UP Board Solutions for Class 11 Pedagogy Chapter 20 Mental Development

UP Board Solutions for Class 11 Pedagogy Chapter 20 Mental Development (मानसिक विकास) are the part of UP Board Solutions for Class 11 Pedagogy. Here we have given UP Board Solutions for Class 11 Pedagogy Chapter 20 Mental Development (मानसिक विकास).

Board UP Board
Textbook NCERT
Class Class 11
Subject Pedagogy
Chapter Chapter 20
Chapter Name Mental Development (मानसिक विकास)
Number of Questions Solved 21
Category UP Board Solutions

UP Board Solutions for Class 11 Pedagogy Chapter 20 Mental Development (मानसिक विकास)

विस्तृत उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1
मानसिक विकास से आप क्या समझते हैं? मानसिक विकास की मुख्य विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
या
मानसिक विकास से आप क्या समझते हैं? मानसिक विकास का शिक्षा में क्या महत्त्व है? अच्छी तरह समझाइए।
उत्तर:

मानसिक विकास का अर्थ
(Meaning of Mental Development)

विकास के एक पक्ष को मानसिक विकास’ कहा जाता है। मानसिक विकास के अन्तर्गत बालक की विभिन्न मानसिक क्षमताओं का क्रमशः विकास होता है। मानसिक विकास के परिणामस्वरूप बालक के व्यवहार में भी उल्लेखनीय परिवर्तन होता है। मानसिक विकास एक सतत प्रक्रिया है। विकास की सभी अवस्थाओं में यह अनवरत् रूप से चलती है। पहले वर्ष से ही उत्तरोत्तर मानसिक विकास में निरन्तर प्रगति होती रहती है। चिन्तन, भाषा तथा कल्पना मानसिक विकास को प्रभावित करती हैं। आन्तरिक अवस्था में चिन्तन, विचार ग्रहण, स्थान, समय, भार तथा दूरी
आदि के प्रत्यय द्वारा मानसिक विकास होता है। मानसिक विकास एवं शिक्षा का पारस्परिक घनिष्ठ सम्बन्ध है। एक ओर सुचारु शिक्षा के लिए समुचित मानसिक विकास अनिवार्य शर्त है तो दूसरी ओर यह भी सत्य है। कि शिक्षा के माध्यम से बालक का मानसिक विकास सुचारु बनता है।

मानसिक विकास की प्रमुख विशेषताएँ
(Major Features of Mental Development)

बालक के मानसिक विकास की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं

1. शिशु की आयु-वृद्धि के साथ ही मानसिक विकास होने लगता है। नवजात शिशु तीन-चार माह तक संवेगात्मक अवस्था में रहता है। वह केवल भूख, प्यास, ताप, शीत, शोरगुल आदि का ही अनुभव करती है। 4 माह के बाद शिशु के अन्दर प्रत्यक्षीकरण की क्रिया आरम्भ हो जाती है। उसे वातावरण का ज्ञान होने लगता है और वह वस्तुओं को देखकर पहचानने लगता है। इसी समय उसके शब्द भण्डार में भी वृद्धि होने लगती है।

2. दो वर्ष बाद बालक अपनी स्मृति की सहायता से विश्व की प्रत्येक वस्तु को पहचानने लगता है। बाद में उसमें अमूर्त चिन्तन होने लगता है और उसमें प्रत्ययों का भी निर्माण होने लगता है। वह अपने माता-पिता, परिवार के भाई-बहनों व अन्य प्रियजनों को पहचानने लगता है और उन्हें सम्बोधित भी करने लगता है। इसी अवस्था में उसे भाषा का ज्ञान होता है।

3. मानसिक विकास के साथ बालकों की कल्पना-शक्ति विकसित होती है। वह अपनी इच्छाओं को ध्वनि, प्रतीक, शब्दों और धीरे-धीरे वाक्यों में अभिव्यक्त करने लगता है।

