UP Board Solutions for Class 7 Hindi Chapter 3 वीरों का कैसा हो वसंत (मंजरी)

UP Board Solutions for Class 7 Hindi Chapter 3 वीरों का कैसा हो वसंत (मंजरी)

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समस्त पद्यांश की व्याख्या

आ रही …………………………..कैसा हो वसंत?
संदर्भ एवं प्रसंग:
प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक ‘मंजरी-7′ में (UPBoardSolutions.com) संकलित कविता “वीरों का कैसा हो वसंत’ कविता से ली गई है जिसकी कवयित्री सुभद्रा कुमारी चौहान है। इस कविता में कवयित्री ने प्रश्न किया है कि वीरों का वसंत कैसा हो?
व्याख्या:
हिमाचल पुकार रहा है, उदधि बार-बार गरज रहा है। पूर्व-पश्चिम, उत्तर-दक्षिण समेत दसों दिशाएँ यही प्रश्न कर रही है कि वीरों का वसंत कैसा होना चाहिए।

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फूली सरसों ने ……………………. कैसा हो वसंत?
संदर्भ एवं प्रसंग:पूर्ववत्।

व्याख्या:
फूली सरसों अर्थात लहलहाते फसलों ने वीरों के जीवन में रंग भरते हैं। आसमान मानो पुष्परस लेकर आया हो। बसंत के रंगों से दुलहन बनी धरती का अंग-अंग पुलकित यानी प्रसन्न हो रहा है। परंतु उसका कत यानी पति/प्रिय वीर की वेशभूषा में है यानी वह युद्ध के लिए तैयार खड़ा है और फिर यही प्रश्न खड़ा हो जाता है कि वीरों का वसंत कैसा हो।

भर रही कोकिला …………………………………कैसा हो वसंत?
संदर्भ एवं प्रसंग: पूर्ववत्।
व्याख्या:
कवयित्री कहती है कि वीरों के जीवन में बसंत तभी आएगा जब वे शांति से अपने अपनों के साथ खुशियाँ मना पाएँगे अन्यथा उनका वसंत तो युद्ध की तैयारी में ही बीत जाता है। वसंत में कोयल कूकती हैं तो युद्ध के मैदान में बाजे-गाजे, नगाड़े बजते हैं। वीरों के लिए रंग और (UPBoardSolutions.com) रण का विधान कुछ इसी तरह का है। वीर जब युद्ध के मैदान में उतरते हैं तो अपना आदि-अंत यानी जीवन-मृत्यु दोनों को ही हथेली पर रखकर चलते हैं। जीत मिलेगी तो जीवन मिलेगा और पराजय मिली तो मृत्यु। कवयित्री पुनः प्रश्न करती है कि युद्ध पर जाने वाले वीरों को वसंत कैसा हो।

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गलबाँहें हों, या ………….कैसा हो वसंत?
संदर्भ एवं प्रसंग:
पूर्ववत्।

व्याख्या:
कवयित्री एक तरफ वीरों को अस्त्र-शस्त्र से सुसज्जित देखती हैं तो दूसरी उनके गले में उनकी प्रिया के बाँहों के हार देखती हैं। वे दोनों को एक साथ रखकर पूछती हैं कि युद्ध पर जाने वाले वीर कृपाण चुनें या प्रिया की (UPBoardSolutions.com) बाँहों के हार, वे धनुष-बाण सँभालें या प्रिया के नैनों के बाण, वे विलासमय जीवन जो प्रेम और सुख से परिपूर्ण हो, उसका चुनाव करें या दबे-कुचले लोगों की मुक्ति
के लिए युद्ध का रास्ता अपनाएँ। सबसे प्रबल और गंभीर समस्या तो यही है कि इन सब दुख-सुख के बीच इनका वसंत कैसा हो।

कह दे अतीत ……………….कैसा हो वसंत?
संदर्भ एवं प्रसंग: पूर्ववत्।

व्याख्या:
कवयित्री चाहती है कि देशवासियों को युद्ध की सच्चाई ज्ञात हो जाए, अतः अतीत को अपनी चुप्पी तोड़ने के लिए कहती है। युद्ध क्यों होते हैं? उससे किसी का कभी भला नहीं होता, जीतने वाला, हारने वाला दोनों ही खाली हाथ रह जाते हैं। लंका में आग क्यों लगी थी? इस प्रश्न पर विचार करना चाहिए। कुरूक्षेत्र को जागने के लिए कहा जा रहा है ताकि क्ह अपने अनंत अनुभवों को बताकर दुनिया को युद्ध के संकट से बचा सके। (UPBoardSolutions.com)

हल्दीघाटी का शिला ……………….कैसा हो वसंत?
संदर्भ एवं प्रसंग: पूर्ववत्।

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व्याख्या:
कवयित्री चाहती हैं कि युद्ध और वीरता की मिसाल बने हल्दीघाटी और सिंहगढ़ के किले जैसे स्थलों से आह्वान किया जाए और देश के गौरव महाराणा प्रताप, नाना साहब आदि वीरों की. ज्वलंत स्मृतियों को फिर से जगा दिया जाए ताकि देश के (UPBoardSolutions.com) नौजवानों में अपने देश पर कुर्बान होने का नया जोश पैदा हो। आखिर वीरों की वसंत कैसा हो? क्या युद्ध भूमि में शहीद हो जाना ही उनका वसंत है? नहीं, इसलिए कवयित्री अतीत में घटित युद्ध के कड़वे सच को बताते हुए वर्तमान में नरसंहार को रोकना चाहती है।

वीरों का कैसा हो ……………….कैसा हो वसंत?

संदर्भ एवं प्रसंग: पूर्ववत्।
व्याख्या:
कवयित्री दुख प्रकट करते हुए कहती हैं कि आज भूषण और चंद जैसे कवि नहीं रहे। जो छंदों में जान डाल सके। आज कवियों की कलम स्वच्छंद नहीं है बल्कि अंग्रेज शासकों की गुलाम है, इसलिए खुलकर अपने विचार अभिव्यक्त नहीं कर (UPBoardSolutions.com) पाती फिर हमें कौन आकर बताएगा कि वीरों का वसंत कैसा हो?

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प्रश्न-अभ्यास

कुछ करने को

प्रश्न 1:
अपने आस-पास किसी सैनिक से मिलकर उनके कार्य क्षेत्र के बारे में जानकारी , प्राप्त कर, उसे अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर:
विद्यार्थी स्वयं करें।

प्रश्न 2:
1857 की क्रान्ति के मुख्य केन्द्र दिल्ली, मेरठ, झाँसी, कानपुर, (UPBoardSolutions.com) और लखनऊ आदि थे। इन स्थलों पर स्वतंत्रता संग्राम का नेतृत्व करने वालों के नामों की सूची बनाइए।
उत्तर:
1857 की क्रांति के मुख्य केंद्र स्थलों पर नेतृत्व करने वाले लोग।

दिल्ली                              –             बहादुरशाह जफर, बख्तखाँ
मेरठ                                –             धनसिंह गुर्जर
कानपुर                            –             नाना साहब, तात्या टोपे
लखनऊ                           –             बेगम हजरत
महल झाँसी                      –             रानी लक्ष्मीबाई ।
इलाहाबाद                       –              लियाकत अली
बिहार (जगदीशपुर)        –              कुँवर सिंह
बरेली                              –              खान बहादुर खाँ
फैजाबाद                         –              मौलवी अहमद उल्ला
फतेहपुर                          –              अजीमुल्ला

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प्रश्न 3:
इस कविता को कई गायकों ने अपना स्वर दिया है। (UPBoardSolutions.com) अपने शिक्षक अथवा बड़ों के मोबाइल फोन पर इस कविता को सुनकर लयबद्धता के साथ याद कीजिए तथा विद्यालय के किसी कार्यक्रम में प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर:
विद्यार्थी स्वयं करें।

विचार और कल्पना

प्रश्न 1:
एक वीर सैनिक सारी सुख-सुविधा का त्यागकर देश की रक्षा में सन्नद्ध रहता है। दुर्गम बर्फ से घिरी पहाड़ी पर स्थित किसी सैनिक को किन कठिनाइयाँ का सामना करना पड़ता होगा? सोचकर लिखिए।
उत्तर:
देश की सीमाओं पर तैनात सैनिकों को अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता। बर्फ से घिरी दुर्गम पहाड़ियों पर दिन-रात उन्हें खराब मौसम की मार झेलनी पड़ती है। हमेशा शत्रुओं से चौकस रहना पड़ता है। शून्य डिग्री से नीचे के तापमान में भी वे बिना थके, बिना रुके प्रहरी का कार्य तल्लीनतापूर्वक करते हैं। सर्दियों में हड्डियों को जमा देने वाली ठंड की रात में भी वे बंदूक लेकर सीमा पर तैनात रहते हैं ताकि (UPBoardSolutions.com) देशवासी चैन की नींद सो सकें।

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प्रश्न 2:
सेना के तीन अंग हैं- थल सेना, वायु सेना, जल सेना। सैनिक के रूप में सेना के किस अंग में आप भाग लेना चाहेंगे और क्यों ?
उत्तर:
विद्यार्थी स्वयं करें।

कविता से:

प्रश्न 1:
‘वीरों का कैसा हो वसंत ?’ कविता में कौन-कौन पूछ रहा है?
उत्तर:
हिमालय, सागर, धरती, आसमान, पूरब, पश्चिम-दसों (UPBoardSolutions.com) दिशाएँ पूछ रही हैं कि- वीरों को कैसा हो वसंत?

