UP Board Solutions for Class 12 Sociology Chapter 13 Cyber Crime

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Board UP Board
Textbook NCERT
Class Class 12
Subject Sociology
Chapter Chapter 13
Chapter Name Cyber Crime
(साइबर अपराध)
Number of Questions Solved 21
Category UP Board Solutions

UP Board Solutions for Class 12 Sociology Chapter 13 Cyber Crime (साइबर अपराध)

विस्तृत उत्तीय प्रश्न (6 अंक)

प्रश्न 1
साइबर अपराध से आप क्या समझते हैं? इन अपराधों की विशेषताओं की विवेचना कीजिए।
या
साइबर अपराध की विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:

साइबर अपराध

‘साइबर स्पेस’ शब्द की रचना विज्ञान तथा साहित्य के लेखक विलियम गिब्सन ने अपने उपन्यास न्यूरोमेन्सर (Neuromancer) में की थी। यह शब्द वस्तुतः एक ऐसे समुदाय को इंगित करता है, जो एक-दूसरे से परम्परागत रूप से परिभाषित समुदाय की अपेक्षा विस्तृत नेटवर्क से जुड़ा हुआ है। इसमें उससे सम्बन्धित अवधारणाओं; जैसे-साइबर समुदाय, साइबर सम्प्रेषण इत्यादि के अनुभव का ज्ञान होता है। यहाँ पर साइबर अपराध को उस आपराधिक व्यवहार के रूप में परिभाषित किया गया है, जहाँ पर व्यक्तिगत कम्प्यूटर आवश्यक और अभिन्न घटक है। साइबर अपराध आपराधिक व्यवहार का एक स्वरूप है, जो कम्प्यूटर के आने से पूर्व अस्तित्व में नहीं था तथा अपनी आरम्भिक अवस्था में यह इतना नहीं फैला था कि भय उत्पन्न करे। वास्तव में आरम्भिक अवस्था में इस क्षेत्र में विचलन से ऐसे नवाचार आये जिसके दूरगामी परिणाम थे, वस्तुतः संयुक्त राष्ट्र अमेरिका में इन्टरनेट का विकास कॉलेज विद्यार्थियों से जुड़ चुका था और वे एक-दूसरे से छिपे तौर पर विश्वविद्यालय के कम्प्यूटर का प्रयोग करके बातचीत करते थे।

यद्यपि इस अवस्था में इन कम्प्यूटरों और इन नेटवर्को तक मुट्ठीभर शोध छात्रों, वैज्ञानिकों और सरकारी कर्मचारियों की ‘ ही सीमित पहुँच थी और यह व्यवहार बहस का विषय नहीं बना था, लेकिन जैसे-जैसे कम्प्यूटर नेटवर्क अधिक सामान्य एवं विस्तृत होता गया, विचलित व्यवहार एवं आपराधिक व्यवहार और ० महत्त्वपूर्ण होते गये। प्रायः आज अधिकतर विकसित राष्ट्रों में कम्प्यूटर बहुत-से घरों में भी पाया जाता है, यहाँ तक कि भारत में भी इनके मूल्यों में अप्रत्याशित गिरावट से ये सामान्य होते जा रहे हैं और उसी समान इन्टरनेट प्रयोगकर्ता की वृद्धि दर भी विश्व के अन्य राष्ट्रों की अपेक्षा भारत में तीव्र है। इस प्रकार लोगों की ज्यों-ज्यों कम्प्यूटर और इन्टरनेट तक पहुँच सामान्य होती जायेगी, साइबर अपराध भी उसी अनुपात में बढ़ता जायेगा।

साइबर अपराध को परिभाषित करते हुए कहा जा सकता है कि “साइबर अपराध, अपराध का एक नवीन प्रकार है जो आधुनिक सूचना समाज (नेटवर्क सोसाइटी) में कम्प्यूटर, इन्टरनेट और संचार क्रान्ति के अन्य प्रौद्योगिकी साधनों को प्रयोग करने वालों द्वारा अपने व्यापारिक व व्यावसायिक क्रियाकलापों के सन्दर्भ में आपराधिक विधानों का उल्लंघन है।” अन्य प्रकार इसे इस प्रकार व्यक्त किया जा सकता है कि “साइबर अपराध के अन्तर्गत जान-बूझकर किये गये छल-कपट, धोखेबाजी से सम्बन्धित वे सभी समाज-विरोधी कार्य समाविष्ट हैं जो वैधानिक रूप से निषिद्ध हैं तथा जिनके लिए दण्ड का प्राविधान है।”

