UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 5 Introduction to Euclid’s Geometry

UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 5 Introduction to Euclid’s Geometry (युक्लिड के ज्यामिति का परिचय)

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प्रश्नावली 5.1

प्रश्न 1.
निम्नलिखित कथनों में से कौन-से कथन सत्य हैं और कौन-से कथन असत्य हैं? अपने उत्तरों के लिए। कारण दीजिए।
(i) एक बिन्दु से होकर केवल एक ही रेखा खींची जा सकती है।
(ii) दो भिन्न बिन्दुओं से होकर जाने वाली असंख्य रेखाएँ हैं।
(iii) एक सांत रेखा दोनों ओर अनिश्चित रूप से बढ़ाई जा सकती है।
(iv) यदि दो वृत्त बराबर हैं तो उनकी त्रिज्याएँ बराबर होती हैं।
(v) दी गई आकृति में, यदि AB = PQ और PQ = XY है तो AB = XY होगा :
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हल :
(i) क्योंकि प्रतिच्छेदी रेखाएँ, संगामी रेखाएँ इत्यादि ज्यामिति तथ्य दिए कथन को खण्डित करते हैं।
साथ-ही-साथ एक बिन्दु से होकर अपरिमित रूप से अनेक रेखाएँ खींची जा सकती हैं।
अत: कथन असत्य है।
(ii) क्योंकि दो भिन्न बिन्दुओं से होकर केवल एक रेखा खींची जा सकती है।
अतः कथन असत्य है।
(iii) एक सांत रेखा दोनों ओर अनिश्चित रूप से बढ़ाई जा सकती है।
अत: कथन सत्य है।
(iv) क्योंकि दो वृत्तों की त्रिज्याएँ समान होने पर ही वृत्त समान होते हैं।
अत: कथन सत्य है।
(v) यदि AB= PQ और PQ= XY ।
तो AB = XY (यूक्लिड के प्रथम अभिगृहीत से)
अत: कथन सत्य है।

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प्रश्न 2.
निम्नलिखित पदों में से प्रत्येक की परिभाषा दीजिए। क्या इनके लिए कुछ ऐसे पद हैं जिन्हें परिभाषित करने की आवश्यकता है? वे क्या हैं और आप इन्हें कैसे परिभाषित कर पाएँगे? ।
(i) समान्तर रेखाएँ
(ii) लम्ब रेखाएँ
(iii) रेखाखण्डे
(iv) वृत्त की त्रिज्या
(v) वर्ग।
हल :
(i) समान्तर रेखाएँ : दो सरल रेखाएँ जिनमें कोई भी उभयनिष्ठ बिन्दु नहीं होता है एक-दूसरे के समान्तर कहलाती हैं।
‘बिन्दु’ तथा ‘सरल रेखा कुछ ऐसे पद हैं जिन्हें परिभाषित करने की आवश्यकता है। ‘बिन्दु’ तथा ‘सरल रेखा’ को यूक्लिड के शब्दों में परिभाषित कर सकते हैं :
एक बिन्दु वह है जिसका कोई भाग नहीं होता है।
एक रेखा चौड़ाई रहित लम्बाई होती है तथा एक सीधी रेखा ऐसी रेखा है जो स्वयं पर बिन्दुओं के साथ सपाट रूप से स्थित होती है।

(ii) लम्बरेखाएँ : यदि दो समान्तर रेखाओं में से कोई एक 90° के कोण पर घूमती है तब दोनों रेखाएँ एक-दूसरे के
लम्बवत् होती हैं। ‘90° के कोण का घुमाव’ ऐसा पद है जिसे परिभाषित करने की आवश्यकता है।
घुमाव को अन्तर्ज्ञानात्मक रूप मान लिया जाता है, अतः इसका प्रयोग नहीं कर सकते हैं।

(iii) रेखाखण्ड : दो अन्त बिन्दुओं (end points) के साथ किसी रेखा को रेखाखण्ड कहते है|
‘बिन्दु’ तथा ‘रेखा’ कुछ ऐसे पद हैं जिन्हें परिभाषित करने की आवश्यकता है। परन्तु इन्हें भाग (i) में परिभाषित कर चुके हैं।

(iv) वृत्त की त्रिज्या : किसी वृत्त के केन्द्र से वृत्त की परिधि के किसी बिन्दु तक खींचे रेखाखण्ड को वृत्त की त्रिज्या कहते हैं।
केन्द्र ऐसा पद है जिसे परिभाषित करने की आवश्यकता है।
केन्द्र’ को वृत्त के अन्दर एक बिन्दु के रूप में परिभाषित किया जा सकता है जिसकी वृत्त पर स्थित सभी बिन्दुओं से दूरी समान होती है।

(v) वर्ग : वर्ग वह क्षेत्र या प्रदेश है जो समान लम्बाई के चार रेखाखण्डों से घिरा होता है तथा प्रत्येक दो किनारों के बीच 90° का कोण होता है।
क्षेत्र या प्रदेश, किनारे तथा कोण को अन्तर्ज्ञानात्मक रूप मान लिया जाता है।

प्रश्न 3.
नीचे दी हुई दो अभिधारणाओं पर विचार कीजिए :
(i) दो भिन्न बिन्दु A और B दिए रहने पर, एक तीसरा बिन्दु C ऐसा विद्यमान है जो A और B के बीच स्थित होता है।
(ii) यहाँ कम-से-कम ऐसे तीन बिन्दु विद्यमान हैं कि वे एक रेखा पर स्थित नहीं हैं।
क्या इन अभिधारणाओं में कोई अपरिभाषित शब्द हैं? क्या ये अभिधारणाएँ अविरोधी हैं? क्या ये यूक्लिड की अभिधारणाओं से प्राप्त होती हैं? स्पष्ट कीजिए।
हल :
दोनों अभिधारणाओं में निम्न दो शब्द अपरिभाषित हैं : बिन्दु और रेखा।
दोनों अभिधारणाएँ परस्पर अविरोधी नहीं हैं।
ये अभिधारणाएँ यूक्लिड की अभिधारणाओं का अनुसरण नहीं करतीं परन्तु ये निम्न अभिगृहीत के अनुरूप हैं।
दिए गए दो भिन्न बिन्दुओं से होकर एक अद्वितीय रेखा खींची जा सकती है।
(i) माना AB एक सरल रेखा है।
अपरिमित रूप से ऐसे अनेक बिन्दु हैं जो इस रेखा पर स्थित हैं। दो अन्त बिन्दुओं A तथा B को छोड़कर इनमें से किसी का भी चयन करते हैं। यह बिन्दु A तथा B के मध्य स्थित होता है।
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(ii) कम-से-कम ऐसे तीन बिन्दुओं का होना आवश्यक है जिनमें से एक बिन्दु को अन्य दोनों बिन्दुओं को जोड़ने वाली सरल रेखा पर नहीं होना चाहिए।

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प्रश्न 4.
यदि दो बिन्दुओं A और B के बीच एक बिन्दु C ऐसा स्थित है कि AC = BC है, तो सिद्ध कीजिए कि AC = [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] AB है। एक आकृति खींचकर इसे स्पष्ट कीजिए।
हल :
बिन्दु C दो बिन्दुओं A और B के बीच स्थित है,
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 5 Introduction to Euclid’s Geometry img-3
AC + BC = AB
परन्तु दिया है। AC = BC
AC + AC = AB
2AC = AB
[latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] . 2AC = AB (बराबरों के आधे भी परस्पर बराबर होते हैं)
AC = [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] AB
Proved.

प्रश्न 5.
प्रश्न 4 में, C रेखाखण्ड AB को मध्य-बिन्दु कहलाता है। सिद्ध कीजिए कि रेखाखण्ड का एक और केवल एक ही मध्य-बिन्दु होता है।
हल :
माना यदि सम्भव है तो C और C” रेखाखण्ड AB के दो मध्य-बिन्दु हैं।
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C, रेखाखण्ड AB का मध्य-बिन्दु है।
AC = [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] AB
पुनः C”, रेखाखण्ड AB का मध्य-बिन्दु है।
AC” = [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] AB
यूक्लिड के अभिगृहीत से,
AC = AC”
AC – AC” = AC” – AC”
CC” = 0
C और C” समान बिन्दु हैं।
अतः रेखाखण्ड का एक और केवल एक ही मध्य-बिन्दु होता है।
Proved.

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प्रश्न 6.
दी गई आकृति में, यदि AC = BD है, तो सिद्ध कीजिए कि AB = CD है।
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हल :
बिन्दु B, बिन्दुओं A तथा C के मध्य स्थित है।
AB + BC = AC
पुनः बिन्दु C, बिन्दुओं B तथा D के मध्य स्थित है। .
BC + CD = BD परन्तु दिया है।
AC = BD
AB + BC = BC + CD
बराबरों से बराबर (BC) घटाने पर,
AB + BC – BC = BC + CD – BC
AB = CD
Proved.

प्रश्न 7.
यूक्लिड की अभिगृहीतों की सूची में दिया हुआ अभिगृहीत 5 एक सर्वव्यापी सत्य क्यों माना जाता है?
हल :
यूक्लिड का 5वाँ अभिगृहीत निम्नलिखित है :
पूर्ण अपने भाग से बड़ा होता है?
यह सर्वव्यापी सत्य है क्योंकि पूर्ण का कोई भी भाग क्यों न हो, वह अस्तित्व में पूर्ण से ही आया होगा तब इसके लिए प्रमाण देने की आवश्यकता ही नहीं है।

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प्रश्नावली 5.2

प्रश्न 1.
आप यूक्लिड की पाँचवीं अभिधारणा को किस प्रकार लिखेंगे ताकि वह सरलता से समझी जा सके।
हल :
यदि दो रेखाओं l और m को तीसरी रेखा n काटती है और रेखा n के एक ही ओर बने दोनों अन्तः कोणों का योग दो समकोण से कम हो तो l और m रेखाएँ बढ़ाने पर उसी ओर मिलेंगी जिस ओर के कोणों का योग 2 समकोण से कम होगा।
अथवा
दो भिन्न प्रतिच्छेदी रेखाएँ एक ही रेखा के समान्तर नहीं हो सकतीं।
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प्रश्न 2.
क्या यूक्लिड की पाँचवीं अभिधारणा से समान्तर रेखाओं के अस्तित्व का औचित्य निर्धारित होता है? स्पष्ट कीजिए।
हल :
यदि दो रेखाओं l और m को तीसरी रेखा n काटती है और n के एक ही ओर बने अन्त: कोणों ∠1 और ∠2 का योग 2 समकोण हो तो रेखाएँ l और m, बढ़ाने पर रेखा n को इस ओर प्रतिच्छेद नहीं करेंगी। इसी प्रकार यदि ∠3 + ∠4 = 2 समकोण तो रेखाएँ l और m, बढ़ाने पर रेखा n के इस ओर भी प्रतिच्छेद नहीं करेंगी। अत: रेखाएँ l और m कभी प्रतिच्छेद नहीं करती। हैं। इस प्रकार रेखाएँ l और m समान्तर होंगी।
अत: यह कथन सत्य है।
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UP Board Solutions for Class 9 Sanskrit Chapter 16 अन्तरिक्ष-विज्ञानम् (गद्य – भारती)

UP Board Solutions for Class 9 Sanskrit Chapter 16 अन्तरिक्ष-विज्ञानम् (गद्य – भारती) are the part of UP Board Solutions for Class 9 Sanskrit. Here we have given UP Board Solutions for Class 9 Sanskrit Chapter 16 अन्तरिक्ष-विज्ञानम् (गद्य – भारती).

Board UP Board
Textbook NCERT
Class Class 9
Subject Sanskrit
Chapter Chapter 16
Chapter Name अन्तरिक्ष-विज्ञानम् (गद्य – भारती)
Number of Questions Solved 3
Category UP Board Solutions

UP Board Solutions for Class 9 Sanskrit Chapter 16 अन्तरिक्ष-विज्ञानम् (गद्य – भारती)

पाठ-सारांश

अन्तरिक्ष–प्रकृति के विधान में बहुवर्णी शाटिका को पहने पृथ्वी जिस प्रकार मानवों को नदी-नद-पर्वत-रत्नरूपमयी अपनी विशाल सम्पत्ति से मोह लेती है, उसी प्रकार विशाल, अनन्त, नि:सीम और ब्रह्मस्वरूपात्मक अन्तरिक्ष भी मानवों को आकृष्ट करता है। अनन्त आकाश में असंख्य नक्षत्र, पुच्छल तारे, नीहारिकाएँ, ग्रह, उपग्रह, सूर्य, चन्द्रमा, सप्तर्षि, 27 नक्षत्र और राशियाँ हैं, जो इसकी चकाचौंध को स्पष्ट करती हैं।

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सौर-साम्राज्य–आकाश में स्थित सौर-साम्राज्य में एक सूर्य, नौ ग्रह, 28 उपग्रह, अनेक ग्रहकणिकाएँ, हजारों धूमकेतु और अनेक उल्काएँ हैं। ये ग्रह-कणिकाएँ मंगल और बृहस्पति नक्षत्र के बीच बिखरी हुई हैं। धूमकेतु ग्रहों और उपग्रहों से भिन्न होते हैं। छोटे-छोटे टिमटिमाते हुए प्रकाशबिन्दु तारा हैं। भीषण गर्मी और जलाभाव के कारण प्राणियों का यहाँ रहना असम्भव है।

सूर्य-सूर्य थाली के आकार का दिखाई देता हुआ भी वैसा नहीं है। यह पृथ्वी से तेरह लाख गुना बड़ा है तथा पृथ्वी से इसकी दूरी नौ करोड़ तीस लाख मील है। चन्द्रमा भी सूर्य जैसा ही दिखाई पड़ता है किन्तु वह पृथ्वी से भी बहुत छोटा है। नक्षत्र सूर्य की अपेक्षा बड़े होते हैं, परन्तु छोटे-छोटे दिखाई देते हैं। इसका कारण यह है कि जो वस्तु जितनी दूर होती है वह उतनी ही छोटी दिखाई देती है। सूर्य यदि क्षणभर के (UPBoardSolutions.com) लिए भी अपने आकर्षण को रोक ले तो सभी ग्रह और उपग्रह आपस में टकराकर गिर पड़ेगे और पृथ्वी तो चूर्ण-चूर्ण हो जाएगी। यदि सूर्य अपना प्रकाश और ताप देना बन्द कर दे तो सभी जड़-चेतन का विनाश हो जाये। यही कारण है कि सूर्य हमारा महान् उपकारक है।

सप्तर्षि और ध्रुव की स्थिति-उत्तरी दिशा में सप्तर्षि तारे हल के आकार में चमकते हैं। तीन तारे ऊपर पूँछ के रूप में तथा शेष चार नीचे चमकते हैं। इन्हीं के पास ध्रुव तारा भी चमकता है।

धूमकेतु-1908 ई० में एक फुच्छल तारा (धूमकेतु) उत्तर की ओर देखा गया था। दूसरा धूमकेतु 1910 ई० में दिखाई दिया। धूमकेतु की पूँछ अत्यन्त विशाल और भाप से बनी होती है। यह सौर-साम्राज्यँ के परिवार का नहीं है। यदि यह कभी सौर-साम्राज्य की सीमा में प्रवेश कर जाता है तो सूर्य इसे बलात् खींचकर घुमा देता है। इसे अपशकुन का द्योतक माना जाता है।

उल्काएँ–गहन रात्रि में जब आकाश स्वच्छ होता है, उस समय बाण के आकार का चकाचौंध करने वाला प्रकाश आकाश को चीरता हुआ वेग से दूर तक दौड़कर लुप्त हो जाता है। लोग इसे लूक टूटना’ कहते हैं और इसे देखने पर फूलों का नाम लेकर या थूककर सम्भावित अनिष्ट का निवारण करते हैं। वास्तव में उल्काएँ इकट्ठी होकर इधर-उधर घूमती हैं। जब ये पृथ्वी की सीमा में पहुँचती हैं। तब वायुमण्डल से घर्षण (UPBoardSolutions.com) करके जलती हुई फैलती हैं और फिर नष्ट हो जाती हैं। कुछ अधजली अवस्था में भूमि पर भी गिर जाती हैं। ऐसी उल्काएँ.कलकत्ता के संग्रहालय में रखी हुई हैं।

चन्द्रमा-चन्द्रमा सभी नक्षत्रों में पृथ्वी के अधिक समीप है। इसकी कलाएँ घटती-बढ़ती रहती हैं। चन्द्रमा पृथ्वी के चारों ओर चक्कर काटता रहता है और 28 दिन में पृथ्वी का एक चक्कर पूरा कर लेता है। चन्द्रमा की कलाओं से तिथियों और महीनों का निर्माण होता है। चन्द्रमा सूर्य से प्रकाशित होता है। जब वह सूर्य और पृथ्वी के मध्य में आ जाता है, तब ग्रहण होता है। चन्द्रमा के जिस भाग पर सूर्य का प्रकाश पड़ता है, वह कला रूप में दिखाई देता है और वही प्रकाश क्रम से घटता-बढ़ता रहता है। (UPBoardSolutions.com) अमावस्या के दिन चन्द्रमा, सूर्य और पृथ्वी के मध्य में होता है। उसका जो भाग सूर्य के सामने होता है, वह प्रकाशमान होता है और वह भाग पृथ्वी पर दिखाई नहीं देता। पूर्णिमा के दिन पृथ्वी सूर्य और चन्द्रमा के मध्य में होती है, उस समय सम्पूर्ण चन्द्रमा प्रकाशमान दिखाई देता है।

