UP Board Solutions for Class 9 Social Science Economics Chapter 3 निर्धनता : एक चुनौती

UP Board Solutions for Class 9 Social Science Economics Chapter 3 निर्धनता : एक चुनौती

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पाठ्य-पुस्तक के प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
भारत में निर्धनता रेखा का आकलन कैसे किया जाता है?
उत्तर:
भारत में निर्धनता रेखा का आकलन करने के लिए आय या उपभोग स्तरों पर आधारित एक सामान्य पद्धति का प्रयोग किया जाता है। भारत में गरीबी रेखा का निर्धारण करते समय जीवन निर्वाह हेतु खाद्य आवश्यकता, कपड़ों, जूतों, ईंधन और प्रकाश, शैक्षिक एवं चिकित्सा सम्बन्धी आवश्यकताओं को प्रमुख माना जाता है। निर्धनता रेखा का आकलन करते समय खाद्य आवश्यकता के लिए वर्तमान सूत्र वांछित कैलोरी आवश्यकताओं पर आधारित है। खाद्य वस्तुएँ जैसे अनाज, दालें, आदि मिलकर इस आवश्यक (UPBoardSolutions.com) कैलोरी की पूर्ति करती है। भारत में स्वीकृत कैलोरी आवश्यकता ग्रामीण क्षेत्रों में 2400 कैलोरी प्रति व्यक्ति प्रतिदिन एवं नगरीय क्षेत्रों में 2100 कैलोरी प्रति व्यक्ति प्रतिदिन है। चूंकि ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोग अधिक शारीरिक कार्य करते हैं, अतः ग्रामीण क्षेत्रों में कैलोरी आवश्यकता शहरी क्षेत्रों की तुलना में अधिक मानी गई है।

अनाज आदि रूप में इन कैलोरी आवश्यकताओं को खरीदने के लिए प्रति व्यक्ति मौद्रिक व्यय को, कीमतों में वृद्धि को ध्यान में रखते हुए समयसमय पर संशोधित किया जाना है। इन परिकल्पनाओं के आधार पर वर्ष 2000 में किसी व्यक्ति के लिए निर्धनता रेखा का निर्धारण ग्रामीण क्षेत्रों में १ 328 प्रतिमाह और शहरी क्षेत्रों में २ 454 प्रतिमाह किया गया था।

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प्रश्न 2.
क्या आप समझते हैं कि निर्धनता आकलन का वर्तमान तरीका सही है?
उत्तर:
वर्तमान निर्धनता अनुमान पद्धति पर्याप्त निर्वाह स्तर की बजाय न्यूनतम स्तर को महत्त्व देती है। सिंचाई और क्रान्ति के फैलाव ने कृषि के क्षेत्र में कई नौकरियों के अवसर दिए लेकिन भारत में इसका प्रभाव कुछ भागों तक ही सीमि रहा है। सार्वजनिक और निजी दोनों क्षेत्रों के उद्योगों ने नौकरियों के (UPBoardSolutions.com) अवसर दिए हैं। लेकिन ये नौकरी लेने वालों की अपेक्षा बहुत कम है। निर्धनता को विभिन्न संकेतकों के द्वारा जाना जा सकता है। जैसे अशिक्षा का स्तर, कुपोषण के कार मान्य प्रतिरोधक क्षमता में कमी, स्वास्थ्य सेवाओं तक कम पहुँच, नौकरी के कम अवसर, पीने के पानी में कमी, सफाई व्यवस्था आदि। सामाजिक अपवर्जन और असुरक्षा के आधार पर निर्धनता का विश्लेषण अब सामान्य है। गरीबी पर सामाजिक उपेक्षा एवं गरीबी का शिकार होने की प्रवृत्ति के आधार पर भी विचार किया जा सकता है।

प्रश्न 3.
भारत में 1973 से निर्धनता की प्रवृत्तियों की चर्चा करें।
उत्तर:
भारत में 1973 से निर्धनता की प्रवृत्ति को निम्न तालिका द्वारा प्रदर्शित किया गया है-
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प्रश्न 4.
भारत में निर्धनता की अंतर-राज्य असमानताओं का एक विवरण प्रस्तुत करें।
उत्तर:
भारत में निर्धनता की अन्तर्राज्य असमानता का वितरण निम्नलिखित तालिका द्वारा स्पष्ट है
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भारत के निश्चित क्षेत्रों के गरीबी अनुपात (1999-2000) से यह स्पष्ट होता है कि ओडिशा भारत का सबसे गरीब राज्य है जिसकी 47.2% जनसंख्या गरीबी रेखा से नीचे रहती है। जम्मू-कश्मीर में सबसे कम 3.5% लोग गरीबी रेखा के नीचे रहते हैं। भारत में कुल 26.1% लोग निर्धनता की रेखा के नीचे हैं।

प्रश्न 5.
उन सामाजिक और आर्थिक समूहों की पहचान करें जो भारत में निर्धनता के समक्ष निरुपाय हैं।
उत्तर:
अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति तथा अन्य पिछड़े वर्ग के परिवार उन सामाजिक समूहों में शामिल हैं, जो निर्धनता के प्रति सर्वाधिक असुरक्षित हैं। इसी प्रकार, आर्थिक समूहों में सर्वाधिक असुरक्षित समूह, ग्रामीण कृषि श्रमिक परिवार और नगरीय अनियमित मजदूर परिवार हैं। इसके अलावा महिलाओं, वृद्ध लोगों और बच्चियों को अति निर्धन माना जाता है क्योंकि उन्हें सुव्यवस्थित ढंग से परिवार के उपलब्ध संसाधनों तक पहुँच से वंचित रखा जाता है।

प्रश्न 6.
भारत में अन्तर्राज्यीय निर्धनता में विभिन्नता के कारण बताइए।
उत्तर:
भारत में अन्तर्राज्यीय निर्धनता में विभिन्नता के प्रमुख कारण इस प्रकार हैं

  1. केन्द्रीय प्रादेशिक सरकार समान रूप से सभी क्षेत्रों में समान निवेश नहीं करती।
  2.  दूर स्थित ग्रामीण क्षेत्रों, पहाड़ी एवं रेगिस्तानी इलाकों की अवहेलना की जाती है।
  3.  प्राकृतिक आपदा जैसे—बाढ़, तूफान, सूनामी का सभी राज्यों में न होना।
  4.  प्रत्येक राज्य में निर्धन लोगों का अनुपात एकसमान नहीं है।
  5. प्रत्येक राज्य का प्राकृतिक वातावरण, जलवायु, मिट्टी, वर्षा आदि समान नहीं है।
  6.  प्रत्येक राज्य समान रूप से मानव संसाधन अर्थात् शिक्षा और स्वास्थ्य का विकास नहीं कर पाए हैं।
  7.  प्रत्येक राज्य में भूमि सुधार का कार्य समान नहीं हुआ है।

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प्रश्न 7.
वैश्विक निर्धनता की प्रवृत्तियों की चर्चा करें।
उत्तर:
विश्व बैंक के अनुसार सार्वभौमिक निर्धनता जो 1990 में 28% थी, घटकर 2001 में 21% हो गयी। निर्धनता में स्थिरता से चीन एवं दक्षिणी एशिया के देशों में मानवीय संसाधनों में वृद्धि के कारण कम है। भारत, पाकिस्तान, श्रीलंका, नेपाल, भूटान एवं बांग्लादेश में तेजी से निर्धनता में कमी नहीं हुई है।
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प्रश्न 8.
निर्धनता उन्मूलन की वर्तमान सरकारी रणनीति की चर्चा करें।
उत्तर:
भारत से निर्धनता उन्मूलन करने हेतु निम्नलिखित उपाय अपनाये गए हैं|

  1. आर्थिक विकास में वृद्धि–आर्थिक विकास की दर में वृद्धि करना निर्धनता उन्मूलन हेतु महत्त्वपूर्ण कदम है। राष्ट्रीय आय में जनसंख्या के अनुपात में वृद्धि तेजी से होनी चाहिए तभी आर्थिक विकास में वृद्धि हो सकती है।
  2. भूमि सुधार-निर्धनता दूर करने के लिए भूमि की हदबंदी कानून के अन्तर्गत प्राप्त भूमि को भूमिहीन एवं गरीब किसानों में बाँट देना चाहिए। भूमि के बिखराव को रोकना चाहिए और खेतों की चकबंदी की जानी चाहिए।
  3. जनसंख्या पर नियंत्रण-गरीबी को अधिक सीमा तक कम किया जा सकता है यदि हम परिवार नियोजन पर जोर दें। जनसंख्या नियंत्रण से प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि होगी। यह जनसंख्या वृद्धि की दर में एवं आर्थिक संसाधनों के बीच अन्तर करने में सहायक होगा।
  4. अत्यधिक रोज़गार के अवसर-ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में रोज़गार के अवसरों को बढ़ाकर भारत में बेरोज़गारी को कम किया जा सकता है। इस प्रकार सार्वजनिक कार्य विस्तृत पैमाने (extensive scale) पर प्रारम्भ किया। जाना चाहिए। लघु एवं कुटीर उद्योग को प्रोत्साहित (UPBoardSolutions.com) करना चाहिए। मानवशक्ति का कुशल उपयोग निःसंदेह अर्थव्यवस्था में आय उत्पन्न करेगी और इससे गरीबी को कुछ सीमा तक कम किया जा सकता है।

प्रश्न 9.
निम्नलिखित प्रश्नों के संक्षेप में उत्तर दें
(क) मानव निर्धनता से आप क्या समझते हैं?
(ख) निर्धनों में भी सबसे निर्धन कौन हैं?
(ग) राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम, 2005 की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं?
उत्तर:
(क) “मानव निर्धनता’ की अवधारणा मात्र-आय की न्यूनता तक ही सीमित नहीं है। इसका अर्थ है किसी व्यक्ति को राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक अवसरों का उचित स्तर न मिलना। अशिक्षा, रोजगार के अवसरों की कमी, स्वास्थ्य सेवा की सुविधाओं और सफाई व्यवस्था में कमी, जाति, लिंग-भेद आदि मानव निर्धनता के कारक हैं।
(ख) महिलाओं, वृद्ध लोगों और बच्चों को अति निर्धन माना जाता है क्योंकि उन्हें सुव्यवस्थित ढंग से परिवार के उपलब्ध संसाधनों तक पहुँच से वंचित रखा जाता है।
(ग) राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम, 2005 (एन.आर.ई.जी.ए.) की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं

  1. 200 जिलों में प्रत्येक वर्ष गृहस्थ को 100 दिन के रोजगार का आश्वासन प्रदान करना। बाद में यह योजना 600 | जिलों में कर दी गई।
  2. 1/3 आरक्षित कार्य (jobs) महिलाओं के लिए होंगे।
  3.  केन्द्रीय सरकार राष्ट्रीय रोज़गार आश्वासन कोष का निर्माण करेगी।
  4.  यदि कार्य 50 दिन के भीतर प्रदान नहीं कराया गया तो प्रतिदिन रोज़गार भत्ता दिया जाएगा।

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
भारत और चीन की निर्धनता में कमी के आँकड़ों के बारे में बताइए।
उत्तर:
भारत में निर्धनता का अनुपात 1990 के 20 प्रतिशत से बढ़कर 2001 में 21 प्रतिशत हो गया है। चीन में निर्धनता की संख्या 1981 के 60.6 करोड़ से घटकर 2001 में 21.2 करोड़ हो गयी।

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प्रश्न 2.
सरकार द्वारा चलाए गए निर्धनता निरोधी कार्यक्रम ज्यादा कारगर साबित क्यों नहीं हो रहा है?
उत्तर:
निर्धनता निरोधी कार्यक्रम के कम प्रभावी होने का एक मुख्य कारण उचित कार्यान्वयन और सही लक्ष्य निश्चित करने की।

प्रश्न 3.
उन पाँच राज्यों के नाम बताएँ जहाँ निर्धनता सबसे कम और सबसे अधिक है।
उत्तर:
भारत के पाँच सबसे कम निर्धन राज्य-जम्मू कश्मीर, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, केरल। भारत के पाँच सबसे अधिक निर्धन राज्य–ओडिशा, बिहार, झारखण्ड, मध्य प्रदेश, असम।

प्रश्न 4.
भारत में निर्धनता के किन्हीं दो कारणों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
भारत की दीर्घकालिक बेरोजगारी में वृद्धि होना।
स्वतन्त्रता के पश्चात् भूमि और अन्य संसाधनों का असमान वितरण।

प्रश्न 5.
भारत में निर्धनता सम्बन्धी चुनौतियों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
(क) लैंगिक समता तथा निर्धनों में सम्मान ।
(ख) शिक्षा व रोजगार सुरक्षा उपलब्ध कराना
(ग) न्यूनतम आवश्यक आय की उपलब्धता
(घ) सभी को स्वास्थ्य सेवाएँ उपलब्ध कराना।

प्रश्न 6.
उन पाँच देशों का उल्लेख कीजिए, जिनकी ज्यादातर जनसंख्या गरीबी रेखा से नीचे है।
उत्तर:

  1. नाइजीरिया,
  2. बांग्लादेश,
  3.  भारत,
  4.  पाकिस्तान,
  5.  चीन।।

प्रश्न 7.
उन पाँच राज्यों का नामोल्लेख कीजिए जिनकी अल्पसंख्या गरीबी की रेखा के नीचे हैं
उत्तर:

  1. जम्मू-कश्मीर,
  2.  गोवा,
  3.  पंजाब,
  4. हरियाणा,
  5. हिमाचल प्रदेश।

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प्रश्न 8.
उन पाँच राज्यों के नाम बताइए जिनमें लोगों का अधिकांश भाग गरीबी रेखा से नीचे है।
उत्तर:

  1. ओडिशा,
  2. बिहार,
  3.  मध्य प्रदेश,
  4. उत्तर प्रदेश,
  5. पश्चिम बंगाल।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
देश में गरीबी दूर करने के लिए सरकार द्वारा शुरू की गयी योजनाओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:

  1. राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार आश्वासन अधिनियम (NREGA), 2005
  2.  राष्ट्रीय कार्य के बदले भोजन योजना (NFWP), 2004
  3.  प्रधानमंत्री रोज़गार योजना (PMRY), 1993
  4. ग्रामीण रोज़गार विकास योजना (REGP), 1995
  5.  स्वर्णजयंती ग्राम स्वरोज़गार योजना (SGSY), 1999
  6.  प्रधानमंत्री ग्रामोद्योग योजना (PMGY), 2000
  7. अन्त्योदय अन्न योजना (AAY)

प्रश्न 2.
‘आर्थिक संवृद्धि एवं निर्धनता उन्मूलन के बीच घनिष्ठ सम्बन्ध है।’ स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
विकास की उच्च दर ने निर्धनता को कम करने में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। 1980 के दशक से भारत | की आर्थिक संवृद्धि-दर विश्व में सबसे अधिक रही। संवृद्धि-दर 1970 के दशक के करीब 3.5 प्रतिशत के औसत से बढ़कर 1980 और 1990 के दशक में 6 प्रतिशत के करीब पहुँच गई। अधिक संवृद्धि-दर निर्धनता उन्मूलन को कम करने में सहायक (UPBoardSolutions.com) होती है। इसलिए यह स्पष्ट होता जा रहा है कि आर्थिक संवृद्धि और निर्धनता उन्मूलन के बीच एक घनिष्ठ सम्बन्ध है। आर्थिक संवृद्धि अवसरों को व्यापक बना देती है और मानव विकास में निवेश के लिए आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराती है। यह शिक्षा में निवेश से अधिक आर्थिक प्रतिफल पाने की आशा में लोगों को अपने बच्चों को लड़कियों सहित स्कूल भेजने के लिए प्रोत्साहित करती है।

प्रश्न 3.
सरकार की वर्तमान निर्धनता-निरोधी रणनीतियाँ किन दो कारकों पर आधारित हैं? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
निर्धनता-उन्मूलन भारत की विकास रणनीति का प्रमुख उद्देश्य रहा है। सरकार की वर्तमान निर्धनता-निरोधी रणनीति मुख्य रूप से निम्न दो कारकों पर आधारित है

लक्षित निर्धनता-निरोधी कार्यक्रम-सरकार ने निर्धनता को समाप्त करने के लिए कई निर्धनता-निरोधी कार्यक्रम चलाए। जैसे-राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम, 2005, प्रधानमंत्री रोजगार योजना, ग्रामीण रोजगार सृजन, स्वर्ण जयंती ग्राम स्वरोज़गार योजना, प्रधानमंत्री ग्रामोदय योजना, अंत्योदय अन्न योजना, राष्ट्रीय काम के बदले अनाज।

आर्थिक संवृद्धि को प्रोत्साहन-विकास की उच्च दर ने निर्धनता को कम करने में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। 1980 के दशक से भारत की आर्थिक संवृद्धि-दर विश्व में सबसे अधिक रही। संवृद्धि-दर 1970 के दशक के करीब 3.5 प्रतिशत के औसत से बढ़कर 1980 और 1990 के (UPBoardSolutions.com) दशक में 6 प्रतिशत के करीब पहुँच गई। इसलिए यह स्पष्ट होता जा रहा है कि आर्थिक संवृद्धि और निर्धनता उन्मूलन के बीच एक घनिष्ठ सम्बन्ध है। आर्थिक संवृद्धि अवसरों को व्यापक बना देती है और मानव विकास में निवेश के लिए आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराती है।

प्रश्न 4.
गरीबी की विशेषताएँ बताइए।
उत्तर:
गरीब चाहे ग्रामीण हों या शहरी उनकी विशेषताएँ लगभग एक जैसी होती हैं। उनकी सामान्य विशेषताओं को नीचे समझाया गया है–

  1. भूख, भुखमरी एवं कुपोषण-अपर्याप्त भोजन गरीबी की महत्त्वपूर्ण विशेषता है। यह कुपोषण भूख और भुखमरी को पैदा करती है।
  2.  बुरा स्वास्थ्य एवं शिक्षा-बुरा स्वास्थ्य एवं बुरी शिक्षा सदैव गरीबी का ही परिणाम होता है।
  3. कार्य का निरंतर न होना, सौदेबाजी की क्षमता में कमी-गरीब लोग बेरोज़गारी, अल्प रोज़गार एवं मौसमी बेरोज़गारी के शिकार होते हैं जो उनकी मज़दूरी को कम करता है और इससे दुबारा उनकी गरीबी बढ़ती है। 4. सीमित आर्थिक अवसर-गरीबी संसाधनों की कमी से (UPBoardSolutions.com) पीड़ित होती है। गरीबों को सीमित आर्थिक अवसरों की उपलब्धता के कारण फिर गरीबी का सामना करना पड़ता है। यह गरीब लोगों को निर्धनता के चक्र से निकलने नहीं देती।

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प्रश्न 5.
गरीब कौन है और इसकी पहचान किस आधार पर की जा सकती है?
उत्तर:
सामान्य तौर पर एक व्यक्ति तब तक गरीब माना जाता है यदि वह भूमिहीन है, कृषि मजदूर, शहरी मजदूर, गंभीर ऋणग्रस्तता के शिकार, बुरा स्वास्थ्य, भूख एवं भुखमरी में है। गरीब लोग कुपोषण, बेरोज़गारी, परिवार के बड़े आकार, असहाय एवं दुर्भाग्य के शिकार (UPBoardSolutions.com) होते हैं। योजना आयोग के अनुसार वह व्यक्ति जो गरीबी रेखा से नीचे है, गरीब है। ग्रामीण क्षेत्रों में जिनके पास 2400 से कम एवं शहरी क्षेत्रों में 2100 से कम कैलोरी है।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
आर्थिक विकास की दर में वृद्धि के उपाय बताइए।
उत्तर:
आर्थिक विकास की दर में वृद्धि गरीबी को दूर करने के लिए सबसे महत्त्वपूर्ण कार्य है। इसके लिए निम्नलिखित कार्य किए जा सकते हैं

  1. देश के पिछड़े हुए क्षेत्रों में कुटीर एवं लघु उद्योगों का निर्माण करना।
  2.  देश के प्राकृतिक, मानवीय एवं पूँजी संसाधनों का कुशलतम उपयोग करना।
  3. सार्वजनिक अनुत्पादित व्यय के स्थान पर सार्वजनिक उत्पादित व्यय को प्राथमिकता देना।
  4.  गरीब लोगों के लिए पूर्ण एवं अधिक उत्पादित रोज़गार।।
  5. गरीबों को न्यूनतम एवं उपयुक्त मजदूरी।
  6.  समाज के गरीब वर्गों के लिए स्वयं रोज़गार के अवसरों में वृद्धि करना।
  7. गरीब श्रमिकों की श्रम उत्पादकता में वृद्धि के लिए शिक्षा, प्रशिक्षण एवं स्वास्थ्य की व्यवस्था करना।

प्रश्न 2.
ग्रामीण गरीब की विशेषताएँ बताइए तथा शहरी गरीबी के कारण बताइए।
उत्तर:
ग्रामीण गरीब की प्रमुख विशेषताएँ इस प्रकार हैं

गंभीर ऋणग्रस्तता–एक ग्रामीण गरीब के पास सीमित साधन होते हैं। उसकी आय उसके परिवार की आधारभूत आवश्यकताओं को सन्तुष्ट करने में अपर्याप्त होती है। इस प्रकार वह ऊँची ब्याज दर पर ऋण प्राप्त करने के लिए मजबूर होता है।

बाल श्रम–बच्चों को अपने माता-पिता की कम आय में सहायता करने की आवश्यकता होती है। इसलिए उन्हें ग्रामीण फैक्ट्रियों या ढाबों में श्रमिक के रूप में कार्य करना पड़ता है।

ईंधन के रूप में गोबर एवं लकड़ी का उपयोग करना-गंभीर गरीबी के कारण ग्रामीण लोग अपना खाना पकाने के लिए ईंधन के रूप में गोबर एवं लकड़ी का उपयोग करते हैं। वह ईंधन के रूप में कोयला, मिट्टी का तेल, बिजली एवं गैस के खर्चे को सहन नहीं कर सकते।

भूमिहीन–ग्रामीण गरीबों के पास अपनी भूमि नहीं होती। यदि कोई भूमि का टुकड़ा होता है तो यह बहुत छोटा टुकड़ा होता है जो उसके परिवार की आवश्यकताओं को सन्तुष्ट नहीं कर सकता।

कृषि श्रमिक–अपर्याप्त एवं भूमि के टुकड़े का नहीं होना ग्रामीण व्यक्ति को कार्य से वंचित रखता है। इस प्रकारउन्हें कृषि श्रमिक के रूप में साहूकारों के पास कार्य करना पड़ता है और वह स्वयं को शोषण के लिए उन्हें समर्पित कर देते हैं। अधिकांश कार्य मौसमी एवं अस्थायी होते हैं एवं परेशानियाँ जारी रहती हैं।

 कच्ची घर-ग्रामीण मज़दूरों का घर कच्चा होता है, जहाँ दीवारें मिट्टी की एवं छत सामान्य तौर पर घास-फूस एवं लकड़ियों से बनी होती है। यह घर तेज हवा, वर्षा एवं ठंड का सामना करने में असमर्थ होते हैं। शहरी गरीबी के प्रमुख कारण इस प्रकार हैं

  1. बुरा स्वास्थ्य-गरीबी, भुखमरी, ऋणग्रस्तता एवं मानसिक परेशानी को पैदा करती है जो बुरे स्वास्थ्य को बढ़ावा | देती है और जो कार्य की हानि करके गरीबी में दोबारा योगदान देती है।
  2. अस्वच्छता एवं बिजली की अनुपलब्धता-सफाई सुविधाओं का झुग्गी-झोंपड़ी के क्षेत्रों में अभाव है। सामान्य तौर पर बिजली उपलब्ध नहीं है। अस्वच्छता गंभीर बीमारियों एवं बुरे स्वास्थ्य का कारण होती है।
  3.  स्वच्छ पीने के पानी की अनुपलब्धता-यह बहुत दुख की बात है कि इन असहाय एवं दुर्भाग्य लोगों को पीने को स्वच्छ पानी भी उपलब्ध नहीं है।
  4.  झुग्गी-झोंपड़ी के निवासी-शहरी गरीब आवासीय क्षेत्रों में घर का प्रबन्ध नहीं कर सकते। इसलिए वह अपने घर शहर के किनारे एवं झुग्गी-झोंपड़ी के क्षेत्रों में बनाते हैं जो गंदे, अस्वच्छ कीचड़ एवं कूड़ा करकट वाले होते | हैं और मानवीय निवास के लिए अनुपयुक्त हैं।
  5. निरक्षरता-गरीबी एवं निरक्षरता दोनों एक-दूसरे पर निर्भर हैं। गरीबी, निरक्षरता को बढ़ाती है और निरक्षरता गरीबी को सामान्य तौर पर गरीब बच्चों को अपने माता-पिता की कम आय में सहायता के लिए कार्य करना पड़ता है। स्कूल जाने के लिए उनके पास समय एवं पैसा नहीं होता।
  6. अनिरन्तर रोज़गार-शहरी गरीबों के पास सामान्य तौर पर निरन्तर कार्य नहीं होता। कुछ समय वह कार्यरत होते हैं और वर्ष के कई महीने तक वह बेरोज़गार होते हैं। वह मौसमी एवं वार्षिक बेरोज़गारी के शिकार होते हैं। जो उनके जीवन को कठिन बनाती है।

प्रश्न 3.
विश्व में प्रत्येक व्यक्ति के लिए भोजन है फिर भी लोग भूख की वजह से क्यों मरते हैं?
उत्तर:
निर्धनता का आशय है भोजन एवं आवास का अभाव। यह एक अवस्था है जहाँ व्यक्ति की मूलभूत सुविधाएँ जैसे–चिकित्सा सुविधा, शैक्षिक सुविधा, आधारभूत नागरिक सुविधायें प्रप्त नहीं कर पाता। यूनाइटेड नेशन के अनुसार लगभग 25000 लोग प्रतिदिन भूख या भूख-सम्बन्धी बीमारियों के कारण मर जाते हैं, जिनमें अधिकतर बच्चे होते हैं। हालांकि विश्व में प्रत्येक व्यक्ति के लिए भोजन है परन्तु उसे खरीदने के लिए पैसों की कमी के कारः लोग कुपोषित हैं, वे कमजोर और बीमार रहते हैं। इस कारण वे कम काम कर पाते हैं (UPBoardSolutions.com) जिससे वे और निर्धन तथा भूखे हाते जाते हैं।

यह चक्र उनके और उनके परिवार वालों के लिए मृत्यु तक चलता रहता है। इस समस्या को सुलझाने के लि। कई कार्यक्रम भी चलाए । ‘खाने के लिए काम कार्यक्रम-जिसमें व्यस्कों को स्कूल बनाने, कुएं खोदने, सड़कें बनाने आदि के काम के लिए रवाना दिया जाता है। इससे निर्धनों को पोषण मिलता है और निर्धनता को समाप्त करने के लिए संरचना तैयार होती है। ‘ग्वाने के लिए शिक्षा कार्यक्रम –जिसमें बच्चों को भोजन दिया जाता है जब वे स्कूल में उपस्थित हो। उनकी शिक्षा उन्हें भूख और वैश्विक निर्धनत बचा सकती है।

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प्रश्न 4.
सरकार द्वारा संचालित निर्धनता निरोधी रणनीतियों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
सरकार द्वारा संचालित निर्धनता निधी रणनीतियों का विवर!

