UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 10 Circle

UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 10 Circle (वृत्त)

These Solutions are part of UP Board Solutions for Class 9 Maths. Here we have given UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 10 Circle (वृत्त).

प्रश्नावली 10.1

प्रश्न 1.
खाली स्थान भरिए।
(i) वृत्त का केन्द्र वृत्त के ……………….. में स्थित है (बहिर्भाग/अभ्यन्तर)।
(ii) एक बिन्दु, जिसकी वृत्त के केन्द्र से दूरी त्रिज्या से अधिक हो, वृत्त के ………… में स्थित होता है (बहिर्भाग/अभ्यन्तर)।
(iii) वृत्त की सबसे बड़ी जीवा वृत्त का ……………… होती है।
(iv) एक चाप ………………… होता है, जब इसके सिरे एक व्यास के सिरे हों।
(v) वृत्तखण्ड एक चाप तथा ……………….. के बीच का भाग होता है।
(vi) एक वृत्त, जिस तल पर स्थित है, उसे ………………….. भागों में विभाजित करता है।
हल :
(i) वृत्त का केन्द्र वृत्त के अभ्यन्तर में स्थित होता है।
(ii) एक बिन्दु, जिसकी वृत्त के केन्द्र से दूरी त्रिज्या से अधिक हो, वृत्त के बहिर्भाग में स्थित होता है।
(iii) वृत्त की सबसे बड़ी जीवा वृत्त का व्यास होती है।
(iv) एक चाप अर्धवृत्त होता है, जब इसके सिरे एक व्यास के सिरे हों।
(v) वृत्तखण्ड एक चाप तथा जीवा के बीच का भाग होता है।
(vi) एक वृत्त, जिस तल पर स्थित है, उसे तीन भागों में विभाजित करता है।

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प्रश्न 2.
लिखिए, सत्य या असत्य। अपने उत्तर के कारण दीजिए।
(i) केन्द्र को वृत्त पर किसी बिन्दु से मिलाने वाला रेखाखण्ड वृत्त की त्रिज्या होती है।
(ii) एक वृत्त में समान लम्बाई की परिमित जीवाएँ होती हैं।
(iii) यदि एक वृत्त को तीन बराबर चापों में बाँट दिया जाए, तो प्रत्येक भाग दीर्घ चाप होता है।
(iv) वृत्त की एक जीवा, जिसकी लम्बाई त्रिज्या से दो गुनी हो, वृत्त का व्यास है।
(v) त्रिज्यखण्ड, जीवा एवं संगत चाप के बीच का क्षेत्र होता है।
(vi) वृत्त एक समतल आकृति है।
हल :
(i) केन्द्र को वृत्त पर किसी बिन्दु से मिलाने वाला रेखाखण्ड वृत्त की त्रिज्या होती है’ कथन सत्य है।
(ii) एक वृत्त में समान लम्बाई की परिमित जीवाएँ होती हैं कथन असत्य है क्योंकि किसी वृत्त में समान लम्बाई की अपरिमित जीवाएँ होती हैं।
(iii) यदि एक वृत्त को तीन बराबर चापों में बाँट दिया जाए, तो प्रत्येक भागे दीर्घ चाप होता है’ कथन असत्य है। क्योंकि वृत्त के आधे से कम भाग को अन्तरित करने वाला चाप लघु चाप होता है।
(iv) ‘वृत्त की एक जीवा, जिसकी लम्बाई त्रिज्या से दो गुनी हो, वृत्त का व्यास है।’ कथन सत्य है।
(v) ‘त्रिज्यखण्ड, जीवा एवं संगत चाप के बीच का क्षेत्र होता है।’ कथन असत्य है।
(vi) ‘वृत्त एक समतल आकृति है’ कथन सत्य है।

प्रश्नावली 10.2

प्रश्न 1.
याद कीजिए कि दो वृत्त सर्वांगसम होते हैं, यदि उनकी त्रिज्याएँ बराबर हों। सिद्ध कीजिए कि सर्वांगसम वृत्तों की बराबर जीवाएँ उनके केन्द्रों पर बराबर कोण अन्तरित करती हैं।
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 10 Circle img-1
हल :
दिया है : केन्द्र O वाला एक वृत्त है जिसकी एक जीवा AB है।
केन्द्र O वाला एक अन्य वृत्त है जिसकी एक जीवा CD है। दोनों वृत्त सर्वांगसम हैं और जीवा AB जीवा CD के बराबर है।
जीवा AB केन्द्र O पर ∠ AOB तथा जीवा CD केन्द्र O’ पर ∠ CO’D अन्तरित करती है।
सिद्ध करना है : ∠AOB = ∠COD
रचना : त्रिज्याएँ OA, OB, O’C व O’D खींचिए।
उपपत्ति: ∆AOB तथा ∆CO’D में,
AB = CD (दिया है।)
OA = O’C (सर्वांगसम वृत्तों की त्रिज्याएँ बराबर होती हैं।)
OB = O’D (सर्वांगसम वृत्तों की त्रिज्याएँ बराबर होती हैं)
∆AOB = ∆COD (S.S.S. से)
∠AOB = ∠COD (C.P.C.T.)
Proved.

प्रश्न 2.
सिद्ध कीजिए कि यदि सर्वांगसम वृत्तों की जीवाएँ उनके केन्द्रों पर बराबर कोण अन्तरित करें, तो जीवाएँ बराबर होती हैं।
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 10 Circle img-2
हल :
दिया है : O तथा O’ केन्द्रों वाले दो सर्वांगसम वृत्त हैं। जिनकी जीवाएँ AB व CD उनके केन्द्रों O तथा O’ पर क्रमशः ∠AOB व ∠CO’D
इस प्रकार अन्तरित करती हैं कि ∠AOB = ∠ CO’D है।
सिद्ध करना है : जीवा AB = जीवा CD
उपपत्ति: ∆AOB और ∆CO’D में,
OA = O’C (सर्वांगसम वृत्तों की त्रिज्याएँ बराबर होती हैं।)
∠AOB = ∠ COD (दिया है।)
OB = O’D (सर्वांगसम वृत्तों की त्रिज्याएँ बराबर होती हैं।)
∆AOB = ∆COD (S.A.S. से)
AB = CD (C.P.C.T.)
अतः जीवा AB = जीवा CD
Proved.

प्रश्नावली 10.3

प्रश्न 1.
वृत्तों के कई युग्म (जोड़े) खींचिए। प्रत्येक जोड़े में कितने बिन्दु उभयनिष्ठ हैं? उभयनिष्ठ बिन्दुओं की अधिकतम संख्या क्या है?
हल :
प्रश्न के निर्देश के अनुसार नीचे विभिन्न वृत्तों के युग्म खींचे गए हैं। इन्हें ध्यान से देखिए :
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 10 Circle img-3
दोनों युग्मों में कोई बिन्दु उभयनिष्ठ नहीं है।
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 10 Circle img-4
दोनों युग्मों में केवल एक बिन्दु उभयनिष्ठ है।
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 10 Circle img-5
प्रत्येक युग्म में दो बिन्दु उभयनिष्ठ हैं। अतः दो वृत्तों के उभयनिष्ठ बिन्दु की अधिकतम संख्या = 2

प्रश्न 2.
मान लीजिए आपको एक वृत्त दिया है। एक रचना इसके केन्द्र को ज्ञात करने के लिए दीजिए।
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 10 Circle img-6
हल :
दिया है : अज्ञात केन्द्र वाला एक वृत्त।। ज्ञात करना है : वृत्त का केन्द्र।
रचना :
(1) वृत्त की परिधि पर तीन बिन्दु A, B व C लिए।
(2) जीवाएँ AB व BC खींचीं।
(3) जीवा AB व जीवा BC दोनों के लम्ब समद्विभाजक खींचे जो परस्पर बिन्दु O पर काटते हैं।
बिन्दु O वृत्त का अभीष्ट केन्द्र है।

प्रश्न 3.
यदि दो वृत्त परस्पर दो बिन्दुओं पर प्रतिच्छेद करें, तो सिद्ध कीजिए कि उनके केन्द्र उभयनिष्ठ जीवा के लम्ब-समद्विभाजक पर स्थित हैं।
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 10 Circle img-7
हल :
दिया है : O तथा O’ केन्द्र वाले दो वृत्त हैं जो परस्पर दो बिन्दुओं A तथा B पर प्रतिच्छेद करते हैं। AB वृत्तों की उभयनिष्ठ जीवा है और OO’ उनके केन्द्रों को मिलाने वाली रेखा है। AB और OO’ एक-दूसरे को बिन्दु P पर काटते हैं।
सिद्ध करना है : OO’, AB का लम्ब समद्विभाजक है।
रचना : वृत्तों की त्रिज्याएँ OA, OB, O’A व O’B खींचीं।
उपपत्ति: ∆OAO’ तथा ∆OBO’ में,
OA = OB (एक ही वृत्त की त्रिज्याएँ बराबर होती हैं।)
O’A= O’B (एक ही वृत्त की त्रिज्याएँ बराबर होती हैं।)
OO’ = OO’ (उभयनिष्ठ भुजा है)
Δ ΟΑΟ’ = Δ ΟΒΟ’ (S.S.S. से)
∆AOO’ = ∆BOO’ या
∠AOP = ∠ BOP (C.P.C.T.)
तब ∆AOP और ∆BOP में,
OA = OB (एक ही वृत्त की त्रिज्याएँ बराबर होती हैं।)
∠ AOP = ∠ BOP (ऊपर सिद्ध किया है।)
OP = OP (उभयनिष्ठ भुजा है)
∆AOP = ∆BOP
AP = BP और ∠OPA = ∠OPB
AP = BP;
अत: OO’ बिन्दु P पर AB को समद्विभाजित करता है। :
∠OPA = ∠OPB और APB एक रेखा (उभयनिष्ठ जीवा) है।
∠OPA + ∠OPB = 180°
हल करने पर, ∠OPA = 90° व ∠OPB = 90°
अतः OO” उभयनिष्ठ जीवा AB का लम्ब-समद्विभाजक है।

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प्रश्नावली 10.4

प्रश्न 1.
5 सेमी और 3 सेमी त्रिज्या वाले दो वृत्त दो बिन्दुओं पर प्रतिच्छेद करते हैं तथा उनके केन्द्रों के बीच की दूरी 4 सेमी है। उभयनिष्ठ जीवा की लम्बाई ज्ञात कीजिए।
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 10 Circle img-8
हुल :
दिया है: O तथा O’ केन्द्रों वाले वृत्तों की त्रिज्याएँ OA तथा O’A क्रमशः 5 सेमी व 3 सेमी हैं।
उनके केन्द्रों के बीच की दूरी OO’ = 4 सेमी है।
ज्ञात करनी है : उभयनिष्ठ जीवा AB की माप। गणना
∆OAO’ की भुजाएँ O’A = 3 सेमी,
OO’ = 4 सेमी व OA = 5 सेमी हैं।
तब, OA² = (25) और O’A² +(OO’)² = (3)² + (4)² = 25
OA² = O’A² + OO’² (पाइथागोरस प्रमेय से)
अतः ∆OAO’ समकोणीय है।
∠ AOO’ = 90°
परन्तु APB उभयनिष्ठ जीवा है जो OO” पर लम्ब होना चाहिए।
अतः P और O’ एक ही बिन्दु है अर्थात्
त्रिज्या AO’ = उभयनिष्ठ जीवा का भाग AP
उभयनिष्ठ जीवा का भाग AP = AO’ = 3 सेमी
केन्द्र रेखा OO’ उभयनिष्ठ जीवा AB की लम्ब-समद्विभाजक होगी।
AB = 2 x AP = 2 x 3 = 6 सेमी
अत: उभयनिष्ठ जीवा की लम्बाई = 6 सेमी।

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प्रश्न 2.
यदि एक वृत्त की दो समान जीवाएँ वृत्त के अन्दर प्रतिच्छेद करें, तो सिद्ध कीजिए कि एक जीवा के खण्ड दूसरी जीवा के संगत खण्डों के बराबर हैं।
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 10 Circle img-9
हल :
दिया है : O केन्द्र वाले एक वृत्त की AB व CD दो बराबर जीवाएँ हैं जो एक-दूसरे को वृत्त के अन्दर बिन्दु P पर काटती हैं।
सिद्ध करना है : AP = CP तथा BP = DP
रचना : वृत्त के केन्द्र O से जीवा AB पर OM तथा जीवा CD पर ON लम्बे खींचे।। रेखाखण्ड OP खींचा।
उपपत्ति : OM ⊥ AB ⇒ ∠OMP = 90°
और ON ⊥ CD ⇒ ∠ONP = 90°
∆OMP और ∆ONP समकोणीय हैं।
तब, समकोण ∆OMP तथा ∆ONP में,
OM = ON (जीवा AB = जीवा CD)
OP = OP (उभयनिष्ठ जीवा है।)
∠OMP = ∠ONP (प्रत्येक 90°)
∆OMP = ∆ONP (R.H.S. से)
MP = NP (C.P.C.T.) …(1)
OM ⊥ AB
AM = BM
AP + PM = BM
AP = BM – PM
AP = [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] AB – PM (∵ AM = BM = [latex]\frac { AB }{ 2 }[/latex]) …..(2)
और ON ⊥ CD
CN = DN
CP + PN = DN
CP = DN – PN
CP = [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] CD – PN (CN = DN = [latex]\frac { CD }{ 2 }[/latex])
CP = [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] AB – PM [CD = AB तथा समीकरण (1) से PN = PM] …(3)
अब समीकरण (2) व (3) से,
AP = CP
AB = CD (दिया है।)
AP + BP = CP + DP (चित्र से) परन्तु
AP = CP (ऊपर सिद्ध किया है।)
घटाने पर BP = DP
अत: AP = CP और BP = DP
अर्थात एक जीवा AB के खण्ड दूसरी जीवा CD के संगत खण्डों के बराबर हैं।
Proved.

प्रश्न 3.
यदि एक वृत्त की दो समान जीवाएँ वृत्त के अन्दर प्रतिच्छेद करें तो सिद्ध कीजिए कि प्रतिच्छेद बिन्दु को केन्द्र से मिलाने वाली रेखा जीवाओं से बराबर कोण बनाती है।
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 10 Circle img-10
हल :
दिया है : केन्द्र O के वृत्त की दो बराबर जीवाएँ AB और CD जो बिन्दु P पर प्रतिच्छेदन करती हैं।
सिद्ध करना है: रेखाखण्ड OP, से जीवाओं AB व CD द्वारा बने ∠BPO = ∠DPO
रचना : केन्द्र O से AB और CD पर क्रमशः OM और ON लम्ब डाले।
उपपत्ति : जीवा AB = जीवा CD
OM = ON
अब ΔOPM और ΔOPN में,
OM = ON (दिया है।)
∠OMP = ∠ONP (प्रत्येक समकोण है।)
OP = OP (उभयनिष्ठ भुजा है।)
ΔOPM = ΔOPN (R.H.S. से)
अतः ∠MPO = NPO यो ∠BPO = ∠DPO (C.P.C.T.)
Proved.

प्रश्न 4.
यदि एक रेखा दो संकेन्द्रीय वृत्तों (एक ही केन्द्र वाले वृत्त) को, जिनका केन्द्र O है, A, B, C और D पर प्रतिच्छेद करे, तो सिद्ध कीजिए AB = CD है।
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हल :
दिया है : दो संकेन्द्रीय वृत्तों का केन्द्र 0 है। एक ऋजु रेखा वृत्तों को बिन्दुओं A, B, C और D पर प्रतिच्छेदित करती है।
सिद्ध करना है : AB = CD
रचना : वृत्त के केन्द्र O से हैं पर OM लम्ब डाला।
उपपत्ति : रेखा l बड़े वृत्त को बिन्दुओं A तथा D पर काटती है।
AB वृत्त की जीवा है और OM उस पर केन्द्र से डाला गया लम्ब है।
AM = MD ……..(1)
रेखा l छोटे वृत्त को बिन्दुओं B तथा C पर काटती है।
BC वृत्त की जीवा है और OM उस पर केन्द्र से खींचा गया लम्ब है।
BM = MC ……..(2)
समीकरण (1) में से (2) को घटाने पर,
AM – BM = MD – MC
अतः AB = CD
Proved.