4. बुद्धि का विकास मानसिक विकास का एक महत्त्वपूर्ण चरण है। टरमन के अनुसार 15 वर्ष, जीन्स (Jeans) के अनुसार 16 वर्ष और फ्रीमेन के अनुसार 20 वर्ष में बुद्धि परिपक्व होती है। लेकिन माइल्स ने बुद्धि की पूर्ण परिपक्वता 28 वर्ष की आयु में मानी है।

5. मानसिक विकास सभी अवस्थाओं में एकसमान नहीं होता है। किशोरावस्था में तीव्रता से मापक विकास होता है।
6. मानसिक विकास के अन्तर्गत मन के चेतन और अचेतन दोनों पक्षों का विकास होता है।
7. बालिकाओं का विकास बालकों से एक वर्ष पूर्व होता है।
8. शारीरिक, मानसिक और संवेगात्मक विकास एक-दूसरे पर अपना प्रभाव डालते हैं।
9. शारीरिक विकास के समान मानसिक विकास में भी वैयक्तिक भिन्नता होती है।
10. सिर पर आघात लगने से मानसिक विकास में अवरोध आ जाता है और मानसिक रोग तक उत्पन्न हो। जाते हैं।

11. मानसिक विकास के फलस्वरूप ही व्यक्ति अतीत के अनुभवों से लाभ उठाने में समर्थ होता है।
मानसिक विकास का शिक्षा में महत्त्व-मानसिक विकास तथा शिक्षा का पारस्परिक घनिष्ठ सम्बन्ध है। समुचित मानसिक विकास होने पर ही शिक्षा की प्रक्रिया सुचारु रूप से चल सकती है। वास्तव में बालक के मानसिक विकास के स्तर के अनुकूल ही शिक्षा का स्तर होना चाहिए। जैसे-जैसे मानसिक विकास हो वैसे-वैसे शिक्षा के स्तर में वृद्धि की जानी चाहिए। बालक के मानसिक विकास के अनुकूल पाठ्यक्रम का निर्धारण किया जाना चाहिए तथा उसी के अनुकूल शिक्षण विधियों को अपनाया जाना चाहिए। शिक्षा के लिए पाठ्य-पुस्तकों तथा पाठ्य-सहगामी गतिविधियों का निर्धारण भी बालकों के मानसिक विकास के स्तर के अनुसार ही होना चाहिए। इस प्रकार स्पष्ट है कि शिक्षा की व्यवस्था मानसिक विकास के स्तर के अनुसार ही होनी चाहिए। वैसे यह भी सत्य है कि उचित शिक्षा-व्यवस्था के माध्यम से मानसिक-विकास में भी योगदान प्राप्त होता है।

प्रश्न 2
मानसिक विकास को प्रभावित करने वाले मुख्य कारकों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:

मानसिक विकास को प्रभावित करने वाले कारक
(Factors Influencing Mental Development)

बालक के मानसिक विकास के क्रम का ज्ञान प्राप्त करना प्रत्येक शिक्षक के लिए अत्यन्त आवश्यक है। मानसिक विकास के ज्ञान के साथ-साथ शिक्षक को उन तत्त्वों या कारकों पर भी विचार करना चाहिए, जो बालक के मानसिक विकास को प्रभावित करते हैं। इन कारकों का विवेचन निम्नवत् है-

1. वंशानुक्रम- विभिन्न मनोवैज्ञानिक प्रयोगों तथा अनुसन्धानों से यह सिद्ध हो चुका है कि बालक वंशानुक्रम के आधार पर पर्याप्त मानसिक गुण तथा योग्यताएँ अर्जित करते हैं। थॉर्नडाइक (Thorndyke) के अनुसार, मानसिक योग्यता का आंगे की पीढ़ियों में संक्रमण होता है। मन्द बुद्धि वाले माता-पिता की जो सन्तान होती है, उसका मानसिक विकास भी मन्द गति से होता है।