नीहारिकाएँ-आकाश में विशाल आकार के वाष्पीय पदार्थों के जो समूह दिखाई देते हैं, वे नीहारिकाएँ हैं। रात के समय आकाश के बीच से सड़क बनाता हुआ-सा प्रकाश दिखाई पड़ता है। आकाश में बहुत-सी नीहारिकाएँ हैं, ये ऊँची-नीची बड़े आकार की, गोल आकार की और कुण्डली के आकार की होती हैं। एक नीहारिका सूर्य से दस खरब गुनी बड़ी होती है। बड़ी नीहारिका स्वयं में एक बड़ा ब्रह्माण्ड होती है। नीहारिका में असंख्य तारे होते हैं। इसे आकाश-गंगा भी कहते हैं। |

नौ ग्रह-आधुनिक वैज्ञानिक सूर्य के बुध, शुक्र, पृथ्वी, मंगल, बृहस्पति, शनि, वरुण, वारुणी और यम ये नौ ग्रह बताते हैं। भारतीय ज्योतिषी सूर्य, चन्द्रमा, मंगल, बुध, बृहस्पति, शुक्र, शनि, राहु और केतु को नौ ग्रह कहते हैं।

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शोंगद्यां का ससन्दर्भ अनुवाद

(1) प्रकृतेः विधाने यत्र इयं वसुन्धरा विभिन्नेषु रूपेषु बहुवर्णिकां शाटिकां परिधाय स्वकीयया विशालया नदी-वन-पर्वत-रत्न-रूपया सम्पत्तया मानवानां मनो मोहयति, तथैव विशालमिदमन्तरिक्षं नि:सीमकमनन्तं हिरण्यगर्भात्मकं चास्ति। अस्मिन्ननन्ते आकाशे अनन्तानि नक्षत्राणि, पुच्छलताराः, नीहारिकाः, ग्रहाः, उपग्रहाः, आदित्याः, चन्द्रमाः, सप्तर्षयः, सप्तविंशतिनक्षत्राणि संवत्सरप्रवर्तकाः राशयः विलीनाः चाकचिक्यं प्रकटयन्ति।

शब्दार्थ
बहुवर्णिकां = अनेक रंगों की।
शाटिकां = साड़ी।
परिधाय = पहनकर।
निः सीमकम् = सीमारहित।
हिरण्यगर्भात्मकम् = ब्रह्मस्वरूपात्मक।
आदित्याः = सूर्य।
सप्तविंशति = सत्ताइस।
विलीनाः = समायी हुई।
चाकचिक्यम् = चकाचौंधं।
प्रकटयन्ति = प्रकट करती है। |

सन्दर्भ
प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘संस्कृत गद्य-भारती’ में संकलित। ‘अन्तरिक्ष-विज्ञानम्’ पाठ से उद्धृत किया गया है
[संकेत-इस पाठ के शेष गद्यांशों के लिए यही सन्दर्भ प्रयुक्त होगा।] । प्रसंग-प्रस्तुत गद्यांश में अन्तरिक्ष की विशालता एवं पृथ्वी की विचित्रता बतायी गयी है।

अनुवाद
प्रकृति के विधान में जहाँ यह पृथ्वी विभिन्न रूपों में बहुरंगी साड़ी पहनकर नदी, वन, पर्वत, रत्नरूप अपनी विशाल सम्पत्ति से मानवों के मन को मोह लेती है, उसी प्रकार यह विशाल अन्तरिक्ष असीम, अनन्त और ब्रह्मस्वरूप वाला है। इस अनन्त आकाश में असंख्य नक्षत्र, पुच्छल तारे, (UPBoardSolutions.com) आकाश-गंगाएँ, ग्रह, उपग्रह, सूर्य, चन्द्रमा, सप्तर्षि, तारे, सत्ताइस नक्षत्र, संवत्सरों की प्रवर्तक राशियाँ विलीन होकर चकाचौंध प्रकट करती हैं।

(2) कैवले सौरसाम्राज्ये एकः आदित्यः, तस्य नवग्रहाः अष्टाविंशत्युपग्रहान सन्ति। अनेकाः ग्रहकणिकाः सहस्रं धूम्रकेतवः तथैव अनन्ता उल्काश्च समुपलभ्यन्ते। ग्रहकणिकाः, मङ्गलबृहस्पतिनक्षत्रयोरन्तरले विकीर्णाः सन्ति। ताः लघ्व्यः सन्ति, उल्काश्च ततोऽपि अतिलघ्व्यः। धूम्रकेतवः ग्रहेभ्यः उपग्रहेभ्यश्च भिन्नाः भवन्ति। ते परिमाणेन लघवः आकाशे इतस्ततः विकीर्णाः सन्ति। अल्पीयांसं प्रकाशबिन्दु ध्रियमाणाः टिमटिमायन्ते तास्तास्ताराः। तत्र भीषणमौष्ण्यं जलाभावश्चातः प्राणिनां निःश्वसनमसम्भवम्।

शाब्दार्थ
अष्टाविंशत्युपग्रहाः = अट्ठाइस उपग्रह।
ग्रहकणिकाः = छोटे-छोटे ग्रह के कण (टुकड़े)।
समुपलभ्यन्ते = प्राप्त होती हैं।
अन्तराले = मध्य में।
विकीर्णाः = फैली हुई।
लघ्व्यः = छोटी-छोटी।
इतस्ततः = इधर-उधर।
अल्पीयांसम् = थोड़ी-सी।
श्रियमाणाः = धारण करते हुए।
औष्ण्यम् = गर्मी।
निवसनम् = रहना।

प्रसंग
प्रस्तुत गद्यांश में सौर-मण्डल का वर्णन किया गया है।

अनुवाद
केवल सौर-मण्डल में एक सूर्य, उसके नौ ग्रह, अट्ठाइस उपग्रह हैं। अनेक छोटे-छोटे ग्रह, हजारों धूमकेतु और उसी प्रकार अनन्त उल्काएँ पायी जाती हैं। ग्रह-कणिकाएँ मंगल और बृहस्पति नक्षत्रों के मध्य में फैली हैं। वे बहुत छोटी हैं और उल्काएँ उनसे भी अधिक छोटी होती हैं। धूमकेतु ग्रहों और उपग्रहों से भिन्न होते हैं। वे परिमाण में छोटे, आकाश में इधर-उधर फैले हुए हैं।

थोड़े-से प्रकाश के बिन्दु को धारण करते हुए अनेक तारे टिमटिमाते रहते हैं। वहाँ भीषण गर्मी है एवं जल का अभाव है; अत: प्राणियों का वहाँ रहना असम्भव है।

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(3) सूर्यः स्थाल्याकारः प्रतीयते परम् एवं नास्ति। अयं पृथिव्याः त्रयोदशलक्षात्मको गुणितो अतीव महान् वेविद्यते। चन्द्रोऽपि प्रायः सूर्य इव वीक्षते। परन्तु पृथिव्या अपि लघुरस्ति। नक्षत्राणामाकारं आवं-श्रावं पाठे-पाठं मनोऽतीव विमुग्धतां भजते। तानि सूर्यापेक्षया अतीव महान्ति प्रतिभान्ति, परं लघूनि दृश्यन्ते। कारणमिदं यद्वस्तु यावदूरं भवति, तद्वस्तु लघु दृश्यते। सूर्यो यदि ऐक क्षणमपि नैजमाकर्षणमवरुन्धीत् तदा सर्वे (UPBoardSolutions.com) ग्रहाः उपग्रहाश्च परस्परं संघर्षणं, परिघट्टनञ्च कुर्वाणाः स्वस्थानात् च्यवीरन्। वराकी पृथिवी तु सर्वथैव चूर्णतां गच्छेत्। इत्थमेकमपि मुहूर्तं तापं प्रकाशञ्च यदि सूर्योऽवरुन्ध्यात् तदा अस्माकं समेषां जडचेतनानां सर्वनाशो जायेत। सौरसाम्राज्ये यानि पिण्डानि सन्ति तेषां गतिः सुनिश्चिता, तानि एकस्यामेव दिशि गतिं प्रकुर्वते, तस्यामेव धुरि परिचलन्ति। द्वौ त्रयो वा उपग्रहा एवंविधाः सन्ति ये विपरीत दिशं वहन्ति। ते सर्वे सौरसाम्राज्ये नियमं व्यवस्थामेवावलम्बन्ते। पृथिवीतः सूर्यः त्रिंशल्लक्षाधिकनवकोटिमीलापरिमिते दूरेऽस्ति। चन्द्रोऽपि पृथिवीतः लक्षद्वयात्मके दूरे वसति।

शब्दार्थ
स्थाल्याकारः = थाली के आकार वाला।
प्रतीयते = प्रतीत होता है।
वेविद्यते = विद्यमान है।
वीक्षते = दिखाई पड़ता है।
आवं-आवम् = सुन-सुनकर।
पाठे-पाठम् = पढ़-पढ़कर।
विमुग्धतां भजते = मुग्ध हो जाता है।
प्रतिभान्ति = प्रतीत होते हैं।
यावत् दूरं = जितनी दूर।
नैजम् = स्वयं से सम्बन्धित।
अवरुन्धीत = रोक ले।
च्यवीरन् = गिर पड़े।
वराकी = बेचारी।
चूर्णता गच्छेत् = चूर्ण हो जाये।
अवरुन्ध्यात् = रोक ले।
समेषाम् = सभी का।
प्रकुर्वते = करते हैं।
धुरि = धुरी पर।
वहन्ति = चलते हैं।
अवलम्बन्ते = सहारा लेते हैं।
त्रिंशल्लक्षाधिकनवकोटिमील = नौ करोड़ तीस लाख मील।।

प्रसंग
प्रस्तुत गद्यांश में सौर-मण्डल में सूर्य के आकार, उसके पृथ्वी पर पड़ने वाले प्रभाव तथा उसकी स्थिति बतायी गयी है।

अनुवाद
सूर्य थाली के आकार को मालूम पड़ता है, परन्तु ऐसा नहीं है। यह पृथ्वी से तेरह लाख गुना अधिक बड़ा विद्यमान है। चन्द्रमा भी प्रायः सूर्य के समान दिखाई देता है, परन्तु यह पृथ्वी से भी छोटा है। नक्षत्रों के आकार को सुन-सुनकर, पढ़-पढ़कर मन अत्यन्त मुग्ध हो जाता है, वे सूर्य की अपेक्षा अत्यन्त विशाल होते हैं, परन्तु छोटे दिखाई देते हैं। इसका यह कारण है कि जो वस्तु जितनी दूर होती है, वह वस्तु उतनी छोटी दिखाई देती है। यदि सूर्य एक क्षण को भी अपना आकर्षण रोक दे, तब सब ग्रह और उपग्रह आपस में रगड़ते हुए और टकराते हुए अपने स्थान से गिर पड़े। बेचारी पृथ्वी तो पूरी तरह से चूर्ण-चूर्ण हो जाये। इसी प्रकार यदि सूर्य एक (UPBoardSolutions.com) मुहूर्त (थोड़े समय) को भी ताप और प्रकाश बन्द कर दे, तब हम सभी जड़-चेतन प्राणियों का सर्वनाश हो जाये। सौर-साम्राज्य में जो पिण्ड हैं, उनकी गति सुनिश्चित है और वे एक ही दिशा में गमन करते हैं और उसी धुरी पर घूमते हैं। दो या तीन उपग्रह इस तरह के हैं, जो विपरीत दिशा में चलते हैं। वे सब सौर-साम्राज्य में नियम और व्यवस्था का ही सहारा लेते हैं। सूर्य पृथ्वी से नौ करोड़ तीस लाख मील दूरी पर है। चन्द्रमा भी पृथ्वी से दो लाख मील दूरी पर रहता है।”

(4) सप्तर्षयः ध्रुवं च-उत्तरस्यां दिशि सप्तर्षयः हलाकारं प्रतिभासन्ते। तिस्राः ताराः उपरि एकस्यां पुङ्क्तौ पुच्छरूपेण, चतस्रः चतुरस्रतयाधः प्रतिभासन्ते। समीपे धुवं भं भासते।

शब्दार्थ
हलाकारम् = हल के आकार के
प्रतिभासन्ते = चमकते हैं।
पुच्छरूपेण = पूँछ के रूप में।
चतुरस्रतयाधः (चतुरस्रतया + अधः) = चौकोर तथा नीचे।
भम् = तारा।

प्रसंग
प्रस्तुत गद्यांश में सप्तर्षि तारों और ध्रुव के विषय में बताया गया है।

अनुवाद
सप्तर्षि तारे और धुव-उत्तर दिशा में सप्तर्षि तारे हल के आकार में चमकते हैं। तीन तारे ऊपर एक पंक्ति में पूँछ रूप में, चार चौकोर होने से नीचे की ओर चमकते हैं। पास में ध्रुव तारा चमकता है। ”

(5) धूम्रकेतुः-अष्टाधिकैकोनविंशतिशततमेऽब्दे एको महान् धूम्रकेतुः रात्रेरन्तिमे प्रहरे गगने उत्तरस्यां दिशि दृष्टः। इत्थम् द्वितीयो धूम्रकेतुः दशाधिकैकोनविंशे शततमें ख्रीष्टाब्देऽपि वीक्षितो जनैः। धूम्रकेतोः पुच्छमतिविशालमल्पीयसा वाष्पेण निर्मितं भवति। एककिलोग्राम-भारात्मकं परिमाणं प्रायः भवति। धूम्रकेतुः सौरसाम्राज्धस्य परिवारो नास्ति। अयं सौरजगतः बहिरेव इतस्ततः परिभ्रमति। यदा सौरसाम्राज्यस्य (UPBoardSolutions.com) परिवारो नास्ति। अयं सौरजगतः बहिरेव इतस्ततः परिभ्रमति। यदा सौरसाम्राज्यस्य सीमानं प्रविशति तदा सूर्यः बलादार्कषति। यावत् न परिक्रमते | तावत् मुक्तो न भवति। अयम् अतिथिः दैवयोगात् सौरसाम्राज्यमाविशति। यः शक्तिहीनः धूम्रकेतुर्भवति च सततं परिभ्रमन्नेव तिष्ठति। कश्चन नश्यत्येव। एनमपशकुनस्यापि द्योतकं मन्यन्ते।।

शब्दार्थ
अष्टाधिकैकोनविंशतिशततमेऽब्दे = सन् 1908 में।
रात्रेः अन्तिमे = रात के अन्तिम में।
दशाधिकैकोनविंशे = 1910 में।
वीक्षितः = देखा गया।
अल्पीयसा वाष्पेण = थोड़ी-सी भाप से।
बहिरेव = बाहर ही।
इतस्ततः = इधर-उधर।
परिभ्रमति = चारों ओर घूमता है।
सीमानम् = सीमा को।
प्रविशति = प्रवेश करता है।
बलादाकर्षति = बल से खींचता है।
परिक्रमते = घूमता है।
आविशति = प्रवेश करता है।
परिभ्रमन्नेव तिष्ठति = घूमता ही रहता है।
कश्चन = कोई।
नश्यत्येव = नष्ट हो जाता है।

प्रसंग
प्रस्तुत गद्यांश में धूमकेतु (पुच्छल तारा) का वर्णन किया गया है।

अनुवाद
धूम्रकेतु-सन् 1908 ईसवी में एक बड़ा धूमकेतु रात्रि के अन्तिम प्रहर में आकाश में उत्तर दिशा में दिखाई दिया था। इसी प्रकार दूसरा धूमकेतु सन् 1910 ईसवी में लोगों ने देखा। धूमकेतु की अत्यन्त विशाल पूँछ थोड़ी-सी भाप से बनी होती है। प्रायः इसका भार एक किलोग्राम के बराबर होता है। धूमकेतु सौर-साम्राज्य परिवार का नहीं है। यह सौर-जगत् के बाहर की इधर-उधर घूमता है। जब वह सौर-साम्राज्य की (UPBoardSolutions.com) सीमा में प्रवेश करता है, तब सूर्य इसे बलपूर्वक अपनी ओर खींचता है। यह जब तक नहीं घूमता है, तब तक मुक्त नहीं होता है। यह अतिथि दैवयोग से ही सौर-साम्राज्य में प्रवेश करता है। जो धूमकेतु बलहीन (कमजोर) होता है, वह निरन्तर घूमता ही रहता है। कोई नष्ट हो जाता है। इसे अपशकुन का भी सूचक मानते हैं। |

