UP Board Solutions for Class 10 Hindi Chapter 3 क्या लिखें? (गद्य खंड)

UP Board Solutions for Class 10 Hindi Chapter 3 क्या लिखें? (गद्य खंड)

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जीवन-परिचय एवं कृतियाँ

प्रश्न 1.
पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी के जीवन-परिचय एवं रचनाओं पर प्रकाश डालिए। [2009]
या
पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी का जीवन-परिचय दीजिए तथा उनकी एक रचना का नाम लिखिए। [2011, 12, 13, 14, 15, 16, 17]
उत्तर
प्रचार से दूर हिन्दी के मौन साधक पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी हिन्दी के प्रतिष्ठित निबन्धकार, कवि, सम्पादक तथा साहित्य मर्मज्ञ थे। साहित्य-सृजन की प्रेरणा आपको विरासत में मिली थी, जिसके कारण आपने विद्यार्थी जीवन से ही लिखना प्रारम्भ कर दिया था। ललित निबन्धों के लेखन के लिए आपको प्रभूत यश प्राप्त हुआ। एक गम्भीर विचारक, शिष्ट हास्य-व्यंग्यकार और कुशल आलोचक के रूप में आप हिन्दी-साहित्य में विख्यात हैं।

जीवन-परिचय-श्री पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी का जन्म सन् 1894 ई० में मध्य प्रदेश के जबलपुर जिले के खैरागढ़ नामक स्थान पर हुआ था। इनके पिता श्री उमराव बख्शी तथा बाबा पुन्नालाल बख्शी साहित्य-प्रेमी और कवि थे। इनकी माताजी को भी साहित्य से प्रेम था। अतः परिवार के साहित्यिक वातावरण का प्रभाव इनके मन पर भी गहरा पड़ा और ये विद्यार्थी जीवन से ही कविताएँ लिखने लगे। बी०ए० उत्तीर्ण करने के बाद (UPBoardSolutions.com) बख्शी जी ने साहित्य-सेवा को अपना लक्ष्य बनाया तथा कहानियाँ और कविताएँ लिखने लगे। द्विवेदी जी बख्शी जी की रचनाओं और योग्यताओं से इतने अधिक प्रभावित थे कि अपने बाद उन्होंने ‘सरस्वती’ की बागडोर बख्शी जी को ही सौंपी। द्विवेदी जी के बाद 1920 से 1927 ई० तक इन्होंने कुशलतापूर्वक ‘सरस्वती’ के सम्पादन का कार्य किया। ये नम्र स्वभाव के व्यक्ति थे और ख्याति से दूर रहते थे। खैरागढ़ के हाईस्कूल में अध्यापन कार्य करने के पश्चात् इन्होंने पुनः ‘सरस्वती’ का सम्पादन-भार सँभाला। सन् 1971 ई० में 77 वर्ष की आयु में निरन्तर साहित्य-सेवा करते हुए आप गोलोकवासी हो गये।

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कृतियाँ-बख्शी जी बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। इन्होंने निबन्ध, काव्य, कहानी, आलोचना, नाटक आदि पर अपनी लेखनी चलायी। निबन्ध और आलोचना के क्षेत्र में तो ये प्रसिद्ध हैं ही, अपने ललित निबन्धों के कारण भी ये विशेष रूप से स्मरण किये जाते हैं। इनकी रचनाओं का विवरण अग्रलिखित है

  1. निबन्ध-संग्रह-‘पंचपात्र’, ‘पद्मवन’, ‘तीर्थरेणु’, ‘प्रबन्ध-पारिजात’, ‘कुछ बिखरे पन्ने, ‘मकरन्द बिन्दु’, ‘यात्री’, ‘तुम्हारे लिए’, ‘तीर्थ-सलिल’ आदि। इनके निबन्ध जीवन, समाज, धर्म, संस्कृति और साहित्य के विषयों पर लिखे गये हैं। |
  2. काव्य-संग्रह-‘शतदल’ और ‘अश्रुदल’ इनके दो काव्य-संग्रह हैं। इनकी कविताएँ प्रकृति और प्रेमविषयक हैं।
  3. कहानी-संग्रह-‘झलमला’ और ‘अञ्जलि’, इनके दो कहानी-संग्रह हैं। इन कहानियों में मानव-जीवन की विषमताओं का चित्रण है।
  4. आलोचना-‘हिन्दी-साहित्य विमर्श’, ‘विश्व-साहित्य’, ‘हिन्दी उपन्यास साहित्य’, ‘हिन्दी कहानी साहित्य, साहित्य शिक्षा’ आदि इनकी श्रेष्ठ आलोचनात्मक पुस्तकें हैं।
  5. अनूदित रचनाएँ–जर्मनी के मॉरिस मेटरलिंक के दो नाटकों (UPBoardSolutions.com) का ‘प्रायश्चित्त’ और ‘उन्मुक्ति का बन्धन’ शीर्षक से अनुवाद।
  6. सम्पादन-‘सरस्वती’ और ‘छाया’। इन्होंने सरस्वती के सम्पादन से विशेष यश अर्जित किया।
    साहित्य में स्थान-बख्शी जी भावुक कवि, श्रेष्ठ निबन्धकार, निष्पक्ष आलोचक, कुशल पत्रकार एवं कहानीकार हैं। आलोचना और निबन्ध के क्षेत्र में इनका महत्त्वपूर्ण योगदान रहा है। विश्व-साहित्य में इनकी गहरी पैठ है। अपने ललित निबन्धों के लिए ये सदैव स्मरण किये जाएँगे। विचारों की मौलिकता और शैली की नूतनता के कारण हिन्दी-साहित्य में शुक्ल युग के निबन्धकारों में इनके निबन्धों को विशिष्ट स्थान है।

गद्यांशों पर आधारित प्रश्न,

प्रश्न-पत्र में केवल 3 प्रश्न (अ, ब, स) ही पूछे जाएँगे। अतिरिक्त प्रश्न अभ्यास एवं परीक्षोपयोगी दृष्टि से |महत्त्वपूर्ण होने के कारण दिए गये हैं।
प्रश्न 1.
अंग्रेजी के प्रसिद्ध निबन्ध-लेखक ए० जी० गार्डिनर का कथन है कि लिखने की एक विशेष मानसिक स्थिति होती है। उस समय मन में कुछ ऐसी उमंग-सी उठती है, हृदय में कुछ ऐसी स्फूर्ति-सी आती है, मस्तिष्क में कुछ ऐसा आवेग-सा उत्पन्न होता है कि लेख लिखना ही पड़ता है। उस समय विषय की चिन्ता नहीं रहती। कोई भी विषय हो, उसमें हम अपने हृदय के आवेग को भर ही देते हैं। हैट टाँगने के लिए कोई भी ख़ुटी काम दे सकती है।  उसी तरह अपने मनोभावों को व्यक्त करने के लिए कोई भी विषय उपयुक्त है। असली वस्तु है हैट, खूटी नहीं। इसी तरह मन के भाव ही तो यथार्थ वस्तु हैं, विषय नहीं।
(अ) प्रस्तुत गद्यांश के पाठ और लेखक का नाम लिखिए।
(ब) रेखांकित अंशों की व्याख्या कीजिए।
(स)

  1. ‘हैट’ और ‘ख़ुटी’ का उदाहरण इस गद्यांश में क्यों दिया गया हैं ? स्पष्ट कीजिए।
  2. विशेष मानसिक स्थिति में क्या होता है ?
  3. मनोभावों को व्यक्त करने के लिए किसकी आवश्यकता होती है ?

[ उमंग = उल्लास, उत्साह अथवा आनन्द की स्थिति। स्फूर्ति = (शारीरिक एवं मानसिक) ताजगी।, आवेग = मानसिक उत्तेजना या उत्कट भावना।]
उत्तर
(अ) प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘हिन्दी’ के ‘गद्य-खण्ड में संकलित तथा श्री पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी द्वारा लिखित ‘क्या लिखें ?’ शीर्षक ललित निबन्ध से उद्धृत है।
अथवा निम्नवत् लिखें-
पाठ का नाम क्या लिखें? लेखक का नाम-श्री पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी।
[ विशेष—इस पाठ के शेष सभी गद्यांशों के लिए इस (UPBoardSolutions.com) प्रश्न का यही उत्तर इसी रूप में प्रयुक्त होगा।]

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( ब ) प्रथम रेखांकित अंश की व्याख्या–ए० जी० गार्डिनर अंग्रेजी के प्रसिद्ध निबन्धकार हुए हैं। उन्होंने कहा है कि मन की विशेष स्थिति में ही निबन्ध लिखा जाता है। उसके लिए मन के भाव ही यथार्थ होते हैं, विषय नहीं। मनोभावों को व्यक्त करने के लिए कोई भी विषय उपयुक्त हो सकता है। निबन्ध लिखने की विशेष मनोदशा के सम्बन्ध में उनका कहना है कि उस समय मन में एक विशेष प्रकार का उत्साह और स्फूर्ति आती है और मस्तिष्क में एक विशेष प्रकार की आवेगपूर्ण स्थिति बनती है और उस आवेग को उमंग के कारण विषय की चिन्ता किये बिना निबन्ध लिखने को बाध्य होना ही पड़ता है।

द्वितीय रेखांकित अंश की व्याख्या–श्री ए० जी० गार्डिनर के कथन को विस्तार देते हुए पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी जी कहते हैं कि कोई भी विषय हो लेखक उसमें अपने हृदय के आवेग को भर ही देता है। सामान्य से सामान्य विषय भी लेखक और उसके मानसिक आवेग द्वारा विशिष्ट बना दिया जाता है। उदाहरण के लिए जिस प्रकार एक हैट को टॉगने के लिए किसी भी खूटी का प्रयोग किया जा सकता है, उसी प्रकार हृदय (UPBoardSolutions.com) के अनेक भाव किसी भी विषय पर व्यवस्थित रूप में व्यक्त किये जा सकते हैं। अतः असली वस्तु हैट है न कि ख़ुटी। यही अवस्था साहित्य-रचना में भी होती है; अर्थात् मन के भावे ही असली वस्तु हैं, विषय अथवा शीर्षक नहीं। तात्पर्य यह है कि यदि हृदय में भाव एवं विचार हों तो किसी भी विषय पर लिखा जा सकता है।
(स)

  1. प्रस्तुत गद्यांश में हैट का उदाहरण मनोभावों के लिए दिया गया है और ख़ुटी का विषय के लिए। गार्डिनर महोदय के अनुसार जिस प्रकार मुख्य वस्तु हैट होती है, ख़ुटी नहीं उसी प्रकार मन के भावविचार मुख्य हैं, विषय नहीं। आशय यह है कि यदि मन में भाव एवं विचार हों तो किसी भी विषय पर लिखा जा सकता है।
  2. विशेष मानसिक स्थिति में व्यक्ति के मन में उमंग उठती है, हृदय में स्फूर्ति आती है और मस्तिष्क में कुछ ऐसा आवेग उत्पन्न होता है कि व्यक्ति उसे अभिव्यक्ति देने के लिए लिखने बैठ जाता है।
  3. मनोभावों को व्यक्त करने के लिए उपयुक्त विषय की आवश्यकता होती है।

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प्रश्न 2.
उन्होंने स्वयं जो कुछ देखा, सुना और अनुभव किया, उसी को अपने निबन्धों में लिपिबद्ध कर दिया। ऐसे निबन्धों की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि वे मन की स्वच्छन्द रचनाएँ हैं। उनमें न कवि की उदात्त कल्पना रहती है, न आख्यायिका-लेखक की सूक्ष्म दृष्टि और न विज्ञों की गम्भीर तर्कपूर्ण विवेचना। उनमें लेखक की सच्ची अनुभूति रहती है। उनमें उसके सच्चे भावों की सच्ची अभिव्यक्ति होती है, उनमें उसका उल्लास रहता है। ये निबन्ध तो उस  मानसिक स्थिति में लिखे जाते हैं, जिसमें न ज्ञान की गरिमा रहती है और न कल्पना की महिमा, जिसमें हम संसार को अपनी ही दृष्टि से देखते हैं और अपने ही भाव से ग्रहण करते हैं। [2017]
(अ) प्रस्तुत गद्यांश के पाठ और लेखक का नाम लिखिए।
(ब) रेखांकित अंशों की व्याख्या कीजिए।
(स)

  1. निबन्ध किस मानसिक स्थिति में लिखे जाते हैं ?
  2. मॉनटेन की शैली के निबन्धों की विशेषता क्या है ?
  3. प्रस्तुत गद्यांश में लेखक ने किस शैली के निबन्धों की विशेषता बतायी है ?

उत्तर
(ब) प्रथम रेखांकित अंश की व्याख्या-श्री पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी जी लिखते हैं कि मॉनटेन के अनुसार स्वच्छन्दतावादी शैली में लिखे गये निबन्धों की सबसे बड़ी विशेषता यह होती है कि ऐसे निबन्ध लेखक के हृदय की बन्धनमुक्त रचनाएँ होते हैं। इसमें कवि के समान उच्च कल्पनाएँ और किसी कहानी लेखक के समान सूक्ष्म दृष्टि की आवश्यकता नहीं होती और न ही विद्वानों के समान गम्भीर तर्कपूर्ण विवेचना की आवश्यकता होती है। (UPBoardSolutions.com) इसमें लेखक अपने मन की सच्ची भावनाओं को स्वतन्त्रता और प्रसन्नता के साथ व्यक्त करता है। इन निबन्धों को लिखते समय लेखक पाण्डित्य-प्रदर्शन की अवस्था से भी दूर रहता है। वह अपने भावों को जिस रूप में चाहता है, उसी रूप में अभिव्यक्त करता है।

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द्वितीय रेखांकित अंश की व्याख्या–श्री पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी जी लिखते हैं कि स्वच्छन्दतावादी शैली में लिखे गये निबन्धों में लेखक अपने मन में उठने वाले भावों को ज्यों-का-त्यों व्यक्त कर देता है। इन निबन्धों में न ही ज्ञान की गुरुता निहित होती है और न ही कल्पना की उड़ान। ये निबन्ध लेखक के मन के सच्चे उद्गार होते हैं। वह संसार का जैसा अनुभव करता है और जिस रूप में देखता है। बिना उसमें आलंकारिकता व पाण्डित्य-प्रदर्शन के उसी रूप में व्यक्त कर देता है। |
(स)

  1. निबन्ध ऐसी मानसिक स्थिति में लिखे जाते हैं जिसमें न तो ज्ञान का गौरव निहित होता है। और न ही कल्पना की ऊँची उड़ान। निबन्ध में लेखक अपने ही विचारों की अभिव्यक्ति करता है।
  2. नटेन की शैली के निबन्धों की विशेषता है कि वे लेखक के हृदय की बन्धनमुक्त रचनाएँ हैं। जिनमें लेखक की वास्तविक अनुभूति और उसके भावों का वास्तविक प्रकटीकरण होता है।
  3. प्रस्तुत गद्यांश में लेखक ने स्वच्छन्दतावादी (बन्धनमुक्त) शैली के निबन्धों की विशेषता बतायी है। और स्पष्ट किया है कि इन निबन्धों में बनावट, ऊँची कल्पना और तर्कपूर्ण विवेचना नहीं होती।

प्रश्न 3.
दूर के ढोल सुहावने होते हैं; क्योंकि उनकी कर्कशता दूर तक नहीं पहुँचती। जब ढोल के पास बैठे। हुए लोगों के कान के पर्दे फटते रहते हैं, तब दूर किसी नदी के तट पर, संध्या समय, किसी दूसरे के कान में वही शब्द मधुरता का संचार कर देते हैं। ढोल के उन्हीं शब्दों को सुनकर वह अपने हृदय में किसी के विवाहोत्सव का चित्र अंकित कर लेता है। कोलाहल से पूर्ण घर के एक कोने में बैठी हुई किसी लज्जाशीला ‘नव-वधू की कल्पना वह अपने मन में कर लेता है। उस नव-वधू के प्रेम, उल्लास, संकोच, आशंका और विषाद से युक्त हृदय के कम्पन ढोल की कर्कश ध्वनि को मधुर बना देते हैं; क्योंकि उसके साथ आनन्द का कलरव, उत्सव व प्रमोद और प्रेम का संगीत ये तीनों मिले रहते हैं। तभी उसकी कर्कशता समीपस्थ लोगों को भी कटु नहीं प्रतीत होती और दूरस्थ लोगों के लिए तो वह अत्यन्त मधुर बन जाती है। [2010, 13]
(अ) प्रस्तुत गद्यांश के पाठ और लेखक का नाम लिखिए।
(ब) रेखांकित अंशों की व्याख्या कीजिए।
(स)

  1. प्रस्तुत अंश में ‘दूर के ढोल’ और ‘नव-वधू’ में साम्य और वैषम्य बताइए।
  2. ढोल की आवाज किसके लिए कर्कश होती है और किसके लिए मधुर ?
  3. ढोल की कर्कश ध्वनि को कौन मधुर बना देता है और क्यों ?
  4. दूर के ढोल सुहावने क्यों होते हैं ?

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[ ढोल = एक प्रकार का वाद्य। सुहावना = अच्छा लगने वाला। कर्कशता = कर्णकटुता। कोलाहल = शोरगुल। आशंका = सन्देह। कलरव = (चिड़ियों की) मधुर ध्वनि।]
उत्तर.
(ब) प्रथम रेखांकित अंश की व्याख्या-लेखक श्री पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी का कथन है कि दूर के ढोल इसलिए अच्छे लगते हैं क्योंकि उनकी कर्णकटु ध्वनि बहुत दूर तक नहीं पहुँचती है। जब वे बज रहे होते हैं तो समीप बैठे हुए लोगों के कान (UPBoardSolutions.com) के पर्दे फाड़ रहे होते हैं जब कि दूर किसी भी नदी के किनारे सन्ध्याकालीन समय के शान्त वातावरण में बैठे हुए लोगों को अपने मधुर स्वर से प्रसन्न कर रहे होते हैं।

द्वितीय रेखांकित अंश की व्याख्या-लेखक श्री पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी का कथन है कि ढोल की कर्कश ध्वनि दूर बैठे किसी व्यक्ति को प्रसन्न इसलिए करती है; क्योंकि वह अपने मन में कोलाहल से पूर्ण किसी घर के कोने में शादी के कारण लज्जाशील युवती की भी कल्पना करने लगता है। शादी की मधुर कल्पना, प्रेम, उल्लास (हर्ष), संकोच, सन्देह और दुःख से युक्त हृदय के कम्पन उस ढोल के कर्णकटु शब्दों को मधुर बना देते हैं। इसका कारण यह है कि उस नव-विवाहिता के हृदय में आनन्द का मधुर राग, उत्सव, विशेष प्रसन्नता और प्रेम का संगीत-ये तीनों तत्त्व एक साथ अवस्थित रहते हैं। कहने का भावे यह है कि यदि विवाह होने की प्रसन्नता, जीवन की मधुर कल्पनाएँ और प्रिय के प्रति प्रेम की भावना न हो तो नव-विवाहिता को भी विवाहोत्सव में बजने वाला ढोल सुहावना न लगे।
(स)

  1. ढोल की ध्वनि जब दूर से आती सुनाई देती है, उसी समय वह कानों में मधुरता का संचार करती है, लेकिन पास से सुनाई देने पर वह कानों के पर्दे भी फाड़ सकती है। लेकिन नव-वधू की कल्पना ” दोनों ही स्थितियों में–विवाहोत्सव में उपस्थित अथवा दूर बैठे विवाहोत्सव की कल्पना कर रहे–व्यक्ति के मन में मधुरता का संचार करती है और समीप बैठे रहने पर भी उसे ढोल की ध्वनि मधुर ही लगती है।
  2. ढोल की ध्वनि समीप बैठे व्यक्ति के लिए कर्कश होती है और दूर बैठे व्यक्ति के लिए मधुर। लेकिन जब समीप में बैठा व्यक्ति विवाहोत्सव में उपस्थित किसी नव-वधू की कल्पना अपने मन में कर लेता है, उस समय उसे ढोल की कर्कश ध्वनि (UPBoardSolutions.com) भी मधुर ही सुनाई पड़ती है।
  3. ढोल की कर्कश ध्वनि को किसी नव-वधू के प्रेम, उल्लास, संकोच आदि भावों से युक्त हृदय के कम्पन मधुर बना देते हैं, क्योंकि उसके साथ आनन्द की मधुर ध्वनि, उत्सव का आनन्द और प्रेम का संगीत तीनों ही मिले-जुले रहते हैं।
  4. दूर के ढोल सुहावने इसलिए होते हैं क्योंकि कानों को कठोर लगने वाली उनकी कर्कश ध्वनि दूर तक नहीं पहुँचती।

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प्रश्न 4.
जो तरुण संसार के जीवन-संग्राम से दूर हैं, उन्हें संसार का चित्र बड़ा ही मनमोहक प्रतीत होता है, जो वृद्ध हो गये हैं, जो अपनी बाल्यावस्था और तरुणावस्था से दूर हट आये हैं, उन्हें अपने अतीतकाल की स्मृति बड़ी सुखद लगती है। वे अतीत का ही स्वप्न देखते हैं। तरुणों के लिए जैसे भविष्य उज्ज्वल होता है, वैसे ही वृद्धों के लिए अतीत। वर्तमान से दोनों को असन्तोष होता है। तरुण भविष्य को वर्तमान में लाना चाहते हैं और वृद्ध अतीत को खींचकर वर्तमान में देखना चाहते हैं। तरुण क्रान्ति के समर्थक होते हैं और वृद्ध अतीत-गौरव के संरक्षक। इन्हीं दोनों के कारण वर्तमान सदैव क्षुब्ध रहता है और इसी से वर्तमान काल सदैव सुधारों का काल बना रहता है।
[2009, 12, 15, 17]
(अ) प्रस्तुत गद्यांश के पाठ और लेखक का नाम लिखिए।
(ब) रेखांकित अंशों की व्याख्या कीजिए।
(स)

  1. वर्तमान समय सदैव सुधारों का समय क्यों बना रहता है ?
  2. प्रस्तुत गद्यांश में लेखक क्या कहना चाहता है ?
  3. युवा और वृद्ध व्यक्तियों के वैचारिक अन्तर को स्पष्ट कीजिए। या तरुण और वृद्ध दोनों क्या चाहते हैं?
  4. संसार का चित्र किसे बड़ा मनमोहक प्रतीत होता है ?
  5. तरुण और वृद्ध दोनों क्या चाहते हैं ?

[ तरुण = युवक। अतीत = बीता समय। संरक्षक = रक्षा करने वाला। क्षुब्ध = दु:खी। ]
उत्तर
(ब) प्रथम रेखांकित अंश की व्याख्या--लेखक श्री पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी जी का कहना है कि जिन नौजवानों ने संसार के कष्टों, समस्याओं और कठिनाइयों का सामना नहीं किया, उन्हें यह संसार बड़ा आकर्षक और सुन्दर प्रतीत होता है; क्योंकि वे अपने उज्ज्वल भविष्य के स्वप्न देखते हैं, जीवन-संघर्षों से बहुत दूर रहते हैं और दूर के ढोल तो सभी को सुहावने लगते हैं। जो अपनी बाल्यावस्था और जवानी को पार करके (UPBoardSolutions.com) अब वृद्ध हो गये हैं, वे बीते समय के गीत गाकर प्रसन्न होते हैं। नवयुवकों से भविष्य दूर होता है और वृद्धों से उनका बचपन बहुत दूर हो गया होता है। इसीलिए नवयुवकों को भविष्य तथा वृद्धों को अतीत प्रिय लगता है।

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द्वितीय रेखांकित अंश की व्याख्या-लेखक श्री बख्शी जी का कहना है कि नवयुवक उत्साह और साहस के साथ वर्तमान को बदलना चाहते हैं और वृद्ध बीते हुए समय और उच्च सांस्कृतिक विरासत की रक्षा करना चाहते हैं। इसी संघर्ष में दोनों का जीवन सदैव तनावपूर्ण रहता है। पर इससे लाभ यह है कि युवकों के प्रयास से वर्तमान काल में सुधार होते हैं और वृद्धों के प्रयास से गौरवपूर्ण संस्कृति की रक्षा होती है।
(स)

  1. वर्तमान समय सदैव सुधारों का समय इसलिए बना रहता है; क्योंकि प्रत्येक व्यक्ति चाहे वह युवा हो अथवा वृद्ध, अपने वर्तमान से दुःखी होता है। युवा अपने भविष्य के सुखद स्वप्न देखते हैं और वृद्ध अपने अतीत के सुखों का गान करते हैं। वर्तमान किसी को अच्छा नहीं लगता; क्योंकि वह उनके सामने होता है। वस्तुत: जो भी हमें प्राप्त होता रहता है, हम प्राय: उससे असन्तुष्ट ही रहते हैं, इसलिए उसमें परिवर्तन करते रहते हैं। यही कारण है कि वर्तमान समय सदैव सुधारों का समय बना रहता है।
  2. प्रस्तुत गद्यांश में लेखक कहना चाहता है कि वृद्धों की सोच से हमारी संस्कॅति सुरक्षित रहती है। और युवाओं की सोच से वर्तमान में सुधार होते रहते हैं। यदि ऐसा नहीं होता तो आगे आने वाली पीढ़ियाँ सदैव एक ही अतीत को ढोती रहतीं।
  3. युवाओं को भविष्य की स्मृति मनमोहक प्रतीत होती है और वृद्धों (UPBoardSolutions.com) को अतीत की। युवाओं के लिए भविष्य उज्ज्वल होता है और वृद्धों के लिए अतीत। युवा भविष्य को वर्तमान में लाना चाहते हैं और वृद्ध अतीत को। युवा क्रान्ति के समर्थक होते हैं और वृद्ध अंतीत-गौरव के संरक्षक।
  4. संसार का चित्र ऐसे युवाओं को बड़ा ही आकर्षक प्रतीत होता है, जो जीवन रूपी संग्राम से बहुत दूर हैं; अर्थात् जिन्होंने संसार के कष्टों, समस्याओं और कठिनाइयों का सामना नहीं किया है।
  5. तरुण और वृद्ध दोनों ही वर्तमान से असन्तुष्ट होते हैं। तरुण भविष्य को वर्तमान में लाना चाहते हैं। और वृद्ध अतीत को। तरुण क्रान्ति का समर्थन करते हैं और वृद्ध अतीत के गौरव का संरक्षण।

प्रश्न 5.
मनुष्य जाति के इतिहास में कोई ऐसा काल ही नहीं हुआ, जब सुधारों की आवश्यकता न हुई हो। तभी तो आज तक कितने ही सुधारक हो गये हैं। पर सुधारों का अन्त कब हुआ? भारत के इतिहास में बुद्धदेव, महावीर स्वामी, नागार्जुन, शंकराचार्य, कबीर, नानक, राजा राममोहन राय, स्वामी दयानन्द और महात्मा गाँधी में ही सुधारकों की गणना समाप्त नहीं होती। सुधारकों का दल नगर-नगर और गाँव-गाँव में होता है। यह सच है कि जीवन में नये-नये क्षेत्र उत्पन्न होते जाते हैं और नये-नये सुधार हो जाते हैं। न दोषों का अन्त है और न सुधारों का। जो कभी सुधार थे, वही आज दोष हो गये हैं और उन सुधारों का फिर नव सुधार किया जाता है। तभी तो यह जीवन प्रगतिशील माना गया है। [2016]
(अ) प्रस्तुत गद्यांश के पाठ और लेखक का नाम लिखिए।
(ब) रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए।
(स)

  1. मनुष्य जाति के इतिहास में कब सुधारों की आवश्यकता नहीं हुई? कुछ प्रमुख सुधारकों के नाम लिखिए।
  2. “प्रत्येक वस्तु, पदार्थ, विचार परिवर्तनशील हैं’, इस सत्य का वर्णन करते हुए एक वाक्य लिखिए।
  3. जीवन प्रगतिशील क्यों माना गया है?

