UP Board Solutions for Class 8 Sanskrit Chapter 16 अमोघं तद् बलिदानम्

UP Board Solutions for Class 8 Sanskrit Chapter 16 अमोघं तद् बलिदानम्

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अमोघं तद् बलिदानम्

शब्दार्था:– अवैधरूपेण = गैर कानूनी रूप से, निरसनाय = हटाने के लिए. अतिक्रमणम् = सीमा से आगे बढ़ जाना, प्रेषणम् = भेजना, स्वशौर्येण = अपने शौर्य से, शत्रुहस्तगतानि = शत्रु के हाथ में गये हुए, आत्मरक्षणे = अपनी रक्षा में, पणीकृत्य = दाँव लगा कर, आमोघम् = सफल।

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जम्मू-कश्मीर राज्यस्व ………………………………वशीकृतवन्तः इति।
हिन्दी अनुवाद-जम्मू-कश्मीर राज्य के कारगिल क्षेत्र में सन् 2००० में मई मास से भारतीय सेना युद्ध कर रही थी। देश के उस भाग में (अवैध रूप में) अन्दर घुसने और अतिक्रमण करने वालों को रोकने के लिए (हमारे द्वारा) वह प्रयत्न किया जा रहा था।

भारत के इस भूभाग में ऐसा अतिक्रमण बहुत समय पहले से ही व्यवस्थित रीति से सोच-विचारकर शत्रुओं द्वारा आरम्भ था, ऐसा उस समय मालूम हुआ; जब जनवरी मास में ही भारतीय गुप्तचर विभाग द्वारा जम्मू-कश्मीर राज्य के कारगिल में स्थित सीमा में नियन्त्रण रेखा के पास पाकिस्तान का कोई विमान देखा गया था; (UPBoardSolutions.com) परन्तु उस विषय में (उस समय तक) हमारे द्वारा गम्भीरता से विचार नहीं किया गया था। इसके चार महीनों बाद पता चला कि आठ सौ से अधिक पाकिस्तानी सैनिकों और अफगानिस्तान के आतंकवादियों ने अतिक्रमण करके कारगिल, मष्कोह और द्रास में निर्जन पर्वत प्रदेशों पर अधिकार कर लिया।

युद्धेधे ……………………………………….. संजय कुमारः।
हिन्दी अनुवाद-युद्ध में भारतीय सैन्य बल के द्वारा अतुलनीय पराक्रम प्रदर्शित किया गया। अपने शौर्य से शत्रु द्वारा अधिकृत नौकाएँ और सैन्य-स्थल मुक्त कराये गये। कठिन परिस्थिति में और भीषण युद्ध में भारतीय सैन्य बल को विजय प्राप्त हुई। इस वीरतापूर्ण अभियान में अनेक सैनिकों ने वीरगति प्राप्त की। सैनिकों के प्राणोत्सर्ग को नमन (UPBoardSolutions.com) करके वीर सैनिक ‘परमवीर चक्र से सम्मानित किये गये। ये हैं

  1. कैप्टन मनोज कुमार पाण्डेय
  2. सूबेदार योगेन्द्र सिंह यादव
  3. कैप्टन विक्रम बत्रा
  4. राइफल मैन संजय कुमार

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शान्तिप्रियाः ………………………………………. प्रयतनीयम्।
हिन्दी अनुवाद – भारतीय शान्तिप्रिय हैं, इसमें संदेह नहीं है; परन्तु आत्म-रक्षा में हम कभी आलसी नहीं हैं। यह प्रधानमंत्री के द्वारा और दूसरों (दूसरे व्यक्तियों) के द्वारा उद्घोषित है। हम देश की रक्षा के लिए अपने प्राणों को दाँव पर लगाकर (भी) कार्य करते हैं और हम सब योद्धाओं को गौरव के साथ याद करते हैं। जिस प्रकार से उनका (UPBoardSolutions.com) आत्मबलिदान व्यर्थ (बेकार) न हो (हम) सभी को वैसा प्रयत्न करना चाहिए।

अभ्यासः

प्रश्न 1.
उच्चारणं कुरुत पुस्तिकायां च लिखत
उत्तर
नोट-विद्यार्थी स्वयं करें।

प्रश्न 2.
एकपदेन उत्तरत
(क) कारगिलस्थलं कस्मिन् राज्ये अस्ति?
उत्तर
जम्मूकश्मीर राज्ये।

(ख) भारतीयगुप्तचरविभागीयैः कस्य देशस्य विमानं दृष्टमासीत्?
उत्तर
पाकिस्तान देशस्य।

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(ग) शान्तिप्रियाः के सन्ति?
उत्तर
भारतीयः।

(घ) सगौरवं वयं कान् स्मरामः?
उत्तर
योद्धृन्।

प्रश्न 3.
एकवाक्येन उत्तरत
(क) कारगिल-युद्धं कस्मिन् वर्षे अभवत्?
उत्तर
कारगिल-युधं 2000 तमस्य वर्षे अभवत्?

