UP Board Solutions for Class 8 Hindi Chapter 36 लोकनायक जयप्रकाश नारायण (महान व्यक्तित्व)

UP Board Solutions for Class 8 Hindi Chapter 36 लोकनायक जयप्रकाश नारायण (महान व्यक्तित्व)

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पाठ का सारांश

लोकनायक जयप्रकाश नारायण का जन्म बिहार के सिताबदियारा गाँव में (अब उ०प्र० में) 11 अक्टूबर, 1902 को हुआ था। इनके पिता का नाम हरसूदयाल तथा माता का नाम श्रीमति फूल रानी था। इनकी प्रारंभिक शिक्षा पटना के कालेजिएट स्कूल में हुई। यहाँ से इन्होंने हाई स्कूल पास किया। आगे की शिक्षा के लिए इन्होंने पटना कॉलेज, पटना में प्रवेश लिया। सन् 1922 में उच्च शिक्षा की के लिए अमेरिका के कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय में प्रवेश लिया। शिक्षा पूरी कर स्वदेश लौटने (UPBoardSolutions.com) के बाद वे भारतीय राजनीति में सक्रिय हो गए। उस समय भारत में गांधी जी के नेतृत्व में असहयोग आंदोलन चल रहा था। वे भी एक सच्चे राष्ट्रभक्त की तरह स्वाधीनता आंदोलन से जुड़ गए।

जयप्रकाश नारायण समाजवादी सिद्धातों से प्रभावित थे। स्वतंत्रता आंदोलन में वे कई बार जेल गए। गांधी जी जयप्रकाश नारायण को भारतीय समाज का सबसे बड़ा विद्वान मानते थे। 1946 में गांधी जी ने उनका नाम कांग्रेस अध्यक्ष के लिए प्रस्तावित किया किन्तु कांग्रेस की कार्य कारिणी ने इसे स्वीकार नही किया। सन् 1948 में उन्होंने कांग्रेस छोड़कर भारतीय समाजवादी पार्टी की स्थापना की। 1952 में वे आचार्य बिनोवा भावे के नेतृत्व में चलाए जा रहे सर्वोदय

आंदोलन व भूदान आंदोलन से जुड़ गए। उन्होंने सरकार एवं सत्ता में कभी कोई पद स्वीकार नहीं किया। 8 अक्टूबर 1979 को इनकी मृत्यु हो गई उनके विचार, उनके सिद्धांत सदैव हमारा मार्गदर्शन करते रहेंगे।

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अभ्यास-प्रश्न

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए
प्रश्न 1.
जयप्रकाश नारायण का जन्म कब और कहाँ हुआ?
उत्तर :
जयप्रकाश नारायण का जन्म 11 अक्टूबर, 1902 को बिहार के सिताबदिलारा गाँव, (अब उ०प्र०) में हुआ था।

प्रश्न 2.
जयप्रकाश नारायण के माता-पिता का नाम बताइए।
उत्तर :
जयप्रकाश नारायण के माता का नाम श्री (UPBoardSolutions.com) मति फूलरानी तथा पिता का नाम हरसूदयाल था।

प्रश्न 3.
गांधी जी ने समाजवाद का सबसे बड़ा विद्वान किसको माना?
उत्तर :
गांधी जी ने समाजवाद का सबसे बड़ा विद्वान जयप्रकाश नारायण को माना।

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प्रश्न 4.
जयप्रकाश नारायण के राष्ट्रवाद पर क्या विचार थे? वर्णन कीजिए।
उत्तर :
वे सामाजिक और आर्थिक क्षेत्र के आमूल परिवर्तन के पक्षधर थे। वे समाजवाद के समर्थक थे। उनकी दृष्टि में समाजवाद का उद्देश समाज को समन्वित विकास करना था। समाजवाद के संबंध में (UPBoardSolutions.com) उनके विचार थे कि भारतीय संस्कृति के मूल्लों को सुरक्षित रखते हुए भी हम देश में समाजवाद ला सकते हैं क्योंकि भारतीय पंरपराएँ कभी भी शोषणवादी नहीं रहीं हैं।

