UP Board Class 4 Hindi व्याकरण
प्रश्न:
व्याकरण क्या है?
उत्तर:
भाषा की शुद्धता और अशुद्धता का ज्ञान करानेवाला शास्त्र व्याकरण कहलाता है;
जैसे-
- राम स्कूल गया है। (शुद्ध)
- राम स्कूल गई है। (अशुद्ध)
प्रश्न:
भाषा क्या है?
उत्तर:
भाषा-विचार या भाव प्रकट करने वाला माध्यम ही भाषा है; जैसे- हिंदी, अंग्रेजी, पंजाबी, तेलुगू, मराठी, तमिल, मैथिली आदि।
भाषा के भेद
भाषा को प्रयोग के आधार पर तीन भागों में बाँटा जा सकता है
(१) लिखित भाषा-जो भाषा लिखने और पढ़ने में प्रयोग की जाती है, उसे ‘लिखित भाषा’ कहते हैं।
(२) कथित अथवा मौखिक भाषा-जो भाषा आपस में बातचीत करते समय प्रयोग की जाती है, उसे ‘कथित भाषा’ अथवा ‘मौखिक भाषा’ कहते हैं।
(३) सांकेतिक भाषा-जब संकेतों से अपने विचारों को प्रकट किया जाता है, तब उसे ‘सांकेतिक भाषा’ कहते हैं।
प्रश्न:
लिपि किसे कहते हैं?
उत्तर:
लिपि-वर्गों के लिखित चिह्न को लिपि कहते हैं; जैसे- हिंदी की ‘देवनागरी’, उर्दू की ‘फारसी’ और अंग्रेजी की लिपि ‘रोमन’ है।
प्रश्न:
वर्ण या अक्षर किसे किहते हैं? तथा उसके भेद बताओ।
उत्तर:
वर्ण (अक्षर )-वर्ण (अक्षर) भाषा की वह छोटी से छोटी मूल ध्वनि है, जिसके टुकड़े न हो सकें; जैसे- अ, इ, ए, क्, ख् आदि।
वर्ण या अक्षर के भेद-
१. स्वर
२. व्यंजन।
प्रश्न:
स्वर किसे कहते हैं? उसके भेद बताओ।
उत्तर:
स्वर-वे वर्ण, जिनके उच्चारण में दूसरे वर्गों की सहायता नहीं लेनी पड़ती, ‘स्वर’ कहलाते हैं।
स्वर ग्यारह होते हैं-
अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ए, ऐ, ओ, औ।
स्वरों के भेद स्वर के तीन भेद हैं-
(क) ह्रस्व स्वर – जैसे – अ, इ, उ, ऋ, आदि।
(ख) दीर्घ स्वर – जैसे – आ, ई, ऊ, ऐ, ओ, औ आदि।
(ग) प्लत स्वर – जैसे – ओ३म आदि।।
प्रश्न:
व्यंजन किसे कहते हैं? इसके प्रकार भी बताओ।
उत्तर:
व्यंजन-वे वर्ण, जिनके उच्चारण में स्वरों की सहायता लेनी पड़ती है, व्यंजन कहलाते हैं; जैसे- क् में अ जोड़ने से ‘क’ तथा ख में अ जोड़ने ‘ख’ बन जाता है।
व्यंजन के प्रकार-हिंदी वर्णमाला में उनतालीस (३६) व्यंजन होते हैं।
१. क वर्ग – क ख ग घ ङ
२. च वर्ग – च छ ज
३. ट वर्ग – ट ठ ड ढ ण
४. त वर्ग – त थ द ध न
५. प वर्ग – प फ ब भ म
६. अन्तःस्थ – य र ल व
७. ऊष्म – श ष स ह
६. संयुक्त – क्ष = क + ष् + अ, त्र = त् + र + अ, ज्ञ = ज्+ + अ, श्र = श + र् + अ
अनुस्वार (अं)-समस्त पंचम वर्णों (ङ, ञ, ण, न, म) को बिंदु (-) के माध्यम से प्रकट किया जाता है। इसे अनस्वार (अं) कहते हैं; जैसे- गंगा, मंगल, जंगल आदि।
विसर्ग (अः)-इसे ऊपर-नीचे दो बिंदुओं (:) के सहारे प्रकट करते हैं; जैसे-प्रातः, अत: आदि।
मात्रा-व्यंजन को पूरा करने के लिए स्वर वर्ण के जो निर्धारित चिह्न हैं, उन्हें मात्रा कहते हैं।
मात्राएँ-निम्न होती हैं-
विशेष-‘अ’ सभी व्यंजनों में मिला होता है, इसीलिए इसकी मात्रा नहीं होती।
प्रमुख विराम चिह्न-हिंदी में लिखते समय निम्न विराम चिह्न प्रयुक्त किए जाते हैं-
१. अल्प विराम (,)
२. अर्ध विराम (;)
३. पूर्ण विराम (।)
४. प्रश्नवाचक चिह्न (?)
