UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 3 Coordinate Geometry

UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 3 Coordinate Geometry (निर्देशांक ज्यामिति)

These Solutions are part of UP Board Solutions for Class 9 Maths. Here we have given UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 3 Coordinate Geometry (निर्देशांक ज्यामिति)

.

प्रश्नावली 3.1

प्रश्न 1.
एक अन्य व्यक्ति को आप अपने अध्ययन मेज पर रखे टेबल-लैम्प की स्थिति किस तरह बताएँगे?
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 3 Coordinate Geometry img-1
हल :
मान लिया कि मेज का तल एक समतल है और उस पर रखा हुआ टेबल-लैम्प समतल में स्थित एक बिन्दु है। मेज की एक कोर के साथ इस प्रकार खड़े हुए कि इस कोर के साथ (UPBoardSolutions.com) लगी दूसरी कोर बाएँ हाथ की ओर रहे।
यदि दूसरी कोर से लैम्प की दूरी x यूनिट हो और पहली कोर से लैम्प की दूरी y यूनिट हो तो लैम्प की स्थिति = (x, y)

UP Board Solutions

प्रश्न 2.
(सड़क योजना) : एक नगर में दो मुख्य सड़कें हैं, जो नगर के केन्द्र पर मिलती हैं। ये दो सड़कें उत्तर-दक्षिण की दिशा और पूर्व-पश्चिम की दिशा में हैं। नगर की अन्य सभी सड़कें इन मुख्य सड़कों के समान्तर परस्पर 200 मीटर की दूरी पर हैं। प्रत्येक दिशा में पाँच सड़कें हैं। एक सेन्टीमीटर = 200 मीटर का पैमाना लेकर अपनी नोट-बुक में नगर को एक मॉडल बनाइए। सड़कों को एकल रेखाओं से निरूपित कीजिए।
आपके मॉडल में एक-दूसरे को काटती हुई अनेक क्रॉस-स्ट्रीट (चौराहे) हो सकती हैं। एक विशेष क्रॉस स्ट्रीट दो सड़कों से बनी है जिनमें से एक उत्तर-दक्षिण दिशा में जाती है और दूसरी पूर्व-पश्चिम दिशा में। प्रत्येक क्रॉस स्ट्रीट का निर्देशन इस प्रकार किया जाता है :
यदि दूसरी सड़क उत्तर-दक्षिण दिशा में जाती है और पाँचवीं सड़क पूर्व-पश्चिम दिशा में जाती है और ये एक क्रॉसिंग पर मिलती हैं, तब इसे क्रॉस स्ट्रीट (2, 5) कहेंगे। इसी परम्परा से यह ज्ञात कीजिए कि
(i) कितनी क्रॉस-स्ट्रीटों को (4, 3) माना जा सकता है।
(ii) कितनी क्रॉस-स्ट्रीटों को (3, 4) माना जा सकता है।
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 3 Coordinate Geometry img-2

प्रश्नावली 3.2

प्रश्न 1.
निम्नलिखित प्रश्नों में से प्रत्येक का उत्तर दीजिए।
(i) कार्तीय तल में किसी बिन्दु की स्थिति निर्धारित करने वाली क्षैतिज और ऊर्ध्वाधर रेखाओं के क्या नाम हैं?
(ii) इन दो रेखाओं से बने तल के प्रत्येक भाग के नाम बताइए।
(iii) उस बिन्दु का नाम बताइए जहाँ ये दोनों रेखाएँ प्रतिच्छेदित होती हैं।
हल :
(i) कार्तीय तल में किसी बिन्दु की स्थिति निर्धारित करने वाली क्षैतिज रेखा का नाम -अक्ष है और ऊर्ध्वाधर रेखा का नाम -अक्ष है।
(ii) ये दोनों रेखाएँ x-अक्ष और y-अक्ष तल को चार भागों में विभक्त क़रती हैं। प्रत्येक भाग,को एक चतुर्थांश (Quadrant) कहते हैं।
(iii) x-अक्ष और y-अक्ष जिस बिन्दु पर एक-दूसरे को काटते हैं, उस बिन्दु को मूलबिन्दु (Origin) कहते हैं।

प्रश्न 2.
दी गई आकृति देखकर निम्नलिखित को लिखिए :
(i) B के निर्देशांक
(ii) C के निर्देशांक
(iii) निर्देशांक (-3, -5) द्वारा पहचाना गया बिन्दु
(iv) निर्देशांक (2 -4) द्वारा पहचाना गया बिन्दु
(v) D का भुज
(vi) बिन्दु H की कोटि
(vii) बिन्दु L के निर्देशांक
(viii) बिन्दु Mके निर्देशांक।
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 3 Coordinate Geometry img-3
हल :
(i) बिन्दु B का भुज = – 6 और कोटि = 2 (बिन्दु B द्वितीय चतुर्थांश में स्थित है।)
बिन्दु B के निर्देशांक = (-5, 2)
(ii) बिन्दु C का भुज = 5 और = – 5 (बिन्दु C चतुर्थ चतुर्थांश में स्थित है।)
बिन्दु C के निर्देशांक = (5, -5)
(iii) बिन्दु (-3, -5) के दोनों निर्देशांक ऋणात्मक हैं।
यह बिन्दु तृतीय चतुर्थांश में स्थित होगा।
निर्देशांक (-3, -5) द्वारा पहचाना गया बिन्दु = E
(iv) बिन्दु (2, -4) का भुज धनात्मक तथा कोटि ऋणात्मक है।
यह बिन्दु चतुर्थ चतुर्थाश में स्थित होगा।
निर्देशांक (2, -4) द्वारा पहचाना गया बिन्दु = G
(v) बिन्दु D प्रथम चतुर्थांश में स्थित है।
इसका भुज धनात्मक होगा।
बिन्दु D की भुज = 6
(vi) बिन्दु H तृतीय चतुर्थांश में स्थित है।
बिन्दु H की कोटि ऋणात्मक होगी।
बिन्दु H की कोटि = -3
(vii) बिन्दु L के निर्देशांक = (भुज, कोटि) = (0, 5) (बिन्दु L धनात्मक y-अक्ष पर स्थित है।)
(viii) बिन्दु M के निर्देशांक (-3, 0) (बिन्दु M ऋणात्मक x-अक्ष पर स्थित है।)

UP Board Solutions

प्रश्नावली 3.3

प्रश्न 1.
किस चतुर्थांश में या किस अक्ष पर बिन्दु (-2, 4), (3, -1), (-1, 0), (1, 2) और (-3, -5) स्थित हैं? कार्तीय तल पर इनका स्थान निर्धारण करके अपने उत्तर सत्यापित कीजिए।
हल :
बिन्दु (-2, 4) का भुज (-) और कोटि (+) है। अत: यह द्वितीय चतुर्थांश में स्थित है।
बिन्दु (3, -1) का भुज (+) और कोटि (-) है। अत: यह चतुर्थ चतुर्थांश में स्थित है।
बिन्दु (-1, 0) की कोटि शून्य तथा भुज ऋणात्मक है। अत: यह ऋणात्मक x-अक्ष पर स्थित है।
बिन्दु (1, 2) का भुज (+) और कोटि (+) है। अतः यह प्रथम चतुर्थांश में स्थित है।
बिन्दु (- 3, -5) के भुज और कोटि दोनों ऋणात्मक हैं। अत: यह तृतीय चतुर्थांश में स्थित है।
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 3 Coordinate Geometry img-4

प्रश्न 2.
अक्षों पर दूरी का उपयुक्त एकक लेकर नीचे सारणी में दिए गए बिन्दुओं को तल पर आलेखित कीजिए।
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 3 Coordinate Geometry img-5
हल :
बिन्दुओं का आलेखन चित्र में प्रदर्शित किया गया है।
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 3 Coordinate Geometry img-6

We hope the UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 3 Coordinate Geometry (निर्देशांक ज्यामिति) help you. If you have any query regarding UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 3 Coordinate Geometry (निर्देशांक ज्यामिति), drop a comment below and we will get back to you at the earliest.

UP Board Solutions for Class 9 Science Chapter 4 Structure of the Atom

UP Board Solutions for Class 9 Science Chapter 4 Structure of the Atom (परमाणु की संरचना)

These Solutions are part of UP Board Solutions for Class 9 Science. Here we have given UP Board Solutions for Class 9 Science Chapter 4 Structure of the Atom (परमाणु की संरचना).

पाठ्य – पुस्तक के प्रश्नोत्तर

पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या – 53)

प्रश्न 1.
केनाल किरणें क्या हैं ?
उत्तर-
केनाल किरणें- जब विसर्जन नलिका में बहुत कम दाब पर छिद्र युक्त कैथोड लेकर विद्युत विसर्जन किया जाता है तो छिद्र युक्त कैथोड से एक प्रकार की किरणें निकलती हैं जिनकी (UPBoardSolutions.com) दिशा कैथोड किरणों के विपरीत होती है। ये किरणें धनावेशित कणों से मिलकर बनी होती हैं। जिन्हें प्रोटॉन कहा गया। इनका द्रव्यमान हाइड्रोजन के एक परमाणु के द्रव्यमान के बराबर पाया गया।

UP Board Solutions

प्रश्न 2.
यदि किसी परमाणु में एक इलेक्ट्रॉन तथा एक प्रोटॉन है तो उसमें कोई आवेश होगा या नहीं ?
उत्तर-
यदि किसी परमाणु में एक इलेक्ट्रॉन तथा एक प्रोटॉन होगा, तो उस पर कोई आवेश नहीं होगा क्योंकि इलेक्ट्रॉन पर उपस्थित ऋण आवेश प्रोटॉन पर उपस्थित धन आवेश को उदासीन कर देगा।

पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या – 56)

प्रश्न 1.
परमाणु उदासीन है, इस तथ्य को टामसन के मॉडल के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
टॉमसन के परमाणे मॉडल के अनुसार परमाणु धन आवेशित गोले का बना होता है और इलेक्ट्रॉन उसमें फँसे होते हैं। क्योंकि धनात्मक आवेश तथा इलेक्ट्रॉन पर उपस्थित ऋणात्मक आवेश परिमाण में समान होते हैं।
अतः परमाणु उदासीन होता है।

प्रश्न 2.
रदरफोर्ड के परमाणु मॉडल के अनुसार, परमाणु के नाभिक में कौन-सा अवपरमाणुक कण विद्यमान है?
उत्तर-
रदरफोर्ड के परमाणु मॉडल के अनुसार, परमाणु के नाभिक में धनावेशित कण प्रोटॉन विद्यमान है।

प्रश्न 3.
तीन कक्षाओं वाले बोर के परमाण मॉडल का चित्र बनाइये।।
उत्तर-
तीन कक्षाओं वाले बोर के परमाणु का मॉडल चित्र निम्न प्रकार से है। तीन कक्षाएँ क्रमशः K, L तथा M द्वारा दिखाई गई हैं
UP Board Solutions for Class 9 Science Chapter 4 Structure of the Atom image - 1

प्रश्न 4.
क्या अल्फा किरणों का प्रकीर्णन प्रयोग सोने के अतिरिक्त दूसरी धातु की पन्नी से संभव होगा?
उत्तर-
अल्फा किरणों के प्रकीर्णन प्रयोग में सोने की पन्नी को इसलिए चुना गया क्योंकि सोने की परत बहुत पतली अवस्था में प्राप्त हो सकती है अर्थात् 1000 परमाणुओं की मोटाई (UPBoardSolutions.com) के बराबर। यदि दूसरी भारी धातु लें तो हम इतनी पतली परत वाली पन्नी प्राप्त नहीं कर सकते अतः अल्फा किरणों का प्रकीर्णन तो इससे भी संभव होगा परन्तु परिणाम इतने स्पष्ट नहीं होंगे जितने सोने की पन्नी से प्राप्त होंगे।

पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या – 56)

प्रश्न 1.
परमाणु के तीन अवपरमाणुक कणों के नाम लिखिए।
उत्तर-
परमाणु के तीन प्रमुख कण हैं-इलेक्ट्रॉन, प्रोटॉन, और न्यूट्रॉन।

UP Board Solutions

प्रश्न 2.
होलियम परमाणु का परमाणु द्रव्यमान 4u है तथा उसके नाभिक में दो प्रोटॉन होते हैं। इसमें कितने न्यूट्रान होंगे?
उत्तर-
न्यूट्रॉनों की संख्या = परमाणु द्रव्यमान – प्रोटॉन की संख्या = 4 – 2 = 2

पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या – 57)

प्रश्न 1.
कार्बन और सोडियम के परमाणुओं के लिए इलेक्ट्रॉन-वितरण लिखिए।
उत्तर-
UP Board Solutions for Class 9 Science Chapter 4 Structure of the Atom image - 2

प्रश्न 2.
अगर किसी परमाणु का K और L कोश भरा है, तो उस परमाणु में इलेक्ट्रॉनों की संख्या क्या होगी ?
उत्तर-
K (पहला कक्ष)
इसमें इलेक्ट्रॉनों की संख्या = 2
L (दूसरा कक्ष)
इसमें इलेक्ट्रॉनों की संख्या = 8
अतः परमाणु में कुल इलेक्ट्रॉन = 2 + 8 = 10.

पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या – 58)

प्रश्न 1.
क्लोरीन, सल्फर और मैग्नीशियम की परमाणु संख्या से आप इनकी संयोजकता कैसे प्राप्त करेंगे?
उत्तर-
(i) क्लोरीन परमाणु संख्या = 17
इलेक्ट्रॉनिक विन्यास = 2, 8, 7
क्लोरीन के बाह्यतम कोश को पूर्ण करने के लिए केवल 1 इलेक्ट्रॉन की आवश्यकता होती है। इसलिए इसकी संयोजकता 1 है।
(ii) सल्फर परमाणु क्रमांक = 16
इलेक्ट्रॉनिक विन्यास = 2, 8, 6
क्योंकि इसके बाह्यतम कोश में 6 इलेक्ट्रॉन उपस्थित होते हैं।
अत: इसे पूर्ण रूप से भरने के लिए 2 इलेक्ट्रॉन की आवश्यकता होती है। अतः इसकी संयोजकता 2 है।
(iii) मैग्नीशियम परमाणु क्रमांक = 12
इलेक्ट्रॉनिक विन्यास = 2, 8, 2
क्योंकि इसके बाह्यतम कोश में 2 इलेक्ट्रॉन हैं
अतः इसकी संयोजकता 2 होगी।

पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या – 59)

प्रश्न 1.
यदि किसी परमाणु में इलेक्ट्रॉनों की संख्या 8 है और प्रोटॉनों की संख्या भी 8 है तब,
(a) परमाणु की परमाणुक संख्या क्या है ?
(b) परमाणु का क्या आवेश है ?
उत्तर-
(a) परमाणु संख्या = प्रोटॉनों की संख्या = 8
(b) प्रोटॉनों की संख्या = 8
धनात्मक आवेश = 8
इलेक्ट्रॉनों की संख्या = 8
ऋणात्मक आवेश = 8
कुल आवेश = + 8 (- 8) = 0

UP Board Solutions

प्रश्न 2.
पाठ्य-पुस्तक की सारणी 4.1 की सहायता से ऑक्सीजन और सल्फर परमाणुओं की द्रव्यमान संख्या ज्ञात कीजिए।
उत्तर-
(i) ऑक्सीजन की द्रव्यमान संख्या = प्रोटॉनों की संख्या + न्यूट्रॉनों की संख्या = 8 + 8 = 16 u
(ii) सल्फर की परमाणु द्रव्यमान संख्या = प्रोटॉनों की संख्या + न्यूट्रॉनों की संख्या = 16 + 16 = 32 u

पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या – 60)

प्रश्न 1.
चिन्ह H, D और T के लिए प्रत्येक में पाए जाने वाले तीन अवपरमाणुक कणों को सारणीबद्ध कीजिए।
UP Board Solutions for Class 9 Science Chapter 4 Structure of the Atom image - 3

प्रश्न 2.
समस्थानिक और समभारिक के किसी एक युग्म का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास लिखिए।
उत्तर-
कार्बन के समस्थानिक हैं
[latex]_{ 6 }^{ 12 }{ C }[/latex] और [latex]_{ 6 }^{ 14 }{ C }[/latex]
[latex]_{ 6 }^{ 12 }{ C }[/latex] (कार्बन-12)
प्रोटॉनों की संख्या = 8
इलेक्ट्रॉनों की संख्या = 6
न्यूट्रॉन की संख्या = 12 – 6 = 6
इलेक्ट्रॉनिक विन्यास = 2, 4
[latex]_{ 6 }^{ 14 }{ C }[/latex] (कार्बन-14)
इलेक्ट्रॉन की संख्या = 6
न्यूट्रॉन की संख्या = 14 – 6 = 8
प्रोटॉन की संख्या = 6
इलेक्ट्रॉनिक विन्यास = 2, 4
समभारिक
[latex]_{ 18 }^{ 40 }{ Ar }[/latex] आर [latex]_{ 20 }^{ 40 }{ Ca }[/latex]
[latex]_{ 18 }^{ 40 }{ Ar }[/latex] (ऑर्गन)
इलेक्ट्रॉन की संख्या = 18
प्रोटॉन की संख्या = 18
न्यूट्रॉन की संख्या = 40 – 18 = 22
इलेक्ट्रॉनिक विन्यास = 2, 8, 8, 4
[latex]_{ 20 }^{ 40 }{ Ca }[/latex] (कैल्सियम)
इलेक्ट्रॉन की संख्या = 20
प्रोटॉन की संख्या = 20
न्यूट्रॉन की संख्या = 40 – 20 = 20
इलेक्ट्रॉनिक विन्यास = 2, 8, 8, 2

UP Board Solutions

अभ्यास के प्रश्न (पृष्ठ संख्या 61 – 63)

प्रश्न 1.
इलेक्ट्रॉन, प्रोटॉन और न्यूट्रॉन के गुणों की तुलना कीजिए।
उत्तर-
इलेक्ट्रॉन, प्रोटॉन व न्यूटॉन के गुणों की तुलना-
UP Board Solutions for Class 9 Science Chapter 4 Structure of the Atom image - 4

प्रश्न 2.
जे. जे. टामसन के परमाणु मॉडल की क्या सीमाएँ हैं ?
उत्तर-
जे.जे. टामसन ने परमाणु को एक गोले के रूप में प्रतिपादित किया, जिसमें प्रोटॉनों की उपस्थिति के कारण धनात्मक आवेश होता है और इलेक्ट्रॉन इसके अन्दर धंसे होते हैं। टॉमसन के पास इसे प्रायोगिक रूप में सिद्ध करने का कोई प्रमाण नहीं था और इस मॉडल द्वारा दूसरे वैज्ञानिकों द्वारा किये गये प्रयोगों के परिणामों को भी नहीं समझाया जा सकता है।

प्रश्न 3.
रदरफोर्ड के परमाणु मॉडल की क्या सीमाएँ हैं ?
उत्तर –
रदरफोर्ड के परमाणु मॉडल की कमियाँ-रदरफोर्ड (UPBoardSolutions.com) ने प्रस्तावित किया कि इलेक्ट्रॉन धनावेशित नाभिक के चारों ओर घूमते हैं (या चक्कर लगाते हैं)।
UP Board Solutions for Class 9 Science Chapter 4 Structure of the Atom image - 5
चित्र- चक्कर लगाता इलेक्ट्रॉन नाभिक में प्रवेश करता हुआ
अतः नाभिक व घूमने वाले इलेक्ट्रॉनों के मध्य आकर्षण बल इलेक्ट्रॉनों के अपकेन्द्रिय बल से संतुलित हो जाता है। परन्तु जब आवेशित वस्तु वृत्ताकार पथ पर घूमती है तो वह विकिरण उत्सर्जित करती है, जिससे ऊर्जा में हानि होती है। इसके फलस्वरूप इलेक्ट्रॉनों को नाभिक में गिर जाना चाहिए। (UPBoardSolutions.com) अगर ऐसा होता तो परमाणु अस्थिर हो जायेगा। परन्तु परमाणु स्थायी है। इन सब तथ्यों की रदरफोर्ड व्याख्या न कर सका और परमाणु की स्थिरता के कारण की व्याख्या भी नहीं कर सका।

प्रश्न 4.
बोर के परमाणु मॉडल की व्याख्या कीजिए।
उत्तर-
बोर का परमाणु मॉडल- रदरफोर्ड के परमाणु मॉडल की त्रुटियों का निवारण करके बोर ने परमाणु का नया मॉडल प्रस्तावित किया। उसकी मुख्य धाराएँ निम्नलिखित हैं|

  1. इलेक्ट्रॉन परमाणु के नाभिक के चारों ओर निश्चित कक्षाओं में चक्कर लगाते हैं जिन्हें कक्ष कहते हैं।
  2. एक इलेक्ट्रॉन जब किसी कक्ष में चक्कर लगाता है तो उसमें निश्चित ऊर्जा होती है और ऊर्जा का विकिरण नहीं होता।
  3. प्रत्येक कक्ष की अपनी निश्चित ऊर्जा होती है। इसीलिए उन्हें ऊर्जा स्तर कहा जाता है।
    UP Board Solutions for Class 9 Science Chapter 4 Structure of the Atom image - 6
  4. इन ऊर्जा स्तरों को K, L, M, N… द्वारा या 1, 2, 3, 4 … द्वारा प्रदर्शित करते हैं।

UP Board Solutions

प्रश्न 5.
इस अध्याय में दिए सभी परमाणु मॉडलों की तुलना कीजिए।
उत्तर-
इस अध्याय में टॉमसन, रदरफोर्ड व बोर के परमाणु मॉडल दिये गये हैं। इनकी तुलना निम्न प्रकार से कर सकते हैं-
UP Board Solutions for Class 9 Science Chapter 4 Structure of the Atom image - 7

प्रश्न 6.
पहले अठारह तत्त्वों के विभिन्न कक्षों में इलेक्ट्रॉन वितरण के नियमों को लिखिए।
उत्तर-
प्रथम 18 तत्त्वों के इलेक्ट्रॉनिक विन्यास लिखने के लिए प्रयोग किए गए नियम निम्न प्रकार से हैं

  1. किसी भी कक्ष में उपस्थित इलेक्ट्रॉन की संख्या एक सूत्र 2n² द्वारा ज्ञात की जाती है, जहाँ n = कक्ष की संख्या या ऊर्जा स्तर की संख्या। अतः अधिकतम इलेक्ट्रॉनों की संख्या
    पहले कक्ष (K) में होगी = 2 x 1² = 2
    दूसरे कक्ष (L) में होगी = 2 x 2² = 8
    तीसरे कक्ष (M) में होगी = 2 x 3² = 18
    चौथे कक्ष (N) में होगी = 2 x 4² = 32
  2. बाह्यतम कोष में अधिकतम आठ इलेक्ट्रॉन रखे जा सकते हैं।
  3. पहले कक्ष में इलेक्ट्रॉनों की संख्या पूर्ण होने पर शेष इलेक्ट्रॉन दूसरे कक्ष में जा सकते हैं अर्थात् कक्ष क्रमानुसार ही भरे जाते हैं।

प्रश्न 7.
सिलिकॉन व ऑक्सीजन का उदाहरण लेते हुए संयोजकता की परिभाषा दीजिए।
उत्तर-
किसी तत्त्व की संयोग करने की क्षमता को उसकी संयोजकता कहते हैं। यह उस परमाणु के बाह्यतम कोश (कक्ष) में उपस्थित इलेक्ट्रॉनों की संख्या से ज्ञात (UPBoardSolutions.com) की जाती है।
यदि बाह्यतम कोश में इलेक्ट्रॉनों की संख्या चार या उससे कम हो तो संयोजकता = बाह्यतम कोश में उपस्थित इलेक्ट्रॉनों की संख्या।
उदाहरण- सिलिकॉन (Si) की परमाणु संख्या 14 है।
अतः इसका इलेक्ट्रॉनिक विन्यास = 2, 8, 4
सिलिकॉन की संयोजकता = 4
यदि बाह्यतम कोश में उपस्थित इलेक्ट्रॉनों की संख्या चार से अधिक हो तो
संयोजकता = 8 – (बाह्यतम कोश में इलेक्ट्रॉनों की संख्या)
उदाहरण- ऑक्सीजन (O) की परमाणु संख्या 8 है।
इसका इलेक्ट्रॉनिक वितरण = 2, 6
अतः इसकी संयोजकता = 8 – 6 = 2

UP Board Solutions

प्रश्न 8.
उदाहरण सहित व्याख्या कीजिए-परमाणु संख्या, द्रव्यमान संख्या, समस्थानिक और समभारिक। समस्थानिकों के कोई दो उपयोग लिखिए।
उत्तर-

  1. परमाणु संख्या – परमाणु के नाभिक में पाए जाने वाले (धनावेशित कण) प्रोटॉनों की संख्या को परमाणु संख्या कहते हैं।
    इसे Z द्वारा दर्शाया जाता है।
    उदाहरण-

    • कार्बन की परमाणु संख्या 6 है क्योंकि इसके नाभिक में 6 प्रोटॉन पाए जाते हैं।
    • ऑक्सीजन की परमाणु संख्या 8 है क्योंकि ऑक्सीजन के परमाणु के नाभिक में 8 प्रोटॉन पाए जाते हैं।
  2. द्रव्यमान संख्या – परमाणु के नाभिक में पाए जाने वाले प्रोटॉन व न्यूट्रॉन की कुल संख्या को द्रव्यमान संख्या कहते हैं।
    द्रव्यमान संख्या = प्रोटॉन की संख्या + न्यूट्रॉन की संख्या
    उदाहरण-

    • ऑक्सीजन की द्रव्यमान संख्या (परमाणु द्रव्यमान) 16 है क्योंकि ऑक्सीजन के परमाणु के नाभिक में 8 प्रोटॉन व 8 न्यूट्रॉन है।
      अतः द्रव्यमान संख्या = 8 + 8 = 16
    • सोडियम की द्रव्यमान संख्या 23 है क्योंकि सोडियम के नाभिक में 11 प्रोटॉन व 12 न्यूट्रॉन हैं।
      अतः द्रव्यमान संख्या = 11 + 12 = 23

समस्थानिक – एक ही तत्त्व के वे परमाणु जिनके परमाणु संख्या समान परन्तु द्रव्यमान संख्या भिन्न-भिन्न हों, समस्थानिक कहलाते हैं।
UP Board Solutions for Class 9 Science Chapter 4 Structure of the Atom image - 8
समस्थानिकों के दो उपयोग-

  1. यूरेनियम के एक समस्थानिक का उपयोग परमाणु भट्टी में ईंधन के रूप में किया जाता है।
  2. कैंसर के उपचार में कोबाल्ट के एक समस्थानिक का उपयोग होता है।
  3. पेंघा रोग के उपचार में आयोडीन के समस्थानिक का उपयोग होता है।

UP Board Solutions

प्रश्न 9.
Na+ के पूरी तरह से भरे हुए K वे L कोश होते हैं- व्याख्या कीजिए।
उत्तर-
Na की परमाणु संख्या = 11
Na+ में उपस्थित इलेक्ट्रॉन की संख्या = 11 – 1 = 10
Na+ का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास = K, L = 2, 8
अत: Na+ में K तथा L कोश पूरी तरह भरे होते हैं।

प्रश्न 10.
अगर ब्रोमीन परमाणु दो समस्थानिकों [[latex]_{ 35 }^{ 79 }{ Br }[/latex] (49.7%) तथा [latex]_{ 35 }^{ 81 }{ Br }[/latex] (50.3%)] के रूप में हैं, तो ब्रोमीन परमाणु के औसत परमाणु द्रव्यमान की गणना कीजिए।
UP Board Solutions for Class 9 Science Chapter 4 Structure of the Atom image - 9

प्रश्न 11.
एक तत्त्व X का परमाणु द्रव्यमान 16.2 u है तो इसके किसी एक नमूने में समस्थानिक [latex]_{ 8 }^{ 16 }{ X }[/latex] और [latex]_{ 8 }^{ 18 }{ X }[/latex] का प्रतिशत क्या होगा?
UP Board Solutions for Class 9 Science Chapter 4 Structure of the Atom image - 10

प्रश्न 12.
यदि तत्त्व का Z = 3 हो तो उस तत्त्व की संयोजकता क्या होगी? उस तत्त्व का नाम भी लिखिए।
उत्तर-
दिया है- Z = 3
इलेक्ट्रॉनिक विन्यास = 2, 1
तत्त्व की संयोजकता = 1
तत्त्व का नाम = लीथियम (Li)

प्रश्न 13.
दो परमाणु स्पीशीज के केन्द्रकों का संघटन नीचे दिया गया है
प्रोटॉन = 6(X) 6(Y)
न्यूट्रॉन = 6(X) 8(Y)
X और Y की द्रव्यमान संख्या ज्ञात कीजिए। इन दोनों स्पीशीज में क्या सम्बन्ध है?
हल-
X की द्रव्यमान संख्या = प्रोटॉन + न्यूट्रॉन = 6 + 6 = 12u
Y की द्रव्यमान संख्या = प्रोटॉन + न्यूट्रॉन = 6 + 8 = 14u
X और Y दोनों में प्रोटॉनों की संख्या समांन है अर्थात् दोनों की परमाणु संख्या समान है। परन्तु उनकी द्रव्यमान संख्या भिन्न है।
अतः दोनों एक ही तत्त्व के समस्थानिक हैं।

UP Board Solutions

प्रश्न 14.
निम्नलिखित कथनों में से सही पर “T” और गलत पर “F” लिखिए
(a) जे. जे. टॉमसन ने यह प्रस्तावित किया था कि परमाणु के केन्द्रक में केवल न्यूक्लीयॉन्स होते हैं।
(b) एक इलेक्ट्रॉन और प्रोटॉन मिलकर न्यूट्रॉन का निर्माण करते हैं इसलिए यह अनावेशित होता है।
(c) इलेक्ट्रॉन का द्रव्यमान प्रोटॉन से लगभग [latex]\frac { 1 }{ 2000 }[/latex] गुना होता है।
(d) आयोडीन के समस्थानिक का इस्तेमाल टिंक्चर आयोडीन बनाने में होता है। इसका उपयोग दवा के रूप में होता है।
उत्तर-
(a) F, (b) F, (c) T, (d) T.