ग्रामीण रोजगार सृजन कार्यक्रम

  • के इस कार्यक्रम को 1995 में आरम्भ किया गया।
  • इसका उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों और छोटे शहरों में स्वराजः के अनः जिन ३रन है।\दसवीं पंचवर्षीय योजना में इस कार्यक्रम के अन्तर्गत 2 लाख नए जिगार के अवसर सृजित करने का नक्ष्य गल्ला गया है

स्वर्ण जयंती ग्राम स्वरोजगार योजना

  • इस कार्यक्रम का आरम्भ 1999 में किया गया।इस कार्यक्रम का उद्देश्य सहायता प्राप्त निर्धन परिवारों के सहाय।
  • सही में ३ बैंक ऋण और सरकारी सहायिकी के संयोजन द्वारा निर्धनता रेखा से ऊपर लाना ।

प्रधानमंत्री ग्रामोदय योजना

  • यह योजना 2000 में आरम्भ की गई।
  •  इसके अन्तर्गत प्राथमिक स्वास्थ्य, प्राथमिक शिक्षा, ग्रामीण आश्रय, ग्रामीण पेयजल और ग्रामीण विद्युतीकरण जैसी मूल सुविधाओं के लिए राज्यों को अतिरिक्त केन्द्रीय महायता प्रदान की जाती है।

राष्ट्रीय काम के बदले अनाज कार्यक्रम

  • यह कार्यक्रम 2004 में देश के सबसे पिछड़े 150 जिलों में लागू किया गया था। यह कार्यक्रम उन सभी ग्रामी निर्धनों के लिए है, जिन्हें मजदूरी पर रोजगार की आवश्यकता है और जो अकुशल शारीरिक काम करने के इच्छुक हैं।
  • इसके लिए राज्यों को खाद्यान्न निःशुल्क उपलब्ध कराए जा रहे हैं।

प्रधानमंत्री रोजगार योजना

• इस योजना को 1993 में आरम्भ किया गया।
• इस कार्यक्रम का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों और छोटे शहरों में शिक्षित बेरोजगार युवाओं के लिए स्वरोजगार के अवसर सृजित करना है।
• इस कार्यक्रम में लघु व्यवसाय और उद्योग स्थापित करने में उनकी सहायता की जाती है।

राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम, 2005

  • राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम, 2005 को सितम्बर, 2005 में पारित किया गया।
  • प्रत्येक ग्रामीण परिवार को 100 दिन के सुनिश्चित रोजगार का प्रावधान करता है। | प्रारम्भ में यह विधेयक प्रत्येक वर्ष देश के 200 जिलों में और बाद में इस योजना का विस्तार 600 जिलों में किया गया। प्रस्तावित रोजगारों का एक तिहाई रोजगार महिलाओं के लिए (UPBoardSolutions.com) आरक्षित है। केन्द्र सरकार राष्ट्रीय रोजगार गारंटी कोष भी स्थापित करेगी।
  • इसी तरह राज्य सरकारें भी योजना के कार्यान्वयन के लिए राज्य स्वरोजगार गारंटी कोष की स्थापना करेंगी। कार्यक्रम के अन्तर्गत अगर आवेदक को 15 दिन के अंदर रोजगार उपलब्ध नहीं कराया गया तो वह दैनिक बेरोजगारी भत्ते का हकदार होगा।

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UP Board Solutions for Class 9 Social Science Geography Chapter 5 प्राकृतिक वनस्पति तथा वन्य प्राणी

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पाठ्य-पुस्तक के प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
वैकल्पिक प्रश्न-
(i) रबड़ का संबंध किस प्रकार की वनस्पति से है?
(क) टुंड्रा
(ख) हिमालय
(ग) मैंग्रोव
(घ) उष्ण कटिबन्धीय वर्षा वन

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(ii) सिनकोना के वृक्ष कितनी वर्षा वाले क्षेत्र में पाए जाते हैं?
(क) 100 सेमी
(ख) 70 सेमी
(ग) 50 सेमी
(घ) 50 सेमी से कम वर्षा

(iii) सिमलीपाल जीवमण्डल निचय कौन से राज्य में स्थित है?
(क) पंजाब
(ख) दिल्ली
(ग) ओडिशा
(घ) पश्चिम बंगाल

(iv) भारत में कौन-से जीवमण्डल निचय विश्व के जीवमण्डल निचयों के लिए गए हैं?
(क) मानस
(ख) मन्नार की खाड़ी
(ग) नीलगिरि
(घ) नंदादेवी
उत्तर:
(i) (घ) उष्ण कटिबंधीय वर्षा वन
(ii) (क) 100 सेमी
(iii) (ग) ओडिशा
(iv)(घ) नंदा देवी।

प्रश्न 2.
संक्षिप्त उत्तर वाले प्रश्न-

  1. पारिस्थितिक तंत्र किसे कहते हैं?
  2. भारत में पादपों तथा जीवों का वितरण किन तत्त्वों द्वारा निर्धारित होता है?
  3. जीवमण्डल निचय से क्या अभिप्राय है? कोई दो उदाहरण दो।
  4. कोई दो वन्य प्राणियों के नाम बताइए जो कि उष्ण कटिबंधीय वर्षा और पर्वतीय वनस्पति में मिलते हैं।

उत्तर:

  1. किसी भी क्षेत्र के पादप तथा प्राणी आपस में तथा अपने भौतिक पर्यावरण से आपस में संबंधित होते हैं। और एक पारिस्थितिक तंत्र का निर्माण करते हैं। इस प्रकार पारिस्थितिक तंत्र भौतिक पर्यावरण एवं इसमें निवास करने वाले जीव-जन्तुओं की पारस्परिक निर्भरता का तंत्र है। मनुष्य भी इस पारिस्थितिक तंत्र का अभिन्न अंग है। मनुष्य वनस्पति एवं वन्य जीवों का उपयोग करता है।
  2. भारत में पादपों एवं जीवों के वितरण को निर्धारित करने वाले तत्त्व इस प्रकार हैं-जलवायु, मृदा, उच्चावच, अपवाह, तापमान, सूर्य का प्रकाश, वर्षण (UPBoardSolutions.com) आदि।
  3. जीवमण्डल निचय-जैवविविधता को सुरक्षित एवं संरक्षित रखने के लिए स्थापित क्षेत्रों को जीवमण्डल निचय कहते है। एक संरक्षित जीवमण्डल जिसका संरक्षण इस प्रकार किया जाता है कि न केवल इसकी जैविक भिन्नता संरक्षित की जाती है अपितु इसके संसाधनों का प्रयोग भी स्थानीय समुदायों के लाभ हेतु टिकाऊ तरीके से किया जाता है। उदाहरण, नीलगिरी, सुंदरबन।
    1. उष्ण कटिबंधीय वर्षा वन-लंगूर, बंदर, हाथी।।
    2. पर्वतीय वनस्पति-घने बालों वाली भेड़, लाल पांडा, आइवेक्स।

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प्रश्न 3.
निम्नलिखित में अंतर कीजिए-
(i) वनस्पति जगत तथा प्राणी जगत।
(ii) सदाबहार और पर्णपाती वन।।
उत्तर:
(i) वनस्पति जगत तथा प्राणी जगत में अंतर-

प्राणी जगत

वनस्पति जगत

1. भोजन की आदत के आधार पर प्राणियों को दो वर्गों में बाँटा जा सकता है-1. शाकाहारी जीव,2. मांसाहारी जीव। 1. पौधों को दो वर्गों-फूल वाले पौधे तथा बिना फूल वाले पौधे के रूप में बाँटा जाता है।
2. कुछ वन्यप्राणी विलुप्त होने की स्थिति में हैं, उनके संरक्षण के लिए विशेष प्रयत्न किए जा रहे हैं। 2. हमारे देश में विविध प्रकार की वनस्पति मिलती है। यहाँ  उष्ण कटिबंधीय वनस्पति से लेकर ध्रुवीय वनस्पति तक के दर्शन होते हैं।
3. सूक्ष्म जीवाणु से लेकर विशालकाय ह्वेल तथा हाथी जीवों की श्रेणी प्राणी जगत कहलाती है। 3. किसी प्रदेश या क्षेत्र में स्वतः ही पैदा होने वाले हरित स्वरूप को वनस्पति जगत कहते हैं।
4. प्राणियों को तीन वर्गों में बाँटा गया है-(i) थल-चर, (ii) जल-चर, (iii) नभ-चर। 4. प्राकृतिक वनस्पति के आवरण में वन, झाड़ियों तथा घास भूमियों को शामिल किया जाता है।
5. हमारे देश के प्राणियों में भी विविधता पाई जाती है। यहाँ लगभग 89,000 जातियों के जीव-जन्तु पाए जाते हैं। 5. भारत में पौधों की 47,000 प्रकार की जातियाँ पाई जाती  हैं।
6. 2,500 जातियों की मछलियाँ तथा 2,000 जातियाँ पक्षियों की पाई जाती हैं।  6. पौधों की 5,000 जातियाँ तो ऐसी हैं जो केवल भारत में  पाई जाती हैं।

(ii) सदाबहार और पर्णपाती वन में अन्तर-

पर्णपाती वन

सदाबहार वन

 1. इन वनों में बहुत से पक्षी, छिपकली, सांप, कछुए आदि पाए जाते हैं। 1. इन वनों में बहुत से पक्षी, चमगादड़, बिच्छु एवं घोंघे आदि पाए जाते हैं।
2. ये वन भारत के पूर्वी भागों, उत्तर-पूर्वी राज्यों, हिमालय के पास की पहाड़ियों, झारखंड, पश्चिम ओडिशा, छत्तीसगढ़ तथा पूर्वी घाट के पूर्वी ढलानों, मध्य प्रदेश तथा बिहार में पाए जाते हैं। 2. ये वन पश्चिमी घाट के ढलानों, लक्षद्वीप, अंडमान-निकोबार, असम के ऊपरी भागों, तटीय तमिलनाडु, पश्चिमी बंगाल, ओडिशा एवं भारत के उत्तर-पूर्वी राज्यों में पाए जाते हैं।
 3. इन वनों में पाए जाने वाले पेड़ों में सागोन, बाँस,साल, शीशम, चंदन, खैर, नीम आदि प्रमुख हैं। 3. इन वनों में प्रायः पाये जाने वाले वृक्षों में आबनूस, महोगनी, रोजवुड आदि हैं।
 4. ये उन क्षेत्रों में पाए जाते हैं जहाँ वार्षिक वर्षा 70 से 200 सेमी के बीच होती है।  4. ये उन क्षेत्रों में पाए जाते हैं जहाँ वार्षिक वर्षा 200 सेमी  या इससे अधिक होती है।
 5. इने वनों में पौधे अपने पत्ते शुष्क गर्मी के मौसम में 6 से 8 सप्ताह के लिए गिरा देते हैं। 5. इन वनों में पौधे अपने पत्ते वर्ष के अलग-अलग महीनों में  गिराते हैं जिससे ये पूरे वर्ष हरे-भरे नजर आते हैं।
6. इन वनों में प्रायः पाये जाने वाले पशुओं में शेर और बाघ हैं। 6. इन वनों में प्रायः पाये जाने वाले पशुओं में हाथी, बंदर, लैमूर, एक सींग वाले गैंडे और हिरण हैं।

प्रश्न 4.
भारत में विभिन्न प्रकार की पाई जाने वाली वनस्पति के नाम बताएँ और अधिक ऊँचाई पर पाई जाने वाली वनस्पति का ब्यौरा दीजिए।
उत्तर:
भारत में पायी जाने वाली प्रमुख वनस्पतियाँ इस प्रकार हैं-

  1. उष्ण कटिबन्धीय सदाबहार वन,
  2. उष्ण कटिबंधीय पर्णपाती वन,
  3. उष्ण कटिबन्धीय कैंटीले वन तथा झाड़ियाँ,
  4. पर्वतीय वन,
  5. मैंग्रोव वन।

इन वनों का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है-

  1. पर्वतीय क्षेत्रों में तापमान की कमी तथा ऊँचाई के साथ-साथ प्राकृतिक वनस्पति में भी अंतर दिखाई देता है। वनस्पति में जिस (UPBoardSolutions.com) प्रकार का अंतर हम उष्ण कटिबंधीय प्रदेशों से टुंड्रा की ओर देखते हैं उसी प्रकार का अंतर पर्वतीय भागों में ऊँचाई के साथ-साथ देखने को मिलता है।
  2. 1000 मी से 2000 मी तक की ऊँचाई वाले क्षेत्रों में आई शीतोष्ण कटिबंधीय वन पाए जाते हैं। इनमें चौड़ी पत्ती वाले ओक तथा चेस्टनट जैसे वृक्षों की प्रधानता होती है।
  3. 1500 से 3000 मी की ऊँचाई के बीच शंकुधारी वृक्ष जैसे चीड़, देवदार, सिल्वर-फर, स्पूस, सीडर आदि पाए जाते हैं।
  4. ये वन प्रायः हिमालय की दक्षिणी ढलानों, दक्षिण और उत्तर-पूर्व भारत के अधिक ऊँचाई वाले भागों में पाए जाते हैं।
  5. अधिक ऊँचाई पर प्रायः शीतोष्ण कटिबंधीय घास के मैदान पाए जाते हैं। प्रायः 3600 मी से अधिक ऊँचाई पर शीतोष्ण कटिबंधीय वनों तथा घास के मैदानों का स्थान अल्पाइन वनस्पति ले लेती है। सिल्वर-फर, जूनिपर, पाइन व बर्च इन वनों के मुख्य वृक्ष हैं।

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प्रश्न 5.
भारत में बहुत संख्या में जीव और पादप प्रजातियाँ संकटग्रस्त हैं, उदाहरण सहित कारण दीजिए।
उत्तर:
भारत में बड़ी संख्या में जीव एवं पादप प्रजातियाँ संकटापन्न हैं। लगभग 1300 पादप प्रजातियाँ भारत में संकट में हैं जबकि 20 पादप प्रजातियाँ विलुप्त हो चुकी हैं।
बहुत बड़ी संख्या में पादप और जीव प्रजातियों के संकटग्रस्त होने के निम्नलिखित कारण हैं-

  1. कृषि, उद्योग एवं आवास हेतु वनों की तेजी से कटाई।
  2. विदेशी प्रजातियों का भारत में प्रवेश।
  3. व्यापारियों द्वारा अपने व्यवसाय के विकास के लिए जंगली जानवरों का बड़े पैमाने पर अवैध शिकार।
  4. रासायनिक और औद्योगिक अवशिष्ट पदार्थों तथा तेजाबी जमाव के कारण जीवों की मृत्य।

वास्तव में मानव द्वारा पर्यावरण से छेड़छाड़ तथा पेड़-पौधों एवं जीवों के अत्यधिक दोहन से पारिस्थितिक सन्तुलन बिगड़ गया है। इसी कारण पेड़-पौधों तथा वन्य प्राणियों की कुछ प्रजातियों के विलुप्त होने का खतरा उत्पन्न हो गया है।

प्रश्न 6.
भारत वनस्पति जगत तथा प्राणी जगत की धरोहर में धनी क्यों है?
उत्तर:
भारत में लगभग प्रकृति की सभी विशेषताएँ विद्यमान हैं जैसे-पर्वत, मैदान, मरुस्थल, पठार, सागरीय तट, सदानीरा नदियाँ, द्वीप एवं मीठे तथा खारे पानी की झीलें। ये सभी कारक भारत में वनस्पति जगत एवं प्राणी जगत की वृद्धि एवं विकास : के लिए अजैविक विविधता के लिए (UPBoardSolutions.com) अनुकूल हैं। विश्व की कुल जैवविविधता का 12 प्रतिशत भारत में पाया जाता है। भारत में लगभग 47,000 विभिन्न जातियों के पौधे पाए जाने के कारण यह देश विश्व में दसवें स्थान पर और एशिया के देशों में चौथे स्थान पर है। भारत में लगभग 15,000 फूलों के पौधे हैं जो कि विश्व में फूलों के पौधे का 6 प्रतिशत है। इस देश में बहुत से बिना फूलों के पौधे हैं जैसे फर्न, शैवाल (एलेगी) तथा कवक (फंजाई) भी पाए जाते हैं।

भारत में लगभग 89,000 जातियों के जानवर तथा ताजे और समुद्री पानी की विभिन्न प्रकार की मछलियाँ पाई जाती हैं। देश के विभिन्न क्षेत्रों में विभिन्न प्रकार की मृदा, आर्द्रता एवं तापमान में अत्यधिक भिन्नता के साथ अलग-अलग प्रकार का वातावरण पाया जाता है। पूरे देश में वर्षा का (UPBoardSolutions.com) वितरण भी असमान है। वनस्पति जगत एवं प्राणी जगत की विभिन्न प्रजातियों को अलग-अलग प्रकार की वातावरण संबंधी परिस्थितियाँ एवं विभिन्न प्रकार की मृदा चाहिए होती है। इसलिए भारत वनस्पति जगत तथा प्राणी जगत की धरोहर में धनी है।

मानचित्र कौशल

प्रश्न 1.
भारत के मानचित्र पर निम्नलिखित दिखाएँ और अंकित करें-

  1. उष्ण कटिबंधीय वर्षा वन
  2. उष्ण कटिबंधीय पर्णपाती वन
  3. दो जीवमण्डल निचय भारत के उत्तरी, दक्षिणी, पूर्वी और पश्चिमी भागों में।

उत्तर:
(1) & (2)
UP Board Solutions for Class 9 Social Science Geography Chapter 5 प्राकृतिक वनस्पति तथा वन्य प्राणी
(3)
UP Board Solutions for Class 9 Social Science Geography Chapter 5 प्राकृतिक वनस्पति तथा वन्य प्राणी
परियोजना कार्य

प्रश्न 1.

  1. अपने पड़ोस में पाए जाने वाले कुछ ओषधि पादप का पता लगाएँ।
  2. किन्हीं दस व्यवसायों के नाम ज्ञात करो जिन्हें जंगल और जंगली जानवरों से कच्चा माल प्राप्त होता है।
  3. वन्य प्राणियों का महत्त्व बताते हुए एक पद्यांश या गद्यांश लिखिए।
  4. वृक्षों का महत्त्व बताते हुए एक नुक्कड़ नाटक की रचना करो और उसका अपने गली-मुहल्ले में मंचन करो।
  5. अपने या अपने परिवार के किसी भी सदस्य के जन्मदिन पर किसी भी पौधे को लगाइए और देखिए कि वह कैसे बड़ा होता है और किस मौसम में जल्दी बढ़ता है?

उत्तर:

  1. अर्जुन, तुलसी, मरबा, करी पत्ता, नीम, जामुन, कीकर आदि।
  2. लकड़ी व्यवसाय, फर्नीचर, कागज, लाख, गोंद, भवन निर्माण, जूते, चमड़े का सामान, सींग, खास, ब्रुस आदि।
  3. यह कार्य स्वयं करें।
  4. विद्यार्थी स्वयं करें।
  5. विद्यार्थी स्वयं करें।

अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
भारत के उत्तरी पश्चिमी भाग में कैंटीले वन पाए जाने के दो कारण बताइए।
उत्तर:
भारत के उत्तरी पश्चिमी भाग में कॅटीले वन पाए जाने के कारण इस प्रकार हैं-

  1. यह प्रदेश मरुस्थलीय है और यहाँ की मिट्टी रेतीली है।
  2. इस प्रदेश में वर्षा बहुत कम होती है।

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प्रश्न 2.
कॅटीले वन में कौन-कौन से वृक्ष और जानवर पाए जाते हैं?
उत्तर:
कॅटीले वनों में खजूर, अकासिया, नागफनी, यूफोरबिया, कीकर, खैर, बबूल आदि वृक्ष पाए जाते हैं। इन वनों में प्रायः चूहे, लोमड़ी, खरगोश, शेर, सिंह, भेड़िए, घोड़े, जंगली गधा तथा ऊँट पाए जाते हैं।

प्रश्न 3.
मैंग्रोव वनों में पाए जाने वाले वृक्ष और जानवरों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
मैंग्रोव वन में गंगा-ब्रह्मपुत्र डेल्टा में सुंदरी वृक्ष पाए जाते हैं जिनसे मजबूत लकड़ी प्राप्त होती है। नारियल, ताड़, क्योड़ा, ऐंगार के वृक्ष भी इन भागों में पाए जाते हैं। (UPBoardSolutions.com) इस क्षेत्र का रॉयल बंगाल टाइगर प्रसिद्ध जानवर है। इसके अतिरिक्त कछुए, मगरमच्छ, घड़ियाल एवं कई प्रकार के साँप भी इन जंगलों में मिलते हैं।

प्रश्न 4.
उष्ण कटिबंधीय वन क्यों पूरे भारत वर्ष में पाए जाते हैं?
उत्तर:
उष्ण कटिबंधीय पर्णपाती वन पूरे भारत में इसलिए पाए जाते हैं क्योंकि उष्ण कटिबंधीय पर्णपाती वन, मानसूनी वन के विशिष्ट वन हैं और भारत में भी मानसूनी जलवायु पायी जाती है।

प्रश्न 5.
भारत में शेर व बाघ कहाँ पाए जाते हैं?
उत्तर:
भारतीय शेरों को प्राकृतिक वास स्थल गुजरात में गिर जंगल है। बाघ मध्य प्रदेश तथा झारखंड के वनों, पश्चिम बंगाल के सुंदरबन तथा हिमालयी क्षेत्रों में पाए जाते हैं।

प्रश्न 6.
उष्ण कटिबंधीय वर्षा वनों की दो विशेषताएँ बताइए।
उत्तर:
उष्ण कटिबंधीय वर्षा वनों की दो विशेषताएँ इस प्रकार हैं-

  1. ये सदैव हरे-भरे रहते हैं। ये किसी ऋतु विशेष में अपनी पत्तियाँ नहीं गिराते हैं।
  2. ये वन 200 सेमी से अधिक वर्षा वाले क्षेत्रों में भली-भाँति पनपते हैं।

प्रश्न 7.
स्पष्ट कीजिए कि भारत एक जैवविविधता वाला देश है?
उत्तर:
भारत विश्व के मुख्य 12 जैवविविधता वाले देशों में से एक है। लगभग 47000 विभिन्न जातियों के पौधे पाए जाने के कारण यह देश विश्व में दसवें स्थान पर और एशिया के देशों में चौथे स्थान पर है। भारत में लगभग 15000 फूलों के पौधे हैं जोकि विश्व में फूलों के पौधों का 6 (UPBoardSolutions.com) प्रतिशत है। भारत में लगभग 89000 जातियों के जानवर तथा विभिन्न प्रकार की मछलियाँ, ताजे तथा समुद्री पानी की पाई जाती हैं।

प्रश्न 8.
भारत में पाए जाने वाले कँटीले वनों की कोई दो विशेषताएँ बताइए।
उत्तर:
भारत में पाए जाने वाले कॅटीले वनों की विशेषताएँ इस प्रकार हैं-

  1. इन वृक्षों के वृक्ष छितरे होते हैं।
  2. इन वृक्षों की जड़े लम्बी होती हैं जो अरीय आकृति में फैली होती हैं।

