UP Board Solutions for Class 8 Hindi Chapter 14 छत्रसाल (महान व्यक्तित्व)

UP Board Solutions for Class 8 Hindi Chapter 14 छत्रसाल (महान व्यक्तित्व)

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पाठ का सारांश

छत्रसाल ओरछा के राजा चम्पतराय के पुत्र थे। इनकी माता का नाम सारन्धी था। पिता ने इनको रानी के साथ मायके भेज दिया और चार वर्ष तक वे वहीं पर रहे। सात वर्ष की अवस्था में इनकी शिक्षा प्रारम्भ हुई और तीन वर्ष में ये एक कुशल सैनिक बन गए। सोलह वर्ष की अवस्था में इनके माता-पिता का स्वर्गवास हो गया।

इन्होंने अपने बड़े भाई से मिलकर बुन्देलखण्ड का राज्य दोबारा स्थापित करने की योजना बनाई। अपनी माता के जेवर को बेचकर तीन सौ सैनिकों की एक सेना तैयार करके इन्होंने (UPBoardSolutions.com) कुशलता से युद्ध करना प्रारम्भ कर दिया। उनके शासन में प्रजा सुखी थी।

भूषण और लाल कवि इनके दरबार में थे। वे विद्वानों तथा कवियों का आदर करते थे। सन् 1731 में 83 वर्ष की आयु में इनकी मृत्यु हो गई। इन्होंने अपनी समस्त जीवन देश तथा जाति की भलाई में लगा दिया। छत्रसाल भारतमाता की वीर तथा महान सन्तान थे। शिक्षा-जीवन की सफलता कर्तव्यपरायणता में है।

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अभ्यास-प्रश्न

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए
प्रश्न 1.
छत्रसाल का जन्म कब और किस वातावरण में हुआ?
उत्तर :
त्रसाल का जन्म सन् 1648 ई० में पहाड़ी तथा जंगली प्रदेश के वातावरण में हुआ।

प्रश्न 2.
छत्रपति शिवाजी ने छत्रसाल को क्या उपदेश दिया?
उत्तर :
छत्रपति शिवाजी ने छत्रसाल को उपदेश दिया कि वीरता से लड़ो, लालच कभी मत करो, अधर्म कभी मत करो और किसी धर्म या जाति से द्वेष न करो।।

प्रश्न 3.
छत्रसाल की प्रशंसा में किस कवि ने कविताएँ लिखीं?
उत्तर :
छत्रसाल की प्रशंसा में कवि भूषण ने कविताएँ लिखीं?

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प्रश्न 4.
औरंगजेब छत्रसाल को क्यों न हरा सका?
उत्तर :
क्योंकि छत्रसाल के लड़ने का ढंग बहुत कौशलपूर्ण था, ये और इनके भाई सेना का संचालन करते थे, ये पहाड़ी प्रदेशों में भी कुशलता से लड़ते थे। इन स्थानों की इन्हें विशेष जानकारी थी।

प्रश्न 5.
छत्रसाल का राज्य प्रबंध कैसा था?
उत्तर :
छत्रसाल का राज्य प्रबंध बहुते उत्तम और प्रजा को सुखी बनाने वाला था। कोई व्यक्ति यदि स्त्रियों के साथ दुर्व्यवहार करता तो उसे कठोर दण्ड देते थे। सारा राज-काज इन्हीं की आज्ञा से चलता (UPBoardSolutions.com) था। प्रत्येक व्यक्ति चाहे वह कितना ही छोटा हो, इनसे मिल सकता था। ये सबकी विनती और बात ध्यान से सुनते थे तथा सबकी सहायता करते थे।

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UP Board Solutions for Class 8 Hindi Chapter 13 गुरु गोविन्द सिंह (महान व्यक्तित्व)

UP Board Solutions for Class 8 Hindi Chapter 13 गुरु गोविन्द सिंह (महान व्यक्तित्व)

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पाठ का सारांश

गुरु तेगबहादुर के पुत्र तथा उत्तराधिकारी गुरु गोविन्द सिंह का जन्म सन् 1666 ई० में पटना (बिहार) में हुआ। उन्हें दस वर्ष की अवस्था में गुरु की गद्दी मिली। वे सैनिकों की भाँति घुड़सवारी करते और तलवार चलाते थे। इतना ही नहीं कुछ राजकाज भी होने लगा। इनके शिष्य इन्हें भेट देते थे। इनके शिष्य तथा दरबारी उन्हें ‘सच्चे बादशाह’ (UPBoardSolutions.com) कहते थे। गुरु गोविन्द सिंह: सिखों के आग्रह पर आनन्दपुर आ गए जो गुरु तेगबहादुर की राजधानी थी। यहाँ 20 वर्ष तक रहकर धर्मग्रन्थों , को अध्ययन किया। ये अच्छे कवि और विचारक थे। इनके द्वारा रचित ‘चंडी-चरित्र’ और ‘चंडी का वार’ वीररस के सुन्दर काव्य हैं। इन्होंने एक पुस्तक ‘विचित्र नाटक’ भी लिखी, जिसके द्वारा लोगों में . उत्साह भरने की चेष्टा की।

सन् 1699 ई० में बैसाखी के दिन इन्होंने खालसा पंथ अथवा सिख धर्म की स्थापना की। गुरु गोविन्द सिंह ने सिखों को पाँच वस्तुओं को धारण करना जरूरी बताया। ये वस्तुएँ हैं–

  1. केश,
  2. कड़ा
  3. कंघा,
  4. कच्छा और
  5. कृपाण ये ‘पाँच ककार’ कहे जाते हैं।

गुरु ने अपने शिष्यों से जाति सूचक शब्द छोड़कर प्रत्येक सिख के नाम के साथ ‘सिंह’ जोड़ना जरूरी समझा। इस प्रकार सिख संगठित सैनिक बन गए। इससे औरंगजेब, जो दक्षिण में था, ने गुरु पर आक्रमण करने का आदेश दिया। गुरु अपने कुछ साथियों सहित बच निकले। गुरु औरंगजेब से छह-सात वर्ष तक युद्ध करते रहे। इन युद्धों (UPBoardSolutions.com) में उनके दो पुत्रे मारे गए और दो को सरहिंन्द के सूबेदार ने दीवार चिनवा दिया। गुरु ने फिर भी साहस और धैर्य नहीं छोड़ा। औरंगजेब ने गुरु को कैद करने का आदेश दिया लेकिन इसी बीच औरंगजेब की मृत्यु हो गई।

