UP Board Solutions for Class 10 Hindi Chapter 9 जीवन-सूत्राणि (संस्कृत-खण्ड)

UP Board Solutions for Class 10 Hindi Chapter 9 जीवन-सूत्राणि (संस्कृत-खण्ड)

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अवतरणों का ससन्दर्भ हिन्दी अनुवाद

प्रश्न (1-2)
किंस्विद् गुरुतरं भूमेः किंस्विदुच्चतरं च खात् ?
किंस्विद् शीघ्रतरं वातात् किंस्विद् बहुतरं तृणात् ? ॥1॥
माता गुरुतरा भूमेः खात् पितोच्चतरस्तथा ।।
मनः शीघ्रतरं वातात् चिन्ता बहुतरी तृणात् ॥2॥ [2009, 13, 15]
उत्तर
[ किंस्विद् = क्या। गुरुतरं = अधिक भारी। उच्चतरं = ऊँचा है। खात् = आकाश से। वातात् = वायु . से। तृणात् = तिनके से।।

सन्दर्भ–प्रस्तुत श्लोक हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘हिन्दी के संस्कृत-खण्ड के जीवन-सूत्राणि पाठ से उद्धृत है।

[विशेष—इस पाठ के समस्त श्लोकों के लिए भी यही सन्दर्भ प्रयुक्त होगा।] | प्रसंग-इन श्लोकों में यक्ष के प्रश्नों और युधिष्ठिर के उत्तरों के माध्यम से माता-पिता इत्यादि के महत्त्व को दर्शाया गया है।

अनुवाद-(यक्ष युधिष्ठिर से पूछता है) भूमि से महान् क्या है ? (UPBoardSolutions.com) आकाश से ऊँचा कौन है ? वायु से अधिक शीघ्रगामी क्या है ? तिनके से अधिक दुर्बल (क्षीण) बनाने वाली क्या है ?

(युधिष्ठिरं उत्तर देता है) पृथ्वी से अधिक भारी माता है। आकाश से अधिक ऊँचा पिता है। वायु से अधिक शीघ्रगामी मन है। तृण से अधिक दुर्बल बनाने वाली चिन्ता है।

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प्रश्न (3-4)
किंस्वित् प्रवसतो मित्रं किंस्विन् मित्रं गृहे सतः? ।
आतुरस्य च किं मित्रं किंस्विन् मित्रं मरिष्यतः ?॥3॥
सार्थः प्रवसतो मित्रं भार्या मित्रं गृहे सतः ।
आतुरस्य भिषक् मित्रं दानं मित्रं मरिष्यतः ॥4॥ [2012, 17]
उत्तर
[ प्रवसतः = विदेश में रहने वाले का। सतः = होना। आतुरस्य = रोगी का। मरिष्यतः = मरते हुए का। अर्थः = धन। भिषक् = वैद्य।।

प्रसंग-इन श्लोकों में विभिन्न व्यक्तियों के मित्रों के विषय में बताया गया है।

अनुवाद (यक्ष)-प्रवास में रहने वाले का मित्र कौन है ? (UPBoardSolutions.com) घर में रहने वाले का मित्र कौन है ? ” रोगी का मित्र कौन है ? मरने वाले का मित्र कौन है ?

(युधिष्ठिर)-प्रवास में रहने वाले का मित्र या साथी धन होता है। घर में रहने वाले का मित्र पत्नी होती है। रोगी का मित्र वैद्य होता है। मरने वाले का मित्र दान होता है।

प्रश्न (5-6)
किंस्विदेकपदं धर्म्य किंस्विदेकपदं यशः?
किंस्विदेकपदं स्वर्यं किंस्विदेकपदं सुखम् ? ॥ 5 ॥
दाक्ष्यमेकपदं धर्मं दानमेकपदं यशः।
सत्यमेकपदं स्वर्यं शीलमेकपदं सुखम् ॥ 6 ॥ [2012]
उत्तर
[एकपदं = एकमात्र। दाक्ष्यम् = योग्यता, चतुरता।].

प्रसंग-इन श्लोकों में धर्म और सुखादि को परिभाषित किया गया है।

अनुवाद—( यक्ष)-एकमात्र धर्म क्या है ? एकमात्र यश क्या है ? एकमात्र स्वर्ग दिलाने वाला क्या है ? एकमात्र सुख क्या है ?

( युधिष्ठिर) –दक्षता (योग्यता) एकमात्र धर्म है। दान एकमात्र यश है। सत्य एकमात्र स्वर्ग दिलाने वाला है। सदाचार एकमात्र सुख है।

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प्रश्न (7-8)
धान्यानामुत्तमं किंस्विद् धनानां स्यात् किमुत्तमम् ?
लाभानामुत्तमं किं स्यात् सुखानां स्यात् किमुत्तमम् ? ॥7॥
धान्यानामुत्तमं दाक्ष्यं धनानामुत्तमं श्रुतम् ।
लाभानां श्रेयमारोग्यं सुखानां तुष्टिरुत्तमा ॥8॥ [2010, 11, 18]
उत्तर
[ धान्यानाम् = अन्नों में। दाक्ष्यं = चतुरता, निपुणता। (UPBoardSolutions.com) श्रुतम् = शास्त्र-ज्ञान। श्रेय = श्रेष्ठ। तुष्टिः = सन्तोष।]

प्रसंग-इन श्लोकों में अन्न, धन और सुखादि की उत्तमता पर प्रकाश डाला गया है।

अनुवाद–( यक्ष)–अन्नों में उत्तम क्या है ? धनों में उत्तम क्या है ? लाभों में उत्तम क्या है ? सुखों में उत्तम क्या है ?

( युधिष्ठिर)–अन्नों में उत्तम निपुणता है। धनों में श्रेष्ठ शास्त्र-ज्ञान है। लाभों में श्रेष्ठ नीरोगिता है। सुखों में श्रेष्ठ सन्तोष है।

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प्रश्न (9-10)
किं नु हित्वा प्रियो भवति किन्नु हित्वा न शोचति ?
किं नु हित्वार्थवान् भवति किन्नु हित्वा सुखी भवेत्? ॥9॥
मानं हित्वा प्रियो भवति क्रोधं हित्वा ने शोचति।
कामं हित्वार्थवान् भवति लोभं हित्वा सुखी भवेत् ॥10॥ [2009, 12, 16, 17, 18]
उत्तर
[ मानं = अहंकार। हित्वा = त्यागकर। शोचति = शोक करता है। कामं = इच्छा को।]

प्रसंग-इन श्लोकों में विभिन्न त्यागों के महत्त्व को दर्शाया गया है।

अनुवाद-( यक्ष )-मनुष्य क्या छोड़कर प्रिय हो जाता है ? (UPBoardSolutions.com) मनुष्य क्या छोड़कर शोक नहीं करता है ? मनुष्य क्या छोड़कर धनवान् हो जाता है ? मनुष्य क्या छोड़कर सुखी होता है ?

( युधिष्ठिर)–मनुष्य अहंकार को छोड़कर प्रिय हो जाता है। मनुष्य क्रोध को छोड़कर शोक नहीं करता है। मनुष्य इच्छा (कामना) को छोड़कर धनवान् हो जाता है। मनुष्य लोभ को छोड़कर सुखी हो जाता है।

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अतिलघु-उतरीय संस्कृत प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1
भूमेः गुरुतरं किम् अस्ति ? [2011, 12, 15]
उत्तर
माता गुरुतरा भूमेः।

प्रश्न 2
खात् (आकाशात्) उच्चतरं किम् अस्ति ? [2014, 17]
या
पिता कस्मात् उच्चतरः भवति ? [2010]
उत्तर
खात् (आकाशात्) उच्चतरः पिता अस्ति।

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प्रश्न 3
वातात् शीघ्रतरं किम् अस्ति ? [2009, 10, 12, 14, 15, 16]
उत्तर
वातात् शीघ्रतरं मनः (UPBoardSolutions.com) अस्ति।।

प्रश्न 4
तृणात् बहुतरं किम् अस्ति ?
या
तृणात् का बहुतरी अस्ति ?
उत्तर
तृणात् चिन्ता बहुतरी अस्ति।

प्रश्न 5
प्रवसतो (विदेशे) मित्रं किम् अस्ति ?
उत्तर
प्रवसतो (विदेशे) मित्रम् धनम् अस्ति।

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प्रश्न 6
गृहे सतः मित्रम् किं अस्ति ? [2012, 14]
उत्तर
भार्या गृहे सर्त: मित्रम् अस्ति।

प्रश्न 7
मरिष्यतः मित्रं किम् अस्ति ?
उतर
मरिष्यत: मित्रं दानम् अस्ति।

प्रश्न 8
धनानाम् उत्तमं धनं किम् अस्ति ? [2011, 12]
उत्तर
धनानाम् उत्तमं श्रुतम् (विद्या) अस्ति।

प्रश्न 9
लाभानाम् उत्तमं किम् अस्ति ?
उत्तर
लाभानाम् उत्तमम् आरोग्यम् (UPBoardSolutions.com) अस्ति।

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प्रश्न 10
सुखानाम् उत्तमं किं स्यात् ?
उत्तर
तुष्टि; सुखानाम् उत्तमा स्यात्।।

प्रश्न 11
किं हित्वा नरः प्रियो भवति ?
उत्तर
मानं हित्वा नरः प्रियो भवति।

प्रश्न 12
नरः किं हित्वा न शोचति ?
उत्तर
नरः क्रोधं हित्वा न शोचति।

प्रश्न 13
मनुष्यः किं हित्वा सुखी भवति ?
उत्तर
मनुष्यः लोभं हित्वा सुखी भवति।

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प्रश्न 14
सर्वेषु उत्तमं धनं किम् अस्ति ?
या
धनानां उत्तमं धनं किम् अस्ति ?
उतर
श्रुतं सर्वेषु उत्तमं धनम् (UPBoardSolutions.com) अस्ति।

प्रश्न 15
आतुरस्य मित्रं किं अस्ति ? [2011, 12, 13, 14, 16]
उत्तर

आतुरस्य मित्रं वैद्यः अस्ति।

प्रश्न 16
किं त्यक्त्वा न शोचति ?
या
किं हित्वा (त्यक्त्वा) नरः न शोचति ?
उत्तर
क्रोधं त्यक्त्वा न शोचति।।

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प्रश्न 17
आतुरस्य मित्रं कः भवति ? [2015]
या
भिषक् कस्य मित्रं भवति ? [2009]
उत्तर
आतुरस्य मित्रं भिषक् भवति।

प्रश्न 18
किं नु हित्वा सुखी भवेत् ?
उत्तर
लोभं हित्वा सुखी भवेत्।।

प्रश्न 19
किंस्वित् शीघ्रतरं वातात किं स्विद बहुतरं तृणात ?
उत्तर
मनः शीघ्रतरं वातात् चिन्ता (UPBoardSolutions.com) बहुतरी तृणात्।।

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अनुवादात्मक

प्रश्न 1.
निम्नलिखित वाक्यों का संस्कृत में अनुवाद कीजिए-
उत्तर
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व्याकरणत्मक

प्रश्न 1
निम्नलिखित शब्दों के विभक्ति और वचन बताइए-
तृणात्, मित्रम्, धनानाम्, प्रियः, कामम्, वातात्, भूमेः, गृहे, आतुरस्य।
उत्तर
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प्रश्न 2
‘मृ’ धातु के लृट् लकार तथा ‘भू धातु के विधिलिङ् लकार के तीनों पुरुषों और वचनों के रूप लिखिए।
उत्तर
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प्रश्न 3
निम्नलिखित शब्दों के धातु, लकार, पुरुष एवं वचन बताइए-
भवेत्, मरिष्यतः, स्यात्, शोचति।।
उत्तर
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श्लोक-लेवन

ध्यातव्य–यहाँ पाठ्य-पुस्तक से चुनकर कुछ श्लोक दिये जा रहे हैं। छात्रों को इन्हें कण्ठस्थ कर इनके शुद्ध लेखन का अभ्यास करना चाहिए।

  1.  रे रे चातक! सावधानमनसा मित्र! क्षणं श्रूयताम् ।
    अम्भोदा बहवो वसन्ति गगने सर्वेऽपि नैतादृशाः ॥
  2. केचिद वृष्टिभिरार्द्रयन्ति वसथां गर्जन्ति केचिद वृथा।
    यं यं पश्यसि तस्य तस्य (UPBoardSolutions.com) पुरतो मा ब्रूहि दीनं वचः ॥
  3. त्रिर्गमिष्यति भविष्यति सुप्रभातं,
    भास्वानुदेष्यति हसिष्यति पङ्कजालिः।
    इत्थं विचिन्तयति कोशगते द्विरेफे,
    हा हन्त! हन्त! नलिनीं गज उज्जहार ॥
  4. उत्तरं यत् समुद्रस्य हिमाद्रेश्चैव दक्षिणम् ।
    वर्षं तद् भारतं नाम भारती यत्र सन्ततिः ॥
  5. अपदो दूरगामी च साक्षरो न च पण्डितः ।
    अमुखः स्फुटवक्ता च यो जानाति स पण्डितः ॥
  6. सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः।
    सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद् दुःखभाग् भवेत् ॥
  7. माता गुरुतरा भूमेः खात् पितोच्चतरस्तथा ।
    मनः शीघ्रतरं वातात् चिन्ता बहुतरी तृणात् ॥
  8. सार्थः प्रवसतो मित्रं भार्या मित्रं गृहे सतः ।
    आतुरस्य भिषक् मित्रं दानं मित्रं मरिष्यतः ॥
  9. मानं हित्वा प्रियो भवति क्रोधं हित्वा न शोचति ।।
    कामं हित्वार्थवान् भवति लोभं  हित्वा सुखी भवेत् ॥

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UP Board Solutions for Class 10 Social Science Chapter 5 (Section 3)

UP Board Solutions for Class 10 Social Science Chapter 5 जल संसाधन (अनुभाग – तीन)

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विस्तृत उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
बहु-उद्देशीय परियोजना का अर्थ एवं उद्देश्य लिखिए। भारत के आर्थिक विकास में बहु-उद्देशीय परियोजनाओं के योगदान को लिखिए। [2013]
या

बहु-उद्देशीय नदी-घाटी परियोजना से आप क्या समझते हैं? उसके चार उद्देश्यों पर प्रकाश डालिए। [2014, 17]
या

बहु-उद्देशीय नदी घाटी परियोजनाओं के छः उद्देश्यों का वर्णन कीजिए। [2018]
या

बहु-उद्देशीय नदी-घाटी परियोजना के उद्देश्य एवं महत्त्व का वर्णन कीजिए। [2014]
या

बहुउद्देशीय योजनाओं से आप क्या समझते हैं ? [2010]
या

बहु-उद्देशीय नदी-घाटी परियोजना के चार कार्यों का वर्णन कीजिए। [2011]
या

भारत के किन्हीं तीन बहु-उद्देशीय नदी-घाटी परियोजनाओं के महत्त्वों का उल्लेख कीजिए। [2013]
या

बहु-उद्देशीय नदी-घाटी परियोजना क्या है? इसके किन्हीं पाँच लाभों की विवेचना कीजिए। [2013, 17]
या

बहु-उद्देशीय परियोजना के लाभों पर प्रकाश डालिए। [2011, 13]
या

बहु-उद्देशीय घाटी परियोजना के तीन महत्त्व बताइट। [2015]
उत्तर :
बहु-उद्देशीय परियोजनाएँ वे नदी-घाटी परियोजनाएँ हैं, जिनसे एक ही समय में अनेक उद्देश्यों की पूर्ति होती है। इन योजनाओं को बहुमुखी योजनाएँ भी कहा जाता है। इनसे होने वाले विविध लाभों और देश के आधुनिक विकास में योगदान के कारण इन्हें ‘आधुनिक भारत के मन्दिर’ कहा जाता है। देश के सर्वांगीण आर्थिक विकास एवं क्षेत्रीय नियोजन के लिए बहु-उद्देशीय या बहुध्येयी योजनाओं को क्रियान्वित किया गया है। (UPBoardSolutions.com) इन योजनाओं का तात्पर्य ऐसी योजनाओं से है जिनका उद्देश्य एक-से-अधिक समस्याओं का समाधान करना होता है। इसीलिए इन्हें बहुध्येयी योजनाएँ कहा जाता है। स्वतन्त्रता-प्राप्ति के पश्चात् देश में खाद्यान्न एवं औद्योगिक उत्पादन में क्रान्तिकारी परिवर्तन के लिए इन योजनाओं को आरम्भ किया गया था। इन योजनाओं का प्रारूप संयुक्त राज्य अमेरिका की ‘टेनेसी नदी-घाटी योजना के आधार पर तैयार किया गया है। भारत में बहु-उद्देशीय नदी-घाटी परियोजनाएँ मुख्य रूप से दो प्रकार की होती हैं—(क) सिंचाई परियोजनाएँ तथा (ख) जल-विद्युत परियोजनाएँ।

उद्देश्य (कार्य)-बहु-उद्देशीय नदी-घाटी परियोजनाओं के प्रमुख उद्देश्य (कार्य) निम्नलिखित हैं

  • जल-विद्युत शक्ति का उत्पादन करना।
  • बाढ़ों पर नियन्त्रण करना।
  • सिंचाई हेतु नहरों का निर्माण एवं विकास करना।
  • मत्स्य-पालन करना।
  • भू-क्षरण पर प्रभावी नियन्त्रण करना।
  • उद्योग- धन्धों का विकास करना।
  • आन्तरिक जल-परिवहन का विकास करना।
  • दलदली भूमियों को सुखाना।
  • शुद्ध पेयजल की व्यवस्था करना।
  • प्राकृतिक सौन्दर्य तथा मनोरंजन व पर्यटन स्थलों का विकास करना।
  • क्षेत्रीय नियोजन तथा उपलब्ध संसाधनों का पूर्ण और समुचित उपयोग करना।
  • पशुओं के लिए हरे चारे की व्यवस्था करना।

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देश के आर्थिक विकास में योगदान (महत्त्व)/लाभ

बहु-उद्देशीय परियोजनाओं के अन्तर्गत देश की सर्वांगीण उन्नति एवं विकास में उपयोगी होने के कारण सभी प्रमुख तथा महत्त्वपूर्ण नदियों पर बाँध बनाये गये हैं तथा जल का उपयोग एक साथ कई उद्देश्यों की पूर्ति के लिए किया जाने लगा है। इन परियोजनाओं से जो लाभ उठाये जा रहे हैं, उनका विवरण अग्रलिखित है–