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प्रश्न 9.
देशज और विदेशज पौधों में अंतर बताइए।
उत्तर:
वह वनस्पति जो कि मूलरूप से भारतीय है उसे देशज’ पौधे कहते हैं लेकिन जो पौधे भारत के बाहर से आए हैं उन्हें विदेशज पौधे कहते हैं।

प्रश्न 10.
प्रवासी पक्षियों के बारे में बताइए।
उत्तर:
भारत के कुछ दलदली भाग प्रवासी पक्षियों के लिए प्रसिद्ध हैं। शीत ऋतु में साइबेरियन सारस बहुत संख्या में आते हैं। इन पक्षियों का एक मनपसंद स्थान कच्छ का रन है। जिस स्थान पर मरुभूमि समुद्र से मिलती है वहाँ लाल सुंदर कलंगी वाली फ्लैमिगोए हजारों की संख्या में आती हैं और खारे (UPBoardSolutions.com) कीचड़ के ढेर बनाकर उनमें घोंसले बनाती हैं और बच्चों को पालती हैं। देश में अनेकों दर्शनीय दृश्यों में से यह भी एक है।

प्रश्न 11.
ज्वारीय वनों की दो विशेषताएँ बताइए।
उत्तर:
ज्वारीय वनों की दो विशेषताएँ इस प्रकार हैं-

  1. सुंदरी नामक वृक्ष इस वन का प्रमुख वृक्ष है।
  2. ज्वारीय वन खारे और ताजे पानी दोनों में पनप सकते हैं।

प्रश्न 12.
भारत के दो संकटापन्न वन्यजीवों के नाम बताइए तथा जीव आरक्षित क्षेत्र स्थापित करने के दो उद्देश्य बताइए।
उत्तर:
बाघ एवं गैंडा भारत के दो संकटापन्न जीव हैं।
जीव आरक्षित क्षेत्र स्थापित करने के दो उद्देश्य हैं-

  1. पेड़-पौधों की प्रजातियों की रक्षा करना।
  2. वन्य प्राणियों की प्रजातियों को विलुप्त होने से बचाना।

प्रश्न 13.
पारिस्थितिकी तंत्र के असंतुलित होने को उदाहरण सहित समझाइए।
उत्तर:
मनुष्यों द्वारा पादपों और जीवों के अत्यधिक उपयोग के कारण पारिस्थितिक तन्त्र असंतुलित हो गया है। उदाहरणस्वरूप लगभग 1300 पादप प्रजातियाँ संकट में हैं तथा 20 प्रजातियाँ विनष्ट हो चुकी हैं। काफी वन्य जीवन प्रजातियाँ भी संकट में हैं और कुछ विनष्ट हो चुकी हैं।

प्रश्न 14.
पारिस्थितिकी तंत्र के असन्तुलन का प्रमुख कारण बताइए।
उत्तर:
पारिस्थितिक तंत्र के असंतुलन का मुख्य कारण लालची व्यापारियों का अपने व्यवसाय के लिए अत्यधिक शिकार करना है। रासायनिक और औद्योगिक अवशिष्ट तथा तेजाबी जमाव के कारण प्रदूषण, विदेशी प्रजातियों का प्रवेश, कृषि तथा निवास के लिए वनों की अंधाधुंध कटाई पारिस्थितिक तंत्र के असंतुलन के कारण हैं।

प्रश्न 15.
मकाक किस वन्यप्राणी की प्रजाति है? इसकी विशेषता भी बताइए।
उत्तर:
मकाक बंदर की एक प्रजाति है। इसके मुँह पर चारों ओर बाल उगे होते हैं जो एक आभामण्डल जैसा दिखायी देता है।

प्रश्न 16.
पारिस्थितिकी तंत्र को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
पृथ्वी पर एक जीव दूसरे जीव से अंतर्संबंधित है, एक के बिना दूसरे की कल्पना भी नहीं की जा सकती। इसे पारिस्थितिकी तंत्र कहते हैं।

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प्रश्न 17.
प्राकृतिक वनस्पति से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
प्राकृतिक वनस्पति का अर्थ है वनस्पति का वह भाग जो कि मनुष्य की सहायता के बिना अपने आप पैदा होता है और लंबे समय तक उस पर मानवी प्रभाव नहीं पड़ता।

प्रश्न 18.
जीवमण्डल निचय से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
एक संरक्षित जीवमण्डल जिसका संरक्षण इस प्रकार किया जाता है कि न केवल उसकी जैविक भिन्नता संरक्षित की जाती है अपितु इसके संसाधनों का प्रयोग भी स्थानीय समुदायों के लाभ हेतु टिकाऊ तरीके से किया जाता है।

प्रश्न 19.
राष्ट्रीय उद्यान किसे कहते हैं?
उत्तर:
राष्ट्रीय उद्यान से आशय उन सुरक्षित स्थलों से है जहाँ पर जानवरों को उनकी नस्ले सुरक्षित रखने के लिए रखा जाता है। कार्बेट नेशनल पार्क और काजीरंगा नेशनल पार्क इसके प्रमुख उदाहरण हैं।

प्रश्न 20.
वन्य प्राणियों का संरक्षण क्यों आवश्यक है?
उत्तर:

  1. भारत में विभिन्न प्रकार के जीव-जन्तु पाए जाते हैं। उनकी देखभाल न होने से जीवों की कई जातियाँ या तो लुप्त हो गयीं या विलुप्ति के कगार पर हैं। इन जीवों के महत्त्व को देखते हुए अब इनका संरक्षण आवश्यक हो गया है।
  2. पारिस्थितिकी संतुलन में भी वन्य प्राणियों का अत्यधिक महत्त्व है। अतः इनका संरक्षण आवश्यक है।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
वनों के क्षेत्र को बढ़ाना क्यों आवश्यक है?
उत्तर:
भारत में वनों को बढ़ाना निम्न कारणों से आवश्यक है-

  1. वन वन्य प्राणियों को संरक्षण प्रदान करते हैं।
  2. वन अकाल की स्थिति से देश को बचाते हैं।
  3. वनों से मरुस्थल का विस्तार होने पर प्रतिबंध लगता है तथा मृदा अपरदन रुकता है।
  4. वन वायुमंडल से नमी आकर्षित कर वर्षा कराने में सहायक हैं।
  5. भारत में वनों का कुल क्षेत्र (22.5%) है जो वांछनीय सीमा (33.3%) से बहुत कम है।
  6. पारितंत्र को बनाए रखने के लिए तथा कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा वायुमंडल में वांछनीय मात्रा तक रखने के लिए वनों का विस्तार अधिक क्षेत्र पर चाहिए।

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प्रश्न 2.
उन प्रमुख वनस्पति प्रदेशों के नाम लिखिए जिनसे आबनूस और सुंदरी वृक्ष संबंधित हैं। उन दो राज्यों के नाम लिखिए जहाँ हाथी पाए जाते हैं। प्राचीन जलोढ़क (बांगर) की दो विशेषताएँ दीजिए।
उत्तर:
दो वनस्पतियों के नाम-

  1. आबनूस-उष्ण कटिबंधीय वर्षा वन।
  2. सुंदरी – ज्वारीय वन।

दो राज्यों के नाम जहाँ हाथी पाये जाते हैं-

  1. पश्चिमी बंगाल तथा
  2. केरल

प्राचीन जलोढ़क (बांगर) की दो विशेषताएँ-

  1. प्राचीन जलोढ़क उस क्षेत्र में मिलती है जहाँ अब बाढ़ का पानी नहीं पहुँचता।
  2. यह कम उपजाऊ होती है।

प्रश्न 3.
उन प्रमुख वनस्पति प्रदेशों के नाम लिखिए जिनसे साल तथा रोजवुड वृक्ष संबंधित हैं। एक सींग वाले गैंडे कहाँ पाए जाते हैं? दो क्षेत्रों के नाम बताइए। नवीन जलोढ़क (खादर) की दो विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर:

  • वृक्ष : वनस्पति के प्रकार
  • साल : उष्ण कटिबंधीय पर्णपाती वन
  • रोजवुड : उष्ण कटिबंधीय वर्षा वन।

एक सींग वाले गैंडे निम्नलिखित क्षेत्रों में पाए जाते हैं-

  1. काजीरंगा राष्ट्रीय पार्क,
  2. मानस राष्ट्रीय पार्क।

नवीन जलोढ़क की विशेषताएँ-

  1. नवीन जलोढ़क प्रतिवर्ष बाढ़ के समय प्राप्त होती है।
  2. यह बांगर की अपेक्षा अधिक उपजाऊ होती है।
  3. इसमें सिंचाई के बिना भी साक् सब्जियों की खेती की जाती है।

प्रश्न 4.
पारितंत्र के संरक्षण के तीन उपाय लिखिए।
उत्तर:
पारितंत्र के संरक्षण के तीन उपाय इस प्रकार हैं-

  1. हर प्रकार के प्रदूषण जैसे-वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण तथा ध्वनि प्रदूषण को रोका जाए। उपर्युक्त उपायों में सरकार के साथ मानवीय प्रयासों का विशेष महत्त्व है। उनको अपने पारितंत्र के संरक्षण में महत्त्वपूर्ण | भूमिका निभानी है।
  2. जंगली जीवों तथा वन-संपदा के शिकार तथा काटने पर प्रतिबंध लगाया जाए।
  3. मृदा अपरदन पर रोक लगाई जाए।

प्रश्न 5.
ज्वारीय वनों की तीन विशेषताएँ बताइए।
उत्तर:

  1. ज्वारीय क्षेत्र में मिलने के कारण इन वनों को ज्वारीय वन कहा जाता है। ज्वारीय वन सुंदरी नामक वृक्षों के लिए प्रसिद्ध हैं। अतः इन वनों को सुंदरी वन भी कहा जाता है। सुंदरी, ताड़, गरान (मैंग्रोव) आदि इन वनों के मुख्य वृक्ष हैं। ऐसे वन गंगा, ब्रह्मपुत्र, कावेरी, कृष्णा, गोदावरी और महानदी के डेल्टा प्रदेशों में मिलते हैं। व्यापारिक दृष्टि से इन वनों का विशेष महत्त्व है।
  2. ये वन तट के सहारे नदियों के ज्वारीय क्षेत्र में पाए जाते हैं।
  3. ज्वारीय क्षेत्र में मीठे व ताजे जल का मिलन होता है। अतः इन वनों के वृक्षों में, ऐसे जल में पनपने की क्षमता होती है।

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प्रश्न 6.
गंगा-ब्रह्मपुत्र के डेल्टा में ज्वारीय वन क्यों पाए जाते हैं? इन वनों की दो प्रमुख विशेषताएँ बताइए।
उत्तर:
गंगा और ब्रह्मपुत्र के डेल्टा प्रदेश में उष्ण कटिबंधीय सदाबहार वनों की भाँति ज्वारीय वन पाए जाते हैं।
ज्वारीय वनों की विशेषताएँ-

  1. ज्वारीय क्षेत्र में ताजे पानी एवं खारे पानी की सुलभता निरंतर बनी रहती है।
  2. डेल्टाई क्षेत्र में मृदा की उर्वरता वनों को और अधिक सघन बनाने और समृद्ध करने में सहायक होती है। इन वृक्षों की नीचे की डालियाँ भूमि में पहुँचकर जड़ों का रूप धारण कर लेती हैं। इससे सघनता और बाढ़ जाती है।

प्रश्न 7.
सदाबहार वन पश्चिमी घाटों के पश्चिमी ढालों पर क्यों पाए जाते हैं? दो कारण बताइए।
उत्तर:
भारत में सदाबहार वन पश्चिमी घाट के पश्चिमी ढाल पर पाए जाते हैं।
क्योंकि-

  1. यहाँ 200 सेमी से अधिक वार्षिक वर्षा होती है।
  2. यहाँ वर्षभर उच्च तापमान पाया जाता है। वर्षा की अधिकता एवं उच्च तापमान के कारण पश्चिमी घाट में पश्चिमी ढालों पर सदाबहार वन पाए जाते हैं।

प्रश्न 8.
भारत के उत्तर पश्चिमी भाग में कैंटीले वन क्यों पाए जाते हैं? दो कारण बताइए।
उत्तर:
भारत में कॅटीले वन उत्तर-पश्चिमी भागों में ही सीमित हैं।
यहाँ इनके पाए जाने के प्रमुख कारण इस प्रकार हैं-

  1. जहाँ 75 सेमी से कम वर्षा होती है, साथ ही वार्षिक और दैनिक तापांतर अधिक पाया जाता है।
  2. ये वन कॅटीले इसलिए हैं, जिससे ये पशुओं से तथा मनुष्यों से अपनी रक्षा कर सकें। इन वनों के वृक्षों की किस्में सीमित होती हैं। कीकर, बबूल, खैर और खजूर इन वनों के उपयोगी वृक्ष हैं। इनकी जड़े लंबी और अरीय आकृति में फैली होती हैं।

प्रश्न 9.
उष्ण कटिबंधीय पर्णपाती वन शुष्क ऋतु में अपनी पत्तियाँ क्यों गिरा देते हैं?
उत्तर:
उष्ण कटिबंधीय पर्णपाती वन सामान्यतः 75 सेमी से 200 सेमी वर्षा वाले क्षेत्रों में पाए जाते हैं। वर्षा भी 4 महीनों तक ही सीमित रहती है। शुष्क ऋतु के प्रारंभ होते ही पर्णपाती वनों में वृक्ष अपनी पत्तियाँ गिराना प्रारंभ कर देते हैं, जिससे लंबी और शुष्क ऋतु को सहन करने की क्षमता उनमें रहे और वे अपने को जीवित रख सकें। ये शुष्क, ऋतु में 6 से लेकर 8 सप्ताह तक अपनी पत्तियाँ गिरा देते हैं। प्रत्येक जाति के वृक्षों के पतझड़ का समय अलग-अलग होता है।

प्रश्न 10.
वन्य प्राणियों की लुप्त होने वाली जातियों के संरक्षण के लिए क्या-क्या उपाय किए जा रहे हैं? दो उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
भारत में वन्य प्राणियों की लुप्त होने वाली जातियों के संरक्षण हेतु अपनाए गए उपाय इस प्रकार हैं-

  1. विभिन्न वन्य प्राणियों की संख्या की गणना समय-समय पर की जाती है जिससे उनके घटने या बढ़ने की जानकारी प्राप्त की जा सके तथा उपचारिक कदम उठाए जा सकें।
  2. लुप्त होने वाली जातियों का पता लगाकर उनके संरक्षण के लिए विशेष आंदोलन चलाए गए हैं जैसे प्रोजेक्ट टाइगर, प्रोजेक्ट रिनौ, प्रोजेक्ट (UPBoardSolutions.com) बस्टारड आदि।
  3. जीव आरक्षित क्षेत्रों की स्थापना की जा रही है, जिससे वन्य प्राणियों को सुरक्षित अगली पीढ़ी को सौंपा जा सके।

प्रश्न 11.
पश्चिमी राजस्थान में मिट्टी और प्राकृतिक वनस्पति के संरक्षण के दो उपाय सुझाइए।
उत्तर:
पश्चिमी राजस्थान वर्षा के अभाव में पूर्णतः मरुस्थल है। मरुस्थलों में पवन मृदा को स्थानांतरित करती रहती है।

  1. मिट्टी को पवन के प्रहार से बचाने का एकमात्र उपाय है कि इन क्षेत्रों में पानी पहुँचाया जाए। पानी के पहुँचने से वनस्पति एवं कृषि फसलों का साम्राज्य बन (UPBoardSolutions.com) जाएगा और पवन का प्रहार प्रभावहीन हो जाएगा।
  2. प्राकृतिक वनस्पति का यहाँ लगभग अभाव उसे बनाए रखने के लिए पशुओं से उसे बचाकर रखने की आवश्यकता

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प्रश्न 12.
वनों का महत्त्व स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
नवीनीकरण, संसाधन वन वातावरण की प्राकृतिक गुणवत्ता को बनाए रखने और उसमें वृद्धि करने में वन महत्त्वपूर्ण वन भूमिका निभाते हैं।
निम्नलिखित कारणों से वन महत्त्वपूर्ण हैं-

  1. ये पवन तथा तापमान को नियंत्रित करते हैं और वर्षा लाने में भी सहायता करते हैं।
  2. इनसे मृदा को जीवाश्म मिलता है और वन्य प्राणियों को आश्रय।
  3. ये विभिन्न उपभोक्ता सामग्री जैसे जलावन, ओषधि तथा जड़ी बूटियाँ उपलब्ध कराते हैं।
  4. ये कई समुदायों को जीविका प्रदान करते हैं।
  5. ये हमारे वातावरण की वायु प्रदूषण से रक्षा करने में सहायता करते हैं।
  6. वन स्थानीय वातावरण को बदल देते हैं।
  7. ये मृदा अपरदन को नियंत्रित करते हैं।
  8. ये नदियों के प्रवाह को रोकते हैं।
  9. ये बहुत सारे उद्योगों के आधार हैं।
  10. ये मनुष्य को जड़ी-बूटी व ओषधियाँ उपलब्ध कराते हैं तथा उन्हें स्वयं को कई बीमारियों से सुरक्षित रखने में सहायता करते हैं।

प्रश्न 13.
घनस्पति एवं प्राणी जगत की सुरक्षा क्यों आवश्यक है?
उत्तर:
निम्नलिखित कारणों से वनस्पति एवं प्राणी जगत की सुरक्षा करना आवश्यक है-

  1. पौधे हमें भोजन, आश्रय तथा अन्य कई लाभदायक चीजें प्रदान करते हैं। औषधीय पादप जैसे सर्पगंधा व जामुन मानव जाति के लिए अत्यधिक महत्त्व के हैं।
  2. प्रत्येक प्रजाति पारिस्थितिक तंत्र में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है। अतः उनका संरक्षण अति आवश्यक है।
  3. पालतू पशु हमें दूध उपलब्ध कराते हैं। वे हमें मांस, अंडे, मछली आदि भी उपलब्ध कराते हैं तथा परिवहन में सहायता करते हैं।
  4. कीट पतंगे हमारी फसलों तथा फलदार पौधों के परागण में सहायता करते हैं तथा हानिकारक कीटों पर जैविक नियंत्रण करने में सहायक हैं।

प्रश्न 14.
पारिस्थितिकी तंत्र का अर्थ स्पष्ट कीजिए। पारिस्थितिकी तंत्र के अंगों तथा उनकी परस्पर निर्भरता के बारे में संक्षेप में लिखिए।
उत्तर:
किसी क्षेत्र विशेष के समस्त पेड़-पौधे एवं जीव-जन्तु उनके भौतिक वातावरण में परस्पर निर्भर तथा एक-दूसरे से संबंधित होते हैं। इस प्रकार एक पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करते हैं। इस प्रकार पारिस्थितिकी तंत्र पारस्परिक निर्भरता से निर्मित भौतिक वातावरण एवं उसमें रहने वाले जीवों का तंत्र है।
पौधे, प्राणी, मनुष्य तथा वातावरण पारिस्थितिकी तंत्र के विभिन्न अंग हैं।

पौधे पृथ्वी का प्रमुख प्राकृतिक अंग हैं जो सूर्य के प्रकाश से अपना भोजन बना सकते हैं। पौधे किसी भी देश के प्राकृतिक संसाधनों की रीढ़ हैं। किसी क्षेत्र के पादपों की प्रकृति काफी हद तक उस क्षेत्र के प्राणी जीवन को प्रभावित करती है। जब वनस्पति बदल जाती है तो प्राणी जीवन भी (UPBoardSolutions.com) बदल जाता है। मानव भी पारिस्थितिक तंत्र का एक अभिन्न अंग है। वे वनस्पति तथा वन्य जीवन का उपभोग करते हैं। किसी भी क्षेत्र के पादप तथा प्राणी आपस में तथा अपने भौतिक पर्यावरण से अंतर्संबंधित होते हैं।

दीर्घ उतरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
भारत में प्रयुक्त होने वाले कुछ औषधीय पादपों का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत कीजिए। ये औषधीय पादप किन रोगों का उपचार करते हैं?
उत्तर:
भारत में प्रयोग में लाए जाने वाले औषधीय पादपों का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है-

  1. कचनार : फोड़ा (अल्सर) व दमा रोगों के लिए प्रयोग होता है। इस पौधे की जड़ और कली पाचन शक्ति में सहायता करती है।
  2. अर्जुन : ताजे पत्तों को निकाला हुआ रस कान के दर्द के इलाज में सहायता करता है। यह रक्तचाप की नियमितता के लिए भी लाभदायक है।
  3. बबूल : इसके पत्ते आँख की फुसी के लिए लाभदायक हैं। इससे प्राप्त गोंद का प्रयोग शारीरिक शक्ति की वृद्धि के लिए होता है।
  4. नीम : जैव और जीवाणु प्रतिरोधक है।
  5. तुलसी पादप : जुकाम और खाँसी की दवा में इसका प्रयोग होता है।
  6. सर्पगंधा : यह रक्तचाप के निदान के लिए प्रयोग होता है।
  7. जामुन : पके हुए फल से सिरका बनाया जाता है जो कि वायुसारी और मूत्रवर्धक है और इसमें पाचन शक्ति के भी गुण हैं। बीज का बनाया हुआ पाउडर मधुमेह रोग में सहायता करता है।

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प्रश्न 2.
भारत में वन्य जीवन पर संक्षिप्त लेख लिखिए।
उत्तर:
भारत प्राणी संपत्ति में एक सम्पन्न देश है। भारत में उच्चावच, वर्षण तथा तापमान आदि में भिन्नता के कारण जैव एवं वानस्पतिक विविधता पायी जाती है। भारत में जीवों की 89000 प्रजातियाँ पाई जाती हैं। यहाँ 1200 से अधिक पक्षियों की प्रजातियाँ पाई जाती हैं। यह कुल विश्व का 13 प्रतिशत है। यहाँ मछलियों की 2500 प्रजातियाँ हैं जो विश्व का लगभग 12 प्रतिशत है। भारत में विश्व के 5 से 8 प्रतिशत तक उभयचरी, सरीसृप तथा स्तनधारी जानवर भी पाए जाते हैं। स्तनधारी जानवरों में हाथी सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण है। ये असोम, कर्नाटक और केरल के उष्ण तथा आर्द्र वनों में पाए जाते हैं। एक सींग वाले गैंडे अन्य जानवर है जो पश्चिमी बंगाल तथा असोम के दलदली क्षेत्रों में रहते हैं। कच्छ के रन तथा थार मरुस्थल में क्रमशः जंगली गधे तथा ऊँट रहते हैं। भारतीय भैंसा, नील गाय, चौसिंघा, गैजल तथा विभिन्न प्रजातियों वाले हिरण आदि कुछ अन्य जानवर हैं जो भारत में पाए जाते हैं।

यहाँ बन्दरों, बाघों एवं शेरों की भी अनेक प्रजातियाँ पाई जाती हैं। भारतीय बाघों का प्राकृतिक वास स्थल गुजरात में गिर जंगल है। बाघ मध्य प्रदेश तथा झारखंड के वनों, पश्चिमी बंगाल के सुंदरवन तथा हिमालयी क्षेत्रों में पाए जाते हैं। लद्दाख की बर्फीली ऊँचाइयों में याक पाए जाते हैं जो गुच्छेदार सींगों वाला बैल जैसा जीव है,जिसका भार लगभग एक टन होता है। तिब्बतीय बारहसिंघा, भारल (नीली भेड़), जंगली भेड़ (UPBoardSolutions.com) तथा कियांग (तिब्बती जंगली गधे) भी यहाँ पाए जाते हैं। कहीं-कहीं लाल पांडा भी कुछ भागों में मिलते हैं। नदियों, झीलों तथा समुद्री क्षेत्रों में कछुए, मगरमच्छ और घड़ियाल पाए जाते हैं। घड़ियाल, मगरमच्छ की प्रजाति का एक ऐसा प्रतिनिधि है जो विश्व में केवल भारत में पाया जाता है। नदियों, झीलों तथा समुद्री क्षेत्रों में कछुए, मगरमच्छ और घड़ियाल पाए जाते हैं। मोर, बत्तख, तोता, सारस, पैराकीट आदि,अन्य जीव हैं जो भारत के वनों तथा आई क्षेत्रों में रहते हैं।

प्रश्न 3.
अल्पाइन एवं मैंग्रोव वनों का विवरण प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर:
अल्पाइन वन – ये वन हिमालच प्रदेश में 3600 मीटर से अधिक की ऊँचाई पर पाए जाते हैं। अल्पाइन वनों में कम लम्बाई वाले वृक्ष एवं झाड़ियाँ उगती हैं। बर्च इन वनों का मुख्य वृक्ष है। उसके अलावा कहीं-कहीं पर सिल्वर-फर, जूनिपर, देवदार, पाईन आदि के वृक्ष पाए जाते हैं। हिमरेखा के समीप टुण्ड्रा तुल्य वनस्पति पाई जाती है। यहाँ झाड़ियाँ तथा काई उत्पन्न होती है।

मैंग्रोव वन – ये वन तटीय प्रदेशों में नदियों के डेल्टाओं में पाए जाते हैं, इसलिए इनको डेल्टा वन भी कहते हैं। इन वनों में सुंदरी वृक्ष की प्रधानता है। अतः उन्हें सुंदरी वन भी कहते हैं। सबसे अधिक मैंग्रोव सुंदरवन डेल्टा में पाए जाते हैं।

