UP Board Solutions for Class 11 Samanya Hindi संस्कृत दिग्दर्शिका Chapter 7 विश्ववन्द्याः कवयः

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Board UP Board
Textbook NCERT
Class Class 11
Subject Samanya Hindi
Chapter Chapter 7
Chapter Name विश्ववन्द्याः कवयः
Category UP Board Solutions

UP Board Solutions for Class 11 Samanya Hindi संस्कृत दिग्दर्शिका Chapter 7 विश्ववन्द्याः कवयः

श्लोकों का ससन्दर्भ अनुवाद

वाल्मीकिः

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UP Board Solutions for Class 11 Samanya Hindi शब्दों में सूक्ष्म अन्तर

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Textbook NCERT
Class Class 11
Subject Samanya Hindi
Chapter Chapter 2
Chapter Name शब्दों में सूक्ष्म अन्तर
Number of Questions 42
Category UP Board Solutions

UP Board Solutions for Class 11 Samanya Hindi शब्दों में सूक्ष्म अन्तर

नवीनतम पाठ्यक्रम में शब्द-रचना के अन्तर्गत शब्दों के सूक्ष्म अन्तर को सम्मिलित किया गया है, जिसके लिए विभिन्न प्रकार के शब्द-युग्मों का अध्ययन किया जाना चाहिए। इसके लिए 2 अंक निर्धारित हैं।

शब्द-युग्म से अभिप्राय है-शब्दों का जोड़ा। विभिन्न प्रकार के शब्दों के जोड़े बनाकर शब्द-रचना की जाती है। शब्द-युग्म में दो स्वतन्त्र अर्थ वाले शब्द होते हैं, जो अलग-अलग रहने पर तो पृथक्-पृथक् अर्थ देते हैं, किन्तु जब उन शब्दों का युग्म बनाकर एक शब्द के रूप में प्रयोग किया जाता है तो वे शब्द अपने अर्थों से भिन्न अर्थ देने लगते हैं; उदाहरणार्थ–‘दिन’ और ‘रात दो पृथक्-पृथक् अर्थ रखने वाले शब्द हैं, किन्तु जब इन शब्दों का युग्म बनाकर एक शब्द के रूप में प्रयोग किया जाता है, तो ये दोनों शब्द अपने-अपने अर्थ को त्यागकर एक नवीन अर्थ का बोध कराने लगते हैं; जैसे—

  1. लोग दिन में जागते हैं और रात को सोते हैं।
  2. दिनेश ने रात-दिन कड़ी मेहनत की है।

यहाँ प्रथम वाक्य में ‘रात’ और ‘दिन’ अपने वास्तविक अर्थ को व्यक्त कर रहे हैं, किन्तु द्वितीय वाक्य में जब वे युग्म के रूप में प्रयुक्त हुए हैं तो वे अपने मूल अर्थ को छोड़कर एक नवीन अर्थ को व्यक्त कर रहे हैं। यहाँ ‘रात-दिन’ शब्द ‘निरन्तरता’ को व्यक्त कर स्हा है। इस प्रकार शब्द-युग्म के रूप में एक नवीन अर्थबोधक शब्द की रचना हो गयी है। शब्द-युग्मों की रचना-शब्द-युग्मों की रचना निम्नलिखित सात प्रकारों से की जाती है-

  1. एक ही शब्द की पुनरुक्ति द्वारा,
  2. सजातीय या समानार्थक शब्दों के द्वारा,
  3. विलोम शब्दों के द्वारा,
  4. सार्थक और निरर्थक शब्दों के द्वारा,
  5. निरर्थक शब्दों के द्वारा,
  6. परसर्गों के साथ शब्द की पुनरावृत्ति द्वारा,
  7. समोच्चारित भिन्नार्थक शब्दों के द्वारा।। उपर्युक्त विधियों द्वाय निर्मित शब्द-युग्म जिन नवीन अर्थों का बोध कराते हैं, उन्हें वाक्य प्रयोग द्वारा भली प्रकार से स्पष्ट किया जा सकता है।

(1) एक ही शब्द की पुनरुक्ति द्वारा
पुनरुक्ति = पुनः + उक्तेि; अर्थात् एक ही शब्द को फिर से कहना उस शब्द की पुनरुक्ति कहलाता है। पुनरुक्ति भी शब्द-युग्म बनाने का प्रमुख तत्त्व है। इसमें एक ही शब्द को प्राय: एक बार दोहराकर शब्द-युग्म बनाया जाता है, किन्तु जब किसी ध्वनि के द्वारा किसी क्रिया को बताया जाता है, तब ध्वनिवाचक शब्द की एक बार से अधिक आवृत्ति की जाती है। साहित्य में इसे ध्वन्यर्थ अलंकार के नाम से जाना जाता है। एक और अनेक आवृत्ति द्वारा शब्द-युग्म बनाने की प्रक्रिया को निम्नवत् समझा जा सकता है–
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(2) सजातीय या समानार्थक शब्दों के द्वारा
सजातीय अथवा समानार्थक लगने वाले दो शब्दों को मिलाकर भी शब्द-युग्म की रचना की जाती है। इसमें दोनों ही शब्द मिलते-जुलते अर्थ देने वाले होते हैं, किन्तु दोनों को अर्थ एक नहीं होता; जैसे-
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(3) विलोम शब्दों के द्वारा
दो विलोम शब्दों को मिलाकर भी शब्द-युग्म की रचना की जाती है। इस प्रकार के शब्द-युग्मों से युक्त वाक्य प्रायः सूक्तिपरक और नैतिकता से ओत-प्रोत होते हैं; जैसे-
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(4) सार्थक और निरर्थक शब्दों के द्वारा
यद्यपि निरर्थक शब्दों को भाषा में शब्द ही नहीं माना जाता और इसी कारण उनको अध्ययन भी भाषा के अन्तर्गत नहीं किया जाता, तथापि इन निरर्थक शब्दों का भी भाषा में बड़ा महत्त्व है। सार्थक शब्दों के साथ मिलाकर जब इनसे शब्द-युग्म की रचना की जाती है तो ये सार्थक हो उठते हैं। यहाँ यह बात ध्यान देने योग्य है कि शब्द-युग्म द्वारा जब ये निरर्थक शब्द सार्थक हो उठते हैं, तब भी उनके अर्थ को सार्थक शब्द के अर्थ से पृथक् करके नहीं देखा जा सकता। इनकी सार्थकता सदैव अपने साथ प्रयुक्त होने वाले सार्थक शब्दों पर ही निर्भर करती है। इस प्रकार के शब्द-युग्मों में सार्थक शब्द पहले अथवा बाद में कहीं भी आ सकता है; जैसे-
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(5) निरर्थक शब्दों के द्वारा
साधारण बोलचाल की भाषा में दो निरर्थक शब्दों को मिलाकर उनसे शब्द-युग्म की रचना करके एक विशेष अर्थ की अभिव्यक्ति की जाती है; जैसे-
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(6) परसर्गों के साथ शब्द की पुनरावृत्ति द्वारा
पुनरावृत्ति द्वारा बने शब्द-युग्मों के मध्य परसर्ग लगाकर भी शब्द-युग्म की रचना की जाती है। इस प्रकार के शब्द-युग्म में परसर्ग के दोनों ओर संयोजक चिह्न लगाते हैं; जैसे-
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(7) समोच्चारित भिन्नार्थक शब्दों के द्वारा
जो शब्द उच्चारण में लगभग समान प्रतीत होते हैं, परन्तु उनके अर्थ भिन्न होते हैं, उन्हें समोच्चारित भिन्नार्थक शब्द-युग्म भी कहा जाता है; यथा—
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बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न (क) निम्नलिखित शब्द-युग्मों में से किसी एक शब्द-युग्म में बताइए कि उसका कौन-सा अर्थ सही है-

