UP Board Solutions for Class 11 Biology Chapter 11 Transport in Plants 

UP Board Solutions for Class 11 Biology Chapter 11 Transport in Plants (पौधों में परिवहन)

These Solutions are part of UP Board Solutions for Class 11 Biology . Here we  given UP Board Solutions for Class 11 Biology Chapter 11 Transport in Plants (पौधों में परिवहन)

अभ्यास के अन्तर्गत दिए गए प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
विसरण की दर को कौन-से कारक प्रभावित करते हैं?
उत्तर :
विसरण की दर को प्रभावित करने वाले कारक निम्न हैं

1. तापमान :
तापमान के बढ़ने से विसरण की दर बढ़ती है।

2. विसरण कर रहे पदार्थों का घनत्व :
विसरण की दर विसरण कर रहे पदार्थों के वर्गमूल के व्युत्क्रमानुपाती होती है। इसको ग्राह्म के विसरण का नियम (Graham’ law of diffusion) कहते हैं।

3. विसरण का माध्यम :
अधिक सान्द्र माध्यमे में विसरण की दर कम हो जाती है।

4. विसरण दाब प्रवणता :
विसरण दाब प्रवणता जितनी अधिक होती है अणुओं का विसरण उतना ही तीव्र होता है।

UP Board Solutions

प्रश्न 2.
पोरीन्स क्या हैं? विसरण में ये क्या भूमिका निभाते हैं?
उत्तर :
पोरीन्स प्रोटीन के वृहत अणु हैं जो माइटोकॉण्डूया, क्लोरोप्लास्ट तथा (UPBoardSolutions.com) कुछ जीवाणुओं की बाह्य कला में धंसे रहते हैं। ये बड़े छिद्र बनाते हैं जिससे बड़े अणु उसमें से निकल सकें। अत: ये सहज विसरण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

प्रश्न 3.
पादपों में सक्रिय परिवहन के दौरान प्रोटीन पम्प के द्वारा क्या भूमिका निभाई जाती है? व्याख्या कीजिए।
उत्तर :
पादप कला के लिपिड स्तर में वाहक प्रोटीन के अणु मिलते हैं। ये ऊर्जा का उपयोग कर सान्द्रता विभव के विरुद्ध अणुओं को भेजते हैं। अत: उन्हें प्रोटीन पम्प कहते हैं। ये आयन का परिवहन कला के आर-पार इन प्रोटीन पम्पों की सहायता से करते हैं।

प्रश्न 4.
शुद्ध जल का सबसे अधिक जल विभव क्यों होता है? वर्णन कीजिए।
उत्तर :
शुद्ध जल का सबसे अधिक जल विभव (water potential) होता है; क्योकि

  1. जल अणुओं में गतिज ऊर्जा पाई जाती है। यह तरल और गैस दोनों अवस्था में गति करते हुए पाए जाते हैं। गति स्थिर तथा तीव्र (constant and rapid) दोनों प्रकार की हो सकती है।
  2.  किसी माध्यम में यदि अधिक मात्रा में जल हो तो उसमें गतिज ऊर्जा तथा जल विभव अधिक होगा। शुद्ध जल में सबसे अधिक जल विभव (water potential) होता है।
  3.  जब दो जल तन्त्र परस्पर सम्पर्क में हों तो पानी के अणु उच्च जल विभव (या तनु घोल) वाले तन्त्र से कम जल विभव (सान्द्र घोल) वाले तन्त्र की ओर जाते हैं।
  4. जल विभव को ग्रीक चिह्न Ψ (Psi) से चिह्नित करते हैं। इसे पास्कल (pascal) दाब इकाई में व्यक्त किया जाता है।
  5. मानक परिस्थितियों में शुद्ध जल का विभव (water potential) शून्य होता है।
  6.  किसी विलयन तन्त्र का जल विभव उस विलयन से जल बाहर निकलने की प्रवृत्ति का मापन करता है। यह प्रवृत्ति ताप एवं दाब के साथ बढ़ती जाती है, लेकिन विलेय (solute) की उपस्थिति के कारण घटती है।
  7.  शुद्ध जल में विलेय को घोलने पर घोल में जल की सान्द्रता और जल विभव (UPBoardSolutions.com) कम होता  जाता है। अतः सभी विलयनों में शुद्ध जल की अपेक्षा जल विभव कम होता है। जल विभव के कम होने का कारण विलेय विभव (solute potential Ψs ) होता है। इसे परासरण विभव (osmotic potential) भी कहते हैं। जल विभव तथा विलेय विभव ऋणात्मक होता है। कोशिका द्वारा जल अवशोषित करने के फलस्वरूप कोशिका भित्ति पर दबाव पड़ता है, जिससे यह आशून (स्फीत) हो जाती है। इसे दाब विभव (Pressure potential) कहते हैं। दाब विभव प्रायः सकारात्मक होता है, लेकिन जाइलम के जल स्तम्भ में ऋणात्मक दाब विभव रसारोहण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
  8. किसी पादप कोशिका में जलीय विभव (Ψ) तीन बलों द्वारा नियन्त्रित होता है-दाब विभव (Ψp) परासरणीय विभव या विलेय विभव (Ψs ) तथा मैट्रिक्स विभव (Ψn)। मैट्रिक्स विभव प्रायः नगण्य होता है। अतः कोशिका के जलीय विभव की गणना निम्नलिखित सूत्रानुसार करते हैं
    Ψ = Ψp + Ψs
  9. जीवद्रव्यकुंचित कोशिका का जलीय विभव परासरणीय विभव के बराबर होता है; क्योंकि दाब विभव शून्य होता है। पूर्ण स्फीत कोशिका में दाब विभव और परासरणीय विभव के बराबर हो जाने से जलीय विभव शून्य हो जाता है।
  10. जल विभव सान्द्रता (concentration), प्रवणता (gravity) और दाब (pressure) से प्रभावित होता हैं।

UP Board Solutions

प्रश्न 5.
निम्नलिखित के बीच अन्तर स्पष्ट कीजिए
(क) विसरण एवं परासरण
(ख) वाष्पोत्सर्जन एवं वाष्पीकरण
(ग) परासारी दाब तथा परासारी विभव
(घ) विसरण तथा अन्तः शोषण
(च) पादपों में पानी के अवशोषण का एपोप्लास्ट और सिमप्लास्ट पथ
(छ) बिन्दुस्राव एवं परिवहन (अभिगमन)।
उत्तर :
(क)
विसरण एवं परासरण में अन्तर

UP Board Solutions for Class 11 Biology Chapter 11 Transport in Plants image 1

UP Board Solutions

(ख)
वाष्पोत्सर्जन एवं वाष्पीकरण में अन्तर

UP Board Solutions for Class 11 Biology Chapter 11 Transport in Plants image 2

(ग)
परासारी दाब तथा परासारी विभव में अन्तर

UP Board Solutions for Class 11 Biology Chapter 11 Transport in Plants image 3

UP Board Solutions

(घ)
विसरण एवं अन्तः शोषण में अन्तर

UP Board Solutions for Class 11 Biology Chapter 11 Transport in Plants image 4

(च)
पादपों में पानी के अवशोषण का एपोप्लास्ट और सिमप्लास्ट पथ एपोप्लास्ट पथ

UP Board Solutions for Class 11 Biology Chapter 11 Transport in Plants image 5
UP Board Solutions for Class 11 Biology Chapter 11 Transport in Plants image 6

(छ)
बिन्दुसाव एवं परिवहन (अभिगमन) में अन्तर

UP Board Solutions for Class 11 Biology Chapter 11 Transport in Plants image 7

प्रश्न 6.
जल विभव का संक्षिप्त वर्णन कीजिए। कौन-से कारक इसे प्रभावित करते हैं? जल विभव, विलेय विभव तथा दाब विभव के आपसी सम्बन्धों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर :
“अभ्यास के अन्तर्गत दिए गए प्रश्नोत्तर” में शीर्षक के प्रश्न 4 का उत्तर देखिए।

UP Board Solutions

प्रश्न 7.
लब क्या होता है जब शुद्ध जल या विलयन पर पर्यावरण के दाब की अपेक्षा अधिक दाब लागू किया जाता है?
उत्तर :
जब शुद्ध जल या विलयन पर पर्यावरण के दाब की अपेक्षा अधिक दाब लागू किया जाता है। तो इसका जल विभव बढ़ जाता है। जब पौधों या कोशिका में जल विसरण द्वारा प्रवेश करता है तो कोशिका आशून (turgid) हो जाती है। इसके फलस्वरूप (UPBoardSolutions.com) दाब विभव (pressure potential) बढ़ जाता है। दाब विभव अधिकतर सकारात्मक होता है। इसे 9 से प्रदर्शित करते हैं। जल विभव घुलित तथा दाब विभव से प्रभावित होता है।

प्रश्न 8.
(क) रेखांकित चित्र की सहायता से पौधों में जीवद्रव्यकुंचने की विधि का वर्णन उदाहरण देकर कीजिए।
(ख) यदि पौधे की कोशिका को उच्च जल विभव वाले विलयन में रखा जाए तो क्या होगा?
उत्तर :
(क)
रिक्तिकामय पादप कोशिका को अतिपरासारी विलयन (hypertonic solution)
में रख देने पर कोशिकारस कोशिका से बाहर आने लगता है। यह क्रिया बहिःपरासरण (exosmosis) के कारण होती है। इसके फलस्वरूप जीवद्रव्य सिकुड़कर कोशिका में एक ओर एकत्र हो जाता है। इस अवस्था में कोशिका पूर्ण श्लथ (fully flaccid) हो जाती है। इस क्रिया को जीवद्रव्यकुंचन (plasmolysis) कहते हैं। जीवद्रव्यकुंचित कोशिका की कोशिका भित्ति और जीवद्रव्य के मध्य अतिपरासारी विलयन एकत्र हो जाता है, लेकिन यह विलयन कोशिकारिक्तिका में नहीं पहुँचता। इससे यह स्पष्ट होता है कि कोशिका भित्ति पारगम्य होती है और रिक्तिका कला अर्द्धपारगम्य होती है।
UP Board Solutions for Class 11 Biology Chapter 11 Transport in Plants image 8

UP Board Solutions

जीवद्रव्यकुंचित कोशिका को आसुत जल या अल्पपरासारी विलयन (hypotonic solution) में रखा जाए तो कोशिका पुनः अपनी पूर्व स्थिति में आ जाती है। इस प्रक्रिया को जीवद्रव्यविकुंचन (deplasmolysis) कहते हैं। कोशिका को समपरासारी विलयन (isotonic solution) में रखने पर (UPBoardSolutions.com) कोशिका में कोई परिवर्तन नहीं होता, जितने जल अणु कोशिका से बाहर निकलते हैं उतने  जल अणु कोशिका में प्रवेश कर जाते हैं।

UP Board Solutions for Class 11 Biology Chapter 11 Transport in Plants image 9

(ख)
अल्पसारी विलयन (hypotonic solution)
कोशिकारस या कोशिकाद्रव्य की अपेक्षा तनु (dilute) होता है। इसका जल विभव (water potential) अधिक होता है। अतः पादप कोशिका को अल्पपरासारी विलयन में रखने पर अन्त:परासरण की क्रिया होती है। इस क्रिया के फलस्वरूप अतिरिक्त जल कोशिका में पहुँचकर स्फीति दाब (turgor pressure) उत्पन्न करता है। स्फीति दाब भित्ति दाब (wall pressure) के बराबर होता है। स्फीति दाब को दाब विभव (pressure potential) भी कहते हैं। कोशिका भित्ति की दृढ़ता एवं स्फीति दाब के कारण कोशिका भित्ति क्षतिग्रस्त नहीं होती। स्फीति या आशूनता के कारण कोशिका में वृद्धि होती है। स्फीति दाब एवं परासरण दाब के बराबर हो जाने पर कोशिका में जल का आना रुक जाता है।

UP Board Solutions

प्रश्न 9.
पादप में जल एवं खनिज के अवशोषण में माइकोराइजल (कवकमूले सहजीवन) सम्बन्ध कितने सहायक हैं?
उत्तर :
माइकोराइजल या कवकमूलीय सहजीवन अनेक उच्च पादपों की जड़े कवक मूल द्वारा संक्रमित हो जाती हैं; जैसे–चीड़, देवदार, ओक आदि। कवक तन्तु की जड़ों की सतह पर बाह्यपादपी कवकमूल (ectophytic mycorrhiza) बनाता है। कभी-कभी कवक तन्तु जड़ के अन्दर पहुँच जाते हैं और अन्त:पादपी कवकमूल बनाते हैं। कवक मूल संगठन में कवक तन्तु अपना भोजन पोषक (host) की जड़ों से प्राप्त करते हैं तथा वातावरण की नमी व भूमि की ऊपरी सतह से लवणों का अवशोषण कर पोषक पौधे को प्रदान करने का कार्य करते हैं। कुछ आवृतबीजी पौधे; जैसे-निओशिया (Neottii), मोनोटोपा (Monotropd) भी कवकमूल सहजीवन (UPBoardSolutions.com) प्रदर्शित करते हैं। इन पौधों को अगर कवक सेहजीविता समय पर उपलब्ध नहीं होती तो ये मर जाते हैं। चीड़ के बीज कवक सहजीविता स्थापित न होने की स्थिति में अंकुरित होकर नवोदुभिद् (seedings) नहीं बना पाते।

प्रश्न 10.
पादप में जल परिवहन हेतु मूलदाब क्या भूमिका निभाता है?
उत्तर :

मूलदाब

मूल वल्कुट (root cortex) की कोशिकाओं की स्फीति (आशून) स्थिति में अपने कोशिकाद्रव्य पर पड़ने वाले दाब को मूलदाब (root pressure) कहते हैं। मूलदाब के फलस्वरूप जल (कोशिकारस) जाइलम वाहिकाओं में प्रवेश करके तने में कुछ ऊँचाई तक ऊपर चढ़ता है। मूलदाब शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम स्टीफन हेल्स (Stephan Hales, 1927) ने किया। स्टॉकिंग (Stocking, 1956) के अनुसार जड़ के जाइलम में उत्पन्न दाब, जो जड़ की उपापचयी क्रियाओं से उत्पन्न होता है, मूलदाब कहलाता है। मूलदाब सामान्यतया + 1 से + 2 बार तक होता है। इससे जल कुछ ऊँचाई तक चढ़ सकता है। शुष्क मृदा में मूलदाब उत्पन्न नहीं होता। बहुत-से पौधों; जैसे–अनावृतबीजी (gymnosperms) में मूलदाब उत्पन्न हीं नहीं होता। अतः आधुनिक मतानुसार रसारोहण में मूलदाब का विशेष कार्य नहीं है।

प्रश्न 11.
पादपों में जल परिवहन हेतु वाष्पोत्सर्जन खिंचाव मॉडल की व्याख्या कीजिए। वाष्पोत्सर्जन क्रिया को कौन-सा कारक प्रभावित करता है? पादपों के लिए कौन उपयोगी है?
उत्तर :

रेसारोहण या जल परिवहन

पौधे जड़ों द्वारा जल एवं खनिज लवणों का अवशोषण करते हैं। अवशोषित जल गुरुत्वाकर्षण के विपरीत पर्याप्त ऊँचाई तक (पत्तियों तक) पहुँचता है। यह ऊँचाई सिकोया (Sequoid) में 370 फुट तक होती है। गुरुत्वाकर्षण के विपरीत जल के ऊपर चढ़ने की क्रिया को रसारोहण कहते हैं। सर्वमान्य वाष्पोत्सर्जनाकर्षण जलीय संसंजक मत (Transpiration Pull Cohesive Force of Water Theory) के अनुसार रसारोहण निम्नलिखित कारणों से होता है

1. वाष्पोत्सर्जनाकर्षण (वाष्पोत्सर्जन खिंचाव मॉडल) :
पत्तियों की कोशिकाओं से जल के वाष्पन के फलस्वरूप कोशिकाओं की परासरण सान्द्रता तथा विसरण दाबे न्यूनता (Diffusion pressure deficit) अधिक हो जाती है। इसके फलस्वरूप जल जाइलम से परासरण द्वारा पर्ण कोशिकाओं में पहुँचता रहता है। जलवाष्प रन्ध्रों से वातावरण में विसरित होती रहती है। इसके फलस्वरूप जाइलम में उपस्थित जल स्तम्भ पर एक तनाव उत्पन्न हो
जाता है। वाष्पोत्सर्जन के कारण उत्पन्न होने वाले इस तनाव को वाष्पोत्सर्जनाकर्षण (transpiration pull) कहते हैं।

2. जल अणुओं का संसंजन बल (Cohesive Force of water Molecules) :
जल अणुओं के मध्य संसंजन बल (cohesive force) होता है। इसी संसंजन बल के कारण जल (UPBoardSolutions.com) स्तम्भ 400 वायुमण्डलीय दाब पर भी खण्डित नहीं होता और इसकी निरन्तरता बनी रहती है। संसंजन बल के कारण जल 1500 मीटर ऊँचाई तक चढ़ सकता है।

UP Board Solutions

3. जल तथा जाइलम भित्ति के मध्य आसंजन (Adhesion between Water and Cell wall of Xylem Tissue) :
जाइलम ऊतक की कोशिकाओं और जल अणुओं के मध्य आसंजन (adhesion) का आकर्षण होता है। यह आसंजन जल स्तम्भ को सहारा प्रदान करता है। वाष्पोत्सर्जन के कारण उत्पन्न तनाव जल स्तम्भ को ऊपर खींचता है।
UP Board Solutions for Class 11 Biology Chapter 11 Transport in Plants image 10

वाष्पोत्सर्जन को प्रभावित करने वाले कारक

पौधों में वाष्पोत्सर्जन को प्रभावित करने वाले कारकों को दो समूहों में बाँट सकते हैं
(अ) बाह्य कारक (External Factors)
(ब) आन्तरिक कारक (Internal Factors)

(अ)
बाह्य कारक

1. वायुमण्डल की अपेक्षिक आर्द्रता (Relative Humidity of Atmosphere) :
वायुमण्डल की आपेक्षिक आर्द्रता कम होने पर वाष्पोत्सर्जन अधिक होता है। आपेक्षिक आर्द्रता अधिक होने पर वाष्पोत्सर्जन की दर कम हो जाती है।

2. प्रकाश (Light) :
प्रकाश के कारणरन्ध्र खुलते हैं, तापमान में वृद्धि होती है; अत: वाष्पोत्सर्जन की दर बढ़ जाती है। रात्रि में रन्ध्र बन्द हो जाने से वाष्पोत्सर्जन की दर कम हो जाती है।

UP Board Solutions

3. वायु (Wind) :
वायु की गति अधिक होने पर वाष्पोत्सर्जन की दर अधिक हो जाती है।

4. तापक्रम (Temperature) :
ताप के बढ़ने से आपेक्षिक आर्द्रता कम हो जाती है और वाष्पोत्सर्जन की दर बढ़ जाती है। ताप कम होने पर आपेक्षिक आर्द्रता अधिक हो जाती हैं और वाष्पोत्सर्जन की दर कम हो जाती है।

5. उपलब्ध जल (Available Water) :
वाष्पोत्सर्जन की दर जल की उपलब्धता पर निर्भर करती है। मृदा में जल की (UPBoardSolutions.com) कमी होने पर वाष्पोत्सर्जन की दर कम हो जाती है।

(ब)
आन्तरिक कारक

पत्तियों की संरचना, रन्ध्रों की संख्या एवं संरचना आदि वाष्पोत्सर्जन को प्रभावित करती है।

वाष्पोत्सर्जन की उपयोगिता

  1. पौधों में अवशोषण एवं परिवहन के लिए वाष्पोत्सर्जन खिंचाव उत्पन्न करता है।
  2. मृदा से प्राप्त खनिजों के पौधों के सभी अंगों (भागों) तक परिवहन में सहायता करता है।
  3. पत्ती की सतह को वाष्पीकरण द्वारा 10-15°C तक ठण्डा रखता है।
  4. कोशिकाओं को स्फीति रखते हुए पादपों के आकार एवं बनावट को नियन्त्रित रखने में सहायता करता है।

प्रश्न 12.
पादपों में जाइलम रसारोहण के लिए जिम्मेदार कारकों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर :
रसारोहण गुरुत्वाकर्षण के विपरीत मूलरोम से पत्तियों तक कोशिकारस (cell sap) के ऊपर चढ़ने की क्रिया को रसारोहण (Ascent of sap) कहते हैं। रसारोहण मुख्य रूप से वाष्पोत्सर्जनाकर्षण (transpiration pull) के कारण होता है। यह निम्नलिखित कारकों से प्रभावित होता है

UP Board Solutions

(1) संसंजन (Cohesion) :
जल के अणुओं के मध्य आकर्षण।

(2) आसंजन (Adhesion) :
जल अणुओं का ध्रुवीय सतह (जैसे-जाइलम ऊतक) से आकर्षण।

(3) पृष्ठ तनाव (Surface Tension) :
जल अणुओं की द्रव अवस्था में गैसीय अवस्था। जल की उपर्युक्त विशिष्टताएँ जल को उच्च तन्य सामर्थ्य (high tensile strength) प्रदान करती हैं। वाहिकाएँ एवं वाहिनिकाएँ (tracheids & vessels) केशिका (capillary) के समान लघु व्यास वाली कोशिकाएँ होती हैं।

प्रश्न 13.
पादपों में खनिजों के अवशोषण के दौरान अन्तःत्वचा की आवश्यक भूमिका क्या होती है?
उत्तर :
जड़ों की अन्तस्त्वचा कोशिकाओं की कोशिकाकला पर अनेक वाहक प्रोटीन्स पाई जाती हैं। ये प्रोटीन्स जड़ों द्वारा अवशोषित किए जाने वाले घुलितों की मात्रा और प्रकार को नियन्त्रित करने वाले बिन्दुओं की भाँति कार्य करती हैं। अन्तस्त्वचा की सुबेरिनमय (suberinised) कैस्पेरी पट्टियों (casparian strips) द्वारा खनिज या घुलित पदार्थों के आयन्स या अणुओं का परिवहन एक ही दिशा (unidirection) में होता है। अतः अन्तस्त्वचा (endodermis) खनिजों की मात्रा (UPBoardSolutions.com) और प्रकार (quantity & type) को जाइलम तक पहुँचने को नियन्त्रित करती है। जल तथा खनिजों की गति मूलत्वचा (epiblema) से अन्तस्त्वचा तक सिमप्लास्टिक (symplastic) होती है।

UP Board Solutions

प्रश्न 14.
जाइलम परिवहन एकदिशीय तथा फ्लोएम परिवहन द्विदिशीय होता है। व्याख्या कीजिए।
उत्तर :
1. जाइलम परिवहन (Xylem Transport) :
पौधे अपने लिए आवश्यक जल एवं खनिज पोषक मृदा से प्राप्त करते हैं। ये सक्रिय या निष्क्रिय अवशोषण या सम्मिश्रित प्रक्रिया द्वारा अवशोषित । होकर जाइलम तक पहुँचते हैं। जाइलम द्वारा जल एवं पोषक तत्त्वों का परिवहन एकदिशीय  (unidirection) होता है। ये पौधों के वृद्धि क्षेत्र की ओर विसरण द्वारा पहुँचते हैं।

2. फ्लोएम परिवहन (Phloem Transport) :
फ्लोएम द्वारा सामान्यतया कार्बनिक भोज्य पदार्थों का परिवहन होता है। कार्बनिक पदार्थों का संश्लेषण पत्तियों द्वारा होता है। पत्तियों में निर्मित भोज्य पदार्थों का पौधे के संचय अंगों (कुण्ड-सिक) तक परिवहन होता है। लेकिन यह स्रोत (पत्तियाँ) और कुण्ड (संचय अंग) अपनी भूमिकाएँ मौसम और आवश्यकतानुसार बदलते रहते हैं; जैसे-जड़ों में संचित अघुलनशील भोज्य पदार्थ बसन्त ऋतु के प्रारम्भ में घुलनशील शर्करा में बदलकर वर्दी और पुष्प कलिकाओं तक पहुँचने लगता है। इससे स्पष्ट है कि संश्लेषण स्रोत और संचय स्थल (कुण्ड-सिंक) का सम्बन्ध बदलता रहता है। अतः फ्लोएम में घुलनशील शर्करा का परिवहन द्विदिशीय या बहुदिशीय (bidirectional or multidirectional) होता है।

प्रश्न 15.
पादपों में शर्करा के स्थानान्तरण के दाब प्रवाह परिकल्पना की व्याख्या कीजिए।
उत्तर :
शर्करा के स्थानान्तरण की दाब प्रवाह परिकल्पना खाद्य पदार्थों (शर्करा) के वितरण की सर्वमान्य क्रियाविधि दाब प्रवाह परिकल्पना है। पत्तियों में संश्लेषित ग्लूकोस, सुक्रोस (sucrose) में बदलकर फ्लोएम की चालनी नलिकाओं और सहचर कोशिकाओं द्वारा पौधों के संचय अंगों में स्थानान्तरित होता है। पत्तियों में निरन्तर भोजन निर्माण होता रहता है। फ्लोएम ऊतक की चालनी नलिकाओं में जीवद्रव्य के प्रवाहित होते रहने के कारण उसमें घुलित भोज्य पदार्थों के अणु भी प्रवाहित होते रहते हैं। यह स्थानान्तरण अधिक सान्द्रता वाले स्थान से कम सान्द्रता वाले स्थानों की ओर होता है। पत्तियों की कोशिकाओं में निरन्तर भोज्य पदार्थों का निर्माण होता रहता है, इसलिए पत्ती की कोशिकाओं में परासरण दाब अधिक रहता है। जड़ों तथा अन्य संचय भागों में भोज्य पदार्थों के अघुलनशील पदार्थों में बदल जाने या प्रयोग कर लिए जाने (UPBoardSolutions.com) के कारण इन कोशिकाओं का परासरण दाब कम बना रहता है। भोज्य पदार्थों के परिवहन हेतु जल जाइलम ऊतक से प्राप्त होता है। संचय अंगों में मुक्त जल जाइलम ऊतक में वापस पहुँच जाता है। इस प्रकार फ्लोएम द्वारा सुगमतापूर्वक कार्बनिक भोज्य पदार्थों का संवहन होता रहता है।
UP Board Solutions for Class 11 Biology Chapter 11 Transport in Plants image 11

प्रश्न 16.
वाष्पोत्सर्जन के दौरान रक्षके द्वार कोशिका खुलने एवं बन्द होने के क्या कारण हैं?

