UP Board Solutions for Class 12 Geography Practical Work Chapter 6 Spatial Information Technology (स्थानिक सूचना प्रौद्योगिकी)
UP Board Class 12 Geography Chapter 6 Text Book Questions
UP Board Class 12 Geography Chapter 6 पाठ्यपुस्तक के अभ्यास प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
नीचे दिए गए चार विकल्पों में से सही उत्तर चुनिए
(i) स्थानिक आँकड़ों के लक्षण निम्नांकित स्वरूप में दिखाई देते हैं
(क) अवस्थितिक
(ख) रैखिक
(ग) क्षेत्रीय
(घ) उपर्युक्त सभी स्वरूपों में।
उत्तर:
(क) अवस्थितिक।
(ii) विश्लेषक मॉड्यूल सॉफ्टवेयर के लिए कौन-सा एक प्रचालन आवश्यक है
(क) आँकड़ा संग्रहण
(ख) आँकड़ा प्रदर्शन
(ग) आँकड़ा निष्कर्षण
(घ) बफरिंग।
उत्तर:
(क) आँकड़ा संग्रहण।
(iii) चित्ररेखापुंज (रैस्टर) आँकड़ा फॉरमेट का एक अवगुण क्या है
(क) सरल आँकड़ा संरचना
(ख) सहज एवं कुशल उपरिशायी
(ग) सुदूर संवेदन प्रतिबिम्ब के लिए सक्षम
(घ) कठिन परिपथ चाल विश्लेषण।
उत्तर:
(क) सरल ऑकड़ा संरचना।
(iv) सदिश (वेक्टर) आँकड़ा फॉरमेट का एक गुण क्या है
(क) समिश्र आँकड़ा संरचना
(ख) कठिन उपरिशायी प्रचालन
(ग) सुदूर संवेदन आँकड़ों के साथ कठिन सुसंगतता
(घ) सघन आँकड़ा संरचना।
उत्तर:
(ग) सुदूर संवेदन आँकड़ों के साथ कठिन सुसंगतता।
(v) भौगोलिक सूचना तंत्र कोट में उपयोग कर नगरीय परिवर्तन की पहचान कुशलतापूर्वक की जाती है
(क) उपरिशायी प्रचालन
(ख) सामीप्य विश्लेषण
(ग) परिपथ जाल विश्लेषण
(घ) बफरिंग।
उत्तर:
(घ) बफरिंग।
प्रश्न 2.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दीजिए
(i) चित्ररेखाएंज एवं सदिश (वेक्टर) आँकड़ा मॉडल के मध्य अंतर।
उत्तर:
चित्ररेखाएंज (रैस्टर) आँकड़े वर्गों के जाल के प्रारूप में आँकड़ों का ग्राफीय प्रदर्शन करते हैं जबकि सदिश (वेक्टर) आँकड़े वस्तु का प्रदर्शन विशिष्ट बिन्दुओं के बीच खींची गई रेखाओं के समुच्चय के रूप में करते हैं।
(ii) उपरिशायी विश्लेषण क्या है?
उत्तर:
उपरिशायी विश्लेषण में भू-संदर्भित सूचना के प्रक्रमण, स्थिति निर्धारण आदि सूचनाओं का विश्लेषण किया जाता है।
(iii) भौगोलिक सूचना तन्त्र में हस्तचलित विधि के गुण क्या हैं?
उत्तर:
भौगोलिक सूचना तन्त्र में हस्तचलित विधि के गुण निम्नलिखित हैं
- प्रयोक्ता प्रदर्शित किए जाने वाले स्थानिक लक्षणों के सम्बन्ध में प्रश्न पूछ सकते हैं।
- गुण न्यास की जाँच करके अथवा विश्लेषण करके मानचित्र आलेखित किए जा सकते हैं।
- स्थानिक प्रचालकों का समन्वित सूचनाधार पर अनुप्रयोग करके सूचनाओं के नये समुच्चयन उत्पन्न किए जा सकते हैं।
- विशेष आँकड़ों के विभिन्न आइटम एक-दूसरे के साथ अंश अवस्थिति कोड की सहायता से जोड़े जा सकते हैं।
(iv) भौगोलिक सूचना तन्त्र के महत्त्वपूर्ण घटक क्या हैं?
