4:
सही कथन के सामने (✓) का निशान तथा गलत कथन के सामने (✘) का निशान लगाइए ( निशान लगाकर )
(अ) पति की मृत्यु के बाद मीराबाई का मन कृष्ण भक्ति में नहीं लगता था। (✘)
(ब) मीराबाई के ऊपर अपने दादा जी के संस्कारों (UPBoardSolutions.com) का बहुत प्रभाव पड़ा। (✓)
(स) राणा विक्रम सिंह ने मीरा को तरह-तरह के कष्ट दिये। (✓)
(द) मीराबाई को देहावसान जटापुर में ही हुआ। (✘)
(य) मीराबाई की रचनाओं में ब्रजभाषा, राजस्थानी, गुजराती भाषाओं के शब्द मिलते हैं। (✓)

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प्रश्न 5:
निम्नलिखित पदों को पूरी कीजिए (पदों को पूरा करके)

(क) विष का प्यालो राणा जी भज्यो पीवत मीरा हाँसी रे,
मैं तो अपने नारायण की आप ही हो गई दासी रे।।

(ख) मेरे तो गिरधर गोपाल, दूसरो न कोई। जाके (UPBoardSolutions.com) सिर मोर मुकुट, मेरो पति सोई॥

प्रश्न 6:
सही मिलान कीजिए
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प्रश्न 7:
नोट- विद्यार्थी स्वयं करें। (UPBoardSolutions.com)

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UP Board Solutions for Class 7 Hindi Chapter 10 आचार्य दीपंकर श्रीज्ञान (महान व्यक्तित्व)

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पाठ का सारांश

आचार्य दीपंकर श्रीज्ञान ने विश्व भर में ज्ञान का प्रकाश फैलाया, इनका जन्म सन् 982 ई० में सहोर (बंगाल) में हुआ था। ये विक्रमपुर के राजा कल्याण के दूसरे पुत्र थे। इन्हें बचपन में चन्द्रगर्भ कहते थे। इन्होंने आगे चलकर विवाह तथा सिंहासन स्वीकार नहीं किया। उनतीस वर्ष की (UPBoardSolutions.com) अवस्था तक ज्ञान की सभी शाखाओं का अध्ययन कर इन्होंने ‘महापंडित’ की उपाधि प्राप्त की। वज्रासन महाविहार (बुद्ध गया) में उन्हें दीपंकर श्रीज्ञान के नाम से विभूषित किया गया।
इन्होंने भारत के अनेक विश्वविद्यालयों में अध्यापन किया। ये तीन वर्ष के लिए तिब्बत गए थे, परन्तु सीमा पर लड़ाई छिड़ने के कारण भारत वापस न लौट सके। वर्षों तक बौद्ध मत का प्रचार-प्रसार करने तथा अनेक ग्रन्थों की रचना करने के पश्चात् तिहत्तर वर्ष की अवस्था में वहीं इनका निधन हो गया। ये शान्ति, सद्भाव और आपसी सहयोग के प्रतीक थे।

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अभ्यास-प्रश्न

प्रश्न 1:
राजकुमार चन्द्रगर्भ ने राजसिंहासन को क्यों नहीं स्वीकार किया?
उत्तर:
राजकुमार चन्द्रगर्भ को सांसारिक वैभव के प्रति कोई (UPBoardSolutions.com) लगाव नहीं था, इसी कारण उन्होंने राजसिंहासन को स्वीकार नहीं किया।

प्रश्न 2:
तिब्बत प्रवास के समय दीपंकर श्रीज्ञान ने कौन-कौन से कार्य किए थे?
उत्तर:
तिब्बत प्रवास के समय दीपंकर श्रीज्ञान ने महात्मा बुद्ध के उपदेशों को वहाँ की जनता तक पहुँचाया। इन्होंने बुद्ध मत से सम्बन्धित अनेक ग्रन्थों की रचना एवं अनेक अनुवाद किए। बौद्ध विहारों एवं भिक्षुशालाओं का निरीक्षण करके सुधार (UPBoardSolutions.com) हेतु इन्होंने अपने सुझाव दिए। बौद्ध मत के पुनर्गठन में इनका बहुत योगदान रहा।

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प्रश्न 3:
‘बोधिपथ प्रदीप’ में तीनों कोटि के पुरुषों के क्या लक्षण बताये गए हैं ?
उत्तर:
‘बोधिपथ प्रदीप’ में आचार्य दीपंकर श्रीज्ञान ने पुरुषों को तीन प्रकार का बताया है-अधम, मध्यम और उत्तम। इनके लक्षणों को स्पष्ट करते हुए उन्होंने लिखा है कि जो लोग दूसरों को धोखा देकर, कष्ट पहुँचाकर, भ्रष्ट तरीकों से सांसारिक सुख पाना चाहते हैं, (UPBoardSolutions.com) वे अधम पुरुष हैं। संसार के दुखों से विमुख रहकर या कर्म से दूर रहकर केवल अपने निर्वाण की कामना करने वाले पुरुष मध्यम कोटि में आते हैं। कितु जो लोग अपने बच्चों के दुखों की तरह ही संसार के अन्य लोगों के दुखों का सर्वथा नाश करना= चाहते हैं, वे उत्तम पुरुष हैं।