उत्तर
(ब) रेखांकित अंश की व्याख्या-लेखक का कथन है कि मानव-समाज विस्तृत है। इसमें सदैव सुधार होते रहते हैं। बुद्ध से गाँधी तक सुधारकों के एक बड़े समूह का जन्म इस देश में हुआ है। जीवन में दोषों की श्रृंखला बहुत लम्बी होती है। इसीलिए सुधारों का क्रम सदैव चलता रहता है। सुधारकों के दल प्रत्येक नगर और ग्राम में होते हैं। जीवन में अनेकानेक क्षेत्र होते हैं और नित नवीन उत्पन्न भी होते जाते हैं। प्रत्येक में कुछ दोष होते हैं, जिनमें सुधार अवश्यम्भावी होता है। सुधार किये जाने पर इनमें तात्कालिक सुधार तो हो जाता है परन्तु आगे चलकर कालक्रम में वे ही सुधार फिर दोष माने जाने लगते हैं और (UPBoardSolutions.com) उनमें फिर से सुधार किये जाने की आवश्यकता प्रतीत होने लगती है। इसी सुधारक्रम और परिवर्तनशीलता से जीवन प्रगतिशील मना गया है।

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(स)

  1. मनुष्य जाति के इतिहास में ऐसा कोई समय ही नहीं आया, जब सुधारों की आवश्यकता नहीं हुई। आशय यह है कि मनुष्य जाति के इतिहास में सदैव ही सुधारों की आवश्यकता होती रही है और होती रहेगी। कुछ प्रमुख समाज-सुधारकों के नाम हैं—गौतम बुद्ध, महावीर स्वामी, नागार्जुन आदि शंकराचार्य, कबीरदास, गुरु नानकदेव, राजा राममोहन राय, स्वामी दयानन्द सरस्वती, महात्मा गाँधी, विनोबा भावे आदि।।
  2. “प्रत्येक वस्तु, पदार्थ, विचार परिवर्तनशील हैं’, इस सत्य का वर्णन करते हुए हम एक वाक्य लिख सकते हैं कि, “परिवर्तन प्रकृति का नियम है। मात्र परिवर्तन के अतिरिक्त सम्पूर्ण सृष्टि परिवर्तनशील है।”
  3. न दोषों का अन्त है और न सुधारों का। जो कभी सुधार थे, वही आज दोष हो गये हैं और उन सुधारों को फिर नव सुधार किया जाता है। तभी तो यह जीवन प्रगतिशील माना गया है।

प्रश्न 6.
हिन्दी में प्रगतिशील साहित्य का निर्माण हो रहा है। उसके निर्माता यह समझ रहे हैं कि उनके साहित्य में भविष्य का गौरव निहित है। पर कुछ ही समय के बाद उनका यह साहित्य भी अतीत का स्मारक हो जाएगा और आज जो तरुण हैं, वही वृद्ध होकर अतीत के गौरव का स्वप्न देखेंगे। उनके स्थान में तरुणों । का फिर दूसरा दल आ जाएगा, जो भविष्य का स्वप्न देखेगा। दोनों के ही स्वप्न सुखद होते हैं; क्योंकि दूर के ढोल सुहावने होते हैं।
[2010, 11, 14, 16, 18]
(अ) प्रस्तुत गद्यांश के पाठ और लेखक का नाम लिखिए।
(ब) रेखांकित अंशों की व्याख्या कीजिए।
(स)

  1. “दूर के ढोल सुहावने क्यों होते हैं ?” स्पष्ट कीजिए।
  2. प्रस्तुत अवतरण में लेखक क्या कहना चाहता है ?
  3. प्रगतिशील साहित्य को अतीत का स्मारक क्यों कहा गया है।
  4. लेखक ने साहित्य के निर्माण में किन विशेषताओं का उल्लेख किया है?
  5. प्रगतिशील साहित्य-निर्माता क्या समझकर साहित्य-निर्माण कर रहे हैं?

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[ निर्माण = रचना। निर्माता = बनाने वाला। निहित = छिपा हुआ। अतीत = भूतकाल। स्मारक = यादगार।]
उत्तर
(ब) प्रथम रेखांकित अंश की व्याख्या-विद्वान् लेखक श्री बख्शी जी साहित्यिक सुधार की प्रक्रिया पर प्रकाश डालते हुए कहते हैं कि युवा साहित्यकार वर्तमान में भूत और भविष्य का समन्वय करते हुए यह सोचकर प्रगतिवादी साहित्य की रचना कर रहे हैं क्योंकि उनके साहित्य में भविष्य के गौरव का वर्णन किया गया है; अत: भविष्य में उसमें सुधार की आवश्यकता नहीं होगी, किन्तु कुछ समय पश्चात् ही उनके सोचे की यह भव्य इमारत धराशायी हो जाएगी और आज के ये युवा लेखक भी एक दिन वृद्ध होकर अतीत का गुणगान करेंगे।

द्वितीय रेखांकित अंश की व्याख्या–साहित्यिक सुधार की प्रक्रिया पर प्रकाश डालते हुए विद्वान लेखक श्री बख्शी जी कहते हैं कि आज के युवा लेखक भी एक दिन वृद्ध होकर अतीत का गुणगान करेंगे। और उस समय के जो युवा साहित्यकार होंगे वे वर्तमान से असन्तुष्ट होकर कोई और नया साहित्य रचने लगेंगे। वे भी भविष्य के लिए चिन्तित होंगे। यह क्रम सनातन है। युवाओं से भविष्य दूर है और वृद्धों से अतीत; इसीलिए (UPBoardSolutions.com) दोनों को ये सुखद लगते हैं। यह मानव स्वभाव है कि जो वस्तु उसकी पहुँच से दूर होती है, वह उसे अच्छी लगती है और वह उसे पाने का प्रयत्न करती रहता है। इसीलिए ‘दूर के ढोल सुहावने वाली कहावत चरितार्थ हुई है।
(स)

  1. युवाओं से भविष्य दूर है और वृद्धों से अतीत। इसीलिए दोनों को ये ही सुखद लगते हैं। यह मानव स्वभाव है कि जो वस्तु उसकी पहुँच से दूर होती है, वही उसे अच्छी लगती है और वह उसी को पाने का प्रयत्न भी करती है। इसीलिए कहा जाता है कि ‘दूर के ढोल सुहावने होते हैं।’
  2. प्रस्तुत अवतरण में लेखक का कहना है कि जो कुछ भी आज प्रासंगिक है, कल वही अप्रासंगिक हो जाएगा और उसमें सुधार की अपेक्षा की जाने लगेगी। यह अप्रासंगिकता और सुधार का क्रम जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में और साहित्य में भी निरन्तर चलता रहता है।
  3. प्रगतिशील साहित्य को अतीत का स्मारक इसलिए कहा गया है कि वह भी कुछ समय बाद अतीत (बीती हुई) की वस्तु हो जाता है।
  4.  लेखक ने साहित्य के निर्माण में निम्नलिखित विशेषताओं का उल्लेख किया है
    • हिन्दी भाषा के अन्तर्गत प्रगतिशील साहित्य का निर्माण हो रहा है।
    • साहित्य में भविष्य का गौरव निहित होता है। |
  5.  प्रगतिशील साहित्य-निर्माण यह समझकर साहित्य-निर्माण कर रहे हैं कि उनके साहित्य में भविष्य का गौरव निहित है।

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व्याकरण एवं रचना-बोध

प्रश्न 1
निम्नलिखित शब्दों से उपसर्ग पृथक् कीजिए तथा उस उपसर्ग से बनने वाले दो अन्य शब्द भी लिखिए
सम्मति, निबन्ध, विज्ञ, दुर्बोध, अभिव्यक्ति।
उत्तर
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प्रश्न 2
निम्नलिखित शब्दों से प्रत्यय अलग करके लिखिए तथा उस प्रत्यय से बने दो अन्य शब्द बताइए-
शीर्षक, विद्वत्ता, प्रतिभावान्, लज्जाशील, समीपस्थ, सुखद। शब्द
उत्तर
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प्रश्न 3
निम्नलिखित शब्दों का इस प्रकार से वाक्यों में प्रयोग कीजिए कि उनका अर्थ स्पष्ट हो जाए-आवेग, विश्वकोश, गाम्भीर्य, कर्कशता, विषाद, दूरस्थ
उत्तर
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प्रश्न 4
प्रस्तुत पाठ में निम्नलिखित साहित्यकारों की जिन विशेषताओं का उल्लेख हुआ है, उन्हें लिखिए-श्रीहर्ष, बाणभट्ट, अमीर खुसरो, सेनापति।
उत्तर
श्रीहर्ष–श्रीहर्ष की भाषा-शैली बड़ी क्लिष्ट है, जिसे केवल विषय-विशेषज्ञ ही समझ सकते हैं। अस्पष्टता अथवा दुर्बोधता उनकी शैली का दोष है।
बाणभट्ट–बाणभट्ट की भाषा-शैली सामासिक पदावली से युक्त है, जिसमें वाक्य अत्यधिक लम्बे हो गये हैं।
अमीर खुसरो—विभिन्न विषयों का एक सूत्र में समन्वय (UPBoardSolutions.com) कर देना अमीर खुसरो के साहित्य की महती विशेषता है। यही विशेषता उन्हें अन्य साहित्यकारों से पृथक् करती है।
सेनापति-श्रीहर्ष की भाँति सेनापति की भाषा-शैली भी दुर्बोध है।

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UP Board Solutions for Class 10 Home Science Chapter 5 गृह-गणित

UP Board Solutions for Class 10 Home Science Chapter 5 गृह-गणित

These Solutions are part of UP Board Solutions for Class 10 Home Science Here we have given UP Board Solutions for Class 10 Home Science गृह विज्ञान Chapter 5 गृह-गणित

विस्तृत उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1
गृह-गणित से आप क्या समझती हैं? अर्थ स्पष्ट कीजिए तथा गृह-व्यवस्था के सन्दर्भ में गृहिणियों के लिए गृह-गणित के महत्व को स्पष्ट कीजिए।
[2009]
या
गृह-गणित का ज्ञान होना गृहिणी के लिए क्यों आवश्यक है? [2011, 13, 14, 17, 18]
या
गृह विज्ञान की छात्राओं के लिए गृह-गणित के महत्त्व को स्पष्ट कीजिए। [2013] .
उत्तर:
गणित मूल रूप से अंकों का विज्ञान है। जब हम किसी भी रूप में संख्याओं का प्रयोग करते हैं तो हम गणित का ही प्रयोग करते हैं। उदाहरण के लिए – यदि हम कहते हैं कि “घर में दो किलोग्राम आम हैं।” तो यह कथन गणित पर ही आधारित माना जाएगा।

गृह – गणित का अर्थ

गणित अर्थात् संख्याओं के विज्ञान को जब गृह-कार्यों तथा गृह-व्यवस्था सम्बन्धी क्रिया-कलापों में इस्तेमाल किया जाता है, तब उसे गृह-गणित कहा जाता है। उदाहरण के लिए-बाजार से घरेलू वस्तुएँ खरीदते समय दाम को जोड़ना, नौकरों को पैसे गिनकर देना, धोबी (UPBoardSolutions.com) को कपड़े गिनकर देना तथा लेना, नित्य आने वाले दूध की मात्रा लिखते रहना तथा पूरे महीने में आए दूध को जोड़कर उसका हिसाब तैयार कर लेना गृह-गणित का ही रूप है। कपड़े सिलते समय नाप लेना तथा लिखना तथा उसी के अनुकूल कपड़ा काटना आदि क्रियाएँ गृह-गणित पर ही आधारित हैं। अत: स्पष्ट है कि घर पर प्रत्येक क्रिया-कलाप में किसी-न-किसी रूप में गृह-गणित का इस्तेमाल अवश्य होता है।

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गृह-गणित का महत्त्व

गृह-विज्ञान की छात्राओं के लिए सामान्य गणित का ज्ञान अति आवश्यक होता है। आहार एवं पोषण-विज्ञान, वस्त्र-विज्ञान आदि का व्यवस्थित अध्ययन करने के लिए कुछ गणनाएँ अवश्य ही करनी पड़ती हैं। गृह-प्रबन्ध तथा पारिवारिक बजट के सैद्धान्तिक अध्ययन एवं व्यावहारिक उपयोग के लिए भी गणित का ज्ञान आवश्यक होता है। इन तथ्यों को ध्यान में रखते हुए ही गृह-विज्ञान की छात्राओं को गृह- गणित के रूप में सामान्य गणित का ज्ञान प्रदान किया जाता है। इसी प्रकार गृहिणियों के लिए भी गृह- गणित का ज्ञान विशेष रूप से उपयोगी तथा आवश्यक होता है। गृह-गणित का समुचित ज्ञान होने की स्थिति में गृहिणियों को विभिन्न कार्य करने के लिए किसी अन्य व्यक्ति पर निर्भर नहीं रहना पड़ता, वे स्वयं ही रुपए-पैसे का लेन-देन कर सकती हैं तथा गृह-बजट तैयार कर (UPBoardSolutions.com) सकती हैं। अतः स्पष्ट है कि गृह-प्रबन्ध की सफलता के लिए प्रत्येक गृहिणी के लिए गृह-गणित का ज्ञान आवश्यक एवं महत्त्वपूर्ण है।

माप व तौल की सामान्य इकाइयाँ

मीट्रिक प्रणाली में माप व तौल की इकाइयाँ निम्न प्रकार की होती हैं

तौल की इकाइयाँ
1 किलोग्राम = 10 हेक्टोग्राम
1 हेक्टोग्राम = 10 डेकाग्राम
1 डेकाग्राम = 10 ग्राम
1 ग्राम | = 10 डेसीग्राम
1 डेसीग्राम = 10 सेण्टीग्राम
1 सेण्टीग्राम = 10 मिलीग्राम
नोट: तौल की मुख्य इकाइयाँ ग्राम तथा किलोग्राम ही हैं। एक किलोग्राम में 1000 ग्राम होते हैं।

लम्बाई की इकाइयाँ :
1 किलोमीटर = 10 हेक्टोमीटर
1 हेक्टोमीटर = 10 डेकामीटर
1 डेकामीटर = 10 मीटर
1 मीटर = 10 डेसीमीटर
1 डेसीमीटर = 10 सेण्टीमीटर
1 सेण्टीमीटर = 10
नोट: लम्बाई की मुख्य व्यवहार में आने वाली इकाइयाँ मीटर तथा किलोमीटर ही हैं। एक किलोमीटर में 1000 मीटर होते हैं तथा एक मीटर में 100 सेण्टीमीटर होते हैं।

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मात्रा अथवा आयतन की इकाइयाँ
1 किलोलीटर = 10 हेक्टोलीटर
1 हेक्टोलीटर = 10 डेकालीटर
1 डेकालीटर = 10 लीटर
1 लीटर = 10 डेसीलीटर
1 डेसीलीटर = 10 सेण्टीलीटर
1 सेण्टीलीटर = 10 मिलीलीटर।
नोट: मात्रा की मुख्य इकाइयां लीटर तथा मिलीलीटर ही हैं। एक लीटर में 1000 मिलीलीटर होते हैं।

सम्बन्धित प्रश्न

उदाहरण :
5 किलोग्राम 2 हेक्टोग्राम 5 डेकाग्राम को ग्राम में बदलिए।
हल : 5 किलोग्राम +2 हेक्टोग्राम + 5 डेकोग्राम
था       5 x 1 किलोग्राम + 2 x 1 हेक्टोग्राम (UPBoardSolutions.com) + 5 x 1 डेकाग्राम
5 x 1000 + 2 x 100 + 5 x 10
5000+ 200 + 50 = 5250 ग्राम

अभ्यास 1

प्रश्न 1:
10 किलोग्राम 5 हेक्टोग्राम 2 डेकाग्राम को ग्राम में परिवर्तित कीजिए।

प्रश्न 2:
1 डेकाग्राम 2 ग्राम 5 सेण्टीग्राम को मिलीग्राम में बदलिए।

प्रश्न 3:
5 हेक्टोलीटर 20 डेकालीटर को लीटर में बदलिए।

प्रश्न 4:
1 किलोमीटर 5 हेक्टोमीटर 10 डेकामीटर को मीटर में परिवर्तित कीजिए।

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प्रश्न 5:
एक गृहिणी ने 2 किलोग्राम आलू, 25 डेकाग्राम भिण्डी व 250 ग्राम टमाटर खरीदे। उसने कुल कितने ग्राम सब्जी खरीदी?
उत्तर:
1. 10520 ग्राम,
2. 12050 मिलीग्राम,
3. 700 लीटर,
4. 1600 मीटर,
5. 2500 ग्राम।

दशमलव प्रणाली
दशमलव वह बिन्दु है जिसे इकाई के दाहिनी ओर लगाकर इकाई का स्थान दर्शाया जाता है। दशमलव (UPBoardSolutions.com) बिन्दु के दाहिनी ओर की संख्याएँ दशमलव संख्याएँ कहलाती हैं। इसे निम्नलिखित उदाहरणों द्वारा स्पष्ट किया गया है
UP Board Solutions for Class 10 Home Science Chapter 5 गृह-गणित 1

दशमलव संख्याओं को जोड़ना

दशमलव संख्याओं को सामान्य पूर्ण संख्याओं के समान ही जोड़ते हैं। यह कार्य कुछ कठिन अवश्य है, परन्तु यदि निम्नलिखित सामान्य नियमों का पालन किया जाए तो त्रुटि होने की सम्भावनाएँ बहुत कम हो जाती हैं ।

  1. संख्याओं के अंकों को थोड़ा दूर-दूर व स्पष्ट लिखें।
  2. संख्याओं को एक-दूसरे के नीचे इस प्रकार लिखें कि इनके दशमलव बिन्दु एक-दूसरे के ठीक नीचे रहें।
  3. सामान्य संख्याओं के अंकों की तरह इनके अंक भी सम्बन्धित स्तम्भों में लिखे (UPBoardSolutions.com) जाने चाहिए। उदाहरण के लिए इकाई के स्तम्भ में इकाई अंक तथा दहाई व सैकड़े के स्तम्भ में दहाई व सैकड़े
    के अंक लिखें। इससे योग करने में सुविधा रहती है।
  4. यदि किसी संख्या के दाहिनी ओर के कुछ स्तम्भ खाली रह जाएँ तो इनमें शून्य अंकित कर दें। अब इन्हें सामान्य संख्याओं की तरह जोड़ दें।

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सम्बन्धित प्रश्न

उदाहरण 1:
115.5, 10.1 व 5.7 का योगफल ज्ञात कीजिए।
हल:
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उत्तर: 31.3

उदाहरण 2:
पुष्पा ने परिवार के लिए 38.67 मीटर पापलीन, 60.58 मीटर लट्ठा, 75.40 मीटर जीन और 10.30 मीटर मारकीन का कपड़ा खरीदा, तो उसने कुल कितना कपड़ा खरीदा?
हल: पुष्पा द्वारा खरीदे गए कपड़े का विवरण
UP Board Solutions for Class 10 Home Science Chapter 5 गृह-गणित 3
अतः पुष्पा ने कुल 184.95 मीटर कपड़ा खरीदा। उत्तर

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अभ्यास 2

प्रश्न 1:
योगफल ज्ञात कीजिए।
(क) 242.34, 23.12 तथा 11.14 (ख) 171.09, 131.12 तथा 1.09

प्रश्न 2:

एक गृहिणी ने 14.35 मीटर कपड़ा कमीजों के लिए, 16.36 मीटर कपड़ा पेटीकोटों के लिए तथा 9.24 मीटर कपड़ा पैन्टों के लिए खरीदा। उसने कुल कितना कपड़ा खरीदा?

प्रश्न 3:

उषा ने 20.75 के अंगूर, ₹ 10.20 के सेब, ₹ 33.50 के आम तथा ₹ 5.85 के अमरूद खरीदे। उसने कुल कितने रुपये के फल खरीदे?

प्रश्न 4:

मीरा ने 5 जनवरी को 139.054 मीटर कपड़ा परदों के लिए, 15 जनवरी को 89.950 मीटर कपड़ा बच्चों की ड्रेस के लिए तथा 30 जनवरी को 20.920 मीटर कपड़ा अपने लिए खरीदा। मीरा ने जनवरी माह में कुल कितना कपड़ा खरीदा? ।

प्रश्न 5:

एक गृहिणी द्वारा बेची गयी रद्दी का विवरण है-हिन्दी समाचार-पत्र 8.50 किग्रा, अंग्रेज़ी समाचार-पत्र 8.75 किग्रा, मैगजीन 3.25 किग्रा तथा पुरानी कापियाँ 2.80 किग्रा। उसने कुल कितनी रद्दी बेची?

प्रश्न 6:

मोहन ने अपने परिवार के लिए 40.60 मीटर लटठा, 50.40 मीटर जीन, 12.50 मीटर मारकीन तथा 15.50 मीटर मोटा कपड़ा खरीदा। उसने कुल कितना कपड़ा खरीदा?

प्रश्न 7:

एक मोटरकार पहले घण्टे में 44.3 किलोमीटर, दूसरे घण्टे में 53.6 किलोमीटर, तीसरे घण्टे में 58.87 किलोमीटर तथा चौथे घण्टे में 61.78 किलोमीटर चली। चार घण्टों में मोटरकार ने कुल कितनी दूरी तय की?

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प्रश्न 8:

रूपा ने परिवार के लिए 40.67 मीटर लट्ठा, 80.58 मीटर पापलीन, 75.40 मीटर जीन और 20.30 मीटर मारकीन खरीदा। उसने कुल कितना कपड़ा खरीदा?

प्रश्न 9:

कारखाने में एक मजदूर ने एक दिन में ₹52.75 मजदूरी प्राप्त की, दूसरे दिन उसने ₹48.50 तथा तीसरे दिन के ₹51.25 मजदूरी प्राप्त की। इन तीन दिनों में उसने कुल कितनी मजदूरी प्राप्त की?
उत्तर:
1. (क) 276.60, (ख) 303.30,
2. 39.95 मीटर,
3. ₹ 70.30,
4. 249.924 मीटर,
5. 23.30 किग्रा,
6. 119.00 मीटर,
7. 218.55 किमी,
8. 216.95 मीटर,
9. ₹ 152.50

दशमलव संख्याओं को घटाना

दशमलव संख्याओं को घटाते समय निम्नलिखित नियमों का पालन करना आवश्यक है

  1. अंकों के मध्य पर्याप्त अन्तर रखिए।
  2.  संख्याओं को इस प्रकार लिखिए कि दशमलव बिन्दु एक-दूसरे के ठीक नीचे रहें। |
  3. किसी भी संख्या के दाहिनी ओर यदि रिक्त स्थान हो तो इनमें शून्य (UPBoardSolutions.com) लिखिए। इससे त्रुटियों की सम्भावना कम हो जाती है। |
  4. यदि किसी संख्या में दशमलव नहीं है तो इसके इकाई के अंक के बाद दशमलव बिन्दु लगाकर दूसरी संख्या के, दशमलव अंकों के बराबर स्थानों पर शून्य लिखिए। उदाहरण के
    लिए: 295.25 में से 105 को घटाना है। इसे निम्नवत् लिखकर घटाइए

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सम्बन्धित प्रश्न

उदाहरण:
पुष्पा के पास ₹ 198.50 थे। उसने बाजार से ₹94,75 का सामान खरीदा। पुष्पा के पास कितने रुपये शेष बचने चाहिए?
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अभ्यास 3

प्रश्न 1:
घटाइए (क) 44.24 में से 11.234 (ख) 932.780 में से 900.265

प्रश्न 2:
सुमन के घर में 150 किग्रा गेहूँ था। दो माह पश्चात् 71 किग्रा 4 हेग्रा 3 डेग्रा गेहूँ शेष बचा। बताइए कि कुल कितना गेहूँ प्रयोग में आया?

प्रश्न 3:

रमा ने परदों के लिए 30 मीटर कपड़ा खरीदा। परदे बनाने के बाद 2.70 मीटर कपड़ा शेष बचा। परदों में कुल कितने मीटर कपड़ा लगा?

