UP Board Solutions for Class 9 Hindi पाठ्य-पुस्तक में दिये गये प्रश्न और उनके उत्तर

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लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
‘रानी केतकी की कहानी’ के लेखक का नाम बताइए।
उत्तर :
इंशा अल्ला खाँ ने ‘रानी केतकी की कहानी’ की रचना की।

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प्रश्न 2.
हिन्दी के प्रथम मौलिक उपन्यास का नाम बताइए।
उत्तर :
हिन्दी का प्रथम मौलिक उपन्यास लाला श्रीनिवासदास द्वारा लिखित परीक्षागुरु’ है।

प्रश्न 3.
भारतेन्दु युग के दो निबन्धकारों के नाम लिखिए।
उत्तर :
भारतेन्दु युग के दो निबन्धकार हैं-

  • प्रतापनारायण मिश्र
  • बालकृष्ण भट्ट।

प्रश्न 4.
द्विवेदी युग के दो निबन्धकारों के नाम लिखिए।
उत्तर :
द्विवेदी युग के दो निबन्धकार हैं-

  • श्यामसुन्दर दास
  • अध्यापक पूर्णसिंह।

प्रश्न 5.
भारतेन्दु युग के तीन नाटकों के नाम लिखिए।
उत्तर :
भारतेन्दु युग के तीन नाटक हैं-

  • भारत-दुर्दशा
  • सत्य हरिश्चन्द्र
  • चन्द्रावली।

प्रश्न 6.
संकलन त्रय का क्या अर्थ है?
उत्तर :
किसी एक ही कार्य अथवा घटना का एक स्थान पर किसी निश्चित समय में पूरा होना संकलन त्रय कहलाता है। दूसरे शब्दों में एकांकी में स्थान, कार्य तथा समय की संगति को संकलन त्रय कहते हैं।

प्रश्न 7.
आत्मकथा से क्या आशय है?
उत्तर :
लेखक जब स्वयं अपने जीवन की कथा को पाठकों के समक्ष पूर्ण आत्मीयता के साथ प्रस्तुत करता है तो उसे आत्मकथा कहते हैं।

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प्रश्न 8.
जीवनी का अर्थ बताइए।
उत्तर :
किसी महान् व्यक्ति के जीवन की आद्योपांत क्रमबद्ध घटनाओं के उल्लेख को जीवनी कहा जाता है।

प्रश्न 9.
हिन्दी के प्रमुख तीन जीवनी लेखकों के नाम लिखिए।
उत्तर :
हिन्दी के तीन प्रमुख जीवनी लेखक हैं-

  • नाथूराम शर्मा ‘प्रेमी’
  • पं० रामनरेश त्रिपाठी
  • रामविलास शर्मा।

प्रश्न 10.
जीवनी और आत्मकथा में अन्तर बताइए।
उत्तर :
जीवनी में किसी अन्य व्यक्ति के जीवन की घटनाओं का वर्णन होता है, जबकि आत्मकथा में लेखक स्वयं अपने जीवन की कथा पाठकों के समक्ष आत्मीयता के साथ प्रस्तुत करता है।

प्रश्न 11.
संस्मरण किसे कहते हैं?
उत्तर :
जब लेखक किसी व्यक्ति या महापुरुष, वस्तु या घटना का अपनी स्मृति के आधार पर आत्मीयता व कलात्मकता के साथ विवरण प्रस्तुत करता है तो वह संस्मरण कहलाता है।

प्रश्न 12.
हिन्दी के दो संस्मरण लेखकों के नाम लिखिए।
उत्तर :

  • आचार्य चतुरसेन शास्त्री
  • रामवृक्ष बेनीपुरी।

प्रश्न 13.
रेखाचित्र तथा संस्मरण में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
रेखाचित्र में कल्पना का महत्त्व होता है, जबकि संस्मरण में यथार्थ का

प्रश्न 14.
हिन्दी के प्रमुख रेखाचित्रकारों के नाम लिखिए।
उत्तर :
निराला, महादेवी वर्मा, रामवृक्ष बेनीपुरी, बनारसीदास चतुर्वेदी, विनयमोहन शर्मा, देवेन्द्र सत्यार्थी आदि प्रमुख रेखाचित्रकार हैं।

प्रश्न 15.
यात्रावृत्त किसे कहते हैं?
उत्तर :
वह रचना जिसमें लेखक किसी स्थान-विशेष की यात्रा के अनुभव का यथार्थ एवं कलात्मक वर्णन करता है तो उसे यात्रावृत्त कहते हैं।

प्रश्न 16.
यात्रावृत्त की प्रमुख विशेषताएँ बताइए।
उत्तर :
यात्रावृत्त में स्थान, दृश्य एवं घटनाओं की चित्रमयता रहती है। यात्रावृत्त में आत्मकथा, संस्मरण और रिपोर्ताज तीनों के तत्त्व विद्यमान होते हैं।

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प्रश्न 17.
रिपोर्ताज से आप क्या समझते हैं?
उत्तर :
रिपोर्ताज अंग्रेजी के रिपोर्ट शब्द का पर्यायवाची शब्द है। वास्तव में रिपोर्ताज रिपोर्ट को ही साहित्यिक एवं कलात्मक रूप है।

प्रश्न 18.
चार रिपोर्ताज लेखकों के नाम लिखिए।
उत्तर :
चार रिपोर्ताज लेखक हैं–

  • डॉ० प्रभाकर माचवे
  • विष्णु प्रभाकर
  • कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर’
  • प्रकाशचन्द्र गुप्त।

प्रश्न 19.
गद्य काव्य से क्या तात्पर्य है?
उत्तर :
गद्य के माध्यम से की गयी किसी विषय की भावपूर्ण काव्यात्मक अभिव्यक्ति गद्य काव्य कहलाती है।

