UP Board Solutions for Class 11 Home Science Chapter 13 व्यक्तिगत उत्तरदायित्व

UP Board Solutions for Class 11 Home Science Chapter 13 व्यक्तिगत उत्तरदायित्व (Individual Responsibility)

UP Board Solutions for Class 11 Home Science Chapter 13 व्यक्तिगत उत्तरदायित्व

UP Board Class 11 Home Science Chapter 13 विस्तृत उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
स्वास्थ्य रक्षा की दृष्टि से समाज के प्रति प्रत्येक व्यक्ति का क्या कर्त्तव्य है? समझाकर लिखिए।
अथवा
समाज के प्रति एक जागरूक नागरिक के उत्तरदायित्वों का सविस्तार वर्णन कीजिए।
अथवा
एक अच्छे नागरिक के उत्तरदायित्वों का विस्तार से वर्णन कीजिए।
अथवा
टिप्पणी लिखिए-व्यक्तिगत उत्तरदायित्व।
उत्तरः
मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। मनुष्यों से ही मिलकर समाज बना है और समाज के अनुरूप ही व्यक्ति का व्यक्तित्व विकसित होता है; अत: व्यक्ति के भी समाज के प्रति अनेक कर्त्तव्य होने स्वाभाविक ही हैं। दूसरी ओर समाज के भी व्यक्ति के प्रति अनेक कर्त्तव्य हैं। इस प्रकार, व्यक्ति और समाज दोनों एक-दूसरे पर निर्भर रहते हैं। जिस समाज में जितने अधिक लोग अपने कर्तव्यों का पालन करते हैं, वह समाज उतना ही सुदृढ़, स्वस्थ, सम्पन्न तथा उन्नतिशील रहता है। दूसरी ओर, यदि व्यक्ति समाज के प्रति अपने कर्त्तव्यों का पालन नहीं करता है, तो उसका प्रभाव समाज के सभी सदस्यों पर पड़ता है। इसलिए अपने सुख और शान्ति तथा उन्नति के लिए हमें समाज के प्रति अपने कर्तव्यों का पालन बड़ी सतर्कता तथा तत्परता से करना चाहिए।

समाज के प्रति व्यक्ति के कर्तव्य (Duties of a Person towards Society) –
मनुष्य स्वस्थ और सुखी रहे, इस बात का ध्यान रखकर ही समाज अपने नियम बनाता है परन्तु नियमों का पालन या उल्लंघन करना व्यक्ति का काम होता है। जहाँ समाज के सभी लोग नियम पालन करते हैं वहाँ समाज का कार्य शान्तिपूर्वक चलता है। यदि समाज के कुछ व्यक्ति भी समाज के नियम भंग करते हैं, तो उसका प्रभाव पूरे समाज पर प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से पड़ता है। स्वास्थ्य की दृष्टि से भी प्रत्येक व्यक्ति के समाज के प्रति कुछ कर्त्तव्य हैं। इन कर्त्तव्यों का पालन हमें अपने सुख के लिए ही नहीं, समाज के लिए भी करना आवश्यक होता है। ये कर्त्तव्य निम्नलिखित हैं –

(1) स्वच्छता या सफाई का मानव-जीवन में महत्त्वपूर्ण स्थान है। स्वयं को तथा अपने अन्य साथियों या समाज को स्वस्थ बनाए रखने के लिए सफाई का ध्यान रखना आवश्यक है। साफ-सुथरा स्थान, कपड़े और साफ-सुथरे व्यक्ति सभी को अच्छे और आकर्षक लगते हैं। व्यक्तिगत स्वच्छता का ध्यान रखकर हम केवल अपने को ही स्वस्थ और सुखी नहीं रखते बल्कि समाज को स्वस्थ और सुखी रखने के लिए भी यह अत्यन्त आवश्यक है। अपने निवास-स्थान की सफाई के साथ-साथ पास-पड़ोस और अपने शहर की सफाई को भी ध्यान में रखकर प्रत्येक कार्य करना चाहिए।

