UP Board Solutions for Class 9 Home Science Chapter 13 खाद्य पदार्थों का संगठन, वर्गीकरण और उनके कार्य

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विस्तृत उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1:
आहार या भोजन से आप क्या समझती हैं? आहार के आवश्यक पोषक तत्त्व कौन-कौन से हैं?
उत्तर:
आहार या भोजन का अर्थ एवं पोषक तत्व

यह एक सर्वविदित तथ्य है कि कोई भी जीवित प्राणी आहार या भोजन के अभाव में अधिक समय तक जीवित नहीं रह सकता। वास्तव में सभी जीवित प्राणियों का एक अनिवार्य लक्षण है—नियमित रूप से आहार ग्रहण करना। आहार की आवश्यकता भूख के रूप में अनुभव की जाती है। इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए सामान्य रूप से यह मान लिया जाता है कि जो खाद्य-सामग्री ग्रहण करने से भूख शान्त हो जाए वह व्यक्ति का आहार या भोजन है, परन्तु आहार का यह अर्थ न तो पूर्ण है और न ही सही। वास्तव में मनुष्य के लिए आहार ग्रहण (UPBoardSolutions.com) करने के विभिन्न उद्देश्य हैं। भूख को शान्त करने के अतिरिक्त आहार से ही हम शक्ति प्राप्त करते हैं। आहार शरीर की वृद्धि एवं विकास में भी योगदान प्रदान करता है। शरीर के रख-रखाव में भी आहार का ही मुख्य योगदान होता है। आहार से ही हमारा शरीर रोगों से बचने की क्षमता प्राप्त करता है। आहार के इन समस्त उद्देश्यों एवं उपयोगिता को ध्यान में रखते हुए आहार के अर्थ को हम इन शब्दों में प्रस्तुत कर सकते हैं, ”वह ठोस या तरल सामग्री आहार कहलाती है, जिसे ग्रहण करने से भूख मिटती है, शरीर शक्ति प्राप्त करता है, शरीर की वृद्धि एवं विकास होता है, शरीर के अन्दर होने वाली टूट-फूट की मरम्मत होती है तथा प्राणी रोगों से लड़ने की क्षमता प्राप्त करता है।”
आहार का अर्थ जान लेने के उपरान्त यह स्पष्ट कर देना भी आवश्यक है कि वास्तव में आहार के रूप में हम जो खाद्य सामग्री ग्रहण करते हैं उसका विशेष महत्त्व नहीं होता, बल्कि उससे प्राप्त होने वाले पोषक तत्त्वों का मुख्य महत्त्व है। हमारे शरीर एवं स्वास्थ्य के लिए कुछ पोषक या अनिवार्य तत्त्व
आवश्यक होते हैं। ये पोषक तत्त्व हैं क्रमशः

  1.  प्रोटीन,
  2.  कार्बोहाइड्रेट,
  3.  वसा,
  4. खनिज,
  5. विटामिन,
  6. जल।

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प्रश्न 2:
आहार के पोषक तत्त्व के रूप में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन तथा वसा का सामान्य विवरण प्रस्तुत कीजिए।
या
कार्बोहाइड्रेट के संगठन, प्राप्ति के स्रोत, उपयोगिता तथा अधिकता से होने वाली हानियों का वर्णन कीजिए।
या
प्रोटीन के विषय में आप क्या जानती हैं?प्रोटीन की उपयोगिता, आहार में कमी तथा अधिकती के परिणाम बताइए।
या
‘वसा’ के विषय में आप क्या जानती हैं? वसा की उपयोगिता, आहार में कमी तथा अधिकता से होने वाली हानियों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
(I) कार्बोहाइड्रेट

ये कार्बन, हाइड्रोजन एवं ऑक्सीजन से निर्मित यौगिक हैं, जिनमें हाइड्रोजन व ऑक्सीजन सदैव दो-एक के अनुपात (2:1) में होती हैं। इनमें विभिन्न प्रकार की शर्करा व स्टार्च सम्मिलित किए जाते हैं। शर्करा को मीठे फलों; जैसे अंगूर, खजूर, सेब आदि से प्राप्त किया जा सकता है। बड़े पैमाने पर शर्करा गन्ने (UPBoardSolutions.com) एवं चुकन्दर से प्राप्त की जाती है। अंगूरी-शर्करा, ग्लूकोस, अन्य फलों से प्राप्त शर्करा फ्रक्टोज तथा व्यापारिक शर्करा सुक्रोस कहलाती है। स्टार्च प्राय: गेहूं, चावल, आलू, साबूदाना व अरवी इत्यादि
से प्राप्त होता है। स्टार्च प्राय: जल में अविलेय होता है।

उपयोगिता

  1.  ये शरीर को ऊर्जा प्रदान करते हैं।
  2.  ये शरीर का ताप बनाए रखते हैं।
  3. ये शारीरिक भूख शान्त करने के लिए सर्वोत्तम एवं सस्ते खाद्य पदार्थ हैं।
  4. कार्बोहाइड्रेट पर्याप्त ऊर्जा प्रदान करके प्रोटीन तथा वसा को अन्य उद्देश्यों के लिए बचाए रखने .. में सहायक होता है।
  5.  बकार्बोहाइड्रेट शरीर में कैल्सियम के शोषण में सहायक होता है।
  6. सेलुलोस आदि के रूप में कार्बोहाइड्रेट शरीर से मल विसर्जन में सहायक होता है। इसीलिए आहार में रेशेदार भोज्य-पदार्थ सम्मिलित किए जाते हैं।
  7.  कार्बोहाइड्रेट युक्त भोज्य पदार्थ विभिन्न खनिज लवणों तथा विटामिनों के उत्तम स्रोत होते हैं।

कार्बोहाइड्रेट की कमी से हानियाँ:
यदि व्यक्ति के आहार में कार्बोहाइड्रेट की कम मात्रा का समावेश होता है, तो हमारा शरीर आवश्यक ऊर्जा, प्रोटीन तथा वसा से प्राप्त करता हैं इससे शरीर में प्रोटीन-कार्बोहाइड्रेट कुपोषण की स्थिति आ जाती है। इस स्थिति में शरीर का वजन घटने लगता है तथा त्वचा पर झुर्रियाँ पड़ने लगती हैं। (UPBoardSolutions.com) त्वचा ढीली पड़ जाने के कारण लटकने लगती है, व्यक्ति दुर्बलता महसूस करने लगता है तथा उसके चेहरे की सामान्य चमक घटने लगती है।

कार्बोहाइड्रेट्स की अधिकता से हानियाँ:
कार्बोहाइड्रेट्स की अधिकता से हमारे शरीर में कुछ हानियाँ हो सकती हैं; जैसे—इनकी अधिकता से पाचन क्रिया बिगड़ सकती है, दस्त हो सकते हैं तथा शरीर में मोटापा आ सकता है। शर्कराओं के अधिक प्रयोग से मधुमेह का रोग हो सकती है।

(II) प्रोटीन

हमारे आहार को एक महत्त्वपूर्ण पोषक तत्त्व ‘प्रोटीन भी है। ये जटिल रासायनिक अणु होते हैं जो कि कार्बन, हाइड्रोजन, ऑक्सीजन तथा नाइट्रोजन के बने होते हैं। इन्हें (UPBoardSolutions.com) नाइट्रोजीन्स अथवा नाइट्रोजनयुक्त खाद्य पदार्थ भी कहते हैं। कुछ प्रकार की प्रोटीन्स में सल्फर व फॉस्फोरस भी होते हैं। सभी प्रोटीन्स अमीनो अम्ल के संयोग से बने होते हैं। प्राप्ति के आधार पर प्रोटीन्स दो प्रकार के होते हैं

(क) प्राणिजन्य प्रोटीन:
इस वर्ग की प्रोटीन्स मांस, मछली, अण्डे, दूध व दूध से बनी खाद्य सामग्रियों से प्राप्त होती हैं। इससे प्राप्त प्रोटीन का प्रतिशत इस प्रकार है

(1) अण्डा (एल्ब्यूमिन)           13.3%
(2) मछली                             21.5%
(3) मांस                                20%
(4) दूध                                   4 %
(5) खोया                               20%
सामान्यतः प्राणिजन्य प्रोटीन सुपाच्य एवं सर्वोत्तम होते हैं

(ख) वनस्पतिजन्य प्रोटीन:
इस वर्ग की प्रोटीन मुख्य रूप से दालों (चना, मटर, मूंग, मूंगफली, सोयाबीन आदि) से प्राप्त होती है। सोयाबीन में प्रोटीन की मात्रा सर्वाधिक होती है। विभिन्न मेवों, गेहूं, चावल आदि से प्रोटीन की प्राप्ति होती है। विभिन्न स्रोतों से प्राप्त प्रोटीन्स की प्रतिशत मात्रा निम्नलिखिते होती है

(1) सोयाबीन                                                           43%
(2) मूंग, मसूर, अरहर, उड़द, मटर आदि             20-24%
(3) मूंग व चावल                                                   12-14%
(4) मूंगफली                                                            26%
(5) काजू                                                                 20%
(6) बादाम                                                               21%

उपयोगिता:

  1. शरीर के तन्तुओं, नाड़ियों तथा आन्तरिक अंगों के निर्माण एवं टूट-फूट की क्षतिपूर्ति में प्रोटीन का महत्त्वपूर्ण योगदान रहती है।
  2.  शरीर के स्वस्थ एवं समुचित विकास के लिए प्रोटीन की आवश्यकता सर्वोपरि होती है।
  3.  प्रोटीन पाचक रसों, आन्तरिक रसों अथवा हॉर्मोन्स तथा किण्व के निर्माण में सहायता करता है। लगभग सभी किण्व प्रोटीन के बने होते हैं।
  4.  प्रोटीन मानसिक शक्ति में वृद्धि करता है।
  5.  आवश्यकता पड़ने पर कभी-कभी प्रोटीन शरीर को ऊष्मा एवं ऊर्जा प्रदान करते हैं। रोगों के फलस्वरूप उत्पन्न दुर्बलता के निवारण के लिए प्रोटीन बहुत महत्त्वपूर्ण रहते हैं।
  6.  प्रोटीन से रोग-निरोधक क्षमता का भी समुचित विकास होता है।

प्रोटीन की कमी से हानियाँ:
शरीर के भार के अनुसार हमें (1 ग्राम प्रति किलोग्राम की दर से) प्रतिदिन प्रोटीन की आवश्यकता होती है। इसकी कमी से निम्नलिखित कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है

  1.  शरीर अस्वस्थ रहता है तथा अनेक रोगों के पनपने का भय रहता है।
  2. शरीर के विकास की गति रुक जाती है।
  3. शिशुओं एवं बालकों में समुचित वृद्धि नहीं होती है।
  4. यकृत के आकार में वृद्धि हो जाती है।
  5. रक्तचाप निम्न हो जाता है तथा मनुष्य दुर्बलता अनुभव करता है।
  6.  त्वचा पर चित्तियाँ पड़ जाती हैं व बाल झड़ने लगते हैं।
  7. प्रोटीन की निरन्तर कमी के परिणामस्वरूप क्वाशरकोर, पैलेग्रा तथा यकृत सम्बन्धी कुछ रोग भी हो जाते हैं।

प्रोटीन की अधिकता से हानियाँ:
जिस प्रकार प्रोटीन की कमी से अनेक कठिनाइयाँ उत्पन्न होती हैं, ठीक उसी प्रकार अधिक एवं अनावश्यक प्रोटीन का उपयोग भी अनेक शारीरिक विषमताओं को जन्म देता है। प्रोटीन की अधिकता से निम्नलिखित शारीरिक हानियाँ सम्भव हैं

  1. शरीर में गर्मी अधिक उत्पन्न होती है।
  2. प्रोटीन के आधिक्य को निष्कासित करने के लिए गुर्दो को अधिक कार्य करना पड़ता है; जिससे उनके दुर्बल होने का भय रहता है।
  3.  ठण्डे प्रदेशों में प्रोटीन का अधिक उपयोग कम हानिकारक होता है, परन्तु गर्म देशों (जैसे कि भारतवर्ष) में अधिक प्रोटीन न प्रयोग करना ही हितकर है।

(III) वसा एवं तेल

वसा कार्बन, हाइड्रोजन एवं ऑक्सीजन से निर्मित होती है। इनमें ऑक्सीजन की अल्प मात्रा होती है। ये वसीय अम्लों एवं ग्लिसरॉल के संयोग से बनते हैं। वसा प्रायः निम्नलिखित दो प्रकार की होती है
(क) प्राणिजन्य वसा:
पशुओं की चर्बी, अण्डों की जर्दी, मछली का तेल आदि वसा के मुख्य स्रोत हैं। इनके अतिरिक्त पशुओं (गाय व भैंस आदि) का दूध, मक्खन व घी वसा के अधिक सामान्य एवं महत्त्वपूर्ण स्रोत हैं।

(ख) वनस्पतिजन्य वसी:
सरसों, नारियल, मूंगफली, सोयाबीन, सूरजमुखी तथा तिल के तेल वसा के सामान्य स्रोत हैं। इनके अतिरिक्त बादाम, काजू व अखरोट आदि मेवों में भी प्रचुर मात्रा में वसा पाई जाती है।

उपयोगिता:
वसा एवं वसायुक्त भोज्य पदार्थों का सेवन करने से हमें लाभ तथा हानियाँ दोनों ही होती हैं। इनका क्रमबद्ध विवरण निम्नलिखित है

लाभ:

  1. कार्बोहाइड्रेट्स के समान ये भी ऊर्जा के अच्छे स्रोत हैं।
  2.  ये बाह्य गर्मी एवं सर्दी से शरीर की रक्षा करते हैं।
  3.  अधिक मात्रा में लेने पर शरीर में संचित हो जाते हैं तथा आन्तरिक अंगों एवं हड्डियों को बाह्य आघात से सुरक्षा प्रदान करते हैं।
  4.  ये मांसपेशियों को शक्ति प्रदान करते हैं।
  5.  कई विटामिन्स (जैसे ‘ए’, ‘ई’, ‘के’ एवं ‘डी’) के लिए ये विलायक का कार्य करते हैं।
  6.  वसा शरीर के ताप के नियमन में सहायता प्रदान करती है।
  7.  वसा पाचन-संस्थान को चिकना बनाए रखती है तथा उसकी (आँतों एवं आमाशय की) क्रियाशीलता को सुचारु बनाती है।
  8. वसायुक्त आहार स्वादिष्ट बन जाता है।
  9. वसा शरीर को आवश्यक ऊर्जा प्रदान करके प्रोटीन की बचत में भी योगदान प्रदान करती है।
  10.  वसा युक्त भोजन ग्रहण करने से व्यक्ति को अधिक समय तक भूख नहीं लगती।

हानियाँ:

  1.  इनकी अधिकता से मोटापा बढ़ता है।
  2. इनकी अधिकता से रक्त में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बढ़ जाती है। रक्त नलिकाओं को दीवारों में कोलेस्ट्रॉल के जमने के कारण रक्त वाहिनियाँ संकुचित हो जाती हैं; अतः हृदय रोग की सम्भावनाभों में वृद्धि हो जाती है।
  3.  वसा की अधिक मात्रा ग्रहण करने से पाचन-क्रिया बिगड़ जाती है तथा अपच या दस्त होने लगते हैं।

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प्रश्न 3:
आहार के आवश्यक तत्त्व के रूप में खनिज लवणों का सामान्य परिचय प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर:
खनिज लवण-शारीरिक स्वास्थ्य तथा सुचारु क्रियाशीलता के लिए खनिज लवण नितान्त आवश्यक हैं। जहाँ एक ओर ये शरीर की विभिन्न रोगों से रक्षा करते हैं, वहीं दूसरी ओर शरीर निर्माण में भी सहायक हैं। शरीर से होने वाली अनेक रासायनिक क्रियाओं, विभिन्न रसों के निर्माण, रक्त का निर्माण, हड्डियों तथा दाँतों के लिए खनिज-लवण विशेष उपयोगी होते हैं। शरीर को सुदृढ़ एवं शक्तिशाली बनाने में भी लवण (UPBoardSolutions.com) सहायता प्रदान करते हैं। शरीर का लगभग 1/25वाँ भाग खनिज लवणों का बना होता है। लगभग 20 खनिज तत्त्व जिनसे अनेक खनिज लवण बनते हैं, स्वस्थ शरीर के लिए आवश्यक हैं। इनमें कैल्सियम, फॉस्फोरस, आयोडीन, सोडियम क्लोराइड (सामान्य नमक), लोहा, मैग्नीशियम, ताँबा एवं गन्धक आदि अधिक महत्त्वपूर्ण हैं।

उपयोगिता:

  1.  शरीर के समुचित विकास के लिए आवश्यक है।
  2. हड्डियों के स्वस्थ, स्वरूप के लिए कैल्सियम व फॉस्फोरस अति महत्त्वपूर्ण हैं।
  3. रक्त में लाल-रुधिर कोशिकाओं के निर्माण के लिए लौह तत्त्व की आवश्यकता पड़ती है।
  4.  थायरॉइड ग्रन्थियों की क्रियाशीलता एवं विकास के लिए आयोडीन आवश्यक है।
  5. विभिन्न लवण शरीर के पाचक रसों को उत्प्रेरित करते हैं तथा परिणामस्वरूप पाचन-क्रिया सुचारु बनी रहती है।
  6.  लवण शरीर में अम्ल-क्षार के सन्तुलन को बनाए रखते हैं।
  7. लवणों के प्रभाव से शरीर में उपस्थित विभिन्न पदार्थ घुलनशील बनते हैं तथा उन्हें शरीर के विभिन्न अवयवों तक जाने में सरलता होती है।

प्रश्न 4:
आहार के आवश्यक तत्त्व के रूप में विटामिनों का विवरण प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर:
विटामिन्स:
शरीर के स्वस्थ एवं समुचित विकास के लिए सूक्ष्म मात्रा में विटामिन्स की आवश्यकता पड़ती है। विटामिन्स को सुरक्षात्मक तत्त्व (protective nutrients) कहा जाता है। ‘ए’, ‘बी’, ‘सी’, ‘डी’, ‘ई’ व ‘के’ आवश्यक विटामिन्स हैं जो कि अनेक प्रकार से हमें लाभान्वित करते

उपयोगिता:
हमारे शरीर तथा स्वास्थ्य के लिए विटामिनों की उपयोगिता का सामान्य विवरण निम्नवर्णित है

  1.  विभिन्न विटामिनों की समुचित मात्रा ग्रहण करने से शरीर में विभिन्न रोगों से मुकाबला करने तथा उनसे बचे रहने की क्षमता प्राप्त होती है। इसके विपरीत विटामिनों की न्यूनता से व्यक्ति विभिन्न प्रकार के रोगों का शिकार हो जाता है।
  2. विभिन्न विटामिन ग्रहण करने से व्यक्ति चुस्त एवं स्वस्थ बना रहता है। विटामिन मनुष्य को स्वस्थ रहने में सहायता प्रदान करते हैं। इनकी कमी की स्थिति में व्यक्ति के शरीर की चुस्ती-फुर्ती कम हो जाती है।
  3. समुचित मात्रा में विटामिन ग्रहण करने से व्यक्ति को भूख ठीक प्रकार से लगती है। इसके विपरीत यदि विटामिन की न्यूनता या अभाव हो जाए तो व्यक्ति को भूख कम लगती है, चुस्ती बनी रहती है तथा व्यक्ति को नींद अधिक आने लगती है।
  4.  विटामिन की न्यूनता से शरीर अत्यधिक क्षीण एवं दुर्बल हो जाता है।

प्रश्न 5:
शरीर के लिए जल की उपयोगिता स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
शरीर का लगभग 70% भाग जल होता है। जल को प्रायः सीधे पीकर ग्रहण किया जाता है। इसके अतिरिक्त भोजन, शाक-सब्जियों, फलों एवं पेय पदार्थों के माध्यम से भी जल शरीर में प्रवेश
करता है।

उपयोगिता:

  1. प्यास शरीर की नैसर्गिक आवश्यकता है। जल द्वारा ही प्यास बुझती है।
  2.  जल शरीर के तापक्रम को सामान्य बनाए रखता है।
  3.  यह सर्वोत्तम विलायक है; अत: अधिकांश पौष्टिक तत्त्व इसमें घुलकर शरीर के विभिन्न अंगों तक पहुँचते हैं। उत्सर्जन क्रिया में शरीर से विसर्जित होने वाले पदार्थ भी जल में घुलकर ही शरीर से पसीने व मल-मूत्र आदि के रूप में बाहर निकलते हैं।
  4.  भोजन के पाचन व अवशोषण के लिए जल अति आवश्यक है।
  5.  रक्त में लगभग 90% जल होता है।
  6.  शरीर में विद्यमान विभिन्न ग्रन्थियों से कुछ रसों का स्राव होता है। इन रसों को तरलता प्रदान करने का कार्य जल ही करता है।
  7. जल हमारे शरीर की त्वचा को कोमल तथा चिकना बनाने में भी सहायकं होता है।
  8.  जल के सेवन से व्यक्ति की सुस्ती, थकाने तथा उदासीनता भी दूर होती है।
  9.  शारीरिक सफाई के लिए जल आवश्यक है। हम जल से ही स्नान करते हैं।

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प्रश्न 6:
विटामिन की सामान्य विशेषताओं का उल्लेख करते हुए विभिन्न विटामिनों की । उपयोगिता, स्रोत तथा कमी के प्रभावों को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
विटामिन क्या हैं विटामिन्स जटिल कार्बनिक यौगिक होते हैं। ये प्राय: जल में (जैसे ‘बी’ व ‘सी’) अथवा वसा में (जैसे ‘ए’, ‘डी’, ‘ई’ व ‘के’) विलेय (घुलनशील) होते हैं। इनकी अन्य विशेषताएँ हैं

