UP Board Solutions for Class 8 Home Craft Chapter 12 धुलाई कला

UP Board Solutions for Class 8 Home Craft Chapter 12 धुलाई कला

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पाठ-12  धुलाई कला
अभ्यास

1. बहुविकल्पीय
प्रश्न
(1) मिलान करें (मिलान करके)
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(2) रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए –
(क) कठोर जल में वस्त्रों में साबुन लगाने से झाग नहीं होता है।
(ख) प्रेस करने से कपड़ों की सिलवट दूर हो जाती है।
(ग) हल्दी का पुराना धब्बा स्प्रिट में भिगोने से छूट जाता है।

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2. अतिलघु उत्तरीय
प्रश्न

(क) जल कितने प्रकार के होते हैं? नाम लिखिए।
उत्तर :
1. मृदुजल,
2. कठोर जल

(ख) पान के धब्बे किससे छुड़ाए जा सकते हैं?
उत्तर : पान के धब्बे छुड़ाने के लिए हरी मिर्च, कच्चा आलू, या दही रगड़ना चाहिए।

3. लघु उत्तरीय
प्रश्न
(क) वस्त्रों की धुलाई क्यों आवश्यक है?
उत्तर : सभी प्रकार के वस्त्र-सूती, ऊन, रेशमी व अन्य, पहनने पर गन्दे हो जाते हैं और उन पर धूल, पसीना या धब्बे पड़ जाते हैं। इस कारण उनकी धुलाई आवश्यक होती है

(ख) स्याही तथा रक्त के धब्बे छुड़ाने की विधि लिखिए।
उत्तर : स्याही के धब्बे छुड़ाने की विधि- स्याही का दाग, तुरन्त साबुन लगाकर पानी से धो कर, छुड़ाया जा सकता है। स्याही के धब्बे पर नमक, नीबू का रस, खट्टा दही लगा देना चाहिए। इसके बाद साबुन से धुलाई करें। (UPBoardSolutions.com)
रक्त के धब्बे छुड़ाने की विधि : रक्त का ताजा धब्बा नमक लगाकर ठण्डे पानी में धोने से छूट जाता है। सूती या लिनन के वस्त्रों को पानी में भिगोकर अमोनिया या हाइड्रोजन पेरोक्साइड लगाना चाहिए। फिर वस्त्र पर दो-तीन बार साबुन लगाकर धोने से रक्त का धब्बा छूट जाता है।

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4. दीर्घ उत्तरीय
प्रश्न
(क) कलफ कितने प्रकार के होते हैं? वर्णन कीजिए।
उत्तर : कलफ निम्नवत तीन प्रकार के होते हैं
गाढ़ा कलफ : गाढ़ा कलफ तेयार करने में कम पानी डाला जाता है। इसका उपयोग अधिकतर मिलिट्री की ड्रेस पर, कमीज की कॉलर, नर्स की टोपी व वेल्ट आदि पर किया जाता हैं।
मध्यम कलफ : गाढ़े कलुफ में दो गुना पानी डालकर मध्यम कलफ तैयार किया जाता है। इसे सूती साड़ियाँ, कमीज, फ्रॉक, कुर्ता, स्कर्ट आदि पर लगाते हैं।
पतला कलफ : गाढ़े कलफ में चार गुना पानी (UPBoardSolutions.com) डालकर पतला कलफ तैयार किया जाता है। इसे महीन कपड़ों, चादरों आदि पर लगाया जाता है।

(ख) मृदु एवं कठोर जल में क्या अंतर है? कठोर जल को मृदु कैसे बनाया जा सकता है?
उत्तर : मृदु एवं कठोर जल में निम्न अन्तर है

मृदु जल                                                                       कठोर जल
(i) पीने में स्वाद रहित होता है।                                    (i) पीने में नमकीन, खारा होता है।
(ii) वश्त्रों में साबुन लगाने पर झाग निकलता है        (ii) झाग नहीं निकल
(iii) वस्त्र साफ धुलते हैं।                                          (iii) वस्त्रों में हलका पीलापन आ जाता है।

