UP Board Solutions for Class 11 Samanya Hindi गद्य गरिमा Chapter 5 अथातो घुमक्कड़-जिज्ञासा (राहुल सांकृत्यायन) are part of UP Board Solutions for Class 11 Samanya Hindi . Here we have given UP Board Solutions for Class 11 Samanya Hindi गद्य गरिमा Chapter 5 अथातो घुमक्कड़-जिज्ञासा (राहुल सांकृत्यायन).
Board | UP Board |
Textbook | NCERT |
Class | Class 11 |
Subject | Samanya Hindi |
Chapter | Chapter 5 |
Chapter Name | अथातो घुमक्कड़-जिज्ञासा (राहुल सांकृत्यायन) |
Number of Questions | 5 |
Category | UP Board Solutions |
UP Board Solutions for Class 11 Samanya Hindi गद्य गरिमा Chapter 5 अथातो घुमक्कड़-जिज्ञासा (राहुल सांकृत्यायन)
लेखक का साहित्यिक परिचय और कृतियाँ
प्रश्न 1.
राहुल सांकृत्यायन का संक्षिप्त जीवन-परिचय देते हुए उनकी प्रमुख कृतियों पर प्रकाश डालिए।
या
राहुल सांकृत्यायन को साहित्यिक परिचय दीजिए एवं उनकी कृतियों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर
इन्होंने पाँच बार सोवियत संघ, श्रीलंका और तिब्बत की यात्रा की। छ: मास वे यूरोप में रहे। एशिया को तो, इन्होंने छान ही डाला था। कोरिया, मंचूरिया, ईरान, अफगानिस्तान, जापान, नेपाल आदि देशों का पर्यटन करने में इन्होंने अपना बहुत-सा समय बिताया। इन्होंने भारत के तो कोने-कोने का भ्रमण किया। बद्रीनाथ, केदारनाथ, कुमाऊँ-गढ़वाल से लेकर कर्नाटक, केरल, कश्मीर, लद्दाख तक भ्रमण किया। राहुल जी मुक्त विचारों के व्यक्ति थे। घुमक्कड़ी ही इनकी पाठशाला थी। यही इनका विश्वविद्यालय था। इन्होंने विश्वविद्यालय की चौखट पर पैर भी नहीं रखा था। भारत का यह पर्यटन-प्रिय साहित्यकार 14 अप्रैल, सन् 1963 ई० को संसार त्यागकर परलोक सिधार गया।
साहित्यिक योगदान–राहुल जी उच्चकोटि के विद्वान् और अनेक ऋषाओं के ज्ञाता थे। इन्होंने धर्म, दर्शन, पुराण, इतिहास, भाषा एवं यात्रा पर ग्रन्थों की रचनाएँ कीं। हिन्दी भाषा और साहित्य के क्षेत्र में इन्होंने ‘अपभ्रंश काव्य-साहित्य और दक्षिणी हिन्दी-साहित्य’ आदि श्रेष्ठ रचनाएँ प्रस्तुत की। इनकी रचनाओं में प्राचीनता का पुनरावलोकन, इतिहास का गौरव और तत्सम्बन्धी स्थानीय रंगत विद्यमान है। इनकी साहित्यिक सेवाओं का निरूपण निम्नलिखित रूपों में किया जा सकता है-
निबन्धकार के रूप में निबन्धकार के रूप में राहुल जी ने भाषा और साहित्य से सम्बन्धित निबन्धों की रचना की, जिनमें धर्म, इतिहास, राजनीति और पुरातत्त्व प्रमुख हैं। इन्होंने रूढ़ियों के बन्धन ढीले करने के लिए धर्म, ईश्वर, सदाचार आदि विषयों पर निबन्ध लिखे। अपने निबन्धों में इन्होंने हिन्दी को राष्ट्रभाषा बनाने । पर पर्याप्त बल दिया तथा उर्दू-मिश्रित हिन्दी का विरोध किया। उपन्यासकार के रूप में राहुल जी ने अपने उपन्यासों में भारत के प्राचीन इतिहास का गौरवशाली रूप प्रस्तुत किया है। इन्होंने ‘सिंह सेनापति’ नामक उपन्यास में राजतन्त्र और गणतन्त्र की तुलना करते हुए गणतन्त्र को श्रेष्ठ सिद्ध किया है।
कहानीकार के रूप में राहुल जी के कहानी-संग्रहों में ‘वोल्गा से गंगा’ और ‘सतमी के बच्चे’ श्रेष्ठ संग्रह हैं। ‘वोल्गा से गंगा में इन्होंने पिछले आठ हजार वर्षों के मानव-जीवन का विकास कहानी के रूप में प्रस्तुत किया है। ‘सतमी के बच्चे कहानी-संग्रह में आकर्षक और कलात्मक ढंग से (लघु मानव) के प्रति राग और ममता को प्रस्तुत किया गया है।
अन्य विधा-लेखक के रूप में इनके – अतिरिक्त राहुल जी ने जीवनी, संस्मरण और यात्रा-साहित्य की विधाओं पर भी प्रभावशाली रीति से सुन्दर रचनाएँ लिखीं। ‘मेरी जीवन यात्रा’ नामक इनका आत्मकथात्मक ग्रन्थ पाँच खण्डों में विभक्त है। ‘बचपन की स्मृतियाँ’, ‘असहयोग के मेरे साथी’ आदि संस्मरणात्मक रचनाओं में इनका व्यक्तित्व उभरा है। इन्हें यात्रा-साहित्य लिखने में सर्वाधिक सफलता मिली है। इनकी रचनाओं में देश-विदेश की यात्राओं का वर्णन है। घुमक्कड़शास्त्र में घुमक्कड़ी का महत्त्व बताया गया है।
साहित्य में स्थान-भाषा के प्रकाण्ड पण्डित राहुल सांकृत्यायन ने अपने अनुभव पर आधारित विशद लेखन से हिन्दी-साहित्य के विकास में अपूर्व योगदान दिया है। इन्होंने अपनी साहित्यिक रचनायों में प्राचीन इतिहास एवं वर्तमान जीवन के उन अंशों पर भी लिखा है, जिन पर आमतौर पर अन्य लेखकों की दृष्टि भी नहीं गयी थी।
गद्यांशों पर आधारित प्रश्नोत्तर
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