UP Board Solutions for Class 8 Sanskrit Chapter 8 ग्राम्यजीवनम्

UP Board Solutions for Class 8 Sanskrit Chapter 8 ग्राम्यजीवनम्

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ग्राम्यजीवनम्

शब्दार्था:-कृषीवलाः = किसान, क्षेत्रेषु = खेतों में, वारिणा = जल से, कुल्या = नहर, कर्षन्ति = जोतते है, वपन्ति = बोते है, परितः = चारों ओर, प्रयच्छन्तः = प्रदान करते हुए, शस्यश्यामला = फसलों से हरित, कूजन्ति = कूजते हैं, सम्भूय = एक होकर, सौविध्यम् = सुविधा, सुकरम् = सरल, राजते = सुशोभित होती है।

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ग्राम्यजीवनं …………………………………………. सञ्जातः ॥1॥
हिन्दी अंनुवाद-ग्राम्यजीवन सुव्यस्थित होता है। ग्राम में प्रायः सभी स्वस्थ होते हैं। वनों में और नगरों में वैसा जीवन नहीं होता। वस्तुतः ग्राम वन और नगर दोनों के बीच में होते हैं। ग्रामीण लोग प्रायः कृषि (UPBoardSolutions.com) करने वाले होते हैं। खेतों के चारों तरफ जल से पूर्ण नालियाँ होती हैं। कृषक खेतों को हलों से जोतते हैं। नहरों के जल से उनको सींचते हैं और बीजों को बोते हैं।

ग्रामों के चारों तरफ फसलों से हरित भूमि होती है। परिश्रमशील ग्रामीण लोग धनधान्य उत्पन्न करते हैं। वैज्ञानिक उपकरणों की सहायता से अब कृषि व्यवसाय लाभप्रद हो गया है।

ग्रामपथिकानां ……………………………………………….. नगरेषु ॥2॥
हिन्दी अनुवाद-गाँव के पथिकों और गोपालकों का संगीत से हृदय प्रसन्न होता है। पेड़ बिना स्वार्थ के फल और छाया देते हैं। गाँव में तोता, हंस, मोर व कोयल आदि पक्षी कूजते हैं। हिरण, गाय, भैंस, बकरी, आदि पशु चरते हैं। गाँव में मनोरंजन कम खर्चीला होते है। धूल-धूसरित बालक विविध खेल खेलते हैं। जीवन की रक्षा के लिए अत्यन्त उपयोगी वायु और जल आदि गाँवों में जितने अधिक मिलते हैं, वैसे नगरों में नहीं।

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ग्राम्य-जीवनं ………………………………………………… प्रयलः विधेयः ॥3॥
हिन्दी अनुवाद-ग्राम्य जीवन सदाचार सम्पन्न और धार्मिक होता है। ग्रामवासी मन से निर्मल होते हैं। वहाँ का वातावरण स्वच्छ होता है। प्राचीनकाल में गाँवों में शिक्षालय, चिकित्सालय आदि की वैसी (UPBoardSolutions.com) सुविधा नहीं थी, जैसी आज है; तथापि यदि आजकल गाँवों में सारे साधन उपलब्ध हो जाएँ; तो ग्राम्य जीवन इससे – भी सरल और सुखकर होगी। इसके लिए गाँव के निवासियों द्वारा एक होकर प्रयत्न किया जाना चाहिए।

अभ्यासः

प्रश्न 1.
उच्चारण कुरुत पुस्तिकायां च लिखत
उत्तर
नोट-विद्यार्थी स्वयं करें।

प्रश्न 2.
एकपदेन उत्तरत
(क) कृषकाः क्षेत्राणि केन कर्षन्ति?
उत्तर
हलेन।

(ख) नि:स्वार्थमेव फलं छायाञ्च के प्रयच्छन्ति?
उत्तर
वृक्षाः।

(ग) ग्रामेषु अल्पव्ययसाध्यं किं भवति?
उत्तर
मनोरञ्जनम्।

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(घ) ग्रामनिवासिभिः सम्भूय किं विधेयम्?
उत्तर
प्रयत्न।