प्रश्न 4.
ऊँचाई के अनुसार पर्वतीय वनों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
हिमालय पर्वत पर पाए जाने वाले वनों को पर्वतीय वन कहते हैं। इस क्षेत्र की वनस्पति में ऊँचाई के अनुसार अंतर पाया जाता है।
इस क्षेत्र को ऊँचाई के अनुसार निम्न वानस्पतिक क्रमों में बाँटा गया है-

  1. शंकुधारी वन – 1,500 से 3,000 मीटर की ऊँचाई तक शंकुधारी (कोणधारी) वन पाए जाते हैं। इनकी पत्तियाँ नुकीली होती हैं। इन वनों के मुख्य वृक्ष देवदार, सीडर, स्थूस तथा सिल्वर-फर हैं। इन शंकुल वृक्षों के साथ अल्पाइन चरागाह 2,250 से 2,750 मीटर तक की ऊँचाई के मध्य पाए जाते हैं। इन चरागाहों का उपयोग ऋतु-प्रवास चराई के लिए किया जाता है। प्रमुख पशुचारक जातियाँ गुंजर तथा बकरवाल हैं।
  2. उपोष्ण कटिबंधीय पर्वतीय वनस्पति – यह वनस्पति 1,000-2,000 मीटर की ऊँचाई तक उत्तरी-पूर्वी हिमालय एवं पूर्वी हिमालय पर पाई जाती है। इस भाग में वर्षा अधिक होती है। अतः इन वनों में सदाहरित वृक्ष पाए जाते हैं। इनमें विभिन्न प्रकार के ओक, चेस्टनट और चीड़ (UPBoardSolutions.com) के वृक्ष पाए जाते हैं। ये सदापर्णी वन हैं।
  3. उष्ण कटिबंधीय पर्णपाती वन – ये वन उत्तरी-पश्चिमी हिमालय पर 1,000 मी की ऊँचाई तक पाए जाते हैं। यहाँ वर्षा की मात्रा कम होती है। इस कारण यह वृक्ष शुष्क मौसम में अपनी पत्तियाँ गिरा देते हैं। इनका मुख्य वृक्ष साखू है।

प्रश्न 5.
वनस्पति जगत एवं प्राणी जगत में भिन्नता के लिए उत्तरदायी कारकों का संक्षिप्त विवेचन कीजिए।
उत्तर:
तापमान, आर्द्रता, भूमि-मृदा एवं वर्षण भारत में वानस्पतिक एवं वन्य-प्राणियों में विविधता हेतु उत्तरदायी प्रमुख कारक हैं, जिनका विवरण इस प्रकार है-
(i) तापमान – हवा में नमी के साथ तापमान, वर्षण तथा मृदा वनस्पति के प्रकार को निर्धारित करते हैं। हिमालय की ढलानों तथा प्रायद्वीपीय पहाड़ियों पर उपोष्ण कटिबंधीय तथा अल्पाइन वनस्पति पाई जाती है।
(ii) सूर्य का प्रकाश – किसी भी स्थान पर सूर्य के प्रकाश का समय उस स्थान के अक्षांश, समुद्र तल से ऊँचाई। एवं ऋतु पर निर्भर करता है। प्रकाश अधिक समय तक मिलने के कारण वृक्ष गर्मी की ऋतु में जल्दी बढ़ते हैं।लंबे समय तक सूर्य का प्रकाश पाने वाले क्षेत्रों में गहन वनस्पति पाई जाती है।

वर्षण – भारत में दक्षिण-पश्चिमी मानसून तथा लौटती हुई उत्तर-पूर्वी मानसून द्वारा वर्षा होती है। भारी वर्षा वाले क्षेत्रों में कम वर्षा वाले क्षेत्रों की अपेक्षा कम गहन वनस्पति पाई जाती है। भूमि-भूमि प्राकृतिक वनस्पति को प्रत्यक्ष एवं परोक्ष रूप से प्रभावित करती है। यह वनस्पति के प्रकार को प्रभावित करती है। उपजाऊ भूमि को कृषि के लिए प्रयोग किया जाता है जबकि वन चरागाहों एवं विभिन्न वन्य प्राणियों को आश्रय प्रदान करते हैं।

विभिन्न प्रकार की मृदा, विभिन्न प्रकार की वनस्पति को उगने में सहायता प्रदान करती है। मरुस्थल की रेतीली जमीन कैक्टस एवं काँटेदार झाड़ियों को उगने में सहायता (UPBoardSolutions.com) प्रदान करती है जबकि गीली, दलदली, डेल्टाई मृदा मैंग्रोव तथा डेल्टाई वनस्पति के उगने में सहायक होती है। कम गहराई वाली पहाड़ी ढलानों की मृदा शंकुधारी वृक्षों के उगने में सहायक होती है।

प्रश्न 6.
हिमालय क्षेत्र की प्रमुख वानस्पतिक पेटियों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
हिमालय क्षेत्र की प्रमुख वानस्पतिक पेटियाँ – ऊँचाई के आधार पर पर्वतीय क्षेत्रों के अनेक विभाग होते हैं। ऊँचाई के साथ-साथ तापमान में भी कमी आती जाती है। इन क्षेत्रों में वर्षा के वितरण में भी अन्तर पाया जाता है। पर्वतीय क्षेत्रों में उष्ण कटिबंधीय सदाहरित वनों से लेकर ध्रुवीय वनस्पति तक पायी जाती है।
हिमालय क्षेत्र की वनस्पति को प्रमुख रूप से चार भागों में बाँटा जा सकता है-
(1) उष्ण कटिबन्धीय आई पर्णपाती वन – हिमालय की गिरिपाद शिवालिक श्रेणियाँ उष्ण कटिबंधीय आर्द्र पर्णपाती वनों से ढकी हैं। इन वनों का आर्थिक दृष्टि से सबसे महत्त्वपूर्ण वृक्ष साल है। बाँस भी यहाँ खूब होता है।

(2) उपोष्ण कटिबंधीय पर्वतीय वन – इस क्षेत्र से ऊपर उपोष्ण कटिबंधीय वन मिलते हैं। समुद्र तल से 1000 से 2000 मीटर तक की ऊँचाई वाले भागों में आई पर्वतीय वन पाए जाते हैं। ये वन सदाबहार की श्रेणी में आते हैं। इनमें विभिन्न प्रकार की ओक, चेस्टनट, सेब और चीड़ के वृक्ष पाए जाते हैं। ऐश और बीच यहाँ के अन्य वृक्ष हैं।

(3) शंकुधारी वन – समुद्र तल से 1600 से 3300 मीटर की ऊँचाई के बीच चीड़, सीडर, सिल्वर-फर और स्पूस के वृक्षों की प्रधानता है। ये शीतोष्ण कटिबंध के प्रसिद्ध शंकुधारी वन हैं। हिम वर्षा को सहन करने के कारण इन वृक्षों की पत्तियाँ नुकीली हैं, जो शंकु के समान दिखाई पड़ती हैं। अल्पाइन वन-ऊँचाई बढ़ने के साथ-साथ इन शंकुधारी वनों का स्थान अल्पाइन वन ले लेते हैं। ये हिमालय पर 3,300 से 3,600 मीटर की ऊँचाई तक पाए जाते हैं। इन वनों में छोटे कद के वृक्ष तथा झाड़ियाँ उगती हैं। इन वनों के प्रमुख वृक्ष सिल्वर-फर, चीड़, भुर्ज तथा हपुषा हैं।

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प्रश्न 7.
वनस्पति का अर्थ बताइए। भारतीय वनस्पति आज कितनी प्राकृतिक रह गयी है?
उत्तर:
एक दिए गए पर्यावरण की रूपरेखा में एक-दूसरे से परस्पर मिलकर रहने वाले पादप प्रजातियों के समुदाय को वनस्पति कहते हैं।
वर्तमान भारत में प्राकृतिक वनस्पति प्राकृतिक नहीं रह गयी है, जिसके निम्नलिखित कारण हैं-

  1. भारत के अधिकांश क्षेत्रों (हिमालय तथा थार मरुस्थल के आंतरिक भागों को छोड़कर) में मानवीय हस्तक्षेप के कारण प्राकृतिक वनस्पति या तो नष्ट कर दी गई है या उसे बदल दिया गया है।
  2. भारत में 40% पादप प्रजातियाँ विदेशों से लाकर उत्तर भारत तथा राजस्थान में थार मरुभूमि में लगाई गई हैं।
  3. अधिकांश प्राकृतिक वनस्पति को काटकर उसके स्थान पर कृषि तथा औद्योगिक इकाइयों को लगा दिया गया है। और यह वनस्पति बिल्कुल समाप्त हो गई है।

प्रश्न 8.
भारत में उच्चावच तथा वर्षा ने प्राकृतिक वनस्पति को किस तरह प्रभावित किया है?
उत्तर:
भारत में उच्चावच तथा वर्षा प्राकृतिक वनस्पति के वितरण को निम्नलिखित प्रकार से प्रभावित करते हैं –

  1. उच्चावच तथा वर्षा का सीधा संबंध है। पर्वतीय क्षेत्रों में अधिक वर्षा होती है। अतः इन क्षेत्रों में सदाबहार वनों का विस्तार पाया जाता है।
  2. जिन भागों में पठारी तथा मैदानी उच्चावच है वहाँ वर्षा सामान्य होती है और इन क्षेत्रों में पर्णपाती वनों का विस्तार मिलता है।
  3. मरुस्थली उच्चावच में वर्षा कम होती है। अतः यहाँ कॅटीले वन तथा झाड़ियों का विस्तार है।
  4. दलदली उच्चावचं तथा खारे और मीठे पानी के मिश्रण के क्षेत्र में सुंदरी वृक्ष उगते हैं।

प्रश्न 9.
भारत में उष्ण कटिबन्धीय वर्षा वनों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
उष्ण कटिबन्धीय वर्षा वनों में पर्याप्त वर्षा तथा उच्च तापमान के कारण वृक्षों की ऊँचाई 60 मीटर से अधिक होती है। इन वृक्षों के ऊपरी भाग आपस में इतने मिले होते हैं कि सूर्य का प्रकाश ऊपर से नीचे की ओर कठिनाई से ही पहुँच पाता है। इन वृक्षों की जड़ों में बेलें उग आती हैं। ये बेलें पेड़ों पर चढ़ जाती हैं। इस तरह से ये पेड़ इतने सघन होते हैं कि उनमें से गुजरना अत्यन्त कठिन होता है। इन वनों में पतझड़ का एक निश्चित समय न होने से ये सदैव हरे भरे रहते हैं। ये सदाहरित वन 200 सेमी से अधिक वर्षा वाले भागों में पाए जाते हैं। भारत में ये वन पश्चिमी तटीय प्रदेश, पश्चिमी घाट के पश्चिमी ढाल, उत्तर-पूर्वी पर्वतीय प्रदेश तथा अंडमान-निकोबार, लक्षद्वीप इत्यादि में पाए जाते हैं।

इन वनों के मुख्य वृक्ष रबड़, बाँस, ताड़, जामुन, महोगनी, आबनूस, रोजवुड, बैंत, नारियल, सिनकोना इत्यादि हैं। इन वृक्षों से मूल्यवान एवं उपयोगी वस्तुएँ प्राप्त होती हैं। उपयोगी रबड़ के वृक्ष से रबड़, सिनकोना के वृक्ष की छाल से कुनैन और नारियल की लकड़ी से नाव और सजावट का सामान, (UPBoardSolutions.com) इसके फल से तेल तथा रेशे से रस्से, टाट, ब्रश, पायदान आदि बनाए जाते हैं। आर्थिक दृष्टि से इन वनों का महत्त्व बहुत कम है क्योंकि सघनता के कारण इनको काटना बहुत कठिन है तथा इनमें एक ही स्थान पर एक प्रकार के वृक्ष नहीं उगते हैं।

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प्रश्न 10.
भारतीय वनस्पति एवं जैव-विविधता संरक्षण पर संक्षेप में लिखिए।
उत्तर:
भारतीय वनस्पति-

  1. भारत में प्राकृतिक वनस्पति का आवरण साफ करके प्राप्त भूमि पर उद्योग तथा कृषि का विस्तार किया गया है।
  2. भारत में लगभग 49,000 पौधों की प्रजातियाँ पाई जाती हैं। इस दृष्टि से भारत का संसार में 10 वाँ स्थान तथा एशिया में चौथा स्थान है।
  3. 15,000 प्रजातियों के फूल वाले पौधे मिलते हैं। यह संसार का 6% है।
  4. बिना फूल वाले पौधों में फर्न, शैवाल तथा फंजाई हैं।
  5. उच्चावच, तापमान तथा वर्षा की विविधता के कारण यहाँ उष्ण कटिबंधीय सदाबहार (वर्षा) वनों से लेकर ध्रुवीय प्रदेश तक की वनस्पति पाई जाती है।
  6. भारत के हिमालय क्षेत्र तथा प्रायद्वीपीय पठार पर देशज वनस्पति का विस्तार है जबकि 40% वनस्पति बाहर से लाकर लगाई गई है। जैव-विविधता

संरक्षण-

  1. वन्य-प्राणियों की सुरक्षा तथा संरक्षण के उपाय किए जा रहे हैं –
    1. संकटापन्न बने जीवों पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।
    2. इनकी अब गणना की जाने लगी है।
    3. बाघ परियोजना को सफलता मिल चुकी है।
    4. असम में गैंडे के संरक्षण की एक विशेष योजना चलाई जा रही है। सिंहों की घटती संख्या चिंता का विषय बन गई है।
      अतः आरक्षित क्षेत्रों की संख्या और उनके क्षेत्रों के विस्तार पर बल दिया जा रहा है।
  2. वन्य-प्राणियों से हमने बहुत कुछ सीखा है। सभी प्राणी श्रमशील हैं। उनमें प्यार, लगाव, आक्रमण, सुरक्षा, सामंजस्य, साहस, समझदारी, चतुराई, क्रीड़ा, उत्सव आदि सहज भाव से पाया जाता है, जिनको मनुष्य ने उनसे सीखा और अपनाया है। अतः वन्य-जीवों का संरक्षण बहुत की आवश्यक है।
  3. जैव-विविधता प्रकृति की धरोहर है। यह प्राकृतिक धरोहर हमारी ही नहीं अपितु भावी पीढ़ियों की भी है। इस प्राकृतिक धरोहर को भावी पीढ़ियों तक (UPBoardSolutions.com) ज्यों-का-त्यों पहुँचाना प्रत्येक नागरिक का धर्म और कर्तव्य है।
  4. प्राकृतिक परिवर्तन तथा मनुष्य के हस्तक्षेप से अनेक जीव-जातियाँ विलुप्त हो चुकी हैं और कई के निकट भविष्य में विलुप्त होने का भय बना हुआ है।

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UP Board Solutions for Class 9 Home Science प्रैक्टिस सेटस

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These Solutions are part of UP Board Solutions for Class 9 Home Science . Here we have given UP Board Solutions for Class 10 Home Science प्रैक्टिस सेटस.

प्रोजेक्ट-1

समस्या कथन:
गृह विज्ञान में समावेश होने वाले विषयों की सूची बनाइए।

प्रस्तावना:
गृह विज्ञान वास्तव में कोई स्वतन्त्र विषय नहीं है, वरन् यह विभिन्न सामाजिक एवं वैज्ञानिक विषयों के ऐसे अंशों का समन्वित रूप है, जिनका ज्ञान घर एवं सामाजिक परिवेश के सामान्य क्रियाकलापों में भाग लेने एवं गृहस्थ-जीवन की दैनिक समस्याओं को हल करने हेतु आवश्यक है। इस प्रकार यह स्पष्ट है। कि गृह विज्ञान का अध्ययन क्षेत्र पर्याप्त विस्तृत है।

उद्देश्य, लक्ष्य एवं कार्य-प्रणाली:
प्रस्तुत परियोजना कार्य का उद्देश्य गृह विज्ञान के अन्तर्गत आने वाले अन्य विषयों को सूचीबद्ध करना है। इसका मुख्य लक्ष्य गृह विज्ञान विषय की विभिन्नताओं को एकरूप में दृष्टिगत (UPBoardSolutions.com) करते हुए संक्षेप में अध्ययन करना है। परियोजना कार्य के उद्देश्य एवं लक्ष्यों की प्राप्ति हेतु आगमन विधि (Induction Method) का प्रयोग किया गया है।

गृह विज्ञान का अध्ययन क्षेत्र
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प्रोजेक्ट सम्बन्धी मौखिक प्रश्न

प्रश्न 1:
गृह विज्ञान किस प्रकार का अध्ययन है?
उत्तर:
गृह विज्ञान वह व्यवस्थित अध्ययन है जिसके अन्तर्गत उन सभी विषयों का अध्ययन किया जाता है जो सुखी एवं आदर्श परिवार के निर्माण में सहायक होते हैं।

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प्रश्न 2:
गृह विज्ञान की प्रकृति क्या है?
उत्तर:
गृह विज्ञान न तो शुद्ध विज्ञान है और न ही शुद्ध कला। यह विज्ञान भी है तथा कला भी।

प्रोजेक्ट-2

विषय:
स्वास्थ्य कार्यों में विभिन्न समाज-सेवी संस्थाओं की भूमिका।

परिचय:
जन-स्वास्थ्य को उन्नत बनाना एक अति आवश्यक कार्य है। इसका मुख्य दायित्व राज्य एवं स्थानीय संस्थाओं का है परन्तु विभिन्न समाज-सेवी संस्थाएँ भी इस क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। हमारे देश में विभिन्न प्रकार की समाज-सेवी संस्थाएँ सक्रिय हैं जिनमें से कुछ अन्तर्राष्ट्रीय संस्थाएँ हैं। तथा कुछ राष्ट्रीय। विभिन्न क्लब; जैसे-लायन्स क्लब, रोटरी क्लब, रेडक्रॉस सोसाइटी आदि स्वास्थ्य कार्यों में विशेष योगदान देते हैं। इनके अतिरिक्त विभिन्न धार्मिक एवं जातीय संगठन; जैसे-जैन मिलन, वैश्य समाज, ब्राह्मण सभा, शिरोमणि एकेडमी, पंजाबी संगठन आदि। इनके अतिरिक्त अनेक चैरिटेबल ट्रस्ट भी स्वास्थ्य कार्यों में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

समाज-सेवी संस्थाओं द्वारा किये जाने वाले स्वास्थ्य कार्य

(1) स्वास्थ्य जाँच कार्य:
प्रायः सभी समाज-सेवी संस्थाएँ समय-समय पर आम नागरिकों के स्वास्थ्य के विभिन्न पक्षों की जाँच का कार्य करती हैं। इसके लिए कैम्प या शिविर आयोजित किये जाते हैं। ये शिविर–मधुमेह जाँच, रक्त चाप जाँच, नेत्र-रोग जाँच, दंत-जाँच, हड्डी-जाँच आदि के रूप में आयोजित होते हैं।

(2) टीकाकरण:
विभिन्न समाज-सेवी संस्थाएँ जन-स्वास्थ्य के लिए सामान्य नियमित टीकाकरण तथा किसी संक्रामक रोग के फैलने पर आकस्मिक टीकाकरण का आयोजन करती हैं।

(3) डिस्पेन्सरी स्थापित करना:
अनेक समाज-सेवी संस्थाएँ जन-स्वास्थ्य के लिए तथा रोगियों के उपचार के लिए डिस्पेन्सरी या औषधालय स्थापित करती हैं, जहाँ रोगियों का नि:शुल्क अथवा बहुत कम शुल्क पर अच्छा उपचार किया जाता है।

(4) स्वास्थ्य-नियमों की जानकारी प्रदान करना:
प्रायः सभी समाज-सेवी संस्थाएँ ग्रामीण-क्षेत्रों में तथा मलीन बस्तियों में व्यापक स्तर पर स्वास्थ्य-नियमों की जानकारी प्रदान करने का कार्य करती हैं। इनमें नशाखोरी उन्मूलन, सन्तुलित आहार तथा हर प्रकार की सफाई पर अधिक बल दिया जाता है।

(5) पौष्टिक-आहार वितरण:
बहुत-सी समाज-सेवी संस्थाएँ जन-स्वास्थ्य के स्तर को उन्नत बनाने के लिए ग्रामीण एवं मलीन बस्तियों के क्षेत्र में पौष्टिक आहार के वितरण का कार्य भी करती हैं। इस (UPBoardSolutions.com) कार्य के अन्तर्गत गर्भवती एवं धात्री महिलाओं तथा शिशुओं के लिए पौष्टिक-आहार की व्यवस्था पर अधिक बल दिया जाता है।

(6) रोगों से बचाव सम्बन्धी जानकारी:
बहुत से रोग केवल अज्ञानता के कारण फैलते हैं। अतः समाज-सेवी संस्थाएँ जन-साधारण को रोगों से बचाव सम्बन्धी जानकारी प्रदान करने का कार्य भी करती हैं। इस प्रकार के मुख्य रोग हैं-संक्रामक रोग तथा अभाव जनित रोग।

(7) पर्यावरण-संरक्षण सम्बन्धी जानकारी:
जन-स्वास्थ्य के स्तर को उन्नत बनाने के लिए पर्यावरण-संरक्षण भी अति आवश्यक है। अत: समाज-सेवी संस्थाएँ जन-साधारण को पर्यावरण-संरक्षण सम्बन्धी उपयोगी एवं व्यावहारिक जानकारी प्रदान करने का भी कार्य करती हैं।

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प्रोजेक्ट सम्बन्धी मौखिक प्रश्न

प्रश्न 1:
किन्हीं दो अन्तर्राष्ट्रीय समाज-सेवी संस्थाओं के नाम बताइए।
उत्तर:
लायन्स क्लब तथा रोटरी इण्टरनेशनल दो मुख्य अन्तर्राष्ट्रीय समाज-सेवी संस्थाएँ हैं।

प्रश्न 2:
क्या समाज-सेवी संस्थाएँ निःशुल्क स्वास्थ्य सेवाएँ उपलब्ध कराती हैं?
उत्तर:
हाँसमाज-सेवी संस्थाएँ नि:शुल्क अथवा अतिन्यून शुल्क लेकर उत्तम स्वास्थ्य सेवाएँ उपलब्ध कराती हैं।

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प्रश्न 3:
समाज-सेवी संस्थाओं की स्वास्थ्य-कार्यों में प्रमुख भूमिका या योगदान क्या है?
उत्तर:
समाज-सेवी संस्थाएँ जन-साधारण में जन-स्वास्थ्य सम्बन्धी जागरूकता विकसित करने का कार्य करती हैं।

प्रोजेक्ट-3

विषय:
वायु-प्रदूषण-कारण, प्रभाव तथा रोकथाम।

प्रस्तावना:
वायु में अशुद्धियों एवं हानिकारक तत्त्वों का व्याप्त हो जाना वायु प्रदूषण कहलाता है। वायु-प्रदूषण की स्थिति के लिए विभिन्न कारक जिम्मेदार हो सकते हैं। हर प्रकार के वायु-प्रदूषण को जन-जीवन पर कुछ न कुछ प्रतिकूल प्रभाव अवश्य पड़ता है। वर्तमान औद्योगिक एवं नगरीय (UPBoardSolutions.com) परिस्थितियों में वायु प्रदूषण को पूरी तरह से समाप्त नहीं किया जा सकता, परन्तु इसकी रोकथाम एवं नियन्त्रण के उपाय अवश्य किये जा सकते हैं।

उद्देश्य, लक्ष्य एवं कार्य-प्रणाली:
प्रस्तुत परियोजना कार्य का उद्देश्य वायु प्रदूषण के कारणों, प्रभावों एवं रोकथाम के उपायों का अध्ययन करना है। इसका मुख्य लक्ष्य प्रदूषण की रोकथाम में व्यक्तिगत भूमिका का आकलन करना है, क्योंकि वायु प्रदूषण का मुख्य कारण मानवीय गतिविधियाँ ही हैं, इसलिए इसका संरक्षण करना एवं प्रदूषित होने से बचाने की जिम्मेदारी भी मानव मात्र की ही है। परियोजना कार्य के उद्देश्य एवं लक्ष्यों की प्राप्ति हेतु वर्णनात्मक विधि (Descriptive Method) का प्रयोग किया गया है।

वायु-प्रदूषण-कारण, प्रभाव तथा रोकथाम
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UP Board Solutions for Class 9 Home Science प्रैक्टिस सेटस 1a

प्रोजेक्ट सम्बन्धी मौखिक प्रश्न

प्रश्न 1:
वायु-प्रदूषण से क्या आशय है?
उत्तर:
वायु में हानिकारक तत्त्वों का व्याप्त हो जाना वायु प्रदूषण कहलाता है।

प्रश्न 2:
कारखानों की चिमनी से निकलने वाला धुआँ किस प्रकार के प्रदूषण में वृद्धि करता है?
उत्तर:
कारखानों की चिमनी से निकलने वाले धुएँ से वायु-प्रदूषण में वृद्धि होती है।

प्रश्न 3:
वस्तुओं के जलने से कौन-सी गैस बनती है?
उत्तर:
वस्तुओं के जलने से कार्बन डाइऑक्साइड गैस बनती है।

