UP Board Solutions for Class 12 Computer Chapter 2 ऑपरेटिंग सिस्टम

UP Board Solutions for Class 12 Computer Chapter 2 ऑपरेटिंग सिस्टम are part of UP Board Solutions for Class 12 Computer. Here we have given UP Board Solutions for Class 12 Computer Chapter 2 ऑपरेटिंग सिस्टम.

Board UP Board
Textbook NCERT
Class Class 12
Subject Computer
Chapter Chapter 2
Chapter Name ऑपरेटिंग सिस्टम
Number of Questions Solved 21
Category UP Board Solutions

UP Board Solutions for Class 12 Computer Chapter 2 ऑपरेटिंग सिस्टम

बहुविकल्पीय प्रश्न (1 अंक)

प्रश्न 1
निम्न में से ऑपरेटिंग सिस्टम का कौन-सा प्रकार सर्वाधिक धीमी गति से कार्य करता है? [2014]
(a) मल्टीटास्किंग ऑपरेटिंग सिस्टम
(b) बैच ऑपरेटिंग सिस्टम
(c) टाइम शेयरिंग ऑपरेटिंग सिस्टम
(d) नेटवर्क ऑपरेटिंग सिस्टम
उत्तर:
(b) बैच ऑपरेटिंग सिस्टम

प्रश्न 2
निम्न में से कौन-सा ऑपरेटिंग सिस्टम नहीं है? [2018]
(a) Sun
(b) Linux
(c) Windows
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(d) इनमें से कोई नहीं

प्रश्न 3
वी एम एस (VMS) किस ऑपरेटिंग सिस्टम का उदाहरण है?
(a) मल्टी यूजर ऑपरेटिंग सिस्टम
(b) बैच ऑपरेटिंग सिस्टम
(c) सिंगल यूजर ऑपरेटिंग सिस्टम
(d) रियल टाइम ऑपरेटिंग सिस्टम
उत्तर:
(a) मल्टी यूजर ऑपरेटिंग सिस्टम

प्रश्न 4
सिंगल टास्किंग ऑपरेटिंग सिस्टम है।
(a) विण्डोज
(b) Mac OS
(c) पॉम
(d) MS-Windows 3X
उत्तर:
(c) पॉम

प्रश्न 5
यूनिक्स पर आधारित ऑपरेटिंग सिस्टम कौन-सा है?
(a) यूनिक्स
(b) लाइनक्स
(c) एम एस विण्डोज
(d) सोलेरिस
उत्तर:
(b) लाइनक्स

प्रश्न 6
पर्सनल कम्प्यूटर के लिए आजकल सर्वाधिक लोकप्रिय ऑपरेटिंग सिस्टम कौन-सा है? [2013]
(a) OS/2
(b) SUN
(c) MS-DOS
(d) MS-Windows
उत्तर:
(d) MS-Windows

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न (1 अंक)

प्रश्न 1:
ऑपरेटिंग सिस्टम को परिभाषित कीजिए। [2007]
उत्तर:
ऑपरेटिंग सिस्टम (Operating System, OS) एक ऐसा सॉफ्टवेयर है, जो यूजर (कम्प्यूटर पर कार्य करने वाला व्यक्ति), एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर और कम्प्यूटर हार्डवेयर के बीच संवाद (Communication) स्थापित करता है।

प्रश्न 2
ऑपरेटिंग सिस्टम के कोई दो कार्य लिखिए।
उत्तर:
आपरेटिंग सिस्टम के निम्न दो कार्य इस प्रकार हैं

  1. प्रोसेसिंग प्रबन्धन
  2. फाइल प्रबन्धन

प्रश्न 3
मेमोरी प्रबन्धन में ऑपरेटिंग सिस्टम का क्या कार्य है?
उत्तर:
प्रोग्राम के सफल निष्पादन के लिए ऑपरेटिंग सिस्टम मैमोरी प्रबन्धन का कार्य करता है।

प्रश्न 4
मल्टी यूजर ऑपरेटिंग सिस्टम को परिभाषित कीजिए। [2015, 09]
उत्तर:
मल्टी यूजर ऑपरेटिंग सिस्टम एक समय में एक से अधिक उपयोगकर्ता को कार्य करने की अनुमति देता है।

प्रश्न 5
किन्हीं दो ऑपरेटिंग सिस्टम के उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
(i) लाइनक्स
(ii) एम एस डॉस

प्रश्न 6
PC में प्रयोग होने वाले OS का उदाहरण दीजिए। [2015]
उत्तर:
एम एस विण्डोज

लघु उत्तरीय प्रश्न I (1 अंक)

प्रश्न 1
ऑपरेटिंग सिस्टम कम्प्यूटर के लिए क्यों आवश्यक है? इसके प्रमुख कार्य लिखिए। [2011]
अथवा
ऑपरेटिंग सिस्टम का मुख्य उद्देश्य बताइए। [2017]
उत्तर:
ऑपरेटिंग सिस्टम, एक ऐसा सॉफ्टवेयर है जो यूजर, कम्प्यूटर के हार्डवेयर तथा सॉफ्टवेयर के मध्य संवाद स्थापित करता है। ऑपरेटिंग सिस्टम सॉफ्टवेयर को मैनेज करने, प्रोसेस करने, संरक्षण (Protection) आदि में मुख्य भूमिका निभाता है, इसलिए कम्प्यूटर के लिए यह अति आवश्यक है।

ऑपरेटिंग सिस्टम के कार्य निम्न हैं।

  1. प्रोसेसिंग प्रबन्धन
  2. मेमोरी प्रबन्धन
  3. फाइल प्रबन्धन
  4. इनपुट-आउटपुट युक्ति प्रबन्धन
  5. सुरक्षा प्रबन्धन
  6. कम्यूनिकेशन

प्रश्न 2
ऑपरेटिंग सिस्टम की आवश्यकताएँ लिखिए।
उत्तर:
ऑपरेटिंग सिस्टम की आवश्यकताएँ निम्नलिखित हैं।

  1. यह उपयोगकर्ता के कार्यों व फाइलों को सुरक्षा प्रदान करता है।
  2. यह प्रोग्राम के क्रियान्वयन पर नियन्त्रण रखता है।
  3. इसके द्वारा यूजर्स कम्प्यूटर के विभिन्न भागों का उचित रूप से प्रयोग कर सकते हैं।
  4. यह यूजर व कम्प्यूटर के मध्य सम्बन्ध स्थापित करता है।

प्रश्न 3
प्रचालन तन्त्र (ऑपरेटिंग सिस्टम) के प्रकार की व्याख्या कीजिए। [2016]
उत्तर:
ऑपरेटिंग सिस्टम के प्रकार निम्न हैं।

  1. बैच ऑपरेटिंग सिस्टम
  2. सिंगल यूजर ऑपरेटिंग सिस्टम
  3. मल्टी यूजर ऑपरेटिंग सिस्टम
  4. सिंगल टास्किंग ऑपरेटिंग सिस्टम
  5. मल्टीटास्किंग ऑपरेटिंग सिस्टम
  6. टाइम शेयरिंग ऑपरेटिंग सिस्टम
  7. रियल टाइम ऑपरेटिंग सिस्टम
  8. डिस्ट्रीब्यूटीड ऑपरेटिंग सिस्टम

प्रश्न 4
मल्टीप्रोग्राम ऑपरेटिंग सिस्टम का संक्षिप्त वर्णन कीजिए। [2017]
उत्तर:
मल्टीप्रोग्राम ऑपरेटिंग सिस्टम में, मुख्य मेमोरी में एक या अधिक प्रोग्राम लोड होते है, जो एक्जीक्यूशन के लिए तैयार होते हैं। एक समय में, केवल एक प्रोगाम सीपीयू को अपने निर्देशों को एक्जीक्युट करने में सक्षम होता है, जबकि अन्य सभी अपनी बारी का इन्तजार कर रहे होते हैं। मल्टीप्रोग्रामिंग का मुख्य उद्देश्य (CPU) समय के उपयोग को अधिकतम करना है।

लघु उत्तरीय प्रश्न II (3 अंक)

प्रश्न 1
ऑपरेटिंग सिस्टम क्या है? उदाहरण सहित टाइम शेयरिंग ऑपरेटिंग सिस्टम को समझाइए। [2006]
उत्तर:
ऑपरेटिंग सिस्टम (Operating System, OS) एक ऐसा सॉफ्टवेयर है, जो यूजर (कम्प्यूटर पर कार्य करने वाला व्यक्ति) एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर और कम्प्यूटर हार्डवेयर के बीच संवाद (Communication) स्थापित करता है। ऑपरेटिंग सिस्टम, कम्प्यूटर तथा यूजर के मध्य सम्बन्ध स्थापित करने का भी कार्य करता है। ऑपरेटिंग सिस्टम कम्प्यूटर के विभिन्न क्रियाकलापों (Activities); जैसे-मेमोरी, प्रोसेसर, फाइल सिस्टम तथा अन्य इनपुट-आउटपुट डिवाइसों का संचालन (0peration) करता है।
टाइम शेयरिंग ऑपरेटिंग सिस्टम इस प्रकार के ऑपरेटिंग सिस्टम में एक साथ एक से अधिक उपयोगकर्ता या प्रोग्राम कम्प्यूटर के संसाधनों का प्रयोग करते हैं। इस कार्य में, कम्प्यूटर अपने संसाधनों के प्रयोग हेतु प्रत्येक उपयोगकर्ता को समय का एक भाग आवण्टित करते हैं। सीपीयू सभी यूजर्स के कार्य को उनके आवण्टित समय में क्रमानुसार सम्पन्न करता है।
उदाहरण: Mac OS

प्रश्न 2
रियल टाइम ऑपरेटिंग सिस्टम को विस्तार से समझाइए।
उत्तर:
रियल टाइम ऑपरेटिंग सिस्टम एक ऐसा मल्टीटास्किंग ऑपरेटिंग सिस्टम है, जिसमें रियल टाइम एप्लीकेशन्स का क्रियान्वयन (Execution) किया जाता। है। इसमें एक प्रोग्राम के आउटपुट को दूसरे प्रोग्राम के आउटपुट की तरह प्रयोग किया जाता है। यह दो प्रकार के होते हैं।

  • हार्ड रियल टाइम सिस्टम ये सिस्टम किसी महत्त्वपूर्ण कार्य को करने की गारण्टी देते हैं और समय पर कार्य पूरा न होने की स्थिति में प्रोग्राम का क्रियान्वयन (Execution) फेल कर दिया जाता है।
  • सॉफ्ट रियल टाइम सिस्टम इसमें किसी कार्य को करने की डेडलाइन दी जाती है, परन्तु कार्य का निष्पादन डेडलाइन से पहले और बाद में भी पूरा हो। सकता है और इस स्थिति में कार्य का निष्पादन फेल नहीं होता।