(ख) पाकिस्थानस्य विमानं कुत्र दृष्टमासीत्?
उत्तर
पाकिस्थानस्य विमानं कारगिल वलये दृष्टमासीत्।

(ग) आरम्भे पाकिस्थानं किं न अङ्ग्यकरोत्?
उत्तर
आरम्भे पाकिस्थानं एतत् न अङ्ग्यकरोत् यत् ते तदीयाः सैनिकाः।

(घ) केषाम् आत्मबलिदानं व्यर्थं न भवेत्? ।
उत्तर
भारतीय सैनिकानाम् आत्मबलिदानं व्यर्थं न भवेत्।

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प्रश्न 4.
रेखांकितपदानि अवलम्व्य प्रश्ननिर्माणं कुरुत (करके)
(क) भारतीयसेनायाः पाकिस्तानसेनया सह युद्धम् अभवत्।
उत्तर
कस्य सेनायाः पाकिस्तानसेनया सह युद्धम् अभवत्।।

(ख) नियन्त्रणरेखायाः समीपे पाकिस्तानस्य विमानं दृष्टमासीत्।
उत्तर
नियन्त्रणरेखायाः समीपे पाकिस्तानस्य किं दृष्टमासीत्?

(ग) शान्तिप्रियाः भारतीयाः भवन्ति।
उत्तर
शान्तिप्रियाः के भवन्ति।

(घ) सैनिकानाम् आत्मबलिदानं व्यर्थ न स्यात्।
उत्तर
केषाम् आत्मबलिदानं व्यर्थ न स्यात्।।

प्रश्न 5.
मजूषातः पदानि चित्वा रिक्तस्थानानि पूरयत (पूरा करके)-
उत्तर
(क) सैनिकानाम् आत्मबलिदानं व्यर्थम् न भवेत्।
(ख) परम् आत्मरक्षः वयं न कदापि अलसाः इति प्रधानमन्त्रिणा अन्यैश्च उद्घोषितम्।।
(ग) शान्तिप्रियाः भारतीयाः इत्यत्र नास्ति संशयः।

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प्रश्न 6.
संस्कृते अनुवादं कुरुत (अनुवाद करके)-
उत्तर
(क) सीमाओं की रक्षा कौन करता है।
उत्तर
अनुवाद-सीमानाम् रक्षां कः करोति?

(ख) हिमालय की ऊँची चोटियाँ बर्फ से ढंकी रहती हैं।
उत्तर
अनुवाद-हिमालयस्ट उतुंगाः शिखर: हिमाच्छादिताः भवन्ति।

(ग) भारतीय शान्तिप्रिय होते हैं।
उत्तर
अनुवाद-भारतीयः शान्तिप्रियाः भवन्ति।

(घ) कारगिल युद्ध में भारत की जीत हुई।
उत्तर
अनुवाद-कारगिल युद्धे भारतं विजयी अभवत्।

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प्रश्न 7.
निम्नांकितेषु पदेषु उपसर्ग चित्वा लिखत (लिखकर)-
उत्तर
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• नोट – विद्यार्थी ‘स्मरणीयम् और शिक्षण-सङ्केत’ स्वयं करें।

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UP Board Solutions for Class 8 Sanskrit Chapter 15 गीतावचनामृतानि

UP Board Solutions for Class 8 Sanskrit Chapter 15 गीतावचनामृतानि

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गीतावचनामृतानि

शब्दार्थाः-परम् = सबसे बड़े, वेत्ता = जानकार, वेद्यम् = जानने योग्य, ततम् = फैलाया, ग्लानिः = हानि, अभ्युत्थानम् = बढ़ना, वृधि, आत्मानम् = अपने आपको, सृजामि = पैदा करता हूँ, प्रकट करता है, परित्राणाय = रक्षा करने के लिए, दुष्कृताम् = पापियों के, संस्थापनार्थाय = स्थापना के लिए, सम्भवामि = उत्पन्न होता हूँ, कर्मणि = कर्म में, कदाचन = कभी, सङ्गः = आसक्ति, अकर्मणि = अकर्म में, वासांसि = कपड़े, जीर्णानि = पुराने, विहाय = त्यागकर, छोड़कर, अपराणि = दूसरे, संयाति = जाता है, प्रवेश करता है, देही = आत्मा, (जो शरीर में रहे), एनम् = इसको (आत्मा को), छिन्दन्ति = काटते हैं, शस्त्राणि = हथियार, दहति = जलाता है, आपः = जल, क्लेदयन्ति = गीला । करता है, शोषयति = सुखाता है, युज्यस्व = तैयार हो जाओ, अवाप्स्यसि = पाओगे, प्राप्त करोगे। |

