UP Board Solutions for Class 7 Hindi Chapter 19 मैं कवि कैसे बना (मंजरी)

UP Board Solutions for Class 7 Hindi Chapter 19 मैं कवि कैसे बना (मंजरी)

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महत्त्वपूर्ण गद्यांश की व्याख्या

मेरे साथी ………………… उत्पन्न होने लगी।

संदर्भ:
प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक ‘मंजरी’ के ‘मैं कवि कैसे (UPBoardSolutions.com) बना’ नामक पाठ से लिया गया है। इसके लेखक गोपालप्रसाद व्यास जी हैं।

प्रसंग:
कवि द्वारा कविता करने के बाद तालियों  की गूंज को देखकर लेखक के मन में भी कविता सुनाने की इच्छा पैदा हुई।

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व्याख्या:
लेखक अकसर समारोह में संगीत सुनने जाता था। उसने देखा कि लोग संगीत से ज्यादा कह्ण कविता की प्रशंसा करते हैं। उसके साथी मित्र भी संगीत सुनने के लिए नहीं बल्कि कविताएँ सुनने के लिए अकसर सम्मेलन में जाते थे। अधयापक संगीत में थोड़ी बहुत रुचि जरूर ले लेते थे, परन्तु उसके साथी मित्रों को संगीत पसन्द नहीं था। लोगों की कविता में रुचि का पता कविता सुनने के बाद बादल की गर्जना के समान तालियों की आवाज से चलता था, जो संगीत सुनने के बाद बहुत कम होती थी। इसी दृश्य को देखकर मेरे मन में भी कविता सुनाने की इच्छा जाग्रत् हुई।

पाठ का सार (सारांश)

सन् 1924 में मैं मथुरा के अग्रवाल विद्यालय में तीसरे दर्जे में पढ़ता था। मुझे विद्यालय में होने वाले उत्सव-आयोजन में सबसे आगे बैठने में बड़ा आनन्द आता था। संगीत मेरे परिवार में रची-बसी थी। नाना जी एवं पिताजी को संगीत का अच्छा ज्ञान था तथा जीजी को भी संगीत से लगाव था। इसलिए संगीत मुझे भी विरासत में मिली, जिसके कारण मुझे संगीत के घंटे का मॉनीटर बनाया जाता था। लेकिन यह संगीत ज्ञान विद्यालय में होने (UPBoardSolutions.com) वाले समारोहों में कोई स्थान नहीं दिला पाया, जबकि कविता सुनाने वाले छात्रों को आमंत्रित किया जाता है। तब मैंने अपने पड़ोसी रामलाल जी से अपने नाम की कविता लिखवाकर समारोहों में बड़े गर्व से सुनाना शुरू किया। कुछ ही समय बाद शहर में होने वाले कवि-सम्मेलन में हमारे विद्यालय की तरफ से मेरा नाम दिया गया। जिसे सुनकर मैं स्तब्ध हो गया। फिर अपने क्लास टीचर के पास जाकर सारी बात बताई। क्लास टीचर ने धैर्य बँधाते हुए कहा कि कविता बनाना तो कोई मुश्किल नहीं क्योंकि एक कविता में चार पंक्तियाँ होती है और हर पंक्ति में  31 अक्षर होते हैं। जब तुम्हें समस्या दी जाएगी, तो समस्या के अन्तिम शब्द के चार तुकांत शब्द जमा लेना। जैसे- आई है, रहे तो छाई है, खाई है, भाई है। और उसे अपनी कविता के अन्त में जमा देना, कविता तैयार हो जाएगी। जिससे मेर उत्साह बढ़ गया और मैं ठीक समय पर कवि सम्मेलन पहुँच गया। | वहाँ पर जो समस्या दी गई उसके लिए 1 घंटे का समय दिया गया जिसे मैंने 20 मिनट में ही कर दिया। जब सम्मेलन की तरफ से मेरा नाम पुकारा गया और जब मैंने उसे सुनाया तो चारों तरफ से तालियाँ बजने लगी। हेडमास्टर जी ने मंच पर आकर मुझे गोद में उठा लिया और जनता ने मेरी पहली कविता से ही मुझे कवि बना दिया।

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प्रश्न-अभ्यास

कुछ करने को

प्रश्न 1:
किसी समस्या के आधार पर भी कविता लिखी जा सकती है। (UPBoardSolutions.com) यहाँ कविता की । एक पंक्ति दी गई है। इसे आगे बढ़ाएँ (आगे बढ़ाकर )
उत्तर:
UP Board Solutions for Class 7 Hindi Chapter 19 मैं कवि कैसे बना (मंजरी) image - 1

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प्रश्न 2:
नोट- विद्यार्थी स्वयं करें।

प्रश्न 3:
नोट- विद्यार्थी स्वयं करें।

विचार और कल्पना से
नोट- विद्यार्थी स्वयं करें।

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आत्मकथा से

प्रश्न 1:
बालक गोपालप्रसाद को संगीत के घंटे का मॉनीटर क्यों बनाया जाता था?
उत्तर:
बालक गोपालप्रसाद को संगीत का ज्ञान अपने परिवार से (UPBoardSolutions.com) विरासत में मिला था। इसलिए उसे संगीत के घंटे का मॉनिटर बनाया जाता था।

प्रश्न 2:
लेखक के मन में कविताएँ सुनाने की इच्छा क्यों होने लगी?
उत्तर:
विद्यालय में होने वाले संगीत समारोह में लेखक को न बुलाकर इनके साथी लडकों को कविता सुनाने के लिए बुलाया जाता था। संगीत सुनाने पर तालियों की तड़तड़ाहट बहुत क्षीण होती जबकि कविता सुनाने के बाद तालियों की खूब तड़तड़ाहट होती थी। इसी कारण लेखक के मन में भी कविता सुनाने की इच्छा होने लगी।

प्रश्न 3:
कक्षाध्यापक द्वारा नुमाइश में नाम भेजने पर बालक गोपालप्रसाद को क्यों धक्का लगा?
उत्तर:
गोपाल प्रसाद जी स्क्यं कविता नहीं बनाया करते थे, बल्कि अपने एक पड़ोसी रामलाल जी से अपने नाम की कविता लिखवाकर स्कूलों में सुनाते थे। चूँकि नुमाइश में होने वाले कवि सम्मेलन में वाक्य दिए जाते हैं, जिस पर कविता बनानी होती है। (UPBoardSolutions.com) यही सोचकर गोपालप्रसाद जी को धक्का लगा।

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प्रश्न 4:
बालक गोपाल प्रसाद द्वारा ‘दूसरों की लिखी कविताओं को अपना बताकर सुनाने की चोरी’ स्वीकार करने से क्या लाभ हुआ?
उत्तर:
बालक गोपाल प्रसाद अपने अध्यापक की मदद से कविता की रचना करना सीख गए।(UPBoardSolutions.com)  जिससे वे कवि सम्मेलन में पहली बार अपनी लिखी कविताएँ सुना सके और अपनी पहली ही कविता
से कवि बन गए।