1. सिंचाई- नदियों पर बाँध बनाकर उसके पीछे जलाशय में जल (UPBoardSolutions.com) संचित कर लिया जाता है। इससे शुष्क ऋतु में सिंचाई के लिए जल प्राप्त होता है। राजस्थान में सतलुज नदी के जल का प्रयोग सिंचाई के लिए किया जाता है। सिंचाई सुविधाओं के विकास एवं विस्तार से कृषि-योग्य क्षेत्रफल तथा भूमि की उत्पादकता में वृद्धि हुई है तथा एक-फसली क्षेत्र बहु-फसली क्षेत्र में परिणत हो गये हैं।

2. बाढ़-नियन्त्रण- 
विनाशकारी बाढ़ों के लिए कुख्यात नदियों पर बाँध बनाकर इन परियोजनाओं से बाढ़-नियन्त्रण सम्भव हुआ है। अब दामोदर तथा कोसी नदियाँ ‘शोक की नदियाँ नहीं रहीं। अब वे आर्थिक विकास के लिए वरदान बन गयी हैं।

3. जल-विद्युत उत्पादन- 
नदियों पर बाँध बनाकर उनके जल को ऊँचाई से गिराकर बड़ी-बड़ी टर्बाइनों की सहायता से जल-विद्युत का उत्पादन किया जाता है। जलविद्युत जीवाश्म ईंधनों से उत्पन्न तापीय ऊर्जा की अपेक्षा प्रदूषणरहित, स्वच्छ और सतत शक्ति का साधन होती है।

4. वन-रोपण- 
नदी-घाटी में वन-रोपण किया जाता है। इससे पारिस्थितिकी का सन्तुलन कायम होता है। वन-भूमि में वन्य-जीवों को निरापद आश्रय-स्थल प्राप्त होता है। वन क्षेत्रों में उगी हरी-भरी घासे पशुपालन को प्रोत्साहित करती हैं।

5. नौकारोहण- 
बाँध से निकाली गयी नहरों में नौ-परिवहन की सुविधाएँ प्राप्त होती हैं, जो यातायात का सबसे सस्ता साधन हैं।

6. मत्स्यपालन- 
जलाशयों तथा नहरों में मछलियाँ पाली जाती हैं, उनके बीज तैयार (UPBoardSolutions.com) किये जाते हैं और उनकी बिक्री से आर्थिक लाभ कमाया जाता है।

7. मृदा-संरक्षण- 
मिट्टी का अपरदन नियन्त्रित होता है तथा उसका संरक्षण सम्भव होता है।

8. पर्यटन और मनोरंजन- 
ये परियोजनाएँ पर्यटकों के लिए आकर्षण का केन्द्र होती हैं; क्योंकि खाली ‘ पड़ी भूमि पर सुन्दर पार्क, उद्यान आदि का विकास किया जाता है, जो इसके प्राकृतिक सौन्दर्य में वृद्धि कर देते हैं।

9. उद्योग-धन्धों का विकास- 
उद्योग-धन्धों का विकास सस्ती ऊर्जा-शक्ति की उपलब्धता पर निर्भर करता है। बहुध्येयी परियोजनाओं के विकास से उद्योगों को सस्ती जलविद्युत शक्ति के साथ-साथ स्वच्छ जल भी उपलब्ध हो जाता है।

यद्यपि बहु-उद्देशीय परियोजना के प्रमुख उद्देश्य सिंचाई, जल-विद्युत उत्पादन तथा बाढ़-नियन्त्रण हैं, तथापि इनसे अन्य लाभ भी प्राप्त होते हैं। जब एक बहु-उद्देशीय परियोजना स्थापित की जाती है तो उसके द्वारा सेवित सम्पूर्ण क्षेत्र का समग्र विकास होता है। उदाहरण के लिए-दामोदर घाटी परियोजना से झारखण्ड तथा प० बंगाल राज्यों को सिंचाई, जलविद्युत, बाढ़-नियन्त्रण, मत्स्य-पालन, मृदा-संरक्षण, वन-रोपण, नौका-रोहण आदि के लाभ प्राप्त होते हैं। जल विद्युत के उत्पादन से उद्योगों को भी लाभ पहुँचता है। औद्योगिक विकास से नगरीकरण में वृद्धि होती है तथा सम्पूर्ण क्षेत्र (UPBoardSolutions.com) का आर्थिक विकास होता है। दामोदर घाटी परियोजना के कारण सम्पूर्ण दामोदर घाटी क्षेत्र देश का महत्त्वपूर्ण औद्योगिक क्षेत्र बन सका है। देश में स्थापित अन्य परियोजनाओं से भी देश के विभिन्न क्षेत्रों का आर्थिक विकास सम्भव हुआ है।

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प्रश्न 2.
भाखड़ा-नांगल बहु-उद्देशीय नदी-घाटी परियोजना का विवरण दीजिए तथा उससे होने वाले लाभ भी लिखिए।
या
भारत की किसी एक बहु-उद्देशीय नदी-घाटी परियोजना का वर्णन निम्नलिखित शीर्षकों के अन्तर्गत कीजिए [2010]
(क) स्थिति, (ख) महत्त्व।
उत्तर :

भाखड़ा-नांगल बहुउद्देशीय नदी-घाटी परियोजना

स्थिति- यह भारत की सबसे बड़ी बहु-उद्देशीय नदी-घाटी परियोजना है। इस परियोजना के अन्तर्गत सन् 1963 में पंजाब के रोपड़ नामक स्थान से 80 किमी ऊपर उत्तर की ओर, जहाँ सतलुज नदी शिवालिक श्रेणियों को काटकर सँकरी घाटी में प्रवाहित होती है, ‘भाखड़ा’ नामक गाँव के निकट एक विशाल बाँध बनाया गया है। इस बाँध के कारण नदी का जल एक विशाल जलाशय के रूप में परिवर्तित हो गया है। इस परियोजना में है 235 करोड़ का व्यय हुआ था। भाखड़ा बाँध सतलुज नदी के आर-पार 518 मीटर लम्बा तथा 226 मीटर ऊँचा है। ऊँचाई की दृष्टि से इस बाँध का विश्व में दूसरा स्थान है। जल संसाधन 305 इस बाँध में सतलुज नदी का जल एक कृत्रिम जलाशय के रूप में एकत्र किया गया है। यह कृत्रिम जलाशय ‘गोविन्द सागर’ कहलाता है, जो 80 किमी लम्बा तथा 3-4 किमी चौड़ा है। इसमें (UPBoardSolutions.com) 114 करोड़ घन मीटर जल संगृहीत किया जा सकता है। भाखड़ा से 13 किमी नीचे ‘नांगल’ नामक स्थान पर दूसरा बाँध बनाया गया है, जो 29मीटर ऊँचा, 315 मीटर लम्बा तथा 121 मीटर चौड़ा है। इस बाँध से नहरें भी निकाली गयी हैं।
UP Board Solutions for Class 10 Social Science Chapter 5 जल संसाधन 1
उपयोगिता/प्रमुख लाभ/उपलब्धियाँ/महत्त्व- इस परियोजना के अन्तर्गत तीन शक्तिगृह बनाये गये हैं, जिनसे 1,204 मेगावाट जलविद्युत शक्ति उत्पन्न की जाती है। भाखड़ा बाँध से 1,100 किमी लम्बी मुख्य नहरें निकाली गयी हैं। इसकी उपशाखाओं सहित कुल लम्बाई 4,370 किमी है। इन नहरों से 27 लाख हेक्टेयर भूमि की सिंचाई की जाती है। इस परियोजना से निकाली गयी नहरों द्वारा की गयी सिंचाई ने उत्तर-पश्चिमी भारत की कृषि अर्थव्यवस्था में उत्तरोत्तर लाभ एवं वृद्धि का मार्ग प्रशस्त किया है तथा यह एक समृद्धिशाली कृषि क्षेत्र के रूप में विकसित हुआ है। पंजाब, हरियाणा एवं राजस्थान राज्यों की कृषि भूमि को सिंचाई का पूरा-पूरा लाभ इस परियोजना ने पहुंचाया है। इन नहरों से ही राजस्थान की सूखी तथा प्यासी धरती में हरियाली की लहर आ गयी है और खाद्यान्नों को पर्याप्त उत्पादन होने लगा है। इस परियोजना से उत्पन्न जलविद्युत ने पंजाब, हरियाणा, दिल्ली तथा राजस्थान में उद्योग-धन्धों की स्थापना और कृषि के विकास में बहुत सहयोग दिया है। भाखड़ा-नांगल (UPBoardSolutions.com) परियोजना ने इन राज्यों में आर्थिक और सांस्कृतिक प्रगति के द्वार खोल दिये हैं। इस प्रकार यह परियोजना भारत की बहुमुखी प्रगति की द्योतक है।

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प्रश्न 3.
बहु-उद्देशीय नदी-घाटी योजना सिंचाई के पारम्परिक साधनों से किस प्रकार अच्छी है ? भारत के विभिन्न क्षेत्रों से उदाहरण दीजिए।
उत्तर :
सिंचाई के पारम्परिक साधन नहरें, कुएँ, नलकूप और तालाब हैं। देश में सिंचाई के विकास के लिए अनेक सिंचाई परियोजनाएँ विकसित की गयी हैं, जिनसे बड़ी, मध्यम तथा लघु योजनाएँ मुख्य हैं। सिंचाई की बड़ी तथा मध्यम परियोजनाओं के अन्तर्गत देश की अनेक नदियों से नहरें निकाली गयी हैं। पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान आदि उत्तरी राज्यों को इनसे सिंचाई की सुविधा सुलभ हुई है। दक्षिणी भारत में भी महानदी, गोदावरी, कृष्णा तथा कावेरी नदियों से डेल्टाई क्षेत्रों में नहरें निकालकर
ओडिशा, आन्ध्र प्रदेश तथा तमिलनाडु राज्यों में सिंचाई की व्यवस्था की गयी है, किन्तु सिंचाई के लिए पारम्परिक नहरी सिंचाई परियोजनाओं की अपेक्षा बहु-उद्देशीय नदी-घाटी परियोजनाएँ अधिक श्रेष्ठ हैं, क्योंकि इनसे नहरी सिंचाई के अतिरिक्त निम्नलिखित अनेक लाभ प्राप्त होते हैं

1. बाढ़-नियन्त्रण एवं मृदा-संरक्षण- 
नदियों पर बाँध बनाकर जल-प्रवाह की तीव्रता को नियन्त्रित कर लिया जाता है, जिससे मृदा का संरक्षण होने के साथ-साथ बाढ़-नियन्त्रण भी सम्भव होता है।

2. सिंचाई सुविधाओं का विस्तार- 
नदियों पर बाँधों के पीछे बड़ी-बड़ी झीलें बनायी जाती हैं, जिनमें वर्षा का जल एकत्र हो जाता है। इस जल का प्रयोग शुष्क ऋतु में नहरों द्वारा सिंचाई के लिए किया जाता है।

3. जल-विद्युत का उत्पादन- 
बाँधों द्वारा संचित किये (UPBoardSolutions.com) गये जल को ऊँचाई से गिराया जाता है, जिससे जल-विद्युत का उत्पादन होता है। जल-विद्युत ऊर्जा प्राप्ति का स्वच्छ एवं प्रदूषण मुक्त साधन है।

4. औद्योगिक विकास- 
इन परियोजनाओं से उद्योगों को सस्ती जल-विद्युत प्राप्त हो जाती है, साथ ही आवश्यक जल की आपूर्ति भी बनी रहती है।

5. जल-परिवहन सुविधा- 
इन परियोजनाओं के अन्तर्गत नदियों तथा नहरों में अन्त:स्थलीय जल-परिवहन की सुविधा भी सुलभ हो जाती है। भारी वस्तुओं के परिवहन के लिए यह सबसे सस्ता साधन है।

6. मत्स्य उद्योग का विकास- 
बाँधों के पीछे बने जलाशयों में मछलियों के बीज तैयार किये जाते हैं। तथा कुछ विशेष किस्म की मछलियों को भी पाला जाता है।

7. वन्य भूमि का विस्तार- 
बाँधों के जलग्रहण क्षेत्र में योजनाबद्ध तरीके से वृक्षारोपण किया जाता है, जिससे न केवल वन्य क्षेत्र का विस्तार होता है, वरन् मृदा अपरदन पर भी रोक लगती है।

8. सूखा-अकाल से मुक्ति- 
भारतीय जलवायु की मानसूनी प्रवृत्ति के कारण अतिवृष्टि एवं अनावृष्टि होने से अकाल पड़ना सामान्य बात है। बहु-उद्देशीय परियोजनाओं के अन्तर्गत जलमग्न क्षेत्रों के अतिरिक्त जल को सूखाग्रस्त क्षेत्रों में भेजकर अकाल की स्थिति से बचने का प्रयास किया जा सकता है।

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प्रश्न 4.
बहु-उद्देशीय नदी घाटी परियोजना से क्या तात्पर्य है ? रिहन्द बाँध परियोजना का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
या
रिहन्द बाँध परियोजना का वर्णन निम्नलिखित शीर्षकों में कीजिए [2014]
(a) स्थिति, (ii) प्रभावित क्षेत्र, (iii) महत्त्व।
या
रिहन्द बाँध परियोजना का निर्माण किस नदी पर हुआ है ? इससे किन राज्यों को लाभ पहुँचा है ?
उत्तर :
[संकेत-बहु-उद्देशीय परियोजना से तात्पर्य के लिए विस्तृत उत्तरीय प्रश्न संख्या 1 का आरम्भिक भाग देखें।

रिहन्द बाँध योजना

उत्तर प्रदेश राज्य का गौरव कही जाने वाली इस बहु-उद्देशीय परियोजना को ‘गोविन्द वल्लभ सागर परियोजना’ के नाम से भी जाना जाता है। यह इस राज्य की एकमात्र सबसे बड़ी तथा महत्त्वपूर्ण परियोजना है। इस परियोजना का निर्माण सोन नदी की सहायक रिहन्द नदी पर (UPBoardSolutions.com) मिर्जापुर जिले से 161 किमी दक्षिण में मिर्जापुर जनपद के पिपरी नामक स्थान पर किया गया है। यह बाँध 930 मीटर लम्बा, 70 मीटर चौड़ा तथा 92 मीटर ऊँचा है। इस बाँध के पीछे की ओर गोविन्द वल्लभ सागर नामक विशाल जलाशय का निर्माण किया गया है। इसका क्षेत्रफल 300 वर्ग किमी है। यह मानव द्वारा निर्मित सबसे बड़ी झील है, जिसका प्रमुख उद्देश्य रिहन्द नदी की बाढ़ों पर नियन्त्रण करना है। इसे ‘रेणुका बहु-उद्देशीय परियोजना’ के नाम से भी जाना जाता है।

इस परियोजना का मुख्य उद्देश्य रिहन्द नदी की भयंकर बाढ़ों पर नियन्त्रण पाना है। बाँध के नीचे की ओर ओबरा नामक स्थान पर छ: टरबाइन युक्त एक विशाल शक्ति-गृह बनाया गया है, जिससे 300 मेगावाट शक्ति तैयार की जा रही है। इससे 600 किमी लम्बी नहरें निकाली गयी हैं, जिनसे पूर्वी उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़ तथा पश्चिमी बिहार में सिंचाई की सुविधाएँ प्रदान की जा रही हैं। गोविन्द वल्लभ पन्त सागर के जल को सोन नदी में डालकर सोन नहर-प्रणाली के माध्यम से बिहार के चम्पारन, दरभंगा, मुजफ्फरपुर
आदि जिलों में भी 2.5 लाख हेक्टेयर भूमि पर सिंचाई की सुविधाएँ प्रदान की गयी हैं।

यह एक जल-विद्युत शक्ति उत्पादन परियोजना है, जिसके विद्युत शक्ति-गृहों से 3 लाख किलोवाट विद्युत शक्ति उत्पादित की जा रही है। इस शक्ति का उपयोग नलकूप चलाने में किया जाता है तथा मुगलसराय एवं गया के बीच रेलगाड़ियों का संचालन किया जाता है। इस परियोजना से निकाली गयी नहरों से 22 लाख हेक्टेयर तथा नलकूपों द्वारा 34 लाख हेक्टेयर भूमि की सिंचाई की जा रही है। फलस्वरूप सम्बन्धित क्षेत्रों में खाद्यान्नों एवं अन्य कृषि उत्पादों में पर्याप्त वृद्धि हुई है। इस परियोजना द्वारा अनेक नवीन उद्योगों की स्थापना

करने में सहायता मिली है। मिर्जापुर-सोनभद्र में ऐलुमिनियम, रसायन एवं सीमेण्ट उद्योग तथा मध्य प्रदेश के रीवा जिले में सीमेण्ट, सूती वस्त्र, ऐलुमिनियम, काँच, रासायनिक उर्वरक तथा चीनी बनाने के कारखाने स्थापित किये गये हैं। सोन नदी-घाटी को नहरों द्वारा गंगा नदी से जोड़कर जल-यातायात की सुविधाएँ भी विकसित की जा रही हैं। इस परियोजना की अन्य उपलब्धियों में बाढ़-नियन्त्रण, वृक्षारोपण, मत्स्यपालन, भू-संरक्षण, खनिजों का अधिकाधिक उपयोग तथा मनोरंजन एवं भ्रमण-केन्द्रों का विकास करना है। इस प्रकार कहा जा सकता है कि पूर्वी उत्तर प्रदेश, पश्चिमी बिहार (UPBoardSolutions.com) तथा पूर्वी मध्य प्रदेश के समग्र विकास में रिहन्द परियोजना मील का पत्थर सिद्ध हुई है।

प्रश्न 5.
बहु-उद्देशीय नदी घाटी परियोजना से आप क्या समझते हैं ? दामोदर घाटी परियोजना का
वर्णन निम्नलिखित शीर्षकों के अन्तर्गत दीजिए—(क) स्थिति, (ख) उपलब्धियाँ। [2013]
या
दामोदर नदी-घाटी परियोजना की स्थिति पर प्रकाश डालिए। इससे होने वाले किन्हीं चार लाभों की विवेचना कीजिए। [2013]
या

दामोदर घाटी परियोजना की स्थिति एवं महत्त्वों का वर्णन कीजिए। [2013]
या

दामोदर घाटी परियोजना के तीन महत्त्वों पर प्रकाश डालिए। [2015, 16]
उत्तर :
(संकेत-बहु-उद्देशीय नदी घाटी परियोजना से तात्पर्य’ के लिए विस्तृत उत्तरीय प्रश्न संख्या 1 का आरम्भिक भाग देखिए।

