UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 15 Waves

UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 15 Waves (तरंगें) are part of UP Board Solutions for Class 11 Physics . Here we have given UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 15 Waves (तरंगें)

Board UP Board
Textbook NCERT
Class Class 11
Subject Physics
Chapter Chapter 15
Chapter Name Waves
Number of Questions Solved 177

UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 15 Waves (तरंगें)

अभ्यास के अन्तर्गत दिए गए प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
2.50 kg द्रव्यमान की 20 cm लम्बी तानित डोरी पर 200 N बल का तनाव है। यदि इस डोरी के एक सिरे को अनुप्रस्थ झटका दिया जाए, तो उत्पन्न विक्षोभ कितने समय में दूसरे सिरे तक पहुँचेगा?
हल-
डोरी का द्रव्यमान m = 250 kg, लम्बाई l = 20 cm = 0.2 m
तथा डोरी का तनाव T = 200 N
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प्रश्न 2.
300 m ऊँची मीनार के शीर्ष से गिराया गया पत्थर मीनार के आधार पर बने तालाब के पानी से टकराता है। यदि वायु में ध्वनि की चाल 340 ms-1 है तो पत्थर के टकराने की ध्वनि मीनार के शीर्ष पर पत्थर गिराने के कितनी देर बाद सुनाई देगी?(g = 9. 8 ms-2)
हल-
माना पत्थर को तालाब तक पहुँचने में t1 तथा ध्वनि को तालाब से मीनार के शीर्ष तक पहुँचने में t2 समय लगता है।
पत्थर की मीनार के शीर्ष से तालाब तक गति ।
u = 0, h = 300 m, g = 9.8 ms-2, समय = t1
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प्रश्न 3.
12.0 m लम्बे स्टील के तार का द्रव्यमान 2.10 kg है। तीर में तनाव कितना होना चाहिए ताकि उस तार पर किसी अनुप्रस्थ तरंग की चाल 20°C पर शुष्क वायु में ध्वनि की चाल (343 ms-1) के बराबर हो।
हल-
यहाँ L = 120 मीटर लम्बे तार का द्रव्यमान M = 2.10 किग्रा तथा तार में अनुप्रस्थ तरंग की चाल v = 343 मी-से-1
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प्रश्न 4.
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का उपयोग करके स्पष्ट कीजिए कि वायु में ध्वनि की चाल क्यों
(a) दाब पर निर्भर नहीं करती,
(b) ताप के साथ बढ़ जाती है, तथा
(c) आर्द्रता के साथ बढ़ जाती है?
उत्तर-
(a) वायु में ध्वनि की चाल पर दाब का प्रभाव-वायु में ध्वनि की चाल के सूत्र

से। प्रतीत होता है कि दाब P के बदलेने पर ध्वनि की चाल v का मान भी बदल जाएगा परन्तु वास्तव में ऐसा नहीं होता।
माना’ परमताप T पर किसी गैस के 1 ग्राम-अणु द्रव्यमान का आयतन V तथा दाब P है।
यदि गैस का अणुभार M तथा घनत्व d हो तो
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(c) वायु में ध्वनि की चाल पर आर्द्रता का प्रभावे-आर्द्र वायु (जलवाष्प मिली हुई) का घनत्व d, शुष्कं वायु के घनत्व की तुलना में कम होता है। इस कारण आर्द्र वायु में ध्वनि की चाल शुष्क वायु की तुलना में बढ़ जाती है।

प्रश्न 5.
आपने यह सीखा है कि एक विमा में कोई प्रगामी तरंग फलन y = f (x t) द्वारा निरूपित की जाती है, जिसमें x तथा t को x – vt अथवा x + vt है अर्थात y = f (x ± vt) संयोजन में प्रकट होना चाहिए। क्या इसका प्रतिलोम भी सत्य है? नीचे दिए गए y के प्रत्येक फलन का परीक्षण करके यह बताइए कि क्या वह किसी प्रगामी तरंग को निरूपित कर सकता है
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उत्तर-
इसका प्रतिलोम सत्य नहीं है। फलन f(x ± ut) को प्रगामी तरंग निरूपित करने के लिए इस फलन को प्रत्येक क्षण तथा प्रत्येक बिन्दु पर निश्चित तथा परिमित होना चाहिए।
(a) जब x →∞ अथवा t →∞ तो फलन (x – vt)² अपरिमित हो जाएगा; अत: यह फलन प्रगामी तरंग को निरूपित नहीं कर सकता।
(b) जब x →∞ अथवा t →∞ तो फलन log [latex s=2]log\left( \frac { x+\upsilon t }{ { x }_{ 0 } } \right) [/latex] अपरिमित हो जाएगा; अत: यह फलन प्रगामी तरंग को निरूपित नहीं कर सकता।
(c) जब x →∞ अथवा t →∞ तो यह फलन परिमित बना रहेगा; अत: यह फलन सम्भवतया प्रगामी तरंग को निरूपित कर सकता है।

प्रश्न 6.
कोई चमगादड़ वायु में 1000 kHz आवृत्ति की पराश्रव्य ध्वनि उत्सर्जित करता है। यदि यह ध्वनि जल के पृष्ठ से टकराती है तो
(a) परावर्तित ध्वनि, तथा (b) पारगमित ध्वनि की तरंगदैर्घ्य ज्ञात कीजिए। वायु तथा जल में ध्वनि की चाल क्रमशः 340 ms-1 तथा 1486 ms-1है।
हल-
यहाँ आपतित तरंग की आवृत्ति ,
n = 1000 kHz = 106 Hz = 106 सेकण्ड-1
वायु में ध्वनि की चाल υ1 = 340 मी-से-1
जल में ध्वनि की चाल υ2 = 1486 मी-से-1
(a) परावर्तित ध्वनि वायु में ही गति करेगी। अतः उसकी तरंगदैर्घ्य ।
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(b) पारगमित ध्वनि की आवृत्ति भी n ही होगी क्योंकि अपवर्तन से आवृत्ति नहीं बदलती है तथा यह जल में, गति करेगी। अतः इसकी तरंगदैर्घ्य
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प्रश्न 7.
किसी अस्पताल में ऊतकों में ट्यूमरों का पता लगाने के लिए पराश्रव्य स्कैनर का प्रयोग किया जाता है। उस ऊतक में ध्वनि में तरंगदैर्ध्य कितनी है जिसमें ध्वनि की चाल 1.7 kms-1 है? स्कैनर की प्रचालन आवृत्ति 4.2 MHz है।
हल-
ध्वनि की चाल v = 1.7 किमी-से-1 = 1.7 x 103 मी-से-1
आवृत्ति n = 4.2 MHz = 4.2×106 से-1
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प्रश्न 8.
किसी डोरी पर कोई अनुप्रस्थ गुणावृत्ति तरंग का वर्णन
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द्वारा किया जाता है। यहाँ x तथा y सेण्टीमीटर में तथा t सेकण्ड में है। x की धनात्मक दिशा बाएँ से दाएँ है।
(a) क्या यह प्रगामी तरंगे है अथवा अप्रगामी ? यदि यह प्रगामी तरंग है तो इसकी चाल तथा संचरण की दिशा क्या है?
(b) इसका आयाम तथा आवृत्ति क्या है?
(c) उद्गम के समय इसकी आरम्भिक कला क्या है?
(d) इस तरंग में दो क्रमागंत शिखरों के बीच की न्यूनतम दूरी क्या है?
हल-
(a) दिए गए समी० को पुनर्व्यवस्थित करके निम्नलिखित प्रकार से लिखा जा सकता है
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प्रश्न 9.
प्रश्न 8 में वर्णित तरंग के लिए x = 0 cm, 2 cm तथा 4 cm के लिए विस्थापन (y) और समयं (t) के बीच ग्राफ आलेखित कीजिए। इन ग्राफों की आकृति क्या है? आयाम, आवृत्ति अथवा कला में से किन पहलुओं में प्रगामी तरंग में दोलनी गति एक बिन्दु से दूसरे बिन्दु पर भिन्न है?
हल-
दी गयी प्रगामी तरंग का समीकरण
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प्रश्न 10.
प्रगामी गुणावृत्ति तरंग y (x,t) = 20 cos 2π (10t – 0.0080x + 0.35) जिसमें x तथा y को m में तथा t को s में लिया गया है, के लिए उन दो दोलनी बिन्दुओं के बीच कलान्तर कितना है जिनके बीच की दूरी है
(a) 4m
(b) 0.5 m
(c) [latex s=2]\frac { \lambda }{ 2 } [/latex]
(d) [latex s=2]\frac { 3\lambda }{ 4 }  [/latex]
हल-
दिए गये समी० y (x,t) = 20 cos 2π (10t – 0.0080x + 0.35) की तुलना प्रामाणिक समीकरण
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प्रश्न 11.
दोनों सिरों पर परिबद्ध किसी तानित डोरी पर अनुप्रस्थ विस्थापन को इस प्रकार व्यक्त किया गया है
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जिसमें x तथा y को मीटर में तथा १ को सेकण्ड में लिया गया है। इसमें डोरी की लम्बाई 1.5 m है जिसकी संहति 30 x 10-2 kg है। निम्नलिखित का उत्तर दीजिए
(a) यह फलन प्रगामी रंग अथवा अप्रगामी तरंग में से किसे निरूपित करता है?
(b) इसकी व्याख्या विपरीत दिशाओं में गमन करती दो तरंगों के अध्यारोपण के रूप में करते | हुए प्रत्येक तरंग की तरंगदैर्घ्य, आवृत्ति तथा चाल ज्ञात कीजिए।
(c) डोरी में तनाव ज्ञात कीजिए।
हल-
(a) दिया गया फलन दो आवर्तफलनों के गुणनफल के रूप में हैं जिसमें एक x का ज्या फलन तथा दूसरा t का कोज्या फलन है। अत: यह अप्रगामी तरंग को व्यक्त करता है।
(b) ∵ 2 sin A• cos B = sin (A + B) + sin (A – B)
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प्रश्न 12.
(i) प्रश्न 11 में वर्णित डोरी पर तरंग के लिए बताइए कि क्या डोरी के सभी बिन्दु समान  (a) आवृत्ति, (b) कला, (c) आयाम से कम्पन करते हैं? अपने उत्तरों को स्पष्ट कीजिए।
(ii) एक सिरे से 0.375 m दूर के बिन्दु का आयाम कितना है?
हले-
(i) (a) निस्पन्द के अतिरिक्त डोरी के सभी बिन्दुओं की आवृत्ति n = 60 सेकण्ड-1 समान है।
(b) एक लूप में सभी बिन्दु समान कला में कम्पन करते हैं। (निस्पन्द के अतिरिक्त)
(c) दी गयी अप्रगामी तरंग फलन से x दूरी पर तुरंग का आयाम
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प्रश्न 13.
नीचे किसी प्रत्यास्थ तरंग (अनुप्रस्थ अथवा अनुदैर्घ्य) के विस्थापन को निरूपित करने वाले x तथा t के फलन दिए गए हैं। यह बताइए कि इनमें से कौन (i) प्रगामी तरंग को, (ii) अप्रगामी तरंग को, (iii) इनमें से किसी भी तरंग को निरूपित नहीं करता है।
(a) y = 2 cos (3x) sin 10t
(b) y = 2√x-vt
(c) = 3 sin (5x – 0.5t) + 4 cos (5x – 0.5t)
(d) y = cos x sint + cos 2x sin 2t
उत्तर-
(a) यह फलन एक अप्रगामी तरंग निरूपित करता है।
(b) x→∞ अथवा t →∞ पर फलन अपरिमित हो जाता है; अत: यह किसी भी प्रकार की तरंग को निरूपित नहीं करता।
(c) दिया गया फलन -अक्ष की धन दिशा (एक ही दिशा) में चलने वाली दो तरंगों, जिनके बीच [latex s=2]\left( \frac { \pi }{ 2 } \right) [/latex] का कलान्तर है, के अध्यारोपण से बनी तरंग को प्रदर्शित करता है; अत: यह एक प्रगामी तरंग है।
(d) दिया गया फलन y = cosxsint + cos2xt sin 2t, दो अप्रगामी तरंगों के अध्यारोपण को प्रदर्शित करता है।

प्रश्न 14.
दो दृढ़ टेकों के बीच तानित तार अपनी मूल विधा में 45 Hz आवृत्ति से कम्पन करता है। इस तार का द्रव्यमान 3.5 x 10-2 kg तथा रैखिक द्रव्यमान घनत्व 40 x 10-2 kg m-1 है। (a) तार पर अनुप्रस्थ तरंग की चाल क्या है, तथा (b) तार में तनाव कितना है?
हल-
तार की मूल आवृत्ति n = 45 हज = 45 सेकण्ड-1
तार का रैखिक घनत्व अर्थात् एकांक लम्बाई का द्रव्यमान
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प्रश्न 15.
एक सिरे एर खुली तथा दूसरे सिरे पर चलायमान पिस्टन लगी 1 m लम्बी नलिका, किसी नियत आवृत्ति के स्रोत (340 Hz आवृत्ति का स्वरित्र द्विभुज) के साथ, जब नलिका में वायु कॉलम 25.5 cm अथवा 79.3 cm होता है तब अनुनाद दर्शाती है। प्रयोगशाला के ताप पर वायु में ध्वनि की चाल का आकलन कीजिए। कोर के प्रभाव को नगण्य मान सकते हैं।
हल-
यदि अनुनादित वायु-स्तम्भों की पहली दो क्रमिक लम्बाइयाँ l1 व l2 हैं तथा स्वरित्र द्विभुज की आवृत्ति n हो, तो वायु-स्तम्भ में ध्वनि की चाल ।
v = 2n(l2 – l1)
= 2x 340 सेकण्ड-1 x (79.3-25.5) सेमी
= 36584 सेमी/सेकण्ड ।
= 365.84 मीटर/सेकण्डे

प्रश्न 16.
100 cm लम्बी स्टील-छड़ अपने मध्य बिन्दु पर परिबद्ध है। इसके अनुदैर्ध्य कम्पनों की मूल आवृत्ति2.53 kHz है। स्टील में ध्वनि की चाल क्या है?
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हल-
l = 100 सेमी = 1.00 मीटर की छड़ के मध्यबिन्दु पर परिबद्ध होने पर इसमें अनुदैर्ध्य कम्पन दिए चित्र 15.4 की भाँति होंगे। मध्य बिन्दु पर निस्पन्द तथा छड़ के स्वतन्त्र सिरों पर प्रस्पन्द बनेंगे। चित्र से स्पष्ट है कि
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प्रश्न 17.
20 cm लम्बाई के पाइप का एक सिरा बन्द है। 430 Hz आवृत्ति के स्रोत द्वारा इस पाइप की कौन-सी गुणावृत्ति विधा अनुनाद द्वारा उत्तेजित की जाती है? यदि इस पाइप के दोनों | सिरे खुले हों तो भी क्या यह स्रोत इस पाइप के साथ अनुनाद करेगा? वायु में ध्वनि की चाल 340 ms-1 है।
हल-
बन्द ऑर्गन पाइप की लम्बाई l = 20 सेमी = 0.20 मीटर
वायु में ध्वनि की चाल v = 340 मी/से
∴ बन्द ऑर्गन पाइप की मूल आवृत्ति
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यह प्रथम संनादी होगा इसके तृतीय एवं पाँचवें संनादी की आवृत्ति क्रमशः 3nc = 1275 Hz तथा 5nc = 2125 Hz होंगी। अतः 430 Hz आवृत्ति के स्रोत द्वारा पाइप की पहली गुणावृत्ति (मूलस्वरक) अनुनाद द्वारा उत्तेजित की जा सकती है।
पाइप के दोनों सिरे खुले होने पर उसकी (खुले ऑर्गन पाइप) मूल आवृत्ति
[latex s=2]{ n }_{ 0 }=\frac { \upsilon }{ 2l } [/latex] = 2x 425 = 850 Hz
इनके द्वितीय, तृतीय…. संनादी की आवृत्तियाँ क्रमशः 2n0 = 1700 Hz, 3n0 = 2550 Hz होंगी। अतः 430 Hz आवृत्ति के स्रोत से इसका कोई भी संनादी उत्तेजित नहीं हो सकेगा। इसलिए पाइप के दोनों सिरे खुले होने पर दिया हुआ 430 Hz आवृत्ति वाला स्रोत इसके साथ अनुनाद नहीं करेगा।
वैकल्पिक विधि-माना 430 Hz आवृत्ति का स्वरित्र N वें संनादी के साथ अनुनाद करता है।
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परन्तु N पूर्णांक होना चाहिए। अतः दोनों सिरों पर खुला पाइप 430 Hz आवृत्ति के स्रोत दाब किसी भी विधा में अनुनाद द्वारा उत्तेजित नहीं हो सकता है।

प्रश्न 18.
सितार की दो डोरियाँ A तथा B एक साथ ‘गा’ स्वर बजा रही हैं तथा थोड़ी-सी बेसुरी होने के कारण 6 Hz आवृत्ति के विस्पन्द उत्पन्न कर रही हैं। डोरी A का तनाव कुछ घटाने पर । विस्पन्द की आवृत्ति घटकर 3 Hz रह जाती है। यदि A की मूल आवृत्ति 324 Hz है तो B की आवृत्ति क्या है ?
हल-
दिया है डोरी A की आवृत्ति nA = 324 Hz
प्रति सेकण्ड विस्पन्दों की संख्या x = 6
∴डोरी B की सम्भव आवृत्तियाँ nB = nA ± x = (324 ± 6) Hz
= 330 Hz अथवा 318 Hz
तनी हुई डोरी की आवृत्ति n ∝√T (तनाव के नियम से)
अत: डोरी A पर तनाव घटाने से इसकी आवृत्ति घटेगी। यदि B की सही आवृत्ति 330 Hz मान ली जाए। तो nA = 324 Hz के घटने पर 330 Hz से उसका अन्तर 6 से अधिक आयेगा अर्थात् विस्पन्द बढ़ेंगे परन्तु विस्पन्द आवृत्ति घट रही है, अत: B की सही आवृत्ति 330 Hz न होकर 318 Hz ही होगी; चूँकि तनाव घटाने पर जब A की आवृत्ति 324 से घटकर 321 रह जायेगी तब 318 से इसका अन्तर 3 आयेगा, जो प्रश्न के अनुकूल है।

प्रश्न 19.
स्पष्ट कीजिए क्यों (अथवा कैसे)-
(a) किसी ध्वनि तरंग में विस्थापन निस्पन्द, दाब प्रस्पन्द होता है और विस्थापन प्रस्पन्द, दाब निस्पन्द होता है।
(b) आँख न होने पर भी चमगादड़ अवरोधकों की दूरी, दिशा, प्रकृति तथा आकार सुनिश्चित कर लेते हैं।
(c) वायलिन तथा सितार के स्वरों की आवृत्तियाँ समान होने पर भी हम दोनों से उत्पन्न स्वरों में भेद कर लेते हैं।
(d) ठोस अनुदैर्घ्य तथा अनुप्रस्थ दोनों प्रकार की तरंगों का पोषण कर सकते हैं जबकि गैसों में केवल अनुदैर्ध्य तरंगें ही संचरित हो सकती हैं, तथा ।
(e) परिक्षेपी माध्यम में संचरण के समय स्पन्द की आकृति विकृत हो जाती है।
उत्तर-
(a) ध्वनि तरंगों में जहाँ माध्यम के कणों का विस्थापन न्यूनतम (विस्थापन निस्पन्द) होता है वहाँ कण अत्यधिक पास-पास होते हैं अर्थात् वहाँ दाब अधिकतम (दाब प्रस्पन्द) होता है तथा जहाँ विस्थापन महत्तम (विस्थापन-प्रस्पन्द) होता है वहाँ कण दूर-दूर होते हैं अर्थात् वहाँ दाब न्यूनतम (दाब निस्पन्द) होता है।
(b) चमगादड़ उच्च आवृत्ति की पराश्रव्य तरंगें उत्सर्जित करते हैं। ये तरंगें अवरोधकों से टकराकर वापस लौटती हैं तो चमगादड़ इन्हें अवशोषित कर लेते हैं। परावर्तित तरंग की आवृत्ति तथा तीव्रता की प्रेषित तरंग से तुलना करके चमगादड़ अवरोधकों की दूरी, दिशा, प्रकृति तथा आकार सुनिश्चित कर लेते हैं।
(c) प्रत्येक स्वर में एक मूल स्वरक के साथ कुछ अधिस्वरक भी उत्पन्न होते हैं। यद्यपि वायलिन तथा सितार से उत्पन्न स्वरों में मूल स्वरकों की आवृत्तियाँ समान रहती हैं परन्तु उनके साथ उत्पन्न होने वाले अधिस्वरकों की संख्या, आवृत्तियाँ तथा आपेक्षिक तीव्रताओं में भिन्नता होती है। इसी भिन्नता के कारण इन्हें पहचान लिया जाता है।
(d) ठोसों में आयतन प्रत्यास्थता के साथ-साथ अपरूपण प्रत्यास्थती भी पाई जाती है; अत: ठोसों में दोनों प्रकार की तरंगें संचरित हो सकती हैं। इसके विपरीत गैसों में केवल आयतन प्रत्यास्थता ही पाई जाती है; अत: गैसों में केवल अनुदैर्ध्य तरंगें ही संचरित हो पाती हैं।
(e) प्रत्येक ध्वनि स्पन्द कई विभिन्न तरंगदैर्यों की तरंगों का मिश्रण होता है। जब यह स्पन्द परिक्षेपी माध्यम में प्रवेश करता है तो ये तरंगें अलग-अलग वेगों से गति करती हैं; अत: स्पन्द की आकृति विकृत हो जाती है।

प्रश्न 20.
रेलवे स्टेशन के बाह्य सिगनल पर खड़ी कोई रेलगाड़ी शान्त वायु में 400 Hz आवृत्ति की सीटी बजाती है।
(i) प्लेटफॉर्म पर खड़े प्रेक्षक के लिए सीटी की आवृत्ति क्या होगी जबकि रेलगाड़ी (a) 10 ms-1 चाल से प्लेटफॉर्म की ओर गतिशील है, तथा (b) 10 ms-1 चाल से प्लेटफॉर्म से दूर जा रही है?
(ii) दोनों ही प्रकरणों में ध्वनि की चाल क्या है? शान्त वायु में ध्वनि की चाल 340 ms-1 लीजिए।
हल-
(i) सीटी की आवृत्ति ν = 400 Hz,
रेलगाड़ी की चाल υs = 10 m s-1
शान्त वायु में ध्वनि की चाल υ = 340 ms-1
(a) जब रेलगाड़ी (ध्वनि-स्रोत) स्थिर प्रेक्षक की ओर गतिशील है तो प्रेक्षक द्वारा सुनी गई ध्वनि की आवृत्ति ।
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(b) जब रेलगाड़ी (स्रोत) स्थिर प्रेक्षक से दूर जा रही है तो प्रेक्षक द्वारा सुनी गई ध्वनि की आवृत्ति,
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(ii) दोनों प्रकरणों में ध्वनि की चाल 340 m s-1 (अपरिवर्तित) है।

प्रश्न 21.
स्टेशन यार्ड में खड़ी कोई रेलगाड़ी शान्त वायु में 400 Hz आवृत्ति की सीटी बजा रही है। तभी 10 ms-1 चाल से यार्ड से स्टेशन की ओर वायु बहने लगती है। स्टेशन के प्लेटफॉर्म पर खड़े किसी प्रेक्षक के लिए ध्वनि की आवृत्ति, तरंगदैर्घ्य तथा चाल क्या हैं? क्या यह स्थिति तथ्यतः उस स्थिति के समरूप है जिसमें वायु शान्त हो तथा प्रेक्षक 10 ms-1 चाल से यार्ड की ओर दौड़ रहा हो? शान्त वायु में ध्वनि की चाल 340 ms-1 ले सकते हैं।
हल-
सीटी की आवृत्ति ν = 400 Hz, शान्त वायु में ध्वनि की चाल υ = 340 ms-1
वायु की (प्रेक्षक की ओर) चाल W = 10 m s-1
∵रेलगाड़ी (स्रोत) तथा प्रेक्षक दोनों स्थिर हैं; अतः υs = 0, υ0 = 0
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नहीं, यदि प्रेक्षक यार्ड की ओर दौड़ेगा, तो प्रभावी तरंगदैर्घ्य घट जाएगी तथा आवृत्ति बढ़ जाएगी जबकि ध्वनि की चाल अपरिवर्तित रहेगी।

अतिरिक्त अभ्यास

प्रश्न 22.
किसी डोरी पर कोई प्रगामी गुणावृत्ति तरंग इस प्रकार व्यक्त की गई है।
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(a) x = 1cm तथा t = 1s पर किसी बिन्दु का विस्थापन तथा दोलन की चाल ज्ञात कीजिए। क्या यह चाल तरंग संचरण की चाल के बराबर है?
(b) डोरी के उन बिन्दुओं की अवस्थिति ज्ञात कीजिए जिनका अनुप्रस्थ विस्थापन तथा चाल उतनी ही है जितनी x = 1cm पर स्थित बिन्दु की समय t = 2s,5 s तथा 11s पर है।
हल-
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प्रश्न 23.
ध्वनि का कोई सीमित स्पन्द (उदाहरणार्थ सीटी की ‘पिप) माध्यम में भेजा जाता है। (a) क्या इस स्पन्द की कोई निश्चित (i) आवृत्ति, (ii) तरंगदैर्घ्य, (iii) संचरण की चाल है? (b) यदि स्पन्द दर 1स्पन्द प्रति 20 s है अर्थात सीटी प्रत्येक 20 s के पश्चात सेकण्ड , के कुछ अंश के लिए बजती है तो सीटी द्वारा उत्पन्न स्वर की आवृत्ति (1/20) Hz अथवा 0.05 Hz है?
उत्तर-
(a) नहीं, किसी स्पन्द की कोई निश्चित आवृत्ति अथवा तरंगदैर्घ्य नहीं होती। स्पन्द के संचरण की चाल निश्चित है जो माध्यम में ध्वनि की चाल के बराबर है।
(b) नहीं, स्पन्द की आवृत्ति [latex s=2]\frac { 1 }{ 20 }[/latex] Hz अथवा 0.05 Hz नहीं है।

प्रश्न 24.
80 x 10-3 kg m-1 रैखिक द्रव्यमान घनत्व की किसी लम्बी डोरी का एक सिरा 256 Hz आवृत्ति के विद्युत चालित स्वरित्र द्विभुज से जुड़ा है। डोरी का दूसरा सिरा किसी स्थिर घिरनी के ऊपर गुजरता हुआ किसी तुला के पलड़े से बँधा है जिस पर 90 kg के बाट लटके हैं। घिरनी वाला सिरा सारी आवक ऊर्जा को अवशोषित कर लेता है जिसके कारण इस सिरे से परावर्तित तरंगों का आयाम नगण्य होता है। t = 0 पर डोरी के बाएँ सिरे । (द्विभुज वाले सिरे) x = 0 पर अनुप्रस्थ विस्थापन शून्य है (y = 0) तथा वह y-अक्ष की धनात्मक दिशा के अनुदिश गतिशील है। तरंग का आयाम 5.0 cm है। डोरी पर इस तरंग का वर्णन करने वाले अनुप्रस्थ विस्थापन y को x तथा t के फलन के रूप में लिखिए।
हल-
डोरी का रैखिक घनत्व m = 8.0 x 10-3 किग्रा/मीटर; ।
डोरी पर आरोपित तनाव T = Mg = 90 x 9.8 न्यूटन = 882 न्यूटन
∴तनी हुई डोरी में संचरित अनुप्रस्थ तरंग की चाल ।
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डोरी में संचरित तरंग की आवृत्ति = इसके एक सिरे से जुड़े स्वरित्र की आवृत्ति = 256 Hz
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प्रश्न 25.
किसी पनडुब्बी से आबद्ध कोई ‘सोनार निकाय 40.0 kHz आवृत्ति पर प्रचालन करता है। कोई शत्रु-पनडुब्बी 360 kmh-1 चाल से इस सोनार की ओर गति करती है। पनडुब्बी से परावर्तित ध्वनि की आवृत्ति क्या है? जल में ध्वनि की चाल 1450 ms-1 लीजिए।
हल-
सोनार द्वारा प्रेषित तरंगे की आवृत्ति ν = 40.0 kHz
जल में ध्वनि की चाल υ = 1450 m s-1
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प्रश्न 26.
भूकम्प पृथ्वी के भीतर तरंगें उत्पन्न करते हैं। गैसों के विपरीत, पृथ्वी अनुप्रस्थ (S) तथा अनुदैर्घ्य (P) दोनों प्रकार की तरंगों की अनुभूति कर सकती है।S तरंगों की प्रतिरूपी चाल लगभग 40 km s-1 तथा P तरंगों की प्रतिरूपी चाल लगभग 80 km s-1 है। कोई भूकम्प-लेखी किसी भूकम्प की PतथाS तरंगों को रिकार्ड करता है। पहली P तरंग, पहली S तरंग की तुलना में 4 मिनट पहले पहुँचती है। यह मानते हुए कि तरंगें सरल रेखामें गमन करती हैं यह ज्ञात कीजिए कि भूकम्प घटित होने वाले स्थान की दूरी क्या है?
हल-
माना भूकम्प घटित होने वाले स्थान की भूकम्प-लेखी से दूरी x km है।
दिया है : S तरंगों की चाल υ1 = 4 km s-1 = 4 x 60 km/min
तथा P तरंगों की चाल υ2 = 8 km s-1 = 8 x 60 km/min
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प्रश्न 27.
कोई चमगादड़ किसी गुफा में फड़फड़ाते हुए पराश्रव्य ध्वनि उत्पन्न करते हुए उड़ रहा है। मान लीजिए चमगादड़ द्वारा उत्सर्जित पराश्रव्य ध्वनि की आवृत्ति 40 kHz है। किसी दीवार की ओर सीधा तीव्र झपट्टा मारते समय चमगादड़ की चाल ध्वनि की चाल की 0.03 गुनी है। चमगादड़ द्वारा सुनी गई दीवार से परावर्तित ध्वनि की आवृत्ति क्या है?
हल-
माना ध्वनि की चाल = υr उत्सर्जित तरंग की आवृत्ति v = 40 kHz
तब चमगादड़ की चाल υ1 = 0.03 υ
माना दीवार द्वारा ग्रहण की गई तरंग की आभासी आवृत्ति ν1 है।।
इस दशा में स्रोत, श्रोता की ओर गतिमान है जबकि श्रोता (दीवार) स्थिर है,
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परीक्षोपयोगी प्रश्नोत्तर

बहुविकल्पीय प्रश्न
प्रश्न 1.
वायु में ध्वनि की चाल N. T. P. पर 300 मी/से है। यदि वायुदाब बढकर चार गुना हो जाये तो ध्वनि की चाल होगी ।
(i) 150 मी/से
(ii) 300 मी/से
(iii) 600 मी/से
(iv) 120 मी/से
उत्तर-
(ii) 300 मी/से

प्रश्न 2.
ध्वनि की चाल अधिकतम है।
(i) वायु में
(ii) जल में ।
(iii) निर्वात् में
(iv) स्टील (इस्पात) में
उत्तर-
(iv) स्टील (इस्पात) में

प्रश्न 3.
वांगु में ध्वनि की चाल पर किस भौतिक राशि का प्रभाव नहीं पड़ता है? |
(i) ताप
(ii) दाब
(iii) आर्द्रता
(iv) वायु वेग
उत्तर-
(ii) दाब।

प्रश्न 4.
तनी हुई डोरी में तनाव T तथा डोरी की एकांक लम्बाई का द्रव्यमान m हो तो डोरी में तरंग संचरण का वेग होगा
UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 15 Waves 36
उत्तर-
[latex s=2]\sqrt { \frac { T }{ m } } [/latex]

प्रश्न 5.
जब ध्वनि तरंगें किसी गैसीय माध्यम से चलती हैं तो माध्यम के किसी बिन्दु पर प्रक्रिया होती है ।
(i) समतापी
(ii) समदाबी
(iii) रुद्धोष्म
(iv) समआयतनिक
उत्तर-
(iii) रुद्धोष्म

प्रश्न 6.
0°C पर वायु में ध्वनि की चाल 332 मी/से है। 35°C पर वायु में ध्वनि की चाल होगी
(i) 325 मी/से
(ii) 332 मी/से
(iii) 353 मी/से
(iv) 367 मी/से
उत्तर-
(iii) 353 मी/से

प्रश्न 7.
वायु में ध्वनि तरंगों की चाल के लिए न्यूटन का सूत्र है।
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जहाँ P वायुमण्डलीय दाब तथा d वायु का घनत्व है।
उत्तर-
(ii)[latex s=2]\sqrt { \frac { P }{ d } } [/latex]

प्रश्न 8.
किसी गैस A में 26°C ताप पर ध्वनि का वेग वही है जो एक दूसरी गैस B में 325°C पर है। A तथा B के अणभारों का अनुपात होगा।
(i) 26 : 235
(ii) 325 : 36
(iii) 1 : 2
(iv) 2 : 1
उत्तर-
(iii) 1 : 2

प्रश्न 9.
एक अनुप्रस्थ तरंग का समीकरण है
9 = 20 sin π (0.02 – 2t) जहाँ y और x सेमी में हैं तथा t सेकण्ड में है। इसकी तरंगदैर्ध्य सेमी में होगी
(i) 50
(ii) 100
(iii) 200
(iv) 10
उत्तर-
(ii) 100

प्रश्न 10.
दो ध्वनि तरंगों के समीकरण हैं- y = a sin (ωt – kr) तथा y =a cos (ωt – kx) जहाँ संकेतों के अर्थ सामान्य हैं। इनमें कलान्तर है।
UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 15 Waves 38
उत्तर-
(iii) π/2

प्रश्न 11.
निम्नलिखित दो तरंगों- [latex s=2]{ y }_{ 1 }={ a }_{ 1 }sin\left( \omega t-\frac { 2\pi }{ \lambda } x \right) [/latex]
तथा [latex s=2]{ y }_{ 2 }={ a }_{ 2 }sin\left( \omega t-\frac { 2\pi }{ \lambda } x+\phi \right) [/latex] के बीच पधान्तर होगा
UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 15 Waves 39
उत्तर-
(iii) [latex s=2]\left( \frac { \lambda }{ 2\pi } \right) \phi [/latex]

प्रश्न 12.
एक तरंग की चाल 360 मी/सेकण्ड तथा आवृत्ति 500 हर्ट्ज है। दो निकटवर्ती कणों के बीच कलान्तर 60° है। उनके बीच पथान्तर होगा।
(i) 0.72 मीटर
(ii) 12 सेमी
(iii) 120 सेमी
(iv) 0.72 सेमी
उत्तर-
(ii) 12 सेमी

प्रश्न 13.
यदि दो तरंगों की तीव्रता का अनुपात 1:16 है, तो उनके आयामों का अनुपात होगा
(i) 1:16
(ii) 1:4
(iii) 4:1
(iv) 8:1
उत्तर-
(ii) 1 : 4

प्रश्न 14.
निम्नलिखित में कौन-सा समीकरण तरंग का है?
(i) y = A(ωt – kx)
(ii) y = Asin(ωt)
(iii) y = Acos(ωt)
(iv) y = Asin(at – bx + c)
उत्तर-
(ii) y = Asin(ωt)

प्रश्न 15.
एक प्रगामी तरंग का समीकरण, [latex s=2]y=0.5sin\left( 100t-\frac { x }{ 50 } \right) [/latex] है, जहाँ x व y सेमी में तथा t सेकण्ड में है। तरंग का वेग है।
(i) 100 मी/से
(ii) 150 मी/से
(iii) 200 मी/से
(iv) 50 मी/से
उत्तर-
(iv) 50 मी/से

प्रश्न 16.
व्यतिकरण की घटना का कारण है।
(i) कलान्तर
(ii) आयाम परिवर्तन
(iii) वेग परिवर्तन
(iv) तीव्रता
उत्तर-
(i) कलान्तर

प्रश्न 17.
विनाशी व्यतिकरण के लिए दो तरंगों के बीच पथान्तर होना चाहिए
(i) शून्य
(ii) 2 के बराबर
(iii) 2/2 का विषम गुणक
(iv) 2/2 का सम गुणक
उत्तर-
(iii) 2/2 का विषम गुणक

प्रश्न 18. लगभग समान आवृत्तियों के दो ध्वनि तरंगों के अध्यारोपण से उत्पन्न विस्पन्द का वेग होता
(i) ध्वनि के वेग के बराबर
(ii) ध्वनि के वेग से अधिक
(iii) ध्वनि के वेग से कम ।
(iv) शून्य
उत्तर-
(iv) शून्य

प्रश्न 19.
दो तरंगें y = 0.1 sin 316 t तथा y = 0.1 sin 310 t एक ही दिशा में चल रही हैं तो विस्पन्द की आवृत्ति है।
(i) 37
(ii) 6
(iii) 3
(iv) 37
उत्तर-
(i) 3

प्रश्न 20.
यदि व्यतिकरण करने वाली दो तरंगों की तीव्रताओं का अनुपात 16 : 9 है, तो व्यतिकरण प्रारूप में महत्तम एवं न्यूनतम तीव्रताओं का अनुपात है [संकेत : [latex s=2]{ a }_{ 1 }{ a }_{ 2 }=\sqrt { { I }_{ 1 }/{ I }_{ 2 } } [/latex]]
(i) 4 : 3
(ii) 49 : 1
(iii) 25 : 7
(iv) 256 : 81
उत्तर-
(ii) 49 : 1

प्रश्न 21.
दो ध्वनि-स्रोत एक साथ बजने पर 0.25 सेकण्ड में 2 विस्पन्द उत्पन्न करते हैं। उनकी आवृत्तियों का अन्तर है।
(i) 2
(ii) 4
(iii) 8
(iv) 1
उत्तर-
(iii) 8

प्रश्न 22.
एक अज्ञात आवृत्ति का स्रोत S, 256 हर्ट्ज आवृत्ति के स्रोत के साथ 2 विस्पन्द/ सेकण्ड तथा 260 हर्ट्ज आवृत्ति के स्रोत के साथ 6 विस्पन्द/सेकण्ड उत्पन्न करता है। स्रोत S की आवृत्ति है।
(i) 258 हज
(ii) 254 हज़
(iii) 266 हज़
(iv) 262 हज़
उत्तर-
(ii) 254 हज

प्रश्न 23.
तनी हुई डोरी में उत्पन्न तरंगें होती हैं।
(i) अनुप्रस्थ प्रगामी ।
(ii) अनुदैर्ध्य प्रगामी
(iii) अनुप्रस्थ अप्रगामी
(iv) अनुदैर्ध्य अप्रगामी
उत्तर-
(iii) अनुप्रस्थ अप्रगामी

प्रश्न 24.
एक तने हुए तार के अनुप्रस्थ कम्पनों की आवृत्ति 50% बढ़ाने के लिए इसका तनाव बढ़ाना चाहिए।
(i) 150%
(ii) 125%
(iii) 100%
(iv) 50%
उत्तर-
(ii) 125%

प्रश्न 25.
तरंगदैर्घ्य λ की अप्रगामी तसंग के दो निकटवर्ती निस्पन्दों के बीच की दूरी है।
(i) 2λ
(ii) λ / 2
(iii) λ
(iv) λ/4
उत्तर-
(ii) λ/ 2

प्रश्न 26.
500 हर्ट्ज आवृत्ति की किसी अप्रगामी तरंग को एक निस्पन्द तथा निकटवर्ती प्रस्पन्द के बीच की दूरी 20 सेमी है। तरंग की चाल है।
(i) 200 मी/से।
(ii) 400 मी/से
(iii) 50 मी/से।
(iv) 100 मी/से
उत्तर-
(ii) 400 मी/से

प्रश्न 27.
एक स्वरमापी का तार द्वितीयक अधिस्वरक (overtone) में कम्पन कर रहा है। हम कह सकते हैं कि उसमें उपस्थित हैं।
(i) दो निस्पन्द, दो प्रस्पन्द
(ii) तीन निस्पन्द, दो पुस्पन्द
(iii) चार निस्पन्द, तीन प्रस्पन्द
(iv) तीन निस्पन्द, तीन प्रस्पन्द
उत्तर-
(iii) चार निस्पन्द, तीन प्रस्पन्द

प्रश्न 28.
एक सिरे पर बन्द ऑर्गन पाइप में अनुनाद तब उत्पन्न होता है, जब पाइप की लम्बाई होती
(i) λ/8
(ii) λ/2
(iii) λ
(iv) λ/4
उत्तर-
(iv) λ/4

प्रश्न 29.
एक श्रोता किसी मिल के साइरन की ध्वनि सुन रहा है, जबकि वह मिल की ओर जा रहा है। श्रोता को साइरन की ध्वनि सुनायी देगी
(i) बढ़ती हुई
(ii) घटती हुई
(iii) अपरिवर्तित
(iv) इनमें से कोई नहीं
उत्तर-
(i) बढ़ती हुई

प्रश्न 30.
जब श्रोता किसी स्थिर स्रोत से दूर जा रहा होता है तो सुने गए स्वर की आवृत्ति वास्तविक आवृत्ति से होती है।
(i) अधिक
(ii) कम
(iii) बराबर
(iv) इनमें से कोई नहीं
उत्तर-
(ii) कम

प्रश्न 31.
एक कार एक श्रोता की ओर आ रही है। उसके हॉर्न की ध्वनि की आवृत्ति श्रोता को 2.5% बढ़ी हुई प्रतीत होती है। यदि ध्वनि की चाल 338 मी/से हो, तो कार की चाल है।
(i) 8 मी/से ।
(ii) 6 मी/से
(iii) 800 मी/से
(iv) 7.5 मी/से
उत्तर-
(i) 8 मी/से

प्रश्न 32.
ध्वनि की प्रबलता L तथा तीव्रता I के बीच सम्बन्ध है।
(i) L = log I
(ii) L = k log I
(iii) I = k log L
(iv) I = log L
उत्तर-
(ii) L = k log I

प्रश्न 33.
किसी व्यक्ति की आवाज पहचानी जाती है उसकी
(i) प्रबलता से
(ii) तारत्व से
(iii) गुणता से।
(iv) स्वर-अन्तराल से
उत्तर-
(iii) गुणता से

प्रश्न 34.
सांगीतिक ध्वनि की गुणवत्ता निर्भर करती है।
(i) आवृत्ति पर
(ii) आयाम पर
(iii) तरंग वेग पर
(iv) संनादियों की संख्या पर
उत्तर-
(iv) संनादियों की संख्या पर

प्रश्न 35.
निम्नलिखित में से कौन-सी सांगीतिक विशेषता नहीं है?
(i) तारत्व
(ii) प्रबलता
(iii) गुणवत्ता
(iv) तीव्रता
उत्तर-
(iv) तीव्रता

प्रश्न 36.
ध्वनि का तारत्व निर्भर करता है।
(i) ध्वनि की तीव्रता पर
(ii) ध्वनि की आवृत्ति पर।
(iii) तरंग रूप पर
(iv) तीव्रता तथा तरंग रूप पर
उत्तर-
(ii) ध्वनि की आवृत्ति पर

प्रश्न 37.
एक ध्वनि-स्रोत, श्रोता से दूर जा रहा है। श्रोता को स्रोत की वास्तविक आवृत्ति की 25% से कम की ध्वनि आवृत्ति प्रतीत होती है। यदि ध्वनि की चाल υ है, तो स्रोत की चाल है।
(i) υ / 4
(ii) υ / 3
(iii) 3υ
(iv) 4υ
उत्तर-
(iii) 3υ

प्रश्न 38.
एक ध्वनि स्रोत तथा श्रोता दोनों एक-दूसरे की ओर एकसमान चाल u से गति कर रहे हैं। यदि श्रोता को सुनाई पड़ने वाली आवृत्ति, वास्तविक आवृत्ति की दोगुनी हो, तो ध्वनि की चाल है।
(i) 3v
(ii) 2u
(iii) u
(iv) u/ 2
उत्तर-
(ii) 2u

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
नियत ताप पर वायु में आर्द्रता बढ़ने पर वायु में ध्वनि के वेग पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर-
शुष्क वायु का घनत्व आर्द्र वायु (जलवाष्प मिली हुई) से अधिक होता है। अतः यदि आर्द्र वायु के लिएy का मान वही लें जोकि शुष्क वायु के लिए होता है तब सूत्र [latex s=2]\upsilon =\sqrt { (\gamma P/d) } [/latex] से स्पष्ट है कि आर्द्र वायु में ध्वनि की चाल शुष्क वायु की अपेक्षा कुछ बढ़ जाती है। यही कारण है कि वर्षा ऋतु में रेल की सीटियाँ तथा अन्य ध्वनि ग्रीष्म ऋतु की अपेक्षा अधिक दूरी तक सुनाई देती है।

प्रश्न 2.
रेल की पटरी पर एक व्यक्ति चोट मारकर ध्वनि उत्पन्न करता है। इस स्थान से 1 किलोमीटर की दूरी पर कान लगाकर बैठे दूसरे व्यक्ति को दो ध्वनियाँ सुनायी देती हैं। कारण बताइए।
उत्तर-
एक ध्वनि रेल की पटरी में होकर तथा दूसरी ध्वनि वायु में होकर आती है।

प्रश्न 3.
ध्वनि के वेग ज्ञात करने के न्यूटन के सूत्र में लाप्लास ने संशोधन क्यों किया?
या , लाप्लास संशोधन क्या है?
उत्तर-
लाप्लास ने बताया कि ध्वनि संचरण के समय विरलन के स्थान पर ताप घट जाता है तथा सम्पीडन के स्थान पर ताप बढ़ जाता है। अत: ध्वनि संचरण के अन्तर्गत माध्यम का ताप स्थिर नहीं रहता है, जबकि न्यूटन के अनुसार, ताप स्थिर बताया गया था। इसीलिए न्यूटन के सूत्र में लाप्लास ने संशोधन किया।

प्रश्न 4.
गैसों में अनुप्रस्थ तरंगें उत्पन्न नहीं होती हैं। क्यों?
उत्तर-
क्योंकि गैसों में दृढ़ता नहीं होती है।

प्रश्न 5.
शुष्क वायु की अपेक्षा नम वायु में ध्वनि की चाल अधिक होती है। क्यों?
उत्तर-
शुष्क वायु की अपेक्षा नमवायु का घनत्व कम होता है। अत: [latex s=2]\upsilon =\sqrt { E/d } [/latex] से d के कम होने से इसमें ध्वनि की चाल अधिक होती है।।

प्रश्न 6.
“ध्वनि की चाल उसकी आवृत्ति पर निर्भर नहीं करती।” इस कथन के लिए अपने दैनिक जीवन का कोई उदाहरण दीज़िए।
उत्तर-
यदि किसी समय किसी स्थान पर विभिन्न वाद्य यन्त्रों से ध्वनियाँ उत्पन्न की जायें (जिनकी . आवृत्तियाँ भिन्न-भिन्न होती हैं) तो कान पर विभिन्न ध्वनियाँ एक ही साथ सुनायी देती हैं। अत: ध्वनि की चाल, आवृत्ति पर निर्भर नहीं करती।।

प्रश्न 7.
ध्वनि की चाल क्या आई हाइड्रोजन में शुष्क हाइड्रोजन की अपेक्षा अधिक होगी?
उत्तर-
हाइड्रोजन की अपेक्षा जल-वाष्प का घनत्व अधिक होता है, अत: आर्द्र हाइड्रोजन का घनत्व शुष्क हाइड्रोजन की अपेक्षा अधिक हो जाने के कारण उसमें ध्वनि की चाल कम हो जाती है।

प्रश्न 8.
आकाश में बिजली की गरज तथा दीप्ति एकसाथ उत्पन्न होती है, परन्तु बिजली की गरज उसकी दीप्ति के कुछ क्षणों के पश्चात् सुनायी पड़ती है, क्यों?
उत्तर-
क्योंकि ध्वनि की चाल की तुलना में प्रकाश की चाल बहुत अधिक होती है इसलिए बिजली की गरज (ध्वनि) उसकी चमक (दीप्ति अर्थात् प्रकाश) के कुछ देर बाद सुनायी पड़ती है।

प्रश्न 9.
लोहे की लम्बी नली के एक सिरे पर कान लगाया जाये और कोई दूसरे सिरे पर आघात करें, तो ठोंकने की आवाज दो बार सुनायी देती है, क्यों? कौन-सी ध्वनि पहले सुनायी देगी और क्यों?
उत्तर-
एक ध्वनि नली के पदार्थ अर्थात् लोहे में होकर जाती है तथा दूसरी वायु में होकर। लोहे एवं वायु में ध्वनि की चाल अलग-अलग होने से ध्वनि को समान दूरी तय करने में अलग-अलग समय लगता है जिससे दो ध्वनि सुनायी पड़ती हैं। ठोस में ध्वनि की चाल वायु की अपेक्षा 15 गुनी अधिक होती है। अत: जो ध्वनि लोहे में होकर जाती है वह पहले पहुँचती है।

प्रश्न 10.
वायु की अपेक्षा COगैस में ध्वनि अधिक तीव्र क्यों सुनायी देती है?
उत्तर-
वायु की अपेक्षा CO2 गैस का घनत्व अधिक होने के कारण तीव्रता बढ़ जाती है।

प्रश्न 11.
यदि जल का आयतन प्रत्यास्थता गुणांक 2.0×109 न्यूटन/मी तथा घनत्व 1.0×103 किग्रा /मी3 हो तो जल में ध्वनि की चाल कितनी होगी?
हल-
UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 15 Waves 40

प्रश्न 12.
0°C तथा 1092 K तापों पर वायु में ध्वनि की चालों का अनुपात ज्ञात कीजिए।
हल-
UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 15 Waves 41

प्रश्न 13.
किसी माध्यम में एक तरंग की तरंगदैर्घ्य 0.5 भी है। इस माध्यम में इस तरंग के कारण दो बिन्दुओं के बीच कलान्तर π/5 है। इन दो बिन्दुओं के बीच न्यूनतम दूरी ज्ञात कीजिए।
हल-
कलान्तर ∆φ = (2π/λ) ∆x,
अतः , पथान्तर
UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 15 Waves 42

प्रश्न 14.
एक प्रगामी तरंग की चाल 400 मी/से तथा आवृत्ति 500 हर्ट्ज है। यदि दो निकटवर्ती कणों के बीच कलान्तर π/4 रेडियन है तो उनके बीच पथान्तर ज्ञात कीजिए।
हल-
UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 15 Waves 43

प्रश्न 15.
किसी तरंग में दो बिन्दुओं के बीच पथान्तर [latex ]\frac { \lambda }{ 4 } [/latex] है, तो उनके बीच कलान्तर कितना होगा?
हल-
UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 15 Waves 44

प्रश्न 16.
किसी समतल प्रगामी तरंग में कण के वेग का अधिकतम मान तरंग वेग का दोगुना है। तरंगदैर्घ्य तथा तरंग आयाम का अनुपात निकालिए।
हल-
UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 15 Waves 45

प्रश्न 17.
इस समतल प्रगामी तरंग का समीकरण लिखिए जो धनात्मक X-अक्ष के अनुदिश चल रही है। जिसका आयाम 0.04 मी, आवृत्ति 440 हर्ट्ज तथा चाल 330 मी/से है।
हल-
UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 15 Waves 46

प्रश्न 18.
किसी गैस में ध्वनि तरंगों की चाल के लिए लाप्लास का सूत्र लिखिए।
उत्तर-
UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 15 Waves 47

प्रश्न 19.
किसी गैस में अनुदैर्ध्य तरंगों की चाल के लिए न्यूटन का सूत्र लिखिए।
उत्तर-
UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 15 Waves 48

प्रश्न 20.
एक रेडियो प्रसारण केन्द्र की आवृत्ति 30 मेगाहर्ट्ज है। केन्द्र से प्रसारित तरंगों की तरंगदैर्घ्य ज्ञात कीजिए। (प्रकाश की चाल c = 3×108 मी/से)
हल-
रेडियो प्रसारण केन्द्र की आवृत्ति (n) = 30 मेगाहर्ट्ज या 30×106 हज
रेडियो तरंग की चाल, υ = c = 3×108 मी/से ।
UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 15 Waves 49
अतः केन्द्र से प्रसारित तरंगों की तरंगदैर्घ्य 10 मी होगी।

प्रश्न 21.
तरंगों का अध्यारोपण का सिद्धान्त लिखिए।
उत्तर-
तरंगों का अध्यारोपण का सिद्धान्त (Principle of superposition of waves)—किसी माध्यम में दो अथवा दो से अधिक प्रगामी तरंगें एक साथ परन्तु एक-दूसरे की गति को बिना प्रभावित किये चल सकती हैं। अत: माध्यम के प्रत्येक कण का किसी क्षण परिणामी विस्थापन दोनों तरंगों द्वारा अलग-अलग उत्पन्न विस्थापनों के सदिश (vector) योग के बराबर होता है। इस सिद्धान्त को ‘अध्यारोपण का सिद्धान्त’ कहते हैं।

प्रश्न 22.
तरंगों के अध्यारोपण से कितने प्रकार के प्रभाव प्राप्त होते हैं? कौन-कौन से?
उत्तर-
तरंगों के अध्यारोपण से तीन प्रकार के प्रभाव प्राप्त होते हैं
(i) व्यतिकरण,
(ii) विस्पन्द,
(iii) अप्रगामी तरंगें।

प्रश्न 23.
समान तरंगदैर्घ्य और समान आयाम की दो तरंगें किसी बिन्द पर 180° कलान्तर पर, मिलती हैं। वहाँ पर परिणामी आयाम क्या होगा?
हल-
UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 15 Waves 50

प्रश्न 24.
समान आवृत्ति वाली दो तरंगों के आयामों का अनुपात 3:1 है। इनके अध्यारोपण से उत्पन्न परिणामी तरंग की अधिकतम तथा न्यूनतम तीव्रताओं का अनुपात ज्ञात कीजिए।
हल-
UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 15 Waves 51

प्रश्न 25.
कला-सम्बद्ध स्रोतों से आप क्या समझते हैं?
उत्तर-
ऐसे दो स्रोतों को जिनके बीच कलान्तर सदेव नियत रहता है, कला-सम्बद्ध स्रोत (coherent sources) कहते हैं। दो कला-सम्बद्ध स्रोतों से हम स्थायी (sustained) व्यतिकरण प्रतिरूप प्राप्त कर सकते हैं। ऐसे स्रोत किसी युक्ति द्वारा एक ही स्रोत से प्राप्त किये जाते हैं।

प्रश्न 26.
ध्वनि के व्यतिकरण पर आधारित दो यन्त्रों के नाम लिखिए।
उत्तर-
क्विण्के की नली, स्वरित्र द्विभुज।।

प्रश्न 27.
प्रकाश के व्यतिकरण का एक प्राकृतिक तथा एक प्रायोगिक उदाहरण बताइए।
उत्तर-
तेल की परत का रंगीन दिखायी देना, यंग का प्रयोग।

प्रश्न 28.
विस्पन्द बनने की आवश्यक शर्त क्या है?
उत्तर-
अध्यारोपण करने वाली तरंगों की आवृत्तियों में बहुत थोड़ा अन्तर अवश्य होना चाहिए।

प्रश्न 29.
दो स्वरित्रों की आवृत्तियाँ 256 हर्ट्ज तथा 280 हर्टज हैं। एक ध्वनि स्रोत इन दोनों ही स्वरित्रों से 12 विस्पन्द प्रति सेकण्ड उत्पन्न करता है। इस स्रोत की आवृत्ति निकालिए।
हल-
पहले स्वरित्र के साथ विस्पन्दों के आधार पर
ध्वनि स्रोत की सम्भव आवृत्तियाँ = 256 ± 12 = 268 या 244 Hz
दूसरे स्वरित्र के साथ विस्पन्दों के आधार पर
ध्वनि स्रोत की सम्भव्र आवृत्तियाँ = 280 ± 12 = 268 या 292 Hz
उपर्युक्त दोनों दशाएँ 268 हज उभयनिष्ठ है।
अत: स्रोत की सही आवृत्ति = 268 Hz

प्रश्न 30.
256 हर्ट्ज तथा 260 हंट्ज आवृत्ति के दो स्वरित्रों को एक साथ कम्पित कराने पर 1.5 सेकण्ड में बनने वाले विस्पन्दों की संख्या ज्ञात कीजिए।
हल-
प्रति सेकण्ड विस्पन्दों की संख्या = ध्वनि स्रोतों की आवृत्तियों का अन्तर
= 260 – 256 = 4
1.5 सेकण्ड में विस्पन्दों की संख्या = 4 x 1.5 = 6

प्रश्न 31.
समान आवृत्ति की दो तरंगें जिनकी तीव्रताएँ I तथा 9I0 हैं, अध्यारोपित की जाती हैं। यदि किसी बिन्दु पर परिणामी तीव्रता 7I हो तो उस बिन्दु पर तरंगों के बीच न्यूनतम कलान्तर ज्ञात कीजिए।
हल-
परिणामी तीव्रता I = I1 + I2 + [latex s=2]2\sqrt { { I }_{ 1 }{ I }_{ 2 } } cos\phi [/latex]
जहाँ φ किसी बिन्दु पर मिलने वाली तरंगों के बीच कलान्तर है।
UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 15 Waves 52
कलान्तर φ = 120°

प्रश्न 32.
दो ध्वनि स्रोत एक साथ बजाने पर 0.20 सेकण्ड में 2 विस्पन्द उत्पन्न होते हैं। विस्पन्द की आवृत्ति ज्ञात कीजिए।
हल-
0.20 सेकण्ड में उत्पन्न विस्पन्द = 2
1 सेकण्ड में उत्पन्न विस्पन्द = [latex s=2]\frac { 2 }{ 0.20 }[/latex] = 10 विस्पंद/सेकण्ड = 10 हर्ट्ज़

प्रश्न 33.
किसी तनी हुई डोरी में अनुप्रस्थ तरंगों की चाल का सूत्र लिखिए। प्रयुक्त संकेतों के अर्थ लिखिए।
उत्तर-
तनी हुई डोरी में अनुप्रस्थ तरंग की चाल [latex s=2]\upsilon =\sqrt { \frac { T }{ m } } [/latex]
जहाँ T डोरी में तनाव तथा m डोरी की एकांक लम्बाई का द्रव्यमान है।

प्रश्न 34.
किसी तनी हुई डोरी के तनाव बल में 10% की वृद्धि कर देने पर, उसमें बनने वाली अनुप्रस्थ तरंग की चाल में कितने प्रतिशत परिवर्तन हो जाएगा?
हल-
तनी हुई डोरी में अनुप्रस्थ तरंग की चाल [latex s=2]\upsilon =\sqrt { \frac { T }{ m } } [/latex] …(1)
जहाँ T डोरी में तनाव तथा m डोरी की एकांक लम्बाई का द्रव्यमान है।
अत: प्रश्नानुसार, 10% वृद्धि करने पर तनाव = [latex s=2]\frac { 11T }{ 10 }[/latex]
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प्रश्न 35.
किसी अप्रगामी तरंग का समीकरण लिखिए। संकेतों के अर्थ स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 15 Waves 54

प्रश्न 36.
स्वरमापी के नाद पर दीवार में छिद्र क्यों बने होते हैं?
उत्तर-
ताकि नाद पट के भीतर की वायु का सम्बन्ध बाहरी वायु से बना रहे। ऐसा करने से स्वरित्र के तार के कम्पन सेतु से होकर नाद पट के भीतर की वायु में चले जाते हैं तथा छिद्रों से बाहर की वायु में आ जाते हैं। जिससे बाहर की वायु के कम्पित होने से ध्वनि की तीव्रता बढ़ जाती है।

प्रश्न 37.
एक प्रगामी तरंग जिसकी आवृत्ति 500 हर्ट्ज है, 360 मी/से के वेग से चल रही है। उन दो बिन्दुओं के बीच की दूरी क्या होगी जिनमें 60° का कलान्तर हो?
हल-
दिया है, तरंग की आवृत्ति (n) = 500 हर्ट्ज, वेग (υ) = 360 मी/से :
माना दो बिन्दुओं के बीच की दूरी = ∆x
सूत्र υ = nλ रे,
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प्रश्न 38.
अप्रगामी तरंग बनने के लिए आवश्यक प्रतिबन्ध क्या है ?
या अप्रगार्मी’तरंगें बनने की प्रमुख शर्त बताइए।
उत्तर-
बद्ध माध्यम का होना अप्रगामी तरंग बनने के लिए आवश्यक प्रतिबन्ध है।

प्रश्न 39.
क्या कारण है कि खुले पाइप का स्वर बन्द पाइप के स्वर की अपेक्षा अधिक मधुर होता है?
उत्तर-
किसी स्वर के संनादियों की संख्या जितनी अधिक होती है वह उतना ही मधुर होता है। बन्द पाइप में केवल विषम संनादी जबकि खुले पाइप में सम तथा विषम दोनों प्रकार के संनादी उत्पन्न होते हैं। अत: खुले पाइप में संनादियों की संख्या बन्द पाइप में संनादी की अपेक्षा अधिक होने से इसका स्वर मधुर होता है।

प्रश्न 40.
(i) एक तारा पृथ्वी की ओर 6 x 106 मी/से की चाल से गति कर रहा है। यदि उससे प्राप्त किसी स्पेक्ट्रमी रेखा की तरंगदैर्घ्य 5800 Å है, तो उसकी पृथ्वी पर आभासी तरंगदैर्घ्य  ज्ञात कीजिए। [प्रकाश की चाल 3×108 मी/से]
(ii) पृथ्वी की ओर 100 किमी/सेकण्ड की चाल से आते हुए दूरस्थ सितारे से निकली 5000 Å की स्पेक्ट्रमी रेखा की तरंगदैर्ध्य में विस्थापन की गणना कीजिए।
(iii) एक तारा 10 किमी/से के वेग से हमसे दूर जा रहा है। इस तारे से उत्सर्जित 6000 Å की स्पेक्ट्रमी रेखा की तरंगदैर्ध्य में विस्थापन की गणना कीजिए।
हल-
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प्रश्न 41.
पृथ्वी एक स्थिर तारे की ओर 2×103 किमी/सेकण्ड के वेग से गति कर रही है। यदि तारे के प्रकाश की वास्तविक तरंगदैर्घ्य 6000 Å हो, तो पृथ्वी पर उसकी आभासी तरंगदैर्घ्य ज्ञात कीजिए। प्रकाश की चाल c = 3×108 मी/से है।
हल-
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प्रश्न 42.
खाली कमरे में ध्वनि तेज तथा भरे कमरे में मन्द सुनायी पड़ती है, क्यों?
उत्तर-
भरे कमरे में ध्वनि का कुछ भाग अवशोषित हो जाने के कारण ध्वनि की तीव्रता कम हो जाती है। जिससे ध्वनि मन्द सुनायी पड़ती है।

प्रश्न 43.
बाँसुरी और वायलिन में मुख्य अन्तर क्या है?
उत्तर-
बाँसुरी एक ऑर्गन पाइप है, जबकि वायलिन तनी डोरी का वाद्य-यन्त्र है।

प्रश्न 44.
सितार में भिन्न-भिन्न आवृत्ति के स्वर उत्पन्न होते हैं, क्यों?
उत्तर-
तार का तनाव बदलकर स्वरमेल किया जाता है तथा तारों को हाथ से विभिन्न स्थानों पर दबाकर तार की कम्पित लम्बाई परिवर्तित करके भिन्न-भिन्न आवृत्तियों के स्वर उत्पन्न किये जाते हैं।

प्रश्न 45.
वेबर-फैशनर नियम क्या है?
उत्तर-
L = k log I जहाँ, L= प्रबलता, I = तीव्रता, k = नियतांक है।
इसे वेबर-फैशनर नियम कहते हैं।

प्रश्न 46.
स्वर-अन्तराल से आप क्या समझते हैं?
उत्तर-
दो शुद्ध स्वरों की आवृत्तियों की निष्पत्ति को उन दो स्वरों के बीच का स्वर-अन्तराल कहते हैं। यदि n1 व n2 आवृत्तियों के दो स्वर हैं, तो उनका स्वर-अन्तराल = n2/ n1.

