UP Board Class 8 Sanskrit Chapter 8 Gramya Jivanam Question Answer

Class 8 Sanskrit Chapter 8 UP Board Solutions ग्राम्यजीवनम् Question Answer

कक्षा 8 संस्कृत पाठ 8 हिंदी अनुवाद ग्राम्यजीवनम्के  प्रश्न उत्तर यूपी बोर्ड

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ग्राम्यजीवनम्

शब्दार्था:-कृषीवलाः = किसान, क्षेत्रेषु = खेतों में, वारिणा = जल से, कुल्या = नहर, कर्षन्ति = जोतते है, वपन्ति = बोते है, परितः = चारों ओर, प्रयच्छन्तः = प्रदान करते हुए, शस्यश्यामला = फसलों से हरित, कूजन्ति = कूजते हैं, सम्भूय = एक होकर, सौविध्यम् = सुविधा, सुकरम् = सरल, राजते = सुशोभित होती है।

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ग्राम्यजीवनं …………………………………………. सञ्जातः ॥1॥
हिन्दी अंनुवाद-ग्राम्यजीवन सुव्यस्थित होता है। ग्राम में प्रायः सभी स्वस्थ होते हैं। वनों में और नगरों में वैसा जीवन नहीं होता। वस्तुतः ग्राम वन और नगर दोनों के बीच में होते हैं। ग्रामीण लोग प्रायः कृषि (UPBoardSolutions.com) करने वाले होते हैं। खेतों के चारों तरफ जल से पूर्ण नालियाँ होती हैं। कृषक खेतों को हलों से जोतते हैं। नहरों के जल से उनको सींचते हैं और बीजों को बोते हैं।

ग्रामों के चारों तरफ फसलों से हरित भूमि होती है। परिश्रमशील ग्रामीण लोग धनधान्य उत्पन्न करते हैं। वैज्ञानिक उपकरणों की सहायता से अब कृषि व्यवसाय लाभप्रद हो गया है।

ग्रामपथिकानां ……………………………………………….. नगरेषु ॥2॥
हिन्दी अनुवाद-गाँव के पथिकों और गोपालकों का संगीत से हृदय प्रसन्न होता है। पेड़ बिना स्वार्थ के फल और छाया देते हैं। गाँव में तोता, हंस, मोर व कोयल आदि पक्षी कूजते हैं। हिरण, गाय, भैंस, बकरी, आदि पशु चरते हैं। गाँव में मनोरंजन कम खर्चीला होते है। धूल-धूसरित बालक विविध खेल खेलते हैं। जीवन की रक्षा के लिए अत्यन्त उपयोगी वायु और जल आदि गाँवों में जितने अधिक मिलते हैं, वैसे नगरों में नहीं।

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ग्राम्य-जीवनं ………………………………………………… प्रयलः विधेयः ॥3॥
हिन्दी अनुवाद-ग्राम्य जीवन सदाचार सम्पन्न और धार्मिक होता है। ग्रामवासी मन से निर्मल होते हैं। वहाँ का वातावरण स्वच्छ होता है। प्राचीनकाल में गाँवों में शिक्षालय, चिकित्सालय आदि की वैसी (UPBoardSolutions.com) सुविधा नहीं थी, जैसी आज है; तथापि यदि आजकल गाँवों में सारे साधन उपलब्ध हो जाएँ; तो ग्राम्य जीवन इससे – भी सरल और सुखकर होगी। इसके लिए गाँव के निवासियों द्वारा एक होकर प्रयत्न किया जाना चाहिए।

अभ्यासः

प्रश्न 1.
उच्चारण कुरुत पुस्तिकायां च लिखत
उत्तर
नोट-विद्यार्थी स्वयं करें।

प्रश्न 2.
एकपदेन उत्तरत
(क) कृषकाः क्षेत्राणि केन कर्षन्ति?
उत्तर
हलेन।

(ख) नि:स्वार्थमेव फलं छायाञ्च के प्रयच्छन्ति?
उत्तर
वृक्षाः।

(ग) ग्रामेषु अल्पव्ययसाध्यं किं भवति?
उत्तर
मनोरञ्जनम्।

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(घ) ग्रामनिवासिभिः सम्भूय किं विधेयम्?
उत्तर
प्रयत्न।

प्रश्न 3.
पूर्णवाक्येन उत्तरत
(क) ग्राम्यजीवनं कीदृशं भवति?
उत्तर
ग्राम्यजीवनं सुव्यवस्थितं भवति।

(ख) क्षेत्रेषु जनाः कदा कार्यं कुर्वन्ति?
उत्तर
क्षेत्रेषु जनाः प्रात:कालात् सायं पर्यंत कार्यं कुर्वन्ति।

(ग) प्राचीनकाले ग्रामेषु केषां सौविध्यं नासीत्?
उत्तर
प्राचीनकाले ग्रामेषु तथाविधं सौविध्यं नासीत्।

