UP Board Solutions for Class 9 English Grammar Chapter 19 Appendixes

UP Board Solutions for Class 9 English Grammar Chapter 19 Appendixes

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WORD OF TEN CONFUSED
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EXERCISE : 1
Use the following in sentences so as to bring out the difference in meaning :
(a) Affect, effect
(b) Lose, loose
(c) Complement, compliment
(d) Council, counsel
(e) Waste, waist
(f) Tell, tale
(g) Eminent, imminent
(h) Accede, exceed
(i) Rage, raise
(j) Ascent, assent

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EXERCISE : 2
Use the following in sentences so as to bring out the difference in meaning :
(a) Cite, site
(b) site, sight
(c) alter, altar
(d) loose, lose
(e) wave, waive
(f) feet, feat
(g) complement, compliment
(h) soar, sore.

EXERCISE : 3
Use the following in sentences so as to bring out the difference in meaning :
(a) Eligible, illegible
(b) wait, weight
(c) stair, stare
(d) human, humane
(e) rein, reign.

EXERCISE : 4
Use the following in sentences so as to bring out the difference in meaning :
(a) Raise, raze
(b) adapt, adopt
(c) vale, wail
(d) beside, besides.

EXERCISE : 5
Use the following in sentences so as to bring out the difference in meaning :.
(a) seize, siege
(b) course, coarse
(c) team, teem
(d) vary, weary
(e) pain, pane.

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UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 15 Probability

UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 15 Probability (प्रायिकता)

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प्रश्नावली 15.1

प्रश्न 1.
एक क्रिकेट मैच में, एक महिला बल्लेबाज खेली गई 30 गेंदों में 6 बार चौका मारती है। चौका न मारे जाने की प्रायिकता ज्ञात कीजिए।
हल :
महिला बल्लेबाज द्वारा 30 गेंदें खेली गईं।
यहाँ चौका मारे जाने की कुल सम्भावनाएँ 30 हैं। चौका लगने के अनुकूल परिणाम 6 हैं।
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अतः महिला बल्लेबाज द्वारा चौका न मारे जाने की प्रायिकता [latex]\frac { 4 }{ 5 }[/latex] है।

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प्रश्न 2.
2 बच्चों वाले 1500 परिवारों का यदृच्छया चयन किया गया है और निम्नलिखित आँकड़े लिख लिए गए हैं :
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 15 Probability img-2
यदृच्छयो चुने गए उस परिवार की प्रायिकता ज्ञात कीजिए, जिसमें
(i) दो लड़कियाँ हों,
(ii) एक लड़की हो,
(iii) कोई लड़की न हो।
साथ ही, यह भी जाँच कीजिए कि इन प्रायिकताओं का योगफल 1 है या नहीं।
हल :
यहाँ पर कुल परिवार = 1500
(i) 2 लड़कियों वाले परिवारों के अनुकूल परिणाम 475 हैं।
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प्रश्न 3.
नवीं कक्षा के 40 विद्यार्थियों से उनके जन्म का महीना बताने के लिए कहा गया। इस प्रकार प्राप्त आँकड़ों से निम्नलिखित आलेख बनाया गया।
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कक्षा के किसी एक विद्यार्थी का जन्म अगस्त में होने की प्रायिकता ज्ञात कीजिए।
हल :
दिए गए आलेख को देखने से स्पष्ट है कि अगस्त में जन्म लेने वाले विद्यार्थियों की संख्या 06 है।
यहाँ यदृच्छया चुने गए किसी विद्यार्थी के जन्म का माह अगस्त होना एक घटना है जिसके अनुकूल परिणाम 06 हैं और कुल सम्भावित परिणाम अर्थात कक्षा में विद्यार्थियों की संख्या 40 हैं।
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प्रश्न 4.
तीन सिक्कों को एक साथ 200 बार उछाला गया है तथा इनमें विभिन्न परिणामों की बारम्बारताएँ ये हैं :
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यदि तीनों सिक्कों को पुनः एक साथ उछाला जाए, तो दो चित के आने की प्रायिकता ज्ञात कीजिए।
हल :
यहाँ कुल उछाल = 200
तथा 2 चित आने की विधियाँ = 72
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प्रश्न 5.
एक कम्पनी ने यदृच्छया 2400 परिवार चुनकर एक घर की आय स्तर और वाहनों की संख्या के बीच सम्बन्ध स्थापित करने के लिए उनका सर्वेक्षण किया। एकत्रित किए गए आँकड़े नीचे सारणी में दिए गए हैं :
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मान लीजिए एक परिवार चुना गया है। प्रायिकता ज्ञात कीजिए कि चुने गए परिवार
(i) की आय ₹ 10000-13000 प्रतिमाह है और उसके पास ठीक-ठीक दो वाहन हैं।
(ii) की आय प्रतिमाह ₹ 16000 या इससे अधिक है और उसके पास ठीक 1 वाहन है।
(iii) की आय ₹ 7000 प्रतिमाह से कम है और उसके पास कोई वाहन नहीं है।
(iv) की आय ₹ 13000-16000 प्रतिमाह है और उसके पास 2 से अधिक वाहन हैं।
(v) जिसके पास 1 से अधिक वाहन नहीं है।
हल :
एक कम्पनी द्वारा चुने गए कुल परिवारों की संख्या = 2400
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प्रश्न 6.
निम्न सारणी में विद्यार्थियों के प्राप्तांक और उनकी संख्या दी गई है :
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(i) गणित की परीक्षा में एक विद्यार्थी द्वारा 20% से कम अंक प्राप्त करने की प्रायिकता ज्ञात कीजिए।
(ii) एक विद्यार्थी द्वारा 60 या इससे अधिक अंक प्राप्त करने की प्रायिकता ज्ञात कीजिए।
हल :
(i) परीक्षण हेतु चयनित विद्यार्थी = 90
20% से कम अंक प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों की संख्या = 7
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प्रश्न 7.
सांख्यिकी के बारे में विद्यार्थियों का मत जानने के लिए 200 विद्यार्थियों का सर्वेक्षण किया गया। प्राप्त आँकड़ों को नीचे दी गई सारणी में लिख लिया गया है :
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 15 Probability img-13
प्रायिकता ज्ञात कीजिए कि यदृच्छया चुना गया विद्यार्थी
(i) सांख्यिकी पसन्द करता है।
(ii) सांख्यिकी पसन्द नहीं करता है।
हल :
सांख्यिकी के बारे में सर्वेक्षण के लिए चुने गए विद्यार्थियों की संख्या = 200
मत जाना गया कि 135 विद्यार्थी सांख्यिकी पसन्द करते हैं और 65 विद्यार्थी इसे पसन्द नहीं करते।
एक विद्यार्थी यदृच्छया चुना जाता है।
(i) तब सांख्यिकी पसन्द करने के अनुकूल प्रेक्षण = 135
और सांख्यिकी पसन्द करने के कुल सम्भावित प्रेक्षण = 200
अत: चयनित छात्र के सांख्यिकी पसन्द करने की प्रायिकता P(E)
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प्रश्न 8.
40 इंजीनियरों की उनके आवास से कार्यस्थल की दूरियाँ (किमी में) निम्नलिखित हैं :
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इसकी आनुभविक प्रायिकता क्या होगी कि इंजीनियर
(i) अपने कार्यस्थल से 7 किमी से कम दूरी पर रहते हैं?
(ii) अपने कार्यस्थल से 7 किमी या इससे अधिक दूरी पर रहते हैं?
(iii) अपने कार्यस्थल से 3 किमी या इससे कम दूरी पर रहते हैं?
हल :
इंजीनियरों की कुल संख्या = 40
कार्यस्थल से 7 किमी से कम दूरी पर आवास वाले इंजीनियरों की संख्या = 9
कार्यस्थल से 7 किमी या अधिक दूरी पर आवास वाले इंजीनियरों की संख्या = 40 – 9 = 31
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प्रश्न 9.
क्रियाकलाप : अपने विद्यालय के गेट के सामने से एक समय-अन्तराल में गुजरने वाले दो पहिया, तीन पहिया और चार पहिया वाहनों की बारम्बारता लिख लीजिए। आप द्वारा देखे गए वाहनों में से किसी एक वाहन का दो पहिया वाहन होने की प्रायिकता ज्ञात कीजिए।
हल :
निम्न प्रारूप पर सूचना एकत्र कीजिए :
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सारणी से, कुल सम्भावित परिणाम (N) = x + y + z = 244 + 110 + 56 = 410
तथा दो पहिया वाहनों की संख्या (x) = 244
तब, गुजरने वाले वाहन के दो पहिया वाहन होने की प्रायिकता = [latex]\frac { x }{ N }[/latex] = [latex]\frac { 244 }{ 410 }[/latex] = 0.59
नोट : विद्यार्थी अपनी सुविधा से आँकड़े ले सकते हैं।

प्रश्न 10.
क्रियाकलाप : आप अपनी कक्षा के विद्यार्थियों से एक 3 अंक वाली संख्या लिखने को कहिए। आप कक्षा से एक विद्यार्थी को यदृच्छया चुन लीजिए। इस बात की प्रायिकता क्या होगी कि उसके द्वारा लिखी गई संख्या 3 से भाज्य है? याद रखिए कि कोई संख्या 3 से भाज्य होती है, यदि उसके अंकों का योग 3 से भाज्य हो।
हल :
तीन अंकों वाली संख्याएँ 100 से प्रारम्भ होकर 999 तक हैं। 100 से 999 तक के बीच कुल सम्भावित संख्याएँ 900 हैं। इन नौ सौ संख्याओं में प्रत्येक तीसरी संख्या 3 से विभाज्य होगी।
इस प्रकार 3 अंकों वाली कुल संख्याएँ = 900
3 से विभाज्य 3 अंकों वाली कुल संख्याएँ = [latex]\frac { 900 }{ 3 }[/latex] = 300
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प्रश्न 11.
आटे की उन ग्यारह थैलियों में, जिन पर 5 किग्रा अंकित है, वास्तव में आटे के निम्नलिखित भार (किग्रा में ) हैं :
4.97, 5.06, 5.08 5.03, 5.00, 5.06, 5.08 4.98, 5.04 5.07, 5.00 यदृच्छया चुनी गई एक थैली में 5 किग्रा से अधिक आटा होने की प्रायिकता क्या होगी?
हल :
आटे की 11 थैलियों के भार (किग्रा में) :
4.97, 4.98 5.00, 5.00, 5.03, 5.04, 5.06, 5.06, 5.07, 5.08, 5.08,
स्पष्ट है कि 7 थैलियों का आटा 5 किग्रा से अधिक है।
यहाँ यदृच्छया थैली का चुनना एक घटना है जिसकी कुल सम्भावित संख्या 11 है और थैली के 5 किग्रा से अधिक होने की सम्भावनाएँ 7 हैं।
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प्रश्न 12.
एक नगर में वायु में सल्फर डाइऑक्साइड का सान्द्रण भाग प्रति मिलियन [parts per million (ppm)] में ज्ञात करने के लिए एक अध्ययन किया गया। 30 दिनों के प्राप्त किए गए आँकड़े ये हैं
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किसी एक दिन वर्ग अन्तराल (0.12 – 0.16) में सल्फर डाइऑक्साइड के सान्द्रण होने की प्रायिकता ज्ञात कीजिए।
हल :
निम्नतम सान्द्रण = 0.01
उच्चतम सान्द्रण = 0.22
आँकड़ों का परिसर = 0.22 – 0.01 = 0.21
वर्ग की आमाप = 0.16 – 0.12 = 0.04
वर्गों की संख्या = [latex]\frac { 0.21 }{ 0.04 }[/latex] + 1 = 5 + 1 = 6
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प्रश्न 13.
आठवीं कक्षा के 30 विद्यार्थियों के रक्त समूह ये हैं :
A, B, O, O, AB, O, A, O, B, A, O, B, A, O, O, A, AB, O, A, A, O, O, AB, B, A, O, B, A, B, O.
कक्षा से यदृच्छया चुने गए एक विद्यार्थी का रक्त समूह AB होने की प्रायिकता ज्ञात कीजिए।
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UP Board Solutions for Class 9 Hindi Chapter 3 गुरु नानकदेव (गद्य खंड)

UP Board Solutions for Class 9 Hindi Chapter 3 गुरु नानकदेव (गद्य खंड)

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विस्तृत उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. निम्नलिखित गद्यांशों में रेखांकित अंशों की सन्दर्भ सहित व्याख्या और तथ्यपरक प्रश्नों के उत्तर दीजिये-
(1) आकाश में जिस प्रकार षोडश कला से पूर्ण चन्द्रमा अपनी कोमल स्निग्ध किरणों से प्रकाशित होता है, उसी प्रकार मानव चित्त में भी किसी उज्ज्वल प्रसन्न ज्योतिपुंज का आविर्भाव होना स्वाभाविक है। गुरु नानकदेव ऐसे ही षोडश कला से पूर्ण स्निग्ध ज्योति महामानव थे । लोकमानस में अर्से से कार्तिकी पूर्णिमा के साथ गुरु के आविर्भाव को सम्बन्ध जोड़ दिया गया है। गुरु किसी एक ही दिन को पार्थिव शरीर में (UPBoardSolutions.com) आविर्भूत हुए होंगे, पर भक्तों के चित्त में वे प्रतिक्षण प्रकट हो सकते हैं। पार्थिव रूप को महत्त्व दिया जाता है, परन्तु प्रतिक्षण आविर्भूत होने को आध्यात्मिक दृष्टि से अधिक महत्त्व मिलना चाहिए। इतिहास के पण्डित गुरु के पार्थिव शरीर के आविर्भाव के विषय में वादविवाद करते रहें, इस देश का सामूहिक मानव चित्त उतना महत्त्व नहीं देता।
प्रश्न
(1)
उपर्युक्त गद्यांश का संदर्भ लिखिए।
(2) रेखांकित अंशों की व्याख्या कीजिए।
(3) लेखक की दृष्टि में गुरु के पार्थिव शरीर के आविर्भाव के स्थान पर किसको महत्त्व मिलना चाहिए?
(4) चन्द्रमा कितनी कलाओं से परिपूर्ण होता है?
(5) कार्तिक पूर्णिमा का सम्बन्ध किस महामानव से है?
[शब्दार्थ-लोकमानस = जनता का मन। अर्से से = बहुत समय से। आविर्भाव = उत्पत्ति, जन्म। पार्थिव = पृथ्वी सम्बन्धी, भौतिक स्थूल।]

उत्तर-

  1. सन्दर्भ- प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘हिन्दी गद्य’ के ‘गुरु नानकदेव’ पाठ से उधृत किया गया है। इसके लेखक संस्कृत एवं हिन्दी के मूर्द्धन्य विद्वान् आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी हैं। नियत गद्यांश में आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी ने गुरु नानकदेव के जन्म-दिन का महत्त्व बताते हुए उनके प्रति भक्तों की असीम श्रद्धा को व्यक्त किया है। गुरु तो भक्तों के हृदय में प्रतिक्षण प्रकट होते रहते हैं-इस भावना का सहज आध्यात्मिक रूप प्रस्तुत किया है। ।
  2. रेखांकित अंशों की व्याख्या- प्रस्तुत गद्यांश में लेखक ने यह बताया है कि आकाश में जिस प्रकार सोलह कलाओं से युक्त चन्द्रमा प्रकाशित होता है ठीक उसी प्रकार मानव के मस्तिष्क में किसी ज्योतिपुंज का उत्पन्न होना अत्यन्त स्वाभाविक है। गुरुनानक देव ऐसे ही सोलह कलाओं से युक्त स्निग्ध ज्योति महामानव थे। हमारे देश की जनता बहुत समय से गुरु नानकदेव के जम को कार्तिक महीने की पूर्णिमा के दिन मनाती आ रही है। गुरु नानकदेव तो किसी एक ही दिन अपने भौतिक शरीर से प्रकट हुए होंगे, (UPBoardSolutions.com) किन्तु श्रद्धालु भक्तगणों के हृदय में तो वे सदैव ही आध्यात्मिक रूप से प्रकट होते रहते हैं। यद्यपि भौतिक रूप से जन्म लेने को महत्त्व दिया जाता रहा है, फिर भी प्रतिक्षण आध्यात्मिक दृष्टि से जन्म लेने का अधिक महत्त्व समझा जाना चाहिए-ऐसी लेखक का मत है। यद्यपि इतिहास के विद्वानों के मत में उनकी जन्म-तिथि सम्बन्धी विवाद है, किन्तु इस देश की जनता का सामूहिक मन इस बात पर विशेष ध्यान नहीं देता। उसके मन में जो जन्म सम्बन्धी धारणा बन गयी है, उसके लिए वही सत्य है। उसे तो इसके माध्यम से अपने गुरु को पूजना है, सो वह कार्तिक पूर्णिमा को पूज लेता है।
  3. लेखक की दृष्टि में गुरु के पार्थिव शरीर के आविर्भाव के स्थान पर उनके आध्यात्मिकता को महत्त्व मिलना चाहिए।
  4. चन्द्रमा षोडश कलाओं से परिपूर्ण होता है।
  5. कार्तिक पूर्णिमा का सम्बन्ध महामानव गुरु नानकदेव से है।