प्रश्न संख्या 15, 16, 17 और 18 में सही के सामने (✓) का चिह्न और गलत के सामने (✗) का चिह्न लगाइए।

प्रश्न 15. रदरफोर्ड का अल्फा कण प्रकीर्णन प्रयोग किसकी खोज के लिए उत्तरदायी था
(a) परमाणु केन्द्रक
(b) इलेक्ट्रॉन
(c) प्रोटॉन
(d) न्यूट्रॉन
उत्तर-
(a) ✓
(b) ✗
(c) ✗
(d) ✗

प्रश्न 16.
एक तत्त्वे के समस्थानिक में होते हैं
(a) समान भौतिक गुण
(b) भिन्न रासायनिक गुण
(c) न्यूट्रॉनों की अलग-अलग संख्या
(d) भिन्न परमाणु संख्या
उत्तर-
(a) ✗
(b) ✗
(c) ✓
(d) ✗

प्रश्न 17.
Cl आयन में संयोजकत्ना-इलेक्ट्रॉनों की संख्या है
(a) 16
(b) 8
(c) 17
(d) 18
उत्तर-
(a) ✗
(b) ✓
(c) ✗
(d) ✗

UP Board Solutions

प्रश्न 18.
सोडियम का सही इलेक्ट्रॉनिक विन्यास निम्न में कौन-सा है ?
(a) 2, 8
(b) 8, 2, 1
(c) 2, 1, 8
(d) 2, 8, 1
उत्तर-
(a) ✗
(b) ✗
(c) ✗
(d) ✓

प्रश्न 19.
निम्नलिखित सारणी को पूरा कीजिए-
UP Board Solutions for Class 9 Science Chapter 4 Structure of the Atom image - 11
UP Board Solutions for Class 9 Science Chapter 4 Structure of the Atom image - 12

अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
कैथोड किरणों से उत्पन्न होने वाली दूसरी किरण का नाम बताइये जिसका उपयोग चिकित्सा क्षेत्र में किया जाता है।
उत्तर-
कैथोड किरणों से उत्पन्न होने वाली दूसरी किरण का नाम एक्स-किरणें (X-Rays) है जिसका उपयोग चिकित्सा क्षेत्र में किया जाता है।

प्रश्न 2.
X-किरणें किन्हें कहते हैं अथवा X-किरणों को परिभाषित कीजिए।
उत्तर-
X-किरणें (X-Rays)- जब कैथोड किरणें उच्च गलनांक (UPBoardSolutions.com) की किसी धातु जैसे टंगस्टन (W) के लक्ष्य से टकराती हैं तो अत्यधिक ऊर्जा वाली आवेशरहित किरणे प्राप्त होती हैं, जिन्हें x-किरणें कहते हैं।

UP Board Solutions

प्रश्न 3.
कैथोड किरणों के दो गुण लिखिए।
उत्तर-
कैथोड किरणों के दो गुण-
(1) ये किरणें ऋणावेशित होती हैं।
(2) इनमें गतिज ऊर्जा होती है।

प्रश्न 4.
X-किरणों की खोज किसने की थी ?
उत्तर-
X-किरणों की खोज डब्ल्यू. के. रान्टजन (W. K. Rontgen) ने की थी।

प्रश्न 5.
X-किरणें किस प्रकार उत्पन्न होती हैं ?
उत्तर-
कैथोड किरणों के उच्च गलनांक की भारी धातु से टकराने से X-किरणें उत्पन्न होती हैं।

प्रश्न 6.
रान्टजन किरणें किन्हें कहते हैं और क्यों?
उत्तर-
X-किरणों को उसके खोजकर्ता के नाम पर रान्टजन किरणें भी कहते हैं।

प्रश्न 7.
धन किरणें’ किन्हें कहते हैं ? अथवा धन किरणों को परिभाषित कीजिए।
उत्तर-
धन किरणें या ऐनोड किरणें (Positive Rays or Anode Rays)- जब विसर्जन नलिका प्रयोग को छिद्रयुक्त कैथोड से दुहराते हैं तो छिद्रयुक्त कैथोड के पीछे परदे पर एक मन्द दीप्ति दिखाई देती है। यह दीप्ति किन्हीं धनावेशित कणों से बनी किरणों की उपस्थिति के कारण होती है। इन किरणों को धन किरणें या ऐनोड किरणें कहते हैं।

UP Board Solutions

प्रश्न 8.
धन किरणों या ऐनोड किरणों की खोज किसने की थी ?
उत्तर-
धन किरणों या ऐनोड किरणों की खोज ई. गोल्डस्टीन (E. Goldstein) ने की थी।

प्रश्न 9.
ऐनोड किरणों को केनाल किरणें क्यों कहा जाता है ?
उत्तर-
ऐनोड किरणों को केनाल किरणें (Canal Rays) भी कहा जाता है, क्योंकि ये कैथोड के छिद्रों या केनाल में से होकर निकलती हैं।

प्रश्न 10.
धन किरणों को ऐनोड किरणें क्यों कहते हैं?
उत्तर-
धन किरणे ऐनोड से कैथोडं की ओर चलती हैं, इसलिए इन्हें ऐनोंड किरणें कहते हैं।

प्रश्न 11.
कैथोड एवं ऐनोड किरणों का कोई एक गुण लिखिए जिसमें दोनों समानता दशति हैं।
उत्तर-
दोनों में गतिज ऊर्जा होती है जिससे दोनों ही (UPBoardSolutions.com) अपने मार्ग में रखे हल्के पहिये को घुमा देती हैं।

प्रश्न 12.
कैथोड किरणों का अध्ययन किसने किया ?
उत्तर-
कैथोड किरणों का अध्ययन सर जे.जे.टॉमसने ने 1897 में किया था।

प्रश्न 13.
कैथोड किरणें कैसे प्राप्त करते हैं ?
उत्तर-
कैथोड किरणों को प्राप्त करना-विसर्जन नलिका में निम्न दाब (लगभग 0.001 मिमी पारे के तल) पर उच्च विभव पर विद्युत प्रवाहित करके कैथोड किरणें प्राप्त करते हैं।

UP Board Solutions

प्रश्न 14.
कैसे सिद्ध होता है कि कैथोड किरणें सीधी रेखा में चलती हैं ?
उत्तर-
यदि कैथोड किरणों के मार्ग में कोई ठोस वस्तु रख दी जाये तो उसकी छाया दिखाई देती है। इससे सिद्ध होता है कि कैथोड किरणें सीधी रेखा में चलती हैं।

प्रश्न 15.
कैसे सिद्ध होता है कि कैथोड किरणें गतिज ऊर्जा युक्त कणों से बनी हैं ?
उत्तर-
यदि कैथोड किरणों के मार्ग में किसी धातु की हल्की चकरी रख दी जाये तो चकरी घूमने लगती है। इससे सिद्ध होता है कि कैथोड किरणें ऐसे कणों से बनी हैं जिनमें गतिज ऊजी होती है।

प्रश्न 16.
कैसे सिद्ध होता है कि कैथोड किरणें ऋणावेशित कण हैं ?
उत्तर-
कैथोड किरणें जब विद्युत क्षेत्र से होकर गुजरती हैं तो धन प्लेट की ओर आकर्षित होती हैं। इससे सिद्ध होता है कि कैथोड किरणें ऋणावेशित कणों से बनी होती हैं।

प्रश्न 17.
प्रोटॉन के आवेश तथा द्रव्यमान का अनुपात (e/m) कितना होता है ?
उत्तर-प्रोटॉन के आवेश तथा द्रव्यमान का अनुपात (e/m) का मान 9.58 x 104 कूलॉम प्रति ग्राम होता है।

प्रश्न 18.
परमाणु का पहला मॉडल किस वैज्ञानिक ने दिया ?
उत्तर-
परमाणु को पहला मॉडल जे. जे. टॉमसन (J. J. Thomson) ने दिया।

UP Board Solutions

प्रश्न 19.
रदरफोर्ड के परमाणु मॉडल के दो दोष कौन-कौन से थे ?
अथवा
रदरफोर्ड के परमाणु मॉडल के महत्त्वपूर्ण दोष क्या
उत्तर-
रदरफोर्ड के परमाणु मॉडल के दोष- रदरफोर्ड के परमाणु मॉडल के दो दोष निम्नलिखित हैं
(1) परमाणु के स्थायित्व की व्याख्या न कर पाना ।
(2) परमाणु के विभिन्न स्पेक्ट्रम की व्याख्या न करे पाना।

प्रश्न 20.
नील बोर के परमाणु मॉडल के अनुसार जब इलेक्ट्रॉन एक ही ऊर्जा स्तर में घूमता है तब वह ऊर्जा का उत्सर्जन करता है या अवशोषण या इलेक्ट्रॉन की ऊर्जा में कोई परिवर्तन नहीं होता, उत्तर दीजिए।
उत्तर-
इलेक्ट्रॉन की ऊर्जा में कोई परिवर्तन नहीं होता।

प्रश्न 21.
कक्षा या ऊर्जा स्तर किसे कहते हैं ?
उत्तर-
कक्षा या ऊर्जा स्तर (Shells or Energy Levels)- “नाभिक के चारों ओर निश्चित ऊर्जा वाले वे पथ जिनमें इलेक्ट्रॉन घूमते रहते हैं: कक्षा, कोश या ऊर्जा-स्तर कहलाते हैं।”

प्रश्न 22.
बोर के परमाणु मॉडल में (K, L, M, N) कक्षाओं में से नाभिक की निकटतम कक्षा कौन-सी है ?
उत्तर-
बोर के परमाणु मॉडल में K कक्षा नाभिक (UPBoardSolutions.com) की निकटतम कक्षा है।

प्रश्न 23.
किसी कक्षा में इलेक्ट्रॉन की अधिकतम संख्या कितनी हो सकती है?
उत्तर-
किसी कक्षा में इलेक्ट्रॉन की अधिकतम संख्या 2n² हो सकती है जहाँ कक्षा का क्रमांक है।

प्रश्न 24.
सबसे बाहरी कक्षा (कोश) में और उसके अन्दर वाली कक्षा में अधिकतम कितने इलेक्ट्रॉन हो सकते हैं ?
उत्तर-
सबसे बाहरी कक्षा (कोश) में अधिकतम 8 इलेक्ट्रॉन तथा उसके अन्दर वाली कक्षा (कोश) में अधिकतम 18 इलेक्ट्रॉन हो सकते हैं।

UP Board Solutions

प्रश्न 25.
संयोजी कोश को परिभाषित कीजिए।
उत्तर-
संयोजी कोश-किसी परमाणु के बाह्यतम कोश को संयोजी कोश कहते हैं।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
टॉमसन के परमाणु मॉडल के दो मुख्य अभिगृहीतियाँ बताइये।
उत्तर-
(i) परमाणु धन आवेशित गीले को बना होता है और इलेक्ट्रॉन उसमें फँसे होते हैं।
(ii) ऋणात्मक और धनात्मक आवेश परिमाण में समान होते हैं। इसलिए परमाणु वैद्युतीय रूप से उदासीन होते हैं।

प्रश्न 2.
समस्थानिक तथा समभारिक में दो अन्तर लिखिए।
उत्तर-
समस्थानिक (Isotopes)-
(1) परमाणु संख्या समान लेकिन द्रव्यमान संख्या भिन्न होती है।
(2) प्रोटॉनों की संख्या समान होती है।
समभारिक (Isobars)-
(1) परमाणु संख्या अलग-अलग होती है लेकिन द्रव्यमान संख्या समान होती है।
(2) प्रोटॉनों की संख्या भिन्न होती है।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित सारणी में कुछ तत्त्वों की द्रव्यमान संख्या तथा परमाणु संख्या दी गई है :
UP Board Solutions for Class 9 Science Chapter 4 Structure of the Atom image - 13
(a) उपर्युक्त सारणी से एक जोड़ा समभारिक चुनिए।
(b) उपर्युक्त सारणी में दिये गए तत्त्व ‘B’ की संयोजकता क्या होगी ?
उत्तर-
(a) D तथा E समभारिक हैं क्योंकि इनकी परमाणु संख्याएँ (40) परन्तु भिन्न-भिन्न द्रव्यमान संख्याएँ क्रमशः 18 तथा 20 हैं।
(b) B का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास = 2, 5
अत: B की संयोजकता = 3, 5

UP Board Solutions

प्रश्न 4.
एक तत्त्व ‘X’ का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 2, 8, 2 है।
(a) इलेक्ट्रॉन की संख्या ज्ञात कीजिए जो तत्व x में उपस्थित है।
(b) इसकी परमाणु संख्या लिखिए।
(c) यह तत्त्व ‘X’ एक धातु है या अधातु?
(d) तत्त्व X की संयोजकता ज्ञात कीजिए।
हल-
(a) X में उपस्थित इलेक्ट्रॉनों की संख्या = 2 + 8 + 2 = 12
(b) X की परमाणु संख्या = 12
(c) तत्त्व X एक धातु है।
(d) X की संयोजकता = 2

प्रश्न 5.
इलेक्ट्रॉन, प्रोटॉन एवं न्यूट्रॉन के गुणों की तुलना कीजिए तथा इनकी परमाणु में स्थिति एवं इनके खोजकर्ता का नाम लिखिए।
अथवा
इलेक्ट्रॉन, प्रोटॉन एवं न्यूट्रॉन की आवेश एवं (UPBoardSolutions.com) द्रव्यमान के तुलना कीजिए। इन कणों के खोजकर्ता का नाम एवं परमाणु क्रमांक में इनका स्थान लिखिए।
उत्तर-
इलेक्ट्रॉन, प्रोटॉन एवं न्यूट्रॉन के गुणों की तुलना-
UP Board Solutions for Class 9 Science Chapter 4 Structure of the Atom image - 14

प्रश्न 6.
रदरफोर्ड के प्रयोग का चित्र बनाइये तथा इसके निष्कर्ष लिखिये।
उत्तर-
रदरफोर्ड के प्रयोग का चित्र-
UP Board Solutions for Class 9 Science Chapter 4 Structure of the Atom image - 15
रदरफोर्ड के प्रयोग के निष्कर्ष
(1) प्रयोग में परमाणु के केन्द्रीय भाग से टकराकर कुछ α-कण वापस लौट आते हैं इससे निष्कर्ष निकलता है कि परमाणु का केन्द्रक ठोस, अभेद्य तथा प्रतिकर्षी है।
(2) अधिकांश α-कण स्वर्ण पत्र में बिना छेद किये सरल रेखा से बाहर निकल जाते हैं इससे निष्कर्ष निकलता है कि परमाणु खोखला है।
(3) कुछ α-कण विचलित हो जाते हैं इससे निष्कर्ष निकलता है कि परमाणु में ऋणावेशित कण हैं।

प्रश्न 7.
(a) नीचे दी गई स्पीशीज में किसमें 18 इलेक्ट्रॉन हैं ?
Ca2+, K+, Na, Cl, Ar
(b) किसी तत्त्व के सभी समस्थानिकों के रासायनिक गुण एकसमान होते हैं। कारण लिखिए।
उत्तर-
(a) Ca2+, K+, Cl, Ar
(b) समस्थानिकों में इलेक्ट्रॉनों की संख्या समान है, तब उनका इलेक्ट्रॉन विन्यास तथा संयोजकता इलेक्ट्रॉन की संख्या भी समान होगी।
अतः समस्थानिकों के रासायनिक गुण एकसमान होते हैं।

UP Board Solutions

प्रश्न 8.
नील बोर द्वारा अपने परमाणु मॉडल में शामिल नई संकल्पनाएँ बताइए। इस मॉडल को दिखाने के लिए एक रेखाचित्र खींचिए।
उत्तर-
बोर के मॉडल में शामिल नई संकल्पनाएँ हैं
(i) निश्चित ऊर्जायुक्त कुछ खास कक्षाएँ ही स्वीकार्य हैं।
(ii) जब तक कोई इलेक्ट्रॉन कण ऊर्जा स्तर में गतिशील है, इसमें ऊर्जा की हानि या लाभ नहीं होता।
(iii) जब इलेक्ट्रॉन ऊर्जा ग्रहण करते हैं तो उच्च ऊर्जा स्तर में पहुँच जाते हैं। जब ऊर्जा की हानि होती है तो निम्न ऊर्जा स्तर पर आ जाते हैं। इसे चित्र द्वारा दिखाया गया है।
UP Board Solutions for Class 9 Science Chapter 4 Structure of the Atom image - 16

प्रश्न 9.
एक तत्त्व [latex]_{ 8 }^{ 16 }{ X }[/latex] के रूप में निरूपित होता है। ज्ञात कीजिए-
(a) तत्त्व x में इलेक्ट्रॉनों की संख्या,
(b) तत्त्व x की द्रव्यमान संख्या,
(c) तत्त्व x में न्यूट्रॉनों की संख्या।।
हल-
(a) तत्त्व x में इलेक्ट्रॉनों की संख्या = 8
(b) तत्त्व x की द्रव्यमान संख्या = 16
(c) तत्त्व x में न्यूट्रॉनों की संख्या = 16 – 8 = 8

प्रश्न 10.
(a) किसी परमाणु के तीन अवपरमाणुक कणों के नाम लिखिए।
(b) किसी तत्त्व में परमाणु की L कक्षा में पाँच इलेक्ट्रॉन हैं-
(i) तत्त्व की परमाणु संख्या क्या है ?
(ii) इसकी संयोजकता व्यक्त कीजिए।
(iii) तत्त्व को पहचानिए तथा इसका नाम लिखिए।
हल-
(a) किसी परमाणु के तीन अवपरमाणुक कणों के नाम हैं : इलेक्ट्रॉन, प्रोटॉन तथा न्यूट्रॉन।
(b) K कोश में इलेक्ट्रॉनों की संख्या = 2
L कोश में इलेक्ट्रॉनों की संख्या = 5
(i) तत्त्व की परमाणु संख्या 2 + 5 = 7
(ii) तत्त्व की संयोजकता।
(iii) तत्त्व नाइट्रोजन (N) है।

प्रश्न 11.
(a) हीलियम तथा बेरीलियमें दोनों में ही संयोजकता कक्षा में 2 इलेक्ट्रॉन होते हैं। हीलियम एक अक्रिय गैस है जबकि बेरीलियम एक धातु है। पुष्टि कीजिए।
(b) हाइड्रोजन का अस्तित्व तीन समस्थानिक रूपों में होता है। हाइड्रोजन के समस्थानिक रासायनिक रूप से समान क्यों होते हैं ?
उत्तर-
(a) हीलियम के बाह्यतम कक्ष में इलेक्ट्रॉनों की संख्या उसकी अधिकतम संख्या के बराबर है अतः हीलियम एक अक्रिय गैस है। बेरीलियम तत्त्व धातु है क्योंकि यह इलेक्ट्रॉन त्याग करके धनात्मक आयन बनाता है।
(b) समस्थानिकों में इलेक्ट्रॉनों की संख्या समान है। अतः उनका इलेक्ट्रॉन विन्यास और संयोजकता इलेक्ट्रॉन की संख्या भी समान होती है। अत: हाइड्रोजन के समस्थानिक रासायनिक रूप से समान होते हैं।

UP Board Solutions

प्रश्न 12.
समस्थानिक और समभारिक क्या होते हैं ? क्लोरीन के दो समस्थानिक कौन-कौन से हैं ? क्लोरीन के प्राकृतिक नमूने में इनका क्या अनुपात होता है ? क्लोरीन परमाणु का औसत परमाणु द्रव्यमान परिकलित कीजिए।
उत्तर-
समस्थानिक- एक ही तत्त्व के परमाणु जिनकी परमाणु संख्या समान तथा द्रव्यमान भिन्न होता है, समस्थानिक कहलाते हैं।
समभारिक- वे परमाणु जिनकी द्रव्यमान संख्या समान होती है परन्तु परमाणु क्रमांक भिन्न होते हैं, समभारिक कहलाते हैं।
UP Board Solutions for Class 9 Science Chapter 4 Structure of the Atom image - 17

प्रश्न 13.
परमाणु नाभिक के आवश्यक गुणधर्मों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर-
परमाणु नाभिक के गुणधर्म :
(i) परमाणु नाभिक धनावेश युक्त होता है।
(ii) परमाणु का सम्पूर्ण द्रव्यमान उसके नाभिक में ही स्थित होता है।
(iii) परमाणु नाभिक की त्रिज्या 10-13 से 10-12 cm होती है, जबकि सम्पूर्ण परमाणु की त्रिज्या लगभग 10-8 cm होती है।
अत: परमाणु का अधिकांश भाग रिक्त होता है।

प्रश्न 14.
टॉमसन परमाणु मॉडल, रदरफोर्ड परमाणु मॉडल तथा बोर परमाणु मॉडलों की तुलना कीजिए।
उत्तर-
टॉमसन परमाणु मॉडल – टॉमसन ने तरबूज के समान परमाणु मॉडल प्रस्तावित किया जिसमें परमाणु का धनावेश तरबूज के खाने वाले भाग की भाँति फैला हुआ है, जबकि इलेक्ट्रॉन (ऋणावेश) धनावेशित गोले में तरबूज के बीज की भाँति फँसे हैं। ऋणावेश तथा धनावेश परिमाण में समान होते हैं। इसलिए परमाणु विद्युतीय उदासीन होता है।

रदरफोर्ड परमाणु मॉडल – इसके अनुसार, परमाणु में धनावेशित केन्द्र, जिसे नाभिक कहते हैं, होता है और इलेक्ट्रॉन स्थिर कक्षा में चक्कर लगाते हैं। नाभिक का आकार, परमाणु के आकार की तुलना में अत्यन्त कम या उपेक्षणीय होता है।

बोर परमाणु मॉडल – बोर परमाणु मॉडल के अनुसार इलेक्ट्रॉन केवल कुछ निश्चित कक्षाओं में ही चक्कर लगा सकते हैं, जिन्हें इलेक्ट्रॉनों की विविक्त कक्षा कहते हैं। जब इलेक्ट्रॉन इन विविक्त कक्षाओं में चक्कर लगाते हैं तो उनकी ऊर्जा का विकिरण नहीं होता।

प्रश्न 15.
सिलिकॉन और ऑक्सीजन का उदाहरण लेते हुए संयोजकता की परिभाषा दीजिए।
उत्तर-
परमाणु के अन्तिम कोश (बाह्यतम कोश) में विद्यमान इलेक्ट्रॉन, संयोजी इलेक्ट्रॉन कहलाते हैं। किसी परमाणु द्वारा स्थायित्व (अष्टक) प्राप्त करने के लिए, त्यागे गए या प्राप्त या साझा किए गए इलेक्ट्रॉनों की संख्या, उसकी संयोजकता कहलाती है। परमाणु द्वारा अष्टक पूरा करने की क्रिया में संयोजी इलेक्ट्रॉनों का ही स्थानान्तरण या साझा होता है अर्थात संयोजी इलेक्ट्रॉन ही परमाणु की संयोजकता निर्धारित करते हैं। उदाहरणार्थ-सिलिकॉन का परमाणु क्रमांक 14 है। इसका इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 2, 8, 4 होगा। इसमें 4 संयोजी इलेक्ट्रॉन उपस्थित हैं अर्थात् इसकी संयोजकता 4 है।
ऑक्सीजन का परमाणु क्रमांक 8 है। इसका इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 2, 6 होगा। इसमें 6 संयोजी इलेक्ट्रॉन उपस्थित हैं। ऑक्सीजन परमाणु की प्रवृत्ति दो इलेक्ट्रॉन ग्रहण करके अष्टक प्रदान करने की होती है। अतः इसकी संयोजकता 2 है।

UP Board Solutions

प्रश्न 16.
Na+, K+, Al3-, O2- और F में कौन-से समइलेक्ट्रॉनी हैं ?
उत्तर-
समइलेक्ट्रॉनी स्पीशीज में इलेक्ट्रॉन की संख्या समान होती है।
UP Board Solutions for Class 9 Science Chapter 4 Structure of the Atom image - 18
उपर्युक्त सारणी से स्पष्ट है कि Na+, K+, Al3-, O2- और F में 10-10 इलेक्ट्रॉन हैं। अतः ये समइलेक्ट्रॉनी हैं।

प्रश्न 17.
रदरफोर्ड का परमाणु मॉडल क्या है?
उत्तर-
रदरफोर्ड का परमाणु मॉडल (Atomic Model of Rutherford) – रदरफोर्ड ने अपने α-कणों के प्रकीर्णन के प्रयोग द्वारा प्राप्त निष्कर्षों के आधार पर परमाणु का एक मॉडल प्रस्तुत किया जो निम्न प्रकार है

  1. परमाणु का अधिकांश द्रव्यमान इसके केन्द्र में निहित है अतः परमाणु के केन्द्रीय भाग में प्रोटॉन एवं न्यूट्रॉन विद्यमान हैं। ये कण न्यूक्लिऑन कहलाते हैं। परमाणु के इस सूक्ष्म केन्द्र को नाभिक या केन्द्रक कहते हैं।
  2. केन्द्रक के चारों ओर का अधिकांश भाग रिक्त होता है।
    UP Board Solutions for Class 9 Science Chapter 4 Structure of the Atom image - 19
  3. परमाणु के केन्द्रक के चारों ओर इलेक्ट्रॉन गतिशील होते हैं।
  4. नाभिक का आकार परमाणु के आकार की तुलना में बहुत छोटा होता है।
  5. चूँकि परमाणु उदासीन होता है अतः परमाणु में उपस्थित प्रोटॉन एवं इलेक्ट्रॉन की संख्या बराबर होती है।

प्रश्न 18.
रदरफोर्ड के परमाणु मॉडल के महत्त्वपूर्ण दोषों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर-
रदरफोर्ड के परमाणु मॉडल के महत्त्वपूर्ण दोषों की व्याख्या (Explanation of Defects of Rutherford’s Atomic Model)-

  1. परमाणु के स्थायित्व की व्याख्या न कर पाना – रदरफोर्ड के परमाणु मॉडल का पहला दोष यह है कि यह परमाणु के स्थायित्व की व्याख्या नहीं करता है। मैक्सवैल के अनुसार, कोई भी आवेशित कण गतिमान होने पर निरन्तर विद्युत चुम्बकीय तरंगों को विकरित करेगा, जिसमें उसकी ऊर्जा में लगातार कमी होते रहने से उसे अपनी राह (कक्षा) घटानी पड़ेगी और ऐसा करते हुए अन्त में इलेक्ट्रॉन नाभिक में गिरकर नष्ट हो जायेगा परन्तु वास्तव में ऐसा घटित नहीं होता।
  2. परमाणु में विविक्त स्पेक्ट्रम की व्याख्या न कर पाना – रदरफोर्ड के परमाणु मॉडल का दूसरा प्रमुख दोष यह है कि यह परमाणु के विविक्त स्पेक्ट्रम की व्याख्या भी नहीं कर पाता। रदरफोर्ड के अनुसार इलेक्ट्रॉन की कक्षा की त्रिज्या निरन्तर बदलती रहने के कारण सतत् स्पेक्ट्रम बनना चाहिए परन्तु रैखिक स्पेक्ट्रम प्राप्त होता है।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्नप्रश्न

