UP Board Solutions for Class 10 Hindi शब्द-रूप

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शब्द-रूप

ध्यातव्य–अनुवाद में सहायक होने के कारण हम पाठ्यक्रम में निर्धारित (फल, मति, मधु एवं नदी) शब्दों के अतिरिक्त भी कुछ शब्दों के रूप यहाँ दे रहे हैं।

1. अकारान्त नपुंसकलिङ्ग संज्ञा शब्द : फल

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[संकेत–वन, कमल, पुष्प, कुसुम, जल, मित्र, पुस्तक, ज्ञान (UPBoardSolutions.com) आदि अकारान्त नपुंसकलिङ्ग शब्दों के रूप फल के समान ही होते हैं।]

2. आकारान्त स्त्रीलिङ्ग संज्ञा शब्द : रमा

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[ संकेत–लता, बाला, विद्या, छाया, कन्या, निशा आदि आकारान्त स्त्रीलिङ्ग शब्दों के रूप रमा के समान ही होते हैं। ]

3. इकारान्त पुंल्लिङ्ग संज्ञा शब्द : हरि

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[ संकेत-मुनि, कपि, विधि, रवि, गिरि, कवि आदि इकारान्त पुंल्लिङ्ग शब्दों के रूप हरि के समान ही होते हैं।]

4. इकारान्त स्त्रीलिङ्ग संज्ञा शब्द : मति

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[ संकेत–बुद्धि, भक्ति, शक्ति, श्रुति, स्मृति, नीति, रीति, जाति, रात्रि आदि (UPBoardSolutions.com) इकारान्त स्त्रीलिङ्ग शब्दों के रूप मति के समान ही होते हैं।]

5. ईकारान्त स्त्रीलिङ्ग संज्ञा शब्द : नदी

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[ संकेत-गौरी, पार्वती, जानकी, सावित्री, गायत्री, पृथ्वी आदि ईकारान्त स्त्रीलिङ्ग शब्दों के रूप नदी के समान ही होते हैं।]

6. उकारान्त नपुंसकलिङ्ग संज्ञा शब्द : मधु

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[ संकेत–वस्तु, अश्रु, जानु, तालु, सानु, अम्बु, वसु आदि उकारान्त नपुंसकलिङ्ग शब्दों के रूप मधु के समान ही होते हैं।]
संज्ञा के स्थान पर जिन शब्दों का प्रयोग किया जाता है, वे सर्वनाम (UPBoardSolutions.com) कहलाते हैं; जैसे-तद् (वह), युष्मद् (तुम), अस्मद् (मैं) आदि।

1. युष्मद् (तुम) शब्द के रूप

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[ संकेत–सर्वनाम शब्दों के सम्बोधन में रूप नहीं होते हैं।]

2. अस्मद् (मैं) शब्द के रूप

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3. तद् (वह) शब्द के रूप

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4. तद् (वह) शब्द के रूप

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[ संकेत–शेष रूप पुंल्लिङ्ग के समान ही होंगे।]

5. तद् (वह) शब्द के रूप (स्त्रीलिङ्ग)

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अश्यास

प्रश्न 1
निम्नलिखित में से किन्हीं दो शब्दों के रूप लिखिए [2010]
उत्तर
(क)
चतुर्थी विभक्ति, एकवचन-

  1. मति,
  2. नदी,
  3. मधु,
  4. युष्मद्।

(ख) तृतीया विभक्ति, एकवचन-

  1. मधु,
  2. नदी,
  3. फल,
  4. युष्मद्।

(ग) चतुर्थी विभक्ति , द्विवचन–

  1. मति,
  2. युष्मद्,
  3. फल,
  4. मधु।

(घ) पञ्चमी विभक्ति, द्विवचन-

  1. मति,
  2. मधु,
  3. फल,
  4. युष्मद्।

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(ङ) पञ्चमी विभक्ति, एकवचन–

  1. अस्मद्,
  2. नदी,
  3. मधु,
  4. मति।

प्रश्न 2
निम्नलिखित शों के रूप लिखिए [2011]
उत्तर
(क)
तृतीया विभक्ति, एकवचन–

  1. ‘फल’ अथवा ‘मधु’ तथा
  2. तद् अथवा ‘युष्मद् ।

(ख) तृतीया विभक्ति के सभी वचनों में–

  1. फल,
  2. मति तथा
  3. नदी।।

(ग) द्वितीया विभक्ति, बहुवचन–

  1. ‘मति’ अथवा ‘नदी’ तथा
  2. युष्मद् अथवा ‘तद्’।

(घ) तृतीया विभक्ति, बहुवचन-

  1. ‘फल’ अथवा ‘नदी’ तथा
  2. तद् अथवा युष्मद् ।

(ङ) तृतीया विभक्ति के एकवचन में—

  1. ‘फल’ अथवा ‘नदी’ तथा
  2. युष्मद् अथवा तद्’ (पुंल्लिग)।

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(च) चतुर्थी विभक्ति के एकवचन में–

  1. ‘फल’ अथवा ‘मधु’ ।

(छ) षष्ठी विभक्ति के एकवचन में–

  1. ‘मधु’ अथवा ‘फल’ तथा ‘तद् अथवा ‘युष्मद्’।

प्रश्न 3
निम्नलिखित शब्दों के रूप लिखिए [2012]
उत्तर
(क)
पञ्चमी विभक्ति के एकवचन में–

  1. ‘मधु’ अथवा ‘नदी’,
  2. तद् (स्त्रीलिङ्ग) अथवा युष्मद।।

(ख) पञ्चमी विभक्ति के एकवचन में–

  1. ‘नदी’ अथवा ‘फल’,
  2. ‘युष्मद्’ अथवा ‘तद्’ (पुंल्लिग)।

(ग) पञ्चमी विभक्ति के बहुवचन में–

  1. ‘मति’ अथवा ‘मधु’,
  2. ‘तद्’ अथवा ‘युष्मद्

(घ) पञ्चमी विभक्ति के बहुवचन में–

  1. नदी,
  2. मति,
  3. तद् (पुं०),
  4. मधु। ५.

(ङ) चतुर्थी विभक्ति के सभी वचनों में–

  1. फल,
  2. नदी,
  3. मति।।

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(च) पञ्चमी विभक्ति के एकवचन में—

  1. ‘मति’ अथवा ‘नदी’,
  2.  ‘युष्मद् (पुं०) अथवा ‘तद्’ (स्त्री०)।

(छ) षष्ठी विभक्ति के द्विवचन में–

  1. ‘नदी’ अथवा ‘मधु’,
  2.  ‘फल’ अथवा ‘मति’।

प्रश्न 4
निम्नलिखित शब्दों में से किन्हीं दो के रूप लिखिए [2013]
उत्तर
(क)
षष्ठी विभक्ति, एकवचन में-

  1. (i) मति,
    (ii) फल,
    (iii) मधु,
    (iv) नदी।

(ख) पञ्चमी विभक्ति, बहुवचन में–

  1. ‘मधु’ अथवा ‘मति’,
  2. ‘फल’ अथवा ‘नदी।

(ग) तृतीया विभक्ति, एकवचन में–

  1. ‘मधु’ अथवा ‘नदी’
  2. ‘मति’ अथवा ‘युष्मद्’।

(घ) सप्तमी विभक्ति, बहुवचन में-

  1. ‘फल’ अथवा मति’
  2. ‘तद् (पुं०) अथवा युष्मद् ।

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(ङ) द्वितीया विभक्ति, एकवचन में–

  1. ‘मति’ अथवा ‘नदी’,
  2. युष्मद् अथवा ‘तद् (स्त्री०)। ।।

(च) चतुर्थी विभक्ति, एकवचन में–

  1. ‘मधु’ अथवा ‘नदी’,
  2. ‘तद्’ (स्त्री०) अथवा ‘युष्मद्’।।

प्रश्न 5
निम्नलिखित शब्दों के रूप लिखिए [2014]
उत्तर
(क)
चतुर्थी विभक्ति, बहुवचन में–

  1. ‘युष्मद् अथवा ‘तद्’ (पुं०),
  2. ‘मति’ अथवा ‘नदी।

(ख) पञ्चमी विभक्ति, बहुवचन में–

  1. ‘मधु’ अथवा ‘मति’,
  2. ‘तद्’ अथवा ‘युष्मद्’।।

(ग) पञ्चमी विभक्ति, एकवचन में–

  1. ‘फल’ अथवा ‘नदी’,
  2. ‘युष्मद् अथवा ‘तद्’।

(घ) सप्तमी विभक्ति, बहुवचन में–

  1. नदी’ अथवा ‘युष्मद्’।

(ङ) सप्तमी विभक्ति, एकवचन में–

  1. ‘मति’ अथवा ‘नदी’,
  2. ‘युष्मद् अथवा ‘तद्’ (पुं०)।

(च) पञ्चमी विभक्ति, बहुवचन में–

  1. ‘नदी’ अथवा ‘मधु’,
  2. ‘तद्’ (स्त्री०) अथवा ‘युष्मद् ।

(छ) षष्ठी विभक्ति, द्विवचन में—

  1. ‘मति’ अथवा ‘मधु’,
  2. युष्मद्।

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प्रश्न 6
निम्नलिखित शब्दों के रूप लिखिए [2015]
उत्तर
(क)
तृतीय विभक्ति, बहुवचन में–

  1. मधु अथवा नदी,
  2. तद् (स्त्रीलिंग) अथवा युष्मद्।।

(ख) षष्ठी विभक्ति, एकवचन में–

  1. मति अथवा नदी,
  2. युष्मद् अथवा तद् (पुंल्लिग)।

(ग) तृतीय विभक्ति, एकवचन में–

  1. नदी अथवा मति,
  2. युष्मद् अथवा तद् (स्त्रीलिंग)।

(घ) द्वितीया विभक्ति, बहुवचन में–

  1. मति अथवा मधु,
  2. युष्मद् अथवा तद् (स्त्रीलिंग)।

(ङ) षष्ठी विभक्ति, द्विवचन में-

  1. युष्मद् अथवा तद् (स्त्रीलिंग),
  2. फल अथवा (UPBoardSolutions.com) नदी।

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(च) तृतीया विभक्ति, एकवचन में–

  1. मति अथवा फल,
  2. युष्मद्।।

(छ) पंचमी विभक्ति, बहुवचन में–

  1. नदी अथवा मधु,
  2.  तद् (पुंल्लिग) अथवा युष्मद्।

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UP Board Solutions for Class 10 Sanskrit Chapter 8 सिद्धार्थस्य निर्वेदः (पद्य – पीयूषम्)

UP Board Solutions for Class 10 Sanskrit Chapter 8 सिद्धार्थस्य निर्वेदः (पद्य – पीयूषम्)