त्वमदिदेवः ……………………………… विश्वमनन्तरूप ॥1॥
हिन्दी अनुवाद-तुम आदिदेव और पुराण पुरुष हो। तुम संसार के परम (UPBoardSolutions.com) आधार हो। तुम जानने वाले और ज्ञान के योग्य हो और परमधाम हो। हे अनन्तरूप! तुमसे सारा विश्व व्याप्त है।

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यदा यदा हि ………………………………………………… सृजाम्यहम् ॥2॥
हिन्दी अनुवाद-(श्रीकृष्ण भगवान ने कहा) हे अर्जुन! जब-जब धर्म की ग्लानि (हानि) और अधर्म की वृद्धि होती है, तब-तब मैं धर्म की स्थापना करने के लिए स्वयं प्रकट होता हूँ।

परित्राणाय ………………………………………….. युगे युगे ॥3॥
हिन्दी अनुवाद-सज्जनों की रक्षा और दुष्टों का विनाश करने तथा धर्म की सम्यक् स्थापना के लिए मैं युग-युग में जन्म लेता हूँ।

कर्मण्येवाधिकारस्ते…………………………………. संगोऽस्वकर्मणि ॥4॥
हिन्दी अनुवाद-(श्रीकृष्ण भगवान ने कहा) तुम्हारा अधिकार केवल कर्म करने में है, फलों पर। नहीं है; अतः तुम कर्मों के फल की चिन्ता मत करो और न ही तुम्हारा अकर्म में लगाव हो।

वासांसि ………………………………………………………. नवानि देहि॥5॥
हिन्दी अनुवाद-हे अर्जुन! जिस प्रकार, व्यक्ति पुराने वस्त्रों को त्यागकर (UPBoardSolutions.com) नए वस्त्र धारण करता है, उसी प्रकार, यह आत्मा पुराने शरीर को त्यागकर अन्य नए शरीर को धारण करती है। |

नैनं छिन्दन्ति …………………………………… शोषयति मारुतः ॥6॥
हिन्दी अनुवाद-हे अर्जुन! इस आत्मा को न तो शस्त्र काट सकते हैं, न आग जला सकती है, न जल गीला कर सकता है और न ही वायु सुखा सकती है।

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सुखेदुःखे समे ………………………………………. पापमवाप्स्यसि ॥7॥
हिन्दी अनुवाद-हे अर्जुन! सुख-दुख, लाभ-हानि और हार-जीतं को समान मानकर युद्ध के लिए तैयार हो जाओ। इस प्रकार पाप को प्राप्त नहीं होगे अर्थात् पापी नहीं होगे।

अभ्यासः

प्रश्न 1.
उच्चारणं कुरुत पुस्तिकायां च लिखत-
उत्तर
नोट-विद्यार्थी स्वयं करें।

प्रश्न 2.
एकपदेन उत्तरत
(क) पुराणः पुरुषः कः?
उत्तर
श्री कृष्णः |

(ख) अस्माकं कुत्र अधिकारः अस्ति?
उत्तर
कर्मणि।

(ग) केषां परित्राणाय ईश्वरः अस्ति?
उत्तर
साधूनां।

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(घ) शस्त्राणि कं न छिन्दन्ति?
उत्तर
आत्मानम्।

प्रश्न 3.
एकवाक्येन उत्तरत
(क) परमात्मा आत्मानं कदा सृजति?
उत्तर
परमात्मा आत्मानं अभ्युत्थानमधर्मस्य सृजति।

(ख) व म् आपः न क्लेदयन्ति?
उत्तर
आत्मानम् आपः ने क्लेदयन्ति।

(ग) जीर्णानि शरीराणि विहाय कः संयाति?
उत्तर
जीर्णानि शरीराणि विहाय आत्मा संयाति।

(घ) पावकः कं न दहति?
उत्तर
पावकः आत्मानं न दहति।

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प्रश्न 4.
निम्नाकित-पदेषु सन्धिं कृत्वा तस्य नाम लिखत ( लिखकर )-
                            सन्धिः                                     नाम
उत्तर
UP Board Solutions for Class 8 Sanskrit Chapter 15 गीतावचनामृतानि img-1