प्रश्न 5:
कक्षाध्यापक ने अपने छात्र को कविता बनाने के क्या गुर सिखाये?
उत्तर:
कक्षाध्यापक ने छात्र को बतलाया कि कविता में चार पंक्तियाँ होती हैं और प्रत्येक पंक्ति में .31 अक्षर होते हैं। कविता के लिए जो भी समस्या दी जाए उस वाक्य (समस्या) के अन्तिम अक्षर के चार तुकें जैसे-आई है रहे तो भाई है, छाई है, खाई है इस प्रकार (UPBoardSolutions.com) के जमा लेना और उसे प्रत्येक वाक्य के अन्त में लगा देना, कविता तैयार हो जाएगी।

प्रश्न 6:
बालक गोपालप्रसाद की समस्या-पूर्ति’ को सुनकर श्रोताओं में क्या प्रतिक्रिया हुई?
उत्तर:
सभी श्रोता प्रशंसा और आश्चर्य से बालक गोपालप्रसाद को देखने लगे। (UPBoardSolutions.com) हेडमास्टर मुकुल बिहारी लाल जी ने बालक को दौड़ कर गोदी में उठा लिया और जनता ने उनके कवि होने की घोषणा कर दी।

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भाषा की बात

प्रश्न 1:
‘समाज-सुधार’ शब्द ‘समाज’ व ‘सुधार’ दो शब्दों से मिलकर बना है। समाज-सुधार शब्द में सामासिक चिह्न (-) के स्थान पर ‘का’ छिपा हुआ है। ऐसे शब्द तत्पुरुष समास कहलाते हैं। तत्पुरुष समास के ऐसे ही पाँच उदाहरण पाठ में से छाँटकर लिखिए।
उत्तर:
तत्पुरुष समास- रासलीला, क्लासटीचर, वसन्तोत्सव, प्रधानाध्यापक, शिष्यमण्डली, शिक्षण-संस्थाएँ।

प्रश्न 2:
नीचे दिये गये मुहावरों के अर्थ लिखिए और इनका प्रयोग अपने वाक्यों में कीजिए (प्रयोग करके)
उत्तर:
मँड़ मुड़ाते ही ओले पड़ना (प्रारम्भ में ही बाधा आना):
राम का मकान अभी बना भी नहीं कि भूकम्प आ गया, बेचारे के मूड मुड़ाते ही ओले पड़ गए।

काठ मार जाना (हतप्रभ हो जाना):
दंगे से पीड़ित लोग कुछ भी नहीं बोल पा रहे हैं, जैसे उन्हें काठ मारे गया हो। (UPBoardSolutions.com)

चोर से साहूकार होना (एकाएक तरक्की करना):
गोपाल प्रसाद की पहली कविता ने ही उसे कवि बना दिया अर्थात् वह चोर से साहूकार बन गया।

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प्रश्न 3:
निम्नलिखित पंक्तियों में पर शब्द के तीन प्रकार के प्रयोग हुए हैं
(क) मैं मंच पर कविता पढ़ने (UPBoardSolutions.com) पहुँचा।
(ख) पर वहाँ बहुत बड़े-बड़े कवि विद्यमान थे।
(ग) मैं कविता के पर लगाकर आसमान में उड़ने लगा।
तीनों पर का प्रयोग क्रमशः ‘ऊपर’ ‘लेकिन’ तथा ‘पंख’ के अर्थ में हुआ है। इसी प्रकार आप भी पर शब्द का प्रयोग अपने वाक्यों में करते हुए तीन वाक्य बनाइए (वाक्य बनाकर)
उत्तर:
(क) चिड़ियाँ छत पर बैठी हैं।
(ख) पर बच्चों के वहाँ पहुँचने से पहले उड़ गईं।
(ग) मैं भी चिड़ियों की तरह पर लगाकर आसमान में उड़ना चाहती हूँ।

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UP Board Solutions for Class 7 Hindi Chapter 18 कर्तव्यपालन (मंजरी)

UP Board Solutions for Class 7 Hindi Chapter 18 कर्तव्यपालन (मंजरी)

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महत्त्वपूर्ण गद्यांश की व्याख्या

नहीं, मेरे सच्चे बहादुर मित्र …………………………… रहेगा।

संदर्भ:
प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक ‘मंजरी’ के ‘कर्तव्यपालन’ नामक पाठ से अवतरित है। इसके लेखक रामनरेश त्रिपाठी हैं।

प्रसंग:
राजा वन में वनरक्षक से मिलता है। वनरक्षक ने उसके साथ ईमानदारी से अपने कर्तव्यपालन का ध्यान रखकर समुचित व्यवहार किया। उसे पहले राजा का परिचय न था, परन्तु बाद में एक दरबारी के कुशल पूछने पर राजा को पहचाना और क्षमा माँगी।

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व्याख्या:
राजा वनरक्षक पुंडरीक के कर्तव्यपालन का ध्यान रखने (UPBoardSolutions.com) के कारण बहुत प्रसन्न हुआ। उसने उसे बहादुर मित्र कहा और अपनी योग्य पदवी के लिए उसे तलवार प्रमाण के रूप में भेंट की। उसके लिए एक हजार रुपया सालाना पुरस्कार भी घोषित किया जो उसे जीवनपर्यंत अपनी अच्छी सेवा के कारण मिलता रहेगा। राजा ने पुंडरीक को राजरत्न कहा।

पाठ का सार (सारांश)

राजा अँधेरे में जंगल में खड़ा है। वनरक्षक आकर पूछता है कि वह कहाँ जाएगा। वह राजा को बाहर निकलने को कहता है। राजा पूछता है कि उसे इसका क्या अधिकार है। वनरक्षक बताता है कि वह राजा का वनरक्षक पुंडरीक है। राजा स्वयं को एक राजा का अधिकारी बताता है, लेकिन पुंडरीक उस पर विश्वास नहीं करता। राजा उसकी ओर एक रुपया बढ़ाता है। पुंडरीक कहता है कि तुम (राजा) सच में एक दरबारी ही हो, जो आज छोटी रिश्वत देता है और कल के लिए बड़ा वायदा करता है परन्तु यह दरबार नहीं है। राजा कहता है “तू नीच आदमी है। तेरे बारे में ज्यादा परिचय चाहता हूँ।” पुंडरीक ‘तू’ और ‘तेरे शब्दों के सम्बोधने से नाराज होकर कहता है, “मैं भी उतना ही भला आदमी हूँ जितने तुम हो।” राजा मित्र कहकर उससे क्षमा माँगता है। पुंडरीक को राजा पर परिचय न देने के कारण सन्देह है। फिर भी वह राजा को राजधानी का रास्ता बताने को तैयार है। यही नहीं वह राजा को रात अपने घर में बिताने का प्रस्ताव भी देता है जिसे राजा स्वीकार लेता है। (UPBoardSolutions.com) उसी समय घोड़े पर सवार सैनिक आता है और राजा से कुशल-क्षेम पूछता है। उसके द्वारा राजा को जब महाराज कहकर संबोधित किया जाता है तब पुंडरीक राजा को पहचानता है। वह राजा से क्षमा माँगता है। राजा उसे बहादुर और सच्चा मित्र कहकर अपनी तलवार, उसकी पदवी के प्रमाण के रूप में देता है तथा उसको एक हजार रुपया सालाना पुरस्कार भी जीवनभर देने की घोषणा करता है। पुंडरीक घुटने टेककर राजा को प्रणाम करता है। राजा पुंडरीक से उसे महल तक पहुंचाने के लिए कहता है। राजा उसे रात को अपने महल में मेहमान बनाकर रखता है।