दामोदर घाटी परियोजना

स्थिति- दामोदर (हुगली की सहायक नदी) नदी का उद्गम स्रोत छोटा नागपुर की पहाड़ियाँ हैं, जो 610 मीटर ऊँची हैं। इस नदी की लम्बाई 530 किमी है, जो झारखण्ड में 290 किमी बहने के उपरान्त पश्चिम बंगाल राज्य में 240 किमी बहकर हुगली नदी से मिल जाती है। इसकी ऊपरी घाटी में वर्षा ऋतु में अत्यधिक वर्षा होने से भयंकर बाढ़े आती हैं, जो नदी के किनारों की मिट्टी काटकर बहा ले जाती हैं। इससे करोड़ों रुपये की हानि (UPBoardSolutions.com) उठानी पड़ती है। दामोदर नदी अपनी भयंकर बाढ़ों के लिए कुख्यात थी। इसकी बाढ़ से लगभग 18,000 वर्ग किमी भूमि प्रभावित होती थी। इसी कारण इस नदी को ‘बंगाल का शोक’ कहा जाता था।

सन् 1948 ई० में भारत सरकार ने दामोदर घाटी के सर्वांगीण विकास हेतु दामोदर घाटी निगम (Damodar Valley Corporation) की स्थापना की। इस निगम का मुख्य उद्देश्य दामोदर घाटी का आर्थिक विकास करना तथा सिंचाई, जल-विद्युत की सुविधाओं में वृद्धि कर बाढ़ों पर नियन्त्रण पानी एवं अन्य उद्देश्यों को पूर्ण करना है, जिससे इस प्रदेश का बहुमुखी आर्थिक विकास हो सके।

दामोदर घाटी परियोजना के अन्तर्गत आठ बाँध एवं एक बड़े अवरोधक को बनाया गया है। दामोदर नदी पर पंचेत पहाड़ी, अय्यर एवं बम बाँध; बाराकर नदी पर मैथान, बाल पहाड़ी एवं तिलैया बाँध; बोकारो नदी पर बोकारो बाँध तथा कोनार नदी पर कोनार बाँध बनाये जाने प्रस्तावित हैं, जिनमें चार बाँध–तिलैया, कोनार, पंचेत पहाड़ी तथा मैथान बन चुके हैं। एक बड़ा अवरोधक दुर्गापुर के समीप निर्मित किया गया है, जिसमें लगभग 2,500 किमी लम्बी नहरें एवं उनकी शाखाएँ निकाली गयी हैं। इन बाँधों से बाढ़ का जल रोका गया है तथा सभी बाँधों से जलविद्युत शक्ति का उत्पादन किया जा रहा है। यह योजना केन्द्रीय सरकार, बिहार एवं पश्चिम बंगाल राज्य सरकारों के सहयोग से क्रियान्वित की गयी है। यह विश्व की दूसरी सबसे बड़ी परियोजना है।

उपयोगिता/प्रमुख लाभ/उपलब्धियाँ/महत्त्व- इस परियोजना से दामोदर एवं उसकी सहायक नदियों में आने वाली बाढ़ों पर नियन्त्रण हुआ है। लगभग 74 लाख हेक्टेयर भूमि पर नित्यवाही सिंचाई की जा रही है, जिससे अतिरिक्त जूट एवं खाद्यान्नों का उत्पादन हो रहा है। कोलकाता एवं पश्चिम बंगाल के कोयला क्षेत्रों के बीच 145 किमी लम्बा एक नाव्य जलमार्ग का निर्माण हुआ है। बाँधों में नावें चलाने, तैरने एवं मत्स्य की सुविधाएँ हैं। घरेलू कार्यों के लिए शुद्ध जल की प्राप्ति के साथ-साथ लगभग 1,120 वर्ग किमी क्षेत्र में पेयजल की समस्या का निराकरण हुआ है। छोटा नागपुर के उजाड़ पठारी क्षेत्रों में भू-अपरदन को रोकने के लिए वृक्षारोपण, पशुओं के लिए चारा, रेशम के कीड़ों के लिए शहतूत के वृक्ष तथा उद्योगों के लिए लाख एवं बाँस की उपलब्धि हुई है। लगभग 3 लाख किलोवाट जलविद्युत शक्ति का उत्पादन किया जा रहा है, जिससे झारखण्ड, कोलकाता, पटना, जमशेदपुर, डालमिया नगर आदि शहरों के औद्योगीकरण में तीव्रता आयी है।

दामोदर पाटी निगम से पश्चिम बंगाल में बर्दवान, हावड़ा, हुगली एवं बांकुड़ा जिलों में 4.40 लाख हेक्टेयर भूमि की सिंचाई की जा रही है। इस परियोजना के द्वितीय चरण में बम, अय्यर, बोकारो एवं बाल पहाड़ी स्थानों पर जलविद्युत शक्ति के लिए बाँध बनाये जाने की योजना है।

इस प्रकार दामोदर घाटी परियोजना पश्चिम बंगाल तथा झारखण्ड राज्यों के विशाल क्षेत्र में आर्थिक तथा औद्योगिक विकास में सहायक सिद्ध हुई है। यहाँ कृषि, उद्योग, वाणिज्य, व्यापार तथा परिवहन के साधनों में क्रान्तिकारी परिवर्तन होने से आर्थिक परिवेश बदल गया है (UPBoardSolutions.com) तथा इस क्षेत्र की खनिज सम्पदा का भरपूर दोहन सम्भव हुआ है। इससे इस प्रदेश में प्रगति और विकास की लहर दौड़ गयी है। इस प्रकार यह परियोजना झारखण्ड तथा पश्चिम बंगाल राज्यों के सर्वांगीण विकास हेतु वरदान सिद्ध हुई है।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
देश के विकास में तुंगभद्रा परियोजना का महत्त्व लिखिए।
उत्तर :
तुंगभद्रा परियोजना आन्ध्र प्रदेश और कर्नाटक राज्यों की संयुक्त परियोजना है। कृष्णा की सहायक तुंगभद्रा नदी पर 50 मीटर ऊँचा तथा 2.5 किलोमीटर लम्बा बाँध कर्नाटक के बेल्लारी जनपद के मल्लापुरम् नामक स्थान पर बनाया गया है। इससे आन्ध्र प्रदेश और कर्नाटक राज्यों की लगभग चार लाख हेक्टेयर भूमि पर सिंचाई की सुविधाएँ प्राप्त हैं। इसकी विद्युत उत्पादन क्षमता 126 मेगावाट है, जिससे दोनों राज्यों के उद्योगों को विद्युत प्राप्त होती है। इस योजना से मत्स्यपालन का भी विकास हुआ है।

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प्रश्न 2.
इन्दिरा गांधी नहर परियोजना पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर :
‘इन्दिरा गांधी नहर परियोजना’ पहले राजस्थान नहर परियोजना के नाम से जानी जाती थी। यह विश्व की विशालतम नहर परियोजना है। यह नहर पंजाब में सतलुज एवं व्यास नदियों के संगम पर स्थित हरिके बॉध से निकाली गयी है। हरिके बाँध से रामगढ़ तक इस नहर की कुल लम्बाई 649 किमी है। बाँध के पीछे निर्मित जलाशय में 6,90,000 हेक्टेयर मीटर जल एकत्र हो सकती है। इससे व्यास नदी के जल को सतलुज नदी में लाने में सहायता प्राप्त हुई है। (UPBoardSolutions.com) इसी जल को पश्चिमी राजस्थान नहर में ले जाया जाता है। इसके द्वारा उत्तर-पश्चिमी राजस्थान, गंगानगर, बीकानेर, बाड़मेर तथा जैसलमेर जिलों में सिंचाई की जाती है। यह नहर पंजाब, हरियाणा व राजस्थान के 14.5 लाख हेक्टेयर भूमि की सिंचाई करती है। इन सुविधाओं के कारण राजस्थान का शुष्क मरुस्थलीय भाग पंजाब और हरियाणा की भाँति ‘अन्न का भण्डार’ बन सकेगा। अनेक कृषि तथा पशु-आधारित उद्योगों की भी स्थापना होगी।

प्रश्न 3.
जल एवं भूमि संसाधन के अन्तर को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
जल संसाधन- 
स्वच्छ जल मनुष्य की दैनिक आधारभूत आवश्यकताओं में से एक है। घरेलू कार्यों में पानी की आवश्यकता केवल पीने के लिए ही नहीं, अपितु खाना बनाने, कपड़े धोने, स्नान करने
आदि कार्यों के लिए भी पड़ती है। देश की कृषि का विकास भी जलं की सुलभता पर ही निर्भर करता है। जल द्वारा विद्युत का उत्पादन किया जाता है। नहरों व नदियों में नाव, स्टीमर आदि चलाना जल परिवहन का भी साधन है। समुद्रों में जहाजों द्वारा लम्बी-लम्बी यात्राएँ की जाती हैं तथा इनके द्वारा वस्तुओं का आयात-निर्यात किया जाता है। उद्योगों में भी जल की उत्पादन कार्य में सहायता लेनी पड़ती है।

भूमि संसाधन- किसी देश या प्रदेश के अन्तर्गत सम्मिलित भूमि को भूमि संसाधन कहते हैं। इसके अन्तर्गत कृषि भूमि, चरागाह भूमि, पोकर भूमि, वन भूमि, बंजर भूमि, परती भूमि आदि सम्मिलित की जाती हैं। मनुष्य इस उपलब्ध भूमि पर विविध प्रकार से क्रिया-कलाप करता है। (UPBoardSolutions.com) कृषि, पशुपालन, वनोद्योग, खनन-निर्माण उद्योग, परिवहन व्यापार, संचार आदि सभी का सम्बन्ध भूमि संसाधन से होता है। इस प्रकार भूमि संसाधन जल संसाधनों को आधार प्रदान करते हैं, जिनका उपयोग मनुष्य अपने क्रियाकलापों की आपूर्ति में करता है।

प्रश्न 4.
उत्तरी भारत की दो नदियों के नाम लिखिए। [2009]
उत्तर :
उत्तरी भारत की दो प्रमुख नदियों के नाम गंगा और यमुना हैं। उत्तरी भारत की नदियाँ हिमालय पर्वत के हिमाच्छादित शिखरों से निकलती हैं, जिनमें वर्षभर पर्याप्त जल बहता रहता है, ये नदियाँ लम्बी हैं। तथा उनके प्रवाह क्षेत्र अधिक बड़े हैं। उत्तर भारत की नदियाँ समतल व उर्वर भागों से होकर बहती हैं, इसलिए उनका जल नहरों द्वारा सिंचाई कार्य में प्रयुक्त किया जाता है। उत्तरी भारत की प्रमुख नहरें ऊपरी गंगा नहर, पूर्वी यमुना नहर तथा शारदा नहर हैं।

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प्रश्न 5.
जल की माँग किन-किन कार्यों में की जाती है ? [2009]
या
जल संसाधनों से क्या अभिप्राय है ? भारत के लिए इनका क्या महत्त्व है ?
उत्तर :
वर्षा के जल का कुछ भाग भाप बनकर वायुमण्डल में मिल जाता है, कुछ जल भूमि सोख लेती है; जिसे भूमिगत जल कहते हैं। शेष जल ढालू सतह से बहकर आगे बढ़ता रहता है, जिसे बहता हुआ जल (नदी या सरिता) कहते हैं। इस प्रकार भू-पृष्ठ के ऊपर तथा भू-गर्भ में मिलने वाले समस्त जल को जल संसाधन कहा जाता है।

भारत एक कृषिप्रधान देश है जिसकी वर्तमान आबादी 121 करोड़ है। यहाँ जल का प्रमुख उपयोग सिंचाई के लिए किया जाता है। सिंचाई के द्वारा देश के कृषि-क्षेत्र में न केवल वृद्धि हुई है, वरन् भूमि की उत्पादकता में भी सुधार हुआ है। इससे खाद्यान्नों के उत्पादन हेतु अत्यधिक मात्रा में जल की पूर्ति होती है। जल का दूसरा उपयोग पेयजल के रूप में किया जाता है। जल परिवहन का भी एक साधन है। उद्योगों में भी जल की आवश्यकता पड़ती है। इस प्रकार मानवीय जीवन में जल की महिमा अपरम्पार है। इसीलिए कहा जाता है कि जहाँ जल है वहीं जीवन है।

प्रश्न 6.
भारत में जलसंकट के समाधान हेतु दो सुझाव दीजिए।
उत्तर :
फसलों में सिंचाई, नगरीय एवं औद्योगिक कार्यों में बढ़ते उपयोग के कारण देश में ताजे जल की कमी बढ़ती जा रही है। यदि समय रहते इस पर ध्यान न दिया गया तो भविष्य में यह संकट घातक रूप ग्रहण कर सकता है। इसके लिए उपलब्ध जल संसाधनों के वैज्ञानिक उपयोग के साथ-साथ उनके संरक्षण की आवश्यकता है। इसमें जहाँ एक तरफ वर्षा के जल को संग्रहीत करने पर जोर दिया जा रहा है वहीं दूसरी तरफ जल की बरबादी को रोकने, उसके अन्धाधुन्ध (UPBoardSolutions.com) उपयोग पर अंकुश लगाने तथा उसे प्रदूषण मुक्त रखने के प्रयास किये जा रहे हैं। राजस्थान के जलाभाव वाले क्षेत्रों में तो प्राचीन काल से ही वर्षा के जल को भूमिगत टैंकों में संग्रह करने की परम्परा थी। तमिलनाडु में हाल ही में इसे अनिवार्य कर दिया गया है। नरेगी के अन्तर्गत ग्रामीण क्षेत्रों में पुराने तालाबों का जीर्णोद्धार और नए तालाब का निर्माण, वर्षा जल संग्रह का एक प्रयास है। सिंचाई में जल के उपयोग को कम करने के लिए ‘ड्रिप सिंचाई’, ‘शुष्क कृषि’ आदि को लोकप्रिय बनाने का प्रयास किया जा रहा है। हाल में, सरकार देश की सभी बड़ी नदियों को जोड़ने की एक महत्त्वपूर्ण परियोजना पर भी विचार कर रही है।

प्रश्न 7.
प्रदूषित जल से हमारे स्वास्थ्य पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर :
जल-प्रदूषण का मानव के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। प्रदूषित जल से मानव में हैजा, टाइफॉइड, पेचिस व पोलियो जैसे घातक रोग होते हैं, जो बाद में महामारी का रूप धारण कर लेते हैं। इससे मानव का स्वास्थ्य तो खराब होता ही है, अनेक लोगों की मृत्यु भी हो जाती है।

प्रश्न 8.
जल प्रबंधन से क्या आशय है? इसके दो महत्त्व लिखिए। [2014]
उत्तर :
जल-प्रबंधन- 
पृथ्वी पर उपलब्ध जल-संसाधन का समझदारी एवं विवेकपूर्वक व्यय करना तथा उसका संरक्षण करना जल-प्रबंधन कहलाता है। महत्त्व-जल-प्रबंधन के दो महत्त्व निम्नवत् हैं

  • जल प्रबंधन के द्वारा उन क्षेत्रों को जल उपलब्ध कराया जा सकता है जहाँ पेयजल की कमी हो।
  • उचित जल-प्रबंधन द्वारा अर्थात् जल का विवेकपूर्ण व्यय करके उसे (UPBoardSolutions.com) भविष्य के लिए संचित किया जा सकता है।

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प्रश्न 9.
नागार्जुन सागर परियोजना की उपयोगिता पर प्रकाश डालिए।
उत्तर :

नागार्जुन सागर परियोजना

नागार्जुन सागर परियोजना के अन्तर्गत आन्ध्र प्रदेश में कृष्णा नदी पर नन्दीकोण्डा गाँव के निकट 88 मीटर ऊँचा तथा 1,450 मीटर लम्बा बाँध बनाया गया है। इससे आन्ध्र प्रदेश की 8.67 लाख हेक्टेयर भूमि पर सिंचाई की सुविधाएँ मिली हैं। जल-विद्युत द्वारा अनेक उद्योगों का विकास हुआ है तथा मत्स्यपालन में वृद्धि हुई है। इस परियोजना का नामकरण बौद्ध विद्वान नागार्जुन के नाम पर किया गया है। इस परियोजना में बनाये गये बाँध के पीछे, (UPBoardSolutions.com) जहाँ आज एक कृत्रिम जलाशय है, पहले अत्यन्त सुन्दर वास्तुकला के प्राचीन मन्दिर थे। यदि इन मन्दिरों को वहाँ से न हटाया गया होता तो वे जल में डूब गये होते। इसलिए इन मन्दिरों के प्रत्येक पत्थर को हटाकर नये स्थानों पर ले जाया गया, फिर उन्हीं पत्थरों से बिल्कुल पहले जैसे ही मन्दिरों का निर्माण कर दिया गया। यह परियोजना इस बात का प्रत्यक्ष प्रमाण है कि हम आधुनिक प्रौद्योगिकी को अपनाकर ही अपनी धार्मिक-सांस्कृतिक धरोहर को सुरक्षित रख सकते हैं।

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
प्राकृतिक संसाधन को परिभाषित कीजिए।
उत्तर :
जो पदार्थ मनुष्य को प्रकृति द्वारा निःशुल्क प्राप्त होते हैं, उन्हें प्राकृतिक संसाधन कहा जाता है; जैसे-मिट्टी, वायु, जल, वनस्पति आदि।

प्रश्न 2.
भाखड़ा-नांगल परियोजना किन राज्यों का संयुक्त प्रयास है ?
उत्तर :
भाखड़ा-नांगल परियोजना पंजाब, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा तथा राजस्थान राज्यों का संयुक्त प्रयास है।

प्रश्न 3.
भाखड़ा बाँध के पीछे मानव-निर्मित झील का नाम लिखिए। इसमें कितना जल एकत्रित होता है?
उत्तर :
भाखड़ा बाँध के पीछे मानव-निर्मित झील का नाम ‘गोविन्द सागर जलाशय’ है। इसमें 7.8 लाख हेक्टेयर मीटर जल संचित होता है।

प्रश्न 4.
भाखड़ा बाँध किस नदी पर बनाया गया है ?
उत्तर :
भाखड़ा बाँध सतलुज नदी पर बनाया गया है।