कठोर जन्न की कटोरता को दूर कर उसे मृदु बनाया जा सकता है। कठोरता दूर करने के लिए वस्त्र धोने के पानी में सोडे का घोल मिलाना चाहिए।

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प्रोजेक्ट कार्य :
नोट : विद्यार्थी स्वयं करें।

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UP Board Solutions for Class 8 Hindi Chapter 22 महर्षि अरविन्द (महान व्यक्तित्व)

UP Board Solutions for Class 8 Hindi Chapter 22 महर्षि अरविन्द (महान व्यक्तित्व)

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पाठ का सारांश

महर्षि अरविन्द का जन्म 15 अगस्त 1872 ई० को कोलकाता में हुआ। इनके पिता डॉक्टर कृष्णधन घोष और माता स्वर्णलता देवी थीं। अरविन्द को सात वर्ष की आयु में शिक्षा के लिए इंग्लैण्ड भेजा गया। उन पर भारतीयों से मिलने पर प्रतिबन्ध था। फिर भी आगे चलकर अरविन्द एक क्रान्तिकारी, स्वतन्त्रता सेनानी, महान भारतीय राजनैतिक, दार्शनिक तथा वैदिक पुस्तकों के व्याख्याता बन गए। सन् 1893 ई० में अरविन्द भारत लौटे। यह वर्ष भारत में नवजागरण की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण था। शिकागो सर्वधर्म सम्मेलन में विवेकानन्द का उद्घोष, तिलक द्वारा गणपति उत्सव का आरम्भ, ऐनी बेसेण्ट का भारत आना तथा गांधी जी को दक्षिणी अफ्रीका रंगभेद के विरुद्ध संघर्ष- ये इस वर्ष की प्रमुख घटनाएँ थीं। इक्कीस वर्ष की आयु में अरविन्द ने देश को स्वतन्त्र कराने और भारतीय संस्कृति की श्रेष्ठता साबित करने का संकल्प लिया। वे बड़ोदरा आकर एक कालेज में प्रधानाचार्य बने। उन्होंने बाद में ‘वंदे मातरम्’ पत्र का सम्पादन भी किया। उन्होंने युवकों को ईमानदारी, अनुशासन, एकता, धैर्य

और सहिष्णुता द्वारा निष्ठा विकसित करने को कहा। सन् 1903 ई० में वे क्रान्तिकारी गतिविधियों में शामिल हो गए। अँग्रेजों ने भयभीत होकर सन् 1908 ई० में उन्हें और उनके भाई को अलीपुर (UPBoardSolutions.com) जेल भेजा। यहाँ उन्हें दिव्य अनुभूति हुई जिससे. उन्होंने ‘काशकाहिनी’ नामक रचना में व्यक्त किया। जेल से छूटकर अँग्रेजी में ‘कर्मयोगी’ और बंगला भाषा में ‘धर्म’ पत्रिकाओं का सम्पादन किया।

उन्होंने 1912 ई० तक सक्रिय राजनीति में भाग लिया। इसके बाद उनकी रुचिं गीता, उपनिषद और वेदों में हो गई। भारतीय संस्कृति के बारे में उन्होंने ‘फाउण्डेशन ऑफ इण्डियन कल्चर’ तथा ‘ए डिफेन्स ऑफ इण्डियन कल्चर’ नामकं प्रसिद्ध पुस्तक लिखी। उनकी काव्य रचना ‘सावित्री’ अनमोल धरोहर है।

1926 ई० से 1950 ई० तक वे अरविन्द आश्रम में तपस्या और साधना में लीन रहे। यहाँ उन्होंने सभाओं और भाषणों से दूर रहकर मानव कल्याण के लिए चिन्तन किया। वर्षों की तपस्या के बाद उनकी अनूठी कृति ‘लाइफ डिवाइन’ (दिव्य जीवन) प्रकाशित हुई। इसकी गणना विश्व की महान कृतियों में की जाती है। श्री अरविन्द अपने देश (UPBoardSolutions.com) और संस्कृति के उत्थान के लिए सतत सक्रिय रहे। उनका पाण्डिचेरी स्थित आश्रम आज भी आध्यात्मिक ज्ञान का तीर्थस्थल माना जाता है, जहाँ विश्व के लोग आकर अपनी ज्ञान-पिपासा शान्त करते हैं।