प्रश्न 47.
सांगीतिक ध्वनि एवं शोर में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
1. जो ध्वनि हमारे कानों को सुखद अर्थात् प्रिय लगती है, सांगीतिक ध्वनि कहलाती है तथा जो ध्वनि हमारे कानों को अप्रिय लगती है, शोर ध्वनि कहलाती है।
2. सांगीतिक ध्वनि किसी वस्तु के एक निश्चित आवृत्ति के नियमित कम्पनों द्वारा उत्पन्न होती है, जबकि शोर ध्वनि वस्तुओं के अनियमित कम्पनों से उत्पन्न होती है।

प्रश्न 48.
ध्वनि की आवृत्ति तथा तारत्व में क्या अन्तर है?
उत्तर-
आवृत्ति का भौतिक मापन सम्भव है, तारत्व का नहीं।

प्रश्न 49.
माध्यम का घनत्व बढ़ा दिए जाने पर ध्वनि की प्रबलता पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
उत्तर-
माध्यम का घनत्व बढ़ाने से ध्वनि की तीव्रता (I = 2π² n² α² ρυ) बढ़ जाती है; अतः प्रबलता (L = k log I), I के बढ़ने पर बढ़ जाएगी; अर्थात् माध्यम का घनत्व बढ़ने से प्रबलता बढ़ती है।

प्रश्न 50.
एक तारे के H2 रेखाओं के स्पेक्ट्रम (6563Å) में डॉप्लर विस्थापन 6.563Å है। पृथ्वी से दूर जाते हुए तारे के वेग की गणना कीजिए।
हल-
∆λ = 6.563Å
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लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
वायु में ध्वनि की चाल पर ताप का क्या प्रभाव पड़ता है ? आवश्यक सूत्र का निगमन कीजिए।
या किसी गैस में ध्वनि की चाल पर ताप के प्रभाव की विवेचना कीजिए। 1°C ताप बढाने पर वायु में ध्वनि की चाल पर कितना परिवर्तन होगा?
उत्तर-
वायु में ध्वनि की चाल [latex s=2]\upsilon =\sqrt { \left( \frac { \gamma P }{ d } \right) } [/latex] …(1)
जहाँ P = दाब, d = घनत्व तथा γ = Cp/Cυ = 1.41
वायु के लिए (P/d) का मान वायु के ताप पर निर्भर करता है। वायु का ताप बढ़ाने पर दो सम्भावनाएँ। होती हैं। यदि वायु प्रसारित होने के लिए स्वतन्त्र है तो वह गर्म करने पर फैल जायेगी और उसका घनत्व (d) कम हो जायेगा, जबकि दाब (P) नहीं बदलेगा। इस प्रकार (P/d) का मान बढ़ जायेगा। यदि वायु एक बर्तन में बन्द है तो गर्म करने पर उसका दाब बढ़ जायेगा, जबकि घनत्व वही रहेगा। पुनः (P/d) का मान बढ़ेगा। अत: उपर्युक्त दोनों स्थितियों में वायु को गर्म करने पर (P/d) के बढ़ने से सूत्र (1) में ध्वनि की चाल बढ़ जायेगी।
सूत्र का निगमन–एक ग्राम-अणु गैस (वायु) का आयतन V = M/d,
जहाँ M गैस का अणुभार तथा d घनत्व है।
PV = RT सूत्र में V का मान रखने पर,
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अत: किसी गैस (वायु) में ध्वनि की चाल गैस के परमताप के वर्गमूल के अनुक्रमानुपाती होती है। 1°C ताप बढ़ाने पर वायु में ध्वनि की चाल 0.61 मी/से बढ़ जाती है।

प्रश्न 2.
एक सरल आवर्त प्रगामी तरंग के लिए समीकरण लिखिए। प्रयुक्त संकेतों का अर्थ लिखिए। आयाम तथा तरंगदैर्घ्य का अर्थ तरंग के सम्बन्ध में समझाइए।
उत्तर-
सरल आवर्त प्रगामी तरंग का समीकरण
[latex s=2]y=asin\quad 2\pi \left( \frac { t }{ T } -\frac { x }{ \lambda } \right) [/latex]
जहाँ a कम्पन का आयाम, t समय, T आवर्तकाल, λ तरंगदैर्घ्य तथा x दूरी है।
तरंग के सम्बन्ध में आयाम एवं तरंगदैर्ध्य की परिभाषा ।
(i) तरंग का आयाम- माध्यम का कोई भी कण अपनी साम्यावस्था के दोनों ओर जितना अधिक-से-अधिक विस्थापित होता है, उस दूरी को तरंग का आयाम कहते हैं। इसे a से निरूपित करते हैं।
(ii) तरंगदैर्घ्य- माध्यम के किसी भी कण के एक पूरे कम्पन के समय में तरंग जितनी दूरी तय करती है, उसे तरंगदैर्ध्य कहते हैं, अथवा किसी तरंग में समान कला वाले दो निकटतम कणों के बीच की दूरी को तरंगदैर्ध्य कहते हैं। इसे λ से निरूपित करते हैं।

प्रश्न 3.
किसी प्रगामी तरंग में विस्थापन के लिए व्यंजक लिखिए। उसमें स्थित किन्हीं दो बिन्दुओं के बीच कलान्तर (∆φ) तथा अथान्तर (∆x) के बीच सम्बन्ध स्थापित कीजिए।
उत्तर-
माना कि किसी माध्यम में सरल आवर्त प्रगामी तरंग +X दिशा में चल रही है। मूल बिन्दु से x दूरी पर स्थित माध्यम के कण का किसी समय t पर विस्थापन निम्नलिखित समीकरण द्वारा व्यक्त होता है
[latex s=2]y=asin\quad 2\pi \left( \frac { t }{ T } -\frac { x }{ \lambda } \right) [/latex] …(1)
इस समीकरण में sin का कोणांक (argument) [latex s=2]2\pi \left( \frac { t }{ T } -\frac { x }{ \lambda } \right) [/latex] है। यह इसे कण की, जिसकी स्थिति x है, समय t पर कला (φ) है। माना कि समय t पर दो कणों की कलाएँ, जिनकी मूल बिन्दु से दूरियाँ x1 व x2 हैं, क्रमशः φ1 व φ2 हैं। तब
UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 15 Waves 60
यही अभीष्ट सम्बन्ध है। आवर्तकाल T के पदों में प्रगामी तरंग का समीकरण उपर्युक्त समी० (1) है।

प्रश्न 4.
किसी प्रगामी तरंग में स्थान x तथा समय t पर विस्थापन y है।
y (x, t) = 1.5 sin(1000t – 3.3x)
जहाँ y तथा x मीटर में तथा t सेकण्ड में है। तरंग की चाल तथा उसकी गति की दिशा ज्ञात कीजिए।
हल-
दी, गई समीकरण y(x, t) = 1.5sin (1000t – 3.3x) की समीकरण
UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 15 Waves 61

प्रश्न 5.
ऑक्सीजन में ध्वनि की चाल 640 मी/से है। हीलियम तथा ऑक्सीजन के उस मिश्रण में ध्वनि की चाल ज्ञात कीजिए जिसमें हीलियम तथा ऑक्सीजन के आयतनों का अनुपात 5:1 है। (MHe = 4, MO2, = 32)
हल-
माना कि हीलियम तथा ऑक्सीजन के मिश्रण में हीलियम तथा ऑक्सीजन के आयतन क्रमशः VHe व VO हैं तथा घनत्व क्रमश: dHe एवं dO हैं। तब, मिश्रण में हीलियम तथा ऑक्सीजन के द्रव्यमान क्रमश: VHe, dHe व VdO होंगे। यदि मिश्रण का घनत्व dmix हो, तब
UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 15 Waves 62

प्रश्न 6.
X-अक्ष दिशा में आने वाली एक प्रगामी तरंग का समीकरण y = 0.06 sin 2π (200t – x) है। यह तरंग एक दृढ तल से परावर्तित होती है तो उसका आयाम पहले का 1/3 रह जाता है। परावर्तित तरंग का समीकरण ज्ञात कीजिए।
हल-
दिया है, X-अक्ष दिशा में जाने वाली प्रगामी तरंग का समीकरण,
y = 0.06 sin 2π(200 t – 3) …(1)
समीकरण (1) से आयाम a = 0.06
प्रश्नानुसार, परावर्तित तरंग का आयाम = 0.06 x [latex s=2]\frac { 1 }{ 3 }[/latex] = 0.02
अतः परावर्तित तरंग का समीकरण, y = -0.02 sin 2π (200 t + x)

प्रश्न 7.
किसी गैस में ध्वनि की चाल तथा उसी गैस के अणुओं की वर्ग-माध्य-मूल चाल υrms में सम्बन्ध का सूत्र लिखिए।
उत्तर-
किसी गैस में ध्वनि की चाल [latex s=2]\upsilon =\sqrt { \frac { \gamma P }{ d } } [/latex]
जहाँ P = गैस का दाब; d = गैस का घनत्व
इसी गैस के अणुओं की वर्ग-माध्य-मूल चाल
UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 15 Waves 63
अर्थात् किसी गैस में ध्वनि की चाल, उस गैस के अणुओं की वर्ग-माध्य-मूल चाल से कम होती है।

प्रश्न 8.
एक प्रगामी तरंग y = 2sin(314t – 1.256x) की चाल ज्ञात कीजिए, जहाँ t सेकण्ड में तथा x मीटर में है।
हल-
दिया है, प्रगामी तरंग का समीकरण,
y = 2 sin (314t – 1.256x) …(1)
UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 15 Waves 64

प्रश्न 9.
समान तीव्रता की दो तरंगें व्यतिकरण कर रही हैं। संपोषी व्यतिकरण के स्थान पर परिणामी तीव्रता एक तरंग की तीव्रता की कितनी गुनी होगी?
हल-
[latex s=2]{ I }_{ R }={ I }_{ 1 }+{ I }_{ 2 }+2\sqrt { { I }_{ 1 }{ I }_{ 2 } } cos\phi [/latex]
(संपोषी व्यतिकरण के लिए φ = 2kπ, जहाँ k = 0,1, 2, …..)
UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 15 Waves 65

प्रश्न 10.
कभी-कभी दूर के रेडियो स्टेशन तो सुने जाते हैं किन्तु पास वाले स्टेशन सुनायी नहीं देते क्यों?
उत्तर-
पास वाले रेडियो स्टेशन से आने वाली रेडियो तरंगों तथा पृथ्वी से अत्यधिक ऊँचाई पर स्थित आयनमण्डल से परावर्तित होकर आने वाली रेडियो तरंगों के बीच पथान्तर (λ/2) का विषम गुणक रह जाने के कारण पास वाले रेडियो स्टेशन सुनायी नहीं दे पाते, जबकि दूर वाले स्टेशन से आने वाली रेडियो तरंगों तथा आयनमण्डल से परावर्तित तरंगों के बीच पथान्तर (λ/2) का पूर्ण-गुणक होने के कारण ये स्टेशन सुनायी देते है।

प्रश्न 11.
दो तरंगों की तरंगदैर्ध्य क्रमशः 49 सेमी तथा 50 सेमी हैं। यदि कमरे का ताप 30°C हो, तो दोनों तरंगों में प्रति सेकण्ड कितने विस्पन्द उत्पन्न होंगे ? 0°C पर ध्वनि का वेग 332 मी/से है।
हल-
UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 15 Waves 66

प्रश्न 12.
16 स्वरित्र श्रेणी क्रम में इस प्रकार रखे हैं कि प्रत्येक स्वरिंत्र के साथ 2 विस्पन्द/सेकण्ड उत्पन्न करता है। यदि अन्तिम स्वरित्र की आवृत्ति पहले स्वरित्र की आवृत्ति की दोगुनी हो तो पहले स्वरित्र की आवृत्ति ज्ञात कीजिए।
हल-
माना पहले स्वरित्र की आवृत्ति n है तो दूसरे की (n + 2). तीसरे की (n + 4) तथा 16 वें की n + (16 – 1) x 2 = n + 30 होगी।
परन्तु n + 30 = 2n
⇒n = 30
अत: पहले स्वरित्र की आवृत्ति 30 हर्ट्ज़ होगी।

प्रश्न 13.
एक ध्वनि स्रोत 262 Hz तथा 278 Hz आवृत्तियों के दो स्वरित्रों (द्विभुजों में से प्रत्येक के साथ 8 विस्पन्द प्रति सेकण्ड उत्पन्न करता है। स्रोत की आवृत्ति ज्ञात कीजिए।
हल-
पहली शर्त के अनुसार सम्भव आवृत्तियाँ = 262 ± 8 = 270 या 254 हज
इसी प्रकार दूसरी शर्त के अनुसार, सम्भव आवृत्तियाँ = (278 ± 8) = 286 या 270 हर्ट्ज
∵ दोनों में 270 हर्ट्ज उभयनिष्ठ है।
अतः स्रोत की आवृत्ति 270 हर्ट्ज है।

प्रश्न 14.
मूल आवृत्ति, संनादी तथा अधिस्वरक में अन्तर लिखिए।
उत्तर-
मूल आवृत्ति, संनादी तथा अधिस्वरक में अन्तर- किसी भी वाद्ययन्त्र से उत्पन्न विभिन्न आवृत्तियों के स्वरों में न्यूनतम आवृत्ति मूल आवृति कहलाती है। इसके अतिरिक्त अन्य आवृत्तियों वाले स्वर अधिस्वरक कहलाते हैं तथा जो आवृत्तियाँ मूल आवृत्ति की पूर्ण गुणक होती हैं; वे संनादी कहलाते हैं।

प्रश्न 15.
संनादी से क्या तात्पर्य है ? उदाहरण देकर समझाइए।
उत्तर-
जिन अधिस्वरकों की आवृत्तियाँ मूल-स्वरक की आवृत्ति की पूर्ण गुणज होती हैं, उन स्वरकों को संनादी कहते हैं। मूल स्वर प्रथम संनादी कहलाता है। जिस अधिस्वरक की आवृत्ति, मूल-स्वरक की आवृत्ति से दोगुनी होती है, उसे द्वितीय संनादी कहते हैं। दूसरे, चौथे, छठे इत्यादि संनादी को सम संनादी (even harmonic) तथा तीसरे, पाँचवें, सातवें इत्यादि संनादी को विषम संनादी (odd harmonic) कहते हैं। उदाहरणार्थ-तनी हुई डोरी अथवा वायु स्तम्भों में उत्पन्न संनादी। किसी ध्वनि में संनादियों की संख्या जितनी अधिक होती है वह उतनी ही मधुर प्रतीत होती है।

प्रश्न 16.
दो बन्दनलिकाओं को एक साथ कम्पन कराने से 5 विस्पन्द प्रति सेकण्ड उत्पन्न होते हैं। यदि उनकी लम्बाइयों का अनुपात 21:20 हो, तो उनकी आवृत्तियाँ क्या होंगी ?
हल-
UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 15 Waves 67

प्रश्न 17.
एक बन्द ऑर्गन पाइप के प्रथम अधिस्वरक की आवृत्ति वही है जो खुले ऑर्गन पाइप के । प्रथम अधिस्वरक की है। यदि बन्द ऑर्गन पाइप की लम्बाई 30 सेमी हो तो खुले ऑर्गन | पाइप की लम्बाई ज्ञात कीजिए।
हल-
UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 15 Waves 68

प्रश्न 18.
एक अप्रगामी तरंगे का समीकरण है- y = 4.0 sin 6.28 x cos 314 t, जहाँ y तथा x सेमी में एवं t सेकण्ड में हैं। दो अध्यारोपित तरंगों की चाल एवं दो क्रमागत निस्पन्दों के बीच की दूरी ज्ञात कीजिए।
हल-
यदि प्रगामी तरंग का आयाम a, कम्पन-काल T तथा तरंगदैर्घ्य λ हो तो इनसे उत्पन्न अप्रगामी तरंग की समीकरण इस प्रकार होगी [latex s=2]y=2a\quad sin\frac { 2\pi x }{ \lambda } cos\frac { 2\pi t }{ T } [/latex]
इसकी दी हुई समीकरण y = 4.0 sin 6.28x cos 314t से तुलना करने पर
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प्रश्न 19.
एक स्वरित्र द्विभुज को एक सोनोमीटर तार के साथ कम्पन कराते हैं। जब तार की लम्बाई 105 सेमी तथा 95 सेमी होती है तो दोनों अवस्थाओं में 5 विस्पन्द प्रति सेकण्ड सुनाई देते हैं। ज्ञात कीजिए (i) स्वरित्र द्विभुज की आवृत्ति, (ii) दोनों दशाओं में तार के कम्पन की आवृत्ति।
हल-
(i), माना स्वरित्र की आवृत्ति = n चूँकि n ∝ 1/l,
अतः l1 = 105 सेमी पर तार की आवृत्ति n1 = n – 5
तथा l2 = 95 सेमी पर तार की आवृत्ति n2 = n + 5
∴n1l1 = n2l2
अतः (n – 5) x 105 = (n + 5) x 95
105 n – 525 = 95n + 475
या (105n – 95n) = 475 + 525
10n = 1000 या n = 100 हर्ट्ज़
(ii) ∴ पहली दशा में तार की आवृत्ति = n – 5 = 100 – 5 = 95 हज
तथा दूसरी दशा में तार की आवृत्ति = n + 5 = 100 + 5 = 105 हज

प्रश्न 20.
एक स्वरित्र द्विभुज सोनोमीटर के 40 सेमी लम्बे तार के साथ कम्पन करता है, तो 4 विस्पन्द प्रति सेकण्ड सुनायी पड़ते हैं, जबकि तार पर तनाव 64 न्यूटन है। तार के तनाव को घटाकर 49 न्यूटन कर देने पर फिर उतने ही विस्पन्द सुनाई पड़ते हैं। द्विभुज की आवृत्ति ज्ञात कीजिए।
हल-
माना स्वरित्र की आवृत्ति n है। यह दोनों तनावों पर तार के साथ 4 विस्पन्द प्रति सेकण्ड उत्पन्न करता है तथा तनाव के नियम से, तने तार की आवृत्ति n ∝√T; अत: T1 = 64 न्यूटन
तनाव पर आवृत्ति n1 = (n + 4) तथा T2 = 49 न्यूटन
तनावे पर आवृत्ति n2 = (n – 4), अतः तनाव के उपर्युक्त नियमानुसार,
UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 15 Waves 70

प्रश्न 21.
अनुनाद नली के अंत्य संशोधन का सूत्र स्थापित कीजिए।
उत्तर-
अनुनाद नली द्वाराअंत्यसंशोधन ज्ञात करना- अनुनाद नली में प्रस्पन्द ठीक खुले सिरे पर न बनकर थोड़ा बाहर की ओर e दूरी पर बनता है। अतः अनुनाद की पहली व दूसरी स्थिति में वायु स्तम्भ की लम्बाई l1 + e तथा l2 + e होगी।
UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 15 Waves 71
इस सूत्र से अनुनाद नली का अंत्य संशोधन ज्ञात किया जा सकता है।

प्रश्न 22.
एक खुली ऑर्गन नलिका की मूल आवृत्ति 512 हर्ट्ज है। यदि इसका एक सिरा बन्द कर दिया जाए तो इसकी आवृत्ति क्या होगी?
हल-
UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 15 Waves 72

प्रश्न 23.
प्रकाश में डॉप्लर प्रभाव क्या है?
उत्तर-
प्रकाश में डॉप्लर का प्रभाव- यदि कोई प्रकाश-स्रोत किसी प्रेक्षक की ओर आ रहा है तो प्रकाश की आभासी आवृत्ति बढ़ जाती है (अर्थात् तरंगदैर्घ्य घट जाती है)। अत: इसकी स्पेक्ट्रमी रेखाएँ स्पेक्ट्रम के बैंगनी भाग की ओर को विस्थापित हो जाती हैं। इसके विपरीत, यदि प्रकाश-स्रोत प्रेक्षक से दूर जा रहा है तो स्पेक्ट्रमी रेखाएँ स्पेक्ट्रम के लाल भाग की ओर को विस्थापित हो जाती हैं। प्रकाश-स्रोत तथा प्रेक्षक की सापेक्ष गति के कारण, प्रकाश की आवृत्ति (अथवा तरंगदैर्ध्य) में प्रेक्षित आभासी परिवर्तन को ‘प्रकाश में डॉप्लर प्रभाव’ कहते हैं।

प्रश्न 24.
स्पेक्ट्रमी रेखाओं के डॉप्लर विस्थापन के लिए एक व्यंजक का निगमन कीजिए। तारों की ।। गति के अध्ययन में इसके अनुप्रयोग की विवेचना कीजिए।
उत्तर-
डॉप्लर विस्थापन- प्रकाश-स्रोत तथा प्रेक्षक के बीच दूरी परिवर्तन के कारण प्रकाश-स्रोत से उत्सर्जित प्रकाश की वास्तविक तरंगदैर्घ्य तथा प्रेक्षित तरंगदैर्घ्य (आभासी तरंगदैर्ध्य) का अन्तर डॉप्लर विस्थापन कहलाता है। इसको निम्नांकित सूत्र से व्यक्त किया जाता है
डॉप्लर विस्थापन ∆λ = [latex ]\frac { \upsilon }{ c } [/latex] λ
जहाँ, v = प्रकाश-स्रोत या प्रेक्षक का वेग, c = प्रकाश का वेग तथा λ = वास्तविक तरंगदैर्घ्य
जब प्रेक्षक तथा प्रकाश-स्रोत के बीच की दूरी घट रही हो, तो– सापेक्षिकता के सिद्धान्त (theory of relativity) से यह सिद्ध किया जा सकता है कि स्रोत की आभासी आवृत्ति
UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 15 Waves 73
जहाँ v प्रकाश की वास्तविक आवृत्ति,υ प्रकाश स्रोत अथवा प्रेक्षक की चाल तथा c प्रकाश की चाल है। स्पष्ट है कि इस दशा में प्रेक्षक को प्रकाश की आवृत्ति बढ़ी हुई प्रतीत होगी, अर्थात् स्पेक्ट्रमी रेखा स्पेक्ट्रम के बैंगनी सिरे की ओर विस्थापित होंगी।
डॉप्लर विस्थापन ज्ञात करने के लिए, माना स्रोत से उत्सर्जित प्रकाश की वास्तविक तिरंगदैर्घ्य λ तथा आभासी तरंगदैर्घ्य λ है।।
UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 15 Waves 74
जब स्रोत व प्रेक्षक के बीच की दूरी बढ़ रही हो ।
तब स्रोत की आभासी आवृत्ति
UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 15 Waves 75
स्पष्ट है कि इस दशा में प्रेक्षक को प्रकाश की आवृत्ति घटी हुई अर्थात् तरंगदैर्घ्य बढ़ी हुई प्रतीत होगी। इसलिए स्पेक्ट्रमी रेखाएँ स्पेक्ट्रम के लाल भाग की ओर विस्थापित हो जाएँगी। परन्तु उपर्युक्त की भाँति गणना करने पर तरंगदैर्घ्य विस्थापन का निम्नलिखित समी० प्राप्त होगा
UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 15 Waves 76
अत: उपर्युक्त समी० (2) व (4) से स्पष्ट है कि दोनों दशाओं में डॉप्लर विस्थापन का सूत्र समान है। डॉप्लर विस्थापन से तारों की गति का अनुमान- तारे तथा गैलेक्सी प्रकाशमान होने से प्रकाश उत्सर्जित करते हैं। इनके वेग का अनुमान लगाने के लिए उनसे प्राप्त प्रकाश के स्पेक्ट्रम का चित्र खींचा जाता है। स्पेक्ट्रम में कुछ तत्त्वों; जैसे—हाइड्रोजन, हीलियम, पारा इत्यादि की रंगीन रेखाएँ दिखाई पड़ती हैं जिनकी तरंगदैर्घ्य ज्ञात की जाती है। ये रेखाएँ प्रयोगशाला में भी इस तत्त्व का स्पेक्ट्रम लेकर देखी जा सकती हैं तथा इनकी तरंगदैर्घ्य निश्चित होती है। यदि इन स्पेक्ट्रमों की तुलना करने पर यह ज्ञात होता है। कि तारे के स्पेक्ट्रम में किसी रेखा की तरंगदैर्घ्य, प्रयोगशाला में लिये गये स्पेक्ट्रम में उसी रेखा की तरंगदैर्ध्य से अधिक है, तो तारा पृथ्वी से दूर जा रहा है और यदि कम है, तो तारा पृथ्वी की ओर आ ; रहा है। यदि किसी रेखा के लिए तरंगदैर्ध्य में यह अन्तर ∆λ हो, तब,
UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 15 Waves 77

प्रश्न 25.
दूर स्थित तारे से आते हुए प्रकाश का स्पेक्ट्रोमीटर से फोटोग्राफ लिया जाता है और यह देखा जाता है कि तरंगदैर्ध्य में बड़ी तरंगदैर्घ्य की ओर 0.50% का विचलन मिलता है। तारे का वेग ज्ञात कीजिए। (प्रकाश का वेग = 3 x 108 मी/से)
हल-
∆λ = λ का 0.05% = 5 x 10-4 λ
UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 15 Waves 78

प्रश्न 26.
किसी तारे से आने वाली 6000 Å की स्पेक्ट्रमी रेखा की तरंगदैर्घ्य 5980 Å में मिलती है। बताइए कि
(i) तारा पृथ्वी की ओर आ रहा है अथवा इससे दूर जा रहा है।
(ii) नक्षत्र (तारे) का वेग क्या है?
हल-
(i) ∆λ = 20 Å तरंगदैर्घ्य घट रही है, अत: तारा पृथ्वी की ओर आ रहा है।
(ii)
UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 15 Waves 79

प्रश्न 27.
एक तारा पृथ्वी की ओर 9 x 106 मी/से की चाल से गति कर रहा है। यदि उससे प्राप्त किसी स्पेक्ट्रमी रेखा की तरंगदैर्घ्य 6000 Å हो, तो उसकी पृथ्वी पर आभासी तरंगदैर्घ्य ज्ञात कीजिए।
(प्रकाश की चाल = 3 x 108 मी/से)
हल-
UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 15 Waves 80
चूँकि तारा पृथ्वी की ओर आ रहा है अर्थात् प्रकाश-स्रोत के बीच की दूरी घट रही है, अत: तरंगदैर्घ्य भी घटेगी, अतः पृथ्वी पर आभासी तरंगदैर्घ्य λ’ = λ – ∆λ = 6000 Å -180 Å = 5820 Å

प्रश्न 28.
एक तारा पृथ्वी से 105 मी/से वेग से दूर जा रहा है। यदि उससे प्राप्त स्पेक्ट्रमी रेखा की तरंगदैर्ध्य 6000 Å है तो प्रयोगशाला में इस स्पेक्ट्रमी रेखा की तरंगदैर्ध्य क्या होगी? ।(प्रकाश का वेग c = 3 x 108 मी/से)
हल-
UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 15 Waves 81

प्रश्न 29.
जब कोई इंजन किसी स्थिर ध्वनि से दूर जाता है तो इंजन की सीटी की आवृत्ति वास्तविक आवृत्ति की 6/7 गुनी प्रतीत होती है। इंजन की चाल की गणना कीजिए। (वायु में ध्वनि की चाल 330मी/से) है।
हल-
इंजन किसी स्थिर ध्वनि से दूर जाता है, तो आभासी आवृत्ति
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प्रश्न 30.
एक ध्वनि स्रोत एवं श्रोता एक-दूसरे के विपरीत दिशा में, एकसमान चाल 36 किमी/घण्टा से गति करते हैं। यदि स्रोत से आने वाली ध्वनि की आवृत्ति श्रोता को 1980 हर्ट्ज की प्राप्त हो तो स्रोत की वास्तविक आवृत्ति क्या है? (वायु में ध्वनि की चाल = 340 मी/से है)।
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हल-
यदि ध्वनि-स्रोत तथा श्रोता क्रमशः υs व υo वेगों से ध्वनि की दिशा में चल रहे हों तो श्रोता को सुनाई देने वाली आभासी आवृत्ति ।
UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 15 Waves 84
जहाँ n स्रोत की वास्तविक आवृत्ति है तथा υ ध्वनि की चाल है।
प्रश्नानुसार, स्रोत (मोटरकार) ध्वनि की दिशा में चल रहा है तथा श्रोता (सिपाही) स्थिर है (चित्र 15.5)। इस प्रकार
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प्रश्न 31.
एक इंजन 60 मीटर/सेकण्ड की चाल से एक स्थिर श्रोता की ओर आ रहा है। उसकी वास्तविक आवृत्ति 400 हर्ट्ज है। श्रोता द्वारा सुनी गयी आभासी आवृत्ति की गणना कीजिए। ध्वनि की चाल 360 मीटर/सेकण्ड है।
हल-
इंजन की चाल (υs) = 60 मीटर/सेकण्ड
वास्तविक आवृत्ति (n) = 400 हर्ट्ज ।
चूँकि इंजन स्थिर श्रोता की ओर आ रहा है, तब आभासी आवृत्ति
UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 15 Waves 86
अतः श्रोता द्वारा सुनी गयी आभासी आवृत्ति 480 हर्ट्ज है।

प्रश्न 32.
पृथ्वी से दूर जाते हुए तारे के प्रकाश की प्रेक्षित तरंगदैर्घ्य वास्तविक तरंगदैर्ध्य से 0.2 प्रतिशत अधिक प्रतीत होती है। तारे की चाल ज्ञात कीजिए।
हल-
UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 15 Waves 87

प्रश्न 33.
एक ध्वनि-स्रोत स्थिर श्रोता की ओर 20 मी/से की चाल से आ रहा है। यदि श्रोता को सुनाई देने वाली आभासी आवृत्ति 664 कम्पन/सेकण्ड है तो ध्वनि सोत की वास्तविक आवृत्ति ज्ञात कीजिए। ध्वनि की चाल 332 मीटर/सेकण्ड है।
हल-
ध्वनि-स्रोत की चाल υs = 20 मी/से
आभासी आवृत्ति (n’) = 664 कम्पन/सेकण्ड
∵ ध्वनि-स्रोत स्थिर श्रोता की ओर आ रहा है, तब वास्तविक आवृत्ति
UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 15 Waves 88
अतः ध्वनि-स्रोत की वास्तविक आवृत्ति 624 हर्ट्ज है।

प्रश्न 34.
यदि एक गतिमान मनुष्य को स्थिर स्रोत की ध्वनि का तारत्व 10 प्रतिशत गिरा हुआ लगता है तो उसकी चाल एवं दिशा ज्ञात कीजिए।
हल-
श्रोतों को सुनाई पड़ने वाली आवृत्ति
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जहाँ n वास्तविक आवृत्ति है तथा υo व υs क्रमशः श्रोता के स्रोत के ध्वनि की दिशा में वेग हैं।
UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 15 Waves 90

प्रश्न 35.
एक इंजन 1240 हर्ट्ज आवृत्ति की सीटी बजाता हुआ 90 किमी/घण्टा के वेग से एक पहाड़ी की ओर जा रहा है। एक स्पष्ट प्रति ध्वनि ड्राइवर को सुनाई देती है। प्रति ध्वनि की आभासी आवृत्ति इस ड्राइवर को कितनी प्रतीत होगी? ध्वनि की चाल 335 मी/से है।।
हल-
इंजन की चाल (υs) = 90 किमी/घण्टा = [latex s=2]\frac { 90X5 }{ 18 }[/latex] मी/से = 25 मी/से
वास्तविक आवृत्ति (n) = 1240 हज़।
चूँकि इंजन स्थिर श्रोता की ओर आ रहा है, तब प्रतिध्वनि की आभासी आवृत्ति
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विस्तृत उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
एक समतल प्रगामी तरंग के विस्थापन समीकरण की स्थापना कीजिए।
उत्तर-
यदि किसी माध्यम में तरंग के संचरित होने पर माध्यम के कण अपनी साम्य स्थिति के दोनों ओर सरल आवर्त गति करते हैं, तो इस तरंग को सरल आवर्त अथवा समतल प्रगामी तरंग (progressive wave) कहते हैं।
माना किसी माध्यम में ध्वनि तरंग धनात्मक X-अक्ष की दिशा में संचरित हो रही है तथा इसकी चाल है। माना कि हम समय का मापन उस क्षण से प्रारम्भ करते हैं जब मूल बिन्दु O पर स्थित कण अपना कम्पन प्रारम्भ करता है। यदि t सेकण्ड पश्चात् इस कण का विस्थापन y हो, तो ।
y = a sin ωt …(1)
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जहाँ a कम्पन का आयाम, ω = 2πn तथा n तरंग की आवृत्ति है। समीकरण (1) बिन्दु O पर स्थित कण के लिए सरल आवर्त गति का समीकरण है। ज्यों-ज्यों तरंग O से आगे अन्य कणों तक पहुँचती है, त्यों-त्यों ये कम्पन करने लगते हैं।
यदि तरंग की चाल υ हो तो वह कण 1 से x दूरी पर स्थित कण 6 तक x/υ सेकण्ड में पहुँचेगी। अतः कण 6, कण 1 से x/υ सेकण्ड के बाद अपना कम्पन प्रारम्भ करेगा। इस प्रकार किसी समय कण 6 का विस्थापन वही है जो उस समय से x/υ सेकण्ड पहले कण 1 का था, अर्थात् t पर कण 6 का विस्थापन वही होगा जो (t – x/υ) पर कण 1 का था। समीकरण (1) में t के स्थान पर (t – x/υ) रखकर हम कण 1 का समय है t – (x/υ) पर विस्थापन प्राप्त कर सकते हैं। अतः मूल बिन्दु (कण 1) से x दूरी पर स्थित कण (6) की समय t पर विस्थापन होगा।
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समीकरण (3), (4) वे (5) + X दिशा में चलने वाली सरल आवर्त प्रगामी तरंग की समीकरण है। यदि तरंग -X दिशा में चल रही है तो उपर्युक्त समीकरणों में sin के कोणांक में (-) के स्थान पर (+) लिखना होगा।
यदि +X दिशा में चलने वाली तरंग तथा किसी अन्य तरंग में कलान्तर φ हो तो उस तरंग का समीकरण होगा।
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प्रश्न 2.
एक समतल प्रगामी तरंग का विस्थापन समीकरण निम्नवत् है
y = 0.5 sin(314t – 1.57x) मीटर
इस तरंग का आयाम, आवृत्ति एवं चाल ज्ञात कीजिए। इसके चलने की दिशा भी बताइए।
हल-
दिया है, y = 0.5sin(314t – 1.57x) दी गयी समीकरण की तुलना
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प्रश्न 3.
किसी माध्यम (गैस) में अनुदैर्घ्य (ध्वनि) तरंगों की चाल के लिए न्यूटन का सूत्र लिखिए। इस सूत्र में लाप्लास के संशोधन की व्याख्या कीजिए।
उत्तर-
सर्वप्रथम न्यूटन ने गणना द्वारा यह सिद्ध किया कि यदि किसी माध्यम को प्रत्यास्थता गुणांक E तथा घनत्व d हो, तो उसे माध्यमं में ध्वनि की चाल υ निम्नलिखित सूत्र द्वारा प्राप्त की जाती है
[latex s=2]\upsilon =\sqrt { \left( \frac { E }{ d } \right) } [/latex]
यह किसी भी माध्यम में अनुदैर्ध्य तरंगों की चाल का व्यापक सूत्र है।
न्यूटन के अनुसार, जब अनुदैर्ध्य तरंग किसी गैस माध्यम में चलती है तो गैस का ताप अपरिवर्तित रहता है। अत: उपर्युक्त सूत्र में E को गैस का समतापी आयतन प्रत्यास्थता गुणांक ले सकते हैं जिसका मान गैस के प्रारम्भिक दाब P के बराबर होता है। अत: न्यूटन के अनुसार किसी गैस में ध्वनि की चाल होती है।
[latex s=2]\upsilon =\sqrt { \left( \frac { P }{ d } \right) } [/latex] …(1)
इस सूत्र द्वारा जब 0°C पर, P (= 1.01 x 105 न्यूटन/मीटर2) तथा d ( = 1.29 किग्रा/मीटर3) के मान रखकर υ के मान की गणना करते हैं तो इसका मान 279.8 मीटर/सेकण्ड प्राप्त होता है। परन्तु प्रयोगों द्वारा 0°C पर वायु में ध्वनि की चाल 331 मीटर/सेकण्ड प्राप्त होती है। अत: न्यूटन के सूत्र में कुछ त्रुटि सम्मिलित है। इस त्रुटि का संशोधन लाप्लास ने किया। लाप्लास का संशोधन-लाप्लास के अनुसार, जब गैस में अनुदैर्ध्य तरंगें चलती हैं तो सम्पीडन एवं विरलन एकान्तर क्रम में बहुत ही शीघ्रता से होते हैं। इस कारण सम्पीडन के समय उत्पन्न ऊष्मा माध्यम से बाहर नहीं जा पाती और न ही विरलन के समय ऊष्मा की कमी को माध्यम के बाहर से ऊष्मा प्राप्त कर पूरा किया जा सकता है। इसके अतिरिक्त ऊष्मा का यह आदान-प्रदान गैस का ऊष्मा का कुचालक होने के कारण भी सम्भव नहीं है। इस प्रकार गैस में ध्वनि संचरण के समय ऊष्मा की मात्रा स्थिर रहती है, परन्तु ताप बदल जाता है। इस प्रकार न्यूटन के सूत्र में E गैस का रुद्धोष्म आयतन-प्रत्यास्थता गुणांक होना चाहिए जिसका मान γP होता है।
UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 15 Waves 96
यह मान प्रयोगों द्वारा प्राप्त मान के बराबर है।
अत: लाप्लासे का संशोधन ध्वनि की वायु में चाल के प्रेक्षित मान की पुष्टि करता है।
समी० (2) वायु अर्थात् गैसीय माध्यम में ध्वनि की चाल के लिए लाप्लास का सूत्र भी कहलाता है जो लाप्लास द्वारा किया गया न्यूटन के सूत्र का संशोधित रूप है।

प्रश्न 4.
गैस में ध्वनि की चाल को प्रभावित करने वाले विभिन्न कारक क्या हैं? गैस में ध्वनि की चाल पर ताप वृद्धि का क्या प्रभाव पड़ता है? आवश्यक सूत्र का निगमन कीजिए।
हल-
गैस में ध्वनि की चाल को प्रभावित करने वाले कारक निम्नलिखित होते हैं
(i) दाब का प्रभाव-ध्वनि की चाल (υ) = [latex s=2]\sqrt { \frac { \gamma P }{ d } } =\sqrt { \frac { \gamma RT }{ M } } [/latex]
स्थिर ताप पर, [latex s=2]\frac { P }{ d } =\frac { RT }{ M } [/latex] = नियतांक
अत: स्थिर ताप पर ध्वनि की चाल पर गैस के दाब का कोई प्रभाव नहीं पड़ता।
(ii) ताप का प्रभाव-ताप बढ़ने पर ध्वनि की चाल बढ़ती है।
ध्वनि की चाल
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अर्थात् किसी गैस में ध्वनि की चाल गैस के परमताप के वर्गमूल के अनुक्रमानुपाती होती है।
(iii) आर्द्रता का प्रभाव-आर्द्रता बढ़ने पर वायु का घनत्व घट जाता है, अत: सूत्र [latex s=2]\upsilon =\sqrt { \frac { \gamma P }{ d } } [/latex] के परिणामस्वरूप वायु में ध्वनि की चाल बढ़ जाती है। समान तापक्रम पर नम वायु (बारिश) में , ध्वनि की चाल शुष्क वायु (गर्मियों में) की तुलना में अधिक होती है।
d नम वायु υ शुष्क वायु
(iv) माध्यम की गति का प्रभाव–यदि माध्यम (गैस वायु) ω वेग से ध्वनि संचरण की दिशा में गतिशील हो, तब
ध्वनि का परिणामी वेग = υ + ω cos θ
(v) आवृत्ति अथवा तरंगदैर्घ्य का प्रभाव-ध्वनि तरंगों की आवृत्ति अथवा तरंगदैर्ध्य का ध्वनि की चाल पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।

प्रश्न 5.
सामान्य ताप व दाब पर 4 ग्राम हीलियम 22.4 लीटर आयतन घेरती है। इस अवस्था में हीलियम में ध्वनि की चाल ज्ञात कीजिए। दिया गया है—γ = 1.67 तथा 1 वायुमण्डल दाब = 10न्यूटन/मी2
हल-
यहाँ सामान्य दाब P =1 वायुमण्डल दाब = 105 न्यूटन/मीटर2
सामान्य ताप व दाब पर हीलियम का घनत्व
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प्रश्न 6.
किस ताप पर ऑक्सीजन में ध्वनि की चाल वही होगी जो कि 14°C पर नाइट्रोजन में है? ऑक्सीजन व नाइट्रोजन के अणुभार क्रमशः 32 व 28 हैं।
हल-
यदि किसी गैस का अणुभार : M तथा परमताप T हो तो उस गैस में ध्वनि की चाल
[latex s=2]\upsilon =\sqrt { \gamma RT/M } [/latex]
जहाँ R सार्वत्रिक गैस-नियतांकं है।
माना कि ताप t पर ऑक्सीजन में ध्वनि की चाल वही है जो 14°C पर नाइट्रोजन में है। अब
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प्रश्न 7.
सामान्य ताप तथा दाब पर वायु में ध्वनि की चाल 330 मी/से है। हाइड्रोजन गैस में ध्वनि की चाल की गणना कीजिए। हाइड्रोजन गैस वायु की तुलना में 16 गुनी हल्की है।
हल-
किसी गैस में ध्वनि की चाल [latex s=2]\upsilon =\sqrt { (\gamma P/d) } [/latex], जहाँ P गैस का दाब है,d घनत्व है तथा γ गैस की दो विशिष्ट ऊष्माओं का अनुपात है। यहाँ स्पष्ट है कि समान दाब पर विभिन्न गैसों में ध्वनि की चाल υ∝l/√d अर्थात् घनत्व के वर्गमूल के व्युत्क्रम में होगी। इसलिए यदि सामान्य ताप व दाब पर वायु तथा हाइड्रोजन में ध्वनि की चाल क्रमश: υa तथा υH2 एवं इनके घनत्व क्रमशः da तथा dH2 हों, तो
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प्रश्न 8.
एक तरंग समीकरण [latex s=2]y=3sin\pi \left[ \frac { x }{ 4.0 } -\frac { t }{ 0.025 } \right] [/latex]
से प्रदर्शित है, जहाँ y तथा x सेमी में एवं t सेकण्ड में है। ज्ञात कीजिए
(i) तरंग की चाल
(ii) 2.0 सेमी दूर स्थित कणों के मध्य कलान्तर।
हल-
दी गई तरंग की समीकरण है।
[latex s=2]y=3sin\pi \left[ \frac { x }{ 4.0 } -\frac { t }{ 0.025 } \right] [/latex]
इसकी मानक समीकरण y = a sin(kx – ωt) से तुलना करने पर,
a = 3 सेमी
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प्रश्न 9.
एक तनी हुई डोरी में अनुप्रस्थ तरंग चाल का व्यंजक लिखिए तथा उसमें प्रयुक्त प्रतीकों का अर्थ बताइए। एक तने हुए तार की लम्बाई 1.0 मीटर तथा द्रव्यमान 0.2 ग्राम है। यदि तार से 2.5 किग्रा को भार लटक रहा हो और तार दो खण्डों में कम्पन कर रहा हो, तो तार से उत्पन्न स्वर की आवृत्ति ज्ञात कीजिए। (g = 10 मी/से2)
हल-
तनी हुई डोरी में अनुप्रस्थ तरंग की चाल υ = (T/m)
(जहाँ T डोरी में तनाव तथा m डोरी की एकांक लम्बाई का द्रव्यमान है। यदि डोरी के एक सिरे से M द्रव्यमान लटकाकर उसमें T तनाव आरोपित किया जाए तो T = Mg तथा डोरी की त्रिज्या r, घनत्व d
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प्रश्न 10.
27°C पर हाइड्रोजन एवं 77°C पर नाइट्रोजन गैसों में ध्वनि की चालों का अनुपात ज्ञात कीजिए।
हल-
दिया है, हाइड्रोजन का ताप (TH) = 27°C या 27 + 273 = 300 K
नाईट्रोजन का ताप (TN) = 77°C
यो 77 + 273 = 350 K
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प्रश्न 11.
एक तने हुए पतले तार में संचरित अनुप्रस्थ तरंग का विस्थापन समीकरण निम्नलिखित है-y = 0.021 sin (30t + 2) मी, जहाँ t सेकण्ड एवं x मीटर में है। यदि तार के पदार्थ का रेखीय घनत्व 1.6 x 10-4 किग्रा/मी हो तो तरंग-वेग तथा तार में तनाव ज्ञात कीजिए।
हल-
दिया है, अनुप्रस्थ तरंग का विस्थापन समीकरण,
y = 0.021 sin (30t + 2x)
इसकी मानक समीकरण, y = sin (ωt – kx) से तुलना करने पर,
a = 0.021 सेमी, ω = 30, k = 2
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प्रश्न 12.
व्यतिकरण से क्या तात्पर्य है? तरंगों के संपोषी तथा विनाशी व्यतिकरण के लिए आवश्यक शर्ते व्युत्पादित कीजिए।
उत्तर-
व्यतिकरण-दो तरंगों के अध्यारोपण के कारण तीव्रता के पुनर्वितरण से तीव्रता के महत्तम व न्यूनतम होने की घटना को तरंगों का व्यतिकरण कहते हैं।
संपोषी व्यतिकरण के लिए आवश्यक शर्ते
परिणामी तीव्रता के सूत्र [latex s=2]I={ I }_{ 1 }+{ I }_{ 2 }+2\sqrt { ({ I }_{ 1 }{ I }_{ 2 }) } cos\phi [/latex] से स्पष्ट है कि किसी बिन्दु पर संपोषी व्यतिकरण अर्थात् अधिकतम तीव्रता के लिए
UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 15 Waves 105
अतः संपोषी व्यतिकरण के लिए आवश्यक शर्त निम्न हैं
(i) दोनों तरंगों के बीच कलान्तर शून्य अथवा π का सम गुणक होना चाहिए, अर्थात् तरंगें एक ही कला में मिलनी चाहिए।
(ii) दोनों तरंगों के बीच पथान्तर शून्य अथवा तरंगदैर्घ्य λ का पूर्ण गुणक होना चाहिए।
अतः संपोषी व्यतिकरण की दशा में परिणामी तीव्रता के सूत्र में cos φ = 1 रखने पर,
परिणामी तीव्रता का अधिकतंम मान ।
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प्रश्न 13.
विस्पन्द से आप क्या समझते हैं? सिद्ध कीजिए कि प्रति सेकण्ड उत्पन्न विस्पन्दों की संख्या दो ध्वनि स्रोतों की आवृत्तियों के अन्तर के बराबर होती है।
उत्तर-
विस्पन्द (Beats)-जब ‘लगभग बराबर आवृत्ति वाली दो ध्वनि तरंगें एक साथ उत्पन्न की जाती हैं, तो माध्यम में उनके अध्यारोपण से प्राप्त ध्वनि की तीव्रता बारी-बारी से घटती और बढ़ती रहती है। ध्वनि की तीव्रता में होने वाले इस चढ़ाव व उतराव को ‘विस्पन्द’ (beat) कहते हैं। एक चढ़ाव तथा एक उतराव को मिलाकर एक विस्पन्द’ (one beat) कहते हैं। प्रति सेकण्ड ध्वनि की तीव्रता में होने वाले चढ़ाव व उतराव की संख्या को ‘विस्पन्द आवृत्ति’ (beat frequency) कहते हैं।
विस्पन्द उत्पन्न होने के लिए आवश्यक दशा (condition) यह है कि दोनों स्रोतों की आवृत्तियों में थोड़ा अन्तर अवश्य होना चाहिए।
माना दो ध्वनि-स्रोतों की आवृत्तियाँ n1 व n2 हैं (n1 आवृत्ति n2 आवृत्ति से कुछ अधिक है)। माना प्रत्येक ध्वनि का आयाम a है तथा दोनों तरंगें एक ही दिशा में जा रही हैं। माना इन तरंगों द्वारा माध्यम के किसी कण का विस्थापन क्रमशः y1 व y2 है, तब सरल आवर्त गति के समीकरण के अनुसार,
UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 15 Waves 108

इस समीकरण से स्पष्ट है कि दोनों तरंगों के अध्यारोपण से कण एक सरल आवर्त गति करता है जिसका आयाम a है तथा जो समय t पर निर्भर करता है। चूंकि cos π(n1 – n2) t का अधिकतम मान ±1 तथा न्यूनतम मान 0 हो सकता है; अत: A का अधिकतम मान ± 2a तथा न्यूनतम मान 0 होगा।
UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 15 Waves 109
अत: इन क्षणों पर आयाम का मान अधिकतम होगा जिसके फलस्वरूप ध्वनि की तीव्रता (I = kA²) भी अधिकतम होगी।
दो लगातार अधिकतम तीव्रताओं के बीच समयान्तराल = 1/(n1 – n2) सेकण्ड है। अत: एक सेकण्ड में (n1 – n2) बार तीव्रता अधिकतम होगी।
UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 15 Waves 110
अतः इन क्षणों पर आयाम न्यूनतम होगा जिसके फलस्वरूप ध्वनि की तीव्रता भी न्यूनतम होगी। उपर्युक्त समीकरणों (1) तथा (2) से स्पष्ट है कि अधिकतम तीव्रताओं के ठीक बीच-बीच में न्यूनतम तीव्रताएँ आती
दो लगातार न्यूनतम तीव्रताओं के बीच समयान्तराल = [latex s=2]\frac { 1 }{ n1 – n2 }[/latex] सेकण्ड अर्थात् प्रति सेकण्ड (n1 – n2) बार तीव्रता न्यूनतम होती है।
इससे स्पष्ट है कि ध्वनि की तीव्रता में एक सेकण्ड में (n1 – n2) चढ़ाव तथा (n1 – n2) उतराव आते हैं, जबकि एक चढ़ाव तथा एक उतराव को मिलाकर एक विस्पन्द कहते हैं, अर्थात् एक सेकण्ड में n1 – n2 विस्पन्द सुनाई देंगे।
अत: विस्पन्दों की प्रति सेकण्ड संख्या (अर्थात् विस्पन्द-आवृत्ति)
= n1 – n2 = ध्वनि-स्रोतों की आवृत्तियों का अन्तर