2. पारिवारिक वातावरण- परिवार का सुखद, शान्त तथा उत्साहवर्द्धक वातावरण, बालक के मानसिक विकास के लिए अत्यन्त आवश्यक है। जिस परिवार में कलह, निराशा तथा लापरवाही का वातावरण रहता है, वहाँ बालक के मानसिक विकास की बहुत कम सम्भावनाएँ रहती हैं। बालक की विकास आनन्द और स्वतन्त्रता के वातावरण में ही सुचारु रूप से होता है।

3. परिवार की आर्थिक दशा- परिवार की सुदृढ़ आर्थिक स्थिति का भी बालक के मानसिक विकास में महत्त्वपूर्ण योग रहता है। जो बालक आर्थिक दृष्टि से सम्पन्न परिवारों के होते हैं, उनके मानसिक विकास के मूल कारण हैं-उत्तम शैक्षिक अवसर, पौष्टिक भोजन, आर्थिक चिन्ता से मुक्ति तथा भविष्य की सुरक्षा। टरमन (Terman) के अनुसार, “प्रतिभाशाली बालक प्रायः सम्पन्न परिवारों से ही सम्बन्धित होते हैं।”

4. उत्तम स्वास्थ्य- अरस्तू ने ठीक लिखा है कि “स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क रहता है।” शारीरिक दृष्टि से पुष्ट बालक दुर्बल बालक की अपेक्षा अधिक मानसिक श्रम करके अपना बौद्धिक विकास कर सकता है। रोग ग्रस्त बालक प्रायः मानसिक दृष्टि से पिछड़े होते हैं। ऐसी दशा में बालकों के शारीरिक स्वास्थ्य की ओर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए।

5. शिक्षित माता- पिता-स्ट्रांग (Strong) के अनुसार, “माता-पिता की शिक्षा बालकों की मानसिक योग्यता से निश्चित रूप से सम्बन्धित है।” शिक्षित माता-पिता का आचरण बालक की मौलिक आवश्यकताओं, रुचियों और बौद्धिक क्षमताओं को भली प्रकार समझते हैं और उनके अनुकूल ही बालक के साथ व्यवहार करते हैं। इस प्रकार का व्यवहार बालक के मानसिक विकास में महत्त्वपूर्ण योग देता है।

6. विद्यालय का वातावरण- यदि विद्यालय का वातावरण प्रेम, सहयोग तथा सद्भावनाओं पर आधारित है तो विद्यार्थियों का मानसिक विकास सुगमता से होता है। जिस विद्यालय में विद्यार्थियों की रुचियों और आवश्यकताओं की पूर्ति की जाती है तथा विभिन्न क्रियाओं के आयोजन द्वारा विद्यार्थियों को अभिव्यक्ति के अवसर प्रदान किये जाते हैं, वहाँ के विद्यार्थियों का मानसिक विकास सामान्य विद्यालय की अपेक्षा अधिक होता है।

7. शिक्षक का व्यवहार- शिक्षक का व्यवहार बालक के मानसिक विकास का प्रमुख कारक होता है। यदि शिक्षक बाल-मनोविज्ञान का ज्ञाता है और वह छात्रों के साथ प्रेम, सहानुभूतिपूर्ण व्यवहार तथा उचित शिक्षण विधियों का प्रयोग करता है तो बालक का मानसिक विकास अनिवार्य रूप से होगा। शिक्षक की उपेक्षा, ताड़ना तथा बात-बात पर दण्डित करने की धमकी देना मानसिक विकास में अवरोध उपस्थित करते है।