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अभ्यास-प्रश्न

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए
प्रश्न 1.
डा० कृष्णधान घोष ने अरविंद के बारे में अध्यापकों को क्या निर्देश दिया?
उत्तर :
डा० कृष्णधन घोष ने अध्यापकों को निर्देश दिया कि अरविन्द को भारतीयों से न मिलने दिया जाए।

प्रश्न 2.
वर्ष 1893 क्यों महत्त्वपूर्ण है?
उत्तर :
वर्ष 1893 ई० भारत के लिए नवजागरण का विशेष वर्ष था। इसमें निम्न घटनाएँ हुई

  1. विवेकानन्द द्वारा शिकागो धर्म सम्मेलन में उद्घोष।
  2. तिलक द्वारा गणपति उत्सव का आरम्भ।
  3. ऐनी बेसेण्ट का भारत आना।
  4. गांधी जी का रंगभेद के विरुद्ध दक्षिणी अफ्रीका जाना।

प्रश्न 3.
अरविन्द को भारत किस रूप में दिखाई देता था?
उत्तर :
अरविन्द को भारत, माती के रूप में दिखाई देता था।

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प्रश्न 4.
अरविन्द द्वारा लिखी गयी किस पुस्तक की गणना विश्व की महान कृतियों में की जाती है?
उत्तर :
अरविन्द द्वारा लिखी गयी लाइफ डिवाइन (दिव्य जीवन) पुस्तक की गणना विश्व के महान कृतियों में की जाती है।

प्रश्न 5.
सही (✓) अथवा गलत (✗) का चिह्न लगाइए (चिह्न लगाकर)
(क) श्री अरविन्द का आश्रम बंगाल में है। (✗)
(ख) श्री अरविन्द ने चौदह वर्ष तक रूस में शिक्षा प्राप्त की। (✗)
(ग) श्री अरविन्द को धन-धान्य की लालसा सम्मोहित नहीं कर पाई।। (✓)
(घ) श्री अरविन्द ने फाउण्डेशन ऑफ इण्डियन कल्चर नामक पुस्तक लिखी। (✓)

प्रश्न 6.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए (पूर्ति करके)

  • श्री अरविन्द और उनके भाई वारीन घोष को अलीपुर बम केस के मामले में गिरफ्तार कर लिया गया।
  • जेल में उन्होंने काशकाहिनी नामक रचना की। (UPBoardSolutions.com)
  • उनके द्वारा रचा गया काव्य सावित्री साहित्य जगत् की अनमोल धरोहर है।
  • पाण्डिचेरी स्थित आश्रम उनकी तपोभूमि थी।

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प्रश्न 7.
वाक्यों को सही क्रम में लगाइए (सही क्रम में लगाकर)
उत्तर :

  • श्री अरविन्द का जन्म कोलकाता में हुआ।
  • इंग्लैण्ड में अरविन्द ने उच्च शिक्षा प्राप्त की।
  • भारत लौटने पर वे बड़ोदरा के कॉलेज में प्रधानाचार्य हो गए।
  • उन्होंने ‘वन्देमातरम्’ पत्र का सम्पादन किया।
  • पाण्डिचेरी स्थित आश्रम उनकी तपोभूमि थी।

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UP Board Solutions for Class 8 Home Craft Chapter 11 गृह प्रबन्ध

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 पाठ-11    गृह प्रबन्ध
अभ्यास

1. बहुविकल्पीय
प्रश्न
सही विकल्प के सामने दिए गए गोल घेरे को काला करिए
UP Board Solutions for Class 8 Home Craft Chapter 11 गृह प्रबन्ध image 1

उत्तर :
(अ) (iii) घर की वस्तुओं को व्यवस्थित कर उनमें कलात्मकता उत्पन्न करना।
(ब) (i) अनुरूपता, अनुपात, सन्तुलन, दवाव, लय।

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2. अति लघु उत्तरीय
प्रश्न
(क) बैटक की सजावट में कितनी शैलियाँ होती है? नाम लिखिए। उत्तर- वैटक की सजावट की दो शैलियाँ हैं