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प्रश्न-अभ्यास

  • कुछ करने को
    नोट- विद्यार्थी स्वयं करें।
  • विचार और कल्पना
    नोट- विद्यार्थी स्वयं करें।
  • एकांकी से

प्रश्न 1:
राजा द्वारा ली गई परीक्षा में वनरक्षक किस प्रकार खरा उतरता है?
उत्तर:
जब राजा वनरक्षक पुंडरीक को झोपड़ी में रहने देने के बदले ह्र रुपया देना चाहता है, तब वह उसे रिश्वत बताता है और लेने से इनकार कर देता है। फिर इसके बाद जब राजा राजधानी तक चलने के लिए कहता है तो वह इनकार करता है और कहता है (UPBoardSolutions.com) कि अगर स्वयं राजा भी आ जाए, तो भी इस समय मैं राजधानी नहीं जाऊँगा। इस तरह वनरक्षक राजा की परीक्षा में खरा उतरता है।

प्रश्न 2:
नीचे लिखे वाक्य के तीन सम्भावित उत्तर दिए गए हैं, सही उत्तर पर सही (✓) का चिह्न लगाइए (चिह्न लगाकर )

राजा ने तलवार खींच ली क्योंकि
(क) वह वनरक्षक को दण्ड देना चाहता था।
(ख) वह वनरक्षक को क्षमा करना चाहता था।
(ग) वह वनरक्षक को सम्मान देना चाहता था। (✓)

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प्रश्न 3:
वनरक्षक द्वारा परिचय पूछे जाने पर राजा क्या उत्तर देते हैं?
उत्तर:
राजा कहते हैं कि इन प्रश्नों का उत्तर (UPBoardSolutions.com) देने का मुझे अभ्यास नहीं है।

प्रश्न 4:
वनरक्षक को राजा पर क्या सन्देह होता है?
उत्तर:
वनरक्षक को राजा पर बदमाश होने का सन्देह होता है।

प्रश्न 5:
राजा द्वारा यह कहने पर कि यदि एक रुपया कम हो तो सवेरे और भी दूंगा, वनरक्षक ने राजदरबार और दरबारी का कैसा चित्र खींचा?
उत्तर:
वनरक्षक की नजर में राजदरबार में काम करने वाले (UPBoardSolutions.com) दरबारी हर छोटे-बड़े काम के लिए रिश्वत देते हैं या लेते हैं या आश्वासन देते हैं।

प्रश्न 6:
वनरक्षक को उसकी नेकी और ईमानदारी का क्या फल मिला?
उत्तर:
वनरक्षक को उसकी नेकी और ईमानदारी के लिए एक तलवार और 1000 रुपये सालाना का पुरस्कार जीवन भर के लिए मिला।

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प्रश्न 7:
एकांकी में वनरक्षक के व्यक्तित्व की किन-किन विशेषताओं का पता चलता है?
उत्तर:
एकांकी में वनरक्षक के व्यक्तित्व की कर्तव्यपरायणता, (UPBoardSolutions.com) ईमानदारी, राजभक्ति बहादुरी और स्पष्टवादिता जैसे विशेषताओं का पता चलता है।

भाषा की बात

प्रश्न 1:
निम्नलिखित शब्दों में से उपसर्ग और प्रत्यय युक्त शब्दों को छाँटकर अलग-अलग लिखिए ( छाँटकर )
उत्तर:
उपसर्ग: अभिमान, विशेष, सम्मान

प्रत्यय:
चमकीला, सच्चाई, ईमानदारी, प्रसन्नता, पुरस्कार, निकलकर

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प्रश्न 2:
निम्नलिखित शब्दों के अर्थ लिखकर उनका वाक्यों (UPBoardSolutions.com) में प्रयोग कीजिए (प्रयोग करके
उत्तर:
तिरस्कार (अवहेलना)          –             राजा ने तिरस्कार से उसे नीच कहा।
यकीन (विश्वास)                    –            मुझे यकीन है कि वही लड़का चोर है।
मुनासिब (उचित)                 –            जो मुनासिब समझो वही करो।
रिश्वत (घूस)                          –            अधिकारी रिश्वत लेते हुए पकड़ा गया।
ढिठाई (अकड़ के साथ)        –            बच्चों को बड़ों से ढिठाई के साथ बात नहीं करनी चाहिए।
फर्ज (कर्तव्य)                        –            भारतीय सैनिक अपने कार्य से कभी पीछे नहीं हटते।।

प्रश्न 3:
निम्नलिखित वाक्यांशों के लिए (UPBoardSolutions.com) एक-एक शब्द लिखिए (लिखकर )
क. किसी बात की परवाह न करने वाला।         –             लापरवाह
ख. वन की रक्षा करने वाला।                            –              वनरक्षक
ग. जो विश्वास करने योग्य हो।                          –              विश्वसनीय
घ. जो रिश्वत लेता हो।                                      –              रिश्वतखोर
ङ. जो क्षमा करने योग्य न हो।                        –               अक्षम्य

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प्रश्न 4:
नीचे दिये गये वाक्यों में से सरल वाक्य, (UPBoardSolutions.com) संयुक्त वाक्य और मिश्रित वाक्य अलग-अलग कीजिए ( अलग-अलग करके)
क. मुझे पता तो चल गया कि मैं मनुष्य भी हूँ ।।                       –    मिश्रित वाक्य
ख. आज मेरा सारा अभिमान मुझे झूठा जाने पड़ रहा है ।        –    सरल वाक्य
ग. तुम कहाँ रहते हो और करते क्या हो ?                               –     संयुक्त वाक्य
घ. मैंने माना कि तुम दरबारी हो, आज के लिए तो एक छोटी   –     सी रिश्वत
और कल के लिए एक बड़ा-सा वादा।।                                   –     मिश्रित वाक्य

प्रश्न 5:
नोट- विद्यार्थी स्वयं करें।

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UP Board Solutions for Class 7 Hindi Chapter 1 नैनीतालभ्रमणम् (अनिवार्य संस्कृत)

UP Board Solutions for Class 7 Hindi Chapter 1 नैनीतालभ्रमणम् (अनिवार्य संस्कृत)