प्रश्न 1.
अनल-अनिल—
(क) पृथ्वी और आकाश
(ख) अग्नि और वायु
(ग) जल और वायु
(घ) पानी और आग
उत्तर:

प्रश्न 2.
सकल-शकल—
(क) कला और कृति
(ख) सन् और सम्वत्
(ग) सम्पूर्ण और अंश
(घ) सबल और निर्बल
उत्तर:

प्रश्न 3.
पुरुष-परुष—
(क) नर और नारी
(ख) आदमी और फरसा
(ग) पुरुष और पैसा
(घ) आदमी और कठोर
उत्तर:

प्रश्न 4.
गृह-ग्रह—
(क) घर और नक्षत्र
(ख) घर और गृहस्थी
(ग) गिरोह और घर
(घ) गाँव और घर
उत्तर:

प्रश्न 5.
वृत्त-वित्त—
(क) चरित्र और धन
(ख) धन और दौलत
(ग) गिरोह और घर
(घ) गाँव और घर
उत्तर:

प्रश्न 6.
बात-वात—
(क) भात और दोल
(ख) बातचीत और वायु
(ग) हवा और पानी
(घ) बाट और तराजू ,
उत्तर:

प्रश्न 7.
कपट-कपाट—
(क) कप और प्लेट
(ख) किवाड़ और खिड़की
(ग) धोखा और दरवाजा
(घ) पर्दा और किवाड़
उत्तर:

प्रश्न 8.
पतन-पत्तन—
(क) गिरना और उठना
(ख) पत्ता और फूल
(ग) गिरना और बन्दरगाह
(घ) पर्दा और किवाड़
उत्तर:

प्रश्न 9.
सुत-सूत—
(क) पुत्र और पिता
(ख) पुत्र और सारथी
(ग) पुत्र और माता
(घ) पुत्र और पत्नी।
उत्तर:

प्रश्न 10.
अभिराम-अविराम—
(क) सुन्दर और लगातार
(ख) राम और लक्ष्मण
(ग) अब और तब
(घ) सुन्दर और मजबूत।
उत्तर:

प्रश्न 11.
पास-पाश—
(क) उत्तीर्ण और निकट
(ख) निकट और जाल
(ग) निकट और ऊँचा
(घ) समीप और दूर
उत्तर:

प्रश्न 12.
पंथ-पथ—
(क) पथिक और रास्ता
(ख) सम्प्रदाय और मार्ग
(ग) चलना और बैठना
(घ) मार्ग और कार्य
उत्तर:

प्रश्न 13.
अभय-उभय—
(क) निडर और दोनों
(ख) भयरहित और निडर
(ग) निर्भय और कायर
(घ) आभायुक्त और अन्य
उत्तर:

प्रश्न 14.
अंबुज-अंबुद—
(क) कमल और बादल
(ख) जल और कमल
(ग) बादल और समुद्र
(घ) समुद्र और कमल
उत्तर:

प्रश्न 15.
मेघ-मेध—
(क) बादल और कील
(ख) बादल और यज्ञ
(ग) काला और बुद्धि
(घ) बादल और चर्बी
उत्तर:

प्रश्न 16.
अंस-अंश—
(क) अंकुर और हिस्सा
(ख) हिस्सा और अंकुर
(ग) कंधा और हिस्सा
(घ) हिस्सा और कंधा
उत्तर:

प्रश्न 17.
जलज-जलद—
(क) बादल और कमल
(ख) कमल और बादल
(ग) कमल और तालाब
(घ) तालाब और कमल
उत्तर:

प्रश्न 18.
अन्न-अन्य—
(क) अनाज और दूसरा
(ख) भोजन और अनेक
(ग) गेहूँ और वह
(घ) बेकार और दूसरों
उत्तर:

प्रश्न 19.
उपकार-अपकार—
(क) दूसरे का कार्य और बुरी’
(ख) पुकार और न बोलना।
(ग) भलाई और बुराई
(घ) अच्छी और दुष्ट
उत्तर:

प्रश्न 20.
अचार-आचर—
(क) बुरा आचरण और अच्छा
(ख) मुरब्बा और आचरण
(ग) स्थिर और चल
(घ) आम और चारों
उत्तर:

प्रश्न 21.
भित्ति-भीतं—
(क) भक्ति और भाग्य
(ख) द्वार और दीवार
(ग) दीवार और डरा हुआ।
(घ) बाहर और भीतर
उत्तर:

प्रश्न 22.
अमूल्य-अमूल—
(क) मूल-रहित और दूध
(ख) मूलरहित और जड़ रहित
(ग) मूल्य सहित और मूलभूत
(घ) अधिक मूल्यवाला और मूर्ख
उत्तर:

प्रश्न 23.
भारती-भारतीय—
(क) सरस्वती और भारत का रहने वाला
(ख) भार ढोने वाली और भर्ती करने वाला
(ग) भार में लगी हुई और चुनाव,
(घ) एक जाति और एक व्यक्ति
उत्तर:

प्रश्न 24.
श्रान्त-आन्ति—
(क) थकान और खिन्नता
(ख) शान्ति और खिन्नता
(ग) खेिल और थकान
(घ) शस्त और अशान्त।
उत्तर:

प्रश्न 25.
प्रारम्भ-संरब्ध—
(क) आरम्भ और योजना
(ख) अथ और इति
(ग) आरम्भु और भाग्य
(घ) शुरू करने की स्थिति और समाप्ति
उत्तर:

प्रश्न 26.
छात्र-क्षात्र—
(क) छतरीधारी और विद्यार्थी
(ख) विद्यार्थी और नेता
(ग) क्षेत्रियधर्म और विद्यार्थी
(घ) विद्यार्थी और क्षत्रियोचित
उत्तर:

प्रश्न 27.
नियत-नियति—
(क) निश्चित और भाग्य
(ख) आदत और भाग्य
(ग) प्रकृति और गणना।
(घ) आदत और गणना
उत्तर:

प्रश्न 28.
वहन-बहन—
(क) टोना-भागिनी
(ख) बहना-बहिनी
(ग) ढोना-बहना
(घ) ढोना-ढहाना
उत्तर:

प्रश्न 29.
आय-आयु—
(क) आना-उम्र
(ख) आमदनी-उम्र
(ग) आना-आज्ञा
(घ) आमदनी-आना
उत्तर:

प्रश्न 30.
श्रवण-श्रमण—
(क) पप और पुण्य
(ख) सज्जन और दुर्जन
(ग) कान और भिक्षु
(घ) सावन और परिश्रमी
उत्तर:

प्रश्न 31.
अंश-अंशु—
(क) भाग और सूर्य
(ख) सूर्य और भाग
(ग) भाग और किरण
(घ) भाग और वरुण
उत्तर:

प्रश्न 32.
कटिबंध-कटिबद्ध—
(क) फेंटा और तैयार
(ख) करधनी और तैयार
(ग) तैयार और बाजूबन्दै
(घ) उद्यत और उद्धत
उत्तर:

प्रश्न 33.
निहत-निहित—
(क) डरा हुआ और छिपा हुआ
(ख) छिपा हुआ और डरा हुआ
(ग) मरा हुआ और छिपा हुआ।
(घ) हारा हुआ और मरा हुआ
उत्तर:

प्रश्न 34.
बिहग-बिहंग—
(क) पक्षी और बालक
(ख) पक्षी और तोता
(ग) पक्षी और आकाश
(घ) आकाश और पक्षी
उत्तर:

प्रश्न 35.
अतिथि-अतिथेय—
(क) जिसके आने की कोई तिथि न हो–अतिथि सेवा करने वाला ,
(ख) अधिक तिथि–आने वाली तिथि
(ग) अतिथिविहीन-तिथि सहित
(घ) जिसके आने की तिथि हो-जो निश्चित तिथि पर आये
उत्तर:

प्रश्न 36.
अग-अघ—
(क) आगे-पीछे
(ख) अचल-पाप
(ग) नया-पुराना
(घ) सम्पूर्ण-पुण्य
उत्तर:

प्रश्न 37.
आरत-आराति—
(क) आरती और आरती करने वाला
(ख) प्रेमी और प्रेम से रहित
(ग) दु:ख और शत्रु
(घ) रात्रि के पहले और रात्रि के बाद
उत्तर:

प्रश्न 38.
जलद-जलधि—
(क) कमल और समुद्र
(ख) बादल और समुद्र
(ग) सिन्धु और आकाश
(घ) जलना और जो जला न हो
उत्तर:

प्रश्न 39.
श्वपच-स्वपच—
(क) दुष्ट और सज्जन
(ख) चाण्डाल और स्वयंपाकी
(ग) स्वयंपाकी और चाण्डाल
(घ) दुर्जन और साधु
उत्तर:

प्रश्न 40.
आतप-आपात—
(क) धूप और संकट
(ख) संकट और धूप
(ग) धूप और छाया
(घ) उजाला और अँधेरा
उत्तर:

प्रश्न 41.
आभरण-आमरण—
(क) भरण और पोषण
(ख) जीवन और मरण
(ग) आभूषण और मृत्यु तक
(घ) जीवन और मोक्ष
उत्तर:

प्रश्न (ख).
निम्नलिखित में से किन्हीं दो शब्द-युग्मों के सूक्ष्म अन्तर को स्पष्ट कीजिए

  1. अविराम-अभिराम,
  2. अवलम्ब-अविलम्ब,
  3.  ग्रह-गृह,
  4. कुल-कूल,
  5. अभिज्ञ-अनभिज्ञ,
  6.  क्षात्र-छात्र,
  7.  पुरुष-परुष।

उत्तर:

  1. अविराम-अभिराम का अर्थ है–निरन्तर-सुन्दर,
  2. अवलम्ब-अविलम्ब का अर्थ है-सहाराशीघ्र,
  3.  ग्रह-गृह का अर्थ है-नक्षत्र-घर,
  4. कुल-कूल का अर्थ है-वंश-किनारा,
  5. अभिज्ञ-अनभिज्ञ का अर्थ है—जानकार-अनजान,
  6. क्षात्र-छात्र का अर्थ है-क्षत्रिय-विद्यार्थी,
  7. पुरुष-परुष का अर्थ हे-मनुष्य-कठोर।

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UP Board Class 12 Sociology Model Papers Paper 3

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Class Class 12
Subject Sociology
Model Paper Paper 3
Category UP Board Model Papers

UP Board Class 12 Sociology Model Papers Paper 3

समय  : 3 घण्टे 15 मिनट
पूर्णाक :  100

निर्देश :
प्रारम्भ के 15 मिनट परीक्षार्थियों को प्रश्न-पत्र पढ़ने के लिए निर्धारित हैं।
नोट :

  • सभी प्रश्न अनिवार्य है। सभी प्रश्नों के अंक उन अहिा हैं।
  • प्रश्न संख्या 1 से 10 त म ल्पीय है। प्रश्न -11 से 18 अति उत्तरीय हैं, जिस प्रकार 15 शब्दों में देना है। प्रश्न होण्या-19 से 24 तक नए तरीय हैं, जिनकी शब्द सीमा 50 शब्द हैं। प्रश्न शख्यिा 25 ते 27 तक दीर्घ उत्तरीय हैं, जिनका ये र 150 शब्दों में देना है।

बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
निम्न में से कौन-सी संस्था अपराध निवारण से सम्बन्धित है? [1]
(a) प्राचीरविहीन बन्दी गृह
(b) आदर्श बन्दी गृह
(c) प्रतिप्रेषण गृह
(d) उद्धार गृह

प्रश्न 2.
‘सोशल डिसऑर्गेनाइजेशन’ पुस्तक के लेखक कौन हैं? [1]
(a) सदरलैण्ड
(b) मैकाइवर एवं पेज
(c) इलियट एवं मैरिल
(d) जिसबर्ग

प्रश्न 3.
“जाति एक बन्द वर्ग है।” यह किसने कहा है? [1]
(a) कूले
(b) मजूमदार एवं मदान
(c) घुरिये
(d) जिसबर्ग

प्रश्न 4.
निम्नलिखित में से कौन-सा भौगोलिक पर्यावरण का आवश्यक तत्त्व [1]
(a) मूलभूत आवश्यकताएँ।
(b) आर्थिक क्रियाएँ।
(c) राजनैतिक संगठन
(d) जलवायु दशाएँ

प्रश्न 5.
निम्नलिखित में से कौन-सी मानवकृत आपदा है? [1]
(a) भूकम्प
(b) भू-स्खलन
(c) निर्वनीकरण
(d) बाढ़

प्रश्न 6.
“परिवार व्यक्तित्व का पालना है।” यह कथन किसका है? [1]
(a) रूसेक
(b) बोगाड्र्स
(c) मैकाइवर
(d) मैक्स वेबर

प्रश्न 7.
निम्न में से किस राज्य में विपणन समितियों को विशेष सफलता मिली है? [1]
(a) महाराष्ट्र
(b) उत्तर प्रदेश
(c) ‘a’ और ‘b’ दोनों
(d) इनमें से कोई नहीं

प्रश्न 8.
निम्न में से किसकी रिपोर्ट के आधार पर ‘सहकारी साख समिति अधिनियम’ लाया गया? [1]
(a) मॉरिश कमेटी
(b) हैरिक कमेटी
(c) सी. आर. फे, कमेटी
(d) एडवर्ड लॉ कमेटी

प्रश्न 9.
मनरेगा के तहत कितने प्रतिशत कार्यों का निष्पादन ग्राम पंचायतों द्वारा किया जाता है? [1]
(a) 25%
(b) 50%
(c) 75%
(d) 100%

प्रश्न 10.
“नव प्रवर्तन उद्यमिता का महानायक है।” यह कथन किसका है? [1]
(a) वी. आर. गायकवाड़
(b) जोसेफ ए. शुम्पीटर
(c) पीटर ड्रकर,
(d) फ्रान्ज

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 11.
एक सफल महिला उद्यमी के किन्हीं दो सामाजिक गुणों पर प्रकाश डालिए। [3]

प्रश्न 12.
समाज कल्याण की कोई दो विशेषताएँ बताइए। [3]

प्रश्न 13.
प्राकृतिक पर्यावरण को उपयुक्त उदाहरणों सहित स्पष्ट कीजिए। [3]

प्रश्न 14.
‘राष्ट्रीय आपदा प्रबन्धन प्राधिकरण’ पर टिप्पणी कीजिए। [3]

प्रश्न 15.
संयुक्त परिवार विघटन के दुष्परिणाम बताइए। [3]

प्रश्न 16.
प्राथमिक समूह की दो विशेषताएँ लिखिए। [3]

प्रश्न 17.
महिला उत्पीड़न रोकने के दो उपाय लिखिए। [3]

प्रश्न 18.
पंचायतों को सफल बनाने के कोई दो सुझावों को लिखिए। [3]

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 19.
सहकारी आन्दोलन की धीमी (मन्द) गति अथवा इसकी असफलता के कारणों का उल्लेख कीजिए। [6]

प्रश्न 20.
भारत में महिला उद्यमियों के मार्ग में क्या बाधाएँ हैं? [6]

प्रश्न 21.
विभिन्न कालों में महिलाओं की परिस्थिति एवं स्थिति पर टिप्पणी कीजिए। [6]

प्रश्न 22.
भारतीय समाज पर नगरीकरण के कुप्रभावों को बताइए। [6]

प्रश्न 23.
भारत में अनुसूचित जातियों से सम्बन्धी प्रमुख समस्याएँ बताइए।  [6]

प्रश्न 24.
ग्रामीण सहकारी बैंक से लाभ बताइए। [6]