प्रश्न 20.
गद्य-काव्य के किन्हीं दो लेखकों का नाम लिखिए।
उत्तर :

  • रायकृष्ण दास
  • चतुरसेन शास्त्री।

प्रश्न 21.
प्रेमचन्द के उपन्यासों के नाम बताइए।
उत्तर :
गबन, गोदान, कर्बला, कर्मभूमि, निर्मला आदि। खए।

प्रश्न 22.
प्रेमचन्द के उपन्यास किन विषयों पर आधारित हैं?
उत्तर :
मुंशी प्रेमचन्द के उपन्यास दीन-हीन किसान-मजदूरों, नारी-उद्धार, समाज-सुधार, राष्ट्रीय चेतना आदि विषयों पर आधारित हैं।

प्रश्न 23.
हिन्दी के सर्वप्रथम यात्रावृत्त के लेखक एवं उनकी रचना का नाम बताइए।
उत्तर :
हिन्दी के प्रथम यात्रावृत्त-लेखक भारतेन्दु हरिश्चन्द्र थे और उनकी रचना का नाम ‘सरयू पार की यात्रा’ था।

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प्रश्न 24.
पाश्चात्य दृष्टि से नाटक के तत्त्व बताइए।
उत्तर :
पाश्चात्य विद्वानों ने नाटक के 6 तत्त्व स्वीकार किये हैं–

  • कथावस्तु
  • चरित्र-चित्रण
  • कथोपकथन
  • देश-काल
  • भाषा-शैली
  • उद्देश्य

प्रश्न 25.
जयशंकर प्रसाद के नाटकों के नाम लिखिए।
उत्तर :
जयशंकर प्रसाद के नाटकों के नाम हैं-राज्यश्री, अजातशत्रु, चन्द्रगुप्त, स्कन्दगुप्त, जनमेजय का नागयज्ञ, ध्रुवस्वामिनी, कामना आदि।

प्रश्न 26.
आधुनिक साहित्य की सबसे अधिक लोकप्रिय विधा का नाम बताइए।
उत्तर :
कहानी।

प्रश्न 27.
अच्छी जीवनी की प्रमुख विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर :
अच्छी जीवनी की निम्नलिखित विशेषताएँ हैं

  • प्रामाणिकता
  • तथ्यपूर्ण साहित्यिक विवरण
  • आत्मीयता
  • प्रेरणादायक स्थलों पर बल
  • रोचकता।

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प्रश्न 28.
द्विवेदी युग के दो समीक्षकों के नाम लिखिए।
उत्तर :
द्विवेदी युग के दो समीक्षक हैं-

  • आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी,
  • बाबू श्यामसुन्दरदास

प्रश्न 29.
विषय एवं शैली की दृष्टि से निबन्ध के भेद बताइए।
उत्तर :
विषय एवं शैली की दृष्टि से निबन्ध के चार भेद हैं

  • (i) विचारात्मक निबन्ध
  • (i) भावात्मक निबन्ध
  • (i) वर्णनात्मक निबन्ध
  • विवरणात्मक निबन्ध।

प्रश्न 30.
अध्यापक पूर्णसिंह किस युग के निबन्धकार हैं?
उत्तर :
अध्यापक पूर्णसिंह द्विवेदी युग के निबन्धकार हैं।

प्रश्न 31.
भारतेन्दु युग का नाम कैसे पड़ा?
उत्तर :
भारतेन्दु जी की अद्वितीय गद्य सेवाओं के कारण तथा अपने समकालीन गद्य लेखकों में उनके सर्वाधिक सक्रिय होने के कारण 1868 ई० से 1900 ई० तक की काल अवधि को ‘भारतेन्दु युग’ नाम दिया गया।

प्रश्न 32.
द्विवेदी युग नाम कैसे पड़ा?
उत्तर :
1900 ई० से 1922 ई० तक के काल में हिन्दी गद्य निर्माता तथा सर्वाधिक प्रसारकर्ता आचार्य महावीरप्रसाद द्विवेदी थे इसीलिए इस कालखण्ड को द्विवेदी युग का नाम दिया गया।

प्रश्न 33.
नाटक के तत्त्वों के नाम लिखिए।
उत्तर :
भारतीय आचार्यों ने नाटक के पाँच तत्त्व बताये हैं

  • कथावस्तु
  • नायक
  • रस
  • अभिनय
  • वृत्ति।

प्रश्न 34.
हिन्दी में रेखाचित्र का सूत्रपात कब हुआ?
उत्तर :
हिन्दी में रेखाचित्र का सूत्रपात 1929 ई० में प्रकाशित पं० पद्मसिंह शर्मा के ‘पद्मपुराण’ निबन्धों से होता है।

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प्रश्न 35.
भारतेन्दु युग के दो जीवनी लेखकों के नाम बताइए।
उत्तर :

  • गोपालशर्मा शास्त्री
  • कार्तिक प्रसाद खत्री।।

प्रश्न 36.
द्विवेदी युग के दो जीवनी लेखकों का नामोल्लेख करते हुए उनकी एक-एक कृति का नाम लिखिए।
उत्तर :

  • डॉ० सम्पूर्णानन्द-सम्राट् अशोक की जीवनी।
  • महादेव भट्ट-लाला लाजपतराय की जीवनी।।

प्रश्न 37.
किन्हीं दो आत्मकथा लेखकों एवं उनकी एक-एक कृति का नाम लिखिए।
उत्तर :

  • वियोगी हरि-मेरा जीवन प्रवाह
  • डॉ० वृन्दावनलाल वर्मा-अपनी कहानी।

प्रश्न 38.
किन्हीं चार गद्य विधाओं के नाम लिखिए।
उत्तर :
निबन्ध, कहानी, नाटक, उपन्यास।

प्रश्न 39.
पद्मसिंह शर्मा किस युग के लेखक हैं?
उत्तर :
पद्मसिंह शर्मा ‘द्विवेदी युग’ के लेखक हैं।