५. विस्मयादिबोधक चिह्न (!)
६. लाघव चिह्न (०)
७. विवरण चिह्न (:)
८. योजक चिह्न (-)
६. निर्देशक चिह्न (–)
१०. अवतरण चिह्न (” “), (‘ ‘)
शब्द
शब्द की परिभाषा-वर्णों का सार्थक समूह ही शब्द कहलाता है; जैसे- राम, सीता, पुस्तक आदि।
शब्दों के भेद
अर्थ के अनुसार शब्द दो प्रकार के होते हैं-
(१) सार्थक शब्द-जिस शब्द से कुछ अर्थ प्रकट हो, उसे ‘सार्थक शब्द’ कहते हैं, जैसेपुस्तक, आम, लड़का आदि।
(२) निरर्थक शब्द-जिस शब्द से कुछ भी अर्थ न निकले उसे ‘निरर्थक शब्द’ कहते हैं, जैसे- कस्तपु, काड़ल, लमक आदि।
व्याकरण के अनुसार शब्द दो प्रकार के होते हैं
1. विकारी तथा
2. अविकारी (अव्यय)
1. विकारी शब्द- लिंग, वचन तथा कारक के कारण जिन शब्दों के रूप बदल जाते हैं, उन्हें ‘विकारी शब्द’ कहते हैं। ये चार प्रकार के होते हैं- संज्ञा, सर्वनाम, क्रिया तथा विशेषण।
2. अविकारी शब्द (अव्यय)- जिन शब्दों के रूप सदैव एक समान रहते हैं यानी लिंग वचन और कारक के कारण जो कभी परिवर्तित नहीं होते, उन्हें ‘अविकारी शब्द’ या ‘अव्यय’ कहते हैं। ये भी मुख्यतः चार प्रकार के होते हैं– क्रियाविशेषण, संबंधबोधक, समुच्चयबोधक और विस्मयादिबोधक।
वाक्य
प्रश्न:
वाक्य किसे कहते हैं?
उत्तर:
शब्दों के सार्थक समूह को वाक्य कहते हैं; जैसे- भारत हमारी मातृभूमि है। यह वाक्य चार शब्दों का समूह है। इन चार शब्दों के समूह से पूरी बात समझ में आ जाती है।
१. संज्ञा-किसी वस्तु, स्थान, प्राणी या भाव के नाम को ‘संज्ञा’ कहते हैं, जैसे- पुस्तक, आगरा, राम, श्याम, राहुल आदि।
संज्ञा के भेद
संज्ञा के पाँच भेद होते हैं-
- व्यक्तिवाचक संज्ञा-जिस शब्द से किसी विशेष वस्तु, व्यक्ति अथवा स्थान का पता चले, उसे व्यक्तिवाचक संज्ञा कहते हैं; जैसे – राम, सीता, गंगा, यमुना, भारत, उत्तर प्रदेश, आदि। जैसे-भारत, यमुना, अंकित, लखनऊ आदि।
- जातिवाचक संज्ञा-जिस संज्ञा शब्द से एक ही प्रकार की सब वस्तुओं का बोध हो उसे जातिवाचक संज्ञा कहते हैं; जैसे- लड़की, गाय, नदी, गेंद, माता, पिता, भाई, बहन आदि।
- समूहवाचक संज्ञा- जिस शब्द से प्राणियों या वस्तुओं के एकत्र या एक साथ इकट्ठे होने का बोध हो, उसे समूहवाचक संज्ञा कहते हैं; जैसे- भीड़ मंडली, दल, सभा, कक्षा, सेना आदि।
- भाववाचक संज्ञा-जिस संज्ञा शब्द से गुण, दशा, व्यापार आदि का बोध हो, उसे भाववाचक संज्ञा कहते हैं; जैसे- सुंदरता, मोटापा, कालापन, मिठास, कड़वाहट, अधिकता, कठोरता आदि।