गुरु गोविन्द सिंह जी ने अपने 42 वर्ष के अल्प जीवन में अनेक कार्य किए। भेद-भाव मिटाकर और खालसा पंथ को संगठित करके उन्होंने देशवासियों को नई स्फूर्ति और प्रेरणा दी। नि:सन्देह वे हमारे देश के अमूल्य रत्न थे।

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अभ्यास-प्रश्न

प्रश्न 1.
गुरु गोविन्द सिंह ने सिखों को अपने नाम में सिंह लगाने का आदेश क्यों दिया?
उत्तर :
गुरु गोविन्द सिंह ने जाति-पाँति का भेदभाव समाप्त करने और एकता पर आधारित सैनिक संगठन बनाने के लिए सिखों के नाम के साथ ‘सिंह’ लगाने का आदेश दिया।

प्रश्न 2.
सिखों को किन पाँच वस्तुओं को धारण करना अनिवार्य है?
उत्तर :
सिखों को पाँच ककार- केश, कंघा, कड़ा, कच्छा और कृपाण धारण करना अनिवार्य है।

प्रश्न 3.
पंच प्यारे कौन कहलाए? (UPBoardSolutions.com)
उत्तर :
पंच प्यारे वे व्यक्ति कहलाए जो मृत्यु का डर छोड़कर अपनी बलि देने को तैयार हो गए थे।

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प्रश्न 4.
खालसा पंथ की स्थापना कब और किसने की?
उत्तर :
सन् 1699 ई० में वैसाखी के दिन गुरु गोविन्द सिंह जी ने ‘खालसा पंथ’ अथवा सिख धर्म स्थापना की थी।

प्रश्न 5.
रिक्त स्थानों की पूर्ति निम्नांकित में से उचित शब्दों के द्वारा कीजिए (पूर्ति करके)
उत्तर :
नान्दे (हैदराबाद), 1708, पुत्र, 1666,’मुगलों, पिता, 1699

  1. गुरु गोविन्द सिंह के जन्म के समय भारत में मुगलों का शासन था।
  2. गुरु गोविन्द सिंह की मृत्यु नान्दे ( हैदराबाद) स्थान में हुई थी।
  3. गुरु तेगबहादुर गुरुगोविन्द सिंह के पिता थे।
  4. गुरु गोविन्द सिंह का जन्म 1666 ई० में हुआ था।
  5. गुरु गोविन्द सिंह ने वर्ष 1699 में खालसा पंथ की स्थापना की थी।

प्रश्न 6.
संक्षेप में उत्तर दीजिए
(1).
‘सच्चे बादशाह’ सम्बोधन किसके लिए किया गया था?
उत्तर :
‘सच्चे बादशाह’ सम्बोधन गुरु गोविन्द सिंह के पितामह गुरु हरगोविन्द के लिए किया गया था।

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(2).
‘मसन्द’ किसे कहते हैं?
उत्तर :
‘मसन्द’ उन शिष्यों को कहते हैं जो गुरु को स्थान-स्थान पर खड़े होकर भेंट देते थे।

(3).
गुरु गोविन्द सिंह द्वारा रचित पुस्तकों के नाम लिखिए।
उत्तर :
गुरु गोविंद सिंह द्वारा रचित पुस्तकों के नाम हैं- ‘चंडी चरित्र’, ‘चंडी का वार’ और ‘विचित्र नाटक’।

प्रश्न 7.
निम्नलिखित के बारे में लिखिए- चंडी चरित्र, विचित्र नाटक, पाँचककार
उत्तर :
चंडी-चरित्र – यह गुरु गोविन्द सिंह द्वारा रचित वीररस का सुन्दर काव्य है। गुरु ने इसके माध्यम से शिष्यों में अदम्य साहस और वीरता का संचार किया।

विचित्र नाटक – गुरु गोविन्द सिंह द्वारा रचित इस नाटक के द्वारा लोगों में उत्साह भरने की चेष्टा की गई। इसमें गुरु ने लिखा है, “तुम हमारे पुत्रों के समान हो, नया पंथ चलाओ। लोगों से (UPBoardSolutions.com) कहो कि, सत्यमार्ग पर चलकर नासमझी से दूर रहें।”

पाँच ककार – केश, कंघा, कड़ा, कच्छा और कृपाण सिखों को धारण करना अनिवार्य है।

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UP Board Solutions for Class 8 Hindi व्याकरण

UP Board Solutions for Class 8 Hindi व्याकरण

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व्याकरण – जिन नियमों के अन्तर्गत किसी भाषा को शुद्ध बोलना, लिखना तथा ठीक प्रकार समझना आता है, उन्हें ही व्याकरण कहते हैं।

भाषा – भाषा के द्वारा मनुष्य अपने मन के विचार प्रकट करता है तथा दूसरों के भावों को स्वयं समझता है। विचारों को प्रकट करने के विभिन्न ढंग हैं किन्तु इनसे भाषा का रूप स्थिर नहीं रहने पाता है। व्याकरण (UPBoardSolutions.com) भाषा के रूप को स्थिर कर देती है।

लिपि – जिन चिह्नों द्वारा मन के विचार को चित्रित किया जाता है, उन्हें ‘लिपि’ कहा जाता है; जैसे-हिन्दी भाषा की लिपि देवनागरी है।

व्याकरण के भाग

1. वर्ण विभाग,
2. शब्द विभाग,
3. वाक्य विभाग।

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(1. वर्ण विभाग)

