UP Board Solutions for Class 7 Sanskrit chapter 12 आदिकविः वाल्मीकिः

UP Board Solutions for Class 7 Sanskrit chapter 12 आदिकविः वाल्मीकिः

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शब्दार्थाः- व्याधेन = बहेलिया द्वारा, क्रौञ्चपक्षिणम् = क्रौंच नामक पक्षी को, उच्चैः = जोर-जोर से, क्रन्दनम् = विलाप को, चीख को, कारुणिकः = दयालु, निषाद! = हे व्याध, प्रतिष्ठाम् = सम्मान, ततः प्रभृति = से लेकर, विज्ञान = जानकर, विदित्वा = जानकर, (UPBoardSolutions.com) दाक्षिण्यम् = उदारता, अनुकूलता; जीवनमूल्यानि = आदर्श जीवन के मूल्य।

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पूरा वाल्मीकिः ………………………………………………………… काममोहितम्॥

हिन्दी अनुवाद – पहले वाल्मीकि नाम के एक ऋषि थे। एक दिन ये शिष्यों सहित स्नान करने के लिए तमसा नदी पर गए। रास्ते में इन्होंने शिकारी द्वारा बिंधा हुआ एक हंस देखा। साथी के वियोग में हंसिनी व्याकुल हो गई और वह जोर-जोर से रोने लगी। उसकी रुलाई सुनकर और दुख देखकर ऋषि का हृदय द्रवित (पिघल) हो गया। क्रौंची (हंसिनी) के विलाप से पैदा हुआ ऋषि का शोक श्लोक के रूप में इनके मुख से इस प्रकार निकल (UPBoardSolutions.com) पड़ा हे निषाद! तुम्हें सत्य में निरन्तर कभी भी सम्मान और शान्ति प्राप्त न हो, क्योंकि तुमने क्रौंच के जोड़े में से काम से मोहित एक निर्दोष की हत्या की है।

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अयमेव श्लोकः ………………………………………………………… प्रसिद्धिम् उपगता।

हिन्दी अनुवाद – यही श्लोक लौकिक संस्कृत साहित्य की पहली काव्य रचना है। तब से ये ऋषि कवि बन गए। ऋषि के कवित्व को जानकर ब्रहमा ने आकाशवाणी से आदेश दिया। हे मुनि जी! आप रामायण काव्य लिखें और उसमें राम के चरित्र का वर्णन करें, जिससे भगवान राम के पावन चरित्र को जानकर लोग सन्मार्ग का अनुसरण करें। ब्रह्मा के आदेश के अनुसार इस मुनि ने श्लोकबद्ध रामायण की कथा लिखी, जो वाल्मीकि (UPBoardSolutions.com) रामायण नाम से प्रसिद्ध हुई।

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अत्र कविना ………………………………………………………… उच्यते।

हिन्दी अनुवाद – यहाँ (इसमें) कवि ने वैसे तथ्यों को लिखा है, जो मानव जीवन का पथ-प्रदर्शन करने वाले हैं। इस काव्य में वाल्मीकि ने पिता की आज्ञा का पालन करना, भातृ स्नेह, परोपकार, दया, उदारता, गरीबों की रक्षा करना इत्यादि (UPBoardSolutions.com) मानवता पोषी जीवन मूल्यों का वर्णन किया है। इन कवि को संस्कृत का आदिकवि और इनकी रचना को आदिकाव्य कहा जाता है।

अभ्यासः

प्रश्न 1.
उच्चारणं कुरुत पुस्तिकायां च लिखत
नोट – विद्यार्थी स्वयं करें

प्रश्न 2.
पूर्णवाक्येन उत्तरत
(क) वाल्मीकिः स्नातुं कुत्र अगच्छत्?
उत्तर :
वाल्मीकिः स्नातुं तमसानद्या तीरम् अगच्छत्।।
(ख) किं श्रुत्वा किं दृष्ट्वा च ऋषि द्रवितोऽभवत्?
उत्तर :
क्रौञ्च्याः रोदनं श्रुत्वा दयनीय दशां दृष्ट्वा च ऋषिः (UPBoardSolutions.com) द्रवितो भवत्।

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(ग) ब्रह्मा आकाशवाण्या वाल्मीकिं किम् आदिशत्?
उत्तर :
ब्रह्मा आकाशवाण्या वाल्मीकिं आदिशत्-ऋषे! कुरु रामायणं काव्यम्। तत्र च रामचरितं वर्णय, येन रामस्य पुण्यं चरित्रं विदित्वा लोकाः सन्मार्गस्यानुसरणं कुर्युः।”
(घ) वाल्मीकिना श्लोकबद्धा का कथा लिखिता?
उत्तर :
वाल्मीकिः श्लोकबद्धा रामायणीकथा लिखिता।
(ङ) संस्कृतस्य आदिकवि कः? (UPBoardSolutions.com)
उत्तर :
वाल्मीकिः संस्कृतस्य आदिकविः।।

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प्रश्न 3.
निम्नलिखितपदानां विभक्तिं वचनं च लिखत (लिखकर)
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प्रश्न 4.
निम्नलिखितपदेषु प्रयुक्तं उपसर्ग पृथक् कुरुत (UPBoardSolutions.com) (उपसर्ग अलग करके)
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प्रश्न 5.
संस्कृतभाषायाम् अनुवादं कुरुत ( अनुवाद करके)
(क) सभी छात्र स्नान करने के लिए नदी के किनारे गए।
अनुवाद : सर्वे छात्राः स्नानाय नदी तीरे अगच्छन्।
(ख) वाल्मीकिरामायण में राम का चरित वर्णित है।
अनुवाद : वाल्मीकिरामायणे रामस्य (UPBoardSolutions.com) चरितं वर्णितम्।
(ग) वाल्मीकि ने क्रोञ्ची का रोना सुना।।
अनुवाद : वाल्मीकिः क्रौञ्च्याः रोदनं अशृणोत्।
(घ) ब्रह्मा ने वाल्मीकि को आदेश दिया।
अनुवाद : ब्रह्मा वाल्मीकिम् आदिशत्।।