प्रश्न 40.
हिन्दी साहित्य के दो विचारात्मक निबन्धकारों के नाम लिखिए।
उत्तर :

  • बाबू श्यामसुन्दर दास
  • आचार्य विनोबा भावे।

प्रश्न 41.
शिकार साहित्य के प्रसिद्ध लेखक का नाम बताइए।
उत्तर :
श्रीराम शर्मा।

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प्रश्न 42.
हिन्दी साहित्य का प्रचार-प्रसार करनेवाली दो संस्थाओं के नाम लिखिए।
उत्तर :

  • नागरी प्रचारिणी सभा
  • फोर्ट विलियम कालेज।

प्रश्न 43.
गद्य किसे कहते हैं?
उत्तर :
वह रचना जो छन्द के बन्धन से मुक्त हो, गद्य कहलाती है, जैसे–निबन्ध, कहानी, उपन्यास आदि

प्रश्न 44.
हिन्दी गद्य का आविर्भाव किस शताब्दी में हुआ?
उत्तर :
हिन्दी गद्य का आविर्भाव 13वीं शताब्दी में हुआ।

प्रश्न 45.
गद्य की उपयोगिता क्या है?
उत्तर :
गद्य में हम विचारों या भावों को सरलतापूर्वक सहज भाषा में व्यक्त करते हैं। ज्ञान-विज्ञान आदि भी 7 !! सफल एवं सरल अभिव्यक्ति का माध्यम गद्य ही है।

प्रश्न 46.
हिन्दी गद्य के प्राचीनतम प्रयोग किस भाषा में मिलते हैं?
उत्तर :
हिन्दी गद्य के प्राचीनतम प्रयोग राजस्थानी और ब्रजभाषा में मिलते हैं।

प्रश्न 47.
ब्रजभाषा गद्य का सूत्रपात कब हुआ?
उत्तर :
ब्रजभाषा गद्य का सूत्रपात सन् 1343 ई० के लगभग हुआ

प्रश्न 48.
ब्रजभाषा गद्य के दो प्रसिद्ध लेखकों के नाम बताइए।
उत्तर :

  • गोस्वामी विट्ठलनाथ
  • गोकुलनाथ।

प्रश्न 49.
खड़ीबोली गद्य का जनक किसे माना जाता है?
उत्तर :
भारतेन्दु हरिश्चन्द्र को हिन्दी खड़ीबोली गद्य का जनक माना जाता है।

प्रश्न 50.
खड़ीबोली गद्य के प्रथम लेखक और उनकी प्रथम रचना का नाम लिखिए।
उत्तर :
कवि गंग-‘चन्द छन्द बरनन की महिमा’।

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प्रश्न 51.
खड़ीबोली गद्य के चार उन्नायकों के नाम लिखिए।
उत्तर :

  • मुंशी सदासुखलाल
  • इंशा अल्ला खाँ
  • लल्लूलाल
  • सदल मिश्र।

प्रश्न 52.
हिन्दी खड़ीबोली का आविर्भाव कब हुआ?
उत्तर :
हिन्दी खड़ीबोली का आविर्भाव 19वीं शताब्दी के जागरण काल में हुआ।

प्रश्न 53.
हिन्दी गद्य के प्रसार में ईसाई पादरियों का क्या योगदान रहा?
उत्तर :
ईसाई पादरियों ने अपने धर्म प्रचार के लिए ‘बाइबिल’ का खड़ीबोली में अनुवाद कराया और उसे भारत के विभिन्न स्थानों पर वितरित कराया। इस प्रकार ईसाई धर्म के साथ-साथ हिन्दी का भी प्रचार-प्रसार होता रहा।

प्रश्न 54.
भारतेन्दु से पूर्व हिन्दी गद्य के प्रमुख चार लेखकों के नाम बताइए।
उत्तर :

  • मुंशी सदासुखलाल
  • इंशा अल्ला खाँ
  • सदल मिश्र
  • लल्लूलाल।

प्रश्न 55.
भारतेन्दु से पूर्व किन दो राजाओं ने हिन्दी गद्य के विकास में योगदान दिया?
उत्तर :

  • राजा शिवप्रसाद सितारेहिन्द
  • राजा लक्ष्मण सिंह।

प्रश्न 56.
गद्य और पद्य में क्या अन्तर है?
उत्तर :
गद्य मस्तिष्क के तर्कप्रधान चिन्तन की उपज है। व्यावहारिक होने के कारण इसमें विचारों और भावों को अभिव्यक्त करना सरल होता है, जबकि काव्य बहुत कुछ काल्पनिक होता है तथा इसमें संवेदनशीलता की प्रधानता होती है।

प्रश्न 57.
भारतेन्दु युग की कालावधि लिखिए।
उत्तर :
भारतेन्दु युग-1868 ई० से 1900 ई० तक।

प्रश्न 58.
भारतेन्दु युग के दो गद्य लेखकों तथा उनकी एक-एक रचना का नाम लिखिए।
उत्तर :

  • बालकृष्ण भट्ट-नूतन ब्रह्मचारी।
  • प्रतापनारायण मिश्र-हठी हम्मीर।

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प्रश्न 59.
भारतेन्दु युग की प्रमुख पत्रिकाओं के नाम लिखिए।
उत्तर :
भारतेन्दु युग की प्रमुख पत्रिकाएँ निम्नलिखित हैं

  • कविवचन सुधा
  • हरिश्चन्द्र मैगजीन
  • हिन्दी प्रदीप
  • ब्राह्मण
  • आनन्द कादम्बिनी।

प्रश्न 60.
भारतेन्दु युग की दो प्रमुख विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर :

  • भारतेन्दु युग में हिन्दी गद्य को एक निश्चित स्वरूप प्राप्त हुआ।
  • इस युग के लेखकों में अपनी भाषा, जाति और राष्ट्र के उत्थान के लिए अकुलाहट थी।

