UP Board Solutions for Class 10 Social Science Chapter 7 (Section 1)

UP Board Solutions for Class 10 Social Science Chapter 7 यूरोप में राष्ट्रवाद का विकास (अनुभाग – एक)

These Solutions are part of UP Board Solutions for Class 10 Social Science. Here we have given UP Board Solutions for Class 10 Social Science Chapter 7 यूरोप में राष्ट्रवाद का विकास (अनुभाग – एक).

Download MCQs for Class 10 for important topics for all chapters in Class 10 SST MCQs.

विस्तृत उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
फ्रांस की क्रान्ति का प्रभाव यूरोप के अन्य देशों पर किस प्रकार पड़ा?
उत्तर
फ्रांस की क्रान्ति का प्रभाव यूरोप के अन्य देशों पर निम्नलिखित रूप में पड़ा

  1. इस क्रान्ति ने सदियों से चली आ रही यूरोप की पुरातन व्यवस्था (Ancient Regime) का अन्त कर दिया।
  2. इस क्रान्ति की महत्त्वपूर्ण देन मध्यकालीन समाज की सामन्ती व्यवस्था का अन्त करना था।
  3. फ्रांस के क्रान्तिकारियों द्वारा की गई ‘मानव अधिकारों की घोषणा’ (27 अगस्त, 1989 ई०), मानव जाति की स्वाधीनता के लिए बड़ी महत्त्वपूर्ण थी।
  4. इस क्रान्ति ने समस्त यूरोप में राष्ट्रीयता (UPBoardSolutions.com) की भावना का विकास और प्रसार किया। परिणामस्वरूप यूरोप के अनेक देशों में क्रान्तियों का सूत्रपात हुआ।
  5. फ्रांस की क्रान्ति ने धर्मनिरपेक्ष राज्य की अवधारणा को जन्म दिया।
  6. इस क्रान्ति ने लोकप्रिय सम्प्रभुता के सिद्धान्त का प्रतिपादन किया।
  7. फ्रांसीसी क्रान्ति ने मानव जाति को स्वतन्त्रता, समानता और बन्धुत्व का नारा प्रदान किया।
  8. इस क्रान्ति ने इंग्लैंड, आयरलैंड तथा अन्य यूरोपीय देशों की विदेश नीति को प्रभावित किया।
  9. कुछ विद्वानों के अनुसार फ्रांस की क्रान्ति समाजवादी विचारधारा का स्रोत थी, क्योंकि इसने समानता का सिद्धान्त प्रतिपादित कर समाजवादी व्यवस्था का मार्ग भी खोल दिया था।
  10. इस क्रान्ति के फलस्वरूप फ्रांस ने कृषि, उद्योग, कला, साहित्य, राष्ट्रीय शिक्षा तथा सैनिक गौरव के क्षेत्र में अभूतपूर्व प्रगति की।

UP Board Solutions

प्रश्न 2.
जर्मनी का एकीकरण कैसे हुआ ? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
सन् 1848 ई० के यूरोप में राष्ट्रवाद का स्वरूप बदलने लगा था और यह जनतन्त्र एवं क्रान्ति के सैलाब से दूर हो गया था। राज्य की सत्ता को बढ़ाने और पूरे यूरोप पर राजनीतिक प्रभुत्व प्राप्त करने के लिए रूढ़िवादियों ने अकसर राष्ट्रवादी भावनाओं का प्रयोग किया। उस समय जर्मनी तथा इटली के एकीकृत होने की प्रक्रिया जितनी कठिन थी उतनी ही भयावह भी थी। इस प्रक्रिया के बाद ही इटली तथा जर्मनी राष्ट्र-राज्य बन सके थे।

ज्ञातव्य है कि राष्ट्रवादी भावनाएँ मध्यमवर्गीय जर्मन लोगों में घर कर गयी थीं और उन्होंने सन् 1848 ई० में जर्मन महासंघ के विभिन्न भागों को जोड़कर एक निर्वाचित संसद द्वारा शासित राष्ट्र-राज्य बनाने का प्रयत्न किया था। मगर राष्ट्र-निर्माण की यह उदारवादी पहल राजशाही और फौज की शक्ति ने मिलकर दबा दी, जिनका प्रशा के बड़े भूस्वामियों (Junkers) ने भी समर्थन किया। उसके पश्चात् प्रशा ने राष्ट्रीय एकीकरण (UPBoardSolutions.com) के आन्दोलन की बागडोर सँभाली। उसका मन्त्री प्रमुख ऑटोवान बिस्मार्क इसे प्रक्रिया का जनक था, जिसने प्रशा की सेना और नौकरशाही की सहायता ली। सात वर्ष के दौरान ऑस्ट्रिया, डेनमार्क और फ्रांस से तीन युद्धों में प्रशा को विजय प्राप्त हुई और एकीकरण की प्रक्रिया पूरी हुई। जनवरी, 1871 में, वर्साय में हुए एक समारोह में प्रशा के राजा विलियम प्रथम को जर्मनी का सम्राट घोषित किया गया।