8. समाज का स्तर- बालक के मानसिक विकास पर सामाजिक स्तर को भी प्रभाव पड़ता है। प्रत्येक बालक किसी-न-किसी समाज का सदस्य होता है। यदि बालक के सम्बन्धित समाज का स्तर ऊँचा तथा शैक्षिक आवश्यकताओं की पूर्ति करने वाला होता है तो बालक के मानसिक विकास की गति तीव्र रहती है। अमेरिका, इंग्लैण्ड तथा जापान आदि देशों का सामाजिक जीवन सम्पन्न तथा प्रभावशाली होता है। वहाँ प्रत्येक नगर या मोहल्ले में पुस्तकालयों, वाचनालयों, बालभवनों तथा अजायबघरों की व्यवस्था होती है। परिणामस्वरूप अन्य देशों की अपेक्षा इन देशों के बालकों का मानसिक विकास तीव्र गति से होता है।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1
शैशवावस्था में होने वाले मानसिक विकास का सामान्य विवरण प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर:

शैशवावस्था में मानसिक विकास
(Mental Development in Infancy)

शैशवावस्था में होने वाले मानसिक विकास को सामान्य विवरण निम्नलिखित है-

1. नवजात शिशु का प्रथम सप्ताह- नवजात शिशु का मस्तिष्क कोरी प्लेट के समान होता है। इस पर भी वह कुछ क्रियाएँ करता है; जैसे-भूख लगने पर वह रोता है, अधिक शीत लगने पर वह प्रतिक्रिया करता है; जैसे कि छींकना, हिचकी लेना तथा तेज आवाज सुनकर चौंकना उसकी प्रमुख क्रियाएँ होती हैं। वास्तव में शैशवावस्था में मानसिक विकास का प्रमुख साधन ज्ञानेन्द्रियाँ होती हैं।

2. दूसरा सप्ताह- जब शिशु 8 या 9 दिन का होता है तो वह प्रकाश की ओर एकटक देखने लगता है। शरमन के अनुसार, “नवजात शिशु प्रकाश के प्रति विशेष संवेदनशील होता है। गन्ध के प्रति उसे संवेदना होने लगती है। यदि माँ के स्तन में पेट्रोल लगा दिया जाए तो वह दूध पीने से इन्कार कर देगा।

3. प्रथम तथा द्वितीय मास- जब बालक एक मास का होता है तो वह वस्तु को पकड़ने की चेष्टा करता है। दो मास का होने पर वह आवाज सुनकर सिर घुमाने लगता है तथा विभिन्न वस्तुओं को ध्यान से देखने लगता है। अब वह अपनी माता के स्पर्श को भी पहचानने लगता है और माँ को देखकर मुस्करा जाता है।

4. चतुर्थ मास- इस मास में शिशु वस्तुओं को दृढ़ता से पकड़ता है। इच्छित वस्तु के न मिलने पर वह क्रोध करता है व रोता है। अब वह खोये हुए खिलौने को खोजने का भी प्रयास करता है।

5. छठा मास- शिशु स्नेहपूर्ण व्यवहार और क्रोध के अन्तर को समझने लगता है। वह सुमी हुई ध्वनि का अनुसरण करने लगता है।

6. सातवाँ मास- अब वह अनेक खिलौनों के मध्य से अपनी रुचि का खिलौना छाँटने लग जाता है और उसे अन्य बालकों के साथ खेलने में आनन्द आने लगता है।

7. दसवाँ मास- दसवें मास में शिशु की अनुकरण शक्ति प्रबल होने लगती है। वह टूटा-फूटा उच्चारण करने लग जाता है। वह अपना खिलौना छीने जाने का विरोध भी करने लगता है।

8. प्रथम वर्ष- एक वर्ष का शिशु बाबा, दादा, पापा, मम्मी आदि शब्दों का उच्चारण करने लगता है। अब वह अन्य व्यक्तियों की क्रियाओं का अनुसरण तेजी से करने लगता है।

9. द्वितीय वर्ष- दो वर्ष का शिशु दो शब्दों का वाक्य बोलने लगता है। दूसरे वर्ष के अन्त तक उसके पास सौ से दो सौ :शब्दों का भण्डार हो जाता है।

