UP Board Solutions for Class 8 History Chapter 5 प्रथम स्वतंत्रता संग्राम-कारण एवं परिणाम

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प्रथम स्वतंत्रता संग्राम-कारण एवं परिणाम

अभ्यास

प्रश्न 1.
बहुविकल्पीय प्रश्न
(1) 1857 ई० की क्रांति के लिए तिथि निश्चित की गई
(क) 8 अप्रैल 1857 ई०
(ख) 31 मई 1857 ई०
(ग) 10 मई 1857 ई०
(घ) 1 जून 1857 ई०

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(2) बहादुरशाह द्वितीय की मृत्यु हुई
(क) रंगून में
(ख) कानपुर में
(ग) झाँसी में
(घ) लखनऊ में :

प्रश्न 2.
अतिलघु उत्तरीय प्रश्न
(1) 1835 ई० में कम्पनी के सिक्कों से किसका नाम हटा दिया गया?
उत्तर
1835 ई० में कम्पनी के सिक्कों से मुगल सम्राट बहादुरशाह जफर का नाम हटा दिया गया।

(2) सन् 1857 ई० की क्रांति की शुरूआत कहाँ से हुई?
उत्तर
सन् 1857 ई० की क्रांति की शुरूआत बैरकपुर से हुई।

(3) बंगाले छावनी के किस सिपाही ने कारतूस का प्रयोग करने से मना कर दिया था?
उत्तर
बंगाल छावनी के सिपाही मंगल पाण्डे ने कारतूस का प्रयोग करने से मना कर दिया था।

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प्रश्न 3.
लघु उत्तरीय प्रश्न
(1) 1857 ई० की क्रांति के चार कारण लिखिए।
उत्तर
(क) राजनैतिक कारण- अँग्रेजों की युद्ध नीति, लॉर्ड वेलेजली द्वारा चलाई गई सहायक सन्धि नीति तथा लॉर्ड डलहौजी की लैप्स नीति के परिणामस्वरूप बंगाल, बिहार, उड़ीसा, अवध, हैदराबाद, म्यांमार (बर्मा), पंजाब, सतारा, नागपुर, झाँसी आदि भारतीय रियासतों को हड़प लिया गया। अँग्रेजों ने ‘ग्राम स्वराज्य’ (पंचायतों) को समाप्त करके (UPBoardSolutions.com) लोगों को गुलामी की जंजीरों में जकड़ लिया, जिससे राजनैतिक असंतोष फैल गया।

(ख) आर्थिक शोषण- अंग्रेजों ने भारतीय व्यापार तथा दस्तकारियों को नष्ट कर दिया। वे भारत से कच्चा माल कौड़ियों के भाव खरीद लेते थे और अपने कारखानों में उसे संशोधित कर तैयार माल को भारत के बाजारों में ऊँचे दामों पर बेचते थे। अँग्रेजों की भूमि-कर नीति के बाद भारत में अकाल पड़े और बेरोजगारी फैल गई। उच्च सरकारी नौकरियों के दरवाजे भारतीयों के लिए बन्द कर दिए गए।

(ग) धार्मिक हस्तक्षेप- अँग्रेजों ने बड़ी संख्या में भारतीयों को ईसाई बना लिया। एक कानून द्वारा धर्म-परिवर्तन करने वालों को पैतृक सम्पत्ति में हिस्सा देने का निर्णय लिया गया। इससे अँग्रेजों ने ईसाई बनने वालों के हितों की रक्षा की। भारतीय हिन्दुओं तथा मुसलमानों में असन्तोष का यह एक प्रमुख कारण था।

(घ) सामाजिक कारण- अँग्रेज साम्राज्यवादी नीति पर चलकर अपने स्वार्थ को पाल रहे थे। घूस और भ्रष्टाचार का बाजार गर्म था। अँग्रेजों ने पंचायत व्यवस्था को भी समाप्त कर दिया। इससे न्याय महँगा हो गया और देर से मिलने लगा। नई भूमि-कर व्यवस्था से भी किसानों का शोषण हुआ, जिससे अँग्रेजों के विरुद्ध जन-असंतोष का बढ़ना स्वाभाविक था।

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(2) 1857 ई० की क्रांति की असफलता के कारण लिखिए।
उत्तर
1857 ई० की क्रान्ति की असफलता के कारण