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(2) गुरु जिस किसी भी शुभ क्षण में चित्त में आविर्भूत हो जायँ, वही क्षण उत्सव का है, वही क्षण उल्लसित कर देने के लिएपर्याप्त है।
नवो नवो भवसि जायमानः- गुरु, तुम प्रतिक्षण चित्तभूमि में आविर्भूत होकर नित्य नवीन हो रहे हो। हजारों वर्षों से शरत्काल की यह सर्वाधिक प्रसन्न तिथि प्रभामण्डित पूर्णचन्द्र के साथ उतनी ही मीठी ज्योति के धनी महामानव का स्मरण कराती रही है। इस चन्द्रमा के साथ महामानवों का सम्बन्ध (UPBoardSolutions.com) जोड़ने में इस देश का समष्टि चित्त, आह्लाद अनुभव करता है। हम ‘रामचन्द्र’, ‘कृष्णचन्द्र’ आदि कहकर इसी आह्लाद को प्रकट करते हैं। गुरु नानकदेव के साथ इस पूर्णचन्द्र का सम्बन्ध जोड़ना भारतीय जनता के मानस के अनुकूल है। आज वह अपना आह्लाद प्रकट करती है।
प्रश्न
(1)
उपर्युक्त गद्यांश का संदर्भ लिखिए।
(2) रेखांकित अंशों की व्याख्या कीजिए।
(3) शरदकाल की यह तिथि किसकी याद कराती रही है?
(4) उत्सव का क्षण कौन-सा है?
(5) शरद पूर्णिमा किसका स्मरण कराती है? |
[शब्दार्थ-उत्सव =त्योहार, उल्लास। उल्लसित = हर्षित । नव = नया। जायमानः = जन्म लेनेवाला । चित्तभूमि = चित्त या मन में। नवीन = नया।]

उत्तर- 

  1. सन्दर्भ- प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘हिन्दी गद्य’ के ‘गुरु नानकदेव’ नामक पाठ से उद्धृत है। इसके लेखक आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी जी हैं। प्रस्तुत गद्यांश में आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी ने गुरु की महिमा की ओर संकेत करते हुए कहा है कि मन में जब कभी भी गुरु प्रकट हो जायँ वही क्षण हर्षित कर देनेवाला होता है।
  2. रेखांकित अंशों की व्याख्या- लेखक का मत है कि गुरु जिस किसी भी शुभ मुहूर्त में हृदय में उत्पन्न हो जायँ वही समय वही मुहूर्त आनन्द का है, प्रसन्नता का है। वह ऐसा समय है जो जीवन में हर्षोल्लास भर देनेवाला होता है। परमात्मा की ये महान् विभूतियाँ प्रतिक्षण भक्तों के हृदय (UPBoardSolutions.com) में जन्म लेकर नित्य नया रूप धारण करती रहती हैं। सच है कि गुरु तो हर क्षण चित्तभूमि अर्थात् मन में उत्पन्न होकर नये-नये होते रहते हैं। भक्तों के लिए ऐसा हर क्षण उत्सव का है, उल्लास का है। हजारों वर्षों से शरदकाल की यह तिथि प्रभामंडित पूर्णचन्द्र के साथ उस महामानव का याद कराती रही है। इस चन्द्रमा के साथ महामानवों का तादात्म्य करने से इस देश का समष्टि चित्त प्रसन्नता का अनुभव करता है। हम लोग ‘रामचन्द्र कृष्णचन्द्र इत्यादि कहकर इसी प्रसन्नता का अनुभव करते हैं। गुरु नानकदेव के साथ इस पूर्णचन्द्र का सम्बन्ध जोड़ना भारतीय जन-मानस के अत्यन्त अनुकूल है। आज भारतीय जनता गुरु नानकदेव को स्मरण (UPBoardSolutions.com) करके प्रसन्नता का अनुभव करती है।
  3. शरदकाल की यह तिथि प्रभामंडित पूर्णचन्द्र के साथ गुरुनानक जी की याद कराती रही है।
  4. गुरु जिस किसी भी शुभ क्षण में चित्त में आविर्भूत हो जायँ, वह क्षण उत्सव का है।
  5. शरद पूर्णिमा महामानव गुरु नानकदेव का स्मरण कराती है।

(3) विचार और आचार की दुनिया में इतनी बड़ी क्रान्ति ले आनेवाला यह सन्त इतने मधुर, इतने स्निग्ध, इतने मोहक वचनों को बोलनेवाला है। किसी का दिल दुखाये बिना, किसी पर आघात किये बिना, कुसंस्कारों को छिन्न करने की शक्ति रखनेवाला, नयी संजीवनी धारा से प्राणिमात्र (UPBoardSolutions.com) को उल्लसित करनेवाला यह सन्त मध्यकाल की ज्योतिष्क मण्डली में अपनी निराली शोभा से शरत् पूर्णिमा के पूर्णचन्द्र की तरह ज्योतिष्मान् है। आज उसकी याद आये बिना नहीं रह सकती। वह सब प्रकार से लोकोत्तर है। उसका उपचार प्रेम और मैत्री है। उसका शास्त्र सहानुभूति और हित-चिन्ता है।
प्रश्न
(1)
उपर्युक्त गद्यांश का संदर्भ लिखिए। |
(2) रेखांकित अंशों की व्याख्या कीजिए।
(3) गुरुनानक जी का उपचार क्या है?
(4) क्रान्ति लाने वाले यहाँ किस सन्त का वर्णन है?
(5) शरद पूर्णिमा के पूर्ण चन्द्र की तरह कौन ज्योतिष्मान है?

उत्तर-

  1. सन्दर्भ- प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘हिन्दी गद्य’ के ‘गुरु नानकदेव’ नामक पाठ से उद्धृत है। इसके लेखक आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी जी हैं। इन पंक्तियों में गुरु नानकदेव के महान् व्यक्तित्व और उनकी महत्ता पर प्रकाश डाला गया है।
  2. रेखांकित अंशों की व्याख्या- गुरु नानकदेव एक महान् सन्त थे। उनके समय के समाज में अनेक प्रकार की बुराइयाँ विद्यमान थीं । समाज का आचरण दूषित हो चुका था। इन बुराइयों को दूर करने और सामाजिक आचरणों में सुधार लाने के लिए गुरु नानकदेव ने न तो किसी की निन्दा की और न ही तर्क-वितर्क द्वारा किसी की विचारधारा का खपडन किया। उन्होंने अपने आचरण और मधुर वाणी से ही दूसरों के विचारों और आचरण में परिवर्तन करने का प्रयास किया और इस दृष्टि से उन्होंने आश्चर्यजनक सफलता प्राप्त की। बिना किसी का दिल दुखाये और बिना किसी को किसी प्रकारे की चोट पहुँचाये, उन्होंने दूसरों के बुरे संस्कारों को नष्ट कर दिया। उनकी सन्त वाणी को सुनकर दूसरों का हृदय हर्षित हो जाता था और लोगों को नवजीवन प्राप्त होता था। लोग उनके उपदेशों को जीवनदायिनी औषध की भाँति ग्रहण करते थे। (UPBoardSolutions.com) मध्यकालीन सन्तों के बीच गुरु नानकदेव इसी प्रकार प्रकाशमान दिखायी पड़ते हैं, जैसे आकाश में आलोक बिखेरने वाले नक्षत्रों के मध्य; शरद पूर्णिमा का चन्द्रमा शोभायमान होता है । विशेषकर शरद पूर्णिमा के अवसर पर ऐसे महान् सन्त का स्मरण हो आना स्वाभाविक है। वे सभी दृष्टियों से एक अलौकिक पुरुष थे। प्रेम और मैत्री के द्वारा ही वे दूसरों की बुराइयों को दूर करने में विश्वास रखते थे। दूसरों के प्रति सहानुभूति का भाव रखना और उनके कल्याण के प्रति चिन्तित रहना ही उनका आदर्श था। गुरु नानकदेव का सम्पूर्ण जीवन, उनके इन्हीं आदर्शों पर आधारित था।
  3. गुरुनानक जी का उपचार प्रेम और मैत्री है।
  4. क्रान्ति लाने वाले यहाँ सन्त गुरु नानकदेव का वर्णन है।
  5. शरद पूर्णिमा पूर्ण चन्द्र की तरह गुरु नानकदेव ज्योतिष्मान हैं?

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(4) किसी लकीर को मिटाये बिना छोटी बना देने का उपाय है बड़ी लकीर खींच देना। क्षुद्र अहमिकाओं और अर्थहीन संकीर्णताओं की क्षुद्रता सिद्ध करने के लिए तर्क और शास्त्रार्थ का मार्ग कदाचित् ठीक नहीं है। सही उपाय है बड़े सत्य को प्रत्यक्ष कर देना। गुरु नानक ने यही किया। उन्होंने जनता को बड़े-से-बड़े सत्य के सम्मुखीन कर दिया, हजारों दीये उस महाज्योति के सामने स्वयं फीके पड़ गये।।
प्रश्न
(1) उपर्युक्त गद्यांश का संदर्भ लिखिए।
(2) रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए।
(3) हजारो दीये किसके सामने स्वयं फीके पड़ गये?
(4) छोटी लकीर के सामने बड़ी लकीर खींच देने की क्या तात्पर्य है?
(5) अहमिकाओं और कार्यहीन संकीर्णताओं की क्षुद्रता सिद्ध करने का सही उपाय क्या है?
[शब्दार्थ-क्षुद्र = तुच्छ, छोटा। अहमिकाओं = अहंकार की भावनाएँ। संकीर्णता = हृदय का छोटापन। कदाचित् = कभः। सम्मुखीन = सामने।]

उत्तर-

  1. सन्दर्भ- प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘हिन्दी गद्य’ में संकलित एवं आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी द्वारा लिखित ‘गुरु नानकदेव’ नामक निबन्ध से अवतरित है। इन पंक्तियों में लेखक ने व्यक्त किया है कि गुरु नानकदेव ने महान् सत्य का उद्घाटन करके संसार की भौतिक वस्तुओं को सहज ही तुच्छ सिद्ध कर दिया है।
  2. रेखांकित अंशों की व्याख्या- हम किसी रेखा को मिटाये बिना यदि उसे छोटा करना चाहते हैं तो उसका एक ही उपाय है कि उस रेखा के पास उससे बड़ी रेखा खींच दी जाय। ऐसा करने पर पहली रेखा स्वयं छोटी प्रतीत होने लगेगी। इसी प्रकार यदि हम अपने मन के अहंकार और तुच्छ भावनाओं को दूर करना चाहते हैं, तो उसके लिये भी हमें महानता की बड़ी लकीर खींचनी होगी। अहंकार, तुच्छ भावना, संकीर्णता आदि को शास्त्रज्ञान के आधार पर वाद-विवाद करके या तर्क देकर छोटा नहीं किया (UPBoardSolutions.com) जा सकता; उसके लिये व्यापक और बड़े सत्य का दर्शन आवश्यक है। इसी उद्देश्य से मानव-जीवन की संकीर्णताओं और क्षुद्रताओं को छोटा सिद्ध करने के लिए गुरु नानकदेव ने जीवन की महानता को प्रस्तुत किया। गुरु की वाणी ने साधारण जनता को परम सत्य का प्रत्यक्ष अनुभव कराया। परमसत्य के ज्ञान एवं प्रत्यक्ष अनुभव से अहंकार और संकीर्णता आदि इस प्रकार तुच्छ प्रतीत होने लगे, जैसे महाज्योति के सम्मुख छोटे दीपक आभाहीन हो जाते हैं। गुरु की वाणी ऐसी महाज्योति थी, जिसने जन साधारण के मन से अहंकार, क्षुद्रता, संकीर्णता आदि के अन्धकार को दूर कर उसे दिव्य ज्योति से प्रकाशित कर दिया।
  3. हजारों दीये गुरु नानकदेव की महाज्योति के सामने फीके पड़ गये।
  4. किसी लकीर को मिटाये बिना छोटी बना देने का उपाय है बड़ी लकीर खींच देना।
  5. अहमिकाओं और अर्थहीन संकीर्णताओं की क्षुद्रता सिद्ध करने के लिए सही उपाय है बड़े सत्य को प्रत्यक्ष कर देना।

(5) भगवान् जब अनुग्रह करते हैं तो अपनी दिव्य ज्योति ऐसे महान् सन्तों में उतार देते हैं। एक बार जब यह ज्योति मानव देह को आश्रय करके उतरती है तो चुपचाप नहीं बैठती। वह क्रियात्मक होती है, नीचे गिरे हुए अभाजन लोगों को वह प्रभावित करती है, ऊपर उठाती है। वह उतरती है और ऊपर उठाती है। इसे पुराने पारिभाषिक शब्दों में कहें तो कुछ इस प्रकार होगा कि एक ओर उसका ‘अवतार’ होता है, (UPBoardSolutions.com) दूसरी ओर औरों का उद्धार होता है। अवतार और उद्धार की यह लीला भगवान् के प्रेम का सक्रिय रूप है, जिसे पुराने भक्तजन ‘अनुग्रह’ कहते हैं। आज से लगभग पाँच सौ वर्ष से पहले परम प्रेयान् हरि का यह ‘अनुग्रह’ सक्रिय हुआ था, वह आज भी क्रियाशील है। आज कदाचित् गुरु की वाणी र सबसे अधिक तीव्र आवश्यकता अनुभूत हो रही है।
प्रश्न
(1)
उपर्युक्त गद्यांश का संदर्भ लिखिए।
(2) रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए।
(3) भगवान के प्रेम में क्या सक्रिय रूप है?
(4) सन्तजन क्या कार्य करते हैं?
(5) अनुग्रह का क्या तात्पर्य है?
[शब्दार्थ-अनुग्रह = कृपा, उपकार। दिव्य ज्योति = आलोकित प्रकाश। आश्रय = आधार, सहारा। अभाजन = अयोग्य।]

उत्तर-

  1. सन्दर्भ- प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘हिन्दी गद्य’ में संकलित एवं आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी द्वारा लिखित ‘गुरु नानकदेव’ नामक निबन्ध से अवतरित है। लेखक ने यह स्पष्ट किया है कि गुरु नानक जैसे महान् सन्तों में ईश्वर अपनी ज्योति अवतरित करते हैं और ये महान् सन्त इस ज्योति के सहारे गिरे हुए लोगों को ऊपर उठाते हैं।
  2. रेखांकित अंशों की व्याख्या- द्विवेदी जी का मत है कि जब संसार पर ईश्वर की विशेष कृपा होती है तो उसकी अलौकिक ज्योति किसी सन्त के रूप में इस संसार में अवतरित होती है। तात्पर्य यह है कि ईश्वर अपनी दिव्य ज्योति को किसी महान् सन्त के रूप में प्रस्तुत करके उसे इस जगत् का उद्धार करने के लिए पृथ्वी पर भेजता है। वह महान् सन्त ईश्वर की ज्योति से आलोकित होकर संसार का मार्गदर्शन करता है। ईश्वर निरीह लोगों के कष्टों को दूर करना चाहता है, इसलिए उसकी यह (UPBoardSolutions.com) दिव्य-ज्योति मानव-शरीर प्राप्त करके चैन से नहीं बैठती, वरन् अपने उद्देश्य की पूर्ति के लिए सक्रिय हो उठती है। मानव रूप में जब भी ईश्वर अवतार लेता है, तभी इस विश्व का उद्धार तथा कल्याण होता है। प्राचीन भक्ति-साहित्य में ईश्वर की दिव्य ज्योति का मानव रूप में जन्म ‘अवतार और उद्धार’ कहा गया है। इस दिव्य ज्योति का ‘अवतार’ अर्थात् उतरना होता है और सांसारिक प्राणियों का उद्धार’ अर्थात् ऊपर उठना होता है। आचार्य द्विवेदी अन्त में कहते हैं कि ईश्वर का अवतार लेना और प्राणियों का उद्धार करना ईश्वर के प्रेम का सक्रिय रूप है। भक्तजन इसे ईश्वर की विशेष कृपा मानकर ‘अनुग्रह’ की संज्ञा बताते हैं।
  3. भगवान् के प्रेम में अवतार और उद्धार की यह लीला सक्रिय रूप है।
  4. सन्तजन लोगों का उद्धार करते हैं।
  5. भगवान का अवतार लेकर गिरे जनों का उद्धार करने की लीला को अनुग्रह. करते हैं।