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(ङ) महापुरुषों के चरित्र का अनुसरण करो।
अनुवाद : महापुरुषाणां चरित्रस्य अनुसरणं कुरु।।

प्रश्न 6.
मजूषातः पदानि चित्वा वाक्यानि पूरयत (पूर्ति करके)
(क) पुरा वाल्मीकिः नाम एक ऋषिः आसीत्।
(ख) व्याधेन विधम् एकं क्रौञ्चपक्षिणम् (UPBoardSolutions.com) अपश्यत्।
(ग) ततः प्रभृति ऋषिरय कविपदम् प्राप्तः।।
(घ) अयं कविः संस्कृतस्य आदिकविः उच्यते।

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प्रश्न 7. पदानि चित्वा कथा पूरयत (कथा पूरी करके)
एकस्मिन् पर्वते दुर्दान्त नामकः सिंहः निवसति स्म। सः मूषकैः पीडितः आसीत्। रात्रिकाले मूषकाः तस्य केशान् कर्तयन्ति स्म। प्रातः सिंहः केशान् अधः दृष्ट्वा दुःखी भवति स्म। एकदा सः मूषकानाम् उपायम् कर्तुम् संकल्पम् अकरोत्। चिन्तामग्नः (UPBoardSolutions.com) सः वने बिडालकम् अपश्यत्। बिडालकेन सह मित्रतां कृत्वा स्वगुहां प्रति अनयत् मूषकाः बिडालकस्य भयेन विवरेषु केवलं शब्दं कुर्वन्ति स्म। यदा क्षुधापीडया मूषकाः बहिः आगच्छन्ति, तदा बिडालकः तान् मारयतिस्म एवं शनैः-शनैः मूषका समाप्ताः। स्वार्थ सिद्धे सिंहः बिडालकस्य उपेक्षाम् अकरोत्। समाजे स्वार्थिभिः सावधानाः भवेम।

नोट – विद्यार्थी शिक्षण संकेत स्वयं करें।

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UP Board Solutions for Class 7 History Chapter 14 मुगलकालीन समाज एवं संस्कृति

UP Board Solutions for Class 7 History Chapter 14 मुगलकालीन समाज एवं संस्कृति

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मुगलकालीन समाज एवं संस्कृति

अभ्यास

प्रश्न 1.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
(क) मुगल कालीन प्रसिद्ध (UPBoardSolutions.com) गायक का नाम लिखिए?
उत्तर
मुगल काल के प्रसिद्ध गायक तानसेन थे।

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(ख) मुगलों के समय फारसी और हिन्दी साहित्य में क्या विकास हुआ?
उत्तर
फारसी साहित्य – मुगल सम्राट साहित्य प्रेमी एवं (UPBoardSolutions.com) विद्वान थे, जैसे- बाबर ने तुर्की तथा जहाँगीर ने फारसी भाषा में अपनी आत्मकथा लिखी। अबुल फजल ने ‘आइने अकबरी’ लिखा। हुमायूँ की बहन गुलबदन बेगम ने उस समय की प्रसिद्ध घटनाओं का विस्तृत ब्योरा लिखा है। अब्दुल हमीद लाहौरी ने शाहजहाँ तथा खफी खाँ ने मुंतखाब उल-लुबाब में औरंगजेब के शासनकाल का वर्णन किया है। अकबर ने अथर्ववेद, रामायण, महाभारत, भगवद्गीता आदि ग्रन्थों का फारसी में अनुवाद कराया। शाहजहाँ के पुत्र दाराशिकोह ने उपनिषद् का फारसी में अनुवाद किया।

हिन्दी साहित्य – इस काल में तुलसीदास ने श्रीरामचरितमानस तथा सूरदास ने सूरसागर नामक पुस्तक लिखी थी। हिन्दी के अन्य कवि केशव, भूषण, मलिक मुहम्मद् जायसी, रहीम, रसखान और बिहारी आदि थे।

(ग) मुगलकालीन स्थापत्य कला पर प्रकाश डालिए।
उत्तर
मुगलकालीन स्थापत्य कला – मुगल शासक स्थापत्य कला के (UPBoardSolutions.com) महान निर्माता थे। मुगल स्थापत्य कला का आधार फारसी शैली था। अकबर काल में हिन्दू-मुसलिम शैली का मिश्रण हुआ। उद्यान मुगल स्थापत्य का अविभाज्य अंग बन गया। बाबर कलात्मक स्वभाव का शासक था। उसने पानीपत के काबुली बाग की मसजिद और संभल की जामा मसजिद बनवाई।।

अकबर का काल शान्ति का काल था। अकबर ने आगरा, इलाहाबाद, फतेहपुर सीकरी, लाहौर आदि में इमारतों को बनवाया, जिसमें बुलन्द दरवाजा, शेख सलीम का मकबरा, जोधाबाई का महल, पंचमहल आदि मुख्य हैं। शाहजहाँ ने ताजमहल, दिल्ली का लालकिला, जामा मसजिद और आगरे का दीवाने-आम बनवाए। औरंगजेब ने दिल्ली की मोती मसजिद का निर्माण कराया।

