UP Board Solutions for Class 7 Hindi Chapter 8 महावीर स्वामी (महान व्यक्तित्व)

UP Board Solutions for Class 7 Hindi Chapter 8 महावीर स्वामी (महान व्यक्तित्व)

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पाठ का सारांश

महावीर स्वामी के बचपन का नाम वर्द्धमान था। इनका जन्म 599 ईसा पूर्व में वैशाली (उत्तरी बिहार) के अन्तर्गत कुन्डग्राम में एक क्षत्रिय परिवार में हुआ था। इनके पिता का नाम सिद्धार्थ तथा माता का नाम त्रिशला देवी था। (UPBoardSolutions.com) वर्द्धमान बाल्यकाल से ही बुद्धिमान, सदाचारी और विचारशील थे। नाना प्रकार के सांसारिक सुख-साधून होते हुए भी इनकी आत्मा में बेचैनी थी। इसी बीच वर्द्धमान के पिता का देहान्त हो गया। इससे वर्द्धमान को अत्यन्त दुख हुआ। सांसारिक मोह, माया को त्याग कर वर्द्धमान ने अपने बड़े भाई नन्दिवर्द्धन की आज्ञा लेकर संन्यास ले लिया। ये सत्य और शान्ति की खोज में निकल पड़े। इसके लिए इन्होंने तपस्या का मार्ग अपनाया। इनका विचार था कि कठोर तपस्या से ही मन में छिपे काम, क्रोध, लोभ, मद तथा मोह को समाप्त किया जा सकता है। बारह वर्षों की कठिन तपस्या के पश्चात् इन्हें ज्ञान प्राप्त हुआ। कठोर तपस्या के कष्टों को सफलतापूर्वक झेलने तथा इन्द्रियों को वश में कर लेने के कारण वे ‘महावीर’ कहलाने लगे।
जैनियों की मान्यता के अनुसार जैन धर्म में महावीर से पूर्व तेईस अन्य तीर्थंकर हुए हैं। महावीर इस । धर्म के अन्तिम तीर्थंकर थे। ज्ञान प्राप्ति के पश्चात् महावीर स्वामी तीस वर्ष तक अपने धर्म का प्रचार बहुत उत्साह से करते रहे।
महावीर स्वामी के उपदेशों का जन साधारण पर गहरा प्रभाव पड़ा। (UPBoardSolutions.com) इन्होंने एक ऐसा मार्ग दिखाया जिस पर चलकर लोग मोक्ष की प्राप्ति कर सकते हैं। महावीर के अनुसार तीन अत्यन्त महत्त्वपूर्ण बातें मनुष्य को मोक्ष-मार्ग पर ले जाती हैं। इसी को जैन धर्म में ‘त्रिरत्न’ कहा गया है। ये हैं- सम्यक् दर्शन (सही बात पर विश्वास), सम्यक् ज्ञान (सही बात का ज्ञान) तथा सम्यक् चरित्र (उचित कर्म)। महावीर स्वामी कर्मकाण्ड, यज्ञ और अनुष्ठान पर विश्वास नहीं करते थे। शुद्ध आचरण के लिए इन्होंने ‘पंच महाव्रतों सत्य, अहिंसा, अस्तेय, ब्रह्मचर्य और अपरिग्रह का विधान समाज के सम्मुख प्रस्तुत किया।
बहत्तर वर्ष की अवस्था में महावीर स्वामी पाटलिपुत्र (पटना) के निकट पावापुरी नामक स्थान पर बीमार पड़े और यहीं इन्हें निर्वाण प्राप्त हुआ।

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अभ्यास-प्रश्न

प्रश्न 1:
महावीर स्वामी का जन्म कब हुआ? इनके माता-पिता कौन थे?
उत्तर:
महावीर स्वामी का जन्म 599 ईसा पूर्व वैशाली (UPBoardSolutions.com) (उत्तरी बिहार) के अन्तर्गत कुन्डग्राम में एक क्षत्रिय परिवार में हुआ था। इनके पिता का नाम सिद्धार्थ तथा माता का नाम त्रिशला देवी था।