प्रश्न 1.
बोर का परमाणु मॉडल समझाइये।
उत्तर-
बोर का परमाणु मॉडल-नील्स बोर ने क्वाण्टम सिद्धान्त के आधार पर परमाणु संरचना का सरल मॉडल प्रस्तुत किया। इस मॉडल की प्रमुख अभिधारणाएँ निम्नलिखित हैं

  1. परमाणु के केन्द्र में नाभिक होता है, जिसमें धनावेशित कण (प्रोटॉन) उपस्थित होता है।
  2. इलेक्ट्रॉन नाभिक के चारों ओर निश्चित ऊर्जा वाले पथ में घूमते हैं। ये निश्चित ऊर्जा वाले पथ कक्षा, कोश या ऊर्जा-स्तर कहलाते हैं।
  3. कक्षाओं के क्रम को (n) द्वारा व्यक्त किया जाता है जहाँ n = 1, 2, 3, 4….. हैं जो क्रमशः K, L, M, N…. आदि से व्यक्त किये जा सकते हैं।
  4. n के बढ़ते मान के साथ ये कक्षाएँ नाभिक से दूर होती जाती हैं और उनकी ऊर्जा क्रमशः बढ़ती जाती है। कक्षा k की ऊर्जा सबसे कम होती है। तथा यह नाभिक के निकटतम होती है।
  5. बोर के अनुसार यदि कोई इलेक्ट्रॉन एक ही ऊर्जा स्तर या कक्षा में घूमता रहे तो इस इलेक्ट्रॉन की ऊर्जा में कोई परिवर्तन नहीं होता है।
  6. इलेक्ट्रॉन जब बाहर से ऊर्जा ग्रहण करता है तो उत्तेजित होकर निकटतम उच्च ऊर्जा स्तर में चला जाता है और जब ये ऊर्जा का उत्सर्जन करता है तब निकटतम निम्न ऊर्जा के स्तर में चला जाता है।

UP Board Solutions

प्रश्न 2.
इलेक्ट्रॉन वितरण की बोर-बरी योजना क्या है ? इसके अनुसार इलेक्ट्रॉनों की व्यवस्था लिखिए।
उत्तर-
इलेक्ट्रॉनवितरणकबर-बरीयोजना – इलेक्ट्रॉन वितरण के लिए बोर-बरी ने निम्न योजना प्रस्तुत की जिसे बोर-बरी की योजना कहते हैं। इसके प्रमुख बिन्दु निम्नलिखित हैं
(i) परमाणु की किसी भी कक्षा में इलेक्ट्रॉनों की | अधिकतम संख्या 2n² होती है, जहाँ n कक्षा की क्रम संख्या है जो नाभिक से बाहर की ओर गिनी जाती है। इस तरह इलेक्ट्रॉनों की अधिकतम संख्या पहली कक्षा में 2, दूसरी में 8, तीसरी में 18, चौथी में 32 एवं पाँचवीं में 50 होती है।
(ii) सबसे बाहर वाली कक्षा में 8 एवं उसके अन्दर वाली कक्षा में 18 से अधिक इलेक्ट्रॉन कभी नहीं हो सकते।
(iii) किसी कक्षा में 8 इलेक्ट्रॉन होने पर नई कक्षा प्रारम्भ हो जाती है चाहे उसकी अधिकतम सीमा कुछ भी हो।
(iv) सबसे बाहर की कक्षा में 2 से अधिक और उसके अन्दर वाली में 8 से अधिक इलेक्ट्रॉन तब तक नहीं होते जब तक अन्य अन्दर की कक्षाएँ 2n² से पूर्ण न हो जायें।

प्रश्न 3.
रिक्त स्थान भरिए-(इलेक्ट्रॉन विन्यास पूर्ण कीजिए)
UP Board Solutions for Class 9 Science Chapter 4 Structure of the Atom image - 20

प्रश्न 4.
क्लोरीन तत्त्व ([latex]_{ 17 }^{ 35 }{ Cl }[/latex]) के उदाहरण से उसकी परमाणु संरचना का मॉडल बनाइये।
हल-
क्लोरीन परमाणु संरचना का मॉडल-
UP Board Solutions for Class 9 Science Chapter 4 Structure of the Atom image - 21
चित्र- क्लोरीन की परमाणु संरचना
क्लोरीन का परमाणु क्रमांक Z = 17
क्लोरीन की द्रव्यमान संख्या A = 35
प्रोटॉन की संख्या p = Z = 17
न्यूट्रॉन की संख्या n = A – Z = 35 – 17 = 18
इलेक्ट्रॉन की संख्या e = p = 17
इलेक्ट्रॉन का वितरण e = 17 = 2, 8, 7

प्रश्न 5.
[latex]_{ 18 }^{ 40 }{ Ar }[/latex] (आर्गन तत्व) की परमाणु संरचना बनाइये।
उत्तर –
[latex]_{ 18 }^{ 40 }{ Ar }[/latex] (आर्गन तत्व) की परमाणु संरचना
UP Board Solutions for Class 9 Science Chapter 4 Structure of the Atom image - 22
चित्र- आर्गन की परमाणु संरचना
आर्गन को परमाणु क्रमांक Z = 18
आर्गन की द्रव्यमान संख्या A = 40
प्रोटॉन की संख्या p = 18
न्यूट्रॉन की संख्या n = A – Z = 40 – 18 = 22
इलेक्ट्रॉन की संख्या e = p = 18
इलेक्ट्रॉन का वितरण e = 18 = 2, 8, 8

UP Board Solutions

प्रश्न 6.
दो तत्त्वों A और B के परमाणुओं के अवपरमाणुक कण नीचे दिए गए हैं। उसका अध्ययन कीजिए तथा निम्न प्रश्नों के उत्तर दीजिए। अपने उत्तर की सत्यता सिद्ध कीजिए।
UP Board Solutions for Class 9 Science Chapter 4 Structure of the Atom image - 23
(i) दोनों में से किसके परमाणु का आकार बड़ा है?
(ii) दोनों में से किसका नाभिक प्रबल है?
(iii) तत्त्व A तथा B की प्रकृति की व्याख्या कीजिए।
उत्तर-
(i) B के परमाणु का आकार बड़ा है क्योंकि B में तीन कोश होते हैं जबकि A में एक कोश होता है।
(ii) B का नाभिक प्रबल है क्योंकि A की द्रव्यमान संख्या 2 + 2 = 4 है जबकि B की द्रव्यमान संख्या 11 + 12 = 23 है।
(iii) A अधातु है जबकि B धातु है। A गैस है तथा B के बाह्यतम कोश में एक इलेक्ट्रॉन है जिसका यह आसानी से त्याग कर सकता है।

प्रश्न 7.
(a) रदरफोर्ड के अल्फा कण प्रकीर्णन प्रयोग में निम्न निष्कर्ष व्युत्पन्न करने के लिए प्रायोगिक प्रमाण दीजिए।
(i) परमाणु के भीतर का अधिकतर भाग खाली होता है।
(ii) परमाणु का केन्द्र धनावेशित होता है।
(b) एक तत्त्व की द्रव्यमान संख्या 32 तथा परमाणु संख्या 16 है, ज्ञात कीजिए :
(i) तत्त्व के परमाणु में न्यूट्रॉनों की संख्या।
(ii) परमाणु के बाह्यतम कोश में इलेक्ट्रॉनों की संख्या ।
(c) रदरफोर्ड के परमाण्वीय मॉडल के आधार पर नाभिक में कौन-सा अवपरमाणुक कण विद्यमान होता है ?
उत्तर-
(a) (i) परमाणु के भीतर का अधिकतर भाग खाली होता है क्योंकि अधिकतर अल्फा कण बिना विक्षेपित हुए सोने की पन्नी को पार कर सीधे निकल गये।
(ii) कुछ α-कण अपने मूल पथ से थोड़ा विक्षेपित हो जाते हैं इससे सिद्ध होता है कि परमाणु का केन्द्र धनावेशित भाग है।
(b) तत्त्व की द्रव्यमान संख्या = 32
तत्त्व की परमाणु संख्या = 16
प्रोटॉनों की संख्या = परमाणु संख्या = 16
न्यूट्रॉनों की संख्या = द्रव्यमान संख्या – प्रोटॉनों की संख्या = 32 – 16 = 16
(ii) तत्त्व का इलेक्ट्रॉन विन्यास = 2, 8, 6
परमाणु के बाह्यतम कोश में इलेक्ट्रॉनों की संख्या = 6
(c) प्रोटॉन।

प्रश्न 8.
(a) उस अवपरमाणुक कण का नाम लिखिए जिसकी खोज जे. चैडविक ने की थी। इस कण पर कौन-सा आवेश होता है ? यह कण परमाणु के कौन-से भाग में स्थित होता है ?
(b) रदरफोर्ड के परमाणु मॉडल के प्रयोग के तीन चरणों की सूची बनाइए।
(c) एक उदाहरण देते हुए समभारिक परमाणु की परिभाषा लिखिए।
(d) यह निष्कर्ष किस वैज्ञानिक ने निकाला था कि परमाणु की अपेक्षा नाभिक का साइज बहुत छोटा होता है।
उत्तर-
(a) जे. चैडविक ने न्यूट्रॉन की खोज की थी। न्यूट्रॉन अनावेशित होता है। यह कण परमाणु के नाभिक में होता है।
(b) (i) रदरफोर्ड ने रेडियोऐक्टिव तत्त्व रेडियम को लैड के बॉक्स के भीतर रखकर प्राप्त अल्फा कणों को एक बारीक स्लिट से गुजारकर इन्हें पुंज के रूप में प्राप्त किया।
(ii) इस पुंज को उन्होंने एक भारी धातु, जैसे-गोल्ड के अत्यन्त पतली पन्नी पर डाला।
(iii) इससे ये अल्फा कण प्रकीर्णित हो गए तथा बहुत-से अल्फा कण पन्नी से पार होकर पीछे लगे जिंक सल्फाइड के मध्य जाकर टकरा गए।
(c) समभारिक – समभारिक, विभिन्न परमाणु संख्याओं परन्तु समान द्रव्यमान संख्या वाले विभिन्न तत्त्वों के परमाणु हैं। समभारिकों में, उनके नाभिकों में प्रोटॉनों की भिन्न संख्या होती है परन्तु उनमें न्यूक्लिआनो (प्रोटानों + न्यूट्रॉनों) की संख्या समान होती है। समभारिकों के उदाहरण आर्गन [latex]_{ 18 }^{ 40 }{ Ar }[/latex] और कैल्सियम [latex]_{ 20 }^{ 40 }{ Ca }[/latex] है।
(d) रदरफोर्ड ने निष्कर्ष निकाला था कि परमाणु की अपेक्षा नाभिक का साइज बहुत छोटा होता है।

UP Board Solutions

प्रश्न 9.
परमाणु क्रमांक 1 से 18 तक के तत्त्वों के परमाणुओं का इलेक्ट्रॉन-विन्यास दीजिए।
उत्तर-
परमाणु क्रमांक 1 से 18 तक के तत्त्वों का इलेक्ट्रॉन विन्यास

प्रश्न 10.
संयोजकता इलेक्ट्रॉन का महत्व लिखिए व तत्त्व की संयोजकता निर्धारण में इसकी भूमिका बताइए।
उत्तर-
संयोजकता – किसी तत्त्व के परमाणु द्वारा दिए जाने, लिए जाने या साझेदारी किए जाने वाले इलेक्ट्रॉन की संख्या, उस तत्त्व को संयोजकता कहलाती है।
हम जानते हैं कि किसी रासायनिक अभिक्रिया में केवल बाह्यतम कक्ष में उपस्थित इलेक्ट्रॉन या संयोजकता इलेक्ट्रॉन ही भाग लेते हैं।
अत: संयोजकता निर्धारण में संयोजकता इलेक्ट्रॉन ही महत्वपूर्ण होते हैं। यदि किसी तत्त्व के परमाणु के संयोजकता इलेक्ट्रॉन 1, 2 या 3 हैं तो उसकी संयोजकता क्रमशः 1, 2 या 3 होगी। यदि तत्त्व के बाह्यतम कक्ष में 4 से 8 इलेक्ट्रॉन हैं तो उसकी संयोजकता (संयोजकता इलेक्ट्रॉन–8) होगी।
उदाहरणार्थ – क्लोरीन या फ्लोरीन के बाह्यतम कक्ष में 7 इलेक्ट्रॉन हैं, तब उनकी संयोजकता 7 – 8 = -1 होगी।
अतः क्लोरीन या फ्लोरीन के आयन को Cl या F से प्रदर्शित करेंगे।

अभ्यास प्रश्न

बहुविकल्पीय प्रश्न

1. चैडविक ने खोज की थी
(a) इलेक्ट्रॉन की
(b) प्रोटॉन की
(c) न्यूट्रॉन की
(d) रेडियम की।

2. परमाणु के केन्द्रक में होते हैं
(a) इलेक्ट्रॉन
(b) प्रोटॉन
(c) न्यूट्रॉन
(d) प्रोटॉन तथा न्यूट्रॉन !

3. प्रोटॉन की खोज का श्रेय था
(a) चैडविक को
(b) गोल्डस्टीन को
(c) जे. जे. टॉमसन को
(d) रदरफोर्ड को।

4. X-किरणों की खोज की थी
(a) राण्टजन ने
(b) चैडविक ने
(c) मैडम क्यूरी ने
(d) गोल्डस्टीन ने।

UP Board Solutions

5. समान परमाणु क्रमांक एवं भिन्न परमाणु भार वाले परमाणु कहलाते हैं
(a) समस्थानिक
(b) समभारिक
(c) समन्यूट्रानिक
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं।

6. निम्न किरणों में से सबसे अधिक बेधन क्षमता किसमें होती है?
(a) α-किरणे
(b) X-किरणें
(c) γ-किरणे
(d) कैथोड किरणें

7. सोने की पन्नी द्वारा अल्फा कण प्रकीर्णन का प्रयोग किया
(a) टॉमसन ने
(b) रदरफोर्ड ने
(c) बोर ने
(d) उपरोक्त सभी ने।

8. परमाणु धन आवेश का गोला है, बताया
(a) टॉमसन ने
(b) रदरफोर्ड ने
(c) बोर ने
(d) उपरोक्त सभी ने।

9. इलेक्ट्रॉन कुछ निश्चित कक्षाओं में चक्कर लगाते हैं, प्रतिपादित किया
(a) टॉमसन ने
(b) रदरफोर्ड ने
(c) बोर ने
(d) उपरोक्त सभी ने।

UP Board Solutions

10. अवपरमाणुक कण है
(a) इलेक्ट्रॉन
(b) प्रोटॉन
(c) न्यूट्रॉन
(d) ये सभी।

11. दूसरे कक्ष में इलेक्ट्रॉन की अधिकतम संख्या है
(a) 2
(b) 4
(c) 18
(d) 8

12. डाल्टन के परमाणु सिद्धान्त की कमी थी
(a) उसने परमाणु को अविभाज्य बताया
(b) वह एक ही प्रकार के परमाणुओं से बने विभिन्न पदार्थों के अलग-अलग गुणों की व्याख्या न कर सका।
(c) क्यों कुछ कार्बनिक यौगिकों को संश्लेषण सम्भव नहीं है, स्पष्ट नहीं हो सका।
(d) उपर्युक्त सभी।

13. प्रोटियम में नहीं होता
(a) प्रोटॉन
(b) इलेक्ट्रॉन
(c) न्यूटॉन
(d) ये सभी।

14. दो न्यूट्रॉन होते हैं
(a) ड्यूटीरियम में
(b) ट्राइटियम में
(c) प्रोटियम में
(d) उपर्युक्त सभी में।

15. Ca व Ar के परमाणु हैं
(a) समस्थानिक
(b) समभारिक
(c) समावयव
(d) ये सभी।

16. फ्लोरीन की परमाणु संख्या 9 है, F में इलेक्ट्रॉन की कुल संख्या होगी
(a) 9
(b) 8
(c) 10
(d) 19

17. किसी तत्त्व के समस्थानिकों में
(a) प्रोटॉन की संख्या भिन्न होती है।
(b) इलेक्ट्रॉन की संख्या भिन्न होती है।
(c) न्यूट्रॉन की संख्या भिन्न होती है।
(d) न्यूट्रॉन की संख्या समान होती है।

UP Board Solutions

18. जब एक न्यूट्रॉन विघटित होता है तो ……… उत्पन्न होता है।
(a) एक प्रोटॉन
(b) एक इलेक्ट्रॉन
(c) एक न्यूट्रॉन व एक इलेक्ट्रॉन
(d) एक प्रोटॉन व एक इलेक्ट्रॉन

19. रेडियो आइसोटोप डेटिंग में ……. करते हैं।
(a) 12C परमाणु की
(b) 10C परमाणु की
(c) 14C परमाणु की
(d) 3C परमाणु की।

20. परमाणु संख्या 16 वाले तत्त्वे की संयोजकता है
(a) 6
(b) 4
(c) 1
(d) 2

21. एक तत्त्व A की परमाणु संख्या 40 व तत्त्व B की परमाणु संख्या 11 है। A व B के विषय में कौन-सा कथन सत्य है-
(a) A, B से अधिक सक्रिय है।
(b) B, A से अधिक सक्रिय है।
(c) B रासायनिक रूप से अक्रिय
(d) A व B समान रूप से सक्रिय हैं।

22. निम्न में कौन-सा कथन असत्य है
(a) भारी तत्त्व रेडियोधर्मी होते हैं।
(b) α-कण धन आवेशिते हैं।
(c) β-कण आवेश रहित हैं।
(d) समस्थानिकों की परमाणु संख्या समान होती है।

23. कैल्सियम परमाणु संख्या 20 की संयोजकता है
(a) 1
(b) 2
(c) 3
(d) 6.

24. P-32 प्रयोग किया जाता है
(a) कैंसर
(b) थायरॉइड
(c) ल्यूकेमिया
(d) धमनी की रुकावट।

25. I-131 ……………के उपचार में प्रयोग किया जाता है।
(a) कैंसर के उपचार में
(b) थायरॉइड विकार में
(c) ल्यूकेमिया में
(d) धमनी की रुकावट में।

26. इलेक्ट्रॉन पर आवेश है
(a) 1.6 x 10-19 C
(b) 9.1 x 10-16 C
(c) 1.9 x 10-16 C
(d) 6.1 x 10-19 C

UP Board Solutions

27. ……………… आवेश रहित हैं।
(a) न्यूट्रॉन
(b) प्रोटॉन
(c) इलेक्ट्रॉन
(d) इलेक्ट्रॉन व न्यूट्रॉन।

28. भारी तत्त्वों के नाभिक में ………. नहीं पाया जाता
(a) प्रोटॉन
(b) न्यूट्रॉन
(c) इलेक्ट्रॉन
(d) इलेक्ट्रॉन वे प्रोटॉन

29. हाइड्रोजन परमाणु में ………….. नहीं पाया जाता
(a) प्रोटॉन
(b) न्यूट्रॉन
(c) इलेक्ट्रॉन
(d) इलेक्ट्रॉन व प्रोटॉन।

30. कैथोड किरणों का प्रयोग सर्वप्रथम ……… किया।
(a) चैडविक ने
(b) जे. जे. टॉमसन ने
(c) नील बोर ने
(d) रदरफोर्ड ने।

31. सोने की पतली पन्नी पर α-कण की बौछार
वाला प्रयोग सर्वप्रथम किसने किया
(a) चैडविक ने
(b) जे. जे. टॉमसन ने
(c) नील बोर ने
(d) रदरफोर्ड ने।

32. न्यूट्रॉन की खोज की
(a) चैडविक ने
(b) जे. जे. टॉमसन ने
(c) नील बोर ने
(d) रदरफोर्ड ने।

33. इलेक्ट्रॉन होता है
(a) द्रव्यमान में प्रोटॉन का [latex]\frac { 1 }{ 1838 }[/latex] वां भाग व धन आवेशित
(b) द्रव्यमान में प्रोटॉन के बराबर व ऋण आवेशित
(c) द्रव्यमान में प्रोटॉन का 1/1838 व ऋण आवेशित
(d) द्रव्यमान में प्रोटॉन के बराबर व धन आवेशित

34. किसी परमाणु में प्रोटॉन की संख्या होती है
(a) न्यूट्रॉन के बराबर
(b) इलेक्ट्रॉन के बराबर
(c) परमाणु द्रव्यमान के बराबर
(d) कोई निश्चित नहीं।

UP Board Solutions

35. यदि किसी तत्त्व के परमाणु में 9 प्रोटॉन व 10 न्यूट्रॉन हों तो उसका परमाणु द्रव्यमान है
(a) 19
(b) 9
(c) 10
(d) 1.

36. Na का परमाणु द्रव्यमान 23 व परमाणु क्रमांक 11 है तो उसके परमाणु में न्यूट्रॉन होंगे
(a) 11
(b) 12
(c) 23
(d) कोई निश्चित नहीं

37. संयोजकता इलेक्ट्रॉन परमाणु के ……. कक्ष में उपस्थित होते हैं।
(a) प्रथम कक्ष
(b) द्वितीय कक्ष
(c) बाह्यतम
(d) किसी भी।

38. यदि किसी तत्त्व का बाह्यतम कक्ष प्रथम कक्षे से तो वह बाह्यतम कक्ष में ……… इलेक्ट्रॉन होने पर ही अक्रिय गैस का विन्यास प्राप्त कर लेगा
(a) 2
(b) 4
(c) 6
(d) 8.

UP Board Solutions

39. प्रत्येक तत्त्वं अपने बाह्यतम कक्ष में ……… इलेक्ट्रॉन पूरे करने का प्रयत्न करता है।
(a) 2
(b) 4
(c) 6
(d) 8.

उत्तरमाला

  1. (c)
  2. (d)
  3. (b)
  4. (a)
  5. (a)
  6. (c)
  7. (b)
  8. (a)
  9. (c)
  10. (d)
  11. (d)
  12. (d)
  13. (c)
  14. (b)
  15. (b)
  16. (c)
  17. (c)
  18. (d)
  19. (c)
  20. (d)
  21. (b)
  22. (c)
  23. (b)
  24. (c)
  25. (b)
  26. (a)
  27. (a)
  28. (c)
  29. (b)
  30. (b)
  31. (d)
  32. (a)
  33. (c)
  34. (b)
  35. (a)
  36. (b)
  37. (c)
  38. (a)
  39. (d)

We hope the UP Board Solutions for Class 9 Science Chapter 4 Structure of the Atom (परमाणु की संरचना) help you. If you have any query regarding UP Board Solutions for Class 9 Science Chapter 4 Structure of the Atom (परमाणु की संरचना), drop a comment below and we will get back to you at the earliest.

UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 13 Surface Areas and Volumes

UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 13 Surface Areas and Volumes (पृष्ठीय क्षेत्रफल एवं आयतन)

These Solutions are part of UP Board Solutions for Class 9 Maths. Here we have given UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 13 Surface Areas and Volumes (पृष्ठीय क्षेत्रफल एवं आयतन).

प्रश्नावली 13.1

प्रश्न 1. 1.5 मीटर लम्बा 1.25 मीटर चौड़ा और 65 सेमी गहरा प्लास्टिक का एक डिब्बा बनाया जाना है। इसे ऊपर से खुला रखना है। प्लास्टिक शीट की मोटाई को नगण्य मानते हुए निर्धारित कीजिए।
(i) डिब्बा बनाने के लिए आवश्यक प्लास्टिक शीट का क्षेत्रफल।
(ii) इस शीट का मूल्य, यदि 1 मीटर शीट का मूल्य 20 है।
हल :
(i) प्लास्टिक के डिब्बे की लम्बाई (l) = 1.5 मीटर,
चौड़ाई (b) = 1.25 मीटर तथा
ऊँचाई h = 65 सेमी या 0.65 मीटर [: 1 मीटर = 100 सेमी]
डिब्बा ऊपर से खुला है; अतः इसमें 1 फलक कम होगा।
अतः डिब्बे को पृष्ठ = सम्पूर्ण पृष्ठीय क्षेत्रफल – ऊपरी फलक का क्षेत्रफल
= 2 (lb + bh + hl) – (l x b)
= 2 [(1.5 x 1.25) + (1.25 x 0.65) +(0.65 x 1.5)] – (1.5 x 1.25)
= 2 [1.875 + 0.8125 + 0.975] – 1.875
= 2 [3.6625] – 1.875
= 7.325 – 1.875
= 5.45 वर्ग मीटर
अतः डिब्बा बनाने के लिए आवश्यक प्लास्टिक शीट का क्षेत्रफल = 5.45 वर्ग मीटर।
(ii) 1 वर्ग मीटर शीट का मूल्य = 20
5.45 वर्ग मीटर शीट का मूल्य = (5.45 x 20) = 109.00
अतः आवश्यक प्लास्टिक शीट का मूल्य = 109

UP Board Solutions

प्रश्न 2. एक कमरे की लम्बाई, चौड़ाई और ऊँचाई क्रमशः 5 मीटर, 4 मीटर और 3 मीटर हैं। 7.50 प्रति मीटर की दर से इस कमरे की दीवारों और छत पर सफेदी कराने का व्यय ज्ञात कीजिए।
हल :
कमरे की लम्बाई (l) = 5 मीटर, चौड़ाई (b) = 4 मीटर व ऊँचाई (h) = 3 मीटर
कमरे की चारों दीवारों का क्षेत्रफल = परिमाप x ऊँचाई
= 2 (l + b) x h = 2 (5 + 4) x 3 वर्ग मीटर
= 18 x 3 वर्ग मीटर
= 64 वर्ग मीटर
छत का क्षेत्रफल = लम्बाई x चौड़ाई = l x b = (5 x 4) = 20 वर्ग मीटर
जिस भाग में सफेदी करानी है, उसका क्षेत्रफल = (54 + 20) वर्ग मीटर = 74 वर्ग मीटर
1 वर्ग मीटर पर सफेदी कराने का व्यय = 7.50
74 वर्ग मीटर पर सफेदी कराने का व्यय = (74 x 7.50) = 555
अतः कमरे की दीवारों और छत पर सफेदी कराने का व्यय = 555

प्रश्न 3. किसी आयताकार हॉल के फर्श की परिमाप 250 मीटर है। यदि के 10 प्रति मीटर² की दर से चारों दीवारों पर पेंट कराने की लागत के 15,000 है तो इस हॉल की ऊँचाई ज्ञात कीजिए।
हल :
माना हॉल की ऊँचाई h मीटर है।
हॉल की परिमाप = 250 मीटर
हाल की चारों दीवारों का क्षेत्रफल = हॉल की परिमाप x ऊँचाई। = 250 x h = 250h वर्ग मीटर
तब हॉल की दीवारों को पेंट कराने का व्यय = हॉल की चारों दीवारों का क्षेत्रफल x पेंट कराने की मूल्य-दर = 250h x 0 = 2,500 h
परन्तु दिया है 10 प्रति मीटर² की दर से हॉल की दीवारों को पेंट कराने का व्यय 15,000 है।
2500 h = 15000 ⇒ h = [latex]\frac { 15000 }{ 2500 }[/latex] = 6 मीटर
अत: हॉल की ऊँचाई = 6 मीटर।

प्रश्न 4. किसी डिब्बे में भरा हुआ पेंट 9.375 मीटर² के क्षेत्रफल पर पेंट करने के लिए पर्याप्त है। इस डिब्बे के पेंट से 22.5 सेमी x 10 सेमी x 7.5 सेमी विमाओं वाली कितनी ईंट पेंट की जा सकती हैं?
हल :
ईंट की विमाएँ 22.5 सेमी x 10 सेमी x 7.5 सेमी हैं।
माना l = 22.5 सेमी, b = 10 सेमी और h = 7.5 सेमी
प्रत्येक ईंट (घनाभ) का पृष्ठीय क्षेत्रफल = 2 (lb + bh + hl)
= 2 [(22.5 x 10) + (10 x 7.5) + (7.5 x 22.5)]
= 2225.0 + 75.0 + 168.75
= 2 x 468.75
= 937.5 वर्ग सेमी
अब माना कि ईंटों की अभीष्ट संख्या n है।
कुल ईंटों का क्षेत्रफल = 937.5 n वर्ग सेमी
परन्तु प्रश्न में दिया है कि पेंट 9.375 वर्ग मीटर क्षेत्रफल पर पेंट करने के लिए पर्याप्त है।
937.5n वर्ग सेमी = 9.375 वर्ग मीटर।
⇒ 937.5 n वर्ग सेमी = 9.375 x 10,000 वर्ग सेमी (1 वर्ग मीटर = 10,000 वर्ग सेमी)
⇒ 937.5 n वर्ग सेमी = 93,750
⇒ n = 100
अत: ईंटों की अभीष्ट संख्या = 100