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(घ) मुगलकाल में सामाजिक सांस्कृतिक समन्वय के विषय पर (UPBoardSolutions.com) संक्षेप में लिखिए।
उत्तर
मुगलकालीन सामाजिक-सांस्कृतिक समन्वय- मुगलकालीन सामाजिक सांस्कृतिक समन्वय में भक्ति और सूफी संतों का बड़ा प्रभाव पड़ा। बाबर ने सहिष्णुता और सद्भावना के बीज बोए। हुमायूँ का हिन्दुओं के साथ अच्छा सम्बन्ध रहा। हिन्दू-मुसलिम एकता अकबर काल में सशक्त हुई। अकबर ने प्रशासन में सभी वर्गों का प्रतिनिधित्व लिया। उसने प्रजा को धार्मिक स्वतन्त्रता देकर सौहार्दपूर्ण वातावरण का निर्माण किया। जहाँगीर ने अकबर की नीति अपनाई। वह प्रजा का हितैषी था।

औरंगजेब की धार्मिक नीति राजनैतिक परिस्थितियों का फल (UPBoardSolutions.com) था। उसके राज्य में हिन्दू मनसबदारों की संख्या अकबर के समय से ज्यादा थी।

सूफी संतों और भक्तिमार्गियों ने भी हिन्दू-मुसलिम सन्निकटता में वृद्धि की। इन संतों में गुरुनानक, मलूकदास, दादू दयाल और रज्जबदास मुख्य थे, जिन्होंने हिन्दू-मुसलिम एकता पर बल दिया।

(ङ) शाहजहाँ कालीन प्रमुख इमारतों का वर्णन कीजिए।
उत्तर
शाहजहाँ कालीन प्रमुख इमारतें – आगरा का ताजमहल, दिल्ली का लालकिला, जामा मसजिद, दीवाने आम, दीवाने खास (दिल्ली) हैं।

(च) दारा शिकोह द्वारा फारसी में अनूदित पुस्तकों का नाम (UPBoardSolutions.com) बताइए।
उत्तर
उपनिषद् और भगवद्गीता।।

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प्रश्न 2.
सही जोड़े मिलाइए-
उत्तर
UP Board Solutions for Class 7 History Chapter 14 मुगलकालीन समाज एवं संस्कृति img-1

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प्रश्न 3.
नीचे दी गयी तालिका में उन मुगल शासकों के नाम लिखिए जिनके सिक्के गोल, चौकौर अथवा दोनों तरह के थे।
उत्तर
UP Board Solutions for Class 7 History Chapter 14 मुगलकालीन समाज एवं संस्कृति img-2

प्रोजेक्ट कार्य – नोट – विद्यार्थी स्वयं करें।

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UP Board Solutions for Class 7 Agricultural Science Chapter 7 फल परिरक्षण

UP Board Solutions for Class 7 Agricultural Science Chapter 7 फल परिरक्षण

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फल परिरक्षण

अभ्यास

प्रश्न 1.
सही उत्तर पर सही (✓) का निशान लगाइए।
(i) फल तथा सब्जियों को बिना खराब हुए अधिक दिनों तक सुरक्षित रखा जा सकता है-
(क) परिरक्षक द्वारा (✓)
(ख) वास्तविक अवस्था (UPBoardSolutions.com) में रखकर
(ग) केवल सुखाकर
(घ) पकाकर

(ii) स्क्वैश तैयार किया जाता है-
(क) नींबू (✓)
(ख) केला
(ग) सेब
(घ) अंगूर

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(iii) परिरक्षक के रूप में प्रयोग किया जाता है-
(क) सोडियम बेंजोएट (✓)
(ख) पानी
(ग) नमक
(घ) जीवाणु

(iv) डिब्बा बन्दी करने हेतु पात्र को भरने से पहले।
(क) पानी से धो लेना चाहिए
(ख) धूप में रखना (UPBoardSolutions.com) चाहिए।
(ग) खौलते पानी में उबालना चाहिए (✓)
(घ) पात्र को ठीक से साफ कर लेना चाहिए।

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प्रश्न 2.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए-
उत्तर
(क) फल तथा सब्जियों को बिना खराब हुए अधिक दिनों तक सुरक्षित रखना फल परिरक्षण कहलाता है।
(ख) बैक्टीरिया तथा कवक 71.4°c से ताप पर नष्ट हो जाते हैं।
(ग) फल तथा उससे निर्मित पदार्थ को कवक या फहूँद नष्ट कर देते हैं।
(घ) नींबू का स्क्वैश तैयार करने के लिए ताजे फल लेना चाहिए।
(ङ) पोटैशियम मेटाबाईसल्फाइट एक परिरक्षक है।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित कथनों में सही पर (✓) तथा गलत पर (✗) का निशान लगाइए-
उत्तर
(क) फल तथा सब्जियों को अधिक दिनों तक बिना खराब हुए सुरक्षित रखना फल परिरक्षण कहलाता है।     (✓)
(ख) बैक्टीरिया द्वारा फलों को अधिक दिनों तक सुरक्षित रखा जा सकता है।   (✗)
(ग) कवक, खमीर तथा एन्जाइम द्वारा फल तथा (UPBoardSolutions.com) उससे निर्मित उत्पाद खराब हो जाते हैं।   (✓)
(घ) केला से स्क्वैश तैयार किया जाता है।    (✗)

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प्रश्न 4.
स्तम्भ ‘क’ का स्तम्भ ‘ख’ से सुमेल कीजिए (सुमेलित करके)
उत्तर
UP Board Solutions for Class 7 Agricultural Science Chapter 7 फल परिरक्षण img-1