प्रश्न 5.
एक पार्क में बने 5 मीटर त्रिज्या वाले वृत्त पर खड़ी तीन लड़कियाँ रेशमा, सलमा एवं मनदीप खेल रही हैं। रेशमा एक गेंद को सलमा के पास, सलमा मनदीप के पास तथा मनदीप रेशमा के पास फेंकती है। यदि रेशमा तथा सलमा के बीच और सलमा तथा मनदीप के बीच की प्रत्येक दूरी 6 मीटर हो तो रेशमा और मनदीप के बीच की दूरी क्या है?
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हल :
दिया है। एक पार्क में 5 मीटर त्रिज्या का एक वृत्त बना है जिसका केन्द्र O है। तीन लड़कियाँ रेशमा, सलमी और मनदीप वृत्त पर क्रमशः A, B व C स्थानों पर खड़ी हैं। रेशमा और सलमा के बीच की दूरी AB = 6 मीटर तथा सलमा और मनदीप के बीच दूरी BC = 6 मीटर है।
ज्ञात करना है : रेशमा और मनदीप के बीच की दूरी = AC
गणना : त्रिज्याएँ OA और OB खींचीं और माना कि OB, AC को बिन्दु P पर काटती है।
ΔOAB में, OA = 5 मीटर (त्रिज्या), OB = 5मीटर (त्रिज्या) तथा AB = 6 मीटर।
माना OA = 5 मीटर = a, OB = 5 मीटर = b और AB = 6 मीटर = c अर्धपरिमाप
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प्रश्न 6.
20 मीटर त्रिज्या का एक गोल पार्क (वृत्ताकार) एक कॉलोनी में स्थित है। तीन लड़के अंकुर, सैय्यद तथा डेविड इसकी परिसीमा पर बराबर दूरी पर बैठे हैं और प्रत्येक के हाथ में एक खिलौना टेलीफोन आपस में बात करने के लिए है। प्रत्येक फोन की डोरी की लम्बाई ज्ञात कीजिए।
हल :
दिया है : O केन्द्र वाला एक वृत्त के आकार का पार्क है जिसकी त्रिज्या OA या OB = 20 मीटर है। वृत्त की परिधि पर तीन लड़के एक-दूसरे से बराबर दूरी पर A, B व C स्थानों पर ऐसे बैठे हैं कि
AB = BC = AC
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प्रश्नावली 10.5

प्रश्न 1.
केन्द्र O वाले एक वृत्त पर तीन बिन्दु A, B और C इस प्रकार हैं कि ∠BOC = 30° तथा ∠AOB = 60° है। यदि चाप ABC के अतिरिक्त वृत्त पर D एक बिन्दु है तो ∠ADC ज्ञात कीजिए।
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हल :
दिया है : O केन्द्र वाला एक वृत्त है जिसकी परिधि पर A, B और C तीन बिन्दु इस प्रकार हैं कि ∠AOB = 60° और ∠ BOC = 30° हैं।
चाप ABC के अतिरिक्त वृत्त की परिधि पर एक बिन्दु D है जो चाप ABC के साथ ∠ ADC बनाता है।
ज्ञात करना है: ∠ADC गणना : ∠AOB = 60° और ∠BOC = 30°
जोड़ने पर, ∠AOB + ∠ BOC = 60° + 30°= 90°
∠ AOC = 90°
∠AOC, चाप ABC द्वारा केन्द्र पर बना कोण है।
वृत्त की शेष परिधि पर चाप ABC द्वारा बना कोण ∠ADC, ∠AOC का आधा होगा।
∠ADC = [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] ∠AOC = [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] x 90° = 45°
∠ADC = 45°

प्रश्न 2.
किसी वृत्त की एक जीवा वृत्त की त्रिज्या के बराबर है। जीवा द्वारा लघु चाप के किसी बिन्दु पर अन्तरित कोण ज्ञात कीजिए तथा दीर्घ चाप के किसी बिन्दु पर भी अन्तरित कोण ज्ञात कीजिए।
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हल:
दिया है। एक वृत्त का केन्द्र 0 है। उसकी एक जीवा AB वृत्त की त्रिज्या OA के बराबर है। वृत्त के लघु चाप ACB पर एक बिन्दु C तथा दीर्घ चाप ADB पर एक बिन्दु D है। चाप ACB द्वारा बिन्दु D पर अन्तरित ∠ADB तथा चाप ADB द्वारा बिन्दु C पर अन्तरित ∠ACB है।
ज्ञात करना है : ∠ACB व ∠ADB
विश्लेषण व गणना :
जीवा AB = वृत्त की त्रिज्या OA या OB
AB = OA = OB
ΔABC समबाहु त्रिभुज है।
∠AOB = 60° जो चाप ACB द्वारा केन्द्र पर अन्तरित कोण है। :
चाप ACB द्वारा वृत्त की शेष परिधि के बिन्दु D पर अन्तरित ∠ADB = ∠AOB
∠ADB = [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] x ADB
= [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] x 60° = 30°
इसी प्रकार, चाप ADB द्वारा वृत्त के केन्द्र O पर अन्तरित वृहत्कोण AOB = 360° – 60° = 300°
तब चाप ADB द्वारा वृत्त की शेष परिधि के बिन्दु C पर अन्तरित कोण ।
∠ACB = [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] वृहत्कोण ∠AOB = [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] x 30° = 150°
अतः ∠ACB = 150° तथा ∠ADB = 30°

प्रश्न 3.
∠PQR = 100° है, जहाँ P, Q तथा R, केन्द्र O वाले एक वृत्त पर स्थित Q बिन्दु हैं। ∠OPR ज्ञात कीजिए।
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हल :
दिया है : O केन्द्र का एक वृत्त है जिसकी परिधि पर P, Q व R तीन बिन्दु हैं।
ज्ञात करना है : ∠OPR
गणना : दीर्घ चाप PR द्वारा वृत्त के केन्द्र पर बना कोण वृहत्कोण ∠POR है और इस चाप द्वारा शेष परिधि PQR के बिन्दु Q पर बना ∠PQR है।
∠PQR = [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] x वृहत्कोण ∠POR
100° = [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] वृहत्कोण ∠POR
वृहत्कोण ∠ POR = 200°
तब, शेष कोण POR = 360° – 200° = 160°
अब, ΔPOR में,
OR = OP (वृत्त की त्रिज्याएँ)
∠OPR = ∠ORP (समान भुजाओं के सम्मुख कोण)
पुन: ΔPOR में,
∠OPR + ∠ POR + ∠ORP = 180° (त्रिभुज के अन्त:कोणों को योग 180° होता है।)
∠OPR + 160° + ∠OPR = 180° (∠ORP = ∠OPR)
2 ∠OPR = 180° – 160° = 20°
∠OPR = 10°
अतः ∠OPR = 10°

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प्रश्न 4.
∠ABC = 69° और ∠ACB = 31° हो, तो ∠BDC ज्ञात कीजिए।
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 10 Circle img-20
हल :
दिया है : दी गई आकृति में ∠ABC = 69° और ∠ACB = 31° है।
ज्ञात करना है : ∠BDC का मान।
गणना : ΔABC में,
∠ BAC + ∠ABC + ∠ ACB = 180° (त्रिभुज के अन्त:कोणों का योग 180° होता है।)
∠ BAC + 69° + 31° = 180°
∠BAC = 180° – (69° + 31°) = 180° – 100°
∠BAC = 80°
∠BAC व ∠BDC एक ही वृत्तखण्ड के कोण हैं और ∠ BAC = 80° है।
∠BAC = ∠ BDC = 80°
अत: ∠BDC = 80°

प्रश्न 5.
एक वृत्त पर A, B, C और D चार बिन्दु हैं। AC और BD एक बिन्दु E पर इस प्रकार प्रतिच्छेद करते हैं कि ∠ BEC = 130° तथा ∠ECD = 20° है।
∠BAC ज्ञात कीजिए।
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हल :
दिया है : दी गई आकृति में एक वृत्त की परिधि पर A, B, C और D चार बिन्दु BF हैं।
AC और BD बिन्दु E पर प्रतिच्छेद करते हैं।
∠BEC = 130° तथा ∠ECD = 20°
ज्ञात करना है: ∠BAC
रचना : AD को मिलाया।
गणना : ∠ ECD = 20° या ∠ACD = 20°
∠ABD वे ∠ACD एक ही वृत्तखण्ड के कोण हैं।
∠ABD = 20° (∠ACD = 20°)
∠ABE = 20°
ΔABE में ∠BEC बहिष्कोण है।
∠ BAE + ∠ ABE = ∠BEC
∠ BAE + 20° = 130° (दिया है ∠BEC = 130°)
∠BAE = 130° – 20° = 110°
∠ BAC = 110° (∠BAE = ∠BAC)
अत: ∠BAC = 110°

प्रश्न 6.
ABCD एक चक्रीय चतुर्भुज है जिसके विकर्ण एक बिन्दु E पर प्रतिच्छेद करते हैं। यदि ∠DBC = 70° और ∠BAC = 30°हो तो ∠BCDज्ञात कीजिए।
पुनः यदि AB = BC हो तो 2 ECD ज्ञात कीजिए।
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हल :
दिया है: ABCD एक चक्रीय चतुर्भुज है जिसमें विकर्ण AC व BD एक-दूसरे को बिन्दु E पर प्रतिच्छेद करते हैं।
∠DBC = 70° व ∠BAC = 30° और AB = BC है।
ज्ञात करना है : ∠ BCD और ∠ECD
गणना : ∠DAC व ∠DBC एक ही वृत्तखण्ड के कोण हैं।
∠ DAC = ∠DBC के ∠DAC = 70° (∠DBC = 70°)
तब, चतुर्भुज ABCD में,
∠DAB = ∠DAC + ∠BAC = 70° + 30°
∠DAB = 100°
ABCD चक्रीय चतुर्भुज है।
∠DAB + ∠BCD = 180° (सम्मुख कोणों का योग 180° होता है।)
100° + ∠ BCD = 180°
∠ BCD = 180° – 100° = 80°
∠BCD = 80°
अब ΔABC में, AB = BC
∠ACB = ∠BAC (समान भुजाओं के सम्मुख कोण)
∠ACB = 30° (∠ BAC = 30°)
ऊपर हम सिद्ध कर चुके हैं कि
∠BCD = 80°
∠ACD + ∠ACB = 80° (चित्र से)
∠ACD + 30° = 80° (∠ACB = 30°)
∠ACD = 80° – 30° = 50°
∠ECD = 50° (∠ ECD = ∠ACD)
अतः ∠BCD = 80° और ∠ECD = 50°

प्रश्न 7.
यदि एक चक्रीय चतुर्भुज के विकर्ण उसके शीर्षों से जाने वाले वृत्त के व्यास हों, तो सिद्ध कीजिए कि वह एक आयत है।
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 10 Circle img-23
हल :
दिया है: ABCD एक चक्रीय चतुर्भुज है जिसके विकर्ण AC और BD वृत्त के व्यास हैं जो परस्पर बिन्दु O पर काटते हैं।
सिद्ध करना है : ABCD एक आयत है।
उपपत्ति : विकर्ण AC और BD व्यास हैं।
AC = BD
O वृत्त का केन्द्र है।
OA = OC तथा OB = OD
चतुर्भुज ABCD के विकर्ण AC और BD एक-दूसरे को समद्विभाजित करते हैं।
ABCD समान्तर चतुर्भुज है।
∠B = ∠D
परन्तु ABCD चक्रीय चतुर्भुज भी है जिससे
∠B + ∠D = 180° (सम्मुख कोणों का योग = 180°)
उक्त दोनों तथ्यों से ∠B = 90° तथा ∠D = 90°
इसी प्रकार, ∠A = 90° तथा ∠D = 90°
इस प्रकार चतुर्भुज ABCD एक ऐसा समान्तर चतुर्भुज है जिसके अन्त:कोण समकोण हैं।
अत: ABCD एक आयत है।
Proved.

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प्रश्न 8.
यदि एक समलम्ब की असमान्तर भुजाएँ बराबर हों तो सिद्ध कीजिए कि वह चक्रीय है।
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 10 Circle img-24
हल :
दिया है : समलम्ब चतुर्भुज ABCD में भुजा AD = भुजा BC .
सिद्ध करना है : ABCD चक्रीय चतुर्भुज होगा।
रचना : AD के समान्तर रेखाखण्ड BE खींचा।
उपपत्ति : समान्तर चतुर्भुज ABED में,
∠BAD = ∠BED …..(1)
तथा AD = BE
परन्तु
AD = BC (दिया है।)
BC = BE
तब ΔBEC एक समद्विबाहु त्रिभुज हुआ।
∠BEC = ∠ BCE (समान भुजाओं के सम्मुख कोण) …(2)
∠ BEC + ∠ BED = 180° (ऋजु कोण)
∠ BCE + ∠ BAD = 180° [समीकरण (1) व (2) से ]
∠ BCD +∠ BAD = 180°
इससे स्पष्ट है कि चतुर्भुज ABCD के दो सम्मुख अन्त: कोणों का योग दो समकोण के बराबर है।
अत: चतुर्भुज ABCD चक्रीय चतुर्भुज है।
Proved.

प्रश्न 9.
दो वृत्त दो बिन्दुओं B और C पर प्रतिच्छेद करते हैं। B से जाने वाले दो रेखाखण्ड ABD और PBQवृत्तों को A, D और P, Q पर क्रमशः प्रतिच्छेद करते हुए खींचे गए हैं। सिद्ध कीजिए कि ∠ACP = ∠QCD है।
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हल :
दिया है : दो वृत्त दी गई आकृति के अनुसार बिन्दुओं B और C पर प्रतिच्छेद करते हैं। दो रेखाखण्ड ABD और PBQ बिन्दु B से जाते हैं। पहला रेखाखण्ड ABD वृत्तों को A व D पर तथा दूसरी PBQ वृत्तों को Pव पर प्रतिच्छेद करता है। C से P और D को मिलाकर ∠ACP और ∠QCD बनाए गए हैं।
सिद्ध करना है :
∠ACP = ∠QCD
उपपत्ति : रेखाखण्ड ABD और PBQ परस्पर बिन्दु B पर काटते हैं।
∠ABP = ∠QBD (शीर्षाभिमुख कोण) …(1)
∠ABP और ∠ACP एक वृत्तखण्ड के कोण हैं।
∠ABP = ∠ACP …(2)
इसी प्रकार, ∠QCD और ∠QBD एक ही वृत्तखण्ड के कोण हैं।
∠QCD = ∠QBD ……(3)
तब समीकरण (1) व (2) से,
∠ACP = ∠QBD …(4)
अब समीकरण (3) व (4) से,
∠ACP = ∠QCD
अतः ∠ACP = ∠QCD
Proved.

प्रश्न 10.
यदि किसी त्रिभुज की दो भुजाओं को व्यास मानकर वृत्त खींचे जाएँ, तो सिद्ध कीजिए कि इन वृत्तों का प्रतिच्छेद बिन्दु तीसरी भुजा पर स्थित है।
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 10 Circle img-26
हल :
दिया है : ABC एक त्रिभुज है जिसकी भुजाओं AB तथा AC को व्यास मानकर दो वृत्त खींचे गए हैं जो परस्पर बिन्दु X पर काटते हैं।
सिद्ध करना है : बिन्दु X, त्रिभुज की तीसरी भुजा BC पर स्थित है।
रचना : रेखाखण्ड AX खींचिए।
उपपत्ति : AB वृत्त का व्यास है तथा बिन्दु X वृत्त की परिधि पर स्थित है,
∠AXB = 90° (अर्द्धवृत्त में बना कोण समकोण होता है।)
पुनः AC वृत्त का व्यास है तथा बिन्दु X वृत्त की परिधि पर स्थित है,
∠AXC = 90° (अर्द्धवृत्त में बना कोण समकोण होता है।)
∠AXB + ∠AXC = 90° + 90° = 180°
अर्थात ∠ BXC = 180° = ऋजुकोण
अत: B, X और C एक ही रेखा में स्थित हैं।
वृत्तों का प्रतिच्छेद बिन्दु तीसरी भुजा पर स्थित है।
Proved.