जनवरी 18, 1871 ई० को प्रात: कड़ाके की सर्दी पड़ रही थी। ऐसे मौसम में; वर्साय का शीशमहल जो कि पहले से ही बेहद सर्द रहता था; जर्मन राजकुमारों, सेना के प्रतिनिधियों और मन्त्री प्रमुख ऑटोवान बिस्मार्क सहित प्रशा के महत्त्वपूर्ण मन्त्रियों ने एक सभा का आयोजन किया। सभा ने प्रशा के काइजर विलियम प्रथम के नेतृत्व में नये जर्मन साम्राज्य की घोषणा की। प्रशा राज्य की शक्ति के प्रभुत्व के दर्शन जर्मनी में उसके राष्ट्र-निर्माण की प्रक्रिया में हुए। नये राज्य ने जर्मनी की मुद्रा, बैंकिंग और कानूनी तथा न्यायिक व्यवस्थाओं के आधुनिकीकरण पर अधिक जोर दिया और प्रशा द्वारा उठाये गये कदम और उसकी कार्यवाहियाँ शेष जर्मनी के लिए एक मॉडल बने।

UP Board Solutions

प्रश्न 3.
इटली के एकीकरण हेतु क्या प्रयास किये गये ? विस्तार से लिखिए। या इटली के एकीकरण में मेत्सिनी, काबूर और गैरीबाल्डी के योगदान को वर्णन कीजिए। [2014]
           या
इटली के एकीकरण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले तीन नेताओं के नाम लिखिए। [2018]
उत्तर
उन्नीसवीं सदी के मध्य में इटली सात राज्यों में विभक्त था। इसके निर्माण में भी जर्मनी की तरह बहुत-सी मुसीबतें उठायी गयीं। इसे भी राजनीतिक विखण्डन का एक लम्बा इतिहास देखना पड़ा था, जैसा कि जर्मनी में हुआ था। इटली कई वंशानुगत तथा बहुराष्ट्रीय हैब्सबर्ग साम्राज्य में बिखरा पड़ा था। इनमें से केवल सार्डिनिया-पीडमॉण्ट में एक इतालवी राजघराने का शासक था। उत्तरी भाग ऑस्ट्रियाई हैब्सबर्गों के अधीन था, मध्य इलाकों पर पोप का शासन था और दक्षिणी क्षेत्र स्पेन के बूबू राजाओं के अधीन थे। इतालवी भाषा ने भी साझा रूप प्राप्त नहीं किया था और अभी तक उसके विविध क्षेत्रीय और स्थानीय रूप उपस्थित थे।

इटली को एकीकृत कर गणराज्य बनाने में ज्युसेप मेसिनी; जो एक महान् क्रान्तिकारी भी था; ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभायी। उसने सन् 1830 ई० के दशक में एक सुविचारित कार्यक्रम प्रस्तुत किया, जिसके लिए उसने एक गुप्त संगठन यंग इटली नाम से बनाया था। वह अपने विचारों को उक्त संगठन के माध्यम से आम लोगों तक पहुँचाना चाहता था। सन् 1831 ई० और 1848 ई० में क्रान्तिकारी विद्रोह हुए जिनकी असफलता (UPBoardSolutions.com) के कारण इतालवी राज्यों को जोड़ने को उत्तरदायित्व सार्डिनिया-पीडमॉण्ट के शासक विक्टर इमैनुअल द्वितीय पर आ गया। इस क्षेत्र के अभिजात वर्ग की नजरों में एकीकृत इटली उनके लिए आर्थिक विकास और राजनीतिक प्रभुत्व की सम्भावनाएँ उत्पन्न करता था।