साइबर अपराध की विशेषताएँ

उपर्युक्त परिभाषा के विश्लेषण से निम्नलिखित विशेषताएँ परिलक्षित होती हैं ।

  1. साइबर अपराध, अपराध का एक अत्याधुनिक प्रकार है।
  2. यह अपराध आधुनिक सूचना समाज से जुड़ा हुआ है।
  3. यह अपराध कम्प्यूटर, इन्टरनेट और संचार क्रान्ति के अन्य तकनीकी साधनों के माध्यम से एवं उनको प्रयोग करने वाले लोगों द्वारा सम्पादित किया जाता है।
  4. इस अपराध का चलन व्यापारिक व व्यावसायिक परिक्षेत्रों में अधिक होता है। इसके माध्यम से गलत वित्तीय विवरण बनाना, जनता को प्रत्यक्ष या परोक्ष झूठे विज्ञापन देना, गलत प्रमाण-पत्र बनाना, झूठा बिल बनाना, करों की चोरी, बैंकों के साथ धोखाधड़ी इत्यादि ढंग के अपराध किये जाते हैं।
  5. यह अपराध न केवल वैधानिक उल्लंघन है बल्कि सामाजिक निष्ठा और विश्वास को भंग करने का भी उत्तर:दायी है।
  6. यह अपराध सामान्य अपराधों से बिल्कुल भिन्न है।

प्रश्न 2
साइबर अपराध क्या है? साइबर अपराध के प्रकारों का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
या
साइबर क्राइम (साइबर अपराध) को परिभाषित कीजिए। भारत में इसके विभिन्न स्वरूपों की व्याख्या कीजिए। [2017]
उत्तर:

साइबर अपराध का अर्थ

एक ओर सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में हुई प्रगति ने विश्व को जोड़ने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है, तो दूसरी ओर उस अपराध के क्षेत्र में नवीन प्रकार के अपराधों का जन्म हुआ है। साइबर क्राइम का सम्बन्ध सूचना प्रौद्योगिकी के महत्त्वपूर्ण उपकरण कम्प्यूटर द्वारा होने वाली सूचनाओं के आदानप्रदान एवं व्यापारिक लेन-देन से है। इण्टरनेट, संचार के प्रमुख माध्यम के रूप में उभरा है। इस मुक्त प्रणाली में सूचनाओं के आदान-प्रदान के लिए आवश्यक है कि डिजिटल जानकारी किसी अनचाहे व्यक्ति के हाथ में पड़ने से बचाने के लिए सुरक्षा प्रणाली स्थापित हो। जनता में इस माध्यम के इस्तेमाल से व्यापार, संचार, मनोरंजन, सॉफ्टवेयर विकास करने के प्रति विश्वास ही जरूरी नहीं है, अपितु प्रशासन का भी पूरा विश्वास आवश्यक है ताकि वह इसका प्रभावशाली ढंग से दुरुपयोग रोक सके।

साइबर अपराध मुख्यतः इलेक्ट्रॉनिक संचार माध्यमों द्वारा सूचनाओं के आदान-प्रदान, विशेष रूप से ई-मेल एवं ई-व्यापार के दुरुपयोग से सम्बन्धित है। यह अपराध केवल भारत में ही नही है अपितु सभी देशों में चिंता का विषय है तथा सभी देश इस पर नियन्त्रण हेतु जूझ रहे हैं। व्रस्तुत: डिजिटल तकनीक ने संचार व्यवस्था में क्रान्तिकारी परिवर्तन किए हैं तथा इसका व्यापारिक गतिविधियों में अत्यधिक प्रयोग किया जाने लगा है। आज व्यापारी एवं उपभोक्ता परम्परागत फाइलों के स्थान पर कम्प्यूटरों में सभी प्रकार की सूचनाएँ सुरक्षित रख रहे हैं। कागज एवं फाइल सरलता से खराब हो जाते हैं, जबकि कम्प्यूटर में रखी गयी सूचना वर्षों तक पूर्णतया सुरक्षित रहती है। साइबर अपराध का सम्बन्ध इस सूचना का किसी अनाधिकृत व्यक्ति द्वारा दुरुपयोग है।