  1. ये शरीर को स्वस्थ रखने के लिए अति आवश्यक हैं।
  2.  इनकी आवश्यकता सूक्ष्म मात्रा में होती है तथा इनकी आवश्यकता से अधिक मात्रा प्रायः शरीर से विसर्जित हो जाती है।
  3. ये प्रायः उत्प्रेरक अथवा किण्व के समान कार्य करते हैं। इसके अतिरिक्त इनके विशिष्ट कार्य भी होते हैं।
  4.  ये प्रायः विभिन्न प्रकार के भोज्य पदार्थों से प्राप्त होते हैं। आजकल इनका निर्माण प्रयोगशालाओं में भी किया जाता है।
  5.  दैनिक भोज्य पदार्थों में इनकी कमी प्रायः अनेक रोगों का कारण बनती है।

उपयोगिता, स्रोत तथा कमी के प्रभाव:
विभिन्न विटामिनों की उपयोगिता प्राप्ति के स्रोतों तथा कमी के प्रभावों को निम्न तालिका द्वारा दर्शाया गया है
सारणी-विटामिन्स : प्रकार, स्रोत, उपयोगिता तथा कमी के प्रभाव विटामिन का नाम व स्रोत | कार्य या उपयोगिता
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प्रश्न 7:
हमारे लिए आवश्यक खनिज लवण व उनके प्राप्ति स्रोत कौन-कौन से हैं? शरीर में इनकी कमी से क्या हानि होती है?
उत्तर:
हमारे शरीर के स्वस्थ एवं समुचित विकास के लिए निम्नलिखित खनिज लवणों की आवश्यकता होती है

  1.  कैल्सियम,
  2.  फॉस्फोरस,
  3.  आयोडीन,
  4.  सोडियम,
  5.  मैग्नीशियम,
  6. गन्धक,
  7. लोहा,
  8. ताँबा।

(1) कैल्सियम:
हमें 500 मिली ग्राम से 1 ग्राम कैल्सियम की प्रतिदिन आवश्यकता होती है। यह :: हमें दूध, दही, पनीर व अण्डे की जर्दी से प्रचुर मात्रा में उपलब्ध हो सकता है। मेथी, पालक, (UPBoardSolutions.com) गाजर व मूली के पत्तों तथा बन्द गोभी व फूल गोभी में भी पाया जाता है। कैल्सियम दाँतों, हड्डियों व मांसपेशियों ” को स्वस्थ एवं क्रियाशील रखने के लिए अति आवश्यक है।

कैल्सियम की कमी से हानि:

  1.  हड्डियाँ कमजोर व विकृत हो जाती हैं। बच्चों में सूखा रोग व महिलाओं में मृदुलास्थि रोग हो जाते हैं।
  2. दाँत दुर्बल व बेडौल हो जाते हैं।
  3. रक्त जमने में अधिक समय लगता है।

(2) फॉस्फोरस:
बढ़ते हुए बालक को 1 ग्राम तथा सामान्य मनुष्य को 500 मिली ग्राम फॉस्फोरस की आवश्यकता होती है। यह हमें पनीर, अण्डा, मांस, मछली, आलू, कच्ची मक्का, पालक और दूध आदि से प्राप्त होता है।

फॉस्फोरस की कमी से हानि:

  1. अस्थियाँ व स्नायु संस्थान दुर्बल हो जाते हैं।
  2.  रक्त में अम्ल व क्षार का सन्तुलन नहीं रहता।

(3) आयोडीन:
इसकी दैनिक आवश्यकता 60-100 मिली ग्राम है। यह हमें प्याज, समुद्री मछली, मछली का तेल, आयोडाइज्ड नमक व पीने के पानी से प्राप्त होती है। यह थायरॉइड ग्रन्थियों के विकास एवं क्रियाशीलता के लिए आवश्यक खनिज तत्त्व है।

आयोडीन की कमी से हानि:

  1.  बच्चों का शारीरिक व मानसिक विकास रुक जाता है।
  2.  गले में थायरॉइड ग्रन्थि के बढ़ जाने के कारण, गलगण्ड अथवा घेघा (गोइटे) नामक रोग हो। जाता है।

(4) सोडियम:
हमें इसकी आवश्यकता सामान्य नमक (सोडियम क्लोराइड) तथा सोडियम कार्बोनेट के रूप में होती है। ये हमें दूध, मांस, शलजम, प्याज, सेब, केला तथा अमरूद आदि से प्राप्त होते हैं। सामान्य नमक का उपयोग हम अपने दैनिक जीवन में अनेक प्रकारे से करते हैं।

सोडियम की कमी से हानि:

  1. सोडियम क्लोराइड की कमी से शरीर में कब्ज उत्पन्न होता है, रुधिर चाप कम हो जाता है तथा रक्त के संगठन में असन्तुलन उत्पन्न हो जाता है।
  2. सोडियम कार्बोनेट की कमी से रक्त में अम्ल व क्षार का सन्तुलन नहीं रहता है तथा पाचन-क्रिया ठीक नहीं रहती।

(5) मैग्नीशियम:
यह लगभग सभी प्रकार के भोज्य-पदार्थों विशेष रूप से हरी शाक-सब्जियों में प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। यह शरीर में उपस्थित किण्वों को तथा स्नायु-तन्त्र को क्रियाशील रखता है।

मैग्नीशियम की कमी से हानि

  1.  पाचन-क्रिया गड़बड़ा जाती है।
  2.  स्नायुमण्डल दुर्बल हो जाता है।

(6) गन्धक:
प्रोटीनयुक्त भोजन करने से गन्धक की आवश्यकता स्वत: ही पूरी हो जाती है। शरीर में होने वाली ऑक्सीकरण क्रियाओं में गन्धक का महत्त्वपूर्ण योगदान रहती है।

गन्धक की कमी से हानि

  1.  बालों की वृद्धि रुक जाती है।
  2.  नाखूनों की वृद्धि में अवरोध उत्पन्न हो जाता है।
  3.  शरीर में होने वाली अनेक जैव-रासायनिक क्रियाएँ कुप्रभावित होती हैं।

(7) लोहा:
यह रक्त के वर्णक तत्त्व हीमोग्लोबिन का आवश्यक अंग है। पुरुषों की अपेक्षा स्त्रियों में लौह तत्त्व की आवश्यकता अधिक होती है; परन्तु 50-55 वर्ष की आयु में मासिक धर्म बन्द हो जाने पर स्त्रियों एवं पुरुषों में इसकी आवश्यकता समान हो जाती है। लोहा प्राप्त करने के लिए मांस, मछली, (UPBoardSolutions.com) गाजर, पालक, खीरे (हेरी शाक-सब्जियाँ), प्याज, सेब, मेवे, अनाज इत्यादि का सेवन लाभप्रद रहता है। अधिक कमी होने पर इसे गोलियों, कैप्सूल तथा टॉनिक इत्यादि का सेवन कर प्राप्त किया जा सकता है।

लोहे की कमी से हानि

  1.  रक्ताल्पता (ऐनीमिया) नामक रोग हो जाता है।
  2. त्वचा का रंग पीला अथवा भूरा हो जाता है।
  3. हृदय गति बढ़ जाती है तथा श्वसन क्रिया धीमी पड़ जाती है।
  4. पीड़ित व्यक्ति उदासी, दुर्बलता एवं थकावट का अनुभव करता है।

(8) ताँबा:
ताँबा अथवा कॉपर लोहे के साथ मिलकर रक्त का उपयुक्त संगठन बनाए रखता है। यह अनाजों (गेहूँ, चावल, मक्का, जौ, बाजरा आदि) •का सेवन करके प्राप्त किया जा सकता है। ताँबे
की कमी से होने वाली हानियाँ लगभग लोहे के समान होती हैं।

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प्रश्न 8:
निम्नलिखित खाद्य पदार्थों पर संक्षिप्त टिप्पणियाँ लिखिए
(क) अनाज,
(ख) दालें,
(ग) मेवे,
(घ) सब्जी व फल,
(ङ) मांस। या दालें और मेवों में कौन-सा पौष्टिक तत्त्व होता है?
उत्तर:

(क) अनाज:
अनाजों में प्राय: गेहूं, चावल, मक्का, जौ, ज्वार तथा बाजरे का अधिकतर प्रयोग किया जाता है। ये सभी अनाज विभिन्न पौधों के बीज होते हैं तथा इन्हें विभिन्न प्रकार से आहार में सम्मिलित किया जाता है। इनमें कार्बोहाइड्रेट्स, प्रोटीन, खनिज लवण तथा विटामिन्स आदि पर्याप्त मात्रा में पाए जाते हैं। विभिन्न अनाजों के संगठन इस प्रकार हैं

(i) गेहूँ:
यह सर्वोत्तम अनाज है। इसके आटे से चपातियाँ तथा अन्य प्रकार की भोज्य सामग्रियाँ बनाई जाती हैं। 71.2% कार्बोहाइड्रेट्स, 15% वसा तथा लगभग 2% खनिज लवण होते हैं। चोकर में प्रोटीन, सेल्यूलोज तथा लवण प्रचुर मात्रा में होते हैं; अतः आटे से चोकर को अलग नहीं करना चाहिए। (UPBoardSolutions.com) चोकर में विटामिन ‘बी’ भी पाया जाता है। अंकुरित गेहँ में विटामिन ‘सी’ तथा ‘ई’ भी पाया जाता है। हम अपने आहार में गेहूं का सर्वाधिक प्रयोग उसके आटे के रूप में करते हैं। वैसे आटे के अतिरिक्त गेहूं से मैदा तथा सूजी भी तैयार किए जाते हैं। गेहूँ से दलिया बना कर भी प्रयोग में लाया जाता है। दलिए में गेहूं के सभी पोषक तत्त्व पूर्णरूप में पाए जाते हैं।

(ii) चावल:
यह भी गेहूं के समान महत्त्वपूर्ण अनाज है। इसमें 78.8% कार्बोहाइड्रेट्स तथा 6% वसा होती है। इसके अतिरिक्त चावल में प्रोटीन, विटामिन ‘बी’ तथा खनिज लवण भी होते हैं जो कि व्यापारिक स्तर पर मशीन से कुटे चावल में प्राय: नष्ट हो जाते हैं। हाथ से कुटे धान से बना चावल अधिक पौष्टिक होता है।

(iii) मक्का:
इसमें कार्बोहाइडेटस अधिक होते हैं, परन्तु प्रोटीन गेहूं व चावल की अपेक्षा कम होती है। विटामिन्स का मक्का में प्राय: अभाव ही होता है। केवल मक्का ही खाने से पेलैग्रा नामक रोग हो जाता है।

(iv) जौ:
जौ अथवा बारले गेहूं की अपेक्षा हल्का अनाज है। इसमें प्रोटीन व लवण की मात्रा अधिक होती है। यह भूख बढ़ाने वाला तथा शीतल प्रभाव का अनाज है। इसमें कार्बोहाइड्रेट्स 69.3%, प्रोटीन 11.5%, वसा 1.3% तथा लवण 3% होते हैं।

(v) ज्वार एवं बाजरा:
इसमें प्रोटीन तथा कार्बोहाइड्रेट्स प्रचुर मात्रा में मिलते हैं। विटामिन ‘बी’ इनमें गेहूं के समान होता है, परन्तु खनिज लवण की मात्रा अपेक्षाकृत कम होती है।

(ख) दालें

मूंग, अरहर, उड़द, मसूर, मटर, चना, राजमा तथा लोबिया आदि हमारे देश की प्रमुख दालें हैं। शाकाहारी व्यक्तियों के लिए दालें व दूध ही प्रोटीन के वैकल्पिक स्रोत हैं। विभिन्न दालों में 57-60% कार्बोज तथा प्रोटीन 22-25% तक पाई जाती है। सोयाबीन में प्रोटीन की प्रतिशत मात्रा सबसे अधिक (UPBoardSolutions.com) लगभग 43% होती है। दालों में नाइट्रोजनयुक्त पदार्थ, लोहा व फॉस्फोरस भी प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। भीगी हुई अंकुरित दालों का प्रयोग करने पर उनसे विटामिन ‘ए’, ‘बी’ व ‘सी’ भी प्राप्त किए जा सकते हैं। अतः दालें प्रायः सभी व्यक्तियों के लिए महत्त्वपूर्ण एवं उपयोगी आहार हैं।

(ग) मेवे

मेवों में प्रोटीन, वसाएँ तथा कार्बोहाइड्रेट्स काफी मात्रा में मिलते हैं। अनेक मेवों; जैसे बादाम में प्रोटीन की अत्यधिक मात्रा होती है, जबकि शर्कराओं की अधिक मात्रा किशमिश, छुआरा, मुनक्का आदि मेवों में अधिक है। मेवे में खनिज पदार्थों की भी काफी मात्रा होती है। इस प्रकार मेवे अत्यन्त पौष्टिक पदार्थ हैं।

(घ) सब्जी व फल

सब्जियाँ–सब्जियाँ प्राय: दो प्रकार की होती हैं

(i) मूल एवं कन्द:
जैसे-आलू, गाजर, चुकन्दर, मूली, शलजम, प्याज, लहसुन तथा अरवी इत्यादि। इनमें कार्बोज की मात्रा अधिक होती है।

(ii) हरी शाक-सब्जियाँ:
जैसे- गोभी, भिण्डी, बैंगन, मेथी, पालक, लोकी, तोरई, टिण्डे, टमाटर व नींबू इत्यादि। इनमें कार्बोज की मात्रा कम होती है; परन्तु खनिज लवण तथा विटामिन ‘ए’, ‘बी’ एवं ‘सी’ प्रचुर मात्रा में होते हैं। विटामिन हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि करते हैं, इसलिए हरी शाक-सब्जियों को सुरक्षात्मक भोजन कहते हैं। कुछ प्रमुख सब्जियों में विभिन्न तत्त्व निम्न प्रकार से पाए जाते हैं।
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फल:
कुछ फलों (केला, अंगूर, सेब, आम, अंजीर आदि) से हमें शक्तिवर्द्धक शर्करा (ग्लूकोस) प्राप्त होती है। इन्हें भोज्यफल कहते हैं। कुछ फलों (सन्तरा, मौसमी, नींबू आदि) के रस में विटामिन ‘ए, ‘बी’ व ‘सी’ पर्याप्त मात्रा में पाए जाते हैं। इन रोग-प्रतिरोधक क्षमता प्रदान करने वाले फलों को सुरस फल कहते हैं। कुछ प्रमुख फलों में पोषक तत्त्वों की प्रतिशत मात्रा निम्नलिखित है
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(ङ) मांस:
सामान्यत: भेड़, बकरी, सूअर, हिरन, खरगोश व मुर्गा आदि का मांस उत्तम श्रेणी का माना जाता है।

मांस के प्रमुख पोषक तत्त्व:
मांस में प्रायः 18% प्रोटीन, 20% वसा तथा 60% जल होता है। मांस की प्रोटीन अधिक सुपाच्य तथा उत्तम श्रेणी की होती है। यकृत एवं गुर्दी में न्यूक्लिया प्रोटीन तथा सफेद ऊतकों में, कोलेटन व एलेस्जिन नामक प्रोटीन पाई जाती है। वसा अधिक मात्रा में होने के कारण मांस ऊर्जा-प्राप्ति के (UPBoardSolutions.com) लिए सर्वोत्तम भोजन है। मांस में विटामिन ‘ए’, ‘बी’ व ‘डी’ पर्याप्त मात्रा में पाए जाते हैं। मास में पाए जाने वाले लवणों में फॉस्फोरस व लोहा प्रमुख हैं। इस प्रकार मास एक पौष्टिक भोजन है।

अच्छे मांस की विशेषताएँ

  1.  गुलाबी अथवा हल्के लाल रंग का मांस अच्छा होता है।
  2.  अच्छा मांस छूने पर सख्त एवं लचीला होता है।
  3.  अच्छे मांस की वसा पूर्णरूप से सफेद व सख्त होती है।
  4.  अच्छा मांस पकाने पर संकुचित नहीं होता है।
  5.  यह पानी में गीला नहीं होता।
  6. मांस सदैव ताजा ही उपयोग में लाना चाहिए।
  7. कभी भी बीमार पशु-पक्षी का मांस नहीं खाना चाहिए।
  8. मांस को अच्छी प्रकार से उच्च ताप पर पकाकर ही खाना चाहिए। इससे रोगाणुओं के संक्रमण की आशंका नहीं रहती।

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प्रश्न 9:
दूध को ‘सम्पूर्ण आहार’ क्यों माना जाता है? इसके प्रमुख तत्त्वों का उल्लेख कीजिए।
या
‘दूध एक पूर्ण आहार है। इसे सिद्ध कीजिए।
या
सिद्ध कीजिए कि दूध एक उपयोगी एवं पौष्टिक पेय पदार्थ है।
या
दूध से बनाए जाने वाले कुछ मुख्य खाद्य पदार्थों के नाम लिखिए।
या
दूध एक सम्पूर्ण आहार क्यों कहलाता है?
उत्तर:
दूध को एक ऐसा आहार माना जाता है जो प्रायः सभी पोषक तत्वों से परिपूर्ण है। इसमें अन्य सभी खाद्य पदार्थों की अपेक्षा अधिक पोषक तत्त्व उपस्थित रहते हैं। बच्चे के जन्म के समय से ही जीव का प्रमुखं आहार दूध होता है। वह अपने शरीर की वृद्धि के लिए माता के दूध पर पूर्णरूप से निर्भर रहता (UPBoardSolutions.com) है। जब वह बड़ा हो जाता है तो उसे गाय, भैंस, बकरी इत्यादि का दूध पिलाया जाता है। आहार सम्बन्धी सभी आवश्यक तत्त्व; जैसे—प्रोटीन, खनिज-लवण इत्यादि दूध में उपस्थित रहते हैं। दूध में प्रोटीन केसीन तथा लैक्टा एल्ब्यूमिन के रूप में पाई जाती है, जिसे प्राप्त करके एक स्वस्थ मनुष्य अपने शरीर की आवश्यकताओं की पूर्ति करता है।

प्राप्ति स्रोत:
दूध एक महत्त्वपूर्ण पशु प्रदत्त भोज्य पदार्थ है। दूध हमें सामान्यतः गाय, भैंस व बकरी से प्राप्त होता है। हमारे देश में गाय का दूध अधिक सुपाच्य एवं उत्तम माना जाता है।

दूध से बनने वाले पदार्थ:
दूध को उसके प्राकृतिक रूप में प्रयोग क़िए जाने के अतिरिक्त उससे अनेक पदार्थ बनाए जाते हैं। इनका अपना अलग-अलग उपयोग एवं महत्त्व है। दूध से बनने वाले विभिन्न पदार्थ निम्नलिखित हैं

(1) स्किम्ड अथवा सप्रेटा दूध:
यन्त्र द्वारा दूध से क्रीम (वसा) अलग कर देने के पश्चात् स्किम्ड दूध शेष बचता है।

(2) कन्डेन्स्ड दूध:
यन्त्रों की सहायता से दूध का लगभग 2/3 जलांश दूर करके कन्डेन्स्ड दूध बनाया जाता है।

(3) शुष्क दूध:
यान्त्रिक विधि से दूध को पूर्णत: जलरहित कर उसका शुष्क पाउडर बना लिया जाता है।

(4) दही:
दूध से निर्मित एक मुख्य खाद्य पदार्थ ‘दही है। यदि दूध में लैक्टिक अम्ल का समावेश हो जाए, तो उसमें विद्यमान प्रोटीन जम जाती है तथा दूध दही के रूप में परिवर्तित हो जाता है। हाँडी में दही जमाने के लिए सामान्य तापक्रम वाले दूध में जामन लगाई जाती है। इस जामन में लैक्टिक (UPBoardSolutions.com) अम्ल तथा लैक्टोबेसीलाई बैक्टीरिया होते हैं जिनके प्रभाव से दूध में विद्यमान लैक्टोस लैक्टिक एसिड के रूप में बदल जाता है तथा दूध की कैनीन नामक प्रोटीन जम जाती है। दही दूध की अपेक्षा सुपाच्य होता है।

(5) मलाई एवं क्रीम:
उबले हुए दूध को ठण्डा करने पर इसकी सतह पर चिकनाईयुक्त मलाई जम जाती है। यान्त्रिक विधि द्वारा दूध को मथकर उससे क्रीम निकाली जाती है।

(6) मक्खन:
दही को मथने पर इसका हल्का भाग मक्खन के रूप में ऊपर तैरने लगता है। इसे ठण्डा करने पर यह जमकर ठोस मक्खन बन जाता है। मक्खन में वसा की मात्रा अत्यधिक होती है। सामान्य रूप से मक्खन में 85% भाग वसा ही होती है।

(7) छाछ अथवा मट्ठा:
मक्खन अलग हो जाने पर शेष दही छाछ अथवा मट्ठा कहलाती है।

(8) घी:
मक्खन को गर्म करके जलांश का वाष्पीकरण करने पर घी शेष बचता है। यह पूर्णरूप से वसा है। घी को बहुत समय तक सुरक्षित रखा जा सकता है, क्योंकि इसमें जल की बिल्कुल भी मात्रा नहीं होती।

(9) पनीर:
दूध को दही, नींबू अथवा टाटरी से फाड़कर बारीक कपड़े में छानने पर इसका जलांश छन जाता है तथा पनीर शेष बचता है। वास्तव में दूध के फटने के साथ-साथ दूध में विद्यमान प्रोटीन थक्कों के रूप में जम जाती है तथा शेष भाग पानी के रूप में अलग हो जाता है। पनीर में मुख्य रूप से केसीन नामक प्रोटीन होता है।

(10) खोया अथवा मावा:
दूध को धीमी आँच पर वाष्पीकृत किया जाता है। अन्त में सम्पूर्ण जलांश दूर होने पर खोया शेष बचता है। खोया या मावा से विभिन्न मिठाइयाँ तथा अन्य व्यंजन बनाए जाते हैं। मावा एक गरिष्ठ खाद्य पदार्थ है। इसका पाचन मुश्किल से होता है।