  1. भारतीय शैली- यह परम्परागत शैली है। बैठक में तख्त पर गद्दा और चादर बिछी होती है। तकिया या मसन्द होते हैं। एक छोटी मेज, एक-दो मूढ़ा रखे होते हैं। बैठक का फर्श कालीन, (UPBoardSolutions.com) दरी या चटाई से ढका होता है। दरवाजे पर पायदान होता है। बैठक में टी०वी०, चित्र, लैंप व किताबों आदि को रखने के लिए उपयुक्त स्थान होते हैं।
  2. पाश्चात्य शैली- यह महँगी शैली है। कमरे में एक-दो सोफे रखे जाते हैं। टेबल, फूलदान, लैम्प, खिलौने आदि उपयुक्त स्थान पर होते हैं। फर्श पर दरी, कालीन बिछे होते हैं। दो-चार कुर्सियाँ होती हैं। बैठक में टी०वी०, म्यूजिक सिस्टम भी होता है।

(ख) बधाई पत्र किन-किन अवसरों पर दिए जाते हैं?
उत्तर : वधाई पत्र- विशेष अवसरों, त्योहारों, जन्मदिन, नए साल आदि पर भेजे जाते हैं।

3. लघु उत्तरीय
प्रश्न
(क) घर की सजावट से क्या लाभ है? किन्हीं चार बिन्दुओं को लिखिए।
उत्तर : घर की सजावट से हमें अनेक प्रकार के लाभ प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से मिलते हैं।

  1. घर की साज-सज्जा में वस्तुओं का एक व्यवस्थित क्रम होने से किसी भी वस्तु को ढूँढ़ने में अनावश्यक श्रम नहीं करना पड़ता है।
  2. सभी वस्तुएँ साफ-सुथरी व सुन्दर ढंग से व्यवस्थित होने के कारण अधिक दिन तक सुरक्षित रहती हैं।
  3. सुन्दर व सजा घर सभी को आकर्षित करता है।
  4. घर की सजावट उस घर में रहने वाले सदस्यों में स्वानुशासन की प्रवृति का विकास करती है।

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(ख) यात्राओं की तैयारी के लिए हमें क्या ध्यान रखना चाहिए ?
उत्तर : यात्राओं की तैयारी के लिए हमें पूरी जानकारी (UPBoardSolutions.com) प्राप्त करनी चाहिए। पहुँचने के रास्ते, साधन, ठण्डे-गरम कपड़ों , का चयन, रास्ते के लिए खाद्य सामग्री की व्यवस्था आदि। लम्बी यात्रा के लिए टिकट आदि की व्यवस्था भी कर लेनी चाहिए।

(ग) अपने दिक को अपने घर की सजावट के बारे में एक पत्र लिखिए।
उत्तर : विद्यार्थी स्वयं लिखें ।

4. दीर्घ उनीय
प्रश्न

(क) गृह सज्जा के प्रमुख नियम कौन-कौन से हैं? वर्णन करें।
उत्तर : गृह सज्जा के प्रमुख नियम निम्नलिखित हैं।

  1. अनुरूपता- सजी सामग्रियों में समानता दिखाई देना ही अनुरूपता है। रंगों, बनावट या आकार के आधार पर घर की सज्जा में अनुरूपता लाई जा सकती है।
  2. अनुपात- घर की सजी वस्तुओं के बीच रंग, आकार या बनावट के आधार पर एक निश्चित अनुपात हो।
  3. सन्तुलन- एक वस्तु को केन्द्र मानकर उसके चारों (UPBoardSolutions.com) ओर विभिन्न वस्तुएँ रखकर आकर्षक प्रभाव उत्पन्न करने को सन्तुलन कहते हैं।
  4. दबाव (आकर्षण)- सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण वस्तु को केन्द्र में रखकर उसके चारों ओर कम महत्त्वपूर्ण वस्तु रखी जाती है।
  5. लय या क्रमायोजन- प्रत्येक वस्तु को उपयोगिता के आधार पर उचित स्थान पर रखना। इसका अभाव फूहड़पन को प्रदर्शित करता है।

(ख) गृह सज्जा के लिए उपयुक्त साधन क्या हैं? घर सजाने में इनकी क्या भूमिका है? उत्तर -गृह सज्जा के साधन