जय प्रकाश नारायण के समग्र जीवन दर्शन से स्पस्ट है कि वे ‘सर्वे भवन्तु सुखिनः’ के वास्तविक पोषक थे।

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UP Board Solutions for Class 8 Hindi Chapter 34 सरफरोशी की तमन्ना (महान व्यक्तित्व)

UP Board Solutions for Class 8 Hindi Chapter 34 सरफरोशी की तमन्ना (महान व्यक्तित्व)

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पाठ का सारांश

6 अगस्त 1925 ई० को काकोरी काण्ड की घटना हुई। काकोरी स्टेशन से डेढ़ मील आगे क्रान्तिकारियों ने गाड़ी रोककर सरकारी खजाना लूटा। उनका उद्देश्य लूट के धन से हथियार खरीदना था। काकोरी काण्ड में बाईस लोगों पर मुकदमा चलाया गया। इसमें रामप्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खाँ, राजेन्द्र लाहिड़ी और ठाकुर रोशन सिंह को फाँसी की सजा सुनाई गई। राम प्रसाद बिस्मिल शाहजहाँपुर में 1897 ई० में पैदा हुए। क्रान्तिकारी रामप्रसाद बिस्मिल बचपन में नटखट स्वभाव के थे। इनके पिता मुरलीधर तिवारी इन्हें किसी व्यवसाय में लगाना चाहते थे। माँ के प्रभाव से इन्होंने अंग्रेजी पढ़ना सीखा। दयानन्द सरस्वती द्वारा लिखित ग्रन्थ ‘सत्यार्थ प्रकाश’ के अध्ययन से इनकी जीवन दिशा बदल गई। नवीं कक्षा से ही ये कांग्रेस में शामिल हो गए। इन्होंने हिन्दुस्तान रिपब्लिक एसोसियेशन की स्थापना की।

क्रान्तिकारी होने के साथ राम प्रसाद बिस्मिल लेखक भी थे। इनकी पहली पुस्तक ‘अमेरिका को स्वतन्त्रता कैसे मिली थी। देशवासियों के नाम संदेश’, ‘बोलशेविकों की करतूत’, ‘मन की लहर’, ‘कैथेराइन’, ‘स्वदेशी रंग’ अन्य रचनाएँ है। फाँसी के दिन माता-पिता उनसे मिलने गए। माँ ने उनकी आँखों में आँसू देखकर उसे ढाढस बँधाया। उन्होंने बताया कि (UPBoardSolutions.com) उन्हें ऐसी माँ फिर कहाँ मिलेगी। इस कारण आँसू आए। मन्त्रों का जाप करते हुए उन्होंने 19 दिसम्बर, 1927 ई० को गोरखपुर जेल में फाँसी का फन्दा गले में डाल लिया।

19 दिसम्बर को ही फैजाबाद जिले में अशफाक उल्ला खाँ को फाँसी दी गई। अशफाक उल्ला खाँ शाहजहाँपुर के रहने वाले थे। तैराकी, घुड़सवारी, क्रिकेट, हॉकी खेलने और बन्दूक चलाने में प्रवीण थे। वे पं० रामप्रसाद बिस्मिल के अच्छे दोस्त थे। वे बहुत खुशी के साथ कुरान शरीफ साथ लेकर हाजियों की भाँति कलाम पढ़ते हुए फाँसी के तख्ते पर चढ़ गए। 17 दिसम्बर, 1927 ई० को राजेन्द्र लाहिड़ी को गोंडा जेल में फाँसी दी गई। राजेन्द्र लाहिड़ी पहले (UPBoardSolutions.com) क्रान्तिकारी सान्याल बाबू के दल में थे। बाद में वे बनारस के जिला प्रबन्धक नियुक्त हुए। वे प्रान्तीय कमेटी के सदस्य भी रहे। मृत्यु उनके लिए एक ऐसी स्वाभाविक अवस्था थी, जैसे प्रात:कालीन सूर्य का उदय होना। | क्रान्तिकारी रोशन सिंह ने फाँसी का संदेशा सुनकर बड़े धैर्य, साहस और शौर्य का प्रदर्शन किया।