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एकदा ……………………….. अवसाम।

हिन्दी अनुवाद- एक बार ललिता बगीचे में गई। वहाँ कला और रुचि मिले। वहाँ ललिता ने कला (UPBoardSolutions.com) से पूछा, “कला, तुम कहाँ घूमने गई थी? कौन-कौन तुमको अच्छे लगे।” तब कला ने उससे कहा। मैं गर्मी के अवकाश में माता के साथ नैनीताल नगर गई। वहाँ मेरी छोटी बहन कीर्ति और पिता जी थे। हम वहाँ एक होटल में ठहरे।

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तत्र …………………………………………… अभ्रमाम।

हिन्दी अनुवाद- वहाँ एक बड़ा तालाब है। यहाँ प्रात: मैं और कीर्ति तालाब के चारों ओर घूमे। हम दोनों ने पिता जी से नौका से यात्रा करने के लिए कहा। दोपहर में हम तीनों नौका से तालाब में घूमे।।

तत्र अनेका ………………………………. इच्छामि।
हिन्दी अनुवाद- वहाँ अनेक नाव पर्यटकों को लेकर इधर-उधर जा रही थी। लोग नावों में बैठकर मनोरंजन कर रहे थे। हमने भी नावों से जाकर आनन्द अनुभव किया। पर्वतों के बीच नौका भ्रमण से बहुत आनन्द उत्पन्न हुआ। ललिता ने कहा, “मैं भी नैनीताल (UPBoardSolutions.com) नगर देखने की इच्छा करती हूँ।”

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अभ्यास

प्रश्न 1:
उच्चारण करें।
नोट- विद्यार्थी स्वयं करें।

प्रश्न 2:
एक पद में उत्तर दें
(क) ललिता कुत्र अगच्छत्?                                  वाटिकाम्।
(ख) जनाः नौकासु उपविश्य किम् अकुर्वन्?          मनोरञ्जन।
(ग) ग्रीष्मावकाशे कला कुत्र अगच्छत्?                  नैनीताल।
(घ) नैनीताल-नगरे कला कुत्र अवसत्?              प्रवास भवने (होटलमध्ये)।

प्रश्न 3:
कोष्ठक के उचित शब्दों से रिक्त स्थानों की पूर्ति करें (पूर्ति करके)
(क) एकदा ललिता वाटिकाम् अगच्छत्।।
(ख) तत्र ललिता कलाम् अपृच्छत्
(ग) तदा कलो तात् अवदत्
(घ) वयम् तत्र एकस्मिन् प्रवासभवने (होटलमध्ये) अवसाम्।

प्रश्न 4:
हिन्दी में अनुवाद करें                                                             अनुवाद
(क) बालिका वाटिकाम् अगच्छत्।                           लड़की बगीचे में गई।
(ख) तत्र कला गीता च अमिलताम्।                        वहाँ कला और गीता मिले।
(ग) तत्र ललिता कलां अपृच्छत्।                              वहाँ ललिता ने कला से पूछा।
(घ) तदा कला ताम् अवदत्।                                   तब कला ने उससे कहा।

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प्रश्न 5:
निम्नलिखित धातुओं का लट्, लुट् तथा लङ् लकारों (UPBoardSolutions.com) का रूप प्रथम पुरुष एकवचन में लिखें

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प्रश्न 6:
संस्कृत में अनुवाद करें                                                    अनुवाद|
(क) मैं विद्यालय गयी।                                          अहं विद्यालयं अगच्छत्।
(ख) तुम कहाँ गयी थी?                                             तवं कुत्र अगच्छत्।
(ग) सरोवर में मैंने नौका-भ्रमण किया।              अहं सरोवरे नौकाभ्रमणं अकरोत्।

प्रश्न 7:
रेखांकित पदों के आधार पर संस्कृत में प्रश्न निर्माण करें

(क) एकदा लता वाटिकाम् अगच्छत्।।
उत्तर:
एकदा का वाटिकाम् अगच्छत्?

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(ख) ग्रीष्मावकाशे निखिलः जयपुर-नगरं गमिष्यति।
उत्तर:
कस्मिन् काले निखिलः जयपुर-नगरं (UPBoardSolutions.com) गमिष्यति?

(ग) जनाः नौकासु उपविश्य मनोरञ्जनं कुर्वन्ति।
उत्तर:
काः नौकासु उपविश्य मनोरञ्जनं कुर्वन्ति?

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UP Board Solutions for Class 7 Hindi Chapter 5 निजभाषा उन्नति (मंजरी)

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समस्त पद्यांशों की व्याख्या

निज भाषा………………………. को शूल।

संदर्भ:
प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक ‘मंजरी’ के (UPBoardSolutions.com) ‘निजभाषा उन्नति’ नामक कविता से ली गई है। इसके रचयिता भारतेन्दु हरिश्चन्द्र हैं।

प्रसंग:
कवि ने अपनी भाषा की उन्नति के लिए कहा है।

व्याख्या:
कवि भारतेन्दु हरिश्चन्द्र कहते हैं, कि सब प्रकार की उन्नति का आधार अपनी भाषा (हिन्दी) की उन्नति करना है। अपनी भाषा हिन्दी के ज्ञान के बिना हृदय का दुख (शूल) दूर नहीं हो सकता है।

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करहू विलम्ब न ……………..मुल

संदर्भ:
पूर्ववत्। प्रसंग- कवि ने अपनी भाषा हिन्दी की उन्नति के लिए प्रयत्न करने को कहा है। (UPBoardSolutions.com)

व्याख्या:
हे भाइयो! अब उठो और देर मत करो। अपना काँटा दूर करो। सबसे पहले अपनी भाषा की उन्नति करो। यह सब चीजों की उन्नति की जड़ है।

प्रचलित करहु ………………………… रत्न।

संदर्भ:
पूर्ववत्।

प्रसंग:
कवि ने सरकारी काम-काज में हिन्दी का प्रयोग करने के लिए कहा है।

व्याख्या:
यत्न करके सारे संसार में अपनी भाषा का प्रयोग (UPBoardSolutions.com) प्रचलित कर दो। यह रत्न (निज भाषा) सरकारी कामकाज, कोर्ट (अदालत) आदि में फैला दो।

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सुत सो ……………………………….. बहु बात।
संदर्भ:
पूर्ववत्।

प्रसंग:
कवि ने घरेलू व्यवहार में बातचीत हिन्दी में ही करने के लिए कहा है।

व्याख्या:
अपने मन की अनेक बातों को रात-दिन पुत्र, (UPBoardSolutions.com) पत्नी, मित्र और नौकर आदि के साथ अपनी भाषा के माध्यम से ही करो।

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निजभाषा …………………………………….. पुकार। संदर्भ- पूर्ववत्।
प्रसंग:
कवि ने अपनी भाषा, धर्म, मान-सम्मान और कार्य-व्यवहार को मिलाकर उन्नति करने । के लिए कहा है। |

व्याख्या:
अपनी भाषा, अपना धर्म, अपना मान-सम्मान, अपने कार्य और व्यवहार, इन सबसे मिलकर प्रगति का मार्ग प्रशस्त होता है।