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प्रश्न 5.
बहु-उद्देशीय परियोजनाओं के तीन प्रमुख उद्देश्य क्या हैं ?
उत्तर :
बहुउद्देशीय परियोजनाओं के तीन प्रमुख उद्देश्य निम्नलिखित हैं

  • जल-विद्युत शक्ति का उत्पादन करना।
  • बाढ़ों पर नियन्त्रण करना।
  • सिंचाई हेतु नहरों का निर्माण एवं विकास करना।

प्रश्न 6.
इन्दिरा गांधी नहर द्वारा किन क्षेत्रों को सिंचित किया जाता है ?
उत्तर :
इन्दिरा गांधी नहर द्वारा उत्तर-पश्चिमी राजस्थान के गंगानगर, (UPBoardSolutions.com) बीकानेर, चुरु, बाड़मेर तथा जैसलमेर जिलों को सिंचित किया जाता है।

प्रश्न 7.
संसार का सबसे लम्बा बाँध कौन-सा है ? यह किस नदी पर बनाया गया है ?
उत्तर :
संसार का सबसे लम्बा बाँध हीराकुड बाँध है। यह ओडिशा राज्य की महानदी पर बनाया गया है।

प्रश्न 8.
भारत की दो नदियों के नाम बताइए जिन्हें शोक सरिता’ कहा जाता था।
उत्तर :
बंगाल की दामोदर नदी तथा बिहार की कोसी नदी ‘शोक सरिता’ कहलाती थीं।

प्रश्न 9.
नेपाल के सहयोग से भारत में कौन-सी परियोजना पूरी की गयी है ?
उत्तर :
बिहार की कोसी परियोजना’ नेपाल के सहयोग से पूरी की गयी है।

प्रश्न 10.
भारत का प्रथम जल-विद्युत केन्द्र कहाँ और कब स्थापित किया गया ?
उत्तर :
सन् 1902 ई० में कर्नाटक राज्य में कावेरी नदी पर शिवसमुद्रम् नामक (UPBoardSolutions.com) स्थान पर भारत का प्रथम जल-विद्युत केन्द्र स्थापित किया गया।

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प्रश्न 11.
हीराकुड परियोजना के दो प्रमुख उद्देश्य लिखिए।
उत्तर :

  • महानदी के जल को नियन्त्रित कर बहु-उपयोगी बनाने के उद्देश्य से इस परियोजना को क्रियान्वित किया गया।
  • इस परियोजना के अन्तर्गत चार विद्युत शक्ति-गृहों का निर्माण किया गया है, जिनसे 2.70 लाख किलोवाट जलविद्युत शक्ति का उत्पादन किया जा रहा है, जिससे उद्योग-धन्धों की स्थापना में सहायता मिली है।

प्रश्न 12.
महानदी को ‘उड़ीसा का शोक’ क्यों कहा जाता है?
उत्तर :
महानदी अपनी भयंकर बाढ़ों के लिए विख्यात रही है। यह नदी अपने (UPBoardSolutions.com) हरे-भरे डेल्टा को प्रतिवर्ष अपनी उफनती हुई जलधाराओं से रौंद डालती थी। इसीलिए इसे ‘उड़ीसा का शोक’ कहा जाता है।

प्रश्न 13.
विश्व की सबसे लम्बी कृत्रिम नहर का नाम लिखिए।
उत्तर :
ग्राण्ड कैनल (चीन)।

प्रश्न 14.
भारत की किन्हीं दो नदी घाटी परियोजनाओं के नाम लिखिए। [2016]
उत्तर :

  • टिहरी बाँध परियोजना तथा
  • भाखड़ा नांगल बाँध परियोजना।

प्रश्न 15.
दक्षिण भारत में तालाबों द्वारा सिंचाई के महत्त्वपूर्ण होने के दो कारणों का उल्लेख कीजिए। [2011]
उत्तर :

  • दक्षिण भारत में अधिकांश तालाब पक्के हैं। ये उन्नत अवस्था में हैं।
  • इन तालाबों में वर्ष भर जल आपूरित रहता है।

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प्रश्न 16.
दो जल संसाधनों का उल्लेख कीजिए। [2014]
उत्तर :
दो जल संसाधन निम्नवत् हैं- 1. नदियाँ, तालाब एवं झरने। 2. भूमिगत जल।

प्रश्न 17.
भारत की दो प्रमुख बहु-उद्देशीय नदी घाटी परियोजनाओं के नाम लिखिए। [2014]
उत्तर :

  • भाखड़ा-नांगल बाँध परियोजना।
  • रिहन्द बाँध परियोजना।

प्रश्न 18.
वर्षा जल संचयन से क्या तात्पर्य है? [2015]
उत्तर :
वर्षा जल संचयन विभिन्न उपयोगों के लिए वर्षा जल को रोकने और एकत्र करने की विधि है।

प्रश्न 19.
भारत के दो राज्यों के नाम बताइए जिनसे होकर दामोदर नदी बहती है। [2017]
उत्तर :
झारखण्ड और पश्चिम बंगाल।

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बहुविकल्पीय प्रश्न

1. नागार्जुन परियोजना किस नदी से सम्बन्धित है? [2009, 10, 12]
या
नागार्जुन सागर परियोजना किस नदी पर स्थित है? [2015]
(क) कृष्णा
(ख) कावेरी
(ग) महानदी
(घ) गंगा

2. नागार्जुन परियोजना किस राज्य में स्थापित है?
(क) आन्ध्र प्रदेश
(ख) कर्नाटक
(ग) केरल
(घ) तमिलनाडु

3. मध्य प्रदेश राज्य की प्रमुख परियोजना कौन-सी है?
(क) रिहन्द
(ख) चम्बल
(ग) हीराकुड
(घ) दामोदर

4. निम्नलिखित में से उत्तर प्रदेश की सबसे बड़ी नदी घाटी परियोजना कौन-सी है? [2013]
(क) माताटीला
(ख) रामगंगा
(ग) रिहन्द
(घ) गंडक

5. हीराकुड बहु-उद्देशीय परियोजना किस राज्य में स्थित है?
(क) मध्य प्रदेश
(ख) बिहार
(ग) ओडिशा
(घ) पश्चिम बंगाल

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6. भाखड़ा-नांगल बाँध किस नदी पर स्थित है? [2017]
(क) व्यास
(ख) महानदी
(ग) कोसी
(घ) सतलुज

7. हीराकुड बाँध किस नदी पर बनाया गया है? [2012, 18]
(क) रिहन्द
(ख) दामोदर
(ग) महानदी
(घ) कृष्णा

8. भारत की सबसे बड़ी बहु-उद्देशीय नदी-घाटी परियोजना कौन-सी है?
(क) रिहन्द
(ख) दामोदर
(ग) भाखड़ा-नांगल
(घ) तुंगभद्रा

9. निम्नलिखित में से कौन-सी परियोजना प० बंगाल और झारखण्ड को संयुक्त रूप से लाभान्वित करती है?
(क) तुंगभद्रा
(ख) टिहरी बाँध
(ग) दामोदर घाटी
(घ) नागार्जुन सागर

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10. माताटीला बाँध किस जनपद में बनाया गया है? (2012]
(क) आगरा में
(ख) ललितपुर में
(ग) कानपुर में
(घ) मथुरा में

11. मध्य प्रदेश की सबसे लम्बी नदी है [2009]
(क) नर्मदा
(ख) ताप्ती
(ग) सोन
(घ) केन

12. रिहन्द बाँध परियोजना किस राज्य में स्थित है? [2015]
या
रिहन्द बाँध किस राज्य में बनाया गया है? [2016]
(क) आन्ध्र प्रदेश
(ख) मध्य प्रदेश
(ग) उत्तर प्रदेश
(घ) पश्चिम बंगाल

13. निम्नलिखित में से सबसे लम्बी नदी कौन-सी है? [2013]
(क) यमुना
(ख) गोदावरी
(ग) कावेरी
(घ) ताप्ती

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14. टिहरी बाँध किस नदी पर बनाया गया है? [2016]
(क) रामगंगा पर
(ख) भागीरथी पर
(ग) अलकनन्दा पर
(घ) मन्दाकिनी पर

15. हीराकुड बाँध किस राज्य में स्थित है? [2018]
(क) गुजरात
(ख) आन्ध्र प्रदेश
(ग) ओडिशा
(घ) महाराष्ट्र

उत्तरमाला

1. (क), 2. (क), 3. (ख), 4. (ग), 5. (ग), 6. (घ), 7. (ग), 8. (ग), 9. (ग), 10. (ख), 11. (क), 12. (ग), 13. (ख), 14. (ख), 15. (ग)

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UP Board Solutions for Class 10 Hindi आदिकाल (वीरगाथाकाल)

UP Board Solutions for Class 10 Hindi आदिकाल (वीरगाथाकाल)

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हिन्दी पद्य-साहित्य का संक्षिप्त इतिहास

विशेष—पाठ्यक्रम के नवीनतम प्रारूप के अनुसार हिन्दी पद्य-साहित्य के संक्षिप्त इतिहास के अन्तर्गत रीतिकाल से आधुनिककाल तक का इतिहास सम्मिलित है, किन्तु अध्ययन की दृष्टि से यहाँ सभी कालों के विकास से सम्बन्धित प्रश्न दिये जा रहे हैं; क्योंकि एक-दूसरे से घनिष्ठता के कारण कभी-कभी निर्धारित काल से अलग काल के प्रश्न भी पूछ लिये जाते हैं। इसके अन्तर्गत कवियों और उनकी रचनाओं से सम्बन्धित प्रश्न भी पूछे जाते हैं। इसके लिए कुल 5 अंक निर्धारित हैं।

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प्रश्न 1
हिन्दी पद्य-साहित्य के इतिहास को किन-किन कालों में बाँटा गया है ? प्रत्येक काल की अवधि एवं विभाजन के आधार का उल्लेख कीजिए।
उत्तर
हिन्दी-साहित्य का आविर्भाव सर्वप्रथम पद्य से हुआ था। विद्वानों ने हिन्दी पद्य-साहित्य के इतिहास को प्रत्येक युग की विशेष प्रवृत्तियों के आधार पर निम्नलिखित चार कालों में विभाजित किया है–

  1. आदिकाल (वीरगाथाकाल) – । सन् 743 से 1343 ई० तक।
  2. पूर्व मध्यकाल ( भक्तिकाल) – सन् 1343 से 1643 ई० तक।
  3. उत्तर मध्यकाल (रीतिकाल) (UPBoardSolutions.com) – सन् 1643 से 1843 ई० तक।
  4.  आधुनिककाल सन् 1843 ई० से आज तक।

प्रश्न 2
काव्य के दो भेद कौन-कौन से हैं ? इनके अन्तर को भी स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
ऐसी पद्य रचना जिसमें छन्दों का विधान होता है, उसे काव्य कहते हैं। काव्य के दो भेद होते हैं—

  1. प्रबन्ध काव्य और
  2. मुक्तक काव्य। जिस काव्य में किसी कथा का आश्रय लेकर कविता रची जाती है, वह प्रबन्ध काव्य कहलाता है। लेकिन मुक्तक काव्यों में किसी कथा का आश्रय न लेकर स्वतन्त्र पदों में अपनी भावाभिव्यक्ति की जाती है।

प्रश्न 3
प्रबन्ध काव्य के प्रमुख भेद कौन-कौन से हैं ? इनका अन्तर स्पष्ट करते हुए एक-एक उदाहरण भी दीजिए।
उत्तर
प्रबन्ध काव्य के मुख्य रूप से दो भेद होते हैं–

  1. महाकाव्य और
  2. खण्डकाव्य। जिस काव्य में किसी विशिष्ट व्यक्ति के जीवन का विस्तारपूर्वक वर्णन किया जाता है, उसे महाकाव्य कहते हैं; जैसे-गोस्वामी तुलसीदास कृत ‘श्रीरामचरितमानस’। इसके विपरीत जिस काव्य में सम्पूर्ण जीवन का वर्णन (UPBoardSolutions.com) ने होकर उसके किसी अंश या खण्ड का वर्णन हो, उसे खण्डकाव्य कहते हैं; जैसे-रामधारी सिंह ‘दिनकर’ कृत ‘रश्मिरथी’

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आदिकाल (वीरगाथाकाल)

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1
आदिकाल का समय कब-से-कब तक माना जाता है ? इस काल के अन्य और कौन-से नाम दिये गये हैं ?
उत्तर
आदिकाल का समय सन् 743 से 1343 ई० तक माना जाता है। इस काल के उत्थानकाल, वीरगाथाकाल तथा चारणकाल अन्य नाम हैं।

प्रश्न 2
वीरगाथाकाल के नामकरण की सार्थकता बताइट। या हिन्दी-साहित्य के आदिकाल को वीरगाथाकाल क्यों कहते हैं ? इस काल की किसी एक प्रमुख रचना का नाम लिखिए।
उत्तर
वीर रस से परिपूर्ण रचनाओं की अधिकता के कारण हिन्दी-साहित्य के आदिकाल को ‘वीरगाथाकाल’ नाम दिया गया है, जो सर्वथा उपयुक्त है। इस काल की प्रमुख रचना है—पृथ्वीराज रासो, जिसके रचयिता (UPBoardSolutions.com) चन्दबरदाई हैं।

प्रश्न 3
आदिकाल की भाषा का क्या नाम है ?
या
रासो ग्रन्थों में किस भाषा का प्रयोग किया गया है ?
उत्तर
आदिकाल की भाषा का नाम डिंगल है। रासो ग्रन्थ इसी भाषा में लिखे गये हैं।

प्रश्न 4
आदिकाल की रचनाएँ किन-किन रूपों में मिलती हैं ?
उतर
आदिकाल की रचनाएँ दो रूपों में मिलती हैं-

  1. प्रबन्धकाव्यों के रूप में तथा
  2. वीर गीतों के रूप में। चन्दबरदाई का ‘पृथ्वीराज रासो’ प्रबन्धकाव्य है और जगनिक का ‘परमाल रासो’ वीर गीत काव्य है।।

प्रश्न 5
वीरगाथाकाल के प्रमुख कवियों तथा उनकी रचनाओं के नाम लिखिए।
उत्तर
वीरगाथाकाल के प्रमुख कवि और उनकी रचनाएँ हैं-

  1.  दलपति विजय-खुमान रासो,
  2. चन्दबरदाई-पृथ्वीराज रासो,
  3. शारंगधर-हमीर रासो,
  4. नल्ल सिंह-विजयपाल रासो,
  5. जगनिक–परमाल रासो या आल्हा खण्ड,
  6.  नरपति नाल्ह-बीसलदेव रासो,
  7. केदार भट्टजयचन्द्र (UPBoardSolutions.com) प्रकाश,
  8. मधुकर-जयमयंक जसचन्द्रिका।।

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प्रश्न 6
वीरगाथाकाल की रचनाओं में प्रयुक्त छन्दों के नाम बताइए।
उत्तर
वीरगाथाकाल में

  1. छप्पय,
  2. दूहा (दोहा),
  3. सोरठा,
  4. त्रोटक,
  5. तोमर,
  6. चौपाई,
  7. गाथा,
  8. आर्या,
  9. सट्टक,
  10.  रोला,
  11.  कुण्डलिया आदि छन्दों का प्रयोग किया गया।

प्रश्न 7
वीरगाथाकाल के चार प्रमुख कवियों के नाम लिखिए।
उत्तर
वीरगाथाकोल के चार प्रमुख कवि हैं—

  1. दलपति विजय,
  2. चन्दबरदाई,
  3. जगनिक तथा
  4. नरपति नाल्ह।

प्रश्न 8
वीरगाथाकाल की चार प्रमुख रचनाओं के नाम लिखिए।
उत्तर
वीरगाथाकाल की चार प्रमुख रचनाएँ हैं—

  1. पृथ्वीराज रासो,
  2. खुमान रासो,
  3. बीसलदेव रासो तथा
  4. परमाल रासो या (UPBoardSolutions.com) आल्हा खण्ड।

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प्रश्न 9
वीर गीत काव्यों में सर्वाधिक लोकप्रिय ग्रन्थ कौन-सा है ? संक्षेप में उसका परिचय दीजिए।
उत्तर
वीर गीत काव्य-ग्रन्थों में सर्वाधिक लोकप्रिय ग्रन्थ कवि जगनिक का ‘परमाल रासो’ या ‘आल्हा खण्ड’ है। इसमें महोबे के दो प्रसिद्ध वीरों आल्हा तथा ऊदल (उदयसिंह) के वीरोचित चरित्र का सुन्दर वर्णन हुआ है।

प्रश्न 10
आदिकाल (वीरगाथाकाल) के साहित्य की प्रमुख प्रवृत्तियों का उल्लेख कीजिए।
या
आदिकाल की किन्हीं दो प्रवृत्तियों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर
आदिकाल में प्रमुख रूप से चारण या भाट कवियों द्वारा काव्य-रचनाएँ की गयीं। प्राय: सभी कवि राजाओं के दरबार में रहकर काव्य-रचना करते थे। आदिकाल या वीरगाथाकाल की कविता की सामान्य विशेषताएँ या प्रमुख (UPBoardSolutions.com) प्रवृत्तियाँ इस प्रकार हैं—

  1. आश्रयदाताओं की प्रशंसा,
  2. युद्धों का सुन्दर और सजीव वर्णन,
  3. सामूहिक राष्ट्रीयता की भावना का अभाव,
  4. वीर रस के साथ-साथ श्रृंगार का पुट,
  5. ऐतिहासिक तथ्यों के प्रस्तुतीकरण में कल्पना की अधिकता तथा
  6. जनसम्पर्क का अभाव।

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UP Board Solutions for Class 10 Social Science Chapter 9 (Section 3)

UP Board Solutions for Class 10 Social Science Chapter 9 मानवीय संसाधन : जनसंख्या (अनुभाग – तीन)

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विस्तृत उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
भारत में बढ़ती हुई जनसंख्या से उत्पन्न समस्याओं की विवेचना कीजिए। [2014]
या
भारत में बढ़ती जनसंख्या की किन्हीं तीन समस्याओं की विवेचना कीजिए। [2013, 17, 18]
या

तेजी से बढ़ती हुई जनसंख्या के कारण क्या-क्या समस्याएँ पैदा हो जाती हैं ?
या
भारत में जनसंख्या विस्फोट से उत्पन्न किन्हीं दो समस्याओं का वर्णन कीजिए।[2010]
या

तीव्र जनसंख्या वृद्धि के किन्हीं दो दुष्परिणामों का उल्लेख कीजिए। [2013]
या
भारत में बढ़ती हुई जनसंख्या के तीन प्रभावों का उल्लेख कीजिए। [2016]
उत्तर :