10. तीसरा और चौथा वर्ष- तीन या चार वर्ष के बालक का सम्बन्धीकरण ज्ञान पर्याप्त विकसित हो जाता है। एक बार बताने के पश्चात् वह गरम को ‘गरम’ कहने लगता है। वह चार-पाँच तक की गिनती गिन लेता है और छोटी तथा बड़ी रेखाओं के मध्य भी अन्तर करना सीख जाता है। प्रयास करने पर वह अक्षरे भी लिख लेता है।

11. पाँचवाँ वर्ष- पाँच वर्ष का बालक भविष्यकाल का ज्ञान करने लगता है। वह रंगों के अन्तर को समझने लग जाता है तथा हल्के और भारी को भी भेद कर लेता है। अब वह अपना नाम स्पष्ट बोलने लग जाता है तथा नाम भी लिख लेता है। वह दस-दस शब्दों के वाक्यों की पुनरावृत्ति भी कर लेता है।

प्रश्न 2
बाल्यावस्था में होने वाले मानसिक विकास का सामान्य विवरण प्रस्तुत कीजिए।
या
प्रारम्भिक बाल्यावस्था में मानसिक विकास का वर्णन कीजिए।
उत्तर:

बाल्यावस्था में मानसिक विकास
(Mental Development in Childhood)

बाल्यावस्था में होने वाले मानसिक विकास का सामान्य विवरण निम्नलिखित है

1. छठा वर्ष-इस आयु में बालक की स्मरण- शक्ति का विकास तीव्रता से होता है। अब बालक उन वस्तुओं के विषय में भी सोचने लगता है, जो कि उसके सामने नहीं होतीं। बालक पूरी गिनती भी सुना देता है। तथा 13-14 पदार्थों को गिन भी लेता है। अब वह शरीर के विभिन्न अंगों के नाम भी बता देता है तथा सामान्य प्रश्नों के उत्तर भी दे देता है।

2. सातवाँ वर्ष- इस आयु में बालक दो वस्तुओं में अन्तर करने लग जाता है। वह छोटी-छोटी घटनाओं तथा सुनी हुई कहानियों को सुना देता है। उसे सात या आठ तक के पहाड़े भी याद हो जाते हैं। वह कठिन वाक्यों का भी प्रयोग कर लेता है।

3. आठवाँ वर्ष- इस अवस्था में बालक लम्बे वाक्यों का प्रयोग करना सीख जाता है। छोटी-छोटी कहानियाँ तथा कविताएँ उसे सरलता से याद हो जाती हैं। वह 16 या 17 शब्दों के वाक्यों को दोहरा लेता है। अब जीवन में आने वाली समस्याओं को खोजने की क्षमता उसमें आ जाती है।

4. नवाँ वर्ष- इस आयु का बालक दिन, समय, तारीख तथा सिक्कों के विषय में ज्ञान प्राप्त कर लेता है। अब वह 6-7 शब्दों को उल्टे क्रम में दोहराने में सफल हो जाता है। शब्दों का प्रयोग वाक्यों में वह सरलता से कर लेता है। वह पाठ्य-पुस्तक के पाठ की सरलता से पढ़ लेता है और पूछे गये प्रश्नों के उत्तर दे सकता है।

5. दसवाँ वर्ष- दसवें वर्ष के बालक में जिज्ञासा की प्रवृत्ति प्रबल होने लगती है। वह अपने आस-पास के वातावरण को समझने के लिए प्रश्न करने लगती है; जैसे—पानी क्यों बरसता है? बादल क्या है? रात क्यों होती है?

6. ग्यारहवाँ वर्ष- इस आयु का बालक बीस शब्दों के वाक्यों को दोहरा सकता है तथा कठिन शब्दों की व्याख्या भी कर सकता है। इस आयु में उसमें तुलना करने की प्रवृत्ति का भी विकास हो जाता है। वह वाक्यों में गलती निकाल सकता है तथा चित्र को देखकर उसका सम्पूर्ण विवरण दे सकता है।