पढ़ो लिखो कोउ ………………………. अनुसार। संदर्भ- पूर्ववत्।
प्रसंग:
अनेक भाषाएँ जान लेने पर भी, सोच-विचार (UPBoardSolutions.com) करने के लिए कवि ने हिन्दी का प्रयोग करने को कहा है।

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व्याख्या:
चाहे अनेक प्रकार से पढ़ाई-लिखाई की जाए, अनेक भाषाएँ सीखी जाएँ, परन्तु जब भी कोई सोच-विचार (UPBoardSolutions.com) किया जाए, वह अपनी भाषा में ही किया जाना चाहिए।

अंग्रेजी ……………………………..हीन।

संदर्भ:
पूर्ववत्।

प्रसंग:
अँग्रेजी पढ़कर सर्वगुण होकर, कवि ने हिन्दी (निज भाषा) के ज्ञान बिना मनुष्य को हीन बताया है।

व्याख्या:
यद्यपि अँग्रेजी भाषा के पढ़ने से मनुष्य सब गुणों में चतुर हो जाता है, फिर भी अँग्रेजी के साथ हिन्दी भाषा का ज्ञान जरूरी है।

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घर की फूट बुरी

जगत में ………………………………….जनि कोय।
संदर्भ:
प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक ‘मंजरी’ के निजभाषा उन्नति’ (UPBoardSolutions.com) नामक पाठ ‘घर की फूट बुरी’ नामक कविता से ली गई है। इसके रचयिता भारतेन्दु हरिश्चन्द्र हैं।

प्रसंग:
कवि ने अनेक उदाहरण देते हुए घर की फूट को बुरा बताया है। धन, मान और शक्ति की चाह करने वालों को घर में फूट नहीं पड़ने देना चाहिए।

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व्याख्या:
भारतेन्दु हरिश्चन्द्र कहते हैं कि संसार में घर की फूट बहुत बुरी है। सोने की लंका घर की फूट से ही नष्ट हो गई। फूट के कारण ही सौ कौरव मारे गए और महाभारत का युद्ध हुआ। उससे जो हानि हुई, उसकी पूर्ति भारत में अब तक नहीं हो पाई। फूट के कारण ही जयचन्द ने भारत में अफगानों को बुलाया। उसका फल आर्य लोग गुलाम होकर अब तक भोग रहे हैं। फूट के कारण ही महापद्मनन्द ने मगध के राज्य का नाश कर लिया। (UPBoardSolutions.com) उसने चन्द्रगुप्त मौर्य का विनाश करना चाहा था लेकिन वह राज्य सहित स्वयं ही नष्ट हो गया। अत: यदि संसार में अपने धन, मान और बल की रक्षा करनी है, तो अपने घर में भूल से भी फूट मत डालो।

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प्रश्न-अभ्यास

कुछ करने को

प्रश्न 1:
निम्नांकित स्थितियों पर छोटे समूहों में चर्चा कीजिए और निष्कर्ष को पाँच-सात (UPBoardSolutions.com) पंक्तियों में लिखिए

(क) ऐसा घर जिसमें सब मिलकर कार्य करते हैं।
उत्तर:
विद्यार्थी चर्चा स्वयं करें।
निस्कर्षत :
हमें घर के सभी कार्य मिलजुलकर करने चाहिए। इससे आपसी प्रेम बना रहेगा। काम भी जल्दी निपट जाएगा और सबके पास आराम के लिए बराबर-बराबर समय बचेगा। घर के बड़ों को लगेगा कि बच्चे उनकी फिक्र करते हैं। (UPBoardSolutions.com) बच्चों को भी यह महसूस होगा कि बड़े उनका ख्याल रखते हैं। फलतः घर में हँसी-खुशी का माहौल बना रहेगा।

(ख) ऐसा घर जिसमें फूट है।
उत्तर:
विद्यार्थी चर्चा स्वयं करें।

निस्कर्षत :
यह कहा जा सकता है कि जिस घर में आपस में फूट हो, वह घर कभी उन्नति नहीं कर सकता। ऐसे घर में शांति तो दूर की बात है, हँसी-खुशी का कोई पल भी नहीं ठहरेगा। घर के सभी सदस्य अनमने से रहेंगे। बच्चों का मानसिक विकास प्रभावित होगा। (UPBoardSolutions.com) बड़े-बुजुर्गों की सेवा नहीं होगी और बाहरवाले उनका मजाक उड़ाएँगे।

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प्रश्न 2:
कवि ने फूट के कारण होने वाले विनाश के अनेक उदाहरण दिए हैं, यथा
(क) रावण और विभीषण की फूट के (UPBoardSolutions.com) कारण लंका का नाश।
(ख) कौरव और पाण्डवों की फूट के फलस्वरूप महाभारत युद्ध।
(ग) पृथ्वीराज और जयचन्द की आपसी फूट के कारण यवनों को भारत आगमन।
इन विषयों पर शिक्षक/शिक्षिका के साथ चर्चा करके फूट के कारण और उनके दुष्परिणामों को संक्षेप में लिखिए।
उत्तर:
(क) रावण और विभीषण के बीच फूट का कारण था, उनके विचारों और संस्कारों में अंतर होना। रावण को अपनी शक्ति पर बहुत घमंड था। उसने सीता का धोखे से अपहरण कर लिया था, अतः रावण को व्यभिचारी भी कहा जा सकता है। परंतु इसके विपरीत विभीषण धार्मिक प्रवृत्ति का चरित्रवान व्यक्ति था। रावण द्वारा सीता के अपहरण करने पर उसने आपत्ति जताई क्योंकि उसके अनुसार यह कार्य नीति एवं मर्यादा के विरुद्ध था। (UPBoardSolutions.com) इसलिए उसने रावण से अनुरोध किया कि वह सीता को वापस राम के पास भेज दे, परंतु रावण ने उसे कायर कहकर दुत्कार दिया। रावण द्वारा दुत्कारे जाने और अपमानित. किए जाने से आहत विभीषण राम के पास पहुँच जाता है और उन्हें रावण और लंका से जुड़े सारे रहस्य बता देता है, जिसके फलस्वरूप रावण युद्ध में राम द्वारा मारा जाता है। रावण का सर्वनाश ही दोनों भाइयों के बीच के फूट का दुष्परिणाम था।

(ख) कौरव पाण्डवों से ईर्ष्या करते थे। उन्होंने उनके हिस्से का राज्य हड़प लिया, उन्हें तरह-तरह
की तकलीफें दीं। उनका बार-बार अपमान किया। कौरवों के अन्याय की हद तब हो गई जब उनके द्वारा परिश्रम से स्थापित किया गया राज्य भी उन्होंने जुए में धोखे से पांडवों हो हराकर प्राप्त कर लिया और भरे दरबार में द्रौपदी का अपमान किया। फलस्वरूप पांडवों-कौरवों के बीच कुरुक्षेत्र में महाभारत का युद्ध लड़ा गया, जिससे दोनों तरफ के अनेकों शूरवीर मारे गए। अंततः दुर्योधन भी मारा गया। उसके सारे सगे-संबंधी और भाई पहले ही मारे जा चके थे। धृतराष्ट्र और गांधारी के अलावा कुरू-वंश में कोई भी न बचा। कौरवों का सर्वनाश तो इस युद्ध का दुष्परिणाम था ही, पाण्डवों के पुत्रों का भी (UPBoardSolutions.com) कम उम्र में मारा जाना और विश्व के अनेक शूरवीरों को मारा जाना एक और भयावह परिणाम था।