प्रश्न 3.
पूर्णवाक्येन उत्तरत
(क) ग्राम्यजीवनं कीदृशं भवति?
उत्तर
ग्राम्यजीवनं सुव्यवस्थितं भवति।

(ख) क्षेत्रेषु जनाः कदा कार्यं कुर्वन्ति?
उत्तर
क्षेत्रेषु जनाः प्रात:कालात् सायं पर्यंत कार्यं कुर्वन्ति।

(ग) प्राचीनकाले ग्रामेषु केषां सौविध्यं नासीत्?
उत्तर
प्राचीनकाले ग्रामेषु तथाविधं सौविध्यं नासीत्।

(घ) ग्राम्य जीवनं सुकरं कदा भविष्यति?
उत्तर
ग्राम्य जीवनं सुकरं भविष्यति, यदि सकलानि साधनानि उपलब्धानि भवयुः।

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प्रश्न 4.
मजूषातः क्रियापदानि चित्वा वाक्यानि पूरयत (पूरा करके)
उत्तर
(क) ग्राम्य जीवनं सुव्यवस्थितम् भवति।।
(ख) कृषकाः क्षेत्राणि (UPBoardSolutions.com) हेलेन कर्षन्ति।।
(ग) ग्राम शुक-कपोत-मयूर-कोकिलादयः पक्षिणः कुजन्ति।
(घ) परिश्रमशीला: ग्रामीणाः धान्यादिकम् उत्पादयन्ति।
(ङ) वायुजलादिकाः ग्रामेषु प्रचुरं लभ्यन्ते।

प्रश्न 5.
संस्कृतभाषायाम् अनुवादं कुरुते (अनुवाद करके).
(क) गाँव में लोग प्रायः स्वस्थ होते हैं।
उत्तर
अनुवाद-ग्रामे प्रायेण सर्वे स्वस्थाः भवन्ति।

(ख) गाँव कृषिप्रधान होता है।
उत्तर
अनुवाद-ग्रामः कृषिप्रधानः भवति।

(ग) किसान खेत की जुताई करता है।
उत्तर
अनुवाद-कृषक: क्षेत्रे कर्षति।

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(घ) किसान अन्न उपजाता है।
उत्तर
अनुवाद-कृषकः अन्नम्, उत्पादयति।

प्रश्न 6.
रेखाङ्कतपदानि आधृत्य प्रश्ननिर्माणं कुरुते (कंरके)
(क) ग्रामे प्रायेण सर्वे स्वस्थाः भवन्ति।
उत्तर
ग्रामे प्रायेण सर्वे कीदृशाः भवन्ति?

(ख) ग्राम परितः शस्यश्यामला धरित्री राजते।
उत्तर
ग्रामं परितः कीदृशी (UPBoardSolutions.com) धरित्री राजते?

(ग) धूलधूसरिताः बालकाः विविध क्रीड़ां कुर्वन्ति
उत्तर
धूलधूसरिता: बालकोः किं कुर्वन्ति?

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(घ) ग्रामवासिनां मनांसि निर्मलानि भवन्ति।
उत्तर
ग्रामवासिनी मनसे कीशं भवन्ति?

प्रश्न 7.
शुद्धकथनस्य समक्षम् ‘आम’ अशुद्धकथनस्य समक्षम् न’ इति लिखत लिखकर)-
उत्तर
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• नोट – विद्यार्थी शिक्षण-सङ्केत’ स्वयं करें। नवमः पाठः

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UP Board Solutions for Class 8 Sanskrit Chapter 7 सभाषितानि