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प्रश्न 4:
सही मिलान कीजिएउत्तर (UPBoardSolutions.com)
उत्तर:

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UP Board Solutions for Class 7 Hindi Chapter 16 गुरु तेग बहादुर (महान व्यक्तित्व)

UP Board Solutions for Class 7 Hindi Chapter 16 गुरु तेग बहादुर (महान व्यक्तित्व)

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पाठ का सारांश

गुरु तेग बहादुर का जन्म 18 अप्रैल, 1621 को पंजाब के अमृतसर में हुआ था। ये गुरु हरगोबिंद जी के पाँचवें पुत्र थे। सिक्खों के आठवें गुरु हरिकृष्ण जी के निधन के बाद सिक्खों के नवें गुरु बने। इनके बचपन का नाम ‘त्यागमल’ था। मुगलों के साथ हुए युद्ध में इनकी वीरता देखकर इनके पिता ने इनका नाम तेग बहादुर (तलवार का धनी) रख दिया। मुगलों के साथ युद्ध में हुए भीषण रक्तपात का इनके मन पर गहरा प्रभाव पड़ा और इन्होंने वैराग्य धारण कर लिया। (UPBoardSolutions.com) इन्होंने 20 वर्षों तक एकांत में साधना की। इन्होंने आनंदपुर साहिब का निर्माण कराया और वहीं रहने लगे। धर्म के प्रचार-प्रसार के लिए इन्होंने कई स्थानों का भ्रमण किया। इन्होंने परोपकार के लिए कई कुँओं एवं धर्मशालाओं का निर्माण कराया। गुरु तेग बहादुर ने लोगों का बलपूर्वक धर्म परिवर्तन कराने का विरोध किया जिससे नाराज होकर औरंगजेब ने दिल्ली के चाँदनी चौक पर गुरु तेग बहादुर का शीश काटने का हुक्म दिया। गुरु तेग बहादुर ने हँसते-हँसते अपने प्राणों का बलिदान दे दिया। गुरु तेग बहादुर की याद में उनके शहीदी स्थल पर गुरुद्वारा बना है, जिसका नाम गुरुद्वारा शीशगंज साहिब है। यह दिल्ली के चाँदनी चौक में है। मानवता के हित में उनका यह त्यागमय बलिदान अतुलनीय व अविस्मरणीय है।

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अभ्यास-प्रश्न

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिएप्रश्न

प्रश्न 1:
गुरु तेग बहादुर का जन्म कब (UPBoardSolutions.com) और कहाँ हुआ ?
उत्तर:
गुरु तेग बहादुर का जन्म 18 अप्रैल, 1621 को पंजाब प्रांत के अमृतसर में हुआ था।

प्रश्न 2:
सिक्खों के नवें गुरु कौन थे ?
उत्तर:
सिक्खों के नवें गुरु- गुरु तेग बहादुर थे।

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प्रश्न 3:
“मानवता के हित में गुरु तेग बहादुर (UPBoardSolutions.com) का बलिदान अतुलनीय व अविस्मरणीय है।” इस पर अपने विचार लिखिए।
उत्तर:
विश्व के इतिहास में धर्म एवं मानवीय मूल्यों, आदर्शों एवं सिद्धांतों की रक्षा के लिए प्राणों की आहुति देने वालों में गुरु तेग बहादुर जी का स्थान अद्वितीय है। गुरु तेग बहादुर जी का बलिदान न केवल धर्म पालन के लिए अपितु समस्त मानवीय सांस्कृतिक विरासत की रक्षा के लिए था। इनके बलिदान से हमें प्रेरणा लेनी चाहिए।

प्रश्न 4:
गुरु तेग बहादुर को इनके बलिदान के कारण क्या कहा जाता है ?
उत्तर:
गुरु तेग बहादुर को इनके बलिदान (UPBoardSolutions.com) के लिए इनको ‘हिंद की चादर’ या ‘भारत की ढाल’ कहा जाता है।

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प्रश्न 5:
गुरु तेग बहादुर के व्यक्तित्व की विशेषताओं को अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर:
गुरु तेग बहादुर के व्यक्तित्व की अनेक विशेषताएँ हैं। गुरु तेग बहादुर अपने जीवन के आरंभ में एक वीर योद्धा थे। मुगलों के साथ हुए युद्ध के बाद इन्हें हिंसा से नफरत हो गई और इन्होंने वैराग्य धारण कर लिया। बाद में (UPBoardSolutions.com) मानव कल्याण में लग गए तथा कुँओं एवं धर्मशालाओं का निर्माण कराया। अपने सिक्ख धर्म के प्रचार के लिए देश के कई स्थानों का भ्रमण किया तथा अंत में धर्म की रक्षा के लिए अपने प्राणों का बलिदान कर दिया। अंत में हम यही कह सकते हैं कि ये एक उच्च कोटि के संत तथा महापुरुष थे। इन्हें सदैव ही याद किया जाएगा।