प्रश्न 2:
महावीर स्वामी के बाल जीवन के क्या अनुभव थे?
उत्तर:
कठोर तपस्या से ही मन में छिपे काम, क्रोध, लोभ, मद तथा मोह को समाप्त किया जा सकता है। यही महावीर स्वामी के बाल जीवन का अनुभव था।

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प्रश्न 3:
इन्हें महावीर क्यों कहा जाने लगा?
उत्तर:
कठोर तपस्या के कष्टों को सफलतापूर्वक झेलने तथा (UPBoardSolutions.com) इन्द्रियों को अपने वश में कर लेने के कारण इन्हें ‘महावीर’ कहा जाने लगी।

प्रश्न 4:
वर्धमान की वेदना के कौन-कौन से मुख्य कारण थे?
उत्तर:
समाज में प्रचलित आडम्बर, ऊँच-नीचे की भावना, चरित्र-पतन तथा जीव हत्या वर्धमान क्री वेदना के मुख्य कारण थे। ”

प्रश्न 5:
जैन धर्म की मुख्य बातों का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
उत्तर:
जैन धर्म की मुख्य बातें मनुष्य को मोक्ष-मार्ग पर ले जाती हैं। (UPBoardSolutions.com) इन्हें ही जैन धर्म में ‘त्रिरत्न’ कहा गया है। ये हैं- सम्यक् दर्शन (सही बात पर विश्वास), सम्यक् ज्ञान (सही बात का ज्ञान) तथा सम्यक् चरित्र (उचित कर्म)।।

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प्रश्न 6:
सही कथन के सामने सही (✓) तथा गलत कथन के सामने गलत (✘) का निशान लगाएँ
(क) महावीर स्वामी जैन धर्म के प्रचारक थे। (✓)
(ख) दुख जीतने का मार्ग दिखाने वाले को तीर्थंकर कहते हैं। (✓)
(ग) सम्यक खेती, सम्यक ज्ञान, (UPBoardSolutions.com) सम्यक चरित्र जैन धर्म के त्रिरत्न हैं। (✓)
(घ) महावीर स्वामी के बचपन का नाम सिद्धार्थ था। (✘)

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UP Board Solutions for Class 7 Hindi Chapter 7 महाराजा अग्रसेन (महान व्यक्तित्व)

UP Board Solutions for Class 7 Hindi Chapter 7 महाराजा अग्रसेन (महान व्यक्तित्व)

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पाठ का सारांश

धनपाल नामक राजा ने सरस्वती नदी के किनारे प्रतापनगर राज्य स्थापित किया। धनपाल की छठी पीढ़ी में महाराजा बल्लभ हुए, जिनके अग्रसेन और शूरसेन नामक पुत्र थे। अग्रसेन का विवाह माधवी से हुआ। इसके अलावा महाराज अग्रसेन ने कोलापुर के नागवंशी महाराज महीरथ की पुत्री सुन्दरावती के साथ विवाह किया। दोनों पत्नियों- माधवी और सुन्दरावती के पिता कुमुद और महीरथ ने अग्रसेन की सहायता की, जिससे इनका राज्य समृद्धिशाली हो गया। (UPBoardSolutions.com) दो नागवंशों से सम्बन्ध हो जाने पर यह स्वाभाविक ही था। इनकी प्रजा भी सन्तुष्ट थी। इन्होंने अपने भाई शूरसेन के विवाह पर इन्द्र को आमंत्रित कर उनसे मैत्री सम्बन्ध स्थापित कर लिए।
महाराजा बल्लभ की मृत्यु के बाद अग्रसेन अनेक तीर्थस्थानों पर गए। अग्रसेन ने पंचनद (पंजाब) में नए राज्य की स्थापना की और आग्रेयगण (अग्रोहा) नगर बसाया। शूरसेन प्रतापनगर के राजा बने। अग्रसेन ने अट्ठारह बस्तियाँ बसाईं। ‘जीयो और जीने दो’ इनकी राजनीति का आधार था। इनके राज्य में हिंसा और दुर्नीति के लिए कोई स्थान नहीं था। अग्रसेन की सन्तानों में राजकुमार विभु सबसे बड़े थे।
सन्तान होने की खुशी में अग्रसेन ने अश्वमेध यज्ञ किया; लेकिन पशुबलि नहीं होने दी। उसके स्थान पर नारियल को ही यज्ञ की पूर्णाहुति का साधन बनाया। अपने राज्य में कहीं भी होने वाली पशुबलि इन्होंने रुकवा दी।
इनके राज्य में प्रत्येक व्यक्ति एक दूसरे की मदद और सहयोग करने वाला था। (UPBoardSolutions.com) नवागंतुक व्यक्ति की भी लोग आवास और भरण-पोषण में मदद करते थे। अग्रसेन ने जनपदों में जन-प्रतिनिधियों की नई व्यवस्था को जन्म दिया। एक लम्बी अवधि तक राज करके अपने पुत्र विभु को शासन सौंप दोनों महारानियों सहित इन्होंने वनवास ग्रहण कर लिया।