जनसंख्या का आर्थिक विकास पर प्रभाव

जनसंख्या तथा आर्थिक विकास में घनिष्ठ सम्बन्ध है। किसी देश का आर्थिक विकास प्राकृतिक संसाधनों तथा जनसंख्या के आकार तथा उसकी कार्यक्षमता पर निर्भर करता है। जनसंख्या की दृष्टि से भारत का विश्व में दूसरा स्थान है। (UPBoardSolutions.com) भारत विश्व के 2.4% क्षेत्रफल पर विश्व की 1.5% आय के द्वारा 16.7% जनसंख्या का पालन-पोषण कर रहा है। ये आँकड़े बताते हैं कि हमारी आर्थिक प्रगति को ‘अत्यधिक जनसंख्या कैसे निष्प्रभावी बना रही है। गत 50 वर्षों में जनसंख्या में निरन्तर तीव्र वृद्धि के कारण जनसंख्या-विस्फोट की स्थिति उत्पन्न हो गयी है। बढ़ती हुई जनसंख्या भारत के लिए अभिशाप सिद्ध हुई है, क्योंकि इसने देश में  निम्नलिखित समस्याएँ उत्पन्न करके देश के आर्थिक विकास को ग्रहण लगा दिया है–

1. बेरोजगारी में वृद्धि – 
भारत में जनसंख्या वृद्धि के कारण बेरोजगारों की संख्या निरन्तर बढ़ती जा रही है। देश में साधनों की कमी के कारण सभी को रोजगार नहीं दिलाया जा सकता। परिणामतः देश में शिक्षित बेरोजगारी तथा अल्प बेरोजगारी बड़े स्तर पर पायी जाती है।

2. प्रति व्यक्ति आय निम्न – 
पंचवर्षीय योजनाओं के अन्तर्गत देश की राष्ट्रीय आय में निरन्तर वृद्धि हुई है। किन्तु बढ़ती जनसंख्या के कारण देश में प्रति व्यक्ति आय का स्तर अत्यन्त निम्न है। आज भी भारत में प्रति व्यक्ति आय विश्व के राष्ट्रों की तुलना में बहुत कम है।

3. निर्धनता में वृद्धि – भारत की लगभग 23.76 करोड़ जनसंख्या गरीबी की रेखा से नीचे का जीवन व्यतीत कर रही है तथा भारतीय अर्थव्यवस्था निर्धनता के दुश्चक्र में फंसी हुई है। जनसंख्या में तेजी से वृद्धि के कारण भारत में मकानों की समस्या गम्भीर रूप धारण करती जा रही है।

4. कीमतों में तीव्र वृद्धि – जनसंख्या में तीव्र वृद्धि से वस्तुओं की माँग लगातार बढ़ी है, किन्तु उत्पादन में उसी गति से वृद्धि नहीं हो पायी है। परिणामस्वरूप कीमतों में बड़ी तेजी से वृद्धि हुई है, जिससे सामान्य जनता को अनेक कष्ट उठाने पड़ रहे हैं।

5. कृषि विकास में बाधा – 
जनसंख्या में तीव्र वृद्धि के कारण भूमि पर जनसंख्या का भार और परिवारों के बड़े होने के कारण भूमि को उपविभाजन बढ़ता ही जा रहा है, जिससे खेतों का आकार छोटा तथा अनार्थिक होता जा रहा है। भूमिहीन किसानों की (UPBoardSolutions.com) संख्या बढ़ रही है। साथ ही कृषि में छिपी हुई बेरोजगारी की समस्या भी प्रतिदिन बढ़ती जा रही है।

6. बचत तथा पूँजी-निर्माण में कमी – 
जनसंख्या-वृद्धि के कारण बेरोजगार युवकों तथा बच्चों की संख्या बढ़ती ही जा रही है। कमाने वाले लोगों को अपनी आय का एक बड़ा भाग बच्चों के पालन-पोषण पर खर्च करना पड़ता है। इससे बचत घटती है, जिसका पूँजी-निर्माण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। फलतः पूँजी की कमी के कारण विकास-योजनाएँ भी पूरी नहीं हो पातीं।

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7. जनोपयोगी सेवाओं पर अधिक व्यय – 
जनसंख्या में तीव्र वृद्धि के कारण सरकार को उनकी आधारभूत आवश्यकताओं; जैसे–बिजली, परिवहन, चिकित्सा, शिक्षा, जल-आपूर्ति, भवन-निर्माण आदि पर लगातार अधिक धनराशि व्यय करनी पड़ती है।

8. अपराधों में वृद्धि – 
बेरोजगार लोगों की वृद्धि के कारण देश में चोरी, डकैती, अपहरण, राहजनी, हत्या आदि अपराधों में वृद्धि हो जाती है। सरकार को समाज में कानून तथा व्यवस्था बनाये रखने के लिए सुरक्षा पर अधिक धनराशि व्यय करनी पड़ती है। इससे सरकार पर बोझ बढ़ जाता है।

9. शहरी समस्याओं में वृद्धि – 
जनसंख्या में तीव्र वृद्धि के कारण लोग रोजगार पाने के लिए गाँवों को छोड़कर शहरों में आ रहे हैं, जिससे शहरों की जनसंख्या में तेजी से वृद्धि हुई है। इससे शहरों में भीड़-भाड़, मकानों की कमी, गन्दगी व प्रदूषण, वेश्यावृत्ति आदि समस्याएँ तथा बुराइयाँ बढ़ती जा रही हैं।

प्रश्न 2.
भारत में जनसंख्या के वितरण को प्रभावित करने वाले विभिन्न कारकों का उल्लेख कीजिए। [2011, 18]
या
भारत में जनसंख्या के असमान वितरण को प्रभावित करने वाले तीन कारणों का वर्णन कीजिए। [2013, 16]
या
भारत में जनसंख्या घनत्व को प्रभावित करने वाले किन्हीं दो कारकों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर :
जनसंख्या के वितरण-घनत्व को प्रभावित करने वाले कारक जनसंख्या के वितरण एवं घनत्व पर निम्नलिखित कारकों का प्रभाव पड़ता है

1. आवागमन के साधनों की सुविधा – 
जनाधिक्य के लिए आवागमन के साधने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं; उदाहरणार्थ-गंगा के मैदान या तटीय मैदानों अथवा डेल्टा प्रदेशों में जहाँ नगरों, सड़कों , एवं रेलमार्गों का जाल-सी बिछा (UPBoardSolutions.com) होता है, वहाँ जनसंख्या अधिक होती है। पश्चिमी राजस्थान एवं दक्षिण प्रायद्वीप की उच्च भूमि पर आवागमन के साधनों की कमी के कारण जनसंख्या कम होती है।

2. स्वास्थ्यकर जलवायु – 
जनसंख्या वृद्धि के लिए किसी प्रदेश की जलवायु का स्वास्थ्यवर्द्धक होना अति आवश्यक है। यही कारण है कि जिन भागों में वर्षा अधिक होती है, वहाँ मलेरिया अथवा बुखार फैला रहता है; अत: वहाँ जनसंख्या बहुत ही कम निवास करती है।

3. सुरक्षा – 
जन-घनत्व जीवन तथा धन-सम्पत्ति की सुरक्षा पर भी निर्भर करता है। जिन क्षेत्रों में सघन वन हैं, जंगली-हिंसक पशु निवास करते हैं अथवा चोर-डाकुओं का भय बना रहता है, वहाँ पर बहुत कम लोग निवास करते हैं। इसके विपरीत जहाँ जान-माल की सुरक्षा होती है, वहाँ अधिक मानव निवास करना पसन्द करते हैं।

4. उपजाऊ भूमि – 
भारत में सबसे अधिक जनसंख्या उपजाऊ समतल मैदानों, नदियों की घाटियों या डेल्टाओं में निवास करती है; क्योंकि इन क्षेत्रों की उपजाऊ भूमि उन्हें पर्याप्त खाद्यान्न एवं जीविकोपार्जन के साधन प्रदान करती है। यही कारण है कि भारत में जनसंख्या का घनत्व उत्तर के विशाल मैदान और पूर्वी तथा पश्चिमी तटीय मैदानों में अधिक पाया जाता है।

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5. तापमान – अत्यधिक गर्म या अत्यधिक शीतप्रधान क्षेत्रों में जनसंख्या कम निवास करना पसन्द करती है। यही कारण है कि भारत के सामान्य तापमान वाले प्रदेशों में घनी जनसंख्या निवास करती है। इसके विपरीत न्यून ताप वाले, उच्च ताप पर्वतीय भागों अथवा अत्यधिक ताप वाले थार के मरुस्थल में कम जनसंख्या निवास करती है।

6. उद्योग-धन्धे – 
उद्योग-धन्धे जनसंख्या के वितरण को सबसे अधिक प्रभावित करते हैं। उद्योग-धन्धों वाले क्षेत्रों में लोग रोजी-रोटी कमाने के उद्देश्य से दूर-दूर से आकर बस जाते हैं। फलत: इन क्षेत्रों में जनसंख्या को अत्यधिक केन्द्रीकरण होता है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश, पंजाब, दिल्ली, कर्नाटक, महाराष्ट्र तथा तमिलनाडु राज्य उद्योग-धन्धों के कारण ही घने बसे हुए हैं।

7. खनिज पदार्थ – 
जिन राज्यों में कोयला, लोहा, ताँबा, सोना, खनिज तेल आदि उपयोगी एवं बहुमूल्य खनिज पदार्थ निकाले जाते हैं, वहाँ जनसंख्या का घनत्व भी अपेक्षाकृत अधिक पाया जाता है। भारत में छोटा नागपुर का पठार, बिहार, ओडिशा तथा (UPBoardSolutions.com) तमिलनाडु राज्यों में जैसे-जैसे खनिज पदार्थों का खनन होता गया वैसे-वैसे जनसंख्या के घनत्व में निरन्तर वृद्धि होती गयी है।

8. धरातल – 
धरातलीय बनावट एवं उसकी प्रकृति भी जनसंख्या के वितरण को प्रभावित करती है। ऊँचे, असमतल, पर्वतीय तथा पठारी क्षेत्रों की अपेक्षा मैदानी क्षेत्रों में घनी जनसंख्या पायी जाती है। यही कारण है कि प्रायद्वीपीय भारत की अपेक्षा उत्तर के विशाल मैदान में जनसंख्या का जमघट पाया जाता है। समतल मैदानी क्षेत्र जनसंख्या का पालना कहे जाते हैं।

9. वर्षा की मात्रा (जल-उपलब्धता) – 
भारत जैसे कृषिप्रधान देश में जनसंख्या का वितरण एवं घनत्व वर्षा की मात्रा अथवा जल उपलब्धता से भी प्रभावित होता है। यही कारण है कि 100 सेमी वर्षा रेखा के पश्चिमी भाग वर्षा की कमी के कारण कम घने हैं, जब कि इसके पूर्वी भाग कम वर्षा वाले होते हुए भी सिंचाई की सुविधा उपलब्ध रहने के कारण घने बसे हुए हैं।

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प्रश्न 3.
भारत में जनसंख्या की वृद्धि हेतु उत्तरदायी कारकों की व्याख्या कीजिए।
या
भारत में जनसंख्या वृद्धि के छः कारणों की विवेचना कीजिए। [2015, 16]
या

भारत में जनसंख्या-वृद्धि के कारण बताइट। [2010, 17]
या

भारत में जनसंख्या-वृद्धि के लिए उत्तरदायी किन्हीं दो प्रमुख कारकों को स्पष्ट कीजिए। [2010, 12, 13]
या

भारत में बढ़ती जनसंख्या के किन्हीं पाँच कारकों का उल्लेख कीजिए। [2011, 16]
उत्तर :

जनसंख्या विस्फोट

सन् 1951 ई० के पश्चात् भारत में जनसंख्या की वृद्धि-दर बहुत तीव्र हो गयी। सन् 1951-61 ई० के दौरान दशकीय वृद्धि की दर 21.5% थी, जो 1961-71 ई० में बढ़कर 24.8% हो गयी। सन् 1981-91 ई० के दशक में वृद्धि की दर कुछ घटकर 21.4% हो गयी। सन् 2011 ई० में भारत की जनसंख्या 121 करोड़ से अधिक तथा दशकीय वृद्धि दर 21.34% हो गयी है। इतनी विशाल जनसंख्या के पोषण के लिए देश में सीमित (UPBoardSolutions.com) साधन उपलब्ध हैं; अतः भारत में जनसंख्या की वृद्धि एक महा-विस्फोट के रूप में दिखायी दे रही है। इस प्रकार जनसंख्या का विस्फोट’ वह स्थिति है। जब जनसंख्या भरण-पोषण के साधनों की सीमा से अधिक हो जाए।

जनसंख्या में तीव्र वृद्धि के कारण

सन् 1951 ई० में भारत की जनसंख्या 36.11 करोड़ थी, जो वर्तमान समय में बढ़कर 121 करोड़ से अधिक हो गयी है। इस प्रकार गत 55 वर्षों में देश की जनसंख्या बढ़कर तीन गुनी से भी अधिक हो गयी है। भारत की जनसंख्या में तीव्र गति से वृद्धि के लिए निम्नलिखित कारण उत्तरदायी हैं

1. गर्म जलवायु – 
भारत की जलवायु गर्म है। यहाँ लड़के-लड़कियाँ छोटी आयु में ही वयस्क हो जाते हैं तथा वे कम आयु में ही सन्तान को जन्म देने योग्य हो जाते हैं।

2. विवाह की अनिवार्यता – 
भारत में विवाह को एक सामाजिक अनिवार्यता समझा जाता है। अविवाहित व्यक्ति को सन्देह की दृष्टि से देखा जाता है। इसलिए प्रत्येक व्यक्ति विवाह करता है। इससे भी जन्म-संख्या बढ़ती है।

3. कम आयु में विवाह – 
भारत में विवाह प्रायः बहुत कम आयु में कर दिये जाते हैं। 90 प्रतिशत लड़कियों का विवाह तो 20 वर्ष से कम की आयु में ही कर दिया जाता है। इससे स्त्रियों की प्रजनन-अवधि बढ़ जाती है।

4. सामाजिक एवं धार्मिक विचार – 
देश में कुछ धर्मों के लोग परिवार नियोजन को धर्म के विरुद्ध और सन्तान को ईश्वरीय देन मानते हैं। वंश चलाने के लिए भी पुत्र का होना आवश्यक माना जाता है। अत: लोग पुत्र-प्राप्ति इच्छा में कन्या सन्तति उत्पन्न करते जाते हैं। इस प्रकार के विचार तथा अन्धविश्वास जनसंख्या-वृद्धि में सहायक सिद्ध हुए हैं।

5. निरक्षरता – 
देश की अधिकांश जनसंख्या अशिक्षित है। इन अशिक्षित लोगों को परिवार नियोजन के महत्त्व का ज्ञान ही नहीं होता। परिवार नियोजन के उपायों के प्रति संकोच, लज्जा तथा निराधार शंकाओं के कारण भी अधिकांश दम्पति प्रजनन को नहीं रोकते।

6. मृत्यु – 
दर में कमी तथा औसत आयु में वृद्धि देश में शिक्षा, चिकित्सा तथा स्वच्छता सम्बन्धी सुविधाओं में वृद्धि होने से मृत्यु-दर में कमी हुई है। सन् 1951 ई० में मृत्यु-दर 27.4 थी, जो 2001 ई० में घटकर 8.7 तथा 2011 ई० में 6.4% हो गयी। सन् 1951 ई० में देश में औसत आयु 33 वर्ष थी, जो 2001 ई० में बढ़कर लगभग 61 वर्ष तथा 2011 ई० में 69.89 वर्ष हो गयी। निस्सन्देह मृत्यु-दर में कमी तथा औसत आयु में वृद्धि होना देश की उपलब्धियाँ हैं, किन्तु अभी तक जन्म-दर को नियन्त्रित नहीं किया जा सका है, जिससे जनसंख्या में वृद्धि होती जा रही है।

7. निर्धनता – 
निर्धन व्यक्तियों को बच्चों के पालन-पोषण पर बहुत कम खर्च करना पड़ता है। फिर उनके बच्चे कम आयु में ही छोटा-मोटा काम करके कुछ अर्जित करने लगते हैं। इसलिए वे अधिक बच्चों के जन्म की बुराइयों को समझ नहीं पाते और (UPBoardSolutions.com) सन्तानोत्पत्ति करते रहते हैं।

8. स्त्रियों की निम्न सामाजिक स्थिति – 
भारत में स्त्रियों की सामाजिक स्थिति अत्यधिक निम्न है। इन्हें मुख्यतया सन्तान उत्पन्न करने का साधन माना जाता है।

9. सुरक्षा की भावना –
वृद्धावस्था में सामाजिक सुरक्षा की कोई व्यवस्था नहीं होने के कारण लोग यह सोचकर अधिक सन्तान उत्पन्न करते हैं कि वृद्धावस्था में सन्तान उनकी सहायता करेगी।

10. शरणार्थियों का आगमन – 
पाकिस्तान तथा बांग्लादेश से आये करोड़ों शरणार्थियों के कारण भी देश के ऊपर जनसंख्या का बोझ बढ़ा है। इसके अतिरिक्त, गत कुछ वर्षों में श्रीलंका, मलाया, अफगानिस्तान तथा म्यांमार से भी बड़ी संख्या में लोग भारत आये हैं।

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प्रश्न 4.
मानवीय संसाधन से आप क्या समझते हैं? यह देश के आर्थिक विकास में कैसे सहायक हो सकते हैं ? उदाहरण देकर समझाइए।
उत्तर :

मानवीय संसाधन

प्रत्येक देश की सम्पदा मुख्यतया दो भागों में विभाजित की जाती है– (i) प्राकृतिक संसाधन; जैसे-भूमि, खनिज पदार्थ, जल, वन, पशु आदि तथा
(ii) मानवीय संसाधन अर्थात् जनसंख्या। मानवीय संसाधन का अर्थ किसी देश में निवास करने वाली जनसंख्या से लगाया जाता है। किसी देश के आर्थिक विकास में उसके मानवीय संसाधनों (जनसंख्या) की अत्यन्त महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है। मानवीय (UPBoardSolutions.com) संसाधन के अन्तर्गत देश की जनसंख्या के आकार के अतिरिक्त उसकी कुशलता, शिक्षा, उत्पादकता तथा दूरदर्शिता को सम्मिलित किया जाता है। नि:सन्देह जनसंख्या के आकार की दृष्टि से भारत एक सौभाग्यशाली देश है, किन्तु देश में कुशल, शिक्षित तथा प्रशिक्षित कार्यशील जनसंख्या की अत्यधिक कमी है। साथ ही देश में जनाधिक्य की समस्या भी विद्यमान है। इसीलिए भारतीय मानवीय संसाधन देश के आर्थिक विकास के लिए समुचित नहीं माने जाते।