मन्त्री प्रमुख काबूर जिसने इटली को एकीकृत करने के लिए आन्दोलन का नेतृत्व किया था, वह न तो क्रान्तिकारी था और न ही जनतान्त्रिक। वह इटली के अन्य धनवान तथा शिक्षित लोगों की तरह फ्रेंच भाषी था। फ्रांस से सार्डिनिया-पीडमॉण्ट की एक चालाक कूटनीतिक सन्धि; जिसके पीछे काबूर का हाथ था; से सार्डिनिया-पीडमॉण्ट 1859 ई० में ऑस्ट्रियाई ताकतों को हरा पाने में कामयाब हुआ।

नियमित सैनिकों के अतिरिक्त ज्युसेपे गैरीबाल्डी के नेतृत्व में भारी संख्या में सशस्त्र स्वयंसेवकों ने इस युद्ध में भाग लिया। सन् 1860 ई० में वे दक्षिण इटली और दो सिसलियों के राज्य में प्रवेश कर गये और स्पेनी शासकों को हटाने के लिए स्थानीय कृषकों का समर्थन प्राप्त करने में सफल रहे।

सन् 1861 ई० में इमैनुअल द्वितीय को एकीकृत इटली का राजा घोषित किया गया। मगर इटली के अधिकतर निवासी जिनमें निरक्षरता की दर पर्याप्त ऊँची थी, अभी भी उदारवादी-राष्ट्रवादी विचारधारा से अनभिज्ञ थे।

UP Board Solutions

प्रश्न 4.
राष्ट्रवाद से क्या तात्पर्य है? यूरोप में राष्ट्रवाद के उदय होने में कौन-सी परिस्थितियाँ सहायक हुईं? उनमें से किन्हीं दो को समझाकर लिखिए। [2018]
           या
राष्ट्रवाद ने राष्ट्रीय गौरव को किस प्रकार उत्तेजित किया ?
           या
यूरोप में राष्ट्रवाद के उदय के क्या कारण थे ?
उत्तर
राष्ट्र की सर्वमान्य परिभाषा नहीं दी जा सकती। राष्ट्र बहुत हद तक एक ऐसा समुदाय होता है जो अपने सदस्यों के सामूहिक विश्वास, भावनाओं, आकांक्षाओं और कल्पनाओं के सहारे एक सूत्र में बँधा होता है। यह कुछ खास मान्यताओं (UPBoardSolutions.com) पर आधारित होता है जिन्हें लोग उस समुदाय के लिए गढ़ते हैं जिससे वे अपनी पहचान कायम करते हैं। राष्ट्र के प्रति यही भावना राष्ट्रवाद’ कहलाती है।
यूरोप में राष्ट्रवाद के उदय ने जनता के हृदय में राष्ट्रीय भावनाएँ उत्पन्न कीं। वे भावनाएँ अग्रलिखित हैं –

1. पुनर्जागरण एवं धर्म-सुधार आन्दोलन – आधुनिक यूरोप के इतिहास में पुनर्जागरण एक युगान्तरकारी घटना थी। सोलहवीं शताब्दी तक समस्त यूरोप में सामन्ती व्यवस्था लागू होने से समस्त समाज त्राहि-त्राहि कर रहा था। रूढ़िवादियों का प्रबल जोर था। चर्च की अपनी राजनीतिक व्यवस्था अलग थी। इन सब दुष्प्रभावों से मानव-जीवन अभिशप्त हो गया था। मनुष्य एक विचारशील प्राणी होने के कारण सामन्तवाद तथा चर्च के बन्धनों से मुक्त होने के उपाय सोचने लगा। तुर्को की कुस्तुनतुनिया विजय ने दार्शनिकों एवं विचारकों को इटली में शरण लेने के लिए। बाध्य किया, जहाँ पर इन विद्वानों को भरपूर संरक्षण प्राप्त हुआ। इसी बौद्धिक वर्ग ने परलोकवाद तथा धर्मवाद के स्थान पर मानववाद का प्रचार किया, जिससे यूरोप में राजनीतिक, धार्मिक, सामाजिक, सांस्कृतिक जीवन में महत्त्वपूर्ण परिवर्तन हुए। यही परिवर्तन यूरोप में राष्ट्रवाद के उदय का कारण बने।

2. व्यापारिक पुनरुत्थान एवं भौगोलिक खोजें – नाविकों द्वारा नये-नये समुद्री मार्गों की खोज ने समस्त यूरोप में एक अप्रत्याशित क्रान्ति ला दी। इन मार्गों के खोज लेने से लोगों को एक-दूसरे के देश में जाने, वहाँ की सभ्यता एवं संस्कृति को समझने (UPBoardSolutions.com) के अवसर प्राप्त हुए। एक-दूसरे देश को आपस में व्यापार करने का अवसर प्राप्त हुआ। आर्थिक स्थिति में भी पर्याप्त सुधार हुआ। इस प्रकार नवीन भौगोलिक खोजों से यूरोपवासी अनेक उन्नत प्राचीन सभ्यताओं के सम्पर्क में आये, जिससे यूरोप में नवीन विचारों का उदय हुआ जो कि राष्ट्रवाद के उदय का एक प्रमुख कारण बना।