प्रश्न 61.
‘चन्द्रकान्ता’ उपन्यास के लेखक का नामोल्लेख करते हुए युग का नाम लिखिए।
उत्तर :
चन्द्रकान्ता उपन्यास के लेखक-देवकीनन्दन खत्री, युग-भारतेन्दु

प्रश्न 62.
हिन्दी गद्य के विकास में भारतेन्दु युग का महत्त्व बताइए।
उत्तर :
हिन्दी गद्य के विकास की दृष्टि से भारतेन्दु युग (1868 से 1900 ई०) अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है। इस युग में न केवल खड़ीबोली का विकास हुआ, अपितु हिन्दी गद्य साहित्य की भी उन्नति हुई । वास्तव में भारतेन्दु हरिश्चन्द्र हिन्दी गद्य के जनक थे।

प्रश्न 63.
भारतेन्दु द्वारा सम्पादित दो पत्रिकाओं के नाम लिखिए।
उत्तर :

  • हरिश्चन्द्र मैगजीन
  • कविवचन सुधा।

प्रश्न 64.
‘कविवचन सुधा’ पत्रिका का सम्पादन काल लिखिए।
उत्तर :
कविवचन सुधा को सम्पादन भारतेन्दु युग में हुआ।

प्रश्न 65.
हिन्दी साहित्य में भारतेन्दु जी के योगदान का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
उत्तर :
भारतेन्दु ने पूर्ववर्ती लेखकों के भाषा सम्बन्धी एकांगी दृष्टिकोणों को छोड़कर हिन्दी गद्य की एक स्वच्छ, संतुलित और शिष्ट रूप सामने रखा जिससे हिन्दी साहित्य की सम्पन्नता में वृद्धि हुई

प्रश्न 66.
भारतेन्दुयुगीन भाषा की मुख्य विशेषता एक वाक्य में लिखिए।
उत्तर :
भारतेन्दुयुगीन भाषा में लोक प्रचलित शब्दावली का प्रयोग हुआ।

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प्रश्न 67.
द्विवेदी युग का समय बताइए।
उत्तर :
द्विवेदी युग-1900 ई० से 1922 ई० तक।

प्रश्न 68.
द्विवेदी युग के तीन प्रमुख गद्य लेखकों और उनकी रचनाओं के नाम लिखिए।
उत्तर :

  • बाबू श्यामसुन्दर दास-साहित्यालोचन, रूपक रहस्य, भाषा रहस्य, वैज्ञानिक कोष आदि।
  • आचार्य रामचन्द्र शुक्ल-चिन्तामणि, रसमीमांसा, हिन्दी साहित्य का इतिहास।
  • मुंशी प्रेमचन्द-सेवासदन, कर्बला, संग्राम, प्रेम की वेदी, मानसरोवर।

प्रश्न 69.
हिन्दी गद्य को आचार्य महावीरप्रसाद द्विवेदी की सबसे बड़ी देन क्या है?
उत्तर :
आचार्य द्विवेदी जी ने ‘सरस्वती’ पत्रिका के माध्यम से भाषा का परिमार्जन करके उसे व्याकरणसम्मत बनाया तथा नवीन विषयों पर गद्य रचना के लिए लेखकों को प्रोत्साहित किया।

प्रश्न 70.
द्विवेदी युग की दो प्रमुख विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर :
द्विवेदी युग की दो प्रमुख विशेषताएँ हैं–

  • भाषा परिमार्जन एवं संस्कार
  • गद्य के विविध रूपों और शैलियों का विकास।

प्रश्न 71.
‘सरस्वती’ पत्रिका के प्रमुख सम्पादक का नाम लिखिए।
उत्तर :
आचार्य महावीरप्रसाद द्विवेदी ‘सरस्वती’ पत्रिका के प्रमुख सम्पादक थे।

प्रश्न 72.
द्विवेदी युग के दो प्रतिनिधि कहानीकारों के नाम लिखिए।
उत्तर :

  • मुंशी प्रेमचन्द
  • चन्द्रधरशर्मा गुलेरी।

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प्रश्न 73.
द्विवेदी युग की चार प्रसिद्ध पत्रिकाओं के नाम लिखिए।
उत्तर :

  • माधुरी
  • सरस्वती
  • जागरण
  • प्रभा।

प्रश्न 74.
नागरी प्रचारिणी सभा की स्थापना किसने की?
उत्तर :
बाबू श्यामसुन्दर दास ने नागरी प्रचारिणी सभा की स्थापना की।

प्रश्न 75.
द्विवेदी युग के तीन उपन्यासकारों के नाम लिखिए।
उत्तर :

  • मुंशी प्रेमचन्द
  • किशोरीलाल गोस्वामी
  • डॉ० वृन्दावनलाल वर्मा

प्रश्न 76.
द्विवेदी युग के तीन प्रसिद्ध आलोचकों के नाम लिखिए।
उत्तर :
द्विवेदी युग के तीन आलोचक हैं–

  • पद्मसिंह शर्मा
  • बाबू श्यामसुन्दर दास
  • आचार्य रामचन्द्र शुक्ल

प्रश्न 77.
द्विवेदी युग के निबन्धों के विषय क्या थे?
उत्तर :
द्विवेदी युग में कला, इतिहास, राजनीति, अर्थशास्त्र, पुरातत्त्व आदि पर श्रेष्ठ निबन्ध लिखे गये।

प्रश्न 78.
हिन्दी साहित्य का प्रचार एवं प्रसार करनेवाली दो संस्थाओं के नाम लिखिए।
उत्तर :

  • नागरी प्रचारिणी सभा
  • हिन्दी साहित्य सम्मेलन

प्रश्न 79.
हिन्दी गद्य की किन्हीं तीन नवीन विधाओं के नाम लिखिए।’
उत्तर :
हिन्दी गद्य की तीन नवीन विधाएँ हैं-