- द्रव्यवाचक संज्ञा-मापे या तौले जाने वाले पदार्थ का ज्ञान कराने वाले शब्द द्रव्यवाचक संज्ञा कहलाते हैं; जैसे- चावल, दाल, आटा, बेसन, कपड़ा, सब्जी, रस्सी आदि।
२. सर्वनाम-संज्ञा के स्थान पर प्रयोग होने वाला शब्द ‘सर्वनाम’ कहलाते हैं; जैसे- मैं, वह, तुम आदि।
उदाहरण-
वीणा लखनऊ में रहती है। वह स्कूल जाती है। यहाँ ‘वह’ सर्वनाम है। मैं, हम, वह, तुम, आप, कौन, कोई आदि भी सर्वनाम हैं।
सर्वनाम के भेद
सर्वनाम के छः भेद होते हैं-
- पुरुषवाचक सर्वनाम, जैसे- मैं, हम, तुम, वह आदि।
- निश्चयवाचक सर्वनाम, जैसे- यह, ये, वह, वे आदि।
- अनिश्चयवाचक सर्वनाम, जैसे- कोई, कुछ आदि।
- संबंधवाचक सर्वनाम, जैसे- जो-सो जैसा-वैसा आदि।
- प्रश्नवाचक सर्वनाम, जैसे- क्या, कौन आदि।
- निजवाचक सर्वनाम, जैसे- अपने आप, स्वयं, स्वतः, खुद, आप ही आप आदि।
३. क्रिया-जिस शब्द से किसी काम का करना या होना पाया जाए, उसे ‘क्रिया’ कहते हैं, जैसे- दौड़ना, पढ़ना, खेलना, लिखना, खाना आदि।
जैसे-सीता खेलती है। राम पढ़ता है। ऊपर के वाक्य में ‘खेलना’ और ‘पढ़ना’ क्रियाएँ हैं। अन्य उदाहरण- चलना, जाना, गाना, इत्यादि।
क्रिया के भेद
(i) सकर्मक क्रिया, जैसे-खाना, पीना, पहनना इत्यादि।
(ii) अकर्मक क्रिया, जैसे-रोना हँसना, दौड़ना आदि।
४. विशेषण-जो शब्द किसी संज्ञा अथवा सर्वनाम की विशेषता बताए, उसे विशेषण कहते . हैं; जैसे- काला, अच्छा, मोटा, सुंदर आदि।
विशेषण के भेद
- गुणवाचक विशेषण, जैसे-अच्छा, बुरा, काला, मोटा, पीला आदि।
- परिमाणवाचक विशेषण, जैसे-किलोग्राम, मीटर, लीटर आदि।
- संख्यावाचक विशेषण, जैसे-एक, दो, दस, सौ, हजार आदि।
- सार्वनामिक विशेषण, जैसे-वह, यह, ऐसा, वैसा, तुम्हारा, मेरा आदि।
क्रिया-विशेषण-क्रिया-विशेषण उन शब्दों को कहते हैं, जो क्रियाओं की विशेषताएँ प्रकट करते हैं; जैसे-साइकिल तेज दौड़ती है। गौरव अच्छा लिखता है। यहाँ ‘तेज’ और ‘अच्छा’ क्रिया-विशेषण हैं।
लिंग
परिभाषा-जिससे किसी वस्तु या प्राणी की जाति (पुरुष या स्त्री) का बोध हो, उसे ‘लिंग’ कहते हैं।
लिंग के भेद
लिंग के निम्नलिखित दो भेद होते हैं-
- पुल्लिग-जिससे पुरुष जाति का बोध हो, उसे ‘पुल्लिंग’ कहते हैं; जैसे-राम, आम, घोड़ा, हाथ, पैर, सिर, शरीर टमाटर आलू, बैंगन, अनार, काजू आदि।
- स्त्रीलिंग-जिससे स्त्री जाति का बोध हो, उसे ‘स्त्रीलिंग, कहते हैं; जैसे- सीता, गंगा, लड़की, आँख, नाक, गरदन, जाँघ, देह, काया, कोयल, भाषा, लिपि, वर्तनी आदि।
वचन