उत्तर:
भौगोलिक सूचना तन्त्र के महत्त्वपूर्ण घटक हैं
- हार्डवेयर
- सॉफ्टवेयर,
- आँकड़े एवं
- लोग।
(v) भौगोलिक सूचना तन्त्र के कोर में स्थानिक सूचना बनाने की विधि क्या हैं?
उत्तर:
भौगोलिक सूचना तन्त्र के कोर में स्थानिक सूचना बनाने की विधि निम्नलिखित हैं
- आँकड़ा आपूर्तिदाता से आंकिक रूप में आँकड़े प्राप्त करना।
- विद्यमान अनुरूप ऑकड़ों का अंकीकरण करना।
- भौगोलिक सत्ताओं का स्वयं सर्वेक्षण करके।
(vi) स्थानिक सूचना प्रौद्योगिकी क्या है?
उत्तर:
स्थानिक सूचना प्रौद्योगिकी से अभिप्राय किसी स्थान अथवा क्षेत्र विशेष से सम्बन्धित आँकड़ों एवं सूचनाओं का एकत्रीकरण करना तथा कम्प्यूटर द्वारा उन सूचनाओं की संगणना, भण्डारण, विश्लेषण और उपयोग करने से है।
प्रश्न 3.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर 125 शब्दों में दीजिए
(i) चित्ररेखाएंज (रैस्टर) एवं सदिश (वेक्टर) आँकड़ा फॉर्मेट को उदाहरण सहित समझाइए।
उत्तर:
किारेखा{ज (रैस्टर) आँकड़ा फॉर्मेट चित्ररेखाएंज आँकड़े वर्गों के जाल के रूप में आँकड़ों का ग्राफीय प्रदर्शन करते हैं जिसमें स्तम्भ एवं पंक्तियों का जाल होता है। स्तम्भों व पंक्तियों के जाल को ‘ग्रिड’ (Grid) तथा एक स्तम्भ एवं पंक्ति के भेदन स्थल को ‘सेल’ (Cell) कहते हैं।
मान लीजिए कागज पर एक तिरछी रेखा खींची गई है। चित्ररेखाएंज में इसे ग्राफ पेपर पर बने आयतों की भाँति प्रदर्शित किया जाता है और उसके आधार पर इसका मूल्य निर्धारित किया जाता है। (चित्र) आँकड़ों का यह प्रदर्शन प्रयोक्ता को प्रतिबिम्ब के पुनर्गठन अथवा दृश्यांकन में सहायता करता है।
सेलों के आकार और उनकी संख्या के बीच सम्बन्ध को चित्ररेखाएंज (रैस्टर) के विभेदन के रूप में अभिव्यक्त किया जाता है।
नीचे दिए गए चित्र में चित्ररेखाएंज फॉर्मेट में आँकड़ों पर जाल या वर्ग के आकार को स्पष्ट किया गया है।
सदिश आँकड़ा फॉर्नेट
उसी तिरछी रेखा का सदिश (वेक्टर) प्रदर्शन केवल निर्देशांकों के आरम्भिक एवं अन्तिम बिन्दुओं को दर्ज कर रेखा की स्थिति को दर्ज करके होगा। प्रत्येक बिन्दु की अभिव्यक्ति दो अथवा तीन संख्याओं के रूप में होगी। यह इस बात पर निर्भर करेगा कि प्रदर्शन द्वि-आयामी था या त्रि-आयामी, जिसे प्राय: X, Y अथवा X, Y, Z निर्देशांकों द्वारा निर्दिष्ट किया जाता है। (चित्र)
पहली संख्या X, बिन्दु और कागज की बाईं सीमा के बीच की दूरी है; Y बिन्दु तथा कागज की निचली सीमा के बीच दूरी; Z कागज के ऊपर अथवा नीचे से बिन्दु की उच्चता है। मापे गए बिन्दुओं को मिलाने से सदिश का निर्माण होता है।
(ii) भौगोलिक सूचना तन्त्र से सम्बन्धित कार्यों को क्रमबद्ध रूप में किस प्रकार किया जाता है? एक व्याख्यात्मक लेख प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर:
भौगोलिक सूचना तन्त्र की क्रियाओं का अनुक्रम
भौगोलिक सूचना तन्त्र से सम्बन्धित कार्यों का अनुक्रम निम्नलिखित है
1. स्थानिक आँकड़ा निवेश- स्थानिक आँकड़ा निवेश के विभिन्न स्रोतों को निम्नलिखित दो वर्गों में संक्षेपित किया जाता है