ठाकुर रोशन सिंह शाहजहाँपुर जिले के नवादा ग्राम के निवासी थे। बचपन से ही वे दौड़-धूप करने में बहुत आगे थे। उन्होंने शाहजहाँपुर और बरेली के गाँवों में घूम-घूमकर असहयोग आन्दोलन का प्रचार किया। | उन्हें अंग्रेजी का मामूली ज्ञान था लेकिन हिन्दी और उर्दू अच्छी तरह जानते थे। जेल से फाँसी के तख्ते तक उनका व्यवहार निर्भीक पुरुष की तरह था। उनका कहना था कि जो आदमी धर्मयुद्ध में प्राण देता है, उसकी वही गति होती है जो जंगल में तपस्या करने वालों की। फाँसी पर चढ़ते ही उन्होंने वन्देमातरम् का नाद किया और ॐ का स्मरण करते हुए शहीद हो गए।

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अभ्यास-प्रश्न

प्रश्न 1.
निम्नलिखित प्रश्नों के संक्षिप्त उत्तर दीजिए
(1) काकोरी काण्ड का उद्देश्य क्या था?
उत्तर :
काकोरी काण्ड का उद्देश्य सरकारी खजाना लूटकर हथियार खरीदना था क्योंकि क्रान्तिकारियों को बन्दूकों की जरूरत थी।

(2) फाँसी की सजा किन क्रान्तिकारियों को दी गई?
उत्तर :
फाँसी की सजा पं० रामप्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खाँ, राजेन्द्र लाहिड़ी और ठाकुर रोशन सिंह को दी गई।

(3) रामप्रसाद बिस्मिल माँ को देखकर क्यों रोए?
उत्तर :
रामप्रसाद बिस्मिल की आँखों में आँसू यह सोचकर आए कि “तुम जैसी माँ फिर कहाँ पाऊँगा।” इस कमी का आभास होने से माँ को देखकर रोए।

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प्रश्न 2.
सही मिलान कीजिए (मिलान करके)
उत्तर :
UP Board Solutions for Class 8 Hindi Chapter 34 सरफरोशी की तमन्ना (महान व्यक्तित्व) 1
प्रश्न 3.
सही (✓) अथवा गलत (✗) का निशान लगाइए

  • अशफाक उल्ला, रामप्रसाद के बचपन के मित्र थे। (✓)
  • राजेन्द्र लाहिड़ी फाँसी की सजा सुनकर डर गए। (✗)
  • ठाकुर रोशन सिंह दौड़ने-धूपने के काम में आगे थे। (✓)
  • राम प्रसाद बिस्मिल क्रांतिकारी होने के साथ-साथ लेखक भी थे। (✓)

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UP Board Solutions for Class 8 Hindi Chapter 30 खान अब्दुल गफ्फ्फार खाँ (महान व्यक्तित्व)

UP Board Solutions for Class 8 Hindi Chapter 30 खान अब्दुल गफ्फ्फार खाँ (महान व्यक्तित्व)

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पाठ का सारांश

अब्दुल गफ्फार खाँ को बादशाह खान के नाम से जाना जाता है। इनकी प्रारम्भिक शिक्षा स्थानीय मदरसे (पेशावर) में हुई। इन्होंने थोड़े समय में ही पूरा कुरान याद कर लिया और हाफिजे कुरान बन गए। मदरसे की शिक्षा के बाद वे पेशावर में म्युनिसिपल बोर्ड हाईस्कूल में भर्ती हुए। फिर वे एडवर्ड्स मेमोरियल मिशन हाईस्कूल में गए। युवा होने पर ये बलिष्ठ और छह फीट तीन इंच लम्बे थे। प्रतिष्ठित परिवार के सदस्य होने के नाते इन्हें ब्रिटिश भारतीय सेना में चुन लिया गया लेकिन थोड़े दिन बाद उन्होंने नौकरी छोड़ दी और अध्ययन के लिए अलीगढ़ चले गए। वहाँ उन्होंने अबुल कलाम आजाद का अखबार ‘अले हिलाल’ पढ़ा, इससे उनमें देशप्रेम की भावना और सुदृढ़ हो गई।