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अभ्यास-प्रश्न

प्रश्न 1:
अग्रोहा में बसने आये नवागन्तुक को सभी के द्वारा एक मुद्रा और एक ईंट क्यों दी जाती थी ?
उत्त:
अग्रोहा राज्य में बसने आए नवागन्तुक को सभी नागरिकों द्वारा एक मुद्रा और एक ईंट इसलिए दी जाती थी ताकि राज्य में नया आने वाला व्यक्ति राज्य में सुख-शांति से रह सके।

प्रश्न 2:
महाराजा अग्रसेन ने यज्ञों में होने वाली किस प्रथा को रुकवा दिया था? (UPBoardSolutions.com) इसके स्थान पर क्या प्रथा प्रचलित कराई?
उत्तर:
महाराजा अग्रसेन ने यज्ञों में होने वाली पशुबलि प्रथा को रुकवा दिया। इसके स्थान पर नारियल को ही इन्होंने यज्ञ की पूर्णाहुति का साधन बनाया।

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प्रश्न 3:
सही विकल्प चुनिए (विकल्प चुनकर) (UPBoardSolutions.com)
(अ) अश्वमेध यज्ञ में कौन-सा पशु विश्व विजय के प्रतीक स्वरूप छोड़ा जाता था
(1) बैल
(2) घोड़ा
(3) भैंसा
(4) गधा।
उत्तर:
(2) घोड़ा

(ब) महाराजा अग्रसेन ने कौन-सा नया नगर बसाया था?
(1) गंगोहा
(2) अग्रोहा
(3) वैदेहा
(4) सोरहा
उत्तर:
(2) अग्रोहा

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प्रश्न 4:
खाली स्थानों की पूर्ति कीजिए (पूर्ति करके) (UPBoardSolutions.com)

(अ) महाराजा अग्रसेन के राज्य में हिंसा का कोई स्थान नहीं थी। (न्याय, हिंसा, सम्पति, सुख)
(ब) अग्रोहा स्थान वर्तमान में हरियाणा राज्य में है। (दिल्ली, राजस्थान, महाराष्ट्र, हरियाणा)
(स) अग्रवंशजों के विवाह में छत्र व चँवर के प्रयोग की आज भी परम्परा है।। (छत्र व दण्ड, छत्र व चँवर, चँवर व दण्ड, छत्र व मुकुट)

प्रश्न 5:
नोट- छात्र अपने शिक्षक/शिक्षिका (UPBoardSolutions.com) की सहायता से स्वयं करें।

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UP Board Solutions for Class 7 Hindi Chapter 6 भीष्म (महान व्यक्तित्व)