वर्ण – वर्ण उस छोटी ध्वनि को कहते हैं जिसके टुकड़े नहीं हो सकते। इन्हें अक्षर भी कहते हैं। हिन्दी भाषा में कुल 44 वर्ण (अक्षर) हैं।
वर्गों के भेद-वर्ण दो प्रकार के होते हैं- 1. स्वर, 2. व्यंजन।
1. स्वर – जो वर्ण किसी दूसरे वर्ण की सहायता के बिना बोला जा सकता हो, उसे स्वर कहते हैं। यह 11 होते हैं। स्वर दो प्रकार के होते हैं| (1) ह्रस्व स्वर-जिन स्वरों को बोलने में बहुत कम समय लगता है, (UPBoardSolutions.com) वे ह्रस्व कहलाते हैं, जैसेअ, इ, उ, ए, ओ, ऋ।

(2) दीर्घ स्वर – इन स्वरों को बोलने में ह्रस्व स्वरों की अपेक्षा दुगुना समय लगता है, जैसेआ, ई, ऊ, ऐ, औ। मात्रा-स्वर का वह छोटा रूप जो व्यंजन से जोड़ा जाता है, मात्रा लगता है ‘अ’ स्वर की कोई मात्रा नहीं होती; जैसे
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2. व्यंजन – जो वर्ण स्वर की सहायता से बोल जाते हैं, उन्हें व्यंजन कहते हैं। यह 33 होते हैं। हिन्दी में व्यंजनों को पाँच वर्गों में बाँटा गया है।
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इनके अतिरिक्त हिन्दी में निम्न वर्ण भी हैं
संयुक्ताक्षर – जब दो वर्षों के बीच में स्वर नहीं रहता, तो उन्हें संयुक्त व्यंजन’ या ‘संयुक्ताक्षर कहते हैं, जैसा- क् + ष् + अ = क्ष, त् + * + अ = त्र, ज् + अ + अ = ज्ञ, श् + र् + अ = श्र।

हलंत – बिना स्वर के व्यंजन के नीचे एक तिरछी रेखा () बना दी जाती है। इसे हलंत कहते हैं, जैसे- ज्, प, ट् आदि।

अनुस्वार (अं) – वर्ण के ऊपर एक बिन्दु (-) को अनुस्वार कहते हैं; जैसे- पंख, शंख आदि।
विसर्ग (अ) – वर्ण के आगे दो बिन्दुओं (:) को ‘विसर्ग’ कहते हैं, जैसे- अतः, फलतः आदि।
अनुनासिक (*) – वर्ण के ऊपर चन्द्रबिन्दु में बिंदु (*) को ‘अनुनासिक’ कहते हैं, जैसे- आँख, आँच, पाँच आदि।

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(उपसर्ग और प्रत्यय)
(उपसर्ग )

उपसर्ग की परिभाषा – उपसर्ग वे शब्दांश हैं जो शब्दों के पूर्व जुड़कर उनके अर्थ बदल देते हैं या उनमें कोई विशेषता उत्पन्न कर देते हैं; जैसे- यश = कीर्ति जब इसके पूर्व में ‘अप’ उपसर्ग जुड़ जाता है। तो अप+यश = अपयश = बुराई का अर्थ हो जाता है। हिन्दी के प्रमुख उपसर्गों के उदाहरण देखिए
आजन्म, आगमन, आकर्षण, आदान, आकण्ठ आदि
उपे उपवन, उपग्रह, उपनाम, उपधर्म, उपयोग, उपसर्ग आदि
परि परिजन, परिच्छेद, परिक्रमा, परितोष, परिवार आदि
अप अपयश, अपवाद, अपमान, अपशब्द, अपकीर्ति आदि –
अव – अवगुण, अवतार, अवनति, अवज्ञा आदि – प्रसिद्ध, प्रयोग, प्रताप, प्रबल, प्रश्वास, प्रवचन आदि
परा – पराजय, पराभव, पराधीप, परास्त आदि अनु – अनुकूल, अनुचर, अनुसार, अनुमान आदि
निर् – निराकार, निर्भय, निर्जीव, निर्दोष, निर्मल आदि
दुर् – दुर्बुद्धि, दुर्गम, दुर्दशा, दुर्लभ, दुर्मति, दुराशा आदि

प्रत्यय

प्रत्यय की परिभाषा – प्रत्यय वे शब्दांश हैं, जो शब्द के अन्त में जुड़कर उसके अर्थ व अवस्था में परिवर्तन कर देते हैं; ‘प्रभु’ शब्द के अन्त में जब ‘ता’ प्रत्यय लग जाता है तो ‘प्रभुता’ शब्द बन जाता है।
अतः प्रभुता में ‘ता’ प्रत्यय है। कुछ अन्य प्रत्ययों से बने उदाहरण देखिए
ता – पटुता, लघुता, पंशुता, महत्ता, दासता, प्रभुता
त्व, – चुम्बकत्व, पशुत्व, दासत्व, ईश्वरत्व, लघुत्व, महत्त्व
इमा – कालिमा, लालिमा, नीलिमा, हरीतिमा
इक – पारलौकिक, पारिवारिक, तार्किक, मौलिक, भौतिक, नैतिक
इत – पुष्पित, आनन्दित, हर्षित, प्रफुल्लित, मोहित
वान – दयावान, धनवान, बलवान, गाड़ीवान, वेगवान
मान – बुद्धिमान, श्रीमान
पन – बड़प्पन, पागलपन, बचपन, मोटापन, खोटापन
ईय – भारतीय, शासकीय, माननीय, शोचनीय
आहट – कड़वाहट, चिकनाहट, गरमाहट, घबराहट
पा – बुढ़ापा, मोटापा, छोटापा
आवट – लिखावट, बनावट, सजावट, दिखावट
आई – लिखाई, बुनाई, पढाई, सिलाई, मलाई, बुराई
अक – लेखक, पालक, गायक, पाठक, नायक, सेवक
इका – लेखिका, पालिका, गायिका, सेविका।
ना – रोना, खाना, पीना, बेलना, ओढ़ना, बिछौना (UPBoardSolutions.com)
आ – भूखा, सूखा, रूखा, भूसा, मृगया, रूठा

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(विलोम शब्द)