  • जीवनी
  • आत्मकथा
  • संस्मरण

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प्रश्न 80.
हिन्दी गद्य की दो प्रमुख विधाओं के नाम लिखिए।
उत्तर :
हिन्दी गद्य की दो प्रमुख विधाएँ हैं

  • निबन्ध
  • कहानी।

प्रश्न 81.
विचारात्मक और भावात्मक निबन्ध में क्या अन्तर है?
उत्तर :
विचारात्मक निबन्ध में बुद्धि एवं तर्क की प्रधानता होती है, जबकि भावात्मक निबन्ध में भाव तत्त्व (हृदय तत्त्व) की प्रधानता होती है।

प्रश्न 82.
हिन्दी गद्य-काव्य लेखकों में से किन्हीं दो लेखकों के नाम बताइए।
उत्तर :
हिन्दी गद्य-काव्य के दो लेखक हैं

  • वियोगी हरि
  • राय कृष्णदास।

प्रश्न 83.
विचारात्मक और वर्णनात्मक निबन्ध में अन्तर बताइए।
उत्तर :
विचारात्मक निबन्ध में चिन्तन या मनन के आधार पर किसी भाव या वस्तु का वर्णन किया जाता है, जबकि वर्णनात्मक निबन्ध में किसी घटना या वस्तु का विचार के साथ वर्णन किया जाता है।

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प्रश्न 84.
हिन्दी की प्रथम कहानी का नाम बताइए।
उत्तर :
किशोरीलाल गोस्वामी की ‘इन्दुमती’ हिन्दी की प्रथम कहानी है।

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UP Board Solutions for Class 9 Hindi कहानी

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प्रश्न 1.
कहानी किसे कहते हैं?
उत्तर :
कहानी गद्य की वह विधा है, जो छोटी होती हुई भी बड़े-बड़े भावों की व्यंजना करने में समर्थ होती है। इसको आरम्भ तथा अन्त कलात्मक व प्रभावपूर्ण होता है।

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प्रश्न 2.
आधुनिक साहित्य की सबसे अधिक लोकप्रिय विधा का नाम लिखिए।
उत्तर :
आधुनिक साहित्य की सबसे अधिक लोकप्रिय विधा का नाम ‘कहानी’ है।

प्रश्न 3.
आधुनिक कहानी किस उद्देश्य से लिखी जाती है?
उत्तर :
आधुनिक कहानी का मुख्य उद्देश्य मनोरंजन के अतिरिक्त किसी पात्र, घटना, भाव या संवेदना की मार्मिक अभिव्यंजना करना है।

प्रश्न 4.
हिन्दी-कथा-साहित्य में युगान्तर उपस्थित करनेवाले कथाकार कौन थे?
उत्तर :
मुंशी प्रेमचन्द।

प्रश्न 5.
‘मानसरोवर’ में किसकी रचनाएँ प्रकाशित हुई हैं?
उत्तर :
मुंशी प्रेमचन्द की।

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प्रश्न 6.
मुंशी प्रेमचन्द ने अपनी रचनाओं में किनके प्रति अपनी सहानुभूति प्रकट की है?
उत्तर :
मुंशी प्रेमचन्द ने अपनी रचनाओं में किसानों की दशा, सामाजिक बन्धनों में तड़पती नारियों की वेदना, वर्ण व्यवस्था की कठोरता के भीतर संत्रस्त हरिजनों की पीड़ा, दलित जनता तथा मजदूरों के प्रति अपनी सहानुभूति प्रकट की है।

प्रश्न 7.
विषय की प्रधानता के आधार पर कहानी कितने प्रकार की होती है?
उत्तर :
विषय की प्रधानता के आधार पर कहानी चार प्रकार की होती है

  • घटना प्रधान
  • चरित्र प्रधान
  • भाव प्रधान
  • वातावरण प्रधान

प्रश्न 8.
विषयवस्तु के आधार पर कहानी कितने प्रकार की होती हैं?
उत्तर :
विषयवस्तु के आधार पर कहानी निम्नलिखित प्रकार की होती है

  • ऐतिहासिक
  • सामाजिक
  • यथार्थवादी
  • दार्शनिक
  • मनोवैज्ञानिक
  • हास्य-व्यंग्य प्रधान
  • प्रतीकवादी आदि।

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प्रश्न 9.
द्विवेदी युग के चार प्रसिद्ध कहानीकारों के नाम लिखिए। अथवा द्विवेदी युग के दो कहानीकारों के नाम लिखिए।
उत्तर :

  • मुंशी प्रेमचन्द
  • चन्द्रधरशर्मा ‘गुलेरी’
  • जयशंकर प्रसाद
  • विश्वम्भरनाथ शर्मा ‘कौशिक’।

प्रश्न 10.
मुंशी प्रेमचन्द की प्रमुख कहानियों के नाम लिखिए।
उत्तर :
ईदगाह, पूस की रात, शतरंज के खिलाड़ी, बड़े भाई साहब, कफन, मन्त्र, पंच परमेश्वर आदि मुंशी प्रेमचन्द की प्रमुख कहानियाँ हैं।

प्रश्न 11.
मुंशी प्रेमचन्द के समकालीन दो कहानीकारों के नाम लिखिए। (V. Imp.)
अथवा हिन्दी के दो प्रसिद्ध कहानीकारों के नाम बताइए।
उत्तर :

  • जयशंकर प्रसाद
  • सुदर्शन।

प्रश्न 12.
प्रेमचन्दोत्तर हिन्दी के दो कहानीकारों के नाम लिखिए।
उत्तर :

  • जैनेन्द्रकुमार
  • यशपाल

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UP Board Solutions for Class 9 Hindi नाटक