UP Board Solutions

प्रश्न 5. एक घनाकार डिब्बे का एक किनास 10 सेमी लम्बाई का है तथा एक अन्य घनाभाकार डिब्बे की लम्बाई, चौड़ाई और ऊँचाई क्रमशः 12.5 सेमी, 10 सेमी और 8 सेमी हैं।
(i) किस डिब्बे का पाश्र्व पृष्ठीय क्षेत्रफल अधिक है और कितना अधिक है?
(ii) किस डिब्बे का कुल पृष्ठीय क्षेत्रफल कम है और कितना कम है?
हल :
(i) घनाकार डिब्बे का पार्श्व-पृष्ठीय क्षेत्रफल = 4 x भुजा² [भुजा = 10 सेमी]
= 4 x (10)² = 400 वर्ग सेमी
घनाभाकार डिब्बे का पार्श्व-पृष्ठीय क्षेत्रफल = परिमाप x ऊँचाई = 2 (l + b) x h = 2 (12.5 + 10) x 8
[l = 12.5 सेमी, b = 10 सेमी तथा h = 8 सेमी]
= 16 x 22.5
= 360.0 वर्ग सेमी
अतः स्पष्ट है कि घनाकार डिब्बे का पाश्र्व पृष्ठ क्षेत्रफल (400 – 360) = 40 वर्ग सेमी अधिक है।
(ii) घनाकार डिब्बे का सम्पूर्ण पृष्ठीय क्षेत्रफल = 6 x भुजा² = 6 x (10)² = 600 वर्ग सेमी
तथा
पृष्ठीय क्षेत्रफल और आयतन 343 तथा घनाभाकार डिब्बे का सम्पूर्ण पृष्ठीय क्षेत्रफल = 2 (lb + bh+ hl)
= 2 [(12.5 x 10) + (10 x 8) + (8 x 12.5)]
= 2[125 + 80 + 100]
= 2 x 305
= 610 वर्ग सेमी
अतः स्पष्ट है कि घनाकार डिब्बे का कुल पृष्ठीय क्षेत्रफल (610 – 600) = 10 वर्ग सेमी कम है।

प्रश्न 6. एक छोटा पौधा-घर (greenhouse) सम्पूर्ण रूप से शीशे की पट्टियों से (आधार भी सम्मिलित है) घर के अन्दर ही बनाया गया है और शीशे की पट्टियों को टेप द्वारा चिपका कर रोका गया है। यह पौधा-घर 30 सेमी लम्बा, 25 सेमी चौड़ा और 25 सेमी ऊँचा है।
(i) इसमें प्रयुक्त शीशे की पट्टियों का क्षेत्रफल क्या है?
(ii) सभी 12 किनारों के लिए कितने टेप की आवश्यकता है?
हल :
(i) पौधा-घर की लम्बाई (l) = 30 सेमी,
चौड़ाई (b) = 25 सेमी व ऊँचाई (h) = 25 सेमी।
पौधा-घर (घनाभ) का सम्पूर्ण पृष्ठीय क्षेत्रफल = 2(lb + bh + hl)
= 2 [(30 x 25) + (25 x 25) + (25 x 30)]
= 2 [750 + 625 + 750]
= 2 x 2125
= 4250 वर्ग सेमी।
अतः पौधा-घर बनाने में प्रयुक्त काँच का क्षेत्रफल = 4250 वर्ग सेमी।
(ii) 12 किनारों में 4 लम्बाइयाँ, 4 चौड़ाइयाँ व 4 ऊँचाइयाँ होती हैं।
सभी किनारों की माप = 4 (लम्बाई + चौड़ाई + ऊँचाई) = 4 (l + b + h)
= 4 (30 + 25 + 25) सेमी
= 4 x 80 सेमी
= 320 सेमी
अतः आवश्यक टेप की लम्बाई = 320 सेमी।

प्रश्न 7. शान्ति स्वीट स्टाल अपनी मिठाइयों को पैक करने के लिए गत्ते के डिब्बे बनाने का ऑर्डर दे रहा था। दो मापों के डिब्बों की आवश्यकता थी। बड़े डिब्बों की माप 25 सेमी x 20 सेमी x 5 सेमी और छोटे डिब्बों की माप 15 सेमी x 12 सेमी x 5 सेमी थीं। सभी प्रकार की अतिव्याप्तता (overlaps) के लिए कुल पृष्ठीय क्षेत्रफल के 5% के बराबर अतिरिक्त गत्ता लगेगा। यदि गत्ते की लागत 4 रुपये प्रति 1000 सेमी 2 है तो प्रत्येक प्रकार के 250 डिब्बे बनवाने की कितनी लागत आएगी?
हल :
बड़े डिब्बे की विमाएँ 25 सेमी x 20 सेमी x 5 सेमी हैं।
l = 25 सेमी, b = 20 सेमी और h = 5 सेमी
बड़े डिब्बे का पृष्ठीय क्षेत्रफल = 2 (lb + bh + hl)
= 2 [(25 x 20) + (20 x 5) + (5 x 25)]
= 2(500 + 100 + 125)
= 2 x 725
= 1450 वर्ग सेमी।
250 डिब्बों का पृष्ठीय क्षेत्रफल = 250 x 1450 = 3,62,500 वर्ग सेमी.
छोटे डिब्बे की विमाएँ 15 सेमी x 12 सेमी x 5 सेमी हैं।
L = 15 सेमी, B = 12 सेमी व H = 5 सेमी
छोटे डिब्बे का पृष्ठीय क्षेत्रफल = 2 (LB + BH + HL)
= 2 [(15 x 12) + (12 x 5) + (5 x 15)]
= 2[180+ 60+75]
= 2 x 315
= 630 वर्ग सेमी
250 डिब्बों का पृष्ठीय क्षेत्रफल = 630 x 250 = 1,57,500 वर्ग सेमी
प्रत्येक प्रकार के 250 डिब्बों का कुल पृष्ठीय क्षेत्रफल = (3,62,500 + 1,57,500) वर्ग सेमी = 5,20,000 वर्ग सेमी।
अतिव्याप्तता (overlaps) के लिए आरक्षित क्षेत्रफल = 5,20,000 का 5% (दिया है।)
= 5,20,000 x [latex]\frac { 5 }{ 100 }[/latex] = 26,000 वर्ग सेमी
डिब्बों के निर्माण में लगे गत्ते का कुल क्षेत्रफल = प्रत्येक प्रकार के 250 डिब्बों का कुल पृष्ठीय क्षेत्रफल + अतिव्याप्तता के लिए आरक्षित क्षेत्रफल
= (5,20,000+ 26,000) वर्ग सेमी
= 5,46,000 वर्ग सेमी|
1000 वर्ग सेमी के लिए गत्ते की लागत = 4
1 वर्ग सेमी के लिए गत्ते की लागत = [latex]\frac { 4 }{ 1000 }[/latex]
5,46,000 वर्ग सेमी के लिए गत्ते की लागत = [latex]\frac { 4 }{ 1000 }[/latex] x 546000 = 2184
अतः प्रत्येक प्रकार के 250 डिब्बे बनवाने की लागत = 2184

UP Board Solutions

प्रश्न 8. परवीन अपनी कार खड़ी करने के लिए, एक सन्दूक के प्रकार के ढाँचे जैसा एक अस्थायी स्थान तिरपाल की सहायता से बनाना चाहती है, जो कार को चारों ओर से और ऊपर से ढक ले (सामने वाला फलक लटका हुआ होगा जिसे घुमाकर ऊपर किया जा सकता है)। यह मानते हुए कि सिलाई के समय लगा तिरपाल का अतिरिक्त कपड़ा। नगण्य होगा, आधार विमाओं 4 मीटर x 3 मीटर और ऊँचाई 2.5 मीटर वाले इस ढाँचे को बनाने के लिए कितने तिरपाल की आवश्यकता होगी?
हल :
ढाँचे की विमाएँ 4 मीटर x 3 मीटर x 2.5 मीटर हैं।
माना l = 4 मीटर, b = 3 मीटर व h = 2.5 मीटर
ढाँचे को पाश्र्व पृष्ठीय क्षेत्रफल = परिमाप x ऊँचाई = 2 (l + b) x h = 2 (4 + 3) x 2.5 = 14 x 2.5 = 35 वर्ग मीटर
तथा छत या ऊपर के पृष्ठ का क्षेत्रफल = l x b = 4 x 3 = 12 वर्ग मीटर
कुल क्षेत्रफल = 35 + 12 = 47 वर्ग मीटर
अतः ढाँचे के निर्माण में 47 वर्ग मीटर तिरपाल की आवश्यकता होगी।

प्रटनावली 13.2

जब तक अन्यथा न कहा जाए, π = [latex]\frac { 22 }{ 7 }[/latex] लीजिए।
प्रश्न 1. ऊँचाई 14 सेमी वाले एक लम्ब वृत्तीय बेलन का वक्र पृष्ठीय क्षेत्रफल 88 सेमी है। बेलन के आधार का व्यास ज्ञात कीजिए।
हल :
माना बेलन के आधार का व्यास = 2R सेमी है। [जहाँ R बेलन की त्रिज्या है।]
तथा
बेलन की ऊँचाई (h) = 14 सेमी
बेलन का वक्र पृष्ठीय क्षेत्रफल = 2πRh = 2 x [latex]\frac { 22 }{ 7 }[/latex] x R x 14 = 88 R वर्ग सेमी
परन्तु दिया है, बेलन का वक्र पृष्ठीय क्षेत्रफल = 88 वर्ग सेमी
88R = 88 ⇒ R = 1 सेमी
अतः बेलन का व्यास = 2R = 2 x 1 = 2 सेमी।

प्रश्न 2. धातु की एक चादर से 1 मीटर ऊँची और 140 सेमी व्यास के आधार वाली एक बन्द बेलनाकार टंकी बनाई जानी है। इस कार्य के लिए कितने वर्ग मीटर चादर की आवश्यकता होगी?
हल : धातु की टंकी का व्यास = 140 सेमी
धातु की टंकी की त्रिज्या r = [latex]\frac { 140 }{ 2 }[/latex] = 70 सेमी = [latex]\frac { 70 }{ 100 }[/latex] [1 मीटर = 100 सेमी] = 0.7 मीटर
तथा टंकी की ऊँचाई h = 1 मीटर
टंकी का सम्पूर्ण पृष्ठीय क्षेत्रफल = 2πr (h + r)
= 2 x [latex]\frac { 22 }{ 7 }[/latex] x 0.7 x (1 + 0.7)
= 4.4 x 1.7 = 7.48 वर्ग मीटर
अतः टंकी को बनाने में प्रयुक्त चादर का क्षेत्रफल = 7.48 वर्ग मीटर।

प्रश्न 3. धातु का एक पाइप 77 सेमी लम्बा है। इसके एक अनुप्रस्थ काट का आन्तरिक व्यास 4 सेमी और बाहरी व्यास 4.4 सेमी है, ज्ञात कीजिए।
(i) आन्तरिक वक्र पृष्ठीय क्षेत्रफल
(ii) बाहरी वक्र पृष्ठीय क्षेत्रफल
(iii) कुल पृष्ठीय क्षेत्रफल
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 13 Surface Areas and Volumes img-1
हल :
धातु के पाइप की लम्बाई या ऊँचाई (h) = 77 सेमी
पाइप के अनुप्रस्थ काट का आन्तरिक व्यास = 4 सेमी
पाइप के अनुप्रस्थ काट की आन्तरिक त्रिज्या = [latex]\frac { 4 }{ 2 }[/latex] = 2 सेमी
पाइप के अनुप्रस्थ काट का बाहरी व्यास = 4.4 सेमी
पाइप के अनुप्रस्थ काट की बाहरी त्रिज्या R = [latex]\frac { 4.4 }{ 2 }[/latex] = 2.2 सेमी
(i) तब पाइप का आन्तरिक वक्र पृष्ठीय क्षेत्रफल = 2πrh
= 2 x [latex]\frac { 22 }{ 7 }[/latex] x 2 x 77 वर्ग सेमी
= 968 वर्ग सेमी।
(ii) बाहरी वक्र पृष्ठीय क्षेत्रफल = 2πrh
2 x [latex]\frac { 22 }{ 7 }[/latex] x 2.2 x 77 वर्ग सेमी
= 2 x 22 x 2.2 x 11 वर्ग सेमी = 1064.8 वर्ग सेमी।
(iii) पाइप का कुल पृष्ठीय क्षेत्रफल = आन्तरिक पृष्ठ + बाहरी पृष्ठ + दोनों वलयाकार सिरों का क्षेत्रफल
= 968 + 1064.8 + 2π(R² – r²)
= 2032.8 + 2 x [latex]\frac { 22 }{ 7 }[/latex] (2.2² – 2²)
= 2032.8+ 2 x [latex]\frac { 22 }{ 7 }[/latex] (4.84 – 4)
= 2032.8+ (2 x [latex]\frac { 22 }{ 7 }[/latex] x 0.84)
= (2032.8 + 5.28) वर्ग सेमी
= 2038.08 वर्ग सेमी।

प्रश्न 4. एक रोलर (roller) का व्यास 84 सेमी है और लम्बाई 120 सेमी है। एक खेल के मैदान को एक बार समतल करने के लिए 500 चक्कर लगाने पड़ते हैं। खेल के मैदान का वर्ग मीटर में क्षेत्रफल ज्ञात कीजिए।
हल :
रोलर को व्यास = 84 सेमी = 0.84 मीटर [1 मीटर = 100 सेमी]
रोलर की त्रिज्या (r) = [latex]\frac { 0.84 }{ 2 }[/latex] = 0.42 मीटर
और रोलर की लम्बाई (h) = 120 सेमी = 1.20 मीटर
रोलर का वक्र पृष्ठीय क्षेत्रफल = 2πrh
= 2 x [latex]\frac { 22 }{ 7 }[/latex] x 0.42 x 1.20 वर्ग मीटर
= 3.168 वर्ग मीटर
रोलर द्वारा 1 चक्कर लगाकर समतल किया गया मैदान का क्षेत्रफल = 3.168 वर्ग मीटर
रोलर द्वारा 500 चक्कर लगाकर समतल किया गया मैदान का क्षेत्रफल = 500 x 3.168 वर्ग मीटर = 1584 वर्ग मीटर
अतः खेल के मैदान का क्षेत्रफल = 1584 वर्ग मीटर।

UP Board Solutions

प्रश्न 5. किसी बेलनाकार स्तम्भ का व्यास 50 सेमी है और ऊँचाई 3.5 मीटर है। 12.50 प्रति वर्ग मीटर की दर से इस स्तम्भ के वक्र पृष्ठ पर पेंट कराने का व्यय ज्ञात कीजिए।
हल : बेलनाकार स्तम्भ का व्यास = 50 सेमी = 0.5 मीटर [1 मीटर = 100 सेमी]
बेलनाकार स्तम्भ की त्रिज्या (r) = [latex]\frac { 0.5 }{ 2 }[/latex] मीटर = 0.25 मीटर
स्तम्भ की ऊँचाई (h) = 3.5 मीटर
बेलनाकार स्तम्भ का वक्र पृष्ठ = 2πrh
= 2 x [latex]\frac { 22 }{ 7 }[/latex] x 0.25 x 3.5 वर्ग मीटर
= 5.5 वर्ग मीटर
1 वर्ग मीटर पर पेंट कराने का व्यय = 12.50
5.5 वर्ग मीटर पर पेंट कराने का व्यय = (5.5 x 12.50) = 68.75
अतः स्तम्भ पर पेंट कराने का व्यय = 68.75

प्रश्न 6. एक लम्ब वृत्तीय बेलन का वक्र पृष्ठीय क्षेत्रफल 4.4मीटर है। यदि बेलन के आधार की त्रिज्या 0.7 मीटर है तो उसकी ऊँचाई ज्ञात कीजिए।
हल :
माना लम्ब वृत्तीय बेलन की ऊँचाई h मीटर है।
तथा बेलन की त्रिज्या (r) = 0.7 मीटर
बेलन का वक्र पृष्ठीय क्षेत्रफल = 2πrh
= 2 x [latex]\frac { 22 }{ 7 }[/latex] x 0.7 x h = 4.4h वर्ग मीटर
परन्तु दिया है, बेलन का वक्र पृष्ठीय क्षेत्रफल = 4.4 वर्ग मीटर
4.4 h = 4.4 ⇒ h = 1 मीटर
अतः बेलन की ऊँचाई = 1 मीटर।

प्रश्न 7. किसी वृत्ताकार कुएँ को आन्तरिक व्यास 3.5 मीटर है और यह 10 मीटर गहरा है। ज्ञात कीजिए :
(i) आन्तरिक वक्र पृष्ठीय क्षेत्रफल।
(ii) 40 रुपये प्रति मीटर की दर से इसके वक्र पृष्ठ पर प्लास्टर कराने का व्यय।
हल :
वृत्ताकार कुएँ का आन्तरिक व्यास = 3.5 मीटर
वृत्ताकार कुएँ की आन्तरिक त्रिज्या r = [latex]\frac { 3.5 }{ 2 }[/latex] मीटर
तथा कुएँ की गहराई (h) = 10 मीटर
(i) कुएँ का आन्तरिक वक्र पृष्ठीय क्षेत्रफल = 2πrh
= 2 x [latex]\frac { 22 }{ 7 }[/latex] x [latex]\frac { 3.5 }{ 2 }[/latex] x 10 वर्ग मीटर = 110 वर्ग मीटर।
(ii) 1 वर्ग मीटर पर प्लास्टर कराने का व्यय = 40
110 वर्ग मीटर पर प्लास्टर कराने का व्यय = (110 x 40) = 4400
अत: कुएँ के वक्र पृष्ठ पर प्लास्टर कराने की व्यय = 4400

प्रश्न 8. गरम पानी द्वारा गरम रखने वाले एक संयन्त्र में 28 मीटर लम्बाई और 5 सेमी व्यास वाला एक बेलनाकार पाइप है। इस संयन्त्र में गर्मी देने वाला कुल कितना पृष्ठ है?
हल :
बेलनाकार पाइप का व्यास = 5 सेमी = 0.05 मीटर
बेलनाकार पाइप की त्रिज्या (r) = [latex]\frac { 0.05 }{ 2 }[/latex] = 0.025 मीटर
पाइप की लम्बाई (h) = 28 मीटर
पाइप का वक्र पृष्ठ = 2πrh
= 2 x [latex]\frac { 22 }{ 7 }[/latex] x 0.025 x 28 वर्ग मीटर = 4.4 वर्ग मीटर
अतः संयन्त्र में गर्मी देने वाला कुल पृष्ठ = 4.4 वर्ग मीटर।

प्रश्न 9. ज्ञात कीजिए।
(i) एक बेलनाकार पेट्रोल की बन्द टंकी का पाश्र्व या वक्र पृष्ठीय क्षेत्रफल, जिसका व्यास 4.2 मीटर है और ऊँचाई 4.5 मीटर है।
(ii) इस टंकी को बनाने में कुल कितना इस्पात (steel) लगा होगा, यदि कुल इस्पात का भाग बनाने में नष्ट हो गया है?
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 13 Surface Areas and Volumes img-2

प्रश्न 10. संलग्न आकृति में, आप एक लैम्प शेड का फ्रेम देख रहे हैं। इसे एक सजावटी कपड़े से ढका जाना है। इस फ्रेम के आधार का व्यास 20 सेमी है और ऊँचाई 30 सेमी है। फ्रेम के ऊपर और नीचे मोड़ने के लिए दोनों ओर 2.5 सेमी अतिरिक्त कपड़ा भी छोड़ा जाना है। ज्ञात कीजिए कि लैम्प शेड को ढकने के लिए कुल कितने कपड़े की आवश्यकता होगी।
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 13 Surface Areas and Volumes img-3
हल : लैम्प शेड वृत्ताकार है।
लैम्प शेड के आधार का व्यास = 20 सेमी
लैम्प शेड के आधार की त्रिज्या (r) = [latex]\frac { 20 }{ 2 }[/latex] = 10 सेमी
और लैम्प शेड की ऊँचाई (h) = 30 सेमी
लैम्प शेड को सजाने में दोनों ओर 2.5 सेमी कपड़ा अतिरिक्त छोड़ा जाता है।
कपड़े की लम्बाई (h1) = (30 + 2.5 + 2.5) सेमी = 35 सेमी।
कपड़े का क्षेत्रफल = 2πrh1
= 2 x [latex]\frac { 22 }{ 7 }[/latex] x 10 x 35 वर्ग सेमी = 2200 वर्ग सेमी
अत: लैम्प शेड को ढकने के लिए आवश्यक कपड़े का क्षेत्रफल 2200 वर्ग सेमी होगा।

UP Board Solutions

प्रश्न 11. किसी विद्यालय के विद्यार्थियों से एक आधार वाले बेलनाकार कलमदानों को गत्ते से बनाने और सजाने की प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए कहा गया। प्रत्येक कलमदान को 3 सेमी त्रिज्या और 10.5 सेमी ऊँचाई का होना था। विद्यालय को इसके लिए प्रतिभागियों को गत्ता देना था। यदि इसमें 35 प्रतिभागी थे, तो विद्यालय को कितना गत्ता खरीदना पड़ा होगा?
हल :
कलमदान की त्रिज्या (r) = 3 सेमी
और कलमदान की ऊँचाई (h) = 10.5 सेमी।
बेलनाकार कलमदान का वक्र पृष्ठीय क्षेत्रफल = 2πrh
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 13 Surface Areas and Volumes img-4

प्रश्नावली 13.3

जब तक अन्यथा न कहा जाए π = [latex]\frac { 22 }{ 7 }[/latex] लीजिए।
प्रश्न 1. एक शंकु के आधार का व्यास 10.5 सेमी है और इसकी तिर्यक ऊँचाई 10 सेमी है। इसका वक्र पृष्ठीय क्षेत्रफल ज्ञात कीजिए।
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 13 Surface Areas and Volumes img-5

प्रश्न 2. एक शंकु का कुल पृष्ठीय क्षेत्रफल ज्ञात कीजिए, जिसकी तिर्यक ऊँचाई 21 मीटर है और आधार का व्यास 24 मीटर है।
हल :
शंकु के आधार का व्यास = 24 मीटर
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 13 Surface Areas and Volumes img-6

प्रश्न 3. एक शंकु का वक्र पृष्ठीय क्षेत्रफल 308 सेमी है और इसकी तिर्यक ऊँचाई 14 सेमी है। ज्ञात कीजिए :
(i) आधार की त्रिज्या,
(ii) शंकु का कुल पृष्ठीय क्षेत्रफल।
हल :
(i) माना शंकु के आधार की त्रिज्या सेमी है।
शंकु की तिर्यक ऊँचाई (l) = 14 सेमी
शंकु का वक्र पृष्ठीय क्षेत्रफल = πrl
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 13 Surface Areas and Volumes img-7

प्रश्न 4. शंकु के आकार का एक तम्बू 10 मीटर ऊँचा है और उसके आधार की त्रिज्या 24 मीटर है। ज्ञात कीजिए:
(i) तम्बू की तिर्यक ऊँचाई।
(ii) तम्बू में लगे कैनवास (canvas) की लागत, यदि 1 मीटर कैनवास की लागत 70 है।
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 13 Surface Areas and Volumes img-8
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 13 Surface Areas and Volumes img-9

UP Board Solutions

प्रश्न 5. 8 मीटर ऊँचाई और आधार की त्रिज्या 6 मीटर वाले एक शंकु के आकार का तम्बू बनाने में 3 मीटर चौड़े तिरपाल की कितनी लम्बाई लगेगी? यह मान कर चलिए कि इसकी सिलाई और कटाई में 20 सेमी तिरपाल अतिरिक्त लगेगा। (π = 3.14 का प्रयोग कीजिए।)
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 13 Surface Areas and Volumes img-10

प्रश्न 6. शंकु के आधार की एक गुम्बज की तिर्यक ऊँचाई और आधार का व्यास क्रमशः 25 मीटर और 14 मीटर हैं। इसकी वक्र पृष्ठ पर 210 प्रति 100 मीटर की दर से सफेदी कराने का व्यय ज्ञात कीजिए।
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 13 Surface Areas and Volumes img-11

प्रश्न 7. एक जोकर की टोपी एक शंकु के आकार की है, जिसके आधार की त्रिज्या 7 सेमी और ऊँचाई 24 सेमी है। इसी प्रकार की 10 टोपियाँ बनाने के लिए आवश्यक गत्ते का क्षेत्रफल ज्ञात कीजिए।
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 13 Surface Areas and Volumes img-13
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 13 Surface Areas and Volumes img-14

प्रश्न 8. किसी बस स्टॉप को पुराने गत्ते से बने 50 खोखले शंकुओं द्वारा सड़क से अलग किया हुआ है। प्रत्येक शंकु के आधार का व्यास 40 सेमी है और ऊँचाई 1 मीटर है। यदि इन शंकुओं की बाहरी पृष्ठों को पेंट करवाना है और पेंट की दर 12 प्रति मीटर है, तो इनको पेंट कराने में कितनी लांगत आएगी? (π = 3.14 और √1.04 = 1.02 को प्रयोग कीजिए।)
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 13 Surface Areas and Volumes img-15

प्रश्नावली 13.4

जब तक अन्यथा न कहा जाए, π = [latex]\frac { 22 }{ 7 }[/latex] लीजिए।
प्रश्न 1. निम्नलिखित त्रिज्या वाले गोले का पृष्ठीय क्षेत्रफल ज्ञात कीजिए :
(i) 10.5 सेमी
(ii) 5.6 सेमी
(iii) 14 सेमी।
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 13 Surface Areas and Volumes img-16
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 13 Surface Areas and Volumes img-17

UP Board Solutions

प्रश्न 2. निम्नलिखित व्यास वाले गोले का पृष्ठीय क्षेत्रफल ज्ञात कीजिए :
(i) 14 सेमी,
(ii) 21 सेमी,
(iii) 3.5 मीटर।
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 13 Surface Areas and Volumes img-18

प्रश्न 3. 10 सेमी त्रिज्या वाले एक अर्धगोले का कुल पृष्ठीय क्षेत्रफल ज्ञात कीजिए। (π = 3.14 लीजिए।)
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 13 Surface Areas and Volumes img-19

प्रश्न 4. एक गोलाकार गुब्बारे में हवा भरने पर, उसकी त्रिज्या 7 सेमी से 14 सेमी हो जाती है। इन दोनों अस्थितियों में, गुब्बारे के पृष्ठीय क्षेत्रफलों का अनुपात ज्ञात कीजिए।
हल :
पहले गुब्बारे की त्रिज्या (r) = 7 सेमी
गुब्बारे का पृष्ठीय क्षेत्रफल = 4πr² = 4π x 7 x 7 वर्ग सेमी = 196 वर्ग सेमी।
हवा भरने के बाद गुब्बारे की त्रिज्या (R) = 14 सेमी
हवा भरने के बाद गुब्बारे का पृष्ठीय क्षेत्रफल = 4πR² = 4π x 14 x 14 वर्ग सेमी = 784π वर्ग सेमी।
अतः गुब्बारे के पृष्ठीय क्षेत्रफलों में अनुपात = 196π : 784π = 1 : 4

प्रश्न 5. पीतल से बने एक अर्द्धगोलाकार कटोरे का आन्तरिक व्यास 10.5 सेमी है। 16 प्रति 100 सेमी की दर से इसके आन्तरिक पृष्ठ पर कलई कराने का व्यय ज्ञात कीजिए।
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 13 Surface Areas and Volumes img-20

प्रश्न 6. उस गोले की त्रिज्या ज्ञात कीजिए जिसका पृष्ठीय क्षेत्रफल 154 वर्ग सेमी है।
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 13 Surface Areas and Volumes img-21

प्रश्न 7. चन्द्रमा का व्यास पृथ्वी के व्यास का लगभग एक-चौथाई है। इन दोनों के पृष्ठीय क्षेत्रफलों का अनुपात ज्ञात कीजिए।
हल :
चन्द्रमा का व्यास पृथ्वी के व्यास का लगभग एक-चौथाई है।
चन्द्रमा की त्रिज्या भी पृथ्वी की त्रिज्या की लगभग एक-चौथाई होगी।
माना चन्द्रमा की त्रिज्या। है तब पृथ्वी की त्रिज्या 4r होगी।
तब चन्द्रमा का पृष्ठीय क्षेत्रफल = 4πr² वर्ग सेमी।
और पृथ्वी का पृष्ठीय क्षेत्रफल = 4π (4r)² = 64πr² वर्ग सेमी।
अत: चन्द्रमा और पृथ्वी के पृष्ठीय क्षेत्रफलों में अनुपात = 4πr² : 64πr² = 1 : 16