(2) कुएँ, तालाब, नदी इत्यादि के सम्बन्ध में इस बात का ध्यान रखना आवश्यक है कि इनके आस-पास गन्दे कपड़ों को धोकर, मल-मूत्र त्यागकर या कूड़ा इत्यादि डालकर जल को अशुद्ध और अस्वास्थ्यकर न बनाएँ।

(3) प्रत्येक व्यक्ति का कर्त्तव्य है कि वह अपने क्षेत्र में टूटी सड़कों की सूचना नगर महापालिका को अवश्य दे। यदि कहीं कोई मृत जानवर पड़ा हो तो उसकी सूचना भी सम्बन्धित कार्यालय में दे देनी चाहिए।

(4) समाज के बनाए हुए सड़क के नियमों का पालन करके दुर्घटनाओं से बचाव करें।

(5) यदि अपने घर या पास-पड़ोस में कोई संक्रामक रोग फैला हो, तो रोगी को अन्य लोगों से पृथक् रखने की व्यवस्था और स्वास्थ्य विभाग को सूचना भेजकर टीका आदि लगवाने का प्रबन्ध करना अति आवश्यक है। यदि रोगी को अस्पताल भेजना आवश्यक हो, तो उसको वहाँ भेजकर समाज के अन्य लोगों के स्वस्थ रहने में सहायता करनी चाहिए।

(6) घर के बाहर मैदान में या सड़क के किनारे मल-मूत्र त्यागकर गन्दगी करने से वातावरण दूषित होता है। ऐसा न करें और यदि दूसरे लोगों को इस प्रकार की गन्दगी करते देखें तो उन्हें भी स्वच्छता का महत्त्व समझाकर वैसा करने के लिए मना करना पर्यावरण को बचाने के लिए आवश्यक है।

(7) जब कोई संक्रामक रोग का रोगी ठीक हो जाए तो उसके कपड़े सीधे धोबी को न देकर वस्त्रों को पहले नि:संक्रामक पदार्थों के साथ उबालें तब उन्हें धोबी को देने चाहिए। उसके सभी सामान तथा कमरे की सफाई आदि के लिए नि:संक्रामक पदार्थों का भी प्रयोग आवश्यक है।

(8) जहाँ कहीं धूम्रपान वर्जित हो वहाँ बीड़ी-सिगरेट कदापि नहीं पीनी चाहिए। यदि दूसरे व्यक्ति ऐसा करते हैं तो उन्हें समझाना तथा धूम्रपान न करने के लिए बाध्य करना आवश्यक है।

(9) मेले या नुमाइश इत्यादि में जाने पर सफाई का पूर्ण ध्यान रखना चाहिए और टीका इत्यादि लगवाकर ही जाना चाहिए। अन्य व्यक्तियों को भी इसके लिए प्रेरित करना चाहिए।

(10) यदि अपना स्वास्थ्य खराब हो तो अन्य लोगों को अपने से बचाने वाले नियमों का पालन करना चाहिए।

इस प्रकार, जब प्रत्येक व्यक्ति सम्पूर्ण समाज को अपना परिवार समझकर स्वास्थ्य के नियमों का पालन करना तथा कराना अपना उत्तरदायित्व समझेगा तथा तदनुरूप पालन करेगा तभी जन-स्वास्थ्य में सुधार हो सकेगा।

UP Board Class 11 Home Science Chapter 13  लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
जन-स्वास्थ्य से क्या तात्पर्य है?
उत्तरः
जन-स्वास्थ्य से तात्पर्य –
‘जन-स्वास्थ्य’ का अर्थ जनता का स्वस्थ होना माना जाता है। जिस देश या समाज में जितने अधिक व्यक्तियों का स्वास्थ्य उत्तम होता है वह देश या समाज उतनी ही अधिक उन्नत अवस्था को प्राप्त करता है। अतः जन-स्वास्थ्य पर प्रत्येक व्यक्ति को ध्यान देना आवश्यक है। समाज के एक-एक व्यक्ति को जब स्वास्थ्य के नियमों का ज्ञान होगा तभी अधिकांश लोग अपने को स्वस्थ रख सकेंगे। अपने हित और स्वास्थ्य लाभ के साथ ही हमें यह भी ध्यान रखना चाहिए कि समाज के अन्य लोगों को हमारे व्यवहार या कार्यों से दुःख या हानि न पहुँचे।