उत्तर :

वाष्पोत्सर्जन

पौधों के वायवीय भागों से होने वाली जल हानि को वाष्पोत्सर्जन (transpiration) कहते हैं। यह सामान्यतया रन्ध्र (stomata) द्वारा होता है। उपचर्म (cuticle) तथा वातारन्ध्र (lenticel) इसमें सहायक होते हैं। रन्ध्र रक्षक द्वार कोशिकाओं (guard cells) से घिरा सूक्ष्म छिद्र होता है। रक्षक द्वार कोशिकाएँ सेम के बीज या वृक्क के आकार की होती हैं। ये चारों ओर से बाह्य त्वचीय कोशिकाओं अथवा सहायक कोशिकाओं से घिरी रहती हैं। रक्षक द्वार कोशिका (UPBoardSolutions.com) में केन्द्रक तथा हरितलवक (chloroplast) पाए जाते हैं। रक्षक द्वार कोशिका की भीतरी सतह मोटी भित्ति वाली तथा बाह्य सतह पतली भित्ति वाली होती है।

UP Board Solutions

UP Board Solutions for Class 11 Biology Chapter 11 Transport in Plants image 12

रन्ध्र को खुलना या बन्द होना रक्षक द्वार कोशिकाओं की स्फीति (turgidity) पर निर्भर करता है। जब रक्षक कोशिकाएँ स्फीति होती हैं तो रन्ध्र खुला रहता है और जब ये श्लथ (flaccid) होती हैं तो रन्ध्र बन्द हो जाते हैं। रन्ध्र के खुलने में रक्षक कोशिका की भित्तियों में उपस्थित माइक्रोफाइब्रिल सहायता करते हैं। ये अरीय क्रम में व्यवस्थित रहते हैं। सामान्यतया रन्ध्र दिन के समय खुले रहते हैं। औ रात्रि के समय बन्द हो जाते हैं।

UP Board Solutions

परीक्षोपयोगी प्रश्नोत्तर

बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
बिन्दुस्राव प्रायः पाया जाता है
(क) जलीय पौधों में
(ख) समोभिद् पौधों में
(ग) मरुद्भिद् पौधों में
(घ) शाकीय पौधों में
उत्तर :
(घ) शाकीय पौधों में

प्रश्न 2.
वाष्पोत्सर्जन की क्रिया हो सकती है
(क) उपचर्मीय
(ख) वातरन्ध्रीय
(ग) रन्ध्रीय
(घ) सभी प्रकार की
उत्तर :
(घ) सभी प्रकार की

प्रश्न 3.
अधिक वाष्पोत्सर्जन होता है
(क) वातरन्ध्र में
(ख) रन्ध्र में
(ग) उपत्वचा में
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर :
(ख) रन्ध्र में

प्रश्न 4.
निम्नलिखित में से किन पौधों में रन्ध्र रात में खुले तथा दिन में बन्द रहते हैं?
(क) मरुद्भिद्
(ख) समोद्भिद्
(ग) मांसलोभिद्
(घ) जलोभिद्
उत्तर :
(ग) मांसलोभिद्

UP Board Solutions

प्रश्न 5.
पौधों में खाद्य पदार्थों का स्थानान्तरण होता है
(क) मूलरोमों द्वारा
(ख) रन्ध्रों द्वारा
(ग) दारु कोशिकाओं द्वारा
(घ) फ्लोएम कोशिकाओं द्वारा
उत्तर :
(घ) फ्लोएम कोशिकाओं द्वारा

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
उस पादप शारीरिक क्रिया का नाम लिखिए जो जलरन्ध्रों द्वारा होती है।
उत्तर :
जलरन्ध्रों (hydathodes) के द्वारा होने वाली शारीरिक क्रिया (physiological activity) बिन्दुस्रवण (guttation) कहलाती है।

प्रश्न 2.
वाष्पोत्सर्जन की दर नापने वाले उपकरण का नाम लिखिए।
उत्तर :
पोटोमीटर।

प्रश्न 3.
उस तत्त्व का नाम बताइए जो रन्ध्रों के खुलने एवं बन्द होने में सक्रिय भूमिका निभाता (भाग लेता) है।
उत्तर :
पोटैशियम तत्त्व (K+) के एकत्र होने से लेविट (Levit) के अनुसार रन्ध्र खुल जाता है।

प्रश्न 4.
निम्नलिखित में अन्तर स्पष्ट कीजिए
(क) स्फीति दाब व भित्ति दाब।
(ख) अन्तः शोषण व परासरण।
उत्तर :

(क)
स्फीति दाब व भित्ति दाब
जल अवशोषण के कारण कोशिका के अन्दर जीवद्रव्य की मात्रा बढ़ जाती है तथा कोशिका स्फीति दशा में आ जाती है। इस समय जीवद्रव्य द्वारा कोशिका भित्ति पर लगाया जाने वाला दाब स्फीति दाब कहलाता है। इस दाब के विरुद्ध दृढ़ कोशिका भित्ति द्वारा जो दाब आरोपित होता है उसे भित्ति दाब कहते हैं।

(ख)
अन्तःशोषण व परासरण
ठोस एवं कोलॉइडी पदार्थों द्वारा जल अवशोषण अन्त:शोषण कहलाता है जैसे काष्ठ द्वारा जल (UPBoardSolutions.com) का अवशोषण। इसके विपरीत परासरण वह क्रिया है जिसमें जल एक अर्द्धपारगम्य झिल्ली से होकर कम सान्द्रता वाले विलयन से अधिक सान्द्रता वाले विलयन की ओर जाता है।

UP Board Solutions

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
परासरण किसे कहते हैं? परासरण क्रिया की चित्र द्वारा व्याख्या कीजिए। या चित्र की सहायता से अण्डे की झिल्ली द्वारा परासरण की परिघटना का प्रदर्शन कीजिए और परासरण की परिभाषा भी लिखिए।
उत्तर :
परासरण पौधे जन्तुओं से कोशिका भित्ति (cell wall) के आधार पर भिन्न होते हैं। कोशिका भित्ति पौधों में सबसे बाहरी तरफ पायी जाती है। यह एक पारगम्य परत होती है। अत: यह विभिन्न पदार्थों के परिवहन या गति के लिए बाधक नहीं होती है। एक पौधे की कोशिकाओं में प्राय: एक केन्द्रीय रसधानी (central vacuole) होती है, जिसका रसधानीयुक्त रस कोशिका के विलेय विभव में भागीदारी करता है। पादप कोशिका में कोशिका झिल्ली तथा रसधानी की झिल्ली, टोनोप्लास्ट, दोनों एक साथ कोशिका के भीतर एवं बाहर अणुओं की गति निर्धारित करने के लिए महत्त्वपूर्ण होते हैं। परासरण को निम्न प्रकार परिभाषित किया जा सकता हैवह क्रिया जिसमें विलायक के अणु अपनी अधिक सान्द्रता से कम सान्द्रता की ओर एक अर्द्धपारगम्य झिल्ली द्वारा तब तक गति करते रहते हैं जब तक कि सान्द्रता एकसमान न हो जाये, परासरण (osmosis) कहलाती है।
UP Board Solutions for Class 11 Biology Chapter 11 Transport in Plants image 13

इसे हम निम्न प्रयोग द्वारा समझ सकते हैंशर्करा के विलयन को एक कीप में लिया गया है, जो एक बीकर में रखे गए जल से अर्द्धपारगम्य झिल्ली द्वारा अलग है। आप इस प्रकार की झिल्ली एक अंडे से प्राप्त कर सकते हैं। आप अंडे के एक सिरे पर छोटा सा छेद करके सारा पीला एवं श्वेत पदार्थ (योल्क एवं एल्यूमिन) निकाल लें और फिर अंडे के कवच को कुछ घण्टों के लिए तनु नमक के अम्ल (HCI) में छोड़ दें। अंडे का कवच घुल जायेगा और उसकी झिल्ली साबुत (UPBoardSolutions.com) प्राप्त हो जाएगी। जल कीप की ओर गति करेगा और कीप में घोल का स्तर बढ़ जाएगा। यह प्रक्रिया तब तक जारी रहेगी जब तक कि साम्यावस्था की स्थिति नहीं आ जाती । कीप के ऊपरी भाग पर बाहरी दाब डाला जा सकता है ताकि झिल्ली के माध्यम से कीप में जल विसरित न हो। यह दाब जल को विसरित होने से रोकता है। विलेय सान्द्रता अधिक होने पर जल को विसरित होने से रोकने के लिए अधिक दाब की भी आवश्यकता होगी। संख्यात्मक आधार पर परासरण दाब परासरण विभव के बराबर होता है लेकिन इसका संकेत विपरीत होता है। परासरण दाब में प्रयुक्त दाब सकारात्मक होता है जबकि परासरण विभव नकारात्मक होता है।

UP Board Solutions

UP Board Solutions for Class 11 Biology Chapter 11 Transport in Plants image 14

प्रश्न 2.
जीवद्रव्यकुंचन तथा विसरण में अन्तर स्पष्ट कीजिए। या जीवद्रव्यकुंचन पर टिप्पणी लिखिए।

उत्तर :
जीवद्रव्यकुंचन तथा विसरण में अन्तर ज
UP Board Solutions for Class 11 Biology Chapter 11 Transport in Plants image 15

प्रश्न 3.
जड़ों द्वारा जल-अवशोषण क्रिया को प्रभावित करने वाले कारकों का वर्णन कीजिए। या जल-अवशोषण क्रिया में ऑक्सीजन का क्या प्रभाव होता है?
उत्तर :
जल-अवशोषण को प्रभावित करने वाले कारक जल-अवशोषण को निम्न कारक प्रभावित करते हैं

1. प्राप्य भूमि-जल (Available Soil Water) :
यद्यपि मृदा में विभिन्न प्रकार के जल की मात्रा पायी जाती है परन्तु केवल केशिका जल (capillary water) ही पौधों के लिए उपयोगी होता है। यह जल उस भूमि की क्षेत्रीय जल-धारिता (water at field capacity) तथा स्थाई म्लानि-प्रतिशत (permanent wilting percentage) के बीच की मात्रा होती है। यदि मृदा में जल की मात्रा स्थाई म्लानि-प्रतिर्शत या उससे कम हो जाती है तो पौधा मुरझा जाता है। यदि स्थाई म्लानि-प्रतिशत से क्षेत्रीय जल-धारिता तक जल की मात्रा (UPBoardSolutions.com) बढ़ाई जाए तो जल-अवशोषण बढ़ता जाएगा, परन्तु इससे अधिक जल की मात्रा होने से मृदा के अन्तराकोशिकीय स्थानों (intercellular spaces) से वायु निकल जाने से जल-अवशोषण कम हो जाता है। इस अवस्था को जलाक्रान्ति (water-logging) कहते हैं।

UP Board Solutions

2. मृदा का तापमान (Temperature of Soil) :
जब मृदा का तापमान कम होता है तो जड़ों द्वारा जल-अवशोषण की क्रिया की दर कम हो जाती है। अधिकतर पौधों को पर्याप्त जल-अवशोषण के लिए 20° से 35°C तापमान की आवश्यकता होती है। कम तापमान के कारण जल-अवशोषण में निम्न कारणों से कमी हो जाती है

  1.  मूल-वृद्धि कम हो जाती है।
  2.  मृदा से मूल की ओर जल की गति धीमी (slow) हो जाती है।
  3.  कोशिका कला की पारगम्यता (permeability of cell membrane) कम हो जाती है।
  4. कोशिकाद्रव्य का आलगत्व (viscosity) बढ़ जाता है।

3. मृदा विलयन की सान्द्रता (Concentration of Soil Solution) :
यदि मृदा विलयन की सान्द्रता (परासरण दाब भी) मूलरोम के रिक्तिका-रस की सान्द्रता (परासरण दाब भी) की तुलना में कम होगी तो उन जड़ों द्वारा जल का अवशोषण सुगम होगा, यदि मृदा विलयन की सान्द्रता अधिक होगी तो जड़ों द्वारा जल-अवशोषण कठिन होगा। दूसरी अवस्था में मृदा दैहिक रूप से शुष्क (physiologically dry) हो जाती है। कभी-कभी खेती में उर्वरकों (fertilizers) का प्रयोग करने पर यदि शीघ्र ही काफी जल से खेतों की सिंचाई नहीं होती तो मृदा में लवणों की सान्द्रता अधिक हो जाने के कारण पौधे मुरझा जाते हैं। यह म्लानि के कारण होता है।

4. मृदा की वायु (Soil Air) :
अच्छे वातन वाली (well aerated) मृदा से जल का अवशोषण अधिक होता है तथा जलाक्रान्ति मृदा (water logged soil) से जल का अवशोषण कम होता है। इसका कारण यह है कि जल-अवशोषण क्रिया एक भौतिक प्रक्रम (physical process) नहीं है
वरन यह एक जैविक क्रिया (vital activity) है जिसके लिए ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है। जड़ों की कोशिकाओं को जीवित रखने के लिए श्वसन की आवश्यकता होती है जो ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में नहीं होगा। साथ ही ऑक्सीजन की कमी में अनॉक्सीय जीवाणु (anaerobic bacteria) उत्पन्न हो जाते हैं। ये जीवाणु कार्बन डाइऑक्साइड एवं कार्बनिक अम्ल अधिक मात्रा में उत्पन्न करते हैं जो जड़ों के लिए घातक होते हैं।

प्रश्न 4.
मूल-दाब से आप क्या समझेंतेहै? एक प्रयोग की सहायता से मूल दाब को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :

मूल-दाब

मूल-दाब मूल वल्कुट (root cortex) कोशिकाओं की स्फीति दशा में अपने कोशिकाद्रव्य पर पड़ने वाली वह दाब है जिसके फलस्वरूप उसमें उपस्थित द्रव, जाइलम वाहिकाओं में प्रवेश करके तने में कुछ ऊँचाई तक ऊपर चढ़ता है। मूल-दाब शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम स्टीफन हैल्स (Stephan Hales) ने सन् 1727 में किया। स्टॉकिंग (Stocking 1956) के अनुसार, “मूल की वाहिकाओं में उत्पन्न दाब जो जड़ की उपापचयी क्रियाओं द्वारा उत्पन्न होता है, मूल-दाब (UPBoardSolutions.com) कहलाता है।” मूलरोमों द्वारा मृदा से अवशोषित जल वल्कुट (cortex) की ऊतियों में इकट्ठा होता रहता है जिसके फलस्वरूप वल्कुट (cortex) की कोशिकाएँ पूर्ण स्फीति दशा (turgidity condition) में हो जाती हैं। इन कोशिकाओं की भित्ति लचीली होने के कारण यह कोशिकाओं में भरे द्रव पर दबाव डालती हैं। जिसके फलस्वरूप द्रव का कुछ भाग जाइलम वाहिकाओं में चला जाता है तथा यह तने में कुछ ऊँचाई तक ऊपर चला जाता है। इस प्रकार मूल-दाब रसारोहण में सहायता करता है।

UP Board Solutions

प्रयोग
किसी पर्याप्त जलवातीय भूमि में उगे पौधे के तने को भूमि से कुछ इंच ऊपर से काट दिया जाता है। तने के कटे सिरे पर रबर की नली की सहायता से काँच की एक नली बाँधकर उसमें थोड़ा जल भर दिया जाता है। अब काँच की नली के दूसरे सिरे पर रबर की सहायता से एक U के आकार की (U-shaped) ट्यूब में कुछ पारा भरकर मेनोमीटर लगाकर बाँध दिया जाता है। कुछ समय पश्चात् देखने से ज्ञात होता है कि मेनोमीटर की नली में पारा ऊपर चढ़ गया है और काँच की नली में भी जल पहले से अधिक है। इससे स्पष्ट होता है कि काँच की नली में तने के कटे सिरे से जल निकाय इकट्ठा हो गया है जिससे पारे पर दबाव पड़ने के कारण यह मेनोमीटर (UPBoardSolutions.com) में ऊपर चढ़ जाता है। इससे यह स्पष्ट है कि मूल-दाब के कारण जल तने में ऊपर चढ़ता है। चित्र-मूल-दाब को प्रदर्शित करने का उपकरण

UP Board Solutions for Class 11 Biology Chapter 11 Transport in Plants image 16

प्रश्न 5.
बिन्दुस्रवण पर टिप्पणी लिखिए। या बिन्दुस्रवण क्या है? टमाटर अथवा प्रीमूला पत्ती के सिरे पर स्थित जल स्रावण ग्रन्थि की अनुदैर्घ्य काट का चित्र बनाकर इसे समझाइए।
उत्तर :
जब मृदा में अवशोषण योग्य जल की पर्याप्त मात्रा हो, परन्तु वाष्पोत्सर्जन न हो सकता हो तब धनात्मक मूलदाब के कारण जल (वास्तव में घोल) का बिन्दुओं के रूप में पत्तियों के किनारों पर
UP Board Solutions for Class 11 Biology Chapter 11 Transport in Plants image 17

जलरन्ध्र के मार्ग में स्रावण, बिन्दुस्रवण कहलौता है। यह क्रिया साधारणतया रात्रि में होती है। यदि पौधे नम व गर्म वातावरण, अर्थात् आर्द्र दशाओं में उगे हों तो यह क्रिया दिन के समय में भी होती है।

प्रश्न 6.
वाष्पोत्सर्जन की परिभाषा लिखिए। यह पौधों के लिए क्यों आवश्यक है? समझाइए।
उत्तर :

वाष्पोत्सर्जन

वाष्पोत्सर्जन (transpiration) वह क्रिया है जिसमें जीवित पौधे, अपने वायवीय भागों; जैसे-पत्तियों, हरे प्ररोह आदि के द्वारा आन्तरिक ऊतकों से, अतिरिक्त पानी को वाष्प के रूप में बाहर निकालते हैं। पौधे अपनी जड़ों द्वारा जितना पानी पृथ्वी से अवशोषित करते हैं, उसकी सम्पूर्ण मात्रा उपापचयी। क्रियाओं (metabolic activities) में काम नहीं आती। इसका अत्यधिक अंश पौधे के लिए बेकार होता है। कभी-कभी तो अवशोषित जल का 5% से भी कम भाग (UPBoardSolutions.com) ही पौधे के लिए उपयोगी होता है। और शेष जल (95% से भी अधिक भाग) पौधे से विभिन्न रूपों में वातावरण में उत्सर्जित किया जाता है। अन्य क्रियाओं की अपेक्षा यह पानी सदैव ही (रात-दिन) किसी-न-किसी दर से वाष्पोत्सर्जन की क्रिया द्वारा पौधों की वायवीय सतहों से वाष्प बनकर उड़ता रहता है। वाष्पोत्सर्जन (transpiration) की यह क्रिया एक भौतिक क्रिया (physical process) होने के साथ-साथ किसी सीमा तक एक जैविक क्रिया (vital activity) है तथा जीवद्रव्य के द्वारा नियन्त्रित रहती है।

UP Board Solutions

वाष्पोत्सर्जन पौधों के लिए आवश्यक है।
वाष्पोत्सर्जन को आवश्यक बुराई (necessary evil) कहा गया है, क्योंकि यह एक ओर पौधे के जल को कम करने की बुराई है तो दूसरी ओर इसके द्वारा उत्पन्न अनेक प्रकार की प्रक्रियाओं के चलते ही पौधे में अधिक जल, खनिज लवण इत्यादि ग्रहण करने की क्षमता आती है। विशेष शुष्क स्थानों (xeric conditions) में तो इसे रोकने के लिए अनेक प्रकार के उपाय पौधे द्वारा किये जाते हैं फिर भी वाष्पोत्सर्जन पौधे के लिए अत्यन्त उपयोगी है। निम्नलिखित प्रक्रियायें महत्त्वपूर्ण हैं

1. अतिरिक्त जल का निस्तारण :
पौधे भूमि से लगातार अपने मूलरोमों द्वारा परासरण व अन्त:शोषण (osmosis and imbibition) के द्वारा पानी का अवशोषण करते हैं। शरीर में आवश्यकता की अपेक्षा यह पानी कई गुना अधिक होता है अतः वाष्पोत्सर्जन द्वारा अनावश्यक तथा अतिरिक्त जल (excess water) पौधों के शरीर से बाहर निकलता रहता है।

2. खनिज लवणों की प्राप्ति :
वाष्पोत्सर्जन तथा जल के अवशोषण (absorption) में एक घनिष्ठ सम्बन्ध होता है। पौधे द्वारा जितना अधिक वाष्पोत्सर्जन होता है उतना ही अधिक भूमि से जल का अवशोषण होता है। मृदा जल में खनिज लवणों की मात्रा बहुत ही कम होती है अतः पौधों के द्वारा जितना अधिक जल का अवशोषण होता है उतने ही अधिक खनिज लवण (mineral salts) इसमें घुलकर पौधे के शरीर में पहुँचते रहते हैं। अधिक वाष्पोत्सर्जन से रिक्तिका रस में परासरण दाब बढ़ जाता है, इस प्रकार और अधिक लवण पादप शरीर में प्रवेश कर सकते हैं।

3. वाष्पोत्सर्जन, कर्षण तथा रसारोहण :
वाष्पोत्सर्जन के द्वारा चूषण बल (suction pressure) उत्पन्न होता है जो रसारोहण (ascent of sap) के लिए अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है। इससे जल बड़े-बड़े वृक्षों में भी उनकी अत्यधिक ऊँचाई तक पहुँच जाता है।

4. ताप का नियमन :
वाष्पोत्सर्जन के कारण ही पौधे झुलसने से बच जाते हैं, क्योंकि जल की वाष्प बनने के कारण ठण्डक पैदा होती है, इस प्रकार गुप्त ऊष्मा के वाष्प में चले जाने के कारण उसका उपयोग पौधा ताप से बचने में करता है।

5. जल का समान वितरण :
वाष्पोत्सर्जन द्वारा पौधों के सभी भागों में पानी का वितरण (distribution) समान रूप से हो जाता है।

6. फलों में शर्करा की सान्द्रता :
अर्धिक वाष्पोत्सर्जन के कारण फलों में शर्करा की सान्द्रता बढ़ जाती है जिससे फल अधिक मीठे हो जाते हैं।

7. यान्त्रिक ऊतकों व आवरण का निर्माण :
अधिक वाष्पोत्सर्जन से पौधों में अधिक यान्त्रिक ऊतकों की वृद्धि होती है जिसके कारण पौधे मजबूत होते हैं। ये ऊतक पौधे की जीवाप्नुओं, कवकों आदि से रक्षा भी करते हैं, विशेषकर बाहरी भागों पर बने उपचर्म (cuticle) आदि के आवरण से।

प्रश्न 7.
रन्ध्रीय वाष्पोत्सर्जन किसे कहते हैं? इसका क्या महत्व है।
उत्तर :
रन्ध्रीय वाष्पोत्सर्जन (Stomatal Transpiration) :
पत्तियों की निचली सतह पर छोटे-छोटे छिद्र होते हैं, जिनको रन्ध्र (स्टोमेटा) कहते हैं। इन्हीं रन्ध्रों से वाष्प विसरित (diffuse) होकर वातावरण में चली जाती है। इस प्रकार के वाष्पोत्सर्जन को रन्ध्रीय वाष्पोत्सर्जन (stomatal transpiration) कहते हैं। कभी-कभी रन्ध्र (stomata) पत्ती की (UPBoardSolutions.com) ऊपरी सतह पर भी पाए जाते हैं। लगभग 80-90% वाष्पोत्सर्जन रन्ध्रों (stomata) के द्वारा होता है। रन्ध्रीय वाष्पोत्सर्जन के फलस्वरूप पौधों में निम्न कार्य सम्पन्न होते हैं, जिसके कारण इसका बहुत महत्त्व है

1. जल का परिसंचरण (Circulation of Water) :
पौधे के मूल से चोटी तक लगातार जल की धारा वाष्पोत्सर्जन के द्वारा ही प्रवाहित होती है, परन्तु यह धारणा ठीक प्रतीत नहीं होती, क्योंकि यदि वाष्पोत्सर्जन द्वारा जल की हानि नहीं होती तो जल के अधिक मात्रा में ऊपर चढ़ने की भी आवश्यकता नहीं होती।

2. खनिज तत्वों का अवशोषण तथा परिवहन (Absorption and Transportation of Mineral Elements) :
कुछ लोगों का मत है कि वाष्पोत्सर्जन खनिज अवशोषण एवं परिवहन में सहायता करता है, परन्तु यह सिद्ध किया जा चुका है कि जल अवशोषण एवं खनिज अवशोषण एक-दूसरे से भिन्न क्रियाएँ हैं। खनिज परिवहन में वाष्पोत्सर्जन अवश्य सहायता करता है।

3. तापक्रम-सन्तुलन (Regulation to Temperature) :
पत्तियों पर पड़ने वाले प्रकाश का केवल 12% भाग परावर्तित होकर वातावरण में जाता है। 83% प्रकाश पत्ती द्वारा शोषित किया जाता है तथा 5% प्रकाश पत्ती में से होता हुआ पार निकल जाता है। वाष्पोत्सर्जन में यह ऊर्जा काम में आ जाती है। इस प्रकार वाष्पोत्सर्जन तापक्रम-सन्तुलन बनाए रखने में पौधों की सहायता करता है, परन्तु वाष्पोत्सर्जन का पत्तियों का तापक्रम कम करने में अधिक महत्त्व नहीं है, क्योंकि पत्ती का वाष्पोत्सर्जन रोकने पर अधिक-से-अधिक 5°C तक तापमान बढ़ता है जो विशेष हानिकारक नहीं है।

UP Board Solutions

प्रश्न 8.
टिप्पणी लिखिए-जलरंध्र
उत्तर :
ये विशेष संरचनाएँ प्रमुख रूप से जल में उगने वाले पौधों या नमीदार स्थानों में उगने वाले शाकों (herbs) में होती हैं। ये पत्तियों के सिरों पर होती हैं। इनमें अनेक जीवित कोशिकाएँ समूह के रूप में होती हैं जिनमें बीच-बीच में जल से भरे बहुत से अन्तराकोशिकीय स्थान (intercellular spaces) होते हैं। इन जीवित कोशिकाओं को एपीथेम कोशिकाएँ (epithem cells) कहते हैं। ये कोशिकाएँ एक या दो गुहिकाओं (chambers) में खुलती हैं और ये गुहिकाएँ बाहर की ओर छोटे छिद्रों (UPBoardSolutions.com) द्वारा खुलती हैं। इन छिद्रों को जलरन्ध्र (hydathode or water pores) कहते हैं। जलरन्ध्र (hydathode) द्वारा जल बूंद के रूप में बाहर निकलता है। जल के साथ कुछ उत्सर्जी पदार्थ भी निकलते है।

प्रश्न 9.
वाष्पोत्सर्जन तथा बिन्दुस्रवण में अन्तर बताइए।
उत्तर :
वाष्पोत्सर्जन तथा बिन्दुस्रवण में अन्तर
UP Board Solutions for Class 11 Biology Chapter 11 Transport in Plants image 18

प्रश्न 10.
सक्रिय जल अवशोषण तथा निष्क्रिय जल अवशोषण में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
सक्रिय तथा निष्क्रिय जल अवशोषण में अन्तर
UP Board Solutions for Class 11 Biology Chapter 11 Transport in Plants image 19

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
पौधों की जड़ों द्वारा जल अवशोषण की क्रिया-विधि का सचित्र वर्णन कीजिए। या पौधों में परासरण द्वारा जल अवशोषण की क्रिया-विधि का सचित्र वर्णन कीजिए। या जड़ों द्वारा जल के अवशोषण की क्रिया-विधि का सचित्र वर्णन कीजिए। या सक्रिय अवशोषण का वर्णन कीजिए। या मूलरोमों द्वारा जल अवशोषण की क्रिया-विधि का चित्र की सहायता से वर्णन कीजिए।
उत्तर :
जडों द्वारा भूमि से जल का अवशोषण जल तथा खनिज लवणों को भूमि से अवशोषित करने का महत्त्वपूर्ण कार्य जड़े करती हैं। मूलरोम तथा बाह्यत्वचा की अन्य कोशिकायें जल का अवशोषण करके वल्कुट (cortex) की कोशिकाओं को दे देती हैं। जल के अवशोषण का प्रमुख कार्य सर्वाधिक तथा काफी बड़े पैमाने पर जड़ के मूलरोम प्रदेश (root hair region) में होता है, क्योंकि मूलरोम बाह्य त्वचा का सम्पर्क तल भूमि के जल के साथ हजारों गुना बढ़ा देते हैं। यह जल अन्तिम रूप से जड़ में स्थित जाइलम वाहिनियों में पहुँचता है।

अवशोषण की क्रिया विधि
मूलरोम बाह्यत्वचा की किसी भी कोशिका की कोशिका भित्ति जोकि सेलुलोस की बनी होती है, जल के लिए पूर्णतः पारगम्य होती है। कोशिका का जीवद्रव्य (protoplasm) तथा कोशिका कला (plasmalemma) मिलकर एक वरणात्मक पारगम्य कला (selectively permeable membrane) की तरह कार्य करते हैं। मूलरोम तथा बाह्यत्वचा की अन्य कोशिकाएँ भी भूमि में मृदा कणों के मध्य उपस्थित जल विशेषकर केशिकीय जल (capillary water) के साथ सम्पर्क (UPBoardSolutions.com) बनाती हैं। मूलरोम के अन्दर उपस्थित केन्द्रीय रिक्तिका (central vacuole) में अनेक पदार्थों का विलयन अर्थात् कोशिका का रिक्तिका रस या कोशिका रस (cell sap) होता है। जल अवशोषण की निम्नलिखित दो प्रकार की विधियाँ होती हैं

UP Board Solutions

1. जल अवशोषण की परासरणी विधि
कोशिका रस का परासरण दाब (osrmotic pressure) मृदा जल से अधिक लगभग 2 atm रहता है। इस प्रकार, केशिका जल अपने अन्दर अल्प मात्रा में घुले खनिज लवणों के साथ रिक्तिका रस और केशिका जल के मध्य उपस्थित जीवद्रव्यरूपी वरणात्मक पारगम्य कला में होकर रिक्तिका रस में परासरित हो जाता है। यद्यपि, प्रारम्भिक अवस्थाओं में तो पेक्टिन तथा सेलुलोस जैसे पदार्थों से बनी कोशिका भित्ति में यह जल अन्तःचूषित (imbibe) ही होता है। अतः स्पष्ट है कि जब तक बाह्य त्वचा की कोशिका अथवा मूलरोमों में विसरण दाब की कमी (DPD) बनी रहेगी, मृदा जल परासरण के द्वारा कोशिकाओं में प्रवेश करता रहेगा।

2. जल अवशोषण की परासरण विहीन विधि
परासरण की सामान्य क्रिया द्वारा जल के अवशोषण के अतिरिक्त जल के अवशोषण की अन्य अवस्थाओं में अन्य क्रिया-विधियाँ भी होती हैं; जैसे

(i) ऊर्जा की उपस्थिति में सक्रिय अवशोषण (active absorption) की क्रिया तथा
(ii) लगभग यान्त्रिक विधि द्वारा निष्क्रिय अवशोषण (passive absorption)।

(i) जल का सक्रिय अवशोषण (Active Absorption of Water)
एक जीवित कोशिका में ऊर्जा की उपस्थिति में जल के सक्रिय अवशोषण की क्रिया अनेक प्रमाण देकर स्पष्ट रूप से समझायी गयी है। जड़ों में इस प्रकार का अवशोषण परासरण दाब के विपरीत भी होता है। इस कार्य के लिए ऊर्जा जड़ की जीवित कोशिकाओं में हो रही श्वसन क्रिया से प्राप्त होती है। इसी कारण श्वसन को कम करने वाले सभी कारक, ऑक्सीजन की कमी, कम ताप आदि अवशोषण को भी कम कर देते हैं। इसी प्रकार, विभिन्न पदार्थ, ऊर्जाएँ अथवा परिस्थितियाँ आदि जो उपापचयी क्रियाओं को बढ़ाते हैं, अवशोषण को भी बढ़ाने का कार्य करते हैं जबकि इन क्रियाओं को कम करने वाली परिस्थितियाँ, पदार्थ, ऊर्जा आदि; जैसे विष, कम ताप आदि अवशोषण को कम कर देती हैं।

(ii) जल का निष्क्रिय अवशोषण (Passive Absorption of Water) 
जब मृदा में प्राप्य जल की मात्रा की कोई कमी न हो तथा अधिक वाष्पोत्सर्जन हो रहा हो तो एक प्रकार का यान्त्रिक अवशोषण होता है, इसे निष्क्रिय अवशोषण (passive absorption) कहते हैं। अधिक वाष्पोत्सर्जन होने पर तथा जाइलम वाहिकाओं में, जल की कमी होने पर उनके आस-पास उपस्थित मृदूतकीय कोशिकाओं से जल की आपूर्ति हो जाती है। इस प्रकार, यह जल क्रमशः परिरम्भ, अन्तस्त्वचा तथा कॉर्टेक्स की कोशिकाओं से अवशोषित किया जाता है और अन्त में इस जल की कमी को मूलरोम या बाह्यत्वचा की कोशिकायें पूरा कर देती हैं। स्पष्ट है, जल के इस प्रकार के अवशोषण के लिए ऊर्जा अथवा परासरण दाब की भी आवश्यकता नहीं होती। वास्तव में, यह पौधे में उत्पन्न वाष्पोत्सर्जन खिंचाव (transpiration pull) के द्वारा ही होता रहता है। अतः यह अवशोषण कोशिकाओं के द्वारा किसी क्रिया विशेष के द्वारा नहीं बल्कि कोशिकाओं में होकर होता है।