क्रान्तिकारी गातिविधियों में सन्देह होने पर इन्हें पेशावर में कैद कर लिया गया। माँ की मृत्यु होने पर ये जेल से छूटकर सीधे अपने गाँव आए, जहाँ लोगों की बड़ी जनसभा में इन्हें पाठकों का गौरव की उपाधि दी गई। मई 1928 ई० में इन्होंने पश्तो भाषा का अखबार निकाला। सन् 1928 ई० में वे लखनऊ आए और गांधी जी और नेहरू जी से मिले। इन्हें (UPBoardSolutions.com) विश्वास हो गया कि अहिंसा और एकता से विजय प्राप्त की जा सकती है। सन् 1929 ई० में इन्होंने एक संगठन ‘खुदाई खिदमतगार’ बनाया। इस आन्दोलन के सदस्य लाल कुर्ती वाले कहलाए। 13 मई, 1930 ई० को सेना की एक टुकड़ी ने लाल कपड़े उतारने को कहा जो उन्होंने नहीं माना। सन् 1931 ई० में उन्हें फिर कैद किया गया। तीन वर्ष बाद इन्हें छोड़ा गया लेकिन पंजाब और सीमा प्रान्त नहीं जाने दिया।

अगस्त 1942 ई० में भारत-छोड़ो आन्दोलन सीमा प्रान्त में अनुशासित ढंग से हुआ। देश के विभाजन से सीमा प्रान्त पाकिस्तान में चला गया, जिससे बादशाह खान बहुत दुखी हुए। पाकिस्तान सरकार ने इन्हें कैद कर लिया। सन् 1964 ई० में पाकिस्तान सरकार ने इलाज के लिए इन्हें लन्दन जाने की अनुमति दी। सन् 1969 ई० में महात्मा गांधी की जन्म शताब्दी पर ये भारत आए। अन्तर्राष्ट्रीय सद्भावना के लिए इन्हें नेहरू पुरस्कार दिया गया। श्रीमती इन्दिरा गांधी के निमन्त्रण पर ये सन् 1980 तथा 1981 में भारत आए। सन् 1987 ई० में बादशाह खान को भारत सरकार ने सर्वोच्च नागरिक (UPBoardSolutions.com) सम्मान ‘भारत रत्न’ प्रदान किया। 20 जनवरी, 1988 ई० को 98 वर्ष की परिपक्व आयु में इनका निधन हो गया।

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अभ्यास-प्रश्न

प्रश्न 1.
निम्नलिखित प्रश्नों के संक्षिप्त उत्तर दीजिए।
(क) बादशाह खान को सीमान्त गांधी क्यों कहा जाता है?
उत्तर :
बादशाह खान ने अपने जीवन में महात्मा गांधी के आदर्शों को माना और वे ‘सीमा प्रांत (पेशावर)’ के रहने वाले थे, इसलिए इन्हें सीमान्त गांधी कहा जाता है।

(ख)
“हाफिजे कुरान’ का क्या अर्थ है?
उत्तर :
हाफिजे कुरान का अर्थ है- कुराने का ज्ञाता। बादशाह खान को पूरा कुरान याद था।

(ग)
खुदाई खिदमतगार के सदस्य क्या प्रतिज्ञा करते थे?
उत्तर :
खुदाई खिदमतगार के सदस्य प्रतिज्ञा करते थे कि वे हर अत्याचार का विरोध अहिंसा और सत्याग्रह से करेंगे और हथियार नहीं उठाएँगे।

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(घ)
गफ्फार खाँ को सर्वोच्च भारतीय नागरिक सम्मान कब मिला?
उत्तर :
गफ्फार खाँ को सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार ‘भारत रत्न’ सन् 1987 ई० में मिला।