उदाहरणार्थ-प्राय: यह देखा जाता है कि अपने स्वास्थ्य और अपने निवास स्थान को साफ-सुथरा और अच्छा बनाने की दृष्टि से हम अपनी और अपने घर की सफाई तो करते हैं, परन्तु घर की गन्दगी को बाहर निकालकर लापरवाही से डाल देते हैं। इस कारण समाज के अन्य लोगों को हानि उठानी पड़ती है। अतः इस बात के लिए विशेष रूप से सतर्क होना चाहिए कि हमें ऐसा कार्य या व्यवहार करना है जिससे सम्पूर्ण समाज के लोगों का स्वास्थ्य ठीक रहे।

वास्तव में, व्यक्तिगत स्वास्थ्य तथा जन-स्वास्थ्य एक-दूसरे पर निर्भर करते हैं। व्यक्तियों के अस्वस्थ होने से जन-स्वास्थ्य को खतरा होने लगता है तथा जन-स्वास्थ्य का स्तर गिरने से स्वस्थ व्यक्ति के स्वास्थ्य को भी खतरा उत्पन्न हो जाता है।

प्रश्न 2.
जन-स्वास्थ्य की उन्नति के लिए शासन द्वारा किए जाने वाले उपायों का उल्लेख कीजिए।
उत्तरः
जन-स्वास्थ्य की उन्नति हेतु शासन द्वारा किए जाने वाले उपाय –
जनता के स्वास्थ्य को अच्छा बनाने के लिए शासन की ओर से अनेक उपाय किए जाते हैं। इनमें से कुछ उपाय शासन स्वयं करता है जबकि अन्य को नगरपालिकाओं, महानगरपालिकाओं, नगर पंचायतों आदि स्थानीय संस्थाओं के माध्यम से कराता है। यही नहीं, इस ओर स्वतन्त्र सामाजिक संस्थाओं का योगदान अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है। सम्पूर्ण समाज का स्वास्थ्य ठीक रखने के लिए शासन द्वारा किए जाने वाले उपायों में निम्नलिखित उपाय महत्त्वपूर्ण हैं –

  • अनिवार्य शिक्षा-शासन बालकों के लिए अनिवार्य शिक्षा की व्यवस्था करता है ताकि वे ज्ञान अर्जित कर स्वास्थ्य के नियमों को समझ सकें तथा उनके अनुरूप उन्हें कार्य करने की प्रेरणा प्राप्त हो सके।
  • प्रौढ़ शिक्षा-बच्चों के साथ-साथ प्रौढ़ों को शिक्षित करना भी राज्य अपना कर्त्तव्य समझता है। प्रौढ़ शिक्षा के अन्तर्गत स्वास्थ्य सम्बन्धी उपयोगी जानकारी अनिवार्य रूप से प्रदान की जाती है।
  • चलते-फिरते तथा स्थायी पुस्तकालयों का विकास-जन-स्वास्थ्य के नियमों को समझाने हेतु विभिन्न स्थानों पर साहित्य उपलब्ध कराने के लिए इस प्रकार के पुस्तकालय आदि आवश्यक हैं। इन स्थानों पर नागरिकों को आपस में विचार-विनिमय के लिए भी अवसर मिलना चाहिए। राज्य ऐसे पुस्तकालयों की स्थापना एवं संचालन का प्रबन्ध करता है।
  • स्वास्थ्य के नियमों का प्रचार-राज्य द्वारा महामारी एवं संक्रामक रोगों की जानकारी और रोकथाम, स्वास्थ्य के सामान्य नियमों आदि का रेडियो, टेलीविजन, पत्र-पत्रिकाओं, पोस्टरों आदि के माध्यम से व्यापक प्रचार किया जाता है।
  • परिवार कल्याण योजनाओं का क्रियान्वयन राज्य सुखी व स्वस्थ जीवन के लिए परिवार नियोजन का प्रचार-प्रसार करता है और शिशु व माता के कल्याण के लिए प्रसूतिका गृहों का निर्माण तथा उचित चिकित्सा हेतु परामर्श के साधन उपलब्ध कराता है।
  • चिकित्सा व्यवस्था और स्वास्थ्य संस्थाएँ बनाना-शासन द्वारा जन-जन को उचित चिकित्सा परामर्श तथा उपर्युक्त कार्यों के क्रियान्वयन के लिए विशेष स्वास्थ्य संस्थाओं का जाल शासन द्वारा सम्पूर्ण देश में फैलाया गया है।