जड़ में जल को पाश्र्व चालन
भूमि से मूलरोम को सतत् जल मिलता रहता है क्योंकि केशिका जल (capillary water) दूर-दूर से भी यहाँ पहुँचता रहता है।
मूलरोम या बाह्य त्वचा के तुरन्त सम्पर्क में अन्दर कॉर्टेक्स (cortex) की मृदूतकीय कोशिकायें (parenchymatous cells) होती हैं। चित्र में A तथा B कोशिकाओं के कोशिका रस की जल की माँग में अन्तर है। B कोशिका की जल की माँग (DPD) निश्चित रूप से अधिक होगी। अतः जल का परासरण A से B में हो जाता है। अब अगली कोशिका C में पहले अगर B तथा C की DPD एक जैसी थी तो भी अब C की अपेक्षाकृत अधिक होगी। अतः जल B से C में, इसी प्रकार (UPBoardSolutions.com) C से D में इत्यादि जाता रहेगा। परासरण के द्वारा जल, इस प्रकार, मृदा विलयन से मूलरोम में तथा यहाँ से कॉर्टेक्स की कोशिकाओं में, क्रमशः होता हुआ अन्तस्त्वचा (endodermis), परिरम्भ (pericycle) की कोशिका के द्वारा जाइलम वाहिकाओं (xylem vessels) में पहुँचता है। स्पष्ट है जल के
अनुप्रस्थ चालन की इस विधि में जल रिक्तिकाओं से होकर जाता है। विसरण दाब की कमी इस प्रकार बाहरी कोशिकाओं से भीतरी कोशिकाओं में अधिक होना और क्रमानुसार बदलते रहना विसरण दाब की प्रवणता (gradient of diffusion pressure deficit) कहलाता है।

UP Board Solutions for Class 11 Biology Chapter 11 Transport in Plants image 20

इस आधार पर जल का मूल में पार्श्व चालन (lateral movement) रिक्तिकीय पथ द्वारा चालन (movement through vacuolar pathway) कहलाता है तथा सर्वमान्य है फिर भी वर्तमान में यह भी माना जाने लगा है क्रि

  1. जल का विसरण मूलरोम से कॉर्टेक्स की कोशिकाओं में होकर जाइलम वाहिकाओं तक आपस में सम्बन्धित जीवद्रव्यी तन्तुओं (plasmodesmata) के द्वारा ही हो जाता है। इस प्रकार जल का निरन्तर पार्श्व प्रवाह जीवद्रव्यी पथ (symplast pathway) से होकर होता रहता है और रिक्तिकाओं या उनके सेल सैप की आवश्यकता ही नहीं पड़ती।
  2. जल के पार्श्व चालन के लिए विभिन्न कोशिकाओं की कोशिका भित्ति (cell wall) को एक स्वतन्त्र तन्त्र के रूप में माना जाने लगा है अर्थात् कोशिका भित्तीय पथ (apoplast pathway) से होकर जल के इस प्रकार निरन्तर प्रवाह में कोशिका के जीवद्रव्य अथवा उसमें उपस्थित रिक्तिकी की भी आवश्यकता नहीं पड़ती है।

UP Board Solutions

प्रश्न 2.
स्टोमेटा के खुलने तथा बन्द होने की कार्य-विधि का संक्षेप में सचित्र वर्णन कीजिए। या रन्ध्रों के खुलने एवं बन्द होने में पौटेशियम आयन का कार्य लिखिए।
उत्तर :
पर्णरन्ध्र के खुलने तथा बन्द होने की क्रिया-विधि

पर्णरन्ध्र का निर्माण दो विशेष आकार-प्रकार की द्वार कोशिकाओं (guard cells) के द्वारा होता है। इन्हीं कोशिकाओं की स्फीति के कारण आकार में परिवर्तन पर रन्ध्र का छोटा या बड़ा होना निर्भर करता है। जब ये कोशिकायें स्फीत (turgid) होती हैं तो रन्ध्र खुला रहता है और जब श्लथ (flaccid) होती हैं तो रन्ध्र बन्द हो जाता है। द्वार कोशिकाओं की स्फीति (turgidity) में परिवर्तन उनके परासरण दाब (osmotic pressure) में परिवर्तन पर निर्भर करता है। परासरण दाब बढ़ने पर आस-पास की सहायक कोशिकाओं (subsidiary cells) से परासरण की क्रिया के द्वारा पानी आ जाता है और द्वार कोशिकायें स्फीत हो जाती हैं। अत: भीतरी मोटी (UPBoardSolutions.com) भित्ति, बाहरी भित्ति के बाहर की ओर फूलने के कारण, द्वार कोशिका के अन्दर ही घुस जाती है, फलतः रन्ध्र खुल जाता है। परासरण दाब घटने पर द्वार कोशिकाओं से जल पड़ोसी कोशिकाओं में चले जाने के कारण ये श्लथ हो जाती हैं और रन्ध्र बन्द हो जाते हैं। परासरण दाब में परिवर्तन का प्रश्न कार्यिकीविदों ने भिन्न-भिन्न प्रकार से समझाया है
UP Board Solutions for Class 11 Biology Chapter 11 Transport in Plants image 21

1. मण्ड-शर्करा परिवर्तन मत
दिन के समय जब सम्पूर्ण CO2 कोशिका में प्रकाश संश्लेषण में समाप्त हो जाती है तो माध्यम क्षारीय हो जाता है अर्थात् pH बढ़ जाता है और संचित मण्ड (starch) ग्लूकोज (glucose) में बदल जाता है। इस प्रकार, इन कोशिकाओं का रिक्तिका रस (cell sap) अधिक गाढ़ा हो जाता है अर्थात् कोशिकाओं का परासरण दाब बढ़ जाता है। अब पास की सहायक कोशिकाओं (subsidiary cells) द्वारा जल कोशिकाओं में आता है जिससे द्वार कोशिकाएँ स्फीत (turgid) हो जाती हैं और रन्ध्र खुले (open) जाते हैं। रात्रि के समय जब कोशिकाओं में प्रकाश संश्लेषण बन्द हो जाता है और CO2 की मात्रा बढ़ने के कारण माध्यम अम्लीय (कम pH) हो जाता है तब कोशिकाओं में उपस्थित शर्कराएँ मण्ड में बदल जाती हैं। इन कोशिकाओं से पानी वापस पास वाली कोशिकाओं में चले जाने के कारण ये कोशिकायें शिथिल हो जाती हैं। उपर्युक्त विवरण सैयरे (Sayre J. D., 1926) के मतानुसार है, जबकि यिन तथा तुंग (Yin and Tung, 1948) ने द्वार कोशिकाओं के क्लोरोप्लास्ट्स में फॉस्फोराइलेज (phosphorylase) एन्जाइम की उपस्थिति को स्पष्ट किया जो कि अभिक्रियाओं को उत्प्रेरित करता है।
UP Board Solutions for Class 11 Biology Chapter 11 Transport in Plants image 22
उपर्युक्त समीकरण में एन्जाइम की उपस्थिति में मण्ड का अकार्बनिक फॉस्फेट (iP) के साथ ग्लूकोज फॉस्फेट बनना प्रदर्शित किया गया है। इसमें pH की दशा विशेष परिस्थिति है, जिसके कम होने से मण्ड का निर्माण हो जाता है।
UP Board Solutions for Class 11 Biology Chapter 11 Transport in Plants image 23

यद्यपि कुछ वैज्ञानिक स्टार्च  ⇌  शर्करा परिवर्तन की विचारधारा को सही नहीं मानते, फिर भी यह मत तो लगभग सर्वमान्य है कि pH के परिवर्तन के अनुसार तथा परासरण दाब के आधार पर ही पर्णरन्ध्र (stomata) खुलते या बन्द होते हैं। स्टेवार्ड (Steward, 1964) के मतानुसार जब तक ग्लूकोज 6-फॉस्फेट, ग्लूकोज तथा अकार्बनिक फॉस्फेट में परिवर्तित नहीं हो जाता तब तक द्वार कोशिकाओं के परासरण दाब पर कोई विशेष प्रभाव नहीं पड़ता है। रन्ध्र के बन्द होने (UPBoardSolutions.com) के लिए ऊर्जा ATP से ली जाती है। अतः इस क्रिया के लिए श्वसन भी आवश्यक है, जिसमें कि ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है।

UP Board Solutions

2. लेविट का सक्रिय K’ स्थानान्तरण मत
लेविट के अनुसार प्रकाश में द्वार कोशिकाओं में मैलिक अम्ल (malic acid) बनता है जो मैलेट व Hमें वियोजित हो जाता है। H+ बाहर जाते हैं और K+ अन्दर आकर पोटैशियम मैलेट का निर्माण करता है। इसकी उपस्थिति में द्वार कोशिकाओं के परासरण दाब में वृद्धि होने से रन्ध्र (stomata) खुल जाता है।
UP Board Solutions for Class 11 Biology Chapter 11 Transport in Plants image 24

प्रश्न 3.
डिक्सन तथा जौली वाद के अनुसार पौधों में रसारोहण की प्रक्रिया का वर्णन कीजिए। या रसारोहण क्या है ? इसकी क्रिया-विधि को वर्णन कीजिए।
उत्तर :
रसारोहण पौधों में गुरुत्वाकर्षण के विपरीत जल (तथा उसमें घुले खनिज लवणों) के ऊपर की ओर चढ़ने की। क्रिया को रसारोहण (ascent of sap) कहते हैं। जल तथा उसमें घुले खनिज लवण जड़ों द्वारा अवशोषित होकर पौधों के विभिन्न भागों (विशेषकर) पत्तियों तक पहुँचते हैं। यह स्पष्ट हो चुका है कि जल तथा उसमें घुले हुए खनिज पदार्थ जाइलम वाहिकाओं या वाहिनिकाओं (xylem vessels or tracheids) की गुहा (lumen) में होकर ऊपर चढ़ते हैं। (UPBoardSolutions.com) छोटे-छोटे पौधों में तो इन पदार्थों को 0.5-1.0 मीटर ऊँचा ही चढ़ना पड़ता है, बड़े-बड़े वृक्षों में जो 80-85 मीटर से भी ऊँचे हो सकते हैं, इनको गुरुत्वाकर्षण के विपरीत चढ़ना पड़ता है।
इस क्रिया के लिए विभिन्न वैज्ञानिकों द्वारा अलग-अलग तरह के मत व्यक्त किये गये हैं। इन मतों में, अनेक प्रकार के बलों, दाबों आदि का विचार रखा गया और अलग-अलग मतों में केशिकाव (capillarity), अन्तःशोषण (imbibition), मूलदाब (root pressure), वायुमण्डलीय दाबे (atmospheric pressure) आदि को अलग-अलग करके रसारोहण का कारण समझाया गया अथवा कुछ जीवित कोशिकाओं की स्पन्दन गति (pulpitation movement) को इसके लिए उपयुक्त मान लिया गया। सामान्यत: बड़े-बड़े तथा ऊँचे पौधों के लिए अनेक प्रयोगों आदि के आधार पर इन धारणाओं को अमान्य कर दिया गया।

जल के ऊपर चढ़ने की क्रिया को पूर्ण रूप से समझाने के लिए कई बलों को एक साथ क्रियात्मक रूप में संयोजित करके डिक्सन तथा जौली (Dixon and Jolly) ने वर्ष 1894 में वाष्पोत्सर्जन-संसंजन-तनाव वादे (transpiration-cohesion- tension theory) प्रस्तुत किया। वाष्पोत्सर्जन-संसंजन-तनाव वाद यह वाद निम्नलिखित तीन प्रमुख सिद्धान्तों पर आधारित है

  1. जाइलम वाहिकाओं में जल एक लगातार स्तम्भ के रूप में रहता है।
  2. जल के अणुओं के मध्य शक्तिशाली संसंजन (cohesion), अर्थात् आकर्षण रहता है।
  3. वाष्पोत्सर्जन-कर्षण (transpiration pull) का जल स्तम्भ पर तनाव।

जाइलम वाहिकाएँ एक-दूसरे से सिरे से सिरे पर सम्बन्धित होती हैं, साथ ही इनके अन्दर उपस्थित जल एक अविरत जल स्तंम्भ के रूप में होता है। यह जल स्तम्भ विभिन्न शाखाओं, पत्तियों तथा पर्णकों में उपस्थित शिराओं (veins) और उनकी शाखाओं इत्यादि में होकर जल के एक द्रवस्थैतिक तन्त्र (hydrostatic system) का निर्माण करता है, जिसके एक सिरे पर लगा हुआ तनाव पूरे तन्त्र को प्रभावित करता है। दूसरी ओर जल अणुओं में अत्यधिक संसंजन (cohesion) होने के कारण इतना अधिक आकर्षण बल होता है  कि यह जल स्तम्भ अत्यधिक तनाव इत्यादि को भी सहन कर लेता है। समझा जाता है कि संसंजन बल (cohesive force) के कारण 400 वायुमण्डलीय दाब (atmospheric pressure) पर भी जल स्तम्भ खण्डित नहीं होता है। दूसरी ओर जाइलम वाहिकाएँ जो केवल मृत आशय की तरह काम करती हैं, जल स्तम्भ इनकी भीतरी भित्तियों के साथ आसंजित रहता है। यह आसंजन बल (adhesive force) भी जल स्तम्भ को खण्डित नहीं होने देता। वाष्पोत्सर्जन इस अविरत जल स्तम्भ के ऊपरी सिरों पर खिंचाव उत्पन्न किये रखता है। अतः सम्पूर्ण जल स्तम्भ ऊपर की ओर खिंचा चला जाता है। यहाँ अविरत जल स्तम्भ उस रस्से की तरह है जिसे कोई व्यक्ति कई मंजिल ऊपर खड़े होकर तथा बहुत कम बल लगाकर ही ऊपर खींच सकता है; क्योंकि रस्सी के सारे रेशे आपस में चिपक कर एक सामान्य स्तम्भ का निर्माण कर रहे होते हैं जैसा कि यहाँ जेल के अणु एक-दूसरे से संसंजित हैं।

किसी पौधे के सम्पूर्ण वायवीय मुलायम भागों से जल का अत्यधिक वाष्पोत्सर्जन होता है। पर्णरन्ध्र इस कार्य को मुख्य रूप से करते हैं। पर्णरन्ध्र पत्तियों की पर्णमध्योतकीय कोशिकाओं के बीच-बीच में पाये जाने वाले अन्तराकोशिकीय स्थानों (intercellular spaces) में भरी हुई जल वाष्प (water vapours) को वायुमण्डल में विसरित करते रहते हैं। इस प्रकार इन अन्तराकोशिकीय स्थानों में जल वाष्प की माँग निरन्तर पर्णमध्योतकीय कोशिकाओं (mesophyll cells) के द्वारा (UPBoardSolutions.com) पूरी की जाती है।और पर्णमध्योतकीय कोशिकाओं से उत्पन्न हुई जल की माँग (DPD) को जाइलम वाहिकाओं में उपस्थित जल भण्डार (जल स्तम्भ) से पूरा किया जाता है। इन अवस्थाओं में एक प्रकार का खिंचाव, वाष्पोत्सर्जन-कर्षण (transpiration pull) उत्पन्न हो जाता है, जो जाइलम वाहिकाओं में उपस्थित जल स्तम्भ को ऊपर खींचता रहता है। यह वाष्पोत्सर्जन-कर्षण अधिक वाष्पोत्सर्जन काल में अधिक होता है जिससे जड़ों में निष्क्रिय अवशोषण (passive absorption) भी उत्पन्न होता है।

अधिक वाष्पोत्सर्जन की दशा में यह सिद्धान्त पूर्णत: उपयुक्त लगता है और डिक्सन तथा जौली के इसी मत को मान्यता मिली हुई है, किन्तु अब सामान्यतः यह माना जाता है कि रसारोहण संसंजन-वाष्पोत्सर्जन यदि जल स्तम्भ को ऊपर खींचता है तो धनात्मक मूलदाब भी काफी दूरी तक जाइलम वाहिनियों में जल को ऊपर धकेलने में सहायक होता है। इस प्रकार, अन्य अवस्थाओं में अथवा उपर्युक्त दशाओं में भी अन्य प्रकार के दाब इस कार्य में अपनी-अपनी सीमा में सहायता अवश्य करते हैं।

प्रश्न 4.
वर्तमान संकल्पनाओं के आधार पर पौधों में खाद्य पदार्थों के स्थानान्तरण की प्रक्रिया समझाइए। या भोज्य पदार्थों के स्थानान्तरण से सम्बन्धित मुंच की परिकल्पना की व्याख्या कीजिए। या खाद्य पदार्थों का स्थानान्तरण किसे कहते हैं? इसके पथ तथा स्थानान्तरण की दिशा का चित्र की सहायता से वर्णन कीजिए। या पौधों में कार्बनिक पदार्थों के स्थानान्तरण से आप क्या समझते हैं? इसकी क्रियाविधि एवं महत्त्व को लिखिए।
उत्तर :

पादपों में खाद्य पदार्थों का स्थानान्तरण

फ्लोएम के द्वारा भोज्य पदार्थों के स्थानान्तरण की क्रिय-विधि को समझाने का समय-समय पर प्रयास किया गया है; जैसे—विसरण परिकल्पना तथा जीवद्रव्य धारा प्रवाह परिकल्पना। किन्तु ये सिद्धान्त मान्यता प्राप्त नहीं कर सके क्योंकि ये तथ्यों पर खरे नहीं उतरते। सामान्यतः मान्य तथा अधिक स्पष्ट मत निम्नलिखित है

UP Board Solutions

मात्रा प्रवाह या दाब प्रवाह परिकल्पना
मुंच (Munch, 1927-30) के अनुसार, इस परिकल्पना में बताया गया है कि फ्लोएम में भोज्य पदार्थों के स्थानान्तरण की यह क्रिया विलेय स्वरूप में इन खाद्य पदार्थों के अधिक सान्द्रण वाले स्थानों से कम सान्द्रण वाले स्थानों में परासरण (osmosis) द्वारा होती है। पर्णमध्योतक कोशिकाओं (mesophyll cells) में इन पदार्थों के निरन्तर बनते रहने के कारण परासरण दाब (osmotic pressure) अधिक ही रहती है। दूसरी ओर जड़ों या अन्य स्थानों में इन (UPBoardSolutions.com) पदार्थों के उपयोग में आते रहने अथवा अविलेय (insoluble) रूप में संचित हो जाने से सान्द्रण कम हो जाता है। अतः पर्णमध्योतक कोशिकाओं से फ्लोएम में होकर सामूहिक रूप में (in mass form) अथवा परासरण दाब के कारण आवश्यकता के स्थानों पर स्थानान्तरण होता रहता है। इस सिद्धान्त को समझाने के लिए निम्नलिखित प्रयोग किया जाता है
UP Board Solutions for Class 11 Biology Chapter 11 Transport in Plants image 25
सत्यापन प्रयोग के लिए दो परासरणदर्शी (osmometers) लिए जाते हैं। परासरणदर्शी में एक नली के सिरे पर अण्डे की झिल्ली या अन्य कोई अर्द्धपारगम्य झिल्ली बॉधी जाती है (चित्र A)। दोनों परासरणदर्शियों को एक नली ‘T’ द्वारा सम्बन्धित किया जाता है। परासरणदर्शी A में शक्कर का सान्द्र विलयन भरा जाता है तथा ‘B’ में शक्कर का तनु विलयन अथवा सादा जल। दोनों परासरणदर्शियों को जल से भरे पात्रों में रखा जाता है तथा दोनों पात्रों को भी एक नली ‘t’ के द्वारा सम्बन्धित किया जाती है। स्पष्ट है परासरणदर्शी ‘A’ में पात्र से काफी मात्रा में जल परासरित होगा और यहाँ अत्यधिक परासरण दाब के कारण अत्यधिक स्फीति दाब (turgor pressure) पैदा होगा। अतः ‘A’ का विलयन अविरल धार के रूप में (mass flow) ‘B’ की ओर प्रवाहित होगा, क्योंकि दोनों ओर झिल्लियों के फैलने के लिए बराबर बल चाहिए। यह प्रवाह क्रम तब तक चलता रह सकता है जब तक कि दोनों ओर शक्कर का सान्द्रण बराबर नहीं हो जाता है। उधर ‘B’ में आकर विलयन से जल पात्र में और पात्र से ‘A’ में जल आता रहता है।
UP Board Solutions for Class 11 Biology Chapter 11 Transport in Plants image 26

यहाँ यह स्पष्ट है कि यदि परासरणदर्शी ‘A’ में शक्कर की मात्रा को अर्थात् विलयन के सान्द्रण को कम न होने दिया जाये, साथ ही परासरणदर्शी ‘B’ में आयी हुई शक्कर को निरन्तर हटाया जाता रहे तो निश्चय ही यह धारा प्रवाह लगातार तथा तीव्र गति से होता रह सकता है। उपर्युक्त रेखाचित्र (UPBoardSolutions.com) (B) में ‘A’ पत्तियों की पर्णमध्योतक कोशिकाओं की तरह है, जहाँ प्रकाश संश्लेषण के द्वारा शर्करा का निर्माण होता रहता है। अतः परासरण दाब कम नहीं होने पाता जबकि ‘B’ जड़ों या अन्य स्थानों की तरह है जहाँ शर्कराओं को या तो उपयोग में ले लिया जाता है अथवा अविलेय अवस्था में परिवर्तित करके संचित किया जाता रहता है। इसके अतिरिक्त चित्रे (A) के उपकरण की नली T’ चालनी नलिकाओं के समान तथा पात्र जाइलम के समान है।

UP Board Solutions

उपर्युक्त प्रयोग मुंच के सिद्धान्त को सत्यापित करता है कि जल में घुले भोज्य पदार्थों की एक अविरल धार मात्रा प्रवाह या दाब प्रवाह (mass flow or pressure flow) के रूप में सतत् फ्लोएम में प्रवाहित होती रहती है। मुंच की इस परिकल्पना की आपत्ति यह है कि इस परिकल्पना में खाद्य पदार्थों के विभिन्न दिशाओं में एक साथ स्थानान्तरण के सम्बन्ध में कुछ नहीं बताया गया है।

We hope the UP Board Solutions for Class 11 Biology Chapter 11 Transport in Plants (पौधों में परिवहन) help you. If you have any query regarding UP Board Solutions for Class 11 Biology Chapter 11 Transport in Plants (पौधों में परिवहन), drop a comment below and we will get back to you at the earliest.

UP Board Solutions for Class 11 English Poetry Short Poem Chapter 2 The Scholar

UP Board Solutions for Class 11 English Poetry Short Poem Chapter 2 The Scholar

These Solutions are part of UP Board Solutions for Class 11 English. Here we have given UP Board Solutions for Class 11 English Poetry Short Poem Chapter 2 The Scholar.

About the Poet : Robert Southey was born in 1774. He was a well-known writer of verse and prose. He was a close friend of S. T. Coleridge.

About the Poem: The poem is about a scholar who passes most of his time in reading books of dead authors. He feels as if he is enjoying their company. He loves the virtues of these authors and condemns their vices. He learns a lot from them. He hopes to travel with these authors till eternity and to be immortal like them.

Central Idea

In this poem the poet assumes himself a scholar. He passes most of his time in reading the books of great authors who are now dead. He feels as if he were enjoying their company. He regards them as his best friends. He loves their virtues and condemns their vices. He learns a lot from them. He hopes that people will read his books also like the books of these authors and will remember him till eternity. Thus he will become immortal. [M. Imp.]

(इस कविता में कवि स्वयं को एक विद्वान् मान लेता है। वह अपना अधिकांश समय उन महान् लेखकों की पुस्तकें पढ़ने में व्यतीत करता है जो मर गए हैं। वह ऐसा अनुभव करता है मानो वह उनकी संगति में आनन्द ले रहा हो। वह सच्चे मित्र के समान उनका सम्मान करता है। वह उनके सद्गुणों से प्रेम करता है और उनके दुर्गुणों को त्याग देता है। वह उनसे बहुत कुछ सीखता है। वह आशा करता है कि लोग उसकी पुस्तकों को भी इन लेखकों के समान ही पढ़ेंगे और अनन्त-काल तक उसे याद रखेंगे। इस प्रकार वह अमर हो जाएगा।)

EXPLANATIONS (With Meanings & Hindi Translation)
1. My Days among the Dead are past;
Around me I behold,
Where’er these casual eyes are cast,
The mighty minds of old :
My never-failing friends are they,
With whom I converse day by day.

[Word-meanings : days = सम्पूर्ण जीवन entire life; dead = मृत लेखक dead authors;
behold = देखता हूँ see; casual eyes are cast = संयोग से दृष्टि पड़ती है by chance I look at; mighty minds of old = पुराने समय के महान् विचारक great thinkers of old time; never failing = सच्चे true; converse = बातचीत करता हूँ talk.]

भावार्थ- विद्वान् व्यक्ति कहता है कि उसका सारा जीवन उन लेखकों की पुस्तकें पढ़ने में व्यतीत हुआ है। जो मर गए हैं। जहाँ कहीं भी उसकी दृष्टि पड़ती है वहीं अपने चारों ओर वह उन लेखकों की पुस्तकें पाता है। जिनके मस्तिष्क बहुत महान् थे और जिन्होंने उत्तम कोटि की पुस्तकें लिखी हैं। विद्वान् व्यक्ति कहता है कि मृत लेखक मेरे सच्चे मित्र हैं और मैं प्रतिदिन उनसे बातचीत करता हूँ अर्थात् विद्वान् व्यक्ति उन महान् लेखकों से उनकी महान् पुस्तकों के माध्यम से अपने विचारों का आदान-प्रदान करता है।

Reference : This stanza has been taken from the poem ‘The Scholar’ composed by Robert Southey.
[ N.B. : The above reference will be used for all the explanations of this poem.]

Context: In these lines the poet thinks himself a scholar. He is fond of reading books of great authors and exchanging his views with them. So he regards these books as his true friends. He also describes the likes and dislikes, aspirations and dreams of a scholar.

Explanation : The poet has a small library which contains many books of great authors. He spends much of his time in reading these books. He gets a great joy and exchanges his views with them through the medium of these books. He feels as if he were enjoying the company of those great authors. So he regards them as his true friends.

(कवि के पास एक छोटा पुस्तकालय है जिसमें महान् लेखकों की बहुत-सी पुस्तकें हैं। वह अपना अधि- कांश समय इन पुस्तकों को पढ़ने में व्यतीत करता है। वह इसमें बहुत आनन्द प्राप्त करता है और इन पुस्तकों के माध्यम से अपने विचारों का उनके विचारों से आदान-प्रदान करता है। वह ऐसा अनुभव करता है मानो। इन लेखकों की संगति का आनन्द ले रहा हो। इसलिए वह उन्हें अपना सच्चा मित्र मानता है।)

2. With them I take delight in weal
And seek relief in woe;
And while I understand and feel
How much to them I owe,
My cheeks have often been bedew’d
With tears of thoughtful gratitude.

[ Word-meanings : delight = आनन्द  joy; weal = सुख-समृद्धि  prosperity; seek = ढूंढता हूँ।  find;
relief = चैन ; woe = दुःख sorrow, understand = समझना ; owe = ऋणी हूँ am ndebted;
cheek = गाल ; often = बहुधा many times; bedew’d = भीग गये wet; thoughtful = विचारपूर्ण full of thoughts; gratitude = कृतज्ञता gratefulness. ]

भावार्थ- विद्वान् कहता है कि इन पुस्तकों को पढ़कर समृद्धि एवं सम्पन्नता में उसे आनन्द प्राप्त होता है और दु:ख में उनसे उसे सान्त्वना मिलती है (इसलिए वे मेरी मित्र हैं)। विद्वान् व्यक्ति कहता है कि जब मैं इस बात पर विचार करता हूँ, तब मुझे अनुभव होता है कि मैं उनका कितना ऋणी हूँ। कृतज्ञता के ऐसे विचार मेरे मन में आते हैं तब मेरे आँसू बहने लगते हैं और मेरे गाल आँसुओं से भीग जाते हैं।

Context: In these lines the poet thinks himself to be a scholar. He is fond of reading books of great authors and exchanging his views with them. So he regards these books as his true friends. He also describes the likes and dislikes, aspirations and dreams of a scholar.

Explanation : In this stanza the poet says that the books serve him as a true friend. Whenever he is in a happy mood, he gets joy in reading them. Whenever he is sad and melancholy, he gets comfort and consolation. Thus the books are his companions of joys as well as of sorrows. When he thinks it, he feels himself very much indebted to the writers of these books. He becomes emotional and tears of gratitude begin to flow and make his cheeks wet.

(इस पद्यांश में कवि कहता है कि पुस्तकें उसके लिए सच्चे मित्र के समान कार्य करती हैं। जब भी वह प्रसन्न मुद्रा में होता है तब उसे उन्हें पढ़ने में आनन्द प्राप्त होता है। जब कभी वह दु:ख की मुद्रा में होता है। तब उसे आराम और सान्त्वना मिलती है। इस प्रकार पुस्तकें उसकी आनन्द की भी और दुःख की भी साथी हैं। जब वह इस बात को सोचता है तब वह स्वयं को इन पुस्तकों के लेखकों का बहुत ऋणी मानता है। वह भावुक हो जाता है और एहसान के आँसू बहने लगते हैं तथा उसके गाल भीग जाते हैं।)

3. My thoughts are with the Dead; with them
I live in long-past years,
Their virtues love, their faults condemn,
Partake their hopes and fears,
And from their lessons seek and find
Instruction with an humble mind.

[ Word-meanings : dead = मृत लेखका dead authors; virtues = गुण qualities; faults = दोष evils;
condemn = त्यागना, अनदेखा करना overlook; partake = हिस्सा बँटाना share; lessons = बुद्धिमानी से भरे पाठ lessons full of wisdom; instruction = शिक्षा advice; an humble mind = विनम्रता से with extreme humility.]