UP Board Solutions for Class 7 Hindi Chapter 6 भीष्म (महान व्यक्तित्व)

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पाठ का सारांश

भीष्म के बचपन का नाम देवव्रत थी। ये हस्तिनापुर के राजा शान्तनु और गंग के पुत्र थे। इन्होंने वेदशास्त्र की शिक्षा वशिष्ठ से और युद्ध कौशल परशुराम से सीखा था। ये शस्त्र-शास्त्र दोनों में निपुण थे।
यमुना तट पर आखेट करते हुए इनके पिता शान्तनु ने निषादराज की सुन्दर कन्या सत्यवती को देखकर उससे विवाह करने की इच्छा व्यक्त की। निषादराज ने शर्त रखी कि सत्यवती का पुत्र राजा बनेगा, देवव्रत नहीं। शान्तनु ने शर्त नहीं मानी और वे बीमार रहने लगे। भीष्म ने निषादराज से सत्यवती का विवाह अपने पिता से करने का अनुरोध किया। इन्होंने आजीवन ब्रह्मचारी रहने की प्रतिज्ञा की। सत्यवती से विवाह होने के बाद उसके दो पुत्र चित्रांगद और विचित्रवीर्य हुए। चित्रांगद की मृत्यु जल्दी हो गई और विचित्रवीर्य गद्दी पर बैठे। उनके तीन पुत्र थे- धृतराष्ट्र, पांडु और विदुर। धृतराष्ट्र अन्धे (UPBoardSolutions.com) थे इस कारण पांडु को राजा बनाया गया, क्योंकि भीष्म राज्य स्वीकार नहीं कर सकते थे। ये अपनी प्रतिज्ञा पर अटल रहे।
महाभारत के युद्ध में भीष्म कौरवों की तरफ थे। इन्होंने प्रतिज्ञा की थी कि मैं युद्ध में कृष्ण को शस्त्र उठाने पर विवश कर दूंगा। इनके घोर संग्राम करने पर कृष्ण ने क्रोधित हो, रथ का पहिया निकाल कर हमला करना चाहा। भीष्म की प्रतिज्ञा पूर्ण हुई।
महाभारत के युद्ध से भीष्म ने दस दिनों तक सेनापति का कार्य किया। अर्जुन ने शिखण्डी को आगे करके इन्हें बाणों मे छेद दिया। भीष्म ने सूर्य के उत्तरायण होने तक प्राण न त्यागने की प्रतिज्ञा की।
भीष्म पितामह पराक्रमी राजनीतिज्ञ और धर्मज्ञ थे। इन्होंने युधिष्ठिर को ज्ञान, वैराग्य, भक्ति, धर्म और नीति का उपदेश दिया। ये उपदेश सदैव मानव जाति का पथ प्रशस्त करते रहेंगे।

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अभ्यास-प्रश्न

प्रश्न 1:
देवव्रत का नाम भीष्म क्यों पड़ा?
उत्तर:
देवव्रत ने आजीवन ब्रह्मचारी रहकर हस्तिनापुर की (UPBoardSolutions.com) रक्षा करने की प्रतिज्ञा की। इस प्रतिज्ञा के कारण इनका नाम भीष्म पड़ा।।

प्रश्न 2:
भीष्म के माता-पिता का क्या नाम था?
उत्तर:
भीष्म के माता-पिता का नाम गंगा और शान्तनु था।

प्रश्न 3:
निषादराज ने शान्तनु के समक्ष कौन-सी (UPBoardSolutions.com) शर्त रखी?
उत्तर:
निषादराज ने शान्तनु के समक्ष यह शर्त रखी कि सत्यवती का पुत्र राजा होगा, देवव्रत नहीं।

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प्रश्न 4:
युद्धभूमि में भीष्म ने शस्त्र का त्याग कब और क्यों किया?
उत्तर:
युद्धभूमि में भीष्म ने शिखण्डी को देखकर शस्त्र (UPBoardSolutions.com) त्याग कर दिया, क्योंकि वह स्त्री-रूप था और वे स्त्री पर हथियार नहीं चला सकते थे।