प्रश्न 2:
वीरों के लिए वसंत के रंग और रण का क्या स्वरूप है?
उत्तर:
वीरों के लिए वसंत के रंग और रण का स्वरूप यह है कि वीर वसंत ऋतू के रंगोत्सव से। परे वसंती चोला पहनकर देश की रक्षा व स्वतंत्रता हेतु रण के लिए रणभूमि की ओर निकल पड़े हैं। उनका चोला वसंती रंग का है जो वीरता और बलिदान का प्रतीक है।

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प्रश्न 3:
निम्नलिखित पंक्तियों के आशय स्पष्ट कीजिए
(क) सब पूछ रहे हैं दिग्-दिगन्त,
वीरों का कैसा हो वसंत?
उत्तर:
प्रस्तुत पंक्तियों में कवयित्री कह रही हैं कि वीरों का (UPBoardSolutions.com) वसंत कैसा होना चाहिए। वे वीर जो सर्वस्व त्याग कर देश की रक्षा हेतु तन-मन बलिदान करने चल पड़ा है, उसके लिए वसंत कैसा हो।

(ख) है रंग और रण का विधान,
मिलने आये हैं आदि-अन्त,
उत्तर:
प्रस्तुत पंक्तियों से कवयित्री का आशय है कि वीरों के लिए रंग और रण का विधान ऐसा । है कि वीर वसंती चोला पहनकर अपने देश की रक्षा के मैदान में जब उतरते हैं तो वे अपनी जीवन-मृत्यु को अपने हाथ में लेकर चलते हैं।

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(ग) बिजली भर दे वह छन्द नहीं,
है कलम बंधी स्वच्छन्द नहीं,
उत्तर:
इन पंक्तियों में कवयित्री दुख व्यक्त करते हुए कहती हैं कि (UPBoardSolutions.com) अब वीरों को जोश दिलाने वाले छंदों की कमी पड़ गई है। क्योंकि दुष्ट अंग्रेज शासकों ने कवियों की लेखनी पर प्रतिबंध लगा दिया है। उनकी कलम से स्वच्छंदता छीन ली गई है।

प्रश्न 4:
कविता में कवि अतीत से मौन त्यागने के लिए क्यों कह रहे हैं ?
उत्तर:
कवयित्री अतीत से मौन त्यागने को इसलिए कह रही है क्योंकि अतीत में जितने भी युद्ध हुए हैं उनके परिणाम में किसी-न-किसी का विनाश अवश्य हुआ है। खासकर अधर्म और अन्याय की राह पर चलने वालों का अंत ही हुआ है। अतीत इस बात का साक्षी रहा है। सीता का अपहरण करने वाले रावण की लंका का जलना हो या पांडवों द्वारा कौरवों का सर्वनाश। यहाँ कवयित्री द्वारा अतीत से मौन त्यागने की बात करने का (UPBoardSolutions.com) तात्पर्य यह है कि वे वर्तमान पीढ़ी को अतीत से सीख लेने को प्रेरित कर रही हैं और लोगों को युद्ध की विभीषिका से बचाना चाहती हैं।

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भाषा की बात

प्रश्न 1:
निम्नलिखित शब्दों के पर्यायवाची लिखिए (UPBoardSolutions.com)
भू, नभ, पुष्प, मधु, बिजली
उत्तर:
भू             –         धरी, पृथ्वी, वसुधा, अवनि, भूमि
नभ          –         आकाश, गगन, व्योम, अंबर, अभ्र
पुष्य         –          फूल, कुसुम, सुमन, प्रसून, गुल
मधु          –          शहद, मकरंद, पुष्परस, माक्षिक
बिजली    –          विद्युत, दामिनी, चंचला, चपला

प्रश्न 2. निम्नलिखित समस्त पदों का विग्रह करें
शिलाखण्ड, सिंहगढ़, हिमाचल, गलबाँहें, धनुषबाण
उत्तर:
शिलाखण्ड        –           शिला का खण्ड
सिंहगढ़             –           सिंह को गढ़।
हिमाचल            –          हिम का आँचल
गलबाहें              –          गले में बाँहें ।
धनुषबाण            –        धनुष और बाण

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प्रश्न 3:
दिये गये मुहावरों के अर्थ लिखकर उनका वाक्यों में प्रयोग कीजिएदाँत खट्टे करना, (UPBoardSolutions.com) ईट से ईंट बजाना, छक्के छुडाना, अंगारों पर चलना, खेत रह जाना ।
उत्तर:
दाँत खट्टे करना (पराजित करना): रानी लक्ष्मीबाई ने प्रारंभिक युद्ध में अंग्रेजों के दाँत खट्टे कर दिए थे।
ईंट से ईंट बजाना (विनाश करना): हमारे सैनिकों ने पाकिस्तान की ईंट से ईंट बजा दी।
छक्के छुड़ाना (करारा जबाब देना): कारगिल युद्ध में भारतीय सैनिकों ने पाकिस्तानी सैनिकों के छक्के छुड़ा दिए थे।
अंगारों पर चलना (जोखिम से भरे काम करना): देश की आजादी के लिए क्रांतिकारी अंगारों पर चलते थे बेहिचक।
खेत रह जाना (रणभूमि में मारा जाना): चीन की लड़ाई में हमारे सैकड़ों जवान खेत रहे।

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UP Board Solutions for Class 7 Hindi Chapter 17 वरदान माँगूंगा नहीं (मंजरी)

UP Board Solutions for Class 7 Hindi Chapter 17 वरदान माँगूंगा नहीं (मंजरी)

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महत्त्वपूर्ण पद्यांशों की व्याख्या

यह हार एक ……………………. नहीं।

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संदर्भ:
प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक ‘मंजरी’ के ‘वरदान माँगूंगा नहीं’ नामक पाठ से लिया गया है। इसके रचयिता शिवमंगल सिंह ‘सुमन’ हैं।

प्रसंग:
कवि ने जीवन को महासंग्राम बताया है।

व्याख्या:
कवि कहता है कि जीवन महासंग्राम है। इसमें आने (UPBoardSolutions.com) वाली कठिनाइयों से लड़कर उन पर विजय प्राप्त करना ही जीवन है। जीवन सक्रिय है। इसमें हार खाकर रुकना जीवन नहीं कहा जाता है। कवि का शरीर लड़ते हुए भले ही थोड़ा-थोड़ा करके घिस जाए, परन्तु वह किसी की दया नहीं चाहता। उसे कोई वरदान माँगने की जरूरत नहीं है।

स्मृति सुखद …………………… नहीं।

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संदर्भ: पूर्ववत् ।।

प्रसंग:
कवि अपने सुख के लिए और अपनी स्थिति सुधारने के लिए किसी की भी सम्पत्ति नहीं लेना चाहता।

व्याख्या:
कवि कहता है कि वह अपनी टूटी-फूटी जर्जर हालत, मामूली से निवास (घर) को सुधारने तथा जीवन में सुखद क्षणों की स्मृति लाने के लिए संसार की सम्पत्ति की चाह नहीं करेगा। वह तो अपनी स्थिति में ही प्रसन्न है। इस कारण उसे वरदान माँगने की जरूरत नहीं है।

क्या हार में ………………………………………… नहीं।

संदर्भ:
पूर्ववत्।।

प्रसंग:
कवि कहता है कि वह जीवन संघर्ष में होने (UPBoardSolutions.com) वाली हार से भयभीत नहीं है।

व्याख्या:
जीवन एक संग्राम है जिसमें हार और जीत दोनों होती हैं। इस कारण कवि को किसी प्रकार का डर नहीं है। जीवन संघर्ष करते हुए जीवन में चाहे विजय मिले, चाहे पराजय मिले, दोनों एक ही बात के दो रूप हैं। इसीलिए कवि को कोई वरदान माँगने की जरूरत नहीं।

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लघुता …………………. नहीं।

संदर्भ: पूर्ववत्।।

प्रसंग:
कवि कहता है कि उसे अपनी लघुता और अपने (UPBoardSolutions.com) हृदय की वेदना से लगाव है। वह इन्हें छोड़ने को तैयार नहीं है।