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(6) महागुरु, नयी आशा, नयी उमंग, नये उल्लास की आशा में आज इस देश की जनता तुम्हारे चरणों में प्रणति निवेदन कर रही है। आशा की ज्योति विकीर्ण करो, मैत्री और प्रीति की स्निग्ध धारा से आप्लावित करो। हम उलझ गये हैं, भटक गये हैं, पर कृतज्ञता अब भी हम में रह गयी है। आज भी हम तुम्हारी अमृतोपम वाणी को भूल नहीं गये हैं। कृतज्ञ भारत को प्रणाम अंगीकार करो।
प्रश्न
(1)
उपर्युक्त गद्यांश का संदर्भ लिखिए।
(2) रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए।
(3) ‘कृतज्ञ भारत का प्रणाम अंगीकार करो’ का क्या मतलब है?
(4) कृतज्ञता से आप क्या समझते हैं?
(5) लेखक गुरु से किस प्रकार की ज्योति विकीर्ण करने का निवेदन कर रहा है?
[शब्दार्थ-विकीर्ण = प्रसारित । स्निग्ध = पवित्र। अमृतोपम = अमृत के समान । अंगीकार = स्वयं में समाहित, स्वीकार ।]

उत्तर-

  1. सन्दर्भ- प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘हिन्दी गद्य’ में संकलित एवं आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी द्वारा लिखित ‘गुरु नानकदेव’ नामक निबन्ध से अवतरित है। यहाँ लेखक ने गुरु नानकदेव के व्यक्तित्व पर प्रकाश डालते हुए उनके ति श्रद्धा का भाव व्यक्त किया है।
  2. रेखांकित अंशों की व्याख्या- लेखक गुरु से प्रार्थना करता है कि वे भटके हुए भारतवासियों के हृदय में प्रेम, मैत्री एवं सदाचार का विकास करके उनमें नयी आशा, नये उल्लास व नयी उमंग का संचार करें। इस देश की जनता उनके चरणों में अपना प्रणाम निवेदन करती है। लेखक का कथन है कि वर्तमान समाज में रहनेवाले भारतवासी कामना, लोभ, तृष्णा, ईष्र्या, ऊँचनीच, जातीयता (UPBoardSolutions.com) एवं साम्प्रदायिकता जैसे दुर्गुणों से ग्रसित होकर भटक गये हैं, फिर भी इनमें कृतज्ञता का भाव विद्यमान है। इस कृतज्ञता के कारण ही आज भी ये भारतवासी आपकी अमृतवाणी को नहीं भूले हैं। हे गुरु! आप कृतज्ञ भारतवासियों के प्रणाम को स्वीकार करने की कृपा करें।
  3. कृतज्ञ भारत का प्रणाम अंगीकार करो का मतलब आप कृतज्ञ भारतवासियों के प्रणाम को स्वीकार करने की कृपा करे।
  4. किसी के उपकार को अंगीकार करके सम्मान देना और उसके प्रति न्यौछावर होना कृतज्ञता है।
  5. लेखक गुरु से आशा की ज्योति विकीर्ण करने का निवेदन कर रहा है।

प्रश्न 2. आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी का जीवन-परिचय बताते हुए उनकी कृतियों पर प्रकाश डालिए।

प्रश्न 3. आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी के जीवन एवं साहित्यिक परिचय का उल्लेख कीजिए।

प्रश्न 4. आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी की साहित्यिक विशेषताएँ बताते हुए उनकी भाषा-शैली पर अपने विचार प्रकट कीजिए। अथवा डॉ० हजारीप्रसाद द्विवेदी का साहित्यिक परिचय देते हुए उनकी रचनाओं का उल्लेख कीजिए।

डॉ० हजारीप्रसाद द्विवेदी
( स्मरणीय तथ्य )

जन्म-सन् 1907 ई०। मृत्यु-18 मई, 1979 ई० । जन्म-आरत दुबे का छपरा, जिला बलिया (उ० प्र०) में। शिक्षा-इण्टर, ज्योतिष तथा साहित्य में आचार्य।
रचनाएँ-‘हिन्दी साहित्य की भूमिका’, ‘सूर साहित्य’, ‘कबीर’, ‘अशोक के फूल’, ‘बाणभट्ट की आत्मकथा’, ‘हिन्दी साहित्य का इतिहास’, विचार और वितर्क’, ‘विश्व-परिचय’, ‘लाल कनेर’, ‘चारु चन्द्रलेख’।
वर्य-विषय- भारतीय संस्कृति का इतिहास, ज्योतिष साहित्य, विभिन्न धर्म तथा सम्प्रदाय। ।
शैली- सरल तथा विवेचनात्मक।

  • जीवन-परिचय- डॉ० हजारीप्रसाद द्विवेदी का जन्म बलिया जिले के ‘आरत दुबे का छपरा’ नामक ग्राम में एक प्रतिष्ठित सरयूपारीण ब्राह्मण-परिवार में सन् 1907 ई० में हुआ था। इनकी शिक्षा का प्रारम्भ संस्कृत से ही हुआ था। सन् 1930 ई० में इन्होंने काशी विश्वविद्यालय से ज्योतिषाचार्य की परीक्षा उत्तीर्ण की और उसी वर्ष प्रधानाध्यापक होकर शान्ति निकेतन चले गये। सन् 1940 ई० से 1950 ई० तक वे वहाँ हिन्दी भवन के डायरेक्टर के पद पर काम करते रहे; तदुपरान्त वे काशी विश्वविद्यालय (UPBoardSolutions.com) में हिन्दी-विभाग के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त हुए। लखनऊ विश्वविद्यालय ने इनकी हिन्दी की महत्त्वपूर्ण सेवाओं के लिए 1949 ई० में इन्हें डी० लिट्० की उपाधि प्रदान की। सन् 1957 ई० में इनकी विद्वत्ता पर इन्हें ‘पद्मभूषण’ की उपाधि से अलंकृत किया गया। 1960 ई० में ये चण्डीगढ़ विश्वविद्यालय में विभागाध्यक्ष होकर चले गये और वहाँ से सन् 1968 ई० में पुन: काशी विश्वविद्यालय में ‘डायरेक्टर’ होकर आ गये। कुछ दिन तक उत्तर प्रदेश ग्रन्थ अकादमी के अध्यक्ष पद पर कार्य करने के उपरान्त 18 मई, 1979 ई० को इनका देहावसान हो गया।
  • कृतियाँ
    1. आलोचना- ‘सूर-साहित्य’, ‘हिन्दी-साहित्य की भूमिका’, ‘हिन्दी-साहित्य का आदिकाल’, ‘कालिदास की लालित्ययोजना’, ‘सूरदास और उनका काव्य’, ‘कबीर’, ‘हमारी साहित्यिक समस्याएँ’, ‘साहित्य का मर्म’, ‘भारतीय वाङ्मय’, ‘साहित्यसहचर’, ‘नखदर्पण में हिन्दी-कविता’ आदि।
    2. निबन्ध-संग्रह- अशोक के फूल’, ‘कुटज’, ‘विचार-प्रवाह’, ‘विचार और वितर्क’, ‘कल्पलता’, ‘आलोक-पर्व’ आदि।
    3. उपन्यास- ‘बाणभट्ट की आत्मकथा’, ‘चारु चन्द्रलेख’, ‘पुनर्नवा’ तथा ‘अनामदास का पोथा’।
    4. अनूदित साहित्य- ‘प्रबन्ध-चिन्तामणि’, ‘पुरातन-प्रबन्ध-संग्रह’, ‘प्रबन्ध-कोष’, ‘विश्व-परिचय’, ‘लाल कनेर’, ‘मेरा वचन’ आदि। द्विवेदी जी मूल रूप से शुक्ल जी की परम्परा के आलोचक होते हुए भी आलोचना-साहित्य में अपनी एक मौलिक दिशा प्रदान करते हैं।
    5. साहित्यिक परिचय- आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी जी में मौलिक रूप से साहित्य का सृजन करने की योग्यता बाल्यकाल से ही विद्यमान थी। इन्होंने अपने बाल्यकाल में ही व्योमकेश शास्त्री से कविता लिखने की कला सीखनी प्रारम्भ कर दी थी। धीरे-धीरे साहित्य-जगत् इनकी विलक्षण सृजन-प्रतिभा से परिचित होने लगा। शान्ति-निकेतन पहुँचकर इनकी (UPBoardSolutions.com) साहित्यिक प्रतिभा और भी अधिक निखरने लगी । बंगला साहित्य से भी वे बहुत अधिक प्रभावित थे। इनकी बहुमुखी साहित्यिक प्रतिभा विभिन्न क्षेत्रों में प्रकट हुई । ये उच्चकोटि के शोधकर्ता, निबन्धकार, उपन्यासकार और आलोचक थे । इन्होंने अनेक विषयों पर उत्कृष्ट कोटि के निबन्धों तथा नवीन शैली पर आधारित उपन्यासों की रचना की। विशेष रूप से वैयक्तिक एवं भावात्मक निबन्धों की रचना करने में द्विवेदी जी अद्वितीय थे। ये ‘उत्तर प्रदेश ग्रन्थ अकादमी’ के अध्यक्ष और हिन्दी संस्थान’ के उपाध्यक्ष भी रहे। इनकी सुप्रसिद्ध कृति ‘कबीर’ पर इन्हें ‘मंगला प्रसाद पारितोषिक’ तथा ‘सूर-साहित्य’ पर ‘इन्दौर साहित्य समिति’ से ‘स्वर्ण पदक प्राप्त हुआ था।
    6. भाषा और शैली- द्विवेदी जी की भाषा संस्कृतनिष्ठ शुद्ध खड़ीबोली है। इनकी भाषा के दो रूप हैं। निबन्ध में जहाँ संस्कृत के सरल तत्सम शब्दों का प्रयोग हुआ है वहीं उर्दू, फारसी, बंगला और देशज शब्दों के भी प्रयोग मिलते हैं। द्विवेदी जी की शैली में अनेकरूपता है। उसमें बुद्धि-तत्त्व के साथ-साथ हृदय–तत्त्व का भी समावेश है। उनकी शैली को गवेषणात्मक शैली (UPBoardSolutions.com) (नाथसम्प्रदाय जैसे सांस्कृतिक निबन्धों में), आलोचनात्मक शैली, व्यावहारिक आलोचनाओं में, भावात्मक शैली (ललित और आत्मव्यंजक निबन्धों में), व्याख्यात्मक शैली (दार्शनिक विषयों के स्पष्टीकरण में), व्यंग्यात्मक शैली (हास्य-व्यंग्य सम्बन्धी निबन्धों में तथा ललित निबन्धों में), कथात्मक शैली (उपन्यासों और संस्मरणात्मक निबन्धों में) आदि छह कोटियों में विभक्त किया जा सकता है।

उदाहरण

  1. गवेषणत्मिक शैली- कार्तिक पूर्णिमा इस देश की बहुत पवित्र तिथि है। इस दिन सारे भारतवर्ष में कोई-न-कोई उत्सव, मेला, स्नान या अनुष्ठान होता है।” – गुरु नानकदेव
  2. आलोचनात्मक शैली- “अद्भुत है गुरु की बानी की सहज बोधक शक्ति। कहीं कोई आडम्बर नहीं, कोई बनाव नहीं, सहज हृदय से निकली हुई सहज प्रभावित करने की अपार शक्ति है।” – गुरु नानकदेव
  3. भावात्मक शैली- “दुरन्त जीवन शक्ति है। कठिन उपदेश है। जीना भी एक कला है लेकिन कला ही नहीं तपस्या है। जियो तो प्राण ढाल दो जिन्दगी में, जीवन रस के उपकरणों में ठीक है।” – कुटज
  4. व्याख्यात्मक शैली- “किसी लकीर को मिटाये बिना छोटी बना देने का उपाय है बड़ी लकीर खींच देना।” – गुरु नानकदेव
  5. व्यंग्यात्मक शैली- “इस गिरिकूट बिहारी का नाम क्या है? मन दूर-दूर तक उड़ रहा है-देश में और काल में-‘मनोरथमनार्नगतिनं विद्यते’ अचानक याद आया-अरे यह तो ‘कुटज’ है।” – कुटज
  6. कथात्मक शैली- ‘यह जो मेरे सामने कुटज का लहराता पौधा खड़ा है वह नाम व रूप दोनों में अपनी अपराजेय जीवनी शक्ति की घोषणा कर रहा है।” – कुटज

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. अपने समकालीन सन्तों से गुरु नानकदेव किस प्रकार भिन्न एवं विशिष्ट हैं?
उत्तर- अपने समकालीन सन्तों से गुरु नानकदेव भिन्न थे। उन्होंने प्रेम का संदेश दिया है। उनके लिए संन्यास तथा गृहस्थ दोनों समान हैं।

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प्रश्न 2. अनुग्रह का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- भगवान् जब अनुग्रह करते हैं तो अपनी दिव्य ज्योति ऐसे महान् सन्तों में उतार देते हैं। एक बार जब यह ज्योति मानव देह को आश्रय करके उतरती है तो चुपचाप नहीं बैठती है। वह क्रियात्मक होती है, नीचे गिरे हुए अभाजन जनों को वह प्रभावित करती है, ऊपर उठाती है।

प्रश्न 3. ‘गुरु नानकदेव’ पाठ की भाषा-शैली पर तीन वाक्य लिखिए। |
उत्तर-
गुरु नानकदेव पाठ की भाषा अत्यन्त सरल एवं प्रवाहमान है। इसमें उर्दू, फारसी, अंग्रेजी एवं देशज शब्दों का भी प्रयोग हुआ है। यत्र-तत्र मुहावरेदार भाषा का भी प्रयोग हुआ है। भाषा शुद्ध, संस्कृतनिष्ठ खड़ीबोली है। शैली अत्यन्त सरल एवं आकर्षक है।

प्रश्न 4. गुरु नानक की ‘सहज-साधना’ से सम्बन्धित लेखक के विचार संक्षेप में लिखिए।
उत्तर- गुरु नानक जी ‘सहज-साधना’ के पक्षधर थे। वे आडम्बर में विश्वास नहीं करते थे। सहज जीवन बड़ी कठिन साधना है। सहज भाषा बड़ी बलवती आस्था है।

प्रश्न 5. गुरु नानकदेव’ के आविर्भाव काल को दर्शाते हुए उनमें आनेवाली समस्याओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर- गुरु नानकदेव का आविर्भाव आज से लगभग पाँच सौ वर्ष पूर्व हुआ। आज से पाँच सौ वर्ष पूर्व देश अनेक कुसँस्कारों से जकड़ा हुआ था। जातियों, (UPBoardSolutions.com) सम्प्रदायों, धर्मों और संकीर्ण कुलाभिमानों से वह खण्ड-विच्छिन्न हो गया था। इस विषम परिस्थितियों में महान् गुरु नानकदेव ने सुधा लेप का काम किया।