UP Board Solutions for Class 8 Sanskrit Chapter 7 सभाषितानि

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सभाषितानि

शब्दार्था:-निजः = अपना, परः = पराया, दूसरे का, लघुचेतसाम् = छोटे चित वालों को, अनुदार लोगों को, वसुधैव = सम्पूर्ण पृथ्वी ही, कुटुम्बकम् = परिवार (है), परवशम् = दूसरों के वश में होना, आत्मवशम् = अपने अधीन, समासेन = संक्षेप में, विद्यात् = जानना चाहिए, समर्थस्य = भरे-पूरे,, सशक्त के लिए, दिवा = दिन में, धीमताम् = बुद्धिमानों का, व्यसनेन = बुरी आदतों के द्वारा, निद्रयो । = सोने से, कलहेन = लड़ाई झगड़ा से, सुचिका = सुईं, कृपाण = तलवार, देहिनः = जीव का, अविद्यः = विद्याहीन, वपुषा = शरीर से।

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अयं निजः ………………………………………………. कुटुम्बकम् ॥1॥
हिन्दी अनुवाद-यह अपना है या यह पराया है. यह विचार छोटे मन वालों का है। उदारहदय वालों के लिए तो सारी पृथ्वी ही परिवार है।

सर्व परदशं ……………………………………………….. सुख दुःखयो ॥2॥
हिन्दी अनुद-दुसरा के वश में होना दुख है. अपने वश में होना (UPBoardSolutions.com) सुख है। संक्षेप में इस तरह | सुख दुख दोनों के न उड़द हिंए।

वृथा वृष्टिः ……………………….. …..दिवापि च ॥3॥
हिन्दी अनुवाद-समुद्र में वर्षा होना बेकार है। तृप्त को भोजन देना बेकार है। शक्तिशाली अर्थात् | धनवान को दान देना बेकार है और दिन में दीपक जलाना बेकार है।

काव्यशास्त्रविनोदेन …………………………………………. कलहेन वा 4॥
हिन्दी अनुवाद-बुद्धिमान लोगों को समय साहित्य की चर्चा या वाद-विवाद में (व्याख्या) बीतता है; जबकि मूर्खा का समय निंदा, कलह या झगड़ने में बीतता है।

महान्तं ……………………………………………………. करिष्यति ॥5॥
हिन्दी अनुवांद-सद्बुद्धि के महान होने पर किसी को छोटा (तुच्छ) नहीं समझना चाहिए। क्योंकि जहाँ पर सूई का काम है (वहाँ) तलवार क्या काटेगी, (अर्थात् कुछ कार्य ऐसे होते हैं जिनमें तुच्छ व्यक्ति ही सफल हो पता है।

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किं कुलेन …………………………………………………… परिपूज्यते ॥6॥
हिन्दी अनुवाद-जीव के विद्याहीन होने से बड़े कुल का होने पर भी कोई लाभ नहीं विद्यावान की संसार में पूजा होती है, विद्याहीन की नहीं (होती है)।

वेशेन वपुषा ……………………………………………………………….. पूजितः ॥7॥
हिन्दी अनुवाद-अच्छे वेश, वपुष अर्थात् शरीर, वाणी, विद्या (UPBoardSolutions.com) और विनय इन पाँचों वकारों से युक्त मनुष्य की पूजा होती है।

अभ्यासः

प्रश्न 1.
उच्चारणं कुरुते पुस्तिकायां च लिखते
उत्तर
नोट-विद्यार्थी स्वयं करें।

प्रश्न 2.
एकपदेन उत्तरत
(क) उदारचरितानां कृते सम्पूर्णा वसुधा किम् अस्ति?
उत्तर
कुटुम्बकम्

(ख) अयं निजः परो वेति कः गणयति?
उत्तर
लघुचेतसः

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(ग) समुद्रेषु वृष्टिः कीदृशी भवति?
उत्तर
वृथा।

(घ) विद्वान् कुत्र पूज्यते?
उत्तर
लोके।

प्रश्न 3.
प्रश्नानामुत्तराणि लिखत (लिखकर)
(क) सुखदुःखयो किं लक्षणम् अस्ति?
उत्तर
सर्वमात्मवशं सुखम् सर्वं परवशं दुःखम् अस्ति।

(ख) पञ्चवकाराः के सन्ति।
उत्तर
वेशः, वपुषः, वाचा, विद्या विनयं च पञ्च वकाराः सन्ति।