प्रश्न 2.
सही कथन के सम्मुख सही (✓) तथा गलत कथन के सम्मुख गलत (✗) का चिन्ह लगाइए (सही-गलत का चिह्न लगाकर):
(क) खान अब्दुल गफ्फार खाँ के विचारों पर परिवार के लोगों का प्रभाव पड़ा। (✓)
(ख) गफ्फार खाँ अँग्रेजी सेना की नौकरी से निकाल दिए गए थे। (✗)
(ग) “पख्तून’ नामक समाचार पत्र (UPBoardSolutions.com) अँग्रेजी भाषा में प्रकाशित होता था। (✗)
(घ) ‘अल हिलाल’ समाचार पत्र स्वतन्त्रता, प्रजातन्त्र व न्याय के प्रचार के लिए विख्यात था। (✓)

प्रश्न 3.
निम्नलिखित प्रश्नों के चार सम्भावित उत्तर हैं, जिनमें से केवल एक उत्तर सही है। सही उत्तर छॉटिए
(क) गफ्फार खाँ ने मैट्रिक परीक्षा के लिए प्रवेश लिया –

  • म्युनिसिपल बोर्ड हाईस्कूल में (✓)
  • हडवर्ड्स मेमोरियल मिशन हाईस्कूल में।
  • सेंट स्टीफेंस कालेज में।
  • मदरसा नदवतुल उलेमा लखनऊ में।

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(ख) गफ्फार खाँ एक महान नेता की जन्मशताब्दी वर्ष पर भारत आए थे। वे नेता थे

  • लाला लाजपत राय
  • श्रीमती इन्दिरा गांधी
  • डा० राधाकृष्णन
  • महात्मा गांधी

प्रश्न 4.
नोट – विद्यार्थी अपने शिक्षक/शिक्षिका की सहायता से स्वयं करें।

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UP Board Solutions for Class 8 Hindi Chapter 29 स्वामी प्रणवानंद (महान व्यक्तित्व)

UP Board Solutions for Class 8 Hindi Chapter 29 स्वामी प्रणवानंद (महान व्यक्तित्व)

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पाठ का सारांश

भारत सेवाश्रम संघ के संस्थापक स्वामी प्रणवानंद जी का जन्म 29 जनवरी, सन् 1886 को माघी पूर्णिमा के दिन वर्तमाने बांग्ला देश के फरीदपुर जिले के बाजितपुर नामक गाँव में हुआ था। इनके बचपन का नाम विनोर था। इनके पिता का नाम विष्णुचरण दास तथा माता का नाम शारदा देवी था। वे बचपन से ही शांत स्वभाव (UPBoardSolutions.com) के तथा बुद्धिमान थे। वे प्रायः किसी वृक्ष के नीचे ध्यानमग्न रहते थे। गाँव की पाठशाला से प्राथमिक शिक्षा के बाद उन्होंने अंग्रेजी हाई-स्कूल में प्रवेश लिया। इस समय पढ़ाई की अपेक्षा वे साधना एवं चिंतन में अधिक सक्रिय रहते थे। वे शुद्ध शकाहारी थे तथा ब्रह्मचर्य साधना पर उनका विशेष बल था। गाँव वाले उन्हें विनोद ब्रहमचारी के रूप में जानते थे।

जब वे दश्वीं कक्षा के विद्यार्थी थे तभी उनके सन्यास की प्रबल इच्छा को जानकर उनके शिक्षक ने गोरखपुर के नाथ संप्रदाय के प्रमुख योगीराज गंभीरनाथ की शरण में जाने की सलाह दी। गोरखपुर आने के बाद इन्होंने बाबा गंभीर नाथ से दीक्षा ग्रहण की तथा वहाँ कुछ दिन साधना करने के बाद अपने गुरू की सलाह पर ये काशी चले गए और वहाँ गंगा किनारे अस्सी घाट पर साधना करने लगे। कुछ दिनो बाद गुरु के आदेश पर वे , अपने पैतृक गाँव बाजितपुर लौट आए। वर्ष 1924 में प्रयाग में इन्होंने (UPBoardSolutions.com) सन्नयास की विधि वत दीक्षा ग्रहण की तथा उनका प्रणवानंद स्वामी हो गया। अब उनका अधिकांश समय आध्यात्मिक उन्नति की साधना में बीतने लगा। वर्ष 1917 में उन्होंने भारत सेवाश्रम संघ’ की स्थापना की। इस संस्थ ने अकाल, बाढ़ तथा अन्य प्राकृति आपदा पीड़ितो की खूब सहायता की।