UP Board Solutions

प्रश्न 8. एक अर्द्धगोलाकार कटोरा 0. 25 सेमी मोटी स्टील से बना है। इस कटोरे की आन्तरिक त्रिज्या 5 सेमी है। कटोरे का बाहरी वक्र पृष्ठीय क्षेत्रफल ज्ञात कीजिए।
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 13 Surface Areas and Volumes img-22
हल : कटोरे की आन्तरिक त्रिज्या (r) = 5 सेमी
कटोरे की चादर की मोटाई (d) = 0.25 सेमी|
कटोरे की बाहरी त्रिज्या (R) = आन्तरिक त्रिज्या + मोटाई = 5 + 0.25 = 5.25 सेमी।
अर्द्धगोलाकार कटोरे का बाहरी पृष्ठ = 2πR²
= 2 x [latex]\frac { 22 }{ 7 }[/latex] x 5.25 x 5.25 वर्ग सेमी। = 173.
अतः कटोरे का बाहरी वक्र पृष्ठीय क्षेत्रफल= 173. 25 वर्ग सेमी।

प्रश्न 9. एक लम्बवृत्तीय बेलन त्रिज्या वाले एक गोले को पूर्णतया घेरे हुए है ज्ञात कीजिए:
(i) गोले का पृष्ठीय क्षेत्रफल ।
(ii) बेलन का वक्र पृष्ठीय क्षेत्रफल
(iii) ऊपर (i) और (ii) में प्राप्त क्षेत्रफलों का अनुपात
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 13 Surface Areas and Volumes img-23
हल :
चित्र में लम्ब वृत्तीय बेलन गोले को पूर्णतया घेरे हुए है।
बेलन की त्रिज्या (R) = गोले की त्रिज्या (r)
(i) गोले का पृष्ठीय क्षेत्रफल = 4πr²
(ii) बेलन का वक्र पृष्ठीय क्षेत्रफल = 2πRH
चित्र से स्पष्ट है कि बेलन की ऊँचाई H = गोले का व्यास = 2r
बेलन का वक्र पृष्ठीय क्षेत्रफल = 2πR (2r) = 2πr (2r) (R = r) = 4πr²
अतः बेलन का वक्र पृष्ठीय क्षेत्रफल = 4πr²
(iii) उक्त दोनों के पृष्ठीय क्षेत्रफलों में अनुपात = 4πr² : 4πr² = 1 : 1

प्रश्नावली 13.5

प्रश्न 1. माचिस की डिब्बी के माप 4 सेमी x 2.5 सेमी x 1.5 सेमी हैं। ऐसी 12 डिब्बियों के एक पैकेट का आयतन क्या होगा?
हल :
माचिस की डिब्बी की माप 4 सेमी x 2.5 सेमी x 1.5 सेमी है।
माना l = 4 सेमी, b = 2.5 सेमी तथा h = 1.5 सेमी
माचिस की डिब्बी (घनाभ) का आयतन = lbh = 4 x 2.5 x 1.5 घन सेमी = 15 घन सेमी
1 माचिस की डिब्बी का आयतन = 15 घन सेमी
12 माचिस की डिब्बियों का आयतन = 12 x 15 = 180 घन सेमी
अतः 12 माचिसों के पैकेट का आयतन = 180 घन सेमी।

UP Board Solutions

प्रश्न 2. एक घनाभाकार पानी की टंकी 6 मीटर लम्बी, 5 मीटर चौड़ी और 4.5 मीटर गहरी है। इसमें कितने लीटर पानी आ सकता है?(1 घन मीटर = 1000 लीटर)
हल :
घनाभाकार टंकी की लम्बाई (l) = 6 मीटर, चौड़ाई (b) = 5 मीटर
और गहराई (h) = 4.5 मीटर।
टंकी का आयतन = lbh = 6 x 5 x 4.5 घन मीटर = 135 घन मीटर
टंकी में समाहित हो सकने वाले पानी का आयतन = 135 घन मीटर
= 135 x 1000 लीटर [1 घन मीटर = 1000 लीटर)
= 1,35,000 लीटर
अतः टंकी में 1,35,000 लीटर पानी आ सकता है।

प्रश्न 3. एक घनाभाकार बर्तन 10 मीटर लम्बा और 8 मीटर चौड़ा है। इसको कितना ऊँचा बनाया जाए कि इसमें 380 घन मीटर द्रव आ सके?
हुल :
माना h मीटर ऊँचा बर्तन होना चाहिए।
घनाभाकार बर्तन की लम्बाई (l) = 10 मीटर और
चौड़ाई (b) = 8 मीटर
घनाभाकार बर्तन का आयतन = lbh = 10 x 8 x h = 80h घन मीटर
बर्तन में समा सकने वाले द्रव का आयतन 380 घन मीटर है।
80 h = 380 ⇒ h = 4.75 मीटर
अतः बर्तन की ऊँचाई = 4.75 मीटर।

प्रश्न 4. 8 मीटर लम्बा, 6 मीटर चौड़ा और 3 मीटर गहरा एक घनाभाकार गड्ढा खुदवाने में 80 प्रति घन मीटर की दर से होने वाला व्यय ज्ञात कीजिए।
हल :
घनाभाकार गड्ढे की लम्बाई (l) = 8 मीटर,
चौड़ाई. (b) = 6 मीटर
तथा गहराई (h) = 3 मीटर
गड्ढे का ओयतन = lbh = (8 x 6 x 3) घन मीटर = 144 घन मीटर
1 घन मीटर गड्ढा खुदवाने का व्यय = 30
144 घन मीटर गड्ढा खुदवाने का व्यय = 30 x 144 = 4320
अतः गड्ढा खुदवाने में होने वाला व्यय = 4320

प्रश्न 5. एक घनाभाकार टंकी की धारिता 50,000 लीटर पानी की है। यदि इस टंकी की लम्बाई और गहराई क्रमशः 2.5 मीटर और 10 मीटर है, तो इसकी चौड़ाई ज्ञात कीजिए।
हल :
माना टंकी की चौड़ाई b मीटर है।
टंकी की लम्बाई (l) = 2.5 मीटर
और टंकी की गहराई (h) = 10 मीटर।
घनाभाकार टंकी का आयतन = lbh = 2.5 x b x 10 घन मीटर = 25b घन मीटर
टंकी की धारिता = 25b घन मीटर = 25b x 1000 लीटर (1 घन मीटर = 1000 लीटर) = 25,000 लीटर
परन्तु प्रश्न में दिया है कि टंकी की धारिता 50,000 लीटर है।
25000 b = 50,000 ⇒ b = 25,000
अतः टंकी की चौड़ाई = 2 मीटर।

UP Board Solutions

प्रश्न 6. एक गाँव जिसकी जनसंख्या 4000 है, को प्रतिदिन प्रति व्यक्ति 150 लीटर पानी की आवश्यकता है। इस गाँव में 20 मीटर x 15 मीटर x 6 मीटर मापों वाली एक टंकी बनी हुई है। इस टंकी का पानी वहाँ कितने दिन के लिए पर्याप्त होगा?
हुल : गाँव की जनसंख्या = 4000
प्रति व्यक्ति प्रतिदिन पानी की आवश्यकता = 150 लीटर
प्रतिदिन गाँव के लिए आवश्यक पानी की मात्रा = 4000 x 150 लीटर = 6,00,000 लीटर
= 600 घन मीटर (1000 लीटर = 1 घन मीटर)
टंकी की लम्बाई (l) = 20 मीटर,
टंकी की चौड़ाई (b) = 15 मीटर
तथा टंकी की ऊँचाई (h) = 6 मीटर
टंकी का आयतन = lbh = 20 x 15 x 6 घन मीटर = 1800 घन मीटर।
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 13 Surface Areas and Volumes img-24
अतः पानी से भरी टंकी गाँव के लिए 3 दिन के लिए पर्याप्त होगी।

प्रश्न 7. किसी गोदाम की मापें 40 मीटर x 25 मीटर x 15 मीटर हैं। इस गोदाम में 1.5 मीटर x 1.25 मीटर x 0.5 मीटर की माप वाले लकड़ी के कितने अधिकतम क्रेट (crate) रखे जा सकते हैं?
हल :
माना लकड़ी के n क्रेट रखे जा सकते हैं।
प्रत्येक क्रेट की माप 1.5 मीटर x 1.25 मीटर x 0.5 मीटर है।
अर्थात क्रेट की लम्बाई (l) = 1.5 मीटर,
क्रेट की चौड़ाई (b) = 1.25 मीटर
क्रेट की ऊँचाई (h) = 0.5 मीटर
प्रत्येक क्रेट का आयतन = lbh = 1.5 x 1.25 x 0.5 घन मीटर = 0.9375 घन मीटर
सभी n क्रेट्स का आयतन = 0.9375n घन मीटर
गोदाम की माप 40 मीटर x 25 मीटर x 15 मीटर है।
‘अर्थात गोदाम की लम्बाई (l1) = 40 मीटर,
गोदाम की चौड़ाई (b1) = 25 मीटर
तथा गोदाम की ऊँचाई (h1) = 15 मीटर
गोदाम का आयतन = l1b1h1 = 40 x 25 x 15 घन मीटर = 15,000 घन मीटर
गोदाम का आयतन लकड़ी के n क्रेट्स के आयतन के बराबर होना चाहिए।
0.9375 n = 15,000 ⇒ n = 16,000
अतः गोदाम में 16,000 क्रेट्स रखे जा सकते हैं।

UP Board Solutions

प्रश्न 8. 12 सेमी भुजा वाले एक ठोस घन को बराबर आयतन वाले 8 घनों में काटा जाता है। नए घन की भुजा क्या होगी? साथ ही, इन दोनों घनों के पृष्ठीय क्षेत्रफलों का अनुपात भी ज्ञात कीजिए।
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 13 Surface Areas and Volumes img-25
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 13 Surface Areas and Volumes img-26

प्रश्न 9. 3 मीटर गहरी और 40 मीटर चौड़ी एक नदी 2 किमी प्रति घण्टा की चाल से बहकर समुद्र में गिरती है। एक मिनट में समुद्र में कितना पानी गिरेगा?
हल :
नदी की गहराई (h) = 3 मीटर
और चौड़ाई (b) = 40 मीटर
नदी का परिच्छेद क्षेत्रफल (Sectional Area) = h x b = 3 x 40 = 120 वर्ग मीटर
नदी के पानी की चाल 2 किमी प्रति घण्टा है।
1 मिनट में नदी के विस्थापित पानी की लम्बाई = [latex]\frac { 2 x 1000 }{ 60 }[/latex] = [latex]\frac { 100 }{ 3 }[/latex]
1 मिनट में बहने वाले पानी का आयतन = [latex]\frac { 100 }{ 3 }[/latex] x 120 घन मीटर = 4000 घन मीटर
अतः 1 मिनट में समुद्र में 4000 घन मीटर पानी गिरेगा।

प्रश्नावली 13.6

जब तक अन्यथा न कहा जाए, 1 = लीजिए।
प्रश्न 1. एक बेलनाकार बर्तन के आधार की परिधि 132 सेमी और उसकी ऊँचाई 25 सेमी है। इस बर्तन में कितने लीटर पानी आ सकता है? (1000 सेमी3 = 1 लीटर)
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 13 Surface Areas and Volumes img-27

प्रश्न 2. लकड़ी के एक बेलनाकार पाइप को आन्तरिक व्यास 24 सेमी है और बाहरी व्यास 28 सेमी है। इस पाइप की लम्बाई 35 सेमी है। इस पाइप का द्रव्यमान ज्ञात कीजिए, यदि 1 सेमी लकड़ी का द्रव्यमान 0.6 ग्राम है।
हल : लकड़ी के बेलनाकार पाइप का आन्तरिक व्यास = 24 सेमी।
आन्तरिक त्रिज्या (r) = [latex]\frac { 24 }{ 2 }[/latex] = 12 सेमी
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 13 Surface Areas and Volumes img-28

UP Board Solutions

प्रश्न 3. एक सोफ्ट ड्रिंक (soft drink) दो प्रकार के पैकों में उपलब्ध है:
(i) लम्बाई 5 सेमी और चौड़ाई 4 सेमी वाले एक आयताकार आधार का टिन का डिब्बा जिसकी ऊँचाई 15 सेमी है और
(ii) व्यास 7 सेमी वाले वृत्तीय आधार और 10 सेमी ऊँचाई वाला एक प्लास्टिक का बेलनाकार डिब्बा। किस डिब्बे की धारिता अधिक है और कितनी अधिक है?
हल :
टिन (आयताकार आधार वाले) के डिब्बे की लम्बाई (l) = 5 सेमी,
चौड़ाई (b) = 4 सेमी और ऊँचाई (h) = 15 सेमी
टिन के डिब्बे का आयतन = lbh = 5 x 4 x 5 घन सेमी। = 300 घन सेमी
टिन के डिब्बे की धारिता = 300 घन सेमी
प्लास्टिक के (वृत्तीय आधार वाले) डिब्बे का व्यास = 7 सेमी
वृत्तीय आधार वाले डिब्बे की त्रिज्या (r’) = [latex]\frac { 7 }{ 2 }[/latex] सेमी
डिब्बे की ऊँचाई (h’) = 10 सेमी
बेलनाकार डिब्बे का आयतन = π (r’)² h’
= [latex]\frac { 22 }{ 7 }[/latex] x [latex]\frac { 7 }{ 2 }[/latex] x [latex]\frac { 7 }{ 2 }[/latex] x 10 घन सेमी
= 385 घन सेमी
बेलनाकार डिब्बे की धारिता = 385 घन सेमी|
अतः स्पष्ट है कि बेलनाकार डिब्बे की धारिता अधिक है तथा यह आयताकार आधार वाले डिब्बे की धारिता से (385 – 300) = 85 घन सेमी अधिक है।

प्रश्न 4. यदि एक बेलन का पार्श्व पृष्ठीय क्षेत्रफल 94.2 सेमी है और उसकी ऊँचाई 5 सेमी है, तो ज्ञात कीजिए :
(i) आधार की त्रिज्या,
(ii) बेलन का आयतन (π = 3.14 लीजिए)
हल :
(i) माना बेलन के आधार की त्रिज्या सेमी है।
दिया है, बेलन की ऊँचाई (h) = 5 सेमी
बेलन का पाश्र्व पृष्ठीय क्षेत्रफल = 2πrh वर्ग सेमी = 2 x 3.14 x r x 5 वर्ग सेमी = 31.4r वर्ग सेमी
परन्तु प्रश्न में दिया है कि बेलन का पार्श्व पृष्ठीय क्षेत्रफल 94.2 सेमी है।
31.4r = 94.2 ⇒ r = 3
अतः बेलन के आधार की त्रिज्या = 3 सेमी।
(ii) बेलन की त्रिज्या (r) = 3 सेमी तथा
बेलन की ऊँचाई (h) = 5 सेमी बेलन का आयतन = πr²h = 3.14 x 3 x 3 x 5 घन सेमी = 3.14 x 45 घन सेमी = 141.3 घन सेमी।
अतः बेलन का आयतन = 141.3 घन सेमी।

प्रश्न 5. 10 मीटर गहरे एक बेलनाकार बर्तन की आन्तरिक वक्र पृष्ठ को पेंट कराने का व्यय 2200 है। यदि पेंट कराने की दर 20 प्रति मीटर है तो ज्ञात कीजिए :
(i) बर्तन का आन्तरिक वक्र पृष्ठीय क्षेत्रफल
(ii) आधार की त्रिज्या
(iii) बर्तन की धारिता
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 13 Surface Areas and Volumes img-29
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 13 Surface Areas and Volumes img-30

प्रश्न 6. ऊँचाई 1 मीटर वाले एक बेलनाकार बर्तन की धारिता 15.4 लीटर है। इसको बनाने के लिए कितने वर्ग मीटर धातु की शीट की आवश्यकता होगी?
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 13 Surface Areas and Volumes img-31
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 13 Surface Areas and Volumes img-32

UP Board Solutions

प्रश्न 7. सीसे की एक पेंसिल (lead pencil) लकड़ी के एक बेलन के अभ्यन्तर में ग्रेफाइट (graphite) से बने ठोस बेलन को डाल कर बनाई गई है। पेंसिल का व्यास 7 मिमी है और ग्रेफाइट का व्यास 1 मिमी है। यदि पेंसिल की लम्बाई 14 सेमी है, तो लकड़ी का आयतन और ग्रेफाइट का आयतन ज्ञात कीजिए।
हल : पेंसिल का व्यास = 7 मिमी = 0.7 सेमी [1 मिमी = [latex]\frac { 1 }{ 10 }[/latex] सेमी
पेसिल की त्रिज्या (r) = [latex]\frac { 0.7 }{ 2 }[/latex] सेमी = 0.35 सेमी
पेंसिल की लम्बाई (h) = 14 सेमी
पेंसिल का आयतन = πr²h = [latex]\frac { 22 }{ 7 }[/latex] x 0.35 x 0.35 x 14 घन सेमी = 5.39 घन सेमी।
ग्रेफाइट रॉड का व्यास = 1 मिमी = 0.1 सेमी
ग्रेफाइट रॉड की त्रिज्या (r’) = [latex]\frac { 0.1 }{ 2 }[/latex] = 0.05 सेमी
ग्रेफाइट रॉड की लम्बाई (h) = 14 सेमी
ग्रेफाइट रॉड का आयतन = π(r’)²h
= [latex]\frac { 22 }{ 7 }[/latex] x 0.05 x 0.05 x 14 घन सेमी = 0.11 घन सेमी
पेंसिल में लगी लकड़ी का आयतन = पेंसिल का आयतन – ग्रेफाइट रॉड का आयतन = (5.39 – 0.11) घन सेमी = 5.28 घन सेमी
अतः लकड़ी का आयतन 5.28 घन सेमी और ग्रेफाइट का आयतन 0.11 घन सेमी है।

प्रश्न 8. एक अस्पताल (hospital) के एक रोगी को प्रतिदिन 7 सेमी व्यास वाले एक बेलनाकार कटोरे में सूप (soup) दिया जाता है। यदि यह कटोरा सूप से 4 सेमी ऊँचाई तक भरा जाता है, तो इस अस्पताल में 250 रोगियों के लिए प्रतिदिन कितना सूप तैयार किया जाता है?
हल : बेलनाकार कटोरे का व्यास = 7 सेमी
कटोरे की त्रिज्या (r) = [latex]\frac { 7 }{ 2 }[/latex] सेमी
कटोरे की ऊँचाई (h) = 4 सेमी
बेलनाकार कटोरे में डाले गए सूप का आयतन = πr²h
= [latex]\frac { 22 }{ 7 }[/latex] x [latex]\frac { 7 }{ 2 }[/latex] x [latex]\frac { 7 }{ 2 }[/latex] x 4 घन सेमी
= 154 घन सेमी।
1 रोगी के लिए आवश्यक सूप की मात्रा = 154 घन सेमी
250 रोगियों के लिए आवश्यक सूप की मात्रा = 250 x 154 घन सेमी = 38,500 घन सेमी
= [latex]\frac { 38500 }{ 1000 }[/latex]
= 38.5 लीटर
अत: प्रतिदिन 38,500 घन सेमी या 38.5 लीटर सूप तैयार किया जाता है।

प्रश्नावली 13.7

जब तक अन्यथा न कहा जाए, π = [latex]\frac { 22 }{ 7 }[/latex] लीजिए।
प्रश्न 1. उस लम्ब वृत्तीय शंकु का आयतन ज्ञात कीजिए, जिसकी|
(i) त्रिज्या 6 सेमी और ऊँचाई 7 सेमी है।
(ii) त्रिज्या 3.5 सेमी और ऊँचाई 12 सेमी है।
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 13 Surface Areas and Volumes img-33
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 13 Surface Areas and Volumes img-34

UP Board Solutions

प्रश्न 2. शंकु के आकार के उस बर्तन की लीटरों में धारिता ज्ञात कीजिए जिसकी
(i) त्रिज्या 7 सेमी और तिर्यक ऊँचाई 25 सेमी है।
(ii) ऊँचाई 12 सेमी और तिर्यक ऊँचाई 13 सेमी है।
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 13 Surface Areas and Volumes img-35
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 13 Surface Areas and Volumes img-36

UP Board Solutions

प्रश्न 3. एक शंकु की ऊँचाई 15 सेमी है। यदि उसका आयतन 1570 सेमी है, तो इसके आधार की त्रिज्या ज्ञात कीजिए। (π = 3.14 प्रयोग कीजिए।)
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 13 Surface Areas and Volumes img-37

प्रश्न 4. यदि 9 सेमी ऊँचाई वाले एक लम्बे वृत्तीय शंकु का आयतन 48 7 सेमी है तो इसके आधार का व्यास ज्ञात कीजिए।
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 13 Surface Areas and Volumes img-38

प्रश्न 5. ऊपरी व्यास 3.5 मीटर वाले शंकु के आकार का एक गड्ढा 12 मीटर गहरा है। इसकी धारिता किलोलीटरों में कितनी है?
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 13 Surface Areas and Volumes img-39

प्रश्न 6. एक लम्ब वृत्तीय शंकु का आयतन 9856 सेमी है। यदि इसके आधार का व्यास 28 सेमी है तो ज्ञात कीजिए।
(i) शंकु की ऊँचाई
(ii) शंकु की तिर्यक ऊँचाई
(iii) शंकु का वक्र पृष्ठीय क्षेत्रफल
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 13 Surface Areas and Volumes img-40

UP Board Solutions

प्रश्न 7. भुजाओं 5 सेमी, 12 सेमी और 13 सेमी वाले एक समकोण त्रिभुज ABC को भुजा 12 सेमी के परितः घुमाया जाता है। इस प्रकार प्राप्त ठोस का आयतन ज्ञात कीजिए।
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 13 Surface Areas and Volumes img-41
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 13 Surface Areas and Volumes img-42

प्रश्न 8. यदि प्रश्न 7 के त्रिभुज ABC को यदि भुजा 5 सेमी के परितः घुमाया जाए, तो इस प्रकार प्राप्त ठोस का आयतन ज्ञात कीजिए। प्रश्न 7 और 8 में प्राप्त किए गए दोनों ठोसों के आयतनों का अनुपात भी ज्ञात कीजिए।
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 13 Surface Areas and Volumes img-43

प्रश्न 9. गेहूँ की एक ढेरी 10.5 मीटर व्यास और 3 मीटर ऊँचाई वाले एक शंकु के आकार की है। इसका आयतन ज्ञात कीजिए। इस ढेरी को वर्षा से बचाने के लिए कैनवास से ढका जाता है। वाँछित कैनवास का क्षेत्रफल ज्ञात कीजिए।
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 13 Surface Areas and Volumes img-44

प्रश्नावली 13.8

जब तक अन्यथा न कहा जाए, π = [latex]\frac { 22 }{ 7 }[/latex] लीजिए।
प्रश्न 1. उस गोले का आयतन ज्ञात कीजिए जिसकी त्रिज्या निम्नलिखित हैं
(i) 7 सेमी
(ii) 0.63 मीटर
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 13 Surface Areas and Volumes img-45

UP Board Solutions

प्रश्न 2. उस ठोस गोलाकार गेंद द्वारा हटाए गए (विस्थापित) पानी का आयतन ज्ञात कीजिए, जिसका व्यास निम्नलिखित है :
(i) 28 सेमी
(ii) 0.21 मीटर।
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 13 Surface Areas and Volumes img-46
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 13 Surface Areas and Volumes img-47

UP Board Solutions

प्रश्न 3. धातु की एक गेंद को व्यास 4.2 सेमी है। यदि इस धातु का घनत्व 8.9 ग्राम प्रति घन सेमी है तो इस गेंद का द्रव्यमान ज्ञात कीजिए।
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 13 Surface Areas and Volumes img-48

प्रश्न 4. चन्द्रमा का व्यास पृथ्वी के व्यास का लगभग एक-चौथाई है। चन्द्रमा का आयतन पृथ्वी के आयतन की कौन-सी भिन्न है?
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 13 Surface Areas and Volumes img-49
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 13 Surface Areas and Volumes img-50

प्रश्न 5. व्यास 10.5 सेमी वाले एक अर्द्ध-गोलाव कार कटोरे में कितने लीटर दूध आ सकता है?
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 13 Surface Areas and Volumes img-51

प्रश्न 6. एक अर्द्ध-गोलाकार टंकी 1 सेमी मोटी एक लोहे की चादर (sheet) से बनी है। यदि इसकी आन्तरिक त्रिज्या 1 मीटर है, तो इस टंकी के बनाने में लगे लोहे का आयतन ज्ञात कीजिए।
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 13 Surface Areas and Volumes img-52
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 13 Surface Areas and Volumes img-53

UP Board Solutions

प्रश्न 7. उस गोले का आयतन ज्ञात कीजिए जिसका पृष्ठीय क्षेत्रफल 154 वर्ग सेमी है।
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 13 Surface Areas and Volumes img-54

प्रश्न 8. किसी भवन का गुम्बद एक अर्द्ध-गोले के आकार का है। अन्दर से, इसमें सफेदी कराने में 498.96 व्यय हुए। यदि सफेदी कराने की दर 2 प्रति वर्ग मीटर है, तो ज्ञात कीजिए।
(i) गुम्बद का आन्तरिक वक्र पृष्ठीय क्षेत्रफल
(ii) गुम्बद के अन्दर की हवा का आयतन।
हल :
(i) माना अर्द्ध-गोलाकार गुम्बद की त्रिज्या मीटर है।
अर्द्ध-गोलाकार गुम्बद खोखला होता है।
अर्द्ध-गोलाकार गुम्बद को आन्तरिक पृष्ठ = 2πr² वर्ग मीटर
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 13 Surface Areas and Volumes img-55

प्रश्न 9. लोहे के संत्ताइस ठोस गोलों को पिघलाकर, जिनमें से प्रत्येक की त्रिज्या है और पृष्ठीय क्षेत्रफल S है, एक बड़ा गोला बनाया जाता है, जिसका पृष्ठीय क्षेत्रफल S’ है। ज्ञात कीजिए :
(i) नए गोले की त्रिज्या r’
(ii) S और S’ का अनुपात।
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 13 Surface Areas and Volumes img-56

UP Board Solutions

प्रश्न 10. दवाई का एक कैपसूल (capsule) 3.5 मिमी व्यास का एक गोला (गोली) है। इस कैपसूल को भरने के लिए कितनी दवाई (घन मिमी में) की आवश्यकता होगी?
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 13 Surface Areas and Volumes img-57

प्रश्नावली 13.9 (ऐच्कि)

प्रश्न 1. एक लकड़ी के बुक-शैल्फ (book-shelf) की बाहरी विमाएँ 85 सेमी निम्नलिखित हैं :
ऊँचाई = 110 सेमी, गहराई = 25 सेमी, चौड़ाई = 85 सेमी। प्रत्येक स्थान पर तख्तों की मोटाई 5 सेमी है। इसके बाहरी फलकों पर पॉलिश कराई जाती है। और आन्तरिक फलकों पर पेंट किया जाना है। यदि पॉलिश कराने की दर 20 पैसे प्रति सेमी है और पेंट कराने की दर 10 पैसे प्रति सेमी है तो इस बुक-शैल्फ पर पॉलिश और पेंट कराने का कुल व्यय ज्ञात कीजिए।
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 13 Surface Areas and Volumes img-58
हल :
दिया है, ऊँचाई = 110 सेमी, गहराई = 25 सेमी तथा चौड़ाई = 85 सेमी तख्तों की मोटाई = 5 सेमी।
पॉलिश वाले भाग का क्षेत्रफल = चार दीवारों का क्षेत्रफल + बुक-शैल्फ के पीछे का क्षेत्रफल + सामने की पट्टिकाओं का क्षेत्रफल
= [(2 x गहराई x ऊँचाई) + (2 x चौड़ाई x गहराई) + (चौड़ाई x ऊँचाई) + {2 x ऊँचाई x मोटाई) + 4 x (चौड़ाई – 5 – 5) मोटाई }]
= [(2 x 25 x 110 + 2 x 85 x 25) + 85 x 10 + {2 x 110 x 5 + 4 x (85 – 10) x 5}]
= [2 (110 + 85) x 25 + 110 x 85 + 110 x 5 x 2 + (75 x 5) x 4]
= 9750 + 9350 + 1100 + 1500
= 21700 वर्ग सेमी
अब प्रति वर्ग सेमी पर पॉलिश कराने का व्यय = 20 पैसे = [latex]\frac { 20 }{ 100 }[/latex] [1 पैसा = [latex]\frac { 1 }{ 100 }[/latex] ]
21700 वर्ग सेमी पर पॉलिश कराने का व्यय = (21700 x [latex]\frac { 20 }{ 100 }[/latex]) = 4340
आन्तरिक वक्र पृष्ठ = विमाओं 75 सेमी x 30 सेमी x 20 सेमी के प्रत्येक 3 घनाभों का कुल वक्र पृष्ठ – विमाओं 75 सेमी x 30 सेमी x 20 सेमी के प्रत्येक 3 घनाभों के सामने के फलक का क्षेत्रफल
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 13 Surface Areas and Volumes img-59

UP Board Solutions

प्रश्न 2. किसी घर के कम्पाउण्ड की सामने की दीवार को 21 सेमी व्यास वाले लकड़ी के गोलों को छोटे आधारों पर टिकाकर सजाया जाता है, जैसा कि संलग्न आकृति में दिखाया गया है। इस प्रकार के आठ गोलों का प्रयोग इस कार्य के लिए किया जाना है और इन गोलों को चाँदी वाले रंग में पेंट करवाना है। प्रत्येक आधार 1.5 सेमी त्रिज्या और ऊँचाई 7 सेमी का एक बेलन है तथा इन्हें काले रंग से पेंट करवाना है। यदि चाँदी के रंग का पेंट करवाने की दर 25 पैसे प्रति सेमी है तथा काले रंग के पेंट करवाने की दर 5 पैसे प्रति सेमी हो, तो पेंट करवाने का कुल व्यय ज्ञात कीजिए।
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 13 Surface Areas and Volumes img-60
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 13 Surface Areas and Volumes img-61
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 13 Surface Areas and Volumes img-62

प्रश्न 3. एक गोले के व्यास में 25% की कमी हो जाती है। उसका वक्र पृष्ठीय क्षेत्रफल कितने प्रतिशत कम हो गया है?
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 13 Surface Areas and Volumes img-63

We hope the UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 13 Surface Areas and Volumes (पृष्ठीय क्षेत्रफल एवं आयतन) help you. If you have any query regarding UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 13 Surface Areas and Volumes (पृष्ठीय क्षेत्रफल एवं आयतन), drop a comment below and we will get back to you at the earliest.

UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 1 Number systems

UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 1 Number systems (संख्या पद्धति)

These Solutions are part of UP Board Solutions for Class 9 Maths. Here we have given UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 1 Number systems (संख्या पद्धति).

प्रश्नावली 1.1

प्रश्न 1.
क्या शून्य एक परिमेय संख्या है? क्या आप इसे [latex]\frac { p }{ q }[/latex] के रूप में लिख सकते हैं जहाँ p और q पूर्णाक हैं और q ≠ 0 है?
हल :
हाँ, शून्य एक परिमेय संख्या है।
इसे [latex]\frac { p }{ q }[/latex] के रूप में लिखा जा सकता है।
0 = [latex]\frac { 0 }{ 4 }[/latex] , [latex]\frac { 0 }{ 5 }[/latex] , [latex]\frac { 0 }{ 8 }[/latex] ,……….

UP Board Solutions

प्रश्न 2.
3 और 4 के मध्य 6 परिमेय संख्याएँ ज्ञात कीजिए।
हल :
6 परिमेय संख्याएँ ज्ञात करने के लिए, 3 और 4 को (6 + 1) = 7 से गुणा और भाग करते हैं।
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 1 Number systems img-6

प्रश्न 3.
[latex]\frac { 3 }{ 5 }[/latex] और [latex]\frac { 4 }{ 5 }[/latex] के बीच पाँच परिमेय संख्याएँ ज्ञात कीजिए।
हल :
चूँकि दी गई परिमेय संख्याओ का हर समान है।
पाँच परिमेय संख्याएँ ज्ञात करने के लिए, [latex]\frac { 3 }{ 5 }[/latex] और [latex]\frac { 4 }{ 5 }[/latex] को (5 + 1) = 6 से गुणा और भाग करते हैं।
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 1 Number systems img-7

प्रश्न 4.
नीचे दिए गए कथन सत्य हैं या असत्य? कारण के साथ अपने उत्तर दीजिए :
(i) प्रत्येक प्राकृत संख्या एक पूर्ण संख्या होती है।
(ii) प्रत्येक पूर्णाक एक पूर्ण संख्या होती है।
(iii) प्रत्येक परिमेय संख्या एक पूर्ण संख्या होती है।
हल :
(i) क्योंकि सभी प्राकृत संख्याएँ {1, 2, 3, 4, ….}, पूर्ण संख्याओं {0, 1, 2, 3, 4, ….} में समाहित हैं। अतः कथन सत्य है।
(ii) क्योंकि ऋणात्मक पूर्णाक, पूर्ण संख्याओं में समाहित नहीं है। अतः कथन असत्य है।
(iii) क्योंकि परिमेय संख्याओं के संग्रह में भिन्ने एवं दशमलव संख्याएँ होती हैं जो पूर्ण संख्याओं के संग्रह में समाहित नहीं हैं। अतः कथन असत्य है।

प्रश्नावली 1.2

प्रश्न 1.
नीचे दिए गए कथन सत्य हैं या असत्य? कारण के साथ अपने उत्तर दीजिए :
(i) प्रत्येक अपरिमेय संख्या एक वास्तविक संख्या होती है।
(ii) संख्या रेखा का प्रत्येक बिन्दु √m के रूप का होता है जहाँ m एक प्राकृत संख्या है।
(iii) प्रत्येक वास्तविक संख्या एक अपरिमेय होती है।
हल :
(i) क्योंकि वास्तविक संख्याओं का संग्रह परिमेय और अपरिमेय संख्याओं से मिलकर बना है अतः प्रत्येक अपरिमेय संख्या वास्तविक होती है। अत: कथन सत्य है।
(ii) यदि m एक प्राकृतिक संख्या है तो संख्या रेखा पर केवल 1, 2, 3, 4,……. बिन्दु ही स्थित होने चाहिए।
जबकि संख्या रेखा पर दो क्रमिक संख्याओं के मध्य अनन्त “संख्याएँ होती हैं। अत: कथन असत्य है।
(iii) क्योंकि वास्तविक संख्याओं के संग्रह में परिमेय और अपरिमेय दोनों प्रकार की संख्याएँ होती हैं। अत: प्रत्येक वास्तविक संख्या का अपरिमेय होना आवश्यक नहीं है। अतः कथन असत्य है।

UP Board Solutions

प्रश्न 2.
क्या सभी धनात्मक पूर्णांकों के वर्गमूल अपरिमेय होते हैं? यदि नहीं, तो एक ऐसी संख्या के वर्गमूल का उदाहरण दीजिए जो एक परिमेय संख्या है।
हल :
नहीं, सभी धनात्मक पूर्णांकों के वर्गमूल अपरिमेय नहीं होते हैं।
उदाहरणार्थ : √9 = 3 एक परिमेय संख्या है।

प्रश्न 3.
दिखाइए कि संख्या रेखा पर √5 को किस प्रकार निरूपित किया जा सकता है?
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 1 Number systems img-8

प्रश्नावली 1.3

प्रश्न 1.
निम्नलिखित भिन्नों को दशमलव रूप में लिखिए और बताइए कि प्रत्येक को दशमलव प्रसार किस प्रकार का है :
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 1 Number systems img-9
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 1 Number systems img-10
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 1 Number systems img-11
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 1 Number systems img-12

UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 1 Number systems img-13

प्रश्न 3.
निम्नलिखित को [latex]\frac { p }{ q }[/latex] के रूप में व्यक्त कीजिए, जहाँ p और q पूर्णाक है तथा q ≠ 0 है :
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 1 Number systems img-14
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 1 Number systems img-15

प्रश्न 4.
0.99999…. को [latex]\frac { p }{ q }[/latex] के रूप में व्यक्त कीजिए। क्या आप अपने उत्तर से आश्चर्यचकित हैं? अपने अध्यापक और कक्षा के सहयोगियों के साथ उत्तर की सार्थकता पर चर्चा कीजिए।
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 1 Number systems img-16

प्रश्न 5.
[latex]\frac { 1 }{ 17 }[/latex] के दशमलव प्रसार में अंकों के पुनरावृत्ति खण्ड में अंकों की अधिकतम संख्या क्या हो सकती है? अपने उत्तर की जाँच करने के लिए विभाजन-क्रिया कीजिए।
हल:
[latex]\frac { 1 }{ 17 }[/latex] में हर 17 है। अत: भाग करने पर 1 से 16 तक की कोई भी संख्याएँ शेषफल के रूप में प्राप्त हो सकती है। उसके उपरान्त अंकों की पुनरावृत्ति अवश्य होगी।
अतः [latex]\frac { 1 }{ 17 }[/latex] के दशमलव प्रसार के पुनरावृत्ति खण्ड में अधिकतम अंक = 16
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 1 Number systems img-17

UP Board Solutions

प्रश्न 6.
[latex]\frac { p }{ q }[/latex] , q ≠ 0 के रूप में परिमेय संख्याओं के अनेक उदाहरण लीजिए, जहाँ p और q पूर्णांक हैं, जिनका 1 के अतिरिक्त अन्य कोई उभयनिष्ठ गुणनखण्ड नहीं है और जिसका सांत दशमलव निरूपण (प्रसार) है। क्या आप यह अनुमान लगा सकते हैं कि q को कौन-सा गुण अवश्य सन्तुष्ट करना चाहिए?
हल :
[latex]\frac { p }{ q }[/latex] के रूप में परिमेय संख्याओं का दशमलव प्रसार सांत तभी होगा जब p को qसे भाग देने पर शेषफल शून्य हो। जबकि p और g में 1 के अतिरिक्त कोई उभयनिष्ठ गुणनखण्ड न हो जहाँ p और q पूर्णांक हैं तथा q ≠ 0 है।
किसी संख्या को भाग करने पर शेषफल शून्य तभी होगा जबकि
(1) भाजक 2 या 2 की कोई घात हो।
(2) भाजक 5 या 6 की कोई घात हो।
(3) भाजक 2 की किसी घात और 5 की किसी घात का गुणनफल हो।
अतः q को 2 अथवा 5 अथवा इनकी किसी घात के बराबर होना चाहिए अथवा 2 की किसी घात और 5 की किसी घात के गुणन के बराबर होना चाहिए।
अर्थात q = 2m x 5n जहाँ m और n पूर्ण संख्याएँ हैं।

प्रश्न 7.
ऐसी तीन संख्याएँ लिखिए जिनके दशमलव प्रसार अनवसानी अनावर्ती हो।
हल :
सभी अपरिमेय संख्याओं के दशमलव प्रसार अनवसानी अनावर्ती होते हैं।
ऐसी तीन संख्याएँ √2, √3, √5 हैं।

प्रश्न 8.
परिमेय संख्याओं [latex]\frac { 5 }{ 7 }[/latex] और [latex]\frac { 9 }{ 11 }[/latex] के बीच की तीन अलग-अलग अपरिमेय संख्याएँ ज्ञात कीजिए।
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 1 Number systems img-18

प्रश्न 9.
बताइए कि निम्नलिखित संख्याओं में कौन-कौन सी संख्याएँ परिमेय और कौन-कौन भी संख्याएँ अपरिमेय हैं :
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 1 Number systems img-19

प्रश्नावली 1.4

प्रश्न 1.
उत्तरोत्तर आवर्धन करके संख्या-रेखा पर 3.765 को देखिए।
हल :
चरण 1 : दी गई संख्या 3 तथा 4 के मध्य स्थित है।
चरण 2 : 3 और 4 के मध्य अन्तराल का आवर्धन करते हैं तथा इसे 10 बराबर भागों में विभाजित करते हैं।
चरण 3 : दी गई संख्या 3.7 और 3.8 के मध्य स्थित हैं।
चरण 4 : 3.7 और 3.8 के मध्य अन्तराल को 10 बराबर भागों में विभाजित करते हैं तथा इसका आवर्धन करते हैं।
चरण 5 : दी गई संख्या 3.76 तथा 3.77 के मध्य स्थित हैं।
चरण 6 : 3.76 और 3.77 के मध्य अन्तराल का आवर्धन करते हैं तथा इसे 10 बराबर भागों में विभाजित करते हैं।
चरण 7 : चरण-6 के आवर्धन में 3.765 पाँचवाँ भाग हैं।
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 1 Number systems img-20

UP Board Solutions

प्रश्न 2.
4 दशमलव स्थानों तक संख्या-रेखा पर 4.26 को देखिए।
हल :
चरण 1 : संख्या रेखा पर दी गई संख्या 4.26, 4 तथा 5 के मध्य स्थित हैं। (4 दशमलव स्थानों तक संख्या 4.2626 हैं।)
चरण 2 : 4 तथा 5 के मध्य अन्तराल का आवर्धन करते हैं और इसे 10 बराबर भागों में विभाजित करते हैं।
चरण 3 : दी गई संख्या 4.2626, 4.2 तथा 4.3 के मध्य स्थित हैं।
चरण 4 : 4.2 तथा 4.3 के मध्य अन्तराल का आवर्धन करते हैं और इसे 10 बराबर भागों में विभाजित करते हैं।
चरण 5 : दी गई संख्या 4.26 और 4.27 के मध्य स्थित हैं।
चरण 6 : 4.26 तथा 4.27 के मध्य अन्तराल का आवर्धन करते हैं और इसे 10 बराबर भागों में विभाजित करते हैं।
चरण 7 : दी गई संख्या 4.262 तथा 4.263 के मध्य स्थित हैं।
चरण 8 : 4.262 तथा 4.263 के मध्य अन्तराल का आवर्धन करते हैं और इसे 10 बराबर भागों में विभाजित करते हैं।
चरण 9 : चरण-8 के आवर्धन में 4.2626 छठवाँ भाग हैं।
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 1 Number systems img-21

प्रश्नावली 1.5

प्रश्न 1.
बताइए नीचे दी गयी संख्याओं में कौन-कौन परिमेय हैं और कौन-कौन अपरिमेय हैं :
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 1 Number systems img-22
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 1 Number systems img-5

प्रश्न 2.
निम्नलिखित व्यंजकों में से प्रत्येक व्यंजक को सरल कीजिए।
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 1 Number systems img-23

प्रश्न 3.
आपको याद होगा कि π को एक वृत्त की परिधि (c) और उसके व्यास (d) के अनुपात से परिभाषित किया जाता है अर्थात् π = [latex]\frac { c }{ d }[/latex] है। यह इस तथ्य का अन्तर्विरोध करता हुआ प्रतीत होता है कि π अपरिमेय है। इस अन्तर्विरोध का निराकरण आप किस प्रकार करेंगे?
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 1 Number systems img-2
c और d को किसी पैमाने से मापने पर हमें केवल सन्निकट माप प्राप्त होती है जिससे यह पता नहीं चल पाती कि c या d परिमेय संख्याएँ हैं या अपरिमेय संख्याएँ हैं। इसी कारण हमें c और d को परिमेय संख्याएँ समझने का भ्रम उत्पन्न होता है। और हम c और d के अनुपात 7 को परिमेय संख्या समझने की ओर अग्रसर होते है जिससे अन्तर्विरोध उत्पन्न होता है। वास्तव में 7 के अपरिमेय होने में कोई अन्तर्विरोध नहीं है।

UP Board Solutions

प्रश्न 4.
संख्या रेखा पर √9.3 को निरूपित कीजिए।
हल :
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 1 Number systems img-24
रेखाखण्ड AB = 9.3 मात्रक और BC = 1 मात्रक इस प्रकार खींचते हैं कि ABC एक सरल रेखा है।
AC का मध्य-बिन्दु M ज्ञात करते हैं तथा AC को व्यास लेकर अर्द्धवृत्त खींचते हैं।
∠ABD = 90° बनाते हैं जो अर्द्धवृत्त को D पर काटता है।
अब संख्या रेखा पर B को केन्द्र लेकर BD त्रिज्या से चाप लगाते हैं जो संख्या रेखा को P पर काटता है।
अब √9.3 = BP अर्थात् बिन्दु P संख्या रेखा पर √9.3 को निरूपित करती है।

प्रश्न 5.
निम्नलिखित के हरों का परिमेयकरण कीजिए ।
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 1 Number systems img-25
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 1 Number systems img-3
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 1 Number systems img-26

प्रश्नावली 1.6

प्रश्न 1.
ज्ञात कीजिए :
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 1 Number systems img-27
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 1 Number systems img-4

प्रश्न 2.
ज्ञात कीजिए।
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 1 Number systems img-28

प्रश्न 3.
सरल कीजिए :
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 1 Number systems img-29

We hope the UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 1 Number systems (संख्या पद्धति) help you. If you have any query regarding UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 1 Number systems (संख्या पद्धति), drop a comment below and we will get back to you at the earliest.

UP Board Solutions for Class 9 Sanskrit Chapter 10 भारतवर्षम् (गद्य – भारती)

UP Board Solutions for Class 9 Sanskrit Chapter 10 भारतवर्षम् (गद्य – भारती) are the part of UP Board Solutions for Class 9 Sanskrit. Here we have given UP Board Solutions for Class 9 Sanskrit Chapter 10 भारतवर्षम् (गद्य – भारती).

Board UP Board
Textbook NCERT
Class Class 9
Subject Sanskrit
Chapter Chapter 10
Chapter Name भारतवर्षम् (गद्य – भारती)
Number of Questions Solved 5
Category UP Board Solutions

UP Board Solutions for Class 9 Sanskrit Chapter 10 भारतवर्षम्

पाठ-सारांश

नामकरण-हमारे देश का नाम भारत है। ‘भरत’ शब्द से ‘भारत’ नाम पड़ा। हमारे देश में ‘भरत’ नाम से चार महापुरुष हुए—
(1) दशरथ के पुत्र राम के छोटे भाई भरत,
(2) हस्तिनापुर के राजा दुष्यन्त और शकुन्तला से उत्पन्न भरत,
(3) नाट्शास्त्र के प्रणेता ‘भरत’ मुनि,
(4) भागवत् पुराण में वर्णित जड़ भरत’। भागवत् के अनुसार जड़ भरत’ के नाम से ही हमारे देश का नाम ‘भारत’ पड़ा। भायाम् (तेजसि) रतत्वादेव भारतम्-इस विग्रह से भी ‘भारत’ नाम सार्थक होता है। मुसलमान शासकों ने ‘सिन्धु नदी के नाम से यहाँ के निवासियों को ‘हिन्दू’ और देश को हिन्दुस्थान’ कहा। यूरोपीय लोग हमारे देश को ‘इण्डिया’ कहते हैं। ।

UP Board Solutions

प्रहरी हिमालय-भारत के उत्तर में पर्वतराज हिमालय स्थित है। संसार के सबसे ऊँचे पर्वत हिमालय की चोटियाँ सदैव बर्फ से ढकी रहती हैं। ऐसा विश्वास किया जाता है कि इसके प्रदेशों में ‘येति’ नाम के हिम मानवे रहते हैं। इसकी उपत्यकाओं में घने वन, असीम ओषधियाँ, फल और फूल तथा अनेक प्रकार के पशु-पक्षी रहते हैं। यह चिरकाल से प्रहरी के समान भारत की रक्षा करता चला आ रही है। चीन के द्वारा हमारे भू-भाग पर कब्जा कर लेने के बाद, हमारे सैनिक रात-दिन इसके हिमाच्छादित शिखरों पर रहकर देश की रक्षा (UPBoardSolutions.com) करते हैं। इसकी गोद में जम्मू-कश्मीर, हिमाचले, सिक्किम, अरुणाचल आदि प्रदेश स्थित हैं। भूटान और नेपाल स्वतन्त्र राज्य भी इसी पर्वत पर स्थित हैं। इसके प्रदेशों पर स्थित अमरनाथ, बदरीनाथ, केदारनाथ, वैष्णव देवी आदि तीर्थों पर प्रतिवर्ष हजारों यात्री जाते हैं। श्रीनगर, पहलगाँव, शिमला, नैनीताल, मसूरी दार्जिलिंग आदि इसी पर्वत पर बसे नगर हैं, जहाँ गर्मियों में लोग पर्यटन के लिए जाते हैं।

तीन दिशाओं में समुद्र-
भारत के दक्षिण में हिन्द महासागर, पूर्व में बंगाल की खाड़ी और पश्चिम में अरब महासागर है। इसके पश्चिमोत्तर भाग में पाकिस्तान और पूर्वोत्तर भाग में ‘बाँग्लादेश है।पहले ये दोनों देश भारत के ही प्रदेश थे। दक्षिण में कन्याकुमारी है, जहाँ तीन समुद्रों का संगम होता है।

तटीय-प्रदेश-कन्याकुमारी के दक्षिण भाग में समुद्र पार हमारी पड़ोसी देश श्रीलंका है। हिन्द महासागर में लक्षद्वीप’ और बंगाल की खाड़ी में ‘अण्डमान भारत के अभिन्न प्रदेश हैं। समुद्र-तट पर गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु, आन्ध्र, उड़ीसा, बंगाल आदि भारत के ही प्रदेश हैं। इन नगरों में बड़े बन्दरगाह हैं, जहाँ से असंख्य जलपोतों द्वारा व्यापारिक माल का आयात-निर्यात होता है। सागर के तटों पर मत्स्य-ग्रहण के भी अनेक केन्द्र स्थित हैं।

प्राकृतिक सुषमा–भारत पर प्रकृति देवी की विशेष कृपा है। यहाँ छह ऋतुएँ होती हैं। सूर्य और चन्द्रमा का सर्वाधिक प्रकाश इसी देश में फैलता है। सूर्यास्त और चन्द्रास्त के मनोरम दृश्य भारत में ही देखे जा सकते हैं। इसके उत्तरी भाग में सिन्धु, बेतवा, सतलज, सरस्वती, गंगा, यमुना, ब्रह्मपुत्र आदि; इसके मध्य में नर्मदा और चम्बल तथा इसके दक्षिण भाग में गोदावरी, कावेरी, कृष्णा, पेरिषार, महानदी आदि नदियाँ भारतभूमि की उपज बढ़ाती हैं। इन नदियों के तटों पर हरिद्वार, प्रयाग, काशी,गया आदि तीर्थस्थान हैं, जहाँ हजारों यात्री स्नान (UPBoardSolutions.com) करके धर्म-लाभ करते हैं। विशेष अवसरों पर कुम्भ । जैसे महामेले लगते हैं। भारत के वन परम मनोहारी हैं, हिमालय पर देवदार के तथा सागर के तटीय : प्रदेशों में नारियल और सुपारी के सुन्दर वन हैं। प्राकृतिक सौन्दर्य के कारण ही कश्मीर को ‘पृथ्वी का स्वर्ग’ कहा जाता है। हमारे राष्ट्रगीत में भी भारत के प्रमुख प्रदेशों, पर्वतों और नदियों का उल्लेख है।

संसार का गुरु-भारत को संसार का गुरु कहा जाता है। यहाँ केवल उपनिषदों और उत्तरवेदान्त की आध्यात्मिकता ही नहीं है, वरन् वेद और स्मृतियों में प्रतिपादित नैतिक आचार तथा योगाभ्यास विदेशियों के आकर्षण के केन्द्र बने हुए हैं। वे भारत के आश्रमों में रहकर शान्ति प्राप्त करते हैं। अपने देशों में भी उन्होंने भारत जैसे आश्रम स्थापित किये हैं। वे काम और अर्थ पुरुषार्थों को भारत की प्राचीन उपलब्धि मानते हैं। वात्स्यायन के यौन-विज्ञान तथा चाणक्य के राजनीति-विज्ञान का उल्लेख किये बिना इतिहास प्रारम्भ नहीं करते। (UPBoardSolutions.com) शल्यविज्ञान का आविर्भाव सुश्रुत से ही माना जाता है। गणित के अंकों का लेखन सर्वप्रथम भारत में ही हुआ। बाद में अरब और यूरोपीय देशों ने इसे जाना। आज भी अंकों को ‘हिन्दसा’ (हिन्द से आया हुआ) कहते हैं। ब्रिटेन आदि देशों में आज भी माध्यमिक स्कूलों में योगासनों की शिक्षा दी जाती है। गाँधी जी द्वारा उद्घोषित ‘अहिंसा परमो धर्मः’ व ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ की भावना विश्व भर में विश्वशान्ति के अद्वितीय उपाय माने जाते हैं।

कला की प्रगति-भारत की वास्तुकला और शिल्पकला को देखकर विदेशी चकित रह जाते हैं। खजुराहो और कोणार्क के मन्दिरों की शिल्पकला को देखने के लिए सम्पूर्ण विश्व से लाखों पर्यटक यहाँ आते हैं। ताजमहल और कुतुबमीनार आज भी भारत का गौरव बढ़ा रहे हैं। ‘ताजमहल’ को संसार के आश्चर्यों में गिना जाता है। भारतीय मूर्तिकला पर विदेशी इतने मुग्ध हैं कि लाखों रुपये खर्च करके भी वैध-अवैध उपायों से इसे प्राप्त करने का प्रयत्न करते रहते हैं।

महापुरुषों की पवित्र भूमि-इस गरिमाशाली देश भारत में नचिकेता के समान ज्ञानपिपासु, सत्यकाम के समान सत्यवादी, बालक ध्रुव के समान तपस्वी, अभिमन्यु के समान वीर किशोर, एकलव्य-उद्दालक-कौत्स सरीखे गुरुभक्त-शिष्य, शिवि-मयूरध्वज-कर्ण के सदृश परमदानी, हरिश्चन्द्र-युधिष्ठिर के समान सत्यपालक, भरत-लक्ष्मण के समान आदर्श भाई, दशरथ जैसे पिता, मैत्रेयी-गार्गी-भारती के समान विदुषी महिलाएँ, (UPBoardSolutions.com) रजिया-दुर्गाबाई-लक्ष्मीबाई के समान वीरांगनाएँ, सीता-सवित्री-गान्धारी के समान सती-स्त्रियाँ, भगत सिंह, चन्द्रशेखर और सुखदेव जैसे देशभक्त, महावीर, बुद्ध और गाँधी जैसे सन्त-महात्मा इस पावनभूमि पर उत्पन्न हुए हैं। दूसरे देशों में तो ईश्वर ने कहीं अपना दूत भेजा तो कहीं पुत्र, परन्तु भारत में तो वे मानव रूप धारण करके स्वयम् अवतीर्ण होते रहे हैं।

राजनीतिक और आर्थिक प्रगति-आज समस्त संसार में भारत का अपना विशिष्ट स्थान है। भारत ने अपनी स्वतन्त्रता प्राप्त करके पराधीन देशों की सहायता करने की घोषणा की। सभी देशों की प्रभुसत्ता का भारत ने सदा समादर किया है। साम्यवादी और पूँजीवादी देशों से अपने को अलग रखकर निर्गुट स्वतन्त्र राष्ट्रों का संगठन किया और गौरांगों की रंगभेद-नीति के विरुद्ध दृढ़ जनमत तैयार किया। आधुनिक विज्ञान, उद्योग और यान्त्रिकी के क्षेत्र में विकास करते हुए इसने अनेक नये आविष्कार किये और कृषि का पर्याप्त उत्पादन बढ़ाया। जिस देश में पहले सूई भी नहीं बनती थी, वहाँ अब आधुनिक यन्त्रों के निर्माण हो रहे हैं। इंग्लैण्ड-अमेरिका जैसे विकसित राष्ट्रों को भी हस्तशिल्प की वस्तुएँ एवं अभियान्त्रिकीय सूक्ष्म यन्त्र प्रदान किये जा रहे हैं। वैज्ञानिकों और इंजीनियरों की जितनी अधिकता भारत में है, उतनी अन्य देशों में नहीं। भारत की परिश्रमशीलता से अन्य देश भी भली-भाँति परिचित

समस्याएँ—यद्यपि भारत का अतीत एवं गौरव सम्मान के उच्च आसन पर प्रतिष्ठित है, किन्तु इससे भारत के भविष्य का निर्माण नहीं हो सकता। वर्तमान में उपलब्ध सुविधाओं और सम्पत्ति का सदुपयोग परमावश्यक है। भारत में कुछ समस्याएँ मुँह फैलाये खड़ी हैं। विदेशी नहीं चाहते कि भारत राजनीतिक और आर्थिक क्षेत्र में प्रगति करे; अतः वे आपस में फूट डालकर झगड़े कराते रहते हैं। विदेशियों द्वारा भड़काने (UPBoardSolutions.com) पर कुछ धर्मान्ध पंजाब में आतंकवाद फैला रहे हैं। प्रतिवर्ष अनेक साम्प्रदायिक झगड़े होते हैं, जिनमें निर्दोष व्यक्ति मारे जाते हैं और जन-धन की भारी क्षति और देश की शक्ति का ह्रास होता है। हमको आपस में मित्रतापूर्वक रहना चाहिए, क्योंकि देश की मुख्यधारा से मिलने में ही देश का कल्याण है। राजनीति द्वारा धर्म का संकट उपस्थित करना देश के लिए अहितकर