प्रश्न 3
निम्न पर टिप्पणी लिखिए।
(i) यूनिक्स
(ii) एम एस डॉस
(iii) लाइनक्स
उत्तर:
(i) यूनिक्स यह एक मल्टीटास्किंग व मल्टी यूजर ऑपरेटिंग सिस्टम है, जिसे AT & T Bell लैब में रिची एवं थॉमसन नामक इंजीनियरों ने विकसित किया था। यह स्थिर, मल्टीयूजर, मल्टीटास्किंग सिस्टम में प्रयोग किया जाता है।
(ii) लाइनक्स यह यूनिक्स पर आधारित ऑपरेटिंग सिस्टम है, जिसको सन्1991 में लीनस टोरवॉल्ड्स ने विकसित किया था। यह एक ओपन सोर्स सॉफ्टवेयर है तथा सभी प्रकार के कम्प्यूटर पर चल सकता है। इसका प्रयोग मुख्यतः सर्वर के लिए होता हैं।
(iii) एम एस डॉस यह एक सिंगल यूजर जुलाई, 1981 में माइक्रोसॉफ्ट द्वारा विकसित ऑपरेटिंग सिस्टम है। यह एक नॉन-ग्राफिकल, कमाण्ड लाइन बेस्ड सिस्टम है। यह यूजर फ्रेंडली नहीं है, क्योंकि इसमें कमाण्ड याद रखनी पड़ती है।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (5 अंक)

प्रश्न 1
ऑपरेटिंग सिस्टम क्या है? इसके द्वारा किए जाने वाले कार्यों का वर्णन कीजिए। [2005]
अथवा
प्रचालन तन्त्र (ऑपरेटिंग सिस्टम) का अर्थ समझाइए [2008]
उत्तर:
ऑपरेटिंग सिस्टम या प्रचालन तन्त्र एक ऐसा सॉफ्टवेयर है जो मानव, एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर और कम्प्यूटर हार्डवेयर के बीच संवाद स्थापित करता है। ऑपरेटिंग सिस्टम, सिस्टम सॉफ्टवेयर का एक महत्त्वपूर्ण प्रकार है। इसके बिना कम्प्यूटर से कार्य नहीं किया जा सकता। यह सीपीयू से मिलने वाले सिग्नल्स को कम्प्यूटर के विभिन्न भागों तक पहुँचाता है तथा उन्हें नियन्त्रित करता है। ऑपरेटिंग सिस्टम कम्प्यूटर तथा यूजर के मध्य सम्बन्ध स्थापित करने का भी कार्य करता है। ऑपरेटिंग सिस्टम को कण्ट्रोल प्रोग्राम भी कहा जाता है, क्योंकि ये कम्प्यूटर सिस्टम तथा उसकी गतिविधियों को नियन्त्रित करता है।

ऑपरेटिंग सिस्टम द्वारा किए जाने वाले कार्य
यह कम्प्यूटर के सफल संचालन की प्रक्रिया में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। इसके द्वारा किए जाने वाले कार्य निम्न प्रकार हैं।

(i) प्रोसेसिंग प्रबन्धन कम्प्यूटर के सीपीयू के प्रबन्धन का कार्य ऑपरेटिंग सिस्टम ही करता है।
(ii) मेमोरी प्रबन्धन प्रोग्राम के सफल निष्पादन के लिए ऑपरेटिंग सिस्टम मेमोरी प्रबन्धन का अत्यन्त ही महत्त्वपूर्ण कार्य करता है, जिसके अन्तर्गत मेमोरी में कुछ स्थान सुरक्षित रखे जाते हैं, जिनका विभाजन प्रोग्रामों के मध्य किया जाता है तथा साथ ही यह भी ध्यान में रखा जाता है कि प्रोग्रामों को मेमोरी के अलग-अलग स्थान प्राप्त हो सकें।
(iii) इनपुट-आउटपुट युक्ति प्रबन्धन डाटा को इनपुट युक्ति से पढ़कर मेमोरी में उचित स्थान पर संग्रहीत करने एवं प्राप्त परिणाम को मेमोरी में आउटपुट यूनिट तक पहुँचाने का कार्य ऑपरेटिंग सिस्टम का ही होता है। प्रोग्राम लिखते समय कम्प्यूटर केवल यह बताता है कि हमें क्या इनपुट करना है और क्या आउटपुट लेना है, बाकि का कार्य ऑपरेटिंग सिस्टम ही करता है।
(iv) फाइल प्रबन्धन ऑपरेटिंग सिस्टम फाइलों को एक सुव्यवस्थित ढंग से किसी डायरेक्टरी में स्टोर करने की सुविधा प्रदान करता है। किसी प्रोग्राम के निष्पादन के समय इसे सेकेण्डरी मेमोरी से पढ़कर प्राइमरी मेमोरी में भेजने का कार्य भी ऑपरेटिंग सिस्टम ही करता है।
(v) सुरक्षा प्रबन्धन जब मल्टी यूजर तथा मल्टीप्रोग्रामिंग सिस्टम प्रयोग में होते हैं, उस समय सैकड़ों की संख्या में प्रोग्राम क्रिया में होते हैं, ऐसे में उन प्रोग्रामों और उनके डाटा की सुरक्षा व्यवस्था एक जटिल कार्य है। ऑपरेटिंग सिस्टम इस बात को सुनिश्चित करता है कि एक गलत तरीके से रन हुआ प्रोग्राम किसी अन्य प्रोग्राम को प्रभावित न करे।
(vi) कम्युनिकेशन ऑपरेटिंग सिस्टम का महत्त्वपूर्ण कार्य नेटवर्किंग के माध्यम से एक यूजर सिस्टम का दूसरे यूजर सिस्टम से कम्यूनिकेशन की सुविधा प्रदान करना है।

प्रश्न 2
कुछ सर्वाधिक प्रचलित पर्सनल कम्प्यूटर ऑपरेटिंग सिस्टम की संक्षिप्त जानकारी दीजिए। [2012]
उत्तर:
सर्वाधिक प्रचलित पर्सनल कम्प्यूटर ऑपरेटिंग सिस्टम इस प्रकार है।

  1. यूनिक्स यह एक मल्टीटास्किंग व मल्टी यूजर ऑपरेटिंग सिस्टम है, जिसे AT & T Bell लैब में वर्ष 1969 में रिची एवं थॉमसन नामक इंजीनियरों द्वारा विकसित किया गया था। इस ऑपरेटिंग सिस्टम को सर्वर तथा वर्क स्टेशन दोनों में प्रयोग किया जा सकता है। इसमें डाटा प्रबन्धन का कार्य कर्नेल द्वारा होता है।
  2. लाइनक्स यह यूनिक्स का अधिक विकसित संस्करण (Edition) है। यह ऑपरेटिंग सिस्टम सन् 1991 में लीनस टोरवॉल्ड्स द्वारा विकसित किया गया था। लाइनक्स मूल रूप से इण्टेल X86 पर आधारित है।
  3. सोलेरिस इस ऑपरेटिंग सिस्टम का विकास सन माइक्रोसिस्टम्स द्वारा सन् 1992 में किया गया था। ये ऑपरेटिंग सिस्टम, सिस्टम मैनेजमेण्ट तथा नेटवर्क के कार्यों के लिए सर्वाधिक उपयुक्त है।
  4. एम एस डॉस यह एक सिंगल यूजर ऑपरेटिंग सिस्टम है, जिसे माइक्रोसॉफ्ट द्वारा सन् 1981 में विकसित किया गया था। यह एक नॉन-ग्राफिकल, कमाण्ड लाइन बेस्ड ऑपरेटिंग सिस्टम है। एम एस डॉस यूजर फ्रेंडली नहीं है, क्योंकि इसमें कमाण्ड याद रखनी पड़ती है।
  5. एम एस विण्डोज यह माइक्रोसॉफ्ट द्वारा विकसित ग्राफिकल यूजर इण्टरफेस है। यह सर्वाधिक लोकप्रिय पर्सनल कम्प्यूटर में प्रयुक्त ऑपरेटिंग सिस्टम है।
  6. OS/2 इस ऑपरेटिंग सिस्टम को IBM ने सन् 1987 में लॉन्च किया था। यह ऑपरेटिंग सिस्टम मल्टीटास्किंग तथा GUI बेस्ड होता है।

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UP Board Solutions for Class 12 Computer Chapter 1 कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर

UP Board Solutions for Class 12 Computer Chapter 1 कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर are part of UP Board Solutions for Class 12 Computer. Here we have given UP Board Solutions for Class 12 Computer Chapter 1 कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर.

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Textbook NCERT
Class Class 12
Subject Computer
Chapter Chapter 1
Chapter Name कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर
Number of Questions Solved 22
Category UP Board Solutions

UP Board Solutions for Class 12 Computer Chapter 1 कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर

बहुविकल्पीय प्रश्न (1 अंक)

प्रश्न 1:
निम्न में से कौन-सा सिस्टम सॉफ्टवेयर नहीं है? [2014]
(a) वर्ड प्रोसेसर
(b) ऑपरेटिंग सिस्टम
(c) कम्पाइलर
(d) लिंकर
उत्तर:
(a) वर्ड प्रोसेसर एक एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर है।

प्रश्न 2
निम्न में से कौन-सा प्रोग्राम एक प्रोग्राम के अनेक भागों को कम्पाइलेशन के बाद आपस में जोड़ता है? [2013]
(a) लिंकर
(b) लोडर
(C) इण्टरप्रेटर
(d) लाइब्रेरियन
उत्तर:
(a) लिंकर

प्रश्न 3
वर्ड प्रोसेसर क्या है? [2016]
(a) सिस्टम सॉफ्टवेयर
(b) एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर
(c) ‘a’ और ‘b’ दोनों
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(b) एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर

प्रश्न 4
टेक्स्ट एडिटर का उदाहरण है।
(a) नोटपैड
(b) प्रिण्टर ड्राइवर
(c) टैली
(d) पेजमेकर
उत्तर:
(a) विण्डोज ऑपरेटिंग सिस्टम में नोटपैड टेक्स्ट एडिटर का उदाहरण है।

प्रश्न 5
कम्प्यूटर के वायरस को डिलीट करने के लिए किसका प्रयोग किया जाता है?
(a) एण्टीवायरस प्रोग्राम
(b) बैकअप यूटिलिटी
(c) डिस्क डिफ़ेग्मेण्टर
(d) डिस्क कम्प्रेशन
उत्तर:
(a) एण्टीवायरस प्रोग्राम

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न (1 अंकः)

प्रश्न 1
एक से अधिक लाइनों, विवरण, कमेण्टों या निर्देशों के समूह को क्या कहते हैं?
उत्तर:
एक से अधिक लाइनों, विवरण, कमेण्टों या निर्देशों के समूह को प्रोग्राम कहते हैं।

प्रश्न 2
सॉफ्टवेयर की व्याख्या एक वाक्य में कीजिए। [2016]
उत्तर:
कम्प्यूटर के क्षेत्र में निर्देशों के समूह को प्रोगाम कहा जाता है और प्रोग्रामों के समूह को सॉफ्टवेयर कहा जाता है।

प्रश्न 3
लोडर से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
यह ऑपरेटिंग सिस्टम को एक भाग होता है, जो प्रोग्राम तथा लाइब्रेरी को, लोड करने के लिए उत्तरदायी होता है।