भावार्थ- इस पद्यांश में विद्वान् व्यक्ति उन लोगों का वर्णन करता है जो उसे पुस्तकें पढ़ने से प्राप्त होते हैं। जब वह मृत लेखकों की पुस्तकें पढ़ता है तब उसके विचार भी उन्हीं जैसे हो जाते हैं और वह ऐसा अनुभव करता है मानो उनके जीवन-काल के दिनों में उन्हीं के साथ रह रहा है अर्थात् उसे भूतकाल के विषय में भी पूर्ण ज्ञान प्राप्त हो जाता है। विद्वान् व्यक्ति उनके गुणों से प्यार करता है और उन्हें अपनाता है तथा उनके दोषों की ओर ध्यान नहीं देता। वह उनकी आशाओं तथा भय में हिस्सा बँटाता है। अत: विद्वान् व्यक्ति बड़ी विनम्रता से उनके बुद्धिमानी से भरे पाठों से शिक्षा प्राप्त करता है।)

Context: In these lines the poet says that he has a small library having books of great authors. He regards them as his friends and exchanges his views with them. He gets joy and consolation in reading them. So he thinks himself to be very grateful to them.

Explanation: In this stanza the scholar says that whenever he reads the books of great authors, his ideas also become the same as of those authors. He feels as if he were living with them in those past days. He gets the knowledge of past days. The poet accepts their noble qualities and hates their evils. Whenever he reads the lesson full of wisdom in these books, he learns a lot from them with extreme humility.

(इस पद्यांश में विद्वान् कहता है कि जब कभी वह महान् लेखकों की पुस्तकें पढ़ता है तब उसके विचार भी उन लेखकों के समान ही हो जाते हैं। वह ऐसा अनुभव करता है मानो वह भूतकाल के दिनों में उन्हीं के साथ रह रहा हो। उसे भूतकाल के दिनों का ज्ञान प्राप्त होता है। कवि उनके अच्छे गुणों को स्वीकार करता है और उनकी बुराइयों से घृणा करता है। जब कभी वहे पुस्तकों में बुद्धिमानी भरे पाठ पढ़ता है तब वह उनसे बड़ी विनम्रता के साथ ढेर सारी बातें सीखता है।)

4. My hopes are with the Dead; anon
My place with them will be,
And I with them shall travel on
Through all Futurity;
Yet leaving here a name, I trust,
That will not perish in the dust.               [Imp.]

[ Word-meanings : anon = शीघ्र soon; travel on = जीवित रहना remain alive; futurity = अनन्त भविष्य eternal future; perish = अन्त होना, समाप्त होना die.]

भावार्थ- विद्वान् व्यक्ति कहता है कि मेरी आकांक्षाएँ भी मृत लेखकों के समान ही हैं और शीघ्र ही मेरा स्थान भी उनके साथ ही हो जाएगा अर्थात् मैं शीघ्र ही मर जाऊँगा और अनन्त भविष्य में मैं भी उन्हीं के साथ यात्रा करूंगा। संसार के सभी स्थानों पर उसकी पुस्तकें भी इन लेखकों के समान ही पढ़ी जाएँगी। वह आशा करता है कि उसकी मृत्यु के पश्चात् लोग उसे भी नहीं भूलेंगे और उसका नाम भी अमर हो जाएगा।

Context: In this poem the poet says that he has a small library having books of great authors. He reads them and exchanges his views with them. He gets joy and consolation in reading them. So he thinks himself to be very grateful to them.

Explanation: In this concluding stanza the scholar says that his ambitions are similar to those of dead authors. He will also die soon and he will be in the line of dead authors. The people will read his books also as they read the books of dead authors. His thoughts will also travel from one place to another in the form of books. The scholar will become immortal just as his favourite authors are. The coming generations will not forget him.

(इस अन्तिम पद्यांश में विद्वान् कहता है कि उसकी अभिलाषाएँ भी मृत लेखकों के समान ही हैं। वह भी शीघ्र ही मर जाएगा और मृत लेखकों की पंक्ति में आ जाएगा। लोग उसकी पुस्तकों को भी उसी प्रकार पड़ेंगे जिस प्रकार वे मृत लेखकों की पुस्तकें पढ़ते हैं। उसके विचार भी पुस्तकों के रूप में एक स्थान से दूसरे स्थान तक । यात्रा करेंगे। विद्वान् व्यक्ति भी उसी प्रकार अमर हो जाएगा जिस प्रकार उसके प्रिय लेखक अमर हुए हैं। आने वाली पीढ़ियाँ उसे भूलेंगी नहीं।)

We hope the UP Board Solutions for Class 11 English Poetry Short Poem Chapter 2 The Scholar help you. If you have any query regarding UP Board Solutions for Class 11 English Poetry Short Poem Chapter 2 The Scholar,drop a comment below and we will get back to you at the earliest.

UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 11 The p-block Elements

UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 11 The p-block Elements (p-ब्लॉक के तत्त्व)

These Solutions are part of UP Board Solutions for Class 11 Chemistry. Here we have given UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 11 The p-block Elements (p-ब्लॉक के तत्त्व).

पाठ के अन्तर्गत दिए गए प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
(क) B से TT तक तथा (ख) C से Ph तक की ऑक्सीकरण अवस्थाओं की भिन्नता के क्रम की व्याख्या कीजिए।
उत्तर
(क) B से TI तक (बोरॉन परिवार) ऑक्सीकरण अवस्था [Oxidation state from B to TI (Boron family)] बोरॉन परिवार (वर्ग 13) के तत्वों का विन्यास ns’p’ होता है। इसका तात्पर्य यह है कि बन्ध निर्माण के लिए तीन संयोजी इलेक्ट्रॉन उपलब्ध हैं। इन इलेक्ट्रॉनों का त्याग करके ये परमाणु अपने यौगिकों में +3
ऑक्सीकरण अंवस्था प्रदर्शित करते हैं। यद्यपि इन तत्वों की ऑक्सीकरण अवस्था में निम्नलिखित प्रवृत्ति प्रेक्षित होती है-

  1. प्रथम दो तत्व बोरॉन तथा ऐलुमिनियम यौगिकों में केवल +3 ऑक्सीकरण अवस्था प्रदर्शित करते हैं, परन्तु शेष तत्व-गैलियम, इण्डियम तथा थैलियम +3 ऑक्सीकरण अवस्था के साथ-साथ +1 ऑक्सीकरण अवस्था भी प्रदर्शित करते हैं अर्थात् ये परिवर्ती ऑक्सीकरण अवस्थाएँ प्रदर्शित करते हैं।
  2. +3 ऑक्सीकरण अवस्था को स्थायित्व ऐलुमिनियम से आगे जाने पर घटता है तथा अन्तिम तत्व थैलियम की स्थिति में, +1 ऑक्सीकरण अवस्था, +3 ऑक्सीकरण अवस्था से अधिक स्थायी होती है। इसका अर्थ यह है कि TICI, TIC1 से अधिक स्थायी होता है।

(ख) c से Pb तक (कार्बन परिवार) ऑक्सीकरण अवस्था [Oxidation state from C to Pb (Carbon family)] कार्बन परिवार (समूह 14) के तत्वों का विन्यास nsp होता है। स्पष्ट है कि इन तत्वों के परमाणुओं के बाह्यतम कोश में चार इलेक्ट्रॉन होते हैं। इन तत्वों द्वारा सामान्यत: +4 तथा +2 ऑक्सीकरण अवस्था दर्शाई जाती है। कार्बन ऋणात्मक ऑक्सीकरण अवस्था भी प्रदर्शित करता है। चूंकि प्रथम चार आयनन एन्थैल्पी का योग अति उच्च होता है; अतः +4 ऑक्सीकरण अवस्था में अधिकतर यौगिक सहसंयोजक प्रकृति के होते हैं। इस समूह के गुरुतर तत्वों में Ge< Sn

  1. SnCl4 तथा PbCl4 की तुलना में SnCl2 तथा PbCl2 अधिक सरलता से बनते हैं।
  2. PbCl2, SnCl2 से अधिक स्थायी होता है चूंकि इसमें अक्रिय युग्म प्रभाव की परिमाण अधिक होता है।

चतु:संयोजी अवस्था में अणु के केन्द्रीय परमाणु पर आठ इलेक्ट्रॉन होते हैं। इलेक्ट्रॉन परिपूर्ण अणु होने के कारण सामान्यतया इलेक्ट्रॉनग्राही या इलेक्ट्रॉनदाता स्पीशीज की अपेक्षा इनसे नहीं की जाती है। यद्यपि कार्बन अपनी सहसंयोजकता +4 का अतिक्रमण नहीं कर सकता है, परन्तु समूह के अन्य तत्व ऐसा करते हैं। यह उन तत्वों में 4-कक्षकों की उपस्थिति के कारण होता है। यही कारण है कि ऐसे तत्वों के हैलाइड जल-अपघटन के उपरान्त दाता स्पीशीज (donor species) से इलेक्ट्रॉन ग्रहण करके संकुल बनाते हैं। उदाहरणार्थ-कुछ स्पीशीज; जैसे—(SiF6)2-, (GeCl6)2- तथा Sn(OH)22-– ऐसी होती हैं, जिनके केन्द्रीय परमाणु sp3d2 संकरित होते हैं।

प्रश्न 2.
TiCl3 की तुलना में BCl3 के उच्च स्थायित्व को आप कैसे समझाएँगे?
उत्तर
उत्तेजित अवस्था में बोरॉन की संयोजक कोश (valence shell) में तीन इलेक्ट्रॉन होते हैं जो तीन Cl परमाणु से सहसंयोजक आबन्ध द्वारा जुड़कर BCl3 अणु का निर्माण करते हैं। BCl3 में बोरोन +3 ऑक्सीकरण अवस्था और sp संकरित अवस्था में पाया जाता है। pπ-pπ back bonding BCl3 अणु को आंशिक रूप से स्थायी बनाती है। दूसरी ओर अक्रिय युग्म प्रभाव के कारण Tl के 6sइलेक्ट्रॉन युग्म बन्ध बनाने में रूचि नहीं रखते। इस कारण Tl की +1 ऑक्सीकरण अवस्था +3 ऑक्सीकरण अवस्था से अधिक स्थाई है। इसलिए +3 ऑक्सीकरण अवस्था में निर्मित TlC3, अधिक स्थाई नहीं होता। इस कारण BCl3 TlCl3 से अधिक स्थाई होता है।

प्रश्न 3.
बोरॉन ट्राइफ्लुओराइड लूइस अम्ल के समान व्यवहार क्यों प्रदर्शित करता है?
उत्तर
बोरॉन ट्राइफ्लुओराइड BF3 अणु में F परमाणुओं के इलेक्ट्रॉनों से साझा करके केन्द्रीय बोरॉन परमाणु के चारों ओर इलेक्ट्रॉनों की संख्या 6 (तीन युग्म) होती है। अत: यह एक इलेक्ट्रॉन-न्यून अणु है तथा यह स्थायी इलेक्ट्रॉनिक विन्यास प्राप्त करने के लिए एक इलेक्ट्रॉन युग्म ग्रहण करके लूइस अम्ल के समान व्यवहार प्रदर्शित करता है।
उदाहरणार्थ-बोरॉन ट्राइफ्लुओराइड सरलतापूर्वक अमोनिया से एक एकाकी इलेक्ट्रॉन युग्म ग्रहण करके BF3.NH3 उपसहसंयोजक यौगिक बनाता है।

UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 11 The p-block Elements img-1

प्रश्न 4.
BCl3 तथा CCl4, यौगिकों का उदाहरण देते हुए जल के प्रति इनके व्यवहार के औचित्य को समझाइए।
उत्तर
BCl3 के केन्द्रीय परमाणु B के संयोजक कोश में 6 इलेक्ट्रॉन होते हैं। इसलिए यह इलेक्ट्रॉन न्यून अणु है और H2O द्वारा दिये गये इलेक्ट्रॉन युग्म को ग्रहण कर लेता है। अतः जब BCl3 को जल में घोला जाता है तो यह जल-अपघटित (hydrolysis) होकर बोरिक अम्ल और HCI देता है।

BCl3 + 3H2O → H3BO3 + 3HCl

CCl4 में C का अष्टक पूर्ण होता है और यह इलेक्ट्रॉन युग्म त्यागने अथवा ग्रहण करने की प्रवृत्ति नहीं रखता है। अतः यह जल से कोई क्रिया नहीं करता है।

प्रश्न 5.
क्या बोरिक अम्ल प्रोटोनी अम्ल है? समझाइए।
उत्तर
नहीं, बोरिक अम्ल प्रोटोनी अम्ल नहीं है, क्योंकि यह जल में आयनित होकर H+ तथा OH नहीं देता है। B के छोटे आकार और उसके संयोजक कोश में 6 इलेक्ट्रॉन उपस्थित होने के कारण H3BO3 एक लूइस अम्ल (Lewis acid) की तरह व्यवहार करता है। जब यह जल में मिलाया जाता है। तो यह H2O के O परमाणु से एक इलेक्ट्रॉन युग्म प्राप्त करके [B(OH)24] का निर्माण करता है।

UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 11 The p-block Elements img-2

इस अभिक्रिया में एक H+ के उद्गम के कारण यह एक दुर्बल मोनोबेसिक अम्ल की भाँति व्यवहार करता है।

प्रश्न 6.
क्या होता है, जब बोरिक अम्ल को गर्म किया जाता है?
उत्तर
370 K से अधिक ताप पर गर्म किए जाने पर बोरिक अम्ल (ऑर्थोबोरिक अम्ल) मेटाबोरिक अम्ल (HBO2) बनाता है, जो और अधिक गर्म करने पर बोरिक ऑक्साइड (B2O3) में परिवर्तित हो जाता है।

UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 11 The p-block Elements img-3

प्रश्न 7.
BF3 तथा BH4 की आकृति की व्याख्या कीजिए। इन स्पीशीज में बोरॉन के संकरण को निर्दिष्ट कीजिए।
उत्तर
बोरॉन ट्राइफ्लुओराइड (Boron trifluoride, BFs)—इसमें केन्द्रीय परमाणु बोरॉन है। जिसका इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 1s2, 2s2 2p1 है। तलस्थ अवस्था में इसमें केवल एक अयुग्मित इलेक्ट्रॉन है जिसके आधार पर केवल एक सहसंयोजक बन्ध ही बन सकता है। अतः BF3 अणु बनने में यह अवश्य ही उत्तेजित अवस्था में होगा जिस स्थिति में एक s-इलेक्ट्रॉन p-कक्षक में उन्नत हो
जाएगा-
UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 11 The p-block Elements img-4

उत्तेजित बोरॉन में तीन अयुग्मित इलेक्ट्रॉन हैं जिससे यह तीन सहसंयोजक बन्ध बना सकता है। तीन फ्लुओरीन BF3 में युग्मन के लिए तीन इलेक्ट्रॉन प्रदान करते हैं।

UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 11 The p-block Elements img-5

इसमें एक बन्ध -इलेक्ट्रॉन के माध्यम से है तथा अन्य दो बन्ध दो p-इलेक्ट्रॉनों के माध्यम से हैं। अतः तीनों बन्ध समान नहीं होने चाहिए। s तथा px व py कक्षकों की ऊर्जा का संचय होकर तीनों कक्षकों में बराबर राशि में वितरित हो जाता है। इस प्रकार तीन sp- संकर कक्षकों का उद्भव होता है। इन कक्षकों के बीच 120° का, कोण होता है जिससे इलेक्ट्रॉन युग्मों में पारस्परिक प्रतिकर्षण न्यूनतम रहता है।

UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 11 The p-block Elements img-6

ये sp2– संकर कक्षक F परमाणुओं के कक्षकों के साथ अतिव्यापन करके बन्ध बनाते हैं। इस प्रकार BF3 में बन्ध कोण 120° होता है तथा अणु त्रिकोणीय व समतल होता है।

UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 11 The p-block Elements img-7

बोरॉन टेट्रा हाइड्राइडो ऋणायन (BH4)-वर्ग 13 के तत्व MH; प्रकार के हाइड्राइड बनाते हैं। ये हाइड्राइड दुर्बल लूइस अम्ल होते हैं तथा प्रबल लूइस क्षारकों (:B) के साथ MH3 : B प्रकार के योग उत्पाद बनाते हैं (M = B, Al, Ga)। इन हाइड्राइडों का निर्माण इनके बाह्यतम कोश में उपस्थित रिक्त । p-कक्षकों के कारण होता है जो हाइड्राइड आयन (H) से तुरन्त इलेक्ट्रॉन युग्म लेकर टेट्रा हाइड्राइडो ऋणायन बनाते हैं। BH4 की संरचना संकरण के प्रकार के आधार पर निर्धारित की जा सकती है। संकरण का प्रकार निम्नलिखित सूत्र से ज्ञात किया जा सकता है

H = [latex]\frac { 1 }{ 2 } [/latex][V + M – C + A]

जहाँ H= संकरण में सम्मिलित कक्षकों की संख्या, V= केन्द्रीय परमाणु के संयोजी कोश में इलेक्ट्रॉनों की संख्या, M= एकल संयोजी परमाणुओं की संख्याए,C= धनायन पर आवेश, A = ऋणायन पर आवेश इस प्रकार

H = [latex]\frac { 1 }{ 2 } [/latex][3+4-0+1]=4

चूँकि संकरण में भाग लेने वाले कक्षकों की संख्या 4 है; अत: यह sp3 संकरण है। sp3 संकरण में एक -कक्षक तथा तीन p-कक्षकों के सम्मिश्रण से चार समतुल्य संकर कक्षक बनते हैं। इन चारों कक्षकों में अल्पतम प्रतिकर्षण होने के लिए वे एक समचतुष्फलक के चारों कोनों की ओर दिष्ट होते हैं। तथा परस्पर 109°28′ का कोण बनाते हैं। अत: BH4 की आकृति निम्नवत् होगी-

UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 11 The p-block Elements img-8

प्रश्न 8.
ऐलुमिनियम के उभयधर्मी व्यवहार दर्शाने वाली अभिक्रियाएँ दीजिए।
उत्तर
ऐलुमिनियम अम्लों तथा क्षारों दोनों से क्रिया कर उभयधर्मी व्यवहार दर्शाता है।
उदाहरणार्थ-

UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 11 The p-block Elements img-9

प्रश्न 9.
इलेक्ट्रॉन न्यून यौगिक क्या होते हैं? क्या BCl3 तथा SiCl4 इलेक्ट्रॉन न्यून यौगिक हैं? समझाइए।
उत्तर
जिन स्पीशीज में केन्द्रीय परमाणु का अष्टक पूर्ण नहीं होता (अर्थात् संयोजक कोश में आठ इलेक्ट्रॉन नहीं होते), वे इलेक्ट्रॉन न्यून यौगिक कहलाते हैं।
BCl3 के केन्द्रीय परमाणु में मात्र 6 इलेक्ट्रॉन हैं। इसलिए यह इलेक्ट्रॉन न्यून यौगिक है। SiCl4 में । केन्द्रीय परमाणु Si (silicon) के पास 8 इलेक्ट्रॉन हैं। इसलिए उपर्युक्त परिभाषा के अनुसार यह इलेक्ट्रॉन न्यून यौगिक नहीं है।

प्रश्न 10.
CO2-3 तथा HCO3 की अनुनादी संरचनाएँ लिखिए।
उत्तर
CO3 आयन की अनुनाद संरचनाएँ-

UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 11 The p-block Elements img-10

HCO3 की अनुनाद संरचनाएँ-

UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 11 The p-block Elements img-11

प्रश्न 11.
(क) CO2-3,
(ख) हीरा तथा
(ग) ग्रेफाइट में कार्बन की संकरण-अवस्था क्या होती है?
उत्तर
(क) sp2
(ख) sp3
(ग) sp2

प्रश्न 12.
संरचना के आधार पर हीरा तथा ग्रेफाइट के गुणों में निहित भिन्नता को समझाइए।
उत्तर
हीरा तथा ग्रेफाइट में संरचनात्मक भिन्नता (Structural differences between Diamond and Graphite)
UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 11 The p-block Elements img-12

प्रश्न 13.
निम्नलिखित कथनों को युक्तिसंगत कीजिए तथा रासायनिक समीकरण दीजिए
(क) लेड (II) क्लोराइड Cl2 से क्रिया करके PbCl4 देता है।
(ख) लेड (IV) क्लोराइड ऊष्मा के प्रति अत्यधिक अस्थायी है।
(ग) लेड एक आयोडाइड PbI4 नहीं बनाता है।
उत्तर
(क) लेड (II) क्लोराइड, PbCl2 क्लोरीन से क्रिया करके PbCl4 नहीं बनाती है। इसका कारण यह है कि अक्रिय युग्म प्रभाव (inert pair effect) के कारण Pb की +2 ऑक्सीकरण अवस्था +4 ऑक्सीकरण अवस्था से अधिक स्थायी होती है। दूसरे शब्दों में, PbCl2, PbCl4 से अधिक स्थायी है।
(ख) अक्रिय युग्म प्रभाव (inert pair effect) के कारण, Pb की +4 ऑक्सीकरण अवस्था +2 ऑक्सीकरण अवस्था से कम स्थायी है। इस कारण लेड (IV) क्लोराइड गर्म करने पर विघटित होकर अधिक स्थायी लेड (II) क्लोराइड बनाता है।

UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 11 The p-block Elements img-13

(ग) PbI4 का अस्तित्व ज्ञात नहीं है। इसका कारण Ph4+ की ऑक्सीकरण प्रकृति और I की अपचायक प्रकृति का संयुक्त प्रभाव है।

प्रश्न 14.
BF3 में तथा BF4 में बन्ध लम्बाई क्रमशः 130 pm तथा 143 pm होने के कारण बताइए।
उत्तर
BF3 अणु-में pm-pr back bonding के कारण B—F आबन्ध की लम्बाई को कम कर देते। हैं। BF4 में B—F बन्ध शुद्ध एकल आबन्ध होता है और इसकी आबन्ध लम्बाई अधिक होती है। इसी कारण BF3 में B—F आबन्ध लम्बाई BF4 से कम होती है।

प्रश्न 15.
B—Cl आबन्ध द्विध्रुव आघूर्ण रखता है, किन्तु BCl3 अणु का द्विध्रुव आघूर्ण शून्य होता है। क्यों?
उत्तर
बोरॉन की विद्युत ऋणात्मकता 2, जबकि Cl की 3 होती है। विद्युत ऋणात्मक में अन्तर के कारण, B—Cl बन्ध पोलर हो जाता है और निश्चित द्विध्रुव आघूर्ण रखता है। BCl3 अणु में B परमाणु के sp2 संकरित होने के कारण यह एक त्रिकोणीय समतलीय अणु है। BCl3 में तीन B—Cl बन्ध 120° पर एक ही तल में होते हैं। इसलिए दो B—Cl बन्धों के द्विध्रुव आघूर्ण का परिमाण तीसरे B—Cl बन्ध के द्विध्रुव आघूर्ण के परिमाण के बराबर तथा विपरीत दिशा में होता है। परिणामस्वरूप BCl3 का शुद्ध द्विध्रुव आघूर्ण शून्य हो जाता है जैसा निम्नांकित से स्पष्ट है-

UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 11 The p-block Elements img-14

प्रश्न 16.
निर्जलीय HF में ऐलुमिनियम ट्राइफ्लुओराइड अविलेय है, परन्तु NaF मिलाने पर घुल जाता है। गैसीय BF3 को प्रवाहित करने पर परिणामी विलयन में से ऐलुमिनियम ट्राइफ्लुओराइडे अवक्षेपित हो जाता है। इसका कारण बताइए।
उत्तर
AlF3 निर्जलीय HF में नहीं घुलता क्योंकि HF एक सहसंयोजक और प्रबल रूप से हाइड्रोजन आबन्ध युक्त यौगिक है। NaF एक आयनिक यौगिक और F आयन देता है जो AlF3 से संयुक्त होकर जल में विलेय जटिल यौगिर्क Na3AlF6 का निर्माण करता है। इसलिए AlF3 , NaF की उपस्थिति में घुल जाता है।

UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 11 The p-block Elements img-15

जब परिणामी विलयन में BF3 गैस प्रवाहित की जाती है तो B (बोरॉन) अपने छोटे आकार और उच्च विद्युत ऋणात्मकता के कारण Na3[AlF6] में प्रवेश कर जाता है और Al को निष्कासित कर देता है। इसलिए AlF3 अवक्षेपित हो जाता है।

UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 11 The p-block Elements img-16

प्रश्न 17.
CO के विषैली होने का एक कारण बताइए।
उत्तर
रक्त में उपस्थित हीमोग्लोबिन शरीर के ऊतकों को O2, पहुँचाने का कार्य करता है। CO का रक्त में उपस्थित हीमोग्लोबिन के साथ जुड़कर कार्बोक्सीहीमोग्लोबिन (carboxyhaemoglobin) बनाती है जो ऑक्सीहीमोग्लोबिन (oxyheamoglobin) से 300 गुना अधिक स्थिर है। यह शरीर के विभिन्न अंगों में हीमोग्लोबिन की O2 वाहक क्षमता को समाप्त कर देता है। फलस्वरूप ऑक्सीजन की कमी के कारण व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है।

UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 11 The p-block Elements img-17

प्रश्न 18.
COI2 की अधिक मात्रा भूमण्डलीय तापवृद्धि के लिए उत्तरदायी कैसे है?
उत्तर
CO2 चक्र के कारण प्राकृतिक रूप से वातावरण में CO2 की सान्द्रता स्थिर रहती है लेकिन, जब वातावरण में CO2 की सान्द्रता मानवीय क्रियाओं के कारण एक निश्चित स्तर से अधिक हो जाती है, तो वायुमण्डल में उपस्थित CO2 का आधिक्य पृथ्वी द्वारा विकरणित ऊष्मा को अवशोषित कर लेता है। अवशोषित ऊष्मा का कुछ भाग वायुमण्डल में निस्तारित हो जाता है और शेष भाग पृथ्वी पर वापस विकरणित हो जाता है जिससे पृथ्वी की सतह का तापमान बढ़ जाता है और भूमण्डलीय ताप में वृद्धि होती है। इस प्रभाव को ग्रीन हाउस प्रभाव कहा जाता है।

प्रश्न 19.
डाइबोरेन तथा बोरिक अम्ल की संरचना समझाइए।
उत्तर
(क) डाइबोरेन की संरचना (Structure of Diborane)
डाइबोरेन की संरचना को चित्र-4 (क) द्वारा दर्शाया गया है। इसमें सिरे वाले चार हाइड्रोजन परमाणु तथा दो बोरॉन परमाणु एक ही तल में होते हैं। इस तल के ऊपर तथा नीचे दो सेतुबन्ध (bridging) हाइड्रोजन परमाणु होते हैं। सिरे वाले चार B—H बन्ध सामान्य द्विकेन्द्रीय-द्विइलेक्ट्रॉन (two centre-two electron) बन्ध भिन्न प्रकार के होते हैं जिन्हें ‘त्रिकेन्द्रीय-द्विइलेक्ट्रॉन बन्ध’ कहते हैं। चित्र-4 (ख)।

UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 11 The p-block Elements img-18

(ख) बोरिक अम्ल की संरचना (Structure of Boric acid)
ठोस अवस्था में, बोरिक अम्ल की पर्तीय संरचना होती है, जहाँ समतलीय B05 की इकाइयाँ हाइड्रोजन बन्ध द्वारा एक-दूसरे से 318 pm की दूरी पर जुड़ी रहती हैं (चित्र-5)।

UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 11 The p-block Elements img-19

प्रश्न 20.
क्या होता है, जब?
(क) बोरेक्स को अधिक गर्म किया जाता है।
(ख) बोरिक अम्ल को जल में मिलाया जाता है।
(ग) ऐलुमिनियम की तनु NaOH से अभिक्रिया कराई जाती है।
(घ) BF3 की क्रिया अमोनिया से की जाती है।
उत्तर
(क) जब बोरेक्स के चूर्ण को बुन्सन बर्नर की ज्वाला में अधिक गर्म किया जाता है, सर्वप्रथम यह जल के अणु का निष्कासन कर्के फूल जाता है। पुनः गर्म करने पर यह एक पारदर्शी द्रव में परिवर्तित हो जाता है, जो काँच के समान एक ठोस में परिवर्तित हो जाता है। इसे बोरेक्स मनका कहते हैं|

UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 11 The p-block Elements img-20

(ख) यह जल में घुल जाता है; क्योंकि यह इलेक्ट्रॉन-न्यून यौगिक है।

UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 11 The p-block Elements img-21

(ग) ऐलुमिनियम NaOH विलयन में घुलकर एक विलेय संकुल बनाता है तथा हाइड्रोजन गैस मुक्त करता है।

UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 11 The p-block Elements img-22

(घ) BF (व्यवहार में लूइस अम्ल) NH3 (व्यवहार में लूइस-क्षारक) के साथ योगात्मक यौगिक बनाता है।

UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 11 The p-block Elements img-23

प्रश्न 21.
निम्नलिखित अभिक्रियाओं को समझाइए-
(क) कॉपर की उपस्थिति में उच्च ताप पर सिलिकन को मेथिल क्लोराइड के साथ गर्म किया जाता है।
(ख) सिलिकन डाइऑक्साइड की क्रिया हाइड्रोजन फ्लुओराइड के साथ की जाती है।
(ग) C0 को Zn0 के साथ गर्म किया जाता है।
(घ) जलीय ऐलुमिना की क्रिया जलीय NaOH के साथ की जाती है।
उत्तर
(क) जब सिलिकन को मेथिल क्लोराइड के साथ उच्च ताप पर Cu की उपस्थिति में गर्म किया जाता है, तो मोनो, डाइ तथा ट्राइमिथाइलक्लोरोसाइलेन और थोड़ी मात्रा में टेट्रामिथाइलक्लोरोसाइलेन युक्त एक मिश्रण प्राप्त होता है।

UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 11 The p-block Elements img-24

(ख) जब SiO2 की क्रिया HF से की जाती है तो सिलिकॉन टेट्राक्लोराइड बनता है, जो HF में घुलकर हाइड्रोफ्लोरो सिलिसिक अम्ल (hydrofluorosilicic acid) बनाता है।

UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 11 The p-block Elements img-25

(ग) जब कार्बन मोनोऑक्साइड को जिंक ऑक्साइड के साथ गर्म किया जाता है, तो ZnO अपचयित होकर जिंक धातु बनाता है।

UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 11 The p-block Elements img-26

(घ) जब जलयोजित ऐलुमिना (hydrated alumina) को NaOH के जलीय विलयन के साथ गर्म किया जाता है तो सोडियम टेट्राहाइड्रॉक्सी ऐलुमिनेट (III) बनता है।

UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 11 The p-block Elements img-27

प्रश्न 22.
कारण बताइए
(क) सान्द्र HNO3 का परिवहन ऐलुमिनियम के पात्र द्वारा किया जा सकता है।
(ख) तनु NaOH तथा ऐलुमिनियम के टुकड़ों के मिश्रण का प्रयोग प्रवाहिका खोलने के लिए किया जाता है।
(ग) ग्रेफाइट शुष्क स्नेहक के रूप में प्रयुक्त होता है।
(घ) हीरा का प्रयोग अपघर्षक के रूप में होता है।
(ङ) वायुयान बनाने में ऐलुमिनियम मिश्रधातु का उपयोग होता है।
(च) जल को ऐलुमिनियम पात्र में पूरी रात नहीं रखना चाहिए।
(छ) संचरण केबल बनाने में ऐलुमिनियम तार का प्रयोग होता है।
उत्त
(क) सान्द्र HNO3 ऐलुमिनियम (AI) से क्रिया करके इसकी सतह पर ऐलुमिनियम ऑक्साइड की एक पतली परत बनाता है जो Al की सान्द्र HNO3 से पुन: क्रिया को रोकती है। दूसरे शब्दों में, Al सान्द्र HNO3 के प्रभाव से निष्क्रिय हो जाता है।

UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 11 The p-block Elements img-28

अतः सान्द्र HNO3 के परिवहन में Al कन्टेनर का उपयोग किया जाता है।
(ख) Al तनु NaOH से क्रिया करने पर हाइड्रोजन मुक्त करता है। इस प्रकार उच्च दाब पर विमुक्त H, का उपयोग बन्द नालियों (closed drains) को खोलने में किया जा सकता है।

2Al(s) + 2NaOH(aq) + 6H2O(l) → 2Na+[Al(OH)4] (aq) + 3H2(g)

(ग) ग्रेफाइट (graphite) की संरचना एक परतीय संरचना होती है जिसमें षटकोणीय वलय (hexagonal ring) की विशाल परतें एक-दूसरे से दुर्बल वाण्डर वाल्स बलों (weak van der Waals’ forces) द्वारा सम्बन्धित होती हैं। ये परतें एक-दूसरे से स्थायी रूप से नहीं जुड़ी होती हैं और एक-दूसरे पर फिसलती रहती हैं। यही कारण है कि ग्रेफाइट मुलायम होता है और एक शुष्क स्नेहक (dry lubricant) की भाँति प्रयोग किया जाता है।

(घ) हीरे की संरचना एक त्रिविमीय नेटवर्क संरचना है जिसमें sp संकरित कार्बन परमाणु एक-दूसरे से मजबूत सहसंयोजक आबन्धों द्वारा जुड़े रहते हैं। इसका नेटवर्क बहुत कठोर होता है। यही कारण है कि हीरा अत्यधिक कठोर होता है और इसका उपयोग एक अपघर्षक (abrasive) के रूप में किया जाता है।

(ङ) ऐलुमिनियम की मिश्र धातुएँ (alloys) हल्की होती हैं और ये अत्यन्त मजबूत एवं क्षय प्रतिरोधी होती हैं। इसलिए इनका उपयोग हवाई जहाजों को बनाने में किया जाता है।

(च) ऐलुमिनियम जल से तथा घुलित ऑक्सीजन से क्रिया कर अपनी सतह पर ऐलुमिनियम ऑक्साइड की एक पर्त बनाता है।

2Al(s) + O2 (g) + H2O(l) → Al2O3 (3) + H2 (g)

इस परत में स्थित कुछ Al3+ आयन पानी में घुलकर एक विलयन बनाते हैं। Al3+ आयन विषैला होता है और पीने के पानी व खाने के पदार्थों में इसकी उपस्थिति अवांछित है।

(छ) ऐलुमिनियम विद्युत धारा का अच्छा चालक है। भारानुसार यह Cu की तुलना में दो गुनी अधिक विद्युत धारा को संचालित कर सकता है। Al के तार हल्के और सस्ते होते हैं। इसलिए Al का उपयोग संचरण केबिल (transmission cables) बनाने में किया जाता है।

प्रश्न 23.
कार्बन से सिलिकॉन तक आयनीकरण एन्थैल्पी में प्रघटनीय कमी होती है। क्यों?
उत्तर
कार्बन से सिलिकॉन तक आयनीकरण में प्रघटनीय कमी होती है; क्योंकि कार्बन की परमाणु त्रिज्या (77pm) की तुलना में सिलिकॉन की परमाणु त्रिज्या अधिक (118 pm) होती है। इसलिए इलेक्ट्रॉनों का निष्कासन सरलतापूर्वक हो जाता है। सिलिकॉन से जर्मेनियम तक आयनन एन्थैल्पी में कमी प्रघटनीय नहीं होती; क्योंकि तत्वों के परमाणु आकार एकसमान रूप से बढ़ते हैं।

प्रश्न 24.
Al की तुलना में Ga की कम परमाण्वीय त्रिज्या को आप कैसे समझाएँगे?
उत्तर
ऐलुमिनियम (Al) की तुलना में Ga की कम परमाण्वीय त्रिज्या को प्रथम संक्रमण श्रेणी (Z=21 से 30) के दस तत्वों की उपस्थिति के आधार पर समझाया जा सकता है। इनमें इलेक्ट्रॉन 3d-कक्षकों में होते हैं। चूँकि 4-कक्षकों का आकार d-कक्षकों की तुलना में अधिक होता है; अत: अन्तरस्थ इलेक्ट्रॉनों के पास नाभिकीय आवेश में वृद्धि के प्रभाव को निरस्त करने के लिए पर्याप्त परिरक्षण प्रभाव नहीं होता। इसलिए Ga की स्थिति में प्रभावी नाभिकीय आवेश का मान कम होता है। इससे अपवादस्वरूप Ga का परमाणु आकार घट जाता है जिसे वास्तव में बढ़ा होना चाहिए था।

प्रश्न 25.
अपररूप क्या होता है? कार्बन के दो महत्त्वपूर्ण अपररूप हीरा तथा ग्रेफाइट की संरचना का चित्र बनाइए। इन दोनों अपरूपोंक्षे,भौतिक गुणों पर संरचना का क्या प्रभाव पड़ता, है?
उत्तर
अपररूप (Allotropes)
प्रकृति में शुद्ध कार्बन दो रूपों में पाया जाता है-हीरा तथा ग्रेफाइट। यदि हीरे अथवा ग्रेफाइट को वायु में अत्यधिक गर्म किया जाए तो यह पूर्ण रूप से जल जाते हैं तथा कार्बन डाइऑक्साइड बनाते हैं। जब हीरे तथा ग्रेफाइट की समान मात्रा दहन की जाती है, तब कार्बन डाइऑक्साइड की बराबर मात्रा उत्पन्न होती है तथा कोई अवशेष नहीं बचता। इन तथ्यों से स्पष्ट है कि ह्मस तथा ग्रेफाइट रासायनिक रूप से एकसमान हैं तथा केवल कार्बन परमाणुओं बने हैं। इनके नैतिक गुण अत्यधिक भिन्न होते हैं। अतः इस प्रकार के गुणों को प्रदर्शित करने वाले तत्वों को अपररूप कहते हैं।

हीरा (Diamond)
हीरा में क्रिस्टलीय जालक होता है। इसमें प्रत्येक परमाणु sp3-संकरित होता है तथा चतुष्फलकीय ज्यामिति से अन्य चार कार्बन परमाणुओं से जुड़ा रहता है। इसमें कार्बन-कार्बन बन्ध लम्बाई 154 pm होती है। कार्बन परमाणु दिक (space) में दृढ़ त्रिविमीय जालक (rigid three dimensional network) का निर्माण करते हैं। इस संरचना (चित्र-6) में सम्पूर्ण जालक में दिशात्मक सहसंयोजक बन्ध उपस्थित रहते हैं। इस प्रकार विस्तृत सहसंयोजक बन्धन को तोड़ना कठिन कार्य होता है। अत: हीरा पृथ्वी पर पाया जाने वाला सर्वाधिक कठोर पदार्थ है। इसका उपयोग धार तेज करने के लिए अपघर्षक (abrasive) के रूप में, रूपदा (dies) बनाने में तथा विद्युत-प्रकाश लैम्प में टंगस्टन तन्तु (filament) बनाने में होता है।

UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 11 The p-block Elements img-29

ग्रेफाइट (Graphite)
ग्रेफाइट की पर्तीय संरचना (layered structure) होती है। ये पर्ते वाण्डर वाल्स बल द्वारा जुड़ी रहती हैं। इस कारण ग्रेफाइट चिकना (slippery) तथा मुलायम (soft) होता है। दो पर्तों के मध्य की दूरी 340 pm होती है। प्रत्येक पर्त में कार्बन परमाणु षट्कोणीय वलय (hexagonal rings) के रूप में व्यवस्थित होते हैं जिसमें CC बन्ध लम्बाई 141-5 pm होती है। षट्कोणीय वलय में प्रत्येक कार्बन परमाणु sp2-संकरित होता है। प्रत्येक कार्बन परमाणु तीन निकटवर्ती कार्बन परमाणुओं से तीन सिग्मा बन्ध बनाता है (चित्र-7)। इसका चौथा इलेक्ट्रॉन -बन्ध बनाता है। सम्पूर्ण पर्त में इलेक्ट्रॉन विस्थानीकृत। होते हैं। इलेक्ट्रॉन गतिशील होते हैं; अतः ग्रेफाइट विद्युत का सुचालक होता है। उच्च ताप पर जिन मशीनों में तेल का प्रयोग स्नेहक (lubricant) के रूप में नहीं हो सकता है, उनमें ग्रेफाइट शुष्क स्नेहक का कार्य करता है।

UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 11 The p-block Elements img-30

प्रश्न 26.
(क) निम्नलिखित ऑक्साइड को उदासीन, अम्लीय, क्षारीय तथा उभयधर्मी ऑक्साइड के रूप में वर्गीकृत कीजिए-
C0, B2O3, SiO2, CO2, Al2O3, PbO2, Tl2O3
(ख) इनकी प्रकृति को दर्शाने वाली रासायनिक अभिक्रिया लिखिए।
उत्तर
(क) उदासीन ऑक्साइड : CO
अम्लीय ऑक्साइड : B2O3, SiO2,CO2
उभयधर्मी ऑक्साइड : Al2O3, PbO2
क्षारीय ऑक्साइड : Tl2O3
(ख)
(i) अम्लीय ऑक्साइडों की क्षारों के साथ अभिक्रिया

UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 11 The p-block Elements img-31

(ii) उभयधर्मी ऑक्साइडों की अम्लों व क्षारों के साथ अभिक्रिया

UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 11 The p-block Elements img-32

(iii) क्षारीय ऑक्साइड की अम्ल के साथ अभिक्रिया

UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 11 The p-block Elements img-33

प्रश्न 27.
कुछ अभिक्रियाओं में थैलियम, ऐलुमिनियम से समानता दर्शाता है, जबकि अन्य में यह समूह-I के धातुओं से समानता दर्शाता है। इस तथ्य को कुछ प्रमाणों के द्वारा सिद्धे करें।
उत्तर
ऐलुमिनियम के समाने, थैलियम Tl2O3, TlCl3, Tl2 (SO4 )3 आदि में +3 ऑक्सीकरण अवस्था प्रदर्शित करता है। Al तथा Tl के जटिल यौगिक भी समान प्रकार के होते हैं। जैसे– [AlF6]3- तथा [TlF6]3-
अक्रिय युग्म प्रभाव के कारण यह समूह 1 ग्रुप की क्षार धातुओं के समान +1 ऑक्सीकरण अवस्था भी प्रदर्शित करता है। +1 ऑक्सीकरण अवस्था में यह Tl2O, TlCl आदि यौगिकों का निर्माण करता है जो Na2O, NaCl आदि यौगिकों के समान है। Tl2O, Na2O के समान प्रबल क्षार हैं। अत: यह समूह 1 की धातुओं से भी समानता प्रदर्शित करता है।

प्रश्न 28.
जब धातु X की क्रिया सोडियम हाइड्रॉक्साइड के साथ की जाती है तो श्वेत अवक्षेप (A) प्राप्त होता है, जो NaOH के आधिक्य में विलेय होकर विलेय संकुल (B) बनाता है। यौगिक (A) तनु HCl में घुलकर यौगिक (C) बनाता है। यौगिक (A) को अधिक गर्म किए जाने पर यौगिक (D) बनता है, जो एक निष्कर्षित धातु के रूप में प्रयुक्त होता है। X, A, B, C तथा D को पहचानिए तथा इनकी पहचान के समर्थन में उपयुक्त समीकरण दीजिए।
उत्तर
दी गई अभिक्रियाएँ प्रदर्शित करती हैं कि धातु X ऐलुमिनियम है। अभिक्रियाओं को निम्न प्रकार लिखा जा सकता है-

UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 11 The p-block Elements img-34

प्रश्न 29.
निम्नलिखित से आप क्या समझते हैं?
(क) अक्रिय युग्म प्रभाव,
(ख) अपररूप,
(ग) श्रृंखलन।
उत्तर
(क) अक्रिय युग्म प्रभाव (Inert pair effect)-कोश इलेक्ट्रॉनिक विन्यास, (n-1)d10 ns2np1 वाले तत्व में, 4-कक्षक के इलेक्ट्रॉन दुर्बल परिरक्षण प्रभाव प्रस्तावित करते हैं। इसलिए ns2 इलेक्ट्रॉन नाभिक के धनावेश द्वारा अधिक दृढ़ता से बँधे रहते हैं। इस प्रबल आकर्षण के परिणामस्वरूप, ns इलेक्ट्रॉन युग्मित रहते हैं तथा बन्ध में भाग नहीं लेते हैं अर्थात् अक्रिय रहते हैं। यह प्रभाव अक्रिय युग्म प्रभाव कहलाता है। इस स्थिति में, ns2np1 विन्यास में, तीन इलेक्ट्रॉनों में से केवल एक इलेक्ट्रॉन बन्ध-निर्माण में भाग लेता है।
(ख) अपररूप (Allotropes)-किसी तत्व का समान रासायनिक अवस्था में दो या अधिक भिन्न-रूपों में पाया जाना अपररूपता कहलाता है। तत्व के ये विभिन्न रूप अपररूप कहलाते हैं। किसी तत्व के सभी अपररूपों के समान रासायनिक गुण होते हैं, परन्तु इनके भौतिक गुणों में अन्तर होता है।
(ग) श्रृंखलन (Catenation)-कार्बन में अन्य परमाणुओं के साथ सहसंयोजक बन्ध द्वारा जुड़कर लम्बी श्रृंखला या वलय बनाने की प्रवृत्ति होती है। इस प्रवृत्ति को श्रृंखलन कहते हैं। C—C बन्ध अधिक प्रबल होने के कारण ऐसा होता है।

प्रश्न 30.
एक लवण x निम्नलिखित परिणाम देता है
(क) इसका जलीय विलयन लिटमस के प्रति क्षारीय होता है।
(ख) तीव्र गर्म किए जाने पर यह काँच के समान ठोस में स्वेदित हो जाता है।
(ग) जब X के गर्म विलयन में सान्द्र H2SO4 मिलाया जाता है तो एक अम्ल Z का श्वेत क्रिस्टल बनता है। उपर्युक्त अभिक्रियाओं के समीकरण लिखिए और X, Y तथा Z को पहचानिए।
उत्तर
(क) चूंकि दिये गये लवण का जलीय विलयन लिटमस के प्रति क्षारीय है तो यह सुनिश्चित है कि यह प्रबल क्षार और दुर्बल अम्ल से मिलकर बना लवण है।
(ख) लवण [X] गर्म करने पर फूल जाता है और काँच जैसे पदार्थ में परिवर्तित हो जाता है। इसलिए [४] को बोरेक्स (borax) और [Y] को सोडियम मेटाबोरेट और बोरिक ऐनहाइड्राइड का मिश्रण होना चाहिए।
(ग) जब बोरेक्सा [X] के गर्म विलयन में सान्द्र H2SO4 मिलाया जाता है, तो ऑथ्रो बोरिक अम्ल [2] के सफेद क्रिस्टल प्राप्त होते हैं।
अतः, [X]= Na2B4O7·10H2O, [Y]= NaBO2 + B2O3 और [2]= H3 BO3
अभिक्रियाओं को निम्न प्रकार लिखा जा सकता है-

UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 11 The p-block Elements img-35

प्रश्न 31.
सन्तुलित समीकरण दीजिए-
(क) BF3 + LiH →
(ख) B2H6 + H2O→
(ग) NaH + B2H6
(घ) UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 11 The p-block Elements img-102
(ङ) Al + NaOH →
(च) B2H6 + NH3 →
उत्तर
UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 11 The p-block Elements img-36

प्रश्न 32.
C0 तथा CO2 प्रत्येक के संश्लेषण के लिए एक प्रयोगशाला तथा एक औद्योगिक विधि दीजिए।
उत्तर
(क) कार्बन मोनोक्साइड (Carbon monoxide) प्रयोगशाला विधि (Laboratory method)—सान्द्र सल्फ्यूरिक अम्ल का 373 K पर फॉर्मिक अम्ल .. के द्वारा निर्जलीकरण कराने पर अल्प मात्रा में शुद्ध कार्बन मोनोक्साइड प्राप्त होती है।

UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 11 The p-block Elements img-37

औद्योगिक विधि (Industrial method)-औद्योगिक रूप से इसे कोक पर भाप (steam) प्रवाहित करके बनाया जाता है। इस प्रकार CO तथा H2 का प्राप्त मिश्रण ‘वाटर गैस’ अथवा ‘संश्लेषण गैस’ (synthesis gas) कहलाता है।

UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 11 The p-block Elements img-38

जब भाप के स्थान पर वायु का प्रयोग किया जाता है, तब CO तथा N2 का मिश्रण प्राप्त होता है। इसे प्रोड्यूसर गैस कहते हैं।

UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 11 The p-block Elements img-39

(ख) कार्बन डाइऑक्साइड (Carbon dioxide) प्रयोगशाला विधि (Laboratory method)—प्रयोगशाला में इसे कैल्सियम कार्बोनेट पर तनु HC1 की अभिक्रिया द्वारा बनाया जाता है।

CaCO3(s) + 2HCl(aq) → CaCl2 (aq) +CO2(g) + H2O(1)

औद्योगिक विधि (Industrial method)-औद्योगिक रूप में चूना पत्थर (lime stone) को गर्म करके CO2 बनाई जा सकती है।

UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 11 The p-block Elements img-40

प्रश्न 33.
बोरेक्स के जलीय विलयन की प्रकृति कौन-सी होती है?
(क) उदासीन
(ख) उभयधर्मी
(ग) क्षारीय
(घ) अम्लीय
उत्तर
(ग) ऐसा इसलिए है क्योंकि बोरेक्स प्रबल क्षार (NaOH) और दुर्बल अम्ल (H3BO3) से बना लवण है। जल में, यह जल अपघटित होकर क्षारीय विलयन बनाता है।

प्रश्न 34.
बोरिक अम्ल के बहुलकीय होने का कारण
(क) इसकी अम्लीय प्रकृति है।
(ख) इसमें हाइड्रोजन बन्धों की उपस्थिति है।
(ग) इसकी ऐकक्षारीय प्रकृति है।
(घ) इसकी ज्यामिति है।
उत्तर
(ख) इसमें हाइड्रोजन बन्धों की उपस्थिति है।।

प्रश्न 35.
डाइबोरेन में बोरॉन का संकरण कौन-सा होता है?
(क) sp
(ख) sp2
(ग) sp3
(घ) dsp2
उत्तर
(ग) sp3

प्रश्न 36.
ऊष्मागतिकीय रूप से कार्बन का सर्वाधिक स्थायी रूप कौन-सा है?
(क) हीरा
(ख) ग्रेफाइट
(ग) फुलरीन्स
(घ) कोयला
उत्तर
(ख) ग्रेफाइट

प्रश्न 37.
निम्नलिखित में से समूह-14 के तत्वों के लिए कौन-सा कथन सत्य है?
(क) +4 ऑक्सीकरण अवस्था प्रदर्शित करते हैं।
(ख) +2 तथा +4 ऑक्सीकरण अवस्था प्रदर्शित करते हैं।
(ग) M2- तथा M4+ आयन बनाते हैं।
(घ) M2+ तथा M4- आयन बनाते हैं।
उत्तर
(ख) +2 तथा +4 ऑक्सीकरण अवस्था प्रदर्शित करते हैं।

प्रश्न 38.
यदि सिलिकॉन निर्माण में प्रारम्भिक पदार्थ RSiCl3 है तो बनने वाले उत्पाद की संरचना बताइए।
उत्तर
यदि अभिक्रिया में प्रारम्भिक पदार्थ RSiCl3 है तो अन्तिम उत्पाद एक क्रॉस लिन्कड सिलिकॉन (cross-linked silicone) होगा, जैसा कि निम्न से स्पष्ट है-

UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 11 The p-block Elements img-41

परीक्षोपयोगी प्रश्नोत्तर
बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
ऐलुमिनियम का विकर्ण सम्बन्ध है।
(i) Li से
(ii) Be से
(iii) B से
(iv) Si से
उत्तर
(ii) Be से

प्रश्न 2.
निम्नलिखित में अम्लीय ऑक्साइड है।
(i) B2O3
(ii) Al2O3
(iii) In2O3
(iv) Ga2O3
उत्तर
(i) B2O3

प्रश्न 3.
B2O3 है।
(i) आयनिक
(ii) क्षारीय
(iii) अम्लीय
(iv) उभयधर्मी
उत्तर
(iii) अम्लीय

प्रश्न 4.
बोरॉन की सोडियम हाइड्रॉक्साइड के साथ अभिक्रिया कराने पर बनता है।
(i) Na3BO3
(ii) Na3BO2
(iii) Na2B4O7
(iv) NaBO3
उत्तर
(i) Na3 BO3

प्रश्न 5.
BF3 अणु है।
(i) लुईस अम्ल
(ii) लुईस क्षारक
(iii) उदासीन लवण
(iv) इनमें से कोई नहीं
उत्तर
(i) लुईस अम्ल

प्रश्न 6.
बोरेक्स है।
(i) सोडियम मेटाबोरेट
(ii) सोडियम बोरेट
(iii) सोडियम टेट्राबोरेट
(iv) सोडियम बाइबोरेट
उत्तर
(iii) सोडियम टेट्राबोरेट।

प्रश्न 7.
बोरेक्स (सुहागा) का अणुसूत्र है।
(i) Na2B4O7
(ii) Na2B4O7·4H2O
(iii) Na2B4O7·7H2O
(iv) Na2B4O7·10H2O
उत्तर
(iv) Na2B4O7·10H2O

प्रश्न 8.
धातु लवणों की पहचान के लिए बोरेक्स मनका परीक्षण करते हैं।
(i) श्वेत लवण से
(ii) रंगीन लवण से
(iii) जलयोजित लवण से
(iv) अम्लीय लवण से
उत्तर
(ii) रंगीन लवण से

प्रश्न 9.
बोरेक्स बीड परीक्षण में नीली बीड बनाएगा।
(i) Cr
(ii) Co2+
(iii) Ni2+
(iv) Cd2+
उत्तर
(ii) Co2+

प्रश्न 10.
बोरिक अम्ल के बारे में कौन-सा कथन असत्य है?
(i) यह बोरेक्स के जलीय विलयन को अम्लीकृत करके तैयार किया जाता है।
(ii) इसकी संरचना परतीय होती है जिसमें समतल BO3 इकाई हाइड्रोजन आबन्धों द्वारा जुड़ी होती है।
(iii) यह एक प्रबल त्रि-क्षारकी अम्ल है ।
(iv) यह प्रोटॉन दाता के रूप में कार्य नहीं करता, परन्तु हाइड्रॉक्सिल आयन स्वीकार करके एक लुईस अम्ल की तरह कार्य करता है।
उत्तर
(iv) यह प्रोटॉन दाता के रूप में कार्य नहीं करता, परन्तु हाइड्रॉक्सिल आयन स्वीकार करके एक लुईस अम्ल की तरह कार्य करता है।

प्रश्न 11.
बोरिक अम्ल के सम्बन्ध में कौन-सा कथन गलत है?
(i) यह एक एकक्षारकी (monobasic) अम्ल की भाँति कार्य करता है।
(ii) यह बोरॉन के हैलाइडों के जल-अपघटन से बनता है।
(iii) इसकी संरचना समतलीय है।
(iv) यह एक त्रि-क्षारकी अम्ल की भाँति कार्य करता है।
उत्तर
(iv) यह एक त्रि-क्षारकी अंम्ल की भाँति कार्य करता है।

प्रश्न 12.
बोरेक्स पर किसकी अभिक्रिया के द्वारा बोरिक अम्ल बनाया जाता है?
(i) हाइड्रोक्लोरिक अम्ल
(ii) सोडियम हाइड्रॉक्साइड
(iii) कार्बन डाइऑक्साइड
(iv) सोडियम कार्बोनेट
उत्तर
(iv) सोडियम कार्बोनेट

प्रश्न 13.
ऑर्थोबोरिक अम्ल को गर्म करने पर प्राप्त होता है।
(i) मेटाबोरिक अम्ल
(ii) पाइरोबोरिक अम्ल
(iii) जलयोजित लवण
(iv) अम्लीय लवण
उत्तर
(iv) अम्लीय लवण

प्रश्न 14.
BCl3 की LiAlH4 से अभिक्रिया का मुख्य उत्पाद है।
(i) B2H6
(ii) AlCl3
(iii) LiCl
(iv) तीनों उत्पाद
उत्तर
(i) B2H6

प्रश्न 15.
B2H6 से निम्नलिखित में से किसे नहीं बनाया जा सकता है?
(i) H3BO3
(ii) B2(CH3)4H2
(iii) B2(CH3) 6
(iv) NaBH4
उत्तर
(iii) B2(CH3) 6

प्रश्न 16.
निम्न में से कौन-सा ऑक्साइड उदासीन है?
(i) CO
(ii) SnO2
(iii) ZnO
(iv) SiO2
उत्तर
(i) CO

प्रश्न 17.
ऊष्मागतिकीय रूप के कार्बन का सर्वाधिक स्थायी रूप कौन-सा है?
(i) हीरा
(ii) ग्रेफाइट
(iii) फुलरीन
(iv) कोयला
उत्तर
(ii) ग्रेफाइट

प्रश्न 18.
शुष्क बर्फ है।
(i) फ्रीऑन
(ii) द्रव क्लोरीन
(iii) ठोस कार्बन डाइऑक्साइड
(iv) प्लास्टर ऑफ पेरिस
उत्तर
(ii) ठोस कार्बन डाइऑक्साइड

प्रश्न 19.
निम्न में कौन-सा पदार्थ अर्द्धचालक के रूप में प्रयुक्त होता है?
(i) Au
(ii) Ge
(iii) Pt
(iv) Si
उत्तर
(iv) Si

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
निर्जल AICIs नम वायु को धूम क्यों देता है? समझाइए।
उत्तर
निर्जल AICI नम वायु (H2O) से अभिक्रिया करके हाइड्रोजन क्लोराइड गैस की तेज धूम देता है।

UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 11 The p-block Elements img-42

प्रश्न 2.
ऐलुमिनियम का वैद्युत-अपघटन गलित अवस्था में किया जाता है, जलीय विलयन में नहीं, क्यों? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
ऐलुमिनियम को वैद्युत-अपघंटन जलीय विलयन में नहीं किया जा सकता; क्योंकि प्राप्त ऐलुमिनियम उबलते हुए जल से क्रिया कर ऐलुमिनियम हाइड्रॉक्साइड बनाता है, जो स्वयं विच्छेदित होकर पुनः ऐलुमिना में बदल जाता हैं।

UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 11 The p-block Elements img-43

प्रश्न 3.
क्या होता है जब सोडियम हाइड्रॉक्साइड का विलयन धीरे-धीरे ऐलुमिनियम क्लोराइड विलयन में डाला जाता है?
उत्तर
इसमें पहले ऐलुमिनियम हाइड्रॉक्साइड का सफेद अवक्षेप प्राप्त होता है जो NaOH के आधिक्य में घुलकर सोडियम मेटाऐलुमिनेट देता है।

UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 11 The p-block Elements img-44

प्रश्न 4.
निर्जल ऐलुमिनियम क्लोराइड का फ्रीडेल-क्राफ्ट अभिक्रिया में उपयोग दीजिए।
उत्तर
निर्जल AlCl3, ऐल्किल हैलाइड या ऐसिड क्लोराइड को इलेक्ट्रोफाइल पर परिवर्तित करके फ्रीडेल-क्राफ्ट अभिक्रिया दर्शाता है। निर्जल AlCl3, का फ्रीडेल-क्राफ्ट अभिक्रिया में उत्प्रेरक के रूप में उपयोग होता है।

UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 11 The p-block Elements img-45

प्रश्न 5.
ऐलुमिनियम सल्फेट को ऐलुमिनियम क्लोराइड में कैसे परिवर्तित करोगे, समीकरण दीजिए।
उत्तर
UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 11 The p-block Elements img-46

प्रश्न 6.
क्या होता है जब बोरेक्स को जल में घोला जाता है?
उत्तर
NaOH बनने के कारण क्षारीय विलयन प्राप्त होता है।

UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 11 The p-block Elements img-47

प्रश्न 7.
बोरिक अम्ल के दो प्रमुख उपयोग लिखिए।
उत्तर

  1. पूतिरोधी (antiseptic) के रूप में।
  2. आँखों की औषधि के निर्माण में।

प्रश्न 8.
कृत्रिम गोल्ड (रोल्ड गोल्ड) का संघटन तथा उपयोग लिखिए।
उत्तर
कृत्रिम गोल्ड (ऐलुमिनियम ब्रांज) में 10% Al तथा शेष कॉपर होता है। यह बर्तन, मुद्राएँ, कृत्रिम आभूषण, पेन्ट आदि बनाने में प्रयुक्त होता है।