7. बारहवाँ वर्ष- इस आयु के बालक में तर्क-शक्ति का पर्याप्त विकास हो जाता है। अब वह समस्याओं का समाधान भी करने लगता है। इस आयु का बालक अपनी ओर से व्याख्या कर सकता है तथा किसी बात का कारण भी बता सकता है।

प्रश्न 3
किशोरावस्था में होने वाले मानसिक विकास का सामान्य विवरण प्रस्तुत कीजिए।
या
“किशोरावस्था में मानसिक विकास उच्चतम सीमा पर पहुँच जाता है।” इस कथन को स्पष्ट कीजिए और इस काल में होने वाले मानसिक विकास का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:

किशोरावस्था में मानसिक विकास
(Mental Development in Adolescence)

किशोरावस्था में होने वाले मानसिक विकास का सामान्य विवरण अग्रलिखित है

1. बुद्धि का विकास- किशोरावस्था में बालक का मन प्रायः अस्थिर रहता है, परन्तु उसका बौद्धिक विकास तीव्रता से होता है। हरमन (Harman) के अनुसार, “15 से 16 वर्ष तक की आयु में बुद्धि का विकास चरम सीमा पर पहुँच जाता है।”

2. केन्द्रीकरण की शक्ति का विकास- किशोरावस्था में किसी वस्तु या विषय के प्रति ध्यान केन्द्रित करने की क्षमता का पर्याप्त विकास हो जाता है। इस आयु में किशोर अमूर्त चिन्तन करता है और किसी वस्तु पर काफी समय तक अपना ध्यान केन्द्रित कर सकता है।

3. मानसिक स्वतन्त्रता का विकास- बाल्यावस्था तक बालक परम्परागत रूढ़ियों को बिना किसी विरोध के स्वीकार करता है, परन्तु किशोरावस्था में तर्क-शक्ति के विकास के कारण उसमें मानसिक स्वतन्त्रता का उदय हो जाता है। अब वह रूढ़ियों, परम्पराओं तथा अन्धविश्वासों को आँखें बन्द करके स्वीकार नहीं करता है।

4. स्मरण- शक्ति का विकास-किशोरावस्था में बालक कल्पना-जगत् में विचरण करता है और दिवा-स्वप्न देखने लगता है। ये दोनों प्रवृत्तियाँ किशोरावस्था में विशेष रूप से विकसित हो जाती हैं। कल्पना-शक्ति के अत्यधिक विकसित हो जाने के कारण बालक तथा बालिकाएँ काव्य और कहानी सृजन में रुचि लेने लगते हैं। कल्पना-शक्ति का विकास बालकों की अपेक्षा बालिकाओं में अधिक होता है। इस प्रकार साहित्य साधन के बीज किशोरावस्था में ही अंकुरित होते हैं।

5. तर्क-शक्ति का विकास-तर्क- शक्ति का विकास किशोरावस्था में पर्याप्त मात्रा में हो जाता है। किशोर बिना तर्क के किसी भी बात को स्वीकार नहीं करता।

6. विभिन्न रुचियों का विकास- किशोरावस्था में बालक की रुचियों का विकास तीव्रता से होता है। कुछ रुचियाँ समान होती है। जैसे-भावी व्यवसाय और जीवन के सम्बन्ध में रुचि, फिल्मी गीत सुनने तथा फिल्में देखने, प्रेम साहित्य पढ़ने, स्वतन्त्र अध्ययन तथा चोरी-छिपे काम-यौन सम्बन्धी साहित्य का अवलोकन करना। लड़कों को जासूसी तथा मारधाड़ की फिल्में देखने में तथा लड़कियों को सामाजिक तथा प्रेम सम्बन्धी फिल्में देखने में विशेष आनन्द आता है। अपनी रुचि के आधार पर किशोर वैज्ञानिक, इंजीनियर, डॉक्टर, कवि तथा लेखक आदि बनने का प्रयास करते हैं। कुछ किशोर राजनीति में भी सक्रिय भाग लेने लग जाते हैं। लड़के शारीरिक व्यायाम तथा खेलकूद में और लड़कियाँ साहित्य, संगीत तथा नृत्य आदि में विशेष रुचि लेती हैं।