प्रश्न 4:

यदि किसी गृहिणी की मासिक आय ₹3540 तथा व्यय ₹ 2980.75 है तो वह प्रतिमाह कितनी बचत कर सकती है? ।

प्रश्न 5:

एक गृहिणी ₹85 लेकर बाजार गई। उसने ₹30 का गेहूँ, ₹20.25 की दाल, ₹18 के चावल तथा ₹ 10 का मसाला खरीदा तो कुल कितना व्यय हुआ और कितना उसके पास शेष बचा?

प्रश्न 6:

विभा के पास कुल ₹8520 थे जिनमें से ₹439.87 उसने जलसे में खर्च किए, तो बताइए अब उसके पास कितना धन शेष बचा?

प्रश्न 7:
एक परिवार में तीन पढ़ने वाले बच्चे हैं। कुल ₹375.00 उनकी फीस पर व्यय होते हैं। एक बच्चे की फीस हैं ₹120.00 है, दूसरे की फीस ₹150.00 है, तो बताइए कि तीसरे बच्चे की
फीस क्या होगी?

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प्रश्न 8:
रेखा ₹75 लेकर बाजार गई। उसने ₹25 की पुस्तकें, ₹20 की दवा, ₹11.75 की कलम खरीदी तथा र9 के फल खरीदे, तो बताइए उसने कुल कितना व्यय किया तथा शेष क्या बचाया?

प्रश्न 9:

एक गृहिणी ₹60 लेकर बाजार गई। उसने ₹20 के गेहूँ, ₹15 के मसाले औरं ₹5.25 की सब्जी खरीदी, तो कुल कितना व्यय हुआ और कितना उसके पास शेष बचा?
उत्तर:
1. (क) 33,006, (ख) 32,515,
2. 78.57 किग्रा,
3. 27.30 मीटर,
4. ₹ 559.25,
5. व्यय ₹ 78.25, शेष ₹ 6.75,
6. ₹ 8088.13,
7. ₹ 105.00,
8. व्यय ₹ 85.75, शेष ₹ 9.25,
9. व्यय ₹ 40.25, शेष ₹19.75

दशमलव संख्याओं को गुणा करना

दशमलव संख्याओं की गुणा के महत्त्वपूर्ण नियम निम्नलिखित हैं

  1. दशमलव संख्या को यदि पूर्णांक से गुणा करना है, तो पहले दशमलव बिन्दु पर ध्यान न देकर पूर्णांक संख्याओं की तरह गुणा कीजिए।
  2. गुणा में जितने भी दशमलव अंक हों उतने ही अंक गुणनफल में दाहिनी ओर से गिनकर दशमलव बिन्दु लगाइए।
  3. यदि ऐसा करते समय कुछ अंशों की कमी पड़े, तो उतने ही शून्य (UPBoardSolutions.com) बाईं ओर बढ़ाकर दशमलव बिन्दु लगाइए।
  4. निकटतम मान ज्ञात करने के लिए दशमलव के प्रथम स्थान के लिए द्वितीय अंक देखिए। यदि यह अंक 5 से कम है, तो इसे छोड़ देते हैं और यदि यह 5 अथवा 5 से अधिक है, तो प्रथम अंक में 1 (एक) जोड़कर निकटतम मान लिखा जाता है; जैसे-3.24 का निकटतंम मान’ 3.2 तथा 3.25 का निकटतम मान 3.3 लिखा जाता है।

सम्बन्धित प्रश्न
उदाहरण 1
रिचा 2.5 किलोमीटर प्रति घण्टा की गति से चलकर 2 घण्टे में स्कूल से घर पहुँची, तो स्कूल से घर की दूरी बताइए।
हल :
रिचा एक घण्टे में चलती है = 2.5 किमी
∴ रिचा दो घण्टे में चलेगी = 2.5 x 2 = 5.0 किमी      उत्तर

उदाहरण 2
शोभा एक लीटर पेट्रोल से अपनी मोटर 8.35 किलोमीटर दूर ले गई, तो बताइए कि 9 लीटर पेट्रोल से वह कितनी दूर तक जाएगी?
हल: एक लीटर पेट्रोल से मोटर जाती है = 8.35 किलोमीटर
∴ नौ लीटर पेट्रोल से मोटर जाएगी = 8.35 x 9 किलोमीटर = 75.15 किमी     उत्तर

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उदाहरण 3
1 किलोग्राम चीनी का मूल्य ₹ 17.50 है, तो 12 किलोग्राम चीनी का मूल्य क्या होगा? [2008]
हल :
एक किलोग्राम चीनी का मूल्य = ₹ 17.50
∴ 12 किलोग्राम चीनी का मूल्य = ₹ 17.50 x 12 = ₹ 210.00    उत्तर

अभ्यास 4

प्रश्न 1:
यदि आलू का मूल्य ₹ 2.75 प्रति किलोग्राम है, तो 10 किलोग्राम आलू का मूल्य कितना होगा?

प्रश्न 2:
रामू यदि ₹0.75 प्रति कपड़ा धुलाई लेता है, तो 80 कपड़ों की धुलाई के लिए वह कुल कितने रुपये लेगा?

प्रश्न 3:
रमा ने यदि एक किलोग्राम चावल का मूल्य ₹ 6.70 दिया, तो बताइए कि 4 किलोग्राम चावल की मूल्ये क्या होगा?

प्रश्न 4:
एक कुन्तल चावल का मूल्य ₹180 है, तो 18 किलोग्राम चावल का मूल्य बताइए।

प्रश्न 5:
कमला एक लीटर डीजल से 10 किलोमीटर दूर अपनी जीप ले गई, तो बताइए 7 लीटर डीजल से वह कितनी दूर जाएगी?

प्रश्न 6:
एक मीटर कपड़े का मूल्य ₹12 है, तो 80 मीटर कपड़े का मूल्य बताइए।

प्रश्न 7:
एक मोपेड एक लीटर पेट्रोल में 70.15 किलोमीटर दूर जाती है, तो 9 लीटर पेट्रोल में वह कितनी दूर तक जाएगी?

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प्रश्न 8:
एक मीटर कपड़े का मूल्य ₹22 है, तो 145 मीटर कपड़े का मूल्य बताइए।

प्रश्न 9:
सोने की एक चूड़ी की तौल 25.675 ग्राम है। ऐसी 15 चूड़ियाँ बनाने के लिए कितने सोने की आवश्यकता होगी?

प्रश्न 10:
राधा ने अपने परिवार के लिए ₹22.30 प्रति मीटर के हिसाब से 6 मीटर मारकीन खरीदा, उसका कुल कितना रुपया व्यय हुआ?

प्रश्न 11:
शान्ति ने ₹8.50 प्रति मीटर की दर से 1 [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] मीटर पापलीन, ₹18.40 प्रति मीटर की दर से 2 मीटर छींट का कपड़ा और ₹10.20 प्रति मीटर की दर से 2 [latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] मीटर लट्ठा खरीदा, तो बताइए उसने कुल कितने मीटर कपड़ा खरीदा और कितना रुपया दिया?

प्रश्न 12:
वसु ने एक किलोग्राम चीनी का मूल्य ₹ 8.60 पैसे दिया, तो बताइए 5 किलोग्राम चीनी का मूल्य क्या होगा?

प्रश्न 13:
नितिका की कार एक लीटर पेट्रोल में 30 किमी दूर जा सकती है। 12.5 लीटर पेट्रोल में वह कितना लम्बा रास्ता तय कर सकती है?

प्रश्न 14:
नीतू एक लीटर पेट्रोल से अपनी कार 9.25 किलोमीटर दूर ले गई। 15 लीटर पेट्रोल से उसकी कार कितनी दूर तक जाएगी?

प्रश्न 15:
सोने की एक चूड़ी का भार 7.635 ग्राम है। ऐसी 18 चूड़ियों का भार कितना होगा?
उतर:
1. ₹ 27.50,
2.₹ 60,
3. ₹ 26.80,
4. ₹ 32.40,
5. 70 किलोमीटर,
6. ₹ 960,
7. 63135 किमी,
8. ₹ 3190,
9. 385,125 ग्राम,
10. ₹ 133.80,
11. 6 मीटर, व्यय (UPBoardSolutions.com) ₹ 75.05,
12. ₹ 43.00,
13. 375 किलोमीटर,
14. 138.75 किलोमीटर,
15. 137,43 ग्राम।

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दशमलव संख्याओं में भाग करना

इन प्रश्नों को हल करते समय निम्नलिखित नियमों का पालन कीजिए

  1. सामान्य संख्याओं के समान भाग की क्रिया आरम्भ कीजिए।
  2. भागफल प्रायः दशमलव के एक, दो अथवा तीन अंकों तक ज्ञात किया जाता है।
  3. यदि भाजक दशमलव संख्या है, तो भाज्य में 10, 100 अथवा 1000 से गुणा कर इसे पूर्णांक बना लेते हैं।
  4. यदि भाज्य दशमलव संख्या है, तो भाजक में 10, 100 या 1000 की गुणा कर इसे पूर्णांक बना देते हैं।
  5. यदि भाजक व भाज्य दोनों ही दशमलव संख्याएँ हैं, तो दोनों (UPBoardSolutions.com) में ही 10, 100 अथवा 1000 की गुणा कर दोनों को पूर्णांक बना देते हैं।
    इए उपर्युक्त नियमों को उदाहरणों द्वारा समझने का प्रयत्न करें।

सम्बन्धित प्रश्न

उदाहरण 1:
135 को 10.2 से भाग दीजिए।
हल:
UP Board Solutions for Class 10 Home Science Chapter 5 गृह-गणित 6
यहाँ भाजक दशमलव संख्या है; अत: इसे पूर्णांक बनाने के लिए भाज्य में 10 की गुणा करनी होगी
UP Board Solutions for Class 10 Home Science Chapter 5 गृह-गणित 7
अब साधारण विधि से भाग किया जा सकता है।
UP Board Solutions for Class 10 Home Science Chapter 5 गृह-गणित 8

उदाहरण 2:
एक पैन्ट बनाने में 2.25 मीटर कपड़ा लगता है। 20.25 मीटर कपड़े में कितनी पैन्टें बनेंगी?
हल :
∵ 2.25 मीटर कपड़े में बनती है = 1 पैन्ट
UP Board Solutions for Class 10 Home Science Chapter 5 गृह-गणित 9

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अभ्यास 5

प्रश्न 1:
पुष्पा ने 10.80 मीटर कपड़ा ₹90.80 में खरीदा। कपड़े का प्रति मीटर मूल्य बताइए।

प्रश्न 2:
100 मीटर लम्बी डोरी के 2.5 मीटर डोरी वाले कितने टुकड़े किए जा सकते हैं?

प्रश्न 3:
यदि 5 कुर्सियों का मूल्य ₹650.75 है, तो एक कुर्सी की कीमत कितनी होगी?

प्रश्न 4:
एक गृहिणी ने बाजार से 27.8 मीटर कपड़ा नियन्त्रित मूल्य पर खरीदा। यदि एक कमीज में 2.65 मीटर कपड़ा लगता है, तो कुल कपड़े में से कितनी कमीजें बनेंगी और कितना कपड़ा शेष बचेगा?

प्रश्न 5:
4 कुर्सियों एवं 5 मेजों का मूल्य ₹1024.80 है। यदि एक कुर्सी का मूल्य ₹100 है तो एक मेज का मूल्य बताइए।

प्रश्न 6:
10 किलोग्राम चीनी का मूल्य ₹58.00 है। एक किलोग्राम चीनी का मूल्य ज्ञात कीजिए।

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प्रश्न 7 :
एक ट्रेन 6 घण्टे में 312.24 किलोमीटर की दूरी तय करती है। वही ट्रेन एक घण्टे में कितने किलोमीटर की दूरी तय करेगी?

उत्तर:
1. ₹8.40,
2. 40 टुकड़े,
3. ₹130.15
4. 10, शेष 1.3 मीटर,
5. ₹12496
6. ₹5.80
7. 52.04 किलोमीटर।

प्रतिशत की गणना

प्रतिशत का अर्थ 100 के परिप्रेक्ष्य में मात्रा अथवा संख्या प्रदर्शित करना है। इसे गणित में % चिह्न से दर्शाया जाता है। प्रतिशत गणना सम्बन्धी कुछ जानने योग्य नियम निम्नलिखित हैं

  1. प्रतिशत को दशमलव भिन्न में बदलने के लिए उसे 100 से भाग कर देते हैं; जैसे
    5%= [latex]\frac { 5 }{ 100 }[/latex] =.05.
    इसी प्रकार दशमलव भिन्न को प्रतिशत में बदलने के लिए उसे 100 से गुणा करेंना होगा; जैसे .05 =.05 x 100 = 5%
  2.  साधारण भिन्न को प्रतिशत में बदलने के लिए 100 से गुणा किया जाता है; जैसे
    [latex]\frac { 1 }{ 4 }[/latex] = [latex]\frac { 1 }{ 4 }[/latex] x 100 = 25%. इसके विपरीत प्रतिशत को भिन्न में बदलने के लिए 100 से भाग देना होगा; जैसे 25% = [latex]\frac { 25 }{ 100 }[/latex] =[latex]\frac { 1 }{ 4 }[/latex]
  3. किसी संख्या की अभीष्ट प्रतिशत संख्या निकालने के लिए उसे अभीष्ट प्रतिशत (UPBoardSolutions.com) से गुणा करते हैं; जैसे–1000 की 25% संख्या होगी।
    1000 x [latex]\frac { 25 }{ 100 }[/latex] = 250

सम्बन्धित प्रश्न

उदाहरण 1
एक गाँव की जनसंख्या 6000 है। इसमें 35% पुरुष व 40% स्त्रियाँ हैं, शेष बच्चे हैं। बच्चों की संख्या ज्ञात कीजिए। [2008, 11]
हल:
गाँव की कुल जनसंख्या = 6000
पुरुषों का प्रतिशत = 35%
पुरुषों की संख्या = 6000 x [latex]\frac { 35 }{ 100 }[/latex]= 35 x 60 = 2100
स्त्रियों का प्रतिशत = 40%
स्त्रियों की संख्या = 6000 x [latex]\frac { 40 }{ 100 }[/latex]= 60 x 40 = 2400
पुरुषों व स्त्रियों को मिलाकर जनसंख्या = 2100 + 2400 = 4500
अतः बच्चों की संख्या = कुल जनसंख्या – पुरुषों व स्त्रियों की जनसंख्या का योग
6000 – 4500 = 1500 उत्तर

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उदाहरण 2
एक गाँव की जनसंख्या 4500 है। इस गाँव में 35% पुरुष, 36% स्त्रियाँ और शेष बच्चे हैं। बच्चों की संख्या ज्ञात कीजिए। [2009]
हल:
कुल जनसंख्या = 4500
पुरुषों का प्रतिशत = 35%
पुरुषों की संख्या = 4500 x [latex]\frac { 35 }{ 100 }[/latex] = 45x 35 = 1575
स्त्रियों का प्रतिशत = 36%
स्त्रियों की संख्या = 4500 x [latex]\frac { 36 }{ 100 }[/latex] = 45x 36 = 1620
पुरुषों व स्त्रियों को मिलाकर जनसंख्या = 1575 +1620 = 3195
बच्चों की संख्या = कुल जनसंख्या – पुरुष (UPBoardSolutions.com) व स्त्रियों की जनसंख्या का योग
4500 – 3195 = 1305 उत्तर

उदाहरण 3
एक महिला ने 10% की छूट से खरीदे गए सामान पर ₹50 की कुल छूट प्राप्त की। उसने कुल कितने रुपये का सामान खरीदा?
हल :
खरीदे गए सामान के मूल्य का 10% = ₹ 50
खरीदे गए सामान के मूल्य का 100% = 50 x [latex]\frac { 100 }{ 10 }[/latex]= ₹ 500
अतः
सामान का कुल मूल्य = ₹ 500 उत्तर

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उदाहरण 4
रमा ने दूध वाले से जो दूध लिया उसमें [latex]\frac { 3 }{ 4 }[/latex] भाग दूध व शेष पानी था। दूध में मिले पानी को प्रतिशत ज्ञात कीजिए।
हल :
यदि दूध की मात्रा = 1 लीटर है।
इसमें दूध की मात्रा =1 – [latex]\frac { 3 }{ 4 }[/latex] = [latex]\frac { 1 }{ 4 }[/latex]
अतः दूध में पानी का प्रतिशत = [latex]\frac { 1 }{ 4 }[/latex]x 100= 25% उत्तर

उदाहरण 5
कमला ने बैंक में ₹2000 जमा किए। 11.5 प्रतिशत ब्याज प्रतिवर्ष की दर से एक वर्ष पश्चात बैंक में उसकी जमा की गई धनराशि कुल कितनी होगी?
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अभ्यास 6

प्रश्न 1:
₹ 2500 मासिक आय वाला व्यक्ति यदि बच्चों की शिक्षा पर 20% व्यय करना चाहे, तो उसे कुल कितना रुपया प्रतिमाह व्यय करना होगा?

प्रश्न 2:
एक नगर की जनसंख्या 50000 है। यदि नगर में 30% पुरुष, 35% महिलाएँ व 35% बच्चे हैं, तो इनकी अलग-अलग संख्या बताइए

प्रश्न 3:
रामपुर गाँव की जनसंख्या 2000 है। इसमें 45% पुरुष, 40% स्त्रियाँ तथा शेष बच्चे हैं। बच्चों की कुल संख्या बताइए।

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प्रश्न 4:
एक दुकानदार ने पुस्तक पर मुद्रित मूल्य पर 15% की छूट दी। यदि यह छूट ₹3.75 है, तो पुस्तक का छपा हुआ मूल्य बताइए।

प्रश्न 5:
एक व्यक्ति अपनी आय की 15% मासिक बचत करता है। यदि वर्ष में कुल ₹5400 की बचत करता है, तो उसकी वार्षिक आय बताइए।

प्रश्न 6:
एक पशु मेले में 25% गाय, 20% भैंस, 25% बैल तथा 15% बकरी बिकने के लिए आए, शेष अन्य पशु थे। मेले में कुल 10000 पशु एकत्रित हुए थे। अन्य पशुओं की संख्या ज्ञात कीजिए।

प्रश्न 7:
आर्य समाज कन्या पाठशाला की 40 में से 32 छात्राएँ उत्तीर्ण हुई, जबकि राजकीय कन्या विद्यालय की 35 में से 31 छात्राएँ ही उत्तीर्ण हुईं। किस स्कूल का परिणाम अच्छा रहा?

प्रश्न 8:
एक गृहिणी अपनी आय का 45% भोजन पर, 20% वस्त्रों पर तथा 25% शिक्षा पर व्यय करती है। यदि वह 200 रुपये मासिक बचत करती है, तो उसकी कुल आय कितनी है?

प्रश्न 9:
एक पाठशाला में 500 छात्र हैं जिनमें से 60% विज्ञान वर्ग के और शेष साहित्यिक वर्ग के हैं। विज्ञान वर्ग और साहित्यिक वर्ग के छात्रों की संख्या बताइए।

प्रश्न 10:
रामपुर की जनसंख्या 10000 है। इसमें 40% पुरुष, 35% स्त्रियाँ तथा शेष बच्चे हैं। बच्चों की कुल संख्या बूताइए। [2009]

प्रश्न 11:
ऍक स्थान की जनसंख्या 25560 है, जिसमें 40% पुरुष एवं 40% स्त्रियाँ हैं, शेष बच्चे हैं। पुरुषों, स्त्रियों एवं बच्चों की अलग-अलग संख्या लिखिए।

प्रश्न 12:
शीला की प्रतिमाह की आय ₹ 1500 है जिसमें से वह 90% गृह-व्यवस्था में व्यय करती है। शेष बचत करती है। वह आय में से कुल कितना व्यग्र और बचत करती है?
उत्तर:
1. ₹ 500,
2. 15000 पुरुष, 17500 महिलाएँ, 17500 बच्चे,
3. 300 बच्चे,
4. ₹ 25
5. ₹ 36000
6. 1500,
7. राजकीय कन्या विद्यालय 88.5%,
8. 2000
9. विज्ञान वर्ग के छात्र = 300 तथा साहित्यिक वर्ग के छात्र-200
10. 2500 बच्चे,
11. पुरुष = 10224, स्त्रियां =10224 बच्चे = 5112
12. व्यय = ₹ 1350, बचत = ₹ 150

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लाभ-हानि का मूल्यांकन

प्रायः दुकानदार वस्तुओं को कम मूल्य पर खरीदकर कुछ अधिक मूल्य पर बेचते हैं। मूल्यों का यह अन्तर लाभ कहलाता है। परन्तु कभी-कभी खरीदी हुई वस्तुओं के मूल्य में गिरावट भी आ जाती है। अथवा अन्य किसी मजबूरी के कारण दुकानदार को वस्तुएँ खरीदे हुए मूल्य से कम मूल्य पर बेचनी पड़ती हैं, तो मूल्यों को यह अन्तर हानि कहलाता है। लाभ-हानि की गणना का ज्ञान प्रत्येक गृहिणी के लिए आवश्यक है। इसके द्वारा (UPBoardSolutions.com) न केवल घर की अर्थव्यवस्था में सन्तुलन बनाए रखने में सहायता मिलती है, बल्कि अतिरिक्त आय भी की जा सकती है। लाभ-हानि की गणना के लिए अग्रलिखित बातों का ज्ञान होना आवश्यक है

  1. किसी वस्तु के खरीदने को क्रय कहते हैं तथा खरीदते समय दिए जाने वाला मूल्य क्रय मूल्य कहलाता है।
  2.  किसी वस्तु के बेचने को विक्रय कहते हैं तथा वस्तु को बेचते समय मिलने वाला मूल्य विक्रय मूल्य कहलाता है।
  3.  यदि किसी वस्तु का क्रय मूल्य कम तथा विक्रय मूल्य अधिक होता है, तो लाभ की प्राप्ति होती है; अतः
    लाभ = विक्रय मूल्य – क्रय मूल्य।
  4. यदि वस्तु का क्रय मूल्य अधिक व विक्रय मूल्य कम है, तो हानि होती है।
    हानि = क्रय-मूल्य – विक्रय मूल्य।।
  5. लाभ तथा हानि का मूल आधार सदैव क्रय मूल्य ही होता है क्योंकि इसके कम अथवा अधिक होने पर ही लाभ व हानि होती है।
  6. लाभ-हानि की गणना प्रायः प्रतिशत में की जाती है।

सम्बन्धित प्रश्न

उदाहरण 1
अशोक ने ₹1200 में एक साइकिल खरीदी और उसे ₹1104 में बेच दिया। उसे कितने रुपये का नुकसान हुआ एवं उसका प्रतिशत ज्ञात कीजिए।
हल :
साइकिल का क्रय मूल्य = ₹1200
साइकिल का विक्रये मूल्य = ₹1104
हानि = 1200 – 1104 = ₹96
₹ 1200 पर हानि = ₹96
₹ 100 पर हानि = [latex]\frac { 96 x 100 }{ 1200 }[/latex] = [latex]\frac { 96 }{ 12 }[/latex] = 8
अतः अशोक को 8% हानि हुई। उत्तर

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उदाहरण 2
एक परिवार की मासिक आय ₹40000 है। वे भोजन पर ₹15000, घर पर ₹10000, स्कूल फीस पर ₹5000 और अन्य मदों पर ₹5000 व्यय करते हैं। उनकी प्रति माह बचत क्या होगी ? [2009, 10, 13]
हल:
परिवार की आय = ₹ 40000
परिवार का खर्चा
भोजन का व्यय = ₹ 15000
घर का व्यय = ₹10000
स्कूल फीस = ₹5000
अन्य मदों पर व्यय = १ 5000
कुल व्यय = ₹ 5000
मासिक बचत = मासिक आय (UPBoardSolutions.com) – मासिक खर्च
= 40000-35000
परिवार की मासिक बचत = ₹5000 उत्तर

उदाहरण 3
एक गाय दो हजार (2000) रुपये में खरीदी। वह एक हजार आठ सौ (1800) रुपये में बेची गई। लाभ अथवा हानि का प्रतिशत होगा? [2011]
हल:
क्योंकि गाय खरीद से कम दाम पर बेची गई, अतः गाय बेचने में हानि हुई
कुल हानि = 2,000 – 1800 = ₹200
∵ ₹ 2000 पर हानि हुई = ₹ 200
∴ 100 रुपये पर हानि = [latex]\frac { 200 }{ 2000 }[/latex] x 100 = 10
गाय बेचने पर 10% हानि हुई। उत्तर

उदाहरण 4
एक मनुष्य अपनी आय का 90% व्यय करके ₹250 बचाता है। उसकी मासिक आय क्या है? [2007]
हल:
उस मनुष्य ने आय में से 90% व्यय करके ₹250 की बचत की अर्थात् 10% बचत की।
अतः
बचत का प्रतिशत = 100 – 90 = 10%
∵ आय में बचत का 10% = ₹250
∴ आय में से व्यय किया गया 90% हुआ =[latex]\frac { 250 }{ 10 }[/latex] x 90 = ₹2250
कुल मासिक आय = कुल व्यय + बचत
= 2250 + 250 = ₹ 2500
उस मनुष्य की मासिक आय ₹ 2500 है। उत्तर

उदाहरण 5
सोनू ने एक टेलीविजन ₹ 2000 में खरीदा, परन्तु बाद में पसन्द न आने के कारण ₹1800 में बेच दिया। सोनू को कितने प्रतिशत हानि हुई?
हल:
टेलीविजन को क्रय मूल्य = ₹ 2000
टेलीविजन का विक्रय मूल्य = ₹ 1800
हानि = क्रय मूल्य – विक्रय मूल्य
= 2000 – 1800 = ₹ 200
∵ ₹ 2000 क्रय मूल्य पर हानि = ₹ 200
∴ ₹100 क्रय मूल्य पर हानि = [latex]\frac { 200x 100 }{ 2000 }[/latex] = 10%
अत: सोनू को 10% हानि हुई। उत्तर

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उदाहरण 6
रमेश की मासिक आय ₹ 12000 है। वह प्रति माह ₹ 9575 व्यय करता है। उसकी वार्षिक बचत क्या होगी ? [2010]
हल:
रमेश की मासिक आय = ₹ 12000
रमेश को मासिक व्यय = ₹ 9575
रमेश की मासिक बचत = ₹ 2425
रमेश की वार्षिक बचत = ₹ 2425×12
= ₹ 29100 उत्तर

उदाहरण 7
एक साइकिल का मूल्य ₹ 1800 है, उसे कितने में बेचा जाए कि 20% लाभ हो?
हल:
यदि साइकिल का मूल्य ₹ 100 हो तथा 20% लाभ अर्जित करना हो, तो उसे बेचना होगा- ₹ 120 में
यदि साइकिल का मूल्य ₹1800 हो तो 20% (UPBoardSolutions.com) लाभ अर्जित करने के लिए उसे बेचना होगा
= [latex]\frac { 120 }{ 100 }[/latex] x 1800 = ₹ 2160
अत: साइकिल को ₹2160 में बेचा जाना चाहिए। उत्तर

अभ्यास 7

प्रश्न 1:
एक व्यक्ति ने एक गाय ₹500 में खरीदी तथा बाद में उसे ₹ 625 में बेच दिया। उसे कितना लाभ हुआ?