(घ) ग्राम्य जीवनं सुकरं कदा भविष्यति?
उत्तर
ग्राम्य जीवनं सुकरं भविष्यति, यदि सकलानि साधनानि उपलब्धानि भवयुः।

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प्रश्न 4.
मजूषातः क्रियापदानि चित्वा वाक्यानि पूरयत (पूरा करके)
उत्तर
(क) ग्राम्य जीवनं सुव्यवस्थितम् भवति।।
(ख) कृषकाः क्षेत्राणि (UPBoardSolutions.com) हेलेन कर्षन्ति।।
(ग) ग्राम शुक-कपोत-मयूर-कोकिलादयः पक्षिणः कुजन्ति।
(घ) परिश्रमशीला: ग्रामीणाः धान्यादिकम् उत्पादयन्ति।
(ङ) वायुजलादिकाः ग्रामेषु प्रचुरं लभ्यन्ते।

प्रश्न 5.
संस्कृतभाषायाम् अनुवादं कुरुते (अनुवाद करके).
(क) गाँव में लोग प्रायः स्वस्थ होते हैं।
उत्तर
अनुवाद-ग्रामे प्रायेण सर्वे स्वस्थाः भवन्ति।

(ख) गाँव कृषिप्रधान होता है।
उत्तर
अनुवाद-ग्रामः कृषिप्रधानः भवति।

(ग) किसान खेत की जुताई करता है।
उत्तर
अनुवाद-कृषक: क्षेत्रे कर्षति।

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(घ) किसान अन्न उपजाता है।
उत्तर
अनुवाद-कृषकः अन्नम्, उत्पादयति।

प्रश्न 6.
रेखाङ्कतपदानि आधृत्य प्रश्ननिर्माणं कुरुते (कंरके)
(क) ग्रामे प्रायेण सर्वे स्वस्थाः भवन्ति।
उत्तर
ग्रामे प्रायेण सर्वे कीदृशाः भवन्ति?

(ख) ग्राम परितः शस्यश्यामला धरित्री राजते।
उत्तर
ग्रामं परितः कीदृशी (UPBoardSolutions.com) धरित्री राजते?

(ग) धूलधूसरिताः बालकाः विविध क्रीड़ां कुर्वन्ति
उत्तर
धूलधूसरिता: बालकोः किं कुर्वन्ति?

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(घ) ग्रामवासिनां मनांसि निर्मलानि भवन्ति।
उत्तर
ग्रामवासिनी मनसे कीशं भवन्ति?

प्रश्न 7.
शुद्धकथनस्य समक्षम् ‘आम’ अशुद्धकथनस्य समक्षम् न’ इति लिखत लिखकर)-
उत्तर
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• नोट – विद्यार्थी शिक्षण-सङ्केत’ स्वयं करें। नवमः पाठः

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UP Board Class 8 Sanskrit Chapter 16 Amogham Tad Balidanam Question Answer

Class 8 Sanskrit Chapter 16 UP Board Solutions अमोघं तद् बलिदानम् Question Answer

कक्षा 8 संस्कृत पाठ 16 हिंदी अनुवाद अमोघं तद् बलिदानम् के प्रश्न उत्तर यूपी बोर्ड

These Solutions are part of UP Board Solutions for Class 8 Sanskrit Here we have given UP Board Solutions for Class 8 Sanskrit Chapter 16 अमोघं तद् बलिदानम्.

अमोघं तद् बलिदानम्

शब्दार्था:– अवैधरूपेण = गैर कानूनी रूप से, निरसनाय = हटाने के लिए. अतिक्रमणम् = सीमा से आगे बढ़ जाना, प्रेषणम् = भेजना, स्वशौर्येण = अपने शौर्य से, शत्रुहस्तगतानि = शत्रु के हाथ में गये हुए, आत्मरक्षणे = अपनी रक्षा में, पणीकृत्य = दाँव लगा कर, आमोघम् = सफल।

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जम्मू-कश्मीर राज्यस्व ………………………………वशीकृतवन्तः इति।
हिन्दी अनुवाद-जम्मू-कश्मीर राज्य के कारगिल क्षेत्र में सन् 2००० में मई मास से भारतीय सेना युद्ध कर रही थी। देश के उस भाग में (अवैध रूप में) अन्दर घुसने और अतिक्रमण करने वालों को रोकने के लिए (हमारे द्वारा) वह प्रयत्न किया जा रहा था।