अतिलघु उत्तरीय प्रत

प्रश्न 1
बालक के मानसिक विकास में शिक्षक के योगदान को स्पष्ट कीजिए।
या
बालक के मानसिक विकास के लिए शिक्षक को क्या करना चाहिए?-स्पष्ट कीजिए।
या
बालक के मानसिक विकास में अध्यापक की क्या भूमिका है?
उत्तर:
शिक्षक का कर्तव्य है कि वह बालकों के मानसिक विकास में अपना सहयोग देने के लिए। मानसिक विकास के क्रम और उसे प्रभावित करने वाले कारकों को समझे तथा उनके अनुकूल ही अपने छात्रों के साथ व्यवहार करे। विद्यालय का उचित वातावरण, समुचित पाठ्यक्रम, प्रभावशाली शिक्षण विधियाँ तथा समाज का उच्च स्तर बालक के मानसिक विकास में परम सहायक होते हैं। अत: इनके समुचित सृजन में शिक्षक को अपना पूर्ण सहयोग देना चाहिए। इस प्रकार सम्पूर्ण शैक्षिक वातावरण बालक के मानसिक विकास के अनुकूल होना चाहिए। इतना ही नहीं शिक्षक का यह भी कर्तव्य है कि वह बालकों के अभिभावकों से सम्पर्क स्थापित करके उन्हें बताये कि कौन-कौन सी बातें बालक के मानसिक विकास में सहायक होती हैं और कौन-सी बाधक। वास्तव में परिवार और विद्यालय दोनों का उचित वातावरण बालक के स्वस्थ मानसिक विकास में सहायक होता है। अत: ऐसी दशा में परिवार और विद्यालय दोनों को ही इस क्षेत्र में परस्पर सहयोग देना चाहिए।

निश्चित उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1
मानसिक विकास का अर्थ संक्षेप में लिखिए।
उत्तर:
मानसिक क्षमताओं में होने वाले क्रमिक विकास को मानसिक विकास कहते हैं।

प्रश्न 2
मानसिक विकास से सम्बन्धित मुख्य क्षमताओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
मानसिक विकास से सम्बन्धित मुख्य क्षमताएँ हैं-प्रत्यक्षीकरण, ध्यान एवं रुचि, स्मृति, विचार, कल्पना, विश्वास, तर्क तथा निर्णय की क्षमताएँ।

प्रश्न 3
मानसिक विकास के लिए अनिवार्य प्रमुख शर्त क्या है?
उत्तर:
मानसिक विकास के लिए अनिवार्य प्रमुख शर्त है-पर्यावरण के साथ अन्त:क्रिया।

प्रश्न 4
बालक के सामान्य मानसिक विकास के लिए उसकी जिज्ञासा-वृत्ति के प्रति क्या दृष्टिकोण अपनाया जाना चाहिए?
उत्तर:
बालक के सामान्य मानसिक विकास के लिए उसकी जिज्ञासा-वृत्ति को शान्त करने का प्रयास किया जाना चाहिए।

प्रश्न 5
बालक के मानसिक विकास को प्रभावित करने वाले चार मुख्य कारकों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:

  1. वंशानुक्रम,
  2. परिवार की सामाजिक-आर्थिक स्थिति
  3. विद्यालय का वातावरण तथा
  4. शिक्षक का व्यवहार

प्रश्न 6
“स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क रहता है।” यह कथन किसका है?
उत्तर:
प्रस्तुत कथन अरस्तू का है।

प्रश्न 7
“माता-पिता की शिक्षा बालकों की मानसिक योग्यता से निश्चित रूप से सम्बन्धित है।”
यह कथन किसका है?
उत्तर:
प्रस्तुत कथन स्ट्रांग का है।