(ग) धीमतां कालः कथं गच्छति।
उत्तर
धीमताम् कालः काव्यशास्त्रविनोदेन गच्छति।

(घ) दीपः वृथा कदा भवति।
उत्तर
दीप वृथा दिवसे भवति।

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प्रश्न 4.
लघुचक्र मध्ये चत्वारि क्रियापदानि सन्ति। तानि द्विधा दीर्घचक्रस्थवाक्यांशैः प्रयुज्य सार्थकवाक्यानि रचयत
उत्तर
UP Board Solutions for Class 8 Sanskrit Chapter 7 सभाषितानि img-1

प्रश्न 5.
मञ्जूषातः-पदानि चित्वो वाक्यानि पूरयत (पूरा करके)
उत्तर
यथा- उदारचरितानाम तु वसुधैव कुटुम्बकम्।।
(क) वृथा वृष्टिः समुद्रेषु।।
(ख) महान्तं प्राप्य सदबुद्धी।
(ग) मूर्खाणां समयः व्यसनेन निद्रया कलहेन गच्छति।
(घ) वेशेन वपुषा वाचाः विद्यया विनयेन च।।

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प्रश्न 6.
विलोमपदानि योजयत (जोड़कर)
उत्तर
UP Board Solutions for Class 8 Sanskrit Chapter 7 सभाषितानि img-2

प्रश्न 7.
हिन्दीभाषायाम् अनुवादं कुरुत (अनुवाद करके)
(क) सर्वं परवशं दुःखम् सर्वमात्मवशं सुखम्।
उत्तर
अनुवाद-किसी के वश में रहना दुख और स्वतन्त्र रहना ही सुख है।

(ख) वृथा तृप्तस्य भोजनम्।।
उत्तर
अनुवाद-तृप्त व्यक्ति को खिलाना व्यर्थ है।

(ग) महान्तं प्राप्य सद्बुद्ध।
उत्तर
अनुवाद-सद्बुद्धि के महान होने पर (किसी) को तुच्छ (छोटी नहीं समझना चाहिए।

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(घ) विद्यावान् पूज्यते लोके नाविद्यः परिपूज्यते।
उत्तर
अनुवाद-विद्यावान की पूजा संसारभर में होती है; मूर्ख की नहीं।

• नोट – विद्यार्थी ‘ध्यातव्यम!’ स्वयं करें। अष्टमः पाठः

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UP Board Solutions for Class 8 Sanskrit Chapter 6 किं ततं जानाति भवान्

UP Board Solutions for Class 8 Sanskrit Chapter 6 किं ततं जानाति भवान्

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किं ततं जानाति भवान्
( तुमुन् क्त-प्रत्ययो विधिलिङलकाग्एच )

विश्वविद्यालयस्य ………………………………… …………….. विहरतु ।
शब्दार्थाः-विहर्तुम् = घूमने के लिए, नावम् = नावे पर, आरूढः = बैठ गया, जलविहारम् = जलविहार, वीचीनाम् = तरङ्गों का, अम्भसाम् = जल की, अरित्रम् = पतवार, डाँड़, चतुर्थांशः = चौथाई भाग, व्यर्थतां गतः = व्यर्थ चला गया, ईदृशम् = ऐसा, मे = मेरा, कुतः = कहाँ से, नूनम् = निश्चय ही, अर्धाशः = आधा हिस्सा, व्यर्थतां नीतः = व्यर्थ कर दिया, अनुभवन् = अनुभव करता हुआ, प्रेषितः = भेजा गया, त्रयो भागाः-तीन भाग। अपार्थाः=व्यर्थ, नदे=नदी में, जलावर्तनम् = भंवर, जलप्लावनम् = बाढ़, अकम्पत = डगमगाने लगा, पश्यतः = देखते-देखते, जलेन = जल से, पूरिता = भर गई, सम्मे ण = घबराहट के साथ, तर्तुम् = तैरने के लिए, भीतः = डरा हुआ, तीर्वा = तैरकर, प्रयामि = जाता हूँ, खलु = निश्चय ही, बिहरतु = विहार करें, स्वपृष्ठमारोप्य = अपनी पीठ की सहायता से।