भारत के इस भूभाग में ऐसा अतिक्रमण बहुत समय पहले से ही व्यवस्थित रीति से सोच-विचारकर शत्रुओं द्वारा आरम्भ था, ऐसा उस समय मालूम हुआ; जब जनवरी मास में ही भारतीय गुप्तचर विभाग द्वारा जम्मू-कश्मीर राज्य के कारगिल में स्थित सीमा में नियन्त्रण रेखा के पास पाकिस्तान का कोई विमान देखा गया था; (UPBoardSolutions.com) परन्तु उस विषय में (उस समय तक) हमारे द्वारा गम्भीरता से विचार नहीं किया गया था। इसके चार महीनों बाद पता चला कि आठ सौ से अधिक पाकिस्तानी सैनिकों और अफगानिस्तान के आतंकवादियों ने अतिक्रमण करके कारगिल, मष्कोह और द्रास में निर्जन पर्वत प्रदेशों पर अधिकार कर लिया।

युद्धेधे ……………………………………….. संजय कुमारः।
हिन्दी अनुवाद-युद्ध में भारतीय सैन्य बल के द्वारा अतुलनीय पराक्रम प्रदर्शित किया गया। अपने शौर्य से शत्रु द्वारा अधिकृत नौकाएँ और सैन्य-स्थल मुक्त कराये गये। कठिन परिस्थिति में और भीषण युद्ध में भारतीय सैन्य बल को विजय प्राप्त हुई। इस वीरतापूर्ण अभियान में अनेक सैनिकों ने वीरगति प्राप्त की। सैनिकों के प्राणोत्सर्ग को नमन (UPBoardSolutions.com) करके वीर सैनिक ‘परमवीर चक्र से सम्मानित किये गये। ये हैं

  1. कैप्टन मनोज कुमार पाण्डेय
  2. सूबेदार योगेन्द्र सिंह यादव
  3. कैप्टन विक्रम बत्रा
  4. राइफल मैन संजय कुमार

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शान्तिप्रियाः ………………………………………. प्रयतनीयम्।
हिन्दी अनुवाद – भारतीय शान्तिप्रिय हैं, इसमें संदेह नहीं है; परन्तु आत्म-रक्षा में हम कभी आलसी नहीं हैं। यह प्रधानमंत्री के द्वारा और दूसरों (दूसरे व्यक्तियों) के द्वारा उद्घोषित है। हम देश की रक्षा के लिए अपने प्राणों को दाँव पर लगाकर (भी) कार्य करते हैं और हम सब योद्धाओं को गौरव के साथ याद करते हैं। जिस प्रकार से उनका (UPBoardSolutions.com) आत्मबलिदान व्यर्थ (बेकार) न हो (हम) सभी को वैसा प्रयत्न करना चाहिए।

अभ्यासः

प्रश्न 1.
उच्चारणं कुरुत पुस्तिकायां च लिखत
उत्तर
नोट-विद्यार्थी स्वयं करें।

प्रश्न 2.
एकपदेन उत्तरत
(क) कारगिलस्थलं कस्मिन् राज्ये अस्ति?
उत्तर
जम्मूकश्मीर राज्ये।

(ख) भारतीयगुप्तचरविभागीयैः कस्य देशस्य विमानं दृष्टमासीत्?
उत्तर
पाकिस्तान देशस्य।

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(ग) शान्तिप्रियाः के सन्ति?
उत्तर
भारतीयः।

(घ) सगौरवं वयं कान् स्मरामः?
उत्तर
योद्धृन्।

प्रश्न 3.
एकवाक्येन उत्तरत
(क) कारगिल-युद्धं कस्मिन् वर्षे अभवत्?
उत्तर
कारगिल-युधं 2000 तमस्य वर्षे अभवत्?

(ख) पाकिस्थानस्य विमानं कुत्र दृष्टमासीत्?
उत्तर
पाकिस्थानस्य विमानं कारगिल वलये दृष्टमासीत्।

(ग) आरम्भे पाकिस्थानं किं न अङ्ग्यकरोत्?
उत्तर
आरम्भे पाकिस्थानं एतत् न अङ्ग्यकरोत् यत् ते तदीयाः सैनिकाः।

(घ) केषाम् आत्मबलिदानं व्यर्थं न भवेत्? ।
उत्तर
भारतीय सैनिकानाम् आत्मबलिदानं व्यर्थं न भवेत्।

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प्रश्न 4.
रेखांकितपदानि अवलम्व्य प्रश्ननिर्माणं कुरुत (करके)
(क) भारतीयसेनायाः पाकिस्तानसेनया सह युद्धम् अभवत्।
उत्तर
कस्य सेनायाः पाकिस्तानसेनया सह युद्धम् अभवत्।।

(ख) नियन्त्रणरेखायाः समीपे पाकिस्तानस्य विमानं दृष्टमासीत्।
उत्तर
नियन्त्रणरेखायाः समीपे पाकिस्तानस्य किं दृष्टमासीत्?