  1. क्रान्ति की असफलता का सबसे बड़ा कारण किसी निश्चित योजना तथा केन्द्रीय संगठन का न होना था, जिससे स्थानीय विद्रोह एक-दूसरे से जुड़कर राष्ट्रव्यापी स्वरूप धारण न कर सका।
  2. सारे देश में एक निश्चित तिथि को क्रान्ति का प्रारम्भ न होना (UPBoardSolutions.com) भी विद्रोहियों की हार का एक कारण था।
  3. यातायात के प्रमुख साधनों (विशेषकर रेलों) तथा डाक-तार व्यवस्था पर अँग्रेजों को अधिकार था। इससे वे अपने सैनिकों को युद्ध के स्थानों पर शीघ्र पहुँचा देते थे। उन्हें संचार साधनों से विद्रोहियों की गतिविधियों का तुरन्त पता चल जाता था और वे समय रहते ही उनसे निपटने की योजना बना लेते थे।
  4. अँग्रेजों को अपने मातृदेश इंग्लैण्ड से निरन्तर जन, धन तथा सामरिक सामग्री की पूरी सहायता मिलती रही, जिससे उनकी स्थिति मजबूत बनी रही और उनका मनोबल ऊँचा रहा।
  5. अँग्रेजों की अपेक्षा क्रान्तिकारियों के नेता अनुभवहीन तथा अयोग्य थे।
  6. बहुत-से भारतीय नरेशों ने भी अँग्रेजों का साथ दिया।

प्रश्न 4.
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
(1) 1857 ई० की क्रांति की प्रमुख घटनाओं के बारे में लिखिए।
उत्तर
1857 ई० की क्रांति की प्रमुख घटनाएँ निम्नलिखित हैं-
बैरकपुर में लार्ड कैनिंग ने चर्बीयुक्त कारतूस के प्रयोग के लिए भारतीय सैनिकों के साथ धोखाधड़ी की। 29 मार्च, 1857 को बंगाल छावनी के सिपाही मंगल पाण्डे ने कारतूस के प्रयोग से मना कर दिया तथा अपने साथियों को विद्रोह के लिए संगठित किया। इसके परिणाम स्वरूप मंगल पाण्डे को फाँसी दे दी गयी।

मेरठ में 9 मई की घटना के अनुसार 90 में से 85 सिपाहियों ने कारतूस में दाँत लगाने से मना कर दिया। इस कारण इन सिपाहियों को दस वर्ष की जेल की सख्त सजा दी गयी। 19 मई, 1857 को मेरठ में तैनात पूरी (UPBoardSolutions.com) भारतीय सेना ने विद्रोह कर दिया तथा जेल पर धावा बोलकर अपने साथियों को छुड़ा लिया और कई अंग्रेज अधिकारियों को मार डाला।

बहराइच में हजारों सैनिकों ने दिल्ली की ओर कूच किया। वहाँ के लोग उनके साथ मिलकर लालकिले पहुँचे। वहाँ पहुँचकर बहादुरशाह-द्वितीय को भारत का शासक घोषित कर दिया।

बरेली में खान बहादुर खान ने क्रांति का नेतृत्व किया उन्होंने स्वयं को नवाब घोषित कर दिया। कैम्पबेल के नेतृत्व में यहाँ की क्रांति को दबाया गया तथा खान बहादुर खान को फाँसी दे दी गई।

कानपुर में नाना साहब पेशवा घोषित कर दिए गए। अजीम उल्ला खाँ नाना साहब का सहयोगी था। नाना साहेब ने अंग्रेजों की सारी फौज को कानपुर से खदेड़ दिया।

आजमगढ़ में स्वतंत्रता संग्राम का नेतृत्व बाबू कुँवर सिंह ने किया। अतरौलिया नामक स्थान पर उन्होंने मिलमैन एवं डेन्स की संयुक्त अंग्रेजी सेना को पराजित किया। युद्ध में लड़ते-लड़ते 26 अप्रैल, 1858 ई० को इनकी मृत्यु हो गई।

झाँसी में रानी लक्ष्मी बाई सर हयूरोज की सेना के साथ बहादुरी से लड़ीं किन्तु झाँसी पर अंग्रेजों ने अधिकार कर लिया। रानी बहादुरी से लड़ते हुए मारी गयीं।

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