प्रश्न 11.
उभयनिष्ठ कर्ण AC वाले दो समकोण त्रिभुज ABC और ADC हैं। सिद्ध कीजिए कि ∠ CAD = ∠CBD है।
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 10 Circle img-27
हल :
दिया है : ΔABC और ΔADC दो समकोण त्रिभुज हैं जिनका कर्ण AC उभयनिष्ठ है। रेखाखण्ड BD खींचा गया है।
सिद्ध करना है : ∠CAD = ∠ CBD
रचना : AC को व्यास मानकर वृत्त खींचा। उपपत्ति
ΔABC समकोण त्रिभुज है जिसका कर्ण AC है।
∠B = 90°
पुनः ΔADC समकोण त्रिभुज है जिसका कर्ण AC है।
∠ D = 90°
तब चतुर्भुज ABCD में, ∠B + ∠D = 180°
ABCD चक्रीय चतुर्भुज है। (सम्मुख कोणों का योग 180° है।)
बिन्दु A, B, C और D एक वृत्त पर हैं।
∠CAD और ∠CBD एक ही वृत्तखण्ड के कोण हैं;
अतः बराबर होंगे।
अतः ∠ CAD = ∠CBD

प्रश्न 12.
सिद्ध कीजिए कि चक्रीय समान्तर चतुर्भुज एक आयत होता है।
UP Board Solutions for Class 9 Maths Chapter 10 Circle img-28
हल :
दिया है । समान्तर चतुर्भुज ABCD एक चक्रीय चतुर्भुज है।
सिद्ध करना है : चतुर्भुज ABCD एक आयत है।
उपपत्ति : ABCD एक चक्रीय चतुर्भुज है, इसके सम्मुख कोणों का योग 180° के बराबर होगा।
∠ A + ∠C = 180°
परन्तु समान्तर चतुर्भुज के सम्मुख कोण बराबर होते हैं।
∠A = ∠C
अत: समीकरण (1) से,
∠A = ∠C = 90° इसी प्रकार,
∠B = ∠D = 90°
ABCD का प्रत्येक अन्त:कोण 90° के बराबर है।
अत: ABCD एक आयत है।
Proved.

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प्रश्नावली 10.6 (ऐच्छिक)

प्रश्न 1.
सिद्ध कीजिए कि दो प्रतिच्छेद करते हुए वृत्तों के केन्द्रों की रेखा दोनों प्रतिच्छेद बिन्दुओं पर समान कोण अन्तरित करती है।
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हल :
दिया है : O1 तथा O2 केन्द्रों वाले दो वृत्त एक-दूसरे को दो बिन्दुओं A तथा B पर प्रतिच्छेद करते हैं।
केन्द्र रेखा O1O2 प्रतिच्छेद बिन्दु A पर ∠O1AO2 तथा B पर ∠O1BO2 अन्तरित करती है।
सिद्ध करना है : ∠O1AO2 = ∠O1BO2
उपपत्ति: ΔO1AO2 तथा ΔO1BO2 में,
O1A = O1B (एक ही वृत्त की त्रिज्याएँ बराबर होती हैं।)
O2A = O2B (एक ही वृत्त की त्रिज्याएँ बराबर होती हैं।)
O1O2 = O1O2 (दोनों त्रिभुजों की उभयनिष्ठ भुजा है)
ΔO1AO2 = ΔO1BO2 (S.S.S. से)
∠O1AO2 = ∠O1BO2 (C.P.C.T.)
Proved.

प्रश्न 2.
एक वृत्त की 5 सेमी तथा 11 सेमी लम्बी दो जीवाएँ AB और CD समान्तर हैं और केन्द्रकी विपरीत दिशा में स्थित हैं। यदि AB और CD के बीच की दूरी 6 सेमी हो, तो वृत्त की त्रिज्या ज्ञात कीजिए।
हल :
दिया है : O त्रिज्या का एक वृत्त है जिसमें AB तथा CD दो समान्तर जीवाएँ केन्द्र O के विपरीत ओर स्थित हैं जिनकी लम्बाइयाँ क्रमश: 5 सेमी व 11 सेमी हैं। जीवाओं के बीच की (लाम्बिक) दूरी 6 सेमी है अर्थात MON = 6 सेमी जबकि MON ⊥ AB व MON ⊥ CD
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प्रश्न 3.
किसी वृत्त की दो समान्तर जीवाओं की लम्बाइयाँ 6 सेमी और 8 सेमी हैं। यदि छोटी जीवा केन्द्र से 4 सेमी की दूरी पर हो, तो दूसरी जीवा केन्द्र से कितनी दूर है?
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प्रश्न 4.
मान लीजिए कि कोण ABC का शीर्ष एक वृत्त के बाहर स्थित है और कोण की भुजाएँ वृत्त से बराबर जीवाएँ AD और CE काटती हैं। सिद्ध कीजिए कि 2 ABC जीवाओं AC तथा DE द्वारा केन्द्र पर अन्तरित कोणों के अन्तर का आधा है।
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प्रश्न 5.
सिद्ध कीजिए कि समचतुर्भुज की किसी भी भुजा को व्यास मानकर खींचा गया वृत्त, उसके विकर्णो के प्रतिच्छेद बिन्दु से होकर जाता है।
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हल :
दिया है ABCD एक समचतुर्भुज है जिसमें AC और BD विकर्ण हैं जिनका । प्रतिच्छेद बिन्दु P है।
भुजी BC को व्यास मानकर एक वृत्त खींचा गया है।
सिद्ध करना है: BC को व्यास मानकर खींचा गया वृत्त विकर्मों के प्रतिच्छेद बिन्दु P से होकर जाएगा।
उपपत्ति : ABCD एक समचतुर्भुज है और उसके विकर्ण AC तथा BD परस्पर बिन्दु P पर प्रतिच्छेद करते हैं।
∠CPB = 90°
A CPB एक समकोण त्रिभुज है जिसका कर्ण BC है।
तब समकोण ∆CPB का ∆CPB अर्धवृत्त में स्थित होगा जिसका व्यास BC है।
अत: BC को व्यास मानकर खींचा गया वृत्त बिन्दु P (विकर्मों का प्रतिच्छेद बिन्दु) से होकर जाएगा।
Proved.

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प्रश्न 6.
ABCD एक समान्तर चतुर्भुज है। A, B और C से जाने वाला वृत्त CD(यदि आवश्यक हो तो बढ़ाकर) को E पर प्रतिच्छेद करता है। सिद्ध कीजिए कि AE = AD है।
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हल :
दिया है : ABCD एक समान्तर चतुर्भुज है जिसके शीर्षों A, B और C से एक वृत्त खींचा गया है जो भुजा CD को E पर काटता है। सिद्ध करना है :
AE = AD
उपपत्ति : ABCD एक समान्तर चतुर्भुज है, ∠B = ∠D …(1) (समान्तर चतुर्भुज के सम्मुख कोण बराबर होते हैं।)
A, B, C से जाने वाला वृत्त CD को E पर काटता है,
ABCE एक चक्रीय चतुर्भुज है। AED = ∠B …(2)
समीकरण (1) व (2) से,
∠ AED = ∠D (= ∠ADE)
∆ADE में,
∠AED = ∠ADE
∆ADE समद्विबाहु त्रिभुज है जिसमें
AD = AE (समान कोणों की सम्मुख भुजाएँ समान होती हैं।)
अतः AD = AE
Proved.

प्रश्न 7.
AC और BD एक वृत्त की जीवाएँ हैं जो परस्पर समद्विभाजित करती हैं। सिद्ध कीजिए :
(i) AC और BD व्यास हैं।
(ii) ABCD एक आयत है।
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हल :
दिया है: AC तथा BD एक वृत्त की जीवाएँ हैं जो एक-दूसरे को बिन्दु 0 पर समद्विभाजित करती हैं। सिद्ध करना है :
(i) AC तथा BD वृत्त के व्यास हैं।
(ii) ABCD एक आयत है।
रचना : चतुर्भुज ABCD को पूरा किया।
उपपत्ति : (i) जीवा AC और BD एक-दूसरे को बिन्दु O पर समद्विभाजित करती हैं।
OA = OB = OC = OD
तब, OA, OB, OC और OD एक ऐसे वृत्त की त्रिज्याएँ हैं जिसका केन्द्र O है।
तब, AC = OA + OC = त्रिज्या + त्रिज्या = 2 x त्रिज्या
AC वृत्त का व्यास है।
BD भी O से होकर जाती है, तब BD भी वृत्त का व्यास है।
Proved.
(ii) AC व्यास है, तब ∠B = 90° तथा ∠D = 90° और BD व्यास है,
तब ∠A = 90° तथा ∠C = 90° (अर्द्धवृत्त में बना कोण समकोण होता है।)
तब, ABCD एक ऐसा चतुर्भुज है जिसका प्रत्येक अन्त: कोण 90° है तथा विकर्ण एक-दूसरे को अर्धित करते हैं।
अत: ABCD एक आयत है।
Proved.

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प्रश्न 8.
त्रिभुज ABC के कोणों A, B और C के समद्विभाजक उसके परिवृत्त को क्रमशः बिन्दुओं D, E और F पर प्रतिच्छेदित करते हैं। | सिद्ध कीजिए कि ∆DEF के कोण 90° – [latex]\frac { A }{ 2 }[/latex], 90° – [latex]\frac { B }{ 2 }[/latex] और 90° – [latex]\frac { C }{ 2 }[/latex] हैं।
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प्रश्न 9.
दो सर्वांगसम वृत्त परस्पर बिन्दुओं A और B पर प्रतिच्छेद करते हैं। A से होकर कोई रेखाखण्ड PAQइस प्रकार खींचा गया है कि P और २ दोनों वृत्तों पर स्थित हैं। सिद्ध कीजिए कि BP = BQ है।
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हल :
दिया है : दो वृत्तों के केन्द्र O1 व O2 हैं और वे बिन्दुओं A और B पर प्रतिच्छेद करते हैं। A से एक रेखा PAQ खींची गई है जो वृत्तों से बिन्दुओं P और Q पर मिलती है।
सिद्ध करना है : रेखाखण्ड BP = रेखाखण्ड BQ
रचना : जीवा AB तथा त्रिज्याएँ O1A, O1B, O1A तथा O2B खींचीं
उपपत्ति : जीवा AB दोनों वृत्तों में उभयनिष्ठ है और दोनों वृत्त सर्वांगसम हैं।
O1 केन्द्र वाले वृत्त का चाप AB = O2 केन्द्र वाले वृत्त का चाप AB
∠AO1B = ∠AOB (सर्वांगसम वृत्तों के समान चाप केन्द्र पर समान कोण अन्तरित करते हैं।)
∠APB = ∠AQB (परिधि पर अन्तरित कोण)
अब : ΔQBP में,
∠APB = ∠AQB (ऊपर सिद्ध हुआ है।)
∠BPQ = ∠BQP
अत: BQ = BP (सम्मुख कोण बराबर होने पर सम्मुख भुजाएँ भी बराबर होती हैं।)
Proved.

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प्रश्न 10.
किसी त्रिभुज ABC में, यदि ∠A का समद्विभाजक तथा BC का लम्बे समद्विभाजक प्रतिच्छेद करें, तो सिद्धकीजिए कि वे ΔABC के परिवृत्त पर प्रतिच्छेद करेंगे।

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हल :
दिया है : ΔABC के आधार BC का लम्ब समद्विभाजक XY है।
ABDC, ΔABC का परिवृत्त है। लम्ब समद्विभाजक XY परिवृत्त को D पर काटता है। XY, BC को M पर काटता है।।
सिद्ध करना है : ∠A का समद्विभाजक भी बिन्दु D से होकर जाएगा।
रचना : DB तथा DC को मिलाया।
उपपत्ति : XY, BC का लम्ब समद्विभाजक है और यह परिवृत्त को बिन्दु D पर काटता है।
बिन्दु D, परिवृत्त पर भी है और XY पर भी।
ΔBDM और ΔCDM में,
BM = CM (XY, BC का लम्ब समद्विभाजक है।)
∠BMD = ∠CMD (XY ⊥ BC अर्थात प्रत्येक 90°)
MD = MD (उभयनिष्ठ भुजा है।)
ΔBDM = ΔCDM (S.A.S. से)
BD = CD (C.P.C.T.)
बिन्दु D, परिवृत्त पर भी स्थित है।
परिवृत्त में, जीवा BD = जीवा CD
चाप BD= चाप CD (समान चाप किसी वृत्त की समान जीवाएँ काटती हैं।)
चाप BD द्वारा बिन्दु A पर अन्तरित कोण = चाप CD द्वारा बिन्दु A पर अन्तरित कोण
∠BAD = ∠CAD
अत: A का समद्विभाजक AD भी बिन्दु D से होकर जाता है।
Proved.

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UP Board Solutions for Class 10 Hindi Chapter 5 सुमित्रानन्दन पन्त (काव्य-खण्ड)

UP Board Solutions for Class 10 Hindi Chapter 5 सुमित्रानन्दन पन्त (काव्य-खण्ड)

These Solutions are part of UP Board Solutions for Class 10 Hindi. Here we have given UP Board Solutions for Class 10 Hindi Chapter 5 सुमित्रानन्दन पन्त (काव्य-खण्ड).

कवि परिचय

प्रश्न 1.
सुमित्रानन्दन पन्त का संक्षिप्त जीवन-परिचय देते हुए उनकी रचनाओं का उल्लेख कीजिए। [2009, 10]
या
सुमित्रानन्दन पन्त का जीवन-परिचय दीजिए एवं उनकी किसी एक रचना का नाम लिखिए। [2011, 12, 13, 14, 15, 16, 17, 18]
उत्तर
श्री सुमित्रानन्दन पन्त का सम्पूर्ण काव्य आधुनिक काव्य-चेतना का प्रतीक है। ये ऐसे कवि हैं। जो हिन्दी-साहित्य-कानन को झरने के समान कल-कल निनाद से मुखरित कर नवजीवन प्रदान करते हैं। इन्होंने अपने काव्य की लय-ताल में मानव-जीवन की (UPBoardSolutions.com) लय-ताल को निबद्ध करने का प्रयास किया है। इनके काव्य में धर्म, दर्शन, नैतिक एवं सामाजिक मूल्य, प्रकृति की सुकुमारता-उद्दण्डता आदि एक साथ देखी जा सकती है। वास्तव में इनका काव्य; काव्य-रसिकों के गले को कण्ठहार है। |

जीवन-परिचय–सुकुमार भावनाओं के कवि और प्रकृति के चतुर-चितेरे श्री सुमित्रानन्दन पन्त का जन्म 20 मई, सन् 1900 ई० को प्रकृति की सुरम्य गोद में अल्मोड़ा के निकट कौसानी नामक ग्राम में हुआ था। इनके पिता का नाम पं० गंगादत्त पन्त था। इनके जन्म के छः घण्टे के बाद ही इनकी माता का देहान्त हो गया था; अतः इनका लालन-पालन पिता और दादी के वात्सल्यं की छाया में हुआ। पन्त जी ने अपनी शिक्षा का प्रारम्भिक चरण अल्मोड़ा में पूरा किया। यहीं पर इन्होंने अपना नाम गुसाईंदत्त से बदलकर सुमित्रानन्दन रखा। इसके बाद वाराणसी के जयनारायण हाईस्कूल से स्कूल-लीविंग की परीक्षा उत्तीर्ण की और जुलाई, 1919 ई० में इलाहाबाद आये और म्योर सेण्ट्रल कॉलेज में प्रवेश लिया। सन् 1921 ई० में महात्मा गाँधी के आह्वान पर असहयोग आन्दोलन से प्रभावित होकर इन्होंने बी० ए० की परीक्षा दिये बिना ही कॉलेज त्याग दिया था। इन्होंने स्वाध्याय से संस्कृत, अंग्रेजी, बांग्ला और हिन्दी भाषा का अच्छा ज्ञान प्राप्त किया था। प्रकृति की गोद में पलने के कारण इन्होंने अपनी सुकुमार भावना को प्रकृति के चित्रण में व्यक्त किया। इन्होंने प्रगतिशील विचारों की पत्रिका रूपाभा’ का प्रकाशन किया। सन् 1942 ई० में भारत छोड़ो आन्दोलन से प्रेरित होकर ‘लोकायन’ नामक सांस्कृतिक पीठ की स्थापना की और भारत-भ्रमण हेतु निकल पड़े। सन् 1950 ई० में ये ऑल इण्डिया रेडियो के परामर्शदाता पद पर नियुक्त हुए और सन् 1976 ई० में भारत सरकार ने इनकी साहित्य-सेवाओं को ‘पद्मभूषण’ की उपाधि से सम्मानित किया। इनकी कृति ‘चिदम्बरा’ पर इनको ‘भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार मिला। 28 दिसम्बर, सन् 1977 ई० को इस महान् । साहित्यकार ने इस भौतिक संसार से सदैव के लिए विदा ले ली और चिरनिद्रा में लीन हो गये।