(ग) शान्तिप्रियाः भारतीयाः भवन्ति।
उत्तर
शान्तिप्रियाः के भवन्ति।

(घ) सैनिकानाम् आत्मबलिदानं व्यर्थ न स्यात्।
उत्तर
केषाम् आत्मबलिदानं व्यर्थ न स्यात्।।

प्रश्न 5.
मजूषातः पदानि चित्वा रिक्तस्थानानि पूरयत (पूरा करके)-
उत्तर
(क) सैनिकानाम् आत्मबलिदानं व्यर्थम् न भवेत्।
(ख) परम् आत्मरक्षः वयं न कदापि अलसाः इति प्रधानमन्त्रिणा अन्यैश्च उद्घोषितम्।।
(ग) शान्तिप्रियाः भारतीयाः इत्यत्र नास्ति संशयः।

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प्रश्न 6.
संस्कृते अनुवादं कुरुत (अनुवाद करके)-
उत्तर
(क) सीमाओं की रक्षा कौन करता है।
उत्तर
अनुवाद-सीमानाम् रक्षां कः करोति?

(ख) हिमालय की ऊँची चोटियाँ बर्फ से ढंकी रहती हैं।
उत्तर
अनुवाद-हिमालयस्ट उतुंगाः शिखर: हिमाच्छादिताः भवन्ति।

(ग) भारतीय शान्तिप्रिय होते हैं।
उत्तर
अनुवाद-भारतीयः शान्तिप्रियाः भवन्ति।

(घ) कारगिल युद्ध में भारत की जीत हुई।
उत्तर
अनुवाद-कारगिल युद्धे भारतं विजयी अभवत्।

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प्रश्न 7.
निम्नांकितेषु पदेषु उपसर्ग चित्वा लिखत (लिखकर)-
उत्तर
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• नोट – विद्यार्थी ‘स्मरणीयम् और शिक्षण-सङ्केत’ स्वयं करें।

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UP Board Class 8 Sanskrit Chapter 1 Ashram Question Answer

Class 8 Sanskrit Chapter 1 UP Board Solutions आश्रम: Question Answer

कक्षा 8 संस्कृत पाठ 1 हिंदी अनुवाद आश्रम: के प्रश्न उत्तर यूपी बोर्ड

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संस्कृत पीयूषम्

आश्रमः

शब्दार्थाः– पुराकले = प्राचीन काल में, अतीव = अत्यन्त, अश्वत्थः = पीपल, परिव्याप्ती = चारों ओर से ढंका, आमलकः = आँवला, पनसः = कटहल, पेरु = अमरूद, वलीवर्दः = बैल, कुर्दनम् = कूदना, चटकानाम् = चिड़ियों का, विहाय = छोड़कर, सम्प्रत्यपि = इस समय भी ।

अस्माकं प्रदेशस्य ………………………………….. वर्षति स्म ।
हिन्दी अनुवाद-हमारे प्रदेश की राजधानी लखनऊ नगर है। उस नगर के समीप नैमिषारण्य प्राचीन तीर्थस्थल अत्यन्त प्रसिद्ध है। वहाँ पहले एक आश्रम में ऋषि, मुनि, गुरु, कवि और छात्र निवास करते थे। आश्रम के विशाल परिसर में पीपल, बरगद, नींबू और अशोक वृक्षों की गहन छाया व्याप्त रहती थी। वहाँ फले वाले आम, आँवले, कटहल और अमरूद (UPBoardSolutions.com) के वृक्ष भी बहुत अधिक थे। इन वृक्षों से वहाँ पर्यावरण अत्यन्त शुद्ध था, जिनसे वहाँ शीतल वायु मन्द-मन्द लगातर बहती थी, समय-समय पर बादल बरसते थे।

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इदानीमपि तस्मिन् ………………………….. खादन्ति स्म च ।
हिन्दी अनुवाद-अभी भी उस आश्रम में गायें, बैल, घोड़े और अन्य पशु स्वतन्त्रता से चरते हैं। पेड़ों पर बन्दरों का कूदना, चिड़ियों का चहकना, मोरों का नाचना और मुर्गी की तालध्वनियाँ दर्शकों को आनन्द देती हैं।

उस आश्रम के निकट गोमती नदी बहती है । उसको निर्मल जेल सब आश्रमवासी लोग पीते हैं । पहले पशु और पक्षी विरोध छोड़कर एक ही घाट पर पानी पीते थे, एक जगह रहते थे और वहीं खाते थे।

तत्र छात्राणां …………………………………. आसन्
हिन्दी अनुवाद-वहाँ छात्रों के लिए ये नियम थे- प्रातः सूर्योदय से पहले उठना चाहिए, नदी में स्नान करना चाहिए, संध्या वन्दना करनी चाहिए, ईश्वर का नमन करना चाहिए, एक साथ खाना चाहिए। इसके बाद (UPBoardSolutions.com) पढ़ने के लिए कक्षाओं में जाना चाहिए । आश्रम के इन नियमों को सब छात्र अच्छी तरह से पालन करते थे।