प्रश्न 6. किन तथ्यों के आधार पर लेखक ने कार्तिक पूर्णिमा को पवित्र तिथि बताया है?
उत्तर- कार्तिक पूर्णिमा भारत की बहुत पवित्र तिथि है। इस दिन सारे भारतवर्ष में कोई-न-कोई उत्सव, मेला, स्नान या अनुष्ठान होता है। शरद्काल का पूर्ण चन्द्रमा इस दिन अपने पूरे वैभव पर होता है । आकाश निर्मल, दिशाएँ प्रसन्न, वायुमण्डल शांत, पृथ्वी हरी-भरी, जल प्रवाह मृदु-मन्थर हो जाता है।

प्रश्न 7. गुरु नानकदेव द्वारा दिये गये जनता के सन्देश को अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर- गुरु नानक ने प्रेम का सन्देश दिया है। उनका कथन था कि ईश्वर नाम के सम्मुख जाति और कुल के बन्धन निरर्थक हैं क्योंकि मनुष्य जीवन का जो चरम प्राप्तव्य है (UPBoardSolutions.com) वह स्वयं प्रेमरूप है। प्रेम ही उसका स्वभाव है, प्रेम ही उसका साधन है। गुरु नानक जी बाह्य आडम्बर में विश्वास नहीं करते थे। उन्होंने अभिमान से दूर रहने का संदेश दिया।

प्रश्न 8. कार्तिक पूर्णिमा क्यों प्रसिद्ध है? तर्कसंगत उत्तर दीजिए।
उत्तर- कार्तिक पूर्णिमा के दिन महान् गुरु नानकदेव का जन्म-दिवस मनाया जाता है, इसलिए कार्तिक पूर्णिमा प्रसिद्ध है।

प्रश्न 9. गुरु नानकदेव पाठ से दस सुन्दर वाक्य लिखिए। |
उत्तर- कार्तिक पूर्णिमा इस देश की बहुत पवित्र तिथि है। इस दिन सारे भारतवर्ष में कोई-न-कोई उत्सव, मेला, स्नान या अनुष्ठान होता है । शरदकाल का पूर्ण चन्द्रमा इस दिन अपने पूरे वैभव पर होता है। गुरु नानकदेव षोडश कला से पूर्ण स्निग्ध ज्योति महामानव थे! भारतवर्ष की मिट्टी में युग (UPBoardSolutions.com) के अनुरूप महापुरुषों को जन्म देने का अद्भुत गुण है। गुरु नानक ने प्रेम का संदेश दिया है। ईश्वर नाम के सम्मुख जाति और कुल का बन्धन निरर्थक है। प्रेम मानव का स्वभाव है। किसी लकीर को मिटाये बिना छोटी बना देने का उपाय है बड़ी लकीर खींच देना। सहज जीवन बड़ी कठिन साधना है। सहज भाषा बड़ी बलवती आस्था है।

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प्रश्न 10. गुरु नानकदेव के गुणों को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- गुरु नानक ने प्रेम का संदेश दिया। नानक जी जाति-पाँति में विश्वास नहीं करते थे। वे बाह्य आडम्बर से दूर थे। उनकी दृष्टि में संन्यास लेना आवश्यक नहीं है। वे अभिमान से दूर रहना चाहते थे। उन्होंने अहंकार से दूर रहने को संदेश दिया।

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी के दो उपन्यासों के नाम लिखिए।
उत्तर- आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी के दो उपन्यास-पुनर्नवा और चारुचन्द्र लेख हैं।

प्रश्न 2. निम्नलिखित में से सही वाक्य के सम्मुख सही (√) का चिह्न लगाइए –
(अ) कार्तिक पूर्णिमा के साथ गुरु के आविर्भाव का सम्बन्ध जोड़ दिया गया है।    (√)
(ब) गुरु नानक ने प्रेम का संदेश दिया है।                                                          (√)
(स) आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी द्विवेदी युग के लेखक हैं।                                 (×)
(द) सीधी लकीर खींचना आसान काम है।                                                         (×)

प्रश्न 3. आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी किस युग के लेखक हैं?
उत्तर- आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी शुक्लोत्तर युग के लेखक थे।

प्रश्न 4. ‘कबीर’ नामक रचना पर हजारीप्रसाद द्विवेदी को कौन-सा पारितोषिक प्राप्त हुआ?
उत्तर- ‘कबीर’ पर हजारीप्रसाद द्विवेदी को मंगलाप्रसाद पारितोषिक प्राप्त हुआ।

प्रश्न 5. गुरु नानकदेव का आविर्भाव कब हुआ था?
उत्तर- गुरु नानकदेव का आविर्भाव आज से लगभग पाँच सौ वर्ष पूर्व हुआ था।

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व्याकरण-बोध

प्रश्न 1. निम्नलिखित में सन्धि-विच्छेद करते हुए सन्धि का नाम लिखिए –
उत्तर-  कुलाभिमान, सर्वाधिक, अनायास, लोकोत्तर, अमृतोपम।

कुलाभिमान  –  कुल + अभिमान    –    दीर्घ सन्धि
सर्वाधिक      –   सर्व + अधिक        –   
दीर्घ सन्धि
अनायास      –   अन + आयास       –    
दीर्ध सन्धि
लोकोत्तर      –   लोक + उत्तर         –    
गुण सन्धि
अमृतोपम     –  अमृत + उपम        –   
गुण सन्धि

प्रश्न 2निम्नलिखित समस्त पदों का समास-विग्रह कीजिए तथा समास का नाम लिखिए –
अर्थहीन, महापुरुष, स्वर्णकमल, चित्रभूमि, प्राणधारा।
उत्तर-
अर्थहीन      –  अर्थ से हीन             –   करण तत्पुरुष
महापुरुष    –  महान् है पुरुष जो    –   
कर्मधारय
स्वर्णकमल – स्वर्णरूपी कमल       –   
कर्मधारय
चित्रभूमि     –  चित्रों से युक्त भूमि   –   
करण तत्पुरुष
प्राणधारा    – प्राणरूपी धारा          –   कर्मधारय

प्रश्न 3. निम्नलिखित शब्दों का प्रत्यय अलग कीजिए –
अवतार, संजीवनी, स्वाभाविक, महत्त्व, प्रहार, उल्लसित
उत्तर –
शब्द          –     प्रत्यय
अवतार       –        र
संजीवनी     –      अनी
स्वाभाविक –       इक
महत्त्व        –       त्व
प्रहार         –        र
उल्लसित   –       इत

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UP Board Solutions for Class 9 English Suplementary Reader Chapter 2 The Swan and the Princes (A Play)

UP Board Solutions for Class 9 English Suplementary Reader Chapter 2 The Swan and the Princes (A Play)

These Solutions are part of UP Board Solutions for Class 9 English. Here we have given UP Board Solutions for Class 9 English Suplementary Reader Chapter 2 The Swan and the Princes (A Play)

(A)  SHORT ANSWER TYPE QUESTIONS AND THEIR ANSWERS
Answer the following questions in not more than 25 words each :

Question 1.
Whom did Dev Datt shoot down?
देवदत्त ने किस पर निशाना लगाया?
Answer:
Dev Datt shot down a swan and it fell on the ground near the prince.
देवदत्त ने हंस को निशाना लगाया और वह जमीन पर राजकुमार के पास गिर पड़ा।

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Question 2.
What was the complaint of Dev Dott against Sidhartha?
सिद्धार्थ के विरूद्ध देवदत्त की क्या शिकायत थी
Answer:
Dev Datt complained against Sidhartha that he shot down a swan and it fell on the ground. He (Sidhartha) picked it up and said that he would not give it to him.
देवदत्त ने सिद्धार्थ के विरुद्ध शिकायत की कि उसने एक हंस (UPBoardSolutions.com) को निशाना लगाया और वह जमीन पर गिर पड़ा। उन्होंने (सिद्धार्थ ने) उसे उठा लिया और कहा कि वे इसे उन्हें (देवदत्त को) नहीं देगे।

Question 3.
What did Dev Datt say in support of his claim over the swan?
हंस पर अपने दावे के समर्थन में देवदत्त ने क्या कहा?
Answer:
Dev Datt said in support of his claim over the swan that he himself had shot it with an arrow. Besides, he was a Kshatriya who could not give up hishunt.
देवदत्त ने हंस पर अपने दावे के समर्थन में कहा कि उसने स्वयं उस पर तीर चलाया था। इसके अतिरिक्त वह क्षत्रिय था, जो अपने शिकार को छोड़ नहीं सकता।

Question 4.
Why did Sidhartha say that the swan was his?
सिद्धार्थ ने क्यों कहा कि हंस उनका है?
Answer:
Sidhartha said that the swan belonged to him because he had saved its life.
सिद्धार्थ ने कहा कि हंस उनका है क्योंकि उन्होंने उसकी जान बचायी थी।

Question 5.
Why did the wounded swan come to Sidhartha?
घायल हंस सिद्धार्थ के पास क्यों आया?
Answer:
The wounded swan came to Sidhartha seeking its protection.
घायल हंस सिद्धार्थ के पास अपनी रक्षा के लिए आया।

Question 6.
What two characteristics of the Kshatriya are referred to in the play?
इस नाटक में क्षत्रियों के कौन से दो प्रमुख गुण बताये गये हैं?
Answer:
Two characteristics of the Kshatriya are referred to in the play :
नाटक में क्षत्रियों के दो गुण बताये गये हैं—
(i)A Kshatriya can not give up what he has shot?
एक क्षत्रिय उस जीव को नहीं छोड़ सकता जिस पर उसने तीर चलाया है।
(ii)A Kshatriya can not give up a suppliant either.
एक क्षत्रिय शरणागत को भी नहीं छोड़ सकता।

Question 7.
Why was king Suddodhana puzzled?
राजा शुद्धोधन क्यों परेशान थे?
Answer:
King Suddodhana was puzzled because he could not decide the claim between Dev Datt and Sidhartha.
राजा शुद्धोधन हैरान थे क्योंकि वे देवदत्त और सिद्धार्थ के बीच दावे का निर्णय नहीं कर सकते थे।

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Question 8.
What did Sidhartha say to the swan? What did the swan do?
सिद्धार्थ ने हंस से क्या कहा? हंस ने क्या किया?
Answer:
Sidhartha said to the swan to come to him and sit in his arms. The swan came to him and sat his arms.
सिद्धार्थ ने हंस से उनके पास आने तथा उनकी (UPBoardSolutions.com) बांहों में बैठने को कहा। हंस उनके पास आया और उनकी बांहों में बैठ गया

Question 9.
Who decided the dispute between Dev Datt and Sidhartha?
देवदत्त और सिद्धार्थ के बीच के विवाद का निर्णय लेसने किया?
Answer:
The Chief Minister decided the dispute bei veen Dui Datt and Sidhartha.
देवदत्त और सिद्धार्थ के बीच के विवाद का निर्णय मुख्यमंत्री ने किया।

(B) MULTIPLE CHOICE QUESTIONS
Select the most suitable alternative to complete each of the following statements :
निम्नलिखित कथनों में से प्रत्येक को पूरा करने के लिए सबसे उपयुक्त विकल्प चुनिए :
(A)
(i) Dev Datt claimed the swan because :
(a) he had caught it
(b) he had shot it
(c) he had bought it
(d) he had saved it
(ii)Sidhartha claimed the swan because :
(a) the swan was saved by him
(b) the swan was caught by him
(c) the swan was bought by him
(d) the swan was shot by him
(iii) Tie swan came to Sidhartha seeking :
(a) mercy
(b) revenge
(c) protection
(d) justice

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(B)
(iv) The case was decided by :
(a) the king
(b) the Chief Minister
(c)the swan itself
(d) door-keeper
Answers:
(i) (b) he had shot it.
(ii) (a) the swan was saved by him
(iii) (c) protection
(iv) (b) the Chief Minister

(C) Say whether each of the following statements is ‘true’ or ‘false’ :
बताइये कि निम्नलिखित कथनो में से प्रत्येक ‘सत्य’ है अथवा ‘असत्य’:
(i) Dev Datt brought the dispute before the king.
(ii) Prince Sidhartha was a good lad and he could not do a thing that was wrong.
(iii) Sidhartha claimed the swan because he had saved it.
(iv) The king did not know how to solve the case.
(v) The king sought the help of his Ministers.
(vi) The Chief Minister asked Dev Datt and Sidhartha both to call the swan to them.
(vii) The swan came to Dev Datt when he called it.
(viii) When Prince Sidhartha called the swan, it at once flew to his arms.
(ix) The Chief Minister failed to settle the dispute.
(x) The Chief Minister was very wise.
Answers:
(i) T, (ii) T, (iii) T, (iv) T, (v)F, (vi) T, (vii) F, (vii) T, (ix) F, (x) T.

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(D)Fill in the blanks with missing letters ‘t complete the spelling of the following words :
निम्नलिखित शब्दों की वर्तनी को पूरा करने के लिए लुप्त अक्षरों की सहायता से रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए
ar–w; sup-l-ant; pr-tec-ion; p—zz-ed; t-emb-es
Answers:
arrow, suppliant, protection, puzzled, trembles

UP Board Solutions for Class 9 Science Chapter 2 Is Matter Around us Pure

UP Board Solutions for Class 9 Science Chapter 2 Is Matter Around us Pure (क्या हमारे आस-पास के पदार्थ शुद्ध हैं)

पाठ्य – पुस्तक के प्रश्नोत्तर

पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या – 16)

प्रश्न 1.
पदार्थ से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर-
पदार्थ वह है जिसमें उपस्थित सभी कण समान रासायनिक प्रकृति के होते हैं।

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प्रश्न 2.
समांगी और विषमांगी मिश्रणों में अन्तर बताएँ।
उत्तर-
समांगी मिश्रण – समांगी मिश्रण वह मिश्रण है जिनमें मिश्रित पदार्थों के अवयव समान रूप से मिले होते हैं, समांगी मिश्रण कहलाते हैं।
जैसे-नमक का विलयन, चीनी का विलयन।।
विषमांगी मिश्रण – विषमांगी मिश्रण वह मिश्रण है। जिनमें (UPBoardSolutions.com) मिश्रित पदार्थों के अवयव समान रूप से नहीं मिले होते विषमांगी मिश्रण कहलाते हैं।
जैसे- बालू और चीनी का मिश्रण।

पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या – 20)

प्रश्न 1.
उदाहरण के साथ समांगी एवं विषमांगी | मिश्रणों में विभेद कीजिए।
उत्तर-
समांगी प्रकृति – द्रव्य की वह स्थिति जिसमें सभी जगह गुण समरूप हों, समांगी प्रकृति कहलाती है। जैसे, चीनी का घोल सर्वत्र समान रूप से मीठा होता है।
अतः चीनी का घोल समांगी है।
विषमांगी प्रकृति – द्रव्य की स्थिति जिसमें एक अंश के गुण दूसरे से भिन्न हों, विषमांगी प्रकृति कहलाती है।
जैसे-मिट्टी युक्त पानी आदि।

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प्रश्न 2.
विलयन, निलंबन और कोलॉइड एक-दूसरे से किस प्रकार भिन्न हैं ?
उत्तर-
विलयन, निलंबन और कोलॉइड में निम्न प्रकार से अन्तर स्पष्ट किया जा सकता है
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प्रश्न 3.
एक संतृप्त विलयन बनाने के लिए 36 g सोडियम क्लोराइड को 100 g जल में 293 K पर घोला जाता है। इस तापमान पर इसकी सांद्रता प्राप्त करें।
उत्तर-
विलेय (सोडियम क्लोराइड) का द्रव्यमान = 36 g
विलायक (जल) का द्रव्यमान = 100 g
विलयन का द्रव्यमान = विलेय का द्रव्यमान + विलायक का द्रव्यमान = 36 g + 100 g = 136 g
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पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या – 26)

प्रश्न 1.
पेट्रोल और मिट्टी का तेल (kerosene oil) जो कि आपस में घुलनशील हैं, के मिश्रण को आप कैसे पृथक् करेंगे? पेट्रोल तथा मिट्टी का तेल के क्वथनांकों में 25°C से अधिक का अन्तराल है।
उत्तर-
पेट्रोल और मिट्टी के तेल का पृथक्करण प्रभाजी आसवन विधि द्वारा किया जाता है। दोनों के मिश्रण को प्रभाजी आसवन स्तम्भ में ले जाते हैं फिर ताप को घटाकर उसे ठंडा कर (UPBoardSolutions.com) संपीडित किया जाता है जहाँ वाष्प अपने-अपने क्वथनांक के अनुसार पृथक् हो जाती है।