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रचनाएँ-पेन्त जी बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। इन्होंने कविता के अतिरिक्त नाटक, उपन्यास और कहानियों की भी रचना की है, परन्तु काव्य ही इनका प्रधान क्षेत्र रहा है। अपने दीर्घकालिक काव्य-जीवन में इन्होंने हिन्दी काव्य-जगत को अनेक कृतियों प्रदान की हैं जो निम्नलिखित हैं

(1) वीणा—यह पन्त जी की प्रथम काव्य-पुस्तक है। इसमें प्रकृति-निरीक्षण, अनुभूति और कल्पनाओं का सुन्दर रूप दिखाई देता है।
(2) ग्रन्थि-यह असफल प्रेम की दुःखपूर्ण गाथा का काव्य है। इसमें वियोग श्रृंगार की प्रधानता है।
(3) पल्लव–यह कल्पना-प्रधान काव्य है। इसमें प्रकृति-निरीक्षण और ऊँची कल्पनाओं के दर्शन । होते हैं। इसमें ‘वसन्तश्री’,’परिवर्तन’; ‘मौन-निमन्त्रण’, ‘बादल’ आदि श्रेष्ठ कविताएँ संकलित हैं।
(4) गुंजन-इसमें कवि का मन प्रकृति से हटकर आत्मचित्रण की ओर लग (UPBoardSolutions.com) गया है। नौकाविहार’ इस संकलन की श्रेष्ठ कविता है।
(5) युगान्त,
(6) युगवाणी,
(7) ग्राम्या—इन काव्यों में कवि पर गाँधीवाद और समाजवाद का प्रभाव स्पष्ट परिलक्षित होता है।
(8) लोकायतन-इस महाकाव्य में कवि की सांस्कृतिक और दार्शनिक विचारधारा व्यक्त हुई है। इसमें ग्राम्य-जीवन और जनभावना को स्वर प्रदान किया गया है।
पन्त जी की अन्य रचनाएँ हैं—पल्लविनी, अतिमा, युगपथ, ऋता, स्वर्णकिरण, चिदम्बरा, उत्तरा, कला और बूढ़ा चाँद, शिल्पी, स्वर्णधूलि आदि।

साहित्य में स्थान-सुन्दर, सुकुमार भावों के चतुर-चितेरे पन्त ने खड़ी बोली को ब्रजभाषा जैसा माधुर्य एवं सरसता प्रदान करने का महत्त्वपूर्ण कार्य किया है। पन्त जी गम्भीर विचारक, उत्कृष्ट कवि और मानवता के सहज आस्थावान् कुशल शिल्पी हैं, जिन्होंने नवीन सृष्टि के अभ्युदय की कल्पना की है। निष्कर्ष रूप में कहा जा सकता है कि “पन्त जी हिन्दी कविता के श्रृंगार हैं, जिन्हें पाकर माँ-भारती कृतार्थ हुई।

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पद्यांशों की सन्दर्भ व्याख्या चींटी

प्रश्न 1.
चींटी को देखा?
वह सरल, विरल, काली रेखा
तम के तागे-सी जो हिल-डुल,
चलती लघुपद पल-पल मिल-जुल
वह है पिपीलिका पाँति !
देखो ना, किस भाँति ।
काम करती वह सतत !
कन-कन करके चुनती अविरत ! [2012]
गाय चराती,
धूप खिलाती,
बच्चों की निगरानी करती,
लड़ती, अरि से तनिक न डरती,
दल के दल सेना सँवारती,
घर आँगन, जनपथ बुहारती ।
उत्तर
[विरल = जो घंनी न हो। तम = अन्धकार। लघुपद = छोटे-छोटे पैरों से। पल-पल = थोड़ी-थोड़ी देर में। पिपीलिका = चींटी। सतत = निरन्तर। अविरत = बिना रुके। अरि = शत्रु। बुहारती = साफ करती।]

सन्दर्भ-प्रस्तुत पद्यावतरण प्रकृति के सुकुमार कवि सुमित्रानन्दन (UPBoardSolutions.com) पन्त द्वारा रचित ‘युगवाणी’ । काव्य-संग्रह की चींटी’ शीर्षक कविता से हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘हिन्दी’ के ‘काव्य-खण्ड’ में संकलित ” किया गया है।

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प्रसंग-इस अवतरण में कवि ने चींटी जैसे लघु प्राणी की परिश्रमशीलता का वर्णन करके मनुष्य को उससे प्रेरणा प्राप्त करने का सन्देश दिया है।

व्याख्या-कवि प्रश्न करता है कि क्या तुमने कभी चींटी को ध्यानपूर्वक देखा है? चीटियों की पंक्ति एक सरल (सीधी) काली और विरल रेखा के समान प्रतीत होती है। वह अपने छोटे-छोटे पैरों से प्रति क्षण चलती रहती है। चींटियाँ जब मिलकर चलती हैं तो ऐसा मालूम पड़ता है जैसे कोई पतलां काला धागा हिल-डुल रहा हो। कवि आगे कहता है कि वह चींटियों की पंक्ति (कतार) है। तुम ध्यान से देखो कि वह किस प्रकार निरन्तर चलती रहती है। वह निरन्तर अपने काम में जुटी रहती है और अपने व अपने परिवार के लिए छोटे-छोटे उपयोगी कणों को बिना रुके लगातार चुनती रहती है।

इतना ही नहीं, उसका भी घर-समाज है। यह गाय चराती है और उन्हें धूप खिलाती है। प्राणिशास्त्रियों के अनुसार चींटियों में भी गायें होती हैं। वे अपने बच्चों की देखभाल करती हैं, अपने शत्रुओं से निर्भय होकर लड़ती हैं, अपनी सेना सजाती हैं तथा घर, (UPBoardSolutions.com) आँगन और रास्ते को साफ करती प्रतीत होती हैं।

काव्यगत सौन्दर्य-

  1. इन पंक्तियों में चींटी की श्रमशीलता (कर्मठता) पर प्रकाश डाला गया है।
  2. कवि चींटी के माध्यम से मनुष्य को सतत कर्म करने की प्रेरणा दे रहा है। कवि के अनुसार चीटियों का लघु स्वरूप और मिल-जुलकर कार्य करने की प्रवृत्ति यह दर्शाती है कि शारीरिक लघुता व्यक्ति की कार्य-क्षमता पर अधिक प्रभावी नहीं हो सकती है।
  3. भाषा-सरल साहित्यिक खड़ी बोली।
  4. शैलीवर्णनात्मक।
  5. रस-वीर रस (कर्मवीरता के कारण)।
  6. गुण-ओज।
  7. अलंकार-तम के तागेसी जो हिल-डुल’ में उपमा और अनुप्रास; ‘कन-कन’ में पुनरुक्तिप्रकाश।
  8. भावसाम्य–जिस प्रकार पन्त ने चींटी के माध्यम से (UPBoardSolutions.com) सदैव कर्मरत रहने की प्रेरणा दी है, वैसे ही राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त ने भी सतत कर्मशील बने रहने पर बल दिया है

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नर हो, न निराश करो मन को।
कुछ काम करो, कुछ काम करो,
जग में रहकर कुछ नाम करो।

प्रश्न 2.
चींटी है प्राणी सामाजिक,
वह श्रमजीवी, वह सुनागरिक !
देखा चींटी को ?
उसके जी को ?
भूरे बालों की सी कतरन,
छिपा नहीं उसका छोटापन,
वह समस्त पृथ्वी पर निर्भय
विचरण करती, श्रम में तन्मय,
वह जीवन की चिनगी अक्षय।
वह भी क्या देही है, तिल-सी ?
प्राणों की रिलमिल झिलमिल-सी !
दिन भर में वह मीलों चलती,
अथक, कार्य से कभी न टलती।
उत्तर
[ श्रमजीवी = श्रम करके जीने वाली। चिनगी (UPBoardSolutions.com) = चिंगारी। अक्षय = कभी नष्ट न होने वाली। अथक = बिना थके।]।

सन्दर्भ--पूर्ववत्।।

प्रसंग-इन पंक्तियों में कवि ने चींटी के गुणों और उसकी क्रियाशीलता का वर्णन किया है।

व्याख्या-चींटी एक सामाजिक प्राणी है। चींटी का अपना एक समाज होता है और उसी के साथ वह हिल-मिलकर नियमपूर्वक रहती है। वह कठोर परिश्रमी जीव है और उसमें एक अच्छे नागरिक के सभी गुण विद्यमान हैं।

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कवि कहता है कि तुमने चींटी को ध्यान से देखा होगा। वह अत्यधिक लघु प्राणी है, परन्तु उसका । हृदय एवं आत्मबल अत्यन्त विशाल है। चींटियों की पंक्ति भूरे बालों की कतरन के समान दिखाई देती है। उसकी लघुता को सभी जानते हैं, लेकिन उसके हृदय में असीम साहस है। वह सारी पृथ्वी पर, जहाँ चाहती है, निर्भय होकर विचरण करती है। उसे किसी भी स्थान पर घूमने में भय नहीं लगता है। वह लगातार अपने श्रम से, (UPBoardSolutions.com) भोजन को एकत्र करने के काम में तल्लीन होकर जुटी रहती है। चींटी श्रम की साकार मूर्ति है। वह जीवन की कभी नष्ट न होने वाली चिंगारी है। चींटी एक अतिलघु प्राणी है, परन्तु उसमें जीवन की सम्पूर्ण ज्योति जगमगाती है।

कवि कहता है कि उसका शरीर बड़ा नहीं, अपितु वह तिल के समान अत्यन्त छोटा है। इतनी छोटी होते हुए भी चींटी शक्ति से भरी हुई इधर-उधर घूमती रहती है। दिनभर में वह कई मील की लम्बी यात्रा पूरी करती है, फिर भी वह कभी थकती नहीं है और निरन्तर अपने काम में जुटी रहती है। धूप, छाँव, शीत, वर्षा में भी वह अपना कार्य करने से नहीं चूकती है।

काव्यगत सौन्दर्य-

  1. पन्त जी ने चींटी जैसे लघु प्राणी में भी आदर्श सामाजिक प्राणी के गुण देखे हैं।
  2. कवि तुच्छ दिखने वाले जीवन में भी महानता के तत्त्व हूँढ़ने में सक्षम है।
  3. भाषा-साहित्यिक खड़ी बोली।
  4. शैली-वर्णनात्मक।
  5. रस-वीर रस (कर्मवीरता के कारण)।
  6. अलंकार-‘भूरे बालों की सी कतरन’ में उपमा, ‘रिलमिल-झिलमिल’ में अनुप्रास।
  7. गुण-ओजमिश्रित प्रसाद।
  8. भावसाम्य-जिस प्रकार चींटी धूप-छाँव, शीत-वर्षा की चिन्ता किये बिना (UPBoardSolutions.com) आजीवन श्रमशील बने रहने की प्रेरणा देती है, उसी प्रकार रामनरेश त्रिपाठी भी मृत्युपर्यन्त कर्म करने के लिए प्रेरित करते हुए कहते हैं

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कर्म तुम्हारा धर्म अटल हो,
कर्म तुम्हारी भाषा।
हो सकर्म ही मृत्यु तुम्हारे
जीवन की अभिलाषा।

चंद्रलोक में प्रथम बार
प्रश्न 1.
चंद्रलोक में प्रथम बार,
मानव ने किया पदार्पण,
छिन्न हुए लो, देश काल के,
दुर्जय बाधा बंधन।
दिग-विजयी मनु-सुत, निश्चय,
यह महत् ऐतिहासिक क्षण,
भू-विरोध हो शांत,
निकट आये सब देशों के जन। [2015]
युग-युग का पौराणिक स्वप्न
हुआ मानव का संभव,
समारंभ शुभ नए चन्द्र-युग का
भू को दे गौरव।।
उत्तर
[पदार्पण = पैर रखना। दुर्जय = कठिनाई से जीते जा सकने वाले। बाधा = रुकावट, अड़चन। दिग्-विजयी = दिशाओं को जीतने वाला। मनु-सुत = मनुष्य। महत् = बड़ा। भू-विरोध = पृथ्वी पर दिखाई देने वाले झगड़े। पौराणिक = पुराना। समारंभ = प्रारम्भ।]

सन्दर्भ-प्रस्तुत पंक्तियाँ कविवर सुमित्रानन्दन पन्त द्वारा रचित ‘ऋता’ (UPBoardSolutions.com) नामक काव्य-संग्रह से हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘हिन्दी के ‘काव्य-खण्ड’ में संकलित ‘चंद्रलोक में प्रथम बार’ शीर्षक कविता से अवतरित हैं।

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[विशेष—इस शीर्षक के अन्तर्गत आने वाले सभी पद्यांशों की व्याख्या में यही सन्दर्भ प्रयुक्त होगा।]

प्रसंग-इन पंक्तियों में कवि ने मानव के चन्द्रमा पर पहुँचने की ऐतिहासिक घटना के महत्त्व को। व्यक्त किया है। यहाँ कवि ने उन सम्भावनाओं का भी वर्णन किया है, जो मानव के चन्द्रमा पर पैर रखने से साकार होती प्रतीत हो रही हैं।

व्याख्या-कवि कहता है कि जब चन्द्रमा पर प्रथम बार मानव ने अपने कदम रखे तो ऐसा करके उसने देश-काल के उन सारे बन्धनों, जिन पर विजय पाना कठिन माना जाता था, छिन्न-भिन्न कर दिया। मनुष्य को यह आशा बँध गयी कि इस ब्रह्माण्ड में कोई भी (UPBoardSolutions.com) देश और ग्रह-नक्षत्र अब दूर नहीं हैं। यह निश्चय ही मनु के पुत्रों (मनुष्यों) की दिग्विजय है। यह ऐसा महत्त्वपूर्ण ऐतिहासिक क्षण है कि अब सभी देशों के निवासी मानवों को परस्पर विरोध समाप्त करके एक-दूसरे के निकट आना चाहिए और प्रेम से रहना चाहिए। यह सम्पूर्ण विश्व ही अब एक देश में परिवर्तित हो गया है। सभी देशों के मनुष्य अब एक-दूसरे के। निकट आएँ, यही कवि की आकांक्षा है।

मनुष्य का युगों-युगों से चन्द्रमा के साथ घनिष्ठ सम्बन्ध रहा है। चन्द्र-विजय से युगों-युगों का पौराणिक स्वप्न अब सम्भव हो गया है। चन्द्रमा के सम्बन्ध में की जाने वाली मानव की मनोरम कल्पनाएँ अब साकार हो उठी हैं। पृथ्वीवासियों को गौरवान्वित करके अब नये चन्द्र युग का कल्याणकारी आरम्भ हुआ है।

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काव्यगत सौन्दर्य-

  1. प्रस्तुत कविता में कवि ने दार्शनिक विचारों की प्रस्तुति वैज्ञानिक पृष्ठभूमि में की है।
  2. भाषा–साहित्यिक खड़ी बोली
  3. शैली–प्रतीकात्मक
  4. रस-वीर।
  5. छन्द– तुकान्त-मुक्त।
  6. गुण-ओज।
  7. अलंकार–अनुप्रास और पुनरुक्तिप्रकाश।
  8. भावसाम्यसंस्कृत के अधोलिखित श्लोक जैसी भावना ही कवि ने इन पंक्तियों में व्यक्त की है-

अयं निजः परोवेति, गणना लघुचेतसाम्।
उदारचरितानां तु, वसुधैव कुटुम्बकम्॥

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प्रश्न 2.
फहराए ग्रह-उपग्रह में
धरती का श्यामल-अंचल,
सुख संपद् संपन्न जगत् में
बरसे जीवन-मंगल।
अमरीका सोवियत बने ।
नव दिक् रचना के वाहन
जीवन पद्धतियों के भेद ।
समन्वित हों, विस्तृत मन।
उत्तर
[ ग्रह = सूर्य की परिक्रमा करने वाले तारे। इनके नाम हैं-पृथ्वी, बुध, शुक्र, मंगल, बृहस्पति, शनि, प्लूटो, नेप्च्यून, यूरेनस। (प्रस्तुत कविता के अनुसार नौ ग्रह हैं; परन्तु वर्तमान में केवल आठ ग्रह माने गये हैं। प्लूटो को क्षुद्र ग्रह माना गया है)। उपग्रह = किसी बड़े ग्रह के चारों ओर घूमने वाले छोटे ग्रह; जैसे पृथ्वी का उपग्रह चन्द्रमा। श्यामल = हरा-भरा। संपद् = सम्पत्ति, वैभव। मंगल = कल्याण। नव दिक् = नयी दिशाएँ। रचना = सृजन, निर्माण। पद्धति = रास्ता। समन्वित = मिले हुए। विस्तृत = विशाल।]