प्रश्न 5:
सही (✓) अथवा गलत (✘) का चिह्न लगाइए (चिह्न लगाकर )
(अ) भीष्म महाराज भरत के पुत्र थे। (✘)
(ब) शान्तनु की मृत्यु के पश्चात् भीष्म हस्तिनापुर के राजा हुए। (✘)
(स) भीष्म अपनी प्रतिज्ञा से कभी हटते न थे। (✓)
(द) महाभारत के युद्ध में भीष्म पांडवों की ओर थे। (✘)

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प्रश्न 6:
महाभारत के युद्ध में भीष्म ने घोर संग्राम किया, क्योंकि वे
(क) अर्जुन को मारना (UPBoardSolutions.com) चाहते थे।
(ख) वह अपना पराक्रम दिखाना चाहते थे।
(ग) कृष्ण को शस्त्र ग्रहण करवाकर उनकी प्रतिज्ञा भंग कराना चाहते थे।
(घ) वह पाण्डवों का विनाश करना चाहते थे।

प्रश्न 7:
भीष्म पितामह के चरित्र के प्रेरक प्रसंगों को अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर:
भीष्म पितामह के चरित्र के प्रेरक प्रसंग
(1) भीष्म ने अपने पिता शान्तनु (UPBoardSolutions.com) की शादी कराने के लिए आजीवन ब्रह्मचारी रहने की प्रतिज्ञा की।
(2) भीष्म ने ऐसा संग्राम किया कि श्री कृष्ण को युद्ध में शस्त्र उठाने पड़े।
(3) भीष्म शिखण्डी के सम्मुख धनुष नहीं उठाते थे। अपनी मृत्यु का उपाय बताना भीष्म की महान उदारता में गिना जाता है।
(4) भीष्म ने सूर्य उत्तरायण होने पर शरीर त्यागने का संकल्प लिया और ऐसा ही हुआ।

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प्रश्न 8:
पाठ की किस घटना ने आपको प्रभावित किया और क्यों?
उत्तर:
पाठ की एक घटना शान्तनु और सत्यवती के विवाह से सम्बन्धित है, जो देवव्रत के आजीवन ब्रहमचारी रहने की प्रतिज्ञा का कारण बनती है, हमें सबसे ज्यादा प्रभावित करती है। इसका कारण यह है। कि भीष्म के इस प्रकार (UPBoardSolutions.com) के त्याग के समान अन्य उदाहरण नहीं मिलते हैं।

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प्रश्न 9:
भीष्म के समान अपने वचन पर दृढ़ रहने वाले किसी महापुरुष के बारे में लिखिए।
उत्तर:
भीष्म के समान अपने वचनों पर दृढ़ रहने वाले महापुरुष सत्यवादी (UPBoardSolutions.com) हरिश्चन्द्र थे, जिन्होंने आखिरी हद तक सत्य नहीं छोड़ा और अपना नाम सत्यवादी चरितार्थ किया।

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UP Board Solutions for Class 7 Hindi Chapter 5 श्रीकृष्ण (महान व्यक्तित्व)

UP Board Solutions for Class 7 Hindi Chapter 5 श्रीकृष्ण (महान व्यक्तित्व)