दूध के पौष्टिक तत्त्व एवं उनका महत्त्व

  1.  दूध में लगभग 3.5% प्रोटीन होती है, जिसे केसीनोजन कहते हैं। दूध में (विशेषत: माता के दूध में) एक और महत्त्वपूर्ण प्रोटीन (लेक्टो-एल्ब्यूमिन) पाई जाती है। अत: प्रोटीनयुक्त दूध शरीर को शक्ति प्रदान करता है।
  2.  दूध में 3.5-4% वसा घुलनशील रूप में उपस्थित होती है। यह अधिक सुपाच्य होती है तथा शरीर को ऊर्जा प्रदान करती है।
  3.  दूध में कैल्सियम, पोटैशियम तथा फॉस्फोरस आदि तत्त्व पाए जाते हैं। आंशिक रूप से दूध में मैग्नीशियम, सोडियम तथा आयोडीन भी पाए जाते हैं। इनसे अस्थियाँ एवं स्नायु सुदृढ़ होते हैं तथा रक्त का संगठन ठीक बना रहता है।
  4. दूध में आंशिक रूप से लगभग सभी विटामिन पाए जाते हैं। दूध में विटामिन ‘ए’ एवं ‘डी’ अधिक मात्रा में पाए जाते हैं। इनके कारण दूध नेत्रों के लिए अति उपयोगी रहता है। दूध पीने वाले बच्चों को सूखा रोग एवं पुरुषों तथा महिलाओं को रतौंधी का भय नहीं रहता।
  5. दूध में 4-6% तक कार्बोज होता है। यह लैक्टोस अथवा दुग्ध-शर्करा के रूप में पाया जाता है। यह शरीर को स्वाभाविक ऊर्जा प्रदान करता है।
  6.  उपयुक्त मात्रा में जल होने के कारण दूध सुपाच्य होता है।
  7.  विभिन्न स्रोतों से प्राप्त दूध में पौष्टिक तत्वों की प्रतिशत मात्रा निम्न प्रकार से होती है

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उपर्युक्त वर्णन से स्पष्ट है कि दूध में लगभग सभी पौष्टिक तत्त्व पर्याप्त मात्रा में पाए जाते हैं, जिसके फलस्वरूप दूध शरीर की लगभग सभी आवश्यकताओं की पूर्ति करने में सक्षम है। अतः स्पष्ट है। कि दूध प्रत्येक दृष्टिकोण से एक सम्पूर्ण आहार है। दूध सभी वर्गों के व्यक्तियों के लिए उपयोगी आहार है। शैशवावस्था में तो दूध ही एकमात्र आहार होता है। नवजात शिशु के लिए माता का दूध ही एकमात्र आहार है। (UPBoardSolutions.com) बाल्यावस्था में शरीर की वृद्धि एवं विकास के लिए दूध का विशेष महत्त्व स्वीकार किया गया है। किशोरावस्था, प्रौढ़ावस्था तथा वृद्धावस्था में भी दूध का विशेष महत्त्व होता है। दूध एक सम्पूर्ण आहार है, यह सुपाच्य है तथा साथ-ही-साथ स्वादिष्ट भी होता है। दूध का उपयोग अनेक प्रकार से किया जा सकता है।

प्रश्न 10:
विभिन्न दालों का संगठन, वर्गीकरण और कार्य लिखिए।
उत्तर:
सामान्यतः उपयोग में आने वाली दालों में पाए जाने वाले आवश्यक पोषक पदार्थों के लिए अग्रांकित सारणी का अवलोकन करें
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दालों के कार्य

  1. दालें शाकाहारियों के लिए प्रोटीन का महत्त्वपूर्ण स्रोत हैं। अतः ये शरीर के स्वास्थ्य एवं समुचित विकास तथा आवश्यक ऊर्जा एवं पाचक रसों के निर्माण के लिए अत्यन्त आवश्यक हैं।
  2. दालों से प्रचुर मात्रा में कार्बोज की प्राप्ति होती है।
  3.  दालों से कई आवश्यक खनिज लवण मिलते हैं जो कि स्वस्थ शरीर के लिए बहुत आवश्यक हैं।
  4. भीगी हुई अंकुरित दालों से विटामिन ‘ए’, ‘बी’ व ‘सी’ प्राप्त होते हैं।
  5. मूंगफली से 40.1% तथा सोयाबीन से 19.5% खाद्य तेल प्राप्त होता है। इस प्रकार दालों से दैनिक जीवन के लिए आवश्यक खाद्य तेल भी प्राप्त होता है।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1:
घर में अनाजों की सुरक्षा आप कैसे करेंगी?
उत्तर:
अधिकांश घर-परिवारों में सुविधा एवं बचत के दृष्टिकोण से पूरे वर्ष के व्यय के अनुसार फसल आने के समय अनाज क्रय कर लिया जाता है। अनाज को कीड़ों से सुरक्षित रखने के लिए कुछ उपाय किए जाते हैं। इनमें पारे की गोलियाँ डालना, नीम की सूखी पत्तियाँ रखना, सल्फास की गोलियों (UPBoardSolutions.com) को कपड़े में बाँधकर डालना इत्यादि कुछ महत्त्वपूर्ण उपाय हैं। इस प्रकार अनाज कीड़ों से सुरक्षित रहता है तथा इसे प्रयोग करने में स्वास्थ्य भी कुप्रभावित नहीं होता।

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प्रश्न 2:
सब्जियों को रक्षात्मक पदार्थ क्यों कहा जाता है?
या
हरी सब्जियों को खाने के चार लाभ बताइए।
उत्तर:
हरी सब्जियाँ रक्षात्मक भोजन हैं, क्योंकि ये विभिन्न खनिज लवणों तथा विटामिनों की उत्तम स्रोत हैं।

हरी सब्जियों के सेवन से लाभ

  1. हरी सब्जियाँ सस्ती होने पर भी स्वास्थ्य के लिए गुणकारी हैं।
  2.  इनका रंग एवं स्वाद भोजन को रुचिपूर्ण बनाता है।
  3.  इनका सेवन पाचन क्रिया को उत्प्रेरित करता है।
  4.  इनमें पाए जाने वाले खनिज तत्त्व; जैसे लोहा, फॉस्फोरस तथा विटामिन्स आदि हमारी रोग-प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि करते हैं।
  5. सब्जियों में रेशे की मात्रा अधिक होती है; अतः इनके सेवन से सामान्य रूप से कब्ज की शिकायत नहीं होती।

प्रश्न 3:
टिप्पणी लिखिए-वसा और तेल-बीज।
उत्तर:
यदि हम अपने सम्पूर्ण आहार का विश्लेषण करें तो स्पष्ट हो जाएगा कि हमारे आहार में वसा तथा तेल-बीजों का भी महत्त्वपूर्ण स्थान है। तेल-बीजों की प्राप्ति का स्रोत वनस्पति जगत् ही है। तेल प्राप्ति के मुख्य स्रोत हैं—सरसों, मूंगफली, तिल, सोयाबीन, सूरजमुखी, बिनौला, नारियल तथा अरण्डी आदि। इन विभिन्न पौधों के बीजों से प्राप्त होने वाले तेल मुख्य रूप से वसी ही होते हैं। इन तेलों में वसा के अतिरिक्त कुछ अन्य पोषक तत्त्व भी न्यूनाधिक मात्रा में पाए जाते हैं। हम अपने आहार में तेल-बीजों से प्राप्त होने वाले वसी रूपी तेलों (UPBoardSolutions.com) को अनेक प्रकार से सम्मिलित करते हैं। अधिकांश व्यंजन तैयार करने के लिए तेलों को ही माध्यम के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। तेलों के समावेश से आहार अधिक स्वादिष्ट भी बन जाता है। यहाँ यह स्पष्ट कर देना भी आवश्यक है कि तेलों के अधिक समावेश से हमारा आहार गरिष्ठ बन जाता है। इस प्रकार का आहार देर से तथा मुश्किल से पचता है, अतः कमजोर पाचन-शक्ति वाले व्यक्तियों को अधिक वसायुक्त तथा तले हुए भोज्य पदार्थों का केवल सीमित मात्रा में ही सेवन करना चाहिए। वसा एवं तेल-बीजों का अधिक सेवन उचित नहीं माना जाता।

प्रश्न 4:
गर्भवती स्त्री के लिए दूध क्यों आवश्यक है?
उत्तर:
दूध में प्रोटीन, वसा, कार्बोज एवं लवण पर्याप्त मात्रा में पाए जाते हैं। दूध में विटामिन ‘ए’ एवं ‘डी’ आधिक्य में पाए जाते हैं, जिससे दूध नेत्रों के लिए अधिक उपयोगी रहता है। इससे बच्चों को सूखा रोग तथा पुरुष एवं महिलाओं को रतौंधी का भय नहीं रहता। दूध एक सम्पूर्ण, सन्तुलित एवं सुपाच्य आहार है। अतः गर्भवती स्त्री को स्वयं के एवं होने वाली सन्तान के स्वास्थ्य के लिए दूध का सेवन करना आवश्यक है।

प्रश्न 5:
अण्डे के पोषक तत्त्व बताइए। या अण्डे में मुख्य पौष्टिक तत्त्व कौन-कौन से हैं?
उत्तर:
अण्डे में मुख्य पौष्टिक तत्त्वों की प्रतिशत मात्रा निम्न प्रकार से होती है

प्रोटीन                         13.50%
वसा                            13.70%
खनिज लवण               1.10%
कार्बोज                       0.70%
जल                             74. 40%
विटामिन ‘ए’ व ‘डी’      पर्याप्त मात्रा में

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प्रश्न 6:
मछली के भोजन में कौन-कौन से प्रमुख तत्त्व पाए जाते हैं?
उत्तर:
मछलियों में विभिन्न पौष्टिक तत्त्वों की प्रतिशत मात्रा निम्न प्रकार से होती है
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प्रश्न 7:
विटामिन ‘ए’ की कमी से कौन-कौन से रोग होते हैं?
या
विटामिन ‘ए’ की कमी से होने वाले तीन रोगों के नाम बताइए।
उत्तर:
विटामिन ‘ए’ की कमी से होने वाले रोग हैं

  1. नेत्र रोग जैसे कि रतौंधी।
  2. शारीरिक वृद्धि में गतिरोध।
  3.  त्वचा के रोग जैसे कि त्वचा का शुष्क होना अथवा शल्कीभवन।

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1:
आहार से आप क्या समझती हैं?
उत्तर:
वह ठोस या तरल सामग्री आहार कहलाती है, जिसे ग्रहण करने से भूख मिटती है, शरीर शक्ति प्राप्त करता है, शरीर की वृद्धि एवं विकास होता है, शरीर के अन्दर होने वाली टूट-फूट की मरम्मत होती है तथा रोगों से लड़ने की क्षमता प्राप्त होती है।

प्रश्न 2:
वनस्पति जगत से प्राप्त होने वाले प्रमुख खाद्य-पदार्थ कौन-कौन से हैं?
उत्तर:
वनस्पति जगत से प्राप्त होने वाले प्रमुख खाद्य-पदार्थ हैं-अनाज, दालें, संब्जियाँ तथा फल।

प्रश्न 3:
प्राणी जगत से प्राप्त होने वाले प्रमुख खाद्य-पदार्थ कौन-कौन से हैं ?
उत्तर:
प्राणी जगत से प्राप्त होने वाले प्रमुख खाद्य-पदार्थ हैं दूध, मांस तथा अण्डे।

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प्रश्न 4:
आहार के आवश्यक पोषक तत्वों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
आहार के आवश्यक पोषक तत्त्व हैं—प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट्स, वसा, विटामिन, खनिज तथा जल।

प्रश्न 5:
ऐसे तीन फलों के नाम लिखिए जिनमें विटामिन ‘सी’ पाया जाता है।
उत्तर:

  1.  सन्तरा,
  2.  मौसमी,
  3.  नींबू।

प्रश्न 6:
दालों का आहार में क्या महत्त्व है?
उत्तर:
दालों में प्रोटीन अधिक होती है; अतः शाकाहारी व्यक्तियों के लिए ये अति महत्त्वपूर्ण आहार है।

प्रश्न 7:
सोयाबीन स्वास्थ्य के लिए क्यों उपयोगी है?
उत्तर:
सोयाबीन में प्रोटीन की मात्रा सर्वाधिक होती है; अतः इसका सेवन स्वास्थ्य के लिए अति उपयोगी है।

प्रश्न 8:
स्कर्वी रोग किस विटामिन की कमी से होता है? या विटामिन ‘सी’ की कमी से कौन-सा रोग होता है?
उत्तर:
शरीर में विटामिन ‘सी’ की कमी से स्कर्वी नामक रोग हो जाता है।

प्रश्न 9:
सोयाबीन में कौन-सा तत्त्व प्रमुख रूप से पाया जाता है?
उत्तर:
सोयाबीन में प्रोटीन तत्त्व 43.5% पाया जाता है।

प्रश्न 10:
कार्बोज का क्या संगठन है?
उत्तर:
ये कार्बन, हाइड्रोजन तथा ऑक्सीजन से निर्मित यौगिक होते हैं, जिनमें हाइड्रोजन और ऑक्सीजन सदैव 2 : 1 में होते हैं।

प्रश्न 11:
कार्बोहाइड्रेट का मुख्य कार्य क्या है?
उत्तर:
कार्बोहाइड्रेट का मुख्य कार्य शरीर को ऊर्जा प्रदान करना है।

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प्रश्न 12:
शरीर में वसा के मुख्य कार्य क्या हैं?
उत्तर:
वसा शरीर को ऊर्जा प्रदान करती है, सुरक्षा प्रदान करती है, ताप का नियमन करती है तथा शरीर को सुडौल बनाती है।

प्रश्न 13:
वसा की अधिकता से क्या प्रभाव होता है?
उत्तर:
वसा की अधिकता से व्यक्ति मोटापे अथवा ओबेसिटी का शिकार हो जाता है।

प्रश्न 14:
दूध में कौन-कौन से विटामिन पाए जाते हैं?
उत्तर:
दूध में विटामिन ‘ए’ एवं ‘डी’ पाए जाते हैं।

प्रश्न 15:
दूध में किस विटामिन का प्रायः अभाव ही होता है ?
उत्तर:
दूध में विटामिन ‘सी’ का प्रायः अभाव ही होता है।

प्रश्न 16:
फलों का आहार में क्या महत्त्व है?
उत्तर:
फलों से हमें शक्तिवर्द्धक शर्करा (ग्लूकोस) तथा रोग-प्रतिरोधक विटामिन ‘ए’, ‘बी’ व ‘सी’ तथा विभिन्न खनिज लवण प्राप्त होते हैं।

प्रश्न 17:
रोग-प्रतिरोधक विटामिन का नाम बताइए।
उत्तर:
विटामिन ‘ए’, ‘बी’ व ‘सी’ हमें रोग-प्रतिरोधक शक्ति प्रदान करते हैं।

प्रश्न 18:
किस विटामिन की कमी होने पर मनुष्य रतौंध से ग्रस्त होता है?
उत्तर:
विटामिन ‘ए’ की कमी होने पर मनुष्य रतौंधी से ग्रस्त हो जाता है।

प्रश्न 19:
विटामिन ‘बी’ की कमी से कौन-सा रोग होता है?
उत्तर:
विटामिन ‘बी’ की कमी से बेरी-बेरी नामक रोग हो जाता है।

प्रश्न 20:
विटामिन डी की कमी से कौन-सा रोग हो जाता है?
उत्तर:
विटामिन डी की कमी से ‘रिकेट्स’ या ‘अस्थि-विकृति’ नामक रोग हो जाता है।

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प्रश्न 21:
विटामिन ‘डी’ को आहार के अतिरिक्त किस स्रोत से भी प्राप्त किया जा सकता है?
उत्तर:
विटामिन ‘डी’ को आहार के अतिरिक्त सूर्य के प्रकाश के प्रभाव से भी शरीर द्वारा विकसित किया जा सकता है।

प्रश्न 22:
प्रोटीन का क्या कार्य है?
उत्तर:
शरीर के तन्तुओं, नाड़ियों तथा आन्तरिक अंगों का निर्माण एवं उनकी टूटे-फूट की क्षतिपूर्ति करना प्रोटीन का मुख्य कार्य है।

प्रश्न 23:
प्रोटीन की कमी से बच्चों में कौन-से रोग हो जाते हैं?
उत्तर:
प्रोटीन की कमी से बच्चों में क्वॉशरकार तथा मरास्मस नामक रोग हो जाते हैं।

प्रश्न 24:
हरी पत्ते वाली सब्जियों में कौन-से पोषक तत्त्व मिलते हैं?
उत्तर:
हरी पत्ते वाली सब्जियों में विटामिन (विशेष रूप से ‘सी’) व खनिज लवण भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं।

प्रश्न 25:
आयोडीन की कमी से शरीर में क्या हानि होती है?
उत्तर:
आयोडीन की कमी से

  1. बच्चों का शारीरिक एवं मानसिक विकास रूक जाता है,
  2.  गले में थायरॉइड ग्रन्थि के बढ़ जाने के कारण गलगण्ड अथवा घेघा नामक रोग हो जाता है।

प्रश्न 26:
दूध को सम्पूर्ण आहार क्यों कहा जाता है?
उत्तर:
हमारे आहार के लगभग सभी आवश्यक पोषक तत्त्व दूध में समुचित मात्रा तथा अनुपात में विद्यमान होते हैं, अतः इस तथ्य के आधार पर दूध को सम्पूर्ण आहार माना जाता है।

प्रश्न 27:
बच्चों के लिए दूध क्यों आवश्यक है?
उत्तर:
दूध बच्चों के लिए सुपाच्य आहार होता है तथा उनकी स्वाभाविक वृद्धि एवं विकास में सहायक होता है, अत: बच्चों के लिए दूध आवश्यक माना जाता है।

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प्रश्न 28:
उत्तेजक पेय पदार्थों के नाम लिखिए।
उत्तर:
चाय, कॉफी तथा कोको सामान्य उत्तेजक पेय पदार्थ हैं।

प्रश्न 29:
चाय का अधिक प्रयोग क्यों हानिकारक है?
उत्तर:
चाय के अधिक प्रयोग से हमारी भूख पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है, नींद घटती है तथा पेट में गैस एवं जलन की समस्या उत्पन्न हो सकती है। इन्हीं कारणों से चाय का अधिक प्रयोग हानिकारक माना जाता है।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न:
प्रत्येक प्रश्न में चार वैकल्पिक उत्तर दिए गए हैं। इनमें से सही विकल्प चुनकर लिखिए

(1) विटामिन ‘सी’ की कमी से कौन-सा रोग होता है?
(क) जुकाम,
(ख) स्कर्वी,
(ग) रिकेट्स,
(घ) बेरी-बेरी।

(2) विटामिन ‘ए’ अधिक पाया जाता है
(क) पालक के साग में,
(ख) कहूं में,
(ग) मूली में,
(घ) प्याज में।

(3) आयोडीन लवण की कमी से कौन-सा रोग होता है?
(क) घेघा रोग,
(ख) टिटेनस,
(ग) मलेरिया,
(घ) स्कर्वी।

(4) जल में घुलनशील विटामिन कौन-सा है?
(क) ‘ए’,
(ख) ‘बी’,
(ग) ‘ई’,
(घ) ‘डी’।

(5) अण्डे में भोजन के किस तत्त्व का अभाव होता है?
(क) वसा,
(ख) कार्बोज,
(ग) प्रोटीन,
(घ) विटामिन।

(6) अनाज के अंकुर में कौन-सा तत्त्वे रहता है?
(क) खनिज लवण,
(ख) विटामिन,
(ग) वसा,
(घ) प्रोटीन।

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(7) शाक-भाजी किन भोज्य पदार्थों की श्रेणी में आते हैं?
(क) रक्षात्मक,
(ख) शक्तिदायक,
(ग) वृद्धिकारक,
(घ) स्वादिष्ट।

(8) भोजन में ऊर्जा का मुख्य साधन क्या है?
(क) कार्बोज,
(ख) खनिज लवण,
(ग) वसा,
(घ) प्रोटीन।

(9) इनमें से कौन-सा आहार सम्पूर्ण है?
(क) फल,
(ख) दूध,
(ग) दही,
(घ) मांस।

(10) सोयाबीन में सबसे अधिक क्या पाया जाता है?
(क) शक्तिवर्द्धक तत्त्व,
(ख) प्रोटीन,
(ग) कार्बोज,
(घ) विटामिन।

(11) विटामिन ‘डी’ की कमी से कौन-सा रोग होता है?
(क) जुकाम,
(ख) स्कर्वी,
(ग) रिकेट्स,
(घ) बेरी-बेरी।

(12) खट्टे रसदार फलों में कौन-सा विटामिनं पर्याप्त मात्रा में मिलता है।
(क) विटामिन ‘ए’,
(ख) विटामिन ‘बी’,
(ग) विटामिन सी,
(घ) विटामिन ‘डी’।

(13) विटामिन बी, की कमी से कौन-सा रोग होता है?
(क) घेघा,
(ख) रिकेट्स,
(ग) बेरी-बेरी,
(घ) स्कर्वी।

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(14) विटामिन ‘डी’ किसमें पाया जाता है?
(क) फलों में,
(ख) हरी सब्जियों में,
(ग) अल्ट्रावायलेट रेज में,
(घ) मसालों में।

उत्तर:
(1) (ख) स्कर्वी,
(2) (ग) मूली में,
(3) (क) घेघा रोग,
(4) (ख) बी,
(5) (ख) कार्बोज,
(6) (ख) विटामिन,
(7) (क) रक्षात्मक,
(8) (क) कार्बोज,
(9) (ख) दूध,
(10) (ख) प्रोटीन,
(11) (ग) रिकेट्स,
(12) (ग) विटामिन ‘सी’,
(13) (ग) बेरी-बेरी,
(14) (ग) अल्ट्रावायलेट रेज में।

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UP Board Class 9th English Chapter 4 Question Answer Indian Weavers (Sarojini Naidu).