व्याख्या:
कवि कहता है कि जो व्यक्ति जीवन संघर्ष में विजयी होकर महान बन गए हैं, वे अपनी महानता बनाए रखें किंतु उसे अपने लघु रहने में ही आत्मसन्तोष अनुभव करने दें क्योंकि उसे अपनी वेदना से ही लगाव है। उसे वह त्यागने को तैयार नहीं है। वह कोई वरदान नहीं माँगेगा क्योंकि उसकी कवि को जरूरत नहीं है। उसे तो केवल जीवन में संघर्षरत रहना है।

चाहे हृदय ………………….. नहीं।

संदर्भ: पूर्ववत्।।

प्रसंग:
कवि कहता है कि वह हर दशा में अपने कर्तव्य पथ पर अडिग रहेगा, उससे भागेगा नहीं।

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व्याख्या:
कवि कहता है कि लोग चाहे उसके हृदय को जलाएँ (UPBoardSolutions.com) अर्थात् उसे परेशानियाँ दें और चाहे। उसे कोसते रहें अर्थात् उसकी भलाई करने के स्थान पर उसके अहित की कामना करें, इससे उस पर कोई फर्क नहीं पड़नेवाला है क्योंकि वह अपने कर्तव्य पथ पर जमकर संघर्षरत रहेगा और इस रणक्षेत्र से भागेगा नहीं। उसे कोई वरदान माँगने की जरूरत नहीं।।

प्रश्न-अभ्यास

कुछ करने को

प्रश्न 1:
हम बहता जल पीने वाले,
मर जायेंगे भूखे-प्यासे।
कहीं भली है कटक निबौरी,
कनक कटोरी की मैदा से।
उपर्युक्त कविता भी शिवमंगल सिंह ‘सुमन’ जी की ही है। (UPBoardSolutions.com) दोनों कविताओं में क्या समानता तथा क्या अन्तर है? लिखिए।
उत्तर:
समानता: दोनों कविताएँ आत्मविश्वास और स्वाभिमान से भरी हुई है।
अन्तर: वरदान माँगूंगा नहीं’ में कवि अपने सिद्धांतों के साथ समझौता नहीं करना चाहता है। जबकि उपर्युक्त कविता में कवि सांसारिक बन्धनों में नहीं बँधना चाहता है, बल्कि आजाद रहना चाहता है।

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प्रश्न 2:
“जीवन महासंग्राम है’ के समान भाव की कुछ सूक्तियाँ एकत्र करके लिखिए।
उत्तर:
(क) जिन्दगी एक संघर्ष है।
(ख) जीवन एक संघर्ष है।
(ग) जीवन एक युद्ध समान है।

विचार और कल्पना

प्रश्न 1:
कवि दया की भीख नहीं लेना चाहता, इस संबंध में आपके क्या विचार हैं, लिखिए?
उत्तर:
कवि दया की भीख नहीं लेना चाहता। इससे कवि के (UPBoardSolutions.com) स्वाभिमानी स्वभाव का पता चलता है।

प्रश्न 2:
यह भी सही, वह भी सही’ का प्रयोग किन परिस्थितियों के लिए किया गया है?
उत्तर:
जीवन संग्राम में संघर्षरत रहना ही मनुष्य का कर्तव्य है। इसमें विजय भी होती है और हार भी। दोनों एक ही सिक्के के दो पहलू हैं।

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प्रश्न 3:
कविता के मूल भाव को ध्यान में रखते हुए बताइए कि इसका शीर्षक ‘वरदान माँगूंगा नहीं क्यों रखा गया होगा तथा इस कविता के क्या-क्या शीर्षक हो सकते हैं?
उत्तर:
कविता के मूल भाव से कवि के स्वाभिमानी और आत्मविश्वासी होने का पता चलता है और ऐसे पुरुष हर कार्य अपनी ताकत पर करते हैं, वो किसी के आगे झुककर या माँगकर अपनी जरूरतों को पूरा नहीं करते हैं। इसलिए ही इस कविता (UPBoardSolutions.com) का शीर्षक वरदान माँगूंगा नहीं रखा गया होगा। इसके शीर्षक हो सकते हैं- ‘जीवन-संग्राम’, ‘स्वाभिमान।

कविता से

प्रश्न 1:
निम्नलिखित पंक्तियों का भाव स्पष्ट कीजिए

(क) कवि तिल-तिल मिट जाने के बाद भी किस बात के लिए तैयार नही हैं?
उत्तर:
कवि कहते हैं कि जीवन रूपी संग्राम में हमारा शरीर भले ही थोड़ा-थोड़ा करके घिस जाए लेकिन वह फिर भी किसी से दया नहीं चाहता है।

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(ख) लघुता ने अब मेरी छुओ, तुम हो महान बने रहो।
उत्तर:
संघर्ष पथ पर चलते हुए कवि का संकल्प यह है उन्हें इस पथ (UPBoardSolutions.com) पर चलते हुए जो भी मिलेगा, चाहे वह दुख हो या सुख, हार हो या जीत, जीवन हो या मृत्यु, वे सब कुछ स्वीकार कर
लेंगे लेकिन ईश्वर से वरदान नहीं माँगेंगे।

(ग) कुछ भी करो कर्तव्य पथ से किन्तु भागूंगा नहीं।
उत्तर:
कर्तव्यपथ के विषय में कवि का दृढ़ संकल्प यह है कि चाहे उनके हृदय को (UPBoardSolutions.com) कितनी भी पीड़ा क्यों न पहुँचाई जाए, चाहे उन्हें कितने ही अभिशापों को क्यों न झेलना पड़े लेकिन वे अपने कर्तव्य पथ से पीछे नहीं हटेंगे। अर्थात उन्हें रोकने के लिए चाहे उनके साथ जो कुछ भी किया जाए वे अपने कर्तव्य को हर हाल में निभाएँगे।

प्रश्न 2:
निम्नलिखित पंक्तियों को उनके सही अर्थ से मिलाइये (मिलाकर)
उत्तर:
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प्रश्न 3:
कविता में जीवन को महासंग्राम क्यों कहा गया है?
उत्तर:
कविता में जीवन को महासंग्राम कहा गया है क्योंकि इसमें कठिनाइयों पर संघर्षरत रहकर उन पर विजय प्राप्त करने का भाव होता है।

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भाषा की बात

प्रश्न 1:
इस कविता में एक पंक्ति है ‘‘क्या हार में क्या जीत में” इसमें एक ही पंक्ति में ‘हार’ (UPBoardSolutions.com) और ‘जीत’ दो परस्पर विलोम शब्द आए हैं। आप भी कुछ ऐसी पंक्तियाँ बनाइए जिनमें दो परस्पर विलोम शब्द एक साथ आए हों, जैसे- क्या सुख में क्या दुःख में।।
उत्तर:
(1) क्या खुशी में क्या गम में।
(2) क्या ऊपर में क्या नीचे में।
(3) क्या आगे में क्या पीछे में।
(4) क्या लेने में क्या देने में।।
(5) क्या रहने में क्या जाने में।
(6) क्या अन्दर में क्या बाहर में।

प्रश्न 2:
पाठ में आए तुकान्त शब्द छाँटकर उनका अपने वाक्यों में प्रयोग कीजिए (प्रयोग करके
उत्तर:
(1) शुद्ध भाषा में विराम चिहनों का धयान रखना चाहिए।
(2) जीवन एक महासंग्राम है।
(3) महाभारत युद्ध में पांडवों की जीत हुई।
(4) कायर रणक्षेत्र से भयभीत होकर भाग जाते हैं।
(5) भूमध्य रेखा पर सारे वर्ष ताप उच्च होता है।
(6) अशिक्षित रहना एक अभिशाप है।

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प्रश्न 3:
जन = लोग। (जन-जन की आवाज है – हम सब एक हैं।)
जान = प्राण। ( क्या बताऊँ, वह हमेशा मेरी जान के पीछे पड़ा रहता है।)
ऊपर के शब्दों (जन-जान) में केवल एक मात्रा के हेर-फेर से उनके उच्चारण (UPBoardSolutions.com) और अर्थ दोनों ही बदल गए हैं। नीचे कुछ शब्द-युग्म दिए जा रहे हैं, उनका अर्थ स्पष्ट करते हुए अपने वाक्यों में प्रयोग कीजिए तथा ऐसे पाँच शब्द-युग्म आप भी ढूंढिए।
सुत-सूत, नीर-नी, मन-मान, कुल-कूल, क्रम-कर्म
उत्तर:
सुत (पुत्र)                                 –           लव-कुश राम के सुत थे।
सूत (धागा)                              –           रेशम का सूत बहुत पतला होता है।
तन (शरीर)                            –            तन स्वच्छ रखना चाहिए।
तान (आने की लय)                –            तानसेन का तान बहुत अच्छा था।
मन (इन्छा, विचार, भाव)       –            प्रत्येक व्यक्ति को अपने मन पर नियन्त्रण रखना चाहिए।
मान (अम्मान)                        –             हमें अपने से बड़ों का मान करना चाहिए।
कुल (वंश, खानदान)             –              सीता सूर्य-कुल की पुत्रवधू थीं।
कूल (कनारा)                         –              नदी का कूल बहुत चौड़ा है।
नम (गला)                              –              बारिश से धरती नम हो जाती है।
नाम (यश)                              –               रामायण में राम नाम का गुणगान है।