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प्रश्न 2.
पृथक् करने की सामान्यविधियों के नाम
(i) दही से मक्खन
(ii) समुद्री जल से नमक
(iii) नमक से कपूर
उत्तर-
(i) दही से मक्खन अपकेन्द्रण द्वारा पृथक् किया जाता है।
(ii) जल से नमक वाष्पीकरण द्वारा पृथक् किया जाता है।
(iii) नमक से कपूर ऊर्ध्वपातन विधि द्वारा पृथक् किया जाता है।

प्रश्न 3.
क्रिस्टलीकरण विधि से किस प्रकार के मिश्रण को पृथक् किया जा सकता है।
उत्तर-
क्रिस्टलीकरण विधि से वे ठोस पदार्थ शुद्ध किये जा सकते हैं, जिनमें अन्य ठोस पदार्थ अशुद्धि के रूप में मौजूद होते हैं।

पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या – 27)

प्रश्न 1.
निम्न को रासायनिक और भौतिक परिवर्तनों में वर्गीकृत करें-
पेड़ों को काटना, मक्खन का एक बर्तन में (UPBoardSolutions.com) पिघलना, अलमारी में जंग लगना, जल का उबलकर वाष्प बनना, विद्युत तरंग का जल में प्रवाहित होना तथा उसका हाइड्रोजन और ऑक्सीजन गैसों में विघटित होना, जल में साधारण नमक का घुलना, फलों से सलाद बनाना तथा लकड़ी और कागज का जलना।
उत्तर-
भौतिक परिवर्तन – पेड़ों को काटना, मक्खन का एक बर्तन में पिघलना, जल का उबलकर वाष्प बनना, जल में साधारण नमक का घुलना, फलों से सलाद बनाना।
रासायनिक परिवर्तन – अलमारी में जंग लगना, जल में विद्युतधारा का गुजरना तथा उसका हाइड्रोजन और ऑक्सीजन गैसों में विघटित होना, कागज और लकड़ी का जलना।

प्रश्न 2.
अपने आस-पास की चीजों को शुद्ध पदार्थों या मिश्रण से अलग करने का प्रयत्न करें।
उत्तर-
ऑक्सीजन, कॉपर, ऐल्युमिनियम आदि शुद्ध पदार्थ हैं तथा वायु, शर्बत, पीतल आदि मिश्रण हैं।

अभ्यास प्रश्न (पृष्ठ संख्या 30 – 33)

प्रश्न 1.
निम्नलिखित को पृथक् करने के लिए आप किन विधियों को अपनाएँगे ?
(a) सोडियम क्लोराइड को जल के विलयन से पृथक् करने में।
(b) अमोनियम क्लोराइड को सोडियम क्लोराइड तथा अमोनियम क्लोराइड के मिश्रण से पृथक् करने में।
(c) धातु के छोटे टुकड़े को कार के इंजन ऑयल से पृथक् करने में।
(d) दही से मक्खन निकालने के लिए।
(e) जल से तेल निकालने के लिए।
(f) चाय से चाय की पत्तियों को पृथक करने में।
(g) बालू से लोहे की पिनों को पृथक् करने में।
(h) भूसे से गेहूँ के दानों को पृथक् करने में।
(i) पानी में तैरते हुए महीन मिट्टी के कण को पानी से अलग करने के लिए।
(j) पुष्प की पंखुड़ियों के निचोड़ से विभिन्न रंजकों को पृथक् करने में।
उत्तर-
(a) वाष्पीकरण विधि
(b) ऊर्ध्वपातन प्रक्रम
(c) छानने की क्रिया,
(d) अपकेन्द्रीकरण,
(e) कीप-पृथक्करण,
(f) छानने की क्रिया,
(g) चुम्बकीय पृथक्करण,
(h) विनोइंग द्वारा,
(i) निथारने की क्रिया
(j) क्रोमेटोग्राफी प्रक्रम द्वारा।

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प्रश्न 2.
चाय तैयार करने के लिए आप किन-किन चरणों का प्रयोग करेंगे?
विलयन, विलायक, विलेय, घुलना, घुलनशील, अघुलनशील, घुलेय, (फिल्ट्रेट) तथा अवशेष शब्दों का प्रयोग करें।
उत्तर-
चाय बनाते समय हम निम्नलिखित चरणों का प्रयोग करेंगे–
चरण-1 : एक पतीली में थोड़ा पानी (विलायक) गर्म करें।
चरण-2 : एक केतली में थोड़ी चाय-पत्तियाँ (विलेय) डालें।
चरण-3 : उबलते पानी को केतली में डाल दें और पत्तियों को कुछ देर फूलने दें। यह एक विलयन में बदल जाएगा।
चरण-4 : एक कप में चीनी (विलेय) डालें । चरण-5 : विलयन को केतली में हिलाएँ।
चरण-6 : छलनी से छानकर विलयन को कप में डालें। दो छोटे चम्मच दूध डालें। चम्मच से मिलाएँ। अब चाय तैयार है। चाय की पत्तियाँ (अवशेष) छलनी में रह जाएँगी जबकि चाय (छना हुआ भाग) विलयन में घुल जाएगी। चीनी और दूध घुलनशील विलेय हैं जबकि चाय की पत्तियाँ अघुलनशील विलेय हैं।

प्रश्न 3.
प्रज्ञा ने तीन अलग-अलग पदार्थों की घुलनशीलताओं को विभिन्न तापमान पर जाँचा तथा नीचे दिए गए आँकड़ों को प्राप्त किया। प्राप्त हुए परिणामों को 100 g जल में विलेय पदार्थ की मात्रा, जो संतृप्त विलयन बनाने हेतु पर्याप्त है, निम्नलिखित तालिका में दर्शाया गया है
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(a) 50 g जल में 313 K पर पोटैशियम नाइट्रेट के संतृप्त विलयन को प्राप्त करने हेतु कितने ग्राम पोटैशियम नाइट्रेट की आवश्यकता होगी ?
(b) प्रज्ञा 358 K पर पोटैशियम क्लोराइड को एक संतृप्त विलयन तैयार करती है और विलयन को कमरे के तापमान पर ठंडा होने के लिए छोड़ देती है। जब विलयन ठंडा होगा तो वह क्या अवलोकित करेगी ? स्पष्ट करें।
(c) 293 K पर प्रत्येक लवण की घुलनशीलता का परिकलन करें। इस तापमान पर कौन-सा लवण सबसे अधिक घुलनशील होगा?
(d) तापमान में परिवर्तन से लवण की घुलनशीलता पर क्या प्रभाव पड़ता है ?
उत्तर-
(a) तालिका के अनुसार, 313 K पर 100 gm जल में 62 gm पोटैशियम नाइट्रेट संतृप्त विलयन बनाने के लिए घोला है।
अतः 50 gm जल में इसका संतृप्त विलयन बनाने के लिए [latex]\frac { 50 x 62 }{ 100 }[/latex] = 31gm पोटैशियम नाइट्रेट घोलना पड़ेगा।
(b) जब पोटैशियम क्लोराइड के 353 K (80°C) पर संतृप्त घोल को कमरे के तापमान (293 K या 20°C) तक ठंडा किया गया तो उसकी विलेयता घट जाती है और इसके क्रिस्टल पात्र की तली पर इकट्ठा हो जायेंगे।
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(d) किसी भी पदार्थ की घुलनशीलता तापमान के बढ़ने से बढ़ जाती है।

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प्रश्न 4.
निम्नलिखित की उदाहरण सहित व्याख्या कीजिए
(a) संतृप्त विलयन
(b) शुद्ध पदार्थ
(c) कोलाइड
(d) निलम्बने।
उत्तर-
(a) संतृप्त विलयन – किसी दिए हुए तापमान पर जब उस द्रव में और अधिक विलेय पदार्थ न घुल सके उसे संतृप्त घोल कहते हैं।
उदाहरण- कक्ष ताप (20°C) पर 50 mL पानी एक बीकर में लो। अब इसमें सोडियम क्लोराइड (नमक) थोड़ा-थोड़ा करके डालो और घोल लो। ध्यान रहे कि नमक तली में न रहे। इसी प्रकार नमक डालो और हिलाओ। एक स्थिति ऐसी आ जाती है कि और पदार्थ (नमक) घुलना बन्द हो जाता है। यही कक्ष ताप पर संतृप्त विलयन है।
(b) शुद्ध पदार्थ – वे वस्तुएँ जिनका दिए गए तापमान पर रंग-रूप, संरचना, स्वाद व स्वभाव एक समान रहे और उसके हर भाग में संरचना समान हो और उसे सरल
भौतिक विधियों द्वारा और सरल पदार्थों में विभाजित न किया जा सके उसे शुद्ध पदार्थ कहते हैं।
एक शुद्ध पदार्थ या तो तत्त्व होगा या फिर यौगिक।
उदाहरण- सोना, चाँदी, सोडियम, पोटैशियम, कार्बन डाइऑक्साइड आदि शुद्ध पदार्थ हैं।
(c) कोलाइड – यह एक ऐसा विषमांगी मिश्रण है। जिसमें विलेय व विलायक दोनों के कण समान रूप से फैले होते हैं और अधिक देर तक रखने पर भी कण नीचे नहीं बैठते। क्योंकि इनका आकार 1 nm से 100 nm के बीच होता है। ये कोलाइडी कण परिक्षेपण माध्यम में से गुजरने वाले दृश्य प्रकाश का प्रकीर्णन कर देते हैं।
उदाहरण- दूध, स्याही, धुंध, रक्त आदि।
(d) निलम्बन – निलम्बन एक ऐसा विषमांगी मिश्रण है जिसमें विलायक में विलेय पदार्थ घुलता नहीं है और उसके कणों को नंगी आँखों से भी देखा जा सकता है। (UPBoardSolutions.com) इसके कणों का आकार 10-5 cm से भी ज्यादा होता है। अधिक देर बिना हिलाए रखने पर कण नीचे बैठ जाते हैं।
उदाहरण- जैसे-चॉक के पाउडर को पानी में विलयन।

प्रश्न 5.
निम्नलिखित में से प्रत्येक को समांगी और विषमांगी मिश्रणों में वर्गीकृत करें-सोडा जल, लकड़ी, बर्फ, वायु, मिट्टी, सिरका, छन्ति चाय।
उत्तर-
समांगी मिश्रण – सोडा जल, सिरका, छनित चाय, बर्फ।
विषमांगी मिश्रण – मिट्टी, लकड़ी।

प्रश्न 6.
आप किस प्रकार पुष्टि करेंगे कि दिया हुआ रंगहीन द्रव शुद्ध जल है?
उत्तर-
रंगहीन तरल पदार्थ किसी भी भौतिक विधि द्वारा और अधिक सरल पदार्थों में विभाजित नहीं किया जा सकता यदि इसे वाष्पित किया जाए तो शेष कुछ नहीं बचता इसलिए दिया गया तरल शुद्ध पदार्थ है।
दिए गए तरल का विद्युत विच्छेदन करने पर हाइड्रोजन तथा ऑक्सीजन आयतन के अनुसार 2 : 1 के अनुपात में प्राप्त होती है अतः दिया गया तरले जल है जो एक यौगिक है। दिया गया तरल वायुमण्डलीय दाब पर 373 K पर उबलने लगता है जो कि शुद्ध जल का क्वथनांक है अतः दिया गया तरल शुद्ध जल है।

प्रश्न 7.
निम्नलिखित में से कौन-सी वस्तुएँ शुद्ध पदार्थ हैं ?
(a) बर्फ
(b) दुध
(c) हाइड्रोक्लोरिक अम्ल
(d) लोहा
(e) कैल्सियम ऑक्साइड
(f) पारा
(g) ईंट
(h) लकड़ी
(i) वायु।
उत्तर-
निम्न शुद्ध पदार्थ’ हैं-
(1) बर्फ
(2) लोहा
(3) हाइड्रोक्लोरिक अम्ल
(4) कैल्सियम ऑक्साइड
(5) पारा

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प्रश्न 8.
निम्न मिश्रणों में से विलयन की पहचान करो
(a) मिट्टी
(b) समुद्री जल
(c) वायु
(d) कोयला
(e) सोडा जल।
उत्तर-
विलयन-
(1) समुद्री जल
(2) वायु
(3) सोडा जल

प्रश्न 9.
निम्नलिखित में से कौन टिण्डल प्रभाव को प्रदर्शित करेगा?
(a) नमक का घोल
(b) दूध
(c) कॉपर सल्फेट का विलयन
(d) स्टार्च विलयन
उत्तर-
दूध और स्टार्च विलयन ‘टिंडल प्रभाव दिखाएँगे।

प्रश्न 10.
निम्नलिखित को तत्त्व, यौगिक तथा मिश्रण में वर्गीकृत करें
(a) सोडियम
(b) मिट्टी
(c) चीनी का घोल
(d) चाँदी
(e) कैल्सियम कार्बोनेट
(f) टिन
(g) सिलिकन
(h) कोयला
(i) वायु
(j) साबुन
(k) मीथेन
(l) कार्बन डाइऑक्साइड
(m) रक्त।
उत्तर-
(a) तत्त्व
(b) मिश्रण
(c) यौगिक
(d) तत्त्व
(e) मिश्रण
(f) यौगिक
(g) मिश्रण
(h) मिश्रण
(i) तत्त्व
(j) तत्त्व
(k) तत्त्व
(l) यौगिक
(m) यौगिक।

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प्रश्न 11.
निम्नलिखित में से कौन-कौन से परिवर्तन रासायनिक हैं ?
(a) पौधों की वृद्धि
(b) लोहे में जंग लगना
(c) लोहे के चूर्ण तथा बालू को मिलाना
(d) खाना पकाना।
(e) भोजन का पाचन
(f) जल से बर्फ बनना।
(g) मोमबत्ती का जलना।
उत्तर-
लोहे पर जंग लगना, भोजन का पकना, भोजन का पचना और मोमबत्ती का जलना-रासायनिक परिवर्तन हैं।

अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
विलयन क्या है ?
उत्तर-
दो या दो से अधिक पदार्थों का समांगी मिश्रण विलयन कहलाता है।

प्रश्न 2.
जलीय विलयन क्या है ?
उत्तर-
विलेय का जल में विलयन, जलीय विलयन कहलाता है।

प्रश्न 3.
संतृप्त विलयन की परिभाषा दीजिए।
उत्तर-
वह विलयन जिसमें किसी ताप पर विलेय की अधिकतम मात्रा घुली हो संतृप्त विलयन कहलाता है।

प्रश्न 4.
विलयन की सान्द्रता से क्या अभिप्राय है?
उत्तर-
विलेय की मात्रा जो विलायक या विलयन की इकाई मात्रा या इकाई आयतन में घुली होती है, विलयन की सान्द्रता कहलाती है।

प्रश्न 5.
कोलाइड काफी स्थायी होते हैं। उस प्रक्रम का (UPBoardSolutions.com) नाम बताइये जिससे आप कोलाइड विलयन के अवयवों को पृथक् कर सकते हैं ?
उत्तर-
अपकेन्द्रीकरण द्वारा कोलाइड विलयन के अवयवों को पृथक् कर सकते हैं।

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प्रश्न 6.
किस कारक पर आधारित कोई विलयन तनु, सान्द्र अथवा संतृप्त कहलाता है ?
उत्तर-
उसमें उपस्थित विलेय की मात्रा पर आधारित कोई विलयन तनु, सान्द्र अथवा संतृप्त कहलाता है।

प्रश्न 7.
निम्न में से समांगी मिश्रण बताइएलकड़ी, चीनी का जलीय घोल, मिट्टी मिला जल।
उत्तर- चीनी का जलीय घोल।

प्रश्न 8.
केरोसिन तथा जल के मिश्रण को पृथक करने का सिद्धान्त बताइये।
उत्तर-
आपस में नहीं मिलने वाले द्रव अपने घनत्व के अनुसार विभिन्न परतों में पृथक् हो जाते हैं।

प्रश्न 9.
उस प्रक्रम का नाम बताइये जिसे आप जल और ऐल्कोहॉल के मिश्रण को पृथक् करने के लिए प्रयोग करेंगे ?
उत्तर-
ऐल्कोहॉल और जल के मिश्रण को प्रभाजी आसवन द्वारा पृथक् किया जा सकता है।