प्रश्न 4
एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर को परिभाषित कीजिए। [2017, 11]
उत्तर:
एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर उन प्रोग्रामों को कहा जाता है, जो उपयोगकर्ता के वास्तविक कार्य कराने के लिए लिखे जाते हैं।

प्रश्न 5
एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर के प्रकारों के नाम लिखिए।
उत्तर:
प्लीकेशन सॉफ्टवेयर दो प्रकार के होते हैं।

  • सामान्य उद्देश्य के एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर
  • विशिष्ट उद्देश्य के एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर

प्रश्न 6
यूटिलिटी सॉफ्टवेयर के कोई दो उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
यूटिलिटी सॉफ्टवेयर के दो उदाहरण निम्नलिखित हैं।

  • टेक्स्ट एडिटर
  • फाइल सॉर्टिग प्रोग्राम

लघु उत्तरीय प्रश्न I (1 अंक)

प्रश्न 1
सॉफ्टवेयर व हार्डवेयर में अन्तर बताइए। [2012]
उत्तर:
सॉफ्टवेयर व हार्डवेयर में निम्न अन्तर है
UP Board Solutions for Class 12 Computer Chapter 1 कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर img-1

प्रश्न 2
सिस्टम सॉफ्टवेयर व एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर में अन्तर बताइए। [2006, 05]
उत्तर:
सिस्टम सॉफ्टवेयर व एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर में निम्न अन्तर है।
UP Board Solutions for Class 12 Computer Chapter 1 कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर img-2

प्रश्न 3
कम्प्यूटर ग्राफिक्स सॉफ्टवेयर का संक्षिप्त वर्णन कीजिए। [2017]
उत्तर:
कम्प्यूटर ग्राफिक्स सॉफ्टवेयर एक एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर है, जो कम्प्यूटर पर सेव इमेजिस में बदलाव करने और उन्हें सुन्दर बनाने की अनुमति देते हैं। इन सॉफ्टवेयर्स के द्वारा इमेजिस को रीटच, कलर एडजस्ट, एनहेन्स, शैडो व ग्लो जैसे विशेष इफेक्ट्स दिए जा सकते हैं; जैसे-एडोब फोटोशॉप, पेजमेकर आदि।

प्रश्न 4
सामान्य व विशिष्ट उद्देश्य के सॉफ्टवेयरों का विभिन्न क्षेत्रों में उपयोग लिखिए।
उत्तर:
सामान्य उद्देश्य के सॉफ्टवेयर का विभिन्न क्षेत्रों में उपयोग निम्नवत् है

  1. कम्प्यूटर आधारित डिजाइन।
  2. सूचना संचार।
  3. डाटाबेस प्रबन्धन प्रणाली

विशिष्ट उद्देश्य के सॉफ्टवेयर की विभिन्न क्षेत्रों में उपयोग निम्नवत् है।

  1. रेलवे, वायुयान आदि के आरक्षण हेतु
  2. होटल प्रबन्धन में
  3. अस्पतालों में
  4. स्कूलों व लाइब्रेरी में

प्रश्न 5
निम्नलिखित को परिभाषित कीजिए [2009]
(i) यूटिलिटी सॉफ्टवेयर
(ii) ड्राइवर
उत्तर:
(i) यूटिलिटी सॉफ्टवेयर यह कम्प्युटर के रख-रखाव से सम्बन्धित कार्य करता है। यह कई ऐसे कार्य करता है, जो कम्प्यूटर का उपयोग करते समय हमें कराने पड़ते हैं।
(ii) डाइवर यह एक विशेष प्रकार का सॉफ्टवेयर होता है, जो किसी डिवाइस के प्रचालन (Operation) को समझाता है। यह हार्डवेयर डिवाइस और उपयोगकर्ता के मध्य सॉफ्टवेयर इण्टरफेस प्रदान करता है।

प्रश्न 6
निम्न को परिभाषित कीजिए [2010]
(i) डिस्क डिफ़ेग्मेण्टर
(ii) वायरस स्कैनर
उत्तर:
(i) डिस्क डिफ़ेग्मेण्टर यह कम्प्यूटर की हार्ड डिस्क पर विभिन्न जगहों पर रखी हुई फाइलों को खोजकर उन्हें एक स्थान पर लाता है।
(ii) वायरस स्कैनर यह एक यूटिलिटी प्रोग्राम है, जिसका प्रयोग कम्प्यूटर के वायरस ढूंढने में किया जाता है।

लघु उत्तरीय प्रश्न II (3 अंक)

प्रश्न 1
निम्नलिखित पर टिप्पणी कीजिए। [2013]
(i) लोडर
(ii) सब-प्रोग्राम अथवा मॉड्यूल
उत्तर:
(i) लोडर यह ऑपरेटिंग सिस्टम का एक भाग होता है, जो किसी एक्जीक्यूटेबल फाइल को मुख्य मेमोरी में लोड करने का कार्य करता है। यह लिंकर द्वारा कम्पाइल किए गए प्रोग्राम को एक साथ जोड़कर कार्य करने योग्य बनाता है।
(ii) सब-प्रोग्राम या मॉड्यूल सब-प्रोग्राम या मॉड्यूल ऐसा प्रोग्राम है, जो किसी निर्धारित टास्क या फंक्शन को चलाने के लिए एक अन्य प्रोग्राम द्वारा कॉल किया जाता है।

प्रश्न 2
कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर कितने प्रकार के होते हैं? उदाहरण सहित समझाइए। [2002]
उत्तर:
कम्प्यूटर के क्षेत्र में निर्देशों के समूह को प्रोग्राम कहा जाता है और प्रोग्रामों के समूह को सॉफ्टवेयर कहा जाता है।
कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर तीन प्रकार के होते हैं।

  1. सिस्टम सॉफ्टवेयर इस प्रकार के सॉफ्टवेयर्स कम्प्युटर को चलाने, उसको नियन्त्रित करने, उसके विभिन्न भागों की देखभाल करने तथा उसकी सभी । क्षमताओं का सही प्रकार से उपयोग करने के लिए बनाए जाते हैं।
    उदाहरण ऑपरेटिंग सिस्टम, लिंकर, लोडर आदि।
  2. एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर इस प्रकार के सॉफ्टवेयर्स उपयोगकर्ता के वास्तविक कार्य कराने के लिए बनाए जाते हैं। ये कार्य हर कम्पनी या उपयोगकर्ता के लिए अलग-अलग होते हैं, इसलिए उपयोगकर्ता की आवश्यकतानुसार इसके प्रोग्राम प्रोग्रामर द्वारा लिखे जाते हैं। उदाहरण एमएस-वर्ड, एमएस-एक्सेल, टैली आदि।
  3. यूटिलिटी सॉफ्टवेयर ये सॉफ्टवेयर्स कम्प्यूटर के कार्यों को सरल बनाने, उसे अशुद्धियों से दूर रखने तथा सिस्टम के विभिन्न सुरक्षा कार्यों के लिए बनाए जाते हैं। ये कम्प्यूटर के निर्माता द्वारा ही उपलब्ध कराए जाते हैं। उदाहरण टेक्स्ट एडिटर, डिस्क क्लीनर्स आदि।

प्रश्न 3
एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर को विस्तार में समझाइए।
उत्तर:
यह उन प्रोग्रामों का समूह होता है, जो उपयोगकर्ता के वास्तविक कार्य कराने के लिए बनाए जाते हैं; जैसे-स्टॉक की स्थिति का विवरण देना, लेन-देन व खातों का हिसाब रखना आदि। मुख्य रूप से प्रयोग होने वाले एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर: जैसे-एमएस वर्ड, एमएस-एक्सेल, टैली, पेजमेकर, फोटोशॉप आदि हैं।
सामान्यतः एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर्स दो प्रकार के होते हैं, जो निम्न हैं ।

  • सामान्य उद्देश्य के एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर प्रोग्रामों का वह समूह, जिसे यूजर्स अपनी आवश्यकतानुसार अपने सामान्य उद्देश्यों की पूर्ति के लिए उपयोग करता है, सामान्य उद्देश्य का सॉफ्टवेयर कहलाता हैं। जैसे-ग्राफिक्स सॉफ्टवेयर, स्प्रेडशीट, डाटाबेस प्रबन्धन आदि।
  • विशिष्ट उद्देश्य के एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर प्रोग्रामों का वह समूह, जो एक विशेष प्रकार के कार्य को निष्पादित करने के लिए प्रयोग किया जाता है, विशिष्ट उद्देश्य का सॉफ्टवेयर कहलाता है; जैसे-होटल प्रबन्धन सम्बन्धी सॉफ्टवेयर का प्रयोग बुकिंग विवरण, बिलिंग विवरण आदि को सुरक्षित रखने के लिए किया जाता है।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (5 अंक)

प्रश्न 1
सिस्टम सॉफ्टवेयर से आपका क्या तात्पर्य है? इनके प्रमुख कार्यों को लिखिए। [2009]
अथवा
सिस्टम सॉफ्टवेयर पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए। [2010]
उत्तर:
ऐसे प्रोग्राम जो कम्प्यूटर को चलाने, नियन्त्रित करने, उसके विभिन्न भागों की देखभाल करने तथा उसकी सभी क्षमताओं का सही प्रकार से उपयोग करने के लिए बनाए जाते हैं, उनको सम्मिलित रूप से ‘सिस्टम सॉफ्टवेयर’ कहा जाता है। कम्प्यूटर से हमारा सम्पर्क या संवाद सिस्टम सॉफ्टवेयर के माध्यम से ही हो पाता है।

सिस्टम सॉफ्टवेयर्स निम्न प्रकार के होते हैं।

  • ऑपरेटिंग सिस्टम इसमें वे प्रोग्राम्स शामिल होते हैं, जो कम्प्यूटर के विभिन्न अवयवों के कार्यों को नियन्त्रित करते हैं, उनमें समन्वय स्थापित करते हैं। तथा उन्हें प्रबन्धित करते हैं। इनका प्रमुख कार्य उपयोगकर्ता तथा हार्डवेयर के मध्य एक समन्वय स्थापित करना है।
  • लिंकर यह एक ऐसा प्रोग्राम होता है, जो पहले से कम्पाइल की गई एक या एक से अधिक ऑब्जेक्ट फाइलों को एक साथ जोड़कर उन्हें क्रियान्वयन के लिए तैयार कर बड़े प्रोग्राम का रूप प्रदान करता है।
  • लोडर यह ऑपरेटिंग सिस्टम का एक भाग होता है, जो प्रोग्राम तथा लाइब्रेरी को लोड करने के लिए उत्तरदायी होता है। लोडर निर्देशों की एक श्रृंखला होती है, जो किसी एक्जीक्यूटेबल प्रोग्राम को मुख्य मेमोरी में लोड करने का कार्य करता है, ताकि सीपीयू उसे एक्सेस कर सके।
  • डिवाइस ड्राइवर यह एक विशेष प्रकार का सॉफ्टवेयर होता है, जो किसी डिवाइस के प्रचालन को समझाता है। एक ड्राइवर हार्डवेयर डिवाइस और उपयोगकर्ता के मध्य सॉफ्टवेयर इण्टरफेस प्रदान करता है। किसी भी डिवाइस को सुचारु रूप से चलाने के लिए उसके साथ एक ड्राइवर प्रोग्राम जुडा होता हैं।