विस्तृत उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 25.
भारत में सामाजिक क्षेत्र के विकास में महिलाओं के योगदान की विवेचना कीजिए। [10]
अथवा
ग्रामीण जीवन में सहकारिता के महत्त्व पर प्रकाश डालिए।  [10]

प्रश्न 26.
भारत में समाज कल्याण पर एक संक्षिप्त लेख लिखिए।  [10]
अथवा
भारतीय जन जातियों में विवाह के विभिन्न तरीकों का वर्णन कीजिए।  [10]

प्रश्न 27.
सांस्कृतिक विलम्बना पर एक लेख लिखिए।  [10]
अथवा
पर्यावरण क्या है? भौगोलिक पर्यावरण का मनुष्य के सामाजिक तथा सांस्कृतिक जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता है?   [10]

उत्तरमाला

उत्तर 1.
(d) उद्धार गृह

उत्तर 2.
(c) इलियट एवं मैरिल

उत्तर 3.
(b) मजूमदार एवं मदान

उत्तर 4.
(d) जलवायु दशाएँ

उत्तर 5.
(c) निर्वनीकरण

उत्तर 6.
(a) रूसेक

उत्तर 7.
(d) एडवर्ड लॉ कमेटी

उत्तर 8.
(b) 50%

उत्तर 9.
(b) 50%

उत्तर 10.
(b) जोसेफ ए, शुम्पीटर

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UP Board Solutions for Class 11 Samanya Hindi खण्डकाव्य Chapter 1 मुक्तियज्ञ

UP Board Solutions for Class 11 Samanya Hindi खण्डकाव्य Chapter 1 मुक्तियज्ञ (सुमित्रानन्दन पन्त) are part of UP Board Solutions for Class 11 Samanya Hindi. Here we have given UP Board Solutions for Class 11 Samanya Hindi खण्डकाव्य Chapter 1 मुक्तियज्ञ (सुमित्रानन्दन पन्त).

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Textbook NCERT
Class Class 11
Subject Samanya Hindi
Chapter Chapter 1
Chapter Name मुक्तियज्ञ (सुमित्रानन्दन पन्त)
Number of Questions 4
Category UP Board Solutions

UP Board Solutions for Class 11 Samanya Hindi खण्डकाव्य Chapter 1 मुक्तियज्ञ (सुमित्रानन्दन पन्त)

उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद, कानपुर, कानपुर देहात, जौनपुर, फैजाबाद, एटा, ललितपुर जनपदों के लिए। नवसृजित जनपदों के विद्यार्थी अपने जनपद में निर्धारित खण्डकाव्य के सम्बन्ध में अपने विषय-अध्यापक से जानकारी प्राप्त कर ले

प्रश्न 1.
‘मुक्तियज्ञ’ की कथावस्तु (कथानक) संक्षेप में लिखिए।
या
‘मुक्तियज्ञ’ खण्डकाव्य का कथासार अपने शब्दों में लिखिए।
या
” ‘मुक्तियज्ञ’ में गाँधी युग के स्वर्ण-इतिहास का काव्यात्मक आलेख है।” प्रस्तुत कथन के आधार पर ‘मुक्तियज्ञ’ की कथावस्तु की व्याख्या कीजिए।
या
‘मुक्तियज्ञ’ खण्डकाव्य के आधार पर भारतीय स्वतन्त्रता-संग्राम की विशिष्ट (प्रमुख) घटनाओं का वर्णन कीजिए।
या
‘मुक्तियज्ञ’ की देशभक्ति की भावनाओं की विवेचना कीजिए।
या
“‘मुक्तियज्ञ’ सन् 1921 से लेकर सन् 1947 तक के स्वतन्त्रता संग्राम की कहानी है। इस उक्ति पर प्रकाश डालिए।
या
‘मुक्तियज्ञ’ खण्डकाव्य के कथानक का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
उत्तर
‘मुक्तियज्ञ’ खण्डकाव्य सुमित्रानन्दन पन्त द्वारा विरचित ‘लोकायतन’ महाकाव्य का एक अंश है। इस अंश में भारत के स्वतन्त्रता आन्दोलन की गाथा है। ‘मुक्तियज्ञ’ की कथावस्तु संक्षेप में निम्नवत् है| गाँधी जी साबरमती आश्रम से अंग्रेजों के नमक-कानून को तोड़ने के लिए चौबीस दिनों की यात्रा पूर्ण करके डाण्डी गाँव पहुँचे और सागरतट पर नमक बनाकर ‘नमक कानून तोड़ा-

वह प्रसिद्ध डाण्डी यात्रा थी, जन के राम गये थे फिर वन।
सिन्धु तीर पर लक्ष्य विश्व का, डाण्डी ग्राम बना बलि प्रांगण॥

गाँधी जी का उद्देश्य नमक बनाना नहीं था, वरन् इसके माध्यम से वे अंग्रेजों के इस कानून का विरोध करना और जनता में चेतना उत्पन्न करना चाहते थे। यद्यपि उनके इस विरोध के आधार सत्य और अहिंसा थे, किन्तु अंग्रेजों का दमन-चक्र पहले की भाँति ही चलने लगा। गाँधी जी तथा अन्य नेताओं को अंग्रेजों ने कारागार में डाल दिया। जैसे-जैसे दमन-चक्र बढ़ता गया, वैसे-वैसे ही मुक्तियज्ञ श्री तीव्र होता गया। गाँधी जी ने भारतीयों को स्वदेशी वस्तु के प्रयोग और विदेशी वस्तुओं के बहिष्कार के लिए प्रोत्साहित किया। सम्पूर्ण देश में यह आन्दोलन फैल गया। समस्त देशवासी स्वतन्त्रता आन्दोलन में एकजुट होकर गाँधी जी के पीछे हो गये। इस प्रकार गाँधी जी ने भारतीयों में एक अपूर्व उत्साह एवं जागृति उत्पन्न कर दी।