प्रश्न 5.
अधोलिखित-पदेषु शब्दं विभक्तिं वचनं च लिखत (लिखकर)
उत्तर
UP Board Solutions for Class 8 Sanskrit Chapter 15 गीतावचनामृतानि img-2

प्रश्न 6.
अधोलिखित-विशेष्यैः सह विशेषणानि योजयत ( जोड़कर)-
उत्तर
UP Board Solutions for Class 8 Sanskrit Chapter 15 गीतावचनामृतानि img-3

प्रश्न 7
संस्कृतभाषायाम् अनुवादं कुरुत (अनुवाद करके)
(क) जल इसको गीला नहीं करता है।
उत्तर
अनुवाद-आपः एनं न क्लेदयन्ति।।

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(ख) धर्म की स्थापना के लिए मैं जन्म लेता हूँ।
उत्तर
अनुवाद-धर्मसंस्थापनार्थाय अहं सम्भवामि।

(ग) सुख-दुख को समान मानकर युद्ध के लिए तैयार हो।
उत्तर
अनुवाद-सुखदु:खे समे (UPBoardSolutions.com) कृत्वा युद्धाय युज्यम्व।

• नोट – विद्यार्थी ‘स्मरणीयम और शिक्षण-सङ्रकेत’ स्वयं करें।

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UP Board Solutions for Class 8 Sanskrit Chapter 14 वाराणसी नगरी

UP Board Solutions for Class 8 Sanskrit Chapter 14 वाराणसी नगरी

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वाराणसी नगरी

शब्दार्थाः-विराजमाना = स्थित, पुरातनम् = प्राचीन, अत्रत्य = यहाँ के, अत्रैव = यहीं, विराजते। = सुशोभित होता है।, विस्तरेण = विस्तार से, इहैव = यहीं पर, मुमुक्षु = मोक्ष का इच्छुक।

अस्माकं देशे ……………………………… मन्दिरम् च ।।
हिन्दी अनुवाद-हमारे देश में बहुत से तीर्थस्थान हैं। उनमें वाराणसी भी एक प्रसिद्ध तीर्थस्थान है। यह ‘काशी’ नाम से प्रसिद्ध है। यह पुण्यप्रद सबसे प्राचीन तीर्थस्थान है। अनेक प्राचीन ग्रन्थों में इसकी महिमा वर्णित है। स्कन्दपुराण के काशीखण्ड में इस वाराणसी का विस्तार से वर्णन है।।

यह नगरी गंगा के पवित्र तट पर विराजमान है। यहीं विश्वनाथ का प्रसिद्ध सुवर्णचूड़ मन्दिर है। अन्य भी बहुत से देवमन्दिर आदि हैं। संकटमोचन मन्दिर, नवीन विश्वनाथ मन्दिर, दुर्गामन्दिर, कालभैरव मन्दिर और तुलसी मानस मन्दिर।

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वाराणस्यां …………………………………… आगच्छन्ति ।
हिन्दी अनुवाद-गंगा वाराणसी के उत्तर में बहती है। इसके किनारे अनेक सुन्दर घाट हैं। इसके प्रसिद्ध घाटों में दशाश्वमेध, राजेन्द्र प्रसाद, तुलसी, पंचगंगा आदि अन्य घाट भी हैं, जहाँ प्रातः और शाम के समय विशाल जनसमूह आती है। वहाँ कुछ स्नान करते हैं, कुछ सन्ध्या वन्दना करते हैं, कुछ कथा सुनते हैं और कुछ नौका विहार करते हैं।

यहाँ पिशाचमोचन नामक एक तीर्थ है, जहाँ आकर यात्री पितरों (UPBoardSolutions.com) का श्राद्ध किया करते हैं। शिवरात्रि के दिन यहाँ विशेष रूप में मेला लगता है। ग्रहण के समय में भी यहाँ अत्यधिक जन समुदाय एकत्रित होता है। यहाँ गंगा में स्नान और श्री विश्वनाथ के दर्शन के लिए सदैव भिन्न-भिन्न प्रदेशों के लोग आते हैं।