प्रश्न 2
यूटिलिटी सॉफ्टवेयर क्या होता है? उदाहरण सहित समझाइए।
अथवा
यूटिलिटी सॉफ्टवेयर का अर्थ तथा कार्य समझाइए। ऐसे किन्हीं दो सॉफ्टवेयर्स का वर्णन भी कीजिए।[2009]
उत्तर:
ये प्रोग्राम्स कम्प्यूटर के रख-रखाव से सम्बन्धित कार्य करते हैं। प्रोग्राम्स कम्प्यूटर के कार्यों को सरल बनाने, उसे अशुद्धियों से दूर करने तथा सिस्टम के विभिन्न सुरक्षा कार्यों के लिए बनाए जाते हैं। यूटिलिटी सॉफ्टवेयर, कई
ऐसे कार्य करता है, जो कम्प्यूटर का उपयोग करते समय हमें कराने पड़ते हैं।
यूटिलिटी सॉफ्टवेयर के प्रमुख उदाहरण निम्न है।

  1. टेक्स्ट एडिटर यह एक ऐसा प्रोग्राम होता है, जो टेक्स्ट फाइलों के निर्माण और उनके सम्पादन की सुविधा देता है। इसका उपयोग केवल टेक्स्ट टाइप करने में किया जाता है। विण्डोज ऑपरेटिंग सिस्टम में नोटपैड एक ऐसा ही प्रोग्राम है।
  2. फाइल सॉटिंग प्रोग्राम ये ऐसे प्रोग्राम होते हैं, जो किसी डाटा फाइल के रिकॉर्डो को यूजर के किसी इच्छित क्रम (Order) में लगा सकते हैं। फाइल सॉर्टिग किसी विशेष सूचना को ढूंढने के लिए उपयोगी होती है।
  3. डिस्क डिफ़ेग्मेण्टर यह कम्प्यूटर की हार्ड डिस्क पर विभिन्न जगहों पर रखी हुई फाइलों को खोजकर उन्हें एक स्थान पर लाता है।
  4. बैकअप यूटिलिटी यह कम्प्यूटर की डिस्क पर उपस्थित सारी सूचनाओं की एक कॉपी रखता है तथा जरूरत पड़ने पर कुछ जरूरी फाइलें या पूरी हार्ड डिस्क के कण्टेण्ट को वापस रिस्टोर कर देता है।
  5. एण्टीवायरस प्रोग्राम ये ऐसे यूटिलिटी प्रोग्राम्स होते हैं, जिनका प्रयोग कम्प्यूटर के वायरस ढूंढने और उन्हें डिलीट (Delete) करने में किया जाता है।
  6. डिस्क क्लीनर्स यह उन फाइलों को ढूंढकर डिलीट करता है, जिनका बहुत समय से उपयोग नहीं हुआ है। इस प्रकार यह कम्प्यूटर की गति को भी तेज करता है।

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UP Board Class 7 Sanskrit Model Paper संस्कृत पीयूषम्

UP Board Class 7 Sanskrit Model Paper are part of UP Board Class 7 Model Papers. Here we have given UP Board Class 7 Sanskrit Model Paper.

Board UP Board
Class Class 7
Subject sanskrit
Model Paper Paper 1
Category UP Board Model Papers

UP Board Class 7 Sanskrit Model Paper संस्कृत पीयूषम्

सत्र-परीक्षा प्रश्न पत्र
कक्षा-7
विषय-संस्कृत (पीयूषम् )

अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों के अर्थ संस्कृत में लिखिए- कमलों की शोभा, मनोवाञ्छित
उत्तर:
कमलों की शोभा – पद्मश्री, मनोवा छत – अभीष्टम्

प्रश्न 2.
निम्नलिखित पदों के संधि-विच्छेद कीजिए- अहिंसान्दोलनेन, अत्रापि
उत्तर:
अहिंसा + आन्दोलनेन, अत्र + अपि

प्रश्न 3.
निम्नलिखित धातुओं में ‘यत्’ प्रत्यय जोड़कर नए पद बनाइए- दा, गै
उत्तर:
दा + यत् = देयम्, गै + यत् = गेयम्

प्रश्न 4.
निम्नलिखित संख्यावाची शब्दों का अर्थ हिन्दी में लिखिए- अट्ठाईस, उन्नीस
उत्तर:
अट्ठाईस – अष्टाविंशतिः, उन्नीस – ऊनविंशतिः

प्रश्न 5.
निम्नलिखित पदों में से उपसर्ग छाँटिए- उपागच्छत्, विहसति
उत्तर:
उपागच्छत् – उप, विहसति – वि

प्रश्न 6.
निम्नलिखित अव्यय पदों का अर्थ लिखिए- खलु, यतः
उत्तर:
खलु – निश्चय ही, यतः – जहाँ से

प्रश्न 7.
‘प्र’ उपसर्ग के योग से दो शब्द बनाइए।
उत्तर:
प्र + देश = प्रदेश, प्र + गति = प्रगति ।

प्रश्न 8.
मधूनि कुत्र सन्ति?
उत्तर:
मधुकोषेषु।

प्रश्न 9.
उत्तर प्रदेशस्य राजधानी का?
उत्तर:
लखनऊ नगरम्।

प्रश्न 10.
मानवानाम् उद्धाराय पुनः का गेया?
उत्तर:
गतिा।

प्रश्न 11.
गान्धी जयन्ती कदा भवति?
उत्तर:
अक्टूबर मासस्य द्वितीय दिवसे।

प्रश्न 12.
माता किम् आनयति?
उत्तर:
जलम्।

प्रश्न 13.
निम्नलिखित पशुओं के नाम हिन्दी में लिखिए- गजः, विडालः
उत्तर:
गजः – हाथी, विडोलः – बिडाल

प्रश्न 14.
वृधि संधि के आधार पर रिक्त स्थान भरिए- आ + ओ =…….. अ + ए = ………
उत्तर
आ + ओ = औ, अ + ए = ऐ ।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 15.
निम्नलिखित वाक्यों का अनुवाद हिन्दी में कीजिए

(क) अक्षिणी विशाले स्त
(ख) सदा शुद्धं जलं पेयम्।

उत्तर:

(क) दो आँखें बड़ी हैं।
(ख) सदा शुद्ध जल पीना चाहिए।

प्रश्न 16.
निम्नलिखित वाक्यों का अनुवाद संस्कृत में कीजिए

(क) कल्याण के लिए शिक्षा दें।
(ख) आज हमारा देश स्वतंत्र है।

उत्तर:

(क) कल्याणार्थे शिक्षत।
(ख) अधुना अस्माकं देशः स्वतंत्रः अस्ति।

प्रश्न 17.
पुलिनेषु का विहसति?
उत्तर:
पुलिनेषु पद्मश्री विहसति।

प्रश्न 18.
मायादासः कः आसीत्?
उत्तर:
मायादासः नृपः आसीत्।

प्रश्न 19.
जनाः इंदिरां केन रूपेण स्मरन्ति?
उत्तर:
जना: इंदिरां कुशल प्रशासिका रूपेण स्मरन्ति।

प्रश्न 20.
निम्नलिखित शब्दों के शब्द रूपों की प्रथमा विभक्ति लिखिए

(क) माता
(ख) नेतृ

उत्तर:
विभक्ति एकवचन द्विवचन बहुवचन

(क) माता (प्रथमा) माता मातरौ मातारः
(ख) नेतृ (प्रथमा) नेता नेतारौ नेतारः

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 21.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए
(क) अतिलुब्धः दरिद्रः इव जीवनं कस्य आसीत्?
उत्तर:
अतिलुब्धः दरिद्रः इव जीवनं मायादासस्य आसीत्।
(ख) डॉ. भीमराव अम्बेडकरस्य संविधान निर्माण कीदृशं योगदानमासीत्?
उत्तर:
डॉ. भीमराव अम्बेडकरस्य संविधान निर्माणे अपर्वं योगदानमासीत।
(ग) अस्माकं कः स्वप्न साकारः जातः?
उत्तर:
अस्माकं समोऽस्त्यधिकारस्य स्वप्नः साकारः जातः

प्रश्न 22.
निम्नलिखित वाक्यों का अनुवाद हिन्दी में कीजिए
(क) एकदा सः आपणं गतः
उत्तर:
एक बार वह बाजार गया।
(ख) संविधान नवे पथानुकूला।
उत्तर:
संविधान नया और मनोनुकूल है।
(ग) राजभवने राज्यपालः निवसति।
उत्तर:
राजभवन में राज्यपाल रहते हैं।

प्रश्न 23.
निम्नलिखित की सन्धि कीजिए

  •  परि + आवरणम्
  •  जन + ऐक्यम्
  •  भो + अनम्।
  •  मातृ + ए
  •  महा + ओषधिः

उत्तर:

  •  परि + आवरण् = पर्यावरणम्
  •  जन + ऐक्यम् = जनैक्यम्
  •  भो + अनम् = भवनम्
  •  मातृ + ए = मात्रे
  •  महा + ओषधिः = महौषधिः

प्रश्न 24.
निम्नलिखित गद्यांश का अनुवाद हिन्दी में कीजिए
लखनऊनगरम् उत्तरप्रदेशस्य राजधानी अस्ति। इदं प्राचीनं सुरम्यं च नगरम् अस्ति। अत्र बहूनि दर्शनीयानि स्थलानि सन्ति, यथा-रेजीडेंसीस्थलम्, इमामबाड़ाभवनम्, सचिवालयश्च। इदं किम ? इदं रेजीडेंसीस्थलम् अस्ति। इदम् अस्माकं देशभक्तानाम् आत्मत्यागं स्मारयति। प्रथम स्वतन्त्रतासंग्रामे 1857 तमे वर्षे भारतीयाः वीराः आङ्ग्लशासनस्य यदा विरोधाम् अकुर्वन् तदा देश-भक्ताः अत्रपि आङ्ग्लान् आक्रान्तवन्तः। अस्मिन् युद्धे राष्ट्रभक्तैः स्वरक्तं प्रवाहितम्। तेषां त्यागेनैव स्वतन्त्रतायाम् एकं सोपानं निर्मितम्।
उत्तर:
हिन्दी अनुवाद-लखनऊ नगर उत्तर प्रदेश की राजधानी है। यह प्राचीन और सुन्दर नगर है। यहाँ बहुत से दर्शनीय स्थान हैं, जैसे–रेजीडेंसी स्थल, इमामबाड़ा भवन और सचिवालय। यह क्या है? यह रेजीडेंसी स्थल है। यह हमारे देशभक्तों के आत्मत्याग की याद दिलाता है। प्रथम स्वतंत्रता-संग्राम में सन् 1857 में भारतीय वीरों ने जब अंग्रेजी सरकार का विरोध किया था, तब देशभक्तों ने यहाँ भी अँग्रेजों पर हमला किया था। इस युद्ध में राष्ट्रभक्तों ने अपना खून बहाया था। इनके त्याग से ही स्वाधीनता का एक सोपान निर्मित हुआ।