गाँधी जी ने अछूतों को समाज में सम्मानपूर्ण स्थान दिलवाने के लिए आमरण अनशन आरम्भ किया। महात्मा गाँधी के नेतृत्व में भारतीयों ने अंग्रेजों से संघर्ष का निर्णय किया। सन् 1927 ई० में साइमन कमीशन भारत आया। भारतीयों द्वारा इस कमीशन का पूर्ण बहिष्कार किया गया। मैक्डॉनल्ड एवार्ड के द्वारा केन्द्र एवं प्रान्त की सीमाओं से सम्पूर्ण भारतवर्ष को विभिन्न साम्प्रदायिक टुकड़ों में विभक्त कर दिया गया। इससे असन्तोष और भी ज्यादा बढ़ गया। काँग्रेस ने विभिन्न प्रान्तों में कुछ नेताओं के समर्थन से मन्त्रिमण्डल बनाना स्वीकार किया। शीघ्र ही विश्वयुद्ध छिड़ गया। काँग्रेस के सहयोग की शर्ते ब्रिटिश सरकार को मान्य नहीं थीं। फलतः गाँधी जी ने सविनय अवज्ञा आन्दोलन शुरू कर दिया। जापान के विश्वयुद्ध में सम्मिलित हो जाने से भारत में भी खतरे की सम्भावनाएँ उत्पन्न होने लगीं। ऐसी स्थिति में ब्रिटिश सरकार ने भारत की समस्याओं पर विचार करने के लिए ‘क्रिप्स मिशन’ भेजा, जिसका भारतीय जनता ने विरोध किया। सन् 1942 ई० में गाँधी जी ने अंग्रेजो भारत छोड़ो’ का नारा लगा दिया। उसी रात्रि में गाँधी जी व अन्य नेतागण बन्दी बना लिये गये और अंग्रेजों ने बालकों, वृद्धों और स्त्रियों तक पर भीषण अत्याचार आरम्भ कर दिये। इन अत्याचारों के कारण भारतीयों में और अधिक आक्रोश उत्पन्न हो उठा। चारों ओर हड़ताल और तालाबन्दी हो गयी। अंग्रेजी शासन इस आन्दोलन से हिल गया। कारागार में ही गाँधी जी की पत्नी कस्तूरबा का देहान्त हो गया। पूरे देश में अंग्रेजों के विरुद्ध प्रबल आक्रोश एवं हिंसा भड़क उठी थी।

आजाद हिन्द सेना के संगठनकर्ता सुभाषचन्द्र बोस ने भी भारत को अंग्रेजों की दासता से मुक्त कराने की योजना बनायी। न् 1945 ई० में सारे बन्दी बनाये गये नेता छोड़ दिये गये। इससे जनता में उत्साह की लहर पुनः उमड़ने लगी। इसी समय सुभाषचन्द्र बोस का वायुयान दुर्घटना में निधन हो गया।

सन् 1942 ई० में ही भारत की पूर्ण स्वतन्त्रता की माँग की गयी थी। अंग्रेजों के प्रोत्साहन पर मुस्लिम लीग ने भारत विभाजन की माँग की। अन्ततः 15 अगस्त, 1947 ई० को अंग्रेजों ने भारत को मुक्त कर दिया। अंग्रेजों ने भारत और पाकिस्तान के रूप में देश का विभाजन करवा दिया। एक ओर तो देश में स्वतन्त्रता का उत्सव मनाया जा रहा था, दूसरी ओर नोआखाली में हिन्दू और मुसलमानों के बीच संघर्ष हो गया। गाँधी जी ने इससे दु:खी होकर आमरण उपवास रखने का निश्चय किया।

30 जनवरी, 1948 ई० को नाथूराम गोडसे ने गाँधी जी की गोली मारकर हत्या कर दी। इस दुःखान्त घटना के पश्चात् कवि द्वारा भारत की एकता की कामना के साथ इस काव्य का अन्त हो जाता है।
इस प्रकार इस खण्डकाव्य का आधार-फलकं बहुत विराट् है और उस पर कवि पन्त द्वारा बहुत : सुन्दर और प्रभावशाली चित्र खींचे गये हैं। इसमें उस युग का इतिहास अंकित है, जब भारत में एक हलचल मची हुई थी और सम्पूर्ण देश में क्रान्ति की आग सुलग रही थी। इसमें व्यक्त राष्ट्रीयता और देशभक्ति संकुचित नहीं है। निष्कर्ष रूप में मुक्तियज्ञ गाँधी-युग के स्वर्णिम इतिहास का काव्यात्मक आलेख है।

प्रश्न 2.
‘मुक्तियज्ञ’ के नायक (प्रमुख पात्र) का चरित्र-चित्रण कीजिए।
या
‘मुक्तियज्ञ’ के आधार पर गाँधी जी की चारित्रिक विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
या
‘मुक्तियज्ञ’ खण्डकाव्य के आधार पर उसके किसी एक प्रमुख पात्र का चरित्र-चित्रण कीजिए।
या
” ‘मूक्तियज्ञ’ में महात्मा गाँधी के व्यक्तित्व का वही अंश उभारा गया है, जो भारतीय जनता को शक्ति और प्रेरणा देता है।” स-तर्क प्रमाणित कीजिए।
या
राष्ट्रपिता और राष्ट्रनायक गाँधी ही ‘मुक्तियज्ञ’ के पुरोधा हैं, खण्डकाव्य की कथावस्तु के आधार पर इस कथन की समीक्षा कीजिए और उनको चरित्र-चित्रण कीजिए।
या
‘मुक्तियज्ञ’ में कथित उन सिद्धान्तों का उल्लेख कीजिए जिनके आधार पर गाँधी जी ने देश की स्वतन्त्रता के लिए संघर्ष किया।
उत्तर
‘मुक्तियज्ञ’ काव्य के आधार पर गाँधी जी की चारित्रिक विशेषताएँ निम्नवत् हैं