Class 9 English Poetry Chapter 4 Questions and Answers UP Board Indian Weavers (Sarojini Naidu).

कक्षा 9 अंग्रेजी पाठ 4 प्रश्न उत्तर

These Solutions are part of UP Board Solutions for Class 9 English. Here we have given UP Board Solutions for Class 9 English Poetry Chapter 4 Indian Weavers (Sarojini Naidu).

Read the following stanzas given below and answer the questions tha follew each :
नीचे दिये हुये निम्नलिखित पद्यांशों को पढ़िये और उनके नीचे दिये हुए प्रश्नों के उत्तर दीजिए—
(a) Weavers, weaving at break of day,
Why do you weave a garment so gay?
Blue as the wing of a halcyon wild,
We weave the robes of a new-born child.
Questions.
(i) Write name of the poem from which the above stanza has been selected. Who is thepoetess of the poem?
उस कविता का नाम लिखिए जिससे उपरोक्त पद्यांश लिया गया है। इस कविता की कवयित्री कौन हैं?
(ii) What are the weavers weaving?
जुलाहे क्या बुन रहे है?
(iii) What are they weaving?
वे क्या बुन रहे हैं?
(iv) What is the colour of the garment of a new born child?
एक नवजात शिशु के कपड़े का रंग क्या है?
Answers.
(i) The name of the poem is ‘Indian Weavers’. Its poetess is Sarojini Naidu.
कविता का नाम Indian Weavers है। इसकी कवयित्री सरोजिनी नायडू हैं।
(ii) The weavers are weaving at break of day.
जुलाहे प्रातः काल के समय बुन रहे हैं।
(iii) They are weaving the robes of a new born child.
वे नवजात शिशु के लिए कपड़े बुन रहे हैं।
(iv) The colour of the garment of a new born child is blue.
नवजात शिशु के कपड़े का रंग नीला है।

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(b) Weavers weaving at fall of night,
Why do you weave a garment so bright?
Like the plumes of a peacock, purple and green,
We weave the marriage veils of a queen.
Questions.
(i) When are the weavers weaving the marriage veil of a queen?
जुलाहे रानी के विवाह के वस्त्र कब बुन रहे हैं?
(ii) What is it compared to?
इसकी तुलना किससे की गयी है?
(iii) What is the colour of the garment?
वस्त्र का रंग क्या है?
(iv) Which words rhyme with ‘night’ and ‘green?
कौन से शब्द night और green के तुकान्त हैं?
Answers.
(i) The weavers are weaving the marriage veil of a queen at fall of night.
जुलाहे रानी के विवाह के वस्त्रे सायंकाल के समय बुन रहे हैं।
(ii) It is compared to the plumes of a peacock,
इसकी तुलना मोर के पंखों से की गयी है।
(iii) The colour of the garment is purple and green.
वस्त्र का रंग बैगनी (UPBoardSolutions.com) और हरा है।
(iv) Night rhymes with bright and green rhymes with queen.
night का तुकान्त bright और green का तुकान्त queen है।

(c) Weavers, weaving soleman and still,
What do you weave in the moonlight chill?
White as a feather and white as a cloud,
We weave a dead man’s funeral shroud.
Questions.
(i) Write name of the poem from which the above stanza has been taken. Who is the poetess of the poem?
उसे कविता का नाम लिखिए जिससे उपरोक्त पद्यांश लिया गया है?
(ii) What did the weavers weave in the chill moonlight?
जुलाहे ठंडी चाँदनी रात में क्या बुनते हैं?
(iii) What is the colour of the shroud?
कफन का (UPBoardSolutions.com) रंग क्या है?
(iv) Which words rhyme with each other in the above stanza?
उपरोक्त पद्यांश में कौन से शब्द एक-दूसरे के तुकान्त है?
Answers.
(i) The name of the poem is Indian Weavers’, Its poetess is Sarojini Naidu.
कविता का नाम ‘Indian Weavers’ है। इसकी कवयित्री सरोजिनी नायडू हैं।
(ii) The weavers are weaving the shroud in the chill moonlight.
जुलाहे ठण्डी चाँदनी रात में कफन बुन रहे हैं।
(iii) The colour of the shroud is white.
कफन का रंग सफेद है।
(iv) Still rhymes with chill and cloud rhymes with shroud.
still शब्द chill का cloud तथा shroud शब्द का तुकान्त है।

(A) SOLVED QUESTIONS OFTEXT BOOK
Answer the following questions :
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए :

Question 1.
When do the weavers weave the garments of a new-born child?
जुलाहे नवजात शिशु के वस्त्र कब बुनते हैं?
Answer:
The weavers are weaving the garments of a new-born child at break of day.
जुलाहे नवजात शिशु के वस्त्र प्रातःकाल के समय बुन रहे हैं।

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Question 2.
Why are they weaving bright cloths?
वे चमकीले कपड़े क्यों बुन रहे हैं?
Answer:
They are weaving bright cloths because it is to be used as the marriage veils of a queen.
वे चमकीले कपड़े इसलिए बुन रहे हैं क्योंकि इनका उपयोग रानी के विवाह के लिए किया जाना है।

Question 3.
What is the colour of the robes of a new-born child?
नवजात शिशु के कपड़े का रंग क्या है ?
Answer:
The colour of the robes of a new-born child is as blue as the wing of a halcyon wild.
नवजात शिशु के कपड़े का रंग जंगली Halcyon पक्षी के पंखों की तरह नीला है।

Question 4.
What has it been compared to in the first stanza?
क्या इसकी तुलना प्रथम पंक्ति से की गयी है?
Answer:
It has been compared to the wing of a halcyon wild.
इसकी तुलना जंगली Halcyon पक्षी के पंखों से की गयी है।

Question 5.
Why is the marriage veil of a queen described as bright?
रानी के विवाह के कपड़े को चमकीला क्यों बताया गया है?
Answer:
The marriage veil of a queen is described as bright because brightness is a symbol of joy and happiness.
रानी के विवाह के कपड़े को चमकीला इसलिए बताया गया है क्योंकि चमक प्रसन्नता और खुशी को प्रतीक है।

Question 6.
What is it compared to in the second stanza?
क्या इसकी तुलना द्वितीय पंक्ति से की गयी है?
Answer:
It is compared to the plumes of a peacock.
इसकी तुलना मोर के पंखों से की गयी है।

Question7.
Pick out the two words used to describe the weavers in the last stanza.
अन्तिम पद्यांश में जुलाहों का वर्णन करने के लिए प्रयोग किये गये दो शब्दों को छांटिये।
Answer:
“Solemn’ and ‘still’ are the two words used to describe the weavers in the last stanza.
अन्तिम पद्यांश में जुलाहों का वर्णन करने के लिए प्रयोग किये गये दो शब्द Solemn तथा Still हैं।

Question 8.
Why are the weavers solemn and still while weaving in the moonlight chill?
जब जुलाहे ठंडी चाँदनी रात में कपड़े बुनते हैं तो वे गम्भीर और शान्त क्यों हैं?
Answer:
The weavers are solemn and still because they are weaving a dead man’s funeral shroud.
जुलाहे शान्त और गम्भीर इसलिए हैं क्योंकि वे एक मृत व्यक्ति के लिए कफन बुन रहे हैं।

Question 9.
What is the colour of the funeral shroud?
कफन का रंग क्या है?
Answer:
The colour of the funeral shroud is white.
कफन को रंग सफेद है।

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Question 10.
What is it compared to in the last stanza?
क्या इसकी तुलना अंतिम पंक्ति से की गयी है?
Answer:
It is compared to a white feather and a white cloud.
इसकी तुलना एक सफेद पंख और एक सफेद बादल से की गयी है।

(B) APRECIATING THE POEM

Question 1.
Write down the central idea of the poem.
कविता का केन्द्रीय भाव लिखिए।
Answer:
The poem ‘Indian Weavers’ describes the three stages in the life of a man. The three stages are birth, marriage and death. The weavers tell the poetess that they are weaving the cloths of new born baby, the marriage veil of a queen and the funeral shroud of a dead man.The colour and the time of weaving suggest the three (UPBoardSolutions.com) stage of life.
कविता ‘Indian Weavers’ में मनुष्य के जीवन की तीन अवस्थाओं का वर्णन है। ये तीन अवस्थाएँ जन्म, विवाह | और मृत्यु हैं। जुलाहे कवयित्री को बताते हैंकि वे एक नवजात शिशु के लिए, रानी के विवाह के वस्त्र तथा एक मरे हुए व्यक्ति के कफन के लिए कपड़े बुन रहे हैं। बुनने का रंग व सर्मय जीवन की तीन अवस्थाओं को बताता है।

Question 2.
Point out the words that rhyme together in the first stanza.
प्रथम पद्यांश में साथ-साथ तुकान्त वाले शब्दों को बताइये।
Answer:
‘Day rhymes with ‘gay’ and ‘wild rhymes with child’.
‘Day’ का तुकान्त ‘gay’ तथा ‘wild’ का तुकान्त ‘child’ से है।

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Question 3.
Who is the poetess of the poem?
कविता की कवयित्री कौन है?
Answer:
Sarojini Naidu is the poetess of the poem.
कविता की कवयित्री सरोजिनी नायडू हैं।

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UP Board Class 9th English Chapter 5 Question Answer Plants also Breathe and Feel (Sir Jagdish Chandra Bose).

Class 9 English Prose Chapter 5 Questions and Answers UP Board Plants also Breathe and Feel (Sir Jagdish Chandra Bose).

कक्षा 9 अंग्रेजी पाठ 5 प्रश्न उत्तर

These Solutions are part of UP Board Solutions for Class 9 English. Here we have given UP Board Solutions for Class 9 English Prose Chapter 5 Plants also Breathe and Feel (Sir Jagdish Chandra Bose).

(A) PASSAGES FOR COMPREHENSION

Read the following passages and answer the questions given below :
(निम्नलिखित गद्यांशों को पढ़िये और नीचे दिये गये प्रश्नों के उत्तर दीजिए)

(a) It was an event that surprised the scientific world. It was an undreamed of thing. Here was a man who had built a unique instrument-an instrument that could measure the growth of plants. Here was a man who had proved with this wonderful machine that plants have hearts and can feel. The machine showed that plants have sight and a sense which tells them (UPBoardSolutions.com) that a stranger is approaching.
“Your instrument is a wonderful thing,” said the great man who had come to the Paris Congress of Science, 1900. They were amazed as the inventor showed them how to use the machine.

Questions.
1. Write name of the lesson from which the above passage has been taken.
(उस पाठ का नाम लिखिए जिससे उपरोक्त गद्यांश लिया गया है।)
2. Name the event that surprised the scientific world.
(उस घटना का नाम लिखिए जिसने विज्ञान की दुनियाँ को आश्चर्य में डाल दिया।)
3. This was a unique instrument because
(यह एक अद्वितीय यन्त्र था क्योंकि ………..)
4. The instrument revealed some new facts. They were,…………….
(यन्त्र से कुछ नये तथ्य सामने आये। वे थे ………..)
5. Find words from the above passage which mean :
(i) Rare (ii) Coming near
(उपरोक्त गद्यांश से उन शब्दों को खोजिए जिनके अर्थ हैं)
(i) दुर्लभ, अद्वितीय
(ii) पास पहुँच रहा।
Answers:
1. The name of the lesson is ‘Plants Also Breathe and Feel’.
(पाठ का नाम ‘Plants Also Breathe and Feel’ (पौधे भी साँस लेते हैं और अनुभव भी करते हैं) है।)
2. It was the invention of an instrument named ‘Crescograph’ which could measure the growth of the plants.
(यह क्रेस्कोग्राफ नामक यंत्र की खोज थी जो पौधों के विकास को नाप सकती थी।)
3. (i) It could measure the growth of the plants.
(यह पौधों के विकास को नाप सकती थी।)
(ii) It showed that the plants have hearts and can feel.
(इसने यह प्रदर्शित किया कि पौधों में हृदय होता है और वे अनुभव कर सकते है।)
4. That the plants could feel and sense that a stranger is approaching towards them.
(कि वे पौधे अनुभव करते हैं तथा उनमें यह चेतना है कि कोई अपरिचित उनकी ओर आ रहा है।)
5. (i) Rare-unique (दुर्लभ, अद्वितीय),
(ii) Coming near-approaching (पास पहुँच रहा).

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(b) A three year struggle began between Bose and the government in which he was victorious. An Indian, in those days of British rule, usually received two-thirds of the salary paid is a European Professor. Bose’s appointment was a temporary one, so he was given only half thrave jo w Europiun Bose was not the man to take this quietly. (UPBoardSolutions.com) He felt that people who did the same amount und sume kind of work should be paid the same salary whatever race they belonged to. It is worth reneinbering that discoveries do not come from the faithful followers and yes-men of science, they come fruit the dousters and the rebels. Bose was by nature, a rebel.

Questions.
1. Name the author of the lesson from which the above passage has been lakóla
(इस पाठ का नाम तथा लेखक का नाम लिखिए जिससे उपरोक्त गद्यांश लिया गया है।)
2. Who was victorious in the struggle?
(संघर्ष में किसकी जीत हुई?)
3. Something is responsible for discovery. What is it?
(आविष्कार के लिए कोई वस्तु उत्तरदायी है। वह क्या है?)
4. Explain “Yes-man of science.”
(व्याख्या कीजिए “विज्ञान का खुशामदी।)
5. Which words in the above passage mean as :
(i) Winner (ii) Fight
(उपरोक्त गद्यांश के किन शब्दों का तात्पर्य है)
(i) विजेता (ii) संघर्ष
Answers:
1. The name of the lesson is ‘Plants Also Brathe and Feel’ and its author Sir Jagdish Chandra Bose.
(पाठ का नाम ‘Plants Also Brathe and Feel’ (पौधे भी साँस लेते हैं और अनुभव करते हैं) है तथा इसके लेखक जगदीश चन्द्र बोस हैं।)
2. Mr. Bose was victorious in the struggle.
(संघर्ष में बोस की जीत हुई।)
3. Doubt is the mother of invention. It is the doubters and not ‘Yes-men’ of science, who make discoveries.
(सन्देह आविष्कार की जननी है। शंका करने वाले तथा विज्ञान की खुशामद न करने वाले ही आविष्कार करते हैं।)
4. The people who follow the set beliefs of science blindly are the ‘yes-men’ of science. They never try to question any such belief.
(जो लोग विज्ञान के निर्धारित विश्वासों का आँख बन्द करके अनुसरण करते है वे विज्ञान के खुशामदी लोग है। इस प्रकार के किसी विश्वास पर कभी भी प्रश्न करने का प्रयास नहीं करते हैं।)
5. (i) Winner-victorious (विजेता)
(ii) Fight-struggle (संघर्ष).

(c) He realized that there was similarity in the behaviour of lifeless and living things. It was however, not easy to convince others. People hold on to their old beliefs and do not like to change them. Bose suggested that the animal, vegetable and mineral kindgoms were one and had a great deal in common. He said that plants and metals had a life of their own and could become ‘tired’, ‘depressed’, or ‘happy! People laughed at (UPBoardSolutions.com) him. They did not take him seriously. Bose knew he was right and proved it. To begin with he designed and built a machine which recorded his findings with maximum exactness. This Das the ‘Crescography !

Questions.
1. Name the lesson from which the above passage has been taken.
(उस पाठ का नाम लिखिए जिससे उपरोक्त गद्यांश लिया गया है।)
2. People laughed at Bose because …
(लोग बोस की हंसी उड़ाते थे क्योंकि ……………..)
3. What are three facts about plant and metal life?
(पौधे तथा धातु जीवन के तीन तथ्य क्या है?)
4. Bose suggested that
(बोस ने सुझाव दिया कि ……)
5. Pick out the words from the above passage which mean the same as :
(i) Name the machine under reference.
(ii) Equality
(उपरोक्त गद्यांश में से ऐसे शब्दों को छांटिये जिनका समान तात्पर्य है:)
(i) संदर्भित मशीन का नाम लिखिए।
(ii) ईक्वलिटी
Answers:
1. The name of the lesson is ‘Plants Also Breath and Feel’.
(पाठ का नाम ‘Plants Also Breath and Feel’ (पौधे भी साँस लेते हैं और अनुभव भी करते हैं।)
2. His ideas were opposite of the old beliefs.
(उनके विचार पुराने विश्वासों के विपरीत थे।)
3. These are that they could become (i) tired, (ii) depressed and (iii) happy.
(ये हैं कि वे)
(i) थक जाते हैं,
(ii) निराश हो जाते हैं और
(iii) प्रसन्न हो जाते हैं।
4. The animal, vegetable and mineral kingdoms were one and had a great deal in common.
(पशु, वनस्पति तथा खनिज पदार्थ एक हैं तथा इनमें काफी समानता है।)
5. (i) It is ‘Crescograph’ (केस्कोग्राफ है )
(ii) Equality-similarity ( समानता )

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(d) The story of this great scientist will not be complete without some mention of his concern for India and her people. He had a deep faith in the intelligence of his country men. Bose was certain that they were as capable of doing great things to-day as their ancestors had done in the past. In an address at a convocation of the University of Mysore in November, 1927, Sir Jagdish Chandra Bose spoke about India’s glory in the past and (UPBoardSolutions.com) declared that it was action and not idleness that was responsible for that glory. He believed that there could be no happiness for a single person unless it had been won for all. And this great scientist wanted his countrymen to have undying hope and faith in the future.

Questions.
1. Name of the lesson from which the above passage has been taken. Who is the author?
(उस पाठ का नाम लिखिए जिससे उपरोक्त गद्यांश लिया गया है। इसके लेखक कौन हैं?)
2. Who had a deep faith in the intelligence of his countrymen?
(अपने देशवासियों की बुद्धिमत्ता में किसे गहरा विश्वास था?)
3. Where did he address in November, 1927?
(उन्होंने नवम्बर, 1927 में कहाँ भाषण दिया?)
4. What did he want his countrymen?
(वह अपने देशवासियों को कैसा देखना चाहते थे?)
5. Write the adjectives of
(i) Glory ……….
(ii) Action ….
(i) Glory ……….. (ii) Action ……….. के विशेषण लिखिए।
Answers:
1. The name of the lesson is ‘Plants Also Breathe and Feel’. The author of the lesson is Sir Jagdish Chandra Bose.
(पाठ का नाम ‘Plants Also Breathe And Feel’ है। इस पाठ के लेखक सर जगदीश जन्द्र बोस हैं।)
2. Mr. Bose had a deep faith in the intelligence of his country men.
(बोस को अपने देशवासियों की बुद्धिमत्ता में गहरा विश्वास था।)
3. Mr. Bose addressed at a convocation of Mysore University in November, 1927.
(बोस ने मैसूर विश्वविद्यालय के दीक्षान्त समारोह में नवम्बर, 1927 में भाषण दिया था।)
4. Mr. Bose wanted his countrymen to have undying hope and faith in future.
(बोस अपने देशवासियों को भविष्य के प्रति पूर्ण आस्था और अटूट विश्वास की भावना रखने वाला देखना चाहते थे।)
5. (i) Glory-Glorious ( गौरवशाली)
(i) Action—Active (क्रियाशाली)

(B) LONG ANSWER TYPE QUESTIONS AND THEIR ANSWERS

Answer the following questions in not more than 60 words each :

Questions 1.
Write about ‘Crescograph’ in brief.
(क्रेस्कोग्राफ के विषय में संक्षेप में लिखिए।)
Answer:
Jagdish Chandra Bose was a great scientist. He invented a unique machine named ‘Crescograph’. It was the amazing instrument which records the growth of plants. It showed that blants have hearts and are capable of feeling. It also indicated that plants have a keen sight and react o rays of light and wireless (UPBoardSolutions.com) waves.
जगदीश चन्द्र बोस एक महान वैज्ञानिक थे। उन्होंने क्रेस्कोग्राफ नामक एक अद्वितीय मशीन की खोज की। यह एक आश्चर्यजनक यन्त्र था जो पौधों के विकास को नाप सकता है। इसने यह प्रदर्शित किया कि पौधों में हृदय होता है और वे महसूस करने की क्षमता रखते हैं। इससे यह भी संकेत मिलता था कि पौधों में पैनी दृष्टि होती है और वे बेतार तरंगों और प्रकाश की किरणों पर प्रतिक्रिया करते हैं।

Questions 2.
What discovery did Bose make? What thought was responsible for Bose’s discovery?
(बोस ने कौन-सा आविष्कार किया? बोस के आविष्कार के लिए कौन-सा विचार उत्तरदायी था?)
Answer:
Jagdish Chandra Bose was a great Scientist. He thought that there was a similarity in the behaviour of both plants and living things. They could also become ‘tired’, ‘depressed’ or ‘happy’. This was contrary to the common belief. So people laughed at him. But Bose wanted to prove the truth of his belief. He invented a machine called Crescograph. This machine could measure the growth of plants. It showed that the plants were capable of feeling. They reacted to manures, noise and other stimuli. It also showed that plants had a keen sense of sight. They had a special sense with which they knew that a stranger was coming.
जगदीश चन्द्र बोस एक महान वैज्ञानिक थे। उन्होंने सोचा कि पौधों तथा सजीव वस्तुओं दोनों के व्यवहार में समानता है। वे भी थके हुए, निराश अथवा प्रसन्न हो सकते थे। यह जनसाधारण के विश्वास के विपरीत था। इसीलिए लोगों ने उनका उपहास किया किन्तु बोस अपने विश्वास के सत्य को सिद्ध करना चाहते थे। उन्होंने एक मशीन का आविष्कार किया जिसे क्रेस्कोग्राफ कहते हैं। यह मशीन पौधों के विकास को (UPBoardSolutions.com) दर्ज कर सकती थी। इसने प्रदर्शित किया कि पौधे अनुभव करने की क्षमता रखते हैं। वे खाद, शोर तथा अन्य प्रेरक तत्वों के प्रति प्रतिक्रिया व्यक्त करते हैं। इन्होंने यह भी प्रदर्शित किया कि पौधों में दृष्टि की तीव्र चेतना होती है। उनके पास एक विशेष चेतना होती है जिससे उन्हें मालूम हो जाता है कि कोई अपरिचित आ रहा है।

Questions 3.
Who was Jagdish Chandra Bose? How did he show his love for India and her people?
(जगदीश चन्द्र बोस कौन थे? उन्होंने भारत तथा उसके लोगों के प्रति अपना प्रेम किस प्रकार प्रदर्शित किया?)
Answer:
Jagdish Chandra Bose was born in 1858 in a village of Bengal. He was a great scientist. He was proud of his country. He had a deep faith in the intelligence of his countrymen. Very often he reminded his countrymen of India’s past glory. He believed that modern day Indians are also capable of doing great things.
In 1927, Sir Jagdish Chandra Bose delivered the convocation address of the University of Mysore. Here he said that the great actions of our ancestors brought India’s great glory in the past. The modern India, according to him, can also become great if we lead a life of action and not of idieness. He wanted his countrymen to have undying hope and faith in the future.