साइबर अपराध के प्रमुख प्रकार

साइबर अपराध का एक प्रकार नहीं है, अपितु इसके अनेक प्रकार आज सम्पूर्ण विश्व के सामने एक चुनौती के रूप में उपस्थित हैं। इसके निम्नलिखित चार प्रमुख प्रकार हैं।
1. कम्प्यूटर आधारित प्रलेखों के साथ हेर-फेर इस प्रकार के साइबर अपराध में कोई व्यक्ति सचेत रूप से जानबूझकर कम्प्यूटर में प्रयुक्त गुप्त कोड, कम्प्यूटर प्रोग्राम, कम्प्यूटर सिस्टम अथवा कम्प्यूटर नेटवर्क के साथ हेर-फेर या अदला-बदली करता है या इनको नुकसान पहुंचाने का प्रयास करता है।

2. कम्यूटर सिस्टम को अपने नियन्त्रण में लेना-
इस प्रकार के साइबर अपराध में कोई व्यक्ति किसी सरकारी वेबसाइट अथवा कम्प्यूटर सिस्टम को जान-बूझकर किसी माध्यम से अपने नियन्त्रण में ले लेता है तथा उसमें सुरक्षित सूचनाओं के साथ हेर-फेर करता है अथवा उन्हें समाप्त करने का प्रयास करता है, इसे हैकिंग (Hacking) कहा जाता है। हैकर्स दूसरे प्रोग्राम सिस्टम का अवैध रूप से शोषण करते हैं और पूरे कार्यक्रम को तहस-नहस कर देते हैं। अनेक देशों में ऐसे साइबर अपराधों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है।

3. अश्लील सामग्री का प्रसारण
इस प्रकार के साइबर अपराध में व्यक्ति ऐसी अश्लील सामग्री को इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से संचारित करता है जिसका देखने वालों पर बुरा प्रभाव पड़ता है। वे ऐसी सामग्री को दर्शकों को दिखाकर, पढ़ाकर अथवा अश्लील बातों को सुनाकर कानून द्वारा इस सन्दर्भ में लगाए गए प्रतिबन्धों को तोड़ने का प्रयास करते हैं।

4. स्टाल्किग, डाटा डिडलिंग एवं फिकरिंग-स्टाल्किग वह तकनीक है जिसमें किसी अनिच्छुक व्यक्ति को लगातार वाहियत संदेश भेजे जाते हैं जिससे उसे संत्रास हो अथवा जिससे उसमें चिंता या उद्विग्नता उत्पन्न हो। डाटा डिडलिंग में उपलब्ध ‘डाटा’ को इस प्रकार मिटाया या सूक्ष्म रूप से परिवर्तित किया जाता है कि उसे पुनः वापस न लाया जा सके अथवा उसकी परिशुद्धता नष्ट हो जाए। फिकरिंग में टेलीफोन बिलों में कम्प्यूटर द्वारा हेरा-फेरी करके बिना मूल्य चुकाए कहीं भी फोन कॉल करके अवैध लाभ उठाया जाता है। उपर्युक्त साइबर अपराधों के अतिरिक्त अनेक प्रकार के कम्प्यूटर वायरसों को तैयार कर सॉफ्टवेयर को गम्भीर क्षति पहुँचाने के मामलों में भी काफी वृद्धि हुई है। वर्तमान में हजारों की संख्या में ऐसे वायरस अस्तित्व में हैं जिनके कारण इण्टरनेट साइट्स को अपूर्णीय क्षति हो रही है।

प्रश्न 3
किस प्रकार से साइबर अपराध को एक प्रमुख सामाजिक समस्या माना जाता है? इन्हें रोकने के उपाय लिखिए।
या
साइबर अपराध की रोकथाम के उपाय बताइए। (2017)
या
साइबर अपराध के निराकरण हेतु उपाय सुझाइए।
उत्तर:
साइबर अपराध, अपराध का एक अत्याधुनिक प्रकार है तथा यह वर्तमान अत्याधुनिक समाज में संगणक, इन्टरनेट और संचार की आधुनिक प्रौद्योगिकी के साधनों का प्रयोग करने वालों के द्वारा अपने व्यापारिक व व्यावसायिक क्रिया-कलापों के सन्दर्भ में आपराधिक प्रावधानों का उल्लंघन है।