प्रश्न 14.
अप्रगामी तरंग समीकरण व्युत्पन्न कीजिए। प्रस्पन्द तथा निस्पन्द बनने की शर्ते बताइए। दर्शाइए कि दो क्रमागत प्रस्पन्दों के बीच की दूरी तरंगदैर्घ्य की आधी होती है।
उत्तर-
अप्रगामी तरंग की समीकरण (Equation of stationary wave)-माना कि आयाम a की एक समतल प्रगामी तरंग चाल υ में X-अक्ष की धन दिशा में चल रही है। इस तरंग की समीकरण निम्न
UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 15 Waves 111
जहाँ λ प्रगामी तरंग की तरंगदैर्घ्य है तथा T कम्पन-काल है। माना कि यह तरंग किसी मुक्त (free) सिरे से टकराती है और परावर्तित तरंग X-अक्ष की ऋण दिशा में अग्रसर होती है। तब परावर्तित तरंग की समीकरण निम्न होगी
UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 15 Waves 112
परन्तु यदि यही तरंग किसी दृढ़ (rigid) सिरे से परावर्तित हो तब परावर्तित तरंग की समीकरण निम्न होगी
UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 15 Waves 113
दोनों परावर्तित तरंगों में से किसी को भी लेकर अप्रगामी तरंग की समीकरण प्राप्त की जा सकती है।
नीचे मुक्त सिरे से परावर्तित तरंग लेकर अप्रगामी तरंग का समीकरण प्राप्त किया गया है।
माना कि आपतित तरंग के कारण किसी बिन्दु x का किसी क्षण t पर विस्थापन y1 है तथा परावर्तित
तरंग के कारण विस्थापन y2 है। तब, अध्यारोपण के सिद्धान्त से,
उस बिन्दु का परिणामी विस्थापन y = y1 + y2
UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 15 Waves 114
यही अप्रगामी तरंग की समीकरण है। इस समी० में x = 0, λ/2, 2λ/2, 3λ/2,…….. रखने पर cos (2π x/λ) को मान एकान्तर क्रम से +1 तथा -1 हो जाता है। इससे स्पष्ट है कि इन बिन्दुओं पर अन्य बिन्दुओं की तुलना में विस्थापन y सदैव अधिकतम होता है। ये बिन्दु ही ‘प्रस्पन्द’ (antinodes) हैं तथा एक-दूसरे से λ/2 की दूरी पर स्थित हैं। इसी प्रकार, x = λ/4,3λ/4,5λ/4,…… रखने पर cos (2π x/λ) का मान शून्य हो जाता है। इससे स्पष्ट है कि इन बिन्दुओं पर विस्थापन y शून्य हो जाता है। ये बिन्दु ही ‘निस्पन्द’ (nodes) हैं तथा ये भी एक दूसरे से λ/2 की दूरी पर हैं।
यदि हम दृढ़ सिरे से परावर्तित तरंग लें तब अप्रगामी तरंग की निम्न समीकरण प्राप्त होगी—
UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 15 Waves 115
इस दशा में x = 0,λ/2, 2λ/2, 3λ/2,…… पर निस्पन्द तथा x = λ/4,3λ/4,5λ/4,…… पर प्रस्पन्द होंगे। यहाँ से स्पष्ट है कि दो क्रमागत निस्पन्दों तथा दो क्रमागत प्रस्पन्दों के बीच की दूरी तरंगदैर्ध्य की आधी (λ/2) होती है।

प्रश्न 15.
अप्रगामी तरंगों से आप क्या समझते हैं? इनकी मुख्य विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर-
अप्रगामी तरंगें (Stationary waves)–जब किसी बद्ध माध्यम में सभी प्रकार से समान दो अनुदैर्घ्य अथवा दो अनुप्रस्थ प्रगामी तरंगें एक ही चाल से परन्तु विपरीत दिशाओं में चलती हैं, तो उनके अध्यारोपण के फलस्वरूप उत्पन्न नयी तरंग माध्यम में स्थिर प्रतीत होती है। इस प्रकार प्राप्त नयी तरंग अप्रगामी तरंग कहलाती है।
अप्रगामी तरंगों की मुख्य विशेषताएँ-अप्रगामी तरंगों की मुख्य विशेषताएँ निम्नलिखित हैं|
1. बद्ध माध्यम के कुछ कण सदैव अपने ही स्थान पर स्थिर रहते हैं; अर्थात् उनका विस्थापन शून्य होता है। ये निस्पन्द कहलाते हैं। ये समान दूरियों पर स्थित होते हैं। अप्रगामी तरंगों के अनुदैर्घ्य होने की दशा में निस्पन्दों पर दाब तथा घनत्व में परिवर्तन महत्तम होता है।
2. अप्रगामी तरंग में निस्पन्दों के बीच में कुछ बिन्दु ऐसे होते हैं जिनका विस्थापन महत्तम होता है। ये प्रस्पन्द कहलाते हैं। अप्रगामी तरंगों के अनुदैर्ध्य होने की दशा में प्रस्पन्दों पर दाब तथा घनत्व में कोई परिवर्तन नहीं होता।
3. दो क्रमागत निस्पन्दों अथवा दो क्रमागत प्रस्पन्दों के बीच की दूरी λ/2 होती है। एक निस्पन्द तथा उसके पास वाले प्रस्पन्द की दूरी λ/4 होती है।
4. किसी भी क्षण दो पास-पास स्थित निस्पन्दों के बीच सभी कणों की कला समान होती है। वे साथ-साथ गति करते हुए अपनी-अपनी अधिकतम विस्थापने की स्थिति में पहुँचते हैं तथा साथ-ही-साथ अपनी साम्यावस्था से गुजरते हैं।
5. किसी भी क्षण किसी निस्पन्द के दोनों ओर के कणों का कलान्तर 180° होता है, अर्थात् दोनों ओर के कण विपरीत कला में कम्पन करते हैं।
6. माध्यम के सभी बिन्दु एक आवर्तकाल में दो बार एक साथ अपनी-अपनी साम्यावस्था में से गुजरते हैं। दूसरे शब्दों में, दो बार अप्रगामी तरंग एक सीधी रेखा का रूप ग्रहण करती है।।

प्रगामी तथा अप्रगामी तरंगों की तुलना
UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 15 Waves 116

प्रश्न 16.
एक अप्रगामी तरंग का समीकरण y = 10 cos[latex s=2]\frac { \pi x }{ 15 } [/latex] cos 100 πt है, जहाँ y तथा x सेमी में तथा t सेकण्ड में है। ज्ञात कीजिए–
(i) मूल प्रगामी तरंगों की आवृत्ति तथा तरंगदैर्घ्य
(ii) मूल प्रगामी तरंगों के समीकरण।
हल-
(i) जब X-अक्ष की धन दिशा में जाती प्रगामी तरंग को लिया जाए तो,
y = a cos (ωt – kx) लिया जाए तो मुक्त तल से परावर्तित तरंग।
y = a cos (ωt + kx) होगी।
इन दोनों के अध्यारोपण से उत्पन्न अप्रगामी तरंग का समीकरण होगा
y = 2a cos ωt · cos kx ….(1)
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प्रश्न 17.
एक सिरे पर बन्द वायु स्तम्भ की मूल-आवृत्ति का सूत्र निगमित कीजिए तथा समझाइए कि उसमें केवल विषम प्रकार के संनादी उत्पन्न होते हैं।
उत्तर-
बन्द ऑर्गन पाइप में वायु स्तम्भ के कम्पन-
UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 15 Waves 118
किसी बन्द पाइप के खुले सिरे पर फेंक मारने पर पाइप की वायु में अनुदैर्ध्य तरंगें खुले सिरे से बन्द सिरे की ओर चलती हैं। बन्द सिरा एक दृढ़ परिसीमा की भाँति इस तरंग को परावर्तित (विरलन की दशा को विरलन के रूप में और संपीडन की दशा को संपीडन के रूप में) करता है और परावर्तित तरंग खुले सिरे की ओर चलती हैं। खुला सिरा एक मुक्त परिसीमा की भाँति इसे परावर्तित (विरलन की दशा को संपीडन के रूप में और संपीडन की दिशा को विरलन के रूप में) करके पुनः बन्द सिरे की ओर भेजता है। इस प्रकार पाइप के वायु स्तम्भ में दो ।
अनुदैर्ध्य तरंगें विपरीत दिशाओं में चलने लगती हैं। इनके अध्यारोपण से अप्रगामी अनुदैर्ध्य तरंगें उत्पन्न होती हैं। पाइप के बन्द सिरे पर वायु के कणों को कम्पन करने की बिल्कुल स्वतन्त्रता नहीं होती। अत: वहाँ सदैव निस्पन्द (node) बनता है। इसके विपरीत पाइप के खुले सिरे पर वायु के कणों को कम्पन करने की सबसे अधिक स्वतन्त्रता होती है; अतः वहाँ सदैव प्रस्पन्द (antinode) होता है। बन्द पाइप के खुले सिरे पर ‘धीरे-से’ फेंक मारने पर वायु स्तम्भ में कम्पन चित्रे 15.7 (a) की भाँति होंगे अर्थात् खुले सिरे पर प्रस्पन्द (A) तथा बन्द सिरे पर निस्पन्द (N) होगा। एक निस्पन्द और पास वाले प्रस्पन्द के बीच की दूरी (λ1/4) होती है। अत: यदि पाइप की लम्बाई l तथा तरंगदैर्घ्य λ1 हो, तो ।
UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 15 Waves 119

इस प्रकार पाइप से उत्पन्न स्वरक की आवृत्ति होगी
UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 15 Waves 120
इस स्वरक को पाइप का ‘मूल-स्वरक’ (fundamental node) अथवा ‘पहला संनादी’ (first harmonic) कहते हैं। स्पष्ट है कि मूल-स्वरक की आवृत्ति पाइप की लम्बाई के व्युत्क्रमानुपाती होती है।
बन्द पाइप के खुले सिरे पर जोर से फेंक मारने पर वायु स्तम्भ में मूल-स्वरक से ऊँची आवृत्ति के स्वरक उत्पन्न किये जा सकते हैं, जिन्हें ‘अधिस्वरक’ (overtones) कहते हैं। तब वायु स्तम्भ में कम्पन चित्र 15.7 (b) तथा 15.7 (c) के अनुसार होते हैं जिनमें पाइप के खुले तथा बन्द सिरों के बीच में भी निस्पन्द व प्रस्पन्द होते हैं।
चित्र 15.7 (b) में एक पाइप के बन्द व खुले सिरों के बीच में एक प्रस्पन्द (A) व एक निस्पन्द (N) है। यदि इस स्थिति में तरंगदैर्घ्य λ2, हो, तो
UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 15 Waves 121
अर्थात् इस दशा में पाइप से उत्पन्न स्वरक की आवृत्ति मूल-स्वरक की आवृत्ति की तीन गुनी है। अत: यह बन्द पाइप का पहला अधिस्वरक’ है। इसे ‘तीसरा संनादी’ भी कह सकते हैं।
चित्र 15.7 (c) में पाइप के बन्द व खुले सिरों के बीच में दो निस्पन्द व दो प्रस्पन्द हैं। यदि इस स्थिति में तरंगदैर्घ्य λ3 हो, तो
UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 15 Waves 122
अर्थात् इस दशा में पाइप से उत्पन्न स्वरक की आवृत्ति मूल-स्वरक की आवृत्ति की पाँच गुनी है। अतः यह ‘पाँचवाँ संनादी’ अथवा ‘दूसरा अधिस्वरक’ है। इसी प्रकार आगे के अधिस्वरकों की आवृत्तियाँ भी ज्ञात की जा सकती हैं। समीकरण (1), (2) व (3) से स्पष्ट है कि |
n1 : n2 : m3 ………….= 1: 3: 5:…………..
अर्थात् बन्द पाइप से केवल ‘विषम संनादी’ ही उत्पन्न हो सकते हैं।

प्रश्न 18.
सिद्ध कीजिए कि दोनों ओर खुले ऑर्गन पाइप में सम और विषम दोनों प्रकार के संनादी उत्पन्न होते हैं।
उत्तर-
अप्रगामी तरंग का समीकरण
UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 15 Waves 123
खुले ऑर्गन पाइप में वायु स्तम्भ के कम्पन–किसी खुले पाइप के एक सिरे पर फेंक मारने पर पाइप की वायु में अनुदैर्ध्य तरंगें एक सिरे से दूसरे सिरे की ओर चलती हैं। दूसरा सिरा एक मुक्त परिसीमा की भाँति इसे परावर्तित (विरलन की दशा को संपीडन के रूप में और संपीडन की दशा को विरलन के रूप में) करता है और परावर्तित तरंग पहले सिरे की ओर चलती है। पहला सिरा भी एक मुक्त परिसीमा की भाँति इसे परावर्तित करके पुन: दूसरे सिरे की ओर भेजता है। इस प्रकार पाइप के वायु स्तम्भ में दो अनुदैर्ध्य तरंगें विपरीत दिशाओं में चलने लगती हैं। उनके अध्यारोपण से अप्रगामी अनुदैर्ध्य तरंगें उत्पन्न होती हैं। चूँकि पाइप दोनों सिरों पर खुला है; अत: दोनों सिरों पर सदैव प्रस्पन्द होते हैं। पाइप के सिरे पर धीरे-से फेंक मारने पर वायु स्तम्भ में कम्पन चित्र 15.8 (a) की भाँति होंगे अर्थात् दोनों सिरे प्रस्पन्द (A) तथा उनके बीच एक निस्पन्द (N) होगा। दो प्रस्पन्दों के बीच की दूरी (λ/2) होती है। अतः यदि पाइप की लम्बाई । से तथा तरंगदैर्घ्य λ1 हो, तो
UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 15 Waves 124

जहाँ υ वायु में ध्वनि की चाल है। पाइप से उत्पन्न कम-से-कम आवृत्ति के इस स्वरक को ‘मूलस्वरक’ अथवा ‘पहला संनादी’ कहते हैं।
पाइप के सिरे पर जोर से फेंक मारने पर वायु स्तम्भ में मूल-स्वरके से ऊँची आवृत्ति के स्वरक उत्पन्न किये जा सकते हैं, जिन्हें ‘अधिस्वरक’ कहते हैं। तब वायु स्तम्भ में कम्पन चित्र 15.8 (b) तथा 15.8 (c) के अनुसार होते हैं।
चित्र 15.8 (b) में पाइप के सिरों के बीच दो निस्पन्द हैं। यदि इस स्थिति में तरंगदैर्घ्य λ2, हो, तो
UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 15 Waves 125
अर्थात् इस दशा में पाइप से उत्पन्न स्वरक की आवृत्ति मूल-स्वरक की आवृत्ति से दो गुनी है। अत: यह ‘द्वितीय संनादी’ अथवा ‘पहला अधिस्वरक’ है।।
चित्र 15.8 (c) में पाइप के सिरों के बीच तीन निस्पन्द हैं। यदि इस स्थिति में तरंगदैर्घ्य λ3 हो, तो
UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 15 Waves 126
अर्थात् इस दशा में पाइप से उत्पन्न स्वरक की आवृत्ति मूल-स्वरक की आवृत्ति से तीन गुनी है। अत: यह तीसरा संनादी अथवा ‘दूसरा अधिस्वरक’ है। इस प्रकार आगे के अधिस्वरकों की आवृत्तियाँ भी ज्ञात की जा सकती हैं। समीकरण (1), (2) व (3) से स्पष्ट है कि खुले पाइप के मूल स्वरक तथा अधिस्वरकों में निम्नलिखित सम्बन्ध है
n1 : n2 : n3 ….= 1: 2: 3….
अर्थात् खुले ऑर्गन पाइप से सम तथा विषम दोनों प्रकार के संनादी उत्पन्न हो सकते हैं।

प्रश्न 19.
संनादी से आप क्या समझते हैं? सिद्ध कीजिए कि तनी हुई डोरी में सम तथा विषम दोनों प्रकार के संनादी उत्पन्न होते हैं।
उत्तर-
संनादी (Harmonics)– यदि किसी ध्वनि-स्रोत से उत्पन्न मूल-स्वरक तथा अधिस्वरकों की आवृत्तियाँ हारमोनिक श्रेणी में हों तो इन स्वरकों को संनादी कहते हैं। डोरी के मूल-स्वरक तथा अधिस्वरक
UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 15 Waves 127
-जब किसी तनी हुई डोरी (अथवा तार) के मध्य-बिन्दु को धीरे से खींचकर छोड़ते हैं तो डोरी एक खण्ड में कम्पन करती है, तब इसके सिरों पर निस्पन्द (N) तथा बीच में प्रस्पन्द (A) बनते हैं,
चित्र 15.9 (a)। इस दशा में डोरी में उत्पन्न स्वरक को ‘मूल-स्वरक’ कहते, हैं। दो पास-पास वाले निस्पन्दों के बीच की दूरी λ/2 होती है, (λ तरंगदैर्घ्य)। यदि मूल-स्वरक की स्थिति में तरंगदैर्घ्य λ1 हो तथा डोरी की लम्बाई l हो, तो
UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 15 Waves 128
यह डोरी (अथवा तार) की मूल आवृत्ति है।
यदि डोरी के मध्य-बिन्दु को किसी हल्के पंख से छूते हुए उसे किसी सिरे से चौथाई लम्बाई पर लम्बवत् खींचकर छोड़ दें तो डोरी दो खण्डों में कम्पन करने लगती है, चित्र 15.9 (b)। यदि इस दशा में तरंगदैर्घ्य λ2 हो, तो।

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प्रश्न 20.
एक बन्द ऑर्गन पाइप के दूसरे अधिस्वरक तथा उसी लम्बाई के खुले ऑर्गन पाइप के ‘ पहले अधिस्वरक की आवृत्तियों में 150 हर्ट्ज का अन्तर है। बन्द व खुले पाइपों की मूल आवृत्तियाँ क्या हैं?
हल-
माना कि बन्द व खुले पाइपों की मूल आवृत्तियाँ क्रमशः n1 व n2 हैं, प्रत्येक पाइप की लम्बाई l है तथा वायु में ध्वनि की चाल υ है। तब
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प्रश्न 21.
एक अप्रगामी तरंग को उत्पन्न करने वाली अवयवी तरंगों के आयाम, आवृत्ति एवं वेग। क्रमशः 8 सेमी, 30 हर्ट्ज एवं 180 सेमी/सेकण्ड हैं। अप्रगामी तरंग का समीकरण प्राप्त कीजिए।
हल-
अप्रगामी तरंग उत्पन्न करने वाली अवयवी तरंगों का आयाम a = 8 सेमी
आवृत्ति n = 30 हर्ट्ज = 30 सेकण्ड-1 तथा वेग υ = 180 सेमी/सेकण्ड
UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 15 Waves 131

प्रश्न 22.
डॉप्लर प्रभाव क्या है? एक स्थिर ध्वनि-स्रोत की ओर एक श्रोता एकसमान वेग से गति कर रहा है। श्रोता द्वारा सुनी गयी आभासी आवृत्ति के लिए व्यंजक प्राप्त कीजिए।
उत्तर-
डॉप्लर प्रभाव-जब श्रोता और ध्वनि के स्रोत के बीच आपेक्षिक गति (relative motion) होती है, तो श्रोता को ध्वनि की आवृत्ति बदलती हुई प्रतीत होती है। आपेक्षिक गति से जब श्रोता तथा ध्वनि-स्रोत के मध्य दूरी बढ़ रही होती है तो आवृत्ति घटती हुई और जब दूरी घट रही होती है तो आवृत्ति बढ़ती हुई प्रतीत होती है। ध्वनि स्रोत तथा श्रोता के मध्य आपेक्षिक गति के कारण ध्वनि-स्रोत की आवृत्ति में उत्पन्न आभासी परिवर्तन (apparent change) का अध्ययन सर्वप्रथम डॉप्लर ने सन् 1842 में किया था, इसी कारण इसे डॉप्लर प्रभाव कहते हैं।
UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 15 Waves 132
जब ध्वनि स्रोत स्थिर तथा श्रोता इसकी ओर गतिमान है तो आभासी आवृत्ति का व्यंजक- माना कि ध्वनि-स्रोत S स्थिर  (υs – 0) है तथा श्रोता O चाल υ0 से ध्वनि के चलने की दिशा के विपरीत चलकर स्रोत की ओर तरंगें जा रहा है।
यदि ध्वनि-स्रोत की मूल आवृत्ति n हो तथा ध्वनि की चाल υ हो, तो तरंगदैर्घ्य [latex s=2]\lambda =\frac { \upsilon }{ n } [/latex]
यदि श्रोता भी स्थिर होता तो वह 1 सेकण्ड में ध्वनि-स्रोत से आने वाली n तरंगें सुनता है [चित्र तरंगें 15.10 (a)] परन्तु चूँकि वह स्वयं 1 सेकण्ड में υ0 दूरी स्रोत की ओर तय कर लेता है [चित्रे 15.10 (b)]। अत: वह इन तरंगों के अतिरिक्त दूरी υ0 में फैली υ0/λ तरंगों को भी सुन सकेगा।

अतः 1 सेकण्ड में श्रोता द्वारा सुनी गयी कुल तरंगों की संख्या अर्थात् आभासी आवृत्ति ।
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जो कि वास्तविक आवृत्ति n से अधिक है।

प्रश्न 23.
यदि कोई ध्वनि स्रोत तथा श्रोता दोनों ही एक-दूसरे की तरफ गति कर रहे हों तो ध्वनि की आभासी आवृत्ति के लिए सूत्र निगमन कीजिए।
उत्तर-
माना कि ध्वनि स्रोत तथा श्रोता दोनों ही ध्वनि की गति की दिशा में ध्वनि का वेग क्रमशः υ तथा υ वेग से चल रहे हैं (चित्र 15.11)। (ध्वनि की दिशा s सदैव ध्वनि स्रोत से श्रोता की ओर होती है।) आरम्भ में यदि यह माना जाये कि श्रोता स्थिर है, तो ध्वनि स्रोत की गति के कारण आभासी आवृत्ति
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अब यदि श्रोता भी गतिमान हो जाए, तो n1, उसके लिए वास्तविक आवृत्ति होगी तथा माना श्रोता द्वारा सुनी गयी आवृत्ति n1 से बदलकर n’ हो जाती है तो
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यदि स्रोत अथवा श्रोता में से किसी के चलने की दिशा ध्वनि की दिशा के विपरीत हो तो समीकरण (3) में उसके वेग υ अथवा υ का चिह्न बदल जायेगा।

प्रश्न 24.
किसी रेलवे प्लेटफॉर्म पर खड़ा एक व्यक्ति एक इंजन की सीटी को सुनता है जो एक स्थिर चाल से आकर बिना रुके हुए उसी चाल से आगे निकल जाता है। जैसे ही इंजन उससे आगे निकलता है, उस व्यक्ति को सीटी की आवृत्ति में 11 kHz से 9 kHz के अन्तर होने का आभास होता है। इंजन की चाल तथा सीटी की वास्तविक आवृत्ति की गणना कीजिए। (वायु में ध्वनि की चाल = 300 मी/से)।
हल-
दिया है,υ0 = 0,υ = 300 मी/से, n’ = 11kHz = 11000 Hz, n” = 9 kHz = 9000 Hz, υ६ =?
जब इंजन व्यक्ति की ओर आ रहा है तब आवृत्ति
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प्रश्न 25.
एक स्थिर श्रोता की ओर जाते हुए ध्वनि स्रोत की आभासी आवृत्ति के सूत्र का निगमन कीजिए।
या n आवृत्ति का एक गतिमान स्रोत υ चाल से एक स्थिर श्रोता की ओर आ रहा है। ध्वनि का वेग υ कीजिए। है। श्रोता द्वारी सुनी गई आभासी आवृत्ति के लिए सूत्र का निगमन कीजिए।
या स्थिर श्रोता की ओर एक गतिमान स्रोत एकसमान वेग से जा रहा है तो आभासी आवृत्ति का सूत्र निगमित कीजिए।
उत्तर-
स्थिर श्रोता की ओर जाते हुए ध्वनि स्रोत की आभासी आवृत्ति का सूत्र- चित्र 15.12 में S व O क्रमशः ध्वनि-स्रोत तथा श्रोता की स्थितियों को व्यक्त करते हैं।
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माना कि ध्वनि-स्रोत की मूल (वास्तविक) आवृत्ति n है तथा ध्वनि की चाल υ है। स्पष्ट है कि स्रोत से 1 सेकण्ड में n तरंगें निकलेंगी जो चाल υ से चलेंगी। यदि स्रोत अपने स्थान पर स्थिर है, तो यह n तरंगें SO = υ दूरी में फैल जायेंगी [चित्र 15.12 (a)]। इस प्रकार एक तरंग की लम्बाई अथवा तरंगदैर्घ्य [latex s=2]\lambda =\frac { \upsilon }{ n } [/latex]
अब माना कि ध्वनि-स्रोत चाल υ से श्रोता की ओर गति करता है, अर्थात् स्रोत ध्वनि तरंगों के पीछे-पीछे चल रहा है। तब 1 सेकण्ड में निकलने वाली n तरंगें υ दूरी में न फैलकर υ – υ, दूरी में फैलेगी, क्योंकि 1 सेकण्ड में ध्वनि-स्रोत O की ओर υ दूरी चल लेता है [चित्र 15.12 (b)]। फलतः तरंगदैर्ध्य छोटी हो जायेगी। मान लीजिए यह λ है।
इस प्रकार श्रोता को λ’ तरंगदैर्घ्य की तरंगें प्राप्त होंगी। अत: उसको ध्वनि की आवृत्ति बदली हुई प्रतीत होगी। मान लीजिए यह आभासी आवृत्ति n’ है। तब ।
UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 15 Waves 138
जो कि वास्तविक आवृत्ति n से अधिक है।

प्रश्न 26.
एक रेडार स्टेशन से एक वायुयान की ओर 6 x 10 हर्ट्ज आवृत्ति के संकेत भेजे जाते हैं। यदि वायुयान से परावर्तित संकेत की आवृत्ति भेजे गये संकेत की आवृत्ति से 1x 10 हर्ट्ज अंधिक मालूम पड़े तो बताइए कि वायुयान किस दिशा में किस वेग से जा रहा है? (c = 30 x 10 मीटर/सेकण्ड).
हल-
संकेतों की आभासी आवृत्ति बढ़ी हुई प्रतीत होती है; इसका अर्थ है कि रेडार स्टेशन तथा वायुयान के बीच दूरी घट रही है अर्थात् वायुयान रेडार स्टेशन की ओर आ रहा है।
माना कि भेजे गये रेडार संकेत की वास्तविक आवृत्ति ν है। यदि वायुयान का रेडार स्टेशन की ओर उपगमन वेग υ है, तब सापेक्षिकता के सिद्धान्त से,
UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 15 Waves 139
= 250 मीटर/सेकण्ड
यह वायुयान का उपगमन वेग है।

प्रश्न 27.
एक श्रोता किसी वेग से एक स्थिर ध्वनि स्रोत की ओर आकर उसी वेग से दूसरी ओर चला जाता है। श्रोता के निकट आते समय तथा दूर जाते समय की आभासी आवृत्तियों का अनुपात [latex s=2]\frac { 6 }{ 5 }[/latex] है। श्रोता के वेग की गणना कीजिए। वायु में ध्वनि की चाल 330 मी/से है।
हल-
ना श्रोता का वेग υ है।
जब श्रोता स्रोत के निकट आता है तब आभासी आवृत्ति
UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 15 Waves 140
अतः श्रोता का वेग 30 मी/से है।

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UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 14 Oscillations

UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 14 Oscillations (दोलन) are part of UP Board Solutions for Class 11 Physics . Here we have given UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 14 Oscillations (दोलन)

Board UP Board
Textbook NCERT
Class Class 11
Subject Physics
Chapter Chapter 14
Chapter Name Oscillations
Number of Questions Solved 76

UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 14 Oscillations (दोलन)

अभ्यास के अन्तर्गत दिए गए प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
नीचे दिए गए उदाहरणों में कौन आवर्ती गति को निरूपित करता है?
(i) किसी तैराक द्वारा नदी के एक तट से दूसरे तट तक जाना और अपनी एक वापसी यात्रा पूरी करना।
(ii) किसी स्वतन्त्रतापूर्वक लटकाए गए दण्ड चुम्बक को उसकी N-S दिशा से विस्थापित कर छोड़ देना।
(iii) अपने द्रव्यमान केन्द्र के परितः घूर्णी गति करता कोई हाइड्रोजन अणु।
(iv) किसी कमान से छोड़ा गया तीर।
उत्तर-
(i) यह आवश्यक नहीं है कि तैराक को प्रत्येक बार वापस लौटने में समान समय ही लगे; अत: यह गति आवर्ती गति नहीं है।
(ii) दण्ड चुम्बक को विस्थापित करके छोड़ने पर उसकी गति आवर्ती गति होगी।
(iii) यह एक आवर्ती गति है।
(iv) तीर छूटने के बाद कभी-भी वांपस प्रारम्भिक स्थिति में नहीं लौटता; अत: यह आवर्ती गति नहीं है।

प्रश्न 2.
नीचे दिए गए उदाहरणों में कौन (लगभग) सरल आवर्त गति को तथा कौन आवर्ती परन्तु सरल आवर्त गति निरूपित नहीं करते हैं?
(i) पृथ्वी की अपने अक्ष के परितः घूर्णन गति।।
(ii) किसी U-नली में दोलायमान पारे के स्तम्भ की गति।
(iii) किसी चिकने वक्रीय कटोरे के भीतर एक बॉल बेयरिंग की गति जब उसे निम्नतम बिन्द से कुछ ऊपर के बिन्दु से मुक्त रूप से छोड़ा जाए।
(iv) किसी बहुपरमाणुक अणु की अपनी साम्यावस्था की स्थिति के परितः व्यापक कम्पन।
उत्तर-
(i) आवर्ती गति परन्तु सरल आवर्त गति नहीं।
(ii) सरल आवर्त गति।
(iii) सरल आवर्त गति।
(iv) आवर्ती गति परन्तु सरल आवर्तः गति नहीं।

प्रश्न 3. चित्र-14.1 में किसी कण की रैखिक गति के लिए चार x-t आरेख दिए गए हैं। इनमें से कौन-सा आरेख आवर्ती गति का निरूपण करता है? उस गति का आवर्तकाल क्या है? (आवर्ती गति वाली गति का)।
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उत्तर-
(a) ग्राफ से स्पष्ट है कि कण कभी भी अपनी गति की पुनरावृत्ति नहीं करता है; अत: यह गति, आवर्ती गति नहीं है।
(b) ग्राफ से ज्ञात है कि कण प्रत्येक 2 s के बाद अपनी गति की पुनरावृत्ति करता है; अतः यह गति एक आवर्ती गति है जिसका आवर्तकाल 2 s है।
(c) यद्यपि कण प्रत्येक 3 s के बाद अपनी प्रारम्भिक स्थिति में लौट रहा है परन्तु दो क्रमागत प्रारम्भिक स्थितियों के बीच कण अपनी गति की पुनरावृत्ति नहीं करता; अत: यह गति आवर्त गति नहीं है।
(d) कण प्रत्येक 2 s के बाद अपनी गति को दोहराता है; अत: यह गति एक आवर्ती गति है जिसका आवर्तकाले 2 s है।

प्रश्न 4. नीचे दिए गए समय के फलनों में कौन (a) सरल आवर्त गति (b) आवर्ती परन्तु सरल आवर्त गति नहीं, तथा (e) अनावर्ती गति का निरूपण करते हैं। प्रत्येक आवर्ती गति का आवर्तकाल ज्ञात कीजिए: (ω कोई धनात्मक अचर है)
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उत्तर-
(a) दिया गया फलन x = sin ωt – cos ωt
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(e) तथा (f) में दिए गए दोनों फलन न तो आवर्त गति निरूपित करते हैं और न ही सरल आवर्त गति निरूपित करते हैं।

प्रश्न 5.
कोई कण एक-दूसरे से 10 cm दूरी पर स्थित दो बिन्दुओं A तथा B के बीच रैखिक सरल आवर्त गति कर रहा है। A से B की ओर की दिशा को धनात्मक दिशा मानकर वेग, त्वरण
तथा कण पर लगे बल के चिह्न ज्ञात कीजिए जबकि यह कण
(a) A सिरे पर है,
(b) B सिरे पर है।
(c) A की ओर जाते हुए AB के मध्य बिन्दु पर है,
(d) A की ओर जाते हुए 8 से 2 cm दूर है,
(e) B की ओर जाते हुए से 3 cm दूर है, तथा
(f) A की ओर जाते हुए 8 से 4 cm दूर है।
उत्तर-
स्पष्ट है कि बिन्दु A तथा बिन्दु B अधिकतम विस्थापन की स्थितियाँ हैं तथा इनका मध्य बिन्दु O (मोना), सरल आवर्त गति का केन्द्र है।
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(a) ∴ बिन्दु A पर कण का वेग शून्य होगा।
कण के त्वरण की दिशा बिन्दु A से साम्यावस्था O की ओर होगी; अतः त्वरण धनात्मक होगा।
कण पर बल, त्वरण की ही दिशा में होगा; अत: बल धनात्मक होगा।
(b) बिन्दु B पर भी कण का वेग शून्य होगा।
कण का त्वरण B से साम्यावस्था O की ओर दिष्ट होगा; अतः त्वरण ऋणात्मक होगा।
बल भी ऋणात्मक होगा।
(c) AB का मध्य बिन्दु 0 सरल आवर्त गति का केन्द्र है।
∴ कण B से A की ओर चलते हुए 0 से गुजरता है; अत: वेग BA के अनुदिश है, अर्थात् वेग ऋणात्मक है।
बिन्दु ०पर त्वरण तथा बल दोनों शून्य हैं।
(d) B से 2 cm दूरी पर कण B तथा 0 के बीच होगा।
∴ कण B से A की ओर जा रहा है; अतः वेग ऋणात्मक होगा।
यहाँ त्वरण भी B से O की ओर दिष्ट है; अतः त्वरण भी ऋणात्मक है।
‘बले भी ऋणात्मक है।
(e) ∴ कण-B की ओर जा रहा है; अतः वेग धनात्मक है।
∴ कण A व O के बीच है; अत: त्वरण A से O की ओर दिष्ट है; अत: त्वरण भी धनात्मक है।
बल भी धनात्मक है।
(f) ∴ कण A की ओर जा रहा है; अत: वेग ऋणात्मक है।
कण B तथा O के बीच है तथा त्वरण B से O की ओर (अर्थात् B से A की ओर दिष्ट है; अतः त्वरण ऋणात्मक है।
बल भी ऋणात्मक है।

प्रश्न 6.
नीचे दिए गए किसी कण के त्वरण तथा विस्थापन के बीच सम्बन्धों में से किससे सरल आवर्त गति सम्बद्ध है:
(a) a = 0.7 x
(b) a = -200x²
(c) a = -10
(d) a = 100x³
उत्तर-
उपर्युक्त में से केवल सम्बन्ध (c) में a =-10x अर्थात् त्वरण विस्थापन के अनुक्रमानुपाती है तथा विस्थापन के विपरीत दिशा में है; अत: केवल यही सम्बन्ध सरल आवर्त गति को निरूपित करता है।

प्रश्न 7.
सरल आवर्त गति करते किसी कण की गति का वर्णन नीचे दिए गए विस्थापन फलन द्वारा किया जाता है। x(t) = A cos (ωt + φ) यदि कण की आरम्भिक (t = 0) स्थिति 1 cm तथा उसका आरम्भिक वेग πcms-1 है। तो कण का आयाम तथा आरम्भिक कला कोण क्या है? कण की कोणीय आवृत्ति π-1 है। यदि सरल आवर्त गति का वर्णन करने के लिए कोज्या (cos) फलन के स्थान पर हम ज्या (sin) फूलन चुनें; x = B sin (ωt + α), तो उपर्युक्त आरम्भिक प्रतिबन्धों में कण का आयाम तथा आरम्भिक कला कोण क्या होगा?
हल-
दिया है : कोणीय आवृत्ति ω = r rad s-1, t = 0 पर x = 1 cm
तथा प्रारम्भिक वेग u = πcm s-1
सरल आवर्त गति की समीकरण x = A cos (ωt + φ)
x = A cos (πt + φ)
t = 0 तथा x = 1 रखने पर, 1 = A cos φ ..(1)
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प्रश्न 8.
किसी कमानीदार तुलां का पैमानी 0 से 50 kg तक अंकित है और पैमाने की लम्बाई 20 cm है। इस तुला से लटकाया गया कोई पिण्ड, जब विस्थापित करके मुक्त किया जाता है, 0.6 s के आवर्तकाल से दोलन करता है। पिण्ड का भार कितना है?
हल-
UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 14 Oscillations 8

प्रश्न 9.
1200 Nm-1 कमानी-स्थिरांक की कोई कमानी चित्र-14.3 में दर्शाए अनुसार किसी क्षैतिज मेज से जड़ी है। कमानी के मुक्त। सिरे से 3kg द्रव्यमान का कोई पिण्ड जुड़ा है। इस पिण्ड को एक ओर 2.0 cm दूरी तक खींचकर मुक्त किया जाता है,
(i) पिण्ड के दोलन की आवृत्ति,
(ii) पिण्ड का अधिकतम त्वरण, तथा ।
(iii) पिण्ड की अधिकतम चाल ज्ञात कीजिए।
UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 14 Oscillations 9
हल-
यहाँ बृल नियतांक k = 1200 न्यूटन-मीटर-1, m = 3 किग्रा; कमानी का अधिकतम विस्तार अर्थात् आयाम a = 2.0 सेमी = 2 x 10-2 मीटर
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प्रश्न 10.
अभ्यास प्रश्न 9 में, मान लीजिए जब कमानी अतानित अवस्था में है तब पिण्ड की स्थिति x = 0 है तथा बाएँ से दाएँ की दिशा x-अक्ष की धनात्मक दिशा है। दोलन करते पिण्ड के विस्थापन x को समय के फलन के रूप में दर्शाइए, जबकि विराम घड़ी को आरम्भ (t = 0) करते समय पिण्ड,
(a) अपनी माध्य स्थिति,
(b) अधिकतम तानित स्थिति, तथा
(c) अधिकतम सम्पीडन की स्थिति पर है।
सरल आवर्त गति के लिए ये फलन एक-दूसरे से आवृत्ति में, आयाम में अथवा आरम्भिक कला में किस रूप में भिन्न है ।
हल-
उपर्युक्त प्रश्न में आयाम a = 0.20 मीटर =2 सेमी।
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प्रश्न 11.
चित्र-14.4 में दिए गए दो आरेख दो वर्तुल गतियों के तद्नुरूपी हैं। प्रत्येक आरेख पर वृत्त की त्रिज्या परिक्रमण-काल, आरम्भिक स्थिति और परिक्रमण की दिशा दर्शाई गई है। प्रत्येक प्रकरण में, परिक्रमण करते कण के त्रिज्य-सदिश के x-अक्ष पर प्रक्षेप की तदनुरूपी सरल आवर्त गति ज्ञात कीजिए।
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हल-
(a) माना वृत्त पर गति करता हुआ कण किसी समय । पर P से स्थिति A में पहुँच जाता है।
माना ∠POA = θ
AB, बिन्दु A से x-अक्ष पर लम्ब है।
तब ∠ BAO = θ
आवर्तकाल T = 2s
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प्रश्न 12.
नीचे दी गई प्रत्येक सरल आवर्त गति के लिए तदनुरूपी निर्देश वृत्त का आरेख खींचिएं। घूर्णी कण की आरम्भिक (t = 0) स्थिति, वृत्त की त्रिज्या तथा कोणीय चाल दर्शाइए। सुगमता के लिए प्रत्येक प्रकरण में परिक्रमण की दिशा वामावर्त लीजिए। (x को cm में तथा t को s में लीजिए।)।
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हल-
(a) दिया है : सरल आवर्त गति का समीकरण [latex s=2]x=-2sin\left( 3t+\frac { \pi }{ 3 } \right) [/latex]
यह गति समय का ज्या (sine) फलन है;
अतः कोणीय विस्थापन, y-अक्ष से नापा जाएगा।
दिए गए समीकरण में t = 0 रखने पर,
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प्रश्न 13.
चित्र-14.7(a) में k बल-स्थिरांक की किसी कमानी के । एक सिरे को किसी दृढे आधार से जकड़ा तथा दूसरे मुक्त। सिरे से एक द्रव्यमान m जुड़ा दर्शाया गया है। कमानी के मुक्त सिरे पर बल F आरोपित करने से कमानी तन जाती है चित्र-14.7 (b) में उसी कमानी के दोनों मुक्त सिरों से द्रव्यमान जुड़ा दर्शाया गया है। कमानी के दोनों सिरों को चित्र-14.7 में समान बल F द्वारा तानित किया गया है।
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(i) दोनों प्रकरणों में कमानी का अधिकतम विस्तार क्या है?
(ii) यदि (a) का द्रव्यमान तथा (b) के दोनों द्रव्यमानों को मुक्त छोड़ दिया जाए, तो प्रत्येक प्रकरण में दोलन का आवर्तकाल ज्ञात कीजिए।
हल-
(i) माना कमानी का अधिकतम विस्तार xmax है, तब
चित्र (a)
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(b) में-चूँकि इस बार कमानी किसी स्थिर वस्तु से सम्बद्ध नहीं है; अतः दूसरे पिण्ड पर लगे बल का कार्य केवल कमानी को स्थिर रखना है।
अतः विस्तार अभी भी केवल एक ही बल के कारण होगा।
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(ii) चित्र (a) में माना कि पिण्ड को खींचकर छोड़ने पर, वापसी की गति करता पिण्ड किसी क्षण साम्यावस्था से x दूरी पर है तब कमानी में प्रत्यानयन बल F = -kx होगा।
यदि पिण्ड का त्वरण ‘a है तो F = ma
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चित्र (b) में-इस दशा में, निकाय का द्रव्यमान केन्द्र अर्थात् कमानी का मध्य बिन्दु स्थिर रहेगा और दोनों पिण्ड दोलन करेंगे।
इस अवस्था में हम मान सकते हैं कि प्रत्येक पिण्ड मूल कमानी की आधी लम्बाई से जुड़ा है तथा ऐसे प्रत्येक भाग का कमानी स्थिरांक 2k होगा। यदि किसी क्षण, कोई पिण्ड साम्यावस्था से x दूरी पर है तो कमानी के संगत भाग में प्रत्यानयन बल F = -2kx होगा। यदि पिण्ड का त्वरण a है तो
ma = F => ma = -2kx या ।
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प्रश्न 14.
किसी रेलगाड़ी के इंजन के सिलिण्डर हैड में पिस्टन का स्ट्रोक (आयाम को दोगुना) 1.0 m का है। यदि पिस्टन 200 rad/min की कोणीय आवृत्ति से सरल आवर्त गति करता है तो उसकी अधिकतम चाल कितनी है?
हल-
पिस्टन का आयाम a = स्ट्रोक/2 = 1.0 मी/2 = 0.5 मीटर तथा
इसकी कोणीय आवृत्ति ω = 200 रेडियन/मिनट = (200/60) रे/से = 10/3 रे/से
पिस्टन की अधिकतम चाल umax = aω = 20 = 0.5 मीटर x (10/3) रे/से
=1.67 मी-से-1

प्रश्न 15.
चन्द्रमा के पृष्ठ पर गुरुत्वीय त्वरण 1.7 ms-2 है। यदि किसी सरल लोलक का पृथ्वी के पृष्ठ पर आवर्तकाल 3.5 s है तो उसका चन्द्रमा के पृष्ठ पर आवर्तकाल कितना होगा? (पृथ्वी के पृष्ठ पर g = 9.8 ms-2)
हल-
सरल लोलक का आवर्तकाल [latex s=2]T=2\pi \sqrt { \frac { l }{ g } } [/latex] लोलक विशेष के लिए नियत; अत: T ∝1/√g इसलिए यदि पृथ्वी एवं चन्द्रमा पर गुरुत्वीय त्वरण क्रमशः ge व gm एवं आवर्तकाल क्रमश: Te व Tm हो
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प्रश्न 16.
नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए
(a) किसी कण की सरल आवर्त गति के आवर्तकाल का मान उस कण के द्रव्यमान तथा बल-स्थिरांक पर निर्भर करता है: [latex s=2]T=2\pi \sqrt { \frac { m }{ k } } [/latex]। कोई सरल लोलक सन्निकट सरल आवर्त गति करता है। तब फिर किसी लोलक का आवर्तकाल लोलक के द्रव्यमान पर निर्भर क्यों नहीं करता?
(b) किसी सरल लोलक की गति छोटे कोण के सभी दोलनों के लिए सन्निकट सरल आवर्त गति होती है। बड़े कोणों के दोलनों के लिए एक अधिक गूढ विश्लेषण यह दर्शाता है कि का मान [latex s=2]2\pi \sqrt { \frac { l }{ g } } [/latex] से अधिक होता है। इस परिणाम को समझने के लिए किसी गुणात्मक कारण का चिन्तन कीजिए।
(c) कोई व्यक्ति कलाई घड़ी बाँधे किसी मीनार की चोटी से गिरता है। क्या मुक्त रूप से गिरते समय उसकी घड़ी यथार्थ समय बताती है?
(d) गुरुत्व बल के अन्तर्गत मुक्त रूप से गिरते किसी केबिन में लगे सरल लोलक के दोलन की आवृत्ति क्या होती है?
उत्तर-
(a) जब दोलन स्प्रिंग के द्वारा होते हैं तो बल नियंताक k का मान केवल स्प्रिंग पर निर्भर करता है। न कि गतिमान कण के द्रव्यमान पर। इसके विपरीत सरल लोलक के लिए बल नियतांक
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कण के द्रव्यमान के अनुक्रमानुपाती होता है; अत: [latex s=2]\frac { m }{ k }[/latex] का मान नियत बना रहता है।
इसलिए आवर्तकाल m पर निर्भर नहीं करता।
(b) सरल लोलक के लिए प्रत्यानयन बल F =- mg sin θ
यदि θ छोटा है तो sin θ ≈ θ = [latex s=2]\frac { x }{ l }[/latex]
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अर्थात् यह गति सरल आवर्त होगी तथा आवर्तकाल [latex s=2]2\pi \sqrt { \frac { l }{ g } } [/latex]
यदि θ छोटा नहीं है तो हम sin θ ≈ θ नहीं ले सकेंगे तब गति सरल आवर्त नहीं रहेगी; अत: आवर्तकाल [latex s=2]2\pi \sqrt { \frac { l }{ g } } [/latex] से बड़ा होगा।
(c) हाँ, क्योकि कलाई घड़ी का आवर्तकाल गुरुत्वीय त्वरण के मान में परिवर्तन से प्रभावित नहीं होता।
(d) मुक्त रूप से गिरते केबिन में गुरुत्वीय त्वरण का प्रभावी मान g’.= 0 होगा।
∴ लोलक का आवर्तकाल [latex s=2]2\pi \sqrt { \frac { l }{ g } } [/latex] अनन्त हो जाएगा तथा आवृत्ति शून्य हो जाएगी।

प्रश्न 17.
किसी कार की छत से l लम्बाई का कोई सरल लोलक, जिसके लोलक का द्रव्यमान M है, लटकाया गया है। कार R त्रिज्या की वृत्तीय पथ पर एकसमान चाल u से गतिमान है। यदि लोलक त्रिज्य दिशा में अपनी साम्यावस्था की स्थिति के इधर-उधर छोटे दोलन करता है तो इसका आवर्तकाल क्या होगा?
उत्तर-
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कार जब मोड़ पर मुड़ती है तो उसकी गति में त्वरण, [latex s=2]\frac { { \upsilon }^{ 2 } }{ R } [/latex] (अभिकेन्द्र त्वरण) होता है। इस प्रकार कार एक अजड़त्वीय निर्देश तन्त्र है। इसलिए गोलक पर एक छद्म बल [latex s=2]\frac { m{ \upsilon }^{ 2 } }{ R } [/latex] वृत्तीय पथ के बाहर की ओर लगेगा जिसके कारण लोलक ऊर्ध्वाधर रहने के स्थान पर थोड़ा तिरछा हो जाएगा।
इस समय गोलक पर दो बले क्रमशः भार mg तथा अपकेन्द्र बल [latex s=2]\frac { m{ \upsilon }^{ 2 } }{ R } [/latex] लगेंगे।
यदि गोलक के लिए g का प्रभावी मान g’ है तो गोलक पर प्रभावी बल mg’ होगा जो कि उक्त दो बलों का परिणामी है।।
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प्रश्न 18.
आधार क्षेत्रफल A तथा ऊँचाई h के एक कॉर्क का बेलनाकार टुकड़ा ρ1 घनत्व के किसी द्रव में तैर रहा है। कॉर्क को थोड़ा नीचे दबाकर स्वतन्त्र छोड़ देते हैं, यह दर्शाइए कि कॉर्क
ऊपर-नीचे सरल आवर्त दोलन करता है जिसका आवर्तकाल [latex s=2]T=2\pi \sqrt { \frac { h\rho }{ { \rho }_{ 1 }g } } [/latex] है।
यहाँ ρ कॉर्क का घनत्व है (द्रव की श्यानता के कारण अवमन्दन को नगण्य मानिए।)
उत्तर-
द्रव में तैरते बेलनाकार बर्तन के दोलन—माना कॉर्क के टुकड़े का द्रव्यमान m है। माना साम्यावस्था में इसकी l लम्बाई द्रव में डूबी है। (चित्र-14.9)।
तैरने के सिद्धान्त से, कॉर्क के डूबे भाग द्वारा हटाए गए द्रव का भार कॉर्क के भार के बराबर होगा,
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जब कॉर्क को द्रव में नीचे की ओर दबाकर छोड़ा जाता है तो यह ऊपर-नीचे दोलन करने लगता है। माना किसी क्षण इसका साम्यावस्था से नीचे की ओर विस्थापन y है। इस स्थिति में, इसकी y लम्बाई द्वारा विस्थापित द्रव का उत्क्षेप बेलनाकार बर्तन को प्रत्यानयन बल (F) प्रदान करेगा।
अतः F = – A y ρ1 g
यहाँ पर ऋण चिह्न यह प्रदर्शित करता है कि प्रत्यानयन बल F, कॉर्क के टुकड़े के विस्थापन के विपरीत दिशा में लग रहा है; अतः टुकड़े का त्वरण
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प्रश्न 19.
पारे से भरी किसी U नली का एक सिरा किसी चूषण पम्प से जुड़ा है तथा दूसरा सिरा वायुमण्डल में खुला छोड़ दिया गया है। दोनों स्तम्भों में कुछ दाबान्तर बनाए रखा जाता है। यह दर्शाइए कि जब चूषण पम्प को हटा देते हैं, तब U नली में पारे का स्तम्भ सरल आवर्त गति करता है।
उत्तर-
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सामान्यत: U नली में द्रव (पारा) भरने पर उसके दोनों स्तम्भों व में पारे का तल समान होगा। परन्तु चूषण पम्प द्वारा दाबान्तर बनाये रखने की स्थिति में यदि स्तम्भ में पारे का तल सामान्य स्थिति से y दूरी नीचे है । तो दूसरे स्तम्भ में यह सामान्य स्थिति से y दूरी ऊपर होगा। अत: दोनों । । स्तम्भ में पारे के तलों का अन्तर = 2y, चूषण पम्प हटा लेने पर U नली के दायें स्तम्भ में पारे पर नीचे की ओर कार्य करने वाला बल = 2y ऊँचाई के पारा स्तम्भ का भार = 2y ρga.
जहाँ a = U नली स्तम्भों की अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल
ρ = पारे का घनत्व; g = गुरुत्वीय त्वरण
अत: बायीं भुजा में पारा ऊपर की ओर चढ़ेगा तथा इस पर कार्य करने वाला प्रत्यानयन बल (जिसके अन्तर्गत यह गति करेगा)
F = -2yρga, दोनों स्तम्भों में पारे के स्तम्भ की ऊँचाई समान होने की स्थिति में यदि ऊँचाई h हो तो U नली में भरे पारे के स्तम्भ की कुल लम्बाई = 2h अतः पारे का कुल द्रव्यमान m = 2h x ρ x a
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अतिरिक्त अभ्यास

प्रश्न 20.
चित्र-14.11 में दर्शाए अनुसार V आयतन के किसी वायु कक्ष की ग्रीवा (गर्दन) की अनुप्रस्थ कोर्ट का क्षेत्रफल a है। इस ग्रीवा में m द्रव्यमान की कोई गोली बिना किसी घर्षण के ऊपर-नीचे गति कर सकती है। यह दर्शाइए कि जब गोली को थोड़ा नीचे दबाकर मुक्त छोड़ देते हैं तो वह सरल आवर्त गति करती है। दाब-आयतन विचरण को समतापी मानकर दोलनों के आवर्तकाल का व्यंजक ज्ञात कीजिए (चित्र-14.11 देखिए)। वायु ।
उत्तर-
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माना साम्यावस्था में जब गैस का आयतन V है तो इसका दाब P है। साम्यावस्था से गेंद को अल्पविस्थापन x देने पर माना गैस का दाब बढ़कर (P + ∆P) तथा आयतन घटकर V – ∆V रह जाता है। समतापीय परिवर्तन के लिए बॉयल के नियम से ।
P x V = (P + ∆P)(V – ∆V)
अथवा PV = PV – P.∆V + ∆P.V – ∆P.∆V
चूँकि ∆P व ∆V अल्प राशियाँ हैं, अतः ∆P, ∆V को नगण्य मानते हुए 0 = -P ∆V + ∆P.V
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प्रश्न 21.
आप किसी 3000 kg द्रव्यमान के स्वचालित वाहन पर सवार हैं। यह मानिए कि आप इस । वाहन की निलम्बन प्रणाली के दोलनी अभिलक्षणों का परीक्षण कर रहे हैं। जब समस्त | वाहन इस पर रखा जाता है, तब निलम्बन 15 cm आनमित होता है। साथ ही, एक पूर्ण दोलन की अवधि में दोलन के आयाम में 50% घटोतरी हो जाती है, निम्नलिखित के मानों को आकलन कीजिए
(a) कमानी स्थिरांक तथा
(b) कमानी तथा एक पहिए के प्रघात अवशोषक तन्त्र के लिए अवमन्दन स्थिरांक b. यह मानिए कि प्रत्येक पहिया 750 kg द्रव्यमान वहन करता है।
हल-
(a) दिया है : वाहन का द्रव्यमान, M = 3000 kg, निलम्बन का झुकाव x = 15 cm
वाहन में चार कमानियाँ होती हैं; अत: प्रत्येक कमानी पर कुल भार को एक-चौथाई भार पड़ेगा।
अतः . एक कमानी हेतु [latex s=2]F=\frac { 1 }{ 4 }[/latex]
F = kx से,
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प्रश्न 22.
यह दर्शाइए कि रैखिक सरल आवर्त गति करते किसी कण के लिए दोलन की किसी अवधि की औसत गतिज ऊर्जा उसी अवधि की औसत स्थितिज ऊर्जा के समान होती है।
उत्तर-
माना m द्रव्यमान का कोई कण ω कोणीय आवृत्ति से सरल आवर्त गति कर रहा है जिसका आयाम a है।
माना गति अधिकतम विस्थापन की स्थिति से प्रारम्भ होती है तब t समय में कण का विस्थापन
x = a cos ωt …(1)
इस क्षण कण की गतिज ऊर्जा ।

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प्रश्न 23.
10 kg द्रव्यमान की कोई वृत्तीय चक्रिका अपने केन्द्र से जुड़े किसी तार से लटकी है। चक्रिका को घूर्णन देकर तार में ऐंठन उत्पन्न करके मुक्त कर दिया जाता है। मरोड़ी दोलन का आवर्तकाल 1.5 s है। चक्रिका की त्रिज्या 15 cm है। तार का मरोड़ी कमानी नियतांक ज्ञात कीजिए। [मरोड़ी कमानी नियतांक α सम्बन्ध J = -αθ द्वारा परिभाषित किया जाता है, यहाँ J प्रत्यानयन बल युग्म है तथा θ ऐंठन कोण है।
हल-
दिया है : चक्रिका का द्रव्यमान m = 10 kg, मरोड़ी दोलन का आवर्तकाल T = 1.5 s,
चक्रिका की त्रिज्या = 0.15 m
केन्द्र से जाने वाली तथा तेल के लम्बवत् अक्ष के परितः चक्रिका का
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प्रश्न 24.
कोई वस्तु 5 cm के आयाम तथा 0.2 सेकण्ड के आवर्तकाल से सरल आवर्त गति करती है। वस्तु का त्वरण तथा वेग ज्ञात कीजिए जब वस्तु का विस्थापन
(a) 5 cm,
(b) 3 cm,
(c) 0 cm हो।
हल-
यहाँ वस्तु का आयाम a = 5 सेमी = 0.05 मीटर, आवर्तकाल T = 0.2 सेकण्ड
∴कोणीय आवृत्ति ω = 2π/T = 2π/0.2 सेकण्ड
= 10π रे/से = 10π से-1
(a) यहाँ विस्थापन y = 5 सेमी = 5 x 10-2 मीटर = 0.05 मीटर
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प्रश्न 25.
किसी कमानी से लटका एक पिण्ड एक क्षैतिज तल में कोणीय वेग ω से घर्षण या अवमन्दन रहित दोलन कर सकता है। इसे जब x0 दूरी तक खींचते हैं और खींचकर छोड़ देते हैं तो यह सन्तुलन केन्द्र से समय t = 0 पर v0 वेग से गुजरता है। प्राचल ω,x0, तथा v0 के पदों में परिणामी दोलन का आयाम ज्ञात कीजिए।(संकेतः समीकरण x = acos (ωt + θ) से प्रारंभ कीजिए। ध्यान रहे कि प्रारम्भिक वेग ऋणात्मक है।)
हल-
माना सरल आवर्त गति का समीकरण ।
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परीक्षोपयोगी प्रश्नोत्तर

बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
सरल आवर्त गति करते हुए कण का आवर्तकाल होता है।
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उत्तर-
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प्रश्न 2.
सरल लोलक का आवर्तकाल दोगुना हो जायेगा जब उसकी प्रभावी लम्बाई कर दी जाती है
(i) दोगुनी।
(ii) आधी
(iii) चार गुनी
(iv) चौथाई
उत्तर-
(iii) चार गुनी ।

प्रश्न 3.
सरल लोलक के आवर्तकाल का सूत्र है [latex s=2]T=2\pi \sqrt { \left( l/g \right) } [/latex] जहाँ संकेतों के अर्थ सामान्य हैं। l तथा T के बीच खींचा गया ग्राफ होगा
(i) सरल रेखा
(ii) परवलय
(iii) वृत्त
(iv) दीर्घवृत्त
उत्तर-
(ii) परवलय

प्रश्न 4.
अनुनाद के लिए बाह्य आवर्ती बल की आवृत्ति तथा कम्पन करने वाली वस्तु की स्वाभाविक आवृत्ति का अनुपात होगा।
(i) 1
(ii) शून्य
(iii)1 से अधिक
(iv) 1 से कम
उत्तर-
(i) 1

प्रश्न 5.
अनुनाद की दशा में दोलनों का आयाम
(i) न्यूनतम होता है।
(ii) अधिकतम होता है।
(ii) शून्य होता है।
(iv) इनमें से कोई नहीं
उत्तर-
(i) अधिकतम होता है ।

प्रश्न 6.
एक कण सरल आवर्त गति कर रहा है जिसका आयाम A है। एक पूर्ण दोलन में कण द्वारा चली गयी दूरी है।
(i) 2A
(ii) 0
(iii) A
(iv) 4A
उत्तर-
(iii) A

प्रश्न 7.
किसी सरल आवर्त गति का आयाम a है तथा आवर्तकाल T है। अधिकतम तात्कालिक वेग होगा
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उत्तर-
(iii) [latex s=2]\frac { 2\pi a }{ T } [/latex]

प्रश्न 8.
सरल आवर्त गति करते कण का अधिकतम विस्थापन की स्थिति में त्वरण होता है।
(i) अधिकतम
(ii) न्यूनतम
(iii) शून्य
(iv) न अधिकतम और न न्यूनतम
उत्तर-
(i) अधिकतम

प्रश्न 9.
सरल आवर्त गति करते हुए कण की साम्य स्थिति से दूरी पर स्थितिज ऊर्जा होती है।
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उत्तर-
(ii) [latex s=2]\frac { 1 }{ 2 } m{ \omega }^{ 2 }{ a }^{ 2 }[/latex]

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
आवर्ती गति से क्या तात्पर्य है?
उत्तर-
जब कोई वस्तु एक निश्चित समयान्तराल में एक निश्चित पथ पर बार-बार अपनी गति को दोहराती है, तो उसकी गति आवर्ती गति कहलाती है।

प्रश्न 2.
सरल आवर्त गति की विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर-
(i) यह गति एक निश्चित बिन्दु (कण की माध्य स्थिति) के इधर-उधर होती है।
(ii) कण पर कार्यरत् प्रत्यानयन बल अर्थात् कण का त्वरण सदैव माध्य स्थिति से कण के विस्थापन के अनुक्रमानुपाती होता है।
(iii) प्रत्यानयन बल (अर्थात् त्वरण) की दिशा सदैव माध्य स्थिति की ओर दिष्ट रहती है।

प्रश्न 3.
संरल लोलक के अलावा सरल आवर्त गति के दो उदाहरण दीजिए।
उत्तर-
(1) स्प्रिंग से लटके द्रव्यमान की गति तथा
(2) जल पर तैरते लकड़ी के बेलन को थोड़ा जल में दबाकर छोड़ देने पर उसकी गति।

प्रश्न 4.
सेकण्ड पेण्डुलम क्या होता है?
उत्तर-
वह सरल लोलक जिसका आवर्तकाल 2 सेकण्ड होता है, सेकण्ड लोलक (पेण्डुलम) कहलाता है।

प्रश्न 5.
आवर्तकाल किसे कहते हैं?
उत्तर-
एक दोलन पूरा करने में कोई वस्तु जितना समय लेती है उसे उसका आवर्तकाल कहते हैं। इसे T से प्रदर्शित करते हैं।

प्रश्न 6.
आवृत्ति तथा आवर्तकाल में सम्बन्ध लिखिए।
उत्तर-
आवृत्ति = 1/ आवर्तकाल

प्रश्न 7.
सरल आवर्त गति करते हुए कण का साम्य स्थिति से 5 सेमी की दूरी पर त्वरण 20 सेमी/से² है। इसका आवर्तकाल ज्ञात कीजिए।
हल-
UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 14 Oscillations 47

प्रश्न 8.
एक कण सरल आवर्त गति कर रहा है तथा उसका त्वरण [latex s=2]\overrightarrow { a } =-{ 4\pi }^{ 2 }\overrightarrow { X } [/latex], जहाँ [latex s=2]\overrightarrow { X } [/latex] कण की साम्य स्थिति से उसका विस्थापन है। कण का आवर्तकाल निकालिए।
हल-
UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 14 Oscillations 48

प्रश्न 9.
सरल आवर्त गति करते हुए किसी कण का आयाम 5 सेमी तथा आवर्तकाल 2 सेकण्ड है। कण के त्वरण का अधिकतम मान निकालिए।
हल-
UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 14 Oscillations 49

प्रश्न 10.
सरल आवर्त गति का समीकरण y = 2sin 200πt है। दोलन की आवृत्ति का मान ज्ञात कीजिए।
हल-
दिया है, y = 2sin 200πt
सरल आवर्त गति के समीकरण [latex s=2]y=asin\left( \frac { 2\pi }{ T } \right) t[/latex] से उपर्युक्त समीकरण की तुलना करने पर
[latex s=2]\frac { 2 }{ T }=200[/latex] ⇒ 2n = 200 [latex s=2]\left( \because \frac { 1 }{ T } =n \right) [/latex]
n = 100

प्रश्न 11.
सरल आवर्त गति करने वाले कण का विस्थापन समीकरण लिखिए तथा इसके दो चक्करों के लिए समय-विस्थापन वक्र खींचिए।
उत्तर-
सरल आवर्त गति करने वाले कण का विस्थापन समीकरण
y = asin ωt …(1)
समी० (1) में, ω = 2π/T रखने पर
[latex s=2]y=asin\left( \frac { 2\pi t }{ T } \right) [/latex]
इस समीकरण की सहायता से हमेसरले आवर्त गति करते किसी कण के विस्थापन y तथा समय t है के बीच ग्राफ खींच सकते हैं। इसके लिए हम समीकरण (1) के द्वारा विभिन्न समयों पर विस्थापन ज्ञात करते हैं।
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प्रश्न 12.
सरल आवर्त गति करने वाले कण के वेग का सूत्र लिखिए तथा इसका समय-वेग वक्र खींचिए।
या सरल आवर्त गति के लिए समय और वेग में ग्राफ प्रदर्शित कीजिए।
उत्तर-
सरल आवर्त गति करने वाले कण के वेग का सूत्र
UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 14 Oscillations 51

प्रश्न 13.
एक कण ‘r” त्रिज्या के वृत्त की परिधि पर ‘V’ चाल से गति करता है। आधे तथा पूरे आवर्तकाल के बाद इसका विस्थापन ज्ञात कीजिए।
उत्तर-
आधे आवर्तकाल के कण का विस्थापन r+r = 2r होगा तथा पूरे आवर्तकाल के बाद इसका विस्थापन शून्य होगा।

प्रश्न 14.
सरल आवर्त गति के लिए समय और विस्थापन में ग्राफ प्रदर्शित कीजिए।
उत्तर
UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 14 Oscillations 52

प्रश्न 15.
सरल आवर्त गति करने वाले कण के वेग का सूत्र लिखिए तथा इसका समय-त्वरण ग्राफ खीचिए।
उत्तर-
सरल आवर्त गति करने वाले कण के वेग का सूत्र,
UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 14 Oscillations 53

प्रश्न 16.
पृथ्वी पर सेकण्ड लोलक की लम्बाई की गणना कीजिए। पृथ्वी पर g का मान 9.8 मी/से² है। (π = 3.14)
हल-
UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 14 Oscillations 54
अत: पृथ्वी तल पर सेकण्ड लोलक की लम्बाई लगभग 1 मीटर होती है।

प्रश्न 17.
500 ग्राम का एक गोला, 1.0 मीटर लम्बी डोरी से लटका है। क्षैतिज स्थिति से मुक्त करने पर यह ऊर्ध्वतल में दोलन करने लगता है। दोलनों के दौरान जब डोरी ऊर्ध्व से 60° कोण पर है। तब डोरी में तनाव ज्ञात कीजिए।
हल-
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दिया है,
गोले का द्रव्यमान (m) = 500 ग्राम
= 0.5 किग्रा
∵ डोरी क्षैतिज स्थिति में है, अत: डोरी में तनाव
T = mg cos θ
T = 0.5 x 10 x cos60 = 0.5 x 10 x [latex s=2]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] = 2.5 न्यूटन

प्रश्न 18.
एक कण सरल आवर्त गति कर रहा है। किसी क्षण इसका विस्थापन y = a/2 है। कण मध्यमान स्थिति से गति प्रारम्भ करता है। इस स्थिति के लिए कला की गणना कीजिए।
हल-
कला-विस्थापन का समीकरण ।
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प्रश्न 19.
किसी लिफ्ट में लटकाये गए एक सरल लोलक के दोलन के आवर्तकाल पर क्या प्रभाव पड़ता है जब लिफ्ट एक त्वरण α से ऊपर चढ़ रही है?
उत्तर-
जब लिफ्ट α त्वरण से ऊपर की ओर त्वरित होती है तो प्रभावी α का मान बढ़कर (α + α) हो जाता है। अतः आवर्तकाल T घट जाता है।

प्रश्न 20.
किसी स्प्रिंग के बल नियतांक की परिभाषा दीजिए।
हल-
यदि किसी स्प्रिंग पर F बल लगाने से उसकी लम्बाई में x वृद्धि हो जाए तो
F ∝ x या F = kx
जहाँ k = स्प्रिंग का बल नियतांक। यदि x = 1 तो k = F,
अत: किसी स्प्रिंग का बल नियतांक उस बल के बैराबर है जो उसकी लम्बाई में एकांक वृद्धि कर दे। इसका मात्रक न्यूटन/मीटर है।

प्रश्न 21.
प्रणोदित दोलन क्या होते हैं? उदाहरण देकर स्पष्ट कीजिए। या प्रणोदित कम्पन क्या है? इनके दो उदाहरण दीजिए।
उत्तर-
प्रणोदित दोलन (Forced oscillations)-जब किसी दोलन करने वाली वस्तु पर कोई ऐसा बाह्य आवर्त बल लगाते हैं जिसकी आवृत्ति, वस्तु की स्वाभाविक आवृत्ति से भिन्न हो, तो वस्तु आवर्त बल की आवृत्ति से दोलन करने लगती है। ऐसे दोलनों को प्रणोदित दोलन (forced oscillations) कहते हैं।
उदाहरणार्थ-(i) जब तने हुए पतले तार में प्रत्यावर्ती धारा प्रवाहित की जाती है और तार को चुम्बक के ध्रुवों के बीच रखते हैं तो तार प्रत्यावर्ती धारा की आवृत्ति से कम्पन करने लगता है।
(ii) सितार, वायलिन व स्वरमापी के तार पर जब किसी आवृत्ति का स्वर उत्पन्न किया जाता है तो इसके कम्पन, सेतु द्वारा खोखले ध्वनि बोर्ड में पहुँच जाते हैं। इससे बोर्ड के अन्दर की वायु में प्रणोदित दोलन उत्पन्न हो जाते हैं।

प्रश्न 22.
प्रणोदित तथा अनुनादी कम्पनों में क्या अन्तर है?
उत्तर-
अनुनादी कम्पन प्रणोदित कम्पनों की ही एक विशेष अवस्था है। प्रणोदित कम्पन में वस्तु पर आरोपित आवर्त बल की आवृत्ति कम्पन करने वाली वस्तु की स्वाभाविक आवृत्ति से भिन्न होती है तथा कम्पन का आयाम छोटा होता है, जबकि अनुनादी कम्पन से आरोपित आवर्त बल की आवृत्ति वस्तु की स्वाभाविक आवृत्ति के बराबर होती है तथा कम्पनों का आयाम महत्तम होता है।

प्रश्न 23.
मुक्त तथा प्रणोदित दोलनों में प्रत्येक का एक-एक उदाहरण देकर अन्तर समझाइए।
उत्तर
मुक्त तथा प्रणोदित दोलन में अन्तर । मुक्त दोलन
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प्रश्न 24.
तार वाले वाद्य-यन्त्रों में प्रधान तार के साथ अन्य तार क्यों लगाये जाते हैं?
उत्तर-
प्रधान तार से उत्पन्न आवृत्ति के साथ अनुनादित होकर स्वर की तीव्रता बढ़ाने के लिए प्रधान तार के साथ अन्य तार लगाये जाते हैं जो विभिन्न आवृत्तियों के लिए समस्वरित (tuned) रहते हैं।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
एक सरल लोलक का गोलक एक जल से भरी गेंद है। गेंद की तली में एक बारीक छेद कर देने पर गोलक के आवर्तकाल पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
उत्तर-
जैसे-जैसे जल बाहर निकलेगा, लोलक का गुरुत्व केन्द्र नीचे आता जाएगा और लोलक की प्रभावी लम्बाई बढ़ती जाएगी, जिससे आवर्तकाल बढ़ता जाएगा। जब गेंद आधे से अधिक खाली हो जाएगी तब लोलक का गुरुत्व केन्द्र पुनः ऊपर उठने लगेगा और लोलक की प्रभावी लम्बाई पुनः घटने लगेगी तथा आवर्तकाल भी घटने लगेगा। जब गेंद पूरी खाली हो जाएगी, तब लोलक का गुरुत्व केन्द्र पुनः गेंद के केन्द्र पर आ जाएगा तथा आवर्तकाल को मान प्रारम्भिक मान के बराबर हो जाएगा।

प्रश्न 2.
एक कण 6.0 सेमी आयाम तथा 6.0सेकण्ड के आवर्तकाल से सरल आवर्त गति कर रहा है। अधिकतम विस्थापन की स्थिति से आयाम के आधे तक आने में यह कितना समय लेगा?
हल-
अधिकतम विस्थापन की स्थिति में कण का विस्थापन समीकरण :
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प्रश्न 3.
सरल आवर्त गति करते हुए एक कण का साम्य स्थिति में 4 सेमी दूरी पर त्वरण 16 सेमी सेकण्ड² है। इसका आवर्तकाल ज्ञात कीजिए।
हल-
∵सरल आवर्त गति करते हुए कण का आवर्तकाल
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प्रश्न 4.
सरल आवर्त गति करते हुए किसी कण का अधिकतम वेग 100 सेमी/से तथा अधिकतम त्वरण 157 सेमी/से² है। कण का आवर्तकाल ज्ञात कीजिए।
हल-
अधिकतम वेग aω = 100 सेमी/से ।
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प्रश्न 5.
एक सेकण्ड लोलक को ऐसे स्थान पर ले जाया जाता है जहाँg का मान 981 सेमी/से² के स्थान पर 436 सेमी/से² है। लोलक का उस स्थान पर आवर्तकाल ज्ञात कीजिए।
हल-
सेकण्ड लोलक का आवर्तकाल [latex s=2]T=2\pi \sqrt { \frac { l }{ g } } [/latex] …(1)
स्थान बदलने पर आवर्तकाल [latex s=2]{ T }^{ ‘ }=2\pi \sqrt { \frac { l }{ { g }^{ ‘ } } } [/latex] ….(2)
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प्रश्न 6.
2 किग्रा द्रव्यमान का एक पिण्ड भारहीन स्प्रिंग जिसका बल नियतांक 200 न्यूटन/मी है, से लटका है। पिण्ड को नीचे की ओर 20 सेमी विस्थापित करके छोड़ दिया जाता है। ज्ञात कीजिए
(i) पिण्ड की अधिकतम चाल,
(ii) पिण्ड-स्प्रिंग निकाय की कुल ऊर्जा।
हल-
(i) स्प्रिंग में अधिकतम खिंचाव xmax = 20 सेमी = 0.20 मी पिण्ड को नीचे की उपर्युक्त दूरी से विस्थापित करके छोड़ देने पर यदि इसकी अधिकतम चाल υmax हो तो।
पिण्ड की अधिकतम गतिज ऊर्जा = स्प्रिंग के अधिकतम खिंचाव पर प्रत्यास्थ स्थितिज ऊर्जा
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(ii) स्प्रिंग से लटके पिण्ड को खींचकर छोड़ देने पर स्प्रिंग की प्रत्यास्थ स्थितिज ऊर्जा पिण्ड की गतिज ऊर्जा तथा स्थितिज ऊर्जा परस्पर परिवर्तित होती रहती है।
पिण्ड-स्प्रिंग निकाय की कुल ऊर्जा = अधिकतम खिंचाव पर स्प्रिंग की स्थितिज ऊर्जा
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प्रश्न 7.
जब एक भारहीन स्प्रिंग से 0.5 किग्रा का बाट लटकाया जाता है, तो उसकी लम्बाई में 0.02 मीटर की वृद्धि हो जाती है। स्प्रिंग का बल नियतांक एवं उसमें संचित ऊर्जा की गणना कीजिए। G = 9.8 मी/से2)
हल-
UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 14 Oscillations 64

प्रश्न 8.
एक स्प्रिंग पर 0.60 किग्रा का पिण्ड लटकाने पर उसकी लम्बाई 0.25 मी बढ़ जाती है। यदि स्प्रिंग से 0.24 किग्रा का एक पिण्ड लटकाकर नीचे खींचकर छोड़ दिया जाए तो स्प्रिंग का आवर्तकाल कितना होगा? (g = 10 मी/से2)
हल-
M=0.60 किग्रा, g = 10 मी/से2
स्प्रिंग की लम्बाई में वृद्धि ∆x = 0.25 मी
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प्रश्न 9.
0.25 किग्रा द्रव्यमान की एक वस्तु जब किसी स्प्रिंग से लटकायी जाती है तो स्प्रिंग की। लम्बाई 5 सेमी बढ़ जाती है। जब 0.4 किग्रा की वस्तु इससे लटकांयी जाती है तब स्प्रिंग के दोलन का आवर्तकाल ज्ञात कीजिए। (g = 10 मी/से2)
हल-
वस्तु को द्रव्यमान (M) = 0.25 किग्रा, g = 10 मी/से2
स्प्रिंग की लम्बाई में वृद्धि ∆x = 5 सेमी = 5 x 10-2 मीटर
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प्रश्न 10.
0.40 किग्रा द्रव्यमान के एक पिण्ड को एक आदर्श स्प्रिंग से लटकाने पर स्प्रिंग की लम्बाई 2.0 सेमी बढ़ जाती है। यदि इस स्प्रिंग से 2.0 किग्रा द्रव्यमान के पिण्ड को लटकाया जाए तो दोलन का आवर्तकाल क्या होगा? (g = 10 मी/से2)
हल-
पिण्ड का द्रव्यमान (M) = 0.40 किग्रा, g = 10 मी/से2
स्प्रिंग की लम्बाई में वृद्धि Δx = 2 सेमी = 2 x 10-2 मीटर
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विस्तृत उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
सरल आवर्त गति से आप क्या समझते हैं। सरल लोलक के आवर्तकाल के लिए व्यंजक प्राप्त कीजिए।
उत्तर-
सरल आवर्त गति-जब किसी कण की अपनी साम्य स्थिति के इधर-उधर एक सरल रेखा में गति इस प्रकार की होती है कि इस पर लग रहा त्वरण (अथवा बल) प्रत्येक स्थिति में कण के विस्थापन के अनुक्रमानुपाती रहती है तथा सदैव साम्य स्थिति की ओर दिष्ट होता है तो कण की गति को सरल आवर्त गति कहते हैं।
सरल लोलक के आवर्तकाल का व्यंजक-चित्र 14.18 में एक सरल लोलक दर्शाया गया है जिसकी प्रभावी लम्बाई 1 है तथा उसके गोलक का द्रव्यमान m है। गोलक को बिन्दु S से लटकाया गया है तथा गोलक की साम्य स्थिति O है। मान लीजिए दोलन करते समय गोलक किसी क्षण स्थिति A में है, जबकि
UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 14 Oscillations 68
इसका विस्थापन OA = x है। इस स्थिति में धागा ऊर्ध्वाधर से θ कोण बनाता है तथा गोलक पर । निम्नलिखित दो बल लगते है– .
1. गोलक का भार mg जो उसके गुरुत्व केन्द्र पर ठीक नीचे की ओर ऊध्र्वाधर दिशा में लगता है।
2. धागे में तनाव का बल T’ जो धागे के अनुदिश निलम्बन बिन्दु S की ओर लगता है।
भार mg को दो भागों में वियोजित किया जा सकता है : घटक mg Cos θ जो कि धागे के अनुदिश T’ की विपरीत दिशा में लगता है तथा घटक mg sin θ जो कि धागे की लम्बवत् दिशा में लगता है। धागे में तनाव T’ तथा घटक mg cos θ का परिणामी (T’ – mg cos θ), गोलक को l त्रिज्या के वृत्तीय पथ पर चलने के लिए आवश्यक अभिकेन्द्र बल (mv²/l) प्रदान करता है; जबकि घटक mg sin θ गोलक को साम्य स्थिति O में लौटाने का प्रयत्न करता है। यही गोलक पर कार्य करने वाला प्रत्यानयन बल (restoring force) है।
अतः गोलक पर प्रत्यनियन बल F = – mg sin θ
(जबकि θ, कोणीय विस्थापन से छोटा है एवं इसे रेडियन में नापा जाता है।)
ऋण चिह्न यह व्यक्त करता है कि बल F, विस्थापन θ के घटने की दिशा में है अर्थात् साम्य स्थिति की ओर को दिष्ट है।
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समीकरण (1) में (g/l) किसी निश्चित स्थान पर किसी दी हुई प्रभावी लम्बाई के सरल लोलक के लिए नियतांक है; अत: त्वरण ∝ – (विस्थापन) स्पष्ट है कि गोलक का त्वरण विस्थापन के अनुक्रमानुपाती है तथा उसकी दिशा विस्थापन x के विपरीत है। क्योंकि θ का मान कम रखा जाता है, अत: चाप OA लगभग ऋजु-रेखीय होगा। इस प्रकार लोलक सरल रेखा में गति करेगा। अतः गोलक की गति सरल आवर्त गति है।
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प्रश्न 2.
सरल आवर्त गति करते हुए किसी कण के वेग का सूत्र प्राप्त कीजिए।
उत्तर-
UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 14 Oscillations 71
सरल आवर्त गति में कण का वेग (Velocity of a particle in S.H.M.)—निर्देश वृत्त की परिधि पर चलते कण P के वेग v को परस्पर दो लम्बवत् घटकों में वियोजित करने पर (चित्र 14.19);
v का PN के समान्तर घटक = v sin θ
v का PN के लम्बवत् घटक = v cos θ
घटक v cos θ, कण P से वृत्त के व्यास पर खींचे गये लम्ब के पाद N की गति की दिशा OA के समान्तर है। अत: यह पाद N के वेग के बराबर है। इस प्रकार, पाद N का वेग u = v cos θ
UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 14 Oscillations 72
इस समीकरण से यह पता चलता है कि सरल आवर्त गति करते हुए किसी कण का वेग (u) उसके विस्थापन (y) के साथ-साथ बदलता है। जब विस्थापन शून्य होता है (y = 0) अर्थात् जब । कण अपनी साम्य स्थिति से गुजरता है तब वेग अधिकतम होता है (umax = aω) तथा जब विस्थापन अधिकतम होता है (y = a) तब वेग शून्य होता है (u = 0).

प्रश्न 3.
यदि पृथ्वी के केन्द्र से होकर पृथ्वी के आर-पार एक सुरंग बनाई जाए तथा उस सुरंग में एक पिण्ड छोड़ा जाए तो दिखाइए कि पिण्ड का त्वरण सदैव सुरंग के मध्य बिन्दु (अर्थात पृथ्वी के केन्द्र) से विस्थापन के अनुक्रमानुपाती होता है। यह भी सिद्ध कीजिए कि इसका आवर्तकाल पृथ्वी के समीप परिक्रमा करते हुए उपग्रह के आवर्तकाल के बराबर होगा।
उत्तर-
UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 14 Oscillations 73
चित्र 14.20 में पृथ्वी के केन्द्र से गुजरने वाली एक सुरंग AB को प्रदर्शित किया गया है तथा O पृथ्वी का केन्द्र है। m द्रव्यमान के एक पिण्ड को इस सुरंग के भीतर गति करने के लिए छोड़ा गया है। माना किसी क्षण पिण्ड बिन्दु P पर है, जहाँ इसका पृथ्वी के केन्द्र O से विस्थापन x है। इस समय पिण्डे x त्रिज्या के ठोस गोले के बाह्य पृष्ठ पर स्थित है। अत: पिण्ड पर पृथ्वी का गुरुत्वीय बल x त्रिज्या के गोले के गुरुत्वीय बल के बराबर होगा, जो P से O की दिशा में कार्य करेगा।
UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 14 Oscillations 74
इस प्रकार, पिण्ड का त्वरण α, विस्थापन x के अनुक्रमानुपाती है तथा इसकी दिशा विस्थापन x के विपरीत है। अतः पिण्ड की गति सरल आवर्त गति है।
UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 14 Oscillations 75

प्रश्न 4.
एक कण सरल आवर्त गति कर रहा है। यदि माध्य स्थिति से x1 तथा x2 दूरियों पर कण का वेग क्रमशः u1 तथा u2 हैं, तो सिद्ध कीजिए कि इसका आवर्तकाल [latex s=2]T=2x\sqrt { \left[ \frac { { { x }^{ 2 } }_{ 2 }-{ { x }^{ 2 } }_{ 1 } }{ { { u }^{ 2 } }_{ 1 }-{ { u }^{ 2 } }_{ 2 } } \right] } [/latex] होगा।
हल-
UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 14 Oscillations 76

प्रश्न 5.
सरल आवर्त गति करते हुए पिण्ड की दोलन गतिज ऊर्जा, स्थितिज ऊर्जा तथा सम्पूर्ण ऊर्जा के लिए व्यंजक प्राप्त कीजिए।
उत्तर-
गतिज ऊर्जा (Kinetic energy)-सरल आवर्त गति करते हुए कण को जब किसी क्षण उसकी साम्य स्थिति से विस्थापन y हो तो उस क्षण उसका वेग latex s=2]u=\omega \sqrt { \left( { a }^{ 2 }-{ y }^{ 2 } \right) } [/latex]
जहाँ a = कण का आयाम तथा ) ω = कण की कोणीय आवृत्ति। यदि पिण्ड (कण) का द्रव्यमान m हो
UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 14 Oscillations 77
स्थितिज ऊर्जा (Potential energy)-सरल आवर्त गति करते हुए कण । का जब किसी क्षण उसकी साम्य स्थिति से विस्थापन y है तो उस क्षण ||
उसका त्वरण α =- ω²y (जहाँ ω = कोणीय आवृत्ति)।
यदि कण का द्रव्यमान m हो तो इस क्षण कण पर लगने वाला प्रत्यानयन बल F = द्रव्यमान x त्वरण
F = m x α = m x (-ω²y) =-mω²y
ऋण चिह्न केवल बल की दिशा (विस्थापन y के विपरीत) का प्रतीक है।’
अतः बल का परिमाण F = mω²y
यदि हम कण पर लगे बल F तथा कण के विस्थापन y के बीच एक ग्राफ खींचे तो चित्र 14.21 की भाँति एक सरल रेखा प्राप्त होती है। यह एक बल विस्थापन ग्राफ है। अत: इस ग्राफ (सरल रेखा) तथा विस्थापन अक्ष के बीच घिरा क्षेत्रफल कण पर किये गये कार्य अर्थात् कण की स्थितिज ऊर्जा को व्यक्त करेगा।
UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 14 Oscillations 78
इस प्रकार समी० (4) से स्पष्ट है कि सरल आवर्त गति करते कण (पिण्ड) की कुल ऊर्जा आयाम के वर्ग (a²) के तथा आवृत्ति के वर्ग (n²) के अनुक्रमानुपाती होती है।

प्रश्न 6.
बल नियतांक k की भारहीन स्प्रिंग से लटके हुए एक द्रव्यमान m के पिण्ड के ऊध्र्वाधर दोलनों के आवर्तकाल के लिए व्यंजक प्राप्त कीजिए।
उत्तर-
स्प्रिंग से लटके पिण्ड की गति (Motion of a body suspended by a spring)—चित्रं 14.22 (a) में एक हल्की (भारहीन) स्प्रिंग दर्शायी गई है, जिसकी सामान्य लम्बाई L है तथा यह एक दृढ़ आधार से लटकी है। जब इसके निचले सिरे पर m द्रव्यमान का एक पिण्ड लटकाया जाता है तो पिण्ड के भार से इसमें खिंचाव उत्पन्न होता है। माना यह खिंचाव अथवा स्प्रिंग की लम्बाई में वृद्धि l है। चित्र 14.22 (b) में स्प्रिंग अपनी प्रत्यास्थता के कारण द्रव्यमान m पर एक प्रत्यानयन बल F ऊपर ऊर्ध्व दिशा में लगाती है। हम जानते हैं कि स्प्रिंग के लिए हुक का नियम सत्य होता है। अतः हुक के नियम से F = – kl.
जहाँ k स्प्रिंग का बल नियतांक है। इसे स्प्रिंग नियतांक (spring constant) भी कहते हैं। इसका मात्रक ‘न्यूटन/मीटर’ होता है। उपर्युक्त समीकरण में ऋण चिह्न इस बात का संकेत करता है कि प्रत्यानयन बल F विस्थापन के विपरीत दिशा में है। इस स्थिति में पिण्ड पर लगने वाला एक दूसरा बल पिण्ड का भार mg है। चूंकि इस स्थिति में पिण्ड स्थायी सन्तुलन अवस्था में है, अतः इस पर परिणामी बल शून्य होना चाहिए।
UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 14 Oscillations 79
अत: F + mg = 0
-kl + mg = 0
mg = kl …(1)
अब, यदि पिण्डे को थोड़ा नीचे खींचकर छोड़ दिया जाये तो यह अपनी साम्य स्थिति के ऊपर-नीचे दोलन करने लगता है। माना दोलन करते समय किसी क्षण पिण्ड का
साम्य स्थिति से विस्थापन y दूरी नीचे की ओर है [चित्र 14.22 (c)]। इस क्षण स्प्रिंग की लम्बाई (L + l) से करता हुआ बढ़कर (L + l + y) हो जाती है; अर्थात् स्प्रिंग की लम्बाई में कुल वृद्धि (l + y) ह्येगी। अतः इस देशा में स्प्रिंग द्वारा पिण्ड पर लगाया गया प्रत्यानयन बल
F’ = – k(l + y) = – kl – ky
पिण्ड पर दूसरा बल अब भी उसका भार mg ही है। चूंकि इस दशा में पिण्ड गतिशील है। अत: इस पर लगने वाला परिणामी बल
F” = F’ + mg = (- kl – ky) + mg
परन्तु समी० (1) से, mg = kl
∴ F” = -kl – ky + kt या F” = – ky
अत: पिण्ड में उत्पन्न त्वरण α = बल/द्रव्यमान = F”/m
α = -(ky/m) ,[latex s=2]\alpha =-\left( \frac { k }{ m } \right) y[/latex] …(2)
चूँकि पिण्ड विशेष के लिए m नियत तथा स्प्रिंग के लिए k नियत है, अत: समी० (2) में राशि (k/m) नियतांक है।
अतः α ∝ -y
इस प्रकार स्प्रिंग से लटके पिण्ड के दोलन करते समय इसमें त्वरण α पिण्ड की साम्य स्थिति से उसके विस्थापन y के अनुक्रमानुपाती है, तथा ऋण चिह्न (-) इस तथ्य का प्रतीक है कि त्वरण की दिशा विस्थापन की दिशा के विपरीत है। अंतः पिण्ड की गति सरल आवर्त है।
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प्रश्न 7.
आरेख की सहायता से अवमन्दित कम्पन को समझाइए। अवमन्दित कम्पन के दो उदाहरण दीजिए। अवमन्दित कम्पन को प्रणोदित कम्पन में बदलने के लिए क्या करना पड़ता है?
उत्तर-
UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 14 Oscillations 81
अवमन्दित कम्पन (Damped Vibrations)-किसी वस्तु के कम्पन करते समय कोई-न-कोई बाह्य अवमन्दक बल (damping force) अवश्य विद्यमान रहता है जिसके कारण कम्पन करती वस्तु की ऊर्जा लगातार घटती रहती है, इसके परिणामस्वरूप वस्तु के कम्पन का आयाम भी निरन्तर घटता जाता है या कुछ समय पश्चात् वस्तु कम्पन करना बन्द कर देती है। यह वह स्थिति है जब वस्तु को दी गयी कुल ऊर्जा समाप्त हो चुकी होती है।
इस प्रकार बाह्य अवमन्दक बलों के विरुद्ध दोलन करने, वाली वस्तु की ऊर्जा का निरन्तर कम होते रहना ऊर्जा क्षय कहलाता है। इस ऊर्जा क्षय के कारण ही कम्पित वस्तु के कम्पनों का आयाम धीरे-धीरे घटता जाता है। ऐसे कम्पन को जिनका ओयार्म समय के साथ घटता जाता है, अवमन्दित कम्पन (damped vibrations) कहते है।
उदाहरणार्थ- (i) सरल लोलक के गोलक के दोलन करते समय लोलक को लटकाने वाले दृढ़ आधार का घर्षण तथा वायु की श्यानता बाह्य अवमन्दक का कार्य करते हैं जिससे इसके दोलनों का आयाम धीरे-धीरे घटता जाता है तथा अन्त में गोलक दोलन करना बन्द कर देता है।
(ii) ऊध्र्वाधर स्प्रिंग से लटके पिण्ड को थोड़ा नीचे खींचकर छोड़ देने पर पिण्ड के दोलन अवमन्दित दोलन हैं। यहाँ पिण्ड का वायु के साथ घर्षण (श्यानता) अवमन्दक-बल का कार्य करता है। अवमन्दित कम्पन को प्रणोदित कम्पन में बदलने के लिए कम्पित ‘वस्तु पर बाह्य आवर्त बल आरोपित करना होता है।

प्रश्न 8.
अनुनाद से क्या तात्पर्य है? व्याख्या कीजिए। ध्वनि अनुनाद, यान्त्रिक अनुनाद तथा विद्युत चुम्बकीय अनुनाद के एक-एक उदाहरण दीजिए।
उत्तर-
जब किसी दोलन करने वाली वस्तु पर कोई बाह्य आवर्त बल लगाया जाता है तो वस्तु बल की आवृत्ति से प्रणोदित दोलन करने लगती है। यदि बाह्य बल की आवृत्तिवस्तु की स्वाभाविक आवृत्ति के बराबर (अथवा इसकी पूर्ण गुणज) हो तो वस्तु के प्रणोदित दोलनों का आयाम बहुत बढ़ जाता है। इस घटना को अनुनाद (resonance) कहते हैं। बाह्य बल और वस्तु की आवृत्ति में थोड़ा-सा ही अन्तर होने पर आयाम बहुत कम हो जाता है। स्पष्ट है कि अनुनाद, प्रणोदित दोलनों की ही एक विशेष अवस्था है।
अनुनाद की व्याख्या-जब बाह्य बल की आवृत्ति वस्तु की स्वाभाविक आवृत्ति के बराबर होती है तो दोनों समान कला में कम्पन करते हैं। अतः आवर्त बल द्वारा लगाये गये उत्तरोत्तर आवेग वस्तु की ऊर्जा लगातार बढ़ाते जाते हैं और वस्तु का आयाम लगातार बढ़ता जाता है। सिद्धान्त रूप से वस्तु का आयाम अनन्त तक बढ़ता रहना चाहिए, परन्तु व्यवहार में दोलन करती हुई वस्तु में वायु के घर्षण तथा ध्वनि विकिरण के कारण ऊर्जा-क्षय होता रहता है। दोलन आयाम बढ़ने के साथ-साथ ऊर्जा-क्षय भी बढ़ता जाता है और एक ऐसी स्थिति आ जाती है कि बाह्य बल द्वारा प्रति दोलन दी गई ऊर्जा, वस्तु द्वारा प्रति । दोलन में ऊर्जा-क्षय के बराबर हो जाती है। इस स्थिति में आयाम का बढ़ना रुक जाता है।
उदाहरणार्थ
1. ध्वनि अनुनाद
(i) डोरियों में कम्पन-यदि समान आवृत्ति की दो डोरियाँ एक ही बोर्ड पर तनी हों तथा उनमें से एक को कम्पित किया जाये तो दूसरी स्वयं कम्पन करने लगती है।
(ii) बर्तन में जल भरना-काँच के एक लम्बे जार के मुँह पर किसी स्वरित्र को बजाकर रखने पर एक धीमी ध्वनि सुनाई देती है। जार में पानी भरना शुरू कर देने पर जार के वायु-स्तम्भ की लम्बाई कम होने लगती है एवं एक निश्चित लम्बाई पर तेज ध्वनि सुनाई पड़ती है। इसका कारण यह है कि एक निश्चित लम्बाई पर वायु स्तम्भ की स्वाभाविक आवृत्ति, स्वरित्र की आवृत्ति के बराबर हो जाती है और अनुनाद के कारण वायु स्तम्भ में बड़े आयाम के कम्पन होते हैं जिससे ध्वनि तेज सुनाई देती है।
(iii) वातावरण के कम्पन-कान के ऊपर खाली गिलास रखने पर गुनगुन की ध्वनि सुनाई पड़ती है। इसका कारण यह है कि वातावरण में अनेक प्रकार के कम्पन उपस्थित रहते हैं। इन कम्पनों में से जिसकी आवृत्ति गिलास के भीतर वायु की स्वाभाविक आवृत्ति के बराबर होती है, वे वायु को अनुनादित करते हैं।

2. यान्त्रिक अनुनाद
सेना का पुल पार करना-जब सेना किसी पुल को पार करती है तब सैनिक कदम मिलाकर नहीं चलते। इसका कारण यह है कि यदि सैनिकों के कदमों की आवृत्ति, पुल की स्वाभाविक आवृत्ति के बराबर हो जायेगी तो पुल में बड़े आयाम के कम्पन होने लगेंगे और पुल के टूटने का खतरा हो जाएगा।

3. विद्युत-चुम्बकीय अनुनाद
रेडियो-यह विद्युत अनुनाद का उदाहरण है। विभिन्न प्रसारण केन्द्रों से अलग-अलग आवृत्तियों पर तरंगें प्रसारित की जाती हैं। रेडियो पर एक L-C परिपथ लगा होता है। इसमें लगे संधारित्र की धारिता (C) बदलने पर L-C परिपथ की आवृत्ति [latex s=2]\left( t=\frac { 1 }{ 2\pi \sqrt { LC } } \right) [/latex] बदल जाती है। जब इस विद्युत परिपथ की का आवृत्ति किसी प्रसारण केन्द्र (स्टेशन) की आवृत्ति के बराबर हो जाती है तो विद्युत परिपथ उन तरंगों को ग्रहण कर लेता है और स्टेशन से प्रोग्राम सुनाई देने लगती है।

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UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 13 Kinetic Theory

UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 13 Kinetic Theory (अणुगति सिद्धान्त) are part of UP Board Solutions for Class 11 Physics . Here we have given UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 13 Kinetic Theory (अणुगति सिद्धान्त)

Board UP Board
Textbook NCERT
Class Class 11
Subject Physics
Chapter Chapter 13
Chapter Name Kinetic Theory
Number of Questions Solved 58

UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 13 Kinetic Theory (अणुगति सिद्धान्त)

अभ्यास के अन्तर्गत दिए गए प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
ऑक्सीजन के अणुओं के आयतन और STP पर इनके द्वारा घेरे गए कुल आयतन का अनुपात ज्ञात कीजिए। ऑक्सीजन के एक अणु का व्यास 3Å लीजिए।
हल-
आवोगाद्रो की परिकल्पना के अनुसार S T P पर गैस के 1 मोल द्वारा घेरा गया आयतन
V = 22.4 लीटर = 22.4 x 10-3 मी3
तथा 1 ग्राम मोल में अणुओं की संख्या = आवोगाद्रो संख्या
N = 6.02 x 1023
ऑक्सीजन के एक अणु की त्रिज्या
r = व्यास/2 = 3 Å/2= 1.5 x 10-10 मी
∴ ऑक्सीजन के एक अणु का आयतन
UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 13 Kinetic Theory 1

प्रश्न 2.
मोलर आयतन, STP पर किसी गैस (आदर्श) के 1 मोल द्वारा घेरा गया आयतन है। (STP:1 atm दाब, 0°C ताप)। दर्शाइए कि यह 22.4 लीटर है।
हल-
S.T.P. का अर्थ P = 1 वायुमण्डलीय दाब = 1.013 x 105 न्यूटन-मीटर-2
तथा T = 0+273 = 273 K है तथा R = 8.31 जूल/मोल-K
∴ (1 मोल के लिए) आदर्श गैस समीकरण PV = RT से ।
UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 13 Kinetic Theory 2
= 22.395 x 10-3 मी-3 ≈ 22.4 लीटर

प्रश्न 3.
चित्र-13.1 में ऑक्सीजन के 100 x 10-3kg द्रव्यमान के लिए PV/T एवं P में, दो अलग-अलग तापों पर ग्राफ दर्शाए गए हैं।
(a) बिन्दुकित रेखा क्या दर्शाती है?
(b) क्या संत्य है : T1 > T2 अथवा T1 < T2?
(c) y-अक्ष पर जहाँ वक्र मिलते हैं वहाँ [latex s=2]\frac { PV }{ T }[/latex] का मान क्या है?
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(d) यदि हम ऐसे ही ग्राफ 100 x 10-3 kg हाइड्रोजन के लिए बनाएँ तो भी क्या उस बिन्दु पर जहाँ वक़ y-अक्ष से मिलते हैं [latex s=2]\frac { PV }{ T }[/latex] का मान यही होगा? यदि नहीं, तो हाइड्रोजन के कितने द्रव्यमान के लिए [latex s=2]\frac { PV }{ T }[/latex] का मान (कम दाब और उच्च ताप के क्षेत्र के लिए वही होगा? H2 का अणु द्रव्यमान = 2.02 u, O2 का अणु द्रव्यमान = 32.0 u, R = 8.31 J mol-1K-1)
उत्तर-
(a) बिन्दुकित रेखा यह दर्शाती है, कि राशि [latex s=2]\frac { PV }{ T }[/latex] नियत है। यह तथ्य केवल आदर्श गैस के लिए सत्य है; अतः बिन्दुकित रेखा आदर्श गैस का ग्राफ है।
(b) हम देख सकते हैं कि ताप T2 पर ग्राफ की तुलना में ताप T1 पर गैस का ग्राफ आदर्श गैस के ग्राफ के अधिक समीप है अर्थात् ताप T2 पर ऑक्सीजन गैस का आदर्श गैस के व्यवहार से विचलन अधिक है।
हम जानते हैं कि वास्तविक गैसें निम्न ताप पर आदर्श गैस के व्यवहार से अधिक विचलित होती है।
अतः T1 > T2
(c) जिस बिन्दु पर ग्राफ y-अक्ष पर मिलते हैं ठीक उसी बिन्दु से आदर्श गैस का ग्राफ भी गुजरता है;
अतः इस बिन्दु पर ऑक्सीजन गैस, आदर्श गैस समीकरण का पालन करेगी।
अत: PV = µRT से, [latex s=2]\frac { PV }{ T }[/latex] = µR
∵ गैस का द्रव्यमान m= 1.00 x 10-3 kg जबकि गैस का ग्राम अणुभार M = 32g
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(d) इस बिन्दु पर गैस, आदर्श गैस समीकरण का पालन करेगी; अतः [latex s=2]\frac { PV }{ T }[/latex] = µR होगा। परन्तु समान द्रव्यमान हाइड्रोजन गैस में ग्राम-अणुओं की संख्या भिन्न होगी; अत: हाइड्रोजन गैस के लिए [latex s=2]\frac { PV }{ T }[/latex] का मान भिन्न होगा।
H2 गैस के लिए [latex s=2]\frac { PV }{ T }[/latex] = µR का वही मान प्राप्त करने के लिए हमें ग्राम-अणुओं की संख्या वही [latex s=2]\left( \mu =\frac { 1 }{ 32 } \right) [/latex] लेनी होगी।
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प्रश्न 4.
एक ऑक्सीजन सिलिण्डर जिसका आयतन 30 L है, में ऑक्सीजन का आरम्भिक दाब 15 atm एवं ताप 27°c है। इसमें से कुछ गैस निकाल लेने के बाद प्रमापी (गेज) दाब गिरकर 11 atm एवं ताप गिरकर 17°C हो जाता है। ज्ञात कीजिए कि सिलिण्डर से ऑक्सीजन की कितनी मात्रा निकाली गई है? (R = 8.31 J mol-1K-1, ऑक्सीजन का अणु द्रव्यमान O2 = 32u )
हल-
μ ग्राम मोल के लिए आदर्श गैस समीकरण
PV = μ RT (जहाँ μ = m/M)
अतः PV= (m/M) RT
(जहाँ m= ग्राम में द्रव्यमान, M = ग्राम में अणुभार)
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प्रश्न 5.
वायु का एक बुलबुला, जिसका आयतन 1.0 cm3 है, 40 m गहरी झील की तली से जहाँ ताप 12°c है, उठकर ऊपर पृष्ठ पर आता है जहाँ ताप 35°c है। अब इसका आयतन क्या होगा?
हल-
दिया है : बुलबुले का आयतन V1 = 1.0 cm3 = 1.0 x 10-6m3
अन्तिम आयतन V2 = ?
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प्रश्न 6.
एक कमरे में, जिसकी धारिता 25.0 m3 है, 27°C ताप और 1 atm दाब पर, वायु के कुल अणुओं (जिनमें नाइट्रोजन, ऑक्सीजन, जलवाष्प और अन्य सभी अवयवों के कण सम्मिलित हैं) की संख्या ज्ञात कीजिए।
हल-
दिया है : कमरे की धारिता V = 25.0 m3, ताप T = 27 + 273 = 300K,
दाब P = 1 atm = 1.01 x 105 N m-2
कुल अणुओं की संख्या = ?
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प्रश्न 7.
हीलियम परमाणु की औसत तापीय ऊर्जा का आकलन कीजिए-
(i) कमरे के ताप (27°C) पर।
(ii) सूर्य के पृष्ठीय ताप (6000 K) पर।
(iii) 100 लाख केल्विन ताप (तारे के क्रोड का प्रारूपिक ताप) पर।
हल-
हीलियम एक परमाणु गैस है। अत: परमाणु की औसत तापीय ऊर्जा अणु की औसत तापीय ऊर्जा ही होगी। किसी गैस के एक अणु की औसत तापीय ऊर्जा (गतिज ऊर्जा) [latex s=2]\overline { E } =\frac { 3 }{ 2 } K.T[/latex] (जहाँ T = परमताप,
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प्रश्न 8.
समान धारिता के तीन बर्तनों में एक ही ताप और दाब पर गैसे भरी हैं। पहले बर्तन में निऑन (एकपरमाणुक) गैस है, दूसरे में क्लोरीन (द्विपरमाणुक) गैस है और तीसरे में यूरेनियम हेक्साफ्लोराइड (बहुपरमाणुक) गैस है। क्या तीनों बर्तनों में गैसों के संगत अणुओं की संख्या समान है? क्या तीनों प्रकरणों में अणुओं की υr.m.s (वर्ग-माध्य-मूल चाल) समान है?
उत्तर-
(i) हाँ, चूँकि आवोगाद्रो परिकल्पना के अनुसार समान परिस्थितियों में गैसों के समान आयतन में अणुओं की संख्या समान होती है। (ii) नहीं,
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तीनों गैसों के ग्राम-अणु भार अलग-अलग हैं; अतः अणुओं की वर्ग-माध्य-मूल चाल भी अलग-अलग होगी।

प्रश्न 9.
किस ताप पर ऑर्गन गैस सिलिण्डर में अणुओं की υr.m.s,-20°C पर हीलियम गैस परमाणुओं की υr.m.s के बराबर होगी? (Ar का परमाणु द्रव्यमान = 39.9u एवं हीलियम का परमाणु द्रव्यमान = 4.0u)
हल-
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प्रश्न 10.
नाइट्रोजन गैस के एक सिलिण्डर में, 2.0 atm दाब एवं 17°C ताप पर, नाइट्रोजन अणुओं के माध्य मुक्त पथ एवं संघट्ट आवृत्ति का आकलन कीजिए। नाइट्रोजन अणु की त्रिज्या लगभग 1.0 Å लीजिए। संघट्ट-काल की तुलना अणुओं द्वारा दो संघट्टों के बीच स्वतन्त्रतापूर्वक चलने में लगे समय से कीजिए। (नाइट्रोजन का आणविक द्रव्यमान = 28.0u)
हल-
P = 2.0, वायुमण्डलीय = 2 x 1.013 x 105 = 2.026 x 105 न्यूटन मीटर-2,
T = 17°C = 17 + 273 = 290 K
1 मोल गैस के लिए, PV = RT
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अतिरिक्त अभ्यास

प्रश्न 11.
1 मीटर लम्बी संकरी (और एक सिरे पर बन्द) नली क्षैतिज रखी गई है। इसमें 76 cm लम्बाई भरा पारद सूत्र, वायु के 15 cm स्तम्भ को नली में रोककर रखता है। क्या होगा यदि खुला सिरा नीचे की ओर रखते हुए नली को ऊर्ध्वाधर कर दिया जाए?
हल-
प्रारम्भ में जब नली क्षैतिज है, तब बन्द सिरे पर रोकी गई वायु का दाब वायुमण्डलीय दाब के बराबर होगा क्योंकि यह वायु, वायुमण्डलीय दाब के विरुद्ध पारे के स्तम्भ को पीछे हटने से रोकती है।
∴ P1 = वायुमण्डलीय दाब
= 76 सेमी पारद स्तम्भ का दाब
यदि नली का अनुप्रस्थ क्षेत्रफल A सेमी² है तो वायु का आयतन V1 = 15 सेमी X A सेमी² = 15A सेमी3 । जब नली का खुला सिरा नीचे की ओर रखते हुए ऊध्र्वाधर करते हैं तो खुले सिरे पर बाहर की ओर से वायुमण्डलीय दाब (76 सेमी पारद स्तम्भ का दाब) काम करता है जब कि ऊपर की ओर से 76 सेमी पारद सूत्र का दाब तथा बन्द सिरे पर एकत्र वायु की दाब काम करते हैं। चूँकि खुले सिरे पर पारद स्तम्भ + वायु का दाब अधिक है अतः पारद स्तम्भ सन्तुलन में नहीं रह पाता और नीचे गिरते हुए, वायु को बाहर निकाल देता है।
माना पारद स्तम्भ की h लम्बाई नली से बाहर निकल जाती है।
तब, पारद स्तम्भ की शेष ऊँचाई = (76 – h)
सेमी जबकि बन्द सिरे पर वायु स्तम्भ की लम्बाई = (15 + 9 + h) सेमी
= (24 + h) सेमी
वायु का आयतन V2 = (24 + h) A सेमी3
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अतः h = 23.8 सेमी अथवा – 47.8 सेमी (जो अनुमान्य है।)
इसलिए h = 23.8 सेमी ≈ 24 सेमी ।
अतः लगभग 24 सेमी पारा बाहर निकल जायेगा। शेष पारे का 52 सेमी ऊँचा स्तम्भ तथा 4.8 सेमी वायु स्तम्भ इसमें जुड़कर बाह्य वायुमण्डल के साथ संतुलन में रहते हैं। (यहाँ पूरे प्रयोग की अवधि में ताप को नियत माना गया है तब ही बॉयल के नियम का प्रयोग किया है।)

प्रश्न 12.
किसी उपकरण से हाइड्रोजन गैस 28:7 सेमी3/से की दर से विसरित हो रही है। उन्हींस्थितियों में कोई दूसरी गैस 7.2 सेमी3/से की दर से विसरित होती है। इस दूसरी गैस
को पहचानिए।
[संकेत-ग्राहम के विसरण नियम R1/R2 = (M2 /M1)1/2 का उपयोग कीजिए, यहाँ R1, R2 क्रमशः गैसों की विसरण दर तथा M1 एवं M2 उनके आणविक द्रव्यमान हैं। यह नियम अणुगति सिद्धान्त का एक सरल परिणाम है।]
हल-
किसी गैस के विसरण की दर । गैस अणुओं के वर्ग माध्य मूल वेग के अनुक्रमानुपाती होती है अर्थात्
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अतः दूसरी गैस ऑक्सीजन है। (चूंकि ऑक्सीजन का अणुभार 32 होता है।)

प्रश्न 13.
साम्यावस्था में किसी गैस का घनत्व और दाब अपने सम्पूर्ण आयतन में एकसमान हैं। यह पूर्णतया सत्य केवल तभी है जब कोई भी बाह्य प्रभाव न हो। उदाहरण के लिए गुरुत्व से प्रभावित किसी गैस स्तम्भ का घनत्व (और दाब) एकसमान नहीं होता है। जैसा कि आप आशा करेंगे इसका घनत्व ऊँचाई के साथ घटता है। परिशुद्ध निर्भरता ‘वातावरण के नियम
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से दी जाती है, यहाँ n2, n1 क्रमशः h2 व h1 ऊँचाइयों पर संख्यात्मक घनत्व को प्रदर्शित करते हैं। इस सम्बन्ध का उपयोग द्रव-स्तम्भ में निलम्बित किसी कण के अवसादने साम्य के लिए समीकरण
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को व्युत्पन्न करने के लिए कीजिए, यहाँ ρ निलम्बित कण का घनत्व तथा ρ’ चारों तरफ के माध्यम का घनत्व है। NA आवोगाव्रो संख्या तथा R सार्वत्रिक गैस नियतांक है। (संकेतः निलम्बित कण के आभासी भार को जानने के लिए आर्किमिडीज के सिद्धान्त का उपयोग कीजिए)
उत्तर-
वातावरण के नियम के अनुसार,
UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 13 Kinetic Theory 18
जबकि m द्रव्यमान का कण वायु में साम्यावस्था में तैर रहा है। यदि कण ρ’ वाले किसी द्रव में छोड़ा गया है तो इस कण पर द्रव के कारण उत्क्षेप भी कार्य करेगा। ऐसी स्थिति में हमें उक्त सूत्र में mg के स्थान पर कण का आभासी भार रखना होगा।
माना कण का आयतन V तथा घनत्व ρ है तब ।
कण का आभासी भार = mg – उत्क्षेप
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प्रश्न 14.
नीचे कुछ ठोसों व द्रवों के घनत्व दिए गए हैं। उनके परमाणुओं की आमापों का आकलन (लगभग) कीजिए।
UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 13 Kinetic Theory 20
[ संकेतः मान लीजिए कि परमाणु ठोस अथवा द्रव प्रावस्था में दृढ़ता से बँधे हैं, तथा आवोगाव्रो संख्या के ज्ञात मान का उपयोग कीजिए। फिर भी आपको विभिन्न परमाणवीय आकारों के लिए अपने द्वारा प्राप्त वास्तविक संख्याओं का बिल्कुल अक्षरशः प्रयोग नहीं करना चाहिए क्योंकि दृढ़ संवेष्टन सन्निकटन की रूक्षता के परमाणवीय आकार कुछ Å के पास में हैं ]
हल-
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परीक्षोपयोगी प्रश्नोत्तर

बहुविकल्पीय प्रश्न
प्रश्न 1.
27°C ताप पर एक बर्तन में भरी हुई एक मोल हाइड्रोजन गैस का दाब P है। उसी आयतन के दूसरे बर्तन में 127°C ताप पर एक मोल हीलियम गैस भरी है। इसका दाब होगा
UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 13 Kinetic Theory 23
उत्तर-
(iii) [latex s=2]\frac { 4 }{ 3 }p[/latex]

प्रश्न 2.
किसी बर्तन में P0 दाब पर गैस है। यदि सभी अणुओं के द्रव्यमान आधे और उनकी चाल दोगुनी कर दी जाये तो परिणामी दाब होगा
(i) 4P0
(ii) 2P0
(iii) P0
(iv) P0/2
उत्तर-
(ii) 2P0

प्रश्न 3.
सामान्य ताप एवं दाब पर 1 सेमी3 हाइड्रोजन एवं 1 सेमी3 ऑक्सीजन गैसें ली गयी हैं। हाइड्रोजन के अणुओं की संख्या n1 तथा ऑक्सीजन के अणुओं की संख्या n2 है। सही विकल्प होगा
UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 13 Kinetic Theory 24
उत्तर-
(i) [latex s=2]\frac { { n }_{ 1 } }{ { n }_{ 2 } } =\frac { 1 }{ 16 } [/latex]