अद्र्धवार्षिक-परीक्षा प्रश्न पत्र
कक्षा-7
विषय-संस्कृत (पीयूषम् )

अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
किसने कहा? लिखिए
(क) भवान् मां हन्तुं समर्थः न भविष्यति।
उत्तर:
सिंहः।
(ख) “क्षतात् त्रायते” इति क्षत्रियः कथ्यते।
उत्तर:
दिलीपः।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित पदों में से उपसर्ग अलग कीजिए

(क) विलोकयन्
(ख) अधिरुढ़

उत्तर:

(क) विलोकयन् – वि
(ख) अधिरुढ – अधि

प्रश्न 3.
निम्नलिखित पक्षियों के नाम हिन्दी में लिखिए

(क) चातकः
(ख) कपोतः

उत्तर:

(क) पपीहा
(ख) कबूतर

प्रश्न 4.
निम्नलिखित पदों की सन्धि-विच्छेद कीजिए

(क) शोभितोऽस्मि
(ख) समृद्धोऽपि

उत्तर:

(क) शोभितोऽस्मि = शोभितः + अस्मि
(ख) समृद्धोऽपि = समृद्ध + अपि

प्रश्न 5.
सन्थि कीजिए-

(क) मृग + इन्द्रः
(ख) स + इयम्

उत्तर:

(क) मृगेन्द्रः
(ख) सेयम्।

प्रश्न 6.
निम्नलिखित मसालों के नाम हिन्दी में लिखिए-

(क) आर्द्रकम्
(ख) हरिद्रा

उत्तर:

(क) अदरक
(ख) हल्दी

प्रश्न 7.
अनु’ उपसर्ग के सहयोग से दो शब्द बनाइए।
उत्तर:
अनु + हार = अनुहार
अनु + चर = अनुचर

प्रश्न 8.
निम्नलिखित धातुओं में अनीयम् प्रत्यय का प्रयोग करके नए पद बनाइए

(क) भुज्
(ख) के

उत्तर:

(क) भुज् + अनीयम् = भोजनीयम्
(ख) कृ + अनीयम् = करणीयम्

प्रश्न 9.
निम्नलिखित संख्यावाची पदों के अर्थ संस्कृत में लिखिए-

(क) तीस
(ख) चार

उत्तर:

(क) त्रिंशत्
(ख) चतुर्

पॅश्न 10.
निम्नलिखित जन्तुओं के नाम संस्कृत में लिखिए

(क) मकड़ी
(ख) भौंरा

उत्तर:

(क) लूताः
(ख) षट्पदः

प्रश्न 11.
निम्नलिखित पदों से धातु तथा प्रत्यय अलग कीजिए

(क) देया
ख) गेया

उत्तर:

(क) देया = दा + यत्
(ख) गेया = गै + यत्

प्रश्न 12.
निम्नलिखित पद में प्रयुक्त विभक्ति तथा वचन लिखिए- याने
उत्तर:
याने – सप्तमी विभक्ति, एकवचन

प्रश्न 13.
राजानं किं वत्सलयति?
उत्तर:
राजानं अनपत्यता वत्सलयति।

प्रश्न 14.
निम्नलिखित पदों में प्रयुक्त उपसर्ग अलग कीजिए-

(क) अनुकरणम्
(ख) आहारः

उत्तर:

(क) अनुकरणम् = अनु + करणम्
(ख) आहार:= आ + हारैः

प्रश्न 15.
निम्नलिखित पदों को निर्देशानुसार परिवर्तित कीजिए

( क) वानरः (प्रथमा बहुवचने)
(ख) अहम् (षष्ठी बहुवचने)

उत्तर:

(क) वानराः
(ख) अस्माकम्

प्रश्न 16.
निम्नलिखित मसालों के नाम सस्कृत में लिखिए

(क) सेन्धानमक
(ख) इलायची
(ग) धनिया
(घ) सौंफ

उत्तर:

(क) सैन्धवम्
(ख) एला
(ग) धान्याकम्
(घ) मधुरिका

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 17.
निम्नलिखित अव्ययों के द्वारा वाक्य बनाइए- उपरि, नाना
उत्तर:
उपरि – गृहस्य उपरि मेघः अस्ति। नाना – नाना फलैः फलति कल्पलतेव भूमिः

प्रश्न 18.
निम्नलिखित वाक्यों में रेखांकित पदों को शद्ध कीजिए

(क) अपरं क्रीडनकम् अहं दास्यति।
(ख) कः अत्र एषा?
(ग) एषः केसरिणी त्वां लङधयिष्यति।
(घ) आकारसदृशः तस्य कार्यम् अस्ति।

उत्तर:

(क) दास्यामि
(ख) एषः
(ग) एषा
(घ) आकारसदृश

प्रश्न 19.
रेखांकित पदों में प्रयुक्त कारक बताइए

(क) मूषकाः लौहतुलां ने खादन्ति।
(ख) श्यामः कलमेन लिखति।

उत्तर:

(क) कर्म
(ख) करण

प्रश्न 20.
अधुना लोके वयं कीदृशाः स्म?
उत्तर:
अधुना लोके वयं स्वाधीनाः स्म।

प्रश्न 21.
सैनिकाः कथं बहुप्रत्यये अपि अक्षमाः जाताः?
उत्तर:
सैनिकाः अतिभारवत्त्वात् बहुप्रत्यये अपि अक्षमाः जाताः।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 22. निम्नलिखित पदों में से धातु तथा प्रत्यय छाँटिए

(क) दत्तम्
(ख) नयनीयम्
(ग) कर्तव्यम्
(घ) कृतम्

उत्तर:

(क) दत्तम् = दा + क्त
(ख) नयनीयम् = नी + अनीयर्
(ग) कर्तव्यम् = कृ + तव्यत्
(घ) कृतम् = कृ + क्त

प्रश्न 23.
निम्नलिखित कारकों की विभक्ति तथा विभक्ति चिह्न बताइए

(क) अपादान
(ख) कर्ता
(ग) सम्प्रदान
(घ) अधिकरण

उत्तर:

(क) अपादान – पंचमी विभक्ति, से (अलग होना)
(ख) कर्ता – प्रथमा विभक्ति, ने
(ग) सम्प्रदान – चतुर्थी विभक्ति, के लिए
(घ) अधिकरण – सप्तमी विभक्ति, में, पर

प्रश्न 24.
रेखांकितपदानि आधृत्य प्रश्ननिर्माणं कुरुत
(क) मयूरस्य नृत्यं जनाः पश्यन्ति।
उत्तर:
मयूरस्य नृत्यं के पश्यन्ति?
(ख) उपान परपादेन गच्छति।
उत्तर:
कः परपादेन गच्छति?
(ग) पत्रं पादेन विना गृच्छति।
उत्तर:
पत्रं कस्य विना गच्छति?
(घ) हिमः जलस्य एव रूपम् अस्ति।
उत्तर:
कः जलस्य एव रूपम् अस्ति?

वार्षिक-परीक्षा प्रश्न-पत्र
कक्षा-7
विषय-संस्कृत (पीयूषम्)

अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
संयुक्त व्यंजनों वाले शब्दों के पाँच उदाहरण संस्कृत में लिखिए।
उत्तर:
पीताम्बरः, कृष्णः, पञ्च, पञ्कज, चञ्चु।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित पदों में प्रयुक्त उपसर्ग लिखिए

(क) प्राध्यापकः
(ख) संलग्नः

उत्तर:

(क) प्राध्यापकः – प्र
(ख) संलग्न: – सम्

प्रश्न 3. निम्नलिखित पदों की सन्धि कीजिए

(क) व + इति
(ख) केन + अपि

उत्तर:

(क) व + इति = वेति
(ख) केन + अपि = केनापि

प्रश्न 4.
निम्नलिखित पदों की विभक्ति लिखिए

(क) अस्माकम्
(ख) युष्मासु

उत्तर:

(क) षष्ठी विभक्ति
(ख) सप्तमी विभक्ति

प्रश्न 5.
कल्याणी का अस्ति?
उत्तर:
कल्याणी वाणी अस्ति।

प्रश्न 6.
सर्वेषु मानवेषु समानं किं प्रवहति?
उत्तर:
रक्तम्।

प्रश्न 7.
सर्वेषां नियन्ता कः?
उत्तर:
सर्वेषां नियन्ता एकः

प्रश्न 8.
मन्त्रद्रष्ट्रयः नायैः का?
उत्तर – अपाला, घोषा, रोमगा, विश्ववारा, लोपामुद्रा, सावित्री प्रभृतयश्च।

प्रश्न 9.
कौन-कौन से दीर्घ स्वर हैं?
उत्तर:
आ, ई, ऋ, लू, ए, ऐ, ओ, औ।

प्रश्न 10.
निम्नलिखित वाक्यों में प्रयुक्त धातु लिखिए

(क) गुरुः शिष्यं उपदेशं ब्रूते।
(ख) अध्यापकः छात्रं प्रश्नं पृच्छति।

उत्तर:

(क) ब्रू
(ख) प्रच्छ्

प्रश्न 11.
‘यत्’ शब्द स्त्रीलिंग की तृतीया विभक्ति लिखिए।
उत्तर:
विभक्ति    एकवचन    द्विवचन    बहुवचन
तृतीया      यया            याभ्याम्    याभिः

प्रश्न 12.
निम्नलिखित शब्दों के रूप निर्देशानुसार लिखिए

(क) “पुस्तक’ शब्द की सप्तमी विभक्ति
(ख) “रमा’ शब्द की षष्ठी विभक्ति

उत्तर:

(क) पुस्तक – पुस्तकेषु (सप्तमी विभक्ति)
(ख) राम – रमायाः (षष्ठी विभक्ति)

प्रश्ज्ञ 13.
मानव: मानवं प्रति कीदृशम् व्यवहारं कुर्यात्?
उत्तर:
बन्धुतायाः

प्रश्न 14.
मैत्रेयी कीदृशी आसीत्?
उत्तर:
प्रज्ञावती, सूक्ष्मविवेचिका, परमत्वचिन्तने दक्षा।

प्रश्न 15.
अगस्त्यः किम् अकरोत्?
उत्तर:
अगस्त्य: देव चिकित्सकौ अश्विनीकुमारौ आहूतवान्।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 16.
निम्नलिखित क्रियापदों के लकार, वचन तथा पुरुष लिखिए-

(क) गमिष्यति
(ख) भवन्ति

उत्तर:

(क) गमिष्यति – लुट्लकार, एकवचन, प्रथम पुरुष।
(ख) भवन्ति – लट्लकार, एकवचन, प्रथम पुरुष।

प्रश्न 17.
निम्नलिखित पदों का विग्रह करके समास का नाम लिखिए

(क) मातापितरौ
(ख) क्रीडाक्षेत्रम्

उत्तर:

(क) मातापितरौ – माता एवं पिता – द्वन्द्व समास
(ख) क्रीडाक्षेत्रम् – क्रीडायाः क्षेत्रम् – तत्पुरुष समास

प्रश्न 18.
निम्नलिखित वाक्यों का अनुवाद हिन्दी में कीजिए
(क) वाल्मीकिना रामायणी कथा लिखिता।
उत्तर:
वाल्मीकि ने रामायण की कथा लिखी।
(ख) पापात् पुण्यं श्रेष्ठम्।
उत्तर:
पाप से पुण्य बड़ा है।

प्रश्न 19.
निम्नलिखित पदों की विभक्ति व वचन लिखिए

(क) अखिलान्
(ख) रेलयानेन

उत्तर:

(क) अखिलान् – द्वितीया विभक्ति, एकवचन
(ख) रेलयानेन – तृतीया विभक्ति, एकवचन

प्रश्न 20.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए
(क) समाजस्य निर्माण के कुर्वन्ति?
उत्तर:
स्त्रियः पुरुषाश्च मिलित्वा समाजस्य निर्माणं कुर्वन्ति।
(ख) उत्साहयुक्ता विपश्ली किम् अकरोत्?
उत्तर:
उत्साहयुक्ता विपश्ली रात्रुभि: निहित धनं जितवती

प्रश्न 21.
उचित पदों द्वारा वाक्य पूरे कीजिए

(क) पुरा वाल्मीकिः नाम एकः …… आसीत्।
(ख) …… ते गणयिष्यामि।
(ग) अस्य बालकस्य ……. आकृतिः।
(घ) ततः प्रभति ऋषिरमं…… प्राप्त।

उत्तर:

(क) ऋषिः
(ख) दन्तान्
(ग) संवादिनी
(घ) कवि पदं

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 22.
निम्नलिखित वाक्यों का संस्कृत में अनुवाद कीजिए
(क) ज्ञान से आचरण श्रेष्ठ है।
उत्तर:
ज्ञानात् आचरणं श्रेष्ठम्।
(ख) वह धन कमाने के लिए विदेश गया।
उत्तर:
सः धनोपार्जनाय विदेशम् अगच्छत्।
(ग) ब्रह्मा ने वाल्मीकि को आदेश दिया।
उत्तर:
ब्रह्मा वाल्मीकिम् आदिशत्।

प्रश्न 23.
‘वारि’ शब्द के रूप द्वितीया से पंचमी विभक्ति तक लिखिए
उत्तर:
विभक्ति    एकवचन      द्विवचन        बहुवचन
द्वितीया      वारि            वारिणी         वारिणि
तृतीया      वारिणा         वारिभ्याम्     वारिभिः
चतुर्थी      वारिणे          वारिभ्याम्     वारिभ्यः
पञ्चमी      वारिणः        वारिभ्याम्      वारिभ्यः

प्रश्न 24.
निम्नलिखित श्लोकों का अर्थ लिखिए

(क) प्रियवाक्यप्रदानेन सर्वे तुष्यन्ति जन्तवः।
तस्मात् तदेव वक्तव्यं वचने का दरिद्रत
(ख) सत्यं ब्रूयात् प्रियं ब्रूयात् न ब्रूयात् सत्यमप्रियम्।
प्रियं च नानृतं ब्रूयाद् एष धर्मः सनातनः ॥

उत्तर:

(क) सभी प्राणी प्रिय वाक्य बोलने से सन्तुष्ट होते हैं, इसलिए प्रियवचन ही बोलना चाहिए, बोलने में भला कैसी दरिद्रता?
(ख) सत्य बोलना चाहिए। प्रिय बोलना चाहिए। अप्रिय सत्य नहीं बोलना चाहिए। प्रिय झूठ नहीं बोलना चाहिए। यही सनातन धर्म है।

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UP Board Solutions for Class 9 Sanskrit Chapter 8 हिन्दी वाक्यों का संस्कृत में अनुवाद 

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Board UP Board
Textbook NCERT
Class Class 9
Subject Sanskrit
Chapter Chapter 8
Chapter Name हिन्दी वाक्यों का संस्कृत में अनुवाद
Number of Questions Solved 37
Category UP Board Solutions

UP Board Solutions for Class 9 Sanskrit Chapter 8 हिन्दी वाक्यों का संस्कृत में अनुवाद

किसी भी भाषा के वाक्यों को दूसरी भाषा के शब्दों में शब्दशः या भावत: बदलने को अनुवाद कहते हैं। अनुवाद शब्द दो शब्दों-अनु = पश्चात्, वाद = कहना–से मिलकर बना है। इसका तात्पर्य है-एक बात को फिर से कहना अर्थात दूसरे अन्य शब्दों में बदलकर कहना। प्रसिद्ध अर्थ में एक भाषा को दूसरी भाषा में परिवर्तित करने को अनुवाद कहते हैं।

यद्यपि संस्कृत भाषा में शब्दों के क्रम में उलट-फेर करने से वाक्य के अर्थ में कोई परिवर्तन नहीं होता, फिर भी अनुवाद की सरलता के लिए संस्कृत के वाक्यों का क्रम भी हिन्दी के समान ही होता है; अर्थात् पहले कर्ता, फिर कर्म और अन्त में क्रिया। यह संस्कृत की अपनी विशेषता है कि इसमें कर्ता, कर्म और क्रिया का क्रम आगे-पीछे भी हो सकता है; जैसे-“मैं विद्यालय जाता हूँ।” का संस्कृत में अनुवाद अहं विद्यालयं गच्छामि।’ किया जाता है। फिर भी इसके क्रम को बदलने–विद्यालयम् अहं गच्छामि। गच्छामि विद्यालयम् अहम्। गच्छामि अहं विद्यालयम्- से वाक्य के अर्थ में कोई परिवर्तन नहीं होता!

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संस्कृत में अनुवाद करने के लिये निम्नलिखित बातों का ज्ञान परमावश्यक है
(1) वचन- संस्कृत में तीन वचन होते हैं
(क) एकवचन–एक वस्तु के लिए।
(ख) द्विवचन-दो वस्तुओं के लिए।
(ग) बहुवचन-दो से अधिक वस्तुओं के लिए।

सम्मान प्रदर्शन करने के लिए बहुधा बहुवचन सूचक शब्दों का प्रयोग किया जाता है। संस्कृत में अनुवाद करते समय छात्रों को वचन का प्रयोग करते समय अत्यधिक सावधानी रखनी चाहिए।

(2) पुरुष- संस्कृत में पुरुष भी तीन ही होते हैं|
(क) प्रथम पुरुष या अन्य पुरुष–जिसके विषय में बात कही जाये (सः = वह, तौ = वे 
दोनों, ते = वे सब, भवान् = आप, भवन्तौ = आप दोनों, भवन्तः = आप सब)।
(ख) मध्यम पुरुष-जिससे बात कही जाये (त्वम् = तुम, युवाम् = तुम दोनों, यूयम् = तुम 
सब)।
(ग) उत्तम पुरुष–बात कहने वाला (अहम् = मैं, आवाम् = हम दोनों, वयम् = हम सब)।

(3) कर्ता- क्रिया के करने वाले कर्ता कहते हैं। कर्ता में प्रथमा विभक्ति का प्रयोग होता है। क्रिया से पहले ‘कौन’ लगाने से उत्तर में जो शब्द प्राप्त होता है, उसे ही कर्ता कहते हैं।

(4) क्रिया- जिससे किसी काम को करना या होना पाया जाता है, उसे क्रिया कहते हैं।
(5) काल-क्रिया के तीन प्रमुख काल होते हैं|
(क) वर्तमानकाल–जिससे चल रहे समय का बोध हो। संस्कृत में इसके लिए लट् लकार 
का प्रयोग होता है।
(ख) भूतकाल–जिससे बीते हुए समय का बोध हो। संस्कृत में इसके लिए लङ् लकार 
का प्रयोग होता है।
(ग) भविष्यत्काल—जिससे आने वाले समय का बोध हो। संस्कृत में इसके लिए लुट् 
लकार का प्रयोग होता है।

(6) लिङ्ग- संस्कृत में लिंग का क्रिया पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। लिंग तीन प्रकार के होते हैं
(क) पुंल्लिङ्ग–इससे पुरुष जाति का बोध होता है।
(ख) स्त्रीलिङ्ग-इससे स्त्री जाति का बोध होता है।
(ग) नपुंसकलिङ्ग–जिससे न पुरुष जाति का बोध होता है और न स्त्री जाति का। अनुवाद करते समय छात्रों को लिंग प्रयोग करते समय सावधानी रखनी चाहिए।

(7) कारक- सामान्यत: कारक आठ माने जाते हैं; परन्तु संस्कृत में छ: कारक होते हैं। ‘सम्बन्ध और सम्बोधन’ को कोरक नहीं माना जाता। प्रत्येक कारक को विभक्ति एवं चिह्न सहित आगे दिया जा रहा है–
UP Board Solutions for Class 9 Sanskrit Chapter 8 हिन्दी वाक्यों का संस्कृत में अनुवाद 

(8) पद- संस्कृत भाषा में हमेशा पदों का ही प्रयोग होता है। पद दो प्रकार के होते हैं-सुबन्त और तिङन्त। शब्दों में ‘सु’ इत्यादि प्रत्यय लगाये जाते हैं, इसलिए उससे निर्मित पद सुबन्त कहलाते हैं। धातुओं में ‘तिम्’ इत्यादि प्रत्यय लगाये जाते हैं, इसलिए उनसे निर्मित क्रियाएँ तिङन्त कहलाती हैं। अनुवाद करते समय सबसे पहले ‘कर्ता’ को ढूंढ़ना चाहिए। इसके बाद कर्ता के वचन और पुरुष पर ध्यान देना चाहिए। कर्ता का पुरुष और वचन जान लेने पर क्रिया के काल का निश्चय करना चाहिए। क्रिया का वही पुरुष और वचन होता है, जो उसके कर्ता का पुरुष और वचने होता है।

पाठ 1: संज्ञा तथा सर्वनाम (कर्ता) का तीनों पुरुषों एवं
 वचनों की क्रिया के साथ समन्वय

  1. संस्कृत में प्राय: सभी संज्ञा तथा सर्वनाम कर्ताओं के रूप सातों विभक्तियों के तीनों वचनों में चलते हैं।
  2. संज्ञा कर्ताओं के रूप तीनों लिंगों में चलते हैं। संज्ञा कर्ताओं के सम्बोधन में भी रूप बनते हैं।
  3. सर्वनाम कर्ताओं के रूप भी तीनों लिंगों में पृथक्-पृथक् चलते हैं, किन्तु इनके सम्बोधन के रूप नहीं बनते।।
  4. जिस पुरुष और वचन का कर्ता होता है, उसके साथ क्रिया भी उसी पुरुष और वचन की लगती है।
  5. क्रिया पर कर्ता के लिंग का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। तीनों लिंगों के लिए सदैव एक समान क्रिया प्रयुक्त होती है।
  6. कर्तृवाच्य में कर्ता में सदैव प्रथमा विभक्ति होती है।
  7. मध्यम और उत्तम पुरुष में तीनों लिंगों के कर्ता एकसमान होते हैं।
  8. भवत् (आप) कर्ता होने पर क्रिया प्रथम पुरुष की प्रयोग की जाती है।
  9. त्वं, युवां, यूयं, अहं, आवां, वयं के अतिरिक्त सभी कर्ताओं के साथ प्रथम पुरुष की क्रिया प्रयोग की जाती है।