एक – दूसरे का विपरीत अर्थ बताने वाले शब्द विलोम या विपरीतार्थी शब्द कहलाते हैं। किसी शब्द का विलोम उसके भाव को प्रकट करता है। छात्रों के ज्ञान के लिए कुछ उपयोगी, विलोम शब्द नीचे दिए जा रहे हैं। छात्र इन्हें समझें और कण्ठस्थ करें।
UP Board Solutions for Class 8 Hindi व्याकरण 3
UP Board Solutions for Class 8 Hindi व्याकरण 4

(समुच्चरित शब्द-समूह)

भाषा में कुछ ऐसे शब्द भी होते हैं जिनके उच्चारण में बहुत कुछ समानता होती है किन्तु उनके अर्थ में बहुत अन्तर होता है। इस प्रकार के कुछ शब्द नीचे दिए जा रहे हैं। इन्हें ध्यानपूर्वक पढ़िए
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(समानार्थक शब्दों में अन्तर)

1. बुख – किसी वस्तु के अभाव में मन में पीड़ा।
शोक-किसी की मृत्यु आदि पर दु:ख।

2. अमूल्य – जिसका कोई मूल्य न हो।
दुर्मूल्य – उचित मूल्य से अधिक मूल्य।
बहुमूल्य – मूल्यवान

3. अस्त्र-
फेंककर प्रहार करने वाला हथियार।
शस्त्र – हाथ में लेकर प्रहार करने वाला हथियार।

4. आयु – 
सम्पूर्ण जीवन।
अवस्था – जन्म से वर्षों की गणना।

5. मित्र – 
सुख-दुख में साथ रहने वाला।
सखा – समाने आयु का मनुष्य व मित्र।

6. सन्देह – किसी भी निश्चय पर नहीं पहुँचना।
भ्रम – असत्य बात में सत्य का आभास होना।

7. आचार – साधारण बर्ताव।
व्यवहार – विशेष बर्ताव।

8. सहानुभूति – 
सुख-दुख में पूर्ण रूप से सहयोग देने की भावना।
संवेदना – दुख से दुखी होकर दूसरे को धैर्य देने की भावना।

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(अनेकार्थक शब्द)

अनेकार्थक शब्द – वे शब्द जिनके एक से अधिक अर्थ होते हैं, वे अनेकार्थक शब्द कहलाते हैं। कुछ उदाहरण देखिए
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(शब्द-समूह के लिए एक शब्द)

प्रायः भाषा में अनेक शब्दों के स्थान पर एक शब्द का प्रयोग कर देने से भाषा का सौन्दर्य बढ़ जाता है; जैसे- मांस खाने वाला शब्द-समूह के लिए मांसाहारी’ शब्द अच्छा लगेगा। इसी प्रकार कुछ। अन्य उदाहरण आगे दिए जा रहे हैं। इनका प्रयोग अपनी भाषा में कीजिए।
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पर्यायवाची शब्द

समान अर्थ वाले शब्द एक-दूसरे के पर्यायवाची शब्द कहलाते हैं। नीचे कुछ उदाहरण दिए जा रहे। है। छात्र इन्हें भली प्रकार कण्ठस्थ करें
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UP Board Solutions for Class 8 Hindi व्याकरण 9

(शब्दों के तत्सम रूप)

तत्सम शब्द का अर्थ – तत्सम शब्द का अर्थ संस्कृत भाषा से लिए गए शब्दों के शुद्ध स्वरूप से है। आगे कुछ तत्सम शब्द एवं उनके तद्भव रूप दिए जा रहे हैं। छात्र इन शब्दों को ध्यानपूर्वक पढ़ें
UP Board Solutions for Class 8 Hindi व्याकरण 10
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(मुहावरे और उनका प्रयोग)

भाषा को अधिक सजीव, सुन्दर तथा प्रभावपूर्ण बनाने के लिए उसमें मुहावरों को प्रयोग किया जाता है। इसके अर्थ को ठीक-ठीक समझे बिना वाक्य के अर्थ का उचित ज्ञान नहीं हो पाता है। नीचे कुछ मुहावरों के अर्थ तथा उन्हें वाक्यों में प्रयोग करके दिखाया जा रहा है। छात्र इन्हें भली प्रकार पढ़े और समझें

  1. अगर मगर करना – (टाल मटोल करना) आपस में सन्धि कर लेने के बाद अगर-मगर करना धोखा देना है।
  2. प्रलय ढाना – (बहुत हानि करना) उपद्रवियों को दुकानों पर प्रलय ढाते देखकर मेरा तो हृदय काँप उठा।
  3. हिलोरें मारना – (उत्साहित होना) नेहरू जी के हृदय में देश-प्रेम की भावनाएँ सदा हिलोरें मारती थीं।
  4. अन्धे की लाठी – (गरीबी या बुढ़ापे का सहारा) किसी को सुपुत्र ही अन्धे की लाठी बन सकता है।
  5. अरमान निकालना – (इच्छा पूर्ण करना) वीर सैनिक तो युद्धस्थल पर ही अपने अरमान निकाल सकता है।
  6. आँखें खुल जाना – (होश में आना) परीक्षा में अनुत्तीर्ण होने पर ही राम की आँखें खुलीं।।
  7. आँख लगी रहना – (आशा बनी रहना) श्रीकृष्ण के लौट आने की प्रतीक्षा में गोपियों की आँखें सदा लगी रहती थीं।
  8. ईंट का जवाब पत्थर से देना – (दुष्ट के साथ दुष्टता का व्यवहार करना) जब शत्रुओं ने . सहसा ही भारत के दो गाँवों पर अपना अधिकार जमा लिया तो भारतीय वीरों ने भी उसके चार गाँव छीन कर ईंट का जवाब पत्थर से दिया।
  9. चादर तानकर सोना – (निश्चित होना) भाई चादर तानकर सोने का समय नहीं रहा, काम करने से ही जीवन सफल हो सकता है।
  10. पर्दा डालना – (बुराइयों को छिपा देना) धूर्त व्यक्ति अपनी वास्तविकता पर पर्दा डालकर अपना भला चाहता है।
  11. पाँव उखड़ जाना – (हार कर भाग जाना) भारतीय सैनिकों के आगे पाकिस्तानियों के पाँव उखड़ गए।
  12. फूटी कौड़ी – (बिल्कुल धन न होना) आज तो मेरे पास (UPBoardSolutions.com) फूटी कौड़ी भी नहीं है।
  13. बाले बाँका होना – (कष्ट होना) यदि अरविन्द का बाल बाँका भी हुआ तो तुम्हारी खैर नहीं।
  14. मिट्टी के मोल – (बहुत सस्ता) आज तो आप दो किलो अंगूर ले आए हो, क्या कहीं मिट्टी के मोल मिल गए थे।
  15. रंग जमाना – (प्रभाव डालना) नेता जी ने अपने भाषण से सभा पर ऐसा रंग जमाया कि सब वाह-वाह करने लगे।
  16. सिर मुड़ाते ही ओले पड़े –  (प्रारम्भ में ही काम बिगड़ना) नेता जी ने अभी प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली ही थी कि पूरे प्रदेश में भूकंप के कारण भयंकर तबाही मच गई। इसी को कहते हैं- सिर मुड़ाते ही ओले पड़ना।
  17. चोर की दाढ़ी में तिनका – (अपराधी का स्वयं ही सशंकित होना) अध्यापक ने कक्षा में कहा कि जिसने भी चोरी की होगी उसके हाथ धूल में गन्दे हो जाएँगे। यह सुनकर रमेश जल्दी-जल्दी । अपने हाथ साफ करने लगा। अध्यापक ने उसे देखकर कहा कि देखो, चोर की दाढ़ी में तिनका।