वचन की परिभाषा-संज्ञा या सर्वनाम के जिस रूप से किसी वस्तु या प्राणी की संख्या का बोध हो, उसे ‘वचन’ कहते हैं, जैसे-गाय-गायें, पुस्तक-पुस्तकें, आँख-आँखें, लड़का-लड़के, गाड़ी-गाड़ियाँ, डंडा-डंडे, कलम-कलमें आदि।
वचन के भेद
वचन के निम्नलिखित दो भेद होते हैं-
- एकवचन-जिससे केवल एक वस्तु या प्राणी का बोध हो, उसे ‘एकवचन’ कहते है जैसेगाय, पुस्तकं, लड़का आदि।
- बहुवचन-जिससे एक से अधिक वस्तुओं अथवा प्राणियों का बोध होता है, उसे ‘बहुवचन’ कहते हैं, जैसे- गायें, पुस्तकें, लड़के आदि।
काल
काल की परिभाषा-किसी कार्य में लगने वाला समय ही ‘काल’ कहलाता है।
काल के भेद
काल के निम्नलिखित तीन भेद होते हैं-
- वर्तमानकाल-जिस क्रिया से कार्य का बीत रहे समय में होना पाया जाए, उसे ‘वर्तमानकाल’ कहते हैं; जैसे-गीता खाना खा रही है।
- भूतकाल-जिस क्रिया से कार्य का बीते हुए समय में होना पाया जाए, उसे ‘भूतकाल’ कहते हैं; जैसे-गीता ने खाना खाया।
- भविष्यत्काल-जिस क्रिया से कार्य का आने वाले समय में होना पाया जाए, उसे ‘भविष्यत्काल’ कहते हैं; जैसे-गीता खाना खाएगी।
कारक
कारक की परिभाषा-संज्ञा या सर्वनाम के जिस रूप से उसका संबंध वाक्य के दूसरे शब्दों, विशेषकर क्रिया के साथ जाना जाता है, उसे कारक कहते हैं। हिंदी में कारक आठ होते हैं-
विभक्ति-कारक के चिह्नों को ‘विभक्ति’ कहते है; जैसे- ने, को, से, के लिए, को, से आदि।
विलोम शब्द (विपरीतार्थक शब्द)
विलोम शब्द-जो शब्द एक-दूसरे का उलटा (विपरीत) अर्थ बताएँ, उन्हें विपरीतार्थक शब्द कहते हैं; जैसे-दिन का विलोम शब्द रात है।
शुद्ध-अशुद्ध शब्द
पर्यायवाची शब्द
१. अश्व-घोड़ा, हय, तुरंग, घोटक, सैन्धव आदि।
२. अमृत-सुधा, सोम, पीयूष, अमिय, सुरभोग आदि।
३. असुर-राक्षस, निशाचर, दानव, दैत्य, आदि।
४. आग-पावक, अनल, अग्नि, कृशानु, हुताशन आदि।
५. आकाश-गगन, नभ, अंबर, शून्य, व्योम आदि।
६. आँख-नेत्र, नयन, चक्षु, लोचन, दृग आदि।
७. दिन-दिवस, वासर, अह्न, दिवा आदि।
८. नदी-सरिता, सलिला, तरंगिणी, तटिनी, निर्झरिणी आदि।
मुहावरे
१. प्राणों की बाजी लगाना = जान पर खेलना
प्रयोग-मातृभूमि की रक्षा के लिए भारतीय वीरों ने प्राणों की बाजी लगा दी।
२. कमर तोड़ देना = बहुत नुकसान पहुँचाना..
प्रयोग-व्यापार में अचानक घाटा हो जाने से हमारी कमर टूट गई।
३. पीछे हट जाना = हार मान लेना
प्रयोग-सैनिक पीछे हटना नहीं जानते।
लोकोक्तियाँ
भले का अंत भला – भलाई का फल अच्छा होता है।
आ बैल मुझे मार – जान-बूझकर मुसीबत मोल लेना।
एक और एक ग्यारह – एकता में बल होता है।
एक हाथ से ताली नहीं बजती – भूल दोनों ओर से होती है।