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(6) उल्काः–गहने निशीथे यदा गगनमतिस्वच्छं भवति। तदा एकः शराकारः विभ्राजिष्णुः चाकचिक्यं ध्रियमाणः पुञ्जीभूतः प्रकाशः सकलं नभः द्विधा विभजन् महता वेगेन धावन्दूरं गत्वा लुप्तोऽपि भवति।जनाः लूकः त्रुटित इति कथयन्ति। तं दृष्ट्वा पञ्चपुष्पाणां नामोच्चारणेन, केचन षष्ठीवनेन अशुभनिवारणं कुर्वते। साधारणाः जनाः यत् किमपि बुवन्तु किन्तु नक्षत्रपतने धारायाः विनाशः अवश्यम्भावी। वस्तुतः उल्काः पिण्डीभूताः इतस्तत: परिभ्रमन्ति। यदा पृथिव्याः सीमानमाश्रयन्ते, घनीभूतेन वायुमण्डलेन सङ्कर्षणं कृत्वा निष्क्रामन्ति तदा ज्वलन्तः अग्रे प्रसरन्ति पुनश्च नश्यन्ति। कदापि अर्धज्वलनावस्थायां पतित्वा भूमिमा-विशन्ति। एवंविधाः उल्काः कलिकातानगरस्य सङ्ग्रहालये संस्थापिताः सन्ति।

शब्दार्थ
गहने निशीथे = घनी रात में।
शराकारः = बाण के आकार वाला।
विभ्राजिष्णुः = विशेष चमकीला।
ध्रियमाणः = रहता हुआ।
पुञ्जीभूतः = एकत्र हुआ।
द्विधा = दो भागों में।
त्रुटितः = टूटा हुआ।
ष्ठीवनेन = थूकने से।
परिभ्रमन्ति = घूमती हैं।
सीमानमाश्रयन्ते = सीमा का आश्रय लेती हैं।
निष्क्रामन्ति = निकलती हैं।
भूमिमाविशन्ति = पृथ्वी में घुस जाती हैं।
अर्धज्वलनावस्थायां = आधी जली हुई अवस्था में।
संस्थापिताः सन्ति = रखी हैं।

प्रसंग
प्रस्तुत गद्यांश में उल्काओं का वर्णन किया गया है।

अनुवाद
उल्काएँ-घनी रात में जब आकाश अत्यन्त स्वच्छ होता है, तब एक बाण के आकार का, चमकता हुआ, चकाचौंध करता हुआ, पुंजीभूत (एकत्रित) प्रकाश सारे आकाश को दो भगों में विभाजित करता हुआ बड़े वेग से दूर जाकर लुप्त हो जाता है। इसे लोग ‘लूक टूट गया’ कहते हैं। उसे देखकर कुछ लोग पाँच फूलों के नाम के उच्चारण के द्वारा और कुछ थूककर अशुभ निवारण करते हैं। साधारण लोग जो कुछ भी कहें, किन्तु नक्षत्र के गिरने में पृथ्वी का विनाश अवश्य होता है। वास्तव में उल्काएँ एकत्रित होकर इधर-उधर घूमती हैं। (UPBoardSolutions.com) जब ये पृथ्वी की सीमा में पहुँचती हैं, घने वायुमण्डल से रगड़ (संघर्ष) करके निकल जाती हैं, तब (उल्काएँ) जलते हुए आगे फैल जाती हैं। और फिर नष्ट हो जाती हैं। कभी आधी जली अवस्था में गिरकर पृथ्वी में प्रवेश कर जाती हैं। इस प्रकार की उल्काएँ कलकत्ती नगर के संग्रहालय में रखी हुई हैं।

(7) चन्द्रमाः–चन्द्रमाः पृथिव्या एव निर्गत्य गतः एवं वैज्ञानिका अपि भाषन्ते। सर्वेष्वपि नक्षत्रेषु एकः चन्द्रमा एव धरायाः समीपवर्ती वर्तते। चन्द्रमसः कलाः क्षीणा भवन्ति, परिवर्धन्ते। चन्द्रे कलङ्कः अस्ति, राहुरेनं ग्रस्ते इत्यादिकाः वार्ताः प्राचीनकालतः प्रचलन्ति। अधुना सर्वा अपि गल्पीभूता जाताः। चन्द्रः पृथिवीं परितः अण्डाकारं भ्रमति। पृथिवी स्वयं सूर्यं परितः भ्रमति। चन्द्रमास्तु पृथिवीं परितः चलति। प्रायः अष्टाविंशतितमे दिवसे परिक्रमा पूरयति। गर्तिलान् पर्वतान् कलङ्कान् कथयन्ति वैज्ञानिकाः। चन्द्रस्य कलाभिः तिथीनां मासानाञ्च निर्माणं भवति। चन्द्रः सूर्यप्रकाशात् प्रकाशितो भवति। यदा चन्द्रः सूर्यपृथिव्योरन्तराले जायते, तदा ग्रहणं भवति एवं वदन्ति वैज्ञानिकाः। चन्द्रोपरि सूर्यस्य प्रकाशः यस्मिन् भागे पतति सः भागः प्रकाशितः कलारूपेण दृष्टिपथमायाति। स एव प्रकाशः तेनैव क्रमेण वर्धते, ह्रसति च।।

अमावस्यायां चन्द्रः सूर्यपृथिव्योः मध्ये भवति, चन्द्रस्य यः अर्धभागः सूर्याभिमुखं भवति स भागः प्रकाशमानो भवति। प्रकाशितः स भागः पृथिव्या न दृष्टो जायते। केवलः अप्रकाशितोऽर्धभागः पृथिवीस्थैः जनैः दृश्यते। प्रकाशाभावे चन्द्रस्य दर्शनं न जायते। अयं कालः अमानाम्नाभिधीयते।।

पूर्णिमायां पृथिवी सूर्यचन्द्रमसोः मध्ये भवति। सूर्येण प्रकाशितं सकलं चन्द्रमण्डलं दृष्टिगोचरं भवति।।

शब्दार्थ
निर्गत्य = निकलकर।
भाषन्ते = कहते हैं।
परिवर्धन्ते = बढ़ती हैं।
राहुः एनम् = राहु इसको।
ग्रसते = निगल लेता है।
गल्पीभूताः = गप बनकर, असत्य।
परितः = चारों ओर।
पूरयति = पूरी करता है।
गर्तिलान् = गड्डेदार।
सूर्यपृथिव्योः अन्तराले = सूर्य और पृथ्वी के मध्य में।
जायते = होता है।
दृष्टिपथम् आयाति = दिखाई देता है।
हसति = घटता है।
सूर्याभिमुखम् = सूर्य के सम्मुख।
पृथिवीस्थैः जनैः = धरती पर रहने वाले लोगों के द्वारा।
अमानाम्नाभिधीयते = अमा (अमावस्या) के नाम से कहा जाता है।

प्रसंग
प्रस्तुत गद्यांश में चन्द्रमा की स्थिति का वर्णन किया गया है।

अनुवाद
चन्द्रमा-चन्द्रमा पृथ्वी से निकलकर ही (आकाश में) गया है, ऐसा वैज्ञानिक भी कहते हैं। सभी नक्षत्रों में अकेला चन्द्रमा ही पृथ्वी के समीप स्थित है। चन्द्रमा की कलाएँ घटती और बढ़ती हैं। चन्द्रमा में कलंक होता है, राहु इसे ग्रसता है, इत्यादि बातें प्राचीनकाल से चली आ रही हैं। अब ये सभी असत्य बनकर रह गयी हैं। चन्द्रमा पृथ्वी के चारों ओर अण्डे के आकार में घूमता है। पृथ्वी स्वयं सूर्य के चारों ओर घूमती है। चन्द्रमा तो पृथ्वी के चारों ओर चलता है। प्रायः अट्ठाइसवें दिन चक्कर पूरा कर लेता है। गड्डेदार पर्वतों को वैज्ञानिक कलंक (UPBoardSolutions.com) कहते हैं। चन्द्रमा की कलाओं से तिथि और महीनों का निर्माण होता है। चन्द्रमा सूर्य के प्रकाश से प्रकाशित होता है। जब चन्द्रमा सूर्य और पृथ्वी के मध्य में आ जाता है, तब ग्रहण होता है, ऐसा वैज्ञानिक कहते हैं। चन्द्रमा के ऊपर जिस भाग पर सूर्य का प्रकाश पड़ता है, वह प्रकाशित भाग कला के रूप में दृष्टि में आता है। वही प्रकाश उसी क्रम से बढ़ता और घटता है।

अमावस्या के दिन चन्द्रमा सूर्य और पृथ्वी के मध्य में होता है। चन्द्रमा का जो आधा भाग सूर्य की ओर होता है, वह भाग प्रकाशमान होता है। वह प्रकाशित भाग पृथ्वी से नहीं दिखाई देता। केवल अप्रकाशित आधा भाग पृथ्वी पर स्थित लोगों को दिखाई देता है। प्रकाश के अभाव में चन्द्रमा का दर्शन नहीं होता है। यह समय ‘अमावस्या के नाम से पुकारा जाता है। । पूर्णिमा के दिन पृथ्वी सूर्य और चन्द्रमा के मध्य में होती है। सूर्य से प्रकाशित सम्पूर्ण चन्द्रमण्डल दिखाई पड़ता है।

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(8) नीहारिकाः—विशालतमानाकाराणां वाष्पीयपदार्थानां समूहो, नीहारिका।रात्रौ आकाशं द्विधा कुर्वन् विशालो राजमार्ग इव यः प्रकाशः मध्येऽवलोक्यते, सः नीहारिका नाम्ना घुष्यते। आकाशे बहव्यः नीहारिकाः भवन्ति। इमानतावनताः, बृहदाकाराः, दीर्घवृत्ताकाराः, कुण्डलिताः वा भवन्ति। नीहारिकायाः परिमाणं सूर्यतः दशखर्वगुणितं भवति। दीर्घा नीहारिका एकं पृथक् ब्रह्माण्डं भवति। नीहारिकामध्ये अगणिताः (UPBoardSolutions.com) ताराः, तारां परितः वाष्पीयपदार्थाः भवन्ति। रात्रौ निर्मला गङ्गा इवे दृष्टिपथमायाति। अतः आकाशगङ्गा नाम्नाभिधीयते। अस्यां दशसहस्रकोटयः गुम्फिताः परस्परमाकृष्टाः ताराः भवन्ति।

आधुनिका वैज्ञानिकाः (सूर्यग्रहेषु ) बुध-शुक्र-पृथ्वी-मङ्गल-बृहस्पति-शनि-यूरेनस (वरुण)-नेपच्यून (वारुणी )-प्लेटो ( यम) इति नवग्रहान् वर्णयन्ति। चन्द्रं पृथिवी-ग्रह कथयन्ति। भारतीयां ज्योतिर्विदः सूर्य-चन्द्र-मंगल-बुध-बृहस्पति-शुक्र-शनि-राहु-केतून् नवग्रहान् निर्दिशन्ति।

एवमेन्तरिक्षं विभुः, अनन्तं नि:सीमात्मकं चास्ते। अत्रत्यमेकमपि नक्षत्रं वर्णनातीतमस्ति।

शब्दार्थ
विशालतमानाम् आकाराणाम् = अत्यन्त विशाल आकार का।
वाष्पीयपदार्थानाम् = भाप के पदार्थों का।
द्विधा = दो भागों में।
अवलोक्यते = देखा जाता है।
घुष्यंते = पुकारा जाता है।
नतावनता = ऊँची-नीची।
कुण्डलिताः = कुण्डली (गोल) के आकार की।
दशखर्वगुणितं = दसे खरब गुना।
दृष्टिपथमायाति = दिखाई देती है।
दशसहस्त्रकोटयः = दस हजार करोड़।
गुम्फिताः = गॅथी हुई।
ज्योतिर्विदः = ज्योतिषी।
निर्दिशन्ति = निर्दिष्ट करते हैं।
विभुः = व्यापक।
निः सीमात्मकम् = सीमारहित।

प्रसंग
प्रस्तुत गद्यांश में नीहारिकाओं का वर्णन और नवग्रहों का नाम-निर्देश किया गया है।

अनुवाद
नीहारिकाएँ—अत्यन्त विशाल आकार का वाष्पीय पदार्थों का समूह नीहारिका है। रात्रि में आकाश को दो भागों में करता हुआ, विशाल राजमार्ग के समान जो प्रकाश मध्य में दिखाई देता है, वह नीहारिका’ के नाम से पुकारा जाता है। आकाश में बहुत-सी नीहारिकाएँ होती हैं। ये ऊँची-नीची, बड़े आकार की, बड़े घेरे के आकार की अथवा कुण्डली के आकार की होती हैं। नीहारिका का परिमाण (माप) सूर्य से दस खरब गुना होता है। एक बड़ी नीहारिका एक अलग ब्रह्माण्ड होती है। नीहारिका के मध्य में अगणित तारे और तारों के चारों ओर वाष्पीय पदार्थ होते हैं। रात्रि में स्वच्छ गंगा के समान दिखाई पड़ती हैं; अतः ‘आकाश गंगा’ के नाम से पुकारी जाती हैं। (UPBoardSolutions.com) इसमें दस हजार करोड़ परस्पर आकृष्ट हुए गुंथे हुए तारे होते हैं। | आधुनिक वैज्ञानिक (सूर्य के ग्रहों में) बुध, शुक्र, पृथ्वी, मंगल, बृहस्पति, शनि, वरुण, वारुणी और यम इन नौ ग्रहों का वर्णन करते हैं। चन्द्रमा को पृथ्वी का ग्रह कहते हैं। भारतीय ज्योतिषी सूर्य, चन्द्रमा, मंगल, बुध, बृहस्पति, शुक्र, शनि, राहु और केतु को नौ ग्रह कहते हैं। इस प्रकार अन्तरिक्ष सर्वशक्तिमान, अनन्त और नि:सीम है। इसका एक भी नक्षत्र वर्णन से परे है।

लघु उत्तरीय प्ररन

प्ररन 1
‘अन्तरिक्ष-विज्ञानम्’ पाठ का सारांश लिखिए। या सौरमण्डल के सदस्यों का परिचय’ अन्तरिक्ष-विज्ञानम्’ पाठ के आधार पर दीजिए।
उत्तर
[संकेत-‘पाठ-सारांश’ मुख्य शीर्षकं की सामग्री को अपने शब्दों में लिखिए।]

प्ररन 2
निम्नलिखित पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए(क) धूमकेतु,(ख) उल्का, (ग) चन्द्रमा,(घ) नीहारिका और (ङ) सूर्य।
उत्तर
(संकेत-“पाठ-सारांश’ मुख्य शीर्षक के अन्तर्गत सम्बद्ध शीर्षकों की सामग्री को अपने शब्दों में लिखें।

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प्ररन 3
अन्तरिक्ष के विस्तार और शोभा का वर्णन कीजिए।
उत्तर
[संकेत-‘पाठ-सारांश’ मुख्य शीर्षक के अन्तर्गत दिये गये शीर्षकों ‘सौर- साम्राज्य और ‘अन्तरिक्ष’ से सम्बद्ध सामग्री को संक्षेप में अपने शब्दों में लिखें]

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UP Board Solutions for Class 9 Home Science Chapter 17 सामान्य घरेलू देशज औषधियाँ तथा सामान्य विषों के प्रतिकारक पदार्थ

UP Board Solutions for Class 9 Home Science Chapter 17 सामान्य घरेलू देशज औषधियाँ तथा सामान्य विषों के प्रतिकारक पदार्थ

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विस्तृत उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1:
सामान्य घरेलू देशज औषधियों से क्या आशय है? कुछ मुख्य घरेलू औषधियों का सामान्य परिचय दीजिए।
या
कुछ घरेलू देशज औषधियों के नाम एवं उपयोगिता बताइए।
उत्तर:
सामान्य देशज औषधियाँ
रोग एवं दुर्घटनाएँ घरेलू अथवा पारिवारिक जीवन की सामान्य घटनाएँ हैं जो कि प्रायः पीड़ित व्यक्ति के साथ-साथ परिवार के अन्य सदस्यों को भी अनेक प्रकार की शारीरिक एवं मानसिक कठिनाइयों में डाल देती हैं। प्राथमिक चिकित्सा तथा घरेलू औषधियों के ज्ञान का धैर्यपूर्वक उपयोग कर इन कठिनाइयों की गम्भीरता को न केवल कम किया जा सकता है, वरन् कई बार इनका सहज ही निवारण भी किया जा सकता है। सामान्यतः घरों में प्रयुक्त होने वाले मसालों, तरकारियों एवं फलों तथा सहज ही उपलब्ध सामान्य औषधियों का देशज घरेलू औषधियों के रूप में प्रयोग किया जाता है। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि घर पर उपलब्ध होने वाले सामान्य पदार्थों को घरेलू देशज औषधियाँ कहा जाता है। ये पदार्थ विभिन्न शारीरिक विकारों में कष्ट-निवारक के रूप में इस्तेमाल किए (UPBoardSolutions.com) जाते हैं। इन घरेलू देशज औषधियों की जानकारी मनुष्य ने अपने दीर्घकालिक अनुभवों द्वारा प्राप्त की है तथा यह जानकारी पीढ़ी दर-पीढ़ी इसी रूप में हस्तान्तरित होती रहती है; उदाहरण के लिए–प्रायः सभी परिवारों के पेट दर्द में अजवाइन का प्रयोग किया जाता है। इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए अजवाइन को घरेलू देशज औषधि की श्रेणी में रखा जाता है। वैसे सामान्य रूप से अजवाइन एक मसाले के रूप में इस्तेमाल होती है। मुख्य सामान्य घरेलू देशज औषधियों तथा उनकी उपयोगिता का सामान्य परिचय निम्नर्णित है