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परिचय

महाकवि अश्वघोष मूलत: बौद्ध दार्शनिक थे। बौद्ध भिक्षु होने के कारण इन्हें आर्य भदन्त भी कहा जाता है। ये कनिष्क के समकालीन और साकेत के निवासी थे। इनकी माता का नाम सुवर्णाक्षी था। अश्वघोष के दो महाकाव्यों—बुद्धचरितम् और सौन्दरनन्द के साथ खण्डित अवस्था में एक (UPBoardSolutions.com) नाटक-शारिपुत्रप्रकरण–भी प्राप्त होता है। इनके वर्णन स्वाभाविक हैं। इनके काव्यों की भाषा सरल और प्रवाहपूर्ण है तथा शैली वैदर्भी है।

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प्रस्तुत पाठ के श्लोक महाकवि अश्वघोष द्वारा विचित ‘बुद्धचरितम्’ महाकाव्य के तृतीय और पञ्चम सर्ग से संगृहीत हैं। इनमें विहार के लिए निकले हुए सिद्धार्थ के मन में दृढ़ वैराग्य के उदय होने का संक्षिप्त वर्णन है।

पाठ-सारांश

एक बार कुमार सिद्धार्थ अपने पिता से आज्ञा लेकर रथ पर बैठकर नगर-भ्रमण के लिए निकले। उन्होंने मार्ग में श्वेत केशों वाले, लाठी का सहारा लेकर चलने वाले, ढीले और इसे अंगों वाले एक वृद्ध पुरुष को देखा। सारथी से पूछने पर उसने बताया कि बुढ़ापा समयानुसार सभी को अता है, आपको भी आएगा। इसके बाद सिद्धार्थ ने मोटे पेट वाले, साँस चलने के कारण काँपते, झुके कन्धे और कृश शरीर वाले तथा दूसरे को सहारा लेकर चलते हुए एक रोगी को देखा। पूछने पर सारथी ने बताया कि इसको धातु विकार से उत्पन्न रोग बढ़ गया है। यह रोग इन्द्र को भी शक्तिहीन बना सकता है। इसके बाद सिद्धार्थ ने बुद्धि, इन्द्रिय, प्राण और गुणों द्वारा वियुक्त हुए, महानिद्रा में सोये हुए, चेतनारहित, कफन ढककर चार पुरुषों के द्वारा ले जाए जाते हुए एक मृत मनुष्य को देखा। उनकी जिज्ञासा को शान्त करते हुए सारथी ने बताया कि यह मृत्यु सभी मनुष्यों का विनाश करने वाली है। अधम, मध्यम या उत्तम सभी मनुष्यों की मृत्यु निश्चित ही होती है।

वृद्ध, रोगी और मृतक को देखकर सिद्धार्थ का मद तत्क्षण लुप्त हो गया। इसके बाद सिद्धार्थ को एक अदृश्य पुरुष भिक्षु वेश में दिखाई पड़ा। पूछने पर उसने बताया कि मैंने जन्म-मृत्यु पर विजय प्राप्त करने और मोक्ष प्राप्त करने के लिए संन्यास ग्रहण कर लिया है और इसे क्षणिक संसार में मैं अक्षय पद को ढूंढ़ रहा हूँ। भिक्षु के पक्षी के समान आकाश-मार्ग में चले जाने पर सिद्धार्थ ने भी अभिनिष्क्रमण के लिए निश्चय कर लिया।

पद्यांशों की ससन्दर्भ हिन्दी व्याख्या

(1)
ततः कुमारो जरयाभिभूतं, दृष्ट्वा नरेभ्यः पृथगाकृतिं तम्।
उवाच सङ्ग्राहकमागतास्थस्तत्रैव निष्कम्पनिविष्टदृष्टिः॥

शब्दार्थ ततः = तदनन्तर इसके बाद। कुमारः = राजकुमार सिद्धार्थ ने। जरयाभिभूतम् = बुढ़ापे से आक्रान्त। दृष्ट्वा = देखकर पृथगाकृतिम् = भिन्न आकृति वाले को। तम् = उस वृद्ध को। उवाचे = कहा। सङ्ग्राहकम् = घोड़े की लगाम पकड़ने वाले से, सारथी से। आगतास्थः = (UPBoardSolutions.com) उत्पन्न विचारों वाला। तत्र = उस (वृद्ध) पर। निष्कम्पनिविष्टदृष्टिः = दृष्टि को बिना हिलाये अर्थात् गड़ाये हुए।

सन्दर्भ प्रस्तुत श्लोक हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘संस्कृत’ के पद्य-खण्ड ‘पद्य-पीयूषम्’ के सिद्धार्थस्य निर्वेदः’ शीर्षक पाठ से उद्धृत है।

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[ संकेत इस पाठ के शेष सभी श्लोकों के लिए यही सन्दर्भ प्रयुक्त होगा। ]

प्रसंग इस श्लोक में पिता की आज्ञा से नगर-विहार को निकले हुए सिद्धार्थ द्वारा एक वृद्ध पुरुष को देखकर सारथी से प्रश्न पूछने का वर्णन है।

अन्वय ततः कुमारः जरयाभिभूतं नरेभ्यः पृथगाकृतिं तं दृष्ट्वा आगतास्थः तत्र एव निष्कम्पनिविष्टदृष्टिः (सन्) सङ्ग्राहकम् उवाच।।

व्याख्या (रथ पर चढ़कर नगर-विहार के लिए निकलने के बाद) कुमार सिद्धार्थ ने बुढ़ापे से आक्रान्त, अन्य मनुष्यों से भिन्न आकार वाले उस वृद्ध पुरुष को देखकर उत्पन्न विचारों वाले, उसी वृद्ध पुरुष पर एकटक दृष्टि लगाये हुए अपने सारथी से कहा। तात्पर्य यह है कि नगर-विहार पर निकलने से पूर्व तक कुमार सिद्धार्थ ने केवल युवा पुरुष और युवतियों को ही देखा था। इसीलिए उस वृद्ध पुरुष को देखकर उनके नेत्र उस पर स्थिर हो गये।

(2)
क एष भोः सूत नरोऽभ्युपेतः, केशैः सितैर्यष्टिविषक्तहस्तः
भूसंवृताक्षः शिथिलानताङ्गः किं विक्रियैषा प्रकृतिर्यदृच्छा ॥

शब्दर्थ कः = कौन। एषः = यह। भोः सूत = हे सारथि!| नरः = मनुष्य, आदमी। अभ्युपेतः = सामने आया हुआ। केशैः = बालों वाला। सितैः = सफेद। यष्टिविषक्तहस्तः = लाठी पर हाथ टिकाये हुए। भूसंवृताक्षः = भौंहों से ढकी हुई आँखों वाला। शिथिलानताङ्ग = ढीले और झुके हुए अंगों वाला। किं = क्या। विक्रिया एषा= यह परिवर्तन| प्रकृतिः = स्वाभाविक स्थिति। यदृच्छा = संयोग।

प्रसंग प्रस्तुत श्लोक में सिद्धार्थ द्वारा वृद्ध पुरुष को देखकर सारथी से पूछे जाने का वर्णन है।

अन्वये भोः सूत! सितैः केशैः (युक्तः), यष्टिविषक्तहस्तः, भूसंवृताक्षः, शिथिलानताङ्ग अभ्युपेतः एषः नरः कः (अस्ति)। किम् एषा विक्रिया (अस्ति) (वा) प्रकृतिः यदृच्छा (अस्ति)।

व्याख्या हे सारथि! सफेद बालों से युक्त, लाठी पर टिके हुए हाथ वाला, भौंहों से ढके हुए नेत्रों (UPBoardSolutions.com) वाला, ढीले और झुके हुए अंगों वाला, सामने आया हुआ यह मनुष्य कौन है? क्या यह विकार है अथवा स्वाभाविक रूप है अथवा यह कोई संयोग है?

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(3)
रूपस्य हर्जी व्यसनं बलस्य, शोकस्य योनिर्निधनं रतीनाम्।
नाशः स्मृतीनां रिपुरिन्द्रियाणामेषा जरा नाम ययैष भग्नः ॥ [2009, 13]

शब्दार्थ रूपस्य = रूप का। हर्जी = हरण या विनाश करने वाली। व्यसनम् = संकट या विनाश। बलस्य = बल का। शोकस्य = शोक का। योनिः = जन्म देने वाली मूल कारण निधनम् = विनाशका रतीनाम् = काम-सुखों को। स्मृतीनां = स्मृति को। रिपुः = शत्रु। इन्द्रियाणां = इन्द्रियों को। जरा = बुढापा। यया= जिससे एषः = यह। भग्नः = टूट गया है। प्रसंग सिद्धार्थ के वृद्ध पुरुष के बारे में प्रश्न करने पर सारथी उत्तर देता है।

अन्वय (सारथिः उवाच) एषा रूपस्य हर्जी, बलस्य व्यसनम्, शोकस्य योनिः, रतीनां निधनं, स्मृतीनां नाशः, इन्द्रियाणां रिपुः जरा नाम (अस्ति)। यया एष (नरः) भग्नः।

व्याख्या सारथी ने उत्तर दिया कि यह रूप का विनाश करने वाला, बल के लिए संकटस्वरूप, दु:ख की उत्पत्ति का मूल कारण, काम-सुखों को समाप्त करने वाला, स्मृति को नष्ट करने वाला, इन्द्रियों का शत्रु बुढ़ापा है, जिसके द्वारा यह पुरुष टूट गया है।

(4)
पीतं ह्यनेनापि पयः शिशुत्वे, कालेन भूयः परिमृष्टमुव्र्याम् ।
क्रमेण भूत्वा च युवा वपुष्मान्, क्रमेण तेनैव जरामुपेतः ॥

शब्दार्थ पीतं = पिया गया है। हि = निश्चय ही। अनेन अपि = इसके द्वारा भी। पयः = दूध। शिशुत्वे = बचपन में। कालेन = समय के अनुसार। भूयः = फिर। परिमृष्टम् = लोट लगायी है। उम् = भूमि पर, पृथ्वी पर। क्रमेण = क्रम के अनुसार। भूत्वा = होकर, बनकर। वपुष्मान् = सुन्दर शरीर वाला। तेन = उस। एव = ही। जराम् उपेतः = बुढ़ापे को प्राप्त हुआ।

प्रसंग सारथी राजकुमार को समझा रहा है कि इस वृद्ध ने एक निश्चित क्रम के अनुसार ही यह अवस्था प्राप्त की है।

अन्वय हि अनेन अपि शिशुत्वे पयः पीतम्, कालेन उ भूयः परिमृष्टं क्रमेण च युवा वपुष्मान् भूत्वा तेन एवं क्रमेण जराम् उपेतः।

व्याख्या निश्चय ही इसने भी बचपन में दूध पीया है, समय के अनुसार पृथ्वी पर लोट लगायी है और क्रम से सुन्दर शरीर वाला युवा होकर उसी क्रम में बुढ़ापे को प्राप्त किया है। तात्पर्य यह है कि इस (वृद्ध) की ऐसी अवस्था अकस्मात् ही नहीं हो गयी है, वरन् एक निश्चित क्रम-जन्म, बाल्यावस्था, युवावस्था, प्रौढ़ावस्था, अधेड़ावस्था, वृद्धावस्था के अनुसार हुई है।