जगदीश चन्द्र बोस का जन्म बंगाल के गाँव में 1858 में हुआ था। वे एक महान वैज्ञानिक थे। उन्हें अपने देश पर गर्व या। उन्हें अपने देशवासियों की बुद्धि में गहरा विश्वास था। वे प्रायः अपने देशवासियों को भारत के प्राचीन गौरव की याद दिलाते। रहते थे। उनका विश्वास था कि आधुनिक भारतीय (UPBoardSolutions.com) भी कुछ महान कार्य करने में सक्षम है। 1927 में सर जगदीश चन्द्र बोस ने मैसूर विश्वविद्यालय के दीक्षान्त समारोह में भाषण दिया। यहाँ उन्होंने कहा कि प्राचीन काल में हमारे पूर्वजों के महान कार्यों ने भारत को महान गौरव प्रदान किया था। उनके अनुसार, यदि हम कर्म का जीवन बितायें न कि आलस्य का तो आधुनिक भारत भी महान बन सकता है। वे चाहते थे कि उनके देशवासी भविष्य में अटूट आशा तथा वेश्वास रखें।

(C) SHORT ANSWER TYPE QUESTIONS AND THEIR ANSWERS

Answer the following questions in not more than 25 words each :

Questions 1.
Which was the great event that surprised the scientific world?
(वह कौन सी महान घटना थी जिसने विज्ञान की दुनिया को आश्चर्यचकित कर दिया?)
Answer:
The great event that surprised the scientific world was invention of a unique instrument that could measure the growth of plants.
(वह महान घटना जिसने विज्ञान की दुनिया को आश्चर्यचकित कर दिया एक ऐसे अद्वितीय यन्त्र की खोज थी जो पौधे के विकास को नाप सकता था।)

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Questions 2.
Who built that unique instrument? What did he prove with the help of this machine?
(उस अद्वितीय यन्त्र को किसने बनाया? उन्होंने इस मशीन की सहायता से क्या सिद्ध किया?)
Answer:
Jagdish Chandra Bose built that instrument. He proved with the help of this machine that plants have hearts and can feel.
(उस यन्त्र को जगदीश चन्द्र बोस ने बनाया। उन्होंने इस मशीन की सहायता से सिद्ध कर दिया कि पौधों में हृदय होत है और वे अनुभव कर सकते हैं। )

Questions 3.
What was the name of the instrument? How was the machine unique and wonderful?
(उस यन्त्र का नाम क्या था? वह मशीन किस प्रकार अद्वितीय और आश्चर्यचकित थी?)
Answer:
The name of the instrument was ‘Crescograph’. The machine was unique and wonderful because it showed that plants have sight and a sense.
(उस यन्त्र का नाम क्रेस्कोग्राफ था। वह मशीन अद्वितीय और आश्चर्यजनक थी क्योंकि इस मशीन ने यह प्रदर्शित कर दिया कि पौधों में दृष्टि और चेतना होता है।)

Questions 4.
In which century was the machine built?
(वह मशीन किस शताब्दी में बनायी गयी?)
Answer:
In the nineteenth century the machine was built.
(इस मशीन को उन्नीसवीं शताब्दी में बनाया गया।)

Questions 5.
What did the great men in the Paris Conference of Science say about the machine?
(पेरिस के विज्ञान सम्मेलन में महान पुरुषों ने मशीन के विषय में क्या कहा?)
Answer:
The greatmen in the Paris Conference of Science asked where it was made.
(पेरिस के विज्ञान सम्मेलन में महान पुरुषों ने पूछा कि इस मशीन का आविष्कार कहाँ हुआ था? )

Questions 6.
Why were they more amazed when they came to know that it was build in India?
(जब उन्हें पता चला कि मशीन भारत में बनी थी तो उन्हें अधिक आश्चर्य क्यों हुआ?)
Answer:
They were more amazed when they came to know that it was built in India because in the nineteenth century India was well known for greatness in the fields of the fine arts, literature and philosophy. In the field of science, it was a wonderful thing.
(उन्हें अधिक आश्चर्य तब हुआ जब उन्हें पता चला (UPBoardSolutions.com) कि मशीन भारत में बनी थी क्योंकि उन्नीसवीं शताब्दी में भारत ललित कला, साहित्य एवं दर्शन के क्षेत्र में महानता के लिए प्रसिद्ध था। विज्ञान के क्षेत्र यह महान आविष्कार आश्चर्यजनक था।)

Questions 7.
When and where was Bose born? How did he make a name for himself and his country?
(बोस का जन्म कब और कहाँ हुआ था? उन्होंने अपने तथा अपने देश के लिए किस प्रकार नाम कमाया?)
Answer:
Bose was born in 1858 of a village in Bengal. He made a name for himself and his country being appointed as Professor of Physics in Presidency College at Calcutta.
(बोस का जन्म 1858 में बंगाल के एक गाँव में हुआ था। (UPBoardSolutions.com) उन्होंने कलकत्ता के प्रेसीडेन्सी कॉलेज में भौतिक विज्ञान के प्रोफेसर के रूप में नियुक्त होकर अपने तथा अपने देश के लिए नाम कमाया।)

Questions 8.
Why did a three year struggle begin between Bose and the government? Who was victorious?
(बोस तथा सरकार के बीच तीन वर्षीय संघर्ष क्यों आरम्भ हुआ? विजयी कौन हुआ? )
Answer:
In those days, an Indian of British rule usually received two third of salary paid to a European Professor. So a three year struggle began between Bose and the government. Bose was victorious.
(उन दिनों अंग्रेजी शासन में एक भारतीय को सामान्यतः एक यूरोपीय प्रोफेसर को दिये जाने वाले वेतन का दो तिहाई मिलता था। इसलिए बोस और सरकार के बीच में त्रिवर्षीय संघर्ष प्रारम्भ हुआ। इसमें बोस विजयी रहे।)

Questions 9.
“Bose refused to touch any part of his salary for three years.” Give two reasons for it.
(बोस ने तीन वर्षों तक अपने वेतन का कोई भाग छूने से इन्कार कर दिया। इसके लिए दो कारण लिखिए। )
Answer:
Bose refused to touch any part of his salary for three years because he denied racial
discrimination as an Indian received two third of salary paid to a European professor. Secondly he was a man of self respect. He felt insulted in getting less pay.
(बोस ने तीन वर्षों तक अपने वेतन का कोई भाग छूने से इन्कार कर दिया क्योंकि उन्होंने जातिगत भेदभाव को अस्वीकार कर दिया क्योंकि एक भारतीय को एक यूरोपीय प्रोफेसर (UPBoardSolutions.com) को दिये जाने वाले वेतन का दो तिहाई मिलता था। दूसरा, वे स्वाभिमानी व्यक्ति थे। वे कम वेतन प्राप्त करने में अपने को अपमानित महसूस करते थे। )

Questions 10.
What discovery did Bose make?
(बोस ने कौन-सा आविष्कार किया? )
Answer:
Bose found that his wireless-receiver showed sings of tiredness, after it had been in use for some time. Then he noted that after being rested it got back its power in some strange way. This was the discovery that Bose made.
(बोस ने पाया कि उनका वायरलेस रिसीवर कुछ समय तक प्रयोग में रहने के बाद थकान के संकेत प्रदर्शित करता था। तब उन्होंने गौर किया कि कुछ समय बाद अजीब तरीके से उसकी शक्ति वापस आ जाती थी। बोस ने जो आविष्कार किया वह यहीं था। )

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Questions 11.
What thought was responsible for Bose’s discovery?
(बोस के आविष्कार के लिए कौन-सा विचार उत्तरदायी था? )
Answer:
While working on his wireless-receiver Bose thought why the receiver showed signs of tiredness. Another thought that come to his mind was how the wireless-receiver got back its power after being rested for some time. This kind of thought was responsible for Bose’s discovery.
(वायरलेस रिसीवर पर काम करते समय बोस ने सोचा कि रिसीवर थकान के संकेत क्यों प्रदर्शित करता था। दूसरी विचार जो उनके मस्तिष्क में आया वह यह था कि वायरलेस (UPBoardSolutions.com) रिसीवर कुछ समय आराम करने के बाद अपनी शक्ति वापस कैसे प्राप्त कर लेता था। बोस के आविष्कार के लिए इस प्रकार का विचार उत्तरदायी था। )

Questions 12.
Why did people laugh at Bose? How did he prove that he was right?
(लोगों ने बोस का उपहास क्यों किया? उन्होंने कैसे सिद्ध किया कि वे सही थे? )
Answer:
People laughed at Bose as they did not believe when Bose said that plants and metals had a life of their own and could become ‘tired’ ‘depressed’ or happy’.
(लोगों ने बोस का उपहास इसलिए किया क्योंकि जब बोस ने कहा कि पौधों और धातुओं को भी अपना एक जीवन होता है और वे थके हुए, ‘दुःखी’ अथवा ‘प्रसन्न हो सकते थे, तब उन्हें विश्वास नहीं हुआ। )

Questions 13.
What was responsible for India’s glory in the past?
(प्राचीन काल में भारत के गौरव के लिए कौन सी वस्तु उत्तरदायी थी?)
Answer:
According to Bose action was responsible for India’s glory in the past. People in India believed in action but not in idleness in the past.
(बोस के अनुसार प्राचीन काल में भारत के गौरव के लिए कर्म उत्तरदायी था। प्राचीन काल में भारत में लोग कर्म में विश्वास करते थे न कि आलस्य में।।)

Questions 14.
Mention the names of the three scientists referred to in the lesson.
(पाठ में सन्दर्भित तीन वैज्ञानिकों के नाम का उल्लेख कीजिए। )
Answer:
The name of three scientists referred to in the lesson are Jagdish Chandra Bose, Galileo and Newton.
(पाठ में सन्दर्भित तीन वैज्ञानिक जगदीश चन्द्र बोस, गैलीलियो तथा न्यूटन हैं।)

(D) OBJECTIVEYPE QUTIONS

Questions 1.
Complete the following statements with the most suitable choice :
सबसे उपयुक्त विकल्प चुनकर निम्नलिखित कथनों को पूरा कीजिए :

(i) Jagdish Chandra Bose was a famous :
(a) doctor
(b) teacher
(c) scientist
(d) industrialist
(ii) Jagdish Chandra Bose was born in Bengal in :
(a) 1858
(b) 1885
(c) 1865
(d) 1880
Answer:
(i) (c) scientist,
(ii) (a) 1958.

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Questions 2.
Point out the true’ and false statements in the following :
निम्नलिखित कथनों में ‘सत्य’ और ‘असत्य’ बताइये
(i) J. C. Bose did not attend Paris Congress of Science in 1900.
(ii) J. C. Bose invented a machine.
(iii) J. C. Bose was an American scientist.
(iv) ‘Crescograph’ was invented by J. C. Bose.
Answer:
(i) F,
(ii) T,
(iii) E,
(iv) T.

(E) VOCABULARY

Questions 1.
Match the words given under Column ‘A’ with the meanings given under Column ‘B’ below :
(नीचे दिये हुए सूची ‘अ’ के शब्दों का सूची ‘ब’ के अर्थों से मिलान कीजिए:)
UP Board Solutions for Class 9 English Prose Chapter 5 Plants also Breathe and Feel (Sir Jagdish Chandra Bose) image 1 UP Board Solutions for Class 9 English Prose Chapter 5 Plants also Breathe and Feel (Sir Jagdish Chandra Bose) image 2
Answer:
UP Board Solutions for Class 9 English Prose Chapter 5 Plants also Breathe and Feel (Sir Jagdish Chandra Bose) image 3

Questions 2.
Fill in the blanks in the following sentences with the words given below :
(नीचे दिये हुए उपयुक्त शब्दों की सहायता से निम्नलिखित वाक्यों में रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए)
Proved (सिद्धकर दिया) ;
unique ( अद्वितीय);
measure (नापना) ;
straggle (संघर्ष) ;
inventor (आविष्कारक) ;

(a) Bose built a ……….. instrument named Crescograph.
(b) Crescograph could ……….. the growth of plants.
(c) Edison was a great ……….. of America.
(d) After many years the accounts of his journey were ……….. true.
(e) A three year ……….. began between Bose and the government in which he was victorious.
Answer:
(a) unique
(b) measure
(c) inventor
(d) proved
(e) struggle

Questions 3.
Give the opposite words of the following :
(निम्नलिखित शब्दों के विलोम शब्द लिखिए)
temporary; appointed; victory; maximum; action
Answer:
UP Board Solutions for Class 9 English Prose Chapter 5 Plants also Breathe and Feel (Sir Jagdish Chandra Bose) image 4

Questions 4.
Give the synonyms of the following words :
(निम्नलिखित शब्दों के समानार्थी शब्द लिखिए)
unique (अद्वितीय); depressed (दुःखी ); growth (वृद्धि ); ancestors (पूर्वज); glory (गौरव); event (घटना)
Answer:
UP Board Solutions for Class 9 English Prose Chapter 5 Plants also Breathe and Feel (Sir Jagdish Chandra Bose) image 5

Questions 5.
Find one word for each of the following expressions :
(निम्नलिखित वाक्यांशों के लिए एक शब्द बताइए)
(i) The maker of a new thing. ( )
(ii) Finding out a thing which is already in existence. ( )
(iii) To increase the size of.. ( )
Answer:
(i) inventor,
(ii) discovery,
(iii) magnify.

WORKSHEET-5

RELATIVE PRONOUNS

Relative or Adjectival clauses qualify the Nouns that go before them. Such clauses answer the questions which person? or which thing?
Relative clauses are usually introduced by the relative pronouns. Who, which, that, whom, who or whom is used to refer to persons, which to things and animals, and that to things and animals as well as, sometimes, to persons. Whom is rarely used in spoken English. It is used in formal written English.

Questions 1.
Fill in the blanks in the following sentences using who, which or that, whichever is suitable.
(who, which या that, whichever का प्रयोग करके निम्नलिखित वाक्यों में रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए)

(i) I am looking for someone ………. buys old furniture.
(ii) I want to sell a few old pieces ……….. may be valuable.
(iii) The time ……….. is lost for ever.
(iv) The dogs ………. bark seldom bite.
(v) All ……….. shines is not gold.
(vi) This is the man ………. helped me yesterday.
Answer:
(i) who
(ii) which
(iii) that
(iv) which/who
(v) that
(vi) who.

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Questions 2.
Combine the following pairs of sentences into one sentence using who, which or that which is suitable. One sentence is done for you as an example :
(who, which या that जो उपयुक्त हो, का प्रयोग करके निम्नलिखित वाक्य-युग्मों को जोड़करे एक वाक्य बनाइये। उदाहरण के लिए पहले वाक्य का प्रयोग आपके लिए किया गया है:)

Example :
(i) Registered letters/get special attention.
Letters, that are registered, get special attention.
(ii) The young man is the school captain. He was here a little while ago.
(iii) You borrowed a book from me. You have not returned it.
(iv) A car is parked in front of the bank. The car belongs to Mrs. Arora.
Answer:
(i) The young man, who was here a little while ago, is the school captain.
(iii) You borrowed a book from me that you have not returned.
(iv) A car, which belongs to Mrs. Arora, is parked in front of the bank.

Questions 3.
The bold words in the following passage are either Nouns or Adjectives. Read the passage and change these words, if necessary, from Nouns into Adjectives or from Adjectives into Nouns.
(निम्नलिखित गद्यांश में मोटे छपे शब्द या तो संज्ञा हैं या विशेषण। गद्यांश को पढ़िये और यदि आवश्यक हो तो Nouns को Adjectives में या Adjectives को Nouns में बदलिए।)

The road was full of rocky and path was stony. We had to force our tiredness muscles to move. This was more than we were capability of. But (UPBoardSolutions.com) we knew that soon we would be victorious. Our escape from the depths of the Cave was drama. Soon we knew we would get the glorious that we wanted.
Answer:
UP Board Solutions for Class 9 English Prose Chapter 5 Plants also Breathe and Feel (Sir Jagdish Chandra Bose) image 6

Questions 4.
Write down the Noun forms of the following Verbs :
(निम्नलिखित क्रियाओं के संज्ञा रूप लिखिए)
Answer:
UP Board Solutions for Class 9 English Prose Chapter 5 Plants also Breathe and Feel (Sir Jagdish Chandra Bose) image 7

Questions 5.
Make Adverbs from the following words :
(निम्नलिखित शब्दों से क्रिया विशेषण बनाइए)
wonderful, purpose; easy, happy, know, wrong
Answer:
UP Board Solutions for Class 9 English Prose Chapter 5 Plants also Breathe and Feel (Sir Jagdish Chandra Bose) image 8

Questions 6.
Complete the spellings of the following words :
(निम्नलिखित शब्दों की वर्तनी पूरी कीजिए)
Wo–d;
r-g-rd;
d-s-gn,
bel–f,
e–nt
Answer:
wound,
regard,
design,
belief,
event

Questions 7.
Fill in the blanks in the following sentences with the correct form of the Verbs given in the brackets :
(निम्नलिखित वाक्यों को कोष्ठक में दी गयी क्रियाओं के सही रूप लिखकर रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए)
(i) The sun ……….. in the East. (rise)
(ii) He does not ……….. to school regularly. (come)
(iii) Jagdish Chandra Bose ……….. born in 1858 in Bengal. (is)
(iv) Bose ……….. to touch any part of his salary for three years. (refuse)
Answer:
(i) rises
(ii) come
(ii) was
(iv) refused

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Questions 8.
Use the following pairs of words in your own sentences showing clearly the difference in their meanings :
(निम्नलिखित शब्द-युग्मों के अन्तर स्पष्ट करते हुए उनको अपने वाक्यों में प्रयोग कीजिए)
sight, cite; maid; made

cite (उदाहरण देना) : Can you cite a few lines from Milton? s
sight (आँख की ज्योति) : Milton lost his eye sight in the middle of his age.
Imaid(अविवाहित) : There is a maid servant in my house.
made (बनाया) : He made me happy.

Questions 9.
Fill in the following spaces with appropriate information from the text :
(पाठ्य-पुस्तक से सही सूचना की सहायता से निम्नलिखित स्थानों को भरिये)

THE CRESCOGRAPH

The Crescograph is an instrument which ………………. it was built by……….. in ………….. Bose’s theory was that ………… So, he built the Crescograph to ……….. which proved that ….
The Crescograph is an instrument which records the growth of plants. It was built by Jagdish Chandra Bose in 1900. Bose’s theory was that plants (UPBoardSolutions.com) have heart and can feel. So he built the Crescograph to magnify the movement of plant tissues ten thousand times. It was a unique machine which proved that he was not wrong.

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UP Board Solutions for Class 9 Home Science Chapter 2 गृह-व्यवस्था : परिवार के सन्दर्भ में

UP Board Solutions for Class 9 Home Science Chapter 2 गृह-व्यवस्था : परिवार के सन्दर्भ में

These Solutions are part of UP Board Solutions for Class 9 Home Science . Here we have given UP Board Solutions for Class 10 Home Science Chapter 2 गृह-व्यवस्था : परिवार के सन्दर्भ में.