प्रश्न 5.
(i) बैक्टीरिया, फल तथा फल पदार्थों को कैसे नष्ट करते हैं?
उत्तर
बैक्टीरिया एक कोशिका वाले सूक्ष्म जीव होते हैं। फल तथा फल पदार्थों पर इनका आक्रमण होने से वे सड़ने लगते हैं।

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(ii) बोतल बंदी में पात्र को खौलते पानी में क्यों उबालते हैं?
उत्तर
उबालने से पात्र के अन्दर और बाहर के जीवाणु नष्ट हो जाते हैं।

(iii) आँवले का मुरब्बा कैसे बनाया जाता है?
उत्तर
सर्वप्रथम आँवले को धोकर स्टील के काँटों से गोदते हैं। (UPBoardSolutions.com) 2% फिटकरी के उबलते घोल में 5-10 मिनट पकाते हैं। भगौने में एक किग्रा० आँवले के लिए डेढ़ किग्रा० चीनी डालते हैं। पहले भगौने में चीनी की तह, फिर आँवले की तह लगाते जाते हैं। आँवले को चीनी की तहों में चौबीस घंटे रखते हैं। दूसरे दिन आँवले निकाल कर चीनी की चासनी बनाकर आँवलों को चौबीस घंटे उसमें छोड़ देते हैं। तीसरे दिन आँवले निकालकर चीनी को 70% करने के लिए पकाते हैं। आँवले गर्म चासनी में डाल देते हैं। 20-25 दिन में मुरब्बा खाने योग्य हो जाता है।

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(iv) टमाटर का स्क्वैश बनाने के लिए किन-किन चीजों की आवश्यकता होती है?
उत्तर
टमाटर सॉस बनाने की सामग्री
लौंग – 0.5 ग्राम, जावित्री-चुटकीभर, नमक – 11 ग्राम, बड़ी इलायची – 1 ग्रा, ऐसीटिक अम्ल – 3 चाय चम्मच, सोडियम बेंजोएट – 850 मिलीग्रा, टमाटर रस – 1 लीटर, चीनी – 100 ग्राम, अदरक – 10 ग्रा०, प्याज – 15 ग्रा०, लहसुन – 3 ग्राम, जीरा – 1 ग्राम, काली मिर्च – 1 ग्राम, दालीचीनी – 1.5 ग्राम।

(v) पोटैशियम मेटाबाईसल्फाइट क्या है? इसके प्रयोग की (UPBoardSolutions.com) विधि समझाइए। .
उत्तरे
यह रवेदार गंधक लवण है। यह अम्लीय व क्षारीय माध्यम से प्रभावित नहीं होता। फलों के रस में उपस्थित सिट्रिक अम्ल के प्रभाव से पोटैशियम साइट्रेट में बदल जाता है। सल्फर डाई ऑक्साइड पानी से मिलकर सल्फ्यूरिक अम्ल बनाती है। जो परिरक्षक का कार्य करती है।

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(vi) नींबू अथवा संतरा स्क्वैश बनाने की विधि को वर्णन कीजिए।
उत्तर
नींबू का स्क्वैश बनाना – ताजे नींबू धोकर, छिलका उतारकर जूसर से जूस निकालते हैं और छलनी से छानते हैं।

आवश्यक सामग्री – नींबू रस – 1 लीटर, पानी – 2 ली० चीनी – 2 किलो, सिट्रिक अम्ल – 10 ग्राम, पोटैशियम मेटाबाई सल्फाइट – 3 ग्राम

विधि – स्टील के भगौने में पानी व चीनी डालकर गर्म करते हैं और बीच-बीच में रस को चलाते रहते हैं। एक उबाल पर उतारकर चासनी ठंडी होने पर नींबू का रस और पौटेशियम, मेटाबाईसल्फाइट को मिला दिया जाता है। परिरक्षक पहले (UPBoardSolutions.com) थोड़े पानी में घोलते हैं, तब जूस में मिलाते हैं। स्क्वैश तैयार होने पर बोतल में 3 सेमी जगह छोड़कर भरते हैं और ढक्क्न लगाकर सील कर देते हैं।

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(vii) फल तथा उससे निर्मित पदार्थ किन-किन कारणों से खराब हो जाते हैं? समझाकर लिखिए।
उत्तर
फल तथा निर्मित पदार्थ खराब होने के कारण हैं – कवक या फफूद, (UPBoardSolutions.com) खमीर, जीवाणु (बैक्टीरिया) । एवं एंजाइम।।

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UP Board Solutions for Class 7 Agricultural Science Chapter 6 बागवानी एवं वृक्षारोपण

UP Board Solutions for Class 7 Agricultural Science Chapter 6 बागवानी एवं वृक्षारोपण

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बागवानी एवं वृक्षारोपण

अभ्यास

प्रश्न 1.
सही विकल्प छाँटकर अपनी अभ्यास पुस्तिका में लिखिए
(1) वाटिका में
(क) केवल फूलों के पौधे लगाए जाते हैं। (✓)
(ख) केवल फलों के पौधे लगाए जाते हैं।
(ग) केवल सब्जियों के पौधे लगाए जाते हैं।
(घ) फल और सब्जियों दोनों के (UPBoardSolutions.com) पौधे लगाए जाते हैं।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित वाक्यों के बाद दिए गए कोष्ठक में सही (✓) या गलत (✗) के निशान लगाइए-
उत्तर
(i) वाटिका में पेड़-पौधे सघन लगाने चाहिए।    (✗)
(ii) लीच ऊष्ण प्रदेशीय फल है।                      (✓)
(iii) कलम बीज द्वारा लगाई जाती है।              (✗)