प्रश्न 3.
व्यक्ति को अपने स्वास्थ्य और सुख के सम्बन्ध में किन-किन बातों को ध्यान में रखना आवश्यक होता है?
उत्तरः
व्यक्ति को अपने स्वास्थ्य और सुख के लिए विशेष ध्यान देना आवश्यक होता है क्योंकि स्वास्थ्य और सुख का परस्पर घनिष्ठ सम्बन्ध है और स्वास्थ्य ऐसी वस्तु है जो प्रत्येक व्यक्ति के लिए अनमोल सम्पत्ति है। संसार की समस्त सम्पत्ति खोने के बाद पुन: प्राप्त हो सकती है परन्तु खोया हुआ स्वास्थ्य किसी भी प्रयास द्वारा पुनः प्राप्त करना असम्भव नहीं तो कठिन अवश्य हो जाता है। अपने को स्वस्थ और सुखी बनाए रखने के लिए व्यक्ति को अनेक बातों का ध्यान रखना आवश्यक होता है। अच्छे स्वास्थ्य के लिए स्वच्छता, समय, निष्ठा तथा नियम पालन करना आवश्यक है।

स्वच्छता अच्छे स्वास्थ्य की कुंजी है। किसी एक स्थान की गन्दगी भी स्वास्थ्य को खराब करने के लिए पर्याप्त होती है। प्रत्येक व्यक्ति को अपने शरीर, वस्त्र, भोजन, घर और खाने-पीने की समस्त चीजों तथा पास-पड़ोस की सफाई का ध्यान रखना आवश्यक होता है।

अच्छे स्वास्थ्य के लिए नियमित जीवन व्यतीत करना; जैसे—प्रात: जल्दी उठना, शौच इत्यादि से निवृत्त होकर टहलना या व्यायाम करना, थोड़ा आराम करके स्नान करना, फिर ताजा शुद्ध नाश्ता लेकर अपने कार्य में लगना, समय से विश्राम और कार्य करने के साथ नियत समय पर पौष्टिक, हल्का, ताजा भोजन करना इत्यादि आवश्यक होता है।

परिश्रम और लगन से काम करने के साथ जीवन में सन्तोष रखना ही अच्छे स्वास्थ्य के लिए आवश्यक होता है। सन्तोष के साथ कर्त्तव्य-पथ पर चलने वाला व्यक्ति सदैव प्रसन्न रहता है। इस प्रकार हम देखते हैं कि एक व्यक्ति को अपने स्वास्थ्य और सुख के सम्बन्ध में उन सभी कर्त्तव्यों को ध्यान में रखना चाहिए जिनके आधार पर उसका अपना स्वास्थ्य और जीवन सुखी बनता है। स्वास्थ्य के सम्बन्ध में मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य दोनों का ध्यान आवश्यक होता है। मन और शरीर दोनों से सन्तुष्ट व्यक्ति ही सुखी रह सकता है।

प्रश्न 4.
संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए-‘स्वास्थ्य के नियमों का प्रचार कार्य।’
उत्तरः
स्वास्थ्य के नियमों का प्रचार कार्य –
स्वास्थ्य के मुख्य नियमों का पालन व्यक्ति एवं समाज के स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है। आज के वैज्ञानिक युग में भी अधिकांश भारतीय स्वास्थ्य के नियमों से भली-भाँति परिचित नहीं हैं। अतएव सार्वजनिक हितों को ध्यान में रखते हुए स्वास्थ्य के नियमों का व्यापक स्तर पर प्रचार कार्य अनिवार्य है।