प्रश्न 2:
एक व्यक्ति ने एक घड़ी ₹400 में खरीदकर ₹500 में बेच दी। उसे कितने प्रतिशत लाभ हुआ?

प्रश्न 3:
रामू ने एक साइकिल ₹400 में खरीदी। 20% लाभ पाने के लिए रामू को साइकिल कितने रुपये में बेचनी चाहिए?

प्रश्न 4:
एक गृहिणी ने सिल्क की एक साड़ी ₹400 में खरीदी। एक अन्य गृहिणी ने गाँधी जयन्ती की अवधि में उसी प्रकार की साड़ी के ₹320 में खरीदी। उसे कितने प्रतिशत की छूट मिली?

प्रश्न 5:
प्रेशर कुकर का मूल्य ₹300 है। 20% लाभ अर्जित करने के लिए उसे कितने रुपये में बेचना चाहिए?

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प्रश्न 6:
एक दुकानदार ने 10 कुर्सियाँर ₹300 में खरीदकर ₹400 में बेचीं। प्रतिशत लाभ की गणना कीजिए।

प्रश्न 7:
कमला ने अपनी ₹130 मूल्य की पुस्तकें परीक्षोपरान्त 30% हानि उठाकर बेचीं। उसे पुस्तकों के कितने रुपये मिले?

प्रश्न 8:
एक वस्तु ₹ 200 में खरीदकर 10% की हानि पर बेची गई। वस्तु का विक्रय मूल्य बताइए।

उत्तर :
1. ₹ 125,
2. 25%,
3. ₹ 480,
4. 20%,
5. ₹360,
6. 33.3%,
7. ₹91,
8. ₹180

साधारण ब्याज की गणना

प्रत्येक गृहिणी को घर के आकस्मिक कार्यों के लिए प्रायः भविष्य निधि योजना से, बैंक से अथवा अन्य किसी स्रोत से रुपये उधार लेने की आवश्यकता पड़ जाती है। प्रायः सभी गृहिणियाँ बचत करती हैं तथा बचत किए गए धन को विभिन्न (UPBoardSolutions.com) योजनाओं में लगाती हैं। प्रथम स्थिति में गृहिणी को ब्याज देना होता है तथा द्वितीय स्थिति में उसे ब्याज की प्राप्ति होती है। अतः प्रत्येक गृहिणी को परिवार के हित में ब्याज की गणना का ज्ञान होना आवश्यक है। ब्याज की गणना की सरल विधि निम्न प्रकार है

  1. (1) उधार दी अथवा ली जाने वाली धनराशि मूलधन कहलाती है।
  2. (2) एक निश्चित समय के लिए (माह अथवा वर्ष) धनराशि उधार ली अथवा दी जाती है। इसे अवधि अथवा समय कहते हैं।
  3. (3) उधार धनराशि के लिए देय अतिरिक्त धनराशि ब्याज कहलाती है।।
  4. (4) ब्याज प्रायः एक निश्चित मात्रा में प्रतिमाह अथवा प्रतिवर्ष प्रति ₹100 देय होता है। इसे ब्याज की दर कहते हैं। यह प्रायः प्रतिशत में होती है।
  5. (5) मूलधन + कुल ब्याज को मिश्रधन कहते हैं।
  6. (6) ब्याज की गणना का आवश्यक सूत्र है

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(विशेष–अवधि प्रायः वर्षों में तथा दर प्रतिशत में होती है।]

सम्बन्धित प्रश्न

उदाहरण 1:
₹500 पर 6% वार्षिक ब्याज की दर से 3 वर्ष में कुल कितना ब्याज होगा? [2010, 12 ]
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उदाहरण 2:
यदि 6% वार्षिक ब्याज की दर से तीन वर्षों में कुल ब्याज ₹180 देना पड़ा, तो उधार ली गई धनराशि अथवा मूलधन कितना है?
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उदाहरण 3:
₹ 1000 के 6 वर्ष में ₹2000 हो जाते हैं। साधारण ब्याज की वार्षिक दर की गणना कीजिए।
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उदाहरण 4:
रमा ने 10% वार्षिक ब्याज की दर से ₹5000 बैंक में जमा किए। यह धन कितने वर्षों में दोगुना हो जाएगा?
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अभ्यास 8

प्रश्न 1:
₹600 पर 10% वार्षिक ब्याज की दर से पाँच वर्षों का साधारण ब्याज ज्ञात कीजिए।

प्रश्न 2:
किस प्रतिशत वार्षिक ब्याज की दर से ₹144 12 वर्षों में दोगुने हो जाएँगे?

प्रश्न 3:
रमा ने ₹400 उधार लिए। 3 वर्ष बाद उसने ₹544 वापस दिए। रमा ने कितने प्रतिशत ब्याज दिया?

प्रश्न 4:
एक गृहिणी ने 10% वार्षिक ब्याज की दर से ₹3000 उधार लिए। तीन वर्ष पश्चात् उसे कितना रुपया वापस देना होगा?

प्रश्न 5:
सुषमा ने बैंक से 10% वार्षिक ब्याज की दर से ₹10000 उधार लिए। उसने बैंक को ₹14000 कितने वर्षों बाद वापस किये?

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प्रश्न 6:
8% वार्षिक ब्याज की दर से ₹5600 का तीन साल का साधारण ब्याज क्या होगा? [2009, 18]
उत्तर :
1. ₹300,
2. ₹8.33%,
3. ₹12%,
4. ₹3900,
5. 4 वर्ष,
6. ₹1344

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1:
एक गृह-विज्ञान की छात्रा के लिए गृह-गणित का ज्ञान होना क्यों आवश्यक है?
उत्तर:
इससे छात्र को अनेक लाभ हैं, जिनमें से कुछ लाभ निम्नलिखित हैं
(1) व्यावहारिक ज्ञान की प्राप्ति।
(2) घर का हिसाब-किताब रखने में सुविधा।
(3) बजट बनाने में आसानी।
(4) सिलाई-बुनाई की कुशलता में वृद्धि।
(5) बचत का सही विनिमय करने में सहायता।
(6) बच्चों को पढ़ाने-लिखाने में आसानी।

प्रश्न 2:
लीला ₹75 लेकर बाजार गई। उसने ₹25 की दवा, ₹20 की पुस्तकें, ₹11.75 की कलम व स्याही तथा ₹9 का सजावट का सामान खरीदा। उसने कुल कितना व्यय किया तथा शेष क्या बचा?
या
रेखा ₹75 लेकर बाजार गई। उसने ₹25 की पुस्तकें, ₹20 की दवा, ₹11.75 की कलम खरीदीं तथा ₹9 के फल खरीदे, तो बताइए उसने कुल कितना व्यय किया तथा शेष क्या बचा ?
हल:
यह जोड़ने व घटाने का मिश्रित प्रश्न है।
कुल व्यय = 25 + 20 + 11.75 + 9 = ₹ 65.75
शेष धन = 75 – 65.75 = ₹ 9.25 उत्तर

प्रश्न 3:
शान्ति ने ₹ 8.50 प्रति मीटर की दर से 11/2 मीटर पापलीन, ₹18.40 प्रति मीटर की दर से 2 मीटर कपड़ा और ₹10.20 प्रति मीटर की दर से 21/2 मीटर लट्ठा खरीदा, तो बताइए उसने कुल कितने मीटर कपड़ा खरीदा और कितना पैसा दिया?
हल:
यह योग एवं गुणा का मिश्रित प्रश्न है।।
शान्ति द्वारा खरीदा गया कुल कपड़ा = 1.5 + 2 + 2.5 मी =6 मी
₹ 8.50 की दर से 1.5 मी पापलीन का मूल्य = 8.50 x 1.5 = ₹ 12.75
₹ 18.40 की दर से 2 मी कपड़े का मूल्य = (UPBoardSolutions.com) 18.40 x 2 = ₹ 36.80
₹ 10.20 की दर से 2.5 मी लट्ठे का मूल्य = 10.20 x 2.5 = ₹ 25.50
शान्ति द्वारा व्यय किए गए कुल ₹ =12.75 + 36.80 + 25.50 = ₹75.05 उत्तर

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प्रश्न 4:
राधा ने अपने परिवार के लिए ₹22.30 प्रति मीटर की दर से 12 मीटर मलमल तथा ₹ 15.10 प्रति मीटर की दर से 6 मीटर मारकीन खरीदा, उसका कुल कितना रुपया व्यय हुआ?
हल:
यह गुणा एवं योग का मिश्रित प्रश्न है।
₹ 22.30 की दर से 12 मीटर मलमले का मूल्य = 22.30 x 12 = ₹ 267.60
₹ 15.10 की दर से 6 मीटर मारकीन का मूल्य (UPBoardSolutions.com) = 15.10 x 6 = ₹ 90.60
राधा द्वारा व्यय किए गए कुल रुपये = 267.60 + 90.60 = ₹ 358.20

प्रश्न 5:
सोहन ने ₹1825 मोहन से लिए। उस पर 12% वार्षिक ब्याज दिया। उसने तीन वर्ष बाद एक घड़ी और ₹20,000 वापिस किए। घड़ी का मूल्य बताइए। [2011]
हल:
₹ 1825 का 12% की दर से तीन वर्ष का ब्याज
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कुल देनदारी = मूलधन + ब्याज
= 1825 + 657 = 2482
∵ सोहन ने दिया = 2000 + घड़ी
∴ घड़ी की कीमत = 2482 – 2000 = 482
घड़ी की कीमत = ₹482 उत्तर

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1:
दशमलव बिन्दु से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
संख्या में अंक के साथ लगाए गए उस बिन्दु को जो पूरी इकाई को इसके दसवें, सौवें, हजारवें आदि भागों में अलग करता है, दशमलव बिन्दु कहते हैं।

प्रश्न 2:
हानि को आप किस प्रकार परिभाषित करेंगी?
उत्तर:
जब किसी वस्तु का क्रय मूल्य अधिक तथा विक्रय मूल्य कम होता है, तो इन दोनों का अन्तर हानि कहलाता है।

प्रश्न 3:
ब्याज का क्या अर्थ है?
उत्तर:
उधार लिए गए मूलधन पर निश्चित अवधि में देय अतिरिक्त धनराशि ब्याज कहलाती है।

प्रश्न 4:
4% वार्षिक ब्याज की दर से ₹ 600 को तीन साल का साधारण ब्याज क्या होगा? [2011]
उत्तर:
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प्रश्न 5:
मिश्रधन से आप क्या समझती हैं?
उत्तर:
मूलधन + ब्याज की सम्मिलित धनराशि मिश्रधन कहलाती है।

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प्रश्न 6:
प्रतिशत का क्या अर्थ है?
उत्तर:
100 में से अभीष्ट संख्या को प्रतिशत कहते हैं; जैसे 200 का 10 प्रतिशत 20 होगा।

प्रश्न 7:
यदि एक फ्रॉक में 2.75 मीटर कपड़ा लगता है, तो छः फ्रॉकों में कितना कपड़ा लगेगा? [2009]
उत्तर:
छ: फ्रॉकों में कुल 16.50 मीटर कपड़ा लगेगा।

प्रश्न 8:
सीता के पास ₹984 थे। उसने ₹325.50 अपने छोटे भाई को दे दिए। उसके पास कितने रुपये शेष बचे? । [2008]
उत्तर:
सीता के पास कुल ₹658.50 बचे।

प्रश्न 9:
यदि 6.50 पैसे में एक किलो गेहूँ मिलता है, तो 5 किलो गेहूँ कितने रुपयों में मिलेगा?
उत्तर:
5 किलो गेहूँ 32.50 का मिलेगा।

प्रश्न 10:
एक लीटर पेट्रोल का मूल्य ₹30.25 है, तो 15 लीटर पेट्रोल का मूल्य क्या होगा?
उत्तर:
15 लीटर पेट्रोल का मूल्य ₹453.75 होगा।

प्रश्न 11:
नेहा ने एक दर्जन पेन्सिल ₹3 प्रति पेन्सिल की दर से खरीदी। उसने दुकानदार को एक दर्जन पेन्सिल के लिए कितने रुपये दिए? [2011]
उत्तर:
3x 12 = ₹36

प्रश्न 12:
एक बोतल का भार 26 ग्राम है, तो ऐसी 45 बोतलों का भार कितना होगा?
उत्तर:
45 बोतलों का भार 1170 ग्राम अर्थात् 1 (UPBoardSolutions.com) किलो 170 ग्राम होगा।

प्रश्न 13:
एक कलम का मूल्य ₹ 12 है, तो ऐसी 6 कलमों का मूल्य क्या होगा?
उत्तर:
6 कलमों का मूल्य ₹ 72 होगा।

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प्रश्न 14:
यदि एक किलो चीनी का मूल्य ₹8 है, तो 7 किलो चीनी का मूल्य क्या होगा?
उत्तर: ₹ 56

प्रश्न 15:
यदि एक लीटर पेट्रोल की कीमत ₹38 है, तो 28 लीटर पेट्रोल की कीमत क्या होगी?
उत्तर:
₹ 1064

प्रश्न 16:
यदि 20 किलो चावल का मूल्य ₹ 320 है, तो एक किलो चावल का मूल्य ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
1 किलो चावल का मूल्य ₹ 16 होगा।

प्रश्न 17:
12 कुर्सियों का मूल्य ₹504 है, एक कुर्सी का मूल्य ज्ञात कीजिए। [2013, 14]
उत्तर :
1 कुर्सी का मूल्य ₹42 है।

प्रश्न 18:
एक लीटर दूध का मूल्य ₹35 है तो 5.5 लीटर दूध का मूल्य कितना होगा? [2016]
उत्तर:
5.5 लीटर दूध का मूल्य ₹192.50 होगा।

प्रश्न 19:
8% साधारण वार्षिक ब्याज की दर में ₹2,500 का 3 वर्ष का कितना ब्याज होगा? [2015]
उत्तर:
UP Board Solutions for Class 10 Home Science Chapter 5 गृह-गणित 14

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बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न – निम्नलिखित बहुविकल्पीय प्रश्नों के सही विकल्पों का चुनाव कीजिए

1. चार कलमों (पेनों) का मूल्य ₹ 12 है, तो 20 कलमों का मूल्य होगा | [2008]
(क) ₹48
(ख) ₹ 60
(ग) ₹72
(घ) ₹ 80

2. 6.06 + 9.84 + 78.93 का योग होगा
(क) 98.4
(ख) 82.3
(ग) 78.6
(घ) 94.83

3. 4.09 +5.54 + 6.73 का योग होगा
(क) 16.36
(ख) 13.85
(ग) 15.93
(घ) 20.84

4. 1 लीटर 400 मिली लीटर +3 लीटर 700 मिली लीटर का योग होगा [2011]
(क) 9.100 लीटर
(ख) 5.100 लीटर
(ग) 4.900 लीटर
(घ) 6.300 लीटर

5. एक लीटर बराबर होता है [2013]
(क) 100 मिली के
(ख) 1000 मिली के
(ग) 1000 डेली के
(घ) 10 सेली के

6. 20 मीटर कपड़े का दाम र 300 है, तो एक मीटर कपड़े का मूल्य होगा
(क) ₹ 150
(ख) ₹ 15
(ग) ₹1.50
(घ) ₹ 40

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7. एक कलम का मूल्य ₹ 12 है, तो 6 कलमों का मूल्य कितना होगा? [2013]
(क) ₹ 45
(ख) ₹ 50
(ग) 72
(घ) ₹60.

8. राजू ने 5 मीटर कपड़े का दाम ₹ 140.00 दिया, तो बताइए एक मीटर कपड़े का मूल्य क्या होगा?
(क) ₹ 25
(ख) ₹ 28
(ग) ₹38
(घ) ₹ 48

9. 20.84 + 19.36 + 59.80 का योग होगा
(क) 95
(ख) 105
(ग) 100
(घ) 110

10. एक साड़ी का मूल्य ₹ 80 है, तो 3 साड़ियों का मूल्य क्या होगा?
(क) ₹ 140
(ख) ₹ 150
(ग) ₹ 210
(घ) ₹ 240

11. एक किलो सेब का दाम ₹ 32 है। 250 ग्राम सेब का दाम होगा
(क) ₹ 8
(ख) ₹ 12
(ग) ₹ 16
(घ) ₹ 20

12. एक बोतल शर्बत का मूल्य ₹ 39.40 है, तो 3 बोतल शर्बत का मूल्य होगा
(क) ₹ 116.50
(ख) ₹ 117.30
(ग) ₹ 118.20
(घ) ₹ 119.00

13. एक परिवार की आय ₹ 5000 प्रतिमाह है। इस आय का 45% व्यय भोजन पर होता है, तो बताइए कितने रुपये प्रतिमाह भोजन पर व्यय होता है?
(क) ₹ 2500
(ख) ₹ 1500
(ग) ₹ 2750
(घ) ₹ 2250

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14. एक किलो चावल का मूल्य ₹ 35.75 है, तो 5 किलो चावल का मूल्य होगा [2007, 10, 11, 13]
(क) ₹ 205.25
(ख) ₹ 178.25
(ग) ₹ 150.50
(घ) ₹ 102.25

15. एक किलोग्राम में कितने ग्राम होते हैं? [2007, 11, 12, 13, 14]
(क) 500 ग्राम
(ख) 1000 ग्राम
(ग) 1500 ग्राम
(घ) 2000 ग्राम

16. एक किलोग्राम बराबर है। [2011]
(क) 100 ग्राम
(ख) 1000 ग्राम
(ग) 100 डेका मीटर
(घ) 100 डेको लीटर

17. लम्बाई नापने की इकाई है [2008, 15, 17)]
(क) सेण्टीमीटर, मीटर
(ख) ग्राम, किलोग्राम
(ग) लीटर, मिलीलीटर
(घ) इनमें से कोई नहीं

18. दूध मापने की इकाई क्या है? [2009]
(क) मिलीलीटर, लीटर
(ख) सेण्टीमीटर, मीटर
(ग) किलोग्राम, ग्राम
(घ) इनमें से कोई नहीं

19. एक गिलास दूध का मूल्य ₹ 3.75 है, तो 7 गिलास दूध का मूल्य क्या होगा ? [2009, 10]
(क) ₹ 25.26
(ख) ₹ 26.25
(ग) ₹ 26.35
(घ) ₹ 25.25

20. एक गिलास का दाम ₹ 15 है, तो 4 गिलास का दाम होगा [2013]
(क) ₹ 45
(ख) ₹ 50
(ग) ₹ 60
(घ) ₹ 72

21. एक ग्राम में होते हैं। [2014]
(क) 10 डेकोग्राम
(ख) 10 सेण्टीग्राम
(ग) 10 डेसीग्राम
(घ) 10 मिग्री

22. एक गिलास जूस का दाम ₹ 12.50 है तो सात गिलास जूस का मूल्य क्या होगा ? [2014]
(क) 75.50
(ख) 80.50
(ग) 90.50
(घ) 87.50

23. 4 सेबों का दाम ₹ 60 है, तो 1 दर्जन सेबों का दाम कितना होगा? [2016]
(क) ₹ 200
(ख) ₹ 250
(ग) ₹ 150
(घ) ₹ 180

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24. दो किलोग्राम में कितने ग्राम होते हैं? [2015, 16]
(क) 1000 ग्राम
(ख) 2000 ग्राम
(ग) 500 ग्राम
(घ) 1500 ग्राम

25. 4 पेन का दाम ₹ 40 है तो 15 पेन का दाम क्या होगा? [2015]
(क) ₹ 250
(ख) ₹ 350
(ग) ₹ 150
(घ) ₹ 600

26. एक दर्जन अनार का मूल्य ₹ 48 है तो एक अनार का मूल्य क्या होगा ? [2015, 17, 18]
(क) ₹ 1.50
(ख) ₹ 2.00
(ग) ₹ 3.00
(घ) ₹4.00

27. एक लीटर पेट्रोल का दाम ₹ 70.75 है, तो 15 लीटर पेट्रोल का दाम क्या होगा? [2016, 17]
(क) ₹ 1040.50
(ख) ₹ 1250.00
(ग) ₹ 1061.25
(घ) ₹ 2000.00

28. भार मापने की इकाई है। [2016] 
(क) सेमी, मीटर
(ख) ग्राम, किलोग्राम
(ग) मिली, लीटर
(घ) इनमें से कोई नहीं

29. 5 किलोग्राम में कितने ग्राम होते हैं? [2016]
(क) 500 ग्राम
(ख) 5000 ग्राम
(ग) 2000 ग्राम
(घ) 7000 ग्राम

30. दो किलोग्राम चीनी का दाम ₹ 90 है, तो 5 किग्रा चीनी का मूल्य क्या होगा? [2016]
(क) ₹ 225
(ख) ₹ 200
(ग) ₹ 250
(घ) ₹ 275

31. आधा किलोग्राम में कितने ग्राम होते हैं? [2016]
(क) 200 ग्राम
(ख) 500 ग्राम
(ग) 700 ग्राम
(घ) 1000 ग्राम

उत्तर:
1. (ख) ₹ 60,
2. (घ) ₹94,83,
3. (क) ₹ 16.36,
4. (ख) 5.100 लीटर,
5. (ख) 1000 मिली के,
6. (ख) ₹ 15,
7. (ग) ₹ 72,
8. (ख) ₹ 28,
9. (ग) 100,
10. (घ) ₹ 240,
11. (क) ₹ 8,
12. (ग) ₹118.20,
13. (घ) ₹ 2250,
14. (ख) ₹ 178.75,
15. (ख) 1000 ग्राम,
16. (ख) 1000 ग्राम,
17. (क) सेण्टीमीटर, मीटर,
18. (क) मिलीलीटर, लीटर,
19. (ख) ₹ 26.25,
20. (ग) ₹ 60,
21. (ग) 10 डेसीग्राम,
22. (घ) ₹ 87.50,
23. (घ) ₹180,
24. (ख) 2000 ग्राम,
25. (ग) ₹ 150,
26. (घ) ₹4.00,
27. (ग) 1061 25,
28. (ख) ग्राम, किलोग्राम,
29. (ख) 5000 ग्राम,
30. (क) 1225,
31. (ख) 500 ग्राम

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UP Board Solutions for Class 10 Home Science Chapter 6 जल : स्रोत तथा उपयोग

UP Board Solutions for Class 10 Home Science Chapter 6 जल : स्रोत तथा उपयोग

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विस्तृत उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1:
जल के कार्य लिखिए। मानव-शरीर के लिए जल क्यों उपयोगी है? [2008, 09, 10]
या
जल के कार्यों एवं उपयोगिता का वर्णन कीजिए। [2008, 17]
या
जल मनुष्य के लिए क्यों उपयोगी है? [2013, 17]
या
मानव शरीर के लिए जल क्यों आवश्यक है? [2018]
या
शरीर के लिए जल क्यों उपयोगी है? [2010, 13, 15]
या
जल ही जीवन है, इसका मूल्य पहचानें, इसे बरबाद न करें।” संक्षेप में लिखिए। [2016]
या
मानव जीवन में जल का क्या महत्त्व है? [2017]

उत्तर:
जल की उपयोगिता एवं महत्त्व
जल अथवा पानी का जीवन से घनिष्ठ सम्बन्ध है। प्राणी-जगत तथा वनस्पति-जगत के अस्तित्व का एक आधार जल ही है। जल के अभाव में व्यक्ति केवल कुछ दिन तक ही कठिनता से जीवित रह सकता है। वास्तव में व्यक्ति के स्वस्थ एवं चुस्त रहने के (UPBoardSolutions.com) लिए जल अति आवश्यक है। जल जीवन की। एक मूल आवश्यकता है जो कि प्यास के रूप में अनुभव की जाती है। शारीरिक आवश्यकता के अतिरिक्त मानव जीवन के सभी कार्य-कलापों में जल की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है। हमारे भोजन पकाने, नहाने-धोने, सफाई करने तथा फसलों को उँगाने के लिए एवं अन्य प्रकार के उत्पादनों के लिए जल की अत्यधिक आवश्यकता एवं उपयोगिता होती है। सभ्य जीवन के लिए वरदान स्वरूप विद्युत ऊर्जा का निर्माण भी प्रायः जल से ही होता है। जल की उपयोगिता एवं महत्त्व को बहुपक्षीय विवरण निम्नवर्णित है

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(क) मानव-शरीर सम्बन्धी उपयोग

(1) पीने के लिए:
हमारे शरीर का 70-75% भाग जल से बना है; अत: जल का सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण उपयोग पीने के लिए ही है। अत्यधिक गर्मी या अन्य किसी कारण से शरीर में होने वाली जल की कमी की पूर्ति हमें तुरन्त जल पीकर कर लेनी चाहिए अन्यथा जल की कमी अथवा ही-हाइड्रेशन के भयानक परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं। जल की शारीरिक आवश्यकता प्यास के रूप में महसूस होती है। प्यास एक अनिवार्य आवश्यकता है तथा इसकी पूर्ति तुरन्त होनी आवश्यक होती है।