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(लोकोक्तियाँ (कहावतें))

लोकोक्ति का अर्थ है, संसार में प्रचलित उक्ति। ये लोक प्रचलित वाक्यांश होते हैं। लोगों के अनुभव से पूर्ण लोकोक्तियों का प्रयोग व्यापक अर्थ में किया जाता है। अपने कथन को प्रभावशाली बनाने के लिए इनका स्वतन्त्र वाक्य के रूप में प्रयोग करना चाहिए। नीचे कुछ कहावतों का अर्थ तथा उनका वाक्य में प्रयोग दिया जा रहा है, इन्हें ध्यानपूर्वक पढ़िए।

  1. अधजल गगरी छलकत जाए – (ओछा व्यक्ति ही डींगे मारता है) भाई, 6000 रुपये की नौकरी में क्यों इतराते हो? सुना नहीं ‘अधजल गगरी छलकत जाए’ व ती बात होगी।
  2. चार दिन की चाँदनी फिर अँधेरी रात – (सुख के बाद दु:ख आना) राम! धन का घमण्ड मत करो, चार दिन की चाँदनी फिर अँधेरी रात।’
  3. मान ने मान मैं तेरा मेहमान – (बिना सम्बन्ध के सम्बन्ध दिखाना) मैं तो आपको जानता भी नहीं हूँ और आप मुझे भाई कहते हैं। ठीक है, मान न मान मैं तेरा मेहमान।
  4. ऊँची दुकान फीका पकवान – बाह्य दिखावा कुछ और वास्तविकता कुछ और।
  5. एक पंथ दो काज – दोहरा लाभ होना।
  6. कागज की कोठरी – बदनामी का काम।
  7. तिलों में तेल नहीं – लाभ की आशा नहीं।
  8. नया नौ दिन पुराना सौ दिन – तड़क-भड़क थोड़े ही दिन रहती है। पुरानी वस्तु का अधिक उपयोगी होना।
  9. भैंस के आगे बीन बजाना – मूर्ख के सम्मुख अपनी कला का प्रदर्शन करना।
  10. सोने की चिड़िया – धनवान।
  11. अन्धे के आगे रोना अपना दीदा खोना – सहानुभूति न रखने वाले के सामने अपना दुखड़ा रोना व्यर्थ है।
  12. आगे नाथ न पीछे पगहा – किसी प्रकार का डर न होना।
  13. उलटा चोर कोतवाल को डाँटे – दोषी ही अच्छे व्यक्ति को दोषी बताए।
  14. भागते भूत की लँगोटी भली – पूर्ण लाभ न मिलने पर आंशिक लाभ पर ही सन्तोष करना।
  15. मन चंगा तो कठौती में गंगा – मन शुद्ध होने पर तीर्थयात्रा की आवश्यकता नहीं होती।

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(शब्दों के अर्थ व वाक्य प्रयोग)

  1. उत्तरोत्तर – (क्रमपूर्वक) विषम परिस्थितियों में भी पर्वतारोही उत्तरोत्तर चढ़ते ही चले गए।
  2. आशातीत – (आशा से भी परे) गत चुनावों में काँग्रेस दल को आशातीत सफलता मिली थी।
  3. उपलब्धि – (प्राप्ति) कविवर बिहारी को राजा जयसिंह से अपार धन की उपलब्धि हुई।
  4. रंग जमाना – (प्रभाव जमाना) त्यागी जी के भाषण से सभा में ऐसा रंग जमा कि उनके विरोधी भी देखते रह गए।
  5. अग्रसर – (आगे बढ़ना) विज्ञान के कारण आज हम उन्नति की ओर अग्रसर हो रहे हैं।
  6. तटस्थ – (पक्ष-विपथ से दूर) भारत की तटस्थ रहने की नीति की प्रशंसा सब ओर हो रही है।
  7. संक्रामक – (छूत सम्बन्धी) हैजा एक संक्रामक रोग है।
  8. अस्त्र – (फेंककर चलाया जाने वाला हथियार) बाण, ब आदि प्राचीन अस्त्र हैं।
  9. शस्त्र – (हाथ में थामकर चलाया जाने वाला हथियार) तलवार, छुरी और खड्ग शस्त्र हैं।
  10. अध्ययन – (सामान्य पढ़ाई) मैंने विज्ञान का अध्ययन कभी नहीं किया है।
  11. अनुशीलन – (गहरा अध्ययन) मैं आजकल निबन्ध साहित्य का अनुशीलन कर रहा हूँ।
  12. अन्याय – (नियम विरुद्ध कार्य) अन्याये सब दिन नहीं चल सकता।
  13. अधर्म – (धर्म विरुद्ध कार्य) निर्बल को सताना अधर्म है।