स्वास्थ्य के नियमों का प्रचार कार्य विभिन्न स्तरों पर विभिन्न माध्यमों द्वारा किया जा सकता है। व्यापक स्तर पर यह कार्य सरकारी प्रचार तन्त्र के माध्यमों से किया जाता है। स्वास्थ्य विभाग निरन्तर रूप से यह कार्य करता रहता है। इसके लिए जन-सम्पर्क के समस्त साधनों का प्रयोग किया जाता है। पत्र-पत्रिकाओं में समय-समय पर लेख एवं विज्ञापन देकर, स्वास्थ्य विभाग द्वारा स्वास्थ्य सम्बन्धी प्रदर्शनियों आदि का आयोजन करके, अनेक प्रकार से यह प्रचार कार्य सम्पन्न किया जा सकता है।

सरकारी क्षेत्र के अतिरिक्त निजी एवं सामाजिक क्षेत्रों में भी स्वास्थ्य नियमों के प्रचार का कार्य किया जा सकता है। सभी सामाजिक संस्थाओं को चाहिए कि वे अन्य कार्यों के साथ-साथ जनता को स्वास्थ्य के नियमों से भी अवगत कराएँ। इसके अतिरिक्त, प्रत्येक व्यक्ति भी अपने स्तर पर यह कार्य कर सकता है। अपने पास-पड़ोस में स्वास्थ्य सम्बन्धी नियमों का प्रचार करना प्रत्येक व्यक्ति का कर्तव्य है। इस क्षेत्र में शिक्षा संस्थाएँ महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं। समय-समय पर लगने वाले कैम्पों द्वारा ग्रामीण जनता को स्वास्थ्य के नियमों से अवगत कराया जाना चाहिए। इसके अतिरिक्त, ग्राम पंचायतों के माध्यम से ग्रामीण जनता को स्वास्थ्य के नियमों से अवगत कराया जा सकता है।

UP Board Class 11 Home Science Chapter 13 अति लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
जन-स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से व्यक्ति का प्रमुख कर्त्तव्य क्या है?
उत्तरः
जन-स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से व्यक्ति का प्रमुख कर्त्तव्य है-पर्यावरण को साफ-सुथरा तथा प्रदूषण-रहित रखना।

प्रश्न 2.
जन-स्वास्थ्य से क्या आशय है?
उत्तरः
जन-साधारण के सामान्य स्वास्थ्य को ‘जन-स्वास्थ्य’ कहा जाता है।

प्रश्न 3.
जन-स्वास्थ्य का व्यक्तिगत स्वास्थ्य से क्या सम्बन्ध है?
उत्तरः
जन-स्वास्थ्य तथा व्यक्तिगत स्वास्थ्य परस्पर घनिष्ठ रूप से सम्बन्धित हैं। ये एक-दूसरे पर निर्भर करते हैं।

प्रश्न 4.
जन-स्वास्थ्य के मुख्य नियम क्या हैं?
उत्तरः

  • खाँसने एवं छींकने में सावधानी रखें,
  • जहाँ-तहाँ न थूकें,
  • मल-मूत्र त्याग करने में सावधानी रखें तथा
  • जहाँ-तहाँ कूड़ा-करकट न फेंकें।

UP Board Class 11 Home Science Chapter 13 बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर

निर्देश : निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर में दिए गए विकल्पों में से सही विकल्प का चयन कीजिए.
1. व्यक्ति के समाज के प्रति कर्त्तव्य हैं
(क) हर प्रकार की सफाई का ध्यान रखें
(ख) संक्रामक रोगों की रोकथाम में सहयोग दें
(ग) सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान न करें
(घ) उपर्युक्त सभी कर्त्तव्य।
उत्तर
(घ) उपर्युक्त सभी कर्त्तव्य।

2. व्यक्तिगत स्वास्थ्य तथा जन-स्वास्थ्य का सम्बन्ध है –
(क) कोई सम्बन्ध नहीं है
(ख) व्यक्तिगत स्वास्थ्य ही महत्त्वपूर्ण है
(ग) दोनों में घनिष्ठ सम्बन्ध है
(घ) जनस्वास्थ्य ही महत्त्वपूर्ण है।
उत्तर
(ग) दोनों में घनिष्ठ सम्बन्ध है।

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