उन्होंने शक्ति साधना एवं शक्तिशाली राष्ट्र गठन के प्रचार-प्रसार के लिए सन् 1929 में भारत सेवाश्रम संघ की मुख्य पत्रिका प्रलव का प्रकाशन आरंभ किया। स्वामी प्रणवानंद ने पश्चिम बंगाल को भारत के साथ जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसके लिए उन्होंने डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी को आगे बढ़ाया और बंगाल के पश्चिमी हिस्से को भारत में सम्मिलित करने के लिए ब्रिटिश शासन को विवश कर दिया जो आज पश्चिम बंगाल के नाम से जाना जाता है। आजीवन समाज व राष्ट्र सेवा हेतु कठोर परिश्रम करते हुए इस विलक्षण महापुरुष ने 8 जनवरी, 1941 को अपना स्थूल शरीर त्याग दिया। उनके द्वारा स्थापित ‘भारत सेवाश्रम संघ निरंतर मानवजाति की सच्ची सेवा और कल्याण भावना की ओर अग्रसर हैं।

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अभ्यास-प्रश्न

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए
प्रश्न 1.
विनोद ब्रह्मचारी ने प्रथम दीक्षा कब और किससे ग्रहण की?
उत्तर :
विनोद ब्रह्मचारी ने 1913 में गोरखपुर में नाथ संप्रदाय के प्रमुख योगीराज बाबा गंभीरनाथ से प्रथम दीक्षा ग्रहण की।

प्रश्न 2.
विनोद ब्रह्मचारी के चारों महावाक्य लिखिए।
उत्तर :
विनोद ब्रह्मचारी के चार महाकाव्य हैं।

  • यह युग महाजागरण का युग है,
  • महामिलन का युग है, (UPBoardSolutions.com)
  • महासमन्वय का युग है और
  • यह युग महामुक्ति का युग है।

प्रश्न 3.
वे ‘विनोद ब्रह्मचारी’ से ‘स्वामी प्रणवानंद’ कब और कैसे हुए?
उत्तर :
वर्ष 1924 के प्रयाग के अर्धकुम्भ मेले में विनोद ब्रह्मचारी ने स्वामी गोविंदा नंद गिरि से संन्यास की विधिवत दीक्षा ग्रहण की। इसके बाद वे विनोद ब्रह्मचारी से स्वामी प्रणवानंद हो गए।

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प्रश्न 4.
स्वामी प्रणवानंद ने भारत सेवाश्रम संघ की स्थापना क्यों की?
उत्तर :
स्वामी प्रणवानंद ने अकाल, बाढ़, प्राकृतिक (UPBoardSolutions.com) प्रकोप आदि से पीड़ित लोगों के सहायतार्थ भारत सेवाश्रम संघ’ की स्थापना की। दूसरे शब्दों में हम कह सकते हैं कि, मानव जाति की सेवा के लिए उन्होंने भारत सेवाश्रम संघ’ की स्थापना की।

प्रश्न 5.
स्वामी प्रणवानंद का क्या उद्घोष था?
उत्तर :
स्वामी प्रणवानंद का उद्घोष था कि धर्म है- त्याग, सत्य और ब्रह्मचर्य में। धर्म है- आचार, अनुष्ठान और अनुभूति में।” स्वामी जी की यह अनमोल वाणी चिरकाल तक हमारा. मार्गदर्शक करती रहेगी।

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 UP Board Solutions for Class 8 Hindi प्रार्थना पत्र (पत्र-लेखन)

UP Board Solutions for Class 8 Hindi प्रार्थना पत्र (पत्र-लेखन)