मानव संसाधन और आर्थिक विकास

किसी देश की सम्पूर्ण जनसंख्या को मानव संसाधन नहीं कहा जाता, अपितु जनसंख्या के केवल उस भाग को मानव संसाधन कहा जाता है जो शिक्षित हो, कुशल हो तथा जिसमें अर्जन या उत्पादन करने की क्षमता हो। इस प्रकार मानव संसाधन वह मानव पूंजी है, जिसे प्राकृतिक साधनों में लगाकर देश को आर्थिक विकास किया जाता है। दूसरे शब्दों में, यह भी कह सकते हैं कि देश के सम्पूर्ण मानव संसाधन को तो जनसंख्या कही जा सकता है, किन्तु पूरी जनसंख्या को मानव संसाधन नहीं कहा जा सकता।

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पर्यावरण या प्राकृतिक संसाधन से आशय उन सभी प्राकृतिक वस्तुओं से लिया जाता है, जो हमारे चारों ओर व्याप्त हैं। ये वस्तुएँ हैं-पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु, वनस्पति व जीव-जन्तु।

प्रकृति ने भारत को प्राकृतिक या पर्यावरणीय संसाधन उपहार के रूप में बड़ी उदारता से प्रदान किये हैं तथा इन पर्यावरणीय संसाधनों का सदुपयोग करने के लिए विशाल जनसंख्या भी दी है, किन्तु हमारी अधिकांश जनसंख्या मानव संसाधन के रूप में नहीं है। अत: हम अपने अपार पर्यावरणीय संसाधनों का उपयोग देश के विकास में उतना नहीं कर पा रहे हैं जितना कि करना चाहिए।

इसी प्रकार, यदि किसी देश के पास पर्यावरणीय या प्राकृतिक संसाधन तो हों, किन्तु उन संसाधनों का दोहन या उपयोग करने के लिए पर्याप्त मानवीय संसाधन; अर्थात् कुशल जनसंख्या न हो तो वह देश अपने प्राकृतिक संसाधनों से देश के आर्थिक विकास के लिए कोई लाभदायक कदम नहीं उठा सकता। अतः स्पष्ट है कि किसी भी देश के आर्थिक विकास के लिए केवल प्राकृतिक संसाधनों का होना ही पर्याप्त नहीं है, अपितु उनके साथ-साथ मानवीय संसाधनों; अर्थात् कुशल जनसंख्या का होना भी जरूरी है।

प्रश्ग 5.
पुरुषों की अपेक्षा स्त्रियों की संख्या में गिरावट के प्रमुख कारणों की व्याख्या कीजिए।
या
भारत में पुरुषों की तुलना में स्त्रियों की संख्या कम क्यों है ? कोई दो कारण लिखिए।
उत्तर :
जनसंख्या के दो विशिष्ट अंग हैं-स्त्री एवं पुरुष। दोनों के बीच संख्यात्मक अनुपात को ‘स्त्री-पुरुष अनुपात’ कहा जाता है। इसे प्रति हजार पुरुषों पर स्त्रियों की संख्या के रूप में व्यक्त किया जाता है। जनसंख्या के अध्ययन में स्त्री-पुरुष के अनुपात (UPBoardSolutions.com) का अध्ययन अति महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि इसके परिवर्तन से देश की सामाजिक-आर्थिक स्थिति प्रभावित होती है। भारत में पुरुषों की अपेक्षा स्त्रियों की संख्या लगातार घटती ही जा रही है। 2011 ई० की जनगणना के अनुसार भारत में 623,724,248 पुरुष तथा 586,469,174 स्त्रियाँ हैं।

नीचे दी गई तालिका में पिछले कुछ दशकों का लैंगिक अनुपात (प्रति 1000 पुरुषों पर स्त्रियों की संख्या) दिखाया गया है
UP Board Solutions for Class 10 Social Science Chapter 9 मानवीय संसाधन जनसंख्या 1
उपर्युक्त तालिका बताती है कि विगत 110 वर्षों में पुरुषों के अनुपात में स्त्रियों की संख्या न केवल कम रही है वरन् निरन्तर घटती ही जा रही है। इसके निम्नलिखित कारण रहे हैं

  • स्त्रियों की अपेक्षा पुरुषों की अधिक जन्म लेना।
  • बचपन में लड़कों की अपेक्षा लड़कियों की देखभाल कम होना।
  • बाल-विवाह होना और उसके कारण (UPBoardSolutions.com) छोटी आयु में प्रसव के कारण मृत्यु होना।
  • प्रसूतावस्था में समुचित देखभाल व चिकित्सा के अभाव से स्त्रियों की मृत्यु होना (विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों अथवा गरीब वर्गों में)।
  • गर्भावस्था में लैंगिक जाँच कराना तथा गर्भ में लड़की होने की स्थिति में गर्भपात करा देना।

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प्रश्न 6.
भारत में जनसंख्या नियन्त्रण हेतु किये गये उपायों का वर्णन कीजिए। [2017]
या
भारत में बढ़ती जनसंख्या नियन्त्रण के कोई छः उपाय सुझाइट। [2015, 16]
या

भारत में जनसंख्या नियन्त्रण के तीन उपाय बताइट। [2014, 18]
या

जनसंख्या वृद्धि नियन्त्रण पर टिप्पणी लिखिए। [2014]
या

भारत में जनसंख्या नियन्त्रण हेतु चार उपाय सुझाइट। [2011, 12, 13]
या
भारत में बढ़ती हुई जनसंख्या के किन्हीं तीन प्रभावों की विवेचना कीजिए। [2016]
उत्तर :
जनसंख्या-वृद्धि कों नियन्त्रित करने के उपाय।
भारत में जनसंख्या-वृद्धि को रोकने के निम्नलिखित उपाय किये जा सकते हैं
1. विवाह की आयु में वृद्धि करना – भारत में युवक-युवतियों के विवाह छोटी आयु में करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। दोनों के पूर्ण वयस्क हो जाने पर विवाह करने की छूट होनी चाहिए। विवाह जितनी अधिक आयु में किया जाएगा, बच्चे भी उतने ही कम उत्पन्न होंगे। अधिक आयु में विवाह करने के कारण युवतियाँ शिक्षा प्राप्त करेंगी या फिर उनकी रुचि सांस्कृतिक एवं सामाजिक कार्यों के प्रति आकर्षित होगी। अभी भारत में विवाह की आयु 21 वर्ष और 18 वर्ष निश्चित है। इसे कम-से-कम पाँच वर्ष और बढ़ाया जाना चाहिए।
2. उत्पादन में वृद्धि करना – आर्थिक उत्पादन में वृद्धि करने से मानव की रुचि एवं भौतिक समृद्धि में वृद्धि के साथ-साथ रहन-सहन के स्तर में भी वृद्धि होती है। भारत के कृषि उत्पादन में वृद्धि होने की अभी पर्याप्त सम्भावनाएँ विद्यमान (UPBoardSolutions.com) हैं। अत: यदि देश में प्रति एकड़ उपज बढ़ा ली जाती है तो उससे बढ़ती हुई जनसंख्या की खाद्यान्न आवश्यकता की पूर्ति की जा सकती है।
3. औद्योगीकरण का विकास – पंचवर्षीय योजनाओं के माध्यम से देश में उद्योग-धन्धों का विकास किया जा रहा है। इससे बढ़ती हुई जनसंख्या को आजीविका के साधन प्राप्त होंगे तथा आर्थिक स्थिति भी सुधरेगी। इसके साथ-साथ परिवहन, संचार, व्यापार आदि कार्यों में भी विकास होगा।
4. शिक्षा का प्रचार एवं प्रसार – शिक्षा के प्रचार एवं प्रसार द्वारा विज्ञान एवं तकनीकी के अधिकाधिक प्रयोग से मानव का जीवन-स्तर उच्च हो सकेगा तथा शिक्षित जनसंख्या की मनोवृत्ति भी जनसंख्या-वृद्धि की ओर कम होगी।
5. परिवार-नियोजन एवं जन्म – दर पर नियन्त्रण – जनसंख्या वृद्धि का स्थायी समाधान तो परिवार नियोजन एवं जन्म-दर पर नियन्त्रण करना है। नसबन्दी, बन्ध्याकरण एवं गर्भनिरोधक गोलियों एवं औषधियों का प्रयोग इस दिशा में अधिक कारगर है। इन विधियों के प्रचार-प्रसार द्वारा भी जन्म-दर पर नियन्त्रण पाया जा सकता है और जनसंख्या वृद्धि को रोकने का स्थायी समाधान खोजा जा सकता
6. उपर्युक्त उपायों के अतिरिक्त देश में गरीबी को नियन्त्रित करके, लड़के-लड़कियों में समानता के व्यवहार द्वारा, सरकारी नीति और सन्तति सुधार कार्यक्रमों को लागू करके, स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार और सामाजिक सुरक्षा के विकास द्वारा भी जनसंख्या-वृद्धि को कुछ हद तक नियन्त्रित किया जा सकता है।

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लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
भारत में विरल जनसंख्या वाले क्षेत्र कौन-कौन-से हैं ? उनके विरल होने के कारणों पर प्रकाश डालिए।
उत्तर :
भारत में विरल जनसंख्या वाले क्षेत्र तथा उनके विरल होने के कारण निम्नलिखित हैं

1. उत्तरी पर्वतीय प्रदेश – 
विरल जनसंख्या का यह क्षेत्र उत्तर-पश्चिम में जम्मू-कश्मीर राज्य से लेकर हिमाचल प्रदेश, उत्तराखण्ड, सिक्किम तथा अरुणाचल प्रदेश तक फैला हुआ है। इसकी विरल जनसंख्या के कारण -पर्वतीय भूमि, ऊबड़-खाबड़ धरातल, मिट्टी (UPBoardSolutions.com) की पतली परत के कारण कृषि-योग्य भूमि का अभाव तथा जलवायु का मानव के रहने के प्रतिकूल होना।

2. सघन वर्षा वाला उत्तर – 
पूर्वी प्रदेश–इस प्रदेश के अन्तर्गत नागालैण्ड, मणिपुर, मिजोरम, त्रिपुरा एवं मेघालय राज्य आते हैं। इसकी विरल जनसंख्या के कारण हैं-अत्यधिक वर्षा के कारण सदाबहार वनों का सघन आवरण, अनुपजाऊ लैटेराइट मिट्टी तथा सघन वनों के कारण कृषि, उद्योग, परिवहन तथा आजीविका के साधनों की कमी।

3. पश्चिमी राजस्थान – 
विरल जनसंख्या के कारण हैं-वर्षा की अत्यन्त कमी, कृषि एवं आजीविका साधनों का अभाव।

4. प्रायद्वीपीय पठार का वृष्टिछाया प्रदेश एवं कच्छ का रन – 
विरल जनसंख्या के कारण हैं—प्रायद्वीपीय पठार के वृष्टिछाया प्रदेश में वर्षा की कमी के कारण खाद्यान्नों की कम पैदावार, क्षारीय मिट्टी वाला एवं दलदली क्षेत्र कच्छ का रन।

प्रश्न 2.
1951 के पश्चात् भारत में जनसंख्या-वृद्धि की प्रवृत्ति का वर्णन कीजिए तथा वृद्धि का प्रमुख कारण भी लिखिए।
उत्तर :
सन् 1951 के पश्चात् भारत में जनसंख्या की वृद्धि तेज गति से हुई है। यहाँ सन् 1951 ई० में 36.1 करोड़ जनसंख्या निवास कर रही थी जो सन् 2011 ई० में बढ़कर 121.02 करोड़ हो गई। सन् 2001-2011 की अवधि में वार्षिक जनसंख्या-वृद्धि की औसत दर 1.90% रही है। जनसंख्या में इस तेज वृद्धि दर का प्रमुख कारण जन्म-दर और मृत्यु-दर एवं मृत्यु-दर के अन्तराल में वृद्धि का होना है। देश में मृत्यु-दर में हुई भारी कमी के कारण (UPBoardSolutions.com) जन्म-दर एवं मृत्य-दर के बीच का अन्तर बहुत बढ़ गया है, जिसके कारण जनसंख्या में तेज गति से वृद्धि हुई है।

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प्रश्न 3.
जनसंख्या-वृद्धि रोकने के किन्हीं दो सरकारी कार्यक्रमों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर :
जनसंख्या वृद्धि के नियन्त्रण के दो सरकारी कार्यक्रम निम्नलिखित हैं
1. स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार – सरकार ने देशवासियों की आर्थिक क्षमता को बनाए रखने के लिए उनकी चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सुविधाओं पर विशेष ध्यान दिया है तथा खण्ड विकास स्तर पर सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र तथा परिवार नियोजन केन्द्रों की स्थापना कर दी गई है। इन सुविधाओं का विस्तार ग्राम स्तर तक किया गया है जिससे देशवासियों को अच्छी-से-अच्छी चिकित्सा सुविधाएँ मिल सकें। स्वास्थ्य सेवक एवं सेविकाएँ ग्राम-ग्राम जाकर विशेष रूप से महिलाओं में परिवार नियोजन सम्बन्धी कार्यक्रमों का प्रचार-प्रसार करती हैं।

2. शिक्षा का प्रचार-प्रसार – 
परिवार के आकार को सीमित रखने के लिए शिक्षा का प्रचार-प्रसार महत्त्वपूर्ण स्थान रखता है। इससे मानव अत्यधिक उत्तरदायी एवं विवेकपूर्ण हो जाता है तथा जीवन के प्रति बुद्धिसंगत एवं तर्कपूर्ण दृष्टिकोण रखने लगता है। इसी कारण सरकार ने देश में अनिवार्य शिक्षा नीति, सर्वशिक्षा अभियान, प्रौढ़ शिक्षा कार्यक्रम तथा अन्य अनेक कार्यक्रम लागू किए हैं। इससे महिलाओं को आर्थिक स्वतन्त्रता प्राप्त (UPBoardSolutions.com) होगी तथा वे परिवार कल्याण के प्रति स्वतः ही सजग हो सकती हैं। परन्तु अनेक कार्यक्रम लागू करने के उपरान्त भी देश में साक्षरता 74.04% (2011 ई०) ही हो पाई है जिसमें महिला साक्षरता का अनुपात 65.46% है। अतः देश में व्यापक स्तर पर शिक्षा का प्रचार-प्रसार करना अति आवश्यक है तथा उसमें भी महिला साक्षरता में वृद्धि करना अनिवार्य है।

प्रश्न 4.
भारत के उस प्रदेश का नाम लिखिए, जहाँ जनसंख्या का घनत्व सर्वाधिक है। वहाँ घनत्व अधिक होने के तीन कारणों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर :
दिल्ली भारत का सर्वाधिक जनसंख्या घनत्व वाला प्रदेश है, जहाँ घनत्व 11,297 है। इसके पश्चात् सर्वाधिक जन-घनत्व वाला प्रदेश चण्डीगढ़ है, जहाँ घनत्व 9,252 है। केन्द्रशासित प्रदेश और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र को छोड़कर भारत के सभी राज्यों में पश्चिम बंगाल सर्वाधिक जनसंख्या घनत्व वाला राज्य है, जहाँ घनत्व 1,029 है। दोनों ही क्षेत्रों में अधिक घनत्व के तीन कारण निम्नलिखित हैं

  • परिवहन की सुविधाएँ,
  • उद्योग-धन्धों का विकास तथा
  • धरातल तथा वर्षा की मात्रा।

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प्रश्न 5.
भारत की जनसंख्या नीति का आलोचनात्मक परीक्षण कीजिए।
उत्तर :
जनसंख्या वृद्धि को रोकने के लिए दो सरकारी कार्यक्रमों का विवरण निम्नवत् है
1. प्रजनन और बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम – दिनांक 10 अक्टूबर, 1997 को शुरू किये गये इस कार्यक्रम में जनन क्षमता के नियन्त्रण, सुरक्षित मातृत्व, बाल उत्तरजीविता और जननांग संक्रमण को सम्मिलित किया गया है। इस कार्यक्रम को मुख्यतया प्राथमिक स्वास्थ्य देख-रेख के आधारभूत ढॉचे। के द्वारा कार्यान्वित किया जाता है। स्वतन्त्र रूप से किये गये सर्वेक्षण से पता चलता है कि नवीं पंचवर्षीय योजना की अवधि में इस (UPBoardSolutions.com) कार्यक्रम के कुछ पहलुओं के सम्बन्ध में निर्धारित लक्ष्यों को कुछ राज्यों ने प्राप्त कर लिया है।
2. राष्ट्रीय जनसंख्या नीति-2000 – जनसंख्या के इस कार्यक्रम में जनसंख्या के आकार को सीमित रखने के साथ ही जनसंख्या में गुणात्मक सुधार लाना आवश्यक समझा गया है। इस नीति में निम्नलिखित तीन उद्देश्यों को प्राथमिकता दी गयी है

  • तात्कालिक उद्देश्य अर्थात् गर्भनिरोधक तरीकों का विस्तार,
  • अल्पकालिक उद्देश्य अर्थात् सन् 2010 तक जन्म-दर में कमी करना तथा
  • दीर्घकालिक उद्देश्य अर्थात् सन् 2045 तक जनसंख्या-वृद्धि को स्थिर बिन्दु तक लाना, जिससे देश की आर्थिक विकास तेजी से किया जा सके।

प्रश्न 6.
भारत का जनसंख्या के आधार पर वर्गीकरण कीजिए तथा उनमें से किसी एक का वर्णन कीजिए। [2018]
उत्तर :
भारत में जनसंख्या के वितरण को तीन भागों में विभाजित किया जा सकता है

  • उच्च घनत्व के क्षेत्र (300 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी से अधिक)।
  • मध्यम घनत्व के क्षेत्र (100-300 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी)।
  • कम घनत्व के क्षेत्र (100 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी से कम)।