प्रश्न 10.
30-50 K से अधिक क्वथनांक में अन्तर वाले मिश्रणीय द्रवों को पृथक् करने की विधि का नाम बताइए।
उत्तर-
साधारण आसवन।

प्रश्न 11.
चीनी के संतृप्त विलयन का ताप 5°C `बढ़ाने पर क्या होगा ?
उत्तर-
चीनी के संतृप्त विलयन का ताप 5°C बढ़ाने पर विलयन असंतृप्त हो जायेगा।

प्रश्न 12.
दो अघुलनशील द्रवों को आप किस तकनीक से पृथक् करेंगे ?
उत्तर-
दो अघुलनशील द्रवों को पृथक्करण कीप द्वारा पृथक् करेंगे।

प्रश्न 13.
किसी कोलायडी विलयन में उसके कणों को आकार क्या होगा ?
उत्तर-
कोलाइडी विलयन में कणों का आकार 10-7 cm तथा 10-5 cm के बीच होता है।

प्रश्न 14.
ऊर्ध्वपातन पदार्थ क्या हैं ?
उत्तर-
वह पदार्थ जो गर्म करने से ठोस अवस्था से सीधे गैसीय अवस्था में बदल जाते हैं ऊर्ध्वपातन पदार्थ कहलाते हैं।

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प्रश्न 15.
दो ऊर्ध्वपातन पदार्थों के नाम बताइये।
उत्तर-
कपूर और अमोनियम क्लोराइड।

प्रश्न 16.
लोहे की पिन लकड़ी के बुरादे में मिल गयी है, इन्हें कैसे अलग करेंगे? ।
उत्तर-
बुरादे में मिली लोहे की पिनों को चुम्बक द्वारा अलग करेंगे।

प्रश्न 17.
वायु के विभिन्न घटक किस प्रक्रम द्वारा अलग किये जाते हैं ?
उत्तर-
वायु के विभिन्न घटक प्रभाजी आसवन विधि द्वारा अलग किये जाते हैं।

प्रश्न 18.
तन्यता क्या है ?
उत्तर-
धातुएँ खींचने पर तार में बदल जाती हैं, इसे तन्यता कहते हैं।

प्रश्न 19.
टिंडल प्रभाव क्या है ?
उत्तर-
द्रव या गैस में निलम्बित पदार्थ के कणों द्वारा प्रकाश का प्रकीर्णन टिंडल प्रभाव कहलाता है।

प्रश्न 20.
कमरे के ताप पर द्रव अवस्था में पायी जाने वाली धातु का नाम लिखिए।
उत्तर-
कमरे के ताप पर द्रव अवस्था में पायी जाने वाली धातु पारा है।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
आसवन को परिभाषित कीजिए। आसवन से किस प्रकार के मिश्रणों को पृथक् किया जा सकता है?
उत्तर-
आसवन, द्रव को गर्म करके वाष्प बनाने और तत्पश्चात् वाष्प को ठंडा करके पुनः द्रव प्राप्त करने का प्रक्रम है। आसवन को विलेय अवाष्पशील ठोसों से द्रव को पृथक् करने के लिए उपयोग किया जा सकता है।

प्रश्न 2.
क्रिस्टलीकरण प्रक्रम क्या है ? यह किस प्रकार उपयोगी है ?
उत्तर-
संतृप्त विलयन में विलेय की अधिकतम मात्रा घुली होती है। अगर विलेय की मात्रा संतृप्त-स्तर से बढ़ जाये तो विलेय की संतृप्त स्तर से अधिक मात्रा अविलेय या क्रिस्टल के रूप में आ जाती है।
अतः संतृप्त विलयन से क्रिस्टल (UPBoardSolutions.com) बनने की प्रक्रिया क्रिस्टलीकरण कहलाती है।
उपयोग- यदि कोई पदार्थ ठोस अवस्था में होता है। और उसमें अन्य कोई ठेस अशुद्धि के रूप में पाया जाता है, तब क्रिस्टलीकरण की प्रक्रिया प्रयोग की जाती है।

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प्रश्न 3.
5 g विलेय को 40 g जल में घोला गया। है। विलयन की द्रव्यमान प्रतिशतता क्या है?
उत्तर-
विलयन का द्रव्यमान = विलेय का द्रव्यमान + विलायक का द्रव्यमान = 5 g + 40 g = 45 g
विलयन की द्रव्यमान प्रतिशतता
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प्रश्न 4.
कोलाइडल विलयन के दो लक्षण लिखिए।
उत्तर-
कोलाइडल विलयन के लक्षण|
(i) कोलाइडी विलयन समांगी दिखाई देता है, परन्तु वास्तव में वह विषमांगी होता है।
(ii) कोलाइडी विलयन में कणों का आकार वास्तविक विलयन से बड़ा परन्तु निलम्बन से छेटा होता है। वह व्यास में 1 nm और 100 nm के बीच होता है।

प्रश्न 5.
मिश्रणीय तथा अमिश्रणीय द्रवों में अन्तर कीजिए।
उत्तर-
मिश्रणीय द्रव-दो या दो से अधिक अमिश्रणीय द्रवों का मिश्रण विभिन्न परतों में पृथक् हो जाता है जिनकी पृथकन सीमाएँ स्पष्ट होती हैं।
अमिश्रणीय द्रव- दो या दो से अधिक मिश्रणीय द्रवों का मिश्रण विभिन्न परतों में पृथक् नहीं होता है और समांगी विलयन बनाते हैं।

प्रश्न 6.
मिश्रणों के प्रकारों को उचित उदाहरण सहित समझाइये।
उत्तर-
अवयवों के मिश्रित होने के आधार पर मिश्रण दो प्रकार के हैं-
(i) समांगी मिश्रण
(ii) विषमांगी मिश्रण।

(i) समांगी मिश्रण : वह मिश्रण जिनमें मिश्रित पदार्थों के अवयव समान रूप से मिले होते हैं समांगी मिश्रण कहलाते हैं, जैसे चीनी को विलयन, नमक का विलयन ।
(ii) विषमांगी मिश्रण : वह मिश्रण जिनमें मिश्रित पदार्थों के अवयव समान रूप से नहीं मिले होते विषमांगी मिश्रण कहलाते हैं, जैसे बालू और चीनी का मिश्रण।

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प्रश्न 7.
टिंडल प्रभाव (Tyndall Effect) क्या हैं ?
उत्तर-
टिंडल प्रभाव : जो कोलाइडल कण प्रकाश को एक ओर बिखेरते हैं, उसे टिंडल प्रभाव कहते हैं।
अगर प्रकाश किरण-पुंज को कोलाइड विलयन से गुजारा जाए व प्रकाश किरण के लम्बवत् सूक्ष्मदर्शी रखकर देखा जाए तो प्रकाश किरण का पथ दिखाई देने लगता है।
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प्रश्न 8.
आप किसी निलम्बन तथा कोलाइडल में अन्तर किस प्रकार करेंगे ? प्रत्येक का एक-एक उदाहरण दीजिए।
उत्तर-
निलम्बन तथा कोलाइड में अन्तर निम्नलिखित हैं-
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प्रश्न 9.
मिश्रण के घटकों को अलग करने की आवश्यकता क्यों पड़ती है ?
उत्तर-
मिश्रण के घटकों को अलग करने की आवश्यकता निम्न कारणों से है :

  1. अवांछित घटक को दूर करने के लिए।
  2. किसी हानिकारक घटक को दूर करने के लिए।
  3. पदार्थ का शुद्ध नमूना प्राप्त करने के लिए।
  4. किसी लाभप्रद घटक को प्राप्त करने के लिए।

प्रश्न 10.
मिश्रणों के घटकों को पृथक् करने के लिए प्रयोग की जाने वाली सामान्य विधियों के नाम लिखिए।
उत्तर-
मिश्रणों के घटकों को पृथक् करने के लिए। प्रयोग की जाने वाली सामान्य विधियाँ निम्नलिखित हैं :

  1. छानना
  2. चुम्बक द्वारा अलग करना
  3. हाथ से चुनना
  4. आसवन विधि
  5. अपकेन्द्रन विधि
  6. वाष्पीकरण
  7. ऊर्ध्वपातन की प्रक्रिया द्वारा।

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प्रश्न 11.
मिश्रण एवं यौगिक में अन्तर बताइए।
उत्तर-
यौगिक एवं मिश्रण में निम्नलिखित अन्तर है
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प्रश्न 12.
क्रोमैटोग्राफी का उपयोग करकेनीली-काली स्याही में उपस्थित राइ को कैसे पृथक् करोगे ?
उत्तर-

  1. फिल्टर पेपर की एक पतली और लम्बी पट्टी (Strip) लें। इसके निचले किनारे से 3 cm ऊपर पेंसिल से एक रेखा खींचें।
  2. उस रेखा के बीच में स्याही की एक बूंद रखें। इसे सूखने दें।
  3. जार में जल लें, उसमें हम फिल्टर पेपर को इस प्रकार रखें कि वह जल की सतह से ठीक ऊपर रहे।
  4. जैसे ही जल फिल्टर पेपर पर ऊपर की दिशा की ओर अग्रसर होता है यह डाई के कणों को भी अपने साथ ले जाता है। प्रायः डाइ दो या दो से अधिक (UPBoardSolutions.com) रंगों का मिश्रण होता है। रंग वाला घटक जो कि जल में अधिक घुलनशील है, तेजी से ऊपर उठता है और इस प्रकार, रंगों का पृथक्करण हो जाता है।

प्रश्न 13.
कैल्सियम कार्बोनेट को गर्म करने पर कैल्सियम ऑक्साइड तथा कार्बन डाइऑक्साइड प्राप्त होते हैं।
(a) क्या यह भौतिक या रासायनिक परिवर्तन है?
(b) उपर्युक्त अभिक्रिया में प्राप्त उत्पादों से क्या तुम एक अम्लीय तथा एक क्षारीय विलयन बना सकते हो? यदि हाँ तो रासायनिक अभिक्रिया का समीकरण लिखिए।
उत्तर-
(a) यह एक रासायनिक परिवर्तन है। (b) हम अम्लीय तथा क्षारीय विलयन बना सकते हैं:
(i) CaO + H2O → Ca(OH)2 (क्षारीय विलयन)
(ii) CO2 + H2O → HaCO3 (अम्लीय विलयन)

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प्रश्न 14.
भौतिक एवं रासायनिक परिवर्तन की परिभाषा उदाहरण सहित दीजिए।
उत्तर-
भौतिक परिवर्तन : वह परिवर्तन जिसमें पदार्थ के संघटन में कोई परिवर्तन नहीं होता है भौतिक परिवर्तन कहलाता है। जैसे-जल को बर्फ या भाप में बदलना, विद्युत बल्ब का चमकना।
रासायनिक परिवर्तन : वह परिवर्तन जिसमें पदार्थ के संघटन में परिवर्तन होता है, रासायनिक परिवर्तन कहलाता है। जैसे ईंधन का जलना, लोहे (UPBoardSolutions.com) का जंग लगना।
भौतिक परिवर्तन में नया पदार्थ उत्पन्न नहीं होता, केवल पदार्थ के भौतिक गुणों में परिवर्तन होता है, लेकिन रासायनिक परिवर्तन में नया पदार्थ बनता है और पदार्थ के रासायनिक गुणों में परिवर्तन होता है, किसी पदार्थ के रासायनिक गुण उसके रासायनिक संघटन पर निर्भर करते हैं।

प्रश्न 15.
निम्न को भौतिक एवं रासायनिक परिवर्तन में वर्गीकृत करें :
(a) काँच का पिघलना
(b) फूल से फल बनना
(c) अगरबत्ती का जलना
(d) रोटी का पकना
(e) कपड़े का फटना
(f) बादलों का बनना।
उत्तर-
(a) काँच का पिघलना – भौतिक परिवर्तन
(b) फूल से फल बनना – रासायनिक परिवर्तन
(c) अगरबत्ती का जलना – रासायनिक परिवर्तन
(d) रोटी का पकना – रासायनिक परिवर्तन
(e) कपड़े का फटना – भौतिक परिवर्तन
(f) बादलों का बनना – भौतिक परिवर्तन।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
विलेय और विलायक की अवस्था के आधार पर विलयनों का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
विलेय व विलायक की अवस्था के आधार पर विलयन निम्न प्रकार के हैं :
(i) ठोस का दूर्व में विलयन – जैसे चीनी का जल में विलयन (शर्बत), टिंचर आयोडीन। [आयोडीन (ठोस) का ऐल्कोहॉल (द्रव) में विलयन ।
(ii) गैस का द्रव में विलयन – जैसे ठंडे पेय जिसमें कार्बन डाइऑक्साइड (गैस) जल द्रव में घुली होती है।
(iii) गैस का गैस में विलयन – जैसे वायु जिसमें ऑक्सीजन (21%) व नाइट्रोजन (78%) मिले होते हैं।
(iv) ठोस का ठोस में विलयन – जैसे मिश्र धातुएँ (Alloys)। पीतल में जिंक लगभग 30% व कॉपर लगभग 70% होता है।

प्रश्न 2.
निलम्बन, वास्तविक विलयन व कोलाइडल विलयन को उदाहरण देते हुए परिभाषित कीजिए।
उत्तर-
जब किन्हीं दो पदार्थों का घोल बनता है, तब विलेय के कण परिक्षेपण कण’ (Dispersed particles) व विलायक ‘परिक्षिप्त माध्यम’ (Dispersion medium) कहलाता है।
परिक्षिप्त माध्यम में परिक्षेपण कणों के आकार के आधार पर विलयन तीन प्रकार के हैं-

(i) वास्तविक विलयन : जब परिक्षिप्त माध्यम में परिक्षेपण कणों का व्यास 10-8 सेमी होता है तो परिक्षेपण कण परिक्षिप्त माध्यम में दिखाई नहीं देते। इस प्रकार का विलयन वास्तविक विलयन कहलाता है। उदाहरण- जल में नमक या चीनी का घोल। वास्तविक विलयन में परिक्षेपण कणों को सूक्ष्मदर्शी द्वारा नहीं देखा जा सकता।

(ii) कोलाइडल विलयन : जब परिक्षिप्त माध्यम में परिक्षेपण कणों का व्यास 10-7 से 10-5 सेमी होता है। तो विलयन कोलाइडल विलयन कहलाता है।
उदाहरण- दूध, रक्त, टूथपेस्ट। कोलाइडल विलयन में परिक्षेपण कणों को आँखों द्वारा नहीं देखा जा सकता, लेकिन सूक्ष्मदर्शी द्वारा देखा जा सकता है।

(iii) निलम्बन : जब परिक्षिप्त माध्यम में परिक्षेपण कणों का व्यास 10-5 सेमी या उससे अधिक होता है तो इसे निलम्बन कहते हैं। निलम्बन में परिक्षेपण कणों को (UPBoardSolutions.com) परिक्षिप्त माध्यम में तैरते हुए आँख द्वारा देखा जा सकता। है।
उदाहरण- जल में मिट्टी या बालू का घोल, जल में चॉक का घोल।।

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प्रश्न 3.
(i) विलयन को परिभाषित कीजिए। जब 15 g NaCl को 200 g जल में घोलकर विलयन तैयार किया जाता है, तो NaCl की द्रव्यमान प्रतिशतता परिकलित कीजिए।
(ii) वास्तविक विलयन से विलेय के कणों को पृथक् करना क्यों असम्भव है ?
(iii) तापमान में परिवर्तन से लवण की घुलनशीलता पर क्या प्रभाव पड़ता है ?
उत्तर-
(i) विलयन : दो या अधिक पदार्थों का समांगी मिश्रण विलयन कहलाता है।
दिया है : NaCl (विलेय) की मात्रा = 15 g
जल (विलायक) की मात्रा = 200 g
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(ii) वास्तविक विलयन में विलेय के कणों को पृथक् करना असंभव है, क्योंकि वे विलायक के साथ समांगी मिश्रण बनाते हैं।
(iii) तापमान बढ़ाने पर लवण की घुलनशीलता बढ़ जाती है और घटाने पर कम हो जाती है।