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प्रश्न 3.
(i) वाटिका अविन्यास में किन बातों का ध्यान रखते हैं?
उत्तर
वाटिका लगाते समय ध्यान देने योग्य बातें

  1. पेड़ तथा पौधे सघन नहीं लगाने चाहिये।
  2. मार्ग के दोनों ओर झाड़ियाँ लगानी चाहिए। झाड़ियाँ सुन्दर पत्तियों, फूलों वाली होनी चाहिए।
  3. शोभाकारी वृक्ष तथा झाड़ीनुमा पेड़ (UPBoardSolutions.com) एक किनारे पर लगाने चाहिए।
  4. लतायें स्तम्भों के सहारे लगानी चाहिए।
  5. अलंकृत पत्तियों वाले तथा छाया चाहने वाले पौधे छायादार स्थानों लगाने चाहिए।
  6. वाटिका में फूलवाले पौधों को इस व्यवस्था के साथ लगाना चाहिये कि वर्ष के हर महीने फूल खिलते रहें।
  7. वाटिका के प्रवेश द्वारा पर भी सुन्दर सुगन्धित फूलों वाली ‘लतायें लगानी चाहिए।
  8. पौधे चाहे क्यारियों में हो या मार्ग के दोनों किनारे अथवा अलग-अलग हों, सिंचाई के लिए क्यारी आवश्यकता के अनुसार बनानी चाहिए।
  9. वाटिका में आकर्षण होना चाहिए। इसके लिए पौधों की अधिक से अधिक किस्में लगानी चाहिए।

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(ii) मौसमी फूल कितने प्रकार के होते हैं?
उत्तर
मौसमी फूले तीन प्रकार के होते हैं

  1. जाड़ा – गेंदा, हालीहाँक, फ्लाक्स, कलेण्डुला, डहेलिया, कैण्डीटफ्ट, आदि।
  2. गर्मी – सूरजमुखी, पोर्चुलाका, कोचिया, (UPBoardSolutions.com) आदि
  3. बरसात – मुर्ग केश, बालसन, जीनियां आदि।

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(iii) लीची की प्रजातियाँ लिखिए?
उत्तर
लीची की तीन प्रजातियाँ है

  1. अगेजी जातियाँ – देहरादून, रोज सेन्टेड, अर्ली लार्ज रेड।
  2. मध्यम प्रजातियाँ – शाही, गुलाब, चायना, सहारनपुर प्याजी।
  3. पछेती – गोला, कलकतिया, रामनगर, (UPBoardSolutions.com) लेट सीडलेस, इलायची

(iv) नींबू का प्रवर्धन कैसे किया जाता है?
उत्तर
नींबू वर्गीय फल वृक्षों को बीज द्वारा अथवा वनस्पतिक प्रवर्धन विधियों द्वारा लगाया जा सकता है। जैसे कलम बाँधना, दाब लगाना, गूटी, भेंट कलम और चश्मा चढ़ाना इत्यादि।

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प्रश्न 4.
लीची की खेती का वर्णन कीजिए।
उत्तर
लीची के पौधे वर्षा ऋतु में खेत में रोपे जाते हैं। सिंचाई की सुविधा होने पर फरवरी-मार्च में भी खेत में रोपा जा सकता है। लीची के पौधे रोपने के लिए अप्रैल-मई में खेत में 10-10 मीटर की दूरी पर 1 मीटर गहरे गड्ढे खोद लेना चाहिये और इन्हें जून (UPBoardSolutions.com) तक खुला रखना चाहिये। मिट्टी और गड्ढे धूप में भली प्रकार तप जाते हैं। वर्षा होने के उपरान्त जुलाई के प्रारम्भ में इन गड्ढों में 15 किग्रा गोबर की खाद, 2 किग्रा. चूना, 250 ग्राम एल्ड्रिन चूर्ण, 10 किग्रा. लीची के बाग की मिट्टी में मिलाकर गड्ढों में भर देते हैं। अगस्त में इन गड्ढों के बीचोबीच पौधा रोपकर चारो तरफ थाला बना देना चाहिए।

गोबर की खाद, फास्फोरस तथा पोटाश की पूरी मात्रा दिसम्बर के अन्त में देनी चाहिये। नाइट्रोजन की 1/2 मात्रा फरवरी में तथा 1/2 मात्रा अप्रैल में देनी चाहिये। इसके अलावा 2.5 किग्रा जिंक सल्फेट के साथ 1.2 किग्रा. बुझा चूना 450 ली पानी में घोलकर पौधों में छिड़काव करना चाहिये।

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प्रश्न 5.
नींबू के प्रवर्धन की विधियों का सचित्र वर्णन कीजिए।
उत्तर
नीबू वर्गीय फल वृक्षों को बीज द्वारा अथवा वनस्पतिक प्रवर्धन विधियों द्वारा लगाया जा सकता है। जैसे कलम बाँधना, दाब लगाना, गूटी, भेंट कलम और चश्मा चढ़ाना इत्यादि ।।

प्रश्न 6.
प्रवर्धन किसे कहते हैं? यह कितने प्रकार का होता है?
उत्तर
एक बीज से अनेक बीज और इन बीजों द्वारा अनेक पौधे प्राप्त होते हैं। अर्थात् एक से (UPBoardSolutions.com) अनेक पौधे तैयार करने की विधि को प्रवर्धन कहा जाता है। प्रवर्धन का दूसरा नाम प्रसारण है।