प्रश्न 4.
एक आदर्श गैस का दाब P और इसके एकांक आयतन की गतिज ऊर्जा E में परस्पर सम्बन्ध है।
UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 13 Kinetic Theory 25
उत्तर-
(iii)[latex s=2]P=\frac { 2 }{ 3 }E[/latex]

प्रश्न 5.
एक ग्राम-अणु गैस की गतिज ऊर्जा सामान्य ताप तथा दाब पर E है। 273°C पर इसकी गतिज ऊर्जा होगी।
(i) [latex s=2]\frac { E }{ 4 }[/latex]
(ii) [latex s=2]\frac { E }{ 2 }[/latex]
(iii) 2E
(iv) 4E
उत्तर-
(iii) 2E

प्रश्न 6.
किसी वास्तविक गैस के लिए P तथा v में परिवर्तन चार विभिन्न तपों T1, T2, T3 व T4 पर प्रदर्शित है। गैस का क्रान्तिक ताप है। विभिन्न तापों T1, T2, T3 तथा T4 पर किसी वास्तविक गैस का दाब P बढ़ाने पर आयतन v में परिवर्तन चित्र 13.3 में प्रदर्शित है। गैस का क्रान्तिक ताप है।
UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 13 Kinetic Theory 26
(i) T1
(ii) T2
(iii) T3
(iv) T4
उत्तर-
(ii) T2

प्रश्न 7.
40°C पर किसी गैस के अणुओं की औसत गतिज ऊर्जा है। वह ताप, जिस पर यह ऊर्जा 2E हो जाएगी, है।
(i) 80°C
(ii) 160° C
(ii) 273°C
(iv) 353°C
उत्तर-
(i) 80°C

प्रश्न 8.
1 मोल नाइट्रोजन गैस के दाब व ताप बदल जाते हैं । जब प्रयोग को उच्च दाब तथा उच्च ताप पर किया 2.0 जाता है। प्राप्त परिणाम चित्र 13.4 में प्रदर्शित है। [latex s=2]\frac { PV }{ RT }[/latex] का P के साथ सही परिवर्तन प्रदर्शित होगा
UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 13 Kinetic Theory 27
(i) वक्र 1 से
(ii) वक्र 4 से।
(iii) वक्र 3 से
(iv) वक्र 2 से
उत्तर-
(ii) वक्र 4 से

प्रश्न 9.
कमरे के ताप पर हाइड्रोजन तथा ऑक्सीजन के अणुओं की वर्ग-माझ्य-मूल चालों का अनुपात है
(i) 4:1
(ii) 8:1
(iii) 12:1
(iv) 16:1
उत्तर-
(i) 4:1

प्रश्न 10.
किसी गैस का परमताप चार गुना बढ़ा दिया जाता है। गैस के अणुओं की वर्ग-माध्य-मूल चाल हो जायेगी।
(i) 4 गुना
(ii) 16 गुना
(iii) 1/4 गुना
(iv) 2 गुना
उत्तर-
(iv) 2 गुना

प्रश्न 11.
दो आदर्श गैसों के अणुओं के वर्ग-माध्य-मूल वेग समान हैं। गैसों के अणुभार क्रमशः M1 और M2 एवं परमताप क्रमशःT1 और T2 हैं तो,
UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 13 Kinetic Theory 28
उत्तर-
(ii) [latex s=2]\frac { T_{ 1 } }{ T_{ 2 } } =\frac { M_{ 1 } }{ M_{ 2 } } [/latex]

प्रश्न 12.
समान ताप पर दो गैसों के वाष्प घनत्वों का अनुपात 4 : 5 है। इनके अणुओं के वर्ग-माध्य-मूल वेगों का अनुपात होगा।
(i) 1 : 2.25
(ii) 2:3
(iii)3:2
(iv) 4:9
उत्तर-
(iii) 3 : 2

प्रश्न 13.
एक पक्षी आकाश में उड़ रहा है। इसके गति की स्वातन्त्र्य कोटि की संख्या है।
(i) 3
(ii) 2
(iii) 1
(iv) 0
उत्तर-
(i) 3

प्रश्न 14.
किसी द्विपरमाणविक अणु की स्थानान्तरीय तथा घूर्णीय स्वातन्त्र्य कोटियों की कुल संख्या होगी
(i) 2
(ii) 3
(iii) 4
(iv) 5
उत्तर-
(iv) 5

प्रश्न 15.
किसी एकपरमाणविक गैस के एक अणु की स्वातन्त्र्य कोटियों की संख्या होगी।
(i) 1
(ii) 2
(iii) 3
(iv) 4
उत्तर-
(iii) 3

प्रश्न 16.
एक चींटी मेज के पृष्ठ पर चल रही है। इसके चलने की स्वातन्त्रय कोटि है।
(i) शून्य
(ii) 1
(iii) 2
(iv) 3
उत्तर-
(iii) 2

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
आदर्श गैस का अवस्था समीकरण किसे कहते हैं?
उत्तर-
किसी आदर्श गैस के निश्चित द्रव्यमान के आयतन, ताप व दाब में सम्बन्ध बताने वाले समीकरण को आदर्श गैस समीकरण या आदर्श गैस को अवस्था समीकरण कहते हैं।

प्रश्न 2.
वास्तविक गैसों के लिए वाण्डरवाल्स समीकरण लिखिए तथा प्रमुख प्रतीकों के अर्थ बताइए।
उत्तर-
वास्तविक गैसों के लिए वाण्डरवाल्स समीकरण निम्न है।
UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 13 Kinetic Theory 29
जहाँ P = दाब, V = आयतन, R = सार्वत्रिक गैस नियतांक
a तथा b = त्रुटि सुधार नियतांक

प्रश्न 3.
अणुगति सिद्धान्त के आधार पर गैस के दाब का सूत्र लिखिए। प्रयुक्त संकेतांकों का अर्थ लिखिए।
उत्तर-
UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 13 Kinetic Theory 30
जहाँ m = एक अणु का द्रव्यमान,n = V आयतन में अणुओं की संख्या तथा [latex s=2]{ \overline { \nu } }^{ 2 }[/latex] = अणुओं का वर्ग-माध्य-मूल वेग।

प्रश्न 4.
दो गैसें समान ताप, दाब तथा आयतन पर मिश्रित की गयी हैं। यदि तप्प और आयतन में । परिवर्तन न हो तो मिश्रण का परिणामी दाब क्या होगा?
उत्तर-
डाल्टने के आंशिक दाब के अनुसार परिणामी दाब = P1 + P2
परन्तु यहाँ P1 = P2 = P (माना) अतः परिणामी दाब = P+ P = 2P
अतः मिश्रण का दाब एक गैस के दाब का दोगुना होगा।

प्रश्न 5.
1 सेमी3 ऑक्सीजन और 1 सेमी3 नाइट्रोजन सामान्य ताप एवं दाब पर हैं। इन गैसों में अणुओं की संख्याओं का अनुपात क्या है?
हल-
अणुगति सिद्धान्त से,
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चूँकि दोनों एक ही ताप पर हैं, अत: अणुओं की माध्य गतिज ऊर्जाएँ बराबर होंगी। तब
UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 13 Kinetic Theory 32

प्रश्न 6.
किसी ठोस को दबाने पर उनके परमाणुओं की स्थितिज ऊर्जा घटती है अथवा बढ़ती है।
उत्तर-
बढ़ती है।

प्रश्न 7.
किसी गैस के दाब तथा प्रति एकांक आयतन की गतिज ऊर्जा में सम्बन्ध स्थापित कीजिए।
उत्तर-
गैसों के अणुगति सिद्धान्त के अनुसार
UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 13 Kinetic Theory 33

प्रश्न 8.
किस ताप पर किसी गैस के अणुओं की माध्य गतिज ऊर्जा 27°C ताप पर गतिज ऊर्जा की 1/3 होगी?
हल-
चूँकि
UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 13 Kinetic Theory 34

प्रश्न 9.
किसी गैस के परमताप को चार गुना बढ़ा दिया गया। इसके अणुओं के वर्ग-माध्य-मूल वेग में क्या परिवर्तन होगा?
उत्तर-
∴ νrms ∝ √t; यदि परमताप को 4 गुना बढ़ा देने से वर्ग-माध्य-मूल वेग √4 गुना अर्थात् 2 गुना बढ़ जायेगा।

प्रश्न 10.
किसी गैस में ध्वनि की चाल तथा उसकी गैस के अणुओं की वर्ग-माध्य-मूल चाल (νrms) में सम्बन्ध का सूत्र लिखिए।
उत्तर-
UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 13 Kinetic Theory 35

लनु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
अणुगति सिद्धान्त के आधार पर बॉयल तथा चाल्र्स के नियमों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर-
बॉयल के नियम की व्याख्या-अणुगति सिद्धान्त से एक निश्चित द्रव्यमान की गैस द्वारा आरोपित दाब
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प्रश्न 2.
किसी गैस को सम्पीडित करने में किये गये कार्य को समझाइए।
उत्तर-
गैस को सम्पीडित करने में किया गया कार्य-माना एक आदर्श गैस एक पिस्टन लगे सिलिण्डर में भरी है, गैस का दाब P, आयतन V तथा ताप T है, जब गैस को सम्पीडित किया जाता है, तो उसके लिए μ मोलों के लिए आदर्श गैस समीकरण । PV = μT से,[latex s=2]\frac { PV }{ T }[/latex] = μR का मान नियत रहता है। गैस को सम्पीडित करने में गैस पर कुछ कार्य करना पड़ता है। यदि P दाब पर गैस का आयतन dV कम हो जाये, तो गैस पर कृत कार्य,
UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 13 Kinetic Theory 37
dw = PdV
गैस का आयतन V1 से V2 तक सम्पीडित करने में गैस पर किया गया कार्य
UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 13 Kinetic Theory 38
कृत कार्य का मान गैस को सम्पीडित करने के प्रक्रम पर भी निर्भर करता है। उदाहरण के लिए, समदाबी, समतापी व रुद्धोष्म प्रक्रमों में कृत कार्य भिन्न-भिन्न होते हैं। यदि गैस वास्तविक है, तो गैस को सम्पीडित करने में अन्तरआण्विक बलों के विरुद्ध भी कार्य करना पड़ता है।

प्रश्न 3.
अन्तरिक्ष के किसी क्षेत्र में प्रति घन सेमी में औसतन केवल 5 अणु हैं तथा वहाँ ताप 3 है। उस क्षेत्र में गैस का दाब क्या है? बोल्ट्ज मैन नियतांक R= 1.38 x 10-23 जूल/K
हल-
यदि गैस के किसी द्रव्यमान में n अणु हों तब गैस के इस द्रव्यमान के लिए निम्नलिखित समीकरण होगी
UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 13 Kinetic Theory 39

प्रश्न 4.
एक बर्तन में भरी गैस का ताप 400 Kहै और दाब 2.78 x 10-3 न्यूटन/भी2 है। बर्तन के 1 सेमी3 आयतन में अणुओं की संख्या ज्ञात कीजिए। बोल्ट्जमैन नियतांक K = 1.38 x 10-23 जूल/केल्विन।
हल-
आदर्श गैस समीकरण PV = nKBT से,
UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 13 Kinetic Theory 40

प्रश्न 5.
वायु से भरे हुए एक कमरे का आयतन 41.4 मी3 है। वायु का ताप 27°C तथा दाब 1.0 x 105 न्यूटन/मी2 है। वायु के कुल अणुओं की संख्या ज्ञात कीजिए।
हल-
आदर्श गैस समीकरण PV = nKBT से,
UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 13 Kinetic Theory 41

प्रश्न 6.
क्रान्तिक ताप के आधार पर वाष्प तथा गैस में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
वाष्प तथा गैस दोनों ही किसी पदार्थ की गैसीय अवस्था के दो नाम हैं। इनमें अन्तर यह है कि जो पदार्थ साधारण ताप व दाब पर द्रव या ठोस अवस्था में होते हैं उनके गैसीय अवस्था में आ जाने पर उनको वाष्प कहते हैं; जैसे—कपूर की वाष्प, जलवाष्प आदि। परन्तु जो पदार्थ साधारण ताप व दाब पर ही गैसीयं अवस्था में होते हैं, वे गैस कहलाते हैं। उदाहरणार्थ-वायु, ऑक्सीजन आदि। गैस को दाब डालकर द्रवित करने के लिए पहले उसे क्रान्तिक ताप तक ठण्डा करना पड़ता है, परन्तु वाष्प को केवल दाब डालकर ही द्रवित किया जा सकता है। अतः क्रान्तिक ताप से ऊपर पदार्थ गैस तथा नीचे वाष्प की भाँति व्यवहार करता है।

प्रश्न 7.
दिखाइए कि गैस के अणुओं का वर्ग-माध्य-मूल वेग गैस के परमताप के वर्गमूल के अनुक्रमानुपाती होता है।
हल-
गैस के अणुओं के वेगों के वर्गों का माध्य का वर्गमूल, गैस के अणुओं का वर्ग-माध्य-मूल वेग कहलाता है। उसे νrms से प्रदर्शित करते हैं।
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अत: किसी गैस के अणुओं का वर्ग-माध्य-मूल वेग गैस के परमताप के वर्गमूल के अनुक्रमानुपाती होता है।

प्रश्न 8.
27°C पर ऑक्सीजन (आणविक भार = 32) के लिए अणुओं का वर्ग-माध्य-मूल वेग तथा 4 ग्राम गैस की गतिज ऊर्जा भी ज्ञात कीजिए। (गैस नियतांक R = 8.31 जूल/मोल-K)
हल-
T = 27°C = 27 + 273 = 300 K, M = 32
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प्रश्न 9.
किसी गैस का प्रारम्भिक ताप – 73°c है। इसे किस ताप तक गर्म करना चाहिए जिससे
(i) गैस के अणुओं का वर्ग-माध्य-मूल वेग दोगुना हो जाये?
(ii) अणुओं की औसत गतिज ऊर्जा दोगुनी हो जाए?
हल-
प्रारम्भिक परमताप T1 = (-73 + 273) K = 200 K; माना इसको t2°C तक गर्म किया जाना चाहिए जिसका संगत परमताप T2K.
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प्रश्न 10.
यदि किसी गैस का ताप 127°C से बढ़ाकर 527°C कर दिया जाये तो उसके अणुओं का वर्ग-माध्य-मूल वेग कितना हो जायेगा?
हल-
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प्रश्न 11.
किस ताप पर ऑक्सीजन के अणुओं का औसत वेग पृथ्वी से पलायन कर जाने के लिए पर्याप्त होगा? पृथ्वी का पलायन वेग = 11.2 किमी/से, ऑक्सीजन के एक अणु का द्रव्यमान = 5.34 x 10-26 किग्रा, बोल्ट्जमैन नियतांक K = 1.38 x 10-23 जूल/K
हल-
माना ऑक्सीजन के एक अणु का द्रव्यमान m है। अणु की पलायन ऊर्जा [latex s=2]\frac { 1 }{ 2 } m{ { v }_{ e } }^{ 2 }[/latex] होगी, जहाँ vपृथ्वी से पलायन करने का वेग है।
अणुगति सिद्धान्त के अनुसार, TK ताप पर एक अणु की माध्य गतिज ऊर्जा [latex s=2]E=\frac { 3 }{ 2 } K{ _{ B } }T[/latex] होती है, जहाँ KB बोल्ट्जमैन नियतांक है।

प्रश्न 12.
4.0 ग्राम ऑक्सीजन गैस की 27°C ताप पर कुल आन्तरिक ऊर्जा की गणना कीजिए। (ऑक्सीजन गैस की स्वातन्त्रय कोटियों की संख्या 5 तथा गैस नियतांक R = 2.0 कैलोरी/मोल-केल्विन है)
हल-
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विस्तृत उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
आदर्श गैस समीकरण PV = RT स्थापित कीजिए तथा R का विमीय सूत्र एवं मात्रक ज्ञात कीजिए।
आदर्श गैस के अवस्था समीकरण की सहायता से गैस नियतांक (R) का विमीय-सूत्र ज्ञात कीजिए।
उत्तर-
आदर्श गैस समीकरण—किसी आदर्श गैस के निश्चित द्रव्यमान के आयतने, ताप व दाब में सम्बन्ध बतलाने वाले समीकरण को आदर्श गैस समीकरण अथवा आदर्श गैस का अवस्था समीकरण (equation of state) कहते हैं।
माना आदर्श गैस की प्रारम्भिक अवस्था में इसके निश्चित द्रव्यमान के दाब, आयतन व ताप क्रमशः P1 V1 तथा T1 हैं। किसी अन्य अवस्था में इनके मान बदलकर माना P2, V2 तथा T2 हो जाते हैं। गैस की अवस्था में होने वाले इस परिवर्तन को निम्न दो पदों में पूर्ण हुआ माना जा सकता है|
(i) ताप नियत रखते हुए यदि ताप T1 स्थिर रखते हुए दाब P1 से बदलकर P2 कर दिया जाए। तथा आयतन V1 से बदलकर V’ हो जाए तो बॉयल के नियम से
P1V1 = P2V’
अथवा V’= P1V1/P2 …(1)
(ii) दाब नियत रखते हुए-यदि दाब P2 नियत रखते हुए परमताप T1 से बदलकर T2 कर दिया जाये तो आयतन V’ से बदलकर V2 हो जायेगा। अत: चार्ल्स के नियम के अनुसार,
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यही गैस समीकरण है। नियतांक । को विशिष्ट गैस नियतांक (specific gas constant) कहते हैं। इसका मान गैस की प्रकृति तथा द्रव्यमान पर निर्भर करता है, अर्थात् भिन्न-भिन्न गैसों के एक ही द्रव्यमान के लिए अथवा एक ही गैस के भिन्न-भिन्न द्रव्यमानों के लिए इसका मान भिन्न-भिन्न होता है। यदि हम एक ग्राम-अणु अर्थात् 1मोल गैस लें तो गैस-नियतांकr का मान सभी गैसों के लिए बराबर होगा। तब इसको सार्वत्रिक-गैस-नियतांक (universal gas constant) कहते हैं तथा । इसे R से व्यक्त करते हैं।
अतः 1 मोल अर्थात् 1 ग्राम-अणु गैस के लिए समीकरण (3) को नया रूप निम्नलिखित होगा
PV = RT …(4)
समीकरण (4) गैस-नियमों के आधार पर प्राप्त की गयी है। चूंकि गैस के नियम एक आदर्श गैस के लिए पूर्णत: सत्य हैं; अतः समीकरण PV = RT भी एक आदर्श गैस के 1 ग्राम मोल के लिए पूर्णतः सत्य होगी। अतः इसको आदर्श गैस समीकरण कहते हैं। R का विमीय सूत्र तथा मात्रक,
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प्रश्न 2.
गैस के अणुगति सिद्धान्त की परिकल्पनाओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर-
गैस के अणुगति सिद्धान्त की परिकल्पनाएँ-गैसों का अणुगति सिद्धान्त निम्नलिखित परिकल्पनाओं पर आधारित है–
1. प्रत्येक गैस छोटे-छोटे कणों से मिलकर बनी होती है जिन्हें अणु कहते हैं।
2. किसी गैस के अणु दृढ़, पूर्णतः प्रत्यास्थ (perfectly elastic), गोलाकार व सभी प्रकार से एकसमान होते हैं।
3. अणुओं का आकार अत्तराणुक अन्तराल की तुलना में नगण्य होता है। अतः अणुओं का अपना आयतन गैस के आयतचे की तुलना में नगण्य होता है।
4. साधारणत: अणुओं के बीच किसी प्रकार का बल नहीं लगता; अत: ये नियत चाल से ऋजु-रेखीय पथों पर गति करते हैं। परन्तु जब दो अणु एक-दूसरे के अत्यन्त निकट आ जाते हैं तो उनके बीच प्रतिकर्षण बल कार्य करने लगता है जिससे उनकी चाल तथा गति की दिशा बदल जाती है। फलस्वरूप, अणु नये सरल रेखीय पथ पर गति प्रारम्भ करते हैं। इस घटना को दो अणुओं के बीच ‘टक्कर’ (collision) कहते हैं। अत: दो क्रमागत टक्करों के बीच गैस के अणु सरल रेखा में गति करते हैं। दो क्रमागत टक्करों के बीच गैस के अणु द्वारा तय की गयी औसत दूरी को ‘औसत मुक्त पथ’ (mean free path) कहते हैं। इस प्रकार अणु सभी सम्भव वेग से सभी सम्भव दिशाओं में अनियमित गति करते हैं।
5. ये अणु बर्तन की दीवारों से टकराते हैं किन्तु इन टक्करों से गैस का आयतन नहीं बदलता अर्थात् गैस के प्रति एकांक आयतन में अणुओं की संख्या स्थिर रहती है।
6. दो अणुओं की टक्कर पूर्णतः प्रत्यास्थ होती है। टक्कर के समय उनके मध्य आकर्षण या प्रतिकर्षण बल नहीं लगता जिससे टक्कर में गतिज ऊर्जा संरक्षित रहती है।
7. दो अणुओं की टक्कर क्षणिक होती है अर्थात् टक्कर का समय उनके द्वारा स्वतन्त्रतापूर्वक चलने | में लिए गये समय की तुलना में नगण्य होता है।
8. अणुओं की गति पर गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव को नगण्य माना जा सकता है। अतः गुरुत्वाकर्षण बल के कारण भी अणुओं के वितरण पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता।

प्रश्न 3.
आदर्श गैस समीकरण लिखिए। वास्तविक गैसों के लिए वाण्डर वाल्स के संशोधनों को समझाइए तथा इससे संशोधित गैस समीकरण प्राप्त कीजिए।
उत्तर-
आदर्श गैस समीकरण-1 मोल गैस के लिए आदर्श गैस समीकरण है PV = RT, जहाँ P = दाब,V = आयतन, R = गैस नियतांक तथा T = परमताप है।
वाण्डर वाल्स गैस समीकरण-बॉयल के नियमानुसार, स्थिर ताप पर गैस के एक निश्चित द्रव्यमान के लिए दाब (P) व्र आयतन (V) का गुणनफल PV एक नियतांक होता है। प्रयोगों द्वारा देखा गया है। कि कोई भी वास्तविक गैस इस नियम का पूर्णतः पालन नहीं करती। उच्च दाबों तथा निम्न तापों पर गैस बॉयल के नियम से बहुत अधिक विचलित हो जाती है। अतः वाण्डर वाल्स ने वास्तविक गैसों के इस व्यवहार की व्याख्या करने के लिए आदर्श मॉडल में निम्न लिखित दो संशोधन किये
1. अणुओं का अशून्य आकार (Finite size of molecules)–आदर्श गैस समीकरण PV = RT को प्राप्त करने में यह माना गया था कि गैस के अणुओं का आयतन, गैस के आयतन V की तुलना में नगण्य है तथा गैस का सम्पूर्ण आयतन अणुओं की गति के लिए उपलब्ध है। परन्तु सभी अणुओं का आयतन कुछ स्थान घेरता है जिससे आदर्श गैस के आयतन का प्रभावी आयतन (V – b) होगा, जहाँ । एक नियतांक है। अत: हम आदर्श गैस समीकरण PV = RT में v के स्थान पर (V – b) रखेंगे।
2. अन्तरा-अणुक बल (Inter-molecular force)–आदर्श गैस मॉडल में यह भी माना गया था कि गैस के अणुओं के मध्ये कोई बल आरोपित नहीं होता। यह मान्यता वास्तविक गैसों पर लागू नहीं होती है। गैस का प्रत्येक अणु दूसरे अणु पर बल लगाता है जिसे अन्तर आणविक बल कहते हैं। साधारण दाबों पर गैस के अणु बहुत दूर-दूर होते हैं; अत: उनके बीच अन्तर आणविक बल लगभग शून्य होता है। दाब बढ़ने के साथ-साथ अणु भी पास-पास आ जाते हैं और वे एक-दूसरे को आकर्षित करने लगते हैं। बर्तन के मध्य स्थित अणु (जैसे P) पर चारों ओर से आकर्षण बल कार्य करते हैं; अत: उस पर कोई प्रभावी बल नहीं लगता। जो अणु दीवार के पास होता है उस पर एक बल अन्दर की ओर लगता है, जिससे दीवार के टकराते समय उसके संवेग में कुछ कमी आ जाती है। अतः अणु द्वारा दीवार पर आरोपित बल आदर्श गैस मॉडल में प्राप्त बल से कम होता है। इसके फलस्वरूप दीवार पर वास्तविक गैस का दाब, आदर्श गैस के दाब से कम होता है। यदि यह कमी β है तो आदर्श गैस समीकरण में P के स्थान पर (P + β) रखेंगे। β का मान दीवार के समीप अंणु को आकर्षित करने वाले अणुओं की प्रति एकांक आयतन में संख्या पर तथा दीवार के प्रति एकांक क्षेत्रफल पर प्रति सेकण्ड टकराने वाले अणुओं की संख्या पर निर्भर करता है। ये दोनों ही गैस के घनत्व के अनुक्रमानुपाती होते हैं।
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प्रश्न 4.
गैसों के अणु गतिज सिद्धान्त के आधार पर किसी आदर्श गैस के दाब का सूत्र लिखिए और इसके आधार पर बॉयल के नियम की व्याख्या कीजिए।
उत्तर-
गैसों के गतिज सिद्धान्त के आधार पर किसी आदर्श गैस का दाब सूत्र निम्नवत् है
[latex s=2]P=\frac { 1 }{ 3 } e{ v }^{ 2 }[/latex]
बॉयल का नियम इस नियम के अनुसार, नियत ताप पर किसी गैस के एक निश्चित द्रव्यमान का आयतन V उसके दाब P के व्युत्क्रमानुपाती होता है।
[latex s=2]V=\propto \frac { 1 }{ P } [/latex]
PV = नियतांक …(1)
इस प्रकार, यदि हम किसी गैस के ताप को नियत रखते हुए उसके दाब को दोगुना कर दें तो उसका आयतन आधा रह जायेगा अथवा दाब को आधा कर देने पर आयतन दोगुना हो जायेगा।
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व्यापक रूप में, नियत ताप पर किसी दिये गये द्रव्यमान की गैस के प्रारम्भिक दाब व आयतन P1 व V1 हों तथा अन्तिम दाब व आयतन P2 व V2 हों, तो बॉयल के नियम से, P1V1 = P2V2, चित्र 13.7 में किसी गैस के लिए विभिन्न नियत तापों T1, T2, व T3 (T1 > T2 > T3) पर P तथा v के बीच प्रायोगिक वक्र तथा सैद्धान्तिक वक्र तुलना के लिए साथ-साथ दर्शाये गये हैं। बिन्दुकित वक्र समीकरण (1) के आधार पर खींचे गये हैं जो सैद्धान्तिक वक्र दर्शाते हैं, जबकि चिकने (smooth line) वक्र प्रायोगिक रूप से P तथा V के प्राप्त मानों के आधार पर खींचे गये हैं। इनसे यह स्पष्ट है कि निम्न दाब तथा उच्च ताप पर सैद्धान्तिक तथा प्रायोगिक वक्रों में संगति स्पष्ट दृष्टिगोचर होती है, परन्तु उच्च दाबों तथा निम्न तापों पर उनमें बहुत अधिक विचलन पाया जाता है। इसका कारण यह है कि निम्न दाबों तथा उच्च तापों पर गैस के अणु दूर-दूर होते हैं और उनके बीच अन्तरआणविक बल उपेक्षणीय होते हैं। अन्तरआणविक बलों की अनुपस्थिति में गैस आदर्श गैस की तरह व्यवहार करती है। इस प्रकार, दाब व ताप की सभी अवस्थाओं में गैसें बॉयल के नियम का पूर्ण रूप से पालन नहीं करती , हैं, केवल निम्न दाब तथा उच्च ताप पर ही वे ऐसा करती हैं।

प्रश्न 5.
गैसों के अणुगति सिद्धान्त के आधार पर किसी आदर्श गैस के दाब का व्यंजक लिखिए तथा इसकी सहायता से अणुओं की गतिज ऊर्जा तथा गैस के ताप में सम्बन्ध स्थापित कीजिए।
उत्तर-
दाब
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आणविक गतिज ऊर्जा एवं ताप में सम्बन्ध–माना किसी गैस के 1 ग्राम-अणु (1 मोल) का द्रव्यमान अर्थात् अणुभार M तथा इसके अणुओं का वेग-वर्ग-माध्य [latex s=2]{ \overline { v } }^{ 2 }[/latex] है तो 1 ग्राम-अणु गैस की गतिज ऊर्जा
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अर्थात् औसत गतिज ऊर्जा प्रारम्भिक औसत गतिज ऊर्जा की दोगुनी हो जायेगी।

प्रश्न 6.
माध्य-मुक्त पथ के लिए व्यंजक का निगमन कीजिए।
उत्तर-
माध्य-मुक्त पथ के लिए व्यंजक-माना कि किसी बर्तन में एक अणु के अतिरिक्त अन्य सभी अणु स्थिर हैं। माना कि प्रत्येक अणु d व्यास का गोला है। गतिशील अणु उन सभी अणुओं से टकरायेगा जिनके केन्द्र इसके केन्द्र से d दूरी पर स्थित होंगे [चित्र-13.8 (a)]।
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माना कि एक बर्तन में गैस भरी है तथा उसके प्रति एकांक आयतन में n अणु हैं। प्रत्येक अणु का व्यास d है। माना इस गैस का केवल एक अणु ७ वेग से गतिमान है तथा शेष सभी अणु स्थिर हैं। गतिमान अणु उन सभी अणुओं से टकरायेगा जिनके केन्द्र इसके केन्द्र से d दूरी पर हैं [चित्र 13.8 (b)]। ∆t समय में इस अणु द्वारा चली दूरी = v ∆t. अतः ∆t समय में यह अणु उन सभी अणुओं से टकराएगा जो d त्रिज्या तथा ) v ∆t लम्बाई के सिलिण्डर में हैं।
सिलिण्डर का आयतन = πd²v∆t
सिलिण्डर में अणुओं की संख्या = (πd²v∆t) x n
यह गतिशील अणु द्वारा ∆t समय में अन्य अणुओं से टक्करों की संख्या है। गतिशील अणु ∆t समय में v∆t दूरी तय करता है। अतः अणु का ।
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UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 11 Thermal Properties of matter

UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 11 Thermal Properties of matter ( द्रव्य के तापीय गुण) are part of UP Board Solutions for Class 11 Physics . Here we have given UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 11 Thermal Properties of matter ( द्रव्य के तापीय गुण)

Board UP Board
Textbook NCERT
Class Class 11
Subject Physics
Chapter Chapter 11
Chapter Name Thermal Properties of matter
Number of Questions Solved 86

UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 11 Thermal Properties of matter ( द्रव्य के तापीय गुण)

अभ्यास के अन्तर्गत दिए गए प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
निऑन तथा Co2 के त्रिक बिन्दु क्रमशः 24.57 K तथा 216.55 K हैं। इन तापों को सेल्सियस तथा फारेनहाइट मापक्रमों में व्यक्त कीजिए।
हल-
यहाँ TNe = 24.57 K तथा TCO2 = 216.55 K
परन्तु (t + 273.15) = T ⇒t = (T – 273.15)°C
∴ tNe = TNe – 273.15 = (24.57 – 279.15)°C = -248.58°C
tCo2 = TCo2 -273.15 = (216.55 – 273.15) = -56.6°C
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प्रश्न 2.
दो परम ताप मापक्रमों A तथा B पर जल के त्रिक बिन्दु को 200A तथा 350B द्वारा परिभाषित किया गया है। TA तथा TB में क्या सम्बन्ध है?
हल-
दिया है कि दोनों परम ताप मापक्रम हैं अर्थात् दोनों का (UPBoardSolutions.com) शून्य, परम शून्य ताप से सम्पाती है। प्रश्नानुसार प्रथम पैमाने पर परम शून्य से जल के त्रिक बिन्दु (ताप 273.15K) तक के ताप को 200 भागों में तथा दूसरे पैमाने पर 350 भागों में विभाजित किया गया है।
अतः 200A – 0A = 350B – 0B = 273.16 K – 0k
या 200A = 350B = 273.16 K
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प्रश्न 3.
किसी तापमापी का ओम में विद्युत प्रतिरोध ताप के साथ निम्नलिखित सन्निकट नियम के अनुसार परिवर्तित होता है R = R0 [1+ α (T -T0)] यदि तापमापी का जल के त्रिक बिन्दु 273,16K पर प्रतिरोध 1016.Ω तथा लैड के सामान्य संगलन बिन्दु (600.5K) पर प्रतिरोध 165.5Ω है तो वह ताप ज्ञात कीजिए जिस पर तापमापी का प्रतिरोध 123.4Ω है।
हल-
यहाँ T1 = 273.16 K पर R1 = 101.6 Ω
T2 = 600.5 K पर R2 = 165.5 Ω
माना T3 =? पर R3 = 123.4 Ω
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प्रश्न 4.
निम्नलिखित के उत्तर दीजिए :
(a) आधुनिक तापमिति में जल का त्रिक बिन्दु एक मानक नियत बिन्दु है, क्यों? हिम के गलनांक तथा जल के क्वथनांक को मानक नियत-बिन्दु मानने में (जैसा कि मूल सेल्सियस मापक्रम में किया गया था।) क्या दोष है?
(b) जैसा कि ऊपर वर्णन किया जा चुका है कि मूल सेल्सियस मापक्रम में दो नियत बिन्द थे। जिनको क्रमशः 0°C तथा 100°C संख्याएँ निर्धारित की गई थीं। परम ताप मापक्रम पर दो में से एक नियत बिन्दु जल का त्रिक बिन्दु लिया गया है जिसे केल्विन परम ताप मापक्रम पर संख्या 273.16 K निर्धारित की गई है। इस मापक्रम (केल्विन परम ताप)
पर अन्य नियत बिन्दु क्या है?
(c) परम ताप (केल्विन मापक्रम) T तथा सेल्सियस मापक्रम पर ताप t¢ में सम्बन्ध इस प्रकार है:
tc =T -273.15
इस सम्बन्ध में हमने 273.15 लिखा है 273.16 क्यों नहीं लिखा?
(d) उस.परमताप मापक्रम पर, जिसके एकांक अन्तराल का आमाप फारेनहाइट के एकांक अन्तराल की आमाप के बराबर है, जल के त्रिक बिन्दु का ताप क्या होगा?
उत्तर-
(a) क्योकि जल का त्रिक बिन्दु एक अद्वितीय बिन्दु है, जिसके संगत ताप 273.16 K अद्वितीय है, जबकि हिम का गलनांक तथा जल का क्वथनांक नियत नहीं है ये दाब परिवर्तित करने पर बदल जाते हैं।
(b) केल्विन मापक्रम पर अन्य नियत बिन्दु, परम शून्य ताप है जिस पर सभी गैसों का दाब शून्य हो जाता है।
(c) सेल्सियस पैमाने पर 0°C, सामान्य दाब पर बर्फ का गलनांक है जिसके संगत केल्विन (UPBoardSolutions.com) ताप 273.15 K है न कि 273.15 K। इस प्रकार प्रत्येक परम ताप, संगत सेल्सियस ताप से 273.15 K ऊँचा है इसीलिए उक्त सम्बन्ध में 273.15 का प्रयोग किया गया है।
(d) हम जानते हैं कि 32°F = 273.15 K तथा 212°F = 273.15 K
∴ 212°F – 32°F = (373.15 – 273.15) K या 180°F = 100 K
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प्रश्न 5.
दो आदर्श गैस तापमापियों A तथा B में क्रमशः ऑक्सीजन तथा हाइड्रोजन प्रयोग की गई है। इनके प्रेक्षण निम्नलिखित हैं:
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(a) तापमापियों A तथा B के द्वारा लिए गए पाठ्यांकों के अनुसार सल्फर के सामान्य गलनांक के परमताप क्या हैं?
(b) आपके विचार से तापमापियों A तथा B के उत्तरों में थोड़ा अन्तर होने का क्या कारण है? (दोनों तापमापियों में कोई दोष नहीं है)। दो पाठ्यांकों के बीच की विसंगति को कम करने के लिए इस प्रयोग में और क्या प्रावधान आवश्यक हैं?
हल-
(a) तापमापी A के लिए।
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(b) दोनों तापमापियों के पाठ्यांकों में अन्तर इसलिए है क्योंकि प्रयोग की गई गैसें आदर्श नहीं हैं। विसंगति को दूर करने के लिए पाठ्यांक कम दाब पर लेने चाहिए जिससे कि गैसें आदर्श गैस की भाँति व्यवहार करें।

प्रश्न 6.
किसी 1 m लम्बे स्टील के फीते का यथार्थ अंशांकन 27.0°C पर किया गया है। किसी तप्त दिन जब ताप 45°C था तब इस फीते से किसी स्टील की छड़ की लम्बाई 63.0 cm मापी गई। उस दिन स्टील की छड़ की वास्तविक लम्बाई क्या थी? जिस दिन ताप 27.0°C होगा उस दिन इसी छड़ की लम्बाई क्या होगी? स्टील का रेखीय प्रसार गुणांक = 1.20 x 10-5 K-1.
हल-
जब ताप 27°C से बढ़कर 45°C हो जाती है तो ताप में वृद्धि ΔT = (45-27)°C ≡ 18K; माना 27°C पर अंशांकित स्टील के फीते पर इस ताप वृद्धि के कारण इसकी l1 = 1 सेमी लम्बाई बढ़कर l2, हो जाती है तो
UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 11 Thermal Properties of matter 8
अतः यदि स्टील का फीता 45°C पर 1 सेमी मापता है तो छड़ की वास्तविक लम्बाई 1.000216 सेमी होगी। परन्तु यहाँ 45°C परं यह 63 सेमी मापता है। अत: स्टील छड़ की वास्तविक लम्बाई
= 63 x 1.000216 सेमी = 63.0136 सेमी
जिस दिन ताप 27°C होगा उस दिन स्टील फीते पर 1 सेमी चिह्न की वास्तविक लम्बाई 1 सेमी ही होगी चूंकि यह फीता इसी ताप पर अंशांकित किया गया है। अत: 27°C पर छड़ की वास्तविक लम्बाई = 63.0 x 1 सेमी = 63.0 सेमी ही होगी।’

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प्रश्न 7.
किसी बड़े स्टील के पहिए को उसी पदार्थ की किसी धुरी पर ठीक बैठाना है। 27°C पर धुरी का बाहरी व्यास 8.70 cm तथा पहिए के केन्द्रीय छिद्र का व्यास 8.69 cm है। सूखी बर्फ (ठोस Co2) द्वारा धुरी को ठण्डा किया गया है। धुरी के किस ताप पर पहिया धुरी पर चढ़ेगा? यह मानिए कि आवश्यक ताप परिसर में स्टील का रैखिक प्रसार गुणांक नियत रहता है। αस्टील = 1.20 x 10-5 K-1.
हल-
T1 = 27°C = (27 + 273) K = 300K पर धुरी का व्यास D1 = 8.70 सेमी।
माना धुरी को T2K तक ठण्डा किया गया है ताकि इसका व्यास सिकुड़कर पहिए के केन्द्रीय छिद्र के व्यास D2 = 8.69 सेमी के बराबर हो जाये जिससे कि पहिया धुरी पर चढ़ सके।
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प्रश्न 8.
ताँबे की चादर में एक छिद्र किया गया है। 27.0°C पर छिद्र का व्यास 4.24 cm है। इस धातु की चादर को 227°C तक तप्त करने पर छिद्र के व्यास में क्या परिवर्तन होगा? ताँबे का रेखीय प्रसार गुणांक = 1.70 x 10-5K-1.
हल-
UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 11 Thermal Properties of matter 10

प्रश्न 9.
27°C पर 1.8 cm लम्बे किसी ताँबे के तार को दो दृढ़ टेकों के बीच अल्प तनाव रखकर थोड़ा कसा गया है। यदि तार को -39°C ताप तक शीतित करें तो तार में कितना तनाव उत्पन्न हो जाएगा? तार का व्यास 2.0 mm है। पीतल को रेखीय प्रसार गुणांक = 2.0 x 10-5 k-1, पीतल का यंग प्रत्यास्थता गुणांक = 0.91 x 1011Pa,
हल-
दिया है : T1 = 27°C, T2 = -39°C,
ताप परिवर्तन ∆T = [27 -(-39)] = 66°C या 66 K, तार (UPBoardSolutions.com) की लम्बाई L = 1.8 cm
तार का व्यास 2r = 2.0 mm
∴त्रिज्या r = 1.0 x 10-3m
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प्रश्न 10.
50 cm लम्बी तथा 3.0 mm व्यास की किसी पीतल की छड़ को उसी लम्बाई तथा व्यास की किसी स्टील की छड़ से जोड़ा गया है। यदि ये मूल लम्बाइयाँ 40°C पर हैं तो 250°C पर संयुक्त छड़ की लम्बाई में क्या परिवर्तन होगा? क्या सन्धि पर कोई तापीय प्रतिबल उत्पन्न होगा? छड़ के सिरों को प्रसार के लिए मुक्त रखा गया है। (पीतल तथा स्टील के रेखीय प्रसार गुणांक क्रमशः 2.0 x 10-5 k-1 तथा 1.2 x 10-5 x k-1 हैं।)
हल-
प्रत्येक छड़ का ताप T1 = 40°C पर लम्बाई L1 = 50 सेमी
संयुक्त छड़ का अन्तिम ताप T2 = 250°C
अतः प्रत्येक छड़ के ताप में वृद्धि
∆T = T2 – T1 = (250 -40)°C = 210°C = 210K
(∵ सेल्सियस तथा केल्विन पैमाने पर 1 डिग्री को आकार बराबर होता है)
∵ पीतल की छड़ की लम्बाई में वृद्धि
(∆L)पीतल =L1 • α.पीतल x ∆T
= 50 सेमी x2.0 x 10-5 K-1 x 210K
= 0.21
सेमी स्टील की छड़ की लम्बाई में वृद्धि (∆L)स्टील = L1 x 0.स्टील x ∆T
= 50 सेमी x 1.2 x 10-5 K-1 x 210K
= 0.126 सेमी ≈ 0.13 सेमी
∴ संयुक्त छड़ की लम्बाई में वृद्धि
= (∆L)पीतल + (∆L)स्टील ।
= 0.21 सेमी + 0.13 सेमी
= 0.34 सेमी
चूँकि छड़ों के सिरों को प्रसार के लिए मुक्त रखा गया है, अत: संधि पर कोई तापीय प्रतिबल उत्पन्न नहीं होगा।

प्रश्न 11.
ग्लिसरीन का आयतन प्रसार गुणांक 49 x 10-5 K-1 है। ताप में 30°C की वृद्धि होने पर इसके घनत्व में क्या आंशिक परिवर्तन होगा?
हल-
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प्रश्न 12.
8.0 kg द्रव्यमान के किसी ऐलुमिनियम के छोटे ब्लॉक में छिद्र करने के लिए किसी 10 kw की बरमी का उपयोग किया गया है। 2.5 मिनट में ब्लॉक के ताप में कितनी वृद्धि हो जाएगी? यह मानिए कि 50% शक्ति तो स्वयं बरमी को गर्म करने में खर्च हो जाती है अथवा परिवेश में लुप्त हो जाती है। ऐलुमिनियम की विशिष्ट ऊष्मा धारिता = 0.91 J g-1K-1 है।
हल-
बरमी की शक्ति P = 10 किलोवाट = 104 वाट = 104 जूल/सेकण्ड
समय t = 2.5 मिनट = 2.5 x 60 सेकण्ड = 150 सेकण्ड
∴ बरमी द्वारा प्रयुक्त ऊर्जा w = P x T = (104 जूल/सेकण्ड) x 150 सेकण्ड
= 1.5 x 106 जूल।
m = 8.0 किग्रा के ऐल्युमीनियम के छोटे ब्लॉक द्वारा बरमी की प्रयुक्त ऊर्जा से ली गयी ऊर्जा
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प्रश्न 13.
2.5 kg द्रव्यमान के ताँबे के गुटके को किसी भट्टी में 500°C तक तप्त करने के पश्चात् किसी बड़े हिम-ब्लॉक पर रख दिया जाता है। गलित हो सकने वाली हिम की अधिकतम मात्रा क्या है? ताँबे की विशिष्ट ऊष्मा धारिता = 0.39 J g-1 K-1; बर्फ की संगलन ऊष्मा= 335 Jg-1.
हल-
यहाँ गुटके का द्रव्यमान m = 2.5
किग्रा गुटके की विशिष्ट ऊष्माधारिता s = 0.39 जूल-ग्राम-1-K-1
= 0.39 x 103 जूल-किग्रा-1°C-1
गुटके का प्रारम्भिक ताप T1 = 500°C,
अन्तिम ताप T2 = बर्फ का ताप = 0°C
∴ गुटके के ताप में कमी ∆T = (T1 – T2) = 500°C
माना गलित होने वाले बड़े हिम ब्लॉक की मात्रा = mबर्फ
बर्फ के संगलन की ऊष्मा L = 335 जूल-ग्राम-1 = 335 x 103 जूल-किग्रा-1
ऊष्मामिति के सिद्धान्त से,
गुटके द्वारा दी गयी ऊष्मा = बर्फ द्वारा गलने में ली गयी ऊष्मा
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प्रश्न 14.
किसी धातु की विशिष्ट ऊष्मा धारिता के प्रयोग में 0.20 kg के धातु के गुटके को 150°C पर तप्त करके, किसी ताँबे के ऊष्मामापी (जल तुल्यांक = 0.025 kg) जिसमें 27°C का 150 cm3 जल भरा है, में गिराया जाता है। अन्तिम ताप 40°c है। धातु की विशिष्ट ऊष्मा धारिता परिकलित कीजिए। यदि परिवेश में क्षय ऊष्मा उपेक्षणीय न मानकर परिकलन किया जाता है, तब क्या आपका उत्तर धातु की विशिष्ट ऊष्मा धारिता के वास्तविक मान से अधिक मान दर्शाएगा अथवा कम?
हल-
धातु के गुटके का द्रव्यमान m = 0.20 किग्री
माना इसकी विशिष्ट ऊष्मा = s
जल तथा ऊष्मामापी की ताप T2 = 27°C
मिश्रण को प्रारम्भिक ताप T1 = 150°C
मिश्रण का अन्तिम ताप T = 40°C
ऊष्मामापी का तुल्यांक W = Ms = 0.025 किग्रा ।
जल का आयतन = 150 सेमी3 = 150 x 10-6 मी3
जल का घनत्व = 103 किग्रा/मी3
∴ जले का द्रव्यमान M = आयतन x घनत्व
= 150 x 10-6 मी3 x 103 किग्रा/मी3 = 0.150 किग्रा
धातु के गुटके द्वारा दी गयी ऊष्मा = m x s x (T1 – T)
= 0.20 x s x (150-40) = 0.20 x 110 x s
(ऊष्मामापी + जल) द्वारा ली गयी ऊष्मा =(mजल x Sजल + W)x (T – T2)
=(0.150 x 1+ 0.025) x (40-27)
=(0.175 x 13) किलो कैलोरी
कैलोरीमिति के सिद्धान्त से,
दी गयी ऊष्मा = ली गयी ऊष्मा
∴ 0.20 x 110 x 5 = 0.175 x 13
[latex s=2]s=\left( \frac { 0.175\times 123 }{ 0.20\times 110 } \right) [/latex] किलो कैलोरी/किग्रा-°C
= 0.103 किलो कैलोरी/किग्रा-K

प्रश्न 15.
कुछ सामान्य गैसों के कक्ष ताप पर मोलर विशिष्ट ऊष्मा धारिताओं के प्रेक्षण नीचे दिए गए हैं।
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इन गैसों की मापी गई मोलर विशिष्ट ऊष्मा धारिताएँ एक परमाणुक गैसों की मोलर विशिष्ट ऊष्मा धारिताओं से सुस्पष्ट रूप से भिन्न हैं। प्रतीकात्मक रूप में किसी एक परमाणुक गैस की मोलर विशिष्ट ऊष्मा धारिता 2.92 cal/mol K होती है। इस अन्तर का स्पष्टीकरण कीजिए। क्लोरीन के लिए कुछ अधिक मान (शेष की अपेक्षा) होने से आप क्या निष्कर्ष निकालते हैं?
उत्तर-
एक परमाणुक गैसों के अणुओं में केवल स्थानान्तरीय गतिज ऊर्जा होती है जबकि द्विपरमाणुक गैसों के अणुओं में स्थानान्तरीय गतिज ऊर्जा के अतिरिक्त घूर्णी गतिज ऊर्जा भी होती है। ऐसा इसलिए सम्भव है क्योंकि द्विपरमाणुक गैसों के अणु अन्तराणविक अक्ष के लम्बवत् दो अक्षों के परितः घूर्णन भी कर सकते हैं। जब किसी गैस को ऊष्मा दी जाती है तो यह ऊष्मा अणुओं की सभी प्रकार की ऊर्जाओं में समान वृद्धियाँ करती है। अब चूँकि द्विपरमाणुक गैसों के अणुओं की ऊर्जा के प्रकार अधिक होते हैं इसीलिए इनकी मोलर विशिष्ट ऊष्मा धारिताएँ भी अधिक होती हैं। क्लोरीन की मोलर विशिष्ट ऊष्मा धारिता की अधिक होना यह प्रदर्शित करता है कि इसके अणु स्थानान्तरीय तथा घूर्णी गतिज ऊर्जा के अतिरिक्त कम्पनिक गतिज ऊर्जा भी रखते हैं।

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प्रश्न 16.
CO2 के p-T प्रावस्था आरेख पर आधारित निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए
(a) किस ताप व दाब पर co2 की ठोस, द्रव तथा वाष्प प्रावस्थाएँ साम्य में सहवर्ती हो सकती
(b) co2 के गलनांक तथा क्वथनांक पर दाब में कमी का क्या प्रभाव पड़ता है?
(c) co2 के लिए क्रान्तिक ताप तथा दाब क्या हैं? इनको क्या महत्त्व है?
(d) (a) – 70°C ताप व 1 atm दाब, (b) – 60°C ताप व 10 atm दाब, (c) 15°C ताप व 56 atm दाब पर co2 ठोस, द्रव अथवा गैस में किस अवस्था में होती है?
उत्तर-
(a) – 56.6°C ताप तथा 5.11 atm दाब पर (त्रिक बिन्दु के संगत)।
(b) दाब में कमी होने पर दोनों घटते हैं।
(c) बिन्दु ८ के संगत, क्रान्तिक ताप = 31.1°C तथा क्रान्तिक दाब = 73.0 atm इससे उच्च ताप पर CO2 द्रवित नहीं होगी, चाहे उस पर कितना भी अधिक दाब आरोपित किया जाए।
(d) (a) वाष्प अर्थात् गैसीय अवस्था में, (b) ठोस अवस्था में, (c) द्रव अवस्था में।

प्रश्न 17.
CO2 के p-T प्रावस्था आरेख पर आधारित निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए
(a) 1 atm दाब तथा -60°C ताप पर CO2 का समतापी सम्पीडन किया जाता है? क्या यह द्रव प्रावस्था में जाएगी?
(b) क्या होता है जब 4 atm दाब पर CO2 का दाब नियत रखकर कक्ष ताप पर शीतन किया जाता है।
(c) 10 atm दाब तथा -65°C ताप पर किसी दिए गए द्रव्यमान की ठोस CO2 को दाब नियत रखकर कक्ष ताप तक तप्त करते समय होने वाले गुणात्मक परिवर्तनों का वर्णन कीजिए।
(d) CO2 को 70°C तक तप्त तथा समतापी सम्पीडित किया जाता है। आप प्रेक्षण के लिए इसके किन गुणों में अन्तर की अपेक्षा करते हैं?
उत्तर-
(a) समतापी सम्पीडन का अर्थ है कि गैस को -60°C ताप पर दाब अक्ष के समान्तर ऊपर को ले जाया जाता है। इसके लिए हम -60°C ताप पर दाब अक्ष के समान्तर रेखा खींचते हैं। हम देख सकते हैं। कि यह रेखा गैसीय क्षेत्र से सीधे ठोस क्षेत्र (UPBoardSolutions.com) में प्रवेश कर जाती है और द्रव क्षेत्र से नहीं गुजरती। | इसका अर्थ यह है कि गैस बिना द्रवित हुए ठोस में बदल जाएगी।
(b) इस बार हम 4 atm दाब पर ताप अक्ष के समान्तर रेखा खींचते हैं। हम देखते हैं कि यह रेखा वाष्प क्षेत्र से सीधे ठोस क्षेत्र में प्रवेश कर जाती है। इसका अर्थ है गैस, द्रव अवस्था में आए बिना ही ठोस अवस्था में संघनित हो जाएगी।
(c) इस बार हम 10 atm दाब तथा -65°C ताप से प्रारम्भ करके ताप अक्ष के समान्तर रेखा खींचते हैं। यह रेखा ठोस क्षेत्र से द्रव क्षेत्र तथा द्रव क्षेत्र से वाष्प क्षेत्र में प्रवेश करेगी।
इसका अर्थ यह है कि 10 atm दाब तथा -65°C ताप पर गैस ठोस अवस्था में होगी। गर्म किए जाने पर धीरे-धीरे यह द्रव अवस्था में आ जाएगी तथा और गर्म किए जाने पर गैसीय अवस्था में आ जाएगी। द्रव्य के तापीय गुण 309
(d)∵70°C ताप गैस के क्रान्तिक ताप से अधिक है; अत: इसे समतापी सम्पीडन द्वारा द्रवित नहीं किया जा सकता; अत: चिर स्थायी गैसों की भाँति दाब बढ़ाते जाने पर इसका आयतन कम होता जाएगा।

प्रश्न 18.
101°F ताप ज्वर से पीड़ित किसी बच्चे को एन्टीपायरिन (ज्वर कम करने की दवा) दी गई जिसके कारण उसके शरीर से पसीने के वाष्पन की दर में वृद्धि हो गई। यदि 20 मिनट में ज्वर 98°F तक गिर जाता है तो दवा द्वारा होने वाले अतिरिक्त वाष्पन की औसत दर क्या है? यह मानिए कि ऊष्मा ह्रास का एकमात्र उपाय वाष्पन ही है। बच्चे का द्रव्यमान 30 kg है। मानव शरीर की विशिष्ट ऊष्मा धारिता जल की विशिष्ट ऊष्मा धारिता के लगभग बराबर है तथा उस ताप पर जल के वाष्पन की गुप्त ऊष्मा 580 cal g-1 है।
हल-
बच्चे का द्रव्यमान M = 30 किग्रा
उसके ताप में कमी
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प्रश्न 19.
थर्मोकोल का बना ‘हिम बॉक्स विशेषकर गर्मियों में कम मात्रा के पके भोजन के भण्डारण का सस्ता तथा दक्ष साधन है। 30 cm भुजा के किसी हिम बॉक्स की मोटाई 5.0 cm है। यदि इस बॉक्स में 4.0 kg हिम रखा है तो 6h के पश्चात बचे हिम की मात्रा का आकलन कीजिए। बाहरी ताप 45°C है तथा थर्मोकोल की. ऊष्मा चालकता 0.01 Js-1m-1k-1 है। (हिम की संगलन ऊष्मा = 335 x 103Jkg-1)
हल-
हिम बॉक्स की भुजा a = 30 cm = 0.3 m, बॉक्स की मोटाई l = 5.0 cm = 0.05 m
बाहरी ताप T1 = 45°C, अन्दर (बर्फ) का ताप T2 = 0°C
समय t = 6h = 6 x 60 x 60 s , बर्फ का द्रव्यमान = 4.0 kg
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माना ईसे ऊष्मा को प्राप्त करके m द्रव्यमान बर्फ पिघल जाती है। इस प्रक्रिया में बर्फ द्वारा अवशोषित ऊष्मा