  1. फर्नीचर- मेज, कुर्सी, अलमारी, सोफा पलंग आदि फर्नीचर गृह सज्जा के प्रमुख साधन हैं। उन्हें समय-समय पर पोंछते, धोते व पॉलिश करते रहना चाहिए।
  2. कालीन/दरी-चटाई भी घर के फर्श की सज्जा करते हैं।
  3. पायदान- जूट व रबर से बने पायदानों का प्रयोग आज बहुतायत से हो रहा है।
  4. चित्र- पेंटिग- दीवारों को सुन्दर बनाने (UPBoardSolutions.com) के लिए इनका प्रयोग किया जाता है।
  5. रंगोली- फर्श पर आकर्षक रंगों से रंगोली बनाई जाती है।
  6. परदे- घर की सज्जा में फर्नीचर के बाद परदों का प्रमुख स्थान है। दरवाजे, खिड़कियों पर लगे कल. त्मिक परदे घर की सुन्दरता बढ़ाते हैं।
  7. फूल-पौधे- घर में गमलों में लगे पौधे, फूलों के गुलदस्ते घर को सजाते हैं।
  8. बिजली-उपकरण- आजकल विद्युत चालित सामग्री से सजावट का चलन जोरों
  9. मनोरंजन के साधन-टेप, रेडियो, टी०वी० आदि घर की शोभा बढ़ाते हैं।
  10. पत्र-पत्रिकाएँ- पुस्तकें, दैनिक समाचार पत्र, पत्रिकाएँ ज्ञानवर्धन के साथ-साथ मेज पर सजावट के काम भी आते हैं।

(ग) सन्तुलन, लय एवं दबाव
उत्तर : सन्तुलन, लय और दबाव गृह सज्जा के (UPBoardSolutions.com) नियम हैं, जिन्हें पहले ही वर्णित किया जा चुका है। प्रश्न 4 (क) का उत्तर देखें।

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प्रोजेक्ट कार्य :
नोट : विद्यार्थी स्वयं करें।

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UP Board Solutions for Class 8 Home Craft Chapter 10 पाक कला

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पाठ-10 पाक कला
अभ्यास

1. वस्तुनिष्ठ
प्रश्न
(1) रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिएउत्तर
(क) उड़द की दाल को साफ करके छः घंटे पहले भिगो देते हैं।
(ख) लौकी की बरफी को थाली पर फैलाने से पहली घी लगाते हैं।
(ग) चावल के अतिरिक्त साबूदाना की भी खीर बनाई जा सकती है।

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(2) सही  (✔)  या गलत  (✗)  का चिह्न लगाइए (चिह्न लगाकर)
(क) आलू का भरवाँ पराठा बनाते समय उबले आलू को छीलते नहीं हैं।        (✗)
(ख) सूजी का हलुव बनाते समय महीन छन्नी से सूजी नहीं छाननी चाहिए।     (✗)
(ग) ब्रेड रोल बनाते समय ब्रेड पानी में नहीं भिगोना चाहिए।                          (✗)

2. अति लघु उत्तरीय
प्रश्न
(क): चावल की खीर में चीनी कब डालते हैं?
उत्तर : चावल के पक जाने और दूध के गाढ़ा हो जाने पर उसमें चीनी डालते हैं।

(ख) पकौड़ी गुलाबी और कुरकुरी बने, इसके लिए आँच कैसी रखेंगे?
उत्तर : मध्यम आँच रखनी चाहिए।

3. लघु उत्तरीय
प्रश्न
(क) गुलाक्जामुन बनाने की विधि लिखिए।
उत्तर : आवश्यक सामग्री- खोया- 200 ग्राम, चीनी- 250 ग्राम, मैदा- 30 ग्राम, घी- 500 ग्राम, बताशे- 50 ग्राम, केवड़ा, गुलाबजल-2,3 बूंदे, बर्तन- भगौना, कढ़ाही, कलछुल, पानी- 500 मिली लीटर) (UPBoardSolutions.com)
विधि : भगौने में पानी में चीनी से चासनी तैयार करते हैं। उसमें केवड़ा, गुलाबजल डालकर अलग रख देते हैं। मैदा छानकर खोए में मिलाते हैं। छोटी-छोटी गोलियों के बीच में एक बताशा रखकर पुनः गोली बना लेते हैं। कढ़ाही के गर्म घी में मध्यम आँच पर इन गोलियों को सुनहरा भूरा होने तक तल लेते हैं। इसके बाद तले हुए रसगुल्ला को तैयारे चासनी में डाल देते हैं। अच्छी तरह  फूल जाने पर परोसते हैं।