व्याख्या-कवि का कथन है कि मैं अब यह चाहता हूँ कि ब्रह्माण्ड के ग्रहों-उपग्रहों में इस पृथ्वी का श्यामलं अंचल फहराने लगे। तात्पर्य यह है कि मनुष्य अन्य ग्रहों पर भी पहुँचकर वहाँ पृथ्वी जैसी हरियाली और जीवन का संचार कर दे। सुख और वैभव से (UPBoardSolutions.com) युक्त इस संसार में मानव-जीवन के कल्याण की वर्षा हो; अर्थात् सम्पूर्ण संसार में कहीं भी दु:ख और दैन्य दिखाई न पड़े।

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अमेरिका और सोवियत रूस नयी दिशाओं की रचना करें, क्योंकि अन्तरिक्ष विज्ञान में यही देश सर्वाधिक प्रगति पर हैं। कवि का कहना है कि विश्व में प्रत्येक देश की संस्कृति और सभ्यता भिन्न-भिन्न है। तथा अलग-अलग जीवन-पद्धतियाँ हैं। इनकी भिन्नता समाप्त होनी चाहिए। तात्पर्य यह है कि सभी जीवन-पद्धतियाँ आपस में मिलकर एक हो जाएँ और मन की संकुचित भावना का अन्त कर लोग उदारचेता बने तथा विश्व-मानव में ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ की भावना का विकास हो।

काव्यगत सौन्दर्य-

  1. कवि चारों ओर कल्याणमय जीवन के प्रसार की कामना करता है।
  2. भाषा-साहित्यिक खड़ी बोली
  3. शैली–प्रतीकात्मक।
  4. रस-वीर।
  5. छन्द-तुकान्तमुक्त।
  6. गुण-ओज।
  7. अलंकार-‘फहराये ग्रह-उपग्रह में धरती का श्यामल अंचल में रूपक तथा अनुप्रास।

प्रश्न 3.
अणु-युग बने धरा जीवन हित
स्वर्ण-सृजन को साधन,
मानवता ही विश्व सत्य
भू राष्ट्र करें आत्मार्पण।
धरा चन्द्र की प्रीति परस्पर
जगत प्रसिद्ध, पुरातन,
हृदय-सिन्धु में उठता।
स्वर्गिक ज्वार देख चन्द्रानन । [2012, 16]
उत्तर
[ धरा = पृथ्वी। सृजन = निर्माण। आत्मार्पण = आत्म-समर्पण। चन्द्रानन = चन्द्रमा का मुख।]

प्रसंग-प्रस्तुत पंक्तियों में यह कामना की गयी है कि अणु-शक्ति की परख और प्रयोग करने वाला यह वैज्ञानिक युग, मानव-जीवन के लिए कल्याणकारी सिद्ध हो।। |

व्याख्या-कवि का कहना है कि विज्ञान का सम्पूर्ण विकास मानव-जीवन के कल्याण के लिए ही होना चाहिए। परमाणु-शक्ति मानव-जीवन के विनाश का साधन न होकर पृथ्वी पर स्वर्ग के निर्माण का साधन बननी चाहिए। विश्व का एकमात्र सत्य है—मानवता (UPBoardSolutions.com) की भावना। इसके समक्ष समग्र पृथ्वी के राष्ट्र को आत्मसमर्पण कर देना चाहिए; अर्थात् सम्पूर्ण विश्व एक राष्ट्र बने और सम्पूर्ण देश मानवता की ही बात सोचें। वे अणुशक्ति से एक-दूसरे के विनाश की बात न सोचें, वरन् उसे मानवता के हित में लगाएँ।

चन्द्रमा और पृथ्वी का प्रेम जगत् प्रसिद्ध है और बहुत पुराना है; क्योंकि चन्द्रमा पृथ्वी का ही एक अंग है। इसीलिए पृथ्वी के सागर रूपी हृदय में चन्द्रमा के मुख को देखकर ज्वार उठा करता है। तात्पर्य यह है। कि चन्द्रविजये की सार्थकता तभी है जब वैज्ञानिक उपलब्धियों को मानव-हित में लगाया जाए।

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काव्यगत सौन्दर्य-

  1. कवि विज्ञान की उन्नति को मानवता के विकास के लिए उपयोगी मानता है।
  2. पूर्णमासी के दिन चन्द्रमा पृथ्वी के निकट आ जाता है तो समुद्र का पानी चन्द्रमा की आकर्षण शक्ति से ऊपर को उठ जाया करता है। यही ज्वार कहलाता है। कवि ने इस भौगोलिक सत्य की अति उत्कृष्ट साहित्यिक अभिव्यक्ति की है।
  3. भाषा-साहित्यिक खड़ी बोली।
  4. शैली–प्रतीकात्मक एवं भावात्मक।
  5. रस-शान्त।
  6. छन्द-तुकान्त-मुक्त।
  7. गुण–प्रसाद।
  8. अलंकार-स्वर्ग-सृजन का साधन में अनुप्रास तथा हृदय-सिन्धु’ में रूपका
  9. भावसाम्य-विज्ञान की शक्ति मनुष्य द्वारा नियन्त्रित (UPBoardSolutions.com) है और मनुष्य अपनी इच्छानुसार इसका उपयोग कर सकता है; यह भाव अन्यत्र भी व्यक्त किया गया है

शक्ति शक्ति है बुरी या अच्छी कभी नहीं होती है।
एक नियन्त्रक मानव, इसके ही विचार ढोती है।

काव्य-सौन्दर्य एवं व्याकरण-बोध

प्रश्न 1.
निम्नलिखित पंक्तियों में कौन-सा अलंकार है?
(क) तम के तागे सी जो हिल-डुल
चलती लघुपद पल-पल मिल-जुल ।
(ख) भूरे बालों की सी कतरन,
छिपां नहीं उसका छोटापन,
(ग) सुख संपद् सम्पन्न जगत् में
बरसे जीवन-मंगल ।
उत्तर
(क) उपमा, अनुप्रास, पुनरुक्तिप्रकाश,
(ख) उपमा,
(ग) अनुप्रास।

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प्रश्न 2.
निम्नलिखित पदों से उपसर्ग और शब्द को पृथक्-पृथक् करके लिखिए-
सुनागरिक, अक्षय, समारम्भ, उपग्रह।
उत्तर
UP Board Solutions for Class 10 Hindi Chapter 5 सुमित्रानन्दन पन्त (काव्य-खण्ड) img-1

प्रश्न 3.
निम्नलिखित पदों में से प्रत्ययों को अलग करके लिखिए-
सामाजिक, छोटापन, पौराणिक।
उत्तर
UP Board Solutions for Class 10 Hindi Chapter 5 सुमित्रानन्दन पन्त (काव्य-खण्ड) img-2

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UP Board Solutions for Class 10 Social Science Chapter 17 (Section 1)

UP Board Solutions for Class 10 Social Science Chapter 17 मानचित्र कार्य (अनुभाग – एक)

These Solutions are part of UP Board Solutions for Class 10 Social Science. Here we have given UP Board Solutions for Class 10 Social Science Chapter 17 मानचित्र कार्य (अनुभाग – एक)

मानचित्र, इतिहास का आवश्यक अंग तथा उपकरण है। इसके माध्यम से ऐतिहासिक साम्राज्यों के विस्तार, ऐतिहासिक, राजनीतिक, प्रशासनिक, सांस्कृतिक तथा धार्मिक महत्त्व के केन्द्रों को स्पष्ट किया जाता है। सामाजिक विज्ञान के अनुभाग’एक’: सांस्कृतिक एवं ऐतिहासिक विरासत हेतु छात्रों को ऐतिहासिक महत्त्व के मानचित्रों का अभ्यास करना अभीष्ट है। मानचित्र अभ्यास के साथ-साथ प्रश्न का सही उत्तर देने के भी आधे अंक होते हैं; उदाहरणार्थ-‘वह स्थान जहाँ सूर्य मन्दिर स्थित है के लिए उत्तर लिखना होगा। ‘कोणार्क’ तथा साथ ही कोणार्क को मानचित्र में भी अंकित करना होगा।

मानचित्रांकन हेतु आवश्यक निर्देश

  • परीक्षा भवन में प्रश्न-पत्र तथा उत्तर-पुस्तिका के साथ ही मानचित्र भी दिया जाएगा। अतः परीक्षार्थी को उत्तर-पुस्तिका में मानचित्र खींचने की आवश्यकता नहीं है।
  • परीक्षार्थियों को भारत और विश्व के मानचित्रों पर (UPBoardSolutions.com) इतिहास से सम्बन्धित घटनाओं तथा स्थानों को अंकित करने का अभ्यास करते रहना चाहिए।
  • मानचित्र में नगरों का प्रदर्शन काले बिन्दु से करना चाहिए।
  • मानचित्र में अंकित विवरण जितना स्पष्ट तथा ठीक होगा, परीक्षार्थी को उतने ही अधिक अंक प्राप्त हो सकेंगे।
  • मानचित्र में विवरण अंकित करने के बाद मानचित्र को उत्तर-पुस्तिका के साथ बाँध देना चाहिए।

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अभ्यास-प्रश्न

(1) दिये गये मानचित्र में निम्नलिखित को चिह्न द्वारा नाम सहित दिखाइए –

  1. मेरठ, नागपुर, मैसूर, अमृतसर, झाँसी, मुम्बई।
  2. मेरठ, बोधगया, अमृतसर, हैदराबाद, माउण्ट आबू, मथुरा।
  3. जयपुर, कोणार्क, झाँसी, इलाहाबाद, मथुरा, अमृतसर।
  4. मेरठ, मुम्बई, प्रयाग, दिल्ली, सारनाथ, (UPBoardSolutions.com) पाटलिपुत्र।
  5. दिल्ली, इलाहाबाद, फतेहपुर सीकरी, झाँसी, मुम्बई, कोलकाता।
  6. कोलकाता, कानपुर, कोणार्क, पुणे, जयपुर, दिल्ली।

(2) भारत के रेखा-मानचित्र में निम्नलिखित तथ्यों से सम्बन्धित स्थानों को नाम सहित चिह्न द्वारा दर्शाइए –

1. वह स्थान जहाँ ताजमहल स्थित है। (2009, 11, 13, 15, 17, 18)
उत्तर : आगरा

2. वह स्थान जहाँ भारत का सर्वोच्च न्यायालय स्थित है। (2010, 11, 13, 14, 17)
उत्तर : दिल्ली

3. वह स्थान जहाँ पर मंगल पाण्डे को फाँसी दी गयी थी।
उत्तर : बैरकपुर

4. वह स्थान जहाँ 1857 ई० में प्रार्थना समाज की स्थापना हुई। (2011, 13)
उत्तर : मुम्बई

5. वह स्थान जहाँ भारत के नौसैनिकों ने 1946 ई० में क्रान्ति की थी।
उत्तर : मुम्बई (UPBoardSolutions.com)

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6. वह स्थान जहाँ सेण्ट्रल हिन्दू कॉलेज की स्थापना की गयी थी। (2015, 17)
उत्तर : वाराणसी

7. वह स्थान जहाँ महात्मा गांधी का जन्म हुआ था। (2009, 11, 12, 14, 15, 16, 17, 18)
उत्तर : पोरबन्दर

8. वह नगर जहाँ 1817 ई० में हिन्दू कॉलेज की स्थापना हुई थी। (2018)
उत्तर : कोलकाता

9. वह नगर जहाँ वास्को-डि-गामा 1498 ई० में भारत पहुँचा।
उत्तर : कालीकट

10. वह नगर जहाँ उत्तर प्रदेश का उच्च न्यायालय स्थित है। (2011, 12, 18)
उत्तर : इलाहाबाद

11. वह स्थान जहाँ कोणार्क का सूर्य मन्दिर है। (2013, 14, 15, 16, 18)
उत्तर : ओडिशा

12. वह स्थान जहाँ अटाला मस्जिद है।
उत्तर : जौनपुर

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13. सन् 1911 ई० तक अंग्रेजों के शासनकाल में भारत की राजधानी कहाँ थी ? (2010, 17)
उत्तर : कोलकाता

14. वह स्थान जहाँ उत्तर प्रदेश की राजधानी है। (2013, 14)
उत्तर : लखनऊ

15. वह स्थान जहाँ भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को 1907 ई० में विभाजन हुआ था। (2011, 14, 16)
उत्तर : सूरत

16. वह नगर जहाँ अटल बिहारी वाजपेयी और परवेज मुशर्रफ के मध्य शिखर वार्ता हुई।
उत्तर : आगरा

17. वह नगर जो भारत की राजधानी है। (2015)
उत्तर : नई दिल्ली (UPBoardSolutions.com)

18. वह स्थान जहाँ थियोसॉफिकल सोसायटी की भारत में स्थापना हुई थी। (2015, 16, 17)
उत्तर : चेन्नई

19. वह स्थान जहाँ आर्य समाज की स्थापना हुई। (2013, 17)
उत्तर : मुम्बई

20. वह स्थान जहाँ एनी बेसेण्ट ने होमरूल लीग की स्थापना की। (2016)
उत्तर : चेन्नई

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21. वह स्थान जहाँ चन्द्रशेखर आजाद शहीद हुए। (2010, 11, 12, 13, 14, 15, 16, 17)
उत्तर : इलाहाबाद

22. वह नगर जहाँ सिक्खों का स्वर्ण मन्दिर है। (2010, 11, 13, 14, 15, 16, 17)
उत्तर : अमृतसर

23. वह नगर जहाँ खुसरो बाग स्थित है। (20 13, 17)
उत्तर : लाहौर

24. वह नगर जहाँ बेगम हजरत महल ने क्रान्तिकारियों का नेतृत्व किया। (2010, 11, 12)
उत्तर : लखनऊ, अवध

25. वह नगर जहाँ मोहम्मडन एंग्लो ओरियण्टल कॉलेज की स्थापना हुई। (2011, 12, 13)
उत्तर : अलीगढ़

26. वह स्थान जहाँ मुस्लिम विश्वविद्यालय स्थित है। (2012)
उत्तर : अलीगढ़

27. वह स्थान जहाँ छत्तीसगढ़ की राजधानी स्थित है। (2014)
उत्तर : रायपुर (UPBoardSolutions.com)

28. वह स्थान जहाँ पश्चिमी नौसेना कमाण्ड का मुख्यालय है। (2016)
उत्तर : मुम्बई

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29. वह नगर जहाँ संविधान सभा की बैठकें हुआ करती थीं। (2014)
उत्तर : संसद भवन, नयी दिल्ली

30. वह नगर जहाँ जनसमूह द्वारा पुलिस स्टेशन में आग लगा देने के कारण गाँधी जी ने असहयोग आन्दोलन स्थगित कर दिया था।
उत्तर : चौरी-चौरा, गोरखपुर

31. वह नगर जहाँ जवाहरलाल नेहरू ने जन्म लिया। (2011, 13)
उत्तर : इलाहाबाद

32. वह स्थान जहाँ स्वामी दयानन्द का जन्म हुआ था। (2012,14)
उत्तर : काठियावाड़, गुजरात

33. वह स्थान जहाँ झारखण्ड राज्य की राजधानी स्थित है। (2013)
उत्तर : राँची

34. वह नगर जहाँ उत्तर प्रदेश की विधानसभा स्थित है। (2018)
उत्तर : लखनऊ

35. वह नगर जो भारतीय थल सेना का मुख्यालय है। (2018)
उत्तर : दिल्ली

36. वह स्थान जहाँ उत्तराखण्ड की राजधानी स्थित है। (2010, 13)
उत्तर : देहरादून

37. वह स्थान जहाँ ‘गेटवे ऑफ इण्डिया’ स्थित है। (2009, 10, 18)
उत्तर : मुम्बई (UPBoardSolutions.com)

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38. वह नगर जो ब्रह्म समाज का मुख्य केन्द्र रहा है। (2012, 16)
उत्तर : कोलकाता