प्रश्न 8
निम्नलिखित कथन सत्य हैं या असत्य

  1. बालक के मानसिक विकास के परिणामस्वरूप मानसिक, शक्तियों का जन्म होता है तथा वे क्रमशः पुष्ट होती हैं।
  2. मानसिक विकास के लिए पर्यावरण के साथ सम्पर्क स्थापित होना अनिवार्य है।
  3. मानसिक विकास का शिक्षा की प्रक्रिया से कोई सम्बन्ध नहीं है।
  4. मानसिक विकास की प्रक्रिया पर व्यक्तिगत भिन्नताओं का कोई प्रभाव नहीं पड़ता।
  5. सुचारु मानसिक विकास के लिए बालक की जिज्ञासा-वृत्ति को नियन्त्रित रखना चाहिए।

उत्तर:

  1. सत्य
  2. सत्य
  3. असत्य
  4. असत्य
  5. असत्य

बहुविकल्पीय प्रश्न

निम्नलिखित प्रश्नों में दिये गये विकल्पों में से सही विकल्प का चुनाव कीजिए-

प्रश्न 1.
मानसिक विकास से आशय है-
(क) पढ़ना-लिखना सीख लेना
(ख) मानसिक क्षमताओं का पुष्ट होना
(ग) बालक द्वारा व्यक्तियों की पहचान करना
(घ) उपर्युक्त में से कोई नहीं

प्रश्न 2.
मानसिक विकास को प्रभावित करते हैं-
(क) आनुवंशिकता
(ख) परिवार का वातावरण
(ग) विद्यालय का वातावरण
(घ) ये सभी

प्रश्न 3.
मानसिक विकास तथा शिक्षा की प्रक्रिया का सम्बन्ध है-
(क) कोई सम्बन्ध नहीं है।
(ख) दोनों एक-दूसरे को प्रभावित करते हैं।
(ग) शिक्षा का मानसिक विकास पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता
(घ) मानसिक विकास का शिक्षा पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता

प्रश्न 4.
व्यक्ति का मानसिक विकास प्रायः पूर्ण हो जाता है-
(क) बाल्यावस्था के अन्त तक
(ख) किशोरावस्था के अन्त तक
(ग) वृद्धावस्था में आकर
(घ) कभी नहीं

प्रश्न 5.
15 से 20 वर्ष की अवस्था में मानसिक विकास की सीमा-
(क) उच्चतम होती है
(ख) न्यूनतम होती है
(ग) औसत होती है
(घ) असीमित होती है

प्रश्न 6.
सामान्य से अधिक तथा निरन्तर बनी रहने वाली थकान का मानसिक विकास पर क्या प्रभाव पड़ता है?
(क) उत्साहपूर्वक प्रभाव पड़ता है
(ख) कोई प्रभाव नहीं पड़ता
(ग) प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है
(घ) सभी कथन भ्रामक हैं

प्रश्न 7.
“संवेदना ज्ञान की प्रथम सीढ़ी है।”
(क) मानसिक विकास है
(ख) भाषागत विशेषता है
(ग) शारीरिक विशेषता है
(घ) सर्वांगीण विकास है

प्रश्न 8.
“ज्ञान की प्रथम सीढ़ी” कौन-सी है?
(क) संवेदना
(ख) भाषागत विकास
(ग) शारीरिक विकास
(घ) ये सभी

उत्तर:

  1. (ख) मानसिक क्षमताओं का पुष्ट होना
  2. (घ) ये सभी,
  3. (ख) दोनों एक-दूसरे को प्रभावित करते हैं
  4. (ख) किशोरावस्था के अन्त तक
  5. (क) उच्चतम होती है
  6. (ग) प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है
  7. (क) मानसिक विकास है
  8. (क) संवेदना

We hope the UP Board Solutions for Class 11 Pedagogy Chapter 20 Mental Development (मानसिक विकास) help you. If you have any query regarding UP Board Solutions for Class 11 Pedagogy Chapter 20 Mental Development (मानसिक विकास), drop a comment below and we will get back to you at the earliest.

Leave a Comment