(क) कुछ मसाले घरेलू औषधियों के रूप में
मसालों के रूप में इस्तेमाल होने वाले विभिन्न पदार्थ, कई छोटे-छोटे रोगों और कष्टों के लिए लाभप्रद गुण रखते हैं। उदाहरण के लिए निम्नलिखित सूची देखिए

  1. अजवाइन: यह पेट के दर्द को कम करती है। अफारा और गैस में भी लाभदायक है।
  2. सोंठ: यह वायु के रोगों के लिए अत्यन्त उपयोगी है।
  3.  हींग: यह पेट के रोगों के लिए अत्यधिक लाभप्रद है। गैस, अफारा आदि में इसे पानी में घोलकर पेट पर लगाने से भी आराम मिलता है। अन्य पदार्थ; जैसे-अजवाइन, सोंठ, नमक आदि के साथ मिलाकर देने से पेट का दर्द, गैस, अफारे की शिकायत दूर हो जाती है।
  4.  काली मिर्च: यह गले को साफ करती है और कफ को हटाती है।
  5.  जीरा: यह पाचन क्रिया के लिए बहुत अच्छां पदार्थ है। भूख को बढ़ाता है।
  6.  मेथी: यह भूख को बढ़ाती है। इसके बने लड्डू वायु के दर्द में लाभप्रद हैं।
  7.  हल्दी: यह रक्त को शुद्ध करती है। इसका प्रयोग त्वचा को साफ करने में किया जाता है। यह कीटाणुनाशक है। छोटे-मोटे पेट के कीड़े इससे नष्ट हो जाते हैं।
  8.  लोंग: यह दाँत के दर्द के लिए एक अच्छी औषधि है। इसे पीसकर लगाने से दर्द बन्द हो जाता है। गले की खराश में भी लोग चूसी जाती है।
  9.  राई: मिरगी के रोगी को बारीक पिसी हुई राई सुंघाने से मूच्र्छा दूर हो जाती है।
  10.  अदरक: यह पाचन-क्रिया में सहायक है तथा वायु के रोगों को ठीक करता है।
  11.  नमक: यह घाव को साफ करने के लिए एक अच्छा पदार्थ है। गरम पानी में मिलाकर सिकाई करने से सूजन ठीक हो जाती है। गरम पानी में घोलकर गरारे करने से गला साफ होता है, कफ हटता है और सूजन कम हो जाती है।
  12.  सौंफ: यह खुनी पेचिश के लिए अत्यधिक लाभप्रद दवा है। पानी में उबालकर अर्क देने से यह बीमारी ठीक हो जाती है। इसका पानी अधिक प्यास को कम करता है तथा गर्मी के कारण होने वाले सिर दर्द को ठीक करता है।।
  13.  दाल: चीनी-दस्त और मरोड़ों में कत्था के साथ प्रयोग की जाती है।
  14.  पोदीना: सूखा हुआ पोदीना तथा उसका अर्क उल्टियों को बन्द करता है। पोदीना पाचन क्रिया में भी सहायक है।

(ख) कुछ सामान्य घरेलू उपयोग के पदार्थ

  1. आमाहल्दी: पिसी हुई अवस्था में चोट या मोच के रोगी को दी जाती है जो कि काफी आरामदायक है।
  2.  चूना: चोट, मोच इत्यादि पर आमाहल्दी चूने के साथ लगाने से दर्द में कमी होती है तथा मोच ठीक हो जाती है। बरौं के डंक मारने पर भी चूना लगाया जा सकता है।
  3. फिटकरी: रक्त-स्राव को रोकती है। गुलाब जल में मिलाकर आँख में डालने से दुखती हुई आँखें ठीक हो जाती हैं।
  4. कत्था: इसका चूरा मुँह के छालों को ठीक करता है।
  5.  तुलसी: तुलसी की पत्तियाँ जुकाम, बुखार आदि के लिए आराम देने वाली हैं। शहद के साथ प्रयोग करने से खाँसी ठीक हो जाती है।
  6. गोले का तेल: जले हुए स्थान पर लगाने से जलन कम होती है। घाव भी जल्दी ठीक हो जाता है।
  7.  गुलाब जल: अनेक नेत्र रोगों के लिए शान्तिदायक है।
  8.  मुलहटी: खाँसी को ठीक करती है। मुँह में डालने से खाँसी बन्द हो जाती है।
  9.  ईसबगोल: इसकी भूसी कब्जनाशक है। पानी या दूध के साथ लेने पर कब्ज-निवारक होती है तथा दही में अच्छी तरह से मिला कर लेने पर दस्त को रोकती है।
  10.  नीम की पत्तियाँ: कीटाणुनाशक हैं, चर्म रोगों के लिए अति गुणकारी हैं। इनके पानी से नहाने से चर्म रोग ठीक हो जाते हैं। सर्पदंश में इसको खिलाने से विष का प्रभाव कम हो जाता है। पानी में उबाल कर बालों को धोने से जुएँ नष्ट हो जाती हैं।

(ग) कुछ औषधियाँ तथा रासायनिक पदार्थ

  1.  पोटैशियम परमैंगनेट या लाल दवा:
    अनेक कीट पतंगों के काटने, बिच्छू के डंक मारने तथा सर्पदंश के घाव में भरने से विष को नष्ट कर देती है। संक्रामक रोगों के फैलने के समय इसे पानी में मिलाकर पीना चाहिए।
  2. स्प्रिट: घाव साफ करने तथा अन्य कामों के लिए उपयोगी है।
  3. बोरिक एसिड: घाव धोने के काम आता है। यह कीटाणुनाशक है। इसका हल्का घोल आँख । धोने के काम में लाया जाता है।
  4.  मरक्यूरोक्रोम: जल के साथ इसका घोल घाव पर लगाने से घाव शीघ्र भर जाता है तथा इस
    पर अन्य विषों का प्रभाव नहीं होता है।
  5.  अमोनिया: इसे सुंधाने से मूच्र्छा दूर हो जाती है। इसे विषैले कीट द्वारा काटने पर अथवा डंक मारने पर प्रयोग में लाया जाता है।
  6.  अमृत धारा: जी मिचलाना, दस्त, उल्टी (वमन) आदि में महत्त्वपूर्ण घरेलू औषधि है।
  7. डिटॉल: यह कीटाणुनाशक है। घाव धोने के काम आता है।
  8.  बरनॉल:  जले स्थान पर लगाने के लिए एक अच्छी क्रीम है।
  9. आयोडेक्स: यह एक सूजन कम करने वाली औषधि है, जो मोच एवं दर्द में आराम देती है।
  10.  कुनैन: यह शुद्ध अथवा रासायनिक पदार्थों के साथ मिश्रित रूप में प्रायः गोलियों के आकार में सहज ही उपलब्ध हो जाती है। मलेरिया ज्वर के लिए यह एक उत्तम औषधि है।

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प्रश्न 2:
विष कितने प्रकार के होते हैं? विषपान किए व्यक्ति का सामान्य उपचार आप किस प्रकार करेंगी?
या
यदि किसी बच्चे ने कोई विषैला पदार्थ खा लिया है, तो उसे किस प्रकार का प्रतिकारक पदार्थ दिया जाएगा? उदाहरण दीजिए। क्या सावधानियाँ बरतनी चाहिए?
या
टिप्पणी लिखिए-विष कितने प्रकार के होते हैं?
उत्तर:
विष के प्रकार

सामान्यतः शरीर को हानि पहुँचाने वाले पदार्थ विष कहलाते हैं। ये पदार्थ प्रायः मुँह के द्वारा अथवा विषैले जीव-जन्तुओं के काटने पर शरीर में अन्दर प्रवेश करते हैं। विषपान करने पर शरीर में प्रवेश करने वाले विषैले पदार्थों को निम्नलिखित चार वर्गों में विभाजित किया जा सकता है

(1) जलन उत्पन्न करने वाले विष:
ये विष शरीर के जिस भाग में प्रवेश करते हैं उसे या तो जला देते हैं अथवा उसमें जलन उत्पन्न करते हैं। कास्टिक सोडा, अमोनिया, कार्बोलिक एसिड तथा खनिज अम्ल आदि इस वर्ग के प्रमुख विष हैं। इस प्रकार के विष से प्रायः जीभ, गले तथा मुखगुहा में भयंकर जलन होती है तथा श्वास लेने में कठिनाई का अनुभव होता है।

(2) उदर अथवा आहारनाल को हानि पहुँचाने वाले विष:
इस प्रकार के विष उदर में पहुंचकर भयंकर उथल-पुथल पैदा करते हैं। ये कण्ठ, ग्रासनली, आमाशय एवं आँतों में जलन एवं दर्द उत्पन्न करते हैं। इनके शिकार व्यक्ति उदरशूल अनुभव करते हैं तथा उन्हें मतली आने लगती है। इस वर्ग के अन्तर्गत आने वाले प्रमुख विष हैं संखिया, पारा, पिसा हुआ शीशा तथा विषैले एवं सड़े-गले खाद्य पदार्थ।

(3) निद्रा उत्पन्न करने वाले विष:
इस प्रकार के विष को खाने पर नींद आने लगती है जो कि विष की अधिकता होने पर प्रगाढ़ निद्रा अथवा संज्ञा-शून्यता में परिवर्तित हो जाती है। इस प्रकार के विष का अत्यधिक सेवन करने से कई बार रोगियों की मृत्यु भी हो जाती है। अफीम, मॉर्फिन तथा डाइजीपाम (कम्पोज, वैलियम आदि) इत्यादि इस वर्ग के प्रमुख विष हैं।

(4) तन्त्रिका-तन्त्र को हानि पहुँचाने वाले विष:
इनका प्रभाव प्रायः स्नायुमण्डल अथवा विभिन्न नाड़ियों पर होता है; जिसके फलस्वरूप नेत्रों की पुतलियाँ फैल जाती हैं, मस्तिष्क चेतना शून्य हो सकता है अथवा शरीर के विभिन्न अंगों में पक्षाघात हो सकता है। भाँग, धतूरा, क्लोरोफॉर्म तथा मदिरा इसी प्रकार के प्रमुख विष हैं।

विषपान करने पर उपचार

विषपाने एक गम्भीर दुर्घटना है, जिसके परिणामस्वरूप प्रतिदिन अनेक व्यक्ति अनेक प्रकार के कष्ट भोगते हुए अकाल ही मृत्यु की गोद में चले जाते हैं। इस समस्या का समाधान करना सम्भव है, यदि पीड़ित व्यक्ति को तत्काल चिकित्सा सहायता उपलब्ध हो जाए तथा कुछ सुरक्षात्मक उपायों का (UPBoardSolutions.com) कठोरतापूर्वक पालन किया जाए। चिकित्सा सहायता सदैव समय पर उपलब्ध होनी सम्भव नहीं है; अतः विषपान करने वाले व्यक्तियों के सामान्य उपचार के उपायों की जानकारी प्राप्त करना अति आवश्यक

(क) सुरक्षात्मक उपाय:
कई बार अनेक व्यक्ति (विशेष रूप से बच्चे) अज्ञानतावश अथवा नादानी में विषपान का शिकार हो जाते हैं। इस प्रकार की दुर्घटनाओं को निम्नलिखित उपायों का कठोरतापूर्वक पालन कर सहज ही टाला जा सकता है

  1.  घर में प्रयुक्त होने वाले सभी क्षारों एवं अम्लों को नामांकित कर यथास्थान रखें। ध्यान रहे कि ये स्थान बच्चों की पहुँच से सदैव दूर हों।
  2.  पुरानी तथा प्रयोग में न आने वाली औषधियों को घर में न रखें।
  3.  सभी औषधियों को उनकी मूल शीशी अथवा डिब्बी में रखें।
  4. कभी भी अन्धकार में कोई औषधि प्रयोग न करें।
  5.  चिकित्सक के पूर्व परामर्श के बिना कोई जटिल औषधि न प्रयोग करे।
  6.  पेण्ट वाले पदार्थ प्रायः विषैले होते हैं; अत: इनका प्रयोग सावधानीपूर्वक करें।
  7.  कीटाणुनाशक (स्प्रिट व डिटॉल, फिनाइल) आदि तथा कीटनाशक (फ्लिट व बेगौन स्प्रे आदि) पदार्थ विषैले होते हैं। इन्हें सावधानीपूर्वक प्रयोग करें तथा प्रयोग करते समय कम-से-कम श्वालें।
  8. खाना पकाने से पूर्व दाल, शाक-सब्जियों एवं फलों को अच्छी प्रकार से धोएँ ताकि ये पूर्णरूपसे कीटनाशक रासायनिक पदार्थों के प्रभाव से मुक्त हो जायें।
  9.  बच्चों को समय-समय पर प्रेमपूर्वक उपर्युक्त बातों की जानकारी दें।

(ख) प्राथमिक चिकित्सा सहायता:
योग्य चिकित्सक अथवा अस्पताल से चिकित्सा सहायता प्रायः विलम्ब से प्राप्त होती है, जबकि विषपान किए व्यक्ति का उपचार तत्काल होना आवश्यक है। अतः विषपान सम्बन्धी प्राथमिक चिकित्सा का ज्ञान होना अति आवश्यक है। इसके लिए कुछ महत्त्वपूर्ण बातों को हमेशा ध्यान में रखना चाहिए

  1. रोगी के आस-पास विष की शीशी अथवा पुड़िया की खोज करें जिससे कि विष का प्रकार ज्ञात हो सके तथा उसके अनुसार उपयुक्त उपचार प्रारम्भ किया जा सके।
  2.  विष का प्रभाव कम करने के लिए रोगी को वमन कराकर उसके उदर से विष दूर करने का प्रयास करें।
  3.  यदि रोगी क्षारक अथवा अम्लीय विष से पीड़ित है, तो वमन न कराएँ। इस प्रकार के रोगियों को विष-प्रतिरोधक देना ही उचित रहता है।
  4.  क्षारीय विष से पीड़ित व्यक्ति को नींबू का रस अथवा सिरका पिलाना लाभप्रद रहता है। अम्लीय विष से पीड़ित व्यक्तियों को चूने का पानी, खड़िया, मिट्टी अथवा मैग्नीशियम का घोल देना उत्तम रहता है।
  5. आस्फोटक विष के उपचार के लिए रोगी को गरम पानी में नमक मिलाकर वमन कराना चाहिए। कई बार वमन कराने के बाद उसे अरण्डी का तेल पिलाना चाहिए।
  6. निद्रा उत्पन्न करने वाले विष के उपचार में रोगी को जगाए रखने का प्रयास करें। वमन कराने के उपरान्त उसे तेज चाय अथवा कॉफी पीने के लिए देना लाभप्रद रहता है।
  7. रोगी के हाथ व पैर सेंकते रहना चाहिए। रोगी को गुदा द्वारा नमक का पानी चढ़ाना लाभप्रद रहता है।
  8. आवश्यकता पड़ने पर रोगी को कृत्रिम उपायों से श्वास दिलाने का प्रयास करना चाहिए।
  9.  रोगी को अस्पताल भिजवाने का तुरन्त प्रबन्ध करें। रोगी के साथ उसके वमन अथवा लिए गए विष का नमूना अवश्य ले जाएँ। इससे विष के सम्बन्ध में शीघ्र जानकारी प्राप्त होने से उपयुक्त चिकित्सा तत्काल आरम्भ हो सकती है।

(ग) सामान्य विषों के प्रतिकारक पदार्थों का उपयोग:
विषपान किए व्यक्ति द्वारा प्रयुक्त विष एवं उसके प्रतिरोधक पदार्थ की जानकारी होने से विषपान के रोगी का उपचार सहज ही सम्भव है। सामान्य विषों के प्रतिकारक पदार्थ प्रायः निम्नलिखित प्रकार के होते हैं

(1) जलन पैदा करने वाले विषों के प्रतिकारक पदार्थ

(अ) क्षारीय विष:
क्षारीय विषों के प्रभाव को समाप्त करने के लिए अम्लों का प्रयोग करना चाहिए। उदाहरण-नींबू का रस एवं सिरका।
(ब) अम्लीय विष:
इनके प्रतिकारक पदार्थ क्षारीय होते हैं। गन्धक, शोरे व नमक के अम्लों को प्रभावहीन करने के लिए

  1.  चूना या खड़िया मिट्टी पानी में मिलाकर दें।
  2. जैतून का तेल पानी में मिलाकर दें।
  3. पर्याप्त मात्रा में दूध दें।

(2) आहार नाल को हानि पहुँचाने वाले विषों के प्रतिकारक पदार्थ

  1. संखिया: यह एक भयानक विष है। टैनिक अम्ल के प्रयोग द्वारा इस विष के प्रभाव को कम किया जा सकता है।
  2. गन्धक: कार्बोनेट एवं मैग्नीशिया गन्धक के विष को प्रभावहीन करने के लिए उत्तम रासायनिक पदार्थ हैं।

(3) निद्रा उत्पन्न करने वाले विषों के प्रतिकारक पदार्थ

  1. अफीम: इस विष से पीड़ित व्यक्ति को गरम पानी में नमक मिलाकर वमन कराना चाहिए।
  2. निद्रा की गोलियाँ: इनसे प्रभावित व्यक्ति का उपचार अफीम के समान ही किया जाता है। रोगी को नमक के गरम पानी द्वारा वमन कराया जाता है तथा उसके उदर की सफाई की जाती है।