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संप्रत्यपि आश्रमोऽयं ………………………….. भवेत् ।
हिन्दी अनुवाद-आज-कल भी यह आश्रम छात्रों को अच्छे संस्कार देता है । वहाँ जातिगत भेदभाव बिना सब निवास करते हैं। स्वास्थ्य के संवर्धन के लिए वहाँ व्यायाम, योग की प्राकृतिक चिकित्सा और शिक्षण प्रचलित है और वह आश्रम त्याग, तपस्या, परोपकार, उदारता की शिक्षा देता है। इस प्रकार के आश्रम आजकल सब जगह होने चाहिए।

अभ्यासः

प्रश्न 1.
उच्चारणं कुरुत पुस्तिकायां च लिखत-
उत्तर
नोट-विद्यार्थी स्वयं करें।

प्रश्न 2.
एकपदेन उत्तरत-
(क) आश्रमस्य समीपे का नदी प्रवहति?
उत्तर
गोमती नदी

(ख) काले काले कः वर्षति स्मः ?
उत्तर
मेघः

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(ग) वृक्षेषु कस्य कूर्दनम् आनन्दं ददाति?
उत्तर
वानरस्य

(घ) आश्रमे भेदभावं विना के निवसन्ति?
उत्तर
छात्राः

प्रश्न 3.
प्रश्नानाम् उत्तराणि लिखत
(क) आश्रमे स्वच्छन्द के के विचरन्ति?
उत्तर
धेनवः, बलिवर्दाः, अश्वाः , अन्ये च।

(ख) स्वास्थ्यसंवर्धनाय आश्रमे किं किं भवति ?
उत्तर
नाना विधानाः व्यायामाः।

(ग) छात्राणां कृते आश्रमे के के नियमाः आसन् ?
उत्तर
छात्राणां कृते एते नियमाः आसन्- प्रातः सूर्योदयात् पूर्वम् उत्थातव्यम्, नद्यां स्नानं कर्तव्यम्, सन्ध्या वन्दनं करणीयम्, ईश्वरः नमनीयः सहैव खादनीयं ततः पठनाय कक्षायां गन्तव्यम् । एतान् आश्रमनियमान् सर्वे छात्रीः सम्यक् प्रत्यापालयन।

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(घ) आश्रमः किं किं शिक्षयति?
उत्तर
आश्रमः त्याग, तपस्या, परोपकार, उदारतां च शिक्षयति ।

प्रश्न 4.
उचित मेलनं कृत्वा लिखत ( मिलान करके)
उत्तर
UP Board Solutions for Class 8 Sanskrit Chapter 1 आश्रम img-1

प्रश्न 5.
अधोलिखित पदानां सन्धि-विच्छेदं कुरुत (करके)
उत्तर
UP Board Solutions for Class 8 Sanskrit Chapter 1 आश्रम img-2
प्रश्न 6.
उदाहरणानुसारं पदरचनां कुरुत (रचना करके)
उत्तर
UP Board Solutions for Class 8 Sanskrit Chapter 1 आश्रम img-3
प्रश्न 7.
विचिन्त्य उत्तराणि लिखत-
(क) फलदायकानां पञ्चवृक्षाणां नामानि लिखत।
उत्तर
आम्रम्, पनसः, पेरुवृक्षाः, कदली, नारिकेलः।

(ख) अनुस्वारसन्धियुक्तानि पञ्चवाक्यानि लिखत।।
उत्तर

  1. अस्माकं प्रदेशस्य सीतापुरजनपदे नैमिषारण्यं प्राचीनं तीर्थस्थलम् अतीव प्रसिद्धम् अस्ति। तत्र पुरा काले एकस्मिन् आश्रमे ऋषयः मुनयः गुरवः कवयः छात्राश्च निवसन्ति स्म।
  2. आश्रमस्य विशाले परिसरे अश्वत्थ-वट-निम्बाशोक-वृक्षाणां गहना छाया परिव्याप्तासीत्। तत्र फलशालिनः आम्राऽऽमलक-पनस-पेरुवृक्षाः अपि विपुलाः आसन्।।
  3. एभिः वृक्षैः तत्र पर्यावरणम् अत्यन्तं शुद्धमासीत्, येन शीतलाः वायवः मन्द-मन्दं निरन्तरं वहन्ति स्म, काले-काले च मेघः वर्षति स्म। इदानीमपि तस्मिन् आश्रमे धेनवः बलीवर्दाः अश्वाः (UPBoardSolutions.com) अन्ये च पशवः स्वच्छन्दं चरन्ति।
  4. वृक्षेषु कपीनां कूर्दनम्, चटकानां कूजनम् मयूराणां नर्तनम् दर्शकेभ्यः आनन्दं ददति। तस्याश्रमस्य सपीपे गोमती नदी प्रवहति। तस्याः निर्मलं जलं सर्वे आश्रमवासिनः पिबन्ति स्म। आश्रमे पशवः पक्षिणश्च विरोधं विहाय एकस्मिन् घट्टे पानीयम् पिबन्ति स्म, एकत्र वसन्ति स्म, तत्रैव खादन्ति स्म च।
  5. तस्मिन् आश्रमे पाठशालायां बालकाः बालिकाश्च सहैवापठन्।