अपराध का स्वरूप तथा विस्तार प्रायः किसी सामाजिक, सांस्कृतिक एवं प्रौद्योगिकी परिवेश की प्रकृति को प्रतिबिम्बित करता है। जब कभी परिवेश में परिवर्तन आता है, अपराध की अन्तर्वस्तु एवं स्वरूप में भी परिवर्तन परिलक्षित होता है। विज्ञान एवं तकनीकी के विकास से समाज की सामाजिक-सांस्कृतिक संरचना में अनेक नवीन परिवर्तनों का जन्म होता है। समकालीन आधुनिक समाज मूल रूप से इस अद्यतन आपराधिक उपसंस्कृति के मध्य संक्रमण से गुजर रहा है, परिणामतः आतंक, हिंसा, भ्रष्टाचार एवं अपराधी व्यवहार सामान्य जनजीवन का अंग बनते जा रहे हैं। इस प्रकार स्पष्ट रूप से परिलक्षित है कि अपराध सामाजिक-सांस्कृतिक समूह का दर्पण है।

भारतीय परिवेश में यह प्रघटना वैश्वीकरण एवं सूचना-समाज के सन्दर्भ में अभिव्यक्त होती दृष्टिगत हो रही है। कम्प्यूटर, इन्टरनेट एवं संचार के अत्याधुनिक साधनों के माध्यम से विश्व के देशों, समुदायों, संस्कृतियों एवं व्यक्तियों के बीच की दूरियों का कम-से-कमतर होते चले जाना वैश्वीकरण का सूचक है। इन्टरनेट एक ऐसा कम्प्यूटर नेटवर्क है, जो विश्वभर के नेटवर्को से मिलकर बना है। इसके माध्यम से तथ्यों और सूचनाओं का आदान-प्रदान और संचार की गति अत्यधिक तेज हो गयी है। इन्टरनेट का प्रयोग बहुत कम खर्चीला और सरल है। अनेक विषयों, व्यक्तियों और घटनाओं के बारे में इन्टरनेट के माध्यम से बहुत ही कम समय में जानकारी प्राप्त की जा सकती है। इसके अलावा इन्टरनेट ने ई-मेल की सुविधा प्रदान करके परस्पर संचार की शैली को क्रान्तिकारी ढंग से बदल दिया है।

साइबरजनित अपराधों की रोकथाम तथा उपचार

सच्चाई यह है कि इस अपराध की भयावहता के पश्चात् भी इन पर विराम लगाना एक विकराल समस्या का रूप ले रहा है। हमारे देश भारत में इन अपराधों को रोकने के लिए कोई प्रभावी कानून नहीं बनाया जा सका है। वर्तमान परिस्थिति में साइबर अपराध पर नियन्त्रण हेतु विशेष प्रकार के उपाय आवश्यक हैं। इनमें से कुछ उपाय निम्नलिखित हैं

  1. सरकार द्वारा ‘सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम पारित करने से यह आशा जगी थी कि इसके माध्यम से साइबर अपराधों को यिन्त्रित किया जा सकेगा, परन्तु इसके बावजूद भी यह अधिनियम प्रभावकारी नहीं हो सका। क्योंकि इसमें बहुत सारे प्रावधान व्यावहारिक नहीं है। तथा व्यावहारिक रूप से इस अपराध के लिए एक पृथक् कानून के द्वारा कठोर प्रावधान के माध्यम से दण्ड की व्यवस्था करना आवश्यक है।
  2. साइबर अपराध रोकने के लिए इससे सम्बन्धित प्रौद्योगिकी को ज्ञान रखने वालों की एक टीम बनाना आवश्यक है। ऐसा करके किसी भी साइबर से सम्बन्धित अपराध की सूचना मिलते ही जानकारी प्राप्त कर अपराधी को दण्डित किया जा सकता है।
  3. कम्प्यूटर द्वारा लेखा सम्बन्धी अपराधों; जैसे-गबन और जालसाजी को तभी कम किया जा सकता है, जब सम्बन्धित लेखा परीक्षकों को कम्प्यूटर सम्बन्धी प्रौद्योगिकी का उच्च स्तरीय ज्ञान हो। आज के परिवेश में बड़ी-बड़ी कम्पनियों, संस्थानों एवं बैंकों के सारे आँकड़े कम्प्यूटर पर ही रहते हैं, ऐसी परिस्थिति में इस ज्ञान के बिना इसको समुचित ढंग से परीक्षण नहीं किया जा सकता है।
  4. भारत में BSNL संचार से जुड़ी हुई एक प्रमुख संस्था है। इस संस्था को यह स्पष्ट निर्देश देना आवश्यक है कि किसी भी परिस्थिति में अश्लील कार्यक्रम प्रदर्शित न हो सके। इसका मुख्य उद्देश्य सामाजिक, आर्थिक प्रगति के माध्यम से एक स्वस्थ समाज का निर्माण करना है। ऐसी परिस्थिति में संचार निगम का दायित्व और बढ़ जाता है।
  5. अमेरिका में साइबर अपराध को मानवाधिकार उल्लंघन से सम्बन्धित मानकर इस हेतु कठोर दण्ड का प्रावधान है। हमारे देश में भी इस आधार पर साइबर अपराधों को कम किया जा सकता है।
  6. अधिकांश कम्प्यूटर से जुड़े अपराध किसी-न-किसी प्रकार से पासवर्ड चुराकर सम्पन्न किये जाते हैं। अत: महत्त्वपूर्ण दस्तावेजों की चोरी रोकने के लिए यह आवश्यक है कि पासवर्ड जटिल प्रकार के हों तथा इसका ज्ञान केवल इनका उपयोग करने वाले व्यक्ति अथवा संस्था को ही हो।