विस्तृत उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1:
गृह-व्यवस्था से आप क्या समझती हैं?
या
इसका अर्थ स्पष्ट कीजिए तथा परिभाषा निर्धारित कीजिए।
उत्तर:
जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में किसी भी कार्य को सफलतापूर्वक करने के लिए कार्य का व्यवस्थित होना अनिवार्य होता है। व्यवस्था के अभाव में कोई भी कार्य उचित रूप से नहीं हो सकता। इसके विपरीत, यदि कार्य को व्यवस्थित रूप में किया जाता है, तो कार्य शीघ्रता तथा सरलता से पूरा हो (UPBoardSolutions.com) जाता है। व्यवस्था के अनुसार किया गया कार्य उत्तम होता है। घर तथा परिवार के क्षेत्र में भी अनेक कार्य किए जाते हैं। इन कार्यों को सरलतापूर्वक तथा अधिक सुचारु रूप में पूरा करने के लिए गृह-व्यवस्था को लागू किया जाता है। गृह-व्यवस्था का अध्ययन गृह विज्ञान का एक मुख्य विषय है। गृह-व्यवस्था का अर्थ एवं परिभाषा का विवरण निम्नवर्णित है

व्यवस्था तथा गृह-व्यवस्था का अर्थ एवं परिभाषा

गृह-व्यवस्था का शाब्दिक अर्थ है ‘घर की व्यवस्था’ या ‘घर का प्रबन्ध’। इस स्थिति में ‘गृह-व्यवस्था के प्रत्यय को स्पष्ट करने के लिए व्यवस्था के वास्तविक अर्थ का ज्ञान प्रासंगिक है। व्यवस्था या प्रबन्ध की अवधारणा पर्याप्त विस्तृत है। जीवन के समस्त क्षेत्रों में व्यवस्था को अपनाया जाता है। व्यवस्था अपने आप में वह कला है जिसके द्वारा किसी भी संस्था (उद्योग, संस्थान या परिवार आदि) के सदस्यों, वस्तुओं तथा क्रियाओं (UPBoardSolutions.com) को नियन्त्रित किया जाता है तथा इसके लिए विभिन्न पूर्वनिर्धारित सिद्धान्तों को व्यवहार में लाया जाता है। व्यवस्था के विषय में ओलिवर शेल्डन का यह कथन उल्लेखनीय है, “सामान्य रूप से नीति-निर्धारण, उसको कार्यान्वित करना, संगठन निर्माण तथा उसका उपयोग व्यवस्था या प्रबन्ध के अन्तर्गत आ जाते हैं।” स्पष्ट है कि किसी भी क्षेत्र में कार्य करने के लिए पहले उससे सम्बन्धित नीति को निर्धारित किया जाता है। फिर निर्धारित नीति को कार्य रूप में लागू किया जाता है। इसी प्रकार डेविस महोदय ने व्यवस्था के अर्थ को इन शब्दों में स्पष्ट किया है, ”व्यवस्था कार्यकारी नेतृत्व का कार्य है। यह मुख्यतः एक मानसिक क्रिया है। यह कार्य के नियोजन, संगठन तथा सामूहिक उद्देश्य की पूर्ति के लिए अन्य व्यक्तियों के कार्यों के नियन्त्रण से सम्बन्धित है।”

व्यवस्था के अर्थ को समझ लेने के उपरान्त ‘गृह-व्यवस्था के अर्थ को भी स्पष्ट किया जा सकती है। हम कह सकते हैं कि घर से समस्त कार्यों को उत्तम ढंग से करने तथा निश्चित (उपलब्ध) साधनों से अधिक-से-अधिक सफलता प्राप्त करने की कला ही “गृह-व्यवस्था” है। गृह-व्यवस्था के अर्थ को स्पष्ट करने के लिए विभिन्न विद्वानों द्वारा प्रतिपादित कुछ परिभाषाएँ निम्नलिखित हैं

(1) ग्रोस तथा क्रेण्डल के विचार:
आधुनिक परिवारों के संगठन को ध्यान में रखते हुए ग्रोस तथा क्रेण्डल ने गृह-व्यवस्था को इन शब्दों में परिभाषित किया है, “गृह-व्यवस्था निर्णयों की ऐसी श्रृंखला है जो पारिवारिक साधनों को पारिवारिक लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए प्रयोग करने की प्रक्रिया प्रस्तुत करती है। इस प्रक्रिया में न्यूनाधिक तीन सतत् पग हैं
(i) नियोजन,
(ii) नियोजन को क्रियान्वित करते समय इसके विभिन्न तत्त्वों का नियन्त्रण चाहे कार्य स्वयं किए गए हों अथवा दूसरों के द्वारा और
(iii) परिणामों का मूल्यांकन जो भावी नियोजन के लिए प्रारम्भिक कदम होगा।” इस प्रकार परिवार के लिए जो भी साधन उपलब्ध हों उनका सदुपयोग करने के लिए निर्णय लेना तथा वास्तव में इनका सदुपयोग करना गृह-प्रबन्ध के ही अन्तर्गत आता है। वैसे भी कहा जा सकता है कि गृह-प्रबन्ध वह (UPBoardSolutions.com) योजना है, जिसे परिवार के उपलब्ध साधनों को ध्यान में रखकर अधिकतम लाभ के लिए सूक्ष्मता एवं कुशलता से बनाया एवं लागू किया जाता है। गृह-व्यवस्था के अन्तर्गत व्यवस्थित ज्ञान द्वारा परिवार की समस्याओं के समाधान तथा आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए उपलब्ध साधनों द्वारा प्रयास किया जाता है।

(2) निकिल तथा डारसी का मत:
निकिल तथा डारसी ने गृह-व्यवस्था का अर्थ इन शब्दों में प्रस्तुत किया है, “गृह-व्यवस्था के अन्तर्गत परिवार के साधनों का नियोजन, नियन्त्रण तथा मूल्यांकन आता है जिनके द्वारा पारिवारिक उद्देश्यों की प्राप्ति की जाती है।” गृह-प्रबन्ध समिति ने अपनी एक विज्ञप्ति में गृह-व्यवस्था का अर्थ इन शब्दों में प्रस्तुत किया है, गृह-व्यवस्था निर्णय करने की क्रियाओं की एक ऐसी श्रृंखला है, जिसमें पारिवारिक लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए साधनों के प्रयोग की प्रक्रिया आती हैं। यह एक मुख्य साधन है जिसके द्वारा परिवार अपने सम्पूर्ण पारिवारिक जीवन-चक्र में जो कुछ चाहते हैं, पारिवारिक साधनों का प्रयोग करके प्राप्त करते हैं। गृह-व्यवस्था पारिवारिक जीवन के सूत्र का एक (UPBoardSolutions.com) अंग है। इसके सूत्र अन्त:सम्बन्धित होते हैं, क्योंकि साधनों के प्रयोग का निर्णय लिया जाता है, चाहे परिवार कार्य में संलग्न हो अथवा खेल में।” प्रस्तुत कथन द्वारा स्पष्ट है कि परिवार के विभिन्न लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए समय-समय पर उचित निर्णय लेना तथा उनके अनुसार कार्य करना गृह-व्यवस्था के अन्तर्गत आता है। एक अच्छे गृह-प्रबन्धक या गृह-व्यवस्थापक में यह योग्यता होती है कि वह घर-परिवार से सम्बन्धित कोई भी समस्या आ जाने पर उसका कुशलतापूर्वक समाधान कर लेता है।

उपर्युक्त विवरण के आधार पर कहा जा सकता है कि गृह-व्यवस्था के तीन मुख्य अंग हैं। ये अंग या मूल तत्त्वे हैं

  1. (i) नियोजन (Planning),
  2. (ii) नियन्त्रण (Controlling) तथा
  3. (iii) मूल्यांकन (Evaluating)

इन तीनों तत्त्वों के सुन्दर समन्वय से गृह-व्यवस्था की प्रक्रिया सुचारु रूप से चलती है। ये तीनों तत्त्व आपस में सम्बद्ध होते हैं। इन तीनों तत्त्वों द्वारा ही परिवार के मुख्य उद्देश्यों को प्राप्त करना होता है। अब प्रश्न उठता है कि गृह-व्यवस्था के मूल उद्देश्य क्या हैं? साधारण रूप से चले आ रहे पारम्परिक जीवन में अनुकूल परिवर्तन लाना ही गृह-व्यवस्था या गृह-प्रबन्ध का मूल उद्देश्य है। इसके लिए वर्तमान परिस्थितियों पर नियन्त्रण रखना अनिवार्य है; परन्तु वास्तविकता यह है कि परिस्थितियाँ निरन्तर बदलती रहती हैं तथा व्यक्ति की (UPBoardSolutions.com) आवश्यकताओं में वृद्धि होती रहती है। ऐसी गतिशील परिस्थितियों में सामंजस्य स्थापित करना एवं उद्देश्यों को पूरा करना ही गृह-व्यवस्था है। गृह-व्यवस्था के लिए स्पष्ट योजना बनानी होती है तथा इस योजना को नियन्त्रित रूप से लागू करना भी अनिवार्य है। नियन्त्रित रूप से योजना को परिचालित करने के साथ-साथ मूल्यांकन अर्थात् योजना के परिणामों का ज्ञान भी अनिवार्य है। इस प्रकार इन तीनों प्रक्रियाओं अर्थात् नियोजन, नियन्त्रण तथा मूल्यांकन द्वारा गृह-व्यवस्था को सफल बनाया जा सकता है।

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प्रश्न 2:
गृह-व्यवस्था के अनिवार्य तत्त्व कौन-कौन से हैं ? उनको समुचित परिचय दीजिए।
या
गृह-व्यवस्था के अनिवार्य तत्त्वों के रूप में नियोजन, नियन्त्रण तथा मूल्यांकन का अर्थ स्पष्ट कीजिए तथा इनके आपसी सम्बन्ध को भी स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
गृह-व्यवस्था के तत्त्व

गृह-व्यवस्था के मुख्य रूप से तीन तत्त्व हैं। ये तत्त्व हैं–क्रमशः नियोजन, नियन्त्रण तथा मूल्यांकन। ये तीनों तत्त्व परस्पर सम्बद्ध रूप में रहते हैं तथा इन तीनों तत्त्वों के सही रहने पर गृह-व्यवस्था उत्तम रहती है। गृह-व्यवस्था के इन तीनों अनिवार्य तत्त्वों का संक्षिप्त परिचय निम्नवर्णित है

(1) नियोजन:
गृह-व्यवस्था का सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण एवं प्रथम चरण नियोजन (Planning) है। नियोजन का महत्त्व जीवन के सभी क्षेत्रों में है। वास्तव में किसी भी कार्य को करने से पूर्व की जाने वाली तैयारी नियोजन ही है। नियोजन के अर्थ को निकिल तथा डारसी ने इन शब्दों में स्पष्ट किया है, ”इच्छित लक्ष्य तक पहुँचने के विभिन्न सम्भावित मार्गों के सम्बन्ध में सोचना, कल्पना में प्रत्येक योजना के पूर्ण होने तक इसका अनुगमन (UPBoardSolutions.com) करना और सर्वाधिक आशावादी योजना का चुनाव करना ही नियोजन है। इस प्रकार स्पष्ट है कि नियोजन के अन्तर्गत यह पूर्व-निश्चित कर लिया जाता है कि भविष्य में क्या करना है। इस प्रकार से भविष्य के कार्यक्रम को निश्चित कर लेने से कार्य सरल हो जाता है तथा निर्धारित लक्ष्यों को प्राप्त करना सम्भव हो जाता है। नियोजन की प्रक्रिया के अन्तर्गत चिन्तन-शक्ति, स्मरण-शक्ति, अवलोकन, तर्क-शक्ति तथा कल्पना-शक्ति का उपयोग किया जाता है।

(2) नियन्त्रण:
गृह-व्यवस्था की प्रक्रिया का द्वितीय तत्त्व नियन्त्रण (Control) है। केवल उचित नियोजन द्वारा गृह-व्यवस्था की प्रक्रिया हमें लक्ष्य तक नहीं पहुंचा सकती। नियन्त्रण के द्वारा अपनाई गई योजना को पूर्व-निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार अथवा सम्बन्धित परिस्थितियों के अनुकूल परिवर्तित करके कार्य-रूप में लागू किया जाता है। गृह-व्यवस्था के तत्त्व के रूप में नियन्त्रण के अर्थ को डगलस एस० शेरविन ने इन शब्दों में स्पष्ट किया है, ”नियन्त्रण का मूल तत्त्व क्रियान्वयनं है, जिसके द्वारा पूर्व-निर्धारित स्तरों के अनुसार क्रियाओं को (UPBoardSolutions.com) समायोजित किया जाता है तथा इसके नियन्त्रण का आधार व्यवस्थापक के पास की सूचनाएँ होती हैं।” यह कहा जा सकता है कि नियन्त्रण के अन्तर्गत चालू योजना की कार्यप्रणाली का अध्ययन किया जाता है। इसके अतिरिक्त पूर्व-निर्धारित कार्य-प्रणाली से वर्तमान कार्य-प्रणाली के विचलनों का सूक्ष्म निरीक्षण किया जाता है। नियन्त्रण के ही अन्तर्गत समय एवं परिस्थितियों के अनुसार पूर्व-निर्धारित योजना में किये जाने वाले परिवर्तनों का निर्णय किया जाता है। इस प्रकार स्पष्ट है कि व्यवस्था की प्रक्रिया में नियन्त्रण के तत्त्व का भी विशेष महत्त्व है। यदि किसी व्यवस्थित कार्य में नियोजनकर्ता तथा योजना को कार्यरूप देने वाले व्यक्ति अलग-अलग होते हैं, तो उस स्थिति में नियन्त्रण का महत्त्व और भी अधिक हो जाता है।

(3) मूल्यांकन:
गृह-व्यवस्था का तीसरा तत्त्व मूल्यांकन (Evaluation) है। पूर्व-नियोजन के अनुसार किए गए कार्यों की सफलता-असफलता तथा उचित-अनुचित प्रकृति का निर्णय करने के कार्य को मूल्यांकन कहा जाता है। मूल्यांकन द्वारा पहले हो चुकी त्रुटियों की जानकारी प्राप्त हो जाती है तथा भविष्य में उसी प्रकार की त्रुटियों को पुनः दोहराने की चेतावनी मिल जाती है। इस प्रकार मूल्यांकन को भावी योजनाओं के लिए भी विशेष महत्त्व होता है। गृह-व्यवस्था के दौरान किसी-न-किसी स्तर पर अवश्य ही मूल्यांकन किया जाता है। (UPBoardSolutions.com) मूल्यांकन दो प्रकार का होता है–सापेक्ष मूल्यांकन तथा निरपेक्ष मूल्यांकन। मूल्यांकन से विभिन्न लाभ होते हैं। इससे अनेक उद्देश्यों की पूर्ति हो जाती है। मूल्यांकन से ही हमें ज्ञात होता है कि हमने क्या प्राप्त किया है। इसके द्वारा ही आगामी योजना के लिए तथा सम्पूर्ण योजना को संशोधित करने के लिए आधार प्राप्त होता है। इसके अतिरिक्त कार्यों के उचित मूल्यांकन द्वारा हमारी अन्तर्दृष्टि (insight) में भी वृद्धि होती है।

नियोजन, नियन्त्रण तथा मूल्यांकन का सम्बन्ध:
यह कहा गया है कि व्यवस्था या प्रबन्ध के तीन तत्त्व हैं–नियोजन, नियन्त्रण तथा मूल्यांकन। इन तीनों तत्त्वों का हमने अलग-अलग परिचय प्रस्तुत किया है, परन्तु यहाँ यह स्पष्ट कर देना आवश्यक है कि व्यवस्था के सन्दर्भ में ये तीनों तत्त्व अलग-अलग नहीं हैं, बल्कि घनिष्ठ रूप से परस्पर सम्बद्ध हैं। व्यवस्था की प्रक्रिया में इन तीनों तत्त्वों का एक निश्चित क्रम होता है। व्यवस्था में प्रथम स्थान नियोजन को होता है। नियोजन के उपरान्त नियन्त्रण तथा उसके बाद मूल्यांकन का स्थान होती है। एक निश्चित क्रम के अतिरिक्त, एक-दूसरे पर निर्भरता के रूप में भी तीनों तत्त्व आपस में सम्बद्ध हैं। नियोजन के अभाव में नियन्त्रण का कोई अर्थ ही नहीं। इसी प्रकार (UPBoardSolutions.com) समुचित नियन्त्रण के अभाव में नियोजन से लाभ प्राप्त नहीं किया जा सकता। मूल्यांकन का भी विशेष लाभ एवं महत्त्व है। मूल्यांकन के द्वारा नियोजन की उपयुक्तता की जाँच होती है। कोई योजना कितनी सफल रही, यह मूल्यांकन द्वारा ही ज्ञात होता है। इसके अतिरिक्त नियोजन के कार्यान्वयन के बीच-बीच में होने वाले मूल्यांकन के नियन्त्रण को उचित रूप से लागू करने में भी सहायता मिलती है। मूल्यांकन द्वारा आगामी योजनाओं के स्वरूप को निर्धारित करने में भी सहायता मिलती है।

प्रश्न 3:
गृह-व्यवस्था को लागू करने अथवा उसका पालन करने के मुख्य उद्देश्यों का विवरण प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर:
गृह-व्यवस्था का अध्ययन करते समय यह जानना भी आवश्यक है कि गृह-व्यवस्था को क्यों लागू किया जाना चाहिए? प्रत्येक परिवार के कुछ लक्ष्य होते हैं, जिन्हें सूझ-बूझकर तथा अपने साधनों को ध्यान में रखकर निर्धारित किया जाता है। इन लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए गृह-व्यवस्था अनिवार्य है। गृह-व्यवस्था द्वारा परिवार के निम्नलिखित लक्ष्यों को प्राप्त किया जाता है तथा इन्हें ही गृह-व्यवस्था का उद्देश्य कहा जा सकता है

गृह-व्यवस्था के प्रमुख उद्देश्य

(1) परिवार के सभी सदस्यों की आवश्यकताओं की पूर्ति:
प्रत्येक परिवार के सभी सदस्यों की अपनी-अपनी कुछ महत्त्वपूर्ण आवश्यकताएँ होती हैं। ये आवश्यकताएँ सामान्य भी हो सकती हैं तथा विशिष्ट भी। उदाहरण के लिए–रोटी, कपड़ा तथा मकान की आवश्यकता प्रत्येक सदस्य की सामान् आवश्यकताएँ हैं। इसके अतिरिक्त शिक्षा, चिकित्सा (UPBoardSolutions.com) तथा विशेष प्रकार का आहार आदि भिन्न-भिन्न रूप में भिन्न-भिन्न सदस्यों की विशिष्ट आवश्यकताएँ हैं। व्यवस्थित गृह में इन सभी सामान्य तथा विशिष्ट आवश्यकताओं की समुचित रूप में पूर्ति होती रहनी चाहिए। गृह-व्यवस्था का यह एक मुख्य तथा महत्त्वपूर्ण उद्देश्य है।

(2) पारिवारिक आय को उचित प्रकार से खर्च करना:
सभी भौतिक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए धन की आवश्यकता होती है। प्रत्येक परिवार की आय सीमित होती है; अतः ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए जिससे सीमित आय में ही सभी आवश्यकताओं को पूरा किया जा सके। इसके लिए पारिवारिक बजट बनाना तथा उसके अनुसार आय-व्यय में सन्तुलन बनाए रखना अनिवार्य है। आय-व्यय के सन्तुलित बजट को बनाकर, कुछ बचत भी की जा सकती है। परिवार (UPBoardSolutions.com) के कल्याण एवं समृद्धि के लिए कुछ-न-कुछ बचत का होना अनिवार्य होता है। पारिवारिक आय-व्यय का नियोजन भी गृह-व्यवस्था के ही अन्तर्गत आता है। इस स्थिति में कहा जा सकता है कि गृह-व्यवस्था का एक उद्देश्य पारिवारिक आय को उचित प्रकार से एवं नियोजित रूप से उपभोग में लाना भी है।

(3) पारिवारिक वातावरण को अच्छा बनाना:
गृह-व्यवस्था का उद्देश्य न केवल भौतिक आवश्यकताओं की पूर्ति करना ही है, बल्कि पारिवारिक वातावरण को भी सौहार्दपूर्ण बनाना है। इसके लिए परिवार के सदस्यों (UPBoardSolutions.com) के आपसी सम्बन्धों, अनुशासन एवं पारिवारिक मूल्यों को स्थापित करना भी गृह-व्यवस्था का ही उद्देश्य है। भारतीय समाज में पारिवारिक वातावरण को उत्तम बनाने में गृहिणी की विशेष महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है। गृहिणी के विभिन्न कर्तव्य होते हैं, जिनके पालन से परिवार का वातावरण अच्छा बना रहता है तथा सभी सदस्य सन्तुष्ट रहते हैं।

(4) परिवार के सदस्यों का नैतिक विकास:
गृह-व्यवस्था का एक उल्लेखनीय उद्देश्य परिवार के सदस्यों, विशेष रूप से बच्चों एवं किशोरों का समुचित नैतिक विकास करना भी है। वास्तव में, नैतिक विकास के अभाव में गृह-व्यवस्था को सुचारु एवं उत्तम नहीं माना जा सकता। नैतिक विकास के लिए माता-पिता को नियोजित ढंग से प्रयास करने चाहिए तथा स्वयं आदर्श प्रस्तुत करने चाहिए। माता-पिता को चाहिए कि वे बच्चों को नैतिक मूल्यों की नियोजित रूप से शिक्षा प्रदान करें।

(5) पारिवारिक स्तर को उन्नत बनाए रखना:
प्रत्येक परिवार के रहन-सहन का एक स्तर होता है, जिसका निर्धारण परिवार के साधनों के आधार पर होता है। गृह-व्यवस्था का एक महत्त्वपूर्ण उद्देश्य है-सब प्रकार से परिवार का एक समुचित स्तर बनाए रखना। इसके लिए रहन-सहन के एवं धार्मिक, सामाजिक, सांस्कृतिक तथा दार्शनिक मूल्यों को ध्यान में रखना अत्यन्त आवश्यक है। | गृह-व्यवस्था के उपर्युक्त वर्णित उद्देश्यों को ध्यान में रखते हुए कहा जा (UPBoardSolutions.com) सकता है कि गृहस्थ जीवन को सुचारु रूप से चलाने के लिए तथा परिवार के समस्त सदस्यों के सुख एवं समृद्धि में वृद्धि के लिए गृह-व्यवस्था का विशेष योगदान तथा महत्त्व होता है।