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हिन्दी अनुवाद-विश्वविद्यालय का कोई प्राध्यापक घूमने के लिए नाव में बैठ गया। नाव में जलविहार करने का यह उसका प्रथम अवसर था। बालसूर्य की किरणों में जलक्रीड़ा, तरंगों का नृत्य, जल की अपार (UPBoardSolutions.com) राशि, नाव के डाँड़ से नाव को आगे बढ़ना इत्यादि दृश्य देखकर उसने नाविक से इस प्रकार पूछा

प्राध्यापक-अरे नाविक! क्या तुमने कभी गणित पढ़ा है? ”
नाविक-नहीं पढ़ा।
प्राध्यापक-क्या गणित पढ्ने विद्यालय नहीं गए? निश्चय ही तुम्हारे जीवन का चौथाई भाग व्यर्थ गया। तुमने रसासन शास्त्र या भौतिक शास्त्र पढ़ा है।
नाविक-ये मेरे भाग्य में कहाँ कि मैं रसायन शास्त्र और भौतिक शास्त्र पढ़ता! ”
प्राध्यापक-अवश्य ही तुमने जीवन का आधा भाग व्यर्थ गुजार दिया। बताओ, तुपेने अंग्रेजी भाषा पढ़ी है?
नाविक-(ग्लानि अनुभव करके), महाशय! मेरे माता-पिता ने मुझे विद्यालय नहीं भेजा। कैसे पढ़ता?
प्राध्यापक-तब तुम्हारे जीवन के तीन हिस्से व्यर्थ हो गए। इसके बाद नदी में बाढ़ आ गई। लहरों। के वेग से नौका डगमगाई। देखते-देखते उनकी नौका जल से भर गई। नाविक ने घबराहट के साथ पूछा, (UPBoardSolutions.com) “महाशय क्या आप तैरना जानते हैं?” प्राध्यापक जल का वेग देख डर कर बोला, “मैं तैरना नहीं जानता!” नाविक बोला- “यदि तैरना नहीं जानते. तो आपका सारा जीवन बेकार गया। मैं तो तैरकर नदी पार कर जाता हूँ। किन्तु यदि आप बुरा न मानें तो मैं आपको अपनी पीठ पर चढ़ाकर पार जाना चाहता हूँ।”

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अभ्यासः

प्रश्न 1.
कुरुत पुस्तकाया चे लिखन
उत्तर
नोट-विद्यार्थी स्वयं करें।

प्रश्न 2.
एकपदेन उत्तरत–
(क) कः विहर्तुं नावम् आरुढः?
उत्तर
प्राध्यापक

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(ख) नौकायाः अग्नेसारणं केन माध्यमेन भवति?
उत्तर
अरित्रण।

(ग) कः ग्लानिम् अन्वभवत्?
उत्तर
नाविकः।

(घ) जलेन पूरिता का जाता?
उत्तर
नौका।

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प्रश्न 3.
कः कथयति इति लिखत (लिखकर) नाविकः / प्राध्यापकः
उत्तर
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प्रश्न 4.
अधोलिखितधातुभिः तुमुन्-प्रत्ययं योजयित्वा पदरचनां कुरुत (करके)-
उत्तर
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प्रश्न 5.
अधोलिखितधातुभिः ‘त्वा’ (क्त्वा) प्रत्ययं योजयित्वा पदरचनां कुरुत (करके)-
उत्तर
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प्रश्न 6.
हिन्दीभाषायाम् अनुवादं कुरुत (अनुवाद करके)-
(क) किं त्वया संस्कृत-भाषा पठिता?
उत्तर
अनुवाद-क्या तुमने संस्कृत भाषा पढ़ी?