प्रथम पुरुष और प्रथमा विभक्ति के तीनों लिंगों के तीनों वचनों के संज्ञा एवं सर्वनाम कर्ताओं के रूप इस प्रकार होते हैं–
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विशेष-शेष विभक्तियों के रूप ‘शब्द रूप प्रकरण’ के अन्तर्गत देखे जा सकते हैं। निम्नलिखित तालिकाओं में तीनों लिंगों के संज्ञा तथा सर्वनाम कर्ताओं का तीनों पुरुषों और वचनों की क्रियाओं के साथ समन्वय दर्शाया जा रहा है–
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पाठ 2: अस धातु के रुप और उनका प्रयोग 

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पाठ 3: लङ् लकार (भूतकाल)

संस्कृत में भूतकाल के लिए चार लकारों का प्रयोग किया जाता है—लिट् लकार, लुङ् लकार, लङ् लकार, लुङ् लकार। वक्ता ने जिसका प्रत्यक्ष ने किया हो, वहाँ लिट् लकार; वक्ता ने जिसे प्रत्यक्ष देखा हो, वहाँ लङ् लकार तथा ‘ऐसा होता तो ऐसा होता’ शर्तयुक्त भूतकाल में लुङ् लकार प्रयुक्त होता है। शेष सभी प्रकार के भूतकालिक वाक्यों के लिए लुङ् लकार का प्रयोग होता है। भूतकाल में लङ् लकार का प्रयोग अन्य लकारों की अपेक्षाकृत अधिक होता है।
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पाठ 4: तृट् लकार (भविष्यत्काल)

भविष्यत्काल की क्रिया का बोध कराने के लिए लुट् और लुट् दो लकारों का प्रयोग होता है, जिनमें लृट् लकार का ही प्रयोग सर्वाधिक होता है। 

लृट् लकार में रूप बनाने के लिए धातु में ‘इ’ लगाकर ‘ष्य’ जोड़ने के बाद ‘ति’, ‘त:’, ‘न्ति’ आदि प्रत्यय जोड़ देते हैं। जिन धातुओं में ‘इ’ नहीं लगता, उनमें स्यति, स्यतः, स्यन्ति जोड़ा जाता है।
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पाठ 5: लोट् लकार (आज्ञार्थ)

आज्ञा, प्रार्थना, इच्छा तथा आशीर्वाद के अर्थ में लोट् लकार का प्रयोग होता है। आज्ञा और प्रार्थना अर्थसूचक वाक्यों में कर्ता प्रायः छिपा रहता है, ऐसी स्थिति में क्रिया मध्यम पुरुष एकवचन की प्रयुक्त होती है।
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पाठ 6 : विधिलिङ् लकार (विध्यर्थ)

इच्छा, सम्भावना, अनुमति तथा चाहिए के भाव को प्रकट करने के लिए विधिलिङ् लकार का । प्रयोग किया जाता है।

ध्यातव्य-हिन्दी में ‘चाहिए’ से युक्त वाक्यों में कर्ता में ‘को’ चिह्न लगा रहता है (जैसे—राम को पढ़ना चाहिए), यहाँ पर ‘को’ को कर्म कारक का चिह्न समझकर द्वितीया विभक्ति में अनुवाद नहीं करना चाहिए।
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पाठ 7: कर्मकारक (द्वितीया विभक्ति)

जिस पर क्रिया का प्रभाव पड़ता है, उसको कर्मकारक कहते हैं। कर्म में द्वितीया विभक्ति का प्रयोग किया जाता है। क्रिया से सम्बन्ध रखने वाले जिस पदार्थ को, कर्ता अपने व्यापार से प्राप्त करने की सबसे अधिक इच्छा रखता है, उसे कर्म कहते हैं। कर्मकारक का चिह्न ‘को’ है। कभी-कभी यह चिह्न छिपा भी रहता है। क्रिया से पहले ‘किसको’ या ‘क्या’ लगाने पर उत्तर में जो कुछ आता है, वह कर्म है। उदाहरण–
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द्विकर्मक धातुएँ (द्वितीया विभक्ति)

निम्नलिखित सोलह धातुएँ और उनके समान अर्थ वाली धातुएँ द्विकर्मक (इनके साथ दो कर्म होते हैं) होती हैं दुह् (दुहना), याच् (माँगना), पच् (पकाना), दण्ड् (दण्ड देना), रुध् (रोकना, घेरना), प्रच्छ (पूछना), चि (चुनना, इकट्ठा करना), बू (बोलना, कहना), शास् (शासन करना), जि (जीतना), मथ् (मथना), मुष (चुराना), नी (ले जाना), हृ (हरण करना), कृष् (खींचना, जोतना), वह (वहन करना, ढोना)। इन सभी द्विकर्मक धातुओं के योग में अपादान आदि कारकों में भी द्वितीया विभक्ति होती है। उदाहरण–
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द्वितीया विभक्ति- उपपद विभक्ति कारकों से ही सदैव विभक्तियों का निर्देश नहीं होता है। कुछ अव्ययों के योग में भी विशेष नियमों के अनुसार विशेष विभक्ति होती है। ऐसी स्थिति में उसे उपपद विभक्ति कहते हैं। उपपद विभक्ति से कारक विभक्ति बलवान् होती है। उपपद विभक्ति के प्रमुख नियम इस प्रकार हैं–
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पाठ 8 : करण कारक (तृतीया विभक्ति)

कर्ता अपने कार्य को पूरा करने में जिसकी सहायता लेता है, उस साधन में तृतीया विभक्ति होती है। तृतीया विभक्ति का चिह्न ‘से’ या ‘के द्वारा है। उदाहरण–
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तृतीया विभक्ति–उपपद विभक्ति

नियम-

  1. ‘साथ’ का अर्थ रखने वाले सह, साकम्, सार्द्धम्, समम् शब्दों के योग में तृतीया विभक्ति होती है।
  2. जिस शब्द से शरीर के किसी अंग का विकार सूचित होता है, उस अंगवाचक शब्द में तृतीया विभक्ति होती है।
  3. समानार्थक तुल्यः, समः, समानः शब्दों के योग में तृतीया विभक्ति होती है।
  4. किसी वस्तु के मूल्य में तृतीया विभक्ति होती है।
  5. निषेधार्थक ‘अलम्’ के योग में तृतीया विभक्ति होती है।
  6. किम्, कार्यम्, कोऽर्थः, प्रयोजनम् के योग में तृतीया विभक्ति होती है।
  7. हेतु (कारण) में तृतीया विभक्ति होती है।
  8. जिसकी सौगन्ध ली जाती है उसमें तृतीया विभक्ति होती है।
  9. प्रकृति और स्वभाव आदि या किसी के कार्य करने की विधि में तृतीया विभक्ति का प्रयोग होता है। उदाहरण–

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पाठ 9: सम्प्रदान कारक (चतुर्थी विभक्ति)

जिसको कोई वस्तु दी जाती है या जिसके लिए कोई कार्य किया जाता है, उसे सम्प्रदान कारक कहते हैं। सम्प्रदान कारक में चतुर्थी विभक्ति होती है। सम्प्रदान का चिह्न ‘को’ या के लिए है। उदाहरण–
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चतुर्थी विभक्ति-उपपद विभक्ति नियम

  1. ‘रुच्’ धातु या उसके समान अर्थ वाली धातु के योग में प्रसन्न होने वाले में चतुर्थी विभक्ति होती है।
  2. ‘स्पृह’ धातु के योग में ईप्सित पदार्थ में चतुर्थी विभक्ति होती है।
  3. क्रुध्, द्रुह, असूय् धातुओं के योग में, जिसके प्रति क्रोध आदि किया जाता है, उसमें चतुर्थी विभक्ति होता है।
  4. नमः, स्वस्ति, स्वाहा, स्वधा तथा अलम् के योग में चतुर्थी विभक्ति होती है। उदाहरण–

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पाठ 10: अपादान कारक (पञ्चमी विभक्ति)

जिससे कोई वस्तु अलग होती है, उसे अपादान कारक कहते हैं। अपादान कारक में पञ्चमी विभक्ति होती है। अपादान का चिह्न ‘से’ (from, अलग होने के अर्थ में) है। उदाहरण–
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पञ्चमी विभक्ति–उपपद विभक्ति नियम-

  1. जिससे भय लगता हो अथवा जिससे रक्षा की जाती हो, उसमें पञ्चमी विभक्ति होती
  2. जहाँ से किसी को हटाया जाता है, उसमें पञ्चमी विभक्ति होती है।
  3. जिससे विधिपूर्वक विद्या पड़ी जाती है, उसे अध्यापक में पञ्चमी विभक्ति होती है।
  4. ‘जन्’ धातु के कर्ता के कारण में पञ्चमी विभक्ति होती है।
  5. ‘भू’ धातु के उद्गम स्थान में पञ्चमी विभक्ति होती है।
  6. जिस स्थान से दूसरे स्थान की दूरी दिखाई जाती है, उस स्थान में पञ्चमी विभक्ति होती है।
  7. प्रभृति, आरभ्य, बहिः, अनन्तरम्, परम के योग में पञ्चमी विभक्ति होती है।
  8. जब दो वस्तुओं में तुलना की जाती है, तब जिससे तुलना की जाती है, उसमें पञ्चमी विभक्ति होती है। उदाहरण–

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पाठ 11: सम्बन्ध (षष्ठी विभक्ति)

जब दो या अधिक शब्दों में सम्बन्ध दिखाया जाता है, तो उसे सम्बन्ध कहते हैं। सम्बन्ध में षष्ठी विभक्ति होती है। षष्ठी विभक्ति के चिह्न ‘का, के, की, रा, रे, रो, ना, ने, नी’ हैं। नियम-

  1. ‘क्त’ प्रत्ययान्त शब्दों के वर्तमानकालवाची होने पर षष्ठी विभक्ति होती है। यह बात ध्यान रखने योग्य है कि ‘क्त’ भूतकालिक प्रत्यय है।
  2. हेतु’ शब्द के प्रयुक्त होने पर ‘हेतु’ शब्द में तथा उसके ‘कारण’ अथवा ‘प्रयोजन’ में षष्ठी विभक्ति होती है।
  3. जिसका अनादर किया जाता है, उसमें षष्ठी अथवा सप्तमी विभक्ति होती है।
  4. समान या बराबर का अर्थ रखने वाले ‘समः’, ‘तुल्यः’, ‘सदृशः’ इत्यादि शब्दों के योग में जिससे तुलना की जाती है, उसमें षष्ठी या तृतीया विभक्ति होती है।
  5. ‘कृते’, ‘मध्ये’, ‘समक्ष’ आदि शब्दों के योग में षष्ठी विभक्ति का प्रयोग होता है।
  6. जब समूह में से किसी एक की विशेषता बताने के लिए उसे समूह से अलग किया जाता है उसमें षष्ठी अथवा सप्तमी विभक्ति होती है। उदाहरण–