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(5)
आयुष्मतोऽप्येष वयोऽपकर्षों, नि:संशयं कालवशेन भावी।
श्रुत्वा जरामुविविजे महात्मा महाशनेर्दोषमिवान्तिके गौः ॥

शब्दार्थ आयुष्मतः = चिरञ्जीवी आपको। अपि = भी। एष = यह। वयः अपकर्षः = अवस्था का हास। निःसंशयम्= निःसन्देह, निश्चित रूप से कालवशेन= समय के अनुसार भावी = होगा। श्रुत्वा = सुनकर। जराम् = वृद्धावस्था को। उद्विविजे = उद्विग्न हो गये। महाशनेः = महान् वज्र के। घोषम् = शब्द को। इव = समान, तरह। अन्तिके = पास में।

प्रसंग प्रस्तुत श्लोक में वृद्धावस्था की निश्चितता के बारे में जानने पर सिद्धार्थ की उद्विग्नता का वर्णन किया गया है।

अन्वय एषः वयोऽपकर्षः कालवशेन आयुष्मतः अपि नि:संशयं भावी। महात्मा जरां श्रुत्वा अन्तिके महाशनेः घोषं (श्रुत्वा) गौः इव उद्विविजे।

व्याख्या सारथि कुमार सिद्धार्थ से कहता है कि यह अवस्था का ह्रास भी समय के कारण दीर्घ आयु वाले (UPBoardSolutions.com) आपको भी नि:सन्देह होगा। इस प्रकार वह महान् आत्मा वाले कुमार सिद्धार्थ बुढ़ापे के विषय में सुनकर; पास में महान् वज्र की ध्वनि को सुनने वाली; गाय के समान उद्विग्न हो गये।

(6)
अथापरं व्याधिपरीतदेहं, त एव देवाः ससृजुर्मनुष्यम्।
दृष्ट्वा च तं सारथिमाबभाषे, शौद्धोदनिस्तद्गतदृष्टिरेव॥

शब्दार्थ अथ = इसके बाद। अपरम्= दूसरे व्याधिपरीतदेहम् = रोग से व्याप्त शरीर वाले। ते एव देवाः = उन देवताओं ने ही। ससृजुः = रचना कर दी। दृष्ट्वा = देखकर। च= और म्= उसको। सारथिम् = सारथी से। आबभाषे = बोला। शौद्धोदनिः = शुद्धोदन की पुत्र, सिद्धार्थ। तद्गत दृष्टिः = उसी पर दृष्टि लगाये हुए।

प्रसंग प्रस्तुत श्लोक में सिद्धार्थ के द्वारा एक रोगी को देखकर उसके बारे में सारथी से प्रश्न पूछने का वर्णन है।

अन्वय अथ ते एव देवाः अपरं मनुष्यं व्याधिपरीतदेहं ससृजुः। तं च दृष्ट्वा शौद्धोदनि: तद्गतदृष्टिः एव सारथिम् आबभाषे।।

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व्याख्या इसके बाद उन्हीं देवताओं ने दूसरे मनुष्य को रोग से व्याप्त शरीर वाला रच दिया। उस (रोगी) को देखकर राजा शुद्धोदन के पुत्र सिद्धार्थ ने उसी पर टकटकी लगाये हुए ही सारथी से कहा।

(7)
स्थूलोदर-श्वासचलच्छरीरः, स्वस्तांसबाहुः कृशपाण्डुगात्रः।
अम्बेति वाचं करुणं बुवाणः, परं समाश्लिष्य नरः क एषः ॥

शब्दार्थ स्थूलोदरः = मोटे पेट वाला; निकले हुए पेट वाला। श्वासचलच्छरीरः = साँस लेने से हिलते (काँपते) हुए शरीर वाला। स्वस्तांसबाहुः = ढीले कन्धे और भुजा वाला| कृशपाण्डुगात्रः = दुर्बल और पीले शरीर वाला। अम्बेति वाचं =’हाय माता’ इस प्रकार के वचन को। करुणम् = करुणापूर्वका बुवाणः = बोलता हुआ। परं = दूसरे से। समाश्लिष्य = लिपटकर, सहारा लेकर

प्रसंग प्रस्तुत श्लोक में रोगी के सम्बन्ध में जिज्ञासु सिद्धार्थ द्वारा सारथी से प्रश्न पूछा गया है।

अन्वय (सिद्धार्थः सारथिम् अपृच्छत्) स्थूलोदरः, श्वासचलच्छरीरः, स्रस्तांसबाहुः, कृश-पाण्डुगात्रः, परं समाश्लिष्य ‘अम्ब’ इति करुणं वाचं ब्रुवाणः एषः नरः कः (अस्ति)?

व्याख्या सिद्धार्थ ने सारथी से पूछा कि मोटे पेट वाला, साँस लेने से काँपते हुए शरीर वाला, झुके हुए ढीले कन्धे और भुजा वाला, दुर्बल और पीले शरीर वाला, दूसरे का सहारा लेकर ‘हाय माता!’ इस प्रकार के करुणापूर्ण वचन कहता हुआ यह मनुष्य कौन है?

(8)
ततोऽब्रवीत् सारथिरस्य सौम्य!, धातुप्रकोपप्रभवः प्रवृद्धः।
रोगाभिधानः सुमहाननर्थः, शक्रोऽपि येनैष कृतोऽस्वतन्त्रः॥

शब्दार्थ ततः = इसके बाद अब्रवीत् = कहा। सारथिरस्य (सारथिः + अस्य) = इसके (सिद्धार्थ) सारथी ने। सौम्यः = हे सौम्य!, हे भद्र!| धातुप्रकोपप्रभवः = वात, पित्त, कफ आदि धातुओं की विषमता के कारण उत्पन्न।प्रवृद्धः = बढ़ा हुआ। रोगाभिधानः = रोग नामका सुमहान् (UPBoardSolutions.com) अनर्थः = बहुत बड़ा अनिष्ट शक्रोऽपि = इन्द्र भी। येन = जिस रोग से। एष = यहा कृत = किया गया। अस्वतन्त्रः = पराधीन।

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प्रसग प्रस्तुत श्लोक में सारथी सिद्धार्थ को रोगी के विषय में बता रही है।

अन्वय ततः सारथिः अब्रवीत्-सौम्य! अस्य धातुप्रकोपप्रभवः रोगाभिधानः (नाम) सुमहान् अनर्थः प्रवृद्धः येन एष शक्रः अपि अस्वतन्त्रः कृतः।।

व्याख्या इसके बाद सारथी ने कहा–हे सौम्य इसका वात, पित्त, कफ आदि धातुओं की विषमता के कारण उत्पन्न हुआ रोग नाम का अत्यन्त बड़ा संकट बढ़ गया है, जिसने इस इन्द्र को भी पराधीन कर दिया है। तात्पर्य यह है कि धातुओं (वात-पित्त-कफ) की विषमता या सामंजस्य बिगड़ जाने के कारण रोग के उत्पन्न हो जाने पर इन्द्र जैसे महान् बलशाली को भी दूसरों का सहारा लेने के लिए विवश होना पड़ता है।

(9)
अथाब्रवीद् राजसुतः स सूतं, नरैश्चतुर्भिर्हियते क एषः ?
दीनैर्मनुष्यैरनुगम्यमानो, यो भूषितोऽश्वास्यवरुध्यते च ॥

शब्दार्थ अथ = इसके बाद। अब्रवीत् = कहा। राजसुतः = राजकुमार (सिद्धार्थ) ने। सः = वह, उस। सूतं = सारथी को। नरैश्चतुर्भिः = चार मनुष्यों के द्वारा। ह्रियते = ले जाया जा रहा है। दीनैः मनुष्यैः = दीन-हीन या दुःखी मनुष्यों के द्वारा। अनुगम्यमानः = अनुगमन किया जाता है। यः = जो भूषितः = फूलमालाओं और चन्दन आदि से सजाया गया। अश्वासी = श्वास-विहीन अवरुध्यते च = और (कफन से) ढका जा रहा है, बाँधा गया

प्रसंग प्रस्तुत श्लोक में सिद्धार्थ एक अरथी को ले जाये जाते हुए देखकर उसके विषय में सारथि से पूछते हैं।

अन्वय अथ स: राजसुतः सूतम् अब्रवीत्-(हे सूत!) यः भूषितः अश्वासी अवरुध्यते च। दीनै: मनुष्यैः अनुगम्यमाने एषः कः चतुर्भिः नरैः हियते।

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व्याख्या इसके पश्चात् उस राजकुमार ने सारथि से कहा–हे सारथि! जो चन्दन और फूलमालाओं आदि से सजाया गया, श्वासविहीन और (कफन से) ढका हुआ है, दीन-दु:खी लोगों के द्वारा अनुगमन किया जाता हुआ यह कौन चार आदमियों के द्वारा ले जाया जा रहा है?

(10)
बुद्धीन्द्रियप्राणगुणैर्वियुक्तः, सुप्तो विसञ्जस्तृणकाष्ठभूतः।
सम्बध्य संरक्ष्य च यत्नवद्भिः , प्रियाप्रियैस्त्यज्यते एष कोऽपि ॥

शब्दार्थ बुद्धीन्द्रियप्राणगुणैः = बुद्धि, इन्द्रिय, प्राणों और गुणों से। वियुक्तः = अलग हुआ। सुप्तः = (सदा के लिए) सोया हुआ। विसञ्जः = संज्ञाहीना तृणकाष्ठभूतः = तिनके और लकड़ी के समान हुआ अर्थात् निर्जीव। सम्बध्य = अच्छी तरह बाँधकर। संरक्ष्य = सुरक्षित करके च = और यत्नवद्भिः = प्रयत्न करने वाले, प्रयत्नशीला प्रियाप्रियैः = प्रिय और अप्रिय सबके द्वारा। त्यज्यते = (सदा के लिए) छोड़ा जा रहा है।

प्रसंग प्रस्तुत श्लोक में सारथि मृतक व्यक्ति के विषय में सिद्धार्थ को बता रहा है।

अन्वय बुद्धीन्द्रियप्राणगुणैः वियुक्तः, सुप्तः, विसञ्ज्ञः, तृणकाष्ठभूतः एष कोऽपि यत्नवद्भिः प्रियाप्रियैः सम्बध्य संरक्ष्य च त्यज्यते।