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प्रश्न 4:
गृह-व्यवस्था को प्रभावित करने वाले गृह-सम्बन्धी कारकों का विवरण प्रस्तुत कीजिए।.
या
‘गृह-सम्बन्धी विभिन्न कारक निश्चित रूप में गृह-व्यवस्था को प्रभावित करते हैं।” इस कथन को ध्यान में रखते हुए गृह-व्यवस्था को प्रभावित करने वाले गृह-सम्बन्धी कारकों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
गृह-व्यवस्था अपने आप में एक विस्तृत एवं बहु-पक्षीय व्यवस्था है, जिसे अनेक कारक प्रभावित करते हैं। गृह-व्यवस्था में जहाँ एक ओर घर के रख-रखाव आदि का ध्यान रखा जाता है, वहीं दूसरी ओर पारिवारिक सम्बन्धों एवं स्तर आदि को भी उत्तम बनाने के उपाय किए जाते हैं। इस स्थिति में गृह-व्यवस्था को प्रभावित करने वाले कारकों को भी दो वर्गों में बाँटा जाता है अर्थात् गृह-सम्बन्धी कारक तथा परिवार सम्बन्धी कारक। गृह-व्यवस्था को प्रभावित करने वाले गृह-सम्बन्धी मुख्य कारकों का विवरण निम्नलिखित है

गृह-व्यवस्था को प्रभावित करने वाले गृह-सम्बन्धी कारक

(1) घर की सुविधाजनक होना:
घर का निर्माण करते समय अथवा किराए पर लेते समय यह ध्यान में रखना चाहिए कि विभिन्न कक्षों की नियोजन सुविधाजनक हो। उदाहरण के लिए-डाइनिंग रूम और रसोई निकट होने से शक्ति एवं समय की बचत होती है। स्टोर और रसोई भी निकट होनी चाहिए। अध्ययन-कक्ष एवं शयन-कक्ष का ड्राइंग रूम से अन्तर होना चाहिए जिससे विश्राम एवं अध्ययन में बाधा न पड़े। शौचालय और गुसलखाने (UPBoardSolutions.com) निकट होने चाहिए। इसी प्रकार ड्राइंग रूम की व्यवस्था इस प्रकार की होनी चाहिए कि मेहमान घर के आन्तरिक हिस्सों में, कम-से-कम प्रवेश करते हुए ड्राइंग रूम तक पहुँच जाएँ। गृह-सम्बन्धी इस विशेषता या तत्त्व को परस्परानुकूलता कंहा जाता है। आवासीय भवन में इस विशेषता के होने पर, गृह-व्यवस्था सरलता से लागू की जा सकती है।

(2) जल, वायु और प्रकाश की उचित व्यवस्था:
शुद्ध वायु, शुद्ध जल एवं प्रकाश की घर में उचित व्यवस्था होनी चाहिए। सभी कमरों में पर्याप्त खिड़कियाँ, दरवाजे और रोशनदान होने चाहिए जिससे स्वच्छ वायु और प्रकाश का प्रवेश हो सके। घर में धूप का आना भी आवश्यक होता है। जिन घरों में सूर्य का प्रकाश नहीं आता, वहाँ सीलन और अनेक कीटाणुओं का साम्राज्य हो जाता है, जो परिवार के सदस्यों के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है। अध्ययन-कक्ष में प्रकाश की समुचित व्यवस्था होनी चाहिए। शौचालय, स्नानघर और रसोई में जल की उचित व्यवस्था होनी चाहिए। यदि घर में ये समस्त कारक ठीक हैं, तो निश्चित रूप से उत्तम गृह-व्यवस्था के अनुपालन में सरलता होती है।

(3) सफाई की समुचित व्यवस्था:
परिवार का लक्ष्य परिवार के सदस्यों को स्वस्थ रखना है और यह तब तक सम्भव नहीं है, जब तक कि घर की सफाई की व्यवस्था न की जाए। व्यवस्थित और आकर्षक घर के लिए भी सफाई अनिवार्य है। यदि घर में सफाई नहीं है, तो मक्खी , मच्छर, मकड़ियाँ आदि जन्म लेंगे और बीमारियाँ फैलेगी। रसोईघर की सफाई स्वास्थ्य के लिए अनिवार्य है। ड्राइंग रूम की सफाई से गृहिणी की सुरुचि का आभास होता है। (UPBoardSolutions.com) बच्चों को काफी समय अध्ययन-कक्ष में बीतता है। यदि अध्ययन-कक्ष साफ-सुथरा है; किताबें करीने से सजी हैं, मेज-कुर्सियों पर धूल नहीं है, तो बच्चे पढ़ने में अधिक रुचि लेंगे। इस प्रकार स्पष्ट है कि गृह-व्यवस्था के लिए घर की हर प्रकार की सफाई भी एक महत्त्वपूर्ण तथा अति आवश्यक तत्त्व एवं कारक है।

(4) भोज्य-सामग्री की व्यवस्था:
समय पर उचित और सन्तुलित भोजन परिवार के सदस्यों को उपलब्ध होना चाहिए। भोजन, अल्पाहार व अतिथि-सत्कार के लिए भोज्य-सामग्री की पर्याप्त व्यवस्था होनी चाहिए। अतिथियों के आने पर चाय या कॉफी से उनका सत्कार होना चाहिए। यदि समय पर घर में दूध या चाय की पत्ती आदि उपलब्ध नहीं हैं, तो उससे गृहिणी की अकुशलता और अव्यवस्था का पता चलता है। भोज्य-सामग्री की व्यवस्था के (UPBoardSolutions.com) अन्तर्गत घर में शुद्ध और पर्याप्त मात्रा में खाद्य सामग्री रहनी चाहिए। समय-समय पर खाद्य पदार्थों की सफाई की जानी चाहिए। खाद्य पदार्थों का संरक्षण भी इसी में सम्मिलित है। खाद्य पदार्थों का अपव्यय नहीं होना चाहिए।

(5) घर की सामग्री की व्यवस्था:
घर की सामग्री अथवा वस्तुओं से तात्पर्य है दैनिक प्रयोग की वस्तुएँ; जैसे – बर्तन, वस्त्र, पुस्तकें, बिस्तर, फर्नीचर आदि। आधुनिक परिवारों में रेडियो, टू-इन-वन, टेलीविजन, फ्रिज, पंखे, कूलर, सिलाई की मशीन, कपड़े धोने की मशीन, रसोई में प्रेशर कुकर, टोस्टर, ओवन, मिक्सर तथा ग्राइण्डर आदि का प्रयोग किया जाता है। इन सबको सुविधाजनक और उचित स्थान पर रखना आवश्यक है। इनके प्रयोग की सही विधि ज्ञात होनी चाहिए जिससे इन उपकरणों की टूट-फूट कम-से-कम हो। आवश्यकतानुसार सफाई की व्यवस्था होनी चाहिए। यदि कोई उपकरण या वस्तु टूट जाती है या खराब हो जाती है, तो उसको ठीक कराने का प्रबन्ध होना चाहिए।

प्रश्न 5:
गृह-व्यवस्था को प्रभावित करने वाले परिवार सम्बन्धी कारकों का वर्णन कीजिए। या परिवार के सदस्यों से सम्बन्धित वैयक्तिक कारक भी गृह-व्यवस्था को प्रभावित करते हैं।” इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए गृह-व्यवस्था को प्रभावित करने वाले परिवार सम्बन्धी कारकों का विवरण प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर:
परिवार के सन्दर्भ में व्यवस्था का लक्ष्य आदर्श परिवार का निर्माण करना है। आदर्श परिवार का अर्थ है-परिवार के सब सदस्यों में परस्पर प्रेम, सहयोग और सन्तोष की भावना का व्याप्त होना। परिवार का वातावरण ऐसा होना चाहिए जिसमें परिवार का प्रत्येक सदस्य अर्थात् माता-पिता, पति-पत्नी, (UPBoardSolutions.com) भाई-बहन, सन्तान, सास-ससुर अपने अधिकारों और कर्तव्यों के प्रति समान रूप से सजग रहें। प्रत्येक सदस्य सन्तोष का अनुभव कर सके और प्रत्येक सदस्य को अपने व्यक्तित्व के विकास के लिए आवश्यक सुविधाएँ मिल सकें। गृह-व्यवस्था को प्रभावित करने वाले परिवार सम्बन्धी कारकों के विवरण निम्नलिखित हैं

(1) परिवार के सदस्यों में सौहार्द एवं समन्वय:
पारिवारिक व्यवस्था में परिवार के सदस्यों की शारीरिक व मानसिक आवश्यकताओं, संवेगों, भावनाओं, विश्वासों, विचारों और मूल्यों का समन्वय होना चाहिए। परिवार में विभिन्न आयु, व्यवसाय, लिंग और रुचियों के सदस्य होते हैं। उनकी मनोविज्ञान, विचारधारा एवं आवश्यकताएँ भी काफी भिन्न होती हैं। उदाहरण के लिए-परिवार के वृद्ध व्यक्तियों की विचारधारा और युवा वर्ग की विचारधारा में स्पष्ट अन्तर होता है। युवकों को अपने विचारों के अनुरूप कार्य करने के लिए वृद्धों की उपेक्षा नहीं करनी चाहिए वरन् समन्वयात्मक प्रवृत्ति का परिचय देना चाहिए। धैर्य और सूझ-बूझ से समयानुसार उनके विचारों में परिवर्तन लाने का प्रयत्न करना चाहिए और (UPBoardSolutions.com) जहाँ आवश्यकता हो स्वयं को भी उदार बना लेना चाहिए। पारिवारिक सम्बन्धों में त्याग, उदारता और सहिष्णुता की आवश्यकता होती है। परिवार में भी संघर्ष होता है जो बहुत स्वाभाविक है, लेकिन यह संघर्ष इतना उग्र नहीं होना चाहिए जो पारिवारिक सम्बन्धों में दरार पैदा कर दे। माता-पिता और सन्तान में भी एक पीढ़ी का अन्तर होता है; इसलिए उनके विचारों व कार्य-पद्धति में अन्तर होगा ही। इसी अन्तर को कम करना समन्वय और सौहार्द्र व्यवस्था है।

(2) अच्छा आचरण, व्यवहार तथा आदतें:
बच्चे का मन और मस्तिष्क एक कोरी स्लेट के समान होता है। उसको अच्छी-बुरी आदतें, आचरण और व्यवहार के नियम परिवार में ही सिखाए जाते हैं। बच्चों के आचरण और व्यवहार से उसके परिवार के वातावरण और परिवेश की जानकारी सरलती से ज्ञात की जा सकती है। अच्छा परिवार ही अच्छा व्यवहार और अच्छी आदतें सिखाता है। व्यवस्थित परिवार की पहचान, सदस्यों की व्यवस्थित और अच्छी आदतें हैं। बड़ों का (UPBoardSolutions.com) आदर करना चाहिए, बातचीत के समय मधुर वाणी और कोमल शब्दों का प्रयोग होना चाहिए जिससे किसी की भावनाओं को ठेस न पहुँचे। परिवार में सीखी आदतें ही स्कूल और समाज में काम आती हैं। अपनी बात कहना लेकिन धैर्यपूवर्क दूसरे की बात भी सुनना आपस में अच्छे सम्बन्ध बनाता है।

(3) आवश्यकतानुसार अनुकूलन:
विवाह से पूर्व लड़की माता-पिता के लाड़-प्यार में बहुत स्वतन्त्र जीवन व्यतीत करती है तथा प्राय: अपने कर्तव्यों और उत्तरदायित्वों से भी अनभिज्ञ होती है, किन्तु विवाह के पश्चात् उसे आवश्यकतानुसार और ससुराल के सम्बन्धों के अनुसार त्याग करना होता है, धैर्य और सहनशीलता से काम करना होता है। पति-पत्नी के स्वभाव और रुचियों में अन्तर या विरोध भी हो सकता है, लेकिन आदर्श परिवार के लिए दोनों ही अपने स्वभाव में परिवर्तन करते हैं, एक-दूसरे के अनुकूल बनने का प्रयत्न करते हैं। माता-पिता बच्चों के हितों के अनुरूप (UPBoardSolutions.com) अपने स्वतन्त्र और स्वच्छन्द जीवन को नियन्त्रित कर लेते हैं। यह अनुकूलन स्वाभाविक, स्वतन्त्र, स्वेच्छापूर्ण और सन्तोषजनक होता है। इस असन्तुलन के लिए बाहरी प्रयासों की आवश्यकता नहीं होती, यह स्वतः ही होता है। इस प्रकार आवश्यकतानुसार अनुकूलन भी गृह-व्यवस्था को प्रभावित करने वाला एक महत्त्वपूर्ण कारक है।

(4) सुरक्षा की भावना:
परिवार में प्रत्येक व्यक्ति अपने को सुरक्षित अनुभव करता है। यदि परिवार के सदस्य अपने को असुरक्षित और असहाय अनुभव करते हैं, तो उनमें कुण्ठा और हीन भावना पैदा हो जाती है तथा उनका आत्मविश्वास धीरे-धीरे समाप्त हो जाता है। इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कहा जा सकता है कि परिवार में उत्तम व्यवस्था बनाए रखने के लिए परिवार के सभी सदस्यों में सुरक्षा की समुचित भावना अवश्य होनी चाहिए।

(5) सामर्थ्य का ज्ञान:
व्यवस्थित परिवार में प्रत्येक सदस्य को उसकी सामर्थ्य और शक्ति का ज्ञान कराया जाता है। छोटा या असहाय समझने से व्यक्ति के आत्म-सम्मान को चोट पहुँचती है, उसका समुचित विकास नहीं हो पाता। धनी परिवारों में या अधिक लाड़-प्यार वश कुछ माता-पिता बच्चों को कोई भी काम नहीं करने देते हैं। अतः न तो बच्चे किसी कार्य के लिए परिश्रम करते हैं, न प्रयत्न। माँगने पर उन्हें हर चीज मिल जाती है। उनके (UPBoardSolutions.com) लिए जीवन बड़ा सरल होता है। दूसरी ओर, जिन बच्चों को प्रारम्भ से ही उनकी सामर्थ्य और शक्ति के अनुरूप काम करना सिखाया जाता है, वे अधिक उत्तरदायी होते हैं। संघर्षों का मुकाबला वे अधिक साहस और हिम्मत के साथ करते हैं।

(6) उन्नति:
यदि परिवार में व्यवस्था है, विचारों का समन्वय है, एक-दूसरे के अनुसार अनुकूलन है, सुरक्षा और सामर्थ्य का ज्ञान है, तो उसके परिणामस्वरूप परिवार प्रगति करता है। व्यवस्थित परिवार में पति-पत्नी एक-दूसरे के दुःख-सुख में सहभागी होते हैं, बच्चे माता-पिता की आज्ञा का पालन करते हैं, उनके कार्य में हाथ बंटाते हैं, परीक्षा में अच्छे अंक लेकर उत्तीर्ण होते हैं। घर में सुख, शान्ति और सन्तोष होने से पुरुष पदोन्नति करता है और आय के नए विकल्प खोजता है, जिससे परिवार के सदस्यों का स्वास्थ्य ठीक रहता है तथा परस्पर स्नेह बन्धन मजबूत होते हैं। ऐसे परिवारों को समाज में भी आदर और उचित सम्मान मिलता है तथा अन्य परिवार भी उनकी (UPBoardSolutions.com) उन्नति से प्रेरणा लेकर उनका अनुसरण करते हैं। अतः शीघ्रता से बदलते हुए परिवेश से समायोजन के लिए गृह-व्यवस्था बहुत आवश्यक है। जैसे-जैसे वातावरण जटिल बन रहा है, आवश्यकताएँ बढ़ रही हैं और साधनों में वृद्धि हो रही वैसे-वैसे गृह-व्यवस्था का महत्त्व भी बढ़ रहा है।

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प्रश्न 6:
गृह-व्यवस्था से सम्बन्धित उपयोगी साधनों का उल्लेख कीजिए।
या
गृह-व्यवस्था के लिए आवश्यक साधनों का उचित वर्गीकरण प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर:
प्रत्येक गृह में अनेक कार्य (जैसे–भोजन बनाना, घर की सफाई करना, बच्चों की देखभाल करना, वस्त्रों की सिलाई-धुलाई करना, आर्थिक लेन-देन आदि) होते हैं। इन कार्यों के लिए अनेक साधनों एवं उपकरणों की आवश्यकता होती है। गृह-व्यवस्था के साधनों को निम्न प्रकार वर्गीकृत किया जा सकता है
UP Board Solutions for Class 9 Home Science Chapter 2 गृह-व्यवस्था परिवार के सन्दर्भ में image -1

(1) भौतिक साधन:
भौतिक साधनों के अन्तर्गत धन, विभिन्न पदार्थ एवं यन्त्र अथवा मशीनें आती हैं। धन सबसे अधिक प्रभावकारी साधन है, क्योंकि धन के द्वारा ही अधिकतर पदार्थ एवं उपकरण उपलब्ध होते हैं। उदाहरण के लिए, भोजन बनाने में खाद्य सामग्री, बर्तन एवं ईंधन आदि साधनों की तथा कपड़ा तैयार करने के लिए वस्त्र, बटन, धागा, सुई व सिलाई की मशीन आदि की आवश्यकता होती है। ये सभी साधन धन द्वारा ही (UPBoardSolutions.com) प्राप्त किए जाते हैं। भौतिक साधनों के उपयोग से अधिकांश कार्य श्रम एवं समय की बचत के साथ-साथ अधिक कुशलतापूर्वक किए जा सकते हैं। अतः कहने का तात्पर्य यह है। कि भौतिक साधन वे सभी पदार्थ हैं, जो किसी कार्य को सम्पन्न करने के लिए आवश्यक होते हैं।

(2) मानवीय साधन:
गृह-व्यवस्था के लिए मानवीय साधन भी अति आवश्यक होते हैं। मानवीय साधनों से आशय है-परिवार के सदस्यों से सम्बन्धित साधन। वास्तव में प्रत्येक कार्य को करने के लिए व्यक्तियों (पारिवारिक कार्यों में परिवार के सदस्यों) की आवश्यकता होती है। यदि परिवार के सदस्य योग्य (UPBoardSolutions.com) एवं कार्य-कुशल हों, तो निश्चित रूप से गृह-व्यवस्था उत्तम हो सकती है। इसके अतिरिक्त परिवार के सदस्यों की अभिवृत्ति यदि गृह-व्यवस्था के अनुकूल हो तथा उन्हें गृह-व्यवस्था सम्बन्धी समुचित ज्ञान भी हो, तो भी गृह-व्यवस्था सुचारु रूप से चल सकती है।

(3) सार्वजनिक साधन:
प्रत्येक स्थान पर प्रायः सामाजिक एवं सार्वजनिक संस्थाएँ होती हैं। राजकीय अस्पताल, राशन केन्द्र, डाकखाना, बैंक, जीवन बीमा निगम एवं शिक्षण संस्थाएँ इत्यादि इनके उदाहरण हैं। प्रत्येक परिवार को इन संस्थाओं के विषय में पर्याप्त ज्ञान होना चाहिए। राजकीय अस्पताल एवं अन्य स्वास्थ्य संगठन हमारी रोग एवं स्वास्थ्य सम्बन्धी कठिनाइयों को दूर करने में महत्त्वपूर्ण योगदान देते हैं। डाकखाना एवं बैंक हमें न (UPBoardSolutions.com) केवल आर्थिक सुरक्षा प्रदान करते हैं, वरन् भविष्य के लिए की गई बचत पर उचित ब्याज भी देते हैं। जीवन बीमा निगम परिवार को आकस्मिक दुर्घटनाओं से होने वाली आर्थिक क्षति से सुरक्षित रखता है तो शैक्षिक संस्थाएँ शिक्षित समाज का आधार हैं। अतः उत्तम गृह-व्यवस्था के लिए सार्वजनिक साधनों का अधिकतम उपलब्ध होना भी आवश्यक है।

प्रश्न 7:
घर की अव्यवस्था या व्यवस्था के अभाव से होने वाली हानियों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
गृह-व्यवस्था हर प्रकार से लाभदायक एवं महत्त्वपूर्ण होती है। इसके विपरीत यदि घर में अव्यवस्था या व्यवस्था का अभाव हो, तो विभिन्न प्रकार की हानियाँ हो सकती हैं। घर की अव्यवस्था से होने वाली मुख्य हानियाँ निम्नलिखित हैं
(1) कुशलता की कमी हो जाती है:
यदि घर में समुचित व्यवस्था का अभाव हो, तो परिवार का कोई भी सदस्य अपने कार्य को कुशलतापूर्वक नहीं कर पाता। इस स्थिति में पारिवारिक कार्य सुचारु रूप से नहीं हो पाते तथा परिवार की सुख-समृद्धि पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने लगता है।

(2) सामाजिक प्रतिष्ठा की हानि:
कार्यकुशलता का अभाव अथवा फूहड़पने समाज में परिवार की प्रतिष्ठा को गिराता है। फूहड़ स्त्री न तो समाज में सम्मान प्राप्त कर पाती है और न ही स्वयं अपने घर में। फूहड़पन से परिवार में कलह का वातावरण उत्पन्न होता है।

(3) धन एवं अन्य साधनों की बर्बादी:
अव्यवस्थित गृहिणियाँ पारिवारिक साधनों का अनुचित व अनावश्यक उपयोग करती हैं। ये आवश्यकता से अधिक भोजन बनाती हैं, जिससे इसकी बर्बादी होती है। इसी प्रकार अव्यवस्थित घर में अन्य खाद्य पदार्थों, वस्त्रों, सौन्दर्य प्रसाधन की सामग्रियों आदि की बर्बादी होती है। (UPBoardSolutions.com) अव्यवस्थित गृहिणियाँ पारिवारिक बजट नहीं बनातीं, जिसके फलस्वरूप धन का अपव्यय होता है तथा परिवार कभी भी आर्थिक सुदृढ़ता नहीं प्राप्त कर पाता है।

(4) स्वास्थ्य की हानि:
गृह-व्यवस्था के अभाव में कुछ गृहिणियाँ भोजन एवं पोषण का आवश्यक ध्यान नहीं रखतीं, जिसके फलस्वरूप परिवार के सदस्यों का स्वास्थ्य ठीक नहीं रहता है। स्वच्छता के अभाव में अव्यवस्थित घर में विभिन्न प्रकार के रोगाणु पनपते रहते हैं जो कि विभिन्न प्रकार के रोग उत्पन्न करते हैं।