प्रश्न 4.
रासायनिक संघटन के आधार पर शुद्ध पदार्थों के प्रकार का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
रासायनिक संघटन के आधार पर शुद्ध पदार्थ दो प्रकार के हैं :
(i) तत्त्व (Element) एवं
(ii) यौगिक (Compound)

(i) तत्त्व : रॉबर्ट बॉयल पहले वैज्ञानिक थे जिन्होंने सन् 1661 में ‘तत्त्व’ शब्द का प्रयोग किया। एंटोनी लॉरेंट लवाइजिए (Antoine Laurent Lavoisier) ने तत्त्व (UPBoardSolutions.com) की परिभाषा सर्वप्रथम निम्न प्रकार दी :
“तत्त्व पदार्थ का वह मूल रूप है जिसे रासायनिक क्रिया द्वारा अन्य सरल पदार्थों में विभाजित नहीं किया जा सकता।” जैसे-लोहा, ताँबा, चाँदी ऑक्सीजन, नाइट्रोजन, हाइड्रोजन आदि।

(ii) यौगिक : ‘वह पदार्थ जो दो या अधिक तत्त्वों के किसी निश्चित अनुपात में रासायनिक संयोजन करने से बनता है।”
उदाहरणार्थ
(i) जल एक यौगिक है जो हाइड्रोजन एवं ऑक्सीजन के 1 : 8 के द्रव्यमान-अनुपात में संयोजन करने पर बनता है।
(ii) उसी तरह कार्बन डाइऑक्साइड एक यौगिक है जो कार्बन व ऑक्सीजन के 3 : 8 के द्रव्यमान अनुपात में संयोजन करने से बनती है।

प्रश्न 5.
निम्नलिखित मिश्रण के अवयवों को पृथक् करने की विधि बताइये :
सल्फर + रेत + चीनी + आयरन रेतन।
उत्तर-
इस मिश्रण के चार अवयव हैं-सल्फर, रेत, चीनी तथा आयरन रेतन। मिश्रण के ऊपर से एक चुम्बक को कई बार चलाते हैं। आयरन रेतन, चुम्बक द्वारा आकर्षित हो जाती है। वह चुम्बक पर चिपक जाती है और पृथक् हो जाती है।
चीनी, गंधक तथा रेत के शेष मिश्रण को पानी में डालकर विलोडन करते हैं। इससे जल में चीनी घुल जाती है। छानने पर छनित्र में चीनी का विलयन प्राप्त होता है। छनित्र को वाष्पित करके चीनी प्राप्त की जा सकती है। अवशेष में सल्फर तथा रेत होते हैं।
सल्फर तथा रेत के मिश्रण को कार्बन डाइसल्फाइड के साथ हिलाते हैं जिससे सल्फर, कार्बन डाइसल्फाइड में घुल जाता है और रेत बिना घुले रहता है। छानने पर, सल्फर विलयन के रूप में छनित्र में प्राप्त होती है। कार्बन डाइसल्फाइड के वाष्पन से सल्फर प्राप्त की जा सकती है। रेत, फिल्टर पेपर पर अवशेष के रूप में बच जाता है।

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प्रश्न 6.
धातुएँ किसे कहते हैं? इनके गुणधर्मों को समझाइये।
उत्तर-
धातुएँ (Metals) – धातु एक तत्त्व है जो आघातवर्थ्य (malleable) तथा तन्य (ductile) होता है और विद्युत संचालित करता है। धातुओं के कुछ उदाहरण हैं : आइरन, कॉपर, ऐलुमिनियम, जिंक, सिल्वर, गोल्ड, प्लैटिनम, क्रोमियम, सोडियम, पोटैशियम मैग्नीशियम, निकिल, कोबाल्ट, टिन, लेड, कैडमियम, मर्करी, ऐन्टीमनी। एक तत्त्व मर्करी, जो कि एक द्रव है, को छोड़कर सभी धातुएँ ठोस हैं।
धातुओं के गुणधर्म (Properties of Metals)
धातुओं के प्रमुख गुणधर्म नीचे दिये गये हैं :

1. धातुएँ आघातवर्थ्य (malleable) हैं। इसका अर्थ है कि धातुओं को हथौड़े से पतली शीटों में (बिना टूटे) पीटा जा सकता है।
गोल्ड (सोना) तथा सिल्वर (चाँदी) धातुएँ उत्तम आघातवर्थ्य धातुओं में से कुछ हैं। ऐलुमिनियम और कॉपर (ताँबा) धातुएँ भी अत्यधिक आघातवर्थ्य धातुएँ हैं। इन सभी धातुओं को हथौड़े से अत्यंत पतली (महीन) चादरों में कटा जा सकता है जो पन्नी (foils) कहलाती हैं। उदाहरणार्थ, सिल्वर (चाँदी) धातु को, उसकी उच्च आघातवटै र्यता के कारण, हथौड़े से महीन रजत पन्नियों (thin silver foils) में कूटा जा सकता है। चाँदी (रजत) की पन्नियों का उपयोग मिठाइयों को सजाने में किया जाता है। उसी प्रकार, ऐलुमिनियम धातु पर्याप्त आघातवर्थ्य है और महीन शीटों में रूपान्तरित की जा सकती है जो ऐलुमिनियम पन्नियाँ (aluminium foils) कहलाती हैं। (UPBoardSolutions.com) ऐलुमिनियम पन्नियों को खाद्य सामग्रियाँ जैसे बिस्कुट, चॉकलेट, दवाइयाँ, सिगरेट इत्यादि पैक करने के लिए उपयोग किया जाता है। दूध की बोतल के ढक्कन भी ऐलुमिनियम पन्नी के बने होते हैं। ऐलुमिनियम चादरों (शीटों) को पाक बर्तनों (cooking utensils) के बनाने में किया जाता है। कॉपर (ताँबा) धातु भी अत्यधिक आघातवर्थ्य है। इसलिए, रसोई या अन्य घरेलू उपयोग के बर्तनों तथा अन्य बर्तनों या पत्रों को बनाने के लिए कॉपर की शीटों (ताँबे की चादरों) का उपयोग किया जाता है। अतः, आघातवर्ध्यता (malleability) धातुओं का एक प्रमुख अभिलाक्षणिक गुणधर्म है।

2. धातुएँ तन्य (ductile) हैं। इसका अर्थ है कि धातुओं को महीन तारों में खींचा जा सकता है। | सभी धातुएँ समान रूप से तन्य नहीं होती हैं। दूसरों की अपेक्षा कुछ अधिक तन्य होती हैं। उत्तम तन्य धातुओं में गोल्ड (सोना) और सिल्वर (चाँदी) हैं। उदाहरणार्थ, सिल्वर जैसी अत्यधिक तन्य धातु के मात्र 100 मिलीग्रामों को लगभग 200 मीटर लम्बे महीन तार में खींचा जा सकता है। कॉपर
और ऐलुमिनियम धातुएँ भी अत्यंत तन्य होती हैं और पतले तारों में खींची जा सकती हैं जिन्हें वैद्युत तार लगाने में उपयोग किया जाता है। अतः, तन्यता (ductility) धातुओं का एक अन्य प्रमुख अभिलाक्षणिक गुणधर्म है।
उपर्युक्त विवेचना से हम निष्कर्ष निकालते हैं कि धातुएँ आघातवर्थ्य और तन्य होती हैं। आघातवर्थ्यता और तन्यता के गुणधर्मों के कारण ही विविध वस्तुएँ बनाने के लिए धातुओं को विभिन्न आकृतियाँ दी जा सकती हैं।

3. धातुएँ ऊष्मा तथा विद्युत की सुचालक हैं। इसका अर्थ है कि धातुएँ ऊष्मा और विद्युत को अपने में से आसानी से प्रवाहित होने देती हैं। धातुएँ सामान्यतः ऊष्मा की सुचालक होती हैं [ऊष्मा का चालन, ऊष्मा चालकता (thermal conductivity) भी कहलाता है। सिल्वर (चाँदी) धातु ऊष्मा का उत्तम चालक है। उसकी सबसे अधिक ऊष्मा चालकता होती है। कॉपर और ऐलुमिनियम धातुएँ भी ऊष्मा की अत्यन्त सुचालक हैं। पाक बर्तनों (cooking utensils) तथा जल क्वथित्रों (water boilers), इत्यादि को प्रायः कॉपर अथवा ऐलुमिनियम धातुओं का बनाया जाता है क्योंकि वे ऊष्मा की अत्यधिक सुचालक होती हैं। धातुओं में ऊष्मा का हीनतम चालक (poorest conductor) लेड (lead) है। मर्करी धातु भी ऊष्मा का हीन चालक है।

4. धातुएँ प्रायः दृढ़ होती हैं। उनमें उच्च तनन सामर्थ्य (high tensile strength) होती है। इसका अर्थ है। कि धातुएँ बिना टूटे भारी (बड़े) भारों को रोक सकती हैं।
उदाहरणार्थ, आइरन धातु (स्टील के रूप में) उच्च | तनन सामर्थ्य वाली अत्यंत दृढ़ होती है। इसके कारण आइरन धातु को सेतुओं या पुलों, भवनों, रेल की पटरियों, गार्डरों, (UPBoardSolutions.com) मशीनों, वाहनों और चेनों, इत्यादि के निर्माण में उपयोग किया जाता है। यद्यपि अधिकांश धातुएँ दृढ़ होती हैं। परन्तु कुछ धातुएँ दृढ़ नहीं होती हैं। उदाहरणार्थ, सोडियम और पोटैशियम धातुएँ दृढ़ नहीं हैं। उनमें निम्न तनन सामर्थ्य होती है।

5. धातुएँ कमरे के ताप पर ठोस होती हैं (मर्करी के अतिरिक्त जो कि एक द्रव धातु है।
आइरन, कॉपर, ऐलुमिनियम, सिल्वर तथा गोल्ड, इत्यादि, जैसी सभी धातुएँ कमरे के ताप पर ठोस होती हैं। | कमरे के ताप पर केवल एक धातु, मर्करी, द्रव अवस्था में है।

6. धातुओं का सामान्यतः उच्च गलनांक और क्वथनांक होता है। इसका अर्थ है कि अधिकांश धातुएँ उच्च तापों पर गलती और वाष्पित होती हैं। उदाहरणार्थ, आइरन 1535°C के उच्च गलनांक वाली धातु है। इसका अर्थ है कि 1535°C के उच्च ताप तक गर्म करने पर ठोस आइरन गलता है और द्रव आइरन (अथवा गलित आइरन) में परिवर्तित होता है। कॉपर धातु का भी 1083°C का उच्च गलनांक होता है। यद्यपि, कुछ अपवाद भी हैं। उदाहरणार्थ, सोडियम और पोटैशियम धातुओं के उच्च गलनांक (100°C से कम) होते हैं। अन्य धातु गैलियम का गलनांक इतना कम होता है कि वह हाथ में ही गलने लगता है (हमारे हाथ की ऊष्मा से)।

7. धातुओं के उच्च घनत्व होते हैं। इसका अर्थ है। कि धातुएँ भारी पदार्थ हैं। उदाहरणार्थ, आइरन धातु का घनत्व 7.8 g/cm3 है जो पर्याप्त उच्च है। यद्यपि, कुछ अपवाद हैं। सोडियम और पोटैशियम के निम्न घनत्व होते हैं। वे अत्यंत हल्की धातुएँ हैं।

8. धातुएँ ध्वानिक (sonorous) होती हैं। इसका अर्थ है कि धातुएँ, जब उन्हें मारते हैं, घंटी की ध्वनि उत्पन्न करती हैं। धातुओं के ध्वानिकता के गुण के कारण ही उन्हें घण्टी, प्लेट के प्रकार के बाजा जैसे मंजीरा और तन्तु-वाद्य जैसे वॉयलिन, गिटार, सितार तथा तानपूरा, इत्यादि के लिए तारों (या तंतुओं) को बनाने के लिए उपयोग किया जाता है।

9. धातुएँ प्रायः रजत (silver) अथवा धूसर भूरे (grey) रंग की होती हैं (कॉपर और गोल्ड के अतिरिक्त)। कॉपरे का रक्ताभ भूरा (reddish brown) रंग होता है जबकि गोल्ड (सोने) का रंग पीला होता है।
धातुएँ बहुसंख्यक (अनेक) कार्यों के लिए हमारे दैनिक जीवन में व्यापक रूप से उपयोग की जाती हैं। पाक-उपकरण, बिजली के पंखे, सिलाई मशीनें, कार, बस, ट्रक, (UPBoardSolutions.com) रेलगाड़ियाँ, जहाज और वायुयान सभी, धातुओं अथवा मिश्रधातु (alloys) नामक धातुओं के मिश्रण से बनाये जाते हैं। वास्तव में, धातुओं की बनी वस्तुओं की सूची जिन्हें हम अपने दैनिक जीवन में उपयोग करते हैं, अन्तरहित (unending) है।

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प्रश्न 7.
अधातुएँ क्या होती हैं? उनके गुणधर्मों को समझाइये।
उत्तर-
अधातुएँ (Non-metals) : अधातु एक तत्त्व है जो न तो आघातवर्थ्य न तनय होता है, और विद्युत चालित (प्रवाहित) नहीं करता है। अधातुओं के कुछ उदाहरण हैं : कार्बन, सल्फर, फॉस्फोरस, हाइड्रोजन, ऑक्सीजन, नाइट्रोजन, फ्लुओरीन, क्लोरीन, ब्रोमीन, आयोडीन, हीलियम, निऑन, ऑर्गन, क्रिप्टान, और जीनाने । हीरा (diamond) तथा ग्रेफाइट (graphite) भी अधातुएँ हैं। वे कार्बन के अपररूप (allotropic forms) हैं। कमरे के ताप पर सभी अधातुएँ, ब्रोमीन के अतिरिक्त जो एक द्रव अधातु है, ठोस (solids) अथवा गैस (gases) होती हैं।
अधातुओं के गुणधर्म (Properties of Nonmetals) :
अधातुओं के भौतिक गुणधर्म, धातुओं के भौतिक गुणधर्मों के बिल्कुल विपरीत हैं। अधातुओं के प्रमुख भौतिक गुणधर्म नीचे दिये गये हैं :

1. अधातुएँ आघातवर्थ्य नहीं हैं। अधातुएँ भंगुर (brittle) होती हैं। इसका अर्थ है कि अधातुओं को हथौड़े से पतली चादरों (thin sheets) में नहीं पीटा जा सकता है। जब हथौड़ा मारा जाता है, अधातुएँ छोटे-छोटे टुकड़ों में टूट जाती हैं।
उदाहरणार्थ, सल्फर (गंधक) और फॉस्फोरस ठोस अधातुएँ हैं जो आवातवर्थ्य नहीं हैं, उन्हें हथौड़े से पतली चादरों में पीटा नहीं जा सकता है। अतः अधातुओं की हम पतली चादरें नहीं प्राप्त कर सकते हैं। सल्फर और फॉस्फोरस अधातुएँ भंगुर हैं। हथौड़े से जब पीटी जाती हैं, वे छोटे-छोटे टुकड़ों में टूट जाती हैं। भंगुरता (brittleness) ठोस अधातुओं का अभिल्लाक्षणिक गुणधर्म है।

2. अधातुएँ तन्य नहीं होती हैं। इसका अर्थ है कि अधातुओं को तारों में र्वीचा नहीं जा सकता है। खींचने पर वे आसानी से पड़-पड़ करके टूट जाती हैं।
उदाहरणार्थ, सल्फर और फॉस्फोरस अधातुएँ हैं और वे तन्य नहीं हैं। जब खींचा जाता है, सल्फर और फॉस्फोरस
टुकड़ों में टूट जाते हैं और तार नहीं बनाते हैं। अतः अधातुओं से हम तार नहीं प्राप्त कर सकते हैं। उपर्युक्त विवेचना से हम निष्कर्ष निकालते हैं कि : अधातुएँ न तो आघातवष्ट ये हैं न तन्य। अधातुएँ भंगुर हैं।