व्याख्या सारथि ने उत्तर दिया कि हे कुमार! बुद्धि, इन्द्रियों, प्राणों और गुणों से बिछुड़ा हुआ महानिन्द्रा (UPBoardSolutions.com) में सोया हुआ, चेतना से शून्य, तृण और काष्ठ के समान निर्जीव, यह कोई (मृत मनुष्य) यत्न करने वाले प्रिय और अप्रिय लोगों के द्वारा अच्छी तरह बाँधकर और भली-भाँति रक्षा करके (सदा के लिए) छोड़ा जा रहा है।

(11)
ततः प्रणेता वदति स्म तस्मै, सर्वप्रजानामयमन्तकर्ता।
हीनस्य मध्यस्य महात्मनो वा, सर्वस्य लोके नियतो विनाशः ॥ (2012, 14]

शब्दार्थ प्रणेता = रथ हाँकने वाला सारथी। वदति स्म = कहा। तस्मै = उससे (सिद्धार्थ से)। सर्वप्रजानाम् = सभी प्रजाओं का; अर्थात् जो जन्मे हैं उन सबका। अयम् = यह; अर्थात् मृत्यु या काल। अन्तकर्ता = अन्त करने वाला। हीनस्य = छोटे स्तर वाले का। मध्यस्य= मध्यम स्तर वाले का। महात्मनः वा = या उत्तम स्तर वाले का। सर्वस्य लोके = संसार में सभी का। नियतः विनाशः = विनाश या मृत्यु निश्चित है।

प्रसंग प्रस्तुत श्लोक में सारथी मृत्यु की अवश्यम्भाविता के विषय में सिद्धार्थ को बता रहा है।

अन्वय ततः प्रणेता तस्मै वदति स्म–अयं सर्वप्रजानाम् अन्तकर्ता (अस्ति)। लोके हीनस्य मध्यस्य महात्मनः वा सर्वस्य विनाशः नियतः (अस्ति)।

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व्याख्या इसके बाद सारथी ने उन सिद्धार्थ से कहा-यह (मृत्यु) सभी प्रजाओं का अन्त करने वाली है। संसार में अधम, मध्यम या उत्तम सभी मनुष्यों की मृत्यु निश्चित है। तात्पर्य यह है कि इस संसार में जन्म लेने वाले सभी व्यक्तियों की मृत्यु सुनिश्चित है, चाहे जन्म लेने वाला व्यक्ति उत्कृष्ट हो या निकृष्ट।

(12)
इति तस्य विपश्यतो यथावज्जगतोव्याधिजराविपत्तिदोषान्।
बलयौवनजीवितप्रवृत्तौ विजगामात्मगतो मदः क्षणेन ॥

शब्दार्थ इति = इस प्रकार। तस्य = उसका (सिद्धार्थ का)। विपश्यतः = विशेष रूप से देखते या समझते हुए। यथावत् = सही ढंग से। जगतः = संसार के व्याधिजराविपत्तिदोषान्= बीमारी, बुढ़ापा, मृत्युरूप दोषों को। बलयौवनजीवितप्रवृत्तौ = बल, यौवन और जीवन की प्रवृत्ति के सम्बन्ध में। विजगाम = लुप्त हो गया। आत्मगतः = अपने अन्दर स्थित। मदः = मद, अहंकार, उल्लास। क्षणेन = क्षण भर में

प्रसंग प्रस्तुत श्लोक में सिद्धार्थ के मन में विरक्ति के उत्पन्न होने का वर्णन किया गया है।

अन्वय इति जगतः व्याधिजराविपत्तिदोषान् यथावत् विपश्यतः तस्य बलयौवनजीवितप्रवृत्तौ आत्मगतः मदः क्षणेन विजगाम।

व्याख्या इस प्रकार संसार के रोग, वृद्धावस्था, मृत्युरूप दोषों को सही ढंग से विशेष रूप से समझते हुए उसका (सिद्धार्थ का) शक्ति, यौवन और जीवन की प्रवृत्ति के सम्बन्ध में अपने अन्दर स्थित अहंकार क्षणभर में लुप्त हो गया। तात्पर्य यह है कि सिद्धार्थ उसी क्षण (UPBoardSolutions.com) यह भूल गये कि वे राजकुमार हैं। उन्हें यह अनुभव हो गया कि वे भी एक सामान्य मनुष्य हैं।

(13)
पुरुषैरपरैरदृश्यमानः पुरुषश्चोपससर्प भिक्षुवेषः ।।
नरदेवसुतस्तमभ्यपृच्छद् वद कोऽसीति शशंस सोऽथ तस्मै ॥

शब्दार्थ पुरुषैः अपरैः = दूसरे मनुष्यों के द्वारा। अदृश्यमानः = न दिखाई पड़ने वाला। पुरुषः = मनुष्य। च= और। उपससर्प = पास आया। भिक्षुवेषः = भिक्षुक वेष वाला। नरदेवसु ..= राजकुमार (सिद्धार्थ) ने। तम् = उससे। अभ्यपृच्छत् = पूछा। वद = बताओ। कोऽसीति (कः + असि + इति) = कौन हो, यहा शशंस = कहा। सोऽथ (सः + अथ) = इसके बाद उसने। तस्मै = उससे (सिद्धार्थ से)।

प्रसंग प्रस्तुत श्लोक में एक दिव्य पुरुष को देखकर सिद्धार्थ उससे उसके विषय में पूछते हैं।

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अन्वय अपरैः पुरुषैः अदृश्यमानः भिक्षुवेषः पुरुषः च (एनम्) उपससर्प। नरदेवसुतः तम् अभ्यपृच्छत्-(त्वं) कः असि? इति वद। अथ सः तस्मै शशंस।।

व्याख्या दूसरे लोगों से न देखा गया और भिक्षु का वेश धारण करने वाला कोई पुरुष उसके (सिद्धार्थ के) पास आया। राजकुमार सिद्धार्थ ने उससे पूछा-तुम कौन हो? यह बताओ। इसके बाद उसने उनसे कहा। तात्पर्य यह है कि सिद्धार्थ के मन में जब अहंकार दूर हो जाता है तभी दिव्य पुरुष उनको दिखाई पड़ता है, जिसे उनका सारथी नहीं देख पाता।

(14)
नृपपुङ्गव! जन्ममृत्युभीतः, श्रमणः प्रव्रजितोऽस्मि मोक्षहेतोः।
जगति क्षयधर्मके मुमुक्षुर्मुगयेऽहं शिवमक्षयं पदं तत् ॥

शब्दार्थ नृपपुङ्गव = राजाओं में श्रेष्ठ। जन्ममृत्युभीतः = जन्म और मृत्यु से डरा हुआ। श्रमणः = साधु या संन्यासी। प्रव्रजितः अस्मि = सब कुछ छोड़कर घर से निकला हुआ अर्थात् संन्यासी हूँ। मोक्षहेतोः = मोक्ष अर्थात् मुक्ति के लिए। जगति = संसार से। क्षयधर्मके = नष्ट होना ही जिसका धर्म (स्वभाव) है; अर्थात् नश्वर। मुमुक्षुः = मोक्ष की इच्छा वाला। मृगये= ढूंढ़ रहा हूँ। शिवम् अक्षयं पदम् = विनाशरहित मंगलमय स्थान को।

प्रसंग प्रस्तुत श्लोक में संन्यासी अपने परिचय और लक्ष्य के विषय में सिद्धार्थ से कह रहा है।

अन्वय नृपपुङ्गव! जन्ममृत्युभीत: (अहं) मोक्षहेतोः श्रमणः प्रव्रजित: अस्मि। क्षयधर्मके (UPBoardSolutions.com) जगति मुमुक्षुः अहं तत् अक्षयं शिवं पदं मृगये।

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व्याख्या हे राजाओं में श्रेष्ठ! जन्म और मृत्यु के दु:ख से डरा हुआ मैं मोक्ष के लिए संन्यासी होकर घर से निकल पड़ा हूँ। विनाशशील अर्थात् नश्वर संसार में मोक्ष प्राप्त करने की इच्छा करने वाला मैं उस अविनाशी मंगलमय पद की खोज कर रहा हूँ।

(15)
गगनं खगवद् गते च तस्मिन्, नृवरः सञ्जहृषे विसिपिये च।
उपलभ्य ततश्च धर्मसञ्ज्ञामभिनिर्याणविधौ मतिं चकार ॥

शब्दार्थ गगनं = आकाश में। खगवत् = पक्षी की तरह गते = जाने पर। च = और। तस्मिन् = उस (भिक्षु) के नृवरः = मनुष्यों में श्रेष्ठ, सिद्धार्थ। सञ्जहृषे = हर्षित हुआ। विसिष्मिये = विस्मित हुआ; उपलभ्य = प्राप्त करके धर्मसञ्ज्ञाम् = धर्म के ज्ञान को। अभिनिर्याणविधौ = अभिनिष्क्रमण में। मतिं चकार = विचार किया।

प्रसंग प्रस्तुत श्लोक में सिद्धार्थ के भी संन्यास-ग्रहण करने के विषय में विचार करने के बारे में बताया गया है।

अन्वय तस्मिन् खगवत् गगनं गते नृवरः सञ्जहषे विसिष्मिये च। ततः धर्मसंज्ञां च उपलभ्य अभिनिर्याणविधौ मतिं चकार।

व्याख्या उस (भिक्षु) के पक्षी के समान आकाश में चले जाने पर अर्थात् उड़ जाने पर मनुष्यों में श्रेष्ठ सिद्धार्थ प्रसन्न हुए और आश्चर्यचकित हुए तथा उससे धर्म का बोध प्राप्त करके अभिनिष्क्रमण करने का विचार किया। तात्पर्य यह है कि उस भिक्षु से सही ज्ञान प्राप्त (UPBoardSolutions.com) हो जाने के कारण सिद्धार्थ अत्यधिक हर्षित हुए और घर त्याग कर संन्यास-ग्रहण करने का संकल्प कर लिया।

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सूक्तिपरक वाक्यांशों की व्याख्या

(1)
नाशः स्मृतीनां रिपुरिन्द्रियाणामेषा जरा नाम ययैष भग्नः।
एषा जरा नाम ययैष भग्नः। [2010, 14]

सन्दर्भ यह सूक्तिपरक पंक्ति हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘संस्कृत’ के पद्य-खण्ड ‘पद्य-पीयूषम्’ के ‘सिद्धार्थस्य निर्वेदः’ नामक पाठ से अवतरित है।

[संकेत इस पाठ की शेष सभी सूक्तियों के लिए यही सन्दर्भ प्रयुक्त होगा।]

प्रसंग प्रस्तुत सूक्ति में वृद्धावस्था के दोषों पर प्रकाश डाला गया है।

अर्थ यह स्मृतियों को नष्ट करने वाला इन्द्रियों का शत्रु वृद्धावस्था ९, जिससे यह व्यक्ति टूट गया है।