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पत्र लिखना Patra Lekhan भी एक अत्यन्त आवश्यक कला है। अतः विद्यार्थियों को इसका ज्ञान भी आवश्यक है। पत्र-लेखन ही ऐसी कला है जिसके द्वारा हम दूर बैठे (UPBoardSolutions.com) अपने मित्रों, निकट सम्बन्धियों आदि से सम्पर्क स्थापित कर सकते हैं।
पत्र लिखते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान अवश्य रखना चाहिए

1. पत्र की भाषा सरल और शिष्ट होनी चाहिए।
2. एक ही बात को बार-बार नहीं दोहराना चाहिए।
3. प्रत्येक बात एक-दूसरे से सम्बन्धित होनी चाहिए।
4. लेखनी शुद्ध और साफ होनी चाहिए।

पत्र मुख्यतः निम्नलिखित तीन प्रकार के होते हैं:

1. व्यक्तिगत पत्र – ये पत्र अपने मित्रों, सम्बन्धियों, जैसे- माता-पिता, भाई-बहन आदि के लिए लिखे जाते हैं।
2. व्यापारिक पत्र – ये पत्र वस्तुओं को खरीदने और बेचने आदि अर्थात् व्यापार की बातों के लिए लिखे जाते है।
3. सरकारी तथा अर्ध – सरकारी पत्र-ये पत्र सरकारी कार्यालयों को लिखे जाते हैं।

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1. व्यक्तिगत पत्र

पुत्र का पिता को पत्र
लक्ष्मी नगर, लखनऊ
दिनांक : 1 जुलाई, 20xx
परम पूज्य पिताजी,
सादर चरण स्पर्श!
ईश्वर की कृपा से हम सभी कुशलपूर्वक हैं और आपकी कुशलता की कामना करते हैं। मेरा विद्यालय कल से खुल गया है। नई कक्षा में आकर मुझे बहुत अच्छा लग रहा है। (UPBoardSolutions.com) मैंने अपनी सभी पुस्तकें खरीद ली हैं। आप जब घर आएँगे तो आपको दिखाऊँगा। आप छुट्टियों में अवश्य घर आने की कृपा करें। हम सबको पत्र का उत्तर शीघ्र देने की कृपा करें।
आपका प्रिय पुत्र
विजय कुमार

पिता का पुत्र को पत्र

गांधी नगर, मेरठ
दिनांक : 4 जुलाई, 20xx
प्रिय पुत्र विजय
चिरंजीव रहो!
तुम्हारा पत्र कल मुझे मिल गया था। मुझे यह पढ़कर बहुत खुशी हुई कि तुमने नई कक्षा में प्रवेश ले लिया। है और पुस्तकें भी खरीद ली हैं। अब तुम्हें खूब मन लगाकर पढ़ना चाहिए ताकि कक्षा में प्रथम आ सको। मैं छुट्टियों में अवश्य घर आऊँगा। आने से पूर्व पत्र लिख दूंगा। घर में सबको प्यार एवं आशीर्वाद।
तुम्हारा शुभाकांक्षी
रघुबर दत्त बलूनी

मित्र का मित्र को पत्र

गांधी नगर, लखनऊ
दिनांक : 2 अप्रैल, 20xx
परम प्रिय मित्र अजय,
सप्रेम नमस्ते!
तुमने मेरे पत्र का उत्तर नहीं दिया। क्या कारण है? मुझे चिन्ता हो रही है। आगे समाचार यह कि मेरी पढाई बहुत अच्छी चल रही है। तुम भी खूब परिश्रम करना ताकि गतवर्ष की भाँति हम दोनों वार्षिक परीक्षा (UPBoardSolutions.com) में प्रथम श्रेणी प्राप्त कर सकें। परीक्षण के बाद छुट्टियाँ हो जाएँगी। छुट्टियों में तुम मेरे यहाँ आ जाना। हम दोनों खूब घूमेंगे और खेलेंगे। यहाँ कई दर्शनीय स्थान हैं। ये सब स्थान हम देखेंगे। तुम अवश्य आना। अपने पिताजी और माताजी को मेरा प्रणाम कहना। पत्र का उत्तर अवश्य देना।
तुम्हारी मित्र
प्रदीप कुमार