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पाठ का सारांश

श्री कृष्ण का जन्म मथुरा में हुआ। श्री कृष्ण बाल्यावस्था से ही इतने पराक्रमी और साहसी थे कि इनके द्वारा किए गए कार्यों को देखकर लोग आश्चर्यचकित हो जाते थे। कंस अपनी सुरक्षा के लिए श्री कृष्ण का अन्त करना चाहता था। इस कार्य के लिए उसने अनेक राक्षसों को भेजा। (UPBoardSolutions.com) उन सबका श्री कृष्ण ने बाल्यावस्था में ही वध कर दिया। श्री कृष्ण कभी अपनी बाँसुरी के मधुर स्वर से सभी को आत्मिक सुख प्रदान करते दिखाई पड़ते थे तो कभी कंस के अत्याचारों से गोकुलवासियों की रक्षा? लोकहित में प्रवृत्त दृष्टिगोचर होते। श्री कृष्ण को अध्ययन करने हेतु सदीपन मुनि के गुरुकुल भेजा गया। गुरुकुल में कृष्ण ने अपने गुरु की सेवा करते हुए विद्या प्राप्त की।
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गोकुल में श्री कृष्ण के नेतृत्व में कंस के अत्याचारी शासन का विरोध आरम्भ हो गया। कंस इस स्थिति को जानता था। उसने श्री कृष्ण के वध का षड्यन्त्र रचा और अक्रूर द्वारा श्री कृष्ण को बुलवाया। श्री कृष्ण अपने बड़े भाई बलराम के साथ मथुरा जा पहुँचे। योजनानुसार मथुरा में मल्ल युद्ध आरम्भ हुआ। श्री कृष्ण ने मल्ल युद्ध में कंस के चुने हुए पहलवानों को पराजित किया और अन्त में कंस को भी मार डाला। उस समय हस्तिनापुर में धृतराष्ट्र का राज था। (UPBoardSolutions.com) वहाँ के राजपरिवार में कौरवों और पांडवों के बीच कलह चल रहा था। वह कलह रोकने के लिए श्री कृष्ण ने बहुत प्रयास किया परन्तु श्री कृष्ण का शान्ति प्रयास असफल हो गया। परिणामस्वरूप दोनों में भयंकर युद्ध हुआ, जिसे महाभारत के नाम से जाना जाता है।
महाभारत के युद्ध में श्री कृष्ण अर्जुन के रथ के सारथी बने। अर्जुन राज्य और सुख के लिए अपने ही कुल के लोगों तथा गुरु आदि को मारने को तैयार नहीं हुआ। उस समय श्रीकृष्ण ने अर्जुन को अपने कर्तव्य की ओर प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि आत्मा अजर और अमर है। जिस प्रकार, मनुष्य पुराने वस्त्रों को छोड़कर नए वस्त्र ग्रहण करता है, उसी प्रकार, यह आत्मा जीर्ण शरीर को छोड़कर दूसरे नए शरीर में प्रवेश करती है। इस आत्मा को न शस्त्र काट सकते हैं, न आग जला सकती है, न पानी गला सकता है। और न वायु सुखा सकती है। अतः प्रत्येक मनुष्य को फल की चिन्ता किए बिना अपने कर्तव्य का पालन करना चाहिए, यही कर्मयोग है। श्री कृष्ण के ये ही उपदेश गीता के अमृत वचन हैं। श्री कृष्ण के उपदेश सुनकर अर्जुन को अपने कर्तव्य का ज्ञान हुआ और उन्होंने वीरतापूर्वक युद्ध किया। श्री कृष्ण के कुशल संचालन के कारण महाभारत के युद्ध में पांडव विजयी हुए।
श्री कृष्ण का सम्पूर्ण जीवन अत्याचार और अहंकार से संघर्ष करते व्यतीत हुआ। कंस, जरासंध, शिशुपाल आदि अनेक निरंकुश शासकों का संहार, श्रीकृष्ण के ही द्वारा हुआ। श्री कृष्ण गुरु और सखा भी थे इसीलिए तो लोग इन्हें ईश्वर का अवतार मानते हैं।

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अभ्यास-प्रश्न

प्रश्न 1:
श्री कृष्ण के समय भारत की क्या स्थिति थी?
उत्तर:
श्री कृष्ण के समय भारत भूमि की समृद्धि और सम्पन्नता अपनी (UPBoardSolutions.com) चरम सीमा पर थी। देश में वैभव सम्पन्न तथा शक्तिशाली अनेक राज्य थे।