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UP Board Solutions for Class 8 Agricultural Science Chapter 1 मृदा गठन या मृदा कणाकार

UP Board Solutions for Class 8 Agricultural Science Chapter 1 मृदा गठन या मृदा कणाकार

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कृषि-विज्ञान
(समस्त पाठों के ‘अभ्यासों’ के सम्पूर्ण प्रश्नोत्तर)
इकाई-1  मृदा गठन या मृदा कणाकार
अभ्यास

प्रश्न 1.
सही विकल्प के सामने (✔) का निशान लगाइए (निशान लगाकर)
उत्तर :

1. मोटी बालू का आकार होता है
(क) 4.0-3.0 मिमी
(ख) 3.0-2.0 मिमी
(ग) 2.0-0.2 मिमी (✔)
(ध) 0.2 से .02

2. बलुई मिट्टी में बालू, सिल्ट एवं मृत्तिका की % मात्रा होती है
(क) 30-50 30-500-20
(ख) 80-1000 -200-20 (✔)
(ग) 20-50 20-50 20-30
(घ) 0-20 50-70 30-50

3. ऊसर भूमि बनने का कारण है
(क) अत्यधिक वर्षा
(ख) घने जंगल होना
(ग) जल निकास अच्छा होना
(घ) क्षारीय उर्वरकों का अधिक मात्रा में उपयोग (✔)

4. ऊसर भूमि को सुधारा जा सकता है|
(क) चूना प्रयोग करके
(ख) जिप्सम प्रयोग करके (✔)
(ग) क्षारीय उर्वरकों का प्रयोग करके
(घ) क्षारीय उर्वरकों को अधिक मात्रा में उपयोग करके

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प्रश्न 2.
उत्तर :  

निम्नलिखित प्रश्नों में खाली जगह भरिए (भरकर)
(क) मृत्तिका का आकार 0.002 मिमी गिर्ग होता है। (0.2/0.002)
(ख) दोमट मिट्टी में सिल्ट की मात्रा 30-50 % नी हैं। (3050,80-100)
(ग) मेंड़बन्दी करना ऊसर भूमि सुधार की भौतिक विधि है। (रासा पनेक/भौतिक)
(घ) पायराइट का प्रयोग क्षारीय सुधार में किया जाता है। (अम्लीय/क्षारीय)
(छ) अम्लीय भूमि सुधार में चूना का प्रयोग होता है। (जिप्सम/चूना)

प्रश्न 3.
उत्तर :  

निम्नलिखित कथनों में सी पर (✔) को तथा गलत पर (✗) का निशान लगाइए (निशान लगाकर)
(क) मृदा में बालू सिल्ट और मृत्तिका कणों का विभिन्न मात्राओं में आपसी सम्बन्ध मृा गठन कहलाता है। (✔)
(ख) अच्छी गठन वाली मृदा में रन्ध्रों की संख्या बहुत कम होती है। (✗)
(ग) भारत में ऊसर भूमि 170 लाख हेक्टेयर है। (✗)
(घ) नहरों द्वारा अधिक सिंचाई करने से भूमि ऊसर नहीं होती है। (✗)
(ङ) अम्लीय मृदा का PH 7.0 से बहुत कम होता है। (✔)

प्रश्न 4.
निम्नलिखित में स्तम्भ अ का स्तम्भ ब से सुमेल कीजिये (सुमेल करके)
उत्तर :                                                                                    स्तम्भ अ
(क) बालू, सिल्ट व मृत्तिका कणों का आपसी सम्बन्थे ।       मृदा गठन ।
(ख) अधिक बालू की मात्रा                                                       बलुई
(ग) लवण ।                                                                                  रेह
(घ) निक्षालन                                                                               भौतिक विधि
(ङ) कार्बनिक खादों का प्रयोग ।                                             जैविक विधि

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प्रश्न 5.
मृदा गठन की परिभाषा लिखिए।
उत्तर :
मृदा में तीन प्रकार के कणों- बालू, सिल्ट और मृत्तिका का विभिन्न (UPBoardSolutions.com) मात्रा में आपसी जुड़ाव या सम्बन्ध मृदा गठन कहलाता है। विभिन्न मृदा वर्ग में कणों के सापेक्षिक अनुपात को मृदा गठन (कणाकार)  कहते हैं।

प्रश्न 6.
मृदा कण एवं उनके आकार के विषय में लिखिए।
उत्तर : विभिन्न प्रकार के मृदा कणों और उनके आकार निम्न प्रकार हैं
UP Board Solutions for Class 8 Agricultural Science Chapter 1 मृदा गठन या मृदा कणाकार image 1

प्रश्न 7. 
मुख्य कणाकार वर्ग लिखिए।
उत्तर :
मुख्य कणाकार वर्ग निम्न प्रकार से वर्गीकृत है
UP Board Solutions for Class 8 Agricultural Science Chapter 1 मृदा गठन या मृदा कणाकार image 2

प्रश्न 8.
ऊसर भूमि की परिभाषा लिखिए |
उत्तर :
ऐसी भूमि जिसमें लवणों (सोडियम कार्बोनेट, सोडियम बाईकार्बोनेट, सोडियम क्लोराइड आदि) की अधिकता के कारण ऊपरी सतह सफेद दिखाई देने लगती है और फसलें नहीं उगाई जा सकतीं, उसे ऊसर भूमि कहते हैं।

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प्रश्न 9.
अम्लीय मृदा की परिभाषा लिखिए।
उत्तर :
अम्लीय मृदा- यह मिट्टी अधिक वर्षा वाले क्षेत्रों में पाई जाती है। इस मिट्टी में अथसड़े जीवांश अधिक मात्रा में पाए जाते हैं। अम्लीयता के कारण उत्पादन नहीं होता। हाइड्रोजन आयनों (H)+ की सान्द्रता (UPBoardSolutions.com) अधिक होती है। मृदा का PH सदैव 7 से कम होता है। हमारे देश में अम्लीय मृदा असम, केरल, त्रिपुरा, मणिपुर, पश्चिम बंगाल, बिहार का तराई क्षेत्र, उत्तर प्रदेश तथा हिमालय के तराई क्षेत्र के कुछ स्थानों में पाई जाती है।