(2) आन्तरिक शारीरिक प्रक्रियाएँ:

मानव शरीर की लगभग सभी जैविक एवं जैव-रासायनिक क्रियाओं के संचालन के लिए सर्वाधिक आवश्यक तत्त्व जल ही है। उदाहरण के लिए-पाचन क्रिया का मूल आधार भी जल है। इसी प्रकार उत्सर्जन की क्रिया भी (जैसे—स्वेद एवं मूत्र निष्कासन) जल पर ही आधारित रहती है। इसके अतिरिक्त जितने भी पेय पदार्थ; जैसे कि दूध, फलों का रस आदि; हम लेते हैं उनका अधिकांश भाग जल होता है।

(3) शारीरिक तापमान का नियमन:
हमारे शरीर में उपस्थित जल हमारे शरीर के तापमान को सामान्य रखता है। बाह्य रूप में भी हम ग्रीष्म ऋतु में शीतल तथा शीत ऋतु में गर्म जल से स्नान कर शारीरिक तापमान को सामान्य रखने का प्रयत्न करते हैं।

(4) रक्त संचार व्यवस्था:
हमारे रक्त का अधिकांश भाग (लगभग 80%) जल होता है जो कि रक्त की तरलता का मूल आधार है। तरल अवस्था में ही रक्त शरीर की धमनियों एवं शिराओं में संचार करता है। जल ही रक्त को तरलता प्रदान करता है। रक्त में जल की कमी हो जाने पर रक्त गाढ़ा हो जाता है तथा रक्त के गाढ़ा हो जाने पर न तो रक्त का संचार सुचारु रूप से हो पाता है और न ही शरीर स्वस्थ रह पाता है।

(5) शारीरिक स्वच्छता:
जल शारीरिक स्वच्छता का प्रमुख साधन है। नियमित रूप से किया गया स्नान हमारी त्वचा को स्वच्छ एवं यथासम्भव रोगमुक्त बनाये रखता है। |

(6) चुस्ती-फुर्ती के लिए:
शरीर को चुस्त एवं फुर्तीला बनाए रखने में भी जल का महत्त्वपूर्ण योगदान होता है। जल की कमी होने पर व्यक्ति आलस्य एवं उदासीनता का शिकार रहता है।

(ख) घरेलू उपयोग

शरीर के समान घरेलू दैनिक जीवन के संचालन के लिए भी जल अत्यधिक आवश्यक है। जल के प्रमुख घरेलू उपयोग निम्नलिखित हैं

  1. भोजन पकाने के लिए,
  2. वस्त्रादि की धुलाई के लिए,
  3. रसोईघर व बर्तनों की सफाई के लिए,
  4. फर्श, खिड़कियाँ, दीवारों, स्नानागार व शौचालय इत्यादि की सफाई के लिए,
  5. विभिन्न प्रकार के पेय पदार्थों को बनाने में तथा
  6. घरेलू पेड़-पौधों की सिंचाई करने के लिए।

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(ग) सामुदायिक उपयोग

जल किसी भी समाज, प्रदेश अथवा राष्ट्र की मूल आवश्यकता है। सामुदायिक जनजीवन की विभिन्न सुविधाओं एवं उपलब्धियों की प्राप्ति के लिए जल अत्यधिक आवश्यक है। इसकी पुष्टि में जल के सामुदायिक उपयोग निम्नलिखित हैं

  1. नगर एवं देहात की गलियों, सड़कों व नालियों आदि की सफाई के लिए जल एक प्रमुख साधन है।
  2.  सार्वजनिक पार्को, बाग-बगीचों व वृक्षारोपण जैसे महत्त्वपूर्ण (UPBoardSolutions.com) लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए जल अति आवश्यक है।
  3. कृषि आधारित समाज अथवा राष्ट्र के लिए जल की पर्याप्त उपलब्धि सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण है।
  4. जल से आज अति महत्त्वपूर्ण ऊर्जा स्रोत विद्युत की प्राप्ति होती है।
  5. हमारे आधुनिक समाज के अनेक उद्योग जल पर आधारित हैं।
  6. अग्नि को नियन्त्रित करने के लिए भी जल की आवश्यकता पड़ती है। अग्निशामक विभाग जल का मुख्य रूप से उपयोग करके ही अवांछित एवं भयानक अग्निकाण्डों पर नियन्त्रण पाने का प्रयास करता है।

प्रश्न 2:
जल का संघटन बताइए। जल-प्राप्ति के स्रोतों का उल्लेख कीजिए। [2009, 11]
या
जल-प्राप्ति के मुख्य स्रोत बताइए व जल प्रदूषण के कारण बताइए। [2007]
या
जल-प्राप्ति के साधन क्या हैं? जल के अशब्द होने के कारण लिखिए। जल को शब्द करने की दो घरेलू विधियों का वर्णन कीजिए। [2009]
या
जल-प्राप्ति के मुख्य स्रोत बताइए। [2007, 10, 11, 12, 13, 14, 15, 16, 17, 18]
या
जल का संघटन क्या है? [2016]
उत्तर:
जल का संघटन
जल हाइड्रोजन और ऑक्सीजन का एक यौगिक है। इसमें दो भाग हाइड्रोजन और एक भाग ऑक्सीजन (H2O) है। यही शुद्ध जल होता है। सामान्यत: जल में कई प्रकार के घुलनशील पदार्थ घुले रहते हैं जिसके कारण यह अशुद्ध हो जाता है। जल एक महत्त्वपूर्ण विलायक होने के कारण अनेक पदार्थों; जैसे—अनेक तत्त्वों के लवण इत्यादि; को आत्मसात् कर लेता है। प्राचीनकाल में जल को एक तत्त्व के रूप में जाना जाता था। वैज्ञानिकों ने बाद में (UPBoardSolutions.com) विभिन्न प्रयोगों द्वारा सिद्ध किया कि जल हाइड्रोजन (दो भाग) व ऑक्सीजन (एक भाग) का यौगिक है तथा इसे H2O का सूत्र प्रदान किया। जल का वैज्ञानिक विश्लेषण सर्वप्रथम इंग्लैण्ड निवासी वैज्ञानिक केवेन्डिस ने किया था।
प्रकृति में जल तीन निम्नलिखित अवस्थाओं में पाया जाता है

(1) ठोस अवस्था:
हिमाच्छादित पर्वत शिखरों पर पाई जाने वाली हिम अथवा बर्फ जल की ठोस अवस्था है। सामान्य जल को 0°C तक ठण्डा करके बर्फ में परिवर्तित किया जा सकता है।

(2) द्रव अवस्था:
सामान्य जल इस अवस्था का उदाहरण है। अधिक तापमान पर बर्फ तथा ठण्डा करने पर जल-वाष्प सामान्य जल की द्रव अवस्था में परिवर्तित हो जाते हैं।

(3) गैस अवस्था:
आकाश में दिखाई पड़ने वाले मेघ अथवा बादल जल की गैस अवस्था (जल-वाष्प) के उदाहरण हैं। सामान्य जल गर्म करने पर पहले खौलने लगता है तथा धीरे-धीरे जल वाष्प में परिवर्तित हो जाता है। वायु में सदैव जलवाष्प विद्यमान रहती है।

जल-प्राप्ति के स्रोत
मनुष्य हो अथवा पेड़-पौधे या फिर अन्य प्राणी एवं जीवधारी, जल सभी के जीवन का आधार है। प्रकृति ने अपनी इस अमूल्य देन के पृथ्वी पर अनेक स्रोत उपलब्ध किए हैं। इन साधनों अथवा स्रोतों को निम्नलिखित वर्गों में विभाजित किया जा सकता है
(1) समुद्र का जल,
(2) वर्षा का जल,
(3) धरातलीय जल तथा
(4) भूमिगत जल।

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(1) समुद्र का जल:
पृथ्वी का लगभग 2/3 भाग समुद्र है। यह जल का विशालतम एवं प्रमुख स्रोत है। सूर्य की गर्मी से समुद्र का जल-वाष्प बनकर ऊपर उठता है। यह जल-वाष्प बादलों में परिवर्तित होकर जल के दूसरे स्रोत वर्षा के जल को जन्म देती है। वर्षा का जल पर्वतों एवं घा झीलों, झरनों एवं नदियों के जल में वृद्धि करता है। पृथ्वी के धरातल पर गिरने वाला वर्षा का जल भूमिगत जल-स्रोतों का निर्माण करता है। अन्त में नदियों द्वारा जल पुन: समुद्र में जा मिलता है। समुद्र के जल में लगभग तीन प्रतिशत सामान्य नमक घुला होता है। इस प्रकार समुद्र का जल हमारे लिए नमक का एक अति महत्त्वपूर्ण स्रोत है। यहाँ यह स्पष्ट कर देना आवश्यक है (UPBoardSolutions.com) कि भले ही समुद्र जल के विशालतम स्रोत हैं, परन्तु समुद्र का जल खारा होने के कारण पीने एवं खाना पकाने आदि के काम में नहीं लाया जा सकता। लवण की अधिक मात्रा होने के कारण इसे सिंचाई के कार्य में भी इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। |

(2) वर्षा का जल:
पृथ्वी पर पाए जाने वाले अन्य जल-स्रोतों का मूल वर्षा का जल है। यह पूर्णतया शुद्ध होता है, परन्तु पृथ्वी पर पहुँचते-पहुँचते इसमें वायुमण्डल की अनेक गैसों; कार्बन डाइ-ऑक्साइड, नाइट्रोजने आदि; धूल कणों एवं पर्यावरणीय अशुद्धियों व रोगाणुओं के मिल जाने के कारण यह अशुद्ध एवं हानिकारक हो जाता है। औद्योगीकरण के कारण वायु-प्रदूषण की दर बढ़ जाने के कारण वर्षा को जल प्राय: प्रदूषित हो जाता है। इस स्थिति में एक-दो बार वर्षा हो जाने पर वर्षा के जल को पीने के लिए एकत्रित करना कम हानिकारक रहता है। वर्षा का जल मृदु होता है तथा घरेलू उपयोगों के लिए उपयुक्त रहता है।

(3) धरातलीय जल:
धरातलीय जल-स्रोत नदियाँ, झीलें, झरने, तालाब इत्यादि हैं। इन सभी स्रोतों की अपनी अलग-अलग विशेषताएँ एवं उपयोग हैं जो निम्नलिखित हैं

(क) नदियाँ:
तीव्र प्रवाह वाली नदियों का जल प्रायः मृद् एवं शुद्ध होता है। प्रायः उद्गम स्थान पर सभी नदियों का जल पीने योग्य होता है, परन्तु बड़े शहरों अथवा औद्योगिक क्षेत्रों के किनारों पर पहुँचकर अनेक सार्वजनिक एवं औद्योगिक अशुद्धियाँ मिल जाने के कारण नदियों का जल पीने के योग्य नहीं रह पाता है। इस स्थिति में नदियों के जल को किसी उपयुक्त उपाय द्वारा शुद्ध एवं साफ करके ही उसे पीने के काम में लाना चाहिए।

(ख) झीलें:
झीलें वर्षा के जल का संगृहीत रूप हैं। ये प्राय: गहरी भूमि में बनती हैं। इनमें बर्फ पिघलने पर पर्वतीय नदियों का तथा वर्षा का जल एकत्रित होता रहता है। इस प्रकार की झील प्राकृतिक होती है; जैसे-कश्मीर की डल झील, तथा नैनीताल की झील। मानव द्वारा निर्मित झील कृत्रिम झील कहलाती है। यह बाँधों द्वारा बनाई जाती है; जैसे–पंजाब में भाखड़ा बाँध की झील। झील के जल को शुद्ध करके पीने योग्य बनाया जा सकता है तथा इससे विद्युत उत्पादन भी किया जा सकता है।

(ग) सोते एवं झरने:
जल प्राप्ति के प्राकृतिक स्रोत सोते एवं झरने भी हैं। जब कहीं कठोर चट्टान को फोड़कर भूमिगत जल बाहर निकलने लगता है, तब उसे जल को सोता या स्रोत कहते हैं। पानी के सोते अनेक प्रकार के होते हैं। कुछ सोतों से तो केवल शुद्ध जल ही निकलता है तथा कुछ सोतों से लवणयुक्त तथा गर्म पानी भी प्राप्त होता है। सोतों का जल भिन्न-भिन्न गुणों से युक्त होता है। सोतों के जल को अनेक बार पेट तथा त्वचा सम्बन्धी रोगों के उपचार के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है। कुछ सोतों में गन्धक की पर्याप्त मात्रा घुलित अवस्था में पाई जाती है। यह जल अनेक प्रकार से। स्वास्थ्य-लाभ के लिए इस्तेमाल किया जाता है। सोतों के समान झरने भी जल प्राप्ति के प्राकृतिक स्रोत होते हैं। झरने मुख्य रूप से पहाड़ी क्षेत्रों में ही पाए जाते हैं। झरने का जल ऊँचाई से नीचे गिरता है। झरनों का जल भी सोतों के ही समान होता है। सोतों तथा झरनों के पानी का इस्तेमाल करने से पूर्व उनके गुणों की जाँच कर लेनी चाहिए, क्योंकि इनमें कुछ हानिकारक लवण भी विद्यमान हो सकते हैं।

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(घ) तालाब:
झीलों की तरह तालाबों में भी वर्षा का जल एकत्रित होता है। देहात में जल-प्राप्ति का यह एक प्रमुख प्राकृतिक साधन है। ग्रामीण लोग इसमें स्नान करते हैं एवं वस्त्र आदि धोते हैं। पशुओं के नहाने के पीने के पानी का तालाब एक महत्त्वपूर्ण साधन है। तालाब का (UPBoardSolutions.com) जल ठहरा होने के कारण शीघ्र ही दूषित हो जाता है; अतः इसे ज्यों-का-त्यों पीने के काम में नहीं लाना चाहिए। यदि इसे पीना आवश्यक हो, तो किसी घरेलू उपाय द्वारा इसे शुद्ध करना अति आवश्यक होता है।

(4) भूमिगत जल:
वर्षा का जल जब भूमि पर गिरता है, तो इसका एक बड़ा भाग बह जाता है। इसका शेष भाग भूमि द्वारा अवशोषित कर लिया जाता है। यह अवशोषित जल भूम्याकर्षण शक्ति के कारण नीचे की ओर खिसकता रहता है। मार्ग में अभेद्य चट्टान के आ जाने पर यह एकत्रित हो भूमिगत जल-स्तर का निर्माण करता है। जल के इस स्रोत का उपयोग कर साधारण कुएँ, विद्युत कुएँ भूमिगत जल-स्तर तक भूमि को बेधकर कुओं का निर्माण किया जाता है। कुएँ प्रायः निम्न प्रकार के होते हैं

(क) उथले कुएँ:
भूमि की प्रथम अप्रवेश्य स्तर तक ही खुदाई करके इन कुओं का निर्माण किया जाता है। इनकी गहराई लगभग तीस फीट होती है। भूमि में उपस्थित लवणों के कारण उथले कुओं का जल प्रायः कठोर होता है। गन्दी जगह अथवा नाले के आस-पास स्थित कुओं का जल पीने योग्य नहीं होता है।

(ख) गहरे कुएँ:
इन कुओं की गहराई लगभग सौ फीट तक होती है। इनका जल मृदु तथा अशुद्धियों से मुक्त होता है। इन कुओं से लगभग सभी ऋतुओं में जल प्राप्त होता है।

(ग) आदर्श कुएँ:
देहात क्षेत्र में पीने के पानी का मुख्य स्रोत प्रायः कुएँ ही होते हैं; अत: मृदु एवं शुद्ध जल वाला आदर्श कुआँ प्रत्येक गाँव के लिए आवश्यक है। आदर्श कुएँ का निर्माण करते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए

  1. आदर्श कुएँ का निर्माण गन्दे स्थानों; नाले, तालाब आदि; से कम-से-कम 100 फीट की दूरी पर किया जाना चाहिए।
  2. कुएँ की भीतरी सतह पक्की ईंटों अथवा पत्थरों की बनी होनी चाहिए तथा कुएँ की दीवार भूमि की सतह से काफी ऊपर तक निर्मित होनी चाहिए। इससे बाहर का गन्दा पानी कुएँ में प्रवेश नहीं कर पाता।
  3. कुआँ अधिकाधिक गहरा होना चाहिए।
  4. कुएँ के ऊपर यदि सम्भव हो, तो चारों ओर खम्भे लगाकर ऊँचाई पर छत डलवा देनी चाहिए। इससे कुएँ में पेड़ों की टहनियाँ व पत्तियाँ आदि नहीं गिरतीं तथा कुआँ पक्षियों की बीट जैसे अवांछनीय तत्त्वों से भी सुरक्षित रहता है।
  5.  कुएँ के चारों ओर न तो स्नान करना चाहिए और न ही वस्त्रादि धोने चाहिए।
  6.  कुएँ से जल खींचते समय गन्दे बर्तन वे गन्दी रस्सी का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
  7. कुएँ के जल में माह में कम-से-कम एक बार पोटैशियम परमैंगनेट अथवा लाल दवा अवश्य डालनी चाहिए। इससे जल के कीटाणु मर जाते हैं।

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(घ) आर्टीजन कुएँ:
इने कुओं से जल पृथ्वी के दबाव के कारण स्वत: निकला करता है। फ्रांस के आर्टाइथ स्थान में प्राचीनकाल में इस प्रकार के कुएँ बनाए जाते रहने के कारण इनका नाम
आर्टीजन कुएँ पड़ा। इन्हें ही पाताल-तोड़ कुएँ भी कहते हैं। इनका सिद्धान्त है कि यदि किसी स्थान पर किसी दूसरे स्थान की अपेक्षा भूमिगत जल-स्तर बहुत नीचा हो गया है और पत्थरों की चट्टान के कारण रुका हुआ हो तो यदि चट्टान में छेद कर दिया जाए, तो पानी स्वत: ही ऊपर की ओर दबाव के साथ उतना ही ऊँचा उछलता है जितनी कि ऊँची सतह होती है। आर्टीजन कुओं का जल गहरे कुओं के जल के समान शुद्ध होता है।
UP Board Solutions for Class 10 Home Science Chapter 6 जल : स्रोत तथा उपयोग
UP Board Solutions for Class 10 Home Science Chapter 6 जल : स्रोत तथा उपयोग

(ङ) नलकूप:
भूमि में जल-स्तर को गहराई तक छेदकर लोहे का पाइप डाल दिया जाता है। इस जल को ऊपर खींचने के लिए हाथ के पम्प अथवा विद्युत मशीन का प्रयोग किया जाता है। नलकूपों का प्रयोग सिंचाई एवं पीने के जल की प्राप्ति के लिए किया जाता है। अधिक गहराई वाले (UPBoardSolutions.com) नलकूप का जल प्रायः शुद्ध होता है। 3

प्रश्न 3:
गाँवों में जल-प्राप्ति के मुख्य साधन क्या हैं? वहाँ जल को दूषित होने से किस प्रकार बचाया जा सकता है? .
या
देहात में पेयजल के स्रोत क्या हैं? कुओं और तालाबों का जल किस प्रकार दूषित हो जाता है? इनको दूषित होने से किस प्रकार बचाया जा सकता है?
या
तालाब के जल की अशुद्धियों को रोकने तथा दूर करने के पाँच उपाय लिखिए।
या
नदियों का जल किस प्रकार से दूषित हो जाता है? नदियों के जल को दूषित होने से बचाने के उपायों का भी वर्णन कीजिए।
उत्तर:
गाँवों में जल-प्राप्ति के साधन

नगरों की अपेक्षा गाँवों में पेयजल की व्यवस्था अधिक जटिल है। इसके प्रमुख कारण हैं सुदूर देहात क्षेत्र में नगरपालिका जैसी व्यवस्थित संस्थाओं का न होना तथा उपयुक्त स्वास्थ्य सम्बन्धी शिक्षा का अभाव। अतः ग्रामीण क्षेत्र में न तो गन्दगी के निकास की समुचित व्यवस्था पर कोई विशेष ध्यान दिया जाता है और न ही पेयजल की शुद्धता बनाए रखने के आवश्यक उपाय किए जाते हैं।
ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल के साधन निम्नलिखित हैं –
(1) नदियाँ,
(2) तालाब,
(3) कुएँ,
(4) नलकूप।

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जल-प्राप्ति के इन स्रोतों का जल अशुद्ध होने तथा उसे अशुद्धि से बचाने के उपायों का संक्षिप्त विवरण अग्रलिखित है
(1) नदी का जल:
तीव्र प्रवाह वाली नदियों को जल प्राय: शुद्ध होता है, परन्तु मानवीय क्रियाएँ इसे अशुद्ध कर देती हैं।
जल की अशुद्धि के कारण:

  1. नदी के किनारे बसे नगरों एवं गाँवों की गन्दगी नदी में बहा दिए जाने के कारण इसका जल पीने योग्य नहीं रहता।
  2. नदी के किनारे की जाने वाली खेती से रासायनिक पदार्थ; खाद तथा कीटनाशक ओषधियाँ; नदी के पानी में मिलकर उसे दूषित करते रहते हैं।
  3.  नदी के किनारों पर स्नान करने तथा वस्त्रादि धोने से भी इसका जल अशुद्ध होता रहता है।
  4. पशुओं को नदी में घुसाकर स्नान कराने से जल में गन्दगी की वृद्धि होती है।
  5. नदियों के किनारे पर शवदाह करने तथा अस्थियाँ एवं राख सीधे जल में विसर्जित करने से भी यह जल पीने योग्य नहीं रह जाता।
  6. विभिन्न औद्योगिक संस्थानों द्वारा औद्योगिक अवशेषों तथा व्यर्थ पदार्थों को भी निकटवर्ती नदियों के जल में सीधे प्रवाहित कर दिया जाता है। इससे भी नदियों का जल अशुद्ध एवं दूषित हो जाता है।

बचाव के उपाय:
नदियों के जल को कुछ सामान्य उपाय अपनाकर दूषित होने से बचाया जा सकता है, जो निम्नलिखित हैं

  1. नदियों के जल में मल-मूत्र व अन्य प्रकार की गन्दगी प्रवाहित नहीं करनी चाहिए।
  2. औद्योगिक अवशेषों एवं व्यर्थ पदार्थों से नदियों के जल का बचाव किया जाना चाहिए।
  3.  नदी के किनारे पर स्नान नहीं करना चाहिए तथा नदी के जल में वस्त्रादि धोकर उसकी गन्दगी में वृद्धि नहीं करनी चाहिए।
  4.  पशुओं को नदी में नहीं घुसने देना चाहिए।
  5. नदियों में अस्थियों की राख विसर्जित नहीं करनी चाहिए।
  6.  नदी के किसी साफ तट को छाँटकर वहीं से पेयजल प्राप्त करना चाहिए। नदी के जल को उबालकर पीना स्वास्थ्य के लिए हितकर रहता है।

(2) तालाब का जल:
अधिकांश ग्रामीण क्षेत्रों में तालाब उपलब्ध होते हैं। तालाबों में मूल रूप से वर्षा का ही जल एकत्र होता है, परन्तु विभिन्न आन्तरिक एवं बाहरी कारणों से तालाबों का जल दूषित हो जाता है; अत: सामान्य रूप से पीने योग्य नहीं रह जाता।
जल की अशुद्धि के कारण:

  1. ग्रामीण इनमें स्नान करते हैं तथा वस्त्रादि धोते हैं।
  2. पशुओं को नहाने व पानी पीने के लिए सीधे ही तालाब में उतार दिया जाता है।
  3. गाँव की नालियों के गन्दे पानी का निकास भी प्राय: तालाब में ही होता है।
  4. पेड़ों की टहनियाँ और पशु-पक्षियों के मल-मूत्र भी (UPBoardSolutions.com) तालाब में सड़ते रहते हैं।
  5. स्थिर अवस्था में रहने के कारण तालाब के जल में मच्छर एवं कुछ कीड़े भी पनपते रहते हैं।

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बचाव के उपाय:
तालाब के जल को कुछ सामान्य उपाय अपनाकर दूषित होने से बचाया जा सकता है। ये महत्त्वपूर्ण उपाय निम्नलिखित हैं

  1. तालाब का निर्माण ऐसे स्थान पर होना चाहिए कि जहाँ पर सार्वजनिक गन्दगियों का निष्कासन क्षेत्र न हो।
  2. तालाब की चहारदीवारी ऊँची होनी चाहिए। इससे आस-पास का गन्दा पानी तालाब में नहीं जा पाता है।
  3. तालाब के चारों ओर काँटेदार बाड़ लगा देनी चाहिए जिससे कि इसमें जानवर न घुस सकें।
  4. नहाने व कपड़े धोने की व्यवस्था तालाब के बाहर इस प्रकार होनी चाहिए कि गन्दा पानी : तालाब में न गिरे।
  5. तालाब से जल प्राप्त करते समय स्वच्छ बर्तनों का प्रयोग करना चाहिए।
  6. तालाब के जल को शुद्ध बनाये रखने के लिए इसमें छोटी-छोटी मछलियाँ छोड़ देनी चाहिए। ये कई प्रकार के हानिकारक कीट-पतंगों को खाकर नष्ट कर देती हैं।
  7. समय-समय पर तालाब की गन्दगी; जैसे–पेड़-पौधों की पत्तियों व टहनियों आदि: को साफ करते रहना चाहिए। इन सभी उपायों को अपनाकर तालाब के पानी को और अधिक अशुद्ध होने से बचाया जा सकता है। वैसे स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से यह आवश्यक माना जाता है कि तालाब के पानी को किसी घरेलू विधि द्वारा शुद्ध करके ही पीने एवं खाना पकाने के काम में लाना चाहिए।

(3) कुओं का जल:
गहरे कुएँ पेयजल के श्रेष्ठ साधन हैं।
जल की अशुद्धि के कारण:

  1. कुओं के कम गहरे व कच्चे बने होने पर इसके जल के अशुद्ध होने की अधिक सम्भावनाएँ रहती हैं।
  2. ऊपर से ढका न होने के कारण आस-पास के पेड़-पौधों की पत्तियाँ एवं पक्षियों के मल-मूत्र इसके अन्दर सीधे गिरकर सड़ते रहते हैं।
  3.  कुएँ की मेंढ़ पर बैठकर स्नान करने व वस्त्रादि धोने से इनमें गन्दा पानी गिरता रहता है और जल को दूषित करता है।
  4. गन्दे नाले आदि के पास स्थित होने पर कुएँ के पानी में कीड़े व कीटाणु आसानी से पनप जाते हैं।
  5. गन्दे बर्तन व गन्दी रस्सी द्वारा कुएँ से पानी प्राप्त करने से कुएँ के जल की अशुद्धियों में वृद्धि होती है।

बचाव के उपाय:
आदर्श कुएँ का निर्माण कुएँ के जल को पीने योग्य बनाये रखने का एकमात्र उपाय है। आदर्श कुएँ की विशेषताओं का उल्लेख विगत प्रश्न के अन्तर्गत किया जा चुका है।

(4) नलकूप का जल:
नलकूप कुओं का आधुनिकतम एवं सुरक्षित रूप है। नलकूप के जल के अशुद्ध होने के मूल कारण कुएँ से मिलते-जुलते हैं। अतः नलकूप के जल को पीने योग्य बनाए रखने के उपाय भी लगभग उसी प्रकार के हैं; जैसे कि

  1.  नलकूप एक स्वच्छ स्थान (गन्दे नाले व तालाब आदि से दूर) पर निर्मित किए जाने चाहिए।
  2. अधिकाधिक गहराई तक खुदाई करके नलकूप लगाने चाहिए।
  3. नलकूप ऊपर से ढके रहने चाहिए।

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लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1:
हमें प्रतिदिन कितने जल की आवश्यकता होती है?
उत्तर:
हमें विभिन्न दैनिक कार्यों को सम्पन्न करने के लिए जले की अनिवार्य रूप से आवश्यकता (UPBoardSolutions.com) होती है। यद्यपि 1-2 लीटर जल जीवित रहने के लिए पर्याप्त है फिर भी प्रति सामान्य व्यक्ति 120-130 लीटर जल प्रतिदिन की निम्नलिखित दैनिक कार्यों के अनुसार आवश्यकता पड़ती है
UP Board Solutions for Class 10 Home Science Chapter 6 जल : स्रोत तथा उपयोग

प्रश्न 2:
वर्षा के जल की क्या विशेषताएँ हैं? [2008, 15, 16]
उत्तर:
वर्षा को जल नदियों, झीलों तथा कुओं के लिए जल उपलब्धि का महत्त्वपूर्ण स्रोत होता है। कृषि के लिए वर्षा का जल अति महत्त्वपूर्ण स्रोत है। वर्षा का जल आसुत जल के समान होता है। इसकी विशेषताएँ निम्नलिखित हैं

  1. वर्षा के जनक बादल हैं जो कि समुद्र, नदियों, तालाबों आदि के जल के वाष्प में परिवर्तित होने से बनते हैं। इस प्रकार वर्षा का जल आसुत जल के समान होता है।
  2. वर्षा का जल रंगहीन, स्वादहीन व शुद्ध होता है।
  3. वर्षा का जल जब वायुमण्डल से गुजर कर पृथ्वी तक पहुँचता है, तो मार्ग में इसमें कार्बन डाइ-ऑक्साइड, नाइट्रोजन के ऑक्साइड्स, अमोनिया इत्यादि गैसों, बीजाणुओं तथा अनेक रोगाणुओं के मिल जाने के कारण यह दुषित व हानिकारक हो जाता है। इसका विकल्प यह है कि एक या होने के पश्चात् इसे पेय जल के रूप में प्रयोग में लाया जा सकता है।
  4. वर्षा का जल कोमल होता है; अतः खाना पकाने, स्नान करने तथा वस्त्रादि धोने के लिए उपयुक्त रहता है।

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प्रश्न 3:
आदर्श कुएँ से क्या तात्पर्य है? [2017, 18]
उत्तर:
गहरे कुएँ से लिया गया जल सभी कार्यों के लिए उपयुक्त होता है और यदि ऐसा उपयुक्त कुआँ हो तो उसे आदर्श कुएँ में बदलने के लिए निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना अत्यन्त आवश्यक है

  1. कुआँ अच्छी भूमि में खुदवाना चाहिए।
  2. कुआँ पक्का होना चाहिए ताकि पानी निकालते समय उसमें मिट्टी न गिरे।
  3. प्रत्येक माह कुएँ के पानी में लाल दवा डालकर सफाई करवानी चाहिए, ताकि कुएँ का जल . दूषित होने से बच सके।
  4. ऐसे कुएँ के ऊपर छतरीनुमा एक छत होनी आवश्यक है, जिससे धूल, मिट्टी, पक्षियों की बीट इत्यादि कुएँ में न गिर सके।
  5. कुएँ के आस-पास का भाग पक्का होना चाहिए जिससे आस-पास का जल कुएँ में गिरकर जल को अशुद्ध न कर सके।

प्रश्न 4:
जल-संभरण से क्या तात्पर्य है? स्वास्थ्य की दृष्टि से इसकी क्या व्यवस्था होनी चाहिए?
उत्तर:
नगरों तथा महानगरों में जल-आपूर्ति की व्यवस्था को जल-संभरण कहते हैं। यहाँ यह व्यवस्था जल निगम द्वारा की जाती है। ये जल निगम स्वायत्त विभाग के रूप में अथवा नगरपालिकाओं के विभाग के अन्तर्गत कार्य करते हैं। छोटे गाँवों और कस्बों में, जहाँ सार्वजनिक जल-वितरण की सुविधा उपलब्ध नहीं है, जल आपूर्ति का मुख्य स्रोत कुएँ, तालाब, झील, पोखर और नदियाँ हैं।
जल निगम सार्वजनिक उपक्रम होते हैं। ये नागरिकों को उनके घरों तक शुद्ध जल (UPBoardSolutions.com) की आपूर्ति की सुचारु व्यवस्था करते हैं। स्वास्थ्य की दृष्टि से ये निम्नलिखित व्यवस्थाएँ बनाए रखते हैं

  1. जल का आवश्यक संग्रह,
  2.  जेल की अघुलित अशुद्धियों को दूर करना,
  3. कीटाणुनाशकों; जैसे – क्लोरीन व ओजोन गैस, पोटैशियम परमैंगनेट तथा पराबैंगनी किरणों आदि; का प्रयोग कर जल को रोगाणुओं से मुक्त रखना।
    दूसरी ओर प्राकृतिक साधनों से प्राप्त जल में अनेक प्रकार की अशुद्धियाँ होती हैं तथा उसमें रोगजनक कीटाणुओं के होने की भी पूरी सम्भावना रहती है। ऐसे जल को उपयुक्त विधि द्वारा शुद्ध करके उसका प्रयोग करना चाहिए तथा पेय जल को ढककर रखना चाहिए।

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1:
मनुष्य के लिए जल मुख्य रूप से किस रूप में आवश्यक है।
उत्तर:
मनुष्य की प्यास शान्त करने के साधन के रूप में जल मुख्य रूप से आवश्यक है।

प्रश्न 2:
जल के दो महत्त्वपूर्ण शारीरिक उपयोग बताइए। [2011, 13]
उत्तर:
विभिन्न आन्तरिक शारीरिक क्रियाओं (पाचन, उत्सर्जन, रक्त-संचालन आदि) तथा शरीर की बाहरी स्वच्छता के साधन के रूप में जल उपयोगी है।

प्रश्न 3:
जल का संगठन क्या है? [2011]
उत्तर:
जल एक यौगिक है। इसमें दो भाग हाइड्रोजन तथा एक भाग ऑक्सीजन विद्यमान है।

प्रश्न 4:
H2O किसका रासायनिक सूत्र है? [2013, 14]
उत्तर:
H2O जल का रासायनिक सूत्र है।

प्रश्न 5:
जल की विभिन्न अवस्थाएँ कौन-कौन सी हैं?
उत्तर:
जल की तीन अवस्थाएँ होती हैं – ठोस, द्रव तथा गैस।

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प्रश्न 6:
जल-प्राप्ति के मुख्य स्रोत कौन-कौन से हैं? [2007, 10, 11, 12, 13, 14]
या
प्राकृतिक जल के विभिन्न स्रोत लिखिए। [2008]
उत्तर:
समुद्र, वर्षा, नदियाँ, तालाब, झीलें, कुएँ तथा झरने जल-प्राप्ति के मुख्य स्रोत हैं।

प्रश्न 7:
जल का विशालतम स्रोत क्या है?
उत्तर:
समुद्र भूमण्डले पर जल का विशालतम स्रोत है।

प्रश्न 8:
गन्धकयुक्त जल किसके लिए लाभकारी होता है?
उत्तर:
गन्धकयुक्त जल त्वचा के लिए लाभकारी होता है।

प्रश्न 9:
कुएँ कितने प्रकार के होते हैं? [2018]
उत्तर:
कुएँ के मुख्य प्रकार हैं-उथले कुएँ, गहरे कुएँ, आदर्श कुएँ तथा आर्टीजन कुएँ।

प्रश्न 10:
एक आदर्श कुआँ खोदने के लिए किस स्थान का चुनाव उपयुक्त होगा?
उत्तर:
सामान्य रूप से साफ, ऊँचे एवं गन्दे तथा खत्ते आदि (UPBoardSolutions.com) से दूर स्थित स्थान पर ही आदर्श कुआँ खोदा जा सकता है।

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प्रश्न 11:
नदियों के जल की क्या विशेषताएँ होती हैं? [2011]
उत्तर:
अपने उद्गम स्थल पर नदियों का जल शुद्ध होता है परन्तु बस्तियों एवं औद्योगिक क्षेत्रों से गुजरने पर यह जल प्रदूषित हो जाता है। अतः नदियों के जल को शुद्ध करके ही पीने के काम में लाना चाहिए।

प्रश्न 12:
पाताल-तोड़ कुआँ किसे कहते हैं? [2007]
उत्तर:
पाताल-तोड़ कुएँ आर्टीजन कुएँ ही कहलाते हैं। इन कुओं का जल बहुत गहरे में जाकर होता है। इन कुओं का जल पृथ्वी के नीचे से दबाव के कारण स्वतः ही निकला करता है।

प्रश्न 13:
घरेलू स्तर पर अधिक जल नष्ट होने से बचाने के दो उपाय लिखिए। [2009, 13, 18]
उत्तर:
(1) नल की टोंटियों को अनावश्यक रूप से नहीं खोलना चाहिए।
(2) कपड़े धोने के बाद बचे हुए जल को टॉयलेट में डालना चाहिए जिससे टॉयलेट की सफाई भी हो जाती है और जल की बचत भी हो जाती है।

प्रश्न 14:
विश्व जल दिवस कब मनाया जाता है? [2014]
उत्तर:
विश्व जल दिवस प्रतिवर्ष 22 मार्च को मनाया जाता है।

बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न:
निम्नलिखित बहुविकल्पीय प्रश्नों के सही विकल्पों का चुनाव कीजिए

1. हमारे लिए जल उपयोगी है
(क) प्यास बुझाने के लिए।
(ख) भोजन पकाने के लिए
(ग) शारीरिक सफाई के लिए
(घ) इन सभी कार्यों के लिए

2. जल अपने आप में क्या है?
(क) तत्त्व
(ख) मिश्रण
(ग) यौगिक
(घ) न मिश्रण न यौगिक

3. जल का रासायनिक सूत्र है [2010, 11, 12, 13, 14, 15]
(क) HO
(ख) HO2
(ग) H2O
(घ) H2O2

4. समुद्र का जल होता है
(क) स्वादिष्ट
(ख) खारा
(ग) मीठा
(घ) खट्टा

5. सर्वोत्तम कुआँ माना जाता है
(क) कच्चा एवं उथला कुआँ
(ख) पक्का एवं गहरा कुआँ
(ग) नाले के निकट स्थित कुआँ
(घ) ये सभी

6. कुएँ के जल को शुद्ध करने के लिए क्या डालते हैं? [2012]
(क) पोटैशियम परमैंगनेट
(ख) ब्लीचिंग पाउडर
(ग) गन्धक
(घ) डी० डी० टी०

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7. तालाब का जल नहीं माना जाता
(क) स्नान करने योग्य
(ख) पीने योग्य
(ग) कपड़े धोने योग्य
(घ) किसी अन्य कार्य को करने योग्य

8. झील का जल पीना चाहिए
(क) ठण्डा करके
(ख) छानकर
(ग) उबालकर
(घ) यूँ ही

9. जल रक्त को बनाए रखता है
(क) ठण्डा
(ख) गर्म
(ग) गाढ़ा
(घ) तरल

10. मानव शरीर में जल का प्रतिशत है [2015, 16]
(क) 50 – 60%
(ख) 70 – 75%
(ग) 80 – 90%
(घ) 100%

उत्तर:
1. (घ) इन सभी कार्यों के लिए,
2. (ग) यौगिक,
3. (ग) H2O
4. (ख) खारा,
5. (ख) पक्का एवं गहरा कुओं,
6. (क). पोटेशियम परमैंगनेट,
7. (ख) पीने योग्य,
8. (ग) उबालकर,
9. (घ) तरल,
10. (ख) 70 – 75%

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UP Board Solutions for Class 10 Home Science Chapter 7 घरेलू विधियों से जल को शुद्ध करना

UP Board Solutions for Class 10 Home Science Chapter 7 घरेलू विधियों से जल को शुद्ध करना

These Solutions are part of UP Board Solutions for Class 10 Home Science . Here we have given UP Board Solutions for Class 10 Home Science Chapter 7 घरेलू विधियों से जल को शुद्ध करना .

विस्तृत उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1:
शुद्ध तथा अशुद्ध जल के लक्षणों या गुणों को स्पष्ट कीजिए। जल किस प्रकार से दूषित हो जाता है?
या
जल किस प्रकार दूषित होता है ? आप अशुद्ध जल को कैसे शुद्ध करेंगी? [2008, 10]
या
जल में पाई जाने वाली मुख्य अशुद्धियों का वर्णन कीजिए। [2008]
या
जल अशुद्ध होने के क्या कारण हैं? [2010]
उत्तर:
शुद्ध जल के गुण या लक्षण
यह एक सर्वविदित तथ्य है कि हमारी पृथ्वी पर थल की तुलना में जल का भाग बहुत अधिक है। जल के मुख्य स्रोत समुद्र, नदियाँ, झीलें, तालाब, झरने तथा भूमिगत जल हैं। जल की अत्यधिक मात्रा उपलब्ध होने पर भी विश्व को पेयजल की कमी का सामना करना पड़ रहा है। इस समस्या का मूल कारण यह है कि हमारे लिए केवल शुद्ध जल ही उपयोगी होता है। अशुद्ध जल या दूषित जल न तो पिया जा सकता है और न ही भोजन पकाने तथा अन्य महत्त्वपूर्ण कार्यों में ही इस्तेमाल किया जा सकता है। इस स्थिति में शुद्ध जल के आवश्यक गुणों एवं लक्षणों की पहचान की समुचित जानकारी होना आवश्यक है।
शुद्ध जल वह सरल यौगिक है जो हाइड्रोजन तथा ऑक्सीजन से बनता है। शुद्ध जल (UPBoardSolutions.com) स्वादरहित, रंगरहित, गन्धरहित द्रव्य होता है। शुद्ध अवस्था में जल साफ, स्वच्छ एवं पूर्ण रूप से पारदर्शी होता है। शुद्ध जल में एक प्रकार की प्राकृतिक चमक भी होती है।

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अशुद्ध जल के गुण या लक्षण

जल एक अत्यधिक उत्तम विलायक है। अनेक वस्तुएँ एवं लवण जल में शीघ्र ही घुल जाते हैं। इसीलिए पूर्ण शुद्ध अवस्था में जल मुश्किल से ही प्राप्त होता है। कोई-न-कोई लवण जल में घुल जाता है अथवा कुछ अशुद्धियों या गन्दगी का जल-स्रोतों में समावेश हो जाता है जिसके . परिणामस्वरूप जल अशुद्ध हो जाता है। अशुद्ध जल के गुणों या लक्षणों का उल्लेख करने से पूर्व कहा जा सकता है कि वह जल अशुद्ध है जिसमें शुद्ध जल के आवश्यक किसी एक गुण या सभी गुणों को अभाव होता है। इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कहा जा सकता है कि अशुद्ध जल में
किसी-न-किसी प्रकार का स्वाद पाया जाता है। यह खारा भी हो सकता है तथा मीठा भी। अशुद्ध जल में गन्ध या दुर्गन्ध का पाया जाना भी एक लक्षण है। प्रायः अशुद्ध जल मटमैला भी हो सकती है। अशुद्ध जल में कुछ अशुद्धियाँ तैरती हुई भी दिखाई दे सकती हैं। अशुद्ध जल अर्द्ध-पारदर्शी होता है तथा उसमें शुद्ध जल की प्राकृतिक चमक का भी प्रायः अभाव ही होता है।

जल का दूषित होना

प्रकृति ने हमें शुद्ध जल ही प्रदान किया था, परन्तु विभिन्न कारणों से जल क्रमश: दूषित होता जा रहा है। जल को अधिक दूषित करने में सर्वाधिक योगदान सभ्य व औद्योगिक एवं नगरीय मानव समाज का ही है। विभिन्न अति विकसित एवं आधुनिक मानवीय गतिविधियों के कारण ही जल क्रमशः दूषित होता जा रहा है। जल को दूषित करने वाले कुछ मुख्य कारकों का संक्षिप्त विवरण अग्रवर्णित है

(1) घरेलू वाहित मल (सीवेज):
इसमें मल-मूत्र, घरेलू गन्दगी तथा कपड़ों को धोने के बाद का जल आदि सम्मिलित होते हैं। सामान्य रूप से इस प्रकार का दूषित जल, घर की नालियों तथा बड़े नालों के माध्यम से बहता हुआ मुख्य जल-स्रोतों में मिल जाता है तथा इन स्रोतों के जल को भी प्रदूषित (UPBoardSolutions.com) कर देता है। इसके परिणामस्वरूप नदियों के किनारे, झील आदि के जल में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है। वाहित मल से अनेक प्रकार के कीटाणु जल में आ जाते हैं, जिसके कारण जल का अत्यधिक क्लोरीनीकरण करना आवश्यक हो जाता है।

(2) वर्षा का जल:
वर्षा का जल खेतों की मिट्टी की ऊपरी परत को बहाकर नदियों, झीलों तथा समुद्र तक पहुँचा देता है। इसके साथ अनेक प्रकार के खाद (नाइट्रोजन एवं फॉस्फेट के यौगिक) एवं कीटनाशक पदार्थ भी जल में पहुँच जाते हैं तथा जल क्रमशः दूषित हो जाता है।

(3) औद्योगिक संस्थानों द्वारा विसर्जित पदार्थ:
इनमें अनेक विषैले पदार्थ (अम्ल, क्षार, सायनाइड आदि), रंग-रोगन व कागज उद्योग द्वारा विसर्जित पारे (मरकरी) के यौगिक, रसायन एवं पेस्टीसाइड उद्योग द्वारा विसर्जित सीसे (लैड) के यौगिक तथा कॉपर वे जिंक के यौगिक प्रमुख हैं। इन सभी पदार्थों के जल में मिल जाने से जल दूषित एवं हानिकारक हो जाता है।

(4) तैलीय (ऑयल) प्रदुषण:
इस प्रकार का प्रदूषण समुद्र के जल में होता है। समुद्र में यह प्रदूषण या तो जहाजों द्वारा तेल विसर्जित करने से होता है अथवा समुद्र के किनारे स्थित तेल-शोधक संस्थानों के कारण होता है।

(5) रेडियोधर्मी पदार्थ:
नाभिकीय विखण्डन के फलस्वरूप अनेक रेडियोधर्मी पदार्थ जल को दूषित कर देते हैं। इस प्रकार का प्रदूषण प्रायः समुद्र के जल में होता है।

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जल में पाई जाने वाली मुख्य अशुद्धियाँ

दूषित जल में मुख्य रूप से दो प्रकार की अशुद्धियाँ पायी जाती हैं जिन्हें क्रमशः घुलित अशुद्धियाँ तथा अघुलित अथवा तैरने वाली अशुद्धियाँ कहा जाता है। इन दोनों प्रकार की अशुद्धियों को। संक्षिप्त परिचय निम्नलिखित है

(1) घुलित अशुद्धियाँ:
जल एक उत्तम विलायक है; अत: इसके सम्पर्क में आने वाले विभिन्न पदार्थ शीघ्र घुलकर इसमें समा जाते हैं। इस प्रकार जल में समा जाने वाले विजातीय तत्त्वों को जल की घुलित अशुद्धियाँ कहा जाता है। इस प्रकार की अशुद्धियाँ प्रायः दो प्रकार की होती हैं। प्रथम वर्ग की घुलित अशुद्धियाँ कुछ लवण होते हैं। मुख्य रूप से जल के कुछ सल्फेट, कार्बोनेट तथा बाइकार्बोनेट घुल जाया करते हैं। ये लवण घुलकर पानी को कठोर बना देते हैं। कठोर जल हमारे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है। लवणों के अतिरिक्त कुछ गैसें भी जल में घुल जाती हैं। ये गैसें मुख्य रूप से सल्फ्यूरेटेड हाइड्रोजन तथा कार्बन डाइऑक्साइड होती हैं। (UPBoardSolutions.com) इन गैसों से युक्त जल भी हमारे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक ही होता है।

(2) अघुलित अथवा तैरने वाली अशुद्धियाँ:
अशुद्ध जल में कुछ ऐसी अशुद्धियाँ भी पाई जाती हैं जो जल में नहीं घुलतीं, परन्तु इनका जल में अस्तित्व ही जल को दूषित एवं हानिकारक बना देता है। इस प्रकार की अशुद्धियों को तैरने वाली अशुद्धियाँ भी कहा जाता है। जल में पाई जाने वाली इस प्रकार की मुख्य अशुद्धियाँ निम्नलिखित हो सकती हैं| ”

  1. धूल-मिट्टी के कण एवं विभिन्न प्रकार का कूड़ा-करकट। पत्ते, घास, तिनके तथा बाल आदि इसी प्रकार की अशुद्धियाँ मानी जाती हैं।
  2.  विभिन्न रोगों के रोगाणु भी जल को अशुद्ध बनाते हैं। अशुद्ध जल में हैजा, पेचिश, मोतीझरा आदि रोगों के कीटाणु पाए जाते हैं।
  3. अशुद्ध जल में अनेक प्रकार के कीड़े, कीड़ों के बच्चे तथा अण्डे भी पाए जाते हैं।
  4. जल को अशुद्ध बनाने वाली कुछ अशुद्धियाँ पशुजनित भी होती हैं। पशुओं द्वारा जल में मल-मूत्र विसर्जित कर दिया जाता है। इसके अतिरिक्त उनके शरीर के बाल एवं अन्य अशुद्धियाँ भी जल को अशुद्ध बना देती हैं।

(संकेत–अशुद्ध जल को शुद्ध करने की घरेलू विधियों के लिए विस्तृत उत्तरीय प्रश्न सं० 2 के अन्तर्गत ‘अशुद्ध जल को शुद्ध करने की घरेलू विधियाँ देखें।

प्रश्न 2:
अशुद्ध जल को शुद्ध करने की घरेलू विधियों का सविस्तार वर्णन कीजिए। [2007, 11, 12, 13, 15, 17]
या
अशुद्ध जल को शुद्ध करने की कौन-कौन सी विधियाँ हैं? किन्हीं दो विधियों का वर्णन कीजिए। [2011, 17, 18]
या
अशुद्ध जल का स्वास्थ्य पर क्या प्रभाव पड़ता है? जत की अशुद्धियों को किस प्रकार दूर कर सकते हैं? [2008]
या
घर पर जल शुद्ध करने की कोई एक रासायनिक विधि लिखिए। [2011, 14, 15]
या
अशुद्ध जल को (चित्र सहित) चार घड़ों द्वारा शुद्ध करने की विधि लिखिए।
या
जल कितने प्रकार से दूषित होता है? जल में पाई जाने वाली अशुद्धियों को दूर करने के उपाय बताइए। [2008]
या
घर पर जल शुद्ध करने की विधियाँ लिखिए। [2009, 10, 11, 12, 13, 14]

उत्तर:
(संकेत:जल कितने प्रकार से दूषित होता है, इसके अध्ययन के लिए विस्तृत उत्तरीय प्रश्न सं० 1 के अन्तर्गत ‘जल कां दूषित होना’ शीर्षक देखें।

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अशुद्ध जल को शुद्ध करने की घरेलू विधियाँ

अनेक प्रकार के घुलित एवं अघुलित कार्बनिक व अकार्बनिक पदार्थों तथा अनेक प्रकार के कीटाणुओं की उपस्थिति के कारण जल अशुद्ध अथवा दूषित हो जाता है। इस प्रकार के जल का सेवन स्वास्थ्य को कुप्रभावित करता है तथा अनेक रोगों की उत्पत्ति का कारण बन सकता है। (UPBoardSolutions.com) अतः इन अशुद्धियों को दूर कर शुद्ध जल प्राप्त करना अत्यन्त आवश्यक है। इस प्रकार जनसाधारण के स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से जल के शुद्धिकरण की घरेलू विधियों का ज्ञान और भी महत्त्वपूर्ण है। घरेलू विधियों द्वारा जल को शुद्ध करने के विभिन्न उपायों को निम्नलिखित तीन वर्गों में रखा जा सकता है
(क) भौतिक विधियाँ,
(ख) यान्त्रिक विधियाँ एवं
(ग) रासायनिक विधियाँ।