- आँकड़ा आपूर्तिदाता से आंकिक आँकड़ा समुच्चय का प्रग्रहण।
- हस्तेन निवेश द्वारा आंकिक आँकड़ा समुच्चयों की रचना।
2. गुण न्यास की प्रविष्टि- गुण न्यास उन स्थानिक विशेषताओं को परिभाषित करता है, जिसे भौगोलिक सूचना तन्त्र में निपटाने की आवश्यकता होती है।
3. आँकड़ों का सत्यापन और सम्पादन- भौगोलिक सूचना तन्त्र में प्रग्रहित आँकड़ों का सत्यापन एवं सम्पादन अति आवश्यक है, क्योंकि इससे आँकड़ों की शुद्धता तथा त्रुटियों की पहचान होती है। इसे कम्प्यूटर की सहायता से किया जाता है।
त्रुटियों का वर्गीकरण
- स्थानिक आँकड़े अपूर्ण अथवा दोहरे हैं।
- स्थानिक आँकड़े गलत मापनी पर हैं।
- स्थानिक आँकड़े विरूपित हैं।
4. स्थानिक और गुण न्यास आँकड़ों की सहलग्नता– स्थानिक और गुण न्यास आँकड़ों की सहलग्नता का पूरा ध्यान रखना चाहिए, क्योंकि ये भौगोलिक सूचना तन्त्र के लिए अत्यन्त महत्त्वपूर्ण हैं।
5. स्थानिक विश्लेषण– भौगोलिक सूचना तन्त्र में स्थानिक विश्लेषण की क्षमता है उनकी विश्लेषणात्मक क्रियाएँ यथार्थ विश्व से सम्बन्धित प्रश्नों के उत्तर देने के लिए सूचनाधार में स्थानिक तथा गैर-स्थानिक गुणों का प्रयोग करती हैं।
भौगोलिक सूचना तन्त्र का प्रयोग करते हुए स्थानिक विश्लेषण के निम्नलिखित प्रचालनों को शामिल किया जाता है
- अधिचित्रण
- बफर विश्लेषण
- परिपथ जाल विश्लेषण, एवं
- आंकिक भू-भाग मॉडल।
UP Board Class 12 Geography Chapter 6 Other Important Questions
UP Board Class 12 Geography Chapter 6 अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
विस्तत उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
भौगोलिक सूचना तन्त्र के लाभ/महत्त्व/उपयोगिता का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
भौगोलिक सूचना तन्त्र के मुख्य लाभ/महत्त्व/उपयोगिता निम्नलिखित हैं
- भौगोलिक सूचना तन्त्र की सहायता से भूगोलवेत्ता स्थानिक प्रतिरूपों और प्रक्रियाओं की पहचान कर उनका विश्लेषण कर सकता है।
- इसकी सहायता से भौगोलिक तत्त्वों के बीच पाए जाने वाले अन्तर्सम्बन्धों की व्याख्या की जा सकती है। उदाहरणतः शुष्क प्रदेशों में नहरी जल की व्यवस्था के बीच अन्तर्सम्बन्ध।
- इसमें परिवहन तन्त्र और नगरों के विकास के अध्ययन में सहायता मिलती है।
- इससे कम समय और कम लागत से भौगोलिक विश्लेषण सम्भव होता है।
- इससे समाज के गरीबी रेखा के नीचे बसर कर रहे लोगों के सम्बन्ध में विश्वसनीय जानकारी हासिल हो सकती है।
- वर्तमान में G.I.S. का उपयोग पर्यावरण, कृषि, भूमि उपयोग, नियोजन, आपदा प्रबन्धन, परिवहन तन्त्र, जनांकिकीय विश्लेषण तथा नगरीय सुविधाओं के क्षेत्र में बढ़ रहा है।
- भौगोलिक सूचना तन्त्र का एक और उपयोग पुराने पड़ गए मानचित्रों को आधुनिक बनाना है। उदाहरणत: जलीय क्षेत्रों, नगरीय क्षेत्रों तथा वन क्षेत्रों को दिखाने वाले मानचित्रों में एक निश्चित समय अन्तराल के बाद संशोधन करना अनिवार्य होता है।
प्रश्न 2.