प्रश्न 10.
मृदा गठन एवं मृदा विन्यास में अन्तर लिखिए।
उत्तर :
मृदा गठन से तात्पर्य है कि मृदा किस गटने वाली है, जैसे- बलुई, बलुई दोमट, दोमट, सिल्टी, चिकनी आदि। मृदा विन्यास से तात्पर्य मृदा के तत्त्व जैसे खनिज पदार्थ (50%) मृदा वायु 25%, मृदा जल 24%, जैविक पदार्थ 1% आदि।

प्रश्न 11.
मृदा गठन क्या है? मृदा गठन वर्गों का विस्तार से वर्णन कीजिए।
उत्तर :
प्रश्न 5 एवं प्रश्न 7 का उत्तर देखिए।

प्रश्न 12.
ऊसर भूमि किसे कहते हैं? ऊसर भूमि के प्रभाव का वर्णन कीजिए।
उत्तर :
ऐसी भूमि, जिसमें लदणे की अधिकता के कारण ऊपरी सतह सफेद दिखाई देने लगती है और फसलें नहीं उगाई जा सकतीं, उसे ऊसर भूमि कहते हैं। ऊसर भूमि का प्रभाव

  1. ऊसर क्षेत्र में मकान के प्लास्टर जल्दी गिरने लगते हैं,तथा ईंटें गलने लगती हैं।
  2. कच्ची, पक्की सड़कें टूटी-फूटी, ऊबड़-खाबड़ दिखती हैं।
  3. वर्षा होने पर फिसलन होती है।
  4. जमीन पानी नहीं सोखती, बाढ़ आती है, भू-क्षरण होता है।
  5. हानिकारक (UPBoardSolutions.com) घास उगती है।
  6. लाभदायक जीवाणु कम होते हैं, जिसमें पोषक तत्त्व घट जाते हैं।
  7. नमकीन होने से बीजों का जमाव व वृद्धि अच्छी नहीं होती है।
  8. ऊसर पर्यावरण को प्रदूषित करती है।
  9. ऊसर बहकर अच्छे खेत भी खराब कर देती है।

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प्रश्न 13.
ऊसर भूमि बनने के विभिन्न कारणों का वर्णन विस्तार से कीजिए।
उत्तर :
ऊसर भूमि बनने के प्राकृतिक व अप्राकृतिक दोनों कारण हैं।
प्राकृतिक कारण : वर्षा की कमी, अधिक तापमान, मिट्टी का निर्माण क्षारीय एवं लवणयुक्त चट्टानों से होना, भूमिगत जलस्तर का ऊँचा होना, भूमि के नीचे कड़ी परत का होना तथा लगातार बाढ़ या सूखे की स्थिति
होना। अप्राकृतिक या मानवीय कारण : जल निकास की कमी, अधिक सिंचाई, नहर वाले क्षेत्रों में जल रिसाव, भूमि को परती छोड़ देना, क्षारीय उर्वरकों का अधिकाधिक प्रयोग तथा खारे पानी से सिंचाई ।

प्रश्न 14.
ऊसर भूमि का सुधार कैसे करेंगे? सविस्तार वर्णन कीजिए।
उत्तर :
ऊसर भूमि सुधार प्रक्रिया :
ऊसर भूमि सुधारने से पहले कुछ प्रक्षेत्र विकास कार्य करने होते हैं, जैसे- मेंड़बन्दी, समतलीकरण, पानी की व्यवस्था, जल विकास की व्यवस्था तथा 8-10 सेमी (UPBoardSolutions.com) गहरी जुताई करके खेत तैयार करना। ऊसर भूमि के प्रकार के अनुसार भौतिक, रासायनिक व जैविक सुधार विधियाँ अपनाते

(क) भौतिक विधि- निम्न प्रकार हैं|

  1. भूमि की ऊपरी परत को खुरचकर बाहर करना।
  2. भूमि में पानी भरकर बहाना।
  3. जल निकास का समुचित प्रबन्ध।
  4. निक्षालन व रिसाव क्रिया या लीचिंग।
  5. भूमि के नीचे की कड़ी परत को तोड़ना।
  6. ऊसर खेत में बोलू या अच्छी मिट्टी का प्रयोग।
  7. रासायनिक विधियाँ- मिट्टी की जाँच कराकर जिप्सम पावराइट या गन् , प्रयोग किया जाता है।
  8. जैविक विधियाँ- चीनी मिल से निकलने वाले शीरे का प्रयोग, प्रेसमड कार्बनिक खादों का प्रयोग, हरी खाद के रूप में कुँचा की खेती, ऊसर सहनशील फसलों एवं प्रजातियों की खेती।

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प्रश्न 15.
अम्लीय मृदा बनने के कारण एवं उसके सुधार की विधियों को लिखिए।
उत्तर :
अम्लीय मृदा बनने का कारण

  1. अधिक वर्षा से निक्षालन क्रिया द्वारा क्षारक तत्त्व गहरी तहों में चले जाते हैं। मिट्टी कणों के साथ हाइड्रोजन आयन अधिशोषित हो जाते हैं। मिट्टी अम्लीय हो जाती है।
  2. फसलों द्वारा क्षारक तत्त्वों का अधिक उपयोग किया जाता है, जिससे मिट्टी अम्लीय हो जाती है।
  3. कुछ मिट्टी ऐसी होती है जो अम्लीय चट्टानों से बनी होती है।
  4. रासायनिक उर्वरकों के प्रभाव से भी मृदा अम्लीय बन जाती है। अमोनियम सल्फेट की अमोनिया मिट्टी-कण ले लेते हैं। लेकिन सल्फेट घोल बच जाता है जो मिट्टी द्वारा छोड़े गए हाइड्रोजन आयनों H+ से मिलकर सल्फ्युरिक अम्ल बनाता है, जिससे मृदा अम्लीय हो जाती है।
  5. बंजर भूमि पर जब कृषि कार्य किए जाते हैं तो मिट्टी (UPBoardSolutions.com) से क्षारकों के बहकर नीचे जाने की क्रिया को बल मिलता। हैं। धीरे-धीरे मिट्टी के क्षार नष्ट हो जाते हैं और उनके स्थान पर मिट्टी के कणों पर हाइड्रोजन आयनों की सान्द्रता बढ़ जाती है।