इस प्रकार स्पष्ट है कि यदि साइबर अपराधों के विरुद्ध प्रारम्भिक स्तर पर ही समुचित कार्यवाही नहीं की जाती है तो मानवाधिकारों और मानवीय मूल्यों का पतन होने से कोई नहीं रोक सकता है। यह एक ऐसी परिस्थिति है कि जिससे आने वाली पीढ़ी खतरे में पड़ सकती है।

लघु उत्तरीय प्रश्न (4 अंक)

प्रश्न 1
साइबर अपराध की अवधारणा को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:

साइबर अपराध की अवधारणा

‘साइबर स्पेस शब्द की रचना सर्वप्रथम विलियम गिब्सन ने अपने उपन्यास ‘न्यूरोमेन्स में की थी। यह शब्द वस्तुतः एक ऐसे समुदाय को इंगित करता है जो एक-दूसरे से परम्परागत रूप से परिभाषित समुदाय की अपेक्षा विस्तृत नेटवर्क से जुड़ा हुआ है। इसमें इससे सम्बन्धित अवधारणाओं; जैसे-साइबर समुदाय, साइबर सम्प्रेषण आदि के व्यवहार के रूप में परिभाषित किया गया है, जहाँ पर व्यक्तिगत कम्प्यूटर आवश्यक और अभिन्न घटक हैं। कम्प्यूटर के अस्तित्व में आने के बाद अस्तित्व में आने वाला यह अपराध अपनी आरम्भिक अवस्था में इतना नहीं फैला था कि भये उत्पन्न करे।

लेकिन समयानुसार कम्प्यूटर और इण्टरनेट तक लोगों की पहुँच जितनी सामान्य होती जा रही है, साइबर अपराध उतनी ही तेजी से बढ़ता जा रहा है। इस प्रकार साइबर अपराध, अपराध को एक अत्याधुनिक प्रकार है जो कम्प्यूटर इण्टरनेट और संचार क्रान्ति के अन्य तकनीकी साधनों के माध्यम से तथा उनकी प्रयोग करने वाले लोगों द्वारा सम्पादित किया जाता है। यह अपराध व्यापारिक व व्यावसायिक परिक्षेत्रों में अधिक होता है। इसके माध्यम से गलत वित्तीय विवरण बनाना, जनता, को प्रत्यक्ष या परोक्ष झूठे विज्ञापन देना, गलत प्रमाण-पत्र बनाना, झूठा बिल बनाना, करों की चोरी, बैंकों के साथ धोखाधड़ी इत्यादि अपराधों को अंजाम दिया जाता है।

प्रश्न 2
साइबर अपराध के प्रकारों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
उत्तर:
साइबर अपराध के प्रकारों का संक्षिप्त वर्णन निम्नलिखित है।
1. कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर के साथ किए जाने वाले अपराध कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर के साथ किए जाने वाले अपराध निम्नलिखित है।