प्रश्न 4:
तिल-तिल मिटूगा पर दया की भीख नहीं लूंगा, क्योंकि
(1) जीवन एक विराम है।
(2) जीवन महासंग्राम है।
(3) जीवन बहुत अल्प है।
(4) जीवन में बहुत आराम है।

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प्रश्न 5:
स्मृति सुखद प्रहरों के लिए क्या (UPBoardSolutions.com) नहीं चाहँगा ?
(1) विश्व की सम्पत्ति।
(2) खण्डहर।
(3) दीर्घायु।
(4) कर्तव्य

प्रश्न 6:
किन-किन परिस्थितियों में कवि अपने कर्तव्य-पथ से हटना नहीं चाहता है?
(1) हृदय को ताप एवं अभिशाप प्राप्त होने पर।
(2) भयर्भत होने पर।
(3) धमकाने पर।
(4) प्रताडित होने पर।

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UP Board Solutions for Class 7 Hindi Chapter 16 क्या निराश हुआ जाय (मंजरी)

UP Board Solutions for Class 7 Hindi Chapter 16 क्या निराश हुआ जाय (मंजरी)

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महत्त्वपूर्ण गद्यांश की व्याख्या

व्यक्ति-चित्त ………………………… देने लगे हैं।

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संदर्भ:
प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक ‘मंजरी’ के क्या (UPBoardSolutions.com) निराश हुआ जाय’ नामक निबन्ध से लिया गया है। यह निबन्ध हजारी प्रसाद द्विवेदी द्वारा लिखा गया है।

प्रसंग:
भारतवर्ष में भौतिक संग्रह को महत्त्व न देकर आन्तरिक तत्त्व पर बल दिया गया है। लोभ-मोह, काम-क्रोध पर समय का बन्धन रखे जाने का महत्त्व माना गया है। फिर भी भूख व बीमारी की दवा और परोपकारी कार्यों की उपेक्षा नहीं की जा सकती।

व्याख्या:
मनुष्य हमेशा उच्च आदर्शों को आधार मानकर ही आगे नहीं बढ़ता। कुछ विकार जैसेलोभ, मोह विकसित होकर उसे लक्ष्य से डिगाते रहे हैं। उच्च आदर्श और संयम आदि नगण्य हो गए हैं। जो कुछ विपरीत हुआ है, उससे उच्च आदर्शो, संयम और विधानोक्त कर्मों की उपयोगिता अब और अधिक सामने (UPBoardSolutions.com) आ गई है।

समाज के ऊपरी …………… संग्रह करते हैं।

संदर्भ: पूर्ववत्।

प्रसंग:
आजकल लोग कानून की त्रुटियों से लाभ उठाने में संकोच नहीं करते। धर्म को धोखा नहीं दिया जा सकता, जबकि कानून को दिया जा सकता है।

व्याख्या:
अब यह आम धारणा बन गई है कि भारतवर्ष में धर्म, कानून से बड़ी चीज है। आस्तिकता, सत्य, ईमानदारी, मानव प्रेम आदि की मान्यता अब भी है और रहेगी। दूसरों को पीड़ा पहुँचाना, ठगी, चोरी, डकैती, तस्करी, आदि महापाप हैं। (UPBoardSolutions.com) परहित, दरिद्र सेवा, नारी सम्मान और मानव प्रेम आज भी परम पुण्य माने जाते हैं। सभी व्यक्ति इन गुणों को अपने अन्दर अच्छा समझते हैं और नैतिक समर्थन देते हैं।

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पाठ का सर (सारांश)

लेखक का मन वर्तमान की घटनाओं से आशंकित है। बेईमानी के माहौल में ईमानदारी से जीविका चलाने वाले पिस रहे हैं। ईमानदारी को मूर्खता का पर्याय समझा जाने लगा है। ऐसी स्थिति में प्रश्न उठता है कि क्या निराश हुआ जाय। वस्तुतः मनुष्य की उन्नति के जितने विधान बनाए गए हैं, उतनी ही मात्रा में लोभ, मोह जैसे विकार भी विस्तृत हो गए। इससे भारत के पुराने आदर्श और भी अधिक महान और उपयोगी दिखाई देने लगे हैं। (UPBoardSolutions.com) लेखक ने एक टिकट बाबू की ईमानदारी और एक बस कंडक्टर की कर्तव्यपरायणता का उदाहरण देकर सन्तोष व्यक्त किया है। उसने लिखा है कि जीवन में ऐसी घटनाएँ भी घटित हुईं, जब लोगों ने अकारण ही सहायता की। निराश मन को ढाँढस बँधाया और हिम्मत दिलाई। इसीलिए अभी भी आशा की ज्योति बुझी नहीं है। महान् भारतवर्ष को पाने की सम्भावना बनी हुई है। और बनी रहेगी।

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प्रश्न-अभ्यास

  • कुछ करने को                                       नोट-विद्यार्थी स्वयं करें।
  • विचार और कल्पना                               नोट-विद्यार्थी स्वयं करें।
  • निबन्ध से

प्रश्न 1:
क्या कारण है कि आजकल हर व्यक्ति संदेह की दृष्टि देखा जा रहा है?
उत्तर:
आजकल लोग दोषी अधिक और गुणी कम दिखाई देते हैं। इसका कारण यह है कि गुणों पर कम ध्यान दिया जाता है और दोषों को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाया जाने लगा है।

प्रश्न 2:
जीवन के महान मूल्यों के बारे में लोगों की आस्थाएँ क्यों हिलने लगी हैं?
उत्तर:
आजकल समाचार-पत्रों में ठगी, डकैती, चोरी, तस्करी और भ्रष्टाचार के समाचार भरे रहते हैं। आरोप-प्रत्यारोप का कुछ ऐसा वातावरण बन गया है कि लगता है, देश में कोई ईमानदार आदमी रह नहीं गया है। हर व्यक्ति सन्देह की दृष्टि से देखा जा रहा है। (UPBoardSolutions.com) जो जितने ऊँचे पद पर हैं, उनमें उतने ही अधिक दोष दिखाए जाते हैं। बेईमान, स्वार्थी, धूर्त लोग फल-फूल रहे हैं किन्तु गरीब, ईमानदार और श्रमजीवी लोग दिनोंदिन पिस रहे हैं। समाज में जो भीरु और बेबस लोग हैं, उन्हें दबाया जाता है। ईमानदारी को मूर्खता का पर्याय समझा जाने लगा है। जीवन के महान नैतिक मूल्यों एवं आदर्शों का मजाक उड़ाया जा रहा है। इसलिए जीवन के महान मूल्यों के बारे में आज हमारी आस्था हिलने लगी है।

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प्रश्न 3:
किन घटनाओं के आधार पर लेखक को लगा कि मनुष्यता अभी समाप्त नहीं हुई है?
उत्तर:
एक टिकट-बाबू की ईमानदारी और एक बस कंडक्टर की कर्तव्यपरायणता की घटनाओं के आधार पर लेखक को यह लगा कि मनुष्यता अभी समाप्त नहीं हुई है।

प्रश्न 4:
‘बुराई में रस लेना बुरी बात है, अच्छाई में उतना ही रस लेकर उजागर न करना और भी बुरी बात है।’ क्यों?
उत्तर:
लेखक कहता है कि लोग एक-दूसरे की बुराई को बड़ा रस लेकर उद्घाटित करते हैं, जो बहुत बुरी बात है। किन्तु दूसरे की अच्छाई को उतना ही रस लेकर प्रकट करने में संकोच करना तो और भी बुरी बात है। हमारे आस-पास असंख्य घटनाएँ ऐसी घटती हैं, (UPBoardSolutions.com) जिन्हें यदि उजागर (प्रकट) किया जाए, तो लोगों के दिल में अच्छाई के प्रति अच्छी भावना जाग सकती है। अतः अच्छाई को प्रकट करने में कभी पीछे नहीं रहना चाहिए।