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(ग) पृथ्वीराज और जयचंद के आपसी फूट का कारण था, जयचंद की पृथ्वीराज के बढ़ते शौर्य से ईष्र्या का होना। उनके बीच विद्वेष का मुख्य कारण जयचंद की पुत्री संयोगिता को भी माना जाता है। संयोगिता पृथ्वीराज से प्रेम करती थी। परंतु जयचंद ने उसके स्वयंवर में पृथ्वीराज को आमंत्रित नहीं किया था। पृथ्वीराज ने संयोगिता का अपहरण कर उससे विवाह कर लिया। फलस्वरूपं अब तक जयचंद की नफरत पृथ्वीराज के लिए और भी बढ़ गई। इसका प्रतिशोध उसने इस तरह लिया कि मुहम्मद गौरी ने पृथ्वीराज पर आक्रमण किया तो जयचंद ने इस आक्रमण में मुहम्मद गौरी का साथ दिया। गौरी पहले भी (UPBoardSolutions.com) पृथ्वीराज से युद्ध करके दो बार पराजित हो चुका था, परंतु जयचंद की सहायता पाकर इस बार वह पृथ्वीराज को हराने में सफल रहा, जिसका दुष्परिणाम यह हुआ कि भारत के कई हिस्सों पर यवनों का साम्राज्य स्थापित हो गया। यहाँ तक कि गौरी ने जयचंद को भी नहीं छोड़ा और उसके राज्य पर भी आक्रमण किया।

प्रश्न 3.
इस कविता के आधार पर आप भी दो सवाल बनाइए।
उत्तर:
प्र०1. सब प्रकार की उन्नति का आधार क्या है?
प्र०2, कवि के अनुसार घर-परिवार के सदस्यों के साथ हमें किस भाषा में बात करनी चाहिए?

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प्रश्न 1:
यदि आपको अपनी बात हिन्दी, संस्कृत अथवा अंग्रेजी में से किसी एक भाषा में कहने के लिए कहा जाय, तो आप किस भाषा को चुनेंगे ?
उत्तर:
हिन्दी भाषा को, क्योंकि हिन्दी हमारी राष्ट्रभाषा है और मुझे इसका ज्ञान है।

कविता से
प्रश्न 1:
निज भाषा की उन्नति से क्या-क्या लाभ होगा ?
उत्तर:
अपनी भाषा उन्नति करने से अपने धर्म, (UPBoardSolutions.com) मान-सम्मान और कार्य-व्यवहार की उन्नति होगी।

प्रश्न 2:
हमें अपनी भाषा का प्रसार कहाँ-कहाँ करना चाहिए ?।
उत्तर:
हमें अपनी भाषा का प्रसार सरकारी काम-काज, अदालत आदि में करना चाहिए। साथ ही यह प्रयास करना चाहिए कि हमारी हिंदी भाषा का विस्तार विदेशों में भी हो सके।

प्रश्न 3:
कवि ने अपनी भाषा के अतिरिक्त किसको-किसको बढ़ाने की बात की है ?
उत्तर:
कवि ने भाषा के अतिरिक्त धर्म, मान-सम्मान, एकता आदि को बढ़ाने की बात की है।

प्रश्न 4:
कवि ने महाभारत के युद्ध का क्या कारण बताया है ?
उत्तर:
कवि ने महाभारत युद्ध का कारण कौरवों और (UPBoardSolutions.com) पांडवों के बीच आपसी फूट को बताया है।

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प्रश्न 5:
निम्नांकित पंक्तियों का आशय स्पष्ट कीजिए
(क) निज भाषा उन्नति अहै सब उन्नति को मूल।
उत्तर:
कवि का आशय है कि निजभाषा के प्रचार-प्रसार (UPBoardSolutions.com) से अपने धर्म, मान-सम्मान, कार्य व्यवहार आदि में उन्नति होगी।

(ख) जो जग में धान मान और बल अपुनी राखन होय।
तो अपुने घर में भूले हू फूट करौ जनि कोय।
उत्तर:
कवि कहना चाहता है कि यदि संसार में अपने धन, मान और बल की रक्षा करनी है, तो अपने घर में भूल से भी फूट मत डालो।

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भाषा की बात

प्रश्न 1:
शब्दों के तत्सम रूप लिखिए (UPBoardSolutions.com)
करम, जदपि, सुबरन, हिय, जल, मीत, धरम।
उत्तर:
करम            –         कर्म
जदपि           –          यद्यपि
सुबरन          –          सुवर्ण
आरज          –          आर्य
हिये              –          हृदय
जल              –           नीर
मीत              –          मित्र
धरम             –           धर्म

प्रश्न 2.
निज भाषा उन्नति अहै सब उन्नति को मूल।
बिन निज भाषा ज्ञान के मिटै नै हिय को शूल॥

उपर्युक्त पंक्तियों में आये हुए ‘मूल’ और ‘शूल’ शब्द तुकान्त शब्द हैं। (UPBoardSolutions.com) कविता से ऐसे ही तुकान्त शब्द छाँटकर उन शब्दों के आधार पर कुछ पंक्तियाँ रचिए।
उत्तर:
आ गए वे परदेश से अजब अनोखी बात।
मेरे लिए तो आ गई आज दीवाली रात।।

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प्रश्न 3:
इस कविता से मैंने सीखा…………..। – विद्यार्थी स्वयं करें।

प्रश्न 4.
अब मैं करूंगा/करूंगी………………………..। – विद्यार्थी स्वयं करें।

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UP Board Solutions for Class 7 Hindi Chapter 4 बहता पानी निर्मला (मंजरी)

UP Board Solutions for Class 7 Hindi Chapter 4 बहता पानी निर्मला (मंजरी)

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महत्वपूर्ण गद्याशों की व्याख्या

यात्रा करने के ………………….हुँके श्रीनगर में।
प्रसंग एवं संदर्भ:
प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक ‘मंजरी-7’ में संकलित यात्रा-निबंध ‘बहता पानी निर्मला से लिया गया है। लेखक हीरानंद सच्चिदानंद वात्स्यायन ‘अज्ञेय’ पूर्व सुनिश्चित यात्रा
और अनियोजित यात्रा के बीच का अंतर बताया है।
व्याख्या:
लेखक कहता है- यात्रा करने का एक व्यवस्थित तरीका यह है कि यात्रा से जुड़ी सारी व्यवस्था पहले ही सुनिश्चित कर लिया जाए। जैसे कि जगह, खर्च, छुट्टी, टिकट, सीट/बर्थ, होटल आदि के विषय में पहले ही सोच-विचार कर तय (UPBoardSolutions.com) कर लेना चाहिए और फिर यात्रा पर निकलना चाहिए। लेकिन लेखक यहाँ यह भी कहता है कि ऐसे यात्रा करने में कोई मज़ा नहीं आता। लेखक के अनुसार मजा तो वैसी यात्रा में है जिसे बिना सोचे-समझे किया जाए। योजना और इरादा कहीं और जाने का बनाओ और निकल पड़ो कहीं और के लिए। लोगों को बताओ कि हम मुंबई जा रहे हैं। और पहुँच जाओ कश्मीर।