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प्रश्न 1.
नाटक किसे कहते हैं?
उत्तर :
नाटक साहित्य की वह दृश्य विधा है, जिसमें अभिनय, नृत्य, संवाद, शरीराकृति और वेशभूषा द्वारा आनन्द प्राप्त होता है।

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प्रश्न 2.
भारतेन्दु हरिश्चन्द्र के चार नाटकों के नाम लिखिए।
उत्तर :

  • भारत दुर्दशा
  • सत्य हरिश्चन्द्र
  • अंधेर नगरी
  • वैदिकी हिंसा हिंसा न भवति

प्रश्न 3.
भारतेन्दु युग के चार प्रमुख नाटककारों के नाम लिखिए।
उत्तर :

  • राधाचरण गोस्वामी
  • पं० बालकृष्ण भट्ट
  • बदरीनारायण चौधरी ‘प्रेमघन’
  • किशोरीलाल गोस्वामी।

प्रश्न 4.
भारतेन्दु के बाद नाटक के क्षेत्र में सर्वाधिक योगदान किसका रहा?
उत्तर :
जयशंकर प्रसाद का।

प्रश्न 5.
हिन्दी के प्रमुख नाटककारों के नाम लिखिए।
उत्तर :
भारतेन्दु हरिश्चन्द्र, जयशंकर प्रसाद, डॉ० वृन्दावनलाल वर्मा, लक्ष्मीनारायण मिश्र, सेठ गोविन्ददास, विष्णु प्रभाकर, हरिकृष्ण प्रेमी, उदयशंकर भट्ट, उपेन्द्रनाथ अश्क’ आदि हिन्दी के प्रमुख नाटककार हैं।

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प्रश्न 6.
हिन्दी के ऐतिहासिक नाटककारों एवं उनके एक-एक नाटक का नाम लिखिए। अथवा हिन्दी साहित्य के दो ऐतिहासिक नाटककारों के नाम दीजिए।
उत्तर :

  • जयशंकर प्रसाद-चन्द्रगुप्त
  • हरिकृष्ण प्रेमी-रक्षाबन्धन
  • गोविन्दवल्लभ पन्त-राजमुकुट
  • सेठ गोविन्ददास-हर्ष
  • डॉ० वृन्दावनलाल वर्मा-झाँसी की रानी
  • लक्ष्मीनारायण मिश्र-वत्सराज।

प्रश्न 7.
हिन्दी नाटक के विकास में किस नाटककार का सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण योगदान रहा है? उसके द्वारा लिखित दो नाटकों के नाम लिखिए।
उत्तर :
हिन्दी नाटक के विकास में जयशंकर प्रसाद का सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण योगदान रहा है। उनके दो नाटक हैं-‘अजातशत्रु’ और ‘ध्रुवस्वामिनी’।

प्रश्न 8.
भारतेन्दु हरिश्चन्द्र के नाटक किन विषयों पर आधारित हैं?
उत्तर :
भारतेन्दु हरिश्चन्द्र के नाटक राष्ट्रप्रेम, धर्म, राजनीति, समाज-सुधार आदि विषयों पर आधारित हैं। इनमें प्रेमतत्त्व प्रमुख हैं।

प्रश्न 9.
जयशंकर प्रसाद के नाटकों के क्या विषय हैं?
उत्तर :
प्राचीन भारतीय इतिहास और संस्कृति का समन्वय, देशप्रेम, आधुनिक युग की समस्याएँ, मानव-मन को द्वन्द्व आदि जयशंकर प्रसाद के नाटकों के प्रमुख विषय हैं।

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प्रश्न 10.
जयशंकर प्रसाद के दो ऐतिहासिक नाटकों का नामोल्लेख कीजिए।
उत्तर :

  • चन्द्रगुप्त ,
  • स्कन्दगुप्त।

प्रश्न 11.
जयशंकर प्रसाद के परवर्ती ( बाद के) नाटककारों के नाम लिखिए।
उत्तर :

  • लक्ष्मीनारायण मिश्र
  • हरिकृष्ण प्रेमी
  • डॉ० रामकुमार वर्मा
  • सेठ गोविन्ददास
  • उदयशंकर भट्ट
  • गोविन्दवल्लभ पन्त
  • उपेन्द्रनाथ अश्क।

प्रश्न 12.
प्रसाद युग के किन्हीं दो नाटककारों के नाम व उनकी एक-एक रचनाओं का नाम लिखिए।
उत्तर :

  • जयशंकर प्रसाद-अजातशत्रु,
  • हरिकृष्ण प्रेमी-रक्षाबन्धन।

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UP Board Solutions for Class 9 Hindi प्रमुख कवि और उनकी रचनाएँ, भाषा एवं विधा सहित

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आदिकाल (वीरगाथा-काल)

UP Board Solutions for Class 9 Hindi प्रमुख कवि और उनकी रचनाएँ, भाषा एवं विधा सहित
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लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
वीरगाथा काल के काव्य की सामान्य विशेषताएँ बताइए।
उत्तर :
वीरगाथा काल हिन्दी साहित्य का आरम्भिक काल है। प्राकृत और अपभ्रंश भाषाओं के पश्चात् अब हिन्दी उत्तर भारत में सर्वसाधारण के व्यवहार की भाषा हो गयी थी । वीरगाथा काल का आरम्भ 10वीं शताब्दी ईसवी से माना जाता है। इस समय उत्तर भारत में राजपूत राजाओं के बहुत से छोटे-छोटे (UPBoardSolutions.com) राज्य थे। इन राज्यों में प्रभुत्व के लिए परस्पर युद्ध हुआ करते थे। मुसलमानों के आक्रमण भी आरम्भ हो गये थे। इस समय की काव्य रचनाओं में भी युद्धों के अनेक वर्णन हैं। काव्य-ग्रन्थों में वीररस को प्रधानता मिलती है। इसी कारण इस काल को वीरगाथा काल कहा गया है।