प्रश्न 9.
हीरा एक कुचालक है परन्तु ग्रेफाइट विद्युत का अच्छा चालक है। समझाइए।
उत्तर
हीरे की आन्तरिक संरचना इस प्रकार होती है कि इसमें सभी इलेक्ट्रॉन सहसंयोजक बन्ध बनाने में भाग लेते हैं। कोई मुक्त इलेक्ट्रॉन नहीं होता है इसलिए यह विद्युत का कुचालक है। जबकि ग्रेफाइट की संरचना इस प्रकार होती है कि उसमें मुक्त इलेक्ट्रॉन होते हैं इसलिए ग्रेफाइट विद्युत का चालक है। चालक है।

प्रश्न 10.
सिलिकॉन कार्बाइड बनाने का रासायनिक समीकरण लिखिए।
उत्तर
UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 11 The p-block Elements img-48

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
वर्ग 13 के तत्वों की अभिक्रियाशीलता पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर
बोरॉन साधारण ताप पर अनअभिक्रियाशील (unreactive) है। अक्रिस्टलीय बोरॉन उच्च ताप पर नाइट्रोजन, ऑक्सीजन, सल्फर और हैलोजन से सीधे संयोग करके नाइट्राइड (BN), ऑक्साइड (B2O3), सल्फाइड (B2S3) और हैलाइड (BCl3) बनाता है। यह रक्त-तप्त पर जल-वाष्प (steam) को हाइड्रोजन में अपचयित करता है। गर्म सान्द्र नाइट्रिक अम्ल अक्रिस्टलीय बोरॉन को ऑर्थोबोरिक अम्ल में ऑक्सीकृत करता है।

UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 11 The p-block Elements img-49

अक्रिस्टलीय बोरॉन गलित सोडियम हाइड्रॉक्साइड से अभिक्रिया करके बोरेट बनाता है।

UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 11 The p-block Elements img-50

ऐलुमिनियम साधारण ताप पर वायु से अभिक्रिया करता है, ऐलुमिनियम के पृष्ठ पर ऑक्साइड की एक कठोर व चीमड़ (tough) पतली परत बन जाती है जो धातु की रासायनिक अभिकर्मकों के आक्रमण से रक्षा करती है। ऐलुमिनियम उच्च ताप पर गर्म करने पर ऑक्सीजन, सल्फर, नाइट्रोजन और हैलोजनों से सीधे संयोग करके ऑक्साइड (Al2O3), सल्फाइड (Al2S3), नाइट्राइड (AIN) और हैलाइड (AlF3, Al2Cl6) बनाता है।
ऐलुमिनियम जल से अभिक्रिया नहीं करता है, क्योंकि उसके पृष्ठ पर ऐलुमिनियम ऑक्साइड की पतली परत जम जाती है।
ऐलुमिनियम गर्म सोडियम हाइड्रॉक्साइड विलयन से अभिक्रिया करके सोडियम मेटाऐलुमिनेट बनाता है और हाइड्रोजन गैस निकलती है।

UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 11 The p-block Elements img-51

ऐलुमिनियम जल सोडियम हाइड्रॉक्साइड सोडियम मेटाऐलुमिनेट हाइड्रोजन ऐलुमिनियम नाइट्रिक अम्ल द्वारा निष्क्रिय (passive) हो जाता है, क्योंकि उसके पृष्ठ पर ऐलुमिनियम ऑक्साइड की अभेद्य परत बन जाती है। ऐलुमिनियम सान्द्र HCl और गर्म सान्द्र H2SO4 से अभिक्रिया करता है।

UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 11 The p-block Elements img-52

वर्ग में Ga, In और TI रासायनिक व्यवहार में समानता प्रदर्शित करते हैं। गैलियम और इन्डियम वायु द्वारा प्रभावित नहीं होते हैं। थैलियम उनके अपेक्षाकृत कुछ अधिक अभिक्रियाशील है और पृष्ठ पर ऑक्साइड बनाता है।

प्रश्न 2.
बोरॉन एवं ऐलुमिनियम के असंगत गुणधर्मों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर
बोरॉन और ऐलुमिनियम दोनों तत्वों के बाह्यतम कोश का विन्यास ‘p’ है, अत: उनके गुणों में कई समानताएँ हैं, परन्तु उनके पिछले कोश में, बोरॉन में 2 इलेक्ट्रॉन और ऐलुमिनियम में 8 इलेक्ट्रॉन हैं। इस भिन्नता के कारण बोरॉन और ऐलुमिनियम कई गुणों में असमानताएँ प्रदर्शित करते हैं। जो निम्नलिखित हैं-

  1. बोरॉन अधातु है, ऐलुमिनियम धातु है।
  2. बोरॉन विद्युत अचालक (bad conductor) है, ऐलुमिनियम बहुत अच्छा विद्युत चालक है।
  3. बोरॉन अपररूपता प्रदर्शित करता है, ऐलुमिनियम अपररूपता प्रदर्शित नहीं करता है।
  4. ऐलुमिनियम की तुलना में बोरॉन अति उच्च गलनांक का अधात्विक ठोस है।
  5. बोरॉन ट्राइऑक्साइड (B2O3) अम्लीय ऑक्साइड है। ऐलुमिनियम ट्राइऑक्साइड (Al2O3) उभयधर्मी (amphoteric) ऑक्साइड है।
  6. बोरॉन के हाइड्रॉक्सी यौगिक, जैसे, H3BO3 अम्ल है। ऐलुमिनियम हाइड्रॉक्साइड Al(OH)3
    उभयधर्मी (armphoteric) है।
  7. Al2 (SO4)3, Al(NO2 )3 आदि स्थाई लवण हैं। बोरॉने इनके संगत लवण नहीं बनाता है। ऐलुमिनियम द्विक सल्फेट जैसे पोटाश फिटकरी K2 SO4 · Al2 (SO4)3·24H2O, बनाता है। बोरॉन फिटकरियाँ (alums) नहीं बनाता है।
  8. बोरॉन तनु अम्लों से क्रिया नहीं करता है। ऐलुमिनियम तनु अम्लों से क्रिया करके हाइड्रोजन विस्थापित करता है।
  9. गर्म सान्द्र HNO3 बोरॉन को बोरिक अम्ल में ऑक्सीकृत करता है। सान्द्र HNO3 से क्रिया कराने पर ऐलुमिनियम निष्क्रिय (passive) हो जाता है।
  10.  बोरॉन बड़ी संख्या में सहसंयोजक हाइड्राइड बनाता है। ऐलुमिनियम स्थाई हाईड्राइड नहीं बनाता है।
  11.  बोरॉन के हैलाइड, BX3 सूत्र के सहसंयोजक यौगिक हैं जिनकी त्रिकोणीय समतल संरचना है। ये जल से क्रिया कराने पर ऑर्थोबोरिक अम्ल में जल-अपघटित हो जाते हैं। निर्जल ऐलुमिनियम क्लोराइड (Al2 Cl6) सूत्र का सहसंयोजक यौगिक हैं जिसकी क्लोरीन-ब्रिज संरचना है। हाइड्रेटेड ऐलुमिनियम क्लोराइड (AlCl3 : 6H2O), जलीय विलयन में Al3+ और Cl आयनों में वियोजित होता है।
  12. बोरॉन कार्बाइड (B4C) अति उच्च गलनांक का बहुत कठोर सहसंयोजक ठोस है एवं रासायनिक रूप से अक्रिये (inert) है।

प्रश्न 3.
कोलमैनाइट द्वारा बोरेक्स बनाने की विधि एवं रासायनिक अभिक्रिया लिखिए।
उत्तर
कोलमैनाइट को सोडियम कार्बोनेट के सान्द्र विलयन के साथ उबालने पर बोरेक्स बनती है।

UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 11 The p-block Elements img-53

विलयन को छानकर उसका क्रिस्टलीकरण करने पर बोरेक्स के क्रिस्टल प्राप्त होते हैं। क्रिस्टलों को पृथक् करके मातृ द्रव में CO2 ‘प्रवाहित करने पर सोडियम मेटाबोरेट, बोरेक्स में बदल जाता है।

4NaBO2 + CO2 → Na2B4O7 + Na2CO3

प्रश्न 4.
बोरिक अम्ल बनाने की विधि एवं इसके दो रासायनिक गुण लिखिए। सम्बन्धित रासायनिक समीकरण भी दीजिए।
उत्तर
बोरिक अम्ल बनाने की विधि-बोरेक्स के सीन्द्र जलीय विलयन पर HCI या H2SO4 अम्ल की क्रिया से बोरिक अम्ल बनता है।

UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 11 The p-block Elements img-54

रासायनिक गुण

  1. बोरिक अम्ल को गर्म करने पर बोरिक ऐनहाइड्राइड बनता है।
    UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 11 The p-block Elements img-55
  2. बोरिक अम्ल को सान्द्र H2SO4 की उपस्थिति में एथिल ऐल्कोहॉल के साथ गर्म करने पर एथिल बोरेट की वाष्प बनती है जो जलाए जाने पर हरे रंग की ज्वाला से जलती है।
    UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 11 The p-block Elements img-56

प्रश्न 5.
बोरिक अम्ल से प्रारम्भ करके निम्नलिखित यौगिकों को कैसे प्राप्त करोगे?
1. बोरॉन ऐनहाइड्राइड
2. बोरॉन ट्राइक्लोराइड
3. बोरॉन हाइड्राइड
4. बोरॉन ट्राइफ्लुओराइड।
उत्तर

  1. बोरिक अम्ल से बोरॉन ऐनहाइड्राइड में परिर्वतन–बोरिक अम्ल को रक्त तप्त करने पर बोरॉन ऐनहाइड्राइड प्राप्त होता है।
    UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 11 The p-block Elements img-57
  2. बोरिक अम्ल से बोरॉन ट्राइक्लोराइड में परिवर्तन-उपर्युक्त विधि से सबसे पहले बोरॉन ऐनहाइड्राइड को प्राप्त कर लिया जाता है। बोरॉन ऐनहाइड्राइड को कार्बन के साथ मिलाकर रक्त तप्त करने पर, क्लोरीन गैस प्रवाहित की जाती है, तो बोरॉन ट्राइक्लोराइड प्राप्त हो जाता है।
    UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 11 The p-block Elements img-58
  3. बोरिक अम्ल से बोरॉन हाइड्राइड में परिवर्तन–उपर्युक्त विधि से प्राप्त बोरॉन ऐनहाइड्राइड को मैग्नीशियम चूर्ण के साथ गर्म करके मैग्नीशियम बोराइड प्राप्त कर लिया जाता है। मैग्नीशियम बोराइड तनु HCl से अभिक्रिया करके वाष्पशील हाइड्राइडों का मिश्रण देता है।
    UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 11 The p-block Elements img-59
  4. बोरिक अम्ल से बोरॉन ट्राइफ्लुओराइड़ में परिवर्तन-जब बोरिक अम्ल को सान्द्र H2SO4 और CaF2 के साथ गर्म किया जाता है; तो बोरॉन ट्राइफ्लुओराइड की वाष्प प्राप्त हो जाती है।।
    UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 11 The p-block Elements img-60

प्रश्न 6.
वर्ग 14 के तत्वों की अभिक्रियाशीलता को समझाइए।
उत्तर
वर्ग 14 में कार्बन की रासायनिक प्रवृत्ति अन्य तत्वों से भिन्न है। सिलिकन वर्ग के अन्य तत्वों से गुणों में भिन्नता प्रदर्शित करता है। वर्ग 14 में Ge, Sn और Pb तीनों O2, Cl2, S, सान्द्र HNO2 और गर्म सान्द्र NaOH विलयन से अभिक्रिया करते हैं।

UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 11 The p-block Elements img-61
UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 11 The p-block Elements img-62

प्रश्न 7.
‘वर्ग 14 के प्रथम तत्व अर्थात कार्बन के असंगत व्यवहार पर टिपणी लिखिए।
उत्तर
वर्ग 14 में स्थित सभी तत्वों के बाह्यतम कोश का विन्यास s2p2 है। इस समानता के कारण वर्ग 14 के तत्व कई गुणों में समानताएँ प्रदर्शित करते हैं, परन्तु बाह्यतम कोश से पिछले कोश में, c(6) में 2, Si (14) में 8, Ge (32), Sn (50) और Pb (82) में 18 इलेक्ट्रॉन हैं। इस भिन्नता के कारण कार्बन (C) और सिलिकन (Si) के गुणों में तथा Si और Ge, Sn, Pb के गुणों में बहुत असमानताएँ हैं। कार्बन वर्ग 14 का प्रथम तत्व है तथा यह छोटी परमाणु त्रिज्या, उच्च विद्युत ऋणात्मकता, पिछले कोश में 2 इलेक्ट्रॉन और बाह्यतम कोश में केवल s और p ऑर्बिटलों की उपस्थिति के कारण सिलिकन और वर्ग के अन्य तत्वों से गुणों में भिन्नताएँ प्रदर्शित करता है। ये भिन्नताएँ निम्नवत् हैं-

  1. C (6) की विद्युत ऋणात्मकता 2.5 और Si (14) की 1.8 है।
  2. कार्बन की परमाणु त्रिज्या 0.77A और Si की 1.17A है।
  3. C—C बन्ध की बन्धन ऊर्जा 85 kcal mol-1 और Si—Si बन्ध की 53 kcal mol-1 है। कार्बन में श्रृंखलित होने की प्रवृत्ति सिलिकन की अपेक्षा बहुत प्रबल है। इस गुण के कारण कार्बन के यौगिकों की संख्या बहुत अधिक है।
  4. कार्बन परमाणु एक-दूसरे के साथ तथा ऑक्सीजन, सल्फर और नाइट्रोजन परमाणुओं से द्वि-बन्ध या त्रि-बन्ध बना सकते हैं, किन्तु सिलिकन द्वि-बन्ध और त्रि-बन्ध नहीं बनाता है।
  5. कार्बन के संयोजी कोश में केवल 5 और 2 ऑर्बिटल हैं। संयोजी कोश में 4 ऑर्बिटलों की अनुपस्थिति के कारण कार्बन अपने बाह्यतम कोश में 8 से अधिक इलेक्ट्रॉन नहीं रख सकता है। अत: कार्बन की अधिकतम सहसंयोजकता 4 है। सिलिकन के बाह्यतम कोश में d ऑर्बिटलों की उपस्थिति के कारण सिलिकन अपने बाह्यतम कोश में 8 से अधिक इलेक्ट्रॉन रख सकता है। सिलिकन की अधिकतम सहसंयोजकता 6 है।

अत: कार्बन के CX4 प्रकार के यौगिक पूर्णत: संतृप्त और स्थाई हैं। सिलिकन के SiX4 प्रकार के यौगिक असंतृप्त और अस्थाई हैं और ये यौगिक एकाकी इलेक्ट्रॉन युग्म युक्त अणुओं, जैसे- UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 11 The p-block Elements img-63 UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 11 The p-block Elements img-64 आदि से अभिक्रिया करके योगात्मक यौगिक बनाते हैं।

प्रश्न 8.
कार्बन-कार्बन में श्रृंखला के गुण को समझाइए।
या
श्रृंखलित होने के गुण से आप क्या समझते हैं। चौदहवें समूह के उस तत्त्व का नाम लिखिए जो सबसे ज्यादा शृंखलित होने का गुण रखता है।
उत्तर
किसी तत्त्व के समान परमाणुओं के द्वारा परस्पर मिलकर लम्बी श्रृंखला बनाने के गुण को श्रृंखलन कहते हैं। तत्त्वों की इस प्रवृत्ति को श्रृंखलन प्रवृत्ति कहते हैं। चौदहवें समूह के कार्बन में श्रृंखलित होने का गुण सर्वाधिक होता है। इसीलिए ये बन्द तथा खुली श्रृंखला के यौगिक बनाते हैं। श्रृंखलन गुण के कारण ही कार्बनिक यौगिकों की संख्या बहुत अधिक है।
कार्बन-कार्बन आबन्ध की बन्धन ऊर्जा सर्वाधिक 85 जूल किलो कैलोरी/मोल होती है।

प्रश्न 9.
कार्बन मोनोक्साइड तथा कार्बन डाइऑक्साइड के दो-दो रासायनिक गुण लिखिए।
उत्तर
कार्बन मोनोक्साइड के रासायनिक गुण

  1. कार्बन मोनॉक्साइड गैस वायु में नीली ज्वाला के साथ जलती है तथा CO2 गैस बनती है।
    2CO+O2 → 2CO
    कार्बन मोनोक्साइड और वायु का मिश्रण विस्फोटक होता है।
  2. कार्बन मोनोक्साइड सक्रियत चारकोल की उपस्थिति में क्लोरीन के साथ अभिक्रिया करके कार्बोनिल क्लोराइड (फॉस्जीन) बनाती है।।
    UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 11 The p-block Elements img-65

कार्बन डाइऑक्साइड के रासायनिक गुण

  1. मैग्नीशियम का तार प्रज्वलित करने पर कार्बन डाइऑक्साइड में जलता है।
    CO2 → 2Mg + 2MgO+C
  2. अमोनियम के आधिक्य में कार्बन डाइऑक्साइड के साथ 200°C ताप और 200 वायुमण्डलीय दाब पर गर्म करने पर यूरिया बनता है।
    UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 11 The p-block Elements img-66

प्रश्न 10.
कार्बन डाइऑक्साइड एवं कार्बन मोनॉक्साइड के उपयोग लिखिए।
उत्तर
कार्बन डाइऑक्साइड के प्रमुख उपयोग निम्नवत् हैं

  1. यूरिया [CO(NH2)2] उर्वरक के निर्माण में।
  2. धातु कार्बोनेटों और बाइकार्बोनेटों के निर्माण में; जैसे—NaHCO3, Na2CO3 अवक्षेपित CaCO3 आदि के निर्माण में।
  3. ऑक्सीजन से मुक्त वातावरण प्राप्त करने में।
  4. शुष्क बर्फ (dry ice) बनाने में।

कार्बन मोनॉक्साइड के प्रमुख उपयोग निम्नवत् हैं-

  1. धातु निष्कर्षण में, जैसे–मॉण्ड प्रक्रम द्वारा निकिल का निष्कर्षण।
  2. धातुओं के शोधन में, जैसे-Ni और Fe का शोधन।।
  3. धातु कार्बोनिल, जैसे- Ni(CO)4 Fe(CO)5 बनाने में।
  4. धातु ऑक्साइडों के अपचयन में, जैसे– Fe0+ CO→ Fe+CO2
  5. ईंधन के रूप में।
  6. फॉस्जीन (COCl2) बनाने में।

प्रश्न 11.
कार्बन सबऑक्साइड पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर
मेलोनिक अम्ल का वायु की अनुपस्थिति में फॉस्फोरस पेन्टॉक्साइड द्वारा 140°C पर निर्जलीकरण कराने पर कार्बन सबऑक्साइड गैस बनती है।
गुण

  1. कार्बन सबऑक्साइड अक्रिय गन्ध की रंगहीन गैस है।
  2. गर्म करने पर 200°C पर यह कार्बन डाइऑक्साइड और कार्बन में अपघटित हो जाती है।
    UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 11 The p-block Elements img-67
    कार्बन सबऑक्साइड की निम्न संरचना है।
    O= C=C=C=O

प्रश्न 12.
कार्बन के हैलोजन यौगिकों के उपयोग लिखिए।
उत्तर
कार्बन के प्रमुख हैलोजन यौगिक एवं उनके उपयोग निम्नवत् हैं-
1. कार्बन टेट्राक्लोराइड (CCl4)-कार्बन टेट्राक्लोराइड के कुछ उपयोग निम्नलिखित हैं|

  1. अग्निशामक (Fire extinguisher) के रूप में कार्बन टेट्राक्लोराइड की वाष्प अज्वलनशील और वायु से भारी होती है। अत: कार्बन टेट्राक्लोराइड का उपयोग अग्निशामक के रूप में किया जाता है। CCl4 को पाइरीन (pyrene) कहते हैं।
  2.  विलायक के रूप में कार्बन टेट्राक्लोराइड का उपयोग तेल, वसा, रेजिन, आयोडीन, ब्रोमीन आदि के लिए विलायक के रूप में किया जाता है।

2. फ्रेऑन (Freons)-मेथेन और एथेन के क्लोरोफ्लुओरो व्युत्पन्न फ्रेऑन कहलाते हैं। फ्रेऑन का उपयोग प्रशीतक के रूप में और वातानुकूलन में किया जाता है।

डाइक्लोरोडाइफ्लुओरोमेथेन–(फ्रेऑन-12), CCl2F2 और ट्राइक्लोरोफ्लुओरोमेथेन (फ्रेऑन-11), CFCl3 : ये दोनों यौगिक अविषैली एवं बहुत स्थायी और अज्वलनशील (non-inflammable) गैसें हैं। ये सुगमता से द्रवित हो जाती हैं। ये रासायनिक रूप से निष्क्रिय हैं। इनका उपयोग प्रशीतक (refrigerant) के रूप में एवं वातानुकूलन (air conditioning) में किया जाता है।

प्रश्न 13.
सिलिकन कार्बाइड (कार्बोरण्डम) के उपयोग लिखिए।
उत्तर
बहुत कठोर होने के कारण सिलिकन कार्बाइड का उपयोग अपघर्षी चूर्ण (abrasive powder), होनस्टोन (honestone), घर्षण व्हील (grinding wheels), वेटस्टोन (whetstone), पॉलिश स्टोन (polishing stone), पॉलिश क्लॉथ (polishing cloths), रेगमाल (sand paper) आदि वस्तुएँ। बनाने में होता है। अति उच्च तापसह एवं दुर्गलनीय (refractory) प्रकृति तथा उच्च ऊष्मा चालकता होने के कारण सिलिकन कार्बाइड का उपयोग धातुओं को गलाने के लिए क्रूसिबल (crucible) बनाने में होता है। कार्बोरन्डम की छड़ों (rods) के रूप में प्रतिरोध हीटर (resistance heaters), औद्योगिक भट्टियों में प्रयुक्त किए जाते हैं।

प्रश्न 14.
सिलिकेटों के मुख्य वर्ग, सूत्र और उनकी संरचनाओं को दर्शाइए।
उत्तर
सिलिकेटों के मुख्य वर्गों, सूत्रों तथा संरचनाओं को निम्नंकित सारणी में दर्शाया गया है-
UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 11 The p-block Elements img-68
UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 11 The p-block Elements img-69

प्रश्न 15.
जियोलाइट पर विस्तृत टिप्पणी लिखिए।
उत्तर
जियोलाइट खुली संरचना के हाइड्रेटेड त्रिविम ऐलुमिनोसिलिकेट हैं जो आण्विक छन्नी (molecular sieve) के रूप में कार्य करने के अतिरिक्त, अपने धनायनों का विलयन में उपस्थित धनायनों से विनिमय (exchange) कर सकते हैं। जियोलाइट में पंजर (cages) बहुत सममित और परिशुद्ध आकार (precise size) के होते हैं। जियोलाइट आकृति वर्णात्मक (shape selective) विषमांगी उत्प्रेरण के लिए भी प्रयुक्त किए जाते हैं।
उदाहणार्थ-आण्विक छन्नी ZSM-5 का ऑर्थोजाइलीन को संश्लेषण करने में उपयोग किया जाता है, ऑर्थोंजाइलीन के साथ अन्य जाईलीने नहीं बनती हैं, क्योंकि उत्प्रेरक प्रक्रम जियोलाइट के पंजरों (cages) और उसकी सुरंगों (tunnels) के आकार और आकृति द्वारा नियन्त्रित होता है। औद्योगिक प्रयोजनों के लिए वर्णात्मक आकार और आकृति के संश्लेषित जियोलाइट (synthetic zeolites) बनाए गए हैं। कुछ आण्विक छन्नियाँ (molecular sieves) और जियोलाइटों के संघटन निम्नलिखित हैं-

Na12[(AlO2)12(SiO2)12]· xH2O
Ca22[(AlO4)4 (SiO2)8]· xH2O
Na3[(AiO2 )3(SiO2 )]·xH2O

निम्न खनिज भी जियोलाइट हैं-
ऐनलसाइट (Analcite), Na[AlSi2O6]· H2O
सोडालाइट (Sodalite), Na6[(Al6Si6O24]·2H2O
प्राकृतिक और संश्लिष्ट (synthetic) दोनों प्रकार के जियोलाइट बहुत महत्वपूर्ण और उपयोगी पदार्थ हैं जिनके रसायन एवं उद्योग में कई अनुप्रयोग हैं।
खुली संरचना के कारण (1) जियोलाइट धनायन विनिमायक (cation exchanger) का कार्य करते हैं। कठोर जल के मृदुकरण में जियोलाइटों का उपयोग होता है। (2) जियोलाइट आण्विक छन्नियों (molecular sieves) का कार्य करते हैं, क्योंकि इनकी गुहिकाओं और चैनलों में से अणु स्वतन्त्रतापूर्वक अभिगमन कर सकते हैं। छिद्रों के आकार से बहुत बड़े अणु प्रभावित नहीं होते हैं। वांछित आकार के छिद्रों की गुहिकाओं के जियोलाइट संश्लेषित किए गए हैं जिनका उपयोग कार्बनिक यौगिकों के पृथक्करण, शोधन आदि में किया गया है। उदाहरणार्थ-एक संश्लिष्ट जियोलाइट ऋजु-श्रृंखला (straight chain) ऐल्केनों को तो अधिशोषित करता है, परन्तु शाखित श्रृंखला ऐल्केनों और ऐरोमैटिक यौगिकों को नहीं करता है।

विस्तृत उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
इलेक्ट्रॉनिक विन्यास के आधार पर आवर्त सारणी में बोरॉन परिवार (वर्ग 13) की स्थिति की विवेचना कीजिए।
उत्तर
आवर्त सारणी में p-ब्लॉक के वर्ग 13 में पाँच तत्व हैं—बोरॉन (B), ऐलुमिनियम (Al), गैलियम (Ga), इण्डियम (In) और थैलियम (Tl)। बोरॉन को छोड़कर सभी तत्व धातु हैं। इन तत्वों के बाह्यतम कोश को विन्यास ns2np1 है, परन्तु निम्नतम क्रोड भिन्न है। इन तत्वों के आन्तरिक कोश पूर्ण भरे होते हैं। बाह्यतम कोश का विन्यास ns2np1 होने के कारण ही उन्हें p ब्लॉक के वर्ग 13 में रखा गया है। बाह्यतम कोश के इलेक्ट्रॉनिक विन्यास में समानता होने के कारण ये तत्व गुणों में समानताएँ प्रदर्शित करते हैं।
बोरॉन परिवार के तत्वों का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास निम्नवत् हैं-

UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 11 The p-block Elements img-70

गुणों में समानता

  1. बोरॉन को छोड़करे सभी तत्व धातु हैं।
  2. ये प्रकृति में मुक्त अवस्था में भी मिलते हैं।
  3. बोरॉन परिवार के तत्वों की वर्ग संयोजकता 3 है।
  4. ये सभी तत्व त्रि-संयोजीयौगिक बनाते हैं।
  5. इन तत्वों की आयनन ऊर्जाएँ उच्च हैं।

गुणों में क्रमिक परिवर्तन

  1. वर्ग में नीचे जाने पर तत्वों (M) के परमाणु साइज में वृद्धि होने के साथ M—x बन्ध की बन्धन ऊर्जा घटती है। वर्ग में परमाणु क्रमांक बढ़ने के साथ उच्च ऑक्सीकरण अवस्था निम्न ऑक्सीकरण अवस्था की तुलना में कम स्थायी होती जाती है।
  2. वर्ग में नीचे की ओर जाने पर अधात्विक लक्षण घटता है तथा धात्विक लक्षण बढ़ता है।
  3. वर्ग में धन विद्युत लक्षण B से Tl तक बढ़ता है।
  4. वर्ग में नीचे की ओर जाने पर परमाणु त्रिज्याएँ बढ़ती हैं।
  5. वर्ग में नीचे की ओर जाने पर आयनिक त्रिज्याएँ बढ़ती हैं।
  6. वर्ग में तत्वों का घनत्व B में Tl तक बढ़ता है।

अत: इनके गुणों से समानता तथा गुणों के क्रमिक परिवर्तन तत्वों को एक ही उपवर्ग में रखे जाने की पुष्टि करते हैं।

प्रश्न 2.
बोरॉन के निर्माण की विधि, भौतिक गुण एवं रासायनिक गुण लिखिए।
उत्तर
प्रकृति में बोरॉन मुख्यत: बोरेक्स और कोलमैनाइट के रूप में पाया जाता है। यह अपररूपता प्रदर्शित करता है। बोरॉन के दो अपररूप निम्नवत् हैं-

1. अक्रिस्टलीय बोरॉन
निर्माण विधि-बोरिक ऐनहाइड्राइड (B2SO4) का उच्च ताप पर सोडियम, पोटैशियम या मैग्नीशियम द्वारा अपचयन कराने पर बोरॉन भूरे-काले रंग के अक्रिस्टलीय (amorphous) चूर्ण के रूप में प्राप्त होता है।

UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 11 The p-block Elements img-71

‘बोरॉन ट्राइऑक्साइड मैग्नीशियम अक्रिस्टलीय बोरॉन मैग्नीशियम (बोरिक ऐनहाइड्राइड) (भूरे-काले रंग का चूर्ण) ऑक्साइड बोरॉन ट्राइऑक्साइड को सोडियम, पोटैशियम या मैग्नीशियम रिबन के टुकड़ों के साथ एक ढ़के हुए क्रूसिबल में तेज गर्म करते हैं। संगलित द्रव्य को तनु हाइड्रोक्लोरिक अम्ल के साथ उबालकर छानने पर अक्रिस्टलीय बोरॉन का गहरा भूरा ठोस अवशेष प्राप्त होता है।
बोरॉन के प्रमुख भौतिक निम्नवत् हैं-