प्रश्न 5:
निम्नलिखित पंक्तियों का आशय स्पष्ट कीजिए

(क) ईमानदारी को मूर्खता का पर्याय समझा जाने लगा है, सच्चाई केवल भीरु और बेबस लोगों के हिस्से पड़ी है।
उत्तर:
वर्तमान समय में धन का महत्व इतना बढ़ गया है बेईमानी से कमाए गए धन से धनवान लोग भी सम्मान की नजरों से देखे जाते हैं। समाज में उनकी खूब प्रतीष्ठा है। फलतः लोग चालाकी से, बेईमानी से धन कमाने में लगे हैं। जो ईमानदार बने रहने की कोशिश करता है, समाज उसे मूर्ख समझता है क्योंकि उसके पास धन का अभाव होता है। सच्चाई का पालन करने वाले वास्तव में बेबस लोग ही हैं यानी जो गलत कार्य करने से डरते हैं या (UPBoardSolutions.com) जिनके पास गलत तरीके से धन कमाने का कोई रास्ता नहीं है, वही सच्चे और ईमानदार बने हुए हैं।

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(ख) केवल उन्हीं बातों का हिसाब रखो, जिनमें धोखा खाया है तो जीवन कष्टकर हो। जाएगा।
उत्तर:
यदि हम केवल जीवन उन्हीं बातों को ध्यान में रखें, जिनमें हमारे साथ धोखा हुआ है या हमें किसी तरह से तकलीफ पहुँचाई गई हो तो हमारा जीवन कष्टकर हो जाएगा। ऐसे में हम जीवन का आनंद नहीं ले सकेंगे और अतीत की बुरी घटनाओं की याद में उलझे रहेंगे। (UPBoardSolutions.com) आशय यह है कि हमें नकारात्मक घटनाओं पर अपना ध्यान केंद्रित नहीं करना चाहिए बल्कि जीवन में घटने वाली संकारात्मक घटनाओं से आशान्वित होना चाहिए।

(ग) भूख की उपेक्षा नहीं की जा सकती, बीमार के लिए दवा की उपेक्षा नहीं की जा सकती।
उत्तर:
हमारे देश में वैसे तो भौतिक वस्तुओं के संग्रह और लोभ-मोह-क्रोध जैसे विकारों को ‘महत्व नहीं दिया गया है परंतु यदि कोई व्यक्ति भूखा है तो उसे अपने लिए भोजन जुटाने का उपाय
करना ही पड़ेगा। वैसे ही यदि कोई व्यक्ति बीमार है तो वह बीमारी की उपेक्षा नहीं कर सकता, उसे दवा हर हाल में चाहिए। ठीक इसी प्रकार यदि समाज में या देश में कोई व्यक्ति गलत काम करने लगा है, कानून का उल्लंघन कर मनमानी करने लगा है, अपराध में लिप्त हो गया है तो उसे सुधारने के लिए उसे सजा देनी ही पड़ेगी अन्यथा वह दूसरों को दुखी करता रहेगा।

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(घ) महान भारतवर्ष के पाने की सम्भावना बनी हुई है, बनी रहेगी।
आशय:
लेखक का कथन हमें यह सन्देश देता है कि केवल कुछ बुराइयों को देखकर निराश नहीं हो जाना चाहिए। इस देश में ईमानदार, कर्तव्यपरायण और अच्छे लोगों की कमी नहीं है। हमारा देश बुराइयों पर अवश्य विजय प्राप्त कर लेगा। (UPBoardSolutions.com) अतः महान भारतवर्ष को पाने की पूरी सम्भावना है।

भाषा की बात

प्रश्न 1:
नीचे कुछ अव्यय शब्द दिए गये हैं, उनकी प्रयोग करते हुए एक-एक वाक्य बनाइए
क्योंकि, किन्तु, परन्तु, अथवा, इसलिए, चूंकि, तथा, अतः
उत्तर:
क्योंकि                       –                     मैं यहाँ रुकना नहीं चाहती क्योंकि यहाँ मेरा मन नहीं लग रहा है।
किंतु                          –                    वह गरीब था, किन्तु उसकी ईमानदारी में कोई कमी नहीं थी।
परन्तु                         –                    वह आपसे ही मिलने आया था परन्तु आप शहर से बाहर थे।
अथवा                        –                    तुम अंग्रेजी अथवा हिंदी में कोई एक भाषा चुन लो।।
इसलिए                      –                    रमा मेरी बात नहीं मानती इसलिए मैंने उससे कुछ कहना ही छोड़ दिया है।
चूंकि                          –                    चूँकि तुम एक मंत्री के बेटे हो, इसलिए तुम किसी पर भी अपनी मर्जी थोप सकते हो?
तथा                           –                     ईमानदारी, सच्चाई, कर्तव्यनिष्ठा, स्वाभिमान, साहस तथा आत्मनिर्भरता वीर पुरुषों के गुण है।
अतः                           –                    वह आपसे मिलना नहीं चाहता अतः आप यहाँ से चले जाएँ।

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प्रश्न 2:
ईमानदार’ तथा ‘मूर्ख’ शब्द गुणवाचक विशेषण हैं, इनमें क्रमशः ई” तथा “ता’ प्रत्यय लगाकर भाववाचक संज्ञा शब्द ‘ईमानदारी’ तथा ‘मूर्खता’ बनाया गया है। नीचे लिखे गये विशेषण शब्दों से भाववाचक संज्ञा बनाइए- निर्भीक, जिम्मेदार, (UPBoardSolutions.com) कायर, अच्छा, लघु, बुरा।
उत्तर:
शब्द                                        भाववाचक संज्ञा
निर्भीक                                         निर्भीकता
जिम्मेदार                                      जिम्मेदारी
कायर                                           कायरता
अच्छा                                            अच्छाई
लघु                                                 लघुता
बुरा                                                 बुराई

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प्रश्न 3:
इस पाठ में सरल, मिश्र और संयुक्त तीनों प्रकार के वाक्य आये हैं। नीचे दिये गये वाक्यों को पढ़िए और बताइए कि वे किस प्रकार के वाक्य हैं
UP Board Solutions for Class 7 Hindi Chapter 16 क्या निराश हुआ जाय (मंजरी) image - 1

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UP Board Solutions for Class 7 Hindi Chapter 15 मनभावन सावन (मंजरी)

UP Board Solutions for Class 7 Hindi Chapter 15 मनभावन सावन (मंजरी)

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समत पाशों की व्याख्या

झमे-झम …………………………… बूंदें झलमल।

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संदर्भ:
प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक ‘मंजरी’ के ‘मनभावन सावन’ नामक कविता से ली गई हैं। (UPBoardSolutions.com) इसके रचयिता सुमित्रानन्दन पन्त हैं।

प्रसंग:
प्रस्तुत कविता में कवि ने सावन के बरसते बादल का मनोरम चित्र खींचा है। कविता के अन्त में कवि ने जन-जन के जीवन में सावन का उल्लास भरने की कामना की है।

व्याख्या:
प्रस्तुत कविता में कवि ने सावन के बरसते बादल का मनोरम चित्र खींचा है। कवि कहता है कि सावन के बादल झम झम करके तेज वर्षा करते हैं। बादलों की बूंदें पेड़ों पर गिरती हैं और उनसे
छनकर पृथ्वी पर छम-छम की आवाज करके गिरती हैं। बादल से चमचम करके बार-बार बिजली चमकती है। दिन में अँधेरा हो जाता है और आदमी रुक-रुक कर सोचने लगता है, मानो स्वप्न देख रहा हो। ताड़ के पत्ते पंखों से नजर आते हैं, लम्बी-लम्बी अँगुलियाँ (UPBoardSolutions.com) और हथेली के साथ उन पर पानी की धार तड़-तड़ करके पड़ती है। हाथ और मुँह से बूंदें झिल-मिल करती हुई उप-टप गिरती हैं।

नाच रहे पागल …………………….. भरते गर्जन।

संदर्भ एवं प्रसंग: पूर्ववत्।

व्याख्या:
कवि ने सावन के बरसते बादलों का मनोरम चित्र खींचा है। वर्षा के कारण पीपल के पत्ते मानो ताली बजाकर नाच रहे हैं और नीम की पत्तियाँ आनन्दित हो झूम रही हैं। हरसिंगार के फूल झर रहे हैं और बेलों की कली प्रत्येक क्षण बढ़ रही है। (UPBoardSolutions.com) ऐसी सुखद हरियाली में मेंढकों की टर-टर और झिल्ली की झन-झन, मोर की ‘म्याव’ और पपीहे की ‘पीट-पीउ’ सुनाई देती है। बगुले सुखी होकर अपनी बोली बोलकर उड़ रहे हैं। बादल घुमड़-घुमड़ कर आ रहे हैं और आकाश को अपनी गर्जना से भर दिया है।

रिमझिम-रिमझिम ……………………. सावन मनभावन।

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संदर्भ एवं प्रसंग: पूर्ववत्।