  1. बीज द्वारा प्रवर्धन – जब बीज से पौधे तैयार किए जाते हैं तो उसे बीज द्वारा प्रवर्धन कहते हैं।
  2. कायिक प्रवर्धन – जड़, तना, पत्ती, शाखा, कली पौधे के अंग होते हैं। इनके किसी भी अंग से जो नया पौधा तैयार किया जाता है, उसे कायिक प्रवर्धन कहा जाता है।

प्रश्न 7.
बीज प्रवर्धन और कायिक प्रवर्धन में अन्तर बताइए।
उत्तर
बीज प्रवर्धन व कायिक प्रवर्धन में अन्तर – बीज प्रवर्धन में पौधा बीज के अंकुरण से पैदा होता है, जबकि कायिक प्रवर्धन का आधार पौधों के हिस्से जड़, तना, शाखा, पत्ती या कली में से किसी एक के द्वारा होता है।

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प्रश्न 8.
कायिक प्रवर्धन से क्या लाभ होते हैं?
उत्तर
कायिक प्रवर्धन के लाभ

  1. फल का पेड़ जल्दी फलने लगता है।
  2. पेड़ पर एक समय में एक ही प्रकार के फल लगते हैं।
  3. सभी फल रूप, रंग, आकार, स्वाद, (UPBoardSolutions.com) सुगंध में समान होते हैं।
  4. मातृ पौधे के सभी गुण आ जाते हैं।
  5. अनेक लाभकारी गुणों का समावेश होता है।
  6. पेड़ छोटे व कम फैलने वाले होते हैं और कृषि कार्य की देखभाल में आसानी रहती है।

प्रश्न 9.
वाटिका अभिविन्यास से आप क्या समझते हैं?
उत्तर
वाटिका कहाँ और किस आकार की बनाई जाए, इसमें किस प्रकार के फूल, पत्तियों वाले पौधे, लता, झाड़ियाँ व पेड़ किस स्थान पर लगाएँ, यह जानकारी जरूरी होती है। प्राप्त सुविधाओं के अनुसार वाटिका लगाने वाला व्यक्ति यदि कुशल व सूझ-बूझ वाला है तो वह कौशलपूर्ण रेखांकन द्वारा वाटिका को बहुत सुंदर रूप में स्थापित कर सकता है। वाटिका के कुछ नियम हैं। जिन्हें वाटिका अभिविन्यास कहा जाता है।

प्रश्न 10.
पपीता की उन्नतिशील खेती का वर्णन कीजिए।
उत्तर
पपीता की खेती – पपीता एक वर्ष बाद फल देने लगता है और तीन वर्ष तक अच्छी फसल देता है। यह आम आदि के छोटे बागों के बीच-बीच में उगाया जा सकता है। यह विटामिन ए, बी, सी व कार्बोहाइड्रेट, खनिज लवणों का अच्छा स्रोत है। दूध से निकाला गया (UPBoardSolutions.com) पदार्थ पपेन माँस गलाने के काम में आता है। | मिटूटी-बलुई दोमट या दोमट भूमि इसके लिये उपयुक्त होती है। इस फसल के लिये सिंचाई व पानी के निकास की अचछी सुविधा होनी चाहिए।

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प्रश्न 11.
कलम लगाना व दाब लगाना में क्या अन्तर है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
सामान्य कलम लगाने में टहनी को जड़ निकलने से पहले मातृ पौधे से काटकर अलग कर देते हैं। दाब कलम में टहनी मातृ पौधे से जुड़ी रहने देते हैं। टहनी को झुकाकर जमीन की मिट्टी में दबा देते हैं। जब उसमें जड़े आ जाती हैं और टहनी एक स्वतंत्र पौधे (UPBoardSolutions.com) का रूप ग्रहण कर लेती है तो उसे मातृ पौधे से अलग करके स्थायी जगह में लगाते हैं। इसकी दो विधियाँ हैं। (क) साधारण दाब (ख) गूटी बाँधना। बेला, चमेली आदि का प्रवर्धन साधारण दाब तथा लीची, नींबू तथा लतर वाले पौधे गूटी विधि से तैयार किए जाते हैं।

प्रोजेक्ट कार्य
नोट – विद्यार्थी स्वयं करें।

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UP Board Solutions for Class 7 Agricultural Science Chapter 5 सामान्य फसलें

UP Board Solutions for Class 7 Agricultural Science Chapter 5 सामान्य फसलें

These Solutions are part of UP Board Solutions for Class 7 Agricultural Science. Here we have given UP Board Solutions for Class 7 Agricultural Science Chapter 5 सामान्य फसलें.

सामान्य फसलें

अभ्यास

प्रश्न 1.
सही उत्तर पर सही (✓) का निशान लगाइए
(i) ज्वार की खेती किस भूमि पर करते हैं?
(क) बलुई-दोमट (✓)
(ख) दोमट
(ग) काली कपास मिट्टी
(घ) उपरोक्त में कोई नहीं

(ii) ज्वार में नाइट्रोजन उर्वरक प्रयोग किया जाता है
(क) 100 किग्रा प्रति हेक्टेयर (✓)
(ख) 150 किग्रा प्रति हेक्टेयर
(ग) 120 किग्रा प्रति हेक्टेयर
(घ) इसमें से कोई नहीं

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(iii) ज्वार की फसल में पोटाश प्रयोग करते हैं-
(क) 100 किग्रा प्रति हेक्टेयर
(ख) 40 किग्रा प्रति (UPBoardSolutions.com) हेक्टेयर (✓)
(ग) 60 किग्रा प्रति हेक्टेयर
(घ) उपरोक्त में कोई नहीं

(iv) बाजरे की संकुल प्रजाति है-
(क) आई सी एम बी 115
(ख) डब्लू सी सी 75 (✓)
(ग) बी के 560
(घ) उपरोक्त में सभी