उच्च घनत्व के क्षेत्र – राज्यवार जनसंख्या के घनत्व की दृष्टि से पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, केरल, बिहार, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडू, पंजाब, झारखण्ड, हरियाणा, त्रिपुरा, असोम, गुजरात, आन्ध्र प्रदेश, कर्नाटक तथा गोवा राज्य और दिल्ली, चण्डीगढ़, (UPBoardSolutions.com) लक्षद्वीप, पुदुचेरी, दमन एवं दीव, दादर एवं नगर हवेली के केन्द्रशासित क्षेत्र इस वर्ग में आते हैं। इन राज्यों तथा क्षेत्रों में अनेक प्रादेशिक तथा क्षेत्रीय विषमताएँ मिलती हैं। इस क्षेत्र में पर्याप्त वर्षा, भूमिगत जल-संसाधन, उर्वर जलोढ़ समतल भूमि, उन्नत कृषि, औद्योगिक विकास तथा परिवहन जाल के कारण जनसंख्या का उच्च घनत्व पाया जाता है।

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
स्त्री-पुरुष अनुपात से क्या तात्पर्य है?
उत्तर :
जनसंख्या के दो विशिष्ट अंग हैं-स्त्री एवं पुरुष। दोनों के बीच संख्यात्मक अनुपात को ‘स्त्री-पुरुष अनुपात’ कहा जाता है।

प्रश्न 2.
विश्व में सर्वाधिक जनसंख्या वाले दो देशों के नाम लिखिए।
उत्तर :
विश्व में सर्वाधिक जनसंख्या वाले दो देश हैं—

  • चीन तथा
  • भारत।

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प्रश्न 3.
अनुकूलतम जनसंख्या से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर :
जनसंख्या व संसाधनों के मध्य आदर्श स्थिति (UPBoardSolutions.com) को ‘अनुकूलतम जनसंख्या कहा जाता है।

प्रश्न 4.
कार्यशील जनसंख्या से आप क्या समझते हैं? [2013]
उत्तर :
कार्यशील जनसंख्या, जनसंख्या का वह भाग है जो कार्य करने में सक्षम है तथा कार्य करने का इच्छुक भी है। इसमें 14 वर्ष से 62 वर्ष तक की आयु के व्यक्ति आते हैं।

प्रश्न 5.
मानव संसाधन से क्या तात्पर्य है? [2015, 17]
उत्तर :
किसी भी देश में पायी जाने वाली कुशल एवं शिक्षित जनसंख्या को मानव संसाधन कहते हैं।

प्रश्न 6.
लिंगानुपात से आप क्या समझते हैं? भारत के किस राज्य में लिंगानुपात सबसे कम है? [2016]
उत्तर :
जनसंख्या के विशिष्ट अंग हैं-स्त्री एवं पुरुष। दोनों (UPBoardSolutions.com) के बीच संख्यात्मक अनुपात को स्त्री-पुरुष अनुपात या लिंगानुपात कहा जाता है। सबसे कम लिंगानुपात दमन और दीव में पाया जाता है।

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प्रश्न 7.
जनसंख्या घनत्व से आप क्या समझते हैं? सन् 2011 की जनगणना के अनुसार भारत की जनसंख्या का घनत्व क्या है? [2014]
या

जनसंख्या के घनत्व से आप क्या समझते हैं? भारत के किस राज्य का जनसंख्या घनत्व सबसे कम है? [2016, 17]
या

जनसंख्या घनत्व का क्या अभिप्राय है? [2011, 17]
उतर :
किसी स्थान पर प्रति वर्ग किमी क्षेत्र में रहने वाले व्यक्तियों की संख्या को जनसंख्या का घनत्व कहते हैं। सन् 2011 की जनगणना के अनुसार भारत की जनसंख्या का घनत्व 382 प्रति वर्ग किमी है। अरुणाचल प्रदेश का जनसंख्या घनत्व सबसे कम है।

बहुविकल्पीय प्रश्न

1. निम्नलिखित में से कौन-सा राज्य सबसे घना बसा है? [2012]

(क) केरल
(ख) पश्चिम बंगाल
(ग) महाराष्ट्र
(घ) बिहार

2. 2011 की जनगणना के अनुसार भारत में साक्षरता का प्रतिशत है [2012, 13]

(क) 54
(ख) 56
(ग) 60
(घ) 74.04

3. जननी सुरक्षा योजना का उद्देश्य है [2012]

(क) महिला सशक्तीकरण को प्रोत्साहन देना
(ख) महिला साक्षरता को प्रोत्साहन देना
(ग) महिलाओं में स्वयं सहायता समूह बनाना
(घ) सरकारी अस्पतालों में शिशु-जन्म को प्रोत्साहन देना

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4. सर्वाधिक जनसंख्या वाला राज्य कौन-सा है? [2014]

(क) उत्तर प्रदेश
(ख) ओडिशा
(ग) बिहार
(घ) पश्चिम बंगाल

5. निम्न में से किस राज्य में सर्वाधिक जनसंख्या घनत्व पाया जाता है? [2014, 18]
या
निम्नलिखित राज्यों में से किस राज्य की जनसंख्या का घनत्व भारत की जनगणना 2011 के अनुसार सर्वाधिक है? [2016]

(क) सिक्किम
(ख) मिजोरम
(ग) अरुणाचल प्रदेश
(घ) पश्चिम बंगाल

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6. 2011 की जनगणना के अनुसार प्रति एक हजार पुरुषों पर महिलाओं की संख्या कितनी [2013]
या
की जनगणना के अनुसार भारत में लिंगानुपात है [2015]

(क) 931
(ख) 935
(ग) 940
(घ) 933

7. 2011 की जनगणना के अनुसार भारत की कुल आबादी कितनी है?

(क) 101.7 करोड़
(ख) 121 करोड़
(ग) 100.8 करोड़
(घ) 102.8 करोड़

8. 2001 की जनगणना के अनुसार भारत में जनसंख्या का घनत्व क्या है?

(क) 327
(ख) 319
(ग) 324
(घ) 382

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9. जनसंख्या-वृद्धि पर नियन्त्रण का सर्वोत्तम उपाय क्या है?

(क) परिवार नियोजन
(ख) औद्योगिक विकास
(ग) शिक्षा का प्रसार
(घ) गरीबी उन्मूलन

10. निम्नलिखित में से किस राज्य में जनसंख्या घनत्व न्यूनतम पाया जाता है? [2013]

(क) केरल
(ख) आन्ध्र प्रदेश
(ग) राजस्थान
(घ) बिहार

11. [2001] की जनगणना के अनुसार भारत में लिंगानुपात है [2013, 15, 18]

(क) 970
(ख) 890
(ग) 940
(घ) 933

12. जनगणना वर्ष 2011 के अनुसार भारत का जनघनत्व है [2014]

(क) 322
(ख) 382
(ग) 402
(घ) 198

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13. निम्न में से किस राज्य में सर्वाधिक महिला साक्षरता पायी जाती है? [2014, 15, 17]

(क) उत्तर प्रदेश
(ख) पंजाब
(ग) केरल
(घ) छत्तीसगढ़

14. कुल जनसंख्या की दृष्टि से भारत का विश्व में कौन-सा स्थान है? कान-सा स्थान है? [2015]

(क) पाँचवाँ
(ख) दूसरा
(ग) सातवाँ
(घ) नौवाँ

15. भारत की जनगणना, 2011 के अनुसार भारत की जनसंख्या है- [2016, 17, 18]

(क) 122, 09, 84, 212
(ख) 121, 01, 93, 422
(ग) 119, 01, 84, 822
(घ) 120, 19, 35, 822 :

उतारमला

1. (ख), 2. (घ), 3. (घ), 4. (क), 5. (घ), 6. (ग), 7. (ख), 8. (ग), 9. (क), 10. (ग), 11. (घ), 12. (ख), 13. (ग), 14. (ख) 15. (ख)

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UP Board Solutions for Class 10 Home Science Chapter 22 रोगी को स्पंज कराना गर्म सेंक, बफारा देना, बर्फ की टोपी का प्रयोग

UP Board Solutions for Class 10 Home Science Chapter 22 रोगी को स्पंज कराना गर्म सेंक, बफारा देना, बर्फ की टोपी का प्रयोग

These Solutions are part of UP Board Solutions for Class 10 Home Science . Here we have given UP Board Solutions for Class 10 Home Science Chapter 22 रोगी को स्पंज कराना गर्म सेंक, बफारा देना, बर्फ की टोपी का प्रयोग.

विस्तृत उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1:
किसी रोगी को स्नान तथा स्पंज किस प्रकार कराया जाता है?
या
सविस्तार वर्णन कीजिए। या। स्पंज करना किसे कहते हैं? रोगी का कब और क्यों स्पंज किया जाता है? [2009, 13]
या
स्पंज करना क्या है? स्पंज करने की विधि लिखिए। [2009, 10, 12, 18]
या
स्पंज कराने से क्या तात्पर्य है? स्पंज कराते समय क्या सावधानियाँ रखनी चाहिए? [2013, 16, 17]
या
किस प्रकार के रोगी को स्पंज कराते हैं? इसके लाभ लिखिए। [2010]
उत्तर:
रोगी को स्नान कराना

शरीर से पसीने आदि की दुर्गन्ध दूर करने के लिए त्वचा की सफाई करना (UPBoardSolutions.com) आवश्यक है। यदि रोगी चलने-फिरने योग्य है, तो उसके स्नानघर जाने से पूर्व निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना
आवश्यक है

  1.  रोगी को स्नान कराने से पूर्व चिकित्सक से परामर्श अवश्य ही कर लेना चाहिए।
  2. रोगी के वस्त्र, तौलिया, साबुन व तेल इत्यादि स्नानघर में तैयार रखे होने चाहिए।
  3. स्नानघर का दरवाजा अन्दर की ओर से बन्द नहीं किया जाना चाहिए।
  4.  रोगी को अधिक समय तक स्नान करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।
  5.  रोगी के स्नान करते समय परिचारिका को स्नानघर के पास ही रहना चाहिए।
  6. स्नान कराने से पूर्व ही परिचारिका को रोगी के दाँत व नाखून आदि साफ कर देने चाहिए।
  7. रोगी यदि स्नानघर में जाने योग्य न हो तो उसे कमरे में ही स्नान करा देना उचित रहता है।
  8. रोगी में यदि दुर्बलता अधिक है, तो परिचारिका को उसे स्नान कराने में सहायता करनी चाहिए।

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रोगी को स्पंज कराना

कुछ दशाओं में रोगग्रस्त अथवा दुर्घटनाग्रस्त व्यक्ति को खुले पानी से स्नान कराना उचित नहीं माना जाता। इन दशाओं में व्यक्ति की शारीरिक सफाई के लिए स्नान के विकल्प के रूप में एक अन्य उपाय को अपनाया जाता है। शारीरिक सफाई के इस उपाय को स्पंज कराना कहा जाता है। इसके अतिरिक्त कभी-कभी तीव्र ज्वर की दशा में भी शरीर के तापमान को कम करने के लिए ठण्डे जल से स्पंज कराया जाता है। रोगी को स्पंज कराने का कार्य परिचारिका अथवा किसी अन्य व्यक्ति द्वारा किया जाता है। स्पंज कराने की विधियों का संक्षिप्त विवरण निम्नलिखित है

1. सामान्य विधि:
इसमें आवश्यकतानुसार ठण्डा या गर्म पानी प्रयोग में लाया जाता है। यदि साबुन का प्रयोग करना है, तो उसे रोगी के तौलिए पर ही लगाना होता है। स्पंज कराने के लिए तौलिए को पानी में भिगोकर निचोड़ लिया जाता है तथा इससे धीरे-धीरे रोगी के शरीर की सफाई की जाती है। स्पंज का प्रारम्भ रोगी के चेहरे से किया जाता है। बाद में गर्दन, बाँह, हाथ-पैर आदि को क्रमिक रूप से स्पंज करना चाहिए। इसके बाद रोगी के शरीर पर कोई अच्छा पाउडर छिड़ककर धुले हुए वस्त्र पहना देने चाहिए। स्पंज कराने के बाद रोगी का बिस्तर भली-भाँति साफ कर देना चाहिए। रोगी को
पीने के लिए कोई गर्म पेय देना चाहिए। स्पंज कराने के तुर’ बाद रोगी को कोई उपयुक्त कपड़ा ओढ़ाना चाहिए। अन्त में रोगी को आराम करने के लिए अथवा सो जाने के लिए निर्देश करना उपयुक्त रहता है।

2. ठण्डे पानी से स्पंज कराना:
यह विधि रोगी के शरीर का तापमान अधिक होने की अवस्था में प्रयोग में लाई जाती है। रोगी के शरीर का ताप कम करने के लिए उसके शरीर को ठण्डे पानी में भीगे तौलिए से कई बार पोंछा जाता है। इस कार्य को करते समय रोगी के नीचे रबर-शीट अथवा मोमजामे का टुकड़ा बिछाया जाता है। रोगी के लगभग सभी कपड़ों को उतारकर उसे कम्बल ओढ़ा दिया जाता है और तौलिए को भली-भाँति निचोड़कर रोगी के शरीर पर फैलाकर (UPBoardSolutions.com) ढक देना चाहिए। यह तौलिया थोड़ी देर में गर्म हो जाता है और फिर इसे उसी प्रकार ठण्डे पानी में भिगोकर तथा निचोड़कर यही क्रिया अपनानी चाहिए। यह क्रिया रोगी के शरीर का ताप सामान्य होने तक दोहराई जाती है। अब रोगी के शरीर को स्वच्छ एवं सूखे तौलिए से पोंछकर कम्बल से ढक देते हैं। अब बिस्तर को भली-भाँति साफ एवं व्यवस्थित कर रोगी को आराम करने एवं सोने का निर्देश देना चाहिए।

प्रश्न 2:
ठण्डी सेंक कब दी जाती है? ठण्डी सेंक देने की विधियाँ बताइए। [2008, 09, 10, 11, 16]
या
बर्फ की थैली क्या है? बर्फ की थैली का प्रयोग करते समय क्या सावधानियाँ रखनी चाहिए ? [2007]
या
बर्फ की टोपी का प्रयोग कब, क्यों और कैसे करते हैं? इससे किस प्रकार के रोगी को आराम मिलता है? समझाइए। [2007, 12, 13, 14, 15]
उत्तर:
ठण्डी सेंक व उसकी विधियाँ

तीव्र ज्वर की अवस्था में शरीर के तापमान को सामान्य स्तर पर लाने के दृष्टिकोण से ठण्डी सेंक का अत्यधिक महत्त्व है। इसके लिए ठण्डी पट्टियों एवं बर्फ की थैली का प्रयोग निम्नलिखित रूप से किया जाता है

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(1) ठण्डा स्पंज:
इसके लिए सामान्य रूप से ठण्डे पानी जिसका तापक्रम 10-12° सेण्टीग्रेड होता है, का प्रयोग किया जाता है। पट्टियों अथवा तौलिए को इस पानी में भिगोकर व निचोड़कर लगभग 20 मिनट तक रोगी का स्पंज किया जाता है। स्पंज करते समय रोगी की नाड़ी तथा तापमान का विशेष ध्यान रखा जाता है।

(2) ठण्डी पट्टी:
इस विधि में रोगी के शरीर के चारों ओर ठण्डे पानी में भिगोकर निचोड़ा हुआ कपड़ा लपेट दिया जाता है। चिकित्सक के परामर्श के अनुसार रोगी को इस अवस्था में 15 से 30 मिनट तक रखा जाता है। इसके बाद शीघ्र ही रोगी के शरीर को सुखाकर तथा उसे स्वच्छ कपड़े पहनाकर बिस्तर पर लिटा दिया जाता है। ठण्डी पट्टी के प्रयोग के पहले और बाद में शरीर का तापमान नोट कर लेना आवश्यक है।

(3) बर्फ की थैली:
इस थैली में बर्फ भरकर तथा उसका मुँह बन्द कर उसके अन्दर की हवा बाहर (UPBoardSolutions.com) निकाल दी जाती है। थैली में बर्फ को लगभग आधा भरकर उसमें एक चम्मच नमक मिला देने से बर्फ । अधिक देर में पिघलती है। थैली के बीच में लिण्ट का टुकड़ा रख देने पर यह नमी को सोखता रहता है।
UP Board Solutions for Class 10 Home Science Chapter 22 रोगी को स्पंज कराना गर्म सेंक, बफारा देना, बर्फ की टोपी का प्रयोग
इससे ठण्ड से उत्पन्न हुई सनसनी कम हो जाती है। बर्फ के पूरी तरह से पिघलने के पूर्व ही थैली की बर्फ । बदल दी जाती है। बर्फ की थैली का प्रयोग प्रायः माथे वे सिर में ठण्डक पहुँचाने के लिए किया जाता है। इसका उपयोग आवश्यकतानुसार ही करना चाहिए, क्योंकि इसका अधिक समय तक प्रयोग स्नायुओं को हानि पहुँचा सकता है। कुछ दशाओं में शरीर से होने वाले रक्त स्राव को रोकने के लिए बर्फ की टोपी या थैली का प्रयोग किया जाता है।

प्रश्न 3:
गर्म सेक से क्या लाभ होता है? गर्म सेंक की विधियाँ लिखिए। [2008, 09, 10, 11, 16]
या
गर्म पानी की बोतल के प्रयोग की विधि लिखिए।
या
सेंक से आप क्या समझते हैं? गर्म सेंक की विभिन्न विधियाँ लिखिए। [2008]
या
सेंक क्या है? इसका प्ररण कब और क्यों करते हैं? [2011]
या
गर्म पानी की थैली की उपयोगिता लिखिए। [2015]
उत्तर:
गर्म सेंक व उसकी विधियाँ

गर्म पानी की बोतल द्वारा सेंक अथवा शुष्क गर्म सेंक वात रोग, पेट, गले, दाँत आदि के दर्द तथा क्षय रोग में लाभप्रद रहती है। गर्म सेंक की प्रचलित विधियाँ निम्नलिखित हैं

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(1) गर्म पानी की सेक:
इस विधि में एक तौलिया, मलमल के टुकड़े, चिलमची व गर्म पानी की केतली आदि की आवश्यकता पड़ती है। कपड़े को तौलिये में लपेटकर चिलमची के ऊपर रख देते हैं और तौलिये पर गर्म पानी डालते हैं। अब तौलिये को दोनों सिरों से पकड़कर निचोड़ते हैं। अब मलमल के कपड़े को निकालकर हाथ पर रखकर उसकी गर्माहट का अनुमान लगाते हैं। अब इस कपड़े से किसी भी अंग की सिकाई की जा सकती है। यह सेंक रोगी को 10-15 मिनट तक दी (UPBoardSolutions.com) जा सकती है। सेंक देते समय रोगी की हवा से रक्षा करना अति आवश्यक है।
UP Board Solutions for Class 10 Home Science Chapter 22 रोगी को स्पंज कराना गर्म सेंक, बफारा देना, बर्फ की टोपी का प्रयोग