वीरगाथा काल के काव्य की सामान्य विशेषताएँ –

1. इस काल का काव्य राज्याश्रय में लिखा गया। कवि राज-दरबार में राजा के आश्रय में रहता था और युद्ध के समय राजा और उसकी सेना को प्रोत्साहित करने के लिए वीर रस की रचना करता था। वह सेना के साथ युद्ध भूमि में भी उपस्थित रहता था। शांति के समय वह राजकुमारियों के सौन्दर्य का वर्णन करके राजा का मनोरंजन भी करता था। ये कवि चारण (भाट) होते थे। इसी कारण इस काल को चारण-काल भी कहा गया है।

2. इस काल के कवियों ने प्रबन्धात्मक काव्य की रचना की। काव्य रचनाएँ प्रायः आश्रय देनेवाले शासक की जीवन गाथाएँ होती थीं, जिनमें शासक द्वारा किये गये युद्धों का वर्णन और (UPBoardSolutions.com) राजकुमारियों के अपहरण की कथाएँ होती थीं। इस काल का काव्य प्रशंसात्मक काव्य था। कुछ गाथाएँ ऐसी भी लिखी गयीं जिनको वीरगीतों के रूप में गाया जाता था। इस काल के काव्य-ग्रन्थों को ‘रासो’ कहा गया है।

3. इस काल के काव्य में वीर रस की प्रधानता रही। वीर के साथ रौद्र, भयानक और वीभत्स रस के प्रसंग भी मिलते हैं। गाथाओं में श्रृंगार भी प्रचुर मात्रा में विद्यमान है। कवियों से राजकुमारियों का नख-शिख वर्णन सुनकर उनके अपहरण के लिए अभियान होते थे और स्वयंवर-स्थल युद्ध-स्थल में बदल जाते थे।

4. इस काल के काव्य में अलंकारों का भी प्रचुर मात्रा में प्रयोग मिलता है। क्रवि अलंकार का प्रयोग केवल चमत्कारप्रदर्शन के लिए नहीं, बल्कि अपने भावों को प्रभावोत्पादक एवं उनकी अभिव्यक्ति को सुन्दर और स्पष्ट बनाने के लिए करते थे। इस काल के काव्य में विशेष रूप से उपमा, (UPBoardSolutions.com) उत्प्रेक्षा, रूपक, अतिशयोक्ति, यमक, श्लेष, संदेह आदि अलंकारों का प्रयोग मिलता है।

5. वीरगाथा काल का काव्य कवित्त, छप्पय, दूहा, भुजंगप्रयात तथा वीर छंदों में लिखा गया। इस काल के कवियों की छंद-योजना की विशेषता यह रही कि छंद वर्म्य-वस्तु के अनुकूल लिखे जाते थे।

6. वीरगाथा काल का काव्य वर्णन-प्रधान था। इसमें युद्धों के अनेक सजीव वर्णन मिलते हैं। युद्ध-वर्णन के साथ सेनाप्रयाण, अस्त्र-शस्त्र, युद्ध-भूमि, आखेट, (UPBoardSolutions.com) राजमहल, राजदरबार आदि के भी प्रभावशाली वर्णन हैं राजकुमारियों का नख-शिखवर्णन परम्परागत शैली में किया गया है। कहीं-कहीं पर ऋतु वर्णन और प्रकृति-सौंदर्य का वर्णन भी प्रभावशाली शैली में किया गया है।

7. वीरगाथा काल से सम्बन्धित काव्य विशेषत: डिंगल भाषा में लिखा गया। यह हिन्दी का राजस्थानी रूप है। अपभ्रंश के शब्द इसमें प्रचुरता में मिलते हैं। यह भाषा वीररस के काव्य के लिए उपयुक्त है।

8. वीरगाथा काल के काव्य से ही हम समझ पाते हैं कि आरम्भ में हिन्दी भाषा का क्या रूप था। इस काव्य से हमें 10वीं से 12वीं । शताब्दी ईसवी में घटित होनेवाली अनेक ऐतिहासिक घटनाओं की जानकारी होती है।

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प्रश्न 2.
भक्तिकालीन हिन्दी-काव्य की सामान्य विशेषताएँ लिखिए। अथवा भक्तिकाल को हिन्दी काव्य का स्वर्ण-काल क्यों कहा जाता है?
उत्तर :
वीरगाथा काव्य के बाद हिन्दी में भक्ति-काव्य की रचना हुई। देश में मुसलमानों ने अपना राज्य स्थापित कर लिया था। वे हिन्दू धर्म, हिन्दू सभ्यता और संस्कृति को नष्ट करके इस्लाम धर्म और उसी से सम्बन्धित सभ्यता और संस्कृति की स्थापना करना चाहते थे। ऐसी स्थिति में भारत की जनता की ओर से धर्म और सभ्यता की रक्षा का प्रयत्न स्वाभाविक था। उस युग में प्रचलित धर्म सम्प्रदायों का रूप भी विकृत हो गया था (UPBoardSolutions.com) और देश की जनता उसे स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं थी। अतः धर्म मुधार के जो आन्दोलन चले उनसे प्रभावित धार्मिक काव्य एवं साहित्य उस काल में लिखा गया। उसमें भक्ति-भावना की प्रधानता हो। इसी कारण इस काल को भक्ति-काल कहा गया। भक्तिकाल का आरम्भ सन् 1343 ई० से हुआ और सन् 1643 ई० तक भक्ति-प्रधान काव्य लिखा जाता रहा।