(4) तन्त्रिका-तन्त्र को हानि पहुँचाने वाले विषों के प्रतिकारक पदार्थ

  1. तम्बाकू: इसमें निकोटीन नामक विष होता है। गरम पानी में नमक डालकर रोगी को वमन करायें तथा तेज चाय व कॉफी पीने के लिए दें।
  2.  मदिरा: मदिरा के प्रभाव को नष्ट करने के लिए रोगी को वमन कराएँ तथा उसके उदर की पानी द्वारा सफाई करें। नींबू व नमक मिला गरम पानी पिलाने से लाभ होता है।
  3. भाँग एवं गाँजा: पीड़ित व्यक्ति को वमन कराकर खट्टी वस्तुएँ खिलानी चाहिए। यदि रोगी होश में है, तो उसे गरम दूध पिलाया जा सकता है।
  4. क्लोरोफॉर्म: इस विष का प्रतिकारक है एमाइल नाइट्राइट जो कि इसके प्रभाव को कम करता है।
  5. धतूरा: धतूरे के बीजों में घातक विष होता है। इस विष से पीड़ित व्यक्ति को होश में लाकर वमने कराना चाहिए। इसके बाद उसे गर्म दूध में एक चम्मच ब्राण्डी मिलाकर दी जा सकती है।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1:
घरेलू औषधियों का महत्त्व बताइए।
या
गृहिणी के लिए घरेलू औषधियों का ज्ञान क्यों आवश्यक है?
उत्तर:
घरेलू देशज औषधियों का महत्त्व

प्रत्येक घर-परिवार में रोगों एवं दुर्घटनाओं का होना सामान्य बातें हैं। परन्तु ये सामान्य बातें ही कई बार गम्भीर समस्याओं को जन्म दे सकती हैं। उदाहरण के लिए-रोग की प्रारम्भिक अवस्था में चिकित्सक के पास न जाने पर रोग गम्भीर रूप धारण कर लेता है। अथवा किसी रोग एवं दुर्घटना में (UPBoardSolutions.com) तत्काल चिकित्सा सहायता न उपलब्ध हो पाने पर रोगी की हालत गम्भीर हो सकती है। उपर्युक्त दोनों ही प्रकार की समस्याओं के निदान के लिए घरेलू देशजे औषधियों का व्यावहारिक ज्ञान होना आवश्यक है। इससे प्रत्येक गृहिणी निम्नलिखित प्रकार से लाभान्वित हो सकती है—

(1) तत्काल उपचार:
घरेलू देशज औषधियों का व्यावहारिक ज्ञान होने पर गृहिणी किसी भी सामान्य रोग का तत्काल उपचार कर सकती है, जिसके फलस्वरूप रोग एवं दुर्घटनाएँ गम्भीर रूप नहीं ले पाते।

(2) समय एवं धन की बचत:
घरेलू देशज औषधियों से परिचित होने पर गृहिणी को घर-परिवार में होने वाले छोटे-छोटे रोगों के लिए चिकित्सक तक दौड़ने की आवश्यकता नहीं होती, जिससे (UPBoardSolutions.com) उसके समय की पर्याप्त बचत होती है। घरेलू औषधियाँ प्रायः अपेक्षाकृत संस्ती एवं सहज ही उपलब्ध होती हैं। इनका समय-समय पर उपयोग करने से अपेक्षाकृत कम व्यय होता है अर्थात् धन की. पर्याप्त बचत होती है।

(3) साहस एवं आत्मविश्वास में वृद्ध:
घरेलू औषधियों से भली प्रकार परिचित गृहिणी परिवार के किसी सदस्य के रोग अथवा दुर्घटनाग्रस्त होने पर अपना धैर्य नहीं खोती तथा उत्पन्न समस्या का साहसपूर्वक एवं आत्मविश्वास से सामना करती है।

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प्रश्न 2:
तीन घरेलू दवाइयों के नाम एवं उपयोग बताइए।
या
दो घरेलू दवाइयों के नाम एवं उपयोग बताइए।
उत्तर:
कुछ महत्त्वपूर्ण घरेलू दवाइयों के नाम एवं उपयोग अग्रलिखित हैं

(1) हींग:
यह पेट के रोगों में बहुत लाभ पहुँचाती है। गैस व अफारा आदि में पानी में घोलकर पेट | पर लगाने से रोगी को पर्याप्त लाभ होता है। अजवाइन, सौंठ वे नमक के साथ मिलाकर देने से यह
अधिक प्रभावी हो जाती है।

(2) नमक:
सामान्य नमक (सोडियम क्लोराइड) घावों को साफ करने के लिए एक अच्छी औषधि का कार्य करता है। गरम पानी में मिलाकर सिकाई करने पर यह पर्याप्त आराम पहुँचाता है। जल-अल्पता या निर्जलीकरण होने पर इसे उबाल कर ठण्डा किए हुए पानी में चीनी के साथ मिलाकर बार-बार (UPBoardSolutions.com) पिलाने पर रोगी को अत्यधिक लाभ होता है। गरम पानी में नमक डालकर गरारे करने से गले के रोगों में विशेष लाभ होता है।

(3) सौंफ:
खुनी पेचिश के लिए सौंफ एक उत्तम औषधि है। इस रोग में सौंफ को पानी में उबालकर उसका अर्क दिया जाता है। यह प्यास को कम करती है तथा गर्मी के कारण होने वाले सिर दर्द में आराम पहुँचाती है।

प्रश्न 3:
कृमि रोग का उपचार आप कैसे करेंगी?
उत्तर:
इस रोग में पेट में विभिन्न प्रकार के बड़े-बड़े कीड़े हो जाते हैं, जिनके कारण रोगी के पेट में दर्द रहता है, उसके मुँह से लार टपकती है तथा वह सोते समय दाँत किटकिटाता है। इस प्रकार के रोगी को पपीते के बीज (ताजे अथवा सूखे) पीसकर खिलाने से उसके पेट के कीड़े मरकर मल के साथ बाहर निकल जाते हैं। एक से दो माशे तक अजवाइन का चूर्ण गुड़ के साथ दिन में दो या तीन बार देने से कीड़े नष्ट हो जाते हैं।

प्रश्न 4:
हैजा रोग का उपचार आप किस प्रकार करेंगी?
उत्तर:
हैजा रोग में दस्त एवं वमन के कारण पीड़ित व्यक्ति के शरीर में पानी की कमी हो जाती है; अत: उसे एक लीटर उबले हुए पानी में आधा चम्मच नमक, आधा चम्मच खाने का सोडा तथा एक चम्मच चीनी अथवा गुड़ मिलाकर बार-बार पिलाना चाहिए। अब रोगी को अमृतधारा की 10-15 बूंदें पानी में (UPBoardSolutions.com) डालकर देनी चाहिए जिससे कि रोगी की वमन रुक सकें। अब हरा धनिया, पुदीना और सौंफ को समान मात्रा में लेकर तथा इसमें सेंधा नमक मिलाकर चटनी की तरह पीस लें। इसके सेवन से रोगी को पर्याप्त आराम मिलता है। समय मिलते ही रोगी को किसी योग्य चिकित्सक को दिखाएँ।

प्रश्न 5:
निमोनिया रोग का उपयक्तु उपचार लिखिए।
उत्तर:
इस रोग में सामान्यतः ज्वर के साथ रोगी शीत का अनुभव करता है। उसके सीने में कफ एकत्रित हो जाता है, खाँसी रहती है तथा पसलियों में दर्द रहता है। पीड़ित व्यक्ति को गर्म स्थान में रखकर उसकी पसलियों के दोनों ओर पिसी हुई अलसी लगी रुई के पैड लगाने चाहिए। फूला हुआ सुहागा, फूली हुई फिटकरी, तुलसी की पत्तियाँ, अदरक पीसकर पान के रस एवं शहद में मिलाकर रोगी को दिन में चार या पाँच बार देना चाहिए।

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प्रश्न 6:
जुकाम अथवा नजले का घरेलू उपचार बताइए।
उत्तर:
जुकाम एवं नजला सामान्य रोग हैं जो कि प्रायः ऋतु परिवर्तन के समय अथवा शीत ऋतु में अधिक होते हैं। छींक आना, आँखों एवं नाक से पानी जाना, कान बन्द हो जाना तथा खाँसी व कफ निकलना आदि रोग के सामान्य लक्षण हैं।
शीत ऋतु में हुई खाँसी एवं श्वास रोग में सहजन की जड़ की छाल को घी या तेल में मिलाकर धूम्रपान करने से लाभ होता है। जुकाम के प्रारम्भ में दूध में हल्दी डालकर (UPBoardSolutions.com) उबालकर पीने से लाभ होता हैं। अधिक सिर दर्द व नाक से पानी बहने पर लौंग का दो बूंद तेल शक्कर अथवा बताशे के साथ खाने से अत्यधिक लाभ होता है। नए जुकाम में पीपल का चूर्ण शहद में अथवा चाय में मिलाकर सेवन करने से शीघ्र आराम होता है। चाय में काली मिर्च का चूर्ण डालकर पीने से भी जुकाम में पर्याप्त लाभ होता है?

प्रश्न 7:
बिच्छू एवं शहद की मक्खी के काटने पर आप क्या उपचार करेंगी?
उत्तर:
बिच्छू के काटने पर उपचार-बिच्छू द्वारा काटने पर निम्नलिखित उपचार करने चाहिए

  1. काटने के स्थान के थोड़ा ऊपर टूर्नीकेट बाँधना चाहिए।
  2.  काटे हुए स्थान पर बर्फ रखने पर तथा नोवोकेन का इन्जेक्शन लगाने पर पीड़ा में कमी आती है।
  3.  रोग नियन्त्रित न होने पर योग्य चिकित्सक से परामर्श लें।

शहद की मक्खी के काटने पर उपचार:
पीड़ित व्यक्ति को काटने के स्थान पर सूजन आ जाती है। तथा भयंकर जलन होती है। इसके लिए निम्नलिखित उपचार करने चाहिए

  1.  काटे स्थान को दबाकर डंक निकालना चाहिए।
  2.  घाव पर अमोनिया अथवा नौसादर एवं चूने की सम मात्रा मिलाकर लगानी चाहिए।
  3. काटे हुए स्थान पर स्प्रिट लगानी चाहिए।
  4. एण्टी-एलर्जी की गोलियाँ (एविल आदि) लेने से लाभ होता है।

प्रश्न 8:
विष कितने प्रकार से शरीर में पहुँचता है?
उत्तर:
प्राय: निम्नलिखित चार प्रकार से विष हमारे शरीर में प्रवेश करता है

  1. मुँह द्वारा-खाने-पीने की वस्तुओं में मिलाकर खाने अथवा खिलाने से विष शरीर में प्रवेश कर सकता है।
  2.  सँघने से कुछ विशेष प्रकार के विष पूँघने पर श्वास क्रिया के साथ शरीर में प्रवेश कर जाते हैं। उदाहरण-पेन्ट्स, फिनिट आदि।
  3.  विषैले जीव-जन्तुओं के काटने पर-अनेक जीव-जन्तु (बिच्छू, साँप, मधुमक्खी आदि) विषैले होते हैं। ये काटने अथवा डंक मारने पर अपने विष को हमारे शरीर में प्रवेश करा देते हैं।
  4. सामान्य घाव या इन्जेक्शन के घाव द्वारा इस विधि द्वारा अनेक विषैले कीटाणु एवं विष – हमारे शरीर में प्रवेश करते हैं।

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1:
घरेलू देशज औषधियों से क्या आशय है?
उत्तर:
जब किसी रोग या कष्ट के निवारण के लिए घर पर सामान्य इस्तेमाल की वस्तुओं को उपयोग में लाया जाता है तो उन सामान्य वस्तुओं को घरेलू देशज औषधि कहा जाता है। जैसे कि पेट-दर्द के निवारण के लिए अजवाइन एक घरेलू औषधि है।

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प्रश्न 2:
गुलाब जल का क्या प्रयोग है? .
उत्तर:
यह नेत्रों की अत्यन्त उपयोगी औषधि है। यह नेत्र रोगों को ठीक करता है तथा नेत्रों को ठण्डक व शान्ति देने वाला होता है।

प्रश्न 3:
जल जाने पर कोई दो घरेलु औषधियों के नाम बताए।
उत्तर:
गोले का तेल या बरनॉल।

प्रश्न 4:
साँप के काटने पर अंग में बन्ध क्यों लगाया जाता है?
उत्तर:
अंग में बन्ध लगाने से उस स्थान से रुधिर का तेजी से इधर-उधर बहना बन्द हो जाता है। और विष पूरे शरीर में नहीं फैलता।

प्रश्न 5:
तुलसी के पत्ते का औषधि उपयोग बताइए।
उत्तर:
तुलसी के पत्ते ज्वर तथा जुकाम को शान्त करते हैं। शहद के साथ खाँसी में लाभदायक हैं।

प्रश्न 6:
आमाहल्दी का उपयोग बताइए।
उत्तर:
पिसी हुई आमाहल्दी दूध के साथ देने से चोट तथा मोच में आराम मिलता है।

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प्रश्न 7:
किन्हीं दो घरेलू औषधियों के नाम लिखिए।
उत्तर:
अजवाइन, हींग, काला नमक आदि।

प्रश्न 8:
नकसीर छूटने पर आप कौन-सी घरेलू औषधिय प्रयोग करेंगी?
उत्तर:
नाक में देशी घी डालने तथा गीली-पीली मिट्टी सुंघाने से नाक द्वारा होने वाले रक्तस्राव में कमी आती है।

प्रश्न 9:
विष की शीशियों को लेबल करने से क्या लाभ है?
उत्तर:
विष की शीशियों को नामांकित (लेबल) कर रखने से भूलवश विषपान का भय नहीं रहता।

प्रश्न 10:
औषधियों का सेवन सदैव पर्याप्त प्रकाश में करना चाहिए। क्यों?
उत्तर:
क्योंकि अन्धकार में गलत औषधियाँ खा लेने की सम्भावना रहती है।

प्रश्न 11:
भाँग पिए व्यक्ति का आप क्या उपचार करेंगी?
उत्तर:
ऐसे व्यक्ति को खटाई (जैसे कि इमली का पानी) पिलाने से भाँग के विषैले प्रभाव को कम किया जा सकता है।

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प्रश्न 12:
जी मिचलाने अथवा उल्टी आने पर प्रयुक्त होने वाली किन्हीं दो घरेलू औषधियों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
जी मिचलाने अथवा वमन रोकने के लिए

  1.  अमृतधारा की 5-6 बूंदें पानी में डालकर पिलायें तथा
  2. पोदीना व प्याज पीसकर तथा उसमें नीबू का रस डालकर रोगी को पिलायें।

प्रश्न 13:
लू लगने पर रोगी को पीने के लिए क्या देना चाहिए?
उत्तर:
लू लगने पर रोगी को पीने के लिए आम का पन्ना देना चाहिए।

प्रश्न 14:
बेल का शर्बत क्यों उपयोगी माना जाता है ?
उत्तर:
बेल का शर्बत पेट सम्बन्धी विकार दूर करता है तथा पेचिश में विशेष लाभदायक होता है।

प्रश्न 15:
दाँतों में दर्द होने पर आप क्या औषधि प्रयोग करेंगी?
उत्तर:
पिसी हुई लौंग अथवा लौंग का तेल प्रभावित दाँत के निचले भाग पर लगाने से दर्द में पर्याप्त लाभ होता है।

प्रश्न 16:
मुँह एवं जीभ पर छाले होने पर आप क्या उपचार करेंगी?
उत्तर:
प्रभावित भाग पर ग्लिसरीन अथवा कत्थे का चूरा लगाने से पर्याप्त लाभ होता है।

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प्रश्न 17:
मलेरिया ज्वर में रोगी को कौन-सी घरेलू औषधि देनी चाहिए?
उत्तर:
तुलसी के पत्ते में काली मिर्च को सम मात्रा में पीसकर दिन में तीन या चार बार देने से मलेरिया के रोगी को लाभ होगा।

प्रश्न 18:
अफीम खा लेने पर चेहरे का रंग कैसा हो जाता है?
उत्तर:
अफीम खा लेने पर चेहरा पीला पड़ जाता है तथा नेत्रों की पुतलियाँ सिकुड़कर छोटी हो जाती हैं।

प्रश्न 19:
विभिन्न दवाएँ घर पर रखते समय आप क्या सावधानियाँ रखेंगी?
उत्तर:

  1.  घर में दवाएँ उनकी मूल शीशियों, डिब्बों अथवा रैपर में रखनी चाहिए।
  2.  दवाइयों को उनके निर्देशानुसार ठण्डे अथवा गरम तथा प्रकाश अथवा अन्धकार आदि निर्दिष्ट स्थान में रखना चाहिए।
  3.  दवाइयाँ सदैव सुरक्षित स्थान पर बच्चों की पहुँच से दूर रखी जानी चाहिए।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न:
प्रत्येक प्रश्न के चार वैकल्पिक उत्तर दिए गए हैं। इनमें से सही विकल्प चुनकर लिखिए