हमारे देश में दूसरी बड़ी समस्या जनसंख्या की वृद्धि की है। जनसंख्या की वृद्धि से देश के . विकास की गति रुक जाती है और विकास के अवसर, नष्ट हो जाते हैं; अतः हमें परिवार कल्याण की योजनाओं पर अमल करना चाहिए। हमारे सार्वजनिक जीवन में भ्रष्टाचार को बोलबाला है। अनुचित लाभ के लिए किसी को प्रोत्साहित नहीं करना चाहिए।

यह हमारी जन्मभूमि है, जिस पर हमने जन्म लिया है। किसी का शव जलाया जाये या दफनाया जाये—दोनों में क्या अन्तर है? सबको भारतमाता की मिट्टी में विलीन होना है। आपस में झगड़ने और जन्मभूमि के प्रति विद्रोह से क्या लाभ? उसका हमें हमेशा सम्मान करना चाहिए। कहा भी गया है-”जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी।”

UP Board Solutions

गद्यांशों का सस अनुवाद

(1) भारतं नामास्माकं जन्मभूमिः। भरतनामानश्चत्वारो महापुरुषा अस्मिन् देशे अति प्राचीनकाले.बभूवुः। एको मर्यादापुरुषोत्तमरामचन्द्रस्यानुजो दाशरथिर्भरतः, हस्तिनापुराधीशस्य पुरुवंशीयस्य दुष्यन्तस्य सुतश्शाकुन्तलेयः द्वितीयः, अभिनयकुशलो नाट्यशास्त्रप्रणेता भरतमुनिश्च तृतीयः, श्रीमद्भागवते वर्णितो ब्रह्मस्वरूपो जडभरतश्चतुर्थः। भागवते तत्रैव प्रतिपादितमस्ति ”अजनाभं नामैतद्वर्ष भारतमिति यत् (UPBoardSolutions.com) आरभ्य व्यपदिशन्ति” तेनेदं प्रतीयते यद जडभरतस्य नामैव अस्माकं देशस्य संज्ञा अनुसरतीति। वयं तु एवं मन्यामहे यत् सर्वदा सर्वथा च “भायाम् तेजसि रतत्वादेव भारतमिति” अस्माकं प्राणप्रियस्य देशस्य प्राचीनं नाम। कालान्तरे सिन्धुनदीसंज्ञामनुसृत्य मुहम्मदीयैरत्रत्यवासिनो हिन्दुनाम्ना कथिता, देशश्च हिन्दुस्थानमिति। तथैव यूरोपीयैरितरैश्च‘‘इण्डिया” इति नाम कृतम्।

शब्दार्थ-
बभूवुः = हुए।
अनुजः = छोटा भाई।
दाशरथिः भरतः = दशरथ के पुत्र भरत।
सुतश्शाकुन्तलेयः = शकुन्तला का पुत्र।
प्रणेता = रचना करने वाले
प्रतिपादितमस्ति = सिद्ध किया है।
व्यपदिशन्ति = कहते हैं।
प्रतीयते = प्रतीत होता है।
अनुसरति = अनुसरण करता है।
मन्यामहे = मानते हैं।
अनुसृत्य = अनुसरण करके।
यूरोपीयैरितैश्च (यूरोपीयैः + इतरैः + च) = यूरोप के निवासियों ने तथा अन्यों ने। |

सन्दर्थ
प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘संस्कृत गद्य-भारती’ में संकलित ‘भारतवर्षम्’ शीर्षक पाठ से उद्धृत है।

[संकेत-इस पाठ के शेष गद्यांशों के लिए भी यही सन्दर्भ प्रयुक्त होगा।] प्रसंग-इस गद्यांश में भारत के ‘भारत’ नामकरण होने का कारण बताया गया है।

अनुवाद
भारत हमारी जन्मभूमि है। अति प्राचीन समय में हमारे देश में ‘भरत’ नाम के चार महापुरुष हुए। एक तो मर्यादापुरुषोत्तम रामचन्द्र के छोटे भाई, दशरथ के पुत्र भरत; दूसरे हस्तिनापुर के राजा, पुरुवंशीय दुष्यन्त के शकुन्तला से उत्पन्न पुत्रं भरते; तीसरे अभिनयकला में कुशल, नाट्यशास्त्र के रचयिता भरतमुनि और चौथे श्रीमद्भागवत् में वर्णित ब्रह्मस्वरूप जड़भरत। भागवत् में वहीं पर बताया गया है-“अज की नाभि से उत्पन्न यह वर्ष भारत, जिसके आरम्भ करके कहते हैं। उससे यह प्रतीत होता है कि जड़भरत के नाम का ही अनुसरण हमारे (UPBoardSolutions.com) देश का नाम कर रहा है (अर्थात् हमारे देश का नाम ‘भारत’ जड़भरत के नाम का अनुसरण कर रहा है)। हम तो ऐसा मानते हैं कि सदा और सब प्रकार से तेज (भा) में संलग्न (रत) रहने के कारण ही भारत है, ऐसा प्राणों से प्यारे हमारे देश का प्राचीन नाम है। बाद में सिन्धु नदी के नाम का अनुसरण करके मुसलमानों ने यहाँ के निवासियों को ‘हिन्दू’ नाम से और देश को ‘हिन्दुस्थान’ कहा है। उसी प्रकार यूरोप के निवासियों ने और अन्यों ने ‘इण्डिया’ नाम,रख दिया।

(2) अस्योत्तरस्यां दिशि देवतात्मा हिमालयो नाम नगाधिराजो विराजते। संसारस्य पर्वतेषु उत्तुङ्गतमस्यास्य गिरेरुच्छ्रिताः शिखरमालाः सर्वदैव हिमाच्छादितास्तिष्ठन्ति तस्मादेवायं हिमालयः कथ्यते। एतानि शिखराणि देशीयानां विदेशीयानां च पर्वतारोहिणामाकर्षणकेन्द्राण्यपि वर्तन्ते। एवं विश्वस्यते (UPBoardSolutions.com) यत् तुषाराच्छादितेष्वस्य प्रदेशेषु ‘येति’ इति जातीयाः केचन हिममानवा अपि प्राप्यन्ते। हिमावेष्टितोऽयमद्रिर्भारतस्य मूनि विधिना स्थापितं सितं किरीटमिव विभाति यस्योपत्यकासु प्रसृतानि गहनानि वनानि मरकतमणिपङ्क्तीनां शोभामनुहरन्ति। एषु वनेषु निः सीमा ओषधिसम्पत् पुष्पद्धिश्च भवतः। बहुप्रकाराणि फलानि उत्पद्यन्ते, नानाविधाः।

खगमृगाश्च वसन्ति। एवमनुश्रूयते यदन्तकाले सद्रौपदीकाः पाण्डवी हिमालयमारोहन्त एव स्वर्गमाप्ताः। दीर्घकालं यावदसौ पर्वतः प्रहरीव स्थितो भारतस्य रक्षामकरोत् अद्यत्वे तु अस्य रक्षा भारतेन करणीया आपतिता, यतो हि अस्माकं प्रतिवेशी चीनदेशः कञ्चिद् भूभागं स्वकीयं कृत्वा यदा कदा भारतीयसीम्न उल्लङ्घनं हिमालयस्य पारात् करोति। तदनेकत्रास्माकं शूराः सैन्ययुवानोऽत्युच्छितेषु हिमाच्छादितेषु स्थानेषु दिवानिशं दृढ़ तिष्ठन्तो रक्षन्ति। हिमालयस्यै वोत्सेऽस्माकं गणराज्यस्य जम्मूकश्मीर-हिमालचल-अरुणाचलप्रदेशाः सन्ति। भूताननामकं भारतरक्षितं स्वतन्त्रं राज्यं भारतमित्रं संसारस्यैकमात्रं हिन्दुराष्ट्रं नैपालराज्यं च वर्तते। (UPBoardSolutions.com) अमरनाथवैष्णवदेवी-गङ्गोत्री-यमुनोत्री-केदारनाथ-बद्रीनाथादीनि नैकानि सुप्रसिद्धानि तीर्थान्यपि हिमालयस्य क्रोडे विराजन्ते। यत्र देशस्य प्रत्येकं भूभागात् प्रतिवर्षं सहस्रशस्तीर्थयात्रिण आगच्छन्ति। श्रीनगर-पहलगाँव- शिमला-नैनीताल-मसूरी-दार्जिलिङ्गादीनि मनोरमनगराण्यपि अत्रैव वर्तन्ते यत्र बहवो जनाः ग्रीष्मर्तुतापात् अत्रागत्य त्राणं लभन्ते।।

शब्दार्थ-
अस्योत्तरस्यां (अस्य + उत्तरस्याम्) = इसकी उत्तर दिशा में।
नगाधिराजः = पर्वतों का राजा।
उत्तुंगतमस्यास्य = सबसे ऊँची इसकी।
उच्छूिताः = ऊँची।
हिमाच्छादितास्तिष्ठन्ति = बर्फ से ढंकी रहती हैं।
विश्वस्यते = विश्वास किया जाता है।
केचन = कोई।
प्राप्यन्ते = पाये जाते हैं।
अद्रिः = पर्वत।
मूनि = माथे पर।
विधिना = विधाता के द्वारा।
सितम् = श्वेत।
किरीटम् इव = मुकुट के समान।
उपत्यकासु = निचली घाटियों (तलहटियों) में।
प्रसृतानि = फैले हुए।
गहनानि = घने।
मरकतमणिपङ्क्तीनां = मरकत-मणियों की पंक्तियों की।
शोभामनुहरन्ति = शोभा धारण करते हैं।
एवमनुश्रूयते = ऐसा सुना जाता है।
सद्रौपदीकाः = द्रौपदीसहित।
प्रहरीव = पहरेदार के समान।
अद्यत्वे = आजकल।
आपतिता = आ पड़ी है।
प्रतिवेशी = पड़ोसी।
सीम्नः = सीमा का पारात् = पार से।
दिवानिशम् = रात-दिन।
उत्से = गोद में।
क्रोडे = गोद में।
सहस्रशः = हजारों।
ग्रीष्मर्तुतापात् (ग्रीष्मऋतु: + तापात्) = ग्रीष्म ऋतु के ताप से।
त्राणं लभन्ते = रक्षा पाते हैं।

प्रसंग
प्रस्तुत गद्यांश में भारत की उत्तर दिशा में स्थित हिमालय पर्वत की महिमा और भारत के लिए उसके महत्त्व का वर्णन किया गया है।

अनुवाद
इसकी उत्तर दिशा में देवताओं की आत्मास्वरूप हिमालय नाम का पर्वतों का राजा सुशोभित है। संसार के पर्वतों में सबसे ऊँची इस पर्वत की ऊँची शिखरमालाएँ सदा ही बर्फ से ढकी रहती हैं, इसी कारण से यह ‘हिमालय’ कहा जाता है। ये चोटियाँ देश-विदेश के पर्वतारोहियों के आकर्षण का केन्द्र भी हैं। ऐसा विश्वास किया जाता है कि बर्फ से ढके हुए इसके प्रदेशों में ‘येति जाति के कुछ हिम-मानव भी पाये जाते हैं। बर्फ से ढका हुआ यह पर्वत भारत के मस्तक पर ब्रह्मा के द्वारा रखे गये श्वेत मुकुट के समान सुशोभित हो रहा है, जिसकी तलहटियों में फैले हुए घने वन मरकत मणि की पंक्तियों की शोभा को हरते हैं; अर्थात् वे मरकत मणियों से भी अधिक सुन्दर हैं। इन वनों में सीमारहित औषध-सम्पत्ति और पुष्प-समृद्धि होती है। बहुत प्रकार के फल उत्पन्न होते हैं और (UPBoardSolutions.com) अनेक प्रकार के पशु-पक्षी रहते हैं। ऐसा सुना जाता है कि अन्तिम समय में द्रौपदीसहित पाण्डव हिमालय पर चढ़ते हुए स्वर्ग पहुँच गये। लम्बे समय तक इस पर्वत ने पहरेदार के समान खड़े रहकर भारत की रक्षा की, किन्तु आज इसकी रक्षा भारत को करनी पड़ रही है; क्योंकि हमारा पड़ोसी चीन देश कुछ भू-भाग को दबाकर हिमालय के पार से कभी-कभी भारत की सीमा का उल्लंघन करता है। अनेक जगहों पर हमारे बहादुर सेना के जवान बुहत ऊँचे बर्फ से ढके स्थानों पर रात-दिन मजबूती से खड़े रहकर उसकी रक्षा करते हैं। हिमालय की ही गोद में हमारे गणराज्य के जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश हैं। भूटान नाम का भारतरक्षित स्वतन्त्र राज्य और भारत का मित्र, संसार का एकमात्र हिन्दू राष्ट्र नेपाल राज्य है। अमरनाथ, वैष्णव देवी, गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ, बदरीनाथ आदि अनेक प्रसिद्ध तीर्थस्थान भी हिमालय की गोद में सुशोभित हैं, जहाँ देश के प्रत्येक भूभाग से प्रतिवर्ष हजारों तीर्थयात्री आते हैं। श्रीनगर, पहलगाँव, शिमला, नैनीताल, मसूरी, दार्जिलिंग आदि सुन्दर नगर भी यहीं हैं, जहाँ बहुत-से लोग भयंकर गर्मी से यहाँ आकर छुटकारा पाते हैं।

UP Board Solutions

(3) भारतस्य दक्षिणस्यां दिशि हिन्दमहासागरः, प्राच्यां बङ्गसमुद्रः, प्रतीच्यामरब- सागरश्च वर्तन्ते। पश्चिमोत्तरदिग्भागे सम्प्रति ‘पाकिस्तानः पूर्वोत्तरस्मिश्च ‘बाङ्लादेशः’ तिष्ठति। पूर्वमिमावण्यस्माकं भारतस्यैव भागावस्तां राजनीतिकारणाद् वैदेशिकानां षड्यन्त्राणामस्माकमेव एकस्य (UPBoardSolutions.com) वर्गस्य कतिपयनेतृणां हठधर्मितायाश्च कारणात् पार्थक्यं संञ्जातम्। दक्षिणस्यां दिशि भारतस्य दूरतमो भूभागः ‘कन्याकुमारी’ नाम्ना प्रसिद्धो यत्र त्रयाणां सागराणा सङ्गमो भारतस्य चरणप्रक्षालनं कुर्वन्नतिशयपावनतां भजते।।

शब्दार्थ
प्राच्याम् = पूर्व दिशा में।
प्रतीच्याम् = पश्चिम दिशा में।
सम्प्रति = इस समय।
भागावस्ताम् (भागौ + आस्ताम्) = दोनों भाग थे।
पार्थक्यम् = अलगाव।
सञ्जातम् = हो गयी।
सङ्गमः = मिलना।
पावनतां भजते = पवित्रता को प्राप्त करता है।

प्रसंग
प्रस्तुत गद्यांश में भारत के पूर्व, पश्चिम और दक्षिण में स्थित समुद्रों, स्थानों और देशों का वर्णन है।।

अनुवाद-
भारत की दक्षिण दिशा में हिन्द महासागर, पूर्व दिशा में बङ्ग-समुद्र (बंगाल की खाड़ी) और पश्चिम दिशा में अरब महासागर है। इसकी पश्चिमोत्तर दिशा में अब पाकिस्तान और पूर्वोत्तर दिशा में बांग्लादेश स्थित हैं। पहले ये दोनों (पाकिस्तान और बांग्लादेश) भी हमारे भारत के ही भाग थे, किन्तु राजनीतिक कारणों से, विदेशियों के षड्यन्त्रों से, हमारे ही एक वर्ग के कुछ नेताओं की हठधर्मिता के कारण अलगाव (विभाजन) हो गया। दक्षिण दिशा में भारत का सुन्दर प्रदेश ‘कन्याकुमारी’ नाम से प्रसिद्ध है, जहाँ तीन सागरों का संगम भारत के पद प्रक्षालन करता (पैरों को धोता) हुआ अत्यन्त पवित्र हो जाता है।

(4) पारेसागरं चतुर्योजनमात्रे श्रीलङ्का नामाऽस्माकं प्रतिवेशी देशो विद्यते। एतदपि न जातु विस्मरणीयं यद् हिन्दमहासागरे ‘लक्षद्वीप’ नामा बङ्गसमुद्रे ‘अण्डमान’ नामा द्वीपसमूहश्चापि अस्माकं भारतस्यैव अविच्छिन्नौ प्रदेशौ स्तः। गुर्जर-महाराष्ट्र-कर्णाटक-केरल-तमिल-आन्ध्रउत्कल-बङ्गाज्यानां भूमि सागरः स्पृशति तस्मादेते तटीयप्रदेशाः कथ्यन्ते। यत्र अनेकानि महान्ति पत्तनानि विद्यन्ते येषु असङ्ख्यजलपोतानां (UPBoardSolutions.com) साहाय्येन वैदेशिकैर्विनिमेयानां पण्यानां निर्यातमायातं च क्रियेते। प्राचीनकालेऽपि भारतवर्षस्य नौपरिवहनव्यवस्था अतीव समृद्धा आसीत्। अनेकैद्वीपैर्देशान्तरैश्च साकं सागरमार्गेण वाणिज्यं प्रचलति स्म। एवमेव सागरतटीयजलेषु मत्स्यग्रहणव्यापारोऽधुनातनो महानुद्योगः परिणतः।।

शब्दार्थ
पारेसागरम् = सागर के पार। चतुर्योजनमाने = मात्र चार योजन पर। न जातु = कभी नहीं। अविच्छिन्नौ = अभिन्न। कर्णाट = कर्नाटक। उत्कल = उड़ीसा। पत्तनानि = बन्दरगाह (वह स्थान जहाँ जलयान आकर रुकते हैं और विविध सामग्री लेकर विदेशों को जाते हैं)। पण्यानाम् = विक्रेय वस्तुओं का। क्रियेते = किये जाते हैं। अतीव = बहुत अधिक। साकं = साथ। अधुनातनः = आधुनिक। परिणतः = हो गया है। प्रसंग-प्रस्तुत गद्यांश में भारत के समुद्रतटीय प्रदेशों का वर्णन किया गया है।

अनुवाद
समुद्र के पार केवल चार योजन पर श्रीलंका नाम का हमारा पड़ोसी देश है। यह भी कभी नहीं भूलना चाहिए कि हिन्द महासागर में लक्षद्वीप नाम का और बंगाल की खाड़ी में अण्डमान नाम का द्वीपसमूह भी हमारे भारत के ही अभिन्न प्रदेश हैं। गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक, केरल, तमिल, आन्ध्र, उड़ीसा और बंगाल राज्यों की भूमि को सागर स्पर्श करता है, इसलिए ये तटीय प्रदेश कहे जाते हैं। यहाँ अनेक बड़े बन्दरगाह हैं, जिनमें असंख्य जलयानों की सहायता से विदेशियों द्वारा विनिमय के योग्य व व्यापारिक वस्तुओं का निर्यात और (UPBoardSolutions.com) आयात किया जाता है। प्राचीनकाल में भी भारत की नौका-परिवहन की व्यवस्था अत्यन्त समृद्ध थी। अनेक द्वीपों और दूसरे देशों के साथ सागर के मार्ग से व्यापार चलता था। इसी प्रकार समुद्र के तट के जल में मछली पकड़ने का धन्धा आजकले का महान् उद्योग बन गया है।

UP Board Solutions

(5) प्रकृतिदेव्याः भारते महती कृपा वर्तते। षभिः ऋतुभिर्विरोज़मानम् ऋतुचक्रमत्रैव परिवर्तते। सूर्याचन्द्रमसोः प्रकाशो यथाऽत्र प्रसरति तथा संसारस्यात्यल्पेषु एव देशेषु स्यात्? सूर्यास्तस्य चन्द्रास्तस्य च सूर्यचन्द्रयोः अस्तमनवेलायाः मनोरमाणि दृश्यानि यथा अत्रं भवन्ति तथा नान्यत्र। सकलेऽपि भारते देशे नदीनां प्राकृतिकं जलं प्रसृतं येनात्रत्या भूमिरत्युर्वरा सञ्जाता। सिन्धु-वितस्ता-शतद्-सरस्वती-गङ्गा-यमुना-ब्रह्मपुत्रादयः सरित उत्तरभागे, चर्मण्वती नर्मदादयो मध्यभागे, गोदावरी-कावेरी-कृष्णा-पेरिषार-महा- नद्यादयश्च दक्षिणभागे प्रवहन्ति। एतासां तटेषु हरिद्वार-प्रयाग-काशी-गयादीनि बहूनि तीर्थस्थानानि विद्यन्ते। यत्र प्रतिदिनं सहस्रशो (UPBoardSolutions.com) यात्रिणः स्नानं कृत्वा धर्मं चिन्वन्ति। विशेषेष्वसरेषु, तु कुम्भसदृशानि मेलकानि भवन्ति। यत्र देशस्य प्रतिकोणतः सहस्त्रशो लक्षशो जना आगत्य सम्मिलन्ति। देशस्य वास्तविकीमेकतां च वाचं विनैव सुतरां मुखरयन्ति। भारतस्य वनानां शोभापि परमहृद्या। हिमालयेषु देवदारुवृक्षाणामुच्छायो गगनं चुम्बति तर्हि सागरतटीयप्रदेशेषु नारिकेलपूगादिवृक्षाणां घना वनराजयः समुद्रजलमात्मनो दर्पणमिवाकलयन्ति। प्राकृतिकसुषमा

कारणादेव कश्मीरस्तु पृथ्वीस्थः स्वर्ग एवं मन्यते। अस्माकं राष्ट्रगाने भारतस्य प्रमुखानां प्रदेशानां पर्वतानां नीदनाञ्च कीर्तनं वर्तते। अपरस्मिन् च वन्दे मातरमित्याख्ये गते च अस्याः भुवः सुजलत्वं सुफलत्वं शस्यश्यामलत्वञ्च वण्र्यन्ते। |

शब्दार्थ
प्रकृतिदेव्याः = प्रकृति रूपी देवी की।
परिवर्तते = बदलता है।
प्रसरति = फैलता है।
स्यात् = हो सकता है।
नान्यत्र = दूसरी जगह नहीं।
प्रसृतं = बहता है।
अत्युर्वरा = अधिक उपजाऊ।
सञ्जाताः = हो गयी हैं।
वितस्ता = व्यास।
शतद् = सतलज।
चर्मण्वती = चम्बल।
चिन्वन्ति = चुनते हैं, संचय करते हैं।
मेलकानि = मेले।
प्रतिकोणतः = प्रत्येक कोने से।
लक्षशः = लाखों
वाचं विनैव = बिना कहे ही।
सुतरां = भली प्रकार।
मुखरयन्ति = मुखर होते हैं, बोलते हैं।
हृद्या = सुन्दर।
चुम्बति = चूमती है।
पुगादि = सुपाड़ी आदि।
दर्पणामिवाकलयन्ति = दर्पण-सा प्रकट करते हैं।
पृथ्वीस्थः = पृथ्वी पर स्थित।
अपरस्मिन् = दूसरे में।
शस्य = फसल।
वण्र्यन्ते = वर्णित किये जाते

प्रसंग
प्रस्तुत गद्यांश में भारत के प्राकृतिक सौन्दर्य का वर्णन किया गया है।

अनुवाद
भारत पर प्रकृति देवी की महान् कृपा है। छह ऋतुओं से सुशोभित ऋतु-चक्र यहीं  पर बदलता है। सूर्य और चन्द्रमा का प्रकाश जैसा यहाँ फैलता है, वैसा संसार के बहुत थोड़े ही देशों में होता है। सूर्यास्त, चन्द्रास्त और सूर्य-चन्द्र के डूबने के समय के जैसे सुन्दर दृश्य यहाँ होते हैं, वैसे अन्यत्र नहीं। सारे ही भारत देश में नदियों का प्राकृतिक जाल फैला हुआ है, जिससे यहाँ की भूमि अत्यधिक उपजाऊ हो गयी है। उत्तर भाग में सिन्धु, बेतवा, सतलज, सरस्वती, गंगा, यमुना, ब्रह्मपुत्र आदि नदियाँ; मध्य भाग में चम्बल, नर्मदा आदि और दक्षिण भाग में गोदावरी, कृष्णा, कावेरी, पेरिषार आदि महानदियाँ बहती हैं। इनके तटों पर हरिद्वार, प्रयाग, काशी, गया आदि बहुत-से तीर्थस्थान विद्यमान हैं, जहाँ प्रतिदिन हजारों यात्री स्नान करके धार्मिक कार्यक्रमों में लगते हैं (धर्मार्जन करते हैं)। (UPBoardSolutions.com) विशेष अवसरों पर तो कुम्भ जैसे (विशाल) मेले होते हैं, जहाँ देश के प्रत्येक कोने से हजारों, लाखों लोग आकर सम्मिलित होते हैं और देश की सच्ची एकता को बिना कहे ही अच्छी तरह प्रकट करते हैं। भारत के वनों की शोभा भी परम रमणीय है। हिमालय पर देवदारु के वृक्षों की ऊँचाई आकाश को चूमती है तो संसार के तटीय प्रदेशों में नारियल, सुपारी आदि वृक्षों की घनी वन पंक्तियाँ समुद्र के जल , को अपने दर्पण के समान समझती हैं। प्राकृतिक शोभा के कारणों से ही कश्मीर पृथ्वी का स्वर्ग ही माना जाता है। हमारे राष्ट्रगान में भारत के प्रमुख प्रदेशों, पर्वतों और नदियों की कीर्ति (को वर्णन) है। और दूसरे ‘वन्देमातरम्’ नाम के गीत में इस पृथ्वी की सुजलता, सुफलता और शस्य-श्यामलता वर्णित है।

UP Board Solutions

(6) अयमस्माकं भारतदेशः संसारस्य गुरूरप्युच्यते। न केवलमुपनिषदामुत्तरवेदान्तस्य चाध्यात्मिकता, श्रुतिस्मृत्यादिषु प्रतिपादितो नैतिक आचारस्तथा विविधसिद्धिप्रदाता योगाभ्यास एवाद्यत्वेऽपि विदेशीयानामाकर्षणकारणं येन तेऽधुनानेकेष्वाश्रमेष्वत्र शान्ति मृगयमाणाः साधनां कुर्वन्ति स्वदेशेष्वपि तथाविधान् आश्रमांश्च संस्थापयन्ति। हरे कृष्णाद्यनेकसम्प्रदायानुभाव्य भक्तिमार्गमवलम्बन्तेऽपि च कामार्थाविति पुरुषार्थद्वयेऽपि ‘भारतस्य प्राचीनामुपलब्धिं बहु मन्यन्ते। वात्स्यायनं चाणक्यं चानुद्धृत्य यौन-विज्ञानस्य ‘राजनीतिविज्ञानस्य चेतिहासमापि प्रारब्धं न पारयन्ति। अनुल्लिख्य च सुश्रुतं न | शल्यक्झिानस्याविर्भावं प्रस्तोतुं शक्यते। गणितविद्यायामूलम् अङ्कलेखनप्रणाली सर्वप्रथम भारते एव आविर्भूता, ततश्च भारतीयेभ्यो अरब-देशीयैरवगतात। (UPBoardSolutions.com) अधुनापि अङ्क ‘हिन्दसा’ (हिन्दात् = भारतात् आगतः) इति कथयन्ति। यूरोपीयैस्तु तत्पश्चादेवारबवासिभ्यः सङ्ख्यालेखनप्रकारः शिक्षितः। स्वास्थ्यकृते योगासनशिक्षा तु ब्रिटेनादिदेशेषु अनेकत्र माध्यमिकविद्यालयेषु प्रचलिता। भारतजन्मा बौद्धधर्मोऽद्यापि कोटिभिर्विदेशीयानामनुस्रियते। महात्मा गान्धिना पुनरुद्घोषितो “अहिंसा परमो धर्मः” अद्यापि विश्वशान्तेरद्वितीय उपायः स्वीक्रियते। किन्तु हन्त! मिथः अविश्वसद्भिः परस्परं विभ्यभिस्तथोच्चैराकक्षमाणैः संसारस्य नैकैर्हठिभिर्नेतृभिस्तुदनुपालने वैवश्यमनुभूयते। त्यक्तेन भुञ्जीथा इत्यार्षसिद्धान्तमनुसृत्य ‘वसुधैव कुटुम्बकमिति’ आदर्श प्राप्ता जना एव विश्वशान्ति स्थापयितुं समर्था न तु आयुधेभ्यो धावमानाः मृत्युपण्याः कुशासकाः विश्वराजनेतारः।