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प्रश्न 20.
किसी पीतल के बॉयलर की पेंदी का क्षेत्रफल 0.15 m2 तथा मोटाई 1.0 cm है। किसी गैस स्टोव पर रखने पर इसमें 6.0 kg/min की दर से जल उबलता है। बॉयलर के सम्पर्क की ज्वाला के भाग का ताप आकलित कीजिए। पीतल की ऊष्मा चालकता = 109 Js-1m-1K-1; जल की वाष्पन ऊष्मा = 2256 x 103 Jkg-1है।
हल-
पेंदी का क्षेत्रफल A = 0.15 m2, मोटाई l = 1.0 cm = 0.01 m,
पीतल की ऊष्मा चालकता K = 109 Js-1m-1K-1,
जल की वाष्पन ऊष्मा L = 2256 x 103 J kg-1,
जल उबलने की दर = 6.0 kg/min
मानी ज्वाला का ताप T1 है जबकि बॉयलर का (UPBoardSolutions.com) आन्तरिक ताप T2 = 100°C
t = 1 min या 60 s में बॉयलर के भीतर प्रविष्ट होने वाली ऊष्मा
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प्रश्न 21. स्पष्ट कीजिए कि क्यों
(a) अधिक परावर्तकता वाले पिण्ड अल्प उत्सर्जक होते हैं।
(b) कंपकंपी वाले दिन लकड़ी की ट्रे की अपेक्षा पीतल का गिलास कहीं अधिक शीतल प्रतीत होता है।
(c) कोई प्रकाशिक उत्तापमापी (उच्च तापों को मापने की युक्ति), जिसका अंशांकन किसी आदर्श कृष्णिका के विकिरणों के लिए किया गया है, खुले में रखे किसी लाल तप्त लोहे के टुकड़े का ताप काफी कम मापता है, परन्तु जब उसी लोहे के टुकड़े को भट्टी में रखते हैं। तो वह ताप का सही मान मापता है?
(d) बिना वातावरण के पृथ्वी अशरणीय शीतल हो जाएगी।
(e) भाप के परिचालन पर आधारित तापन निकाय तप्त जल के परिचालन पर आधारित निकायों की अपेक्षा भवनों को उष्ण बनाने में अधिक दक्ष होते हैं।
उत्तर-
(a) हम जानते हैं कि उच्च परावर्तकता वाले पिण्ड अपने ऊपर गिरने वाले अधिकांश विकिरण को परावर्तित कर देते हैं अर्थात् वे अल्प अवशोषक होते हैं, इसीलिए वे अल्प उत्सर्जक भी होते हैं। (b) लकड़ी की ट्रे ऊष्मा की कुचालक होती है जबकि पीतल का गिलास ऊष्मा का सुचालक है। यद्यपि कंपकंपी वाले दिन दोनों ही समान ताप पर होंगे, परन्तु हाथ से छूने पर गिलास हमारे हाथ से तेजी व्य के तापीय गुण 311 से ऊष्मा लेता है जबकि लकड़ी की ट्रे बहुत कम ऊष्मा लेती है। यही कारण है कि पीतल का गिलास लकड़ी की ट्रे की तुलना में अधिक ठण्डा लगता है। | (c) इसका कारण यह है कि खुले में रखे तप्त लोहे का गोला तेजी से ऊष्मा खोता है और ऊष्मा धारिता कम होने के कारण तेजी से ठण्डा होता जाता है, इससे उत्तापमापी को पर्याप्त विकिरण ऊर्जा लगातार नहीं मिल पाती। इसके विपरीत (UPBoardSolutions.com) भट्ठी में रखने पर गोले का ताप स्थिर बना रहता है और वह नियत दर से विकिरण उत्सर्जित करता रहता है।
(d) हम जानते हैं कि वायु ऊष्मा की कुचालक होती है, यही कारण है कि पृथ्वी के चारों ओर का वायुमण्डल एक कम्बल की भाँति कार्य करता है और पृथ्वी से उत्सर्जित होने वाले ऊष्मीय विकिरणों को वापस पृथ्वी की ओर परावर्तित कर देता है। वायुमण्डल की अनुपस्थिति में पृथ्वी से उत्सर्जित होने वाले ऊष्मीय विकिरण सीधे सुदूर अन्तरिक्ष में चले जाते तथा पृथ्वी अशरणीय शीतल हो जाती।
(e). हम जानते हैं कि 1g जलवाष्प, 100°C के 1g जल की तुलना में 540 cal अतिरिक्त ऊष्मा रखती है। इससे स्पष्ट है कि जलवाष्प आधारित तापन निकाय, तप्त जल आधारित तापन निकाय से अधिक दक्ष हैं।

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प्रश्न 22.
किसी पिण्ड का ताप 5 min में 80°C से 50°C हो जाता है। यदि परिवेश का ताप 20°c है। तो उस समय को परिकलन कीजिए जिसमें उसका ताप 60°C से 30°C हो जाएगा।
हल-
80°C तथा 50°C का माध्य 65°C है इसका परिवेश ताप से अन्तर (65 -20) = 45°C है।
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परीक्षोपयोगी प्रश्नोत्तर

बहुविकल्पीय प्रश्न
प्रश्न 1.
ताप जो सेल्सियस और फारेनहाइट पैमाने पर समान पाठ देता है, वह है।
(i) 0°
(ii) 30°
(iii) 40°
(iv) 50°
उत्तर-
(iii) 40°

प्रश्न 2. केल्विन पैमाने पर पानी का हिमांक होता है।
(i) 0 K
(ii) 100 K
(iii) 273 K
(iv) 373 K
उत्तर-
(iii) 273 K

प्रश्न 3. 0°, केल्विन पैमाने का मान होता है।
(i) 272 K
(ii) 273 K
(iii) 274 K
(iv) 275 K
उत्तर-
(ii) 273 K

प्रश्न 4. सेल्सियस तथा फारेनहाइट पैमाने में सम्बन्ध है।
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उत्तर-
(i) °C = [latex]\frac { 5 }{ 9 }[/latex](°F – 32)

प्रश्न 5. केल्विन पैमाने पर पानी का क्वथनांक होता है।
(i) 373 K
(ii) 273 K
(iii) 100 K
(iv) 230 K
उत्तर-
(i) 373 K

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प्रश्न 6.
एक आदर्श गैस थर्मामीटर द्वारा मापा गया ताप व्यंजक [latex s=2]\theta =\frac { { P }_{ t }-{ P }_{ 0 } }{ { P }_{ 100 }-{ P }_{ 0 } } \times 100[/latex] द्वारा दिया जाता है, तो ताप 0°है।
(i) केल्विन
(ii) फारेनहाइट
(iii) रयूमर
(iv) सेल्सियस
उत्तर-
(iv) सेल्सियस

प्रश्न 7. आदर्श गैस के रुद्रोष्म प्रक्रम में ताप T तथा दाब P में सम्बन्थ है
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उत्तर-
(i) [latex s=2]\frac { { T }^{ \gamma } }{ { P }^{ ^{ \gamma }-1 } } [/latex] नियतांक

प्रश्न 8.
किसी ताप पर आदर्श गैस के अणुओं में होती है।
(i) केवल गतिज ऊर्जा ।
(ii) केवल स्थितिज ऊर्जा
(iii) दोनों
(iv) इनमें से कोई नहीं ।
उत्तर-
(i) केवल गतिज ऊर्जा

प्रश्न 9.
आदर्श गैस के लिए γ = Cp/Cυ अतः
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उत्तर-
(ii) [latex s=2]\gamma =1+\frac { R }{ { C }_{ \upsilon } } [/latex]

प्रश्न 10.
हीलियम गैस के लिए Cy तथा C, का अनुपात है
(i) 5/7
(ii) 7/5
(iii) 3/5
(iv) 5/3
उत्तर-(iv) 5/3

प्रश्न 11.
एक मोल गैस की 7 ताप पर आन्तरिक ऊर्जा है।
(i) Cp x T
(ii) Cυ x T
(iii) (Cp – Cυ)xT
(iv)Cp/Cυ x T
उत्तर-
(iii) (Cp – Cυ)xT

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प्रश्न 12.
किसी पदार्थ का क्षेत्रीय प्रसार गुणांक 0.0002 प्रति °c है। उसका रेखीय प्रसार गुणांक होगा !
(i) 0.0001 प्रति °C
(ii) 0.0002 प्रति °C
(iii) 0.0004 प्रति °C
(iv) 0.0003 प्रति °C
उत्तर-
(i) 0.0001 प्रति °C

प्रश्न 13.
द्रव के वास्तविक एवं आभासी प्रसार गुणांकों में सम्बन्ध प्रदर्शित करने का सही व्यंजक है
(i) γr = γa + γg
(ii) γg = γr + γa
(iii) γa = γr + γg
(iv) γr = γa – γg
उत्तर-
(i) γr = γa + γg

प्रश्न 14.
वास्तविक प्रसार गुणांक का सूत्र होता है।
UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 11 Thermal Properties of matter 24
उत्तर-
(i) द्रव का वास्तविक प्रसार गुणांक = [latex s=2]\frac { { \left( \Delta V \right) }_{ r } }{ V\times \Delta \theta } [/latex]

प्रश्न 15.
पानी का घनत्व अधिकतम होगा, यदि उसका ताप है।
(i) 0°C
(ii) 4°C
(iii) 32°C
(iv) 100°C
उत्तर-
(ii) 4°C

प्रश्न 16.
ठण्डे देशों में झील के पानी के जम जाने पर भी मछलियाँ जीवित रहती हैं, क्योंकि
(i) वे अधिक ठण्ड सहन कर सकती हैं।
(ii) वे अपने अन्दर आवश्यक ऑक्सीजन संचय करती हैं।
(iii) झील के पानी की जमी हुई सतह के नीचे पानी द्रव के रूप में 4°C पर रहता है।
(iv) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर-
(iii) झील के पानी की जमी हुई सतह के नीचे पानी द्रव के (UPBoardSolutions.com) रूप में 4°C पर रहता है।

प्रश्न 17.विशिष्ट ऊष्मा का SI मात्रक होता है।
(i) जूल/किग्रा-°C
(ii) जूल/किग्रा-°F
(iii) जूल ग्राम-°C
(iv) जूल/किग्रा
उत्तर-
(i) जूल/किग्रा-°C

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प्रश्न 18.
मोलर विशिष्ट ऊष्मा का सूत्र होता है।
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उत्तर-
(ii) मोलर विशिष्ट ऊष्मा [latex s=2]\frac { 1 }{ \mu } .\frac { \Delta Q }{ \Delta T } [/latex]

प्रश्न 19.
मोटर गाड़ी के इंजन को ठण्डा करने के लिए जल प्रयोग में लाया जाता है, क्योंकि
(i) जल की विशिष्ट ऊष्माधारिता उच्च होती है।
(ii) यह निम्न ताप पर उपलब्ध है।
(iii) यह निम्न घनत्व पर होता है।
(iv) यह आसानी से उपलब्ध है।
उत्तर-
(i) जल की विशिष्ट ऊष्माधारिता उच्च होती है।

प्रश्न 20.
0°C पर स्थित पानी की कुछ मात्रा में उसी ताप पर स्थित बर्फ की कुछ मात्रा मिला दी। जाती है। अब ताप |
(i) घटेगा।
(ii) बढ़ेगा।
(iii) वही रहेगा
(iv) इनमें से कोई नहीं
उत्तर-
(iii) वही रहेगा

प्रश्न 21.
जल की विशिष्ट ऊष्मा 1 कैलोरी/ग्राम °C है। इसका मान जूल/किग्रा °C में होगा
(i) [latex ]\frac { 1 }{ 4.2\times { 10 }^{ 3 } } [/latex]
(ii) 4.2×103
(iii) 8.4×103
(iv) 4.1×103
उत्तर-
(i) 4.2×103

प्रश्न 22.
भाप की विशिष्ट गुप्त ऊष्मा का मान है।
(i) 80 किलो कैलोरी/किग्रा
(ii) 536 किलो कैलोरी/किग्रा
(iii) 4.2 किलो कैलोरी/किग्रा
(iv) इनमें से कोई नहीं
उत्तर-
(ii) 536 किलो कैलोरी/किग्रा

प्रश्न 23.
किसी पदार्थ को गुप्त ऊष्मा देने पर
(i) गतिज ऊर्जा बढ़ती है।
(ii) स्थितिज ऊर्जा बढ़ती है।
(iii) स्थितिज ऊर्जा कम हो जाती है।
(iv) दोनों प्रकार की ऊर्जाएँ अप्रभावित रहती हैं।
उत्तर-
(ii) स्थितिज ऊर्जा बढ़ती है।

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न :

प्रश्न 1.
सेल्सियस पैमाने के उच्चतम बिन्दु का मान क्या होता है?
उत्तर-
सेल्सियस पैमाने के उच्चतम बिन्दु का मान 100°C होता है।

प्रश्न 2.
त्रिक बिन्दु के संगत दाब तथा ताप के मान बताइए।
उत्तर-
दाब 4.58 मिमी तथा ताप 0.01°C.

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प्रश्न 3.
तापमापी में जल का उपयोग क्यों नहीं किया जाता? तीन कारण लिखिए।
उत्तर-
(i) जल पारदर्शी है,
(ii) काँच से चिपकता है तथा
(iii) इसका ऊष्मीय प्रसार असमान है।

प्रश्न 4.
स्थिर-आयतन वायु तापमापी का सिद्धान्त बताइए।
उत्तर-
सिद्धान्त किसी गैस का स्थिर आयतन पर दाब गैस के ताप के साथ बदलता है। यदि गैस के एक निश्चित द्रव्यमान के, स्थिर आयतन पर, 0°C, 100°C तथा एक अज्ञात ताप t पर दाब क्रमशः P0, P100 तथा Pt हों तो
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प्रश्न 5.
प्रतिरोध तापमापी में प्लेटिनम का तार क्यों प्रयुक्त किया जाता है?
उत्तर-
प्लेटिनम के तार का प्रतिरोध ताप के बढ़ने पर (200°C से 1200°C तक) एकसमान (UPBoardSolutions.com) रूप से बढ़ता है, गलनांक ऊँचा होता है तथा यह अन्य पदार्थों से रासायनिक क्रिया नहीं करता।

प्रश्न 6.
समीकरण Rt = R0(1 + αt) में R प्रतिरोध तथाt ताप है। α का मात्रक बताइए।
उत्तर-
प्रति°C

प्रश्न 7. मानव शरीर का सामान्य ताप क्या होता है?
उत्तर-
मानव शरीर का सामान्य ताप 37°C (98.4°F) होता है।

प्रश्न 8.
सार्वत्रिक गैस नियतांक R का मान क्या होता है?
उत्तर-
सार्वत्रिकं गैस नियतांक R = 8.31 जूल-1 मोल-1 केल्विन-1

प्रश्न 9.
एक परमाणुक गैस के लिए Cυ, का मान कितना होता है?
उत्तर-
3/2R.

प्रश्न 10.
आदर्श गैस की स्थिर दाब पर ग्राम-अणुक विशिष्ट ऊष्मा Cp की परिभाषा दीजिए।
उत्तर-
ग्राम-अणुक विशिष्ट ऊष्मा-गैस के 1 ग्राम अणु को मोल कहते हैं। 1 मोल गैस का द्रव्यमान M ग्राम होता है, जहाँ M गैस का अणुभार है। गैस के 1 ग्राम अणु अथवा 1 मोल को स्थिर आयतन पर तथा स्थिर दाब पर 1°C ताप बढ़ाने के लिए क्रमश: Mcυ तथा Mcpऊष्मा की (UPBoardSolutions.com) आवश्यकता होगी। ऊष्मा की इन मात्राओं को ग्राम-अणुक विशिष्ट ऊष्मा कहते हैं तथा इन्हें क्रमश: Cυ तथा Cp से व्यक्त करते हैं।

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प्रश्न 11.
किसी धातु के रेखीय प्रसार गुणांक तथा क्षेत्रीय प्रसार गुणांक में सम्बन्ध लिखिए।
उत्तर-
β = 2α.

प्रश्न 12.
किसी ठोस के रेखीय प्रसार गुणांक तथा आयतन प्रसार गुणांक में सम्बन्ध लिखिए।
उत्तर-
γ = 3α

प्रश्न 13.
रेखीय प्रसार गुणांक, क्षेत्रीय प्रसार गुणांक तथा आयतन प्रसार गुणांक में क्या सम्बन्ध है?
उत्तर-
α: β: γ = 1:2:3.

प्रश्न 14.
ठोस के लिए ऊष्मीय प्रसंगर गुणांक नियत नहीं होता है। क्यों?
उत्तर-
ऊष्मीय प्रसार गुणांक ताप के साथ परिवर्तित होता है क्योंकि कोई भी ठोस वस्तु ऊष्मा पाकर फैल जाती है तथा ठण्डा होने पर सिकुड़ जाती है। इसीलिए किसी भी ठोस वस्तु के लिए ऊष्मीय प्रसार गुणांक नियत नहीं रहता है।

प्रश्न 15.
साधारण काँच की प्लेट अधिक गर्म करने पर चटक जाती है। क्यों?
उत्तर-
साधारण काँच की प्लेट का आयतन प्रसार गुणांक अधिक होता है, इसलिए अधिक गर्म करने पर यह चटक जाती है।

प्रश्न 16.
विशिष्ट ऊष्मा किसकी सबसे अधिक होती है तथा किसकी सबसे कम?
उत्तर-
जल की सर्वाधिक तथा पारे की सबसे कम।।

प्रश्न 17.
पानी की विशिष्ट ऊष्मा जूल के पदों में कितनी होती है।
उत्तर-
4.18 x 103 जूल/किग्रा °C

प्रश्न 18.
ऊष्माधारिता का सूत्र लिखिए।
उत्तर-
ऊष्माधारिता = द्रव्यमान x विशिष्ट ऊष्मा।

प्रश्न 19.
स्थिर आयतन पर विशिष्ट ऊष्मा Cυ की परिभाषा दीजिए।
उत्तर-
स्थिर आयतन पर किसी गैस के 1 ग्राम द्रव्यमान का ताप 1°C बढ़ाने के लिए आवश्यक ऊष्मा की (UPBoardSolutions.com) मात्रा को उस गैस की स्थिर आयतन पर विशिष्ट ऊष्मा Cυ कहते हैं।

प्रश्न 20.
बर्फ की गलन की गुप्त ऊष्मा का मान बताइए।
उत्तर-
80 कैलोरी/ग्राम।

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प्रश्न 21.
जल की वाष्पन की गुप्त ऊष्मा का मान बताइए।
उत्तर-
536 कैलोरी/ग्राम।।

प्रश्न 22.
बर्फ के गलन की गुप्त ऊष्मा 80 कैलोरी/ग्राम है। इसका मान जूल/किग्रा में लिखिए।
उत्तर-
3.36 x 105 जूल/किग्रा।

प्रश्न 23.
गलनांक पर अपद्रव्यों का क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर-
गलनोक कम हो जाता है।

प्रश्न 24.
कैलोरीमिति का क्या सिद्धान्त है?
उत्तर-
ऊष्मा का प्रवाह सदैव ऊँचे ताप वाली वस्तु से नीचे ताप वाली वस्तु में होता है और यह प्रक्रिया तब तक चलती है जब तक कि दोनों वस्तुओं के ताप समान नहीं हो जाते। इस क्रिया में बाहर से ऊष्मा का आदान-प्रदान न हो तो एक वस्तु द्वारा दी गई ऊष्मा, दूसरी वस्तु द्वारा ली (UPBoardSolutions.com) गई ऊष्मा के बराबर होगी। यही कैलोरीमिति का सिद्धान्त है। इस सिद्धान्त के अनुसार, गर्म वस्तु द्वारा दी गई ऊष्मा = ठण्डी वस्तु द्वारा ली गई ऊष्मा।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
रेखीय प्रसार गुणांक की परिभाषा तथा मात्रक लिखिए।
या रेखीय प्रसार गुणांक (α) का अर्थ समझाइए।
उत्तर-
रेखीय प्रसार गुणांक (Coefficient of linear expansion)-माना किसी छड़ की एक निश्चित ताप t पर लम्बाई L है तथा उसके ताप में ΔT की वृद्धि करने पर लम्बाई में ΔL की वृद्धि हो जाती है। किसी ठोस वस्तु को गर्म करने पर उसकी लम्बाई में वृद्धि निम्न बातों पर निर्भर करती है–
(i) छड़ की प्रारम्भिक लम्बाई पर-लम्बाई में वृद्धि छड़ की प्रारम्भिक लम्बाई (L) के अनुक्रमानुपाती होती है। अर्थात्
∆L ∝ L
(ii) छड़ के ताप में वृद्धि पर लम्बाई में वृद्धि ΔL छड़ के ताप में वृद्धि ΔT के अनुक्रमानुपाती होती
अर्थात ∆L ∝∆L
उपर्युक्त दोनों तथ्यों को एक साथ लिखने पर,
∆L ∝ L∆T
अथवा ∆L = α L∆T …(1)
जहाँ α (ऐल्फा) एक नियतांक है। यह छड़ के पदार्थ का “रेखीय प्रसार गुणांक’ कहलाता
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किसी पदार्थ का रेखीय प्रसार गुणांक, लम्बाई में उस वृद्धि के बराबर होता है, जब उसकी एकांक लम्बाई का ताप 1°C बढ़ाते हैं।
यह छड़ के पदार्थ पर भी निर्भर करता है। यदि विभिन्न पदार्थों की समान छड़ों को समान ताप तक गर्म किया जाये तो उनकी लम्बाई में वृद्धि भिन्न-भिन्न होती है। उपर्युक्त सूत्र (2) से रेखीय प्रसार गुणांक का मात्रक =
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अत: रेखीय प्रसार गुणांक का मात्रक प्रति डिग्री सेल्सियस होता है।

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प्रश्न 2.
आयतन प्रसार गुणांक की परिभाषा दीजिए तथा जल के असंगत प्रसार की व्याख्या कीजिए।
उत्तर-
आयतन प्रसार गुणांक-—किसी वस्तु का आयतन प्रसार गुणांक उसके आयतन में वृद्धि के बराबर होता है जब उसके एकांक आयतन का ताप 1°C बढ़ाया जाता है। आयतन प्रसार गुणांक को मात्रक प्रति डिग्री सेल्सियस होता है।
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जल का असंगत प्रसार–प्राय: सभी द्रवों का आयतन ताप बढ़ने से बढ़ता है परन्तु जब जल को 0°C से 4°C तक गर्म किया जाता है, तो उसका आयतन (बढ़ने की बजाय घटता है तथा 4°C के पश्चात् फिर जल का आयतन बढ़ने लगता है [चित्र 11.1 (a)]। 4C पर जल का आयतन (UPBoardSolutions.com) न्यूनतम होता है; अतः 4°C पर जल का घनत्व अधिकतम होता है। जल के अधिकतम घनत्व का मान 1.0000 x 103 किग्रा/मीटर3 है। जल के घनत्व तथा ताप का ग्राफ चित्र 11.1(b) में प्रदर्शित है।
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स्पष्टत: 0°C से 4°C तक जल का प्रसार असामान्य होता है, परन्तु 4°C से ऊपर के तापों पर इसका प्रसार सामान्य होता है।

प्रश्न 3.
रेखीय प्रसार गुणांक (α) तथा क्षेत्रीय प्रसार गुणांक (β) में सम्बन्ध स्थापित कीजिए।
उत्तर-
रेखीय प्रसार गुणांक (α) तथा क्षेत्रीय प्रसार गुणांक (β) में सम्बन्ध-
माना किसी वस्तु की एक वर्गाकार पटल ABCD है, जिसकी प्रत्येक भुजा की लम्बाई 1 मीटर है। इसका प्रारम्भिक क्षेत्रफल 1 मीटर होगा। पदार्थ का रेखीय प्रसार गुणांक α है। माना वर्गाकार पटल के ताप में 1°C की वृद्धि की जाती है। तब इस नये ताप पर
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प्रश्न 4.
वास्तविक तथा आभासी प्रसार गुणांकों में सम्बन्ध स्थापित कीजिए।
उत्तर-
वास्तविक तथा आभासी-प्रसार-गुणांकों में सम्बन्ध- माना कि काँच के एक बर्तन में कोई द्रव भरा है जिसका आयतन V है। माना कि बर्तन को गर्म करके द्रव के ताप में ∆t की वृद्धि की जाती है। तब
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अत: किसी द्रव को वास्तविक प्रसार गुणांक उस द्रव के आभासी-प्रसार गुणांक तथा बर्तन के पदार्थ के आयतन प्रसार गुणांक के योग के बराबर होता है।

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प्रश्न 5.
ठण्डे प्रदेशों में तालाबों के जम जाने पर भी उसमें मछलियाँ जीवित कैसे रहती हैं?
उत्तर-
ठण्डे प्रदेशों में सर्दी के दिनों में वायुमण्डल का ताप 0C से भी कम रहता है। अत: वहाँ तालाबों में जल जमने लगता है परन्तु 4°C पर जल का घनत्व अधिकतम होने के कारण नीचे को जल 4°C बना रहता है। तापमान के 0°C पहुँचने पर तालाब की ऊपरी सतह पर बर्फ जम जाती है (चित्र 11.3)। बर्फ के सम्पर्क में जो जले होता है, उसका ताप 0°C रहता है। बर्फ ऊष्मा की कुचालक है; अत: नीचे से ऊष्मा ऊपर की ओर अत्यन्त ॐ मछलियाँ । धीरे-धीरे संचरित होती है, फलस्वरूप नीचे का ताप भी । 4°C ही बना रहता है। इस प्रकार इस जल में मछलियाँ तथा
अन्य जल के जन्तु जीवित रहते हैं।
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प्रश्न 6.
रेल की पटरियों के बीच खाली स्थान क्यों छोड़ा जाता है?
उत्तर-
रेल की पटरियों को बिछाते समय उनके बीच कुछ रिक्त स्थान छोड़ दिया जाता है, जिससे कि गर्मी के दिनों में ताप बढ़ने पर पटरियों को फैलने के लिए स्थान मिल सके। यदि पटरियाँ सटाकर बिछा दी जाएँ, तो गर्मियों में फैलने के कारण पटरियाँ तिरछी हो जायेंगी, जिससे रेल दुर्घटना हो सकती है।

प्रश्न 7.
सर्दियों की रातों में जल के पाइप कभी-कभी फट जाते हैं, क्यों?
उत्तर-
क्योंकि 0°C पर बर्फ का आयतन जल के आयतन से अधिक होता है, अतः सर्दी की रातों में जब वायुमण्डल का ताप 0°C से कम हो जाता है, तो पाइप में उपस्थित जल जमकर बर्फ में बदल जाता है। बर्फ बनने पर आयतन बढ़ता है, परन्तु आयतन प्रसार के लिए स्थान उपलब्ध न होने के कारण पाइप की सतह पर अन्दर से दबाव बढ़ता है, जिससे वे फट जाते हैं।

प्रश्न 8.
समतापीय तथा रुद्धोष्म प्रक्रमों में क्या अन्तर है?
उत्तर-
समतापीय तथा रुद्धोष्म प्रक्रमों में अन्तर ।
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प्रश्न 9.
वाष्पन तथा क्वथन में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
घाष्पन तथा क्वथन में अन्तर
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विस्तृत उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
क्षेत्रीय प्रसार गुणांक (β) तथा आयतन प्रसार गुणांक (γ) का अर्थ समझाइए। α β एवं γ में सम्बन्ध स्थापित कीजिए।
उत्तर-
क्षेत्रीय प्रसार गुणांक-माना किसी आयताकार पटल का क्षेत्रफल A है तथा गर्म करके, इसके ताप में ∆t की वृद्धि करने पर क्षेत्रफल में वृद्धि ∆A होती है। प्रयोगों द्वारा यह पाया गया है कि क्षेत्रफल में वृद्धि
(i) प्रारम्भिक क्षेत्रफल के अनुक्रमानुपाती होती है अर्थात् ∆A∝A
(ii) ताप में वृद्धि के अनुक्रमानुपाती होती है अर्थात् ∆A∝∆T
उपर्युक्त दोनों तथ्यों को एक साथ लिखने पर ।
∆Α ∝ ΑΔΤ अथवा
∆A = β. A∆T…(1)
यहाँ β (बीटा) एक नियतांक है जिसे पटल के पदार्थ का क्षेत्रीय प्रसार गुणांक कहते हैं। इसका मान अन्य किसी राशि (जैसे-आकार या आकृति) पर निर्भर नहीं करता, बल्कि केवल पदार्थ की प्रकृति पर निर्भर करता है।
UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 11 Thermal Properties of matter 36
अत: किसी पदार्थ के पटल (lamina) के एकांक क्षेत्रफल का ताप 1°c बढ़ाने पर उसके क्षेत्रफल में जो वृद्धि होती है उसे उसे पदार्थ का क्षेत्रीय प्रसार गुणांक कहते हैं।
क्षेत्रीय प्रसार गुणांक (β) का मात्रक भी प्रति °c होता है।
आयतन प्रसार गुणांक- प्रयोगों द्वारा पाया गया कि किसी ठोस के आयतन में वृद्धि (i) उसके (UPBoardSolutions.com) प्रारम्भिक आयतन v के तथा (ii) ताप में वृद्धि ∆t के अनुक्रमानुपाती होती है अर्थात् यदि किसी वस्तु का प्रारम्भिक आयतन V हो तथा उसके ताप में ∆T वृद्धि करने पर उसके आयतन में ∆V की वृद्धि हो, तो उपर्युक्त तथ्यों के आधार पर
UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 11 Thermal Properties of matter 37
अतः किसी वस्तु का आयतन प्रसार गुणांक उसके आयतन में वृद्धि के बराबर होता है जब उसके एकांक आयतन का ताप 1°C बढ़ाया जाता है।
आयतन प्रसार गुणांक को मात्रक प्रति डिग्री सेल्सियस होता है।
रेखीय, क्षेत्रीय और आयतन प्रसार गुणांक में सम्बन्ध
हम जानते हैं कि
β = 2α , γ = 3α
अतः α : β : γ = α : 2 α : 3 α
α : β : γ = 1 : 2 : 3

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प्रश्न 2.
इस्पात तथा ताँबे की छड़ों की लम्बाइयाँ क्या होनी चाहिए जिससे कि सभी तापों पर इस्पात की छड़ ताँबे की छड़ से 5 सेमी बड़ी हो? इस्पात का रेखीय-प्रसार-गुणांक 1.1 x 105°C-1 तथा ताँबे का 1.7 x 10-5°c-1 है।
हल-
माना इस्पात की छड़ की लम्बाई ls तथा ताँबे की छड़ की लम्बाई lc है। सभी तापों पर,
ls – lc = 5
सेमी ऐसा तब ही सम्भव है, जब किसी भी ताप-परिवर्तन ΔT के लिए, दोनों छड़ों में परिवर्तन समान हो अर्थात्
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प्रश्न 3.
रुद्धोष्म प्रक्रम क्या है? रुद्रोष्म प्रक्रम में आदर्श गैस के लिए परमताप ‘T’ एवं दाब ‘P’ में सम्बन्ध स्थापित कीजिए।
उत्तर-
रुद्धोष्म प्रक्रम-जब किसी ऊष्मागतिक निकाय में परिवर्तन इस प्रकार होता है कि सम्पूर्ण प्रक्रम में निकाय तथा बाह्य वातावरण के बीच ऊष्मा का आदान-प्रदान नहीं होता तो इस प्रकार के प्रक्रम को ‘रुद्धोष्म अथवा स्थिरोष्म प्रक्रम’ कहते हैं।
आदर्श गैस के लिए परमताप T एवं दाब P में सम्बन्धमाना आदर्श गैस के 1 ग्राम-अणु (1 मोल) का दाब P, परमताप T तथा आयतन V है। माना कि गैस में बहुत थोड़ा-सा ‘रुद्धोष्म’ प्रसार होता है जिसमें कि यह बाह्य कार्य करती हैं। चूँकि गैस के भीतर बाहर से ऊष्मा को नहीं आने दिया जाता है, अत: बाह्य कार्य करने के लिए गैस अपनी ऊष्मा (आन्तरिक ऊर्जा) को ही प्रयुक्त करेगी। फलतः, किसी किए गये कार्य के तुल्य गैस की आन्तरिक ऊर्जा कम हो जायेगी जिससे गैस का ताप गिर जायेगा। अत: यदि गैस की
आन्तरिक ऊर्जा में होने वाली कमी dU हो तथा किया गया बाह्य कार्य dW हो, तो ऊष्मागतिकी के प्रथम नियम के अनुसार,
dU + dW = 0 …(1)
माना कि रुद्धोष्म प्रसार के कारण गैस का आयतन V से V + dV तक बढ़ जाता है तथा ताप T से T – dT तक गिर जाता है (गैस के दाब P को स्थिर मान सकते हैं क्योंकि आयतन में परिवर्तन बहुत कम हुआ है)। तब, गैस द्वारा किया गया बाह्य कार्य
dW = P dV …(2)
चूँकि एक आदर्श गैस के अणु परस्पर आकर्षित नहीं करते, अत: इसकी आन्तरिक ऊर्जा पूर्णतया अणुओं की गतिज ऊर्जा ही है तथा केवल गैस के ताप पर निर्भर करती है। अत: गैस का ताप dT गिरने पर इसकी आन्तरिक ऊर्जा में होने वाली कमी गैस से ली गई ऊष्मा के तुल्य होगी, अर्थात् ।
dU = Cυ dT …(3)
जहाँ, Cυ गैस की स्थिर आयतन पर ग्राम-अणुक विशिष्ट ऊष्मा है। समी० (2) तथा (3) से dW तथा dU के मान समी० (1) में रखने पर,
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प्रश्न 4.
Cp तथा Cν का अर्थ समझाइए। किसी आदर्श गैस के लिए सिद्ध कीजिए कि Cp – Cυ = R, जहाँ प्रतीकों के सामान्य अर्थ हैं।
उत्तर-
साधारणत: किसी गैस की दो विशिष्ट ऊष्माएँ होती हैं। एक । तो वह जो गैस को ऊष्मा देते समय उसका आयतन स्थिर रखकर उसके दाब को बढ़ने दिया गया हो (अर्थात् गैस का प्रसार न होने दिया गया हो) तथा दूसरी वह जो ऊष्मा देते समय गैस का दाब स्थिर रखकर (UPBoardSolutions.com) उसके आयतन को बढ़ने दिया गया हो (अर्थात् गैस का स्थिर दाब पर प्रसार होने दिया गया हो)। इन्हें क्रमश: गैस की ‘स्थिर आयतन पर विशिष्ट ऊष्मा’ तथा ‘स्थिर दाबे पर विशिष्ट ऊष्मा’ कहते हैं।
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स्थिर दाब पर ग्राम-अणुक विशिष्ट ऊष्मा(Cp) – स्थिर दाब पर, किसी गैस के 1 ग्राम-अणु द्रव्यमान का ताप 1°C बढ़ाने के। लिए जितनी ऊष्मा की आवश्यकता होती है, उसे स्थिर दाब पर गैस की ग्राम-अणुक विशिष्ट ऊष्मा (Cp) कहते हैं।
Cp = MCp (जहाँ, M = अणुभार)
स्थिर आयतन पर ग्राम-अणुळे विशिष्ट ऊष्मा (Cυ)-स्थिर आयतन पर किसी गैस के 1 ग्राम-अणु द्रव्यमान का ताप 1°C बढ़ाने के लिए आवश्यक ऊष्मा की मात्रा को उस गैस की स्थिर आयतन पर ग्राम-अणुक विशिष्ट ऊष्मा (Cυ) कहते हैं।
Cυ = MCυ (जहाँ M = अणुभार)
मेयर के सूत्र Cp – Cυ = R की व्युत्पत्ति-माना आदर्श गैस के 1 ग्राम-अणु या एक मोल का दाब, ताप व आयतन क्रमश: P, T व V हैं। गैस की यह अवस्था ताप T पर खींचे गए एक समतापीय वक्र के बिन्दु A से प्रदर्शित है।
माना गैस का आयतन स्थिर रखते हुए उसका ताप AT बढ़ाया गया, जिसके कारण यह अवस्था A से C में चली जाती है। ऊष्मागतिकी के प्रथम नियम से प्रक्रम A →C में गैस की आन्तरिक ऊर्जा में परिवर्तन
Uc -UA = ΔU = Q – W
जहाँ Q गैस द्वारा ली गई ऊष्मा तथा W गैस द्वारा कृत-कार्य है। चूंकि इस प्रक्रम में आयतन नियत है।
(ΔV = 0), अतः W = P X ΔV = 0 तथा Q = Cυ ΔT
इसलिए Uc – UA = Cυ ΔT …(1)
माना गैस को पुनः अवस्था A में वापस लाया जाता है फिर नियत दाब पर इसका ताप T से T + ΔT कर दिया जाता है, जिससे कि गैस अवस्था A से B में चली जाती है। अत: A → B में आन्तरिक ऊर्जा में परिवर्तन
UB – UA = ΔU = Q – W
चूँकि इस प्रक्रम में आयतन में परिवर्तन ΔV होता है।
अतः इस प्रक्रम में किया गया कार्य W = PΔV
तथा Q = Ct
UB – UA = CpΔT – PΔV ..(2)
प्रक्रम A → B के लिए प्रारम्भिक अवस्था A में गैस का आयतन V व परमताप T है तथा अन्तिम अवस्था B में गैस का आयतन (V + ΔV) तथा परमताप (T + ΔT) हो जाता है, जबकि दाब P नियत रहता है। अत: अवस्था A व B के लिए आदर्श गैस समीकरण से
PV = RT (अवस्था A के लिए) …(3)
P(V + ΔV) = R(T + ΔT) (अवस्था B के लिए) ..(4)
समी० (4) में से समी० (3) को घटाने पर,
PΔV = RΔT …(5)
समी० (5) तथा समी० (2) से,
UB – UA = CpΔT – RΔT …(6)
चूंकि प्रक्रम A → B तथा A →C में गैस के ताप में परिवर्तन ΔT होता है तथा आदर्श गैस की आन्तरिक ऊर्जा केवल ताप पर निर्भर करती है। अत: इन दोनों प्रक्रमों में आन्तरिक ऊर्जा में समान परिवर्तन होगा। अर्थात् ।
UC -UA = UB – UA
समी० (1) व समी० (6) से,
CυΔT = CpΔT – RΔT
दोनों पक्षों में ΔT से भाग देने पर
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प्रश्न 5.
समतापी एवं रुद्रोष्म प्रक्रम के लिए दाब-आयतन ग्राफ खींचिए। इनमें किस वक़ का ढलान अधिक होता है? इसका कारण दीजिए।
उत्तर-
समतापी एवं रुद्धोष्म प्रक्रम के लिए दाब-आयतन ग्राफ—चित्र 11.5 में किसी आदर्श गैस के एक निश्चित द्रव्यमान के लिए, दो स्थिर तापों T1 व T2 पर समतापी वक्र खींचे गये हैं। माना कि गैस के प्रारम्भिक दाब, आयतन व ताप क्रमशः P1,V1 व T1, हैं। गैस की यह अवस्था (UPBoardSolutions.com) चित्र 11.5 में बिन्दु A के द्वारा प्रदर्शित है जो कि T1 ताप वाले समतापी वक्र पर स्थित है। यदि हम गैस के ताप को T1 पर ही स्थिर रखते हुए इसका ‘समतापी’ प्रसार (isothermal expansion) करें तो इसकी अवस्थाएँ इसी वक्र पर विभिन्न बिन्दुओं द्वारा प्रदर्शित होंगी।
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रुद्वोष्म वक्र परन्तु यदि गैस का अवस्था A से रुद्धोष्म प्रसार करें (जिससे कि यह बाहर से ऊष्मा नहीं ले सकती) तो दाब के साथ-साथ इसका ताप भी गिर जायेगा। माना कि गैस के अन्तिम
आयतन व ताप क्रमशः P2, V2, व T2, हो जाते हैं। गैस की यह अवस्था बिन्दु B द्वारा प्रदर्शित होगी जो कि ताप T2, वाले । समतापी वक्र पर स्थित है। चूंकि गैस की अवस्था A से अवस्था B तक रुद्धोष्म प्रसार हुआ है, अत: बिन्दु A व B को मिलाने वाला वक्र AB रुद्धोष्म वक्र होगा।

यदि हम गैस के दाब को स्थिर रखते हुए उसे गर्म करें तो गैस का प्रसार चार्ल्स के नियम के अनुसार होगा। इस दशा में गैस का दाब-आयतन वक्र (P-V curve) एक सरल रेखा के रूप में होगा। इसे ‘समदाबी रेखा’ कहते हैं तथा यह आयतन-कक्ष के समान्तर होती है। (चित्र 11.5)। दूसरे शब्दों में, समदाबी रेखा का आयतन-अक्ष से ढलान (slope) शून्य है।

समतापी तथा रुद्धोष्म वक्रों की तुलना से यह स्पष्ट है कि रुद्धोष्म वक्र का ढलान समतापी वक्र के ढलान से अधिक है। इसका कारण यह है कि गैस के समतापी तथा रुद्धोष्म दोनों प्रसारों में गैस का दाब गिरता है, परन्तु गैस के दाब में होने वाली. उतनी ही गिरावट के लिए, गैस के आयतन में रुद्धोष्म प्रसार के समय होने वाली वृद्धि, समतापी प्रसार के समय होने वाली वृद्धि की अपेक्षा कम होती है क्योंकि रुद्धोष्म प्रसार में गैस का ताप भी गिर जाता है।
आदर्श गैस के लिए, रुद्धोष्मं वक़ का ढलान समतापी वक़ के ढलान से γ गुना अधिक होता है-
आदर्श गैस के समतापी वक्र की समीकरण निम्न है
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γ का मान सदैव 1 से अधिक होता है, एक-परमाणुक गैस के लिए 1.67, द्वि-परमाणुक गैस के लिए 1.41. तथा बहुपरमाणुक गैस के लिए 1.33. अत: किसी बिन्दु पर रुद्धोष्म वक्र ढलान उस बिन्दु पर समतापी वक्र के ढलान से अधिक होता है। किसी रुद्धोष्म प्रक्रम में γ का मान जितना अधिक होगा, रुद्धोष्म वक्र का ढलान उतना ही अधिक होगा। द्वि-परमाणुक गैस की अपेक्षा, एक-परमाणुक गैस के रुद्धोष्म वक्र का ढलान अधिक होता है।
ढलान अधिक होने के कारण
(i) गैस के प्रसार में रुद्धोष्म वक्र समतापी वक्र के नीचे होगा [चित्र 11.6 (a)]।
UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 11 Thermal Properties of matter 45
(ii) गैस के संकुचन में रुद्धोष्म वक्र समतापी वक्र से ऊपर होगा [चित्र 11.6 (b)]]

प्रश्न 6.
समतापीय प्रक्रम की एक अवस्था A(P1, V1) से दूसरी अवस्था B(P2, V2) तक परिवर्तन में कृत कार्य का व्यंजक लिखिए।
उत्तर-
समतापीय प्रक्रम-जब किसी ऊष्मागतिक निकाय में कोई भौतिक परिवर्तन इस प्रकार हो कि सम्पूर्ण प्रक्रम में निकाय का ताप स्थिर बना रहे, समतापीय प्रक्रम कहलाता है। समतापीय प्रक्रम में आदर्श गैस द्वारा कृत कार्य (Work done by an ideal gas in isothermal process)-जब किसी (UPBoardSolutions.com) गैस के आयतन में समतापी प्रसार होता है तो गैस द्वारा कार्य किया जाता है। माना कि ॥ मोल आदर्श गैस एक स्थिर परमताप T पर प्रारम्भिक आयतन V; से अन्तिम आयतन V, तक प्रसारित होती है। तब, गैस द्वारा किया गया बाह्य कार्य
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प्रश्न 7.
0.20 किग्रा द्रव्यमान के एक धातु के गोले को 150°C तक गर्म करने के पश्चात 27°C के 150 सेमी3 जल से भरे ताँबे के ऊष्मामापी (जिसका जल-तुल्यांक 0.025 किग्रा है) में डाला जाता है। स्थायी अवस्था में अन्तिम ताप 40°C है। धातु की विशिष्ट ऊष्मा ज्ञात कीजिए। जल का घनत्व 103 किग्रा/मी3 तथा विशिष्ट ऊष्मा 4.2 x 103 जूल किग्रा-1°C-1. यदि बाह्य परिवेश में ऊष्मा ह्रास नगण्य नहीं है, तब आपका उत्तर विशिष्ट ऊष्मा के वास्तविक मान से कम होगा या अधिक।
हल-
माना धातु की विशिष्ट ऊष्मा s है, तब धातु के गोले द्वारा दी गई ऊष्मा
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यदि बाह्य परिवेश में ऊष्मा का ह्रास होता है, तब ली गई ऊष्मा कम होगी। अत: विशिष्ट ऊष्मा c कम होगी।

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प्रश्न 8.
100 ग्राम जल का ताप 24°C से 90°C बढ़ाने के लिए उसमें कुछ भाप घोली गई। आवश्यक भाप के द्रव्यमान की गणना कीजिए। भाप की गुप्त ऊष्मा 540 कैलोरी ग्राम-1। जल की विशिष्ट ऊष्मा 1.0 कैलोरी/(ग्राम°c) है।
हल-
माना आवश्यक भाप का द्रव्यमान m, गुप्त ऊष्मा L तथा जल की विशिष्ट ऊष्मा c है।
100°C के जल में संघनित होने के लिए भाप द्वारा दी गई ऊष्मा mL तथा संघनित जल (UPBoardSolutions.com) को 100°C से 90°C तक ठण्डा होने में दी गई ऊष्मा m c ΔT है, जहाँ ΔT = 100°C-90°C = 10°C
तब, भाप द्वारा कुल दी गई ऊष्मा
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UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 10 Mechanical Properties Of Fluids

UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 10 Mechanical Properties Of Fluids (तरलों के यान्त्रिक गुण) are part of UP Board Solutions for Class 11 Physics . Here we have given UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 10 Mechanical Properties Of Fluids (तरलों के यान्त्रिक गुण)

Board UP Board
Textbook NCERT
Class Class 11
Subject Physics
Chapter Chapter 10
Chapter Name Mechanical Properties Of Fluids
Number of Questions Solved 150

UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 10 Mechanical Properties Of Fluids (तरलों के यान्त्रिक गुण)

अभ्यास के अन्तर्गत दिए गए प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
स्पष्ट कीजिए क्यों
(a) मस्तिष्क की अपेक्षा मानव का पैरों पर रक्त चाप अधिक होता है।
(b) 6 km ऊँचाई पर वायुमण्डलीय दाब समुद्र-तल पर वायुमण्डलीय दाब का लगभग आधा हो जाता है, यद्यपि वायुमण्डल का विस्तार 100 km से भी अधिक ऊँचाई तक है। |
(c) यद्यपि दाब, प्रति एकांक क्षेत्रफल पर लगने वाला बल होता है तथापि द्रवस्थैतिक दाब एक अदिश राशि है।
उत्तर-
(a) पैरों के ऊपर रक्त स्तम्भ की ऊँचाई मस्तिष्क के ऊपर रक्त स्तम्भ की ऊँचाई से अधिक होती है। चूंकि द्रव स्तम्भ का दाब गहराई के अनुक्रमानुपाती होता है; अत: पैरों पर रक्त दाब मस्तिष्क पर रक्त दाब की तुलना में अधिक होता है।
(b) पृथ्वी के गुरुत्वीय प्रभाव के कारण वायु के अणु पृथ्वी के समीप बने रहते हैं अधिक ऊँचाई तक नहीं जा पाते। इसी कारण 6:km से अधिक ऊँचाई पर जाने पर वायु बहुत ही विरल हो जाती है और घनत्व बहुत कम हो जाता है। चूँकिं तरल-दाब, तरल के घनत्व के अनुक्रमानुपाती होता है; अतः 6 km से ऊपर की वायु का कुल दाब अत्यन्त कम होता है; अत: पृथ्वी-तल से 6 km की ऊँचाई पर वायुमण्डलीय दाबं समुद्र तल पर वायुमण्डलीय दाब का आधा रह जाता है।
(c) पास्कल के नियम के अनुसार किसी बिन्दु पर द्रव-दाब सभी दिशाओं में समान रूप से लगता है, अर्थात् दाब के साथ कोई दिशा नहीं जोड़ी जा सकती; अत: दाब एक अदिश राशि है।।

प्रश्न 2.
स्पष्ट कीजिए क्यों
(a) पारे का काँच के साथ स्पर्श कोण अधिककोण होता है जबकि जल का काँच के साथ स्पर्श कोण न्यूनकोण होता है।
(b) काँच के स्वच्छ समतल पृष्ठ पर जल फैलने का प्रयास करता है जबकि पारा उसी पृष्ठ पर बूंदें | बनाने का प्रयास करता है। (दूसरे शब्दों में जल काँच को गीला कर देता है जबकि पारा ऐसा नहीं करता है।)
(c) किसी द्रव का पृष्ठ-तनाव पृष्ठ के क्षेत्रफल पर निर्भर नहीं करता है।
(d) जल में घुले अपमार्जकों के स्पर्श कोणों का मान कम होना चाहिए।
(e) यदि किसी बाह्य बल का प्रभाव न हो तो द्रव बूंद की आकृति सदैव गोलाकार होती है।
उत्तर-
(a) पारे के अणुओं के बीच ससंजक बल, पारे व काँच के अणुओं के बीच आसंजक बल से अधिक होता है, इस कारण काँच व पारे का स्पर्श कोण अधिककोण होता है।
इसके विपरीत जल के अणुओं के बीच ससंजक बल, काँच व जल (UPBoardSolutions.com) के अणुओं के बीच आसंजक बल से कम होता है, इस कारण जल तथा काँच के बीच स्पर्श कोण न्यूनकोण होता है। |
(b) खण्ड (a) के उत्तर में वर्णित कारण यहाँ भी लागू होता है।
(c) रबड़ की झिल्ली को खींचने पर उसमें तनाव बढ़ जाता है परन्तु किसी द्रव के मुक्त पृष्ठ का क्षेत्रफल बढ़ा देने पर उसके तनाव में कोई परिवर्तन नहीं आता; अत: द्रव का पृष्ठ-तनाव उसके मुक्त क्षेत्रफल पर निर्भर नहीं करता।।
(d) अपसार्जक घुले होने पर जल का पृष्ठ-तनाव कम हो जाता है; अतः स्पर्श कोण भी कम हो जाता है।
(e) बाह्य बल की अनुपस्थिति में बूंद की आकृति केवल पृष्ठ-तनाव द्वारा निर्धारित होती है। पृष्ठ-तनाव के कारण बूंद न्यूनतम मुक्त क्षेत्रफल वाली आकृति ग्रहण करना चाहती है। चूंकि एक दिए गए आयतन के लिए गोले का मुक्त पृष्ठ न्यूनतम होता है; अतः बूंद की आकृति पूर्ण गोलाकार हो जाती

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प्रश्न 3.
प्रत्येक प्रकथन के साथ संलग्न सूची में से उपयुक्त शब्द छाँटकर उस प्रकथन के रिक्त स्थान की पूर्ति कीजिए
(a) व्यापक रूप में व्रवों का पृष्ठ-तनाव ताप बढने पर…….है। (बढ़ता/घटता)
(b) गैसों की श्यानता ताप बढ़ने पर………है, जबकि द्रवों की श्यानता ताप बढने पर……..है। (बढ़ती/घटती)।
(c) दृढ़ता प्रत्यास्थता गुणांक वाले ठोसों के लिए अपरूपण प्रतिबल……….के अनुक्रमानुपाती होता है, जबकि द्रवों के लिए वह……….के अनुक्रमानुपाती होता है। (अपरूपण विकृति/अपरूपण विकृति की दर) ।
(d) किसी तरल के अपरिवर्ती प्रवाह में आए किसी संकीर्णन पर प्रवाह की चाल में वृद्धिमें…….. का अनुसरण होता है। (संहति का संरक्षण/बरनौली सिद्धान्त)
(e) किंसी वायु सुरंग में किसी वायुयान के मॉडल में प्रक्षोभ की चाल वास्तविक वायुयान के प्रक्षोभ के लिए क्रांतिक चाल की तुलना में………होती है। (अधिक/कम)
उत्तर-
(a) घटता
(b) बढ़ती, घटती,
(c) अपरूपण विकृति, अपरूपण विकृति की दर,
(d) संहति को संरक्षण,
(e) अधिक।

प्रश्न 4.
निम्नलिखित के कारण स्पष्ट कीजिए
(a) किसी कागज़ की पट्टी को क्षतिज रखने के लिए आपको उस कागज़ पर ऊपर की ओर हवा फेंकनी चाहिए, नीचे की ओर नहीं।
(b) जब हम किसी जल टोंटी को अपनी उँगलियों द्वारा बन्द करने का प्रयास करते हैं तो उँगलियों के बीच की खाली जगह से तीव्र जल धाराएँ फूट निकलती हैं।
(c) इंजेक्शन लगाते समय डॉक्टर के अंगूठे द्वारा आरोपित दाब की अपेक्षा सुई का आकार दवाई की बहिःप्रवाही धारा को अधिक अच्छा नियन्त्रित करता है।
(d) किसी पात्र के बारीक छिद्र से निकलने वाला तरल उस पर पीछे की ओर प्रणोद आरोपित करता है।
(e) कोई प्रचक्रमान क्रिकेट की गेंद वायु में परवलीय प्रपथ का अनुसरण नहीं करती।
उत्तर-
(a) कागज़ के ऊपर फेंक मारने से ऊपर वायु का वेग अधिक हो जाएगा। क्षैतिज प्रवाह के लिए बरनौली प्रमेय [latex s=2]\left( P+\frac { 1 }{ 2 } { \rho \nu }^{ 2 } \right) [/latex] = नियत के अनुसार कागज़ के ऊपर वायु दाब, नीचे की तुलना में कम हो जाएगा। इससे कागज़ पर उत्थापक बल लगेगा जो कागज़ को नीचे नहीं गिरने देगा। |
(b) टोंटी को उँगलियों द्वारा बन्द करने पर जल उँगलियों के बीच की खाली जगह से निकलने लगता है। यहाँ धारा का अनुप्रस्थ क्षेत्रफल टोंटी के अनुप्रस्थ क्षेत्रफल से कम होता है; अतः अविरतता के सिद्धान्त (A1ν1 = A2ν2) से जल का वेग अधिक हो जाता है। |
(c) अविरतता के सिद्धान्त से, समान दाब आरोपित किए जाने पर भी, सुई बारीक होने पर (अनुप्रस्थ क्षेत्रफल कम होने पर) बहि:प्रवाही धारा का प्रवाह वेग बढ़ जाता है; अत: बहि:प्रवाह वेग सुई के आकार से अधिक नियन्त्रित होता है।
(d) जब कोई तरल किसी पात्र में बने बारीक छिद्र से बाहर आता है तो अविरतता के सिद्धान्त से वह उच्च बहि:स्राव वेग प्राप्त कर लेता है। बाह्य बल की अनुपस्थिति में पात्र + तरल का संवेग संरक्षित रहता है; अतः पात्र विपरीत दिशा में संवेग प्राप्त करता है, अर्थात् बाहर निकलता हुआ द्रव पात्र पर : विपरीत दिशा में प्रणोद आरोपित करता है।
(e) घूमती हुई गेंद अपने साथ वायु को खींचती है; अतः गेंद के ऊपर तथा नीचे वायु के वेग में अन्तर आ जाता है; अतः दाबों में भी अन्तर आ जाता है। इसके कारण गेंद पर भार के अतिरिक्त एक अन्य बल भी लगने लगता है और गेंद को पथ परवलयाकार नहीं रह जाता।।

प्रश्न 5.
ऊँची एड़ी के जूते पहने 50 kg संहति की कोई बालिका अपने शरीर को 1.0 cm व्यास की एक ही वृत्ताकार एड़ी पर सन्तुलित किए हुए है। क्षैतिज फर्श पर एड़ी द्वारा आरोपित दाब ज्ञात कीजिए।
हल-
वृत्ताकार एड़ी की त्रिज्या R = व्यास /2 = 1.0 सेमी/2
= 0.5 सेमी = 5 x 10-3 मीटर
वृत्ताकार एड़ी का क्षेत्रफल A = πR2 =3.14 (5 x 10-3 मी)2
= 78.50 x 10-6 मी2
एड़ी पर पड़ने वाला बल F = बालिका का भार = mg
= 50 किग्रा x 9.8 मी/से2 =490 न्यूटन
क्षैतिज फर्श पर एड़ी द्वारा आरोपित दाब = एड़ी पर आरोपित दाब
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प्रश्न 6.
टॉरिसेली के वायुदाबमापी में पारे का उपयोग किया गया था। पास्कल ने ऐसा ही वायुदाबमापी 984 kg m-3 घनत्व की फ्रेंच शराब का उपयोग करके बनाया। सामान्य वायुमण्डलीय दाब के लिए शराब-स्तम्भ की ऊँचाई ज्ञात कीजिए।
हल-
h ऊँचाई के शराब स्तम्भ का दाब P = h.ρ.g
शराब स्तम्भ की ऊँचाई h = [latex s=2]\frac { P }{ \rho .g } [/latex]
यहाँ P = 1 वायुमण्डलीय दाब
= 1.013 x 105Pa = 1.013 x 105 न्यूटन/मी2
शराब का घनत्व ρ = 984 किग्रा/मी3 तथा g = 9.8 मी/से2
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प्रश्न 7.
समुद्र तट से दूर कोई ऊध्र्वाधर संरचना 109 Pa के अधिकतम प्रतिबल को सहन करने के लिए बनाई गई है। क्या यह संरचना किसी महासागर के भीतर किसी तेल कूप के शिखर पर रखे जाने के लिए उपयुक्त है? महासागर की गहराई लगभग 3km है। समुद्री धाराओं की उपेक्षा कीजिए।
हल-
यदि समुद्र के जल द्वारा आरोपित दाब, संरचना द्वारा सहन किये जा सकने वाले अधिकतम प्रतिबल से कम होगा तो संरचना महासागर के भीतर तेल कूप के शिखर पर रखे जाने के लिए उपयुक्त होगी। समुद्र जल द्वारा आरोपित दाब
P = hρg
यहाँ h = 3 किमी = 3 x 103 मीटर,
जल का घनत्व = 103 किग्रा – मी-3 तथा g = 9.8 मी/ से2
P =3 x 103 मी x 103 किग्रा -मी3 x 9.8 मी-से-2
= 2.94 x 107 न्यूटन /मी2 = 2.94 x 107 Pa
चूँकि P < अधिकतम प्रतिबल 109 Pa; अत: संरचना आवश्यक कार्य के लिए उपयुक्त है।