(ख) जीवनस्य त्रयो भागाः अपार्थाः
उत्तर
अनुवाद-जीवन के तीन (UPBoardSolutions.com) भाग व्यर्थ हो गए।

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(ग) प्राध्यापकः नावम् आरुढः।
उत्तर
अनुवाद-प्राध्यापक नाव में बैठ गया।।

(घ) भवान् खलु जलमध्ये विहरतु।
उत्तर
अनुवाद-आप जल में अवश्य तैरते रहें।

प्रश्न 7.
संस्कृतभाषायाम् अनुवादं कुरुत (अनुवाद करके)|
(क) वह पढ़ने के लिए आता है।
उत्तर
अनुवाद-सः पठितुं आगच्छति।

(ख) क्या तुम सब तैरना जानते हो?
उत्तर
अनुवाद-किं यूयं सर्वे तर्तुं जानीथ?

(ग) क्या तुम प्रतिदिन खेलते हो?
उत्तर
अनुवाद-किं त्वं प्रतिदिनं खेलसि?

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(घ) हम दोनों घूमने के लिए नदी के किनारे जाते हैं।
उत्तर
अनुवाद-आवां अमन्तुं नदीतीरे गच्छावः।

• नोट – विद्यार्थी शिक्षण-सङ्केतः स्वयं करें।

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UP Board Solutions for Class 8 Sanskrit Chapter 5 स्फुटपद्यानि

UP Board Solutions for Class 8 Sanskrit Chapter 5 स्फुटपद्यानि

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स्फुटपद्यानि

शब्दार्था:-पिकः = कोयल, प्राप्ते = आने पर, भारः = बोझ, विवादाय = विवाद के लिए, मदाय = मद के लिए, परिपीडिनाय = दूसरों को सताने के लिए, खलस्य = दुष्ट का, साधोः = सज्जन का, विपरीतम् = उल्टा, प्रसाद-प्रदनम् = प्रसन्नता का आगार, सदयम् = दया से परिपूर्ण, सुधामुचः = अमृत बरसाने वाली, वन्द्या = वन्दनीय, योगेन = अभ्यास, मृजयो = धोने-माँजने से, वृत्तेन = सदाचार से।

काकः कृष्णः………………………… पिकः पिकः ॥1॥
हिन्दी अनुवाद-कौआ काला है और कोयल भी काली है। कोयल और कौए में क्या अन्तर है? वसन्त ऋतु के आने पर कौआ, कौआ है और कोयल, कोयल है।

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विद्या ……………………………….. रक्षणाय ॥ 2॥
हिन्दी अनुवाद-दुष्ट की विद्या विवाद के लिए, दुष्ट का धन घमण्ड के लिए (UPBoardSolutions.com) और दुष्ट की शक्ति दूसरों को पीड़ित करने के लिए होती है। इसके विपरीत सज्जन की विद्या ज्ञान के लिए, धन दान के लिए और शक्ति दूसरों की रक्षा के लिए होती है।

लोभात् …………………………. कारणम्। ॥3॥
हिन्दी अनुवाद-लोभ से क्रोध पैदा होता है और लोभ से काम (काम-भावना) पैदा होती है। लोभ से मोह और नाश होता है। लोभ पाप का कारण है।

वंदनं …………………………………’वन्द्याः ॥4॥
हिन्दी अनुवाद-जिनके मुख प्रसन्नता के घर है (अर्थात् जिनके मुख पर सदैव प्रसन्नता रहती है) हृदय दयावान हैं, वाणी अमृतमय है, काम परोपकार करना है, वे किनके वन्दनीय नहीं हैं (अर्थात् वे सबके वन्दनीय हैं)।

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सत्येन ……………………………………. वृत्तेन रक्ष्यते॥5॥
हिन्दी अनुवाद-सत्य से धर्म रक्षित होता है, योग से विद्या रक्षित होती है। स्वच्छता (UPBoardSolutions.com) से रूप रक्षित होता है, अच्छे चरित्र से ‘कुल’ रक्षित होता है।