(v) बाजरे की संकर प्रजाति है-
(क) पूसा 322
(ख) पूसा 23 (✓)
(ग) आई सी एम एच 451
(घ) उपरोक्त में सभी

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प्रश्न 2.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए-
उत्तर
(i) बाजरा बी के 560 80-90 दिन की फसल है।
(ii) दीमक के नियन्त्रण हेतु गामा BHC 20 EC (UPBoardSolutions.com) कीटनाशक प्रयोग करते है।
(iii) बाजरे की संकर प्रजाति से 24-25 कुंतल उपज प्रति हेक्टेयर प्राप्त होती है।
(iv) पूसा प्रालिफिक लांग लम्बे फल वाले प्रजाति है।
(v) दाने के लिए ज्वार का बीज 12-15 किग्रा प्रति हेक्टेयर प्रयोग किया जाता है।
(vi) बैंगन की बुवाई हेतु 400 से 500 ग्राम बीज प्रति हेक्टेयर प्रयोग किया जाता है।
(vii) लौकी के बीज का रोगार अथवा डाइमेथोएट से उपचार किया जाता है।
(viii) बैगन की खेती के लिए 100 किग्रा नाइट्रोजन प्रति हेक्टेयर प्रयोग की जाती है।

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प्रश्न 3.
निम्नलिखित कथनों में सही पर (✓) तथा गलत पर (✗) का निशान लगाइए-
उत्तर
(i) ज्वार की फसल दाने व चारे दोनों के लिए बोई जाती है। (✓)
(ii) चारे के लिए ज्वार का बीज 50 किग्रा प्रति हेक्टेयर प्रयोग किया जाता है। (✓)
(iii) दाने के लिए ज्वार का बीज 12 से 15 किग्रा प्रति हेक्टेयर प्रयोग किया जाता है। (✓)
(iv) दानों के लिए ज्वार की फसल 115 दिन में पककर तैयार हो जाती है। (✓)
(v) बाजरे की खेती के लिए दोमट भूमि (UPBoardSolutions.com) उपयुक्त है। (✗)
(vi) बाजरे की बुआई से पहले बीज को थीरम से उपचारित करते हैं। (✗)
(vii) आलू का प्रमुख रोग पिछेती झुलसा है। (✓)
(viii) राधे चना की प्रजाति है। (✓)
(ix) रचना मटर की प्रजाति है (✓)
(x) फलीबेधक चने को प्रमुख कीट नहीं है। (✗)
(xi) हरा तेला बैगन का कीट है।। (✓)
(xii) चने के बीज का उपचार थीरम नामक रसायन से करते हैं? (✓)
(xiii) बैगन के बीज की मात्रा 400-500 ग्राम प्रति हेक्टेयर लगती है। (✗)

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प्रश्न 4.
निम्नलिखित में स्तम्भ क को स्तम्भ ख से मिलाइए (मिलान करके)।
उत्तर
UP Board Solutions for Class 7 Agricultural Science Chapter 5 सामान्य फसलें img-1

प्रश्न 5.
(i) आलू की पैदावार प्रति हेक्टेयर कितनी होती है?
उत्तर
मैदानी क्षेत्रों में आलू 325-400 (UPBoardSolutions.com) कुन्तल प्रति हेक्टेयर तथा पहाड़ी क्षेत्रों में 200-250 कुन्तल प्रति हेक्टेयर पैदा होता है।

(ii) आलू का बीज प्रति हेक्टेयर कितना प्रयोग किया जाता है?
उत्तर
आलू के बीज का प्रयोग 20-25 कुन्तल प्रति हेक्टेयर किया जाता है।

(iii) बाजरे का उत्पादन प्रति हेक्टेयर कितना होता है?
उत्तर
25-30 कुंतल प्रति हेक्टेयर।

(iv) बाजरे की फसल लगभग कितने दिनों में पककर तैयार हो जाती है?
उत्तर
80-100 दिन।

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(v) बाजरे की फसल में दीमक का नियन्त्रण किस कीटनाशक से करते हैं?
उत्तर
गामा BHC2OEC।

(vi) बाजरे की फसल में कण्डुआ रोग (UPBoardSolutions.com) के नियन्त्रण हेतु कौन फफूदी नाशक प्रयोग करते हैं?
उत्तर
कार्बेन्डाजिम अथवा कार्बोक्सीन।

(vii) ज्वार की फसल में उर्वरक कितनी मात्रा में प्रयोग करते हैं?
उत्तर
नाइट्रोजन 100 किग्रा०, फास्फोरस 60 किग्रा०, पोटाश 40 किग्रा० प्रति हेक्टेयर।

(viii) ज्वार की संकर प्रजातियों के नाम बताइए।
उत्तर
सी०एच०एस० 1, 2, 3, स्वर्ण, सी० एस० वी०-3, संकर ज्वार टा-22 टी 8 वी।

(ix) ज्वार की बुआई का उपयुक्त समय क्या है?
उत्तर
जुलाई का दूसरा सप्ताह।

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(x) ज्वार के बीज को जमीन में कितनी (UPBoardSolutions.com) गहराई पर बोते हैं?
उत्तर
4, 5 सेमी।

(xi) बैगन की दो संकरे प्रजातियों के नाम बताइये।
उत्तर
पूसा हाइब्रिड-1, पूसा हाइब्रिड-36

(xii) बाजरे के लिए बीज प्रति हेक्टेयर कितने किलोग्राम प्रयोग किया जाता है?
उत्तर
4 या 5 किग्रा० प्रति हेक्टेयर।