व्याख्या वृद्धावस्था में व्यक्ति की स्मरण-शक्ति क्षीण हो जाती है और ज्यों-ज्यों यह अवस्था बढ़ती जाती है, त्यों-त्यों वह और भी अधिक क्षीण होती जाती है। इसके अतिरिक्त वृद्धावस्था में व्यक्ति की ज्ञानेन्द्रियाँ भी शिथिल हो जाती हैं और उनकी कार्य करने की शक्ति या तो कम हो जाती है अथवा समाप्त हो जाती है। यही कारण है कि वृद्धावस्था में व्यक्ति कम सुनने लगता है, उसे कम दिखाई देने लगता है और उसकी सोचने की शक्ति भी कम (UPBoardSolutions.com) हो जाती है। इसलिए बुढ़ापे को स्मृतियों (याददाश्त) को नष्ट करने वाला तथा इन्द्रियों का शत्रु कहा गया है, जो कि उचित है।

(2) शक्रोऽपि येनैष कृतोऽस्वतन्त्रः। [2006]

प्रसंग प्रत्येक व्यक्ति कभी-न-कभी बीमार अवश्य होता है, इस सूक्ति में इसी सत्य का उद्घाटन किया गया है।

अर्थ इन्द्र भी इस (रोग) के द्वारा स्वतन्त्र नहीं किये गये; अर्थात् उन्हें भी इस रोग ने नहीं छोड़ा।

व्याख्या सिद्धार्थ का सारथी उन्हें रोग के विषय में बता रहा है कि रोग एक ऐसी व्याधि है, जिससे कोई भी प्राणी बच नहीं पाता है। अपने सम्पूर्ण जीवन में प्रत्येक प्राणी कभी-न-कभी बीमार अवश्य पड़ता है। मनुष्यों की तो बात ही क्या, इस रोग ने तो इन्द्र को भी नहीं छोड़ा था। दूसरे शब्दों में यह भी कहा जा सकता है कि बढ़ा हुआ रोग जब व्यक्ति को पूर्णरूपेण असमर्थ बना देता है तब इन्द्र भी चाहने पर उसकी रक्षा नहीं कर सकते। तात्पर्य यह है कि रोग के द्वारा पूरी तरह से पराधीन किया गया मनुष्य इन्द्र द्वारा भी स्वाधीन नहीं किया जा सकता।

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(3) सर्वस्य लोके नियतो विनाशः।। [2006, 08, 09, 10, 11, 13]

प्रसंग प्रस्तुत सूक्ति के माध्यम से कवि संसार के शाश्वत नियमों को स्पष्ट कर रहा है।

अर्थ संसार में सबका विनाश निश्चित है।

व्याख्या संसार में जो भी जड़-चेतन पदार्थ हैं, उनमें से कोई भी चिरस्थायी नहीं है। संसार में जो भी वस्तु उत्पन्न होती है, वह अवश्य ही नष्ट होती है। विनाश से कोई भी वस्तु बच नहीं सकती, चाहे वह प्राणियों का शरीर हो या वृक्ष, पर्वत आदि अन्य कुछ। इस संसार में ऐसा कुछ (UPBoardSolutions.com) भी नहीं है, जो उत्पन्न तो हुआ हो लेकिन उसका विनाश न हुआ हो। श्रीमद्भगवद्गीता में भी कहा गया है “जातस्य हि ध्रुवो मृत्युः धुवं जन्ममृतस्य च।”

श्लोक का संस्कृत-अर्थ

(1) ततः कुमारो ……………………………………………… निष्कम्प-निविष्ट-दृष्टिः ॥ (श्लोक 1) :
संस्कृतार्थः अस्मिन् श्लोके महाकविः अश्वघोषः कथयति यत् वृद्धावस्थापीडितं भिन्नाकृति: पुरुषं दृष्ट्वा आगतास्थः कुमार सिद्धार्थः अपलकदृष्ट्या पश्यन् तं वृद्धं स्वसारथिम् अब्रवीत्।।

(2) क एष भोः ………………………………………………प्रकृतिर्यदृच्छा ॥ (श्लोक 2)
संस्कृतार्थः अस्मिन् श्लोके सिद्धार्थः अवदत्-भोः सूत! मत्समक्षम् उपस्थितः श्वेतकेश-युक्तः, यष्टिविषक्तहस्तः, दीर्घभूसंवृताक्षः, शिथिलाङ्गः पुरुषः कः अस्ति? कथमस्य एषा दशा उत्पन्ना? अस्य एषा दशा स्वाभाविकी अथवा संयोगेन सजातः।

(3) रूपस्य हर्जी ……………………………………………… ययैष भग्नः ॥ (श्लोक 3) [2006]
संस्कृतार्थः सिद्धार्थस्य वचनं श्रुत्वा सारथिः प्रत्यवदत्-कुमार! अस्य पुरुषस्य वृद्धावस्था वर्तते। एषां वृद्धावस्था रूपस्य हरणकर्जी, बलस्य विनाशिनी, शोकस्य कारणं, कामानां निधनं, स्मृतीनां नाशः, इन्द्रियाणां शत्रुः चास्ति। वृद्धावस्था सर्वेषां कष्टानां कारणम् अस्ति।

(4) ततोऽब्रवीत् ……………………………………………… कृतोऽस्वतन्त्रः॥ (श्लोक 8)
संस्कृतार्थः अस्मिन् श्लोके महाकविः अश्वघोषः कथयति यत् कुमार सिद्धार्थस्य वचनं श्रुत्वा सारथिः अब्रवीत्-हे सौम्य! अस्य पुरुषस्य धातवः क्षीणः विकृतः अभवन्। रोगस्य वर्धनात् अयं पुरुषः असमर्थः अभवत्। अतएव इन्द्रः अपि तं रक्षितुं न समर्थः।।

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(5) ततः प्रणेता ……………………………………………… नियतो विनाशः ॥ (श्लोक 11) [2007, 08]
संस्कृतार्थः अस्मिन् श्लोके सारथिः कथयति-भो राजकुमार! कालः सर्वेषाम् उत्पन्नानाम् अन्तकर्ता (UPBoardSolutions.com) अस्ति। अस्मिन् लोके उत्तम-मध्यम-हीन जनानां सर्वेषां विनाः नियतो वर्तते। य: उत्पन्न: भवति सः अवश्यमेव विनश्यति। न कः अपि सर्वदा एव तिष्ठति।।

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UP Board Solutions for Class 9 English Poetry Chapter 5 I Vow To Thee, My Country (Sir Cecil Spring Rice)

UP Board Solutions for Class 9 English Poetry Chapter 5 I Vow To Thee, My Country (Sir Cecil Spring Rice)

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Read the following stanzas given below and answer the questions that follow each :
नीचे दिये हुये निम्नलिखित पद्यांशों को पढ़िये और उनके नीचे दिये हुए प्रश्नों के उत्तर दीजिए —

(a) I vow to thee, my country–all earthly things above
Entire and whole and perfect, the service of my love,
The love that asks no question : the love that stands the test.
Questions.
(i) Whom does the poet love most dearly?
कवि सबसे अधिक किससे प्रेम करता है?
(ii) What oath does the poet take?
कवि क्या शपथ लेता है?

(iii) What type of love does the poet describe here?
कवि यहाँ पर किस प्रकार के प्यार का वर्णन करता है?
(iv) Write name of the poem from which the above stanza has been taken. Who is the poet of the poem?
उस कविता का नाम बताइए जहाँ से यह उपरोक्त पद्यांश लिया गया है। इस कविता के कवि कौन हैं?
Answers.
(i) The poet loves his motherland the most dearly.
कवि सबसे अधिक अपनी मातृभूमि से प्रेम करता है?
(ii) The poet vows to love his country at any cost.
कवि हर कीमत पर अपने देश से प्रेम करने की शपथ लेता है।
(iii) The poet describes selfishless and sincere love for his country.
कवि अपने देश के प्रति निःस्वार्थ तथा सच्चे प्रेम का वर्णन करता है।
(iv) The name of the poem is ‘I Vow To Thee, My Country’. The poet of the poem Sir Cecil Spring Rice.
कविता का नाम ‘I Vow To Thee, My Country’ है। इस कविता के कवि सर सीसिल स्प्रिंग राइस है।

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(b) That lays upon the altar dearest and the best ;
The love that never falters, the love that pays the price,
The love that makes undaunted the final sacrifice.
Questions.
(i) What will the poet sacrifice for his motherland?
कवि अपनी मातृभूमि के लिए क्या बलिदान करेगा?
(ii) What does the poet mean by “The love that never falters”?
“The Love that never falters’ से कवि का क्या तात्पर्य है?
(iii)What greatest price of love for his motherland is the poet ready to pay?
कवि अपनी मातृभूमि के लिए प्रेम के किस महानतम मूल्य को चुकाने के लिए तैयार है?
(iv) Write name of the title of the poem from which the above stanza has been taken.
कविता का नाम लिखिए जहाँ से उपरोक्त पद्यांश लिया गया है।
Answers.
(i) The poet sacrifices his dearest and the best for his motherland.
कवि अपनी मातृभूमि के लिए अपनी सबसे प्रिय तथा सर्वश्रेष्ठ वस्तु का बलिदान कर देता है।
(ii) The love that never falters’ his love for his motherland is firm and everlasting.
The love that never falters’ का तात्पर्य है कि मातृभूमि के प्रति उसका प्रेम दृढ़ तथा शाश्वत है।
(iii)Greatest price of love for his motherland is his final sacrifice, the poet is ready to pay.
कवि अपनी मातृभूमि के लिए प्रेम के (UPBoardSolutions.com) महानतम मूल्य जो जीवन की आहुति देना है, देने को तैयार है।
(iv) The name of the poem is ‘I Vow To Thee, My Country’.
कविता का नाम I Vow To Thee, My Country’ है।

(A) SOLVED QUESTIONS OF TEXT BOOK
Answer the following questions :
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए :

Question 1.
Whom does the poet love dearly?
कवि सबसे अधिक प्रेम किससे करता है?
Answer:
The poet loves his motherland dearly.
कवि सबसे अधिक प्रेम अपनी मातृभूमि से करता है।

Question 2.
What kind of love does the poet have for his country?
मातृभूमि के प्रति कवि का प्रेम किस प्रकार का है?
Answer:
The poet has selfless and sincere love for his country.
मातृभूमि के प्रति कवि का प्रेम निःस्वार्थ और दृढ़ है।

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Question 3.
What does the line, The love that asks 10 question’ mean?
“The love that asks no question’ वाली पंक्ति का क्या तात्पर्य है?
Answer:
The line, ‘The love that asks no question’ stands for the spirit of complete surrender in his love.
“The love that asks no questions’ का तात्पर्य अपने प्रेम में पूर्णतया समर्पण की भावना है।

Question 4.
What does the word, final sacrifice’ mean here?
‘Final sacrifice’ शब्द का क्या तात्पर्य है?
Answer:
Final sacrifice’ means sacrificing one’s own life.
‘Final sacrifice’ का तात्पर्य है अपने जीवन की आहुति देना है।