  • उनमें रखे जाने वाले आँकड़ों के साथ छेड़छाड़।
  • पासवर्ड की चोरी।
  • पासवर्ड या अनुचित प्रवेश को रोकने के लिए की गई व्यवस्थाओं का उल्लंघन।
  • कम्प्यूटरों को चलाने के लिए बनाए गए सॉफ्टवेयर की पायरेसी या उनका अनाधिकृत उपयोग।

2. कम्प्यूटर नेटवर्क के साथ किए जाने वाले अपराध कम्प्यूटर नेटवर्क के साथ किए जाने वाले अपराधों में से कुछ प्रमुख निम्न हैं।

  • कम्प्यूटर नेटवर्क पर उपलब्ध सूचनाओं में फेरबदल करना, आँकड़ों की चोरी करना।
  • व्यापार के लिए उपलब्ध जानकारियों की चोरी।
  • क्रेडिट कार्ड आदि के उपयोग के समय उपलब्ध जानकारी के आधार पर जालसाजी और हेराफेरी।
  • कम्प्यूटर नेटवर्क को नुकसान पहुंचाने के लिए वायरस का प्रयोग।
  • अश्लील सामग्री को नेटवर्क पर उपलब्ध कराना।
  • किसी भी देश की सामान्य प्रशासनिक अथवा वित्तीय व्यवस्था को हानि पहुँचाना या पहुँचाने का प्रयास करना।

प्रश्न 3
साइबर अपराध के उत्तर:दायी कारणों का उल्लेख कीजिए।
या
भारत में साइबर क्राइम के प्रमुख कारण बताइए।
उत्तर:
भारत में साइबर क्राइम के प्रमुख कारण भारत में साइबर क्राइम किए जाने के प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं

  1. आर्थिक लाभ के लिए घर में बैठे-बैठे पकड़े जाने के भय के बिना आर्थिक अपराध सरलता से कर लिया जाता है। कभी ई-मेल के जरिए, कभी पासवर्ड हैक करके, कभी बैंक अकाउण्ट से जानकारी प्राप्त करके, कभी क्रेडिट कार्ड चोरी करके आदि तरीकों से आर्थिक लाभ साइबर क्रिमिनल द्वारा लिया जाता है।
  2. राजनीतिक लाभ के लिए अपने संगठन के प्रचार-प्रसार के लिए, सुर्खियाँ बटोरने के लिए, राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा पाने के लिए इण्टरनेट का लाभ लिया जाता है।
  3. संबक सिखाने के उद्देश्य से कभी-कभी स्कूल या कॉलेज में पढ़ने वाले छात्र अपने किसी दोस्त या शिक्षक-शिक्षिका को सबक सिखाने के उद्देश्य से या फिर उनके प्रति आकर्षित होकर साइबर क्राइम कर डालते हैं। उन्हें इस बात का पता नहीं होता है कि वह जोकर रहे हैं, वह संगीन अपराध की श्रेणी में आता है।
  4. मनोवैज्ञानिक कारण से इण्टरनेट के जानकार कभी-कभी मनोरंजनवेश या अपनी जानकारी दूसरों पर प्रदर्शित करने के लिए या किसी को तंग करने या चिढ़ाने के लिए या फिर गोपनीय पत्रों को पढ़कर मनोरंजन करने के लिए साइबर क्राइम कर डालते हैं।
  5. व्यापारिक-व्यावसायिक कारण से कभी-कभी किसी संगठन में काम करने वाले कर्मचारी
    को लगता है कि उसे उपेक्षित किया जा रहा है, उसके कार्य का सही मूल्यांकन नहीं किया जा रहा है। ऐसे व्यक्ति किसी अधिकारी को या संगठन को नुकसान पहुँचाने के लिए साइबर
    क्राइम का सहारा लेते हैं।
  6. प्रतिभा का स्वार्थ पूर्ति हेतु उपयोग-साइबर के तकनीकी विशेषज्ञ अपने स्वार्थ हेतु अपनी तकनीकी जानकारी का दुरुपयोग करते हैं तथा लाभान्वित होते रहते हैं। दूसरों को कम्प्यूटर व इण्टरनेट से नुकसान पहुँचाने से उनका अहम सन्तुष्ट होता है तथा वे यह सोचकर बार-बार अपराध करते हैं कि वे तकनीकी की जानकारी की वजह से दूसरों को हरा पाते हैं।