चित्ररेखाएंज संरचना के गुण व दोषों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
चित्ररेखाएंज संरचना के गुण चित्ररेखाएंज संरचना के गुण निम्नलिखित हैं
- इसे समझना व कार्यान्वित करना सरल होता है।
- प्रत्येक सेल का अपना गुण होता है, जिससे भूमि उपयोग तथा मृदा के प्रकार जैसे समीपस्थ लक्षणों को प्रदर्शित करने में सहायक होता है।
- उच्च स्थानिक परिवर्तनशीलता को आसानी से प्रदर्शित किया जा सकता है।
- प्रिन्टर, प्लॉटर जैसे अधिकांश उत्पादक उपकरण चित्ररेखापुँज में उपलब्ध होते हैं।
- उपग्रह दूर संवेदन तथा अंकीय वायुचित्र से सीधे ही चित्ररेखाएंज में आँकड़े प्राप्त हो जाते हैं और आँकड़ों के परिवर्तन की आवश्यकता नहीं होती।
चित्ररेखा{ज संरचना के दोष चित्ररेखाएंज संरचना के दोष निम्नलिखित हैं
- प्रत्येक सेल केवल एक गुण का ही भण्डारण करता है।
- आँकड़ों के भण्डारण में उच्च कोटीय स्मृति व्यवस्था होती है और आँकड़ों के संपीडन की आवश्यकता होती है।
- नेटवर्क संबंधों को सुचारु रूप से प्रदर्शित नहीं किया जा सकता।
- मिश्रित सेलों की स्थिति में अशुद्धियाँ आ जाती हैं।
- सेलों के खुरदरेपन से छोटे-छोटे लक्षण छूट जाते हैं।
प्रश्न 3.
भौगोलिक सूचना तन्त्र क्या है? इसके प्रकारों का वर्णन कीजिए। –
उत्तर:
भौगोलिक सूचना तन्त्र-भौगोलिक सूचना तन्त्र (G.I.S.) एक ऐसा सूचना तन्त्र है जिसे भौगोलिक अथवा स्थानिक आँकड़ों के साथ मिलकर कार्य करने के लिए बनाया गया है। यह वास्तव में एक आँकड़ा संचय तन्त्र है जिसमें भौगोलिक आँकड़ों को शामिल करने के साथ-साथ उनके संसाधन और विश्लेषण की क्षमता भी होती है।
भौगोलिक सूचना तन्त्र के प्रकार
स्थानिक उपग्रहों के भण्डारण और विश्लेषण की तकनीक के आधार पर भौगोलिक सूचना तन्त्र निम्नलिखित दो प्रकार का होता है
1. रेखाएंज- यह मानचित्रों, फोटोग्राफों तथा अन्य दो आयामी वितरण को अंक रूप में भण्डारित करने की एक पद्धति है। यह पद्धति स्थान के अनुसार निरन्तर बदलने वाली परिघटनाओं को हैण्डल करने के लिए श्रेष्ठ मानी जाती है। यही कारण है कि पर्यावरण विज्ञानों में रेखाएंज पद्धति का उपयोग निरन्तर बढ़ रहा है।
2. सदिश- इस पद्धति में सभी वस्तुओं का अंकन बिन्दुओं, रेखाओं और क्षेत्र के रूप में किया जाता है। अंकीकरण की इस पद्धति में ‘X’, ‘Y निर्देशांकों का उपयोग किया जाता है।
लघ उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
रेखाएंज भौगोलिक सूचना तन्त्र की विशेषताएँ बताइए।
उत्तर:
रेखाएंज भौगोलिक सूचना तन्त्र की विशेषताएँ (गुण) निम्नलिखित हैं
- इसमें भौगोलिक सूचनाओं को कोष्ठिकाओं के माध्यम से दिखाया जाता है।
- यह पर्यावरण और भौतिक विज्ञानों के अध्ययन के लिए उपयोगी है।
- इसमें एक-दूसरे से पृथक् वस्तुओं के अंकन में सुविधा होती है।
- यह पद्धति बताती है कि “प्रत्येक स्थान पर क्या है?”