3. फ्रांस की क्रान्ति – सन् 1789 ई० में हुई फ्रांस की क्रान्ति विश्व की एक महानतम घटना है। इस क्रान्ति के समय फ्रांस की राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक दशा बड़ी दयनीय थी, जिस कारण देश में असन्तोष तथा अराजकता का वातावरण फैला हुआ था, जो शीघ्र ही क्रान्ति के रूप में फूट निकला। यह क्रान्ति एक ऐसी बाढ़ थी जो अपने साथ अनेक बुराइयों को बहाकर ले गयी। इस क्रान्ति ने यूरोप में राजनीतिक क्रान्ति के साथ-साथ सामाजिक एवं आर्थिक क्रान्ति को जन्म दिया। इस क्रान्ति ने पुरातन व्यवस्था का अन्त कर राष्ट्रीयता की भावना को विकसित किया। इसी से प्रेरित होकर जर्मनी, इटली एवं पोलैण्ड जैसे देशों में राष्ट्रवाद का विकास हुआ।

4. नेपोलियन के प्रशासनिक सुधार – हालाँकि नेपोलियन बाद में फ्रांस का तानाशाह बन गया था। लेकिन प्रारम्भ में उसने फ्रांस का नक्शा ही बदलकर रख दिया। उसने प्रशासनिक क्षेत्र में क्रान्तिकारी सिद्धान्तों का समावेश किया, जिससे पूरी व्यवस्था अधिक तर्कसंगत एवं कुशल बन सके। सन् 1804 ई० की नागरिक संहिता; जिसे आमतौर पर नेपोलियन संहिता के नाम से जाना जाता था; ने जन्म पर आधारित विशेषाधिकार समाप्त कर दिये थे। उसने कानून के समक्ष समानता और सम्पत्ति के अधिकार को सुरक्षित बनाया। नेपोलियन ने सामन्ती व्यवस्था को समाप्त कर दिया, किसानों को भू-दासत्व और जागीरदारी शुल्कों से मुक्ति दिलायी। नेपोलियन के समय में ही कारीगरों पर श्रेणी-संघों के नियन्त्रणों को हटा दिया गया, यातायात और संचार-व्यवस्थाओं को सुधारा गया। इससे किसानों, कारीगरों, (UPBoardSolutions.com) मजदूरों और नये उद्योगपतियों ने नयी आजादी का आनन्द उठाया। नेपोलियन के प्रशासनिक सुधारों के कारण एकीकरण की प्रक्रिया आरम्भ हुई। विदेशी शासन के विरुद्ध उसके राष्ट्रवादी एवं राष्ट्रव्यापी युद्धों का भी राष्ट्रवाद के उदय में विशेष योगदान है।

5. बौद्धिक क्रान्ति – अठारहवीं सदी की बौद्धिक क्रान्ति से भी राष्ट्रीयता की भावना को अत्यधिक बल मिला। इस काल में चिन्तन का केन्द्र मनुष्य था। मानववादी होने के कारण चिन्तनकर्ताओं ने मानव की गरिमा, उसके अधिकारों एवं आदर्शों को प्राथमिकता दी। बौद्धिक क्रान्ति की जागृति उत्पन्न करने वालों में रूसो, मॉण्टेस्क्यू तथा वाल्टेयर जैसे महान् दार्शनिक तथा दिदरो एवं क्वेसेन जैसे महान् लेखक थे। इनके विचारों का यूरोप की जनता पर भारी प्रभाव पड़ा जो कि राष्ट्रवाद के उदय का एक प्रमुख कारण था।

6. औद्योगिक क्रान्ति – उन्नीसवीं शताब्दी के आरम्भिक दशकों में औद्योगिक क्रान्ति के कारण पूँजीवाद का आधार तैयार हुआ। पूँजीवाद के विकास से यूरोपीय साम्राज्यवाद में बदलाव आया और अन्तत: राष्ट्रवादी प्रवृत्तियों का उद्भव हुआ।

UP Board Solutions

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
फ्रांसीसी क्रान्ति ने यूरोप में राष्ट्रवाद को किस प्रकार प्रभावित किया?
उत्तर
फ्रांसीसी क्रान्ति का यूरोप में राष्ट्रवाद पर प्रभाव