प्रश्न 4
निम्नलिखित पर टिप्पणी लिखिए-
(क) क्रैकिंग,
(ख) हैकिंग
उत्तर:
(क) क्रैकिंग क्रैकिंग और हैंकिंग एक-दूसरे से घनिष्ठ रूप से सम्बन्धित हैं तथा क्रैकर्स और हैकर्स में भेद अस्पष्ट है। एक व्यक्ति जो साइबर अपराध में किसी प्रकार में लिप्त है, वह दूसरे में भी लिप्त हो सकता है। क्रैकर्स व्यावसायिक सॉफ्टवेयर में उनके कोड बदलकर सेंध लगाते हैं, इस प्रकार कॉपीराइट क्रोचिंग क्रैकिंग का मुख्य स्वरूप है। कुछ व्यावसायिक प्रोग्रामों में विशेषकर पुराने प्रोग्रामों की अवैध प्रतिलिपि बनाये जाने के भय से उन्हें सुरक्षित बनाये रखने के लिए न तोड़े जा सकने वाले कोड का प्रयोग किया जाता है, लेकिन बहुत-से प्रयोगकर्ता (क्रैकर्स) इस कोड को तोड़ने योग्य होते हैं और स्वतन्त्रतापूर्वक इन प्रोग्रामों की प्रतिलिपि बना लेते हैं।

(ख) हैकिंग विस्तार की दृष्टि से हैकिंग एक महत्त्वपूर्ण साइबर अपराध का रूप है। सामयिक तकनीकी में हैकर को एक ऐसे व्यक्ति के रूप में परिभाषित किया जा सकती है जो कम्प्यूटर से पीड़ित है। एक हैकर कम्प्यूटर नेटवर्क में अवैध प्रवेश पा लेता है या वह प्रतिलिप्याधिकार (Copyright) के प्रतिबन्धों (कोड्स) को अपनी चालाकी से तोड़ देता है। फिर भी, हम स्पष्टता के लिए पुरानी पारिभाषिक शब्दावली को स्थापित करेंगे। हैकर्स कम्प्यूटर से पीड़ित कम्प्यूटर व्यवसायी है, जो गहन और स्वच्छन्द या रूढ़ियुक्त ज्ञान का प्रयोग बहुधा अवैध लाभ प्राप्त करने के लिए दूसरे व्यक्ति या संगठन के कम्प्यूटर सिस्टम में प्रवेश करता है।

प्रश्न 5
साइबर अपील अधिकरण (कैट) क्या है?
उत्तर:
भारत में पहले और एकमात्र साइबर न्यायालय की स्थापना केन्द्र सरकार द्वारा सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 48(1) के अन्तर्गत दिए गए प्रावधानों के अनुसार की गई है। न्यायालय को आरम्भ में साइबर विनियम अपील अधिकरण (कैट) के रूप में जाना जाता था। सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम में वर्ष 2008 में संशोधन होने के बाद अधिकरण को साइबर अपील अधिकरण के रूप में जाना जाता है जो सूचना प्रौद्योगिकी विभाग के एक संगठन का भाग है जिसके पीठासीन अधिकारी अध्यक्ष हैं। संशोधित अधिनियम में अधिकरण के लिए केन्द्र सरकार द्वारा तथा कई अन्य सदस्यों को अधिसूचित/नियुक्त करने का प्रावधान किया गया है। कैट का अध्यक्ष साइबर कानून कार्यान्वयन सम्मेलन का संचालन कर सकता है जिसमें भारत में उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश, उच्च न्यायालयों के न्यायाधीश, राज्यों के मुख्य न्यायाधीश, न्यायिक अधिकारी और भारत सरकार के वरिष्ठ अधिकारी शामिल हैं।

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न (2 अंक)

प्रश्न 1
साइबर अपराध की कोई एक परिभाषा दीजिए।
उत्तर:
“साईबर अपराधं, अपराध का एक नवीन प्रकार है जो आधुनिक सूचना समाज (नेटवर्क सोसाइटी) में कम्प्यूटर, इन्टरनेट और संचार क्रान्ति के अन्य प्रौद्योगिकी साधनों को प्रयोग करने वालों द्वारा अपने व्यापारिक व व्यावसायिक क्रियाकलापों के सन्दर्भ में आपराधिक विधानों का उल्लंघन है।”