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(ग) जीवने वृक्षाणाम् उपयोगं लिखत।
उत्तर
जीवने वृक्षाणां बहु उपयोगं अस्ति। एभिः विना जीवनः असम्भवः। वृक्षैः पर्यावरणं रक्षितम्। पर्यावरणेन सृष्टिं रक्षितम्। सृष्ट्याः पृथिवी रक्षिता।।

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UP Board Class 8 Sanskrit Chapter 7 Subhashitani Question Answer

Class 8 Sanskrit Chapter 7 UP Board Solutions सभाषितानि Question Answer

कक्षा 8 संस्कृत पाठ 7 हिंदी अनुवाद सभाषितानि के प्रश्न उत्तर यूपी बोर्ड

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सभाषितानि

शब्दार्था:-निजः = अपना, परः = पराया, दूसरे का, लघुचेतसाम् = छोटे चित वालों को, अनुदार लोगों को, वसुधैव = सम्पूर्ण पृथ्वी ही, कुटुम्बकम् = परिवार (है), परवशम् = दूसरों के वश में होना, आत्मवशम् = अपने अधीन, समासेन = संक्षेप में, विद्यात् = जानना चाहिए, समर्थस्य = भरे-पूरे,, सशक्त के लिए, दिवा = दिन में, धीमताम् = बुद्धिमानों का, व्यसनेन = बुरी आदतों के द्वारा, निद्रयो । = सोने से, कलहेन = लड़ाई झगड़ा से, सुचिका = सुईं, कृपाण = तलवार, देहिनः = जीव का, अविद्यः = विद्याहीन, वपुषा = शरीर से।

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अयं निजः ………………………………………………. कुटुम्बकम् ॥1॥
हिन्दी अनुवाद-यह अपना है या यह पराया है. यह विचार छोटे मन वालों का है। उदारहदय वालों के लिए तो सारी पृथ्वी ही परिवार है।

सर्व परदशं ……………………………………………….. सुख दुःखयो ॥2॥
हिन्दी अनुद-दुसरा के वश में होना दुख है. अपने वश में होना (UPBoardSolutions.com) सुख है। संक्षेप में इस तरह | सुख दुख दोनों के न उड़द हिंए।

वृथा वृष्टिः ……………………….. …..दिवापि च ॥3॥
हिन्दी अनुवाद-समुद्र में वर्षा होना बेकार है। तृप्त को भोजन देना बेकार है। शक्तिशाली अर्थात् | धनवान को दान देना बेकार है और दिन में दीपक जलाना बेकार है।

काव्यशास्त्रविनोदेन …………………………………………. कलहेन वा 4॥
हिन्दी अनुवाद-बुद्धिमान लोगों को समय साहित्य की चर्चा या वाद-विवाद में (व्याख्या) बीतता है; जबकि मूर्खा का समय निंदा, कलह या झगड़ने में बीतता है।

महान्तं ……………………………………………………. करिष्यति ॥5॥
हिन्दी अनुवांद-सद्बुद्धि के महान होने पर किसी को छोटा (तुच्छ) नहीं समझना चाहिए। क्योंकि जहाँ पर सूई का काम है (वहाँ) तलवार क्या काटेगी, (अर्थात् कुछ कार्य ऐसे होते हैं जिनमें तुच्छ व्यक्ति ही सफल हो पता है।

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किं कुलेन …………………………………………………… परिपूज्यते ॥6॥
हिन्दी अनुवाद-जीव के विद्याहीन होने से बड़े कुल का होने पर भी कोई लाभ नहीं विद्यावान की संसार में पूजा होती है, विद्याहीन की नहीं (होती है)।

वेशेन वपुषा ……………………………………………………………….. पूजितः ॥7॥
हिन्दी अनुवाद-अच्छे वेश, वपुष अर्थात् शरीर, वाणी, विद्या (UPBoardSolutions.com) और विनय इन पाँचों वकारों से युक्त मनुष्य की पूजा होती है।

अभ्यासः

प्रश्न 1.
उच्चारणं कुरुते पुस्तिकायां च लिखते
उत्तर
नोट-विद्यार्थी स्वयं करें।

प्रश्न 2.
एकपदेन उत्तरत
(क) उदारचरितानां कृते सम्पूर्णा वसुधा किम् अस्ति?
उत्तर
कुटुम्बकम्

(ख) अयं निजः परो वेति कः गणयति?
उत्तर
लघुचेतसः

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(ग) समुद्रेषु वृष्टिः कीदृशी भवति?
उत्तर
वृथा।