(2) शुष्क सेंक देना:
यह निम्नलिखित विधियों द्वारा दी जा सकती है

(अ) गर्म पानी की बोतल द्वारा:
यह रबर की एक थैली होती है। सूजन आने, या पीड़ा होने पर गर्म पानी की बोतल द्वारा सिकाई करना प्राय: लाभदायक रहता है। बोतल में गर्म पानी भरकर उसकी हवा निकालकर उसका मुँह बन्द कर देते हैं। पानी अधिक गर्म होने पर बोतल के चारों ओर तौलिया लपेटकर सिकाई की जाती है। गर्म पानी की बोतल से सिकाई करते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए

  1. गर्म पानी से बोतल का केवल दो-तिहाई भाग ही भरा जाना चाहिए।
  2. थैली का मुँह डाट द्वारा कसकर बन्द किया जाना चाहिए, क्योंकि इसके खुल जाने से रोगी के जल जाने का भय रहता है।
  3. थैली के चारों ओर फलालेन का कपड़ा लपेट देने से यह अधिक समय तक गर्म बनी रहती है।
  4. किसी अंग पर बोतल को अधिक देर तक न रखकर इसे खिसकाते रहना चाहिए।

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(ब) रेत की थैली द्वारा:
रेत को ट्रे में रखकर आग पर गर्म किया जाता है। अब इसे थैली में भरकर किसी भी अंग की सिकाई की जा सकती है। रेत में गर्मी अधिक देर तक टिकती है; अतः इसका प्रयोग सूजन व दर्द दूर करने के लिए अधिक लाभकारी है।

(स) सामान्य शुष्क सेंक:
इस विधि में रूई यो तह किए कपड़े आदि को किसी तवे पर सीधे गर्म कर रोगी के पीड़ित अंगों की सिकाई की जाती है।

प्रश्न 4:
टिप्पणी लिखिए-बफारा या भाप लेना।
या
बफारा कब, कैसे और क्यों लेना चाहिए ? इससे किस प्रकार के रोगी को आराम मिलता है? [2009, 13]
उत्तर:
बफारा लेना:
बारा लेना, भाप से सिकाई करने का एक तरीका है। गले के रोग; जैसेगले का दर्द व टॉन्सिल्स: शरीर के रोग; जैसे—गठिया बाय आदि; में बफारा लेना लाभप्रद रहता है। इसके लिए अग्रलिखित विधियाँ अपनायी जाती हैं

  1. यदि बफारे में कोई औषधि मिलानी है, तो इसे खौलते जल में डाल दिया जाता है अन्यथा सादा बफारा ही लिया जाता है।
  2.  किसी छोटे मुँह के बर्तन में खौलता जल डालकर उसे किसी ऊँची मेज अथवा स्टूल पर रख बफारा लिया जाता है।
  3. सिर पर एक बड़ा तौलिः डाल दिया जाता है। यह रोगी के (UPBoardSolutions.com) सिर के साथ बर्तन इत्यादि को भी ढक लेता है।
  4. अब धीरे-धीरे श्वास लेने पर भाप श्वसन नली में प्रवेश करती रहती है तथा सेंक देती रहती है।
  5. इसी प्रकार अन्य अंगों यहाँ तक कि पूरे शरीर को भी बफारा दिया जा सकता है।

मुँह पर बफारा लेने के पश्चात् अथवा अन्य किसी अंग पर बफारा लेने के बाद मुंह अथवा अन्य अंग को कुछ समय तक ढककर रखना चाहिए जिससे कि इसे हवा न लगने पाए।

प्रश्न 5:
पुल्टिस किस काम आती है? पुल्टिस कितने प्रकार की होती है?
या
पुल्टिस क्या है ? दो प्रकार की पुल्टिस बनाने की विधि लिखिए। [2009, 12]
या
पुल्टिस का प्रयोग कब और क्यों करते हैं? दो प्रकार की पुल्टिस बनाने की विधियों का वर्णन कीजिए। [2011, 14, 16]
उत्तर:
पुल्टिस का प्रयोग

गर्म सेक को एक रूप या प्रकार पुल्टिस बांधना भी है। पुल्टिस के प्रयोग से गुम चोट व मोच की पीड़ा कम होती है तथा सूजन में लाभ होता है। कई बार फोड़े व फुन्सियों के समय पर न पकने से भयंकर पीड़ा होती है। पुल्टिस का प्रयोग करने पर फोड़े व फुन्सियाँ मुलायम हो जाती हैं, ठीक प्रकार से पक जाती हैं तथा उनके फूटकर पस निकल जाने पर पीड़ा दूर हो जाती है। इस प्रकार पुल्टिस घावों को भरने व फोड़े-फुन्सियों को पकाने के लिए अति उत्तम है।

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पुल्टिस के प्रकार
(1) आटे की पुल्टिस:
इसके लिए दो चम्मच आटा, दो चम्मच सरसों का तेल तथा दो चम्मच पानी की आवश्यकता होती है। पानी को एक चौड़े बर्तन में उबालकर उसमें आटे व तेल को डाल दिया जाता है। गाढ़ा होने तक इसे चम्मच से चलाते रहते हैं। गाढ़ा होने पर पुल्टिस तैयार हो जाती है। इसका निम्न प्रकार से प्रयोग किया जाता है

  1.  पुल्टिस लगाए जाने वाले अंग को भली प्रकार साफ कर लेना चाहिए।
  2. एक चौड़े कपड़े की पट्टी को समतल स्थान पर फैलाना चाहिए।
  3.  एक चम्मच द्वारा गर्म पुल्टिस पट्टी के बीच में फैलानी चाहिए।
  4. पट्टी का शेष भाग मोड़कर पुल्टिस को ढक देना चाहिए।
  5. पुल्टिस के उपयुक्त ताप का अनुमान लगाकर इसे प्रभावित अंग पर बाँध देना चाहिए।
  6.  ठण्डी पुल्टिस का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
  7. एक बार प्रयोग में लाई गई पुल्टिस का दोबारा प्रयोग नहीं करना चाहिए।

(2) प्याज की पुल्टिस:
इसके लिए एक गाँठ प्याज, कुछ नमक व दो चम्मच सरसों के तेल की आवश्यकता होती है। प्याज को सिल पर महीन पीस लिया जाता है। सरसों के तेल को किसी चौड़े बर्तन में गर्म कर लेते हैं। इसमें पिसी हुई प्याज व नमक को मिला दिया जाता है। गाढ़ा होने तक तेल को गर्म करते हुए चम्मच से चलाते रहते हैं। इसके बाद इसे आग से उतारकर आटे की पुल्टिस की तरह रोगी के अंग पर सावधानीपूर्वक बाँध देते हैं। प्याज की पुल्टिस घावों को भरने व फोड़े-फुन्सियों को पकाने में प्रयुक्त की जाती है।

(3) राई की पुल्टिस:
इसका प्रयोग प्राय: वयस्कों के लिए किया जाता है। यह बहुत गर्म होती है तथा इससे फोड़े शीघ्र फूट जाते हैं। इसे बनाने के लिए प्रायः एक भाग राई, पाँच भाग अलसी का, आटा तथा दो बड़े चम्मच पानी की आवश्यकता पड़ती है। राई को पीसकर अलसी के आटे में मिला लें। अब उबलते पानी को इस पर धीरे-धीरे डालते हुए चम्मच से मिलाते रहें। गाढ़ा पेस्ट होने पर पुल्टिस तैयार हो जाती है। पुल्टिस को प्रयोग करते समय 5-10 मिनट के बाद पुल्टिस का (UPBoardSolutions.com) कोना उठाकर देख लेना चाहिए कि कहीं चमड़ी अधिक लाल तो नहीं हो गई है; यदि आवश्यक समझे तो पुल्टिस को हटा देना चाहिए। राई की पुल्टिस को चार-चार घण्टे बाद लगाना चाहिए। पुल्टिस के ठण्डी होने पर इसे हटाकर घाव को ऊन से ढक देते हैं।

(4) अलसी की पुल्टिस:
इसके लिए अलसी का आटा, जैतून का तेल, चिलमची, खौलते हुए पानी की केतली, पुरानी जाली का टुकड़ा, ग्रीस-प्रूफ कागज, रूई, पट्टी, बहुपुच्छ पट्टियाँ, मेज तथा दो गर्म की हुई तश्तरियों की आवश्यकता होती है।
खौलते पानी को गर्म की गयी एक तामचीनी की कटोरी में डालकर अलसी के आटे को इसमें धीरे-धीरे मिलाना चाहिए। मिलाते समय इसे चम्मच से हिलाते रहना चाहिए। गाढ़ा पेस्ट बन जाने पर इसे मेज पर रखे लिएट के कपड़े पर एक समान मोटी तह के रूप में बिछा देना चाहिए। लिण्ट के सिरों को अलसी की तह पर मोड़ देना चाहिए। इस पर अब थोड़ा-सा जैतून का तेल डाल देना चाहिए तथा पुल्टिस को दोहरा करके व गर्म तश्तरियों के बीच में रखकर रोगी के बिस्तर के पास ले जाना चाहिए। इस गर्म पुल्टिस को रोगी के प्रभावित अंग पर लगाया जाता है।

(5) रोटी की पुल्टिस:
रोटी के टुकड़े को थैली में रखकर उबलते हुए पानी के प्याले में डाल दिया जाता है। लगभग पन्द्रह मिनट पश्चात् थैली को चपटा फैलाकर तथा निचोड़कर घाव पर लगाते हैं।

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लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1:
राई का पलस्तर कैसे बनता है? इसका क्या उपयोग है?
उत्तर:
राई का पलस्तर बनाने के लिए आटे व राई की कुचलन को समान मात्रा में लेकर (UPBoardSolutions.com) गर्म पानी में लेई के समान बना लिया जाता है। इसे किसी कपड़े या कागज के टुकड़े पर समान रूप से फैलाकर तह के रूप में बिछा दिया जाता है। इसे सूजन वाले भाग पर लगाने से सूजन कम हो जाती है।

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1:
सामान्य दशाओं में स्पंज का उद्देश्य क्या होता है?
उत्तर:
सामान्य दशाओं में स्पंज का उद्देश्य शरीर की सफाई होती है। जब रोगी को स्नान कराना सम्भव न हो, तब स्पंज किया जाता है।

प्रश्न 2:
स्पंज करने से क्या लाभ हैं? [2010]
उत्तर:
सामान्य रूप से स्पंज द्वारा शरीर की सफाई की जाती है। यदि तीव्र ज्वर हो, तो ठण्डे पानी से स्पंज करके ज्वर को नियन्त्रित किया जाता है।

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प्रश्न 3:
गर्म सेंक क्या है? यह कब दी जाती है? इसकी क्या उपयोगिता है? [2012, 14, 17]
उत्तर:
शरीर के किसी कष्ट के निवारण के लिए सम्बन्धित अंग को ताप प्रदान करना ही गर्म सेंक कहलाता है। वात रोग, पेट दर्द, गले में दर्द तथा दाँत में दर्द के निवारण में गर्म सेक उपयोगी होता है। इसके अतिरिक्त गुम चोट, मोच, सूजन तथा फोड़े-फुन्सी को पकाने में भी गर्म सेंक उपयोगी है।

प्रश्न 4:
गर्म सेंक की विभिन्न विधियाँ बताइए। [2009, 10, 11]
या
गर्म सेंक की दो विधियों का नाम लिखिए। [2009]
उत्तर:
गर्म सेंक की मुख्य विधियाँ हैं-शुष्क गर्म सेंक, पुल्टिस बाँधना, गर्म पानी की बोतल का प्रयोग करना, बफारा लेना तथा गरारे करना।

प्रश्न 5:
गरारा करने के लिए पानी में क्या विशेषताएँ होनी च.हिए?
उत्तर:
गरारा करने का पानी गर्म होना चाहिए तथा इसमें नमक या फिटकरी अथवा लाल दवा मिलाना प्रभावकारी रहता है।

प्रश्न 6:
गरारा करने से क्या लाभ हैं?
उत्तर:
गरारा करने से गले में दर्द;-टॉन्सिल्स व जुकाम में लाभ होता है।

प्रश्न 7:
जलन में आराम पहुँचाने वाली औषधियाँ कौन-सी है।
उत्तर:
जलन दूर करने में प्रयुक्त होने वाली सामान्य औषधियाँ हैं

  1.  आयोडीन,
  2.  राई का पत्ता,
  3.  राई का पलस्तर तथा
  4.  मरहम

प्रश्न 8:
पुल्टिस की उपयोगिता लिखिए। या पुल्टिस का प्रयोग कब किया जाता है? [2018]
उत्तर:
शरीर के किसी अंग को गरम सेंक देने के लिए पुल्टिस का प्रयोग किया (UPBoardSolutions.com) जाता है। पुल्टिस बाँधने से दर्द में आराम मिलता है, सूजन घटती है तथा फोड़े-फुन्सी शीघ्र पक जाते हैं एवं मवाद निकल जाती है।

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प्रश्न 9:
पुल्टिस बनाने के लिए सामान्यतः किन-किन वस्तुओं को उपयोग में लाया जाता है?
उत्तर:
पुल्टिस बनाने के लिए प्रायः आटा, अलसी, राई, प्याज, सरसों का तेल, नमक व गर्म पानी इत्यादि वस्तुएँ काम में लाई जाती हैं।

प्रश्न 10:
बफारे का प्रयोग कब किया जाता है?
उत्तर:
बफारे का प्रयोग प्राय: गले में सूजन, दर्द, टॉन्सिल्स व श्वास मार्ग में बलगम जमा होने तथा गठिया आदि रोग में किया जाता है।

प्रश्न 11:
बर्फ की टोपी व गर्म पानी की बोतल किस पदार्थ की बनी होती हैं?
उत्तर:
ये दोनों वस्तुएँ प्रायः रबर की बनी होती हैं।

प्रश्न 12:
ठण्डी सेंक कब दी जाती है? [2008, 10, 11, 12]
या
ठण्डी सेंक कब दी जाती है? ठण्डी सेंक देने की विधियाँ भी बताइए।
उत्तर:
(1) तीव्र ज्वर की अवस्था में शरीर का तापमान सामान्य करने के ध्येय से।
(2) आन्तरिक रक्तस्राव को रोकने के लिए तथा माथे व सिर को ठण्डक पहुँचाने के लिए।
ठण्डी सेंक देने की विधियाँ-ठण्डा स्पंज, ठण्डी पट्टी और बर्फ की थैली।

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प्रश्न 13:
बर्फ की टोपी का प्रयोग कब किया जाता है? [2008, 09]
उत्तर:
तीव्र ज्वर की अवस्था में रुधिर का बहाव रोकने के लिए तथा सिर (UPBoardSolutions.com) में चोट लगने के समय बर्फ की टोपी का प्रयोग किया जाता है।

प्रश्न 14:
रिंग कुशन क्या है? इसकी उपयोगिता लिखिए। [2015]
या
रिंग कुशन का प्रयोग कब करते हैं? [2009, 11, 13, 15]
या
रिंग कुशन का प्रयोग कब और कैसे करते हैं? [2010, 16]
उत्तर:
रिंग कुशन का प्रयोग शैय्याघाव की दशा में करते हैं। घाव वाले स्थान पर हवा भरकर रिंग कुशन रखते हैं। इससे घाव को बिस्तर की रगड़ नहीं लगती तथा वह धीरे-धीरे ठीक हो जाता है।

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प्रश्न 15:
ठण्डी और गर्म सेंक में अन्तर लिखिए। [2016]
उत्तर:
ठण्डी सेंक मुख्य रूप से रक्त-स्राव को रोकने, सूजन एवं दर्द को घटाने तथा तेज बुखार को कम करने में दी जाती है। जबकि गर्म सेंक वात रोग, पेट, गले, दाँत आदि के दर्द तथा रोग में दी जाती है। ठण्डी सेंक में बर्फ की थैली जबकि गर्म सेंक में रबड़ की बोतल (UPBoardSolutions.com) में गर्म पानी का प्रयोग किया जाता है।

बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न:
निम्नलिखित बहुविकल्पीय प्रश्नों के सही विकल्पों का चुनाव कीजिए

1. तीव्र ज्वर की अवस्था में रोगी को लाभप्रद रहती है
(क) ठण्डी सेक
(ख) गर्म सेक
(ग) बफारा
(घ) पुल्टिस

2. बर्फ की टोपी का प्रयोग किया जाता है [2009, 13, 14, 15]
(क) तीव्र ज्वर में
(ख) तीव्र दर्द में
(ग) अधिक रक्त दाब में
(घ) चाहे जब

3. बर्फ की टोपी में बर्फ को अधिक समय तक न पिघलने देने के लिए प्रयोग करते हैं
(क) नमक
(ख) सिरका
(ग) कपड़ा
(घ) लाल दवा

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4. सेंक करने से क्या लाभ होता है?
(क) ज्वर घटता है
(ख) सूजन घटती है
(ग) ठण्डक पहुँचती है
(घ) कोई लाभ नहीं होता

5. आन्तरिक रक्तस्राव में रोगी को क्या देते हैं?
(क) गर्म सेंक
(ख) ठण्डी सेंक
(ग) बफारा
(घ) ये तीनों

6. पुल्टिस लगाने से क्या लाभ होता है? [2011, 13]
(क) दर्द को कम करता है
(ख) सूजन बढ़ाता है
(ग) ठण्डक पहुँचाता है
(घ) इनमें से कोई नहीं

7. गुम चोट का दर्द कम करने के लिए बाँधी जाती है
(क) पट्टी
(ख) पुल्टिस
(ग) ठण्डी पट्टी
(घ) मोटा कपड़ा

8. गर्म सेंक किन अवस्थाओं में दी जाती है ?
(क) तीव्र दर्द में
(ख) तीव्र ज्वर में
(ग) स्पंज करते समय
(घ) इनमें से कोई नहीं

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उत्तर:
1. (क) ठण्डी सेक,
2. (क) तीव्र ज्वर में,
3. (क) नमक,
4. (ख) सूजन घटती है,
5. (ख) ठण्डी सेंक,
6. (क) दर्द को कम करता है,
7. (ख) पुल्टिस,
8. (क) तीव्र दर्द में

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