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पाठ 12: अधिकरण कारक (सप्तमी विभक्ति)

जिस स्थान पर कोई कार्य होता है, उसमें अधिकरण कारक होता है। अधिकरण कारक में सप्तमी विभक्ति होती है। इसके हि ‘में, पर, ऊपर हैं। उदाहरण–
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सप्तमी विभक्ति-उपपद विभक्ति नियम

  1. जिस पर स्नेह किया जाता है, जिसमें भक्ति या विश्वास किया जाता है, उसमें सप्तमी विभक्ति होती है।
  2. जब किसी एक कार्य के हो जाने पर दूसरे कार्य का होना प्रतीत हो, तब पहले हो चुके कार्य में तथा उसके कर्ता में सप्तमी विभक्ति होती है।
  3. जिस समय कोई काम होता है तो समयवाचक शब्द को सप्तमी विभक्ति में रखा जाता है।
  4. जब किसी वस्तु की अपने समूह में विशेषता प्रकट की जाती है तो समूहवाचक शब्द में सप्तमी या षष्ठी विभक्ति होती है।
  5. कुशल, निपुण, पटु, साधु, असाधु, चतुर तथा संलग्न अर्थ वाले ‘युक्तः, लग्नः, तत्परः’ इत्यादि शब्दों के योग में सप्तमी विभक्ति होती है।
  6. जिसे कोई वस्तु समर्पित की जाती है, उसे सप्तमी विभक्ति में रखा जाता है। उदाहरण–

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पाठ 13 : सम्बोधन का प्रयोग नियम

  1. जिसको पुकारा जाता है, उसमें सम्बोधन होता है। सम्बोधन में प्राय: प्रथमा विभक्ति के रूपों से पूर्व सम्बोधन के चिह्न लग जाते हैं।
  2. सम्बोधन के चिह्न ‘हे ! भो ! अरे !’ इत्यादि हैं। कभी-कभी ये चिह्न छिपे भी रहते हैं।
  3. यद्यपि सम्बोधन में प्रथमा विभक्ति के रूप प्रयुक्त होते हैं, किन्तु कुछ शब्दों के एकवचन में परिवर्तन हो जाता है; यथा-आकान्त स्त्रीलिंग शब्दों में अन्तिम ‘आ’ का ‘ए’ हो जाता है। यथा-‘रमा’ प्रथमा विभक्ति का एकवचन है, किन्तु सम्बोधन में रमे प्रयुक्त होता है।
  4. सम्बोधन के वाक्य प्रायः लोट् लकार में होते हैं। उदाहरण–

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पाठ 14: सर्वनामों का प्रयोग

नियम- सर्वनामों का प्रयोग संज्ञाओं के स्थान पर होता है। इनका प्रयोग विशेषणों की भाँति भी होता है। जहाँ ये विशेषण के रूप में आते हैं, वहाँ इनके विभक्ति, वचन और लिंग विशेष्य के अनुसार होते हैं। युष्मद्, अस्मद्, तद्, एतद्, यद्, किम्, इदम्, अदस्, सर्व आदि शब्द सर्वनाम हैं। उदाहरण–
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पाठ 15: विशेषणों का प्रयोग नियम

  1. विशेषणों के विभक्ति, वचन और लिंग अपने विशेष्य के अनुसार होते हैं।
  2. ‘मुझ जैसा’ और ‘तुझ जैसा’ आदि की संस्कृत बनाने के लिए इनके वाचक सर्वनाम शब्दों में ‘दृश’ जोड़ दिया जाता है। इनके लिंग, विभक्ति, वचन भी अपने विशेष्य के अनुसार प्रयुक्त किये जाते हैं। उदाहरण–

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अनुवाद संस्कृत व्याकरण से
अभ्यास 1

प्रश्न 1.
निम्नलिखित पदों से वाक्य-रचना कीजिए
उत्तर:
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प्रश्न 2.
निम्नलिखित वाक्यों को शुद्ध कीजिए
उत्तर:
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प्रश्न 3.
निम्नलिखित धातुओं के प्रथम पुरुष में रूप बताइए
उत्तर:
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अभ्यास 2

प्रश्न 1.
निम्नलिखित धातुरूपों का वाक्यों में प्रयोग कीजिए
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प्रश्न 2.
निम्नलिखित संस्कृत वाक्यों एवं उनके उत्तरों को ध्यान से पढ़िए
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प्रश्न 3.
निम्नलिखित हिन्दी वाक्यों के संस्कृत में अनुवाद कीजिए
उत्तर:
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अभ्यास 3

प्रश्न 1.
निम्नलिखित धातुओं का इयम्, इमे, इंमाः के साथ प्रयोग कीजिए
उत्तर:
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प्रश्न 2.
निम्नलिखित वाक्यों में रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए
उत्तर:
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प्रश्न 3.
निम्नलिखित शब्दों का वाक्यों में प्रयोग कीजिए
उत्तर:
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प्रश्न 4.
निम्नलिखित वर्गों से उपयुक्त शब्द चुनकर वाक्य बनाइए
उत्तर:
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प्रश्न 5.
निम्नलिखित शब्दों के स्त्रीलिंग में रूप बताइए
उत्तर:
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प्रश्न 6.
निम्नलिखित हिन्दी वाक्यों को संस्कृत में अनुवाद कीजिए
उत्तर:
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अभ्यास 4

प्रश्न 1.
निम्नलिखित वाक्यों में रिक्त-स्थानों की पूर्ति कीजिए
उत्तर:
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प्रश्न 2.
निम्नलिखित वाक्यों का संस्कृत में अनुवाद कीजिए
उत्तर:
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प्रश्न 3.
निम्नलिखित वाक्यों को शुद्ध कीजिए
उत्तर:
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प्रश्न 4:
निम्नलिखित हिन्दी वाक्यों का संस्कृत में अनुवाद कीजिए
उत्तर:
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अभ्यास 5

प्रश्न 1.
निम्नलिखित वाक्यों का संस्कृत में अनुवाद कीजिए
उत्तर:
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प्रश्न 2.
निम्नलिखित वाक्यों को पूर्ण कीजिए
उत्तर:
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प्रश्न 3.
निम्नलिखित तालिका से उपयुक्त शब्द चुनकर वाक्य बनाइए– शिशवः, कृषकाः, यूयम्, सः, खगः; पास्यन्ति, गमिष्यन्ति, धाविष्यथ, क्रीडिष्यति, कूजिष्यति।
उत्तर:
शिशवः पास्यन्ति।
कृषका: गमिष्यन्ति।
यूयं धाविष्यथ।
सः क्रीडिष्यति।
खगः कूजिष्यति

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प्रश्न 4.
निम्नलिखित वाक्यों को शुद्ध करके लिखिए
उत्तर:
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प्रश्न 5.
निम्नलिखित हिन्दी वाक्यों का संस्कृत में अनुवाद कीजिए
उत्तर:
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अभ्यास 6

प्रश्न 1.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए
उत्तर:
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प्रश्न 2.
निम्नलिखित से चतुर्थी विभक्ति के रूप छाँटिए— मृगेभ्यः, मृगाय, विप्राय, विप्रैः, मित्रे, भवते, हरये, भूपतये, गुरवे, शिशुभ्यः।
उत्तर:
मृगेभ्यः, मृगाय, विप्राय, भवते, हरये, भूपतये, गुरवे, शिशुभ्यः।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित वाक्यों को शुद्ध कीजिए
उत्तर:
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प्रश्न 4.
निम्नलिखित हिन्दी वाक्यों का संस्कृत में अनुवाद कीजिए
उत्तर:
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अभ्यास 7

प्रश्न 1.
निम्नलिखित वाक्यों का संस्कृत में अनुवाद कीजिए
उत्तर:
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प्रश्न 2.
निम्नलिखित वाक्यों का संस्कृत में अनुवाद कीजिए
उत्तर:
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प्रश्न 3.
कृ धातु के विधिलिङ् लकार के रूप कण्ठस्थ कीजिए।
उत्तर:
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प्रश्न 4.
निम्नलिखित हिन्दी वाक्यों को संस्कृत में अनुवाद कीजिए
उत्तर:
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अभ्यास 8

प्रश्न 1.
निम्नलिखित वाक्यों में सप्तमी विभक्ति के शब्द छाँटिए
(अ) मीनाः जले निमज्जन्ति।
(आ) प्रकोष्ठे बालकाः पठन्ति।
(इ) वृक्षेषु खगाः कूजन्ति।
(ई) सः मातरि स्निह्यति।
(उ) ग्रीष्मे आतपः तीव्रः भवति।
उत्तर:
(अ) जले,
(आ) प्रकोष्ठे,
(इ) वृक्षेषु,
(ई) मातरि,
(३) ग्रीष्मे।

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प्रश्न 2.
निम्नलिखित हिन्दी वाक्यों को संस्कृत में अनुवाद कीजिए
उत्तर:
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अभ्यास 9

प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों के तीनों लिंगों में रूप लिखिए
उत्तर:
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प्रश्न 2.
कोष्ठक में दिये हुए शब्दों से रिक्त-स्थानों की पूर्ति कीजिए
उतर:
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प्रश्न 3.
निम्नलिखित वाक्यों को शुद्ध कीजिए
उतर:
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प्रश्न 4.
अपनी पुस्तक से दस विशेषण लिखिए।
उत्तर:
नील, शोभन, रम्य, अभिराम, मलिन, कुलीन, प्रचुर, यादृश, तादृश, कीदृश।

प्रश्न 5.
पुस्तकालय पर पाँच वाक्य संस्कृत में लिखिए।
उत्तर:

  1. पुस्तकानाम् आलयः पुस्तकालयः कथ्यते।
  2. निजीपुस्तकालयः सार्वजनिकपुस्तकालयः च इमौ द्वौ भेदौ स्तः।
  3. पुस्तकालये एकः पुस्तकालयाध्यक्षः भवति।
  4. अत्रे विविधानि पुस्तकानि सन्ति।
  5. जनाः अत्र पठनाय आगच्छन्ति

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प्रश्न 6.
निम्नलिखित हिन्दी वाक्यों को संस्कृत में अनुवाद कीजिए
उत्तर:
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UP Board Solutions for Class 11 Samanya Hindi संस्कृत दिग्दर्शिका Chapter 7 विश्ववन्द्याः कवयः

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Textbook NCERT
Class Class 11
Subject Samanya Hindi
Chapter Chapter 7
Chapter Name विश्ववन्द्याः कवयः
Category UP Board Solutions

UP Board Solutions for Class 11 Samanya Hindi संस्कृत दिग्दर्शिका Chapter 7 विश्ववन्द्याः कवयः

श्लोकों का ससन्दर्भ अनुवाद

वाल्मीकिः

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