  1. यह भूरे-काले रंग का चूर्ण है।
  2. इसका आपेक्षिक घनत्व 1.73 है।
  3. इसका गलनांक 2100°C है।
  4. इसका क्वथनांक 2150°C है।

बोरॉन के प्रमुख रासायनिक गुण गुण निम्नवत् हैं-
बोरॉन का अक्रिस्टलीय रूप अभिक्रियाशील है। यह उच्च ताप पर नाइट्रोजन, ऑक्सीजन, सल्फर और हैलोजनों (F2, Cl2, Br2) से सीधे संयोग करके नाइट्राइड, ऑक्साइड, सल्फाइड और हैलाइड बनाता है।

  1. बोरॉन नाइट्राइड, ऑक्साइड और सल्फाइड की वृहत् अणु संरचनाएँ हैं जिनमें सम्पूर्ण क्रिस्टल में परमाणु एक-दूसरे से सहसंयोजक बंधों द्वारा जुड़े होते हैं।
    UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 11 The p-block Elements img-72
  2. अक्रिस्टलीय बोरॉन रक्त-तप्त ताप पर जल-वाष्प (steam) को हाइड्रोजन में अपचयित करता है।
    UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 11 The p-block Elements img-73
  3. गर्म सान्द्र नाइट्रिक अम्ल अक्रिस्टलीय बोरॉन को ऑर्थोबोरिक अम्ल में ऑक्सीकृत करता है।
    UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 11 The p-block Elements img-74
  4. अक्रिस्टलीय बोरॉन उच्च ताप पर कई ऑक्साइडों, सल्फाइडों और क्लोराइडों को अपचयित करता है।
    UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 11 The p-block Elements img-75
  5. अक्रिस्टलीय बोरॉन गलित सोडियम हाइड्रॉक्साइड से अभिक्रिया करके मेटाबोरेट बनाता है। और हाइड्रोजन गैस उत्पन्न होती है।
    UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 11 The p-block Elements img-76

2. क्रिस्टलीय बोरॉन
निर्माण विधि-क्रिस्टलीय बोरॉन वैद्युत-तप्त टैनटेलम फिलामेन्ट पर 1000-1300°C पर बोरॉन ट्राइब्रोमाइड वाष्प का और हाइड्रोजन के मिश्रण को प्रवाहित करके या बोरॉन ट्राइआयोडाइड वाष्प और हाइड्रोजन के मिश्रण के तापीय अपघटन द्वारा बनाया जाता है।

UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 11 The p-block Elements img-77

गुण–क्रिस्टलीय बोरॉन बहुत कठोर और रासायनिक रूप से निष्क्रिय काला क्रिस्टलीय ठोस है।

प्रश्न 3.
ऐलुमिनियम के गुण तथा उपयोगों का वर्णन कीजिए।
उत्तर
भौतिक गुण-ऐलुमिनियम में सफेद रंग की धात्वीय चमक होती है। यह विद्युत और ऊष्मा का सुचालक होता है। इसका घनत्व 2.7 ग्राम प्रति घन सेमी होता है। इसका गलनांक 600°C है।
रासायनिक गुण-ऐलुमिनियम के मुख्य रासायनिक गुण निम्नलिखित हैं-

  1. वायु का प्रभाव वायु में जलाने पर यह तीव्र प्रकाश से जलता है तथा Al2O3 बनाता है और बहुत अधिक ऊष्मा उत्पन्न होती है।
    UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 11 The p-block Elements img-78
  2. जल से क्रिया-यह उबलते हुए जल को अपघटित कर H2 उत्पन्न करता है।
    UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 11 The p-block Elements img-79
  3. अम्लों से क्रिया–
    •  यह तनु या सान्द्र HCl से क्रिया करके क्लोराइड बनाता है और H2 गैस निकालता है।
      UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 11 The p-block Elements img-80
    •  यह तनु H2SO4 से क्रिया करके H2 निकालता है और गर्म तथा सान्द्र H2 SO4 के साथ SO2 निकालता है।
      UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 11 The p-block Elements img-81
    • यह तनु HNO3 से धीरे-धीरे क्रिया करके नाइट्रेट बनाता है, परन्तु सान्द्र HNO3 का इस पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता।
      UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 11 The p-block Elements img-82
  4. क्षारों के साथ क्रिया-यह कॉस्टिक क्षारों के गर्म विलयन के साथ क्रिया करके सोडियम, मेटाऐलुमिनेट बनाता है और H2 निकलती है।
    UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 11 The p-block Elements img-83
  5. हैलोजन से क्रिया-Al के गर्म चूर्ण पर हैलोजन प्रवाहित करने पर ऐलुमिनियम हैलाइड बनता है।
    UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 11 The p-block Elements img-84
  6. नाइट्रोजन के साथ क्रिया-Al के गर्म चूर्ण पर N2 प्रवाहित करने पर ऐलुमिनियम नाइट्राइड बनता है।
    UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 11 The p-block Elements img-85
  7. धातु ऑक्साइडों का अपचयन-Al की ऑक्सीजन के प्रति अधिक बन्धुता होने के कारण | यह धातु ऑक्साइडों का धातु में अपचयन कर देता है।
    UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 11 The p-block Elements img-86

उपयोग–ऐलुमिनियम के प्रमुख उपयोग इस प्रकार हैं-

  1. ऐलुमिनियम की चादर व बर्तन बनाने में,
  2. बिजली के तार बनाने में,
  3. थर्माइट वेल्डिंग में,
  4. क्रोमियम, लोहा तथा मैंगनीज धातु के निष्कर्षण में,
  5. हवाई जहाज तथा मोटर आदि में लगने वाली मिश्रधातुओं के बनाने में,
  6. इसके पत्र (foils) साबुन, सिगरेट आदि लपेटने में प्रयुक्त होते हैं,
  7. ऐलुमिनियम पाउडर तेल के साथ मिलाकर पेन्ट बनाने के काम आता है।

प्रश्न 4.
एक अकार्बनिक लुइस अम्ल (x) निम्नलिखित अभिक्रियाएँ प्रदर्शित करता है-
(i) यह नम वायु में धुआँ देता है।
(ii) NH4OH में भीगी हुई छड़ को इसके समीप लाने पर धुएँ की तीव्रता बढ़ जाती है।
(iii) (x) के अम्लीय घोल में NH4Cl तथा NH4OH मिलाकर NaOH मिलाने पर यह घुल जाता है।
(iv) (x) का अम्लीय घोल H2S के साथ अवक्षेप नहीं देता है। (x) को पहचानिए तथा (G) से (iii) पदों पर होने वाली अभिक्रियाओं के रासायनिक समीकरण दीजिए।
उत्तर
UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 11 The p-block Elements img-87

प्रश्न 5.
(i) जब एक खनिज (A) को Na2CO3 के विलयन के साथ उबाला जाता है, तो एक सफेद अवक्षेप (B) बनता है।
(ii) अवक्षेप को छानने पर छनित में दो यौगिक (C) तथा (D) उपस्थित होते हैं। यौगिक (C) को | क्रिस्टलीकरण (crystallisation) द्वारा पृथक् किया जाता है मातृ द्रव (mother liquor) में CO2 प्रवाहित करने पर (D) का (C) में परिवर्तन हो जाता है।
(iii) यौगिक (C), प्रबल गर्म करने पर दो यौगिक (D) और (E) देता है।
(iv) (E) को कोबाल्ट ऑक्साइड के साथ गर्म करने पर नीले रंग का एक पदार्थ (F) प्राप्त होता है। (A) से (F) को पहचानिए तथा (i) से (iv) पदों में होने वाली अभिक्रियाओं के रासायनिक समीकरण दीजिए।
उत्तर
UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 11 The p-block Elements img-88

प्रश्न 6.
निम्नलिखित में (A) तथा (B) की पहचान कीजिए तथा इसके सूत्र उत्तर-पुस्तिका में लिखिए
UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 11 The p-block Elements img-89
उत्तर
UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 11 The p-block Elements img-90

प्रश्न 7.
इलेक्ट्रॉनिक विन्यास के आधार पर आवर्त सारणी में कार्बन परिवार (वर्ग i4) की स्थिति की विवेचना कीजिए।
उत्तर
कार्बन, सिलिकन तथा लेड को आवर्त सारणी के IV समूह में रखा गया है। IV समूह दो उपसमूहों में विभाजित है। कार्बन इस समूह का प्रारूपिक तत्त्व है, जो सिलिकन के साथ उपसमूह A तथा B में से किसी भी उपसमूह का सदस्य बन सकता है, परन्तु रासायनिक गुणों एवं इलेक्ट्रॉनिक विन्यास के आधार पर यह उपसमूह-A का सदस्य माना जाता है; अत: कार्बन, सिलिकन व लेड IVA समूह के तत्त्वों को कार्बन परिवार (carbon family) के तत्त्व कहते हैं, जिनका इलेक्ट्रॉनिक विन्यास इस प्रकार है।

UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 11 The p-block Elements img-91

उपर्युक्त इलेक्ट्रॉनिक विन्यास से स्पष्ट है कि सभी तत्त्वों के बाह्य कोश में 4 इलेक्ट्रॉन हैं और बाह्य कोश की संरचना as up है; अतः इन्हें एक ही उपवर्ग में रखा जाना उचित है। समान इलेक्ट्रॉनिक विन्यास होने के कारण ये समान गुण प्रदर्शित करते हैं तथा परमाणु क्रमांक बढ़ने पर उनमें श्रेणीबद्ध परिवर्तन होता है।
गुणों में समानता

  1. उपवर्ग के सभी तत्त्वों की मुख्य संयोजकता 4 है, परन्तु इनमें कुछ तत्त्वों में 2 संयोजकता भी पाई जाती है।
  2. कार्बन व लेड के अतिरिक्त सभी तत्त्व जटिल यौगिक बनाते हैं।
  3. सभी तत्त्व सहसंयोजक हाइड्राइड बनाते हैं, जिनका स्थायित्व CH4से PbH4 तक घटता है।
  4. सभी तत्त्व डाइऑक्साइड बनाते हैं, परन्तु इनके कुछ तत्त्व मोनोऑक्साइड भी बनाते हैं।
  5. सभी तत्त्व चतुष्फलकीय सह-संयोजक हैलाइड बनाते हैं।
  6. ये सभी तत्त्व ऑक्सी अम्ल बनाते हैं।

गुणों में क्रमिक परिवर्तन

  1. इन तत्त्वों के आयनन विभव उच्च हैं तथा कार्बन से लेड की ओर कम होते जाते हैं।
  2. इंनकी विद्युत ऋणात्मकता नियमित क्रम से नहीं बदलती। कार्बन की विद्युत ऋणात्मकता 2.5 तथा शेष सभी (Si, Ge, Sn, Pb) की लगभग 2.8 है।
  3. कार्बन से लेड की ओर चलने पर धात्विक गुण; घनत्व, परमाणु त्रिज्या तथा परमाणु आयतनों में वृद्धि होती है।
  4. ऑक्साइडों का अम्लीय स्वभाव कार्बन से लेड की ओर कम होता जाता है।
  5. इन तत्त्वों में लेड को छोड़कर अन्य सभी तत्त्वों की श्रृंखला बनाने की क्षमता होती है। यह क्षमता कार्बन से लेड तक घटती हैं।

अत: इनके गुणों में समानता तथा गुणों में क्रमिक परिवर्तन तत्त्वों को एक ही उपवर्ग में रखे जाने की पुष्टि करते हैं।

प्रश्न 8.
कार्बन के भौतिक एवं रासायनिक गुणों का वर्णन कीजिए।
उत्तर
कार्बन के प्रमुख भौतिक गुण निम्नवत् हैं-

  1. कार्बन के तीन अपररूप हैं—
    • डायमण्ड (हीरा),
    • ग्रेफाइट तथा
    • फुलरीन
  2. इसका गलनांक 3570°C है।।
  3. इनका क्वथनांक 4827°C है।
  4. इसका घनत्व 293 K पर डायमण्ड के लिए 3.5 तथा ग्रेफाइट के लिए 2.22 है।
  5. भूपर्पटी में इनकी बहुतयता 0.08 (प्रतिशत द्रव्यमान से) है।

कार्बन के प्रमुख रासायनिक गुण निम्नवत् हैं-

  1. वायु या ऑक्सीजन से क्रिया–कार्बन को वायु या ऑक्सीजन में जलाने पर कार्बन डाइऑक्साइड बनती है।
    UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 11 The p-block Elements img-92
  2. सल्फर से क्रिया-कार्बन को सल्फर के साथ विद्युत भट्टी में गर्म करने पर कार्बन डाइसल्फाइड बनती है।
    UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 11 The p-block Elements img-93
  3. सान्द्र नाइट्रिक अम्ल से क्रिया-गर्म सान्द्र नाइट्रिक अम्ल द्वारा कार्बन कार्बन, डाइऑक्साइड में ऑक्सीकृत हो जाता है।
    UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 11 The p-block Elements img-94
  4. सान्द्र सल्फ्यूरिक अम्ल से क्रिया-सन्द्रि सल्फ्यूरिक अम्ल के साथ गर्म करने पर कार्बन H2SO4 को SO2 में अपचयित कर देता है।
    UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 11 The p-block Elements img-95
  5. भाप (steam) से क्रिया-रक्त-तप्त कार्बन (कोक) पर भाप प्रवाहित करने पर कार्बन , मोनॉक्साइड और हाइड्रोजन का मिश्रण बनता है जिसे जल-गैस (water gas) कहते हैं।
    UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 11 The p-block Elements img-96
  6. धातु ऑक्साइडों का अपचयन–टिन, लेड, जिंक और आइरन के ऑक्साइड काबर्न के साथ उच्च ताप पर गर्म करने पर धातु में अपचयित हो जाते हैं।
    UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 11 The p-block Elements img-97

प्रश्न 9.
सिलिकोन्स क्या हैं? इनके गुणों व उपयोगों का वर्णन कीजिए।
उत्तर
सिलिकोन्स–सिलिकोन्स कार्बनिक सिलिकॉन बहुलक होते हैं। इनमें R2SiO इकाइयाँ एक-दूसरे से SiO—बन्ध (Si—O) द्वारा जुड़ी होती हैं। इनका सामान्य सूत्र (R2SiO)n होता है। यहाँ R ऐल्किल या ऐरिल समूह होता है। चूंकि इन बहुलकों के सामान्य सूत्र (R2SiO) कीटोन के सामान्य सूत्र R2CO के समान होते है; इसलिए इन्हें सिलिकोन्स कहते हैं। सिलिकोन्स मुख्यत: निम्न हैं-

  1. रेखीय सिलिकोन्स।
  2. चक्रीय सिलिकोन्स।
  3. शाखायुक्त सिलिकोन्स।

सिलिकोन्स के प्रमुख गुण निम्नवत् हैं

  1. ये रासायनिक दृष्टि से अक्रिय होते हैं।
  2. ये विषैले नहीं होते हैं तथा जल को प्रतिकर्षित करते हैं।
  3. ताप परिवर्तन से इनकी श्यानता प्रभावित नहीं होती है।

उपयोग-

  1. उच्चताप सह तेल बाध तथा निर्वात् पम्पों के निर्माण में।
  2. विद्युत कुचालक के रूप में।
  3. जलरोधी कपड़े बनाने में तथा कागज के निर्माण में।

प्रश्न 10.
सिलिकॉन टेट्राक्लोराइड के विरचन की विधियाँ, गुणों एवं उपयोगों का वर्णन कीजिए।
उत्तर
विरचन की विधियाँ सिलिकॉन टेट्रोक्लोराइड को निम्न में से किसी भी विधि द्वारा बनाया जा सकता है–

  1. सिलिकॉन को क्लोरीन के साथ गर्म करने पर सिलिकॉन टेट्रोक्लोराइड वाष्प बनती है जिसे द्रवित करने पर सिलिकॉन टेट्राक्लोराइड द्रव प्राप्त होता है।
    UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 11 The p-block Elements img-98
  2. कार्बन और सिलिका के मिश्रण को क्लोरीन की धारा में गर्म करने पर टेट्राक्लोराइड वाष्प बनती है जिसे द्रवित करने पर सिलिकॉन टेट्राक्लोराइड द्रव प्राप्त होता है। द्रव को मर्करी के साथ हिलाकर पुनः आसवित करने पर क्लोरीन की अशुद्धि दूर हो जाती है और शुद्ध सिलिकॉन टेट्राक्लोराइड प्राप्त होता है।
    UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 11 The p-block Elements img-99

सिलिकॉन टेट्राक्लोराइड के प्रमुख भौतिक एवं रासायनिक गुण निम्नवत् हैं-

  1. सिलिकॉन टेट्राक्लोराइड रंगहीन सधूम द्रव (fuming liquid) है, जो वायु में धूम देता है।
  2. सिलिकॉन टेट्राक्लोराइट का क्वथनांक 59.6°C और हिमांक -70°C है।
  3. सिलिकॉन टेट्राक्लोराइड जल द्वारा सिलिका में अपघटित हो जाता है।
    SiCl4 +2H2O → SiO2 + 4HCl
    कार्बन टेट्राक्लोराइड जल द्वारा अपघटित नहीं होता है।
  4. सिलिकॉन टेट्राक्लोराइड वाष्प को हाइड्रोजन गैस की उपस्थिति में गलित ऐलुमिनियम धातु पर। प्रवाहित करने पर सिलिकॉन प्राप्त होता है।
    UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 11 The p-block Elements img-100
  5. सिलिकॉन टेट्राक्लोराइड की लीथियम ऐलुमिनियम हाइड्राइड से अभिक्रिया कराने पर मोनोसिलेन (SiH4) बनती है। ।
    SiCl4 (l) + LiAlH4 → SiH4 (g) + LiCl + AlCl3

सिलिकॉन टेट्राक्लोराइड के प्रमुख उपयोग निम्नवत् हैं-

  1. शुद्ध सिलिका के उत्पादन में।
  2. सिलिसिक अम्ल के एस्टर (esters) बनाने में।
  3. सिलिकॉन (silicones) के निर्माण में।

प्रश्न 11.
SiCl4 से प्रारम्भ करके निम्नलिखित के निर्माण की विधि, कोष्ठकों में दिए गए। अधिकतम पदों की सीमा को ध्यान में रखकर (केवल रासायनिक समीकरण दीजिए)
(i) सिलिकन (Silicon) (एक पद में)।
(ii) रेखीय सिलिकोन्स (silicones) जिसमें केवल मेथिल समूह है। (4 पदों में)
(iii) Na2SiO3 (3 पदों में)
उत्तर
UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 11 The p-block Elements img-101

We hope the UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 11 The p-block Elements (p-ब्लॉक के तत्त्व) help you. If you have any query regarding UP Board Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 11 The p-block Elements (p-ब्लॉक के तत्त्व), drop a comment below and we will get back to you at the earliest.

UP Board Solutions for Class 11 Biology Chapter 12 Mineral Nutrition 

UP Board Solutions for Class 11 Biology Chapter 12 Mineral Nutrition (खनिज पोषण)

These Solutions are part of UP Board Solutions for Class 11 Biology . Here we  given UP Board Solutions for Class 11 Biology Chapter 12 Mineral Nutrition (खनिज पोषण)

अभ्यास के अन्तर्गत दिए गए प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
पौधों में उत्तरजीविता के लिए उपस्थित सभी तत्त्वों की अनिवार्यता नहीं है। टिप्पणी कीजिए।
उत्तर :
खनिज तत्त्व जो मृदा में उपस्थित होते हैं वे पौधों में जड़ों द्वारा जल के साथ अवशोषित कर लिए जाते हैं, परन्तु सभी तत्त्व आवश्यक तत्त्व हों ऐसा नहीं है। जो तत्त्व मृदा में अधिक मात्रा में उपस्थित होते हैं उनका अवशोषण भी अधिक हो जाता है; जैसे—सिलीनियम की मात्रा अधिक (UPBoardSolutions.com) होने पर पौधों द्वारा इसका अधिक अवशोषण हो जाता है जो असल में उनके लिए आवश्यक नहीं है। लगभग 60 से अधिक तत्त्व पौधों में मिलते हैं परन्तु बहुत थोड़े-से ही आवश्यक तत्त्व होते हैं। अतः आवश्यक तत्त्व वे हैं जो सीधे पादप उपापचयी क्रियाओं में सम्मिलित होते हैं।

प्रश्न 2.
जल संवर्धन में खनिज पोषण हेतु जल और पोषक लवणों की शुद्धता जरूरी क्यों है?
उत्तर :
अशुद्ध जल में अनेक खनिज घुले हो सकते हैं। इसी प्रकार लवणों में भी अशुद्धता मिलती है। यदि जल संवर्धन में अशुद्ध जल व लवणों का प्रयोग होता है तो ये पौधे की वृद्धि में बाधा उत्पन्न करते हैं। अत: जल संवर्धन में शुद्ध जल तथा ज्ञात आवश्यक तत्त्वों का ही खनिज पोषण विलयन प्रयोग किया जाता है।

UP Board Solutions

प्रश्न 3.
उदाहरण के साथ व्याख्या करें-वृहत पोषक तत्त्व, सूक्ष्म पोषक तत्त्व, हितकारी पोषक तत्त्व, आविष तत्व तथा अनिवार्य तत्त्व।
उत्तर :

1. वृहत पोषक तत्त्व (Macro Nutrients) :
वे तत्त्व जिनकी पौधों को अधिक मात्रा में आवश्यकता होती है वृहत पोषक तत्त्व (macro nutrient) (UPBoardSolutions.com) कहलाते हैं; जैसे—N, B S, Ca, Mg आदि। पादप ऊतक में इनकी सान्द्रता 1-10 mg/L शुष्क मात्रा में होती है।

2. सूक्ष्म पोषक तत्त्व (Micro Nutrients) :
वे तत्त्व जिनकी आवश्यकता पौधों को बहुत कम मात्रा में होती है, सूक्ष्म पोषक तत्त्व कहलाते हैं। जैसे—Mn, Cu, Fe, Mo, Zn, B, Cl, Ni आदि। इनकी सान्द्रता पादप ऊतक में 0.1/mg/L शुष्क मात्रा में होती है।

3. हितकारी पोषक तत्त्व (Beneficial Nutrients) :
वे तत्त्व जिनकी उच्च पादपों में बड़े तथा सूक्ष्म पोषक तत्त्वों के अतिरिक्त आवश्यकता होती है, हितकारी पोषक तत्त्व कहलाते हैं; जैसे-Na, Si, Co, se आदि।

4. आविष तत्त्व (Toxic Elements) :
वे खनिज तत्त्व जो पौधों के लिए हानिकारक होते हैं या जिस सान्द्रता में वे पादप ऊतक के शुष्क भार को 10 प्रतिशत तक घटा सकते हैं, आविष तत्त्व कहलाते हैं।

5. अनिवार्य तत्त्व (Essential Elements) :
वे तत्त्व जो पौधे की उपापचयी क्रियाओं में सीधे तौर पर सम्मिलित होते हैं और उनकी कमी से पौधों में निश्चित लक्षण दिखाई देते हैं, अनिवार्य तत्त्व कहलाते हैं।

UP Board Solutions

प्रश्न 4.
पौधों में कम-से-कम पाँच अपर्याप्तता के लक्षण दें। उन्हें वर्णित करें और खनिजों की कमी से उनका सहसम्बन्ध बनाएँ।
उत्तर :

1. क्लोरोसिस (Chlorosis) :
क्लोरोफिल का ह्रास होता है जिससे पत्तियाँ पीली पड़ जाती हैं। यह N, K, S, Mg, Fe, Mn, Zn तथा Co आदि की कमी से होता है।

2. नेकरोसिस (Necrosis) :
ऊतक की कोशिकाओं का क्षय होता है। इसके कारण दिखाई देने वाले लक्षण हैं-ब्लाइट, रॉट, पत्ती पर धब्बे आदि। यह लक्षण Ca, Mg, Cu, K आदि की कमी से होता है।

3. कोशिका विभाजन का निरोधी (Supression of Cell Division) :
पौधे की वृद्धि कम होने से पौधे बौने रह जाते हैं। यह लक्षण N, S, K, Mo आदि की (UPBoardSolutions.com) कमी से होता है।

4. विकृति (Malformation) :
रंगहीनता, विभज्योतक ऊतकों के संगठन में कमी, विकृति आदि अन्त में मृत्यु का कारण बनते हैं। यह बोरोन की कमी का लक्षण है।

5. पुष्पन में देरी (Delay in Flowering) :
N, S, Mo आदि के कम सान्द्रता से कुछ पौधों में पुष्पन कुछ समय के लिए टल जाता है।

प्रश्न 5.
अगर एक पौधे में एक से ज्यादा तत्त्वों की कमी के लक्षण प्रकट हो रहे हैं तो प्रायोगिक तौर पर आप कैसे पता करेंगे कि अपर्याप्त खनिज तत्त्व कौन-से हैं ?
उत्तर :
ऐसे पौधों को विभिन्न जल संवर्धन में उगाते हैं। प्रत्येक तत्त्व की कमी का लक्षण अलग-अलग पता चल जाता है जिससे तुलना करके दिए गए पौधों में पोषक तत्त्व की कमी का पता किया जा सकता है।

UP Board Solutions

प्रश्न 6.
कुछ निश्चित पौधों में अपर्याप्तता लक्षण सबसे पहले नवजात भाग में क्यों पैदा होता है, जबकि कुछ अन्य में परिपक्व अंगों में?
उत्तर :
पोषक तत्त्वों की कमी से पौधों में कुछ आकारिकीय बदलाव (morphological change) आते हैं। ये परिवर्तन अपर्याप्तता को प्रदर्शित करते हैं। ये विभिन्न तत्त्वों के अनुसार अलग-अलग होते हैं। अपर्याप्तता के लक्षण पोषक तत्वों की गतिशीलता पर निर्भर करते हैं। ये लक्षण कुछ पौधों के नवजात भागों में या पुराने ऊतकों में पहले प्रकट होते हैं। पादप में जहाँ तत्त्व सक्रियता से गतिशील रहते हैं तथा तरुण विकासशील ऊतकों में नियतित होते (UPBoardSolutions.com) हैं, वहाँ अपर्याप्तता के लक्षण पुराने ऊतकों में पहले प्रकट होते हैं; जैसे-N, K, Mg अपर्याप्तता के लक्षण सर्वप्रथम जीर्णमान पत्तियों में प्रकट होते हैं। पुरानी पत्तियों में ये तत्त्व विभिन्न जैव अणुओं के विखण्डित होने से उपलब्ध होते हैं और नई पत्तियों तक गतिशील होते हैं। जब तत्त्व अगतिशील होते हैं और वयस्क अंगों से बाहर अभिगमित नहीं होते तो अपर्याप्तता लक्षण नई पत्तियों में प्रकट होते हैं; जैसे-कैल्सियम, सल्फर आसानी से स्थानान्तरित नहीं होते। अपर्याप्तता लक्षणों को पहचानने के लिए पौधे के विभिन्न भागों में प्रकट होने वाले लक्षणों का अध्ययन मान्य तालिका के अनुसार करना होता है।

प्रश्न 7.
पौधों के द्वारा खनिजों का अवशोषण कैसे होता है?
उत्तर :
खनिज तत्त्वों का अवशोषण खनिज तत्त्वों का अवशोषण दो प्रकार से होता है

1.”ऐपोप्लास्ट पथ (Apoplast Pathway) :
कोशिकाओं के बाह्य स्थान में तीव्र गति से आयन का अन्तर्ग्रहण, निष्क्रिय अवशोषण होता है। आयनों की निष्क्रिय गति साधारणतया आयन चैनलों के द्वारा होती है। ये ट्रांस झिल्ली प्रोटीन होते हैं और चयनात्मक छिद्रों का कार्य करते हैं।

2. सिमप्लास्ट पथ (Symplast Pathway) :
कोशिकाओं के आन्तरिक स्थान में आयन धीमी गति से अन्तर्ग्रहण किए जाते हैं। आयनों के प्रवेश और निष्कासन में उपापचयी ऊर्जा की आवश्यकता होती है। यह सक्रिय अवशोषण होता है। कोशिका में आयनों की गति को अन्तर्वाह (influx) तथा कोशिका से बाहर आयन की गति को बहिर्वाह (efflux) कहते हैं।

UP Board Solutions

प्रश्न 8.
राइजोबियम के द्वारा वातावरणीय नाइट्रोजन के स्थिरीकरण के लिए क्या शर्ते हैं तथा N2 स्थिरीकरण में इनकी क्या भूमिका है?
उत्तर :

वायुमण्डलीय नाइट्रोजन स्थिरीकरण की शर्ते

  1. नाइट्रोजिनेस एन्जाइम (Nitrogenase enzyme)
  2. लेग्हीमोग्लोबीन (Leghaemoglibin, Ib)
  3.  ATP
  4. अनॉक्सी वातावरण।

मुख्यतया मटर कुल के पौधों की जड़ों में ग्रन्थिकाएँ पाई जाती हैं। इनमें राइजोबियम (Rhizobiure) जीवाणु पाया जाता है। ग्रन्थिकाओं में नाइट्रोजिनेस (nitrogenase) एन्जाइम एवं लेग्हीमोग्लोबीन (leghaemoglobin) आदि सभी जैव-रासायनिक संघटक पाए जाते हैं। नाइट्रोजिनेस एन्जाइम वातावरणीय नाइट्रोजन को अमोनिया में बदलने के लिए उत्प्रेरित करता है। नाइट्रोजिनेस एन्जाइम की सक्रियता के लिए अनॉक्सी वातावरण आवश्यक होता है। लेग्हीमोग्लोबीन (UPBoardSolutions.com) ऑक्सीजन से नाइट्रोजिनेस एन्जाइम की सुरक्षा करता है। अमोनिया संश्लेषण के लिए ऊर्जा की आवश्यकता होती है। एक अमोनिया अणु को 8 ATP ऊर्जा की आवश्यकता होती है। ऊर्जा की आपूर्ति पोषक कोशिकाओं के ऑक्सी श्वसन से होती है। अमोनिया ऐमीनो अम्ल में ऐमीनो समूह के रूप में सम्मिलित हो जाती है।
UP Board Solutions for Class 11 Biology Chapter 12 Mineral Nutrition image 1

प्रश्न 9.
मूल ग्रन्थिका के निर्माण हेतु कौन-कौन से चरण भागीदार हैं?