(क) भौतिक विधियाँ:
जल-शोधन की कुछ प्रमुख भौतिक विधियाँ निम्नलिखित हैं

(1) जल को उबालकर शुद्ध करना:
उबालने से जल के अधिकांश कीटाणु नष्ट हो जाते हैं, जल में घुली गैसें निकल जाती हैं तथा अनेक घुलित लवण अवक्षेपित होकर नीचे बैठ जाते हैं। इस प्रकार उबालने से जल की अनेक अशुद्धियाँ दूर हो जाती हैं और यह पीने योग्य हो जाता है। । उबालने के उपरान्त जल को निथार कर अथवा छानकर उसका इस्तेमाल किया जाना चाहिए। उबालना अशुद्ध जल को शुद्ध करने की एक उत्तम विधि है, परन्तु इस विधि द्वारा केवल सीमित मात्रा में ही जल को शुद्ध किया जा सकता है।
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अतः अधिक-से-अधिक पीने वाले तथा खाना पकाने के लिए पानी, को ही इस विधि द्वारा शुद्ध किया जा सकता है।

(2) आसवन विधि द्वारा जल का शुद्धीकरण:
इस विधि में अशुद्ध जल को उबाला जाता है। तथा परिणामस्वरूप बनी जल-वाष्पे को एक स्वच्छ बर्तन में एकत्रित कर ठण्डा करके शुद्ध जल प्राप्त किया जाता है। इस विधि में जल की अशुद्धियाँ उबालने वाले बर्तन में ही रह जाती हैं। आसवन विधि द्वारा शुद्ध किए गए जल को (UPBoardSolutions.com) आसुत जल कहते हैं। आसुत जल उत्तम कोटि का शुद्ध जल होता है जिसे पीने में तथा औषधियों के विलायक के रूप में प्रयोग किया जा सकता है। इस विधि द्वारा भी केवल सीमित मात्रा में ही जल को शुद्ध किया जा सकता है।

(3) परा-बैंगनी अथवा अल्ट्रा-वॉयलेट किरणों से जल का शुद्धिकरण:
प्राचीनकाल से ही जल को शुद्ध करने के लिए सूर्य के प्रकाश का उपयोग किया जाता रहा है। सूर्य के प्रकाश में पाई जाने वाली पराबैंगनी किरणें जल के कीटाणुओं को नष्ट कर देती हैं। आजकल यन्त्रों द्वारा दूषित जल में परा-बैंगनी किरणें डालकर जल को शुद्ध किया जाता है।

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(ख) यान्त्रिक विधियाँ:
आजकल दूषित जल को शुद्ध करने के लिए अनेक यान्त्रिक साधन अपनाये जाते हैं। ये जल को पीने के योग्य बनाने गन्दा पानी के लिए सरल उपकरण हैं। इनमें से कुछ प्रमुख यान्त्रिक साधन निम्नलिखित हैं

(1) चार घड़ों की विधि:
यह विधि ग्रामीण क्षेत्रों में पानी । अधिक प्रचलित है। इसमें चार घड़ों को लकड़ी के स्टैण्ड पर कोयले का चूरा एक के ऊपर एक रख दिया जाता है। ऊपर के तीन घड़ों की तली में एक छिद्र होता है। सबसे ऊपर के घड़े में अशुद्ध जल पानी भर दिया जाता है। दूसरें घड़े में कोयला पीसकर रख देते हैं तथा कंकड़ तथा बालू तीसरे घड़े में ऊपर की ओर बालू तथा नीचे की ओर कंकड़ अथवा बजरी रख देते हैं। प्रत्येक छिद्र में थोड़ी रूई लगा देना लाभकर रहता है। अब सबसे ऊपर के घड़े का जल धीरे-धीरे । शेष घड़ों से छनकर गुजरता हुआ नीचे के घड़े में एकत्रित होता रहता है। इस विधि में जल में तैरती हुई अघुलित अशुद्धियाँ दूर हो जाती हैं तथा जल पीने योग्य हो जाता है।
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(2) आधुनिक निस्यन्दक अथवा फिल्टर द्वारा जल का शुद्धीकरण:
पाश्चर चैम्बरलेन फिल्टर तथा वर्कफील्ड फिल्टर द्वारा जल को प्रभावी ढंग से छानकर शुद्ध किया जाता है। इसका निर्माण क्ले तथा पोर्सलीन मिट्टी से किया जाता है। इसमें नीचे की ओर एक बाहरी बर्तन । टोंटी लगी होती है तथा अन्दर की ओर एक दूसरा बर्तन ऊपर लटका होता है जिसकी तली में क्ले मिट्टी का बना सिलेण्डर होता है। सिलेण्डर का पतला भाग दूसरे बर्तन में निकला होता है। यह सिलेण्डर सिलेण्डर – ही जल को शुद्ध करने (UPBoardSolutions.com) का कार्य करता है। इस सिलेण्डर को पोर्सलीन का – समय-समय पर स्वच्छ कराते रहना चाहिए। इस फिल्टर द्वारा जल भीतरी बर्तन तेजी से छनता है तथा पूर्णरूप से शुद्ध होता है। घरेलू उपयोग के लिए यह एक महत्त्वपूर्ण उपकरण है। आजकल बड़ी-बड़ी कम्पनियाँ; जैसे बजाज, क्रॉम्पटन, बलसारा इत्यादि; विभिन्न क्षमता के फिल्टर बना रही हैं, जिनको बाजार से क्रय किया जा सकता है।
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(ग) रासायनिक विधियाँ:
जल-शोधन की प्रमुख रासायनिक विधियाँ निम्नलिखित हैं

(1) अवक्षेपक द्वारा:
अशुद्ध जल में फिटकरी डालने से जल में निलम्बित पदार्थ अवक्षेपित होकर नीचे बैठ जाते हैं। इस जल में थोड़ी मात्रा में चूना मिला देने से जल और शुद्ध हो जाता है। इसके अतिरिक्त निर्मली नामक एक फल भी जल की अशुद्धियों को अवक्षेपित करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। अवक्षेपण के उपरान्त जल को निथार अथवा छान कर अशुद्धियों से रहित किया जा सकता है।

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(2) कीटाणुनाशक पदार्थों द्वारा:
विभिन्न प्रकार के जीवाणु व कीटाणु जल की अशुद्धि का एक महत्त्वपूर्ण कारण होते हैं। अशुद्ध जल को पीने योग्य बनाने के लिए इनको नष्ट किया जाना अति. आवश्यक है। जल को शुद्ध करने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले मुख्य कीटाणुनाशकों का सामान्य परिचय निम्नवर्णित है

(i) पोटैशियम परमैंगनेट:
यह लाल दवा के नाम से भी प्रसिद्ध है। गाँवों में तालाबों व कुओं के जल को शुद्ध करने में इसका प्रयोग किया जाता है। 1000 लीटर जल में पाँच ग्राम लाल दवा डाली जाने पर जल में उपस्थित अधिकांश कीटाणु नष्ट हो जाते हैं।
(ii) तूतिया अथवा कॉपर सल्फेट:
इसका उपयोग सावधानीपूर्वक किया जाना चाहिए, क्योंकि अधिक मात्रा में यह मनुष्यों के लिए भी विषैला प्रभाव रखता है। दो लाख भाग जल में एक भाग तूतिया डालने से जल पीने योग्य हो जाता है।
(iii) आयोडीन:
200 भाग जल में एक भाग पोटैशियम आयोडाइड डालने से जल के अनेक प्रकार के कीटाणु नष्ट हो जाते हैं।
(iv) ब्लीचिंग पाउडर:
एक लाख गैलन जल में 250 ग्राम ब्लीचिंग पाउडर डालने से अनेक प्रकार के जीवाणु नष्ट हो जाते हैं।
(v) क्लोरीन:
यह एक उपयोगी कीटाणुनाशक गैस है। प्राय: सार्वजनिक जल आपूर्ति संस्थाओं द्वारा जल के कीटाणुओं को नष्ट करने के लिए जल का क्लोरीनीकरण किया जाता है। चार हजार भाग जल में एक भाग क्लोरीन विलेय करने से जल के कीटाणु नष्ट हो जाते हैं तथा जल पीने योग्य हो जाता है। अब क्लोरीन की गोलियाँ भी उपलब्ध है, जिन्हे घरेलू स्तर पर जल के शुद्धिकरण के लिए इस्तेमाल किया जा सकती है।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1:
अशुद्ध जल से होने वाली हानियों का वर्णन कीजिए। [2009, 10, 13, 15, 16]
उत्तर:
व्यक्ति के स्वास्थ्य के लिए केवल शुद्ध जल ही उपयोगी है। अशुद्ध जल अनेक प्रकार से हानिकारक होता है। अशुद्ध जल से अनेक रोग होने की आशंका रहती है। मुख्य रूप से अशुद्ध जल के निरन्तर सेवन से पाचन क्रिया बिगड़ जाती है, भूख घट जाती है तथा जी मिचलाने (UPBoardSolutions.com) लगता है। कै होना, कब्ज हो जाना आदि रोग भी अशुद्ध जल पीने से ही हुआ करते हैं। इसके अतिरिक्त हैजा, मियादी बुखार, पेचिश, अतिसार आदि रोग भी अशुद्ध जल के सेवन से हो सकते हैं। कुछ रासायनिक तत्त्वों से अशुद्ध हुए जल के सेवन से कैन्सर जैसे घातक रोग भी हो सकते हैं।

प्रश्न 2:
कठोर जल किसे कहते हैं? कठोरता कितने प्रकार की होती है?
या
कठोर जल की क्या पहचान है?
या
जल में कितने प्रकार की कठोरता पाई जाती है? जल की कठोरता कैसे दूर की जा सकती है? [2007, 11, 13, 15]
या
जल की कठोरता को दूर करने के उपाय लिखिए। [2017]

उत्तर:
कठोर जल: साबुन के साथ सरलता से झाग उत्पन्न न करने वाला जल कठोर कहलाता है। जल में कठोरता इसमें उपस्थित लवणों के कारण होती है। जल की कठोरता दो प्रकार की होती है

(क) अस्थायी कठोरता:
यह वह कठोरता है जिसे आसानी से उबालकर जल से दूर किया जा सकता है।
(ख) स्थायी कठोरता:
यह वह कठोरता है जिसे उबालकर दूर नहीं किया जा सकता हैं। यह जल कपड़े धोने एवं दैनिक कार्यों के लिए उपयुक्त नहीं होता है।

जल की अस्थायी कठोरता कैल्सियम व मैग्नीशियम के बाइकार्बोनेटों के कारण होती है तथा स्थायी कठोरता कैल्सियम व मैग्नीशियम के क्लोराइड अथवा सल्फेट के कारण। अस्थायी कठोरता को सरलता से दूर किया जा सकता है, किन्तु स्थायी कठोरता का निवारण कठिन है। जल की अस्थायी कठोरता को जल उबालकर समाप्त किया जा सकता है; किन्तु स्थायी कठोरता का निवारण कठिन है। स्थायी कठोरता के निवारण के लिए कठोर जल में कपड़े धोने का सोडा अल्प मात्रा में मिलाया जाता है। अथवा सोडे एवं चूने का मिश्रण मिलाया जाता है। इसके अतिरिक्त परम्यूटिट विधि द्वारा भी स्थायी करता को संमाप्त किया जा सकता है।

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प्रश्न 3:
कठोर जल से क्या हानियाँ होती हैं। [2008]
उत्तर:
जिस जल में विभिन्न प्रकार के अनावश्यक तत्त्व घुलित अवस्था में होते हैं, उसे कठोर जल कहते हैं। कठोर जल में साबुन कम झाग उत्पन्न करता है। यह पीने में तो स्वादिष्ट होता है किन्तु भोजन पकाने व वस्त्र धोने के लिए उपयुक्त नहीं होता। इसके उपयोग से तल-जम (UPBoardSolutions.com) जाने के कारण बॉयलर शीघ्र ही खराब हो जाते हैं। इसमें घुले कई रासायनिक पदार्थ कई बार हानिकारक मात्रा में घुले होते हैं। तो वे ऐसा जल पीने वाले व्यक्ति के स्वास्थ्य को प्रभावित करते हैं जिससे एक स्वस्थ मनुष्य के बीमार पड़ने का खतरा भी होता है।

प्रश्न 4:
मृद एवं कठोर जल में अन्तर स्पष्ट कीजिए। [2007, 09, 10, 13, 15, 16, 17]
या
मृदु जल किसे कहते हैं? [2016]
उत्तर:
स्थायी एवं अस्थायी कठोरता से रहित जल को मृदु जल कहा जाता है और यह जल ही सेवन योग्य होता है। कठोर जल तथा मृदु जले में विद्यमान अन्तरों को निम्नांकित तालिका द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है
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प्रश्न 5:
शुद्ध तथा अशुद्ध जल में अन्तर स्पष्ट कीजिए। [2007, 08, 10, 11, 14, 16, 18]
उत्तर:
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अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1:
शुद्ध जल की क्या पहचान है? [2011, 15]
या
शुद्ध जल के क्या गुण हैं? [2012, 15]
या
सुरक्षित पीने के पानी की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
शुद्ध जल स्वादहीन, गन्धहीन, रंगहीन, पारदर्शी तथा एक प्रकार की प्राकृतिक चमक से युक्त होता है। इसमें किसी रोग के कीटाणु नहीं होते। यह पीने के लिए सुरक्षित होता है।

प्रश्न 2:
जल में कितने प्रकार की अशुद्धियाँ पाई जाती हैं? [2007, 08, 09]
उत्तर:
जल में दो प्रकार की अशुद्धियाँ पाई जाती हैं, जिन्हें क्रमश: जल की घुलित अशुद्धियाँ तथा जल की अघुलित अथवा तैरने वाली अशुद्धियाँ कहा जाता है।

प्रश्न 3:
अशुद्ध जल को शुद्ध करने की भौतिक विधियाँ कौन-कौन सी हैं?
उत्तर:
अशुद्ध जल को शुद्ध करने की तीन भौतिक विधियाँ हैं-उबालना, आसवन तथा अल्ट्रा-वॉयलेट किरणों का प्रभाव।।

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प्रश्न 4:
कठोर जल किसे कहते हैं? इसकी पहचान क्या है?
उत्तर:
जिस जल में विभिन्न अनावश्यक पदार्थ घुलित अवस्था में विद्यमान होते हैं, उस जल को कठोर जल कहते हैं। कठोर जल साबुन के साथ कम झाग उत्पन्न करता है।

प्रश्न 5:
जल की कठोरता को दूर करने के दो उपाय लिखिए। [2017]
उत्तर:
जल की अस्थायी कठोरता जल को उबालकर दूर की जा सकती है। जल की (UPBoardSolutions.com) स्थायी कठोरता को दूर करने के लिए जल में सोड़े तथा चूने का मिश्रण मिलाया जाता है।

प्रश्न 6:
आसुत जल किस जल को कहते हैं? [2007, 08]
या
आसुत जल की उपयोगिता लिखिए। [2007, 11]
या
आसुत जल क्या है? इसका प्रयोग कब किया जाता है? [ 2011, 13, 15]
उत्तर:
आसवन विधि द्वारा शुद्ध किए गए जल को आसुत जल कहते हैं। यह जल पूर्ण रूप से शुद्ध होता है। इसका पेयजल के रूप में तथा दवाओं में प्रयोग किया जाता है।

प्रश्न 7:
जल को छानकर किस प्रकार की अशुद्धियों से मुक्त किया जा सकता है?
उत्तर:
जल को छानकर अघुलित अथवा तैरने वाली अशुद्धियों से मुक्त किया जा सकता है।

प्रश्न 8:
ग्रामीण क्षेत्रों में जल को कीटाणु मुक्त करने के लिए इस्तेमाल होने वाली दवा का नाम बताइए।
उत्तर:
ग्रामीण क्षेत्रों में जल को कीटाणु मुक्त करने के लिए लाल दवा या पोटैशियम परमैंगनेट नामक दवा इस्तेमाल की जाती है।

प्रश्न 9:
जल के कीटाणओं को मारने के लिए कौन-सी गैस इस्तेमाल की जाती है?
उत्तर:
जल के कीटाणुओं को मारने के लिए क्लोरीन नामक गैस इस्तेमाल की जाती है।

प्रश्न 10:
जल के शुद्धिकरण के लिए प्रयोग किये जाने वाले जीवाणुनाशक पदार्थों के नाम लिखिए।
उत्तर:
जल के शुद्धिकरण के लिए सामान्य रूप से अपनाये जाने वाले मुख्य जीवाणुनाशक पदार्थ हैं ब्लीचिंग पाउडर, नीला थोथा, पोटैशियम परमैंगनेट तथा क्लोरीन।

प्रश्न 11:
जल को उबालने से किस प्रकार की कठोरता दूर होती है?
उत्तर:
जल को उबालने से केवल उसकी अस्थायी कठोरता ही दूर हो सकती है।

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प्रश्न 12:
अशुद्ध जल की पहचान लिखिए। [2008]
उत्तर:
अशुद्ध जल का रंग मटमैला या गंदला होता है। इसका स्वाद खारा तथा यह अर्द्ध-पारदर्शी होता है।

बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न:
निम्नलिखित बहुविकल्पीय प्रश्नों के सही विकल्पों का चुनाव कीजिए

1. शुद्ध जल में अभाव होता है
(क) गन्ध को
(ख) स्वाद का
(ग) रंग का
(घ) इन सभी को

2. शुद्ध जल कौन-सा होता है?
(क) वायु रहित
(ख) रंग रहित
(ग) स्वाद रहित
(घ) नाइट्रोजन रहित

3. जल दूषित कैसे होता है?
(क) हाथ की गन्दगी से
(ख) पात्र की गन्दगी से
(ग) कुएँ की गन्दगी से
(घ) सभी स्रोतों से

4. घर पर शुद्ध पेय जल प्राप्त करने के लिए सर्वोत्तम उपाय है
(क) जल का आसवन करना
(ख) जल को उबालना
(ग) जल का अवक्षेपण करना
(घ) जल का क्लोरीनीकरण करना

5. आसवन विधि द्वारा शुद्ध किए गए जल का नाम है
(क) कठोर जल
(ख) आसुत जल
(ग) प्राकृतिक जल
(घ) मृदु जल

6. आसुत जल का प्रयोग होता है
(क) दवाओं में
(ख) खाना बनाने में
(ग) पीने में
(घ) सफाई करने में

7. कपड़ों की धुलाई के लिए कौन-सा जल उत्तम होता है? [2008, 17]
(क) मृदु
(ख) कठोर
(ग) ठण्डा
(घ) गर्म

8. कठोर जल में कौन-से लवण घुले रहते हैं?
(क) लौह लवण
(ख) कैल्सियम
(ग) फॉस्फोरस
(घ) पोटैशियम

9. जल की अघुलित अशुद्धियों को जल से अलग किया जा सकता है
(क) अवक्षेपण क्रिया द्वारा
(ख) आसवन क्रिया द्वारा
(ग) उबालने की क्रिया द्वारा
(घ) छानने की क्रिया द्वारा

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10. व्यापक स्तर पर जल को कीटाणुरहित करने का उत्तम उपाय है
(क) उबालना
(ख) आसवन
(ग) ब्लीचिंग पाउडर अथवा क्लोरीन का इस्तेमाल
(घ) कुछ भी करना व्यर्थ है।

11. जल की घुलित अशुद्धियों को अलग करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है
(क) क्लोरीन का
(ख) तूतिया का
(ग) फिटकरी का
(घ) लाल दवा का

12. आसुत जल किस विधि द्वारा तैयार होता है?
(क) उबालकर
(ख) आसवन द्वारा
(ग) एक्वागार्ड द्वारा
(घ) छानकर

13. कुएँ के जल को शुद्ध करने के लिए उसमें डालते हैं   [2007, 08, 09, 10]
(क) पोटैशियम परमैंगनेट
(ख) ब्लीचिंग पाउडर
(ग) गन्धक
(घ) डी० डी० टी० पाउडर

14. जल शुद्धिकरण के लिए किसका प्रयोग किया जाता है? [2008]
(क) सोडियम परमैंगनेट
(ख) ब्लीचिंग पाउडर
(ग) पोटैशियम परमैंगनेट
(घ) जिंक ऑक्साइड

15. पोटैशियम परमैंगनेट का प्रयोग जल के शुद्धिकरण के लिए कहाँ किया जाता है? [2013]
(क) समुद्र में
(ख) नदी में
(ग) बरसात में
(घ) कुएँ में

उत्तर:
1. (घ) इन सभी का,
2. (घ) नाइट्रोजन रहित,
3. (घ) सभी स्रोतों से,
4. (ख) जल को उबालना,
5. (ख) आसुत जल,
6. (क) दवाओं में,
7. (क) मृदु.
8. (ख) कैल्सियम,
9. (घ) छानने की क्रिया द्वारा,
10. (ग) ब्लीचिंग पाउडर अथवा क्लोरीन का इस्तेमाल,
11. (ग) फिटकरी,
12. (ख) आसवन द्वारा,
13. (क) पोटैशियम परमैंगनेट,
14. (ख) ब्लीचिंग पाउडर,
15. (घ) कुएं में।

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UP Board Solutions for Class 10 Hindi Chapter 2 ममता (गद्य खंड)

UP Board Solutions for Class 10 Hindi Chapter 2 ममता (गद्य खंड)

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जीवन-परिचय एवं कृतियाँ

प्रश्न 1.
जयशंकर प्रसाद के जीवन-परिचय एवं रचनाओं पर प्रकाश डालिए। [2009, 10, 11]
या
जयशंकर प्रसाद का जीवन-परिचय दीजिए तथा उनकी एक रचना का नाम लिखिए। [2011, 12, 13, 14, 15, 16, 18]
उत्तर-
हिन्दी-साहित्य को प्रसाद जी की उपलब्धि एक युगान्तरकारी घटना है। ऐसा प्रतीत होता है कि ये हिन्दी-साहित्य की श्रीवृद्धि के लिए ही अवतरित हुए थे। यही कारण है कि हिन्दी-साहित्य का प्रत्येक पक्ष इनकी लेखनी से गौरवान्वित हो उठा है। ये हिन्दी के महान् कवि, नाटककार, कहानीकार, निबन्धकार आदि के रूप में जाने जाते हैं। हिन्दी-साहित्य इन्हें सदैव याद रखेगा।

जीवन-परिचय – हिन्दी-साहित्य के महान् कवि, नाटककार, कहानीकार एवं निबन्धकार श्री जयशंकर प्रसाद जी का जन्म सन् 1889 ई० में वाराणसी के प्रसिद्ध हुँघनी साहू परिवार में हुआ था। इनके पिता बाबू देवीप्रसाद काशी के प्रतिष्ठित और धनाढ्य व्यक्ति थे। इनकी प्रारम्भिक शिक्षा घर पर ही हुई तथा स्वाध्याय से ही इन्होंने अंग्रेजी, संस्कृत, उर्दू और फारसी का श्रेष्ठ ज्ञान प्राप्त किया और साथ ही वेद, पुराण, इतिहास, दर्शन आदि का (UPBoardSolutions.com) भी गहन अध्ययन किया। माता-पिता तथा बड़े भाई की मृत्यु हो जाने पर इन्होंने व्यवसाय और परिवार का उत्तरदायित्व सँभाला ही था कि युवावस्था के पूर्व ही भाभी और एक के बाद दूसरी पत्नी की मृत्यु से इनके ऊपर विपत्तियों का पहाड़ ही टूट पड़ा। फलतः वैभव के पालने में झूलता इनका परिवार ऋण के बोझ से दब गया। इनको विषम परिस्थितियों से जीवन-भर संघर्ष करना पड़ा, लेकिन इन्होंने हार नहीं मानी और निरन्तर साहित्य-सेवा में लगे रहे। क्रमशः प्रसाद जी का शरीर चिन्ताओं से जर्जर होता गया और अन्तत: ये क्षय रोग से ग्रस्त हो गये। 14 नवम्बर, सन् 1937 ई० को केवल 48 वर्ष की आयु में हिन्दी साहित्याकाश में रिक्तता उत्पन्न करते हुए इन्होंने इस संसार से विदा ली। |

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कृतियाँ – प्रसाद जी ने काव्य, नाटक, कहानी, उपन्यास और निबन्धों की रचना की। इनकी प्रमुख कृतियों का विवरण निम्नलिखित है|
(1) नाटक- ‘स्कन्दगुप्त’, ‘अजातशत्रु’, ‘चन्द्रगुप्त’, ‘विशाख’, ‘ध्रुवस्वामिनी’, ‘कामना, ‘राज्यश्री’, ‘जनमेजय का नागयज्ञ’, ‘करुणालय’, ‘एक पूँट’, ‘सज्जन’, ‘कल्याणी-परिणय’ आदि इनके प्रसिद्ध नाटक हैं। प्रसाद जी के नाटकों में भारतीय और पाश्चात्य नाट्य-कला का सुन्दर समन्वय है। इनके नाटकों में राष्ट्र के गौरवमय इतिहास का सजीव वर्णन हुआ है।
(2) कहानी – संग्रह-‘छाया’, ‘प्रतिध्वनि’, ‘आकाशदीप’ तथा ‘इन्द्रजाल प्रसाद जी की कहानियों के संग्रह हैं। इनकी कहानियों में मानव-मूल्यों और भावनाओं का काव्यमय चित्रण हुआ है।
(3) उपन्यास – कंकाल, तितली और इरावती (अपूर्ण)। प्रसाद जी ने अपने इन उपन्यासों में जीवन की वास्तविकता का आदर्शोन्मुख चित्रण किया है।
(4) निबन्ध-संग्रह – ‘काव्यकला तथा अन्य निबन्ध’। इस निबन्ध-संग्रह में प्रसाद जी के गम्भीर चिन्तन तथा साहित्य सम्बन्धी स्वस्थ दृष्टिकोण की अभिव्यक्ति हुई है।
(5) काव्य – ‘कामायनी’ (महाकाव्य), ‘आँसू’, ‘झरना’, ‘लहर’ आदि प्रसिद्ध काव्य हैं। ‘कामायनी’ श्रेष्ठ छायावादी महाकाव्य है।

साहित्य में स्थान – प्रसाद जी छायावादी युग के जनक तथा युग-प्रवर्तक रचनाकार हैं। बहुमुखी प्रतिभा के कारण इन्होंने मौलिक नाटक, श्रेष्ठ कहानियाँ, उत्कृष्ट निबन्ध और उपन्यास लिखकर हिन्दी-साहित्य के कोश की श्रीवृद्धि की है। आधुनिक हिन्दी के (UPBoardSolutions.com) मूर्धन्य साहित्यकारों में प्रसाद जी का विशिष्ट स्थान है।