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प्रश्न 4:
वायु-प्रदूषण को नियन्त्रित करने का मुख्य उपाय क्या है?
उत्तर:
वायु-प्रदूषण को नियन्त्रित करने का मुख्य उपाय है – अधिक से अधिक पेड़ लगाना।

प्रोजेक्ट-4

समस्या कथन:
किशोरावस्था (13 से 18 वर्ष) के लिए एक दिन का सन्तुलित आहार का चार्ट तैयार करना।

प्रस्तावना:
किशोरावस्था में तीव्र शारीरिक एवं मानसिक विकास होता है। इस अवस्था में पर्याप्त मात्रा में सन्तुलित आहार ग्रहण करना आवश्यक होता है। इस अवस्था में लड़के-लड़की के आहार में भी कुछ अन्तर हो जाता है। किशोरावस्था में आहार में मिर्च-मसालों को अधिक प्रयोग नहीं होना (UPBoardSolutions.com) चाहिए तथा खाद्य-सामग्री को अधिक तलना-भूनना भी नहीं चाहिए। इस अवस्था में फास्ट फूड से बचना चाहिए तथा स्वास्थ्यवर्द्धक मध्ये आहार ग्रहण करना चाहिए।

उद्देश्य, लक्ष्य एवं कार्य-प्रणाली:
प्रस्तुत परियोजना कार्य का मुख्य उद्देश्य किशोरावस्था के लिए सन्तुलित आहार का अध्ययन करना है। इसका मुख्य लक्ष्य यह ज्ञात करना है कि किशोरावस्था में सन्तुलित आहार के अन्तर्गत कौन-कौन से भोज्य पदार्थ आते हैं एवं उनका उपयोग समयानुसार कैसे किया जाए। परियोजना कार्य के उद्देश्य एवं लक्ष्यों की प्राप्ति हेतु सारणी के माध्यम से सन्तुलित आहार का अध्ययन करना है।
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प्रैक्टिस सेट-1

निर्देश:
प्रश्न संख्या 1 और 2 बहुविकल्पीय हैं।

निम्नलिखित प्रश्नों में प्रत्येक के चार-चार वैकल्पिक उत्तर दिए गए हैं। उनमें से सही विकल्प चुनकर उन्हें क्रमवार अपनी उत्तर-पुस्तिका में लिखिए।

1. (क) गृह विज्ञान है 
(i) शुद्ध विज्ञान
(ii) शुद्ध कला
(iii) विज्ञान एवं कला दोनों
(iv) इनमें से कोई नहीं

(ख) गृह-व्यवस्था का वास्तविक उद्देश्य है 
(i) कार्यों को कुशलतापूर्वक करना
(ii) भविष्य के लिए बचत करना
(iii) भोजन एवं पोषण का ध्यान रखना
(iv) परिवार के सदस्यों को सुखी एवं सन्तुष्ट रखना।

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(ग) बिना पूर्व सूचना के कुछ मेहमान आ जाने पर किए जाने वाले अतिरिक्त कार्यों को कहा जाता है 
(i) अनावश्यक कार्य
(ii) थकाने वाली कार्य
(iii) आकस्मिक कार्य
(iv) वार्षिक कार्य

(घ) किसी परिवार द्वारा अपनी आय-व्यय तथा धन-सम्पत्ति के लिए की जाने वाली व्यवस्था को कहते हैं 
(i) अनिवार्य व्यवस्था
(ii) पारिवारिक व्यवस्था
(iii) गृह-अर्थव्यवस्था
(iv) अनावश्यक व्यवस्था

2. (क) दैनिक कार्यों से हुई थकान को दूर करने के लिए 
(i) कार्य करना चाहिए
(ii) विश्राम करना चाहिए।
(iii) व्यायाम करना चाहिए।
(iv) भोजन करना चाहिए।

(ख) बच्चों को क्षय रोग से बचाने के लिए टीका लगाया जाता है 
(i) ट्रिपिल एण्टीजन का
(ii) बी०सी०जी० का
(iii) टिटेनस का
(iv) इन सभी को

(ग) पर्यावरण प्रदूषण में वृद्धि करने वाले कारक हैं 1
(i) औद्योगीकरण
(ii) नगरीकरण
(iii) यातायात के शक्ति-चालित साधन
(iv) ये सभी

(घ) प्रकृति में ऑक्सीजन को सन्तुलन बनाए रखते हैं 
(i) मनुष्य
(ii) कीट-पतंगे
(iii) वन्य जीव-जन्तु
(iv) पेड़-पौधे

निर्देश:
प्रश्न संख्या 3 एवं 4 अतिलघु उत्तरीय हैं। प्रत्येक खण्ड का उत्तर अधिकतम 25 शब्दों में लिखिए।

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3. (क) गृह विज्ञान की एक व्यवस्थित परिभाषा लिखिए। 
(ख) किस गृहिणी को कुशल गृहिणी कहेंगे?
(ग) गृह-कार्य व्यवस्था के प्रमुख उद्देश्य बताइए।
(घ) जीवनरक्षक आवश्यकता से आप क्या समझते हैं?
(ङ) चाय का प्रयोग क्यों हानिकारक है?

4. (क) चलती-फिरती डिस्पेन्सरी का क्या महत्त्व है? 
(ख) पर्यावरण से क्या आशय है?
(ग) संवातनं क्या है?
(घ) कुकुर खाँसी के लक्षण लिखिए।
(ङ) शुद्ध रेशम की क्या पहचान है?

निर्देश:
प्रश्न संख्या 5 से 7 तक लघु उत्तरीय हैं। प्रत्येक खण्ड का उत्तर लगभग 50 शब्दों में लिखिए।

5. (क) स्पष्ट कीजिए कि गृह विज्ञान परिवार के सभी सदस्यों के लिए महत्त्वपूर्ण है।
अथवा
गृह-व्यवस्था को मनुष्य के जीवन में क्या महत्त्व है?

(ख) टिप्पणी लिखिए–गृह-कार्य व्यवस्था में सहायक उपकरण।
अथवा
परिवार के सदस्यों की अभिरुचि का गृह-कार्य व्यवस्था से क्या सम्बन्ध है? स्पष्ट कीजिए।

6. (क) आवश्यकताएँ कितने प्रकार की होती हैं?
अथवा
शारीरिक एवं मानसिक थकान को दूर करने के उपाय बताइए।

(ख) रेडक्रॉस सोसाइटी का क्या महत्त्व है?
अथवा
रेडियोधर्मी प्रदूषण परे संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।

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7. (क) वायु के कौन-कौन से चार प्रमुख कार्य हैं?
अथवा
अशुद्ध एवं विषैली वायु से हमें क्या-क्या हानियाँ हैं?

(ख) कपड़ा बनाने के लिए किन स्रोतों से तन्तु प्राप्त किए जाते हैं?
अथवा
स्पष्ट कीजिए कि उचित वेशभूषा से व्यक्तित्व में निखार आता है।

निर्देश:
प्रश्न संख्या 8 से 10 तक दीर्घ उत्तरीय हैं। प्रश्न संख्या 8 व 9 में विकल्प दिए गए हैं। प्रत्येक प्रश्न के एक ही विकल्प का उत्तर लिखना है। प्रत्येक प्रश्न का उत्तर 100 शब्दों के अन्तर्गत लिखिए।

8. ‘गृह विज्ञान’ से आप क्या समझती हैं? गृह विज्ञान के तत्त्वों का भी उल्लेख कीजिए।
अथवा
गृह-व्यवस्था को प्रभावित करने वाले गृह-सम्बन्धी कारकों का विवरण प्रस्तुत कीजिए।

9. गृह की सुव्यवस्था के लिए गृहिणी में किन गुणों का होना आवश्यक है? लिखिए।
अथवा
परिवार की मूलभूत आवश्यताओं पर प्रभाव डालने वाले कारक कौन-कौन से हैं? विस्तारपूर्वक समझाइए।

10.स्वास्थ्य से आप क्या समझती हैं? स्वास्थ्य के प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष लक्षणों का वर्णन कीजिए।

प्रैक्टिस सेट-2

निर्देश:
प्रश्न संख्या 1 और 2 बहुविकल्पीय हैं।
निम्नलिखित प्रश्नों में प्रत्येक के चार-चार वैकल्पिक उत्तर दिए गए हैं। उनमें से सही विकल्प चुनकर उन्हें क्रमवार अपनी उत्तर-पुस्तिका में लिखिए।

1. (क) ग्रसनी के बाद भोजन कहाँ जाता है?
(i) आमाशय में
(ii) क्षुद्रान्त्र में
(iii) गृहणी में
(iv) बड़ी आँत में

(ख) विटामिन ‘सी’ की कमी से कौन-सा रोग होता है?
(i) जुकाम
(ii) स्कर्वी
(iii) रिकेट्स
(iv) बेरी-बेरी

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(ग) कुपोषण से बचने का उपाय है
(i) सन्तुलित आहार
(ii) पर्याप्त आहार
(iii) मांसाहारी आहार
(iv) शाकाहारी आहार

(घ) दुर्घटनास्थल पर दी जाने वाली: तुरन्त सहायता को कहते हैं
(i) औपचारिक चिकित्सा
(ii) अनावश्यक चिकित्सा
(iii) प्राथमिक चिकित्सा
(iv) कृत्रिम चिकित्सा

2. (क) सामान्य दुर्घटनाएँ घटित होती हैं
(i) दैवी कृपा से
(ii) भाग्यवश
(iii) लापरवाही तथा अज्ञानतावश
(iv) अज्ञात कारणों से

(ख) घरेलू देशज औषधियों के प्रयोग को उपयोगी माना जाता है
(i) आकस्मिक रोगों या दुर्घटनाओं के तुरन्त उपचार के लिए
(ii) इनके प्रयोग से धन एवं समय की बचत होती है।
(iii) दुर्घटना घटित होने पर गृहिणी का मनोबल बना रहता है।
(iv) उपर्युक्त सभी उपयोग एवं लाभ

(ग) हँसली की हड्डी टूट जाने पर बाँधी जाती है
(i) बड़ी झोली
(ii) सेन्ट जॉन झोली
(iii) कॉलर-कफ झोली
(iv) सँकरी झोली।

(घ) परिचारिका को नहीं होना चाहिए
(i) स्वस्थ
(ii) हँसमुख
(iii) दूरदर्शी
(iv) चिड़चिड़ा

निर्देश:
प्रश्न संख्या 3 एवं 4 अतिलघु उत्तरीय हैं। प्रत्येक खण्ड का उत्तर अधिकतम 25 शब्दों में लिखिए।

3. (क) पाचन तन्त्र से क्या आशय है?
(ख) सोयाबीन स्वास्थ्य के लिए क्यों उपयोगी है?
(ग) कॉफी के प्रयोग से क्या हानियाँ हैं?
(घ) कृत्रिम श्वसन कब दिया जाता है?
(ङ) साँप के काटने पर बन्ध क्यों लगाया जाता है?

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4. (क) घरेलु देशज औषधियों से क्या आशय है?
(ख) रीफ गाँठ बाँधने से क्या लाभ हैं?
(ग) गृह-परिचारिका किसे कहते हैं?
(घ) आपके विचार से रोगी का कमरा कैसा होना चाहिए?
(ङ) रोगी के लिए बिस्तर का क्या महत्त्व है?

निर्देश:
प्रश्न संख्या 5 से 7 तक लघु उत्तरीय हैं। प्रत्येक खण्ड का उत्तर लगभग 50 शब्दों में लिखिए।

5. (क) जीभ में पायी जाने वाली स्वाद ग्रन्थियाँ कितने प्रकार की होती हैं और उनके क्या कार्य हैं?
अथवा
हरी सब्जियों को खाने के चार लाभ बताइए।

(ख) बहुप्रयोजन आहार से क्या तात्पर्य है?
अथवा
प्राथमिक चिकित्सा की दो विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।

6. (क) नाक के रक्तस्राव को रोकने के लिए आप क्या उपाय करेंगी?
अथवा
दो घरेलू दवाइयों के नाम एवं उपयोग बताइए।

(ख) हैजा रोग का उपचार आप किस प्रकार करेंगी?
अथवा
पट्टियाँ बाँधने के सामान्य नियम कौन-से हैं?

7. (क) गृह-परिचारिका का रोगी के लिए क्या महत्त्व है?
अथवा
रोगी के कमरे में प्रकाश-व्यवस्था कैसी होनी चाहिए?

(ख) शय्या घाव के बचाव एवं उपचार के उपायों का उल्लेख कीजिए।
अथवा
रोगी के बिस्तर की मुख्य विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।

निर्देश:
प्रश्न संख्या 8 से 10 तक दीर्घ उत्तरीय हैं। प्रश्न संख्या 8 व 9 में विकल्प दिए गए हैं। प्रत्येक प्रश्न के एक ही विकल्प को उत्तर लिखना है। प्रत्येक प्रश्न का उत्तर 100 शब्दों के अन्तर्गत लिखिए।

8. हमारे लिए खनिज-लवण व उनके प्राप्ति स्रोत कौन-कौन से हैं? शरीर में इनकी कमी से क्या हानि होती है?
अथवा
कुपोषण से आप क्या समझती हैं? इससे बचाव के उपाय बताइए।

9. प्राथमिक चिकित्सा का अर्थ स्पष्ट कीजिए तथा उसके सिद्धान्तों पर प्रकाश डालिए।
अथवा
जलने व झुलसने में क्या अन्तर है? जलने के विभिन्न प्रकार एवं उनके उपचार बताइए

10. विष कितने प्रकार के होते हैं? विषपान किए व्यक्ति का सामान्य उपचार आप किस प्रकार करेंगी?

प्रैक्टिस सेट-3

निर्देश:
प्रश्न संख्या 1 और 2 बहुविकल्पीय हैं।
निम्नलिखित प्रश्नों में प्रत्येक के चार-चार वैकल्पिक उत्तर दिए गए हैं। उनमें से सही विकल्प चुनकर उन्हें क्रमवार अपनी उत्तर-पुस्तिका में लिखिए।

1. (क) एक कुशल गृहिणी के लिए आवश्यक है
(i) पाक विज्ञान का उचित ज्ञान
(ii) बच्चों के पालन-पोषण का ज्ञान
(iii) समस्त गृह-कार्यों का ज्ञान
(iv) प्राथमिक चिकित्सा का ज्ञान

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(ख) उत्तम कार्य-व्यवस्था के लिए गृहिणी को मिलना चाहिए
(i) पुरस्कार
(ii) प्रोत्साहन
(iii) धन
(iv) कुछ नहीं

(ग) सामान्य स्वस्थ व्यक्ति के शरीर का तापक्रम होता है
(i) 97°F
(ii) 96°F
(iii) 98.4°F
(iv) 90°F

(घ) औद्योगीकरण तथा नगरीकरण ने बढ़ावा दिया है
(i) पर्यावरण की स्वच्छता को
(ii) पर्यावरण-प्रदूषण को
(iii) पर्यावरण के रख-रखाव को
(iv) इनमें से कोई नहीं

2. (क) क्षय रोग उत्पन्न करने वाले जीवाणु का नाम है
(i) कोरीनीबैक्टीरियम
(ii) माइक्रो बैसिलस ट्यूबरकुलोसिस
(iii) बोडैटेला
(iv) स्ट्रैप्टोकोकस

(ख) भारतवर्ष में प्रायः सूती वस्त्र अधिक पहने जाते हैं, क्योंकि ये
(i) बहुमूल्य होते हैं।
(ii) सहज ही उपलब्ध हैं।
(iii) वातावरण के अनुरूप हैं।
(iv) ऊष्मा के कुचालक हैं।

(ग) ड्रॉ-शीट होती है
(i) एक छोटी सूती चादर
(ii) मोमजामे का टुकड़ा
(iii) रैक्सीन का टुकड़ा
(iv) एक छोटा कम्बल

(घ) सेन्ट जॉन झोली का काम करता है
(i) एक हाथ के सिरे को दूसरे हाथ के सिरे पर रखना
(ii) एक हाथ को सहारा देना।
(iii) दोनों हाथों को सहारा देना
(iv) उपर्युक्त सभी

निर्देश:
प्रश्न संख्या 3 एवं 4 अतिलघु उत्तरीय हैं। प्रत्येक खण्ड का उत्तर अधिकतम 25 शब्दों में लिखिए।

3. (क) गृह-कार्य व्यवस्था के लक्ष्यों का उल्लेख कीजिए।
(ख) सिगरेट या शराब पीना कैसी आदत है?
(ग) फर्श पर थूकना क्यों हानिकारक है?
(घ) ध्वनि या शोर की इकाई क्या है?
(ङ) वायु अपने आप में क्या है?

4. (क) शुद्ध रेशम की क्या पहचान है?
(ख) यकृत के कोई दो महत्त्वपूर्ण कार्य बताइए। 1+1
(ग) स्कर्वी रोग किस विटामिन की कमी से होता है?
(घ) धमनी एवं शिरा में क्या अन्तर है? समझाइए। 2
(ङ) गृह-परिचारिका का चिकित्सक के प्रति क्या कर्तव्य है? 2

निर्देश:
प्रश्न संख्या 5 से 7 तक लघु उत्तरीय हैं। प्रत्येक खण्ड का उत्तर लगभग 50 शब्दों में लिखिए।

5. (क) गृह-व्यवस्था का मनुष्य के जीवन में क्या महत्त्व है?
अथवा
आरामदायक तथा विलासात्मक आवश्यकताओं में अन्तर स्पष्ट कीजिए।

(ख) नाक की सफाई का संक्षेप में उल्लेख कीजिए।
अथवा
विश्व स्वास्थ्य संगठन क्या है?

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6. (क) जंगलों का जनजीवन में क्या महत्त्व है?
अथवा
वर्षा ऋतु की नमी से हमें क्या हानियाँ हैं?

(ख) उद्भवन अथवा सम्प्राप्ति काल से क्या तात्पर्य है?
अथवा
सूती वस्त्रों की क्या विशेषताएँ हैं?

7. (क) रात्रि-भोज के अवसर पर पहनी जाने वाली वेशभूषा का वर्णन कीजिए।
अथवा
टिप्पणी लिखिए-प्लीहा या तिल्ली।

(ख) सब्जियों को रक्षात्मक पदार्थ क्यों कहा जाता है?
अथवा
जबड़े की पट्टी किस प्रकार बाँधी जाती है?

निर्देश:
प्रश्न संख्या 8 से 10 तक दीर्घ उत्तरीय हैं। प्रश्न संख्या 8 व 9 में विकल्प दिए गए हैं। प्रत्येक प्रश्न के एक ही विकल्प का उत्तर लिखना है। प्रत्येक प्रश्न का उत्तर 100 शब्दों के अन्तर्गत लिखिए।

9. रोगी का बिस्तर कितने प्रकार का हो सकता है? बिस्तर लगाने की विधि का विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए
अथवा
मरहम-पट्टी (ट्रेसिंग) से क्या अभिप्राय है? प्राथमिक चिकित्सा में पट्टियाँ बाँधने के मुख्य उद्देश्य क्या हैं?

9. प्राथमिक चिकित्सक में होने वाले आवश्यक गुणों का वर्णन कीजिए।
अथवा
दूध को सम्पूर्ण आहार क्यों माना जाता है? इसके प्रमुख तत्त्वों का उल्लेख कीजिए।

10. आमाशय की रचना का वर्णन कीजिए। आमाशय में भोजन का पाचन किस प्रकार होता है? समझाइए।

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UP Board Solutions for Class 9 Science Chapter 5 The Fundamental Unit of Life

UP Board Solutions for Class 9 Science Chapter 5 The Fundamental Unit of Life (जीवन की मौलिक इकाई)

These Solutions are part of UP Board Solutions for Class 9 Science. Here we have given UP Board Solutions for Class 9 Science Chapter 5 The Fundamental Unit of Life (जीवन की मौलिक इकाई).

पाठ्य – पुस्तक के प्रश्नोत्तर

पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या – 66)

प्रश्न 1.
कोशिका की खोज किसने और कैसे की?
उत्तर-
कोशिका की खोज रॉबर्ट हुक ने 1665 में की। उसने कॉर्क की पतली काट को स्वनिर्मित सूक्ष्मदर्शी से अवलोकन करने पर पाया कि इसमें अनेक छोट-छोटे प्रकोष्ठ हैं, (UPBoardSolutions.com) जिसकी संरचना मधुमक्खी के छत्ते जैसी प्रतीत हुई। इन प्रकोष्ठों को रॉबर्ट हुक ने कोशिका का नाम दिया।

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प्रश्न 2.
कोशिका को जीवन की संरचनात्मक व क्रियात्मक इकाई क्यों कहते हैं ?
उत्तर-
सभी जीव-जन्तु जो हम अपने आस-पास देखते हैं, कोशिकाओं से मिलकर बनते हैं। कुछ जीव एक- कोशी होते हैं तथा अन्य बहुकोशी होते हैं। प्रत्येक बहुकोशी जीव एक कोशिका से ही विकसित हुआ है। कुछ जीवों में विभिन्न प्रकार की कोशिकाएँ भी होती हैं।
प्रत्येक कोशिका में कुछ मूलभूत कार्य करने की क्षमता होती है जो सभी जीवों का गुण है। प्रत्येक कोशिका में कुछ विशिष्ट अंग होते हैं जो विशिष्ट कार्य करते हैं इन्हें कोशिकांग कहते हैं। इन कोशिकांगों के कारण ही एक कोशिका जीवित रहती है। ये कोशिकांग मिलकर कोशिका बनाते हैं। प्रत्येक (UPBoardSolutions.com) कोशिकांग विभिन्न कार्य करता है। जैसे-नये पदार्थ का निर्माण, अपशिष्ट पदार्थों का निष्कासन आदि। अतः कोशिका जीवन की संरचनात्मक व क्रियात्मक इकाई है।

पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या – 68)

प्रश्न 1.
CO2 तथा पानी जैसे पदार्थ कोशिका से कैसे अन्दर तथा बाहर जाते हैं ? इस पर चर्चा करें।
उत्तर-
CO2 की सांद्रता जब कोशिका में उच्च हो जाती है तो विसरण द्वारा ये कोशिका से बाहर निकल जाती है और जब CO2 की सांद्रता निम्न होती है तो बाहर से यह कोशिका में आ जाती है।
जल के अणु परासरण के कारण कोशिका की वर्णात्मक पारगम्य झिल्ली द्वारा उच्च जल की सांद्रता से निम्न जल की सांद्रता की ओर जाता है।

प्रश्न 2.
प्लाज्मा झिल्ली को वर्गात्मक पारगम्य झिल्ली क्यों कहते हैं?
उत्तर-
प्लाज्मा झिल्ली को अर्धपारगम्य झिल्ली इसलिए कहते हैं क्योंकि ये कोशिका में आने-जाने वाले पदार्थों पर नियन्त्रण रखती है। यह कुछ पदार्थों को अन्दर आने व बाहर जाने देती है जबकि कुछ पदार्थों को अन्दर आने व बाहर जाने से रोकती है अतः इसे अर्धपारगम्य झिल्ली कहते हैं।

पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या – 70)

प्रश्न 1.
क्या अब आप निम्नलिखित तालिका में दिए गए रिक्त स्थानों को भर सकते हैं, जिससे कि प्रोकैरियोटी तथा यूकैरियोटी कोशिकाओं में अंतर स्पष्ट हो सके?
UP Board Solutions for Class 9 Science Chapter 5 The Fundamental Unit of Life image -1

पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या – 73)

प्रश्न 1.
क्या आप दो ऐसे अंगकों का नाम बता सकते हैं जिनमें अपना आनुवंशिक पदार्थ होता है ?
उत्तर-
हाँ-दो ऐसे अंगक केन्द्रक व माइटोकोण्डिया हैं जिनमें अपना आनुवंशिक पदार्थ पाया जाता है।

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प्रश्न 2.
यदि किसी कोशिका का संगठन किसी भौतिक या रासायनिक प्रभाव के कारण नष्ट हो जाता है, तो क्या होगा ?
उत्तर-
यदि किसी भौतिक या रासायनिक प्रभाव के कारण कोशिका का जैविक संगठन नष्ट हो जाएगी तो कोशिका मृत हो जाएगी।

प्रश्न 3.
लाइसोसोम को आत्मघाती थैली क्यों कहते हैं ? .
उत्तर-
लाइसोसोम में शक्तिशाली जल अपघटनीय, एंजाइम होते हैं जो सभी कार्बनिक पदार्थों को पचाने में सहायक होते हैं। यदि पूर्ण क्षतिग्रस्त यी मृत कोशिकाओं को नष्ट करने की आवश्यकता हो तो वे अपनी झिल्ली, तोड़कर एक ही बार में अपना सारा द्रव्य मुक्त कर देते। हैं और क्योंकि इस क्रिया में ये स्वयं भी नष्ट हो जाते हैं। इसलिए इन्हें आत्मघाती थैली भी कहा जाता है।

प्रश्न 4.
कोशिका के अन्दर प्रोटीन का संश्लेषण कहाँ होता है ?
उत्तर-
केन्द्रिका (Nucleolus) में ही राइबोसोम्स का (UPBoardSolutions.com) संश्लेषण होता है। ये राइबोसोम्स ही प्रोटीन का संश्लेषण करते हैं।