(5) दुर्घटनाएँ:
आजकल घरों में विद्युत-चलित विभिन्न उपकरण, कुकिंग गैस व विभिन्न प्रकार की जटिल मशीनों एवं यन्त्रों का उपयोग किया जाता है। सुचारु गृह-व्यवस्था के अभाव में गृहिणी की थोड़ी-सी असावधानी किसी भी छोटी अथवा बड़ी दुर्घटना का कारण बन सकती है। एक अव्यवस्थित घर में इस प्रकार की घटनाएँ प्रायः होती रहती हैं।

(6) पारिवारिक समन्वय व अनुशासन का अभाव:
एक अव्यवस्थित परिवार के सदस्यों में पारस्परिक समन्वय का सदैव अभाव रहता है। सभी सदस्य नियोजन व नियन्त्रण के सिद्धान्तों को महत्त्व न देकर अपनी इच्छानुसार कार्य करते हैं, जिसके परिणामस्वरूप कार्यकुशलता का अभाव रहता है तथा पारिवारिक कलह का वातावरण बना रहता है।

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प्रश्न 8:
गृह-व्यवस्था के कुशल संचालन में किन-किन बाधाओं का सामना करना पड़ता है? समझाइए।
उत्तर:
गृह-व्यवस्था के कुशल संचालन में बाधाएँ

निश्चित रूप से कहा जा सकता है कि घर-परिवार की सुख-समृद्धि तथा उत्तम जीवन के लिए गृह-व्यवस्था आवश्यक है। इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए प्रत्येक परिवार चाहता है कि सुचारू गृह-व्यवस्था को लागू किया जाए, परन्तु चाहते हुए भी अनेक बार व्यवहार में उत्तम गृह-व्यवस्था को लागू कर (UPBoardSolutions.com) पाना सम्भव नहीं हो पाता। इसका मुख्य कारण है-गृह-व्यवस्था को लागू करने के मार्ग में उत्पन्न होने वाली विभिन्न बाधाएँ। इस प्रकार की मुख्य बाधाओं का संक्षिप्त विवरण निम्नवर्णित है|

(1) साधनों के ज्ञान का अभाव:
परिवार के लक्ष्यों को पूरा करने के लिए विभिन्न प्रकार के साधनों की आवश्यकता होती है। अतः गृहिणी को विभिन्न साधनों तथा उनकी उपयोगिता का ज्ञान होना चाहिए। इस ज्ञान के अभाव में गृहिणी गृह-व्यवस्था का कुशल संचालन नहीं कर सकती।

(2) लक्ष्यों के ज्ञान का अभाव:
गृह-व्यवस्था का कुशल संचालन करने के लिए गृहिणी को परिवार के लक्ष्यों की पूरी जानकारी नहीं होती है। फलतः ऐसे परिवार गृह-व्यवस्था लागू करने में असमर्थ होते हैं। इसलिए यह आवश्यक है कि गृहिणी को गृह-व्यवस्था का कुशल संचालन करने के लिए लक्ष्यों का पूर्ण ज्ञान होना चाहिए।

(3) कार्य-कुशलता का निम्न स्तर:
उत्तम गृह-व्यवस्था के लिए एक निश्चित स्तर की कार्य-कुशलता भी आवश्यक होती है। वास्तव में, पर्याप्त मात्रा में साधन उपलब्ध होने पर भी समुचित कार्य-कुशलता के अभाव में, गृह-व्यवस्था को बनाए रखना सम्भव नहीं होता। उदाहरण के लिए पर्याप्त मात्रा में खाद्य-सामग्री उपलब्ध होने पर (UPBoardSolutions.com) भी यदि गृहिणी पाक-क्रिया में कुशल नहीं है, तो वह अपने परिवार को स्वादिष्ट एवं स्वास्थ्यवर्द्धक भोजन प्रदान नहीं कर सकती। स्पष्ट है कि कार्य-कुशलता का निम्न स्तर भी गृह-व्यवस्था के मार्ग में एक मुख्य बाधक सिद्ध होता है।

(4) विभिन्न घरेलू समस्याएँ:
विभिन्न घरेलू समस्याएँ भी गृह-व्यवस्था के मार्ग में बाधक सिद्ध होती हैं। यदि परिवार की समस्याएँ विकराल एवं गम्भीर रूप धारण कर लें, तो स्थिति बिगड़ जाती है। ऐसे में समस्याओं का समाधान भी मुश्किल हो जाता है तथा गृह-व्यवस्था बनाए रखना भी कठिन हो जाता है। उदाहरण के लिए-निरन्तर रहने वाली पारिवारिक कलह, पति-पत्नी का गम्भीर मन-मुटाव या संयुक्त परिवार के सदस्यों में संघर्ष आदि कुछ ऐसे कारक होते हैं, जो उत्तम गृह-व्यवस्था के मार्ग में बाधक सिद्ध होते हैं।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1:
गृह-व्यवस्था का मनुष्य के जीवन में क्या महत्त्व है?
उत्तर:
व्यक्ति एवं परिवार के जीवन में सर्वाधिक महत्त्व व्यवस्था का है। व्यवस्थित जीवन ही प्रगति एवं सफलता की कुंजी है। पारिवारिक जीवन में व्यवस्था अति आवश्यक है। व्यवस्था द्वारा ही उपलब्ध साधनों का सदुपयोग किया जाता है तथा निर्धारित लक्ष्यों की प्राप्ति की जा सकती है। यदि गृह-व्यवस्था का अभाव हो, तो सभी साधन उपलब्ध होते हुए भी लक्ष्यों की प्राप्ति नहीं हो पाती। परिवार के सदस्यों की विविध आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए व्यवस्था अति आवश्यक होती है अन्यथा आवश्यकताओं में आन्तरिक विरोध एवं असन्तुलन की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। गृह-व्यवस्था की स्थिति में परिवार के सभी सदस्य परस्पर सहयोग से कार्य करते हैं (UPBoardSolutions.com) तथा परिवार में अनुशासन का वातावरण बना रहता है। इसके विपरीत गृह-व्यवस्था के अभाव में परिवार के सदस्यों में न तो आपसी सहयोग रह पाता है और न ही अनुशासन ही बना रहता है। गृह-व्यवस्था का अच्छा प्रभाव परिवार के बच्चों के विकास पर भी पड़ता है। इस प्रकार कहा जा सकता है कि गृह-व्यवस्था परिवार के सभी पक्षों के लिए महत्त्वपूर्ण है। गृह-व्यवस्था के परिणामस्वरूप घर अथवा परिवार प्रगति के मार्ग पर अग्रसर होता है तथा किसी भी प्रकार के आकस्मिक संकट का सामना भी सरलता से कर लेता है।

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प्रश्न 2:
गृह-व्यवस्था में पति-पत्नी की भूमिका भी स्पष्ट कीजिए।
या
स्पष्ट कीजिए कि गृह-व्यवस्था का दायित्व केवल गृहिणी का नहीं बल्कि पति-पत्नी दोनों का होता है।
उत्तर:
सामान्य रूप से माना जाता है कि गृह-व्यवस्था का दायित्व गृहिणी या पत्नी का है, परन्तु यह धारणा भ्रामक एवं त्रुटिपूर्ण है। वास्तव में, उत्तम गृह-व्यवस्था के लिए पति तथा पत्नी दोनों को पूर्ण सहयोगपूर्वक कार्य करना चाहिए। इस सन्दर्भ में पति-पत्नी प्रायः पूरक की भूमिका निभाते हैं।
आधुनिक एकाकी परिवारों में गृह-व्यवस्था को उत्तम बनाने के लिए पुरुष अर्थात् पति को भी घरेलू कार्यों में यथासम्भव सहयोग प्रदान करना चाहिए। उदाहरण के लिए-पति को अनिवार्य रूप से बच्चों की देख-रेख में पत्नी को सहयोग प्रदान करना चाहिए। बाजार से आवश्यक वस्तुएँ खरीदने तथा घर के विभिन्न बिल आदि जमा करने के कार्य पुरुषों को ही करने चाहिए। इसी प्रकार परिवार की अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ बनाने के लिए पत्नी को भी आर्थिक गतिविधियों में यथासम्भव योगदान देना चाहिए। अब बहुत-सी महिलाएँ नौकरी करती हैं अथवा किसी अन्य व्यवसाय में संलग्न होती हैं। ऐसे परिवारों में पति-पत्नी दोनों ही गृह-व्यवस्था में समान रूप से योगदान (UPBoardSolutions.com) देते हैं। ऐसे परिवारों में पति को भी गृह-व्यवस्था में समान रूप से योगदान प्रदान करना चाहिए। इन तथ्यों को ध्यान में रखते हुए कहा जा सकता है कि गृह-व्यवस्था में स्त्री-पुरुष दोनों एक-दूसरे के पूरक हैं। वास्तव में, गृह-व्यवस्था की नीति को निर्धारित करते समय पति-पत्नी को परस्पर विचार-विमर्श अवश्य करना चाहिए। एक-दूसरे के सुझावों को समुचित महत्त्व प्रदान करना चाहिए तथा कोई भी अन्तिम निर्णय लेते समय उनमें मतैक्य होना चाहिए।

प्रश्न 3:
टिप्पणी लिखिए-परिवार में नैतिक मूल्यों की शिक्षा।
उत्तर:
गृह-व्यवस्था का एक उल्लेखनीय उद्देश्य परिवार के सदस्यों, विशेष रूप से बच्चों एवं किशोरों का नैतिक विकास करना भी है। वास्तव में, नैतिक-विकास के अभाव में गृह-व्यवस्था को सुचारु एवं उत्तम नहीं माना जा सकता। नैतिक विकास के लिए माता-पिता को नियोजित ढंग से प्रयास करने चाहिए तथा स्वयं नैतिक आदर्श प्रस्तुत करने चाहिए। माता-पिता को चाहिए कि वे बच्चों को नैतिक मूल्यों की शिक्षा नियोजित रूप से प्रदान करें।

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1:
गृह-व्यवस्था को अर्थ स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
गृह-व्यवस्था को अर्थ–घर-परिवार में उपलब्ध साधनों के सदुपयोग के लिए उचित निर्णय लेना तथा लिए गए निर्णय के आधार पर परिवार के स्वीकृत लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए उपलब्ध साधनों का सदुपयोग करना।

प्रश्न 2:
गृह-व्यवस्था की एक स्पष्ट परिभाषा लिखिए।
उत्तर:
गृह-व्यवस्था के अन्तर्गत परिवार के साधनों का नियोजन, नियन्त्रण तथा मूल्यांकन’ आता है। -निकिल तथा डारसी

प्रश्न 3:
गृह-व्यवस्था के दो मुख्य उद्देश्यों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
(i) परिवार के सभी सदस्यों की आवश्यकताओं की पूर्ति तथा
(ii) पारिवारिक आय को उचित प्रकार से खर्च करना।

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प्रश्न 4:
गृह-व्यवस्था के मूल तत्त्व क्या हैं?
उत्तर:
गृह-व्यवस्था के मूल तत्त्व हैं-नियोजन, नियन्त्रण तथा मूल्यांकन।

प्रश्न 5:
सुचारू गृह-व्यवस्था से प्राप्त होने वाले तीन मुख्य लाभ बताइए।
उत्तर:

  1. परिवार के सदस्यों की आवश्यकताएँ पूरी हो जाती हैं,
  2. परिवार के आय-व्यय का नियोजन हो जाता है तथा
  3. रहन-सहन का स्तर उन्नत हो सकता है।

प्रश्न 6:
गृह-व्यवस्था को प्रभावित करने वाले गृह-सम्बन्धी कारकों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:

  1. घर का सुविधाजनक होना,
  2.  सफाई,
  3.  जल, वायु तथा प्रकाश की उचित व्यवस्था,
  4. भोज्य सामग्री की व्यवस्था तथा
  5. घर की सामग्री की व्यवस्था।

प्रश्न 7:
गृह-व्यवस्था को प्रभावित करने वाले परिवार सम्बन्धी कारकों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:

  1.  पारिवारिक सौहार्द और समन्वय,
  2. आवश्यकतानुसार अनुकूलन,
  3.  अच्छा आचरण, व्यवहार तथा आदतें,
  4. सुरक्षा की भावना,
  5.  सामर्थ्य को ज्ञान तथा
  6. उन्नति

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प्रश्न 8:
किसी गृहिणी को कुशल गृह-संचालन के लिए सर्वप्रथम क्या करना चाहिए?
उत्तर:
गृहिणी को परिवार में किए जाने वाले कार्यों की उपयुक्त योजना बनानी चाहिए।

प्रश्न 9:
पारस्परिक सहयोग से क्या लाभ होता है?
उत्तर:
श्रम का विभाजन होता है, कार्य सुगमतापूर्वक हो जाता है तथा घर का वातावरण सुखमय व शान्तिमय रहती है।

प्रश्न 10:
गृह-व्यवस्था के साधनों को कितने वर्गों में बाँटा जाता है?
उत्तर:
गृह-व्यवस्था के साधनों को तीन वर्गों में बाँटा जाता है

  1.  भौतिक साधन,
  2.  मानवीय साधन तथा
  3.  सार्वजनिक साधन।

प्रश्न 11:
योजनानुसार कार्य करने से क्या लाभ हैं?
उत्तर:
योजनानुसार कार्य करने से धन, श्रम एवं समय की बचत होती है।

प्रश्न 12:
किसी गृहिणी को गृह-व्यवस्था के संचालन में कौन-कौन सी कठिनाइयाँ हो सकती
उत्तर:

  1.  लक्ष्य एवं साधनों का ज्ञान न होना,
  2.  पारिवारिक समन्वय का अभाव तथा
  3. समस्याओं के निराकरण की अयोग्यता।

प्रश्न 13:
किस गृहिणी को कुशल गृहिणी कहेंगे?
उत्तर:
वहे गृहिणी कुशल गृहिणी कहलाएगी जो पारिवारिक आवश्यकताओं को व्यवस्थित ढंग से पूरा कर सके तथा परिवार के सभी सदस्यों का उचित सहयोग भी प्राप्त कर सके।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न:
प्रत्येक प्रश्न के चार वैकल्पिक उत्तर दिए गए हैं। इनमें से सही विकल्प चुनकर लिखिए

(1) गृह-व्यवस्था का वास्तविक उद्देश्य है
(क) कार्यों को कुशलतापूर्वक करना,
(ख) भविष्य के लिए बचत करना,
(ग) भोजन एवं पोषण का ध्यान रखना,
(घ) परिवार के सदस्यों को सुखी एवं सन्तुष्ट रखना।

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(2) गृह-व्यवस्था का अर्थ है
(क) घर के सभी कार्यों को योजना बनाकर करना,
(ख) घर की आय-व्यय का लेखा-जोखा रखना,
(ग) पारिवारिक साधनों का उपयोग करना,
(घ) पारिवारिक जीवन को व्यवस्थित ढंग से चलाना।

(3) एक कुशल गृहिणी के लिए आवश्यक है
(क) पाक विज्ञान का उचित ज्ञान,
(ख) बच्चों के पालन-पोषण का ज्ञान,
(ग) समस्त गृह-कार्यों का ज्ञान,
(घ) प्राथमिक चिकित्सा का ज्ञान।

(4) गृह-व्यवस्था से सम्बन्धित साधन हैं
(क) भौतिक साधन,
(ख) मानवीय साधन,
(ग) सार्वजनिक साधन,
(घ) ये सभी साधन

(5) निम्नलिखित में से कौन-सा साधन भौतिक साधनों से सम्बन्धित नहीं है?
(क) धन,
(ख) कुकिंग गैस,
(ग) कूलर,
(घ) नौकर

(6) उत्तम गृह-व्यवस्था के लिए आवश्यक है
(क) पारिवारिक आय का अधिक होना,
(ख) परिवार के सदस्यों का अधिक होना,
(ग) विलासिता के साधन उपलब्ध होना ,
(घ) गृह-व्यवस्था का व्यावहारिक ज्ञान होना

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(7) गृह-व्यवस्था के मार्ग में बाधा है
(क) उत्तम नियोजन,
(ख) समुचित ज्ञान का अभाव,
(ग) उपकरणों का अधिक उपयोग,
(घ) मकान का अधिक बड़ा होना।

उत्तर:
(1). (घ) परिवार के सदस्यों को सुखी एवं सन्तुष्ट रखना,
(2). (घ) पारिवारिक जीवन को व्यवस्थित ढंग से चलाना,
(3). (ग) समस्त गृह-कार्यों का ज्ञान,
(4). (घ) ये सभी साधन,
(5). (घ) नौकर,
(6). (घ) गृहव्यवस्था का व्यावहारिक ज्ञान होना,
(7). (ख) समुचित ज्ञान का अभाव।

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UP Board Solutions for Class 9 Social Science History मानचित्र-कार्य

UP Board Solutions for Class 9 Social Science History मानचित्र-कार्य

These Solutions are part of UP Board Solutions for Class 9 Social Science. Here we have given UP Board Solutions for Class 9 Social Science History मानचित्र-कार्य.

निर्देश – निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर अपनी उत्तर-पुस्तिका में लिखिए। मानचित्र का प्रयोग न करें।

प्रश्न 1.

  1. लुई सोलहवाँ कहाँ का शासक था? फ्रांस
  2. गुज्जर-बकरवाल चरवाहे भारत के किस राज्य में पाए जाते हैं? जम्मू-कश्मीर
  3. नेपोलियन की पराजय कहाँ हुई थी? वाटरलू
  4. इंग्लैण्ड की राजधानी बताइए। लंदन
  5. हिटलर किस देश का शासक था? जर्मनी

प्रश्न 2.

  1. बोर्नियों द्वीप कहाँ स्थित है? इंडोनेशिया
  2. बास्तील का किला कहाँ स्थित था? पेरिस
  3. रूस की राजधानी बताइए। मास्को
  4. रूसी क्रान्ति से पहले रूस का सबसे बड़ा औद्योगिक केन्द्र था। सेंटपीटर्सबर्ग
  5. रूसी क्रान्ति से पहले रूस की शीतकालीन राजधानी कहाँ थी? पेत्रोग्राद

प्रश्न 3.

  1. 1929 की विश्वव्यापी मंदी किस देश में आयी? अमेरिका
  2. द्वितीय विश्वयुद्ध में जापान के किस शहर पर परमाणु बम गिराया गया? हिरोशिमा, नागासाकी
  3. इंपीरियल फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट’ कहाँ स्थापित किया गया? देहरादून
  4. बस्तर भारत के किस राज्य में स्थित है? छत्तीसगढ़
  5. राजस्थान की राजधानी बताइए? जयपुर

प्रश्न 4.

  1. मिसीसिपी नदी कहाँ स्थित है? अमेरिका
  2. ईस्ट इंडिया कंपनी किस देश की थी? इंग्लैण्ड
  3. फिरोजशाह कोटला मैदान कहाँ स्थित है? दिल्ली
  4. चेपॉक का क्रिकेट मैदान कहाँ स्थित है? चेन्नई
  5. भारतीय समुदाय के रूप में पारसियों ने 1848 में पहला क्रिकेट क्लब कहाँ स्थापित किया? बम्बई

प्रश्न 5.

  1. फ्रांस में एस्टेट्स जनरल (प्रतिनिधि सभा) बैठक कहाँ हुई थी? वर्साय
  2. लुई चौदहवें ने किस फ्रांसीसी नगर को राजधानी बनाया? वर्साय
  3. फ्रांस में जैकोबिनों को किस नाम से जाना जाता था? सौं कुलॉत
  4. ट्यूलेरिस का महल फ्रांस के किस शहर में था? पेरिस
  5. 1914 में फिनलैण्ड, लातविया, लिथुआनिया, एस्टोनिया, पोलैण्ड, यूक्रेन व बेलारूस किस देश के हिस्से थे? रूस

प्रश्न 6.

  1. जार्जिया, अजरबैजान व आर्मेनिया 1914 में किस देश के हिस्से थे? रूस
  2. 19वीं सदी के आरंभ में रूस के दो प्रमुख औद्योगिक शहर कौन-से थे? सेंटपीटर्सबर्ग और मास्को
  3. खूनी रविवार की घटना 9 जनवरी, 1905 ई. को कहाँ हुई थी? सेंट पीटर्सबर्ग
  4. रूसी मजदूरों ने 1904 ई. में रूस के किस शहर में हड़ताल की थी? सेंटपीटर्सबर्ग
  5. विंटर पैलेस रूस के किस शहर में स्थित था? सेंटपीटर्सबर्ग

प्रश्न 7.

  1. 1917 की क्रान्ति के समय रूस की राजधानी कहाँ थी? पेत्रोग्राद
  2. द्वितीय विश्व युद्ध की समाप्ति के बाद जर्मनी के किस शहर में अंतर्राष्ट्रीय सैनिक अदालत स्थापित की गयी? न्यूरेनबर्ग
  3. वॉलस्ट्रीट एक्सचेंज कहाँ स्थित है? न्यूयार्क
  4. 1889 ई. में हिटलर का जन्म किस देश में हुआ था? ऑस्ट्रिया
  5. राइखस्टाग कहाँ की संसद है? जर्मनी

प्रश्न 8.

  1. 1938 ई. में किस देश को जर्मनी में मिला लिया गया? ऑस्ट्रिया
  2. मई, 1995 में जर्मनी के किस शहर पर परमाणु बम गिराने के साथ यह युद्ध समाप्त हुआ? हिरोशिमा
  3. महात्मा गाँधी ने दिसम्बर, 1940 में हिटलर को भारत में किस स्थान से पत्र लिखा था? वर्धा
  4. दन्तेवाड़ा कहाँ स्थित है? छत्तीसगढ़
  5. मरिया जनजाति छत्तीसगढ़ के किस संभाग (मण्डल) में पायी जाती है? बस्तर

Hope given UP Board Solutions for Class 9 Social Science History Maanachitr Kaary are helpful to complete your homework.

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