व्याख्या:
कवि ने बरसते बादलों का सुन्दर चित्रण किया है, रिमझिम करके बूंदें आवाज कर रही हैं, मानो कुछ कह रही हैं। उससे रोमांच हो जाता है और हृदय पर प्रभाव पड़ता है। पानी की गिरती धाराओं से धरती के कण-कण में हरे-भरे अंकुर फूट रहे हैं। कवि का मन पानी की धार रूपी रस्सी के सहारे झूलना चाहता है और सबके द्वारा घिरकर उनसे सावन के गीत गाने को कहता है। कवि इन्द्रधनुष के झूले में सबको मिलकर झूलने के लिए कहता है (UPBoardSolutions.com) और कामना करता है कि यह मन को अच्छा लगने वाला सावन बार-बार आकर जीवन को सुखी बनाए।

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प्रश्न-अभ्यास

कुछ करने को

प्रश्न 1:
निम्नलिखित शब्दों की सहायता से एक कविता स्वयं बनाइए
बादल, बरसात, पानी, बिजली, हरियाली, दादुर, मोर, पंख, फुहार, काले।
उत्तर:
बरसात आई, बरसात आई
काले बादल घिरकर आए।
मनभावन हरियाली लाए।।
बिजली चमक रही घन माही।
छम-छम बरस रहा है पानी।। (UPBoardSolutions.com)
नन्हीं-नन्हीं पड़े फुहार।
मोर नाचता पंख पसार।।
दादुर-ध्वनि चहुंओर सुहाई।
बरसात आई, बरसात आई।।

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प्रश्न 2:
नोट- विद्यार्थी स्वयं करें।

प्रश्न 3:
नोट– विद्यार्थी स्वयं करें।

विचार और कल्पना

प्रश्न 1:
कविता को पढ़कर आप के मन में (UPBoardSolutions.com) सावन का जो चित्र उभरता है, उसे लिखिए।
उत्तर:
कविता को पढ़कर मन में सावन की हरियाली का चित्र उभरता है।

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प्रश्न 2:
सावन में चारों ओर हरियाली फैल जाती है। दादुर, मोर, चातक, सोनबलाक सभी खुशी से बोलने लगते हैं। आपको सावन कैसा लगता है- दस-पन्द्रह पंक्तियों में लिखिए।
उत्तरे:
हमें सावन अच्छा लगता है। सावन में चारों ओर हरियाली छा जाती है। पेड़-पौधे और वनस्पतियाँ सभी हरे-भरे हो जाते हैं। गर्मी और सूखे रेत के दब जाने से राहत मिलती है। चारों ओर हँसी-खुशी का वातावरण होता है। (UPBoardSolutions.com) पशु-पक्षी, जीव-जन्तु सभी प्रसन्न रहते हैं। गरजते बादल अच्छे लगते हैं। उनमें चमकती बिजली देखकर बच्चे खुश होते हैं। नीम के वृक्ष हिलते हुए अच्छे लगते हैं। बच्चे और स्त्रियाँ सावन में झूले पर झूलती हैं और सावन के गीत गाती हैं। मेंढक, मोर, चातक और सोनबालक आदि पक्षी खुशी से अपनी-अपनी बोली बोलते हैं। प्रकृति में मनमोहक दृश्य दिखाई देता है, जो बच्चों को खुश करता है। नदी-नाले सब पानी से परिपूर्ण होते हैं।

कविता से

प्रश्न 1:
ताड़ के पत्ते किस रूप में दिखायी पड़ रहे हैं ?
उत्तर:
ताड़ के पत्ते पंखों के रूप में दिखाई दे रहे हैं जिनमें अंगुलियाँ और चौड़ी हथेली हैं।

प्रश्न 2:
हरसिंगार और बेला के फलों पर सावन की बूंदों का क्या प्रभाव पड़ रहा है?
उत्तर:
हरसिंगार के फूल झर रहे हैं और बेला के (UPBoardSolutions.com) फूलों की कलियाँ प्रतिपल बढ़ रही हैं।

प्रश्न 3:
निम्नलिखित भाव कविता की किन पंक्तियों में आये हैं?

(क) पीपल के पत्ते मानो ताली बजाकर नाच रहे हैं और नीम आनंदित हो झूम रही हैं।
उत्तर:
नाच रहे पागल हो ताली दे-दे चल-चल झूम-झूम सिर नीम हिलातीं सुख से विह्वल।

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(ख) पानी की गिरती धाराओं से धरती के कण-कण में हरे-भरे
उत्तर:
धाराओं पर धाराएँ झरती धरती पर रज के कण-कण में तृण-तृण का पुलकावलि भर।।

प्रश्न 4:
निम्नलिखित पंक्तियों के भाव स्पष्ट कीजिए

(क) उड़ते सोनबलाक, आर्द-सुख से कर क्रन्दन।
भाव: बरसात में सुखी होकर आवाज करते हुए बगुले उड़ते हैं।

(ख) रोम सिहर उठते छूते वे भीतर अन्तर।
भाव:  बरसात को देखकर रोमांच होता है (UPBoardSolutions.com) जिसका दिल पर गहरा प्रभाव पड़ता है।

(ग) फिर फिर आये जीवन में सावन मनभावन।
भाव:  मन को अच्छा लगने वाला सावन जीवन में बार-बार आए और जीवन में खुशियाँ भर दे।

प्रश्न 5:
कविता की अन्तिम पंक्तियों में कवि ने क्या इच्छा व्यक्त की है?
उत्तर:
कवि ने इच्छा व्यक्त की है कि मनभावन (UPBoardSolutions.com) सावन जीवन में बार-बार आए।

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भाषा की बात

प्रश्न 1:
‘झम-झम, झम-झम मेघ बरसते हैं सावन के’ – इसमें ‘झम-झम’ ध्वनि सूचक शब्द है। कविता में अन्य कई ध्वनि सूचक शब्दों का प्रयोग हुआ है, जिससे सावन की बरसात का बड़ा सहज एवं सरस चित्रण हुआ है। इस प्रकार के ध्वनि सूचक शब्दों को चुनकर लिखिए।
उत्तर:
छम-छम, तड़-तड़, टप-टप, चम-चम, थम-थम, झूम-झूम, घुमड़-घुमड़, झन-झन आदि।

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प्रश्न 2:
कविता की उन पंक्तियों को चुनकर (UPBoardSolutions.com) लिखिए जिनमें अनुप्रास अलंकार है।
उत्तर:
झम-झम, झम-झम मेघ बरसते हैं, सावन के,
छम-छम-छम गिरती बूंदें तरुओं से छन के।

प्रोजेक्ट कार्य- विद्यार्थी स्वयं करें।

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UP Board Solutions for Class 7 Hindi Chapter 21 भारतरत्न महामना मदन मोहन मालवीय (मंजरी)

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महत्वपूर्ण पद्यांश की व्याख्या

महामना मदन मोहन मालवीय …………………. प्रदान किया गया।

संदर्भ:
प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक ‘मंजरी’ के ‘भारतरत्न महामना मदन मोहन मालवीय नामक पाठ से लिया गया है।

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व्याख्या:
प्रस्तुत पद्यांश में मालवीय जी के हिन्दुत्व के प्रति (UPBoardSolutions.com) जो विचार थे, उसकी विवेचना की गई है। मालवीय जी हिंदू धर्म और हिंदू संस्कृति के सच्चे अनुयायी थे। वे भारत की सभी समस्याओं का समाधान हिंदू धर्म का पुनरुत्थान मानते थे। उनका मानना था कि हिन्दू धर्म ही वह धर्म है जो विश्व-बंधुत्व की भावना को परिपुष्ट कर सकता है। वो चाहते थे कि संपूर्ण विश्व में भाई-चारी स्थापित हो। उन्होंने अपना संपूर्ण जीवन अपने इसी स्वप्न को पूरा करने में समर्पित कर दिया और इसके लिए कई संस्था व संगठनों का भी निर्माण किया।

पाठ का सम्र (सारांश)