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2. व्यापारिक पत्र

व्यापारिक पत्र-पुस्तकें मँगवाने के लिए पत्र

व्यवस्थापक,
अशोक प्रकाशन (रजि०)
डिप्टी गंज,
बुलन्दशहर (उ०प्र०)
महोदय,
निम्नलिखित पुस्तकें ट्रांसपोर्ट कम्पनी द्वारा तुरन्त भेजने की व्यवस्था करें तथा बिल्टी पंजाब नेशनल बैंक, रिंग रोड ब्रांच द्वारा भेज दें।

1. राष्ट्रीय बाल भारती कक्षा – 7 50 प्रतियाँ
2. राष्ट्रीय बाल भारती कक्षा – 8 50 प्रतियाँ

भवदीय
व्यवस्थापक
गाजियाबाद
दिनांक : 21 जून, 20xx

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ग्राहक द्वारा शिकायती पत्र

मेरठ शहर
व्यवस्थापक महोदय,
दिनांक : 25 जून, 20xx
श्रीमान जी,
आपके द्वारा भेजा हुआ पुस्तकों का पार्सल समय पर मिल गया। पार्सल खोलने पर उसमें से राष्ट्रीय बाल भारती कक्षा- 8 की एक प्रति कम निकली है।
अतः आपसे निवेदन है कि आप डाक द्वारा यह पुस्तक शीघ्र भेज दें।
धन्यवाद!
भवदीय
राज बुक डिपो
चौक, इलाहाबाद

शिकायती पत्र को उत्तर

अशोक प्रकाशन (रजि०)
डिप्टीगंज, बुलन्दशहर
दिनांक : 28 जून, 20xx
प्रिय महोदये।
सप्रेम नमस्कॉर!
आपका पत्र दिनांक 23 जून, 26xx को प्राप्त हुआ। हमें खेद है कि पार्सल में एक पुस्तक कम निकली है। हम पहें पुस्तक आपको ठीक द्वारा भेज रहे हैं। पुस्तक प्राप्त होने पर सूचित करें।
धन्यवाद।
भवदीय
व्यवस्थापक

3. सरकारी एवं अर्द्ध-सरकारी पत्र

अवकाश हेतु प्रार्थना पत्र

श्रीमान प्रधानाध्यापक महोदय,
उच्च प्राथमिक विद्यालय, लखनऊ।
श्रीमान जी,
सविनय निवेदन है कि गत रात्रि से मेरे कान में बहुत अधिक दर्द हो रहा है। इस कारण मैं विद्यालय आने में असमर्थ हैं। कृपया मुझे 11.07.20XX से 12.07.20xx तक दो दिन का अवकाश प्रदान करने की कृपा करें।
मैं आपका अत्यन्त आभारी रहूँगा।
आपको आज्ञाकारी शिष्य
सतीश सिंघल
कक्षा 8 ब
दिनांक : 10 जुलाई, 20xx

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शुल्क मुक्ति हेतु प्रार्थना पत्र

प्रधानाध्यापिका महोदया,
उच्च प्राथमिक विद्यालय, इलाहाबाद।
महोदया,
मैं आपके विद्यालय की कक्षा 8 अ की छात्रा हूँ, गत वर्ष में मैंने कक्षा 6 और 7 में आपके विद्यालय में प्रथम स्थान प्राप्त किया है।
मेरे परिवार की आर्थिक स्थिति (UPBoardSolutions.com) इतनी अच्छी नहीं है कि मैं अपनी पढ़ाई जारी रख सकें। मेरे पिताजी की मासिक आय केवल 5000 रुपये है तथा मेरे छोटे बहन, भाई क्रमशः तीसरी और छठी कक्षा में पढ़ रहे हैं।
अतः आपसे सविनय प्रार्थना है कि गत वर्ष की भाँति आप मुझे इस वर्ष भी शुल्क से मुक्ति प्रदान करने की कृपा करें ताकि मैं अपनी पढ़ाई जारी रख सकें। मैं आपकी अत्यन्त आभारी रहूँगी।
आपकी आज्ञाकारी शिष्या
रजनी
कक्षा 8 अ।
दिनांक : 09 जुलाई, 20xx

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