प्रश्न 8.
किसी द्रवचालित आटोमोबाइल लिफ्ट की संरचना अधिकतम 3000 kg संहति की कारोंको उठाने के लिए की गई है। बोझ को उठाने वाले पिस्टन की अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल 425 cm2 है। छोटे पिस्टन को कितना अधिकतम दाब सहन करना होगा?
हल-
पास्कल के नियम के अनुसार,
छोटे पिस्टन पर अधिकतम दाब = बोझ उठाने वाले बड़े पिस्टन पर दाब
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प्रश्न 9.
किसी U-नली की दोनों भुजाओं में भरे जल तथा मेथेलेटिड स्पिरिट को पारा एक-दूसरे से पृथक् करता है। जब जल तथा पारे के स्तम्भ क्रमशः 10 cm तथा 12.5 cm ऊँचे हैं तो दोनों भुजाओं में पारे का स्तर समान है। स्पिरिट का आपेक्षिक घनत्व ज्ञात कीजिए।
हल-
U-नली की एक भुजा में जल स्तम्भ के लिए,
h1 = 10.0 सेमी; ρ1 (घनत्व) = 1 g-cm-3
U-नली की दूसरी भुजा में मेथेलेटिड स्प्रिट के लिए,
h2 =12.5 सेमी; ρ2 =?
चूंकि दोनों भुजाओं में पारे का तल समान है अत: इस तल पर दोनों भुजाओं के स्तम्भों के दाब भी समान होंगे। अर्थात् ।
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प्रश्न 10.
यदि प्रश्न 9 की समस्या में, U-नली की दोनों भुजाओं में इन्हीं दोनों द्रवों को और उड़ेल कर दोनों द्रवों के स्तम्भों की ऊँचाई 15 cm और बढ़ा दी जाए तो दोनों भुजाओं में पारे के स्तरों में क्या अन्तर होगा? (पारे का आपेक्षिक घनत्व = 13.6)
हल-
माना कि U-नली की दोनों भुजाओं में पारे के तलों का अन्तर h है तथा ρ पारे का घनत्व है, तो ,
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प्रश्न 11.
क्यो,बरनौली समीकरण का उपयोग किसी नदी की किसी क्षिपिका के जल-प्रवाह का विवरण देने के लिए किया जा सकता है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
बरनौली प्रमेय का समीकरण केवल धारारेखी प्रवाह पर लागू होता है। चूंकि नदी की क्षिफ्रिका (UPBoardSolutions.com) का जल-प्रवाह धारारेखी प्रवाह नहीं होता; अत: इसका विवरण देने के लिए बरनौली समीकरण का प्रयोग नहीं किया जा सकता।

प्रश्न 12.
बरनौली समीकरण के अनुप्रयोग में यदि निरपेक्ष दाब के स्थान पर प्रमापी दाब (गेज़ दाब) का प्रयोग करें तो क्या इससे कोई अन्तर पड़ेगा? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
बरनौली समीकरण के अनुसार,
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माना दो बिन्दुओं पर वायुमण्डलीय दाब Pq तथा Pq हैं व गेज दाब क्रमशः P’ व P; हैं तब
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अर्थात् यदि दोनों बिन्दुओं के वायुमण्डलीय दाबों में बहुत कम अन्तर है तो परम दाब के स्थान पर गेज़ दाब का प्रयोग करने से कोई, अन्तर नहीं पड़ेगा।

प्रश्न 13.
किसी 1.5 m लम्बी 10 cm त्रिज्या की क्षैतिज नली से ग्लिसरीन का अपरिवर्ती प्रवाह हो रहा है। यदि नली के एक सिरे पर प्रति सेकण्ड एकत्र होने वाली ग्लिसरीन का परिमाण 4.0 x 10-3 kg s-1 है तो नली के दोनों सिरों के बीच दाबान्तर ज्ञात कीजिए। (ग्लिसरीन का घनत्व = 1.3 x 103 kg m-3 तथा ग्लिसरीन की श्यानता = 0.83 Pas) आप यह भी जाँच करना चाहेंगे कि क्या इस नली में स्तरीय प्रवाह की परिकल्पना सही है?
हल-
धारा-रेखीय प्रवाह मानते हुए नली में ग्लिसरीन के प्रवाह की दर के प्वॉइजली के सूत्र [latex s=2]Q=\frac { \pi \rho { r }^{ 4 } }{ 8\eta { l }^{ 4 } } [/latex]
से नली के सिरों के बीच दाबान्तर
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यह धारा-रेखी प्रवाह के लिए मान्य अधिकतम मान 2000 से काफी कम है। अतः नली में ग्लिसरीन को प्रवाह धारा-रेखी है।।

प्रश्न 14.
किसी आदर्श वायुयान के परीक्षण प्रयोग में वायु-सुरंग के भीतर पंखों के ऊपर और नीचे के पृष्ठों पर वायु-प्रवाह की गतियाँ क्रमशः 70 ms-1 तथा 63 ms-1 हैं। यदि पंख का क्षेत्रफल 2.5 m2 है तो उस पर आरोपित उत्थापक बल परिकलित कीजिए। वायु का घनत्व 1.3 kg m-3 लीजिए।
हल-
बरनौली प्रमेय के अनुसार, वायु के. क्षैतिज प्रवाह के लिए
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जहाँ P1 = वायुयान पंख के ऊपर दाब तथा P2 = पंख के नीचे दाब
υ1 = पंख की ऊपरी सतह पर वायु का वेग तथा υ2 = निचली सतह पर वायु का वेग
∴  पंख की ऊपरी सतह की तुलना में निचली सतह पर दाब आधिक्य अर्थात् पंखों की सतहों के बीच दाबान्तर
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प्रश्न 15.
चित्र-10.1 (a) तथा (b) किसी द्रव (श्यानताहीन) का अपरिवर्ती प्रवाह दर्शाते हैं। इन दोनों चित्रों में से कौन-सही नहीं है? कारण स्पष्ट कीजिए।
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उत्तर-
चित्र-10.1 (a) सही नहीं है। नलिका की ग्रीवा में अनुप्रस्थ क्षेत्रफल कम है; अत: अविरतता के सिद्धान्त से यहाँ वेग अधिक होगा; अत: बरनौली प्रमेय से यहाँ जल का दाब कम होगा जबकि चित्र (a) में ग्रीवा पर जल दाब अधिक दिखाया गया है।

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प्रश्न 16.
किसी स्प्रे पम्प की बेलनाकार नली की अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल 8.0 cm2 है। इस नली के एक सिरे पर 1.0 mm व्यास के 40 सूक्ष्म छिद्र हैं। यदि इस नली के भीतर द्रव के प्रवाहित होने की दर 1.5 m min-1 है तो छिद्रों से होकर जाने वाले द्रव की निष्कासन-चाल ज्ञात कीजिए।
हल-
नली की अनुप्रस्थ-काट का क्षेत्रफल A1 = 8 x 10-4 मी2
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प्रश्न 17.
U-आकार के किसी तार को साबुन के विलयन में डुबोकर बाहर निकाला गया जिससे उस पर एक पतली साबुन की फिल्म बन गई। इस तार के दूसरे सिरे पर फिल्म के सम्पर्क में एक फिसलने वाला हलका तार लगा है जो 1.5 x 10-2 N भार (जिसमें इसका अपना भार भी सम्मिलित है) को सँभालता है। फिसलने वाले तार की लम्बाई 30 cm है। साबुन की फिल्म का पृष्ठ-तनाव कितना है?
हल-
तार की लम्बाई l = 30 cm = 0.3 m
तार पर लटका भार W = 1.5 x 10-2 N
माना फिल्म का पृष्ठ-तनाव S है, तब फिल्म के एक ओर के पृष्ठ (UPBoardSolutions.com) के कारण तार पर F1 = S x l बल लगेगा।
∴ दोनों पृष्ठों के कारण तार पर बल
F = 2F1 = 2sl
यह बल भार को सन्तुलित करता है; अतः
2Sl = W
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प्रश्न 18.
निम्नांकित चित्र-10.2 (a) में किसी पतली द्रव-फिल्म को 4.5 x 10-2 N का छोटा भार सँभाले दर्शाया गया है। चित्र (b) तथा (c) में बनी इसी द्रव की फिल्में इसी ताप पर कितना भार सँभाल सकती हैं? अपने उत्तर को प्राकृतिक नियमों के अनुसार स्पष्ट कीजिए।
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उत्तर-
चित्र-10.2 (a), (b) व (c) प्रत्येक में फिल्म के नीचे वाले किनारे की लम्बाई 40 cm (समान) है।
इस किनारे पर फिल्म के पृष्ठ-तनाव S के कारण समान बल F = S x 2l लगेगा।
यही बल लटके हुए भार को साधता है। चूंकि साधने वाला बल प्रत्येक दशा में समान है; अतः चित्र-10.2 (b) व (C) में भी वही भार 4.5 x 10-2 N सँभाला जा सकता है।

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प्रश्न 19.
3.00 mm त्रिज्या की किसी पारे की बूंद के भीतर कमरे के ताप पर दाब क्या है? 20°C ताप पर पारे का पृष्ठ तनाव 4.65 x 10-1 N m-1 है। यदि वायुमण्डलीय दाब 101 x 105 Pa है तो पारे की बूंद के भीतर दाब-आधिक्य भी ज्ञात कीजिए।
हल-
दिया है : त्रिज्या r =3.00 mm = 3.00 x 10-3m,
वायुमण्डलीय दाब Pa = 1.01 x 105 Pa
20°C पर पारे का पृष्ठ-तनाव S =4.65 x 10-1Nm-1
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प्रश्न 20.
5.00 mm त्रिज्या के किसी साबुन के विलयन के बुलबुले के भीतर दाब-आधिक्य क्या है? 20°C ताप पर साबुन के विलयन का पृष्ठ-तनाव 2.50 x 10-2 Nm-1 है। यदि इसी विमा का कोई वायु का बुलबुला 1.20 आपेक्षिक घनत्व के साबुन के विलयन से भरे किसी पात्र में 40.0 cm गहराई पर बनता तो इस बुलबुले के भीतर क्या दाब होता, ज्ञात कीजिए। (1 वायुमण्डलीय दाब = 101 x 105 Pa)
हल-
(a) बुलबुले की त्रिज्या r = 5.00 mm = 5.0 x 10-3 m,
विलयन का पृष्ठ-तनाव S = 2.50 x 10-2 Nm-1
साबुन के घोल का बुलबुला वायु में बनता है; अतः इसके दो मुक्त पृष्ठ होंगे।
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अतिरिक्त अभ्यास

प्रश्न 21.
1.0 m2 क्षेत्रफल के वर्गाकार आधार वाले किसी टैंक को बीच में ऊर्ध्वाधर विभाजक दीवार द्वारा दो भागों में बाँटा गया है। विभाजक दीवार के नीचे 20 cm2 क्षेत्रफल का कब्जेदार दरवाजा है। टैंक का एक भाग जल से भरा है तथा दूसरा भाग 1.7 आपेक्षिक घनत्व के अम्ल से भरा है। दोनों भाग 40 m ऊँचाई तक भरे गए हैं। दरवाजे को बन्द रखने के लिए आवश्यक बल परिकलित कीजिए।
हुल-
दरवाजे को बन्द रखने के लिए आवश्यक बल
F = विभाजक दीवार के दोनों ओर का दाबान्तर x दरवाजे का क्षेत्रफल
= (अम्ल स्तम्भ का दाब – जल स्तम्भ का दाब) x A
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प्रश्न 22.
चित्र-10.3 (a) में दर्शाए अनुसार कोई मैनोमीटर किसी बर्तन में भरी गैस के दाब का पाठ्यॉक लेता है। पम्प द्वारा कुछ गैस बाहर निकालने के पश्चात मैनोमीटर चित्र 10.3 (b)] में दर्शाए अनुसार पाठ्यांक लेता है। मैनोमीटर में पारा भरा है तथा वायुमण्डलीय दाब का मान 76 cm मरकरी (Hg) है।
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(i) प्रकरणों (a) तथा (b) में बर्तन में भरी गैस के निरपेक्ष दाब तथा प्रमापी दाब cm (Hg) के मात्रक में लिखिए।
(ii) यदि मैनोमीटर की दाहिनी भुजा में 13.6 cm ऊँचाई तक जल (पारे के साथ | अमिश्रणीय) उड़ेल दिया जाए तो प्रकरण (b) में स्तर में क्या परिवर्तन होगा? (गैस के आयतन में हुए थोड़े परिवर्तन की उपेक्षा कीजिए।)
हस-
वायुमण्डलीय दाब P0 = 76 सेमी पारा ।
(i) चित्र 10.3 (a) में
निरपेक्ष दाब P = P0 + 20 सेमी पारा ।
= 76 सेमी पारा + 20 सेमी पारा = 96 सेमी पारा
‘प्रमापी (गेज) दाब = (P – P0) = 20 सेमी पारा
चित्र 10.3 (b) में,
निरपेक्ष दाब P = P0 – 18 सेमी पारा
= 76 सेमी पारा – 18 सेमी पारा
= 58 सेमी पारा
प्रमापी (गेज) दाब = (P – P0) = -18 सेमी पारा
यह ऋणात्मक (-) चिह्न यह दर्शाता है कि बर्तन में भरी गैस का दाब वायुमण्डलीय दाब से कम है।
(ii) यदि मैनोमीटर की दाहिनी भुजा में 13.6 सेमी ऊँचाई तक जल उड़ेल दिया जाता है, तो चित्र 10.4 के अनुसार मैनोमीटर की दाहिनी भुजा में पारे। का तल नीचे गिरता है तथा बायीं भुजा में यह ऊपर उठता है ताकि तली पर दोनों ओर के दाब समान हो जायें। माना पारे का दाहिनी भुजा से बायीं भुजा में स्थानान्तरण x सेमी है। अत: दोनों भुजाओं में पारे। के स्तम्भ का अन्तर 2x सेमी होगा।
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प्रश्न 23.
वो पात्रों के आधारों के क्षेत्रफल समान हैं परन्तु आकृतियाँ भिन्न-भिन्न हैं। पहले पात्र में दूसरे पात्र की अपेक्षा किसी ऊँचाई तक भरने पर दोगुना जल आता है। क्या दोनों प्रकरणों में पात्रों के आधारों पर आरोपित बल समान हैं? यदि ऐसा है तो भार मापने की मशीन पर रखे एक ही ऊँचाई तक जल से भरे दोनों पात्रों के पाठ्यांक भिन्न-भिन्न क्यों होते हैं?
हल-
माना प्रत्येक पात्र में जल-स्तम्भ की ऊँचाई h तथा आधार का क्षेत्रफल A है तो
आधार पर बल = जल-स्तम्भ का दाब x क्षेत्रफल
= h ρ g × A = A h ρ g
∵A व h दोनों के लिए समान है तथा ρ व g अचर राशियाँ हैं।
∴दोनों पात्रों के आधारों पर समान बल आरोपित होंगे। भार मापने वाली मशीन, पात्र के आधार पर आरोपित बल को मापने के स्थान पर पात्र + जल का भार मापती है।
∵ एक पात्र में दूसरे की अपेक्षा दोगुना जल है; अतः भार मापने की मशीन के पाठ्यांक अलग-अलग होंगे।

प्रश्न 24.
रुधिर-आधान के समय किसी शिरा में, जहाँ दाब 2000 Pa है, एक सुई धेसाई जाती है। रुधिर के पात्र को किस ऊँचाई पर रखा जाना चाहिए ताकि शिरा में रक्त ठीक-ठीक प्रवेश कर सके। (रुधिर का घनत्व = 1.06 x 10kg m-3)
हुल-
शिरा में रक्त दाब P = 2000 Pa, रक्त का घनत्व ρ = 1.06 x 103 kg m-3
माना कि रक्त के पात्र की सुई से ऊँचाई = h
रक्त के शिरा में ठीक-ठीक प्रवेश करने हेतु, h ऊँचाई वाले रक्त स्तम्भ का दाब, (UPBoardSolutions.com) शिरा में रक्त स्तम्भ के दाब के ठीक बराबर होना चाहिए।
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प्रश्न 25.
बरनौली समीकरण व्युत्पन्न करने में हमने नली में भरे तरल पर किए गए कार्य को तरल की गतिज तथा स्थितिज ऊर्जाओं में परिवर्तन के बराबर माना था।
(a) यदि क्षयकारी बल, उपस्थित हैं, तब नली के अनुदिश तरल में गति करने पर दाब में परिवर्तन किस प्रकार होता है?
(b) क्या तरल का वेग बढ़ने पर क्षयकारी बल अधिक महत्त्वपूर्ण हो जाते हैं? गुणात्मक रूप में चर्चा कीजिए।
उत्तर-
(a) क्षयकारी बल की अनुपस्थिति में बहते हुए द्रव के एकांक आयतन की कुल ऊर्जा स्थिर रहती है परन्तु क्षयकारी बल की उपस्थिति में नली में तरल के प्रवाह को बनाए रखने के लिए क्षयकारी बल के विरुद्ध कार्य करना पड़ता है। इस कारण नली के अनुदिश चलने पर तरल का दाब अधिक तेजी से घटता जाता है। यही कारण है कि शहरों में जल की टंकी से बहुत दूरी पर स्थित मकानों की ऊँचाई टंकी से कम होने पर भी जल उनकी ऊपर वाली मंजिल तक नहीं पहुँच पाता। तरलों के यान्त्रिक गुण, 267
(b) हाँ, तरलं का वेग बढ़ने पर तरल की अपरूपण दर बढ़ जाती है; अतः क्षयकारी बल (श्यान बल) और अधिक महत्त्वपूर्ण हो जाते हैं।

प्रश्न 26.
(a) यदि किसी धमनी में रुधिर का प्रवाह पटलीय प्रवाह ही बनाए रखना है तो | 2 x 10-3 m त्रिज्या की किसी धमनी में रुधिर-प्रवाह की अधिकतम चाल क्या होनी चाहिए?
(b) तद्नुरूपी प्रवाह-दर क्या है ? (रुधिर की श्यानता 2.084 x 10-3 Pas लीजिए।
हल-
(a) धमनी रुधिर प्रवाह की अधिकतम चाल = क्रान्तिक वेग [latex s=2]{ \nu }_{ c }=\frac { { R }_{ e }\eta }{ \rho d } [/latex]
परन्तु धारा-रेखी प्रवाह के लिए रेनॉल्ड संख्या का अधिकतम मान
Re =2000
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प्रश्न 27.
कोई वायुयान किसी निश्चित ऊँचाई पर किसी नियत चाल से आकाश में उड़ रहा है तथा इसके दोनों पंखों में प्रत्येक का क्षेत्रफल 25 m2 है। यदि वायु की चाल पंख के निचले पृष्ठ पर 180 kmh-1 तथा ऊपरी पृष्ठ पर 234 km h-1 है तो वायुयान की संहति ज्ञात कीजिए। (वायु का घनत्व 1 kgm-3 लीजिए।) ।
हल-
वायुयान के एक पंख पर उत्थापक बल = (P2 – P1) x A
अतः दोनों पंखों पर उत्थापक बल F =2 (P2 – P1) x A
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प्रश्न 28.
मिलिकन तेल की बूंद प्रयोग में, 2.0 x 10-5 m त्रिज्या तथा 1.2 x 103 kg m-3 घनत्व की किसी बूंद की सीमान्त चाल क्या है? प्रयोग के ताप पर वायु की श्यानता 1.8 x 10-5 Pas लीजिए। इस चाल पर बूंद पर श्यान बल कितना है? (वायु के कारण बूंद पर उत्प्लावन बल की उपेक्षा कीजिए।)
हल-
किसी तरल (वायु) में गिरती हुई तेल की बूंद का सीमान्त वेग
[latex s=2]{ \nu }_{ r }=\frac { 2(\rho -\sigma ){ r }^{ 2 }.g }{ 9\eta } [/latex]
यहाँ वायु के कारण उत्प्लावन बल की उपेक्षा की गयी है। अतः σ को नगण्य अर्थात् शून्य मानते हुए
[latex s=2]{ \nu }_{ r }=\frac { 2\rho { r }^{ 2 }.g }{ 9\eta } [/latex]
परन्तु यहाँ बूंद (तेल) का घनत्व ρ = 1.2 x 103 किग्रा-मी-3, बूंद की त्रिज्या
r = 2.0 x 10-5 मीटर, बूंद का श्यानता गुणांक η = 1.8 x 10-5 Pa.s
तथा g = 9.8 मी/से2.
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प्रश्न 29.
सोडा काँच के साथ पारे का स्पर्श कोण 140° है। यदि पारे से भरी द्रोणिका में 1.00 mm त्रिज्या की काँच की किसी नली का एक सिरा डुबोया जाता है तो पारे के बाहरी पृष्ठ के स्तर की तुलना में नली के भीतर पारे का स्तर कितना नीचे चला जाता (पारे का घनत्व = 136 x 103kg m-3)
हल-
केशनली की त्रिज्या r = 1.00 mm = 10-3 m, स्पर्श कोण θ = 140°,
पारे का घनत्व ρ = 13.6 x 103 kg m-3, पृष्ठ-तनाव S = 0.4355 N m-1
माना पारे का स्तर केशनली में h ऊँचाई ऊपर उठता है तो
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प्रश्न 30.
3.0 mm तथा 6.0 mm व्यास की दो संकीर्ण नलियों को एक साथ जोड़कर दोनों सिरों से खुली एक U-आकार की नली बनाई जाती है। यदि इस नली में जल भरा है तो इस नली की दोनों भुजाओं में भरे जल के स्तरों में क्या अन्तर है? प्रयोग के ताप पर जल का पृष्ठ-तनाव 7.3 x 10-2 N m-1 है। स्पर्श कोण शून्य लीजिए तथा जल का घनत्व 10 x 103 kg m-3 लीजिए। (g = 9.8 ms-2)
हल-
त्रिज्याएँ r1 = 1.5 x 10-3 m, r2 = 3.0 x 10-3 m,
जल का पृष्ठ-तनाव S = 7.3 x 10-2 N m-1,
जल का घनत्व ρ = 1.0 x 103 kg m-3, g = 9.8 ms-2
पृष्ठ-तनाव की अनुपस्थिति में दोनों नलिकाओं में जल का तल समान ऊँचाई पर (UPBoardSolutions.com) होता। माना। पृष्ठ-तनाव के कारण जल दोनों ओर क्रमशः h1 व h2 ऊँचाई तक चढ़ता है तो दोनों नलिकाओं में जल के तल का अन्तर
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परिकलित्र/कम्प्यूटर पर आधारित प्रश्नोत्तर

प्रश्न 31.
(a) यह ज्ञात है कि वायु का घनत्व ρ, ऊँचाई y (मीटरों में) के साथ इस सम्बन्ध के अनुसार घटता है:
ρ = ρ0e-y/y0
यहाँ समुद्र तल पर वायु का घनत्व ρ0 = 1.25 kg m-3 तथा y0 एक नियतांक है। घनत्व में इस परिवर्तन को वायुमण्डल का नियम कहते हैं। यह संकल्पना करते हुए कि वायुमण्डल का ताप नियत रहता है (समतापी अवस्था) इस नियम को प्राप्त कीजिए। यह भी मानिए कि g का मान नियत रहता है।
(b) 1425 m³ आयतन का हीलियम से भरा कोई बड़ा गुब्बारा 400 kg के किसी पेलोड को उठाने के काम में लाया जाता है। यह मानते हुए कि ऊपर उठते समय गुब्बारे की त्रिज्या नियत रहती है, गुब्बारा कितनी अधिकतम ऊँचाई तक ऊपर उठेगा? . [y0 = 8000 m तथा ρHe = 0.18 kg m-3 लीजिए।]
हल-
(a) समुद्र तल से ऊँचाई पर वायु के एक काल्पनिक बेलन पर विचार कीजिए जिसका अनुप्रस्थ क्षेत्रफल A है। माना बेलन की ऊँचाई dy है। बेलन के निचले तथा ऊपर वाले सिरों पर वायु दाब क्रमशः P तथा P + dP हैं।
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परीक्षोपयोगी प्रश्नोत्तर

बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
दाब का मात्रक है ।।
(i) न्यूटन
(ii) न्यूटन-मी
(iii) न्यूटन-मी2
(iv) न्यूटन/मी2
उत्तर-
(iv) न्यूटन/मी2

प्रश्न 2.
एक व्यक्ति द्वारा भूमि पर सर्वाधिक दाब तब लगेगा, जब वह
(i) लेटा हो ।
(ii) बैठा हो
(iii) एक पैर पर खड़ा हो।
(iv) दोनों पैरों पर खड़ा हो
उत्तर-
(iii) एक पैर पर खड़ा हो

प्रश्न 3.
यदि क्षेत्रफल एक-चौथाई हो जाए, तो दाब
(i) दोगुना हो जायेगा ।
(ii) चौथाई रह जायेगा।
(iii) चार गुना हो जायेगा
(iv) वही रहेगा
उत्तर-
(iii) चार गुना हो जायेगा।

प्रश्न 4.
द्रव दाब निर्भर करता है।
(i) केवल द्रव की गहराई पर
(ii) केवल द्रव के घनत्व पर
(iii) केवल गुरुत्वीय त्वरण पर ,
(iv) गहराई, घनत्व तथा गुरुत्वीय त्वरण तीनों पर
उत्तर-
(iv) गहराई, घनत्व तथा गुरुत्वीय त्वरण तीनों पर

प्रश्न 5.
वायुमण्डलीय दाब का अचानक गिर जाना प्रदर्शित करता है।
(i) तूफान
(ii) वर्षा
(iii) स्वच्छ मौसम
(iv) शीत लहर
उत्तर-
(i) तूफान

प्रश्न 6.
बल F, दाब P तथा क्षेत्रफल A में सम्बन्ध है।
(i) F = [latex s=2]\frac { P }{ A }[/latex]
(ii) A = F x P
(iii) F = A x P
(iv) F² = P x A
उत्तर-
(i) F = A x P

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प्रश्न 7.
एक गोताखोर समुद्र में 30 मी की गहराई पर तैर रहा है उस पर लगने वाला कुल दाब का मान होगा (समुद्री जल का घनत्व) = 1000 किग्रा/मी3, 1 वायुमण्डलीय दाब = 10 x 105 न्यूटन/मी2
(i) 4 वायुमण्डलीय दाब
(ii) 10 वायुमण्डलीय दाब
(iii) 12 वायुमण्डलीय दाब
(iv) 5 वायुमण्डलीय दाब ।
उत्तर-
(i) 4 वायुमण्डलीय दाब

प्रश्न 8.
हाइड्रोलिक ब्रेक का कार्य सिद्धान्त आधारित है।
(i) चार्ल्स नियम पर ।
(ii) पास्कल नियम पर
(iii) बॉयल नियम पर
(iv) इनमें से किसी पर भी नहीं
उत्तर-
(i) पास्कल नियम पर

प्रश्न 9. एक जहाज समुद्र पर तैरता है क्योंकि
(i) जहाज द्वारा विस्थापित पानी का भार जहाज के भार के बराबर है।
(ii) जहाज द्वारा विस्थापित पानी का भार जहाज के भार से अधिक है।
(iii) जहाज द्वारा विस्थापित पानी का भार जहाज के भार से कम है।
(iv) प्रत्येक पिण्ड अवश्य ही तैरता है।
उत्तर-
(ii) जहाज द्वारा विस्थापित पानी का भार जहाज के भार से अधिक है।

प्रश्न 10.
लकड़ी का एक टुकड़ा जल में पूरा डुबोकर रखा गया है। टुकड़े पर जल का उत्क्षेप, टुकड़े के भार की अपेक्षा होगा ।
(i) अधिक
(ii) बराबर
(iii) कम
(iv) शून्य
उत्तर-
(i) अधिक

प्रश्न 11.
जल में किसी पत्थर के टुकड़े का भार उसके वायु में वास्तविक भार की तुलना में होगा
(i) बराबर :
(ii) भारी
(iii) हल्का
(iv) शून्य
उत्तर-
(iii) हल्का

प्रश्न 12. बरनौली प्रमेय पूर्णतया सत्य है।
(i) आदर्श द्रव के धारा-रेखी प्रवाह के लिए।
(ii) आदर्श द्रव के विक्षुब्ध’ प्रवाह के लिए।
(iii) वास्तविक द्रव के धारा-रेखी प्रवाह के लिए
(iv) किसी भी द्रव के किसी भी प्रकार के प्रवाह के लिए
उत्तर-
(i) आदर्श द्रव के धारा-रेखी प्रवाह के लिए

प्रश्न 13. बरनौली प्रमेय आधारित है।
(i) संवेग संरक्षण पर
(ii) ऊर्जा संरक्षण पर
(iii) द्रव्यमान संरक्षण पर
(iv) वेग संरक्षण पर,
उत्तर-
(ii) ऊर्जा संरक्षण पर

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प्रश्न 14. एक वायुयान कार्य करता है।
(i) आर्किमिडीज के सिद्धान्त पर
(ii) पास्कल के नियम पर
(iii) बरनौली सिद्धान्त पर
(iv) स्टोक्स के नियम पर
उत्तर-
(iii) बरनौली सिद्धान्त पर

प्रश्न 15. जल से भरे बर्तन में मुक्त तल से 3.2 मीटर गहराई पर एक छिद्र है। यदि गुरुत्वीय त्वरण 10 मी/से2 हो तो जल का बहिसाव वेग होगा।
(i) 5.7 मी/से
(ii) 5.7 सेमी/से
(iii) 8.0 मी/से
(iv) 32 मी/से
उत्तर-
(iii) 8.0 मी/से ।

प्रश्न 16..किसी असमान त्रिज्या वाली नली में जल बह रहा है। नली में प्रविष्टि तथा निकासी सिरों की त्रिज्याओं का अनुपात 3:2 है। नली में प्रविष्ट करने वाले तथा निकलने वाले जल के वेगों का अनुपात होगा
(i) 8:27
(ii) 4:9
(iii) 1:1
(iv) 9:4
उत्तर-
(ii) 4:9

प्रश्न 17. ताप के बढ़ने पर श्यानता गुणांक ।
(i) गैसों तथा द्रवों दोनों का बढ़ता है।
(ii) गैसों तथा द्रवों दोनों का घटता है।
(iii) गैसों का बढ़ता है तथा द्रवों का घटता है।
(iv) गैसों का घटता है तथा द्रवों का बढ़ता है।
उत्तर-
(ii) गैसों का बढ़ता है तथा द्रवों का घटता है।

प्रश्न 18. दो छोटी गोलियाँ जिनकी त्रिज्याओं का अनुपात 1:2 है, किसी श्याने द्रव से होकर गिर रही हैं। उनकी सीमान्त चालों का अनुपात होगा।
(i) 1:2
(ii) 1:4
(iii) 2:1
(iv) 4:1
उत्तर-
(ii) 1:4 .

प्रश्न 19.
श्यान द्रव में सीमान्त वेग से गिरने वाले पिण्ड का त्वरण होता है
(i) शून्य
(ii) g
(iii) g से अधिक
(iv) g से कम
उत्तर-
(i) शून्य ।

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प्रश्न 20. वर्षा की एक छोटी बूंद सीमान्त चाल से नीचे गिर रही है। इस बूंद से दोगुनी त्रिज्या वाली दूसरी बूंद का सीमान्तवेग होगा
(i) ν
(ii) 2ν
(iii) 8ν
(iv) 4ν
उत्तर-
(iv) 4ν

प्रश्न 21.
वर्षा की बूंद की वायु में सीमान्त चाल थे बराबर है।
(i) ν = krη
(ii) ν = kr²η
(iii) ν = krη²
(iv) ν = kr²/η
उत्तर-
(iv) ν = kr²/η

प्रश्न 22.
द्रव का पृष्ठ तनाव
(i) पृष्ठ क्षेत्रफल के साथ बढ़ता है।
(ii) पृष्ठ क्षेत्रफल के साथ घटता है।
(iii) ताप के साथ बढ़ता है।
(iv) ताप के साथ घटता है।
उत्तर-
(iv) ताप के साथ घटता है।

प्रश्न 23. पृष्ठ तनाव का विमीय सूत्र है।
(i) [MLT²]
(ii) [ML²T²]
(iii)[MT-2]
(iv) [MLT-1]
उत्तर-
(iii) [MT-2]

प्रश्न 24.
किसी केशनली में जल 4 सेमी की ऊँचाई तक चढ़ता है। यदि नली की अनुप्रस्थ-काट का क्षेत्रफल एक-चौथाई कर दिया जाये तो जल किस ऊँचाई तक चढेगा?
(i) 2 सेमी :
(ii) 4 सेमी
(iii) 8 सेमी
(iv) 12 सेमी
उत्तर-
(iii) 8 सेमी

प्रश्न 25.
साबुन के घोल के बुलबुले की त्रिज्या R तथा पृष्ठ तनाव T है, बुलबुले के भीतर आधिक्य दाब का सूत्र है।
(i) T/R
(ii) 2T/R
(iii)4T/R
(iv) T/2R
उत्तर-
(iii) 4T/R

प्रश्न 26. वर्षा की बूंद की वायु में सीमान्त चाल है।
(i) ν =krη
(ii) ν = kr²η
(iii) ν = krη²
(iv) ν = kr²η
जहाँ r, जल की बूंद की त्रिज्या, η वायु का श्यानता. गुणांक तथा k नियतांक है।.
उत्तर-
(iv) ν = kr²/η

प्रश्न 27.
2 x 10-6 मी2 पृष्ठ क्षेत्रफल की एक गोलाकार बूंद है, जिसके द्वेव का पृष्ठ-तनाव 7.5 x 10-2 न्यूटन/मी है। यह समान त्रिज्या की 8 गोलाकार बूंदों में विभक्त हो जाती है। इस प्रक्रिया में किया गया कार्य होगा ।
(i) 0.75 x 10-7 जूल
(ii) 1.5 x 10-7 जूल
(iii) 4.5 x 10-7 जूल।
(iv)3.0 x 10-7 जूल
उत्तर-
(ii) 1.5 x 10-7 जूल ।

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प्रश्न 28. जल की एक बड़ी बूंद को 27 छोटी बूंदों में स्प्रे किया गया है। छोटी बूंद के भीतर दाब आधिक्य बड़ी बूंद की अपेक्षा कितना होगा?
(i) दोगुना ।
(ii) तीन गुना
(iii) आधा
(iv) एक-तिहाई
उत्तर-
(ii) तीन गुना ।

प्रश्न 29. एक ऊर्ध्वाधर केशनली में जल 10 सेमी लम्बाई तक चढ़ता है। यदि नली को 45° झुका दिया जाये तो नली के चढ़े हुए जल की लम्बाई होगी।
(i) 10 सेमी.
(ii) 10√2 सेमी
(iii) [latex s=2]\frac { 10 }{ \sqrt { 2 } } [/latex] सेमी
(iv) 5 सेमी
उत्तर-
(ii) 10√2 सेमी :

प्रश्न 30. साबुन के दो बुलंबुलों के अन्दर आधिक्य दाब क्रमशः 1.01 वायुमण्डल और 1.02 वायुमण्डल हैं। इन बुलबुलों के आयतनों का अनुपात है।
(i) 102 : 101
(ii) (102)2 : (101)3
(iii) 8:1
(iv) 2:1
उत्तर-
(ii) (102)2 : (101)3

प्रश्न 31.
साबुन के दो बुलबुलों की त्रिज्याएँ 2:1 के अनुपात में हैं। उनके भीतर आधिक्य दाब को अनुपात है।
(i) 1: 2
(ii) 2:1
(ii) 4:1
(iv) 1:4
उत्तर-
(i) 1: 2

प्रश्न 32.
लोहे की एक सूई पानी की सतह पर तैरती है। इस परिघटना का कास्ण है।
(i) द्रव का उत्प्लावन
(ii) श्यानता
(iii) पृष्ठ तनाव
(iv) गुरुत्वीय त्वरण
उत्तर-
(ii) पृष्ठ तनाव

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
दाब से क्या तात्पर्य है। इसका मात्रक लिखिए।
उत्तर-
द्रव द्वारा सम्पर्क सतह के प्रति एकांक क्षेत्रफल पर आरोपित (UPBoardSolutions.com) अभिलम्बवत् बल को दाब कहते हैं। दाब का मात्रक न्यूटन/मी अथवा पास्कल होता है।

प्रश्न 2.
बल तथा दाब में सम्बन्ध का सूत्र लिखिए।
उत्तर-
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प्रश्न 3.
द्रव में किसी गहराई hपर द्रव-दाब क्या होगा?
उत्तर-
P= hdg

प्रश्न 4.
यदि बल को चार गुना तथा तल के क्षेत्रफल को आधा कर दें तो दोब, प्रारम्भिक दाब का कितने गुना हो जायेगा?
उत्तर-
आठ गुना।

प्रश्न 5.
द्रव का दाब किस पर निर्भर करता है?
उत्तर-
द्रव स्तम्भ की ऊँचाई पर।

प्रश्न 6.
तरल दाब से क्या तात्पर्य है। इसके लिए सूत्र बताइए।
उत्तर-
किसी पात्र या बर्तन में उपस्थित तरल द्वारा पात्र या बर्तन की दीवारों के प्रति एकांक क्षेत्रफल पर आरोपित बल को तरल दाब कहते हैं। द्रव के स्वतन्त्र तल से h गहराई पर द्रव के दाब, P = hρg यहाँ, ρ = द्रव का घनत्व, g = गुरुत्वीय त्वरण

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प्रश्न 7.
कील एक सिरे से नुकीली क्यों बनाते हैं?
उत्तर-
जिससे कम बल लगाकर भी दाब अधिक लगे।

प्रश्न 8.
यदि बल को नियत रखा जाए तथा क्षेत्रफल आधा कर दिया जाए तो दाब पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
उत्तर-
हम जानते हैं कि, दाब
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दाब, क्षेत्रफल के व्युत्क्रमानुपाती होता है। अत: क्षेत्रफल आधा कर देने पर दाब दोगुना हो जाएगा।

प्रश्न 9.
हमें वायुमण्डलीय दाब का अनुभव क्यों नहीं होता?
उत्तर-
रक्त दाब के कारण हमें वायुमण्डलीय दाब का अनुभव नहीं होगा।

प्रश्न 10.
वायुमण्डल में बहुत अधिक ऊपर जाने पर रक्तनलिकाओं के फटने का डर क्यों रहता है?
उत्तर-
वायुदाब कम होने के कारण तथा रक्तदाब से सन्तुलन बिगड़ने के कारण।”

प्रश्न 11.
स्पिन करती टेनिस की गेंद एक सरल रेखा पर नचलकर वक्राकार पथ पर क्यों चलती है?
उत्तर-
गेंद के ऊपर वायु-दाब अधिक तथा गेंद के नीचे कम होता है। इस दाबान्तर के कारण गेंद सरल रेखा में न चलकर, नीचे की ओर झुकते हुए वक्राकार पथ पर चलती है।

प्रश्न 12.
पास्कल नियम के दो अनुप्रयोग बताइए।
उत्तर-
द्रवचालित ब्रेक, द्रवचालित लिफ्ट।

प्रश्न 13.
आर्किमिडीज के सिद्धान्त के आधार पर द्रव के आपेक्षिक घनत्व का सूत्र लिखिए।
उत्तर-
द्रव का आपेक्षिक घनत्व
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प्रश्न 14.
किसी ठोस को किसी द्रव में डुबोने पर ठोस के भार में कितनी कमी होती है?
उत्तर-
उसके द्वारा हटाये गये द्रव के भार के बराबर

प्रश्न 15.
एक कॉर्क जल पर तैर रही है। इसका आभासी भार क्या है?
उत्तर-
शून्य, क्योंकि कॉर्क का भार कॉर्क पर जल के (UPBoardSolutions.com) प्रणोद (Upthrust) द्वारा सन्तुलित हो जाता है।

प्रश्न 16.
गेज दाब को समझाइए। उत्तर-द्रव के अन्दर किसी बिन्दु पर द्रव स्थैतिक दाब (p’) तथा वायुमण्डलीय दाब (PA) का अन्तर उस बिन्दु पर
गेज दाब कहलाता है।
UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 10 Mechanical Properties Of Fluids 34

प्रश्न 17.
धारा रेखीय प्रवाह से आप क्या समझते हैं?
उत्तर-
यदि द्रव के प्रवाह में किसी एक बिन्दु से होकर गुजरने वाले द्रव के सभी कण एक ही वेग से, एक ही मार्ग से होकर गुजरें, तब यह प्रवाह धारा रेखीय प्रवाह कहलाता है।

प्रश्न 18.
आदर्श द्रव के धारा रेखीय प्रवाह के अविरतता के सिद्धान्त का उल्लेख कीजिए।
उत्तर-
इस सिद्धान्त के अनुसार, यदि कोई द्रव किसी असमान अनुप्रस्थ-परिच्छेद की नलिका में धारा रेखीय प्रवाह में बह रहा हो, तब प्रत्येक बिन्दु पर नली के अनुप्रस्थ-काट का क्षेत्रफल (A) तथा द्रव के वेग (ν) का गुणनफल नियत रहता है, अर्थात् A x ν = नियतांक

प्रश्न 19.
आदर्श द्रव के धारा रेखीय प्रवाह के लिए बरनौली का प्रमेय समीकरण प्रयुक्त चिह्नों का अर्थ । बताते हुए लिखिए।
उत्तर-
बरनौली का समीकरण p = [latex s=2]\frac { 1 }{ 2 }[/latex]ρν² + ρgh नियतांक
जहाँ p = दाब, ρ = द्रव का घनत्व, ν = द्रव प्रवाह का वेग, g = गुरुत्वीय त्वरण, h = पृथ्वी तल से स्थान की ऊँचाई ।
इसके अतिरिक्त p,[latex s=2]\frac { 1 }{ 2 }[/latex]ρν² (UPBoardSolutions.com) तथा ρgh क्रमशः दाब ऊर्जा, गतिज ऊर्जा तथा स्थितिज ऊर्जा को व्यक्त करते हैं।

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प्रश्न 20.
बरनौली प्रमेय में दाब शीर्ष, वेग शीर्ष तथा गुरुत्वीय शीर्ष के लिए सूत्र लिखिए।
उत्तर-
UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 10 Mechanical Properties Of Fluids 35

प्रश्न 21.
एक टंकी की ऊँचाई hहै। टंकी की दीवार में नीचे से hऊँचाई पर एक सूक्ष्म छिद्र है। जब टंकी को पानी से पूरा भर लिया जाता है, तो छिद्र से पानी कितने वेग से निकलेगा तथा कितनी क्षैतिज दूरी पर गिरेगा?
हल-
चित्र 10.6 में A तथा B बिन्दुओं पर बरनौली प्रमेय लगाने पर,
UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 10 Mechanical Properties Of Fluids 36

प्रश्न 22.
क्रिकेट तथा टेनिस के खेल में चक्रण (spin) करती हुई गेंद अपने मार्ग से घूम जाती है, इसकी व्याख्या किस सिद्धान्त या प्रमेय के आधार पर की जा सकती है?
उत्तर-
बरनौली प्रमेय के आधार पर।

प्रश्न 23.
ऊँचाई के साथ जाने पर वायु के घनत्व पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर-
वायु का घनत्व कम होता जाता है।

प्रश्न 24.
लकड़ी के एक पिण्ड का भार w तथा आयतन v है। जल पर तैराने पर पिण्ड का भार कितना होगा?
उत्तर-
शून्य।

प्रश्न 25.
जब गुब्बारा उड़ता हुआ किसी निश्चित ऊँचाई पर पहुँच कर रुक जाता है तो उस स्थान की वायु तथा गुब्बारे में भरी गैस के घनत्व में क्या सम्बन्ध होगा?
उत्तर-
दोनों के घनत्व बराबर होंगे।

प्रश्न 26. सन्तुलित भौतिक तुला के एक पलड़े के नीचे तेजी से हवा चलाने पर तुला के सन्तुलन पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
उतर-
पलड़े के नीचे वायु-वेग बढ़ने से दाब कम हो (UPBoardSolutions.com) जायेगा। अत: पलड़ा कुछ नीचे झुक जायेगा।

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प्रश्न 27.
गहरा जल सदैव शान्त होता है, कारण बताइए।
उत्तर-
गहरे जल का द्रवस्थैतिक दाब अधिक होता है इसलिए वहाँ जल का वेग कम होगा अर्थात् जल शान्त होगा।

प्रश्न 28.
नदी के किनारे जल का वेग कम तथा बीच में अधिक होता है?
उत्तर-
नदी के किनारे जल का वेग कम तथा बीच में अधिक इसलिए होता है क्योंकि स्थिर पृष्ठ से दूर जाने पर जल की परतों का वेग बढ़ता है।

प्रश्न 29.
श्यानता गुणांक को परिभाषित कीजिए। इसकी विमा और मात्रक भी लिखिए।
उत्तर-
किसी द्रव का श्यानता गुणांक उस द्रव की एकांक सम्पर्क क्षेत्रफल वाली दो परतों के बीच कार्यरत् । श्यान बल के परिमाण के बराबर होता है, जबकि परतों के मध्य वेग-प्रवणता एकांक होती है। इसका SI मात्रक किग्रा/मी-से तथा विमा [ML-1T-1] होती है।

प्रश्न 30.
जल, वायु, रक्त तथा शहद में कौन सबसे अधिक श्यान होता है तथा कौन सबसे कम?
उत्तर-
शहद, वायु।

प्रश्न 31.
श्यान बल से सम्बन्धित स्टोक का सूत्र लिखिए।
उत्तर-
श्यान बल F = 6πηrν.

प्रश्न 32.
श्यान व्रव में गिरती हुई गोली की सीमान्त चाल के लिए सूत्र लिखिए।
उत्तर-
सीमान्त चाल [latex s=2](\nu )=\frac { 2 }{ 9 } \frac { { r }^{ 2 }(\rho -\sigma ) }{ \eta } g[/latex]
जहाँ, r = गोली की त्रिज्या, g = गुरुत्वीय त्वरण, (UPBoardSolutions.com) σ = श्यान द्रव का घनत्व, ρ = गोली के पदार्थ का घनत्व,η = द्रव का श्यानता गुणांक

प्रश्न 33.
किसी व्रव का क्रान्तिक वेग किन-किन बातों पर निर्भर करता है?
उत्तर-
द्रव की श्यानता पर, द्रव के घनत्व पर तथा नली की त्रिज्या पर
[latex s=2]\left( { \nu }_{ c }=\frac { k\eta }{ \rho a } \right) [/latex]

प्रश्न 34.
क्या वर्षा की गिरती बूंदों की चाल लगातार बढ़ती जाती है? क्या बड़ी व छोटी बूंदें पृथ्वी पर एक ही चाल से पहुँचती हैं?
उत्तर-
नहीं, वे एक सीमान्त चाल से नीचे गिरती हैं। नहीं, बड़ी बूंद की सीमान्त चाल अधिक होती है।

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प्रश्न 35.
किसी श्यान द्रव में गिरती हुई गोली का त्वरण शून्य कब होता है?
उत्तर-
जब गोली पर लगने वाला नेट बल शून्य हो।

प्रश्न 36.
आकाश में बादल तैरते क्यों दिखाई देते हैं? ।
उत्तर-
जब जल की वाष्प धूल के कणों पर संघनित्र होती है, तो शुरू में बूंदें बहुत छोटी होती हैं तथा वायु की श्यानता के कारण यह सीमान्त चाल प्राप्त कर लेती हैं तथा नीचे की ओर बहुत धीमी चाल से चलती हैं, क्योंकि यह चाल बूंदों की त्रिज्या जो कि बहुत छोटी है, के वर्ग के अनुक्रमानुपाती होती है; इन्हें ही बादल कहते हैं तथा ये आकाश में तैरते प्रतीत होते हैं।

प्रश्न 37.
किसी द्रव के पृष्ठ-तनाव की परिभाषा दीजिए।
उत्तर-
किसी द्रव का पृष्ठ-तनाव वह बल है जो कि द्रव के पृष्ठ पर खींची गई किसी काल्पनिक रेखा की एकांक लम्बाई पर पृष्ठ के तेल में तथा रेखा के लम्बवत् कार्य करता है। इसका S.I. मात्रक न्यूटन/मीटर है।

प्रश्न 38.
किसी द्रव में बने हुए वायु के बुलबुले के भीतर दाब-आधिक्य का सूत्र लिखिए।
उत्तर-
p = [latex s=2]\frac { 2T }{ R }[/latex]

प्रश्न 39.
पृष्ठ-तनाव की परिभाषा पृष्ठीय ऊर्जा के पदों में दीजिए।
उत्तर-
T पृष्ठ-तनाव वाले द्रव के पृष्ठीय क्षेत्रफल में ΔA की वृद्धि करने में किया गया कार्य अर्थात् | पृष्ठीय ऊर्जा w = T x ΔA अथवा  [latex s=2]T=\frac { W }{ \Delta A } [/latex] यदि ΔA = 1, तो W = T, अत: किसी द्रव का पृष्ठ-तनाव उस कार्य के बराबर होता है जो (UPBoardSolutions.com) नियत ताप पर उस द्रव के पृष्ठ के क्षेत्रफल में एकांक वृद्धि कर दे। अत: पृष्ठ-तनाव का मात्रक जूल/मी² भी लिखा जा सकता है।

प्रश्न 40.
गर्म सूप ठण्डे सूप की अपेक्षा अधिक स्वादिष्ट लगता है। क्यों?
उत्तर-
ठण्डे सूप की अपेक्षा गर्म सूप का पृष्ठ-तनाव कम होता है। अतः गर्म सूप ठण्डे सूप की अपेक्षा जीभ का अधिक क्षेत्रफल घेरता है जिससे कि वह ठण्डे सूप की तुलना में अधिक स्वादिष्ट लगता है।।

प्रश्न 41.
पृष्ठ ऊर्जा में क्या परिवर्तन होगा, यदि जल की एक बड़ी बूंद को अनेक छोटी-छोटी बूंदों में विभक्त किया जाये?
उत्तर-
पृष्ठ ऊर्जा बढ़ जाएगी।

प्रश्न 42.
किसी केशिका नली में जल के उन्नयन का सूत्र लिखिए।
उत्तर-
h =2T cos θ/rρg.