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रात शिव सागर …………………….. उपाय क्या था?
प्रसंग: पूर्ववत्।
संदर्भ:
प्रस्तुत गद्यांश में लेखक हीरानंद सच्चिदानंद वात्स्यायन ‘अज्ञेय’ ने अपने एक गलत निर्णय के कारण बाढ़ जैसी मुसीबत में फंसे जाने का वर्णन किया है।

व्याख्या:
लेखक कहता है कि जैसे-तैसे बाढ़ के पानी में डूबी सड़कों पर मोटर साइकिल चलाते हुए वे गाँव से रात को शिवसागर पहुँचते हैं। उन्हें ठहरने के लिए जगह, भोजन, बिस्तर आदि तो मिल जाता है कि लेकिन उनको अब वहाँ तब तक रुकना था जब तक कि बाढ़ का पानी उतर नहीं जाता।। ऐसे में लेखक अपने उस गलत फैसले के लिए खुद को कोसते हैं कि न वह नया दाँत ब्रुश लेने के लिए सोनारी से निकलते, न यह मुसीबत होती। (UPBoardSolutions.com) न तो ब्रुश और न ही मोटर की ढिबरी ठीक कराने की । तात्कालिक जरूरत थी लेकिन फिर भी न जाने वे क्या सोचकर निकल पड़े थे और अब बाद में फैंस गए हैं।

पाठ का सार (सटश)

लेखक को बचपन से नक्शे देखने की शौक है। नक्शों के सहारे वे दर-दनिया की सैर का मजा लेते हैं। लेखक कहते हैं कि यात्रा करने के कई तरीके हैं। एक तो यह कि आप सोच-विचार कर निश्चय कर लें कि कहाँ जाना है, कब जाना है, कहाँ-कहाँ घूमना है, कितना खर्च होगा, फिर उसी के अनुसार सारी तैयारी कीजिए। दूसरा तरीका यह है कि आप योजना तो बनाइए कहीं जाने की और निकल कहीं और पड़िए। अंग्रेजी की एक कहावत के अनुसार एक कील के कारण कभी-कभी पूरे राज्य से हाथ धोना पड़ता है। ऐसा ही कुछ लेखक के साथ हुआ-एक दाँत माँजने के ब्रुश और मोटर की एक मामूली-सी. ढिबरी के लिए एक बार वे बड़ी मुसीबत में पड़ गए। बरसात के दिन थे, रास्ता खराब था। एक दिन लेखक सबेरे घूमने निकले तो देखा कि नदी बढ़ कर सड़क के बराबर आ गयी है। वह सोनारी गाँव के डाकबँगले से दूर आ गए थे और शिवसागर से तीन-चार मील पर थे। टूथब्रश और मोटर की एक छोटी सी ढिबरी के चक्कर में उन्हें दो-तीन घंटे लग गए (UPBoardSolutions.com) और जब वे वापस लौटे तो देखा कि सड़क पर पानी बड़े जोर से एक तरफ से दूसरी तरफ बह रहा था, क्योंकि सड़क के एक तरफ नदी थी, दूसरी तरफ नीची सतह के धान के खेत थे, जिनकी ओर पानी बढ़ रहा था। पानी के धक्के से सड़क कई जगह टूट गयी थी। लेखक पानी होने की वजह से पीछे भी नहीं लौट सकते थे, इसलिए आगे बढ़ता गए। पर थोड़ी देर बाद पानी कुछ और गहरा हो गया।

आगे कहीं कुछ दीखता नहीं था। सड़क के दोनों ओर लगे पेड़ों पर साँप लटक रहे थे। लेखक ने लौटने का निश्चय किया, पर सड़क दिखाई नहीं दे रही थी, अन्दाज से ही वे बीच के पक्के हिस्से पर गाड़ी चला रहे थे। लेखक किसी प्रकार शिवसागर पहुँचे। शिवसागर से सोनारी को एक दूसरी सड़क भी जाती थी चाय बागानों में से होकर, यह सड़क अच्छी थी पर इसके बीच एक नदी पड़ती थी जिसे नाव से पार करना होता था। लेखक ने इसी रास्ते से सोनारी जाने की सोची। लेखक इसे सड़क से नदी तक पहुँचे। नदी में नाव पर गाड़ी लाद भी ली और पार चले गए। किंतु यहाँ भी नदी में भीषण बाढ़ आयी थी। उस पार नदी का कगारा ऊँचा था, मोटर के लिए उतारी बना हुआ था। लेकिन नाव से किनारे तक जो तख्ते डाले गये थे वह ठीक नहीं लगे थे। लेखक की गाड़ी नीचे गिरी आधी पानी में, आधी किनारे पर। (UPBoardSolutions.com) लेखक जोर से ब्रेक दबाये बैठे थे। आधे घण्टे तक उस स्वर्गनसैनी पर बैठे रहने के बाद जैसे-तैसे मोटर ऊपर चढ़ायी जा सकी। आगे ऊँची जगह पर एक गाँव था। यहीं सोनारी से आये दो साइकिल-सवारों से मालूम हुआ कि वे कन्धों तक पानी में से निकल कर आये हैं-साइकिलें कन्धों पर उठाकर! और मोटर तो कदापि नहीं जा सकती। इस तरह इधर भी निराशा थी। पानी अभी बढ़ रहा था पर लेखक यहाँ कैद हो जाना नहीं चाहते थे, इसलिए फिर नाव पर मोटर चढ़ा कर उसी रास्ते नदी पार की और रात को किसी तरह शिवसागर पहुँचे। एक सज्जन ने ठहरने को जगह दी, भोजन-बिस्तर का प्रबन्ध भी हो गया पर मन ही मन लेखक ने खुद को कोसा कि न नया दाँत-ब्रुश लेने के लिए सोनारी से निकले होते, न यह मुसीबत होती। लेखक को यहाँ बारह दिन काटना पड़ा और जब डाक बँगले पर वापस पहुँचे तो देखा कि वहाँ पानी भरा हुआ था। सब कुछ भीगकर बरबाद हो गया था। यात्रा में इस तरह की कठिनाइयाँ झेलने पर भी लेखक का मानना है कि घूमते-फिरते रहना चाहिए एक जगह टिकना तो मौत है।

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प्रश्न-अभ्यास

कुछ करने को

प्रश्न 1:
यदि आपने बस/रेलगाड़ी से कोई यात्रा की हो तो यात्रा में लिये गये टिकट (UPBoardSolutions.com) पर दी गयी जानकारी तथा निर्देश को लिखें।
उत्तर:
संकेत- रेलगाड़ी की टिकट पर दी गई जानकारियाँ मुख्यतः इस प्रकार की होती हैं
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प्रश्न 2:
“मैंने लाटन का ……………………………………………………… शिवसागर पहुँचा।” उपर्युक्त अनुच्छेद को पढ़कर अपने सहपाठियों से पूछने के लिए चार प्रश्न बनाइए।
उत्तर:
प्र० (i) लेखक ने लौटने का निश्चय क्यों किया होगा?
प्र० (ii) लेखक को अंदाज से ही बीच के पक्के हिस्से पर गाड़ी क्यों चलानी पड़ रही थी? (UPBoardSolutions.com)
प्र० (iii) लेखक ने क्या देखा था?
प्र० (iv) लेखक शिवसागर कैसे पहुँचे?