प्रश्न 2:
श्री कृष्ण के बाल जीवन का वर्णन करिये।
उत्तर:
श्री कृष्ण बाल्यावस्था से ही इतने पराक्रमी और साहसी थे कि उनके द्वारा किए गए कार्यों को देखकर लोग आश्चर्यचकित हो जाते थे। कंस अपनी सुरक्षा के लिए कृष्ण का अन्त करना चाहता था। इस कार्य के लिए उसने जिन लोगों को भेजा, (UPBoardSolutions.com) उन सबका श्री कृष्ण ने बाल्यावस्था में ही वध कर दिया।

प्रश्न 3:
कंस के जीवन का अंत किस प्रकार हुआ ?
उत्तर:
श्री कृष्ण ने मल्लयुद्ध में कंस के चुने हुए पहलवानों को पराजित किया और अन्त में उन्होंने कंस को भी मार डाला।

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प्रश्न 4:
कौरवों तथा पांडवों के बीच सन्धि के लिए कृष्ण ने क्या किया?
उत्तर:
कौरवों और पांडवों के बीच सन्धि के लिए श्री कृष्ण पांडवों (UPBoardSolutions.com) की ओर से सन्धि का प्रस्ताव लेकर कौरवों के पास गए।

प्रश्न 5:
युद्ध क्षेत्र में श्रीकृष्ण द्वारा अर्जुन को दिए गए उपदेश का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
उत्तर:
श्री कृष्ण ने अर्जुन को अपने कर्तव्य की ओर प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि आत्मा अजर और अमर है। जिस प्रकार, मनुष्य पुराने वस्त्रों को छोड़कर नए वस्त्र ग्रहण करता है, उसी प्रकार, यह आत्मा जीर्ण शरीर छोड़कर नए शरीर में प्रवेश करती है। इस आत्मा को न शस्त्र काट सकते हैं, न आग जला सकती है, न पानी गला सकता है और न वायु सुखा सकती है। अत: प्रत्येक मनुष्य को फल की चिन्ता किए बिना अपने कर्तव्य (UPBoardSolutions.com) का पालन करना चाहिए, यही कर्मयोग है।

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प्रश्न 6:
महाभारत के युद्ध का क्या परिणाम हुआ?
उत्तर:
महाभारत के युद्ध में पांडव (UPBoardSolutions.com) विजयी हुए।

प्रश्न 7:
कृष्ण को ईश्वर का अवतार क्यों माना जाता है?
उत्तर:
श्री कृष्ण दार्शनिक, कर्मयोगी, राजनीतिज्ञ, समाज सुधारक, (UPBoardSolutions.com) योद्धा, शान्ति के अग्रदूत, गुरु तथा सखा आदि गुणों से परिपूर्ण थे, जो उन्हें एक साधारण मानव से अलग करते हैं। इसलिए उन्हें ईश्वर का अवतार माना जाता है।

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प्रश्न 8:
सही कथन के सामने सही (✓) तथा गलत कथन के सामने गलत (✘) का निशान लगाएँ
(क) श्रीकृष्ण के गुरू का नाम संदीपन था। (✓)
(ख) श्रीकृष्ण के उपदेश रामायण के (UPBoardSolutions.com) अमृत वचन हैं। (✘)
(ग) आत्मा अजर-अमर है। (✓)
(घ) उस समय हस्तिनापुर में कंस का राज्य था। (✘)

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UP Board Solutions for Class 7 Hindi Chapter 4 महर्षि वाल्मीकि (महान व्यक्तित्व)