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UP Board Solutions for Class 7 Hindi Chapter 9 चन्द्रगुप्त मौर्य (महान व्यक्तित्व)

UP Board Solutions for Class 7 Hindi Chapter 9 चन्द्रगुप्त मौर्य (महान व्यक्तित्व)

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पाठ का सारांश

चन्द्रगुप्त मौर्य ने अपने बाहुबल और अदम्य साहस से भारत में राजनैतिक एकता स्थापित की। सिकन्दर ने सिन्ध, पंजाब, तथा सीमा प्रदेश को जीता ओर यूनानी अधिकारियों को यहाँ का शासन सौंपकर लौट गया। अत्याचारी शासन से दुखी प्रजा को महत्त्वाकांक्षी चन्द्रगुप्त का नेतृत्व मिल गया। (UPBoardSolutions.com) चन्द्रगुप्त ने सेना संगठित की और यूनानियों को भारत-भूमि से बाहर निकाल दिया। इसने मगध साम्राज्य को जीता और यह राजधानी पाटलिपुत्र के सिंहासन पर बैठ गया।
उत्तर भारत के बाद सम्पूर्ण भारत को एक सूत्र में बाँधने के लिए बंगाल, मालवा आदि राज्य इसने जीत लिया। सिकन्दर के सेनापति सेल्यूकस को भी इसने अपने अन्तिम युद्ध में हराया, तब सेल्यूकस ने अपनी पुत्री का विवाह इससे कर दिया। अपने विशाल साम्राज्य की व्यवस्था को इसने तीन भागों में बाँट दिया था।- (1) केन्द्रीय शासन, (2) प्रान्तीय शासन, (3) स्थानीय शासन। सेना, पुलिस तथा गुप्तचर व्यवस्था उत्तम कोटि की थी। (UPBoardSolutions.com) वह प्रजा की उन्नति और सुख-सुविधा के लिए सदैव तत्पर रहता था। इसने अनेक धर्मशालाएँ, पाठशालाएँ, अस्पताल, नहरें और सड़कें बनवाई। चौबीस वर्षों तक राज्य करने के बाद अपने पुत्र बिन्दुसार को शासन का भार सौंपकर यह साधु का जीवन बिताने लगा। 298 ई० पूर्व में चन्द्रगिरि पर्वत पर चन्द्रगुप्त का निधन हो गया।

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अभ्यास-प्रश्न

प्रश्न 1:
चन्द्रगुप्त मौर्य कौन था?
उत्तर:
चन्द्रगुप्त मौर्य एक साहसी (UPBoardSolutions.com) और महत्त्वाकांक्षी सम्राट था।

प्रश्न 2:
मगध की राजधानी का क्या नाम था?
उत्तर:
मगध की राजधानी का नाम पाटलिपुत्र था।

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प्रश्न 3:
चन्द्रगुप्त मौर्य ने प्रजा हित के लिए क्या-क्या कार्य किए?
उत्तर:
चन्द्रगुप्त मौर्य अपनी प्रजा की उन्नति के प्रति सदैव प्रयत्नशीन रहता था। उसने यातायात के । (UPBoardSolutions.com) साधनों की समुचित व्यवस्था की। सड़कों के किनारे छायादार वृक्ष लगवाए, कुएँ तथा धर्मशालाएँ बनवाई। सिंचाई हेतु अनेक तालाब और कुएँ खुदवाए।

प्रश्न 4:
चन्द्रगुप्त मौर्य जीवन के अन्तिम क्षणों में कहाँ और क्यों गए?
उत्तर:
चन्द्रगुप्त मौर्य जीवन के अन्तिम क्षणों में जैन मुनि (UPBoardSolutions.com) भद्रबाहु के साथ चन्द्रगिरि पर्वत पर साधक के रूप में जीवन व्यतीत करने हेतु गए।

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प्रश्न 5:
चन्द्रगुप्त मौर्य की शासन प्रणाली क्यों आदर्श बन गई ?
उत्तर:
चन्द्रगुप्त मौर्य के शासन काल में भारत का बहुमुखी विकास हुआ। (UPBoardSolutions.com) कृषि, व्यापार एवं ललित कला आदि के विकास हेतु शासन द्वारा अनेक सुविधाएँ दी जाती थीं। उस समय प्रजा की नैतिकता उच्चकोटि की थी। इस प्रकार चन्द्रगुप्त मौर्य की शासन प्रणाली आदर्श थी।

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