(B) APPRECIATING THE POEM |

Question 1.
Write down the central idea of the poem.
कविता का केन्द्रीय भाव लिखिए।
Answer:
In this poem, the poet takes a vow to love his motherland whole heartedly. He also takes a vow to give his motherland his dearest and the best.
He likes to make bold sacrifice for her cause.
इस कविता में कवि सच्चे मन से अपनी मातृभूमि के प्रति प्रेम करने की शपथ लेता है। वह अपनी मातृभूमि के लिए अपनी सबसे प्रिय तथा सर्वश्रेष्ठ वस्तु को भी देने की (UPBoardSolutions.com) शपथ लेता है।
वह मातृभूमि के लिए साहसपूर्ण बलिदान करना पसन्द करता है।

Question 2.
Who is the poet of the poem?
कविता के रचयिता कौन हैं?
Answer:
Sir Cecil Spring Rice is the poet of the poem.
कविता के रचयिता Sir Cecil Spring Rice हैं।

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Question 3.
Point out the words that rhyme together in the poem.
उन शब्दों को बताइये जिनकी कविता में तुक मिलती है?
Answer:
(i) Above rhymes with love
above की तुक love से मिलती है।
(ii) Test rhymes with best and
test की तुक best से मिलती है।
(iii) Price rhymes with sacrifice.
price की तुक sacrifice से मिलती है।

UP Board Solutions for Class 10 Hindi Chapter 2 अन्योक्तिविलासः (संस्कृत-खण्ड)

UP Board Solutions for Class 10 Hindi Chapter 2 अन्योक्तिविलासः (संस्कृत-खण्ड)

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अवतरणों का ससन्दर्भ हिन्दी अनुवाद

प्रश्न 1.
नितरां नीचोऽस्मीति त्वं खेदं कूप ! कदापि मा कृथाः ।। अत्यन्तसरसहृदयो यतः परेषां गुणग्रहीतासि ।। [2009, 16]
उत्तर
[नितरां = अत्यधिक। नीचोऽस्मीति (नीचः + अस्मि + इति) = मैं नीचा (गहरा) हूँ। खेदं = दु:ख। कदापि (कदा + अपि) = कभी भी। मा कृथाः = मत करो। यतः = क्योंकि। परेषां = दूसरों के। ” गुणग्रहीतासि (गुणग्रहीता + असि) = गुणों को ग्रहण करने वाले हो, रस्सियों को लेने वाले हो।]

सन्दर्भ-प्रस्तुत श्लोक हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘हिन्दी’ के संस्कृत-खण्ड’ के अन्योक्तिविलासः’ पाठ से उधृत है।

(विशेष—इस पाठ के अन्य सभी श्लोकों के लिए यही सन्दर्भ प्रयुक्त होगा।]

प्रसंग-इस श्लोक में कुएँ के माध्यम से सज्जनों (UPBoardSolutions.com) को यह सन्देश दिया गया है कि उन्हें अपने आपको तुच्छ नहीं समझना चाहिए।

अनुवाद–हे कुएँ! (मैं) अत्यन्त नीचा (गहरा) हैं। इस प्रकार कभी भी दु:ख मत करो; क्योंकि (तुम) अत्यन्त सरस हृदय वाले (जलयुक्त) और दूसरों के गुणों (रस्सियों) को ग्रहण करने वाले हो।

भाव–हे गम्भीर पुरुष! मैं अत्यन्त तुच्छ हूँ ऐसा समझकर तुम मन में खेद मत करो; क्योंकि तुम सरस हृदयं वाले और दूसरों के गुणों को ग्रहण करने वाले हो। भाव यह है कि व्यक्ति कितना ही छोटा क्यों न हो यदि वह सरस हृदय और दूसरों के गुणों को ग्रहण करने वाला है तो वह किसी से भी कम नहीं है।

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प्रश्न 2.
नीर-क्षीर-विवेके हंसालस्यं त्वमेव तनुषे चेत् ।
विश्वस्मिन्नधुनान्यः कुलव्रतं पालयिष्यति कः ॥ [2009, 11, 13, 15, 18]
उत्तर
[नीर-क्षीर-विवेके = दूध और पानी को अलग करने में। हंसालस्यं (हंस + आलस्यम्) = हंस आलस्य को (करोगे)। तनुषे = करते हो। चेत् = यदि। विश्वस्मिन्नधुनान्यः (विश्व + अस्मिन् + अधुना + अन्यः) = अब इस विश्व में दूसरा। कुलव्रतं = कुल के व्रत को। पालयिष्यति = पालन करेगा। कः = कौन।]

प्रसंग-प्रस्तुत श्लोक में हंस के माध्यम से लोगों को अपने कर्तव्यों के प्रति आलस्य न करने के लिए कहा गया है।

अनुवाद-हे हंस! यदि तुम्हीं दूध और पानी को अलग करने में (UPBoardSolutions.com) आलस्य करोगे तो इस संसार में दूसरा कौन अपने कुल की मर्यादा का पालन करेगा ? ।

भाव-हे गुणग्राही पुरुष! यदि तुम ही गुण और दोषों को समझने में आलस्य करोगे और उचितअनुचित का निर्णय नहीं करोगे तो इस संसार में दूसरा कौन अपने कुलव्रत का पालन करेगा ? भाव यह है कि कुलीन वृत्ति के लोगों को अपने कुलव्रत; अर्थात् उचित-अनुचित का विवेक; करने में कभी आलस्य नहीं करना चाहिए।

प्रश्न 3.
कोकिल ! यापय दिवसान् तावद् विरसान् करीलविटपेषु ।
यावन्मिलदलिमालः कोऽपि रसालः समुल्लसति। [2010, 11, 13]
उत्तर
[ यापय = बिताओ। विरसान् = नीरस। करीलविटपेषु = करील के पेड़ों पर। यावन्मिलदलिमालः (यावत् + मिलद् + अलिमाल:) = जब तक भौंरों की पंक्ति से युक्त। रसालः = आम। समुल्लसति = सुशोभित होता है।

प्रसंग—प्रस्तुत श्लोक में कोयल के माध्यम से विद्वान् पुरुषों को सान्त्वना दी गयी है कि एक-न-एक दिन उनका अच्छा समय अवश्य आएगा। उन्हें धैर्यपूर्वक अपने बुरे दिनों को काट लेना चाहिए।

अनुवाद–हे कोयल! तब तक अपने नीरस दिनों को करील के पेड़ों (UPBoardSolutions.com) पर बिता लो, जब तक भौंरों की पंक्ति से युक्त कोई आम का वृक्ष विकसित नहीं होता है।

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भाव-हे विद्वान् पुरुष! तब तक अपने विपत्ति के दिनों को किसी भी प्रकार बिता लो, जब तक कि तुम्हें किसी गुणग्राही व्यक्ति का आश्रय नहीं मिलता है (अर्थात् तुम्हारे अच्छे दिन अवश्य आएँगे)।

प्रश्न 4.
रे रे चातक ! सावधानमनसा मित्र ! क्षणं श्रूयतम् ।
अम्भोदा बहवो हि सन्ति गगने सर्वेऽपि नैतादृशाः ॥
केचिद् वृष्टिभिरार्द्रयन्ति वसुधां गर्जन्ति केचिद् वृथा।
यं यं पश्यसि तस्य तस्य पुरतो मा ब्रूहि दीनं वचः ॥ [2010, 13, 17]
उत्तर
[सावधानमनसा = सावधान चित्त से। श्रूयताम् = सुनिए। अम्भोदा = बादल। नैतादृशाः (न + एतादृशाः) = ऐसे नहीं हैं। वृष्टिभिरार्द्रयन्ति (वृष्टिभिः + आर्द्रयन्ति) = वर्षा करके गीला कर देते हैं। वृथा = व्यर्थ। यं यं = जिस-जिसको। मा ब्रूहि = मत कहो। दीनं वचः = दीनता भरे वचन।]

प्रसंग–प्रस्तुत श्लोक में चातक के माध्यम से विद्वानों को यह सन्देश दिया गया है कि व्यक्ति को किसी के भी सामने याचक बनकर हाथ नहीं फैलाना चाहिए।

अनुवाद–हे मित्र चातक! तुम क्षणभर सावधान चित्त से मेरी बात सुनो। आकाश में बहुत-से बादल रहते हैं, किन्तु सभी ऐसे (उदार) नहीं हैं। उनमें से कुछ ही पृथ्वी को वर्षा से भिगोते हैं और कुछ व्यर्थ में गरजते हैं। तुम जिस-जिस बादल को (UPBoardSolutions.com) (आकाश में) देखते हो, उस-उसके सामने अपने दीनतापूर्ण वचन मत कहो।

भाव-हे विद्वान् पुरुष! तुम क्षणभर मेरी बात ध्यानपूर्वक सुनो। संसार में अनेक धनवान् एवं समर्थ हैं, परन्तु सभी उदार नहीं होते। उनमें कुछ तो अधिक उदार होते हैं और कुछ अत्यन्त कृपण। अत: तुम प्रत्येक से आशा करते हुए उसके सामने अपना हाथ मत फैलाओ।

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प्रश्न 5.
न वै ताडनात् तापनाद् वह्निमध्ये,
न वै विक्रयात् क्लिश्यमानोऽहमस्मि ।
सुवर्णस्य मे मुख्यदुःखं तदेकं ।
यतो मां जनाः गुञ्जया तोलयन्ति ॥ [2008, 12, 14, 17]
उत्तर
[ ताडनात् = पीटने से। वह्निमध्ये तापनाद् = आग में तपाने से। विक्रयात् = बेचने से। क्लिश्यमानोऽहमस्मि (क्लिश्यमानः + अहम् + अस्मि) = मैं दु:खी नहीं हूँ। तदेकं (तत् + एकम्) = वह एक है। गुञ्जया = रत्ती से, गुंजाफल से। तोलयन्ति = तौलते हैं। ]

प्रसंग-प्रस्तुत श्लोक में स्वर्ण के माध्यम से विद्वान् और स्वाभिमानी पुरुष की व्यथा को अभिव्यक्ति दी गयी है।

अनुवाद-मैं (स्वर्ण) ने पीटने से, न आग में तपाने से और न बेचने (UPBoardSolutions.com) के कारण दु:खी हैं। मुझे तो बस एक ही मुख्य दु:ख है कि लोग मुझे रत्ती (चुंघची) से तौलते हैं।

भाव-विद्वान् स्वाभिमानी पुरुष विपत्तियों से नहीं डरता है। उसका अपमान तो नीच के साथ उसकी तुलना करने में होता है। तात्पर्य यह है कि शारीरिक कष्ट उतना दु:ख नहीं देते, जितनी पीड़ा मानसिक कष्ट पहुँचाते हैं।