39. वह नगर जहाँ से 1865 ई० में पायनियर’ नामक समाचार-पत्र का प्रकाशन प्रारम्भ हुआ।
उत्तर : कोलकाता

40. वह नगर जहाँ जनरल डायर ने सैकड़ों भारतीयों को गोलियों से भून दिया था। (2011)
            या
वह नगर जहाँ जलियाँवाला बाग हत्याकाण्ड हुआ। (2016)
उत्तर : अमृतसर

41. वह नगर जहाँ समुद्री यात्रा करके पहला पुर्तगाली भारतभूमि पर उतरा।
उत्तर : कालीकट

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42. वह नगर जहाँ गांधी जी और डॉ० अम्बेडकर में समझौता हुआ था। (2018)
उत्तर : पुणे

43. वह नगर (अकबर के शासन काल में) जो दिल्ली से पहले भारत की राजधानी था। (2015)
उत्तर : आगरा

44. वह स्थान जहाँ गंगा, यमुना एवं सरस्वती नदियों का संगम है।
उत्तर : इलाहाबाद

45. वह स्थान जहाँ भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का प्रथम अधिवेशन हुआ था। (2010, 15, 17)
उत्तर : मुम्बई

46. वह नगर जो शीतकाल में जम्मू-कश्मीर की राजधानी रहता है।
उत्तर : जम्मू

47. उत्तराखण्ड का वह नगर जहाँ कुम्भ-मेला लगता है। (2014, 15, 17)
उत्तर : हरिद्वार

48. वह स्थान जो हिमाचल प्रदेश की राजधानी है।
उत्तर : शिमला

49. वह स्थान जहाँ गुप्तकालीन लौह-स्तम्भ स्थित है।
उत्तर : महरौली, दिल्ली (UPBoardSolutions.com)

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50. वह स्थान जहाँ ख्वाजा मुइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह स्थित है। (2009, 15, 18)
उत्तर : अजमेर

51. वह स्थान जहाँ जलियाँवाला बाग हत्याकाण्ड हुआ। (2010, 11, 14, 15)
उत्तर : अमृतसर

52. वह स्थान जिसे ‘गुलाबी नगर’ (पिंक सिटी) के नाम से जाना जाता है। (2016, 18)
उत्तर : जयपुर

53. वह स्थान जहाँ ब्रह्म समाज एवं प्रार्थना समाज की स्थापना हुई। (2006, 12, 16)
उत्तर : मुम्बई

54. वह स्थान जहाँ विवेकानन्द शिला स्मारक स्थित है।
उत्तर : रामेश्वरम्, तमिलनाडु

55. वह नगर जहाँ तमिलनाडु एवं पॉण्डिचेरी (पुदुचेरी) का सम्मिलित उच्च न्यायालय है।
उत्तर : चेन्नई

56. वह स्थान जहाँ पर भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना हुई। (2007, 11, 13)
उत्तर : मुम्बई

57. वह स्थान जहाँ प्रथम स्वाधीनता संग्राम का आरम्भ हुआ। (2013, 15, 17)
उत्तर : मेरठ

58. वह स्थान जहाँ स्वामी विवेकानन्द का जन्म हुआ था। (2011, 16)
उत्तर : कोलकाता

59. वह स्थान जहाँ आनन्द भवन स्थित हैं। (2010, 12, 15, 16)
उत्तर : इलाहाबाद

60. वह स्थान जहाँ ईस्ट इण्डिया कम्पनी की राजधानी थी।
            या
वह स्थान जहाँ दिल्ली से पहले ब्रिटिश की भारत में राजधानी थी। (2018)
उत्तर : कोलकाता

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61. वह नगर जहाँ कांग्रेस ने सन् 1942 में भारत छोड़ो’ प्रस्ताव पारित किया। (2017)
उत्तर : मुम्बई

62. वह स्थान जहाँ महात्मा गांधी ने नमक कानून भंग किया। (2016)
उत्तर : डाण्डी

63. वह स्थान जहाँ भारतीय नौसेना का मुख्यालय स्थित है। (2013)
उत्तर : दिल्ली

64. वह स्थान जहाँ भारतीय वायुसेना का मुख्यालय है। (2009, 15, 16)
उत्तर : दिल्ली

65. वह स्थान जो श्रीमती इन्दिरा गाँधी की जन्मभूमि है। (2009, 15)
उत्तर : प्रयाग

66. वह स्थान जहाँ ज़लियाँवाला बाग स्थित है। (2009, 14)
उत्तर : अमृतसर

67. वह स्थान जहाँ के राजा कुंवर सिंह थे। (2010)
उत्तर : अमृतसर

68. वह स्थान जो रानी लक्ष्मीबाई के राज्य की राजधानी था। (2010, 18)
            या
वह स्थान जहाँ से रानी लक्ष्मीबाई शासन चलाती थीं। (2016)
उत्तर : झाँसी (UPBoardSolutions.com)

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69. वह स्थान जहाँ गांधीजी की मृत्यु हुई थी। (2010, 15, 17)
उत्तर : दिल्ली

70. वह स्थान जहाँ गुरु नानक का जन्म हुआ था। (2010)
उत्तर : तलवंडी

71. वह स्थान जहाँ ‘विक्टोरिया मेमोरियल’ स्थित है। (2010, 11)
उत्तर : कोलकाता

72. वह स्थान जहाँ कुतुबमीनार स्थित है। (2014, 15, 16)
उत्तर : दिल्ली

73. हड़प्पाकालीन एक भारतीय स्थान
उत्तर : रोपड़

74. वह स्थान जहाँ तिलक ने होमरूल लीग की स्थापना की। (2011, 12)
उत्तर : पुणे, महाराष्ट्र

75. वह स्थान जहाँ गौतम बुद्ध ने प्रथम उपदेश दिया। (2015, 17)
उत्तर : सारनाथ

76. वह स्थान जहाँ बुलन्द दरवाजा स्थित है। (2015, 16)
उत्तर : फतेहपुर सीकरी

77. वह नगर जहाँ स्थित लाल किले पर प्रति वर्ष स्वतन्त्रता दिवस पर प्रधानमन्त्री राष्ट्रीय ध्वज फहराते हैं। (2011)
उत्तर : दिल्ली

78. वह स्थान जहाँ पल्लवों की राजधानी थी। (2011, 12)
उत्तर : काँचीपुरम

79. वह स्थान जहाँ चन्देलों ने मन्दिर बनवाए थे। (2011)
उत्तर : खजुराहो

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80. वह स्थान जहाँ अकबर तथा हेमू के मध्य युद्ध हुआ था। (2011, 16)
उत्तर : पानीपत

81. वह स्थान जहाँ स्वामी महावीर का जन्म हुआ था। (2011)
उत्तर : वैशाली

82. वह स्थान जहाँ बुद्ध पैदा हुए थे। (2011, 16)
उत्तर : लुम्बिनी

83. वह स्थान जहाँ महाराष्ट्र की राजधानी है। (2011, 15)
उत्तर : मुम्बई (UPBoardSolutions.com)

84. वह नगर जहाँ संसद भवन स्थित है। (2011)
उत्तर : नयी दिल्ली

85. वह नगर जहाँ महात्मा गांधी ने साबरमती आश्रम की स्थापना की। (2011)
उत्तर : अहमदाबाद

86. वह स्थान जहाँ कन्दरिया महादेव मंदिर स्थित है। (2012)
उत्तर : खजुराहो

87. वह स्थान जहाँ लालकिला है। (2012, 14, 16, 17, 18 )
उत्तर : दिल्ली

88. वह स्थान जहाँ मौर्य साम्राज्य की राजधानी थी। (2012, 17)
उत्तर : पाटलिपुत्र

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89. वह नगर जहाँ रानी लक्ष्मीबाई की मृत्यु हुई थी। (2012)
उत्तर : ग्वालियर

90. वह नगर जहाँ गांधीजी 15 अगस्त, 1947 को शान्ति स्थापित करने में व्यस्त थे। (2012)
उत्तर : कोलकाता

91. उस द्वीप समूह की राजधानी जहाँ देश के अनेक क्रान्तिकारी स्वतन्त्रता सेनानी ब्रिटिश सरकार द्वारा आजीवन कारावास के लिए भेजे जाते थे। (2012)
उत्तर : पोर्ट ब्लेयर

92. वह नगर जहाँ इलाहाबाद उच्च न्यायालय की खण्डपीठ स्थित है। (2012, 15)
उत्तर : लखनऊ

93. दशावतार का मन्दिर किस स्थान पर स्थित है? (2013)
उत्तर : देवगढ़, ललितपुर

94. वह नगर जो पंजाब और हरियाणा दोनों की ही राजधानी है। (2013)
उत्तर : चण्डीगढ़

95. राजस्थान में वह स्थान जहाँ जैन मन्दिर हैं। (2014, 16)
उत्तर : माउण्ट आबू

96. वह नगर जहाँ मध्य प्रदेश का उच्च-न्यायालय स्थित है। (2014)
उत्तर : जबलपुर

97. वह नगर जहाँ मदन मोहन मालवीय ने विश्वविद्यालय स्थापित किया था। (2014)
उत्तर : वाराणसी

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98. वह स्थान जहाँ लिंगराज मन्दिर स्थित है। (2014)
उत्तर : भुवनेश्वर

99. वह स्थान जहाँ गुजरात की राजधानी स्थित है। (2014)
उत्तर : गांधीनगर

100. वह स्थान जहाँ कांग्रेस और मुस्लिम लीग का 1916 में समझौता हुआ था। (2014)
उत्तर : लखनऊ

101. वह नगर जहाँ मुगल सम्राट बहादुरशाह जफर को अंग्रेजों ने गिरफ्तार किया था। (2014, 15)
उत्तर : नई दिल्ली (UPBoardSolutions.com)

102. वह नगर जहाँ महाकालेश्वर को मन्दिर है। (2014)
उत्तर : उज्जैन

103. वह नगर जो दो राज्यों की राजधानी है। (2014)
उत्तर : चण्डीगढ़

104. वह स्थान जो अपने गुफा चित्रों के लिए प्रसिद्ध है। (2015)
उत्तर : अजन्ता

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105. वह स्थान जहाँ 1857 ई० की क्रान्ति का आरम्भ हुआ। (2015, 16)
उत्तर : मेरठ

106. वह स्थान जहाँ गोपालकृष्ण गोखले ने ‘सर्वेन्ट्स ऑफ इण्डिया सोसाइटी’ स्थापित की थी। (2015, 17)
उत्तर : पुणे, महाराष्ट्र

107. वह स्थान जहाँ राजा जयचन्द राज्य करते थे। (2015)
उत्तर : कन्नौज

108. वह स्थान जहाँ सन् 1927 ई० में साइमन कमीशन का विरोध प्रस्ताव पारित हुआ था। (2015)
उत्तर : चेन्नई

109. वह स्थान जो टीपू सुल्तान की राजधानी था। (2015)
उत्तर : श्रीरंगपट्टनम

110. वह नगर जहाँ 1765 में मुगल सम्राट शाहआलम और अंग्रेजों की कम्पनी के बीच सन्धि हुई थी। (2016, 17)
उत्तर : इलाहाबाद

111. वह नगर जहाँ पुर्तगाल के अल्बुकर्क ने 1503 ई० में अपना प्रभुत्व स्थापित कर लिया था। (2016)
उत्तर : गोवा

112. वह नगर जहाँ पण्डित मदनमोहन मालवीय का जन्म हुआ था। (2018)
उत्तर : इलाहाबाद

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113. वह नगर जहाँ रामकृष्ण मिशन की स्थापना हुई थी। (2018)
उत्तर : वेल्लूर

114. वह नगर जहाँ इन्दिरा गाँधी की हत्या हुई थी। (2017)
उत्तर : दिल्ली (UPBoardSolutions.com)

मानचित्र – 1

UP Board Solutions for Class 10 Social Science Chapter 17 मानचित्र कार्य 1

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मानचित्र – 2

UP Board Solutions for Class 10 Social Science Chapter 17 मानचित्र कार्य 2

मानचित्र – 3

UP Board Solutions for Class 10 Social Science Chapter 17 मानचित्र कार्य 3

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मानचित्र – 4

UP Board Solutions for Class 10 Social Science Chapter 17 मानचित्र कार्य 4

मानचित्र – 5

UP Board Solutions for Class 10 Social Science Chapter 17 मानचित्र कार्य 5

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UP Board Solutions for Class 7 Hindi Chapter 20 एक संसद नदी की (मंजरी)

UP Board Solutions for Class 7 Hindi Chapter 20 एक संसद नदी की (मंजरी)

These Solutions are part of UP Board Solutions for Class 7 Hindi . Here we have given UP Board Solutions for Class 7 Hindi Chapter 20 एक संसद नदी की (मंजरी).

महत्त्वपूर्ण पद्यांश की व्याख्या

बहरहाल ……………………………. चल रहा है।

संदर्भ:
प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक ‘मंजरी’ के एक संसद नदी की’ नामक (UPBoardSolutions.com) कविता से ली गई है। यह हिन्दुस्तान’ समाचार पत्र से साभार लिया गया है।

प्रसंग:
राजस्थान में पानी की कमी को दूर करने के लिए जल-प्रबन्धन द्वारा जल संरक्षण किया गुया।

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व्याख्या:
राजस्थान की परम्पराओं को ध्यान में रखते हुए वहाँ के लोगों ने अपने सामूहिक श्रमदान से जोहडू, तालाब आदि को गहरा खोदकर जल संरक्षण किया जिससे जलस्तर ऊँचा उठा और हरियाली आ गई। लोगों को यह साहसिक कार्य नीति बनाने वालों के लिए सबक और समाज के लिए सीख था। जब पानी की कमी हो, तो उसका संरक्षण स्वाभाविक उपाय है। इस दृष्टि से लोगों को उत्साह दिलाकर जल-प्रबन्धन कराने के लिए राजेन्द्र सिंह को मैगसेसे पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इसी आधार पर उत्तर प्रदेश, गुजरात और मध्य प्रदेश में भी जलसंरक्षण कार्यक्रम प्रगति पर है।

पाठ का सर (सारांश)

राजस्थान की सूखी धरती पर पन्द्रह वर्ष के कड़े संघर्ष के बाद जल संरक्षण करने से जलक्रान्ति आ गई। इसमें केन्द्रीय भूमिका राजेन्द्र सिंह की थी। अलवर जिले की पाँच सूखी नदी अखरी, रूपारेल, सरसा, भगाणी और जहाज वाली नदी, ये पाँचों (UPBoardSolutions.com) सदानीरा हो गईं। अलवर में 75 गाँवों की साझेदारी से अखरी संसद ने सलाह दी कि वहाँ पढ़ाई से पहले जल की जरूरत थी। राजेन्द्र सिंह ने किशोरी और गोपालपुरा के लोगों के सहयोग से जल संरक्षण के लिए जल प्रबन्धन कार्यक्रम चलाया। जोहड, बावड़ी, बाँध, तालाब गहरे किए गए। इस प्रकार का अभिक्रम दोसा, जयपुर, दोब, उदयपुर, करौली और सवाई माधोपुर में भी चलाया गया। इस जल प्रबन्धन से तस्वीर बदल गई। जल-स्तर ऊपर उठने से कुएँ जी उठे। हरियाली वापस आ गई। अरावली पर्वत पर पेड़ उगने लगे। लोगों के पलायन पर विराम लग गया।
जल संरक्षण का यह अद्भुत काम निश्चय ही प्रेरक और अनुकरणीय है। जलसंरक्षण के व्यापक काम की बदौलत राजेन्द्र सिंह को मैगसेसे सम्मान मिला। ऐसी परम्परा के अनुकरण में मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश और गुजरात में जल संरक्षण कार्यक्रम चल रहा है।
गुजरात में वैज्ञानिक तकनीक ‘रिमोट सेंसिंग’ द्वारा कार्य चल रहा है। यह रिमोट सेंसिंग तकनीक पहाड़ी और पठारी इलाकों में कारगर है। इससे पता चलता है कि कौन-सी जगह पानी जमा करने के लिए ठीक है। राजकोट जिले के राजसमटियाला गाँव में तीन चेक बनाए गए हैं।

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प्रश्न-अभ्यास

कुछ करने को

नोट:
विद्यार्थी स्वयं करें।

विचार और कल्पना

(क) ऐसी दस बातें/कारण लिखिए जिससे सिद्ध हो कि “जल ही जीवन है।”
उत्तर:

  1. जल हमारी प्यास बुझाता है।
  2.  जल के माध्यम से ही हम अपना भोजन पकाते हैं।
  3. जल वर्षा रूप में ग्रीष्मकालीन की गर्मी से हमें राहत देता है।
  4. जल पेड़-पौधों और फसलों-वनस्पतियों के लिए भी अति आवश्यक है।
  5. मछली, कछुआ, मगरमच्छ आदि सहित अनेक जलीय (UPBoardSolutions.com) जीव केवल जल में ही जीवित रह सकते हैं।
  6. जल से हम अपने वस्त्र धोते हैं।
  7. जल से बरतन धोते हैं।
  8.  जन से घर की साफ-सफाई करते हैं।
  9. जल से हम नहाते हैं।
  10.  जल से साग सब्जियों को भी धोते हैं।
    यदि इन सब कार्यों के लिए जल नहीं उपलब्ध हो पाएगा तो मानव-जीवन पशु-पक्षियों, जलीय जीव-जंतुओं और पेड़-पौधों का जीवन भी खतरे में पड़ जाएगा। अतः जल ही जीवन है।

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(ख) (ग) एवं (घ) नोट- विद्यार्थी स्वयं करें।

रिपोर्ताज से

प्रश्न 1:
दो दशक पहले अलवर जिले में जो नदियाँ सूख गयीं थीं, उनके नाम क्या थे?
उत्तर:
दो दशक पहले अलवर की सूख जाने वाली नदियों के (UPBoardSolutions.com) नाम- अखरी, रुपारेल, सरसा, भगाणी और जहाज वाली नदी आदि थे।

प्रश्न 2:
अक्टूबर 1985 ई० में राजेन्द्र सिंह राजस्थान के अलवर जिले के किशोरी गाँव में किस उद्देश्य से गए थे?
उत्तर:
राजेन्द्र सिंह किशोरी गाँव के लोगों को शिक्षित करने के उद्देश्य से गए थे।

प्रश्न 3:
किशोरी और गोपालपुरा गाँव के लोगों ने राजेन्द्र सिंह को जल प्रबन्धन की कौन-सी पुरानी विधियाँ बतायी?
उत्तर:
छोटे-छोटे बाँध बनाए जाएँ, सूख चुके कुएँ और बावड़ियों को फिर से गहराकर जीवित किया जाए, इसके साथ जोहड़ बनाया जाए तथा नदियों को जिलाया जाए इत्यादि पुरानी विधियाँ बताई।

प्रश्न 4:
सूखी धरती में पानी लौटने के साथ और क्या-क्या परिवर्तन हुए?
उत्तर:
सूखी धरती में पानी लौटने से राजस्थान की पूरी तस्वीर ही बदल गईं। भू-जल स्तर उठने से कुएँ जल से भर गए, हरियाली वापस आ गई, धरती की उर्वरा शक्ति बढ़ गई, फसल चक्र बदल गया, अरावली की पहाड़ियों पर पुनः पेड़-पौधे उगने (UPBoardSolutions.com) लगे तथा जो लोग रोजी-रोटी की तलाश में गाँव से पलायन कर गए थे, वे वापस आ गए और अपने खेतों में खेती करने लगे।

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प्रश्न 5:
राजेन्द्र सिंह को मैगसेसे सम्मान क्यों दिया गया?
उत्तर:
जल संरक्षण के व्यापक प्रबन्ध के लिए राजेन्द्र सिंह को मैगसेसे सम्मान दिया गया।

प्रश्न 6:
रिमोट सेंसिंग तकनीक क्या है, इससे किस क्षेत्र में मदद मिलती है?
उत्तर:
इस तकनीक की मदद से उस जगह की पहचान की (UPBoardSolutions.com) जाती है जहाँ पर पानी इकट्ठा किया जा सकता है, उस तकनीक को रिमोट सेंसिंग कहते हैं।

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भाषा की बात.

प्रश्न 1:
सूखी धरती, सुखद उम्मीद, नंगे पहाड़ में क्रमशः सूखी, सुखद, नंगे शब्द “विशेषण’ हैं। जबकि धरती, उम्मीद और पहाड़ ‘विशेष्य’ हैं। इस प्रकार के पाँच अन्य विशेषण-विशेष्य
को इस पाठ से छाँटकर लिखिए।
उत्तर:
विशेषण                           विशेष्य
सूखी                                नदियाँ 
पाँच                                 नदियाँ
बाहरी                              व्यक्ति
स्थानीय                            प्रशासन
अनुभवी                             लोग

प्रश्न 2:
निम्नलिखित मुहावरों का अर्थ लिखकर वाक्य में प्रयोग कीजिए (प्रयोग करके)
उत्तर:
पानी लौट आया             – जलस्तर ऊपर उठना
वाक्य प्रयोग                   – तालाब, बाँध, बावड़ी और जोहड़ों (UPBoardSolutions.com) को गहरा खोदने तथा उनमें अधिक जल इकट्ठा करने से नदियों में पानी लौट आया।
चपेट में आना                – प्रभाव होना
वाक्य प्रयोग                  – राजस्थान के अनेक गाँव सूखे की चपेट में आ गए।
तस्वीर बदलना             – परिस्थिति बदल देना।
वाक्य प्रयोग                  – पानी आने से हरियाली छा गई और उजड़े गाँवों की तस्वीर बदल गई। नजरें टिकाना- गौर करना
वाक्य प्रयोग                  – लक्ष्य पर नजरें टिकाना अर्जुन से सीखा जा सकता है।
किला टूटना                 – हार होना।
वाक्य प्रयोग                  – सूखे के कारण गाँव वालों की उम्मीदों के किले टूट गए।
दिन फिरना                  – खुशी आना।
वाक्य प्रयोग                  – सूखी नदियों में पानी आ जाने से कृषकों के दिन फिर आए और भरपूर फसलें होने लगीं।

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प्रश्न 3:
स्थान शब्द में ‘ईय’ प्रत्यय लगा कर ‘स्थानीय’ शब्द बनता है। इसी प्रकार निम्नलिखित शब्दों में ईय प्रत्यय जोड़कर नया शब्द बनाइए (शब्द बनाकर )
उत्तर:
UP Board Solutions for Class 7 Hindi Chapter 20 एक संसद नदी की (मंजरी) image - 1

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प्रश्न 4:
‘प्रबन्धन’ में प्र’ उपसर्ग है। इसी प्रकार निम्नलिखित शब्दों में उपसर्ग (UPBoardSolutions.com) और मूल शब्द अलग-अलग कीजिए ( अलग-अलग करके)
उत्तर:
UP Board Solutions for Class 7 Hindi Chapter 20 एक संसद नदी की (मंजरी) image - 2

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UP Board Solutions for Class 9 Hindi Chapter 4 गिल्लू (गद्य खंड)

UP Board Solutions for Class 9 Hindi Chapter 4 गिल्लू (गद्य खंड)

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(विस्तृत उत्तरीय प्रश्न)

प्रश्न 1. निम्नांकित गद्यांशों में रेखांकित अंशों की सन्दर्भ सहित व्याख्या और तथ्यपरक प्रश्नों के उत्तर दीजिये –
(1) सोनजुही में आज एक पीली कली लगी है। उसे देखकर अनायास ही उस छोटे जीव का स्मरण हो आया, जो इस लता की सघन हरीतिमा में छिपकर बैठता था और फिर मेरे निकट पहुँचते ही कन्धे पर कूदकर मुझे चौंका देता था। तब मुझे कली की खोज रहती थी, पर आज उस लघुप्राणी की खोज है।
परन्तु वह तो अब तक इन सोनजुही की जड़ में मिट्टी होकर मिल गया होगा कौन जाने स्वर्णिम कली के बहाने वही मुझे चौंकाने ऊपर आ गया हो अचानक एक दिन सवेरे कमेर से बरामदे में आकर मैंने देखा, दो कौए एक गमले के चारों ओर चोंचों से छुवाछुवौवल-जैसा खेल खेल रहे हैं। यह कागभुशुण्डि भी विचित्र पक्षी है-एक साथ समादरित, अनादरित, अति सम्मानित, अति अवमानित।
प्रश्न
(1) उपर्युक्त गद्यांश का संदर्भ लिखिए।
(2) रेखांकित अंशों की व्याख्या कीजिए।
(3) गिल्लू को कहाँ समाधि दी गयी?
[शब्दार्थ-सोनजुही = पीले फूलोंवाली एक लता। अनायास = अचानक। सघन हरीतिमा = घनी हरियाली। लघुप्राणी = छोटे से जीव।]

उत्तर-

  1. सन्दर्भ- प्रस्तुत अवतरण पाठ्य-पुस्तक ‘हिन्दी गद्य’ में संकलित एवं महादेवी वर्मा द्वारा लिखित ‘गिल्लू’ नामक पाठ से अवतरित है। महादेवी जी को सोनजुही की लता में एक पीली कली को देखकर गिलहरी के बच्चे ‘गिल्लू’ की याद आ जाती है। लेखिका ने एक कोमल लघुप्राणी (गिलहरी) की प्रकृति का मानवीय संवेदना तथा समता के आधार पर चित्रण किया है।
  2. रेखांकित अंशों की व्याख्या- लेखिका कहती है कि सोनजुही की लता में मुझे जो एक पीली कली दिखायी दे रही है, उसको देखकर मुझे एक छोटे-से कोमल प्राणी गिलहरी के बच्चे ‘गिल्लू’ का संस्मरण हो रहा है। जिस प्रकार लताओं के बीच उसकी कली छिपी हुई है, ठीक उसी प्रकार गिल्लू भी उसी लता में छिपकर बैठता था। जब मैं लता के निकट कलियों एवं पुष्पों को लेने जाती थी, तो लता के बीच छिपा हुआ गिल्लू मेरे कंधे पर कूदकर मुझे अचानक चौंका देता था। वह इस जगत् से जीवन (UPBoardSolutions.com) समाप्त कर चुका है, किन्तु मेरी आँखें उसे आज भी खोज रही हैं। लेकिन अब वह इस सोनजुही की जड़ में मिट्टी होकर मिल गया होगा। शायद वह इसे स्वर्णिम कली के बहाने मुझे चौंकाने के लिए ऊपर आ गया हो। इसे कौन जान सकता है।
    एक दिन अचानक मैंने कमरे से बरामदे में आकर देखा कि दो कौए एक गमले में चोंचों से छुवा-छुवौवल का खेल खेल रहे हैं। धार्मिक ग्रन्थों में कौए का वर्णन ‘कागभुशुण्डि’ के नाम से किया गया है। बड़ा ही अद्भुत प्राणी है। लोक मानस में यह एक साथ विरोधी व्यवहार प्राप्त करता है। कभी यह अत्यधिक आदर प्राप्त करता है और कभी अनादर, कभी सम्मानित होता है और कभी अपमानित।
  3. गिल्लू की सोनजुही की लता के नीचे समाधि दी गयी।

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(2) मेरे पास बहुत-से पशु-पक्षी हैं और उनका मुझसे लगाव भी कम नहीं है, परन्तु उनमें से किसी को मेरे साथ मेरे थाली में खाने की हिम्मत हुई है, ऐसा मुझे स्मरण नहीं आता।
               गिल्लू इनमें अपवाद था। मैं जैसे ही खाने के कमरे में पहुँचती, वह खिड़की से निकलकर आँगन की दीवार, बरामदा पार करके मेज पर पहुँच जाता और मेरी थाली में बैठ जाना चाहता । बड़ी कठिनाई से मैंने उसे थाली के पास बैठना सिखाया, जहाँ बैठकर वह मेरी थाली में से एक-एक (UPBoardSolutions.com) चावल उठाकर बड़ी सफाई से खाता रहता । काजू उसका प्रिय खाद्य था और कई दिन काजू न मिलने पर वह अन्य खाने की चीजें या तो लेना बन्द कर देता था या झूले के नीचे फेंक देता था।
प्रश्न
(1) उपर्युक्त गद्यांश का संदर्भ लिखिए।
(2) रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए।
(3) गिल्लू को क्या बेहद पसंद था?

उत्तर- 

  1. सन्दर्भ- प्रस्तुत गद्यांश पाठ्य-पुस्तक ‘हिन्दी गद्य’ में संकलित एवं महादेवी वर्मा द्वारा लिखित ‘गिल्लू’ पाठ से उद्धृत है। प्रस्तुत अवतरण में गिल्लू के खान-पान का वर्णन है।
  2. रेखांकित अंशों की व्याख्या-लेखिका कहती है कि मेरे पास बहुत से पशु-पक्षी हैं। सभी के साथ मेरा असीम लगाव है, लेकिन किसी को मेरे साथ मेरी थाली में खाने की हिम्मत नहीं हुई। गिल्लू इसका अपवाद था। मैं खाना खाने के लिए जैसे ही मेज के पास जाती गिल्लू (UPBoardSolutions.com) कूद-फाँदकर खाने की मेज पर पहुँच जाता और मेरी थाली में बैठना चाहता। मैंने बड़ी मुश्किल से उसे थाली के पास बैठना सिखाया। उसके बाद गिल्लू मेरी थाली के पास बैठकर एक-एक चावल निकालकर खाता था। काजू उसे बेहद पसंद था। यदि कई दिन काजू न मिले तो अन्य चीजें भी खाना बन्द कर देता था। या झूले, के नीचे गिरा देता था।
  3. गिल्लू को काजू बेहद पसंद था।

(3) मेरी अस्वस्थता में वह तकिये पर सिरहाने बैठकर अपने नन्हें-नन्हें पंजों से ये मेरे सिर और बालों को इतने हौले-हौले सहलाता रहता कि उसका हटना एक परिचारिका के हटने के समान लगता।
          गर्मियों में जब मैं दोपहर में काम करती रहती तो गिल्लू ने बाहर जाता, न अपने झूले में बैठता। उसने मेरे निकट रहने के साथ गर्मी से बचने का एक सर्वथा नया उपाय खोज निकाला था। वह मेरे पास रखी सुराही पर लेट जाता और इस प्रकार समीप भी रहता और ठण्डक में भी रहता।
          गिलहरियों के जीवन की अवधि दो वर्ष से अधिक नहीं होती, अत: गिल्लू की जीवन-यात्रा का अन्त आ ही गया। दिनभर उसने न कुछ खाया और न बाहर गया। रात में अन्त की यातना में भी वह अपने झूले से उतरकर मेरे बिस्तर पर आया और ठण्डे पंजों से मेरी वही उँगली पकड़कर हाथ से चिपक गया, जिसे उसने अपने बचपन की मरणासन्न स्थिति में पकड़ा था।
          पंजे इतने ठण्डे हो रहे थे कि मैंने जागकर हीटर जलाया और उसे उष्णता देने का प्रयत्न किया, परन्तु प्रभात की प्रथम किरण के स्पर्श के साथ ही वह किसी और जीवन में जागने के लिए सो गया ।
प्रश्न
(1) उपर्युक्त गद्यांश का संदर्भ लिखिए।
(2) रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए।
(3) गिल्लू गर्मी से बचने के लिए किस पर लेट जाता था?