महामना मदन मोहन मालवीय का जन्म ऐसे कालखण्ड में हुआ था, जिस समय भारत नव जागरण के साथ-साथ स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए संघर्षरत था।
महामना मदन मोहन मालवीय ने भारतीय स्वतंत्रता की ऐसी नींव रखी जिसके परिणाम स्वरूप 15 अगस्त 1947 ई० को हमारा देश स्वतंत्र हुआ। महामना मदन मोहन मालवीय भारतीय स्वाधीनता संघर्ष के नायक और साक्षी थे। इनका जन्म 25 दिसम्बर, 1861 ई० को प्रयाग में हुआ था। उनके पिता पण्डित ब्रजनाथ चतुर्वेदी और माता श्रीमती मूनादेवी थी। मालवीय जी के पूर्वज 15वीं शताब्दी में मालवा प्रर्दः से आकर प्रयाग में बस गये थे और स्थानवाची (मल्लई) अथवा ‘चौबे’ उपनाम से जाने गये। मल्लई शब्द को पं० मदन मोहन ने मालवीय बनाया। तब से सारे मल्लई मालवीय कहे जाने लगे। (UPBoardSolutions.com) मालवीय ने म्योर सेण्ट्रल कालेज से बी०ए० की परीक्षा उत्तीर्ण की।
महामना मदन मोहन मालवीय जी वैदिक (हिन्दू) धर्म और संस्कृति के सच्चे अनुयायी थे। उनका दृष्टिकोण था कि हिन्दू धर्म के दर्शन द्वारा ही विश्वबन्धुत्व के भाव को जाग्रत किया जा सकता है। अपने इस दिवास्वप्न को पूर्ण करने के लिए उन्होंने अपना सम्पूर्ण जीवन समाज की सेवा में समर्पित कर दिया।
मालवीय जी ने गंगा के अविरल प्रवाह के लिए 1914 में हरिद्वार में तथा 1924 में प्रयाग में सत्याग्रह किया। मालवीय जी छुआ-छूत, अस्पृश्यता के घोर विरोधी थे। वे इसे कलंक और राष्ट्रीय विकास के मार्ग में बाधा मानते थे। वे नारी शिक्षा व सशक्तिकरण के प्रबल समर्थक थे। उन्होंने जनता से अनुरोध किया कि वे उन सब सामाजिक कुरीतियों को दूर करें जो स्त्री जाति की उन्नति में बाधक हैं। वे बाल विवाह के घोर विरोधी थे।
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पण्डित मदन मोहन मालवीय ने गौ-रक्षा आन्दोलन भी चलाए। महामना मदन मोहन मालवीय एक राजनीतिज्ञ से अधिक शिक्षाशास्त्री थे। उन्होंने ही काशी हिन्दू विश्वविद्यालय की स्थापना की। मालवीय जी का सपना था कि सभी स्तर पर शिक्षा का ऐसा प्रबन्ध हो कि कोई भी बच्चा गरीबी के कारण शिक्षा से वंचित न रह पाये। महामना मालवीय जी ने भारतीय राजनीति, शिक्षा, साहित्य एवं पत्रकारिता में अपनी अमिट छाप छोड़ी। उन्होंने (UPBoardSolutions.com) अनेक छोटी-छोटी संस्थाओं जैसे- हिन्दू छात्रवास, हिन्दी साहित्य सम्मेलन, भारती भवन पुस्तकालय आदि को खड़ा किया। राष्ट्र निर्माण में इन संस्थाओं की भूमिका मील का पत्थर है।।
मालवीय जी ने अधययन-अधयापन के साथ-साथ कई समाचार-पत्रे का संपादन किया तथा तत्कालीन ब्रिटिश शासन की नीतियों का प्रबल विरोध किया। मालवीय जी का निधन 12 नवम्बर, 1946 ई० में हुआ। विलक्षण प्रतिभा के धनी राष्ट्र नायक मालवीय जी को भारत सरकार द्वारा 30 मार्च, 2015 ई० को देश का सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न प्रदान किया गया।

प्रश्न-अभ्यास

कुछ करने को

प्रश्न 1:
नोट- विद्यार्थी स्वयं करें।

प्रश्न 2:
मालवीय जी ने अनेक समाचार-पत्रों का संपादन किया। पता लगाइए कि (UPBoardSolutions.com) वे समाचार पत्र कौन-कौन से थे?
उत्तर:
महामना मदन मोहन मालवीय जी ने ‘हिन्दोस्थान’, ‘अभ्युदय’, ‘लीडर’, ‘भारत’, ‘मर्यादा’, ‘हिन्दुस्तान टाइम्स’, इण्डियन ओपीनियन’ तथा ‘सनातन धर्म’ नामक समाचार-पत्रों का संपादन किया।

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प्रश्न 3:
नोट- विद्यार्थी स्वयं करें

विचार और कल्पना

प्रश्न 1:
मालवीय जी ने तत्कालीन समाज की समस्याओं पर आवाज उठाई। आपके विचार से तत्कालीन समाज में क्या-क्या समस्याएँ रही होंगी जिन पर उन्होंने आवाज उठायी ?
उत्तर:
तत्कालीन समाज की सबसे बड़ी समस्या थी-ब्रिटिश शासन, मालवीय जी ब्रिटिश शासन की नीतियों का पुरजोर विरोध किया। उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता की ऐसी नींव रखी जिसके परिणामस्वरूप हमारा देश 15 अगस्त, 1947 को आजाद हो सका। (UPBoardSolutions.com) तत्कालीन समाज में और भी कई समस्याएँ व्याप्त थीं; जैसे-छुआ-छूत, अस्पृश्यता, स्त्रियों की दुर्बल स्थिति, अशिक्षा, बाल-विवाह आदि। उन्होंने पौराणिक उद्धरणों द्वारा अस्पृश्यता को कलंक और राष्ट्रीय विकास के मार्ग में बाधक बताया। वे स्त्रियों को सबल बनाना चाहते थे। उन्होंने जनता से अनुरोध किया कि वे उन सब सामाजिक कुरितियों को मिटा दें जो स्त्री जाति की उन्नति में बाधक हैं। वे बाल-विवाह के विरोधी थे और स्त्री-शिक्षा के समर्थक थे। तत्कालीन समाज अशिक्षा के दौर से गुजर रहा था। उन्होंने इस दिशा में काशी हिंदु विश्वविद्यालय की स्थापना की। उन्होंने विघटित हो रहे हिंदु धर्म के उत्थान और पुनरुद्धार के लिए भी अनेक कार्य किए।

प्रश्न 2:
भारतीय संस्कृति में गाय को माता कहा गया है। इस संबंध में अपने विचार व्यक्त कीजिए।
उत्तर:
जिस प्रकार जन्म देने वाली माँ हमें अपना दूध पिलाकर ही कुछ सालों तक पालती-पोषती है, उसी प्रकार हम जीवनपर्यंत गाय के दूध का या दूध से बने अन्य उत्पादों का प्रयोग करते हैं। इसी संदर्भ में भारतीय संस्कृति में गाय को माता का दर्जा दिया गया। (UPBoardSolutions.com) मेरे विचार से ये उचित ही है क्योंकि दूध पिलाकर पालन-पोषण तो माँ ही करती है। इस कारण गाय हमारी सही मायने में माता है जिसका दूध शुदध, मीठा, स्वास्थ्यवर्धक, पौष्टिक और अनेक रोगों को मिटाने वाला होता है।

प्रश्न 3:
मालवीय जी ने सभी के लिए शिक्षा की बात कही थी। आज सरकार ने शिक्षा के अधिकार के तहत इसे पूरे देश में लागू कर दिया। कल्पना कीजिए कि जब यह व्यवस्था नहीं रही होगी तो शिक्षा प्राप्त करने में कौन-कौन सी कठिनाइयाँ होती होंगी ? लिखिए।
उत्तर:
जिस समय देश में सबके लिए शिक्षा की व्यवस्था नहीं थी, उस समय देश के अधिकांश लोग खासकर गरीब तबके के लोग शिक्षा से वंचित रह जाते थे। महिलाओं को शिक्षा नहीं मिल पाती थी, वे भी अनपढ़ रह जाती थीं। गरीब समाज के लोगों को शिक्षा पाने के लिए अत्यंत संघर्ष करना पड़ता था, विद्यालय बहुत दूर-दूर होते जहाँ रोज समय पर पहुँचना ही एक चुनौती थी। साथ ही उस समय यातायात के साधन भी इतने विकसित नहीं थे फलतः लोगों को शिक्षा लेने में अनेक कठिनाइयाँ झेलनी पड़ती थीं।

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प्रश्न 4:
मालवीय जी चाहते थे कि गंगा की धारा को कहीं रोका न जाय क्योंकि गंगा केवल नदी नहीं बल्कि संस्कृति की धारा है। आज गंगा प्रदूषण की शिकार हो गयी है। सोचिए जिस दिन गंगा नहीं रहेगी उस दिन क्या होगा ? इस सम्बंध में अपने विचार व्यक्त कीजिए।
उत्तर:
जिस दिन गंगा नहीं रहेगी वह दिन गंगा में आस्था रखने वाले लोगों के लिए प्रलय का दिन होगा। गंगा हमारी संस्कृति का हिस्सा है, गंगा नहीं तो हमारी संस्कृति नहीं। हिंदूधर्म छिन्न-भिन्न हो जाएगा। यही नहीं उत्तर भारत के जन-जीवन पर भी इसका बुरा प्रभाव पड़ेगा। सारी अर्थव्यवस्था तहस-नहस हो जाएगी, उद्योग मिट जाएँगे, कृषि उत्पादन दुष्प्रभावित होगा। गंगा का नहीं होना मतलब उत्तर भारत का पतन। जिस दिन गंगा नहीं होगी, उस दिन की कल्पना भी भयावह है।