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(ख) पूरी का आटा गूंथते समय किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
उत्तर : थाली या परात में आटा डालकर उसमें अजवाइन, नमक, घी, (दो चम्मच) मिलाते हैं। अब आवश्यकतानुसार पानी मिलाकर मुलायम होने तक अच्छी तरह गूंध लेते हैं। पूरी का आटा मुलायम और रोटी के आटे से थोड़ा कड़ा होना चाहिए।

4. दीर्घ उत्तरीय
प्रश्न
(क) भुनी दाल की कचौड़ी बनाने की विधि सामग्री सहित लिखिए।
उत्तर : आवश्यक सामग्री- आटा- 500 ग्राम, उड़द क़ी चुनी दाल-250 ग्रा०, घी- 500 ग्राम, नमक, लाल मिर्च, सौंफ, धनिया, हींग, बर्तन- कढ़ाही, कलठ्ठन, परात या थाली।
विधि : उड़द की दाल छह घण्टे पले भिगो देते हैं। आटे को थान्नी या परात में रखकर 50 ग्राम नमक देते हैं। फिर .. थोड़ा-थोड़ा पानी डालकर मुलायम गूंथ लेते हैं। दाल महीन पीसकर हींग, धनियाँ, (UPBoardSolutions.com) सौंफ, लाल मिर्च, नमक व हरा धनियाँ मिलाकर भरावन तैयार करते हैं। गर्म घी में भरावन भून लेते हैं। आटे की छोटी-छोटी गोलियाँ बनाकर अँगूठे से बीच में दबाते हैं। गोलाई में चौड़ा व बड़ा करके भरावन भरकर मुँह बन्द कर लेते हैं। चकले पर बेलन से-छोटे आकार में बेलकर । कढ़ाही के गर्म घी में दोनों तरफ से सेक लेते हैं।

(ख) गाजर का हलुआ बंनाने की विधि सामग्री सहित लिखिए।
उत्तर : गाजर का हलवा – आवश्यक सामग्री गाजर-500 ग्राम, चीनी- 125 ग्राम, काजू- 50 ग्राम, बादाम- 50 ग्राम, खोया- 200 ग्राम, दूध- 750 ग्राम, बर्तन- बड़ी कढ़ाही, कलछुल, कद्दूकस।
विधि : गाजर धोकर, छीलकर कद्दूकस में कस लें। कढ़ाही में दूध डालकर उसमें गाजर पकने को डाल दें। थोड़ी गल जाने और दूध सूखने पर चीनी डालकर चलाएँ। चीनी घुल जाने पर खोया,
काजू व कटा बादाम मिलाएँ।

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UP Board Solutions for Class 8 Home Craft Chapter 7 सिलाई कला

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पाठ-7   सिलाई कला
अभ्यास

1. बहुविकल्पीय
प्रश्न
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए
उत्तर :
(क) वस्त्रों की सिलाई करना एक कला है।
(ख) मशीन में तेल डालते समय निडिलबार को ऊँचा कर लेना चाहिए।
(ग) रेशम के तंतु कीड़े के तंतु कीड़े के ककून से प्राप्त होते हैं।

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2. अतिलघु उत्तरीय
प्रश्न
(क) वस्त्र कितने प्रकार के होते हैं? नाम लिखिए।
उत्तर : वस्त्र तीन प्रकार के होते हैं