उत्तर-

  1. सन्दर्भ- प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘हिन्दी गद्य’ में संकलित एवं महादेवी वर्मा द्वारा लिखित ‘गिल्लू’ नामक पाठ से अवतरित है। प्रस्तुत अवतरण में लेखिका ने बताया है कि यदि मैं घर पर रहती तो गिल्लू सदैव मेरे निकट ही रहना चाहता था।
  2. रेखांकित अंशों की व्याख्या- लेखिका कहती है कि गर्मियों में जब मैं अपने लिखने-पढ़ने में व्यस्त रहती तो गिल्लू न बाहर जाता था और न ही अपने झूले पर जाता था। वह सदैव मेरे करीब ही रहता था। गिल्लू गर्मी से बचने के लिए मेरे पास रखी सुराही पर लेट जाता था। इस तरह वह एक पल भी मुझसे अलग नहीं होना चाहता था।
    गिलहरियों की जीवनावधि बहुत अल्प होती है, मुश्किल से दो वर्ष । इसलिए जब गिल्लू की जीवन-यात्रा का न्त करीब आया तो उसने दिनभर ने कुछ (UPBoardSolutions.com) खाया-पिया और न ही बाहर गया। रात में अपने झूले से उतरकर मेरे बिस्तर पर आ और मेरी उँगली पकड़कर मेरे हाथ से चिपक गया जिसे उसने अपने बचपन की मरणासन्न स्थिति में पकड़ा था। उसका शरीर अल ठण्डा पड़ गया था। मैंने हीटर जलाकर उसे गर्मी प्रदान करने का प्रयास किया लेकिन गिल्लू का अन्त तो करीब था। प्रात:कानते ही उसने इस संसार से विदा ले ली।
  3. गिल्लू गर्मी से बचने के लिए सुराही पर लेट जाता था।

प्रश्न 2. महादेवी वर्मा का जीवन-परिचय एवं कृतियों का उल्लेख कीजिए।

प्रश्न 3. महादेवी वर्मा के जीवन एवं साहित्यिक परिचय को अपने शब्दों में लिखिए।

प्रश्न 4. महादेवी वर्मा के साहित्यिक परिचय एवं भाषा-शैली पर प्रकाश डालिए।

प्रश्न 5. महादेवी वर्मा के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डालिए।
अथवा महादेवी वर्मा को साहित्यिक परिचय देते हुए उनकी रचनाओं का उल्लेख कीजिए।

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महादेवी वर्मा
( स्मरणीय तथ्य )

 जन्म-सन् 1907 ई०। मृत्यु-सन् 1987 ई०। जन्म-स्थान-फर्रुखाबाद। पिता- गोविन्दप्रसाद वर्मा। माता- श्रीमती हेमरानी।। शिक्षा- एम० ए०। पति-रूपनारायण किन्तु परित्यक्ता।
अन्य बातें – ‘चाँद’ पत्र का सम्पादन, ‘साहित्य संसद्’ की स्थापना ।
काव्यगत विशेषताएँ- छायावादी, रहस्यवादी रचनाएँ, वेदना की प्रधानता। 

  • जीवन-परिचय- श्रीमती महादेवी वर्मा का जन्म फर्रुखाबाद जिले के एक सम्पन्न कायस्थ परिवार में अन् 1907 ई० में हुआ था। इनकी प्रारम्भिक शिक्षा इन्दौर में हुई । प्रयोग विश्वविद्यालय से संस्कृत में एम० ए० करने ३, वात् ये प्रयाग महिला विद्यापीठ में प्रधानाचार्या हो गयीं। तब से अन्त तक इसी पद पर कार्य किया। बीच में कुछ वषों 1: आपने चाँद” नामक मासिक पत्रिका का भी सम्पादन किया था। इन्हें ‘सेकसरिया’ एवं ‘मंगलाप्रसाद पुरस्कार’ भी प्राप्त हो चुके हैं। इनकी विद्वता पर भारत (UPBoardSolutions.com) सरकार ने इन्हें ‘पद्मभूषण’ की उपाधि से अलंकृत किया है। ये उत्तर प्रदेश विज्ञान परिषद् की सम्मानित सदम्या भी रह चुकी हैं। सन् 1987 में इनका देहावसान हो गया था।
  • कृतियाँ- महादेवी जी का कृतित्व गुणात्मक दृष्टि से तो अति समृद्ध है ही, परिमाण की दृष्टि से भी कम नहीं है। इनकी प्रम् । रचनाएँ निम्नलिखित हैं ‘क्षणदा’, ‘ श्रृंखला की कड़ियाँ’, ‘साहित्यकार की आस्था तथा निबन्ध’ उनके प्रसिद्ध निबन्ध-संग्रह हैं। ‘अतीत के चलचित्र’, ‘पथ के साथी’, ‘स्मृति की रेखाएँ’, ‘मेरा परिवार’ उनके संस्मरणों और रेखाचित्रों के संग्रह हैं। ‘हिन्दी का विवेचनात्मक गद्य’ और काव्य-ग्रन्थों की भूमिकाओं तथा फुटकर आलोचनात्मक निबन्धों में उनका सजग आलोचक-रूप व्यक्त हुआ है। | ‘नीहार’, ‘रश्मि’, ‘नीरजा’, ‘सांध्यगीत’, ‘यामा’, ‘दीपशिखा’ आदि उनके कविता-संग्रह हैं। ‘चाँद’ और ‘ आधुनिक कवि’ का उन्होंने सम्पादन किया। |
  • साहित्यिक परिचय- महादेवी जी का मुख्य साहित्यिक क्षेत्र काव्य है तथापि ये उच्चकोटि की गद्य रचनाकार भी हैं। एक ओर जहाँ वे विशिष्ट गम्भीर शैली में आलोचनाएँ लिख सकती हैं, दूसरी ओर ‘ श्रृंखला की कड़ियाँ’ में विवेचनात्मक गद्य भी प्रस्तुत कर सकती हैं। इन्होंने नारी-जगत् की समस्याओं को प्राय: अपने निबन्धों का वर्ण्य-विषय बनाया है। पथ के साथी’ में कुछ प्रमुख (UPBoardSolutions.com) साहित्यकारों के ‘अतीत के चलचित्र’ एवं ‘स्मृति की रेखाओं में मार्मिक रेखाचित्र प्रस्तुत किया है। मेरा परिवार में कुछ पालतू पशु-पक्षियों के शब्द-चित्र बड़ी ही मार्मिक शैली में चित्रित किये गये हैं। महादेवी जी के काव्य में आध्यात्मिक वेदना का पुट है। इनका काव्य वर्णनात्मक और इतिवृत्तात्मक न होकर गीतिकाव्य है जिसमें लाक्षणिकता और व्यंजकता का बाहुल्य है।
  • भाषा शैली– महादेवी की भाषा शुद्ध खड़ीबोली है, जिसमें संस्कृत के तत्सम शब्दों का प्रयोग हुआ है। भाषा में का मक चित्रमयता सर्वत्र देखने योग्य है। इनकी गद्य रचनाओं में भी काल की चित्रमयता, मधुरता एवं कल्पनाशीलता विद्यमान रहती है जिसमें पाठकों को एक अनोखी आत्मीयता के दर्शन होते हैं। शब्दों का चयन एवं वाक्य-विन्यास अत्यन्त ही कलात्मक है। गद्य में लाक्षणिकता के पुट से एक मधुर व्यंग्य की सृष्टि होती है। भाषा संस्कृतनिष्ठ होने पर भी उसमें शुष्कता और दुर्बोधता का अभाव है। भावों की अभिव्यक्ति में आपको अद्वितीय सफलता मिली है।

उदाहरण

  1. विवरणात्मक शैली- “हिमालय के प्रति मेरी आसक्ति जन्मजात है। इसके पर्वतीय अंचलों में मौन हिमानी और मुखर निर्झरी, निर्जन वन और कलेवर भरे आकाश वाला रामगढ़ मुझे विशेष रूप से आकर्षित करता रहा है।” – प्रणाम
  2. विवेचनात्मक शैली- ”महान् साहित्यकार अपनी कृति में इस प्रकार व्याप्त रहता है कि उसे कृति से पृथक् रखकर देखना उसके व्यक्तिगत जीवन की सब रेखाएँ जोड़ लेना ही कष्टसाध्य होता है। एक के तौलने में दूसरा तुल जाता और दूसरे को नापने में पहला नप जाता है।” – प्रणाम
  3. आत्मव्यंजक शैली- “मेरे काक पुराण के विवेचन में अचानक बाधा आ पड़ी क्योंकि गमले और दीवार की सन्धि में छिपे एकें छोटे-से जीव पर मेरी दृष्टि गयी। निकट आकर देखा, गिलहरी का छोटा बच्चा है।”   -गिल्लू

( लघु उत्तरीय प्रश्न )

प्रश्न 1. इस पाठ से लेखिका के स्वभाव आदि के बारे में आपको क्या-क्या ज्ञात होता है?
उत्तर- इस पाठ से लेखिका के स्वभाव के बारे में जानकारी मिलती है कि लेखिका का स्वभाव दयालु है। वह जीवजन्तुओं पर दया करती है। गिल्लू का उन्होंने घायलावस्था में (UPBoardSolutions.com) उपचार किया। उसको वह अपने साथ भोजन कराती थी। गिल्लू परिवार का सदस्य जैसा था।

प्रश्न 2. लेखिका ने अपनी रचनाओं में किन-किन शैलियों का प्रयोग किया है?
उत्तर- लेखिका में अपनी रचनाओं में चित्रोपमे वर्णनात्मक शैली, विवेचनात्मक शैली, मात्रात्मक शैली, व्यंग्यात्मक शैली, आलेकारिक शैली; ‘सूक्ति शैली, ‘उद्धरण शैलियों का प्रयोग किया है।

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प्रश्न 3. गिल्लू कौन था? उसकी विशेषताओं को अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर- गिल्लू एक जीव था। वह बहुत ही जानकार था। वह लेखिका की थाली में बैठकर खाना खाता था। जब गिल्लू को भूख लगती थी तो वह चिक-चिक की आवाज करता था। काजू उसे बेहद पसन्द था। यदि उसे काजू नहीं मिलता था तो पिंजड़े में रखी दूसरी चीजें वह गिरा देता था।

प्रश्न 4. महादेवी वर्मा को ‘विरह की गायिका’ के रूप में आधुनिक मीरा’ किस आधार पर कहा जाता है? स्पष्ट | कीजिए।
उत्तर- रहस्यवाद एवं प्रकृतिवाद पर आधारित इनको छायावादी साहित्य हिन्दी साहित्य की अमूल्य विरासत के रूप में स्वीकार किया जाता है। विरह की गायिका के रूप में महादेवी जी को आधुनिक मीरा कहा जाता है। महादेवी जी के कुशल सम्पादन के परिणामस्वरूप ही ‘चाँद’ पत्रिका नारी जगत् की सर्वश्रेष्ठ पत्रिका बन सकी।

प्रश्न 5. लेखिका ने कौए को समादरित, अनादरित, अतिसम्मानित तथा अतिअवमानित क्यों कहा है?
उत्तर- पितृपक्ष में कौए का महत्त्व बढ़ जाता है। इसके अतिरिक्त किसी प्रियजन के आने की सूचना अपने कर्कश स्वर में देता है। इसलिए यह समादरित और अति (UPBoardSolutions.com) सम्मानित है। हम कौए के काँव-काँव करने को अवमानना के अर्थ में ही प्रयुक्त करते हैं इसलिए अनादरित और अतिअवमानित है।

प्रश्न 6. गिल्लू को लेखिका ने किन परिस्थितियों में प्राप्त किया?
उत्तर- लेखिका की गमले और दीवार की सन्धि में छिपे एक छोटे-से जीव पर दृष्टि गयी। निकट जाकर देखा, उसमें गिलहरी का एक छोटा-सा बच्चा था, जो सम्भवतः घोंसले से गिर पड़ा था। कौए उस पर चोंच से प्रहार कर रहे थे। ऐसी स्थिति में लेखिका ने उसे आश्रय दिया।

प्रश्न 7. गिल्लू के किन-किन व्यवहारों से पता चलता है कि वह समझदार प्राणी था?
उत्तर- भूख लगने पर गिल्लू चिक-चिक करके सूचना देता था। काजू और बिस्कुट मिल जाने पर पंजे से पकड़कर कुतरकुतर कर खाता । लेखिका कहती है कि जब मैं खाने की मेज पर बैठती तो गिल्लू थाली के पास आकर बैठ जाता और एक-एक चावल मेरी थाली से निकालकर खाता। गर्मी के मौसम में गर्मी से बचने के लिए कमरे में रखी मेरी सुराही पर लेट जाता। इससे यह मालूम होता है कि गिल्लू एक समझदार प्राणी था।

प्रश्न 8. गिल्लू पाठ से दस सुन्दर वाक्य लिखिए।
उत्तर- सोनजुही में आज एक पीली कली लगी है। हमारे बेचारे पुरखे न गरुड़ के रूप में आ सकते हैं, न मयूर के, न हंस । के। मैं उसे गिल्लू कहकर बुलाने लगी। भूख लगने पर वह चिक-चिक की आवाज करती। काजू या बिस्कुट मिल जाने पर पंजे से पकड़कर उसे कुतरता रहता था। फिर (UPBoardSolutions.com) गिल्लू के जीवन का प्रथम बसन्त आया। नीम-चमेली की गन्ध मेरे कमरे में हौले-हौले आने लगी। मेरे पास बहुत से पशु-पक्षी थे। गिल्लू इनमें अपवाद था। जब मैं खाने की मेज पर बैठती तो गिल्लू मेरी थाली के पास बैठ जाता और थाली में से एक-एक चावल निकालकर कुतरता रहता। मेरे साथ खाने की हिम्मत अन्य पशु-पक्षियों की कभी नहीं हुई। काजू गिल्लू का प्रिय खाद्य था। कई दिन तक काजू न मिलने पर वह अन्य खाने की चीजें या तो लेना बन्द कर देता था या झूले के नीचे फेंक देता था।

प्रश्न 9. लेखिका के किन व्यवहारों से ज्ञात होता है कि गिल्लू को वह अपने परिवार के एक सदस्य की तरह मानती थी?
उत्तर- लेखिका गिल्लू को अपने परिवार के सदस्य की तरह थाली में खाना खिलाती थी। उसे बिस्कुट और काजू खिलाती थी।

प्रश्न 10. अपने किसी पालतू जन्तु के विषय में वर्णन कीजिए।
उत्तर- मेरे पास एक नेवला है। यह बहुत ही जानकार जन्तु है। यह पूरे घर में टहलता रहता है। जब मैं घर से बाहर निकलता हूँ तो यह भी मेरे साथ निकल पड़ता है। यह घर के आस-पास कीड़े-मकोड़ों को खाता रहता है। नेवले के कारण घर के आस-पास सर्प का भय नहीं होता है।

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. महादेवी वर्मा की दो रेखाचित्र कृतियों का नामोल्लेख कीजिए।
उत्तर- ‘स्मृति की रेखाएँ’ और ‘अतीत के चलचित्र’ महादेवी वर्मा के दो रेखाचित्र हैं।

प्रश्न 2. निम्नलिखित में से सही वाक्य के सम्मुख सही (√) का चिह्न लगाइए –
(अ) गिल्लू तीन वर्ष तक महादेवी जी के घर में रहा।                  (×)
(ब) गिल्लू महादेवी जी के साथ उनकी थाली में भी खाता था।     (√)
(स) गिल्लू को कौए ने मार डाला था।                                         (×)
(द) सोनजुही की लता के नीचे गिल्लू को समाधि दी गयी।           (√)

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प्रश्न 3. महादेवी वर्मा किस युग की लेखिका थीं?
उत्तर- महादेवी वर्मा शुक्लोत्तर युग की लेखिका थीं। 

प्रश्न 4. गिलहरियों के जीवन की अवधि कितने वर्ष की होती है?
उत्तर- गिलहरियों के जीवन की अवधि दो वर्ष की होती है।

प्रश्न 5. ‘गिल्लू’ नामक पाठ महादेवी जी की किस कृति से लिया गया है?
उत्तर- ‘गिल्लू’ नामक पाठ महादेवी जी द्वारा लिखित ‘मेरा परिवार’ नामक पुस्तक से लिया गया है।

व्याकरण-बोध

प्रश्न 1.‘समादरित’ शब्द का सन्धि-विच्छेद करते हुए सन्धि का नाम बताइए –
उत्तर- समादरित – सम + आदरित – दीर्घ सन्धि

प्रश्न 2. वाक्य-विश्लेषण कीजिए –
यह कागभुशुण्डि भी विचित्र पक्षी है-एक साथ समादरित, अनादरित, अति सम्मानित, अति अवमानित।
उत्तर- कागभुशुण्डि एक ऐसा विचित्र पक्षी है जिसका आदर भी होता है, अनादर भी होता है, जो सम्मानित भी होता है और अपमानित भी।

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प्रश्न 3. निम्नलिखित शब्दों का वाक्य-प्रयोग कीजिए –
गिल्लू, सोनजुही, बसंत, जाली, काजू, गिलहरी।
उत्तर-

  • गिल्लू – महादेवी वर्मा ने जिस गिलहरी को पाला था उसका नाम गिल्लू रखा।
  • सोनजुही- सोनजुही में एक पीली कली लगी है।
  • बसंत- बसंत का मौसम अत्यन्त प्यारा होता है।
  • जाली- गिल्लू काजू न पाने पर अन्य चीजें काट-काटकर जाली से गिरा देता था।
  • काजू- गिल्लू को काजू बहुत पसन्द था।
  • गिलहरी- गिलहरी की अवधि दो वर्ष होती है।

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