अम्लीय मिट्टी का सुधार : चूने का प्रयोग, जल निकास की उचित व्यवस्था, अम्ल रोथक फसन्नों का उगाना, क्षारक उर्वरकों का प्रयोग तथा पोटाशयुक्त उर्वरकों का प्रयोग करना कुछ ऐसे उपाय हैं, जिनसे अम्लीय मृदा को सुधार किया जा सकता है।

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प्रोजेक्ट कार्य :
नोट : विद्यार्थी स्वयं करें।

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UP Board Solutions for Class 8 Hindi Chapter 3 भरत (महान व्यक्तित्व)

UP Board Solutions for Class 8 Hindi Chapter 3 भरत (महान व्यक्तित्व)

These Solutions are part of UP Board Solutions for Class 8 Hindi. Here we have given UP Board Solutions for Class 8 Hindi Chapter 3 भरत (महान व्यक्तित्व).

पाठ का सारांश

राजा दशरथ के चार पुत्र थे- राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न। इनमें भरत कैकई के पुत्र थे। राजा दशरथ कैकई से बहुत प्रेम करते थे तथा उसकी प्रत्येक बात मानते थे। कैकई के कहने से ही राजा दशरथ ने राम को वनवास दिया था। जिस समय रामचन्द्र जी को वनवासे हुआ, उस समय भरत अपने मामा के यहाँ थे। लौटने पर जब उन्हें सब बातों का पता चला तो वे बहुत दुःखी हुए। उन्होंने सोचा कि अब लोग यही कहेंगे कि भरत ने राजगद्दी के मोह में राम को वनवास दिलाया है।

राम के वन चले जाने के दु:ख में राजा दशरथ की मृत्यु हो चुकी थी। भरत ने अपने पिता के सब धार्मिक कार्यों को पूर्ण किया। प्रजा, ऋषियों, मुनियों और विद्वानों ने भरत से (UPBoardSolutions.com) राज्य करने का आग्रह किया। उन्होंने भरत से कहा- “राजा दशरथ ने मरते समय यही आज्ञा दी थी कि आप अयोध्या के राजा बनें। किन्तु भरत राजा बनना बिलकुल भी नहीं चाहते थे। उनका मन कहता था कि इस सिंहासन पर मेरा कोई अधिकार नहीं है। यह तो श्रीराम का ही है, वे ही इस पर बैठेंगे।

अन्त में भरत जी रामचन्द्र जी से मिलने वन की ओर चल दिए। उनके साथ अनेक ऋषि, विद्वान और प्रजा के लोग भी थे। अनेक वनों में घूमते, लोगो से पूछते, भरत जी श्रीराम के पास चित्रकूट आ पहुँचे। दोनों भाई बड़े प्रेम से मिले। भरत ने श्रीराम से अयोध्या लौट चलने का आग्रह किया। अन्य लोगों ने भी रामचन्द्र जी को बहुत समझाया (UPBoardSolutions.com) किन्तु उन्होंने कहा कि पिता की आज्ञा का मुझे पालन करना है। कई दिनों तक विवाद होता रहा। भरत और श्रीराम दोनों में से कोई भी अयोध्या का राजा बनने को तैयार न था।

अन्त में जब श्रीराम न माने तो भरत ने यह आज्ञा माँगी कि मैं आपके नाम पर राज्य करूंगा। सिंहासन पर आपकी खड़ाऊँ बैठेगी, राज्य आपका ही होगा। रामचन्द्र जी को अपनी खड़ाऊँ देनी पड़ी, भरत अयोध्या लौट आए। उन्होंने राज्य सिंहासन पर श्रीराम की खड़ाऊँ रखी और स्वयं तपस्वी के समान रहने लगे। राम के पीछे 14 वर्ष तक उन्होंने प्रजा की सेवा की। वास्तव में भरत हमारे ऐसे पूर्वज थे जिनके चरित्र में एक भी दोष नहीं है।

शिक्षा – भरत जी जैसा भ्रातृ प्रेम, त्याग और कर्तव्यनिष्ठा सभी में होनी चाहिए।

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अभ्यास-प्रश्न

प्रश्न 1.
भरत कौन थे? पिता की मृत्यु के समय वे कहाँ थे?
उत्तर :
भरत राजा दशरथ के पुत्र थे। पिता की मृत्यु के समय वे ननिहाल में थे।

प्रश्न 2.
भरत ने अयोध्या के राज्य को क्यों ठुकरा दिया?
उत्तर :
इसलिए ठुकरा दिया क्योंकि नैतिक दृष्टि से रामचन्द्र जी राजद्दी के हकदार थे।

प्रश्न 3.
भरत ने राज्य को किस शर्त पर स्वीकार किया?
उत्तर :
भरत ने राज्य को इस शर्त पर स्वीकार किया कि प्रतिनिधि के रूप में आप के नाम पर राज्य करूंगा तथा सिंहासन पर आपकी खडाऊँ बैठेगी। राज्य आपका ही रहेगा।

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प्रश्न 4.
भरत की चारित्रिक विशेषताओं का वर्णन कीजिए?
उत्तर :
भरत के चारित्रिक विशेषताओं में उनका मातृ-प्रेम, कर्तव्य-निष्ठा, प्रजा-प्रेम तथा त्याग मुख्य हैं। भरत ने जिस प्रकार वन में जाकर राम से विनती की, सारा दोष अपने ऊपर ले लिया, जिस (UPBoardSolutions.com) ढंग से क्षमा याचना की वह ऐसा उदाहरण है जिसकी तुलना का दूसरा उदाहरण संसार के इतिहास में ‘ कहीं नहीं मिलता।

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