वाराणसी ……………………………………….. अपि अस्ति ।
हिन्दी अनुवाद-वाराणसी भारत का सुप्रसिद्ध विद्याकेन्द्र भी है। यहाँ बहुत प्राचीन काल से पठन-पाठन की परम्परा शोभित है। यहाँ अनेक प्रसिद्ध पण्डित हुए। आज भी यहाँ के पण्डितों की देश-विदेश में सर्वत्र प्रतिष्ठा होती है। विश्वविख्यात हिन्दू विश्वविद्यालय यहाँ विराजमान है। संस्कृत शिक्षा का प्रसिद्ध केन्द्र, सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय भी इसकी शोभा बढ़ाता है। यहाँ महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ है।।

यहाँ अनेक पर्यटन स्थल हैं। विश्व प्रसिद्ध सारनाथ स्थित बौद्ध मन्दिर यहाँ स्थित है। यहाँ भगवान बुद्ध ने प्रथम ज्ञान का उपदेश शिष्यों को दिया था। यहीं ‘भारतमाता’ नाम का मन्दिर भी है।

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वाराणसी …………………………………………. नगरी अस्ति ।
हिन्दी अनुवाद-वाराणसी हमारा पवित्र तीर्थस्थान, विद्या का (UPBoardSolutions.com) विश्वविख्यात केन्द्र, तुलसीदास, कबीरदास और रविदास की साधना भूमि और मोक्ष प्राप्त करने वालों की मुक्तिदायिनी नगरी है।

अभ्यासः

प्रश्न 1.
उच्चारण कुरुत पुस्तिकायां च लिखत
उत्तर
नोट-विद्यार्थी स्वयं करें।

प्रश्न 2.
एकवाक्येन उत्तरत
(क) इयं नगरी कस्याः पवित्रतटे विराजमाना अस्ति?
उत्तर
गङ्गायाः।

(ख) पितृणां श्राद्धक्रिया कुत्र भवति?
उत्तर
पिशाचमोचने।

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(ग) भारतमाता-मन्दिरं कुत्र अस्ति?
उत्तर
सारनाथे।

(घ) भगवान् बुद्धः शिष्येभ्यः प्रथमज्ञानोपदेशं कुत्र अददात्?
उत्तर
सारनाथे।

प्रश्न 3.
मजूषातः पदानि चित्वा वाक्यानि पूरयत (पूरा करके)-
उत्तर
(क) स्कन्दपुराणस्य विश्वनाथस्य अस्याः वाराणस्याः विस्तरेण वर्णनं वर्तते।
(ख) अत्रैव काशीखण्डे प्रसिद्धं सुवर्णचूड मन्दिरम् अस्ति।
(ग) वाराणस्यां गङ्गायाः तीरे अनेके मनोहराः घट्टाः सन्ति।
(घ) ग्रहणसमये अपि (UPBoardSolutions.com) अत्र महान् जनसमुदायः एकत्र भवति।
(ङ) वाराणसी भारतस्य सुप्रसिद्धं पुरातनं विद्याकेन्द्रमपि अस्ति।

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प्रश्न 4.
अधोलिखितानि पदानि आधृत्य वाक्यानि रचयत (वाक्य रचकर)-
उत्तर
यथा   – फलानि |   –     ते फलानि खादन्ति।।
(क) तीर्थस्थानानि – भारते बहूनि तीर्थस्थानानि सन्ति।
(ख) बहूनि – तत्र बहूनि चित्राणि सन्ति।
(ग) अनेकानि – अनेकानि पत्राणि पतन्ति।
(घ) मन्दिराणि – बहूनि मन्दिराणि शोभन्ते।

प्रश्न 5.
भिन्नवर्गस्य पदं चिनुत (चुनकर    –    भिन्नवर्ग
उत्तर
UP Board Solutions for Class 8 Sanskrit Chapter 14 वाराणसी नगरी img-1

प्रश्न 6.
रेखाङकितपदानि आधृत्य प्रश्ननिर्माणं कुरुत (करके)-
यथा- वाराणस्यां गङ्गा उत्तरवाहिनी जाता।।
वाराणस्यां को उत्तरावाहिनी जाता?
(क) अत्रैव विश्वनाथस्य प्रसिद्धं सुवर्णचूडं मन्दिरम् अस्ति।
उत्तर
अत्रैव कस्य प्रसिद्धं सुवर्णचूडं मन्दिरम् अस्ति?

(ख) वाराणस्यां गङ्गा उत्तरवाहिनी जाता।
उत्तर
वाराणस्यां का उत्तरवाहिनी जाता?