(1) प्रभावशाली व्यक्तित्व-गाँधी जी को आन्तरिक व्यक्तित्व बहुत अधिक प्रभावशाली है। उनकी वाणी में अद्भुत चुम्बकीय प्रभाव था। उनकी डाण्डी यात्रा के सम्बन्ध में केवि ने लिखा है

वह प्रसिद्ध डाण्डी यात्रा थी, जन के राम गये थे फिर वन।
सिन्धु तौर पर लक्ष्य विश्व का, डण्डी ग्राम बना बलि प्रोगण ॥

(2) सत्य, प्रेम और अहिंसा के प्रबल समर्थक–‘मुक्तियज्ञ में गाँधी जी के जीवन के सिद्धान्तों में सत्य, प्रेम और अहिंसा प्रमुख हैं। अपने इन तीन आध्यात्मिक अस्त्रों के बल पर ही गाँधी जी ने अंग्रेज सरकार की नींव हिला दी। इन सिद्धान्तों को वे अपने जीवन में भी अक्षरशः उतारते थे। उन्होंने कठिनसे-कठिन परिस्थिति में भी सत्य, अहिंसा और प्रेम का मार्ग नहीं छोड़ा।

(3) दृढ़-प्रतिज्ञ-‘मुक्तियज्ञ’ के नायक गाँधी जी ने जो भी कार्य आरम्भ किया, उसे पूरा करके ही छोड़ा। वे अपने निश्चय पर अटल रहते हैं और अंग्रेजी सत्ता दमन चक्र से तनिक भी विचलित नहीं होते। उन्होंने नमक कानून तोड़ने की प्रतिज्ञा की तो उसे पूरा भी कर दिखाया

प्राण त्याग दूंगा पथ पर ही, उठा सका मैं यदि ने नमक-कर।
लौट न आश्रम में आऊँगा, जो स्वराज ला सका नहीं घर ॥

(4) जातिवाद के विरोधी-गाँधी जी का मत था कि भारत जाति-पाँति के भेदभाव में पड़करं ही शक्तिहीन हो रहा है। उनकी दृष्टि में न कोई छोटा था, न अस्पृश्य और न ही तुच्छ। इसी कारण वे जातिवाद के कट्टर विरोधी थे

भारत आत्मा एक अखण्डित, रहते हिन्दुओं में ही हरिजन।
जाति वर्ण अघ पोंछ, चाहते, वे संयुक्त रहें भू जनगण॥

(5) जन-नेता-‘मुक्तियज्ञ’ के नायक गाँधी जी सम्पूर्ण भारत में जन-जन के प्रिय नेता हैं। उनके एक संकेत मात्र पर ही लाखों नर-नारी अपना सर्वस्व न्यौछावर करने को तत्पर रहते हैं; यथा—

मुट्ठी-भर हड्डियाँ बुलातीं, छात्र निकल पड़ते सब बाहर।।
लोग छोड़ घर-द्वार, मान, पद, हँस-हँस बन्दी-गृह देते भर॥

भारत की जनता ने उनके नेतृत्व में ही स्वतन्त्रता की लड़ाई लड़ी और अंग्रेजों को भगाकर ही दम लिया।

(6) मानवता के अग्रदूत-‘मुक्तियज्ञ’ के नायक गाँधी जी अपना सम्पूर्ण जीवन मानवता के कल्याण में ही लगा देते हैं। उनका दृढ़ विश्वास है कि मानव-मन में उत्पन्न घृणा, घृणा से नहीं अपितु प्रेम से मरती है। वे आपस में प्रेम उत्पन्न कर घृणा एवं हिंसा को दूर करना चाहते थे। वे हिंसा का प्रयोग करके स्वतन्त्रता भी नहीं चाहते थे; क्योंकि उनका मानना था कि हिंसा पर टिकी हुई संस्कृति मानवीयता से रहित होगी-

घृणा, घृणा से नहीं मरेगी, बल प्रयोग पशु साधन निर्दय।
हिंसा पर निर्मित भू-संस्कृति, मानवीय होगीन, मुझे भय ॥

(7) लोक-पुरुष-मुक्तियज्ञ’ में गाँधी जी एक लोक-पुरुष के रूप में पाठकों के समक्ष आते हैं। इस सम्बन्ध में कवि कहता है-

संस्कृति के नवीन त्याग की, मूर्ति, अहिंसा ज्योति, सत्यव्रत ।
लोक-पुरुष स्थितप्रज्ञ, स्नेह धन, युगनायक, निष्काम कर्मरत ॥

(8) साम्प्रदायिक एकता के पक्षधर-स्वतन्त्रता-प्राप्ति के समय देश में हिन्दुओं और मुसलमानों में भीषण संघर्ष हुआ। इससे गाँधी जी का हृदय बहुत दुःखी हुआ। साम्प्रदायिक दंगा रोकने के लिए गाँधी जी ने आमरण अनशन कर दिया। गाँधी जी सोच रहे हैं-

मर्म रुधिर पीकर ही बर्बर, भू की प्यास बुझेगी निश्चय।

(9) समद्रष्टा-गाँधी जी सबको समान दृष्टि से देखते थे। उनकी दृष्टि में न कोई बड़ा था और न ही कोई छोटा। छुआछूत को वे समाज का कलंक मानते थे। उनकी दृष्टि में कोई अछूते नहीं था-

छुआछूत का भूत भगाने, किया व्रती ने दृढ आन्दोलन,
हिले द्विजों के रुद्र हृदय पर, खुले मन्दिरों के जड़ प्रांगण।

इस प्रकार ‘मुक्तियज्ञ’ के नायक गाँधी जी महान् लोकनायक; सत्य, अहिंसा और प्रेम के समर्थक; दृढ़-प्रतिज्ञ, निर्भीक और साहसी पुरुष के रूप में सामने आते हैं। कवि ने गाँधी जी में सभी लोककल्याणकारी गुणों का समावेश करते हुए उनके चरित्र को एक नया स्वरूप प्रदान किया है।