अभ्यास प्रश्न (पृष्ठ संख्या – 75)

प्रश्न 1.
पादप कोशिकाओं तथा जन्तु कोशिकाओं में तुलना करो।
उत्तर-
जन्तु कोशिका व पादप कोशिका में निम्नलिखित अन्तर हैं-
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प्रश्न 2.
प्रोकैरियोटी कोशिकाएँ, युकेरियोटी कोशिकाओं से किस प्रकार भिन्न होती हैं ?
उत्तर-
प्रोकैरियोटिक कोशिकाओं और यूकैरियोटिक कोशिकाओं के बीच भिन्नताएँ
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UP Board Solutions for Class 9 Science Chapter 5 The Fundamental Unit of Life image -4

प्रश्न 3.
यदि प्लाज्मा झिल्ली फट जाए या टूट जाए तो क्या होगा ?
उत्तर-
यदि प्लाज्मा झिल्ली फट जाए या टूट जाए। तो कोशिका के भीतर होने वाली क्रियाएँ संभव नहीं होंगी। अतः कुछ समय में कोशिका नष्ट हो जाएगी।

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प्रश्न 4.
यदि गॉल्जी उपकरण न हो तो कोशिका के जीवन में क्या होगा ?
उत्तर-
गॉल्जी उपकरण चिकने, चपटे व नलिकाकार उपक्रम समूह के रूप में केन्द्रक के पास उपस्थित होता है। ये प्रायः समान्तर पंक्तियों में एक ढेर के रूप में होते हैं और स्रवण का कार्य करते हैं। इनका मुख्य कार्य कोशिका में संश्लेषित पदार्थों के पैकेज बनाकर कोशिका के अन्दर (प्लाज्मा झिल्ली व लाइसोसोम) व बाहर के लक्ष्यों को भेजना है। यह लाइसोसोम को बनाने में भी सहायक है। यदि गॉल्जी (UPBoardSolutions.com) उपकरण कोशिका में नहीं होगा तो स्रवण का कार्य, संश्लेषित पदार्थों के पैकेज बनाकर अन्दर व बाहर स्थानान्तरण तथा लाइसोसोम्स बनाने का कार्य नहीं होंगे।

प्रश्न 5.
कोशिका का कौन-सा अंगक बिजलीघर है?
उत्तर-
माइटोकॉण्डिया कोशिका को बिजलीघर (Power house) है। ये दोहरे आवरण से घिरा होता है। और इसमें कोशिका के भोज्य पदार्थों का ऑक्सीकरण होता है तथा ऊर्जा उत्पन्न होती है। मुक्त हुई ऊर्जा (A.T.P.) ऐडिनोसीन ट्राईफॉस्फेट के रूप में संगृहीत हो जाती है। जो शरीर के विभिन्न कार्यों में प्रयोग की जाती है। इनके पास अपना DNA और राइबोसोम्स होता है जिससे अपने लिए प्रोटीन का संश्लेषण भी कर सकते हैं।

प्रश्न 6.
कोशिका झिल्ली को बनाने वाले लिपिड तथा प्रोटीन का संश्लेषण कहाँ होता है ?
उत्तर-
कोशिका झिल्ली का निर्माण करने वाले प्रोटीन, कोशिका द्रव्य में पाई जाने वाली खुरदरी अंतर्द्रव्यी जालिका द्वारा संश्लेषित होती है। लिपिड का निर्माण चिकनी अन्तर्द्रव्यी जालिका द्वारा कार्बनिक कणों के स्रवण से होता है। ये प्रोटीन व लिपिड़ ही कोशिका झिल्ली का निर्माण करते हैं।

प्रश्न 7.
अमीबा अपना भोजन कैसे प्राप्त करता है?
उत्तर-
अमीबा अन्त:ग्रहण विधि द्वारा अपना भोजन प्राप्त करता है। इसकी कोशिका झिल्ली अत्यधिक लचीली होती है जिसके कारण यह बाहर के वातावरण में से भोजन के कण और अन्य पदार्थ ग्रहण कर लेता है। इस कार्य के लिए इसके कूटपाद आगे की ओर बढ़कर भोजन के (UPBoardSolutions.com) कण को पूरा घेर लेते हैं और इस प्रकार भोजन जीवद्रव्य में पहुँच जाता है।

प्रश्न 8.
परासण क्या है?
उत्तर-
वर्णात्मक पारगम्य झिल्ली द्वारा पानी के अणुओं की उच्च सान्द्रण क्षेत्र से निम्न सान्द्रण क्षेत्र की तरफ गति को परासरण कहते हैं। पानी की गति उसमें घुले हुए पदार्थों पर निर्भर करती है।

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प्रश्न 9.
निम्नलिखित परासरण प्रयोग करें| छिले हुए आधे-आधे आलू के चार टुकड़े लो, इन चारों को खोखला करो जिससे कि आलू के कप बन जाएँ। इनमें से एक कप को उबले आलू में बनाना है। आलू के प्रत्येक कप को जल वाले बर्तन में रखो। अब
(a) कप ‘A’ को खाली रखो,
(b) कप ‘B’ में एक चम्मच चीनी डालो,
(c) कप ‘C’ में एक चम्मच (UPBoardSolutions.com) नमक डालो तथा
(d) उबले आलू से बनाए गए कप ‘D’ में एक चम्मच चीनी डालो।
आलू के इन चारों कपों को दो घंटे तक रखने के पश्चात् उनका अवलोकन करो तथा निम्न प्रश्नों का उत्तर दो
(i) ‘B’ तथा ‘C’ के खाली भाग में जल क्यों एकत्र हो गया ? इसका वर्णन करो।
(ii) ‘A’ आलू इस प्रयोग के लिए क्यों महत्त्वपूर्ण है?
(iii) ‘A’ तथा ‘D’ आलू के खाली भाग में जल एकत्र क्यों नहीं हुआ ? इसका वर्णन करो।
उत्तर-
(i) आलू बहुत-सी कोशिकाओं से बना हुआ होता है। कोशिकाओं की कोशिका झिल्ली अर्द्धपारगम्य होती है। आलू A व C के खाली भाग में क्रमशः चीनी तथा नमक भरा है जबकि इनके बाहरी भाग पानी के सम्पर्क में हैं। अत: पानी का सान्द्रण आलू के अन्दर की तुलना में बाहर के बर्तन में अधिक होता है। अतः पानी की गति परासरण के कारण बाहर के बर्तन से आलू के अन्दर की तरफ होता है। अत: आलू का B व C में पानी भर जाता है।
(ii) इस प्रयोग में खाली कप A इसलिए आवश्यक है क्योंकि यह दर्शाता है कि यदि दो विलयनं लिए जाएँ जिनका सान्द्रण बराबर होता है तो पानी के अणुओं में कोई गति नहीं होती।
(iii) आलू कप A व D में पानी इसलिए नहीं भरता क्योंकि आलू कप D उबले हुए आलू से बना है। अतः उसकी कोशिकाएँ मृत हो जाती हैं तथा कोशिका झिल्ली अर्द्धपारगम्यता खो देती है। अतः परासरणे नहीं होता जिससे पानी बाहरी बर्तन से आलू में प्रवेश नहीं करता। आलू कप A (UPBoardSolutions.com) को खाली रखा गया है। अत: अर्द्धपारगम्य कोशिका झिल्ली के दोनों तरफ का सान्द्रण बराबर होता है। अतः पानी के अणु बाहर से अन्दर की तरफ गति नहीं करते। अतः आलू कप A व D में पानी नहीं भरता है।

अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
एक कोशिकीय जीवों के उदाहरण दीजिए।
उत्तर-
एक कोशिकीय जीवों के उदाहरण
(1) अमीबा,
(2) पैरामीशियम।

प्रश्न 2.
जटिल बहुकोशिकीय जीवों के उदाहरण दीजिए।
उत्तर-
जटिल बहुकोशिकीय जीवों के उदाहरण-
(i) मनुष्य,
(ii) विभिन्न प्रकार के पशु-पक्षी तथा
(iii) वृक्ष

प्रश्न 3.
‘कोशा’ किसे कहते हैं?
अथवा
कोशिको क्या है ?
उत्तर-
कोशा (Cell)- जीवन की संरचनात्मक इकाई कोशा कहलाती है। कोशा जैव संगठन का प्रथम जैविक स्तर है।

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प्रश्न 4.
कोशिका की खोज किस वैज्ञानिक ने की थी ?
उत्तर-
कोशिका की खोज रॉबर्ट हुक ने की थी।

प्रश्न 5.
कोशिका में केन्द्रक की खोज किस वैज्ञानिक ने की ?
उत्तर-
कोशिका में केन्द्रक की खोज रॉबर्ट ब्राउन ने की।

प्रश्न 6.
कोशिकाद्रव्य को जीवद्रव्य नाम किस वैज्ञानिक ने दिया?
उत्तर-
कोशिकाद्रव्य को जीवद्रव्य नाम जे. ई. पुरकिन्जे ने दिया।

प्रश्न 7.
कोशिका सिद्धान्त क्या है ?
उत्तर-
कोशिका सिद्धान्त-कोशिका जीवन की मूलभूत इकाई है।”

प्रश्न 8.
कोशिका सिद्धान्त किन-किन वैज्ञानिकों ने प्रतिपादित किया ?
उत्तर-
कोशिका सिद्धान्त को एम. जे. श्लीडन एवं टी. श्वान ने प्रतिपादित किया।

प्रश्न 9.
‘कोशिका भित्ति’ से क्या समझते हो ?
उत्तर-
कोशिका भित्ति (Cell wall)- पादप, कोशिका प्लाज्मा झिल्ली के बाहर सेल्यूलोज से बनी एक परत द्वारा घिरी होती है जिसे कोशिका भित्ति कहते हैं।

प्रश्न 10.
‘कोशिकाद्रव्य’ (साइटोप्लाज्म) किसे कहते हैं ?
उत्तर-
कोशिकाद्रव्य (Cytoplasm)-कोशिका के अन्दर पाया जाने वाला तरल द्रव्य कोशिकाद्रव्य (साइटोप्लाज्म) कहलाता है। यह एक चिपचिपा, रंगहीन, समांगी, तरल, कोलाइडी अर्द्ध-पारदर्शक पदार्थ है।

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प्रश्न 11.
‘कोशिकांग’ किसे कहते हैं ?
उत्तर-
कोशिकांग (Cell Organelles) कोशिकाद्रव्य में कई अन्य जीवित संरचनाएँ पायी जाती हैं जो कोशिकांग कहलाती हैं।

प्रश्न 12.
‘केन्द्रक’ किसे कहते हैं ?
उत्तर-
केन्द्रक (Nucleus)- कोशिका के अन्दर पायी जाने वाली संरचना केन्द्रक’ कहलाती है।

प्रश्न 13.
‘अन्त:प्रद्रव्यी जालिका’ किसे कहते हैं?
उत्तर-
अन्त:प्रद्रव्यी जालिको (Endoplasmic Reticulum)- केन्द्रक से जुड़ी हुई लम्बी धागेनुमा असंख्य शाखाओं वाली झिल्लियों का जाल, अन्त:प्रद्रव्यी जालिका कहलाती है।

प्रश्न 14.
राइबोसोम किसे कहते हैं?
उत्तर-
राइबोसोम (Ribosomes)- अन्त:प्रद्रव्य जालिका की सतह पर पायी जाने वाली संरचना राइबोसोम कहलाती है।

प्रश्न 15.
‘हरित लवक’ किसे कहते हैं?
उत्तर-
हरित लवक (Chloroplast)- कोशिका के अन्दर पाये जाने वाला हरे रंग का कोशिकांग हरित लवक कहलाता है।

प्रश्न 16.
‘माइटोकॉण्डिया’ किसे कहते हैं ?
उत्तर-
माइटोकॉण्डुिया (Mitochondria)कोशिका में पाया जाने वाला वह कोशिकांग जो ऊर्जा उत्पन्न करने में सहायक होता है, माइटोकॉण्ड्रिया कहलाता है।

प्रश्न 17.
कोशिका का ऊर्जा घर किसे कहते हैं?
उत्तर-
माइटोकॉण्ड्रिया को कोशिका का ऊर्जा घर या पावर हाउस कहते हैं।

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प्रश्न 18.
‘पक्ष्माभिका’ (सीलिया) किन्हें कहते हैं?
उत्तर-
पक्ष्माभिका (सीलिया) (Cilia)- जन्तु कोशिका की सतह पर पायी जाने वाली सूक्ष्म उभरी हुई। संरचना, पक्ष्माभिका (सीलिया) कहलाती है।

प्रश्न 19.
‘कशाभिका (फ्लेजिला)’ किन्हें कहते हैं?
उत्तर-
कशोभिका (Flagella)- “कोशिका की सतह पर पायी जाने वाली लम्बी, पतली तथा चाबुक के समान संरचना कशाभिका (फ्लेजिला) कहलाती है।”

प्रश्न 20.
कोशिका झिल्ली को बनाने वाले प्रोटीन का नाम बताइये।
उत्तर-
कोशिका झिल्ली को बनाने वाले प्रोटीन का नाम लिपोप्रोटीन है।

प्रश्न 21.
अवर्णी लवक क्या होते हैं ? .
उत्तर-
अवर्णी लवक (Leucoplasts)- भोज्य पदार्थों का संग्रह करने वाले रंगहीन लवक अवर्णी लवक कहलाते हैं।

प्रश्न 22.
अवर्णी लवक कहाँ पाये जाते हैं ?
उत्तर-
अवर्णी लवक पौधों के उस भाग में पाये जाते हैं जहाँ सूर्य का प्रकाश नहीं पहुँचता।

प्रश्न 23.
अवर्णी लवक का क्या काम है ?
उत्तर-
अवर्णी लवक का कार्य-अवण लवक को कार्य मांड, तेल, वसा तथा प्रोटीन आदि भोज्य पदार्थों का संचय करना है।

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प्रश्न 24.
हरित लवक कहाँ पाया जाता है ?
उत्तर-
हरित लवक पौधों के हरे भाग में पाया जाता है।

प्रश्न 25.
हरित लवक का रंग हरा क्यों होता है ?
उत्तर-
हरित लवक में हरे रंग का वर्णक पर्णहरिम या क्लोरोफिल होता है इस कारण इसका रंग हरा होता है।

प्रश्न 26.
क्लोरोप्लास्ट (हरित लवक) का प्रमुख कार्य बताइये।
उत्तर-
क्लोरोप्लास्ट का कार्य-क्लोरोप्लास्ट का प्रमुख कार्य प्रकाश संश्लेषण है।

प्रश्न 27.
वर्णी लवक किसे कहते हैं ?
उत्तर-
वर्णी लवक-पौधों में पाये जाने वाले रंग-बिरंगे (हरे रंग को छोड़कर) लवक वर्णी लवक कहलाते हैं।

प्रश्न 28.
वर्णी लवक पौधों के किन भागों में पाये जाते हैं ?
उत्तर-
वर्णी लवक पुष्पों, दलों एवं फलों में पाये जाते हैं।

प्रश्न 29.
वर्णी लवक का कार्य क्या है ?
उत्तर-
वर्णी लवक का कार्य पुष्पों, पत्रों एवं फलों को आकर्षक बनाना है।

प्रश्न 30.
गॉल्जी बॉडी, गॉल्जीकार्य या गॉल्जी उपकरण की खोज किसने की थी ?
उत्तर-
गॉल्जी बॉडी, गॉल्जीकाय या गॉल्जी उपकरण की खोज केमिलियो गॉल्जी ने की।

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प्रश्न 31.
आत्महत्या करने वाली थैली या सुसाइड बैग्स किन्हें कहते हैं ?
उत्तर-
आत्महत्या करने वाली थैली या सुसाइड बैग्स लाइसोसोम्स को कहते हैं।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
अन्तःप्रद्रव्यी जालिका के कार्य लिखिए।
उत्तर-
अन्त:प्रद्रव्यी जालिका के कार्य

  1. यह प्रोटीन संश्लेषण में सहायक होते हैं।
  2. यह कोशिका विभाजन के समय केन्द्रकीय झिल्ली के निर्माण में भाग लेता है।
  3. यह ग्लाइकोजन के उपापचय में सहायता करता है।
  4. यह केन्द्रक से विभिन्न आनुवंशिक पदार्थों को कोशिकाद्रव्य के विभिन्न अंगों तक पहुँचाता है।

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प्रश्न 2.
गॉल्जीकाय या गॉल्जी उपकरण के कार्य लिखिए।
अथवा
गॉल्जी उपकरण के कोशिका में क्या कार्य हैं ?
उत्तर-
गॉल्जीकाय या गॉल्जी उपकरण के कार्य

  1. ये लाइसोसोम्स का निर्माण करते हैं।
  2. ये अनेक प्रकार के स्रावी पदार्थों का निर्माण करते हैं।
  3. ये स्रावण द्वारा कोशिका भित्ति का निर्माण करते हैं।
  4. ये अनेक कार्बोहाइड्रेट्स के दीर्घ अणुओं का संश्लेषण करते हैं।
  5. ये शुक्राणुजनन के समय शुक्राणु के ऊपरी भाग (एक्रोसोम) का निर्माण करते हैं।

प्रश्न 3.
प्याज के शल्क-पत्र की झिल्ली की कोशिकाओं का चित्र बनाइये।
उत्तर-
प्याज के शल्क-पत्र की झिल्ली की कोशिकाओं का चित्र-
UP Board Solutions for Class 9 Science Chapter 5 The Fundamental Unit of Life image -5

प्रश्न 4.
निम्नलिखित घटकों के कार्य लिखिए
(i) राइबोसोम
(ii) गॉल्जीकाय
(iii) माइटोकॉण्ड्यिा
(iv) रसधानी
(v) पादप कोशाभित्ति
(vi) क्रोमोसोम्स
(vii) क्लोरोप्लास्ट
(viii) केन्द्रिका
(ix) प्लाज्मा मेम्ब्रेन।
उत्तर-
UP Board Solutions for Class 9 Science Chapter 5 The Fundamental Unit of Life image -6

प्रश्न 5.
एक प्राणी (जन्तु) कोशिका की आन्तरिक संरचना को स्वच्छ नामांकित चित्र बनाइये।
अथवा
जन्तु कोशिका का नामांकित चित्र बनाइए।
उत्तर-
इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी द्वारा प्रदर्शित प्राणी (जन्तु) कोशिका की संरचना का नामांकित चित्र
UP Board Solutions for Class 9 Science Chapter 5 The Fundamental Unit of Life image -7

प्रश्न 6.
एक पादप कोशिका की आन्तरिक संरचना का स्वच्छ नामांकित चित्र बनाइये। अथवा एक पादप कोशिका का नामांकित चित्र बनाइए।
उत्तर-
इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी द्वारा प्रदर्शित पादप कोशिका की आन्तरिक संरचना का नामांकित चित्र-
UP Board Solutions for Class 9 Science Chapter 5 The Fundamental Unit of Life image -8

प्रश्न 7.
जन्तु एवं पादप कोशिका में अन्तर लिखिए।
उत्तर-
जन्तु एवं पादप कोशिका में अन्तर-
UP Board Solutions for Class 9 Science Chapter 5 The Fundamental Unit of Life image -9

प्रश्न 8.
माइटोकॉण्ड्यिा के कार्य लिखिए।
उत्तर-
माइटोकॉण्डिया के कार्य
(1) ये भोज्य पदार्थों का ऑक्सीकरण करके ऊर्जा मुक्त करते हैं तथा इस ऊर्जा को ATP के रूप में संचित करते हैं जो जैविक कार्यों में प्रयुक्त होती है।
(2) ये प्रोटीन का संश्लेषण भी करते हैं।
(3) ये अण्डों का योक तथा शुक्राणुओं के मध्यमान का निर्माण करते हैं।

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प्रश्न 9.
लाइसोसोम के कार्य लिखिए।
उत्तर-
लाइसोसोम के कार्य

  1. ये कोशिका में पाये जाने वाले प्रकीर्णो (Enzyme) का स्रावण एवं संग्रहण करते हैं।
  2. ये मृत या पुरानी कोशिकाओं (UPBoardSolutions.com) का भक्षण करते हैं।
  3. ये कोशिका में प्रवेश करने वाले सूक्ष्म जीवों व कणों का पाचन करते हैं।
  4. ये भोजन की कमी के समय कोशिकाओं तथा कोशिकाद्रव्य में उपस्थित अवयवों का पाचन करते हैं।
  5. ये उपवास या रोग की स्थिति में शरीर को पोषण देते हैं।
  6. शुक्राणु इन्हीं के कारण अण्डाणु में प्रवेश करते हैं।
  7. इन्हें आत्महत्या करने वाली थैली (Suicide bags) कहते हैं।

प्रश्न 10.
तारककाय (सेण्ट्रोसोम) के कार्य लिखिए।
उत्तर-
तारककाय (सेण्ट्रोसोम) के कार्य

  1. ये जन्तु कोशिकाओं में कोशिका विभाजन के समय त रूप रेशों का निर्माण करते हैं।
  2. ये शुक्राणु में स्थित दो सेण्ट्रिओल में से कशाभ का अक्षीय तन्तु बनाते हैं।
  3. ये सेण्ट्रिओल पक्ष्मों व कशाभों के काइनेटोसोम या आधारकाय बनाते हैं।

प्रश्न 11.
सूक्ष्मकाओं के कार्य लिखिए।
उत्तर-
सूक्ष्मकाओं के कार्य

  1. ये कोशिकाओं के कंकाल का निर्माण करती हैं।
  2. ये कोशिका के आकार, विस्तार को नियमित करती हैं।
  3. ये कोशिकाओं की गति एवं गुणसूत्रों का नियन्त्रण करती हैं।
  4. ये कोशिकाद्रव्य चक्रण में सहायता करती हैं।

प्रश्न 12.
रिक्तिकाओं के कार्य लिखिए।
उत्तर-
रिक्तिकाओं के कार्य

  1. ये भोजन के पाचन, उत्सर्जन आदि क्रियाओं में सहायता करती हैं।
  2. ये कोशाओं में परासरण नियन्त्रण का कार्य करती हैं।
  3. ये भोज्य पदार्थों का संग्रहण करती हैं।
  4. टोनोप्लास्ट के अर्द्ध-पारगम्य होने के कारण, ये कोशा के अन्दर विभिन्न पदार्थों के संवहन का कार्य करती हैं।

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प्रश्न 13.
माइटोकॉण्ड्रिया को सचित्र वर्णन कीजिए।
उत्तर-
माइटोकॉण्ड्रिया का वर्णन-माइटोकॉण्डिया सभी यूकैरियोटिक कोशिकाओं के कोशिकाद्रव्य में पाया जाता है। यह दोहरो झिल्ली का बना होता है जिसमें एक तरल पदार्थ भरा रहता है। इसे बाह्य कक्ष कहते हैं। माइटोकॉण्डूिया की आन्तरिक झिल्ली के बीच की गुहा को आन्तरिक (UPBoardSolutions.com) कक्ष कहते हैं। इसमें मैट्रिक्स (आधानी) भरा होता है। आन्तरिक झिल्ली अन्दर की ओर अंगुलियों जैसी संरचनाएँ बनाती है जिन्हें क्रिस्टी कहते हैं। क्रिस्टी की सतह पर ऑक्सीसोम (F कण) नामक संरचनाएँ पाई जाती हैं।
UP Board Solutions for Class 9 Science Chapter 5 The Fundamental Unit of Life image -10
मैट्रिक्स में लिपिड्स, प्रोटीन, प्रकीण्व, कुण्डलित दोहरे स्टेण्ड वाले DNA एवं RNA तथा राइबोसोम पाये जाते हैं।

प्रश्न 14.
कोशिका झिल्ली के प्रमुख कार्य लिखिए।
उत्तर-
कोशिका झिल्ली के प्रमुख कार्य

  1. यह कोशिका को एक आकार प्रदान करती है।
  2. यह कोशिका के जीवित अंगों की सुरक्षा के लिए एक आवरण प्रदान करने का कार्य भी करती है।
  3. इसका मुख्य कार्य कोशिका के अन्दर और उसके बाहरी माध्यमों के बीच आणविक आदान-प्रदान को नियन्त्रित करना है।

प्रश्न 15.
गॉल्जीकाय या गॉल्जी बॉडी या गॉल्जी उपकरण का सचित्र वर्णन कीजिए।
उत्तर-
गॉल्जीकार्य या शल्जी उपकरण का वर्णन-गॉल्जीकाय दोहरी झिल्ली की बनी संरचनाएँ हैं। जो एक खाली स्थान के द्वारा एक-दूसरे से अलग-अलग स्थित होती हैं। इनमें तीन घटक होते हैं|
(1) चपटे कोष,
(2) आशय,
(3) रिक्तिकाएँ।
एक जन्तु कोशिका में 3 से 7 एवं पादप कोशिका में 10 से 20 गॉल्जीकाय पाये जाते हैं।
UP Board Solutions for Class 9 Science Chapter 5 The Fundamental Unit of Life image -11
ये लाल रुधिर कणिकाओं को छोड़कर सभी यूकैरियोटिक कोशिकाओं में समतल इकाई झिल्लियों के गुच्छे के रूप में पायी जाती हैं। कुछ अकशेरुकी जन्तुओं तथा पौधों की कोशिकाओं में अनेक असम्बद्ध इकाइयों के रूप में बिखरी होती हैं जिन्हें डिक्टियोसोम कहते हैं।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
एक जन्तु कोशिका का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
जन्तु कोशिका का वर्णन – जन्तु कोशिका में अग्रलिखित भाग होते हैं