फ्रांस की क्रान्ति ने यूरोप में राजनीतिक क्रान्ति के साथ-साथ (UPBoardSolutions.com) सामाजिक एवं आर्थिक क्रान्ति को जन्म दिया। इस क्रान्ति ने प्राचीन व्यवस्था को समाप्त कर दिया और राष्ट्रीयता की भावना को विकसित किया। इसी से प्रेरित होकर जर्मनी, इटली और पोलैण्ड जैसे देशों में राष्ट्रवाद का विकास हुआ।

प्रश्न 2.
बौद्धिक क्रान्ति ने किस प्रकारे राष्ट्रवाद को बढ़ावा दिया?
उत्तर
बौद्धिक क्रान्ति से राष्ट्रवाद को बढ़ावा

18वीं सदी की बौद्धिक क्रान्ति से भी राष्ट्रवाद की भावना को अत्यधिक बल मिला। इस काल में चिन्तन का केन्द्र मनुष्य था। मानववादी होने के कारण चिन्तनकर्ताओं ने मानव की गरिमा, उसके अधिकारों एवं आदर्शों को प्राथमिकता दी।

UP Board Solutions

प्रश्न 3.
राष्ट्रवाद विश्व शान्ति के लिए किस प्रकार खतरा बन गया?
उत्तर
राष्ट्रवाद विश्व शान्ति के लिए खतरा

राष्ट्रवाद ने जर्मनी जैसे राष्ट्रों को अत्यधिक महत्त्वाकांक्षी बना दिया। यह महत्त्वाकांक्षा विश्व शान्ति के लिए। खतरा बनती चली गई। प्रत्येक राष्ट्र के लोग अपनी सभ्यता, संस्कृति, आचार-विचार को दूसरे राष्ट्र से अति श्रेष्ठ समझने लगे। विश्व के बड़े-बड़े राष्ट्र (UPBoardSolutions.com) छोटे-छोटे राज्यों पर हावी होने लगे। राष्ट्रवाद ने जर्मन, फ्रांस आदि देशों के अलावा बाल्कन व प्रायद्वीप के यूनान, सर्बिया आदि छोटे-छोटे देशों को भी प्रभावित किया। राष्ट्रवाद की इस लहर में दूसरे देशों के हितों का ध्यान नहीं रखा गया। विश्व के प्रत्येक राष्ट्र ने सिर्फ अपनी सम्पन्नता और शक्ति के बारे में ही सोचना शुरू कर दिया। इससे औपनिवेशिक प्रतियोगिता शुरू हो गई और यह औपनिवेशिक प्रतियोगिता विश्व शान्ति के लिए एक खतरा बन गई।

प्रश्न 4
फ्रांस और प्रशा के मध्य युद्ध का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत कीजिए। [2012]
उत्तर.
फ्रांस-प्रशा का युद्ध( 1870-71 ई०)-जर्मनी के एकीकरण का अन्तिम सोपान फ्रांस तथा प्रशा के मध्य युद्ध था। बिस्मार्क यह भली प्रकार समझ चुका था कि एक दिन प्रशो को फ्रांस के साथ अवश्य युद्ध करना पड़ेगा। इसीलिए उसने ऑस्ट्रिया के साथ उदारतापूर्ण व्यवहार किया था। फ्रांस की प्रतिनिधि सभा ने 19 जुलाई, 1870 ई० को प्रशा के विरुद्ध युद्ध की घोषणा कर दी।
युद्ध के परिणाम – इस युद्ध के निम्नलिखित परिणाम हुए

  1. इस युद्ध में फ्रांस की पराजय ने इटली के एकीकरण को पूर्ण कर दिया।
  2. इस युद्ध के परिणामस्वरूप नेपोलियन तृतीय के साम्राज्य का पतन हो गया और फ्रांस में तृतीय गणतन्त्र की स्थापना हुई।
  3. इस युद्ध का लाभ उठाकर रूस के जार ने काले सागर पर (UPBoardSolutions.com) अपना प्रभुत्व स्थापित कर लिया।
  4. प्रशा के नेतृत्व में जर्मनी का एकीकरण पूरा हो गया और जर्मन साम्राज्य का सम्राट कैसर विलियम प्रथम को बनाया गया।
  5. जर्मन साम्राज्य के लिए एक नवीन संविधान का निर्माण किया गया, जिसमें दो सदनों वाली व्यवस्थापिका सभा की व्यवस्था की गई। इसका पहला सदन बुन्देसराट और दूसरा सदन ‘राईखस्टैग कहलाता था।
  6. इस युद्ध ने यूरोप की दीर्घकालीन क्रान्ति को भंग कर दिया और इसी युद्ध के कारण भविष्य में अनेक युद्धों की भूमिका तैयार हो गई।