प्रश्न 43.
दो साबुन के बुलबुलों की त्रिज्याओं का अनुपात 1:4है। उनके आधिक्य दाबों का अनुपात क्या होगा?
उत्तर-
p ∝ 1/R ⇒ p: p2 = R2: R1 = 4 : 1

प्रश्न 44.
द्रव की छोटी बूंदें लगभग गोल आकार क्यों धारण कर लेती हैं? समझाइए।
उत्तर-
पृष्ठ-क्नाव के कारण द्रव का स्वतन्त्र तल सिकुड़कर न्यूनतम क्षेत्रफल ग्रहण करने की प्रवृत्ति रखता है। चूंकि किसी दिये हुए आयतन के लिए गोले के पृष्ठ का क्षेत्रफल (surface area) न्यूनतम (minimum) होता है। इसलिए द्रव की छोटी बूंदें लगभग गोल आकार धारण कर लेती हैं।

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प्रश्न 44.
साबुन के घोल का पृष्ठ-तनाव 30 x 10-2 न्यूटन/मी है। इसका क्या अर्थ है?
उत्तर-
इसका अर्थ है कि साबुन के घोल के पृष्ठ पर खींची गयी काल्पनिक रेखा की एक मीटर लम्बाई पर इसके लम्बवत् 3.0 x 10-2 न्यूटन स्पर्शरेखीय बल कार्य करेगा।

प्रश्न 46.
स्पर्श कोण क्या है?
उत्तर-
“द्रव व ठोस के स्पर्श बिन्दु से द्रव के पृष्ठ पर खींची गयी स्पर्श रेखा तथा ठोस के (UPBoardSolutions.com) पृष्ठ पर द्रव के अन्दर की ओर खींची गयी स्पर्श रेखा के बीच बने कोण को उस ठोस व द्रव के लिए स्पर्श कोण कहते हैं।” चित्र 10.7 में स्पर्श कोण को θ से प्रदर्शित किया गया है।
UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 10 Mechanical Properties Of Fluids 37

प्रश्न 47.
खेत की जुताई करने से उसकी नमी रुकती है। भौतिक सिद्धान्त की सहायता से व्याख्या कीजिए।
उत्तर-
फसल में पानी देने के बाद गुड़ाई कर दी जाती है और वर्षा के बाद किसान खेत की जुताई कर देता है। पानी देने के बाद मिट्टी में केशिकाएँ बन जाती हैं जिनमें पानी का वाष्पीकरण होता रहता है परन्तु गुड़ाई या जुताई करने के बाद ये केशिका नलियाँ टूट जाती हैं जिससे पानी का वाष्पीकरण नहीं हो पाता है। अतः मिट्टी में नमी बनी रहती है।

प्रश्न 48.
लोहे का घनत्व जल की अपेक्षा अधिक होता है, फिर भी लोहे की । पतली सूई जल पर तैर सकती है। क्यों?
उत्तर-
एक स्वच्छ पतली सूई को स्याही सोखते पर रखकर धीरे से पानी की सतह पर रखते हैं। सोखता कुछ देर तक पानी को सोखकर गीला होता रहता है। और अन्त में डूब जाता है, परन्तु सुई पानी पर तैरती रहती है। इसका कारण जल का पृष्ठ-तनाव ही है। चित्र 10.8 में जल के (UPBoardSolutions.com) पृष्ठ पर तैरती हुई सूई का ॐ अनुप्रस्थ-काट दिखाया गया है। जल के पृष्ठ पर तैरती हुई सूई पर दो बल लगते (i) पृष्ठ-तनाव बल T, (ii) सूई का भार W। पृष्ठ-तनाव का परिणामी बल । ऊर्ध्वाधर दिशा में ऊपर की ओर लगता है जो सूई के भार W को सन्तुलित करता है। फलस्वरूप सूई तैरती है।
UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 10 Mechanical Properties Of Fluids 38

प्रश्न 49.
समुद्र की लहरों को शान्त करने के लिए लहरों पर तेल डाल देते हैं; क्यों?
उत्तर-
तेल डाल देने पर, तेज हवा तेल को जल के पृष्ठ पर हवा की दिशा में दूर तक फैला देती है। बिना तेल वाले जल का पृष्ठ तनाव तेल वाले जल से अधिक होता है। अत: बिना तेल वाला जल तेल वाले जल । को वायु की विपरीत दिशा में खींचता है जिससे की लहरें शान्त हो जाती हैं।

प्रश्न 50.
पृष्ठ-तनाव पर किन बातों का प्रभाव पड़ता है?
उत्तर-
पृष्ठ-तनाव पर निम्नलिखित बातों को प्रभाव पड़ता है
1. ताप का प्रभाव Effect of temperature ताप बढ़ने से संसंजक बल का मान घट जाता है। | जिसके फलस्वरूप पृष्ठ-तनाव घट जाता है। क्रान्तिक ताप पर पृष्ठ-तनाव शून्य होता है।
2. संदूषण का प्रभाव Effect of contamination यदि द्रव के तल पर धूल, कोई चिकनाई; जैसे- ग्रीस या तेल हो, तो इससे द्रव का पृष्ठ-तनाव घट जाता है।
3. विलेय का प्रभाव Effect of solute प्रयोगों से ज्ञात होता है कि जल का पृष्ठ तनाव उसमें घोले गये पदार्थ व उसकी घुलनशीलता पर निर्भर करता है। उदाहरण के लिए, जल में नमक घोलने पर जल का पृष्ठ-तनाव बढ़ जाता है। इसके विपरीत जल में साबुन घोलने पर जल को पृष्ठ-तनाव घट जाता

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लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. द्रव दाब के नियम लिखिए।
उत्तर-
द्रव दाब के नियम-ये नियम निम्नलिखित हैं
1. किसी द्रव के भीतर एक ही क्षैतिज तल में स्थित सभी बिन्दुओं पर दाब समान होता है।
2. द्रव से भरे बीकर में डूबे पिण्ड अथवा उसकी दीवारों पर द्रव द्वारा आरोपित दाब पिण्ड के पृष्ठ के प्रत्येक बिन्दु के लम्बवत् कार्य करता है।
3. स्थिर द्रव के भीतर किसी बिन्दु पर दाब द्रव के मुक्त पृष्ठ से उस बिन्दु की गहराई के अनुक्रमानुपाती है।
4. किसी द्रव का दाब उसके घनत्व के अनुक्रमानुपीती होता है।
5. द्रव दाब बीकर के क्षेत्रफल पर निर्भर नहीं करता। अतः दाब परिकलन के लिए द्रव के स्तम्भ की । ऊँचाई व घनत्व महत्त्वपूर्ण हैं। पात्र की आकृति व आधार का अनुप्रस्थ-काट द्रव दाब की गणना में महत्त्व नहीं रखता है।

प्रश्न 2.
एक द्रव स्तम्भ द्वारा उत्पन्न दाब का व्यंजक प्राप्त कीजिए। या तरल स्तम्भ के कारण दाबे का व्यंजक प्राप्त कीजिए।
उत्तर-
UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 10 Mechanical Properties Of Fluids 39
तरल स्तम्भ के कारण दाब Pressure due to fluid column- द्रव के भीतर स्थित किसी बिन्दु पर दाब माना कि किसी द्रव में उसके स्वतंत्र तल से h गहराई पर कोई बिन्दु B स्थित है, जहाँ पर हमें द्रव के दाब का मान ज्ञात करना है। बिन्दु B को केन्द्र मानकर कोई वृत्त खींचो। माना कि इस वृत्त का क्षेत्रफल A है। इस क्षेत्रफल पर द्रव द्वारा आरोपित बल, इस पर खड़े h ऊँचाई के बेलनाकार द्रव स्तम्भ के भार के बराबर होगा।
अब द्रव स्तम्भ का आयतन V= क्षेत्रफल x ऊँचाई = A x h
यदि द्रव का घनत्व ρ हो, तो द्रव स्तम्भ का द्रव्यमान |
m = V x ρ = A x H x ρ
तथा द्रव का स्तम्भ का भार W = mg = Ahρg
जहाँ g गुरुत्वीय त्वरण है।
यह लम्बवत् भार (बल) w बिन्दु B के चारों ओर A क्षेत्रफल पर आरोपित रहता है। अतः बिन्दु B पर द्रव का दाब
UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 10 Mechanical Properties Of Fluids 40
अत: द्रव के अन्दर किसी बिन्दु पर द्रव के कारण दाब द्रव की सतह से उस बिन्दु तक की गहराई, द्रव के घनत्व तथा गुरुत्वीय त्वरण के गुणनफल के बराबर होता है।
अतः उपर्युक्त सूत्र किसी तरल (द्रव अथवा गैस) के h ऊँचाई के स्तम्भ के कारण दाब का सूत्र है। इस सूत्र में एक ही द्रव के लिए ρ नियत तथा स्थान विशेष के लिए g नियत होता है अत: P ∝ h. अतः दिए गये द्रव के अन्दर किसी बिन्दु पर दांब, द्रव के स्वतन्त्र तल से उस बिन्दु की गहराई के अनुक्रमानुपाती होता है। यह उस बर्तन के आकार अथवा आकृति पर निर्भर नहीं करता जिसमें द्रव रखा जाता है।

प्रश्न 3.
आर्किमीडिज का सिद्धान्त लिखिए।
उत्तर-
आर्किमीडिज का सिद्धान्त–इसके अनुसार, “जब कोई वस्तु किसी द्रव में (UPBoardSolutions.com) पूरी अथवा आंशिक रूप से डुबोई जाती है तो उसके भार में कमी प्रतीत होती है। भार में यह आभासी कमी उस वस्तु द्वारा हटाये गये द्रव के भार के बराबर होती है।”
माना किसी वस्तु का वायु में भार W1, तथा द्रव में डुबोने पर वस्तु का भार W2 है;
अत: द्रव में डूबने से वस्तु के भार में आभासी कमी = W1 – W2,
यदि वस्तु के द्रव में डूबे भाग का आयतन V हो तो इसके द्वारा हटाये गये द्रव का आयतन भी v ही होगा। यदि द्रव का घनत्व d हो तो ।
वस्तु. द्वारा हटाये गये द्रव का द्रव्यमान = V x d
हटाये गये द्रव का भार = V x d x g
अत: आर्किमिडीज के सिद्धान्त से, वस्तु के भार में कमी
(W1-W2) = V x d x g

प्रश्न 4.
उत्प्लावन (उत्क्षेप) से क्या तात्पर्य है? उत्प्लावन का सूत्र प्राप्त कीजिए।
उत्तर-
उत्प्लावन बल अथवा उत्क्षेप तथा उत्प्लावन केन्द्र प्रत्येक द्रव अपने अन्दर पूर्ण अथवा आंशिक रूप से डूबी वस्तु पर ऊपर की ओर एक बल लगाता है। इस बल को उत्प्लावन बल अथवा. उत्क्षेप कहते हैं। किसी वस्तु पर द्रव का उत्क्षेप वस्तु द्वारा हटाए गए भार के बराबर होता है। यह बल वस्तु द्वारा हटाए गए द्रव के गुरुत्व केन्द्र पर कार्य करता है, इसे उत्प्लावन केन्द्र कहते हैं। उत्प्लावन बल के कारण ही द्रव में डूबी वस्तुएँ अपने वास्तविक भार से हल्की लगती हैं। यदि ρ घनत्व वाले किसी द्रव में किसी वस्तु का V आयतन डूबा है तो वस्तु पर द्रव का उत्क्षेप = हटाए गए द्रव का भार
= वस्तु का डूबा हुआ आयतन x द्रव का घनत्व x g = Vρg

प्रश्न 5.
प्लवन या तैरने का नियम लिखिए।
उत्तर-
तैरनेका नियम-जब कोई वस्तु किसी द्रव में आंशिक या पूर्ण रूप से डूबी या तैरती है तो वस्तु का कुल भार डूबे हुए भाग द्वारा हटाये गये द्रव के भार के बराबर होता है।

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प्रश्न 6.
भारी वाहनों के पहियों के टायर काफी चौड़े क्यों बनाये जाते हैं?
उत्तर-
भारी वाहनों के पहियों के टायर चौड़े होने से (क्षेत्रफल A अधिक है) सड़क अथवा जमीन पर लगने वाला दाब (P = F / A) कम हो जाता है, क्योंकि वाहन का भार अधिक क्षेत्रफल पर लगता है, इसीलिए वाहन के पहिये सड़क में धंसने से बच जाते हैं।

प्रश्न 7
ऊँट रेगिस्तान में आसानी से क्यों चल लेता है?
उत्तर-
सूत्र दाब =बल/क्षेत्रफल से, ऊँट के पैर चौड़े होने के कारण इनका क्षेत्रफल अधिक होता है, अतः पृथ्वी पर दाब कम लगता है। इस कारण पैरों के नीचे की पृथ्वी धंसती नहीं है, अतः ऊँट रेगिस्तान में आसानी से चल लेता है।

प्रश्न 8.
रेलगाड़ी की पटरियों के नीचे लकड़ी या लोहे के चौड़े स्लीपर क्यों लगाये जाते हैं?
उत्तर-
यदि पटरियों के नीचे चौड़े स्लीपर न लगाये जायें तो पटरियाँ अधिक दबाव के कारण जमीन में धंस सकती हैं। पटरियों के नीचे स्लीपर लगाने से क्षेत्रफल अधिक हो जाता है जिसके कारण दाब कम पड़ता है और पटरी जमीन में नहीं धंसती।

प्रश्न 9.
लोहे से बना जहाज समुद्र में तैरता है, परन्तु लोहे का ठोस टुकड़ा (कील) डूब जाता है, क्यों? सम्बन्धित नियम देते हुए कथन की व्याख्या कीजिए।
उत्तर-
लोहे की कील की बनावट इस प्रकार की होती है कि उसका भार, उसके द्वारा हटाये गये जल के भार से बहुत अधिक होता है। इसी कारण वह जल में डूब जाती है। इसके विपरीत, लोहे का जहाज तैरता रहता है। इसका कारण यह है कि जहाज का ढाँचा अवतल होता है तथा अन्दर से खोखला बनाया जाता है। जैसे ही जहाज समुद्र में प्रवेश करता है तो उसके द्वारा (उसकी बनावट के कारण) इतना जल हटा दिया जाता है कि उसके द्वारा हटाये गये जल का भार, जहाज (जहाज व उसके समस्त समान सहित) के कुल भार के बराबर हो जाता है। इसी कारण पास्कल के सिद्धान्त के अनुसार, जहाज तैरता रहता है।

प्रश्न 10.
हिमखण्ड जल पर क्यों तैरता है?
उत्तर-
हिमखण्ड का घनत्व, जल के घनत्व से कम होता है, जिससे हिमखण्ड के आयतन के बराबर जल का उत्क्षेप-बल हिमखण्ड के भार से अधिक हो जाता है और हिमखण्ड जल पर तैरता रहता है। तैरते समय हिमखण्ड का केवल उतना आयतन ही जल में डूबता है, जितने आयतन के द्वारा हटाये गये जल का भार हिमखण्ड के भार के बराबर होता है।

प्रश्न 11.
0.02 मी2 तथा 0.04 मी2 परिच्छेद क्षेत्रफल के दो क्षैतिज पाइप एक-दूसरे से जुड़े हैं, जिसमें जल बह रहा है। पहले पाइप में जल की चाल 16 मी/से तथा दाब 2.0 x 104 न्यूटन/मी2 है। दूसरें पाइप में जल की चाल तथा दाब की गणना कीजिए।
हल-
दिया है, पहले पाइप के परिच्छेद का क्षेत्रफल (A1) = 0.02 मी2
दूसरे पाइप के परिच्छेद का क्षेत्रफल (A1) = 0.04 मी2
पहले पाइप में जल की चाल = (ν1) = 16 मी/से
पहले पाइप में जल का (UPBoardSolutions.com) दाब (ρ1) = 2 x 104 न्यूटन/मी2
अविरतता के सिद्धान्त से, A1ν1 = A2ν2
UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 10 Mechanical Properties Of Fluids 41UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 10 Mechanical Properties Of Fluids 41

प्रश्न 12.
असमान परिच्छेद की एक बेलनाकार पाइप में जल प्रवाहित हो रहा है। एक स्थान पर नली की त्रिज्या 0.3 मी है तथा जल का वेग 1.0 मी/से है। दूसरे स्थान पर जहाँ नली की त्रिज्या 0.15 मी है, वहाँ पर जल के वेग की गणना कीजिए।
हल-
यहाँ, नली के पहले स्थान की त्रिज्या (r1) = 0.3 मी,
नली के दूसरे स्थान की त्रिज्या (r2) = 0.15 मी
नली के पहले स्थान पर जल का वेग (ν1) = 1.0 मी/से
नली के दूसरे स्थान पर जल का वेग (ν2)) = ?
अविरतता के सिद्धान्त से,
UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 10 Mechanical Properties Of Fluids 42
अतः जल का वेग = 4 मी/से है।

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प्रश्न 13.
हवाई जहाज में पंखों के सामने के किनारे गोलाई में तथा पीछे के किनारे चपटे क्यों होते हैं?
उत्तर-
हवाई जहाज के पंख की आकृति इस प्रकार रखी जाती है कि उसकी ऊपरी सतह की वक्रता निचली सतह की वक्रता से अधिक होती है। तथा, सामने का किनारा गोल तथा पीछे का किनारा चपटा रखा जाता है (चित्र 10.10)। जब हवाई जहाज दौड़ लगाता है तब पंख के ऊपुर तथा नीचे से होकर वायु की धारा बहती है। (चित्र’10.10) से स्पष्ट है कि पंख के ऊपर का पृष्ठ कुछउभरा तथा ।
नीचे का पृष्ठ सीधा है। अत: वायु को पंख के ऊपर, नीचे की अपेक्षा अधिक दूरी तय करनी पड़ती है, फलतः वायु की धारा का वेग ऊपरी पृष्ठ पर अधिक तथा निचले पृष्ठ पर कम होता है। इस कारण ऊपरी पृष्ठ पर कम दाब तथा निचले पृष्ठ पर अधिक दाब कार्य करता है तथा वायुयान के पंख पर इन दोनों दाबों के अन्तर (P2 – P1) के बराबर एक प्रणोद (thrust) L कार्य करता है तथा पंख ऊपर को उठने लगता है।
UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 10 Mechanical Properties Of Fluids 43

प्रश्न 14.
श्यानता-गुणांक की परिभाषा दीजिए। इसका विमीय सूत्र तथा M.K.S. मात्रक लिखिए। या श्यानता-गुणांक की परिभाषा दीजिए।
उत्तर-
श्यानता-गुणांक-धारा-रेखीय प्रवाह के लिए द्रव की किन्हीं दो पर्तों के मध्य लगने वाला (UPBoardSolutions.com) श्यान-बल निम्नलिखित बातों पर निर्भर करता है–
1. यह पर्तों के सम्पर्क क्षेत्रफल (A) के अनुक्रमानुपाती होता है, अर्थात् ।
F∝A
2. यह पर्यों के बीच की वेग-प्रवणत Δνx/Δy के अनुक्रमानुपाती होता है, अर्थात्
UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 10 Mechanical Properties Of Fluids 44
जहाँ η (ईटा) एक नियतांक है, जिसे द्रव का श्यानता-गुणांक (coefficient of viscosity) कहते हैं। यदि A = 1 तथा 20/Δνx/Δy = 1 हो, तो η = ± F, अर्थात् किसी द्रव का श्यानता-गुणांक उस श्यान बल के बराबर है जो एकांक क्षेत्रफल वाली पर्तों के बीच कार्य करता है, जबकि पर्तों के बीच एकांक वेग-प्रवणता हो।
उपर्युक्त सूत्र में ± चिह्न का अर्थ है कि बल F दो पर्यों के बीच अन्योन्य बल है। द्रव की किसी पर्त पर उससे ऊपर वाली पर्त आगे की ओर बल लगाती है, जबकि उससे नीचे वाली पर्त उस पर पीछे की ओर बल लगाती है।
श्यानता-गुणांक की विमा एवं मात्रक
UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 10 Mechanical Properties Of Fluids 45
η का मात्रक (M.K.S. में) किग्रा/मीटर-सेकण्ड है। इसका एक अन्य मात्रक प्वॉइज है।
1 किग्रा/(मीटर-सेकण्ड) = 10 प्वॉइज

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प्रश्न 15.
200 वर्ग सेमी क्षेत्रफल की एक समतल प्लेट तथा एक और बड़ी प्लेट के बीच ग्लिसरीन की 1 मिमी मोटी तह है। यदि ग्लिसरीन का श्यानता-गुणांक 1.0 किग्रा/मीटर-सेकण्ड हो, तो प्लेट को 9 सेमी/सेकण्ड के वेग से चलाने के लिए कितना बल चाहिए?
हल-
प्रश्नानुसार, η = 1.0 किग्रा/(मीटर-सेकण्ड),
A = 200 वर्ग सेमी = 2 x 10-2 वर्ग मीटर,
Δνx = 9 x 10-2 मीटर/सेकण्ड
तथा Δy = 1 मिमी = 10-3 मीटर
UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 10 Mechanical Properties Of Fluids 46

प्रश्न 16.
स्टोक्स के सूत्र का प्रयोग कर किसी श्यान द्रव में गिरते हुए एक गोलीय पिण्ड के सीमान्त वेग के लिए सूत्र प्राप्त कीजिए।
उत्तर-
स्टोक्स का नियम–स्टोक्स ने सिद्ध किया कि यदि r त्रिज्या की गोली किसी पूर्णत: समांग वे अनन्त विस्तार वाले तरल माध्यम में वेग ν से गति करे तो गोली पर कार्य करने वाला श्यान बल । F = 6πηrν होता है जो सदैव गोलीं की गति की विपरीत दिशा में लगता है, (UPBoardSolutions.com) जहाँ η उस द्रव का श्यानता-गुणांक है।।
सीमान्त वेग की गणना-माना कोई गोली जिसकी त्रिज्या r तथा घनत्व ρ है, σ घनत्व वाले द्रव में गिर रही है, जबकि द्रव का श्यानता-गुणांक η है। जब गोली सीमान्त वेग प्राप्त कर लेती है तो इस पर निम्नलिखित दो बल कार्य करते हैं—
1. नीचे की ओर कार्य करने वाला प्रभावी बल = [latex s=2]V(\rho -\sigma )g=\frac { 4 }{ 3 } \pi { r }^{ 3 }(\rho -\sigma )g[/latex]
2. ऊपर की ओर कार्य करने वाला श्यान बल = 6πηrν
चूँकि गोली नियत वेग से चल रही है अर्थात् त्वरण शून्य है। अतः इस पर लगने वाला नेट बल। शून्य होना चाहिए; अर्थात् उपर्युक्त दोनों बल बराबर होने चाहिए।
UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 10 Mechanical Properties Of Fluids 47
अतः गोली की सीमान्त चाल गोली की त्रिज्या के वर्ग के अनुक्रमानुपाती होती है।

प्रश्न 17.
किसी द्रव की पृष्ठ-ऊर्जा की व्याख्या कीजिए। द्रव के मुक्त पृष्ठ के क्षेत्रफल प्रसार में किए गए कार्य का व्यंजक प्राप्त कीजिए।
उत्तर-
UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 10 Mechanical Properties Of Fluids 48
द्रव की पृष्ठ-ऊर्जा जब द्रव के पृष्ठ का क्षेत्रफल बढ़ाया जाता है तो द्रव के कुछ अणु उसके अन्दर से मुक्त पृष्ठ पर आते हैं। इन अणुओं को मुक्त पृष्ठ के ठीक नीचे वाले अणुओं के आकर्षण-बल के विरुद्ध कुछ कार्य करना पड़ता है। यह कार्य, निर्मित हुए नवीन पृष्ठ में स्थितिज ऊर्जा के रूप में संचित हो जाता है। इस अतिरिक्त पृष्ठ-क्षेत्रफल के बढ़ने पर शीतलन (cooling) भी होता है। अत: बाहर से कुछ ऊष्मा पृष्ठ में आकर इसे पुन: प्रारम्भिक ताप पर ले आती है। इस प्रकार पृष्ठ को कुछ ऊर्जा बाहर से भी प्राप्त हो जाती है। इससे स्पष्ट है कि द्रव-पृष्ठ में स्थित अणु अपनी स्थिति के कारण कुछ अतिरिक्त (additional) ऊर्जा (UPBoardSolutions.com) रखते हैं। अत: द्रव के मुक्त पृष्ठ के प्रति एकांक क्षेत्रफल की इस अतिरिक्त ऊर्जा को ‘द्रव की पृष्ठ-ऊर्जा’ (surface energy of liquid) कहते हैं। द्रव के पृष्ठ का क्षेत्रफल बढ़ाने में किये गये कार्य व पृष्ठ-तनाव में सम्बन्ध माना एक मुड़े हुए तार ABC तथा उस पर बिना घर्षण खिसकने वाले सीधे तार PQ के बीच किसी द्रव की फिल्म । बनी है (चित्र 10.11)। हम जानते हैं कि पृष्ठ तनाव के कारण फिल्म का मुक्त पृष्ठ सिकुड़ने की चेष्टा करता है, अत: तार PQ ऊपर की ओर (फिल्म की ओर) चलेगा। तार PQ को साम्यावस्था में रखने के लिए इस पर एकसमान बल F नीचे की ओर लगाना होगा।
प्रयोगों से ज्ञात होता है कि बल F को मानतार PQ के सम्पर्क में A फिल्म की लम्बाई l के अनुक्रमानुपाती होता है। चूंकिं फिल्म में । दो मुक्त पृष्ठ होते हैं (एक बाहर वाला तथा दूसरा अन्दर वाला),
अतः F ∝ 2l
अथवा F = T x 2l = 2Tl
जहाँ T एक नियतांक है जो कि द्रव का पृष्ठ-तनाव कहलाता है।
माना तार PQ को ∆x दूरी से नीचे खिसकाया जाता है जिससे यह नवीन स्थिति P’ Q’ में आ जाता है। इस क्रिया में द्रव की फिल्म के क्षेत्रफल में वृद्धि होती है। फिल्म के क्षेत्रफल में वृद्धि के लिए किया गया यान्त्रिक कार्य W = बल x दूरी
= F x ∆x = (2Tl) ∆x =T x (2l∆x)
परन्तु 2l ∆x = फिल्म के दोनों पृष्ठों के क्षेत्रफल में होने वाली कुल वृद्धि = ∆A
अत: W = T x ∆A अथवा [latex s=2]T=\frac { W }{ \Delta A } [/latex]
यदि ∆A = 1; तब T = w, अतः द्रव के पृष्ठ के एकांक क्षेत्रफल को बढ़ाने में किया गया कार्य पृष्ठ-तनाव T के बराबर है। इस आधार पर हम पृष्ठ-तनाव की परिभाषा निम्न प्रकार कर सकते हैं
“नियत ताप पर द्रव के मुक्त पृष्ठ के क्षेत्रफल में एकांक वृद्धि करने के लिए किया गया कार्य द्रव को पृष्ठ-तनाव कहलाता है।”
इस परिभाषा के आधार पर पृष्ठ-तनाव के मात्रक को जूल/मी² से भी व्यक्त कर सकते हैं।
ताप बढ़ाने पर पृष्ठ-तनाव का मान घटता है।

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प्रश्न 18.
पारे की एक बूंद की कमरे के ताप पर त्रिज्या 3 मिमी है। उसी ताप पर पारे का पृष्ठ तनाव 0.465 न्यूटन/मी है। बूंद के भीतर आधिक्य दाब तथा कुल दाब ज्ञात कीजिए। वायुमण्डलीय दाब 1.01 x 105 न्यूटन/मी2 है।
हल-
माना कि पारे का पृष्ठ-तनाव = T, बूंद की त्रिज्या = R
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प्रश्न 19.
पानी की 1000 छोटी बूंदों को, जिनमें प्रत्येक की त्रिज्या 0.01 मिमी है, मिलाकर एक बड़ी बूंद बनाने में मुक्त ऊर्जा की गणना कीजिए। पानी का पृष्ठ-तनाव =7 x 10-2 न्यूटन/मी।
हल-
माना बड़ी बूंद की त्रिज्या R = 0.01 मिमी तथा छोटी बूंद की त्रिज्या r है,
अतः एक बड़ी बूंद का आयतन = 1000 (UPBoardSolutions.com) छोटी बूंदों का आयतन
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प्रश्न 20.
एक केशनली में जल 5.0 सेमी ऊपर चढ़ता है। यदि एक अन्य केशनली की त्रिज्या इसकी आधी हो तो उसमें जल की ऊँचाई क्या होगी?
हल-
चूँकि किसी केशनली में चढ़े द्रव-स्तम्भ की ऊँचाई उसकी नली की त्रिज्या के व्युत्क्रमानुपाती होती है अर्थात् h∝1/r अर्थात् hr = नियतांक
∴ यदि r1 वा r2 त्रिज्या वाली केशनलियों में द्रव-स्तम्भ की ऊँचाइयाँ क्रमश: h1 व h2 हों, तो
h1r1 = h2r2
अथवा
h2 = h1(r1/r2) …(1)
परन्तु यहाँ दूसरी केशनली की त्रिज्या = [latex s=2]\frac { 1 }{ 2 }[/latex](पहली केशनली की त्रिज्या)
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प्रश्न 21.
एक केशनलिका जिसकी त्रिज्या 0.4 मिमी है, जल में ऊध्र्वाधर डुबाई जाती है। ज्ञात कीजिए कि केशनलिका में जल कितनी ऊँचाई तक चढेगा? यदि इस केश नलिका को ऊध्र्वाधर रेखा से 60° झुका दें तो नली की कितनी लम्बाई तक जल चढेगा? जल का पृष्ठ-तनाव 7.0 x 10-2 न्यूटन/मी है।
हल-
दिया है, r = 0.4 मिमी = 0.4 x 10-3 मी,
T = 7.0 x 10-2 न्यूटन/मी,
θ = 0° अर्थात् cos θ = cos 0° = 1 एवं g = 9.8 मी/से2,
जल का घनत्व ρ = 103 किग्रा/मी3
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प्रश्न 22.
साबुन के घोल से 2.0 सेमी त्रिज्या का बुलबुला फेंककर बनाने में कितना कार्य करना पड़ेगा? साबुन के घोल का पृष्ठ तनाव 0.03 न्यूटन/मी है।
हल-
साबुन के घोल का पृष्ठ तनाव T = 0.03 न्यूटन/मी
बुलबुले की त्रिज्या R =2 सेमी या 2 x 10-2 मीटर
साबुन के घोल के बुलबुले में 2 मुक्त पृष्ठ होते हैं।
अत: घोल से R मीटर त्रिज्या का बुलबुला फेंककर बनाने में इसके पृष्ठीय क्षेत्रफल में कुल वृद्धि
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प्रश्न 23.
किसी द्रव के एक बूंद की त्रिज्या 5 x 10-3 मीटर है। द्रव बूंद के भीतर आधिक्य दाब की गणना कीजिए। द्रव का पृष्ठ तनाव 0.5 न्यूटन/मीटर है।
हल-
बूंद की त्रिज्या = R = 5 x 10-3 मीटर,
द्रव का पृष्ठ तनाव T = 0.5 न्यूटन/मीटर
द्रव की बूंद के भीतर आधिक्य दाब,
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प्रश्न 24.
एक केशनली में पानी 2.0 सेमी ऊपर चढ़ता है। यदि एक अन्य केशनली की त्रिज्या उसकी एक-तिहाई हो, तो उसमें पानी कितना चढेगा?
हल-
किसी केशनली में चढ़े स्तम्भ की ऊँचाई उसकी नली की त्रिज्या (UPBoardSolutions.com) के व्युत्क्रमानुपाती होती है अर्थात् । h ∝ [latex s=2]\frac { 1 }{ r }[/latex] अर्थात् hr = नियतांक।
माना r1 वे r2 त्रिज्या वाली केशनलियों में द्रव-स्तम्भ की ऊँचाइयाँ क्रमश: h1 व h2 हों, तो
h1 r1 = h2 r2
या, h2 = h1 (r1/r2) …(1)
परन्तु दूसरी केशनली की त्रिज्या = [latex s=2]\frac { 1 }{ 3 }[/latex](पहली केशनली की त्रिज्या)
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विस्तृत उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
तरल दाब के पास्कल का नियम लिखिए। हाइड्रोलिक लिफ्ट के सिद्धान्त और कार्यविधि की व्याख्या कीजिए। या पास्कल का नियम लिखिए।
उत्तर-
पास्कल का नियम-द्रव में दाब के संचरण के सम्बन्ध में वैज्ञानिक पास्कल ने सन् 1653 में एक नियम प्रतिपादित किया था जो पास्कल का नियम कहलाता है। इसे द्रव के दाब संचरण का नियम भी कहा जाता है।
इस नियम के अनुसार, “किसी बर्तन में रखे द्रव की संतुलन अवस्था में द्रव के किसी भाग पर आरोपित दाब (बिना क्षय हुए) द्रव द्वारा सभी दिशाओं में समान रूप से ( परिमाण में) संचरित कर दिया जाता है।”
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द्रव चालित लिफ्ट (Hydraulic lift)-यह भारी वस्तुओं; जैसे-कार, मोटरगाड़ी, ट्रक आदि को ऊपर उठाने के प्रयोग में लायी जाती है। इसका कार्य सिद्धान्त पास्कल के नियम पर आधारित है।

सिद्धान्त (Principle)– पास्कल के नियम के अनुसार, द्रव के किसी स्थान पर आरोपित दाब अन्य सभी स्थानों पर समान परिमाण में संचरित होता है। अतः कम परिमाण के दाब को अपेक्षाकृत बहुत बड़े क्षेत्रफल पर संचरित करके उस क्षेत्रफल पर (UPBoardSolutions.com) कार्यरत अधिक बल प्राप्त किया जा सकता है। यह तथ्य निम्न प्रकार समझा जा सकता हैं —
उपर्युक्त चित्र 10.13 में A तथा B दो बेलनाकार बर्तन हैं जिनकी अनुप्रस्थ-काट क्रमश: A1 तथा A2 है एवं A2 > A1। इनको परस्पर क्षैतिज नली C द्वारा जोड़ दिया गया है। माना बर्तन A में लगे पिस्टन P1 पर भार W1 रखने पर इस पर लगाया गया बल F1 है।
अत: इसके द्वारा A में भरे द्रव पर आरोपित दाब P = [latex s=2]P=\left( \frac { { F }_{ 1 } }{ { A }_{ 1 } } \right) [/latex]
पास्कल के नियम के अनुसार यही दाब नली C से संचरित होकर बर्तन B में भरे द्रव के प्रत्येक बिन्दु पर संचरित हो जाता है। इसलिए B में लगे पिस्टन P2 पर भी P दाब लगेगा।
अतः इसे पर ऊपर की ओर कार्यरत् बल ।
F2 = P x A2 = (F1/A1 ) x A2
अथवा [latex s=2]{ F }_{ 2 }={ F }_{ 1 }\left( \frac { A_{ 2 } }{ { A }_{ 1 } } \right) [/latex] …(1)
∵ A2 > A1 अत: F2 > F1 अतः A2, क्षेत्रफल A1 से जितना गुना बड़ा होगा पिस्टने P2, पर उतने गुना अधिक बल लगेगा जिससे कि P2 पर रखे भार W2(> W1) को P1 पर बहुत कम बल लगाकर उठाया जा सकता है।
F2/F1 को इस मशीन का यांत्रिक लाभ कहते हैं।
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रचना तथा कार्यविधि—इसमें दो खोखले बेलनाकार बर्तन A तथा B होते हैं। A का परिच्छेद क्षेत्रफल A1,B के परिच्छेद क्षेत्रफल A2 से बहुत कम होता है। इन बर्तनों की तली में क्रमश: वाल्व V1 तथा V2, लगे होते हैं। बर्तन A को वाल्व V1 द्वारा तेल के एक टैंक से जोड़ दिया जाता है। इस बर्तन में लगे पिस्टन P1 को ऊपर-नीचे करने के लिए एक लीवर की व्यवस्था होती है। बर्तन B को वाल्व V2, के द्वारा नली T के माध्यम से बर्तन A से जोड़ दिया जाता है तथा इसको वाल्व V3 के द्वारा तेल टैंक से जोड़ दिया जाता है (चित्र 10.14)।
जब पिस्टन P1 को लीवर द्वारा ऊपर उठाया जाता है तो बर्तन A में पिस्टन P1 के नीचे दाब कम हो जाता है। अत: वाल्व V1 द्वारा टैक से तेल बर्तन A में चढ़ जाता है। अब लीवर के द्वारा पिस्टन P1 को नीचे गिरा देते हैं जिससे द्रव का दाब बढ़ जाता है। दाब में यह वृद्धि नली T द्वारा बर्तन B में संचरित हो जाती है जिससे इसमें लगे पिस्टन P2, पर (A2/A1) गुना बड़ा बल कार्य करता है। इसके कारण पिस्टन P2, ऊपर उठता है जिससे कि उस पर रखा हुआ भार (जैसे- मोटरगाड़ी) भी ऊपर उठ जाता है। जब काम पूरा हो जाता है तो वाल्व V3, द्वारा बर्तन B के अतिरिक्त तेल को तेल टैंक में वापस भेज दिया जाता है और पिस्टन P2 नीचे होकर अपनी पूर्वावस्था में आ जाता है।

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प्रश्न 2.
किसी 3000 किग्रा द्रव्यमान के वाहन को उठाने के लिए एक हाइड्रॉलिक पम्प का निर्माण किया गया है, जिसके बड़े पिस्टन का क्षेत्रफल 900 सेमी2 है। यदि छोटे पिस्टन का क्षेत्रफल 10 सेमी2 हो तो बताइए इस कार्य के लिए उस पर कितना बल आरोपित करना पड़ेगा?
उत्तर
दिया है, वाहन का द्रव्यमान (m) = 3000 किग्रा
छोटे पिस्टन का क्षेत्रफल, (A1) = 10 सेमी2 = 10 x 10-4 मी2
बड़े पिस्टन का क्षेत्रफल (A2) = 900 सेमी2 = 900 x 10-4 मी2
बड़े पिस्टन के लिए, (F2) = mg = 3000 x 9.8 = 29400 न्यूटन
छोटे पिस्टन के लिए, F1 = ?
पास्कल के नियम से, [latex s=2]\frac { { F }_{ 1 } }{ { A }_{ 1 } } =\frac { { F }_{ 2 } }{ { A }_{ 2 } } [/latex]
छोटे पिस्टन के लिए आरोपित बल,
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प्रश्न 3.
आदर्श द्रव किसे कहते हैं? सिद्ध कीजिए कि किसी नली में आदर्श द्रव का धारारेखीय प्रवाह होने पर नली के अनुप्रस्थ-परिच्छेद एवं द्रव के वेग का गुणनफल स्थिर रहता है। या आदर्श द्रव के धारा-रेखीय प्रवाह की अविरतता के सिद्धान्त का उल्लेख कीजिए। या आदर्श द्रवों के सांतत्य प्रवाह का समीकरण स्थापित कीजिए।
उत्तर-
आदर्श द्रव-वह द्रव जिसमें
(i) शून्य सम्पीड्यता तथा
(ii) शून्य श्यानता होती है; आदर्श द्रव कहलाता है।
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उपपत्ति—मान लीजिए कि एक असम्पीड्य तथा अश्यान द्रव एक असमान अनुप्रस्थ-काट की नली XY में होकर बह रहा है। माना कि नली के X व Y सिरों पर अनुप्रस्थ-काट के क्षेत्रफल क्रमशः A1 व A2 हैं तथा द्रव का वेग ν1 व ν2 है। (UPBoardSolutions.com) माना कि द्रव का घनत्व ρ है। सिरे X से प्रवेश करने वाला द्रव एक सेकण्ड में ν1 दूरी तय करता है। अतः एक सेकण्ड में सिरे X पर क्षेत्रफल A1 से गुजरने वाले द्रव का आयतन = A1 x ν1
∴1 सेकण्ड में सिरे x से गुजरने वाले द्रव का द्रव्यमान = ρ x A1 x ν1
इसी प्रकार, 1 सेकण्ड में सिरे Y से गुजरने वाले द्रव का द्रव्यमान = ρ x A2 x ν2
अब, क्योंकि सिरे X में जो भी द्रव प्रवेश करता है वह दूसरे सिरे Y से बाहर निकल जाता है, उपर्युक्त दोनों द्रव्यमान बराबर हैं,
अर्थात् ρ x A1 x ν1 = ρ x A2 x ν2
अर्थात् A1 x ν1 = A2 x ν2
या। A x ν = नियतांक
स्पष्ट है कि नली में प्रत्येक स्थान पर नली के अनुप्रस्थ-काट के क्षेत्रफल तथा द्रव के वेग का गुणनफल एक नियतांक होता है। उपर्युक्त समीकरण को सांतत्य समीकरण (Equation of continuity) भी कहते हैं।
इस सिद्धान्त को द्रवों के बहने का अविरतता का सिद्धान्त’ भी कहते हैं।

प्रश्न 4.
बरनौली के प्रमेय का उल्लेख कर उसको सिद्ध कीजिए। या बरनौली के प्रमेय के कथन को लिखिए तथा सम्बन्धित समीकरण को स्थापित कीजिए।
उत्तर-
बरनौली की प्रमेय-जब कोई असम्पीड्य तथा अश्यान द्रव (अथवा गैस) एक स्थान से दूसरे स्थान तक धारा-रेखीय प्रवाह में बहता है तो इसके मार्ग के प्रत्येक बिन्दु पर इसके एकांक आयतन की कुल ऊर्जा अर्थात् दाब ऊर्जा, गतिज ऊर्जा तथा स्थितिज ऊर्जा का योग एक नियतांक होता है। अर्थात्
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इस प्रकार बरनौली प्रमेय बहते हुए द्रव (अथवा गैस) के लिए ऊर्जा-संरक्षण का सिद्धान्त है।
उपपत्ति-चित्र 10.16 में एक असमान अनुप्रस्थ-काट की नली में एक असम्पीड्य तथा अश्यान द्रव प्रवाहित हो रहा है। द्रव का प्रवाह धारा-रेखीय है। माना पृथ्वी तल से h1, ऊँचाई पर नली की अनुप्रस्थ-काट का क्षेत्रफल A1, द्रव का वेग ν1, व दाब P1 है तथा पृथ्वी तल से h2; ऊँचाई पर नली की अनुप्रस्थ-काट का क्षेत्रफल A2, द्रव का वेग ν2, व दाब P2 है। यहाँ A2 < A1 है। इसलिए । ν1 < ν2 होगा।
अनुप्रस्थ परिच्छेद A1 पर प्रवेश करने वाले द्रव पर P1 x A1 बल कार्य करता है। इस बल के अन्तर्गत द्रवे 1 सेकण्ड में ν1 दूरी तय करता है; अत: 1 सेकण्ड में A1 सिरे पर प्रवेश करने वाले द्रव पर
किया गया कार्य = बेल x दूरी = P1 x A1 x ν1
इसी प्रकार अनुप्रस्थ-परिच्छेद A2, पर निकलने वाला द्रव, बल = P2 x A2, के विरुद्ध कार्य करता है।
तथा 1,सेकण्ड में ν2 दूरी तय करता है।
अतः 1 सेकण्ड में A2 सिरे से निकलने वाले द्रव द्वारा किया गया कार्य
= P2 x A2 x ν2
द्रव पर किया गया नेट कार्य = P1 x A1 x ν1 – P2 x A2 x ν2 …(1)
परन्तु A1 x ν1 तथा A2 x ν2 , क्रमशः एक (UPBoardSolutions.com) सिरे से प्रवेश करने वाले व दूसरे सिरे से निकलने वाले द्रव का आयतन है जो आपस में बराबर होंगे।
अतः A1 ν1 = A2 ν2 = m/ρ
जहाँ एक सेकण्ड में प्रवेश करने वाले द्रव का द्रव्यमान m तथा द्रव का घनत्व ρ है।
द्रव पर किया गया नेट कार्य = (P1 – P2)m/ρ
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अत: किसी द्रव के क्षैतिज व धारा-रेखीय प्रवाह के लिए प्रत्येक बिन्दु पर दाब तथा द्रवे के एकांक आयतन की गतिज ऊर्जा का योग एक नियतांक होता है।
बरनौली प्रमेय समीकरण से यह स्पष्ट है कि किसी प्रवाहित द्रव (अथवा गैस) में जिस स्थान पर द्रव का वेग कम होता है, वहाँ दाब अधिक हो जाता है तथा जिस स्थान पर वेग अधिक होता है, वहाँ दाब कम हो जाता है। यदि हम द्रव को किसी ऐसी नली में प्रवाहित (UPBoardSolutions.com) करें जिसके बीच का भाग संकीर्ण हो, तो इस भाग में द्रव का वेग सबसे अधिक होगा तथा दाब सबसे कम होगा। प्रवाहित द्रव के दाब-शीर्ष, वेर्ग-शीर्ष तथा गुरुत्वीय-शीर्ष- बरनौली की समीकरण (6) को ρg से भाग देने पर,
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इसमें P/ρg को ‘दाब-शीर्ष’ (pressure head), ν²/2g को ‘वेग-शीर्ष’ (velocity head) तथा h को ‘गुरुत्वीय-शीर्ष’ (gravitational head) कहते हैं। इन तीनों की विमाएँ ऊँचाई की विमा [L] के समतुल्य हैं। इनके योग को ‘सम्पूर्ण शीर्ष’ (total head) कहते हैं। अत: बरनौली प्रमेय को निम्न प्रकार भी कहा जा सकता है —
आदर्श द्रव के धारा-रेखा प्रवाह में द्रव के किसी बिन्दु पर दाब-शीर्ष, वेग-शीर्ष तथा गुरुत्वीय-शीर्ष का योग सदैव नियत रहता है। यह यांत्रिक ऊर्जा संरक्षण को व्यक्त करती है।

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प्रश्न 5.
बरनौली के प्रमेय के आधार पर कणित्र की कार्यविधि समझाइए।
उत्तर-
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कणित्र (Atomizer)-यह रंग अथवा सुगन्धित द्रव को छिड़कने, कार, स्कूटर पर पेण्ट करने, नाइयों द्वारा सिर पर जल फुहारने, डॉक्टरों द्वारा नाक, कान को धोने व गले में दवाई को छिड़कने के काम आता है। इसमें एक साधारण पिचकारी होती है, जिसके मुख पर एक केशनली (capillary tube) लगा दी जाती है। केशनली का निचला सिरा बर्तन में भरे द्रव में डूबा रहता है। जब पिचकारी की गेंद को दबाते हैं, तो वायु अत्यधिक वेग से निकलती है, जिससे पिचकारी के मुँह पर दाब गतिज ऊर्जा बढ़ने से (बरनौली प्रमेय के आधार पर) घट जाता है। दाब के घटने से केशिका नली में द्रव चढ़कर पिचकारी के मुँह तक आ जाता है और दोबारा पिचकारी की गेंद को दबाने पर यह वायु के साथ मिलकर फव्वारे के रूप में बाहर निकलता है।।

प्रश्न. 6.
आदर्श द्रवों के प्रवाह से सम्बन्धित बरनौली की प्रमेय लिखिए। जल से भरे एक बर्तन की दीवार में बने एक छिद्र से जल का स्वतन्त्र तल h ऊँचाई पर है। छिद्र से निकलने वाले जल के बहिःस्राव वेग के लिए व्यंजक स्थापित कीजिए।
उत्तर-
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बहिःस्राव वेग के लिए व्यंजक–चित्र 10.18 में एक बर्तन दर्शाया गया है जिसमें H ऊँचाई तक द्रव भरा है। माना द्रव का घनत्व p है। बर्तन द्रव के स्वतन्त्र तल से h गहराई पर एक छिद्र A है। माना A से निकलने वाले द्रव का बहि:स्राव वेग » है। द्रव के स्वतन्त्र तल पर गतिज ऊर्जा शून्य है, केवल स्थितिज ऊर्जा है। परन्तु A से निकलने वाले द्रव में स्थितिज तथा गतिज दोनों ही प्रकार की ऊर्जाएँ हैं। बरनौली प्रमेय के अनुसार, द्रव के स्वतन्त्र तल पर तथा छिद्र A पर द्रव के एकांक आयतन की कुल ऊर्जा अर्थात् दाब ऊर्जा,
गतिज ऊर्जा तथा स्थितिज ऊर्जाओं का योग बराबर होना चाहिए। । यदि वायुमण्डलीय दाब P हो, तो
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अत: यदि छिद्र बर्तन की दीवार के ठीक बीच में है तो द्रव की धार सबसे अधिक दूर (बर्तन में द्रव की ऊँचाई के बराबर दूरी पर) गिरती है।

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प्रश्न 7.
चित्र 10.19 के अनुसार एक क्षैतिज नलिका में जल प्रवाहित होता है। बिन्दु A व B के मध्य 5 मिमी पारे का दाब परिवर्तन है जहाँ अनुप्रस्थ परिच्छेद 20 सेमी2 तथा 10 सेमी2 है। नलिका में जल प्रवाह की दर ज्ञात कीजिए। (पारे का घनत्व = 1.36 x 103 किग्रा/मी3, जल का घनत्व = 1.0 x 103 किग्रा/मी)
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हल-
दिया है, A1 = 20 सेमी2 = 20 x 10-4 मी2
A2 = 10 सेमी2 = 10 x 10-4 मी2
प्रश्नानुसार, दाब में परिवर्तन P1 – P2 = 5 मिमी
पारा स्तम्भ पर दाब = hdg = 5 x 10-3 x 13.6 x 103 x 9.8
= 666.4 न्यूटन/मी2
अविरतता के सिद्धान्त से,
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प्रश्न 8.
एक क्षैतिज पाइप में जल बहता है, जिसका एक सिरा वाल्व द्वारा बन्द है और पाइप में लगे दाबमापी का पाठ्यांक 5.5 x 105 न्यूटन/मी2 है। पाइप में लगे वाल्व को खोल देने पर दाबमापी का पाठ्यांक 10 x 105 न्यूटन/मी2 रह जाता है। पाइप में प्रवाहित जल के वेग की गणना कीजिए।
उत्तर-
दिया है, जल का घनत्व, (ρ) = 1.0 x 10किग्रा/मी3  
बन्द सिरे के कारण दाबमापी का पाठ्यांक (P1) = 5.5 x 105 न्यूटन/मी2  
न्यूटन/मी खुले सिरे के कारण दाबमापी का पाठ्यांक (P) = 1.0 x 105 न्यूटन/मी2
बरनौली प्रमेय से,
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चूंकि प्रारम्भिक अवस्था में वाल्व बन्द होता है इसलिए ν1 = 0 होगा।
अत: समीकरण (1) से
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प्रश्न 9.
एक छोटा गोला जिसका द्रव्यमान M व घनत्व d1 है। एक ग्लिसरीन भरे पात्र में डाला जाता है। कुछ समय पश्चात् गोले का वेग स्थिर हो जाता है। यदि ग्लिसरीन का घनत्व d2 है, तो गोले पर लगने वाले श्यान बल की गणना कीजिए।
उत्तर-
यहाँ गोले का द्रव्यमान = M, गोले का घनत्व = d1
ग्लिसरीन का घनत्व = d2
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प्रश्न 10.
पृष्ठ-तनाव तथा केशिकात्व की परिभाषा दीजिए। इसका एस० आई० मात्रक बताइए। काँच की केशनली में चढे द्रव-स्तम्भ की ऊँचाई, त्रिज्या तथा द्रव के पृष्ठ-तनाव में सम्बन्ध का सूत्र स्थापित कीजिए।
उत्तर-
पृष्ठ-तनाव (Surface tension)-प्रत्येक द्रव में मुक्त पृष्ठ पर एक तनाव बल कार्य करता है; जिसके कारण उसका स्वतन्त्र पृष्ठ एक तनी झिल्ली की भाँति व्यवहार करता है। यदि इस मुक्त पृष्ठ में चित्र 10.20 की भाँति किसी भी दिशा में एक सरल रेखा AB (UPBoardSolutions.com) की कल्पना की जाये तो रेखा के किसी भी ओर का पृष्ठ रेखा के अपने विपरीत ओर के पृष्ठ पर कर्षण (pulling) बल F लगाता है। यह बल पृष्ठ के तल में तथा इस रेखा के लम्बवत् कार्य करता है। इस रेखा AB की एकांक लम्बाई पर कार्य करने वाले बल का परिमाण ही द्रव के पृष्ठ-तनाव की माप है।
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यदि रेखा AB की लम्बाई । हो और इसके किसी ओर भी कार्य करने वाला सम्पूर्ण बल F हो, तो पृष्ठ तनाव T = [latex s=2]\frac { F }{ l }[/latex].
यदि l = 1, तो T = F
अत: किस द्रव का पृष्ठ-तनाव वह बल है जो द्रव के पृष्ठ पर खींची गयी काल्पनिक रेखा की एकांक लम्बाई पर पृष्ठ के तल में तथा कल्पित रेखा के लम्बवत् कार्य करता है।
पृष्ठ-तनाव का एस० आई० मात्रक न्यूटन/मीटर है।
केशिकात्व Capillarity द्रव का वह गुण-धर्म जिसके कारण किसी केशनली को इसमें खड़ा करने पर यह नली के बाहर द्रव के तल की तुलना में नली में ऊपर चढ़ता है या नीचे उतरता है, केशिकात्व कहलाता है।
काँच की केशनली में चढ़े द्रव-स्तम्भ की ऊँचाई, त्रिज्या तथा द्रव के पृष्ठ-तनाव में सम्बन्ध चित्र 10.21 (a) में जल के एक बीकर में काँच की केशनली खड़ी की गई है जिसमें जल के तल से h ऊँचाई तक जल चढ़ता है। माना कि जल की पृष्ठ-तनाव T है। नली में जल का अवतल-पृष्ठ AEB है। इसकी परिधि 2πr नली की दीवारों के सम्पर्क में है, जहाँ r केशनली की त्रिज्या है। इसकी एकांक लम्बाई पर जल के पृष्ठ-तनाव के कारण बल T नली की दीवार से θ कोण पर जल के अन्दर की ओर लगता है, θ जल-काँच के लिए स्पर्श कोण है।
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नली की दीवार भी प्रतिक्रिया के कारण उतना ही बल T जल के वक्र पृष्ठ की परिधि पर बाहर की ओर लगाती है। इस बल को ऊर्ध्व और क्षैतिज दो घटेकों, T cos θ और T sin θ में वियोजित करते हैं। T cos θ ऊर्ध्व दिशा में परिधि 2πr की प्रत्येक एकांक लम्बाई (UPBoardSolutions.com) पर ऊपर की ओर कार्य करता है; अत: प्रतिक्रिया बल का मान 2πr x T cos θ के बराबर होता है जो नली में चढ़े जल के स्तम्भ के भार को साधता है। चूंकि T sin θ परिधि पर बाहर की ओर लगता है, अतः पूरी परिधि के लिए उनका परिणामी बेल शून्य होगा। यदि जल का घनत्व ρ हो, तो जल के स्तम्भ का भार = πr²h x ρ x g
सन्तुलन की अवस्था में । 2πr x T cos θ =πr²h x ρ x g
[latex s=2]T=\frac { rhg\rho }{ 2cos\theta } [/latex]
उपर्युक्त सूत्र से स्पष्ट है कि यदि जल काँच का स्पर्श-कोण θ ज्ञात हो, तो h तथा r के मान ज्ञात करके जल के पृष्ठ-तनाव T की गणना की जा सकती है।
शुद्ध जल एवं साफ काँच के लिए स्पर्श कोण θ लगभग शून्य है; अत: cos θ = 1, इस प्रकार
[latex s=2]T=\frac { rhg\rho }{ 2 } [/latex]

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प्रश्न 11.
काँच की नली में द्रव के मुक्त पृष्ठ की आकृति की व्याख्या कीजिए। द्रव के वक्र पृष्ठ के दो पाश्र्वो के बीच दाबान्तर क्यों होता है?
उत्तर-
काँच की नली में द्रव के मुक्त पृष्ठ की आकृति जब कोई द्रव किसी ठोस के स्पर्श में आता है तो स्पर्श-तल के समीप द्रव का पृष्ठ वक्रीय हो जाता है। वक्रता की प्रकृति द्रव के अणुओं के बीच संसंजक-बल तथा द्रव व ठोस के अणुओं के बीच आसंजक-बल के सापेक्ष परिणामों पर निर्भर करती है।
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चित्र 10.22 (a) में जल एक काँच की नली की दीवार के सम्पर्क में दिखाया गया है। माना कि काँच के समीप द्रव के मुक्त पृष्ठ पर एक अणु A है तथा इस अणु पर दो आकर्षण-बल कार्य करते हैं।
(i) परिणामी आसंजक-बल P, जो A के समीप वाले ठोस के अणुओं के आकर्षण के कारण A पर कार्य करता है। इसकी दिशा ठोस के पृष्ठ के लम्बवत् है।।
(ii) परिणामी संसंजक-बल Q, जो A के समीप द्रव के अन्य अणुओं के आकर्षण के कारण A पर द्रव के अन्दर की ओर एक दिशा में कार्य करता है।
जल व काँच के अणुओं के बीच लगेने वाला आसंजक-बल, जल के ही अणुओं के बीच परस्पर लगने वाले संसंजक-बल से बड़ा होता है। अत: बेल P, बल Q से बड़ा होगा। चित्र 3.7(a) से स्पष्ट है कि इन दोनों बलों का परिणामी बल R, जल से बाहर की ओर को होगा।
चित्र 10.22 (b) में पारे को काँच की नली की दीवार के सम्पर्क में दिखाया गया है। पारे के अणुओं के बीच संसंजक-बल, पारे व काँच के अणुओं के बीच लगने वाले आसंजक-बल से कहीं अधिक बड़ा होता है। अत: इस दशा में पारे के मुक्त पृष्ठ पर अणु A पर बल Q, बल P से बड़ा होगा तथा इनका परिणामी बल R पारे के भीतर की ओर को होगा। परिणामी बल R, जल अथवा पारे के मुक्त पृष्ठ के सभी अणुओं पर कार्य करता है। दीवार से दूर स्थित अणुओं के लिए आसंजक-बल P घटता जाता है तथा संसंजक-बल Q अधिकाधिक ऊध्वधर होता जाता है। अतः परिणामी बल R भी अधिकाधिक उध्वधर होता जाता है। मुक्त पृष्ठ के बीच वाले भाग में P लगभग शून्य हो जाता है तथा Q ऊर्ध्वाधर हो जाता है। अतः परिणामी बल बिल्कुल ऊर्ध्वाधर हो जाता है। [चित्र 10.23 (a), (b)]
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यदि द्रव का मुक्त पृष्ठ साम्यावस्था में है तो पृष्ठ के किसी अणु पर कार्य करने वाला परिणामी बल पृष्ठ के लम्बवत् होना चाहिये। अत: द्रव का पृष्ठ प्रत्येक स्थान पर परिणामी बल के लम्बवत् हो जाता है। यही कारण है कि काँच की नली में जल का मुक्त पृष्ठ अवतल आकृति धारण कर लेता है तथा पारे का मुक्त पृष्ठ उत्तल आकृति। प्रत्येक दशा में बीच में परिणामी बल ऊर्ध्वाधर होता है, अतः बीच में मुक्त पृष्ठ क्षैतिज होता है [चित्र 10.23 (a), (b)]।
द्रव के वक्र पृष्ठ के पाश्व के बीच दाबान्तर
किसी द्रव के पृष्ठ में स्थित कोई अणु, पृष्ठ के दूसरे अणुओं द्वारा सभी दिशाओं में आकर्षित होता है। यदि द्रव का पृष्ठ समतल हो [चित्र 10.24 (a)] तो अणु सभी दिशाओं में समान रूप से आकर्षित होता है। अतः अणु पर पृष्ठ-तनाव के कारण परिणामी बल शून्य होता है। परन्तु यदि द्रव का पृष्ठ उत्तल हो तो प्रत्येक अणु पर लगने वाले आकर्षण-बलों को एक परिणामी घटक पृष्ठ के लम्बवत् अन्दर की ओर होता है [चित्र 10.24 (b)]। इसी प्रकार, यदि द्रव का पृष्ठ अवतल हो तो प्रत्येक अणु पर पृष्ठ-तनाव के कारण एक परिणामी बल पृष्ठ के लम्बवत् बाहर की ओर को लगता है [चित्र 10.24 (c)]। अत: वक्र पृष्ठ के सन्तुलन के लिये, पृष्ठ के दोनों पार्यों के बीच दाबान्तर होना चाहिये जिससे कि आधिक्य-दाब (excess of pressure) के कारण लगने वाला बल पृष्ठ-तनाव के कारण उत्पन्न परिणामी बल को सन्तुलित कर सके। स्पष्ट है कि पृष्ठ के अवतल पाश्र्व पर दाब उत्तल पाश्र्व की अपेक्षा अधिक होना चाहिये। दाबों पर यह अन्तर 2T/R के बराबर होता है, जहाँ T द्रव का पृष्ठ-तनाव है तथा R पृष्ठ की त्रिज्या है।
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प्रश्न 12.
किसी साबुन के बुलबुले के भीतर आधिक्य-दाब के लिए व्यंजक प्राप्त कीजिए।
उत्तर-
साबुन के घोल के बुलबुले के भीतर आधिक्य-दाब माना कि त्रिज्या R का एक बुलबुला, पृष्ठ-तनाव T के साबुन के घोल से बना है (चित्र 10.25)। माना बुलबुले के बाहर दाब P है तथा भीतर P + p है। इस प्रकार बुलबुले के भीतर आधिक्य-दाब p है। माना कि यह आधिक्य-दाब बुलबुले के पृष्ठ को अभिलम्बवत् बाहर की ओर दूरी ∆R धकेलता है, जहाँ ∆R इतना सूक्ष्म है कि बुलबुले के भीतर दाब अपरिवर्तित रहता है। अतः आधिक्य-दाब के कारण उत्पन्न बल द्वारा किया गया कार्य
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w = बल x विस्थापन ।
= (आधिक्य-दाब x क्षेत्रफल) x विस्थापन
= (p x 4πR²) x ∆R …(1)
साबुन के घोल के बुलबुले के दो पृष्ठ वायु के सम्पर्क में हैं, एक बुलबुले के भीतर तथा एक बुलबुले के बाहर। अतः उपरोक्त विस्थापन के कारण बुलबुले के पृष्ठ-क्षेत्रफल में कुल वृद्धि
∆A = 2[4π(R + ∆R)²-4πR²]
= 8π[R + (∆R)²+ 2R∆R – R²]
= 16πR(∆R)
अल्प पद (∆R)² को छोड़ने पर
अतः ‘पृष्ठ ऊर्जा में वृद्धि = पृष्ठ-क्षेत्रफल में वृद्धि x पृष्ठ तनाव
= 16πR(∆R) x T …(2)
ऊर्जा में वृद्धि, आधिक्य-दाब के कारण किये गये कार्य से होती है।
अत: समीकरण (1) तथा (2) को बराबर रखने पर,
(p x 4πR²) x ∆R= 16 πR(∆R)xT
अथवा
[latex s=2]p=\frac { 4T }{ R } [/latex]

प्रश्न 13.
द्रव की बूंद के भीतर आधिक्य-दाब का व्यंजक निगमित कीजिए।
उत्तर-
द्रव की बूंद के भीतर आधिक्य-दाब माना कि द्रव की एक बूंद की त्रिज्या R है तथा द्रव का पृष्ठ-तनाव T है (चित्र 10.26)। बूंद के पृष्ठ पर स्थित द्रव के अणुओं पर, पृष्ठ-तनाव के कारण, एक परिणामी बल पृष्ठ के अभिलम्बवत् ‘भीतर की ओर को’ कार्यरत् है। अत: बूंद के (UPBoardSolutions.com) भीतर दाब, बाह्य दाब से अधिक होना चाहिए। बूंद के भीतर यह आधिक्य-दाब बाहर की
ओर को एक बल लगाता है जो पृष्ठ तनाव के बल को सन्तुलित करता है तथा बूंद साम्यावस्था में बनी रहती है।
माना कि बूंद के बाहर दाब P है तथा भीतर P+p है। इस प्रकार, बूंद के भीतर आधिक्य-दाब p है। माना कि यह आधिक्य-दाब बूंद के पृष्ठ को अभिलम्बवत् बाहर की ओर दूरी ∆R तक धकेलता है, जहाँ ∆R इतना सूक्ष्म है कि बूंद के भीतर दाब अपरिवर्तित रहता है। आधिक्य-दाब p के कारण उत्पन्न बल द्वारा किया गया यान्त्रिक कार्य
w = बल x विस्थापन
= (आधिक्य दाब x क्षेत्रफल) x विस्थापन
UP Board Solutions for Class 11 Physics Chapter 10 Mechanical Properties Of Fluids 79

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