(ग) शिक्षायाः विश्वविख्यातं केन्द्र हिन्दूविश्वविद्यालयः अस्ति।
उत्तर
कस्याः विश्वविख्यातः केन्द्रः हिन्दूविश्वविद्यालयः अस्ति?

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(घ) भगवान् बुद्धः प्रथमं ज्ञानोपदेशं शिष्येभ्यः अददात्।
उत्तर
भगवान बुद्धः प्रथमं ज्ञानोपदेशं केभ्यः अददात्?

(ङ) वाराणसी अस्माकं पवित्र तीर्थस्थानम् अस्ति।
उत्तर
वाराणसी केषाम् (UPBoardSolutions.com) पवित्र तीर्थस्थानम् अस्ति?

प्रश्न 7.
उदाहरणानुसारं रूपाणि लिखत (लिखकर)-
उत्तर
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• नोट – विद्यार्थी शिक्षण-सङ्केत’ स्वयं करें।

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UP Board Solutions for Class 8 Sanskrit Chapter 13 वीरोऽभिमन्युः

UP Board Solutions for Class 8 Sanskrit Chapter 13 वीरोऽभिमन्युः

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वीरोऽभिमन्युः

शब्दार्थाः-अष्टादशदिनानि यावत् = अठारह दिनों तक, पञ्चदशे दिवसे = पन्द्रहवें दिन, मातुलः = मामा, प्रार्थितवान् = प्रार्थना की, नीतवन्तः = ले गए, मत्वा = मानकर, अजानात् = जानते थे, तदानीम् = उस समय, पितृष्वसुः पतिः = पिता की बहन के पति, सम्मिल्य = मिलकर, नि:शस्त्रम् = शस्त्ररहित।

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महाभारतस्य …………………………………………………. गदायुद्धम् अभवत्।
हिन्दी अनुवाद-महाभारत का युद्ध अट्ठारह दिनों तक चला। आरम्भ में कौरव पक्ष में पितामह भीष्म सेनापति थे। उन्होंने दस दिन तक युद्ध किया। तब ग्यारहवें दिन द्रोणाचार्य सेनापति हुए। वह पाँच दिनों तक (UPBoardSolutions.com) सेनापति बने रहे। पन्द्रहवें दिन ये वीरगति को प्राप्त हुए। इसके बाद दो दिनों तक कर्ण सेनापति हुए। इनकी वीरगति होने पर आधे दिन शल्य मामा ने युद्ध किया। शेष आधे दिन में भीम और दुर्योधन का गदा युद्ध हुआ।

अस्य ऐतिहासिकस्य………………………………………… न अजानात्।
हिन्दी अनुवाद-इस ऐतिहासिक महायुद्ध के तेरहवें दिन जब द्रोणाचार्य कौरव के सेनापति थे, तब दुर्योधन ने अपनी विजय के लिए बहुत अधिक प्रार्थना की। द्रोणाचार्य ने कहा, “यदि अर्जुन किसी कारण से युद्ध में शामिल न हो, तो निश्चय ही तुम्हारी जीत होगी, ऐसा सुनकर दुर्योधन पक्ष का संशप्तक नामक वीरवर अर्जुन को युद्ध के लिए बुलाकर कहीं दूर ले गया। यही अवसर है, ऐसा.सोचकर द्रोणाचार्य ने । चक्रव्यूह की रचना की, जिसका भेद अर्जुन के अलावा पाण्डव में कोई नहीं जानता था।

महाराजो…………………………………. अमरः अभवत् ।
हिन्दी अनुवाद-महाराज युधिष्ठिर अत्यन्त दुखी हुए। उसी समय अर्जुन पुत्र अभिमन्यु युद्धक्षेत्र में गया। वह चक्रव्यूह भेदन विधि जानता था, किन्तु चक्रव्यूह के द्वार पर उसके पिता की बहन के पति (फूफा) सिन्धुराज जयद्रथ ने युधिष्ठिर, भीम, नकुल, सहदेव को रोक दिया। अभिमन्यु ने अकेले ही चक्रव्यूह के बीच घुसकर, अत्यन्त पराक्रम से युद्ध करके (UPBoardSolutions.com) बहुत से वीरों को मार दिया। अन्त में द्रोण, कृपाचार्य, कर्ण, अश्वत्थामा, बृहदर्बल, कृतवर्मा आदि सात योद्धाओं ने मिलकर अकेले (अभिमन्यु) को निःशस्त्र कर मार दिया। हा! धिक्कार! अभिमन्यु वीरगति पाकर अमर हो गया।