उत्तर :
मूल ग्रन्थिका निर्माण पोषक पौधों (सामान्यतया मटर कुल के पौधे) की जड़ एवं राइजोबियम में पारस्परिक प्रक्रिया के कारण ग्रन्थिकाओं का निर्माण निम्नलिखित चरणों में होता है

  1.  राइजोबियम जीवाणु बहुगुणित होकर जड़ के चारों ओर एकत्र होकर मूलरोम एवं मूलीय त्वचा से जुड़ जाते हैं। जीवाणु संक्रमण के कारण जीवाणु मूलरोम से होकर वल्कुट (cortex) में पहुँच जाते हैं। वल्कुट में जीवाणुओं के कारण कोशिकाओं का विशिष्टीकरण नाइट्रोजन स्थिरीकरण कोशिकाओं के रूप में होने लगता है। इस प्रकार ग्रन्थिकाओं (nodules) का निर्माण हो जाता है। ग्रन्थिकाओं के जीवाणुओं का पोषक पादप से पोषक तत्वों के आदान-प्रदान हेतु संवहनी सम्बन्ध स्थापित हो जाता है।
    UP Board Solutions for Class 11 Biology Chapter 12 Mineral Nutrition image 2
    UP Board Solutions for Class 11 Biology Chapter 12 Mineral Nutrition image 3

प्रश्न 10.
निम्नलिखित कथनों में कौन सही है? अगर गलत हैं तो उन्हें सही कीजिए
(क) बोरोन की अपर्याप्तता से स्थूलकाय अक्ष बनता है।
(ख) कोशिका में उपस्थित प्रत्येक खनिज तत्त्व उसके लिए अनिवार्य है।
(ग) नाइट्रोजन पोषक तत्त्व के रूप में पौधे में अत्यधिक अचल है।
(घ) सूक्ष्म पोषकों की अनिवार्यता निश्चित करना अत्यन्त ही आसान है; क्योंकि ये बहुत ही सूक्ष्म मात्रा में लिए जाते हैं।
उत्तर :
(क)
सत्य कथन।

(ख)
असत्य कथन। 105 खनिज तत्त्वों में से लगभग 60 तत्त्व विभिन्न पौधों में पाए गए हैं। इनमें से 17 खनिज तत्त्व ही अनिवार्य होते हैं।

(ग)
असत्य कथन। नाइट्रोजन अत्यधिक गतिमान पोषक खनिज तत्त्व है।

UP Board Solutions

(घ)
असत्य कथन। सूक्ष्म पोषक तत्त्वों की अनिवार्यता निश्चित करना अत्यन्त कठिन कार्य होता है। क्योंकि ये अति सूक्ष्म मात्रा में प्रयोग किए जाते हैं। सामान्यतया पोषक लवणों में अशुद्धता के कारण इनकी. अनिवार्यता स्थापित करना कठिन होता है।

परीक्षोपयोगी प्रश्नोत्तर

बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
धान का ‘खैरा रोग किस तत्त्व की कमी के कारण होता है?
(क) कैल्सियम
(ख) मैग्नीशियम
(ग) मॉल्ब्डेनम
(घ) जिंक
उत्तर :
(घ) जिंक

UP Board Solutions

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
नाइट्रोजन स्थिरीकरण (nitrogen fixation) क्या है?
उत्तर :
वायु में उपस्थित नाइट्रोजन को अमोनिया में बदलने की प्रक्रिया।

प्रश्न 2.
नाइट्रीकरण (nitrification) क्या है ?
उत्तर :
अमोनिया पहले नाइट्रोसोमोनास यो नाइटोकोकस जीवाणु द्वारा नाइट्राइट में बदल दी जाती है। तथा नाइट्राइट को नाइट्रोबैक्टर की सहायता से नाइट्रेट में बदल दिया जाता है ये प्रक्रियाएँ नाइट्रीकरण कहलाती हैं।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
हाइड्रोपोनिक्स पर टिप्पणी लिखिए। या जलसंवर्धन क्या है? परिभाषित कीजिए।
उत्तर :
पौधों में विभिन्न तत्वों की क्या उपयोगिता है, इसका अध्ययन मृदाविहीन संवर्धन (soilless culture) अथवा विलयन संवर्धन (solution culture) विधि द्वारा किया जाता है। इस प्रक्रिया को हाइड्रोपोनिक्स (hydroponics) कहते हैं। मृदाविहीन संवर्धन इस सिद्धान्त पर आधारित है कि वे सभी अनिवार्य खनिज पदार्थ जो पौधे मृदा से जड़ों द्वारा अवशोषित करते हैं उनके विलयन में पौधों को उगाया जाता है। यह पोषक विलयन (nutrient solution) (UPBoardSolutions.com) कहलाता है। जिस पोषक विलयन में सभी अनिवार्य खनिज पदार्थ उपस्थित हों उसे सामान्य पोषक विलयन (normal nutrient solution) कहते हैं। सामान्य पोषक विलयन (normal nutrient solution) में निम्नलिखित परिस्थितियाँ आवश्यक हैं

  1. इसमें सभी अनिवार्य खनिज घुलनशील अवस्था में हों।
  2. विलयन काफी तनु (dilute) हो तथा समय-समय पर उसे बदलते रहना चाहिए।
  3. विलयन सन्तुलित हो जिससे अनिवार्य आयन का प्रचूषण हो सके।
  4. विलयन को सदैव हवा मिलती रहे, क्योंकि प्रचूषण के लिए श्वसन ऊर्जा आवश्यक है।
  5. विलयन का pH आवश्यकतानुसार हो।

UP Board Solutions

प्रश्न 2.
पौधों में बोरोन व कॉपर की कमी से उत्पन्न लक्षणों के बारे में लिखिए।
उत्तर :

1. बोरोन (Boron) :
यह ([latex]{ BO }_{ 3}^{ 3-}[/latex])  अथवा B4[latex]{ O }_{ 7}^{ 2- }[/latex]आयनों के रूप में अवशोषित होता है। इसकी अनिवार्यता Ca 2+ को ग्रहण तथा उपयोग करने, झिल्ली की कार्यशीलता व पराग अंकुरण, कोशिका दीर्घाकरण, कोशिका विभेदन एवं कार्बोहाइड्रेट के स्थानान्तरण में होती है। पौधों में इसकी कमी से प्ररोहशीर्ष की मृत्यु होने लगती है, पुष्पन रुक जाता है, पत्तियों के शिखर काले पड़ने लगते हैं, विभिन्न अंगों की वृद्धि रुक जाती है।

2. ताँबा (Copper) :
यह क्यूप्रिंक आयन (Cu 2+) के रूप में अवशोषित होता है। यह पादपों के समग्र उपापचय के लिए अनिवार्य होता है। लौह की तरह यह भी रेडॉक्स प्रतिक्रिया से जुड़े विशेष एन्जाइमों के साथ संलग्न रहता है तथा यह भी विपरीत दिशा में Cuसे Cu 2+ में ऑक्सीकृत होता है। नींबू प्रजाति के पौधों में इसकी कमी से शीर्षारंभी रोग (dieback disease) तथा धान एवं लेग्यूम पौधों में रीक्लेमेशन रोग (reclamation disease) उत्पन्न हो जाता है। नई पत्तियों पर ऊतकक्षयी क्षेत्र बनने लगते हैं।

प्रश्न 3.
पौधे में लोहा और मैंगनीज की भूमिका का वर्णन कीजिए।
उत्तर :

1. लोहा (Iron) :
पादप लोहे को फेरिक आयन (Fe 3+) के रूप में लेते हैं। पौधों को इसकी अनिवार्यता किसी अन्य सूक्ष्ममात्रिक तत्त्व की अपेक्षा अधिक मात्रा में होती है। यह फेरेडॉक्सिन तथा साइटोक्रोम जैसे प्रोटीन का भाग है जो कि इलेक्ट्रॉन स्थानान्तरण में संलग्न रहता है। इसका इलेक्ट्रॉन स्थानान्तरण के समय Fe 2+ से Fe 3+ के रूप में विपरीत ऑक्सीकरण होता है। यह कैटेलैज एन्जाइम को सक्रिय कर देता है और पर्णहरित के निर्माण के लिए अनिवार्य होता (UPBoardSolutions.com) है। लौह की कमी से पत्तियाँ पीली पड़ने लगती हैं, शिराएँ गहरे रंग की होने लगती हैं तथा पत्तियों में हरिमहीनता उत्पन्न होने लगती है, हरितलवक का निर्माण धीमी गति से होने लगता है।

2. मैंगनीज (Manganese) :
यह मैंगनस आयन (Mn 2+) के रूप में अवशोषित किया जाता है। यह प्रकाश-संश्लेषण, श्वसन तथा नाइट्रोजन उपापचय के अनेक एंजाइमों को सक्रिय कर देता है। मैंगनीज का प्रमुख कार्य प्रकाश-संश्लेषण के दौरान जल के अणुओं को विखण्डित कर ऑक्सीजन को उत्सर्जित करना है। इसकी कमी के लक्षण सर्वप्रथम पुरानी पत्तियों में प्रकट होते हैं। पत्तियों में अन्तराशिरीय हरिमहीनता उत्पन्न हो जाती है। पत्तियों पर मृत ऊतकक्षयी क्षेत्र बनने लगते हैं।

प्रश्न 4.
‘खनिज तत्त्वों की कमी को दूर करना शीर्षक पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर :
अधिकांश मृदाओं में नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटैशियम इत्यादि खनिज तत्त्वों की कमी रहती है। जिसके कारण पौधों को भी इसकी उचित मात्रा प्राप्त नहीं हो पाती है। इन तत्त्वों की कमी को पूरा करने के लिए हमें मृदा में खाद या उर्वरक मिश्रित करने की आवश्यकता होती है। कुछ प्रमुख खादों; जैसे-गोबर की खाद, कम्पोस्ट इत्यादि को मृदा में मिश्रित करना उत्तम रहता है। उर्वरक के रूप में हम मृदा में अमोनियम सल्फेट, अमोनियम नाइट्रेट, सुपर फॉस्फेट, (UPBoardSolutions.com) अस्थि चूर्ण इत्यादि मिश्रित कर सकते हैं। ये उर्वरक क्रमशः नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटैशियम इत्यादि तत्त्वों की पूर्ति मृदा में करते हैं। इस प्रकार से हम खनिज तत्त्वों की कमी को दूर कर सकते हैं।

UP Board Solutions

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
खनिज पोषण से आप क्या समझते हैं? पादप पोषण में कैल्सियम, पोटैशियम एवं नाइट्रोजन के महत्त्व की विवेचना कीजिए। या दीर्घ मात्रा पोषक तत्त्व एवं लघु मात्रा पोषक तत्त्व क्या हैं? टिप्पणी कीजिए। या खनिज अवशोषण का उल्लेख संक्षेप में कीजिए। या ‘खनिज लवणों का अन्तर्ग्रहण’ पर टिप्पणी लिखिए। या खनिज तत्वों के कार्य बताइए। या सूक्ष्म पोषक तत्वों का वर्णन कीजिए। या पौधों के पोषण में पोटैशियम तथा नाइट्रोजन तत्त्वों के विशेष कार्यों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर : 

खनिज तत्त्व और खनिज पोषण

हरे पौधों को स्वपोषित (autotrophic) कहते हैं। प्रकृति में केवल हरे पेड़-पौधों में ही यह गुण पाया जाता है कि वे अपना भोजन स्वयं बना लेते हैं। ये पौधे प्रकाश-संश्लेषण की क्रिया में कार्बन डाइऑक्साइड  (CO2)(वायु से) तथा जल (H2O)(भूमि से) की सहायता से ऊर्जायुक्त कार्बनिक पदार्थ, मुख्यतः कार्बोहाइड्रेट्स (CH12O6) का निर्माण करते हैं। प्रायः सभी पौधे जल व अकार्बनिक तत्त्वों को भूमि से प्राप्त करते हैं। अकार्बनिक तत्त्व भूमि में खनिजों (minerals) के रूप में उपस्थित रहते हैं। इन्हें खनिज तत्त्व या पोषक तत्त्व (mineral elements or nutrient elements) तथा इनके पोषण को खनिज पोषण (mineral nutrition) कहते हैं।

बड़े एवं सूक्ष्म पोषक तत्त्व

केवल कुछ ही तत्त्वे पौधों की वृद्धि एवं उपापचय के लिए नितान्त रूप से अनिवार्य माने गए हैं। उनको उनकी आवश्यक मात्रा के आधार पर दो व्यापक श्रेणियों में बाँटा गया है

1. बड़े पोषक तत्त्व (Macro nutrients) :
बड़े पोषक तत्वों को सामान्यतः पादप के शुष्क पदार्थ का 1 से 10 मिग्रा/लीटर की सान्द्रता से विद्यमान होना चाहिए। इस श्रेणी में आने वाले तत्त्व हैं—कार्बन (C), हाइड्रोजन (H), ऑक्सीजन (O), फॉस्फोरस (F), सल्फर (S), पोटैशियम (K), कैल्सियम (Ca) और मैग्नीशियम (Mg)। (UPBoardSolutions.com) इनमें से कार्बन, हाइड्रोजन तथा ऑक्सीजन मुख्यतया CO, एवं H2Oसे प्राप्त होते हैं, जबकि दूसरे मृदा से खनिज के रूप में अवशोषित किए जाते हैं।

UP Board Solutions

2. सूक्ष्म पोषक तत्त्व (Micro nutrients) :
पौधों को सूक्ष्म पोषक तत्त्वों अथवा लेशमात्रिक तत्त्वों की अनिवार्यता अत्यन्त सूक्ष्म मात्रा में होती है 0.1 मिग्रा/लीटर शुष्क भार के बराबर या उससे कम)। इनके अन्तर्गत लौह (Fe), मैंगनीज (Mg), ताँबा (Cu), मॉलिब्डेनम (Mo), जिंक (Zn), बोरोन (B), क्लोरीन (C) और निकिल (Ni) सम्मिलित हैं।

कैल्सियम

पादप कैल्सियम को मृदा से कैल्सियम आयनों (Ca 2+) के रूप में अवशोषित करते हैं। इसकी आवश्यकता विभज्योतक तथा विभेदित होते हुए ऊतकों को अधिक होती है। कोशिका विभाजन के दौरान कोशिका भित्ति के संश्लेषण में भी इसका उपयोग होता है। विशेष रूप से मध्य पट्टिका में कैल्सियम पेक्ट्रेट के रूप में इसकी अनिवार्यता समसूत्री विभाजन में तर्क निर्माण के दौरान भी होती है। यह पुरानी पत्तियों में एकत्रित हो जाता है। यह कोशिका झिल्लियों की सामान्य क्रियाओं में शामिल होता है। यह कुछ एन्जाइमों को सक्रिय करता है तथा उपापचय के नियन्त्रण में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। इसकी कमी से हरितलवक ठीक से कार्य नहीं करता है। पुष्पों का विकास ठीक से नहीं हो पाता है, वे शीघ्र ही गिर जाते हैं पत्तियों में हरिमहीनता (chlorosis) उत्पन्न हो जाती है।

पोटैशियम

पादपों द्वारा इसका अवशोषण पोटैशियम आयन (K+) के रूप में होता है। इसकी पौधों के विभज्योतक ऊतकों, कलिकाओं, पर्यों, मूलशीर्षों में अधिक मात्रा की जरूरत होती है। पोटैशियम कोशिकाओं में धनायन-ऋणायन सन्तुलन का निर्धारण करने में सहायक होता है। (UPBoardSolutions.com) साथ ही यह प्रोटीन संश्लेषण, रन्ध्रों के खुलने और बन्द होने, एन्जाइम सक्रियता और कोशिकाओं को स्फीत अवस्था में बनाए रखने में शामिल होता है। इसकी कमी से पौधा बौना (dwarf) हो जाता है कोशिकाओं में टूट-फूट की मरम्मत नहीं हो पाती है, पत्तियों पर अनेक पीले रंग के धब्बे पड़ जाते हैं तथा तने पीले एवं कमजोर हो जाते हैं।”

नाइट्रोजन

इस तत्त्व की अनिवार्यता पौधों में सर्वाधिक मात्रा में होती है। पौधे अपनी जड़ों द्वारा इसका अवशोषण मुख्यत: [latex]{ NO }_{ 3}^{ – }[/latex]के रूप में करते हैं लेकिन कुछ मात्रा  NO, अथवा  NH, के रूप में भी ली जाती है। इसकी अनिवार्यता पौधों के सभी भागों विशेषत: विभज्योतक ऊतकों एवं सक्रिय उपापचयी कोशिकाओं में होती है। नाइट्रोजन प्रोटीन, न्यूक्लिक अम्लों, विटामिन और हॉर्मोन का एक मुख्य संघटक है। पौधों में इसकी कमी से वृद्धि रुक जाती है, पत्तियाँ पीली पड़ जाती हैं, पत्तियाँ अधिक छोटी एवं मोटी हो जाती हैं। तथा पुष्पों का विकास नहीं हो पाता है।

प्रश्न 2.
दीर्घपोषक तत्त्वों एवं लघुपोषक तत्वों में क्या अन्तर है? सल्फर, पोटैशियम, मैग्नीशियप एवं जिंक तत्त्वों की कमी से उत्पन्न लक्षणों का वर्णन कीजिए।” या सल्फर, पोटैशियम, मैग्नीशियम एवं जिंक तत्त्वों की कमी से उत्पन्न लक्षणों का वर्णन कीजिए। [संकेत–दीर्घ पोषक तत्वों एवं लघु पोषक तत्त्वों में अन्तर के लिए दीर्घ उत्तरीय प्रश्न संख्या 1 का उत्तर देखें।]
उत्तर :

1. गन्धक (Sulphur) :
पादप गन्धक को सल्फेट ([latex]{ SO }_{ 4}^{ 2- }[/latex]) के रूप में लेते हैं। यह सिस्टीन (Cysteine) व मेथियोनीन (methionine) नामक अमीनो अम्लों में पाया जाता है तथा अनेक विटामिनों (थायमीन, बायोटीन, कोएन्जाइम ए) एवं फेरेडॉक्सिन का मुख्य संघटक है। युवा पत्तियों में गन्धक की कमी हरिमहीनता उत्पन्न करती है, पत्तियों में एन्थोसायनिन का संचय होने लगती है, पत्तियों की वृद्धि रुक जाती है तथा पौधे बौने रह जाते हैं।

2. मैग्नीशियम (Magnesium) :
यह पादपों द्वारा द्वियोजी मैग्नीशियम (Mg2+) आयन के रूप में अवशोषित होता है। यह प्रकाश-संश्लेषण तथा श्वसन क्रिया के एंजाइमों को सक्रियता प्रदान करता है। तथा DNA एवं RNA के संश्लेषण में भी शामिल होता है। यह क्लोरोफिल की वलय संरचना का संघटक है और (UPBoardSolutions.com) राइबोसोम के आकार को बनाए रखने में सहायक है। इसकी कमी से पत्तियों में हरिमहीनता आ जाती है जो बाद में तरुण पत्तियों में भी दिखाई देती है, पत्तियों में एन्थोसायनिन की। मात्रा बढ़ जाती है, पौधे के विभिन्न भागों में ऊतकक्षयी धब्बे बन जाते हैं।

UP Board Solutions

3. जिंक (Zinc) :
पादप जिंक को, जिंक आयन (Zn2+)के रूप में लेते हैं। यह विविध एंजाइमों को विशेषत: कार्बोक्सीलेस को सक्रिय करता है। इसकी अनिवार्यता ऑक्सिन संश्लेषण में भी होती है। इसकी कमी से पत्तियाँ विकृत होने लगती हैं। इनके शीर्ष पर हरिमहीनता के लक्षण प्रकट होने लगते हैं। पौधों में पुष्पन ठीक से नहीं हो पाता है।

4. पोटैशियम (Potassium) :
[संकेत–कृपया दीर्घ उत्तरीय प्रश्न संख्या 1 में देखें।

We hope the UP Board Solutions for Class 11 Biology Chapter 12 Mineral Nutrition (खनिज पोषण) help you. If you have any query regarding UP Board Solutions for Class 11 Biology Chapter 12 Mineral Nutrition (खनिज पोषण) , drop a comment below and we will get back to you at the earliest.

UP Board Solutions for Class 11 English Poetry Short Poem Chapter 1 Mercy

UP Board Solutions for Class 11 English Poetry Short Poem Chapter 1 Mercy

These Solutions are part of UP Board Solutions for Class 11 English. Here we have given UP Board Solutions for Class 11 English Poetry Short Poem Chapter 1 Mercy.

About the Poet : William Shakespeare was born at Startford-on-Avon in 1564. His education was interrupted due to loss in his father’s business. He knew ‘little Greek and little Latin’. He joined the Theatre as a horse holder and then became an actor and a dramatist. He wrote 37 plays and 154 sonnets. He died in 1616.

About the Poem : The theme of this poem has.been taken from the famous play of Shakespeare “The Merchant of Venice.”In this play Antonio, a christian borrows some money from Shylock, a Jew and promises to repay it within three months otherwise Shylock will have the right to take one pound of flesh from his body. Antonio fails to pay the money back in time. So in the court Shylock demands the flesh from Antonio’s body. Bassanio is Antonio’s friend. His wife Portia, disguised as a doctor of law, appears in the court on behalf of Antonio. She appeals to Shylock to show mercy on humanitarian grounds but he is adamant on his demand. So, in this poem, the poet proves that mercy is greater than all worldly riches. It is the quality of God also. So in this world man is respected for having it. The poem is full of the qualities of mercy.

Central Idea
In this poem Shakespeare points out that mercy is the greatest quality of human heart. It is natural. It pleases both, giver of it and receiver of it. It is greater than the crown of a king. When justice is mixed with mercy, it becomes a Divine quality. So it makes the kings immortal if they practise mercy in their justice.
(इस कविता में शेक्सपियर बताता है कि दया इस पृथ्वी पर मानव हृदय का सबसे बड़ा गुण है। यह स्वाभाविक है। यह दोनों को आनन्द देती है-इसके देने वाले को भी ओर लेने वाले को भी। यह एक राजा की शक्ति से भी महान् होती है। जब न्याय में दया का मिश्रण हो जाता है तब यह ईश्वरीय गुण बन जाती है। इसलिए यह राजाओं को भी अमर बना देती है यदि वे इसे अपने न्याय में प्रयोग करें।)

EXPLANATIONS (With Meanings & Hindi Translation)

1. The quality of mercy is not strain’d;
It droppeth as the gentle rain from heaven
Upon the place beneath. It is twice blest :
It blesseth him that gives and him that takes.      [M. Imp.)

[Word-meanings : quality = गुण the relative nature; mercy = दया pity; strained = बल द्वारा उत्पन की जाने वाली forced; droppeth = नीचे आती है comes down; gentle = धीमी slow;
heaven = आकाश  sky; beneath = नीचे below; blesseth= आनन्दित करना  bestows. ]

भावार्थ- दया का गुण बल द्वारा उत्पन्न किया जाने वाला नहीं है, अपितु स्वाभाविक है। यह इस प्रकार आती है, जैसे धीमी-धीमी बारिश आकाश में नीचे पृथ्वी पर गिरती है। यह दोनों को आनन्द देती है। जो व्यक्ति दया दिखाता है उसे भी आनन्द प्राप्त होता है और जिस पर दया दिखाई जाती है उसे भी आनन्द प्राप्त होता है। सबसे शक्तिशाली व्यक्तियों का यह सबसे शक्तिशाली गुण है।

Reference : These lines have been selected from the poem ‘Mercy’ composed by William Shakespeare. Its theme has been taken from his play ‘The Merchant of Venice’
[N.B.: The above reference will be used for all the explanations of this poem.]

Context: In these lines the poet says that Antonio could not repay the debt of Shylock in time who was a greedy merchant. So Shylock went to the court and asked one pound flesh from the body of Antonio as was dictated in the bond. Portia, on behalf of Antonio, appealed to Shylock to show mercy to Antonio but he did not melt.

Explanation : Portia tells Shylock the quality of mercy. She says that mercy is not shown under force but it is natural. It comes naturally like gentle rain. Mercy gives pleasure to all. The receiver as well as the giver of mercy gets joy. It is the most powerful quality of the most powerful people.

(पोर्शिया शाइलॉक को दया के विषय में बताती है। वह कहती है कि दया बलपूर्वक नहीं दिखाई जा सकती, बल्कि यह तो स्वाभाविक है। यह धीमी-धीमी बारिश के समान स्वयं आती है। दया सभी को आनन्द देती है। दया देने वाला भी और दया लेने वाला भी दोनों आनन्द पाते हैं। यह सबसे अधिक शक्तिशाली व्यक्तियों का सबसे अधिक शक्तिशाली गुण है।)

Comments : The poet has aptly used Simile figure of speech in this stanza.

2.  ‘Tis mightiest in the mightiest; It becomes,
The throned monarch better than his crown :
His sceptre shows the force of temporal power,
The attribute to awe and majesty.
Wherein doth sit the dread and fear of kings.

[ Word-meanings : mightiest = सबसे शक्तिशाली most powerful; throned monarch = शासन करता हुआ राजा ruling king; sceptre = राजा का डण्डा royal rod; temporal = सांसारिक worldly;
attribute = गुण, प्रतीक quality, symbol; awe = भय fear; majesty = राजसी सम्मान respect to the king; dread = अत्यधिक भय great fear.]

भावार्थ- दया सबसे शक्तिशाली व्यक्ति का सबसे शक्तिशाली लक्षण है। यह (दया) एक शासन करते हुए राजा एवं उसके ताज (शक्ति) से अधिक अच्छी होती है। राजा की छड़ या तलवार सांसारिक शक्ति का प्रतीक है। यह अत्यधिक भय तथा राजा के प्रति सम्मान का प्रतीक है। इसी छड़ में राजाओं का आतंक तथा भय निहित है।

Context: In these lines the poet says that Portia tries to change the heart of Shylock by an appeal to his sense of mercy. But he is firm on his demand. The poet also says that mercy cannot be forced but it comes in the heart of a man naturally.

Explanation : In this stanza Portia appeals to Shylock to show mercy. The power of mercy is greater than the crown of a king. The king has a sword ,a worldly power. So the people fear of him and respect him. But they forget him after his death. Mercy is a noble quality. It raises the man higher than all the worldly powers. It makes him immortal. A merciful man is loved and honoured without any force or compulsion. So Shylock should be merciful because mercy is the soul of justice.

(इस पद्यांश में पोर्शिया शाइलॉक से दया दिखाने की प्रार्थना करती है। दया की शक्ति राजा की शक्ति (ताज शक्ति का प्रतीक है) से अधिक होती है। राजा के पास तलवार होती है जो सांसारिक शक्ति है। इस कारण लोग उससे डरते हैं और उसका सम्मान करते हैं। किन्तु वे उसकी मृत्यु के बाद उसे भूल जाते हैं। दया एक श्रेष्ठ गुण है। यह मनुष्य को सभी सांसारिक शक्तियों से ऊपर उठा देती है। यह उसे अमर बना देती है। एक दयावान व्यक्ति का सम्मान बिना किसी शक्ति या विवशता के किया जाता है। इसलिए शाइलॉक को दयावान होना चाहिए, क्योंकि दया न्याय की आत्मा होती है।)

3.But mercy is above this sceptred sway,
It is enthroned in the hearts of kings,
It is an attribute to God himself;
And earthly power doth then show likest God’s
When mercy seasons justice.                                               [M. Imp.]

[ Word-meanings : sceptred = सत्ताधारी crowned; sway = शासन rule; enthroned = पाई जाती है found; attribute = गुण quality; likest = सबसे अधिक समान most like; seasons = मिला दी जाती है  is mixed.]

भावार्थ- किन्तु दया राजाओं के लिए उनके भय के प्रतीक अर्थात् राजदण्ड से भी महान् है। दया राजाओं के हृदय में भी पाई जाती है। यह स्वयं भगवान् का भी गुण है। जब राजा में दया न्याय के साथ मिल जाती है। तब राजा की सांसारिक शक्ति भी भगवान् के गुण के समान हो जाती है अर्थात् जब एक राजा की सांसारिक शक्ति में दया और न्याय मिल जाता है, तब वह ईश्वरीय शक्ति बन जाती है।

Context: In these lines the poet says that Portia appeals to Shylock to show mercy. She tells him that mercy is a noble quality. It raises the man higher than all the worldly powers. Mercy is the soul of justice. So he should be merciful. But there is no effect of this appeal on Shylock.

Explanation : In this concluding stanza the poet compares mercy with the earthly power. The king has earthly power because he has a sceptre in his hand. So people fear of him and respect him. But mercy sits in his heart. It is higher than earthly power. It is the quality of God Himself. When a king mixes mercy also in his justice, he becomes like God. People worship him like God with their own accord. So mercy is the greatest quality on the earth.

(इस अन्तिम पद्यांश में कवि दया की तुलना सांसारिक शक्ति से करता है। राजा के पास सांसारिक शक्ति होती है क्योंकि उसके हाथ में राजदण्ड रूपी तलवार है। इस कारण लोग उससे डरते हैं और उसका सम्मान करते हैं। किन्तु दया उसके हृदय में होती है। यह सांसारिक शक्ति से महान् होती है। यह स्वयं भगवान् का गुण है। जब कोई राजा अपने न्याय में दया को भी मिला लेता है तब वह भगवान् के समान हो जाता है। लोग अपनी इच्छा से उसकी पूजा भगवान् के समान करते हैं। इसलिए दया संसार में सबसे महान् गुण है।)

We hope the UP Board Solutions for Class 11 English Poetry Short Poem Chapter 1 Mercy help you. If you have any query regarding UP Board Solutions for Class 11 English Poetry Short Poem Chapter 1 Mercy, drop a comment below and we will get back to you at the earliest.