अभ्यासः

प्रश्न 1.
उच्चारणं कुरुत पुस्तिकायां च लिखत
उत्तर
नोट-विद्यार्थी स्वयं करें।

प्रश्न 2. एकपदेन उत्तरत
(क) काकस्य कीदृशः वर्णः भवति?
उत्तर
कृष्णः

(ख) साधोः विद्या किमर्थ भवति?
उत्तर
ज्ञानाय

(ग) लोभः कस्य कारणम्?
उत्तर
पापस्य

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प्रश्न 3.
पूर्णवाक्येन उत्तरत
(क) कस्मिन् समये काकपिकयोः भेदः स्पष्टः भवति?
उत्तर
वसन्त समये काकपिकयोः भेदः स्पष्टः भवति।

(ख) कुलं केन रक्ष्यते?
उत्तर
कुलं वृत्तेन रक्ष्यते।

(ग) लोभात् किं प्रभवति?
उत्तर
लोभात् क्रोधः प्रभवति।

प्रश्न 4.
श्लोकांशान् योजयत (करके)
उत्तर
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प्रश्न 5.
उपयुक्तकथनानां समक्षम् ‘आम्’ इति अनुपयुक्तकथनानां समक्षम् ‘न’ इति लिखत (लिखकर)
उत्तर
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प्रश्न 6.
संस्कृतभाषायाम् अनुवादं कुरुत (अनुवाद करके)
(क) लोभ मोह और नाश का कारण है।
उत्तर
अनुवाद-लोभः मोहस्य नाशस्य च कारणम् अस्ति।

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(ख) कुल की रक्षा सदाचार से होती है।
उत्तर
अनुवाद-कुलं वृत्तेन रक्ष्यते।

(ग) साधु की शक्ति दूसरों की रक्षा के लिए होती है।
उत्तर
अनुवाद-साधोः शक्तिः परेषां रक्षणाय भवति।

(घ) महापुरुषों का हृदय कोमल होता है।
उत्तर
अनुवाद-महापुरुषाणां हृदयाः कोमलाः भवन्ति।

प्रश्न 7.
निम्नलिखितपदानां संस्कृतस्य लघुन्नाक्येषु प्रयोगं कुरुत।
उत्तर
(क)
धनम् – धनं दानाय भवति।
(ख) सत्यम् – सत्यं वद। (UPBoardSolutions.com)
(ग) लोभः – लोभः पापस्य कारणं भवति।
(घ) हृदयं – हृदयं सदयां भवेत्।

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• नोट – विद्यार्थी स्मरणीयम् ‘किम कर्तव्यम्’ स्वयं करें।

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UP Board Solutions for Class 8 Hindi Chapter 8 धानों का गीत (मंजरी)

UP Board Solutions for Class 8 Hindi Chapter 8 धानों का गीत (मंजरी)

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समस्त पद्याशों का भावार्थ

धान उगेंगे……………………………………………………………………… बादल जरूर।
संदर्भ-प्रस्तुत गीत हमारी पाठ्यपुस्तक ‘मंजरी’ के संकलित पाठ ‘धानों का गीत’ नामक गीत से उद्धृत है। यह गीत लेखक केदारनाथ सिंह द्वारा रचित है।
प्रसंग-प्रस्तुत गीत में किसान की तान में सुर मिलाकर धान, चाँदनी एवं गाँव के विश्वास को बड़ी ही सरलता से प्रस्तुत किया गया है। कवि ग्रामीण परिवेश के अन्तर्गत किसान के स्वर में बादल को स्वागत करता है।
भावार्थ-लहलहाते धान के खेतों को देखकर किसान प्रसन्न हो जाता है और कहता है कि उसके खेतों में धान होंगे जिनके लिए वर्षा की, पानी की जरूरत होने के कारण बादलों को आने का निमन्त्रण देता है। (UPBoardSolutions.com) चन्द्रमा धान की कोमल बालियों पर चाँदनी छिटकाएगा और सूरज सूखी रेत पर प्रकाशित होगा। वर्षा होने के कारण खेत से आगे रास्ते खाली होंगे और बसों के पेड़ झुके दिखाई देंगे। संध्या समय नमी से आँखें गीली होंगी और सवेरे खेतों में धान लहराता नजर आएगा, जिसके लिए बादलों को आने को निमन्त्रण दिया जा रहा है, ताकि वर्षा हो। .