प्रश्न 2
फ्रीक्स के बारे में संक्षेप में वर्णन कीजिए।
उत्तर:
फ्रीक्स उन व्यक्तियों को कहा जाता है जो टेलीफोन व्यवस्था में अपर्याप्तता से लाभ उठाने के लिए पर्याप्त समय, प्रयास और धन तक लगा देते हैं। इसमें फोन का वास्तविक नम्बर डायल करने से पूर्व शून्य (0) लगाना तथा दूसरे की बातों को उलट देना इत्यादि चालें सम्मिलित हैं।

प्रश्न 3
साइबर रैवर्स से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
‘साइबर रैवर्स (Cyber Ravers) साइबर रैवर्स वे व्यक्ति हैं जो कला के उच्च वैयक्तिक कार्यों की रचना के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग करते हैं। भारत के प्रसिद्ध चित्रकार मकबूल फिदा हुसैन द्वारा कला का प्रयोग करके कम्प्यूटर से बनायी गयी कलाकृतियाँ इसी श्रेणी में आती हैं। यद्यपि कम्प्यूटर की कुशल योग्यताओं द्वारा चित्र व आवाज का उपयोग कलात्मक उद्देश्यों के लिए किया जाता है, तथापि इसका उपयोग ज्यादातर संदिग्ध उद्देश्यों के लिए बहुत आसानी से किया जाता है।

प्रश्न 4
साइबर जनित अपराधों की रोकथाम के कोई दो उपाय लिखिए।
उत्तर:
साइबर जनित अपराधों की रोकथाम के दो उपाय अग्रलिखित हैं

  • पासवर्ड को जटिल प्रकार का रखना तथा इसका पता उपयोग करने वाले व्यक्ति या संस्थान तक ही सीमित रखना।
  • सॉफ्टवेयरों को पायरेसी से बचाना।

निश्चित उत्तीय प्रश्न (1 अंक)

प्रश्न 1
इण्टरनेट का आविष्कार कब हुआ था?
उत्तर:
अमेरिकी वैज्ञानिकों द्वारा इण्टरनेट का आविष्कार सन् 1969 में किया गया था।

प्रश्न 2
नेटिजंस क्या है?
उत्तर:
नेटिजंस का शाब्दिक तात्पर्य इण्टरनेट के प्रयोगकर्ताओं से है। यह शब्द दो शब्दों Internet और Citizen का संक्षिप्त रूप है।

प्रश्न 3
एकाउण्ट क्या है?
उत्तर:
प्रयोगकर्ताओं के साइबर नाम और उनके पासवर्ड के प्रत्येक समूह को ‘एकाउण्ट’ कहते हैं।

प्रश्न 4
साइबर अपराध किस समाज से अत्यधिक जुड़ा हुआ है?
उत्तर:
सूचना समाज से

बहुविकल्पीय प्रश्न (1 अंक)

प्रश्न 1.
निम्नलिखित में अपराध की सबसे नवीनतम अवधारणा है।
(क) श्वेतवसन अपराध
(ख) बाल अपराध
(ग) तस्करी
(घ) साइबर अपराध
उत्तर:
(घ) साइबर अपराध

प्रश्न 2.
साइबर अपराध को स्वरूप है।
(क) साइबर पोर्न
(ख) हैकर्स
(ग) क्रैकर्स
(घ) ये सभी
उत्तर:
(घ) ये सभी

प्रश्न 3.
ई-मेल एकाउण्ट से किसी अन्य व्यक्ति द्वारा गुप्त रूप से छेड़छाड़ करना किसके अन्तर्गत आता है?
(क) साइबर अपराध
(ख) बाल अपराध
(ग) ई-मेल अपराध
(घ) साइट अपराध
उत्तर:
(क) साइबर

प्रश्न 4.
साइबर अपराध के अन्तर्गत नहीं आता है
(क) हैकिंग
(ख) फिल्म शूटिंग
(ग) क्रैकिंग
(घ) पोर्नोग्राफी
उत्तर:
(ख) फिल्म शूटिंग

प्रश्न 5.
साइबर अपराध को प्रश्रय देने वाले कारक हैं
(क) स्वार्थ एवं नैतिक पतन
(ख) शिक्षा की कमी
(ग) बेरोजगारी
(घ) ये सभी अपराध,
उत्तर:
(घ) ये सभी

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