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प्रश्न 6.
रात्रिर्गमिष्यति भविष्यति सुप्रभातं,
भास्वानुदेष्यति हसिष्यति पङ्कजालिः ।।
इत्थं विचिन्तयति कोशगते द्विरेफे, हा हन्त !
हन्त ! नलिनीं गज उज्जहार ॥ [2012, 14, 16]
उत्तर
[ रात्रिर्गमिष्यति (रात्रिः + गमिष्यति) = रात्रि व्यतीत हो जाएगी। भविष्यति = होगा। सुप्रभातं = सुन्दर प्रभात। भास्वानुदेष्यति (भास्वान् + उदेष्यति) = सूर्य उदित होगा। हसिष्यति = खिलेगा। पङ्कजालिः = कमलों का समूह। इत्थं = इस प्रकार से। विचिन्तयति = सोचते-सोचते। कोशगते = कमल-पुट में बैठे हुए। द्विरेफे = भौरे के। नलिनीं = कमलिनी को। उज्जहार = हरण कर लिया।]

प्रसंग-प्रस्तुत श्लोक में कमलिनी में बन्द भ्रमर के द्वारा जीवन की अनिश्चितता के विषय में बताया गया है।

अनुवाद—(कमलिनी में बन्द भौंरा सोचता है कि) ‘रात व्यतीत होगी। सुन्दर प्रभात होगा। सूर्य निकलेगा। कमलों का समूह खिलेगा।’ इस प्रकार कमल पुट में बैठे हुए भौरे के ऐसा सोचते-सोचते हाय! बड़ा दु:ख है कि हाथी उसी कमलिनी को (उखाड़कर) ले गया। |

भाव-मनुष्य तो सुख की आशा में अपने दु:ख के दिन काटता (UPBoardSolutions.com) है, परन्तु उसका वह दु:ख समाप्त भी नहीं हो पाता कि उसे मृत्यु ग्रस लेती है। तात्पर्य यह है कि मनुष्य चाहे कितनी भी मधुर कल्पनाएँ क्यों न कर ले, किन्तु उसके ऊपर कुछ भी निर्भर नहीं है। होता वही है जो ईश्वर चाहता है।

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अतिलघु-उतरीय संस्कृत प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1
कूपः किमर्थं दुःखम् अनुभवति ? [2011, 13]
उत्तर
कूप: नितरां नीचः अस्ति; अतः सः दु:खम् अनुभवति।

प्रश्न 2
अत्यन्तसरसहृदयो यतः किं ग्रहीतासि ?
उत्तर
अत्यन्तसरसहृदयो यतः परेषां गुणग्रहीतासि।

प्रश्न 3
कविः हंसं किं बोधयति ?
उत्तर
कवि: हंसं नीर-क्षीर-विभागे आलस्यं न कर्तुं बोधयति।

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प्रश्न 4
कविः कोकिलं किं कथयति (बोधयति) ?
उत्तर
कवि: कोकिलं कथयति (बोधयति) यत् वसन्तकालं यावत् (UPBoardSolutions.com) कोऽपि रसालः न समुल्लसति तावत् करीलविटपेषु एव सन्तोषं कर्त्तव्यम्।

प्रश्न 5
कविः चातकं किम् उपदिशति (शिक्षयति) ? [2010, 12]
उत्तर
कविः चातकम् उपदिशति (शिक्षयति) यत् स: सर्वेषां पुरतः दीनं वचः न ब्रूयात्।

प्रश्न 6
सुवर्णस्य किं मुख्यदुःखम् अस्ति ? [2009, 11, 12, 13, 14, 16, 18]
उत्तर
जनाः सुवर्णं गुञ्जया सह तोलयन्ति इति सुवर्णस्य मुख्यदु:खम् अस्ति।

प्रश्न 7
भ्रमरे चिन्तयति गजः किम् अकरोत् ? [2010]
उत्तर
भ्रमरे चिन्तयति गज: नलिनीम् उज्जहार।

प्रश्न 8
कोशगतः भ्रमरः किम् अचिन्तयत् ?
उत्तर
कोशगत: भ्रमरः अचिन्तयत् ‘रात्रि: गमिष्यति, सुप्रभातं (UPBoardSolutions.com) भविष्यति, सूर्यम् उदेष्यति, कमलं विकसिष्यति।।

प्रश्न 9
हंसस्य किं कुलव्रतम् अस्ति ? [2013]
उत्तर
हंसस्य कुलव्रतम् नीर-क्षीर-विवेकम् अस्ति।

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प्रश्न 10
कीदृशाः अम्भोदाः गगने वसन्ति ?
उत्तर
गगने सर्वे नैतादृशाः अम्भोदा: वसन्ति। केचिद् वसुधां वृष्टिभि: आर्द्रयन्ति केचिद् वृथा गर्जन्ति।

प्रश्न 11
गजः काम् उज्जहार ? [2010]
उत्तर
गजः नलिनीम् उज्जहार।

प्रश्न 12
नीर-क्षीर-विषये हंसस्य का विशेषता अस्ति? [2014, 16]
उत्तर
नीर-क्षीर-विषये नीर-क्षीर-विवेकम् एव (UPBoardSolutions.com) हंसस्य विशेषता अस्ति।

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अनुवादक

प्रश्न 1.
निम्नलिखित वाक्यों को संस्कृत में अनुवाद कीजिए-
उत्तर
UP Board Solutions for Class 10 Hindi Chapter 2 अन्योक्तिविलासः (संस्कृत-खण्ड) img-3

प्यारात्मक

प्रश्न 1
पाठ में आयी समस्त अन्योक्तियाँ अन्योक्ति अलंकार का उदाहरण हैं। इस अलंकार का लक्षण बताते हुए किसी एक अन्योक्ति को उदाहरणस्वरूप लेकर उसका स्पष्टीकरण
दीजिए।
उत्तर
जब किसी उक्ति में साधर्म्य के कारण कथित वस्तु के माध्यम (UPBoardSolutions.com) से किसी अन्य को कोई उपदेश, शिक्षा अथवा सन्देश दिया जाता है तो उसे अन्योक्ति अलंकार कहते हैं; जैसे–पाँचवें श्लोक में सोने और गुंजा के माध्यम से गुणवान, स्वाभिमानी व्यक्ति की उस मानसिक पीड़ा को व्यक्त किया गया है, जो उसको नीच व्यक्ति के साथ अपनी तुलना किये जाने पर होती है।

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प्रश्न 2
पाठ की अन्योक्तियों में विभिन्न वस्तुएँ प्रतीक रूप में ली गयी हैं, ये वस्तुएँ जिनका प्रतीक हैं, उन्हें लिखिए
उत्तर
UP Board Solutions for Class 10 Hindi Chapter 2 अन्योक्तिविलासः (संस्कृत-खण्ड) img-2
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प्रश्न 3
निम्नलिखित पदों में सन्धि-विच्छेद कीजिए-
अस्मीति, अत्यन्त, नैतादृशाः, कदापि, अधुनान्यः, तदेकम्।।
उत्तर
UP Board Solutions for Class 10 Hindi Chapter 2 अन्योक्तिविलासः (संस्कृत-खण्ड) img-4

प्रश्न 4
बादल, कमल एवं हाथी के दो-दो पर्यायवाची शब्द लिखिए।
उत्तर
बादल — जलदः, नीरदः।
कमल — पुण्डरीकः, जलजः।
हाथी — हस्ती, करी।

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UP Board Solutions for Class 9 English Grammar Chapter 1 Parts of Sentence

UP Board Solutions for Class 9 English Grammar Chapter 1 Parts of Sentence

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SOLVED EXERCISES BASED ON TEXT BOOK

EXERCISE :: 1
Pick out the Subject in the following sentences. Also point out the Head Word, Qualifier and Determiner :

Study the examples :
Question 1.
Man is mortal.
Answer:
Subject-Man (Head Word)

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Question 2.
A beautiful girl is there.
Answer:
Determiner—A
Questions.
Adjective-beautiful
Head Word-girl

  1.  A tall boy runs.
  2.  A kind man wept.
  3. The old man died.
  4.  My younger brother succeeded.
  5.  The little girl danced.
  6.  Some notorious boys were caught.
  7.  The black crow flew.
  8.  Some dishonest person stole the purse.
  9.  Some old ladies went to the temple.
  10. A strong wrestler was defeated.

Answers:

UP Board Solutions for Class 9 English Grammar Chapter 1 Parts of Sentence image 1

EXERCISE :: 2
Complete the following sentences with the Subject parts given in brackets in the correct order :
Questions.
UP Board Solutions for Class 9 English Grammar Chapter 1 Parts of Sentence image 2
Answers:

  1. The old man sat here.
  2. My old servant went home.
  3. Some naughty boys quarrelled.
  4. His elder brother is a famous doctor.
  5. An honest boy works hard.
  6. That tall boy came from Mumbai.
  7.  A shining gun was given to him on his birthday.
  8.  New electronic dolls dance.
  9.  The red flowers in my garden are pretty.
  10. The brave people fight for their country.

EXERCISE :: 3.
Complete the following sentences with the Subject parts given in brackets in the correct order :
UP Board Solutions for Class 9 English Grammar Chapter 1 Parts of Sentence image 3
Answers:

  1.  Some naughty boys quarrelled.
  2. My younger son is a famous actor.
  3. To pay the taxes is our duty.
  4. My grandmother told an interesting story.
  5. My all friends have arrived.
  6. A kind man wept.
  7. That tall man is dishonest.
  8.  Shashi’s elder brother is in the room.
  9.  A black bird sitting in the tree flew away.
  10.  My younger brother in Agra is a doctor.