प्रश्न 3.
‘मुक्तियज्ञ’ में निरूपित आजाद हिन्द सेना की भूमिका पर प्रकाश डालिए।
उत्तर
द्वितीय विश्वयुद्ध के काल में अपने घर में ही नजरबन्द सुभाषचन्द्र बोस अंग्रेजों को चकमा देकर जनवरी सन् 1941 में नजरबन्दी से निकल भागे तथा अफगानिस्तान, जर्मनी होते हुए जापान पहुँच गये। दिसम्बर 1941 में जापान ने विश्वयुद्ध में प्रवेश किया। उस समय मलाया में अमेरिकी, ऑस्ट्रेलियन और अंग्रेजी सैन्य विभागों के साथ लगभग 60,000 भारतीय सैनिक और उच्च पदाधिकारी भी नियुक्त थे। पराधीन देश के सैनिक होने के कारण उनके तथा अन्य देश के सैनिकों में वेतन और अन्य सुविधाओं की दृष्टि से बहुत भेदभाव रखा गया था। जापानियों ने बड़ी आसानी से मैलाया पर अधिकार कर लिया। इन्हीं दिनों बंगाल के क्रान्तिकारी नेता श्री रासबिहारी बोस ने जापानी सैन्य अधिकारियों से मिलकर युद्ध में बन्दी भारतीय सिपाहियों की एक देशभक्त सेना बनायी। सितम्बर सन् 1942 में भारतीय सेनानायकों के नेतृत्व में ‘आजाद हिन्द सेना’ बनी। मलाया, बर्मा, हाँगकाँग, जावा आदि देशों के अनेक प्रवासी भारतीय भी उसमें सम्मिलित हुए। सुभाषचन्द्र बोस के नेतृत्व में ‘आजाद हिन्द सेना’ एक महत्त्वपूर्ण और बलशाली सैन्यसंगठन बन गया। 26 जून, सन् 1945 को भारत के प्रति रेडियो सन्देश भेजते हुए आजाद हिन्द रेडियो से उन्होंने घोषित किया था कि आजाद हिन्द सेना कोई पराधीन और शक्तिहीन सेना नहीं थी। इसके नायक धुरी राष्ट्रों की सहायुता से भारत को अंग्रेजी दासता से मुक्त कराने की योजना बना रहे थे।

मई, 1945 में विश्वयुद्ध समाप्त हुआ और जून में कांग्रेस के बन्दी नेता छोड़ दिये गये। सारे देश में उत्साह की लहर छा गयी। इन्हीं दिनों लाल किले में बन्दी आजाद हिन्द सेना के नायकों पर मुकदमा चलाया गया। मुकदमे के दौरान जब इन वीरों की शौर्य गाथाएँ जनता के सामने आयीं, तब समस्त भारतीय जनता का प्यार उन पर उमड़ पड़ा। इसी समय हवाई दुर्घटना में हुई सुभाष चन्द्र बोस की मृत्यु के समाचार से सम्पूर्ण भारत पर अवसाद (निराशा) के बादल छा गये। उनके कठिन प्रवास की दु:खद कहानियों को सुन-सुनकर जनता का यह अवसाद क्रोध में बदल गया। इस प्रकार युद्ध समाप्त होते-होते सम्पूर्ण भारत में फिर क्रान्ति की उत्तेजना व्याप्त हो गयी।

प्रश्न 4.
‘मुक्तियज्ञ’ खण्डकाव्य के अन्तर्गत कवि ने जिन प्रमुख राजनैतिक घटनाओं को स्थान दिया है, उनका संक्षेप में उल्लेख कीजिए।
उत्तर
‘मुक्तियज्ञ’ खण्डकाव्य के अन्तर्गत कवि ने निम्नलिखित राजनैतिक घटनाओं को स्थान दिया है—

  1. साइमन-कमीशन का बहिष्कार,
  2. पूर्ण स्वतन्त्रता की मॉग,
  3. नमक आन्दोलन (डाण्डी यात्रा),
  4. शासन को आतंकित करने को आन्दोलन,
  5. देशभक्तों को फाँसी,
  6. मैक्डोनाल्ड पुरस्कार,
  7. कॉग्रेस मन्त्रिमण्डलों की स्थापना,
  8. द्वितीय विश्व युद्ध,
  9. सविनय अवज्ञा आन्दोलन,
  10. सन् 1942 ई० की क्रान्ति (भारत छोड़ो आन्दोलन),
  11. आजाद हिन्द फौज की स्थापना,
  12. स्वतन्त्रता की प्रप्ति,
  13. देश का विभाजन तथा
  14. बापू का बलिदान।।

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UP Board Solutions for Class 11 Samanya Hindi संस्कृत दिग्दर्शिका Chapter 6 लोभ: पापस्य करणम्

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Textbook NCERT
Class Class 11
Subject Samanya Hindi
Chapter Chapter 6
Chapter Name लोभ: पापस्य करणम्
Category UP Board Solutions

UP Board Solutions for Class 11 Samanya Hindi संस्कृत दिग्दर्शिका Chapter 6 लोभ: पापस्य करणम्

अवतरणों का सन्दर्भ अनुवाद 

(1) एको …………………………. पश्यति ||
न संशयमनारुह्य …………………………. जीवति पश्यति ।।

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(2) सः आह ……………………………….. लोकप्रवादो दुर्निवारः ।।
सः आह ……………………………… विश्वासभूमिः ।

व्याघ्र उवाच-शृणु रेपान्थ! …………………………. लोकप्रवादो दुर्निवारः |
व्याघ्र उवाच ……………………… दातुमिच्छामि ।

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(3) मया च धर्मशास्त्राणि ……………………………….. पण्डितः ।।
मरुस्थल्यां यथा …………………………. पाण्डुनन्दन ||

मरुस्थल्यां यथा ……………………………… पण्डितः ।।
मातृवत् परदारेषु …………………….. पण्डितः ।।

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(4) त्वं चातीव …………………………….. किमौषधैः ।।
दरिद्रान् भर …………………. किमौषधैः ||

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