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पाठ का सारांश

रामायण के रचयिता महर्षि वाल्मीकि का जन्म हजारों वर्ष पहले हुआ। इनके बचपन का नाम रत्नाकर था। ईश्वरीय प्रेरणा से ये संसार छोड़कर भक्ति में लग गए। तपस्या करते समय दीमक ने इनके शरीर पर बाँबी (वल्मीक) बना (UPBoardSolutions.com) ली जिससे इनका नाम वाल्मीकि पड़ा।
तमसा नदी के तट पर स्थित आश्रम में उन्होंने संस्कृत में अपने प्रसिद्ध ग्रन्थ रामायण की रचना की। इसमें सात खण्ड हैं। वाल्मीकि को संस्कृत साहित्य का आदिकवि कहा जाता है। रामायण में राम के चरित्र, उस समय के समाज की स्थिति, सभ्यता, व्यवस्था और लोगों के रहन-सहन का वर्णन है। यह त्रेता युग
का ऐतिहासिक ग्रन्थ है।
महर्षि वाल्मीकि के आश्रम में ही लव-कुश का जन्म हुआ था। वाल्मीकि ने उन्हें छोटी अवस्था में ही ज्ञानी और युद्ध कला में पारंगत बना दिया था। लव-कुश ने महर्षि के आश्रम में पहुँचे हुए राम के अश्वमेध यज्ञ वाले घोड़े को पकड़ लिया (UPBoardSolutions.com) था एवं राम की सेना को पराजित कर अपने युद्ध कौशल और पराक्रम का परिचय दिया था।
महर्षि वाल्मीकि कवि, शिक्षक और ज्ञानी थे। इनका ग्रन्थ रामायण भारत का ही नहीं, वरन् सारे संसार की अनमोल कृति है। इस श्रेष्ठ महाकाव्य रामायण की रचना नीति, शिक्षा और दूरदर्शिता के कारण वाल्मीकि को आज भी आदर और सम्मान से याद किया जाता है।

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अभ्यास-प्रश्न

प्रश्न 1:
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए

(क) किस घटना को देखकर वाल्मीकि के मुख से कविता फूट पड़ी?
उत्तर:
व्याध द्वारा क्रौंच पक्षी के मारे जाने के करुण (UPBoardSolutions.com) दृश्य को देखकर वाल्मीकि के मुख से कविता फूट पड़ी।

(ख) वाल्मीकि ने अपने ग्रन्थ रामायण में किस कथा का वर्णन किया है?
उत्तर:
वाल्मीकि ने रामायण में राम के चरित्र, उस समय के समाज की स्थिति, सभ्यता, शासन, व्यवस्था और लोगों के रहन-सहन का वर्णन किया है।

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(ग) वाल्मीकि रामायण में कितने कांड (खण्ड) हैं?
उत्तर:
वाल्मीकि रामायण में सात कांड (खण्ड) हैं। (UPBoardSolutions.com)

(घ) वाल्मीकि को क्यों याद किया जाता है?
उत्तर:
रामायण ग्रन्थ, नीति, शिक्षा व दूरदर्शिता के लिए वाल्मीकि को याद किया जाता है।

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प्रश्न 2:
वाक्य पूरा कीजिए ( वाक्य पूरा करके)
(क) अयोध्या के समीप तमसा नदी के किनारे वाल्मीकि तपस्या करते थे।
(ख) ईश्वरीय प्रेरणा से वे सांसारिक (UPBoardSolutions.com) जीवन (मोह) को त्यागकर परमात्मा के ध्यान में लग गए।

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प्रश्न 3:
सही या गलत वाक्यों पर (✓) अथवा (✘)चिह्न लगाएँ (चिह्न लगाकर )
(क) वाल्मीकि के बचपन का नाम रत्नाकर था। (✓)
(ख) उनके शरीर पर दीमक ने बाँबी (वल्मीक) (UPBoardSolutions.com) बना लिया, इसी कारण उनका नाम वाल्मीकि पड़ा। (✓)
(ग) उन्होंने रामचरितमानस की रचना की। (✘)
(घ) वाल्मीकि ने श्री राम के अश्वमेध यज्ञ का घोड़ा बाँध लिया था। (✘)

शिक्षकों के लिए:
नोट- शिक्षक कक्षा में अन्य ऋषि-मुनियों की चर्चा/कहानी बच्चों को सुनाएँ।

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