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अभ्यासः

प्रश्न 1.
उच्चारणं कुरुत पुस्तिकायां च लिखत-
उत्तर
नेट-विद्यार्थी स्वयं करें।

प्रश्न 2.
एकपदेन उत्तरत
(क) कौरवपक्षे कः प्रथमं सेनापतिः अभवत्?
उत्तर
भीष्मः।

(ख) द्रोणाचार्यः कति दिनानि सेनापतिः आसीत्?
उत्तर
पञ्च।

(ग) एकादशे दिवसे कः सेनापतिः अभवत्?
उत्तर
द्रोणाचार्यः।

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(घ) अर्जुनं विहाय चक्रव्यूह-भेदन-विधिं कः अजानात्?
उत्तर
अभिमन्युः।

प्रश्न 3.
एकवाक्येन उत्तरत
(क) महाभारतस्य युद्धं कति दिनानि यावत् प्राचलत्?
उत्तर
महाभारतस्य युधं अष्टादश दिनानि यावत् प्राचलत्।

(ख) त्रयोदशे दिने कः सेनापतिः आसीत्? ।
उत्तर
त्रयोदशे दिने द्रोणाचार्यः सेनापतिः आसीत्।

(ग) द्रोणाचार्यः विजयाय किं रचितवान्?
उत्तर
द्रोणाचार्यः विजयाय चक्रव्यूहम् रचितवान्।

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(घ) चक्रव्यूहद्वारे पाण्डवान् कः अवरुद्धवान्?
उत्तर
चक्रव्यूहद्वारे पाण्डवान् जयद्रथः अवरुद्धवान्।

प्रश्न 4.
अधोलिखित-पदानां विभक्ति-वचनं लिखत-
उत्तर
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प्रश्न 5.
अधोलिखितपदानि समानार्थकैः पदैः सह योजयत (जोड़कर)
उत्तर
UP Board Solutions for Class 8 Sanskrit Chapter 13 वीरोऽभिमन्यु img-2

प्रश्न 6.
अधोलिखितवाक्यानि संशोधयत (शुद्ध करके)-
उत्तर
(क) द्रोणाचार्यः सेनापतिः आसीत्।
(ख) सः पञ्चदिनानि सेनापतिः आसीत्।
(ग) ती वीरगतिं (UPBoardSolutions.com) प्राप्तवन्तो।
(घ) दुर्योधनः स्वविजयः द्रोणाचार्य प्रार्थितवान्।
(ङ) अभिमन्युः वीरगतिं लब्धवान्।

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प्रश्न 7.
संस्कृतभाषायाम् अनुवादं कुरुत (अनुवाद करके)
(क) वीर अभिमन्यु अर्जुन का पुत्र थाः ।
उत्तर
अनुवाद-वीरः अभिमन्युः अर्जुनस्य पुत्रः आसीत्।

(ख) वह अकेले सात महारथियों से लड़ा।
उत्तर
अनुवाद-स: एकाकी सप्तै: महारथिभिः युद्धं कृतवान्।

(ग) जयद्रथ ने अन्याय में अभिमन्यु का वध किया था।
उत्तर
अनुवाद-जयद्रथः अन्यायन् अभिमन्युं हतवान्।।

(घ) अतः अर्जुन ने जयद्रथ के वध की प्रतिज्ञा की।
उत्तर
अनुवाद-अत: अर्जुनजयद्रथं हन्तुं प्रतिज्ञाम् अकरोत्।।

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UP Board Solutions for Class 8 Sanskrit Chapter 12 प्रियं भारतम्

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प्रियं भारतम्

शब्दार्थाः-सुरम्यम् = सुन्दर, रमणीय, प्रकामम् = अत्यन्त, ललामम् = सुन्दर, निकामम् = अत्यधिक, सरितारहारैः = नदी रूपी उज्ज्वल हारों से, हिमाद्रि = हिमालय-हिम का आद्रि (पर्वत), ललाटे = भार पर, पदे = पद तल में, सिन्धुः = समुद्र, सर्वथा = हर तरह से, दर्शनीयम् = देखने योग्य, निधानम् = भण्डार, धरायाम् = पृथ्वी पर, शुभ्रम् = उज्ज्वल, अनेके = बहुत से, नमामः = (हम) प्रणाम करते हैं, तदर्थम् = उसके लिए।

प्रकृत्या ……………………………………. दर्शनीयम् ॥1॥
हिन्दी अनुवाद-प्रकृति ने हमारे प्रिय भारत को सुन्दर और विशाल बनाया है। यह नदी रूपी उज्ज्वल हारों से सुशोभित है। हमारा प्रिय भारत, जिसके माथे पर हिमालय और पैरों में (UPBoardSolutions.com) समुद्र है, हमेशा दर्शन करने योग्य है।