प्रश्न 2.
सदिश भौगोलिक सूचना तन्त्र की विशेषताओं को समझाइए।
उत्तर:
सदिश भौगोलिक सूचना तन्त्र की विशेषताएँ निलिखित हैं
- इसमें भौगोलिक सूचनाओं, बिन्दुओं, रेखाओं और क्षेत्र (बहुभुज) का उपयोग किया जाता है।
- सामाजिक सुविधाओं, उद्योगों के मानचित्रण और भौगोलिक रूप से वितरित सुविधाओं के अंकन में सदिश भौगोलिक सूचना तन्त्र उपयोगी है।
- इसमें सड़कों के अंकीकृत जाल से दो बिन्दुओं के मध्य यात्रा समयावधि का अनुभव किया जा सकता है।
- यह पद्धति बताती है कि “प्रत्येक वस्तु कहाँ है?”
प्रश्न 3.
हस्तेन विधियों की सीमाओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
हस्तेन विधियों की सीमाएँ निम्नलिखित हैं
- मानचित्रीय सूचना एक विशेष ढंग से प्रक्रमित और प्रदर्शित की गई होती है।
- एक मानचित्र एक अथवा. एक से अधिक पूर्व-निर्धारित विषय-वस्तुओं को दर्शाता है।
- मानचित्रों में चित्रित सूचना में परिवर्तन करने पर एक नया मानचित्र आलेखित करना पड़ता है।
प्रश्न 4.
चित्ररेखापुँज फाइल फॉर्मेटों का अधिकतर प्रयोग किन क्रियाओं में किया जाता है?
उत्तर:
चित्ररेखा(ज फाइल फॉर्मेटों का अधिकतर प्रयोग निम्नलिखित क्रियाओं में किया जाता है
- वायव फोटोग्राफी, उपग्रहीय प्रतिबिम्बों, क्रमवीक्षितं कागजी मानचित्रों के आंकिक प्रदर्शन और अत्यधिक ब्यौरेवार प्रतिबिम्बों वाले अन्य अनुप्रयोग के लिए।
- जब लागत का कम करना आवश्यक हो।
- जब मानचित्र में व्यक्तिगत मानचित्रीय लक्षण का विश्लेषण अपेक्षित न हो।
- जब ‘बैकड्रॉप’ मानचित्रों की आवश्यकता हो।
प्रश्न 5.
सदिश फाइलों का प्रयोग किन परिस्थितियों में किया जाता है?
उत्तर:
सदिश फाइलों का प्रयोग मुख्यत: निम्न परिस्थितियों में किया जाता है
- उच्च परिष्कृत अनुप्रयोग की आवश्यकता हो।
- फाइलों के आकार महत्त्वपूर्ण हों।
- मानचित्र के प्रत्येक लक्षण का विश्लेषण आवश्यक हो।
- वर्णनात्मक सूचना का भण्डारण अनिवार्य हो।
प्रश्न 6.
सदिश संरचना के गुणों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
सदिश संरचना के गुण निम्नलिखित हैं
- यह सांस्कृतिक लक्षणों को प्रदर्शित करने के लिए अधिक उपयोगी है।
- ग्लोबल पोजीशनल सिस्टम (GPS) तथा टोटल स्टेशनों से आँकड़े सीधे ही प्राप्त हो सकते हैं।
- इसमें कम स्मृति की आवश्यकता होती है।
- स्थालाकृतियों को दर्शाने तथा उनके विश्लेषण में अधिक शुद्धता होती है।
प्रश्न 7.
चित्ररेखापुंज (रैस्टर) मॉडल की हानियों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
चित्ररेखापुंज (रैस्टर) मॉडल की हानियाँ निम्नलिखित हैं
- कम्प्यूटर भण्डारण का अदक्ष प्रयोग होता है।
- इसके परिमाप और आकृति में त्रुटियाँ होती हैं।
- परिपथ जाल का विश्लेषण कठिन होता है।
- प्रक्षेपण का रूपान्तरण अदक्ष वृहत् सैलों का प्रयोग करते समय सूचना का ह्रास होता है।
- कम परिशुद्ध मानचित्र होता है।
प्रश्न 8.