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विचार और कल्पना

प्रश्न 1:
आपने भी कोई न कोई यात्रा जरूर की होगी। उस यात्रा में कई प्रकार (UPBoardSolutions.com) की समस्याएँ आयी होंगी। उन समस्याओं का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।
उत्तर:
विद्यार्थी स्वयं करें।

प्रश्न 2:
आठ घण्टा उस स्वर्गनसैनी पर बैठे-बैठे, असमिया, हिन्दी और बंगला की खिचड़ी में लोगों को बताता रहा कि क्या करें? इन परिस्थितियों में लेखक के मन में क्या-क्या भाव उत्पन्न हुए होंगे? स्वयं को उस स्थान पर रखते हुए लिखिए।
उत्तर:
इन परिस्थितियों में लेखक के मन में तरह-तरह के भाव आ रहे होंगे; जैसे-बाढ़ का पानी यदि ज्यादा ऊपर आ गया तो? यदि यह नाव पलट जाएगी तो क्या होगा? क्या मैं अपने घर सुरक्षित लौट पाऊँगा? मोटरसाइकिल यदि आधे रास्ते में खराब हो गई तो? इत्यादि-इत्यादि।

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यात्रावृत्त से

प्रश्न 1:
लेखक ने यात्रा करने के कितने प्रकार बताए हैं और उन्होंने किस प्रकार की यात्रा की?
उत्तर:
लेखक ने यात्रा करने के दो तरीके बताए हैं-एक तरीका तो यह कि आप पहले (UPBoardSolutions.com) से ही यात्रा संबंधित पूरी योजना बना लें और दूसरी यह कि आप योजना तो कहीं और जाने की बनाइए और निकल कहीं और जाइए।

प्रश्न 2:
लेखक ने किन स्थानों की यात्रा की ?
उत्तर:
लेखक ने सोनारी और शिवसागर की यात्रा की।

प्रश्न 3:
लेखक ने अपनी यात्रा में किस प्रकार की कठिनाइयों का सामना किया ?
उत्तर:
लेखक जब यात्रा के लिए निकले तो उन्हें बरसात का मौसम होने के कारण कई कठिनाइयों मना करना पड़ा; जैसे-मौसम, खराब था, रास्ता खराब था, पूरी सड़क बाढ़ के पानी में डूबी हुई। थी, न आगे बढ़ने का रास्ता था न पीछे लौटने का।

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प्रश्न 4:
‘वास्तव में जितनी यात्राएँ स्थूल पैरों से करता हूँ उससे ज्यादा कल्पना के चरणों से करता हूँ’ इस वाक्य से लेखक का क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
लेखक देश-विदेश भ्रमण के शौकीन और यात्रा-प्रेमी जान पड़ते हैं। स्थूल पैरों से यात्रा करने का उनका तात्पर्य उन स्थानों से हैं जहाँ वे स्वयं शरीर पहुँच सके, लेकिन जिन स्थानों की यात्रा उन्होंने अपनी कल्पनाओं में की, उन स्थानों के विषय में उन्होंने कल्पना के चरणों शब्द का प्रयोग किया है।

प्रश्न 5:
‘एक कील की वजह से राज्य खो जाता है’ कहावत को लेखक ने किस सन्दर्भ में कहा ?
उत्तर:
एक कील की वजह से राज्य खो जाती है यदि इस अंग्रेजी कहावत की व्याख्या की जाए। तो इस प्रकार राज्य खोने की बात साबित हो पाएंगी कि-“एक कील की वजह से नाल, नाल की वजह से घोड़ा, घोड़े के कारण लड़ाई और लड़ाई के कारण राज्य से हाथ धोना पड़ता है। (UPBoardSolutions.com) लेखक ने यह बात इस संदर्भ में कही है कि एक दाँत माँजने के ब्रुश और मोटर की एक मामूली सी ढिबरी लेने के लिए गए और उन्हें लौटने में 3 घंटे की देर हो गई तो वे बाढ़ जैसी मुसीबत में पड़ गए।

प्रश्न 6:
यात्रा करने में हमें नक्शा किस प्रकार सहायता करता है?
उत्तर:
नक्शे से यात्रा करने में काफी सहूलियत मिलती है। नक्शा हमें सही रास्ता, दूरी, नियत स्थान आदि के बारे में पूरी जानकारी देता है।

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भाषा की बात

प्रश्न 1:
पाठ में आये अंग्रेजी के शब्दों को छाँटिए और उनके (UPBoardSolutions.com) हिन्दी अर्थ ढूँढकर लिखिए?
उत्तर:
टिकट                –         अधिकार-पत्र
होटल                –          भोजनालय या विश्रामालय
सीजन               –           मौसम
ब्रुश                   –           दातुन
रिजर्व                –           आरक्षित
मोटर                –            यंत्र
सीट                  –           बैठने का स्थान
बर्थ                   –           सोने का स्थान

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प्रश्न 2:
‘एक कील की वजह से राज्य खो जाता है’ यह एक कहावत है। ऐसी ही कहावतों को खोजिए और उनका अर्थ लिखिए ?
उत्तर:
अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता – अकेला व्यक्ति कोई बड़ा काम नहीं कर सकता।
आसमान से गिरा खजूर में अटका – एक मुसीबत से निकले तो दूसरी आ पड़ी।
सूरदास की काली कमरी चढ़े न दूजो रंग – आदतें पक्की होती है बदलती नहीं।
सौ सुना की एक लोहार की – काम को फैलाने की अपेक्षा एकदम कर डालना अच्छा होता है।

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प्रश्न 3:
उचित संबंधबोधक शब्दों का प्रयोग करते हुए निम्नलिखित वाक्यों को पूरा कीजिए
(क) उसी के अनुसार छुट्टी लीजिए और टिकट करवाइए।
(ख) लड़ाई के कारण राज्य से हाथ धोना (UPBoardSolutions.com) पड़ता है।
(ग) एक मामूली सी ढिबरी के चलते हम कैसी मुसीबत में पड़े।
(घ) नदी बढ़कर सड़क के ऊपर आ गई।
(ङ) सड़क पर से हटकर किनारे की ओर जाने लगे।

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