(घ) विद्वान् कुत्र पूज्यते?
उत्तर
लोके।

प्रश्न 3.
प्रश्नानामुत्तराणि लिखत (लिखकर)
(क) सुखदुःखयो किं लक्षणम् अस्ति?
उत्तर
सर्वमात्मवशं सुखम् सर्वं परवशं दुःखम् अस्ति।

(ख) पञ्चवकाराः के सन्ति।
उत्तर
वेशः, वपुषः, वाचा, विद्या विनयं च पञ्च वकाराः सन्ति।

(ग) धीमतां कालः कथं गच्छति।
उत्तर
धीमताम् कालः काव्यशास्त्रविनोदेन गच्छति।

(घ) दीपः वृथा कदा भवति।
उत्तर
दीप वृथा दिवसे भवति।

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प्रश्न 4.
लघुचक्र मध्ये चत्वारि क्रियापदानि सन्ति। तानि द्विधा दीर्घचक्रस्थवाक्यांशैः प्रयुज्य सार्थकवाक्यानि रचयत
उत्तर
UP Board Solutions for Class 8 Sanskrit Chapter 7 सभाषितानि img-1

प्रश्न 5.
मञ्जूषातः-पदानि चित्वो वाक्यानि पूरयत (पूरा करके)
उत्तर
यथा- उदारचरितानाम तु वसुधैव कुटुम्बकम्।।
(क) वृथा वृष्टिः समुद्रेषु।।
(ख) महान्तं प्राप्य सदबुद्धी।
(ग) मूर्खाणां समयः व्यसनेन निद्रया कलहेन गच्छति।
(घ) वेशेन वपुषा वाचाः विद्यया विनयेन च।।

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प्रश्न 6.
विलोमपदानि योजयत (जोड़कर)
उत्तर
UP Board Solutions for Class 8 Sanskrit Chapter 7 सभाषितानि img-2

प्रश्न 7.
हिन्दीभाषायाम् अनुवादं कुरुत (अनुवाद करके)
(क) सर्वं परवशं दुःखम् सर्वमात्मवशं सुखम्।
उत्तर
अनुवाद-किसी के वश में रहना दुख और स्वतन्त्र रहना ही सुख है।

(ख) वृथा तृप्तस्य भोजनम्।।
उत्तर
अनुवाद-तृप्त व्यक्ति को खिलाना व्यर्थ है।

(ग) महान्तं प्राप्य सद्बुद्ध।
उत्तर
अनुवाद-सद्बुद्धि के महान होने पर (किसी) को तुच्छ (छोटी नहीं समझना चाहिए।

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(घ) विद्यावान् पूज्यते लोके नाविद्यः परिपूज्यते।
उत्तर
अनुवाद-विद्यावान की पूजा संसारभर में होती है; मूर्ख की नहीं।

• नोट – विद्यार्थी ‘ध्यातव्यम!’ स्वयं करें। अष्टमः पाठः

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UP Board Class 8 Sanskrit Chapter 15 Geetavachnamritani Question Answer

Class 8 Sanskrit Chapter 15 UP Board Solutions गीतावचनामृतानि Question Answer

कक्षा 8 संस्कृत पाठ 15 हिंदी अनुवाद गीतावचनामृतानि के प्रश्न उत्तर यूपी बोर्ड

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गीतावचनामृतानि

शब्दार्थाः-परम् = सबसे बड़े, वेत्ता = जानकार, वेद्यम् = जानने योग्य, ततम् = फैलाया, ग्लानिः = हानि, अभ्युत्थानम् = बढ़ना, वृधि, आत्मानम् = अपने आपको, सृजामि = पैदा करता हूँ, प्रकट करता है, परित्राणाय = रक्षा करने के लिए, दुष्कृताम् = पापियों के, संस्थापनार्थाय = स्थापना के लिए, सम्भवामि = उत्पन्न होता हूँ, कर्मणि = कर्म में, कदाचन = कभी, सङ्गः = आसक्ति, अकर्मणि = अकर्म में, वासांसि = कपड़े, जीर्णानि = पुराने, विहाय = त्यागकर, छोड़कर, अपराणि = दूसरे, संयाति = जाता है, प्रवेश करता है, देही = आत्मा, (जो शरीर में रहे), एनम् = इसको (आत्मा को), छिन्दन्ति = काटते हैं, शस्त्राणि = हथियार, दहति = जलाता है, आपः = जल, क्लेदयन्ति = गीला । करता है, शोषयति = सुखाता है, युज्यस्व = तैयार हो जाओ, अवाप्स्यसि = पाओगे, प्राप्त करोगे। |

त्वमदिदेवः ……………………………… विश्वमनन्तरूप ॥1॥
हिन्दी अनुवाद-तुम आदिदेव और पुराण पुरुष हो। तुम संसार के परम (UPBoardSolutions.com) आधार हो। तुम जानने वाले और ज्ञान के योग्य हो और परमधाम हो। हे अनन्तरूप! तुमसे सारा विश्व व्याप्त है।