सदिश (वेक्टर) मॉडल की हानियों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
सदिश (वेक्टर) मॉडल की हानियाँ निम्नलिखित हैं
- इसकी आँकड़ा संरचना जटिल होती है।
- अधिचित्रण में कठिन प्रचालन होता है।
- उच्च स्थानिक विचरणशीलता का अदक्ष प्रतिनिधित्व होता है।
- यह सुदूर संवेदन प्रतिबिंबों के साथ असंगत होता है।
प्रश्न 9.
भौगोलिक सूचना तन्त्र को किन स्रोतों से आँकड़े प्राप्त होते हैं?
उत्तर:
भौगोलिक सूचना तन्त्र को निम्नलिखित स्रोतों से आँकड़े प्राप्त होते हैं
- भारतीय सर्वेक्षण विभाग के स्थलाकृतिक मानचित्र तथा वायुचित्र।
- उपभोक्ताओं द्वारा एकत्रित प्राथमिक आँकड़े।
- भारतीय जनगणना विभाग के विशाल आँकड़े और मानचित्र।
- राष्ट्रीय दूर संवेदी एजेन्सी, हैदराबाद।
- राष्ट्रीय प्राकृतिक संसाधन प्रबन्ध प्रणाली, बंगलुरु।
- महानगरों के विकास प्राधिकरण।
- राज्यों और जिलों के सांख्यिकीय विभाग। .
- राष्ट्रीय विषयक मानचित्र संगठन, कोलकाता।
मौखिक प्रश्नों के उत्तर
प्रश्न 1.
स्थानिक सूचना प्रौद्योगिकी से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
स्थानिक सूचना प्रौद्योगिकी से तात्पर्य किसी क्षेत्र से सम्बन्धित सूचनाओं का कम्प्यूटर में संचयन, संगणना, भण्डारण और उपयोग से है।
प्रश्न 2.
भौगोलिक सूचना तन्त्र में किसी वस्तु या वाहन की स्थिति कैसे प्रदर्शित की जाती है?
उत्तर:
अक्षांशों व देशान्तरों के माध्यम से स्थिति प्रदर्शित की जाती है।
प्रश्न 3.
भौगोलिक सूचना तन्त्र से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
भौगोलिक सूचना तन्त्र एक आँकड़ा संचय तन्त्र है जिसमें भौगोलिक आँकड़ों का संचयन, संगणना और विश्लेषण किया जाता है।
प्रश्न 4.
सदिश भौगोलिक सूचना तन्त्र में आँकड़ों का प्रदर्शन कैसे किया जाता है?
उत्तर:
बिन्दुओं, रेखाओं और क्षेत्र के रूप में।
प्रश्न 5.
किस पद्धति से पता चलता है कि “प्रत्येक स्थान पर क्या है?”
उत्तर:
रेखा(ज। प्रश्न 6-किस पद्धति से पता चलता है कि “प्रत्येक वस्तु कहाँ है?” उत्तर-सदिश पद्धति से।
प्रश्न 7.
सहलग्नता क्या है?
उत्तर:
सहलग्नता में एक भौगोलिक सूचना तन्त्र में विभिन्न प्रकार के आँकड़ों को जोड़ने की क्षमता होती है।
बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
स्थानिक सूचना प्रौद्योगिकी में शामिल है
(a) सुदूर संवेदन
(b) भौगोलिक सूचना तन्त्र
(c) वैश्विक स्थिति-निर्धारण तन्त्र
(d) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
(d) उपर्युक्त सभी।
प्रश्न 2.
कितने प्रकार के आँकड़े भौगोलिक सूचना प्रदान करते हैं
(a) दो
(b) तीन
(c) चार
(d) पाँच।
उत्तर:
(a) दो।
प्रश्न 3.
स्थानीय आँकड़ों का प्रकार है
(a) बिन्दु
(b) रेखा
(c) क्षेत्र
(d) ये सभी।
उत्तर:
(d) ये सभी।
प्रश्न 4.
स्थानिक सूचना तन्त्र का घटक है
(a) हार्डवेयर
(b) सॉफ्टवेयर
(c) आँकड़े
(d) ये सभी।
उत्तर:
(d) ये सभी।
प्रश्न 5.
आँकड़ा संरचना के प्रकार हैं
(a) दो
(b) तीन
(c) चार
(d) पाँच।
उत्तर:
(a) दो।