भक्ति-भावना के दो प्रमुख रूप थे—

  • निर्गुण भक्ति तथा
  • सगुण भक्ति।

निर्गुण भक्ति की धारा की भी दो शाखाएँ हो गयी थीं-

  • ज्ञानमार्गी तथा
  • प्रेममार्गी

इसी प्रकार सगुण भक्ति की भी दो शाखाएँ हुईं—

  • रामभक्ति शाखा और
  • कृष्णभक्ति शाखा।

सामान्य विशेषताएँ-

  1. इस काल में प्रमुख रूप से धार्मिक काव्य लिखा गया। कवि राज्याश्रय से मुक्त रहकर सामान्य जीवन व्यतीत करते हुए लोक-मंगल की कामना करते थे। सब ईश्वर के भक्त थे और किसी-न-किसी रूप में उसी की उपासना में लगे रहते थे।

  2. गुरु की महिमा का गान सभी काव्य-धाराओं में किया गया। कबीर ने तो गुरु को ईश्वर से भी उच्च स्थान प्रदान किया है।
  3. इस काल के काव्य में हमें हर क्षेत्र में समन्वय की भावना मिलती है। पारस्परिक भेद-भाव को दूर करके एकरूपता की स्थापना ही इस समन्वय-सिद्धान्त का लक्ष्य बना। सात्विक जीवन पर ही अधिक बल दिया गया।
  4. इस काल में प्रबंध गीत और मुक्तक सभी प्रकार के काव्यों की रचना हुई। कवियों की इस योजना का क्षेत्र व्यापक रहा पर प्रमुख रूप से शान्त और श्रृंगार रस में काव्य लिखा गया। अनुभूतियों की अभिव्यक्ति में सच्चाई और ईमानदारी थी। भावों का आवेश स्वाभाविक एवं (UPBoardSolutions.com) सरल-सहज था। इसी कारण भक्तिकाल के काव्य ने तत्कालीन जन-जीवन को तो प्रभावित किया ही, साथ ही वह प्रभावशाली भी बना हुआ है।
  5. इस काल में प्रमुख रूप से ब्रज और अवधी भाषा में काव्य रचना हुई। संत कवियों ने सभी स्थानों की भाषाओं के एक मिले-जुले रूप का प्रयोग किया। निर्गुण-मार्गी, प्रेममार्गी, सूफी कवियों की भाषा अवधी थी। तुलसी ने अपना मानस’ अवधी में लिखा और उसको साहित्यिक बनाने का सफल प्रयत्न किया। रामभक्ति शाखा का काव्य ब्रजभाषा में भी लिखा गया। कृष्णकाव्य भी ब्रजभाषा में ही लिखा गया।

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UP Board Solutions for Class 9 Hindi निबन्ध

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प्रश्न 1.
निबन्ध किसे कहते हैं?
उत्तर :
निबन्ध उस गद्य विधा को कहते हैं, जो कलात्मक नियमों के बन्धन से मुक्त हो। इसमें लेखक स्वच्छन्दतापूर्वक अपने विचारों तथा भावों को प्रकट करता है।

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प्रश्न 2.
हिन्दी निबन्ध-लेखन की विभिन्न शैलियों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर :
हिन्दी निबन्ध-लेखन में वर्णनात्मक, विवरणात्मक, विचारात्मक तथा भावात्मक शैलियों को अपनाया गया है।

प्रश्न 3.
हिन्दी के प्रमुख ललित निबन्धकारों के नाम बताइए।
उत्तर :
हिन्दी के प्रमुख ललित निबन्धकार हैं-आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी, शिवप्रसाद सिंह, रामवृक्ष बेनीपुरी, कुबेरनाथ राय, डॉ० विद्यानिवास मिश्र, डॉ० वासुदेवशरण अग्रवाल, जगदीशचन्द्र माथुर, डॉ० धर्मवीर भारती, पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी।

प्रश्न 4.
प्रतापनारायण मिश्र द्वारा रचित दो प्रसिद्ध निबन्धों और नाटकों के नाम लिखिए।
उत्तर :
निबन्ध-

  • रिश्वत
  • समझदार की मौत।

नाटक-

  • हठी हम्मीर
  • कलि कौतुक।

प्रश्न 5.
विचारात्मक तथा भावात्मक निबन्ध-लेखकों में से एक-एक निबन्ध-लेखक का नाम लिखिए।
उत्तर :

  • आचार्य रामचन्द्र शुक्ल-विचारात्मक निबन्ध लेखक
  • वियोगी हरि-भावात्मक निबन्ध लेखक

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प्रश्न 6.
हिन्दी साहित्य के दो विचारात्मक निबन्धकारों के नाम लिखिए।
उत्तर :

  • डॉ० श्यामसुन्दर दास
  • आचार्य रामचन्द्र शुक्ल

प्रश्न 7.
निबन्ध के विकास में योगदान करनेवाले किन्हीं दो निबन्धकारों के नाम बताइए।
उत्तर :

  • आचार्य महावीरप्रसाद द्विवेदी
  • आचार्य रामचन्द्र शुक्ल।

प्रश्न 8.
‘नींव की ईंट’ बेनीपुरी जी की किस प्रकार की निबन्ध-रचना है?
उत्तर :
यह भावात्मक निबन्ध-रचना है।।

प्रश्न 9.
‘नींव की ईंट’ निबन्ध में बेनीपुरी जी द्वारा प्रयुक्त दो शैलियों के नाम लिखिए।
उत्तर :
‘नींव की ईंट’ निबन्ध में प्रतीकात्मक तथा भावात्मक दो प्रमुख शैलियों का प्रयोग हुआ है।

प्रश्न 10.
विचारात्मक निबन्ध लिखने के अतिरिक्त काका साहब ने हिन्दी साहित्य की किस विधा में कलम चलायी है?
उत्तर :
यात्रा-साहित्य में

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प्रश्न 11.
विनयमोहन शर्मा के निबन्धों की मुख्य विशेषताएँ संक्षेप में लिखिए।
उत्तर :
विनयमोहन शर्मा के निबन्ध आत्मव्यंजक तथा दृश्यों को अंकित करने की क्षमता से युक्त हैं।

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