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धान कैंपेंगे …………………………………………………………………….. बादल जरूर।
संदर्भ एव प्रसंग-पूर्ववत्।
भावार्थ-किसान खेत में हिलते हुए धान को देखकर प्रसन्न होकर कहता है कि (हवा चलने पर) धान हिलने लगेंगे। पानी की जरूरत पूरी करने के लिए बादलों को अनिवार्य आगमन को निमन्त्रण देता है। धूपं ढलने पर तुलसी के पौधे हिलने लगेंगे और संध्या समय कनेर के फूल खिल उठेंगे और ज्वार तथा धान की लहलहाती फसलें हिलती (UPBoardSolutions.com) नजर आएँगी। फसलों की पानी की जरूरत पूरी करने के लिए किसान बादलों को अनिवार्य रूप से आने का निमन्त्रण देता है और कहता है कि फसल उनके खेतों में पक जाएगी।

प्रश्न-अभ्यास

कुछ करने को-        नोट-विद्यार्थी स्वयं करें।
विचार और कल्पना-    नोट-विद्यार्थी स्वयं करें।

गीत से-
प्रश्न 1.
बादल को स्वागत कौन-कौन और कब-कब कर रहे हैं?
उत्तर-
बादल का स्वागत किसान भोर (सुबह), धूप ढले, साँझ, पूजा की बेला आदि पर कर रहे हैं।

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प्रश्न 2.
पंक्तियों के भावार्थ स्पष्ट कीजिए
(क) चंदा को बाँचेंगे कच्ची कलगियों, सूरज को सूखी रेत में।
भावार्थ-चन्द्रमा की चाँदनी धान की कोमल बालियों पर और सूरज सूखे रेत में प्रकाशित होगा।
(ख) संझा पुकारेंगी गीली आँखड़ियाँ भोर हुए धन-खेत।
भावार्थ-संध्या समय नमी से आँखें गीली होंगी और सुबह खेत दिखाई देंगे।
(ग) पूजा की बेला में ज्वार अरेंगे, धान-दिये की बेर।
भावार्थ-प्रात:काल में ज्वार और रात्रि में धान के खेत लहराएँगे।

प्रश्न 3.
धान को प्रान क्यों कहा गया है? समझाकर लिखिए।
उत्तर-
धान को प्रान इसलिए कहा गया है क्योंकि संसार में एक बड़ी जनसंख्या के भोजन का आधार चावल ही है।

प्रश्न 4.
धान उगेंगे कि प्रान उगेंगे,
धान कैंपेंगे कि प्रान कैंपेंगे, और
धान पकेंगे कि प्रान पकेंगे- इन तीनों पंक्तियों के भावार्थ की तुलना करते हुए यह स्पष्ट कीजिए कि ‘उगेंगे’, कैंपेंगे और ‘पकेंगे’ से क्या आशय है?
उत्तर-
धान के उगने, लहलहाने और पक जाने से आशय है। 

भाषा की बात-
प्रश्न 1.
जहाँ प्रकृति की वस्तुओं को मानवीय व्यवहार की तरह दिखाया जाता है, वहाँ मानवीकरण अलंकार होता है, जैसे-संझा पुकारेगी। इसकी तरह कविता में मानवीकरण अलंकार के अन्य उदाहरण हूँढकर लिखिए।
उत्तर-
बादल आना जी, डगरिया पुकारेगी, तुलसी-वन झरेंगे, ज्वार झरेंगे।

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प्रश्न 2.
कविता में अनेक तद्भव शब्दों का प्रयोग हुआ है। जैसे- प्रान और चन्दा। इनका तत्सम रूप क्रमशः ‘प्राण’ और ‘चन्द्रमा’ है। कविता में आए अन्य तद्भव शब्दों को छाँटिए तथा उनका तत्सम रूप लिखिए।
उत्तर-
तद्भव                   तत्सम
सूरज                    सूर्य
सूखी                    
शुष्क
खेत                     क्षेत्र
साँझ                   संध्या
दिये                    दीपक

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