आचार्य नन्ददुलारे वाजपेयी के शब्दों में, भारत के इने-गिने श्रेष्ठ साहित्यकारों में प्रसाद जी का स्थान सदैव ऊँचा रहेगा।” इनके विषय में किसी कवि ने उचित ही कहा है सदियों तक साहित्य नहीं यह समझ सकेगा तुम मानव थे या मानवता के महाकाव्य थे।

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गद्यांशों पर आधारित प्रश्न

प्रश्न-पत्र में केवल 3 प्रश्न (अ, ब, स) ही पूछे जाएँगे। अतिरिक्त प्रश्न अभ्यास एवं परीक्षोपयोगी दृष्टि से महत्त्वपूर्ण होने के कारण दिए गये हैं।

प्रश्न 1.
रोहतास दुर्ग के प्रकोष्ठ में बैठी हुई युवती ममता, शोण के तीक्ष्ण गम्भीर प्रवाह को देख रही है। ममता विधवा थी। उसका यौवन शोण के समान ही उमड़ रहा था। मन में वेदना, मस्तक में आँधी, आँखों में पानी की बरसात लिये, वह सुख के कंटक-शयन में विकल थी। वह रोहतास दुर्गपति के मन्त्री चूड़ामणि की अकेली दुहिता थी, फिर उसके लिए कुछ अभाव होना असम्भव था, परन्तु वह विधवा थी-हिन्दू-विधवा संसार में सबसे तुच्छ-निराश्रय प्राणी है- तब उसकी विडम्बना का कहाँ अन्त था ? [2012, 14]
(अ) प्रस्तुत अवतरण के पाठ और लेखक का नाम लिखिए।
(ब) रेखांकित अंशों की व्याख्या कीजिए।
(स) 1. प्रस्तुत गद्यांश में किसके बारे में और क्या कहा गया है ?
2. हिन्दू-विधवा को तुच्छ-निराश्रय प्राणी क्यों कहा गया है ?
या
उपर्युक्त गद्यांश में हिन्दू-विधवा की स्थिति कैसी है ?
3. ममता की वेदना का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।
4. ममता कौन थी? वह क्या देख रही थी?
[ प्रकोष्ठ = राजप्रासादे के मुख्य द्वार के पास का कमरा। शोण = सोन नदी। वेदना = दुःख। दुहिता = पुत्री। निराश्रय = अनाथ। विकल = दु:खी। विडम्बना = पीड़ा।]
उत्तर-
(अ) प्रस्तुत गद्यावतरण हमारी पाठ्य-पुस्तक (UPBoardSolutions.com) ‘हिन्दी’ के ‘गद्य-खण्ड’ में संकलित ‘ममता’ नामक कहानी से उधृत है। इसके लेखक छायावादी युग के प्रवर्तक श्री जयशंकर प्रसाद हैं।
अथवा निम्नवत् लिखिए
पाठ का नाम-ममता। लेखक का नाम-श्री जयशंकर प्रसाद।
[ विशेष—इस पाठ के शेष सभी गद्यांशों के लिए प्रश्न ‘अ’ का यही उत्तर इसी रूप में लिखा जाएगा।]

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(ब) प्रथम रेखांकित अंश की व्याख्या – श्री जयशंकर प्रसाद जी का कहना है कि रोहतास राजप्रासाद के मुख्य द्वार के निकट अपने कमरे में बैठी हुई ममता सोन नदी के तेज बहाव को देख रही है। विधवा ममता का यौवन भी सोन नदी के प्रवाह के समान पूर्ण रूप से उमड़ रहा था। भरी तरुणाई में विधवा हो जाने के कारण उसका मन दु:ख से भरा था। उसके मस्तिष्क में आँधी के समाम तीव्रगति से अपने भावी जीवन की चिन्ता से सम्बन्धित अनेक विचार उत्पन्न हो रहे थे। उसकी आँखों से दु:ख के आँसू निरन्तर बह रहे थे और राजप्रासाद की समस्त सुख-सुविधाएँ उसे काँटे की भाँति कष्ट पहुँचा रही थीं। कोमल बिस्तरों पर शयन भी उसे काँटों की शय्या के समान प्रतीत होता था।

द्वितीय रेखांकित अंश की व्याख्या – श्री जयशंकर प्रसाद जी का कहना है कि ममता रोहतास दुर्ग के अधिपति के मन्त्री चूड़ामणि की इकलौती पुत्री थी। इसलिए उसके पास सुख-सुविधाओं के अभाव होने को प्रश्न ही नहीं उठता था; अर्थात् उसके पास सभी सुख विद्यमान थे, परन्तु वह सुखी नहीं थी क्योंकि वह एक हिन्दू बाल विधवा थी। हिन्दू समाज में विधवा का जीवन दु:खी, उपेक्षित और अनाथ जैसा होता है। इस कारण उसका जीवन उसके लिए भार बन जाता है। संसार की सभी सुख-सुविधाएँ भी उसको शान्ति प्रदान नहीं कर पाती हैं। ऐसी ही विकट परिस्थितियों से युक्त ममता के कष्टों का भी अन्त नहीं था।

(स) 1. प्रस्तुत गद्यांश में रोहतास दुर्ग के दुर्गपति के मन्त्री चूड़ामणि की एकमात्र कन्या ममता के विषय में कहा गया है, जो कि युवावस्था में ही विधवा हो गयी थी। समस्त प्रकार की सुख-सुविधाओं की उपलब्धता होने के बाद भी उसकी परेशानियों का अन्त नहीं था।
2. सामाजिक परिस्थितियों के कारण आज भी हिन्दू समाज में (UPBoardSolutions.com) विधवा का जीवन दु:खी, उपेक्षित और अनाथ जैसा होता है। इस कारण उसका जीवन उसके लिए भारस्वरूप हो जाता है। इसी कारण से हिन्दूविधवा को तुच्छ-निराश्रय प्राणी कहा गया है।
3. ममता रोहतास दुर्गपति के मन्त्री चूड़ामणि की इकलौती पुत्री थी। उसके पास सुख के समस्त साधन विद्यमान थे। फिर भी उसके मन में पीड़ा थी, मस्तिष्क में विचारों की आँधी चल रही थी, आँखों में आँसुओं की झड़ी थी और आरामदायक शय्या भी उसे काँटों की शय्या के समान पीड़ा पहुँचा रही थी।
4. ममता रोहतास दुर्ग के अधिपति के मन्त्री चूड़ामणि की इकलौती पुत्री थी, जो विधवा हो गयी थी। राजप्रासाद के मुख्य द्वार के निकट अपने कमरे में बैठी हुई वह सोन नदी के तेज बहाव को देख रही थी।

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प्रश्न 2.
“हे भगवान्! तब के लिए! विपद के लिए! इतना आयोजन! परमपिता की इच्छा के विरुद्ध इतना साहस। पिताजी, क्या भीख न मिलेगी? क्या कोई हिन्दू भू-पृष्ठ पर न बचा रह जाएगा, जो ब्राह्मण को दो मुट्ठी अन्न दे सके? यह असम्भव है। फेर दीजिए पिताजी, मैं काँप रही हूँ इसकी चमक आँखों को अंधा बना रही है।” [2013]
(अ) प्रस्तुत अवतरण के पाठ और लेखक का नाम लिखिए।
(ब) रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए।
(स) 1. किस वस्तु की चमक ममता की आँखों को अन्धा बना रही थी ?
2. परमपिता की इच्छा के विरुद्ध इतना साहस।’ पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए।
3. इस गद्यांश में ममता की किस मनोवृत्ति को स्पष्ट किया गया है ?
[विपद = आपत्ति, संकट। आयोजन = (यहाँ पर) भौतिक सुख-सुविधाओं का संग्रह। भू-पृष्ठ = पृथ्वी तल।]
उत्तर-
(बे) रेखांकित अंश की व्याख्या – जयशंकर प्रसाद जी कहते हैं कि जब ममता ने स्वर्ण-आभूषणों से भरा हुआ थाल देखा तब वह हतप्रभ रह गयी। वह आश्चर्य प्रकट करती हुई अपने पिता से कहती है कि आप विपत्ति के लिए इतने धन का संग्रह क्यों कर रहे हैं। (UPBoardSolutions.com) भगवान की इच्छा के विरुद्ध आपने यह बहुत बड़ा दुस्साहस किया है। हम ब्राह्मण हैं। क्या इस पृथ्वी पर ऐसा कोई हिन्दू व्यक्ति न बचेगा जो किसी ब्राह्मण की क्षुधा को शान्त करने के लिए थोड़ा-सा अन्न भिक्षा के रूप में भी नहीं देगा। पिताजी! निश्चित ही यह बात असम्भव है कि पृथ्वी पर कोई हिन्दू (सधर्मी) व्यक्ति न मिले और ब्राह्मण को भिक्षा भी न मिले।

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(स) 1. थाल में रखे हुए सुवर्ण के सिक्कों की चमक; जो कि ममता के पिता ने शेरशाह से उत्कोच (घूस) के रूप में स्वीकार किये थे; ममता की आँखों को अन्धा बना रही थी। आशय यह है कि विधर्मियों से उत्कोच के रूप में आये सुवर्ण से उत्पन्न सम्भावित भय के कारण उसकी आँखों के आगे अँधेरा छा गया था।
2. ‘परमपिता की इच्छा के विरुद्ध इतना साहस’ से आशय है कि ईश्वर की इच्छा के विरुद्ध किया जाने वाला दुस्साहस। तात्पर्य यह है कि ईश्वर यदि हमें विपत्ति में डालना ही चाहता है तो हमें उसकी इच्छा के विपरीत प्रयास नहीं करना चाहिए।
3. इस गद्यांश में ममता की निर्लोभता, अनुचित धन के प्रति विमुखता तथा ईश्वर व ब्राह्मणत्व में विश्वास की मनोवृत्ति को स्पष्ट किया गया है।

प्रश्न 3.
काशी के उत्तर में धर्मचक्र विहार मौर्य और गुप्त सम्राटों की कीर्ति का खण्डहर था। भग्न चूड़ा, तृण-गुल्मों से ढके हुए प्राचीर, ईंटों के ढेर में बिखरी हुई भारतीय शिल्प की विभूति, ग्रीष्म की चन्द्रिका में अपने को शीतल कर रही थी।
जहाँ पंचवर्गीय भिक्षु गौतम का उपदेश ग्रहण करने के लिए पहले मिले थे, उसी स्तूप के भग्नावशेष की मलिन छाया में एक झोपड़ी के दीपालोक में एक स्त्री पाठ कर रही थी – “अनन्याश्चिन्तयन्तो मां ये जनाः पर्युपासते।” [2011]
(अ) प्रस्तुत अवतरण के पाठ और लेखक का नाम लिखिए।
(ब) रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए।
(स) 1. स्तूप के अवशेष की छाया में स्त्री क्या पढ़ रही थी ? उसका अर्थ लिखिए।
2. पंचवर्गीय भिक्षु कौन थे ? ये गौतम से क्यों और कहाँ मिले थे ?
3. धर्मचक्र कहाँ स्थित था ?
[विहार = बौद्ध-भिक्षुओं का आश्रम। भग्न चूड़ा = भवन का टूटा हुआ ऊपरी भाग। तृण-गुल्म = तिनकों अथवा घास या लताओं का गुच्छा। प्राचीर = चहारदीवारी, परकोटा। विभूति = ऐश्वर्य। चन्द्रिका = चाँदनी।]
उत्तर-
(ब) रेखांकित अंश की व्याख्या – श्री जयशंकर प्रसाद जी का कहना है कि काशी भारत का पवित्र तीर्थ स्थल है। इसके उत्तर में सारनाथ है, जहाँ बौद्ध भिक्षुकों के बौद्ध-विहार टूटकर खण्डहरों में बदल चुके थे। इन बौद्ध-विहारों को मौर्यवंश के राजाओं तथा गुप्तकाल के सम्राटों ने बनवाया था। इन बौद्ध-विहारों में तत्कालीन वास्तुकला एवं शिल्पकला के बेजोड़ नमूने अब भी स्पष्ट दिखाई दे रहे थे जो कि मौर्य और गुप्त वंश के सम्राटों की (UPBoardSolutions.com) कीर्ति को गान करते प्रतीत हो रहे थे। इन भवनों के शिखर टूट चुके थे। खण्डहरों की दीवारों पर घास-फूस तथा लताएँ उग आयी थीं। टूटी-फूटी ईंटों के ढेर इधर-उधर बिखरे पड़े थे और इन ईंटों में बिखरी पड़ी थी भव्य भारतीय शिल्पकला। ग्रीष्म ऋतु की शीतल चाँदनी में यह उत्कृष्ट शिल्पकला अब अपने को भी शीतल कर रही थी।

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(स) 1. स्तूप के अवशेष की छाया में दीपक के प्रकाश में बैठी एक स्त्री पाठ कर रही थी‘अनन्याश्चिन्तयन्तो मां ये जनाः पर्युपासते’, अर्थात् जो भक्त अनन्य भावना से मेरा चिन्तन करते हैं, उपासना करते हैं; उनका योग-क्षेम मैं स्वयं वहन करता हूँ।
2. पंचवर्गीय भिक्षु गौतम बुद्ध के प्रथम पाँच शिष्य थे, जो उनका उपदेश ग्रहण करने के लिए काशी के उत्तर में स्थित सारनाथ नामक स्थान पर (गद्यांश में वर्णित) खण्डहरों में मिले थे।
3. धर्मचक्र मौर्य और गुप्त सम्राटों की कीर्ति के अवशेष रूप में काशी के उत्तर में (सारनाथ नामक स्थान पर) स्थित था।

प्रश्न 4.
“गला सूख रहा है, साथी छूट गये हैं, अश्व गिर पड़ा है—इतना थका हुआ हूँ इतना!”कहते-कहते वह व्यक्ति धम से बैठ गया और उसके सामने ब्रह्माण्ड घूमने लगा। स्त्री ने सोचा, यह विपत्ति कहाँ से आयी! उसने जल दिया, मुगल के प्राणों की रक्षा हुई। वह सोचने लगी-“सब विधर्मी दया के पात्र नहीं-मेरे पिता का वध करने वाले आततायी!” घृणा से उसका मन विरक्त हो गया। [2009]
(अ) प्रस्तुत अवतरण के पाठ और लेखक का नाम लिखिए।
(ब) रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए।
(स) 1. गद्यांश में वर्णित व्यक्ति कौन है ?
2. व्यक्ति की व्यथा-कथा का वर्णन अपने शब्दों में लिखिए।
[ अश्व = घोड़ा। विपत्ति = मुसीबत। विधर्मी = पापी। आततायी = अत्याचारी।]
उत्तर-
(ब) रेखांकित अंश की व्याख्या – श्री जयशंकर प्रसाद जी कह रहे हैं कि सारनाथ के बौद्ध विहार के खण्डहरों में रहने वाली ममता ने मन-ही-मन सोचा कि यह विपत्ति अचानक कहाँ से आ गयी। ममता ब्राह्मणी थी, उसे हुमायूँ पर दया आ गयी। उसने हुमायूँ को जल दिया। जल पीने के पश्चात् हुमायूँ को होश आया।

ममता अपने मन में सोचने लगी कि मैंने इस मुगल को जल देकर उचित नहीं किया। इसके प्राण तो बच गये लेकिन क्या पता अब यह मेरे साथ कैसा व्यवहार करेगा क्योंकि सभी विधर्मी दया के योग्य नहीं होते। अपने पिता के वध का स्मरण कर (UPBoardSolutions.com) उसका मन विरक्त हो गया; क्योंकि पितृ-हन्ता को तो कदापि आश्रय न देना चाहिए।

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(स) 1. गद्यांश में वर्णित व्यक्ति बाबर का पुत्र हुमायूँ है। हुमायूँ चौसा के युद्ध में शेरशाह से पराजित होकर भागता है और भागते हुए सारनाथ के खण्डहरों में आश्रय पाता है और ममता से उसकी कुटिया में विश्राम करने की आज्ञा देने का आग्रह करता है।
2. व्यक्ति कहता है कि मैं युद्ध में पराजित हो गया हूँ। प्यास के कारण मेरा गला सूख रहा है। मुझसे मेरे साथी अलग हो गये हैं। थकान के कारण घोड़ा गिर पड़ा है। इतना थका हुआ हूँ कि चलने में भी असमर्थ हूँ। यह कहते हुए वह पृथ्वी पर ही बैठ जाता है। उसके सामने मानो सम्पूर्ण सृष्टि घूमने लगती है अर्थात् आँखों के आगे अँधेरा छा जाता है।

प्रश्न 5.
“मैं ब्राह्मणी हूँ, मुझे तो अपने धर्म-अतिथि–देव की उपासना का पालन करना चाहिए, परन्तु यहाँ नहीं-नहीं सब विधर्मी दया के पात्र नहीं। परन्तु यह दया तो नहीं कर्तव्य करना है। तब?”
मुगल अपनी तलवार टेककर उठ खड़ा हुआ। ममता ने कहा-“क्या आश्चर्य है कि तुम भी छल करो; ठहरो।”
छल! नहीं, तब नहीं, स्त्री! जाता हूँ, तैमूर का वंशधर स्त्री से छल करेगा? जाता हूँ। भाग्य का खेल है।” [2009]
(अ) प्रस्तुत अवतरण के पाठ और लेखक का नाम लिखिए।
(ब) रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए।
(स) 1. “क्या आश्चर्य है कि तुम भी छल करो।” वाक्य किसने कहा और क्यों ?
2. “छल ! नहीं, तब नहीं स्त्री जाता हूँ।” वाक्य किसने-किससे कहा और क्यों ?
[ विधर्मी = अपने धर्म के विरुद्ध आचरण करने वाला, दूसरे धर्म का।]
उत्तर-
(ब) रेखांकित अंश की व्याख्या – ममता अपने मन में सोचती है कि मैं तो ब्राह्मणी हूँ और सच्चा ब्राह्मण कभी अपने धर्म से विमुख नहीं होता, मुझे भी अपने अतिथि-धर्म का पालन करना चाहिए।
और इसको विश्राम करने की आज्ञा दे देनी चाहिए। अगले ही पल उसके मन में विचार आता है कि यह तो धर्मभ्रष्ट मुगल है। मुगलों ने ही उसके पिता की हत्या की थी। यदि विधर्मी कोई और होता तो उसके प्रति दया दिखाकर उसे आश्रय दिया जा सकता था। पितृ-हन्ता को तो कदापि आश्रय न देना चाहिए। तभी उसके अन्त:करण में फिर से हलचल मचती है कि मैं तो इसके ऊपर कोई दया नहीं दिखाऊँगी, वरन् अतिथि-धर्म का पालन करके अपने कर्त्तव्य को ही निभाऊँगी।

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(स) 1. “क्या आश्चर्य है कि तुम भी छल करो।” वाक्य ममता ने मुगल हुमायूँ से कहे; क्योंकि उसके पिता की हत्या भी विधर्मियों अर्थात् मुगलों ने ही की थी। वह दोनों ही मुगलवंशियों में कोई भेद नहीं कर सकी थी।
2. “छल ! नहीं, तब नहीं स्त्री ! जाता हूँ।” वाक्य मुगल हुमायूँ ने (UPBoardSolutions.com) ममता से कहे थे। हुमायूँ तैमूर का वंशज था। उसको मानना था कि तैमूर का वंशज कुछ भी कर सकता था, लेकिन किसी स्त्री के साथ धोखा कदापि नहीं कर सकता था।

प्रश्न 6.
चौसा के मुगल-पठान युद्ध को बहुत दिन बीत गये। ममता अब सत्तर वर्ष की वृद्धा है। वह अपनी झोपड़ी में एक दिन पड़ी थी। शीतकाल का प्रभात था। उसका जीर्ण कंकाल खाँसी से गूंज रहा था। ममता की सेवा के लिए गाँव की दो-तीन स्त्रियाँ उसे घेरकर बैठी थीं; क्योंकि वह आजीवन सबके सुख-दु:ख की सहभागिनी रही।
(अ) प्रस्तुत अवतरण के पाठ और लेखक का नाम लिखिए।
(ब) रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए।
(स) 1. ‘मुगल-पठान युद्ध’ से क्या आशय है ? यह किनके बीच हुआ था ?
2. जीर्ण-कंकाल खाँसी से गूंज रहा था।’ से क्या आशय है ?
[ वृद्धा = बुढ़िया। शीत = सर्दी। प्रभात = प्रात:काल।]
उत्तर-
(ब) रेखांकित अंश की व्याख्या – लेखक कहता है कि शीतकाल को प्रात:काल था। ममता को खाँसी थी। खाँसी के कारण उसे श्वास लेने में भी कठिनाई महसूस हो रही थी। उसका गला सँध रहा था। श्वास के साथ बलगम की आवाज स्पष्ट सुनायी दे रही थी। ममता अकेली थी। उसका किसी से इस संसार में खून का रिश्ता नहीं था और न तो उसका कोई रिश्तेदार ही था। जीवन के दुःखपूर्ण इन अन्तिम क्षणों में यदि कोई उसकी मदद करने वाला था तो केवल उस गाँव की दो या तीन औरतें जो उसके पास उसकी सेवा करने में संलग्न थीं, उसे घेरकर बैठी हुई थीं क्योंकि ममता भी मानवता की साक्षात् प्रतिमूर्ति थी। उसने भी निराश्रयों को आश्रय दिया था। सभी के सुख-दु:ख में सहभागिनी रही थी।

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(स) 1. मुगल-पठान युद्ध से आशय हुमायूँ (मुगल) और शेरशाह (पठान) के मध्य हुए चौसा के युद्ध से है। यह युद्ध सन् 1536 ई० के आसपास हुआ था।
2. जीर्ण कंकाल से आशय कंकालवत् रह गये शरीर से है। ममता को खाँसी (UPBoardSolutions.com) इतनी तेजी से आ रही थी कि वह कंकाल मात्र रह गये शरीर में से गूंजती हुई बाहर आती प्रतीत हो रही थी।

प्रश्न 7.
अश्वारोही पास आया। ममता ने रुक-रुककर कहा-“मैं नहीं जानती कि वह शहंशाह था, या साधारण मुगल; पर एक दिन इसी झोपड़ी के नीचे वह रहा। मैंने सुना था कि वह मेरा घर बनवाने की आज्ञा दे चुका था। मैं आजीवन अपनी झोपड़ी के खोदे जाने के डर से भयभीत रही। भगवान् ने सुन लिया, मैं आज .. इसे छोड़े जाती हूँ। तुम इसका मकान बनाओ या महल, मैं अपने चिर-विश्राम-गृह में जाती हूँ।” [2010, 12]
(अ) प्रस्तुत अवतरण के पाठ और लेखक का नाम लिखिए।
(ब) रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए।
(स) 1. शहंशाह शब्द किसके लिए प्रयोग किया गया है ?
2. ‘चिर-विश्राम-गृह’ से क्या आशय है ?
3. वह (ममता) आजीवन क्यों भयभीत रही ?
उत्तर-
(ब) रेखांकित अंश की व्याख्या – श्री जयशंकर प्रसाद जी कहते हैं कि ममता ने अश्वारोही को बुलाकर उससे कहा कि उस व्यक्ति ने मेरे घर का नवनिर्माण कराने का आदेश अपने एक अधीनस्थ को दिया था। मैं अपनी पूरी जिन्दगी में इस भय से भयभीत रही कि कहीं मैं अपने इस मामूली घर से भी बेघर न हो जाऊँ। लेकिन ईश्वर ने मेरी प्रार्थना सुन ली और मुझे जीवित रहते बेघर होने से बचा लिया। आज मैं इस घर को छोड़कर (UPBoardSolutions.com) जा रही हूँ; अर्थात् अब मेरे जीवन का अन्त समय निकट आ गया है। अब तुम यहाँ पर मकान बनाओ अथवा महल, मुझे कोई चिन्ता नहीं; क्योंकि अब मैं अपने उस घर में जा रही हूँ जहाँ मुझे अनन्त काल तक विश्राम प्राप्त होगा।

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(स) 1. प्रस्तुत गद्यांश में ‘शहंशाह’ शब्द मुगल सल्तनत के बाबर के पुत्र और अकबर के पिता हुमायूं के लिए प्रयोग किया गया है।
2. चिर-विश्राम-गृह से आशय ऐसे गृह से है जहाँ मनुष्य अनन्त समय तक विश्राम कर सके अथवा ऐसा गृह जिसका स्थायित्व अन्तहीन समय तक बनी रहे, और जिसमें व्यक्ति अन्तहीन समय तक विश्राम भी कर सके।
3. वह (ममता) अपने जीवन-पर्यन्त अपनी झोपड़ी के खोदे जाने के भय से भयभीत रही क्योंकि मुगल (हुमायूँ) ने उसके घर को बनवाने का आदेश दिया था।

व्याकरण एवं रचना-बोध

प्रश्न 1.
निम्नलिखित में से उपसर्ग और प्रत्यय से बने शब्दों को अलग-अलग छाँटिए तथा उनसे उपसर्ग और प्रत्यय को अलग कीजिए-
व्यथित, दुश्चिन्ता, पीलापन, अनर्थ, मन्त्रित्व, भारतीय, पंचवर्गीय, उपदेश, विरक्त, अतिथि, आजीवन, अनन्त।
उत्तर-
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प्रश्न 2.
निम्नलिखित पदों में नियम-निर्देशपूर्वक सन्धि-विच्छेद कीजिए-
निराश्रय, दुश्चिन्ता, पतनोन्मुख, भग्नावशेष, दीपालोक, हताशा, अश्वारोही।
उत्तर-
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प्रश्न 3.
निम्नलिखित पदों का नामसहित समास-विग्रह कीजिए-
कंटक-शयन, दुर्गपति, अनर्थ, तृण-गुल्म, वंशधर, शीतकाल, आजीवन, अनन्त, अष्टकोण।
उत्तर-
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