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प्रश्न 5:
आपके विचार में वर्तमान समाज की क्या-क्या समस्याएँ हैं? उनके क्या समाधान हो सकते हैं?
उत्तर:
वर्तमान समाज की सबसे बड़ी समस्या बढ़ती जनसंख्या है। उसके बाद गरीबी, अशिक्षा और बेरोजगारी है। इसके अलावा भ्रष्टाचार, गंदी राजनीति, साम्प्रदायिकता, पर्यावरण प्रदूषण जैसी अनेक ज्वलंत समस्याएँ हैं। जिससे हमारा वर्तमान भारतीय समाज बुरी तरह से प्रभावित है। इन समस्याओं का पहला समाधान है-जनसंख्या पर नियंत्रण, शिक्षा को सबके लिए सहज एवं सुलभ बनाना, रोजगार की उचित व्यवस्था करना, भ्रष्टाचार पर कठोरता से रोक लगाना, प्रदूषण कम करने के लिए सभी नागरिकों को स्वयं जागरूक होकर इस दिशा में बनाए गए नियमों का सख्ती से पालन करना इत्यादि।

जीवनी से

प्रश्न 1:
महामना मदन मोहन मालवीय का जन्म कब और कहाँ हुआ था? इनके माता पिता का क्या नाम था?
उत्तर:
महामना मदनमोहन मालवीय का जन्म 25 दिसम्बर, 1861 को प्रयाग में हुआ था। इनके पिता पंडित ब्रजनाथ चतुर्वेदी और माता का नाम श्रीमती मूना देवी था।

प्रश्न 2:
मदन मोहन और उनके वंशज मालवीय क्यों कहे गये?
उत्तर:
मालवीय जी के पूर्वज 15वीं शताब्दी में मालवा प्रदेश से आकर प्रयाग में बस गये थे और स्थानवाची (मल्लई) अथवा ‘चौबे’ उपनाम से जाने गये। मल्लई शब्द को पंडित मदन मोहन ने मालवीय बनाया। तब से सारे मल्लई (मालवीय) कहे जाने लगे।

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प्रश्न 3:
मालवीय जी के जन्म के समय भारत की स्थिति कैसी थी?
उत्तर:
महामना मदन मोहन मालवीय का जन्म ऐसे कालखण्ड में हुआ था, जिस समय भारत नव जागरण के साथ-साथ स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए संघर्षरत था। जिस काल में मालवीय जी का जन्म हुआ वह समय भारत में बौधिक और वैचारिक जागरण का था। उस समय बहुत से समाज सुधारक तथा चिन्तक भारत देश को उसकी मूल राष्ट्रीय और आध्यात्मिक चेतना की ओर लौटाने के लिए प्रयासरत थे।

प्रश्न 4:
महामना ने तत्कालीन भारत में समस्याओं के समाधान का विकंल्प किसे माना है। और क्यों?
उत्तर:
महामना ने तत्कालीन भारत में समस्याओं के समाधान का विकल्प हिन्दू धर्म के पुनरूत्थान को माना है क्योंकि हिन्दू धर्म सनातन धर्म है और मालवीय जी इस धर्म और संस्कृति के सच्चे अनुयायी थे।

प्रश्न 5:
महामना मालवीय का दिवास्वप्न क्या था?
उत्तर:
महामना मालवीय जी का दिवास्वप्न था–हिन्दू धर्म के दर्शन द्वारा विश्वबन्धुत्व के भाव को जाग्रत करना।

प्रश्न 6:
उन्होंने तत्कालीन समाज में फैली किन-किन समस्याओं पर कुठाराघात किया?
उत्तर:
मालवीय जी ने तत्कालीन समाज में व्याप्त छुआ-छूत अस्पृश्यता, बाल-विवाह, स्त्री को अशिक्षित और कमजोर बनाए रखने जैसी कुप्रथाओं पर कुठाराघात किया था।

प्रश्न 7:
स्त्रियों के प्रति मालवीय जी का क्या दृष्टिकोण था?
उत्तर:
स्त्रियों के प्रति अपना दृष्टिकोण व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा था कि मैं चाहता हूँ कि हमारे देश की सभी स्त्रियाँ अंगेज महिलाओं की भाँति पिस्तौल और बन्दूकें रखें और उनको चलाना सीखें ताकि वे किसी भी आक्रमण से अपनी रक्षा कर सकें। उन्होंने जनता से अनुरोध किया कि वे उन सब सामाजिक कुरीतियों को दूर करें जो स्त्री जाति की उन्नति में बाधक हैं। वे बाल विवाह के घोर विरोधी थे। उन्होंने सामाजिक उन्नति के लिए स्त्री शिक्षा पर विशेष जोर दिया।

प्रश्न 8:
काशी हिन्दू विश्वविद्यालय की स्थापना के पीछे मालवीय जी की क्या सोच थी ?
उत्तर:
महामना मदन मोहन मालवीय एक राजनीतिज्ञ से अधिक शिक्षाशास्त्री थे। उनका मानना था कि हमारी सारी समस्याओं की जड़ अशिक्षा है। वे शिक्षा को पुरातन एवं नवीनतम मूल्यों के बीच एक सेतु के रूप में देखते थे। इन्हीं धारणाओं को ध्यान में रखकर मालवीय जी ने काशी हिन्दू विश्वविद्यालय की स्थापना की। मालवीय जी का सपना था कि सभी स्तर पर शिक्षा का ऐसा प्रबन्ध हो कि कोई भी बच्चा गरीबी के कारण शिक्षा से वंचित न रह पाये।

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भाषा की बात

प्रश्न 1:
पाठ में ‘साथ-साथ’ शब्द आया है जो पुनरुक्त शब्द है। इसी प्रकार दिये गये पुनरुक्त शब्दों का अपने वाक्यों में प्रयोग कीजिए
अपना-अपना, धीरे-धीरे, छोटे-छोटे, हँसते-हँसते, पानी-पानी ।
उत्तर:
अपना-अपना   –    तुम सबको अपना-अपना कार्य स्वयं करना चाहिए।
धीरे-धीरे          –    धीरे-धीरे उन्हें अपने मकसद में कामयाबी मिल ही गई।
छोटे-छोटे        –     इन छोटे-छोटे कामों में सफलता पाकर ही तुम आगे बढ़ पाओगे।
हँसते-हँसे        –     छोटे बच्चे के मुँह से इस तरह की बात सुनकर सब हँसते-हँसते लोट-पोट हो गए।
पानी-पानी      –      चोरी करते हुए पकड़े जाने पर वह पानी-पानी हो गया।

प्रश्न 2:
नोट- विद्यार्थी स्वयं करें।

प्रश्न 3:
निम्नलिखित वाक्यांशों के लिए एक शब्द लिखिए
जैसे- जो अनुकरण करने योग्य हो                     –  अनुकरणीय
(क) युग का निर्माण करने वाला।                      –  युगनिर्माता
(ख) जो सबको समान भाव से देखता हो।         –  समद्रष्टा
(ग) जहाँ पृथ्वी और आकाश मिलते प्रतीत हों।  –  क्षितिज
(घ) जिसका कोई खण्ड न हो सके।                  –  अखण्ड

प्रश्न 4:
इस पाठ को पढ़कर आपके मन में महामना मदन मोहन मालवीय के व्यक्तित्व की कुछ विशेषताएँ उभर रही होंगी। उन विशेषताओं को संक्षेप में लिखिए।
शिक्षण संकेत:
श्रव्य-दृश्य सामग्री का प्रयोग करते हुए महामना पं० मदन मोहन मालवीय के जीवन की अन्य घटनाओं से बच्चों को अवगत कराएँ।

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उत्तर:
पंडित मदन मोहन मालवीय भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के नायक और साक्षी थे। वे हिंदू धर्म और संस्कृति के सच्चे अनुयायी थे। वे विश्वबंधुत्व के भाव के सच्चे समर्थक थे। मालवीय जी छुआ-छूत, अस्पृश्यता के घोर विरोधी थे। वे स्त्रियों के प्रति उदार दृष्टिकोण रखते थे। उन्होंने समाज के पुनरुद्धार के लिए जिन विषयों को केंद्र में रखा उनमें गौ-रक्षा भी प्रमुख विषय था। महामना मदन मोहन मालवीय जी एक राजनीतिज्ञ होने के साथ-साथ एक शिक्षाशास्त्री भी थे। वे काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के संस्थापक थे। महामना मालवीय जी बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। वे एक साथ उच्चकोटि के राजनीतिज्ञ, शिक्षाशास्त्री, साहित्यकार और पत्रकार थे। वे ब्रिटिश शासन की नीतियों के प्रबल विरोधी थे। विलक्षण प्रतिभा के धनी मालवीय जी भारत के सर्वोच्च सम्मान भारतरत्न से सम्मानित किए जा चुके हैं।

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