(1) घरेलू देशज औषधियों के प्रयोग को उपयोगी माना जाता है
(क) आकस्मिक रोगों या दुर्घटनाओं के तुरन्त उपचार के लिए,
(ख) इनके प्रयोग से धन एवं समय की बचत होती है,
(ग) दुर्घटना घटित होने पर गृहिणी का मनोबल बना रहता है,
(घ) उपर्युक्त सभी उपयोग एवं लाभ।

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(2) सौंफ का प्रयोग किस रोग में किया जाता है?
(क) खूनी पेचिश,
(ख) निमोनिया,
(ग) कृमि रोग,
(घ) जुकाम।

(3) कृमि रोग में दिए जाते हैं
(क) धतूरे के बीज,
(ख) पपीते के बीज,
(ग) टमाटर के बीज,
(घ) खरबूजे के बीज।

(4) अमृतधारा का प्रयोग किया जाता है
(क) मलेरिया में,
(ख) कृमि रोग में,
(ग) खुनी पेचिश में,
(घ) वमन रोकने में।

(5) ईसबगोल की भूसी दी जाती है
(क) श्वास सम्बन्धी रोगों में,
(ख) हृदय रोग में,
(ग) पेचिश में,
(घ) काली खाँसी में।

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(6) जले हुए स्थान पर जलन कम करने के लिए आप क्या लगाएँगी?
(क) लौंग का तेल,
(ख) गोले का तेल,
(ग) सरसों का तेल,
(घ) अमृतधारा।

(7) नींद लाने वाला विष कौन-सा है?
(क) अफीम,
(ख) कास्टिक सोडा,
(ग) धतूरा,
(घ) संखिया।

(8) सबसे अधिक खतरनाक एवं हानिकारक विष कौन-से होता है?
(क) आहारनाल में जल उत्पन्न करने वाले विष
(ख) नींद लाने वाले विष,
(ग) मस्तिष्क तथा तन्त्रिकाओं पर बुरा प्रभाव डालने वाले विष,
(घ) मांसपेशियों में ऐंठन लाने वाले विष।

(9) निमोनिया के रोगी को आप कौन-सा पेय पदार्थ देंगी?
(क) लस्सी,
(ख) शर्बत,
(ग) चाय,
(घ) कोका कोला।

(10) साँप के काटे घाव पर कौन-सी वस्तु लगानी चाहिए?
(क) सल्फर,
(ख) बरनॉल,
(ग) पोटैशियम परमैंगनेट,
(घ) नमक।

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(11) बिच्छू के काटने पर तुरन्त दिया जाता है
(क) गर्म चाय,
(ख) गर्म दूध,
(ग) कहवा,
(घ) ब्राण्डी।

(12) कीटाणुनाशक पदार्थ है
(क) टाटरी,
(ख) अमृतधारा,
(ग) डिटॉल,
(घ) गोले का तेल।

(13) मुलहठी दी जाती है
(क) विष फैलने पर,
(ख) दस्तों के लिए,
(ग) खाँसी होने पर,
(घ) मलेरिया ज्वर में।

(14) पोटैशियम परमैंगनेट काम आता है
(क) चोट पर लगाने के लिए,
(ख) घाव को साफ करने के लिए,
(ग) घाव को भरने के लिए,
(घ) कीड़े-मकोड़ों को मारने के लिए।

(15) मलेरिया ज्वर के लिए एकमात्र दवा है
(क) सौंठ, अजवाइन तथा हींग,
(ख) कुनैन की गोलियाँ,
(ग) लौंग का पान,
(घ) पोदीने का पानी।

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(16) अम्ल तथा क्षार मुख्य रूप से उत्पन्न करते हैं
(क) जलन,
(ख) पीड़ा,
(ग) बेचैनी,
(घ) नींद।

उत्तर:
(1) (घ) उपर्युक्त सभी उपयोग एवं लाभ,
(2) (क) खूनी पेचिश,
(3) (ख) पपीते के बीज,
(4) (घ) वमन रोकने में,
(5) (ग) पेचिश में,
(6) (ख) गोले का तेल,
(7) (क) अफीम,
(8) (ग) मस्तिष्क तथा तन्त्रिकाओं पर बुरा प्रभाव डालने वाले विष,
(9) (ग) चाय,
(10) (ग) पोटैशियम परमैंगनेट,
(11) (क) गर्म चाय,
(12) (ग) डिटॉल,
(13) (ग) खाँसी होने पर,
(14) (ख) घाव को साफ करने के लिए,
(15) (ख) कुनैन की गोलियाँ,
(16) (क) जलन ।

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UP Board Solutions for Class 9 Sanskrit Chapter 1 माङ्गलिकम् (गद्य – भारती)

UP Board Solutions for Class 9 Sanskrit Chapter 1 माङ्गलिकम् (गद्य – भारती) are the part of UP Board Solutions for Class 9 Sanskrit. Here we have given UP Board Solutions for Class 9 Sanskrit Chapter 1 माङ्गलिकम् (गद्य – भारती).

Board UP Board
Textbook NCERT
Class Class 9
Subject Sanskrit
Chapter Chapter 1
Chapter Name माङ्गलिकम् (गद्य – भारती)
Category UP Board Solutions

UP Board Solutions for Class 9 Sanskrit Chapter 1 माङ्गलिकम् (गद्य – भारती)

गद्यांशों का ससन्दर्भ अनुवाद 

आब्रह्मन् ब्राह्मणो ब्रह्मवर्चसी जायतामाराष्ट्रेराजन्यः
शूरऽइषव्योऽति व्याधि महारथो। जायतां दोग्धी धेनुर्वोढानड्वानाशुः सप्तिः पुरन्धिर्योषा जिष्णुः रथेष्ठा

सभेयो युवास्य यजमानस्य वीरो जायतां निकामे-निकामे नः
पर्जन्यो वर्षतु फलवत्यो न ओषधयः पच्यन्तां योगक्षेमो नः कल्पताम्।

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शब्दार्थ:
ब्रह्मवर्चसी = वेद-विद्या से प्रकाशित।
जायताम् = उत्पन्न हो।
राष्ट्रे = राष्ट्र में। शूरः = वीर।
इषव्यः = बाण-विद्या में कुशल।
दोग्धी = दुधारू, अधिक दूध देने वाली।
वोढा = भार ले जाने में समर्थ।
अनड्वान् = बलवान् बैल।
सप्तिः = घोड़ा।
पुरन्धिः = रूप-गुणसम्पन्न।
योषाः = स्त्रियाँ।
जिष्णुः = शत्रुओं को जीतने वाले।
रथेष्ठाः = रथ पर बैठने वाला।
सभेयः = सभा के योग्य, श्रेष्ठ नागरिक।
निकामे-निकामे = समय-समय पर।
नः = हमारे लिए।
पर्जन्यः = बादल।
फलवत्यः = उत्तम फल वाली।
पच्यन्ताम् = पकें।
योगक्षेमः = अप्राप्त को प्राप्त करना और प्राप्त की रक्षा करना।
कल्पताम् = (समर्थ) हों।।
सन्दर्भ-प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘संस्कृत गद्य भारती’ में ‘शुक्ल यजुर्वेद’ की माध्यन्दिनी शाखा के अध्याय 22, कण्डिका 22 से संगृहीत और ‘माङ्गलिकम्’ शीर्षक पाठ से उधृत है।

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प्रसंग:
प्रस्तुत अंश में वैदिक ऋषि देश के लिए मंगलकामना करता है।

अनुवाद
:
हे ब्रह्मन्! हमारे देश में वेद और ईश्वर को जानने वाले ब्राह्मण उत्पन्न हों। बाण-विद्या में कुशल, शत्रुओं की अत्यन्त ताड़ना करने वाले महायोद्धा, वीर क्षत्रिय उत्पन्न हों। अधिक दूध देने वाली गायें, भार को ढोने वाले बलवान् बैल, शीघ्रगामी घोड़े, रूपादि गुणसम्पन्न, भरण-पोषण करने वाली स्त्रियाँ, रथ पर (UPBoardSolutions.com) बैठने वाले विजेता, सभा में बैठने की योग्यता रखने वाले उत्तम युवक, विद्वानों का आदर करने और सुख देने वाले तथा शत्रुओं को भगाने वाले वीर उत्पन्न हों। समय-समय पर हमारे लिए बादल बरसे। हमारे लिए उत्तम फल वाली औषधियाँ पके, हमारे लिए अप्राप्त वस्तु की प्राप्ति तथा प्राप्त वस्तु की रक्षा हो। .

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UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 7 Triangles

UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 7 Triangles (त्रिभुज)

These Solutions are part of UP Board Solutions for Class 9 Maths. Here we have given UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 7 Triangles (त्रिभुज).

प्रश्नावली 7.1

प्रश्न 1.
चतुर्भुज ACBD में, AC = AD है और रेखाखण्ड AB, ∠A को समद्विभाजित करता है। दर्शाइए कि ∆ABC = ∆ABD है। BC और BD के बारे में आप क्या कह सकते हैं?
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 7 Triangles img-1
हल :
दिया है : ACBD एक चतुर्भुज है जिसमें भुजा AC = AD है और रेखाखण्ड AB, ∠A को समद्विभाजित करता है।
सिद्ध करना है : ∆ABC = ∆ABD; और
ज्ञात करना है : BC और BD में सम्बन्ध।
उपपत्ति: ∆ABC और ∆ABD की तुलना करने पर,
AC = AD (दिया है)
∠CAB = ∠DAB (दिया है)।
AB = AB (उभयनिष्ठ है)
∆ABC = ∆ABD (S.A.S. से)
Proved.
BC = BD

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प्रश्न 2.
ABCD एक चतुर्भुज है जिसमें AD = BC और ∠DAB = ∠ CBA है। सिद्ध कीजिए कि
(i) ∆ABD = ∆BAC
(ii) BD = AC
(iii) ∠ABD = ∠BAC
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 7 Triangles img-2
हल :
दिया है : चतुर्भुज ABCD में AD = BC और ∠DAB = ∠CBA
सिद्ध करना है :
(i) ∆ABD = ∆BAC
(ii) BD = AC
(iii) ∠ ABD = ∠BAC
उपपत्ति (i) ∆ABD और ∆BAC में,
AD = BC (दिया है)
∠DAB = ∠CBA (दिया है)
AB = AB (उभयनिष्ठ है)
∆ABD = ∆BAC (S.A.S. से)
(ii) सर्वांगसम त्रिभुजों में संगत मापें बराबर होती हैं और ∆ABD और ∆BAC सर्वांगसम हैं।
संगत भुजाएँ BD = AC
(iii) ∆ABD = ∆BAC
∠ABD = ∠BAC (C.P.C.T.) Proved.

प्रश्न 3.
एक रेखाखण्ड AB पर AD और BC दो बराबर लम्ब रेखाखण्ड हैं। दर्शाइए कि CD, रेखाखण्ड AB को समद्विभाजित करता है।
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 7 Triangles img-3
हल :
दिया है : AB एक रेखाखण्ड है जिसके सिरों A तथा B पर क्रमश: AD और BC लम्ब इस प्रकार हैं कि AD = BC
सिद्ध करना है : CD, रेखाखण्ड AB को समद्विभाजित करता है।
उपपत्ति: प्रश्नानुसार, ∠DAB = 90° ⇒ ∠ DAO = 90°
तथा ∠CBA = 90° ⇒ ∠CBO = 90°
∠DAO = ∠CBO …(1)
∠AOD = ∠COB …(2) (शीर्षाभिमुख कोण)
(1) और (2) को जोड़ने पर,
∠DAO + ∠AOD = ∠CBO + ∠COB
⇒ 180° – ∠ADO = 180° – ∠BCO (त्रिभुज के अन्त:कोणों का योग 180° होता है।)
⇒ ∠ODA = ∠OCB …(3)
अब ∆AOD व ∆BOC में,
∠DAO = ∠CBO [समीकरण (1) से]
AD = BC (दिया है)
∠ODA = ∠OCB [ समीकण (3) से]
∆AOD = ∆BOC (S.A.S. से)
AO = BO (C.P.C.T.)
रेखाखण्ड AB बिन्दु O पर समद्विभाजित होता है।
अत: CD, रेखाखण्ड AB को बिन्दु0 पर समद्विभाजित करता है।
Proved.

प्रश्न 4.
l और m दो समान्तर रेखाएँ हैं जिन्हें समान्तर रेखाओं pऔर qका एक अन्य युग्म प्रतिच्छेदित करता है। दर्शाइए कि ∆ABC = ∆CDA
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 7 Triangles img-4
हल:
दिया है। l और m दो समान्तर रेखाएँ हैं जिनको एक अन्य दो समान्तर रेखाओं p और q का युग्म बिन्दुओं A, B, C और D पर प्रतिच्छेदित करता है। रेखाखण्डे AC खींचा गया है।
सिद्ध करना है : ∆ABC = ∆CDA
उपपत्ति : l || m और AC एक तिर्यक रेखाखण्ड इन्हें प्रतिच्छेदित करता है।
∠DAC = ∠ BCA (एकान्तर कोण युग्म)
इसी प्रकार, p || q है और AC एक तिर्यक रेखाखण्ड इन्हें प्रतिच्छेदित करता है।
∠DCA = ∠BAC (एकान्तर कोण युग्म)
अब ∆ABC और ∆CDA में, ∠BCA = ∠DAC (ऊमर सिद्ध किया है)
AC = AC (उभयनिष्ठ है)
∠BAC = ∠DCA (ऊपर सिद्ध किया है)
∆BC = ∆CDA (A.S.A से)
Proved.

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प्रश्न 5.
रेखा l कोण A को समद्विभाजित करती है और B रेखा पर स्थित कोई बिन्दु है। BP और BQ कोण A की भुजाओं पर B से डाले गए लम्ब हैं। दर्शाइए कि
(i) ∆APB = ∆AQB
(ii) BP = BQ अर्थात बिन्दु B कोण A की भुजाओं से समदूरस्थ है।
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 7 Triangles img-5
हल :
दिया है। एक रेखा है जो ∠A को समद्विभाजित करती है। रेखा l पर कोई बिन्दु B स्थित है। बिन्दु B से ∠ A की भुजाओं AP और AQ पर क्रमशः BP और BQ लम्ब खींचे गए हैं।
सिद्ध करना है : (i) ∆APB = ∆AQB,
(ii) BP = BQ अर्थात् बिन्दु B कोण ∆की भुजाओं से समदूरस्थ है।
उपपत्ति : (i) BP ⊥ AP और BQ ⊥ AQ
∠P = 90° और ∠Q = 90° …(1)
A रेखा l, ∠A को समद्विभाजित करती है।
∠QAB = ∠PAB
∠QAB= ∠PAB = x° …(2)
तब ∆APB और ∆AQB के अन्त:कोणों के योग की समानता से,
∠ABP + ∠PAB + ∠P = ∠ABQ + ∠QAB + ∠Q
∠ABP + x + 90° = ∠ABQ + x° + 90° [समीकरण (1) तथा (2) से]
∠ABP =∠ABQ
Proved.
अब ∆APB और ∆AQB में, ∠PAB = ∠QAB (दिया है)
AB = AB (उभयनिष्ठ है)
∠ABP = ∠ABQ (अभी सिद्ध किया है)
∆APB = ∆AQB (A.S.A से)
(ii) : ∆APB = ∆AQB
BP= BQ (C.P.C.T.)
अर्थात बिन्दु B, ∠A की भुजाओं से समदूरस्थ है।
Proved.

प्रश्न 6.
दी गई आकृति में, AC = AE, AB = AD और ∠BAD = ∠EAC है, दर्शाइए कि BC = DE है।
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 7 Triangles img-6
हल :
दिया है : दी गई आकृति के ∆ABD में AB = AD तथा ∆ACE में AC = AE है और ∠BAD = ∠EAC। रेखाखण्ड DE खींचा। गया है।
सिद्ध करना है : BC = DE
उपपत्ति : ∠ BAD = ∠ EAC दोनों ओर ∠DAC जोड़ने पर,
∠BAD + ∠DAC = ∠EAC + ∠DAC
∠BAC = ∠DAE
अब ∆ABC तथा ∆ADE में,
AB = AD (दिया है)
∠BAC = ∠DAE [समीकरण (1) से]
AC = AE (दिया है)
∆ABC = ∆DE (S.A.S. से)
अतः BC = DE (C.P.C.T.)
Proved.