UP Board Solutions

प्रश्न 5.
यूरोपीयन राष्ट्रवाद से आप क्या समझते हैं ? [2013]
उत्तर
राष्ट्रवाद एक सांस्कृतिक तथा आध्यात्मिक भावना है जो लोगों को एकता के सूत्र में बाँधती है। यह एक ऐसी सामूहिक भावना है जो एक भूभाग में रहने वाले विभिन्न लोगों को एक राजनीतिक संगठन का सदस्य बने रहने की प्रेरणा देती है और अपने देश से प्रेम करना भी सिखाती है।

फ्रांस में नेपोलियन के पश्चात् यूरोपीय राजनीतिज्ञों ने राष्ट्रवाद की उपेक्षा की, किन्तु इस भावना को वे पूर्णत: दबा नहीं सके। कालान्तर में राष्ट्रीयता के आधार पर ही यूरोप में इटली तथा जर्मनी जैसे राष्ट्रवादी राज्यों का विकास हुआ। नेपोलियन पहला व्यक्ति था जिसने इटली तथा जर्मनी के एकीकरण का मार्ग प्रशस्त किया था।

इन दोनों देशों में एक ही राष्ट्रीयता के लोग राजनीतिक (UPBoardSolutions.com) सीमाओं द्वारा विभाजित थे। यूरोप में शुरू होने के कारण ही इसे यूरोपीयन राष्ट्रवाद कहते हैं।

अविलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
जर्मनी के एकीकरण का नेतृत्व किसने किया ?
उत्तर
जर्मनी के एकीकरण का नेतृत्व ऑटोवान बिस्मार्क ने किया।

प्रश्न 2.
फ्रांसीसी क्रान्ति के प्रमुखतम सुधार कौन-कौन से थे ?
उतर
फ्रांसीसी क्रान्ति के मुख्य सुधार निम्नलिखित थे –

  1. यूरोपीय देशों में लोकतान्त्रिक सिद्धान्तों का प्रसार हुआ।
  2. इस क्रान्ति ने सदियों से चली (UPBoardSolutions.com) आ रही यूरोप की पुरातन सामन्ती व्यवस्था का अन्त कर दिया।

UP Board Solutions

प्रश्न 3.
बिस्मार्क कौन था? उसकी सबसे बड़ी उपलब्धि क्या थी? [2017]
उत्तर
बिस्मार्क एक महान कूटनीतिज्ञ था। उसकी सबसे बड़ी उपलब्धि जर्मनी का एकीकरण थी।

प्रश्न 4.
इटली के एकीकरण में किसने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभायी ?
उत्तर
इटली के एकीकरण में ज्युसेपे मेत्सिनी ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभायी।

बहुविकल्पीय प्रश्न

1. एक राष्ट्र को दूसरे राष्ट्र से अलग करने वाले प्रतीक हैं

(क) सीमा
(ख) भाषा
(ग) संस्कृति एवं सम्प्रभुता
(घ) ये सभी

2. राष्ट्रवादी भावना के विकास में सहायक तत्त्व थे

(क) औद्योगिक क्रान्ति
(ख) पुनर्जागरण
(ग) फ्रांस की क्रान्ति
(घ) ये सभी

3. जर्मनी के एकीकरण के बाद वहाँ का सम्राट बना,

(क) विलियम प्रथम
(ख) विलियम द्वितीय
(ग) विलियम तृतीय
(घ) विलियम चतुर्थ

UP Board Solutions

4. गैरीबाल्डी सम्बन्धित था? (2015, 16)

(क) इटली के एकीकरण से (UPBoardSolutions.com)
(ख) जर्मनी के एकीकरण से
(ग) अमेरिका के स्वतन्त्रता संग्राम से
(घ) रूस की राज्य क्रान्ति से

उत्तरमाला

UP Board Solutions for Class 10 Social Science Chapter 7 यूरोप में राष्ट्रवाद का विकास 1

Hope given UP Board Solutions for Class 10 Social Science Chapter 7 are helpful to complete your homework.

If you have any doubts, please comment below. UP Board Solutions try to provide online tutoring for you.

 

Leave a Comment