  1. सूती
  2. रेशमी
  3. ऊनी ।

सूती वस्त्र : बाजार में निम्न प्रकार के सूती वस्त्र मिलते हैं

  1. मारकीन या लट्ठा
  2. दुसूती
  3. मलमल एवं जींस का कपड़ा।

रेशमी वस्त्र : सिल्क, साटन एवं मखमल इसके अन्तर्गत आते हैं।

ऊनी वस्त्र : संरचना के हिसाब से ट्वीड़ और सर्ज-दो प्रकार होता है।
(ख) किस वस्त्र पर क्रास स्टिच की कढ़ाई सरलता से होती है?
उत्तर : दुसूती वस्त्र पर क्रॉस स्टिच की कढ़ाई सरलता से हो जाती है।
(ग) ऊनी वस्त्रों का प्रयोग किस ऋतु में किया जाता है?
उत्तर : ऊनी वस्त्रों का प्रयोग शीत ऋतु में किया जाता है?

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3. लघु उत्तरीय
प्रश्न
(क) घर पर सिलाई करने के किन्हीं चार लाभ लिखिए।
उत्तर : घर पर सिलाई करने से निम्नलिखित लाभ होते हैं

  1. नाप के अनुसार सिलाई।
  2. मजबूत सिलाई।
  3. आर्थिक लाभ।
  4. बचे हुए कपड़े का सदुपयोग।
  5. धनोपार्जन का साधन ।

(ख) रेशनी एवं ऊनी वस्त्र कितने प्रकार के होते हैं? उनके नाम लिखिए।
उत्तर : रेशमी वस्त्र निम्न प्रकार के होते हैं

  1. सिल्क : यह मुलायम होती है। इससे कुर्ते, ब्लाउज व साड़ियाँ बनाते हैं।
  2. साटन : यह चिकनी व रफ होती है। इसके (UPBoardSolutions.com) गरारे, कुर्ते, लहंगा, सलवार आदि बनते हैं।
  3.  मखमल : इसमें रोएँ होते हैं। देखने में सुन्दर व महँगे होते हैं। इससे कुर्ता, रजाई, तकिया का गिलाफ आदि बनते हैं।

ऊनी वस्त्र निम्नलिखित प्रकार के होते हैं

  1. ट्वीड : यह मोटे गर्म धागों का बना होता है। यह काफी गर्म होता है। ट्वीड खुरदरा एवं मुलायम दोनों प्रकार का होता है। इससे कोट, ओवर कोट आदि बनाए जाते हैं।
  2. सर्ज : यह देखने में सुदंर व कोमल होता है, यह कीमती होता है। इसके पैंट, कोट, सूट आदि बनाए जाते हैं।

4. दीर्घ उत्तरीय
प्रश्न 
(क) कपड़े पर ड्राफ्टिंग करते समय किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए? उत्तर -कपड़े पर ड्राफ्टिंग करते समय निम्न बातों का ध्यान रखना चाहिए

  1. आकृति में अन्तर : ड्राफ्ट बनाते समय आकृति ध्यान में रखकर कपड़ा काटना चाहिए।
  2. कपड़े के सिकुड़न : सिकुड़ने वाले कपड़े को दो घण्टे पूर्व पानी में डालकर सुखा लेना चाहिए।
  3. व्यक्ति की रुचि का ध्यान-कुछ व्यक्ति ढीले तथा (UPBoardSolutions.com) कुछ चुस्त कपड़े पसन्द करते हैं। उनकी रुचि का ध्यान रखना चाहिए।
  4. कागज के ड्राफ्ट द्वारा वस्त्रों पर ड्राफ्टिंग करना- ऐसा करने से बाद में कपड़े को आवश्यकतानुसार ढीले करने में सुविधा रहती है।

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(ख) सिलाई मशीन की देखभाल आप कैसे करेंगे? विस्तार से लिखिए।
उत्तर : सिलाई मशीन की देखभाल के लिए निम्न बातों पर ध्यान देना चाहिए|

  1. मशीन को धूल व मिट्टी (UPBoardSolutions.com) से बचाएँ।
  2. साल में मशीन को खोलकर उसके पुर्जा को मिट्टी के तेल से साफ करना चाहिए।
  3. समय-समय पर मशीन में तेल देना चाहिए जिससे पुर्जे न घिसें।
  4. तेल देते समय नीडिल बार को ऊपर कर लेना चाहिए।

प्रोजेक्ट कार्य :
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