प्रश्न 7.
AB एक रेखाखण्ड है और Pइसका मध्य बिन्दु है। D और E रेखाखण्ड AB के एक ही ओर स्थित दो बिन्दु इस प्रकार हैं कि ∠BAD = ∠ABE और ∠EPA = ∠DPB है। दर्शाइए कि
(i) ∆DAP = ∆EBP
(ii) AD = BE
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 7 Triangles img-7
हल :
दिया है : AB एक रेखाखण्ड है जिसका मध्य-बिन्दु P है। AB के एक ही ओर दो बिन्दु D और E हैं। D से रेखाखण्ड DA और DP खींचे गए हैं और E से रेखाखण्ड EB और EP खींचे गए हैं जिससे ∠BAD = ∠ABE तथा ∠EPA = ∠DPB है।
सिद्ध करना है :
(i) ∆DAP = ∆EBP
(ii) AD = BE
उपपत्ति (i) P, AB का मध्य बिन्दु है जिससे AP= BP
और ∠BAD = ∠ABE (दिया है)
∠PAD = ∠PBE
हमें ज्ञात है कि ∠EPA = ∠DPB
दोनों पक्षों में ∠EPD जोड़ने पर,
∠EPA + ∠ EPD = ∠DPB + ∠EPD
∠DPA = ∠EPB (चित्र से)
अब ∆DAP तथा ∆EBP में, ∠DPA = ∠ EPB (अभी सिद्ध किया है)
AP = BP (P, AB का मध्य-बिन्दु है)
∠PAD = ∠PBE (सिद्ध कर चुके हैं)
∆DAP = ∆EBP (A.S.A. से)
(ii) ∆DAP = ∆EBP
AD = BE (C.P.C.T.)
Proved.

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प्रश्न 8.
एक समकोण त्रिभुज ABC में, जिसमें ∠C समकोण है, M कर्ण AB का मध्य बिन्दु है। C को M से मिलाकर D तक इस प्रकार बढ़ाया गया है कि DM = CM है। बिन्दु D को बिन्दु B से मिला दिया जाता है। दर्शाइए कि :
(i) ∆AMC = ∆BMD
(ii) ∠DBC एक समकोण है।
(iii) ∆DBC = ∆ACB
(iv) CM = [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] AB
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 7 Triangles img-8
हल :
दिया है: ABC एक समकोण त्रिभुज है जिसमें ∠C = 90° है तथा कर्ण AB को मध्य-बिन्दु M है। रेखाखण्ड CM खींचकर इसे बिन्दु D तक इस प्रकार बढ़ाया गया है कि CM = DM है। बिन्दु D को बिन्दु B से मिलाकर रेखा BD खींची गई है।
सिद्ध करना है :
(i) ∆AMC = ∆BMD
(ii) ∠DBC एक समकोण है।
(iii) ∆DBC = ∆ACB
(iv) CM = AB
उपपत्ति : (i) ∆AMC और ∆BMD में,
AM = BM (M, AB का मध्य-बिन्दु है)
∠AMC = ∠BMD (शीर्षाभिमुख कोण)
CM = DM (दिया है)
∆AMC = ∆BMD (S.A.S. से)
(ii) ∆AMC = ∆BMD
∠MAC = ∠ MBD
AC || BD
∠DBC + ∠ACB = 180°
∠DBC + 90° = 180°
(iii) ∆DBC और ∆ACB में,
DB = AC (C.P.C.T.) [∆AMC = ∆BMD]
∠DBC = ∠ACB [ भाग (ii) से ]
BC = BC (उभयनिष्ठ)
∆DBC = ∆ACB (S.A.S. से)
(iv) DC = AB (C.P.C.T.)
2CM = AB (DM = CM)
CM = [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] AB
Proved.

प्रश्नावली 7.2

प्रश्न 1.
एक समद्विबाहु त्रिभुज ABC में जिसमें AB = AC है, ∠B और ∠C के समद्विभाजक परस्पर बिन्दु O पर प्रतिच्छेद करते हैं। A और O को जोड़िए और दर्शाइए कि
(i) OB = OC
(ii) AO, ∠A को समद्विभाजित करता है।
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 7 Triangles img-9
हल :
दिया है : समद्विबाहु ∆ABC में, AB = AC है।
∠B और ∠C के समद्विभाजक BO तथा CO बिन्दु O पर मिलते हैं। रेखाखण्ड AO को जोड़ा गया है।
सिद्ध करना है :
(i) OB = OC
(ii) AO, ∠A को समद्विभाजित करता है।
उपपत्ति :
(i) ∆ABC में, AC = AB (दिया है)
∠ABC = ∠ACB
(त्रिभुज में समान भुजाओं के सम्मुख कोण समान होते हैं)
[latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] ∠ABC = [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] ∠ACB
∠OBC = ∠OCB …(1) (BO, CO क्रमशः ∠B और ∠C के समद्विभाजक हैं) :
∆OBC में,
∠OBC = ∠OCB
अतः OB = OC (त्रिभुज में समान कोणों की सम्मुख भुजाएँ समान होती हैं।)
(ii) ∆ABO तथा ∆ACO में,
AB = AC (दिया है)
OB = OC (ऊपर सिद्ध किया है)
AO = AO (उभयनिष्ठ भुजा है)
∆ABO = ∆ACO (S.S.S. से)
∠BAO = ∠CAO (C.P.C.T.)
अर्थात, AO, ∠A को समद्विभाजित करता है।
Proved.

प्रश्न 2.
∆ABC में AD भुजा BC का लम्ब समद्विभाजक है दर्शाइए कि ∆ABC एक समद्विबाहु त्रिभुज है, जिसमें AB = AC है।
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 7 Triangles img-10
हल :
दिया है : ABC एक त्रिभुज है जिसमें भुजा BC का लम्ब समद्विभाजक AD है।
सिद्ध करना है : ∆ABC समद्विबाहु त्रिभुज है जिसमें AB = AC है।
उपपत्ति : AD, BC का लम्ब समद्विभाजक है।
BD = CD तथा ∠ADB = ∠ADC = 90°
अब ∆ABD और ∆ACD में,
BD = CD (ऊपर सिद्ध किया है)
∠ADB = ∠ADC (ऊपर सिद्ध किया है)
AD = AD (उभयनिष्ठ भुजा है)
∆ABD = ∆ACD (S.A.S.से)
AB = AC (C.P.C.T.)
अर्थात् ∆ABC समद्विबाहु है।
Proved.

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प्रश्न 3.
ABC एक समद्विबाहु त्रिभुज है, जिसमें बराबर भुजाओं AC और AB पर क्रमशः शीर्षलम्ब BE तथा CF खींचे गए हैं। दर्शाइए कि ये शीर्ष लम्ब बराबर हैं।
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 7 Triangles img-11
हल :
दिया है : एक समद्विबाहु ∆ABC में AB = AC तथा शीर्ष B से भुजा AC पर BE लम्ब डाला गया है और शीर्ष C से भुजा AB पर CF लम्ब डाला। गया है।
सिद्ध करना है : BE = CF
उपपत्ति: ∆ABC में,
AC = AB (दिया है)
∠ABC = ∠ACB … (1) (त्रिभुज में समान भुजाओं के सम्मुख कोण समान होते हैं)
अब ∆BCF और ∆CBE में,
∠ BFC = ∠CEB (BE ⊥ AC तथा CF ⊥ AB)
BC = BC (उभयनिष्ठ भुजा)
∠FBC = ∠ ECB (∠ABC = ∠FBC तथा ∠ACB = ∠ECB)
∆BCF = ∆CBE (A.S.A. से)
BE = CF (C.P.C.T.)
Proved.
अर्थात दोनों शीर्षलम्ब बराबर हैं।
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 7 Triangles img-12

प्रश्न 4.
ABC एक त्रिभुज है जिसमें AC और AB पर खींचे गए शीर्षलम्ब BE तथा CF बराबर हैं। दर्शाइए कि
(i) ∆ABE = ∆ACF
(ii) AB = AC अर्थात ∆ABC एक समद्विबाहु त्रिभुज है।
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 7 Triangles img-13
हल :
दिया है : ∆ABC में शीर्ष B से शीर्षलम्ब BE तथा शीर्ष C से शीर्षलम्ब CF, क्रमशः AC और AB पर इस प्रकार खींचे गए हैं कि BE = CF है।
सिद्ध करना है :
(i) ∆ABE = ∆ACF
(ii) AB = AC अर्थात ∆ABC समद्विबाहु है।
उपपत्ति : (i) BE शीर्षलम्ब है AC पर ∠AEB = 90°
∠ABE = 90° – A (त्रिभुज के अन्त:कोणों को योग 180° होता है)
इसी प्रकार, CF शीर्षलम्ब है AB पर
∠AFC = 90°
∠ACF = 90° – A ( त्रिभुज के अन्त:कोणों का योग 180° होता है)
∠ABE = ∠ACF …….(1)
अब ∆ABE और ∆ACF में,
∠ABE = ∠ACF [समीकरण (1) से]
BE = CF (दिया है)
∠AEB= ∠AFC (प्रत्येक 90°)
∆ABE = ∆ACF (A.S.A.से)
(ii) ∆ABE = ∆ACF
AB = AC (C.P.C.T.)
अत: ∆ABC समद्विबाहु है।
Proved.
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 7 Triangles img-14

प्रश्न 5.
ABC और DBC समान (एक ही) आधार पर स्थित दो समद्विबाहु त्रिभुज हैं। दर्शाइए कि ∠ABD = ∠ACD
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 7 Triangles img-15
हल :
दिया है। दो समद्विबाहु ∆ABC और ∆DBC एक ही आधार BC पर स्थित हैं और AB = AC तथा DB = DC
सिद्ध करना है : ∠ABD = ∠ACD
उपपत्ति : ∆ABC में,
AB = AC (दिया है)
∠ACB = ∠ABC (त्रिभुज में समान भुजाओं के सम्मुख कोण समान होते हैं) …(1)
पुनः ∆DBC में, DB = DC (दिया है)
∠BCD = ∠CBD (त्रिभुज में समान भुजाओं के सम्मुख कोण समान होते हैं) …(2)
समीकरण (1) व (2) को जोड़ने पर,
∠ ACB + ∠BCD = ∠ABC + ∠CBD
∠ACD = ∠ABD
अतः ∠ABD = ∠ACD
Proved.

प्रश्न 6.
ABC एक समद्विभाहु त्रिभुज है, जिसमें AB = AC है। भुजा BA बिन्दु D तक इस प्रकार बढ़ाई गई है कि AD = AB है। दर्शाइए कि ∠BCD एक समकोण है।
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 7 Triangles img-16
हल :
दिया है : ∆ABC एक समद्विबाहु त्रिभुज है जिसमें भुजा AB = AC है और भुजा BA को , बिन्दु D तक इस प्रकार बढ़ाया गया है कि AD = AB है।
सिद्ध करना है : ∠BCD एक समकोण है।
उपपत्ति : ∆ABC में,
AC = AB (दिया है)
∠ABC = ∠ACB (त्रिभुज में समान भुजाओं के सम्मुख कोण समान होते हैं) …(1)
भुजा BA को बिन्दु D तक इस प्रकार बढ़ाया गया है कि
AB = AD
परन्तु दिया है कि AB = AC भी हैं।
AC = AD
∆ACD में,
∠ADC = ∠ACD (त्रिभुज में समान भुजाओं के सम्मुख कोण समान होते हैं) …(2)
समीकरण (1) व समीकरण (2) को जोड़ने पर,
∠ABC + ∠ADC = ∠ACB + ∠ACD
∠ABC + ∠ADC = ∠ BCD (चित्र से)
∠DBC +∠BDC = ∠BCD (∠ ABC = ∠ DBC तथा ∠ ADC = ∠BDC) …(3)
अब : ∆BCD में,
∠DBC + ∠BDC + ∠BCD = 180° (त्रिभुज के अन्त:कोणों का योग 180° होता है)
∠BCD + ∠BCD = 180° [ समीकरण (3) से]
2 ∠BCD = 180°
∠BCD = 90°
अतः ∠BCD एक समकोण है।
Proved.

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प्रश्न 7.
ABC एक समकोण त्रिभुज है, जिसमें ∠A = 90° और AB = AC है। ∠B और ∠C ज्ञात कीजिए।
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 7 Triangles img-17
हल :
दिया है : ABC एक समकोण त्रिभुज है जिसमें A = 90° और बराबर भुजाओं में AB = AC है।
ज्ञात करना है : ∠B तथा ∠C
गणना : ∆ABC समद्विबाहु है जिसमें AB = AC है।
∠C = ∠B (त्रिभुज में समान भुजाओं के सम्मुख कोण समान होते हैं) …(1)
त्रिभुज के अन्त:कोणों का योग 180° होता है।
∠A + ∠B + ∠C = 180°
90° +∠B + ∠B = 180° [समीकरण (1) से]
2 ∠B = 180° – 90° = 90°
∠B = 45° …(1)
∠C = ∠ B
∠C = 45°
अतः ∠B = 45° तथा ∠C = 45°

प्रश्न 8.
दर्शाइए कि किसी समबाहु त्रिभुज का प्रत्येक कोण 60° होता है।
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 7 Triangles img-18
हल :
दिया है : ABC एक समबाहु त्रिभुज है जिसमें भुजाएँ AB, BC और CA परस्पर समान लम्बाई की हैं।
∠A, ∠B और ∠C समबाहु त्रिभुज के अन्त: कोण हैं।
सिद्ध करना है : त्रिभुज का प्रत्येक अन्त:कोण = 60°
उपपत्ति: ∆ABC समबाहु है जिसमें AB = BC = AC
यदि AB = AC तो ∠C = ∠B …..(1)
यदि AB = BC तो ∠C = ∠A …(2) (त्रिभुज में समान भुजाओं के सम्मुख कोण समान होते हैं)
समीकरण (1) व समीकरण (2) से
∠A = ∠B = ∠C …(3)
परन्तु त्रिभुज के अन्त:कोणों का योग = 180°
∠A + ∠B + ∠C = 180°
⇒ ∠A + ∠A + ∠A = 180°
⇒ 3 ∠A = 180°
⇒ ∠A = 60°
तब समीकरण (3) से
∠A = ∠B = ∠C = 60°
अतः समबाहु त्रिभुज का प्रत्येक अन्त: कोण = 60°
Proved.

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प्रश्नावली 7.3

प्रश्न 1.
∆BC और ∆DBC एक ही आधार BC पर बने दो समद्विबाहु त्रिभुज इस प्रकार हैं कि A और D, भुजा BC के एक ही ओर स्थित हैं। यदि AD बढ़ाने पर BC को P पर प्रतिच्छेद करे तो दर्शाइए कि :
(i) ∆ABD = ∆ACD
(ii) ∆ABP = ∆ACP
(iii) AP, ∠A और ∠D दोनों को समद्विभाजित करता है।
(iv) AP, रेखाखण्ड BC का लम्ब समद्विभाजक है।
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 7 Triangles img-19
हल :
दिया है। एक ही आधार BC पर दो समद्विबाहु त्रिभुज, ∆ABC और ∆DBC ऐसे स्थित हैं कि A और D, BC के एक ही ओर हैं।
AD को बढ़ाने पर यह BC को P पर काटती है।
सिद्ध करना है :
(i) ∆ABD = ∆ACD
(ii) ∆ABP = ∆ACP
(iii) AP, ∠A और ∠D दोनों को समद्विभाजित करता है।
(iv) AP, रेखाखण्ड BC का लम्ब समद्विभाजक है।
उपपत्ति : ∆ABC समद्विबाहु है जिसको आधार BC है।
AB = AC
और ∆DBC समद्विबाहु है जिसका आधार BC है।
BD = CD
(i) ∆ABD और ∆ACD में,
AB = AC [समीकरण (1) से]
BD = CD [समीकरण (2) से ]
AD = AD (उभयनिष्ठ भुजा से)
∆ABD = ∆ACD (S.S.S. से)
(ii) ∆ABD = ∆ACD
∠BAD = ∠CAD
अर्थात् AD, ∠A का समद्विभाजक है। (C.P.C.T.)
तबे AD को आगे बढ़ाने पर AP भी ∠A का समद्विभाजक होगा।
अब ∆ABP और ∆ACP में,
AB = AC [समीकरण (1) से]
∠BAP = ∠CAP ( AP, ∠A का समद्विभाजक है।)
AP = AP (उभयनिष्ठ भुजा)
∆ABP = ∆ACP (S.A.S. से)
(iii) ∆ABP = ∆ACP के ∠BDP = ∠CDP (C.P.C.T.)
DP, ∠D का समद्विभाजक है।
AP, ∠D का समद्विभाजक है। और हम अभी सिद्ध कर चुके हैं कि AP, ∠A का समद्विभाजक है।
तब, AP, ∠A और ∠D दोनों को समद्विभाजित करता है।
(iv) अभी हमने सिद्ध किया है कि ∆ABP = ∆CP
∠APB = ∠APC
तथा BP = CP (C.P.C.T.)
अब BP = CP
AP, भुजा BC का समद्विभाजक है।
∠ APB + ∠ APC = 180° और ∠APB = ∠APC (रेखीय युग्म)
तब हल करने पर,
∠APB = ∠APC = 90°
AP, BC पर लम्ब है।
AP, BC पर लम्ब भी है और AP, BC का समद्विभाजक भी है।
अतः AP रेखाखण्ड BC का लम्ब समद्विभाजक है।
Proved.