  1. कोशिका कला (झिल्ली) – यह तीन परतों की बनी होती है– बीच की परत लिपिड की तथा शेष दो प्रोटीन की। यह अर्द्ध-पारगम्य झिल्ली होती है।
  2. अन्तःप्रद्रव्यी जालिका – झिल्लियों से बना नलिकाकार तन्त्र जो बाहर कोशिका कला से तथा अन्दर केन्द्रक कला से जुड़ा हुआ है। इस तन्त्र की सतह पर राइबोसोम पाये जाते हैं।
  3. राइबोसोम – प्रोटीन एवं राइबोन्यूक्लिक अम्ल से बनी कणिकामय संरचनाएँ।
  4. लाइसोसोम – एकल झिल्ली से घिरी गोल संरचनाएँ जिनमें हाइड्रोजन एन्जाइम प्रचुर मात्रा में पाया जाता है।
  5. सेण्ट्रोसोम – केन्द्रक के निकट पाई जाने वाली संरचना जिसके खोखले भाग में तीन-तीन सूक्ष्म नलिकाओं के 9 समूह होते हैं।
  6. माइटोकॉण्डूिया – दो झिल्लियों से घिरी गोल अथवा चपटी संरचना जिसकी बाहरी झिल्ली चिकनी तथा भीतरी झिल्ली माइटोकॉण्डूिया की गुहिका में फँसी होती है जिसमें क्रिस्टी नामक अंग्रलासर प्रवर्ध निकले रहते हैं। यह कोशिका का ऊर्जा घर (Power house) होती है।
  7. गॉल्जी बॉडी – सिस्टर्नी नलिकाओं तथा गुहिकाओं से मिलकर बनी अर्द्धचन्द्राकार रचनाएँ हैं। यह सिस्टर्नी जाल के रूप में होती है।
  8. केन्द्रक – यह दोहरी केन्द्रक कला से घिरा हुआ गोल अथवा चपटे आकार का सबसे बड़ा कोशिकांग है। केन्द्रक में उपस्थित कणिकामय द्रव्य केन्द्रकद्रव्य कहलाता है। इसमें क्रोमेटिन तन्तुओं का जाल-सा बिछा रहता है।

प्रश्न 2.
वनस्पति कोशिका का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
वनस्पति कोशिका का वर्णन-वनस्पति कोशिका की संरचना भी जन्तु कोशिका की तरह होती। है। लेकिन इसमें तारक काय (सेण्ट्रोसोम) नहीं पाया जाता है। इसके अतिरिक्त इसमें जन्तु कोशा के अतिरिक्त निम्नलिखित भाग और पाये जाते हैं

  1. कोशिका भित्ति – सेल्यूलोज का बना कोशिका का आवरण होता है।
  2. लवक – वनस्पति कोशा में तीन प्रकार के लवक पाये जाते हैं-(1) अवर्णी लवक, (2) हरित लवक तथा (3) वर्णी लवक। हरित लवक के कारण ही पौधों के विभिन्न भाग हरे दिखाई देते हैं।
  3. रसधानी – कोशिका के मध्य में विस्तृत रसधानी उपस्थित होती है।

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प्रश्न 3.
समसूत्री विभाजन की कितनी प्रावस्थाएँ होती हैं ? उनके नाम लिखिए।
उत्तर-
समरूपी विभाजन की प्रावस्थाएँ – समसूत्री विजन की निम्नलिखित पाँच प्रावस्थाएँ होती हैं।

  1.  विश्रामावस्था (Resting Period) अथवा अन्तरालावस्था या इण्टरफेज (Interphase)
  2. पूर्वावस्था या प्रोफेज (Prophase)
  3. मध्यावस्था या मेटाफेज (Metaphase)
  4. आश्वावस्था या एनाफेज (Anaphase)
  5. अत्यावस्था या टीलोफेज (Telophase)

प्रश्न 4.
अत:प्रद्रव्यी जालिका का सचित्र वर्णन कीजिए।
उत्तर-
अन्त: प्रद्रव्यी जालिका का वर्णन अन्त:प्रद्रव्यी जालिका में सूक्ष्म आशय (थैलियाँ) एवं नलिकाओं का जालक तन्त्र होता है। यह केन्द्रक झिल्ली से कोशिका झिल्ली तक कोशिकाद्रव्य में फैली रहती हैं।
UP Board Solutions for Class 9 Science Chapter 5 The Fundamental Unit of Life image -12
अन्तप्रद्रव्यी जालिका, जीवाणु, विषाणु, स्तनधारियों की लाल रक कणिकाओं तथा हरे-नीले शैवालों को छोड़कर सभी कोशिकाओं में पाई जाती है।

प्रश्न 5.
तारककाय का संचित्र वर्णन कीजिए।
उत्तर-
तारककाय (Centrosome) का वर्णन-तारककाय जन्तु कोशिकाओं में केन्द्रक के पास पाया जाता है। इसके अतिरिक्त यह शैवाल तथा कवक की कोशिकाओं में भी पाया (UPBoardSolutions.com) जाता है। प्रत्येक तारककाय में तारक केन्द्र होते हैं।
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प्रश्न 6.
लाइसोसोम का सचित्र वर्णन कीजिए।
उत्तर-
लाइसोसोम का वर्णन-लाइसोसोम 0.2 से 0.8 तक व्यास वाली इकाई झिल्ली की बनी गोलाकार या अण्डाकार संरचनाएँ होती हैं। इनमें पाचक प्रकोण्व (Digestive enzyme) पाये जाते हैं। इनमें 24 प्रकार के एन्जाइम पाये जाते हैं।
UP Board Solutions for Class 9 Science Chapter 5 The Fundamental Unit of Life image -14
लाइसोसोम यकृत, प्लीहा, श्वेत रक्त कणिकाएँ, अग्न्याशय, वृक्क, थॉयराइड ग्रन्थि आदि ऊतकों की कोशिकाओं में तथा पादप की विभाजी कोशिकाओं में पाये जाते हैं।

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प्रश्न 7.
राइबोसोम का सचित्र वर्णन कीजिए।
उत्तर-
राइबोसोम का वर्णन-राइबोसोम्स सघन, गोलाकार, कणिकामय संरचनाएँ हैं तथा कोशिका में उपस्थित सबसे छोटे कोशिकांग हैं। इनका व्यास लगभग 250A होता है। ये केवल RNA एवं प्रोटीन से निर्मित होते हैं तथा कलाविहीन कणों के रूप में क्लोरोप्लास्ट, माइटोकॉण्ड्रिया, केन्द्रक के अन्दर या अन्त:प्रद्रव्यी जालिका के ऊपर या कोशिकाद्रव्य में स्वतन्त्र रूप से पाये जाते हैं। ये अपारदर्शी होते हैं।
UP Board Solutions for Class 9 Science Chapter 5 The Fundamental Unit of Life image -15

प्रश्न 8.
लवक का सचित्र वर्णन कीजिए।
उत्तर-
लवक का वर्णन-लवक अधिकांश पादप तथा कुछ प्रकाश-संश्लेषी एक कोशिकीय जन्तुओं (Protoz0a) की कोशिकाओं में पाई जाने वाली छोटी-छोटी बिम्ब के समान, गोल अथवा अण्डाकार दोहरी दीवार युक्त संरचना होती है। ये तीन प्रकार के होते हैं

  1. अवर्णी लवक,
  2. हरित लवक तथा
  3. वर्णी लवक।
    UP Board Solutions for Class 9 Science Chapter 5 The Fundamental Unit of Life image -16

प्रश्न 9.
प्रोकैरियोटिक एवं यूकैरियोटिक कोशिकाओं में अन्तर बताइये।
उत्तर-
प्रोकैरियोटिक तथा यूकैरियोटिक कोशिकाओं में अन्तर
UP Board Solutions for Class 9 Science Chapter 5 The Fundamental Unit of Life image -17

अभ्यास प्रश्न

बहुविकल्पीय प्रश्न

1. लाल रक्त कणिकाओं का निर्माण होता है
(a) फेफड़ों में
(b) हृदय में
(c) अस्थिमज्जा में
(d) गुर्दो में।

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2. कोशिका का ऊर्जागृह कहलाता है-
(a) लाइसोसोम
(b) माइटाकण्डूया
(c) गाजीबॉडी नीलॉटी
(d) केन्द्रक।

3. राइबोसोम संश्लेषण करता है
(a) प्रोटीन का
(b) RNA का
(c) DNA का
(d) इन सभी का

4. पौधों में हरा रंग निम्न के कारण होता है
(a) वर्णी लवक
(b) अवर्णी लवक
(c) हरित लवक
(d) ये सभी।

5. मानव शरीर में सबसे बड़ी कोशिका है
(a) नर्व सेल
(b) मसल सेल
(c) लिवर सेल
(d) किडनी सेल

6. जन्तु कोशिका में प्रोटोप्लाज्म तथा अन्य वातावरण के बीच रोधिका है
(a) सेल वाल
(b) न्यूक्लियर मेम्ब्रेन
(c) टोनोप्लास्ट
(d) प्लाज्मा मेम्ब्रेन

7. शब्द सेल’ देने वाले थे
(a) ल्यूवेन हुक
(b) रॉबर्ट हुक
(c) फ्लेमिंग।
(d) रॉबर्ट ब्राउन

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8. कोशिका सिद्धान्त प्रस्तावित करने वाले थे
(a) श्लीडेन तथा श्वान
(b) वाट्सन तथा क्रिक
(c) डार्विन तथा वैलेस
(d) मेण्डेल तथा मॉर्गन

9. निम्नलिखित की अनुपस्थिति के कारण पादप कोशिका जंतु कोशिका से भिन्न होती है
(a) एण्डोप्लाज्मिक रेटिकुलम
(b) माइटोकॉण्ड्रिया
(c) राइबोसोम
(d) सेण्ट्रियोल

10. सेन्ट्रोसोम निम्नलिखित में पाया जाता है
(a) साइटोप्लाज्मा
(b) न्यूक्लियस
(c) कोमोसोम
(d) न्यूक्लियोलस

11. कोशिका का बिजलीघर है
(a) क्लोरोप्लास्ट
(b) माइटोकॉण्डिॉन
(c) गॉल्जी अपरेटस
(d) न्यूक्लियोलस

12. कोशिका के भीतर श्वसन (ऑक्सीकरण) का स्थान है
(a) राइबोसोम
(b) गॉल्जी अपरेटस
(c) माइटोकॉण्डुिऑन
(d) एण्डोप्लाज्मिक रेटिकुलम

13. पाचक थैला कहलाता है
(a) सेण्ट्रोसोम
(b) लाइसोसोम
(c) मेसोसोम
(d) क्रोमोसोम

14. राइबोसोम निम्नलिखित के केन्द्र हैं
(a) रेस्पिरेशन
(b) फोटोसिथेसिस
(c) प्रोटीन सिन्थेसिस
(d) फैट सिन्थेसिप

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15. द्विक झिल्ली निम्नलिखित में अनुपस्थित होती है
(a) माइटोकॉण्डुिऑन
(b) क्लोरोप्लास्ट
(c) न्यूक्लियस
(d) लाइसोसोम

16. केवल पादपों में पाये जाने वाला कोशिकांगक है
(a) गॉल्जी अपरेटस
(b) माइटोकॉण्डिया
(c) प्लास्टिड
(d) राइबोसोम

17. केन्द्रक तथा कला परिबद्ध कोशिकांगक रहित जीव हैं
(a) डिप्लॉयड्स
(b) प्रोकैरियोट्स
(c) हैप्लॉयड्स
(d) यूकैरियोट

18. जंतु कोशिका निम्नलिखित के द्वारा सीमित होती है
(a) प्लाज्मा मेम्ब्रेन
(b) सेल मेम्ब्रेन
(c) सेल वाल।
(d) बेसमेन्ट मेम्ब्रेन

19. एण्डोप्लाज्पिक रेटिकुलम का जाल निम्नलिखित में उपस्थित होता है
(a) न्यूक्लियस
(b) न्यूक्लिमेलस
(c) साइटोप्लाज्म
(d) क्रोमोसोम्स

20. लाइसोसोम निम्नलिखित के आशय (reservoirs) हैं
(a) फैट
(b) RNA
(c) सिक्रीटरी ग्लाइकोप्रोटीन्स
(d) हाइड्रोलिटिक एन्जाइम्स

21. पादप कोशिका की रसधानी को घेरनेवाली झिल्ली कहलाते हैं
(a) टोनोप्लास्ट
(b) प्लाज्मा मेम्ब्रेन
(c) न्यूक्लियर मेम्ब्रेन
(d) सेले वाल

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22. कोशिका स्रवण निम्नलिखित के द्वारा किया जात है
(a) प्लास्टिड्स
(b) एण्डोप्लाज्मिक रेटिकुलम
(c) गॉल्नो अपरेटस
(d) न्यूक्लियोलस

23. सेण्ट्रियोल निम्नलिखित से सम्बद्ध है
(a) DNA सिन्थेसिस
(b) शिरोडक्शन
(c) स्पिण्डिल निर्माण
(d) रेस्पिरेशन

24. जंतु कोशिका और पादप कोशिका के बीच प्रमुख अंतर है
(a) न्यूट्रिशन
(b) ग्रोथ
(c) पूवमेन्ट
(d) रेस्पिरेशन

25. केन्द्रक रहित जंतु कोशिका में निम्नलिखित का भी अभाव होता है
(a) क्रोणेम
(b) राइबोसोम
(c) लाइसोसोम
(d) एन्डोप्लामिक रेटिकुलम

26. प्लाज्मोलिसिस निम्नलिखित के कारण होती है
(a) ऐब्जॉर्पशन
(b) एण्डॉस्मोसिस
(c) ऑस्मोसिस
(d) एक्सॉस्मोसिस

27. पादप कोशिका निम्नलिखित के कारण फूल जाती है
(a) प्लाज्मोलिसिस
(b) एक्सॉस्मोसिस
(c) एण्डॉस्मोरिस
(d) इलेक्ट्रोलिसिस

28. बाह्य विलयन में, निलेय सान्द्रण उच्चतर होने पर कहलाता है।
(a) हाइपोटॉनिल
(b) आइसटॉनिक
(c) हाइपरटॉनिक
(d) इनमें से कोई नहीं

29. हाइपोटॉनिक विलयन में रखी कोशिका
(a) सिकुड़ जाये।
(b) प्लाज्मोलिसिस प्रदर्शित कोगी।
(c) फूल जायेगी
(d) आकृति अथवा कार अपरिवर्तित रहे।

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30. सूर्यप्रकाश की विकिरण ऊर्जा, रासायनिक ऊर्जा में परिवर्तित होकर निम्नलिखित के रूप में संगृहीत होती है
(a) AMP
(b) ADP
(c) ATP
(d) APP

उत्तरमाला

  1. (d)
  2. (d)
  3. (a)
  4. (b)
  5. (a)
  6. (d)
  7. (b)
  8. (a)
  9. (d)
  10. (a)
  11. (b)
  12. (c)
  13. (b)
  14. (c)
  15. (d)
  16. (c)
  17. (b)
  18. (a)
  19. (c)
  20. (d)
  21. (a)
  22. (c)
  23. (c)
  24. (a)
  25. (a)
  26. (d)
  27. (c)
  28. (c)
  29. (c)
  30. (c)

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UP Board Solutions for Class 9 Hindi Chapter 9 सोहनलाल द्विवेदी (काव्य-खण्ड)

UP Board Solutions for Class 9 Hindi Chapter 9 सोहनलाल द्विवेदी (काव्य-खण्ड)

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विस्तृत उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
निम्नलिखित पद्यांशों की ससन्दर्भ व्याख्या कीजिए तथा काव्यगत सौन्दर्य भी स्पष्ट कीजिए :

( उन्हें प्रणाम)

1. भेद गया है …………………………………………………………………………………… सतत प्रणाम॥ (Imp.)

शब्दार्थ-मर्म = हृदय। मुहताजों = निर्धन, परमुखापेक्षी संस्थापन = स्थापना सतत = निरन्तर, लगातार।

सन्दर्भ – प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘हिन्दी काव्य’ में संगृहीत ‘उन्हें प्रणाम’ नामक शीर्षक कविता से उद्धृत किया गया है। इसके रचयिता पं० सोहनलाल द्विवेदी हैं। पाठ्य-पुस्तक में प्रस्तुत रचना ‘जय भारत जय’ काव्य संग्रह से उद्धृत की गयी है।

प्रसंग – इस पद्यांश में कवि ने ऐसे अज्ञात नामवाले महापुरुषों को प्रणाम निवेदित किया है, जो सदैव दीन-दुःखियों के सहयोगी बन मानवता के उपासक रहे हैं।

व्याख्या – पं० सोहनलाल द्विवेदी कहते हैं कि वे महापुरुष जिनका हृदय निर्धनों के दु:ख से बिंध गया है, जिनको निर्धन-दलितों के साथ रहते हुए भी लज्जा अनुभव नहीं होती, (UPBoardSolutions.com) वे चाहे जिस देश में रहें और चाहे जिस वेश में, हमेशा कर्मरत रहते हैं तथा मानवता की स्थापना को ही अपनी सच्चा धर्म समझते हैं, ऐसे अज्ञात नामवाले महापुरुषों को मेरा निरन्तर नमन है, नमन है।

काव्यगत सौन्दर्य

  • प्रस्तुत पद्यांश में कवि ने अज्ञात नामवाले उन महापुरुषों को प्रणाम निवेदित किया है जो निरन्तर मानवता की स्थापना में लगे रहते हैं।
  • भाषा-शुद्ध साहित्यिक खड़ीबोली
  • शैली- भावात्मक
  • छन्द-24 मात्राओं का मात्रिक छन्द
  • रस-शान्त।
  • गुण-प्रसाद
  • अलंकार- अनुप्रास एवं पुनरुक्तिप्रकाश।
  • शब्द-शक्ति–अभिधा।
  • प्रस्तुत पद्यांश की बलिदानी नेताओं के पक्ष में भी व्याख्या की जा सकती है।

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2. कोटि-कोटि …………………………………………………………………………………… सतत प्रणाम।

शब्दार्थ-कोटि-कोटि = करोड़ों। उन्नत माथ = मस्तक ऊँचा किये हुए। प्रकाम = पूरी तरह, सम्पूर्ण । सत्पुरुषों = सज्जनों ।।

सन्दर्भ – प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘हिन्दी काव्य’ में संकलित एवं सोहनलाल द्विवेदी द्वारा रचित ‘उन्हें प्रणाम शीर्षक से उधृत है।

प्रसंग – प्रस्तुत पद्यांश में कवि दीन-हीन लोगों का उद्धार और सहायता करनेवाले सत्पुरुषों को श्रद्धा अर्पित कर रहा है।

व्याख्या – कवि कहता है कि वे सत्पुरुष जो करोड़ों नंगे और भिखमंगे अर्थात् समाज द्वारा दलित-पीड़ित लोगों का साथ देते हैं तथा उन्नत मस्तक कर उनके साथ कंधे-से-कंधा मिलाकर चलते हैं-ऐसे दलितों के साथ रहकर लज्जा न अनुभव करनेवाले सत्पुरुषों को मेरा नमस्कार है। जो शोषित और (UPBoardSolutions.com) सताये हुए लोगों के हाथों को पकड़कर उन्हें उधर लिये आ रहे हैं जिधर पूर्ण स्वच्छता और स्वतन्त्रता है ऐसे ज्ञात और अज्ञात नामवाले आदरणीय उन सत्पुरुषों को मैं निरन्तर प्रणाम करता हूँ।

काव्यगत सौन्दर्य

  • महात्मा गाँधी जैसे सत्पुरुषों, जिन्होंने पद-दलितों और शोषितों का बिना किसी लज्जा के साथ दिया, के प्रति आदरभाव व्यक्त किया गया है।
  • भाषा-सरल साहित्यिक खड़ीबोली जिसमें संस्कृत के तत्सम शब्दों का भी प्रयोग किया गया है।
  • शैली-ओजपूर्ण
  • रस-वीर।
  • गुण-ओज।
  • अलंकार-अनुप्रास एवं पुनरुक्तिप्रकाश।
  • शब्द-शक्ति–अभिधा।।

3. जिनके गीतों …………………………………………………………………………………… बलिदान।

शब्दार्थ-भ्रान्ति = भ्रम टेक = संकल्प, मान्यता। टिकती = स्थायी होती। वितान = विस्तार उच्छ्वसित = प्रसन्नता से उद्यत सहृदय = दयालु, संवेदनशील ।

सन्दर्भ – प्रस्तुत पद्यांश हिन्दी काव्य’ में संकलित एवं पं० सोहनलाल द्विवेदी की रचना ‘उन्हें प्रणाम’ से उद्धृत है।

प्रसंग – कवि उन गीतकारों की प्रशंसा कर रहा है जिनके गीत जनसाधारण के हृदयों को शान्ति, उत्साह एवं बलिदानी भावना प्रदान करते हैं।

व्याख्या – जिन गीतकारों के गीत मन को शान्ति प्रदान करते हैं, जिनके गीतों की तानें भ्रम को नष्ट कर देती हैं, जिनके स्वर मुरझाये मुखों पर जवानी की चमक उत्पन्न कर देते हैं और जिनके गीतों की टेक (स्थायी पंक्ति) मन में क्रान्ति-भावना को स्थायी बना देती है अथवा जिनके दृढ़ संकल्पों का आश्रय लेने से क्रान्तियाँ स्थायी हुआ करती हैं। जो मृत्यु का भी एक मधुर वरदान के समान स्वागत करते हैं, मृत्यु को सामने देख (UPBoardSolutions.com) जो भयभीत नहीं होते अपितु मनमोहिनी मुस्कराहट लिये चलने को प्रस्तुत रहते हैं, जो संसार में अन्याय का विस्तार होते नहीं देख सकते, जिनके प्राण सदैव बलिदान होने को उमगते रहते हैं।

काव्यगत सौन्दर्य

  • कवि ने महापुरुषों के अनेक गुणों का परिचय कराया है।
  • कवि ने समाज के पीड़ित व्यक्तियों की सेवा करने का सन्देश भी दिया है।
  • भाषा में व्यावहारिक तथा तत्सम शब्दावली का सामंजस्य हुआ है।
  • शैली भावात्मक तथा विवरणात्मक है।
  • अनुप्रास अलंकार है।

4. उन्हें जिन्हें …………………………………………………………………………………… चरणों में कोटि प्रणाम।
अथवा जो घावों …………………………………………………………………………………… देती विश्राम।

शब्दार्थ-मधुकरियाँ = रोटियाँ। शोध = खोज। बोध = ज्ञान क्रूर = निर्दय। अभीष्ट = इच्छित प्रतिशोध = बदला।

सन्दर्भ – प्रस्तुत अवतरण ‘हिन्दी काव्य’ में संकलित एवं पं० सोहनलाल द्विवेदी की रचना ‘उन्हें प्रणाम’ से उधृत है।

प्रसंग – कवि आदर्श नेताओं के लक्षण बताते हुए उनको सादर प्रणाम कर रहा है।

व्याख्या – कवि कहता है-जो दु:खियों के हृदयों को सांत्वना देकर उसी प्रकार सुखी बनाया करते हैं जिस प्रकार घाव पर मरहम लगाने से पीड़ित व्यक्ति को चैन मिला करता है, ऐसे संवेदनशील पुरुषों को कवि करोड़ों बार प्रणाम करती है। जिन जननायकों को संसार में अपने लिए कोई भी काम नहीं करना होता, जो सदा दूसरों ही के लिए काम किया करते हैं, जन-सेवा के लिए जिन्होंने आराम त्याग दिया है और अपना सब कुछ दान करके भिखारी जैसा जीवन अपना लिया है, जो दूसरों के लिए द्वार-द्वार भिक्षा माँगा करते हैं, वर्षा और (UPBoardSolutions.com) धूप की भी चिन्ता नहीं करते, केवल दो सूखी रोटियों पर ही जो सन्तोष कर लेते हैं, जो निरन्तर सत्य की खोज में लगे रहते हैं, जो अपने देश और अपनी महान् संस्कृति के गौरव को सदा ध्यान में रखते हैं, जो दुःखियों पर दया करते हैं और निर्दयी तथा कठोर हृदय के लोगों पर क्रोध प्रदर्शित किया करते हैं, जो अत्याचारों का बदला लेना उचित समझते हैं, ऐसे महापुरुषों को प्रणाम है, निरन्तर प्रणाम है। जो निर्धनों के लिए धन और निर्बलों के लिए बल बनकर निरन्तर सेवारत हैं, ऐसे सच्चे नेताओं के चरणों में मैं सैकड़ों बार प्रणाम करता हूँ।

काव्यगत सौन्दर्य

  • सच्चे जनसेवकों के लोकोत्तर गुणों का परिचय कराया गया है।
  • दीन-दु:खियों की सेवा तथा अन्याय के प्रतिकार हेतु प्रेरणा दी गयी है।
  • भाषा सरल, साहित्यिक खड़ीबोली है। शैली भावात्मक है।
  • अनुप्रास, पुनरुक्तिप्रकाश तथा मानवीकरण अलंकार है।।