(xiii) गोल लौकी की दो प्रजाति लिखिए।
उत्तर
पूसा प्रोलिफिक राउण्ड, पूसा सन्देश

प्रश्न 6.
ज्वार की फसल में खाद तथा उर्वरकों की (UPBoardSolutions.com) मात्रा देने का समय एवं विधि का वर्णन कीजिए।
उत्तर
सामान्यतः चारे के लिए गोबर की खाद 150-200 कुंतल प्रति हेक्टेयर तथा दाने के लिए 100-150 कुंतल प्रति हेक्टेयर वर्षा होने से पहले खेत में मिला देना चाहिए। खाद के अभाव में उर्वरकों का प्रयोग निम्नलिखित प्रकार से करते हैं
नाइट्रोजन – 100 किग्रा प्रति हेक्टेयर
फॉस्फोरस – 60 किग्रा प्रति हेक्टेयर
पोटाश -40 किग्रा प्रति हेक्टेयर

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नाइट्रोजन की आधी मात्री बोआई के समय व आधी मात्रा 40-50 दिन बाद खड़ी फसल में देना चाहिए। फॉस्फोरस व पोटाश की पूरी मात्रा बोआई के समय ही दे देना चाहिए।

प्रश्न 7.
ज्वार की फसल में लगने वाले कीट एवं रोग का वर्णन कीजिए।
उत्तर
ज्वार की फसल में कीड़ों से बड़ी हानि होती है। अंकुरण के 4-5 दिन बाद 1 लीटर मेटास्टिाक्स 25 ई०सी० को 500 लीटर पानी में मिलाकर प्रति हेक्टेयर छिड़काव करने से प्ररोह मक्खी व तना छेदक कीट नष्ट हो जाते हैं। अनावृत कंडुवा ज्वार (UPBoardSolutions.com) का प्रमुख रोग है। इसके नियन्त्रण के लिए कार्बेन्डाजिम अथवा कार्बाक्सीन के 22.5 ग्राम प्रति किग्रा बीज की दर से शोधित कर देना चाहिए।

प्रश्न 8.
ज्वार की संकर प्रजातियाँ कौन-कौन हैं? उनके बोने का समय, विधि एवं औसत उपज बताइए।
उत्तर
ज्वार की संकर प्रजातियों सी एच एस 1,2,3, स्वर्ण, सी एस वी-3, संकर ज्वार, टा-22 आदि हैं। इनकी बोआई के लिए जुलाई का दूसरा सप्ताह उपयुक्त होता है। चारे की फसल की बोआई पलेवा करके जून के आरंभ में कर दी जाती है। दाने के लिए बोआई कतारों में की जाती है। कतार से कतार की दूरी 45 सेमी तथा पौधे से पौधा 15-20 सेमी दूर होना चाहिए। बीज की गहराई 4-5 सेमी होनी चाहिए। औसत उपज दाना 30-40 कुंतल प्रति हेक्टेयर होती है।

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प्रश्न 9.
बाजरे की फसल में निराई-गुड़ाई, खरपतवार तथा कीट नियन्त्रण के बारे में लिखिए।
उत्तर
बाजरे की निराई, गुड़ाई एवं खरपतवार नियन्त्रण- दाने के लिए बोई गई फसल में कम से कम दो तीन बार निराई, गुड़ाई की आवश्यकता होती है। कानपुरी कल्टीवेटर चलाकर गुड़ाई की जा सकती है। खरपतवार नष्ट करने के लिए एट्राजीन की 1 किग्रा (UPBoardSolutions.com) 700-800 लीटर पानी में घोलकर बोने के तुरंत बाद प्रति हेक्टेयर छिड़काव करना चाहिए।

कीट नियन्त्रण – दीमक से बचाव के लिए गामा BHC 20 EC सिंचाई के पानी के साथ प्रयोग करते है। कीड़ों से बचाव के लिए 1.25 लीटर इण्डोसल्फान 35 EC का 800 ली० पानी में घोल बनाकर प्रति हेक्टेयर छिड़काव करना चाहिए। कण्डुआ रोग नियन्त्रण के लिए कार्बाक्सीन 2.5 ग्रा प्रति किग्रा बीज की दर से बीज का उपचार करना चाहिए।

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प्रश्न 10.
आलू के बोने का समय तथा बीज की मात्रा का विवरण दीजिए।
उत्तर
पहाड़ों पर सामान्यतः आलू की फसल गर्मी प्रारम्भ होने पर बोयी जाती है। मार्च से प्रारम्भ होकर मई तक चलती है। मैदानी क्षेत्रों में आलू की फसल 25 सितम्बर से 15 नवम्बर तक बोयी जाती है।

बीज की मात्रा- बीज की मात्रा पंक्तियों की दूरी तथा बीच के आकार पर निर्भर करती है। 2.5 सेमी व्यास या 50 ग्राम वजन के बीज की मात्रा 20-25 कुन्तल प्रति हेक्टेयर पर्याप्त होती है। समूचे तथा कटे हुए दोनों प्रकार के बीजों का प्रयोग किया जाता है। काटते समय ही (UPBoardSolutions.com) इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि प्रत्येक टुकड़े में कम से कम 2 या 3 आँखें हों और उसका वजन 50 ग्राम हो।

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प्रश्न 11.
बाजरे की संकर प्रजातियों एवं उनके पकने का समय तथा उपज बताइए।
उत्तर
बाजरे की संकर प्रजातियों पूसा 322, पूसा 23 व आई सी एम एच 451 है। इनके पकने में 85-90 दिन लगते हैं। इनसे 25-30 कुंतल उपज प्रति हेक्टेयर होती है।

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