प्रश्न 2.
AD एक समद्विबाहु त्रिभुज ABC का शीर्षलम्ब है, जिसमें AB = AC है। दर्शाइए कि
(i) AD, रेखाखण्ड BC को समद्विभाजित करता है।
(ii) AD, ∠A को समद्विभाजित करता है।
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 7 Triangles img-20
हल :
दिया है : ABC एक समद्विबाहु त्रिभुज है जिसमें AB = AC है।
त्रिभुज के शीर्ष A से BC पर AD लम्ब डाला गया है जिससे AD शीर्षलम्ब है।
सिद्ध करना है :
(i) AD, रेखाखण्ड BC को समद्विभाजित करता है।
(ii) AD, ∠A को समद्विभाजित करता है।
उपपत्ति : AD, ∆ABC का शीर्षलम्ब है।
AD ⊥ BC के ∠ADB = 90°
और ∠ADC = 90°
AB, ∆ABD को और AC, ∆ACD का कर्ण है।
तब समकोण त्रिभुज ABD और समकोण त्रिभुज ACD में, ∠ADB = ∠ADC (प्रत्येक 90°)
AB = AC (दिया है)
AD = AD (उभयनिष्ठ भुजा)
∆ABD = ∆ACD (R.H.S.)
(i) ∆BD = ∆ACD
BD = CD (C.P.C.T.)
D, BC का मध्य-बिन्दु है।
अत: AD, रेखाखण्ड BC को समद्विभाजित करता है।
(ii) ∆ABD = ∆ACD
∠BAD = ∠CAD (C.P.C.T.)
अत: AD, ∠A को समद्विभाजित करता है।
Proved.

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प्रश्न 3.
एक ∆BC की दो भुजाएँ AB तथा BC और माध्यिका AM क्रमशः एक-दूसरे ∆PQR की भुजाओं PQ तथा QR और माध्यिका PN के बराबर है। दर्शाइए कि
(i) ∆ABM = ∆PQN
(ii) ∆ABC = ∆PQR
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 7 Triangles img-21
हल :
दिया है: ∆ABC और ∆PQR दो त्रिभुज हैं जिनमें AB = PQ, BC = QR तथा माध्यिका AM = PN
सिद्ध करना है :
(i) ∆ABM = ∆PQN
(ii) ∆ABC = ∆PQR
उपपत्ति : BC = QR (दिया है)
[latex]\frac { BC }{ 2 }[/latex] = [latex]\frac { QR }{ 2 }[/latex]
BM = QN (AM व PN माध्यिकाएँ हैं)
(i) ∆ABM और ∆PQN में,
AB = PQ (दिया है)
AM = PN (दिया है)
BM = QN (ऊपर सिद्ध किया है)
∆ABM = ∆PQN (S.S.S. से)
(ii) ∆ABM = ∆PQN ⇒ ∠B = ∠Q (C.P.C.T.) …(1)
अब ∆BC तथा ∆PVR में,
AB = PQ (दिया है)
BC = QR (दिया है)
∠B = ∠Q [समीकरण (1) से]
अतः ∆BC = APQR (S.A.S. परीक्षण से)
Proved.

प्रश्न 4.
BE और CF एक ∆ABC के दो बराबर शीर्षलम्ब हैं। R.H.S. सर्वांगसमता नियम का प्रयोग करके सिद्ध कीजिए कि ∆ABC एक समद्विबाहु त्रिभुज है।
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 7 Triangles img-22
हल :
दिया है : ABC एक त्रिभुज है जिसमें शीर्ष B से भुजा AC पर BE शीर्ष लम्ब खींचा गया है और शीर्ष C से भुजा AB पर CF शीर्षलम्ब इस प्रकार है कि BE = CF
सिद्ध करना है: ∆ABC एक समद्विबाहु त्रिभुज है।
उपपत्ति : ∆ABC में BE, शीर्ष B से AC पर शीर्षलम्ब है।
∠BEC = 90°
∆BEC एक समकोण त्रिभुज है जिसमें कर्ण BC है।
पुनः ∆ABC में CF, शीर्ष C से AB पर शीर्षलम्ब है।
∠ BFC = 90°
∆BFC एक समकोण त्रिभुज है जिसमें कर्ण BC है।
समकोण त्रिभुज ∆BEC और ∆BFC में,
∠ BEC = ∠CFB (प्रत्येक 90°)
BE = CF (दिया है)
BC = BC (उभयनिष्ठ भुजा)
∆BEC = ∆BFC (R.H.S.)
∠ECB = ∠ FBC
⇒ ∠ACB =∠ ABC (C.P.C.T.)
अब ∆ABC में,
∠ACB = ∠ABC
AB = AC (त्रिभुज में समाने कोणों की सम्मुख भुजाएँ समान होती हैं)
अतः ∆ABC एक समद्विबाहु त्रिभुज है।
Proved.

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प्रश्न 5.
ABC एक समद्विबाहु त्रिभुज है जिसमें AB = AC है। AP ⊥ BC खींचकर दर्शाइए कि ∠B = ∠C
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 7 Triangles img-23
हल :
दिया है: ∆ABC एक समद्विबाहु त्रिभुज है जिसमें AB = AC है।
शीर्ष A से BC पर AP लम्ब खींचा गया है। सिद्ध करना है : ∠B = ∠C
उपपत्ति: AP⊥ BC
∆APB में, ∠APB = 90° जिससे कर्ण AB है।
और ∆APC में, ∠APC = 90° जिससे कर्ण AC है।
अब ∆APB और ∆APC में,
∠APB = ∠ APC (प्रत्येक 90°)
AB = AC (दिया है)
AP = AP (उभयनिष्ठ भुजा)
∆APB = ∆APC (R.H.S. से)
अतः ∠B = ∠C (C.P.C.T.)
Proved.

प्रश्नावली 7.4

प्रश्न 1.
दर्शाइए कि समकोण त्रिभुज में कर्ण सबसे लम्बी (या सबसे बड़ी) भुजा होती है।
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 7 Triangles img-24
हल :
दिया है : ∆ABC में, ∠C = 90° तथा भुजा AB कर्ण है।
सिद्ध करना है : कर्ण AB, सबसे बड़ी भुजा है।
उपपत्ति: ∆ABC में, ∠C = 90° (दिया है)
∠A + ∠B = 180° – ∠C = 180° – 90° = 90° (त्रिभुज के अन्त:कोणों का योग 180° होता है)
∠A तथा ∠B, 90° से छोटे हैं।
∠C > ∠A तथा ∠C >∠B
∆ABC में,
∠C > ∠A
AB > BC (प्रमेय-4 से)
∠C > ∠B
AB > CA (प्रमेय-4 से)
AB > BC और AB > CA
AB, दोनों (BC व CA) से बड़ी है।
अतः कर्ण AB सबसे बड़ी भुजा है।
Proved.

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प्रश्न 2.
सम्मुख आकृति में, ∆ABC की भुजाओं AB और AC को क्रमशः बिन्दुओं P और Q तक बढ़ाया गया है साथ ही ∠PBC < ∠QCB है। दर्शाइए कि AC > AB
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हल :
दिया है : ∆ABC में भुजाओं AB और AC को आगे बढ़ाया गया है। बढ़ी हुई AB पर बिन्दु P और बढ़ी हुई AC पर बिन्दु Q लिया गया है।
इस प्रकार बने बहिष्कोणों में ∠PBC < ∠QCB सिद्ध करना है : AC > AB
उपपत्ति : PBC, ∆ABC का बहिष्कोण है।
∠PBC = ∠ACB +∠A …..(1)
और ∠QCB भी ∆ABC का बहिष्कोण है।
∠QCB = ∠ABC + ∠A …(2)
∠PBC < ∠QCB
∠ACB + ∠A < ∠ABC + ∠A
[समीकरण (1) तथा (2) से
∠ACB < ∠ABC
अब ∆ABC में,
∠ACB < ∠ABC ∠ABC > ∠ACB
AC > AB (बड़े कोण की सम्मुख,भुजा बड़ी होती है)
Proved.

प्रश्न 3.
सम्मुख आकृति में ∠B < ∠A और ∠C < ∠D है। दर्शाइए कि AD < BC
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 7 Triangles img-26
हल :
दिया है : दी गई आकृति में ∆ABO में ∠B < ∠A
और ∆CDO में ∠C < ∠D.
सिद्ध करना है : ऋजु रेखा AD < BC
उपपत्ति: ∆ABO में,
∠B < ∠A
AO < BO (प्रमेय-4 से) …(1)
इसी प्रकार ∆CDO में, ∠C < ∠D
OD < OC (प्रमेय-4 से) …(2) (
1) व (2) को जोड़ने पर,
AO + OD < BO + OC
AD < BC
AD < BC Proved.

प्रश्न 4.
सम्मुख आकृति में, AB और CD क्रमशः एक चतुर्भुज ABCD की सबसे छोटी और सबसे बड़ी भुजाएँ हैं। दर्शाइए कि ∠A > ∠C और ∠B > ∠D
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 7 Triangles img-27
हल :
दिया है : ABCD एक चतुर्भुज है जिसमें AB सबसे छोटी और CD सबसे बड़ी भुजा है।
सिद्ध करना है : ∠A > ∠C और ∠B > ∠D
रचना : रेखाखण्ड AC तथा BD खींचिए।
उपपत्ति : AB सबसे छोटी भुजा है। तब ∆ABC में,
BC > AB
∠BAC > ∠ACB (प्रमेय-3 से) …(1)
पुनः CD सबसे बड़ी भुजा है।
∆ACD में,
CD > AD
∠DAC > ∠DCA (प्रमेय-3 से) …(2)
(1) व (2) को जोड़ने पर,
∠ BAC + ∠DAC > ∠ACB + ∠DCA
∠BAD > ∠BCD
∠A > ∠C
AB सबसे छोटी भुजा है।
तब ∆ABD में,
AD > AB
∠ABD >∠ADB (प्रमेय-3 से) …(3)
इसी प्रकार, CD सबसे बड़ी भुजा है।
तब ∆BCD में,
CD > BC
∠CBD > ∠BDC (प्रमेय-3 से) …(4)
(3) व (4) को जोड़ने पर,
∠ABD + ∠CBD > ∠ADB + ∠BDC
∠ABC > ∠ADC
∠B > ∠D
Proved.
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 7 Triangles img-28

प्रश्न 5.
सम्मुख आकृति में, PR > PQ है और PS, ∠QPR को समद्विभजित करता है। सिद्ध कीजिए कि ∠PSR > ∠PSQ है।
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 7 Triangles img-29
हल :
दिया है: ∆PQR में, PR > PQ और ∠QPR को समद्विभाजक, QR से बिन्दु S पर मिलता है।
माना ∠PSR = x° तथा ∠PSQ = y°
सिद्ध करना है : ∠PSR > ∠PSQ
उपपत्ति: ∆PQR में,
PR > PQ
∠Q > ∠R (प्रमेय-3 से)
PS, ∠P को समद्विभाजक है।
∠QPS = [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] ∠P
तथा ∠RPS = [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] ∠P
∠x°, ∆PQS का भुजा QS के बिन्दु S पर बहिष्कोण है।
x°=∠Q + ∠QPS
⇒ ∠Q = x°- ∠QPS
∠Q = x° – [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] ∠P …..(1)
∠y°, ∆PRS का भुजा RS के बिन्दु S पर बहिष्कोण है।
y° = ∠R + ∠RPS
⇒ ∠R = y° – [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] ∠RPS
⇒ ∠R = y° – [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] ∠P
∠Q > ∠R …..(2)
x° – [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] ∠P > y°- [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] ∠P
[समीकरण (1) व (2) से ]
x° > y°
∠PSR > ∠PSQ
Proved.
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 7 Triangles img-30

प्रश्न 6.
दर्शाइए कि एक रेखा पर एक दिए हुए बिन्दु से, जो उस रेखा पर स्थित नहीं है, जितने रेखाखण्ड खींचे जा सकते हैं उनमें लम्ब रेखाखण्ड सबसे छोटा होता है।
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 7 Triangles img-31
हल :
दिया है: AB एक सरल रेखा है और P उसके बाहर दिया हुआ एक बिन्दु है। P से रेखा AB पर PM और PN रेखाखण्ड खींचे गए हैं, जिनमें PM ⊥ AB
सिद्ध करना है : PM < PN
उपपत्ति : ∆MPN में, ∠M = 90°, PM ⊥ AB शेष कोण ∠MPN +∠PNM = 90° (त्रिभुज के अन्त:कोणों का योग 180° होता है)
∠PMN सबसे बड़ा कोण है। ∠M > ∠N
PN > PM (प्रमेय-4 से)
अत: P से खींचे रेखाखण्डों में PM सबसे छोटा है।
Proved.

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प्रश्नावली 7.5

प्रश्न 1.
ABC एक त्रिभुज है। इसके अभ्यन्तर में एक ऐसा बिन्दु ज्ञात कीजिए जो ∆ABC के तीनों शीर्षों से समदूरस्थ है।
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 7 Triangles img-32
हल :
एक ∆ABC के अभ्यन्तर में एक ऐसा बिन्दु P ज्ञात करना है जो त्रिभुज के तीनों शीर्षों A, B व C से समान दूरी पर हो।
रचना विधि :
(1) सर्वप्रथम दिया हुआ त्रिभुज ABC बनाइए।
(2) AB तथा BC के लम्ब समद्विभाजक खींचिए जो परस्पर बिन्दु P पर काटें।
(3) रेखाखण्ड PA, PB और PC खींचिए।
P अभीष्ट बिन्दु है जो तीनों शीर्षों से समदूरस्थ है।

प्रश्न 2.
किसी त्रिभुज के अभ्यन्तर में एक ऐसा बिन्दु ज्ञात कीजिए जो त्रिभुज की सभी भुजाओं से समदूरस्थ है।
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 7 Triangles img-33
हल :
माना ABC एक त्रिभुज है जिसके अभ्यन्तर में एक ऐसा बिन्दु P ज्ञात करना है जो त्रिभुज की तीनों भुजाओं AB, BC और CA से समदूरस्थ हो।
रचना विधि :
(1) सर्वप्रथम दिया हुआ ∆ABC बनाइए।
(2) ∠B और ∠C के समद्विभाजक खींचिए जो परस्पर बिन्दु P पर काटें।
P अभीष्ट बिन्दु है जो तीनों भुजाओं से समदूरस्थ है।

प्रश्न 3.
एक बड़े पार्क में, लोग तीन बिन्दुओं (स्थानों ) पर केन्द्रित हैं :
A : जहाँ बच्चों के लिए फिसलपट्टी और झूले हैं।
B : जिसके पास मानव निर्मित एक झील है।
C : जो एक बड़े पार्किंग स्थल और बाहर निकलने के रास्ते के निकट है।
एक आइसक्रीम का स्टॉल कहाँ लगाना चाहिए ताकि वहाँ लोगों की अधिकतम संख्या पहुँच सके?
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 7 Triangles img-34
हल :
A, B और C तीन बिन्दु स्थान हैं। आइसक्रीम का स्टॉल लगाने के लिए लोगों की उस पर अधिकतम पहुँच होने के लिए यह आवश्यक है कि स्टॉल तीनों स्थानों से B’ समदूरस्थ हो।
अत: आइसक्रीम स्टॉल लगाने के लिए हमें एक ऐसे स्थान (बिन्दु) P का चयन करना है जो पार्क के तीनों स्थानों से समान दूरी पर हो।
ज्ञात करने की विधिः
(1) बिन्दु ∆से बिन्दु B को, बिन्दु B से बिन्दु C को और बिन्दु C से बिन्दु A को ऋजु रेखाओं द्वारा मिलाकर ∆ABC बनाइए।
(2) किन्हीं दो भुजाओं (AB व BC) के लम्ब समद्विभाजक खींचिए जो परस्पर बिन्दु P पर काटें।
आइसक्रीम स्टॉल के चयन के लिए उपयुक्त स्थान बिन्दु P होगा जो तीनों है स्थानों से समदूरस्थ है।
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 7 Triangles img-35

प्रश्न 4.
घड्भुजीय और तारे के आकार की रंगोलियों को 1 सेमी भुजा वाले समबाहु त्रिभुजों से भरकर पूरा कीजिए। प्रत्येक स्थिति में त्रिभुजों की संख्या गिनिए। किसमें अधिक त्रिभुज हैं?
हल :
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 7 Triangles img-36
चित्रों से स्पष्ट है कि विकर्गों को मिलाने पर षड्भुजीय आकृति को 6 समबाहु त्रिभुजों में और तारे के आकार की आकृति को 1∠समबाहु त्रिभुजों में विभाजित किया जा सकता है जबकि समबाहु त्रिभुजों में प्रत्येक भुजा, 5 सेमी है।
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 7 Triangles img-37
पुनः षड्भुजीय आकृति के एक समबाहु त्रिभुज जिसकी भुजा 5 सेमी है, को 1 सेमी भुजा वाले समबाहु त्रिभुजों में विभाजित कर स्पष्ट किया गया है कि 5 सेमी भुजा वाले एक समबाहु त्रिभुज को 1 सेमी भुजा वाले 25 त्रिभुजों में विभाजित किया जा सकता है।
तब स्थिति 1 : षड्भुजीय रंगोली
इसको 1 सेमी भुजा वाले 6 x 25 = 150 समबाहु त्रिभुजों में बाँटा जा सकता है।
स्थिति 2 : तारे के आकार की रंगोली
5 सेमी भुजा वाले समबाहु त्रिभुजों की संख्या = 12
आकृति में 1 सेमी भुजा वाले समबाहु त्रिभुजों की संख्या = 12 x 25 = 300
स्पष्ट है कि तारे के आकार वाली आकृति में त्रिभुजों की संख्या अधिक है।

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