3. अधातुएँ ऊष्मा और विद्युत की कुचालक होती हैं। इसका अर्थ है कि अधातुएँ अपने में से ऊष्मा और विद्युत को प्रवाहित नहीं होने देती हैं। अधातुओं में से अनेक, वास्तव में, विद्युतरोधी (insulators) हैं। यद्यपि, कुछ अपवाद हैं। कार्बन तत्त्व का एक रूप, हीरा (diamond) अधातु है जो ऊष्मा का सुचालक है और कार्बन तत्त्व का एक अन्य रूप, ग्रेफाइट अधातु है जो विद्युत का सुचालक है। विद्युत का सुचालक होने से, ग्रेफाइट इलेक्ट्रोड (eletrodes) बनाने के लिए उपयोग किया जाता है (जैसे कि शुष्क सेलों में)।

4. अधातुएँ दीप्त (या चमकीली) नहीं होती हैं। वे देखने में धुंधली होती हैं। अधातुओं में चमक नहीं होती। है जिसका मतलब है कि अधातुओं में चमकीली सतह नहीं होती है। ठोस अधातुएँ देखने में धुंधली होती हैं। उदाहरणार्थ, सल्फर और फॉस्फोरस अधातुएँ हैं जिनमें दीप्ति । (चमक) नहीं है, (UPBoardSolutions.com) अर्थात्, उनमें चमकीली सतह नहीं होती है। वे धुंधली (भद्दी) प्रतीत होती हैं। यद्यपि, एक अपवाद है। आयोडीन दीप्त (चमकीली) आकृति वाली अधातु होती है। उसमें चमकीली ऊपरी सतह होती है (धातुओं की भाँति)।

5. अधातुएँ आमतौर पर मृदु होती हैं (हीरे के अतिरिक्त क्योंकि यह अत्यंत कठोर अधातु है)। अधिकांश ठोस अधातुएँ काफी मृदु होती हैं। वे चाकू से आसानी से कट सकती हैं। उदाहरणार्थ, सल्फर और फॉस्फोरस ठोस अधातुएँ हैं जो काफी मृदु हैं और चाकू से आसानी से काटी जा सकती हैं। केवल एक अधातु कार्बन (हीरे के रूप में) अत्यंत कठोर है। वास्तव में, हीरा (जो कार्बन का एक अपररूप है। ज्ञात कठोरतम प्राकृतिक पदार्थ है।

6. अधातुएँ दृढ़ नहीं होती हैं। उनमें निम्न तनन सामर्थ्य होती है। इसका अर्थ है कि अधातुएँ बड़े (भारी) भारों को (बिना टूटे) रोक नहीं सकती हैं। उदाहरणार्थ, ग्रेफाइट एक अधातु है जो दृढ़ नहीं है। उसमें निम्न तनन सामर्थ्य होती है। जब ग्रेफाइट चादर पर भारी भार रखा जाता है, वह टूट जाता है।

7. अधातुएँ, कमरे के ताप पर, ठोस, द्रव अथवा गैसें हो सकती हैं। अधातुएँ सभी तीन अवस्थाओं : ठोस, द्रव और गैस में हो सकती हैं। उदाहरणार्थ, कार्बन, सल्फर और फॉस्फोरस ठोस अधातुएँ हैं; ब्रोमीन द्रव अधातु है; जबकि हाइड्रोजन, ऑक्सीजन, नाइट्रोजन और क्लोरीन गैसीय अधातुएँ हैं।

8. अधातुओं के, तुलनात्मक रूप से, निम्न गलनांक और क्वथनांक होते हैं (ग्रेफाइट के अतिरिक्त जो अत्यंत उच्च गलनांक वाली अधातु है)। इसका मतलब है यह कि अधातुएँ, तुलनात्मक रूप से निम्न तापों पर गलती और वाष्पित होती हैं।
उदाहरणार्थ, सल्फर 119°C के निम्न गलनांक वाली अधातु है। आयोडीन भी 113°C के निम्न गलनांक वाली अधातु है। केवल एक अधातु ग्रेफाइट का अत्यंत उच्च गलनांक (3700°C) होता है। अधिकतर अधातुओं के अत्यंत निम्न गलनांक होते हैं जिसके कारण वे कमरे के ताप पर गैसों के रूप में उपस्थित होते हैं।

9. अधातुओं के निम्न घनत्व होते हैं। इसका अर्थ है। कि अधातुएँ हल्के पदार्थ हैं। उदाहरणार्थ सल्फर 2 g/cm3 के निम्न घनत्व वाला ठोस अधातु है, जो काफी निम्न है। गैसीय अधातुओं का घनत्व अत्यंत निम्न होता है। एक अधातु आयोडीन का यद्यपि, उच्च घनत्व होता है।

10. अधातुएँ वानिक sonorous) नहीं होती हैं। इसका (UPBoardSolutions.com) अर्थ है कि ठोस अधातुएँ, जब उन्हें मारा जाता है, घण्टी की ध्वनि उत्पन्न नहीं करती हैं।

प्रश्न 8.
कोलाइडों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
उत्तर-
कोलाइडों को निम्नलिखित सात वर्गों में वर्गीकृत किया जा सकता है
(i) सॉल (Sol)
(ii) ठोस सॉल (Solid sol)
(iii) ऐरोसॉल (Aerosol)
(iv) इमल्शन (Emulsion)
(v) फोम (Foam)
(vi) ठोस फोम (Solid Foam)
(vii) जेल (Gel)

(i) सॉल (Sol) – सॉल एक कोलाइड है जिसमें नन्हें ठोस कण, द्रव माध्यम में परिक्षिप्त होते हैं। सॉलों के उदाहरण हैं : स्याही, साबुन विलयन, स्टार्च विलयन और अधिकांश पेण्ट (प्रलेप)

(ii) ठोस सॉल (Solid Sol) – ठोस सॉल एक कोलाइड है जिसमें ठोस कण, ठोस माध्यम में परिक्षिप्त होते हैं। ठोस सॉल का उदाहरण है : रंगीन रत्नपत्थर (माणिक्य काँच के समान) ।।

(iii) ऐरोसॉल (Aerosol) – ऐरोसॉल एक कोलाइड है जिसमें ठोस अथवा द्रव, गैस (वायु सहित) में परिक्षिप्त होता है। कोलाइडों जिनमें गैस में ठोस परिक्षिप्त होता है, के उदाहरण हैं : धुआँ या धूम (जो वायु में कालिख है) और स्वचालित वाहन निष्कास (Automobile Exhausts)। ऐरोसॉलों जिनमें गैस में द्रव परिक्षिप्त होता है, के उदाहरण हैं : केश स्प्रे, कोहरा, कुहासा और मेघ या बादल।

(iv) इमल्शन (Emulsion) – इमल्शन (पायस) एक कोलाइड है जिसमें एक दूव की अत्यंत छोटी सूक्ष्म बूंदें, दूसरे द्रव जो उसके साथ मिश्रणीय नहीं हैं, में परिक्षिप्त होती हैं। इमल्शन के उदाहरण हैं दूध, मक्खन और फेस क्रीम।

(v) फोम (Foam) – फोम (फेन या झाग) एक कोलाइड है जिसमें ठोस माध्यम में गैस परिक्षिप्त होती है। फोम के उदाहरण हैं : अग्निशामक आग (Fire-extinguisher Foam); साबुन के बुलबुले (Soap Bubbles), शेविंग क्रीम (Shaving Cream) और बीअर झाग (Beer Foam)।

(vi) ठोस फोम (Solid Foam) – ठोस फोम एक (UPBoardSolutions.com) कोलाइड है जिसमें ठोस माध्यम में गैस परिक्षिप्त होती है। ठोस फोम के उदाहरण हैं : रोधी फोम, फोम रबड़ और स्पंज।

(vii) जेल (Gel) – जेल एक अर्द्ध-ठोस कोलाइड है जिसमें द्रव में परिक्षिप्त ठोस कणों को लगातार जलक होता है। जेल के उदाहरण हैं : जेलियाँ (Jellies) और जिलैटिन (Gelatine)
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प्रश्न 9.
एक विलयन में, जल के 370 g में शक्कर के 30 ग्राम घुले हुए हैं। इस विलयन के सान्द्रण (सान्द्रता) की गणना कीजिए।
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अभ्यास प्रश्न

बहुविकल्पीय प्रश्न

1. लोहे से बने किसी बर्तन पर जंग का लगना कहलाता है
(a) घुलना और यह एक भौतिक परिवर्तन
(b) संक्षारण और यह एक रासायनिक परिवर्तन
(c) घुलना और यह एक रासायनिक परिवर्तन
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं।

2. सल्फर तथा कार्बन डाइसल्फाइडे का मिश्रण है
(a) समांगी तथा टिण्डल प्रभाव नहीं दर्शाता है।
(b) विषमांगी तथा टिण्डल प्रभाव नहीं दर्शाता है।
(c) समांगी तथा टिण्डल प्रभाव देर्शाता है।
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं।

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3. समुद्री जल से नमक प्राप्त किया जाता है|
(a) वाष्पीकरण द्वारा
(b) प्रभाजी आसवन द्वारा
(c) क्रोमैटोग्राफी द्वारा
(d) अपकेन्द्रन विधि द्वारा।

4. ऊर्ध्वपातन पदार्थ नहीं है
(a) आयोडीन
(b) बेंजीन
(c) कपूर
(d) अमोनियम क्लोराइड।

5. पृथक्करण फनल का उपयोग करते हैं अलग करने के लिए
(a) दो घुलनशील द्रवों को
(b) द्रव में अघुलनशील कणों को
(c) दो अघुलनशील द्रवों को।
(d) द्रव में विलेय ठोस पदार्थ को।

6. लोहे की पिने, बालू व अमोनियम क्लोराइड के मिश्रण घटकों को अलग करने के लिए प्रयोग किये गये प्रक्रमों का सही क्रम है
(a) विलयन बनाना, छानना व चुम्बकीय पृथक्करण
(b) चुम्बकीय पृथक्करण, विलयन बनाना व छानना
(c) चुम्बकीय पृथक्करण, ऊर्ध्वपातन
(d) विलयन बनाना, आसवन व चुम्बकीय पृथक्करण

7. गर्म करने पर सन्तृप्त विलयन हो जायेगा|
(a) अति सन्तृप्त
(b) असन्तृप्त
(c) अपघटित
(d) तनु विलयन।

8. टिंडल प्रभाव प्रदर्शित नहीं करते हैं
(a) वास्तविक विलयन
(b) निलम्बन
(c) कोलाइडल
(d) ये सभी।

9. क्रोमैटोग्राफी का प्रयोग करते हैं
(a) डाई में रंगों को अलग करने में
(b) प्राकृतिक रंगों से लवकों को अलग करने में
(c) रक्त से नशीले पदार्थों को दूर करने में।
(d) उपर्युक्त सभी में।

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10. धातुएँ
(a) चमकीली व गहरे रंग की होती हैं।
(b) विद्युत व ताप की सुचालक होती हैं।
(c) आघातवर्थ्य एवं तन्य होती हैं।
(d) उपर्युक्त सभी।

11. कमरे के ताप पर द्रव धातु है
(a) टिन
(b) ब्रोमीन
(c) पारा
(d) बोरॉन

12. कमरे के ताप पर द्रव अधातु है
(a) टिन
(b) ब्रोमीन
(c) पारा
(d) बोरॉन

13. उपधातु का उदाहरण है
(a) टिन
(b) ब्रोमीन
(c) पारा
(d) बोरॉन।

14. दो घुलनशील द्रव अलग किये जाते हैं
(a) आसवन प्रक्रम द्वारा
(b) पृथक्करण फनल द्वारा
(c) भारण विधि द्वारा
(d) ऊर्ध्वपातन द्वारा।

15. निलम्बन के कण दूर किये जाते हैं
(a) आसवन द्वारा
(b) पृथक्करण फनल द्वारा
(c) भारण विधि द्वारा
(d) ऊर्ध्वपातन द्वारा।

16. दो अघुलनशील द्रव अलग किये जाते हैं
(a) आसवन द्वारा
(b) पृथक्करण फनले द्वारी
(c) भारण विधि द्वारा
(d) ऊर्ध्वपातन द्वारा।

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17. दूध से क्रीम निकाली जाती है|
(a) आसवन द्वारा
(b) प्रभाजी आसवन द्वारा
(c) क्रोमैटोग्राफी द्वारा
(d) अपकेन्द्रन विधि द्वारा।

18. पेट्रोलियम व वायु के घटक प्राप्त किये जाते हैं
(a) आसवन द्वारा
(b) प्रभाजी आसवन द्वारा ।
(c) क्रोमैटोग्राफी द्वारा
(d) अपकेन्द्रन विधि द्वारा।

19. रक्त से नशीले पदार्थ अलग किये जाते हैं
(a) वाष्पीकरण द्वारा
(b) प्रभाजी आसवन द्वारा
(c) क्रोमैटोग्राफी द्वारा
(d) अपकेन्द्रन विधि द्वारा।

20. घटकों का पृथक्करण चाहिए|
(a) अवांछित या हानिकारक घटक को दूर करने के लिए
(b) शुद्ध पदार्थ प्राप्त करने के लिए
(c) लाभदायक घटक को प्राप्त करने के लिए
(d) उपर्युक्त सभी

21. समांगी मिश्रण का उदाहरण है
(a) कॉपर सल्फेट का विलयन
(b) नमक व सल्फर का मिश्रण
(c) सल्फर व लोहे के चूर्ण का मिश्रण
(d) उपर्युक्त सभी।

22. दो या अधिक पदार्थों को समांगी मिश्रण कहलाता
(a) विलयन
(b) निलम्बन
(c) कोलाइडल
(d) इनमें से कोई भी नहीं।

23. निलम्बन है एक
(a) समांगी मिश्रण
(b) विषमांगी मिश्रण जिसमें घुलित कण आँखों से देखे जा सकें
(c) विषमांगी मिश्रण जिसमें घुलित कण आँखों से न देखे जा सकें
(d) उपर्युक्त सभी।

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24. विलयन है एक
(a) समांगी मिश्रण
(b) विषमांगी मिश्रण जिसमें घुलित कण आँखों से देखे जा सकें
(c) विषमांगी मिश्रण जिसमें घुलित कण आँखों से न देखे जा सकें
(d) उपर्युक्त सभी।

25. कोलाइडल है एक
(a) समांगी मिश्रण
(b) विषमांगी मिश्रण जिसमें घुलित कण आँखों से देखे जा सकें
(c) विषमांगी मिश्रण जिसमे घुलित कण आँखों से न ‘ देखे जा सकें।
(d) उपरोक्त सभी।

26. मिश्रण के विषय में सही कथन नहीं है।
(a) घटक अपने गुण प्रदर्शित करते हैं।
(b) मिश्रण के गुण घटकों के गुण से भिन्न होते हैं।
(c) घटक किसी भी अनुपात में मिले होते हैं।
(d) घटक सरल विधियों द्वारा अलग किये जा सकते हैं।

27. विषमांगी मिश्रण का उदाहरण है
(a) लकड़ी
(b) पीतल
(c) नमक का जलीय विलयन
(d) स्टील।

28. ठोस-ठोस विलयन का उदाहरण है–
(a) लकड़ी
(b) पीतल
(c) नमक का जलीय विलयन
(d) इमल्शन।

29. गंदला पानी उदाहरण है
(a) विलयन का
(b) निलम्बन का
(c) कोलाइडल का
(d) ये सभी

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30. साबुन का जलीय विलयन है एक
(a) विलयन का
(b) निलम्बन का
(c) कोलाइडल का
(d) ये सभी ।

उत्तरमाला

      1. (b)
      2. (a)
      3. (a)
      4. (b)
      5. (c)
      6. (c)
      7. (b)
      8. (a)
      9. (d)
      10. (d)
      11. (c)
      12. (b)
      13. (d)
      14. (a)
      15. (c)
      16. (b)
      17. (d)
      18. (b)
      19. (c)
      20. (d)
      21. (a)
      22. (a)
      23. (b)
      24. (a)
      25. (c)
      26. (b)
      27. (a)
      28. (b)
      29. (b)
      30. (c)

We hope the UP Board Solutions for Class 9 Science Chapter 2 Is Matter Around us Pure (क्या हमारे आस-पास के पदार्थ शुद्ध हैं) help you. If you have any query regarding UP Board Solutions for Class 9 Science Chapter 2 Is Matter Around us Pure (क्या हमारे आस-पास के पदार्थ शुद्ध हैं), drop a comment below and we will get back to you at the earliest.