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यदा यदा हि ………………………………………………… सृजाम्यहम् ॥2॥
हिन्दी अनुवाद-(श्रीकृष्ण भगवान ने कहा) हे अर्जुन! जब-जब धर्म की ग्लानि (हानि) और अधर्म की वृद्धि होती है, तब-तब मैं धर्म की स्थापना करने के लिए स्वयं प्रकट होता हूँ।

परित्राणाय ………………………………………….. युगे युगे ॥3॥
हिन्दी अनुवाद-सज्जनों की रक्षा और दुष्टों का विनाश करने तथा धर्म की सम्यक् स्थापना के लिए मैं युग-युग में जन्म लेता हूँ।

कर्मण्येवाधिकारस्ते…………………………………. संगोऽस्वकर्मणि ॥4॥
हिन्दी अनुवाद-(श्रीकृष्ण भगवान ने कहा) तुम्हारा अधिकार केवल कर्म करने में है, फलों पर। नहीं है; अतः तुम कर्मों के फल की चिन्ता मत करो और न ही तुम्हारा अकर्म में लगाव हो।

वासांसि ………………………………………………………. नवानि देहि॥5॥
हिन्दी अनुवाद-हे अर्जुन! जिस प्रकार, व्यक्ति पुराने वस्त्रों को त्यागकर (UPBoardSolutions.com) नए वस्त्र धारण करता है, उसी प्रकार, यह आत्मा पुराने शरीर को त्यागकर अन्य नए शरीर को धारण करती है। |

नैनं छिन्दन्ति …………………………………… शोषयति मारुतः ॥6॥
हिन्दी अनुवाद-हे अर्जुन! इस आत्मा को न तो शस्त्र काट सकते हैं, न आग जला सकती है, न जल गीला कर सकता है और न ही वायु सुखा सकती है।

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सुखेदुःखे समे ………………………………………. पापमवाप्स्यसि ॥7॥
हिन्दी अनुवाद-हे अर्जुन! सुख-दुख, लाभ-हानि और हार-जीतं को समान मानकर युद्ध के लिए तैयार हो जाओ। इस प्रकार पाप को प्राप्त नहीं होगे अर्थात् पापी नहीं होगे।

अभ्यासः

प्रश्न 1.
उच्चारणं कुरुत पुस्तिकायां च लिखत-
उत्तर
नोट-विद्यार्थी स्वयं करें।

प्रश्न 2.
एकपदेन उत्तरत
(क) पुराणः पुरुषः कः?
उत्तर
श्री कृष्णः |

(ख) अस्माकं कुत्र अधिकारः अस्ति?
उत्तर
कर्मणि।

(ग) केषां परित्राणाय ईश्वरः अस्ति?
उत्तर
साधूनां।

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(घ) शस्त्राणि कं न छिन्दन्ति?
उत्तर
आत्मानम्।

प्रश्न 3.
एकवाक्येन उत्तरत
(क) परमात्मा आत्मानं कदा सृजति?
उत्तर
परमात्मा आत्मानं अभ्युत्थानमधर्मस्य सृजति।

(ख) व म् आपः न क्लेदयन्ति?
उत्तर
आत्मानम् आपः ने क्लेदयन्ति।

(ग) जीर्णानि शरीराणि विहाय कः संयाति?
उत्तर
जीर्णानि शरीराणि विहाय आत्मा संयाति।

(घ) पावकः कं न दहति?
उत्तर
पावकः आत्मानं न दहति।

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प्रश्न 4.
निम्नाकित-पदेषु सन्धिं कृत्वा तस्य नाम लिखत ( लिखकर )-
                            सन्धिः                                     नाम
उत्तर
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प्रश्न 5.
अधोलिखित-पदेषु शब्दं विभक्तिं वचनं च लिखत (लिखकर)
उत्तर
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प्रश्न 6.
अधोलिखित-विशेष्यैः सह विशेषणानि योजयत ( जोड़कर)-
उत्तर
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प्रश्न 7
संस्कृतभाषायाम् अनुवादं कुरुत (अनुवाद करके)
(क) जल इसको गीला नहीं करता है।
उत्तर
अनुवाद-आपः एनं न क्लेदयन्ति।।

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(ख) धर्म की स्थापना के लिए मैं जन्म लेता हूँ।
उत्तर
अनुवाद-धर्मसंस्थापनार्थाय अहं सम्भवामि।

(ग) सुख-दुख को समान मानकर युद्ध के लिए तैयार हो।
उत्तर
अनुवाद-सुखदु:खे समे (UPBoardSolutions.com) कृत्वा युद्धाय युज्यम्व।

• नोट – विद्यार्थी ‘स्मरणीयम और शिक्षण-सङ्रकेत’ स्वयं करें।

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