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धनानां निधानं………………………………. पूजनीयम् ॥2॥
हिंन्दी अनुवाद-हमारा प्रिय भारत धन का खजाना और पृथ्वी पर प्रधान देश है। यह भारत (स्वर्ग) देवलोक के समान है। इसका स्वच्छ उज्ज्वल यश संसार में गाया जाता है। प्रिय भारत सदा पूजा करने योग्य है।

अनेके प्रदेशाः ………………………………………… रक्षणीयम् ॥3॥
शब्दार्थाः अनेके = बहुत से।
हिन्दी अनुवाद-हमारे इस प्रिय भारत में अनेक प्रदेश (राज्य) और अनेक वेश (वेशभूषा) हैं, अनेक रूप हैं और लोगों की अनेक भाषाएँ हैं, परन्तु फिर भी सब एक रूप में भारतीय हैं। हमारा प्रिय भारत हमेशा रक्षा किए जाने योग्य है।

वयं भारतीयाः …………………………………. सदा वन्दनीयम् ॥4॥
हिन्दी अनुवाद-हम सब भारतीय अपने भारत को नमस्कार करते हैं। हम इस एक परम धर्म को मानने वाले हैं। इसके लिए हम अपना धन और जीवन अर्पित करते हैं। हमारा प्रिय, भारत हमेशा (UPBoardSolutions.com) वन्दना करने योग्य है।

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अभ्यासः

प्रश्न 1.
उच्चारण कुरुत पुस्तिकायां च लिखत
उत्तर
नोट-विद्यार्थी स्वयं करें।

प्रश्न 2.
एकपदेन उत्तरत
(क) भरतस्य ललाटे, किमस्ति?
उत्तर
हिमाद्रिः।

(ख) कस्य शुभ्रं यशः विदेशेषु गीतम् अस्ति?
उत्तर
भारतस्य।

(ग) भारते कियन्तः वेषाः सन्ति?
उत्तर
अनेके।

(घ) वयं भारतीयः कं नमामः?
उत्तर
स्वदेशं।

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प्रश्न 3.
पूर्णवाक्येन उत्तरत
(क) भारते कियन्तः प्रदेशाः किंयत्यश्च भाषाः सन्ति?
उत्तर
भारते अनेके प्रदेशाः अनेकानि भाषाः सन्ति।

(ख) इदं भारतं कस्य निधानं केन च तुल्यम्?
उत्तर
इदं भारतं धनानां निधानं देवलोकेन च तुल्यम्।

(ग) वयं भारतीयाः किं किम् अर्पयामः?
उत्तर
वयं भारतीयाः धनं-जीवनं अर्पयामः।

(घ) वयं सदा कं धर्मं मानयामः?
उत्तर
वयं सदा परं धर्म मानयामः।।

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प्रश्न 4.
संस्कृते अनुवादं कुरुत
(क) प्रिय भारत सर्वथा दर्शनीय है।
उत्तर
अनुवादप्रियं भारतं सर्वथा दर्शनीयम्।

(ख) भारत देवलोक के समान है।
उत्तर
अनुवाद-भारतं देवलोकेन तुल्यम्।

(ग) इसमें बहुत से प्रदेश हैं।
उत्तर
अनुवाद-अस्मिन् अनेके प्रदेशाः सन्ति।

(घ) हम भारतीय अपने देश को प्रणाम करते हैं।
उत्तर
अनुवाद-वयं भारतीयाः स्वदेशं नमामः।

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प्रश्न 5
मजूषातः पदानि चित्वा वाक्यानि पूरयत (पूरा करके)-
उत्तर
(क) प्रियं भारतं सर्वथा दर्शनीयम्।
(ख) इदं भारतं देवलोकेन तुल्यम्।
(ग) अनेकानि रूपाणि, भाषा अनेकाः।
(घ) वयं भारतीयाः स्वदेशम् नमामः।
(ङ) तदर्थं धनं जीवनं च अर्पयामः।

प्रश्न 6.
विशेष्यैः सह यथायोग्यं विशेषणानि योजयत (जोड़कर)-
उत्तर
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प्रश्न 7.
अनीयर् (अनीय) प्रत्ययं योजयित्वा पदानि लिखत ( लिखकर)-
उत्तर
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• नोट – विद्यार्थी शिक्षण-सङ्केत’ स्वयं करें। त्रयोदशः पाठः

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