शब्दार्थ
गुरूरप्युच्यते (गुरुः + अपि + उच्यते) = गुरु भी कहा जाता है।
प्रतिपादितः = ‘सिद्ध किया गया।
मृगयमाणाः = खोजते हुए।
उद्भाव्य = उत्पन्न करके।
अनुधृत्य = बिना उद्धरण
दिये। प्रारब्धम् = प्रारम्भ करना।
अनुल्लिख्य च = उल्लेख किये बिना।
प्रस्तोतुम् शक्यते = प्रस्तुत किया जा सकता है।
अवगता = जानी।
अनुत्रियते = अनुसरण किया जाता है।
स्वीक्रियते = स्वीकार किया जाता है।
हन्त = दुःख है।
मिथः = आपस में
बिभ्यद्भिः = डरने वाले।
वैवश्यम् अनुभूयते = विवशता अनुभव की जाती है।
भुञ्जीथा = भोग करो।
अनुसृत्य = अनुसरण करके।
धावमानाः = दौड़ते हुए।
मृत्युपण्याः = मौत के सौदागर।
विश्वराजनेतारः = विश्व के राजनेता।

प्रसंग
प्रस्तुत गद्यांश में भारत की आध्यात्मिकता, ज्ञान-विज्ञान एवं विश्व-शान्ति की स्थापना में भारतीय नीति की भूमिका का वर्णन किया गया है।

अनुवाद
यह हमारा भारत देश संसार का गुरु भी कहा जाता है। केवल उपनिषदों और उत्तर वेदान्त की आध्यात्मिकता ही नहीं, वेदों, स्मृतियों आदि में बतलाया गया नैतिक आचार तथा अनेक प्रकार की सिद्धियों को देने वाला योगाभ्यास ही आजकल भी विदेशियों के आकर्षण का कारण है, जिससे वे लोग अब अनेक आश्रमों में यहाँ शान्ति को खोजते हुए साधना करते हैं और अपने देशों में भी उस प्रकार के आश्रमों की (UPBoardSolutions.com) स्थापना करते हैं। हरे कृष्ण’ आदि अनेक सम्प्रदायों को उत्पन्न करके भक्तिमार्ग का अवलम्बन करते हुए भी काम और अर्थ इन दो पुरुषार्थों को भी प्राचीन भारत की बड़ी (महान्) उपलब्धि समझते हैं। वात्स्यायन और चाणक्य का उद्धरण दिये बिना यौन-विज्ञान और राजनीति विज्ञान के इतिहास को भी प्रारम्भ करने में समर्थ नहीं हैं। सुश्रुत का उल्लेख किये बिना शल्य-विज्ञान की उत्पत्ति प्रस्तुत नहीं की जा सकती। गणित विद्या की मूलस्वरूप अंकों को लिखने की प्रणाली सबसे पहले भारत में भी उत्पन्न हुई और इसके बाद भारतीयों से अरब देश वालों ने जानी। आज भी अंकों को ‘हिन्दसा’ (हिन्द या भारत से आया हुआ) कहते हैं। यूरोप वालों ने तो उसके बाद ही अरब देश वालों से संख्या लिखने का तरीका सीखा। स्वास्थ्य के लिए योगासन की शिक्षा तो ब्रिटेन आदि देशों में अनेक जगह माध्यमिक स्कूलों में प्रचलित है। भारत में उत्पन्न बौद्ध धर्म को आज भी करोड़ों विदेशियों द्वारा अनुसरण किया जाता है। महात्मा गाँधी के द्वारा पुनः उद्घोषित ‘अहिंसा परमो धर्मः’ (के नारे) को आज भी विश्व-शान्ति का सर्वश्रेष्ठ उपाय स्वीकार किया गया है, किन्तु खेद है। आपस में विश्वास न करने वाले, आपस में डरने वाले तथा ऊँची आकांक्षा रखने वाले संसार के अनेक हठी नेता उनका पालन (UPBoardSolutions.com) विवश होकर नहीं करते हैं। ‘त्यक्तेन भुञ्जीथाः’ (त्यागपूर्वक भोग करो) ऋषियों के इस सिद्धान्त का अनुसरण करके ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ (पृथ्वी ही कुटुम्ब के समान है)-इस आदर्श को प्राप्त हुए लोग ही विश्व-शान्ति को स्थापित करने में समर्थ हैं, आयुधों के लिए दौड़ते हुए, मृत्यु का व्यापार करने वाले, बुरे शासक, संसार के राजनेता नहीं।

(7) अस्माकं प्राचीनां वास्तुकलां शिल्पकलां च दशैं दशैं विस्फारितनेत्राणां विकसित देशवास्तव्यानां विस्मयचकिती वागपि न स्फुरति। खुजराहो कोणार्कादिमन्दिराणां स्थापत्यं मूर्तिकलां चावलोकयितुं लक्षशो विदेशीयाः पर्यटका अत्रागच्छन्ति। मुहम्मदीयैरपि शासकैरस्मिन् क्षेत्रे यद्विहितं तदपि ‘ताजमहल-कुतुबमीनारादि’ रूपेण प्रतिष्ठितं भारतीयं गौरवं वर्धयति। तदपि वैदेशिकैः सविस्मयं मुहुर्मुहुः स्तूयते। ताजमहलं तु तैः संसारस्य सप्तसु आश्चर्येषु गण्यते। भारतीयमूर्तिकलायास्तु, वैदेशिकास्तथा प्रशंसकोस्तदर्थं तथोन्मत्ताश्चे जायन्ते यल्लक्षशो रुप्यकाणां व्ययं कृत्वापि अवैधैरप्युपायैस्तास्कर्यादिभिः प्राचीनाः मूर्तीः प्राप्तुं यतन्ते। अहो! प्रशंसनीया तेषां कलाप्रीतिः, निन्दनीयाः अवैधा उपायाः, दयनीया च कलाकृतिदरिद्रता।

शब्दार्थ
वास्तुकला = भवन-निर्माण की कला।
शिल्पकला = शिल्प सम्बन्धी कला।
दशैं दर्श = देख-देखकर।
विस्फारितनेत्राणाम् = फटी हुई आँखों से देखते हुए।
वागपि = वाणी भी।
स्थापत्यम् मूर्तिकलां च = भवन-निर्माण कला और मूर्तिकला।
पर्यटकाः = घूमने वाले।
मुहम्मदीयैः अपि = मुसलमानों के द्वारा भी।
विहितम् = किया।
वर्धयति = बढ़ाती है।
मुहर्मुहुः = बार-बार।
स्तूयते = प्रशंसा की जाती है।
गण्यते = गिना जाता है।
अवैधैः उपायैः = गैरकानूनी तरीकों से।
तास्कर्यादिभिः = चोरी-तस्करी आदि से।
यतन्ते = यत्न करते हैं।
कलाकृतिदरिद्रता = कलाकृतियों की कमी या अभाव।

प्रसंग
प्रस्तुत गद्यांश में भारत की प्राचीन कला के प्रति गौरवानुभूति व्यक्त की गयी है।

अनुवाद
हमारी प्राचीन भवन-निर्माण कला और शिल्पकला को देख-देखकर फटी हुई आँखों से देखते हुए विकसित देश के निवासियों की विस्मय से चकित होकर वाणी भी नहीं निकलती है। खजुराहो, कोणार्क आदि के मन्दिरों की स्थापत्यकला और मूर्तिकला को देखने के लिए लाखों 
विदेशी पर्यटक यहाँ आते हैं। मुसलमान शासकों ने भी इस क्षेत्र में जो किया, वह भी ताजमहल, . कुतुबमीनार आदि के रूप में प्रतिष्ठित होकर भारत के गौरव को बढ़ा रहा है। उसकी भी विदेशियों के द्वारा विस्मय से बार-बार प्रशंसा की जाती है। (UPBoardSolutions.com) ताजमहल को तो वे संसार के सात आश्चर्यों में गिनते हैं। भारत की मूर्तिकला के तो विदेश के लोग इतने प्रशंसक हैं और उनके लिए इतने पागल हो जाते हैं कि लाखों रुपये खर्च करके भी गैरकानूनी तरीकों, चोरी आदि से भी प्राचीन मूर्तियों को प्राप्त करने का प्रयत्न करते हैं। अहो! उनका कला-प्रेम प्रशंसा के योग्य है, गैरकानूनी तरीके निन्दा के योग्य हैं और कलाकृतियों का अभाव दया के योग्य है।

UP Board Solutions

(8) अदभुतोऽयं परमगरिमा देशो यत्र नचिकेता इव ज्ञानपिपासवः जाबालेयसत्यकाम इव सत्यवादिनः, ध्रुव इव तपस्विनश्च बालकाः, अभिमन्युरिव शूराः किशोराः, एकलव्योद्दालककौत्ससदृशा गुरुभक्ताः शिष्याः शिविमयूरध्वजकर्णप्रभृतयो दानिनः, हरिश्चन्द्रयुधिष्ठिरादयः सत्यवादिनः, भरतलक्ष्मणसदृशाः भ्रातरः, सीतासावित्री-गान्धारी-सदृश्यः पन्याः, दशरथसदृशाः पितरश्च बभूवुः। (UPBoardSolutions.com) मैत्रोयी-गार्गी-भारती-सदृश्यो विदुष्यो, रजियासुल्ताना-दुर्गावतीलक्ष्मीबाई सदृश्यो वीराङ्गनाः, भक्तसिंहसुखदेव-चन्द्रशेखर-सदृशाः देशभक्ताः, महावीरगौतमबुद्धगान्धितुल्या महात्मानः सन्ताश्चास्या एवं भारतभुवः सन्ततयः आसन्। देशान्तुरेषु धर्मस्य ग्लान्यां सत्यां क्वचिदीश्वरेण स्वकीयो दूतः प्रहितः क्वचिच्च सुतः अत्र तु स्वयं । भगवानेव मानवरूपमाधायावतीर्णः।।

शब्दार्थ
ज्ञानपिपासवः = ज्ञान प्राप्त करने के इच्छुक।
जाबालेय = जाबालि का पुत्र।
विदुष्यः = विदुषियाँ।
सन्ततयः = सन्ताने।
ग्लान्यां सत्यां = कमी होने पर
प्रहितः = भेजा।
मानवरूपमाधाय = मानव का रूप धारण करके।

प्रसंग
प्रस्तुत गद्यांश में भारत के ज्ञान-पिपासुओं, सत्यवादियों, तपस्वी बालकों, वीर किशोरों, गुरुभक्त शिष्यों, दानियों, सत्यवादियों, आदर्श भाई, पत्नी, पिताओं, विदुषी और वीरांगनाओं, देशभक्तों और सन्तों के प्रति गौरवानुभूति की गयी है।

अनुवाद
अत्यन्त गरिमा वाला यह देश अद्भुत है, जहाँ नचिकेता के समान ज्ञान प्राप्त करने के इच्छुक; जाबालि के पुत्र सत्यकाम की तरह सत्यवादी; ध्रुव की तरह तपस्वी बालक; अभिमन्यु की तरह वीर किशोर; एकलव्य, उद्दालक और कौत्स के समान गुरुभक्त शिष्य; शिवि, मयूरध्वज, कर्ण जैसे दानी; हरिश्चन्द्र, युधिष्ठिर आदि सत्यवादी; भरत और लक्ष्मण के समान भाई; सीता, सावित्री और गान्धारी के समान पत्नियाँ और दशरथ के समान पिता हुए हैं। मैत्रेयी, गार्गी और भारती के समान विदुषी स्त्रियाँ; रजिया सुल्तान, दुर्गावती, लक्ष्मीबाई जैसी (UPBoardSolutions.com) वीरांगनाएँ; भगतसिंह, सुखदेव और चन्द्रशेखर के समान देशभक्त; महावीर, गौतम बुद्ध और गाँधी के समान महात्मा और सन्त इसी भारत-भूमि की सन्तान थे। दूसरे देशों में धर्म की हानि होने पर कहीं ईश्वर के द्वारा अपना दूत भेजा गया और कहीं पुत्रे, परन्तु यहाँ तो स्वयं भगवान् ने ही मनुष्य का रूप धारण करके अवतार लिया।

(9) अधुनातनेऽप्यनेहसि भारतस्य विश्वस्मिन् भूमण्डले महत्त्वपूर्ण स्थानं वर्तते। स्वकीयाः पारतन्त्र्यशृङ्खला विभज्यास्माभिः सर्वेषामपि पराधीनदेशानां कृते साहाय्यमुघोषितम्। कस्यापि देशस्य प्रभुत्वसत्ता तत्रत्यजनेषु एव निहितेति सडिण्डिमं सिद्धान्तितम्। साम्यवादिदेशानां पुञ्जिवादिदेशानाञ्च वर्गात् पृथक् स्थित्वा विकसतां नवस्वतन्त्राणां देशानां कृते ताटस्थ्यनीतिः प्रचारिता, तेषां च पृथक् सङ्गठनं कृतं यस्य प्रभावो विश्वराजनीत्यां स्पष्टमनुभूयते। विकसितदेशानामार्थिकषड्यन्त्राणामुदघाटनं क्रियते। श्वेताङ्गानां रङ्गभेदनीतेर्विरुद्ध जनमतं सुदृढीकृतम्। भारतीयैः प्रयत्नैरेशियाऽफ्रीकामहाद्वीपीयदेशेषु यद् जागरणं जातं तेनैतेषां देशानां मानोऽपि जगति वर्धितः। आधुनिकविज्ञानौद्योगिकीयान्त्रिक्यादीनां नवज्ञानानां क्षेत्रे (UPBoardSolutions.com) महान् विकासो विहितः। नैके आविष्काराश्च कृताः। कृष्युत्पादनं वर्धितम्। यत्र सूच्यपि नो निर्मीयते स्म तत्राधुना अत्याधुनिकानि यन्त्राणि निर्मीयन्ते। न केवलमविकसितेभ्यो देशेभ्योऽपि तु अमेरिकाब्रिटेन सदृशविकसितदेशेभ्योऽपि न केवलं हस्तशिल्पनिर्मितानि वस्तून्यपि तु उच्चाभियान्त्रिकीनिर्मयाणि सूक्ष्मयन्त्राणि अपि दीयन्ते। वैज्ञानिकानां यान्त्रिक्रीविशेषज्ञानां च यद् बाहुल्यं सम्प्रति । भारते वर्तते तत् संसारे द्वित्रिषु देशेषु भवेन्न वा। सहस्रशो विशेषज्ञा देशान्तराणि गत्वा तत्र तेषामुपचयं कुर्वन्ति। भारतीया यथा श्रमशीला न तथा अन्ये इति देशान्तरेषु प्रतिष्ठितम् तथ्यम्।।

शब्दार्थ
अधुनातनेऽप्यनेहसि = आधुनिक दिनों में भी, आधुनिककाल (आज) में भी।
विश्वस्मिन् भूमण्डले = सम्पूर्ण भूमण्डल पर।
विभज्य = भेदकर या काटकर।
निहितेति (निहिता +इति) = छिपी रहती है, ऐसा।
सडिण्डिमम् = ढिंढोरा पीटकर।
सिद्धान्तितम् = सिद्धान्त रूप में माना।
पुञ्जवादि = पूँजीवादी।
कृते = लिए।
ताटस्थ्यनीतिः = तटस्थता की नीति।
अनुभूयते = अनुभव की ।
जाती है।
सुदृढीकृतम् = मजबूत की।
मानोऽपि = मान भी।
विहितः = किया।
सूच्यपि = सुई भी।
दीयन्ते =दिये जाते हैं।
उपचयम् = वृद्धि।

प्रसंग
प्रस्तुत गद्यांश में संसार के देशों में भारत की राजनीतिक क्षेत्र में सर्वाधिक प्रगपि तथा तकनीकी ज्ञान के विकास का वर्णन किया गया है।

अनुवाद
आधुनिककाल में भी भारत का सम्पूर्ण भूमण्डल में महत्त्वपूर्ण स्थान है। अपनी पराधीनता की जंजीरों को काटकर हमने सभी पराधीन देशों के लिए सहायता की घोषणा की। किसी भी देश की प्रभुसत्ता वहाँ के लोगों में ही निहितं है, इसको ढिंढोरा पीटकर सिद्धान्ततः सिद्ध किया। साम्यवादी देशों और पूँजीवादी देशों के वर्ग से अलग रहकर विकसित नये स्वतन्त्र हुए देशों के लिए (हमने) तटस्थ नीति (निर्गुट नीति) का प्रचार किया और उसका अलग से संगठन बनाया, जिसका प्रभाव विश्व की राजनीति पर स्पष्ट रूप से अनुभव किया जाता है। विकसित देशों के आर्थिक षड्यन्त्रों का भण्डाफोड़ किया है। गौरांगों की रंगभेद नीति के विरुद्ध जनमत को दृढ़ किया। भारत के प्रयत्नों से एशिया, अफ्रीका महाद्वीप के देशों में जो जागरण हुआ, उससे इन देश का संसार में सम्मान भी बढ़ा। (UPBoardSolutions.com) आधुनिक विज्ञान, औद्योगिकी और अभियान्त्रिक आदि के नये ज्ञान के क्षेत्र में बहुत विकास किया और अनेक आविष्कार (खोज) किये। कृषि का उत्पादन बढ़ाया है। जहाँ सूई भी नहीं बनायी जाती थी, वहाँ अब अति आधुनिक यन्त्र बनाये जा रहे हैं। केवल अविकसित देशों को ही नहीं, वरन् अमेरिका, ब्रिटेन सरीखे विकसित देशों को भी न केवल हस्तशिल्प से बनायी गयी वस्तुएँ, अपितु बड़े अभियान्त्रिकी के लिए बनाये जाने वाले सूक्ष्म यन्त्र भी दिये जा रहे हैं। वैज्ञानिक और अभियान्त्रिकी विशेषज्ञों की जो अधिकता इस समय भारत में है, वह संसार में दो-तीन देशों में भी हो या न हो। हजारों विशेषज्ञ दूसरे देशों में ज़ाकर वहाँ उनकी वृद्धि करते हैं। भारत के लोग जैसे परिश्रमी हैं, वैसे दूसरे नहीं-यह तथ्य दूसरे देशों में स्थापित है।

UP Board Solutions

(10) उपर्युक्तविवरणेन विदितमेतद्भवति यत् भारतस्यातीतं तथा गौरवम् अद्याप्यस्मान् विश्वस्य सम्मुखं सम्मानस्योच्चैर्वेदिकायां प्रतिष्ठापयति। किन्तु केवलमतीतगौरवं तु भविष्यन्नेव निर्मातुं शक्नोति। वर्तमानकाले उपलब्धानां मानवसंसाधनानां सम्पदां च सर्वोत्तम उपयोगो विधेय येन विकासस्य गतिः प्रवर्धेत। सन्ति कश्चिदुर्दमाः समस्या याः कथमपि समाधेया एव। विदेशीया न वाञ्छन्ति यद् भारतं राजनीतिक्षेत्रे वित्तीयासु चोपलब्धिषु दृढ़ता गच्छेत्। अतस्ते भारतवासिषु मिथो भेदं प्रयुज्य कलहं कारयन्ति। धर्मं भाषां स्वनिवासक्षेत्र वा अग्रे कृत्वा समस्या उत्थाप्यन्ते। पञ्चाम्बुप्रदेशे केचन धर्मान्धा आतङ्कवादमनुसरन्ति विदेशीयैः प्रोत्साहिताः। प्रतिवर्षमनेके साम्प्रयदायिककलहो जायन्ते, निरपराधा जनाः प्रियन्ते, जनसम्पत्तिर्नश्यति देशस्य शक्तिक्षयो भवति। अतः सर्वैरपि अस्माभिः सौहार्देन मिथो वर्तितव्यम्। सर्वेषामपि धर्माणां सांस्कृतिकपरम्पराणां सामाजिकरीतिनामादरः कर्तव्यः। (UPBoardSolutions.com) धर्मसाहसिभिश्चापि अवगन्तव्यं यद् राजनीत्या धर्मस्य सङ्कटः सर्वथा अश्रेयस्करः। देशजीवनस्य प्रधानधारायां सम्यनिमज्जनमेव सर्वेषां मङ्गलम्। द्वितीया तु जनसङ्ख्यायाः समस्या। जनसङ्ख्यायो अत्यधिकवृद्धेः कारणाद् विकासस्य लाभो विलीयते। अतः परिवारकल्याणमप्यवधेयम्। एवमपि सर्वैरवधेयं यत्सार्वजनिकजीवने विशेषतो भ्रष्टचारो रोधनीयः। अनुचितो लाभः न जातु केनापि स्पृहणीयः। तदर्थं न कश्चिदप्यनुरोद्धव्यः प्रोत्साहनीयो वैवश्यं वोपनेयः। न कदापि तथा वर्तितव्यं यद् भारतमातुविरुद्धं भवेत्। स वै अस्माकं जन्मभूमिर्यस्याः रजसि व्यमाविर्भूतान। भवेन्नाम कस्यापि शवो वह्मिसात् परस्य च भूमिसात् को नाम भेदः? अन्ते तु सर्वोऽपि अस्या भारतमातुरेव रजसि विलीनो भवति। तत् कोऽर्थः परस्परं कलहेन जन्मनः मातरं प्रति विद्रोहेण वा। सा तु सर्वदैव माननीया। यतो हि–”

“जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी।”

शब्दार्थ
अतीतम् = बीता समय।
वेदिकायाम् = चबूतरे पर।
उपलब्धानां = प्राप्त हुई।
विधेयः = करना चाहिए।
प्रवर्धेत = बढ़ती रहे।
दुर्दमाः = दबाने में कठिना
समाधेया = समाधान की जाने योग्य।
वित्तीयासु = धन सम्बन्धों में
प्रयुज्य = प्रयोग करके।
उत्थाप्यन्ते = उभारी जा रही है।
पञ्चाम्बुप्रदेशे = पंजाब में।
अवगन्तव्यम् = जानना चाहिए।
अश्रेयस्करः = अहितकर।
मङ्गलम् = कल्याणकारी।
विलीयते = नष्ट हो रहा है।
अवधेयम् = ध्यान देना चाहिए।
रोधनीयः = रोकना 
चाहिए।
स्पृहणीयः = चाहा जाने योग्य।
जातु = कभी भी।
वैवश्यं = विवशता को।
वोपनेयः (वा + : उपनेयः) = अथवा ले जाना चाहिए।
वर्तितव्यम् = व्यवहार करना चाहिए।
रजसि = धूल में।
वह्निसात् = जलाया जाये।
भूमिसात् भवेत् = दफनाया जाना चाहिए।
स्वर्गादपि (स्वर्गात् + अपि) = स्वर्ग से भी।
गरीयसी = महान्।।

प्रसंग
प्रस्तुत गद्यांश में भारत की ज्वलन्त समस्याओं की ओर ध्यानाकृष्ट करके सबको प्रेम से रहने का सन्देश दिया गया है।

अनुवाद
ऊपर बताये गये विवरण से यह मालूम होता है कि भारत का अतीत और गौरव आज भी . हमें संसारे के सामने सम्मान के उच्च सिंहासन पर स्थापित करता है, किन्तु अतीत का गौरव भविष्य का निर्माण नहीं कर सकता है। वर्तमान समय में प्राप्त हुई मानव की सुविधाओं और सम्पत्तियों का सबसे उत्तम उपयोग करना चाहिए, जिससे विकास की गति बढ़े। कुछ दबाने में कठिन दुर्दमनीय समस्याएँ हैं, जिनको किसी तरह समाधान करना ही है। विदेश के लोग नहीं चाहते हैं कि भारत राजनीति के क्षेत्र में और आर्थिक उपलब्धियों में मजबूत बने; अतः वे भारतवासियों में आपस में फूट डालकर झगड़ा कराते रहते हैं। धर्म, भाषा या प्रदेश को आगे रखकर समस्याएँ पैदा की जाती हैं। पंजाब प्रदेश में कुछ धर्मान्ध विदेशियों के द्वारा उकसाये जाकर आतंकवाद का सहारा ले रहे हैं। प्रतिवर्ष अनेक साम्प्रदायिक झगड़े पैदा होते हैं, निर्दोष लोग मारे जाते हैं, जन-सम्पत्ति नष्ट होती है और देश की शक्ति का ह्रास (UPBoardSolutions.com) होता है; अत: हम सबको आपस में भाईचारे से रहना चाहिए। सभी धर्मों, सांस्कृतिक परम्पराओं और सामाजिक रीति-रिवाजों का आदर करना चाहिए; अत: धर्म के अगुवाओं को भी समझ लेना चाहिए कि राजनीति के द्वारा धर्म का संकट पैदा करना सब तरह से अहितकर है। देश के जीवन की मूलधारा में अच्छी तरह मिल जाने में ही सबका कल्याण है। दूसरी जनसंख्या की समस्या है। जनसंख्या बहुत अधिक बढ़ने से विकास का लाभ नष्ट हो जाता है; अतः परिवार कल्याण की ओर भी ध्यान देना चाहिए। यह भी सबको ध्यान देना चाहिए कि सार्वजनिक जीवन में विशेष रूप से भ्रष्टाचार को रोका जाए। किसी को (कभी) भी अनुचित लाभ की इच्छा नहीं करनी चाहिए। उसके लिए न किसी से अनुरोध किया जाए अथवा विवश होकर न प्रोत्साहन दिया जाए। कभी भी ऐसा व्यवहार नहीं करना चाहिए, जो भारतमाता के प्रतिकूल हो। (निश्चय ही) यह । हमारी जन्मभूमि है, जिसकी धूल में (UPBoardSolutions.com) हम उत्पन्न हुए हैं। किसी को मृत शरीर जलाया जाए या दफनाया जाए-दोनों में क्या अन्तर है? अन्त में तो सभी इस भारतमाता की धूल में मिल जाते हैं। आपस में झगड़ने से अथवा जन्म की माता के प्रति विद्रोह करने से क्या लाभ? वह. तो सदा ही सम्मान के योग्य है; क्योंकि माता और जन्मभूमि स्वर्ग से भी श्रेष्ठ हैं।”

लघु उत्तरीय प्ररन

प्ररन
भारतवर्ष पर एक छोटा-सा निबन्ध लिखिए। या ‘भारतवर्षम्’ पाठ का सारांश लिखिए।
उत्तर
[संकेत-‘पाठ-सारांश’ मुख्य शीर्षक के अन्तर्गत दी गयी सामग्री को संक्षेप में अपने शब्दों में लिखिए।]

प्ररन
भारत की भौगोलिक परिस्थिति का वर्णन ‘भारतवर्षम्’ पाठ के आधार पर कीजिए।
उत्तर
[संकेत-‘पाठ-सारांश’ शीर्षक के अन्तर्गत आये तीन शीर्षकों-‘प्रहरी हिमालय’, ‘तीन दिशाओं में समुद्र’, ‘तटीय प्रदेश’–की सामग्री को संक्षिप्त रूप में अपने शब्दों में लिखें।

UP Board Solutions

प्ररन
भारत की प्रमुख समस्याएँ बताइए और उनके समाधान पर प्रकाश डालिए। |
उत्तर
[संकेत—‘पाठ-सारांश’ मुख्य शीर्षक के अन्तर्गत आए शीर्षक ‘समस्याएँ’ की सामग्री को अपने शब्दों में लिखें।]

प्ररन
भारत के प्राचीन गौरव पर ‘भारतवर्षम्’ पाठ के आधार पर प्रकाश डालिए। |
उत्तर
[संकेत-पाठ-सारांश’ मुख्य शीर्षक के अन्तर्गत आये तीन शीर्षकों-संसार का गुरु’, ‘कला की प्रगति’, ‘महापुरुषों की पवित्र भूमि’–की सामग्री को संक्षिप्त रूप में अपने शब्दों में लिखें।]

प्ररन
भारतवर्ष का यह नाम किस आधार पर पड़ा है?
उत्तर
[संकेत-पाठ-सारांश’ मुख्य शीर्षक के अन्तर्गत आये शीर्षक ‘नामकरण’ की सामग्री को अपने शब्दों में लिखें।]

We hope the UP Board Solutions for Class 9 Sanskrit Chapter 10 भारतवर्षम् (गद्य – भारती)help you. If you have any query regarding UP Board Solutions for Class 9 Sanskrit Chapter 10 भारतवर्षम् (गद्य – भारती), drop a comment below and we will get back to you at the earliest.