Predicate के अन्तर्गत एक शब्द भी हो सकता है तथा एक से अधिक शब्द भी हो सकते हैं। एक शब्द से अधिक होने पर Prelicate का वर्गीकरण निम्नलिखित प्रकार से किया जा सकता है–
UP Board Solutions for Class 9 English Grammar Chapter 1 Parts of Sentence image 4
Predicate (विधेय) के कई भाग होते हैं|
(i) Verb (क्रिया)–Verb Predicate का प्रथम तथा प्रमुख भाग है जो’कर्ता द्वारा किये गये कार्य को व्यक्त करता है।
(ii) Indirect Object (अप्रत्यक्ष कर्म)–क्रिया से whom (किसको) का प्रश्न करने पर जो शब्द उत्तर में आये, वह Indirect Object होता है।
(iii) Direct Object (प्रत्यक्ष कर्म)–क्रिया से what (क्या) का प्रश्न करने पर जो उत्तर में आये वह Direct Object होता हैं।
(iv) Complement (परिपूरक)–जो शब्द verb के अर्थ को पूरा करता है उसे Complement कहते हैं।
(नोट-प्रायः linking Verb (is, am, are, was, were etc.) के बाद ही complement आता है।
Examples :
1. Ram tells us : nice story. (राम हमें एक अच्छी कहानी सुनाता है।)
Subject—Ram
Verb—tells
Indirect Object—us
Direct Object—a nice story
2. Ashok Was a king. (अशोक एक राजा था।)
Subject-Ashok
Verb (linking)—was
Complement — a king विशेष—Complement भी तीन प्रकार के होते हैं, जैसे
(1) He is a teacher. (Noun Completent)
(2) He is tall. (Adjective Complement)
(3) He is there. (Adverb Complement)
Predicate के parts को निम्नलिखित रूप में स्पष्ट किया जा सकता है–
Verb + Indirect Object + Direct Object अथवा
Verb + Complement.
इसे निम्नलिखित चार्ट की सहायता से आसानी से समझा जा सकता है
UP Board Solutions for Class 9 English Grammar Chapter 1 Parts of Sentence image 5

विशेष-Object के रूप में Gerund, Infinitive तथा Participle का भी प्रयोग किया जाता है, जैसे—
(i) He decided to go out. (उसने बाहर जाने का निश्चय किया।)
(ii) He enjoys swimming. (वह तैरने का आनन्द लेता है।)
(iii) I saw her carrying a basket. (मैंने उसे एक टोकरी ले जाते हुए देखा।)

EXERCISE :: 4.
Make five meaningful sentences from the table given below :
Examples:

The old man in the field is my uncle.
UP Board Solutions for Class 9 English Grammar Chapter 1 Parts of Sentence image 6

Answers:
(i) The old man in the corner is an honest teacher.
(ii) This beautiful woman in the room was a doctor.
(iii) The old man in the room is a gentle teacher.
(iv) The beautiful woman in the corner is an intelligent teacher.
(v) The old man in the corner was an actor.

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EXERCISE :5
Pick out the Predicate in the following sentences and break the Predicate into its different parts :
Questions.

  1. He reads a magazine.
  2. Mala brings a glove.
  3.  Rakesh opens the door.
  4.  My father writes me a letter.
  5. Your brother drives a car.
  6.  I like playing football.
  7. You love flying kites.
  8.  She loved reading the newspaper.
  9.  He likes to play chess.
  10. He decided to scold his servant.
  11.  Shahjahan was a king.
  12.  The boys made me the captain

Answers:

  1.  Predicate:   
    eads a magazine
    Verb- read
    Object-a magazine
  2. Predicate
    brings a glove
    Verb-brings
    Object–a glove
  3. Predicate
    opens the door
    Verb—-opens
    Object—the door
  4. Predicate
    Writes me a letter
    Verb–writes
    Indirect Object–me
    Direct Object-a letter
  5. Predicate
    rives a car
    Verb—-drives
    Object–a car
  6. Predicate
    like playing football
    Verb-like
    Object (Gerund)–playing football
  7. Predicate
    love lying kites
    Verb love
    Object (Gerund)—flying kites
  8. Predicate
    loved reading the newspaper
    Verb-loved
    Object (Gerund)-reading the newspaper
  9. Predicate
    likes to play chess
    Verb—likes
    Object (Infinitive)–to play chess
  10. Predicate
    decided to scold his servant
    Verb-decided
    Object (Infinitive)—to scold his servant
  11. Predicate
    was a king
    Verb—-was
    complement (Noun)-a king
  12. Predicate
    made me the captain
    Verb—-made
    Indirect Object–me
    Direct Object—the captain

EXERCISE :: 6
The Predicate parts of each of the following sentences is given in brackets. Complete the sentences by putting it in right order :
Questions.

  1. Our friend………………………….. (decided, by; bus, to go, in the, evening)
  2. The servant…………………………. ( food, for; cooks, us)
  3. The teacher………………………….. (his, work. got, at, angry)
  4.   Rana Pratap …………………………. (very, loved, freedom, much)
  5.  The teacher …………………………. (did, servant, the, call, not)
  6.  His sister …………………………. (a, reads, book)
  7.  Kanpur …………………………. (is, big, u, city)
  8.  Gandhiji……………………….. (was, leader; a great)
  9.   My friend ……………………. (doesa hard, not work)
  10. I …………………………. (found, asleep. my.’ children)
  11. His mother ………………… (not, does, him, beat)
  12. The man ………………….. (help, all, friends, promised, 10, my)
  13.  We ……..(not, have, this, done, work)
  14. I ………(bell, the, rang)

Answers:

  1. Our friend decided to go by bus in the evening.
  2. The servant cooks food for us.
  3. The teacher got angry at his work.
  4. Rana Pratap loved freedom very much.
  5. The teacher did not call the servant.
  6. His sister reads a book.
  7. Kanpur is a big city.
  8.  Gandhiji was a great leader.
  9.  My friend does not work hard.
  10.  I found my children asleep.
  11. His mother does not beat him.
  12.  The man promised to help all my friends.
  13.  We have not done this work.
  14.  I rang the bell.

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EXERCISE :: 7
The Predicate parts of each of the following sentences is given in brackets. Complete the sentences by putting it in right order :
Questions.

  1. He ……………..(foot, on, village, goes, his, to)
  2. Children….. (toys, like, drops, and, lemon)
  3. He …………….(not, does, go, everyday, school, to)
  4. I ……………..(just, have, you, the answer, given)
  5. He …………….. .. (work, his, completed, has)
  1. They………….. (know, five, years, for, each other)
  2.  I ………..(the, have, seen, Red Fort)
  3.  He …………………………. (up, went, hill, the)
  4. This tree …………….. (very, is, high)
  5. I ……………….. (see, shall, you, tomorrow)
  6. He …………….(me, see, would, next day, the)
  7.  I ……………..(three, brought, have, for, you, letters)
  8. She ….(the, yesterday, zoo, visited)
  9.  You …..(doing, work, your, not, are)
  10. My mother ……………………. (gave, ten, me, rupees, yesterday)

Answers:

  1. goes to his village on foot
  2.  like lemon drops and toys
  3.  does not go to school everyday
  4. have just given you the answer
  5. has completed his work
  6. know each other for five years
  7.  have seen the Red Fort
  8. went up the hill
  9.  is very high
  10. shall see you tomorrow
  11.  would see me the next day
  12.  have brought three letters for you
  13. visited the zoo yesterday
  14.  are not doing your work
  15. gave me ten rupees yesterday.

EXERCISE :: 8
The Predicate parts of each of the following sentences is given in brackets. Complete the sentences  by putting it in right order :
Questions.

  1. Some people……………………bridge, the, building, were)
  2. Someone…… (discovered, cure, a, has, malaria, for)
  3. You………. (answer, can, question, this)
  4. The students …………(their, respect, should, teachers)
  5. She………………..(work, do, the, must)
  6. You………………..(give, him, can, school, in a, job, your)
  7. They ……………….. (king, him, made)
  8. They ………………. (him, hospital, to, took)
  9. We ……..(call, doctor, a, should)
  10. Someone ………..(pen, the, left, yesterday, classroom, the, in)
  11. They ………..(all, made, had, arrangements, the)
  12. He …………………….. (letter, a, will, written, have)
  13. . Raju …………………….. (essay, an, has, written)
  14.  Geeta ………………..(singing, a song, sweet, was)
  15. Shakespeare …………………… (plays, number, a, of, wrote)

Answers:

  1. Some people were building the bridge.
  2. Someone has discovered a cure for malaria.
  3. You can answer this question.
  4. The students should respect their teacher.
  5. She must do the work.
  6. You can give him a job in your school.
  7. They made him king.
  8. They took him to hospital.
  9. We should call a doctor.
  10. Someone left the pen in the classroom, yesterday.
  11. They had made all the arrangements.
  12. He will have written a letter.
  13. Raju has written an essay.
  14.  Geeta was singing a sweet song.
  15.  Shakespeare wrote a number of play.

Re-Ordering the words to
Frame Meaningful Sentences

(शब्दों को सही क्रम में रखकर अर्थपूर्ण वाक्यों की रचना करना) इसके पूर्व आप पढ़ चुके हैं कि वाक्य के दो प्रमुख भाग होते हैं-जैसे
(i) Subject
(ii) Predicate
साथ ही आप Subject तथा Predicate के विभिन्न भागों का भी अध्ययन कर चुके हैं। उसी के आधार पर शब्दों को सही क्रम में रखकर सार्थक वाक्य की रचना करना है, जैसे—-
It a was sight fine see to.
उपर्युक्त शब्दों का समूह वाक्य नहीं कहा जा सकता है क्योंकि इस शब्द समूह का अर्थ स्पष्ट नहीं है। इसे निम्नलिखित क्रम में रखने पर वाक्य की रचना होगी, जैसे
It was a fine sight to see. इसी प्रकार कुछ अन्य उदाहरणों को भी देखें
Part ‘A’                                                                        Part ‘B’
1. has the broken glass who?                      Who has broken the glass?
2. tell lies is sin a to.                                        To tell lies is a sin.
3. give me eat to please something.         Please, give me something to eat.
4. gives she milk me.                                      She gives me milk.
Part ‘A’ के शब्दों का समूह वाक्य नहीं है क्योंकि उनका सार्थक आशय नहीं निकलता है, किन्तु उन्हीं शब्द समूहों को जब Part ‘B’ में सही क्रम में रखा गया है, तो वे वाक्य बन गये हैं।
(नोट-शब्दों को सही क्रम में रखते समय Subject तथा Predicate और उनके क्रम को ध्यान में रखना चाहिए।)

EXERCISE :: 9
Frame correct sentences by reordering the words in the following :
Questions.

  1. It a was sight fine see to.
  2. Life not of bed roses is a.
  3. An idle mind workshop is devil’s a.
  4. We others at not laugh should.
  5. It his courage beyond is power my to describe.
  6. They exercises do morning every breakfast before.
  7. I saw over flying an the hill aeroplane.
  8. I a bicycle have bought new.
  9. The in playing are the garden children.
  10. so worried are they why?

Answers:

  1. It was a fine sight to see.
  2. Life is not a bed of roses.
  3. An idle mind is a devil’s workshop.
  4. We should not laugh at others.
  5. It is beyond my power to describe his courage.
  6. They do exercise every morning before breakfast.
  7. I saw an aeroplane flying over the hill.
  8. I have bought a new bicycle.
  9. The children are playing in the garden.
  10. Why are they so worried?

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EXERCISE :: 10
Frame correct sentences by reordering the words in the following :
Questions

  1.  He at dawn up gets everyday.
  2. A scooter I see on the road.
  3.  Raju comes never to late school.
  4. How open you did it?
  5. He help to promised me.
  6. Sarees in Kolkata are printed.
  7. School closed Rekha’s yesterday, was.
  8. They for a have also passion independence.
  9. There class in are thirty my boys.
  10. It dark is not growing.

Answers:

  1. He gets up everyday at dawn.
  2. I see a scooter on the road.
  3. Raju never comes late to school.
  4.  How did you open it?
  5. He promised to help me.
  6. Sarees are printed in Kolkata.
  7. Rekha’s school was closed yesterday.
  8. They also have a passion for independence.
  9. There are thirty boys in my class.
  10. It is not growing dark.

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