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5. मातृभूमि का …………………………………………………………………………………… कोटि प्रणाम।
अथवा मातृभूमि का …………………………………………………………………………………… अपनी भूल।

शब्दार्थ-अनुराग = प्रेम। वैराग्य = संन्यास धूल छानना = बार-बार जाना। नसीब = उपलब्ध।

सन्दर्भ – प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘हिन्दी काव्य’ के ‘उन्हें प्रणाम’ से लिया गया है। इसके रचयिता सोहनलाल द्विवेदी हैं।

प्रसंग – प्रस्तुत पद्यांश में पं० सोहनलाल द्विवेदी ने ऐसे देशभक्तों को प्रणाम निवेदित किया है जो निर्धनों में चेतना जागृत करते हैं।

व्याख्या – पं० सोहनलाल द्विवेदी कहते हैं कि ऐसे देशभक्तों को मेरा प्रणाम है जिनके हृदय में मातृभक्ति का ऐसा प्रेम जागृत हुआ किजिसके कारण युवावस्था में ही जिन्होंने संन्यास ले लिया। इन राष्ट्रभक्तों ने अज्ञान में पड़ी हुई जनता को उसकी भूल का अनुभव कराने के लिए प्रत्येक नगर और गाँव की धूल छान मारी अर्थात् अनेक बार प्रत्येक नगर और गाँव में चेतना जागृत करने के लिए घूमे। | ऐसे व्यक्तियों जिनको सामान्य भोजन रोटी और नमक तक उपलब्ध नहीं होता तथा युगीन समाज ने शोषण करके जिनको सदैव निर्धन बनाये (UPBoardSolutions.com) रखा है, ऐसे लोगों को जगाने के लिए अपने ध्येय की मूर्खता तक पहुँचे हुए लोगों एवं विद्वानों को जो इन्हें जगाने के लिए दिन-रात एवं प्रात: ही फेरी लगाते हैं-उन्हें प्रणाम है। जो देश के सोए हुए गौरव को निरन्तर जगा रहे हैं ऐसे स्वदेश के स्वाभिमानी महापुरुषों को मेरा करोड़ों बार प्रणाम है।

काव्यगत सौन्दर्य

  • कवि ने देशभक्तों एवं क्रान्तिकारियों के प्रति भावात्मक श्रद्धा-सुमन अर्पित किये हैं।
  • देशभक्ति जैसे कठिन-पथ पर चलकर अनेक कष्टों का भी सामना करना पड़ता है-सब कुछ त्यागकर वैरागी-सा बनना पड़ता है-इस तथ्य को सुन्दर उद्घाटन किया गया है।
  • भाषा-साहित्यिक खड़ीबोली
  • ‘धूल छानना’, ‘रोटी नसीब न होना’, ‘वैराग ले लेना’, ‘फेरी देना’ आदि मुहावरों का सार्थक प्रयोग हुआ है।
  • रस-अन्तिम पंक्तियों में वीर तथा शेष में शान्त रस है।
  • गुण–प्रसाद
  • अलंकार-नगर-नगर’ तथा ‘ग्राम-ग्राम’ में पुनरुक्तिप्रकाश शेष में अनुप्रास दर्शनीय है।
  • शब्द-शक्ति-लक्षणा एवं व्यंजना।

6. जंजीरों में कसे …………………………………………………………………………………… कोटि प्रणाम।

शब्दार्थ-सिकचों = सींकचे कठिन = कठोर धुन का पक्का होना = लक्ष्य प्राप्ति के प्रति लगनशील होना। साम्राज्यवाद = दूसरे देशों पर अधिकार प्राप्त कर राज्य विस्तार की प्रवृत्ति दृढ़ = मजबूत वार = न्योछावर करके। सरनाम = प्रसिद्ध कर्मठ = कर्मशील ध्रुव = अटल। धीर = धैर्यशाली।।

सन्दर्भ – प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘हिन्दी काव्य’ में संकलित एवं सोहनलाल द्विवेदी द्वारा रचित ‘उन्हें प्रणाम’ से अवतरित है।

प्रसंग – प्रस्तुत पद्यांश में पं० सोहनलाल द्विवेदी ने जेल की यातनाएँ सहकर भी अपने लक्ष्य से न भटकने वाले धीर-वीरों को श्रद्धा अर्पित की है।

व्याख्या – प्रस्तुत पद्यांश में पं० सोहनलाल द्विवेदी ने उन स्वतन्त्रता सेनानियों को प्रणाम निवेदित किया है जो अनेक कष्ट आने पर भी अपनी टेक नहीं छोड़ते थे, जो अपने विचार के पक्के थे। कवि कहता है कि स्वतन्त्रता के दीवाने जंजीरों में कसे हुए और जेल के सींखचों के भीतर अर्थात् जेल में पड़े (UPBoardSolutions.com) हुए भी भारतमाता– अपनी जन्मभूमि की जय-जयकार करते रहते थे। उनके हाथ-पैरों में कठोर हथकड़ियाँ पहनायी जाती थीं, उन्हें बेंतों से मारा जाता था। इन सबको सहते हुए उन्होंने कभी भी आजादी के संकल्प और नारे को नहीं त्यागा। ऐसे उन वीरों को मेरा कोटि-कोटि प्रणाम है।

इन लोगों को स्वार्थ, लोभ एवं यश की चाह कभी भी जीत नहीं सकी। वे इनसे कभी विचलित नहीं हुए। अपने मन के अनुसार कार्य करनेवाले ये लोग धुन के पक्के थे अर्थात् जो बात मन में ठान लेते थे वही करते थे। उनकी अपनी एक ही धुन थी कि हमारा देश स्वतन्त्र हो

अंग्रेजी साम्राज्यवाद की दीवार को ढहाने के लिए अर्थात् अंग्रेजी साम्राज्य को उखाड़ फेंकने के लिए ये लोग प्राणों को न्योछावर करके बलिदानी बने। इनका एक ही संकल्प था कि इन दीवारों को तोड़कर फेंक दिया जाये। निरन्तर सीखचों में बन्द रहनेवाले इन वीरों का यश आज भी फैला हुआ है। ऐसे धीर, वीर उन महापुरुषों को मैं करोड़ों बार प्रणाम करता हूँ। ऐसे ही कर्मशील, दृढ़ निश्चयी एवं धैर्यशाली वीरों को हर समय मेरा करोड़ों बार प्रणाम स्वीकार हो।

काव्यगत सौन्दर्य

  • उन स्वतन्त्रता सेनानियों को समादर दिया गया है जो देश के लिए मर-मिट गये।
  • भाषा- मुहावरेदार एवं प्रवाहपूर्ण साहित्यिक खड़ीबोली।
  • शैली-ओजपूर्ण, संस्मरणपरक
  • रस- वीर।
  • गुण-ओज
  • अलंकार-अनुप्रास और रूपक।
  • शब्द-शक्ति-लक्षणी।
  • भावसाम्य-एक कवि ने लिखा है जो चढ़ गये पुण्य-वेदी पर, लिए बिना गर्दन का मोल। कलम आज उनकी जय बोल॥’

7. जो फाँसी के …………………………………………………………………………………… सुख शान्ति प्रकाम।
अथवा उस आगत …………………………………………………………………………………… शांति प्रकाम।

शब्दार्थ-मासूम = भोले-भाले बच्चे। आगत आनेवाला । अनागत = न आनेवाला। दिव्य = दैवीय। हविष्य = आहुति । ललाम = सुन्दर । मंगलमय = कल्याणकारी । सर्वोदय सबका उदय, सबकी उन्नति।।

सन्दर्भ – प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘हिन्दी काव्य’ में संकलित एवं सोहनलाल द्विवेदी द्वारा रचित ‘उन्हें प्रणाम’ से अवतरित है।

प्रसंग – पं० सोहनलाल द्विवेदी ने उन वीरों को प्रणाम निवेदित किया है जिनके कारण मंगलमय दिन आते हैं और पीड़ित मानवता की उन्नति होती है।

व्याख्या – पं० सोहनलाल द्विवेदी कहते हैं कि वे स्वतन्त्रता सेनानी जो देश की आजादी के लिए फाँसी के फंदे पर झूल गये, जिन्होंने हँसते-हँसते इस शूली को चूमा-ऐसे उन वीरों को मेरा प्रणाम है। गुरुगोविन्द सिंह के वे दोनों मासूम वीर बालक जिन्हें औरंगजेब ने दीवार में चिनवा दिया, फिर भी अपनी प्रतिज्ञा पर दृढ़ रहे और विष का धुआँ चुपचाप पी गये अर्थात् मृत्यु को गले लगा लिया-उन दोनों वीर बालकों को भी मेरा प्रणाम है। उन स्वतन्त्रता सेनानियों के कारण ही यह सुखद वर्तमान है तथा अलौकिक एवं सुखद भविष्य भी आयेगा। इन वीरों के बलिदान की पवित्र ज्वाला में सारे पाप जल जायेंगे। सभी लोग स्वतन्त्र होंगे, सभी सुखी होंगे और इस पृथ्वी पर (UPBoardSolutions.com) सुख और चैन होगा। नये युग के प्रात:काल की सुन्दर किरण भी इन्हीं के कारण होगी। चारों ओर जो प्रगति और सुख का प्रकाश होगा, वह इन्हीं वीर सेनानियों के बलिदानों के कारण ही होगा। सभी मंगल और सुख को लानेवाले उस दिन को मेरा कोटि-कोटि प्रणाम है जो इन वीरों के बलिदान का परिणाम होगा। सभी की उन्नति, सुख और अत्यधिक शान्ति भारत में विहंस रही होगी। यह सब इन वीरों के कारण ही होगी। अत: इस मंगलमय दिन और इन वीरों को मेरा कोटि-कोटि प्रणाम स्वीकार हो।

काव्यगत सौन्दर्य

  • प्रस्तुत पद्यांश में कवि ने देश में सुख-चैन लानेवाले वीर बलिदानी सेनानियों को श्रद्धा के साथ स्मरण किया है।
  • दीवारों में चुनवा दिये गये गुरुगोविन्द सिंह के मासूम बालकों की ओर संकेत है जिन्होंने देश हित में चुपचाप मर जाना स्वीकार किया।
  • भाषा – सरल साहित्यिक खड़ीबोली।
  • शैली – ओजपूर्ण।
  • रस – वीर एवं शान्त
  • गुण – ओज एवं प्रसाद
  • अलंकार – यमक, रूपक, पुनरुक्ति प्रकाश, अनुप्रास एवं मानवीकरण।
  • शब्दशक्ति – लक्षणा एवं व्यंजना।

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प्रश्न 2.
सोहनलाल द्विवेदी की जीवनी एवं रचनाओं पर प्रकाश डालिए।
अथवा सोहनलाल द्विवेदी की साहित्यिक विशेषताओं एवं भाषा-शैली का उल्लेख कीजिए।
अथवा सोहनलाल द्विवेदी की रचनाओं एवं भाषा-शैली का उल्लेख कीजिए।

(सोहनलाल द्विवेदी)
(स्मरणीय तथ्य)

जन्म – सन् 1906 ई०, बिन्दकी, जिला फतेहपुर, (उ० प्र०)।
मृत्यु – सन् 1988 ई०
पिता का नाम – बिन्दाप्रसाद द्विवेदी
रचनाएँ – ‘भैरवी’, ‘वासवदत्ता’, ‘कुणाल’, ‘विषपान’, ‘पूजा’, ‘वासन्ती’।
काव्यगत विशेषताएँ
वर्य-विषय – राष्ट्रीय-साहित्य, बाल-साहित्य, सांस्कृतिक-साहित्य और सम्पादित-साहित्य रचना, प्रकृति-चित्रण।
भाषा- 1. संस्कृत के तत्सम शब्दों से युक्त। 2. व्यावहारिक तथा मुहावरा युक्त भाषा।
शैली- 1. इतिवृत्तात्मक प्रभावपूर्ण शैली। 2. ओजपूर्ण शैली। 3. मनोरंजनात्मक शैली। 4. गीतात्मक शैली।
अलंकार – उपमा, रूपक, उत्प्रेक्षा, मानवीकरण, अनुप्रास तथा वीप्सा अलंकार आदि।
छन्द – गीतात्मक छन्द।

जीवन-परिचय – सोहनलाल द्विवेदी का जन्म सन् 1906 ई० में फतेहपुर जिले के बिन्दकी नामक कस्बे में एक सम्पन्न परिवार में हुआ था। इनके पिता का नाम पं० बिन्दाप्रसाद द्विवेदी था। इन्होंने हाईस्कूल तक शिक्षा फतेहपुर में और उच्च शिक्षा काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में प्राप्त की। (UPBoardSolutions.com) एम० ए०, एल-एल० बी० पास करके कुछ दिनों तक आपने वकालत भी की थी, किन्तु महामना मालवीय जी के सम्पर्क में रहने के कारण महात्मा गाँधी से प्रभावित होकर ये स्वाधीनता आन्दोलन में सक्रिय रूप से सम्मिलित हो गये।

इन्हें प्रारम्भ से ही कविता करने में रुचि थी किन्तु काव्य-रचना के साथ-साथ ये राजनीति में भी भाग लेते रहे हैं। आपका शरीरान्त 1988 ई० में हो गया।

रचनाएँ – भैरवी, पूजा-गीत, प्रभाती, चेतना और वासन्ती (काव्य-संग्रह), बाल साहित्य-दूध-बताशा, शिशुभारती, बालभारती, आख्यान काव्य-कुणाल, वासवदत्ता, विषपान

काव्यगत विशेषताएँ
(क) भाव-पक्ष-द्विवेदी जी गाँधीवादी विचारधारा के कवि हैं। उनकी कविताओं का मुख्य विषय राष्ट्रीय जागरण एवं उद्बोधन है। इनकी रचनाओं को मुख्य रूप से दो भागों में विभाजित किया जा सकता है

राष्ट्रीय-साहित्य – द्विवेदी जी की राष्ट्रीय कविताओं में खादी प्रचार, ग्राम-सुधार, देश-भक्ति, सत्य, अहिंसा और प्रेम का सन्देश मुखरित हुआ है। ये गांधी जी को इन सबका सृजनकर्ता मानकर उन्हें युगावतार के रूप में देखते हैं। गाँधी जी के विषय में ये कहते हैं

“चल पड़े जिधर दो डग मग में, चल पड़े कोटि पग उसी ओर।
पड़ गयी जिधर भी एक दृष्टि, गड़ गये कोटि दूग उसी ओर।’

बाल-साहित्य – दूसरे भाग में द्विवेदी जी का बाल-साहित्य आता है। इसमें इन्होंने देश के होनहार बालकों को भावी राष्ट्र मानकर उनके लिए प्रेरणाप्रद स्वस्थ साहित्य का सृजन किया है। इनकी बालोपयोगी रचनाएँ अत्यन्त लोकप्रिय, सरस और मधुर हैं। बालकों को ये प्रकृति का सन्देश सुनाते हैं

‘पर्वत कहता शीश उठाकर, तुम भी ऊँचे बन जाओ।
सागर कहता है लहराकर, मन में गहराई लाओ।”

इनके अतिरिक्त द्विवेदी जी ने अपने आख्यान काव्यों में भारतीय संस्कृति के वर्णन के साथ मानव हृदय के अन्तर्द्वन्द्वों का भी सफल चित्रण किया है।

(ख) कला-पक्ष-भाषा : द्विवेदी जी की भाषा सरस, बोधगम्य, सीधी-सादी और स्वाभाविक खड़ीबोली है। इन्होंने अपनी उत्कृष्ट और गम्भीर रचनाओं में संस्कृत के तत्सम शब्दों का (UPBoardSolutions.com) अधिक प्रयोग किया है तथा बालोपयोगी साहित्य में सरल व्यावहारिक मुहावरेदार भाषा का प्रयोग है। इसमें आवश्यकतानुसार उर्दू के प्रचलित शब्दों का भी प्रयोग हुआ है।

शैली – द्विवेदी जी के काव्यों में विविध शैलियों का दर्शन होता है। इनमें इतिवृत्तात्मक, ओजपूर्ण, गीतात्मक एवं मनोरंजनात्मक शैली मुख्य हैं। इनकी शैली में सर्वत्र पूर्ण प्रवाह और रोचकता है।

रस – द्विवेदी जी की रचनाओं में विशेषत: वीर तथा हास्य रस की अनुभूति होती है। कहीं-कहीं श्रृंगारात्मक भावनाएँ भी हैं।

छन्द – द्विवेदी जी ने युगानुरूप गीतात्मक एवं गेय छन्दों का प्रयोग किया है।

अलंकार – द्विवेदी जी की कविता में व्यर्थ का अलंकार प्रदर्शन नहीं है, बल्कि उसमें उपमा, रूपक, उत्प्रेक्षा, अनुप्रास आदि अत्यन्त प्रचलित अलंकार का स्वाभाविक प्रयोग हुआ है।

साहित्य में स्थान – आधुनिक काल में राष्ट्रीयता से पूर्ण, गाँधीवादी कवियों और बाल साहित्यकारों में द्विवेदी जी का प्रमुख स्थान है।

प्रश्न 3.
उन्हें प्रणाम’ कविता का सारांश लिखिए।
उत्तर :
सोहनलाल द्विवेदी ने इस कविता में संयमी, वीर, प्रणवीर, बलिदान करनेवाले दृढ़-निश्चयी, दीनरक्षक, स्वतन्त्रता की पुकार लगाने वाले, निर्भय, राष्ट्रनिर्माता, गाँधीजी का जयगान किया है। इन जैसे वीर दीन और दु:खियों की सहायता करने में लज्जित नहीं होते। वे किसी वेष तथा देश में रहे, हमेशा (UPBoardSolutions.com) अपने कर्तव्य-पालन में लगे रहते हैं। उनका उद्देश्य मानवता की स्थापना है। वे शोषण और साम्राज्यवाद से लोहा लेते हैं। वे ज़नता की सेवा करने और उनमें चेतना लाने के लिए घूमते रहते हैं। कवि बारबार ऐसे ही वीरों को प्रणाम करता है।

(लघुत्तरीय प्रश्न )

प्रश्न 1.
उन्हें प्रणाम’ कविता के आधार पर बताइए कि कवि ने किन-किन को प्रणाम करने की बात कही है?
उत्तर :
द्विवेदी जी की उन्हें प्रणाम’ कविता कर्मनिष्ठों, पीड़ितोद्धारकों, बलिदानी देशभक्तों और स्वतंत्रता के दीवानों के लिए एक शब्द-श्रद्धांजलि है। कवि ने आशा व्यक्त क़ी है कि देशवासियों के बलिदान व्यर्थ नहीं जायेंगे और देश में स्वतन्त्रता की ज्वाला जगेगी, जिसमें सारे पाप-ताप भस्म हो जायेंगे। एक स्वतन्त्र, सुखी और सर्वोदय से सुशोभित भारत का उदय होगा। उस मंगलमय दिन को भी कवि अपना नमन अर्पित कर रहा है।

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प्रश्न 2.
क्रान्ति के आश्रयदाताओं के कौन-कौन से लक्षण बताये गये हैं?
उत्तर :
क्रान्ति के आश्रयदाताओं के निम्न लक्षण बताये गये हैं

  • उनकी आत्मा सदा सत्य का शोध करती है।
  • उन्हें अपनी गौरव’गरिम्ना का बोध रहता है।
  • उन्हें दुःखियों पर दया आती है।
  • उन्हें क्रूर पर क्रोध आता है।
  • वे अत्याचारों का प्रतिशोध करना चाहते हैं।

प्रश्न 3.
उन्हें प्रणाम’ कविता का मूल भाव स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
‘उन्हें प्रणाम’ कविता के माध्यम से कवि उन महापुरुषों को नमन कर रहा है जो शोषितों और दलितों के बीच रहकर उनके उत्थान के लिए कार्य करते हैं, जिनकी जीवन-शैली और बलिदानों का स्मरण करके मृत्यु का भय समाप्त हो जाता है, जो पीड़ित मानवता को सुखी बनाने हेतु तत्पर रहते हैं, जिन्होंने राजा से भिखारी बनकर देश और जाति की सेवा स्वीकार की है, जो सभी को गौरवमय, स्वाभिमानी और (UPBoardSolutions.com) अन्याय-विरोधी जीवन अपनाने की प्रेरणा देते हैं, जिन्होंने देशहित में अपनी जवानी समर्पित कर दी, जो देश के लिए जेल के सीखचों में बन्दी बने रहे, जिनका जीवन लोभ, लाभ और स्वार्थ से दूर रहा और जो देश के लिए हँसते-हँसते फाँसी पर चढ़ गये।

प्रश्न 4.
कवि ने स्वदेश का स्वाभिमान किसे कहा है?
उत्तर :
राष्ट्र के प्रति समर्पित लोगों को कवि ने स्वदेश को स्वाभिमान कहा है।

प्रश्न 5.
कवि किस मंगलमय दिन को अपनी प्रणाम अर्पित करता है?
उत्तर :
कवि उस मंगलमय दिन को अपना प्रणाम अर्पित करता है, जिस दिन सब स्वतंत्र हों, सब सुखी हों और सबको समृद्धि प्राप्त हो।

प्रश्न 6.
देशभक्तों द्वारा नगर-नगर और ग्राम-ग्राम की धूल छानने के पीछे उनका क्या उद्देश्य रहता है?
उत्तर :
वे सोयी जनता में चेतना उत्पन्न करना चाहते हैं। वे नहीं चाहते कि देश के अन्दर कोई प्राणी बच जाय जिसमें अपनी मातृभूमि के प्रति प्रेम जागृत न हो।

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
सोहनलाल द्विवेदी की दो रचनाओं के नाम लिखिए।
उत्तर :
भैरवी तथा पूजा-गीत।

प्रश्न 2.
द्विवेदी जी ने किन-किन पत्रिकाओं का सम्पादन किया?
उत्तर :
अधिकार और बालसखा।

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प्रश्न 3.
किसी एक गांधीवादी कवि का नाम बताइए।
उत्तर :
सोहनलाल द्विवेदी।

प्रश्न 4.
कवि की दृष्टि में वन्दनीय पुरुष कौन है?
उत्तर :
कवि की दृष्टि में वे महापुरुष वन्दनीय हैं जो अपने देश के गरीब, पीड़ित लोगों की सेवा करने और उन्हें उन्नत करने में सदैव तत्पर रहते हैं।

प्रश्न 5.
राष्ट्र निर्माता को कवि ने क्या कहा है? ।
उत्तर :
राष्ट्र निर्माता को कवि ने प्रणाम कहा है तथा उन्हें मृतहत जीवन जन्म विधाता कहा है।

प्रश्न 6.
निम्नलिखित में से सही उत्तर के सम्मुख सही (✓) का चिह्न लगाइए
(अ) कवि कर्मठ वीरों को प्रणाम करता है।
(ब) द्विवेदी जी की भाषा खड़ीबोली है।
(स) कवि परतन्त्रता के दिन को प्रणाम करता है।

काव्य-सौन्दर्य एवं व्याकरण-बोध
1. निम्नलिखित पंक्तियों का काव्य-सौन्दर्य स्पष्ट कीजिए
(अ) नगर-नगर की ग्राम-ग्राम की छानी धूल।
(ब) ढाने को साम्राज्यवाद की दृढ़ दीवार।
(स) नवयुग के उस नवप्रभात की दृढ़ दीवार।
उत्तर :
(अ) काव्य-सौन्दर्य-

  • नगर-नगर और ग्राम-ग्राम में अनेक कष्ट सहन करते हुए भी जनता को उसकी गुलामी को स्वीकार करने की भूल बतलाने के लिए घूमते रहे।
  • अलंकार- अत्यानुप्रास।
  • छन्द-गीत।
  • भाषा-शुद्ध तथा खड़ीबोली।

(ब) काव्य-सौन्दर्य –

  • देश के अमर सपूतों ने साम्राज्यवादी मजबूत दीवार ढहा दी।
  • भाषा-ओजस्वपूर्ण
  • रस-शान्त।
  • शैली-गीतात्मक।

(स) काव्य-सौन्दर्य-

  • कवि ने क्रान्तिकारियों का स्मरण किया है।
  • भाषा-परिमार्जित खड़ीबोली।
  • अलंकार-रूपक, यमक तथा मानवीकरण।
  • रस-शान्त
  • गुण-प्रसाद।
  • शैली-गीतात्मक।
  • छन्द-गीत।।

2.
निम्नलिखित शब्दों का सन्धि-विच्छेद करते हुए सन्धि का नाम बताइएस्वाभिमान, सर्वोदय।
उत्तर :
स्वाभिमान = स्व + अभिमान = दीर्घ सन्धि सर्वोदय = सर्व + उदय = गुण सन्धि

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3.
निम्नलिखित शब्द-युग्मों से विशेषण-विशेष्य अलग कीजिएनव-युग, मरण-मधुर, मादक-मुस्कान, दृढ़-दीवार, बंद-सीखचे।
उत्तर :
विशेषण                    विशेष्य
मादक              –          मुस्कान
बंद                   –          सीखचे
मधुर                 –          मरण
दृढ़                   –           दीवार

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